देश के महान उद्योगपति रतन टाटा का जीवन परिचय
Ratan Tata Ki Jeevani
रतन टाटा जी भारत के जाने – माने उद्योगपति , निवेशक और टाटा संस के रिटायर्ड अध्यक्ष हैं। रतन टाटा 1991 से 2012 तक मिश्र टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रह चुके है। उन्होंने 28 दिसंबर 2012 को अपने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ा, लेकिन रतन टाटा “टाटा ग्रुप” के चैरिटेबिल ट्र्स्ट के अध्यक्ष आज भी है।
वे दुनिया की सबसे छोटी कार बनाने के लिए पूरी दुनिया भर में प्रसिद्द हैं। उन्होंने अपनी बुद्दिमत्ता और योग्यता के बल पर टाटा ग्रुप को एक नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया। रतन टाटा जी ने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष के तौर पर भी टाटा ग्रुप का नाम देश – विदेशों में रोशन किया है।
रतन टाटा एक प्रसिद्द उद्योगपति होने के साथ-साथ एक नेक इंसान भी हैं, जो कि अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाते हैं। वे हमेशा ही बाढ़ असहाय, गरीबों, मजदूरों पीढ़ितों और जरुरतमंदों की मद्द करते रहते हैं।
साल 2020 में कोरोनावायरस ( COVID – 19) से संक्रमित लोगों की सहायता के लिए भी उन्होंने बड़ी राशि दान दी है। उनकी गिनती दुनिया के सबसे अमीर लोगों में होती है, तो आइए जानते हैं महान उद्योगपति रतन टाटा के जीवन और सफलता के बारे में महत्वपूर्ण बातें –
देश के महान उद्योगपति रतन टाटा का जीवन परिचय – Ratan Tata Biography in Hindi
रतन टाटा की जीवनी एक नजर में – Ratan Tata Information
रतन टाटा का जन्म, बचपन, प्रारंभिक जीवन एवं परिवार – ratan tata history in hindi.
भारत के महान बिजनेसमैन रतन टाटा भारत के सूरत शहर में 28 दिसंबर, साल 1937 में एक व्यापारी घराने में जन्में थे। उनके पिता नवल टाटा और माता सोनू थी। उनके माता-पिता के बीच तलाक के बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था। रतन टाटा के पिता ने सिमोन टाटा से दूसरी शादी की थी।
रतन टाटा का नोएल टाटा नाम का सौतेला भाई भी हैं। रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के ही कैंपियन स्कूल में रहकर पूरी की। इसके बाद उन्होंने मुंबई के ही कैथेड्रल और जॉन स्कूल में स्कूल में रहकर अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की।
साल 1962 में रतन टाटा जी यूएसए चले गए जहां उन्होंने न्यूयॉर्क के इथाका के कॉर्निल यूनिवर्सिटी से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ वास्तुकला में अपनी बीएस की डिग्री हासिल की और फिर वे अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में मैनेजमेंट प्रोग्राम्स की पढ़ाई के लिए चले गए।
रतन टाटा का शुरुआती करियर – Ratan Tata Career
रतन टाटा ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद कुछ समय तक लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, में जोन्स और एमोंस में काम किया और फिर IMB में भी जॉब की। साल 1961 में वे अपने परिवारिक टाटा ग्रुप का हिस्सा बने और इस ग्रुप के साथ अपने करियर की शुरुआत की।
देश के इस सबसे बड़े ग्रुप से जुड़ने के बाद उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया , इसके साथ ही टाटा स्टील को बढ़ाने के लिए इस दौरान उन्हें जमशेदपुर भी जाना पड़ा था। बाद में उन्हें टाटा ग्रुप की कई अन्य कंपनियों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान हुआ।
रतन टाटा का संघर्ष और सफलता – Ratan Tata Success Story
रतन टाटा को साल 1971 में राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। उस समय इस कंपनी की आर्थिक हालत बेहद खराब थी। जिसके बाद रतन टाटा ने अपनी काबिलियत के दम पर NELCO कंपनी को न सिर्फ नुकसान से उभारा बल्कि 20 फीसदी तक हिस्सेदारी भी बढ़ा ली थी।
हालांकि, जब इंदिरा गांधी के सरकार ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी उस समय आर्थिक मंदी की वजह से काफी परेशानी उठानी पडी। यही नहीं साल 1977 में टाटा को यूनियन की हड़ताल का सामना किया जिसके चलते बाद में नेल्को कंपनी बंद करनी पड़ी।
इसके कुछ महीने बाद रतन टाटा को एक कपड़ा मिल इम्प्रेस मिल्स (Empress Mills) की जिम्मेंदारी सौंपी गई। उस दौरान टाटा ग्रुप की यह कंपनी भी घाटा से गुजर रही थी। जिसके बाद रतन टाटा ने इसे काफी संभालने की कोशिश की और इसके आधुनिकीकरण के लिए निवेश करने का आग्रह किया , लेकिन निवेश पूरा नहीं हो सका और उस दौरान बाजार में भी मोटे और मध्यम सूती कपड़े की डिमांड नहीं होने की वजह से इसे भी नुकसान का सामना करना पड़ा।
फिर कुछ समय बाद इसे बंद कर दिया गया। लेकिन रतन टाटा ग्रुप के इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे। इसके कुछ दिनों बाद जेआरडी टाटा ने, साल 1981 में रतन टाटा की काबिलियत को देखकर उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज के उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा की।
हालांकि, उस समय रतन टाटा को ज्यादा एक्सपीरियंस नहीं होने की वजह से इसका विरोध भी किया गया था। हालांकि बाद में, साल 1991 में रतन टाटा को, टाटा इंडस्ट्रीज व इसकी अन्य कंपनियों के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। रतन टाटा की काबिलियत और योग्यता के बल पर टाटा ग्रुप में नई ऊंचाईयों को छुआ था। इससे पहले इतिहास में कभी टाटा ग्रुप इतनी ऊंचाईयों पर नही गया था।
उनकी अध्यक्षता में टाटा ग्रुप ने अपने कई अहम प्रोजेक्ट स्थापित किए और देश ही नही बल्कि विदेशो में भी उन्होंने टाटा ग्रुप को नई पहचान दिलवाई। रतन टाटा के कुशल नेतृत्व में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने पब्लिक इशू जारी किया और टाटा मोटर्स को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया।
सन 1998 में टाटा मोटर्स ने पहली पूर्णतः भारतीय यात्री कार – टाटा इंडिका – को बाजार में पेश किया। इसके बाद टाटा टी ने टेटली, टाटा मोटर्स ने ‘जैगुआर लैंड रोवर’ और टाटा स्टील ने ‘कोरस ग्रुप’ का सफलतापूर्वक अधिग्रहण किया, जिससे टाटा समूह की साख भारतीय उद्योग जगत में बहुत बढ़ी। इसके साथ ही रतन टाटा भी व्यापारिक जगत में एक प्रतिष्ठित शख्सियत बन गए। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक संस्थान बन गया।
पढ़े: धीरुभाई अंबानी जीवन परिचय
दुनिया की सबसे सस्ती कार-नैनो कार की शुरुआत – Smallest Car In India (Tata Nano)
रतन टाटा, ने दुनिया की सबसे सस्ती कार बनाकर उन लोगों के बारे में भी सोचा, जिनके लिए कार खरीदना किसी बड़े सपने से कम नहीं था। रतन टाटा ने महज 1 लाख रुपए की लागत में दुनिया की सबसे सस्ती कार, नैनो कार बनाई। और साल 2008 में नई दिल्ली में आयोजित ऑटो एक्सपो में इस कार का उद्घाटन किया। शुरुआत में टाटा नैनो के तीन मॉडल्स को मार्केट में पेश किया गया।
आपको बता दें कि भारत में उनके सबसे प्रसिद्ध उत्पाद टाटा इंडिका और नैनो के नाम से जाने जाते है। इसके बाद 28 दिसंबर 2012 को रतन टाटा, टाटा ग्रुप के सभी कार्यकारी जिम्मेंदारी से रिटायर्ड हो गए। इसके बाद साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। रतन टाटा अपने रिटायरमेंट के बाद भी काम कर रहे हैं।
अभी हाल ही में रतन टाटा ने भारत की सबसे बड़ी ई – कॉमर्स कंपनी में से एक स्नैपडील एवं अर्बन लैडर व नामी चाइनीज मोबाइल कंपनी जिओमी में भी निवेश किया है। वर्तमान में वे टाटा ग्रुप के चैरिटेबल संस्थानों के अध्यक्ष हैं। रतन टाटा / Ratan Tata एक दयालु, उदार एवं दरियादिल इंसान हैं, जिनके 65 फीसदी से ज्यादा शेयर चैरिटेबल संस्थाओ में निवेश किए गए है।
उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य भारतीयों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है और साथ ही भारत में मानवता का विकास करना है। रतन टाटा का मानना है की परोपकारियों को अलग नजरिए से देखा जाना चाहिए। पहले परोपकारी अपनी संस्थाओ और अस्पतालों का विकास करते थे जबकि अब उन्हें देश का विकास करने की जरुरत है।
रतन टाटा की उपलब्धियां – Ratan Tata Achievements
रतन टाटा भारतीय एड्स कार्यक्रम समिति के सक्रीय कार्यकर्ता हैं। भारत में इसे रोकने की हर संभव कोशिश वे करते रहे हैं। रतन टाटा प्रधानमंत्री व्यापार और उद्योग समिति के सदस्य होने के साथ ही एशिया के RAND सेंटर के सलाहकार समिति में भी शामिल है। देश ही नहीं बल्कि विदेशो में भी हमें रतन टाटा का काफी नाम दिखाई देता है।
रतन टाटा मित्सुबिशी को – ऑपरेशन की अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति के भी सदस्य है और इसी के साथ वे अमेरिकन अंतर्राष्ट्रीय ग्रुप जे . पी . मॉर्गन चेस एंड बुज़ एलन हमिल्टो में भी शामिल है। उनकी प्रसिद्धि को देखते हुए हम यह कह सकते है की रतन टाटा एक बहुप्रचलित शख्सियत हैं।
रतन टाटा को मिले पुरस्कार – Ratan Tata Awards
रतन टाटा को उनकी महान उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार और उपाधियों से नवाजा गया , जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं –
- रतन टाटा को येल की तरफ से नेतृत्व करने वाले सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति का पुरस्कार।
- सिंगापूर की नागरिकता का सम्मान।
- टाटा परिवार के देश की प्रगति में योगदान हेतु परोपकार का कार्नेगी मैडल दिया गया।
- साल 2000 में रतन टाटा जी को भरत सरकार की तरफ से पदम् भूषण सम्मान से नवाजा गया था।
- सन् 2008 में, रतन टाटा को भारत सरकार ने भारत के नागरिकत्व का सबसे बड़ा पुरस्कार पद्म भूषण दिया गया।
- इंडो-इसरायली चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स द्वारा सन् 2010 में “बिजनेसमैन ऑफ़ दि डिकेड” का सम्मान।
रतन टाटा भारत के सबसे सफल और प्रसिद्ध बिजनेसमैन में गिने जाते है। रतन टाटा एक बेहद सिंपल और सादगी से भरीं शख्सियत हैं, जो कि दुनिया की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते। वे सालों से मुम्बई के कोलाबा जिले में एक किताबों से भरे हुए फ्लैट में अकेले रहते हैं। रतन टाटा उच्च आदर्शों वाले व्यक्ति है।
रतन टाटा मानते हैं कि व्यापार का अर्थ सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेंदारी को भी समझना है और व्यापार में सामाजिक मूल्यों का भी सामावेश होना चाहिए। रतन टाटा का हमेशा से ही यह मानना था की,
“ जीवन में आगे बढ़ते रहने के लिए उतार – चढ़ाव का बड़ा ही महत्व है। यहां तक कि ई . सी . जी . (ECG) में भी सीधी लकीर का अर्थ – मृत माना जाता है। ”
रतन टाटा ने हमेशा जीवन में आगे बढ़ना ही सीखा। कभी वे अपनी परिस्थितियों से नही घबराए और हर कदम पर उन्होंने अपने आप को सही साबित किया। उनके जीवन से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरुरत है।
और अधिक लेख:
- Jamshedji Tata History
- मुकेश अंबानी की जीवनी
- Ratan Tata Quotes
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27 thoughts on “देश के महान उद्योगपति रतन टाटा का जीवन परिचय”
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रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi
रतन टाटा जीवनी, जीवन परिचय, शिक्षा, जन्म, पुरस्कार, माता, पिता, पत्नी, नागरिकता, जाति, करियर, कुल संपत्ति (Ratan Tata Biography in hindi, Education, Date of Birth, Family, Wife, Caste, Career, Networth)
रतन टाटा जो टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष हैं। भारतीय उद्योगपति दूरदर्शी होने के साथ-साथ एक परोपकारी व्यक्ति भी हैं यह साल 1990 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष भी थे। रतन टाटा आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है।
रतन टाटा को बच्चे से बूढ़े तक सब जानते हैं। रतन टाटा सभी प्रमुख कंपनियों जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, टाटा टी,टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज के अध्यक्ष भी रहे । ये इतने दूरदर्शी से हैं कि इन्होंने घाटे में चल रही टाटा समूह की कंपनियों को कई सालों की मेहनत और अपनी दूरदर्शिता की मदद से और अपने दम से मुनाफे में पहुंचाया।
रतन टाटा बहुत ही शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं यह थोड़े से शर्मीले स्वभाव के व्यक्ति हैं ये बहुत ही सामान्य जीवन जीने वाले व्यक्तियों में से हैं जो समाज की चमक-धमक से दूर रहते हैं।
ऐसे व्यक्ति हैं जो इतने धनवान होने के बाद भी कई सालों से मुंबई के कोलाबा जिले में एक किताबों एवं कुत्तों से भरे हुए बैचलर फ्लैट में रह रहे हैं। इससे पता चलता है इनके स्वभाव के बारे में कि इनका व्यक्तित्व कितना असामान्य और अतुल्य है। इनको अपनी जिंदगी में अपने परोपकारी कामों की वजह से अनगिनत पुरस्कार मिले हैं।
Table of Contents
रतन टाटा का जीवन परिचय (Ratan Tata Biography)
रतन टाटा का परिवार एवं शुरुआती जीवन (ratan tata family & early life).
गुजरात के सूरत शहर में 28 दिसंबर 1937 को रतन टाटा का जन्म हुआ था। और उनके पिता का नाम नवल टाटा है। उनकी माता का नाम सूनू टाटा है जब रतन टाटा केवल 10 साल के थे तो इनके माता-पिता अलग हो गए थे। उसके बाद दोनों भाइयों का लालन-पालन उनकी दादी नवजबाई टाटा ने किया।
इनकी दादी बहुत दयालु थी, लेकिन अनुशासन के मामले में भी काफी सख्त थी इनका का एक सौतेला भाई भी है जिसका नाम नोएल टाटा है। बचपन में ये पियानो सीखते थे और क्रिकेट खेला करते थे।
रतन टाटा की शिक्षा (Ratan Tata Education)
रतन टाटा के शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई। जहां उन्होंने 8 वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की। और उसके बाद वह कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल में चले गए। स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने अपनी बी. एस वास्तुकला में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ कर्नल विश्वविद्यालय से 1962 में पूरी की। इसको खत्म करने के बाद उन्होंने हावर्ड बिजनेस स्कूल में एडमिशन लिया जहां उन्होंने 1975 में एडवांस मैनेजमेंट का कोर्स कंप्लीट किया।
- अल्बर्ट आंइस्टीन का जीवन परिचय
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रतन टाटा के करियर की शुरुआत
रतन टाटा ने भारत में वापसी करने से पहले लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में जोंस एंड येमोंस में थोड़े समय के लिए काम किया। लेकिन अपनी दादी की बिगड़ती तबीयत को देख अमेरिका में बसने का सपना छोड़कर उन्हें वापस इंडिया आना पड़ा।
भारत आने के बाद उन्होंने आईबीएम के साथ काम किया लेकिन जेआरडी टाटा को ये पसंद नहीं आया और उन्होंने रतन टाटा को टाटा ग्रुप के साथ काम करने का मौका दिया। इसके बाद से ही उनके करियर की असली नींव रखी गई।
1961 मैं उन्होंने टाटा के साथ काम करना शुरू किया। पहले कुछ शुरुआती दिनों में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया। उसके बाद वो धीरे-धीरे टाटा ग्रुप की और कंपनियों के साथ जुड़ गए। एक समय आया जब उन्हें 1971 में राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में डायरेक्टर इंचार्ज के लिए चुना गया।
रतन टाटा ने भारत के अलावा कई देशों के संगठनों में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है। और प्रधानमंत्री की व्यापार उद्योग परिषद और राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद के सदस्य भी हैं। इसके साथ ही वो कई कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी है।
रतन टाटा के इस पद को संभालने के बाद मानो टाटा ग्रुप की किस्मत ही बदल गई हो। ऐसा लग रहा था आसमान पर भी सिर्फ टाटा का ही नाम लिखा है। उनके कार्यकाल में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज ने पब्लिक इशू जारी किया। जिसके बाद टाटा मोटर्स को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टड किया गया।
1981 में उन्हें टाटा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उस समय कंपनी काफी घाटे में चल रही थी और बाजार में कंपनी की हिस्सेदारी सिर्फ 2% था और घटा 40% था। कुछ साल बाद रतन टाटा ने कंपनी को काफी मुनाफा पहुंचाया। इसके कुछ समय बाद उन्हें 1991 में टाटा ग्रुप का उत्तराधिकारी बनाया गया।
रतन टाटा सम्मान और पुरस्कार (Ratan Tata Awards)
- भारत 50 में गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी 2000 पर रतन टाटा को तीसरे नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- मई 2008 में टाटा को टाइम पत्रिका की 2008 की विश्व के सबसे प्रतिभाशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया।
- टाटा परिवार के देश की प्रगति में योगदान हेतु परोपकार का कार्नेगी मेडल दिया गया।
- येल की तरफ से नेतृत्व करने वाली सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति का पुरस्कार।
- सिंगापुर की नागरिकता का सम्मान
- 2009 में ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के मानद नाइट कमांडर
- फ्रांस की सरकार की ओर 2016 में कमांडर ऑफ ऑनर
- उन्हें 26 जनवरी 2008 के भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
रतन टाटा की कुल संपत्ति (Ratan Tata Net Worth)
अगर हम टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों के मार्केट वैल्यू की बात करें तो एक अनुमान के हिसाब से जितनी उनकी कंपनियां हैं उनकी मार्केट वैल्यू 17 लाख करोड़ रुपए होगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति 117 बिलीयन डॉलर यानी करीब 8.25 लाख करोड़ है। रतन टाटा इसमें से 65% पैसा लोगों की मदद करने के लिए दान देते हैं। यही कारण है कि वो दुनिया के अमीर व्यक्तियों में शामिल नहीं है। लेकिन लोग उन्हें दिल का बहुत अमीर मानते हैं।
रतन टाटा के बारे में कुछ रोचक जानकारियॉं
- मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूं।
- अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ मिलकर चलिए।
- सत्ता और धन मेरे दो प्रमुख सिद्धांत नहीं है।
- ऐसी कई चीजें हैं, जो अगर मुझे दोबारा जीने का मौका मिले तो शायद मैं अलग ढंग से करुगा। लेकिन मैं पीछे मुड़कर यह नहीं देखना चाहूंगा कि मैं क्या नहीं कर पाया।
- जिस दिन में उड़ान नहीं भर पाऊंगा वह मेरे लिए एक दुखद दिन होगा।
Q- रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं की?
Ans – ऐसा कहा जाता है कि रतन टाटा को लॉस एंजिल्स से प्यार हुआ। लेकिन 1962 में भारत-चीन युद्ध के कारण बढ़े तनाव ने उन्हें शादी करने से रोक दिया।
Q- टाटा बिरला के पास कितना पैसा है?
Ans – इस समय करीबन 7,350 करोड रुपए।
Q- टाटा की स्थापना कब हुई?
Ans – 1868 में इसकी स्थापना की गई।
रतन टाटा का जन्म कहॉं हुआ था?
गुजरात के सूरत शहर में 28 दिसंबर 1937 को रतन टाटा का जन्म हुआ था।
रतन टाटा की उम्र कितनी हैं?
इन्हें भी पढ़े
- गौतम अडानी का जीवन परिचय
- सपना चौधरी का जीवन परिचय
- अनुष्का शर्मा का जीवन परिचय
- अनुभव दुबे का जीवन परिचय
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रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata biography in Hindi
रतन टाटा की जीवनी (परिवार, शिक्षा, लोकोपकारक, उत्तराधिकारी, पत्नी, पूर्वज, पुरस्कार, पेशा, निवल मूल्य) | Ratan Tata Biography (Family, education, wife, successor, tata groups, faliures, donations, awards, net worth)
दोस्तों आज के ही दिन (28 दिसंबर) एक महान व्यक्ति ने भारत में जन्म लिया था। आप सब उनसे परिचित होगे जी हाँ उनका नाम “रतन टाटा” है। एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने अपना जीवन अपने देश भारत और उसके लोगों के लिए समर्पित कर दिया। रतन टाटा भारत के सबसे सफल व्यापारियों में से एक है पर वो सबसे समझदार और दयालु है। आज सर रतन टाटा 84 साल के हो गए है और एक बिजनेस टाइकून है पूरी दुनिया में।आइए जानते है इस महान व्यक्ति के जीवन के बारे में। जिनका जीवन हम सब के लिए प्रेरणा दायक है।
रतन टाटा की जीवनी (Ratan Tata biography in Hindi)
रतन टाटा का जन्म, उम्र, परिवार और शिक्षा (birth, age, family and education).
