कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Krishna Janmashtami Essay in Hindi)
पुराणों के अनुसार सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग इन चार युगों में समयकाल विभाजित है। द्वापर युग में युगपुरूष के रूप में असमान्य शक्तियों के साथ श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में मध्यरात्री में कंश के कारागृह में जन्म लिया। कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है अतः हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी पर छोटे-बडें निबंध (Short and Long Essay on Krishna Janmashtami in Hindi, Krishna Janmashtami par Nibandh Hindi mein)
जन्माष्टमी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदु धर्म के परंपरा को दर्शाता है व सनातन धर्म का बहुत बड़ा त्योहार है, अतः भारत से दूर अन्य देशों में बसे भारतीय भी इस त्योहार को धूम-धाम से मनाते हैं।
जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है
श्री कृष्ण को सनातन धर्म से संबंधित लोग अपने ईष्ट के रूप में पूजते है। इस वजह से उनके जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं को याद करते हुए उनके जन्म दिवस के अवसर को उत्सव के रूप में मनाते हैं।
विश्वभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम
यह पूरे भारत में मानाया जाता है। इसके अलावा बांग्लादेश के ढांकेश्वर मंदिर, कराची, पाकिस्तान के श्री स्वामी नारायण मंदिर, नेपाल, अमेरिका, इंडोनेशिया, समेत अन्य कई देशों में एस्कॉन मंदिर के माध्यम से विभिन्न तरह से मनाया जाता है। बांग्लादेश में यह राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, तथा इस दिवस पर राष्ट्रीय छुट्टी दी जाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत
यह भारत के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरह से मनाया जाता है। इस उत्सव पर ज्यादातर लोग पूरा दिन व्रत रह कर पूजा के लिए घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखते हैं। पूरा दिन भजन कीर्तन करते तथा उस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजन से भगवान को भोग लगा कर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी की विशेष पूजा सामग्री का महत्व
पूजा हेतु सभी प्रकार के फलाहार, दूध, मक्खन, दही, पंचामृत, धनिया मेवे की पंजीरी, विभिन्न प्रकार के हलवे, अक्षत, चंदन, रोली, गंगाजल, तुलसीदल, मिश्री तथा अन्य भोग सामग्री से भगवान का भोग लगाया जाता है। खीरा और चना का इस पूजा में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है जन्माष्टमी के व्रत का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर वैकुण्ठ (भगवान विष्णु का निवास स्थान) धाम जाता है।
श्री कृष्ण को द्वापर युग का युगपुरूष कहा गया है। इसके अतिरिक्त सनातन धर्म के अनुसार विष्णु के आंठवे अवतार हैं, इसलिए दुनिया भर में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध – 2 (400 शब्द)
श्री कृष्ण के भजन कीर्तन और गीतों के माध्यम से उनका आचरण और कहानियां विश्व विख्यात हो गई है। इस कारणवश श्री कृष्ण के जन्म दिवस को उत्सव के रूप में विश्व भर में मनाया जाता है। यह सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, अतः इस दिवस पर अनेक लोगों द्वारा उपवास भी रखा जाता है।
भारत के विभिन्न स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी
भारत विभिन्न राज्यों से बना एक रंगीन (रंगो से भरा) देश है। इसमें सभी राज्य के रीति रिवाज, परंपरा एक दूसरे से असमानता रखते हैं। इसलिए भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कृष्ण जन्माष्टमी का विभिन्न स्वरूप देखने को मिलता है।
महाराष्ट्र की दही हांडी
