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यात्रा पर निबंध | Best 10 Essay on Travelling in Hindi for Students

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Essay on Travelling in Hindi: इस लेख में आप 1000 शब्दों में छात्रों और बच्चों के लिए यात्रा पर एक निबंध पढ़ेंगे। यह लघु निबंध हमें बताता है कि कैसे यात्रा करना भी जीवन का एक साहसिक अनुभव है।

  • 1 यात्रा पर निबंध (1000+ शब्द)
  • 2 यात्रा क्या है?
  • 3 लोग यात्रा करना क्यों पसंद करते हैं?
  • 4 आज के युग में पर्यटन
  • 5 यात्रा का महत्व
  • 6 पर्यटन संस्कृति और ज्ञान का अन्वेषण करें
  • 7 पर्यटन और यात्रा को कैसे बढ़ावा दें?

यात्रा पर निबंध (1000+ शब्द)

परीक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ यात्रा निबंध लिखने के लिए छात्र और बच्चे इस लेख की मदद ले सकते हैं।

यात्रा क्या है?

जब कोई व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है तो उसे यात्रा कहते हैं। यात्रा शब्द का प्रयोग अधिकतर तब होता है जब लोग एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं शहर .

मानव स्वभाव जिज्ञासु है। मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृत्ति ने एक ही देश और विदेश में विभिन्न स्थानों की यात्रा करने की इच्छा के पीछे भी काम किया है। यात्रा के महत्वपूर्ण लाभों में से एक आंतरिक ताजगी बनाए रखना है।

लोग यात्रा करना क्यों पसंद करते हैं?

बहुत बार, लोग जीवन में, काम की दैनिक दिनचर्या, नींद, भोजन और जीवन में डूब जाते हैं। वे इतना अवशोषित करते हैं कि लोगों को थकान महसूस होती है।

इसका प्रभाव पड़ता है उनकी सेहत, खुशी, और भविष्य। क्या आप भी अपने दैनिक दिनचर्या के कामों से बोर महसूस कर रहे हैं? क्या आप तरोताजा और ऊर्जावान बनना चाहते हैं? यदि हां, तो यात्रा करना इसके लिए सबसे अच्छे समाधानों में से एक हो सकता है।

आज के युग में पर्यटन

आज पर्यटन भी मनुष्य की उसी पुरानी पैंतरेबाज़ी की प्रवृत्ति से प्रभावित हो रहा है। पहले के पर्यटक सुविधाओं और आज के समय में इतना ही अंतर है।

आज पर्यटन उतना कष्टदायक नहीं है जितना प्राचीन काल का घुमक्कड़। विज्ञान के आविष्कारों, अन्वेषण की जादुई शक्ति से सुलभ साधनों के कारण पर्यटन बहुत सुलभ हो गया है।

आप कुछ ही घंटों में एक देश से दूसरे देश की यात्रा कर सकते हैं। इसलिए, यात्रा करना अब चिंता की कोई बड़ी बात नहीं है।

आज, पर्यटन एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकसित हो गया है। हवाई जहाज, ट्रेन, कार आदि की बुकिंग के लिए बहुत सारी ऑनलाइन सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इससे यात्रा आसान और आरामदायक हो जाती है। इस उद्योग को फैलाने के लिए देश-विदेश में पर्यटन मंत्रालय की स्थापना की गई है।

यात्रा का महत्व

दुनिया भर में पर्यटकों की सुविधा के लिए यात्रा के लिए महत्वपूर्ण स्थलों का विकास किया जा रहा है।

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे किसी देश के विशेष स्थान की कला, कलात्मक दृश्य, सांस्कृतिक संस्थानों की प्रदर्शनी आदि। आनंद की प्राप्ति, जिज्ञासा की शांति, बढ़ती आय, इनके अलावा और भी बहुत कुछ है। पर्यटन के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ।

अंतर्राष्ट्रीयता की समझ पर्यटन के माध्यम से पैदा होती है: विकसित होती है। प्यार और मानव भाईचारा फलता-फूलता है। सभ्यताओं और संस्कृतियों का परिचय देते हैं। पर्यटन व्यक्ति को अपने खोल से बाहर निकलना सीखता है।

अलग-अलग जगहों की यात्रा करने से एक ही जगह पर एक ही माहौल में लगातार रहने से होने वाली बोरियत भी दूर हो जाती है।

यात्रा और पर्यटन के महत्व को हर देश में मान्यता दी गई है। आधुनिक युग में पर्यटन की योजना प्रत्येक शिक्षा प्रणाली में समाहित हो रही है।

पर्यटन संस्कृति और ज्ञान का अन्वेषण करें

लोग अनादि काल से यात्रा के प्रेमी रहे हैं – मानव सभ्यता इसके प्रोटोटाइप से उत्पन्न होती है। जैसा कि नाम का तात्पर्य है, पर्यटन का अर्थ है राष्ट्रीय और विदेश में परिभ्रमण। पर्यटन वस्तुनिष्ठ नहीं है।

पर्यटन की प्रेरणा कई कारणों से राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, वाणिज्यिक, व्यवसाय आदि के लिए विकसित होती है। इनके अलावा, मनोरंजन, अनुसंधान, अध्ययन, पुनर्प्राप्ति, या अन्य व्यक्तिगत कारण भी पर्यटन के मूल हैं।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए दुनिया के सभी सभ्य देशों के बीच नागरिकों की यात्रा अब एक दैनिक दिनचर्या है। यह हम सभी के लिए सकारात्मक बात है।

एक देश के छात्र पढ़ाई के लिए दूसरे देश जाते हैं। इस तरह के दौरे व्यक्तिगत उद्देश्यों और राष्ट्रीय उद्देश्यों की पूर्ति भी करते हैं। पर्यटन में देश दर्शन की भावना का सर्वाधिक महत्व है।

प्रकृति की सुन्दर छटाओं को हृदय में चुराकर, मन और आंख को तृप्त करने के लिए नगरों, भवनों, वनों आदि की शोभा जीवन में आनंद देती है।

दूसरे दृष्टिकोण से भी यह हमारे लिए आवश्यक है। विकासशील देशों में यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

इसलिए भारत को पर्यटन को एक उद्योग के रूप में अपनाने और बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट अवसर मिला। भारत के पास एक विशाल पर्यटन भूमि है, और यहां यात्रा और पर्यटन के विकास की काफी संभावनाएं हैं।

पर्यटन और यात्रा को कैसे बढ़ावा दें?

भारत ने विदेशी पर्यटकों के लिए कई आकर्षण। पिछले कुछ वर्षों से विदेशी पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, फिर भी इसमें और वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि, सीमित संसाधन पर्यटन के विकास में एक बाधा हैं जैसे आवास, परिवहन, मनोरंजन, सुरक्षा आदि।

यहां यात्रा नहीं बढ़ी। हालांकि, संगठित प्रयासों से इसे कम समय में दूर किया जा सकता है। सरकार पर्यटन स्थलों और अन्य आवश्यक स्थानों पर होटल बनाने और विस्तार करने की योजना बना रही है। दुनिया विशाल है, और अरबों लोग जो हर दिन अपना जीवन जीते हैं और उनके अपने अनूठे अनुभव हैं।

दूसरे देश की यात्रा करना, और यह देखना कि लोग अलग तरह से कैसे रहते हैं, अलग तरह से बोलते हैं, अलग दिखते हैं, यह सिर्फ एक बेहतर एहसास है। इस तरह यह समझ सकता है कि इसमें हमारी दुनिया कितनी बड़ी और दीवानी है।

इसके अलावा, यह एक व्यक्ति को दुनिया में रहने वाले विविध लोगों के बारे में जानने में सक्षम बनाता है। जब तक आप स्थानों और चीजों का दौरा नहीं करते तब तक आप कुशल हाथों से बनाई गई कला के काम की सराहना नहीं कर सकते।

उस स्थान की यात्रा करने से उत्कृष्ट स्थानों, लोगों, चीजों और लोगों की प्रकृति के बारे में व्यावहारिक ज्ञान मिलता है। जब आप कुछ स्मारकों पर जाते हैं तो अतीत की यादें दिमाग में दौड़ जाती हैं। साथ ही स्थानों पर जाने से व्यक्ति की दृष्टि में भी वृद्धि होती है, जैसे छोटी जगह पर बैठने से दृष्टि सीमित हो जाती है।

यात्रा करने का एक और लाभ यह है कि आप अपने देश को अलग तरह से देख रहे हैं। यह स्थानीय और विदेशी स्थान की तुलना करके संभव बनाया गया है। ज़रूर, यह केवल यात्रा करने से ही संभव है। अज्ञात स्थानों की यात्रा नए दृष्टिकोण और प्रेरणा पैदा करती है।

घर से दूर, लोगों को एहसास होता है कि “घर” क्या है और इसका क्या अर्थ है। इसका अनुभव करने वाले व्यक्ति के लिए यात्रा करना हमेशा फायदेमंद होता है। यात्रा एक व्यक्ति को सामान्य कार्यों और चीजों को करने के तरीकों से दूर, नियमित क्षेत्र से बाहर लाती है।

यह उन्हें साहसिक कार्य करने, एक पूर्ण जीवन जीने, इस बहुमूल्य अवसर का अधिकतम लाभ उठाने और नई चीजों की खोज करने और नए लोगों से मिलने के लिए समय देने की अनुमति देता है।

यात्रा सभी उम्र के लोगों के लिए उत्तम मनोरंजन है। साथ ही, यह लोगों को खुद को, अपने विश्वासों और अपने जीवन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।

हालाँकि, यह उस दुनिया को भी बेहतर ढंग से महसूस करता है जिसमें वे रहते हैं, भले ही वह उनके तत्काल परिवेश से बाहर हो। यह दुनिया में रहने वाले विभिन्न लोगों से जुड़ने वाले व्यक्ति की भी मदद कर सकता है।

यह यात्रा के रूप में उपयोगी है, पहली बार एक नई जगह देखने या अपने पसंदीदा पर लौटने की अनुमति दें। दुनिया भर से लोग, विभिन्न कारणों से राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर आते हैं – मुख्य रूप से एक पेशे, परिवार और मनोरंजक उद्देश्यों के लिए।

चाहे हवाई जहाज की तरह यात्रा करने के एक अलग तरीके से, ट्रेन से, नाव से या कार से। यात्रा करना आमतौर पर एक सुखद अनुभव होता है। उल्लेख करने और कोशिश करने के लायक अन्य यात्रा लाभ हैं।

आशा है, आपको यह पसंद आएगा – यात्रा पर निबंध। सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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यात्रा वर्णन पर निबंध | essay on traveling in hindi | किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  यात्रा वर्णन पर निबंध | essay on traveling in hindi | किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध   प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

(1) पर्वत यात्रा पर निबंध (2) किसी स्थान का आंखों देखा दृश्य पर निबंध (3) किसी रोचक यात्रा का वर्णन पर निबंध

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पहले जान लेते है यात्रा वर्णन पर निबंध | essay on traveling in hindi | किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध  की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना (2) यात्रा का आरम्भ (3) पर्वतारोहण (4) शिमला निवास (5) यात्रा करने का महत्व (6) उपसंहार

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यात्रा करने से मनोरंजन होता है । जीवन स्वयं एक यात्रा है। इस यात्रा का जितना अंश यात्रा में बीते, वही हितकर है। यात्रा करने से मनोरंजन के साथ-साथ अन्य कई प्रकार के लाभ भी होते है। बाहर जाने के कारण साहस, स्वावलम्बन , कष्ट सहिष्णुता की क्रियात्मक शिक्षा मिलती है।

परस्पर सहयोग की भावना बढ़ती है। निराश जीवन में आशा का संचार हो जाता है, अनुभव की वृद्धि होती है। इस प्रकार यात्रा करने का जीवन में अत्यधिक महत्त्व है।

पर्वत यात्रा तो और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि पर्वतों जैसे दृश्य अन्य स्थानों पर दुर्लभ हैं । कितनी सुखद और आनन्दमयी थी-मेरी वह पर्वत यात्रा ।

प्राकृतिक-सौन्दर्य की छाई जहाँ अद्भुत छटा । है जहाँ खगकुल सुनाते मधुर कलरव चटपटा ॥ बेल लिपटी हैं द्रुमों से खिल रही सुन्दर कली। पर्वतीय प्रदेश की यात्रा अहो ! कितनी भली ॥

यात्रा का आरम्भ

ग्रीष्मावकाश हो चुका था। मेरा मित्र मोहन अपने पिताजी के साथ शिमला जाना चाहता था। उसने मुझसे भी चलने का आग्रह किया। मैंने जाने के लिए पिताज़ी की आज्ञा प्राप्त की।

सब तैयारी पूर्ण हो जाने पर हम 20 जुलाई को मेरठ से शाम को 5 बजे वाली गाड़ी से शिमला के लिए चले। रास्ते में मुजफ्फरनगर, सहारनपुर आदि स्टेशनों को पार करती हुई हमारी गाड़ी रात्रि में अम्बाला पहुँची।

यहाँ से हम दूसरी गाड़ी में बैठकर चण्डीगढ़ को पार करते हुए रात के डेढ़ बजे कालका स्टेशन पर पहुचे। यहाँ से हमें 3-4 डिब्बों वाली एक छोटी-सी गाड़ी मिली। रात के ढाई बजे के लगभग गाड़ी शिमला के लिए चल दी।

पर्वतीय-यात्रा

ज्यो-ज्यो गाड़ी ऊपर चढ़ती जा रही थी, ठण्ड बढ़ती जा रही थी खिड़की बन्द करके हम सो गये। थोड़ी देर बाद आँख खुली तो सामने मनोहर दृश्य दिखाई दे रहे थे।

अन्धकार दुम दबा कर भाग रहा था। सूर्य भगवान अपनी किरणों से शीतग्रस्त जीवों को सान्त्वना सी देने लगे गाड़ी पर्वतों पर साँंप की तरह बल खाती हुई चढ़ रही थी।

मीलों गहरे गड्ढे देखकर मैं भय से कॉप उठा छोटे-छोटे गाँव तथा उनमें घोड़े, भेड़, बकरियाँ तथा मनुष्य ऊपर से ऐसे जान पड़ते थे मानो किसी ने खिलौने सजाकर रख दिये हों।

ऊँचे-ऊँचे देवदारु के वृक्ष प्रभु के ध्यान में लीन मौन तपस्वियों की भाँति खड़े थे। फूल व फलों से लदे वृक्षों से लिपटी हुई लताएँ अत्यन्त शोभा पा रही थीं।

नीले, हरे, पीले, काले, सफेद अनेक प्रकार के पक्षी फुदक- फुदककर मधुर तान सुना रहे थे। विशालकाय पर्वतों के वक्षस्थल को चीर कर उनके बीच में से मीलों लम्बी सुरंगे बनी थीं जिनमें प्रविष्ट होने पर गांड़ी सीटी बजाती थी तथा गाड़ी में प्रकाश हो जाता था।

शिमला-निवास

इस प्रकार मनोरम दृश्यों को देखते हुए हम शिमला जा पहुँचे। कृलियों ने हमारा सामान उठाया और हमं माल रोड स्थित एक सुन्दर होटर में जा ठहरे।

वहाँ हमने चार आदमियों द्वारा खींची जाने वाली रिक्शा देखी। सुबह उठते ही घुमने जाते। पहाड़ियों पर चढ़ते, नीचे उतरते तथा मार्ग में ठण्डे- गर्म पानी के झरने देखकर मन प्रसन्न करते थे।

ऊपर बैठे हुए हम देखते थे कि नीचे बादल बरस रहे हैं।लोग भागकर घरों में घुस जाते। कहीं धूप, कहीं छाया-भगवान् की इस विचित्र माया को देखकर हम अपने आपको देवलोक में आया समझते थे।

