Essay on My School in Hindi – मेरा विद्यालय पर निबंध 150, 300 और 600 शब्दों में

Essay on My School in Hindi

Essay on My School in Hindi : हमारी जिंदगी में विद्यालय और शिक्षा काफी महत्व रखती है। बिना विद्यालय और शिक्षा के हम एक अच्छे जीवन की कल्पना नही कर सकते है। इसलिए हमें विद्यालय के महत्व को जानना बहुत ज़रूरी है।

स्कूलों में अक्सर मेरा विद्यालय पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। अगर आपको भी Mera  School Par Nibandh लिखने के लिए कहा गया है, तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। मेरा विद्यालय निबंध हिंदी में Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 और 8 सभी के लिए उपयोगी हैं। मैने यहां पर My School Essay in Hindi में 150, 300 और 600 शब्दों में लिखा है।

मेरा विद्यालय पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on My School in Hindi)

स्कूल विद्या का मंदिर होता है, जहां पर हमें विद्या (शिक्षा) मिलती है। विद्यालय में हम शिक्षा के महत्व को समझते है, और शिक्षा की मदद से हम अपनी जिंदगी को एक सही दिशा देते है।

अगर मैं अपने स्कूल की बात करूँ तो मेरे स्कूल का नाम “ महावीर विद्या मंदिर ” है, जो राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। मेरा स्कूल शहर से थोड़ी दूर शांत जगह पर है, जहां हम बस की मदद से जाते है। मेरे स्कूल में लगभग 1000 छात्र पढ़ते हैं, और सभी छात्र अनुशासन में रहते है।

मेरे विद्यालय का भवन काफी सुंदर है, जहां पर सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां पर एक बड़ा खेल का मैदान, एक पुस्तकालय, एक विज्ञान की प्रयोगशाल और एक कंप्यूटर लैब है। इसके अलावा एक बहुत बड़ा हॉल भी हैं, जहां हम सभी मिलकर सुबह-सुबह प्रार्थना करते है।

मेरे विद्यालय में अनेक तरह के खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है। मेरे स्कूल के सभी अध्यापक और अध्यापिकाएँ बहुत अच्छी हैं, जो हमें प्यार से पढ़ाते हैं। मुझे यहां पर बहुत कुछ सिखने को मिल रहा है, और मैं अपने स्कूल को बहुत प्यार करता हूँ।

मेरा विद्यालय पर निबंध 300 शब्दों में (My School Essay in Hindi)

प्रस्तावना.

विद्यालय हमारी जिंदगी का काफी अहम हिस्सा है। जब बड़े हो जाते है, तब भी स्कूली घटनाएं हमारी जिंदगी की सबसे यादगार घटनाओं में से एक होती है। क्योंकि स्कूल के साथ हमारे बच्चपन की यादे जुड़ी होती है। विद्यालय हमें जिंदगी में आगे बढ़ना सिखाता है।

विद्यालय की परीभाषा

विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहां पर शिक्षा ग्रहण की जाती है। यहां पर बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं नैतिक गुणों का विकास होता है। यह एक मंदिर है जहां सभी प्रकार के बच्चे एक ही तरह की ड्रेस पहनकर पढ़ाई करते है।

विद्यालय में बिना भेदभाव के अध्यापक बच्चों को शिक्षा देते है। यहां पर बच्चों को शिक्षा, ज्ञान और कौशल प्राप्त होता है, और अंतत बच्चे का व्यक्तित्व निर्माण होता है।

मेरे विद्यालय का भवन

मेरे स्कूल का नाम “ महावीर विद्या मंदिर ” है, और यह राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थिति है। मेरा विद्यालय भवन तीन मंजिला है, जहां सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। मेरे स्कूल में कक्षा 10वीं तक पढ़ाई करवाई जाती हैं। मेरे स्कूल में एक बड़ा हॉल और एक बड़ा खेलकूद का मैदान भी है।

मेरे विद्यालय में बड़ी-बड़ी कक्षाएं, एक पुस्तकालय, एक विज्ञान की प्रयोगशाला, और कंप्यूटर लैब भी है। मेरे विद्यालय में प्रेवश करते ही सामने प्रधानाचार्य का ऑफिस है। इसके अलावा विद्यालय के चारों तरफ पेड़-पौधे भी हैं।

मेरा विद्यालय की अध्यापक-अध्यापिकाएँ

मेरे स्कूल में कुल आठ अध्यापक और अध्यापिकाएँ हैं, जो काफी अच्छे से पढ़ाती है। मेरी स्कूल के सभी टीचर्स अनुभवी और विद्वान है। मेरे विद्यालय में सभी तरह के विषय पढ़ाए जाते हैं, जैसे- हिंदी, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान आदि। और सभी विषय के लिए विशेष अनुभवी अध्यापक मौजुद है।

मेरी स्कूल एक पीटी टिचर और एक योगा टीचर भी है, जो हमारी शेहत का ख्याल रखते है। हमारी स्कूल में समय-समय पर खेल प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते है, जिसमें सभी अध्यापक अपना योगदान देते है।

विद्यालय में अनुशासन

मेरे विद्यालय में काफी अनुशासन है, और इसके लिए विद्याल में कुछ कठोर नियम भी बनाए गए हैं। सभी विद्यार्थी नियमों की पालना करते है, और स्कूल में अनुशासन बनाए रखते है। विद्यालय में अनुशासन बहुत जरूरी है, क्योंकि बिना अनुशासन के पढ़ाई नही की जा सकती है।

उपसंहार

मेरा विद्यालय बहुत अच्छा है, जहां मुझे सभी तरह की सुविधाएं मिलती है। मुझे पूरा यकिन है कि मैं यहां पर पढ़कर एक अच्छा इंसान बनूंगा, और अपने पूरे परिवार व स्कूल का नाम रोशन करूंगा। मैं अपने सभी अध्यापकों का धन्यवाद करता हूँ, जो मुझे इतना अच्छे से और प्यार से पढ़ा रहे है।

Essay on My School in Hindi से हम विद्यालय के महत्व को समझ सकते है।

मेरा विद्यालय पर निबंध 600 शब्दों में (Essay on My School in Hindi)

उपसंहार (विद्यालय का परिचय).

 स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां पर हम धीरे-धीरे बड़े होते है, और हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। मेरा अधिकतर समय स्कूल में बितता है, जहां मैं अपने दोस्तों के साथ पढ़ाई भी करता हूँ और मस्ती भी करता हूँ। मेरी स्कूल का नाम “ महावीर विद्या मंदिरा उच्च माध्यमिक विद्यालय ”  है, जहां 12वीं तक के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है।

मेरा विद्यालय बहुत अच्छा है, जहां पर सभी अध्यापक अच्छे और अनुभवी है, और सभी सुख-सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां पर पढ़ाई करने योग्य अनुकूल माहौल है। मेरे स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और कौशल पर भी ध्यान दिया जाता है। सच में, मेरा विद्यालय काफी अच्छा है, जिसे मैं बहुत प्यार करता हूँ।

विद्यालय क्या है, इसके प्रकार

विद्यालय का शाब्दिक अर्थ होता है- विद्या और आलय। इसका मतलब है कि एक ऐसा स्थान जहां पर विद्या मिलती हो। प्राचीन समय में पहले गुरुकुल हुआ करते थे, जहां पर गुरू शिष्यों को अनेक तरह की शिक्षाएं देते थे। हालांकि अब गुरुकुल को विद्यालय और स्कूल बोला जाता है। और इसके साथ ही प्राचीन काल की तुलना में शिक्षा का ढंग भी बदल गया है। विद्यालय मंदिर का रूप होता है, जहां व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है।

हम बचप्पन से बड़े होने तक अलग-अलग विद्यालयों में पढ़े हैं, जैसे- आंगनवाड़ी, प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय और फिर उच्च माध्यमिक विद्यालय। इसके बाद महाविद्यालय (कॉलेज) में जाकर पढ़ाई करते है।

इसके अलावा भी विद्यालय के अन्य प्रकार होते हैं, जैसे- सरकारी विद्यालय, निजी विद्यालय, आवासीय विद्यालय, धार्मिक विद्यालय, कौशल निर्माण विद्यालय और सैनिक विद्यालय।

मेरे विद्यालय की विशेषताएं

मेरा विद्यालय काफी अच्छा हैं, जहां सभी सुविधाएं दी गयी है। यहां पर कोई भी बच्चा आसानी से पढ़ सकता है। मेरे स्कूल की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-

  • मेरा विद्यालय शहर से थोड़ा दूर शांत जगह पर है, और चारों तरफ खुला वातावरण है।
  • मेरे स्कूल में सभी विषय के लिए विशेष अनुभवी अध्यापक और अध्यापिकाएं हैं।
  • मेरा स्कूल तीन मंजिला है, और स्कूल के बाहर एक गार्डन भी है।
  • स्कूल में एक प्रार्थन हॉल, एक पुस्तकालय, एक कंप्यूटर लैब, और एक विज्ञान प्रयोगशाला है।
  • विद्यालय में शीतल जल और शुद्ध पानी की व्यवस्था है।
  • विद्यालय में अनेक खेलकूद और सांस्कृतिक प्रोग्राम होते हैं।
  • मेरे स्कूल में पढ़ने के लिए काफी अच्छा वातावरण है।
  • मेरे विद्यालय में काफी अच्छा अनुशासन है।
  • मेरे स्कूल में कक्षा 12 तक पढ़ाई करवाई जाती हैं।

मेरे विद्यालय में विद्यार्थियों का अनुशासन

मेरे विद्यालय में सबसे ज्यादा अनुशासन पर ध्यान दिया जाता है। क्योंकि जब तक अनुशासन नही होगा, तब तक पढ़ाई संभव नही है। अनुशासन की वजह से ही सभी कक्षाएं समय पर लगती है, और बच्चे भी समय पर स्कूल आते है। व्यक्ति के जीवन में अनुसाशन होना बहुत जरूरी है, और यह अनुसाशन स्कूल की मदद से ही आता है।

हमारी स्कूल में अच्छा अनुसाशन होने की वजह से हम समय पर पढ़ते है और समय पर खेलते भी हैं। जिंदगी में अनुशासन का होना बेहद ज़रूरी है।

मेरे विद्यालय की शिक्षण प्रणाली

एक अच्छे विद्यालय में अच्छी शिक्षण प्रणाली होना बहुत ज़रूरी है, और मेरे विद्यालय में है। मेरे स्कूल में एक दिन में दो पारीयां चलती हैं, जिसमें सुबह के समय प्राथमिक कक्षा से 6वीं कक्षा के विद्यार्थी आते है। और फिर 12 बजे के बाद 7वीं कक्षा से 12 कक्षा के विद्यार्थी आते है।

मेरे स्कूल में रेगुलर क्लासेस चलती है, और बीच में रेस्ट भी मिलती है। पढ़ाई के बाद बच्चों को खेलने का समय भी दिया जाता है। इसके अलावा जो भी बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते है, उन्हे विशेष क्लासेस भी दी जाती है।

सभी कक्षाओं में समय-समय पर टेस्ट भी होते हैं, ताकि बच्चों की स्थिति का पता चल सके।

प्रतियोगिताओं का आयोजन

मेरे विद्यालय में हर साल अनेक तरह की प्रतियोगिताएं भी होती है जैसे- चित्र-कला, वाद-विवाद, कविताएँ आदि, ताकि हम पढ़ाई के साथ-साथ अन्य कौशल भी सीख सके। यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते है, जिससे हमें काफी कुछ नया सिखने को मिलता है।

विद्यालय के प्रति हमारा कर्तव्य

विद्यालय एक विद्या का मंदिर है, जिसके प्रति हर विद्यार्थी के कुछ कर्तव्य होते हैं। हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है कि हम अपने स्कूल में अनुसाशन को बनाए रखे। और अच्छा रिजल्ट प्राप्त करके स्कूल का नाम रोशन करें। हमे अपने शिक्षकों को सम्मान देना चाहिए, और उन्हे अपनी लाइफ में हमेशा याद रखना चाहिए।

विद्यालय एक बच्चे के जीवन में काफी अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि विद्यालय से बच्चे को शिक्षा, ज्ञान और कौशल मिलता है,और एक अच्छा व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यहां पर मुझे पढ़ाई के साथ-साथ और भी कई तरह के अनुभव भी मिल रहे है। मैं अपनी स्कूल को बहुत प्यार करता हूं, और मैं हमेशा अपने विद्यालय पर गर्व महसूस करूंगा।

मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में 10 लाइन (Mera  School Par Nibandh)

  • मेरी स्कूल का नाम “महावीर विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय” है जो शहर कुछ दूर स्थित है।
  • मेरा विद्यालय एक शांत जगह पर है, जहां पढ़ाई का माहौल काफी अच्छा है।
  • मेरे विद्यालय में बहुत सारे कमरे, प्रार्थना स्थ, खेलकूद का मैदान, पुस्तकालय और लैब उपलब्ध हैं।
  • मेरे स्कूल में रोज़ाना सुबह 30 मिनट तक प्रार्थना होती है, और फिर भोजन से पूर्व भी छोटी-सी प्रार्थना होती है।
  • मेरे विद्यालय में प्रत्येक विषय को पढ़ाने के लिए अनुभवी और योग्य शिक्षक मौजुद हैं।
  • स्कूल में बच्चों के प्रति प्रधानाचार्य और सभी शिक्षकों का काफी अच्छा व्यवहार है।
  • मेरे स्कूल में अनुशासन पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
  • स्कूल के बाहर गार्डन में सभी बच्चे रोज़ाना खेलते है।
  • मेरे विद्यालय में हर साल अनेक तरह के सांस्कृतिक प्रोग्राम और प्रतियोगिताएं होती हैं।
  • मैं अपने स्कूल से काफी प्यार करता हूँ, और मैं अपने स्कूल के लिए गर्व महसूस करता हूं।

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दा इंडियन वायर

मेरा स्कूली जीवन पर निबंध

school days essay in hindi

By विकास सिंह

essay on school life in hindi

हमने हमेशा सुना है कि स्कूली जीवन सबसे अच्छा जीवन है, जब तक आप स्कूल में हैं तब तक आनंद से ज़िन्दगी जीते हैं। जब तक आप स्कूल में हैं तब तक आप कई गलतियाँ कर सकते हैं, आदि ऐसे कई वाक्यांश है जोकि बड़े, बच्चो को बताते है तो उन्हें लगता है की यह ज्यादा बड़ाई की जा रही है।

लेकिन जैसे ही स्कूली जीवन समाप्त होता है और लोग वास्तविक दुनिया में प्रवेश करते हैं, उन्हें एहसास होता है कि बुजुर्ग कितने सही थे। बच्चों को अपने स्कूली जीवन को पूरी तरह से जीना चाहिए। वे जीवन में इन दिनों को बहुत याद करेंगे और जब वे बड़े हो जायेंगे तो ऐसे लापरवाह जीवन का आनंद नहीं ले पायेंगे। स्कूली जीवन अच्छी तरह से इया जाता है तो यह पूरी ज़िन्दगी याद रहता है।

मेरा स्कूली जीवन पर निबंध (200 शब्द)

स्कूल को ज्ञान का मंदिर कहा जाता है, सबसे पहला स्थान जिसने आपको दुनिया में पेश किया और इससे भी अधिक इसने आपको खुदको पहचानने में मदद की । मेरा स्कूली जीवन उन सभी यादों के बारे में है जिन्हें मैं गहराई से संजोता हूं।

न केवल मस्ती, दोस्ती और सभी खेल आदि की यादें, बल्कि इससे मुझे अपने दिलचस्पी के विषयों को खोजने में मदद मिली। मैं आज जो भी हूँ और जहां पहुंचा हूँ, इसका सारा श्री मैं अपने स्कूली जीवन को देता हूँ। मेरा स्कूली जीवन वर्षों से विभिन्न अनुभवों से भरा है।

इसने न केवल मेरी विद्वत्तापूर्ण क्षमताओं को विकसित करने के विभिन्न अवसर दिए बल्कि मेरी कला और खेल को भी विकसित किया। इसने मेरे खेल में मेरा साथ दिया और साथ ही मुझे कई तरह के लोगों से अवगत कराया। इन सभी ने मुझे यह समझने में मदद की अपनी ज़िन्दगी में लोगों के साथ रहना और जुड़ना कितना महतवपूर्ण है।

ऐसी कई चीजें हैं जो स्कूली जीवन को एक जीवन में सबसे अच्छा चरण बनाती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम युवा होते हैं और गलतियों का बुरा नहीं मानते और साथ ही हम दुसरे लोगों की परवाह नहीं करते हैं। हम यह नहीं सोचते की लोग हमारे बारे में क्या विचार रखते हैं और हम वह करते चले जाते हैं जो हमें पसंद होता है। अतः यह समय सबसे सुख का समय होता है।

मेरा स्कूली जीवन पर निबंध (300 शब्द)

प्रस्तावना :.