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को बॉम्बे, ब्रिटिश इंडिया (आज के समय का मुंबई) में हुआ था। इनके पिता का नाम नवल टाटा था और माँ का नाम सोनी टाटा था। जब रतन टाटा 10 साल के थे तब उनके माता पिता का विवाह-विच्छेद (Divorce) हो गया था जिसके बाद रतन टाटा की देख भाल उनकी दादी ने की। रतन टाटा अपने सौतेला भाई नोअल टाटा के साथ बड़े हुए।
रतन टाटा की शिक्षा (Ratan Tata Education)
रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई कैम्पीयन स्कूल, मुंबई और कठेरदल एंड जान कानन स्कूल, मुंबई से की। यह बिशप कॉटन स्कूल, शिमला से भी पढ़े हुए है। रतन टाटा अपने आप कुछ करना चाहते थे इसलिए वो आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए जहाँ उन्होंने रिवेरदले कंट्री स्कूल, न्यू यॉर्क और हॉर्वर्ड बिज़्नेस स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। रतन अपनी फ़ीस खुद देना चाहते थे इसलिए उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई के साथ कई छोटे बड़े काम करे।
रतन टाटा ने अपनी स्नातक की पढ़ाई (Graduation) आर्किटेक्चर में करोनल्ल यूनिवर्सिटी से की हुई है। रतन टाटा अपना करीर (Career) आर्किटेक्चर में बनाना चाहते थे लेकिन बाद में उन्होंने सोचा कि वो बिज़्नेस परिवार से है तो उन्होंने अपना करीर बिज़्नेस में बनाने की सोची।
यह भी पढ़े- विराट कोहली का जीवन परिचय (Virat kohli biography in hindi)
रतन टाटा के पेशा की शुरुआत (Ratan Tata Career Starting)
यह पढ़ाई में इतने ज़्यादा होशियार थे की इन्हें अमेरिका की बहुत बड़ी कम्पनी आईबीएम से भी ऑफ़र आया। लेकिन यह अपना मन बदल चुके थे और इन्होंने इस ऑफ़र को ठुकरा दिया।
1961 में रतन ने अपनी पहली नौकरी की शुरुआत की टाटा स्टील से और यहाँ पर पीओपी और पथर की सप्लाई को देखा करते थे। इसके बाद इन्होंने टाटा की हर एक कम्पनी में छोटा बड़ा काम किया ताकि वो अपने पूरे व्यापार को समझ सके। पूरा ज्ञान होने के बाद रतन को 1971 में टाटा की टीवी और रेडीओ की कम्पनी “नेलको” दी गई। रतन टाटा ने इस कम्पनी पर पूरी महंत की और इससे एक अलग पहचान दिला दी। लेकिन बाद में किसी कारण की वजह से इस कम्पनी को बंद करना पड़ा और यह एक बहुत बड़ी हार थी रतन टाटा के लिए। फिर भी इन्होंने हार नही मानी और टाटा की एक और डूबती कम्पनी “टाटा इक्स्प्रेस मिल” को वापिस से खड़ा करना चाहा लेकिन यह कम्पनी भी नही चली।
1991 में रतन टाटा को “टाटा ग्रूप्स” का अध्यक्ष बनया गया और अब तक इन्होंने इतना अच्छा ज्ञान ले लिया था व्यापार की दुनिया में और फिर इन्होंने 21 साल महंत कर के टाटा को ना केवल भारत बल्कि बाहर के देशों में भी फैला दिया। यहाँ से ही इनकी सफलता की सीढ़ी शुरू हुई।अपने काम के समय रतन टाटा ने बहुत सारी कम्पनीज़ को भी ख़रीदा जैसे टाटा टी ने टेट्ली, टाटा मोटर ने जैग्वार और लैंड रोवर और टाटा स्टील ने कोरस जैसी बड़ी कम्पनी को ख़रीद लिया।
एक समय ऐसा भी आया जब रतन टाटा को टाटा मोटर में नुक़सान हो रहा था। तब इन्होंने इस कम्पनी को फ़ोर्ड को बेचना सोचा लेकिन फ़ोर्ड के मालिक बिल फ़ोर्ड ने रतन टाटा को कहा कि “जब आपको कार बनानी नही आती तो क्यों इतना पैसे लगाए इस कम्पनी पर और में आपकी यह कम्पनी ख़रीद के आपके ऊपर अहसान कर रहा हु”। बिल फ़ोर्ड को ख़राब व्यवहार देख कर रतन टाटा वहाँ से चले गए और टाटा मोटर को नही बेचने का फ़ैसला किया। रतन टाटा ने इस कम्पनी पर बहुत महंत की और आज टाटा की सबसे ज़्यादा बिकने वाली गाड़ियाँ है।
रतन टाटा ने बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय कम्पनीज़ के साथ पार्ट्नरशिप भी कर रखी है।
यह भी पढ़े- जाने कैसे बने जेफ़ बेजोस सदी के सबसे सफल व्यक्ति (How Jeff Bezos become so successful)
रतन टाटा के परोपकारी काम (Philanthropic Work of Ratan Tata)
रतन टाटा ने बहुत सारे परोपकारी काम कर रखे है भारत से लेकर विदेश तक। तो आए जानते है। रतन टाटा हमेशा से शिक्षा और विकास के समर्थक रहे है इसलिए इन्होंने यूनिवर्सिटी ओफ़ न्यू साउथ वेल्ज़ फ़ैकल्टी ओफ़ एंजिनीरिंग का समर्थन किया है।
टाटा एजुकेशन और टाटा चैरिटीज़ ने $28 मिलियन करोनेल्ल यूनिवर्सिटी में दे रखा है टाटा छात्रवृत्ति (Scholarship) के तहत ताकि भारत से कोई भी इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने जाए तो वो इस छात्रवृत्ति को प्राप्त कर सके।
टाटा ग्रूप्स और टाटा चैरिटीज़ ने $50 मिलियन हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में भी डोनेट कर रखे है।
टाटा ग्रूप्स ने ₹950 मिलियन भारत के आईआईटी, बॉम्बे को डोनेट किया था 2014 में जो कि सबसे बड़ी डोनेशन थी इतिहास में।
टाटा ने इतनी डोनेशन कर रखी है अगर यहाँ पर लिखी जाए तो 15-20 पेज भर जाए और फिर भी कुछ डोनेशन रह जाएगी। भारत में सेकडो लोगों के घर टाटा के वजह से चलते है। कोविड के समय भी टाटा ने सभी कर्मचारियों को सैलरी दी थी और किसी को नौकरी से नही निकाला था।
टाटा ग्रूप इतनी डोनेशन देता है की अगर वो करना छोड़ दे तो दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति ईलान मस्क को भी पीछे छोड़ दे। पर रतन टाटा को इन चीज़ों में कोई रुचि नही है। रतन टाटा अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा भी डोनेट कर देते है।
रतन टाटा की पत्नी (Wife of Ratan Tata)
रतन टाटा के जीवन में चार बार ऐसा हुआ जब वो शादी करने के बहुत पास थे लेकिन किसी ने किसी कारण की वजह से वो हर बार चूक जाते। रतन टाटा ने बताया की वो जब अमेरिका में थे एक लड़की से प्यार करते थे लेकिन भारत में इनके परिवार में कोई सदस्य बीमार पड़ गया था जिसके कारण रतन टाटा को भारत लोटना पड़ा। लड़की के माता पिता ने उसको भारत नही बेजा। रतन टाटा ने उस दिन से शादी नही करने का फ़ैसला किया और आज भी अपने वादे पर अटूट है।
यह भी पढ़े- जेक पॉल बॉक्सर और यूटूब स्टार का जीवन परिचय (Jake Paul, boxer and youtuber biography in hindi)
रतन टाटा के जीते हुए इनाम (Ratan Tata Awards)
रतन टाटा की पत्नी कौन है.
रतन टाटा अविवाहित है। रतन टाटा ने बताया की वो जब अमेरिका में थे एक लड़की से प्यार करते थे लेकिन भारत में इनके परिवार में कोई सदस्य बीमार पड़ गया था जिसके कारण रतन टाटा को भारत लोटना पड़ा। लड़की के माता पिता ने उसको भारत नही बेजा। रतन टाटा ने उस दिन से शादी नही करने का फ़ैसला किया और आज भी अपने वादे पर अटूट है।
क्या रतन टाटा को गोद लिया गया था?
जब रतन टाटा 10 साल के थे तब उनके माता पिता का विवाह-विच्छेद (Divorce) हो गया था जिसके बाद रतन टाटा की देख भाल उनकी दादी ने की।
क्या रतन टाटा की शादी हो चुकी है?
रतन टाटा के जीवन में चार बार ऐसा हुआ जब वो शादी करने के बहुत पास थे लेकिन किसी ने किसी कारण की वजह से वो हर बार चूक जाते।
रतन टाटा कौन हैं?
रतन टाटा एक महान व्यक्ति है। टाटा कम्पनीज़ के लीडर और यह अपने दया वान कार्यों के लिए जाने जाते है।
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रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi
रतन टाटा का जीवन परिचय, जन्म, परिवार, घर, संपति, शेयर, जीवनी, पत्नी, उम्र, नेट वर्थ, इतिहास, सम्मान और पुरस्कार (Ratan Tata Biography in Hindi, Birth, wife, family, age, son, net worth, Life, Education, success, Donation, Quotes)
Ratan Tata Biography in Hindi – भारत ने सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा जी का पूरा जीवन अपने आप मे हर युवा के लिए एक प्रेरणा है। आज रतन टाटा का जीवन परिचय ( Ratan Tata Biography in Hindi) में हम आपको इनकी जीवन गाथा बताने वाले हैं हम जानेंगे कि कैसे एक बच्चा जिसे बचपन मे ही अपने माता पिता के प्यार से महरूम रहना पड़ा, वह देश का इतना बड़ा उद्योगपति बना। तो चलिए शुरू करते हैं।
रतन टाटा का जीवन परिचय (Ratan Tata Biography in Hindi)
Table of Contents
प्रारंभिक जीवन और परिवार (Ratan Tata Birth, Age, Family, and Education)
टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा है। 28 दिसंबर 1937 को रतन टाटा का जन्म सूरत गुजरात में हुआ था। रतन टाटा के फादर का नाम नवल टाटा है तथा इनकी मदर का नाम सोनू टाटा है। इसके साथ ही आपको बता दूं इनके दादा जी का नाम श्री जमशेदजी टाटा है।
इन सब के अलावा इनके परिवार में इनकी एक सौतेली मां भी थी। कहने का तात्पर्य यह है कि रतन टाटा के पिता नवल टाटा ने दूसरी शादी सिमोन टाटा से किया था और सिमोन टाटा का एक बेटा भी है जिसका नाम नोएल टाटा है। लेकिन खुश हाल जीवन में एक मोड़ ऐसा आया जब रतन के माता पिता दोनो डिवोर्स लेकर अलग अलग रहने लगे।
उस समय रतन टाटा की आयु महज 10 वर्ष ही थीं। उस उम्र में उन्हें माता पिता की सख्त जरूरत थी और इस जरूरत को रतन टाटा की दादी जिनका नाम नवजबाई टाटा है इन्होंने ही दोनों भाइयों का लालन पालन काफी अच्छी तरह से किया। बताया जाता है कि नवजबाई टाटा काफी दयालु किस्म की इंसान थी। लेकिन जब अनुशासन की बात आती तो ये काफी कठोर बन जाती है।
रतन टाटा की शिक्षा (Ratan Tata Education)
यदि हम रतन टाटा की शिक्षा की बात करें तो इन्होंने कैपियन नाम के स्कूल से अपनी पढ़ाई की शुरुआत किया और इसके साथ ही उन्होने कार्निल यूनिवर्सिटी जो की लंदन में है वहां से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की ग्रेजुएट की डिग्री भी हासिल किया है और उसके बाद फिर उन्होंने हार्वड हाई स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम कोर्स को भी पूरा किया।
यही नहीं रतन टाटा को प्रतिष्टित कंपनी IBM से जॉब का अच्छा खासा ऑफर भी प्राप्त हुआ था, लेकिन रतन टाटा ने उस ऑफर को एक्सेप्ट नहीं किया और अपने पुश्तैनी व्यवसाय को ही आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। वैसे देखा जाए तो उनका यह निर्णय काफी हद तक बेहतर भी साबित हुआ।
रतन टाटा के पसंदीदा चीजें (Ratan Tata favorite)
तो चलिए अब जानते हैं की आखिर रतन टाटा के पसंदीदा चीजें कौन कौन सी थी :-
रतन टाटा की शादी और पत्नी ( Ratan Tata Wife )
रतन टाटा का करियर (ratan tata career ).
जानकारी के मुताबिक साल 1955 से लेकर साल 1962 तक रतन टाटा अमेरिका में रहते थे यही कारण है कि वे अमेरिका से काफी ज्यादा प्रभावित भी हुए थे। रतन टाटा जब अमेरिका रहते थे तो उन्हें कैलिफोर्निया और वेस्ट कोस्ट के रहन सहन इतना पसंद आ जाते हैं की उन्होंने लॉस एंजिल्स में ही रहने का अपना पूरा निर्णय ले लिया था।
लेकिन किस्मत को ये मंज़ूर नहीं था और कुछ वक्त के पश्चात ही उनकी दादी जिनका नाम नवाजबाई था उनकी तबियत अचानक से काफी ज्यादा खराब होने लगी जिसकी वजह से ही उन्हें अमरीका में रहने का निर्णय को बदलना पड़ा और वे भारत आ गए। जब रतन टाटा इंडिया वापस आए तब उनके पास केवल IBM की नौकरी थी। परंतु देखा जाए तो JRD टाटा को इनकी वापसी की थोड़ी भी खुशी नहीं थी।
JRD टाटा ने वर्ष 1962 में रतन टाटा को Tata Group की कंपनी में कार्य करने की ऑफर किया है और इस प्रकार देखा जाए तो रतन टाटा का टाटा ग्रुप से जुड़े। एक रिपोर्ट के अनुसार देश के सबसे बड़े टाटा ग्रुप में शामिल होने के पश्चात उन्होंने स्टार्टिंग के दिन में रतन टाटा ने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर कार्य किया है।
रतन टाटा सम्मान और पुरस्कार (Ratan Tata Awards Achievements )
दोस्तों जैसा कि मैंने आपको पहले भी जानकारी दिया है रतन टाटा को सन 2000 में पद्म भूषण और साल 2008 में इन्हें पद्म विभूषण जैसे बड़े बड़े अवार्ड्स भारत सरकार के माध्यम से प्रदान किया गया।
रतन टाटा की प्रेम कथा (Ratan Tata Love Life)
मैंने आपको पहले ये बताया है कि रतन टाटा ने शादी नहीं किया था लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शादी न करने की वजह क्या है। कहने का तात्पर्य यह है कि रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं की इसका मुख्य कारण क्या था। तो चलिए अब हम आपको इसके मुख्य वजह के बारे में जानकारी देंगे जिसे जानकारी आप काफी चौक जायेंगे।
जानकारी के मुताबिक शादी न करने की मुख्य वजह थी प्रेम। हालांकि, कई लोगों को यह शक था लेकिन प्रेम कहानी की ऑफिशियल तौर पर कोई पुष्टि नहीं कही किया गया था परंतु हाल ही में इस बात का खुलासा खुद रतन टाटा ने ही कर दिया।
रतन टाटा ने जब अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर ली तब लॉस एंजेलिस की एक कंपनी में रतन टाटा की एक आर्किटेक्चर फर्म में जॉब लग गई। उस दौर में रतन टाटा के पास उनकी खुद की कार मौजूद थी। उनके जीवन में उस समय सब कुछ बेहतर चल रहा था। मगर मैने आपको ऊपर भी बताया है की उनकी दादी की बीमारी की वजह से उन्हें वहां की नौकरी छोड़नी पड़ी और भारत वापस आना पड़ा।
रतन टाटा ने अपनी जीवनी कथा में यह भी बताया की जब उन्हें भारत आना था तब वे एक लड़की से प्रेम करते थे और वे भारत आने से पहले उस प्रेमिका को यह प्रोमिस किया की वे केवल उनसे ही प्रेम करते है और शादी भी उन्ही से करेंगे। ये कह कर रतन टाटा भारत आए थे। उसके कुछ वक्त बाद साल 1962 में भारत और चीन में युद्ध छिड़ गई।
भारत और चीन में युद्ध छिड़ जाने के वजह से रतन टाटा समय रहते लॉस एंजेलिस नहीं पहुंच पाए। जिसकी वजह से जिस प्रेमिका से वे शादी करना चाहते थे उसके माता पिता ने इस युद्ध का कारण देते हुए इनके रिश्ते को नहीं माना और प्रेमिका का विवाह किसी और के साथ कर दिया गया।
यही वजह है कि आज भी रतन टाटा अपने वादे को पूरी ईमानदारी के साथ निभा रहे हैं और आज तक शादी नहीं किया। रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं किया इसके पीछे का कारण बस यही था। वैसे रतन टाटा की काफी दिलचस्प प्रेम कथा थी।
रतन टाटा का सपना टाटा नैनो (Ratan Tata Dream Nano Car)
भारत में सबसे सस्ती और किफायती कार को लॉन्च करना ही रतन टाटा का सपना था। विस्तार से जाने तो रतन टाटा भारत के नागरिकों के लिए सबसे सस्ती, बेहतरीन और किफायती गाड़ी को बाजार में पेश करना चाहते थे और उन्होंने अपने इस सपने को जल्द ही साकार करके दुनिया को अपनी काबलियत को साबित भी किया।
टाटा मोटर्स के द्वारा साल 2008 में सबसे किफायती कार नैनों कार को भारत के बाजारों में लॉन्च किया गया। यदि हम इस कार की कीमत की चर्चा करें, तो इस कार की कीमत केवल 1 लाख रूपए है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे पहली और सबसे सस्ती कार नैनों कार है।
रतन टाटा के अनमोल विचार (Ratan Tata Best quotes in Hindi )
- काम हमेशा वही करें जिसमें आपको मजा आए ~ रतन टाटा
- अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए। लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ मिलकर चलिए ~ रतन टाटा
- दुनिया में हर इंसान मेहनत करता है , फिर भी सफलता सबको नहीं मिलती . मेहनत ऐसी कीजिए , जैसे सफल लोग करते हैं ~ रतन टाटा
- मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूँ और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूँ ~ रतन टाटा
- अपने जीवन की परिस्थितियों और अपनी प्रतिभाओं के अनुसार अपने लिए अवसर एवं चुनौतियों को चिन्हित करना चाहिए ~ रतन टाटा
- दूसरों की नकल करने वाले व्यक्ति थोड़े समय के लिए सफलता तो प्राप्त कर सकते हैं परंतु जीवन में बहुत आगे नहीं बढ़ सकते हैं ~ रतन टाटा
निष्कर्ष (Conclusion)
दोस्तों, उम्मीद है कि आपको रतन टाटा का जीवन परिचय ( Ratan Tata Biography in Hindi) सुनकर प्रेरणा मिली होगी। आज के लेख में मैंने रतन टाटा की जीवनी कथा से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी को आपके साथ शेयर किया है। यदि आपको रतन टाटा जी की कहानी पसंद आए तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर करना ना भूले।
Q : रतन टाटा के माता पिता कौन थे? Ans : नवल टाटा ( पिता) और सूनी टाटा ( माता)
Q : टाटा कंपनी के संस्थापक कौन है? Ans : जमशेदजी टाटा
Q : रतन टाटा के पास कितने रुपए हैं? Ans : 150 से भी ज्यादा देशों में 100 से भी ज्यादा कंपनियों के मालिक है, उनकी पुरी कमाई 7,350 करोड़ रुपये है.
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जन्म: 28 दिसंबर 1937, सूरत
कैरियर/व्यवसाय/पद: टाटा संस के सेवामुक्त चेयरमैन
रतन टाटा एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के सेवामुक्त चेयरमैन हैं। वे सन 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे। 28 दिसंबर 2012 को उन्होंने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया परन्तु वे अभी भी टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हुए हैं। वह टाटा ग्रुप के सभी प्रमुख कम्पनियों जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा टी, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज के भी अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने नई ऊंचाइयों छुआ और समूह का राजस्व भी कई गुना बढ़ा।
प्रारंभिक जीवन
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को भारत के सूरत शहर में हुआ था। रतन टाटा नवल टाटा के बेटे हैं जिन्हे नवजबाई टाटा ने अपने पति रतनजी टाटा के मृत्यु के बाद गोद लिया था। जब रतन दस साल के थे और उनके छोटे भाई, जिमी, सात साल के तभी उनके माता-पिता (नवल और सोनू) मध्य 1940 के दशक में एक दुसरे से अलग हो गए। तत्पश्चात दोनों भाइयों का पालन-पोषण उनकी दादी नवजबाई टाटा द्वारा किया गया। रतन टाटा का एक सौतेला भाई भी है जिसका नाम नोएल टाटा है।
रतन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई और माध्यमिक शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से। इसके बाद उन्होंने अपना बी एस वास्तुकला में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ कॉर्नेल विश्वविद्यालय से 1962 में पूरा किया। तत्पश्चात उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से सन 1975 में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
भारत लौटने से पहले रतन ने लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, में जोन्स और एमोंस में कुछ समय कार्य किया। उन्होंने टाटा ग्रुप के साथ अपने करियर की शुरुआत सन 1961 में की। शुरुआती दिनों में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर कार्य किया। इसके बाद वे टाटा ग्रुप के और कंपनियों के साथ जुड़े। सन 1971 में उन्हें राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का अध्यक्ष बनाया गया। सन 1991 में जेआरडी टाटा ने ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया और रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
रतन के नेतृत्व में टाटा समूह ने नई ऊंचाइयों को छुआ। उनके नेतृत्व में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने पब्लिक इशू जारी किया और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया। सन 1998 में टाटा मोटर्स ने पहली पूर्णतः भारतीय यात्री कार – टाटा इंडिका – को पेश किया। तत्पश्चात टाटा टी ने टेटली, टाटा मोटर्स ने ‘जैगुआर लैंड रोवर’ और टाटा स्टील ने ‘कोरस’ का अधिग्रहण किया जिससे टाटा समूह की साख भारतीय उद्योग जगत में बहुत बढ़ी। टाटा नैनो – दुनिया की सबसे सस्ती यात्री कार – भी रतन टाटा के ही सोच का ही परिणाम है।
28 दिसंबर 2012 को वे टाटा समूह के सभी कार्यकारी जिम्मेदारी से सेवानिवृत्त हुए। उनका स्थान 44 वर्षीय साइरस मिस्त्री ने लिया। हालाँकि टाटा अब सेवानिवृत्त हो गए हैं फिर भी वे काम-काज में लगे हुए हैं। अभी हाल में ही उन्होंने भारत के इ-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील में अपना व्यक्तिगत निवेश किया है। इसके साथ-साथ उन्होंने एक और इ-कॉमर्स कंपनी अर्बन लैडर और चाइनीज़ मोबाइल कंपनी जिओमी में भी निवेश किया है।
वर्तमान में रतन, टाटा समूह के सेवानिवृत अध्यक्ष हैं। इसके साथ-साथ वह टाटा संस के 2 ट्रस्ट्स के अध्यक्ष भी बने हुए हैं।
रतन टाटा ने भारत के साथ-साथ दूसरे देशों के कई संगठनो में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। वह प्रधानमंत्री की व्यापार और उद्योग परिषद और राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद के एक सदस्य हैं। रतन कई कम्पनियो के बोर्ड पर निदेशक भी हैं।
सम्मान और पुरस्कार
भारत सरकार ने रतन टाटा को पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) द्वारा सम्मानित किया। ये सम्मान देश के तीसरे और दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं। उनको मिले अन्य उल्लेखनीय पुरस्कार इस प्रकार हैं:
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रतन टाटा का जीवन परिचय: पत्नी, उम्र, बच्चे, संपत्ति, और परिवार
देश के जाने-माने प्रतिष्ठित और सम्मानीय उद्द्योगपति तथा सबके चहेते समाज सेवक रतन टाटा से जुडी ऐसी कई सारी अनकही और अनसुनी बातें बातें जिससे आप सभी अनजान होंगे। इस लेख के माध्यम से आपको इनसे जुड़े कई सारे अहम् जानकारियां मिलेगी और साथ ही लेख के अंत में आपको रतन टाटा से जुड़े कुछ रोचक जानकारियां भी आप पढ़ेंगे।
लेख में मौजूद सामग्री
रतन टाटा का जीवन परिचय
रतन टाटा की शिक्षा, रतन टाटा का परिवार, रतन टाटा का पसंद और शौक, रतन टाटा की कमाई और कुल संपत्ति, पुरष्कार, सम्मान और उपलब्धियां, रतन टाटा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां.