इस प्रकार के सुन्दर दृश्यों को देखते हुए हमने एक मास व्यतीत किया। छुट्टी समाप्त हुई और हम घर वापस लौटे।

यात्रा करने से लाभ

विभिन्न स्थानों की यात्रा करने से हमारा अनुभव बढ़ता है और कष्ट सहन करने तथा स्वावलम्बी बनने का अवसर मिलता है।

कुछ दिनों के लिए दैनिक कार्यचक्र से मुक्ति मिल जाती है,जिससे जीवन में आनन्द की लहर दौड़ जाती है। यात्रा करने से विभिन्न जातियों व स्थानों के रीति-रिवाजों, भाषाओं आदि से हम परिचित हो जाते है।

परस्पर प्रेमभाव बढ़ता है। एक-दूसरे के सुख-दुःख को समझने का अवसर मिलता है। शरीर में स्फूर्ति, ताजगी, मन में साहस के साथ काम करने की भावना का उदय होता हैं है। इस प्रकार की यात्रा का मनुष्य जीवन में विशेष महत्त्व है।

शिमला की यह आनन्दमयी यात्रा आज भी मेरे स्मृति पटल पर अंकित है। जब मुझे इस यात्रा का स्मरण हो जाता है, मैं आनन्द विभोर हो उठता हूँ।

सारे दृश्य इस प्रकार सामने आ जाते हैं जैसे साक्षात ऑँखों से देख रहा हूँ। इस प्रकार के अवसर बहत कम मिलते हैं किन्तु जब भी मिलते हैं, वे जीवन की मधुर सुखद स्मृति बन जाते है।

अन्य निबन्ध पढ़िये

दोस्तों हमें आशा है की आपको यह निबंध अत्यधिक पसन्द आया होगा। हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा आपको यात्रा वर्णन पर निबंध | essay on traveling in hindi | किसी यात्रा का वर्णन पर निबंध  कैसा लगा ।

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मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - गंतव्य स्थान तक पहुँचना - वहाँ का वातावरण - दर्शनीय स्थल - अन्य मनोरंजन - बाजार - उपसंहार।

मुझे यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। मैंने आज तक कई यात्राएँ की हैं। पिछली छुट्टियों में मैं माथेरान गया था। यह यात्रा मेरे लिए यादगार बन गई है।

बारिश के मौसम में मैंने अपने कुछ मित्रों के साथ माथेरान जाने का निश्चय किया था। मेरा पड़ोसी में रहने वाला राहुल भी हमारे साथ था। वह कालेज में पढ़ता है। हम मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से ट्रैन में बैठे। ढाई घंटे के सफर के बाद हम नेरल पहुँचें।

वहाँ से हम छोटी ट्रैन जिसे 'मिनी ट्रेन' कहते है उसमें बैठकर माथेरान की ओर चल पड़े। चारों ओर फैली हरियाली, हरे भरे पेड़ और गहरी घाटियों की शोभा का आनंद लेते हुए हम माथेरान पहुँचे। वहाँ हम होटल में ठहरे।

माथेरान का वातावरण मोहक और स्फूर्तिदायक था। लाल-लाल मटमैले रास्ते और घने जंगल मन को मोह लेते थे। दोपहर के समय भी वहाँ की हवा में ठंडक थी। माथेरान में देखने लायक कई स्थल हैं। सुबह और शाम के समय हमने घूम-घूमकर इनमें से अनेक स्थल देखे।

यहाँ के हर स्थल की अपनी अलग सुंदरता और विशेषता है। पर कुछ स्थल तो सचमुच अद्भुत हैं। एको (प्रतिध्वनि) प्वाइंट पर हमने कई बार चिल्लाकर अपनी ही प्रतिध्वनियाँ सुनीं। दूसरे दिन शाम को हमने सनसेट (सूर्यास्त) प्वाइंट पर डूबते हुए सूर्य के दर्शन किए। पैनोरमा (चित्रावली) प्वाइंट ने तो हमारा दिल ही जीत लिया। शारलोट तालाब की शोभा निराली थी। हमने घुड़सवारी की और हाथ-रिक्शे पर बैठने का मजा भी लिया। हमने अपने कैमरों से वहाँ के कई स्थानों की तस्वीरें खीची। वहाँ हम रोज घंटों पैदल चलते थे, पर जरा भी थकान नहीं लगती थी।

माथेरान के छोटे-से बाजार में दिनभर यात्रियों का मेला-सा लगा रहता था। जूते-चप्पल, शहद, चिक्की, रंगबिरंगी छड़ियाँ, सुंदर-सुंदर फूलों के गुलदस्ते आदि चीजें यहाँ खूब बिकती हैं। हमने भी चिक्की और शहद खरीदा।

माथेरान में चार दिन चार पल की तरह बीत गए और हम घर लौट आए। वहाँ के मनोहर दृश्य आज भी मेरी आँखों के सामने तैर रहे हैं।

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ट्रेन से यात्रा पर निबंध – 10 lines (A Journey By Train Essay in Hindi)100, 200, 300, 500, शब्दों मे

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A Journey By Train Essay in Hindi – ट्रेन सिर्फ एक वाहन नहीं है. यह भावना रखता है; इसमें आगे बढ़ने का आनंद है, इसमें गति का रोमांच है। कई बार जब हम किसी किताब या इंटरनेट पर किसी ट्रेन यात्रा के बारे में पढ़ते हैं तो हमें अंतरराज्यीय ट्रेनों में यात्रा की कहानी बताई जाती है। हालाँकि, लोकल ट्रेन-यात्रा भी रोमांच, रोमांच और खुशी से रहित नहीं है। समय पर पहुंचने का रोमांच, स्थानीय स्थलों की खोज का रोमांच और आराम से और सुरक्षित यात्रा करने में सक्षम होने की खुशी है। 

ट्रेन से यात्रा पर 10 पंक्तियाँ निबंध (10 Lines on  journey by train essay in Hindi)

  • ट्रेन की यात्रा हमेशा आनंददायक और रोमांचक होती है।
  •  यह परिवहन के सबसे किफायती साधनों में से एक है, जो इसे सभी के लिए सुलभ बनाता है।
  •  मैंने हाल ही में ढिगा तक ट्रेन से यात्रा की।
  •  हम कई नए लोगों से मिले और उनसे बातचीत करने का मौका मिला!
  •  सौभाग्य से, मुझे खिड़की वाली सीट मिल गई, सोने पर सुहागा!
  •  जैसे ही ट्रेन बाहरी इलाके के पास पहुंची, मैंने चारों ओर हरे-भरे खेत देखे।
  •  हम लोगों को खेतों में काम करते और बच्चों को स्कूल जाते हुए देख सकते थे क्योंकि यह सुबह की ट्रेन थी।
  •  थोड़ी देर के बाद, फेरीवाले विभिन्न प्रकार के सामान बेचने के लिए डिब्बे में प्रवेश करने लगे।
  •  हालाँकि यह एक छोटी यात्रा थी, फिर भी मैंने इसका पूरा आनंद लिया।
  • मैं हमेशा अपनी अगली ट्रेन यात्रा का इंतज़ार करूँगा।

ट्रेन से यात्रा पर निबंध 100 शब्द (A journey by train essay 100 words in Hindi)

रेल यात्राएँ कई मायनों में अनूठी होती हैं। वे जो स्मृतियाँ प्रदान करते हैं, जो अनुभव प्राप्त करते हैं और जो सबक सीखे जाते हैं वे मूल्यवान हैं। किसी को भी ट्रेन यात्रा के बारे में अपनी सुखद यादें संजोकर रखनी चाहिए और इससे जीवन में बाद में उसके चेहरे पर मुस्कान आना तय है। स्नैक्स और सुंदर दृश्यों के अलावा, रेलगाड़ियाँ सह-यात्रियों को दोस्त बनने की पेशकश करती हैं। हमारे साथ चलने वाले, हमसे बात करने वाले और हमारे साथ हंसने वाले मित्रवत सह-यात्रियों की जोड़ी से अधिक अद्भुत कुछ भी नहीं है।

यात्रा हमें बहुमूल्य सबक सिखाती है। सह-यात्री हमें दिखाते हैं कि कैसे हमारे जीवन के मिशन में, हम कुछ दयालु आत्माओं से मिलते हैं जो दूरी को सहनीय बनाती हैं और हमारा साथ देती हैं। हम उन्हें शाश्वत प्रवाह में खो देते हैं, और अंत में, हम अकेले ही चलते हैं।

ट्रेन से यात्रा पर निबंध 200 शब्द (A journey by train essay 200 words in Hindi)

ट्रेन यात्रा बेहद मजेदार होती है, खासकर दोस्तों के समूह के साथ यात्रा करते समय। ट्रेन से मेरी सबसे यादगार यात्राओं में से एक दिल्ली से जयपुर तक की यात्रा थी। यह एक स्कूल यात्रा थी और हम सभी इसे लेकर बहुत उत्साहित थे। हमारे पास यात्रा के लिए कई योजनाएँ थीं और हम विशेष रूप से रास्ते में एक अच्छा समय बिताने की आशा कर रहे थे।

हम सभी सुबह 6 बजे तक रेलवे स्टेशन पहुँच गये और कुछ ही मिनटों में ट्रेन चल पड़ी। मैं बाहर का दृश्य देखने के लिए खिड़की वाली सीट पर बैठ गया। रास्ते में हरे-भरे खेत, कीचड़ भरी सड़कें और झोपड़ियों का दृश्य मनमोहक था। मेरा सबसे अच्छा दोस्त मेरे पास बैठा था और हमने बाहर देखते हुए बातें कीं।

जल्द ही, नाश्ते का समय हो गया। मुझे ट्रेन में परोसे जाने वाले कटलेट और ब्रेड बहुत पसंद थे। एक प्लेट ब्रेड और कटलेट खाने के बाद हमने गर्म टमाटर का सूप भी लिया। नाश्ते के बाद हम सभी ने अंताक्षरी खेलने का फैसला किया। बड़े समूहों में अंताक्षरी खेलना हमेशा मजेदार होता है। हमारे शिक्षक भी हमारे साथ शामिल हो गए जिससे मज़ा और बढ़ गया। हमने बाकी यात्रा के दौरान अंताक्षरी खेली और इससे पहले कि हमें पता चलता कि हम अपनी मंजिल पर पहुंच गए हैं। यह एक शानदार अनुभव था। मेरे दोस्तों के साथ ने इस रेल यात्रा को और भी आनंदमय बना दिया।

ट्रेन से यात्रा पर निबंध 300 शब्द (A journey by train essay 300 words in Hindi)

शिमला एक ख़ूबसूरत हिल स्टेशन है लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात इस मार्ग पर चलने वाली विशेष टॉय ट्रेन के माध्यम से कालका से शिमला तक की ट्रेन यात्रा है। यह जो रास्ता अपनाता है वह मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। अगर कोई इस ट्रेन से यात्रा नहीं करता तो शिमला की यात्रा अधूरी है। इसलिए, हमने इस बहुचर्चित ट्रेन यात्रा का अनुभव लेने के लिए पहले से ही अपने टिकट बुक कर लिए थे क्योंकि हमने शिमला की अपनी यात्रा की योजना बनाई थी।

टॉय ट्रेन से शिमला की यात्रा

हम पिछले साल शरद ऋतु की छुट्टियों के दौरान शिमला गए थे। हमने कालका तक बस से यात्रा की और वहां से हमने टॉय ट्रेन से शिमला की यात्रा की। मैंने सोचा था कि यह कुछ पहाड़ों और घाटियों के दृश्य के साथ एक सामान्य ट्रेन यात्रा की तरह होगी लेकिन वास्तव में यह बेहद रोमांचकारी और रोमांचक साबित हुई। हम अपनी पूरी यात्रा के दौरान प्रकृति के बीच रहे। हमें सिर्फ पहाड़ों, घाटियों और आसपास की हरियाली का ही नजारा नहीं मिला, हमें ऐसा लगा जैसे हम इसका एक हिस्सा बन गए हैं क्योंकि ट्रेन प्रकृति का असली एहसास देते हुए पहाड़ों के बीच से गुजर रही थी।

यह 5-6 घंटे की यात्रा थी और मैंने इसका भरपूर आनंद लिया। मार्ग सुरंगों और पुलों से भरा था जो अनुभव को और भी बढ़ा देता था। मार्ग पर 100 से अधिक सुरंगें और लगभग 800 पुल थे। मैं पूरी यात्रा के दौरान बाहर का नजारा लेने के लिए खिड़की के पास बैठा रहा। रास्ते में एक स्टेशन पर रुकते ही हम भी ट्रेन से बाहर निकल आये। यह एक छोटा सा स्टेशन था और ट्रेन लगभग दस मिनट ही रुकी।

मेरे साथ मेरे माता-पिता और भाई भी थे। उन्होंने यात्रा का उतना ही आनंद लिया जितना मैंने लिया। वापसी में भी हमने उसी ट्रेन से यात्रा की।

यह सचमुच मेरे जीवन की सबसे अच्छी रेल यात्रा थी। मुझे प्रकृति के बीच रहना पसंद है। यही कारण है कि मैंने इसका और भी अधिक आनंद उठाया।’ मैं वास्तव में इस मार्ग पर फिर से जाना चाहता हूं।

ट्रेन से यात्रा पर निबंध 500 शब्द (A journey by train essay 500 words in Hindi)

सबसे पहले, यात्रा का तात्पर्य एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करना है। जब यात्रा की बात आती है, तो ट्रेन यात्रा शीर्ष स्थान पर होती है। रेल यात्रा निश्चित रूप से एक अद्भुत आनंद का अवसर है। इसके अलावा, ट्रेन यात्राएँ व्यक्तियों को तीव्र उत्साह की भावना से भर देती हैं। जब यात्रा की दूरी लंबी हो तो यात्रा का यह तरीका सबसे अच्छा होता है। रेल यात्रा एक ऐसी आभा पैदा करती है जिसे अन्य प्रकार की यात्राओं के साथ अनुभव नहीं किया जा सकता है।

ट्रेन से यात्रा का मेरा अनुभव

मैं सदैव रेल यात्राओं का प्रबल समर्थक रहा हूँ। रेल यात्राओं से मेरा जुड़ाव बचपन से ही शुरू हो गया था। मैं लखनऊ में रहता हूँ और यहाँ से मैंने कई रेल यात्राएँ की हैं। इसके अलावा, बचपन से ही, मैंने अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए कई बार हिल स्टेशन अल्मोडा का दौरा किया है। अल्मोड़ा उत्तराखंड राज्य में स्थित एक हिल स्टेशन है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, अल्मोड़ा हिमालय पर्वत क्षेत्र में स्थित है। इसके चलते ट्रेन सीधे अल्मोड़ा नहीं जा सकती। नतीजतन, काठगोदाम पर्वत श्रृंखला शुरू होने से पहले ट्रेनों द्वारा पहुंचने वाला आखिरी टाउन स्टेशन है।

लखनऊ से काठगोदाम तक की यात्रा काफी जीवंत अनुभव है। मैंने हमेशा अपनी सीटों का आरक्षण पहले से सुनिश्चित कर लिया है। तो, मेरी रेल यात्रा लखनऊ रेलवे स्टेशन से शुरू होती है। जैसे ही ट्रेन गति पकड़ती है और लखनऊ रेलवे स्टेशन से निकलती है, मेरा उत्साह बढ़ने लगता है। इसके अलावा, जैसे ही ट्रेन गति पकड़ती है, एक रोमांचकारी एहसास मुझ पर हावी हो जाता है।

लखनऊ से काठगोदाम तक की मेरी रेल यात्रा संभवतः 8-10 घंटे की है। हालाँकि, यात्रा इतनी लंबी होने के बावजूद मैं इसके हर मिनट का आनंद लेता हूँ। इसके अलावा, पूरी यात्रा के दौरान कोई भी व्यक्ति खाने-पीने की चीजें खरीद सकता है। मैं लगभग हमेशा यात्रा में कम से कम दो बार भोजन और जलपान खरीदता हूँ।

जब नींद मुझ पर हावी हो जाती है तो मैं स्लीपिंग बर्थ का इस्तेमाल करता हूं। मुझे व्यक्तिगत रूप से ट्रेन की बर्थ पर सोना बहुत आरामदायक लगता है। गहरी नींद के बाद जब जागता हूं तो दूर से पहाड़ नजर आते हैं। इसके अलावा, जैसे-जैसे ट्रेन खतरनाक गति से काठगोदाम के पास पहुंचती है, पहाड़ों का दृश्य और भी बड़ा होता जाता है। इसके अलावा, जब मैं हिमालय को करीब आता देखता हूं तो मेरा मनोरंजन बहुत बढ़ जाता है। अंततः, जैसे ही ट्रेन काठगोदाम में रुकती है, मेरी आनंददायक ट्रेन यात्रा समाप्त हो जाती है।

मुझे ट्रेन से यात्रा करना क्यों पसंद है?

