Question and Answer forum for K12 Students
Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics
हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।
निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics
- सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
- राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
- अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
- राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
- नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
- साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
- नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
- मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
- एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
- युवा पर निबंध – (Youth Essay)
- अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
- मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
- परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
- पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
- असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
- मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
- मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
- दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
- दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
- बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
- महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
- दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
- सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
- राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
- खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
- रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
- राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
- मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
- मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
- राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
- नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
- राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
- देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
- पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
- सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
- सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
- विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
- लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
- विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
- रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
- समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
- समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
- समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
- व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
- विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
- विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
- विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
- मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
- मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
- पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
- मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
- सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
- शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
- खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
- क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
- ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
- मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
- पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
- सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
- कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
- कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
- कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
- कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
- इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
- विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
- शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
- विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
- विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
- विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
- विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
- विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
- विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
- कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
- मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
- मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
- मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
- विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
- भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
- सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
- डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
- भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
- राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
- भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
- कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
- हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
- अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
- महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
- महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
- आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
- मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
- ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
- मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
- भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
- भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
- आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
- भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
- चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
- चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
- पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
- परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
- यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
- आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
- भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
- संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
- भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
- दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
- राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
- भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
- भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
- किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
- राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
- बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
- भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
- महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
- गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
- स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
- बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
- राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
- आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
- सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
- बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
- गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
- सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
- महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
- यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
- बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
- सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
- परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
- पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
- वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
- महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
- महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
- यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
- बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
- शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
- बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
- दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
- जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
- श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
- जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
- भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
- मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
- हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
- विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
- भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
- गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
- भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
- गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
- गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
- महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
- ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
- परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
- मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
- अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
- देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
- समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
- नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
- ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
- जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
- जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
- प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
- प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
- वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
- पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
- पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
- पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
- बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
- योग पर निबंध (Yoga Essay)
- मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
- प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
- वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
- वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
- बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
- अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
- स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
- महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
- मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
- मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
- कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)
इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।
हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?
प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।
हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।
तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।
हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची
हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।
विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।
हिंदी निबंधों की संरचना
उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।
इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।
हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु
अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:
- अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
- अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
- पहला भाग: परिचय
- दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
- तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
- एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
- जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
- अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
- विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
- यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
- महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।
हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।
2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।
3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।
4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।
5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:
- एक पंच-लाइन की शुरुआत।
- बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
- रचनात्मक सोचें।
- कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
- आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
- सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
- निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।
निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।
यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।
- Hindi English Names
- Hindi Me Shabd
- interesting Facts
- Hindi Read Duniya – Dictionary
100+ Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियां हिंदी में
- by Rohit Soni
- Hindi Story
- 22 min read
Short Moral Stories in Hindi , मोटिवेशन, नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में पढ़े। यहाँ पर कई सारी Short Story in Hindi में दी गई हैं। जिसे पढ़ने से मनोरंजन के साथ-साथ हमें अच्छी बातें भी सीखने को मिलती है।
Hindi short stories with moral for Kids 2023: को पढ़ने से बच्चों का दिमाग बढ़ता है। और भविष्य में उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। जब भी कोई बच्चा कहानी पढ़ता या सुनता है तो उस कहानी से वह कई सारी अच्छी जानकारी को जान पाता है। चूकिं कहानी एक बार पढ़ने या सुनने मात्र से बहुत दिनो तक याद रहती है। इसलिए बच्चों को कहानी के माध्यम से पढ़ाना बहुत सरल हो जाता है।
Table of Contents
लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids
एल्डोरा नामक जंगल में एक लालची शेर रहता था। एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी, इसलिए वह जंगल में शिकार खोजने निकल पड़ा। कुछ दूर जाते ही उसे एक छोटा सा खरगोश दिखाई दिया। तो उसने सोचा कि उसे बहुत तेज भूख लगी है और यह खरगोश तो काफी छोटा है। इससे भूख नहीं मिटेगी। इसलिए उसे छोड़कर आगे निकल गया।
कुछ दूर और आगे जाने पर उसे एक हिरण का बच्चा मिला। जिसे देखकर शेर को फिर वही ख्याल आया की इससे तो उसकी भूख नहीं मिटेगी। इसलिए वह हिरण के बच्चे को छोड़कर, बड़े शिकार की तलाश में आगे निकल गया। चलते-चलते काफी देर हो गई और फिर अब की बार उसे एक बकरी मिली जो कि बड़ी थी लेकिन शरीर से कमजोर थी।
इसलिए शेर न सोचा की इसे भी खाने में कोई खास मजा नहीं आएगा। अतः उसको भी छोड़कर अगले शिकार की तलाश में निकल जाता है।
और इसी तरह करते-करते शाम हो जाती है। और लालची शेर एक अपने लालच के कारण कोई भी शिकार नहीं कर पाता है। इसलिए वह खाली हाथ ही अपने गुफा में वापस लौट आता है। और वह लालच करने की वजह से उस दिन भूखे पेट ही सो जाता है।
Moral of the Story
लालच के कारण ही शेर को भूखे पेट ही सोना पड़ा था। नहीं तो उसे कई शिकार मिले थे। अंतः इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की लालच का परिणाम अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमें लालच नहीं करना चाहिए।
क्या आपने इसे पढ़ा: चींटी और कबूतर की कहानी
लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short
एक समय की बात है वैकुंठ नामक एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही ईमानदार था। रोजाना वह जंगल में जाता था लकड़ी काटता और शहर में बेचता। जो कुछ पैसे मिलते उससे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। इस तरह से उसका जैसे-तैसे गुजारा हो रहा था।
एक दिन की बात है, वह लकड़हारा हर दिन की तरह जंगल में लकड़ी काटने गया। और वह नदी के किनारे एक पेड़ पर ऊपर चढ़कर लकड़ी काटने लगा। लेकिन लकड़ी काटने के दौरान उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूट कर नदी में गिर गई। वह तुरंत ही नीचे उतरा और नदी से अपनी कुल्हाड़ी निकालने की काफी कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। क्योंकि नदी काफी गहरी थी और पानी का बहाव भी बहुत तेज था।
थक हार कर वह वही पर बैठ कर रोने लगा। क्योंकि उसके पास नई कुल्हाड़ी लेने के लिए एक भी पैसे नहीं थे।
यह भी जानिए: सभी औजारों के नाम हिंदी और इंग्लिश में
लकड़हारे को रोता हुआ देखकर नदी के देवता प्रकट हुए और बोले बेटा क्या हुआ तुम ऐसे उदास क्यों हो। तो लकड़हारे ने सारी बात नदी के देवता को बताई। तो नदी के देवता बोले चिंता मत करो मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढकर लाता हूँ। और नदी में डुबकी लगाई और एक सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी।
लकड़हारे ने सुनहरी कुल्हाड़ी को देखते ही बोला की यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। यह तो किसी धनवान व्यक्ति की कुल्हाड़ी इसे मैं नहीं ले सकता। यह सुनकर नदी के देवता पुनः नदी में डुबकी लगाई और इस बार एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी। इस कुल्हाड़ी को देखकर फिर से लकड़हारा बोला प्रभु मैं एक गरीब लकड़हारा हूँ। मेरी तो लोहे की कुल्हाड़ी थी। यह भी किसी अमीर व्यक्ति कुल्हाड़ी है।
एक बार फिर से नदी के देवता पानी में डुबकी लगाई और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट हुए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी असली कुल्हाड़ी। लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी देख कर काफी खुश हो गया। और बोला प्रभु यही है मेरी कुल्हाड़ी। लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी को भी नदी के देवता ने उस ईमानदार लकड़हारे को उपहार में दे दिया। इस तरह से उसकी ईमानदारी के कारण उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी मिल गई।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है। कहानी में लकड़हारे को उसकी ईमानदारी की वजह से उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी प्राप्त हो गई। इसलिए हमें भी ईमानदार व्यक्ति बनना चाहिए।
दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi
एक बार दो मेंढक दोस्त सैर पर जा रहे थे। दोनों आपस में बाते करते हुए काफी दूर निकल जाते हैं। रास्ते में एक बड़ा सा गड्ढा था जिसमें जाकर दोनों मेंढक गिर जाते हैं। चूंकि उस गड्ढे के बारे में एक कहानी फैली हुई की जो भी कोई इस गड्ढे में गिर जाता है तो जिंदा नहीं बचता है। तो इस पर एक मेढक बोला कि यह बहुत बड़ा गड्ढा है इसमें जो भी गिरता है वह जिंदा वापस नहीं निकल पाता है। इसलिए अब हम दोनों का अंत निश्चित है। यह बोल कर वह वही आराम से लेट गया और मरने का इंतजार करने लगा।
लेकिन दूसरा मेढक उसकी बात को ना मानते हुए वहाँ से निकलने के लिए कोशिश करने लगा। काफी देर कोशिश करने के बाद वह उस गड्ढे से बाहर निकलने में सफल हो जाता है। और अपने घर चला जाता है। लेकिन उस मेढक की वही पर मृत्यु हो गई। जिसने कोशिश किए बिना पहले ही हार मान ली थी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी बात पर हमें आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। और पहले से ही हार मानने के बजाय हमें अंत तक कोशिश करना चाहिए। क्योंकि कोशिश करने बालो की कभी हार नहीं होती है।
नीले सियार की कहानी: Panchatantra Short Stories
एक जंगल में हाथी, शेर, बाघ, चीता और अन्य सभी जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक सियार भी रहता था। वह जंगल पर और सभी जानवरों पर राज करना चाहता था। लेकिन वह बड़े जानवरों से टक्कर नहीं ले सकता था। वह रोजाना प्लान बनाता था और असफल हो जाता था।
एक दिन वह जंगल से निकल कर शहर की ओर चला गया। जैसे ही वह शहर में पहुँचा तो उसके पीछे शहरी कुत्ते पीछे पड़ गए। वह भागते-भागते एक धोबी के घर में घुस गया। धोबी ने कपड़े पर नीला रंग चढ़ाने के लिए टंकी में नीला रंग घोल रखा था। तो उसी बड़े से टंकी में सियार कूद गया और छुप गया। रात भर उसी में छिपा रहा और जब सारे कुत्ते वहाँ से चले गए तो वह चुपके से निकल वापस जंगल आ गया।
सियार को बहुत तेज से प्यास लगी थी तो वह पानी पीने के लिए एक झील में गया। जैसे ही पानी पीने के झुका तो वह डर गया क्योंकि उसका पूरा शरीर नीला हो गया था। कुछ देर सोचने के बाद याद आया कि वह नीले पानी के टंकी में घुसा था जिसके कारण से उसके शरीर Color नीला पड़ गया है।
अब उसे एक तरकीब सूझी और वह जल्दी से जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा कर के एक ऊंचे से पत्थर पर बैठ गया। और सबसे बोला की मैं परमात्मा का दूत हूँ उन्होंने हमें आप सबकी रक्षा करने के लिए यहाँ भेजा। इसलिए सभी मेरी बात ध्यान से सुनो। आज से मैं इस जंगल का राजा हूँ और सभी मेरी बाते मानेंगे और मेरा आदर करेंगे। और जो कोई मेरी बात नहीं मानेगा उसे परमात्मा दण्ड देंगे। इसलिए अब हमारे लिए खाने पीने और ऐसों आराम की व्यवस्था की जाए।
इसकी बात सुनकर सभी डर गए। क्योंकि आज तक किसी ने भी नीले रंग का कोई जानवर नहीं देखा था। इसलिए सभी उसे परमात्मा का दूत मान लेते हैं। यहाँ तक की जंगल के राजा शेर भी उस सियार को अपना राजा मान लेता है। और उसकी हर बात को मानने लगे। उसके लिए खाने पीने की सारी व्यवस्थाएं की जाती है। और इस प्रकार से वह सियार जंगल में शान से ऐस की जिंदगी जीने लगा।
कुछ समय बाद बारिश का मौसम शुरु हो जाता है। और जोर से बारिश होने की बजह से नीले सियार का नीला रंग धुल जाता है। जिससे वह अपने असली रूप में आ जाता है। और सियार की असलियत जानकर शेर ने तुरंत ही उस पर हमला कर दिया और उसे मार डाला।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ और छल ज्यादा देर तक नहीं चलता है। भले ही थोड़े समय तक खुशियां मिल जाए लेकिन अंत में सच्चाई सामने आ ही जाती है। और उसका फल जरूर भुगतना पड़ता है। इस सियार की तरह।
प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi
गर्मी के मौसम में एक कौआ को बहुत तेज की प्यास लगी। लेकिन दूर-दूर तक कहीं भी पानी नहीं दिखा। तो वह उड़ते-उड़ते एक गाँव में पहुँच गया। वहाँ पर एक घर के आंगन में एक बड़ा सा घड़ा रखा हुआ था। और वहाँ पर कोई भी आदमी नहीं था। कौआ घड़े के पास गया। उस घड़े में थोड़ा सा पानी था लेकिन वहाँ तक उसकी चोंच ही नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ काफी प्रयास किया लेकिन वह पानी तक नहीं पहुंच पाया। लेकिन उसने हार नहीं मानी।
कौआ चालाक था उसने एक उपाय सोचा वह आस-पास के कंकड़ पत्थर को अपनी चोंच में पकड़ कर लाता और उस मटके में डाल देता। पुनः जाता और फिर से अपनी चोंच में कंकड़-पत्थर भरकर लाता घड़े में डाल देता और ऐसा करते-करते वह घड़ा कंकड़-पत्थर से भर गया और पानी ऊपर आ गया। इस तरह से कौआ पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिली की हमें हार नहीं मानना चाहिए बल्कि कई तरह से प्रयास करते रहना चाहिए। सफलता अवश्य मिलती है।
लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short
एक गांव में धनपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। वह खाने के तेल का व्यापार करता था। वह शहर से तेल लाता और पूरे गांव में ले जाकर बेच देता। और कुछ महीनों में ही उसका व्यापार काफी बढ़िया चलने लगा। जिससे उसका मुनाफा भी बढ़ गया। एक दिन उसके मन में लालच जाग गया उसने सोचा की अब तो लोग उससे आसानी से तेल ले लेते हैं। क्यों ना उन लोगों से अधिक मुनाफा कमाया जाए। और इस चक्कर में उसने तेल में मिलावट करना शुरु कर दिया।
अब वह शहर से तेल लाता और उसमें मिलावट करता और पूरे गांव में बेच देता। कुछ दिन तक सब ठीक चल रहा था लेकिन कुछ दिनों बाद गांव के लोग बीमार होने लगें। और देखते ही देखते सभी गांव के लोग बीमार पड़ गए। इलाज के दौरान डॉक्टर ने बताया कि आपके खाने पीने में मिलावट की गई है। जिसकी वजह से आप सभी बीमार हुए हैं।
गांव बालो ने बताया की धनपाल नाम के एक व्यापारी से तेल लेते थे। जिसके तेल का स्वाद कुछ दिनों से खराब हो गया है। शायद वही कुछ मिलावट कर रहा है। सभी गांव बाले इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने तुरंत ही उस तेल व्यापारी को पकड़ लिया और जेल में बंद कर दिया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच नही करना चाहिए। लालच बुरी बला है इसका परिणाम अंतिम में बुरा ही होता है। और हमें इसकी सजा जरूर मिलती है।
मूर्ख गधा की कहानी : Short Stories in Hindi
पालमपुर नाम के एक गाँव में एक बूढ़ा व्यापारी रहता था। वह नमक का व्यापार करता था। उसका शरीर कमजोर था इसलिए वह अपने साथ एक गधा लेकर जाता था। और उसके ऊपर नमक की बोरियां लादकर दूसरे गांव में व्यापार करने जाता था। दोनों गांव के बीच में एक नदी पड़ती थी। नदी पर कोई पुल नहीं थी उसमें उतरकर पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते समय व्यापारी का गधा नदी में लड़खड़ा कर गिर गया। और नमक की बोरियां पानी में भीग गई। व्यापारी ने उसे उठाया और आगे चल दिया।
क्योंकि सभी बोरियां पानी में भीग चुकी थी तो धीरे-धीरे कुछ नमक घुल कर बह गया। और इस वजह से बोरियां हल्की हो गई थी। इससे गधे को हल्का महसूस होने लगा। अगले दिन फिर से व्यापारी ने गधे के ऊपर नमक की बोरियां लादकर व्यापार करने चल दिया। रास्ते में वही नदी पड़ी, गधे को पिछली बात याद आई उसने सोचा, पानी में बैठने से उसके बोरियों का वजन कम हो जाता है। तो वह पानी में जाते ही फिर से बैठ गया। और फिर से बोरियों का वजन कम हो गया। अब यही प्रक्रिया वह गधा रोज दोहराने लगा जिससे व्यापारी परेशान हो गया।
और पास में रह रहे एक सज्जन व्यक्ति को सारा हाल बताया। उस आदमी ने व्यापारी को एक तरकीब बताई। कहा की एक दिन उस गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाद कर ले जाओ। जैसे ही गधा पानी में बैठेगा रुई में पानी भर जाएगा, जिससे उसका वजन बढ़ जाएगा। और गधा फिर कभी नहीं बैठेगा। व्यापारी ने ऐसा ही किया।
अगले दिन व्यापारी गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाकर चल देता है। जैसे ही वह गधा नदी में बैठता है उसकी सारी रुई से भरी बोरियों में पानी भर गया। अब उन बोरियों का वजन कई गुना अधिक बढ़ गया, जिस कारण से अब वह गधा ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। अब उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। और इसके बाद वह गधा कभी भी उस नदी में नहीं बैठा था।
इस कहानी का नैतिक यही है कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता की कोई कुंजी नहीं है। सार्टकट बहुत समय तक नहीं चलता है।
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi
एक गाँव में एक बहुत गरीब आदमी रहता था। वह बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पालन पोषण कर पाता था। एक दिन उसके आँगन में सुनहरी मुर्गी कहीं से उड़ती हुई आई और बैठ गई। वह मुर्गी को देखकर बहुत खुश हुआ और उसे खाने के लिए थोड़ा सा दाना डाल दिया। वह मुर्गी अब उसी के घर में रहने लगी।
अगले दिन मुर्गी ने सुनहरे रंग का अंडा दिया। वह अंडा सोने का था जिसे देख कर वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ और उसे लेकर शहर में बेच दिया। और जो पैसे मिले उससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करने लगा। इसी प्रकार से हर रोज वह सुनहरी मुर्गी एक सोने का अंडा देती थी। और उसे बेचकर वह गरीब आदमी बहुत अमीर हो गया। अब उसके मन में लालच बढ़ गया उसने सोचा कि जब यह हर दिन एक अंडा देती है तो इसका मतलब इसके पेट में कई सारे सोने के अंडे होंगे। क्यों ना मैं इस सुनहरी मुर्गी को काटकर इसके पेट से सारे सोने के अंडे एक साथ ही निकाल लूँ। और उसने ऐसा ही किया परन्तु, उस मुर्गी के पेट में एक भी सोने का अंडा नहीं था। और अब सुनहरी मुर्गी मर चुकी थी। और वह आदमी अपने लालच की वजह से सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को खो दिया।
इस कहानी का मोरल यह है की हमें लालच नहीं करना चाहिए। अत्यधिक लालच हमसे गलत काम करवाती है और इससे हमारा ही नुकसान होता है। आपने देखा कि कैसे इस Story में लालच करने से वह आदमी सोने का अंडा देने वाली सुनहरी मुर्गी अपने ही हाथों से मार दिया। और उसे कुछ भी नहीं मिला।
झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6
बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में लड़का रहता था। वह गाँव के पास ही जंगल में भेड़ चराने जाता था। रोज सुबह अपनी भेड़ो के लेकर जंगल पर चला जाता और शाम होते ही घर वापस आ जाता। इसी प्रकार से वह रोज करता, लेकिन वह बैठे-बैठे भेड़ों को रोज चरता हुआ देख कर ऊब चुका था। एक दिन जब वह भेड़ों को चरता देख रहा था तो उसे कुछ ज्यादा ही बोरियत महसूस होने लगी। वह अपना मनोरंजन करने के लिए वह नई-नई तरकीब सोचने लगा। इतने में उसे एक तरकीब सूझ गई।
वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”
उसकी यह बाते सुन कर गाँव वाले लाठी-डंडे लेकर मदद के लिए उसकी और दौड़ते हुए पहुंच गए। परन्तु गांव बालो ने देखा की वहाँ पर कोई भी भेड़िया नहीं है और वह लड़का पेट पकड़ कर जोर-जोर से हंस रहा है। ह, ह, ह, मैं तो मजाक कर रहा था। आप लोग कैसे दौड़ते हुए आएं है। गाँव बाले गुस्से से लाल-पीला हो गए और बोले हम लोग अपना काम छोड़कर तुमको बचाने आए हैं। और तुम मजाक कर रहे हो। गाँव ने कहाँ की अब ऐसा मत करना और वहाँ से चले गए।
एक दिन फिर से चरवाहा लड़का जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”
उसकी बात सुन कर फिर गाँव बाले जंगल पहुँच गए लेकिन उन्होंने देखा की फिर लड़का जोर-जोर से हँसे जा रहा है। इस पर गाँव बाले उसे खूब खरी-खोटी सुनाया और कहाँ की तुम झूठ बोलकर हम गाँव बालो को परेशान करते हो अब हम दुबारा तुम्हें बचाने नहीं आएंगे। और सब वहाँ से लौट आए।
अगले दिन जब लकड़हारा जंगल में अपनी भेड़ो के लेकर चराने गया तो वहां पर सचमुच का भेड़िया आ गया। वह डर गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बचाओ-बचाओ सचमुच का भेड़िया आया, कोई बचाओ भेड़िया आया। गाँव बालों ने उसकी आवाज सुनी और कहा की इसका तो रोज का ही काम है मजाक करना। और किसी ने उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया।
जब शाम हो गई और वह चरवाहा लड़का घर नहीं आया तो गाँव बाले जंगल की तरफ उसे खोजने गए। उन्होंने देखा की वह लड़का एक पेड़ पर बैठ कर रो रहा है। उसको किसी तरह से नीचे उतारकर सब ने पूछा क्या हुआ तो लड़के ने सारी बात बताई। कहा की यहाँ सचमुच का भेड़िया आया था उसने एक-एक करके हमारी सभी भेड़ो को खा गया।
इस पर गाँव के एक बूढ़े आदमी ने कहाँ की देखो बेटा तुम्हारी झूठ बोलने आदत की वजह से तुम पर कोई भरोसा नहीं किया। इसलिए आज तुम्हारे साथ ऐसा हुआ। लड़के को अपनी गलती का एहसास हो गया और कहाँ की अब वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।
इस कहानी से हमें यह सीख मलती है कि झूठे व्यक्ति की बात पर कोई भी भरोसा नहीं करता है चाहे फिर वह सच ही क्यों ना बोल रहा हो। इसलिए हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। आपने देखा कि किस तरह से भेड़ चराने वाला चरवाहा के झूठ बोलने की वजह से उसकी सारी भेड़ का शिकार हो गया।
शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Panchtantra ki kahani in Hindi
बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में कई सारे छोटे बड़े जानवर रहा करते थे। और उसी जंगल में एक शेर भी रहता था। जो रोजाना कई जानवरों को मारकर खा जाता था। इसलिए सभी अन्य जानवर उस शेर से बहुत परेशान थे और हमेशा डरते रहते की कभी उनकी मौत हो सकती है। एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर एक सभा आयोजित किया और शेर के साथ यह प्रस्ताव रखा की उनमें से हर दिन एक जानवर उसके भोजन के लिए स्वयं आ जाएगा। इससे हम सब निश्चिंत होकर रहेंगे। और आपको भी शिकार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
यह प्रस्ताव शेर को पसंद आया और कहाँ ठीक है। परन्तु एक दिन भी खाली नहीं जाना चाहिए। समय पर भोजन के लिए एक जानवर को भेजना होगा।
सभी अपनी बारी आने पर शेर के सामने चले जाते। एक दिन खरगोश की बारी थी। वह शेर के पास जाने लगा, और जाते सोचने लगा की मरना तो है ही क्यों आराम से चरते खाते चलूं। कुछ दूर आगे जाते-जाते उसे कुआं दिखी तो वह कुआं के पास गया और कुएं के अंदर झांक कर देखना लगा। तब उसे कुएं में उसकी परछाई दिखाई दी जिसे देखकर उसे एक बढ़िया तरकीब सूजी। और वह मजे से शेर के पास जाने लगा।
जब तक खरगोश शेर के पास पहुँचा तो बहुत देर हो चुकी थी। इसलिए शेर भूख के मारे क्रोधित था और छोटे से खरगोश को देखकर उसका क्रोध और भी बढ़ गया। उसने कहा की मेरे लिए इतना छोटा जानवर भेजा है इससे मेरी क्या भूख मिटेगी। लगता है कि अब सभी जानवर को मेरा डर समाप्त हो गया है। परन्तु पहले तुम यह बताओ की तुमने यहाँ आने में इतनी देरी क्यों हुई।
तो खरगोश ने बताया कि मैं जब आ रहा था, तो रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया और मुझे खाने के लिए बोलने लगा। मैंने बताया की मैं अपने शेर राजा के लिए भोजन के लिए जा रहा हूँ मुझे जाने दो। तब उसने कहा की मैं तुम्हारे राजा से नहीं डरता मैं तुम्हें यहाँ से नहीं जाने दूंगा। तब मैं किसी तरह से वहाँ से भाग कर आपके पास आया हूँ।
इतना सुनते ही शेर बोला क्या मेरे इलाके में दूसरा शेर कौन है जिसे अपनी जान प्यारी नहीं है। क्या तुम मुझे उसके पास ले जा सकते हो। खरगोश बोला जी महाराज मैं ले जा सकता हूँ। और खरगोश ने शेर को उसी कुंआ के पास ले गया। और बोला महाराज इसी कुंआ में वह शेर रहता है। शेर ने तुरंत देखा तो उसे कुंए में उसकी ही परछाई दिखी जिसे वह सचमुच का शेर समझ लिया। और जोर से दहाड़ लगाता है, तो कुंए से उसकी आवाज टकराकर वापस आई तो उसे लगा की वह भी दहाड़ रहा है।
फिर क्या शेर गुस्से और तेज दहाड़ते हुए कुएं में छलांग लगा दी। और कुंए में डूब कर मर गया। इसके बाद खरगोश खुशी-खुशी अपने साथियों के पास लौट गया और सारी कथा सुनाई। अब सभी जानवर खरगोश की चतुराई की प्रशंसा की और सब आराम से रहने लगे।
हमें मुसीबत के समय में धैर्य से काम लेना चाहिए। और खरगोश की तरह ही अपने आप को बचाने की कोशिश करना चाहिए। आपने देखा की किस तरह से चतुर खरगोश ने न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि अपने साथियों की भी शेर से जान बचा ली। दोस्तों धैर्य और सूझ-बूझ से हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते है।
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क्या आपने यह कहानी पढ़ी: चालाक बंदर और मगरमच्छ
FAQ For Short Story
Q: short story क्यों पढ़ना चाहिए.
