नारी सशक्तिकरण पर निबंध 100, 150, 200, 500 शब्दों में | Women Empowerment Essay in Hindi

बदलते हुए समय को देखते हुए संपूर्ण विश्व में नारी सशक्तिकरण का एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।आज के इस लेख के द्वारा हम आपको नारी सशक्तिकरण पर निबंध बताने जा रहे हैं। नारी सशक्तिकरण को महिला सशक्तिकरण के नाम से भी जानते हैं। समाज और देश की प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरुरी है। निचे हमने नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में, 100, 150, 500 शब्दों में दिया है। उम्मीद है की यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध आपके काम आएगी।

नारी सशक्तिकरण निबंध (100 शब्द) 

नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ

सबसे पहले यह जानना जरूरी होगा कि आखिर यह नारी सशक्तिकरण होता क्या है? नारी सशक्तिकरण का अर्थ है कि किसी भी नारी की क्षमता को उस स्तर तक ले जाना जहां पर वह अपने निर्णय स्वयं ले पाने में सक्षम हो सके।

नारी अपने जीवन से जुड़े हुए हर एक पहलू पर सोच समझ के सही ढंग से स्वयं निर्णय ले सके। हमारे समाज में नारी को भी पुरुष के समान सभी अधिकार प्राप्त हो। महिलायें दूसरों पर आश्रित रहने की जगह खुद आत्मनिर्भर बन सकें और अपने जीवन के निर्णय खुद ले सके। यही नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ है। 

सरल और आसान शब्दों में कहा जाए तो एक नारी परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने स्वयं के लिए सही गलत का निर्णय खुद ले पाए। यह नारी सशक्तिकरण का मुख्य अर्थ होता है।

नारी सशक्तिकरण निबंध (150 शब्द)

महिलाओं का सशक्त बनना जरूरी

भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले हमारे समाज में व्याप्त महिला विरोधी सोच को मारना बहुत जरूरी है समाज में व्याप्त बुराई जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी ऐसे बहुत से अपराध है, जिन पर सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की जरूरत है।

भारत के संविधान के अनुसार समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सभी महिलाओं को सशक्त बनाना एक सबसे महत्वपूर्ण प्रभावशाली उपाय माना गया है क्योंकि इस तरह के प्रयास से समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को मिटाया जा सकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बहुत महत्वपूर्ण वाक्य महिलाओं को जागृत करने के लिए कहा था कि ‘हमारे समाज में लोगों को जगाने के लिए सभी महिलाओं को जागना बहुत जरूरी है।’

एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में नारी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब नारी के साथ पूरा समाज जागरूक और सशक्त होगा तो इससे राष्ट्र भी मजबूत होगा। माता के रूप में एक बच्चे की पहली गुरु नारी होती है। जॉर्ज हरबर्ट ने कहा कि “एक अच्छी मां 100 शिक्षकों के बराबर होती है, इसलिए मां का सम्मान होना बहुत जरूरी है।”

नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में

हमारे देश में सबसे बड़ा सामाजिक मुद्दा लैंगिक असमानता माना गया है। इसमें सभी महिलाएं पुरुषवादी प्रभुत्व देश में जैसे पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिलाओं को एक समान बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए नारी सशक्तिकरण की हमारे देश में सख्त आवश्यकता है।

महिला विरोधी मान्यताएं और मानसिकताएं बहुत सी समस्याओं को जन्म देती हैं, जो समाज के विकास में तो रुकावट बनती ही है, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी बहुत बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। महिलाओं का यह हमेशा से जन्मसिद्ध अधिकार रहा है कि उनको भी पुरुषों के समान ही समाज में बराबरी का दर्जा मिले इसके लिए महिला सशक्तिकरण जरुरी है। जिसके लिए सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।

महिलाओं को ना केवल घरेलू व पारिवारिक जिम्मेदारियों में ही निपुण होना चाहिए, बल्कि हर क्षेत्र में उनको जागरूकता के साथ सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। सभी महिलाओं को अपने आसपास के क्षेत्र में देश में विदेश में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी से भी अवगत होना जरूरी है।

एक महिला अपने परिवार में सभी चीजों के लिए बहुत जिम्मेदार मानी जाती है, क्योंकि हर समस्या का सामना वह बड़ी समझदारी से कर सकती है। महिलाओं की सशक्त होने की वजह से आज पूरा समाज अपने आप सशक्त हो सकता है।

 पिछले कुछ ही सालों से सभी लोगों को महिला सशक्तिकरण का बहुत फायदा मिल रहा है। महिला अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार, नौकरी सभी की जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से निभा रही है। इसके अलावा देश और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को लेकर वह अक्सर सचेत रहती हैं। सभी महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी रुचि का प्रदर्शन बहुत अच्छे से करती है और कई सालों के संघर्ष के बाद सभी नारी जाति को सही राह पर चलने के लिए उनका अधिकार मिल पा रहा है।

नारी सशक्तिकरण निबंध – 500 words

हमारे देश में आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही नारी को एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस बात का प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। प्राचीन ग्रंथों में तो नारी को देवी के समान पूजनीय माना गया है। ग्रंथों में बताया गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी का सम्मान किया जाता है। वहां देवता भी निवास करते हैं। 

कोई भी समाज राज्य तब तक प्रगति की ओर नहीं बढ़ सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव हीन भावना का त्याग वह नहीं करेगा। इसलिए नारी का सम्मान बहुत जरूरी है और नारी का सशक्त होना भी जरूरी है।

  नारी सशक्तिकरण का अर्थ

नारी सशक्तिकरण का सही शब्दों में यह अर्थ होता है कि अपने स्वयं के निर्णय और अधिकार नारी खुद अपने दम पर ले सके यह ही नारी सशक्तिकरण का सही और आसान अर्थ है। प्राचीन समय से ही महिलाओं को समाज और परिवार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ था। पहले के समय में सभी स्त्रियां शिक्षित और समर्थ भी होती थी। वह राज्य के संचालन के साथ-साथ घर परिवार की जिम्मेदारियां भी बहुत अच्छे से निभा लेती थी।

भारत की संस्कृति में नारी का स्थान

 समय के साथ जैसे जैसे बदलाव आता गया वैसे वैसे नारी का पतन भी शुरू हो गया। भारत मे नारी की स्वतंत्रता को छीन लिया गया। उसके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया। देश और समाज के प्रति जो उसके कर्तव्य पालन थे, उनसे भी महिला को वंचित कर दिया गया था। नारी सशक्त और असमर्थ हो चुकी थी

भारत के स्वतंत्र होने के साथ-साथ नारी ने भी अपने स्वरूप को पहचाना और वह अपने पहले के गौरव और अपने अस्तित्व को पाने के लिए पूरी तरह बेचैन हो उठी नारी आज शिक्षा व्यवस्था विज्ञान सैनिक सेवा चिकित्सा कला राजनीति हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में समर्थ हो चुकी है।

समय के साथ-साथ अब वर्तमान समय में नारी को सशक्त बनाने की पूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय शासन में भी अब 33% का आरक्षण महिलाओं को मिल चुका है। महिलाएं अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से अपने आप सशक्त होती रहेंगी।

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि यहां पर आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही लोगों में लैंगिक असमानता देखने को मिली थी और यहां पुरुष प्रधान समाज भी था। परिवार और समाज के बीच महिलाओं को उनके अधिकारों से और अन्य कई कारणों से भी दबाया जाता था। महिलाओं के साथ में अनेक तरह की हिंसा होती थी। यह सब वारदात भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी होते थे।

 प्राचीन समय से चलते आ रहे इस पुराने प्रचलन ने रीति रिवाज का रूप ले लिया। भारत में एक तरफ महिलाओं को सम्मान देने के लिए देवी के रूप में पूजने की परंपरा है,लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहां महिलाओं को पूजने से ही देश के विकास की हर जरूरत को पूरा किया जाये। देश में हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत जरूरी है। महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए। तभी देश का विकास का सही आधार बनेगा।

महिला सशक्तिकरण में भारत सरकार की भूमिका

भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए महिला और बाल विकास कल्याण मंत्रालय के द्वारा भारत सरकार के सहयोग से बहुत सी योजनाएं चल रही है…

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान योजना
  • महिला शक्ति केंद्र योजना
  • उज्जवला योजना
  • पंचायती राज्य योजना में महिलाओं का आरक्षण
  • महिला हेल्पलाइन योजना
  • सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एंप्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन

भारत जिस तेज गति से प्रगतिशील देश की श्रेणी में रखा जा रहा है। उस तेजी से ही महिला सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए। आज की इस पोस्ट के द्वारा हमने आपको “ नारी सशक्तिकरण पर निबंध ” छोटे से बड़े रूप में लिखना बताया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जरूर पसंद आएगा। अगर आपको इससे जुड़ी किसी भी जानकारी के विषय में जानना है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन से जुड़े रह सकते हैं।

  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध 
  • मेरा घर पर निबंध 10 लाइन

आपको यह नारी सशक्तिकरण निबन्ध कैसा लगा? हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language

In this article, we are providing information about Nari Shakti in Hindi- A Short Essay on Nari Shakti in Hindi Language. नारी शक्ति पर निबंध, Nari Shakti Par Nibandh in 300 words.

जरूर पढ़े – Women Empowerment Essay in Hindi

Essay on Nari Shakti in Hindi

( Essay-1 ) Nari Shakti Essay in Hindi

नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ करने का निश्यचय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है।

प्राचीन काल से ही हमारे समाज में झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है। आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है। आज भी महिला कोमल और मधुर ही है लेकिन उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है।

आज के युग में नारी भले ही जागरूक हो गई है और उसने अपनी शक्ति को पहचाना है लेकिन वह आज भी सुरक्षित नहीं है। आज भी नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझा जाता है। पुरूषों को नारी का सम्मान करना चाहिए और उन पर इतना भी अत्याचार मत करो की उनकी सहनशीलता खत्म हो जाए और वो शक्ति का रूप ले ले क्योंकि जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय आई है। नारी देवीय रूप है इसलिए नारी शक्ति सब पर भारी है। नारी से ही यह दुनिया सारी है।

हम सब को नारी शक्ति को प्रणाम करना चाहिए और आगे में उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि यदि देश की नारी विकसित होगी तो हर घर, हर गली और पूरा देश विकसित होगा।

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( Essay-2 ) Nari Shakti Par Nibandh in 500 words| नारी शक्ति पर 500 शब्दों में निबंध

प्रस्तावना यह बात तो हम सभी जानते ही हैं कि नारी शक्ति का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। पहले समय की बात कुछ और थी, जब नारी को कमजोर समझा जाता था। लेकिन आज 20वीं सदी की नारी बहुत तरक्की कर रही है। आज की महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।

हर क्षेत्र में लहरा रही है परचम। अगर हमें समाज को बदलना होगा, तो समाज का शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए सरकार के द्वारा शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण पहलू के रूप में माना गया है। महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छी परफॉर्मेंस कर रही है। स्कूल कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आज की नारियां अच्छी जगह पर जॉब कर रही है। प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी विभाग में भी महिलाएं नौकरी कर रही है। जब महिलाएं पढ़ लिख रही हैं, तो उनकी स्थिति में भी सुधार हो गया है। काफी विभाग ऐसे हैं, जहां पर नौकरी पाना बहुत ज्यादा मुश्किल है। लेकिन महिलाएं अपनी मेहनत और बलबूते पर वहां भी नौकरियां पा चुकी हैं।

महिलाएं किसी से कम नहीं है। पहले जमाना कुछ और था, जब महिलाओं को पुरुषों से कमजोर समझा जाता था। कहा जाता था कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, महिलाएं काफी बदल गई हैं। पहले जहां महिलाएं पुरुषों पर निर्भर होती थी, आज महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। पढ़ लिखकर अच्छे महकमे में नौकरियां कर रही है और अच्छा पैसा कमा रही हैं। देखा जाए तो महिलाएं आज के समय में पुरुषों से किसी भी काम में पीछे नहीं है। जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह काम महिलाएं भी कर रही हैं।

महिलाएं अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। पहले जमाने में महिलाओं पर अत्याचार होता रहता था और महिलाएं अत्याचार सहती रहती थी। लेकिन आज के समय में महिलाएं शोषण के विरुद्ध आवाज उठा रही हैं। अगर महिलाओं को कोई भी समस्या है या कोई भी महिलाओं का शोषण करता है, तो महिलाएं उसके खिलाफ आवाज भी उठाती हैं। जैसे-जैसे समय बदला है, महिलाओं की स्थिति में भी सुधार हुआ है।

महिलाएं अपने फैसले खुद ले रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में महिलाएं अपनी निजी जिंदगी और प्रोफेसनल जिंदगी से जुड़े हर निर्णय खुद ले रही है। पहले समय में परिवार और पति के द्वारा उन पर अत्याचार किया जाता था। फैसले थोप दिए जाते थे, जिन्हें महिलाओं को मानना ही पड़ता था। लेकिन आज की महिला बिल्कुल बदल चुकी हैं। महिलाएं अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर निर्णय लेना सीख चुकी हैं और वह समाज में भागीदारी भी कर रही है। बहुत महिलाएं ऐसी हैं, जो समाज के लिए काफी अच्छे-अच्छे काम भी कर रही हैं और समाज के लिए मिसाल बन रही है।

# Nari Shakti Essay in Hindi

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6 thoughts on “नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language”

essay on nari suraksha in hindi language

I love it. It is very very very nice essay

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Hi I like the essay

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Very good 👌👌

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Nari Shakti Sacha Mein Sabpar Bhari Ha

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नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi)

नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi Language)

आज   हम नारी शक्ति पर निबंध (Essay On Nari Shakti In Hindi) लिखेंगे। नारी शक्ति पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

नारी शक्ति पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Nari Shakti In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

नारी में सहनशीलता, प्रेम, धैर्य और ममता जैसे गुण मौजूद है। किसी भी समाज की कल्पना नारी के बिना नहीं की जा सकती है। जब कोई नारी कोई भी चीज़ करने की ठान लेती है, तो वह कर दिखाती है।

नारी की हिम्मत और सहनशीलता पुरुषो से भी अधिक है। नारी अपने वादे से पीछे नहीं हटती है। नारी अपने जिम्मेदारियों को निभाती है और कठिन परिस्थितियों में अपने शक्ति का परिचय देती हुयी नज़र आती है।

देश में कई महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्र में अपने साहस और सूझ बुझ का परिचय दिया है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ो के खिलाफ निडर होकर जंग लड़ी थी। उन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी थी।

नारी ने अपने हर रूप में यह साबित किया है कि वह अबला नारी नहीं है। वक़्त आने पर वह अपने हालातों से लड़ भी सकती है और उसे काबू में भी ला सकती है। नारी चाहे वह माँ हो, या बहन, या फिर पत्नी, उसके हर रूप में उसका सम्मान करना चाहिए।

घर संभालना और अपनों की देखभाल

नारी के गर्भ से जीवन का आरम्भ होता है। नारी अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभाती है। वह एक दिन में बिना थके घंटो काम करती है। वह अपने परिवार के सदस्यों की देख रेख करती है। परिवार के लोगो को अच्छी सलाह देती है।

जब परिवार का कोई भी सदस्य कभी बीमार पड़ता है, तो वह उसकी देख भाल करती है। जब घर का कोई सदस्य थक कर घर आता है, तो महिलाएं खाना परोसती है और कोई भी परिवार के सदस्य की चिंता और थकान अपने बातों से दूर कर देती है।

वह बच्चो की शिक्षक बन जाती है और उन्हें पढ़ाती है और अपने घरेलू  नुस्खों से परिवार के सदस्यों का इलाज़ भी करती है। वह बिना शर्त रखे सभी काम करती है और अपनों को खुश रखती है। वह औरो के जिन्दगी में ख़ुशी लाने के लिए बलिदान भी करती है।

महिलाएं अब नहीं है कमज़ोर

आज महिलाएं कमज़ोर नहीं है। वह शिक्षित हो रही है। वह अपने विचारो को घर – बाहर निडर होकर रखती है। वह सम्मान और मर्यादा में रहना जानती है। वह संस्कारो का पालन करती है। उन्हें कोई भी असम्मान करे, तो अब वह चुप नहीं रहती है। महिलाओं ने अपने अधिकारों को पहचान लिया है और हर क्षेत्र में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है।

प्रेरणादायक स्रोत

इंदिरा गाँधी, कल्पना चावला, सरोजिनी नायडू जैसी महान शख़्सियत ने अपने आपको अपने क्षेत्र में ना केवल साबित किया, बल्कि लोगो के लिए वे प्रेरणादायक स्रोत भी बनी।

आत्मनिर्भर और स्वयं निर्णय लेना

पहले के जमाने में लड़कियों का पढ़ना लिखना अच्छा नहीं माना जाता था। उन्हें घर के चार दीवारों में जैसे कैद कर लिया जाता था। वह अपना कोई भी निर्णय खुद नहीं ले पाती थी। आज नारी शिक्षित हो रही है।

ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं काम ना कर रही हो। आज महिलाएं पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है। पुरुषो से किसी मामले में वह कम नहीं है। किसी किसी स्थान में महिलाओं ने पुरुषो को पीछे छोड़ दिया है।

आजकल महिलाएं उच्च पदों पर काम कर रही है और घर चला रही है। वह घर और दफ्तर दोनों को बराबर संभाल रही है। महिलाएं खुद अपने पाँव पर खड़ी हो रही है और घर का खर्चा चला रही है।

आत्मविश्वास के साथ जिन्दगी जीना

नारी शिक्षित हो गयी है और आज देश में महिलाओं के प्रगति के लिए अभियान चलाये जा रहे है। नारी आत्मविश्वास के साथ सभी मुश्किलों का सामना करके आगे बढ़ रही है। हर क्षेत्र में वह सफलता प्राप्त कर रही है।

अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना

जिस देश में जहां देवी की पूजा की जाती है, वहाँ कुछ लोग ऐसे भी है जो महिलाओं का असम्मान करते है। कुछ घरो और समाज में आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार होता है। आज वर्त्तमान युग में नारी पहले से अधिक जागरूक और समझदार हो गयी है।

जब उनपर अत्याचार बढ़ जाता है, तो वह उसके खिलाफ विरोध करना भी जानती है। बेवक़ूफ़ है वह लोग जो महिलाओं को कमज़ोर समझते है।अब वक़्त आ गया है कि पुरुष भी महिलाओं के सोच और उनके विचारधाराओ का सम्मान करे। महिलाओं को जो इज़्ज़त मिलनी चाहिए, उसे समाज और घर उन्हें अवश्य दे।

जब जब महिलाओं पर अत्याचार बढ़ जाता है, तो वह काली माँ जैसा रूप धारण कर लेती है और अपराधियों का सर्वनाश कर देती है। जो लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते है और उन्हें कमज़ोर समझते है, वह नारी शक्ति के प्रभावशाली शक्ति से परिचित नहीं होते है।

नारी शक्ति के कई उदहारण है और वर्त्तमान युग में महिलाओं ने अपनी शक्ति और मज़बूती का परिचय भी समय समय पर दिया है।

नारी और उसका स्वभाव

नारी बहुत ही साधारण और मीठे स्वभाव की होती है। जितनी सहनशीलता नारी में है, उतनी सहनशीलता पुरुषो में नहीं है। वह हर हालत को सोच समझ कर और धैर्य के साथ संभाल लेती है। पहले के जमाने में लड़की को सिर्फ बोझ समझा जाता था।

पहले के ज़माने में लोग नारी को घर के कामो में संलग्न कर देते थे। घर वाले सोचते थे की लड़कियां पढ़ लिखकर क्या करेगी, आगे जाकर उन्हें शादी करनी है और घर संभालना है। उस ज़माने में लड़कियों के सोच को अहमियत नहीं दी जाती थी।

संघर्ष करने की शक्ति

नारी में संघर्ष करने की अपार शक्ति होती है। वह हर परिस्थिति के अनुसार अपने आपको ढाल लेती है। जब भी घर में मुश्किल हालत पैदा होते है, तो महिलाएं सभी सदस्यों को संभालती है और संयम के साथ सबको सलाह देती है।

जब कोई उनके संयम की परीक्षा लेना चाहता है और उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा परेशान करता हैं, तो वह नारी शक्ति का रूप धारण कर लेती है। पहले के ज़माने में महिलाओं को अपने ससुराल में रहकर ताने सुनने पड़ते थे।

वह सहमी हुयी रहती थी। अशिक्षित होने के कारण वह विवश रहती थी। लेकिन आज इक्कीसवी सदी में हालातों में परिवर्तन आ गया है। अब महिलाओं को बोझ नहीं उन्हें एक प्रभावशाली नारी शक्ति के रूप में देखा जाता है।

रानी लक्ष्मीबाई नारी शक्ति का जीता जागता उदाहरण है। उनका विवाह कम उम्र में हो गया था। वह बचपन से ही अन्याय के विरुद्ध लड़ना जानती थी। जब उनके पति की मृत्यु हुयी, तब उन्होंने झांसी को संभाला और अंग्रेज़ो के खिलाफ आखरी दम तक जंग लड़ी। उन्होंने अंग्रेज़ो के विरुद्ध लड़ते हुए अपने साहस का परिचय दिया।

आज की नारी मज़बूत है और उनके आँखों में कई सपने है। आज की नारी शिक्षित और वह पहले के कुप्रथाओ से बाहर निकलकर आ चुकी है। आज नारी डॉक्टर है, इंजीनियर है, शिक्षक भी है।

वह पुरुषो से किसी मामले में ना तो कमज़ोर है और ना ही कम है। आजकल कई जगहों में महिलाओं के साथ अत्याचार और अन्याय हो रहे है और वह चुप चाप सहन कर रही है। नारी आगे बढ़ रही है और कई क्षेत्र में अपने देश का नाम रोशन कर रही है। अब वक़्त आ गया कि सभी पुरुष नारी और उनके सोच का सम्मान करे।

नारी को देवी माँ का स्वरुप माना जाता है। अब परिवारों और समाज को भी नारी और उसके अस्तित्व का सम्मान करना होगा। आज नारी हर कार्य में पुरुषो से भी बेहतर साबित हो रही है और अपनी एक अलग पहचान बना रही है। सदियों से चल रही कुप्रथाओ को तोड़कर वह हौसलों की नई उड़ान भर रही है।

इन्हे भी पढ़े :-

  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay In Hindi)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध (Bhartiya Samaj Me Nari Ka Sthan Essay In Hindi)
  • स्त्री पुरुष समानता पर निबंध (Stri Purush Samanta Essay In Hindi)
  • नारी शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध (Beti Bachao Beti Padhao Hindi Essay)

तो यह था नारी शक्ति   पर निबंध (Women Power Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि नारी शक्ति पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Nari Shakti) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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भारतीय समाज में नारी की भूमिका | Essay on The Role of Women in Indian Society in Hindi

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भारतीय समाज में नारी की भूमिका | Essay on The Role of Women in Indian Society in Hindi!

