an essay on gandhiji in hindi

महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

  • Mahatma Gandhi Slogan

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”

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Gandhi ji is my favorite

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अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

महात्मा गांधी

उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।

महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)

महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।

महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान

महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।

इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh

Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।

बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?

महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-

  • असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

  • नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

  • दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

  • भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

  • चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी

गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।

बापू की अफ्रीका से भारत वापसी

वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।

गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक

गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।

गाँधीवाद विचार धारा का महत्व

दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।

गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में

भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

प्रिय बापू का निधन

30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।

आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

Mahatma Gandhi Essay

FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।

उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।

उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।

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महात्मा गांधी पर निबंध, इतिहास व जीवन परिचय

इस लेख में हम आपको म हात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताएंगे। महात्मा गांधी जी को पूरा भारत वर्ष अच्छी तरह जानता है। महात्मा गांधी जी को बापू जी भी कहा जाता है। महात्मा गांधी जी का भारत को स्वतंत्र कराने में बहुत बड़ा योगदान है।  महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) (समुद्र तट) में हुआ था। आज बापू जी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी याद आज भी हमारे साथ है।

महात्मा गांधी जी ने हमारे भारत की आजादी के लिए बहुत कुछ किया था जिसे वर्णन करना बहुत गर्व की बात होगी। महात्मा गांधी बचपन से ही शुद्ध शाकाहारी थे उन्होंने अपनी माता के कहे अनुसार अपनी मृत्यु तक अहिंसा और शाकाहारी रहने का व्रत कायम रखा था।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi

महात्मा गांधी पर निबंध और महात्मा गांधी की शिक्षा

महात्मा गांधी बचपन से ही एक औसत छात्र रहे थे। गाँधी जी ने बचपन बड़ी सादगी से बिताया और सन् 1887 में बम्बई यूनिवर्सिटी से मैट्रिक पास किया और उसके आगे की शिक्षा भावनगर के शामलदास स्कूल से ग्रहण की। दोनों ही परीक्षाओं में वह शैक्षिक स्तर पर आये। वह एक औसत छात्र रहे। 4 सितम्बर 1888 ई, को गांधी जी बैरिस्टरी की शिक्षा के लिए लन्दन गए जहां उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लन्दन में दाखिला (Admission) लिया। महात्मा गांधी जी का परिवार उन्हें बारिस्टर बनाना चाहता था।

गांधी जी शाकाहारी थे तो उन्होंने शाकाहारी मित्रों की खोज की और थियोसोफिकल नामक सोसाइटी के कुछ मुख्य सदस्यों से मिले। इस सोसाइटी की स्थापना विश्वबंधुत्व (संपूर्ण एकता) के लिए 1875 ई में हुई थी और तो और इसमें बौद्ध धर्म सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन भी था।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय हिंदी में

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी की वकालत की शुरुआत

  • 👉 इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन द्वारा बुलाये जाने पर गांधी जी वापस बम्बई लौट आये और यहां अपनी वकालत शुरू की।
  • 👉 मुंबई (बम्बई) में गांधी जी को सफलता नहीं मिली जिसके कारण गांधी जी को अंशकालिक शिक्षक के पद पर काम करने के लिए अर्जी दाखिल की किन्तु वो भी अस्वीकार हो गयी।
  • 👉 जीविका के लिए गांधी जी को मुकदमों की अर्जियां लिखने का कार्य आरम्भ करना पड़ा परन्तु कुछ कारणवश उनको यह काम भी छोड़ना पड़ा।
  • 👉 1893 ई में गांधी जी एक वर्ष के करार के साथ दक्षिण अफ्रीका गए।
  • 👉 दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की फर्म नेटल से यह वकालत करार हुआ था।

Mahatma Gandhi Per Nibandh

Mahatma Gandhi Per Nibandh

महात्मा गांधी की शादी: About Mahatma Gandhi in Hindi

सन् 1883 में गांधी जी का कस्तूरबा जी से विवाह हुआ। उस समय गांधी की उम्र केवल साढ़े तेरह वर्ष थी (13.5 years) और कस्तूरबा गांधी की 14 वर्ष की थी। उनके माता पिता के चाहने पर यह बाल विवाह द्वारा तय करा गया था। गांधी और कस्तूरबा जी की उम्र कम थी और उस समय बाल किशोरी दुल्हन को अपने माता पिता के घर रहने का नियम था। कुछ 2 साल बाद सन् 1885 में गांधी जी 15 साल के हो गये थे और तभी उन्हें पहली संतान ने जन्म लिया था, लेकिन कुछ ही समय पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी और उसी वर्ष गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी की मृत्यु हो गयी।

महात्मा गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा: About Gandhiji in Hindi

महात्मा गांधी जी ने अपने जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देखे थे। ऐसे ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा था। प्रथम श्रेणी (first category) कोच की वैध (VALID) टिकट होने के बाद भी उन्हें तीसरी श्रेणी (3rd category) के डिब्बे में भी जाने से मना कर दिया गया था और तो और पायदान पर बैठने पर भी एक यूरोपियन व्यक्ति को अच्छा नहीं लगा तो उसने गांधी जी को मारा भी था।

गांधी के इस अपमान के बाद भी उन्होंने कई प्रकार की बेइज्जती सही और कई समस्याओं का सामना भी किया। अफ़्रीका के कई होटलों को उनके लिए बंद कर दिया गया। उन होटलों में भारतीयों को जो काले लगते थे उन्हें भी जाना मना कर दिया था। इन घटनाओं में एक घटना ये भी थी जिसमें एक न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने के लिए भी कहा। दक्षिण में हो रहे अन्याय को गांधी को बहुत ठेस पहुंची थी जिस कारण गांधी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ने में बिताया।

महात्मा गांधी जी का भारतीयों की आजादी के लिए संघर्ष

इतना सब कुछ सहने के बाद गांधी सन् 1916 ई में अपने भारत वापस आये और अपनी कोशिशों में जी जान से लग गए। उस समय भारत को बहुत बड़ा झटका लगा था जब कांग्रेस के लीडर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो गयी थी।

चंपारण और खेड़ा | Mahatma Gandhi Ka Nibandh

1918 ई गांधी जी की पहली उपलब्धि चंपारण (Champaran) और खेड़ा सत्याग्रह आन्दोलन में मिली। नील की खेती जिसे करने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा था। नील की खेती करने से किसानों के कर्जे बढ़ते जा रहे थे और हालात इतने बुरे थे कि खाने पीने का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा था। किसान आत्महत्या कर रहे थे, कर्ज बढ़ते जा रहे थे, कमाई का कोई और साधन नहीं रह गया था। बस फिर क्या था गांधी जी से यह अन्याय देखा नहीं गया।

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गांव में गंदगी, अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां भी फैलने लगी थी। खेड़ा (Kheda), गुजरात (GUJARAT) में भी यही समस्या थी।

गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया, वहां पर गांधी जी के सभी साथी और अपनी इच्छा से कई लोग आकर समर्थक के रूप में कार्य करने लगे। गांधी ने सबसे पहले तो वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों में विश्वास उत्पन्न हुआ। गांधी को पुलिस ने शोर शराबे से हुई परेशानी के कारण थाने में बंद भी कर दिया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया, बिना किसी कानूनी कार्यवाही के थाने से छुड़ाने को लेकर गांव वालों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया।

महात्मा गांधी ने अदालत में जमींदारों के खिलाफ टिप्पणी और हड़ताल का नेतृत्व भी किया और गांव के लोगों पर हुए कर वसूली व खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करने जैसे कई मुद्दों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए।

महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

⇓ खिलाफत आन्दोलन सन् 1919 ⇓.

अब गांधी जी को ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं हिन्दू व् मुस्लिम समाज में एकता की कमी की वजह से कमजोर पड़ रही हैं जिससे की कांग्रेस की नैया डूब भी सकती है। तो गांधी ने दोनों समाजों हिन्दू व मुस्लिम समाज की एकता की ताकत के बल पर ब्रिटिश की सरकार को बाहर भगाने के प्रयास में जुट गए। इस उम्मीद में वे मुस्लिम समाज के पास गए और इस आंदोलन को विश्वस्तरीय रूप में चलाया गया जो की मुस्लिम के कालिफ [CALIPH] के खिलाफ चलाया गया था।

गांधी जी  सम्पूर्ण राष्ट्रीय के मुस्लिमों की कांफ्रेंस   [ALL INDIA MUSLIM CONFERENCE] रखी थी और वो खुद इस कांफ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी बने। गांधी की इस कोशिश ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया और कांग्रेस में उनकी एक खास जगह बन गयी। कुछ समय बाद ही गांधी जी की बनाई एकता की दीवार पर दरार पड़ने लगी जिस कारण सन् 1922 ई में खिलाफत आंदोलन  पूरी तरह से बंद हो गया। गांधी जी सम्पूर्ण जीवन ‘हिन्दू मुस्लिम की एकता के लिए , कार्य करते रहे मगर गांधी जी असफल रहे।

असहयोग आंदोलन सन् 1920 ई | Mahatma Gandhi Biography in Hindi

गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। पंजाब में जब  जलियाँवाला नरसंहार जिसे सब अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता हैं। उस घटना ने लोगों के बीच काफी क्रोध और हिंसा की आग लगा दी थी। दरअसल बात ये थी कि अंग्रेजी सरकार ने सन् 1919 ई रॉयल एक्ट लागू किया। उसी दौरान गांधी जी कुछ सभाएं भी आयोजित करते थे। एक दिन गांधी जी ने शांति पूर्ण एक सभा पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक आयोजित की थी और उस शांतिपूर्ण सभा को अंग्रेजों ने बहुत ही बुरी तरह रौंदा था जिसका वर्णन करते भी आंखों से आंसू आता है।

सन् 1920 ई में असहयोग आंदोलन आरंभ किया गया। इस आंदोलन का अर्थ था कि किसी भी प्रकार से अंग्रेजों की सहायता न करना और किसी भी प्रकार की हिंसा का प्रयोग न की जाये। इस अंग्रेजों को गांधी जी का प्रमुख अंग्रेजों भी कहा जाता हैं।

असहयोग अंग्रेजों सितम्बर 1920ई – फरवरी  1922 तक चला।

गांधी जी को पता था कि ब्रिटिश सरकार भारत में राज करना चाहती है और वो भारत के सपोर्ट के बिना असंभव है। महात्मा गांधी को ये भी पता था की ब्रिटिश सरकार को कहीं न कहीं भारत के लोगों की सहायता ही पड़ती है। यदि इस सहायता को बंद करा दिया जाये तो ब्रिटिश सरकार अपने आप ही वापस चली जायेगी या फिर भारतीयों पर जुल्म नहीं करेगी।

महात्मा गांधी ने ऐसा ही किया उन्होंने सभी भारतीयों को बुलाया और अपनी बात को स्पष्ट रूप से समझाया और सभी भारतीयों को गांधी जी की बात पर विश्वास भी हुआ और उन्होंने गांधी जी की कही हुई बातों की गांठ बांध ली, सभी लोग बड़ी मात्रा में शामिल हुए और इस आंदोलन में अपना योगदान दिया।

सभी भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की सहायता करने से मना कर दिया, उन्होंने अपनी नौकरी त्याग दी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल और कॉलेजों से निकाल लिया, सरकारी नौकरियां, फैक्ट्री, कार्यालय भी छोड़ दिया। लोगों के उस फैसले से कुछ लोग गरीबी व अनपड की मार से झुलसने लगे थे, स्थिति तो ऐसी उत्पन्न हो गयी थी की भारत तभी आजाद हो जाता परन्तु एक घटना जिसे हम चौरा –चौरी के नाम से जानते है जिसकी वजह से गांधी जी को अपना आंदोलन वापस लेना पड़ा और आंदोलन को वहीं समाप्त करना पड़ा।

Mahatma Gandhi Ji Per Nibandh

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

चौरा-चोरी की घटना

ये घटना उत्तर प्रदेश में हुई थी जिसने सब की जिंदगी बदल कर रख दी थी। उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा नामक स्थान पर जब भारतीय शांतिपूर्ण रूप से रैलियां निकाल रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर गोलियां चला दी और कई भारतीयों की मृत्यु भी हो गयी, जिसके कारण भारतीयों ने गुस्से में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और 22 पुलिस सैनिकों को मार दिया। महात्मा गांधी जी का कहना था की  “हमें सम्पूर्ण आंदोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक प्रक्रिया का प्रयोग नहीं करना था और हम अभी किसी भी प्रकार से आज़ादी के लायक नहीं हैं” जिस के कारण महात्मा गांधी जी अपने आंदोलन को वापस ले लिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन / डंडी यात्रा / नमक आंदोलन सन् 1930 | Civil Disobedience Movement / Dandi March / Salt Movement in Hindi

सविनय अवज्ञा का अर्थ होता है किसी भी बात को न मानना और उस बात की अवहेलना करना| सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी गांधी ने लागू किया था| ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ये आन्दोलन था.

इस आन्दोलन में मुख्य कार्य यही था की ब्रिटिश सरकार जो भी नियम लागू करेगी उसे नही मानना और उसके खिलाफ जाना जैसे : ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई नही अन्य व्यक्ति या फिर कोई कंपनी नमक नही बनाएगी.

तब  12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा  द्वारा नमक बना कर इस कानून को तोड़ दिया था वे दांडी नामक स्थान पर पहुंच कर नमक बनाया था और कानून का उलंघन किया था.

महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम जो की गुजरात के अहमदाबाद नामक शहर के पास ही है 12 मार्च, सन 1930 से 6  अप्रैल 1930 तक ये यात्रा चलती रही.

31 जनवरी 1929 को भारत का झंडा लाहौर में फेहराया गया था इस दिन को भारतीय नेशनल कांग्रेस ने आज़ादी का दिन समझ कर मनाया था| यह दिन लगभग सभी भारतीय संगठनों द्वारा भी माने गया था| इसके बाद ही नमक आन्दोलन हुआ था.

400 किलोमीटर (248 मील) तक का सफ़र अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया था|

गाँधी जी, सुभाष चन्द्र बोस , और पंडित जवाहरलाल नेहरू के आज़ादी की मांग के विचरों को भी सिद्ध किया और अपने विचारों को 2 सालों की वजह 1 साल के लिए रोक दिया| इस आन्दोलन की वजह से 80000 लोगों को जेल जाना पड़ा.

लार्ड एडवर्ड इरविन ने गांधी जी के साथ विचार विमर्श किया| इस इरविन गांधी जी की संधि 1931 में हुई|

सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी रजामंदी दे दी थी.

महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में लन्दन में आयोजित गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था| यह सम्मलेन निराशाजनक रहा इस आयोजन का कारण भारतीय कीमतों व अल्पसंख्यको पर केन्द्रित होना था.

लार्ड विलिंग्टन ने भारतीय राष्ट्रियवादियों को नियंत्रित और कुचलने के लिए नया अभियान आरम्भ किया और गांधी को फिर से गिरफ्तार भी कर लिया गया था और उनके अनुयायिओं को उनसे मिलने तक भी नही जाने दिया| मगर ये युक्ति भी बेकार गयी.

हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस क्या है ? – Mahatma Gandhi Essay in Hindi

1932, डा० बाबा साहेब आंबेडकर जी  के चुनाव प्रचार के माध्यम से, सरकार ने अछुत लोगों को एक नए संविधान में अलग निर्वाचन दे दिया.

इसके विरुद्ध गांधी ने 1932 में 6 दिन का अनशन ले लिया था जिसने सफलतापूर्वक दलित से राजनैतिक नेता पलवंकर बालू द्वारा की गयी|

मध्यस्थता वाली एक सामान्य व्यवस्था को अपनाया गांधी जी ने अछूत लोगों को हरिजन का नाम दिया.

डॉ० बाबासाहेब आंबेडकर ने गांधी जी की हरिजान वाली बात की निंदा की और कहा की दलित अपरिपक्व है और सुविधासंपन्न जाती वाले भारतियों ने पितृसत्तात्मक भूमिका निभाई है.

अम्बेडकर और उनके सहयोगी दलों को महसूस हुआ की गांधी जी दलितों के अधिकार को समझ नही पा रहे हैं या फिर दलित अधिकार को कम आंक रहे हैं.

गाँधी जी ने ये भी बाते आंकी की वो दलितों के लिए आवाज उठा रहे हैं | पुन संधि में ये साबित हो गया की गाँधी जी नहीं अम्बेडकर ही हैं दलितों के असली नेता.

उस समय छुआछुत सबसे बड़ी समस्या थी| हरिजन लोगों को मंदिरों में जाने भी नहीं दिया जाता था| केरल राज्य का जनपद त्रिशुर दक्षिण भारत की एक प्रमुख नगरी है, जनपद में एक प्रतिष्ठित मंदिर भी हैं.

गुरुवायुर मंदिर जिसमे कृष्ण भगवान् बल रूप के दर्शन कराती मूर्तियाँ हैं परन्तु वहन पे भी हरिजन लोगो को जाने नहीं दिया जाता था.

भारत छोड़ो आन्दोलन सन् 1942 – Quit India Movement in Hindi – महात्मा गांधी पर निबंध

सभी आंदोलनों में ये सबसे ज्यादा प्रभावी आन्दोलन था| ये आन्दोलन आखिरी आन्दोलन तो नहीं कहलाया जायेगा लेकिन फिर भी ये सबसे बड़ा कदम था| सन् 1940 के दशक तक सभी बड़े बूढ़े बच्चे सभी अपने देश की आज़ादी के लिए लड़ने मरने को तैयार थे.

उस समय सभी भारतीय बिना किसी प्रवाह के मरने और मारने को तैयार हो गए थे| उनमे बहुत गुस्सा भरा था और ये गुस्सा सन् 1942 ई में बहुत ही प्रभावशाली रहा परन्तु इस आंदोलन को संचालन करने में हुई कुछ गलतियों के कारण ये आन्दोलन भी असफल रहा.

प्रमुख बात ये थी कुछ लोग अपने काम और विद्यार्थी अपनी पडाई में लगे रहे उस समय उन्हें लगा की अब तो भारत आजाद हो ही जायेगा तो उन्होंने अपने कदम धीरे कर लिए मगर यही बहुत बड़ी गलती थी.