Ans: हमें सार्ट और नैतिक कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए। क्योंकि इससे हमें कम समय में अच्छी बाते सीखने को मिलती हैं, जो हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण होती है। और हमें आगे बढ़ने में सहायता करती हैं।
Q: कहानियाँ महत्वपूर्ण क्यों होती है?
Ans: कहानियाँ महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि इससे हमें नई-नई उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारियां सीखने को मिलती है।
Q: कहानी सुनाने वाले की विशेषता क्या होनी चाहिए?
Ans: कहानी सुनाना भी एक कला है। कहानी सुनाने के ढंग से कोई कहानी में जान आ जाती है। और कहानी सुनने वाले श्रोता को दिमाग में छप जाती है। यदि कहानी सुनाने वाले को कहानी ठीक से याद नहीं है तो वह अच्छी से अच्छी कहानी को भी चौपट कर सकता है। याद कर लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है और कहानी कहने वाला विश्वास के साथ कहानी सुनाता है।
Q: कहानी की भाषा कैसी होनी चाहिए?
Ans: कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लंबे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए।
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Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी मिल सके। View Author posts
1 thought on “100+ Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियां हिंदी में”
Motivational story
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Essay in Hindi (Hindi Nibandh) | 200 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – 200 Hindi Essay Topics
Hindi Essay Topics:निबंध (Nibandh) एक विस्तृत लेख होता है जो किसी विषय के बारे में विस्तार से लिखा जाता है। इसमें आमतौर पर लेखक अपने विषय के बारे में अपने विचार, अनुभव, विश्लेषण और संदर्भ देता है। निबंध लेखन के दौरान लेखक की उद्देश्य होती है कि वह अपने पाठकों को अपनी बात समझाए और उन्हें विषय के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करे। निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण लेखन कौशल होता है जो विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, लेखकों और संवाददाताओं को सीखना चाहिए।
- 1 निबंध लिखना हिंदी में कैसे लिखें, इसके लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं।
- 2 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 35 Hindi Essay Topics
- 3 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 10 Short Hindi Essay Topics
- 4 निबंध – Nibandh In Hindi – Best 1 7 Long Hindi Essay Topics
- 5.1 हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची
- 5.2 दीर्घ निबंध विषय:
- 5.3 लघु निबंध विषय:
- 6 हिंदी निबंधों की संरचना इस प्रकार होती है:
- 7 हिंदी भाषा में कई प्रसिद्ध निबंध हैं। निम्नलिखित कुछ प्रसिद्ध निबंध हैं:
निबंध लिखना हिंदी में कैसे लिखें, इसके लिए आप निम्नलिखित चरणों का पालन कर सकते हैं।
- विषय चुनें: निबंध लिखने से पहले, अपने निबंध के लिए एक विषय चुनें। आपको उस विषय के बारे में विस्तार से जानना होगा ताकि आप एक संपूर्ण और स्पष्ट निबंध लिख सकें।
- निबंध का ढांचा बनाएं: निबंध लिखने से पहले, अपने निबंध के ढांचा को तैयार करें। आप अपने निबंध के लिए विभिन्न विषयों को एकत्रित कर सकते हैं और उन्हें एक अनुक्रम में रख सकते हैं।
- विस्तारपूर्वक लिखें: निबंध लिखते समय, अपने विषय को विस्तारपूर्वक विवरण दें। आप अपने निबंध में अधिकतम जानकारी देने का प्रयास करें ताकि आपके पाठक उस विषय को समझ सकें।
- आकर्षक शीर्षक: अपने निबंध के शीर्षक को आकर्षक बनाने के लिए एक उत्तेजक शीर्षक चुनें। शीर्षक उन शब्दों का एक समूह होता है जो आपके निबंध के मुख्य विषय को सार्थकता से दर्शाते हैं।
- निष्कर्ष लिखें: अपने निबंध के अंत में एक निष्कर्ष लिखें जिसमें आप अपने विषय के बारे में अपनी मत का विवरण देते हैं।
निबंध – Nibandh In Hindi – Best 35 Hindi Essay Topics
- नरेंद्र मोदी पर निबंध (Essay on Narendra Modi )
- डाकिया पर निबंध ( Essay on Post Man )
- सड़क सुरक्षा पर निबंध (Essay on Road Safety )
- पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution)
- कंप्यूटर पर निबंध ( Computer Essay )
- ईंधन संरक्षण पर निबंध (Essay on Fuel Conservation )
- महा शिवरात्रि पर निबंध (Essay on Maha Shivaratri Festival )
- ताजमहल पर निबंध ( Essay on Taj Mahal )
- प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन है निबंध (All Love is Expansion and Selfishness )
- हैप्पी न्यू ईयर पर निबंध (Essay on Happy New Year Celebration )
- यात्रा पर निबंध ( Essay on Travelling)
- भारत में जल संकट पर निबंध (Water Crisis in India )
- प्यार पर निबंध ( Essay on Love )
- अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस (International Friendship Day (Date, History, Importance, Celebration)
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- ज्ञान पर निबंध ( Best 10 Essay on Knowledge)
स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?
स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण कौशल है। निबंध लिखते समय ध्यान रखने वाली बातें हैं:
- विषय का चयन: सबसे पहले, आपको उस विषय का चयन करना होगा जिसके बारे में आप लिखना चाहते हैं। आपको एक ऐसा विषय चुनना चाहिए जो आपके अध्ययन से संबंधित होता हो। उस विषय के बारे में आपके पास पूर्ण जानकारी होनी चाहिए ताकि आप इसे अच्छी तरह से विश्लेषण कर सकें।
- निबंध की योजना बनाएं: निबंध की योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपको अपने निबंध के लिए एक तालिका बनाना चाहिए जिसमें निम्नलिखित बातें शामिल हों:
- शुरुआती अनुच्छेद (जो आपके निबंध का परिचय देता है)
- मुख्य विषयों की सूची (जो आप अपने निबंध में विस्तार से विश्लेषण करेंगे)
- निष्कर्ष (जो आप अपने निबंध से निकालेंगे)
- संरचना: निबंध में संरचना बहुत महत्वपूर्ण होती है।
हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची
दीर्घ निबंध विषय:.
- भारत का इतिहास
- स्वतंत्रता संग्राम
- ग्लोबल वार्मिंग
- पर्यावरण संरक्षण
- महिला शिक्षा एवं उनका सम्मान
- बेरोजगारी की समस्या
- स्वास्थ्य समस्याएँ और उनका समाधान
- दुर्घटनाओं की समस्या और समाधान
- संचार के विकास और इसके प्रभाव
- राजनीति और नागरिक अधिकार
लघु निबंध विषय:
- मेरे परिवार का सदस्य
- मेरे प्रिय शिक्षक
- मेरी प्रिय फसल
- मेरा प्रिय खेल
- मेरी सड़क सुरक्षा
- मेरा प्रिय त्योहार
- मेरा स्वच्छ भारत
- मेरी प्रिय किताब
- मेरी प्रिय शहर
हिंदी निबंधों की संरचना इस प्रकार होती है:
- प्रस्तावना: इसमें निबंध के विषय को परिचय दिया जाता है और पाठक का ध्यान आकर्षित किया जाता है।
- मुख्य भाग: यहां पर निबंध का मुख्य विषय विस्तार से विवरण दिया जाता है। इसमें विषय के बारे में जानकारी, अभिप्राय और समर्थन के आधार पर अपने विचार प्रस्तुत किए जाते हैं।
- निष्कर्ष: इस भाग में निबंध के मुख्य विषय के बारे में संक्षिप्त विचार एवं समाप्ति वाक्य दिए जाते हैं।
- संदर्भ: इसमें उन सभी स्रोतों का उल्लेख किया जाता है जिनसे निबंध के लिए जानकारी प्राप्त की गई है।
- संलग्नक: इसमें निबंध में प्रयोग किए गए चित्र, आंकड़े, चार्ट, टेबल, आदि का संलग्न किया जाता है।
इन सभी भागों को स्पष्ट, संगठित एवं अंतर्वस्तृत ढंग से लिखा जाना चाहिए ताकि पाठकों को निबंध का संदेश समझ में आ सके।
हिंदी भाषा में कई प्रसिद्ध निबंध हैं। निम्नलिखित कुछ प्रसिद्ध निबंध हैं:
- “भ्रष्टाचार का उच्चाटन” – विषय: भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई
- “भारत की संस्कृति” – विषय: भारतीय संस्कृति और उसका महत्त्व
- “स्वच्छ भारत अभियान” – विषय: स्वच्छता और इसका महत्त्व
- “जीवन में सफलता के मूल मंत्र” – विषय: सफलता के लिए जरूरी मंत्र
- “मेरा विद्यालय” – विषय: अपने विद्यालय का वर्णन और महत्त्व
- “जल ही जीवन है” – विषय: जल के महत्त्व और उसके संरक्षण के उपाय
- “स्त्री शिक्षा” – विषय: स्त्रियों के लिए शिक्षा के महत्त्व और उसके लिए समाज की जिम्मेदारी
- “स्वतंत्रता दिवस” – विषय: भारत की स्वतंत्रता का महत्त्व और उसकी अर्थपूर्ण विशेषताएं
- “विदेशी भाषाओं के प्रति हमारी दृष्टि” – विषय: भाषा के महत्त्व और विदेशी भाषाओं के प्रति हमारी दृष्टि
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101 Hindi short stories with moral for kids बच्चों की प्रेरणादायक कहानियां
Today we are writing Hindi short stories with moral values for kids . These stories are only for kids and also written in that lucid language. These Hindi stories with morals may also be useful for teachers.
We are writing 101 Hindi short stories with moral values for kids here.
Table of Contents
101 Short Hindi stories with moral values – हिंदी कहानियाँ
Below are 101 very interesting stories written in Hindi. We hope you will like this Hindi story collection.
1. मुर्गा की अकल ठिकाने
( hindi short stories with moral for kids ).
एक समय की बात है, एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया, उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी, और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला। सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।
नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।
Moral of this short hindi story – Never be too arrogant. Your work should tell your importance to the world.
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2. शेर का आसन
शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा। शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है, आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘
नैतिक शिक्षा –
जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।
Moral of this short hindi story –
Never leave your own personality. And also not try to copy anyone’s identity.
3. रेलगाड़ी
पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखी। उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई, जो कुछ दिन पहले पापा-मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था, दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए। जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ – रेलगाड़ी दिल्ली गई , मुंबई गई , अमेरिका गई , नानी के घर गई , और दादाजी के घर भी गई।
नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।
Moral of this short Hindi story – Boost the confidence of children because they are the future.
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4. शरारती चूहा
गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में भागा चलता था। उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी। चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था, उसने शरबत पीना था।
चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है। अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है। बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता। फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ शरबत से गीली हो जाती है उसे चाट-चाट कर चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।
नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।
Moral of this short hindi story – Hard work with smartness is the key to success. Always focus on smart work.
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5. बिल्ली बच गई
ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।
दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी।
नैतिक शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।
Moral of this short hindi story – Always try to help others. It will give real pleasure.
6. रितेश के तीन खरगोश राजा
रितेश का कक्षा तीसरी में पढ़ता था। उसके पास तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे। रितेश अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। वह स्कूल जाने से पहले पाक से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था। स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।
एक दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका, और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। रितेश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।
रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।
नैतिक शिक्षा – जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।
Moral of this short hindi story – Understand the agony of others. You will never feel any sorrow.
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7. दोस्त का महत्व
वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।
एक दिन की बात है, वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई, इस पर वेद को मालिश किया गया।
मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। वेद जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था।
नैतिक शिक्षा – दोस्त सुख-दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।
Moral of this short Hindi story –
Always love your best friend. And take the time to choose your friends or company of friends. Because this company with friends will decide your behavior towards the situation in life.
8. मां की ममता – Short Hindi stories with moral
आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।
एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।
सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।
पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।
घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।
मोरल – संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।
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9. रानी की शक्ति
रानी एक चींटी का नाम है जो अपने दल से भटक चुकी है। घर का रास्ता नहीं मिलने के कारण , वह काफी देर से परेशान हो रही थी। रानी के घर वाले एक सीध में जा रहे थे। तभी जोर की हवा चली, सभी बिखर गए। रानी भी अपने परिवार से दूर हो गई। वह अपने घर का रास्ता ढूंढने में परेशान थी।
काफी देर भटकने के बाद उसे जोर से भूख और प्यास लगी।
रानी जोर से रोती हुई जा रही थी।
रास्ते में उसे गोलू के जेब से गिरी हुई टॉफी मिल गई। रानी के भाग्य खुल गए। उसे भूख लग रही थी और खाने को टॉफी मिल गया था। रानी ने जी भर के टोपी खाया अब उसका पेट भर गया।
रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ , घर वाले भी खाएंगे।
टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।
घसीटते -घसीटते वह अपने घर पहुंच गई। उसके मम्मी – पापा और भाई-बहनों ने देखा तो वह भी दौड़कर आ गए। टॉफी उठाकर अपने घर के अंदर ले गए।
फिर क्या था ?
सभी की पार्टी शुरू हो गई।
मोरल – लक्ष्य कितना भी बड़ा हो निरंतर संघर्ष करने से अवश्य प्राप्त होता है।
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10. मोती का मित्र
मोती तीसरी कक्षा में पढ़ता है। वह स्कूल जाते समय अपने साथ दो रोटी लेकर जाता था। रास्ते में मंदिर के बाहर एक छोटी सी गाय रहती थी। वह दोनों रोटी उस गाय को खिलाया करता था।
मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।
स्कूल में लेट होने के कारण मैडम डांट भी लगाती थी।
वह गाय इतनी प्यारी थी, मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।
मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।
दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे।
एक दिन की बात है मोती बाजार से सामान लेकर लौट रहा था।
मंदिर के बाहर कुछ लड़कों ने उसे पकड़ लिया।
मोती से सामान छीनने लगे। गाय ने मोती को संकट में देख उसको बचाने के लिए दौड़ी।
गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।
मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।
मोरल –
- गहरी मित्रता सदैव सुखदाई होती है।
- निस्वार्थ भाव से व्यक्ति को मित्रता करनी चाहिए। संकट में मित्र ही काम आता है।
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11. बलवान कछुए की मूर्खता
एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।
एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।
यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।
विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।
अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।
उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।
आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।
विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया। कम से कम कवच से जान तो बचती है।
प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।
12. राजू की समझदारी – Laghu kahani
जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती, वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।
राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया।
राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली।
घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए।
राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया।
उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।
दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई।
फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।
मोरल – स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।
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13. चुनमुन के बच्चे
बच्चों की प्यारी गोरैया चिड़िया । यह सबके घर में प्यार से रहती है। जो दाना-पानी देता है, उसके घर तो मस्ती से रहती है। कूलर के पीछे चुनमुन का घोंसला है। उसके तीन बच्चे है , यह अभी उड़ना नहीं जानते।
चुनमुन के बच्चों ने उड़ना सिखाने के लिए तंग कर दिया।
चुनमुन कहती अभी थोड़ी और बड़ी हो जाओ तब सिखाएंगे। बच्चे दिनभर ची ची ची ची करके चुनमुन को परेशान करते।
एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।
अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।
जब बच्चे गिरने लगते चुनमुन उन्हें अपने पीठ पर बैठा लेती। फिर उड़ने के लिए कहती।
ऐसा करते करते चुनमुन के बच्चे आसमान में उड़ने लगे थे।
चुनमुन ने सभी को घर चलने के लिए कहा।
सब मां के पीछे-पीछे घर लौट आए।
मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।
जादुई नगरी का रहस्य – Jadui Kahani
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14. कालिया को मिली सजा
कालिया से पूरा गली परेशान था। गली से निकलने वाले लोगों को कभी भों भों करके डराता। कभी काटने दौड़ता था। डर से बच्चों ने उस गली में अकेले जाना छोड़ दिया था।
कोई बच्चा गलती से उस गली में निकल जाता तो , उसके हाथों से खाने की चीज छीन कर भाग जाता ।
कालिया ने अपने दोस्तों को भी परेशान किया हुआ था।
सब को डरा कर वाह अपने को गली का सेट समझने लगा था। उसके झुंड में एक छोटा सा शेरू नाम का डॉगी भी था।
वह किसी को परेशान नहीं करता, छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।
एक दिन शेरू को राहुल ने एक रोटी ला कर दिया।
शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।
कालिया ने शेरू को रोटी खाता हुआ देख जोर से झटका और रोटी लेकर भाग गया।
शेरू जोर-जोर से रोने लगा।
राहुल ने अपने पापा से बताया। उसके पापा कालिया की हरकत को जानते थे। वह पहले भी देख चुके थे।
उन्हें काफी गुस्सा आया।
एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।
कालिया को अब अपनी नानी याद आ गई थी।
वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।
छोटे बच्चे को देखते ही छुप जाता था।
बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।
15. सच्ची मित्रता
अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।
सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता।
सिंहराज जब शिकार पर निकलता , सूरसिंह अकेला हो जाता।
डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे ।
आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड टूट पड़ा। आज सियार को बड़ा शिकार मिला था।
चारों तरफ से सियारों ने सुरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था।
वह बेहोश की हालत में हो गया।
अचानक सिंहराज वहां दहाड़ता हुआ आ गया।
सिंहराज को वहां आता देख, सियारों के प्राण सूख गए।
सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी
मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।
Subhash chandra bose story in hindi
Motivational Kahani
16. बिच्छू और संत
बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।
बरसात का दिन था। एक बिच्छू नाले में तेजी से बेहता जा रहा था।संत ने बिच्छू को नाली में बहता देख।
अपने हाथ से पकड़कर बाहर निकाला।
बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।
संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा।
ऐसा दो-तीन बार और हुआ।
पास ही वैद्यराज का घर था। वह संत को देख रहे थे। वैद्यराज दौड़ते हुए आए। उन्होंने बिच्छू को एक डंडे के सहारे दूर फेंक दिया।
संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।
फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?
संत ने कहा वह अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो, मैं अपना स्वभाव कैसे बदल लूं !