- रतन टाटा के माता-पिता के अलग हो जाने के पश्चात इनका पालन पोषण इनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की थी, जो की रतन टाटा के दादाजी रतनजी टाटा की पत्नी थी।
- रतन टाटा ने वर्ष 1961 में टाटा स्टील से जुड़े और उस समय वो फावड़े से चुना पत्थर तोड़ा करते थे।
- साल 2009 में रतन टाटा ने यह बात कही थी की वो दुनिया का सबसे सस्ता कार बना कर रहेंगे। अपनी बातों पर कायम रहते हुए टाटा ने नैनो कार को बाजार में उतारा और फिर इसकी लागत कीमत बिक्री कीमत से अधिक होते हुए भी गाड़ी की कीमत को नहीं बढ़ाया।
- रतन जी को कार के बड़े शौक़ीन इंसान है, इसलिए इनके गाड़ी के गेराज में Ferrari Calforniya से लेकर Jaguar CFTR जैसी महँगी और आकर्षक गाड़ियां शामिल है।
- ये एक बेहतर समाज सेवक के तौर पर भी पूरे विश्व में जाने जाते हैं। इस बात का अंदाजा ऐसे भी लाए सकते हैं की इन्होने हारवर्ड बिज़नेस स्कूल को $50 मिलियन दान में दिया था। इसके बदले हारवर्ड बिज़नेस स्कूल ने इनके सम्मान में इनके नाम पर एक हॉल का नामकरण किया।
- क्या आप जानते हैं की रतन टाटा एक बेहतरीन पायलट भी हैं और इनके पास अपना एक पायलट का लइसेंस भी मौजुद है। वर्ष 2007 में इन्होने F-16 जंगी हवाई जहाज को भी उड़ाया था।
- Tata Groups में ज़्यादातर कंपनियों के अधिग्रहण का नेतृत्व रतन जी ने ही की है। जिसमे टाटा टि ने Tetley और Tata Motors में Jaguar जैसी बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण शामिल है।
- टाटा ग्रुप में रहते हुए इन्होने ₹950 मिलियन का बड़ा दान IIT Bombay को भी दिया था। साथ ही IIT Bombay में इन्होने टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिज़ाइन का भी निर्माण करवाया। ताकि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में खोज होती रहे।
- रतन टाटा अबतक कुंवारे हैं, लेकिन एक समय था जब वो शादी करने वाले थे। लेकिन किसी कारणों के वजह से ऐसा संभव नहीं हो सका। ऐसा कहा जाता है की अबतक चार बार ऐसे हालात उत्पन्न हुए थे जब उनका विवाह हो सकता था।
इस लेख में आपने राटा टाटा की जीवनी के बारे में पढ़ा और साथ ही इनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें भी आपने जाना। लेख से सम्बंधित किसी प्रकार की कोई शंका या सवाल आपके मन में हो तब निचे कमेंट करके हमें अवश्य बतलायें, धन्यवाद्।
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Q: रतन टाटा की पत्नी का क्या नाम है?
उत्तर: रतन टाटा कुंवारे हैं।
Q: रतन टाटा के बच्चे के बच्चे का क्या नाम है?
उत्तर: रतन टाटा ने शादी नहीं की है, इसलिए इनके बच्चे नहीं हैं।
wikiHindi कुछ लेखकों का समूह है, जो विभिन्न क्षेत्र की जानकारीयों को Research करके आप तक आपकी मातृ-भाषा हिंदी में पहुंचाने का प्रयास करता है और w ikiHindi के इस लेखक समूह का केवल एक ही उद्देश्य है आप तक ‘सही एवं सटीक’ जानकारी पहुँचाना। इस समूह के के द्वारा लिखे गए लेख से आप स्वयं को देश-दुनिया में घट रही भिन्न प्रकार की घटनाओं से खुद को अपडेट रख पाते हैं।
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रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi
Ratan Tata Biography in Hindi : आज के लेख में रतन टाटा का जीवन परिचय बताएँगे भारत के सबसे सफल उद्योपति में एक भारत के एक महान हस्ती रतन टाटा पर ये बात लागू होती है आज हम आपको एक ऐसी कहानी बता रहे है।
जो रतन टाटा की महत्ता को व्यान करती है रतन टाटा एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति ओर टाटा संग मुख्य के प्रमुख चेयर मैन हैै वे साल 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे 28 दिसम्बर 2012 को उन्होंने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया लेकिन वो अभी भी टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हुए है।
वे टाटा ग्रुप के सभी प्रमुख कंपिनयों जैसे – टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा टी, टाटा कैमिकल्स, इंडियन होटल्स ओर टाटा टेली सर्विसेज के भी अध्यक्ष थे उनके नीतित्व टाटा ग्रुप ने नई ऊंचाइयों को छुआ और कंपनी का राजस्व भी कई गुना बढ़ गया था यहाँ हम आपको Ratan Tata Biography विस्तार प्रूवक बताएँगे।
Table of Contents
Ratan Tata Biography in Hindi
रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन.
रतन टाटा का जन्म 28 दिसम्बर 1937 को गुजरात के सूरत शहर में हुआ रतन टाटा नवल टाटा के बेटे है उनकी माँ का नाम सोनू टाटा है जब रतन टाटा 10 साल के थे और उनके छोटे भाई जिमि 7 साल के तब ही उनके माता पिता 1940 के दसक में एक दूसरे से अलग हो गए थे इसके बाद दोनों भाइयों का पालन पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा द्वारा किया गया।
रतन टाटा का एक सौतेला भी भी है उसका नाम नोएल टाटा है रतन टाटा की प्रारंभिक स्कूली शिक्षा मुम्बई के कैम्पियन स्कूल से हुई और इसके बाद उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई आर्किटेक्चर एसट्रक्चलर इंजीनियरिंग के साथ कार्नर विश्वविद्यालय से 1962 में पूरी की इसके अलावा उन्होंने हवाद बिजनेस स्कूल से सन 1975 में एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम भी पूरा किया।
भारत लौटने से पहले रतन ने लॉसऐंजली केनोफोर्निया में जोन्सअनमोन्स कंपनी में कार्य किया था उन्होंने टाटा ग्रुप के साथ अपने कैरियर कैरियर की शुरुआत 1961 में की थी शुरुआती दिनो मे उन्होंने टाटा स्टील के सौंफ फ्लोर पर कार्य किया था कुछ दिन बाद वे टाटा ग्रुप के अन्य कंपनियों के साथ भी जुड़ गए।
साल 1971 में उनको राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक कंपनी नेल्को में प्रभारी निर्देसक नियुक्त किया गया था 1981 में उन्होने टाटा इंड्रस्टीज का अध्यक्ष बनाया गया था साल 1991 में JRD टाटा ने ग्रुप के अध्यक्ष पद हो छोड़ दिया और रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
रतन टाटा के सफलता की कहानी
बात तब की है जब टाटा ग्रुप ने 1998 में टाटा ऐंडिका कार को बाजार में लंच किया था टाटा ऐडिका को बाजार में अच्छा रिस्पॉस नही मिला तब कुछ करीबी लोगों और सजादारो ने रतन डेटा को अपने कार व्यापार का नुकसान की पूर्ति के लिए अपनी कार कंपनी किसी ओर कंपनी को बेचने का सुझाव दिया क्योंकि कार लंच करने की योजना रतन टाटा की स्वयं की थी।
और उससे नुकसान हुआ था और इसका जिमेदार वो खुद थे इसी लिए रतन टाटा ने इस सुझाव को ठीक समझा इसके बाद वे अपने सजेदारो के साथ मिलकर कर कंपनी बेचने का प्रस्ताव फोड़ कंपनी के पास गए फोड़ कंपनी अमेरिका में बनने वाली कारो का एक मुख्य केंद्र थी।
फोर्ड कंपनी के साथ रतन टाटा ओर उनके सजेदारो के बीच मीटिंग करीब 3 घंटो तक चली फोर्ड कंपनी के मालिक बिल्क फोर्ड ने रतन टाटा के साथ कुछ रूखा बेवहार किया था और बातों ही बातों में यह कह दिया कि जब तुमको इस बेवपार के बारे पता नही थी तो तुमने उस कार को लंच करने में इतना पैसा क्यो लगाया।
हम तुम्हारी कंपनी को खरीद कर तुम्हारी बहुत बड़ी मदद करे जा रहे है कोई बार इंसान अपनी सफलता के घमंड में कुछ ऐसी बाते कह जाता है जो उसे नही कहना चलिए मीटिंग के बाद रतन टाटा ने तुरंत वापस लौटने का फैसला किया पूरे रास्ते मे उस मीटिंग में हुए
बात के बारे में सोचकर अपमानित महसूस कर रहे थे और वही बात उनकी मन मे बार-बार आ रही थी कुछ ही साल में शुरुआती झटके खाने के बाद रतन टाटा की कार की बिजनेस अच्छा चलने लगा और एक मुनाफे का बेवसाय साबित हुआ।
वही दूसरी ओर फोर्ड कंपनी का बाजार गिर गया था फोर्ड कंपनी 2008 तक उनकी दिवाला निकलने की कगार पर थी तभी रतन टाटा ने फोर्ड कंपनी के सामने उनकी लग्जरी कार ब्रांड जैगुआर और लैंडरोवर को खरीदने की प्रस्ताव रखा।
इसके बदले फोर्ड कंपनी को अच्छा खासा दाम देने का प्रताव दिया क्योकी बिल फोर्ड पहले से ही जैगुआर और लैंडरोवर की वजह से काफी घाटा झेल चुके थे तो उन्होंने ये प्रस्ताव खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।
बिल फोर्ड बिल्कुल उसी तरह अपने सजेदारो के साथ बॉम्बे हाउस यानी टाटा समूह के मुख्यालय में पहुचे जिस प्रकार रतन टाटा बिल्फोर्ड से मिलने उनके मुख्यालय गए थे मीटिंग में ये तय हुआ की जैगुआर और लैंड रोवर ब्रांड 9 हजार 300 करोड़ रुपये में टाटा समूह के अधीन होगा और वैसा ही हुआ।
इस बार भी बिल फोर्ड ने वही बात दोहराई जो उन्होंने पिछली मीटिंग में रतन टाटा से कही थी लेकिन बात इस बार थोड़ी उल्टा थी उन्होंने कहा आप हमारे कंपनी को खरीदकर बहुत बड़ा एहसान कर रहे है आज जैगुआर और लैंड रोवर टाटा समूह का एक हिस्सा है और बाजार में बेहद मुनाफे के साथ आगे बढ़ रहा है
रतन टाटा के पास कितना पैसा है
रतन टाटा एक बेगिनार ने कहा हैं कि मेरे पास जितनी भी सम्पति है वह कोई मायने नही रखती उनको साल 2012 में बहुत से नेताओ ने राजनीतिक में लाने की कोसिस की पर वो साफ इंकार लर दिया वे चाहते है कि लोग उन्हें एक अच्छे उद्योगपति के रूप में जाने अब चलिए बात कर लेते है कि रतन टाटा के पास कितना पैसा है।
तो सूत्रों के अनुसार रतन टाटा के पास कुल संपत्ति लगभग 72000 अरब डॉलर की है टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा था।
रतन टाटा को मिला पुरस्कार
साल 2001 से 2016 तक रतन टाटा को कौन कौन से पुरस्कार मिले है उसके बारे में निचे लिस्ट दिया गया है।
Q : रतन टाटा की कुल संपत्ति कितनी है?
Ans : हुरून की रिच लिस्ट के मुताबिक समृद्ध और प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा की कुल 6,000 करोड़ रुपये की संपति है।
Q : रतन टाटा के पास कितनी कंपनी है?
Ans : टाटा ग्रुप देश और दुनिया में 10 क्लस्टर में 30 कंपनियों के साथ परिचालन कर रहा है।
Q : रतन टाटा कहां के रहने वाले हैं?
Ans : रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसम्बर 1937 को गुजरात के सूरत शहर में हुआ था।
Q : रतन टाटा की उम्र कितनी है?
Ans : रतन टाटा का जन्म 28 दिसम्बर 1937 को हुआ था साल 2022 के हिसाब से इनका उम्र 85 साल होंगे।
Q : रतन टाटा ने शादी क्यों हीं की?
Ans : कहा जाता है की रतन टाटा को एक लड़की से प्यार था, जब उनका प्यार सफल नहीं रहा तो उन्होंने जिंदगी अकेले ही गुजार दी।
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Ratan Tata Biography in Hindi
Ratan Tata Biography
Ratan tata भारतीय व्यवसाय में एक प्रमुख नाम हैं जिन्होंने अपनी उद्यमशीलता और नेतृत्व के माध्यम से भारतीय व्यवसाय के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका जीवन एक अनोखी कहानी है, जिसमें संघर्ष, सफलता और साहस का सफर शामिल है। इस Ratan Tata Biography in Hindi में हम Ratan tata के जीवन के उन महत्वपूर्ण पहलुओं को जानेंगे जिनके माध्यम से उन्होंने भारतीय उद्योगों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
Education of Ratan Tata
इन्होने पहले कैंपियन स्कूल, मुंबई में पढ़ाई की, फिर उन्होंने कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई और कॉलेज में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, इथाका, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, बोस्टन, मैसाचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका में पढ़ाई की। अमेरिका पूरा हो गया है. 1959 में उन्होंने एयरटेक में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। Ratan tata ने बी.एस. की उपाधि प्राप्त की। वास्तुकला में. 1975 में हर्बर्ट विश्वविद्यालय से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री, प्रबंधन में डिग्री
Career of Ratan Tata
Ratan tata के बिजनेस करियर की शुरुआत उनके विदेश में काम करने से हुई। उन्होंने लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में जोन्स एंड एम्मन्स कंपनी में कुछ समय तक काम किया। लेकिन अपने परिवार की स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वह अमेरिका में नहीं बसे और भारत लौटकर उन्होंने आई.बी.एम. के साथ काम करना शुरू कर दिया। फिर जेआरडी टाटा ने उन्हें टाटा ग्रुप के साथ काम करने का मौका दिया, जिससे उनके करियर को एक नया मोड़ मिला।
1961 में Ratan tata ने टाटा कंपनी के साथ काम करना शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले अपने करियर की शुरुआत टाटा स्टील के शॉप फ्लोर से की। धीरे-धीरे वह टाटा ग्रुप की अन्य कंपनियों से जुड़ गए। 1971 में, उन्हें नेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रेडियो कंपनी (एनईएलसीओ) के प्रभारी निदेशक के रूप में चुना गया था।
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1981 में Ratan tata को टाटा कंपनी के चेयरमैन पद पर पदोन्नत किया गया। उस समय कंपनी कुछ समस्याओं से गुजर रही थी और उसका मार्केट शेयर केवल 2% था और कंपनी का घाटा 40% था। लेकिन Ratan tata धीरे-धीरे कंपनी को मुनाफे में लाने में सफल रहे। कुछ साल बाद, 1991 में, उन्हें टाटा समूह के अध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किया गया। Ratan tata के इस पद पर आने के बाद टाटा ग्रुप की किस्मत में बड़ा बदलाव आया। वह एक बकवास न करने वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं और हमेशा काम करने, व्यवसाय में निवेश करने और सफलता प्राप्त करने के तरीके प्रदान करते हैं।
Ratan Tata’s initial business ( RATAN TATA का शुरुआती बिजनेस )
21 साल की उम्र में Ratan tata ने टाटा ग्रुप को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया था। 1960 से उन्होंने टाटा के लिए एक शॉप फॉलोअर के रूप में काम करना शुरू किया, 1970 तक उन्होंने विभिन्न टाटा कंपनियों में काम किया और फिर उन्होंने प्रबंधन करना शुरू कर दिया। 1971 में उन्हें नेल्को कमानी की जिम्मेदारी दी गई जो घाटे में चल रही थी। Ratan tata ने 3 साल में NELCO की बाजार हिस्सेदारी 2% से बढ़ाकर 20% कर दी।
- 1977 में टाटा ग्रुप की कंपनी Ratan tata को खरीद लिया गया, जो घाटे में चल रही थी और कंपनी बंद हो गई।
- 1981 में RATAN TATA को टाटा इंडस्ट्रीज का सीईओ बनाया गया।
- जेआरडी टाटा ने 1991 में टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में Ratan tata की जगह ली। टाटा पहले से ही यात्री और वाणिज्यिक वाहन बना रहा था।
- 30 सितंबर 1998 को, भारतीय लोगों का इंडिका में लक्जरी लंच करने का सपना, जो Ratan tata का ड्रीम प्रोजेक्ट था, पूरा हुआ।
- RATAN TATA ने जगुआर और लैंड रोवर को खरीदा और 26 मार्च 2008 को उन्हें भारत में बेच दिया।
How many companies does ratan Tata Own
- Tata Motors
- Tata Communication
- Tata Daewoo
- Ferrarri California
- Tata Chemicals
- Tata Avinya
- jaguar land rover
- Tata Hispano
- Tata Consumer Products
- Tata Harrier
- Tata Indigo
Ratan tata’s family
1948 में, जब टाटा 10 वर्ष के थे, तब वे अपने माता-पिता से अलग हो गए और फिर उनकी दादी, नवाज़बाई टाटा, जो रतनजी टाटा की विधवा थीं, ने उनका पालन-पोषण किया और उन्हें गोद ले लिया। सिमोन टाटा से अपनी दूसरी शादी से, नवल टाटा का एक छोटा भाई, जिमी टाटा और एक मंझला भाई, नोएल टाटा है, जिनके साथ वह बड़े हुए।
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The Best quotes of Ratan Tata
- सत्ता और पैसा मेरे दो मुख्य सिद्धांत नहीं हैं।
- मेरे पास दो या तीन कारें हैं जो मुझे पसंद हैं, लेकिन आज, प्रभावशाली होने की हद तक, फेरारी सबसे अच्छी कार है जिसे मैंने चलाया है।
- मैं निश्चित रूप से राजनीति में शामिल नहीं होऊंगा. मैं चाहूंगा कि मुझे एक साफ़-सुथरे व्यवसायी के रूप में याद किया जाए जो भूमिगत गतिविधियों में शामिल नहीं था और जो बहुत सफल था।
- जिस दिन मैं उड़ने में असमर्थ हो जाऊँगा वह दिन मेरे लिए दुखद दिन होगा।
- मैं फैसले सही नहीं लेता, मैं फैसला ले लेता हु और फिर उसे सही साबित करता हु
Australia award of Ratan tata
उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा सर्वोच्च ऑस्ट्रेलियाई नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
Ratan tata donation worth
अम्सेटजी टाटा को दुनिया के सबसे बड़े परोपकारी के रूप में नामित किया गया है क्योंकि उन्होंने 102.4 बिलियन अमरीकी डालर ( 829734 करोड़ रुपये ) का दान दिया है। दूसरे स्थान पर माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और उनकी अब अलग हो चुकी पत्नी मेलिंडा हैं, जिन्होंने 74.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का दान दिया है।
प्रश्न: टाटा कौन सी जाति है? उत्तर: पारसी पुजारी परिवार
प्रश्न: रतन टाटा का अगला उत्तराधिकारी कौन है? उत्तर: लिआ, माया और नेविल टाटा
प्रश्न: टाटा की स्थापना किसने की? उत्तर: जमशेदजी टाटा
प्रश्न: क्या रतन टाटा स्वनिर्मित हैं? उत्तर: वह एक सफल स्व-निर्मित व्यक्ति हैं
प्रश्न: रतन टाटा का सबसे छोटा दोस्त कौन है? उत्तर: शांतनु नायडू,
प्रश्न: टाटा हिंदू है या पारसी? उत्तर: टाटा एक पारसी परिवार है
प्रश्न: टाटा का नाम टाटा क्यों पड़ा? उत्तर: प्राचीन जर्मनिक मूल के व्यक्तिगत नाम टाटा टाडा से
प्रश्न: क्या रतन टाटा का कोई बेटा है? उत्तर: टाटा ने कभी शादी नहीं की और उनके कोई बच्चे नहीं थे।
प्रश्न: रतन टाटा अब कहाँ हैं? उत्तर: कोलाबा में रतन टाटा का घर
प्रश्न: टाटा का अगला सीईओ कौन होगा? उत्तर: कृतिवासन जी
प्रश्न: रतन टाटा की देखभाल कौन करता है? शांतनु नायडू
प्रश्न: शांतनु नायडू का वेतन कितना है? 7 लाख प्रति माह
प्रश्न: टाटा के सबसे युवा सीईओ कौन हैं? अवनि दावड़ा
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रतन टाटा की प्रेरणादायक जीवनी | Ratan Tata Biography in Hindi
Ratan Tata / रतन टाटा जिनका पूरा नाम रतन नवल (Ratan Naval Tata) टाटा हैं एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति, निवेशक, परोपकारी और टाटा सन्स के सेवामुक्त चेयरमैन हैं। टाटा समूह भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया। रतन टाटा सन 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे। 28 दिसंबर 2012 को उन्होंने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया परन्तु वे अभी भी टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हुए हैं। हालाँकि उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में, अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक काम किया। रतन टाटा, एक ऐसी शख्सियत हैं, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि अगर आपमें प्रतिभा है, तो आप देश में रहकर भी ऐसे शिखर पर पहुँच सकते हैं, जहाँ हर भारतीय आप पर नाज़ करे।
रतन टाटा का परिचय – Ratan Tata Ka Parichay
रतन टाटा सभी टाटा ग्रुप के प्रमुख कम्पनियों जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा टी, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज के भी अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने नई ऊंचाइयों छुआ और समूह का राजस्व भी कई गुना बढ़ा। रतन टाटा एक परोपकारी व्यक्ति है, जिनके 65% से ज्यादा शेयर चैरिटेबल संस्थाओ में निवेश किये गए है। उनके जीवन का मुख्य उद्देश् भारतीयो के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है और साथ ही भारत में मानवता का विकास करना है। रतन टाटा का ऐसा मानना है की परोपकारियों को अलग नजरिये से देखा जाना चाहिए, पहले परोपकारी अपनी संस्थाओ और अस्पतालों का विकास करते थे जबकि अब उन्हें देश का विकास करने की जरुरत है। 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया। भारत सरकार ने रतन टाटा को पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) द्वारा सम्मानित किया।
जन्म और शिक्षा – Ratan Tata Education
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता नवल टाटा और माँ सोनू कमिसरियात हैं। उन्हें एक छोटा भाई जिमी टाटा भी है। जब रतन दस साल के थे और उनके छोटे भाई, जिमी, सात साल के तभी उनके माता-पिता (नवल और सोनू) मध्य 1940 के दशक में एक दुसरे से अलग हो गए। तत्पश्चात दोनों भाइयों का पालन-पोषण उनकी दादी नवजबाई टाटा द्वारा किया गया। रतन टाटा का एक सौतेला भाई भी है जिसका नाम नोएल टाटा है। रतन टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते हैं।
बचपन से ही रतन एन. टाटा का पालनपोषण उद्योगियो के परिवार में हुआ था। वे एक पारसी पादरी परिवार से जुड़े हुए थे। उनका परिवार ब्रिटिश कालीन भारत से ही एक सफल उद्यमी परिवार था इस वजह से रतन टाटा को अपने जीवन में कभी भी आर्थिक परेशानियो का सामना नही करना पड़ा था।