प्रस्तावना:

नारी का सम्मान करना एवं उसके हितों की रक्षा करना हमारे देश की सदियों पुरानी संस्कृति है । यह एक विडम्बना ही है कि भारतीय समाज में नारी की स्थिति अत्यन्त विरोधाभासी रही है । एक तरफ तो उसे शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है तो दूसरी ओर उसे ‘बेचारी अबला’ भी कहा जाता है । इन दोनों ही अतिवादी धारणाओं ने नारी के स्वतन्त्र बिकास में बाधा पहुंचाई है ।

प्राचीनकाल से ही नारी को इन्सान के रूप में देखने के प्रयास सम्भवत: कम ही हुये हैं । पुरुष के बराबर स्थान एवं अधिकारों की मांग ने भी उसे अत्यधिक छला है । अत: वह आज तक ‘मानवी’ का स्थान प्राप्त करने से भी वंचित रही है ।

चिन्तनात्मक विकास:

सदियों से ही भारतीय समाज में नारी की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका रही है । उसी के बलबूते पर भारतीय समाज खड़ा है । नारी ने भिन्न-भिन्न रूपों में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । चाहे वह सीता हो, झांसी की रानी, इन्दिरा गाँधी हो, सरोजनी नायडू हो ।

किन्तु फिर भी वह सदियों से ही क्रूर समाज के अत्याचारों एवं शोषण का शिकार होती आई हैं । उसके हितों की रक्षा करने के लिए एवं समानता तथा न्याय दिलाने के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है । महिला विकास के लिए आज विश्व भर में ‘महिला दिवस’ मनाये जा रहे हैं । संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग की जा रही है ।

इतना सब होने पर भी वह प्रतिदिन अत्याचारों एवं शोषण का शिकार हो रही है । मानवीय क्रूरता एवं हिंसा से ग्रसित है । यद्यपि वह शिक्षित है, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है तथापि आवश्यकता इस बात की है कि उसे वास्तव में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय प्रदान किया जाये । समाज का चहुँमुखी वास्तविक विकास तभी सम्भव होगा ।

स्पष्ट है कि भारत में शताब्दियों की पराधीनता के कारण महिलाएं अभी तक समाज में पूरी तरह वह स्थान प्राप्त नहीं कर सकी हैं जो उन्हें मिलना चाहिए और जहाँ दहेज की वजह से कितनी ही बहू-बेटियों को जान से हाथ धोने पड़ते हैं तथा बलात्कार आदि की घटनाएं भी होती रहती हैं, वही हमारी सभ्यता और सांस्कृतिक परम्पराओं और शिक्षा के प्रसार तथा नित्यप्रति बद रही जागरूकता के कारण भारत की नारी आज भी दुनिया की महिलाओं से आगे है और पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर देश और समाज की प्रगति में अपना हिस्सा डाल रही है ।

सदियों से समय की धार पर चलती हुई नारी अनेक विडम्बनाओं और विसंगतियों के बीच जीती रही है । पूज्जा, भोग्या, सहचरी, सहधर्मिणी, माँ, बहन एवं अर्धांगिनी इन सभी रूपों में उसका शोषित और दमित स्वरूप । वैदिक काल में अपनी विद्वत्ता के लिए सम्मान पाने वाली नारी मुगलकाल में रनिवासों की शोभा बनकर रह गई ।

लेकिन उसके संघर्षों से, उसकी योग्यता से बन्धनों की कड़ियां चरमरा गई । उसकी क्षमताओं को पुरुष प्रधान समाज रोक नहीं पाया । उसने स्वतन्त्रता संग्राम सरीखे आन्दोलनों में कमर कसकर भाग लिया और स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् संविधान में बराबरी का दर्जा पाया । राम राज्य से लेकर अब तक एक लम्बा संघर्षमय सफर किया है नारी ने । कई समाज सुधारकों, दोलनों और संगठनों द्वारा उठाई आवाजों के प्रयासों से यहां तक पहुंची है, नारी ।

ADVERTISEMENTS:

जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली नारी की सामाजिक स्थिति में फिर भी परिवर्तन ‘ना’ के बराबर हुआ है । घर बाहर की दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाली महिलाओं से यह पुरुष प्रधान समाज चाहता है कि वह अपने को पुरुषो के सामने दूसरे दर्जे पर समझें ।

आज की संघर्षशील नारी इन परस्पर विरोधी अपेक्षाओ को आसानी से नहीं स्वीकारती । आज की नारी के सामने जब सीता या गांधारी के आदर्शो का उदाहरण दिया जाता है तब वह इन चरित्रों के हर पहलू को ज्यों का त्यों स्वीकारने में असमर्थ रहती है । देश, काल, परिवेश और आवश्यकताओ का व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व है, समाज इनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता ।

सीता के समय के और इस समय के सामाजिक परिवेश में धरती-आसमान का अंतर है । समाज सेविका श्रीमती ज्योत्सना बत्रा का कहना है कि आज के परिवेश मे सीता बनना बडा कठिन है । सीता स्वय में एक फिलोसिफी थीं । उनका जन्म मानव-जाति को मानव-मूल्यों को समझाने के लिए हुआ था ।

दूसरो के लिए आदर्श बनने के लिए व्यक्ति को स्वयं बहुत त्याग करने पडते है जैसे सीता ने किए । राम और सीता ने जीवन को दूसरो के लिए ही जिया । राम जानते थे कि धोबी द्वारा किया गया दोषारोपण गलत है, मिथ्या है । परंतु उन्होंने उसका प्रतिरोध न करके प्रजा की संतुष्टि के लिए सीता का त्याग कर दिया ।

राम की मर्यादा पर कोई आच न आए, प्रजा उन पर उंगली न उठाए यह सोचकर सीता ने पति द्वारा दिए गए बनवास को स्वीकार किया और वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगी । अब न राम सरीखे शासक हैं न वाल्मीकि समान गुरू । हम सभी जानते हैं कि सीता के जीवन का संपूर्ण आनंद पति में ही केद्रित था ।

पति की सहचरी बनी वह चित्रकूट की कुटिया में भी राजभवन सा सुख पाती थी । ‘मेरी कुटिया में राजभवन मन माया’ सीता का यह कथन अपने पति श्री राम के प्रति उनकी अगाध आस्था को दर्शाता है । सीता अपना और राम का जन्म-जन्म का नाता मानती थीं । आज भी भारतीय नारी पति के साथ अपना जन्म-जन्म का नाता मानती है ।

युगदृष्टा, युगसृष्टा नारियों के चरित्र हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं । हम उनके चरित्र के मूल तत्वों का समावेश अपनी जिंदगी मे कर सकते हैं । श्रीमती डॉक्टर आशा शाहिद के अनुसार लगभग चौबीस वर्षों से मैं अमरीका में रह रही हूँ । हमने अपनी एक मात्र बेटी में भारतीय मूल के संस्कार डाले हैं, उसे रामायण व सीता के चरित्रों से अवगत कराया है ।

यों तो सीता धरती पुत्री थी । शिवजी के भारी भरकम धनुष को सरकाकर उन्होंने अपनी शक्ति का परिचय दिया था, पर अग्नि परीक्षा…. ? आज के समय में अच्छी शिक्षा पाना, अच्छी नौकरी पाना, दफ्तरों की राजनीति का शिकार न बनना, अपने घर और दफ्तर की जिम्मेदारियाँ अच्छी तरह निभाना ये किसी अग्निपरीक्षा से कम है ?

हर हाल में पति का साथ देने को उत्सुक सीता के चरित्र की यह विशेषता थी । डॉक्टर मनीषा देशपाण्डे के अनुसार सीता का उदाहरण पतिव्रताओं में सर्वोपरि है । इसमें सन्देह नहीं कि वह कठिनाई के समय में पति का मनोबल बढाने, विवाह के समय लिए गये वचनों को निभाने उनकी सहचारी बन उनके साथ वनों को गईं ।

जब मैं सीता के बारे में सोचती हूँ तो एक बात मेरे दिमाग में आती है वह है हमारी सामाजिक परिस्थितियों मे रामराज्य से अब तक का बदलाव, उस समय की नारी को पतिव्रता और कर्तव्य परायण जरूर होना चाहिए था । सीता इन गुणो पर खरी उतरती थीं । वह एक सुपर बूमैन थी ।

फिर भी सीता की पहचान अपने पति व बच्चों के कारण थी जैसे राम की पत्नी, लवकुश की मां । उनकी पूरी जिंदगी उनके परिवार के इर्द- ही सीमित रह गई, वह समाज की अपेक्षाओं को पूरा करती रही । सीता के चरित्र की । बातें मैं पसंद करती हूँ जैसे पति को ‘सपोर्ट’ करना । वह दृढ चरित्र की महिला थी ।

आज नारी होने के नाते मैं महसूस करती हूँ कि एक व्यक्ति के रूप में मेरी अपनी पहचान होना गयी है । मैं सिर्फ एक पत्नी, एक मां, एक बहन या बेटी के रोल तक सीमित नहीं रहना चाहती । समाज की सक्रिय सदस्य बनना चाहती हूँ ।

नैसर्गिक रूप से तो स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं ही । जिस आधुनिक लोकतात्रिक समाज मनुष्य अपने व्यक्तित्व की नयी ऊचाइयां छू रहा है, उसके निर्माण में भी स्त्री की भूमिका दूसरे र्जे की नहीं मानी जा सकती । हमारे अपने देश में भी, जब से देश के आधुनिक राष्ट्र में परिवर्तित की प्रक्रिया आरंभ होती है, तभी से हम स्त्रियों को सामाजिक, राजनीतिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भूमिका निभाते पाते है ।

यह और बात है कि जब इन प्रक्रियाओ को इतिहास या राष्ट्रीय ‘माइथालॉजी’ झा रूप दिया जाता है, तब स्त्रियो को केवल ‘पुरुष की प्रेरणा’ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है या फिर अधिक से अधिक ऐसी वीरांगनाओं के रूप में, जिन्हें परिस्थितियां पराक्रम के लिए बाध्य कर देती हैं ।

सामाजिक-राजनीतिक विवेक और इतिहास बोध पर भी स्त्री का कोई दावा हो सकता है, यह आम तौर से राष्ट्रीय वृत्तांतों में स्वीकार नहीं किया जाता । भारत के पहले स्वाधीनता-संग्राम 1857 के दो उदाहरणों से यह बात समझी जा सकती है महारानी लक्ष्मीबाई कुशल प्रशासक और नेता थीं, लेकिन उनकी मुख्य छवि हमारा राष्ट्रीय वृत्तांत एक युद्धरत वीरांगना का ही बनाता हे ।

अवध की बेगम हजरतमहल के बारे में तो हम सिवा इसके कुछ याद नहीं करते कि वह भी 1857 के नेताओं में से एक थीं, जबकि बेगम हजरतमहल वह व्यक्ति थीं, जिन्होंने विक्टोरिया की ‘गदर’ के बाद जारी की गयी घोषणा का प्रतिवाद विद्रोही पक्ष की ओर से जारी किया था ।

लक्ष्मीबाई हो या हजरतमहल, मोतीबाई हों या अलकाजी-ये स्त्रिया अपवाद नहीं थी, बल्कि उस दौर की: सामान्य राजनीतिक चेतना से ही इंनके व्यक्तित्व परिभाषित होते थे । 1857-58 के दमन के बाद राजनीतिक चेतंना का जो उभार आया, उसका सामाजिक आधार नये विकसित हो रहे मध्य वर्ग में था ।

इस उभार में, एक लंबे अरसे तक स्त्री की स्थिति प्रतीकात्मक बनी रही । इस बात को अच्छी तरह समझने की जरूरत है । जिस विद्रोह (1857) की जडें परंपरा में थीं, उसमें स्त्री की साझेदारी लगभग बराबरी की थी और जिस ‘विद्रोह’ का सामाजिक आधार अंग्रेजीदा भद्रलोक में था, उनमे स्त्री की हैसियत प प्रेरणा और प्रतीक की थी ।

यह इस बात का एक और प्रमाण है कि भारतीय समाज में प्रगति और जड़ता का द्वंद परंपरा बनाम आधुनिकता के द्वंद्व का पर्यायवाची नहीं है । परपरा में निहित जड़ता, प्रगतिहीनता और अमानवीयता के पहलू तो अपनी जगह है ही, लेकिन आहदुनिकता में भी सब कुछ गतिशील-प्रगतिशील हो, ऐसा नहीं है ।

उल्टे, हमारे समाज में आयी आधुनिकता के सामाजिक आधार और उसके बौद्धिक स्त्रोतों की बदौलत उस आधुनिकता का दक्षिणपंथी, प्रतिक्रियावादी पहलू उसके प्रगतिशील पहलू से कहीं अधिक प्रचण्ड है । जातिवाद विरोध के नाम पर सवर्ण जातिवाद की बेशर्म वकालत हो या सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर फासिस्ट मिजाज की चट्‌टानी सवेदनहीनता-ऐसी तमाम समाज-तोडक और पीछे देखूं प्रवृत्तियों का सामाजिक आधार और बौद्धिक तेज हमारे परम आधुनिक भद्रलोक द्वारा ही सप्लाई किया जाता है ।

भारतीय आधुनिकता की उपरोक्त तीखी आलोचना की तार्किक परिणति यह नहीं है कि आप भारत व्याकुलता के मरीज बनकर परंपरा का अंधाधुंध महिमामण्डन करने लगें । पक्ष और प्रतिपक्ष के रूप में परंपरा और आधुनिकता को नहीं, बल्कि प्रगति और जडता, मुक्ति और बंधन को देखना चाहिए ।

तभी समाज में वह आलोचनात्मक विवेक उत्पन्न होगा, जो हमारे व्यक्तिगत और समाजगत कार्यकर्ताओं की नैतिक कसौटी का काम कर सके । इस पृष्ठभूमि के साथ हम यह कडवी सच्चाई याद करे कि पारंपरिक हो या आधुनिक, संसार की सभी सभ्यताएं स्त्री की दृष्टि से ओछी प्रतीत होती हैं और पाखडी भी ।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते’ के दावेदार हों या स्त्री को गुलामी से आजाद कर शरीके हयात बनाने के दावेदार अपनी आत्मा में झाक कर देखें तो समझ जाएंगे कि स्त्री को ‘देवी’ बनाने के सभी प्रोजेक्ट असल में उसे व्यक्तित्व से वंचित करने के प्रोजेक्ट हैं ।

स्त्री की आत्म सजगता का आरंभ ही इस देवी मार्का छल से मुक्त होकर व्यक्तित्व तलाशने की बेचैनी से होता है । किसी आत्म सजगता की कोशिशों की रेखाएं आधुनिक सभ्यता में तो हैं ही, पारंपरिक सभ्यताओं में भी हैं ।

ऐसी कोशिशों की तार्किक परिणति होनी चाहिए, सामाजिक-राजनीतिक सत्तातंत्र में स्त्री व्यक्तित्व की बराबर की हैसियत एक सहज, स्वाभाविक अधिकार के रूप में किसी की कृपा के रूप में नहीं । आजादी के आंदोलन को जब गांधीजी ने मध्यवर्ग के चंगुल से मुक्त कराके आम जनता का आदोलन बनाया तो उन्होंने उसमें स्त्रियों की हिस्सेदारी को भी प्रतीकात्मक की बजाय वास्तविक बनाने पर खास ध्यान दिया ।

विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से लेकर सिविल नाफरमानी तक के कार्यक्रमों मे स्त्रियो की सक्रिय हिस्सेदारी गांधीजी की नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता के साथ उनकी गहरी सामाजिक अतर्दृष्टि को भी प्रमाणित करती है । इस तरह की हिस्सेदारी ने न केवल स्त्रियो के व्यक्तित्व के सघर्ष को धार दी, बल्कि स्वाधीनता आदोलन को राजनीतिक क्षेत्र से बाहर ? लाकर सामाजिक, सांस्कृतिक चुनौतियों से भी जोड दिया ।

इस स्थिति का अपेक्षित नैतिक प्रभाव होना तो यह चाहिए था कि बिना किसी बाध्यकारी व्यवस्था के स्त्रियों और समाज के दूसरे उत्पीडित तबकों को उनकी वाजिव हैसियत हासिल हो जाती । लेकिन चीजें अगर सिर्फ नैतिक बल और हृदय परिवर्तन से ही संभव होतीं तो राज्यसत्ता की, किसी भी तरह के अनुशासन की या आदोलन की जरूरत ही क्या थी ?

स्वयं गांधीजी की ही एक हिन्दू राष्ट्रवादी द्वारा हत्या की जरूरत क्या थी’ नैतिक प्रभाव को व्यावहारिक बनाने के लिए भी शक्ति जरूरी है और नैतिक प्रभाव को रोकने के लिए भी कुछ लोग शक्ति का सहारा लेते हैं-जैसे गोडसे ने लिया । इसीलिए स्त्री के सबलीकरण और लैंगिक न्याय की प्रक्रियाएं केवल सदाशयता के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकतीं ।

विद्यमान आधुनिक भारतीय समाज में स्थितियों एवं परिस्थितियाँ परिवर्तित हो चुकी हैं । प्राचीन से मध्यकाल तक यद्यपि भारतीय नारी ने समाज को सुदृढता प्रदान की किन्तु फिर भी उस समय वह शोषण एव अत्याचारों से मुक्त नहीं हुई थी । शायद उसकी नियति ही यही है ।

आज हम नारी जागृति, नारी सम्मान की बात करते हें । बडे अधिकारी, नेतागण, अन्य सभी बुद्धिजीवी लोग सभाओं, गोष्ठियों एवं मैचों पर नारी के समान अधिकार, महिला उत्पीडन के मुद्‌दों पर लच्छेदार भाषण झाडते हैं, लेकिन इस पुरुष प्रधान समाज का नारी के प्रति वास्तविक नजरिया कुछ और ही होता है ।

हमारे देश में जहां महिला प्रधानमंत्री रह चुकी हों, जहा की लड्‌कियां माउंट एवरेस्ट पर विजय पा चुकी हो, वहां महिला और पुरुष के बीच का विरोधाभास और भी निंदनीय है । इस देश में हमेशा स्त्री को मां, बहन या फिर बेटी के रूप में देखा गया है, फिर भी इतिहास गवाह हे कि पारम्परिक और सामाजिक दृष्टिकोण से स्त्रियों की हमेशा उपेक्षा की गयी है ।

मानव समाज की सबसे पुरानी और सबसे व्यापक गलतियों में से एक मुख्य गलती यह है कि आज तक भारतीय नारी के साथ समानता व न्याय का व्यवहार नहीं हुआ है । भारतीय संविधान निर्माताओ ने संविधान के विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का निश्चय किया कि सभी को सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक न्याय प्राप्त हो सके, ताकि प्रत्येक भारतवासी को स्वतंत्रता के साथ-साथ अवसर की समानता का आनन्द भी मिल सके ।

इसलिए भारत के संविधान की उद्‌देशिका, मूल अधिकारी तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्वो में ऐसे प्रावधान किए गये जिसमें महिलाओं, अल्पसख्यको और समाज के निर्बल वर्गों को आगे आने का अवसर मिल सके, ताकि वे भी देश की मुख्यधारा से जुड़ सकें ।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तथा अनेक यातनाएं एवं अत्याचार सहे थे । इसलिएं संविधान निर्माताओं ने यह जरूरी समझा कि राष्ट्र को मजबूत, संगठित एवं प्रगतिशील बनाने के लिए महिलाओ, युवतियों एवं बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण एवं उन्नति के लिए विशेष व्यवस्था की जाए, ताकि उनका पिछड़ापन समाप्त हो सके ।