इस प्रयास से ब्रिटिश सरकार को ये तो पता चल ही गया था की अब भारत पर उनका राज नहीं चल सकता और भारत फिर आजाद होने के लिए फिर प्रयास करेगा.

गांधी जी की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई थी?

Mahatma Gandhi History in Hindi

महात्मा गांधी जी को किसने मारा था?

लोगों की सोच का कुछ नही कहा जा सकता है उसी तरह महात्मा गांधी जी के अपने भी थे और कुछ दुश्मन भी थे।

कुछ लोगों को महात्मा गांधी जी में गलत बातों को देखा और उसी वजह से जब 30 जनवरी 1948  को गांधी जी अपने बिड़ला भवन में चहलकदमी (walking) कर रहे थे| तब उनको गोली मार दी गयी थी.

गांधी जी को मारने वाले का नाम नथुराम विनायक गोडसे  था ये राष्ट्रीयवादी थे जिनके कट्टर पंथी हिन्दू महासभा के साथ सम्बन्ध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी करार दिया.

गौडसे और उनके सह् षड्यंत्रकरी नारायण आप्टे को केस चलाकर जेल भेज कर सजा दी गयी थी| उन्हें 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गयी थी.

गाँधी जी की याद की तौर पर राजघाट जो की NEW DELHI में है, यहाँ पर गाँधी जी के स्मारक पर देवनागरी भाषा में हे राम लिखा हुआ है|

कहा जाता है की गाँधी जी को जब गोली लगी थी तब उनके मुख से हे राम निकला था|  –  ऐसा जवाहर लाल नेहरु जी ने रेडिओ के माध्यम से देश को बताया था|

गांधी जी की अस्थियों को रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद में पुरे देश में घुमाया गया| इन अस्थियों को इलाहाबाद में संगम नदी में 12 फरवरी 1948 को जल में प्रवाह कर दिया था.

शेष अस्थियों को 1997 में तुषार गाँधी जी ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि – कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से इलाहबाद के संगम नामक नदी में प्रवाह कर दिया था.

30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गाँधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई  संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया.

एक अन्य अस्थि कलश आगा खान जो पुणे में है (जहाँ उन्होंने 1942 से कैद किया गया था 1944 तक) वहां समाप्त हो गया था और दूसरा आत्मबोध फेल्लोशीप झील में मंदिर में लॉस एंजिल्स रखा हुआ है.

इस परिवार को पता था की राजनैतिक उद्देश्यों के लिए इस पवित्र रख का दुरूपयोग भी हो सकता था लेकिन उन्हें यहाँ से हटाना नहीं चाहती थी क्यूंकि इससे मंदिरों को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता था.

महात्मा गांधी जी की मृत्यु किसने की?

गांधी जी की मृत्यु करने वाले नाथूराम गोडसे थे। गांधी जी को बिड़ला भवन के अंदर शाम को 5 बजे जब वह सरदार पटेल के साथ मीटिंग में थे। तभी गांधी जी को पता चला की वो शाम की प्रार्थना के लिए 20 मिनट देरी कर चुके है। स्टेज पर जाते हुए गांधी जी के आगे नाथूराम गोडसे आ गए और उन्होंने गांधी जी को रोका ओर बोलने से पहले ही गांधी के आगे मनु जी आ गए ओर बोला की आगे से हट जाओ नाथूराम गोडसे जी गांधी जी प्रार्थना के लिए पहले ही लेट चुके है लेकिन नाथूराम गोडसे ने मनु को धक्का दिया और गांधी जी के सीने में 3 गोलियां दाग दी जिनमें से 2 गोली शरीर को आर पार कर गयी लेकिन एक गोली उनके सीने में ही रही।

नाथूराम गोडसे का कहना था की गांधी जी ने पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी ठहराया था और महात्मा गांधी जी के कुछ फैसले उन्हें अच्छे नहीं लगे जिसकी वजह से उन्हें और उनके साथियों को गांधी जी की मृत्यु करनी पड़ी। गांधी जी ने बहुत से गलत फैसले लिए थे ऐसा नाथूराम गोडसे जी का कहना था। नाथूराम गोडसे चाहते तो वहां से भाग सकते थे लेकिन उन्होंने भागना स्वीकार नहीं किया। 78 वर्षीय गांधी जी की मृत्यु कर दी गई । गांधी की मृत्यु के बाद पूरा भारत सदमे में था।

गांधी जी की मृत्यु के लिए 8 लोगों को दोषी ठहराया गया। जिसमें सभी के नाम निम्नलिखित है।

गांधी जी की मृत्यु पर आपका क्या कहना है? क्या नाथुरम गोडसे ने सही किया? आप मुझे कमेंट बॉक्स में बताएं।

उम्मीद करता हूँ कि महात्मा गांधी पर निबंध और जीवनी आपको अच्छे से समझ आ ही गया होगा। तो आप बिना किसी देरी के महात्मा गांधी की जीवनी अपने मित्रों अपने सम्बन्धियों आदि के साथ शेयर कर दीजिये। महात्मा गांधी जी ने हमारे लिए कितना कुछ करा है क्या हम उनके बारे में उन लोगों को नहीं बता सकते जिनको महात्मा गांधी का इतिहास नहीं पता? आप से उम्मीद करता हूँ कि आप हमारे इस लेख को जितना हो सके उतना शेयर करेंगे। “धन्यवाद”

– महात्मा गांधी का जीवन परिचय | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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Top tips. And also great information ?

महात्माजी गांधी हमेशा पूरी दुनिया को प्रेरित करते रहेंगे , धन्यवाद् इतनी अच्छी जानकारी हम तक पहुचने केलिए!!

Ess kahani me kuchh gadbad hai Ye ki jab Gandhi (1930). me mar gay the tab kaese (1932).me 6.din ka anshan let liye the

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30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गाँधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया.

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Mahatma Gandhi essay in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे

Mahatma Gandhi essay in Hindi

Mahatma Gandhi essay in Hindi : महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर कई आंदोलन चलाए थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी ( Mohandas Karamchand Gandhi ) था, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को ब्रिटिश शासन (अंग्रेजों) से आजाद कराया था।

गांधी जी एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होने सामाजिक कुरितियों जैसे जातिवाद, छुआछुत और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके अलावा उन्होने स्वदेशी आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

स्कूलों में अक्सर Mahatma Gandhi Essay in Hindi में लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए मैं आपको महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे लिखकर दूंगा, जिससे निबंध प्रतियोगिता में बहुत अच्छे अंक ला सकते है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi essay in Hindi

महात्मा गांधी, जिन्हें भारत में “ बापू ” या “ राष्ट्रपिता ” के नाम से भी जाना जाता है, वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और महान विचारक थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों के आधार पर भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में कानून (वकालत) की पढ़ाई की और फिर भारत लौटने के बाद एक वकील के रूप में काम किया। 1893 में, वे दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी।

1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया था, जिनमें दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थें।

महात्मा गांधी के सफल आंदलनों की वजह से ब्रिटिश शासन काफी कमजोर हुआ, और अंतत: 1947 में  उन्हे भारत छोड़ना पड़ा। इस तरह भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में गांधी जी का काफी योगदान था। गांधी जी एक महान सत्य और अहिंसा प्रचारक थे, जिन्होने अपनी पूरी जिंदगी में इन सिद्धांतों का पालन किया और दुनिया भर के लोगों को भी प्रेरित किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में – Gandhi Jayanti per Nibandh Hindi

प्रस्तावना.

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है जिन्हे भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में भारत के पोरबंदर स्थान पर हुआ था। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में केवल अहिंसा और सत्य के सिद्धांतो पर कार्य किया।

गांधी जी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिनका भारत की आजादी में काफी बड़ा योगदान रहा है। उन्होने काफी सारे सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया हैं।

महात्मा गांधी का जीवन

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी ने प्रारंभिक जीवन में हिंदू शिक्षा प्राप्त की, जिसमें उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया।

1888 में, गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए, जहां पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय कंपनी में काम करने गए। वहां पर उन्होने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव पर एक सफल आंदोलन किया।

इसके बाद गांधी जी 1915 में भारत लौटे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला। और फिर गांधी जी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए काई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे- सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि।

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में

महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उन्होने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी बड़ा योगदान दिया था, और इसके अलावा उन्होने भारत को अहिंसा, सत्य और प्रेम की शिक्षा भी दी है।

उपसंहार

महात्मा गांधी काफी महान व्यक्ति थे, जिन्होने भारत देश को आजादी दिलाने में काफी बड़ा योगदान दिया। इसके अलावा भारत को एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित किया। उन्होने पूरे विश्व में लोगों के बीच समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने की शिक्षा। और एक सादा और स्वेदशी जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

महात्मा गांधी काफी एक बहुत ही महान पुरुष थे जिन्होने पूरे विश्व को अहिंसा, सत्य और प्यार का पाठ पढ़ाया था। गांधी जी के इन्ही सिद्धांतों की वजह से उन्हे केवल भारत में ही नही बल्कि पूरे संसार में महान पुरुष माना जाता है।

गांधी जी ने काफी सारे शांतिपूर्वक आंदोलन किए थे, जिसकी वजह से अंग्रेजो को भारत को छोड़ना पड़ा था। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, और इसके साथ – साथ एक अच्छे समाज सुधारक भी थे। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के बीच समानता और भाईचारा लाने का काम किया। उन्होने महिलाओं के अधिकारों, दलितों के अधिकारों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी काम किया।

गांधी जी का परिवार

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदा करमचंद गांधी है और इनके पिता का नाम करमचंद गांधी है। इसके अलाव इनकी माता का नाम पुतलीबाई है। गांधी जी अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे।

गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, जिनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। इसके अलावा गांधी जी के पिता, करमचंद गांधी ब्रिटिश आधिपत्य के तहत पश्चिमी भारत की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दिवान थे।

गांधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं। अगर आज के समय की बात करें तो उनके पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों रह रहे हैं।

महात्मा गांधी की शिक्षा

गांधी जी ने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से ही प्राप्त की थी, जहां उन्होंने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषओं का अध्ययन किया। इसके बाद 1888 में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लंदन गए। वे लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई पूरी करके दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होने एक भारतीय कंपनी में काम किया।

दक्षिण अफ्रीका में सक्रियता

जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए तब उन्होने देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। वहां पर नस्लीय भेदभाव भी हो रहा था। उस समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के सिद्धातों से एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को भी अधिकार मिले।

स्वदेश आगमन

दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी 1915 में स्वदेश लौट आए। इसके बाद उन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाला और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नयी दिशा दी। उन्होने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर एक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने ब्रिटिश शासन काफी प्रभावित किया।

गांधी जी ने भारत आने के बाद काफी सारे आंदोलन किए, और सभी आंदोलन अंहिसा और शांतिपूर्वक तरीके से किए थे, जिससे उनके अधिकतर सभी आंदोलन सफल हुए थे।

महात्मा गांधी का जीवन काफी शिक्षाप्रद था। उन्होने पूरे विश्व को कई शिक्षाएं दी, जैसे- अहिंसा, सत्य, सादगी, स्वदेश प्रेम, सेवा। गांधी जी की शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणाएं है, जिससे एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण दुनिया बनायी जा सकती है। इसलिए हम सभी को महात्मा गांधी जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में – Mahatma Gandhi essay in 1000 Word

महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) एक अच्छे समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और आध्यात्मिक नेता थे। इसी वजह से गांधी जी को भारत में “ राष्ट्रपिता” और “ बापू” के नाम से जाना जाता है। उन्होने काफी सारे अंदोलन किए थे, और सभी आंदोलन अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित थे।

महात्मा गांधी जी का जन्म

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो राजकोट राज्य के दिवान थे। और उनकी माता का नाम पुतली बाई था, जो एक धार्मिक गृहिणी थी। महात्मा गांधी जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे।

महात्मा गांधी जी की शिक्षा

महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही प्राप्त की थी। उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया था, और सा एक पारंपरिक हिंदू शिक्षा प्राप्त की। गांधी जी ने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती।

गांधी जी की तेरह वर्ष में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा के साथ विवाह करवा दिया गया था, जब वे स्कूल में पढ़ते थे। युवा अवस्था में गांधी जी ने 1887 में जैसे-तैसे ‘मुबंई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिला लिया।

गांधी जी एक डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की इजाजत नही थी, इसलिए उन्हे बैरिस्टर (कानून) की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा।

महात्मा गांधी जी की विदेश यात्रा

सितंबर 1888 में, गांधी जी लंदन (इंग्लैंड) पहुंच गए। वहां पर उन्होने चार लॉ कॉलेज में से एक ‘इनर टेंपल’ कानून महाविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होने 1890 में, लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा दी।

गांधी जी ने अपनी लॉ की पढ़ाई को काफी गंभीरता से लिया। उन्होने लंदन में शाकाहारी रेस्तरां के लिए हड़ताल भी की थी। गांधी जी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने थे।

दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन

महात्मा गांधी थोड़े समय के लिए इंग्लैंड से भारत आए थे, तब वे अब्दुल्ला के चचेरे भाई के लिए वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए, जो दक्षिण अफ्रीका के शिपिंग व्यापारी थे। लेकिन वहां उन्होने देखा कि वहां पर भारतीय लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में एक सत्याग्रह आंदोलन चलाया ताकि वहां रहने वाले भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले। यह सत्याग्रह आंदोलन अफ्रीका में सात वर्षों से अधिक समय तक चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी जी के नेतृत्व में सभी भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने संघर्ष जारी रखा।

अंतत: दक्षिण अफ्रीका में सभी भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले।

महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन

दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी सन् 1914 में भारत लौट आए। उस समय सभी देशवासियों ने गांधी जी को महात्मा कहकर पुकारना शुरू कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने चार वर्ष बारतीय स्थिति का अध्ययन किया।

गांधी जी ने भारत में कई आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया था।

1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 में बिहार के चंपारण जिले में शुरू हुआ था। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।

2. खेड़ा आंदोलन

एक बार गुजरात का एक गांव काफी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गया था, तो स्थानीय किसानों ने कर माफी के लिए शासकों से अपील की। लेकिन शासकों ने उनकी अपील को नही स्वीकारा। इसके बाद गांधी जी ने खेड़ा आंदोलन शुरू किया गया, जिसकी वजह से 1918 में सरकार ने अकाल समाप्ति तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों पर ढील दी।

3. रॉलेट ऐक्ट के विरुद्ध आंदोलन

अंग्रेजों ने भारत में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए 1919 में एक रॉलेट ऐक्ट लगाया था, जिसे काले कानून के नाम से भी जाना जाता था। इस ऐक्ट से ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी।

उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में रॉलेट ऐक्ट के विरोध हुए आंदोलन में पूरा देश शामिल हुआ था।

4. असहयोग आंदोलन

असहयोग आंदोलन काफी महत्वपूर्ण आंदोलन है, जो महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में शुरू किया गया था। इस आंदोलन से सभी भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए एक नई जागृति पैदा हुई। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि ब्रिटिश स्रकार से राष्ट्र के सहयोग को वापिस लेना।

5. नमक सत्याग्रह आंदोलन

महात्मा गांधी के सभी आंदोलनों में से एक सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन यह भी था। यह आंदोलन 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद में है, से शुरू हुआ, और दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च के रूप में चला। यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ आंदोलन था।

6. दलित आंदोलन

महात्मा गांधी एक अच्छे समाज सुधारक भी थे, जिन्होने देश में फैल रहे छुआछुत के विरोध में 8 मई 1933 को आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन ने पूरे देश में काफी हद तक छुआछुत को कम किया था। इसके बाद गांधी जी ने 1932 में छुआछुत विरोधी लीग की स्थापना की थी।

7. भारत छोड़ो आंदोलन

महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में एक बहुत बडा आंदोलन छेड़ा, जिसका नाम, भारत छोड़ो आंदोलन था। इस आंदोलन से गांधी जी ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबुर किया। इसके साथ ही गांधी जी ने एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी शुरू किया, जिससे इस आंदोलन को और मजबूती मिली।

इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की हुकूम को काफी कमजोर कर दिया था।

महान बलिदान

भारत छोड़ो आंदोलन के बाद बाद ब्रिटिश हुकूमत काफी कमजोर हुई और अंतत: 1947 में पूरा भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन गांधी जब तक जिंदी थे, तब तक देश के उद्धार के लिए काम करते रहे। गांधी जी ने हिंदु और मुस्लिम एकता का अभियान शुरू किया था, लेकिन इससे कुछ लोग खुश नही थे।

30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय नाथूराम गोड़से ने मौका देखकर गांधी जी को गोली मार दी। हालांकि गांधी जी के मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा जिंदा है।

महात्मा गांधी सच में एक महान पुरुष थे, जिन्होने अच्छी तरह से स्वतंत्र सेनानी और समाज सेवक का रोल निभाया। गांधी जी ने शांति और अहिंसा के आधार पर आंदोलन किया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।

महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नही बल्कि पूरे विश्व पटल पर शांति और अहिंसा का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती पर ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप मनाने की घोषणा की।

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an essay on gandhiji in hindi

महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi, 200, 250, 300, 500, 1000 words, Mahatma Gandhi Par Nibandh Hindi Mein)

Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचन्द गांधी एक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी ख्याति न केवल अपने देश में बल्कि पुरे संसार में भी फैली हुई थी. गांधी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है, और इसी अटूट विश्वास के फलस्वरूप उन्हें जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए यही रास्ता चुना और वे किसी भी तरह की अहिंसक कार्रवाई के घोर विरोधी थे.

गांधी जी ने आखिरकार सत्य और अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कई वर्षों तक ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे भारत देश को आजाद कराया. भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर अत्याचार किए जा रहे थे और निर्बलों तथा रक्षाहीनों का पूंजीवादी शोषण अपने चरम पर था. गांधीजी को इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने मानवता को अपने धर्म के रूप में देखा था.