मोरल – विषम परिस्थितियों में भी अपने स्वभाव को नहीं बदलना चाहिए।
17. महात्मा बना विषधर
गांव के बाहर पीपल बड़ा वृक्ष था। यह वृक्ष 200 साल से अधिक पुराना था। गांव के लोग उस वृक्ष के नीचे नहीं जाते थे। वहां एक भयंकर विषधर सांप रहा करता था। कई बार उसने चारा खा रही बकरियों को काट लिया था।
गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।
लोगों ने उस विषधर का इलाज करने को कहा।
रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।
विषधर अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।
गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।
एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।
उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं। वह विषधर को परेशान कर रहे थे। विषधर कुछ नहीं कर रहा है।
ऐसा करता देख उन्होंने बच्चों को डांट कर भगाया , और विषधर को अपने साथ ले गए।
मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।
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18. चिंटू पिंटू की शरारत
चिंटू-पिंटू दोनों भाई थे, दोनों की उम्र लगभग 2 साल की होगी। दोनों खूब शरारत करते थे। चिंटू ज्यादा शरारती था। वह पिंटू के सूंढ़ को अपने सूंढ़ में लपेटकर खींचता और कभी धक्का देकर गिरा देता।
एक दिन की बात है, दोनों खेल में लड़ते-झगड़ते दौड़ रहे थे।
चिंटू का पैर फिसल जाता है, वह एक गड्ढे में गिर जाता है।
चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।
पिंटू उसे अपने सूंढ़ से ऊपर खींचने की कोशिश करता। मगर उसकी कोशिश नाकाम रहती।
पिंटू दौड़कर अपनी मां को बुला लाता है।
उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।
चिंटू की शरारत उस पर आज भारी पड़ गई थी।
उसने रोते हुए कहा-आगे से शरारत नहीं करूंगा।
दोनों भाई खेलने लगे, इसको देकर उसकी मां बहुत खुश हुई।
मोरल – अधिक शरारत और दूसरों को तंग करने की आदत सदैव आफत बन जाती है।
19. साहस का परिचय
जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।
एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।
वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे।
सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।
मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे।
वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।
हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।
सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।
मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।
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20. मुकेश की पेंटिंग स्वच्छता के लिए
मुकेश कोई छः – सात साल का होगा। उसे पेंटिंग करना और क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है। खाली समय में वह क्रिकेट खेलता और पेंटिंग बनाया करता था।
पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती, तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।
मुकेश जब भी स्कूल जाता उसे रास्ते में कूड़ेदान से होकर गुजरना पड़ता था।
लोग पटरियों पर कूड़ा फेंक देते और दीवार के सामने पेशाब भी करते थे, जिसके कारण वहां काफी बदबू आती थी। मुकेश को यह सब अच्छा नहीं लगता था।
एक दिन की बात है प्रधानमंत्री स्वच्छता कार्यक्रम के लिए सभी विद्यार्थियों को सहयोग करने के लिए कह रहे थे। मुकेश को आइडिया आया उसने कूड़ेदान के पास जाकर खूब सारी पेंटिंग दीवार पर बना दी। वह पेंटिंग इतनी खूबसूरत थी कि कोई भी व्यक्ति वहां से गुजरते हुए। उस पेंटिंग की सराहना करते जाता था।
धीरे-धीरे वहां से लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया, और इतनी खूबसूरत पेंटिंग दीवार पर थी कि कोई अब वहां खड़े होकर पेशाब भी नहीं करता था। देखते ही देखते वह रास्ता साफ हो गया था।
मुकेश को अब स्कूल और घर के बीच किसी प्रकार की गंदगी दिखाई नहीं देती थी। इसे देखकर वह काफी खुश होता था।
कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है।
21. करुणा का प्रहार
अब्दुल के पास एक बकरी थी , उस बकरी का एक छोटा सा बच्चा था। अब्दुल दोनों को प्यार करता उनके लिए खेत से नरम और मुलायम घास लाता।
दोनों बकरियां घास को खाकर खुश रहती थी।
अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।
अब्दुल चौथी कक्षा में पढ़ता था।
एक दिन जब वह स्कूल गया हुआ था।
उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।
सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।
बकरी जोर – जोर से चिल्लाने लगी
उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।
सलीम बच्चे को लेकर काफी दूर निकल गया।
बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था। मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।
बकरी ने अंतिम समय सोचा , अगर अभी प्रयत्न नहीं किया तो वह अपने बच्चे से कभी नहीं मिल पाएगी। ऐसा सोचते हुए एक बार जोरदार प्रयास किया। रस्सी का फंदा बकरी के गले से टूट गया। वह बकरी जान – प्राण लेकर सलीम की ओर भागी।
अपने बच्चे को देखकर बकरी ने सलीम पर जोरदार प्रहार किया। काफी समय सलीम को मशक्कत करते हो गई , किंतु बकरी के प्रहार को रोक नहीं पाया। एकाएक अनेकों प्रहार बकरी करती रही।
अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।
अब्दुल जब वापस लौट कर आया उसे पड़ोसियों ने पूरी घटना बता दी। जिसके बाद वह अपने मां-बाप से गुस्सा हो गया। मां बाप ने काफी समझाया किंतु उसने किसी की एक न सुनी। क्योंकि वह बकरी उसके लिए अमूल्य थे जिसे वह बेचना चाह रहे थे।
- मां की करुणा के प्रहार से बड़ी से बड़ी शक्तियां पराजित हो जाती है। मां अपने बच्चे के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती है।
- बकरी ने अपना जीवन दाव पर लगाकर सलीम पर प्रहार किया था।
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22. और बन गई क्रिकेट टीम
राजू पार्क में उदास बैठा था , आज उसके दोस्त खेलने नहीं आए थे। राजू के पास एक गेंद थी , किंतु बैट और मित्र नहीं थे। वह अकेले ही गेंद के साथ मायूसी से खेल रहा था। पार्क में अन्य बालक भी क्रिकेट खेल रहे थे , किंतु राजू उन्हें जानता नहीं था। इसलिए वह अकेला ही कभी गेंद से खेलता और कभी बैठ कर उन बालकों को खेलता हुआ देखता रहता।
कुछ देर बाद सामने खेल रहे बालकों की गेंद पड़ोस के एक बंद घर में जा गिरी।
वहां से गेंद के लौट का आना असंभव था , और कोई बालक उसे लेने के लिए भीतर भी नहीं जा सकता था। अब उन बालकों का भी खेलना बंद हो गया। वह सभी उदास हो गए , क्योंकि अब वह भी क्रिकेट नहीं खेल सकते थे।
उन बालकों की नजर राजू के ऊपर गई , जिसके पास गेंद थी।
फिर क्या था , उन लोगों ने राजू को खेलने के लिए अपने पास बुला लिया। राजू खेलने में अच्छा था। इसलिए काफी बेहतरीन शॉर्ट लगा सकता था। गेंद को पकड़ने के लिए और बालकों की आवश्यकता हुई। जिस पर पार्क में खेल रहे और बालक भी उनसे जुड़ गए। और फिर देखते देखते दो दल बन गया।
इस प्रकार राजू की एक नई क्रिकेट टीम तैयार हो गई।
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23. स्वयं का नुकसान
शहर में एक छोटी सी दुकान , जिसमें कुछ चिप्स , पापड़ , टॉफी , बिस्किट आदि की बिक्री होती थी। यह दुकान अब्दुल मियां की थी। इनकी हालात सभी लोगों को मालूम थी , इसलिए ना चाहते हुए भी आस पड़ोस के लोग कुछ ऐसा सामान ले लिया करते थे। जिससे अब्दुल मियां की कुछ कमाई हो जाए।
दुकान में चूहों ने भी अपना डेरा जमा लिया था। दुकान में एक से बढ़कर एक शरारती चूहे आ गए थे।
इन चूहों ने टॉफी और बिस्किट को नुकसान पहुंचाना चालू कर दिया था।
अब्दुल काफी परेशान हो गया था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस शरारत से कैसे बचे।
एक दिन की बात है, अब्दुल बैठा हुआ था तीन – चार चूहे आपस में लड़ रहे थे।
अब्दुल को गुस्सा आया उसने एक डंडा उन चूहों की ओर जोर से चलाया।
चूहे उछल कर भाग गए, किंतु वह डंडा इतना तेज चलाया गया था कि टॉफी रखने वाली शीशे की जार टूट गई।
ऐसा करने से और भी बड़ा नुकसान हो गया।
निष्कर्ष – क्रोध में किसी प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए , यह स्वयं के लिए नुकसानदेह होता है।
24. अपने गलती का पछतावा
गोपाल के घर पांच भैंस और एक गाय थी। वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था। उनके लिए दूर-दूर से हरी – हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता। गाय , भैंस गोपाल की सेवा से खुश थी।
सुबह – शाम इतना दूध हो जाता , गोपाल का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता।
पूरे गांव में गोपाल के घर से दूध बिकने लगा।
अब गोपाल को काम करने में और भी मजा आ रहा था , क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी।
कुछ दिनों से गोपाल परेशान होने लगा , क्योंकि उसके रसोईघर में एक बड़ी सी बिल्ली ने आंखें जमा ली थी। गोपाल जब भी दूध को रसोई घर में रखकर निश्चिंत होता। बिल्ली दूध पी जाती और उन्हें जूठा भी कर जाती। गोपाल ने कई बार उस बिल्ली को भगाया और मारने के लिए दौड़ाया , किंतु बिल्ली झटपट दीवार चढ़ जाती और भाग जाती।
एक दिन गोपाल ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोंची ।
जूट की बोरी का जाल बिछाया गया , जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई।
अब क्या था गोपाल ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची।
बिल्ली इतना जोर – जोर से झपट रही थी गोपाल उसके नजदीक नहीं जा सका।
किंतु आज सबक सिखाना था , गोपाल ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दिया।
देखते ही देखते बोरा धू-धू कर जलने लगा , बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी।
बिल्ली जिधर जिधर भागती , वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता।
देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई।
पूरे गांव से आग लगी……………….. आग लगी , बुझाओ …….बुझाओ
इस प्रकार की आवाज उठने लगी। बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया।
गोपाल का घर भी नहीं बच पाया था।
आवेग और स्वयं की गलती का फल खुद को तो भोगना पड़ता ही है , साथ में दूसरे लोग भी उसकी सजा भुगतते हैं।
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25. दद्दू की चोट पर हुई किसकी पिटाई
दद्दू और मोहित दोनों भाई थे। दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे , मोहित दद्दू से 2 साल बड़ा था। दोनों एक साथ स्कूल जाते , लौटते समय भी दोनों साथ ही आते थे।
एक दिन की बात है दद्दू अपने दोस्तों के साथ साथ , तेज कदमों से घर की ओर लौट रहा था। अचानक उसका पैर एक पत्थर पर पड़ा , कंधे पर किताब – कॉपी का बोझ लदा था , वह संभल नहीं पाया और गिर गया।
दद्दू को चोट लग गई , उसका घुटना छिल गया………….
जिससे दद्दू जोर जोर से रोने लगा।
पीछे मोहित आ रहा था दौड़ कर झट से अपने भाई को उठा लिया।
मोहित समझदार था दद्दू को काफी समझाया किंतु वह चुप नहीं हो रहा था।
मोहित ने झटपट एक उपाय सोचा और सड़क पर 4-5 लात जोर से मारी और दद्दू को कहा लो इसने तुम्हें चोट लगाया था मैंने इसे चोट लगा दिया।
दद्दू अब सोच में पड़ गया , उसने भी 8 -10 लात मारी।
उसके और दोस्त थे ,
वह भी सड़क पर उछलने लगे जिससे सड़क को और चोट लगे।
बस क्या था , अब यह मनोरंजन का साधन बन गया। कुछ देर बाद सभी वहां से जा चुके थे।
घर पहुंच कर मोहित ने दद्दू के चोट को दिखाया और डिटॉल तथा साफ पानी से घाव को साफ किया गया।
संदेश – समय पर लिया गया निर्णय सर्वदा ठीक होता है।
26 कुम्हार का वात्सल्य रूप
आज लकड़ी काटने के लिए मदन घूमता रहा, किंतु उसे कोई सूखा पेड़ नहीं मिला। वह प्रकृति से इतना जुड़ा हुआ था कि वह हरे-भरे वृक्षों को अपने कुल्हाड़ी के चोट से नहीं काटता। पेड़-पौधों को वह बेटे के समान मानता था और बेटे की हत्या मानव कभी कर ही नहीं सकता।
मदन बेहद गरीब था, घर में बुजुर्ग मां-बाप, पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे थे। उनका भरण-पोषण मदन के कार्य से ही चलता था। मदन दिनभर जंगलों में घूमता लकड़ियां जमा करता और शाम तक बाजार में बेचकर खाने-पीने का सामान घर ले आता। इसी से पूरा घर दो वक्त की रोटी खा पाता था।
न जाने आज कैसा दिन था कि आज उसे कोई सुखी लकड़ी या सुखा पेड़ मिल ही नहीं रहा था। वह थक हार कर एक जगह बैठ गया वह आज बेहद दुखी था कि आज उसे घर ले जाने के लिए अन्य पानी का प्रबंध नहीं हो सका। वह सोचते सोचते बेसुध हो गया और वहीं लेट गया।
प्रकृति सदैव मानव की रक्षा करती है, मानव के जीवन का एक अभिन्न अंग होती है और मनुष्य को प्रकृति पुत्र के समान पालन करती है।
मदन की ऐसी हालत देख प्रकृति में भी उदासी का भाव था। तभी अचानक एक अनोखी घटना घटती है, पेड़ों से शीतल हवा बहने लगती है।
मदन कि अचानक नींद खुलती है तो वह अपने नजदीक एक कपड़े की पोटली पाता है। यह पोटली पेड़ों से चलने वाली हवाओं के साथ मदन के पास आया था।
इस पोटली का रहस्य यह था – कुछ दिन पूर्व एक भले आदमी को लूट कर जंगली डाकू भाग रहे थे, तभी अचानक उनका पैर फिसला और वह पहाड़ों की दुर्गम खाई में जा गिरे जिससे उनकी मृत्यु हो गई। यह पोटली गिरते समय डाकुओं के हाथ से छिटक कर पेड़ पर टंग गई थी। आज आवश्यकता की घड़ी में मदन को उन पैसों से सहायता हो सकी।
मोरल – जब आप किसी की सहायता करते हैं निर्दोष लोगों को परेशान नहीं करते तो प्रकृति भी आपकी सहायता करती है। जब आप प्रकृति का नुकसान पहुंचाते हैं तो प्रकृति भी आप को नुकसान पहुंचाती है, यह नुकसान दीर्घकालिक होता है।
27. बड़े भैया का रुमाल
राजू तीसरी कक्षा में पढ़ता है , उसका बड़ा भाई कार्तिक भी उसी विद्यालय में पांचवी कक्षा में पढ़ता है। दोनों भाई एक साथ विद्यालय जाते-आते थे। रास्ते में दोनों खूब मस्तियां किया करते थे। कार्तिक के पास एक रुमाल था , जिसे वह हमेशा डिटॉल से धोकर साफ-सुथरा रखता था। राजू अपने भैया को हमेशा देखता वह अपने पास सोचता भैया रूमाल को रखते है?
थोड़ी सी भी गंदगी होने पर उसे साफ करते और फिर उसे मोड़ कर अपनी जेब में रख लेते। रुमाल की गंदगी उन्हें पसंद नहीं थी। राजू को इन सब बातों की समझ नहीं थी , वह सोचता रहता था कि बड़े भैया ऐसा क्यों करते हैं , लेकिन कभी उसके समझ में नहीं आया।
एक दिन की बात है राजू झूला झूल रहा था तभी उसके हाथ से झूला छूट गया और वह जमीन पर गिर गया। जमीन पर गिरते ही राजू के घुटने में चोट आ गई जिसके कारण उसके घुटने से खून बहने लगा। कार्तिक ने अपने भाई को देखा तो वह जल्दी से दौड़ता हुआ आया और अपने जेब से रुमाल निकाल कर घाव पर बांध दिया। जिसके कारण खून बहना बंद हो गया। कार्तिक तुरंत अपने भाई को हॉस्पिटल ले गया जहां डॉक्टर ने मरहम-पट्टी कर राजू को बढ़िया कर दिया।
राजू ने देखा भैया जिस रुमाल को बड़े प्यार से साफ-सुथरा करके अपने पास हमेशा रखते थे। जिससे खूब प्यार करते थे , वह अब गंदी हो चुकी थी। बड़े भाई के प्यार के सामने वह रुमाल अधिक प्यारा नहीं था।
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हिंदी निबंध (Hindi Nibandh / Essay in Hindi) - हिंदी निबंध लेखन, हिंदी निबंध 100, 200, 300, 500 शब्दों में
हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) - छात्र जीवन में विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध (essay in hindi) लिखने की आवश्यकता होती है। हिंदी निबंध लेखन (essay writing in hindi) के कई फायदे हैं। हिंदी निबंध से किसी विषय से जुड़ी जानकारी को व्यवस्थित रूप देना आ जाता है तथा विचारों को अभिव्यक्त करने का कौशल विकसित होता है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने की गतिविधि से इन विषयों पर छात्रों के ज्ञान के दायरे का विस्तार होता है जो कि शिक्षा के अहम उद्देश्यों में से एक है। हिंदी में निबंध या लेख लिखने से विषय के बारे में समालोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही अच्छा हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखने पर अंक भी अच्छे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा हिंदी निबंध (hindi nibandh) किसी विषय से जुड़े आपके पूर्वाग्रहों को दूर कर सटीक जानकारी प्रदान करते हैं जिससे अज्ञानता की वजह से हम लोगों के सामने शर्मिंदा होने से बच जाते हैं।
आइए सबसे पहले जानते हैं कि हिंदी में निबंध की परिभाषा (definition of essay) क्या होती है?
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कुछ सामान्य विषयों (common topics) पर जानकारी जुटाने में छात्रों की सहायता करने के उद्देश्य से हमने हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) और भाषणों के रूप में कई लेख तैयार किए हैं। स्कूली छात्रों (कक्षा 1 से 12 तक) एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हिंदी निबंध (hindi nibandh), भाषण तथा कविता (useful essays, speeches and poems) से उनको बहुत मदद मिलेगी तथा उनके ज्ञान के दायरे में विस्तार होगा। ऐसे में यदि कभी परीक्षा में इससे संबंधित निबंध आ जाए या भाषण देना होगा, तो छात्र उन परिस्थितियों / प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर पाएँगे।
महत्वपूर्ण लेख :
- 10वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
- 12वीं के बाद लोकप्रिय कोर्स
- क्या एनसीईआरटी पुस्तकें जेईई मेन की तैयारी के लिए काफी हैं?
- कक्षा 9वीं से नीट की तैयारी कैसे करें
छात्र जीवन प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के सबसे सुनहरे समय में से एक होता है जिसमें उसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वास्तव में जीवन की आपाधापी और चिंताओं से परे मस्ती से भरा छात्र जीवन ज्ञान अर्जित करने को समर्पित होता है। छात्र जीवन में अर्जित ज्ञान भावी जीवन तथा करियर के लिए सशक्त आधार तैयार करने का काम करता है। नींव जितनी अच्छी और मजबूत होगी उस पर तैयार होने वाला भवन भी उतना ही मजबूत होगा और जीवन उतना ही सुखद और चिंतारहित होगा। इसे देखते हुए स्कूलों में शिक्षक छात्रों को विषयों से संबंधित अकादमिक ज्ञान से लैस करने के साथ ही विभिन्न प्रकार की पाठ्येतर गतिविधियों के जरिए उनके ज्ञान के दायरे का विस्तार करने का प्रयास करते हैं। इन पाठ्येतर गतिविधियों में समय-समय पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) या लेख और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करना शामिल है।
करियर संबंधी महत्वपूर्ण लेख :
- डॉक्टर कैसे बनें?
- सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें
- इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?
निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति ही निबंध है।
अन्य महत्वपूर्ण लेख :
- हिंदी दिवस पर भाषण
- हिंदी दिवस पर कविता
- हिंदी पत्र लेखन
आइए अब जानते हैं कि निबंध के कितने अंग होते हैं और इन्हें किस प्रकार प्रभावपूर्ण ढंग से लिखकर आकर्षक बनाया जा सकता है। किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) के मोटे तौर पर तीन भाग होते हैं। ये हैं - प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार।
प्रस्तावना (भूमिका)- हिंदी निबंध के इस हिस्से में विषय से पाठकों का परिचय कराया जाता है। निबंध की भूमिका या प्रस्तावना, इसका बेहद अहम हिस्सा होती है। जितनी अच्छी भूमिका होगी पाठकों की रुचि भी निबंध में उतनी ही अधिक होगी। प्रस्तावना छोटी और सटीक होनी चाहिए ताकि पाठक संपूर्ण हिंदी लेख (hindi me lekh) पढ़ने को प्रेरित हों और जुड़ाव बना सकें।
विषय विस्तार- निबंध का यह मुख्य भाग होता है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसमें इसके सभी संभव पहलुओं की जानकारी दी जाती है। हिंदी निबंध (hindi nibandh) के इस हिस्से में अपने विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखकर अभिव्यक्त करने की खूबी का प्रदर्शन करना होता है।
उपसंहार- निबंध का यह अंतिम भाग होता है, इसमें हिंदी निबंध (hindi nibandh) के विषय पर अपने विचारों का सार रखते हुए पाठक के सामने निष्कर्ष रखा जाता है।
ये भी देखें :
अग्निपथ योजना रजिस्ट्रेशन
अग्निपथ योजना एडमिट कार्ड
अग्निपथ योजना सिलेबस
अंत में यह जानना भी अत्यधिक आवश्यक है कि निबंध कितने प्रकार के होते हैं। मोटे तौर निबंध को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जाता है-
वर्णनात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है। इसमें त्योहार, यात्रा, आयोजन आदि पर लेखन शामिल है। इनमें घटनाओं का एक क्रम होता है और इस तरह के निबंध लिखने आसान होते हैं।
विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है। अक्सर ये किसी समस्या – सामाजिक, राजनीतिक या व्यक्तिगत- पर लिखे जाते हैं। विज्ञान वरदान या अभिशाप, राष्ट्रीय एकता की समस्या, बेरोजगारी की समस्या आदि ऐसे विषय हो सकते हैं। इन हिंदी निबंधों (hindi nibandh) में विषय के अच्छे-बुरे पहलुओं पर विचार व्यक्त किया जाता है और समस्या को दूर करने के उपाय भी सुझाए जाते हैं।
भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है। इनमें कल्पनाशीलता के लिए अधिक छूट होती है। भाव की प्रधानता के कारण इन निबंधों में लेखक की आत्मीयता झलकती है। मेरा प्रिय मित्र, यदि मैं डॉक्टर होता जैसे विषय इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं।
इसके साथ ही विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।
ये भी पढ़ें-
- केंद्रीय विद्यालय एडमिशन
- नवोदय कक्षा 6 प्रवेश
- एनवीएस एडमिशन कक्षा 9
जिस प्रकार बातचीत को आकर्षक और प्रभावी बनाने के लिए लोग मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविताओं आदि की मदद लेते हैं, ठीक उसी तरह निबंध को भी प्रभावी बनाने के लिए इनकी सहायता ली जानी चाहिए। उदाहरण के लिए मित्रता पर हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखते समय तुलसीदास जी की इन पंक्तियों की मदद ले सकते हैं -
जे न मित्र दुख होंहि दुखारी, तिन्हिं बिलोकत पातक भारी।
यानि कि जो व्यक्ति मित्र के दुख से दुखी नहीं होता है, उनको देखने से बड़ा पाप होता है।
हिंदी या मातृभाषा पर निबंध लिखते समय भारतेंदु हरिश्चंद्र की पंक्तियों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाएगा-
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।
प्रासंगिकता और अपने विवेक के अनुसार लेखक निबंधों में ऐसी सामग्री का उपयोग निबंध को प्रभावी बनाने के लिए कर सकते हैं। इनका भंडार तैयार करने के लिए जब कभी कोई पंक्ति या उद्धरण अच्छा लगे, तो एकत्रित करते रहें और समय-समय पर इनको दोहराते रहें।
उपरोक्त सभी प्रारूपों का उपयोग कर छात्रों के लिए हमने निम्नलिखित हिंदी में निबंध (Essay in Hindi) तैयार किए हैं -
दुनिया के कई देशों में मजदूरों और श्रमिकों को सम्मान देने के उद्देश्य से हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसे लेबर डे, श्रमिक दिवस या मई डे भी कहा जाता है। श्रम दिवस एक विशेष दिन है जो मजदूरों और श्रम वर्ग को समर्पित है। यह मजदूरों की कड़ी मेहनत को सम्मानित करने का दिन है। ज्यादातर देशों में इसे 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रम दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। विद्यार्थियों को कक्षा में मजदूर दिवस पर निबंध लिखने, मजदूर दिवस पर भाषण देने के लिए कहा जाता है। इस निबंध की मदद से विद्यार्थी अपनी तैयारी कर सकते हैं।
सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के नेता थे और बाद में उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया। इसके माध्यम से भारत में सभी ब्रिटिश विरोधी ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी। बोस ब्रिटिश सरकार के मुखर आलोचक थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई की वकालत करते थे। विद्यार्थियों को अक्सर कक्षा और परीक्षा में सुभाष चंद्र बोस जयंती (subhash chandra bose jayanti) या सुभाष चंद्र बोस पर हिंदी में निबंध (subhash chandra bose essay in hindi) लिखने को कहा जाता है। यहां सुभाष चंद्र बोस पर 100, 200 और 500 शब्दों का निबंध दिया गया है।
भारत में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के सम्मान में स्कूलों में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। गणतंत्र दिवस के दिन सभी स्कूलों, सरकारी व गैर सरकारी दफ्तरों में झंडोत्तोलन होता है। राष्ट्रगान गाया जाता है। मिठाईयां बांटी जाती है और अवकाश रहता है। छात्रों और बच्चों के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में गणतंत्र दिवस पर निबंध पढ़ें।
26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया, इसमें भारत को गणतांत्रिक व्यवस्था वाला देश बनाने की राह तैयार की गई। गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण (रिपब्लिक डे स्पीच) देने के लिए हिंदी भाषण की उपयुक्त सामग्री (Republic Day Speech Ideas) की यदि आपको भी तलाश है तो समझ लीजिए कि गणतंत्र दिवस पर भाषण (Republic Day speech in Hindi) की आपकी तलाश यहां खत्म होती है। इस राष्ट्रीय पर्व के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक बनाने और उनके ज्ञान को परखने के लिए गणतत्र दिवस पर निबंध (Republic day essay) लिखने का प्रश्न भी परीक्षाओं में पूछा जाता है। इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से Gantantra Diwas par nibandh लिखने में भी मदद मिलेगी। Gantantra Diwas par lekh bhashan तैयार करने में इस लेख में दी गई जानकारी की मदद लें और अच्छा प्रदर्शन करें।