अपने स्कूली जीवन में, मैं हमेशा से ही आदर्श अध्ययनशील छात्र रहा हूँ, इसलिए मैं आमतौर पर कुख्यात बैक बेंचरों की तरह यादों के उस अद्भुत समूह को नहीं छोड़ता हूँ, जो मुझे याद है जब मैं अपने आठवीं कक्षा में था।

मेरा स्कूल जीवन का अनुभव :

यह घटना होने तक स्कूल में एक सामान्य दिन था। यह अवकाश के समय के बारे में था जब मैं अपने सहपाठियों के साथ फुटबॉल खेला करता था। एक दिन जब मैं मैदान में था तो अचानक स्टीफन फ्रांसिस नाम का एक लड़का जो हमारे स्कूल की फुटबॉल टीम का कप्तान था, ने मेरी बिलकुल लिवरपूल एफसी सॉकर बॉल को स्कूल के परिसर से बाहर निकाल दिया, जो हमारे स्कूल के मैदान के ठीक पीछे वाली संकरी गली में थी। ।

हमारे स्कूल की दीवारें थोड़ी ऊँची थीं और हर दूसरे स्कूल की तरह परिसर से बाहर जाना सख्त मना था। हम आंशिक रूप से दीवार पर चढ़ गए ताकि हम गेंद पर एक नज़र रख सकें और किसी व्यक्ति के पास से गुजरने का इंतजार करें ताकि हम उसे अपनी गेंद वापस करने के लिए कह सकें।

जब कोई व्यक्ति वहां पर पहुंचा हमें काफी देर तक इन्तेजार करना पड़ा था। वह काफी दूर था लेकिन उसने गेंद को देखा और उसकी ओर चला गया। हमने देखा कि उसने गेंद लेकर भागने की कोशिश की। इसलिए, बिना सोचे-समझे मैंने और मेरे दोस्त ने स्कूल की दीवार पर छलांग लगा दी, लेकिन जब तक हम उसे पकड़ पाते, वह पहले ही फुटबॉल लेकर दौड़ पड़ा था।

हम उसके पीछे भागने लगे और मेरा दोस्त बाइक से टकरा गया और बुरी तरह घायल हो गया। मैंने अपनी फुटबॉल की चिंता छोड़कर दोस्त को देखने लगा। उस चोट से उसे तीन टांके आए। हमें इस वजह से शिक्षकों और प्रिंसिपल द्वारा डांटा गया था, एक सजा के रूप में हमारे माता-पिता को परेशानी की गंभीरता पर चर्चा करने के लिए अगले दिन स्कूल बुलाया गया था।

निष्कर्ष:

तब से मैं और मेरा यह दोस्त कई दुश्वारियों में भागीदार रहे हैं जिन्होंने मेरे स्कूल जीवन को यादगार बना दिया है।

मेरा स्कूली जीवन पर निबंध (400 शब्द)

किसी व्यक्ति के जीवन में हर चरण विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह उसके व्यक्तित्व को विकसित करने में मदद करता है। लेकिन वह कभी भी अपने स्कूल जीवन जितना नहीं सीख सकता है क्योंकि वह समय है जब हम पहली बार सब कुछ कर रहे हैं।

यही समय है जब हम गलती कर सकते हैं और हमें किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। हम आसपास के लोगों की बहुत परवाह नहीं करते हैं और हर चीज को आजमाने के लिए उत्सुक हैं। हम अपनी गलतियों और अनुभवों से अपने अद्वितीय व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।

स्कूल लाइफ कैसे होती है सर्वश्रेष्ठ ?

यहां कुछ कारण दिए गए हैं जो साबित करते हैं कि स्कूली जीवन सबसे अच्छा जीवन है:

यूनिफ़ॉर्म: स्कूल में हम स्कूल यूनिफ़ॉर्म से नफरत करते हैं लेकिन जब हम बड़े होते हैं तो हमें एहसास होता है कि हर दिन क्या पहनना है, यह चुनना कितना मुश्किल है।

छुट्टियां: यह स्कूली जीवन का एक प्रमुख कारण है, जिसे समाप्त करने के बाद हम सबसे ज्यादा तरसते हैं। हमें स्कूल में कई छुट्टियां मिलीं और उन्हें बिना किसी तनाव के लापरवाह तरीके से बिताया। हमने अपने चचेरे भाइयों और विस्तारित परिवार का दौरा किया और उन्हें हमारे स्थान पर आमंत्रित किया। जैसे ही हम नौकरी ज्वाइन करते हैं, हमें आराम करने और आनंद लेने के लिए उतनी छुट्टियां नहीं मिलतीं।

दोस्त: सबसे लंबे समय से ज्ञात दोस्ती स्कूल के दिनों में बनाई जाती है। यह मुख्य रूप से है क्योंकि इस दौरान हम लोगों पर आसानी से भरोसा कर सकते हैं। हम नए लोगों से मिलने, नई चीजों की कोशिश करने और नई दोस्ती बनाने के लिए उत्साही और उत्सुक हैं।

शिक्षक: हमें एहसास है कि हमेशा एक मार्गदर्शक होना कितना महत्वपूर्ण है जो अभी भी सोचता है कि हम हर चीज के लिए अपरिपक्व हैं और हमें तदनुसार समझ में आता है। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद हमें ऐसा कोई मार्गदर्शक / मार्गदर्शक नहीं मिल सकता है।

होमवर्क: एक ऐसी चीज जिसे हम अपने स्कूल जीवन के दौरान घृणा करते हैं और बचने के लिए सैकड़ों रचनात्मक बहाने की कोशिश करते हैं, वास्तव में मजेदार था। स्कूली जीवन इसके बिना इतना अधूरा होता।

सजा और पुरस्कार: सजा पूरे अवधि के दौरान या कक्षा से बाहर निकलने या प्रिंसिपल के कार्यालय में जाने की विविधता में आती थी और सबसे अच्छा इनाम तब होता था जब किसी को कक्षा का मॉनिटर बनाया जाता था।

पहला अनुभव: यह वह समय था जब हमें गलतियाँ करने की अनुमति दी जाती है क्योंकि बहुत सी चीजें हम पहली बार कर रहे थे इनमे चाहे हमारा पहला क्रश हो, पहले बिना रिश्ते के भी दिल टूटना, पहली लड़ाई या पहला चुंबन हो।

ये सभी अनुभव हमारे दिलों में एक विशेष महत्व रखते हैं, जबकि हम बड़े होते हैं। उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया है और मुझे आज मैं जो भी व्यक्ति हूं, बनने में मदद की है।

मेरा स्कूली जीवन पर निबंध (500 शब्द)

एक स्कूल शिक्षा प्रदान करने के लिए सीखने की जगह और पर्यावरण प्रदान करने के लिए समर्पित एक इमारत है। यह एक ऐसी इमारत है, जिसमें आपका अधिकांश बचपन बीता है, एक इमारत जिसे हर कोई याद करता है, क्योंकि वे आखिरकार इसे छोड़ देते हैं, मेरे मामले में भी यही स्थिति है।

मैंने डॉन बोस्को हाई स्कूल वडोदरा, ईसाई मिशनरी स्कूल में अध्ययन किया है। अन्य लोगों को स्वीकार करने के लिए कठिन है, लेकिन एक ऑल-बॉयज़ स्कूल में होने के कारण जो आनंद मिलता है, केवल यहां पढ़ने वाले लोग ही समझ सकते हैं।

प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं की मेरी यादें:

मैं अपनी दसवीं कक्षा तक बालवाड़ी से डॉन बॉस्को संस्था का हिस्सा रहा हूं। हायर सेकेंडरी में दसवीं के बाद मैं रोज़री हाई स्कूल में गया, जो कमोबेश साइंस स्ट्रीम के छात्रों के लिए अनऑफिशियल डमी स्कूल की तरह था इसलिए मेरे पास हायर सेकंडरी स्कूल से मुश्किल से कोई स्कूल की यादें हैं। तो, मेरे करामाती स्कूल की यादों की कहानी मेरे स्कूल के आसपास के वर्षों से घूमती है।

एक स्टीरियोटाइपिकल स्कूल के बच्चे की तरह मैं स्कूल वैन में स्कूल जाता था। मैं सुबह साढ़े छह बजे उठता, फ्रेश होता, स्कूल यूनिफॉर्म पहनता, दिन के टाइम टेबल के हिसाब से अपने स्कूल बैग का इंतजाम करता और सुबह 6:40 बजे तक क्विक ब्रेकफास्ट करता, जैसे ही सात बजे मेरी स्कूल वैन मेरे घर के सामने आती टब मैं उसमे चढ़ता। फिर, आधे घंटे तक जब तक हम स्कूल नहीं पहुँचे, चिट-चैट का समय था और पहले दिन हमें सौंपे गए होमवर्क के बारे में चर्चा उस समय हुआ करती थी।

स्कूल में दैनिक गतिविधियाँ:

हम स्कूल की घंटी बजने से लगभग पंद्रह मिनट पहले लगभग 7:30 बजे स्कूल पहुँच जाते थे। घंटी बजने से पहले हमें अपनी-अपनी कक्षाओं में रहना था। फिर यह राष्ट्रीय गीत और स्कूल प्रार्थना का समय था जो आठ तक चला जो कि नियमित स्कूल अवधि के शुरू होने का समय था।

यह लगातार चार पीरियड तक जारी रहता, जब तक कि सुबह 10:30 बजे तक की घंटी नहीं बजती। इस समय हमारा ब्रेक होता था। हर कोई इस दौरान अलग-अलग गतिविधियां करता हुआ नजर आता था। वह जिस तरह की कक्षा में था उस पर निर्भर रहने वाली गतिविधियों की तरह।

जब हम प्राथमिक कक्षाओं में थे तो हमने स्कूल के बगीचे में विभिन्न खेल खेले। बास्केटबॉल, फुटबॉल, दौड़ना और छिपना और तलाश करना हमारे कुछ पसंदीदा खेल थे। जैसे ही हम माध्यमिक कक्षाओं में पहुँचे, हम कैंटीन में बैठकर विभिन्न चीजों के बारे में बातचीत करने लगे और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया।

अवकाश के बाद, हमें चार और कालांश लेने थे। हर कालांश ऊबाऊ नहीं होता था क्योंकि कला और शिल्प, पीटी, नैतिक शिक्षा और गणित के कालांश मेरे लिए दिलचस्प थे।

निष्कर्ष :

स्कूल में इस औपचारिक कार्यक्रम के अलावा, दोस्तों के साथ गपशप करना, कैंटीन में घूमना, वाशरूम में जाकर कालांश के समय को बिता देना, सजा का डर जब हम होमवर्क पूरा करना भूल जाते हैं और वह नोट जो शिक्षक ने हैंडबुक में लिखा है। जब हमने कक्षा में कुछ शरारतें कीं, तो परिणाम के दिन घर से लेकर स्कूल तक की सवारी में घबराहट, अपरिपक्व झगड़े से लेकर मासूम हंसी तक – स्कूल की हर चीज अब इतनी प्यारी लगती है, शायद इसलिए कि चीजें काफी सरल थी।

मेरा स्कूली जीवन पर निबंध (600 शब्द)

ऐसा कहा जाता है कि किसी भी छात्र के जीवन में हाई स्कूल में प्रवेश करना वास्तविक दुनिया में पहला कदम है। यह वह स्थान है जहाँ किसी को जीवन के लिए अनुभव मिलते हैं। इसलिए, इस चरण में प्रवेश करते समय कोई भी स्पष्ट रूप से घबरा जाता है, लेकिन इससे भी अधिक, अति उत्साहित होते हैं क्योंकि अब वे वयस्क होंगे और अपने निर्णय स्वयं ले सकेंगे।

यह ज़रूर कहा जाता है कि महान अधिकार के साथ, बड़ी जिम्मेदारी आती है, और इन जिम्मेदारियों के साथ, सामाजिक दबाव आता है। जिसके बारे में हम सभी बचपन के समय से अनजान थे क्योंकि जब हमें यह सोचकर गलतियाँ करने की अनुमति दी जाती थी कि हम बच्चे हैं, लेकिन हाई स्कूल में ऐसा नहीं होता है क्योंकि हम अभी वयस्क माने जाते हैं।

मेरा हाई स्कूल का अनुभव:

कोई हाई स्कूल में लापरवाह जीवन नहीं जी सकता। अध्ययन का बहुत दबाव होता है। हमें अपनी शिक्षाविदों और पाठ्येतर गतिविधियों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है और आगे की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करनी चाहिए। हालांकि हमारे पास इतना सब करने के लिए भी है फिर भी हम अपने दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करना नहीं छोड़ना चाहते हैं क्योंकि यह भी दोस्ती और बहुत सारी शरारतों के खिलने का समय है।

द डे आई बंकड माय स्कूल

मुझे हाई स्कूल के कई अनुभव याद हैं। इनमें से एक था जब मैंने अपने दो दोस्तों के साथ, पहली बार एक बंक किया था। न केवल हमने कालांश को बंक किया, बल्कि हमने स्कूल परिसर से बाहर निकलने और एक नई रिलीज़ की गई फिल्म देखने के लिए अपनी स्कूल की दीवारों के माध्यम से छलांग लगाई। हमारे पास 70 छात्रों की एक कक्षा थी, जिसमें से लगभग 55 छात्र उस दिन उपस्थित थे।

अब संयोग से, मेरी कक्षा के 10 और छात्रों ने भी इस क्लास को बंक किया, जिससे कक्षा की ताकत कम हो गई। इसके अलावा, हमारे सहित सभी 13 छात्रों के बैग अभी भी कक्षा में थे, क्योंकि हमें स्कूल के घंटों के दौरान बैग के साथ कक्षा छोड़ने की अनुमति नहीं थी। इसलिए, हमारे शिक्षक ने जाँच की और पता लगाया कि जिन छात्रों ने बंक किया था और इसलिए अंततः हमें अपने प्रयोगशाला सत्रों से एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया।

हालाँकि, हमने इसके बाद बंक करना बंद नहीं किया है। हम नए नए रास्ते खोजने में वास्तव में स्मार्ट बन गए। हमने एक अच्छे छात्र होने और हाई स्कूल का आनंद लेने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की। उन सभी बंक के दौरान, मुझे एहसास हुआ कि अपने जीवन को जीने लायक बनाने के लिए दोस्तों का होना कितना महत्वपूर्ण है।

मेरे हाई स्कूल में उतार चढ़ाव:

फिर, हमारी पहली हाई स्कूल परीक्षा हुई और मैं अपनी कक्षा के शीर्ष 10 छात्रों की सूची में शामिल होने में कामयाब रहा। मैं हमेशा अकादमिक रूप से एक अच्छा छात्र रहा हूं। इसलिए इस बार, मेरे द्वारा लिप्त सभी शनीगनों के बाद भी, मैं अच्छे अंक लाने में सफल रहा।