आराम रेल यात्रा का सबसे बड़ा लाभ है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि कोई भी व्यक्ति ट्रेन के केबिन में स्वतंत्र रूप से घूम सकता है। इसके अलावा, ट्रेनों में पर्याप्त पैर रखने की जगह होने की संभावना है। इसके अलावा, ट्रेनें आरामदायक शयन बर्थ प्रदान करती हैं। यह सब ट्रेन यात्रा को एक आरामदायक अनुभव बनाता है।

सुंदर दर्शनीय स्थल रेल यात्रा का एक और उल्लेखनीय लाभ है। जैसे ही ट्रेन यात्रा करती है, कोई ग्रामीण इलाकों, खेतों, जंगलों, कारखानों आदि के दृश्यों का आनंद ले सकता है। यह ट्रेन यात्रा को हवाई या सड़क मार्ग से यात्रा की तुलना में अधिक व्यापक बनाता है।

ट्रेन यात्राएं समय बिताने के कई तरह के अवसर प्रदान करती हैं। इसके अलावा, ट्रेन एक मिलनसार वातावरण प्रदान करती है। रेल यात्रा में यात्रियों के बीच बातचीत लगभग हमेशा होती रहती है। ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों से कोई भी आसानी से नए दोस्त बना सकता है। साथ ही ट्रेन के सफर में भी खूबसूरत अंदाज में समय बिताया जा सकता है। रेल यात्रा में व्यक्ति कुछ पढ़ने, संगीत सुनने, वीडियो देखने, आराम से सोने/आराम करने आदि में समय बिता सकता है।

संक्षेप में कहें तो, रेल यात्रा वास्तव में एक अनोखी यात्रा है। रेल यात्रा किसी अन्य यात्रा की तरह विशिष्टता प्रदान करती है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि ऐसी यात्रा का आकर्षण अद्वितीय है। रेल यात्रा निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय समृद्ध अनुभव प्रदान करती है।

ट्रेन से यात्रा निबंध पर कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 लेखक ट्रेनों में इतनी गहरी नींद क्यों सोता है.

A1 लेखक को ट्रेनों में गहरी नींद आती है क्योंकि उसे ट्रेन की बर्थ पर सोना बहुत आरामदायक लगता है।

Q2 रेल यात्रा को इतना आरामदायक क्यों बनाता है?

A2 ट्रेन की यात्रा निश्चित रूप से बहुत आरामदायक है। सबसे पहले, कोई भी ट्रेन के केबिन में स्वतंत्र रूप से घूम सकता है। इसके अलावा, ट्रेन में पर्याप्त पैर रखने की जगह और आरामदायक शयन बर्थ की सुविधा है।

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रेल यात्रा पर निबंध (Train Journey Essay in Hindi)

एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना यात्रा कहलाता है। जब कहीं दूर जाने की बात हो तो सबसे पहला ख्याल रेल का ही आता है। निःसंदेह रेल से यात्रा करना काफी आरामदायक और सुविधाजनक होता है। दूरस्थ स्थानों के लिए यह सर्वोत्तम साधन है। रेल यात्राओं पर भी प्रायः निबंध आदि पूछे जाते हैं, यहां हम कुछ छोटे और बड़े निबंध दे रहे हैं जो परीक्षा की दृष्टि से लाभकारी होगा।

रेल यात्रा पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Train Journey in Hindi, Rail Yatra par Nibandh Hindi mein)

रेल यात्रा पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

आजकल ट्रेनें हर देश में देखी जाती हैं। इसमें एक इंजन और कई डिब्बे होते हैं। यह यात्रियों और सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाती हैं। आरामदायक और सुविधाजनक होना रेल यात्रा का सबसे बड़ा लाभ है। सबसे उल्लेखनीय, एक रेल के डिब्बे में स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकते है। ट्रेनों में, पर्याप्त हवा वाली बोगियां होती है। इसके अलावा, रेलगाड़ी आरामदायक सोने के लिए बर्थ प्रदान करती हैं। यह सब रेल यात्रा को एक आरामदायक अनुभव प्रदान करती हैं।

रेल यात्रा का महत्व

रेल में यात्रा करने वाले यात्रियों के साथ कोई भी नया मित्र बना सकता है। इसके अलावा, एक रेल यात्रा पर एक सुंदर तरीके से समय बिता सकते हैं। रेल यात्रा में, व्यक्ति कुछ पढ़ने, संगीत सुनने, वीडियो देखने, आराम से सोने आराम करने आदि के लिए समय बिता सकता है। सुंदर यात्राएं रेल की यात्रा का एक और उल्लेखनीय लाभ है। जैसे-जैसे रेल यात्रा होती है, वैसे-वैसे ग्रामीण इलाकों, खेतों, जंगलों, कारखानों आदि के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

हमें रेल यात्रा के दौरान चोरों, जेब कतरों, लुटेरों आदि से सावधान रहना चाहिए। हमें रेल यात्रा के दौरान अपने हाथ या फ़ोन को बाहर नहीं निकालना चाहिए। हमें अपने टिकट को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए।

रेल के सफर में कई तरह के अवसर मिलते हैं। इसके अलावा, रेल एक मिलनसार वातावरण प्रदान करती है। रेल की यात्रा में, यात्रियों के बीच बातचीत लगभग हमेशा होती रहती है। हम सभी को सावधानियां बरतते हुए रेल यात्रा का आनंद लेना चाहिए।

निबंध – 2 (400 शब्द)

एक रेल यात्रा निश्चित रूप से एक शानदार खुशी का अवसर देता है। इसके अलावा, रेल की यात्रा व्यक्तियों को तीव्र उत्साह की भावना से भर देती है। यात्रा की दूरी लंबी होने पर यात्रा का यह तरीका सबसे अच्छा है। एक रेल यात्रा एक ऐसी आभा बनाती है जिसे अन्य प्रकार की यात्रा के साथ अनुभव नहीं किया जा सकता है।

रेलवेज़ हमेशा से देश की आर्थिक प्रगति में अहम भूमिका निभाती हैं। हमारे देश की अधिकतम आय इसी क्षेत्र से आती है। हर देश के प्रगति का पथ निर्धारित करती है, रेलवे। अन्य साधनों से बेहद सस्ती और आरामदायक होने से हर तबके के लोग इससे यात्रा करना बेहतर समझते है। हमारी देश की गरीब जनता का इसके बिना काम ही नहीं चल सकता।

मेरी पहली रेल यात्रा

मुझे रेल से कहीं भी आना-जाना बहुत अच्छा लगता है। वैसे तो मैनें बचपन से ही बहुत रेल यात्राएं की है, जो कि मेरे स्मृति में विद्यमान भी नहीं। अपने याद में मैने प्रथम रेल यात्रा तब की, जब बारहवीं के बाद मैं अपनी गर्मी की छुट्टियां मनाने अपनी बड़ी बहन के पास लुधियाना गयी।

यह सफर मेरी जिन्दगी का सबसे यादगार सफर था। उसके बाद भी मैने अनेको यात्राएं की परंतु वो रोमांच कभी नही आया। मेरे बड़े भाई भी मेरे साथ जा रहे थे, मेरी बहन ने हम दोनों की टिकटें पहले से ही करा रखी थी, वाराणसी से लुधियाना का मेरा सफर काफी रोमांचक होने वाला था। वाराणसी से लुधियाना का सफर करीबन 16-17 घंटे का होता है। मैनें अपने सफर के लिए ढ़ेर सारी खाने की चीजें बना ली थी।

जम्मूतवी एक्सप्रेस से हम जाने वाले थे, हमारी रेल के छुटने का समय शायद शाम के 3 बजे का था, हम दो बजे ही रेलवे स्टेशन पहुंच गये थे। हमारी गाड़ी भी नियत समय से रवाना हो गयी। वाराणसी से पहले जौनपुर, फिर प्रयागराज, कानपुर, आगरा, नई दिल्ली होते हुए अगले दिन दोपहर बारह बजे के करीब लुधियाना पहुंचे। स्टेशन पर पहले से ही मेरी दीदी और जीजू आ गये थे, हमे देखते ही उनके खुशी का ठिकाना नहीं था।

रेल यात्रा वास्तव में एक तरह से यादों का खूबसूरत सफर होता है। जो आजीवन याद रहता है। रेल की यात्रा किसी अन्य यात्रा की तरह विशिष्टता प्रदान करती है। सबसे उल्लेखनीय, इस तरह की यात्रा का आकर्षण पहुंच से बाहर है। रेल की यात्रा निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय समृद्ध अनुभव प्रदान करती है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

पर्यटन, यात्राएं, पिकनिक और सैर बहुत आम हैं। रेल या बस से यात्रा करने से हम में से अधिकांश के लिए बहुत आकर्षण का केन्द्र होता है। यह हमें नई जगहों और सबसे दिलचस्प लोगों को देखने का मौका देता है।

मेरा रेल यात्रा का अनुभव

मेरा कॉलेज 10 जून को गर्मियों की छुट्टी के लिए बंद हो गया और मैंने दिल्ली जाने का फैसला किया। मेरे बड़े भाई वहीं रहते हैं। उन्होंने मुझे कुछ दिन उनके साथ बिताने के लिए आमंत्रित किया था। इसलिए मैंने सामान पैक किया और स्कूटी पर रेलवे स्टेशन चली गयी। मेरे पिता जी मुझे छोड़ने आए थे। हम समय रहते स्टेशन पहुँच गए थे । वहां टिकट के लिए लगी लम्बी कतार को देखकर मैं घबरा गई थी। हमने टिकट पहले से ही आरक्षित करा ली थी। इसलिए मैंने राहत भरी सांस ली।

वहां सभी जाति और संप्रदाय के लोग देखे गए। धर्मनिरपेक्ष भारत वहां दिखाई दे रहा था। रेल प्लेटफार्म पर आ गई। सीट पाने के लिए लोग ऊपर-नीचे भाग रहे थे। कुली यात्रियों की मदद करने में व्यस्त थे। फेरीवाले अपनी आवाज़ में सबसे ऊपर चिल्ला रहे थे। बड़ी भीड़ थी। मेरे पिता ने मुझे आगे कर दिया और मैं अपनी सीट पर काबिज हो गयी। पापा ने मेरा सामान डिब्बे में रख दिया। जल्द ही रेल चल पड़ी। मैंने अपने पिता को प्रणाम कर जाने को कह दिया। फिर भी गाड़ी के दिखने तक वहीं खड़े रहे। गाड़ी के चलते ही मैंने अपने भाई को सूचित कर दिया कि गाड़ी चल दी है।

जल्द ही रेल ने रफ्तार पकड़ ली। बहुत जल्द हम हरे भरे खेतों से गुजर रहे थे। किसान अपने खेतों में काम कर रहे थे। वे खेतों की जुताई कर रहे थे। चरवाहे मवेशियों को चराने गए थे। बच्चे चलती गाड़ी को देखकर अलविदा (बॉय) कर रहे थे। हम कई छोटे और बड़े शहरों से गुजरे। रेल कई पुलों से गुजरी। पेड़ पीछे की ओर भागते हुए दिख रहे थे। पृथ्वी गोल घूमती हुई प्रतीत हो रही थी। आसमान में बादल छाए हुए थे। दृश्य बहुत अच्छा लग रहा था।

हमारी रेल तेजी से आगे बढ़ रही थी। यह छोटे स्टेशनों पर नहीं रुका। यह कानपुर पहुंचा। रात हो चुकी थी। यहाँ मैंने चाय वाले को बुलाकर उससे चाय खरीदी। रात में भी लोंगो का आवागमन जारी था, इसलिए सोने में परेशानी हो रही थी। फिर मैं कान में हेडफोन लगाकर फिल्म देखने में व्यस्त हो गयी। यह सहारनपुर में रुक गया। मेरी कब आंख लगी, पता ही नहीं चला और सुबह भी हो गयी। हम सुबह 9 बजे के करीब दिल्ली पहुंच गये थे। मेरे भईया पहले से ही मेरा इंतजार कर रहे थे। उन्होंने मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया। दिल्ली रेलवे स्टेशन बहुत बड़ा है। हमने एक ऑटो रिक्शा लिया और घर के लिए रवाना हो गए।

रेल से यात्रा करना सबसे सस्ता और आरामदायक है। मैंने हमेशा अपने माता-पिता के साथ यात्रा की है। परंतु इस बार अकेले यात्रा करने का प्रथम अनुभव था। चूँकि प्रारंभ में बहुत डर भी लग रहा था और मेरे पिता जी भी नहीं चाहते थे कि मैं अकेले इतनी दूरी की यात्रा करूं, बेशक सुरक्षा कारणों के वजह से। सही भी है, आजकल का परिवेश लड़कियों के लिए उपयुक्त नहीं है, फिर भी मैंने अपने डर पर विजय पाने के लिए ऐसे यात्रा करने का संकल्प लिया। और यह सफर काफी अच्छा और परिवर्तनकारी रहा।

Essay on Train Journey

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My Unforgettable Trip Essay In Hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – My Unforgettable Trip Essay In Hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – essay on my unforgettable trip in hindi.

