Education Aacharya - एजुकेशन आचार्य

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Education Aacharya - एजुकेशन आचार्य

Synopsis / शोध प्रारूपिका (लघु शोध व शोध के विद्यार्थियों हेतु)

किसी भी क्षेत्र में शोध करने से पूर्व मनोमष्तिष्क में एक तूफ़ान एक हलचल महसूस होती है, शोध परिक्षेत्र की तलाश प्रारम्भ होती है, विषय की तलाश से लेकर परिणति तक का आयाम मुखर होने लगता है और इसी मनोवेग वैचारिक तूफ़ान को शोध एक सृजनात्मक आयाम देता है एवं अस्तित्व में आता है शोध प्रोपोज़ल या शोध प्रारूपिका। हमारे शोधार्थियों में इसके लिए शब्द प्रचलन में है: —- Synopsis.

शोध को क्रमबद्ध वैज्ञानिक स्वरुप देने हेतु लघुशोध व शोध के विद्यार्थी सरलता से कार्य कर सहजता से इस परिणति तक ले जा सकते हैं, Synopsis के चरणों(Steps) को इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है –

1. प्रस्तावना 2. आवश्यकता क्यों? 3. समस्या 4.उद्देश्य 5.परिकल्पना 6. प्रतिदर्श 7. शोध विधि 8. शोध उपकरण 9. प्रयुक्त सांख्यिकीय विधि 10. परिणाम, निष्कर्ष एवं सुझाव 11. प्रस्तावित रूपरेखा (शोध स्वरूपानुसार)

1. प्रस्तावना(Introduction)-

जिस तरह रत्नगर्भा पृथ्वी के गर्भ से प्राप्त अयस्क परिशोधन से शुद्ध धात्वीय स्वरुप प्राप्त करते हैं उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क में उमड़ते-घुमड़ते तथ्य प्रगटन के लिए अपने परिशुद्ध स्वरुप को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं और हम अपनी क्षमता के अनुसार उसे बोधगम्य बनाकर उसका प्रारम्भिक स्वरुप प्रस्तुत करते हैं जो मूलतः हमारे विषय से सम्बन्ध रखता है, शीर्षक से जुड़ाव का यह मुखड़ा, भूमिका या प्रस्तावना का स्वरुप लेता है इसके शब्द हमारी क्षमता अधिगम स्तर और प्रस्तुति कौशल के अनुसार अलग-अलग परिलक्षित होता है इसमें वह आलोक होता है जो हमारे शोध का उद्गार बनने की क्षमता रखता है।

2. आवश्यकता क्यों?(Importance)-

यह बिंदु विषय-वस्तु के महत्त्व को प्रतिपादित करता है और उस पर कार्य करने के औचित्य को सिद्ध करता है कि आखिर अमुक चर को या अमुक पात्र या विषय वस्तु को ही हमने अपने अध्ययन का आधार क्यों बनाया? हमें देश, काल, परिस्थितियों के आलोक में अपने विषय और उसी परिक्षेत्र पर कार्य करने की तीव्रता का परिचय कराना होता है इसे ऐसे शब्दों में लिखा जाना चाहिए कि पढ़ने वाला उसकी तीव्रता को महसूस कर सके और उसका मानस सहज रूप से आपके तर्कों का कायल हो जाए।

3. समस्या(Problem)-

यहाँ समस्या या समस्या कथन से आशय शोध के ‘शीर्षक’ से है। शीर्षक संक्षिप्त, सरल, सहज बोधगम्य व सार्थक भाव युक्त होना चाहिए अनावश्यक विस्तार या अत्यधिक कठिन शब्दों के प्रयोग से बचकर उसे अधिक पाठकों की बोधगम्यता परिधि में लाया जा सकता है यह शुद्ध व भाव स्पष्ट करने में समर्थ होना चाहिए। शोध स्वरूपानुसार इसका उपयुक्त चयन व शुद्ध निरूपण होना चाहिए।

4. उद्देश्य(Objectives)-

उद्देश्य बहुत सधे शब्दों में बिन्दुवार दिए जाने चाहिए। तुलनात्मक अध्ययन में निर्धारित चर के आधार पर न्यादर्श के प्रत्येक वर्ग का दुसरे से तुलनात्मक अध्ययन करना, उद्देश्य का अभीप्सित होगा यह शोधानुसार क्रमिक रूप से व्यवस्थित किए जा सकते हैं।

5. परिकल्पनाएं(Hypothesis)-

परिकल्पनाओं का स्वरुप शोध के स्वरुप पर अवलम्बित होता है। सकारात्मक, नकारात्मक और शून्य परिकल्पना अस्तित्व में है लेकिन शोध हेतु शून्य परिकल्पना सर्वाधिक उत्तम रहती है, इसको भी क्रमवार तुलना के स्वरुप के आधार पर व्यवस्थित करते हैं। यदि ग्रुप ‘A’ और ग्रुप ‘B’ के लड़कों की ‘कम्प्यूटर के प्रति भय’ के आधार पर तुलना करनी हो तो इसे इस प्रकार लिखेंगे :

ग्रुप ‘A’ और ग्रुप ‘B’ के लड़कों में कम्प्यूटर के प्रति भय के आधार पर कोई सार्थक अन्तर नहीं है।

6. प्रतिदर्श(Sample)-

प्रतिदर्श या न्यादर्श शोध की प्रतिनिधिकारी जनसंख्या होती है यह समस्या के स्वरुप, शोधार्थी की क्षमता, समय व साधनों द्वारा निर्धारित होती है। शोध हेतु चयनित जनसंख्या का शोध स्वरूपानुसार विभिन्न वर्गों में वितरण कर लेते हैं जिससे परस्पर तुलना सुगम हो जाती है यह भी परिकल्पना निर्धारण में सहायक होती है।

7. शोध विधि(Research Method)-

इसका निर्धारण शोध शीर्षक के स्वरुप पर अवलम्बित होता है हिस्टॉरिकल रिसर्च या सर्वेक्षण आधारित शोध Synopsis के पूरे स्वरुप को प्रभावित करते हैं। शोध विधि, शोध की दिशा तय करने में सक्षम है।

8. शोध उपकरण(Research Tools)-

शोध स्वरूपानुसार ही इसकी आवश्यकता होती है कुछ प्रामाणिक शोध उपकरण मौजूद हैं एवं कभी आवश्यकता अनुसार खुद भी स्व आवाश्यक्तानुसार शोध उपकरण विकसित करना होता है। वर्णनात्मक शोध प्रबन्ध में इसकी आवश्यकता नहीं होती।

9. प्रयुक्त सांख्यिकीय विधि(Used Statistical Method)-

जिन शोध के प्राप्य समंक होते हैं उनसे किसी निष्कर्ष तक पहुँचने में शोध की प्रवृत्ति के अनुसार सांख्यिकी का प्रयोग करना होता है यहां केवल प्रयुक्त सूत्र एवं उसमे प्रयुक्त अक्षर का आशय लिखना समीचीन होगा।

10. परिणाम, निष्कर्ष एवं सुझाव(Result, Outcome & Suggestion)-

इस भाग में केवल इतना लिखना पर्याप्त होगा कि ‘प्रदत्तों का सांख्यकीय विश्लेषण से प्राप्त परिणामों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जायेगा एवं भविष्य हेतु सुझाव सुनिश्चित किए जाएंगे।

11. प्रस्तावित रूपरेखा (शोध स्वरूपानुसार)(Proposed Framework)-

  • सम्बन्धित साहित्य का अध्ययन
  • अध्ययन की योजना का प्रारूप
  • आकङों का विश्लेषण एवं विवेचन
  • शोध निष्कर्ष एवं सुझाव
जहां सांख्यिकीय विश्लेषण आवश्यक नहीं है उन वर्णनात्मक, ऐतिहासिक या विवेकनात्मक शोध में चतुर्थ अध्याय आवश्यकतानुसार परिवर्तनीय होगा।

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  • शोधप्रारूप(synopsis) कैसे बनाएँ ? how to create a research design ?

SOORAJ KRISHNA SHASTRI

  जब हम अपने रिसर्च कार्य का प्रारम्भ करते है तो सबसे पहले शोध विषय(research topic) का चयन करते है । शोध विषय का निश्चय करने के तुरन्त बाद यह प्रश्न आता है कि इस शोधकार्य का प्रयोजन क्या है ? तथा कैसे इस शोध कार्य को पूर्ण करना है? यही तथ्य एक प्रक्रिया के द्वारा लिखित रूप में अपने गाइड और कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करना होता है जिसे हम शोधप्रारूप या सिनॉप्सिस(synopsis) कहते हैं।

     शोधप्रारूप या सिनॉप्सिस(synopsis) सही ढंग से न प्रस्तुत करने के कारण वर्षों तक यहाँ-वहाँ भटकना पड़ता है तथा शोधकार्य पिछड़ता चला जाता है।दोस्तों यदि आपने शोधप्रारूप का निर्माण सही ढंग से कर लिया याकि एक बेहतर तरीके से चरणबद्ध शोधप्रारूप सिनॉप्सिस(synopsis)  निर्मित कर ली तो यह कमेटी से शीघ्र ही पास हो जाता है । इसलिए कभी भी शोधप्रारूप का निर्माण चरणबद्ध तरीके से करें । शोधप्रारूप निर्माण के कुछ चरण निर्धारित किये गये हैं जिससे शोधप्रारूप बनकर तैयार होता है ।

शोधप्रारूप के 10 चरण(ten stages of research design)

1. परिचय पृष्ठ(introduction page), 2. प्रस्तावना(preface).

3. औचित्य(justification)

4. प्रयोजन(purpuse of research)

5. प्राक्कल्पना(hypothesis)

6. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि(historical background).