लेकिन यह आखिरी बार था जब मुझे अच्छे अंक मिले। मेरे ग्रेड उसके बाद गिरने लगे और इससे काफी तनाव और चिंता पैदा हुई। मैंने पढ़ाई में रूचि खो दी और गेमिंग, फिल्में देखना या उपन्यास पढ़ना शुरू कर दिया। शुक्र है, मैंने कुछ भी बुरा नहीं किया, लेकिन इस सामान्य सामान ने स्थिति को बदतर बना दिया क्योंकि मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सका। इसलिए, मैं परामर्श के माध्यम से गया था जिसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे कभी भी आवश्यकता होगी।

मेरे लिए यह मुश्किल दौर था लेकिन आखिरकार मैं अपने फाइनल में अच्छा स्कोर बना पाया। मेरे माता-पिता इस दौरान मेरी शक्ति के स्तंभ के रूप में खड़े रहे। उन्होंने मुझे अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया और मुझे सही मार्ग का नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया। मैं उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए उन्हें पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सकता।

मैं मेरे विद्यालय के सारे अनुभव ज़िन्दगी भर याद रखूँगा। मुझे यह भी सीखने को मिला की इस ज़िन्दगी को खुशहाल बनाने में दोस्तों की क्या भूमिका है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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मैं पिछले चार वर्षों से सनातन धर्म सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल में पढ़ रहा हूं, लेकिन आज तक मैं इस स्कूल के अपने पहले दिन को नहीं भूल पाया हूं ।उस दिन मुझे अपने उस ट्‌यूटर के चंगुल से छुटकारा मिला था, जो मुझे हर दिन ढेर-सा काम घर पर करने को देता था ।

मुझे सप्ताह में किसी दिन भी छुट्‌टी नहीं मिलती थी । ऐसी स्थिति में आप मेरी प्रसन्नता की कल्पना कर सकते हैं, जब मुझे यह पता लगा कि अब मुझे एक स्कूल में भर्ती कराया जायेगा ।

स्कूल आते समय:

मैं स्कूल जाने की तैयारी के लिए 8 जुलाई को बड़े सबेरे उठ गया । अपने ट्‌यूटर के साथ मैं नए स्कूल के लिए रवाना हो गया । रास्ते में पानी बरसने लगा । स्कूल पहुंचने तक हम दोनों पूरी तरह से भीग गए थे ।

स्कूल कार्यालय तथा प्रिंसिपल का कार्यालय:

स्कूल की भव्य इमारत देखकर मैं उत्तेजित हो उठा । मेरा मन स्थिर नहीं रहा । कार्यालय में घुसने पर मैंने देखा कि काउन्टर के पीछे चार व्यक्ति बैठे हैं । उनमें से एक व्यक्ति से मेरे ट्‌यूटर ने प्रवेश-पत्र लिया । ट्‌यूटर ने प्रवेश-पत्र भरा ।

इसके बाद प्रवेश-पत्र के साथ हम दोनों प्रिंसिपल के कमरे में गए । ट्‌यूटर ने प्रिंसिपल को प्रवेश-पत्र दे दिया । उन्होंने प्रवेश-पत्र ध्यान से पढ़ा और घंटी बजाई । फौरन ही कमरे में एक चपरासी आया । उन्होंने उसे आदेश दिया कि वह हमें अध्यापकों के कमरे में ले जाये ।

परीक्षा और दाखिला:

चपरासी हमें जिस कमरे में ले गया उसमें एक बहुत बड़ी टेबल पड़ी थी, जिसके चारों ओर अध्यापक बैठे थे । चपरासी ने उनमें एक अध्यापक को मेरा प्रवेश-पत्र पकड़ा दिया । उस अध्यापक ने मेरे अग्रेजी के ज्ञान की परीक्षा ली । उसने मुझे दाखिले के योग्य मान लिया ।

इसके बाद एक अन्य अध्यापक ने मुझे पाँच सवाल हल करने को दिए । मैंने उन्हें बड़ी आसानी से हल कर दिया । दोनों ही अध्यापकों ने प्रवेश-पत्र पर कुछ लिखकर हस्ताक्षर कर दिए । प्रवेश-पत्र को लेकर मेरे ट्‌यूटर पुन: कार्यालय में गए और मेरी फीस जमा करा दी । मुझे एक पर्ची देकर कक्षा में भेजा दिया गया ।

कक्षा तथा कक्षा अध्यापक:

कक्षा में पहुँचकर मैं सबसे पंक्ति में एक सीट पर बैठ गया । मेरे सामने दीवार पर एक बडा ब्लैकबोर्ड था । उसके पास अध्यापकों के बैठने के लिए एक अच्छी-सी कुर्सी और टेबल थी । कुछ समय बाद कक्षा में एक अध्यापक ने प्रवेश किया ।

उसके प्रवेश करते ही सभी लड़के खड़े हो गए । मैं भी उनके साथ खड़ा हो गया । मैंने उन अध्यापक महोदय को वह पर्ची पकड़ा दी । उन्होंने मेरा नाम रजिस्टर में लिख लिया । मेरा सौभाग्य था कि वे अध्यापक बड़े सज्जन पुरुष थे । उन्होंने कुछ राचक चुटकुले सुनाए ।

मध्यांतर छुट्‌टी:

जैसे ही मध्यातंर की घंटी बजी, हम सभी विद्यार्थी कक्षा से बाहर निकल आये । यह कुछ देर के लिए कक्षा के नीरस वातावरण से मुक्ति की अवधि थी । इस दौरान खेल का मैदान गतिविधियो का केन्द्र बन गया और मैं अकेला खड़ा था ।

मुझे अकेला देखकर कुछ लड़के मेरे पास आये और मेरा मजाक उड़ाने लगे । उनमें से एक ने पूछा ”तुम किस जगल से आए हो” मैं चुप रहा । भाग्यवश तीन अन्य लड़के मेरी सहायता को दौड़ आए । उन्होने मुझे स्कूल की पूरी इमारत दिखाई । उनके साथ ही मैंने स्कूल का पुस्तकालय तथा वाचनालय देखा ।

हम स्कूल के हॉल में भी गए, कुछ महान् विभूतियों के चित्रों और पेंटिंग से सुसज्जित था । इतने में ही घंटी बज गई । मध्यातर काल समाप्त हुआ और हम सब अपनी-अपनी कक्षाओं में वापस चले गए । उस दिन एक-एक करके अन्य अध्यापक भी कक्षा में आए, लेकिन उन्होंने पढ़ाया नहीं ।

साढ़े बारह बजे छुट्‌टी की घंटी बजी । सभी लडके शोर मचाते हुए कक्षाओं से निकल पडे । मैं भी अन्य लडकों के साथ स्कूल से घर पहुंचा । घर पहुंचने पर मेरे मन में तरह-तरह के नए विचार उठते रहे । मैंने अपनी मां को विस्तार से बताया कि मेरा स्कूल कितना अच्छा है । स्कूल के पहले दिन का वृतान्त सुनकर मेरी मां भी बड़ी खुश हुई ।

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शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। पूरे शिक्षा तंत्र को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा जैसे को तीन भागों में बाँटा गया है। शिक्षा के सभी स्तर अपना एक विशेष महत्व और स्थान रखते हैं। हम सभी अपने बच्चों को सफलता की ओर जाते हुए देखना चाहते हैं, जो केवल अच्छी और उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।

शिक्षा का महत्व पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Importance of Education in Hindi, Shiksha Ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – शिक्षा का महत्व.

जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा सभी के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें जीवन के कठिन समय में चुनौतियों से सामना करने में सहायता करता है।

पूरी शिक्षण प्रक्रिया के दौरान प्राप्त किया गया ज्ञान हम सभी और प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रति आत्मनिर्भर बनाता है। यह जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसरों के लिए विभिन्न दरवाजे खोलती है जिससे कैरियर के विकास को बढ़ावा मिले। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा बहुत से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। यह समाज में सभी व्यक्तियों में समानता की भावना लाती है और देश के विकास और वृद्धि को भी बढ़ावा देती है।

शिक्षा का महत्व

आज के समाज में शिक्षा का महत्व काफी बढ़ चुका है। शिक्षा के उपयोग तो अनेक हैं परंतु उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि एक व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके। शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक बहुत ही आवश्यक साधन है। हम अपने जीवन में शिक्षा के इस साधन का उपयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों की सामाजिक और पारिवारिक सम्मान तथा एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है, यहीं कारण है कि हमें शिक्षा हमारे जीवन में इतना महत्व रखती है।

आज के आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा काफी अहम है। आजकल के समय में  शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके सारे तरीके अपनाये जाते हैं। वर्तमान समय में शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल चुका है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क में प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

निबंध 2 (400 शब्द) – विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

शिक्षा स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए समान रुप से आवश्यक है, क्योंकि स्वास्थ्य और शिक्षित समाज का निर्माण दोनो द्वारा मिलकर ही किया जाता हैं। यह उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक यंत्र होने के साथ ही देश के विकास और प्रगति में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस तरह, उपयुक्त शिक्षा दोनों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करती है। वो केवल शिक्षित नेता ही होते हैं, जो एक राष्ट्र का निर्माण करके, इसे सफलता और प्रगति के रास्ते की ओर ले जाते हैं। शिक्षा जहाँ तक संभव होता है उस सीमा तक लोगों बेहतर और सज्जन बनाने का कार्य करती है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली

अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को प्रदान करती है जैसे; व्यक्तिगत उन्नति को बढ़ावा, सामाजिक स्तर में बढ़ावा, सामाजिक स्वस्थ में सुधार, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र की सफलता, जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना, हमें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण समस्याओं को सुलझाने के लिए हल प्रदान करना और अन्य सामाजिक मुद्दे आदि। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के प्रयोग के कारण, आजकल शिक्षा प्रणाली बहुत साधारण और आसान हो गयी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली, अशिक्षा और समानता के मुद्दे को विभिन्न जाति, धर्म व जनजाति के बीच से पूरी तरह से हटाने में सक्षम है।

विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

विद्या एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चुरा सकता है और नाही कोई छीन सकता। यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाँटने पर कम नहीं होता, बल्कि की इसके विपरीत बढ़ता ही जाता है। हमने देखा होगा कि हमारे समाज में जो शिक्षित व्यक्ति होते हैं उनका एक अलग ही मान सम्मान होता है और लोग उन्हें हमारे समाज में इज्जत भी देते हैं। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि वह एक साक्षर हो प्रशिक्षित हो इसीलिए आज के समय में हमारे जीवन में पढ़ाई का बहुत अधिक महत्व हो गया है। इसीलिए आपको यह याद रखना है कि शिक्षा हमारे लिए बहुत जरूरी है इसकी वजह से हमें हमारे समाज में सम्मान मिलता है जिससे हम समाज में सर उठा कर जी सकते हैं।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को उच्च स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है और समाज में लोगों के बीच सभी भेदभावों को हटाने में मदद करती है। यह हमारी अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में भी हमारी सहायता करता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – शिक्षा की मुख्य भूमिका

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है । हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा क्या है ?

यह लोगों की सोच को सकारात्मक विचार लाकर बदलती है और नकारात्मक विचारों को हटाती है। बचपन में ही हमारे माता-पिता हमारे मस्तिष्क को शिक्षा की ओर ले जाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था में हमारा दाखिला कराकर हमें अच्छी शिक्षा प्रदान करने का हरसंभव प्रयास करते हैं। यह हमें तकनीकी और उच्च कौशल वाले ज्ञान के साथ ही पूरे संसार में हमारे विचारों को विकसित करने की क्षमता प्रदान करती है। अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने का सबसे अच्छे तरीके अखबारों को पढ़ना, टीवी पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों को देखना, अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ना आदि हैं। शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है। यह समाज में बेहतर पद और नौकरी में कल्पना की गए पद को प्राप्त करने में हमारी मदद करती है।

शिक्षा की मुख्य भूमिका

आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा मुख्य भूमिका को निभाती है। आजकल, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके हैं। शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल दिया गया है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क पर प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

यह हमें जीवन में एक अच्छा चिकित्सक, अभियंता (इंजीनियर), पायलट, शिक्षक आदि, जो भी हम बनना चाहते हैं वो बनने के योग्य बनाती है। नियमित और उचित शिक्षा हमें जीवन में लक्ष्य को बनाने के द्वारा सफलता की ओर ले जाती है। पहले के समय की शिक्षा प्रणाली आज के अपेक्षा काफी कठिन थी। सभी जातियाँ अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकती थी। अधिक शुल्क होने के कारण प्रतिष्ठित कालेज में प्रवेश लेना भी काफी मुश्किल था। लेकिन अब, दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ना बहुत ही आसान और सरल बन गया है।

Importance of Education Essay in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

घर शिक्षा प्राप्त करने पहला स्थान है और सभी के जीवन में अभिभावक पहले शिक्षक होते हैं। हम अपने बचपन में, शिक्षा का पहला पाठ अपने घर विशेष रुप से माँ से प्राप्त करते हैं। हमारे माता-पिता जीवन में शिक्षा के महत्व को बताते हैं। जब हम 3 या 4 साल के हो जाते हैं, तो हम स्कूल में उपयुक्त, नियमित और क्रमबद्ध पढ़ाई के लिए भेजे जाते हैं, जहाँ हमें बहुत सी परीक्षाएं देनी पड़ती है, तब हमें एक कक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण मिलता है।

एक-एक कक्षा को उत्तीर्ण करते हुए हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं, जब तक कि, हम 12वीं कक्षा को पास नहीं कर लेते। इसके बाद, तकनीकी या पेशेवर डिग्री की प्राप्ति के लिए तैयारी शुरु कर देते हैं, जिसे उच्च शिक्षा भी कहा जाता है। उच्च शिक्षा सभी के लिए अच्छी और तकनीकी नौकरी प्राप्त करने के लिए बहुत ही आवश्यक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

हम अपने अभिभावकों और शिक्षक के प्रयासों के द्वारा अपने जीवन में अच्छे शिक्षित व्यक्ति बनते हैं। वे वास्तव में हमारे शुभ चिंतक हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को सफलता की ओर ले जाने में मदद की। आजकल, शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं ताकि, सभी की उपयुक्त शिक्षा तक पहुँच संभव हो। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व और लाभों को दिखाने के लिए टीवी और अखबारों में बहुत से विज्ञापनों को दिखाया जाता है क्योंकि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और शिक्षा की ओर अधूरी जानकारी के कारण पढ़ाई करना नहीं चाहते हैं।

गरीबों और माध्यम वर्ग के लिए शिक्षा

पहले, शिक्षा प्रणाली बहुत ही महंगी और कठिन थी, गरीब लोग 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। समाज में लोगों के बीच बहुत अन्तर और असमानता थी। उच्च जाति के लोग, अच्छे से शिक्षा प्राप्त करते थे और निम्न जाति के लोगों को स्कूल या कालेज में शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। यद्यपि, अब शिक्षा की पूरी प्रक्रिया और विषय में बड़े स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। इस विषय में भारत सरकार के द्वारा सभी के लिए शिक्षा प्रणाली को सुगम और कम महंगी करने के लिए बहुत से नियम और कानून लागू किये गये हैं।

सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, दूरस्थ शिक्षा प्रणाली ने उच्च शिक्षा को सस्ता और सुगम बनाया है, ताकि पिछड़े क्षेत्रों, गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भविष्य में समान शिक्षा और सफलता प्राप्त करने के अवसर मिलें। भलीभाँति शिक्षित व्यक्ति एक देश के मजबूत आधार स्तम्भ होते हैं और भविष्य में इसको आगे ले जाने में सहयोग करते हैं। इस तरह, शिक्षा वो उपकरण है, जो जीवन, समाज और राष्ट्र में सभी असंभव स्थितियों को संभव बनाती है।

शिक्षा: उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है। हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को बड़े स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है तथा इसके साथ ही यह समाज में लोगों के बीच के सभी भेदभावों को हटाने में भी सहायता करती है। यह हमें अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में हमारी सहायता करती है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Importance of Education (शिक्षा का महत्व पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- तथागत बुध्द के अनुसार शिक्षा व्यक्ति के समन्वित विकास की प्रक्रिया है।