संकेत-बिंदु –

  • यात्रा की अविस्मरणीय बातें
  • यात्रा की तैयारी
  • अविस्मरणीय होने के कारण

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – मनुष्य आदिकाल से ही घुमंतू प्राणी रहा है। यह घुमंतूपन उसके स्वभाव का अंग बन चुका है। आदिकाल में मनुष्य अपने भोजन और आश्रय की तलाश में भटकता था तो बाद में अपनी बढ़ी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए। इनके अलावा यात्रा का एक और उद्देश्य है-मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन। कुछ लोग समय-समय पर इस तरह की यात्राएँ करना अपने व्यवहार में शामिल कर चुके हैं। ऐसी एक यात्रा करने का अवसर मुझे अपने परिवार के साथ मिला था। दिल्ली से वैष्णों देवी तक की गई इस यात्रा की यादें अविस्मरणीय बन गई हैं।

My Unforgettable Trip Essay In Hindi

यात्रा की तैयारी – वैष्णों देवी की इस यात्रा के लिए मन में बड़ा उत्साह था। यह पहले से ही तय कर लिया गया था कि इस बार दशहरे की छुट्टियों में हमें वैष्णों देवी की यात्रा करना है। इसके लिए दो महीने पहले ही आरक्षण करवा लिया गया था। आरक्षण करवाते समय यह ध्यान रखा गया था कि हमारी यात्रा दिल्ली से सवेरे शुरू हो ताकि रास्ते के दृश्यों का आनंद उठाया जा सके। रास्ते में खाने के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ घर पर ही तैयार किए गए। चूँकि हमें सवेरे-सवेरे निकलना था, इसलिए कुछ गर्म कपड़ों के अलावा अन्य कपड़े एक-दो पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ टिकट, पहचान पत्र आदि दो-तीन सूटकेसों में यथास्थान रख लिए गए। शाम का खाना जल्दी खाकर हम अलार्म लगाकर सो गए ताकि जल्दी उठ सकें और रेलवे स्टेशन पहुँच सकें।

Essay On My Unforgettable Trip In Hindi

यात्रा की अविस्मरणीय बातें – दिल्ली से जम्मू और वैष्णों देवी की इस यात्रा में एक नहीं अनेक बातें अविस्मरणीय बन गई। हम सभी लगभग चार बजे नई दिल्ली से जम्मू जाने वाली ट्रेन के इंतजार में प्लेटफॉर्म संख्या 5 पर पहुँच गए। मैं सोचता था कि इतनी जल्दी प्लेटफॉर्म पर इक्का-दुक्का लोग ही होंगे पर मेरी यह धारणा गलत साबित हुई। प्लेटफार्म पर सैकड़ों लोग थे। हॉकर और वेंडर खाने-पीने की वस्तुएँ समोसे, छोले, पूरियाँ और सब्जी बनाने में व्यस्त थे। अखबार वाले अखबार बेच रहे थे। कुली ट्रेन आने का इंतज़ार कर रहे थे और कुछ लोग पुराने गत्ते बिछाए चद्दर ओढ़कर नींद का आनंद ले रहे थे।

ट्रेन आने की घोषणा होते ही प्लेटफार्म पर हलचल मच गई। यात्री और कुली सजग हो उठे तथा वेंडरों ने अपना-अपना सामान उठा लिया। ट्रेन आते ही पहले चढ़ने के चक्कर में धक्का-मुक्की होने लगी। दो-चार यात्री ही उस डिब्बे से उतरे पर चढ़ने वाले अधिक थे। हम लोग अपनी-अपनी सीट पर बैठ भी न पाए थे कि शोर उठा, ‘जेब कट गई’। जिस यात्री की जेब कटी थी उसका पर्स और मोबाइल फ़ोन निकल चुका था। हमने अपनी-अपनी जेबें चेक किया, सब सही-सलामत था। आधे घंटे बाद ट्रेन अपने गंतव्य की ओर चल पड़ी। एक-डेढ़ घंटे चलने के बाद बाहर का दृश्य खिड़की से साफ़-साफ़ नज़र आने लगा। रेलवे लाइन के दोनों ओर दूर-दूर तक धरती ने हरी चादर बिछा दी थी। हरियाली का ऐसा नजारा दिल्ली में दुर्लभ था। ऐसी हरियाली घंटों देखने के बाद भी आँखें तृप्त होने का नाम नहीं ले रही थीं। हमारी ट्रेन आगे भागी जा रही थी और पेड़ पीछे की ओर। कभी-कभी जब बगल वाली पटरी से कोई ट्रेन गुज़रती तो लगता कि परदे पर कोई ट्रेन गुज़र रही थी।

ट्रेन में हमें नाश्ता और काफी मिल गई। दस बजे के आसपास अब खेतों में चरती गाएँ और अन्य जानवर नज़र आने लगे। उन्हें चराने वाले लड़के हमें देखकर हँसते, तालियाँ बजाते और हाथ हिलाते। सब कुछ मस्तिष्क की मेमोरी कार्ड में अंकित होता जा रहा था। लगभग एक बजे ट्रेन में ही हमें खाना दिया गया। खाना स्वादिष्ट था। हमने पेट भर खाया और जब नींद आने लगी तब सो गए। चक्की बैंक पहुँचने पर ही हमारी आँखें शोर सुनकर खुली कि बगल वाली सीट से कोई सूटकेस चुराने की कोशिश कर रहा था पर पकड़ा गया। कुछ और आगे बढ़ने पर पर्वतीय सौंदर्य देखकर आँखें तृप्त हो रही थीं। जम्मू पहुँचकर हम ट्रेन से उतरे और बस से कटरा गया। सीले रास्ते पर चलने का रोमांच हमें कभी नहीं भूलेगा। कटरा में रातभर आराम करने के बाद हम सवेरे तैयार होकर पैदल वैष्णों देवी के लिए चल पड़े और दो बजे वैष्णों देवी पहुंच गए।

अविस्मरणीय होने के कारण – इस यात्रा के अविस्मरणीय होने के कारण मेरी पहली रेल यात्रा, प्लेटफॉर्म का दृश्य, ट्रेन में चोरी, जेब काटने की घटना के अलावा प्राकृतिक दृश्य और पहाड़ों को निकट से देखकर उनके नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद उठाना था। पहाड़ आकार में इतने बड़े होते हैं, यह उनको देखकर जाना। पहाड़ी जलवायु और वहाँ के लोगों का परिश्रमपूर्ण जीवन का अनुभव मुझे सदैव याद रहेगा।

उपसंहार – मैं सोच भी नहीं सकता था कि हरे-भरे खेत इतने आकर्षक होंगे और ट्रेन की यह यात्रा इस तरह रोमांचक होगी। पहाड़ी सौंदर्य देखकर मन अभिभूत हो उठा। अब तो इसी प्रकार की कोई और यात्रा करने की उत्सुकता मन में बनी हुई है। इस यात्रा की यादें मुझे सदैव रोमांचित करती रहेंगी।

मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध | Essay on My First Train Trip in Hindi

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मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध | Essay on My First Train Trip in Hindi!

किसी भी यात्रा का एक अपना अलग ही सुख है । यात्रा करना तो बहुत से लोगों की एक पसंद है । यात्रा के अनेक उपलब्ध साधनों में से रेलयात्रा का अनुभव एक अनोखा रोमांच एवं अनुभव प्रदान करता है ।

मेरी प्रथम रेल यात्रा तो आज भी मेरे लिए अविस्मरणीय है क्योंकि मेरी प्रथम रेलयात्रा ने रोमांच के साथ ही मुझे एक ऐसा मित्र भी दिया जो आज मुझे सबसे अधिक प्रिय है । अत: इस दिन को तो मैं कभी भुला ही नहीं सकता ।

बात उस समय की है जब मैं आठ वर्ष का था । मेरे पिताजी को उनकी कंपनी की ओर से उनके अच्छे कार्य हेतु सपरिवार इस दिन के लिए रेल द्‌वारा देश भ्रमण का प्रबंध था । सभी रिजर्वेशन टिकट तथा अन्य व्यवस्था कंपनी द्‌वारा पूर्व ही कर दी गई थी। जैसे ही इस बात की सूचना मुझ तक पहुँची मेरी प्रसन्नता की सीमा न रही ।

इससे पूर्व मैंने रेलयात्रा के बारे में केवल सुना ही था । आज प्रथम बार इस अनुभव हेतु मैं बहुत ही रोमांचित, पुलकित एवं उत्साहित था । रात्रि 10:30 बजे पर हम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए । स्टेशन की इमारत और दौड़ते-भागते तरह-तरह के लोगों को देखकर मैं आश्चर्यचकित रह गया ।

बहुत से कुली एक साथ हमारा सामान उठाने के लिए हमारी ओर लपके । पिता जी ने उनमें से एक की और संकेत किया और फिर हम उसके पीछे निश्चित प्लेटफार्म पर पहुँचे। वहाँ पर गाड़ी पहले से ही खड़ी थी । हमने अपनी पहले से ही रिजर्व सीटें ग्रहण कीं और सामान को नीचे रखकर आराम से बैठ गए ।

मैं खिड़की से कभी चाय-चाय चिल्लाते आदमी की तरफ देखता तो कभी सामने नल में पानी भरते हुए लोगों की भीड़ को । पिताजी ने पुस्तक विक्रेता से कुछ पत्रिकाएँ खरीद ली थीं । मैं अभी प्लेटफार्म की भीड़ में खोया था कि गार्ड की सीटी सुनाई दी और गाड़ी चल पड़ी । वह अवसर मेरे लिए बहुत ही रोमांचदायक था ।

ADVERTISEMENTS:

मेरी बर्थ के सामने ही मेरी उम्र का एक और लड़का था । वह भी मेरी तरह पहली बार रेलयात्रा कर रहा था । धीरे-धीरे हममें मित्रता हो गई । उसका नाम विशाल था । हमने रात को साथ-साथ भोजन लिया और कुछ देर बातें कीं । फिर हमने अपनी-अपनी सीटों पर एक सूती चादर बिछाई और लेट गए ।

पिता जी ने पहले से ही दो तकिए खरीद रखे थे जिनमें मुँह से हवा भर कर मैंने फुलाया । फिर मैंने जब अपनी आँखें बंद कर लीं तो रेलगाड़ी के चलने की लयात्मक ध्वनि को सुनकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था। कुछ देर पश्चात् हमें नींद आ गई ।

सुबह जब मेरी आँख खुली तो उस समय का दृश्य अत्यंत सुखदायी था । ट्रेन तेज गति से छुक-छुक करती हुई भागती चली जा रही थी । रास्ते में हरे-भरे खेत पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सभी दिखाई दे रहे थे । ट्रेन में ही गरम नाश्ता और कॉफी मिल गई । बाहरी जीवंत दृश्य बहुत ही मोहक था ।

नाश्ते के पश्चात् विशाल ने अपनी कविताओं से सभी को मोहित कर लिया । इस बीच हमारी रेलगाड़ी एक बड़े स्टेशन पर रुकी । मैंने पिता जी से नीचे प्लेटफार्म पर उतरने की अनुमति माँगी । उन्होंने अनुमति दे दी तो मैं वहाँ से अपनी बोतल में पानी भर लाया । हमारी गाड़ी फिर चल पड़ी । मैं खिड़की के निकट बैठकर बाहरी दृश्य का आनंद लेने लगा ।

कुछ समय पश्चात् हम गंतव्य तक पहुँच गए । हमने अपना सामान उठाया और ट्रेन से उतर गए । वास्तविक रूप में मैं आज भी अपनी उस प्रथम सुहावनी रेलयात्रा को भुला नहीं पाया हूँ । यह उसकी सुखद याद ही है जिसके कारण मुझे बार-बार रेलयात्रा करने का मन करता है । मैं पुन: छुट्‌टियों का बेसब्री से इंतजार करता हूँ ताकि मुझे रेलयात्रा का अवसर मिल सके ।

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यात्रा का महत्व पर निबंध। Importance of Journey in Hindi

यात्रा का महत्व पर निबंध। Importance of Journey in Hindi : यात्रा हमें किताबी ज्ञान से व्यावहारिक ज्ञान पर लाती है। हम यात्रा द्वारा कल्पना से निकलकर वास्तविकता में आते हैं। यात्रा हमारे जीवन की नीरसता को दूर करती है। इस प्रकार यात्रा का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। एक गुणी यात्री विभिन्न लोगों के जीवन में स्वयं को देखता है। वह उनके रीति-रिवाजों से पर्यावरण पर पडने वाले प्रभाव से स्वयं को परखता है। वह आसानी से अन्यों का दृष्टिकोण समझ सकता है। यात्रा द्वारा मानसिक दृष्टिकोण खुलता है।

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रेल यात्रा पर निबंध- Train Journey | Rail Yatra Par Nibandh | Essay

In this article, we are providing an Train Journey | Rail Yatra Par Nibandh रेल यात्रा पर निबंध हिंदी में | Essay in 100, 150. 200, 300, 500 words For Students. Train Journey Essay in Hindi

A short Essay on Train Journey in Hindi ( 150 words )

गरमी की छुट्टियों में हमने मुंबई जाना तय किया । यह एक दिन का रेलगाड़ी का सफर था ।

पिता जी टिकटें ले आए और हम सबने बहुत उत्साहपूर्वक अपना सामान बाँधा। हम टैक्सी द्वारा स्टेशन तक पहुँचे। कुली ने हमें भीड़ से निकालकर हमारी रेलगाड़ी तक पहुँचाया। हमारी आमने-सामने की ही सीटें थीं। धीरे-धीरे रेल चलना शुरू हुई और छुक-छुक की आवाज़ आने लगी।

रेल की गति बढ़ी और बाहर की सभी चीज़ें तेज़ी से पीछे जाने लगीं। खेत, गाँव, कभी-कभी वाहन, आदमी, जानवर आदि झट से दिखाई पड़ते और फट से गायब हो जाते।

बीच-बीच में स्टेशन भी आए। हमनें कहीं से चाय और कहीं से कुछ खाने-पीने का सामान भी खरीदा। रात में सोते-सोते रेल के झूले बहुत अच्छे लगते थे। अगले दिन भी हम बाहर के दृश्यों पर मोहित होते रहे और कब मुंबई पहुँच गए, पता भी न चला।

Rail Yatra Par Nibandh | Essay ( 200 words )

सर्दी की छुट्टियाँ थीं। पहाड़ों में बर्फ़ कैसे गिरती है, मैं यह देखना चाहती थी। माँ ने मामा जी के यहाँ मसूरी जाने का प्रोग्राम बनाया।

पिता जी रेल की टिकट लाए। माँ ने सामान बाँधा । ऑटोरिक्शा में बैठ हम स्टेशन पहुँचे। रेलवे स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। कुली सामान इधर से उधर ढो रहे थे । ठेले वाले आवाज़ें लगाकर अपना-अपना सामान बेच रहे थे । भीड़ से निकलकर हम रेल में बैठे। रेल चली। धीरे-धीरे छुक-छुक की आवाज़ तेज़ होने लगी।

रेल ने अपनी गति बढ़ाई। पेड़ पीछे दौड़ रहे थे। कभी खेत आते, कभी गाँव। सब पीछे छूट रहे थे। तेज़ हवा चल रही थी। कभी-कभी तो बाहर चलते आदमी भी दिखाई नहीं देते थे। कभी-कभी मुड़ते समय रेल हिलती, तो मैं डर जाती थी। कभी नीचे नदी या नाला आता तो रेल चींटी की चाल चलती। मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। बीच-बीच में स्टेशन आते। तरह-तरह की चीजें बेचने वाले आते। हम खाते-पीते मसूरी कब पहुँच गए, पता ही नहीं चला।

Essay on Parvatiya Yatra in Hindi

Kisi Yatra Ka Varnan essay in Hindi

रेल यात्रा पर निबंध- Rail Yatra Par Nibandh ( 250 words )

गर्मी की छुट्टी थी । हम सब नानी के घर दिल्ली जा रहे थे । हमने अपना सामान बांधा और स्टेशन पहुँचे । पिताजी ने पहले ही टिकट ले लिया था । हमारी रेल सामने ही लगी थी । हम अपनी सीट पर पहुँचे, अपना सामान लगाया और बैठ गए ।

हमारे आस-पास दूसरे लोग भी बैठे थे । थोड़ी देर बाद रेल चल पड़ी । स्टेशन पीछे छूट गया । रास्ते के पेड़-पौधे पीछे भागते से लग रहे थे । बाहर का दृश्य बहुत सुन्दर था । दूर तक हरियाली, जंगल और पहाड़ थे । रेल कभी छोटे गाँव से गुजरती । गाँव के बच्चे रेल देख खुश होते । टा-टा करते । रेल एक नदी के पुल से गुजरी । अजब-सा शोर हुआ। कुछ लोगों ने नदी में सिक्के फेंके ।

रेल स्टेशनों पर रुकती जाती। स्टेशन आते ही शोर होने लगता । लोग रेल पर चढ़ने-उतरने लगते । तरह-तरह की चीजें बेचनेवाला आता । खोमचेवाले आवाज लगाते । चाय चाय की पुकार मच जाती । हम तरह-तरह की चीजें खाते । पत्रिका बेचनेवाला भी आया । मैंने चाचा चौधरी का कॉमिक्स लिया । रेल फिर चल पड़ी । मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था ।