सौभाग्यवश, राजनीतिक क्षेत्र में एक व्यक्ति एक वोट के आधार पर समाज के प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी जाति, संप्रदाय, लिग अथवा धर्म से संबंधित हो, को समानता का अवसर प्रदान किया गया है । प्रजातत्र एवं गणतंत्र में सरकार अथवा शासक बदलने में वास्तविक शासक अर्थात् मतदाता का कितना महत्व है यह समय-समय पर सरकारें बदलकर प्रस्तुत किया गया है ।

महिलाओं को मताधिकार एवं सरकार में भागीदारी का अधिकार अनेक देशों विशेषकार इस्लामिक देशों की महिलाओं से पहले प्राप्त ध्या । केवल सामाजिक समानता के क्षेत्र में महिलाओ और बालिकाओं को आवश्यक, पर्याप्त एवं प्रभावी समानता प्राप्त नहीं हो सकी है ।

दूसरी ओर महिलाओं के विरुद्ध अत्युाचार एवं अपराधों में निरंतर वृद्धि हो रही है, जोकि चिंता का विषय है । यह स्थिति तब और शोचनीय हो जाती है जब संविधान के भाग तीन में उल्लिखित मूल अधिकारों में यह स्पष्ट व्यवस्था है कि समानता के अधिकार के अंतर्गत भारतवर्ष में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष संरक्षण से वंचित नहीं करेगा ।

(अनुच्छेद- 14) तथा राज्य किसी भारतीय नागरिक के विरुद्ध केवल लिंग के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा (अनुच्छेद- 15) । इसी अनुच्छेद के भाग 3 में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को स्त्रियो और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से नहीं रोकेगी ।

आज जरूरत है नारी को समय की मुख्यधारा से जोडने की । आज भी नारी ममतामयी है त्यागमयी है । नारी त्याग और साधना के बलबूते पर समाज के प्रत्येक पहलू से जुड़ी है । वह पढी-लिखी है । आत्मनिर्भर है, अपने अधिकारी एवं कर्तव्यों के प्रति सचेत है, संघर्षरत है । यद्यपि नारी शिक्षा से आज कामकाजी महिलाओं की संख्या मे वृद्धि हुई है । हमारे समाज में उसकी निःस्वार्थ सेवा हर क्षेत्र में है ।

तथापि वह नौकरी पेशा न होकर गृहणी होते हुये भी घरेलू दायित्वों का निर्वाह निष्ठापूर्वक करती है । किन्तु फिर भी उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है । कामकाजी महिलाएँ तो दोहरे स्तर पर पारिवारिक और सामाजिक शोषण की शिकार हैं ।

जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे भारतीय नारी के भी कदम आगे बढ़ रहे हैं । आज वह ‘देवी’ नहीं बनना चाहतीं, वह सही और सच्चे अर्थों में अच्छा इंसान बनना चाहती है । नैतिक मूल्यों और मानवीय मूल्यों को नकारा नहीं जा सकता । हमारे पारम्परिक चरित्र नैतिक मूल्यों की धरोहर हैं ।

पौराणिक चरित्रों के आदर्श हमारी जड़ें है । आज के संदर्भ में उपयुक्त लगने वाले उनके गुणों को तथा शाश्वत आदर्शो को हमें अपनाना चाहिए । आज की जुझारू महिला का व्यक्तित्व उसकी कार्यक्षमता में झलकता है और आज की संघर्षशील नारी को एक नहीं कई अग्निपरीक्षाएं देनी पडती हैं । सारी दुनिया में आज महिला दिवस मनाये जा रहे हैं ।

संसद में उनके हितों की रक्षा हेतु 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग की जा रही है । इससे आधी दुनिया कही जाने वाली महिलाओं की दशा में कोई परिवर्तन आएगा, इसकी तो कोई संभावना नहीं है मगर लोगों का ध्यान कुछ देर के लिए इस ओर अवश्य जाएगा क्योंकि इस अवसर पर पत्र- पत्रिकाओं में महिलाओं की समस्याओं से सम्बन्धित कुछ लेख भी छपेंगे और कुछ गोष्ठियों आदि के आयोजन भी होंगे ।

अब समय आ गया है कि महिलाओं को अधिकार देने तथा उन्हें लैंगिग भेदभाव से मुक्ति दिलाने के मार्ग मे आने वाली बाधाओं तथा अन्य खामियों पर भी विचार किया जाए । इस बात को समझा जाना चाहिए कि केवल साधनों की उपलब्धि तथा महिलाओं की उन तक पहुंच से ही वांछित लक्ष्यो की प्राप्ति नहीं हो पाएगी बल्कि इस सबके लिए जरूरी है कि लोगों की सोच में एक व्यापक परिवर्तन लाया जाए ।

विशेषकर पुरुषो की सोच में परिवर्तन की व्यापक रूप से आवश्यकता है । सोच में यह परिवर्तन केवल सरकारी योजनाओं तथा कानूनों से ही संभव नहीं हो सकता है । इस मामलें में तो जनता की व्यापक सहभागिता आवश्यक है । लोगों में जन जागरूकता आवश्यक है ।

पुरुषों को भी इस बात के लिए मनाना होगा कि वे अपने कुछ विशेषाधिकारों को त्यागें जिससे महिलाओं को लाभ प्राप्त हो सके । इस प्रक्रिया में गैर सरकारी संगठनों को भी बड़े पैमाने पर शामिल करना होगा । महिलाओ के अधिकारो तथा उनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए संघर्ष मेंउ केवल महिलाओं को ही लडाई नहीं लडनी है बल्कि पुरुषों को भी इसमें अपना योगदान करना होगा ।

विशेषज्ञों ने इस बात को पाया है कि महिलाओं की पराश्रयता, उनका शोषण तथा समाज की गतिविधियों में उनकी सीमित सहभागिता का कारण महिलाओं की अपनी अक्षमता अथवा इस क्षेत्र में आगे न बढने देने का पुरुषों का षडयंत्र नहीं है । हमारे देश में लैंगिक भेदभाव की प्रणाली तथा उसके कारण सामाजिक आचार-विचार ने ही महिलाओं के प्रति एक दुराग्रहर्ष्टा भावनाओ को बढावा दिया है ।

हमारा भारतीय समाज ऐसा है जिसमें लडके को ही प्राथमिकता दी जाती है । लडके को ही आगे वंश चलाने वाला तथा परिवार की विरासत आदि का उत्तराधिकारी माना जाता है । यह देखा गया है कि इस प्रकार की स्थितियों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को दोयम समझा जाता है ।

इसलिए जरूरी है कि अगर हमें स्थितियो में सुधार करना है तो हमें किसी भी ऐसे विकास कार्यक्रम में पुरुषो तथा महिलाओ को समान रूप से शामिल करना होगा हमे काफी कुछ बदलाव लाना होगा । उदाहरण के लिए हमें उन कुछ परम्परागत तथा धार्मिक् रीति-रिवाजी को बदलना होगा जोकि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले निचले स्तर पर रखते हैं । शुरू से ही हम लडकियों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे घर-गृहस्थी का काम सीखें जबटि लडकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने का हुनर सीखें ।

इसके परिणाम यह होता है कि जब कभी लडकियों के ऊपर परिवार के भरण-पोषण के लिए आजीविक् कमाने की जिम्मेदारी आती है तो वह कामकाज के लिए अपने आपको प्रशिक्षित नहीं पाती है या पर्याप्त कौशल पाने मे सक्षम नहीं होती हैं । इसका परिणाम यह होता है कि रोजगार के क्षेत्रों में शोषण का शिकार होती हैं ।

इसके अतिरिक्त हमारे समाज की अपनी कुछ रीतियां हैं, जोकि महिलाओं के प्रति भेदभाव को बढ़ाती हैं । इनमें दहेज प्रथा, लड़के के जन्म पर समारोह तथा लड़की के जन्म पर अप्रसन्नता व्यक्त करना, पुरुष द्वारा ही सामाजिक एवं धार्मिक कृत्य करना, पर्दा प्रथा, गर्भस्थ शिशुओं का लिंग परीक्षण तथा बालिका भूणों का गर्भपात, लडके के लिए इलाज तथा अन्य उपचार आदि नैतिकता व चरित्र के बारे मे महिलाओं और पुरुषों के प्रति दोहरे मानदण्ड, लड़कियों और महिलाओं के लिए अनेक सामाजिक वर्जनाएं तथा पुरुषों के लिए स्वच्छंदता आदि शामिल है ।

इसके अलावा महिलाओ से कई अन्य क्षेत्रों मे भी भेदभाव होता है, भले ही कानून इस प्रकार के भेदभाव को वर्जित करता है । रोजगार व सम्पत्ति के अधिकार में इस प्रकार का भेदभाव स्पष्ट दिखाई देता है । जहां तक पैतृक सम्पत्ति का मामला है पुरुष ही वहां सम्पत्ति का वारिस व नियंत्रणकर्ता होता है । इसी प्रकार रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर दिए जाने की बात कही जाती है लेकिन वास्तविकता यह है कि वहां भी उनसे भेदभाव होता है । ऐसे भी कई अवसर आते हैं जबकि उनका कई तरीकों से शोषण होता है ।

महिलाओं के हित में विधेयक लाना तथा सरकार द्वारा उनके विकास के लिए विभिन्न परियोजनाएं बनाने के लिए प्रयास उचित हैं, लेकिन जिस बात की सर्वाधिक आवश्यकता है वह यह है कि इसे एक सामाजिक आदोलन बनाया जाए । निःसंदेह सरकार इस बारे में एक जागरूकता तो उत्पन्न कर सकती है लेकिन इसके प्रति गतिशीलता की भावना तो जनता के मध्य से ही उठनी चाहिए ।

लेकिन इस बारे में दुख की बात यह है कि कुछ नहीं हो रहा है । विडम्बना यह है कि महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए अतीत में जिस प्रकार के समाज सुधार आदोलन हुए थे वैसे दोलन आज नहीं हो रहे हे । सरकारी कार्यक्रम अभी तक जनता को इस प्रकार के अभियानों में प्रेरित करके नई पहल कराने में विफल रहें हैं । समाज आप के प्रति निष्ठावान, उत्साही लोगों व संगठनो को इस दिशा में आगे बढ़ना होगा ।

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Nari Suraksha “नारी सुरक्षा ” Hindi Essay 350 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

नारी सुरक्षा, nari suraksha.

सृष्टि की जन्मदात्रों नारी आज अपनी संतान से ही स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही है। इक्कीसवीं शताब्दी में आज के यौन के भूखे युवकों को केवल वह यौन की भूख मिटाने का साधन दिखाई देती है। आज के समाज को केवल उसका विलासी रूप याद रह गया है। उसका जननी, बहन का रूप भूल गया है। हालत यह है कि देश में शायद ही कोई दिन जाता है जिस दिन वह बलात्कार की शिकार नहीं होती। यही नहीं, जुल्म की इतिहां तो यह है कि उससे सामहिक बलात्कार तक किया जाता है और फिर उसकी हत्या कर दी जाती है। वह न घर में महफूज है और न ही बाहर। न दफ्तर में और न बाजार में। नारी की सुरक्षा के लिए जो भी इंतजाम किए जाते हैं, वे बहुत कम होते हैं। बहुत-से नारी से किए गए अपराधों में अपराधी को सजा नहीं मिलती। अगर किसी नारी अपराधी को कड़ी सजा दी जाती है तो मानव अधि कार संगठन उसके बचाव में आकर खड़े हो जाते हैं। कितनी विडंबना है कि नारी से लूट-पाट भी की जाती है और उसकी अस्मत भी बरबाद की जाती है। बहुत-सी सरकारों ने नारी के साथ अपराध करने वालों के खिलाफ सख्त कानन बनाए हैं। पर वे संदेह का लाभ उठाकर साफ बरी हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित रोमियों को सबक सिखाने के लिए सख्त कानन बनाया है। मगर अब कुछ सत्ताधारियों ने ही ऐसे कानूनों के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। नारी के साथ होने वाले अपराधों की कई किस्में हैं। कहीं उसे दहेज न लाने पर जला दिया जाता है तो कहीं वह दहेज की मांग परी न होने पर घर में ही परिजनों से यौन शोषण का शिकार हो जाती है। कहीं उसे बहकाकर लूट लिया जाता है तो कहीं उसके गले से चैन न ली जाती है। ये अपराध तभी रुक सकते हैं जब इस तरह के अपराधियों पर न केवल मकदमे चलाए जाएँ बल्कि तेज अदालत में चलाए जाएँ। दोषी पाए जाने पर कम से कम उम्र कैद की व्यवस्था की जाए। तभी नारी के साथ होने वाले अपराध में कमी आएगी। अगर कठोर कानून नहीं बनाए गए तो निर्भयाकांड या रोहतक कांड होते ही रहेंगे।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

  • by Rohit Soni
  • 14 min read

इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध शेयर किया गया है। जो कि आपके परीक्षा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। Essay on Women Empowerment in Hindi प्रतियोगी परीक्षाओं में लिखने के लिए आता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध बहुत जरूरी है आपके लिए। इसके साथ ही देश की संमृद्धि के लिए भी महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

Table of Contents

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 300 शब्दों में – Short Essay On Mahila Sashaktikaran in Hindi

महिला सशक्तिकरण क्या है.

महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती हैं, और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती हैं। पुरुषों की तरह ही समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है?

महिला सशक्तिकरण आवश्यकता का मुख्य कारण महिलाओं की आर्थिक तथा सामाजिक स्थित में सुधार लाना है। क्योंकि आज भी भारत में पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम महत्व दिया जाता है। उन्हें घर तक ही सीमित करके रखा जाता है। कम उम्र में विवाह और शिक्षा के अभाव से महिलाओं का विकाश नहीं हो पाता है। जिससे वे समाज में स्वयं को असुरक्षित और लाचार महसूस करती है। इसी वजह से महिलाओं का शोषण हो रहा है। महिला सशक्तिकरण जरूरी है, ताकि महिलाओं को भी रोजगार, शिक्षा , और आर्थिक तरक्की में बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। और महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सके और स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।

जहाँ वैदिक काल में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता था। वहीं वर्तमान के कुछ शतकों में समाज में नारी की स्थित बहुत ज्यादा दयनीय रही है। और महिलाओं को काफी प्रताड़ना झेलना पड़ा है। यहां तक की आज भी कई गांवों में कुरीतियों के चलते महिलाओं के केवल मनोरंजन समझा जाता है। और पुरुषों द्वारा उनके अधिकारों का हनन कर उनका शोषण किया जाता है। इसलिए आज वर्तमान के समय में महिला सशक्तिकरण एक अहम चर्चा का विषय बन चुका है। हालाँकि पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी भी पिछड़े हुए गांवों में सरकार को पहुंचकर लोगों को महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता लाने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरत है।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Women Empowerment in Hindi)

महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ी ताकत है जिससे देश और समाज को सकारात्मक तरीके से बदला जा सकता है। महिलाओं को समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपटना आता है। सही मायने में किसी देश या समाज का तभी विकाश होता है जब वहां की नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान दिया जाता है।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ – Meaning of women empowerment

नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है। अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व संभव हुआ है। फिर भी वर्तमान युग में एक नारी इस पुरुष समाज में स्वयं को असुरक्षित और असहाय महसूस करती है। अतः महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार, आर्थिक विकाश के समान अधिकार मिल सके, जिससे वह सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता और खुद को सुरक्षित प्राप्त कर सके।

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास को बढ़ाना हैं। महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि वे सृजन कर्ता होती हैं। अगर उन्हें सशक्त कर दिया जाए, उन्हें शक्तिशाली बनाएं और प्रोत्साहित करें, तो इससे राष्ट्र का विकाश सुनिश्चित होता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके अधिकारों को उनसे अवगत कराना तथा सभी क्षेत्र में समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण का प्रमुख उद्देश्य है।

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है?

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान हैं। क्योंकि बिना शिक्षा के महिलाओं की प्रगति में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव नही है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता लाना आसान है और आयी भी है, वे अपने बारे में सोचने की क्षमता रखने लगी है, उन्होंने अब महसूस किया है कि घर से बाहर भी उनका जीवन है। महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ तथा उनके व्यक्तित्व में निखार आया है। इसीलिए सरकार द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना चलाई गई है। ताकि घर-घर बेटियों को शिक्षा दी जा सके।

महिला सशक्तिकरण के उपाय

महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शासन की तरफ से चलाई गई हैं जिससे नारी जाति के उत्थान में मदद मिली है। और भारत में महिलाओं को एक अलग पहचान प्रदान करती है। महिला सशक्तिकरण के उपाय के लिए चल रही योजनाओं के नाम निम्नलिखित हैं –

  • सुकन्या समृध्दि योजना
  • बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  • प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
  • वन स्टॉप सेंटर
  • लाड़ली लक्ष्मी योजना
  • फ्री सिलाई मशीन योजना

एक स्त्री पुरुष की जननी होकर भी एक पुरुष से कमजोर महसूस करती है। क्योंकि उसका पिछले कई सदियों से शोषण किया जा रहा है। जिस कारण से एक नारी अपनी शक्ति और अधिकारों को भूल चुकी है। और अपने साथ हो रहे दुराचार को बर्दाश्त करती चली आ रही है। परन्तु वर्तमान युग महिला का युग है। अब उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए कई महिला सशक्तिकरण के उपाय भी किए जा रहे है। किन्तु अभी भी कुछ आदिवासी पिछड़े गांवों में कई सारी कुरीतियां या शिक्षा की कमी के कारण महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। अतः वहां तक पहुँच कर उन महिलाओं को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूक करना होगा।

>यह भी पढ़ें दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 1000 शब्दों में (Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi)

[ विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) महिलाओं का अतीत, (3) भारत में महिलाओं का सम्मान, (4) वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार, (5) महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, (6) शासन तथा समाज का दायित्व, (7) नारी जागरण की आवश्यकता, (8) उपसंहार ।]

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।”

प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ बड़ा अन्याय होता आ रहा है। उन्हें शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित किया गया जिससे महिलाओं का जो सामाजिक और आर्थिक विकाश होना चाहिए वह नहीं हो सका। समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम आका जाता है। और वे ज्यादातर अपने जीवन-यापन के लिए पुरुषों पर ही निर्भर रह गयी जिससे उन्हें न चाहते हुए भी पुरुषों का अत्याचार सहना पड़ रहा है। इसलिए महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक विकाश के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है।

महिलाओं का अतीत

वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। उन्हें देवी,  अर्द्धांगिनी,  लक्ष्मी माना जाता था। स्मृति काल में भी ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”   यह सम्मानित स्थान प्रदान किया गया था। तथा पौराणिक काल में नारी को शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती थी। परन्तु 11 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय होती गई। यह महिलाओं के लिए अंधकार युग था। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार उपयोग में लिए जाने तक ही सीमित रखा जाता था। विदेशी आक्रमण और शासकों की विलासिता पूर्ण प्रवृत्ति ने महिलाओं को उपभोग की वस्तु बना दिया था। और उसके कारण भारत के कुछ समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह पर रोक, अशिक्षा आदि सामाजिक कुरीतियां जिंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी।जिसने महिलाओं की स्थिति को बदतर बना दिया और उनके अधिकारों व स्वतंत्रता को उनसे छीन लिया।

भारत में महिलाओं का सम्मान

भारत में महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर योजनाएं निकाली गई हैं जिनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। जिसका असर यह है कि आज महिलाएं भी पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हो रही हैं। महिलाओं को बराबर की शिक्षा, रोजगार और उनके अधिकार को दिलाकर भारत में महिलाओं को सम्मानित किया गया है। अब महिलाएं घर की दीवारों तक ही सीमित नहीं रहीं हैं। हालांकि कुछ शतकों पहले भारत में महिलाओं की स्थित काफी दयनीय रही हैं किन्तु 21 वीं सदी महिला सदी है। अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दे रही हैं।

वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार

महिलाओं के उत्थान के लिए भारत में कई प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी अभी तक महिलाओं का उतना विकाश नहीं हो पा रहा है। भारत में 50 प्रतिशत की आबादी महिलाओं की है और कही न कहीं महिलाएं स्वयं को कमजोर और असहाय मानती है जिसके कारण से पुरुषों द्वारा उनके प्रति अनुदार व्यवहार किया जाता है। शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं अपने अधिकारों और शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। परिणाम स्वरूप उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। कई ऐसे गांव कस्बे हैं जहाँ अभी भी महिलाओं को शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है और कई प्रकार की कुरीतियों के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। और उन्हें देह-व्यापार करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में सरकार और समाज दोनों को इसके प्रति विचार करना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

जैसा कि भारत में 50 फीसदी की आबादी महिलाओं की है और जब तक इनका विकास नहीं होगा तो भारत कभी भी विकसित देश नहीं बन सकता है। देश के विकाश के लिए महिलाओं का विकाश होना जरूरी है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि प्राचीन काल के अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी है। और जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान बहुत कम हो गया था। वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो रही है।

शासन तथा समाज का दायित्व

महिलाओं के विकाश के लिए शासन तथा समाज का दायित्व है कि इसके लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास किए जाएं ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सके, और परिवार व समाज में सुरक्षित तरीके से रह सकें। तथा पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करें।

शासन द्वारा महिला सशक्तीकरण से संबंधित कुछ प्रमुख सरकारी योजनाएँ

  • सुकन्या समृद्धि योजना

नारी जागरण की आवश्यकता

यह समाज पुरुष प्रधान है और हमेशा से ही महिलाओं को पुरुषों से नीचे रखा गया है। परन्तु नारी की अपनी एक गरिमा है। वह पुरुष की जननी है नारी स्नेह और सौजन्य की देवी है। किसी राष्ट्र का उत्थान नारी जाति से ही होता है। और वर्तमान समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए नारी जागरण की आवश्यकता महसूस हो रही है। समाज के बेहतर निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार दिए जाए तभी एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा। इसके लिए नारी को अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आना होगा।

वैदिक काल, और प्राचीन काल में महिलाओं को पूजा जाता था उन्हें पुरुषों से भी ऊँचा दर्जा प्रदान किया गया था। किन्तु मध्यकाल में नारी जाति का अत्यधिक शोषण हुआ है जिस कारण से महिलाओं का विकाश बहुत कम हो पाया है। उन्हें घर के अंदर तक ही बंधन में रखा जाता है बाहर निकल कर रोजगार करने में प्रतिबंध लगाया जाता है। और यदि बाहर निकलने की छूट भी मिलती है तो समाज के अराजक तत्वों से उन्हें कई तरह से खतरा बना रहता है। अतः उनके उत्थान के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। महिलाओं को उचित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों को पहचान सकें और अपने ऊपर हो रहें अत्याचार का विरोध कर सकें। तथा अपने जीवन के अहम फैसले स्वयं लेने के लिए हमेशा स्वतंत्र रहें।

  • रिश्तों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में जानें

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

  • महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना।
  • हमारे देश में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
  • महिला सशक्तिकरण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या सम्बृध्दि योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना आदि शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के तहत मुहिम चलाई जा रही है।
  • बेटी व महिलाओं को पुरुष समाज में बराबरी के अधिकार दिलाने के लिए उनमें जागरूकता लाना आवश्यक है।
  • बेहतर समाज के निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार व सम्मान प्रदान करना उतना ही जरूरी है, जितना की जीवन के लिए भोजन जरूरी है।
  • 21 वीं सदी महिला सदी माना जाता है, अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का बखूबी परिचय दे रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण से ही संभव है।
  • वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं।
  • महिलाओं को अपने अधिकार, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए स्वयं आगे आना होगा।
  • महिलाओं के उत्थान के लिए समाज और शासन को अधिक से अधिक उपाय करना चाहिए।

यह निबंध महिला सशक्तिकरण के बारे में है। जिसका शीर्षक इस प्रकार से है “ महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में ” अथवा “ Essay on Women Empowerment in Hindi ” यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी है अतः आपको Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi 1000 शब्दों में लिखना जरूर से आना चाहिए।

FAQ Mahila Sashaktikaran Essay

Q: महिला सशक्तिकरण कब शुरू हुआ था.