दही हांडी की प्रथा मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात से संबंध रखता है। दुष्ट कंस द्वारा अत्याचार स्वरूप सारा दही और दुध मांग लिया जाता था। इसका विरोध करते हुए श्री कृष्ण ने दुध-दही कंस तक न पहुंचाने का निर्णय लिया। इस घटना के उपलक्ष्य में दही हांडी का उत्सव मटके मे दही भरकर मटके को बहुत ऊचाई पर टांगा जाता है तथा फिर युवकों द्वारा उसे फोड़ कर मनाया जाता है।
मथुरा और वृदावन की अलग छटा
वैसे तो जन्माष्टमी का त्योहार विश्व भर (जहां सनातन धर्म बसा हुआ है) में मनाया जाता है, पर मथुरा और वृदावन में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यहां कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रासलीला का आयोजन किया जाता है। देश-विदेश से लोग इस रासलीला के सुंदर अनुभव का आनंद उठाने आते हैं।
दिल्ली में एस्कॉन मंदिर की धूम
देश भर के कृष्ण मंदिरों में दिल्ली का एस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध है। इस दिवस की तैयारी मंदिर में हफ्तों पहले से शुरू कर दी जाती है, उत्सव के दिन विशेष प्रसाद वितरण तथा भव्य झांकी प्रदर्शन किया जाता है। जिसे देखने और भगवान कृष्ण के दर्शन हेतु विशाल भीड़ एकत्र होती है। इस भीड़ में आम जनता के साथ देश के जाने माने कलाकार, राजनीतिज्ञ तथा व्यवसायी भगवान कृष्ण के आशिर्वाद प्राप्ति की कामना से पहुंचते हैं।
देश के अन्य मंदिर के नज़ारे
देश के सभी मंदिरों को फूलों तथा अन्य सजावट की सामग्री के सहायता से कुछ दिन पहले से सजाना प्रारम्भ कर दिया जाता है। मंदिरों में कृष्ण के जीवन से जुड़े विभिन्न घटनाओं को झांकी का रूप दिया जाता है। इस अवसर पर भजन कीर्तन के साथ-साथ नाटक तथा नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। इसके साथ ही राज्य पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए जाते हैं जिससे की उत्सव में कोई समस्या उत्पन्न न हो सके।
श्री कृष्ण हिंदुओं के आराध्य के रूप में पूजे जाते हैं इस कारणवश भारत के अलग-अलग क्षेत्र में कोई दही हांडी फोड़ कर मनाता है, तो कोई रासलीला करता है। इस आस्था के पर्व में भारत देश भक्ति में सराबोर हो जाता है।
Krishna Janmashtami par Nibandh – 3 (500 शब्द)
वर्ष के अगस्त या सितम्बर महिने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव तथा हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता हैं।
जन्माष्टमी दो दिन क्यों मनाया जाता हैं ?
ऐसा माना जाता है नक्षत्रों के चाल के वजह से साधु संत (शैव संप्रदाय) इसे एक दिन मनाते हैं, तथा अन्य गृहस्थ (वैष्णव संप्रदाय) दूसरे दिन पूजा अर्चना उपवास करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी पर बाज़ार की चहल-पहल
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हफ्तों पहले से बाज़ार की रौनक देखते बनती है, जिधर देखो रंग बिरंगे कृष्ण की संदुर मन को मोह लेने वाली मूर्तियां, फूल माला, पूजा सामग्री, मिठाई तथा सजावट के विविध समान से मार्केट सज़े मिलते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का महत्व
कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का महत्व बहुत व्यापक है, भगवत गीता में एक बहुत प्रभावशाली कथन है “जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं जन्म लूँगा”। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो एक दिन उसका अंत अवश्य होता है। जन्माष्टमी के पर्व से गीता के इस कथन का बोध मनुष्य को होता है। इसके अतिरिक्त इस पर्व के माध्यम से निरंतर काल तक सनातन धर्म की आने वाली पीढ़ी अपने आराध्य के गुणों को जान सकेंगी और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगी। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हमारे सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है।
युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता, संसकृति से अवगत कराने के लिए, इन लोकप्रिय तीज-त्योहारों का मनाया जाना अति आवश्यक है। इस प्रकार के आध्यात्मिक पर्व सनातन धर्म के आत्मा के रूप में देखे जाते हैं। हम सभी को इन पर्वों में रुचि लेना चाहिए और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं को जानना चाहिए।