रात होते ही लोग सोने की तैयारी करने लगे। मैं भी खाना खाकर अपने बर्थ पर लेट गई । रेल बड़ी तेज भाग रही थी । मैं बर्थ पर लेटी हिल रही थी । लग रहा था किसी झूले पर हूँ। फिर मुझे नींद आ गई ।

सुबह माँ ने उठाया । हम दिल्ली पहुँच गए थे । हमने अपना सामान समेटा और उतर पड़े ।

मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध | Meri Pehli Rail Yatra par Nibandh ( 450 to 500 words )

यात्रा का अपना ही आनन्द होता है और फिर रेलयात्रा की तो बात ही कुछ और है। मैं अपनी प्रथम रेलयात्रा को आज तक नहीं भूल पाया हूँ। उस समय मेरी आयु नौ-दस वर्ष की थी जब मैंने सबसे पहले रेल से यात्रा की। इससे पहले मैं अपनी माताजी के साथ बस द्वारा तो कई बार आ जा चुका था। पिताजी जब अपनी रेल यात्रा का जिक्र किया करते थे तो मेरे मन में भी रेल यात्रा की तीव्र इच्छा पैदा हो जाती थी ।

उस वर्ष जब एक दिन पिताजी ने आकर बताया कि इस वर्ष गर्मियों की छुट्टियों में हम सब चेन्नई जा रहे हैं तो यह सुनकर मेरी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा। मार्च मास में ही पिताजी ने सीटों का आरक्षण करवा लिया था क्योंकि बाद में टिकटों का मिलना असम्भव था। हमारी यह यात्रा तमिलनाडु एक्सप्रेस से थी। परीक्षा समाप्त होते ही हमने यात्रा की तैयारियाँ शुरू कर दीं। जिस दिन हमें जाना था उससे पहली रात तो मैं रेलयात्रा की उत्सुकता में सो भी नहीं सका । हमारी ट्रेन रात्रि के 10.30 बजे चलती थी। परन्तु मैं तो सन्ध्या होते ही स्टेशन चलने की जल्दी मचाने लगा था। 8.30 बजे हम थ्री-विलर से नई-दिल्ली स्टेशन के लिए चले। स्टेशन पहुँचकर वहाँ की इमारत तथा भीड़ देखकर मैं चकित रह गया । वहाँ कुलियों ने हमें घेर लिया। पिता जी ने एक कुली से समान उठवाया। हम प्लेटफार्म पर पहुँचकर अपने डिब्बे में जा पहुँचे। सामान ठीक से रखने के बाद हम आराम से अपने सीट पर बैठ गए।

पिताजी पानी की बोतल में ठण्डा पानी भर लाए। ठीक 10.30 बजे ट्रेन चल दी। थोड़ी ही देर में टी. टी महोदय ने आकर हमारी टिकट देखी। हमने अपनी-अपनी बर्थ पर अपने बिस्तर लगा लिए। मुझे नीचे की बर्थ मिली। मुझे नींद नहीं आ रही थीं, परन्तु मैं कब सो गया मुझे पता नहीं चला। सुबह जब मेरी आँख खुली तो हमारी ट्रेन हरे-भरे खेतों के बीच से गुजर रही थी। ऐसे लगता था मानो खेत और पेड़ चल रहे हों। यह दृश्य बड़ा ही मोहक था। हमने उठकर हाथ-मुँह धोया । तभी ट्रेन में ही गरमा-गरम नाश्ता कॉफी मिल गई। मुझे रेल में बैठकर नाश्ता करना बड़ा अच्छा लग रहा था। पिताजी ने दोपहर तथा रात के खाने का ऑर्डर भी दे दिया। हमें ट्रेन में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। यह ट्रेन बहुत कम स्टेशनों पर रुकती थी। जहाँ कहीं रुकती पिता जी नीचे उतरकर हमारे लिए कुछ न कुछ ले आते। मैं अपने साथ कहानियों की दो पुस्तकें भी ले गया था, जिन्हें मैंने रेल में ही पढ़ लिया। तीसरे दिन द्रोपहर को हम चेन्नई पहुँच गए। यह थी मेरी प्रथम रेल यात्रा ।

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दोस्तों इस लेख के ऊपर Rail Yatra Par Nibandh ( रेल यात्रा पर निबंध   ) आपके क्या विचार है? हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।

Essay on Train Journey in Hindi ‘ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

Meri Pratham Rail Yatra par Nibandh

Rail Yatra essay in hindi

10 lines on Train Journey

10 lines on Train Journey in Hindi

Train Journey nibandh

Rail Yatra Essay

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दा इंडियन वायर

रेल यात्रा पर निबंध

travelling short essay in hindi

By विकास सिंह

train journey essay in hindi

विषय-सूचि

रेल यात्रा पर निबंध, short essay on train journey in hindi (200 शब्द)

ट्रेन की यात्रा सबसे सुखद यात्राओं में से एक है। मैं अक्सर लंबी दूरी की यात्रा करता हूं और बसों, ट्रेनों के साथ-साथ हवाई जहाज से भी यात्रा करता हूं। जबकि इनमें से प्रत्येक यात्रा के अपने फायदे हैं, मुझे व्यक्तिगत रूप से ट्रेन यात्राएं पसंद हैं।

यदि आपके पास पर्याप्त समय है और लंबी दूरी तय करनी है तो ट्रेन से यात्रा करना सबसे अच्छा है। यह परिवहन का एकमात्र साधन है जो आपको यात्रा के दौरान आराम से सोने की अनुमति देता है। मैं रात में यात्रा करना पसंद करता हूं। मैं अपनी यात्रा के दौरान आराम से ट्रेन में सो सकता हूं और अपनी आधिकारिक यात्राओं के दौरान काम करने के लिए ताजा और सिर जगा सकता हूं।

ट्रेन से मेरी सबसे यादगार यात्रा तब हुई थी जब मैंने पिछले साल दिल्ली से लखनऊ की यात्रा की थी। मैं लखनऊ में अपने रिश्तेदारों से मिलने गया था। इस ट्रेन यात्रा के दौरान, मैं कॉलेज के छात्रों के एक समूह से मिला। समूह जीवंत, हंसमुख और बेहद मिलनसार था।

जैसाकि मैं उनके पास बैठा था, उन्होंने मुझे कुछ स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक की पेशकश की। वे जल्द ही मुझसे बातचीत करने लगे। उन्होंने अपने कुछ अनुभव सुनाए और मैंने उन्हें साझा किया। मैंने उन्हें करियर सलाह भी दी। छह घंटे की यात्रा बहुत तेजी से गुजरी और हम लखनऊ पहुँचे। जैसा कि हमने भाग लिया, हमने अपने फोन नंबरों का आदान-प्रदान किया और संपर्क में रहने का वादा किया।

रेल यात्रा पर निबंध, train journey essay in hindi (300 शब्द)

train journey

प्रस्तावना :

ट्रेन का सफर हमेशा मजेदार होता है। उन्होंने हमेशा मुझे उत्साहित किया है। मैं बचपन से ही ट्रेनों से यात्रा कर रहा हूं। मेरे नाना कानपुर में रहते थे और हम दिल्ली में ही रहते थे। हम हमेशा कानपुर पहुंचने के लिए रात की ट्रेन से यात्रा करते थे। हमने साल में दो बार उनसे मुलाकात की और मैं वास्तव में इस यात्रा का इंतजार कर रहा था।

मैं इंतज़ार इसलिए नहीं क्र रहा था की  मैं अपने दादा-दादी से मिलना पसंद करता था, बल्कि इसलिए  क्योंकि मुझे ट्रेन की यात्रा बहुत पसंद थी। मेरी बहन इसे बहुत पसंद करती थी और साथ में हम बहुत मस्ती करते थे।

मेरी सबसे यादगार ट्रेन यात्रा :

हम अपनी गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों के दौरान ज्यादातर अपनी माँ के साथ वहाँ जाते थे। हालाँकि, एक बार मेरी चाची और चचेरे भाई भी हमारे साथ थे। यह मेरे जीवन की सबसे अच्छी ट्रेन यात्राओं में से एक थी। हमारी माँ ने हमारे लिए जो स्वादिष्ट बिरयानी खाई थी उसके बाद हम सबसे ऊपर की बर्थ पर बैठ गए थे।

हमने पहले ही योजना बना ली थी कि हम एक-दूसरे की कंपनी में यात्रा का आनंद लेने के लिए देर रात तक जागेंगे। हमने ताश खेलकर मस्ती शुरू की। जैसे ही हमने एक खेल समाप्त किया या दो, मध्य बर्थ में बैठे दो लड़कों ने हमसे पूछा कि क्या वे हमसे जुड़ सकते हैं। जब अधिक संख्या में खिलाड़ी शामिल होते हैं तो ताश खेलना हमेशा मजेदार होता है।

तो, हम सहमत हुए। हमारा खेल और अधिक रोमांचक हो गया और हम लगभग दो-तीन घंटे तक खेलते रहे। चूंकि हमारे डिब्बे में केवल हम और उन दो भाइयों और उनके माता-पिता का कब्जा था, इसलिए लाइट बंद करने का कोई उपद्रव नहीं था।

ताश खेलने के बाद, हमने गूंगे चरवाहों का खेल शुरू किया। यह सब और मजेदार था। चूंकि, अब हम लगभग चार घंटे खेल रहे थे, हमें भूख लगी और यह नाश्ते का समय था। हमने चुपके से अपने बैग से चिप्स और बिस्कुट निकाले। हम चटखारे लेते, चुटकुले सुनाते और दिल खोलकर हँसते थे जैसे कि हम नाश्ता खाते हैं। रात के लगभग 2 बज रहे थे जब हमने सोने का फैसला किया।

निष्कर्ष :

यह वास्तव में एक शानदार अनुभव था। मैं इस रेल यात्रा को जीवन भर याद रखूंगा। मैंने यादों को हमेशा के लिए संजो कर रख दिया।

रेल यात्रा पर निबंध, train journey essay in hindi (400 शब्द)

train journey

यह सितंबर का महीना था और शरद ऋतु का विराम कुछ ही हफ्तों में शुरू होने वाला था। हमारी पहली अवधि की परीक्षाएं समाप्त हो चुकी थीं और हम कम से कम कुछ दिनों के लिए पढ़ाई के बोझ से मुक्त थे। हमारे स्कूल में शरद ऋतु की छुट्टी के दौरान विभिन्न स्थानों पर भ्रमण की योजना है। मैं हमेशा से ऐसी यात्रा पर जाना चाहता था और अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता था।

दोस्तों के साथ मेरी पहली ट्रेन यात्रा :

जबकि मेरे माता-पिता ने मुझे स्थानीय स्कूल के भ्रमण पर जाने की अनुमति दी थी, वे हमेशा मुझे बाहर तैनात यात्राओं पर भेजने के बारे में संदेह करते थे। उन्हें लगा कि मैं बहुत छोटा और लापरवाह हूं और इस तरह मुझे भेजने में उन्हें अक्सर डर लगता है।

मैंने उन्हें हर साल समझाने की कोशिश की मैंने नोटिस बोर्ड पर चिपकाए गए इन स्कूल ट्रिप के बारे में नोटिस किया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हालाँकि, सातवीं कक्षा में बहुत समझाने के बाद, मेरी माँ ने वादा किया कि जब मैं कक्षा IX में पहुँचूँगी तो वह मुझे भेज देगी क्योंकि मैं बड़ी हो जाऊँगी और तब तक और अधिक परिपक्व हो जाऊँगी।

इसलिए, पिछले साल मैंने उसे अपना वादा याद दिलाया। हालांकि अनिच्छुक, वह मुझे अपनी स्कूल यात्रा पर जयपुर भेजने के लिए तैयार हो गई। उसने मेरे पिता को भी मना लिया और उसने यात्रा के लिए जमा की गई राशि के साथ लिखित सहमति दे दी। मेरी खुशी कोई सीमा नहीं जानता था।

मेरे करीबियों में से कुछ को उनके माता-पिता से भी सहमति मिली थी और हम अपनी यात्रा को लेकर बहुत रोमांचित थे। मैं न केवल जयपुर जाने के बारे में बल्कि ट्रेन यात्रा के बारे में भी उत्साहित था।

मेरी ट्रेन यात्रा का अनुभव :

मैं भाग्यशाली था कि मुझे विंडो सीट मिली। यह लगभग 5 घंटे की एक दिन की यात्रा थी और खिड़की के बाहर देखने के लिए बहुत कुछ था। छोटी रेत की पहाड़ियों, हरे-भरे खेतों और लंबी सड़कों का नजारा मुझे रोमांचित करता था और मैं यात्रा के अधिकांश भाग के लिए खिड़की से चिपके रहता था।

बाकी की यात्रा के लिए, हमने गूंगा चराड और अंताक्षरी खेली जो सुपर मजेदार थी। मैं बस कामना करता हूं कि यात्रा कभी खत्म न हो। हालाँकि, इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, हम जयपुर स्टेशन पहुँच गए। जैसा कि मैंने गुलाबी शहर में किले से किले तक घूम लिया, मैंने अपने गृह नगर में ट्रेन यात्रा का सपना देखा क्योंकि मैंने ट्रेन की सवारी का पूरा आनंद लिया। हमारी ट्रेन यात्रा वापस घर पर उतनी ही मजेदार थी।

ट्रेन के सफर ने मुझे हमेशा रोमांचित किया। मैं उनमें से काफी पर चला गया हूं, लेकिन यह सब मेरे दोस्तों के साथ था के रूप में अधिक विशेष था। मैं इस तरह की और रेल यात्राओं के लिए उत्सुक हूं।

रेल यात्रा पर निबंध, train journey experience essay in hindi (500 शब्द)

ट्रेन के सफर ने मुझे हमेशा रोमांचित किया। दिन की यात्रा हो या रात की यात्रा, मैं हमेशा ट्रेन से यात्रा करना पसंद करता हूं। ट्रेन से अपने दिन के सफर के दौरान, मुझे खिड़की से बैठकर बाहर का नज़ारा देखना बहुत पसंद है। मुझे बस हरे-भरे खेत, विशाल पेड़, झोपड़ियाँ और जल-प्रपात दिखाई पड़ते हैं।

मैं चलती ट्रेन से इस नज़ारे को देखने के लिए घंटों बैठ सकता हूँ। रात की यात्रा के बारे में मुझे क्या पसंद है कि ट्रेनें बहुत अधिक स्थान और आराम प्रदान करती हैं। हम आराम से लेट सकते हैं और सोने के लिए रुक सकते हैं। चलती ट्रेन में सोना अपने आप में एक अनुभव है और मुझे इससे प्यार है।

मेरी शिमला से कालका तक की रेल यात्रा :

जबकि मेरी सभी रेल यात्राएँ यादगार रही हैं, एक ऐसा है जिसे मैं हमेशा के लिए संजो कर रखूँगा। यह शिमला से कालका तक मेरी ट्रेन यात्रा थी। ट्रेन का यह सफर किसी और जैसा नहीं था।

हमने शिमला – कालका ट्रेन यात्रा के बारे में बहुत कुछ सुना था और वास्तव में इसका अनुभव करना चाहते थे। कहा जाता है कि यह ट्रेन यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में आती है। हालाँकि, चूंकि हमारी योजना अचानक बनी थी, इसलिए हम कालका से शिमला की यात्रा के लिए टिकट नहीं पा सके, जो निराशाजनक था।

सबसे पहले, हमने यात्रा को रद्द करने या स्थगित करने के बारे में सोचा लेकिन फिर हमने शिमला के लिए बस लेने का फैसला किया। शिमला से कालका के लिए टिकट उपलब्ध थे, इसलिए हमने इस मार्ग पर चलने वाली टॉय ट्रेन के बारे में अपनी यात्रा की वापसी की बात की।

जब मैं शिमला की अपनी यात्रा को लेकर उत्साहित था और अपने परिवार के साथ इसका हर तरह से आनंद लेता था, मैं लगातार अपनी यात्रा के बारे में घर वापस आने का सपना देख रहा था, क्योंकि मैं टॉय ट्रेन के अनुभव का इंतजार नहीं कर सकता था।