7. शोध सर्वेक्षण(research survey)

8. शोध प्रकृति(nature of research)

9. अध्याय विभाजन(chapter division)

10. सन्दर्भ-ग्रन्थ सूची(reference bibliography)

शोधप्रारूप या सिनॉप्सिस(synopsis) के यही दस चरण हैं जिससे शोधप्रारूप का निर्माण होता है । अब हम आगे विस्तार से चर्चा करेंगे ।

   यह सिनॉप्सिस(synopsis) का पहला पेज(front page) होता है जिसमें निम्नलिखित सूचनाएँ देते हैं-

- युनिवर्सिटी का लोगो(logo) तथा युनिवर्सिटी का नाम(name of university)

- शोध-विषय(research topic)

- सत्र(year)

- शोधनिर्देशक/निर्देशिका (name of superviser or guide)

- अपना नाम(your name)

  प्रस्तावना वह भाग होता है जिसमें अपने शोध शीर्षक के विषय में सामान्य जानकारी देनी पड़ती है । एक तरह से यह आपके शीर्षक का सामान्य परिचय होता है । प्रस्तावना बहुत लम्बी नहीं होनी चाहिए । एक-एक शब्द को अच्छी तरह से जाँच-परखकर रखना चाहिए । प्रस्तावना में 300 से 500 शब्द होने चाहिए । आवश्यकतानुसार इसे घटाया बढ़ाया जा सकता है । परन्तु ध्यान रहे प्रस्तावना में व्यर्थ बातें नहीं भरनी चाहिए । जो आवश्यक बातें हो वही इस भाग में लिखें । 

3. औचित्य(justification) 

 आप जिस शीर्षक पर कार्य करने जा रहे हैं उस शीर्षक का औचित्य क्या है ? इसके बारे में यहाँ लिखना होता है। औचित्य का आशय यह है कि जिस विषय का आपने चयन किया है उस पर शोधकार्य करने की आवश्यकता क्या है । आपके इस शोधकार्य के करने से कौन-कौन सी नई बातें निकलकर आएंगी जिसके बारे में जानना जरूरी है। कभी-कभी हमें लगता है कि औचित्य और प्रयोजन एक ही बात है पर ऐसा नहीं है, इसमें अन्तर है । औचित्य भाग में केवल आपके शोध कार्य की आवश्यकता से सम्बन्धित बातों का जिक्र होता है जबकि प्रयोजन भाग में शोधकार्य के फल या परिणाम की जानकारी दी जाती है। अतः इन दोनों का अन्तर समझकर पृथक-पृथक जानकारी लिखनी चाहिए । इस भाग में यह भी बताना होता है कि इस विषय पर कितना कार्य हुआ है और क्या बाकी है । जो भाग शेष है उसकी भी पूर्ण जानकारी इसमें लिखनी चाहिए । क्योंकि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जिस विषय पर आप कार्य करने जा रहे हैं उस पर कार्य हुआ होता है परन्तु आपको लगता है कि नहीं यह कार्य अभी पूर्ण नहीं है , इसमें इतना भाग बचा है जिस पर शोधकार्य होना चाहिए। इसी बात की जानकारी इस भाग में देनी पड़ती है ।

4. प्रयोजन(Purpose of research)

    आपके शोधकार्य का कोई न कोई प्रयोजन होना चाहिए । जैसा कि कहा गया है -

प्रयोजनमनुद्दिश्य मन्दोपि न प्रवर्तते॥

अतः आपके शोधशीर्षक में एक अच्छा परिणाम, फल या प्रयोजन छुपा होना चाहिए । बिना प्रयोजन के शोध शीर्षक का चयन नहीं करना चाहिए । इस भाग में यह लिखना होता है कि आपने जो शोध शीर्षक चुना है उसका प्रयोजन क्या है ? इस शोधकार्य का परिणाम क्या होगा ? इसका जिक्र इस भाग में करना चाहिए । ध्यान रहे आपके शोध शीर्षक के विस्तार के आधार पर ही प्रयोजन का निश्चय करना चाहिए । ऐसा न हो कि जो प्रयोजन आप दिखा रहे हों वहाँ तक आपके शोध शीर्षक की पहुँच ही न हो । जैसे आपने किसी एक साहित्यिक पुस्तक पर शोधकार्य  आरम्भ किया तथा प्रयोजन में लिखा कि इस शोधकार्य से सम्पूर्ण साहित्य जगत् का कल्याण होगा । यह गलत है । साहित्य जगत् बहु-विस्तृत शब्द है । एक पुस्तक पर किया गया कार्य समग्र साहित्य का कल्याण नहीं कर सकता अतः आपके द्वारा दिखाया गया यह प्रयोजन निरर्थक है । इस विषय का सही प्रयोजन यह है कि प्रस्तुत पुस्तक पर शोध कार्य करने से इस पुस्तक से सम्बन्धित तथ्य अध्येताओं के सम्मुख आयेंगे तथा इस पुस्तक के महत्त्व का आकलन  हो सकेगा । अब आप समझ गये होंगे कि इस भाग में हमें क्या दर्शाना है । शोध शीर्षक के अनुरूप शोधकार्य का फल भी होना चाहिए । 

   शोध प्रारूप का यह भी बहुत महत्त्वपूर्ण भाग है । प्राक्कल्पना का अर्थ होता है पूर्व में कल्पना करना । अपने शोध शीर्षक के विषय में हम यह बताते हैं कि यह शोधकार्य किस प्रकार से अपने मूलभूत विषय का उपस्थापन करेगा अथवा इस विषय पर हमारे शोधकार्य से किस प्रकार के प्रतिफल के आने की सम्भावना है । इस बात का वर्णन भी इस शोधप्रारूप में करना पड़ता है ।

  इस भाग में यह लिखना होता है कि आपके शोध-शीर्षक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है ? इस शीर्षक से सम्बन्धित तथ्यों का इतिहास क्या रहा है ? आपके शीर्षक को प्रभावित करने वाले कैसे-कैसे ग्रन्थ या कैसी-कैसी साहित्यिक सामग्री पूर्वकाल से ही उपलब्ध है अथवा प्राचीनकाल में आपके शोधविषय का प्रारूप क्या था ? इस भाग में शोध शीर्षक का ऐतिहासिक विवरण देना चाहिए । 

7. शोध-सर्वेक्षण(research survey)

    शोधप्रारूप का यह भाग अतीव महत्त्वपूर्ण होता है । आपने कोई भी शोध शीर्षक चुन तो लिया, शोध प्रारूप भी बना लिया , सब कुछ निश्चित हो गया कि इसी शोध विषय पर हमें कार्य करना है परन्तु बाद में कमेटी में जाकर खारिज हो गया तथा पत्र में लिखकर आ गया कि जिस विषय पर आप शोधकार्य करने जा रहे हैं उस विषय पर तो कार्य हो चुका है । तब आपका मुंह देखने लायक होता है । तो यह घटना आपके साथ घटे इससे पूर्व ही यह निरीक्षण कर लें कि जिस विषय का आपने चुनाव किया है वह अकर्तृक है अर्थात् उस पर किसी ने शोध कार्य नहीं किया है । अपने शोध प्रारूप के इस भाग में आप यही बताएंगे कि जिस विषय पर मैं शोध कार्य करने जा रहा हूँ उस विषय पर मेरे संज्ञान में कोई शोधकार्य नहीं हुआ है । इसका सर्वेक्षण हमने कर लिया है तथा यह शोध शीर्षक शोधकार्य हेतु अर्ह है ।

8. शोध-प्रकृति(nature of research)

  इस भाग में आप यह बताते हैं कि आपने अपने शोधकार्य में किस विधि या किस शोध पद्धति का इस्तेमाल किया है । आपके शोध की प्रकृति क्या है ? इस विषय में आप निश्चय करते हैं कि हमने शोधकार्य की परिपूर्णता एवं स्पष्टता हेतु किन-किन विधियों का समावेश किया है । यह प्रकृति अनेक प्रकार की हो सकती है । शोधकार्य में कहीं तुलनात्मक, कहीं विश्लेषणात्मक या कहीं विमर्शात्मक या कहीं-कहीं अन्यान्य शोध-प्रविधियों का प्रयोग किया जाता है । इन्हीं विषयों की सम्भावना प्रस्तुत भाग में करनी चाहिए ।

शोध-प्रविधियों की जानकारी के लिए देखें- शोध-प्रविधियाँ ।

9. अध्याय-विभाजन(chapter division)

   इस भाग में आप अपने शोधकार्य का प्रबन्ध भाग दर्शाने हेतु अध्याय विभाजन करते हैं । आपके शोध- प्रबन्ध के अध्यायों का प्रारूप कैसा रहेगा उन बातों का विवरण आप इस भाग में लिखेंगे । आपके शोध प्रबन्ध में 5,6,7,8,9, या 10 कितने अध्याय होंगे इसका स्पष्ट उल्लेख यहां होना चाहिए । 

  अध्याय विभाजन में ध्यातव्य बातें-

- अध्यायों की संख्या आपके शोध प्रबन्ध के अनुरूप होनी चाहिए ।

- फालतू अध्याय न जोड़ें जिसका आपके शोध प्रबन्ध में कोई महत्त्व न हो ।

- अध्यायों में विशिष्ट  तथ्यों से सम्बन्धित सब-टाइटल(sub-title) का प्रयोग करें ।जैसे-

अध्याय.1 के अन्तर्गत 1.1,1.2,1.3,...आदि या(क),(ख),(ग)... इत्यादि ।

- अध्याय विभाजन में सर्वप्रथम भूमिका फिर अध्यायों का क्रम पुनः उपसंहार अन्त में परिशिष्ट की योजना करनी चाहिए । 

10. सन्दर्भ ग्रन्थ सूची(reference bibliography)

   शोध प्रारूप का यह अन्तिम भाग है । इस भाग में आपके शोध विषय में प्रयुक्त ग्रन्थों की जानकारी यहाँ देनी पड़ती है । सन्दर्भ ग्रन्थ सूची में ग्रन्थ के लेखक, रचयिता या सम्पादक का नाम, ग्रन्थ का नाम या शीर्षक, प्रकाशक का नाम , प्रकाशन स्थल , संस्करण एवं वर्ष का क्रमशः उल्लेख करना चाहिए । पत्र-पत्रिकाओं या इन्टरनेट की भी यदि सहायता ली गई है तो इसका भी उल्लेख आप यहाँ कर सकते हैं ।

  सबसे अन्त में नीचे बाएँ दिनाङ्क एवं स्थान का सङ्केत करना चाहिए तत्पश्चात् उसके नीचे बाँए ही साइड मार्गदर्शक का नाम एवं  दायें अपना नाम एवं हस्ताक्षर अङ्कित करना चाहिए ।

हमें आशा है आपको यह लेख पसन्द आयेगा । आपको यह लेख कैसा लगा इसके बारे में कमेन्ट बॉक्स में लिखकर हमें प्रेषित करें । यदि सम्बन्धित विषय में किसी प्रकार की आशंका है तो भी कॉमेन्ट करके अवश्य सूचित करें ।  

शोध प्रारूप

 पीडीएफ डाउनलोड.

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SOORAJ KRISHNA SHASTRI

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22टिप्पणियाँ

महादय: शोधप्रारूपस्य उत्तमम् रित्याम् विवरणं दत्तवान्। शोधर्थि कृत्ते उपयोगि भवेत्।

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धन्यवाद, यदि आप सभी के काम आ सकूँ तो स्वयं को सफल मानूँगा। यदि आप इससे लाभान्वित हुए हों तो और मित्रों को भी प्रेरित करें ।

Thank you sir ek synopsis bhej dijiye koi ho apke pass toh

Koi AK synopsis bhejen sir

Thanks Sir 🙏

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बहुत अच्छा विवरण। इस सम्बन्ध में आपसे सम्पर्क किया जा सकता है?