उत्तर- शिक्षा तीन प्रकार की होती है औपचारिक शिक्षा, निरौपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा।

उत्तर- शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है।

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स्कूल का वार्षिक दिवस निबंध Essay on School Annual Day in Hindi

स्कूल का वार्षिक दिवस निबंध Essay on School Annual Day in Hindi

किसी भी स्कूल में सबसे उत्सुकता से मनाया जाने वाला कार्यक्रम इसका वार्षिक दिन है। इस कार्यक्रम के लिए बच्चे व शिक्षक बड़ी उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं। क्योंकि चारों ओर उत्साह और तमाम गतिविधियाँ दिखाई देती हैं और बच्चों को न पढ़ने का बहाना भी मिल जाता है।

स्कूल के सभी टीचर्स और विद्यार्थी जोश से वार्षिक दिवस के कार्यक्रम की तैयारी में लगे रहते हैं। हर जगह मस्ती और मनोरंजन का वातावरण देखने को मिलता है। हर बार के वार्षिक दिवस की कोई न कोई थीम भी रखी जाती है जैसे साहित्य, 1970s बॉलीवुड, पर्यावरण थीम आदि।

यही एक ऐसा कार्यक्रम होता है जिसमें बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। पूरे वर्ष पढाई होने के साथ – साथ इस तरह के कार्यक्रमों का होना भी अनिवार्य है। जिससे शिक्षक बच्चों की कुशलताओं को समझ पाएं।

इसीलिए किसी भी स्कूल में वार्षिक दिवस मनाना जरुरी है। इससे बच्चों का आत्मविश्वास तो बढ़ता ही है और वे संयमित होकर, एकजुट होकर कार्य करना भी सीखते हैं। जो बच्चे वार्षिक दिवस में भाग नहीं लेते हैं वे इस कार्यक्रम को देखकर प्रेरित होते हैं और उनका मनोवल बढ़ता है जिससे वे भी कार्यक्रम में भाग लेने का मन बना लेते हैं।

वार्षिक दिवस की तैयारियां लगभग 15 दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। दीवारों पर कलात्मक रूप से प्रदर्शनी लगाई जाती है। पूरे स्कूल को अच्छी तरह से सजाया जाता है। समारोह के स्थल को लेखन, गुब्बारे, बैनर और रोशनी से सजाया जाता है।

यह मुख्य अतिथि, अन्य मेहमानों और माता-पिता को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। मुख्य अतिथि के रूप में शहर के कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति जैसे मंत्री आदि को आमंत्रित करते हैं। नृत्य, नाटक और संगीत कार्यक्रमों में भाग लेने वाले छात्रों को रिहर्सल के लिए बुलाया जाता है।

कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए ऑडिशन राउंड भी करते हैं। जो बच्चा जिस क्षेत्र में कुशल होता है उसे उसी तरह के कार्यक्रम में लिया जाता है। निमंत्रण कार्ड भी प्रिंट करवाया जाता है जो बच्चों के अभिभावकों को दिया जाता है और मुख्य अतिथि को आदर सहित निमंत्रण पत्र देने जाते हैं। बच्चे एकल नृत्य और समूह नृत्य की तैयारी में लगे रहते हैं।

नृत्य नाटिका भी होती है जो हमारी परंपरा को प्रदर्शित करने के लिए मुख्य रूप से प्रस्तुत की जाती है। नाटक का मंचन कोई ऐतिहासिक कहानी से प्रेरित होकर करते हैं जिससे लोग उस प्रदर्शन से अवगत हो पाएं। एकल गान और समूह गान की तैयारी में भी बच्चे बड़े जोर – शोर से लगे हुए दिखाई देते हैं।

विभिन्न तरह के संगीत के वाद्य यंत्रों के द्वारा गाने प्रस्तुत किये जाते हैं। नृत्य और गाने को सीखने के लिए टीम तैयार की जाती है। इन सभी कार्यक्रमों की तैयारी के लिए विशेष प्रतिभा वाले शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है जिससे वे बच्चों को सही तरीके से सिखा सकें।

अंततः वाषिर्क दिवस आ जाता है। सभी बहुत व्यस्त दिखाई देते हैं। सभी टीचर्स को अलग – अलग उत्तरदायित्व मिलते हैं। बच्चों में अच्छा सा अच्छा परफॉर्म करने का जोश दिखाई देता है। शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।

इसीलिए प्राचार्य सहित सभी, शिक्षक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले बहुत उत्साहित और चिंतित लगते हैं। जो लोग मंच पर आने वाले हैं उनमें उत्साह तो दिखता है मगर भय भी रहता है। बाकी छात्र मंच की व्यवस्था करने में मदद करते हैं और अनुशासन बनाने में लगे रहते हैं।

जैसे ही अतिथि का आगमन होता है वैसे ही पूरा स्कूल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूँज उठता है। लगभग हर स्कूल में कार्यक्रम की शुरुआत शाम 4 – 5 बजे से होती है। इस अवसर पर विशेष तरह की लाइटिंग की व्यवस्था की जाती है।

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके की जाती है। साथ ही साथ बैकग्राउंड में सरस्वती वंदना का मंचन भी होता है। जिसमें किसी छात्रा को माँ सरस्वती बना दिया जाता है व अन्य छात्राएं पारम्परिक तरीके से नृत्य करती हैं। इसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगण और अभिभावकों का स्वागत किया जाता है। इसके लिए समूह में स्वागत गीत भी गया जाता है।

विभिन्न तरह के रंगारंग कार्यक्रम शुरू होते हैं। जिनका सभी को बेसब्री से इंतज़ार होता है। हर एक अभिभावक अपने-अपने बच्चों के मंच प्रदर्शन को कैमरे में कैद करने के लिए रिकॉर्डिंग करना शुरू कर देते हैं। हर एक कार्यक्रम के लिए मैचिंग के परिधानों का विशेष ध्यान दिया जाता है।

क्लास 1st से लेकर 12th तक के सभी बच्चों द्वारा कोई न कोई कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है। कार्यक्रम के दौरान विशेष तरह की फोटोग्राफी का आयोजन किया जाता है। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन स्कूल के हैड बॉय द्वारा किया जाता है। जिसके लिए अच्छी से अच्छी एंकरिंग स्क्रिप्ट तैयार की जाती है।

जिसमें किसी शिक्षक का सहयोग लिया जाता है। कार्यक्रम के दौरान शिक्षकों और बच्चो के द्वारा भाषण भी दिए जाते हैं। मुख्य अतिथि की भी स्पीच होती है व जो बच्चे पढाई में अच्छे हैं उन्हें अतिथि के द्वारा पुरस्कार भी दिलवाया जाता है। अंत में स्कूल के प्रधानाचार्य के द्वारा मुख्य अतिथि के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

कार्यक्रम के समापन में राष्ट्रगान गाते हैं। कार्यक्रम जैसे ही समाप्त होता है वैसे ही अभिभावक अपने – अपने बच्चों को जिन्होंने कार्यक्रम में भाग लिया था उनसे मिलते हैं और सराहना करते हैं। कार्यक्रम के बाद स्वल्पाहार का आयोजन भी किया जाता है। सभी नाश्ते का आनंद लेते हैं और इस दिन को यादगार बना कर हंसी ख़ुशी अपने घर जाते हैं।

अक्सर वार्षिक दिवस के दूसरे दिन अवकाश घोषित कर दिया जाता है क्योंकि सभी लोग थकान महसूस करते हैं। वार्षिक दिवस एक ऐसा कार्यक्रम है जो शिक्षक, बच्चों की भावनाओं, परम्पराओं, संस्कृति से ओत – प्रोत होता है। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को सभी सराहते हैं। हर एक स्कूल के लिए उनका वार्षिक दिन अनमोल होता है।

वास्तव में, हमारे देश की संस्कृति , परम्पराओं को यदि एक साथ मंच पर देखना हो तो वह स्कूल का वार्षिक दिवस है। जो बच्चों की विभिन्न क्षेत्र में प्रतिभाओं को निखारता है और हमें उनकी कुशलताओं को देखने का मौका मिलता है।

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विद्यालय का वार्षिक समारोह पर निबंध | Essay On School Annual Day Function In Hindi

प्रिय दोस्तों Essay On School Annual Day Function In Hindi के इस आर्टिकल में हम विद्यालय का वार्षिक समारोह पर निबंध जानेगे.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों को विद्यालय के वार्षिकोत्सव का निबंध भाषण आदि लिखने को कहा जाए तो आप हमारें  इस निबंध का उपयोग कर सकते हैं.

Essay On School Annual Day Function In Hindi

विद्यालय का वार्षिक समारोह पर निबंध | Essay On School Annual Day Function In Hindi

Varshik Utsav Essay In Hindi:  हरेक विद्यालय में आयोजित उत्सवों में स्कूल का वार्षिकोत्सव भी एक अहम इवेंट हैं, 

annual function साल के आखिरी दिनों में आयोजित किया जाता हैं. यह भावुक पल होते हैं जब सत्र भर साथ रहने वाले शिक्षक शिक्षार्थी आगामी सत्र का मध्यांतर लेते हैं.

अक्सर बच्चों को विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध याद कराया जाता हैं, परिक्षा के नजरिये से भी annual function एस्से काफी एहम टॉपिक हैं. यहाँ आपकों वार्षिकोत्सव पर सरल भाषा में हिंदी निबंध व भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं,

जिन्हें कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स 100, 200, 300, 400, 500 शब्दों में एनुअल फंक्शन एस्से के रूप में इसे कही भी प्रस्तुत कर सकते हैं.

Varshik Utsav Essay In Hindi | विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध

विद्यालयों में वर्षभर विभिन्न प्रतियोगिताएं चलती रहती हैं. इन प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र छात्राओं को पुरस्कार प्रदान करने एवं छात्र छात्राओं में सामाजिकता के गुणों का विकास करने के उद्देश्य से विद्यालय में वार्षिक उत्सवों का आयोजन किया जाता हैं.

उत्सव की तैयारियाँ

10 जनवरी को प्रार्थना सभा में प्रधानाध्यापक जी ने घोषणा की कि वार्षिक उत्सव 23 जनवरी को मनाया जाएगा. छात्र छात्राओं में तालियाँ बजाकर इस घोषणा का स्वागत किया.

इसी दिन प्रधानाध्यापक जी के कक्ष में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें सभी शिक्षक शिक्षिकाओं के अतिरिक्त कुछ छात्र छात्राओं को भी वार्षिक उत्सव सम्बन्धी कुछ न कुछ कार्य सौपे गये.

विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के निदेशक शिक्षक शिक्षिकाओं ने छात्र छात्राओं का चयन करके उनकी तैयारी प्रारम्भ करवा दी.

समूह नृत्य, समूह गान, सरस्वती वंदना, कव्वाली, नाटक, संस्कृत नाटिका, विचित्र वेशभूषा आदि कार्यक्रमों के लिए छात्रों ने तैयारी की. विद्यालय प्रांगण में ही भव्य पंडाल लगाया गया तथा मंच बनाया गया, उत्सव का समय सायं चार बजे रखा गया.

वार्षिकोत्सव का आयोजन

मुख्य अतिथि जिलाधीश महोदय थे. ठीक चार बजकर पन्द्रह मिनट पर मुख्य अतिथि का आगमन हुआ. सबसे पहले मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम के शुभारम्भ की घोषणा की. तत्पश्चात छात्र छात्राओं ने अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये.

समूह नृत्य, कव्वाली एवं नाटक को दर्शकों ने बहुत पसंद किया. विचित्र वेशभूषा के कार्यक्रम ने तो दर्शकों को इतना प्रभावित किया कि वे बहुत देर तक तालियाँ बजाते रहे. प्रधानाध्यापक जी ने विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी.

इसके बाद मुख्य अतिथि महोदय ने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र छात्राओं को पुरस्कृत किया तथा संक्षिप्त भाषण भी दिया. कार्यक्रम का संचालन कक्षा आठ के छात्र राजेश ने किया. कार्यक्रम का समापन राजस्थान प्रसिद्ध लोकनृत्य घूमर से हुआ.

सभी शिक्षक शिक्षिकाओं एवं छात्र छात्राओं कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्न थे. सभी ने एक दूसरे को बधाई दी, उत्सव में सभी का पूरा सहयोग रहा.

vidyalaya ka varshik utsav essay in hindi

विद्यालय और सहगामी प्रवृत्तियाँ

विद्यालय सरस्वती का ऐसा मन्दिर हैं जिसमें बालकों का बौद्धिक, मानसिक एवं शारीरिक विकास किया जाता हैं.

इसलिए पूरे शिक्षा सत्र छात्रों को केवल पुस्तकें पढ़ने में ही नहीं बल्कि उन्हें समय समय पर ऐसी अन्य प्रवृत्तियों में भी लगाए रखना विद्यार्थियों के लिए जरुरी हैं.

जिनसे मन तरोताजा रहे और छात्रों की अध्ययन में अभिरुचि बढ़े. स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन में प्रतिभा का प्रसार होता हैं.

इस तथ्य पर विचारकर विद्यालयों में पाठ्यक्रम के साथ साथ अन्य सहगामी प्रवृत्तियों का संचालन किया जाता हैं.

वार्षिकोत्सव का महत्व

विद्यालयों में अनेक प्रकार के कार्यक्रम चलाए जाते हैं. कभी अंत कक्षा प्रतियोगिता होती हैं तो कभी वाद विवाद श्लोक या कविता पाठ या अंत्याक्षरी होती हैं,

कभी विविध खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, तो कभी सामाजिक उत्पादकता कार्य एवं समाज सेवा के शिविर लगते हैं. उन सब शैक्षिक कार्यों का विवरण वार्षिकोत्सव पर ही समग्र रूप से सामने आता हैं.

इस दृष्टि से विद्यालय के वार्षिकोत्सव का विशेष महत्व हैं. प्रायः सभी विद्यालय इस महत्व को अच्छी तरह जानते हैं.

इसलिए वे इसका आयोजन विशाल स्तर पर प्रतिवर्ष करते हैं तथा इससे अन्य विद्यालयों की अपेक्षा स्वयं को श्रेष्ठ बतलाते हैं. इससे न केवल छात्रों में अपितु अभिभावकों में भी आकर्षण बढ़ता हैं.

विविध कार्यक्रम

हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव प्रतिवर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता हैं. इसके एक सप्ताह  पूर्व  से  ही विद्यालय की सफाई की जाती हैं. और खेल के मैदान को ठीक करके उसमें एक कोने पर बड़ा सा पांडाल बनाया जाता हैं.

उसमें एक ओर ऊँचा मंच बनाया जाता हैं. तथा सामने अतिथियों दर्शकों के लिए बैठने की व्यवस्था की जाती हैं.

मंच पर लाउडस्पीकर तथा लाइट की व्यवस्था की जाती हैं. हमारे विद्यालय के वार्षिकोत्सव में प्रतिवर्ष राज्य का कोई मंत्री मुख्य अतिथि होता हैं. इस बार खेल मंत्री जी हमारे मुख्य अतिथि थे.

लगभग अपराह्न तीन बजे वार्षिकोत्सव का आरम्भ सरस्वती वंदना से हुआ. इसके पश्चात स्वागत गान सुमधुर लय ताल से छात्रों ने प्रस्तुत किया. फिर प्रधानाचार्य जी ने अध्यक्ष और मुख्य अतिथि को मालाएं पहनाकर स्वागत किया.

हिंदी के विरिष्ठ अध्यापकजी ने अभिनन्दन पत्र पढ़ा. तत्पश्चात पहले छात्रों ने खेलकूद, व्यायाम, ड्रिल, मलखम्भ का फाइनल प्रदर्शन किया गया. फिर मंच पर एक लघु एकांकी प्रस्तुत किया गया तथा आदिवासी नृत्य प्रस्तुत कर देशभक्ति के गीत गाये गये.