मुंबई के कैपियन स्कूल से शुरूआती पढ़ाई करने के बाद रतन टाटा ने कार्निल यूनिवर्सिटी, लंदन से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और फिर हार्वड विश्वविघालय से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम कोर्स किया। उन्हें प्रतिष्टित कंपनी आईबीएम से नौकरी का बढ़िया प्रस्ताव मिला, लेकिन रतन ने उस प्रस्ताव को ठुकराकर अपने पुश्तैनी बिजनेस को ही आगे बढ़ाने की ठानी।
रतन टाटा के करियर – Ratan Tata Biography in Hindi
पढाई पूरी करने के बाद भारत लौटने से पहले रतन ने लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, में जोन्स और एमोंस में कुछ समय कार्य किया। लेकिन अपनी दादी की बिगड़ती तबीयत को देख अमेरिका में बसने का सपना छोड़कर उन्हें वापस इंडिया आना पड़ा। भारत आने के बाद उन्होंने आईबीएम के साथ काम किया लेकिन, उनके दादा जेआरडी टाटा को ये पसंद नहीं आया। उन्होंने (रतन टाटा) टाटा ग्रुप के साथ अपने करियर की शुरुआत सन 1961 में की। टाटा समूह से जुड़ने के बाद उन्हें काम के सिलसिले में टाटा स्टील को आगे बढाने के लिये जमशेदपुर भी जाना पडा।
शुरुआती दिनों में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर कार्य किया। इसके बाद वे टाटा ग्रुप के और कंपनियों के साथ जुड़े। सन 1971 में उन्हें राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। जिसकी उस समय बहुत बुरी हालत थी और उन्हें 40% का नुकसान और 2% ग्राहकों के मार्केट शेयर खोने पड़े। लेकिन जैसे ही रतन एन. टाटा उस कंपनी में शामिल हुए उन्होंने कंपनी का ज्यादा मुनाफा करवाया और साथ ही ग्राहक मार्केट शेयर को भी 2% से बढाकर 25% तक ले गए। उस समय मजदूरो की कमी और NELCO की गिरावट को देखते हुए राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया था।
जे.आर.डी टाटा ने जल्द ही 1981 में रतन टाटा को अपने उद्योगों का उत्तराधिकारी घोषित किया। लेकिन उस समय ज्यादा अनुभवी न होने के कारण कई लोगो ने उत्तराधिकारी बनने पर उनका विरोध किया। लोगो का ऐसा मानना था की वे ज्यादा अनुभवी नही है और ना ही वे इतने विशाल उद्योग जगत को सँभालने के काबिल है। लेकिन टाटा ग्रुप में शामिल होने के 10 साल बाद, सन 1991 में जेआरडी टाटा ने ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया और रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
रतन के नेतृत्व में टाटा समूह ने नई ऊंचाइयों को छुआ। और देश ही नही बल्कि विदेशो में भी उहोने टाटा ग्रुप को नई पहचान दिलवाई। उनके नेतृत्व में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने पब्लिक इशू जारी किया और टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया। सन 1998 में टाटा मोटर्स ने पहली पूर्णतः भारतीय यात्री कार – टाटा इंडिका – को पेश किया। देश की पहली कार जिसकी डिजाइन से लेकर निर्माण तक का कार्य भारत की कंपनी ने किया हो, उस टाटा इंडिका प्रोजेक्ट का श्रेय भी रतन टाटा के खाते में ही जाता है। तत्पश्चात टाटा टी ने टेटली, टाटा मोटर्स ने ‘जैगुआर लैंड रोवर’ और टाटा स्टील ने ‘कोरस’ का अधिग्रहण किया जिससे टाटा समूह की साख भारतीय उद्योग जगत में बहुत बढ़ी। टाटा नैनो – दुनिया की सबसे सस्ती यात्री कार – भी रतन टाटा के ही सोच का ही परिणाम है।
टाटा ग्रुप की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) आज भारत की सबसे बडी सूचना तकनीकी कंपनी है। वह फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन के बोर्ड आंफ़ ट्रस्टीज के भी सदस्य हैं। आज टाटा ग्रुप का 65% मुनाफा विदेशो से आता है. 1990 में उदारीकरण के बाद टाटा ग्रुप ने विशाल सफलता हासिल की, और फिर से इसका श्रेय भी रतन एन. टाटा को ही दिया गया।
28 दिसंबर 2012 को वे टाटा समूह के सभी कार्यकारी जिम्मेदारी से सेवानिवृत्त हुए। उनका स्थान 44 वर्षीय साइरस मिस्त्री ने लिया था लेकिन 4 साल बाद साइरस मिस्त्री को भी इस पद से हटा दिया गया और फिर 4 महीने के लिए टाटा समूह का भार रतन टाटा ने अपने कंधो पर लिया। अभी टाटा ग्रुप के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन हैं। हालाँकि टाटा अब सेवानिवृत्त हो गए हैं फिर भी वे काम-काज में लगे हुए हैं। अभी हाल में ही उन्होंने भारत के इ-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील में अपना व्यक्तिगत निवेश किया है। इसके साथ-साथ उन्होंने एक और इ-कॉमर्स कंपनी अर्बन लैडर और चाइनीज़ मोबाइल कंपनी जिओमी में भी निवेश किया है।
वर्तमान में रतन, टाटा समूह के सेवानिवृत अध्यक्ष हैं। इसके साथ-साथ वह टाटा संस के 2 ट्रस्ट्स के अध्यक्ष भी बने हुए हैं। रतन टाटा ने भारत के साथ-साथ दूसरे देशों के कई संगठनो में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। वह प्रधानमंत्री की व्यापार और उद्योग परिषद और राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद के एक सदस्य हैं। रतन कई कम्पनियो के बोर्ड पर निदेशक भी हैं। रतन टाटा भारतीय एड्स कार्यक्रम समिति के सक्रीय कार्यकर्ता भी है। भारत में इसे रोकने की हर संभव कोशिश वे करते रहे है। देश ही नहीं बल्कि विदेशो में भी रतन टाटा का काफी नाम दिखाई देता है। वे मित्सुबिशी को-ऑपरेशन की अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति के भी सदस्य है और इसीके साथ वे अमेरिकन अंतर्राष्ट्रीय ग्रुप जे.पी. मॉर्गन चेस एंड बुज़ एलन हमिल्टो में भी शामिल है।
सम्मान और पुरस्कार – Ratan Tata Awards in Hindi
- भारत के 50वें गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी 2000 पर रतन टाटा को तीसरे नागरिक अलंकरण पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- उन्हें 26 जनवरी 2008 भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- वे नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप (NASSCOM Global Leadership) पुरस्कार 2008 प्राप्त करने वालों में से एक थे। ये पुरस्कार उन्हें 14 फ़रवरी 2008 को मुम्बई में एक समारोह में दिया गया।
- मार्च 2006 में टाटा को कॉर्नेल विश्वविद्यालय द्वारा 26वें रॉबर्ट एस सम्मान से सम्मानित किया गया। आर्थिक शिक्षा में हैटफील्ड रत्न सदस्य, वह सर्वोच्च सम्मान जो विश्वविद्यालय कंपनी क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को प्रदान करती है।
- फरवरी 2004 में, रतन टाटा को चीन के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो (Hangzhou) शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- उन्हें लन्दन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स (London School of Economics) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई, और नवम्बर 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।
- मई 2008 में टाटा को टाइम पत्रिका की 2008 की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया।
- इंडो- इसरायली चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स द्वारा सन् 2010 में “बिजनेसमैन ऑफ़ दि डिकेड” का सम्मान।
- टाटा परिवार के देश की प्रगति में योगदान हेतु परोपकार का कार्नेगी मैडल दिया गया।
- येल की तरफ से नेतृत्व करने वाले सबसे प्रसिद्ध व्यक्ति का पुरस्कार।
- सिंगापूर की नागरिकता का सम्मान।
- 2009 में ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के मानद नाइट कमांडर।
- एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय द्वारा 2013 में डॉक्टरेट की मानद उपाधि।
- फ्रांस की सरकार की ओर 2016 में कमांडर ऑफ ऑनर
रतन टाटा आज भी अविवाहित पुरुष है। रतन टाटा व्यक्तिगत तौर पे बहुत ही शर्मीले हैं। और वे दुनिया की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते। वे सालों से मुम्बई के कोलाबा जिले में एक किताबों से भरे हुए फ्लैट में अकेले रहते है। रतन टाटा उच्च आदर्शों वाले व्यक्ति है। वे मानते हैं कि व्यापार का अर्थ सिर्फ मुनाफा कामाना नहीं बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझना है और व्यापार में सामाजिक मूल्यों का भी सामावेश होना चाहिए। वे हमेशा कहते हैं “आगे बढ़ने के लिए जीवन में उतर-चढ़ाव बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि ईसीजी में भी एक सीधी लाइन का मतलब होता है कि हम जिंदा नहीं हैं।”
रतन टाटा के रोचक तथ्य – Facts About Ratan Tata in Hindi
- रतन टाटा के पिता नवल टाटा रतनजी टाटा और नवजबाई टाटा के गोद लिए हुए बेटे थे। इससे पहले नवल टाटा जे.एन. पेटिट पारसी अनाथालय में रहते थे। रतन टाटा को अपनी दादी नवजबाई टाटा से बहुत लगाव था। जब रतन टाटा सिर्फ 10 साल के थे तो 1940 में उनके माता-पिता अलग हो गए और उनकी परवरिश उनकी दादी ने की।
- आपको बता दें कि, रतन टाटा को पालतू जानवर रखना काफी पसंद हैं। इसलिए उन्होंने अपना मुंबई वाला बंगाला जिसकी कीमत 400 करोड़ है वो पालतू कुत्तों की देखभाल के लिए दिया हुआ है।
- वर्ष 1961 में, वह टाटा समूह में शामिल हुए और उनका सबसे पहला काम चूने के पत्थरों को तोड़ना और विस्फोटक भट्टी को संभालना था।
- रतन टाटा ने अपने ग्रुप को 21 साल दिए और आपको बता दें कि, इन्हीं 21 सालों में उन्होंने अपनी कंपनी को शिखर तक पहुंचा दिया। उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह को पुरस्कृत किया गया, जिसके चलते समूह के राजस्व में 40 गुना वृद्धि हुई और 50 प्रतिशत लाभ बढ़ा।
- रतन टाटा ने अपनी कंपनी के लिए कुछ ऐतिहासिक विलय भी किए, जिसमें टाटा मोटर्स के साथ लैंड रोवर जगुआर, टाटा टी के साथ टेटली और टाटा स्टील के साथ कोरस शामिल थे। इन सभी विलय ने टाटा समूह की वृद्धि में अहम भूमिका निभाई थी।
- रतन नवल टाटा को कारों का बहुत शौक है। उनके पास फेरारी कैलिफ़ोर्निया, कैडिलैक एक्सएलआर, लैंड रोवर फ्रीलैंडर, क्रिसलर सेब्रिंग, होंडा सिविक, मर्सिडीज बेंज एस-क्लास, मासेराती क्वाट्रोपोर्टे, मर्सिडीज 500 एसएल, जगुआर एफ-टाइप, जगुआर एक्सएफ-आर समेत बेहतरीन कार का कलेक्शन है।
Ans- ऐसा कहा जाता है कि, रतन टाटा को लॉस एंजिल्स से प्यार हुआ। लेकिन 1962 में भारत-चीन युद्ध के कारण बढ़े तनाव ने उन्हें शादी करने से रोक दिया।
Q : रतन टाटा को किस लिए जाना जाता है?
Ans – रतन टाटा एक भारतीय व्यवसायी और मुंबई स्थित समूह टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष हैं।
Ans- इस समय करीबन 7,350 करोड़ रुपये।
Ans- 1868 में इसकी स्थापना की गई।
Ans- ऐसा इसलिए क्योंकि रतन टाटा अपना आधा पैसा लोगों की मदद के लिए लगा देते हैं।
Ans- पद्म भूषण और पद्म विभूषण से किया गया था सम्मानित।
Q : रतन टाटा के परिवार में कौन कौन हैं?
Ans –
- सिमोन टाटा
- नेविल टाटा
और अधिक लेख –
- धीरूभाई अंबानी की प्रेरणादायी जीवनी
- मुकेश अंबानी की जीवनी
- नवीन जिन्दल की जीवनी
Please Note : – Ratan Tata Biography & Life History In Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा फ़ेसबुक (Facebook) पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे Comment Box मे करे।
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1 thought on “रतन टाटा की प्रेरणादायक जीवनी | ratan tata biography in hindi”.
Yashasvi Jaiswal: जो की एक समय पानीपूरी बेचा करता था। अब कहा जाता है भारत का दूसरा कोहली।
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रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi
दोस्तों आज हम एक महान व्यक्तित्व के बारे में जानकारी देखेंगे तो महान व्यक्ति कौन है और क्या करते हैं सब जानकारी इस पोस्ट में हम विस्तारित रूप से देंगे तो उसे व्यक्ति का नाम है रतन नवल टाटा. तो दोस्तों व्यापारी तो कोई भी हो सकता है, लेकिन उद्योगपति होने के लिए एक अच्छा और ईमानदार व्यक्ति होना आवश्यक है।
Table of Contents
भारत एक ऐसे उद्योगपति के लिए धन्य है जो अपने महत्वपूर्ण योगदान के साथ हजारों लोगों के आदर्श बन गए। वह हैं रतन नवल टाटा। वह व्यक्ति इस देश में लाखों अनुयायियों के साथ एक लेजेंड है। रतन टाटा और पूरा रतन टाटा परिवार सम्मान का पात्र है। टाटा ग्रुप ने भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद की है और हजारों युवाओं को रोजगार दिया है।
Ratan Tata ने देश देश का नाम पूरे विश्व में करा है । रतन टाटा के पास कई प्रसिद्ध भारतीय ब्रांड थे, जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और टाटा होटल्स। स्टारबक्स और जगुआर ने पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी के लिए टाटा के साथ हाथ मिलाया है उन्होंने अपना कारोबार और भी बढ़ाया। तो आइए इस पोस्ट में रतन टाटा सर का जीवन परिचय विस्तार से जानते हैं ।
Ratan Tata Biography in Hindi | महान दानवीर रतन टाटा जानकारी हिंदी में|
रतन टाटा का जन्म| ratan tata family birth.
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई महाराष्ट्र में हुआ था . इनके पिता का नाम नवल टाटा और इनकी माता का नाम सोनू टाटा था तथा जमशेदजी टाटा इन के दादा का नाम था कहते हैं की सिमोन टाटा जो रतन टाटा की सौतेली मां थी.
उनका एक पुत्र है जिसका नाम नोएल टाटा है लेकिन उसके बावजूद रतन टाटा ने नवल और सोनू को गोद लिया था वह मात्र 10 साल के थे तब उनकी माता पिता से अलग हो गए थे तब नवल और सोनू ने उनका पालन पोषण किया था .
रतन टाटा कौन है? | Who is Ratan Tata ?
सूनी टाटा और नवल टाटा के पुत्र, रतन टाटा भारत के सबसे प्रमुख और सफल उद्योगपतियों में से एक हैं। वह टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के पोते हैं। टाटा परिवार के गौरवशाली वंश-वृक्ष में कई उज्ज्वल दिमाग हैं। रतन टाटा उनके उचित उत्तराधिकारी रहे हैं।
1937 में मुंबई में जन्मे रतन टाटा ने ब्रिटिश भारत को बहुत करीब से देखा था। 10 साल की उम्र में उनके माता-पिता के अलग होने के बाद, उनका पालन-पोषण उनकी दादी, रतनजी टाटा की दादी , नवाजबाई टाटा ने किया।
चूंकि वह गुजरात से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए उनकी पहली भाषा गुजराती है। उनके पिता और माता दोनों के परिवार अच्छी तरह से पहचाने जाते थे।
रतन टाटा का परिवार | Ratan Tata Family (Ratan Tata Biography in Hindi)
रतन टाटा परिवार दशकों से भारत के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक है। टाटा परिवार पारसी मूल का एक कारोबारी परिवार है जो गुजरात के नवसारी से मुंबई आया था। जमशेदजी टाटा इस परिवार के भाग्य के संस्थापक थे। पेटिट बैरनेट्स का सिल्ला टाटा के माध्यम से टाटा परिवार के साथ सीधा संबंध है, जिन्होंने तीसरे बैरोनेट सर दिनशॉ मानेकजी पेटिट से शादी की थी।
19वीं सदी के आखिरी दशक में टाटा परिवार मुंबई में बस गया। टाटा समूह की मूल कंपनी टाटा संस है। विभिन्न टाटा परिवार धर्मार्थ ट्रस्टों के पास इन कंपनियों में लगभग 65% शेयर हैं। दोराब टाटा ट्रस्ट और रतन टाटा ट्रस्ट उनमें से दो हैं। पालनजी मिस्त्री के पास 18% शेयर हैं, और बाकी टाटा संस के पास हैं।
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टाटा परिवार ने अपने जन्म और काम से अपना नाम बनाया है। अगर हम रतन टाटा के परिवार के सदस्यों के बारे में बात करना शुरू कर दें तो कोई अंत नहीं होगा। रतन टाटा के परिवार ने भारतीय उद्योगपतियों के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया है। बस इस चार्ट को देखें, और आपको पता चल जाएगा कि यह परिवार दशकों से कितना प्रेरणादायक रहा है।
जमशेदजी टाटा टाटा समूह के एक दिग्गज हैं, जिन्हें भारतीय उद्योग के पिता के रूप में भी माना जाता है।
दोराबजी टाटा जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे थे। वह एक भारतीय उद्योगपति, परोपकारी और टाटा समूह के दूसरे अध्यक्ष के रूप में प्रसिद्ध थे।
जमशेदजी टाटा के छोटे बेटे, रतनजी टाटा, रतन टाटा के दादा-दादी थे, और अब आप इसे बहुत सरलता से समझ सकते हैं कि रतन टाटा का नाम रतनजी टाटा के नाम पर रखा गया है। रतनजी टाटा के असामयिक निधन के बाद, उनकी पत्नी, नवाजबाई टाटा ने अपनी सास के पोते, एक अनाथ, नवल को गोद लिया और उसे अपने बेटे के रूप में पाला।
समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा की पत्नी हीराबाई टाटा की बहन के पोते नवल टाटा ने जन्मसिद्ध अधिकार से “टाटा” उपनाम धारण किया। वह पद्म भूषण हासिल करने वाले टाटा परिवार के पहले व्यक्ति थे।
रतन टाटा के पिता | Ratan Tata Father
नवल होर्मुसजी टाटा रतन टाटा के पिता हैं। वह टाटा समूह के एक प्रतिष्ठित पूर्व कर्मचारी और सर रतनजी टाटा के दत्तक पुत्र थे। उनका जन्म 30 अगस्त, 1904 को सूरत के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। जब नवल के पिता की मृत्यु हो गई, तो वह जे. एन. पेटिट पारसी अनाथालय में रहने चले गए। रतनजी टाटा की पत्नी नवाजबाई ने नवल को तब गोद लिया जब वह अनाथालय में रह रहे थे।
1969 में गणतंत्र दिवस पर, भारत के राष्ट्रपति ने नौसेना को पद्म भूषण से सम्मानित किया। उसी वर्ष, उन्हें कार्यस्थल पर शांति लाने के उनके कार्यों के लिए सर जहांगीर गांधी पदक से सम्मानित किया गया। 5 मई, 1989 को कैंसर से उनका मुंबई में निधन हो गया।
रतन टाटा फैमिली ट्री (Ratan Tata information in Hindi)
1- जमशेदजी नुसरवानजी टाटा- भारत की सबसे बड़ी समूह कंपनी टाटा समूह के संस्थापक। उनका विवाह हीराबाई डब्बू से हुआ था।
2- दोराबजी टाटा- जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे और टाटा ग्रुप के दूसरे चेयरपर्सन। उनकी पत्नी मेहरबाई टाटा थीं, जो प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक होमी जे. भाभा की मौसी थीं।
3- रतनजी टाटा- जमशेदजी टाटा के छोटे बेटे। वह गरीबी अध्ययन के प्रणेता थे। उनका विवाह नवाजबाई टाटा से हुआ था। उनकी पत्नी ने एक अनाथ, नवल, जो हीराबाई टाटा का पोता था, को गोद लिया और उसे अपने बेटे के रूप में पाला।
4- नवल टाटा- नवाजबाई टाटा के दत्तक पुत्र। उनके जैविक पिता होर्मुसजी टाटा थे। उनकी नानी हीराबाई टाटा की बहन थीं। कई टाटा कंपनियों में निदेशक, आईएलओ सदस्य और पद्म भूषण से सम्मानित, नवल टाटा के तीन बेटे थे – रतन टाटा (टाटा समूह के 5वें अध्यक्ष), जिमी टाटा, और नोएल टाटा (ट्रेंट लिमिटेड के अध्यक्ष) – दो शादियों से।
5-रतनजी दादाभाई टाटा- वह टाटा समूह की सेवा करने वाले शुरुआती दिग्गजों में से एक थे। उनके पिता दादाभाई और उनकी मां जमशेदजी टाटा, जीवनबाई, भाई-बहन थे। उन्होंने सुज़ैन ब्रिएरे से शादी की और इस जोड़े ने जे.आर.डी. सहित पांच बच्चों को जन्म दिया। टाटा और सिल्ला टाटा।
6- जे.आर.डी. टाटा- उन्होंने टाटा समूह के चौथे अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह टाटा एयरलाइंस (बाद में एयर इंडिया) के संस्थापक हैं।
7- सिल्ला टाटा- जे.आर.डी. की बड़ी बहन। टाटा का विवाह भारत की पहली कपड़ा मिल के संस्थापक दिनशॉ मानेकजी पेटिट से हुआ था। उनकी भाभी रतनबाई पेटिट की शादी पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना से हुई थी। जिन्ना की एकमात्र संतान दीना जिन्ना की शादी नेविल नेस वाडिया से हुई थी।
रतन टाटा की पत्नी Ratan Tata Wife)
2011 में रतन टाटा ने कहा, “मैं चार बार शादी करने के करीब आया और हर बार मैं डर के मारे या किसी न किसी कारण से पीछे हट गया।” लॉस एंजिल्स में काम करने के दौरान एक बार उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया और उनके परिवार के किसी सदस्य के बीमार होने के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा। लड़की के माता-पिता ने उसे भारत जाने की इजाज़त नहीं दी. टाटा अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहे और आज तक अविवाहित हैं।
रतन टाटा का शिक्षा (Ratan Tata education)
अधिक अकादमिक गतिविधियों के लिए बॉम्बे में कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल और शिमला में बिशप कॉटन स्कूल जाने से पहले, उन्होंने आठवीं कक्षा तक बॉम्बे में कैंपियन स्कूल में पढ़ाई की। 1955 में, जब उन्होंने स्कूल पूरा किया, तो उन्होंने न्यूयॉर्क शहर के रिवरडेल कंट्री स्कूल से अपना डिप्लोमा प्राप्त किया। उन्होंने चार साल तक वहां अध्ययन करने के बाद कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1975 में, उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम में दाखिला लिया, जिसे उन्होंने आर्थिक रूप से समर्थन देना जारी रखा है।
रतन टाटा का करियर (Ratan Tata Career )
रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत 1961 में की थी शुरुआती करियर में उन्होंने शॉप फ्लोर आदि जैसे काम किए हैं उसके बाद रतन टाटा टाटा समूह और ग्रुप के साथ जुड़े थे. रतन टाटा को 1971 में नेल्को कंपनी में डायरेक्टर पद पर नियुक्त किया था.