जी हाँ हमसे सम्पर्क करने के लिए हमारे ईमेल आईडी [email protected] या फोन नंबर 7376572355 पर सम्पर्क कर सकते हैं धन्यवाद 🙏🙏

बहुत बहुत धन्यवाद सर आपने एक एक चरण को बेहतर ढंग से समझाया हैं 🙏🙏

धन्यवाद भाई 🙏🙏

Bahut hi sundar prasentation sir..

Babu ki sundar lekh dhanyavad

बहुत ही सुंदर जानकारी

Thank you for giving this a beautiful information for synopsis of PhD

अतिउत्तम प्रस्तुति एवं बहुपयोगी लेख

It's very useful and helpful for my synopsis 🙏

Thank you🙏🙏

Sir readymade शोधप्रारूप Ka pdf mil Sakta h 5 September last date

Thanks for sharing

very informative post for research. thanks for shering

Bharat mein madhyamik Shiksha ki samasya per shodh

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कैसे लिखे सबसे अच्छा आर्टिकल?

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 2, 2022

Article writing in Hindi बहुत ही आसान होता है, परंतु जब हम उसे लिखने बैठते हैं, तो हमें समझ नहीं आता कि क्या लिखें और क्या नहीं! जब हम बोलते हैं तब हमारी बातों पर हमारा कंट्रोल नहीं होता, हम बहुत सारी बातें बोलते हैं। परंतु जब लिखने की बात आती है तब हम वही बातें लिखते हैं जो बहुत जरूरी होती है। ठीक उसी तरह आर्टिकल लिखने मतलब होता है कि कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा और जानकारी के बारे में बताना। जब हम बातें करते हैं तो हमें सामने वाले चेहरे को देखकर पता चलता है कि हम जो बोल रहे हैं वह उसे समझ आ रहा है या नहीं, परंतु जब लिखने के बाद आती है तब हमें इस बात का पता नहीं चलता।

यदि आप पैराग्राफ राइटिंग इन हिंदी लिखना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें:  Paragraph writing in Hindi

आर्टिकल लेखन क्या है?

आर्टिकल लेखन एक ऐसा तरीका है जिसमें हम किसी भी विषय के बारे में लिखकर उसकी जानकारी या उसके बारे में बता सकते है। उसे हिंदी में ‘ लेख ‘ कहा जाता है। Article writing in Hindi का मतलब होता है कि किसी भी विषय पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी देना। आर्टिकल राइटिंग दो प्रकार के होते हैं-

  • पहला प्रकार-  जिसके हर शब्द का अपना एक अलग ही महत्व होता है।
  • दूसरा प्रकार- किसी भी आर्टिकल में उस विषय की जानकारी को सरल और साधारण भाषा में समझाया गया हो।

आर्टिकल लेखन के उद्देश्य

एक लेख निम्नलिखित उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लिखा जाना चाहिए-

  • इसे विषय या रुचि के विषय को अग्रभूमि में लाना चाहिए।
  • लेख में सभी आवश्यक जानकारी पर चर्चा होनी चाहिए।
  • इसे पाठकों को सिफारिशें करनी चाहिए या सुझाव देना चाहिए।
  • यह पाठकों पर प्रभाव डालने और उन्हें सोचने पर मजबूर करने के योग्य होना चाहिए।
  • लेख में लोगों, स्थानों, उभरती चुनौतियों और तकनीकी प्रगति सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होनी चाहिए।

आर्टिकल लेखन फॉर्मेट

आप जो कुछ भी लिखना चाहते हैं, आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप पहले लेख की संरचना को जानें और फिर उसके अनुसार विवरण का उल्लेख करें। मुख्य रूप से 3 खंडों में  विभाजित- शीर्षक, बायलाइन और मुख्य भाग  , आइए हम लेख लेखन प्रारूप पर एक नज़र डालते हैं जिसे आपको अपनी जानकारी लिखते समय ध्यान में रखना चाहिए।

शीर्षक या उप शीर्षक

पहली बात जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए और लेख लेखन में सबसे महत्वपूर्ण घटक शीर्षक/शीर्षक है। पाठकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह आवश्यक है कि लेख को 5 से 6 शब्दों से अधिक का आकर्षक शीर्षक दिया जाए। 

बायलाइन या लेखक का नाम

शीर्षक के नीचे एक बाइलाइन आती है जिसमें उस लेखक का नाम होता है जिसने लेख लिखा है। यह हिस्सा लेखक को वास्तविक श्रेय अर्जित करने में मदद करता है जिसके वे हकदार हैं।

लेख का मुख्य भाग

मुख्य भाग में एक लेख की मुख्य सामग्री होती है।  कहानी लेखन  हो या लेख लेखन, यह पूरी तरह से लेखक पर निर्भर करता है कि वह रचना की लंबाई और उन पैराग्राफों की संख्या तय करे जो जानकारी को एम्बेड करेंगे। आम तौर पर, एक लेख में 3 या 4 पैराग्राफ होते हैं, जिसमें पहला पैराग्राफ पाठकों को यह बताता है कि लेख किस बारे में होगा और सभी आवश्यक जानकारी। दूसरे और तीसरे पैराग्राफ में विषय की जड़ को शामिल किया जाएगा और यहां सभी प्रासंगिक डेटा, केस स्टडी और आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इसके बाद, चौथा पैराग्राफ उस लेख को समाप्त करेगा जहां समस्याओं के समाधान, जैसा कि दूसरे और तीसरे मार्ग (यदि कोई हो) में प्रस्तुत किया गया है, पर चर्चा की जाएगी। 

ऑटिकल कैसे लिखा जाता है?

जब भी आप किसी भी टॉपिक पर आर्टिकल लिखते हैं तो आपको बहुत सारी बातों को ध्यान रखना पड़ता है जो आपके लिखने की क्षमता को कई गुना ज्यादा निखरता हैं इसलिए ऑटिकल लिखने के लिए नीचे दिए गए जानकारी को ध्यान से पढ़े जो आपको ऑटिकल लिखने में कई ज्यादा मदद करेंगा।

सोचकर लिखना सीखें

यह Article writing in Hindi का सबसे महत्वपूर्ण अंग और सबसे पहला भाग है कि आप किसी भी टॉपिक में कोई भी ऑटिकल लिखते है तो सिर्फ एक विचार को ध्यान में रखकर ना लिखे बल्कि उस पूरे समाज और सभी लोगों के लिए लिखें जो आपके इस ऑटिकल का फायदा मिल सकें। और इमेजिनेशन ही एक ऐसी चीज है जिसे आप हर तरह का सीन क्रिएट कर सकते हैं इमेजिनेशन के जरिये ही आप अपने अंदर ही अंदर आर्टिकल का एक बेतरीन स्ट्रक्चर तैयार कर सकते है जो आपके रीडर्स को आपका पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए उत्साहित करता है।

शांत वातावरण

अक्सर आपने फिल्मों में देखा और पढ़ा होगा कि अगर कोई लिखता है तो वह एक ऐसा वातावरण देखते है जहाँ शाति हो और वहाँ वे अपनी लिखने की कौशल को एक बेहतर लेखन शैली पर लेकर जा सकें। ऐसा इसलिए ताकि वह किसी भी तरीके से डिस्टर्ब न हो ताकि वह अपनी इमेजिनेशन पर पूरी तरह से केंद्रित रह सकें क्योंकि हमारा मन बहुत चंचल हैं और अगर कोई हमें डिस्टर्ब कर देता है तो हम उस इमेजिनेशन से एक दम बहार आ जाते है औऱ फिर से उसपर केंद्रित होने में काफ़ी समय लग सकता है इसलिए हमेशा एक अच्छा और बेहतरीन ऑटिकल लिखने के पहले शांत वातावरण की जरूरत होती है।

एक शब्द का इस्तेमाल बार-बार ना करें

ऑटिकल लिखते समय इस बात का हमेशा आपको ध्यान रखना है कि आप किसी भी शब्द को एक से ज्यादा बार अपने ऑटिकल में इस्तेमाल नहीं करें। अब इसका मुख्या कारण यानी ऐसा करने से आपके रीजर्स ऑटिकल पढ़ते पढ़ते बोर हो जाते है जिसके बाद उस ऑटिकल में ज्यादा संख्या में व्यू नहीं आते हैं। इसलिए एक जैसे शब्दों का प्रयोग न करके उसके जैसे समान अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग करें जिसे रीडर्स को यह न लगे कि वह बार-बार की की लाइन पढ़ रहा है।।

ज़ीरो से लिखना शुरू करें

आर्टिकल लिखते समय आपको नहीं पता होता कि आपका यह ऑटिकल दुनिया के किन कौने में कौन से व्यक्ति द्वारा पढ़ा जा रहा है। इसलिए आपने ऑटिकल में जब भी आप किसी भी टॉपिक के बारे में बताएं तो इस बात को ध्यान में रखकर लिखें जिसको पढ़कर उस टॉपिक के बारे में किसी भी रीडर में मन में अधूरी जानकारी ना रहें। इसलिए आपको अपने आर्टिकल को बिल्कुल ज़ीरो से लिखना चाहिए ताकि हर वर्ग का व्यक्ति बहुत आसनी से समझ सकें क्योंकि जब आपके लिखे गए तथ्य लोगों के समझ नही आते तो वह आपके आर्टिकल को छोड़कर चले जाते है।

अपने अनुभव के साथ लिखें

अगर आप किसी एक ऐसे विषय पर लिख रहे हैं जिसमे आपका अपना कोई पर्सनल अनुभव हैं तो आपको उसी आधार पर अपने आर्टिकल को लिखना चाहिए। क्योंकि हम सब की एक जैसी समस्याएं होती हैं और रीडर्स उस समय सबसे ज्यादा आर्टिकल को पढ़ने के लिए उत्साहित होता है जब उसे लगता है कि उसकी समस्या भी बिल्कुल ऐसी है और फिर वह उनका हल जाने के लिए अंत तक आर्टिकल पढ़ता है।

आर्टिकल लिखने का सही तरीका

Article writing in Hindi सरल और साधारण भाषा में होना चाहिए। ताकि उसे एक बार पढ़ना शुरू करें तो अंत तक उसे पूरा पढ़ कर ही रखें।आर्टिकल पढ़ने वाले के लिए लाभदायक होना चाहिए ताकि उसके हर सवालों के जवाब उसके अंदर उसे मिल जाए। इसलिए आर्टिकल लिखने से पहले उसके फॉर्मेट के बारे में हमें पता होना चाहिए। आर्टिकल लिखने की शुरुआत कैसी करनी चाहिए? कहां पर किस बारे में बताना चाहिए ?आर्टिकल को पूरा कैसे करना चाहिए ?उसके अंदर कौनसी-कौनसी बातों का उल्लेख करना चाहिए? ऐसे कई सारी बातों का ध्यान में रखकर आर्टिकल आप शानदार रूप से लिख सकते हैं। Article writing in Hindi को तीन भाग में विभाजित किया गया है:

लेख लेखन उद्घाटन अनुभाग

लेख लेखन कार्रवाई अनुभाग, लेख लेखन समापन अनुभाग.