मोबाइल फ़ोन को सेल्युलर फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल आज आधुनिक प्रौद्योगिकी का एक अहम हिस्सा है जिसने दुनिया को एक साथ लाकर हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। मोबाइल हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। मोबाइल में इंटरनेट के इस्तेमाल ने कई कामों को बेहद आसान कर दिया है। मनोरंजन, संचार के साथ रोजमर्रा के कामों में भी इसकी अहम भूमिका हो गई है। इस निबंध में मोबाइल फोन के बारे में बताया गया है।
भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने जनभाषा हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। इस दिन की याद में हर वर्ष 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। वहीं हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए 10 जनवरी को प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) मनाया जाता है। इस लेख में राष्ट्रीय हिंदी दिवस (14 सितंबर) और विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) के बारे में चर्चा की गई है।
मकर संक्रांति का त्योहार यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में 14 जनवरी को मनाया जाता है। इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद पूजा करके दान करते हैं। इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड, चिउड़ा-दही खाने का रिवाज है। प्रयागराज में इस दिन से कुंभ मेला आरंभ होता है। इस लेख में मकर संक्रांति के बारे में बताया गया है।
पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की चर्चा करते समय ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा अक्सर होती है। ग्लोबल वार्मिंग का संबंध वैश्विक तापमान में वृद्धि से है। इसके अनेक कारण हैं। इनमें वनों का लगातार कम होना और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन प्रमुख है। वनों का विस्तार करके और ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण करके हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध- कारण और समाधान में इस विषय पर चर्चा की गई है।
भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। समाचारों में अक्सर भ्रष्टाचार से जुड़े मामले प्रकाश में आते रहते हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। अलग-अलग एजेंसियां भ्रष्टाचार करने वालों पर कार्रवाई करती रहती हैं। फिर भी आम जनता को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है। हालांकि डिजीटल इंडिया की पहल के बाद कई मामलों में पारदर्शिता आई है। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले कम हुए है, समाप्त नहीं हुए हैं। भ्रष्टाचार पर निबंध के माध्यम से आपको इस विषय पर सभी पहलुओं की जानकारी मिलेगी।
समय-समय पर ईश्वरीय शक्ति का एहसास कराने के लिए संत-महापुरुषों का जन्म होता रहा है। गुरु नानक भी ऐसे ही विभूति थे। उन्होंने अपने कार्यों से लोगों को चमत्कृत कर दिया। गुरु नानक की तर्कसम्मत बातों से आम जनमानस उनका मुरीद हो गया। उन्होंने दुनिया को मानवता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। भारत, पाकिस्तान, अरब और अन्य जगहों पर वर्षों तक यात्रा की और लोगों को उपदेश दिए। गुरु नानक जयंती पर निबंध से आपको उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी मिलेगी।
कुत्ता हमारे आसपास रहने वाला जानवर है। सड़कों पर, गलियों में कहीं भी कुत्ते घूमते हुए दिख जाते हैं। शौक से लोग कुत्तों को पालते भी हैं। क्योंकि वे घर की रखवाली में सहायक होते हैं। बच्चों को अक्सर परीक्षा में मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने को कहा जाता है। यह लेख बच्चों को मेरा पालतू कुत्ता विषय पर निबंध लिखने में सहायक होगा।
स्वामी विवेकानंद जी हमारे देश का गौरव हैं। विश्व-पटल पर वास्तविक भारत को उजागर करने का कार्य सबसे पहले किसी ने किया तो वें स्वामी विवेकानंद जी ही थे। उन्होंने ही विश्व को भारतीय मानसिकता, विचार, धर्म, और प्रवृति से परिचित करवाया। स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जानने के लिए आपको इस लेख को पढ़ना चाहिए। यह लेख निश्चित रूप से आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक परिवर्तन करेगा।
हम सभी ने "महिला सशक्तिकरण" या नारी सशक्तिकरण के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने और सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में "महिला सशक्तिकरण"(mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो निश्चित रूप से सभी के लिए सहायक होंगे।
भगत सिंह एक युवा क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए बहुत कम उम्र में ही अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। देश के लिए उनकी भक्ति निर्विवाद है। शहीद भगत सिंह महज 23 साल की उम्र में शहीद हो गए। उन्होंने न केवल भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, बल्कि वह इसे हासिल करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को भी तैयार थे। उनके निधन से पूरे देश में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई। उनके समर्थकों द्वारा उन्हें शहीद के रूप में सम्मानित किया गया था। वह हमेशा हमारे बीच शहीद भगत सिंह के नाम से ही जाने जाएंगे। भगत सिंह के जीवन परिचय के लिए अक्सर छोटी कक्षा के छात्रों को भगत सिंह पर निबंध तैयार करने को कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से आपको भगत सिंह पर निबंध तैयार करने में सहायता मिलेगी।
वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है "संपूर्ण विश्व एक परिवार है"। यह महा उपनिषद् से लिया गया है। वसुधैव कुटुंबकम वह दार्शनिक अवधारणा है जो सार्वभौमिक भाईचारे और सभी प्राणियों के परस्पर संबंध के विचार को पोषित करती है। यह वाक्यांश संदेश देता है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, सभी की गरिमा का ध्यान रखने के साथ ही सबके प्रति दयाभाव रखना चाहिए। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को पोषित करने की आवश्यकता सदैव रही है पर इसकी आवश्यकता इस समय में पहले से कहीं अधिक है। समय की जरूरत को देखते हुए इसके महत्व से भावी नागरिकों को अवगत कराने के लिए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर निबंध या भाषणों का आयोजन भी स्कूलों में किया जाता है। कॅरियर्स360 के द्वारा छात्रों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वसुधैव कुटुंबकम विषय पर यह लेख तैयार किया गया है।
गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। ना सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। ऐसे में विद्यालयों में गाय को लेकर निबंध लिखने का कार्य दिया जाना आम है। गाय के इस निबंध के माध्यम से छात्रों को परीक्षा में पूछे जाने वाले गाय पर निबंध को लिखने में भी सहायता मिलेगी।
क्रिसमस (christmas in hindi) भारत सहित दुनिया भर में मनाए जाने वाले बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। प्रत्येक वर्ष इसे 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस का महत्व समझाने के लिए कई बार स्कूलों में बच्चों को क्रिसमस पर निबंध (christmas in hindi) लिखने का कार्य दिया जाता है। क्रिसमस पर एग्जाम के लिए प्रभावी निबंध तैयार करने का तरीका सीखें।
रक्षाबंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व पूरी तरह से भाई और बहन के रिश्ते को समर्पित त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को कोई तोहफा देने के साथ ही जीवन भर उनके सुख-दुख में उनका साथ देने का वचन देते हैं। इस दिन छोटी बच्चियाँ देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन पर हिंदी में निबंध (essay on rakshabandhan in hindi) आधारित इस लेख से विद्यार्थियों को रक्षाबंधन के त्योहार पर न सिर्फ लेख लिखने में सहायता प्राप्त होगी, बल्कि वे इसकी सहायता से रक्षाबंधन के पर्व का महत्व भी समझ सकेंगे।
होली त्योहार जल्द ही देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला है। होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ हिल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। होली पर हिंदी में निबंध (hindi mein holi par nibandh) को पढ़ने से होली के सभी पहलुओं को जानने में मदद मिलेगी और यदि परीक्षा में holi par hindi mein nibandh लिखने को आया तो अच्छा अंक लाने में भी सहायता मिलेगी।
दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बच्चों को विद्यालयों में दशहरा पर निबंध (Essay in hindi on Dussehra) लिखने को भी कहा जाता है, जिससे उनकी दशहरा के प्रति उत्सुकता बनी रहे और उन्हें दशहरा के बारे पूर्ण जानकारी भी मिले। दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख में हम देखेंगे कि लोग दशहरा कैसे और क्यों मनाते हैं, इसलिए हिंदी में दशहरा पर निबंध (Essay on Dussehra in Hindi) के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।
हमें उम्मीद है कि दीवाली त्योहार पर हिंदी में निबंध उन युवा शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो इस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Diwali Festival) के सार को सही ठहराने के लिए अपनी ओर से एक मामूली प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध से कुछ सीख कर लाभ उठा सकते हैं कि वाक्यों को कैसे तैयार किया जाए, Class 1 से 10 तक के लिए दीपावली पर निबंध हिंदी में तैयार करने के लिए इसके लिंक पर जाएँ।
बाल दिवस पर भाषण (Children's Day Speech In Hindi), बाल दिवस पर हिंदी में निबंध (Children's Day essay In Hindi), बाल दिवस गीत, कविता पाठ, चित्रकला, खेलकूद आदि से जुड़ी प्रतियोगिताएं बाल दिवस के मौके पर आयोजित की जाती हैं। स्कूलों में बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए उपयोगी सामग्री इस लेख में मिलेगी जिसकी मदद से बाल दिवस पर भाषण देने और बाल दिवस के लिए निबंध तैयार करने में मदद मिलेगी। कई बार तो परीक्षाओं में भी बाल दिवस पर लेख लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। इसमें भी यह लेख मददगार होगा।
हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत देश अनेकता में एकता वाला देश है। अपने विविध धर्म, संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ, भारत के लोग सद्भाव, एकता और सौहार्द के साथ रहते हैं। भारत में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं में, हिंदी सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और बोली जाने वाली भाषा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है। हिंदी दिवस पर भाषण के लिए उपयोगी जानकारी इस लेख में मिलेगी।
हिन्दी में कवियों की परम्परा बहुत लम्बी है। हिंदी के महान कवियों ने कालजयी रचनाएं लिखी हैं। हिंदी में निबंध और वाद-विवाद आदि का जितना महत्व है उतना ही महत्व हिंदी कविताओं और कविता-पाठ का भी है। हिंदी दिवस पर विद्यालय या अन्य किसी आयोजन पर हिंदी कविता भी चार चाँद लगाने का काम करेगी। हिंदी दिवस कविता के इस लेख में हम हिंदी भाषा के सम्मान में रचित, हिंदी का महत्व बतलाती विभिन्न कविताओं की जानकारी दी गई है।
15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत 200 सालों के अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ था। यही वजह है कि यह दिन इतिहास में दर्ज हो गया और इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते तो हैं ही और साथ ही इसके बाद वे पूरे देश को लालकिले से संबोधित भी करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री का पूरा भाषण टीवी व रेडियो के माध्यम से पूरे देश में प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा देश भर में इस दिन सभी कार्यालयों में छुट्टी होती है। स्कूल्स व कॉलेज में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस से संबंधित संपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी जो निश्चित तौर पर आपके लिए लेख लिखने में सहायक सिद्ध होगी।
प्रदूषण पृथ्वी पर वर्तमान के उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ और बहुत ही तेजी के साथ किए जाने की जरूरत है।
वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध के ज़रिए हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution) से इस समस्या को जहाँ समझने में आसानी होगी वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पहलुओं के बारे में भी जान सकेंगे। इससे स्कूली विद्यार्थियों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध से परीक्षा में बेहतर स्कोर लाने में मदद मिलेगी।
एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। पृथ्वी ग्रह का बुखार (तापमान) लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, इसे स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर ईमानदारी से काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन पर निबंध के जरिए छात्रों को इस विषय और इससे जुड़ी समस्याओं और समाधान के बारे में जानने को मिलेगा।
हमारी यह पृथ्वी जिस पर हम सभी निवास करते हैं इसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में मानव पर्यावरण पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन के दौरान हुई थी। पहला विश्व पर्यावरण दिवस (Environment Day) 5 जून 1974 को “केवल एक पृथ्वी” (Only One Earth) स्लोगन/थीम के साथ मनाया गया था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भी भाग लिया था। इसी सम्मलेन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी स्थापना की गई थी। इस विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) को मनाने का उद्देश्य विश्व के लोगों के भीतर पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूकता लाना और साथ ही प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करना भी है। इसी विषय पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 1986 को पर्यवरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया तथा 1987 से हर वर्ष पर्यावरण दिवस की मेजबानी करने के लिए अलग-अलग देश को चुना गया।
आज के युग में जब हम अपना अधिकतर समय पढाई पर केंद्रित करने का प्रयास करते नजर आते हैं और साथ ही अपना ज़्यादातर समय ऑनलाइन रह कर व्यतीत करना पसंद करते हैं, ऐसे में हमारे जीवन में खेलों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। खेल हमारे लिए केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु हमारे सर्वांगीण विकास का एक माध्यम भी है। हमारे जीवन में खेल उतना ही जरूरी है, जितना पढाई करना। आज कल के युग में मानव जीवन में शारीरिक कार्य की तुलना में मानसिक कार्य में बढ़ोतरी हुई है और हमारी जीवन शैली भी बदल गई है, हम रात को देर से सोते हैं और साथ ही सुबह देर से उठते हैं। जाहिर है कि यह दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है और इसके साथ ही कार्य या पढाई की वजह से मानसिक तनाव पहले की तुलना में वृद्धि महसूस की जा सकती है। ऐसी स्थिति में जब हमारे जीवन में शारीरिक परिश्रम अधिक नहीं है, तो हमारे जीवन में खेलो का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।
- यूपी बोर्ड कक्षा 10वीं सिलेबस 2024
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हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है’, जैसे-जैसे मानव की आवश्यकता बढती गई, वैसे-वैसे उसने अपनी सुविधा के लिए अविष्कार करना आरंभ किया। विज्ञान से तात्पर्य एक ऐसे व्यवस्थित ज्ञान से है जो विचार, अवलोकन तथा प्रयोगों से प्राप्त किया जाता है, जो कि किसी अध्ययन की प्रकृति या सिद्धांतों की जानकारी प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी किया जाता है, जो तथ्य, सिद्धांत और तरीकों का प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करता है।
शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि सबसे पहली गुरु माँ होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ-साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही बड़ा और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना भी उसी प्रकार का कार्य है, जैसे कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है। इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़को पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थीं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था जिन्होंने 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।
हम उम्मीद करते हैं कि स्कूली छात्रों के लिए तैयार उपयोगी हिंदी में निबंध, भाषण और कविता (Essays, speech and poems for school students) के इस संकलन से निश्चित तौर पर छात्रों को मदद मिलेगी।
- आरबीएसई 12वीं का सिलेबस
- एमपी बोर्ड 10वीं सिलेबस
- एमपी बोर्ड 12वीं सिलेबस
बाल श्रम को बच्चो द्वारा रोजगार के लिए किसी भी प्रकार के कार्य को करने के रूप में परिभाषित किया गया है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालता है और उन्हें मूलभूत शैक्षिक और मनोरंजक जरूरतों तक पहुंच से वंचित करता है। एक बच्चे को आम तौर व्यस्क तब माना जाता है जब वह पंद्रह वर्ष या उससे अधिक का हो जाता है। इस आयु सीमा से कम के बच्चों को किसी भी प्रकार के जबरन रोजगार में संलग्न होने की अनुमति नहीं है। बाल श्रम बच्चों को सामान्य परवरिश का अनुभव करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने और उनके शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा के रूप में देखा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें बाल श्रम या फिर कहें तो बाल मजदूरी पर निबंध।
एपीजे अब्दुल कलाम की गिनती आला दर्जे के वैज्ञानिक होने के साथ ही प्रभावी नेता के तौर पर भी होती है। वह 21वीं सदी के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक हैं। कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, अपने कार्यकाल में समाज को लाभ पहुंचाने वाली कई पहलों की शुरुआत की। मेरा प्रिय नेता विषय पर अक्सर परीक्षा में निबंध लिखने का प्रश्न पूछा जाता है। जानिए कैसे तैयार करें अपने प्रिय नेता: एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध।
हमारे जीवन में बहुत सारे लोग आते हैं। उनमें से कई को भुला दिया जाता है, लेकिन कुछ का हम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। भले ही हमारे कई दोस्त हों, उनमें से कम ही हमारे अच्छे दोस्त होते हैं। कहा भी जाता है कि सौ दोस्तों की भीड़ के मुक़ाबले जीवन में एक सच्चा/अच्छा दोस्त होना काफी है। यह लेख छात्रों को 'मेरे प्रिय मित्र'(My Best Friend Nibandh) पर निबंध तैयार करने में सहायता करेगा।
3 फरवरी, 1879 को भारत के हैदराबाद में एक बंगाली परिवार ने सरोजिनी नायडू का दुनिया में स्वागत किया। उन्होंने कम उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज और गिर्टन, दोनों ही पाठ्यक्रमों में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की। जब वह एक बच्ची थी, तो कुछ भारतीय परिवारों ने अपनी बेटियों को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। हालाँकि, सरोजिनी नायडू के परिवार ने लगातार उदार मूल्यों का समर्थन किया। वह न्याय की लड़ाई में विरोध की प्रभावशीलता पर विश्वास करते हुए बड़ी हुई। सरोजिनी नायडू से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पढ़ें।
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Frequently Asked Question (FAQs)
किसी भी हिंदी निबंध (Essay in hindi) को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- ये हैं- प्रस्तावना या भूमिका, विषय विस्तार और उपसंहार (conclusion)।
हिंदी निबंध लेखन शैली की दृष्टि से मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-
वर्णनात्मक हिंदी निबंध - इस तरह के निबंधों में किसी घटना, वस्तु, स्थान, यात्रा आदि का वर्णन किया जाता है।
विचारात्मक निबंध - इस तरह के निबंधों में मनन-चिंतन की अधिक आवश्यकता होती है।
भावात्मक निबंध - ऐसे निबंध जिनमें भावनाओं को व्यक्त करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।
विषय वस्तु की दृष्टि से भी निबंधों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसी बहुत सी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।
निबंध में समुचित जगहों पर मुहावरे, लोकोक्तियों, सूक्तियों, दोहों, कविता का प्रयोग करके इसे प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। हिंदी निबंध के प्रभावी होने पर न केवल बेहतर अंक मिलेंगी बल्कि असल जीवन में अपनी बात रखने का कौशल भी विकसित होगा।
कुछ उपयोगी विषयों पर हिंदी में निबंध के लिए ऊपर लेख में दिए गए लिंक्स की मदद ली जा सकती है।
निबंध, गद्य विधा की एक लेखन शैली है। हिंदी साहित्य कोष के अनुसार निबंध ‘किसी विषय या वस्तु पर उसके स्वरूप, प्रकृति, गुण-दोष आदि की दृष्टि से लेखक की गद्यात्मक अभिव्यक्ति है।’ एक अन्य परिभाषा में सीमित समय और सीमित शब्दों में क्रमबद्ध विचारों की अभिव्यक्ति को निबंध की संज्ञा दी गई है। इस तरह कह सकते हैं कि मोटे तौर पर किसी विषय पर अपने विचारों को लिखकर की गई अभिव्यक्ति निबंध है।
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nibandh.net एक वेबसाइट (Website) है जो हिंदी निबंध के लिए है। यहाँ आप विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध पढ़ और सिख सकते है जो स्कूलों और कॉलेज विद्यार्थियों को पूछे जाते है। यहाँ आप विभिन्न विषयों पर हिंदी निबंध, निबंध लेखन, पत्र लेखन, कहानी लेखन और वृत्तांत लेखन पढ़ और सिख सकते है जो सभी छात्रों एवं आम नागरिकों के लिए उपयोगी है। इस वेबसाइट पर मैंने व्यवस्थित रूप से सभी प्रकार के निबंध का संग्रह तैयार किया है। यहाँ दिए गए निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और स्नातक के विद्यार्थियों और शिक्षक के लिए उपयोगी है। यहाँ आप सभी तरह के टॉपिक्स (Topics) पर निबंध पढ़ सकते है और निबंध लिखना भी सीख सकते है।
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आइये सबसे पहले हम जान लेते है की निबंध का अर्थ क्या है ? निबंध लेखन क्या होता है ? और इसे पढ़ना (Reading) लिखना (Writing) और सीखना (Learning) क्यों महत्वपूर्ण है।
निबंध (Essay) एक गद्य रचना को कहते हैं जिस में हम किसी भी विषय का वर्णन करते हैं। निबंध’ दो शब्दों से मिलकर बना है- "नि" और "बंध"। जिसका अर्थ है अच्छी तरह बंधी हुई वर्णन करना। निबंध के माध्यम से लेखक किसी भी विषय के बारे में अपने विचारों और भावों को बड़े प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की कोशिश करता है। निबंध लिखना और पढ़ना एक महत्वपूर्ण विषय है सभी के लिए। एक श्रेष्ठ निबंध लेखक को विषय का अच्छा ज्ञान होना चाहिए, उसकी भाषा पर अच्छी पकड़ होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अभिव्यक्ति होती है। इसलिए एक ही विषय पर हमें अलग-अलग तरीकों से लिखे गए निबंध मिलते हैं। इसीलिए निबंधों के इस महत्व को ध्यान में रखते हुए हमने इन निबंधों का संग्रह तैयार किया है ।
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निबंध क्या है❓.
निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है, जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा जाता है.. निबंध के प्रमुख अंग, निबंध की प्रमुख प्रकार, निबंध की प्रमुख विशेषताएं..
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निबंध लिखना हर किसी के लिए जरुरी हो गया है। आज स्कूल हो या कॉलेज, हर जगह हमे निबंध लिखने की कभी ना कभी जरूरत पड़ती है। इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए हमने आपके लिए कही हिंदी निबंध (Hindi Essay) लिखे है। आपको जिस भी विषय से जुड़ा निबंध चाहिए, उसे आपको देने की हमने पूरी कोशिश की है।
हमने class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थीयो को ध्यान में रखकर निबंध लिखे है। इस लेख में हमने 100 से भी अभिक विषयो पर लिखे निबंध की लिस्ट बनाई है, जिसे आप निचे देख सकते है। हमने हमारे वेबसाइट पर लिखे निबंध की कोई विशेष शब्दों की सिमा नहीं रखी है। लेकिन हमने सभी निबंध को points में लिखा है।
जिससे अगर आप सिर्फ 200, 500 या 1000 शब्दों में निबंध लिखना चाहे, तो आप निबंध से अपने मन मुताबिक पॉइंट्स को चुन कर अपने इच्छा के शब्द सिमा का निबंध लिख सकते है। इससे आपको निबंध के शब्द सिमा का चयन और निबंध के विषय से सम्बंधित पॉइंट्स का चयन करने में आसानी होगी।
अगर आपको निचे दिए निबंध के लिस्ट में आपका मनचाहा निबंध नहीं मिले, तो आप हमारे वेबसाइट के search फीचर का इस्तेमाल करके निबंध ढूंढ सकते है।
हिंदी निबंध (Hindi Essays) | List Of 300+ Essays Topics In Hindi
निबंध का अर्थ क्या है?