उसके बाद जमशेदजी टाटा ने 1981 में रतन टाटा को टाटा समूह का अध्यक्ष बनाया था रतन टाटा के अध्यक्ष बनने के बाद टाटा समूह ने कई मंजिलें पाई थी उसके बाद पहली बार टाटा समूह ने 1998 में टाटा मोटर्स के तत्वाधान में टाटा इंडिका को बाजार में उतारा था और उसके बाद टाटा समूह की पहचान धीरे-धीरे बढ़ती गई
इसके बाद रतन टाटा ने एक छोटी नैनो कार भारत में बनाएं और उस कार को मार्केट में उतारा वह भारत की सबसे सस्ती कार में से एक थी उसके कुछ दिन बाद 2012 में रतन टाटा ने सभी प्रमुख पदों से सेवा मुक्त होने की घोषणा कर दी थी इस प्रकार रतन टाटा ने टाटा समूह को आगे बढ़ाते हुए अपना करियर बनाया था
रतन टाटा के परोपकारी कार्य | Work of Ratan Tata
- शिक्षा, चिकित्सा और ग्रामीण विकास के समर्थक होने के नाते, रतन टाटा ने चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों के लिए बेहतर पानी उपलब्ध कराने के लिए न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय का समर्थन किया।
- टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट ने 28 मिलियन डॉलर का टाटा स्कॉलरशिप फंड प्रदान किया है जो कॉर्नेल विश्वविद्यालय को भारत के स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की अनुमति देगा।
- वार्षिक छात्रवृत्ति एक निश्चित समय में लगभग 20 छात्रों को सहायता प्रदान करेगी।
- टाटा समूह की कंपनियों और टाटा चैरिटीज़ ने 2010 में एक कार्यकारी केंद्र के निर्माण के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (HBS) को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया।
- टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने संज्ञानात्मक प्रणालियों और स्वायत्त वाहनों पर शोध की सुविधा के लिए कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी (सीएमयू) को 35 मिलियन डॉलर का दान दिया।
- यह किसी कंपनी द्वारा दिया गया अब तक का सबसे बड़ा दान है और 48,000 वर्ग फुट की इमारत को टीसीएस हॉल कहा जाता है।
- टाटा ग्रुप ने 1 करोड़ रुपये का दान दिया. 2014 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे को 950 मिलियन दिए गए और टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिज़ाइन (TCTD) का गठन किया गया। यह संस्थान के इतिहास में मिला अब तक का सबसे बड़ा दान था।
- टाटा ट्रस्ट ने अल्जाइमर रोग के कारण अंतर्निहित तंत्र का अध्ययन करने और इसके शीघ्र निदान और उपचार के तरीकों को विकसित करने के लिए सेंटर फॉर न्यूरोसाइंस, भारतीय विज्ञान संस्थान को ₹750 मिलियन का अनुदान भी प्रदान किया।
- टाटा समूह ने भारत पर प्रारंभिक ध्यान देने के साथ, संसाधन-बाधित समुदायों की चुनौतियों का समाधान करने के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में एमआईटी टाटा सेंटर ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिज़ाइन का भी गठन किया।
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रतन टाटा के डोनेशन | Ratan Tata Donation Worth
वारेन बफे या बिल गेट्स नहीं, टाटा समूह मानवता के इतिहास में सबसे प्रमुख परोपकारी व्यक्ति रहा है। इसलिए रतन टाटा की बायोग्राफी का जबरदस्त क्रेज है। हर कोई उस शख्स को जानना चाहता है जिसके परिवार ने 100 साल में 102 अरब डॉलर का दान दिया।
रतन टाटा के अवार्ड्स (Ratan Tata Awards)
रतन टाटा के थॉट्स (Ratan Tata Quotes in Hindi)
1- ”मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं रखता. मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।”
2- “तेज़ चलना है तो अकेले चलो।” लेकिन अगर तुम दूर तक चलना चाहते हो तो साथ चलो।”
3- “मैंने अक्सर महसूस किया है कि इंडियन टाइगर को आज़ाद नहीं किया गया है।”
4- “लोग अब भी मानते हैं कि वे जो पढ़ते हैं वह अनिवार्य रूप से सत्य है।”
5- “यदि यह सार्वजनिक जांच की कसौटी पर खरा उतरता है, तो इसे करें… यदि यह सार्वजनिक जांच की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है, तो इसे न करें।”
6- “सत्ता और धन मेरे दो मुख्य दांव नहीं हैं।”
7- “मैं लगातार लोगों से कहता रहा हूं कि लोगों को प्रोत्साहित करें, निर्विवाद सवाल करें और काम पूरा करने के लिए नए विचार, नई प्रक्रियाएं लाने में शर्मिंदा न हों।”
8- “लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसका जंग उसे नष्ट कर सकता है!” इसी तरह, किसी व्यक्ति को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता उसे नष्ट कर सकती है!”
9- “व्यवसायों को अपनी कंपनियों के हित से परे उन समुदायों तक जाने की जरूरत है जिनकी वे सेवा करते हैं।” 10- “जीवन में उतार-चढ़ाव हमें चलते रहने के लिए बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि ईसीजी में भी एक सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं।”
रतन टाटा : एक अजीब किस्सा
आपको बताने की 90 के दशक में रतन टाटा कंपनी का विस्तार कर रहे थे। उनके नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका (Tata Indica) कार लॉन्च की। कार तो बन गई, लेकिन उस वक्त देश में कारों की सेल कुछ खास नहीं थी। जैसा रतन टाटा ने सोचा था, इंडिका कार को लेकर लोगों का रिस्पांस वैसा नहीं था। कंपनी पर घाटे का दवाब बढ़ने लगा तो रतन टाटा ने पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का फैसला किया।
इसलिए रतन टाटा ने अपनी पैंजेकर कार डिवीजन को बेचने के लिए अमेरिकी कार मैन्चुफैक्चरिंग कंपनी फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) से बातचीत शुरू की। इस डील के लिए रतन टाटा अमेरिका में फोर्ड के हैडक्वाटर गए। मगर उस वक्त फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड थे। दोनों की मुलाकात के दौरान बिल फोर्ड ने रतन टाटा का खूब मजाक उड़ाया।
उन्होंने रतन टाटा का अपमान करते हुए बोला कि आप कार के बारे में कुछ जानते ही नहीं तो कार बनाया ही क्यों? उन्होंने रतन टाटा सर को बहुत कुछ बुरा भला कहा और यह भीकहा कि अगर वो टाटा के उस कारोबार को खरीदते हैं तो ये उनपर बड़ा एहसान होगा। रतन टाटा अपमान के इस घूंट को चुपचाप पीकर रह गए और बिना कुछ रिएक्ट किए भारत लौट आए। अमेरिका से लौटकर रतन टाटा ने अपने पैसेंजर कार बिजनेस को बेचने का फैसला टाल दिया।
रतन टाटा ने अधिक परिश्रम से सालों साल काम करते रहे और 10 सालों में उन्होंने टाटा मोटर्स का ऑटोसेक्टर में बहुत बड़ा नाम बना दिया । दिन और दिन टाटा मोटर्स सक्सेस की नई ऊंचाईयों को छू रहा था, वहीं अमेरिका की फोर्ड की हालत खराब हो रही थी। 10 साल बाद फोर्ड मोटर्स दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया। कंपनी का पूरा दिवाला निकल गया था और कंपनी बेचने की कगार पर था ।
रतन टाटा ने फोर्ड के Jaguar और Land Rover ब्रांड को खरीज लिया। इस डील के दौरान जब दोबारा से रतन टाटा और बिल फोर्ड मिले तो सीन बदल चुका था। जिस शख्स ने रतन टाटा का अपमान किया था, वो आज उन्हें थैंक्यू बोल रहा था। उनसे रतन टाटा से कहा कि आपने जैगुआर और लैंड रोवर खरीदकर हमपर एहसान किया है।
रतन टाटा सोशल मीडिया
इंस्टाग्राम
निष्कर्ष : Ratan Tata Biography in Hindi
तो आशा ही दोस्तों की आपको “रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi” यह पोस्ट जानकारी पूर्ण लगा होगा और अगर आपको रतन टाटा के बारे में जानकारी मिली हो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए . रतन टाटा की जीवनी से आपको यह सीख मिली कि अगर आदमी अपने काम के प्रति पूरी शिद्दत से कम करें तो कायनात तुम्हें सक्सेस जरूर दिलाती है. ऐसे ही महान व्यक्ति की जानकारी पूर्ण बायोग्राफी पोस्ट के लिए हमारे साइड के साथ जुड़िए. आशा है Ratan Tata Biography in Hindi लेख आपको पसंद आया है कमेंट करके जरूर बताये।
Q. रतन टाटा का जन्म कब हुआ था?
Ans. 28 दिसम्बर 1937
Q.रतन टाटा की उम्र क्या है?
Ans.रतन टाटा अब 85 वर्ष के हैं, उनका जन्म दिसंबर 1937 में ब्रिटिश शासित भारत में हुआ था।
Q. टाटा समूह की स्थापना कब हुई?
Ans.1868 में इसकी स्थापना की गई
Q .रतन टाटा को भारत रत्न मिला है क्या?
सरल स्वभाव और विनम्रता की वजह से आज दुनियाभर में उनके करोड़ों चाहने वाले हैं. Bharat Ratna For Ratan Tata: रतन टाटा पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किए जा चुके हैं.19 Dec 2022
Q. रतन टाटा के पास कितनी कंपनी थी?
टाटा समूह कि कुल 96 कम्पनियां 7 अलग अलग व्यवसायिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इन 96 में से केवल 28 publicly listed कम्पनियाँ हैं। टाटा ग्रुप ६ महाद्वीपों के 40 से भी अधिक देशों में सक्रिय है। टाटा समूह दुनिया के 140 से भी अधिक देशों को उत्पाद व सेवाएँ निर्यात करता है।
Q. टाटा की सबसे सस्ती कार कौन सी है?
Ans. टाटा कार की क़ीमत सबसे सस्ते मॉडल के लिए 5.60 Lakh से शुरू होती है, जो टियागो है और सबसे महंगे मॉडल की क़ीमत, जो सफारी है, 16.19 Lakh रुपए से शुरू होती है। टाटा के भारत में 12 कार मॉडल्स हैं, जिसमें एसयूवी श्रेणी में 2 कार्स, हैचबैक श्रेणी में 4 कार्स, 4 कार्स शामिल हैं।
Q.रतन टाटा के भाई कितने हैं?
Ans. रतन टाटा के सगे छोटे भाई का नाम है जिम्मी टाटा (Jimmy Tata)… पूरा नाम जिम्मी नवल टाटा. अपने बड़े भाई की तरह जिम्मी भी बेहद सादगी पसंद हैं और लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करते
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रतन टाटा का जीवन परिचय – Ratan Tata biography in Hindi language
दिल के सबसे अमीर आदमी श्रीमान रतन टाटा को आप सभी जानते ही होंगे. रतन टाटा का जीवन परिचय – Ratan Tata biography in Hindi language में हम आपको रतन टाटा के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देंगे.
रतन टाटा देश के सबसे सफल बिजनेसमैन में से एक हैं. इसीलिए सर रतन टाटा को भारतीय कॉरपोरेट जगत का बादशाह भी कहा जाता हैं.
रतन टाटा का जीवन परिचय – Ratan Tata biography in Hindi
सर रतन टाटा बिज़नेस में दया और सहानुभूति को प्राथमिकता देते हैं. इनकी यह खूबी उनको सबसे अलग बनाती हैं.
रतन टाटा की इस बायोग्राफी में हम आपको रतन टाटा(about ratan tata in hindi) के पूरे जीवन का दर्शन करवाएंगे.
इसके साथ उनके महत्वपूर्ण किस्से भी बताएँगे और हम आपको यह भी बताएँगे कि रतन टाटा ने सादी क्यों नहीं की?
“आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अगर रतन टाटा के ट्रस्ट की सम्पति को उनके नेट वर्थ के साथ जोड़ दिया जाये तो वे विश्व के सबसे अमीर इंसान होंगे.”
रतन टाटा का जन्म और परिवार
r atan tata life story in hindi : टाटा संस के सबसे सम्मानित और रीटायर उद्योगपति रतन टाटा का जन्म 28 दिसम्बर 1937 को मुंबई में हुआ. सर रतन टाटा का पूरा नाम श्रीमान रतन नवल टाटा हैं. रतन टाटा के पिताजी का नाम नवल टाटा और माता का नाम सोनू हैं.
सर रतन टाटा बहुत ज्यादा समय तक अपने माता पिता के साथ नहीं रहे. 1948 में माता सोनू और पिता नवल टाटा अलग हो चुके थे. इसके बाद नवल टाटा ने दूसरी सादी कर ली. कुछ समय बाद रतन टाटा का दूसरा भाई हुआ. रतन टाटा के भाई का नाम नोएल टाटा हैं.
माता पिता के अलग होने के बाद रतन टाटा अपनी दादी के साथ रहने लगे. रतन टाटा कि परवरिश उनकी दादी नवाज बाई टाटा कि देखरेख में हुई.
सर रतन टाटा को उनकी दादी से बहुत लगाव था और वे उनको बहुत मानते थे. रतन टाटा अपनी दादी की सीख को अपना मूल्य मानते थे.
रतन टाटा की शिक्षा
ratan tata education qualification : सर रतन टाटा की शुरूआती शिक्षा मुंबई में ही हुई. आगे की पढाई के लिए वे अमेरिका चले गए. स्नातक के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया. इसके बाद वे हॉवर्ड बिज़नस स्कूल गए.
रतन टाटा का करियर(success story of ratan tata in hindi)
Tata history in hindi: कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पढाई पूरी करने के बाद रतन टाटा ने लोस एन्जोलिस में दो साल तक एक आर्किटेक्चर फर्म में काम करते रहे.
भारत आने के बाद 1962 में टाटा स्टील डिवीज़न के साथ अपना करियर शुरू किया. 1971 में रतन टाटा को नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड के डायरेक्टर के पद के लिए चुने गए थे. 1991 में जे आर डी टाटा के रिटायर होने पर रतन टाटा को टाटा संस के चेयरमैन के रूप में नामित किया गया था.
इसके बाद सर रतन टाटा ने टाटा नैनो, टाटा इंडिका कारों को लांच किया. 28 दिसम्बर 2012 को रतन टाटा ने अपने 75 वें जन्मदिन पर अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
1991 में 5 बिलियन डॉलर कमाने वाली कंपनी ने 2016 में 103 बिलियन डॉलर कमायें. रतन टाटा के कार्यकाल में टाटा संस का मुनाफ़ा 50 फीसदी से अधिक बढ़ गया हैं.
टाटा संस के चेयरमैन के तौर पर रतन टाटा तीस कंपनियो के मालिक हैं. वर्तमान में टाटा संस के चेयरमैन नागराजन चन्द्र शेखरन हैं.
रतन टाटा की प्रेम कहानी
कुछ लोग यह नहीं जानते की रतन टाटा ने सादी क्यों नहीं की? कुछ लोगो का यह सवाल भी हो सकता है कि क्या रतन टाटा की कोई प्रेम कहानी हैं? हाँ! रतन टाटा कि एक प्रेम कहानी हैं. कुछ समय पहले तक यह एक इतिहास था, लेकिन एक इंटरव्यू में रतन टाटा ने अपने इतिहास (ratan tata history in hindi) के परदे को उजागर किया.
जब रतन टाटा ने अपनी स्नातक पूरी की तब उनको लोस एन्जोलिस में एक आर्किटेक्चर फर्म में एक नौकरी मिली. उनके पास खुद की कार थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था. लेकिन रतन टाटा को अपनी बीमार दादी को देखने के लिए कुछ समय के लिए भारत जाना था.
रतन टाटा ने अपनी प्रेमिका से वादा कर कि वे केवल उनसे ही सादी करेंगे, भारत चले आये. तभी 1962 में भारत और चीन की जंग छिड़ गई.
भारत चीन की जंग से रतन टाटा जल्दी लोस एन्जोलिस नहीं लौट पाए. दूसरी तरफ रतन टाटा की प्रेमिका के माता पिता ने इस जंग को मुद्दा बनाते हुए इस रिश्ते को ठुकरा दिया और उसकी सादी किसी और के साथ करवा दी.
रतन टाटा अपने वचन पर अडिग रहे और आज तक सादी नहीं की. यही थी रतन टाटा की प्रेम कहानी और यही कारण था कि रतन टाटा ने आज तक सादी क्यों नहीं की.
रतन टाटा की कुल सम्पति
Ratan Tata net worth : टाटा चैरिटेबल ट्रस्ट भारत के इतिहास का सबसे बड़ा ट्रस्ट है. रतन टाटा अपनी कुल सम्पति का 65% हिस्सा यहाँ पर लगा देते है. इसलिए अमीरों की सूची में उनकी रैंक गिर जाती हैं.
अगर इस 65% को टाटा की मूल सम्पति में गिना जाए तो रतन टाटा वर्ल्ड के सबसे अमीर इन्सांन होंगे. 2016 में इसकी सुचना फ़ोर्ब्स पत्रिका में दी गयी थी.
टाटा स्टील, टीसीएस, टाटा पॉवर, इंडियन होटल्स सहित 30 कंपनियों के मालिक हैं. 2021 के आंकड़ों के अनुसार रतन टाटा की कुल सम्पति 1 बिलियन डॉलर हैं.
रतन टाटा ‘रतन टाटा हाउस’ मुंबई में रहते हैं. उन्होंने यह लक्ज़री हाउस 2015 में खरीदा था. रतन टाटा हाउस की कीमत लभग 150 करोड़ है. इसके अलावा रतन टाटा कई सम्पतियों के मालिक हैं.
रतन टाटा की औसत आय/निवेश:
रतन टाटा कार कलेक्शन.
रतन टाटा के पास दुनिया की कुछ बेहतरीन कारें हैं. रतन टाटा अधिकतर अपने खुद के ब्रांड की ही कारे उपयोग में लाते हैं, लेकिन उनके पास कुछ दूसरी कारें भी हैं. रतन टाटा के पास लगभग 19 करोड़ की कारें हैं.
रतन टाटा के सम्मान और पुरस्कार
सर रतन टाटा को भारत सरकार ने 2000 पदम् भूषण और 2008 को पदम् विभूषण से सम्मानित किया हैं. इसके अलावा रतन टाटा को देश और विदेश के विभिन्न संघठनो द्वारा 40 से अधिक अवार्ड्स मिल चुके हैं.