कृष्ण की कुछ प्रमुख जीवन लीला
- श्री कृष्ण के बाल्यावस्था के कारनामों को ही देखते हुए इस बात को अनुमान लगाया जा सकता है, वह निरंतर चलते रहने और धरती पर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित हुए। एक के बाद एक राक्षसों (पूतना, बघासुर, अघासुर, कालिया नाग) के वध से उनकी शक्ति और पराक्रम का पता चलता है।
- अत्यधिक शक्तिशाली होने के उपरांत (बाद) भी, वह सामान्य जनों के मध्य सामान्य व्यवहार करते, मटके तोड़ देना, चोरी कर माखन खाना, ग्वालो के साथ खेलना जीवन के विभिन्न पहलुओं के हर भूमिका को उन्होनें आनंद के साथ जीया है।
- श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। सूफी संतों के दोहों में राधा तथा अन्य गोपियों के साथ कृष्ण के प्रेम व वियोग लीला का बहुत संदुर चित्रण प्राप्त होता है।
- कंस के वध के बाद कृष्ण द्वारकाधीश बने, द्वारका के पद पर रहते हुए वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने तथा गीता का उपदेश देकर अर्जुन को जीवन के कर्तव्यों का महत्व बताया और युद्ध में विजय दिलाया।
कृष्ण परम ज्ञानी, युग पुरूष, अत्यधिक शक्तिशाली, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले तथा एक कुशल राजनीतिज्ञ थे पर उन्होंने अपनी शक्तियों का उपयोग कभी स्वयं के लिए नहीं किया। उनका हर कार्य धरती के उत्थान के लिए था।
कारावास में कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण के कारागृह में जन्म लेने के वजह से देश के ज्यादातर थाने तथा जेल को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सजाया जाता है तथा यहां पर्व का भव्य आयोजन किया जाता है।
श्री कृष्ण के कार्यों के वजह से महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में श्री नाथजी या ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ तथा इसी तरह विश्व भर में अनेक नामों से पूजा जाता है। उनके जीवन से सभी को यह प्रेरणा लेने की आवश्यकता है की चाहे जो कुछ हो जाए व्यक्ति को सदैव अपने कर्म पथ पर चलते रहना चाहिए।
FAQs: Frequently Asked Questions
उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्णपक्ष के अष्टमी के दिन मनाया जाता है।
उत्तर – वे विष्णु के 8वें अवतार थें।
उत्तर – वे वासुदेव व देवकी के आठवीं संतान थे।
उत्तर – कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।
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जन्माष्टमी पर निबंध - Janmashtami Essay in Hindi
जन्माष्टमी पर हिंदी निबंध : श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 पर यहाँ देखें हिंदी में 10 line, छोटे- छोटे पैराग्राफ और शार्ट एवं लॉन्ग जन्माष्टमी essay in hindi ..
जन्माष्टमी पर निबंध - Janmashtami Essay in Hindi: कृष्ण जन्माष्टमी भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो हिंदू माह श्रावण के कृष्ण पक्ष के 8वें दिन मनाया जाता है। यह भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है और पूरे देश में हिंदू इसे खुशी से मनाते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात और अन्य राज्यों में उत्सव विशेष रूप से मनाते हैं। इस त्योहार के दौरान भगवान् विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण का सम्मान किया जाता है।
जन्माष्टमी २०२३ तिथि - Janmashtami 2023 Date
द्रिक पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी 2023 लगातार दो दिन पड़ रही है.
2023 में, जन्माष्टमी के लिए रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर को सुबह 9:20 बजे शुरू होगा और 7 सितंबर को सुबह 10:25 बजे समाप्त होगा। रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि एक साथ होने के कारण श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी २०२३ की छुट्टी - Janmashtami Holiday 2023
जन्माष्टमी २०२३ निबंध , कृष्णा जन्माष्टमी पर 10 lines हिंदी में .