यदि आप  informal letter in Hindi  के बारे में जानकारी चाहते हैं तो दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

आर्टिकल लेखन की शुरुआत सरल और आसान भाषा से होनी चाहिए। आर्टिकल के अंदर कहीं जाने वाली बातों का उल्लेख करना चाहिए। सीधे-सीधे बातों को पेश न करके उसे रोचक वाले शब्दों से उद्घाटन करना चाहिए। इमैजिनेशन जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके आर्टिकल को पढ़ने पर मजबूर करने वाले शब्दों का प्रयोग करें। अपने कई बार देखा होगा न्यूज़ में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिससे हम न्यूज़ को देखने के लिए व्याकुल हो जाते हैं।

उदाहरण के तौर पर,” गौर से देखिए इस मासूम बच्ची को”, यह शब्द सुनते ही हमारा पूरा ध्यान न्यूज़ की  तरफ केंद्रित हो जाता है। हमें वह न्यूज़ को देखने पर मजबूर कर देता है। ठीक उसी तरह हमारे आर्टिकल में भी कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग करके हम रीडर्स को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। किसी भी बात को समझाने के लिए सीधे-सीधे ना बताकर, रोचक वाले शब्दों का इस्तेमाल करके अपने आर्टिकल को आकर्षित बना सकते हैं।

यह सबसे अहम विमाग होता है। जिसमें हम उन बातों का उल्लेख करता है , जिसके लिए रीडर आर्टिकल को पढ़ने के लिए आया होता है। इसलिए यह एक्शन पार्ट कहलाता है। इसके अंदर रीडर्स के सवालों के जवाब के बारे में लिखा जाता है।

उदाहरण के लिए-

  • डॉक्टर कैसे बने
  • डॉक्टर के लिए कौन सी पढ़ाई करनी चाहिए
  • डॉक्टर के लिए कौन सा कोर्स करना चाहिए
  • डॉक्टर के लिए टॉप कॉलेज
  • डॉक्टर के लिए टॉप सरकारी कॉलेज
  • डॉक्टर के लिए कितने साल की पढ़ाई होती है
  • डॉक्टर की पढ़ाई के बाद क्या करना चाहिए
  • ऐसे कई सारे सवालों का जवाब आर्टिकल के अंदर उल्लेख होना चा

इन सभी सवालों का जवाब देकर आप रीडर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। आर्टिकल लेखन हमेशा सरल और साधारण वाक्य और भाषा में होना चाहिए। आर्टिकल को अलग-अलग उदाहरण के साथ समझा भी सकते हैं।

जितना आर्टिकल राइटिंग का ओपनिंग सेक्शन जरूरी होता है ठीक उतना ही आर्टिकल राइटिंग का समापन विभाग भी उतना ही जरूरी होता है। आर्टिकल राइटिंग क्लोजिंग सेक्शन में आप पूरे आर्टिकल के ओवरव्यू के बारे में बताते हैं। इसके अंदर कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में समझा सकते हैं। समापन विभाग तुरंत खत्म ना करें उसके अंदर थोड़ी-थोड़ी रोचक वाले शब्दों का प्रयोग करके  आकर्षित बनाएं ताकि रीडर अंत तक पूरा आर्टिकल पढ़ें। Article Writing in Hindi इस प्रकार तीन हिस्सों में बांट सकते हैं। अगर आप यह तीन हिस्सों में अच्छे से आर्टिकल लिखेंगे तो आप रीडर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। आर्टिकल राइटिंग को बेहतर बनाने के लिए उसके अंदर राइटिंग स्किल होना बहुत ही जरूरी है। राइटिंग स्किल से आप अपने आर्टिकल को और भी बेहतर बना सकते हैं।

आर्टिकल राइटिंग के लिए स्टेप बाय स्टेप गाइड 

प्रारूप जानने के बाद, आइए लेख लिखने की प्रक्रिया में शामिल 5 सरल चरणों पर एक नजर डालते हैं:-

चरण 1: अपने लक्षित दर्शकों को खोजें

किसी भी विषय पर लिखने से पहले, लेखक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह पहले उन श्रोताओं की पहचान करे जो लेख लक्षित करता है। यह लोगों, बच्चों, छात्रों, किशोरों, युवा वयस्कों, मध्यम आयु वर्ग, बुजुर्ग लोगों, व्यवसायी लोगों, सेवा वर्ग आदि का एक विशेष समूह हो सकता है। आप जिस भी समूह के लोगों के लिए लिखना चुनते हैं, उस विषय का चयन करें जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हो। उनके जीवन को प्रभावित करता है या प्रासंगिक जानकारी फैलाता है। 

उदाहरण के लिए, यदि लेख माता-पिता पर केंद्रित है, तो आप बाल मनोविज्ञान, बच्चे के दैनिक पोषण आहार आदि के बारे में लिख सकते हैं। स्वर और भाषा भी लेख लेखन में उपयुक्त श्रोताओं से मेल खाना चाहिए। 

चरण 2: एक विषय और एक आकर्षक शीर्षक चुनें

अपने लक्षित दर्शकों को चुनने के बाद, लेख लेखन में दूसरा महत्वपूर्ण कदम अपनी रचना के लिए एक उपयुक्त विषय चुनना है। यह एक विचार देता है कि आपको लेख के साथ कैसे प्रक्रिया करनी चाहिए। विषय का चयन करने के बाद, उसके लिए एक दिलचस्प शीर्षक के बारे में सोचें। 

उदाहरण के लिए, यदि आप छात्रों को उपलब्ध विभिन्न एमबीए विशेषज्ञताओं से अवगत कराना चाहते हैं, तो आप लिख सकते हैं – ”  एमबीए विशेषज्ञता के बारे में आपको जो कुछ भी जानने की आवश्यकता है  “।

चरण 3: रिसर्च कुंजी है

अपने लक्षित दर्शकों, विषय और लेख के शीर्षक का चयन करने के परिणामस्वरूप, लेख लेखन में शोध सबसे महत्वपूर्ण चीज है। लेख में शामिल की जाने वाली सभी सूचनाओं को जानने के लिए ढेर सारे लेख, आंकड़े, तथ्य और डेटा, और नए शासी कानून (यदि कोई हों) पढ़ें। इसके अतिरिक्त, डेटा की प्रामाणिकता की जांच करें, ताकि आप कुछ भी पुराना न बताएं। लेख लिखने के साथ आगे बढ़ने से पहले, बुलेट पॉइंट्स और कीवर्ड्स में लेख का एक रफ ड्राफ्ट या रूपरेखा तैयार करें ताकि आप महत्वपूर्ण जानकारी से न चूकें। 

चरण 4: लिखें और प्रूफरीड

एक बार जब आप सभी तथ्य और डेटा एकत्र कर लेते हैं, तो अब आप अपना लेख लिखना शुरू कर सकते हैं। जैसा कि चर्चा की गई है, लेख को एक परिचयात्मक पैराग्राफ के साथ शुरू करें, उसके बाद एक वर्णनात्मक और एक समापन पैराग्राफ। आपके द्वारा सब कुछ लिखने के बाद, अपने पूरे लेख को प्रूफरीड करना और यह जांचना उचित है कि कहीं कोई व्याकरण संबंधी त्रुटि तो नहीं है। एक पाठक के रूप में, जब आप एक छोटी सी गलती भी देखते हैं तो यह एक बड़ा मोड़ बन जाता है। साथ ही, सुनिश्चित करें कि सामग्री किसी अन्य वेबसाइट से कॉपी नहीं की गई है। 

चरण 5: चित्र और इन्फोग्राफिक्स जोड़ें

लोगों को पढ़ने के लिए अपनी सामग्री को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए, आप कुछ इन्फोग्राफिक्स भी शामिल कर सकते हैं। छवियों को जोड़ने से लेख और भी आकर्षक हो जाता है और यह अधिक प्रभावशाली साबित होता है। इस प्रकार आपके लेख लेखन के उद्देश्य को सफल बनाते हैं!

आर्टिकल राइटिंग के उदाहरण

  • महिला सशक्तिकरण

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।। जब बात महिलाओं की आती है तो सबसे पहले इसी श्लोक को याद किया जाता है। हम सब औरत को देवी का रुप मानते है, आत्मविश्वास, अनुभव, रचनात्मकता से परिपूर्ण वास्तविकता में यहीं एक औरत की पहचान है। पारंपरिक समाज और चार दिवारों तक सीमित रहने वाली औरत आज देश कि राष्ट्रीय आय में अपनी भूमिका निभा रही है। महिलाएं आर्थिक कारकों के कारण उद्यमिता में प्रवेश करती हैं जो उन्हें अपने दम पर आगे बढ़ाती हैं। भारतीय महिलाएं, जिन्हें बेहतर माना जाता है लेकिन वे समाज में समान भागीदार नहीं हैं। महिलाओं की उद्यमीता में लिंग अंतर बहुत मायने रखता है। जिसके कारण बहुत सी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। आईआईटी, दिल्ली द्वारा किए सर्वेक्षण के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में छोटे व्यवसाय का एक तिहाई महिलाएं है। एशियाई देशों में कुल कार्यबल का 40 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है। भारत में महिलाएं अपने परिवार से बहुत भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई हैं। घर के काम, बच्चों परिवार के सदस्यों की देखभाल करने में व्यस्त रहती है। ऐसे में उनके पास अपने लिए कुछ करने ंका समय कहां बचता है। दुसरी समस्या है हमारा पुरुष प्रधान समाज। महिलओं के साथ पुरुषों के बराबर व्यवहार नहीं किया जाता है। व्यवसाय में उनके प्रवेश के लिए परिवार के प्रमुख की मुजूरी की आवश्यकता होती है। पारंपरिक रूप से उद्यमिता को पुरुषों कि निगरानी में रखा गया है जो महिलाओं के विकास में रूकावट हैं। महिला साक्षरता को लेकर आंकडे बदल रहे है। भारतीय समाजों में प्रचलित परंपराएं और रीति-रिवाज एक बोझ बन जाते है। भारत में महिलाएं स्वभाव से कमजोर, शर्मीली और सौम्य है। ऐसे में शिक्षा, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता की कमी उनकी क्षमता में कमी कर देती है। चूंकि महिलाएं मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और मनी कलेक्शन के लिए इधर-उधर भाग दौड़ नहीं कर सकती हैं, इसलिए उन्हें निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन इन सबके बाद भी उन्होंने अपनी पहचान पा ली है जैसे- अखिला श्रीनिवासन, प्रबंध निदेशक, श्रीराम इनवेस्टमेंट लि., चंदा कोचर, कार्यकारी निदेशक, आईसीआईसीआई बैंक, एकता कपूर, क्रिएटिव डायरेक्टर, बालाजी टेलीफिल्म्स लि., ज्योति नाइक, अध्यक्ष, लिज्जत पापड., किरण मजूमदार शॉ, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, बायोकॉन लि, ललिता डी गुप्ते, जेएमडी, आईसीआईसीआई बैंक , नैना लाल किडवार, डिप्टी सीईओ, प्रीता रेड्डी, प्रबंध निदेशक, अपोलो अस्पताल, प्रिया पॉल, अध्यक्ष, एपीजे पार्क होटल राजश्री पैथी, अध्यक्ष, राश्री शुगर्स एंड केमिकल्स लि