रतन टाटा की महानता(एक परोपकारी के रूप में)
ratan tata story in hindi: शिक्षा, चिकित्सा और ग्रामीण विकास के लिए रतन टाटा एक प्रमुख परोपकारी व्यक्ति हैं. रतन टाटा अपनी नेट वर्थ का 65% से अधिक शेयर चैरिटेबल ट्रस्टों में निवेश करते हैं. वर्तमान में टाटा ग्रुप के नाम से अनेक ट्रस्ट चल रहे हैं. टाटा ट्रस्ट सबसे बड़ा और पुराना ट्रस्ट हैं.
भारत के अलावा रतन टाटा विदेशों में भी आर्थिक सहयोग करते हैं. 2010, अमेरिका की हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एक सेंटर के निर्माण के लिए 50 मिलियन डॉलर का आर्थिक दान दिया.
2014 में, टाटा ग्रुप ने आईआईटी, बॉम्बे को 95 करोड़ रूपये दिए. कोविड महामारी के दौरान रतन टाटा ने 1500 करोड़ का दान किया. इसके किस्से आपने सोशल मीडिया पर जरूर सुने होंगे.
रतन टाटा के जीवन से जुड़े प्रेरणात्मक किस्से (success story of ratan tata in hindi)
यहं पर रतन टाटा के जीवन से जुड़े कुछ प्रेरणात्मक किस्से हैं, जो रतन टाटा की महानता को तो साबित करते ही हैं, साथ में हमको एक उदारता, सदाचारी अच्छे लीडर बनने का सन्देश भी देते हैं.
- रतन टाटा ने अपने करियर की शुरुआत ब्लू कॉलर कर्मचारी के रूप में की थी. नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (NELCO) के चेयरमैन चुने जाने से पहले इस कंपनी का राजस्व काफी गिर चूका था. लेकिन रतन टाटा ने न केवल इस कंपनी का उद्वार किया बल्कि इसको वापिस मुनाफे में भी लेकर आये.
- 1998 में टाटा इंडिका लांच हुई थी. शुरू शुरू में टाटा इंडिका के बेहतर प्रदर्शन नहीं होने पर रतन टाटा को सलाह मिली कि टाटा इंडिका को फोर्ड के हाथ बेच दे. 1999 में रतन टाटा अपनी टीम सहित इंडिका को बेचने के लिए फोर्ड(अमेरिका) के पास पहुंचे.
- फोर्ड ने इस विषय को लेकर इंडिका कंपनी की बेइज्जती कर दी. रतन टाटा अपनी टीम सहित, किसी नतीजे पर पहुँचने से पहले वापस भारत लौट आये.
- इसके बाद रतन टाटा ने उस कंपनी को बेचने का प्लान कैंसिल कर दिया और उसको सफल बनाया.
- 2008 की आर्थिक मंदी में फोर्ड की सेल्स 50,000 यूनिट से नीचे पहुँच चुकी थी. और कंपनी दिवालियापन की स्थिति पर पहुँच गई थी.
- 2008 में टाटा मोटर्स ने फोर्ड खरीद कर जेगुआर लैंड रोवर को उदारता दिखाई.
- एक बार नेल्को के सीनियर ऑफिसर्स की टीम मुंबई से नासिक कि तरफ जा रही थी. आधे रास्ते में उनकी कार का एक टायर सपाट हो गया था.
- गाड़ी में सवाल सभी ऑफिसर्स नीचे उतर गए और ब्रेक का आनंद लेने के लिए एक तरफ चले गए और सिगरेट जलाकर टाइम पास करने लगे.
- कुछ देर बाद उन्होंने महसूस किया कि रतन टाटा उनके साथ नहीं है. उनको लगा शायद कहीं चाय पिने या किसी से बात करने के लिए कही रुक गए होंगे.
- लेकिन जब उन्होंने देखा कि रतन टाटा ने अपने दोनों हाथों कि बाहे ऊपर कर रखी हैं, और टाई को गले से कंधे पर डाल रखी हैं. माथे से पसीने की बूंदे टपक रही है, और हलकी मुस्कान के साथ जैक से स्पैनर को घुमा रहे हैं.ये घटना उन सभी मित्रो के लिए प्रेरणा की मास्टर क्लास थी, जो उस वक्त रतन टाटा के साथ यात्रा कर रहे थे.
- टाटा सूमो कार का नाम तो आपने जरूर सुना होगा. मार्किट में इसकी बिक्री भी जमकर हुई थी. क्या आपको पता हैं सुमा का अर्थ क्या हैं? सूमो उनके पूर्व एमडी का शोर्ट नाम हैं. पूर्व एमडी सुमंत मुलगावकर के नाम पर ‘सूमो’ एक कार का नाम रख दिया. यह कार मार्किट में खूब जमकर चली और टाटा के लिए लकी रही.
- एक बार टाटा अपने किसी फेक्ट्री में काम करने वाले मजदूर के घर चले गए जो कि पिछले दो वर्षों से बीमार चल रहा था. रतन टाटा ने न केवल उसके इलाज के लिए पैसे दिए बल्कि उसके सम्पूर्ण परिवार की जिम्मेदारी उठाई.
- 26/11 मुंबई के हमले में टाटा ग्रुप के कर्मचारियों को काफी नुकसान खेलना पड़ा था. रतन टाटा ने अपने कर्मचारियों के घर घर जाकर उनको हर संभव सहायता की. मात्र 20 दिनों के अन्दर मुआवजा राशि प्रदान करवाई. इतना ही नहीं जो लोग उनकी कंपनी में काम नहीं करते थे, उन लोगो कि भी रतन टाटा ने आर्थिक सहायता की. जिन लोगो की हाथ गाड़ियाँ चली गयी उनको वापस नए ठेले प्रदान किये. और आतंक से पीड़ित 46 बच्चों की शिक्षा का जिम्मा उठाया.
- इसके अलावा पुलिस, रेलवे कर्मचारी, यात्री जिनका टाटा से कोई लेना देना नहीं, उन लोगों को भी टाटा ने छ महीने के लिए 10 10 हज़ार देने का वादा किया.
- 26/11के हमले में ही अपनी ताजमहल होटल के पास के एक वेंडर की पोती को चार गोली लग गई थी. रतन टाटा ने उस लड़की को मुंबई के बड़े हॉस्पिटल में भर्ती करवाया और लाखो रूपये खर्च कर उस लड़की को ठीक करवाया.
रतन टाटा के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: रतन टाटा के कितने बच्चे हैं , प्रश्न: रतन टाटा की पत्नी का नाम क्या हैं, प्रश्न: रतन टाटा ने सादी क्यों नहीं की, प्रश्न: क्या रतन टाटा भारत रत्न से सम्मानित हैं, प्रश्न: रतन टाटा की उम्र कितनी हैं, आपने क्या सीखा (biography of ratan tata)….
जैसा कि हमने आपसे शुरू में वादा किया, उसके अनुसार आपको हम आप रतन टाटा का जीवन परिचय – Ratan Tata biography in Hindi language के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की हैं.
हमने आपको रतन टाटा का जीवन परिचय करवाते हुए उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारें भी बताया.
- एक सफल व्यवसायी कैसे बने
- एलन मस्क की जीवनी
- गो डैडी के संस्थापक बॉब पार्सन्स की जीवनी
- सफल बिजनेसमैन की कहानी
अगर आपको रतन टाटा की जीवनी अच्छी लगी हो तो आप भी कुछ प्रेरणा ले सकते हैं और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं. आपको इस बायोग्राफी का सबसे अच्छा पॉइंट कोनसा लगा उस पॉइंट को आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं.
One comment
आपने जो भी अपने इस ब्लॉग में रतन टाटा जी के बारे में बताया है। वह मुझे बहुत अच्छा लगा है। रतन टाटा हमारे देश के अनमोल रतन है। मैं आपके माध्यम से रतन टाटा जी के बारे में और भी बहुत कुछ जानना चाहता हूं। आप अगर अपने इस ब्लॉग के माध्यम से मुझे और भी रतन टाटा जी के बारे में जानकारी दें। तो मैं बहुत आपका आभारी रहूंगा
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रतन टाटा का जीवन परिचय | Ratan Tata Biography in Hindi
रतन टाटा (अंग्रेजी: Ratan Tata) दुनिया के महानतम बिजनेसमैन लोगों में से एक है। वे 1991 से लेकर 2012 तक तथा वर्ष 2016-17 में भी टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे। इसके अलावा वे टाटा सन्स (Tata Sons) के भी चेयरमैन रहे।
टाटा ग्रुप जमशेदजी टाटा के द्वारा स्थापित की गई थी। टाटा सन्स, टाटा ग्रुप की कंपनियों में अपनी शेरहोल्डिंग रखती है और निवेश करती है।
Table of Contents
रतन टाटा का परिचय (Introduction to Ratan Tata)
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा था। टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के पुत्र रतनजी टाटा ने रतन को गोद लिया था। रतन टाटा की नानी तथा जमशेदजी टाटा की पत्नी हीराबाई दोनों बहने थी।
जब रतन टाटा मात्र 10 वर्ष के थे तब उनके पिता नवल व माता सोनू एक दूसरे से अलग हो गए। जिसके बाद उनका पालन पोषण सर रतन जी टाटा की विधवा पत्नी नेवज बाई टाटा के द्वारा किया गया जिन्होंने रतन को गोद ले लिया था।
हालांकि रतन की प्राथमिक भाषा गुजराती है क्योंकि उनके पिता नवल टाटा गुजराती थे।
विकिपीडिया के स्रोत के मुताबिक रतन टाटा ने 2011 में कहा था कि वह शादी कराने के चार बार नजदीक आ चुके थे और किसी कारणवश वे पीछे हटे। वे जब लॉस एंजेल्स में थे तब वहां पर उन्होंने एक लड़की से प्रेम किया। टाटा के परिवार में कोई सदस्य बीमार हो गया था तब उन्हें भारत आना था। परंतु, उस लड़की के माता-पिता ने उसे टाटा के साथ आने से मना कर दिया।
इसके बाद रतन भारत आ गए और पीछे से उस लड़की की शादी हो गई। रतन ने उस लड़की को वचन दिया था कि वे केवल उसी से शादी करेंगे। उन्होंने उस वचन को निभाया और जिंदगी में कभी शादी नहीं की।
सम्बंधित – रतन टाटा के प्ररेणादायक अनमोल विचार
शिक्षा (Education)
रतन टाटा ने आठवीं कक्षा तक मुंबई के केंपियन स्कूल में पढ़ाई की। वर्ष 1955 में वह न्यूयार्क सिटी के रिवर डेल कंट्री स्कूल से प्रशिक्षित हुए। इसके अलावा उन्होंने कैथ्रेडल एंड जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई तथा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला में भी पढ़ाई की।
वर्ष 1959 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से टाटा ने आर्किटेक्चर डिग्री प्राप्त की। 1975 में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के 7 सप्ताह के एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम को अटेंड किया।
शुरूआती कैरियर (Initial career)
वर्ष 1970 के दौरान रतन टाटा को मैनेजमेंट में प्रमोट कर दिया गया और नेल्को कंपनी की शुरुआती सक्सेस प्राप्त की। नेल्को कंपनी रेडियो और इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स से संबंधित थी।
वर्ष 1991 में रतनजी दादाभोय टाटा ने Tata Sons के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्ति ले ली। जिनके बाद रतन टाटा को टाटा संस का चेयरमैन घोषित किया गया।
जब रतन अपने नए रोल में फिट हुए तब उन्हें बहुत सारी कंपनियों के मुख्य अधिकारियों के द्वारा किये गये प्रतिरोध सहने पड़े। इस चीज को बदलने के लिए उन्होंने एक रिटायरमेंट एज रखी।
रतन टाटा: मेन ऑफ इन्टेग्रिटी (Ratan Tata: Man of Integrity)
जब वह चेयरमैन थे तब टाटा ग्रुप का रिवेन्यू 40 गुना बढ़ा तथा प्रॉफिट 50 गुना बढ़ा। उन्होंने टाटा टी कंपनी से टेटले कंपनी को, टाटा मोटर्स से जैगवार लैंड रोवर को तथा टाटा स्टील से कोर्स कंपनी को एक्वायर किया।
उन्होंने विदेशी कंपनियों को इसलिए खरीदा ताकि वे अपने धंधे को विदेश में भी बढ़ा सकें। टाटा मोटर कंपनी के द्वारा बनाई गई टाटा नैनो कार बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुई।
यह कार पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध हुई तथा रतन टाटा को इस इनोवेशन के लिए वाहवाही मिली। यह कार इतनी सस्ती थी कि लगभग हर एक भारतीय व्यक्ति की पहुंच में थी।
वर्ष 2012 में रतन टाटा ने चेयरमैन के पद से त्यागपत्र दे दिया जिसके बाद साइरस मिस्त्री को चेयरमैन घोषित किया गया। परंतु अक्टूबर 2016 में उसे भी चेयरमैन के पद से हटा दिया गया तथा रतन टाटा को वापिस इंटरिम चेयरमैन बना दिया गया।
इस तरह के अचानक निर्णय से मीडिया में खबर बहुत तेजी से फैल गई जिसके कारण टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों में क्राइसिस आ गया।
जनवरी 2017 में नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा संस का चेयरमैन घोषित किया गया और तब से लेकर आज दिसंबर 2021 तक चंद्रशेखरन ही चेयरमैन है।
रतन टाटा के लोकहित कार्य (Philanthropist works by Ratan Tata)
रतन टाटा एक बिजनेसमैन तथा निवेशक होने के साथ-साथ एक महान समाजसेवी भी रहे हैं। उनके द्वारा लोगों के हित में किए गए कार्य बहुत सराहनीय है।
- कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स के लिए टाटा ग्रुप ने 28 मिलियन डॉलर स्कॉलरशिप फंड दिया।
- वर्ष 2010 में टाटा ग्रुप ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एग्जीक्यूटिव सेंटर के निर्माण के लिए $50 मिलियन का दान दिया। इस हॉल के निर्माण में लगभग $100 मिलियन से ज्यादा का खर्चा आया।
- टाटा कंसल्टेंसी कंपनी ने कार्नेजी मेल्लों यूनिवर्सिटी को रिसर्च की सुविधा के लिए 35 मिलियन डॉलर का दान दिया।
- टाटा ट्रस्ट ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस को 750 मिलियन रुपए का दान दिया।
रतन टाटा तथा टाटा ग्रुप के द्वारा दिए गए दानों में से ये दान सबसे बड़े दान हैं।
टाटा ग्रुप की सभी कम्पनियाँ (Names of Tata Group All Companies)
रतन टाटा की कम्पनियों के नाम (Ratan Tata all company name) –
- Tata Consultancy Services
- Tata Motors
- Titan Company
- Tata Chemicals
- Indian Hotels Company Limited (IHCL)
- Tata Consumer Products
- Tata Communications
- Trent Limited
- Tata Steel Long Products Limited
- Tata Investment Corporations Limited
- Tata Metaliks
- Tata Coffee
यह भी पढ़ें – जमशेदजी टाटा के प्ररेणादायक अनमोल विचार
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा था। टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के पुत्र रतनजी टाटा ने रतन को गोद लिया था। रतन टाटा की नानी तथा जमशेदजी टाटा की पत्नी हीराबाई दोनों बहने थी। जब रतन टाटा मात्र 10 वर्ष के थे तब उनके पिता नवल व माता सोनू एक दूसरे से अलग हो गए। जिसके बाद उनका पालन पोषण सर रतन जी टाटा की विधवा पत्नी नेवज बाई टाटा के द्वारा किया गया जिन्होंने रतन को गोद ले लिया था।
नहीं, रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की। वे जब लॉस एंजेल्स में थे तब वहां पर उन्होंने एक लड़की से प्रेम किया। टाटा के परिवार में कोई सदस्य बीमार हो गया था तब उन्हें भारत आना था। परंतु, उस लड़की के माता-पिता ने उसे टाटा के साथ आने से मना कर दिया। इसके बाद रतन टाटा भारत आ गए और पीछे से उस लड़की की शादी हो गई। रतन ने उस लड़की को वचन दिया था कि वे केवल उसी से शादी करेंगे। उन्होंने उस वचन को निभाया और जिंदगी में कभी शादी नहीं की।
28 दिसम्बर 1937 को, मुम्बई, महाराष्ट्र में।
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रतन टाटा का जीवन परिचय Ratan Tata Biography in Hindi
रतन टाटा प्रमुख भारतीय उद्योगपतियों में से एक हैं, वे सबसे बड़े भारतीय संगठन टाटा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज के पूर्व अध्यक्ष थे। वर्तमान में वह टाटा संस टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी जो टाटा स्टील , टाट ए मोटर्स , टाटा पावर , टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज , इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज सहित कुछ प्रमुख कंपनियों को नियंत्रित करते है।
रतन टाटा उनकी दादी के पास बड़े हुए। जब उनके माता पिता अलग हो गए। उन्होंने टाटा स्टील की दुकान पर एक साथी कार्यकर्ता के रूप में कार्य शुरू किया और अपने परिवार के व्यवसाय के बारे में जानकारी हासिल कर ली। जे.आर.डी. के सेवानिवृत्ति के बाद , वह टाटा समूह के नए अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में , संगठन ने नई ऊंचाई हासिल की और बड़ी मात्रा में विदेशी राजस्व उत्पन्न किया।
उन्होंने टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस के अधिग्रहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,जिसने टाटा को एक प्रमुख भारत-केंद्र कंपनी से वैश्विक ब्रांड नाम के रूप में बदल दिया। अपने बहुराष्ट्रीय विस्तार के अलावा, उन्होंने भारत और विदेशों में संगठनों में विभिन्न प्रकार से सेवा की।
वह एक प्रमुख परोपकारी है और समूह में अपने हिस्से का आधे से अधिक हिस्सा धर्मार्थ ट्रस्टों में निवेश करते हैं। अपने अग्रणी विचारों और सकारात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से, वह सेवानिवृत्ति के बाद भी अपने संगठन के लिए मार्ग दर्शक शक्ति के रूप में सेवा कर रहे हैं।
Table of Content
बचपन और प्रारंभिक जीवन Early Life and Childhood
उनका जन्म 28 दिसंबर, 1937 को भारत के सूरत में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल होर्मुस्जी टाटा और माता का नाम सोनू टाटा था। नवल टाटा जमशेदजी टाटा के छोटे बेटे रतनजी टाटा के गोद लिए हुए पुत्र थे। जमशेदजी टाटा, टाटा ग्रुप ऑफ़ कम्पनी के संस्थापक थे।
रतन टाटा के एक भाई, जिमी और एक सौतेले भाई, नोएल टाटा हैं। जब वह दस वर्ष के थे, उनके माता-पिता अलग हो गए और उसके बाद, उन्हें और उनके भाई को उनकी दादी नवाज बाई टाटा ले आयीं।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कैंपियन स्कूल , मुंबई से प्राप्त की और कैथेड्रल और जॉन कानन स्कूल , मुंबई में अपनी स्चूली शिक्षा समाप्त की। 1962 में , उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय , अमरीका से वास्तुकला में बी एस किया। बाद में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में नामांकन किया और 1975 में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
व्यवसाय Occupation
1962 में , उन्होंने टाटा स्टील डिवीजन के साथ अपने करियर की शुरुआत की, जहां उन्होंने नीले कॉलर वाले कर्मचारियों के साथ भट्टियों में काम किया। यह एक कठिन काम था। अपने परिवार के व्यवसाय के लिए उन्हें बेहतर समझ और सम्मान हासिल करने में मदद मिली।
1971 में उन्हें नेशनल रेडियो इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (नेल्को) के डायरेक्टर-इन-चार्ज के रूप में नियुक्त किया गया था। ताकि, अपने संघर्षरत वित्तपोषण में मदद मिल सके। उन्होंने एक बेहतर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स डिवीजन बनाने की दिशा में काम किया। लेकिन, आर्थिक मंदी और संघ के हमलों ने उन्हें सफलता प्राप्त करने से रोका।
1977 में , उन्हें टाटा समूह के भीतर एक संघर्षरत कपड़ा मिल की एम्प्रेस मिल्स में ले जाया गया था। उन्होंने मिल के लिए एक योजना प्रस्तावित की लेकिन अन्य टाटा अधिकारी ने इसे खारिज कर दिया और मिल बंद हो गयी। बाद में , उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज में स्थानांतरित कर दिया गया।
1991 में , जे.आर.डी. टाटा ने उन्हें टाटा समूह के नए अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया। कंपनी के अन्य अधिकारियों की आपत्तियों के बाद यह निर्णय जांच के तहत आया और निगम चलाने की उनकी क्षमता के बारे में सवाल उठाए गए। लेकिन वे उद्योगों की वित्तीय सफलता को सुधारने में सफल हुए और उनके नेतृत्व में संगठन के विकास का विस्तार हुआ।
उन्होंने विभाजन के प्रबंधन और दृष्टि को बदल दिया , और काफी बड़ा लाभांश लाने में कामयाब रहे। वह व्यापार और उद्योग पर प्रधान मंत्री परिषद के सदस्य भी बने। उन्होंने एशिया प्रशांत नीति के लिए रैंड सेंटर के सलाहकार बोर्ड पर कार्य किया और भारत में एड्स पहल कार्यक्रम के भी सक्रिय भागीदारी है। वह मित्सुबिशी निगम , अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप , जेपी मॉर्गन चेस और बूज एलन हैमिल्टन के अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड के भी सदस्य हैं।
अपने 75 वें जन्मदिन पर , अर्थात , 28 दिसंबर 2012 को उन्होंने टाटा समूह के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप के प्रबंध निदेशक में सफल हुये। सेवानिवृत्त के बाद भी , वह अभी भी एक सक्रिय व्यापारी है और आगामी होनहार व्यापारिक उद्यमों में निवेश करते हैं।
प्रमुख कार्य Major Works and Success
टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में , वे अपनी कंपनी के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता और प्रतिष्ठा प्राप्त करने में सक्षम थे। कंपनी की चौंकाने वाली वित्तीय सफलता ने टाटा समूह को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लाया और उनकी देखरेख में निगम कई तरह के टेटली , जगुआर लैंड रोवर , और कोरस सहित कई कंपनियों को अधिग्रहण करके एक वैश्विक ब्रांड बन गया।
उन्होंने टाटा नैनो और टाटा इंडिका कारों की अवधारणा और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह एक उल्लेखनीय परोपकारी भी है और उनके हिस्से का 65% हिस्सा धर्मार्थ ट्रस्टों में निवेश किया जाता है. उनके जीवन का एक मुख्य लक्ष्य मानव विकास के साथ-साथ भारतीयों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाना है।
पुरस्कार और उपलब्धियां Awards
- 2000 में , उन्हें भारत सरकार द्वारा प्रदत्त तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्रदान किया गया था।
- 2004 में , उन्होंने उरुग्वे सरकार द्वारा मेडल ऑफ ओरिएंटल रिपब्लिक उरुग्वे प्रदान किया गया।
- 2005 में , उन्हें ‘ बायोइन बरिथ इंटरनेशनल ‘ द्वारा ‘ इंटरनेशनल डिस्टिंग्ड अचीवमेंट अवार्ड ‘ प्रदान किया गया था। 2007 में उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस के ऑनरी फेलोशिप प्रदान किया गया था।
- 2008 में , उन्हें ‘ पद्म विभूषण ‘ से सम्मानित किया गया , भारत सरकार द्वारा दूसरा उच्चतम नागरिक सम्मान द्वारा सम्मानित किया गया।
- 2009 में , उन्हें इटली सरकार द्वारा ‘ इतालवी गणराज्य के ऑर्डर ऑफ मेरिट ऑफ़ ‘ ग्रैंड ऑफिसर ‘ का पुरस्कार प्रदान किया गया।
- 2009 में , उन्हें सन्माननीय नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर , यूनाइटेड किंगडम का खिताब दिया गया।
- 2010 में , उन्होंने बिजनेस फॉर पीस फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत ‘ ओस्लो बिज़नेस फ़ॉर पीस अवार्ड ‘ जीता।
- 2014 में , उन्हें ‘ ऑनरी नाइट ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर ‘ प्रदान किया गया था।
व्यक्तिगत जीवन और विरासत Personal Life
रतन टाटा एक स्नातक है। वह अपनी कम प्रोफ़ाइल जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं। वह मुंबई में एक साधारण घर में रहते है और एक टाटा की सेडान कार ड्राइव करते है।
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रतन टाटा की जीवनी – Ratan Tata Biography Hindi
आज इस आर्टिकल में हम आपको रतन टाटा की जीवनी – Ratan Tata Biography Hindi के बारे में बताएगे।
रतन टाटा की जीवनी – Ratan Tata Biography Hindi
रतन टाटा सुप्रसिद्ध उद्योगपति है तथा वे टाटा समुह के वर्तमान अध्यक्ष, जो भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया।दुनिया की सबसे छोटी कार बनाने से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए1991 से 2012 तक और फिर 2016 -17 में वह देश के प्रतिष्ठित टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे।
टाटा समूह के बिजनेस का दूसरे देशों में विस्तार किया।
2008 में उन्हे पद्मविभूषण और 2000 में उन्हे पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
अब अपने चैरिटी से जुड़े कार्यों में व्यस्त रहते हैं।
- नवम्बर 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया।
- मई 2008 में टाटा को टाइम पत्रिका की 2008 की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था।
उनके पिता का नाम नवल टाटा तथा उनकी माता का नाम सोनू टाटा है।
उनके दादा का नाम श्री जमशेदजी टाटा था रतन टाटा की एक सौतेली माँ भी है ।
जिसका नाम सिमोन टाटा हैं।
सिमोन का एक पुत्र हैं जिसका नाम नोएल टाटा हैं। नवल और सोनू ने रतन टाटा को गोद लिया था।
जब वे मात्र 10 साल की उम्र में उनके माता -पिता उनसे अलग हो गये थे तब नवल और सोनू ने उनका पालन-पोषण किया था.