Ans: महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।

Q: महिला सशक्तिकरण कब लागू हुआ था?

Ans: राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।

Q: समाज में महिलाओं की क्या भूमिका है?

Ans: समाज में महिलाओं की अहम भूमिका है क्योंकि नारी ही परिवार बनाती है, परिवार से घर बनता है, घर से समाज बनता है और फिर समाज ही देश बनाता है। इसलिए महिला का योगदान हर जगह है। और महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।

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3 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi”

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धन्यवाद भाई 💖

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नारी शिक्षा पर निबंध – Nari Shiksha Essay

Nari Shiksha Essay in Hindi

आज महिलाओं की शिक्षा और सुरक्षा का खास ध्यान दिया जा रहा है। वहीं आज महिलाओं की साक्षरता दर भी पिछले सालों की तुलना में काफी सुधर गई है, जहां पहले महिलाओं को घर की रसोई तक ही सीमित रखा जाता था, और उनको शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाहर नहीं जाने दिया जाता था।

वहीं अब महिलाओं को शिक्षित करने के लिए हमारे समाज के लोगों की सोच विकसित हो रही है, और महिलाओं की शिक्षा अब एक राजनीतिक और सामाजिक मुख्य मुद्दा बन चुका है।

महिलाओं को शिक्षित करने की दिशा में कदम उठाना महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देना है। लोगों को नारी शिक्षा के लिए जागरूक करने और इसके महत्व को समझऩे के लिए आजकल स्कूलों में नारी शिक्षा पर निबंध भी लिखवाए जाते हैं।

इसी कड़ी में आज हम आपको नारी शिक्षा से संबंधित अलग-अलग शब्द सीमा के निबंध अपने इस लेख में उपलब्ध करवाएं, जिनका आप अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

नारी शिक्षा पर निबंध – Nari Shiksha Essay

Nari Shiksha Essay

नारी शिक्षा पर निबंध नंबर 1 (550 शब्द)- Eassy on Women Education (550 Word)

महिलाओं को शिक्षित करने से न सिर्फ एक सभ्य परिवार का निर्माण होता है बल्कि एक सभ्य समाज का भी निर्माण होता है, और देश के विकास को गति मिलती है, इसलिए किसी ने कहा है कि –

”अगर एक आदमी को शिक्षित किया जाता हैं तब एक आदमी ही शिक्षित होता है लेकिन जब एक औरत को शिक्षित किया जाता है तब पीढ़ी शिक्षित होती है”

महिलाएं यानि की आधी आबादी का शिक्षित होना बेहद जरूरी है, तभी हमारा देश पूरी तरह से विकसित देश हो सकेगा। भारतीय समाज के आर्थिक सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए हर किसी को महिलाओं की शिक्षा पर महत्व देना चाहिए।

महिला शिक्षा का महत्व – Importance of Nari Shiksha

वैसे तो सभी के लिए शिक्षा का सामान रुप से महत्व है, लेकिन महिलाओं की शिक्षा, कई मायनों में बेहद महत्व रखती हैं, इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है।

  • शिक्षित महिला एक मां के रुप में न सिर्फ अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देती है, बल्कि एक शिक्षित महिला समाज के विकास में और राष्ट्र की उन्नति में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • शिक्षा से महिलाओं के अंदर बढ़ता है आत्मविश्वास और आत्मसम्मान
  • महिलाओं को शिक्षित करने से न सिर्फ उनका आत्मसम्मान बढ़ता है, बल्कि उनमें आत्मनिर्भर बनने का भाव भी पैदा होता है, जिससे उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • शिक्षा के माध्यम से ही महिलाओं को अपने सामर्थ्य को समझने का मौका मिलता है और वे अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर खुद को बेहतर साबित कर सकती है।
  • इसके साथ ही वे पुरुष प्रधान देश में भी पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं।

शिक्षा से महिला सशक्तिकरण को मिलता है बढ़ावा – Women Empowerment

शिक्षा से ही आज महिलाओं को स्थिति मजबूत हुई है, जिससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है।

एक शिक्षित महिला अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले खुद करने में सक्षम होती हैं, अर्थात एक शिक्षित महिला किसी भी तरह से पुरुषों पर निर्भर नहीं रहती हैं और अपने जिंदगी से जुड़े अहम फैसले खुद करती है।

शिक्षा से महिलाओं को आर्थिक रुप से मिलती है मजबूती

एक शिक्षित महलिाओं के लिए आज हर क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं, जहां वह नौकरी कर न सिर्फ पैसा कमा सकती हैं, बल्कि एक पुरुष की तरह अपने परिवार का खर्चा भी उठा सकती हैं।

महिलाओं के शिक्षित होने से घरेलू हिंसा के मामलों में भी कमी आयी है।

शिक्षित महिलाओं से परिवार को मिलती है मजबूती

एक शिक्षित महिला न सिर्फ अपने परिवार को सही तरीके से चलाती है बल्कि अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देती है और उनके आगे बढ़ने के लिए मार्ग प्रशक्त करती है जिससे परिवार की उन्नति होती है, वहीं कामकाजी महिला से आर्थिक रुप से भी परिवार मजबूत बनता है।

शिक्षित महिलाएं समाज के विकास में निभाती हैं महत्वपूर्ण भूमिका

एक शिक्षित महिला समाज के हर पहलू पर बारीकी से ध्यान देती है। इसके साथ ही सामाजिक स्थिरता से जुड़ी परेशानियों को ढूढंने में भी मदत करती हैं, जिससे समाज के विकास को बढ़ावा मिलता है।

वहीं महिलाओं के शिक्षित होने से माता-शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है और जीवन रक्षा दर, सामुदायिक उत्पादकता और स्कूली शिक्षा में बढ़ोतरी हुई है।

राष्ट्र की उन्नति के लिए भी महिलाओं की शिक्षा है बेहद जरूरी

शिक्षित महिलाएं आज इंजीनियरिंग,मेडिकल, टीचिंग, पर्यटन, मनोरंजन समेत तमाम क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं और आर्थिक रुप से मजबूत बन रही हैं। इसके साथ ही पुरुषों के बराबर ही किसी कंपनी के विकास में समान रुप से अपना सहयोग दे रही हैं, जिससे राष्ट्र की उन्नति हो रही है और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही हैं। इसलिए महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है।

अगले पेज पर और भी नारी शिक्षा पर निबंध…..

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नारी सुरक्षा पर निबंध

#निबंध : नारी सुरक्षा/ महिला सुरक्षा (1000 words) nari suraksha par nibandh.

प्रस्तावना : भारत में महिलाओ को देवी के समान माना जाता है। कुछ घरो में लोग लड़कियों के जन्म को देवी लक्ष्मी का रूप समझकर शुभ मानते है। आज महिलाएं घर और दफ्तर दोनों को अच्छे और संतुलित तरीके से चला रही है। पहले की तुलना में आज हर लड़की देश में शिक्षित हो रही है और हर क्षेत्र में किसी न किसी पद पर कार्य कर रही है। पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है। कहीं न कहीं आज नारी की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लग रहे है। इसका कारण है, नारियों पर आये दिन बढ़ते हुए अत्याचार और बलात्कार इत्यादि जैसे निंदनीय अपराध है। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार और कानून ने कई सख्त नियम बनाये है। फिर भी देश के कई स्थानों में महिलाओं का अपहरण और हत्या जैसे संगीन जुर्म के बारे में सुनने को मिल रहे है। अब समय आ गया है कि सरकार और समाज एकत्रित होकर हल निकाले ताकि महिलाएं महफूज़ रहे।

लड़कियां जब रात को दफ्तर से लौटती है, तो वह अकेले जाने से घबराती है। इसलिए आजकल दफ्तरों की तरफ से सुरक्षित कैब भेजे जाते है। सब जगहों पर यह सुविधा नहीं मिलती है, इसलिए आम तौर पर महिलाएं रात होने से पूर्व घर लौट आती है। सड़को पर कुछ मनचले लड़कियों को छेड़ते और बदतमीज़ी करते है। आजकल लड़कियां सतर्क हो गयी है, ऐसा होने पर वह पुलिस को खबर करती है और ऐसे मनचलो को जेल भी भेजती है।

कई जगहों पर लड़कियों को उनके बॉस बुरी नज़र से देखते है और उन्हें मानसिक उत्पीड़न जैसी चीज़ो को सहन करना पड़ता है। इसका अर्थ है लड़कियां कई जगहों पर सुरक्षित नहीं है। सोच को बदलने की ज़रूरत है। कुछ लोगो की ख़राब मानसिकता के कारण पूरे समाज को भुगतना पड़ता है।

आज भी कुछ जगहों में नारियों को दहेज़ प्रथा जैसी कुप्रथाओ के कारण अपने ससुराल के अत्याचार सहन करने पड़ते है। दहेज़ पाने के लिए कुछ लोग इतने हिंसक बन जाते है कि लड़कियों को जिन्दा जला देते है। सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाये है और दोषियों को सजा मिल रही है। मगर ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाना अनिवार्य हो गया है।

नारियों के सुरक्षित ना रहने की वजह है , विदेश संस्कृति और बॉलीवुड जगत के कुछ गाने और फिल्मो में दिखाए जाने वाले कुछ दृश्य। ऐसे चीज़ो से कुछ लोगो की मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उनकी सोच महिलाओं के प्रति गलत हो जाती है। फिल्मो को सिर्फ एक कहानी समझकर देखना चाहिए , मगर इसका प्रभाव लोगो की सोच पर पड़ता है। सिनेमा से समाज प्रभावित होता है। इसलिए फिल्म निर्माताओं को सोच समझकर फिल्में बनाने की ज़रूरत है , जिससे किसी पर बुरा असर ना पड़े। लड़कियों के सुरक्षा के लिए लड़कियों के हॉस्टल में कुछ नियम बनाये गए है। उन्हें शाम होने से पहले हॉस्टल वापस आना होता है। ऐसा इसलिए क्यों कि कॉलेज अथवा हॉस्टल प्रशासन को लड़कियों की सुरक्षा की देख रेख करनी होती है। नारी का सम्मान करने के लिए अच्छी मानसिकता और संगत की ज़रूरत होती है। पुरुषो को खासकर यह बात समझने की ज़रूरत है।

विदेशी संस्कृति का प्रचलन देश में काफी बढ़ गया है। लड़कियां अगर मॉडर्न और छोटे कपड़े पहनती है , तो बुरी मानसिकता वाले लोग उसे गलत नज़र से देखते है। किसी के बारे में सोच उसके कपड़ो से नहीं बनानी चाहिए। कुछ मनचले लोग अपनी घिनौने मानसिकता की वजह से ऐसा करते है।

हमेशा माता -पिता को अपने लड़को को नारी की इज़्ज़त करना बचपन से सिखाना चाहिए। महिलाएं घर की इज़्ज़त होती है। उनका सम्मान और रक्षा करना एक सच्चे नागरिक का कर्त्तव्य है। लोगो को समझना चाहिए अगर महिलाएं ना होती तो बच्चे भी ना होते और परिवार नहीं बनता। हम जो भी है , जिस मुकाम पर है उसके पीछे हमारी माँ का हाथ है। माँ , बहन इत्यादि सारे रिश्तो का सम्मान सिर्फ पुरुषो को करना चाहिए। सिर्फ कहने के लिए नहीं होने चाहिए।

गाँव के कुछ जगहों में महिलाओं पर दैनिक अत्याचार होते है। पति और सास -ससुर का बहु को मारना। उसको दहेज़ के लिए प्रताड़ित करना , यह सब शामिल है। वहां महिलाएं अपने ऊपर हो रहे जुल्मो के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाती है और सहती रहती है। यह बिलकुल गलत है। निर्भया बलात्कार केस ने सम्पूर्ण देश को हिलाकर रख दिया था और नारियों की सुरक्षा के विषय में सोचने पर मज़बूर कर दिया था। इकीसवीं शताब्दी में आकर भी देश में लड़कियां सुरक्षित नहीं है। आये दिन दर्दनाक घटनाओ को सुनकर , मानवता शर्मसार हो रही है।

जिस तरीके का आज माहौल है , आये दिन महिलाओं के अपहरण और बलात्कार के केस दर्ज हो रहे है। महिलाओं पर जुर्म थमने का नाम नहीं ले रहा है। महिलाओं को आत्म सुरक्षा करना सीख लेना चाहिए। आज कल लड़कियां बहुत कम उम्र से कराटे कक्षाओं में जा रही है। आज कल सरकार पहले की तुलना में काफी जागरूक हुयी है। पुलिस वाले भी रात होने पर निगरानी करते है , कि सब कुछ ठीक है या नहीं। लड़कियों के सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबर्स भी जारी किये गए है।

महिलाएं अगर किसी भी तरह की मुसीबत को अगर भांप लेती है तो तुरंत अपने परिजनों को सन्देश भेजकर उसकी जानकारी दे। महिलाओं को सचेत और सतर्क रहना चाहिए , जब वह बाहर सफर करती है। उन्हें अपने साथ सुरक्षा के लिए मिर्ची स्प्रे(pepper spray) रखना चाहिए। कोई भी मुश्किल हो , इसे विकल्प के तौर पर उपयोग कर सकती है। नारियों को कभी भी अपने आपको कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। किसी भी अनजान आदमी से महिलाओ को मदद नहीं लेनी चाहिए। ऐसे हालातो से अपने आपको दूर रखना महिलाओं का फ़र्ज़ है।

नारी सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। हम सब को मिलकर एक जुट होकर इस समस्या को हल करना होगा। कानून और पुलिस की मदद लेनी होगी। दोषियों और अपराधी लोग जो नारी पर जुल्म करते है , उन्हें सजा दिलवानी होगी। कानून को अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी होगी ताकि नारी के साथ कोई भी बदसलूकी करने से पहले हज़ार बार सोचे। महिलाओं को चुपचाप अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी।

  • नारी शक्ति पर निबंध
  • ना री शिक्षा का महत्व पर निबंध
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • आधुनिक नारी पर निबंध
  • नारी का सम्मान हिंदी निबंध
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
  • दहेज प्रथा: अभिशाप पर निबंध
  • माँ पर हिंदी निबंध
  • दहेज प्रथा एक गंभीर समस्या पर निबंध
  • महिला दिवस पर निबंध

#निबंध 2: नारी सुरक्षा पर निबंध (600 शब्द)

प्रस्तावना :- भारत देश एक परंपराओं का देश है जो अपनी परंपरा और संस्कृति को लेकर प्रसिद्ध है। जहां नारी को देवी का रूप मानकर उनका सम्मान किया जाता है। उसे लक्ष्मी का रूप माना गया है। आज की आधुनिक समाज में नारी को भी पुरुष के समक्ष माना गया है फिर भी आज की नारी की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए गए हैं, आज भी ऐसा लगता हे की नारी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है जो आज के विकसित भारत की समस्या के रूप में बन गई है।

भारत के बदलते युग के साथ-साथ नारी को लेकर सोच को भी काफी हद तक बदल गई है आज की नारी हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ चलकर काम कर रही है। शिक्षित होकर अपने जीवन में नई ऊँचाइयों को पा रही है, फिर भी वह अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है, आज के युग में नारी सुरक्षा एक बड़ी समस्या बन चुका है, नारी सुरक्षा के कानून और कायदे होते हुए भी उस पे अत्याचार होते रहते हैं, वह अत्याचार घरेलू हिंसा, सामाजिक संस्थानों पर नारी शोषण, दहेज़ को लेकर कई प्रकार से परेशान किया जाता है।

आज वह पढ़ लिख कर शिक्षित तो बन गई है मगर फिर भी अपने हक और अपनी स्वतंत्रता के लिए उसे कई बार लड़ना पड़ता है सरकार के नियम और कानून होते हुए भी पुरुष प्रधान देश में वह कई बार लाचार बन जाती है। आजकल तो नारी ना तो घर में सुरक्षित है ना ही बाहर सुरक्षित है ऐसे हालातों से नारी गुज़र रही है। उसपे बलात्कार जैसी घटनाएँ आए दिन बढ़ रही है देश के विकसित समाज के लिए यह घटनाएँ एक कलंक रूप में साबित हो रही है।

बलात्कार जैसी घटनाएँ देश और नारी दोनों के लिए एक सवाल रुक बन चुकी है। क्यों होती है ऐसी घटनाएँ ! क्यों नारी आज के जमाने में पूर्ण रूप में सुरक्षित रूप से नहीं रह पा रही है। आज की बदलती इस दौर में नारी का सुरक्षित रह पाना मुश्किल बन गया है। नारी आज घर से बाहर निकलने से डर रही है, आज के समय में बलात्कार जैसी घटनाएँ काफी हद तक बढ़ गई है, नारी आज किसी भी क्षेत्र में अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही है।

नारी को जो देश देवी के रूप में पूजा जाता था वहीं आज उसका चीर हरण कर रहा है। इसके पीछे का एक कारण इंटरनेट का दुरुपयोग भी माना जा रहा है। मोबाइल में सब कुछ देखने को मिल जाता है जिससे आज का युवा वर्ग सोचे समझे इसका अनुकरण भी कर लेता है।

जो आज के समाज और नारी दोनों के लिए ख़तरा रूप साबित हो रहा है उसके साथ साथ आज की फिल्में में दिखाई जाने वाली उत्तेजित दृश्य, सीरियल में भी आज देश आने वाले दृश्य भी बलात्कार जैसी वारदातों के लिए का रूप माना गया है।  इन सब से बचने के लिए किसी भी नारी को अपनी सुरक्षा के लिए खुद तैयार होना पड़ेगा। हर जगह साकार या परिवार साथ नहीं रह सकता इसलिए आज के जमाने में नारी को अपनी रक्षा के लिए खुद ही मजबूत होना पड़ेगा अपनी अपनी सुरक्षा के लिए मिर्ची स्प्रे, कराटे जैसी चीजों को सीख कर आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा।

उपसंहार :- आज के विकसित और बदलते भारत के साथ नारी अपनी सुरक्षा खुद ही कर सकें ऐसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए नारी को अपनी सुरक्षा को लेकर खुद ही तैयार होना पड़ेगा भारत सरकार नारी सुरक्षा को लेकर जागृत हे, और उसके लिए कड़े कानून और नियम के साथ-साथ सजा भी करता है।

#संबंधित :- Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी निबंध। 

  • महान व्यक्तियों पर निबंध
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8 thoughts on “नारी सुरक्षा पर निबंध”

Tanisha ji un orto ka kya jo apne pati or sasural walo pr jhuta cases kr deti h apni galtiya chhupane ke liye. Or lalach ke liye. Jiske karn ladke or uska privar samaj me jone layk bhi rahta.bhut sari orte kanoon ka durupyog kr rahi h. M bhi unme se hi ek presan admi hu. Meri koi nhi sunta. Sirf orto ki hi dlil suni jati h.