छात्रों के लिए कोविड-19 पर लेख लेखन

कोविड-19 ने मानव जीवन के सभी वर्गों को प्रभावित किया है। जबकि इसने सभी उद्योग क्षेत्रों को प्रभावित किया, इसका शिक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ा। रात के भीतर कक्षाओं को ऑफलाइन से ऑनलाइन कर दिया गया था, लेकिन इससे छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, खासकर उन छात्रों के लिए जो कॉलेजों में प्रवेश करने वाले थे। स्थिति बेहतर होने की उम्मीद में छात्रों ने एक साल का अंतराल भी लिया। जबकि दुनिया भर में टीकाकरण के कारण स्कूल और कॉलेज खुल रहे हैं, अभी भी कई चुनौतियाँ हैं।

COVID-19 को समझना, यह कैसे फैलता है, और खुद को कैसे सुरक्षित रखना है, यह सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं जो स्कूल के फिर से खुलते ही सबसे पहले सीखी जानी चाहिए। छात्रों को उन नियमों को जानना चाहिए जिनका वे पालन करने जा रहे हैं और स्कूल कक्षा में कोविड-19 सुरक्षा नियमों का पालन करने के लाभ। बच्चों को समझाना बहुत मुश्किल है क्योंकि हो सकता है कि मासूम दिमाग वर्तमान परिस्थितियों से परिचित न हो।

कोविड-19 के संपर्क में आने के जोखिम से बचने के लिए हर छात्र और स्कूल फैकल्टी को हर समय इन नियमों का पालन करना चाहिए। छात्रों को हर समय हैंड सैनिटाइटर साथ रखना होगा। छात्रों को कभी भी अपने हाथों पर छींक नहीं देनी चाहिए, बल्कि उन्हें इसे अपनी कोहनी से ढंकना चाहिए, या एक ऊतक या रूमाल का उपयोग कर सकते हैं। छात्रों को सूचित करें कि वे अपनी आंख, नाक और मुंह को बार-बार न छुएं। चूंकि आंखों और नाक को छूने से वायरस फैलने की संभावना बहुत अधिक है। यदि छात्र और शिक्षक इन बुनियादी नियमों का पालन करते हैं, तो प्रसार को रोका जा सकता है और स्कूल फिर से खुल सकते हैं।

एक अच्छा लेख लिखने के लिए टिप्स

कुछ ही समय में एक उत्कृष्ट लेख लिखने में आपकी मदद करने के लिए बहुत सारे उपयोगी संकेतों के साथ चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका यहां दी गई है:

  • सभी विचारों की सूची बनाना और उन्हें संभाल कर रखना 
  • सभी प्रकार के विकर्षणों को दूर करना 
  • विषय पर कुशलता से शोध करना 
  • इसे सरल और कम जटिल रखना 
  • अपने विचारों को बुलेट पॉइंट्स में लिखने का प्रयास करें 
  • पहला मसौदा लिखने के बाद संपादित करें 
  • एक टाइमर सेट करें 

लेख लेखन में सामान्य गलतियों से बचना चाहिए

त्रुटियों की संभावना अब बढ़ जाती है जब आप लेख लेखन के चरणों और लेख लेखन प्रारूप को समझते हैं। सामान्य भूलों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं: 

  • तथ्यों या उद्धरणों या इसी तरह के मामलों का उपयोग नहीं करना
  • ऐसे स्वर का उपयोग करना जो बहुत औपचारिक हो
  • इसका अर्थ जाने बिना कठिन शब्दावली का प्रयोग करना 
  • अपने लेख के लिए आकर्षक शीर्षक का उपयोग नहीं करना 
  • जानकारी को विभाजित करने के लिए अनुच्छेदों का उपयोग नहीं करना
  • व्यक्तिगत विचार या राय व्यक्त नहीं करना

ध्यान रखने योग्य बातें

  • लेखों के विषय अद्वितीय और प्रासंगिक होने चाहिए
  • लेख पर ध्यान देना चाहिए
  • यह दिलचस्प होना चाहिए
  • इसे पढ़ना आसान होना चाहिए
  • एक लेख लिखने का मुख्य लक्ष्य खोजें। लक्ष्य सूचना, मनोरंजन, और सलाह प्रदान करने या तुलना करने आदि से कुछ भी हो सकता है।
  • शीर्षक आकर्षक, स्पष्ट और दिलचस्प होना चाहिए
  • परिचय या प्रारंभिक पैराग्राफ अत्यधिक चौकस होना चाहिए। अपने शब्दावली कौशल का प्रयोग करें या शुरुआत के लिए कुछ प्रश्नवाचक शब्दों का उपयोग करने का प्रयास करें
  • स्पष्ट कथनों का प्रयोग करें और अभिकथन करें
  • दोहराव और शीर्ष तर्क और कारणों से बचें
  • अनुच्छेद लेखन की शैली का उपयोग करें और सामग्री को विशिष्ट और स्पष्ट रूप से लिखें
  • उन बिंदुओं का उपयोग करने से बचें जो केवल आपकी रुचि रखते हैं और आम जनता के लिए नहीं
  • अपने लेख लेखन को हमेशा एक अच्छे और तार्किक नोट पर समाप्त करें

आर्टिकल लेखन टॉपिक्स

क्या आपको एक लेख लिखना है जो अभी चलन में है और आपको बेहतर स्कोर करने में मदद करेगा या आपको बेहतर अभ्यास करने में मदद करेगा? लेख लेखन के लिए समसामयिक विषयों की सूची इस प्रकार है:

  • ग्लोबल वार्मिंग
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • इंटरनेट का प्रभाव
  • शिक्षा और फिल्में
  • शिक्षा में खेलों का महत्व
  • योग और माइंड हीलिंग
  • मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
  • समाज में शिक्षा का महत्व
  • शिक्षा के महत्व पर लेख
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
  • इंटरनेट पर निबंध
  • जीवन में मेरा उद्देश्य पर निबंध
  • शिक्षा प्रणाली पर निबंध
  • लोकतंत्र पर निबंध
  • करियर लक्ष्य निबंध कैसे लिखें?
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध

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17 comments

Mujhe v article writing skill sikhna h ? Plss help 🙏(Blogging)

दिलशद जी, आर्टिकल लिखने के लिए आपको बहुत सारी बातों को ध्यान रखना पड़ता है जैसे सोचकर लिखे, एक शब्द का इस्तेमाल बार-बार ना करें, एक आकर्षक शीर्षक चुनें आदि।

बहुत सुन्दर जानकारी आर्टिकल लेखन के लिए।

आपका धन्यवाद

बहुत-बहुत आभार

आर्टिकल लेखन क्या है? इसके बारे में जानने के लिए आप हमारी साइट पर जाकर ब्लॉग्स पढ़ सकते हैं।

Article Writing in Hindi में लेखन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई है।

आपका धन्यवाद, इसी तरह https://leverageedu.com/ पर बने रहें।

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धन्यवाद, आप ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर आते रहिए।

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आप हमारा आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

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Article Writing कैसे करें – आर्टिकल लिखना सीखें (Article Writing In Hindi)

Article Writing In Hindi : आज का यह लेख उन लोगों के लिए है जो इंटरनेट पर लेखन कला को सीखना चाहते हैं Article Writing से पैसे कमाना चाहते हैं.

सही शब्दों में आर्टिकल लिखने का मतलब होता है अपने ज्ञान को लोगों तक सरल शब्दों में पहुँचाना जिससे पाठकों को आर्टिकल में लिखी गयी हर बात समझ में आनी चाहिए और वे बिना बोर हुए अंत तक आर्टिकल पढ़ सकें.

आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको Article Kaise Likhe, आर्टिकल लिखने का तरीका , आर्टिकल लिखते समय ध्यान देने वाली बातें और लेखक कैसे बने, आर्टिकल राइटिंग इन हिंदी की सारी जानकारी आसान शब्दों में आपके साथ साझा करेंगें.

आर्टिकल कैसे लिखते हैं से पहले यह जानना आवश्यक है कि आखिर आर्टिकल क्या होता है , इसलिए सबसे पहले जानते हैं कि आर्टिकल क्या है .

Article Writing कैसे करें – आर्टिकल लिखना सीखें (Article Writing In Hindi)

आर्टिकल क्या होता है (What is Article in Hindi)

आपने अख़बार, किताबें, मैगजीन या ब्लॉग में लिखे आर्टिकल तो देखे होंगे, आपने देखा होगा उन सभी में एक विषय के बारे में स्पष्ट रूप से बात की गयी होती है. जिसे कोई भी पढ़ सकता है और उसमें लिखे शब्दों को समझ सकता है.

आर्टिकल को हिंदी में लेख कहा जाता है. आर्टिकल या लेख एक ऐसा माध्यम होता है जिसके द्वारा हम अपने विचारों, अनुभव या राय को दुनिया में लोगों तक लिखित रूप में पहुंचा सकते हैं.

आर्टिकल लेखन क्या है (Article Writing In Hindi)

आप भी आर्टिकल लिख सकते हैं, लेकिन आर्टिकल लिखने के लिए आपको किसी भी एक विषय में अच्छी जानकारी होनी चाहिए या फिर आप किसी विषय के बारे में अच्छे से अध्ययन करके भी हिंदी या इंग्लिश में आर्टिकल लिख सकते हैं.

आर्टिकल भी दो प्रकार से लिखा जाता है – एक तो वह जिसमें हर एक शब्द का कुछ न कुछ अर्थ होता है जैसे कोई किताब, धार्मिक किताबें, लेखक के द्वारा लिखी गयी कहानियां आदि. इस प्रकार के लेख को लिखने के लिए आपको बहुत सोच समझकर आर्टिकल लिखना पड़ता है.