विविध कार्यक्रमों के प्रदर्शन के बाद प्रधानाचार्यजी ने विद्यालय का वार्षिक प्रगति विवरण पढ़कर सुनाया तथा विद्यालय के समुचित विकास की भावी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला.

पुरस्कार वितरण

प्रगति विवरण के पश्चात माननीय मुख्य अतिथि महोदय खेलमंत्री का भाषण हुआ, उन्होंने सारगर्भित भाषण में विद्यार्थियों को कर्तव्य पालन एवं चरित्र निर्माण की प्रेरणा देते हुए श्रेष्ठ नागरिक बनने का संकल्प लेने को कहा.

विद्यालय की प्रगति से वे काफी प्रसन्न हुए, इस कारण उन्होंने समय समय पर आर्थिक सहायता दिलाने का आश्वासन भी दिया. भाषण के पश्चात पुरस्कार वितरण कार्यक्रम हुआ.

इसमें मुख्य अतिथि महोदय के कर कमलों से विविध क्रीडाओं अन्तः कक्षा प्रतियोगिताओं, वाद विवाद, अंत्याक्षरी, कविता पाठ आदि में प्रथम व द्वितीय स्थान पाने वाले छात्रों को पुरस्कृत किया गया.

इस अवसर पर छात्रों ने काफी प्रसन्नता व्यक्त की तथा पुरस्कृत छात्रों को बधाई भी दी, पुरस्कार वितरण के बाद प्रधानाचार्यजी ने धन्यवाद ज्ञापन किया तथा वार्षिकोत्सव के समापन की घोषणा की.

विद्यालयों में वार्षिकोत्सव मनाना छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी रहता हैं. इस तरह के उत्सवों का आयोजन कराने ससे उनमें परस्पर प्रेमभाव बढ़ता हैं, संगठन की भावना आती हैं. और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अभिरुचि बढ़ती हैं. इससे छात्रों में उत्साह का संचार होता हैं.

विद्यालय का वार्षिक समारोह पर निबंध

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उत्सवों का विशेष महत्व होता हैं, किन्तु छात्र जीवन में उत्सव बनाने के मौके कम मिलने के कारण छात्रों के लिए इसका महत्व बढ़ जाता हैं. छात्रों के लिए विद्यालय ही उनका परिवार होता हैं.

उनका अधिकाँश समय विद्यालय प्रांगण में ही व्यतीत होता हैं. इसलिए विद्यालय के हर उत्सव को वे अपना उत्सव समझते हुए उसे पूरा धूमधाम के साथ मनाते हैं. मेरे विद्यालय में प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस एवं गांधी जयंती उत्सव के रूप में मनाएं जाते हैं.

साथ ही विद्यालय के वार्षिक समारोह को भी इसी रूप में मनाया जाता हैं. यदि मैं विद्यालय के वार्षिक समारोह को विद्यालय के सर्वश्रेष्ट उत्सव की संज्ञा दू तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

मेरे विद्यालय में हर वर्ष अप्रैल माह में वार्षिक समारोह मनाया जाता हैं, जब छात्र अपनी वार्षिक परीक्षा दे चुके होते हैं.

तथा उन्हें अपने परीक्षाफल की आतुरता से प्रतीक्षा होती हैं. शिक्षकों के पास भी कोई विशेष कार्य नहीं होता हैं. बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए विदाई का समय होता हैं.

इस तरह न ही छात्रों में अध्ययन का एवं न ही शिक्षकों में अध्यापन का तनाव रहता हैं. सभी तनाव मुक्त होते हैं. छात्रों को नई कक्षा में जाने का उत्साह होता हैं. इन्ही कारणों से यह समय वार्षिक समारोह के लिए सबसे उपयुक्त होता हैं.

इस वर्ष 5 अप्रैल को मेरे विद्यालय का वार्षिक समारोह आयोजित किया गया. इस समारोह में विद्यालय के एक हजार छात्रों सहित उनके माता पिता एवं अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया था.

क्षेत्र के कुछ गणमान्य व्यक्तियों को भी इस समारोह में विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था. इस तरह इस समारोह में लगभग दो हजार व्यक्तियों ने भाग लिया.

समारोह को भव्य बनाने के लिए विद्यालय को किसी दुल्हन की तरह सजाया गया था. विद्यालय प्रांगण के मध्य में स्थित मैदान में एक आकर्षक मंच का निर्माण किया गया था.

विद्यालय के उच्च कक्षा के कुछ छात्र उत्साह के साथ अतिथियों का स्वागत कर उन्हें उनके सही स्थान तक पहुंचा रहे थे.

समारोह में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा पहले से ही तैयार कर ली गयी थी. इसके अनुसार समारोह का शुभारम्भ 11 बजे होना था. मुख्य अतिथि साढ़े दस बजे के करीब पहुंच गये और इसके साथ ही समारोह को शुरू करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई.

हर वर्ष समारोह का शुभारम्भ करने के लिए क्षेत्र के ऐसे गणमान्य व्यक्ति को बुलाया जाता हैं, जिनसे छात्र भी प्रेरित हों. इस वर्ष स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा जिलाधिकारी श्री विनोद कुमार विद्रोही को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया था.

श्रीविनोद कुमार एक कर्मठ, ईमानदार एवं सह्रदय व्यक्ति हैं. वे क्षेत्र की समस्याओं का समुचित हल निकालने का हर सम्भव प्रयास करते हैं. वे क्षेत्र में अपनी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध हैं.

ग्यारह बजते ही जिलाधिकारी श्री विनोद कुमार ने समारोह का शुभारम्भ ने समारोह दीप प्रज्वलित कर किया. इसके बाद कुछ छात्राओं ने मंच पर पहुंचकर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित सरस्वती वन्दना वर दे वीणा वादिनी वर दे को मधुर स्वर में गाया. इस वन्दना के समाप्त होने के बाद प्रधानाचार्य ने समारोह में भाग लेने आए सभी लोगों का स्वागत किया.

समारोह के शुभारम्भ की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मुख्य अतिथि को भाषण देने के लिए बुलाया गया. अपने भाषण द्वारा उन्होंने छात्रों को मानवता के गुणों का महत्व बताते हुए जीवन मूल्यों की शिक्षा दी, उनका भाषण समाप्त होने के बाद प्रधानाचार्य ने भी अपना भाषण दिया.

मुख्य अतिथि एवं प्रधानाचार्य के भाषण के बाद छात्रों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा सभी का मन मोह लिया, समारोह को उपयोगी बनाने के उद्देश्य से इस दिन भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता एवं वाद विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था.

भाषण प्रतियोगिता में विभिन्न कक्षाओं के छात्रों द्वारा प्रस्तुत भाषण जोश एवं ओज से भरपूर थे. भाषण प्रतियोगिता के बाद वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया वाद विवाद प्रतियोगिता का मुख्य प्रश्न भारत के लिए शहरीकरण आवश्यक हैं या आधुनिकीकरण.

निबंध लेखन प्रतियोगिता में भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति, सरकारी कार्यालयों में फैला भ्रष्टाचार एवं भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता विषय पर निबंध लिखना था. चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतियोगियों के चित्र बनाने के लिए तीन विषय वस्तु दी गई थी. ग्रामीण परि द्रश्य, भारतीय परम्परा एवं रेलवे प्लेटफार्म.

समारोह की सभी प्रतियोगिताओं के समापन के बाद प्रधानाचार्य ने विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की. रिपोर्ट के द्वारा उन्होंने पिछले वर्ष की विभिन्न गतिविधियों का संक्षेप में वर्णन किया  तथा  विद्यालय की उपलब्धियों से सभी को  अवगत कराया.

उन्होंने बोर्ड की परीक्षा में उतीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को उनके अच्छे भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए  विदाई  की प्रक्रिया पूरी की.

इसके बाद पुरस्कार वितरण का कार्य शुरू हुआ. पुरस्कार वितरण के लिए मुख्य अतिथि को पुनः मंच पर आमंत्रित किया गया, मुख्य अतिथि ने अपने हाथों से पिछले वर्ष पढ़ाई खेलकूद अन्य क्षेत्रों में विशेष उपलब्धि अर्जित करने वाले छात्रों को पुरस्कार दिए.

पुरस्कार वितरण के बाद उस दिन आयोजित प्रतियोगिता का परिणाम भी घोषित किया गया. भाषण प्रतियोगिता में नौवीं कक्षा के राकेश ने प्रथम स्थान, दसवीं के हेमंत ने द्वितीय स्थान एवं आठवीं कक्षा के सुमित ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. वाद विवाद प्रतियोगिता में नौवीं कक्षा के राकेश ने ही प्रथम स्थान प्राप्त किया.

इसके अतिरिक्त आठवीं कक्षा के विकास ने इसमें द्वितीय तथा सातवीं कक्षा के सुरन्जय ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. चित्र कला प्रतियोगिता में आठवीं कक्षा की दिव्या ने प्रथम, सातवीं कक्षा की मोना ने तृतीय स्थान प्राप्त किया.

निबंध लेखन प्रतियोगिता में ग्यारहवीं कक्षा के राजीव ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. उसने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बहुत ही अच्छा निबंध लिखा था.

इन प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को भी पुरस्कृत किया गया. इसके अतिरिक्त इन प्रतियोगिताओं में चतुर्थ एवं पंचम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को सांत्वना पुरस्कार दिए गये. पुरस्कार वितरण के बाद समारोह समापन की घोषणा हुई.

प्रधानाचार्य महोदय ने पुनः समारोह में भाग लेने वाले छात्रों के माता पिता एवं अभिभावकों तथा क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों को धन्यवाद् देकर आभार प्रकट किया. इस प्रकार इस वर्ष का यह वार्षिक समारोह सही अर्थों में एक सफल आयोजन एवं उपयोगी उत्सव सिद्ध हुआ.

Annual Function Essay In Hindi And English Language | वार्षिकोत्सव पर निबंध

नमस्कार दोस्तों, Annual Function Essay In Hindi And English Language वार्षिकोत्सव पर निबंध लेख में आपका स्वागत हैं.

आज का सरल निबंध हिंदी और अंग्रेजी में विद्यालय के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम पर दिया गया हैं. छोटी कक्षाओं के स्टूडेंट्स के लिए यह निबंध उपयोगी साबित हो सकता हैं.

Annual Function Essay In Hindi And English Language

Annual Function Essay In Hindi In this Paragraph Written about   Annual Function Essays  for school and College. this prize distribution function essay in Hindi and English.

class 5, 8, 10 and 12th students can use this short essay for Annual Function speech. every year this was celebrated in ending the season like an Important festival.

hindi readers use this varshik Utsav nibandh  for student, teachers and principal speech on annual day function

हमारे विद्यालय का वर्षिकोत्सव पर निबन्ध Essay on Annual function of Our School English

Pize distribution function is always the most important event in a school. it is celebrated with great pomp and show.

parents of the students are also invited. prizes are distributed to the brilliant students and sportsmen.

on this day all the classroom are thoroughly cleaned and beautifully decorated. blackboards are polished.

this year the prize distribution function was held on 26th February. the collector was the chief guest. the whole of the school building was whitewashed.

charts and photos were hung on the walls. the whole building looked like new one. the stage was tastefully decorated.

the Annual Function was to start 5 p.m. the chief guest arrived at exact 5 p.m. the chief guest was warmly received at the gate of our school.

the scouts of our school gave a guard of honor while the school band played music. when the guest looks seat, he was profusely garlanded. all the spectators cheered.

Annual Function started with Saraswati Vandana. then the musical programme started. there were songs, kabbali, gazal, and speeches. there was a short play also.

then the principal read out the annual progress report of our school. after this, the chief guest gave away prizes to the students. he delivered a short but impressive speech.

he advised to students to be good citizens, he advice them to cultivate discipline and regularity. according to him, the good habit does not come as rain from heaven, they are to be created, developed and nustered.

he congratulated the prize winners and the authorities of the school for the results shown by the school.

then the principal thanked the chief guest and the Annual Function was over. the national anthem was sung at the end. he declared the next day holiday.

the Annual Function was a great success. the memory of this function has remained evergreen in my mind. we come back to our houses singing, laughing and talking.

Annual Function Essay In Hindi वार्षिकोत्सव पर निबंध इन हिंदी

पुरस्कार वितरण समारोह (मेरे विद्यालय का वार्षिकोत्सव) हर साल विद्यालय में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है। इस वर्ष वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम एवं उल्लास के साथ मनाया गया।

विद्यार्थियों के माता-पिता को भी इसके लिए आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर सालभर खेल व शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया था.

इस दिन सभी कक्षाएं पूरी तरह से साफ और खूबसूरती से सजाई गई थी, ब्लैकबोर्ड पर भी पॉलिश की गई थी।

इस साल पुरस्कार वितरण समारोह/विद्यालय का वार्षिकोत्सव 26 फरवरी को आयोजित किया गया था। जिला कलेक्टर मुख्य अतिथि थे।

पूरे विद्यालय परिसर भवन को रंग रोगन कर दुल्हन की तरह सजाया गया। दीवारों पर फोटो और तस्वीरें लटकाने से इसकी रौनक कई गुना बढ़ गई, इस तरह से विद्यालय परिसर बिलकुल बदला बदला सा लग रहा था. कार्यक्रम आयोजन के मंच को भी अच्छी तरह से सजाया गया.

तय समय के अनुसार यह वार्षिक समारोह 5 बजे शुरू किया गया। मुख्य अतिथि ठीक 5 पहुचे. इनके आते ही हमारे प्रधानाचार्य ने मुख्य अतिथि का स्कूल के द्वार पर गर्मजोशी से स्वागत किया।

स्कूल के बैंड ने संगीत बजाते हुए स्कूल के स्काउट्स ने उन्हें गार्ड ऑफ ओनर दिया। मुख्य अतिथि महोदय के द्वारा अपना स्थान ग्रहण करने के साथ ही विद्यालय का वार्षिकोत्सव विधिवत रूप से आरम्भ हुआ.

सरस्वती वंदना के साथ विद्यालय का वार्षिकोत्सव शुरू हुआ। फिर संगीत कार्यक्रम शुरू हुआ। वहां गाने, कबाली, गज़ल और भाषण कई विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किये गये। इस दौरान एक छोटा सांस्कृतिक नाटक भी प्रस्तुत किया गया ।

प्रिंसिपल महोदय ने विद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट के वाचन से सभी को सालभर के प्रदर्शन से अवगत करवाया । इसके बाद, मुख्य अतिथि ने छात्रों को पुरस्कार दिए। उन्होंने एक छोटा लेकिन प्रभावशाली भाषण दिया।

उन्होंने छात्रों को अच्छे नागरिक होने की सलाह दी, उन्होंने सलाह दी कि वे अनुशासन और नियमितता के गुणों को अपने जीवन में उतारे। उनके अनुसार, अच्छी आदत स्वर्ग से बारिश के रूप में नहीं आती है, वे विकसित, की जाती है, तथा उन पर कठोरता से चलना पड़ता है।

उन्होंने विद्यालय द्वारा दिए गए परिणामों के लिए पुरस्कार विजेताओं और स्कूल के अधिकारियों को बधाई दी।

विद्यालय का वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव पर प्रधानाचार्य ने मुख्य अतिथि का धन्यवाद किया और इस तरह वार्षिक समारोह की समाप्ति की घोषणा की गई । अंत में राष्ट्रीय गान गाया गया।

प्रधानाचार्य ने  अगले दिन छुट्टी की घोषणा की। इस तरह वार्षिक समारोह सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ । इस समारोह की याददाश्त मेरे दिमाग में सदाबहार

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आशा करता हूँ फ्रेड्स Essay On School Annual Day Function In Hindi  Language  का हिंदी में दिया गया यह निबंध आपकों अच्छा लगा होगा,

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शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day essay in hindi): शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में लिखें

भारत जैसे देश में गुरुओं को हमेशा से विशेष स्थान दिया गया है। यहाँ तक कि उन्हें भगवान और माता-पिता से भी ऊपर का स्थान दिया गया है। ऐसे में शिक्षक दिवस भारत देश में कोई आम दिन नहीं रह जाता। देश भर में शिक्षकों और गुरुओं के प्रति अगाध आस्था है जिसके चलते उनको बहुत सम्मान दिया जाता है और शिक्षक दिवस भारत देश में विशेष महत्व का दिन बन जाता है। यही वजह है कि शिक्षक दिवस पर भारत के हर छोटे-बड़े स्कूल, कोचिंग सेंटर, कॉलेज आदि के छात्र इस दिन को विशेष बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी अपने गुरुओं, शिक्षकों तथा मार्गदर्शकों को याद करते हैं। इस निबंध में शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है, शिक्षक दिवस पर निबंध कैसे तैयार करें, शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day essay in Hindi) तैयार करने के लिए उपयोगी सामग्री उपलब्ध कराई गई है।

शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi)

शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाते हैं, शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi), शिक्षक दिवस कोट्स (teachers day quotes in hindi).

शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day essay in hindi): शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में लिखें

शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी अपने जीवन में शिक्षकों के योगदान और उनसे जुड़े अपने अनुभव साझा करते हैं, गुरुओं के महत्व और इसे मनाए जाने के कारण को भी शिक्षक दिवस पर दिए जाने वाले भाषणों में जगह दी जाती है। इस दिन आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान छात्र अपने शिक्षकों के सामने शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) भी देते हैं। कई जगहों पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जहां छात्रों को शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में या फिर शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) में बोलने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन के विशेष महत्व की वजह से कई बार स्कूलों में परीक्षा में शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (teachers day essay in hindi) लिखने के लिए भी कहा जाता है।

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कुल मिलाकर देखा जाए तो शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) एक ऐसा विषय है जिस पर हर छात्र से कभी न कभी प्रश्न तो पूछा ही जाता रहा है। कभी किसी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने को कहा जाता है, तो कभी सर्दी या गर्मियों की छुट्टियों में होमवर्क के तौर पर शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने का कार्य दे दिया जाता है। इसके अलावा कभी-कभी तो रिश्तेदारों के सामने अभिभावक ही बच्चों से शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) लिखने या शिक्षक दिवस भाषण देने या शिक्षक दिवस पर विचार व्यक्त करने को कह देते हैं। कुछ ऐसे भी छात्र होते हैं जिनकी हिंदी बेहतर नहीं होती है, ऐसे में उन्हें शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (teachers day essay in hindi) या फिर शिक्षक दिवस पर भाषण हिंदी में (teachers day speech in hindi) तैयार करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असल में शिक्षक दिवस पर निबंध और शिक्षक दिवस पर भाषण की सामग्री में विशेष अंतर नहीं होता, अंतर होता है अभिव्यक्ति के माध्य में। शिक्षक दिवस पर निबंध में विचार जहाँ लिखकर व्यक्त किए जाते हैं, वहीं शिक्षक दिवस पर भाषण में उन्हें बोलकर बताया जाता है। शिक्षक दिवस पर भाषण में विचार जिस मंच पर साझा किया जाना है, उसके श्रोताओं का भाषण के शुरू और अंत में अभिवादन करने की भी आवश्यकता होती है। शेष बातें शिक्षक दिवस पर निबंध और भाषण में एक जैसी ही रहेंगी।

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यही वजह है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर पूर्ण ज्ञान प्रदान करने और आपकी जानकारी को बढ़ाने के लिए हम इस 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) लिखने का छोटा सा प्रयास कर रहे हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) से आपके अंदर न सिर्फ शिक्षक दिवस पर निबंध (teachers day essay in hindi), बल्कि अन्य विषयों पर भी निबंध को लिखने की एक समझ विकसित होगी, जिससे आपका मनोबल भी ऊंचा होगा। हालांकि, हम आपसे अनुरोध करेंगे कि बजाय इसके कि आप इस शिक्षक दिवस निबंध (shikshak diwas nibandh) को पूरा कॉपी करें, बेहतर होगा कि इस शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) का उपयोग, बस ज्ञान लेने व शिक्षक दिवस पर निबंध हिंदी में (shikshak diwas essay in hindi) लिखने व समझने की सामग्री के तौर पर करें। ऐसा इसलिए क्योंकि इस विषय को बेहतर तरीके से समझ लेने से न सिर्फ आप आज, बल्कि भविष्य में भी अपने चयनित शब्दों में एक बेहतरीन शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak din nibandh) लिखने के साथ-साथ शिक्षक दिवस पर भाषण भी बेहद आसानी से लिख व दे पाएंगे। इस लेख में शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों (teachers day essay in hindi in 100 words) में या फिर शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) लिखने या बोलने हेतु शिक्षक दिवस के लिए सभी महत्वपूर्ण बिंदु भी दिए गए हैं, जोकि आपको इस लेख के अंत में मिलेंगे।

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शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) की शुरुआत करने से पहले आइए सबसे पहले शिक्षक दिवस के इस मौके पर पूज्य शिक्षकों की स्तुति करते हुए शिक्षकों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करें। इसके लिए दोनों हाथों को जोड़कर निम्नलिखित मंत्रों का पाठ करें :

1 - गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।

गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।

2 - ॥ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्॥

आपको बताते चलें कि निम्नलिखित लेख शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day) के प्रारूप में लिखा गया है। हालांकि आप इसका उपयोग शिक्षक दिवस पर भाषण हिंदी में (teachers day speech in hindi) देने के लिए भी कर सकते हैं। शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) देने से पहले निम्नलिखित निबंध से पहले भाषण स्थल पर मौजूद अतिथि व दर्शकों / श्रोताओं का अभिवादन करें। इसके बाद निम्नलिखित शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak divas nibandh) का उपयोग आप शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak divas per speech) की तरह कर सकते हैं।

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शिक्षक दिवस का क्या महत्व है? (Importance of teachers day)

शिक्षक का हर मानव के जीवन में विशेष स्थान होता है। यह शिक्षक ही है, जो किसी मनुष्य को इंसान बनाता है। शिक्षक का स्थान मानव जीवन में भगवान और माता-पिता से भी ऊपर है। यही वजह है कि शिक्षक के बारे में जितना भी कहा जाए कम ही है। तभी तो स्वयं कबीर दास जी इस विषय पर कहते हैं:-

सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय।

सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥

इसका अर्थ यह है कि यदि सम्पूर्ण पृथ्वी को कागज के रूप में परिवर्तित कर दिया जाए, साथ ही सातों समुद्र की स्याही बना ली जाए और क्यों न सभी जंगलों की कलम भी बना ली जाए, लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षक की महिमा का संपूर्ण गुण-गान किया जा सके, यह मुमकिन नहीं है।

भारत में प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य की परंपरा का बहुत अधिक महत्व रहा है। हमारी संस्कृति के निमार्ण में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत अधिक योगदान है। मानव के जीवन निर्माण के सभी स्तंभों में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसलिए ही कहा जाता है कि -

गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि इंसान की सबसे पहली गुरु उसकी माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही विशाल और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं। इसलिए ही कबीर कहते हैं :

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़ै खोट।

अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥

इस दोहे का अर्थ यह है कि शिक्षक उस कुम्हार की तरह है जो अपने छात्र रूपी घड़े की कमियों को दूर करने के लिए भीतर से हाथ का सहारा देकर बाहर से थापी से चोट करता है। ठीक इसी तरह शिक्षक भी कभी-कभी शिक्षक छात्रों पर क्रोध करके भी उसके चरित्र का निर्माण करते हैं तथा उन्हें बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यही वजह है कि शिक्षक और शिक्षक दिवस का महत्व भारतीय संस्कृति में कहीं ज्यादा है।

यह तो हुई शिक्षक की विशेषताओं के बारें में चर्चा अब शिक्षक दिवस का आरंभ और यह क्यों मनाया जाता है, इसके बारे में विचार करते हैं।

भारत में भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ. राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे और स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित थे। डॉ. राधाकृष्णन का निधन चेन्नई में 17 अप्रैल, 1975 को हुआ था। भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के सम्मान में ही उनके जन्म दिवस पर भारत में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई। भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था।

वैसे तो विश्व भर में 100 से भी अधिक देशों में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, मगर अन्य देशों में यह दिवस अलग-अलग दिन पर मनाया जाता है। भारत में यह दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है। इस दिन विश्व के सभी शिक्षकों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए भी सम्मानित किया जाता है।

शिक्षक, शिक्षक दिवस और जनहित में उनका योगदान

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण कहा करते थे कि : “पुस्तकें वह साधन हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के मध्य पुल बनाने का कार्य कर सकते हैं।”

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण का यह कथन न सिर्फ सत्य और अपने आप में प्रासंगिक है, बल्कि दो संस्कृतियों के साथ-साथ मनुष्यों के मध्य भी बेहतर संबंधों का निर्माण करने हेतु शिक्षा बहुत आवश्यक है।

शिक्षा के प्रसार से ही किसी समाज या किसी देश का निर्माण हो सकता है। शिक्षित होना हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण रहा है। बेहतर जीवन की परिकल्पना में शिक्षा आधार का कार्य करती है। इसके साथ ही एक बेहतर मनुष्य होने में भी शिक्षा एक महत्वपूर्ण किरदार अदा करती है। यह मनुष्य को दूरद्रष्टा बनाकर उसके भीतर विचारों के प्रवाह को सही दिशा प्रदान करने जैसा जरूरी कार्य करती है, लेकिन यह केवल तभी संभव है जब मनुष्य को एक सही शिक्षक मिले जो उसे सही दिशा प्रदान करे। मनुष्य को योग्य बनाने का कार्य शिक्षक द्वारा ही किया जाता है।

शिक्षक हमारे जीवन में मार्गदर्शन का कार्य करते हैं। जीवन में आने वाले संघर्षों का तटस्थता के साथ सामना करने के लिए हमें शिक्षक ही तैयार करते हैं। ताकि हम कभी जीवन में किसी के सामने न झुकें। बेहतर जीवन की परिकल्पना शिक्षा के बिना अधूरी है और शिक्षा के साथ-साथ जीवन में मौलिकता तथा शिष्टाचार प्राप्त करना भी बेहद जरुरी है। शिक्षित होने के साथ-साथ व्यक्ति का शिष्ट होना बेहद आवश्यक है, यदि व्यक्ति शिष्ट है तब ही तो वह मानव है और यदि नहीं है तो उसे पशु की उपाधि दी जाती है। यह शिष्टता प्राप्त करने के लिए ही हम गुरु के सानिध्य में आते है, ताकि हम बेहतर जीवन प्राप्त करने के साथ-साथ बेहतर इंसान भी बन सके। इसिलए भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी कहते थे :

“भगवान हम सबके भीतर है, महसूस करता है और कष्ट सहता है और समय के साथ उनके गुण, ज्ञान, सौन्दर्य और प्रेम हममें से हर एक के मन में उजागर होंगे”

शिक्षक दिवस मूलतः इसलिए मनाया जाता है, ताकि हम अपने सभी शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता जता सकें। उन्हें हमें बेहतर शिक्षा प्रदान करने तथा हमारे व्यतित्व का निर्माण करने के लिए धन्यवाद देना ही इस दिन को मनाने का उद्देश्य है। एक राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों का योगदान अतुल्य है, जिसके लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जाए कम है। एक राष्ट्र विकसित तब ही हो सकता है, जब उसके शिक्षक योग्य हों। वैसे तो विश्व के सभी शिक्षक पूजनीय हैं, मगर कुछ शिक्षक ऐसे भी हुए जिन्होंने अपने कार्यों से भारत को सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाने का कार्य किया। वैसे तो इनकी सूची लंबी है, मगर इसमें राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद, डॉ भीम राव अम्बेडकर, मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, एपीजे अब्दुल कलाम ऐसे शिक्षक थे, जिन्होंने अपने राष्ट्र के निर्माण में अनंत योगदान प्रदान किया।

सामाजिक तौर पर मनुष्य का साथ रहना, मनुष्य का स्वभाव है। समाज कई लोगों से मिलकर बनता है, जिसमें अच्छे व बुरे, दोनों ही तरह के लोग होते हैं। जाहिर है कि अच्छे लोगों ने समाज को कुछ बेहतर बनाने की कोशिश की, तो वहीं बुरे लोगों की वजह से समाज में बुराइयाँ, कुंठा, घृणा, कुरीतियाँ आदि जैसी चीजों ने भी जन्म लिया। ऐसे में हमारे शिक्षकों ने अपने योगदान के माध्यम से उन कुंठाओ, कुरीतियों, अज्ञानता आदि को दूर करने का प्रयास किया है। आज भी हमारे देश में कई ऐसे शिक्षकों के उदाहरण मिलते हैं, जिनके बारे में सुनकर हमारा ह्रदय गौरवान्वित हो उठता है। अभी हाल ही में सोनम वांगचुक जैसे वैज्ञानिक का उदाहरण हमारे सामने आया, जो लद्दाख जैसे सुदूर क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ नए-नए अविष्कार भी कर रहे हैं। यह केवल एक उदाहरण है। ऐसे हमारे देश में ऐसे न जाने कितने उदाहरण होंगे जिसका हमें पता तक नहीं चल पाता है। देखा जाए तो शिक्षक एक राष्ट्र या समाज के वो सुपरहीरोज हैं, जो अपनी पहचान के लिए तरसे बगैर लगातार समाज को बेहतर करने का निरंतर प्रयास करते रहते हैं।

हमारे शिक्षकों का ही योगदान है जो आज हमारा देश तेजी से सफलता के मार्ग पर अग्रसर है। आज विश्वभर में भारतीय हर क्षेत्र में अपने देश का नाम रौशन कर रहें है। आज विश्व का हर चौथा डॉक्टर या इंजीनियर एक भारतीय ही है। विज्ञान के क्षेत्र में हम अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियों के समकक्ष खड़े हैं। राजनीति, अर्थशास्त्र, कला आदि क्षेत्रों में भी भारतीयों के कार्य को विश्वभर में सराहा जाता है और न जाने कितने ही भारतीय इन क्षेत्रों में विश्व के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इसके अलावा इस देश की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है। मगर इतना कुछ एक विकासशील देश के लिए आखिर मुमकिन हो कैसे पाया? जाहिर है, यह मुकाम हमारे देश के शिक्षकों के बगैर नामुमकिन था, जिसक लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जा सके, उतना कम है। शिक्षकों के बिना एक स्वस्थ और शालीन समाज व राष्ट्र की कल्पना भी बेईमानी है।

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हम उम्मीद करते हैं कि शिक्षक दिवस निबंध (essay on teachers day in hindi) आपको पसंद आया होगा। हालांकि इसके बावजूद भी कई ऐसे छात्र होंगे, जो किसी परीक्षा के दृष्टिकोण से शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas nibandh) लिखने की सोच रहे हैं, ऐसे में वे भविष्य में शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas nibandh) लिखने के लिए नीचे दिए गए 10 महत्वपूर्ण बिन्दुओं या फिर कहें तो शिक्षक दिवस पर पैराग्राफ (paragraph on teachers day in hindi) को याद रख सकते हैं तथा अपनी सुविधा अनुसार इसे विस्तृत कर परीक्षा में लिख सकते हैं। साथ ही इन 10 महत्वपूर्ण बिन्दुओं को याद रखने से आपको शिक्षक दिवस पर भाषण (teachers day speech in hindi) लिखने में भी सहायता मिलेगी। इसके अलावा इन बिंदुओं की सहायता लेते हुए छात्र छोटे लेख जैसे कि शिक्षक दिवस पर निबंध 100 शब्दों में (shikshak diwas par nibandh) भी लिख सकते हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध 10 लाइन (10 lines on teachers day in hindi) में ये रहे :

भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी।

पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

डॉ राधाकृष्‍णन का देहांत चेन्नई में 17 अप्रैल, 1975 को हुआ था।

भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था।

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस विश्व भर के 100 से भी अधिक देशों में मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस के दिन देश भर के शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के सम्मान में छात्रों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