Kai woman apnai bacho ko dekh kr kuch action nhi leti hai ye soch ti hai esa krungi to mere bacho ka kya hoga mera ye manna hai aap action lo aapkai bachai aapkai saath khadai hai आज का समाज अच्छा नहीं है तो आप को खड़ा होना पड़ेगा😡😡😡😡😡😡 दिखाना पड़ेगा कि womans कम नहीं है

Hello ma’am apki bat sahi h ma’am me bahut paresan hu kya karu kuch samaj nai arah mar v nai sakti kyo ki mere 2bache h ek 2sal ka ladka ar ek 10mahine ki ladki mere sasural wale mujhe mansik ar sararik mujhe torture karte h Koi rasta nai h mere pas kyoki mene love marriage Kari h 2017march me meri shadi hui h ab 2bacche hone ke bad mere sat aesa horah h kisiko kuch kahu to sab a kahte h ki bardas karo isi me sabki bhalai h.

sbse acha tarika hai…ki ap koi Job kre or apne baccho ke liye court se appeal karke property ka 50% apne naam kraye or divorce lele… it’s better to separate than ruin your own nd your children’s life. Nd be happy…go ahead…

शादी लव हो या अरेंज्ड, आपको अपनी ज़िम्मेदारी और अधिकार दोनों समझना होगा। आपको अपने ओर बच्चों के लिए खड़ा होना होगा आप अकेली नहीं है, ज़रुरत पड़ने पर आप कानून एवं पुलिस की भी मदद ले सकती हैं। लेकिन पहले आप अपने सारे कानूनी अधिकार को जानिये और अपनी ज़िम्मेदारी समझिए। जानकारी होना और सही लोगों से सम्पर्क होना आपकी ताकत बनेगी।

Pr mam Aap aise अत्याचार भी तो नही सह सकते हो आपको खुद ही कुछ करना पड़ेगा Be Careful

Kasae Marae bhi do bachae hae please btayae mae kya karu sirf apnae pati sae pareshan hu

दहेज के लिए बहुत से महिलाओं को घर में सताया जा रहा है जिससे वह बोल नहीं पा रही है उसके लिए सवे होना चाहिए

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भारतीय नारी पर निबंध- Essay On Indian Women In Hindi

भारतीय नारी पर निबंध- Essay On Indian Women In Hindi : हमारे देश में महिलाओं की स्थिति, वुमेन सेफ्टी पर निबंध, भारत में महिलाओं की स्थिति व समाज में भूमिका पर निबंध भाषण को Class 1, Class 2, Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10 के स्टूडेंट्स के लिए भारतीय समाज में नारी की दशा पर निबंध भाषण या लेख लिखने को कहा जाता हैं.

वुमेन स्टेट्स इन इंडिया के लेख को 100, 200, 300, 400, 500 शब्दों में महिलाओं की स्थिति पर लेख, आर्टिकल के रूप में लिख सकते हैं.

प्राचीन भारत में नारी की स्थिति, वर्तमान में नारी की समाज में स्थिति  इत्यादि बिन्दुओं पर यह निबंध तैयार किया गया हैं.

भारतीय नारी पर निबंध Essay On Indian Women In Hindi

भारतीय नारी पर निबंध- Essay On Indian Women In Hindi

भारत देश में नारी को सम्मान देने की गौरवशाली परम्परा रही हैं. हमारी सांस्कृतिक धारणा हैं कि जिस परिवार में नारी के साथ अच्छा तथा सम्मानजनक व्यवहार होता हैं, उस पर देवता प्रसन्न रहते हैं.

वहां सुख शान्ति और सम्रद्धि होती हैं. अतः नारी को गृहलक्ष्मी कहा गया हैं जिस परिवार में नारी के साथ अच्छा व्यवहार नही होता हैं, वहां सुख शान्ति और सम्रद्धि का अभाव होता हैं तथा उस परिवार का विकास रुक जाता हैं.

सरस्वती के रूप में नारी समाज को शिक्षा प्रदान करती हैं. माता हर बालक की पहली शिक्षक हैं. वह बालकों में अच्छे गुणों का विकास करती हैं, नारी को शक्ति का प्रतीक माना गया हैं.

स्पष्ट हैं कि सांस्कृतिक परम्पराओं के अनुसार भारतीय समाज में नारी का सम्मानजनक स्थान रहा हैं. नारी ने अपने त्याग, प्रेरणा, क्षमा, सहिष्णुता, प्रेम और ममता से परिवार, समाज और राष्ट्र को समुन्नत किया हैं.

महिलाओं की स्थिति पर निबंध

प्राचीन कालीन भारतीय समाज और नारी- प्राचीन भारत में नारी की स्थिति सुखद थी. उस काल में महिलाएं सभी कार्यों में पुरुषों के समान बराबरी से भाग लेती थी. कोई कार्य लिंग के आधार पर बंटा हुआ नही था. स्त्री-पुरुष और बालक बालिकाओं का समान महत्व था.

उस काल में गार्गी, मैत्रेयी, लोपामुद्रा आदि उच्च शिक्षित महिलाओं का उल्लेख मिलता हैं, जो पुरुषों के साथ शास्त्रार्थ में भाग लेती थी. अनेक वैदिक ऋचाओं की रचना महिलाओं (ऋषिकाओं) द्वारा की गई.

महिलाएं राजकार्य एवं युद्धों में भाग लेती थी. राजतरंगिणी में उल्लेख हैं कि सुगंधा, दिददा और कोटा नामक महिलाओं ने बहुत समय तक कश्मीर में शासन किया था.

मध्यकाल में नारी की स्थिति

परवर्तीकाल में विशेषकर मध्यकाल में भारतीय नारी की पारम्परिक स्थिति में गिरावट आ गई थी. शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मामलों में बालक, बालिका के बिच अंतर किया जाने लगा.

बदली हुई परिस्थतियों में उसे शिक्षा से वंचित रहना पड़ा. उसे घरेलू कार्यों की जिम्मेदारियों तक सिमित कर घर की चारदीवारी में ही रहने को बाध्य किया गया.

बालविवाह, सतीप्रथा, पर्दाप्रथा, दहेज प्रथा जैसी अनेक कुप्रथाओं से उन्हें पीड़ित होना पड़ा. उसकी पुरुष पर निर्भरता बढ़ती गई. अनेक सामाजिक मान्यताओं के प्रभाव से महिलाओं की स्थति कमजोर हो गई.

इस काल में दुर्गावती, अहिल्याबाई और 19 वीं शताब्दी में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसी साहसी महिलाओं ने अपने राज्य का शासन संचालन करते हुए शत्रु से लोहा लिया. भक्तिमति मीराबाई ने जनमानस पर व्यापक प्रभाव डाला.

19 वीं शताब्दी के समाज सुधार और भारतीय नारी की दशा

19 वीं शताब्दी के समाज सुधारकों ने नारी की स्थिति के लिए अनेक प्रयास किए. राजा राममोहन राय ने सतीप्रथा के विरुद्ध कानूनी प्रतिबन्ध लगाया. ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने विधवा विवाह के समर्थन में जन जागृति पैदा की.

इनके संबंध में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने महिला शिक्षा के लिए उल्लेखनीय कार्य किए. महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले ने भी नारी उत्थान के लिए कार्य किया.

आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने भी प्रमुखता से भाग लिया. 20 वीं शताब्दी में महिला आंदोलन ने जोर पकड़ा, जिसने महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में एक बड़ी भूमिका निभाई. हालांकि इस क्षेत्र में अभी और अधिक प्रयासों की आवश्यकता हैं.

भारतीय नारी तब और अब पर निबंध | Bhartiya Nari Tab Aur Ab Essay In Hindi

प्रिय साथियों आपका स्वागत हैं, आज हम भारतीय नारी पर निबंध बता रहे हैं.  अब तक के इतिहास में नारी जीवन के त्रासदी भरे अंधकारमय युग व आधुनिक काल के स्वर्णकाल के बारें में तथ्यात्मक नारी तब और अब का निबंध यहाँ दिया गया हैं.

नारी की भूमिका

भारतीय संस्कृति की पावन परम्परा में नारी की सदैव से ही महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं. नारी प्रेम, दया, त्याग व श्रद्धा की प्रतिमूर्ति है और ये आदर्श मानव जीवन के उच्चतम आदर्श है.

किसी देश को अवनति अथवा उन्नति वहा के नारी समाज पर अवलम्बित होती हैं. जिस देश की नारी जागृत और शिक्षित होती है, वही देश संसार मे सबसे अधिक उन्नत माना जाता हैं.

भारतीय नारी का स्वरूप

भारतीय समाज में नारी का स्वरूप सम्माननीय रहा है, उसकी प्रतिष्ठा अर्धां गिनी के रूप में मान्य है। प्राचीन भारत मे सर्वत्र नारी का देवी रूप पूज्य था।

वैदिक काल मे नर-नारी के समान अधिकार एव समान आदर्श थे, परन्तु उत्तर-वैदिक काल मे नारी की सामाजिक स्थिति मे गिरावट आयी। मध्यकाल मे मुस्लिम जातियो के आगमन से भारतीय समाज मे कठोर प्रतिक्रिया हुई। उसके विषैले पूट नारी को ही पीने पड़े।

विधर्मियो की कुदृष्टि से कही कुल-मर्यादा को आच न लग जाए, अतः पर्दा प्रथा का जन्म हुआ; जौहर प्रथा, सती प्रथा का उद्भव हुआ। समाज में अनैतिकता, कुरीतियो, कुप्रथाओ और रूढ़ियों ने पैर जमा लिये। नारी की आजादी के सभी मार्ग बन्द किये गये हैं.।

वर्तमान युग में भारतीय नारी

उन्नीसवी शताब्दी मे ज्ञान-विज्ञान का प्रचार बढ़ा। भारतीय समाज सुधारको ने नारी की त्रासदी पर ध्यान दिया। उन्होने सबसे नारी की दशा में सुधार जरुरी बतलाया। स्त्री-शिक्षा का प्रचार प्रसार हुआ।

वर्तमान आधुनिक युग में हम नारी के दो रूप देखते हैं, एक तो वे नारियाँ हैं जो गाँवों में रहती हैं, अशिक्षित हैं व दूसरी शहरो में रहने वाली शिक्षित महिलाए है। गाँवों की नारियाँ शिक्षा के अभाव मे अभी भी सामाजिक कुरीतियो से ग्रस्त है।

शहरो की शिक्षित नारियों में मानसिक विकृति आ गयी है परिणाम स्वरूप तथाकथित शिक्षित नारी अपने अंगों के नग्न-प्रदर्शन को ही सभ्यता समझने लगी है पश्चिमी सभ्यता का अन्धानुकरण करने वाली आधुनिक नारी अपने प्राचीन रूप से बिल्कुल भिन्न हो गई है।

स्वतंत्र भारत में नारी की भूमिका

भारतीय नारी ने आजाद भारत में जो तरक्की की है, उससे देश का विकास हो रहा है अब  नारी पुरुष के समान राष्ट्रपति, मन्त्री, डॉक्टर, वकील, जज, शिक्षिका, प्रशासनिक अधिकारी आदि सभी पदों और सभी क्षेत्रों में नारियाँ आसानी से काम रही हैं।

सारे देश में नारी-शिक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। नारी सशक्तिकरण की अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, फिर भी नारी को वैदिक काल में जो सम्मान और प्रतिष्ठा व्याप्त थी, वह आधुनिक शालीन नारी को अभी तक नही मिली है।

आजाद भारत की नारी नितान्त पूर्ण आजादी चाहती है, पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण कर वह मोडर्न बनना चाहती है। इस तरह के आचरण से भारतीय नारी के ट्रेडिशनल आदर्शों की कमी हो रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों की नारी अभी भी कुरीतियों से फंसी हुई हैं। पिछड़े वर्ग के लोगों में स्त्री का शोषण-उत्पीड़न लगातार चल रहा है। इन सब बुराइयों को दूर करने में नारी की भूमिका अहम है।

हमारे देश में प्राचीन काल में नारी बड़ा महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था. मगर काल के घूमते चक्र में मध्यकाल आते आते नारी का स्थान दासी के समान हो गया.

तथा आजादी के बाद भारत की नारी ने अपने प्राचीन पद को पुनः प्राप्त की तथा अपने गौरव व आदर्शों को प्रतिष्ठापित किया. मर्यादा की स्वरूप रही भारतीय नारी से मर्यादित आचरण की आशा की जाती हैं.

भारतीय नारी कल और आज पर निबंध – Bhartiya Nari Aaj Aur Kal Essay In Hindi

नर और नारी जीवन रुपी रथ के दो पहिये हैं. एक के बिना दूसरे का काम नहीं चल सकता. अतः दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए. भारतीय महापुरुषों ने इसीलिए नारी की महिला का बखान किया हैं.

मनु कहते हैं जहाँ नारी का सम्मान होता हैं. वहां सभी देवता निवास करते हैं. स्वार्थी और अहंकारी पुरुषों ने नारी को अबला और पुरुष  की आज्ञा कारिणी  मानकर उनकी गरिमा को गिरा दिया. उसे अशिक्षा और पर्दे की दीवारों में कैद करके एक दासी जैसा जीवन बीताने के  लिए  बाध्य कर दिया.

बीते कल की नारी

हमारे देश में प्राचीन समय में नारी को समाज में पूरा सम्मान प्राप्त था. वैदिक कालीन नारियाँ सुशिक्षित और स्वाभिमानी होती थीं. कोई भी धार्मिक कार्य पत्नी के बिना सफल नहीं माना जाता था. धर्म, दर्शन, युद्ध क्षेत्र आदि सभी क्षेत्रों में नारियाँ पुरुषों से पीछे नहीं थी.

विदेशी और विधर्मी आक्रमणकारियों के आगमन के साथ ही भारतीय नारी का मान सम्मान घटता चला गया. वह अशिक्षा और पर्दे में कैद हो गई. उसके ऊपर तरह तरह के पहरे बिठा दिए गये. सैकड़ो वर्षों तक भारतीय नारी इस दुर्दशा को ढोती रही.

स्वतंत्र भारत की नारी ने स्वयं को पहचाना हैं. वह फिर से अपने पूर्व गौरव को पाने के लिए बैचेन हो उठी हैं. शिक्षा, व्यवस्था, विज्ञान, सैन्य सेवा, चिकित्सा, कला, राजनीति हर क्षेत्र में वह पुरुष के कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं. वह सरपंच है, जिला अध्यक्ष है मेयर है, मुख्यमंत्री है, प्रधानमंत्री है, राष्ट्रपति है,

लेकिन अभी भी यह सौभाग्य नगर निवासिनी नारी के ही हिस्से में दिखाई देता हैं. उसकी ग्रामवासिनी करोड़ो बहनें अभी भी अशिक्षा उपेक्षा और पुरुष के अत्याचार झेलने को विवश हैं.

एक ओर नारी के सशक्तिकरण की, उसे संसद और विधान सभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बाते हो रही हैं. तो दूसरी ओर पुरुष वर्ग उसे नाना प्रकार के पाखंडों और प्रलोभनों से छलने में लगा हुआ हैं.

भविष्य की नारी

भारतीय नारी का भविष्य उज्ज्वल हैं. वह स्वावलम्बी बनना चाहती हैं. अपना  स्वतंत्र  व्यक्तित्व   बनाना चाहती हैं. सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहती हैं.

ये सारे सपने तभी पूरे होंगे जब वह भावुकता के बजाय विवेक से काम लेगी. स्वतंत्रता को स्वच्छन्दता नहीं बनाएगी. पुरुषों की बराबरी की अंधी दौड़ में न पड़कर अपना कार्य क्षेत्र स्वयं निर्धारित करेगी.

उपसंहार – पुरुष और नारी के संतुलित सहयोग में ही दोनों की भलाई हैं. दोनों एक दूसरे को आदर दे. एक दूसरे को आगे बढ़ने में सहयोग करे.

  • महिला दिवस पर निबंध
  • स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका
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Women Safety in India Essay in Hindi – महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध

November 23, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Women Safety in India Essay in Hindi Language/ nari suraksha in hindi for students of all Classes in 200 and 800 words.

essay on nari suraksha in hindi language

Women Safety in India Essay in Hindi – महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध ( 200 words )

भारत में प्राचीन समय में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता था लेकिन आज के समय में उनसे दुरव्यवहार किया जाता है। हर रोज महिलाओं से होने वाले अत्याचार के किस्से सामने आ रहे हैं। पिछले दस सालों में बलात्कार के किस्से बढ़ गए है और पुरूष दारू आदि पीकर महिलाओं से अभद्र व्यवहार करते हैं जिसकी वजह से आज महिलाओं की सुरक्षा की जरूरत पड़ी है। महिलाओं को आत्म रक्षा के तौर तरीके सिखाए जाने चाहिए और उन्हें अत्याचार के खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिए।

महिलाएँ अगर आत्म रक्षा में किसी की हत्या भी करदे तो कानुन में वह भी क्षम्य है। महिलाएँ जिस भी टैक्सी में बैठे उन्हें उसकी गति और रास्ते पर ध्यान रखना चाहिए और टैक्सी का नंबर भी नोट करना चाहिए। महिलाओं को अपने पास मिर्ची का स्परे भी रखना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त से सख्त कानुन बनाए जाने चाहिए और उनसे अत्याचार करने वालों को सख्त सजा दी जानी चाहिए। महिलाओं को भी चाहिए कि वह भावनाओं में बह कर यूहीं किसी पर भी भरोसा न करें। उन्हें उनकी हिफाजत के लिए बनाए गए कानुन और नियमों की जानकारी रखनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर उनका प्रयोग करना चाहिए।

Women Safety in India Essay in Hindi – महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध ( 800 words )

भारत में महिलाओं की स्थिति हमेशा गंभीर चिंता का विषय रही है। पिछले कई शताब्दियों से, भारत की महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में समान दर्जा और अवसर नहीं दिए गए थे। भारतीय समाज की पितृसत्तात्मक प्रकृति, हालांकि महिलाओं के प्रति सम्मान देती है क्योंकि वे हमारी मां और बहनों हैं, ने बहुत ही आजादी के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा को बहुत प्रभावित किया है|

महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मुख्य कारणों में से एक मानसिकता है जो महिलाओं को पुरुषों के निम्नतम मानते हैं और केवल घर के रखरखाव, बच्चों की परवरिश और अपने पति को प्रसन्न करने और परिवार के अन्य सदस्यों की सेवा करने के महत्व को सीमित करती हैं।

यहां तक कि समाज के आधुनिकीकरण के आज के समय में, कई कामकाजी महिलाओं को अभी भी एक गृहिणी और एक कार्यशील महिला की दोहरी जिम्मेदारी को अपने पतियों से बहुत कम या कोई मदद के साथ कंधे पर भारी दबाव के अधीन रखा जाता है।

हाल में हुई घटना में एक 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्र को एक पॉश दिल्ली इलाके के पास एक चलती बस के अंदर 6 लोगों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसके पुरुष मित्र को लोहे की छड़ी से पीटा गया था और हमला करने के बाद नग्न बस को फेंक दिया गया है।

हालांकि यह क्रूरता का सबसे घृणित मामला था, लेकिन यह ध्यान देने योग्य विडंबना है कि ऐसी घटनाएं वास्तव में हमारे देश में दुर्लभ नहीं हैं। ऐसे कई ऐसे मामले हैं जहां हर रोज़ महिलाएं हैं (शिशुओं से लेकर पुराने महिलाओं तक, महानगरों में ऊपरी मध्यम वर्ग की महिलाओं को गांवों में दलित महिलाओं के लिए दलित महिलाओं के लिए … … सूची अंतहीन हो सकती है) उन लंपट पुरुषों द्वारा भयानक यौन उत्पीड़न के अधीन हैं ज्यादातर मामलों, पीड़ितों के लिए जाना जाता है भारत में पीड़ितों या यौन अपराधों के दोषी व्यक्तियों को सामान्य नहीं बनाया जा सकता है; वे समाज के सभी वर्गों और भारत के हर हिस्से से आते हैं और सभी आयु वर्गों से संबंधित हैं।

कड़े कानून बनाना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे मामलों में दोषी को सजा मिलती है, जो कि वे योग्य हैं और मौजूदा कानूनों के कमजोर प्रावधानों या कमियों के कारण आज़ादी से नहीं चलते हैं। लेकिन इस बात पर जोर देते हुए कि कड़े कानून भारत में पुरुष यौन संबंध को कम करने में सक्षम होंगे, यह उचित नहीं होगा।

पुलिस स्टेशनों में दर्ज यौन उत्पीड़न के मामलों के विपरीत, भारत में महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा है जो कि दैनिक आधार पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न के अन्य रूपों के अधीन होते हैं और फिर भी उनके मामलों का ध्यान नहीं जाता है।

ये महिलाएं दुर्भाग्यपूर्ण पत्नियां हैं जिन्हें अपने पतियों के साथ संभोग करना पड़ता है भले ही वे (गैर-सहानुभूति यौन संबंध नहीं बल्कि बलात्कार के अलावा कुछ भी) करना चाहते हैं। जब सेक्स की बात आती है, तो उनके पति के सामने उनके पास वास्तव में कोई कहे नहीं है, उन्हें अपने पति की जरूरतों और मांगों का पालन करना होगा।

ऐसी महिलाओं की एक अन्य श्रेणी जो अपनी इच्छाओं के खिलाफ यौन गतिविधियों में शामिल होने के लिए बाध्य होती हैं, भारत में सैकड़ों सेक्स वर्कर्स हैं, जो हर रोज कई पुरुष आते हैं और यहां तक कि उनके कई ग्राहकों द्वारा अत्याचार किया जाता है। वे ऐसा करने के लिए मजबूर होते हैं क्योंकि उनके ग्राहकों का कहना है कि उनके पास भारत के यौन-भूखे लोगों को अपने शरीर को बेचने के अलावा खुद को और उनके बच्चों को खिलाने का कोई अन्य साधन नहीं है।

अगर हम इन सभी महिलाओं के बारे में सोचते हैं और फिर सामूहिक रूप से महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों का परिदृश्य देखते हैं, तो यह आसानी से देखा जा सकता है कि कड़े कानून अकेले ही ज्यादा नहीं कर सकते हैं। वास्तव में क्या करने की जरूरत है शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से आम जनता के दिमागों का नैतिक स्तर बदलना।

सशक्त और कड़े कानून निश्चित रूप से जरूरी हैं क्योंकि मौजूदा कानूनों में तेजी से न्याय और अपराधी को उचित सजा सुनिश्चित करने में अक्षम साबित हुआ है। लेकिन इस समय की वास्तविक आवश्यकता भारतीय पुरुषों के दिमाग और विवेक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है ताकि वे महिलाओं को यौन सुख की वस्तुओं के रूप में देखना बंद कर दें।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Women Safety in India Essay in Hindi – महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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स्त्री शिक्षा का महत्व क्या है?