गांधीजी का कहना था, मैं तब तक धार्मिक जीवन व्यापन नहीं कर सकता जब तक कि मैं खुद को पूरी मानवता के साथ आत्मसात नहीं कर लेता और मैं इसे तब तक पूरा नहीं कर सकता जब तक मैं राजनीति में नहीं आता. राजवैद्य जीवराम कालिदास ने साल 1915 में पहली बार गांधी जी के लिए “महात्मा” की उपाधि का प्रयोग किया. था. चूंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान दिया, इसलिए महात्मा गांधी को भारतीय लोग भगवान के रूप में पूजते हैं, जो उन्हें बापू के रूप में संदर्भित करते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) बताने जा रहे है.

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Table of Contents

महात्मा गांधी पर निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 200 words).

महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत (अब का गुजरात) में 2 अक्टूबर वर्ष 1869 को हुआ. इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी था था. इनके पिता काठियावाड़ की रियासत के दीवान हुआ करते थे. माता की आस्था और स्थानीय जैन रीति-रिवाजों के फलस्वरूप गांधीजी के जीवन पर इस धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा. 13 साल की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था.

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से पूरी हुई, इसके बाद वे राजकोट और अहमदाबाद गए जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की.

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महात्मा गांधी का सोचना था कि  भारतीय शिक्षा को संचालित करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि समाज को जागरूक होना चाहिए. इस वजह से महात्मा गांधी ने एक बार भारत की शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” से संबोधित किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया. इनका कहना और सपना था कि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो. और “शोषण विहिन समाज की स्थापना” करना गांधीजी का मूल मंत्र था.

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 250 Words)

हमारे देश भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ. गांधीजी की माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गांधी थे. मोहनदास करमचंद्र गांधी को  ज्यादातर लोग बापू या राष्ट्रपिता के रूप में संदर्भित करते हैं. इस बात का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है कि शुरू में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में किसने संदर्भित किया था, लेकिन साल 1999 में गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष जस्टिस बेविस पारदीवाला द्वारा लाए गए एक मामले के परिणामस्वरूप, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले सभी टेस्टबुक में गांधीजी को फादर ऑफ नेशन कहा, और इसके बाद यह आदेश जारी किया.

गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था. इस अंग्रेजी हुकूमत की नीवं की उखाड़ फैकने के लिए महात्मा गांधी जी ने कई क्रांतिकारी लड़ाई लड़ी. देश को आजादी दिलाने के लिए स्वराज और नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दाढ़ी मार्च, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन निकाले गए.

अंत में महात्मा गांधी के नेतृत्व और कई प्रयासों के कारण भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना. महात्मा गांधी से पहले भी लोग सत्य और अहिंसा के बारे में जानते थे, परन्तु गांधी जी ने जिस प्रकार शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किया, उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा. गांधी जी का जीवन सादगी पूर्ण था. वे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे और हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे.

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words)

भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने लौह मन वाले देश की जनता को 200 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई.

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

नीचे हम आपको महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं-

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन – साल 1917 में महात्मा गांधीजी के निर्देशन में बिहार के चंपारण क्षेत्र में सत्याग्रह आंदोलन हुआ. इसे चंपारण का सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह गांधी के नेतृत्व में भारत में प्रारंभिक सत्याग्रह आंदोलन था. गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान भारत में पहला सफल सत्याग्रह प्रयोग किया. यह आंदोलन नील उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था, जो एक जबरदस्त और सफल आंदोलन बन गया.

खेड़ा आंदोलन – यह आंदोलन भी किसान से जुड़ा आंदोलन था। जब गुजरात के एक गाँव खेड़ा में बाढ़ आई, तो स्थानीय किसानों ने अधिकारियों से करों (टैक्स) को माफ़ करने के लिए गुहार लगाई. इसे लेकर गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की. और किसानों ने कर न देने का संकल्प लिया. साथ ही किसानों ने सामाजिक बहिष्कार का आयोजन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1918 में सरकार ने अकाल के अंत तक राजस्व कर संग्रह की शर्तों में ढील दी.

रॉलेट एक्ट का   विरोध – अंग्रेजी सरकार ने साल 1919 में बढ़ते आंदोलनों के भीतर स्वतंत्रता की बढ़ती आवाज को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया. इसे काला कानून भी कहा जाता है. इस एक्ट के अंतर्गत वायसराय कुछ कामों की छुट मिल गई जिसमे किसी भी राजनेता को किसी भी पल गिरफ्तार करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. गांधी के रहते हुए भारत की जनता ने इस एक्ट का पुनर्जोर विरोध किया.

असहयोग आंदोलन – गांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. गांधीजी का सोचना था कि ब्रिटिश हुकूमत में निष्पक्ष न्याय प्राप्त करना असंभव था, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से देश के सहयोग को हटाने के लिए असहयोग आंदोलन की योजना बनाई. इस आंदोलन ने देश की आजादी में एक नया जीवन प्रदान किया.

नमक सत्याग्रह – नमक सत्याग्रह को दांडी सत्याग्रह और दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है. साल 1930 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने नमक टैक्स लगाया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया. गांधी सहित 78 लोग अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी के तटीय गांव पहुंचे. यह यात्रा 12 मार्च को शुरू हुई और 6 अप्रैल, 1930 तक चली. कुल 24 दिनों तक चली इस यात्रा में हाथों पर नमक प्राप्त करके नमक-विरोधी नियम का उल्लंघन करने का आह्वान किया गया.

दलित आंदोलन – 8 मई, 1933 को, महात्मा गांधी ने छुआछूत की व्यापक प्रथा के विरोध में दलित आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन ने देश को इस हद तक प्रभावित किया कि छुआछूत काफी हद तक समाप्त हो गया. गांधी जी ने इससे पहले साल 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की भी स्थापना की थी.

भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र के दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन ब्रिटिश प्रभुत्व के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा.

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

  • गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है.
  • गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.
  • इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था.
  • इनके पिता एक दीवान थे और माँ जैन धर्म के प्रति सद्भावना थी.
  • सिर्फ 13 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ.
  • स्कूल और कॉलेज की पढाई भारत से और कानून की पढाई लंदन से पूरी की.
  • देश की आजादी के दौरान पहला आंदोलन चम्पारण था.
  • गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के साथ साथ राजनीतिक और समाज सुधारक भी थे.
  • गांधीजी द्वारा निर्मित प्रथम ‘सत्याग्रह आश्रम’ मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय स्मारक है.
  • गांधी जी के जीवन में तीन मूल मन्त्र – सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य.

निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ). उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.

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महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

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महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi!

मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ । उनके पिता राजकोट के दीवान थे । उनकी माता एक धार्मिक महिला थीं । स्वतन्त्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लेने और देश को स्वतन्त्र कराने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण उनको राष्ट्रपिता कहा गया ।

यह उपाधि सर्वप्रथम उन्हें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने दी । महात्मा गाँधी मैट्रिक पास करने के पश्चात् इंग्लैण्ड चले गए जहाँ उन्होंने न्यायशास्त्र का अध्ययन किया । इसके बाद इन्होंने अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ कर दिया । वह भारत एक बैरिस्टर बनकर वापस आए और मुम्बई में अधिवक्ता के रूप में कार्य करने लगे ।

महात्मा गाँधी को उनके एक भारतीय मित्र ने कानूनी सलाह के लिए दक्षिण अफ्रीका बुलाया । यहीं से उनके राजनैतिक जीवन की शुरूआत हुई । दक्षिण अफ्रीका पहुँचकर गाँधी जी को एक अजीब प्रकार का अनुभव हुआ । उन्होंने वहाँ देखा कि, किस प्रकार से भारतीयों के साथ भेद – भाव किया जा रहा है ।

एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि गाँधीजी उस समय प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे जबकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे । गाँधीजी ने तभी से प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे । उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया ।

ADVERTISEMENTS:

जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहीं पर देख जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे । 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा । 1930 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन की स्थापना की और 1942 में भारत उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया ।

अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए । अन्तत: उन्हें सफलता हाथ लगी और 1947 में भारत आजाद हुआ पर दु:खू की बात यह है की नाथुरम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गाँधी की हत्या कर दी जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे ।

उनका प्रसिद्ध भजन यह था :

रघुपति राघव राजा राम , पतित पावन सीता राम

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम , सबको सन्मति दे भगवान ।

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन

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हमारे देश भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी बापू का जीवन समूचे संसार के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अपने विद्यार्थी जीवन, साउथ अफ्रीका प्रवास, चंपारण सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन और जीवन के अंतिम पड़ाव तक बापू ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय जैसे सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसा जीवन जिया जिसकी कोई दूसरी मिसाल धरती पर बमुश्किल ही मिलेगी। हाड़-मांस से निर्मित ऐसा कोई व्यक्ति कभी इस दुनिया में रहा भी होगा, इस पर लोगों के लिए यकीन कर पाना भी मुश्किल होगा। एक ऐसा आदर्शवादी व्यक्ति जिसका जीवन बहुतों के लिए प्रेरणास्रोत था, है और रहेगा। उन्होंने जिन मूल्यों को स्थापित किया उसे गांधी दर्शन की संज्ञा दी जाती है। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) ऐसे जीवट के धनी व्यक्ति के जीवन से परिचित होने का एक अच्छा तरीका है।

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में (100 Word Essay On Mahatma Gandhi)

गांधी जी के आदर्श (gandhi’s principles):, गांधी के नेतृत्व में अभियान, महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi).

महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) - महात्मा गांधी पर निबंध 100, 200, 500 शब्दों, 10 लाइन

गांधी जी ने भारत के लोगों को आत्मनिर्भर होना सिखाया। हर तबके के लोग उन्हें पसंद करते थे और उनकी तारीफ करते थे। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दी थी। महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi essay in hindi) के इस लेख से गांधी जी के जीवन और दर्शन के साथ साथ उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी भी आपको मिलेगी।

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चूंकि महात्मा गांधी का पूरा जीवन समाज को समर्पित था और इसी के लिए वे जिये भी व इसके लिए ही वे शहीद भी हुए, ऐसे में महात्मा गांधी के जीवन से संबंधित जानकारी भारत के प्रत्येक बच्चे को हो, इसके लिए भारतीय शिक्षा व्यवस्था समर्पित है। यही कारण है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों को महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi par nibandh) लिखने का कार्य दिया जाता है जिसके माध्यम से वे इस महान शख्सियत के जीवन से परिचित व प्रभावित होते हैं। यहां तक कि कई बार अच्छे अंक के लिए छोटी कक्षा के छात्रों से परीक्षा में भी महात्मा गांधी पर निबंध संबंधी प्रश्न पूछा जाता है। ऐसे में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi par Nibandh) छात्रों के लिए न सिर्फ चारित्रिक, बल्कि शैक्षणिक उत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वहीं कई ऐसे छात्र जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर किसी प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, उनके लिए भी तमाम निबंध के विषयों के बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी या बापू या महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) एक महत्वपूर्ण टॉपिक रहता आया है। ऐसे में महात्मा गांधी निबंध (Mahatma Gandhi Nibandh) विशेष इस लेख के माध्यम से ऐसे छात्रों को भी महात्मा गांधी के जीवन का एक अवलोकन प्राप्त होगा, जिसकी वजह से वे बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सक्षम होंगे।

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को उनके पूरे जीवनकाल में राष्ट्र उत्थान के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों और उनकी स्वयं की उत्कृष्टता की वजह से 'महात्मा' के रूप में जाना जाता है। वे एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा अहिंसा के प्रचारक थे जिन्होंने भारत को अहिंसा का पालन करते हुए ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई के दौरान उनकी उम्र महज 18 साल थी। इसके बाद उन्होंने लॉ यानी कानून की प्रैक्टिस करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहां अंग्रेजी मूल का न होने के कारण उन्हें शासक वर्ग की रंगभेद नीति का शिकार होना पड़ा। इस घटना से गांधी जी को गहरा आघात पहुंचा। इसके बाद वे ऐसे अन्यायपूर्ण कानूनों में बदलाव लाने के लिए राजनीतिक कार्यकर्ता बन गए।

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बाद में, वह भारत लौट आए और उन्होंने अपने देश भारत को अंग्रेजी हुकुमत से स्वतंत्र कराने के लिए एक दुर्जेय और अहिंसक संघर्ष शुरू किया। साल 1930 में, उन्होंने ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) का नेतृत्व किया जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी। उन्होंने कई भारतीयों को ब्रिटिश अत्याचार से आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया और कइयों को ब्रिटिश अत्याचार व शोषण से मुक्ति दिलाई।

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महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में (Mahatma Gandhi essay in hindi ) : महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (200 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में भारतियों का नेतृत्व किया। कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड जाने से पहले, उन्होंने भारत में ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और प्रताड़ित भारत के लोगों की सहायता करने का फैसला किया। ब्रिटिश उत्पीड़न का मुकाबला करने के लिए, गांधी जी ने अहिंसा का मार्ग चुना।

आंदोलन - अहिंसक आंदोलनों के लिए गांधी जी का कई बार उपहास किया गया, फिर भी वे भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने अहिंसक आंदोलनों में लगे रहे। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक विश्वविख्यात नेता थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया। गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग, सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन शुरू किए, जिनमें से सभी ने भारत की स्वतंत्रता में सफलतापूर्वक योगदान दिया।

स्वतंत्रता के लिए संघर्ष - एक प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी को कई बार जेल और कैद में रखा गया, फिर भी वे भारतियों के न्याय के लिए ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। उनका अहिंसा और सभी धर्मों के लोगों की एकजुटता में दृढ़ विश्वास था, जिसे उन्होंने स्वतंत्रता के अपने अभियान के दौरान बनाए रखा। कई वर्षों के संघर्षों के बाद, वे और अन्य स्वतंत्रता सेनानी, अंततः 15 अगस्त, 1947 को भारत को एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित करने में सफल रहे। हालांकि 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (500 Word Essay On Mahatma Gandhi in hindi)

भारत में, महात्मा गांधी को "बापू" या "राष्ट्रपिता" के रूप में जाना जाता है। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें दी गई इन उपाधियों की तरह ही, देश के लिए उनका बलिदान और उनके सिद्धांतों को वास्तविक बनाने के उनके प्रयास, दुनिया भर के भारतीयों के लिए गर्व की बात है।

गांधी जी का बचपन (Gandhi’s Childhood): महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वह एक हिंदू घर में पले-बढ़े और मुख्य रूप से शाकाहारी थे। उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वह दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे, जो उन्हें अन्य प्रदर्शनकारियों से अलग करता था। महात्मा गांधी ने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया, जो किसी भी अन्याय से लड़ने का एक अहिंसक तरीका था।

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गांधी जी अपने सख्त आदर्शों के लिए जाने जाते थे। वह नैतिकता, सिद्धांतों और अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्ति थे, जो आज भी दुनिया भर के युवाओं को प्रेरित और प्रोत्साहित करता है। वह हमेशा जीवन में आत्म-अनुशासन के मूल्य का प्रचार करते थे। उनका मानना था कि यह बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में बेहद कारगर रहता है, जिसका उपयोग उन्होंने अपने अहिंसा के विचारों को बढ़ावा देने के लिए भी किया। गांधी जी का जीवन इस बात का बेहतरीन उदहारण है कि यदि हम कठोर अनुशासन पर टिके रहते हैं और खुद को उसके लिए प्रतिबद्ध रखते हैं, तो इसकी सहायता से हमें किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है। गांधी जी की इन्हीं विशेषताओं ने उन्हें एक आम व्यक्ति से महान व्यक्ति बनाया, उनकी इन्हीं विशेषताओं की वजह से उन्हें दी गई महात्मा की उपाधि, आज के दौर में भी बिना किसी किन्तु-परंतु के एकदम उचित नजर आती है।

बापू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान (Contribution To Freedom Struggle)

कई सामाजिक सरोकारों पर महात्मा गांधी के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।

खादी आंदोलन : महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।

खेती : महात्मा गांधी कृषि के एक प्रमुख समर्थक थे और उन्होंने लोगों को कृषि में काम करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।

आत्मनिर्भरता : उन्होंने भारतीयों से शारीरिक श्रम में संलग्न होने का आग्रह किया और उन्हें सादा जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए संसाधन जुटाने की सलाह दी। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के उपयोग से बचने के लिए चरखे से सूती कपड़े बुनना शुरू किया और भारतीयों के बीच स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया।

छूआछूत : यरवदा जेल में अपनी नजरबंदी के दौरान, जहां उन्होंने समाज में 'अस्पृश्यता' के सदियों पुराने कुप्रथा के खिलाफ उपवास किया, वहीं उन्होंने आधुनिक समय में ऐसे शोषित समुदायों के उत्थान में काफी मदद भी की। इसके अलावा उन्होंने समाज में शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य और समानता को भी बढ़ावा दिया।

धर्मनिरपेक्षता : गांधी ने भारतीय समाज में एक और योगदान दिया, धर्मनिरपेक्षता का योगदान। उनका मानना था कि किसी भी धर्म का सत्य पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी ने अंतर्धार्मिक मित्रता को बढ़ावा दिया।

इन्हें भी देखें -

सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर

यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट

यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड

आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, गांधी जी को कई बार अपने समर्थकों के साथ यातना झेलनी पड़ी और उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन इस दौरान भी वो टस से मस न हुए और अपने देश के लिए स्वतंत्रता उनकी प्राथमिक इच्छा बनी रही। जेल जाने के बाद भी वे कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं लौटे। उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और "भारत छोड़ो आंदोलन" की शुरुआत की। भारत छोड़ो आंदोलन एक बड़ी सफलता थी। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान था। साल 1930 में, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। यह एक ऐसा आंदोलन था जो किसी भी दमनकारी निर्देश या नियमों का पालन करने से इंकार करता था। नतीजतन, इस रणनीति और इसके प्रवर्तकों को गंभीर हिंसा और क्रूरता का शिकार होना पड़ा।

महात्मा गांधी की मृत्यु शांति और लोकतंत्र के उद्देश्यों पर सबसे विनाशकारी आघात थी। उनके निधन से देश के मार्गदर्शक का वो स्थान खाली रह गया, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।