मेरी बहुत बढ़िया ट्रेन यात्रा का अनुभव :

हम ट्रेन के प्रस्थान समय से कुछ मिनट पहले स्टेशन पहुँच गए। मैं ट्रेन को देखकर रोमांचित था और उस पर सवार होने की प्रतीक्षा नहीं कर सकता था। हमने जल्दी ही अपना सामान ट्रेन में रख दिया और अपनी सीट पर बैठ गए। बाहर की मनोहारी दृश्य देखने के लिए मैंने खिड़की वाली सीट पकड़ ली।

जैसे ही ट्रेन शुरू हुई, मैंने देखा कि चीड़ के पेड़ों से ढकी पहाड़ियों का दिलकश नज़ारा है। चारों तरफ हरियाली थी। एक रात पहले बारिश हुई थी और इस तरह वनस्पतियों को भी हरियाली और ताजा लग रही थी। यह एक लुभावनी दृष्टि थी।

टॉय ट्रेन 96 किमी की दूरी तय करती है और इस यात्रा के दौरान जब हम ऊब गए तो एक भी क्षण नहीं था। देखने और अनुभव करने के लिए बहुत कुछ था। ट्रेन धीमी गति से यात्रा करती है और कालका पहुंचने में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं ताकि हम प्राकृतिक परिवेश का पूरा अनुभव कर सकें।

यह 102 सुरंगों से होकर जाता है और यह यात्रा को और अधिक अद्भुत बनाता है। यह 864 पुलों के रूप में भी गुजरता है और एक अनुभव प्रदान करता है जो एक तरह का है। जब मैं अपनी यात्रा के अधिकांश भाग के लिए खिड़की से बैठ गया, तो मैं भी गया और ट्रेन के दरवाजे से लगभग एक घंटे तक खड़ा रहा।

शिमला से कालका तक की मेरी हर रेल यात्रा सुखद रही। अनुभव बस बेजोड़ था। प्रत्येक ट्रेन यात्रा प्रेमी को अपने जीवन काल में कम से कम एक बार इसका अनुभव करना चाहिए। प्रकृति प्रेमियों को यह सब अधिक पसंद आएगा।

रेल यात्रा के बारे में निबंध, train journey experience essay in hindi (500 शब्द)

train journey

ट्रेन की यात्रा को वे कई तरह के लाभों के कारण पसंद करते हैं। हालांकि, कुछ लोग ट्रेन के सफर से बचने के लिए अपने वाहन या बस से यात्रा करना ज्यादा पसंद करते हैं। कई बार, परिवहन के मोड को तय करना काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि इन सभी के पास पेशेवरों और विपक्षों का अपना सेट होता है। ट्रेन यात्रा के विभिन्न फायदों और नुकसानों पर एक नजर:

ट्रेन के सफर के फायदे :

ट्रेन यात्रा के विभिन्न फायदे इस प्रकार हैं:

अंतरिक्ष और आराम :

अगर हम अंतरिक्ष और आराम की दृष्टि से देखें तो ट्रेन परिवहन का सबसे अच्छा साधन है। बैठने और यहां तक ​​कि लेटने के लिए पर्याप्त जगह है, एक विशेषाधिकार जो हमें बसों, कारों या विमानों में नहीं मिलता है। बच्चे आसानी से बोर्ड गेम खेल सकते हैं। समूह की सैर सभी अधिक मजेदार हो जाती है क्योंकि हम विभिन्न खेलों और गतिविधियों का आमने-सामने बैठकर आनंद ले सकते हैं।

लॉन्ग जर्नी मेड ईज़ी :

चूंकि रेलगाड़ियां सोने और धोने के लिए बर्थ की पेशकश करती हैं, इसलिए ट्रेनों के माध्यम से लंबी दूरी की यात्रा करना काफी आसान हो जाता है। वाशरूम सुविधा विशेष रूप से बस और कार की यात्रा के दौरान ट्रेन के मुख्य लाभों में से एक है।

सामान की मात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं :

हवाई जहाज में एक सामान ले जाने की सीमा होती है। बहुत सारे सामान को समायोजित करने के लिए बसों में पर्याप्त जगह नहीं है। हालांकि, ट्रेन के सफर के दौरान ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। यदि आपको अच्छी मात्रा में सामान ले जाने की आवश्यकता है, तो ट्रेन यात्राएं निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ हैं।

सुरक्षित विकल्प :

ट्रेन को बसों, कारों और हवाई जहाजों की तुलना में सुरक्षित साधन माना जाता है। पहाड़ियों में यात्रा करना विशेष रूप से बसों और कारों की तुलना में ट्रेनों के माध्यम से सुरक्षित है।

समय के उत्पादक उपयोग की अनुमति देता है :

ट्रेन से यात्रा करते समय आप आसानी से अपना लैपटॉप निकाल सकते हैं और उस पर काम कर सकते हैं। आप अपनी पुस्तक को आराम से पढ़ सकते हैं या ट्रेन से यात्रा करते समय बुनाई और सिलाई जैसे अन्य कार्यों में लिप्त हो सकते हैं।

ट्रेन यात्रा के नुकसान :

ट्रेन यात्रा के कुछ नुकसान इस प्रकार हैं:

आगे की योजना बनाना :

ट्रेन से यात्रा करने की मुख्य कठिनाइयों में से एक यह है कि आपको यात्रा की तारीख से पहले अपनी यात्रा महीनों या हफ्तों की योजना बनानी होगी। जिन यात्राओं की तुरन्त योजना बनाई जाती है, उनके लिए रेल टिकट प्राप्त करना कठिन है।

आरक्षण में कठिनाई :

ट्रेन आरक्षण एक मुश्किल काम है। आपको टिकट आरक्षित करवाने के लिए रेलवे स्टेशन पर जाना पड़ता है और घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है जो बेहद थका देने वाला होता है। आप टिकट आरक्षित ऑनलाइन भी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन यह फिर से एक कठिन काम है क्योंकि ट्रेन बुकिंग साइट बहुत धीमी होती है।

निश्चित कार्यक्रम :

ट्रेनें तय समय पर चलती हैं। आपको विषम समय में ट्रेनों को पकड़ने की आवश्यकता हो सकती है और यह कई बार मुश्किल हो सकता है। कुछ मिनटों तक रेलवे स्टेशन तक पहुँचने में देरी का मतलब है ट्रेन का गुम होना और अगर आप जल्दी पहुँच गए तो रेलवे स्टेशन पर समय बिताना मुश्किल है।

धीमी विकल्प :

ट्रेन से लंबी दूरी की यात्रा करने का मतलब है कि यात्रा में एक या दो दिन का निवेश उन विमानों के विपरीत है जो कुछ ही घंटों में समान दूरी तय कर सकते हैं। इसलिए यह उन छात्रों या कामकाजी पेशेवरों के लिए अच्छा विकल्प नहीं है जो इतने पत्ते नहीं ले सकते हैं और यात्रा पर इतना समय बिताते हैं।

स्वच्छता का मुद्दा :

जबकि ट्रेनों के वॉशरूम होते हैं, जिन्हें ट्रेन के सफर का एक बड़ा हिस्सा माना जाता है, जिन्हें ज्यादातर अच्छी तरह से बनाए नहीं रखा जाता है। बिना रखे और अशुद्ध वॉशरूम एक बड़ा पुट है। इनके उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि यह संक्रमण का कारण बन सकता है।

इस प्रकार, हम देखते हैं कि ट्रेन की यात्रा के कई फायदे हैं लेकिन उनके कुछ नुकसान भी हैं। जबकि जगह, आराम और पर्याप्त मात्रा में ले जाने की सुविधा यात्रियों को ट्रेन की यात्रा के लिए विकल्प, आरक्षण की कठिनाई और यात्रा की तारीख से पहले यात्रा की योजना बनाने की आवश्यकता के लिए आकर्षित करती है, जिससे वे अन्य विकल्पों की तलाश कर सकते हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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मेरी यादगार यात्रा पर निबंध | Essay on My Memorable Tour in Hindi

यात्रा का अपना एक सुखद अनुभव होता है। हर यात्रा अपने में कई यादें समेटे होती है पर कुछ बहोत यादगार होती हैं । गर्मी की छुट्टियों में अधिकतर लोग घूमने जाते हैं और इस मौसम में पर्वतों की यात्रा अत्यधिक सुखद होती है।

पहली यात्रा:

हमारी पहली पर्वतीय यात्रा पिछले वर्ष गर्मी की छुट्टियों में हुई जब पिताजी के पुराने मित्र ने नैनीताल में अपने आवास पे एक समारोह रखा और पिताजी को आमंत्रित करने के साथ साथ ज़रूर आने का आग्रह भी किया।

my family adventours tour builder

पिताजी ने इस आग्रह का सम्मान करते हुए समारोह में जाने के लिए और साथ साथ नैनीताल घूमने के लिए पांच दिन की योजना बनायी। हमने 20 मई को नैनीताल के लिए रेल पकड़ी और अगले दिन सुबह 10 बजे वहां पहुँच गए। स्टेशन पे पिताजी के मित्र हमें लेने आये हुए थे।

हम उनके साथ उनके घर गए। उन्होंने पिताजी की योजना की सराहना करते हुए उन्हें आने के लिए धन्यवाद कहा और हमें नैनीताल घुमाने की जिम्मेदारी अपने ड्राइवर को सौंप दी। क्योंकि समारोह तीन दिन बाद था तो हम नैनीताल घूमने निकल गए। नैनीताल के रास्ते बहुत टेड़े मेढ़े थे और रास्ते के दोनों ओर घाटियों का मनमोहक दृश्य था। कहीं ये घाटियां अत्यंत सुन्दर थीं और कहीं इनकी गहरायी डरा देने वाली थी। पर्वतों पर पेड़ों की सुंदरता देखते ही बनती थी। गर्मी के मौसम में भी शीतल हवायें मन को अत्यंत सुख दे रही थीं। नगर की सड़कें स्वछ थीं और घर साफ़ सुथरे थे नैनीताल का नाम एक ताल के कारण पड़ा जो वहां पर है जिसका नाम भी नैनीताल है। इसी ताल के एक किनारे पे नयना देवी का मंदिर है। मंदिर के बहन अत्यंत खूबसूरत पर्वत हैं जो सबका मन मोह लेते हैं। उसके अलावा भी नैनीताल मैं कई स्थल हैं जो बेहद मनमोहक हैं। तीन दिन हम काफी घूमे। उसके बाद पिताजी के मित्र के यहाँ समारोह मैं सम्मिलित होकर हमने अगले दिन घर के लिए रेल पकड़ी।

नैनीताल की यह यात्रा मेरे लिए बहुत सुखद और यादगार रही। वहां की प्राकृतिक सुंदरता ने मन मोह लिया और वहां के दृस्यों को मैं कैमरे में कैद कर लिया। अवसर मिलने पर मैं एक बार फिर ऐसी सुखद यात्रा पे वहां अवश्य जाना चाहूंगा।

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27 responses to “मेरी यादगार यात्रा पर निबंध | Essay on My Memorable Tour in Hindi”

Unknown Avatar

Very nice and write more like these

grate mistake

just joking

Abcd Avatar

Kya phaltu bakwas hai

You have not described the places which you have visited

IT IS VERY INFORMATIVE THANK U SO MUCH

It is written very nice

Thankyou sir bohot achha nibhand he👌👌

Nice not that much good

Really greatly written well. NICE

Silly mistakes

😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆

nice experience great

Pooja Lal Avatar

पर नैनीताल में रेलवे स्टेशन नहीं है

nice …

Azra Ahmad Avatar

Bhut accha hai ……..

अच्छा लिखा है आप ने

Your comments and feedback are most important for us to write quality article.

doordie Avatar

Thank u .well written. Informative

Anil Sahu Avatar

बहुत मजेदार होती हैं कई यात्रायें.

ha ha ha very funny

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1Hindi

हवाई जहाज़ की यात्रा पर निबंध Essay on My first Aeroplane journey in Hindi

हवाई जहाज़ की यात्रा पर निबंध Essay on My first Aeroplane journey in Hindi

इस दुनिया के हर इंसान के जीवन मे कोई न कोई ऐसी घटना ज़रूर घटित हुई होती है जो उत्साह और रोमांच से भरी होती है। एक ऐसी ही घटना मेरे जीवन मे घटित हुई थी, जब मैनें पहली बार हवाई जहाज़ से यात्रा की थी। मेरे जीवन की यह सबसे रोमांचक यात्रा थी। आज शाम को जब मैं अपने घर की छत पर सुहाने मौसम का आनंद ले रहा था तभी मैंने एक हवाई जहाज़ को आसमान में उड़ते हुए देखा। इस हवाई जहाज़ को देखकर मेरे मन में  मेरी पहली हवाई जहाज़ से की हुई यात्रा की यादें अचानक से जीवित हो उठी।

मेरी प्रथम हवाई जहाज़ यात्रा पर निबंध My First Aeroplene Journey in Hindi

जब मैं एक अबोध बालक की अवस्था मे था तब इस विशाल नीले गगन में पक्षियों को उड़ते हुए देखकर मेरे मन में बहुत से सवाल जन्म लिया करते थे जैसे कि ये पंक्षी इस खुले आसमान में कैसे उड़ लेते है। इसके अलावा सबसे अहम और मुझे रोमांच से भर देने वाली बात जो मेरे ज़हन में आती थी “कि काश मैं भी इन पक्षियों की तरह इस खुले आसमान में उड़ पाता”, क्योंकि तब मुझे विज्ञान और टेक्नोलॉजी के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नही थी। 

मैने हवाई जहाज़ के बारे में सुना था लेकिन कभी देखा नही था परन्तु मेरे जीवन मे भी एक समय ऐसा आया जब मुझे हवाई जहाज़ से यात्रा करने का मौका मिला। यह मौका था जब मैंने चेन्नई से मालदीव की हवाई यात्रा करनी थी। लेकिन मुझे इस हवाई यात्रा के बारे में कोई जानकारी नही थी इसीलिए मैंने अपने एक मित्र से इसके बारे में पूछा क्योंकि मेरे मित्र ने कई बार हवाई जहाज़ से यात्रा की थी। 

उसी की मदद से मैंने एक ऑनलाइन पोर्टल से एयर टिकट को बुक किया। टिकट बुक करने के बाद उसने मुझे यह भी बताया कि टिकट बुक करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की हमारे द्वारा दी गयी सारी जानकारी सही हो और अपना मोबाइल नम्बर देना तो बिल्कुल भी नही भूलना चाहिए क्योंकि अगर जहाज़ की उड़ान में देरी होती है या जहाज़ के समय मे कोई बदलाव होता है तो एयरलाइंस कंपनी इसकी जानकारी एसएमएस के द्वारा या फिर हमें कॉल कर के देते है। 

उसने मुझे यह भी बताया कि एयरपोर्ट पर जाने से पहले अपने साथ एयर टिकट और एक पहचान पत्र भी अवश्य ले लूँ क्योंकि इसके बिना मुझे एयरपोर्ट के अंदर प्रवेश नही मिलेगा। इस सब के अलावा उसने मुझ को यह भी सुझाया कि जिस तरह हम बस या ट्रेन में सफर करने के लिए टिकट लेकर सीधे अपनी सीट पर बैठ जाते है, हवाई जहाज़ से यात्रा में ऐसा नही होता है। 

हवाई जहाज से यात्रा करने के लिए बुक किये गए हवाई टिकट को एयरपोर्ट पर मौजूद कर्मचारी को दिखाना होता है जिसके बाद वह हमें बोर्डिंग पास देता है। इसी बोर्डिंग पास को दिखा कर ही हम हवाई जहाज़ के अंदर प्रवेश कर सकते है। उसने यह भी बताया कि हवाई जहाज़ में यात्रा करने के लिए एक निश्चित वजन तक का ही सामान हम अपने साथ ले जा सकते है। 