छात्र इस दौरान अपने शिक्षकों के सम्मान में, उनकी महत्ता का बखान करते हुए शिक्षक दिवस पर भाषण देते हैं। साथ ही कई जगहों पर इस दिन छात्र अपने शिक्षकों को उपहार भी भेंट में देते हैं।

एक राष्ट्र विकसित तब ही हो सकता है, जब उसके शिक्षक योग्य हों।

शिक्षकों के बगैर इस देश का विकास नामुमकिन था, जिसक लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जा सके, उतना कम है। शिक्षकों के बिना एक स्वस्थ और शालीन समाज व राष्ट्र की कल्पना भी बेईमानी है।

हम आशा करते हैं कि शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) या फिर कहें तो शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par speech) से निबंध/भाषण संबंधी आपकी सभी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। आपको बताते चलें कि शिक्षक दिवस पर निबंध / शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par nibandh / shikshak diwas par speech) के साथ-साथ आप अन्य विषयों पर भी हमारे लिखे निबंध / भाषण इस लेख में उपलब्ध लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। शिक्षक दिवस पर निबंध / शिक्षक दिवस पर भाषण (shikshak diwas par nibandh / shikshak diwas par speech) के अलावा कई छात्र शिक्षक दिवस को विशेष बनाने के लिए रंग-बिरंगे पोस्टर्स तैयार करते हैं, जिस पर वे शिक्षकों को लेकर महापुरुषों के कथन / विचार (teachers day quotes) चाहते तो हैं, मगर उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में इस लेख में शिक्षक दिवस पर निबंध (shikshak diwas par nibandh) के अलावा दस शिक्षक दिवस कोट्स (teachers day quotes) नीचे दिए हैं -

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यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड

आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

Frequently Asked Question (FAQs)

भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है ।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने अपने जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा व्यक्त की थी। उनके सम्मान में ही भारत में प्रत्येक वर्ष उनकी जन्मतिथि को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितम्बर 1962 को पहला शिक्षक दिवस मनाया गया था ।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में मनाया जाता है।

भारत की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है।

शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers day in hindi) की शुरुआत डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन परिचय से की जा सकती है। इसके बाद व्यक्तिगत जीवन में शिक्षकों के महत्व के साथ-साथ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों के योगदान के लिए उनका धन्यवाद करते हुए इसे खत्म किया जा सकता है। विस्तृत जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।

1962 में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला तो उनके छात्र 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे। उन्होंने छात्रों से समाज में शिक्षकों के अमूल्य योगदान को बताने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। उसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

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10 Lines On My School in Hindi | मेरे विद्यालय पर 10 वाक्य

10 lines on my school in hindi.

10 Lines on My School in Hindi | मेरे विद्यालय पर 10 वाक्य कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए | एक विद्यालय मंदिर के समान होता है जहाँ पर बच्चे पढ़ते है। पढ़ना सभी के लिए आवश्यक होता है। सभी विद्यालय में ज्ञान का भण्डार होता है। शिक्षक का कार्य सभी बच्चो को पढ़ाना और अच्छे ज्ञान प्रदान करना होता है। आइये जानते है विद्यालय पर 10 वाक्य।

Set (1) 10 Lines on My School in Hindi Class 1, 2, 3, 4

  • मेरे स्कूल का नाम आनंद पब्लिक स्कूल है।
  • मेरा स्कूल सूरत में स्थित है।
  • मेरा स्कूल पहली से 12वीं कक्षा तक है।
  • मेरे स्कूल में लड़के-लड़कियाँ दोनों एक साथ पढ़ते हैं।
  • मेरे विद्यालय के विद्यार्थियों की वर्दी का रंग नीला है।
  • मेरे स्कूल का समय सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक है।
  • मेरे विद्यालय में एक सुन्दर बगीचा है।
  • मेरे स्कूल में कुल 25 कमरे हैं।
  • मेरे विद्यालय में शिक्षकों की संख्या 30 है।
  • मेरे स्कूल का माहौल बहुत खुशनुमा है.

Set (2) 10 Lines on My School in Hindi Class 5, 6, 7

  • मेरा स्कूल एक ऐसी जगह है जहाँ मैं नई चीज़ें सीखने जाता हूँ और अपने दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करता हूँ।
  • इसमें एक बड़ा खेल का मैदान है जहाँ हम फुटबॉल, क्रिकेट और बैडमिंटन जैसे खेल खेलते हैं।
  • मेरे विद्यालय के शिक्षक बहुत दयालु और मददगार हैं। वे हमें गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विभिन्न विषय पढ़ाते हैं।
  • हमारे विद्यालय में एक पुस्तकालय है जहाँ हम विभिन्न विषयों की पुस्तकें पढ़ सकते हैं और उन्हें घर ले जा सकते हैं।
  • मेरे विद्यालय में एक कंप्यूटर कक्ष है जहाँ हम कंप्यूटर चलाना सीखते हैं और शैक्षिक खेल खेलते हैं।
  • मेरा स्कूल दिवाली, ईद और क्रिसमस जैसे विभिन्न त्योहार मनाता है, और हमें पारंपरिक कपड़े पहनने और विशेष गतिविधियों का आनंद लेने का मौका मिलता है।
  • हमारे विद्यालय में एक कैंटीन है जहाँ से हम अवकाश के दौरान नाश्ता और जलपान खरीद सकते हैं।
  • मेरे स्कूल में एक खूबसूरत बगीचा है जहाँ हम विभिन्न पौधों और पेड़ों के बारे में सीखते हैं।
  • हमारे स्कूल में कला और शिल्प की कक्षाएँ होती हैं, जहाँ हम चित्र बनाना, पेंटिंग करना और अपने हाथों से चीज़ें बनाना सीखते हैं।
  • मेरा स्कूल एक अद्भुत जगह है जहां मैंने कई दोस्त और यादें बनाई हैं जिन्हें मैं हमेशा संजोकर रखूंगा।

Set (3) 10 Lines on My School in Hindi Class 8, 9, 10

  • मेरा स्कूल एक ऐसी जगह है जहाँ मैं अपने अधिकांश दिन सीखने और एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने में बिताता हूँ।
  • यह एक विशाल खेल के मैदान और अच्छी तरह से सुसज्जित कक्षाओं के साथ एक शांतिपूर्ण क्षेत्र में स्थित है।
  • मेरे विद्यालय के शिक्षक अत्यधिक योग्य हैं और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।
  • स्कूल में एक पुस्तकालय है जिसमें विभिन्न विषयों और विषयों पर पुस्तकों की एक विस्तृत श्रृंखला है।
  • हमारे पास आधुनिक कंप्यूटर और हाई-स्पीड इंटरनेट के साथ एक कंप्यूटर लैब है जो हमें प्रौद्योगिकी के साथ अपडेट रहने में मदद करती है।
  • स्कूल में एक विज्ञान प्रयोगशाला भी है जहाँ हम प्रयोग करते हैं और सैद्धांतिक अवधारणाओं के व्यावहारिक अनुप्रयोग सीखते हैं।
  • मेरा स्कूल हमारे कौशल और रुचियों को विकसित करने में मदद करने के लिए खेल, संगीत, नृत्य और कला जैसी पाठ्येतर गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है।
  • स्कूल पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है, जैसे वार्षिक दिवस, खेल दिवस और विज्ञान प्रदर्शनी।
  • स्कूल में एक मैत्रीपूर्ण और समावेशी वातावरण है, जहां विभिन्न पृष्ठभूमि और संस्कृतियों के छात्र एक साथ सीखते हैं और बढ़ते हैं।
  • मेरे स्कूल ने मेरे व्यक्तित्व को आकार देने और मुझे एक सफल भविष्य के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

ये भी देखें –

  • 10 Lines on Cow in Hindi
  • 10 Line on My Country in Hindi
  • Essay on My School in Hindi

स्कूल महत्वपूर्ण क्यों है?

उत्तर – मेरा विद्यालय मेरे लिए वरदान है क्योंकि विद्यालय एक ऐसी जगह है जहाँ हमें शिक्षा मिलती है। स्कूल हर स्थान पर होना चाहिए ताकि शिक्षा गरीब लोगों से परे न हो। शिक्षा का अधिकार हर एक को है और अशिक्षा को दूर करने के लिए हर बच्चे को स्कूल जाना चाहिए।

कौन स्कूल जा सकता है?

उत्तर – स्कूल केवल एकल व्यक्ति के लिए नहीं है। यह सभी के लिए है। चाहे वह बच्चा हो या बूढ़ा आदमी शिक्षा का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सोच विकसित करने के लिए दिया जाता है। शिक्षा के माध्यम से, हमारे अधिकारों को जानना आसान हो गया और कोई भी शिक्षित लोगों को धोखा नहीं दे सकता।

एक बच्चे को किस तरह की शिक्षा दी जानी चाहिए?

उत्तर – बच्चे की कोई सीमा नहीं है। शिक्षा ऐसी कोई भी चीज हो सकती है जिसके द्वारा विचार को विकसित किया जा सके और ईमानदारी के रास्ते पर चला जा सके। चाहे सामाजिक शिक्षा या नैतिक शिक्षा हो लेकिन शिक्षा होनी चाहिए।

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Sunday 10 May 2020

स्कूल की यादें पर निबंध school memories essay in hindi.

school days essay in hindi

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Updated On: May 13, 2024 03:56 pm IST

मदर्स डे पर निबंध (Mothers Day Essay in Hindi)

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मदर्स डे पर निबंध

कैसे मनाया जाता है मदर्स डे? (How is Mother's Day celebrated?)

मदर्स डे का महत्त्व (importance of mother's day), are you feeling lost and unsure about what career path to take after completing 12th standard.

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Nibandh

स्कूल में वार्षिक खेलकूद दिवस पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - स्कूल में वार्षिक खेलकूद का आयोजन - उद्घाटन - स्पर्धाओं का विवरण - विजेता को सम्मानित - उपसंहार।

मनुष्य जीवन का स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है। स्वस्थ जीवन ही मानव जीवन की सफलता है। स्वस्थ रहने के लिए मानव जीवन का सक्रिय होना बहुत जरुरी है। यही स्वस्थ जीवन खेल-कूद के माध्यम से अधिक आती है। खेल-कूद के माध्यम से शारीरिक विकास ही नहीं बल्कि मानसिक विकास भी होता है। इसीलिए सभी लोगों के जीवन में चाहे वो विद्यार्थी हो या अन्य लोग खेल-कूद का होना अधिक महत्वपूर्ण है।

खेलकूद स्कूल के पाठ्यक्रम के अनिवार्य अंग होते हैं। वे छात्रों के शारीरिक और मानसिक विकास में योगदान करते हैं। विद्यालयों में बहुत-से खेल खेले जाते हैं। इस वार्षिक खेलकूद के आयोजन से छात्रों को जो खेल पसंद है, उसे सीखने का अवसर मिलता है। छात्रों की मदद के लिए खेल-प्रशिक्षक होते हैं। शैक्षिक सत्र के अंत में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। सभी विजेताओं को पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित किया जाता है।

स्कूल में वार्षिक खेल-कूद अक्टूबर माह में होते हैं लगभग दो सप्ताह पहले से इसकी तैयारी शुरू हो जाती है। तैयारियों में मैदान की साफ़ सफाई, स्टेज को सजाना, मैदानों में सभी खेलों के हिसाब से निशान देना, सामान्य चिकित्सक (डॉक्टर) के लिए कक्ष तैयार करना आदि कार्यो को देखा जाता है। सामान्य चिकित्सक (डॉक्टर) के लिए कक्ष इसीलिए तैयार किया जाता है क्योंकि खेल के दौरान किसी छात्र को चोट लग जाती है तो उसका जल्द ही उपचार करवाया जाए ताकि देर होने से छात्र की हालत गंभीर न हो जाए। प्रायः सभी वर्गों के लड़के-लड़कियाँ इसमें भाग लेते हैं। छात्रों को प्रतियोगिता की तैयारी के लिए अतिरिक्त समय दिया जाता है।

हर वर्ष सभी स्कूलों में वार्षिक खेलकूद दिवस समारोह का आयोजन होता है। वार्षिक खेलकूद दिवस पर पहले दिन 100 मीटर दौड़, 400 मीटर दौड़, 1000 मीटर दौड़, रिले (टोली) दौड़, लंबी कूद, ऊंची कूद एवं गोला-फेंक की प्रतियोगिताएँ होती है। सभी प्रतिभागी उत्तेजित एवं ऊर्जावान होते है। स्कूल के खेल-मैदान के विभिन्न भाग भिन्न-भिन्न खेलों के लिए निर्धारित किये जाते है। पूरा मैदान छात्रों से भरा हुआ रहता है। एक भाग में खिलाड़ियों हेतु नाश्ता एवं चिकित्सीय सहायता उपलब्ध रहते है।

दूसरे दिन का कार्यक्रम बैडमिंटन, टेनिस, शतरंज, बॉस्केटबॉल और वॉलीबॉल के अंतिम मैंचों के लिए होता है। सभी मैच बहुत रोचक होते है। सभी छात्र, शिक्षक पूरा दिन आनंद खेल का आनंद लेते है। तीसरे दिन एक मैत्रीपूर्ण कबड्डी मैच आयोजित किया जाता है। सभी खिलाड़ियों वार्षिक खेलकूद दिवस पर अच्छा प्रदर्शन करते है।

अंत में, पुरस्कार-वितरण समारोह होता है। सभी खेलों में शीर्षस्थ स्थान पानेवाले खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया जाता है। समारोह में छात्र के साथ-साथ उनके परिवारों को भी आमंत्रित किया जाता है। अपने बच्चों को पुरस्कार से सम्मानित होता देख उनके माता-पिता बहुत खुश होते है।

स्कूल के प्राचार्य खिलाड़ियों के प्रदर्शन से बहुत खुश थे। प्रति वर्ष स्कूल से कुछ छात्र राज्य-स्तर पर चुने जाते है। वार्षिक खेलकूद समाप्त होने के बाद सभी छात्रों के लिए दो दिनों के अवकाश की घोषणा होती है। इससे सभी छात्र वहुत खुश होते है। वार्षिक खेल-कूद समारोह प्रत्येक छात्र को नई ऊर्जा से भर देता है।

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Earth Day Essay in Hindi : स्कूल में ऐसे लिखें विश्व पृथ्वी दिवस पर 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध

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  • Updated on  
  • अप्रैल 22, 2024

Earth Day Essay in Hindi

पृथ्वी दिवस पहली बार 22 अप्रैल 1970 को पर्यावरण कार्यकर्ताओं के एक समूह द्वारा मनाया गया था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण को लेकर जागरूक करना है। यह दिवस World earth day 2024 पहली बार शांति कार्यकर्ता जॉन मैककोनेल द्वारा प्रस्तावित किया गया था और संयुक्त राज्य अमेरिका के सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन द्वारा इसे और लोकप्रिय बनाया गया था जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में विश्व पृथ्वी दिवस (Earth Day Essay in Hindi) पर निबंध पढ़ने को मिलेंगे।

This Blog Includes:

विश्व पृथ्वी दिवस क्या है, विश्व पृथ्वी दिवस पर 100 शब्दों में निबंध, विश्व पृथ्वी दिवस पर 200 शब्दों में निबंध, विश्व पृथ्वी दिवस, विश्व पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत कब से हुई, विश्व पृथ्वी दिवस का महत्व, हमारे सामने आने वाली चुनौतियाँ, विश्व पृथ्वी दिवस से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें, हम क्या कर सकते हैं, विश्व पृथ्वी दिवस पर निबंध कैसे तैयार करें , विश्व पृथ्वी दिवस पर 10 लाइन्स.