कई ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें परीक्षा में या गृह कार्य में महात्मा गांधी पर निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने के लिए दिया जाता है। ऐसे में हर बार महात्मा गांधी पर निबंध लिखना उनके लिए तभी मुमकिन हो सकता है जब उनके पास महात्मा गांधी के बारे में आधारभूत ज्ञान हो। ऐसे में इस लेख में महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) बिन्दुओं के माध्यम से जोड़ा गया है, जिसे याद रख उन्हें कभी भी महात्मा गांधी निबंध (mahatma gandhi nibandh) लिखने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। निम्नलिखित महात्मा गांधी पर 10 लाइन (10 lines on mahatma gandhi in hindi) के माध्यम से महात्मा गांधी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को एक जगह समेटने की कोशिश की गई है। इन बिन्दुओं को याद रखकर छात्र कभी भी महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in hindi) लिख सकेंगे।

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
  • महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान थे। वहीं उनके माताजी का नाम पुतलीबाई गांधी था जोकि करमचंद उत्तमचंद गांधी की चौथी व सबसे छोटी पत्नी थी।
  • महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण विरोध आंदोलन शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे। दुनियाभर में उन्हें भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता है।
  • महात्मा गांधी को दुनिया भर में अहिंसा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने दुनिया को सत्याग्रह का संदेश दिया था।
  • महात्मा गांधी ने खादी और जूट जैसे प्राकृतिक रेशों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 'खादी आंदोलन' की शुरुआत की। खादी आंदोलन बड़े "असहयोग आंदोलन" का हिस्सा था, जिसने भारतीय वस्तुओं के उपयोग का समर्थन और विदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का विरोध किया था।
  • महात्मा गांधी के कुछ बेहद चर्चित आंदोलन असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह आदि रहे।
  • ब्रिटिश काल के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा मगर उन्होंने अंग्रेजों के सामने कभी भी घुटने नहीं टेके। अंत में उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली।
  • महात्मा गांधी को 'महात्मा' व 'राष्ट्रपिता' की उपाधि से संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी को 'महात्मा' की उपाधि नोबल पुरुस्कार के विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था। वहीं उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दिया था।
  • महात्मा गांधी के द्वारा लिखी गई उनकी प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं - महात्मा गांधी की आत्मकथा – ‘सत्य के प्रयोग’, हिन्द स्वराज, मेरे सपनों का भारत, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, ग्राम स्वराज।
  • महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथुराम गोडसे द्वारा गोली मारकर तब कर दी गई थी जब वे हमेशा की तरह वहाँ शाम को प्रार्थना करने जा रहे थे। नाथुराम ने इससे पहले भी कई मौकों पर महात्मा गांधी की हत्या करने के कई असफल प्रयास किए थे।

हम उम्मीद करते हैं कि इस हिंदी में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi hindi) के माध्यम से गांधी जी पर निबंध (essay on Gandhiji in hindi) लिखने संबन्धित आपकी सारी शंकाओं का समाधान हो गया होगा। महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Gandhiji in hindi) की ही तरह और भी अन्य निबंध पढ़ने के लिए इस लेख में उपलब्ध लिंक्स पर क्लिक करें।

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Explore Career Options (By Industry)

  • Construction
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Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Bio Medical Engineer

The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

GIS officer work on various GIS software to conduct a study and gather spatial and non-spatial information. GIS experts update the GIS data and maintain it. The databases include aerial or satellite imagery, latitudinal and longitudinal coordinates, and manually digitized images of maps. In a career as GIS expert, one is responsible for creating online and mobile maps.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Database Architect

If you are intrigued by the programming world and are interested in developing communications networks then a career as database architect may be a good option for you. Data architect roles and responsibilities include building design models for data communication networks. Wide Area Networks (WANs), local area networks (LANs), and intranets are included in the database networks. It is expected that database architects will have in-depth knowledge of a company's business to develop a network to fulfil the requirements of the organisation. Stay tuned as we look at the larger picture and give you more information on what is db architecture, why you should pursue database architecture, what to expect from such a degree and what your job opportunities will be after graduation. Here, we will be discussing how to become a data architect. Students can visit NIT Trichy , IIT Kharagpur , JMI New Delhi . 

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Product manager.

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Operations Manager

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Stock Analyst

Individuals who opt for a career as a stock analyst examine the company's investments makes decisions and keep track of financial securities. The nature of such investments will differ from one business to the next. Individuals in the stock analyst career use data mining to forecast a company's profits and revenues, advise clients on whether to buy or sell, participate in seminars, and discussing financial matters with executives and evaluate annual reports.

A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Safety Manager

A Safety Manager is a professional responsible for employee’s safety at work. He or she plans, implements and oversees the company’s employee safety. A Safety Manager ensures compliance and adherence to Occupational Health and Safety (OHS) guidelines.

Conservation Architect

A Conservation Architect is a professional responsible for conserving and restoring buildings or monuments having a historic value. He or she applies techniques to document and stabilise the object’s state without any further damage. A Conservation Architect restores the monuments and heritage buildings to bring them back to their original state.

Structural Engineer

A Structural Engineer designs buildings, bridges, and other related structures. He or she analyzes the structures and makes sure the structures are strong enough to be used by the people. A career as a Structural Engineer requires working in the construction process. It comes under the civil engineering discipline. A Structure Engineer creates structural models with the help of computer-aided design software. 

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Field Surveyor

Are you searching for a Field Surveyor Job Description? A Field Surveyor is a professional responsible for conducting field surveys for various places or geographical conditions. He or she collects the required data and information as per the instructions given by senior officials. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Pathologist

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

ITSM Manager

Automation test engineer.

An Automation Test Engineer job involves executing automated test scripts. He or she identifies the project’s problems and troubleshoots them. The role involves documenting the defect using management tools. He or she works with the application team in order to resolve any issues arising during the testing process. 

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हमारे द्वारा नीचे महात्मा गांधी पर सरल शब्दों में निबंध दिए गए हैं। वे हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे। भारत का हर बच्चा और व्यक्ति उन्हें बापू या राष्ट्रपिता के नाम से जानता है। नीचे दिए गए निबंधों के माध्यम से आप अपने बच्चों की स्कूल की हर प्रतियोगिता या परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद कर सकते हैं।

mahatama gandhi essasy in hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100 Words

महात्मा गांधी को जीवन पर्यंत उनके महान कार्यों के लिए महात्मा बुलाया जाता रहेगा। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसा का पालन करने वाले कार्यकर्ता थे. उन्होंने अहिंसा के दम पर भारत को अंग्रेजों के राज से मुक्त करवाया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। वे जब इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई कर रहे थे तब महज 18 साल के थे। बाद में वे अपने कानून का अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के एक ब्रिटिश उपनिवेश में गए जहां अपनी काली त्वचा के कारण गोरे लोगों ने उनके साथ भेदभाव किया। इसलिए उन्होंने इन अनुचित कानूनों में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निश्चय किया।

  • Mahatma Gandhi Slogan in Hindi 

इसके बाद वे भारत लौट आएं और उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए एक शक्तिशाली और अहिंसक आंदोलन शुरु किया। सन 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने बहुत से भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 200 Words

महात्मा गांधी भारत के महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे, जो अभी भी अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की विरासत के जरिए देश -विदेश में लोगों को प्रेरित करता है। बापू का जन्म 2 अक्तूबर को 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। अक्टूबर माह के दूसरे दिन जब बापू का जन्म हुआ, वह भारत के लिए एक महान दिन था। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता कराने के लिए अपनी महान और अविस्मरणीय भूमिका अदा की। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कानून की पढाई के लिए इंग्लैंड चले गयें थे। सन 1891 में एक वकील के रूप में भारत लौट आयें।

  • Mahatma Gandhi Quotes On Cleanliness In Hindi

भारत आने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश शासन से विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। उन्होंने भारतीयों की मदद के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बापू द्वारा शुरू की गई अन्य बड़ी गतिविधियों में 1920 में असहयोग आंदोलन, वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन थे। सभी आंदोलनों ने भारत में ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया और बहुत से आम नागरिकों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

  • Gandhiji Ke Andolan In Hindi 

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

महात्मा गांधी को हमारे देश की आजादी में उनके महान योगदान के लिए “देश के पिता या बापू” के रूप में जाना जाता है। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अहिंसा और लोगों की एकता में विश्वास किया और भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता लायें। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को हटाने, भारत में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की, सामाजिक विकास के लिए गांवों को विकसित करने के लिए आवाज उठाई, स्वदेशी वस्तुओं और अन्य सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। वे आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए आम लोगों को आगे लायें और उन्हें अपनी सच्ची स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

  • Gandhi Jayanti Speech In Hindi

वे उन व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने अपने महान आदर्शों और सर्वोच्च त्यागों के माध्यम से आजादी के सपने को सच्चाई में बदल दिया। वे आज भी हमारे बीच उनके महान कार्यों और अहिंसा, सच्चाई, और प्रेम जैसे प्रमुख गुणों के लिए याद कियें जाते है। वे एक महान आत्मा के रूप में पैदा नहीं हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कठिन संघर्षों और कार्यों के माध्यम से खुद को महान बना दिया। वे राजा हरिश्चंद्र नामक नाटक के पात्र राजा हरिश्चंद्र के जीवन से बेहद प्रभावित थे। स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने इंग्लैंड से अपनी क़ानून की डिग्री पूरी की और एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन एक महान नेता के रूप में कार्य करना जारी रखा।

  • Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए कई बड़े आन्दोलनों जैसे 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1 942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदि की शुरुआत की। कई संघर्षों और कार्यों के बाद, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को आजादी प्रदान की गई। वे एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे जिन्होंने रंग और जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत की और अछूतों को “हरिजन” नाम दिया, जिसका अर्थ है भगवान के लोग।

वे एक महान सामाजिक सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जो अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के एक दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हुए। उन्होंने भारतीय लोगों को मेहनतकश बननें के लिए प्रेरित किया और कहा कि एक सरल जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था वे स्वयं करें। उन्होंने स्वदेशी सामानों के उपयोग को बढ़ावा देने और विदेशी सामानों के उपयोग से बचने के लिए चरखे के माध्यम से सूती कपड़े की बुनाई शुरू कर दी। वे कृषि के समर्थक थे और इसके लिए उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित किया। वे एक ऐसे आध्यात्मिक व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता का प्रवेश करवाया। 30 जनवरी 1948 को उनका निधन हुआ और उनके शरीर का अंतिम  संस्कार राजघाट , नई दिल्ली में किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को हर साल भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • Short Paragraph on Mahatma Gandhi In Hindi

Note:  If you liked essay on mahatma gandhi in hindi, then share your thoughts via comment. We would love to hear them. Keep reading this blog for the post like Mahatma Gandhi Essay in Hindi.

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Mahatma Gandhi Essay in hindi | महात्मा गांधी पर निबंध

Mahatma Gandhi Essay in hindi

Mahatma Gandhi Essay in hindi – महात्मा गांधी पर निबंध : जैसा कि पोस्ट के टाइटल से ही स्पष्ट हो जाता है कि आज हम महात्मा गांधी जी के बारे मे बात करने वाले हैं। आज की इस पोस्ट में हम महात्मा गांधी के बारे में हर प्रकार के निबंध जैसे “महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 150 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 250 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 400 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में”, महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में प्रदान करेंगे जिससे की सभी कक्षाओं के Students उनके अनुसार निबंध लिख सके।

तो चलिए शुरू करते है बिना किसी देरी के Essay in hindi on mahatma gandhi.

महात्मा गांधी निबंध 10 लाइन में Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in Hindi – Set 1

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था
  • वह करमचंद गांधी और पुतलीबाई के सबसे छोटे पुत्र थे।
  • गांधी की शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई थी।
  • 1887 में, वे कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए।
  • 1891 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने बंबई में कानून का अभ्यास शुरू किया।
  • 1893 में, वह एक अदालती मामले में एक मुस्लिम मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए।
  • दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, वे नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भारतीय प्रवासियों के संघर्ष में शामिल हो गए।
  • उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध, या सत्याग्रह के दर्शन को विकसित किया, जिसका उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत प्रभाव डाला।
  • 30 जनवरी, 1948 को एक हिंदू उग्रवादी द्वारा गांधी की हत्या कर दी गई थी।

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महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में Mahatma Gandhi Essay in Hindi 10 Lines – Set 2

  • महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी को मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से भी जाना जाता है
  • उनका जन्म पोरबंदर, गुजरात में हुआ था।
  • उनके माता-पिता करमचंद गांधी और पुतलीबाई थे।
  • उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ था।
  • उन्हें भारत के पिता के रूप में जाना जाता है।
  • उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।
  • उन्होंने अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
  • उन्हें भारत का सबसे महान नेता माना जाता है।
  • उन्हें उनकी शांति और प्यार के लिए याद किया जाता है।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 100 Words.

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश नियंत्रण से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। भारत लौटने से पहले उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की। 1893 में, वह एक अदालती मामले में एक मुस्लिम मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, महात्मा गांधी जी नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भारतीय डायस्पोरा के संघर्ष में शामिल हुए। उन्होंने विरोध और हड़तालों का आयोजन किया, और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पहली भारतीय राजनीतिक संस्था, नेटाल इंडियन कांग्रेस की भी स्थापना की।

वर्ष 1915 में, गांधी जी भारत लौट आए और जल्द ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध का नेतृत्व किया और उन्होंने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार भी किया। गांधी के अहिंसक प्रतिरोध के तरीके 1947 में भारतीय स्वतंत्रता जीतने में सफल रहे।

गांधी जी की हत्या 1948 में एक हिन्दू ने की थी। उनकी विरासत अभी भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती है। उन्हें समकालीन भारत का संस्थापक माना जाता है।

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महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 150 Words.

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में एक हिंदू परिवार में हुआ था और उनकी जन्मतिथि को भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता पोरबंदर के मुख्यमंत्री थे।

जब महात्मा गांधी जी 13 वर्ष के थे, तब उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ था, और उनके 4 पुत्र हुए। महात्मा गांधी जी नागरिक अधिकार प्राप्त करने के लिए अहिंसा के मार्ग पर चले। वह बहुत विनम्र और विनम्र व्यक्ति थे। वह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के महान नेता बने।

उन्होंने 1891 में लंदन विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और भारत वापस आ गए। गांधी जी एक भारतीय वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और एक महान राजनीतिक नेता थे। गांधी जी ने सत्याग्रह, दांडी के लिए नमक मार्च किया। सत्याग्रह अहिंसक प्रतिरोध या नागरिक प्रतिरोध का एक रूप है जो सत्य की शक्ति पर जोर देता है। 1930 में 12 मार्च से 6 अप्रैल तक सत्याग्रह चला। 30 जनवरी 1948 की तारीख को उनका निधन हो गया।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 300 Words

2 अक्टूबर, 1869, महात्मा गांधी जी का जन्म भारत के पोरबंदर में हुआ था, उनके पिता का नाम करम चंद गांधी जी था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी जी था। इनकी माता का नाम पुतली बाई था। राजकोट में स्कूल जाने से पहले, महात्मा गांधी जी पोरबंदर में पढ़े थे। महात्मा ने कभी झूठ नहीं बोला, तब भी नहीं जब वे युवा थे। 18 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की।

13 साल की उम्र में कस्तूरबा और मोहन दास की शादी हो गई। गांधी जी कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए और अंततः बैरिस्टर के रूप में स्नातक हुए। इंग्लैंड में भी, उन्होंने काफी सीधा जीवन व्यतीत किया। कानून की डिग्री हासिल करने के बाद वे भारत लौट आए।

गांधी जी ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। एक कानूनी लड़ाई के दौरान, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की। उन्होंने स्थानीय मूल अमेरिकियों की स्थिति का अवलोकन किया। गोरे लोगों ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया। उन्हें विशिष्ट स्थानों, क्लबों और अन्य प्रतिष्ठानों में जाने के साथ-साथ रेलमार्गों पर प्रथम श्रेणी में यात्रा करने से मना किया गया था। एक बार प्रथम श्रेणी में ट्रेन में सवार होने के दौरान गांधी जी पर हमला किया गया था और उन्हें गाड़ी से बाहर फेंक दिया गया था। अहिंसा और सत्याग्रह आंदोलन तब महात्मा द्वारा सभी भारतीयों को एक साथ लाने के प्रयास में शुरू किया गया था। आंदोलन ने तेजी से गति पकड़ी।

गांधी जी अपने देश लौटने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए। उन्होंने यहां अहिंसा और असहयोग आंदोलनों की भी शुरुआत की। उन्होंने भारत के हर हिस्से का दौरा किया। वंचितों की स्थितियों को देखने के लिए, उन्होंने पूरे भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दौरा किया।

रौलट एक्ट का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी जी द्वारा जलियाँ-वाला-बाग में गोलीबारी और सत्याग्रह आंदोलन दोनों शुरू किए गए थे। कई विपत्तियों के बाद, अधिनियम बनाया गया था। नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलनों की शुरुआत उनके द्वारा की गई थी। आखिरकार गांधी जी ने हमें आजादी दिलाई। 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। “राष्ट्रपिता” की उपाधि उन्हें दी गई है। नाथूराम गोडसे, एक कट्टरपंथी हिंदू, ने दुर्भाग्य से 30 जनवरी, 1948 को गांधी जीजी को गोली मार दी।

महात्मा गांधी पर निबंध 400-500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 400 – 500 Words

महात्मा गांधी जी को भारतीय राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, वे एक प्रतिष्ठित नेता, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए उनका अहिंसक संघर्ष दुनिया भर में शांतिपूर्ण प्रतिरोध का प्रतीक बन गया। यहां हम महात्मा गांधी जी के जीवन, शिक्षाओं और विरासत पर 400 शब्दों में महात्मा गांधी निबंध प्रदान कर रहे हैं, जो अहिंसा के माध्यम से प्रेरक परिवर्तन में उनकी भूमिका पर जोर देते हैं।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन:

2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में जन्मे, मोहनदास करमचंद गांधी जी का पालन-पोषण एक पारंपरिक हिंदू परिवार में हुआ था। कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहाँ उन्होंने पहली बार भारतीय समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव का अनुभव किया। इन अनुभवों ने अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ने के उनके दृढ़ संकल्प को हवा दी।