अपने दोस्त से मिली इन सभी जानकारियों के बाद मैंने अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया और अगले दिन फ्लाइट की उड़ान से लगभग दो घंटे पहले मैं बुक की गई टिकट, अपने पहचान पत्र तथा अपने सामान के साथ एयरपोर्ट पर पहुँच गया। एयरपोर्ट पर सभी मानकों को पूरा करते हुए मैंने अपना बोर्डिंग पास हासिल किया। बोर्डिंग पास को लेने के बाद मैं हवाई जहाज़ के अंदर प्रवेश करने के आदेश होने का इंतजार करने के लिए एक बड़े से हाल में बैठ गया। 

इसके कुछ समय बाद जहाज़ में बैठने का आदेश हुआ। जहाज के अंदर जाने के लिए इसके पास एक सीढ़ी लगी हुई थी जिसकी मदद से सभी यात्रियों ने अंदर प्रवेश किया। हवाई जहाज़ के अंदर मुझ को खिड़की के बिल्कुल किनारे वाली सीट मिली थी। जिसकी वजह से मैं बाहर के दृश्यों को आसानी से देख सकता था।

अब हवाई जहाज़ से लगी सीढ़ी को हटाकर इसका दरवाज़ा बंद कर दिया गया। जहाज़ के अंदर यात्रियों की देखभाल करने और उनकी मदद करने के लिए एयर होस्टेस भी थी। उन्ही एयर होस्टेस में से एक ने यह सूचना दी कि कृपया सभी यात्रीगण अपनी अपनी सीट पर लगी हुई सुरक्षा पेटियां बांध लें परन्तु मुझ को सुरक्षा पेटी को बाँधना  नही आता था तो मैंने एक एयर होस्टेस से मदद मांगी। 

हवाई जहाज़ के अंदर पहली बार बैठने का अनुभव मुझे अंदर ही अंदर आनन्दित कर रहा था। अपने उस आनंद को शब्दों में व्यक्त कर पाना मेरे लिए असंभव है। रन-वे पर कुछ दूरी तय करने के बाद अब हवाई जहाज़ धीरे धीरे आसमान की बुलंदी की ओर बढ़ रहा था और कुछ ही समय बाद वह आकाश में बादलों के बीच मे उड़ने लगा था। यह सब मेरे लिए किसी सपने जैसा लग रहा था। 

मानो जैसे मैं खुद किसी आज़ाद पंक्षी की तरह इस खुले आकाश में उड़ रहा हूँ। ऊपर से नीचे देखने पर बड़ी बड़ी इमारतें इंसान और जानवर छोटे छोटे खिलौनें की तरह दिख रहे थे। जमीन पर मौजूद हरे भरे पेड़ -पौधे और नीला समुन्दर जहाज़ के अंदर से एक मनोरम प्राकृतिक दृश्य का चित्रण कर रहे थे। प्रकृति की इस खूबसरती को देखते-देखते समय का पता ही नही चला और अब मेरे हवाई जहाज़ के अपने निर्धारित स्थान पर उतर कर धरती को छूने के लिए तैयार थीं। 

अब हमें पुनः अपनी सुरक्षा पेटियों को बांधने के लिए कहा गया। हवाई जहाज ने रन-वे की पट्टी को छुआ तो हम सभी को हल्का सा झटका महसूस हुआ जिसके कुछ समय बाद जहाज रुक गया। अब फिर से जहाज के पास सीढ़ी लगा दी गयी। हम सभी एक-एक कर उतर कर फिर से हवाई अड्डे के अंदर आ गए। इस तरह मैंने हवाई अड्डे से टैक्सी पकड़ कर अपने गंतव्य पर पहुँच गया।

कुछ घंटों का मेरा यह यात्रा वृतांत मेरे जीवन की एक ऐसी घटना है जिसने न सिर्फ मेरे सपने को पूरा किया अपितु मैंने जीवन मे बहुत सारे अनुभव को भी प्राप्त किया।

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अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध | Space travel Essay In Hindi

Space travel Essay In Hindi

अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध Space travel Essay In Hindi | Short Essay on Space Travel

अंतरिक्ष यात्रा क्या है? मूल रूप से पृथ्वी के बाहरी अंतरिक्ष में यात्रा करने की प्रक्रिया या पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर की यात्रा के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है. अंतरिक्ष वह असीम तीन-आयामी सीमा है जिसमें वस्तुओं और घटनाओं की सापेक्ष स्थिति और दिशा होती है. यह वह जगह है जहां सब कुछ जैसे : ग्रहों, सितारों और अन्य वस्तुओं सभी पाया जाता है.

अंतरिक्ष यात्रा मानव अंतरिक्ष यान और रोबोटिक्स अंतरिक्ष मिशन दोनों से संबंधित है इसलिए अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास का उल्लेख करना आवश्यक है जिसमें कहा गया है कि अंतरिक्ष यात्रा 1957 में शुरू हुई जब सोवियत संघ ने उपग्रह स्पुतनिक- I  को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किया. यह पाया गया है कि विशेष रूप से डिजाइन किए गए रोबोटिक्स अंतरिक्ष यान पहले ही उन सभी ग्रहों का दौरा कर चुके हैं जो हमारे सौर मंडल के साथ – साथ चंद्रमा में भी शामिल हैं.

अंतरिक्ष में जाने वाला पहला इंसान

12 अप्रैल, 1961 को अंतरिक्ष यान वोस्तोक 1 (Vostok 1) पर सवार होकर सोवियत अंतरिक्ष यात्री यूरी अलेक्सेयेविच गगारिन अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान बने. उड़ान के दौरान 27 वर्षीय परीक्षण पायलट और औद्योगिक तकनीशियन भी ग्रह की परिक्रमा करने वाले पहले व्यक्ति बने 89 मिनट में उनके अंतरिक्ष कैप्सूल द्वारा एक उपलब्धि हासिल की. उस पहली मानव उड़ान के 10 वर्षों के भीतर, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर चले गए. अपोलो 11 के चालक दल के सदस्य नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन ने 20 जुलाई,1969 को पहली बार चंद्र पर अवतरण किए.

अंतरिक्ष की खोज कितनी सही कितनी गलत

कुछ लोग सोचते हैं कि हमें अंतरिक्ष की खोज करनी चाहिए और दूसरे ग्रहों की यात्रा करनी चाहिए और कुछ कहते हैं कि अंतरिक्ष की खोज समय और धन की बरबादी है. मुझे ऐसा लगता है कि अंतरिक्ष अन्वेषण यह मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम हमेशा अपने बारे में अधिक जानना चाहते हैं उस दुनिया के बारे में जिसमें हम रहते हैं. इसलिये अंतरिक्ष यात्रा समय और धन के लायक है क्योंकि अंतरिक्ष यात्रा के साथ हम अंतरिक्ष के बारे में अधिक जान सकते हैं और वहां क्या हो रहा है जैसे की : अंतरिक्ष यात्रा के मुख्य लक्ष्य हमें ब्रह्मांड की गहराई से समझने में मदद, अपने स्वयं के ग्रह के बारे में अधिक जानें और किसी अन्य रहने योग्य स्थान की खोज करके या बाहरी संसाधनों का उपयोग करके संभावित रूप से धीमी भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) के बारे में जानें.

हम अंतरिक्ष और प्रक्रियाओं के बारे में अधिक जानेंगे जो ब्रह्मांड में चल रही हैं और हम नई तकनीकों की खोज कर सकते हैं. इसीलिए इसमें लाभ यह भी है कि अंतरिक्ष में जाने के लिए हम जिस तकनीक का विकास करते हैं वह अधिक टिकाऊ ऊर्जा बेहतर उपभोक्ता उत्पाद और यहां तक ​​​​कि वैश्विक संचार में वृद्धि प्रदान कर सकती है.

Space travel Essay In Hindi

20वीं शताब्दी में रॉकेटों के विकास और इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य प्रौद्योगिकियों में प्रगति के साथ मशीनों और जानवरों और फिर पृथ्वी के वायुमंडल से ऊपर के लोगों को भेजना संभव हो गया है. अर्थात हम अंतरिक्ष यात्रा के युग में प्रवेश कर चुके हैं.  वह समय दूर नहीं जब हम अन्य ग्रहों की यात्रा करेंगे जैसा हम अभी अन्य देशों की यात्रा करते हैं. अंतरिक्ष यात्रा से ही चांद और मंगल ग्रह की यात्रा संभव हो पाया है. अर्थात यह मनुष्य के लिए अन्य ग्रहों की यात्रा करना संभव बना सकता है. अंतरिक्ष यात्री इसके माध्यम से यात्रा करते समय अंतरिक्ष के बारे में बहुत सारी उपयोगी जानकारी एकत्र करते हैं.

यद्यपि आज नियमित रूप से अंतरिक्ष यात्रा करना असंभव है और जहां मनुष्य उन्नत तकनीक के साथ एक उन्नत दुनिया में रह सकते हैं जो हमारे अंतरिक्ष शिल्प को उन जगहों पर पहुंचा सकता है जिनके बारे में हमने पहले कभी मिनटों में नहीं सुना है. वैज्ञानिक और इंजीनियर हमारे समाज के तकनीकी विकास में उचित चरण तक पहुंचने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं. बेशक ये प्रगति हमारे ग्रह को जीवित रहने में मदद कर सकती है जब हम अंततः अपने सभी प्राकृतिक संसाधनों को खत्म कर देते हैं.

वर्षो बाद हुआ संभव

आज से कई सदियों बाद अंतरिक्ष यात्रा दुनिया के अमीर लोगों द्वारा एक भ्रमण यात्रा के रूप में लिया जा सकता है जो अपनी इच्छा के लिए एक बड़ी राशि खर्च कर सकते हैं. इसके अलावा पृथ्वी पर मानव जाति के आगे विस्तार के लिए वाणिज्यिक अंतरिक्ष उद्योग का बहुत महत्व होने जा रहा है. मानव सभ्यता के विस्तार के लिए अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने के लिए नए संसाधनों की आवश्यकता होगी. इस मामले में, अंतरिक्ष सभी प्रकार के संसाधनों और खनिजों की पर्याप्त आपूर्ति प्रदान कर सकता है. निकट भविष्य में हमारे सम कालीनों द्वारा विकसित की जाने वाली नई नवाचार प्रौद्योगिकियां हमारे ग्रह पर जीवन को पूरी तरह से बदल सकती हैं और अंतरिक्ष में रास्ता प्रदान कर सकती हैं.

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बस यात्रा पर निबंध | Essay on Bus Journey in Hindi

प्रिय साथियो आपका स्वागत है Essay on Bus Journey in Hindi में आज हम आपके साथ बस यात्रा पर निबंध साझा कर रहे हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 तक के बच्चों को मेरी पहली बस यात्रा पर निबंध कहा जाता हैं, तो आप सरल भाषा में लिखे गये इस हिन्दी निबंध को परीक्षा के लिहाज से याद कर लिख सकते हैं.

Essay on Bus Journey in Hindi

बस यात्रा पर निबंध | Essay on Bus Journey in Hindi

मैं जब ओडिशा की यात्रा पर गया था, तो भुवनेश्वर से कोणार्क पहुँचने के लिए मुझे बस से बेहतर साधन कोई नजर नहीं आया.

भुवनेश्वर से कोणार्क के लिए कई बसें चलती हैं. मैं अपने मित्रों के साथ एक बस में सवार होने के लिए बस अड्डे पहुंचा.

भुवनेश्वर बस अड्डे पर मुझे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा. बस अड्डा गंदगी से अटा पड़ा था. लोग यहाँ कोने किनारे खड़े होकर मूत्र त्याग करने से बाज नहीं आ रहे थे. सार्वजनिक स्थानों पर मूत्र त्यागना जैसे भारत की एक परम्परा बन चुकी हैं.

मेरी पहली बस यात्रा (Meri Pahli Bus Yatra)

मेट्रो स्टेशनों को छोड़कर भारत के सभी रेलवे स्टेशनों एवं बस अड्डों पर देश के नागरिकों की ऐसी हरकतें आपकों चेहरे पर रूमाल रखने के लिए अवश्य बाधित कर देगी.

किसी बस अड्डे या रेलवे स्टेशन पर यदि यह बदबू आपकों परेशान न करती हो तो समझ लीजिए कि आप किसी यूरोपीय देश में पहुँच चुके हैं.

मैं नाक पर रूमाल रखे, एक हाथ में अपना सामान लिए टिकट काउन्टर पर पहुंचा. काउन्टर पर काफी भीड़ थी. मैं भी पंक्ति में शामिल हो गया. लगभग एक घंटे तक पंक्ति में खड़ा रहने के बाद मैं टिकट लेने में कामयाब हो गया.

इस सफलता पर मैं कितना इतरा रहा था, मैं ही समझ सकता हूँ. एक घंटे तक खड़े होने के बाद यदि आपकों सफलता नसीब हो तो ऐसी ही ख़ुशी आपकों मिलेगी.

मेरे मित्रों ने बस से यात्रा को खतरनाक मानते हुए मुझे ऐसी मुर्खता करने से मना किया था, पर मुझे तो रोमांच की तलाश थी न, भला मैं कैसे मानता.

बस नियत समय से लगभग दो घंटे लेट थी. मैं बस में सवार होकर उस वक्त को कोस रहा था, जब मैंने बस से यात्रा करने का निर्णय लिया था. आखिर दो घंटे बाद बस ड्राईवर उपस्थित हुआ, मुझे अत्यंत ख़ुशी हुई.

थोड़ी देर में कन्डक्टर भी आ पहुंचा. बस के चलने के साथ ही मेरी बैचेनी भी थोड़ी कम हुई. भुवनेश्वर से कोणार्क तक बस से सफर करने में लगभग चार घंटे का समय लगता हैं. मैं दस बजे बस अड्डे पर पहुंचा था और अब दो बज चुके थे.

यदि मैं ट्रेन से चला होता तो अब तक पहुँच गया होता या फिर पहुँचने वाला होता.

खैर, अभी बस थोड़ी ही दूर चली थी कि कंडक्टर ने सूचना दी कि बस खराब हो गई हैं. इसे ठीक करने में लगभग तीन घंटे लग जायेगे. उसकी बात सुनकर मुझ समेत सारे यात्री परेशान हो गये.

सभी ने एक स्वर में कहा कि हमें दूसरी बस से कोणार्क भेजों. कंडक्टर एवं ड्राईवर ने कहा कि यदि दूसरी बस वाले तैयार हो जाएगे तो हम जरुर भेज देगे.

कंडक्टर हर बस को रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन यात्रियों की संख्या को देखकर दूसरी बस का ड्राईवर बस रोकने के लिए तैयार ही नहीं था.

कंडक्टर ने किसी को फोन किया, उसके बाद कुछ लोग आए और बस को ठीक करने में जुट गये.

सभी यात्री अपनी किस्मत को कोस रहे थे. हम सभी को लगने लगा था कि तीन घंटे से पहले बस ठीक नहीं होगी. इसलिए हम लोग संतोष कर चुके थे चलो जो होना होगा, होगा.

विधाता के आगे किसकी चली हैं. कुछ स्त्रियाँ ऐसे वक्त में भगवान को याद करने लगीं. कुछ आराम पसंद लोग बस में ही खर्राटे भरने लगे. कुछ लोग अपने साथ ताश के पत्ते लेकर आए थे. अच्छा मौका देखकर वे भी उसी में मशगूल हो गये.