निबंध को हम बहुत छोटे अर्थ में कहेंगे विचारपूर्ण लेख। जिसका तात्प्रय है की किसी विषय पर गम्भीरता से सोच विचार कर लेखक के मन की सटीक बातो का तालमेल निबंध कहलाता है। निबंध शब्द नि + बंध शब्द से मिलकर बना होता है। जिसका अर्थ है अच्छी तरह से बंधा हुआ।
इसकी भाषा विषय के अनुकूल होती है और अच्छी भाषा के प्रयोग से ही विषय को ओर अधिक रुचिपूर्ण ओर प्रभावशाली बनाया जा सकता है। अच्छी भाषा के प्रयोग से ही अपने भावों, विचारों ओर अपने अनुभव को प्रभावशाली तरीके से पड़ने वाले के दिमाग मे एक अमीठ छाप छोड़ता है।
निबंध की परिभाषा
निबंध गद्ध रचना होती है। किसी भी विषय की एक छोटी सी क्रमबद्ध सरचना को निबंध कहते है। इस परिभाषा से यही सिद्ध होता हैं कि निबंध छोटा और सरल होना चाहिए। निबंध पड़ने में सरल और समझने में आसान होना चाहिए।
अर्थात इसमे जो बात कहि गयी हो, वो विषय से हट कर नहीँ होनी चाहिए और उसमें ना ही बेतुकी बाते लिखी होनी चाहिए, जिसका निबंध से कोई तालमेल नहीँ बैठता।
निबंध के अंग और संरचना
निबंध के मुख्य रूप से तीन महत्वपूर्ण अंग होते है। जिसमे पहला है भूमिका, दूसरा अंग है विस्तार और तीसरा अंग है उपसंहार।
किसी भी निबंध को लिहने से पहले हमे उसके पहले अंग यानि उसकी भूमिका लिखनी होती है। आप इसे प्रस्तावना भी कह सकते है। इसमें सबसे पहले आपको अपने निबंध के विषय पर कुछ जानकारी देनी होती है। भूमिका में आपको निबंध के विषय का परिचय देना होता है। आप जो भी विषय पर निबंध लिख रहे है उसका छोटा सा परिचय आपको इस अंग में देना होगा।
(2) विस्तार
यह किसी भी निबंध को लिखने का दूसरा अंग है। यहाँ आपको निबंध से जुड़े महत्वपूर्ण जानकारी लिखनी है। इस अंग में आपको निबंध के विषय से जुडी बातो को विस्तार से लिखना होता है। जैसे उदहारण के लिए अगर आप प्रदुषण पर निबंध लिखे तो आपको यहाँ उसकी परिभाषा, प्रकार, नुकसान, कारन और उपाय के बारे में लिख सकते है।
(3) उपसंहार
निबंध का आखरी अंग होता है उपसंहार। इसे आप निष्कर्ष भी कह सकते है। इस अंग में आपको अपने विचारो को और निबंध से मिली सिख को लिखना होता है। इस अंग में हम निबंध का अंत करते है। यहाँ आपको अपने विचार कुछ शब्दों में लिखना होता है जो निबंध के विषय को सम्बंधित हो।
निबंध के प्रकार
वर्णात्मक निबंध
- विचरात्मक निबंध
भावात्मक निबंध
साहित्यक निबंध
वस्तुओ और द्र्श्यो के वर्णन को घटनाओ के विवरण से प्रस्तुत समझना चाहिए। घटनाओ का विवरण विवरणात्मक निबंधों में होता है। वर्णात्मक निबंध की भाषा सरल होती है और इसके लिखने की शैली सरल होती है। ऐसे निबंध को पढ़कर उस निबंध की वस्तु, घटना और स्थान आखो के सामने आ जाते है।
उदाहरण :- दीपावली, होली, क्रिसमस, गणतंत्र दिवस की परेड, ताजमहल आदि पर लिखे गए निबंध वर्णात्मक निबंध कहलाते है।
विचारात्मक निबंध
जैसा की नाम से ही ज्ञात हो रहा है की जिस विषय का विचार, चिंतन किया जाता है, उसे विचरात्मक निबंध कहा जाता है। इस प्रकार के निबंध लिखना कठिन होते है।
उदाहरण :- अहिंसा परमो धर्म, विधवा विवाह, राष्टीय एकता, राजनितिक तथा ईश्वर आत्मा जैसे दर्शनिक निबंध जिसको लिखने से पहले हमे कई बार सोचना समझना पड़ता है। ऐसे निबंध को विचारात्मक निबंध कहा जाता है।
भावनात्मक निबंध उसे कहते है, जिसमे अपनी भावनाओ को प्रस्तुत किया जाता है। जैसे वसंतोत्सव, चांदनी रात, बुढ़ापा, बरसात का पहला दिन, मेरे सपनो का भारत आदि इन्हे कलात्मक निबंध भी कहते है। जो कल्पना के सरोकार रहे ओर जिसमे विषय से समन्धित भावनाओ का समावेश होता हैं।
उदाहरण :- यदि में प्रधान मंत्री होता हैं, नदी की आत्मकथा ये सभी भावनात्मक निबंध है।
इसमे बुद्धि तत्व की अपेक्षा भाव पक्ष का महत्व अधिक होता है। क्योंकि इसका सम्बन्ध भावना अर्थात हमारे ह्रदय से होता है। इसमे तीन प्रकार कि शैलियों का उपयोग किया जाता है।धारा शैली, तरंग शैली, विशेष शैली।
धारा शैली में भावों की धारा प्रवाह रहती है। तरंग शैली में भाव लहराते प्रतीत होते है ओर विशेष शैली में साहित्य कुछ उखड़े उखड़े रहते है। जिस प्रकार मुंशी प्रेमचंद और तुलसीदासजी की लेखन शैली इसी प्रकार की है।
निबंध के फायदे (लाभ)
कोई भी व्यक्ति अपनी बातों को ओर अपने विचारों को मौखिक या लिखत रूप में ही सबके सामने पेश करता हैं। जिस बात को बोलकर अभिव्यक्त करते हैं उसे मौखिक अभिव्यक्ति कहते हैं। जबकि अपने विचारों को लिखकर व्यक्त करने की कला को लेखन कौशल कहा जाता है।
इन्ही कला की बजह से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है। ये जरूरी नहीं होता कि कोई व्यक्ति मौखिक अभिव्यक्ति में माहिर हो। क्योंकि एक वक्ता भी बहुत अच्छा लेखक हो सकता है। इसलिए निबंध एक तरह से वो कला है, जिसमे व्यक्ति लिखित ओर मौखिक दोनों ही रूप में माहिर हो सकता है।
बस इससे बोलना ओर समझना दोनों में ही वक्ता की काबलियत झलकती है। इसलिए ये जरूरी नही की एक लेखक अच्छा वक्ता भी हो, यह कोई जरूरी नही है मगर सामान्य तौर पर एक व्यक्ति से यही अपेक्षा की जाती है कि वो भले ही एक अच्छा वक्ता या लेखक ना हो, पर मौखिक ही नहीं अपितु लिखित रूप में भी अपने विचारो को अभिव्यक्त कर सके।
निबंध को लिखने से किसी भी व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव, सोच और भावना का पता लगाया जा सकता है। बल्कि साथ साथ उनके लेखन कौशल के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है।इस प्रकार निबंध लिखने से निबंध लिखने वाले के व्यक्तित्व के बारे में पता कर सकते है।
क्योंकि लिखने वाले कि शैली में ही उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगाना कोई बड़ी बात नहीं है। निबंध से ज्ञान तो बढ़ता ही है। साथ ही निबंध स्कूल, प्रतियोगिता परीक्षा, आदि में बहुत काम आता है। निबंध तो विद्यार्थी की परीक्षा में मूल्यांकन करने में काफी मद्त करता है।
निबंध से व्यक्ति को एक ही विषय की सभी जानकारी उस निबंध में मिल जाती है। उसे इधर-उधर उस विषय की खोज करने की जरूरत नहीं पड़ती। निबंध समझने में भी सरल होता है, क्योंकि उसकी भाषा सरल और सामान्य होती है।
एक अच्छे निबंध की विशेषता
एक अच्छे निबंध में निम्नलिखित विशेषता होनी चाहिए।
- निबंध सरल और सुबोध होना चाहिए, जो आसानी से समझ आये ऐसी भाषा मे होना चाहिए।
- निबंध की भाषा विषय के अनुकूल होनी चाहिए।
- विचारों में परस्पर समानता होनी चाहिए।
- विषय से सम्बंधित सभी पहलुओं पर चर्चा होनी चाहिए।
- निबंध की वर्तनी शुद्ध होनी चाहिए तथा उनमें विराम चिन्हों का ध्यान रखना चाहिए।
- निबंध में शब्दसीमा का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए।
- निबंध का जो अंतिम अनुच्छेद हो, उसमे निबंध के सभी बातों का सारांश होना चाहिए।
- निबंध बहुत अधिक बड़ा नहीँ होंना चाहिए।
- निबंध लिखने वाले लेखक का व्यक्तिव प्रतिफल होना चाहिए।
- प्रत्येक निबंध एक धारा में होना चाहिए। अतः निबंध का एक अच्छा और निश्चित परिणाम होना चाहिए।
प्रमुख हिंदी निबंधकार
- भरतेन्दु हरिश्चन्द्र
- बालकृष्ण भट्ट
- प्रतापनारायण मिश्र
- सरदार पुर्ण सिंह
- बालमुकुंद गुप्त
इस प्रकार अन्य बहुत से निबंधकार है, जिनकी निबंध कला अविश्वशनिय है। जिसे पड़ कर मन उनके विषय की सम्पूर्ण जानकारी लेने के लिए बाध्य हो जाता है।
इस प्रकार हम देखते है कि निबन्धकला अत्यधिक अविश्वसनीय कला हैं। जिसकी जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को नहीँ होती। इसके जानकार अपने बौद्धिक ज्ञान की झलक एक निबंध में दिखा देते है, जो एक विषय मे सम्पूर्ण ज्ञान देते है।
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- अच्छी माँ पर निबंध
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- धर्मनिरपेक्षता पर निबंध
- हमारे जीवन में वृक्षों का महत्व पर निबंध
- सिटी लाइफ बनाम विलेज लाइफ पर निबंध
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- प्रकृति का संरक्षण पर निबंध
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- भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध
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- एड्स पर निबंध
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- सेल्फ डिसिप्लिन पर निबंध
- आतंक पर निबंध
- वैश्विक आतंकवाद पर निबंध
- जैव विविधता का संरक्षण पर निबंध
- अम्ल वर्षा पर निबंध
- समाचार पत्र और इसके उपयोग पर निबंध
- विश्व स्वास्थ्य दिवस पर निबंध
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर निबंध
- परिवार के साथ एक पिकनिक पर निबंध
- भारतीय विरासत पर निबंध
- भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध
- बाल मन का पिता है पर निबंध
- पढ़ना अच्छी आदत है पर निबंध
- प्लास्टिक का थैला पर निबंध
- भारत में आतंकवाद पर निबंध
- लाइब्रेरी और इसके उपयोग पर निबंध
- मंगल पर जीवन पर निबंध
- शहरीकरण पर निबंध
- दिवाली के कारण प्रदूषण पर निबंध
- भारत का राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध
- व्यावसायिक शिक्षा पर निबंध
- वृक्षारोपण का महत्व पर निबंध
- मोटापा पर निबंध
- ग्रीष्म शिविर पर निबंध
- वाहन का प्रदूषण पर निबंध
- भारत में महिला शिक्षा पर निबंध
- भारत में मौसम पर निबंध
- प्रेस की आज़ादी पर निबंध
- रिश्वत पर निबंध
- यातायात में सड़क पर चालकों द्वारा हिंसक रोष व्यक्त करना पर निबंध
- जाति व्यवस्था पर निबंध
- पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध
- पर्वतारोहण पर निबंध
- प्राकृतिक संसाधनों की कमी पर निबंध
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर पर निबंध
- स्वास्थ्य शिक्षा पर निबंध
- वनों की कटाई के प्रभाव पर निबंध
- स्कूल के बाद का जीवन पर निबंध
- भारत में भुखमरी पर निबंध
- Jan Dhan Yojana पर निबंध
- निजीकरण का प्रभाव पर निबंध
- लत पर निबंध
- भारत चुनाव आयोग पर निबंध
- चुनाव और लोकतंत्र पर निबंध
- ग्लोबल वार्मिंग की रोकथाम पर निबंध
- जीवन में सिनेमा का प्रभाव पर निबंध
- सुभास चंद्र बोस पर निबंध
- दहेज प्रथा पर निबंध
- गणेश चतुर्थी महोत्सव पर निबंध
- भारत बनाने में विज्ञान की भूमिका पर निबंध
- महासागरों पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव पर निबंध
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एक उत्तम निबंध कैसे लिखें.
Last Updated: May 9, 2017 By Gopal Mishra 11 Comments
निबंध कैसे लिखें?
How to write an essay in hindi.
निबंध लिखने का तरीका समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कि “निबंध क्या है?” और उसके तत्त्व कौन से हैं व सफल निबन्ध की कसौटी क्या है? तत्पश्चात ही उच्च गुणवत्ता का निबन्ध लेखन किया जा सकता है।
निबंध क्या है?
हिंदी के प्रमुख साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबन्ध को परिभाषित करते हुए कहा है-
निबन्ध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।
उपरोक्त परिभाषा से दो तथ्य तो स्पष्ट हो जाते हैं कि निबन्ध लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप ही होना चाहिए और निबन्ध का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात निबन्ध लेखक के व्यक्तित्त्व को, उसके मानसिक चिन्तन को शत-प्रतिशत उजागर करता हो। यानी निबंध ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए।
यानि हम कह सकते हैं कि-
निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है।
इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा सम स्वच्छन्दता से बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे- यह अत्यन्त आवश्यक है। ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी निबंध की प्रथम और अंतिम कसौटी है।
कुछ अन्य बातों की ओर भी निबन्ध लेखक का ध्यान हो, जैसे-
- पाठक को निबन्ध पढ़ते हुए सहभागिता का अनुभव हो
- लेखक के विचार पाठक को सरलता से समझ आने चाहियें
- जहाँ तक संभव हो लेखक के अनुभव पाठक को आप-बीते अनुभव हों
वस्तुतः किसी भी निबन्ध की सफलता इसी तथ्य पर निर्भर करती है कि पाठक उससे कितनी आत्मीयता अनुभव करते हैं।
निबन्ध कैसे लिखें?
मूलतः हमारा विषय यह था कि “ निबन्ध कैसे लिखें “। एक आप-बीती बताती हूँ -शिक्षण जगत में प्रवेश किया ही था कि एक निराश कर देने वाला अनुभव हुआ। परीक्षा के पश्चात एक विद्यार्थी से परीक्षा संबंधित वार्तालाप करते हुए कहा,” निबन्ध छोड़ आया क्योंकि याद किया हुआ नहीं आया।” मैं अचंभित होते हुए उससे पूछ बैठी,” निबन्ध को भी याद करना होता है क्या?” उसने कोई उत्तर नही दिया।
काफी विचार-मंथन के पश्चात मुझे सम्पूर्ण शिक्षण-प्रक्रिया में यह खामी नज़र आयी कि हम शायद यह समझ ही नहीं पाए थे कि पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन क्यों जोड़ा गया है। कक्षा में छात्रों का वाद-विवाद होने पर प्रायः यह कहा करती थी कि अगर अपने विचारों को स्पष्ट नहीं कर पा रहे और विवाद का हल हिंसा में खोजते हो तो सारी शिक्षण – व्यवस्था ही असफल है।विचारों को उचित तरीके से स्पष्ट कर पाने की कला को सीखना ही निबन्ध-लेखन का मूल मंतव्य है।
मित्रों, निबंध कैसे लिखें समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि-
पाठ्यक्रम में निबन्ध – लेखन को क्यों समाहित किया गया :
1. विद्यार्थी अपने विचारों को एकत्र करना सीख पाए। 2. विचारों को संतुलित तरीके से व्यक्त कर पाएं। 3. भाषा को उपयुक्त रूप से प्रयोग करना सीख पाएं। 4. किसी भी विषय पर छात्रों के स्वयं के विचार हों। 5. उनका वैचारिक स्तर निश्चित हो सके। 6. संवेदनात्मक व वैचारिक स्तर पर परिपक्व हो सके। 7. वे अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दे पाए। 8. अपने विचारों को दृढ़ता से रखना सीख सके। 9. आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके। 10.रटन्तू तोता न बन विचारशील प्राणी बन सके।
अब प्रश्न यह उठता है कि निबन्ध किस प्रकार लिखे जाने चाहियें।
निबन्ध लिखते हुए छात्रों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए-
1) निबंध के विषय पर अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करें, इसके लिए आप इन्टरनेट और पुस्कालयों की मदद ले सकते हैं। आप अपने शिक्षक से भी विषय सम्बंधित किताबों या लेखों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यदि आप किसी परिभाषा या वक्तव्य को प्रयोग करना चाहते हैं तो उसे लिख लें और उसका स्रोत भी नोट कर लें। विशेषकर आपकी सोच को बल देती महापुरुषों की उक्तियाँ अवश्य लिख कर याद कर लें।
ध्यान रहे कि अध्यन करने के पीछे का उद्देश्य चीजों को रटना नहीं बल्कि अपने ज्ञान को बढ़ाना और अपनी एक सोच विकसित करना है।
2) पहले से लिखे उत्कृष्ट निबंधों का अध्यन करें। ऐसा करते हुए आपको एक अच्छे निबन्ध के प्रारूप को समझना है। यहाँ यह भी ज़रूरी नहीं कि आप उसी विषय पर निबंध पढ़ें जिसपर आपको खुद लिखना है, आप किसी भी विषय पर लिखा अच्छा निबंध पढ़कर अपना लेखन सुधार सकते हैं।
3) अपने विषय को लेकर आपने जो विचार बनाए हैं उसकी अपने मित्रों या परिवारजनों से चर्चा करें। चर्चा से निकले प्रमुख बिन्दुओं को नोट कर लें और सही हो तो उनका निबंध में प्रयोग करें।
4) निबन्ध लिखने से पहले उसकी एक रूपरेखा बना लें: आरम्भ, मध्य व अंत मे क्या-क्या लिखना है सोच लें और किसी अन्य पेज पर बुलेट पॉइंट्स में लिख लें।
5) निबंध की भाषा सरल व स्पष्ट हो।
6) लेखन शुद्ध , त्रुटि रहित हो।
7) रटा-रटाया न होकर मौलिक विषय-वस्तु हो।
8) अपने अनुभवों पर आधारित हो।
9) हर तथ्य क्रम में हो मसलन समस्या का अर्थ, कारण, दूर करने के उपाय ओर अंत मे उपसंहार-सभी बातें उचित क्रम में हों।
10) अनावश्यक विस्तार से बचें।
11) तथ्यों की पुनरावृत्ति न करें .
12) शीर्षक व उपशीर्षक को रेखांकित करें।
13) विषय से संबंधित किसी प्रसिद्ध कवि या महा-पुरुष की कोई उक्ति स्मृति में हो तो उसे अवश्य लिखें।
14) अंत मे दोबारा पढ़ कर उसमें आवश्यक सुधार करें और वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।
इन तथ्यों को ध्यान में रखकर विद्यार्थी निबन्ध-लेखन में शत-प्रतिशत अंक ला सकता है। निबन्ध- लेखन सागर के समान गहरा अवश्य है पर उसमे उतरेंगे तो सफलता रूपी मोती अवश्य ही पाएंगे।
लेखिका हिंदी प्रवक्ता
निबंध लेखन की कला सिखाते इस लेख के लिए हम नीरू ‘शिवम’ जी के आभारी हैं। धन्यवाद!
AchhiKhabar.Com पर प्रकाशित निबंधों की सूची यहाँ देखें
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- हर एक शिक्षक को नमन हर एक शिष्य को आभार
November 27, 2022 at 8:30 pm
Didi thank you so much ?
August 3, 2021 at 4:51 pm
दीदी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपके लेख को पढ़कर काफी प्रेरणा मिली कल मेरा शिक्षाशास्त्र परास्नातक द्वितीय वर्ष पंचम प्रश्नपत्र है आशीर्वाद दीजिएगा
November 14, 2018 at 11:50 pm
Kya nibandh mE subject related diagram (chitra) banaya ja sakta h
November 15, 2018 at 8:49 am
नहीं. लेकिन आप इन्फोग्रफिक या टेबल जैसा कुछ बना सकते हैं जिसमे निबंध से सम्बंधित बातें शोर्ट में बतायी गयी हों.
March 8, 2018 at 10:36 pm
Aapne jo bhi baatein kahin hai wo hum jarur dhayan me rakhenge and thanks for your tips ma’am.
February 25, 2018 at 12:00 am
Thanks for the tips ma’am…but I request to you ki hum log 3rd class k bacchho ko nibandh dikhana kaise sikhaye samay ki kami k Karan unless pass school books k bad time nahi hota…. please help
December 28, 2017 at 7:49 pm
Very very thankful sir….
May 18, 2017 at 10:06 pm
बहुत बढ़िया आर्टिकल स्टूडेंट के लिए बहुत ही फायदेमंद, निबंध से परीक्षा में अच्छे मार्क्स पाने का अवसर होता हैं.
May 11, 2017 at 3:10 pm
Thanks for this Post sir….
May 10, 2017 at 6:29 pm
Nice article… Sahi kaha aapne apne vicharon ko sahi tarah se spasht karne ki kala ko sikhna hi nibandh hai. Is article se sabhi students ko nibandh likhne me zarur laabh milega.
May 10, 2017 at 2:46 am
परीक्षा में अच्छे अंक पाने में निबंध का अहम योगदान होता है और इसके लिए सभी students मेहनत भी करते है लेकिन फिर भी सबका रिजल्ट भिन्न होता है । नीरू जी आपके द्वारा बताएं गए टिप्स से यकीनन Students को बहुत मदद मिलेगी ।
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ESSAY KI DUNIYA
HINDI ESSAYS & TOPICS
Essay in Hindi Language – निबंध
December 12, 2017 by essaykiduniya
Essay in Hindi – These Hindi essays are for Nursery Class, Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12. We provide various types of essay in Hindi such as education, speech, science and technology, India, festival, national day, environmental issues, social issues, social awareness, ethical values, nature and health etc in 100, 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000, 1100, 1200, 1300, 1400, 1500 and 1600 words.
ये हिंदी निबंध नर्सरी कक्षा से कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के लिए हैं। हम शिक्षा, भाषण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, एनीमा, भारत, त्योहार, राष्ट्रीय दिवस, पर्यावरण मुद्दों, सामाजिक मुद्दे, सामाजिक जागरूकता, नैतिक मूल्यों, प्रकृति और स्वास्थ्य आदि जैसे विभिन्न प्रकार के निबंधों को हिंदी में प्रदान करते हैं।
हर कोई इन निबंध को आसानी से समझ सकता है क्योंकि हमने इनमें बहुत सरल और आसान शब्दों का इस्तेमाल किया है। । ये किसी छात्र द्वारा आसानी से समझे जा सकते है| ऐसे निबंध छात्रों को भारतीय संस्कृति, विरासत, स्मारकों, प्रसिद्ध स्थानों, शिक्षकों, माताओं, पशुओं, पारंपरिक त्योहारों, घटनाओं, अवसरों, प्रसिद्ध व्यक्तित्वों, किंवदंतियों, सामाजिक मुद्दों और इतने सारे अन्य विषयों के बारे में जानने में मदद और प्रेरित कर सकते हैं। हमने बहुत विशिष्ट और सामान्य विषय निबंध प्रदान किए हैं।
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Moral Stories in Hindi | 100 प्रेरणादायक कहानियां
100 moral stories in hindi.
प्रेरणादायक कहानियां सुनना बच्चों का प्राकृतिक शौक है और बड़े-बूढ़ो, दादा-दादी, नाना-नानी द्वारा बच्चों को कहानी सुनाना उनका प्रेम और वात्सल्य। Moral Stories in Hindi इस संकलन में पिरोई गई प्रेरणादायक कहानियां बच्चों के लिए मनभावना होने के साथ उनके ज्ञान के विकास में पूरी तरह सहायक है, प्रत्येक Moral Story के अंत में कहानी से मिलने वाली शिक्षा ( Moral Value) को बताया गया है, पेश है 100 सबसे बेहतरीन प्रेरणादायक कहानियां हिंदी में (100 Moral Stories in Hindi )-
Moral Stories in Hindi
1. आज ही क्यों नहीं ? – हिंदी कहानी – Moral Story In Hindi
2. भला आदमी – हिंदी कहानी – Hindi Moral Story – Hindi Kahani
3. लालची राजा | हिंदी कहानी | Kahani Hindi | Moral Story
4. बिना विचारे काम मत करो – कहानी – Moral Stories in Hindi
5. दया का फल | हिंदी कहानी | Hindi Moral Story | Hindi Kahani
6. पिता और पुत्र | हिंदी कहानी | Moral Stories | Hindi Kahani
7. ईश्वर सब कहीं है | हिंदी कहानी | Moral Story | Kahani in Hindi
8. स्वर्ग के दर्शन | Hindi Kahani | Moral Stories For Students
9. Moral Stories For Students | सबसे बड़ा पुण्यात्मा | हिंदी कहानी
10. मेल की शक्ति – हिंदी कहानी – Short Moral Stories For Kids
11. वैद्यजी भगाये गये | हिंदी कहानी | Short Stories in Hindi
12. Moral Stories | दो टट्ट | हिंदी में पंचतंत्र की कहानी
13. Short Stories in Hindi – सच्ची जीत – Hindi Kahani
14. मूर्खराज – Moral Stories in Hindi – Moral Story
15. जाओ और आओ – Kahani Hindi – हिंदी कहानी – Moral Story
16. Moral Stories for Kids – खरगोश और मेंढक – हिंदी में कहानी
17. Short Moral Stories for Kids – हिंदी कहानियां – Moral Story
18. Hindi Kahaniya – हिंदी कहानियां – Moral Stories for Students
19. अतिथि सत्कार – Hindi Moral Story – हिंदी में कहानी
20. सारस की शिक्षा – Moral Story for Kids Hindi – हिंदी में कहानी
21. Short Stories With Moral – हिंदी कहानी – Moral Stories
22. Short Moral Story Hindi – सच्चे हिरण – हिंदी में कहानी
23. Moral Stories in hindi – दूसरों का भरोसा मत करो – हिंदी कहानी
24. Hindi Moral Stories for Students – मिथ्या गर्व का परिणाम
25. सच्चा परिश्रम – Moral Story For Students – हिंदी कहानी
Best Collection of Moral Stories in Hindi
26. लालची न्यायधीश – Kahani Hindi – हिंदी कहानी – Moral Stories
27. धिनु जुलाहा – Hindi Moral Story For Kids – हिंदी कहानी
28. Hindi Story For Kids – चतुर लोमड़ी – Moral Story Hindi
29. चालाक बुढ़िया – Moral Stories in Hindi
30. पौदनिया चोर – Best Moral Story Hindi – Hindi Kahani
31. Best Moral Story in Hindi – कर्मों का फल – Moral Story
32. आन की बात – Moral Stories in Hindi – हिंदी कहानी
33. सल्लू और मल्लू – Moral Kahani Hindi – हिंदी कहानी
34. Hindi Kahani With Moral – कंजूस राजा – हिंदी कहानी
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36. New Hindi Moral Story – चोर को मिला चोर – हिंदी कहानी
37. New Stories Hindi – साधु की शिक्षा – मोरल कहानी
38. Moral Stories in Hindi – लल्लू राम – हिंदी में कहानी
39. भाग्य और राजा – Hindi Moral Stories – हिंदी कहानी
40. Moral Kahani Hindi – लालच का फल – हिंदी कहानी
41. Hindi Story For Students – सुनहरा पक्षी – Hindi Kahani
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43. Short Moral Story Hindi – सच्चा न्याय – New Hindi Kahani
44. Kahani Hindi – किसान और ठग – Hindi Kahani
45. Hindi Kahaniya – भाइयों का झगड़ा – Moral Hindi Kahani
46. Moral Hindi Story – जानवर,देवता तथा दानव – Hindi Kahani
47. Moral Kahani Hindi – गीदड़ और कुत्ते – Hindi Moral Story
48. Moral Hindi Kahani – होई माता – Moral Story in Hindi
49. Funny Story Hindi – टपके का डर – Funny Hindi Story
50. Moral Hindi Kahani – सोने का घड़ा – Hindi Moral Story
Short Moral Stories in Hindi For Kids
100 प्रेरणादायक कहानियां हिंदी में
51. Moral Kahani Hindi – बेईमानी का फल – Moral Story
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56. New Moral Hindi Kahani – चतुरमल की चतुराई – Hindi Kahani