अहिंसक प्रतिरोध:

महात्मा गांधी जी राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने के साधन के रूप में अहिंसा की शक्ति में दृढ़ता से विश्वास करते थे। उनका दर्शन, जिसे सत्याग्रह के रूप में जाना जाता है, शांतिपूर्ण प्रतिरोध के पीछे ड्राइविंग बलों के रूप में सत्य, प्रेम और करुणा की वकालत करता है। गांधी जी के सिद्धांतों ने हिंसा और उत्पीड़न से मुक्त समाज बनाने के उद्देश्य से व्यक्तियों और समुदायों के नैतिक और आध्यात्मिक जागरण पर जोर दिया।

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा (Salt March and Civil Disobedience):

गांधी जी के सविनय अवज्ञा के सबसे प्रसिद्ध कृत्यों में से एक नमक मार्च था, जो 1930 में हुआ था। नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के विरोध में, गांधी जी ने अनुयायियों के एक समूह का नेतृत्व करते हुए अरब सागर की 240 मील की यात्रा की, जहां उन्होंने समुद्री जल को वाष्पित करके अपना नमक बनाया। इस अधिनियम ने ब्रिटिश नमक कानूनों का उल्लंघन किया और भारतीय आबादी को प्रेरित किया, ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक सविनय अवज्ञा को प्रेरित किया।

भारतीय स्वतंत्रता के चैंपियन:

स्वतंत्रता के लिए भारतीय जनता को लामबंद करने में गांधी जी का नेतृत्व और अथक प्रयास महत्वपूर्ण थे। अहिंसक प्रतिरोध की अपनी रणनीति के माध्यम से, उन्होंने धर्म, जाति और वर्ग की बाधाओं को पार करते हुए विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट किया। गांधी जी की न्याय और समानता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने और ब्रिटिश कब्जे का शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए प्रेरित किया।

विरासत और वैश्विक प्रभाव:

महात्मा गांधी जी की विरासत भारत की सीमाओं से बहुत आगे तक फैली हुई है। उनके दर्शन और अहिंसक प्रतिरोध के तरीकों ने कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रभावित किया और मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और आंग सान सू की जैसे नेताओं को प्रेरित किया। अहिंसा, सांप्रदायिक सद्भाव और मानवाधिकारों पर गांधी जी की शिक्षाएं प्रासंगिक बनी हुई हैं और दुनिया भर में सामाजिक न्याय और शांति के लिए प्रयास करने वाले व्यक्तियों और आंदोलनों को प्रेरित करती हैं।

संघर्ष और विभाजन से चिह्नित दुनिया में, महात्मा गांधी जी के अहिंसा और शांतिपूर्ण प्रतिरोध के सिद्धांत एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में काम करते हैं। सत्य, न्याय और समानता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती है। अपने निःस्वार्थ कार्यों से उन्होंने यह साबित कर दिया कि हिंसा का सहारा लिए बिना वास्तविक परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता है।

Also Read: Biography of Mahatma Gandhi in English

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 1000 Words.

महात्मा गांधी जी, भारतीय इतिहास में एक सम्मानित व्यक्ति हैं, वे देश के स्वतंत्रता आंदोलन को आकार देने और अहिंसा, शांति और समानता के आदर्शों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण थे। यहां हम 1000 शब्दों में महात्मा गांधी जी पर एक निबंध की खोज करेंगे। हम उनकी शिक्षाओं के महत्व, नेतृत्व के प्रति उनके दृष्टिकोण और पीढ़ियों को प्रेरित करने वाली उनकी स्थायी विरासत के बारे में जानेंगे।

महात्मा गांधी जी कौन थे?

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा.

मोहनदास करमचंद गांधी जी, जिन्हें आमतौर पर महात्मा गांधी जी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक समर्पित हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में लंदन, इंग्लैंड में कानून का अध्ययन किया। गांधी जी के पालन-पोषण और शिक्षा ने उनके विश्वदृष्टि को आकार देने और ईमानदारी, करुणा और न्याय के मूल्यों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रभाव और परिवर्तनकारी अनुभव

इंग्लैंड में रहने के दौरान, गांधी जी को विभिन्न अनुभवों का सामना करना पड़ा जिसने उनके दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने पहली बार नस्लीय भेदभाव का सामना किया, जिससे सभी प्रकार के अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने की उनकी प्रतिबद्धता जगी। इसके अतिरिक्त, गांधी जी ने लियो टॉल्स्टॉय और हेनरी डेविड थोरो जैसे महत्वपूर्ण बुद्धिजीवियों से भी प्रेरणा ली, जिनकी अहिंसा और सविनय अवज्ञा में विश्वास ने उन पर एक स्थायी प्रभाव डाला।

महात्मा गांधी जी के आदर्श और शिक्षाएं

अहिंसा: अहिंसा एक हथियार के रूप में.

महात्मा गांधी जी के दर्शन का केंद्र अहिंसा या अहिंसा का सिद्धांत था। उनका मानना था कि हिंसा केवल अधिक हिंसा को जन्म देती है और यह कि सच्चा परिवर्तन केवल शांतिपूर्ण तरीकों से ही प्राप्त किया जा सकता है। गांधी जी की अहिंसा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता औपनिवेशिक शासन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई में एक शक्तिशाली उपकरण बन गई। प्रत्येक मनुष्य के निहित मूल्य और गरिमा में उनके विश्वास ने उनकी शिक्षाओं की नींव रखी।

सत्याग्रह: सत्य की शक्ति

सत्याग्रह, जिसका अर्थ है “सत्य बल” या “आत्मा बल”, गांधी जी की शिक्षाओं का एक और मूलभूत पहलू था। उन्होंने अन्याय का सामना करने और चुनौती देने के लिए अहिंसक प्रतिरोध के उपयोग की वकालत की। सत्याग्रह में निष्क्रिय प्रतिरोध, सविनय अवज्ञा और अपने विश्वासों के लिए पीड़ित होने की इच्छा शामिल थी। सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करके, गांधी जी का उद्देश्य समाज के नैतिक विवेक को जगाना और अत्याचारियों को अपने तरीके बदलने के लिए मजबूर करना था।

स्वराजः स्वशासन और स्वतंत्रता

महात्मा गांधी जी स्वराज की अवधारणा में दृढ़ता से विश्वास करते थे, जिसका अनुवाद “स्व-शासन” या “स्व-शासन” के रूप में किया जाता है। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहां व्यक्तियों के पास खुद पर शासन करने की शक्ति हो, जो बाहरी प्रभुत्व से मुक्त हो। गांधी जी की स्वराज की दृष्टि राजनीतिक स्वतंत्रता से परे थी; उन्होंने व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर आत्म-अनुशासन, आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर दिया। गांधी जी के लिए स्वराज केवल भारत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि सभी के कल्याण और सशक्तिकरण को शामिल करता था।

सर्वोदय : सबका कल्याण

सर्वोदय, जिसका अर्थ है “सभी का उत्थान,” महात्मा गांधी जी द्वारा प्रतिपादित एक अवधारणा थी। उनका मानना था कि सच्ची प्रगति और विकास तभी प्राप्त किया जा सकता है जब समाज के सबसे कमजोर सदस्यों के कल्याण को प्राथमिकता दी जाए। गांधी जी ने गरीबी, भेदभाव और असमानता के मुद्दों को संबोधित करते हुए सामाजिक और आर्थिक समानता की वकालत की। प्रत्येक व्यक्ति की भलाई और गरिमा पर उनका जोर एक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज बनाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

महात्मा गांधी की नेतृत्व शैली

उदाहरण द्वारा लीड करें: वाकिंग द टॉक.

उदाहरण के लिए नेतृत्व करने की महात्मा गांधी जी की क्षमता उनके सबसे उत्कृष्ट नेतृत्व गुणों में से एक थी। उनका मानना था कि नेताओं को उन मूल्यों को धारण करना चाहिए जिनका वे समर्थन करते हैं और जो वे उपदेश देते हैं उसका अभ्यास करना चाहिए। सादगी, विनम्रता और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता सहित गांधी जी के व्यक्तिगत जीवन शैली विकल्पों ने उनके अनुयायियों के लिए एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में कार्य किया। अपने सिद्धांतों के अनुरूप जीवन जीकर, गांधी जी ने दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया और केवल शब्दों के बजाय अपने कार्यों के माध्यम से नेतृत्व किया।

समावेशी नेतृत्वः वंचितों का सशक्तिकरण

गांधी जी के नेतृत्व में समावेशिता और समाज के हाशिए के वर्गों को सशक्त बनाने पर एक मजबूत ध्यान केंद्रित किया गया था। उन्होंने उस समय भारतीय समाज में प्रचलित पदानुक्रम और सामाजिक विभाजन को खत्म करने की मांग की। गांधी जी ने स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार की लड़ाई में जाति, धर्म या लिंग की परवाह किए बिना जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को सक्रिय रूप से शामिल किया। हाशिए पर पड़े लोगों को आवाज देकर, गांधी जी ने मौजूदा सत्ता संरचनाओं को चुनौती दी और एक अधिक समतामूलक समाज का मार्ग प्रशस्त किया।

सुनना और संवाद: संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना

अहिंसक समाधानों की अपनी खोज में, गांधी जी ने बातचीत को सुनने और उसमें शामिल होने के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना था कि सच्ची समझ केवल सम्मानजनक संचार और सक्रिय श्रवण से ही उभर सकती है। गांधी जी ने शांतिपूर्ण वार्ताओं को प्रोत्साहित किया और महत्वपूर्ण असहमतियों के बावजूद भी आम जमीन तलाशने की कोशिश की। संवाद और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देकर, उन्होंने स्थायी परिवर्तन लाने में कूटनीति और अनुनय की शक्ति का प्रदर्शन किया।

महात्मा गांधी जी और भारत की आजादी

नमक मार्चः सविनय अवज्ञा का प्रतीक.

भारतीय स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी जी की लड़ाई में सबसे प्रतिष्ठित घटनाओं में से एक नमक मार्च था, जिसे दांडी मार्च भी कहा जाता है। 1930 में, गांधी जी और अनुयायियों के एक समूह ने तटीय शहर दांडी की 240 मील की यात्रा शुरू की। उनका उद्देश्य समुद्री जल से नमक का उत्पादन करके ब्रिटिश नमक एकाधिकार को चुनौती देना था। सविनय अवज्ञा के इस कृत्य ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया और पूरे देश में विरोध की लहर दौड़ गई। नमक मार्च औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अवज्ञा का प्रतीक बन गया और लाखों भारतीयों के बीच प्रतिरोध की भावना को प्रज्वलित कर दिया।

भारत छोड़ो आंदोलन: राष्ट्र को एक करना

1942 में, महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आग्रह किया। इस सामूहिक सविनय अवज्ञा अभियान का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाना था। इस आंदोलन ने लाखों भारतीयों को हड़तालों, विरोध प्रदर्शनों और असहयोग के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते देखा। जबकि ब्रिटिश अधिकारियों ने बलपूर्वक जवाब दिया, गांधी जी और अन्य नेताओं को कैद कर लिया, भारत छोड़ो आंदोलन ने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। इसने स्वतंत्रता की लड़ाई में भारतीय लोगों के अटूट दृढ़ संकल्प और एकता को प्रदर्शित किया।

विभाजन और गांधी जी की सद्भावना की वकालत

1947 में भारत का विभाजन, जिसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ, एक अत्यंत विभाजनकारी और दुखद घटना थी। बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के बीच, महात्मा गांधी जी ने शांति, सद्भाव और धार्मिक एकता की अथक वकालत की। उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने और हिंसा को रोकने के लिए उपवास किया और प्रार्थना सभाओं में भाग लिया। गांधी जी का दृढ़ विश्वास था कि हिंदू और मुसलमान एक साझा समाज में सह-अस्तित्व में रह सकते हैं और सक्रिय रूप से सुलह और समझ की दिशा में काम किया। अपार चुनौतियों के बावजूद, अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने राष्ट्र पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।

दुनिया पर महात्मा गांधी जी का प्रभाव

नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरणा.

महात्मा गांधी जी के अहिंसा और सविनय अवज्ञा के सिद्धांतों ने दुनिया भर में कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और म्यांमार में आंग सान सू की जैसे नेताओं ने गांधी जी के शांतिपूर्ण प्रतिरोध के तरीकों से प्रेरणा ली। गांधी जी की विरासत नस्लीय भेदभाव, रंगभेद और दमनकारी शासन के खिलाफ लड़ने वालों के लिए एक मार्गदर्शक बन गई। उनकी शिक्षाएँ न्याय, समानता और मानवाधिकारों के लिए प्रयासरत व्यक्तियों और आंदोलनों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती हैं।

वैश्विक नेताओं पर प्रभाव

महात्मा गांधी जी का प्रभाव आंदोलनों से परे फैला और वैश्विक नेतृत्व के उच्चतम सोपानों तक पहुंचा। मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेताओं ने गांधी जी को एक आदर्श माना और उनके सिद्धांतों का अनुकरण करने की मांग की। गांधी जी के आदर्शों ने नेल्सन मंडेला जैसी विश्व विभूतियों को प्रभावित किया, जिन्होंने अहिंसा को परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में देखा। उनके शांतिपूर्ण प्रतिरोध के दर्शन और नैतिक नेतृत्व पर उनके जोर ने विभिन्न महाद्वीपों और पीढ़ियों के नेताओं की सोच और कार्यों को आकार दिया है।

आधुनिक दुनिया में विरासत

महात्मा गांधी जी की विरासत आज भी आधुनिक दुनिया में प्रासंगिक है। अहिंसा, सत्य और सामाजिक न्याय पर उनका जोर संघर्ष और असमानता से चिह्नित युग में बहुत महत्व रखता है। गांधी जी की शिक्षाएं व्यक्तियों को शांतिपूर्ण तरीकों से अन्याय का सामना करने, सहानुभूति को बढ़ावा देने और संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती हैं। एक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज की उनकी दृष्टि प्रेम, करुणा और नैतिक साहस की परिवर्तनकारी शक्ति की निरंतर याद दिलाती है।

महात्मा गांधी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ.

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गाँव में हुआ था।

महात्मा गांधी का नारा क्या है?

8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ते समय महात्मा गांधी द्वारा ‘ करो या मरो’  का नारा दिया गया था।

महात्मा गांधी का निधन कब हुआ?

महात्मा गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ।

महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।

महात्मा गांधी ने कितने आंदोलन किए थे?

महात्मा गांधी ने 6 प्रमुख आंदोलन किए थे?

1. चंपारण आंदोलन (1917) 2. खेड़ा आंदोलन (1918) 3. खिलाफत आंदोलन (1919) 4. असहयोग आंदोलन (1920) 5. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) 6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

महात्मा गांधी की मृत्यु किसने की थी?

महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे (नाथूराम गोडसे) ने गोली मार कर की थी।

महात्मा गाँधी की मृत्यु कहाँ हुई थी?

महात्मा गांधी की मृत्यु नई दिल्ली में स्थित बिरला हाउस में हुई थी जिसे अब गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है

महात्मा गांधी की मां का क्या नाम था?

महात्मा गांधी की मां का नाम पुतलीबाई था।

महात्मा गांधी ने कौन कौन सी पुस्तक लिखी है?

  • हिन्द स्वराज
  • प्रकृति इलाज
  • ग्राम स्वराज
  • गीता का संदेश
  • सच्चाई भगवान है
  • कानून और वकील
  • मेरे सपनों का भारत
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह
  • सांप्रदायिक सद्भावना का रास्ता
  • पंचायत राज भगवान के लिए मार्ग हिंदू धर्म का सार

महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहा जाता है?

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्हें अपने आदर्शों और सर्वोच बलिदानों के साथ स्वतंत्रता भारत की वास्तविक छाया राखी है।

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू किसने कहा था?