बच गया मैं और मेरे मित्र. हम अपनी अपनी किस्मत को कोस रहे थे. मैंने सोच लिया था कि फिर कभी बस से यात्रा नहीं करूँगा दिल्ली में रहते हुए वैसे मैं बस से ही अपने कार्यालय जाता हूँ. लेकिन उस बस यात्रा और इस बस में जमीन आसमान का फर्क हैं.

लम्बी दूरी की यात्रा मैंने पहली बार बस से की थी. लोग कहते हैं कि लम्बी दूरी की यात्रा के लिए बस ठीक नहीं होती. मैं उनकी इस बात से सहमत नहीं था. आज इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण मुझे मिल गया था.

मैं अभी सोच ही रहा था कि इस खाली समय में क्या करूँ कि कुछ सज्जन हमारे पास आए और पास ही स्थित एक पहाड़ी की गुफा की सैर पर चलने का न्यौता दिया. मैं उनके साथ चलने के लिए तैयार हो गया.

हम सभी बस ड्राईवर को एक घंटे के भीतर लौटने के बारे में बताकर वहां से चल दिए. लगभग पांच मिनट पश्चात हम गुफा के पास थे. गुफा के बाहर कुछ मूर्तियाँ बनी थी.

पत्थर की ये मूर्तियाँ इतनी खूबसूरत थी कि उनका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता. मैं अब सोचने लगा कि यदि मैं बस से सफर नहीं करता तो क्या मुझे इन्हें देखने का अवसर मिलता, मेरा सारा गुस्सा काफूर हो गया.

गुफा को देखकर जब हम लोग बस के समीप पहुंचे तो बस पूर्णत ठीक हो चुकी थी. ड्राईवर इस बार बड़ी तेजी से बस चला रहा था. खाने का समय हो गया था. इसलिए यात्रियों के कहने पर ड्राईवर ने एक होटल के समीप बस को रोक दिया.

जो यात्री अपने साथ खाना लेकर आए थे, वे बस में ही बैठकर खाने लगे. शेष यात्री होटल में खाना खाने के लिए चले गये. मुझे भी बहुत जोरों की भूख लगी थी, मैंने वेटर को कुछ लाने के लिए कहा.

सभी के खा चुकने के बाद बस ड्राईवर ने पुनः बस स्टार्ट की. कंडक्टर ने देखा कि कही कोई यात्री छूट तो नहीं गया हैं. जब उसे तसल्ली हो गई कि सभी यात्री बस में सवार हो चुके हैं, सिटी बजाकर ड्राईवर को इशारा किया और अगले ही पल बस ने अपनी रफ्तार पकड़ ली.

हम लोग शाम के करीब पांच बजे कोणार्क पहुंचे. बस यात्री आपस में बातें कर रहे थे. कि यदि हम पहले आ गये होते तो सूर्यास्त के समय कोणार्क के इस सूर्य मन्दिर को देखने का सौभाग्य हमें प्राप्त नहीं होता.

सूर्यास्त के समय इस मंदिर की ख़ूबसूरती देखने लायक होती हैं. बस में हमें थोड़ी तकलीफ अवश्य हुई लेकिन इस यात्रा में आनन्द भी कम नहीं आया. यह मेरी ऐसी बस यात्रा रही जिसके खट्टे मीठे पलों को याद कर आज भी मैं मंद मंद मुस्काता हूँ.

  • मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध
  • किसी रोचक यात्रा का वर्णन निबंध
  • यात्रा पर निबंध

आशा करता हूँ फ्रेड्स Essay on Bus Journey in Hindi  Language  का हिंदी में दिया गया यह निबंध आपकों अच्छा लगा होगा,

यदि आपकों हमारे द्वारा उपर दिया गया बस यात्रा पर निबंध  शीर्षक का लेख अच्छा लगा हो तो प्लीज इसे अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करे.

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✍️Essay on Travelling: Samples in 100, 200, 300 Words

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  • Updated on  
  • Nov 2, 2023

Essay on travelling

Did you know the tourism industry accounted for $2 Trillion in 2022? Every year, people travel around the world to take a break from their busy routines. This in turn helps them to come back more rejuvenated and more focused. But do you know the importance of travelling and how it helps one mentally and physically? Well, don’t worry as we have got you covered. Here we will give you details on an essay on travelling, which you can use at school, college and other academic levels. 

Table of Contents

  • 1 Importance of Travelling 
  • 2 Essay on Travelling in 100 words
  • 3 Essay on Travelling in 200 words
  • 4 Essay on Travelling in 300 words

Importance of Travelling 

Travelling is a vital facet of personal development and cultural enrichment. Travelling broadens one’s horizons, and fosters tolerance and understanding of diverse cultures. On the positive side of travelling is that it allows one to break free from their routine, and travel and stimulates creativity and problem-solving skills. 

One should make sure they travel at least once a year. By doing so, it will act as a motivation for self-discovery, building confidence and allowing one to navigate several unfamiliar territories.  Moreover, it creates long-lasting memories as well as bonds with friends or other people.

Travelling to new places and exploring nature’s wonders, historical landmarks, or vibrant cities imbues us with valuable experiences. It also promotes lifelong learning as well as appreciation for the beauty and diversity of our world. All in all, travelling to new places acts as an investment in both personal development and in terms of creating connections with new people.

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Essay on Travelling in 100 words

People love to travel around the world for leisure while there are people who travel for educational purposes. At the same time, some people travel for work-related reasons. All those people who love to travel for educational purposes get the opportunity to their classroom learning into practical use as well. 

On the other hand, some people travel only for pleasure and to get a break from their busy schedules. We can extend our horizons by experiencing the location’s food, culture, architecture, and other characteristics. Experiences from real life are always more valuable. We can learn about a different culture, language, way of life, and population by visiting a city in a foreign country. It is occasionally the best teacher for learning about the outside world.

Essay on Travelling in 200 words

Travelling is a captivating and enriching experience that broadens horizons, fosters personal growth, and connects individuals with diverse cultures and landscapes. It is a journey of discovery, both of the world and oneself.

One of the most profound aspects of travelling is the opportunity to explore new cultures. Immersing oneself in different traditions, cuisines, and languages opens one’s mind to the rich tapestry of humanity. It fosters tolerance, empathy, and a deeper understanding of global interconnectedness.

Moreover, travel provides a break from daily routine and offers a chance to escape the demands of daily life. It allows individuals to recharge, relax, and rejuvenate. Whether it’s lounging on a pristine beach, hiking in majestic mountains, or exploring bustling urban centres, travel offers diverse experiences for every taste and preference.

Furthermore, travelling encourages personal growth. It challenges individuals to step out of their comfort zones, adapt to unfamiliar environments, and solve problems on the go. It promotes self-confidence, independence, and resilience.

At last, travelling is not just a leisure activity; it is a transformative journey that enriches the mind, nourishes the soul, and leaves lasting memories. It is an essential part of the human experience, reminding us that the world is vast, diverse, and waiting to be explored. So, pack your bags and embark on the adventure of a lifetime. Your next great discovery may be just around the corner.

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Essay on Travelling in 300 words

Travelling is a transformative experience that opens up a world of possibilities and enriches our lives in countless ways. Whether it’s a weekend getaway to a nearby town or an adventure across continents, the act of travelling transcends mere movement; it’s a journey of self-discovery and exploration.

One of the best aspects of travelling is the exposure to diverse cultures. When we venture beyond our familiar surroundings, we encounter people with different traditions, languages, and perspectives. This exposure fosters empathy and a deeper understanding of the global community. It allows us to break down stereotypes and prejudices, promoting a more interconnected and peaceful world.

Travelling also provides an opportunity for personal growth. It challenges us to step out of our comfort zones and adapt to new situations. Whether it’s navigating through a bustling market in Marrakech or communicating with locals in Tokyo, these experiences build resilience and self-confidence. We also learn problem-solving skills, become more adaptable, and develop a greater sense of independence.

Furthermore, travel offers a chance to connect with nature. Travelling is a gateway to history and art. Visiting ancient ruins, museums, and historical sites immerses us in the rich tapestry of human civilization. It deepens our appreciation for the accomplishments and struggles of those who came before us, fostering a sense of heritage and a connection to our shared past.

In conclusion, travelling is not just about going from one place to another; it’s a journey of self-discovery, cultural immersion, personal growth, and appreciation for the world we inhabit. It broadens our horizons, challenges our assumptions, and enriches our lives in ways that few other experiences can. So, whether you’re exploring a distant land or simply taking a road trip to a neighbouring town, embrace the opportunity to travel and let it transform you.

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Travelling Gives You a Whole New Perspective on the World. Exploring new cultures and ideas while abroad can fundamentally alter how you perceive and engage with the rest of the world.

When you travel, you encounter new people, cultures, experiences, and adventures (both good and terrible), and you may even come to a new understanding of what life is all about.

A new language, cuisine, culture, and even new ways of thinking and living are introduced to the people. Travel also helps one realise that you need to pay attention to the various viewpoints, ideologies, and values that are all around you.

We hope this essay on travelling gave you all the information about the importance and benefits of travelling. For more information on such interesting topics, visit our essay writing page and follow Leverage Edu .

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Malvika Chawla

Malvika is a content writer cum news freak who comes with a strong background in Journalism and has worked with renowned news websites such as News 9 and The Financial Express to name a few. When not writing, she can be found bringing life to the canvasses by painting on them.

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  • Travelling Essay

500 Words Essay On Travelling

Many people travel for different purposes. Whether it is for a business trip or a holiday trip, we see people travelling often. Some people prefer a hilly area for travelling while the others like travelling to places with beaches. In this travelling essay, we will look at the importance of travelling and how it has changed ever since the old times.

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Importance of Travelling Essay

While the reasons for travelling are many, we must not forget that it can be a refreshing experience. Travelling is an experience that can teach us so many things that you cannot possibly learn while living at home.

Firstly, it teaches you how to make new friends . The world is full of people who love interacting. You get to make friends when you travel to new places and spend quality time with them.

Moreover, it also helps you enhance your social skills. After that, travelling is great for learning new skills. For instance, going to mountain regions teaches you how to trek. Similarly, going to beaches helps you learn scuba diving or surfing.

You can also enjoy the beauty of nature when you travel. Similarly, you get to explore nature like never before and find discover the earth’s beauty. Travelling also helps us understand people.

After you spend time at a new place, you interact with the local people of the place. You learn so much about them and their culture. It makes you more open-minded and be mindful of the culture and beliefs of different people.

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Travelling: Then vs. Now

Travelling has changed significantly thanks to technology. In the earlier days, it was not easy to travel. Travelling on foot or on animals was the only option back then. Ships were also an option but they were too risky.

Further, people use bullocks and horse carts and even camels to travel. Sled was an option for people travelling to snow-covered regions. Moreover, it was a hassle to travel even to a short distance as it consumed too much time.

However, with the changing times and revolutionary technology , travelling has become one of the easiest things to do. There are so many new ways and means to travel that the travel game has changed drastically.

We can board a variety of vehicles now to travel such as bus, train, truck, aeroplane, submarine, hovercraft, and more. You can reach a place far away within no time thanks to all these transport options.

Further, there are no barriers now. You can use online maps and translators when travelling to a different city or country to help you. Cab service and food service is readily available too. Thus, travelling is very easy now thanks to technology.

Conclusion of Travelling Essay

All in all, travelling can be a fun and learning experience for everyone now. Moreover, with technology, you can travel to any corner of the world without having to worry about barriers of language, distance, and more. Everyone must travel at least once in their life to enjoy an unforgettable experience.

FAQ of Travelling Essay

Question 1: Why is travelling important?

Answer 1: Travelling is important as it teaches us a lot of things. You can learn new skills, new languages, new cultures. Moreover, you get to make new friends and try out new foods when you travel to a new place. It can be a real learning experience for all.

Question 2: How is travelling different now?

Answer 2: Travelling has changed drastically thanks to technology. Earlier, people had to take animals to travel to a new place and it would be time-consuming. Now, there are many transport options available that help you reach within no time. Further, the internet has made travelling easier by offering maps, translation apps, food services, cab services, etc. available at our fingertips.

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अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध

आज हम अपने लेख के माध्यम से आपके लिए अंतरिक्ष यात्रा विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। इस निबंध के जरिए आपको अंतरिक्ष यात्रा के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने को मिलेगी। आइए जानते हैं, अंतरिक्ष यात्रा पर निबंध….

पृथ्वी का बाहरी आवरण जिसका ना अंत है, ना आरंभ अंतरिक्ष कहलाता है। अंतरिक्ष वह स्थान है जहां सूर्य, चंद्रमा, ग्रह इत्यादि उपस्थित होते हैं। कुछ प्रमुख लोग अंतरिक्ष में स्थित ग्रह उपग्रह तथा अन्य पिंडो की जानकारी एकत्रित करने के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जाते हैं। इस प्रकार पृथ्वी से बाहर अंतरिक्ष में यात्रा करने को अंतरिक्ष यात्रा कहा जाता है। अंतरिक्ष में जो व्यक्ति यात्रा पर जाता है अंतरिक्ष यात्री कहा जाता है।

अंतरिक्ष यात्रा का इतिहास

अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत सर्वप्रथम रूस देश ने की थी। सन् 1957 में की गई इस प्रथम अंतरिक्ष यात्रा में किसी मनुष्य को नहीं भेजा गया था। बल्कि रूस ने अपने एक रोबोट को भेजकर प्रथम अंतरिक्ष यात्रा की उपलब्धि हासिल की थी। इस प्रथम यात्रा में सफलता पाने के बाद, रूस की ओर से प्रथम मनुष्य अंतरिक्ष यात्रा पर गया। 1961 में रूस की ओर से भेजे जाने वाला प्रथम अंतरिक्ष यात्री गागरिन सोवियत संघ से था। अपनी अंतरिक्ष यात्रा में गागरिन ने लगभग डेढ़ घंटे अंतरिक्ष में बिताए और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस आए।इस प्रथम अंतरिक्ष यात्रा की सफलता के बाद अन्य तमाम देशों ने भी अंतरिक्ष यात्रा की उड़ान भरनी शुरू कर दी।

भारत की अंतरिक्ष यात्रा

भारत ने अब तक कई प्रक्षेपण यान को अंतरिक्ष में भेजा और अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया। भारत की ओर से अब तक 70 से ज्यादा उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है। भारत ने रूस की सहायता से अपना पहला उपग्रह 19 अप्रैल 1975 को भेजा था। भारत के इस पहले उपग्रह का नाम भारत के महान खगोलविद तथा गणितज्ञ आर्यभट्ट पर रखा गया। भारत को अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने में सफलता अवश्य मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही आर्थिक बोझ बढ़ गया। प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा और कल्पना चावला रहे। जिसमें से कल्पना चावला की अंतरिक्ष यात्रा में मृत्यु हो गई थी।

अंतरिक्ष यात्रा का महत्व

अंतरिक्ष यात्रा से हमें कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। अंतरिक्ष यात्रा से हमें अंतरिक्ष के विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने को मिलती है। पृथ्वी की वर्तमान स्थिति और अंतरिक्ष में पैदा होने वाले संकट का ज्ञान अंतरिक्ष यात्रा के माध्यम से पता चलता है। 20 वीं शताब्दी के बाद से अंतरिक्ष यात्रा के माध्यम से अंतरिक्ष में कई खोजे की गई। इसके साथ ही विज्ञान का सबसे बड़ी देन इंटरनेट का प्रयोग भी उपग्रहों के द्वारा करना संभव हो पाता है।

वर्तमान समय में अंतरिक्ष यात्रा सबसे बड़ी यात्रा है। अंतरिक्ष यात्रा को करने के लिए बेहद हिम्मत और कई सालों की कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। भले ही अंतरिक्ष यात्रा में अंतरिक्ष यात्री की जान को खतरा होता है, लेकिन अगर अंतरिक्ष यात्रा सफल होती है, तो अंतरिक्ष यात्री व उसके देश का नाम रोशन होता है।

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