दूसरा प्रकार का आर्टिकल होता है जिसमें पूरे अध्ययन के साथ किसी एक विशेष विषय के ऊपर जानकारी लिखी होती हैं, जैसे कि Blog Post , ख़बरें आदि. यदि आप एक अच्छा आर्टिकल लिखना सीख जाते है तो आसानी से आर्टिकल से पैसे कमा सकते है.

  • पैसे कमाने वाला ब्लॉग बनाना सीखें 

आर्टिकल लिखने का तरीका (Article Writing Format In Hindi)

Article Kaise Likhe जानने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आर्टिकल को लिखने का तरीका क्या है. किसी भी आर्टिकल को एक Format में लिखा जाता है मतलब क्रमबद्ध तरीके से लिखा जाता है.

एक लेखक को यह पता होना चाहिए कि आर्टिकल लेखन में कौन सी चीजें पहले लिखनी है और कौन सी चीजें बाद में. एक लेख को लिखने के लिए आप निम्न Format का इस्तेमाल करें.

#1 – परिचय के साथ शुरुवात करें (Opening Section)

जब भी आप आर्टिकल लिखना शुरू करें तो पहले पैराग्राफ में को बहुत ध्यान से लिखें, क्योकि आपका पहला पैराग्राफ ही तय करता है कि पाठक आपके द्वारा लिखे गए लेख को पूरा पढ़ेगा या नहीं.

आप अपने पहले पैराग्राफ में अपने लेख के बारे में बताइए कि आपने लेख के अन्दर किन विषयों के बारे में लिखा है. आपके लेख को पढ़कर एक पाठक को क्या जानकारी मिलेगी, पाठक को क्या फायदा होगा आदि प्रकार की सभी जानकारी अपने पहले पैराग्राफ में लिखें.

जैसे कि आप कंप्यूटर के बारे में आर्टिकल लिखने वाले हैं तो आप पहले पैराग्राफ में कंप्यूटर के बारे में थोड़ी जानकारी लिखें और पाठकों को बताएं कि आपको इस लेख में क्या जानने को मिलेगा.

आर्टिकल का opening Section कैसे लिखें सीखने के लिए आप इन्टरनेट पर मौजूद Blog को पढ़ सकते हैं किसी अख़बार को पढ़ सकते हैं.

#2 – लेख के बारे में लिखें (Main Section)

आर्टिकल का दूसरा भाग होता है Main Section. यह किसी भी लेख का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है. इसमें आपको अपने लेख को पाठकों को पूरा समझाना है.

लेख का Main Section लिखने से पहले एक Structure  अवश्य बना लें कि कौन से Topic को कब लिखना है और किस Topic से आपको अपने आर्टिकल की शुरुवात करनी है.

माना कि जैसे आप कंप्यूटर पर एक आर्टिकल लिख रहे हैं तो आपका आर्टिकल का Structure  इस प्रकार से होगा –

  • कंप्यूटर क्या है
  • कंप्यूटर का इतिहास
  • कंप्यूटर की पीढियां
  • कंप्यूटर के प्रकार
  • कंप्यूटर की विशेषताएं 
  • कंप्यूटर के उपयोग
  • कंप्यूटर के फायदे
  • कंप्यूटर के नुकसान

आप इस प्रकार से अपने लेख का पूरा ढांचा बना लें ताकि आपको लेख लिखने में कोई परेशानी न हो.

#3 – लेख को ख़त्म करें (Closing Section)

आर्टिकल का यह अंतिम Section होता है. Closing Section में आपको अपने लेख को ख़त्म करना होगा. अपने Closing Section में आप पाठकों के सुझाव ले सकते हैं, उन्हें लेख को शेयर करने के लिए कह सकते हैं.

तो इस प्रकार से आप किसी भी विषय पर आर्टिकल लिख सकते हैं.

आर्टिकल कैसे लिखें (Write Article in Hindi)

अभी तक आप जान गए होंगे कि किसी भी लेख को लिखने का तरीका क्या होता है अब जानेंगे कि Article Kaise Likhe . आपको  Format तो पता है आर्टिकल लिखने का लेकिन अब महत्वपूर्ण बिंदु यह आता है कि आर्टिकल को लिखते कैसे हैं.

किसी भी आर्टिकल को आप निम्न प्रकार से लिखें –

#1 – आर्टिकल लिखने से पहले अच्छे से रिसर्च कर लें

आर्टिकल लिखने से पहले अच्छे से रिसर्च जरुर कर लें, आप जिस भी विषय पर आर्टिकल लिखने वाले हैं उसकी सही और सटीक जानकारी एकत्र कर लें.अगर आप पाठकों को गलत जानकारी देंगे तो वह आगे आपका लेख पढना पसंद नहीं करेंगे.

#2 – आर्टिकल शांत वातावरण में लिखें

आर्टिकल लिखने के लिए हमेशा एक शांत वातावरण का चयन करें. शांत जगह पर आपका दिमाग ज्यादा तेजी से नए विचार बना सकता है. और शांत वातावरण में आपको Disturb करने वाला भी कोई नहीं होगा आप ज्यादा फोकस के साथ एक बेहतरीन लेख लिख सकते हैं.

#3 – लिखने से पहले ब्लूप्रिंट बना लें

आर्टिकल लिखने से पहले आर्टिकल का ब्लूप्रिंट बना लें. ब्लूप्रिंट होता है कि आर्टिकल में लिखने वाले सभी चीजों की लिस्ट. ब्लूप्रिंट बना लेने से आपको आर्टिकल लिखते समय ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा और आप जल्दी एक अच्छा लेख लिखकर तैयार कर सकते हैं.

#4 – जीरो से लिखना शुरू करें

आर्टिकल को जीरो से लिखना शुरू करें और अपने आर्टिकल को ऐसा बनायें कि सभी आयु वर्ग के लोग आपके आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. मतलब कि आर्टिकल बच्चे, नौजवान और बूढ़े सभी के मतलब का हो.

#5 – आसान शब्दों का प्रयोग करें

अपने आर्टिकल में हमेशा सरल भाषा और आसान शब्दों का प्रयोग करें. ऐसे शब्दों का प्रयोग करने से बचे जो किसी पाठक की समझ से परे हों.

#6 – एक पूरा आर्टिकल लिखें

हमेशा एक पूरा आर्टिकल लिखने की कोशिस करें, पूरा आर्टिकल वह होता है जिसमें किसी भी विषय के बारे में पूरी जानकारी होती है. मतलब कि जो भी आर्टिकल आप लिख रहें है उसके बारे में पूरी जानकारी लिखना बहुत जरुरी है.

आधी – अधूरी जानकारी वाले आर्टिकल पाठकों को भाते नहीं हैं. और आप भी जानते होंगे कि अधूरा ज्ञान हमेशा खतरनाक होता है.

#7 – छोटे – छोटे पैराग्राफ लिखें

आर्टिकल को हमेशा छोटे – छोटे पैराग्राफ में ही लिखें. आपने भी अक्सर Notice किया होगा कि अगर पूरी बात को एक लम्बे पैराग्राफ में लिख दिया जाता है उसे पढने में उतना मजा नहीं आता है.

वही दूसरी ओर छोटे – छोटे पैराग्राफ लिखने से पाठकों को पढने में मजा आता है और आर्टिकल भी अच्छा पढने योग्य लगता है.

#8 – पाठकों का उत्साह बनाये रखें

आर्टिकल को लिखते समय पाठकों का उत्साह भी बनाये रखें. ऐसा न हो कि पाठक आर्टिकल को बीच में छोड़कर ही चले जाएँ. पाठकों का उत्साह बनाये रखने के लिए आप बीच – बीच में लेख के विषय से सम्बंधित कोई कहानी बता सकते हैं. पाठकों को प्रशन पूछ सकते हैं, आदि प्रकार के बहुत सारे तरीकें है जिसके द्वारा आप पाठकों का उत्साह बनाये रख सकते हैं.

#9 – ऐसा लेख लिखें जैसे आप पाठकों से बात कर रहे हो

आपने अधिकतर देखा होगा लोग YouTube देखना ज्यादा पसंद करते हैं कोई आर्टिकल पढने की तुलना में. क्योकि विडियो में Creater बातें करता है जिससे कि विडियो देखने में उत्साह बना रहता है.

आप भी अपने आर्टिकल को इस प्रकार लिखें जैसे कि आप लोगों से बाते कर रहे हैं. ऐसा लेख लिखने के लिए आप लेख में बीच में कुछ इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं –

  • क्या आपको पता है
  • क्या आप मुझे बता सकते हैं
  • आप ही बताइए

इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करके आप पाठक को अपने लेख में शामिल कर लेते हैं जिससे उसे पढने में मजा आएगा और वह बिना बोर हुए पुरे आर्टिकल को पढ़ेगा.

#10 – पब्लिश करने से पहले खुद पढ़ें

आर्टिकल को पढने से पहले एक बार खुद पुरे आर्टिकल को पाठक के नजरिये से पढ़े. इससे आपको आर्टिकल में होने वाली गलतियों के बारे में पता चलेगा और आप शब्दों का सही तालमेल बैठा सकते हैं. जब आप एक बार पूरा आर्टिकल पढ़ लें तभी जाकर आर्टिकल को पब्लिश करें.

तो यह थे सभी 10 तरीके जिनको Follow करके आप एक अच्छा आर्टिकल लिख सकते हैं.

आर्टिकल लिखते समय ध्यान में रखने वाली बातें

आर्टिकल लिखते समय आपको कुछ सावधानी भी बरतनी चाहिए जैसे कि –

  • आर्टिकल को हमेशा क्रमवाइज लिखें.
  • अपने आर्टिकल में हैडिंग का प्रयोग करें.
  • छोटे – छोटे पैराग्राफ लिखें.
  • आर्टिकल में सही जानकारी दें.
  • अपने आर्टिकल में कुछ नयी जानकारी भी लिखें.
  • पाठकों की जरुरत के अनुसार लिखें.
  • लेख लिखते समय सरल और बोल – चाल वाली भाषा का प्रयोग करें.
  • पाठकों को भी अपने आर्टिकल में शामिल करें.
  • आर्टिकल में Image का इस्तेमाल करें. कम से कम एक image अपने आर्टिकल में जरुर प्रयोग करें.

यह थी कुछ छोटी – छोटी बातें जिन्हें आप  आर्टिकल लिखते समय इस्तेमाल कर सकते हैं.