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू चंपारण के राजकुमार शुक्ला ने कहा था। जो की एक किसान थे। अंग्रेजों के द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ बापूजी के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी। बापू को चंपारण बुलाने में सबसे बड़ा योगदान चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ला का माना जाता है।

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मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता पोरबंदर के दीवान (मुख्यमंत्री) थे; उनकी गहरी धार्मिक माँ वैष्णववाद के लिए समर्पित थी।

अपने अहिंसक दर्शन के लिए दुनिया भर में प्रतिष्ठित, मोहनदास करमचंद गांधी को उनके कई अनुयायी महात्मा के रूप में जानते थे। उन्होंने 1900 के दशक की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय अप्रवासी के रूप में अपनी सक्रियता शुरू की, और विश्व युद्ध 1 के बाद के वर्षों में, वे ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए भारत के संघर्ष में अग्रणी व्यक्ति बन गए।

अपनी तपस्वी जीवनशैली के लिए जाने जाने वाले-वे अक्सर केवल एक लंगोटी और शॉल पहनते थे और हिंदू धर्म के प्रति आस्था रखते थे. गांधी जी को कई बार कैद किया गया, और उन्होंने भारत के सबसे गरीब वर्गों के उत्पीड़न का विरोध करने के लिए कई भूख हड़तालें भी की।

महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय आप्रवासी के रूप में काफ़ी भेदभाव सहा। जब डरबन में एक यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने उनसे अपनी पगड़ी उतारने के लिए कहा, तो उन्होंने इनकार कर दिया और अदालत कक्ष से बाहर चले गए।

अप्रैल-मई 1930 के प्रसिद्ध नमक मार्च में, हजारों भारतीयों ने महात्मा गांधी का अहमदाबाद से अरब सागर तक साथ दिया। इस मार्च में महात्मा गांधी सहित लगभग 60,000 लोगों की गिरफ्तारी हुई।

1947 में विभाजन के बाद, उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति की दिशा में काम करना जारी रखा। गांधी को जनवरी 1948 में एक हिंदू कट्टरपंथी द्वारा दिल्ली में गोली मार दी गयी।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, जिसको गांधी जयंती के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। 13 साल की उम्र में, महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा से हुई जो एक अरेंज मैरिज थी। कस्तूरबा ने 1944 में अपनी मृत्यु तक अपने पति के सभी प्रयासों का समर्थन किया।

उनके पिता पोरबंदर के दीवान थे। महात्मा गांधी अपने पिता की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे, जो एक संपन्न वैष्णव परिवार से थीं।

महात्मा गांधी का जीवन और संघर्ष के तरीके अब लोगों को काफी प्रभावित करते हैं। एक आदमी की महानता का एहसास तब होता है जब उसका जीवन लोगों को बेहतर बदलाव के लिए प्रभावित करता है, और इसी तरह महात्मा गांधी का जीवन था। उनकी मृत्यु के दशकों के बाद, उनके बारे में पढ़ने पर, लोगों ने बेहतर तरीके से अपने जीवन को बदल दिया।

लगभग 20 वर्षों के लिए दक्षिण अफ्रीका में, महात्मा गांधी ने विरोध प्रदर्शन की अहिंसक पद्धति का उपयोग करते हुए अन्याय और नस्लीय भेदभाव का विरोध किया। सादगीपूर्ण जीवन शैली के कारण उनके बहुत प्रशंसक थे । उन्हें लोग प्यार से बापू के नाम से संबोधित करते थे।

गांधी की पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में थी जब उन्होंने बिहार और गुजरात के चंपारण और खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत-छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया।

मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने की थी। नाथूराम गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा का सदस्य था। उन्होंने गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोध किया।

मोहनदास गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, भारत में हुआ था। वह 1900 के दशक के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक और राजनीतिक नेताओं में से एक बन गए थे । गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध से भारतीय लोगों को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने में मदद की। उनको भारतीयों द्वारा राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया गया।

लोग गांधी को ‘ महात्मा ‘ कहते हैं, जिसका अर्थ है महान आत्मा। 13 साल की उम्र में, उन्होंने कस्तूरबा से शादी की थी, जो 13 साल की ही थी। गांधी के चार बच्चे थे। उन्होंने लंदन में कानून (Law) का अध्ययन किया और अभ्यास करने के लिए 1891 में भारत लौट आए।

उन्होंने साहस, अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के आधार पर कार्रवाई की एक विधि विकसित की जिसको सत्याग्रह नाम दिया गया। उनका मानना ​​था कि लोगों के व्यवहार का तरीका उनके द्वारा हासिल की गई चीज़ों से अधिक महत्वपूर्ण है।

सत्याग्रह ने राजनीतिक और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अहिंसा और सविनय अवज्ञा को सबसे उपयुक्त तरीकों के रूप में बढ़ावा दिया। 1915 में गांधी भारत लौट आए। 15 वर्षों के भीतर वे भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बन गए।

सत्याग्रह के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए उन्होंने अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के अभियान का नेतृत्व किया। गांधी को दक्षिण अफ्रीका और भारत में उनकी गतिविधियों के लिए अंग्रेजों द्वारा कई बार गिरफ्तार किया गया था। उनका मानना ​​था कि उचित कारण के लिए जेल जाना सम्मानजनक है।

1947 में भारत को स्वतंत्रता दी गई और भारत और पाकिस्तान में विभाजन हुआ। हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हुए। महात्मा गांधी एक अखंड भारत के लिए एक वकील थे, जहां हिंदू और मुस्लिम शांति का समर्थन करते थे।

13 जनवरी, 1948 को, 78 वर्ष की आयु में, उन्होंने खून खराबे को रोकने के लिए अनशन शुरू किया। 5 दिनों के बाद विरोधी नेताओं ने लड़ाई रोकने का संकल्प लिया और गांधी ने अपना अनशन तोड़ दिया। 12 दिन बाद एक हिंदू कट्टरपंथी, नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

महात्मा गांधी ने दुनिया को दिए पांच महान योगदान:

  • एक नई भावना और तकनीक – सत्याग्रह.
  • नैतिक ब्रह्मांड एक है, इसलिए व्यक्तियों, समूहों और राष्ट्रों की नैतिकता समान होनी चाहिए।
  • उनका आग्रह है कि साधन और अंत सुसंगत होना चाहिए.
  • यह तथ्य कि उन्होंने खुद को कभी अवतार सिद्ध करने की कोशिश नहीं की।
  • अपने सिद्धांतों के लिए दर्द सहने और मरने की इच्छा। इनमें से सबसे बड़ा उनका सत्याग्रह है।

महात्मा गांधी जी का जीवन, विचार और कार्य उन सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो मानव जाति के लिए बेहतर जीवन चाहते हैं।

मोहनदास गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को, पश्चिमी भारत के समुद्री तट पर, गुजरात के एक छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था।

उसके द्वारा उठाए गए नैतिक मुद्दों का महत्व व्यक्तियों और राष्ट्रों के भविष्य के लिए आज भी है। हम आज भी महात्मा गांधी की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं, जो चाहते थे कि हम सदियों पुरानी कहावत को याद रखें।

“मृत्यु के बावजूद, जीवन बना रहता है, और घृणा के बावजूद, प्यार बना रहता है।”

रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा’ के रूप में संबोधित किया। सुभाष चंद्र बोस ने हिंद आज़ाद रेडियो पर अपने संदेश में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा था।

दक्षिण अफ्रीका में, मोहनदास ने डरबन से प्रिटोरिया की अपनी यात्रा के दौरान नस्लीय भेदभाव के कड़वे अनुभव का स्वाद चखा, जहाँ एक मुकदमे के सिलसिले में उनकी उपस्थिति आवश्यक थी।

Maritzburg Station पर उन्हें ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर कर दिया गया क्योंकि वे ठंड में ‘कलर्स’ कांप रहे थे। Maritzburg Station के Waiting Room में बैठे बैठे, उन्होंने फैसला किया कि अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय भाग जाना कायरता है। इस घटना के साथ सत्याग्रह की अवधारणा विकसित हुई।

  • भारत में उनका पहला सत्याग्रह 1917 में बिहार के चंपारण में हुआ था, जिसमें Indigo Plantations के लिए किसानों का अधिकार था।
  • अहमदाबाद में, मिल श्रमिकों और मिल मालिकों के बीच विवाद था। गांधी जी ने श्रमिकों के समर्थन में अनशन किया।
  • 1919 में, उन्होंने रोलेट बिल के खिलाफ सविनय अवज्ञा का आह्वान किया।
  • 1921 में, गांधीजी ने गरीब जनता के साथ खुद को पहचानने के लिए और खादी, हाथ से घूमने वाले कपड़े का प्रचार करने के लिए धोती पहन ली।
  • उन्होंने स्वदेशी आंदोलन भी शुरू किया, जिसमें देश में निर्मित वस्तुओं के उपयोग को महत्त्व दिया गया। उन्होंने भारतीयों से विदेशी कपड़े का बहिष्कार करने और इस तरह से ग्रामीणों के लिए काम करने के लिए हाथ से बनी खादी को बढ़ावा देने के लिए कहा।
  • 12 मार्च 1930 को, गांधीजी ने साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से समुद्र तट पर बसे दांडी गांव तक, ऐतिहासिक नमक मार्च में 78 स्वयंसेवकों के साथ बैठक की। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अहिंसक आंदोलन था।
  • मार्च 1931 में, कुछ संवैधानिक मुद्दों को हल करने के लिए गांधी-इरविन पैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए और इसने सविनय अवज्ञा को समाप्त कर दिया।
  • 1933 में, उन्होंने Young India की जगह Harijan के साप्ताहिक प्रकाशन की शुरुआत की।
  • 1942 में गांधीजी ने एक व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया। उस वर्ष लगभग 23 हजार लोग जेल में बंद हुए थे।
  • ऐतिहासिक “भारत छोड़ो” प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था। गांधी जी के “ करो या मरो ” (Do or Die) के संदेश ने लाखों भारतीयों को प्रभावित किया।

30 जनवरी 1948 को, गांधी जी, नई दिल्ली के बिरला हाउस में प्रार्थना सभा के दौरान नाथूराम विनायक गोडसे द्वारा दागी गई गोलियों से मारे गए।

गाँधी जी के बारे में अधिक जाने – बायोग्राफी

उम्मीद है महात्मा गांधी जी पर ये निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) आपकी जरूरत पर खरे उतरेंगे. आपके लिए ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी लेकर आते रहेंगे. पढ़ने के लिए धन्यवाद.

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  • Tags: Essay of Gandhi Jayanti in Hindi , Essay on Mahatma Gandhi in Hindi , Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे। 

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में

भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे। 

इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे। 

महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।

सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था। 

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे। 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की। 

गांधी जी का विवाह 

जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे। 

गांधीजी का राजनीति में प्रवेश 

जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए। 

महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया। 

गांधी जी की मृत्यु 

देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी‌। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। 

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दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं। 

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी | mahatma gandhi essay in hindi.

Last Updated: February 7, 2023 By Gopal Mishra 54 Comments

 राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी / Mahatma Gandhi Essay In Hindi

एक ही दिवस पर दो विभूतियों ने भारत माता को गौरवान्वित किया। गाँधी जी एवं लाल बहादूर शास्त्री जैसी अदभुत प्रतिभाओ का 2 अक्टूबर को अवतरण हम सभी के लिये हर्ष का विषय है।

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  • ज़रूर पढ़ें: 2019 महात्मा गाँधी जयंती पर दमदार भाषण

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi

सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र करा करके हम सभी को स्वतंत्र भारत का अनमोल उपहार देने वाले महापुरूष गाँधी जी को राष्ट्र ने राष्ट्रपिता के रूप में समान्नित किया। वहीं जय जवान, जय किसान का नारा देकर भारत के दो आधार स्तंभ को महान कहने वाले महापुरूष लाल बहादुर शास्त्री जी ने स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधान मंत्री के रूप में राष्ट्र को विश्वपटल पर उच्चकोटी की पहचान दिलाई।

  • Related: महात्मा गाँधी के विश्वप्रसिद्ध अनमोल विचार

 आज इस लेख में मैं आपके साथ राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी से सम्बंधित कुछ रोचक बातें साझा करने का प्रयास करुँगी|

भारत ही नही वरन पूरे  विश्व पटल पर महात्मा गाँधी सिर्फ़ एक नाम नहीं अपितु शान्ति और अहिंसा का प्रतीक है। महात्मा गाँधी के पूर्व भी शान्ति और अहिंसा की अवधारणा फलित थी, परन्तु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शान्ति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुये अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। तभी तो प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि –

holy rummy

हज़ार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इन्सान धरती पर कभी आया था।

 संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गाँधी जयंती  को ‘ विश्व अहिंसा दिवस ’ के रूप में मनाये जाने की घोषणा की।

मित्रों आज हम गाँधी जी की उस उप्लब्धी का जिक्र करने का प्रयास कर रहे हैं जो हम सभी के लिये गर्व का विषय है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अहिंसा के बूते पर आजादी दिलाने में भले ही भारत के हीरो हैं लेकिन डाक टिकटों के मामले में वह विश्व के 104 देशों में सबसे बड़े हीरो हैं। विश्व में अकेले गांधी ही ऐसे लोकप्रिय नेता हैं जिन पर इतने अधिक डाक टिकट जारी होना एक रिकार्ड है। डाक टिकटों की दुनिया में गांधी जी सबसे ज़्यादा दिखने वाले भारतीय हैं तथा भारत में सर्वाधिक बार डाक-टिकटों पर स्थान पाने वालों में गाँधी जी प्रथम हैं।

यहाँ तक कि आज़ाद भारत में वे प्रथम व्यक्ति थे, जिन पर डाक टिकट जारी हुआ। किन्तू एक दिलचस्प बात यह थी कि ज़िंदगी भर ‘स्वदेशी’ को तवज्जो देने वाले गांधी जी को सम्मानित करने के लिए जारी किए गए पहले डाक टिकटों की छपाई स्विट्जरलैंड में हुई थी। इसके बाद से लेकर आज तक किसी भी भारतीय डाक टिकट की छपाई विदेश में नहीं हुई।

गाँधी जी की शक्सियत का ही असर था कि, भारत को ग़ुलामी के शिकंजे में कसने वाले ब्रिटेन ने जब पहली दफ़ा किसी महापुरुष पर डाक टिकट निकाला तो वह महात्मा गांधी ही थे। इससे पहले ब्रिटेन में डाक टिकट पर केवल राजा या रानी के ही चित्र छापे जाते थे।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर सर्वाधिक डाक टिकट उनके जन्म शताब्दी वर्ष 1969 में जारी हुए थे। उस वर्ष विश्व के 35 देशों ने उन पर 70 से अधिक डाक टिकट जारी किए थे।

  • Related: महात्मा गाँधी के सिद्धांत 

मित्रों, गाँधी जी ने सत्य को अपने जीवन में बचपन से ही अपनाया था। सत्य को परिलाक्षित करती उनकी एक बचपन की घटना याद आती है जब टीचर के कहने के बावजूद भी उन्होने नकल नही की। किस्सा यूँ है कि, एक बार- राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल में तत्कालीन शिक्षा विभाग के इंसपेक्टर “जाइल्स” मुआयना करने आए थे।

उन्होने नवीं कक्षा के विद्यार्थियों को अंग्रेजी के पाँच शब्द लिखने को दिये, जिसमें से एक शब्द था “केटल” मोहनदास इसे ठीक से नही लिख सके तो मास्टर साहब ने ईशारा किया कि आगे वाले लङके की नकल कर लो किन्तु मोहनदास ने ऐसा नही किया। परिणाम ये हुआ कि सिर्फ उनके ही लेख में गलती निकली सभी के पाँचो शब्द सही थे। जब मास्टर साहब ने पूछा कि तुमने नकल क्यों नही की तो मोहनदास ने ढृणता से उत्तर दिया कि “ऐसा करना धोखा देने और चोरी करने जैसा है जो मैं हर्गिज नही कर सकता”। ये घटना इस बात का प्रमाण है कि गाँधी जी बचपन से ही सत्य के अनुयायी थे। राजा हरिश्चन्द्र और श्रवण कुमार का असर उन पर बचपन से ही था।

ऐसे सत्य और अहिंसा के पूजारी को निम्न पंक्तियों से नमन करते हैं-

दे दी हमें आजादी खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

Anita Sharma Voice For Blind

अनिता जी दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में तत्पर हैं। उनके बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें –  नेत्रहीन लोगों के जीवन में प्रकाश बिखेरती अनिता शर्मा और  उनसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

गांधी जी से सम्बंधित इन लेखों को ज़रूर पढ़ें :

  • महात्मा गाँधी के अनमोल विचार
  • गाँधी जी और उनका ग्राम समाज का सपना !
  • किसकी हैं गंगा-यमुना ?  (प्रेरक प्रसंग)
  • गांधी जी से सीखें टाइम मैनेजमेंट
  • महात्मा गांधी का सत्याग्रह
  • महात्मा गाँधी एवम शास्त्री जी से सम्बंधित कुछ रोचक तथ्य
  • गाँधी जी के जीवन के 3 प्रेरक प्रसंग

महात्मा गाँधी के बारे में और अधिक जानने के लिए यह लेख पढ़ें

I am grateful to Anita Ji for sharing this wonderful write up on Mahatma Gandhi Essay in Hindi with  AKC .

Note: The Mahatma Gandhi Biography and Life History in Hindi may be used to write a short essay by students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

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an essay on gandhiji in hindi

October 1, 2018 at 8:17 pm

Gandhi ji is one of the great person in whole universe

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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।

Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं

और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।

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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।

भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।

उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।

महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।

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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था

जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।

इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।

उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।

लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words

प्रस्तावना –

महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।

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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

प्रारंभिक जीवन –

महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।

जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।

Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।

उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –

महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।

उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।

राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –

दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।

यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।

भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –

महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।

इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।

इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।

गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।

असहयोग आंदोलन –

अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।

महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।

इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।

इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।

नमक सत्याग्रह –

ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।

नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।

नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन –

महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।

उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।

बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।

उपसंहार –

Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।

उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।

हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।

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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”

Rohit ji app ne sahi bola

apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile

Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.

Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h

Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.

Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai

Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.

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महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) - गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें

Updated On: September 29, 2023 12:06 pm IST

प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।

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गांधी जयंती पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये  भी पढ़ें -  दशहरा पर निबंध

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।  

गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें-  दिवाली पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)

मोहनदास करमचंद गांधी.