शिक्षा – रतन टाटा की जीवनी
रतन टाटा ने कैपियन स्कूल से शुरूआती पढ़ाई करने के बाद उन्होने कार्निल यूनिवर्सिटी लंदन से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर हार्वड विश्वविघालय से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम कोर्स किया। उन्हें प्रतिष्टित कंपनी आईबीएम से नौकरी का बढ़िया प्रस्ताव मिला, लेकिन रतन ने उस प्रस्ताव को ठुकराकर अपने पुश्तैनी बिजनेस को ही आगे बढ़ाने की ठानी।
रतन जी ने अपने करियर की शुरुआत 1961 में की, शुरू में उन्होंने शॉप फ्लोर आदि पर वर्क किया।
इसके बाद में रतन जी टाटा समूह और ग्रुप के साथ जुड़े थे।
1971 में रतन जी नेल्को कंपनी (रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक) में डायरेक्टर पद पर नियुक्त हुए।
1981 में जमशेदजी टाटा ने रतन को टाटा समूह का नया अध्यक्ष बनाया।
रतन टाटा के समय टाटा इंड्रस्ट्री ने कई मंजिले पाई, 1998 में पहली बार रतन टाटा के निर्देशन में टाटा मोटर्स ने एक भारतीय कार ” टाटा इंडिका ” को बाजार में उतारा था।
इससे टाटा समूह की पहचान धीरे-धीरे बढ़ती चली गयी।
इसके बाद रतन टाटा ने एक छोटी कार टाटा नैनो जो भारत में बनी है मार्केट में उतारी, जो भारत के इतिहास में सबसे सस्ती कार थीं। उसके बाद रतन टाटा ने 2012 में टाटा के सभी प्रमुख पदों से सेवा मुक्त होने की घोषणा की। टाटा अभी चेरीटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष का पद देखते हैं। रतन टाटा ने देश और विदेशों में भी कई संघटनो के साथ भी कार्य किया हैं और अपने बिजनेस को आगे लेकर गए है।
सम्मान और पुरस्कार – रतन टाटा की जीवनी
- भारत के 50वें गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी 2000 पर रतन टाटा को तीसरे नागरिक अलंकरण पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- उन्हें 26 जनवरी 2008 भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- वे नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप (NASSCOM Global Leadership) पुरस्कार 2008 प्राप्त करने वालों में से एक थे।
- ये पुरस्कार उन्हें 14 फ़रवरी 2008 को मुम्बई में एक समारोह में दिया गया।
- मार्च 2006 में टाटा को कॉर्नेल विश्वविद्यालय द्वारा 26वें रॉबर्ट एस सम्मान से सम्मानित किया गया।
- आर्थिक शिक्षा में हैटफील्ड रत्न सदस्य, वह सर्वोच्च सम्मान जो विश्वविद्यालय कंपनी क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को प्रदान करती है।
- फरवरी 2004 में, रतन टाटा को चीन के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो (Hangzhou) शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया।
- उन्हें लन्दन स्कूल ऑफ़ इकॉनॉमिक्स (London School of Economics) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई,
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Sonu Siwach
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Ratan Tata Biography in Hindi | रतन टाटा जीवन परिचय
रतन टाटा से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
- क्या रतन टाटा धूम्रपान करते हैं ?: नहीं
- क्या रतन टाटा शराब पीते हैं ?: नहीं
- रतन टाटा के पिता नवल टाटा को रतन जी टाटा की पत्नी नवाज़बाई टाटा ने गोद लिया था।
- वर्ष 1940 के दशक में, जब रतन टाटा के माता-पिता अलग हो गए थे, तब उनका पालन-पोषण उनकी दादी माँ नवाज़बाई टाटा ने किया था।
रतन टाटा अपने कुत्तों के साथ
- वर्ष 1961 में, वह टाटा समूह में शामिल हुए और उनका सबसे पहला काम चूने के पत्थरों को तोड़ना और विस्फोटक भट्टी को संभालना था।
- वर्ष 1991 में, वह टाटा समूह के अध्यक्ष बने, जब जे. आर. डी टाटा ने उन्हें उनके उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया था।
- उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह को पुरस्कृत किया गया, जिसके चलते समूह के राजस्व में 40 गुना वृद्धि हुई और 50 प्रतिशत लाभ बढ़ा।
- रतन टाटा के व्यवसायिक कौशल ने टाटा समूह को स्थानीय ब्रांड से एक वैश्विक समूह में बदल दिया।
रतन टाटा नैनो कार के साथ
- 28 दिसंबर 2008 को, उन्होंने साइरस मिस्त्री को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया।
- वह एक प्रशिक्षित पायलट भी हैं और 8 फरवरी 2007 को, उन्होंने एफ -16 की उड़ान भरी थी, ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय हैं।
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Ratan Tata Biography: Birth, Age, Education, Family, Successor, Net Worth, Awards, Lessons, and More
On the occasion of ratan tata's 85th birthday, let us take a look at the life of one of the most renowned business tycoons in india. .
Ratan Tata Biography
Ratan tata: birth, age, family, and education.
Born on 28 December 1937 in Bombay, British India (present-day Mumbai), Ratan Tata is the son of Naval Tata and Sooni Commissariat. They got separated when Ratan Tata was 10 years old. He was then formally adopted by his grandmother Navajbai Tata through the J. N. Petit Parsi Orphanage. Ratan Tata was raised with his half-brother Noel Tata (son of Naval Tata and Simone Tata).
The 84-year-old attended Campion School, Mumbai, Cathedral and John Connon School, Mumbai, Bishop Cotton School, Shimla, and Riverdale Country School in New York City. He is an alumnus of Cornell University and Harvard Business School.
Ratan Tata as Chairperson of Tata Sons
When JRD Tata stepped down as the chairperson of Tata Sons in 1991, he named Ratan Tata his successor. He faced stiff resistance from many companies heads who spent decades in their respective companies. Tata began replacing them by setting a retirement age. He further made it compulsory for each company to report to the group office. Under his leadership, the overlapping companies of Tata Sons were streamlined into a synergized whole.
During his 21 years of stewardship, revenues grew over 40 times, and profit over 50 times. He got Tata Tea to acquire Tetley, Tata Motors to acquire Jaguar Land Rover, and Tata Steel to acquire Corus, turning the organization from a largely India-centric group into a global business.
He also conceptualized the Tata Nano car. The car was capped at a price that was within the reach of the average Indian consumer.
Upon turning 75, Ratan Tata stepped down as the Chairperson of Tata Sons on 28 December 2012. Cyrus Mistry was named his successor, however, the Board of Directors and Legal division voted for his removal on 24 October 2016 and Ratan Tata was then made the group's interim chairman.
A selection committee comprising Ratan Tata, TVS Group head Venu Srinivasan, Amit Chandra of Bain Capital, former diplomat Ronen Sen, and Lord Kumar Bhattacharya was formed to find the successor of Ratan Tata. The committee named Natarajan Chandrasekaran as the Chairperson of Tata Sons on 12 January 2017.
Philanthropic Work of Ratan Tata
Being a supporter of education, medicine, and rural development, Ratan Tata supported the University of New South Wales Faculty of Engineering to provide improved water for challenged areas.
Tata Education and Development Trust endowed a $28 million Tata Scholarship Fund that will allow Cornell University to provide financial aid to undergraduate students from India. The annual scholarship will support approximately 20 students at a given time.
Tata Group companies and Tata charities donated $50 million in 2010 to Harvard Business School (HBS) for the construction of an executive center.
Tata Consultancy Services (TCS) donated $35 million to Carnegie Mellon University (CMU) for a facility to research cognitive systems and autonomous vehicles. It is the largest ever donation by a company and the 48,000 square-foot building is called TCS Hall.
Tata Group donated Rs. 950 million to the Indian Institute of Technology, Bombay in 2014 and formed Tata Center for Technology and Design (TCTD). It was the largest ever donation received in the history of the institute.
Tata Trusts also provided a grant of ₹750 million to the Centre for Neuroscience, the Indian Institute of Science, to study mechanisms underlying the cause of Alzheimer's disease and to evolve methods for its early diagnosis and treatment.
Ratan Tata Wife
"I came close to getting married four times and each time I backed off in fear or for one reason or another," said Ratan Tata in 2011.
Awards
Ratan tata family tree.
1- Jamshedji Nusserwanji Tata- Founder of Tata Group, India's biggest conglomerate company. He was married to Hirabai Daboo.
2- Dorabji Tata- The elder son of Jamshedji Tata and second chairperson of the Tata Group. His wife was Meherbai Tata, the paternal aunt of renowned nuclear scientist Homi J. Bhabha.
3- Ratanji Tata- Younger son of Jamshedji Tata. He was the pioneer of poverty studies. He was married to Navajbai Tata. His wife adopted an orphan, Naval, who was the grand-nephew of Hirabai Tata, and raised him as her own son.
4- Naval Tata- Adopted son of Navajbai Tata. His biological father was Hormusji Tata. His maternal grandmother was the sister of Hirabai Tata. Director in several Tata companies, ILO member, and recipient of Padma Bhushan, Naval Tata had three sons-- Ratan Tata (5th chairperson of Tata Group), Jimmy Tata, and Noel Tata (Chairperson of Trent Limited)-- from two marriages.
5-Ratanji Dadabhoy Tata- He was one of the early stalwarts who served the Tata Group. His father Dadabhoy and his mother Jamshedji Tata, Jeevanbai, were siblings. He married Suzanne Brière and the couple gave birth to five children, including J.R.D. Tata and Sylla Tata.
6- J.R.D. Tata- He served as the fourth Chairperson of the Tata Group. He is the founder of Tata Airlines (later Air India).
7- Sylla Tata- Elder sister of J.R.D. Tata was married to the founder of the first textile mill in India, Dinshaw Maneckji Petit. Her sister-in-law Rattanbai Petit, was married to Muhammad Ali Jinnah, the founder of Pakistan. Jinnah's only child, Dina Jinnah, was married to Neville Ness Wadia.
Famous Quotes By Ratan Tata
1- “I don’t believe in taking the right decisions. I take decisions and then make them right.”
2- “If you want to walk fast, walk alone. But if you want to walk far, walk together.”
3- “I’ve often felt that the Indian Tiger has not been unleashed.”
4- “People still believe what they read is necessarily the truth.”
5- “If it stands the test of public scrutiny, do it… If it doesn’t stand the test of public scrutiny then don’t do it.”
6- “Power and wealth are not two of my main stakes.”
7- “I have been constantly telling people to encourage people, to question the unquestioned, and not to be ashamed to bring up new ideas, new processes to get things done.”
8- “None can destroy iron, but its own rust can! Likewise, none can destroy a person, but its own mindset can!”
9- “Businesses need to go beyond the interest of their companies to the communities they serve.”
10- “Ups and downs in life are very important to keep us going because a straight line even in an ECG means we are not alive.”
11- “Apart from values and ethics which I have tried to live by, the legacy I would like to leave behind is a very simple one – that I have always stood up for what I consider to be the right thing, and I have tried to be as fair and equitable as I could be.”
12- “I admire people who are very successful. But if that success has been achieved through too much ruthlessness, then I may admire that person, but I can’t respect him.”
13- “There are many things that, if I have to relive, maybe I will do it another way. But I would not like to look back and think what I have not been able to.”
14- “Don’t be serious, enjoy life as it comes.”
15- “I have always been very confident and very upbeat about the future potential of India. I think it is a great country with great potential.”
16- “One hundred years from now, I expect the Tatas to be much bigger than it is now. More importantly, I hope the Group comes to be regarded as being the best in India.. best in the manner in which we operate, best in the products we deliver, and our best in our value systems and ethics. Having said that, I hope that a hundred years from now we will spread our wings far beyond India.”
17- “Take the stones people to throw at you, and use them to build a monument”
18- “I followed someone who had very large shoes. He had very large shoes. Mr. J. R. D. Tata. He was a legend in the Indian business community. He had been at the helm of the Tata organization for 50 years. You were almost starting to think he was going to be there forever.”
19- “Young entrepreneurs will make a difference in the Indian ecosystem.”
20- “I would say that one of the things I wish I could do differently would be to be more outgoing.”
21- “The strong live and the weak die. There is some bloodshed, and out of it emerges a much leaner industry, which tends to survive.”
22- “At Tatas, we believe that if we are not among the top three in an industry, we should look seriously at what it would take to become one of the top three players.. or think about exiting the industry”
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- Who is the wife of Ratan Tata? + Ratan Tata is unmarried. He once loved a girl in Los Angeles while working there and had to return to India as his family member was ill. The girl's parents didn't allow her to go to India. Tata stood by his commitment and is unmarried to date.
- Is Ratan Tata adopted? + Ratan Tata is the son of Naval Tata and Sooni Commissariat. When his parents were separated, he was formally adopted by his grandmother and widow of Sir Ratanji Tata-- Navajbai Tata-- through the J. N. Petit Parsi Orphanage.
- Is Ratan Tata married? + No, Ratan Tata is not married. "I came close to getting married four times and each time I backed off in fear or for one reason or another," said Ratan Tata in 2011.
- Who is Ratan Tata? + Ratan Tata is Chairman Emeritus, Tata Sons and Tata Group. He is also known for his philanthropic work.
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रतन टाटा जीवनी, परिवार, विचार और कुल संपत्ति
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रतन टाटा पूरी दुनिया में अमीरों की गिनती में आते हैं और वो चाहे तो सबसे उपर उनका ही नाम होता अगर वो अपनी आमदनी का आधे से भी ज्यादा हिस्सा दान ना करते तो। रतन टाटा का नाम ही काफी है, बहुत ही गर्व महसूस होता है ऐसे महान व्यक्ति रतन टाटा की जीवनी लिखने में।
रतन टाटा एक बेहद बड़े मशहूर व्यवसायी है, उनका इतना बड़ा सफर उन्होंने बड़ी ही मेहनत और लगन से किया है। रतन टाटा की शादी नहीं हुई है वे अपने दरियादिली के लिए भी जाने जाते हैं। रतन टाटा कई तरह के सामान का विक्रय करते है जैसे Tata Tea, Tata Motors, Jaguar, Tata Steel, Tata Consultancy Services, etc.
Ratan Tata Life Story in Hindi
रतन टाटा एक माने जाने भारतीय उद्योगपति है जिन्हें दुनिया का हर कोने में रहने वाला व्यावसायी जानता है। रतन टाटा, टाटा समूह के वर्तमान अध्यक्ष है और टाटा समूह भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है।
टाटा समूह की स्थापना जमशेदजी टाटा जी ने की थी और उनके परिवार की पीढ़ियों ने टाटा समूह को विकसित किया और इसे कायम रखा है।
Success Story Of Ratan TATA in Hindi
रतन टाटा की कहानी: सन् 1971 में रतन टाटा को एक Radio and Electronics Company Limited ( Nelco ) का Director in Charge नियुक्त किया गया, एक कंपनी जो कि सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी। रतन ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता Electronics के बजाय High Technology के उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए।
JRD NELCO के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, क्योंकि इसने पहले कभी नियमित रूप से लाभांश का भुगतान नहीं किया था इसके साथ, रतन ने कार्यभार देखा की उपभोक्ता इलेक्ट्रिकल्स नेल्को की बाजार में 2% हिस्सा था और घाटा बिक्री का 40% था। फिर भी JRD ने रतन के सुझाव का अनुसरण किया।
सन् 1972 से 1975 तक NELCO ने अपनी बाजार में हिस्सेदारी 20% तक बढ़ा ली और अपना नुक्सान भी पूरा कर लिया लेकिन सन् 1975 में, भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपात स्थिति की घोषणा कर दी, और उसी कारण आर्थिक मंदी आ गई।
सन् 1977 में यूनियन की समस्याएं हुई, इसलिए मांग के बढ़ने पर भी उत्पादन में बदलाव नहीं हो पाया। फिर टाटा ने यूनियन की हड़ताल का सामना किया, सात महीने के लिए तालाबंदी (lockout) कर दी गई।
र तन ने हमेशा नेल्को की मौलिक दृढ़ता में विश्वास रखा, लेकिन उद्यम आगे और न रह सका।
टाटा को सन् 1977 में Empress Mills सौंपा गया, यह टाटा द्वारा नियंत्रित कपड़ा मिल थी। यह टाटा समूह की बीमार / कमजोर इकाइयों में से एक थी। रतन ने इसे संभाला और यहाँ तक की एक लाभांश की घोषणा कर दी। श्रमिक संख्या बहुत ज्यादा थी और जिन्होंने आधुनिकीकरण पर बहुत कम खर्च किया था रतन के आग्रह पर, कुछ निवेश किया गया, लेकिन वो पूरा नहीं पड़ा क्योंकि मोटे और मध्यम सूती कपड़े के लिए बाजार प्रतिकूल था (जो कि एम्प्रेस का कुल उत्पादन था) , एम्प्रेस को भारी नुकसान होने लगा।
BOMBAY HOUSE टाटा मुख्यालय, अन्य ग्रुप कंपनियों से फंड को हटाकर ऐसे उपक्रम में लगाने का इच्छुक नहीं था, जिसे लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता हो। इसलिए, कुछ टाटा निर्देशकों, नानी पालखीवाला (Nani Palkhivala) ने ये फैसला लिया कि टाटा को मिल बंद कर देनी चाहिए। उस मिल को 1986 के अंत में बंद कर दिया गया। रतन इस फैसले से बेहद निराश थे और बाद में हिंदुस्तान टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि एम्प्रेस को मिल जारी रखने के लिए सिर्फ़ 50 लाख रुपये की जरुरत थी।
सन् 1981 में, रतन टाटा इंडस्ट्रीज और समूह की अन्य होल्डिंग कंपनियों के अध्यक्ष बनाए गए, जहाँ वे समूह के कार्यनीतिक विचार समूह को रूपांतरित करने के लिए उत्तरदायी तथा उच्च प्रौद्योगिकी व्यापारों में नए उद्योग के प्रवर्तक थे।
बाद में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी और टाटा मोटर्स New York Stock Exchange में सूचीबद्ध हुई| 1998 में TATA MOTORS ने उनके संकल्पित TATA INDICA को बाजार में उतारा.
31 जनवरी 2007 को, रतन टाटा की अध्यक्षता में, टाटा संस ने कोरस समूह (CORUS GROUP) को सफलतापूर्वक अधिग्रहित किया, जो एक एंग्लो-डच एल्यूमीनियम और इस्पात निर्माता है.
इस अधिग्रहण के साथ रतन टाटा भारतीय व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गये| इस विलय के फलस्वरुप दुनिया को पांचवां सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक संस्थान मिला.