 पहला आर्टिकल कैसे लिखें

जब आप खुद को एक लेखक के रूप में स्थापित करने के लिए लेखन की शुरुवात करते हैं तो पहला आर्टिकल लिखते समय आपको निम्न बातों का ध्यान देना जरुरी होता है –

  • आर्टिकल लिखते समय बिलकुल न घबराएँ, पुरे आत्मविश्वास के साथ आर्टिकल लिखें.
  • पहला आर्टिकल लिखते समय रिसर्च गहरी होनी चाहिए, कोई भी गलत जानकारी अपने लेख में मत लिखें.
  • अपने अनुभवों को अपने लेख में झोंक दें.
  • ऐसा बिलकुल भी न सोचे कि लोग आपके आर्टिकल को पसंद करेंगे या नहीं, अपनी तरफ से अपना 100 प्रतिशत दें. 

आर्टिकल लिखने से पहले क्या करें

आर्टिकल लिखना शुरू करने से पहले आपको रिसर्च बहुत अच्छे प्रकार से कर लेनी है और साथ में अपने पुरे आर्टिकल का एक ब्लूप्रिंट बना लेना है जिससे आपको लेखन में आसानी होगी.

आर्टिकल में क्या लिखें

आर्टिकल में आप हमेशा उन ही बिन्दुओं के बारे में लिखें जिस विषय पर आप आर्टिकल लिख रहे हैं. सटीक और स्पष्ट जानकारी पाठकों तक पहुँचाने की कोशिस करें.

आर्टिकल लिखने के बाद क्या करें

आर्टिकल लिखने के बाद आपके पास बहुत सारे माध्यम उपलब्ध है जहाँ पर आप अपना आर्टिकल पब्लिश कर सकते हैं जैसे –

  • अगर आपका खुद का ब्लॉग है तो अपने ब्लॉग में पब्लिश कर दें.
  • किसी दुसरे Blogger को आर्टिकल लिखकर दे सकते हैं. जिसमें  Guest Post  और  Content Writing  शामिल है.
  • किसी News Channel में आप अपना आर्टिकल दे सकते हैं.
  • अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर आप आर्टिकल पब्लिश कर सकते हैं.
  • अगर आप थोडा सर्च करेंगे तो इन्टरनेट पर आपको बहुत सी ऐसी वेबसाइट मिल जाएँगी जहाँ पर आपको आर्टिकल पब्लिश करने के पैसे मिलते हैं.

आर्टिकल कितना लम्बा लिखें

आर्टिकल की लम्बाई इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस विषय पर आर्टिकल लिख रहे हैं.

अगर आप एक ऐसे विषय पर आर्टिकल लिख रहे हैं जिसमें ज्यादा लिखने की जरुरत नहीं है और आप उसमें जबरदस्ती ज्यादा लिख रहे हैं तो पाठकों के नजरिये से वह आर्टिकल फालतू होगा.

और वही आप ऐसे विषय पर आर्टिकल लिख रहे हैं जिसमें ज्यादा जानकारी लिखने की जरुरत है और आप उस आर्टिकल को आधी जानकारी के साथ पब्लिश करते हैं तो वह आर्टिकल भी पाठकों के नजरिये से अच्छा नहीं होगा.

 इसलिए आर्टिकल की लम्बाई हमेशा टॉपिक के अनुसार ही लिखें. फालतू की बातें अपने आर्टिकल में add न करें.

अच्छा आर्टिकल कैसे लिखें

एक अच्छा आर्टिकल लिखने के लिए निम्न बातें ध्यान में रखें

  • अपने Title को आकर्षक लिखें.
  • पहले पैराग्राफ में पाठकों का संशय बनाये रखे.
  • आर्टिकल के टॉपिक के अनुसार heading का चयन करें.
  • छोटे – छोटे पैराग्राफ लिखें
  • आर्टिकल को क्रमबद्ध तरीके से लिखें.
  • आर्टिकल में हमेशा आसान शब्दों का इस्तेमाल करें.

आर्टिकल लिखने का अभ्यास कैसे करें

आर्टिकल लिखने का अभ्यास करने के लिए आप अपना खुद का एक Blog बना सकते हैं और उसमें आर्टिकल लिखने का अभ्यास कर सकते हैं. Blog में आर्टिकल लिखने से आपको यह फायदा होगा कि आप समझ सकेंगे कि लोग आपके आर्टिकल को पसंद कर रहे हैं या नहीं .

ब्लॉग के लिए आर्टिकल कैसे लिखें

ब्लॉग के लिए आर्टिकल लिखने के लिए आप निम्न बातों का धयन रखें –

  • आर्टिकल में अलग – अलग प्रकार के Heading का प्रयोग करें जैसे कि H1, H2, H3, H4 आदि.
  • आर्टिकल में Keyword का इस्तेमाल करें.
  • आर्टिकल में छोटे – छोटे पैराग्राफ का इस्तेमाल करें.
  • हफ्ते में कम से कम 2 आर्टिकल पब्लिश करें.
  • ब्लॉग आर्टिकल में कम से कम एक Image का इस्तेमाल करें.
  • Image में Alt tag का इस्तेमाल करें.
  • टाइटल और डिस्क्रिप्शन को आकर्षक लिखें.
  • सर्च इंजन की गाइडलाइन के अनुसार आर्टिकल लिखें.

SEO Friendly आर्टिकल कैसे लिखें

एक SEO Friendly आर्टिकल वह होता है जिसे सर्च इंजन पर रैंक करवाने के लिए लिखा जाता है. SEO फ्रेंडली आर्टिकल लिखते समय निम्न बातों को ध्यान में रखें –

  • सबसे पहले  Keyword Research  कर लेवें 
  • Title में अपने Keyword का इस्तेमाल करें.
  • पहले पैराग्राफ में अपने Focus Keyword का इस्तेमाल करें.
  • किसी भी एक heading में Focus Keyword का इस्तेमाल करें.
  • अपने आर्टिकल में LSI Keywords का प्रयोग करें.
  • अंतिम पैराग्राफ में Focus Keyword का इस्तेमाल करें.
  • आर्टिकल के डिस्क्रिप्शन में भी Focus Keyword का इस्तेमाल करें.
  • Permalink में भी अपने keyword को रखें.
  • Internal Linking करें.
  • जरुरत पड़ने पर Outbound Link का प्रयोग करें.

FAQ For Article kaise Likhe

आर्टिकल एक ऐसा जरिया होता है जिसके द्वारा हम लिखित रूप में अपने ज्ञान या अनुभव को लोगों तक पंहुचा सकते हैं.

अगर आप अभी आर्टिकल राइटिंग की शुरुवात कर रहे हैं तो आप महीने में 10 से 15 हजार रूपये कमा सकते हैं लेकिन बाद में जब आप अच्छे लेखक बन जाते हैं तो आप खुद की किताबें लिखकर पब्लिश कर सकते हैं और लाखों रूपये महीने कमा सकते हैं.

किसी भी आर्टिकल में तीन महत्वपूर्ण भाग होते हैं – Opening Section, Main Section और Closing Section. इन तीन Point को फॉलो करके आप एक अच्छा आर्टिकल लिख सकते हैं.

इस लेख में बताये गए आर्टिकल लिखने के तरीकों को ध्यान में रखकर आप एक अच्छे लेखक बन सकते हैं.

निश्कर्ष: आर्टिकल राइटिंग इन हिंदी 

तो दोस्तों इस लेख के माध्यम से हमने आपको आर्टिकल कैसे लिखे जाते हैं कि पूरी जानकारी हिंदी भाषा के आसान शब्दों में दी है जिसे पूरा पढने के बाद आप समझ गए होंगे कि आर्टिकल कैसे लिखते हैं.

अगर आप एक अच्छे लेखक बन जायेंगे तो आप आर्टिकल लिखर महीने के अच्छे पैसे कमा सकते हैं, बस आपको जरुरत है निरंतर अभ्यास करने की.

आशा करते हैं आपको हमारे द्वारा लिखा गया लेख Article Kaise Likhe जरुर पसंद आया होगा आप इस लेख Article Writing in H indi को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें और उनकी भी मदद करें.

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3 thoughts on “Article Writing कैसे करें – आर्टिकल लिखना सीखें (Article Writing In Hindi)”

शानदार जानकारी शेयर की है सर जी!

Dear sir Thank you so much for sharing such a wonderful and informative blog with us. Keep sharing Regards Kumar Abhishek

Dear sir Such a very helpful and informative blog for every new bloggers . Thank you so much Regards

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कैसे एक सायनोप्सिस (synopsis) लिखें

यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Richard Perkins . रिचर्ड पर्किन्स एक लेखन कोच, अकादमिक अंग्रेजी समन्वयक और पीएलसी लर्निंग सेंटर के संस्थापक हैं। 24 से अधिक वर्षों के शिक्षा अनुभव के साथ, वह शिक्षकों को छात्रों को लेखन सिखाने के लिए उपकरण देता है और प्राथमिक से विश्वविद्यालय स्तर के छात्रों के साथ कुशल, आत्मविश्वासी लेखक बनने के लिए काम करता है। रिचर्ड नेशनल राइटिंग प्रोजेक्ट में फेलो हैं। कैलिफ़ोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी लॉन्ग बीच के ग्लोबल एजुकेशन प्रोजेक्ट में एक शिक्षक नेता और सलाहकार के रूप में, मिस्टर पर्किन्स शिक्षक कार्यशालाओं का निर्माण करते हैं और प्रस्तुत करते हैं जो K-12 पाठ्यक्रम में U.N. के 17 सतत विकास लक्ष्यों को एकीकृत करते हैं। उन्होंने दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से संचार और टीवी में बीए और कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी डोमिंगुएज हिल्स से एमएड किया है। यहाँ पर 12 रेफरेन्स दिए गए हैं जिन्हे आप आर्टिकल में नीचे देख सकते हैं। यह आर्टिकल ३३,१८६ बार देखा गया है।

सायनोप्सिस (synopsis या सार) एक लिखे हुए कार्य की सम्पूर्ण समरी है जो उस कार्य को शुरू से अंत तक परिभाषित करती है। समरी से अलग, जो केवल कहानी का एक सामान्य अवलोकन (overview) देती है, सायनोप्सिस में सभी प्लॉट्स (plots) का पूर्ण विवरण होता है, अंत को सम्मिलित करते हुए। आम तौर पर, सायनोप्सिस प्रकाशक या एजेंट को, आपके द्वारा नॉवेल, स्क्रीनप्ले, या अन्य वृहद कार्य के लिखने के बाद, दी जाती है। एक अच्छी सायनोप्सिस में कहानी के मुख्य संघर्ष और उसका निवारण दिया होता है तथा साथ में मुख्य पात्र के चरित्र के भावनात्मक विकास का भी विवरण होता है। यह आवश्यक है की आप अपनी सायनोप्सिस का ध्यानपूर्वक सम्पादन करें, क्योंकि इसे, समान्यतः, पूरे प्रस्ताव का भाग बनाया जाता है।

सायनोप्सिस की रूपरेखा बनाना

Step 1 प्रोजेक्ट समाप्त करने...