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए। 

गांधी जयंती

भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।

देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।

गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।

महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।

स्वदेशी आन्दोलन

स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र  के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।

स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।

खिलाफत आन्दोलन

प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे।  खिलाफत आंदोलन  का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।

अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है "  अंतिम व्यक्ति का उत्थान  " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।

सात्विक आहार

महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।

महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।

हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है।

महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
  • गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
  • महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
  • गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
  • गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
  • गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
  • महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
  • गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।

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गांधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे

an essay on gandhiji in hindi

गांधी जयंती पर निबंध(Gandhi Jayanti Essay in Hindi) – महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाया जाता है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था, और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था।

उनकी स्मृति में चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के प्रयास का जश्न मनाने के लिए इसे लागू किया जाए और पुरस्कृत किया जाए।

आमतौर पर उनकी याद में महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन (रघुपति राघव राजा राम) गाए जाते हैं। पूरे भारत में महात्मा गांधी की मूर्तियों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है और कुछ लोग उस दिन मांस और शराब का सेवन करने से परहेज करते हैं। सार्वजनिक भवन, जैसे बैंक और डाकघर, दिन के लिए बंद रहते हैं।

महात्मा गांधी जयंती निबंध पर 10 लाइन (10 Lines Essay On Mahatma Gandhi Jayanti in Hindi)

  • प्रत्येक वर्ष, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती को भारत के राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
  • इस दिन को हम अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया है।
  • यह भारत में आधिकारिक तौर पर घोषित छुट्टियों में से एक है।
  • दुनिया भर के लोग उस दिन महात्मा गांधी के योगदानों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी शिक्षाओं की प्रशंसा करते हैं।
  • भारत के निवासी, गांधी की मूर्तियों को फूलों से सजाते हैं।
  • राज घाट स्मारक के पास, राजनीतिक दल और लोग राष्ट्रपिता को अपनी श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं।
  • विभिन्न स्कूल और कॉलेज महात्मा गांधी की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
  • महात्मा गांधी ने अहिंसा और शांति का विचार दिया।
  • उन्होंने हमेशा शराब पीने जैसी बुरी आदतों का विरोध किया।
  • उस दिन हम उनकी विचारधारा और शिक्षाओं को याद करते हैं, जो उन्होंने समाज को दी।

गांधी जयंती पर निबंध 100 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 100 words in Hindi)

यह राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी, जिन्हें बापू भी कहा जाता है) की जयंती है। गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारत में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मनाई जाती है। यह स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी कार्यालयों, समुदायों, समाज और अन्य स्थानों में कई उद्देश्यपूर्ण गतिविधियों का आयोजन करके मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इस दिन, पूरे भारत में सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल, कॉलेज, कंपनियां आदि बंद रहते हैं लेकिन इसे बड़े उत्साह और ढेर सारी तैयारियों के साथ मनाया जाता है।

गांधी जयंती पर निबंध 150 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 150 words in Hindi)

गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। यह दिन उनकी जयंती का प्रतीक है। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। हम इस दिन को देश के लिए किए गए उनके बलिदान की याद में मनाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया। सत्याग्रह प्रसिद्ध आंदोलनों में से एक था। भारत छोड़ो आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन अन्य दो प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण आंदोलन हैं जिन्होंने हमें 1947 में आजादी दिलाई।

इस दिन, कई छात्र लोगों को अहिंसा का संदेश देने वाले नाटक करते हैं। कई छात्र उनकी जयंती को चिह्नित करने के लिए इस दिन देशभक्ति के गीत गाते हैं। कई छात्र गांधीजी और उनकी शिक्षाओं के विषय पर पेंटिंग करते हैं। यह दिन देशभक्ति के उत्साह में डूबा हुआ है और हम उनकी बुद्धिमान शिक्षाओं को याद करते हैं- “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो”। इस दिन उनके जीवन पर केन्द्रित कई फिल्में टेलीविजन और रेडियो चैनलों पर प्रसारित की जाती हैं। जल्द ही हम हिंदी, मलयालम में गांधी जयंती पर पैराग्राफ अपडेट करेंगे।

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गांधी जयंती पर निबंध 200 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 200 words in Hindi)

गांधी जयंती प्रत्येक 2 अक्टूबर को पड़ती है। यह एक राष्ट्रीय पर्व है। मोहनदास करमचंद गांधी अपने शिक्षण में अहिंसा का प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं। स्वदेशी और सत्याग्रह सहित उनके विभिन्न आंदोलन अहिंसा की उनकी धारणाओं पर आधारित थे।

वह बहुत पहले से ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा में विश्वास करते थे और इसलिए उन्होंने अपने साथी लोगों को चरखे के रूप में जाने जाने वाले हाथ के पहिये के माध्यम से कपड़े बुनने के लिए कहा। उन्होंने खादी के कपड़े पहने और विदेशी उत्पादों को त्याग दिया। वे न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसे सामाजिक कलंक को दूर किया। उन्होंने तत्कालीन अछूतों को हरिजन या ईश्वर की संतान का नाम दिया।

उनकी शिक्षाओं को चिह्नित करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पूरे काउंटी में गांधी जयंती पूरे दिल से मनाई जाती है। विभिन्न छात्र ‘अहिंसा’ या अहिंसा और स्वदेशी आंदोलन की शिक्षाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नाटकों और नुक्कड़ नाटकों में अभिनय करते हैं। छात्र इस दिन पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं और उनकी तस्वीरें भी बनाते हैं।

उनके सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहते हैं। सिद्धांत और छात्र उनकी शिक्षाओं पर भाषण देते हैं। फिल्मों का प्रसारण उनके जीवन पर केन्द्रित होता है। अन्य नेताओं के साथ-साथ उनके अथक प्रयासों के कारण ही आज हम अपने देश में खुलकर सांस ले सकते हैं।

गांधी जयंती पर निबंध 250 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 250 words in Hindi)

गांधी जयंती भारत में हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और कॉलेज, स्कूल और कार्यालय बंद रहते हैं।

गांधी जयंती कैसे मनाई जाती है?

गांधी जयंती को राष्ट्रपिता और सत्य और अहिंसा के साथ उनके प्रयोग के प्रति बहुत सम्मान के साथ मनाया जाता है। पूरे देश में कई स्थानों पर निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता और अन्य जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

गांधी जयंती दक्षिण अफ्रीका में भी मनाई जाती है, जहां गांधी जी ने भारतीयों और मूलनिवासी अश्वेतों के अधिकारों की वकालत करते हुए 21 साल तक लड़ाई लड़ी। दुनिया के अन्य हिस्सों में भारतीय दूतावासों में विशेष स्मारक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महात्मा गांधी की जन्म तिथि, 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति और अहिंसा दिवस के रूप में नामित किया, जिसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।

गांधी जयंती का महत्व

अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में, महात्मा गांधी ने दैनिक गतिविधियों और आचरणों में सख्त अनुशासन का अभ्यास किया था। उन्हें अपनी नीतियों पर अगाध विश्वास था, जो जनता में भी परिलक्षित होता था। वह एक महानायक थे जिन्होंने दुनिया को दमन और अन्याय से लड़ने के लिए एक नया हथियार दिया – “असहयोग”। सत्य, अहिंसा और असहयोग की उनकी संयुक्त नीतियां जनता के बीच एक त्वरित हिट थीं। उनका जन्मदिन मनाना और उनके मूल्यों को याद रखना हमें एक समाज और एक राष्ट्र के रूप में और अधिक विकसित होने में मदद करता है।

गांधी जयंती एक राष्ट्रीय त्योहार है जब राष्ट्र अपने महान योद्धा को याद करता है जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और देश को अंग्रेजों के दमनकारी शासन से मुक्त कराया।

गांधी जयंती पर निबंध 300 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 300 words in Hindi)

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को हुआ था। हम उनकी जयंती और हमारे देश को ब्रिटिश राज के चंगुल से मुक्त कराने के उनके प्रयासों को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती मनाते हैं। राष्ट्रपिता के रूप में भी जाने जाने वाले, उन्होंने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने और ‘भारत’ के सार को बनाए रखने के लिए विभिन्न आंदोलनों में अपना योगदान दिया है। अहिंसा और सादा जीवन उनके दो बुनियादी सिद्धांत थे जिनका उन्होंने पालन किया।

अफ्रीका में कानून की शिक्षा प्राप्त एक व्यक्ति अपने देशवासियों को आजाद कराने के लिए भारत लौटा। सिर्फ एक धोती पहने, उसे एक जोड़ी गिलास और एक छड़ी के साथ जोड़कर, वह साथी भारतीयों के साथ नमक निकालने और ब्रिटिश उपनिवेशों को यह दिखाने के लिए मीलों पैदल चलकर दांडी गए कि हमारे पास अपार शक्तियाँ हैं। सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचारक, उन्होंने अपने देशवासियों को अस्पृश्यता जैसी तत्कालीन मौजूदा सामाजिक बुराइयों से भी मुक्त कराया।

वह आत्मनिर्भरता में विश्वास करते थे और इसलिए अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कपड़े पहनने के बजाय अपने खुद के कपड़े बुनने की अवधारणा को बढ़ावा दिया। इसने भारतीय महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया, इसलिए उन्हें मुक्ति मिली।

भारत इस तरह गांधी जयंती मनाता है:

  • स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बच्चों और लोगों को उनके योगदान से अवगत कराने के लिए नाटकों, नृत्य प्रदर्शनों, भाषणों और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
  • सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहे।
  • राजघाट, नई दिल्ली में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है।
  • उनके जीवन को दर्शाने वाली फिल्में टेलीविजन पर प्रसारित की जाती हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र ने अहिंसा में अपने विश्वास को चिह्नित करने के लिए 2 अक्टूबर को अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया है।

गांधी जी ने हमें आत्मनिर्भरता, ईमानदारी और अहिंसा का महत्व सिखाया। छात्र उनके पसंदीदा भजन- ‘रघुपति राघव’ को गाने के अलावा विधानसभाओं में इसका पालन करने की शपथ लेते हैं।

गांधी जयंती पर निबंध 500 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 500 words in Hindi)

गांधी जयंती एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जिसका उत्सव भारत में 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। सबसे उल्लेखनीय, यह त्यौहार मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती मनाता है। इसके अलावा, गांधी जयंती भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया गया है। त्योहार निश्चित रूप से भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है।

महात्मा गांधी का जन्म ब्रिटिश शासन के तहत भारत में हुआ था। वह निश्चित रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रमुख व्यक्ति थे। महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके निरंतर सर्वोपरि प्रयासों के कारण था।

गांधी का व्यापारी वर्ग का परिवार था। यह आत्मविश्वासी व्यक्ति 24 वर्ष की आयु में दक्षिण अफ्रीका चला गया। वह वहां कानून की पढ़ाई करने गया था। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से उनकी वापसी हुई। फिर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। अपने अथक परिश्रम के कारण वे जल्द ही कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।

महात्मा गांधी के प्रयास केवल भारतीय स्वतंत्रता तक ही सीमित नहीं थे। मनुष्य ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से भी संघर्ष किया। ये सामाजिक बुराइयाँ अस्पृश्यता, जातिवाद, स्त्री अधीनता आदि थीं। इसके अलावा, उन्होंने गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए।

महात्मा गांधी को भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति घोर अरुचि थी। हालांकि, वह हिंसा के रास्ते के पक्ष में नहीं थे। गांधी अहिंसा (अहिंसा) के दर्शन में सख्ती से विश्वास करते थे। नतीजतन, उस व्यक्ति ने शांतिपूर्ण तरीके से ब्रिटिश शासन का विरोध किया। इसके अलावा, गांधी के शांतिपूर्ण विरोध और आंदोलन अत्यधिक प्रभावी थे। उनके तरीके और योजनाएँ बहुत कुशल थीं। अपनी अविश्वसनीय प्रभावशीलता के कारण, गांधीजी अन्य विश्व नेताओं के लिए प्रेरणा बन गए। एक बार फिर, गांधी को महात्मा की एक और उपाधि से सम्मानित किया गया। महात्मा शब्द का अर्थ महान आत्मा है। उनके जन्मदिन को शानदार स्मरण और उत्सव के दिन में बदल दिया गया।

महात्मा गांधी की स्मृति

सबसे पहले, गांधी जयंती और कुछ नहीं बल्कि महात्मा गांधी की एक भव्य स्मृति है। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत के राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। देशभक्ति के इस अवसर का उत्सव हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में आयोजित किया जाता है।

गांधी जयंती के अवसर पर प्रार्थना सेवा और श्रद्धांजलि होती है। ये प्रार्थना सेवाएं और श्रद्धांजलि पूरे देश में होती हैं। इसके अलावा, गांधी जयंती पर विभिन्न प्रार्थना सभाएं और स्मारक समारोह भी होते हैं। ये आयोजन स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी संस्थानों में होते हैं। खास बात यह है कि इस तरह के आयोजनों में हर तबके के लोग हिस्सा लेते हैं।

जगह-जगह चित्रकला, निबंध आदि की प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। इसके अलावा, ऐसी प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कारों का वितरण होता है। कई स्कूलों और कॉलेजों में छात्र महात्मा गांधी के जीवन पर वृत्तचित्र और प्रदर्शन भी देखते हैं। नतीजतन, युवाओं के बीच अहिंसक जीवन शैली को बढ़ावा मिल रहा है। गांधीजी के पसंदीदा भजन (हिंदू भक्ति गीत) के गायन कार्यक्रम भी हैं। एक अन्य अनुष्ठान गांधी प्रतिमाओं को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है। अंत में, कुछ व्यक्ति गांधी जयंती पर मांस खाने या शराब पीने से बचते हैं।

गांधी जयंती महात्मा गांधी के महान व्यक्तित्व का सम्मान करती है। यह इस महान व्यक्तित्व के जीवन को प्रतिबिंबित करने और संजोने का अवसर है। इसके अलावा, सभी को इस दिन उनकी तरह जीने की कोशिश करनी चाहिए। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत में एक बहुत ही देशभक्ति का दिन है।

गांधी जयंती निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQs)

Q.1 गांधीजी ने अपने प्रथम सत्याग्रह का प्रयोग कहाँ किया था.

उत्तर. गांधीजी ने अपना पहला सत्याग्रह 1906 में दक्षिण अफ्रीका में प्रयोग किया।

Q.2 महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे?

उत्तर. लियो टॉल्स्टॉय महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु थे।

Q.3 हम अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाते हैं?

उत्तर. अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2 अक्टूबर को गांधीजी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।

Q.4 गांधीजी को किस विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना दिवस पर आमंत्रित किया था?

उत्तर. गांधीजी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के लिए बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था।

Q.5 गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे थे?

उत्तर. गांधीजी 9 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और इस दिन को प्रवासी भारत दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Q.6 आरबीआई द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंक नोट कब जारी किए गए थे?

उत्तर. 1996 में RBI द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंकनोट जारी किए गए थे।

वर्तमान युग में गांधीवाद की प्रासंगिकता पर निबंध | Essay on Gandhism in Hindi

नमस्कार आज के निबंध वर्तमान युग में गांधीवाद की प्रासंगिकता पर निबंध Essay on Gandhism in Hindi में आपका स्वागत हैं. स्टूडेंट्स के लिए यहाँ सरल भाषा में गांधीवाद पर निबंध दिया गया हैं.

इस निबंध में हम जानेगे कि गांधीवाद क्या है प्रमुख सिद्धांत बाते आज के समय में इसका महत्व क्या हैं. उम्मीद करते है ये आपको पसंद आएगा.

गांधीवाद पर निबंध Essay on Gandhism in Hindi

वर्तमान युग में गांधीवाद की प्रासंगिकता पर निबंध | Essay on Gandhism in Hindi

महात्मा गांधी की विचारधारा   को गांधीवाद के नाम से जाना जाता है. महात्मा गाँधी उस उस व्यक्ति का नाम हैं, जो असत्य को सत्य से, हिंसा को अहिंसा से, घ्रणा को प्रेम से तथा अविश्वास को विश्वास से जीतने में विश्वास करते थे.

भले ही आज गांधीजी नही हैं, लेकिन उनके विचारों, आदर्शों तथा सिद्धांतों के रूप में वे जिन्दा हैं. गाँधी के विचार क्रियात्मक योगदान में जितने उस समय प्रासंगिक थे, आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक बने हुए हैं.

महात्मा गाँधी ने जनभावना को महत्व देकर और परम्परागत राष्ट्रवाद की विचार धरा में सुधार करते हुए, 21 वीं सदी के भारत के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया.

महात्मा गाँधी ने विभिन्न प्रकार के रचनात्मक कार्यों के द्वारा विभिन्न समुदायों के मध्य समन्वय स्थापित करने का कार्य किया. गांधीवाद की विचारधारा परम्परागत राष्ट्रवाद के’ विचारों से ऊपर उठकर थी.

गांधी पूरे विश्व को अपना राष्ट्र मानते थे. वे भारतीय वैदिक परम्परा में कही गईं, बातों के अनुसार विश्व पूजन तथा माता भूमि पुत्रोः प्रथ्विया में विश्वास करते थे. मोहनदास करमचंद गाँधी ने संकटग्रस्त विश्व को भारतीय चिन्तन के अनुरूप बनाकर संसार को एक नई राह दिखाई.

आज भी गांधीवाद में सर्वधर्म सद्भाव की की निति की महत्वपूर्ण प्रासंगिकता बनी हुई हैं. सर्वधर्म समभाव यानि सभी मतों धर्मों के प्रति समान व्यवहार आज भी सामाजिक एवं सांस्कृतिक अनिवार्यता बना हुआ हैं.

धर्म व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था का विषय हैं. उसे सामाजिक स्तर तक आने के लिए सर्वधर्म समभाव की भावना के अंतर्गत आना होगा.

धार्मिक कट्टरता आज के समय में आतंकवाद का रूप ले चुकी हैं, जिसका नतीजा हम सभी के समक्ष हैं. मानव धर्म के रूप में स्वामी विवेकानंद तथा रवीन्द्रनाथ टैगोर ने विश्व को मानवता की राह दिखाई थी. जिस तरह विज्ञान सार्वभौमिक हैं, उसी तर्ज पर धर्म भी सार्वभौमिक होना चाहिए.

गांधीवाद के अनुसार एक धर्म को श्रेष्ट समझने का अर्थ हैं, दूसरे धर्म को हीन समझना. महात्मा गाँधी ने दुनिया को इस तथ्य से अवगत कराते हुए धर्म को वैश्विक एवं सार्वभौमिक बनाने का प्रयत्न किया.

आज के आधुनिक समाज में भी संकुचित साम्प्रदायिकता धर्म एवं अंध कट्टरवाद को कैसे स्वीकार किया जा सकता हैं. धर्म को केवल नैतिकता का पर्याय मानना चाहिए.

आज के विश्व संकट का मुख्य कारण वैश्विक राजनीती का सिद्धांतहीन होना हैं. मैकियावेली की निति से असहमत होते हुए, गांधीवाद के अंतर्गत राजनीति में साधन शुद्धि का समावेश कर राजनीति को एक नया आयाम प्रदान किया. गांधीजी ने अन्याय का प्रतिकार करने के लिए शस्त्र के स्थान पर अशस्त्र पर बल दिया.

गांधी जी ने स्पष्ट किया था, कि जिस अनुपात में साधन का उपयोग होगा, उसी अनुपात में साध्य की प्राप्ति होगी. गांधीजी का समस्त चिन्तन एवं आचरण धर्म एवं राजनितिकता के सिद्धांतों पर आधारित हैं.

गांधी जी की दृष्टि में निति शून्य राजनीति सबसे निकृष्टतम हैं. इसी कारण छल कपट, दम्भ और अविश्वास का पोषण करने वाली राजनीती को धर्म विहीन होने के कारण नही मानते हैं.

आर्थिक क्षेत्र में गांधीवाद के अंतर्गत स्वदेशी एवं विकेंद्रीकरण के विचार का मूल्यांकन किया जा सकता हैं. वैश्वीकरण के नाम पर नाम पर शुरू हुए आर्थिक सुधारों से गरीबी मूल्यवृद्धि, बेरोजगारी, विषमता, अपराध, उपभोक्ता संस्कृति आदि में वृद्धि हुई हैं.