टाटा नैनो कार की शुरुआत
रतन टाटा अपने दरिया दिल की वजह से लोगों के दिलों पे राज करते हैं। रतन टाटा सब का सोच कर चलते है। रतन टाटा का सपना था कि किसी भी तरह 1 लाख रुपए की लागत में कार बनाई जाए। नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी 2008 को इस कार का उदघाटन कर दिया गया। शुरू में टाटा नैनो के तीन मोडल को बाजार में लाया गया।
रतन टाटा ने लोगों के सपनों को पूरा किया और 1 लाख की कार बाजार में लाकर कहा “वादा एक वादा है,”
रतन टाटा का अपमान: Biography of Ratan TaTa in Hindi
दस साल पहले जब रतन टाटा अपनी डूबती हुई टाटा मोटर्स को बेचने के लिए फोर्ड कंपनी के पास गए थे और जिस पर फोर्ड कंपनी ने उनका अपमान करते हुए कहा की “आपकी टाटा मोटर्स खरीद कर हम आप पर एहसान कर रहे हैं” .
उस अपमान के चलते रतन टाटा ने अपनी कंपनी नहीं बेची और वहां से चल दिए और करीब दस साल के बाद 26 मार्च 2008 को रतन टाटा ने अपने अपमान का बदला लिया।
फोर्ड कंपनी की जैगुआर और लैंड रोवर को खरीद कर। ब्रिटिश की मशहूर जैगुआर और लैंड रोवर 1.15 अरब पाउंड ($2.3 अरब), में खरीदी गई।
रतन टाटा जीवनी: History of Ratan Tata in Hindi
रतन टाटा एक शर्मीले व्यक्ति हैं, समाज की झूठी चमक दमक में विश्वास नहीं करते हैं, सालों से मुंबई के कोलाबा जिले में एक किताबों एवं कुत्तों से भरे हुए बैचलर फ्लैट में रह रहे हैं। रतन टाटा ने अपना नया उत्तराधिकारी चुन लिया है। साइरस मिस्त्री रतन टाटा का स्थान लेंगे लेकिन पूरी तरह उनकी जगह लेने से पहले वो एक साल तक उनके साथ काम करेंगे।
दिसंबर 2012 में वो पूरी तरह समूह की जिम्मेदारी संभाल लेंगे। पलोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे और शपूरजी-पलोनजी के प्रबंध निदेशक साइरस मिस्त्री ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक एवं लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में डिग्री ली है।
फिलहाल वो टाटा संस की सबसे बड़ी शेयरधारक कंपनी शापूरजी पैलनजी के प्रबंध निदेशक हैं। सायरस 2006 से ही टाटा समूह से जुड़े हैं, मिस्त्री साल 2006 से ही टाटा संस के निदेशक समूह से जुड़े हैं।
रतन टाटा का जीवन परिचय और रतन टाटा की शिक्षा
रतन टाटा ने अपनी प्रारम्भिक पढाई मुंबई के Campion School में की थी और सेकेंडरी शिक्षा John Cannon School से ली। इसके बाद 1962 में Cornell University से वास्तुकला और Structural Engineering में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। उनके बाद उन्होंने Harvard business school से सन् 1975 में Advanced Management प्रोग्राम पूरा किया।
रतन टाटा का परिवार: Information About Ratan TaTa in Hindi
रतन टाटा के माता-पिता श्री नवल टाटा (पिता) और श्रीमती सोनू टाटा (माँ) है, रतन टाटा के चाचा जे०आर०डी० टाटा है।
रतन टाटा की सौतेली माँ भी हैं श्रीमती सिमोन टाटा , और सौतेला भाई भी है “नोएल टाटा” रतन टाटा की पत्नी नहीं है उन्होंने शादी नहीं की।
रतन टाटा को सम्मान और पुरस्कार
रतन टाटा को भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) द्वारा सम्मानित किया जा चूका है। यह सम्मान देश के तीसरे और दुसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, उनको मिले और अन्य सम्मान और पुरस्कार निम्नलिखित है।
रतन टाटा दिल के बहुत बड़े आदमी है और बहुत बड़े दानी भी है। रतन टाटा की आमदनी इतनी है कि दुनिया में उनसे ज्यादा कोई नहीं कमाता होगा, पर वो अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा हर साल दान कर देते हैं और फिर कुछ समय के बाद फिर अपनी स्थिति में आ जाते हैं।
रतन टाटा के विचार
Quotes 02: मैं यह कहूँगा कि एक चीज जो मैं अलग तरीके से कर सकता था वह यह कि मैं और भी अधिक सेवामुक्त होता।
Ratan TaTa Quotes in Hindi For Students
Ratan TATA and TATA sons donated amount in PM relief fund for corona virus victims
Ratan Tata Coronavirus : भारत के मुश्किल वक्त में सबसे ज्यादा दान करने वाली टाटा फैमिली है। ऐसे में रतन टाटा और टाटा संस ने भारत की मदद की है। भारत को कोरोना वायरस से बचाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
भारत अपने बुरे समय में अर्थात कोरोना वायरस से जूझ रहा था तभी भारत के प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी ने PM Cares Fund की घोषणा की, इस घोषणा में बताया गया की भारत को आर्थिक मदद की जरूरत है जिससे की वो कोरोना वायरस से लड़ सके और कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दुनिया भर के लोगों ने अपना अपना योगदान दिया जिसमें मुकेश अंबानी जी ने 500 करोड़ रुपए का दान दिया है।
रतन टाटा जी ने स्वयं 500 करोड़ दान किए है साथ में उनकी टाटा संस ने 1000 करोड़ का दान दिया है। भारत कभी इनके इस उपकार को नहीं भूलेगा। रतन टाटा हमेशा से ही कहते रहे है कि भारत के सुख दुख में वो भारत के साथ है।
रतन टाटा बहुत बड़े व्यवसायी है उन्होंने भारत को बहुत कुछ दिया है। रतन टाटा ने शुरू से ही भारत के भले के लिए सोचा है उन्होंने लोगों के कार के सपने को पूरा करने के लिए सबसे कम कीमत वाली कार टाटा नैनो निकाली थी जिसका बाजार में अच्छा दबदबा रहा है।
रतन टाटा एक आम व्यक्ति के लिए प्रेरणा स्रोत है। बहुत से लोग उनके दिखाए हुए रास्ते पर चलते हैं। रतन टाटा ने भारत के भविष्य के लिए प्रत्येक वर्ष भारत के नौजवानों को उनके व्यापार उपाय के चलते उनका साथ दिया है यदि किसी व्यक्ति के पास अच्छा उपाय है और उस उपाय से भारत का भला हो सकता है तो रतन टाटा पीछे नहीं होते है।
उम्मीद है कि आपको रतन टाटा की जीवनी पढ़ कर अच्छा लगा होगा। रतन टाटा के बारे में जानकर उनसे कुछ सीखने को मिला होगा तो इस लेख को अवश्य साझा करें अपने मित्रों आदि के साथ और टिप्पणी करके अपने विचार हमारे साथ व्यक्त करें।
अन्य उद्योगपति⇓
- विवेक बिंद्रा मोटिवेशनल स्पीकर
- संदीप माहेश्वरी मोटिवेशनल स्पीकर
- सोनू शर्मा मोटिवेशनल स्पीकर
– Ratan Tata Biography in Hindi
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Meet the Tata family – From Jamsetji Tata to Ratan Tata and Maya Tata; Know about their journey, life, and more
Tata group stands as a pinnacle of success among conglomerates in india, boasting a portfolio of over 100 companies spanning diverse sectors such as chemicals, consumer goods, and services..
The Tata Group, a globally renowned conglomerate worth billions, has transcended its status as merely a brand name. Through decades of dedication and innovation, this esteemed family has erected a vast business empire across a multitude of industries, encompassing everything from steel and automobiles to hospitality and telecommunications. While the name of the revered industrialist Ratan Tata is widely recognized and admired, the rich lineage of the Tata family remains lesser-known to many.
Tata Group stands as a pinnacle of success among conglomerates in India , boasting a portfolio of over 100 companies spanning diverse sectors such as chemicals, consumer goods, and services. Its inception dates back to 1868 in Mumbai, India.
The visionary founder, Jamsetji Tata, made significant strides by establishing India’s premier luxury hotel, the Taj Mahal Palace & Tower. Following his demise, his son, Sir Dorab Tata, assumed leadership and propelled the company’s expansion into steel, electricity, and various other industries. This expansion transcended borders, with acquisitions including Tetley Tea and Jaguar Land Rover, alongside the recent acquisition of Air India.
The illustrious Tata lineage, originating from Navsari in Gujarat and flourishing in Mumbai, finds its nucleus in Tata Sons, the overarching entity steering numerous Tata Group enterprises. Delving into the trajectory from Jamsetji to Ratan Tata unveils the enduring legacy and strategic acumen of this revered family. We invite you to embark on a journey through the intricate tapestry of the Tata legacy and its profound influence on India’s corporate landscape.
Jamsetji Tata
Jamsetji Tata epitomized more than just a shrewd businessman; he embodied the spirit of patriotism and genuine concern for people’s welfare. Firmly believing that his prosperity should be intertwined with India’s advancement, his business endeavors were not merely profit-driven but aimed at enhancing livelihoods. Commencing with textiles and diversifying into steel and hydroelectric power, he encountered numerous hurdles along the way but remained resolute in his pursuits.
Demonstrating an unwavering commitment to his workforce, Tata prioritized providing conducive working conditions and even envisioned an entire city for their well-being. Moreover, his fervent belief in education manifested in the establishment of scholarships for aspiring Indian students. Through the enduring legacy of the Tata Group, Jamsetji Tata’s indelible contributions continue to propel India’s journey towards progress and prosperity.
Hirabai Daboo
Hirabai Daboo was the beloved spouse of Jamsetji Tata, the visionary entrepreneur behind the establishment of the illustrious Tata Group, a leading conglomerate in India. Together, they nurtured a family and welcomed children into their lives, including their notable sons, Dorabji Tata and Ratanji Tata. These sons would later emerge as key figures in upholding their father’s heritage and spearheading the continued growth of the Tata empire.
Dorabji Tata
Dorabji Tata, the son of Jamsetji Tata, played a pivotal role in actualizing his father’s visions, significantly expanding the Tata Group while also championing sports and charitable causes. Born in 1859, he received his education in Bombay before pursuing further studies in England . Possessing a passion for sports, he excelled in cricket, football, tennis, rowing, and horse riding. Upon returning to India, he joined his father’s business, demonstrating remarkable leadership during challenging times such as the crisis in the steel industry, where he personally invested to safeguard its future.
Moreover, Dorabji Tata was a staunch supporter of Indian sports, facilitating India’s participation in the Olympics, and establishing charitable trusts to serve various philanthropic endeavors. His demise in 1932 in Germany marked the end of an era, with him being laid to rest beside his wife in England, leaving behind a lasting legacy of entrepreneurial acumen and benevolent contributions.
Meherbai Bhabha
Meherbai Bhabha, born in Bombay in 1879, hailed from a distinguished lineage; her father, Hormusji J. Bhabha, was a pioneering Parsi figure in England. Following their relocation to Bangalore, Meherbai received her education at Bishop Cotton School. Under her father’s tutelage at Maharaja’s College in Mysore, she displayed exceptional aptitude in English and Latin, completing her examinations at the age of 16 before delving further into self-directed study within her father’s extensive library. Guided by a missionary woman, she cultivated her interests in English literature and music.
In 1898, Meherbai entered into matrimony with Dorabji Tata, embarking on a journey marked by extensive travel and exploration. A passionate tennis enthusiast, she garnered numerous accolades for her prowess in the sport. Beyond her athletic pursuits, Meherbai was deeply committed to advocating for women’s education and combating social injustices such as child marriage and untouchability. Her untimely demise in 1931 marked the end of a life dedicated to advancing scientific research and championing educational opportunities for Indian women, leaving behind a lasting legacy of empowerment and enlightenment.
Sir Ratan Tata
Sir Ratan Tata, born in 1871, embraced a legacy of philanthropy inherited from his father. Despite his privileged upbringing, he harbored a deep concern for the welfare of the underprivileged. His philanthropic endeavors spanned various causes, including support for Gopal Krishna Gokhale’s Servants of India Society and Mahatma Gandhi’s anti-apartheid movement. He contributed generously to disaster relief efforts, educational institutions, and healthcare facilities. Notably, his funding facilitated India’s inaugural archaeological excavation, yielding significant discoveries.
Demonstrating a passion for the arts, Tata made substantial contributions to Mumbai’s Prince of Wales Museum. Additionally, he established a chair for poverty research at the London School of Economics. Knighted in 1916, he bequeathed a significant portion of his wealth to charitable endeavors, culminating in the establishment of the Sir Ratan Tata Trust in 1919, which has since evolved into a distinguished philanthropic institution in India.
Navajbai Sett
In 1892, Sir Ratan Tata, the son of Jamsetji Tata and younger brother of Sir Dorabji Tata, entered into matrimony with Navajbai Sett, the younger daughter of Ardeshir Merwanji Sett. Navajbai Sett, the pioneering female Director in 1925, assumed leadership after her husband Ratanji Tata’s demise. Their opulent life in England saw them forging friendships with royalty. Navajbai dedicated herself to the welfare of underprivileged women, establishing the Ratan Tata Institute. Following Ratan’s demise, she curated his art collection and finalized the construction of their Bombay residence, now known as Tata House.
Naval Tata led a multifaceted life encompassing business, philanthropy, sports, and joviality. Born in 1904, he touched numerous lives with his benevolence over 85 years. A prominent figure in the Tata Group akin to JRD Tata, Naval differed in personality, being outgoing and amiable compared to JRD’s reserved demeanor. His compassion for the underprivileged stemmed from his modest upbringing. Joining the Tata Group in 1930, Naval ascended the ranks, earning renown for his contributions to business, sports administration, and charitable endeavors. He earned particular acclaim for his endeavors in labor relations, fostering harmony between workers and management. Naval’s wit and diplomatic acumen endeared him to many, shaping Indian hockey and labor policies significantly. While briefly dabbling in politics, his true passion lay in business, notably in the expansion of Tata Power. Naval Tata epitomized the values of the Tata Group, leaving behind a legacy of compassion and societal service.
Sooni Commissariat
Married to Naval Tata, Sooni Commissariat bore two sons, Ratan and Jimmy. Embracing the Parsi community, she adopted the name Sooni Tata, symbolizing her affinity with her husband’s family. Her close friendship with Meherbai, her husband’s cousin’s wife, exemplified the warmth of her new life. Sooni’s heartfelt letter to Meherbai underscored her genuine affection.
Simone Dunoyer
Following his separation from his first wife Soonoo Commissariat, Naval Tata wedded Simone Dunoyer, with whom he had a son named Noel Tata. Simone Tata’s narrative revolves around her association with the Tata family, where she played a pivotal role in elevating Lakmé into a renowned cosmetic brand. Integrating into the Tata family, she became an integral part thereof. Her diligent efforts popularized Lakmé and transformed perceptions of beauty in India. Subsequently, she divested Lakmé to Hindustan Lever Limited, utilizing the proceeds to establish Trent, the parent company of Westside stores. Simone encountered business challenges but gleaned wisdom from her experiences, advocating delegation and collaboration with knowledgeable individuals. Beyond commerce, she prioritized philanthropy, collaborating with charitable organizations to aid marginalized groups, especially women and children. Simone Tata’s recipe for success comprises clarity of vision and the ability to inspire others.
Ratan Naval Tata
Ratan Naval Tata, a renowned Indian industrialist and philanthropist, helmed the Tata Group for 22 years and continues to oversee its charitable trusts. Honored for his public service, Ratan Tata’s lineage traces back to his father’s adoption into the illustrious Tata family, a titan in the Indian business landscape. Trained in architecture, Ratan Tata ascended through the ranks at Tata Steel before assuming the chairmanship of Tata Sons in 1991. His tenure witnessed transformative changes within the Tata Group, fostering its global expansion and orchestrating acquisitions such as Tetley and Jaguar Land Rover. Noteworthy for his philanthropy, Ratan Tata champions various causes, ranging from clean water initiatives to scholarships for Indian students and support for educational institutions like Harvard and Carnegie Mellon. His generous endowments to Indian institutes, including IIT Bombay and the Indian Institute of Science, underscore his commitment to advancing crucial research areas like Alzheimer’s disease. Moreover, his establishment of a specialized center at MIT reflects his dedication to addressing societal challenges. Despite enduring a challenging childhood and remaining unmarried, Ratan Tata’s stewardship ensured the Tata Group’s continued prosperity, facilitating a seamless transition to his successor.
Jimmy Naval Tata
Jimmy Naval Tata, a trustee of the Tata Group and Ratan Tata’s reclusive younger sibling, resides modestly on the sixth floor of Hampton Court in Colaba, Mumbai. While Ratan advocates simplicity, Jimmy, though affluent from familial business endeavors, leads an unassuming life devoid of modern conveniences, immersed in literature. An avid squash player, Jimmy maintains a passive involvement in business affairs, retaining shares in Tata companies while staying abreast of developments despite his minimalist lifestyle.
Noel Tata and Aloo Mistry
Aloo Mistry is wedded to Noel Tata, Ratan Tata’s half-brother, of mixed Indian-Parsi and French-Catholic heritage. The couple, blessed with three children—Neville, Leah, and Maya—anchors a formidable presence in the Indian business sphere. Noel Tata presides over Trent and Tata Investment Corporation, alongside engagements with Tata International, Titan Company, and Tata Steel. His union with Aloo, kin to Cyrus Mistry, former chairman of the Tata Group, aligns with his strategic ascent within the conglomerate. A product of the University of Sussex and INSEAD Business School, Noel Tata’s leadership underscores his familial ties and business acumen.
Neville Tata
Neville Tata, scion of the illustrious Tata dynasty, emerges as a burgeoning force in the business realm. Son of Noel Tata and sibling to the esteemed Ratan Tata, Neville’s narrative intertwines with a rich family legacy. His marriage to Manasi Kirloskar, scion of another influential family, augments his stature. Engaged with Trent, a family-associated enterprise, Neville spearheads the expansion of Zudio stores, contributing to their success. Meanwhile, his spouse, Manasi, leaves her imprint on her family’s business endeavors. Their union, highlighted by Ratan Tata’s presence, captures attention owing to their pedigrees.
The next generation of the Tata family stands poised to inherit its billion-dollar empire, with Leah Tata, daughter of Noel Tata, assuming a pivotal role. Armed with a background in marketing, Leah’s professional journey within the hospitality sector aligns with the family’s legacy. Alongside her siblings Maya and Neville, Leah serves as a trustee of a Tata hospital in Kolkata, inaugurated by Ratan Tata. The Tata lineage’s commitment to philanthropy endures through initiatives spearheaded by Noel Tata in Trent and Titan, ensuring a seamless transition across generations.
Maya Tata hails from a lineage renowned for its entrepreneurial prowess. The daughter of Noel Tata, half-brother to the illustrious Ratan Tata, Maya’s heritage shapes her trajectory. Her mother, Aloo Mistry, traces her lineage to the late billionaire Pallonji Mistry, and her brother-in-law, Cyrus Mistry, formerly chaired the Tata Group. Positioned within a milieu of business luminaries, Maya’s familial ties underscore her prominence. As Noel Tata’s daughter, she inherits a legacy of success, further perpetuating the Tata family’s entrepreneurial legacy.
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Naval Tata Age, Death, Caste, Wife, Children, Family, Biography & More StarsUnfolded
Quick Info→
Death Date: 05/05/1989
Age: 84 Years
Father: Jamsetji Tata
Some Lesser Known Facts About Naval Tata
- Naval Tata was a renowned Indian businessman who played an important role in the success of the Tata Conglomerate. He was also a philanthropist and sports lover. He was a philosopher of Employer-Employee Relations and had great communications skills that helped him instantly connect with the workers.
- Naval Tata was born in a middle-class family in Surat, Gujarat. His father worked in Ahmedabad as a spinning master at the Advanced Mills. In 1908, Naval was only four at the time of his father’s death. his family shifted to Navsari, Gujarat soon after his father’s demise. Their only source of survival was their mother Ratanbai’s income that she used to earn doing embroidery work.
She played the role of Fairy Godmother for which I shall ever be grateful to her”
- After being adopted, he earned a Bachelor’s degree in Economics from the University of Bombay. Later, he went to England, where he pursued a course in Accountancy.
Naval Tata was associated directly with me from the creation of Tata Airlines…… He was a kind-hearted man. He was a good human being. He felt for others. He was always ready to respond to requests for help both either for advice or whenever he was in a position as Chairman or Trustee of a philanthropic institution…. Naval, also was an international man…. Wherever he was, he was welcomed and he played an important role for years in the International Labour Organization..”
Naval Tata with his wife, Sooni Commissariat, and son Ratan Tata
His elder son Ratan Tata, the former chairman of Tata Group once talked about his childhood and said,
I had a happy childhood, but as my brother and I got older, we faced a fair bit of ragging and personal discomfort because of our parents’ divorce, which in those days wasn’t as common as it is today. But my grandmother brought us up in every way,”
- Naval Tata was a philanthropist who made a huge contribution to social and human welfare. He worked for many public Institutions and devoted his time and energy to social, educational, and welfare activities. He was the chairman of the Indian Cancer Society and Sir Ratan Tata Trust and initiated many welfare projects. He was also a trustee of Tata’s philanthropic entities and an active member of the Indian Institute of Science.
- From 1946, he remained associated with the International Labour Organization for over three decades and held an exceptional record of being elected as its member for 16 times. He also served as the Vice-Chairman, International Organization of Employers, Geneva. He was a businessman who became a part of multiple sessions of the ILO General Conference and Industrial committee. He became the face of Indian Employers and represented them at many national and international conferences and also attended meetings of the International Chamber of Commerce, International Management Association, and UNIDO. He also became the president of the Employers Federation of India and the first president of Indian Council of Sports.
Naval Tata with hockey team
- Naval Tata met Simone Dunoyer when she came on a trip to India from Geneva, Switzerland. They soon fell in love and tied the knot in 1955. Two years later in 1957, Naval’s third child Noel Tata was born.
- In 1966, he was made a member of the National Commission on Labour by the Government of India.
- In 1968, he received a medal for Industrial Peace, Sir Jehangir Ghandy Medal. In the next year, he became the proud receiver of the Padma Bhushan Award presented to him by the President of India.
- In 1971, he contested the Lok Sabha elections as an independent candidate from South Bombay but lost to George Fernandes.
- Later, the National Institute of Personnel Management granted him a lifetime membership. He also became the president of the Employers Federation of India and the first president of the Indian Council of Sports.
- At the age of 84, Naval Tata died on 5 May 1989 due to cancer in Bombay.
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