- Line 1: कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म का हिंदू त्योहार है।
- Line 2: जन्माष्टमी भारत में एक प्रमुख त्योहार है और इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- Line 3: माना जाता है कि उनका जन्म भारत के मथुरा में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था।
- Line 4: कृष्ण हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय देवता हैं और उनकी पूजा उनके चंचल और शरारती स्वभाव के साथ-साथ उनकी बुद्धि और करुणा के लिए की जाती है।
- Line 5: भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता विष्णु के आठवें अवतार हैं।
- Line 6: भक्त इस दिन उपवास करते हैं, भजन गाते हैं, मंदिरों को सजाते हैं और अपने आस पास के सभी जगहों को रोशन किया जाता है।
- Line 7: जन्माष्टमी पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शन भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे नाटक, नृत्य और संगीत समारोह।
- Line 8: कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के लिए अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने का समय है।
- Line 9: इस त्यौहार को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कृष्ण का जन्म मथुरा के पास एक गाँव गोकुल में हुआ था।
- Line 10:जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को फूलों, दीपों और मेहराबों से सजाया जाता है। भक्त प्रार्थना करते हैं और कृष्ण के भजन गाते हैं।
- दही हांडी: भारत के कुछ हिस्सों में बुराई के विनाश के प्रतीक के रूप में मिट्टी के बर्तन तोड़ने (जिसे मटका फोड़ कहा जाता है) की परंपरा है।
- जन्माष्टमी परिवार और दोस्तों के इकट्ठा होने और जश्न मनाने का भी समय है। लोग खीर, चावल का हलवा और पूरन पोली जैसे पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
श्री कृष्णा जन्माष्टमी हिंदी Paragraph - Shri Krishna Janmashtami Paragraph in Hindi
श्री कृष्णा जन्माष्टमी पर 500 शब्दों में हिंदी निबंध - 500 words essay krishna janmashtami, परिचय (introduction), श्री कृष्ण जन्माष्टमी.
यह त्यौहार भाद्रपद महीने के अंधेरे पखवाड़े के आठवें दिन मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर में पड़ता है। इस दिन, कृष्ण मंदिरों को फूलों, रोशनी और अन्य उत्सव की वस्तुओं से सजाया जाता है। भक्त उपवास करते हैं और कृष्ण से प्रार्थना करते हैं। कई भक्त उनके जन्म का जश्न मनाने के लिए पूरी रात जागते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था।
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के कई अलग-अलग तरीके हैं। कुछ लोग ऐसे ग्रंथ पढ़ते हैं जो कृष्ण के जीवन की कहानी बताते हैं, तो कई लोग उनकी प्रशंसा में कृष्ण भजन गाते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में कृष्ण-लीला करने या कृष्ण के जन्म की कहानी को नाटक के माध्यम से प्रदर्शित करने की भी परंपरा है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर एक लोकप्रिय परंपरा दही-हांडी या मटकी-फोर है, यानी दूध और दही से भरे मिट्टी के बर्तन को फोड़ना। यह बुराई के विनाश के प्रतीक के रूप में किया जाता है। यह भगवान के प्रति भक्त के प्रेम का भी एक कार्य है क्योंकि कृष्ण अपने शरारती बचपन के लिए जाने जाते हैं। एक अन्य परंपरा किसी गरीब व्यक्ति को खाना खिलाना या किसी आश्रय स्थल को भोजन दान करना है।
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के लिए अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने और उनमें अपनी आस्था की पुष्टि करने का समय है। यह परिवार और दोस्तों के इकट्ठा होने और एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेने का भी समय है।
श्री कृष्ण का महत्व
श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का महत्व.
कृष्ण जन्माष्टमी एक खुशी का त्योहार है जो दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। यह अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने, अपने विश्वास की पुष्टि करने और परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का समय है।
यह त्यौहार सभी भक्तों के लिए कृष्ण की शिक्षाओं पर विचार करने की शिक्षा देता है। कृष्ण एक बुद्धिमान शिक्षक हैं जिन्होंने अपने अनुयायियों को प्रेम, करुणा और दूसरों की सेवा का महत्व सिखाया। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों को अधिक पूर्ण और सार्थक जीवन जीने में मदद कर सकती हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला एक उत्साहपूर्ण त्योहार है। यह अवसर हम सभी को प्रेम, कड़ी मेहनत, सामाजिक संबंध, कर्म आदि के बारे में भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं का पालन करने के लिए भी आमंत्रित करता है, जो सुखी एवं समृद्ध जीवन के लिए हमें ज्ञान प्रदान करते हैं।
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