सिर्फ लाभ कमाने के लिए बाजार अर्थव्यवस्था में उत्पादन किया जा रहा हैं और प्रोद्योगिकी के माध्यम से प्रकृति से अन्याय कर रहे हैं.

गांधीजी ने प्रकृति एवं मनुष्य के नैसर्गिक सम्बन्धों और स्थायी विकास एवं समुचित तकनीक पर जोर दिया. गांधीवाद सादगीपूर्ण जीवन शैली, स्वदेशी की भावना और विकेंद्रीकरण पर बल दिया.

जिसके माध्यम से 21 वी सदी में अर्थतंत्र का विकास किया जा सकता हैं. गाँधी जी ने पूंजीवाद का इसलिए विरोध किया था, क्योंकि वे मशीनों द्वारा मानवीय श्रम का अपक्षय उचित नही मानते थे.

बेरोजगारी के निराकरण के लिए उन्होंने श्रम को बचाने के स्थान पर अधिक से अधिक श्रम उत्पादन कार्यों में लगाने पर जोर दिया.

इसी मानसिकता के कारण चरखा, हथकरघा एवं कुटीर ग्रामीण उद्योगों की स्थापना का समर्थन किया, जिससे उद्योगों के विकेंद्रीकरण की योजना क्रियान्वित की जा सके.

गांधी ने कहा था कि वे विद्युत्, जहाज निर्माण, लौह इस्पात एवं भारी मशीनरी कारखानों को ग्रामीण उद्योगों के साथ खड़ा होते देखना चाहते हैं.

21 वीं सदी में सामाजिक न्याय की प्रासंगिकता बढ़ गई हैं. क्योंकि यह संकल्पना व्यक्ति मात्र को मनुष्य होने का सम्मान प्रदान करती हैं.

गांधीवाद सामाजिक न्याय का दर्शन हैं, क्योंकि यह सामाजिक समस्याओं की व्याख्या इस रूप में की हैं, जिससे व्यक्ति की चेतना अधिकाधिक सामाजिक जीवन की ओर अग्रसर हो सके.

गाँधी जी न्यायमुक्त शोषणविहीन समाज की स्थापना करना चाहते थे, जो आज के लोकतांत्रिक समाजों का परम लक्ष्य हैं. गांधीवाद में न्याय सामाजिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास हैं.

गांधीजी गुण एवं कार्य के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर देना चाहते थे. इस कारण वे वर्ण व्यवस्था के माध्यम से सामाजिक न्याय की अवधारणा तक पहुचते हैं.

जाति प्रथा को सामाजिक दास्ता का प्रतीक मानकर उन्होंने इसके विरुद्ध जन आंदोलन खड़ा करने का प्रयास किया. उन्होंने अछूतों के लिए हरिजन का नाम दिया और हरिजन सेवक संघ बनाया.

गांधीजी का हरिजन उत्थान सामाजिक न्याय की स्थापना हेतु एक क्रांतिकारी कदम था. उनका अटूट विश्वास था, कि साम्प्रदायिक सद्भाव सामाजिक न्याय का ठोस आधार बन सकता हैं और सामाजिक न्याय की नीव पर ही स्वराज्य का भव्य महल खड़ा किया जा सकता हैं.

  • गांधीवाद विचारधारा क्या है अर्थ स्रोत राजनीतिक
  • आतंकवाद का अर्थ क्या है इतिहास, वैश्विक परिदृश्य
  • भारतीय साम्यवादी दल का इतिहास

उम्मीद करता हूँ दोस्तों वर्तमान युग में गांधीवाद की प्रासंगिकता पर निबंध Essay on Gandhism in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा.

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महात्मा गाँधी पर निबंध | Mahatma Gandhi essay in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध : प्रसिद्ध नेताओं और श्रेष्ठ व्यक्तित्व पर निबंध लेखन की श्रृंखला में हमने यहां महात्मा गांधी पर एक निबंध लिखा है। महात्मा गाँधी हमारे राष्ट्रपिता हैं और उन्हें हम प्यार से बापू कहकर पुकारते हैं। महात्मा गांधी पर यह निबंध छात्रों के लिए उनकी परीक्षा और प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत सहायक है।

महात्मा गांधी पर निबंध: Mahatma Gandhi essay in Hindi

महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) एक महान देशभक्त एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा के विचारों से अभिप्रेरित पथ पर चलकर अदम्य साहस और दृढ़ता के साथ ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए सफल अभियान की कमान संभाली। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के लिए आंदोलनों को प्रोत्साहित किया। यही कारण है कि वर्ष 1948 में उनकी मृत्यु के बाद भी उन्हें आज भी दुनिया में अनगिनत लोगों के द्वारा आदर्श माना जाता है।

महात्मा गांधी का जन्म और प्रारंभिक जीवन: Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

मोहनदास करमचंद गांधी ( महात्मा गांधी ) का जन्म ब्रिटिश शासन के दौरान गुजरात के काठियावाड़ के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और उनकी मां पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थीं। भारतीय शास्त्रीय कहानियों श्रवण कुमार और राजा हरिश्चंद्र की कहानियों का गांधीजी पर बचपन में बहुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट के स्थानीय स्कूल से और स्नातक की पढ़ाई अहमदाबाद से पूरी की। बाद में वे कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए और वर्ष 1890 में एक एडवोकेट के रूप में लौटे। 13 साल की उम्र में उनकी शादी कस्तूरबाई माखनजी कपाड़ी (कस्तूरबा) से एक अरेंज मैरिज प्रथा के अनुसार हुई।

महात्मा गाँधी पर निबंध | Mahatma Gandhi essay in Hindi

स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का योगदान: Essay on Gandhiji in Hindi

महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह का प्रथम सफल प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में समाज के उत्पीड़ित वर्ग के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार और भेदभाव के खिलाफ किया। अब उन्होंने देश में अपने लोगों की सेवा करने और भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ादी दिलाने के विचार से वर्ष 1915 में भारत लौट आए। 

उन्होंने वर्ष 1915 में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की जिसे  साबरमती आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में साबरमती आश्रम अहमदाबाद के बाहरी इलाके में साबरमती नदी के पास स्थित है। सत्याग्रह आश्रम में उन्होंने खुद को लोगों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया और सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और चोरी न करने की विचार का प्रचार किया।

स्वतंत्रता के लिए भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका: Mahatma Gandhi Essay in Hindi

1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा रॉलेट एक्ट पारित किया जिसके तहत भारतियों के सिविल राइट्स समाप्त हो गये। जिसके विरोध के साथ ही महात्मा गाँधी भारत की सक्रीय राजनीति में आ गए। गांधी जी ने इस अधिनियम का विरोध किया और सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। तब से महात्मा गांधी स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे बने और बाद में कुछ ही वर्षों में वे स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन के निर्विवाद नेता बन गए। 

ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी ने मुख्यतः तीन जन आंदोलन शुरू किए; 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन जिसे नमक कानून को तोड़ने के लिए नमक सत्याग्रह या 'दांडी मार्च' के नाम से जाना जाता है और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन नाम से। इन तीन आंदोलनों ने लाखों भारतीयों को एक साथ जोड़कर भारत ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी।

गांधी के प्रमुख हथियार के रूप में अहिंसा और सत्याग्रह: Mahatma Gandhi Nibandh in Hindi

अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत न केवल स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए मुख्य हथियार के रूप में सफल रहे वरन इन सिद्धांतो ने अनेकों महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए सशक्त और प्रोत्साहित किया। गाँधी जे के नेतृत्व में भारतीयों ने सभी बाधाओं के बावजूद भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष अनवरत जारी रखा और अंततः अंग्रेजों को एहसास हुआ कि वे अब भारत में नहीं रह सकते हैं और उन्हें 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए मजबूर होना पड़ा ।

गाँधी जी ने अध्यात्म को राजनीति में उतारकर राजनीति को सुधरने की कोशिश की। उन्होंने नफरत और हिंसा से रहित राजनीति को श्रेष्ठ और अधिक मानवीय बनाया। गांधी जी समाज सुधार की दृष्टि वाले एक महान नेता थे जिन्होंने समाज के उत्थान के जीवन पर्यन्त कार्य किया। धर्मनिरपेक्षता के उनके सिद्धांत ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया। अस्पृश्यता को दूर करने, पिछड़े वर्गों के उत्थान, गाँव के विकास, सामाजिक स्वतंत्रता पर जोर, स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग आदि के लिए उनके विचार और कार्यों का हमारे समाज और देश पर बहुत अधिक सकारात्मक प्रभाव रहा है।

30 जनवरी, 1948 को जब गांधी जी शाम की प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे, नाथूराम गोडसे ने गोली मार हत्या कर दी. नाथूराम गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी थे जो मानते थे कि गांधी जी ने भारत के विभाजन के दौरान भारत के मुसलमानों और पाकिस्तान की राजनीतिक मांगों का समर्थन किया था।

उपसंहार: गांधीजी पर निबंध Mahatma Gandhi essay in Hindi

महात्मा गांधी द्वारा भारत की स्वतंत्रता के किये गये अनेक कार्यों के लिए उन्हें 'राष्ट्रपिता' के रूप में मानते हैं और प्यार से हम उन्हें 'बापू' कहते हैं। केवल भारत ही नही अपितु विश्व के अनेक देश महात्मा गाँधी के आदर्शो का सम्मान करते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने महात्मा गांधी को उनके जन्मदिन 2 अक्टूबर को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस" मनाकर सम्मानित किया।

Q&A on Mahatma Gandhi in Hindi

प्रश्न: महात्मा गाँधी का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई० को हुआ था।

प्रश्न: महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता किसने कहा?

उत्तर: सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया। 

प्रश्न: महात्मा गाँधी के कितने बच्चे थे?

उत्तर: महात्मा गाँधी के चार बच्चे थे : हरिलाल, मणिलाल लाल, रामदास और देवदास

प्रश्न: महात्मा गाँधी को किसने मारा था?

उत्तर: महात्मा गाँधी को नाथूराम गोडसे ने मारा था। 

प्रश्न: महात्मा गाँधी की मृत्यु कब हुई?

महात्मा गाँधी की मृत्यु 30 जनवरी, 1948 को हुई। 

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Speech on Mahatma Gandhi in Hindi – स्टूडेंट्स के लिए 100, 200 और 300 शब्दों में

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  • Updated on  
  • सितम्बर 16, 2023

an essay on gandhiji in hindi

गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, क्योंकि मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। स्टूडेंट्स के लिए गांधीजी के संदेश महत्वपूर्ण माने जाते हैं और उनके विचार स्टूडेंट्स को अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए हर वर्ष 2 अक्टूबर के दिन पूरे देश में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और इनमें लोगों द्वारा गांधी जी के बारे में बताया जाता है, इसलिए इस ब्लाॅग Speech on Mahatma Gandhi in Hindi में आप 100, 200 और 300 शब्दों में महात्मा गांधी पर भाषण ।

This Blog Includes:

महात्मा गांधी के बारे में, महात्मा गांधी पर स्पीच कैसे तैयार करें, महात्मा गांधी पर स्पीच 100 शब्दों में, महात्मा गांधी पर स्पीच 200 शब्दों में, स्पीच की शुरुआत में, स्पीच में क्या बोलें, स्पीच के अंत में, महात्मा गांधी से जुड़े रोचक तथ्य, गांधी जयंती कब मनाई जाती है.

Speech on Mahatma Gandhi in Hindi शुरू करने से पहले हमें महात्मा गांधी के बारे में जानना जरूरी है। मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। गांधीजी ने वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। लोग प्यार से उन्हें बापू कहते हैं और बापू हिंसा के खिलाफ थे। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे।

यह भी पढ़ें- जानिए कैसे तैयार करें हिंदी दिवस पर स्पीच

भारत ही नहीं बल्कि किसी भी देश में कई आयोजन होते रहते हैं और इन आयोजनों में स्पीच का काफी महत्व होता है। अगर आप स्पीच देते हैं तो यह आपको औरों से अलग बनाता है। भारत में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है और इस दिन जगह-जगह कार्यक्रमों में स्पीच (Speech on Mahatma Gandhi in Hindi) देने के लिए ये स्टेप्स अपनाएंः

  • महात्मा गांधी पर स्पीच देने से पहले उनके बारे में सही से जानकारी करना जरूरी है।
  • स्पीच लिखते समय आपको शब्दों का सही चयन करना होगा।
  • सही से स्पीच तैयार करने और समय का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। 
  • अपनी स्पीच में भाषा के महत्व को देखना है कि आप जहां बोल रहे हैं, वहां हिंदी सही रहेगी या इंग्लिश। 
  • स्पीच की शुरुआत महात्मा गांधी से जुड़े तथ्यों या फिर उनकी शिक्षा या अन्य कोई बड़ी कामयाबी से कर सकते हैं। 
  • स्पीच में महात्मा गांधी का महत्व बताते हुए उनके कुछ बड़े आंदोलन का उल्लेख कर सकते हैं।
  • स्पीच तैयार करते समय यह जानना जरूरी है कि लोगों पर इसका क्या असर रहेगा और यह हमारे लिए कैसे फायदेमंद रहेगी।
  • स्पीच में विषय से भटकना नहीं चाहिए, अगर महात्मा गांधी पर बोल रहे हैं तो पूरे समय में उनके बारे में ही बात होनी चाहिए।

यह भी पढ़ें- जानिये कैसे तैयार करें इंजीनियर्स दिवस पर 100, 200, 300 शब्दों में स्पीच

100 शब्दों में Speech on Mahatma Gandhi in Hindi इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। इसमें कोई शक नहीं कि लोग उन्हें राष्ट्रपिता कहते हैं। गरीबों, पीड़ितों और निचली जाति के लोगों के प्रति उनकी सहानुभूति बिल्कुल अद्वितीय है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था।

200 शब्दों में Speech on Mahatma Gandhi in Hindi इस प्रकार हैः

देश में आंदोलनों की जब भी बात होती है तो महात्मा गांधी को सबसे ऊपर रखा गया है। 2 अक्टूबर को हम सब इसलिए एकत्र होते हैं कि उन्हें उनकी जयंती पर नमन करें और उनके योगदान को जानें। महात्मा गांधी के बारे में हर भारतवासी को जानना चाहिए। जलियांवाला बाग नरसंहार से गांधी जी को यह ज्ञात हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है, इसीलिए उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। यह आंदोलन काफी सफल रहा और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से करा दिया गया था। 1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए और गांधी जी से अन्य लोगों के दृढ़ निश्चय से हमारा भारत 1947 में आजाद हुआ था।

महात्मा गांधी पर स्पीच 300 शब्दों में

300 शब्दों में Speech on Mahatma Gandhi in Hindi इस प्रकार हैः

गांधी जयंती या फिर महात्मा गांधी के ऊपर स्पीच की शुरुआत में सबसे पहले जहां स्पीच दे रहे हैं वहां के वरिष्ठ लोगों का संबोधन करना है और फिर महात्मा गांधी और गांधी जयंती के बारे में थोड़ा बताना है। जैसे- भारत की आजादी से पहले और बाद तक महात्मा गांधी का योगदान या फिर उनके आंदोलन आदि। गांधी जी के परिवार के बारे में भी बता सकते हैं। 

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। 2 अक्टूबर को हम उन्हीं की याद में गांधी जयंती मनाते हैं। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वकालत की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए। बाद में उन्हें कानूनी केस में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा और वहां उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेदभाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। 

वहां से इंडिया आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाह को जवाब देने के लिए और अपने समाज को एकजुट करने के बारे में सोचा। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किए, जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। बिहार के चम्पारण में किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ किया था। 1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आंदोलन के दौरान वह कई बार जेल गए थे।

महात्मा गांधी ने अपनी छाप वैश्विक पटल छोड़ी है और इसीलिए प्यार से लोग उन्हें बापू बुलाते हैं। महात्मा गांधी को 2 अक्टूबर के दिन यानी गांधी जयंती पर नमन किया जाता है और देश के लिए किए उनके कार्यों को ध्यान दिलाया जाता है। इन शब्दों के साथ मैं अपने भाषण को विराम देता हूं। धन्यवाद।

महात्मा गांधी से जुड़े रोचक तथ्य इस प्रकार हैंः

  • एक छोटे बच्चे के रूप में गांधी बहुत शर्मीले थे और किसी से बात करने से बचने के लिए स्कूल खत्म होते ही घर भाग जाते थे।
  • संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में गांधी के जन्मदिन, 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया।
  • गांधीजी को 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था लेकिन उन्हें कभी पुरस्कार नहीं मिला।
  • टाइम मैगजीन ने 1930 में महात्मा गांधी को पर्सन ऑफ द ईयर नामित किया।
  • इतिहास की किताबों के अनुसार गांधीजी को महात्मा की उपाधि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दी थी।
  • ब्रह्मचर्य का व्रत लेने से पहले, महात्मा गांधी के चार बेटे थे।
  • मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या पूर्व बिड़ला हाउस के बगीचे में की गई थी।
  • गांधी जी और प्रसिद्ध लेखक लियो टॉल्स्टॉय पत्रों के माध्यम से एक-दूसरे से बातचीत करते थे।
  • महात्मा गांधी की मातृभाषा गुजराती थी।
  • गांधी जी ने सत्याग्रह संघर्ष में अपने सहयोगियों के लिए दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से 21 मील दूर 1100 एकड़ की जगह पर एक छोटी कॉलोनी, टॉल्स्टॉय फार्म की स्थापना की।
  • 1930 में उन्होंने दांडी नमक मार्च का नेतृत्व किया और 1942 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया।

हर वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। गांधी जयंती को पूरे भारत में प्रार्थना सेवाओं और श्रद्धांजलि के साथ मनाया जाता है, जिसमें नई दिल्ली में गांधी के स्मारक, राजघाट, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था भी शामिल है।

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महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।

महात्मा गांधी का मुख्य नारा भारत छोड़ो, करो या मरो है।

महात्मा गांधी की बेटी नहीं थी, उनके चार बेटे थे।

महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था।

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