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  • Updated on  
  • नवम्बर 21, 2022

स्त्री शिक्षा का महत्व

प्राचीन काल से कई शासकों, योद्धा अर्थात पुरुष प्रधान समाज के कारण स्त्री शिक्षा का महत्व नहीं था किन्तु एक शताब्दी पहले राजा राममोहन रॉय और ईश्वरचंद विद्यासागर ने नारी शिक्षा का प्रचलन किया। इन्हें कई विरोध एवं हिंसा का सामना करना पड़ा परन्तु लोगों में स्त्री शिक्षा के महत्व को लेकर परिवर्तन आया। जैसे जैसे समय बढ़ता चला गया और नारी शिक्षा में बदलाव और विकास होने लगा। जिस प्रकार पुरुष को इस देश के प्रगति, विकास एवं उन्नति के लिए विद्या मिल रही है तो नारी भी इस देश की नागरिक है और उसे भी शिक्षा प्राप्ति का पूरा हक़ है। जब दोनों को संविधान में समान अधिकार मिला है तो शिक्षा के क्षेत्र में भी समान अधिकार हो। तो आइये पढ़तें हैं कि स्त्री शिक्षा का महत्व प्राचीनकाल से वर्तमान तक कैसा उतार-चढ़ाव रहा है।

The Blog Includes:

स्त्री शिक्षा का अर्थ, स्त्री शिक्षा का स्वरुप , स्त्री शिक्षा का महत्व, स्त्री शिक्षा का समाज पर प्रभाव, स्त्री शिक्षा के प्रति जागरूकता , स्त्री शिक्षा की आवश्यकता , स्त्री शिक्षा के महत्व पर कविता , सिखने सिखाने की क्रिया को शिक्षा कहते है। शिक्षा के ज़रिए मनुष्य के ज्ञान एवं कला कौशल में वृद्धि करके उसके अनुवांशिक गुणों को निखारा जा सकता है और उसके व्यवहार को अर्जित किया जा सकता है। शिक्षा व्यक्ति की बुद्धि, बल और विवेक को उत्कृष्ट बनाती है वहीं एक अशिक्षित व्यक्ति जानवर के समान है।प्राचीन काल में स्त्रियों को केवल घर और विवाहित जीवन गुजारने की सलाह दी जाती थी परन्तु समाज के विकास के साथ-साथ नारी शिक्षा को भी अलग आकर और पद प्राप्त हुआ है। पुरुषप्रधान समाज से ही स्त्री अपने काम का लोहा मनवा रही हैं। कहते हैं कि एक अशिक्षित नारी गृहस्थी की भी देखभाल अच्छे से नहीं कर सकती है।  .

एक कहावत है कि ‘एक पुरुष को शिक्षित करके हम सिर्फ एक ही व्यक्ति को शिक्षित कर सकते हैं लेकिन एक नारी को शिक्षित करके हम पूरे देश को शिक्षित कर सकते हैं’। किसी देश और समाज की तो छोड़िये हम अपने परिवार के उन्नति की कल्पना भी स्त्री शिक्षा के बिना नहीं कर सकते हैं। किसी भी लोकतंत्र की यह नींव है कि स्त्री और पुरुष को बराबर शिक्षा प्राप्त करने का हक़ हो। एक पढ़ी लिखी स्त्री ही समाज में ख़ुशी और शांति ला सकती है। कहते हैं कि बच्चे इस देश का भविष्य हैं और एक नारी ही माँ के रूप में उसके पहले शिक्षा का श्रोत है। इसी कारणवस एक स्त्री का शिक्षित होना बहुत ज़रूरी है। एक शिक्षित नारी ना केवल अपने गृह का बल्कि पूरे समाज को सही दिशा प्रदान करती है। हर एक स्त्री को अपनी इच्छानुसार शिक्षा ग्रहण करने का हक़ है और उस क्षेत्र में कार्य कर सकें जिनमे वह कुशल हैं। स्त्री शिक्षा का महत्व विभ्भिन तरीके से समाज के काम आता है जैसे कि –

स्त्री शिक्षा का महत्व

  • समाज के विकास और देश के आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए नारी का शिक्षित होना बहुत ज़रूरी है।       
  • स्त्री शिक्षा का बहिष्कार देश के हित के खिलाफ होगा। 
  • सर्व शिक्षा अभियान
  • इंदिरा महिला योजना
  • बालिका समृधि योजना
  • राष्ट्रीय महिला कोष
  • महिला समृधि योजना
  • दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961
  •  कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम 1984
  • महिलाओं का अशिष्ट रूपण ( प्रतिषेध) अधिनियम 1986
  • सती निषेध अधिनियम 1987
  • राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990, गर्भधारण पूर्वलिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम 1994
  • घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005

आज के युग में ऐसे लाखों उदहारण हैं जिनमें महिलाओं ने अपने काम और गौरव का लोहा मनवाया है – रानी लक्ष्मीभाई ,एनी बेसेंट,मदर टेरेसा,लता मंगेशकर,कल्पना चावला,पीवी सिंधु , आदि।

यह भी पढ़ें : महिला सशक्तिकरण पर निबंध

पुरुष और स्त्री इस समाज के एक सिक्के के दो पहलु हैं तो फिर शिक्षा भी एक समान प्राप्त होनी चाहिए। जिस तरह पुरुष का शैक्षिक जीवन इस समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है उसी प्रकार नारी शिक्षा भी देश के हित के लिए आवश्यक है। किसी भी तरह की नकारात्मक सोच इस समाज के विकास का रोड़ा बन सकती है। आज के इस युग में स्त्री पुरुषों से कंधे से कन्धा मिलाकर काम कर रही हैं। हर एक क्षेत्र में नारी आज कुशल है, वह घर की देखभाल के साथ साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अडिग है। 

शिक्षा के बिना संस्कार का कोई स्थान नहीं है और एक शिक्षित माँ ही संस्कार का उपचार है। संस्कृत में एक उक्ति प्रसिद्ध है-“नास्ति विद्यासमं चक्षुर्नास्ती मातृ समोगुरु” इसका मतलब है की इस दुनिया में विद्या के समान कोई क्षेत्र नही है और माता के समान कोइ गुरु नही है| देखा जाए तो कई जमाने से नारी के प्रति हमारा देश बढ़ा ही श्रद्धापूर्ण और सम्मानजनक रहा है परन्तु समय काल से शोषण नारी को क्षति पहुंचाता रहा है।स्त्री शिक्षा के महत्व ने ऐसी लड़ाइयों पर विजय पाई है। आजकल समाज के ये दोनों पहलु स्त्री शिक्षा के महत्व को समझकर एक विकसित देश की नींव दे रहे है।   

यह भी ज़रूर पढ़ें : निबंध लेखन

एक स्त्री शिक्षित होती है तो वह अपनी शिक्षा का उपयोग समाज और परिवार के हित के लिए करती है। एक शिक्षित स्त्री के कारण देश कि आर्थिक स्थिति और घरेलु उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है। एक शिक्षित नारी घरेलु हिंसा और अन्य अत्याचारों से सक्षमता से निजाद पा सकती है। संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि स्त्री शिक्षा का प्रभाव परिवार,समाज और देश के हर क्षेत्र में अहम योगदान देता है। देश के हर उच्च पद पर आज महिलाओं ने महत्वपूर्ण फ़र्ज़ निभाया है।  

अभी भी इस समाज में स्त्री को शिक्षा का समान दर्ज़ा दिलाने की जागरूकता है। कहीं न कहीं आज भी कुछ घरों में भेदभाव की प्रचलन है जिसके चलते सिर्फ लड़कों को ही शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति होती है। इस देश में महिला सशक्तिकरण को और मजबूत करने की ज़रूरत है। जब महिलाएं अपने अधिकारों से परिचित होंगी तभी वह सही कदम उठा पाएंगी। कई सामाजिक एवं राजनितिक संगठन और संस्थानों को स्त्री शिक्षा के महत्व के लिए इस समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है।    

एक स्त्री शिक्षा के बिना एक विकसित समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। स्त्री शिक्षा की आवश्यकता इस समाज और देश को कुछ यूँ है –

  • स्त्री शिक्षा से बौद्धिक विकास प्राप्त होगा जिससे समाज के व्यवहार में सरसता आएगी। 
  • मानसिक और नैतिक शक्ति के विकास में महिलाएं पुरूषों का सम्पूर्ण योगदान दे रही हैं। 
  • एक शिक्षित नारी गृहस्थ-जीवन में शांति और खुशहाली का स्रोत होती है।
  • स्त्री शिक्षा हमारे संस्कृति के ऊर्जा और विकास का संचार है। 
  • जब कभी नए समाज की स्थापना की जाती है तो शिक्षित महिलाएं एक बेहतर अकार और व्यवस्था प्रदान करती हैं।    

स्त्री शिक्षा का महत्व

नारी तेरे रूप अनेक, सभी युगों और कालों में है तेरी शक्ति का उल्लेख । ना पुरुषों के जैसी तू है ना पुरुषों से तू कम है।। स्नेह,प्रेम करुणा का सागर शक्ति और ममता का गागर । तुझमें सिमटे कितने गम है।। गर कथा तेरी रोचक है तो तेरी व्यथा से आंखे नम है। मिट-मिट हर बार संवरती है।। खुद की ही साख बचाने को हर बार तू खुद से लड़ती है। आंखों में जितनी शर्म लिए हर कार्य में उतनी ही दृढ़ता।। नारी का सम्मान करो ना आंकों उनकी क्षमता। खासतौर पर पुरुषों को क्यों बार बार कहना पड़ता।। हे नारी तुझे ना बतलाया कोई तुझको ना सिखलाया। पुरुषों को तूने जो मान दिया हालात कभी भी कैसे हों।। तुम पुरुषों का सम्मान करो नारी का धर्म बताकर ये । नारी का कर्म भी मान लिया औरत सृष्टि की जननी है ।। श्रृष्टि की तू ही निर्माता हर रूप में देखा है तुझको । हर युग की कथनी करनी है युगों युगों से नारी को ।। बलिदान बताकर रखा है तू कोमल है कमजोर नहीं । पर तेरा ही तुझ पर जोर नहीं तू अबला और नादान नहीं ।। कोई दबी हुई पहचान नहीं है तेरी अपनी अमिटछाप । अब कभी ना करना तू विलाप चुना है वर्ष का एक दिन ।। नारी को सम्मान दिलाने का अभियान चलाकर रखा है । बैनर और भाषण एक दिन का जलसा और तोहफा एक दिन का ।। हम शोर मचाकर बता रहे हम भीड़ जमाकर जता रहे । ये नारी तेरा एक दिन का सम्मान बचाकर रखा है ।। मैं नारी हूं है गर्व मुझे ना चाहिए कोई पर्व मुझे । संकल्प करो कुछ ऐसा कि अब सम्मान मिले हर नारी को, बंदिश और जुल्म से मुक्त हो वो अपनी वो खुद अधिकारी हो।। -प्रतिभा तिवारी  

भारत का बाकी देशों  से पीछे होने का कारण महिलाओं को शिक्षा न मिलना ही है। प्राचीनकाल से स्त्रियों पर अत्याचार और पाबंधियाँ बढ़ती रही हैं जिसका मुख्य कारण स्त्री शिक्षा को महत्व ना देना ही है।  

नारी शिक्षा परिवार में विनम्रता और सहनशीलता प्रदान करती है बल्कि समाज और देश में सामाजिक और आर्थिक मजबूती को सही दिशा देती है। सरकार को महिलाओं के विकास के लिए बेहतर विद्यालय और विश्वविद्यालयों का निर्माण कराना चाहिए ताकि स्त्री शिक्षा को मजबूती मिल सके। 

भारत में महिलाओं की स्थिति समय के हिसाब से बदलती रही है जिसमें अनेक उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। वैदिक युग में महिलाओं को शिक्षा का अधिकार प्राप्त था परन्तु तमाम अत्याचारों के कारण वे उससे वंछित रहती थी। परन्तु इस आधुनिक युग में स्त्री शिक्षा के महत्व को सही दिशा मिली है जिससे वह कई अत्याचारों से छुटकारा पा चुकी हैं। 

इसके अतिरिक्त अनैतिक व्यापार( निवारण) अधिनियम 1956, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम 1984, महिलाओं का अशिष्ट रूपण ( प्रतिषेध) अधिनियम 1986, सती निषेध अधिनियम 1987, राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990, गर्भधारण पूर्वलिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम 1994, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 जैसे आदि कदम सरकार द्वारा उठाए गए हैं। 

उम्मीद है कि स्त्री शिक्षा का महत्व आपको समझ आया होगा तथा आपकी परीक्षाओं में आप स्त्री शिक्षा के महत्व पर निबंध इस ब्लॉग की सहायता से ज़रूर लिख पाएंगे। यदि आप इसी तरह के ब्लॉग पढ़ने के लिए  Leverage Edu  की वेब साइट पर बनें रहें।

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नारी सुरक्षा पर निबंध Mahila suraksha essay in hindi

Mahila suraksha essay in hindi.

Mahila suraksha essay in hindi-दोस्तों आजकल हम चारो और देखते है की नारी पर अत्याचार काफी बढ चुके है इसलिए Nari suraksha की ओर हमें विशेषकर ध्यान देने की जरुरत है इसलिए हमने आज की पोस्ट लिखी है,आज की हमारी ये पोस्ट Mahila suraksha essay in hindi विशेष रूप से हम सभी के लिए है।

हम सब जानते है की आज की नारी सुरक्षित नहीं है,आज की नारी अगर घर से निकलती है तोह डर डरकर निकलती है,आखिर ऐसा क्यों? आज हम चारो तरफ देख रहे है की नारी कही पर भी सुरक्षित नहीं है,आखिर हमको ऐसा क्या करना चाहिए जिससे हमारे देश की नारी सुरक्षित हो जाए और हमारे देश एक नयी ऊचाइयो पर पहुच जाए.

Mahila suraksha essay in hindi

दोस्तों जैसे की मेने अपने पिछले article नारी पर अत्याचार में आप सभी को बताया था नारी अत्याचार के बारे में हमारी ये पोस्ट जरुर पढें-

  • नारी पर अत्याचार Nari Par Atyachar Essay in Hindi नारी सुरक्षा पर विशेष Mahila suraksha essay in hindi

आज हम विशेष रूप से नारी पर सुरक्षा के बारे में बात करेंगे,दोस्तोंआज की नारी बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है,चाहे वोह नारी ऑफिस में काम करने वाली हो,या घर में रहने वाली,या अपने पढाई के लिए घर से बहार रहने वाली नारी हो,मुझे कहते हुए भी लज्जा हो रही है की इनमे से कोई भी नारी सुरक्षित नहीं है,आखिर ऐसा क्यों?

आज हम देखे तोह ऑफिस में काम कर रहा बॉस नारी पर बुरी नजर डालता है,जो घर से बहार लडकिया पढाई के लिए रहती है,वोह भी सुरक्षित नहीं है,और तोह और हमारे घर में रहने वाली महिलाए तक सुरक्षित नहीं है,क्योकि कभी कभी तोह सुनने में आया है की रिश्तेदार ही नारी पर बुरी नजर डालते है,और कुछ लोग नारी पर अत्याचार करते है,उन्हें अपने चप्पल की जूती समझते है,और अपने आप को शेष्ठ समझते है,मेरा मानना है की ऐसे लोगो को माफ़ नहीं करना चाहिए बल्कि ऐसे लोगो को कड़ी से कड़ी सजा देना चाहिए.

आज हम देख रहे है की बहुत सी लडकिया जो हॉस्टल में रहती है,हॉस्टल में रहने वाले लडकियो पर कडा प्रबंध लगाते है,वोह हॉस्टल की लडकियों को शाम को बहार नहीं जाने देते या शाम को जल्दी घर पर आने के निर्देश देते है,लेकिन वही दूसरी और लडको के हॉस्टल में तोह ऐसे कोई ज्यादा कड़े प्रबंध नहीं होते।

हॉस्टल में जो होता है देखा जाए तोह सही होता है क्योकि वोह भी जानते है की नारी सुरक्षित नहीं है,अगर ये देर से वापिस आई या शाम को कही घूमने गयी तोह इसके साथ कुछ गलत हो सकता है,और ये सब हमारे ऊपर आ सकता है लेकिन जरा सोचिये की आखिर हॉस्टल वालो को ऐसा करने की जरुरत क्यों है क्योकि नारी बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है.

ज्यादातर लोग नारी को अपने से नीचा मानते है,वोह उनकी नहीं सुनते और किसी इन्सान ने तोह ये तक कहावत बना दी की “जूती और नारी हमेशा पेरो में अच्छे लगते है” ये तोह बिलकुल ही बुरा हो रहा है हमारे देश की नारी के साथ,हां में मानता हु की कुछ नारिया गलत हो सकती है लेकिन सबको गलत समझना और ऐसी गन्दी कहावत बनाना बिलकुल भी सही नहीं है,ये नारी जाति के लिए बहुत गलत है.

आज नारी सुरक्षित नहीं है तोह कई कारण है जैसे की-लोगो की गलत मानसिकता, bollywood की दुनिया और विदेशी संस्कृति।

जैसे की हमने पहले ही आपको बताया की जहा पर भी नारिया जाती है,वहां के लोग उन्हें गन्दी नजर से देखते है,क्योकि लोगो की मानसिकता गन्दी हो चुकी है,उसे सुधारना बहुत जरुरी है,और दूसरा कारण ये भी है की bollywood वाले आजकल ऐसी ऐसी फिल्मे बना रहे है की लोगो की मानसिकता गन्दी होती जा रही है.

आप सोचिये की अगर आपके घर में भगवान की पूजा की जाती है,रामायण,गीता जैसे पुराण पढें जाते है तोह बहुत ज्यादा चांस होते है की आपभी अपने परिवार की तरह ही बनेंगे क्योकि जैसी संगत बैसी रंगत,यानी आप जो भी देखते हो उसका आप पर असर होता है,इसी तरह जब हमारी युवा पीड़ी दिन रात bollywood की गन्दी फिल्मे देखती है तोह उन पर बहुत ज्यादा गलत असर पड़ता है,और वोह अपनी मानसिक स्थिति को संभाल नहीं पाते,और बेचारी नारी के साथ कुछ गलत कर देते है.

इसके आलावा हम देखे तोह आज देश में विदेशी संस्कृति अपनाई जा रही है,देश की कुछ नारिया छोटे छोटे कपडे पहनने लगी है,इन सबको देखकर भी आजकल के लोगो की मानसिकता खराब हो जाती है,मेने देखा है की bollywood की कुछ हीरोइन तोह हद ही पार कर देती है,वोह किसी किसी शो में ऐसे कपडे पहनकर आती है,की उनके अन्दर के कपडे भी साफ़ साफ़ नजर आते है,अगर ऐसा होगा तोह सोचिये की कोई लड़का ये सब देखेगा तोह जाहिर सी बात है वोह कोई महात्मा तोह बनेगा नहीं,गलत काम करने वाला ही बनेगा.

मेने देखा है की आज कल के टीवी या अखबारों के प्रचार में अगर किसी भी product का प्रचार होता है तोह उसमे लड़की छोटे कपडे पहनकर जरुर आती है,में तोह समझ ही नहीं पाता की कंपनी product का प्रचार कर रही है या नारी के जिस्म का.दोस्तों हमें नारी की सुरक्षा करनी चाहिए ना की उसके जिस्म को दिखाकर उससे पैसे कमाना चाहिए.

