नारी सशक्तिकरण पर निबंध 100, 150, 200, 500 शब्दों में | Women Empowerment Essay in Hindi

बदलते हुए समय को देखते हुए संपूर्ण विश्व में नारी सशक्तिकरण का एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।आज के इस लेख के द्वारा हम आपको नारी सशक्तिकरण पर निबंध बताने जा रहे हैं। नारी सशक्तिकरण को महिला सशक्तिकरण के नाम से भी जानते हैं। समाज और देश की प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरुरी है। निचे हमने नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में, 100, 150, 500 शब्दों में दिया है। उम्मीद है की यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध आपके काम आएगी।

नारी सशक्तिकरण निबंध (100 शब्द) 

नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ

सबसे पहले यह जानना जरूरी होगा कि आखिर यह नारी सशक्तिकरण होता क्या है? नारी सशक्तिकरण का अर्थ है कि किसी भी नारी की क्षमता को उस स्तर तक ले जाना जहां पर वह अपने निर्णय स्वयं ले पाने में सक्षम हो सके।

नारी अपने जीवन से जुड़े हुए हर एक पहलू पर सोच समझ के सही ढंग से स्वयं निर्णय ले सके। हमारे समाज में नारी को भी पुरुष के समान सभी अधिकार प्राप्त हो। महिलायें दूसरों पर आश्रित रहने की जगह खुद आत्मनिर्भर बन सकें और अपने जीवन के निर्णय खुद ले सके। यही नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ है। 

सरल और आसान शब्दों में कहा जाए तो एक नारी परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने स्वयं के लिए सही गलत का निर्णय खुद ले पाए। यह नारी सशक्तिकरण का मुख्य अर्थ होता है।

नारी सशक्तिकरण निबंध (150 शब्द)

महिलाओं का सशक्त बनना जरूरी

भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले हमारे समाज में व्याप्त महिला विरोधी सोच को मारना बहुत जरूरी है समाज में व्याप्त बुराई जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी ऐसे बहुत से अपराध है, जिन पर सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की जरूरत है।

भारत के संविधान के अनुसार समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सभी महिलाओं को सशक्त बनाना एक सबसे महत्वपूर्ण प्रभावशाली उपाय माना गया है क्योंकि इस तरह के प्रयास से समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को मिटाया जा सकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बहुत महत्वपूर्ण वाक्य महिलाओं को जागृत करने के लिए कहा था कि ‘हमारे समाज में लोगों को जगाने के लिए सभी महिलाओं को जागना बहुत जरूरी है।’

एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में नारी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब नारी के साथ पूरा समाज जागरूक और सशक्त होगा तो इससे राष्ट्र भी मजबूत होगा। माता के रूप में एक बच्चे की पहली गुरु नारी होती है। जॉर्ज हरबर्ट ने कहा कि “एक अच्छी मां 100 शिक्षकों के बराबर होती है, इसलिए मां का सम्मान होना बहुत जरूरी है।”

नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में

हमारे देश में सबसे बड़ा सामाजिक मुद्दा लैंगिक असमानता माना गया है। इसमें सभी महिलाएं पुरुषवादी प्रभुत्व देश में जैसे पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिलाओं को एक समान बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए नारी सशक्तिकरण की हमारे देश में सख्त आवश्यकता है।

महिला विरोधी मान्यताएं और मानसिकताएं बहुत सी समस्याओं को जन्म देती हैं, जो समाज के विकास में तो रुकावट बनती ही है, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी बहुत बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। महिलाओं का यह हमेशा से जन्मसिद्ध अधिकार रहा है कि उनको भी पुरुषों के समान ही समाज में बराबरी का दर्जा मिले इसके लिए महिला सशक्तिकरण जरुरी है। जिसके लिए सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।

महिलाओं को ना केवल घरेलू व पारिवारिक जिम्मेदारियों में ही निपुण होना चाहिए, बल्कि हर क्षेत्र में उनको जागरूकता के साथ सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। सभी महिलाओं को अपने आसपास के क्षेत्र में देश में विदेश में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी से भी अवगत होना जरूरी है।

एक महिला अपने परिवार में सभी चीजों के लिए बहुत जिम्मेदार मानी जाती है, क्योंकि हर समस्या का सामना वह बड़ी समझदारी से कर सकती है। महिलाओं की सशक्त होने की वजह से आज पूरा समाज अपने आप सशक्त हो सकता है।