  • स्थापित लेखक, जिन्होने पहले अपना कार्य प्रकाशित किया है, शायद अधूरा किताब का प्रोपोसल दे कर आगे बढ़ सकते हैं, परंतु अधिकतर नए लेखकों को पूरी मेनुस्क्रिप्ट की आवश्यकता होगी।
  • सायनोप्सिस लिखने के लिए आपको पता होना चाहिए की कहानी कैसे समाप्त होगी, क्योंकि सायनोप्सिस में कहानी का निवारण (resolution) होगा।

Step 2 अपने मुख्य पात्रों की एक लिस्ट बनाएँ:

  • सुनिश्चित करें की आपके सभी पात्र गतिवान (dynamic) हों, ना की गतिहीन (flat)। उन सभी को पूर्ण-विकसित (well-rounded) और बदलाव के लिए उपयुक्त होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक पात्र को कहानी को महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित करना चाहिए।

Step 3 अपनी कहानी के...

  • अगर अपने एक नॉवेल या संस्मरण (memoir) लिखा है, तो आप प्रत्येक अध्याय के लिए एक वाक्य की समरी लिखना चाहेंगे। उदाहरण के लिए, आप लिख सकते हैं, “रोरी अपने पिता को देखने जाता है और वहाँ उसे एक पुराना दोस्त मिलता है।”
  • अगर आपने एक नाट्यरूपांतरण (screenplay) या नाटक (play) लिखा है, तो प्रत्येक एक्ट में क्या होता है, इसकी लिस्ट बनाएँ। आप लिख सकते हैं, "रोरी गोदाम में दाखिल होता है, और गोलीबारी शुरू हो जाती है। "
  • अगर आपके पास लघु कथाओं या कविताओं का संकलन है, तो प्रत्येक कार्य की मुख्य थीम को पहचानें। उदाहरण के लिए, आप कह सकते हैं, "इस संकलन में यादों, बचपन, और सरलता की बात होती है।"

Step 4 आपकी कहानी में क्या अनोखा है, पता करें:

  • क्या आपकी कहानी में कोई रुचिकर दृष्टिकोण है? अगर हाँ, तो उसका वर्णन करना सुनिश्चित करें। आप कह सकते हैं, “यह कहानी भूमिगत राज्य के अंतिम बौने पर केन्द्रित है।”
  • क्या आपकी कहानी में कोई अनोखा ट्विस्ट है? आप थोड़े रहस्य को छोड़कर, ट्विस्ट का वर्णन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप कह सकते हैं, “जीन पॉल जल्दी ही यह समझ जाता है की हत्यारा उसके सोचने से अधिक निकट है।”
  • क्या आपकी कहानी समाज में किसी विशेष निश (niche) को पूरा करती है? आप यह बताना चाह सकते हैं की आपकी कहानी में कौन रुचि लेगा। उदाहरण के लिए, आप लिख सकते हैं, “यह संस्मरण इसका अन्वेषण करता है की खोयी हुई पीढ़ी का होने का क्या मतलब है।”

Step 5 सायनोप्सिस कितनी लंबी...

  • नॉवेल की सायनोप्सिस आम तौर पर दो से बारह पेज लंबी होती हैं।
  • नाट्यरूपांतरण (screenplay) की सायनोप्सिस आम तौर पर एक पेज लंबी होती हैं। अधिकतर 400 शब्दों से अधिक लंबी नहीं होती हैं। [६] X रिसर्च सोर्स

सायनोप्सिस को ड्राफ्ट करना

Step 1 तीसरे व्यक्ति (third person) में लिखें:

  • अधिकतर फिल्म निर्माण कंपनी और कुछ पुस्तक प्रकाशक आपको कह सकते हैं की प्रत्येक पात्र के नाम के हर अक्षर को कैपिटल में लिखें। उदाहरण के लिए, आप "Jenna" के स्थान पर "JENNA" लिखेंगे।

Step 2 आपने मुख्य पात्र और संघर्ष को शुरू में ही लाएँ:

  • उदाहरण के लिए, आप पैराग्राफ को यह कहते हुए शुरू कर सकते हैं, “जब लौरा का हवाई जहाज अमेज़न के रेन फॉरेस्ट में क्रैश किया, तब उसको यह एहसास हुआ की ज़िंदा रहने के लिए, उसको पहले अपने अंदर के डर को खत्म करना होगा।”
  • जैसे जैसे आप अन्य पात्र का परिचय कराते हैं, तो आपको उनका परिचय मुख्य पात्र के संदर्भ में करना चाहिए। उदाहरण के लिए, आप लिख सकते हैं, “लौरा के साथ, टेरी नामक एक रहस्यमय आरकिओलोजिस्ट भी आ गया, जो एकमात्र अन्य जीवित बचा हुआ व्यक्ति था।”

Step 3 प्लॉट की मुख्य घटनाओं का सार (summarize) बनाएँ:

  • सबप्लोट्स और मामूली कार्यवाही को बहुत विस्तृत तरीके से ना लिखें। आप नहीं चाहेंगे की आपकी सायनोप्सिस भ्रामक हो, इसलिए मुख्य कहानी की धारा पर केन्द्रित करें।
  • उदाहरण के लिए, आप लिख सकते हैं, "जेम्स, नदी के दैत्य को हराने के बाद, जादुई क्रिस्टल को खोजने आगे बढ़ जाता है। जब वह गुफा को पाता है, तो वह उसे बंद देखता है। वह एक गौबलिन (goblin) से, सहायता के लिए, अपनी तलवार को देने के लिए तैयार हो जाता है।"

Step 4 पुस्तक के निष्कर्ष से समाप्त करें:

  • आप कह सकते हैं, "जून को पता चलता है की गिन्नी ने हीरे चुराये हैं। मूवी का अंत पुलिस द्वारा गिन्नी को गिरफ्तार करने से होता है। "

Step 5 केवल आवश्यक जानकारी शामिल करें:

  • अपनी सायनोप्सिस में डाइलॉग मत शामिल करें: इसकी जगह, पात्र के कथन को बस समराइज़ (summarize) करें।
  • लघु (minor) पात्रों को उनके नाम की जगह, रोल के अनुसार जिक्र करें। “जो, लूइस से, जो एक सैक्सोफोनिस्ट है, एक रात मिलता है” के स्थान पर आप लिख सकते हैं, “जो, एक सैक्सोफोनिस्ट से मिलता है।”

Step 6 कैरक्टर डेव्लपमेंट और भावनाओं को दिखाएँ:

  • उदाहरण के लिए, आप लिख सकते हैं, “नयी डिस्कवरी से प्रेरित होकर, सेसिलिया होरेटीओ से मिलने के लिए जल्दी से जाती है, परंतु वह हैरान हो जाती है जब उसे पता चलता है की उसकी पहले ही मौत हो गयी है।”

Step 7 अपने लेखन की खुद बड़ाई करने से बचें:

  • “एक अश्रुपूरित सीन में” या “एक चौका देने वाले फ्लैशबैक में” जैसे वाक्यांश का प्रयोग ना करें। सीन को केवल वैसे ही वर्णित करें जैसे वह हो रहे हैं। अगर आप भावनाओं को वर्णित करना चाहते हैं जिसे आप अपने काम में बताना चाहते हैं, तो इसपर ध्यान केन्द्रित करें की कैसे पात्र विभिन्न घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हैं, ना की वह जो आप पाठक की प्रतिक्रिया चाहते हैं। उदाहरण के लिए, "जब क्लेयर को सच पता लगता है, तो वह विचलित हो जाती है। "
  • यह मान कर ना चलें की पाठक कैसा महसूस करेंगे। उदाहरण के लिए, यह मत कहें “पाठक अचंभित हो जाएंगे जैसे उन्हें पता चलेगा की लेडी बेट्टी के लिए लॉर्ड मेल्विन ने क्या सोच रखा है।” इसकी जगह, आप लिख सकते हैं, “जैसे लेडी बेट्टी हवेली (castle) से गुजरती हैं, उन्हें धीरे धीरे, लॉर्ड मेल्विन के इरादों का एहसास होता है।”

अपनी सायनोप्सिस को एडिट करना

Step 1 प्रकाशक के निर्देशों...

  • अगर आपके पास निर्देश नहीं हैं, तो अपना नाम और कार्य का टाइटल हर पेज के ऊपर लिखें।
  • प्रकाशन के लिए काम भेजते समय, हमेशा एक-इंच मार्जिन का प्रयोग करें।

Step 2 अपने लेखन कार्य...

  • अपनी पूरी सायनोप्सिस को ऊंची आवाज़ में पढ़ने की कोशिश करें जिससे गलतियाँ पकड़ में आ जाएँ।
  • अपने लिए प्रूफरीड करने के लिए, अप कॉपीएडिटर को भी, परिश्रमिक पर (hire) रख सकते हैं।

Step 3 किसी अन्य व्यक्ति...

  • उदाहरण के लिए, एक प्रकाशन गृह आपको अपनी सायनोप्सिस को काट कर एक पेज की करने को कह सकता है। इस केस में, केवल मुख्य संघर्ष पर ही केन्द्रित रहिए। दूसरा चार पेजों की सायनोप्सिस मांग सकता है। इस केस में आप अधिक विस्तार में जा सकते हैं।
  • अगर आप अपनी सायनोप्सिस को प्रकाशक के अनुरूप नहीं बनाते हैं, तो वह आपकी प्रस्तुति को नहीं भी पढ़ सकते हैं।

Step 5 अपनी सायनोप्सिस को...

  • क्वेरीपत्र में आपके काम की छोटी समरी होनी चाहिए, एक लघु पैराग्राफ आपके क्रेडेंशियल्स को वर्णित करते हुए, और एक कारण जिससे एजेंट को आपकी प्रस्तुति को स्वीकृत कर लेना चाहिए।
  • सैंपल में एक या दो अध्याय, स्क्रीनप्ले का एक एक्ट, या संकलन में से एक लघु कथा होना चाहिए। अधिकतर मामलों में, यह पहला सीन या अध्याय होता है।

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  • ↑ http://www.writersdigest.com/editors-picks/learn-how-to-write-a-synopsis-like-a-pro
  • ↑ https://www.janefriedman.com/how-to-write-a-novel-synopsis/
  • ↑ http://www.explorewriting.co.uk/what-synopsis-how-write-one.html
  • ↑ http://www.scriptmag.com/wp-content/uploads/How-to-Write-a-Synopsis.pdf
  • ↑ https://careertrend.com/how-2079740-format-synopsis.html
  • ↑ http://www.chronicle.com/article/The-Less-Obvious-Elements-of/129361
  • ↑ https://www.janefriedman.com/start-here-how-to-get-your-book-published/

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