दोस्तों मेने बहुत सी वेबसाइट या अखबारों में पढा है की ये छोटे कपडे कुछ भी मायने नहीं रखते,लेकिन में आपसे कहता हु की हर एक चीज से फर्ग पड़ता है,अगर आप नारी को सुरक्षित देखना चाहते है,तोह समझिये की नारी पर अत्याचार होने का कोई एक कारण नहीं है बल्कि बहुत से कारण है लेकिन में आपको बतादू की नारी अगर आज सुरक्षित नहीं है तोह उसका सबसे बड़ा कारण है लोगो की सोच,इसलिए लोगो को नारी को अपनी माँ बहन की नजर से देखना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए.

दोस्तों अगर हम अपने घरो की महिलाओं और लडकियों का आने वाले समय में सुरक्षित देखना चाहते है तोह हमें एक बदलाव लाने की जरुरत है,हमें नारी को सम्मान देना चाहिए और उसकी हमेशा रक्षा करनी चाहिए,उनको गलत नजरिये से ना देखते हुए अपनी माँ बहन के रूप में देखना चाहिए और इस बात को समझना चाहिए की आज आप जो भी है,जहा पर भी है सिर्फ और सिर्फ नारी की वजह से ही है क्योकि अगर नारी ना होती तोह आप इस दुनिया में बिलकुल भी ना होते.

नारी हमारी घर की लाज है,हमारे देश की शान है,अगर हमने हमारी नारी को समय रहते सुरक्षित रखने के उपायों के बारे में ना सोचा तोह हमारा देश विशाल अंधकारमय हो जाएगा,क्योकि नारी ही जननी है,नारी ही हमारे देश की सबकुछ है.

जब भी हम किसी नारी को रात में अकेला देखे तोह उसको सुरक्षित घर जाने दे,और अगर नारी के साथ कोई अत्याचार कर रहा हो तोह हमें उसकी सुरक्षा के लिए लड़ना चाहिए और ऐसे लोगो को सबक सिखाना चाहिए और साथ में ही पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए,जब उसके साथ कड़ी कार्यवाही होगी तभी उसकी अकल ठिकाने आएगी. क्योकि अगर हमारे देश में

इस तरह के अपराध होते है तोह उसका सबसे बड़ा कारण लोगो का ये समझना है की में नारी से श्रेष्ठ हु,में नारी के साथ कुछ भी कर सकता हु लेकिन में आपसे एक बात कह दू की नारी से श्रेष्ठ आप उस पर अत्याचार करने से नहीं बन सकते,इससे तोह आप पुरुष कहलाने के काविल भी नहीं बच पाओगे.हमारे देश की पुलिस को भी ऐसे लोगो के साथ कठोरता से पेश आना चाहिए,और ऐसे बुरे लोगो को सक्त से सक्त सजा देनी चाहिए,तभी ऐसे लोगो की अक्ल ठीकाने पर आएगी.

हमारा देश एक ऐसा देश है जहा पर प्राचीन काल से ही नारी को पूजा जाता है,उन्हें घर की लक्ष्मी समझा जाता है लेकिन आजकल ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है,आजकल के जमाने में कुछ पति अपनी पत्नी के साथ मारपीट करते है,मतलब ऐसे लोग नारी को कमजोर समझते है,उन्हें समझना चाहिए की नारी देवी का अवतार है,नारी घर की लक्ष्मी है,हमें उनकी इज्जत करना चाहिए और उनकी सुरक्षा करनी चाहिए ना की ऐसे अपराध.

  • नारी शक्ति पर निबंध Essay on nari shakti in hindi language

दोस्तों इस article Mahila suraksha essay in hindi को लिखने के पीछे हमारा उद्धेश्य सिर्फ लोगो में एक अच्छी सोच फेलाना है,अगर आप हमारी बात से सहमत नहीं है या आपको कुछ भी गलत लगे या कुछ कहना चाहे तोह कृपया हमें comments करे,अगर वोह बात गलत होगी तोह हम उसे इस पोस्ट महानगरों में महिलाओं की सुरक्षा निबंध में से हटा देंगे.

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essay on nari suraksha in hindi language

kamlesh kushwah

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Sir muje nari surksha ke liye kuch karna hai to sir muje aapki sahayta ki jarurat hai aap thoda sajest kro ki mai shurwat kaise karu .. Ek grup banake muje ye kam krna hai hmari city me aysa kuch bhi mahila ok ke sath galt nhi honga ayasa grup karna hai sir plz help me.

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Bahut achchha laga ki aap nari suraksha ke liye kuchh karna chahte hai.aapko meri taraf se dhanyavad. Aap mujhe mere gmail par mail kare.my email id: [email protected]

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Very nice essay

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Very nice essay sir☺☺☺

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Hindi Yatra

नारी शिक्षा पर निबंध – Essay on Nari Shiksha in Hindi

Essay on Nari Shiksha in Hindi : दोस्तों आज हम ने नारी शिक्षा पर निबंध लिखा है क्योंकि हमारे भारत देश में आज भी नारी शिक्षा पर अत्यधिक ध्यान नहीं दिया जाता है जिसके कारण हमारे समाज का एक तबका पिछड़ा हुआ रह जाता है. यह बहुत ही दुख की बात है कि 21वीं सदी के भारत में भी महिलाओं को शिक्षित करने के लिए बढ़ावा नहीं मिल रहा है.

हमें महिलाओं को शिक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे तभी जाकर हमारे देश का सही मायनों में विकास हो पाएगा.

अक्सर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 और 12 के विद्यार्थियों को परीक्षाओं में Nari Shiksha पर निबंध लिखने को दिया जाता है इस निबल की सहायता से भी परीक्षाओं में अच्छा लेख लिख पाएंगे.

Essay on Nari Shiksha in Hindi

Get Some Essay on Nari Shiksha in Hindi for student under 200, 4oo and 1900 words.

Best Essay on Nari Shiksha in Hindi 200 Words

हमारे भारत देश शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है इसके पीछे कई कारण हैं जैसे कि रूढ़िवादी विचारधारा गरीबी और लोगों की गलत सोच इसी के कारण आज हमारा देश विकासशील देशों की श्रेणी में आता है आज किसी सदी के भारत में शिक्षा के क्षेत्र में फिर भी सुधार हुआ है लेकिन नारी आज भी क्षेत्र में पिछड़ी हुई है.

यह भी पढ़ें –  कंप्यूटर पर निबंध – Essay on Computer in Hindi

पुराने जमाने से ही हमारे देश में नारी की शिक्षा को अहमियत नहीं दी गई है जिसके कारण आज नारी को शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. हमारे समूचे देश में पुरुषों और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर है लेकिन जब शिक्षा क्षेत्र की बात आती है तो महिलाएं पिछड़ जाती है.

हमें नारी शिक्षा पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि अगर महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो वह अपने बच्चों को भी साक्षर बनाएंगी और समाज में फैली महिलाओं के प्रति कुरुतिया भी कम होगी. महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो उनको अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी होगी.

पिछले कुछ वर्षों से सरकार ने भी नारी शिक्षा पर ध्यान दिया है और इसको लेकर कई योजनाएं भी चलाई है जिनसे कई महिलाओं को शिक्षा प्राप्त हुई है. नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के कारण ही आज की नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.

Essay on Woman Education in Hindi 500 Words

रूपरेखा –

किसी भी देश के विकास में महिलाओं और पुरुषों का बराबर का स्थान होता है उसी प्रकार महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर अधिकार दिए जाने चाहिए तभी उस देश का आर्थिक और सामाजिक विकास हो पाएगा. कई वर्षों तक हमारा भारत देश विदेशी ताकतों का गुलाम रहा है जिसके कारण नारी शिक्षा को बढ़ावा नहीं मिल पाया है.

इसी कारण हमारा भारत देश आज भी पिछड़ा हुआ है हमारे देश में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार नहीं मिलने और अन्य सामाजिक कुरूतियो के कारण नारी शिक्षा को बढ़ावा नहीं मिल पाया है. हमें किसी सदी के भारत में महिलाओं को शिक्षा देने का पूरा प्रयास करना चाहिए.

नारी शिक्षा का महत्व –

(1) वर्तमान में नारी शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है. जिस प्रकार जीवन जीने के लिए किसी व्यक्ति को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार किसी देश को अगर विकसित होना है तो सबसे पहले वहां की महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है.

(2) नारी शिक्षा के महत्व को हमने नीचे महत्वपूर्ण बिंदुओं की सहायता से समझाया है जो कि निम्नलिखित है –

(3) अगर महिलाएं शिक्षित होगी तो वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे जिसके कारण वे समाज में क्षेत्र में आगे होंगी.

(4) महिलाओं के शिक्षित होने के कारण कोई उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं कर पाएगा.

(5) नारी अगर शिक्षित होगी तो समाज में व्याप्त लोगों की रूढ़िवादी विचारधारा समाप्त होगी साथ ही लोगों की सोच में बदलाव आएगा.

(6) नारी के शिक्षित होने के कारण उनका कोई शोषण नहीं कर पाएगा.

यह भी पढ़ें –   माँ पर निबंध – Essay on Mother in Hindi

(7) नारी अगर पढ़ी लिखी होगी तो वह निर्भीक होकर अपना जीवन यापन कर सकती है.

(8) महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो समाज का सामाजिक स्तर सुधरेगा क्योंकि एक बच्चे की पहली गुरु नारी ही होती है अगर वहीं से बच्चों को अच्छा ज्ञान प्राप्त हुआ तो हमारे समाज का सामाजिक स्तर स्वत: अच्छा हो जाएगा.

(9) नारी शिक्षित होगी तो दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों का अंत हो जाएगा.

(10) नारी पढ़ी लिखी होगी तो वह हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर काम कर पाएगी जिसे देश का आर्थिक विकास होगा साथ ही परिवार का रहन सहन भी अच्छा होगा.

(11) नारी के पढ़े-लिखे होने के कारण व अपना भविष्य खुद बना पाएगी और उसे किसी और के भरोसे जीवन यापन नहीं करना होगा.

(12) अगर हमारे देश की महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो हमारा देश जल्दी विकासशील देशों की श्रेणी से निकलकर विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा.

निष्कर्ष –

हमारे देश में नारी शिक्षा की बहुत कमी है अगर हमारे समाज और सरकार द्वारा प्रयास किया जाए तो हमारे देश की सभी महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी. जिससे देश का विकास दुगनी तेजी से होगा. हमें हमारी समाज के लोगों को नारी शिक्षा के प्रति जागरूक करके अपना सहयोग देना चाहिए.

अगर महिलाएं पढ़ी लिखी होगी तो संपूर्ण समाज पढ़ा लिखा होगा जिससे लोगों भ्रष्ट मानसिकता में सुधार आएगा और महिलाएं अपना जीवन शोषण मुक्त और सशक्त होकर जी पाएंगी.

हमारी राज्य और केंद्र सरकार द्वारा तो महिलाओं को बढ़ाने का प्रयास किया ही जा रहा है लेकिन जब तक हम जागरुक नहीं होंगे तब तक महिलाओं को पढ़ने लिखने का संपूर्ण अधिकार नहीं मिल पाएगा.

Essay on Nari Shiksha in Hindi 1900 words

प्रस्तावना –

किसी भी राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व होता है जिस देश के लोग शिक्षित नहीं होते है वहां पर आर्थिक और सामाजिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है. हमारे देश में भी शिक्षा की कमी है हमारे भारत देश के पुरुष प्रधान देश होने के कारण ज्यादा मात्रा में पुरुष पड़े हुए हैं लेकिन महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलने के कारण आज शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं पिछड़ी हुई है.

हमारे देश में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है लेकिन जब बात शिक्षा की आती है तो रूढ़िवादी विचारों पारंपरिक परंपराएं बीच में आ जाती है यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि जिस देश में पौराणिक में महिलाओं का सम्मान किया जाता था.

आज उसी देश में महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है. नारी की शिक्षा के महत्व को विकसित देशों ने पहले ही पहचान लिया था इसलिए उन्होंने सभी को चाहे वो पुरुष हो या फिर नारी सबको समान शिक्षा का अधिकार दिया इसी कारण उन देशों ने दुगनी तेजी से तरक्की की और आज भी विकसित देशों की श्रेणी में आते है.

हमें भी नारी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा वैसे तो सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं और कहीं ना कहीं यह प्रयास सफल भी हो रहे हैं जिसके कारण आज नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है.

नारी शिक्षा के लाभ –

नारी शिक्षा का हमारे देश में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह दो परिवारों को बढ़ा सकती है और अच्छे संस्कार दे सकती है. अपने बच्चों की प्रथम गुरु भी एक महिला की होती है इसलिए अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपने बच्चों को सही शिक्षा दे पाएगी.

नारी शिक्षा के लाभ को हमने बिंदुबध तरीके से नीचे लिखा है –

(1) महिलाओं का जागरूक होना – अगर एक महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होगी जिसके कारण उनसे कोई धोखा या छल कपट नहीं कर पाएगा और इसके कारण भी हर क्षेत्र में अपने कदम + पाएगी और एक नए भारत के निर्माण में सहयोग कर पाएगी.

(2) कन्या भ्रूण हत्या में कमी आना – कन्या भ्रूण हत्या के मामले ज्यादातर महिलाओं की अशिक्षित होने के कारण भी होते हैं क्योंकि उन्हें परंपराओं और रूढ़िवादी विचारधाराओ की बातों में उलझा कर उनके परिवार वाले उन्हें कन्या भ्रूण हत्या के लिए मना लेते है. लेकिन जब महिला पढ़ी लिखी होगी तो उसे पता होगा बेटा हो या फिर बेटी दोनों समान होते है इसलिए वे कन्या भ्रूण हत्या का विरोध करेगी और कन्या भूण हत्या में गिरावट आएगी.

(3) लैंगिग भेदभाव में कमी आना – हमारे देश में आज भी लैंगिकता के आधार पर भेदभाव किया जाता है यह सामान्य तौर पर गांव में ज्यादा देखने को मिलता है क्योंकि वहां पर महिलाएं पढ़ी लिखी नहीं होती है इसलिए भी अपने अधिकारों के लिए सचेत नहीं होती हैं अगर वे शिक्षित होगी अपने अधिकारों के प्रति लड़ पाएंगे और लैंगिक भेदभाव जैसी समस्या को जड़ से उखाड़ फेकेंगी.

(4) दहेज प्रथा में कमी आना – वर्तमान में दहेज प्रथा को बढ़ावा इसलिए मिल रहा है क्योंकि ज्यादातर लड़कियां पढ़ी लिखी नहीं होती है और कुछ लड़कियां कम पढ़ी लिखी होती है तो उन्हें अपने भविष्य की फिक्र रहती है कि वे बढ़ती महंगाई में अपना जीवन यापन कैसे कर पाएंगी.

इसलिए उनके माता पिता दहेज देकर उनका विवाह करते है. अगर लड़कियां पढ़ी लिखी होंगी तो उन्हें दहेज प्रथा जैसी किसी भी प्रथा का सामना नहीं करना पड़ेगा और भी अपना जीवन निर्भीक होकर अपने चुने हुए साथी के साथ सहजता से जी पाएंगी.

(5) रूढ़िवादी विचारधाराओं से छुटकारा – हमारे भारत में पुरुष प्रधान देश होने के कारण महिलाओं को रूढ़िवादी विचारधारा का हवाला देकर शिक्षित नहीं किया जाता है उन्हें कहा जाता है कि मैं ज्यादा पढ़ लिख कर या फिर शिक्षित होकर क्या करेंगे उन्हें आगे जाकर भोजन ही तो बनाना है इसलिए ज्यादातर लोग उनकी शिक्षा पर ध्यान नहीं देते है.

अगर महिला पढ़ी लिखी होगी तो वह अपनी बेटियों को भी पढ़ाएंगे जिसके कारण रूढ़िवादी विचारधारा का अंत हो जाएगा.

(6) हर क्षेत्र में कार्य करने का अवसर प्राप्त होना – वर्तमान में महिलाओं को अच्छी शिक्षा मिलने के कारण आप देख पा रहे होंगे कि हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से भी आगे निकल गई है यह सिर्फ शिक्षा के कारण ही हो पाया है अगर भी शिक्षित नहीं होती तो शायद आज महिलाएं इतनी तरक्की नहीं कर पाती.

(7) संपूर्ण परिवार शिक्षित होगा – हमारे देश में ज्यादातर महिलाएं ही अपने बच्चों का पालन पोषण करती है और ज्यादा समय उनके साथ रहती हैं इसलिए अगर महिलाएं शिक्षित होगी तो वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पाएंगी जिससे आगे आने वाली पूरी पीढ़ी शिक्षित होगी.

(8) देश के सामाजिक स्तर में सुधार – महिलाएं अगर शिक्षित होगी तो वे अपने बच्चों को भी शिक्षित करेंगे और साथ ही उन्हें अच्छे और बुरे के बारे में बता पाएंगी. आपने देखा होगा कि अशिक्षित महिलाओं के बच्चे या तो भीख मांगते हैं या फिर मजदूरी करते है जिसके कारण उनका पूरा जीवन गरीबी में बीता है कभी-कभी तो वे गरीबी से तंग आकर चोरी-चकारी करने लग जाते है. और अगर वही महिलाएं शिक्षित होगी तो सामाजिक स्तर में सुधार आएगा.

(9) देश के आर्थिक स्तर में सुधार – वर्तमान में भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम पढ़ी लिखी है लेकिन जब महिलाओं को पढ़ने का पूर्ण अधिकार दिया जाएगा तो वे भी पुरुषों की तरह हर क्षेत्र में काम करेंगे जिससे बेबी कुछ आमद नहीं कर पाएंगे और अधिक बचत होगी और इसी से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आना प्रारंभ हो जाएगा.

अशिक्षित नारी के दुष्परिणाम –

(1) महिलाओं का शोषण होना – अगर महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं होंगी तो उनका हर क्षेत्र में शोषण किया जाएगा उन्हें हर जगह पर नीचा दिखाने की कोशिश की जाएगी साथ ही उनके साथ कुछ लोग क्रूरुर व्यवहार भी करेंगे इसलिए वर्तमान में महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है.

(2) रूढ़ीवादी विचारधाराओं का हावी होना – नारी अगर शिक्षित नहीं होगी तो पुराने ख्यालों के लोग अपने विचार धाराएं उन पर थोपेंगे. जिससे नारी का विकास कभी भी नहीं हो पाएगा और हमारे समाज में हमेशा पुरुषों का प्रभुत्व कायम रहेगा.

(3) लैंगिग भेदभाव बढना – नारी पढ़ी-लिखी नहीं होगी तो लैंगिक भेदभाव का बढ़ना तय है क्योंकि कुछ लालची लोग महिलाओं को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करते है और कुछ लोग अपने घर में केवल बेटा ही चाहते है शिक्षित नारी को बहलाना फुसलाना आसान होता है जिसके कारण वह भी उनकी बातों में आकर अनजाने में लैंगिग भेदभाव को बढ़ावा देगी.

(4) सामाजिक स्तर गिरना – एक अच्छे समाज की कल्पना तभी की जा सकती है जब वहां की महिलाएं शिक्षित हो क्योंकि अगर वे शिक्षित नहीं होंगी तो उनके बच्चे भी शिक्षित नहीं हो पाएंगे और भी गलत विचारधाराओं को अपना लेंगे जिससे समाज का सामाजिक स्तर नीचे गिर जाएगा.

(5) देश के आर्थिक विकास में रुकावट – हमारे देश की लगभग आधी जनसंख्या महिलाएं ही है और अगर भी शिक्षक नहीं होंगी तो कुछ काम नहीं कर पाएंगी जिसके कारण देश की आधी आबादी सिर्फ खाने का काम करेगी जिसे देश में पैसों की कम बचत हो पाएगी और देश का विकास धीमा पड़ जाएगा.

नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उपाय –

(1) अपने घर से शुरुआत करना – नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए हमें आज जरूरत है कि हम अपने ही घर से शुरुआत करें. जब लोग अपने घरों में महिलाओं को बनाने की शुरुआत कर देंगे तो हमें किसी भी योजना या जागरूकता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

(2) नारी शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना – आज भी हमारे समाज में महिलाओं और बेटियों को पढ़ाना फालतू का खर्चा माना जाता है जिसके कारण बेटियां पढ़ नहीं पाती है और भविष्य में कुछ नहीं कर पाती है इसलिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा कि एक नारी शिक्षित होकर कुछ भी कर सकती है

उन्हें कल्पना चावला, सीता साहू, चंदा कोचर, शांति तिग्गा, आशा रॉय, दुर्गा शक्ति नागपाल,पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा जैसी महिलाओं के उदाहरण देने होंगे जिन्होंने हमारे देश का नाम रोशन किया है.

(3) सरकार द्वारा प्रयास करना – वर्तमान में सरकार द्वारा प्रयास तो काफी किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उनको सही से लागू नहीं किया जा सका है जिसके कारण आज भी महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ी हुई है हमारी सरकार को और ज्यादा अच्छी योजनाएं ला कर उन्हें सही प्रकार से अमल में लाकर महिला शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए.

नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाई गई योजनाएं – इंदिरा महिला योजना, राष्ट्रीय महिला कोष, सर्व शिक्षा अभियान, रोज़गार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र, महिला समृधि योजना, बालिका समृधि योजना इत्यादी है.

उपसंहार –

अगर हमारे भारत देश को आगे बढ़ना है तो हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षित होना होगा इनमें हमें महिलाओं को भी शामिल करना होगा क्योंकि वह भी हमारे देश किसी सदस्य के रूप में है आती हैं और उनके बिना देश का विकास होना संभव नहीं है.

21वीं सदी के भारत में पढ़ी लिखी महिलाओं ने अपने अपने क्षेत्र में हमारे देश का नाम रोशन किया है यह बात बताती है कि अगर सभी महिलाएं शिक्षित होगी तो आने वाले वर्षों में भारत सभी देशों में नई पहचान बना लेगा. हमें महिलाओं की शक्ति को कम नहीं आंकना चाहिए.

अगर उन्हें सही अवसर दिया जाए तो वे पुरुषों से भी अधिक कार्य कर सकती हैं इसलिए नारी शिक्षा को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है.

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7 thoughts on “नारी शिक्षा पर निबंध – Essay on Nari Shiksha in Hindi”

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kanhaiya moriya nice think, keep visiting hindiyatra Thank you.

Nice Very nice Very very nice Very very very nice

Thank you Priyangshu kar for appreciation.

Ap apne topic se related essay Ko heading wise +quatation+great leader words Ko add kre aur prastut kre

Bhupendra ji aap ke sujhav par jald hi kaam kiya jayega Dhanyawad.

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
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  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
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  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
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  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
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  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

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सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)

सड़क सुरक्षा

सड़क सुरक्षा एक आम और महत्वपूर्ण विषय है, आम जनता में खासतौर से नये आयु वर्ग के लोगों में अधिक जागरुकता लाने के लिये इसे शिक्षा, सामाजिक जागरुकता आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ा गया है। सभी को सड़क यातायात नियमों की अच्छे से जानकारी होनी चाहिये खासतौर से बच्चे और युवा लोगों को जो महत्वपूर्ण सड़क दुर्घटना के खतरे पर रहते हैं। आँकड़ों के अनुसार (विश्व स्वास्थ्य संगठन, 2008), ऐसा पाया गया है कि अस्पतालों में ज्यादा भर्ती होने का मामला और मृत्यु की मुख्य वजह सड़क दुर्घटना है।

सड़क सुरक्षा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Road Safety in Hindi, Sadak Suraksha par Nibandh Hindi mein)

सड़क सुरक्षा पर निबंध – (300 शब्द).

सभी सड़क सुरक्षा उपायों के प्रयोग द्वारा सड़क हादसों की रोक-थाम और बचाव को सड़क सुरक्षा कहते है। सड़क पर यात्रा करते समय ये लोगों को बचाने के लिये है। ये सड़क इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों को सुरक्षित रखने के लिये जैसे पैदल चलने वाले, दो-पहिया, चार-पहिया, बहु-पहिया और दूसरे वाहन इस्तेमाल करने वालों के लिये।

सड़क किनारे हादसें, चोट और मृत्यु को टालने के लिये बहुत महत्वपूर्ण पहलूओं में से एक है सड़क पर लोगों की सुरक्षा। दुर्घटनाओं और मृत्यु की पूरी सूचना के बारे में राष्ट्रीय सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर सड़क सुरक्षा के महत्व का हम मूल्यांकन कर सकते हैं। लगभग 42% मामलों में पैदल चलने वाले और एक तरफ का सड़क इस्तेमाल करने वाले होते हैं।

सड़क सुरक्षाके नियम

आम लोगों के बीच जागरुकता उत्पन्न करने के कई सारे तरीके हैं जैसे सेमिनार, कार्यशाला, पाठ्यक्रम में मूल सड़क-सुरक्षा पाठ जोड़ने के द्वारा विद्यार्थी शिक्षा, रुको, देखों, सुनो, सोचो और फिर पार करो अर्थात् ग्रीन क्रॉस कोड के बारे में लोगों को जागरुक बनाये, यातायात लाईटों को सीखना, रोड चिन्हों को समझना आदि।

सड़क सुरक्षा के उपाय

सभी सड़क समस्याओं से बचने के लिये निम्न सभी सड़क सुरक्षा उपाय बहुत मदद करते हैं। सड़क सुरक्षा के कुछ प्रभावकारी उपाय हैं जैसे वाहन के बारे में मूल जानकारी, मौसम और सड़क के हालात के अनुसार रक्षात्मक चालन, वाहन लाईटों और हॉर्न का प्रयोग, सीट पेटीका पहनना, वाहन शीशा का सही प्रयोग, अधिक-गति से बचना, रोड लाईट को समझना, सड़क पर दूसरे वाहनों से दूरी बना के रखना, परेशानी की स्थिति को संभालने की उचित समझ, टी.वी पर डॉक्यूमेंटरी जागरुकता का प्रसारण आदि।

सभी लोगों के लिये उनके पूरे जीवन भर सड़क सुरक्षा उपायों का अनुसरण करना बहुत ही अच्छा और सुरक्षित है। सभी को गाड़ी चलाते समय या पैदल चलते वक्त दूसरों का सम्मान करना चाहिये और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिये।

सड़क सुरक्षा पर निबंध – Sadak Suraksha par nibandh – (400 शब्द)

वाहनों के टकराव और उचित सड़क सुरक्षा उपायों की अनदेखी के कारण सड़क हादसा बेहद आम होता जा रहा है। लोगों द्वारा सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी और वाहनों की भिड़ंत से हादसों से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है। सभी सड़कें पूरे दिन के लिये व्यस्त होती हैं जहाँ वाहन अपने उच्च गति से दौड़ती है। आज की दुनिया में लोगों को अपने नीजि वाहनों की आदत है जिसकी वजह से सड़कों पर यातायात की समस्या पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में, सावधानीपूर्वक सुरक्षित चालन की क्रिया के लिये यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा नियमों का अनुसरण लोगों से अपेक्षित है। तब जाकर कहीं सड़क हादसों पर काबू पाया जा सकेगा।

सड़क पर चालन शुरु करने से पहले हरेक व्यक्ति को रक्षात्मक चालन कोर्स (किसी मान्यता-प्राप्त चालन स्कूल के द्वारा अधिकृत प्रशिक्षक के तहत मार्गदर्शन) जरुर करना चाहिये। सड़क सुरक्षा उद्देश्यों के लिये ये बहुत जरुरी है। विभिन्न दुर्घटनाओं और जीवन को सड़क पर बचाने के लिये वाहन (वाहनों को कैसे संचालित करें) या खुद से उत्पन्न हुई गंभीर स्थिति को संभालने का तरीका सभी को जरुर पता होना चाहिये।

एक महत्वपूर्ण विषय के रुप में स्कूल में सड़क सुरक्षा उपायों को जरुर जोड़ना चाहिये जिससे चालन से पहले ही अपने शुरुआती समय में ही विद्यार्थीयों को इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो सके। वाहनों के संचालन और उचित सड़क सुरक्षा उपायों के बारे में गलत जानकारी के कारण ज्यादातर सड़क हादसें होते हैं।

दिनों-दिन सड़क पर गाड़ी चलाना असुरक्षित बनता जा रहा है। कई बार लोग लंबे समय तक अपने नीजि वाहनों को बिना किसी नियमित रख-रखाव और मरम्मत के रखते हैं, इसलिये ये बहुत जरुरी है कि समय से मरम्मत के साथ वाहनों की ठीक ढंग से कार्य करने की स्थिति के प्रति आश्वस्त रहें। ये केवल वाहन के जीवन को ही नहीं बढ़ाता है; हादसों को घटाने में भी मदद करता है। चालक को गाड़ी का ब्रेक अच्छे से जाँचना चाहिये और ब्रेक खराब होने की चेतावनी चिन्ह के बारे में पता होना चाहिये। किसी भी यात्रा पर जाने से पहले प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, आपातकालीन टूल, उचित मात्रा में गैसोलिन आदि रखने के साथ ही वाहन की पूरी जाँच करनी चाहिये।

यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण सड़क सुरक्षा नियम दिये गये है:

  • सड़क पर चलने वाले सभी को अपने बाँये तरफ होके चलना चाहिये खासतौर से चालक को और दूसरी तरफ से आ रहे वाहन को जाने देना चाहिये।
  • चालक को सड़क पर गाड़ी घुमाते समय गति धीमी रखनी चाहिये।
  • अधिक व्यस्त सड़कों और रोड जंक्शन पर चलते समय ज्यादा सावधानी बरतें।
  • दोपहिया वाहन चालकों को अच्छी गुणवत्ता वाले हेलमेट पहनने चाहिये नहीं तो उन्हें बिना हेलमेट के रोड पर नहीं आना चाहिये।
  • गाड़ी की गति निर्धारित सीमा तक ही रखें खासतौर से स्कूल, हॉस्पिटल, कॉलोनी आदि क्षेत्रों में।
  • सभी वाहनों को दूसरे वाहनों से निश्चित दूरी बनाकर रखनी चाहिये।
  • सड़कों पर चलने वाले सभी लोगों को रोड पर बने निशान और नियमों की अच्छे से जानकारी हो।
  • यात्रा के दौरान सड़क सुरक्षा के नियम-कानूनों को दिमाग में रखें।

सड़क सुरक्षा पर निबंध – Road Safety par Nibandh – (500 शब्द)

धरती पर हरेक इंसान के द्वारा सड़क सुरक्षा पर पूरा ध्यान देना चाहिये चाहे वो वाहन का इस्तेमाल करता हो या नहीं। बड़ों के मार्गदर्शन की कमी के कारण सड़क हादसों, छोटी चोट या बड़ी चोटें यहाँ तक की मृत्यु की ओर बच्चे और विद्यार्थी सबसे कमजोर समूह हैं। उनके शुरुआती समय में सड़क सुरक्षा नियमों और उपायों के बारे में बच्चों को अच्छे से जागरुक बनाने में कोई देर नहीं होनी चाहिये। ये माता-पिता और शिक्षकों का कर्तव्य है कि वो उन्हें अच्छे से मार्गदर्शन दें।

बच्चों के लिये सड़क सुरक्षा ज्ञान की जरुरत

आँकड़ों के अनुसार, ये पाया गया है कि ज्यादातर सड़क दुर्घटना मामले जिसमें बच्चे शामिल होते हैं, क्योंकि वो दूसरे आयु वर्ग के समूह से ज्यादा खतरे पर होते हैं। उन्हें अपने शुरुआती समय से ही सड़क सुरक्षा ज्ञान और शिक्षा की जरुरत है। उनके पाठ्यक्रम में इसे विषय के रुप में जोड़ने के द्वारा उनके घर और स्कूल से ही इसकी शुरुआत होनी चाहिये। यहाँ दिये निम्न बिंदु इस बात की तस्दीक करेंगे कि क्यों सड़क सुरक्षा बहुत जरुरी है:

  • बच्चे, बच्चे होते हैं, यातायात परिस्थिति के दौरान घर या दूसरी जगहों खासतौर से सड़क में वो अगला क्या करेंगे कोई भी इसके बारे में आश्वस्त नहीं है।
  • बच्चे बिल्कुल निर्दोष होते हैं, सड़क पर तेज गति से चलने वाले वाहनों का वो मूल्यांकन नहीं कर सकते हैं।
  • उनके छोटे कद के कारण चालक भी सड़क पर उनके मूड को भाँप नहीं सकता जब वो वाहन के सामने सड़क को पार करने की कोशिश करते हैं।
  • वो अंदाजा नहीं लगा सकते कि कैसे प्राय: वाहन खाली सड़क पर आ जाते हैं।
  • वो सड़क को कहीं से भी पार सकते हैं क्योंकि उन्हें सड़क को पार करने के लिये उचित तरीका नहीं पता होता।
  • वो जल्दी ही डर जाते हैं और ये नहीं समझ पाते कि उन्हें क्या करना चाहिये जब वो वाहन को अपनी ओर आते हुए देखते हैं।

बच्चों के लिये सड़क सुरक्षा नियम

सड़क पर उन्हें जिम्मेदार पैदल यात्री बनाने के द्वारा सड़क हादसों से बच्चों को बचाने में निम्न कुछ जरुरी सड़क सुरक्षा नियम महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं:

  • अभिवावकों को अपने बच्चों को अतिरिक्त सावधान बनाना चाहिये और सड़क को पार करने से पहले हर तरफ (बाँये और दाँये) देखने के बारे में सिखाना चाहिये।
  • बच्चों को सड़क पार करते हुए अपने बड़ों या दोस्तों का हाथ हमेशा पकड़े रहना चाहिये।
  • उन्हे कभी-भी सड़क पर दौड़ना नही चहिये, माता-पिता का हाथ छोड़ना या जल्दी में नहीं होना चाहिये और धैर्य रखें।
  • किसी भी वजह से उनका ध्यान न बँटे और सड़क पर उन्हें अधिक सचेत होने की जरुरत है।
  • केवल फुटपाथ का अनुसरण करने के लिये उनके अभिवावकों द्वारा उन्हें अभ्यस्त बनाना चाहिये या हमेशा सड़क पर बाँये तरफ का प्रयोग करें जहाँ फुटपाथ अनुपलब्ध हो।
  • पैदलयात्रीयों के लिये यातायात सिग्नलों को देखने के बाद चौराहे पर केवल सड़क को पार करने के लिये उन्हें सिखाना चाहिये।
  • सड़क पर रंगों के मायने (लाल अर्थात् रुको, हरा अर्थात् चलो और पीला का भी अर्थ रुकना है), यातायात लाईट की मूल जानकारी और यातायात चिन्हों के महत्व को उन्हें जरुर बताएँ।
  • कार या बस से बाहर आने के दौरान पैसेंजर सीट के पीछे की तरफ का इस्तेमाल उन्हें करना चाहिये।
  • बच्चों को सड़क पर या खेलने की जगह से बाहर के क्षेत्र में नहीं खेलने के बारे में बच्चों को सिखाना चाहिये।
  • ब्रेक, हार्न और स्टीयरिंग या हैंडल के कार्य को ठीक से जाँचने के द्वारा सड़क पर साईकिल चलाने के दौरान सभी उपयों के इस्तेमाल और हेलमेट को जरुर पहनना चाहिये।
  • सड़क पर साईकिल चलाने के दौरान बच्चों को ईयरफोन या गाना सुनने का कोई दूसरा यंत्र नहीं प्रयोग करना चाहिये।
  • कार चलाने के दौरान सीट-बेल्ट या बाईक चलाने के दौरान हेलमेट पहनने के लिये अभिवावक को उन्हें सिखाना चाहिये। एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करने के लिये गाड़ी चलाने के दौरान अभिवावकों को सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी नियमों का अनुसरण करना चाहिये क्योंकि अपने बच्चों के जीवन में माता-पिता ही पहला उदाहरण किसी कार्य को सीखने के लिये बनते हैं।

सड़क हादसों और चोट के मामलों की संख्या को कम करने के साथ ही सावधान और सुरक्षित होने के लिये सभी आयु वर्ग के लोगों के लिये सड़क सुरक्षा बहुत जरुरी है। इसलिये, सभी को सख्ती से सड़क यातायात लाईटों के सभी नियमों, नियंत्रकों और चिन्हों का अनुसरण करना चाहिये। स्कूल में शिक्षकों के द्वारा उचित शिक्षा पाने और घर पर अपने अभिवावकों से बच्चों को सही ज्ञान के द्वारा सड़क सुरक्षा के बारे में अच्छे से अभयस्त होना चाहिये।

सड़क सुरक्षा पर निबंध – Road Safety par Nibandh – (600 शब्द)

आज के समय मे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या काफी बढ़ गयी है और इस समस्या का कोई एक कारण नही है वास्तव में ऐसे कई सारे कारण है। जो सड़क दुर्घटनाओं को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं जैसे – यातायात नियमों की जानकारी ना होना, सड़को की स्थिति ठीक ना होना, वाहन चलाते वक्त सुरक्षा सावधानियां ना बरतना आदि। हमारे देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ती वाहनों की संख्या को देखते हुए। अब यह काफी आवश्यक हो चुका है कि हम सड़क सुरक्षा से जुड़े मानकों को अनिवार्य रुप से अपनायें क्योंकि मात्र इसी के द्वारा ही सड़क दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सकती है।

सड़क दुर्घटना के कारण

सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के साथ ही इन दुर्घटनाओं में जान गवाने वालों की भी संख्या बढ़ती जा रही है। यदि इस समस्या पर समय रहते ध्यान नही दिया गया तो सड़क दुर्घटना की यह समस्या आगे चलकर और भी भयावह रुप धारण कर लेगी। सामान्यतः सड़क दुर्घटनाओं का मूल कारण यातायात नियमों की जानकारी ना होना, अपरिपक्व चालक द्वारा वाहन चलाना, सीमा गति से अधिक गति में वाहन चलाना, सुरक्षा उपायों की अनदेखी करना, यातायात नियमों का पालन ना करना, सड़को की स्थिति खराब होना आदि हैं।

सड़क हादसों से जुड़े तथ्य

  • पूरे विश्व भर में प्रतिवर्ष 13 लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवा देते हैं।
  • भारत में प्रतिवर्ष 1.5 लाख लोगों की सड़क हादसों में मृत्यु हो जाती है।
  • शराब पीकर गाड़ी चलाना सड़क हादसों का सबसे प्रमुख कारण हैं।
  • पूरे वर्ष सड़क हादसों में होने वाली मृत्यु में 25 प्रतिशत दुपहिया वाहन चालक होते हैं।
  • भारत में होने वाले सड़क हादसों में लगभग 16 बच्चे प्रतिदिन अपनी जान गवा बैठते हैं।
  • यदि इन तथ्यों पर गौर किया जाये, तो भविष्य में यह समस्या और भी ज्यादे भयावह होने वाली है। एक शोध में इस बात का पता चला है कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो सन् 2020 तक प्रतिवर्ष 20 लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवायेंगे।

सड़क सुरक्षा से जुड़ी सावधानियां

  • पैदल चलते वक्त हमेशा फुटपाथ का प्रयोग करना चाहिए और जहां फुटपाथ ना हो वहां सदैव सड़क के बाए ओर से चलना चाहिए।
  • वाहन चलाते या सड़क यात्रा के वक्त कभी जल्दबाजी ना दिखाएं, कभी भी सिग्नल तोड़कर या जल्दबाजी में भागकर रास्ता पार ना करें।
  • ट्रैफिक सिग्नल तथा नियमों की पूरी जानकारी रखे और सदैव इनका पालन करें।
  • सड़क पार करते वक्त जेब्रा क्रॉसिंग, फुट ओवर ब्रिज करे और जहां यह सुविधाएं ना हो, वहा सड़क के दोनो तरफ देखकर ही सड़क पार करें।
  • कभी भी रेड सिग्नल पर सड़क पार करने का प्रयास ना करें। सड़क पार करते वक्त हमेशा ग्रीन सिग्नल का ध्यान रखे।
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे की बस आदि में दौड़कर चढ़ने की कोशिश ना करें।
  • उतरते वक्त भी बस के पूरी तरह से रुकने पर ही उतरें, कभी भी चलते बस से उतरने का प्रयास ना करे।
  • कभी भी नशे के हालत में वाहन ना चलायें।

सड़क सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां

  • सड़क की स्थिति ठीक ना होना।
  • शहरों में मैनहोल और सीवर का खुला होना।
  • सड़को पर पानी लगा होना।
  • छुट्टा पशुओं का सड़क पर खुले आम घुमना।
  • लोगो द्वारा ट्रैफिक नियमों का पालन ना करना।
  • वाहन चलाते वक्त ध्यान ना देना।
  • वाहन चलाते वक्त मोबाइल का उपयोग करना।

सड़क सुरक्षा के निवारक उपाय

यदि नीचे दिये गये सड़क सुरक्षा से जुड़े निवारक उपाय अपनाया जाये तो सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी लायी जा सकती है।

  • वाहन चलाते तथा सवारी के वक्त सीट बेल्ट पहनना, हेलमेट लगाना जैसे सुरक्षा उपायों को अपनायें।
  • वाहन चलाते वक्त मेकअप करना, बाल सवारना या फोन पर बात करने जैसे कार्य ना करें।
  • सदैव यातायात नियमों का पालन करें।
  • वाहन की गति पर नियंत्रण रखे।
  • शराब पीकर या गाड़ी ना चलायें, यात्रा के दौरान सिगरेट या किसी प्रकार का नशा ना करें।
  • कभी भी वन वे में गलत दिशा या रिवर्स में गाड़ी ना चलायें।

सड़को पर तेजी से बढ़ती दुर्घटनाओं के कारण, यह काफी जरुरी हो चुका है कि इसके लिए निवारक उपाय अपनाएं जायें क्योंकि मात्र इन्हीं के द्वारा ही हम मानवीय कारणों से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं। इसके साथ ही सरकार द्वारा भी सड़को की स्थिति को सुधारे जाने तथा यातायात नियमों को और भी कड़ाई से लागू किये जाने की आवश्यकता है। यदि हम सब वाहन चलाते वक्त नियमों का पालन करें और संयम बरते तो सड़क सुरक्षा के इस सपने को एक दिन अवश्य ही साकार कर पायेंगे।

Essay on Road Safety in Hindi

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