57. Short Hindi Story With Moral – नकली राजा – Hindi Story
58. New Kahani in Hindi – साहसी सिंदबाद – Kahani in Hindi
59. Moral Hindi Khanai – लालच का पिशाच – Hindi Kahani
60. Kahaniya in Hindi – अहंकार का सिर नीचा – Kahaniya
61. A story in Hindi – राजा का न्याय – Story in Hindi
62. Story for Kids in Hindi – सच्ची मित्रता – Story for Kids in Hindi
63. Hindi Moral Story – बुद्धिमान चूहा – Stories For Kids
64. Hindi Moral Stories – अक्षय लोक – Moral Stories
65. Stories For Kids – एक अनार दो बीमार – Short Stories For Kids
66. Moral Stories – झूठा अहंकार – Moral Stories For Kids
67. Hindi Moral Stories – संतोष – Moral Stories
68. Moral Stories for Kids – कड़वा वचन – Hindi Moral Stories
69. Hindi Moral Stories – अपना दुख – Hindi Stories with Moral
70. Hindi Story for Kids – अभिमान – Story For Kids
71. Kids Story in Hindi – तेजस्वी राजा – Best Story Collection
72. Story For Kids in Hindi – होनहार बच्चा – Hindi Moral Stories
73. New Moral Story- जाग उठा परोपकर – Moral Stories
74. Hindi Stories With Moral – प्रभु भक्ति – Hindi Stories
75. Moral Stories in For Class 8 – जादुई परियां
Short Kids Stories with Moral Values
Kids Moral Stories Collection
76. Short Stories in Hindi – कंजूस और साधु
77. Short Hindi Stories With Moral Values – देवश्री नारद
78. Short Moral Stories in Hindi – मेहनत की कमाई
79. New Moral Stories in Hindi – पांडित्य की खोज
80. Hindi Stories For Kids – समझदारी – Hindi Stories
81. Short Moral Stories in Hindi For Kids – सिपाही धनपतराय
82. Short Moral Stories – पैसे का जादू – Kahaniyan
83. Moral Stories For Children’s – कल का भुला – हिंदी कहानी
84. Panchatantra Story in Hindi – कोमल चूहा – कहानी
85. Moral Stories in Hindi – छोटा कद – कहानी
86. Panchatantra Story in Hindi With Moral Values
87. Short Stories With Moral – अकल बड़ी या भैंस
88. Story in Hindi With Moral – बुद्धिमान कौन?
89. Hindi Panchatantra Stories – बुरी संगत का परिणाम
90. New Moral Story Hindi – घड़ी की सुइयां – कहानी
91. New Moral Stories in Hindi – बहु की होशियारी – कहानी
92. Inspirational Moral Stories – प्रेरणादायक नैतिक कहानियाँ
93. दो गीदङ भाई Story – नई मोरल हिंदी कहानी
94. पैसा बोलता है Hindi Story – Hindi Moral Kahani
95. घमण्ड का सिर निचा – शिक्षाप्रद कहानी हिंदी में
96. बुद्धिमानी Moral Story – शिक्षाप्रद कहानी हिंदी में
97. 5 Best Hindi Moral Story: बच्चों के लिए कहानियाँ
98. पाप या पुण्य कहानी – बच्चों की हिंदी में कहानी
99. घण्टे वाला प्रेत कहानी – मज़ेदार कहानी हिंदी में
100. New Moral Stories in Hindi Collection
Short Moral Stories in Hindi With Values
मूर्ख स्वामी
Short Moral Stories in Hindi
एक गाँव में नन्दू नामक एक धोबी रहता था। उसके पास एक गधा और एक कुत्ता था।
एक दिन धोबी के घर में तीन चोर घुस गये। धोबी खरटेि भर रहा था, अन्य घरवाले भी गहरी नींद में सोए हुए थे। यह देखकर चोरों ने अवसर का लाभ उठाना उचित समझा। उन्होंने घर की सभी कीमती वस्तुएँ इकट्ठी कर लीं। और जाने लगे।
गधा और कुत्ता यह सब देख रहे थे। गधे के मन में स्वामी के प्रति कर्तव्य भावना जाग उठीं। उसने कुछ कहने के लिए कुत्ते की ओर देखा।
कुत्ता चुपचाप आंखें मुदे पड़ा था । गधे को उसकी यह बात बहुत बुरी लगी। उसने कुत्ते से कहा।
“अरे भैय्या! यह सब देखकर भी तू खामोश है, तेरे मालिक का घर लुट रहा है और तू आँखें मूंद कर लेटा है, कैसा नौकर है तू, तेरे मन में मालिक के प्रति जरा भी कर्तव्यपरायणता नहीं है, तेरी जाति तो वफादारी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।”
गधे ने कुत्ते की सोई आत्मा को जगाने की कोशिश की।
पर कुत्ते पर कोई असर ना हुआ, वह शान्त भाव में बोला-“मुझे क्या आवश्यकता पड़ी है जो कि मैं भौंक-भौंक कर अपना गला खराब करूँ, यदि घर लुट रहा है तो लुटने दो। आराम से सो जाओ।”
कुत्ते की इस बात पर गधे का मन उसके प्रति ग्लानि महसूस करने लगा,
वह कुत्ते को उसकी हीनता का एहसास कराते हुए बोला-“अरे कुत्ते! तू इतना नीच कब से हो गया तूने तो अपनी जाति का नाम ही डुबो दिया ।”
“ओ गधे भय्या! तुझे क्या पता मैंने इस धोबी का कितना साथ दिया है और इसने मुझे क्या दिया, दो टुकड़े रोटी के, वो भी सूखे हुए अगर तुझे इससे इतनी हमदर्दी है तो तू ही जगा दे इसे, मैं तो सो रहा हूँ।” कहकर कुत्ते ने आंखें मुंद लीं।
गधा उसके इस व्यवहार पर झल्ला उठा। उसने स्वामी के माल की रक्षा हेतु स्वयं ही रम्भाना आरम्भ कर दिया।
गधे की रम्भाहट सुनकर धोबी गुस्से में भरकर उठा, और लाठी लेकर गधे पर पिल पड़ा।
गधा बेचारा पिटते-पिटते अधमरा हो गया तो धोबी फिर जाकर सो गया।
इधर माल चोर लेकर रफूचक्कर हो गये थे। धोबी के जाने के बाद कुत्ते ने धीरे से आंखें खोलीं। एक नजर अधमरे गधे पर डाली फिर धीरे से बोला-“आया मज़ा, स्वामी की सेवा करने की इतनी अच्छी मेवा किसी और को मिलते मैंने आज तक नहीं देखी।”
कुत्ते की बात सुनकर गधे का सिर नीचा हो गया।
परमात्मा अच्छा ही करता है
Moral Stories in Hindi For Childrens
एक राजा था। उस राजा का भगवान् से भरोसा उठने लगा। राजा का एक मन्त्री था। उस मन्त्री का भगवान् पर इतना अटूट भरोसा करता था कि जब भी कोई अच्छी या बुरी बात होती मन्त्री यही कहता “भगवान् जो करता है, अच्छा ही करता है।” यों समझिए कि यह वाक्य मन्त्री का तकिया कलाम बन गया।
एक दिन राजा की उंगली कट गई। पट्टी बाँधी गई, दवा लगाई गई, पर राजा की दर्द के मारे जान निकली जा रही थी। सारे मन्त्री राजा का हालचाल पूछने के लिए गए। सबको राजा की उंगली कटने का दुःख हुआ। सबने अफसोस जाहिर किया। लेकिन उस मन्त्री ने यही कहा-“भगवान् जो करता है, अच्छे के लिए करता है।”
राजा की गुस्सा आ गया पर वह गुस्सा पीकर ही रह गया। राजा ने मन्त्री को मजा चखाने की ठान ली।
कुछ दिन बीते । एक दिन राजा ने जंगल में शिकार खेलने की योजना बनाई। उस मन्त्री को भी साथ चलने को कहा।
दोनों घोड़ों पर सवार हुए और जंगल की ओर चल दिए।
रास्ते में एक कुआं मिला। दोनों प्यासे थे। दोनों ने झाँककर देखा। कुआं सूखा था। राजा ने मौका पाकर मन्त्री को सूखे कुएँ में ढकेल दिया और फिर पूछा-“कहो मन्त्री जी कैसी रही?”
मन्त्री कुएँ के अन्दर से बोला-“भगवान जो करता है, अच्छे के लिए करता है।”
“तो अब यहीं कुएँ में मर और अपने भगवान् की माला जप, मैं तो चला ।”
यह कहकर राजा घोड़े पर सवार होकर राजमहल की ओर लौटने लगा। अभी कुछ ही दूर आगे चला होगा कि उसे तीर-भालों से लैस लुखार आदिवासियों ने घेरकरे रस्सियों से बाँध डाला। मोटे-तगड़े राजा को पाकर सब नाचने गाने लगे। असल में वे अपनी वन देवी के आगे बलि चढ़ाने के लिए एक तगड़े आदमी को खोज रहे थे। उन्हें तो गहनों वस्त्रों से सजा राजा मिल गया।
वे सब राजा को बलि की जगह पर ल गए। पुरोहित ने राजा के शरीर को बारीकी से परखा। राजा डर के मारे पसीने-पसीने होकर काँप रहा था। जल्लाद तलवार लेकर उस राजा के सामने खड़े हो गये थे।
पुरोहित की नजर उस राजा की कटी हुई उंगली पर गयी और वह चिल्लाया-“वन देवी को इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती। इसकी उंगली कटी हुई है। देवी को खंडित शरीर की बलि नहीं चाहिए ।”
उन आदिवासियों ने राजा को छोड़ दिया। राजा ने भगवान् को याद किया और धन्यवाद किया और मन-ही-मन सोचा-“मन्त्री ठीक कहता था। मैंने उस बेकसूर को नाहक कुएं में धकेला।”
राजा घोड़े पर सवार होकर कुएं के पास पहुँचा। अपनी पगड़ी की रस्सी बनाई और कुएँ में लटकाकर मन्त्री को बाहर निकाल लिया। अपनी गलती के लिए माफी माँगी।
लेकिन उसने यह फिर भी पूछा-“मेरी उंगली कटी हुई थी, इसलिए मुझे बचाकर भगवान् ने अच्छा किया। मगर तुम्हें अंधे कुएं में फेंकने की मुझे जो भगवान् ने सजा दी, उसमें क्या अच्छाई थी?”
मन्त्री खुश होकर बोला-“महाराज! मैं आपके साथ होता तो मेरी उस वन देवी को बलि चढ़ गई होती। आप तो उंगली कट जाने से बच गए, लेकिन मैं कैसे बचता?”
“भगवान् जो करता है अच्छा ही करता है।”
भगवान् न्याय करता है। अन्याय नहीं करता। वह जो भी करता है, अच्छा ही करता है।
ईनाम में मिली राजकुमारी
New Moral Stories in Hindi
किसी नगर में सत्यार्थ नामक एक विद्यार्थी अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पिता साहूकारी करते थे। विद्यार्थी बहुत ईमानदार और कर्तव्यपरायण था। उनके घर में लक्ष्मी विराज रही थी। हर ओर खुशहाली का साम्राज्य था।
मगर शायद ईश्वर को यह बात पसन्द नां आई कि वो लोग आराम चैन से जीवन गुजारें। एक दिन सत्यार्थ के साहूकार पिता थके हारे घर आए। घरवालों के पूछने पर उन्होंने बताया कि व्यापार में घाटा हो गया है और उन पर दूसरे साहूकारों का कर्ज चढ़ गया है। कहीं और से आमदनी नहीं है, अतः उन्हें अपना घर बेचकर कर्जा उतारना पड़ेगा।
यह सुनकर सत्यार्थ के घर वाले रोने लगे।
तब सत्यार्थ ने उन्हें समझाते हुए कहा-“मत रोओ! यह सुख-दु:ख तो चल वस्तु हैं और चल वस्तु के लिए कभी भी शोक नहीं करना चाहिए। आज अगर हमारी किस्मत में यही लिखा है, तो हो सकता है कि कल हमारी किस्त में इससे भी अच्छा घर हो।” सत्यार्थ के ना-ना प्रकार से समझाने पर उसके घर वाले खामोश हो गये।
फिर सत्यार्थ के पिता ने अनमने मन से घर बेच दिया और सत्यार्थ के मन में आया कि यदि वे अनैतिक कार्य करके कर्ज उतार दें तो इसमें क्या हानि है?
इतना सोचना था कि उनका मन मैला हो गया। उसी दिन से उन्होंने गलत काम करने शुरू कर दिये। अब वे दाल आटे में मिलावट करके बेचने लगे। इससे घर में बुराई ने स्थान ले लिया। घर में धन तो अवश्य आता मगर घर की बरकत पूरी तरह उड़ चुकी थी।
जब इस बात का पता सत्यार्थ को चला तो वह चिन्तित हो उठा। वह सारी रात इसी विषय पर सोचता रहा।
अगले दिन सुबह को जब उसे खाने के लिए कहा गया तो उसने मना कर दिया। पिता के पूछने पर उसने कहा- “पिताजी में अब इस का एक दाना भी नहीं खाऊंगा। क्योंकि यह खाना हराम और बेईमानी की कमाई है, इसे खाकर मैं अपना तन-मन दूषित नहीं करना चाहता।”
“बेटे! तुम्हारा एक-एक अक्षर सत्यता की मिसाल है, मगर इन विपत्ति के पलों को ऐसे ही गुजारना पड़ेगा।” पिता जी ने कहा।
“नहीं पिताजी, यह कदापि अच्छा नहीं है, यदि आप मेहनत लगन और ईमानदारी से काम करेंगे तो यह कर्जा आप कुछ ही दिनों में उतार सकते हैं, रही सुख-दु:ख की बात तो दु:ख हमारी परीक्षा है, और सुख उसका अच्छा परिणाम यदि दु:ख की परीक्षा को हमने अच्छे अंकों से पार कर लिया, उसके परिणाम के रूप में हमें सुख मिलते , अतः यदि हमें सुख चाहिए तो दु:ख की परीक्षा में पास होना पड़ेगा और इसके लिए हमें विवेक, सच्चाई और ईमानदारी से कड़ी मेहनत करनी होगी।”
सत्यार्थ के सत्य वचनों ने उसके पिता की आंखें खोल दीं। उन्होंने सभी गलत काम बन्द कर दिये।
सत्यार्थ ने भी अपनी पढ़ाई पूरी करके पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। उसके भाई भी सुधर गये। और जल्दी ही उन्होंने अपनी ईमानदारी और सच्चाई के बल पर नया घर बना लिया और सारा कर्जा चुका दिया।
सत्यार्थ के पिता अपने बेटे पर गर्व महसूस कर रहे थे।
फिर एक दिन अचानक नगर में मुनादी कराई गई कि राजकुमार बीमार हैं, बड़े से बड़ा वैद्य भी उनकी बीमारी दूर ना कर सका है, अतः जो कोई भी राजकुमार की बीमारी दूर करेगा उसे मुंहमांगा ईनाम दिया जाएगा।
इधर एक दिन सत्यार्थ को राज्य की राजकुमारी के दर्शन हो गये। वह उस पर मोहित हो गया। उसके मन में राजकुमारी को पाने की लालसा जाग उठी।
जब उसने यह मुनादी सुनी तो उसने सोचा कि यदि वह किसी राजकुमार को ठीक कर दे तो ईनाम में राजकुमारी को पा सकता है।
यह सोचकर वह राजा के पास गया और राजकुमार को देखने का अनुरोध किया। राजा ने उसे आज्ञा दे दी।
आज्ञा पाकर उसने राजकुमार को देखा तो पाया कि उसके मन में बुराई आ गई है, इस कारण उसका स्वास्थ्य खराब हो गया है, मगर चूँकि रोग उसके दिल में था। अतः बाहरी दवाइयों से कैसे ठीक हो सकता था?
सत्यार्थ महल से निकल कर किसी बूटी की खोज में जंगल की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक साधु मिले। साधु ने सत्यार्थी से कहा-
“मैं तुम्हारे जंगल में आने का कारण जानता हूँ, अतः तुम्हें बता देना उचित समझता हूं कि कोई भी जड़ी-बूटी राजकुमार की बीमारी दूर नहीं कर सकती।”
यह सुनकर सत्यार्थ ने साधु से कहा-“महाराज! तब आप ही मुझे कोई ऐसा उपाय बताइये, जिससे राजकुमार ठीक हो जाए।”
“वह उपाय अत्यधिक सरल है, मगर मेरी शर्त है कि जो कुछ तुम्हें राजा से ईनाम स्वरूप मिलेगा उसमें से आधा मुझे देना होगा, बोलो मन्जूर है?” साधु ने कहा।
“ठीक है, मन्जूर है।” सत्यार्थ ने ‘हां’ कर दी।
साधु ने उपाय बताया–“जा से कहना कि वह अपने राज्य के सबसे ईमानदार बनिये के यहाँ के चावल राजकुमार को खिलाए, इससे वह ठीक हो जाएगा।”
“मगर पता….साधु महाराज: यह कैसे चलेगा कि कौनसा बनिया सबसे ज्यादा ईमानदार है?” सत्यार्थी ने पूछा।
“सुनो जब बनिए के यहाँ का चावल पकाया जाएगा तो जो बनिया बेईमान होगा, उसके चावल काले पड़ जाएंगे और जिसके चावल काले नहीं पड़ेंगे वही बनिया ईमानदार होगा, और हाँ, यह भी याद रखना कि ईनाम लेकर तुम इसी स्थान पर आ जाना।”
“ठीक है महाराज!” कहकर सत्यार्थ वापस लौट गया।
महल में पहुँचकर सत्यार्थ ने राजा से राज्य भर के बनियों के यहां के चावल मंगाए, मगर पकाने पर सभी का रंग काला पड़ गया। यह देखकर सत्यार्थ और राजा चिन्तित हो गये।
अचानक सत्यार्थ को याद आया कि क्यों ना वह अपने यहाँ के चावल पकवा कर देख ले। यह सोचकर उसने अपने घर से चावल मंगाकर पकवाए ।
सत्यार्थ को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसके घर के चावल काले नहीं हुए।
“इसका अर्थ यह हुआ कि हम पूरे राज्य में सबसे ज्यादा ईमानदार हैं।”
सत्यार्थ ने मन-ही-मन में कहा-“हे भगवान् ! आज तूने मेरी सुन ली, आज यह सिद्ध हो गया कि मेरे भाई और पिताजी कितने ईमानदार हैं।”
जल्द ही उसने खुद को सामान्य किया और राजकुमार को चावल खिलाने को कहा। राजकुमार को चावल खिलाए गए।
चावल खाते ही राजकुमार सही हो गया। उसके मन की बुराई समाप्त हो गई।
तब राजा ने सत्यार्थ को उसकी इच्छित वस्तु मांगने को कहा।
सत्यार्थ ने कहा- महाराज यदि दे सकते हैं तो राजकुमारी का हाथ मुझे सौंप दीजिए, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए मैं खुद कमाऊँगा और राजकुमारी को खिलाऊंगा।”
इतना सुनते ही राजा प्रसन्न हो उठा। वह बोला-“सत्यार्थ में भी यही चाहता था कि मुझे तुम जैसा दामाद मिले ।”
इतना कहकर राजा ने राज़कुमारी का हाथ सत्यार्थ के हाथ पर रख दिया ।
शादी से पहले सत्यार्थ राजकुमारी को लेकर उसी स्थान पर गया जहाँ पर उसे साधु मिला था। रास्ते में उसने राजकुमारी को सारी बातें बता दीं। फिर अन्त में -“राजकुमारी! यदि वह साधु तुम्हें मांगने लगा तो क्या तुम उसके साथ चली जाओगी?’
सत्यार्थ के प्रश्न का राजकुमारी ने कोई उत्तर नहीं दिया।
फिर उस स्थान पर।
वहां पहुंचकर सत्यार्थ ने देखा कि साधु पहले से ही उसका इन्तजार कर रहे थे। उसके वहां पहुंचते ही साधु ने कहा
“लाओ वत्स! ईनाम का आधा हिस्सा!”
सत्यार्थ ने कहा-“महाराज! ईनाम में मुझे जीती-जागती राजकुमारी मिली है।”
“हमें इससे कोई मतलब नहीं, हमें अपना आधा हिस्सा चाहिए।” साधु ने कुछ क्रोध जताया
“पर महाराज! राजकुमारी में से आधा हिस्सा मैं किस प्रकार आपको दे दू ?” सत्यार्थ सोच में पड़ गया फिर कुछ देर बाद बोला- “साधु महाराज! आप ऐसा कीजिए कि पूरी राजकुमारी ही ले लीजिए, इससे कम से कम राजकुमारी का जीवन तो बचा रहेगा।”
“नहीं! हमें आधा हिस्सा ही चाहिए, यह धर्म के विमुख है ।”
राजकुमारी जो अब तक चुपचाप उन दोनों की बातें सुन रही थी, यकायक बोल पड़ी–“स्वामी! साधु महाराज ठीक कह रहे हैं, यह धर्म के विमुख बात होगी, अतः आप ऐसा करिए कि मुझमें से दो टुकड़े कर लीजिए एक आप रख लेना और एक साधु महाराज रख लेंगे।”
राजकुमारी के मुंह से ऐसी बातें सुनकर सत्यार्थ तड़प उठा। मगर इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, राजकुमारी ने रथ में रखी तलवार खींच ली और उसे सत्यार्थ की ओर बढ़ाकर बोली-“लीजिए स्वामी, देर मत कीजिए!”
सत्यार्थ ने राजकुमारी की पतिव्रतता देखी तो उसे अपना धर्म याद आया। उसने राजकुमारी के हाथ से तलवार ले ली और राजकुमारी को सामने खड़ा कर उसके टुकड़े करने के लिए तलवार उठा ली।
इधर साधु ने राजकुमारी की सच्चाई और साहस का जबरदस्त नमूना देखा तो वे भी हैरान रह गये। मौत को देखकर भी राजकुमारी जरा विचलित ना हुई ।
सत्यार्थ ने तेजी से तलवार को राजकुमारी की ओर बढ़ाया यह क्या मगर, सत्यार्थ के हाथ की तलवार फूलों का हार बनकर राजकुमारी के गले से लिपट गई। यह देखकर सत्यार्थ औरै राजकुमारी हैरान रह गये।
तभी साधु ने अपना नकली रूप बदला और विष्णु बन गए। साक्षात् विष्णु को सामने देख राजकुमारी और सत्यार्थ उनके पैरों में गिर पड़े। विष्णु ने कहा-“ सत्यार्थ! हम तो तुम्हारी परीक्षा ले रहे थे, जिसमें तुम खरे उतरे। तुमने अपने जीवन में अब तक बहुत से पुण्य के काम किये हैं अतः फलस्वरूप तुम्हें पतिव्रता स्त्री के रूप में राजकुमारी मिली है।” फिर दोनों को आशीर्वाद देकर विष्णु अन्तध्र्यान हो गये । सत्यार्थ राजकुमारी को साथ लेकर वापस लौट गया।
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लालची न्यायधीश - kahani hindi - हिंदी कहानी - moral stories, short moral story hindi - सच्चे हिरण - हिंदी में कहानी.
The author has depicted the stories to moral values and teach some valuable ideas very well. Thanks.
very beautiful story collection,your all stories are very impactful.
पुण्य कर्म करने वाले को ईश्वर अपनी शक्ति से अवश्य वरदान प्रदान करते हैं
very nice stories for all kids..
Bahut achha kahaniya hai, thanks for sharing.keep it up
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Hindi Essay | हिंदी में निबंध for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12
Hindi essay for classes 3 to 12 students.