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारी पृथ्वी कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वनों की कटाई और जैव विविधता की हानि कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनका हमें समाधान करने की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन शायद हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण हीटवेव, सूखा और बाढ़ जैसी मौसम की घटनाएं अधिक बार और गंभीर हो रही हैं। इन घटनाओं का इकोसिस्टम और उन पर निर्भर समुदायों पर गलत प्रभाव पड़ता है।

प्रदूषण भी एक बड़ी चिंता का विषय है। हमारे महासागर, वायु और मिट्टी सभी प्रदूषण से प्रभावित हैं, जो वन्यजीवन और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एकल-उपयोग प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का उपयोग प्रदूषण में एक प्रमुख योगदानकर्ता है। इन्ही सभी चीजों के कारण विश्वभर में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। 

यह भी पढ़ें – April Important Days in Hindi : यहाँ देखिए अप्रैल 2024 के महत्वपूर्ण दिनों की पूरी लिस्ट

Earth Day Essay in Hindi 100 शब्दों में कुछ इस प्रकार है : 

हमारी पृथ्वी को प्रदूषण और वनों की कटाई जैसी चीज़ों से बचाने के लिए हर साल 22 अप्रैल को एक अरब से अधिक लोग पृथ्वी दिवस (World earth day 2024) मनाते हैं। कूड़े को उठाने और पेड़ लगाने जैसी गतिविधियों में भाग लेकर, हम अपनी पृथ्वी को रहने के लिए एक खुशहाल, स्वस्थ जगह बना सकते हैं और इस दिन को मनाने की शुरुआत 1970 में हुई थी जब विस्कॉन्सिन के एक संयुक्त राज्य सीनेटर ने पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय प्रदर्शन का आयोजन किया था। पूरे देश में रैलियाँ हुईं और साल के अंत तक अमेरिकी सरकार ने पर्यावरण संरक्षण एजेंसी बनाई थी। 1990 तक, पृथ्वी दिवस दुनिया भर के 140 से अधिक देशों द्वारा मनाया जाने वाला एक कार्यक्रम बन चुका था।

विश्व पृथ्वी दिवस पर निबंध

यह भी पढ़ें : Facts About Earth in Hindi : जानिए पृथ्वी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Earth Day Essay in Hindi 200 शब्दों में कुछ इस प्रकार है :

पृथ्वी दिवस (World earth day 2024) हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन 1970 में शुरू हुए आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस की स्थापना प्रदूषण, वनों की कटाई और जैव विविधता के नुकसान जैसे कुछ पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी। तब से हर साल विश्व स्तर पर पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों को पर्यावरण की देखभाल करने के लिए प्रेरित करता है। 

इस दिन माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों को प्रकृति के महत्व के बारे में पढ़ाना शुरू करना चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि उनके कार्य पर्यावरण को कैसे मदद या नुकसान पहुंचा सकते हैं। भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए छोटे बच्चों को पेड़ लगाने और उन्हें प्रकृति से जुड़ाव महसूस करने के लिए प्रेरित करने जैसी गतिविधियों में शामिल करना महत्वपूर्ण है।

पृथ्वी दिवस बच्चों को पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण खतरों के बारे में सिखाता है, जैसे पर्यावरण में बदलाव, प्राकृतिक संसाधनों का प्रत्यक्ष दोहन, भूजल दोहन (Direct Exploitation, Groundwater Exploitation ) और अत्यधिक मछली पकड़ना। इसके अलावा पृथ्वी दिवस बच्चों को दैनिक कार्यों की जिम्मेदारी लेना भी सिखाता है जो पर्यावरण की बेहतरी के लिए बदलाव लाने में मदद करते हैं। लाइट बंद करना, रीसाइकलिंग, री यूज, खाद बनाना और पौधे लगाने में उनकी मदद करना जैसे सरल कार्य बच्चों को बदलाव लाने का मौका देते हैं।

इस प्रकार, पृथ्वी दिवस (World earth day 2024 ) बुजुर्गों के बीच पर्यावरण जागरूकता को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ बच्चों को पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं के बारे में सिखाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। यह भविष्य के लिए पर्यावरण की सक्रिय भागीदारी, सुरक्षा और संरक्षण के लिए दोनों पीढ़ियों में जिम्मेदारी और प्रेरणा की भावना पैदा करता है।

यह भी पढ़ें : पृथ्वी दिवस कब मनाया जाता है? जानिए क्या हैं पृथ्वी दिवस मनाए जाने के कारण और इसका महत्व और इतिहास 

विश्व पृथ्वी दिवस पर 500 शब्दों में निबंध

Earth Day Essay in Hindi 500 शब्दों में कुछ इस प्रकार है : 

हर साल 22 अप्रैल को दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग पृथ्वी दिवस मनाते हैं। हम सभी पृथ्वी को एक बेहतर जगह बनाने के लिए कचरा उठाना और पेड़ लगाना जैसे काम करते हैं। पृथ्वी दिवस एक विशेष दिन है जब हम याद करते हैं कि हमारे ग्रह की देखभाल करना कितना महत्वपूर्ण है। यह दिवस हमारी पृथ्वी को प्रदूषण और वनों की कटाई जैसी चीजों से बचाने के लिए लोगों को जागरूक करता है। 

विश्व पृथ्वी दिवस एक ऐसा दिन है जब दुनिया भर के लोग ग्रह का जश्न मनाने और हमारे सामने आने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक साथ आते हैं। यह ग्रह पर हमारे प्रभाव को प्रतिबिंबित करने और कार्बन को कम करने के लिए कार्रवाई करने का एक अवसर है।

विश्व पृथ्वी दिवस पहली बार 22 अप्रैल 1970 में मनाया गया था। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 1970 से हुई जिसका उद्देश्य  हमारे ग्रह की रक्षा करने और इसे सभी लोगों और जानवरों के रहने के लिए एक अच्छी जगह बनाने में मदद करना है। 

Earth Day Essay in Hindi का महत्व कुछ इस प्रकार है : 

  • विश्व पृथ्वी दिवस पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है। 
  • यह दिवस व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों को हमारे ग्रह की रक्षा के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करता  है।
  • पृथ्वी दिवस लोगों को हमारे ग्रह की देखभाल के बारे में सीखने में मदद करता है। 
  • यह हमें हवा को गंदा न करने और पेड़-पौधों की रक्षा करना सिखाता है।
  • इस दिन स्कूलों में छात्रों को यह सिखाने के लिए विशेष गतिविधियाँ होती हैं कि बड़े होकर पृथ्वी की रक्षा कैसे करें और अच्छे नागरिक कैसे बनें।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारा ग्रह कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वनों की कटाई और जैव विविधता की हानि कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनका हमें समाधान करने की आवश्यकता है।

जलवायु परिवर्तन शायद हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण हीटवेव, सूखा और बाढ़ जैसी मौसम की घटनाएं अधिक बार और गंभीर हो रही हैं। इन घटनाओं का पारिस्थितिक तंत्र और उन पर निर्भर समुदायों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है।

प्रदूषण भी एक बड़ी चिंता का विषय है। हमारे महासागर, वायु और मिट्टी सभी प्रदूषण से प्रभावित हैं, जो वन्यजीवन और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एकल-उपयोग प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का उपयोग प्रदूषण में एक प्रमुख योगदानकर्ता है।

  • विश्व पृथ्वी दिवस हर वर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाता है।
  • वर्ष 1960 को पहली बार विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया था।
  • इस दिन को मनाने की शुरुआत वर्ष 1970 में अमेरिका में की गई थी।
  • पृथ्वी दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण आदि के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

22 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है विश्व पृथ्वी दिवस

1960 के दशक में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ रही थी। इसको लेकर यूनिब्वर्सिटीज़ में स्टूडेंट्स आंदोलन भी कर रहे थे। वे प्रदूषण और प्रकृति संरक्षण की बात कह रहे थे। इसी बात को देखते हुए 22 अप्रैल 1970 को 20 मिलियन से अधिक लोगों ने 150 देशों में प्रथम पृथ्वी दिवस मनाया 

पृथ्वी के सामने आने वाली चुनौतियाँ के लिए हम नीचें दी गई चीजें करके अपनी पृथ्वी को बचा सकते हैं :

  • यह स्पष्ट है कि हमें इन चुनौतियों से निपटने के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है और बदलाव लाने के लिए हम कई चीजें कर सकते हैं। हम सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करके ड्राइविंग के बजाय साइकिल चलाकर या पैदल चलकर और अपने घरों में ऊर्जा-कुशल उपकरणों (Energy-Efficient Appliances) का उपयोग करके ऐसा कर सकते हैं।
  • प्लास्टिक के हमारे उपयोग को कम करना एक और महत्वपूर्ण कदम है। 
  • हम इकोसिस्टम और वाइल्डलाइफ की रक्षा के लिए काम करने वाले संगठनों का समर्थन करके संरक्षण प्रयासों का भी समर्थन कर सकते हैं। 
  • हम पेड़ लगा सकते हैं और सफाई प्रयासों में भी भाग ले सकते हैं। 

विश्व पृथ्वी दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है जो हमें हमारे ग्रह के महत्व और इसकी रक्षा के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। हम कई चुनौतियों का सामना करते हैं, लेकिन बदलाव लाने के लिए हम कई चीजें कर सकते हैं। आइए यह सुनिश्चित करने के लिए आज और हर दिन कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हों कि हम भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ ग्रह छोड़ें।

यह भी पढ़ें : Amazing Facts in Hindi About Nature : जानिए प्रकृति से जुड़े अद्भुत तथ्य

Earth Day Essay in Hindi (विश्व पृथ्वी दिवस पर निबंध) कैसे लिखें के बारे में नीचे बताया गया है :

  • निबंध लिखते समय आपकी भाषा एकदम सरल होनी चाहिए। 
  • निबंध के शीर्षक को आकर्षक बनाए।  
  • निबंध में प्रस्तावना और निष्कर्ष को जोड़ने का खास ध्यान रखें। 
  • अपने निबंध में विषय विस्तार को जोड़े। 
  • शब्द चिन्ह का विशेषकर ध्यान रखें। 
  • किसी भी तरह की जानकारी देने से पहले उसपर अच्छे से रिसर्च जरूर करें। 
  • अलग-अलग पैराग्राफ को एक दूसरे से जोड़े। 
  • निबंध की शुरुआत और अंत में स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ पंक्तियाँ भी जोड़ सकते है। 

यह भी पढ़ें : Nature Quotes In Hindi: नेचर कोट्स इंसान को प्रकृति से जोड़ेंगी

Earth Day Essay in Hindi से जुड़ी 10 लाइन्स यहाँ दी गई हैं : 

  • पृथ्वी ग्रह लाखों लोगों, कई प्रकार के पौधों और जानवरों की प्रजातियों का घर है।
  • पृथ्वी दिवस ग्लोबल वार्मिंग और प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसे मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करता है।
  • विश्व पृथ्वी दिवस द्वारा मानव अस्तित्व के लिए पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
  • विश्व पृथ्वी दिवस को पहली बार 1990 में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली।

पहला पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल 1970 को मनाया गया था।

  • पृथ्वी दिवस मनाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • 2024 में विश्व पृथ्वी दिवस की थीम Planet vs. Plastics रखी गई है।
  • विश्व पृथ्वी दिवस की स्थापना संयुक्त राज्य अमेरिका के सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी।
  • विश्व पृथ्वी दिवस दुनिया भर के 190 से अधिक देशों में मनाया जाता है।
  • व्यक्ति पेड़ लगाकर, वेस्ट को कम करके और पर्यावरण संगठनों का समर्थन करके विश्व पृथ्वी दिवस के उद्देश्य में योगदान दे सकते हैं।

                                                              सम्बंधित आर्टिकल्स 

विश्व पृथ्वी दिवस हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है।

लोगों और ग्रह के लिए परिवर्तनकारी परिवर्तन लाने के लिए दुनिया के सबसे बड़े पर्यावरण आंदोलन के निर्माण के लिए पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।

पृथ्वी दिवस 2024 की थीम Planet vs Plastics है।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Earth Day Essay in Hindi (विश्व पृथ्वी दिवस पर निबंध) से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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सीखने का नया ठिकाना स्टडी अब्राॅड प्लेटफाॅर्म Leverage Edu. खुशी को 1 वर्ष का अनुभव है। पूर्व में वह न्यूज टुडे नेटर्वक, जागृत जनता न्यूज (JJN) में कंटेंट राइटर और स्क्रिप्ट राइटर रह चुकी हैं। खुशी ने पत्रकारिता में स्नातक कंप्लीट किया है। उन्हें एजुकेशनल ब्लाॅग्स लिखने के अलावा रिसर्च बेस्ड स्टोरीज करना पसंद हैं।

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Mother’s Day Speech in Hindi 2024: मदर्स डे पर छोटे और बड़े भाषण हिंदी में

Happy mothers day quotes: मदर्स डे हर इंसान के लिए एक विशेष दिन है क्योंकि यह हमें हमारी एकमात्र दुनिया (माँ) को उसके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद कहने का मौका देता है जो उसने पूरी जिंदगी दी है। मातृ दिवस के लिए भाषण आईडिया यहां प्राप्त करें। अपने विचारों को ऐसे शब्द बनने दें जिन्हें आपकी माँ सुन सकें और आपके जीवन में उनके महत्व को महसूस कर सकें।.

Atul Rawal

मदर्स डे पर 2 मिनट का भाषण (2 Minutes Speech on Mother’s Day In Hindi)

मदर्स डे पर 5 मिनट का भाषण (5 minutes speech on mother’s day in hindi), मदर्स डे पर 10 मिनट का भाषण (10 minutes speech on mother’s day in hindi), मदर्स डे पर 15 मिनट का भाषण (15 minutes speech on mother’s day in hindi).

(10 मिनट के भाषण पर आधारित)

मदर्स डे पर 20 मिनट का भाषण (20 Minutes Speech on Mother’s Day In Hindi)

(15 मिनट के भाषण पर आधारित)

मदर्स डे पर 30 मिनट का भाषण (30 Minutes Speech on Mother’s Day In Hindi)

(20 मिनट के भाषण पर आधारित)

...कई बार हमारी माँ से बहस हो जाती है, या हम उनकी बातों को अनसुना कर देते हैं. लेकिन ये ज़रूरी है कि हम ये याद रखें कि वो हमारी भलाई ही चाहती हैं. उनका अनुभव और ज्ञान हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. अगर कभी हम गलती कर बैठते हैं, तो हमें माफी मांगने में झिझक नहीं होनी चाहिए. माँ का प्यार इतना महान होता है कि वो हमें तुरंत माफ कर देंगी.

(Continuing the thought) ...इस समाज में माँ की भूमिका को हमेशा से सम्मान दिया गया है. कई महान लोगों ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ को दिया है. ये कहावत भी है कि "स्वर्ग माँ के चरणों में होता है." ये हमें ये बताता है कि माँ का प्यार और त्याग कितना अनमोल है.

Happy Mother’s Day Quotes and Wishes in Hindi

  • "माँ शब्द जितना छोटा है, उसका महत्व उतना ही ज्यादा है."
  • "दुनिया की हर एक मां को समर्पित है मातृ दिवस."
  • "मां की दुआएं मेरी मुसीबतों से इस कदर टकराती हैं, जमाने की हर बलाए उनके काले टीके से घबराती हैं."
  • "किसी ने हमसे पूछा स्वर्ग कहां है, हमने मुस्कुराते हुए कहा, जिसके घर में मां है वो जगह स्वर्ग है!"
  • "माँ के प्यार से ज्यादा कुछ नहीं अनमोल होता है." 
  • माँ, आपके प्यार, त्याग और आशीर्वाद के लिए दिल से धन्यवाद. आपका साथ पाकर मैं बहुत खुश हूँ. मातृ दिवस की शुभकामनाएँ! 
  • माँ, आप मेरी सुपरहीरो हो! आप मुझसे बहुत प्यार करती हो. मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ. मातृ दिवस की बधाई!
  • माँ, आप मेरी धूप हो जो मुझे हमेशा रोशन रखती हो. आप मेरा सहारा हो. मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ. मातृ दिवस की शुभकामनाएं!

इस मदर्स डे पर अपनी मां को खास महसूस कराएं।

  • Mother's Day Speech in English
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