Benefits of essay writing:
To be efficient in any language it is crucial to enhance the writing power in that significant language. Essay writhing is the most positive way of developing students’ skills and knowledge upon writing. Students get to know about different topics when they research to write about any important fact. Besides that, essay writing is beneficial to increase the vocabulary power of students as they use various words to express their views and thoughts. From essay writing students will be encouraged to upgrade their other skills. They will be interested to participate in many events of writing which is effective to improve their talents in extra-curricular activities. When students get the correct guidance and suggestions from their school environment they will eventually start to focus on a specific aspect of learning more. So, it is teachers’ responsibility to encourage children for writing essays on their own language for expressing their thoughts. Essay writing in Hindi is equally important for students who have Hindi as a subject in school. If they focus on Hindi learning from the beginning level then they do not have to worry about learning critical chapters in higher studies. Besides that they should focus on enhancing their essay writing skills which will enable them to give better performance in final exam. As a result, they will score well in exam and feel satisfied with their learning outcomes. The most important fact is that, essay writing skill will reduce the fear of writing among students. They will feel more interested to write essay on any given topic at any time after gathering the knowledge about the perfect ways of writing essays.
Essay writing in Hindi:
It is quite natural that students having Hindi as important subject in school must learn Hindi from the basic concepts. We find Hindi as important basically in CBSE and ICSE schools where students have options to choose Hindi or any other regional language. But for schools governed by state boards the entire education mode comes in Hindi medium. So, in both cases students have to focus on learning their Hindi language from the starting level. Essay writing is the significant part of their Hindi curriculum like all other languages. It will be beneficial for themselves if they focus on writing Hindi essays from the beginning level. They should understand each part of Hindi essays including pattern, style, word count to present a compete essay. By understanding each part students will be efficient in writing Hindi essays which will affect their overall score in exam. Some students may find it difficult to write Hindi essays on any topic smoothly. For that we are advising to grasp the basic knowledge of writing pattern and expressing their thoughts in a definite way. It is not possible for students to write Hindi essays from the beginning of their academics. They first need proper guidance and suggestions which they can find in examples of Hindi essays on different topics. Students of state level boards have to write Hindi essays from the primary section whereas CBSE and ICSE students write Hindi essays after primary education. We have provided Hindi essays on significant topics for all classes based on different boards. Students will be definitely benefitted if they follow the writing pattern and style of using language in those essays completely. They can rely on the essays fully as all are prepared according to the board guidelines by expert teachers. We are hopeful that students will take the help of these Hindi essays for enhancing their writing quality and using of language. We have provided the direct links to download all essays in this article. So, students do not need to search here and there for getting list of Hindi essays. They can easily download all the essays from the links in pdf format and read according to their convenience.
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Conclusion:
It is mandatory for all students learning Hindi to follow essay writing pattern and styles closely. Students of all classes require study materials of Hindi essays for overviewing the knowledge on different topics and practice regularly before exam. With the aim of helping students to go through effectively in essay writing in Hindi we have attached many Hindi essays on significant and important topics. We are hopeful that students will find all the topics important from exam perspective and satisfied after reading the essays with its quality writing. Students will get chances of self-analysis from their essay writing which is essential for improving their writing skills. They should practice more by following the writing pattern in the given Hindi essays for enhancing their skills. They will feel more encouraged to writing Hindi essays after getting proper guidance. They will be efficient to solve all their queries regarding Hindi essay writing after practicing regularly. Students are advised to focus on Hindi essay writing from the basic level to grasp complete knowledge over writing.
FAQs:
- Who need to write Hindi essays?
Answer. Students studying in CBSE, ICSE and different state boards who have Hindi as a significant language in syllabus have to learn essay writing in Hindi language.
- What is beneficial for Hindi essay writing?
Answer. Students should focus on learning Hindi language from the basic level with which they can understand the pattern and style of essay writing completely.
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Remember Me
मेरे बचपन की यादों पर निबंध – 10 lines (Childhood Memories Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में
Childhood Memories Essay in Hindi – यादें सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक हैं जिन्हें हम जीवन भर संजोकर रख सकते हैं। वे हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं क्योंकि हमारा सारा ज्ञान और पिछले अनुभव वहीं संग्रहीत होते हैं। यादें अच्छी और बुरी दोनों हो सकती हैं. या तो बहुत पहले की या हाल के अतीत की यादें हैं। Childhood Memories Essay हमारे कठिन समय में, हम अपनी यादों को याद करके कुछ ताज़गी पा सकते हैं। इन यादों की मदद से हम अपना जीवन सुचारु रूप से चला सकते हैं। यादें हमारी कई तरह से मदद करती हैं। हम पिछली गलतियों से खुद को सुधार सकते हैं। बचपन की यादें हम सभी के लिए अनमोल होती हैं। वे बुढ़ापे में भी हमें मुस्कुराते हैं।
बचपन की यादें निबंध 10 पंक्तियाँ (Childhood Memories Essay 10 Lines in Hindi)
- 1) बचपन हमारे जीवन का सबसे छोटा समय है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण भी है।
- 2) हम सभी के पास बचपन की बहुत सारी अच्छी यादें होती हैं।
- 3) बचपन की यादें हमें उन सभी गलतियों को ठीक करने में मदद करती हैं जो हमने अतीत में की हैं।
- 4) बचपन हमारे जीवन का सबसे मासूम हिस्सा है।
- 5) जीवन के सभी पड़ावों में से सबसे खूबसूरत पड़ाव बचपन है।
- 6) वे हमें हमारी गलतियों से सीखते हैं और बेहतर बनने में मदद करते हैं।
- 7) बचपन की यादें हमारे भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- 8) हमारे बचपन की यादों से हमारा व्यक्तित्व और स्वभाव बहुत प्रभावित होता है।
- 9) जिन लोगों के पास अपने बचपन की अच्छी यादें होती हैं वे खुश रहते हैं।
- 10) बचपन के वो दिन कभी वापस नहीं आएंगे, लेकिन हम उन्हें याद कर सकते हैं
मेरे बचपन की यादों पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on My Childhood Memories in Hindi)
बचपन की यादें हमेशा हमारे चेहरे पर मुस्कान लाती हैं क्योंकि उनमें छिपी मासूमियत होती है। जब लोग इन यादों के बारे में सोचते हैं और चर्चा करते हैं तो उन्हें ख़ुशी होती है।
मेरी बचपन की सबसे मजबूत यादों में से एक है अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ पार्क में खेलना। हम वहां घंटों दौड़ते, झूलों और स्लाइडों पर खेलते हुए बिताते थे। जब हम हँसते और एक-दूसरे का पीछा करते तो सूरज हम पर गिरता और हमारी हँसी अब भी मेरे दिमाग में गूँजती। हम टैग और लुका-छिपी के खेल भी खेलते थे और हमेशा मजा करते थे। मुझे याद है कि मैं उन पलों में बिना किसी चिंता के कितना लापरवाह और खुश महसूस करता था। मेरे सबसे अच्छे दोस्त के साथ पार्क में खेलने की ये यादें शुद्ध आनंद और मासूमियत की भावनाओं को वापस लाती हैं, और मैं इन्हें हमेशा अपने बचपन की सबसे प्यारी यादों में से कुछ के रूप में संजोकर रखूंगा।
मेरे बचपन की यादों पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on My Childhood Memories in Hindi)
याददाश्त हमारे जीवन का एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब मैं अपने बचपन पर नजर डालता हूं तो मुझे कई कहानियां याद आती हैं। कुछ मुझे खुश करते हैं, और अन्य मुझे सीखने और बढ़ने में मदद करते हैं।
मेरे दादा-दादी के यहाँ ग्रीष्म ऋतु
मेरी बचपन की सबसे प्यारी यादों में से एक है ग्रामीण इलाके में अपने दादा-दादी के घर पर गर्मियाँ बिताना। घर के चारों ओर हरे-भरे खेत और ऊँचे-ऊँचे पेड़ थे, और मुझे अपने चचेरे भाइयों के साथ खेतों और जंगलों में रोमांच पर जाना बहुत पसंद था। हम छुपन-छुपाई खेलने, किले बनाने और रात में जुगनुओं को पकड़ने में घंटों बिताते थे।
मेरे दादाजी हमेशा आसपास रहते थे, बगीचे की देखभाल करते थे या किसी नए प्रोजेक्ट पर काम करते थे। उन्होंने मुझे सिखाया कि पास की जलधारा में मछली कैसे पकड़नी है, और हम घंटों एक साथ किनारे पर बिताते, बातें करते और शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद लेते।
मेरे दादा-दादी के घर में हंसी और खुशी से भरे दिन हमेशा के लिए लंबे हो गए। घर हमेशा ताज़ी पके हुए माल की खुशबू से भरा रहता था, और मेरी दादी रसोई में स्वादिष्ट भोजन बनाने में घंटों बिताती थीं। मैं शांतिपूर्ण ग्रामीण इलाकों में अपने दादा-दादी और चचेरे भाइयों के साथ समय बिताने की इन यादों को हमेशा संजोकर रखूंगा। वे जीवन की सरल खुशियों की याद दिलाते हैं और मुझे उन लोगों और अनुभवों के लिए आभारी बनाते हैं जिन्होंने मुझे उस व्यक्ति के रूप में आकार दिया है जो मैं आज हूं।
मेरे बचपन की यादों पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on My Childhood Memories in Hindi)
याददाश्त हमारे जीवन का एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम अपने जीवन के बारे में जो बातें सबसे ज्यादा याद रखते हैं, वे हमारे बचपन की बातें हैं। हम उन कामों को कभी नहीं भूल सकते जो हमने बचपन में किए थे।
मेरे बचपन की यादें
जब मैं अपने बचपन के बारे में सोचता हूं तो मुझे बहुत सारी कहानियां याद आती हैं। उनमें से कुछ मुझे खुश करते हैं, जबकि अन्य मुझे सीखने और बढ़ने में मदद करते हैं। मुझे लगता है कि मेरी किंडरगार्टन स्मृति वह है जो मेरे साथ सबसे अधिक चिपकी हुई है। मुझे आज भी अपने स्कूल का पहला दिन याद है। मैं स्कूल न जाने पर बहुत रोया। मेरी मां मुझे स्कूल ले गईं और ढेर सारी चॉकलेट दीं ताकि मैं रोऊं नहीं. मैं बहुत परेशान था लेकिन मेरे शिक्षक ने मुझे थोड़ा प्यार दिखाया और मैंने उस दिन का आनंद लिया। मैंने कई नए दोस्त बनाए और उस दिन से मुझे हर दिन स्कूल जाना अच्छा लगने लगा।
बचपन की यादों की जरुरत
जो चीज़ें हम बचपन से याद करते हैं वे वयस्क होने पर हमारे लिए महत्वपूर्ण होती हैं। हमारा बचपन हमारे बड़े होने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग कहते हैं कि बचपन जीवन का सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि हमें किसी बात की चिंता नहीं होती। बचपन की यादें हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारे चरित्र और व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करती हैं। बचपन की यादें अनुशासित रहना और जीवन में सही दृष्टिकोण रखने जैसी अच्छी आदतों से भी बहुत कुछ जुड़ी हुई हैं।
प्रत्येक बच्चे के पास अपने बचपन की एक विशेष स्मृति होती है जिसके बारे में वे हमेशा सोचते या याद रखते हैं। जब हम अच्छे समय के बारे में सोचते हैं, तो हमें खुशी और खुशी महसूस होती है। दूसरी ओर, जब हम अपने साथ हुई बुरी चीजों के बारे में सोचते हैं तो हमें डर और दुख महसूस होता है। यादें बहुत मूल्यवान हैं और हमारे लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेंगी।
मेरे बचपन की यादों पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on My Childhood Memories in Hindi)
यादें हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण घटक हैं। वे हमारे व्यक्तित्व को आकार देते हैं क्योंकि हमारा सारा ज्ञान और पिछले अनुभव वहीं संग्रहीत होते हैं। हम सभी की यादें अच्छी और बुरी दोनों तरह की होती हैं। आपके पास बहुत पहले की और हाल के दिनों की भी यादें हैं। इसके अलावा, कुछ यादें हमें कठिन दिनों से उबरने में मदद करती हैं और अच्छे दिनों में हमें खुश रखती हैं।
यादें वह छोटी-छोटी चीजें हैं जो हमारे जीवन को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती हैं। दूसरे शब्दों में, यादें अपूरणीय हैं और वे हमें बहुत प्रिय हैं। वे हमें अपनी गलतियों से सीखने और बेहतर बनाने में मदद करते हैं। मेरी राय में, किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी बचपन की यादें सबसे प्रिय होती हैं। वे आपके अंदर के बच्चे को जीवित रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह वयस्क जीवन के बीच हमारी मुस्कुराहट का एक कारण भी है।
बचपन की यादों का महत्व
बचपन की यादें हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। यह हमें अपने जीवन के सबसे अच्छे समय को याद कराता है। वे हमारी सोच और भविष्य को आकार देते हैं। जब किसी के पास बचपन की अच्छी यादें होती हैं, तो वह बड़ा होकर खुश व्यक्ति बनता है। हालाँकि, यदि किसी के पास बचपन की दर्दनाक यादें हैं, तो यह उनके वयस्क जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
इस प्रकार, हम देखते हैं कि कैसे बचपन की यादें हमारे भविष्य को आकार देती हैं। वे आवश्यक रूप से हमें परिभाषित नहीं करते हैं लेकिन वे निश्चित रूप से एक महान भूमिका निभाते हैं। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि बचपन की दर्दनाक यादों वाला कोई व्यक्ति ठीक नहीं हो सकता है। लोग अपने दर्दनाक अनुभवों से उबर जाते हैं और इंसान के रूप में विकसित होते हैं। लेकिन, ये यादें भी इस प्रक्रिया में बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बचपन की यादें अंदर के बच्चे को जीवित रखती हैं। हम चाहे कितने भी बड़े हो जाएं, हममें से हर एक के भीतर हमेशा एक बच्चा रहता है। वह अलग-अलग समय पर बाहर आता/जाती है।
उदाहरण के लिए, कुछ लोग झूले को देखकर बच्चे जैसा व्यवहार कर सकते हैं; जब वे आइसक्रीम देखते हैं तो दूसरे बच्चे की तरह उत्साहित हो सकते हैं। यह सब इसलिए होता है क्योंकि हमारे पास बचपन की यादें हैं जो हमें उन चीजों से जुड़ी याद दिलाती हैं जिनके बारे में हम उत्साहित होते हैं। इसलिए, बचपन की यादें हमारे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं।
बड़े होने पर मेरा बहुत प्यारा परिवार था। मेरे तीन भाई-बहन थे जिनके साथ मैं खूब खेलता था। मुझे वे खेल बहुत शौक से याद हैं जिन्हें हम खेला करते थे। खासकर, शाम को हम अपने खेल उपकरण के साथ पार्क में जाते थे। प्रत्येक दिन हम अलग-अलग खेल खेलते थे, उदाहरण के लिए, एक दिन फुटबॉल और दूसरे दिन क्रिकेट। पार्क में खेलने की ये यादें मुझे बहुत प्रिय हैं।
इसके अलावा, मुझे अपनी दादी के अचार की सुगंध भी अच्छी तरह याद है। जब भी वह अचार बनाती थी तो मैं उसकी मदद करता था। हम उसे तेल और मसालों को मिलाकर स्वादिष्ट अचार बनाने का जादू करते देखा करते थे। आज भी, जब भी मैं इस स्मृति को पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे कभी-कभी उसके अचार की गंध आती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुझे यह घटना अच्छी तरह से याद है जब हम अपने परिवार के साथ पिकनिक के लिए बाहर गए थे। हमने चिड़ियाघर का दौरा किया और एक अविश्वसनीय दिन बिताया। मेरी माँ ने स्वादिष्ट व्यंजन पैक किये जो हमने चिड़ियाघर में खाये। मेरे पिता ने उस दिन बहुत सारी तस्वीरें खींची। जब मैं इन तस्वीरों को देखता हूं तो यादें इतनी स्पष्ट होती हैं, ऐसा लगता है जैसे यह कल ही की बात हो। इस प्रकार, मेरी बचपन की यादें मुझे बहुत प्रिय हैं और जब भी मैं उदास महसूस करता हूं तो मुस्कुरा देता हूं।
मेरे बचपन की यादों पर कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q.1 बचपन की यादें क्यों महत्वपूर्ण हैं.
A.1 बचपन की यादें हमारे व्यक्तित्व और भविष्य को आकार देती हैं। वे हमें अच्छे समय की याद दिलाते हैं और कठिन दिनों से निपटने में हमारी मदद करते हैं। इसके अलावा, वे हमें पिछले अनुभवों और गलतियों की याद दिलाते हैं जो हमें खुद को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
Q.2 सभी के लिए बचपन की एक सामान्य स्मृति क्या हो सकती है?
A.2 मेरी राय में, हममें से अधिकांश की बचपन की एक याद स्कूल का पहला दिन है। हममें से अधिकांश को याद है कि पहले दिन हमें कैसा महसूस हुआ था। इसके अलावा, हमारे जन्मदिन भी बचपन की बहुत आम यादें हैं जो हमें उस दिन उपहारों और उत्सवों की याद दिलाते हैं।
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Essay on Mother in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए 100, 200 और 500 शब्दों में माँ पर निबंध
- Updated on
माँ शब्द बहुत ही छोटा शब्द है, लेकिन इसकी गहराई को कोई नहीं माप सकता है। माँ कोई कुछ शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। मां के लिए हर एक व्यक्ति की अपनी परिभाषा है। माँ को हम भगवान के रूप में भी देखते है, या कहे वो भगवान का ही एक रूप है। माँ आप पर आई हर परेशानी को चुटकियों में एक जादू की तरह दूर करने वाली जादूगर होती है। माँ हमारी सबसे पहली गुरु होती है, माँ जो कुछ भी शती है वो अपने बच्चों तक नहीं आने देती है। माँ की जगह कोई नहीं ले सकता। हम जब स्कूल में पढते है तो बहुत सी कविता, कहानियां माँ से संबंधित पढ़ने को मिलती है। और कभी कभी बच्चों से माँ पर निबंध लिखने को भी कहा जाता है। तो ऐसे में बच्चों को कभी कभी समझ नहीं आता की वो शुरुआत कैसे करें या क्या लिखे, इसे देखते हुए आज हम इस ब्लॉग में माँ पर निबंध लिख रहे हैं। इस ब्लॉग में आप 100, 200 और 500 शब्दों में Essay on Mother in Hindi के बारे में जान पाएंगे।
This Blog Includes:
माँ पर निबंध 100 शब्दों में, माँ पर निबंध 200 शब्दों में, माँ में है जीवन का महत्व, जीवन की पहली टीचर माँ , सुपरवुमन होती है माँ , निष्कर्ष , मेरी माँ पर 10 लाइन .
100 शब्दों में Essay on Mother in Hindi का सैंपल नीचे प्रस्तुत है।
एक माँ केवल एक बच्चों को जन्म नहीं देती है बल्कि उसे प्यार करने, देखभाल करने और बिना किसी शर्त के खुद को आजीवन समर्पण करने को तैयार रखती है। हर व्यक्ति के जीवन में माँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि वह सिर्फ अपने बच्चों को प्यार, दुलार करती है। बल्कि वह एक रक्षक, मित्र और साथ ही एक अनुशासन की भूमिका भी निभाती है। माँ एक निस्वार्थ, प्यार करने वाली देवी होती है, जिसके लिए त्याग और प्यार की कोई सीमा नहीं होती है। मेरी माँ मेरे दिल में एक विशेष स्थान रखती हैं। मेरे माँ ने मेरे लिए जो भी समर्पण किये है, मैं कितना भी कर लू उसके इस कर्ज को कभी नहीं चुकाने लायक बन सकता हूँ।
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200 शब्दों Essay on Mother in Hindi कुछ इस प्रकार है –
बचपन से ही ‘एक माँ की गोद किसी भी अन्य की तुलना में अधिक आरामदायक होती है’, मैं हर एक परिस्थिति मानता हूँ। मेरी माँ एक निस्वार्थ, समर्पित और प्यार करने वाली महिला का एक आदर्श उदाहरण हैं। वह सबसे मजबूत है और मेरे परिवार और मेरी खुशियों के लिए किसी भी हद तक खुद को समर्पित करती है। मेरी माँ निरंतर समर्थन और जीवन में आने वाले हर उतार-चढ़ाव के दौरान मेरे साथ खड़ी रहीं। मेरी माँ मेरी पहली शिक्षिका थीं जिन्होंने मुझे जीवन के हर कदम पर सिखाया और परिवार, समाज और बड़ों का आदर करना सिखया। उन्होंने कभी गलत के आगे न झुकना और गलती पर पहले आगे आकर माफ़ी माँगना सिखाया। जब मैं किसी चीज को लेकर बहुत परेशान हुआ तो उसने धैर्य रखना सिखाया। परिवार में मेरी माँ का योगदान मुझे हमेशा सही रास्ते पर चलते रहने के लिए प्रेरित करता है। मई अपनी माँ को एक जादूगर कहता हूँ, जो मेरे और मेरे परिवार के सभी दुखों को दूर कर देती हैं और बहुत सरे प्यार और देखभाल प्रदान करती हैं। मेरी माँ मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं जिन्होंने मुझे जीवन की सभी कठिनाइयों को पार करके अपने लक्ष्य हासिल करने, और बहादुर बनने की सीख दी।
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माँ पर निबंध 500 शब्दों में
500 शब्दों Essay on Mother in Hindi कुछ इस प्रकार है –
माँ एक परिवार में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है क्योंकि वह सभी के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है। मेरा मानना है की भगवान यदि इस धरती पर अब तक जो भी सबसे बेहतरीन मनुष्य बनाया है, वह मां के रूप में है, क्योंकि वह बिना किसी शर्त के अपने बच्चों और परिवार को प्यार करती है।
“माँ” सिर्फ एक शब्द नहीं है यह अपने आप में एक एहसास और प्यार है, जब हम माँ कहते हैं, तो हमारी कई समस्याएं कोई चमत्कार की तरह दूर हो जाती हैं। माँ एक पल के लिए भी निराश हुए बिना हमेशा खुश रखती है। माँ के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। माँ महत्व बचपन से बड़े होने तक रहता है, हम कितने भी बड़े हो जाये पर अपनी माँ के लिए हमेशा बच्चे ही रहते हैं।
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माँ हमें जितना प्यार करती है, उतना ही माँ हमें जीवन के हर उतार-चढ़ाव में आगये बढ़ने की प्रेरणा भी देती है। माँ ही अपने बच्चों को बहुत करीब और गहराई से जानती हैं। माँ की जरूरत हमें हमेशा होती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम जीवन में कहाँ हैं, चाहे वे स्कूल जाना शुरू कर रहे हों, विदेश जाने की सोच रहे हों या जिंदगी में किसी बड़ी कठिनाईयों से गुजर रहे हों, हमें हमेशा अपनी माँ की मदद की ज़रूरत होती है। माँ अपने बच्चों को स्कूल जाने से पहले ही एक टीचर की तरह सिख देती है। बच्चे अपनी माँ से जो सीखते हैं वो शिक्षा उन्हें कोई नहीं दे सकता है। इस लिए हमेशा मन जाता है, की एक माँ बच्चे की पहली शिक्षिका होती है।
माँ सिर्फ अपने बच्चों नहीं बल्कि पूरे परिवार को बहुत सहजता से संभालती है। वो घर के कामों के साथ बाहर की भी चीजों में हाथ बटाती है। जब इस दुनिया में प्यार, ईमानदारी और सच्चाई के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले मां का चेहरा सामने होता है। माँ हमेशा मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहती हैं। मेरे जीवन में अगर किसी इंसान की महत्वपूर्ण भूमिका है वो सिर्फ मेरी माँ की है। वह हमेशा हमारी भलाई, खास कर हमारी स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य के बारे में अत्यधिक चिंतित रहती हैं। जब हमें कोई चीज खाने की इच्छा होती है तो वो बिना आलास किये हमारे लिए तुरंत उसे बनती है, कभी कभी तो वो खुद भूखी सो जाती है, लेकिन कभी ये नहीं कहती कि आज ये चीज नहीं है। उसके जैसा त्याग कोई नहीं कर सकता है।
हम जैसे जैसे बड़े होते हैं एक माँ की चिंता और अधिक बढ़ने लगती है, उसकी चिंता अपने बच्चों के करियर, स्वस्थ और दूर जाने के लिए होती है। हम कितने भी बड़े क्यों न हो जाये पर अपनी माँ को हमेशा वही प्यार और सामान देना चाहिए और कभी ये नहीं भूलना चाहिए उसने हमारे जीवन के लिए क्या क्या त्याग किये हैं।
मेरी माँ पर 10 लाइन्स कुछ इस प्रकार हैं –
- मेरी माँ मुझसे बहुत प्यार करती है।
- बच्चे की पहली गुरु माँ ही होती है, बचपन में माँ द्वारा सिखाई गई हर बातों के अनुसार ही बच्चे को संस्कार मिलते हैं।
- माँ ही बच्चे की पहली और सबसे अच्छी दोस्त होती है, जिससे हम बिना किसी झिझक के अपने दिल की हर बात बता देते हैं।
- मां महेश परिवार का पूरा ख्याल रखती हैं, वह हमेशा परिवार की खुशियों के बारे में सोचती हैं।
- माँ सुबह 4 बजे उठ जाती है और घर का सारा काम करती है।
- माँ मुझे स्कूल के लिए तैयार करती है और फिर मुझे स्कूल छोड़ती है।
- हर रविवार मेरी माँ मेरे लिए मेरा पसंदीदा खाना बनाकर मुझे खिलाती है।
- मेरी माँ मुझे अच्छी बातें सिखाती है, जब भी कोई समस्या होती है तो मेरी माँ मुझे अच्छी सलाह देती है।
- मेरी माँ मुझे हर शाम पढ़ाती है और मेरा होमवर्क पूरा करने में मदद करती है।
- मेरी माँ सुबह से शाम तक घर का काम करती है और पूरे परिवार की देखभाल करती है, इतना काम करने के बाद भी वह अपनी समस्याएँ किसी को नहीं बताती।
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Hindi Picture Composition (दोस्त)
Write a story in Hindi based on the pictures with the given helping words.
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Hindi Picture Composition (चित्र निबंध)
Look at the given pictures and write a picture essay in 80 – 100 words with the title.
नीचे दिए गए चित्रों को देखकर शीर्षक के साथ ८० -१०० शब्दों में चित्र निबंध लिखिए।
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भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi
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भारत गांवों और किसानों का देश है। भारत कृषि प्रधान देश है। हम बहुत कुछ कृषि पर निर्भर करते हैं। हमारे अधिकांश उद्योग-धंधे भी कृषि पर आधारित हैं। हमारा किसान हमारी रीढ़ की हड्डी है। उसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय किसान बहुत परिश्रमी है। वह अपने खेत-खलिहानों में जी-तोड़ मेहनत करता है, बीज बोता है, पानी देता है, फसल काटता है और फिर उसे बेचने मंडियों तक ले जाता है।
सुबह बहुत जल्दी वह उठ जाता है और रात को देर से सोता भाहल चलाने, खेतों को पानी देने, जानवरों की देखभाल करने, अनाज, फल, सब्जी आदि बाजार तक ले जाने में उसका सारा समय व्यतीत हो जाता है। विश्राम और सोने के लिये उसे बहुत कम समय मिलता है। लेकिन यह खेद की बात है कि आज भी वह निर्धन है। उसका हर स्तर पर शोषण हो रहा है। उसके बच्चों की शिक्षा, उपचार, स्वास्थ्य आदि की उचित व्यवस्था नहीं है। वह कर्ज के बोझ के नीचे दबा हुआ है।
धन और सस्ते ऋण के अभाव में वह अच्छे बीज, खाद, कृषि-यंत्र, सिंचाईं के उचित साधन आदि से वंचित रह जाता है। प्राकृतिक आपदाएं जैसे सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि से तो उसकी कमर ही टूट जाती है। अधिकांश किसान आज भी निरक्षर और अनपढ़ हैं। वे अंधविश्वास और कुरीतियों के शिकार हैं। उनकी आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक उन्नति और अधिक तथा ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। आशा करनी चाहिये कि निकट भविष्य में भारतीय किसान की स्थिति संतोषप्रद हो जायेगी।
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भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi ( 500 words )
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ कि 65 प्रतिशत जनसंख्या खेती से जुड़ी हुई है। किसान मौसम की परवाह किए बिना सभी के लिए अनाज उगाते है जो कि मनुष्य की सबसे बड़ी जरूरत है। इसलिए किसानों को अन्नदाता भी कहा जाता है। बहुत से उद्योग भी कच्चे माल के लिए किसानों द्वारा उगाई गई फसलों पर निर्भर करते है। किसान का जीवन बहुत ही परिश्रम भरा होता है। वह सुबह से लेकर रात तक खेत के काम में ही लगा रहता है कभी बीज बोना,कभी सिंचाई ,कभी खाद डालना तो कभी कटाई।
हमारी अर्थव्यवस्था किसानों पर निर्भर करती है लेकिन उसके बावजुद भी किसान की हालत बहुत ही दयनीय है। बहुत से किसान आज भी गरीब, अशिक्षित है और साथ ही अपने बच्चों को भी पढ़ाने में असमर्थ है। दिन रात मेहनत करने के बाद भी वो सिर्फ अपनी आजीविका ही चला पाते है और अगर कभी बारिश न होने से सूखा पड़ जाए तो उनकी मुश्किलें और भी बढ़ जाती है। बहुत से तकनीकी उपकरणों ने किसानों का परिश्रम थोड़ा कम कर दिया है लेकिन छोटा और निर्धन किसान उन्हें खरीदने में असमर्थ है जिसके कारण विवश होकर अपने बच्चों को खेतों में काम करने लाना पड़ता है। गरीब किसान अपनी फसलों के लिए उत्तम बीज और अच्छी खाद नहीं खरीद पाता है। किसान साल के अधिकतर महीनों में खाली ही रहते है। किसानों को सिंचाई के लिए प्रयाप्त पानी भी नहीं मिल पाता है।
किसानों को खाद,बीज आदि खरीदने के लिए उधार लेना पड़ता है जिसका फायदा साहुकार उच्च दर का ब्याज लगाकर उठाते है। किसानों की फसलों का सही मूल्य नहीं लगता है। अशिक्षित होने के कारण किसानों को अपने अधिकारों का पता नही होता और उनके अधिकारों का जमकर शोषण किया जाता है। आर्थिक स्थिति खराब होने से बहुत से किसान आत्महत्या कर रहे है। सरकार को किसानों के लिए कम ब्याज पर पैसे दिलवाने चाहिए ताकि वो आसानी से बीज खाद आदि खरीद सके। साल के उस समय जब खेती नही होती कृषि स्कूल खोले जाने चाहिए जिसमें किसानों को पैदावार बढाने के तरीके बताए जाए और खेती से जुड़ी सभी जानकारी दी जाए। सरकार द्वारा गाँवों में भी स्कुल खोले जाने जिनमें प्राथमिक शिक्षा मूफ्त दी जाए ताकि किसानों के बच्चे भी पढ़ सके।
अगर किसान नही होंगे तो खेती भी नहीं होगी और उद्योग भी नहीं होंगे यानि कि देश गरीब होता जाएगा। किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था का निर्माण करते है और अगर वही गरीब होगे तो देश प्रगति कर ही नहीं सकता। लाल बहादुर शास्त्री जी ने ” जय जवाम,जय किसान” नारे से किसानों का महत्व बताया है। किसानों की प्रगति के लिए सरकार को उचित प्रबंध करने चाहिए।
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2 thoughts on “भारतीय किसान पर निबंध- Essay on Indian Farmer in Hindi”
Excellent Bhai ! bhai apane kisan ki puri samasya aur usase sambandhit jankari di hai > thanks
This essay helped me a lot in my exam. Jai Jawan, Jai Kisan. ??☺
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खुशी पर निबंध (Happiness Essay in Hindi)
ख़ुशी वह है जिसे शब्दों में वर्णन करना मुश्किल है। इसे केवल महसूस किया जा सकता है। अच्छा जीवन जीने के लिए खुश होना बेहद जरूरी है लेकिन दुर्भाग्य से ज्यादातर लोगों के जीवन से ख़ुशी गायब हो चुकी है। अलग-अलग लोगों के पास खुशी के विभिन्न विचार हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह पैसे में पाई जा सकती है, कुछ लोग प्यार में होते हैं तो ख़ुशी का अनुभव महसूस करते हैं और कुछ को ख़ुशी और संतुष्टि तब महसूस होती है जब वे पेशेवर जिंदगी में अच्छा काम करते हैं।
खुशी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Happiness in Hindi, Khushi par Nibandh Hindi mein)
निबंध – 1 (300 शब्द).
ख़ुशी आनंद की एक अवस्था है। यदि आप इस स्थिति में रहने के लिए अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करते हैं तो वह उसी तरह रहना सीख जाएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका मन जो कुछ भी कहता है आपका दिमाग वही मानता है। हालांकि यह उतना आसान नहीं है जितना लगता है। आप समय-समय पर खुशी का अनुभव कर सकते हैं लेकिन इस अवस्था में बने रहने के लिए महीनों या साल भी लग सकते हैं।
खुशी को आकर्षित करने के तरीके
कुछ हालिया अध्ययनों के अनुसार कुछ आदतें खुशी को आकर्षित करती हैं और इसे हमेशा के लिए बनाए रखती है:
- संतुष्ट रहें
विभिन्न स्थितियों में अति-उत्साहित या उदास होने के बजाए आपको इन सक्रिय भावनाओं जैसे शांति और संतोष को निष्क्रिय करने में परिवर्तन करना चाहिए। इन भावनाओं को स्वस्थ बनाए रखना भी आसान है।
- वर्तमान में रहना
आपको अपनी पिछली गलतियों के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए। गलतियां सबसे होती हैं। कोई भी हर काम में पूरी तरह कुशल नहीं होता। अपने आप को दोष देने या अपने जीवन में किए गए सभी बुरे फैसलों के लिए खुद को दोषी करार देना बंद करिए। इसके अलावा अपने भविष्य के बारे में चिंता करना बंद करें। वर्तमान पल में जिएं। अच्छे समय को हाथ से ना जाने दें।
अपने सभी पिछले क्षणों और निर्णयों को याद रखें जिनसे आपको ख़ुशी मिलती है और आपको आनंदित करती है। ऐसी खुशी के क्षणों को पाने के लिए भगवान के आभारी रहें।
- सकारात्मक सोच लाएं
आपके विचार आपकी वास्तविकता बनाते हैं। सकारात्मक विचार और सकारात्मक मन जीवन में सकारात्मक चीजों को आकर्षित करते हैं और नकारात्मक विचार नकारात्मक अनुभवों का अहसास कराते हैं। इसलिए खुशी का अनुभव करने का एकमात्र तरीका है कि आप अपने आस-पास सभी के बारे में अच्छा सोचें।
- सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों के आस-पास रहें
उन लोगों से दूर रहें जो नकारात्मक बातें या आपको हतोत्साहित करते हैं। इसके बजाए सकारात्मक सोच के लोगों के साथ रहें।
नकारात्मक विचारों को मन में पालना और जीवन में कई चीजों के कारण चिंता और तनाव की स्थिति में रहना आसान है। आपको हमेशा अपने आप को अच्छे समय और सभी अच्छी चीजों के बारे में याद दिलानी चाहिए। यह आपके मूड को नकारात्मक से सकारात्मक अवस्था तक स्थानांतरित करने का एक अच्छा तरीका है।
निबंध – 2 (400 शब्द)
खुशी वास्तव में खुश और संतुष्ट होने की स्थिति है। कई दार्शनिकों ने इस विषय पर अलग-अलग विचार दिये हैं हालांकि सबसे प्रभावशाली तथ्य यह है कि सुख को भीतर से महसूस किया जा सकता है और बाहरी दुनिया में इसकी खोज नहीं की जानी चाहिए।
पैसा ख़ुशी नहीं खरीद सकता
यह दुख की बात है कि लोग बाहर खुशी की तलाश करते हैं। बहुत से लोग पैसे के साथ खुशियाँ एकत्रित करते हैं। अगर ऐसी बात थी तो अमीर लोग कभी उदास महसूस नहीं करते लेकिन इसके विपरीत हम देखते हैं कि अमीर लोग ही हैं जो अधिक चिंतित, भयभीत, तनावपूर्ण और अक्सर संबंधों से जुड़ी समस्याओं का अनुभव करते हैं और अवसाद से पीड़ित होते हैं।
फ़िल्म सितारों, गायकों और मंत्रियों जैसे मशहूर लोगों के पास बहुत पैसा होता है पर फिर भी इन लोगों में तलाक की दर आम जनता से काफी अधिक होती है। ये लोग लगातार डर में रहते हैं और इसलिए इन्हें हर समय सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इनको अपने बच्चों की सुरक्षा के बारे में भी अधिक चिंता होती हैं। इन लोगों को 24 घंटे चोरी और डकैती का डर लगा रहता है। इनके पास इतना अधिक धन होता है कि उन्हें लगातार यह चिंता सताती है कि इस धन को कहाँ निवेश करें या कहाँ छिपाएं। दूसरी तरफ गरीब वर्गों के लोग अक्सर चिंता रहित और खुश होते हैं।
यह बात नहीं है कि अमीर होना एक बुरी चीज है। धन होने का मतलब है कि आपके पास बहुत सी चीज़ें हैं। आप छुट्टियों पर जा सकते हैं, सामाजिक समारोहों की योजना बना सकते हैं, अच्छे कपड़े खरीद सकते हैं, संपत्ति खरीद सकते हैं, अच्छे इलाके में रह सकते हैं और इसके अलावा बहुत कुछ कर सकते हैं जो खुश होने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि जरुरी नहीं है कि यदि आपके पास इतना सब कुछ है तो आप खुश रहेंगे । भौतिकवादी बातें आपको क्षणभर खुश कर सकती हैं लेकिन सच्ची खुशी पाने में मदद नहीं कर सकती।
ख़ुशी अंदर से आती है
किसी ने ठीक ही कहा है कि “आपको जीवन में सच्ची खुशी तब मिलेगी जब आपको यह पता चलेगा कि ख़ुशी का उद्देश्य केवल आपको खुश करना है”। सच्ची खुशी अपने भीतर होती है यह दूसरों से नहीं आती है। इस बिंदु पर कई बार जोर दिया गया है लेकिन ज्यादातर लोग इसे अप्रासंगिक मानते हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि खुशी मूलतः मन की अवस्था है। यह उन चीजों से हासिल नहीं की जा सकती है जिसे हम बाहर देखते हैं। हमारे पास सकारात्मक भावनाओं की सहायता से इस अवस्था को बनाने की शक्ति है जो अच्छे विचारों से प्राप्त की जा सकती है।
मूल रूप से हमारे विचार है जो हमारी भावनाओं को बनाते हैं। इसलिए हमें सकारात्मक विचारों और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के निर्माण पर काम करने की जरूरत है और अंत में यही खुशी का कारण बनेगी।
निबंध – 3 (500 शब्द)
खुशी वह चीज़ है जिसके लिए हर इंसान तरसता है लेकिन बहुत कम व्यक्ति इसे पाने में सक्षम हो पाते हैं। जितना सरल इसे परिभाषित करना है उतना ही मुश्किल इसे प्राप्त करना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग अक्सर इसे लोगों और चीजों के साथ जोड़ते हैं। खुशी ऐसी चीज़ है जो आपके साथ शुरू होती है और आपके साथ समाप्त होती है। केवल जो लोग यह महसूस करते हैं वे ही सच्ची खुशी प्राप्त करने में सक्षम हो पाते हैं।
खुशी के बारे में अरस्तू का तर्क
अरस्तू एक ऐसे दार्शनिक थे जिन्होंने खुशी के बारे में बहुत कुछ लिखा था। उनका मानना था कि खुशी हमारे अपने स्वयं पर निर्भर करती है। उनके अनुसार खुशी मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि खुशी अपने आप में एक लक्ष्य है और यह पुण्य पर निर्भर करती है। हालांकि अरस्तू के नैतिक गुण सामान्यतया सामाजिक गुणों की बजाए व्यक्तिगत अधिक हैं।
अरस्तू के अनुसार वास्तव में एक सुखी जीवन को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होने जैसी कई स्थितियों की पूर्ति की जरूरत है। उन्होंने अपने सबसे प्रभावशाली कार्य निकोमैकियन एथिक्स में खुशी के सिद्धांत को प्रस्तुत किया है। अरस्तू का यह सिद्धांत आज के परिदृश्य में भी प्रासंगिकता रखता है। उनके अनुसार सभी जरूरतों को पूरा करना ही ख़ुशी का अंत है। उन्होंने कहा कि लगभग सभी चीजें, अच्छे रिश्ते, पैसा, सफलता या शक्ति, हम चाहते हैं क्योंकि हम मानते हैं कि ये हमें खुश कर देंगे। यह कहना सही होगा कि बाकी सब कुछ सिर्फ खुशी को प्राप्त करने का एक साधन है और ख़ुशी अपने आप में सभी का अंत है।
रिश्तों में ख़ुशी
कई लोग खुशी को पैसे से जोड़ते हैं और कई लोग इसे रिश्तों से जोड़ते हैं। वे यह नहीं समझ पाते की जब तक वे खुद खुश नहीं रहेंगे तब तक वे अपने रिश्तों में भी ख़ुशी का अहसास नहीं पाएंगे। रिश्तों की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं और इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि हम दूसरे व्यक्ति से बहुत ज्यादा उम्मीद कर बैठते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वे हमें खुश महसूस कराएँ। हम अपने मस्तिष्क में झूठ भर लेते हैं जैसे, ‘अगर हमारा साथी हमें ड्रेस खरीद कर देगा तो हम खुश होंगे’ या ‘अगर हमारा साथी हमारे लिए किसी सरप्राइज की योजना बना रहा है तो हम खुश होंगे’। यह समस्या सिर्फ दम्पतियों के साथ नहीं है बल्कि ऐसा प्रत्येक रिश्ते के साथ है चाहे वह माता-पिता का रिश्ता हो या भाई-बहन का रिश्ता या दोस्ती का।
यहाँ नीचे कुछ तथ्य दिए गए हैं जो आपको खुश रहने में मदद कर सकते हैं:
- अपनी देखभाल करना
अपना ध्यान खुद रखें। दूसरे व्यक्ति को खुद पर प्राथमिकता न दें और उसे भी ऐसा ना करने दें। यदि आप किसी को बहुत अधिक प्राथमिकता देते हैं और बदले में आपको कुछ नहीं मिलता है तो आप अपनी निराशा के लिए नुस्खा तैयार कर रहे हैं।
- शुरुआत करें
अगर आप कहीं जाना चाहते हैं तो स्वयं इसकी योजना बनाएं। अपने साथी, माता-पिता या बच्चे की आपको वहां ले जाने की प्रतीक्षा न करें। उन्हें बताएं कि अगर वे साथ आएंगे तो आपको अच्छा लगेगा। हालांकि अगर वे मना करते हैं तो निराश होने की ज़रूरत नहीं हैं। अपनी योजना को जारी रखें।
- व्यक्तिगत समय दें
आपको अपने साथी को समय देने की आवश्यकता है और एक स्वस्थ रिश्ते को बनाए रखने के लिए अपना व्यक्तिगत समय दें।
हम अपने जीवन में अन्य लोगों से अवास्तविक अपेक्षाओं को स्थापित करते हैं और मानते हैं कि अगर वे वास्तव में हमें प्यार करते हैं तो वे उसी तरीके से उसका इज़हार भी करेंगे। यह बिल्कुल गलत है। यह केवल किसी भी अच्छे काम करने के बजाय रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि एकमात्र व्यक्ति जो आपको वास्तव में खुश महसूस करा सकता है वह आप खुद हैं।
निबंध – 4 (600 शब्द)
खुशी जीवन का एक तरीका है और यह ऐसी चीज़ नहीं जिसे हासिल करके अपने पास रखा जाए। लोग अपना पूरा जीवन खुशी के पीछे लगा देते हैं लेकिन उनको असंतुष्टता भरा मिलता है। उन्होंने यह मान लिया है कि यदि उन्हें अच्छे कॉलेज में प्रवेश मिला या अगर वे एक अच्छी नौकरी हासिल करने में कामयाब हुए या यदि उन्हें समझदार जीवन साथी मिला तो ही वे खुश होंगे। जबकि यह सब अच्छी जिंदगी बनाने में मदद करते हैं जो खुशी पाने के लिए जरूरी है लेकिन ये अकेले सुख नहीं ला सकते। खुशी ऐसी चीज है जिसे भीतर से महसूस किया जा सकता है बाहर से नहीं।
बौद्ध धर्म के अनुसार खुशी
बौद्ध धर्म के अनुसार, “आपके पास क्या है या आप कौन हैं इस पर ख़ुशी निर्भर नहीं करता है।” यह केवल इस बात पर निर्भर करता है कि आप क्या सोचते हैं।
बुद्ध का मानना था कि खुशी पीड़ा के मुख्य कारणों को समझने से शुरू होती है। बुद्ध ने एक आठ सूत्रों से सम्बंधित रास्ता बताया है जिससे दिमाग को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और अंततः खुशी को पाने में सहायता मिलती है। हालांकि यह एक बार का कार्य नहीं है। इसका दैनिक तरीके से पालन करने की आवश्यकता है। यह विचार आपको यह सिखाता है कि अतीत या भविष्य के बारे में चिंता ना करें और वर्तमान में जिएं। वर्तमान ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां आप शांति और खुशी का अनुभव कर सकते हैं।
बुद्ध को “हमेशा मुस्कराने” के रूप में वर्णित किया गया है। उनके चित्रण ज्यादातर उन्हें एक मुस्कान के साथ दर्शाते हैं। यह मुस्कुराहट उनके अन्दर की गहराई से आता है। बौद्ध धर्म बताता है कि मानसिक शांति को विकसित करके ज्ञान और अभ्यास द्वारा सच्ची खुशी प्राप्त की जा सकती है और इसे स्वयं की जरूरतों, इच्छाओं और जुनूनों से अलग करके हासिल किया जा सकता है।
हिंदू धर्म के अनुसार खुशी
हिंदू धर्म के अनुसार अपने स्वयं के कार्यों, पिछले कर्मों और भगवान की कृपा से खुशियाँ प्राप्त होती हैं। हिंदू ग्रंथों में तीन प्रकार की खुशी का उल्लेख किया गया है। ये निम्नानुसार हैं:
- शारीरिक सुख: इसे भौतिक सुखम के रूप में भी जाना जाता है। यह एक आरामदायक जीवन, शारीरिक सुख और कामुक आनंद से प्राप्त किया जा सकता है।
- मानसिक खुशी: इसे मानसिक आनंदम के रूप में भी जाना जाता है। यह पूर्ति और संतुष्टि की भावना से प्राप्त किया जा सकता है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति सभी प्रकार की चिंताओं और दुखों से मुक्त होता है।
- आध्यात्मिक आनंद: इसे आध्यात्मिक आत्ममनंद भी कहा जाता है। इस प्रकार की ख़ुशी तब प्राप्त की जा सकती है जब कोई व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर आकर स्वयं के साथ मेल-मिलाप करता है।
हिंदू धर्म के अनुसार जीवित रहने का अंतिम उद्देश्य स्वर्ग में एक स्वतंत्र आत्मा के रूप में सर्वोच्च आनंदों का अनुभव करना है। मनुष्य अपने कर्तव्यों को पूरा करके अस्थायी सुख का अनुभव कर सकते हैं लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार, मुक्ति हासिल करके स्थायी सुख स्वर्ग में ही प्राप्त किया जा सकता है।
खुशी – अच्छे जीवन के लिए आवश्यक
चाहे आप एक छात्र, काम करने वाले पेशेवर, एक गृहिणी या एक सेवानिवृत्त व्यक्ति हो – खुशी आप में से हर एक के लिए एक अच्छा जीवन जीने के लिए जरूरी है। यह व्यक्ति के भावनात्मक कल्याण के लिए आवश्यक है। अगर कोई व्यक्ति भावनात्मक रूप से स्वस्थ नहीं होता है तो उसके समग्र स्वास्थ्य में जल्द गिरावट देखने को मिल सकती है।
भले ही खुशी बेहद जरूरी है पर दुर्भाग्यवश लोग उन तरीकों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं जिससे वे खुद को खुश रख सकते हैं। वे सब अपने व्यावसायिक जीवन और जिंदगी के अन्य कार्यों में इतने तल्लीन हैं कि वे जीवन में अच्छे क्षणों का आनंद लेना भूल जाते हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि तनाव, चिंता और अवसाद के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।
खुशी की परिभाषा और पाने के प्रयास अलग-अलग स्थितियों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं हालांकि इसका एकमात्र उद्देश्य खुश होना है। आप अपने जीवनयापन के लिए जितनी मेहनत करते हैं अगर उतनी मेहनत अपने लिए ख़ुशी हासिल करने के लिए करेंगे तो आपके जीवन के मायने ही बदल जायेंगे।
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पैसे से ख़ुशी नहीं खरीदी जा सकती पर निबंध
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