 पिछले कुछ ही सालों से सभी लोगों को महिला सशक्तिकरण का बहुत फायदा मिल रहा है। महिला अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार, नौकरी सभी की जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से निभा रही है। इसके अलावा देश और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को लेकर वह अक्सर सचेत रहती हैं। सभी महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी रुचि का प्रदर्शन बहुत अच्छे से करती है और कई सालों के संघर्ष के बाद सभी नारी जाति को सही राह पर चलने के लिए उनका अधिकार मिल पा रहा है।

नारी सशक्तिकरण निबंध – 500 words

हमारे देश में आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही नारी को एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस बात का प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। प्राचीन ग्रंथों में तो नारी को देवी के समान पूजनीय माना गया है। ग्रंथों में बताया गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी का सम्मान किया जाता है। वहां देवता भी निवास करते हैं। 

कोई भी समाज राज्य तब तक प्रगति की ओर नहीं बढ़ सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव हीन भावना का त्याग वह नहीं करेगा। इसलिए नारी का सम्मान बहुत जरूरी है और नारी का सशक्त होना भी जरूरी है।

  नारी सशक्तिकरण का अर्थ

नारी सशक्तिकरण का सही शब्दों में यह अर्थ होता है कि अपने स्वयं के निर्णय और अधिकार नारी खुद अपने दम पर ले सके यह ही नारी सशक्तिकरण का सही और आसान अर्थ है। प्राचीन समय से ही महिलाओं को समाज और परिवार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ था। पहले के समय में सभी स्त्रियां शिक्षित और समर्थ भी होती थी। वह राज्य के संचालन के साथ-साथ घर परिवार की जिम्मेदारियां भी बहुत अच्छे से निभा लेती थी।

भारत की संस्कृति में नारी का स्थान

 समय के साथ जैसे जैसे बदलाव आता गया वैसे वैसे नारी का पतन भी शुरू हो गया। भारत मे नारी की स्वतंत्रता को छीन लिया गया। उसके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया। देश और समाज के प्रति जो उसके कर्तव्य पालन थे, उनसे भी महिला को वंचित कर दिया गया था। नारी सशक्त और असमर्थ हो चुकी थी

भारत के स्वतंत्र होने के साथ-साथ नारी ने भी अपने स्वरूप को पहचाना और वह अपने पहले के गौरव और अपने अस्तित्व को पाने के लिए पूरी तरह बेचैन हो उठी नारी आज शिक्षा व्यवस्था विज्ञान सैनिक सेवा चिकित्सा कला राजनीति हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में समर्थ हो चुकी है।

समय के साथ-साथ अब वर्तमान समय में नारी को सशक्त बनाने की पूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय शासन में भी अब 33% का आरक्षण महिलाओं को मिल चुका है। महिलाएं अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से अपने आप सशक्त होती रहेंगी।

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि यहां पर आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही लोगों में लैंगिक असमानता देखने को मिली थी और यहां पुरुष प्रधान समाज भी था। परिवार और समाज के बीच महिलाओं को उनके अधिकारों से और अन्य कई कारणों से भी दबाया जाता था। महिलाओं के साथ में अनेक तरह की हिंसा होती थी। यह सब वारदात भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी होते थे।

 प्राचीन समय से चलते आ रहे इस पुराने प्रचलन ने रीति रिवाज का रूप ले लिया। भारत में एक तरफ महिलाओं को सम्मान देने के लिए देवी के रूप में पूजने की परंपरा है,लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहां महिलाओं को पूजने से ही देश के विकास की हर जरूरत को पूरा किया जाये। देश में हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत जरूरी है। महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए। तभी देश का विकास का सही आधार बनेगा।

महिला सशक्तिकरण में भारत सरकार की भूमिका

भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए महिला और बाल विकास कल्याण मंत्रालय के द्वारा भारत सरकार के सहयोग से बहुत सी योजनाएं चल रही है…

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान योजना
  • महिला शक्ति केंद्र योजना
  • उज्जवला योजना
  • पंचायती राज्य योजना में महिलाओं का आरक्षण
  • महिला हेल्पलाइन योजना
  • सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एंप्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन

भारत जिस तेज गति से प्रगतिशील देश की श्रेणी में रखा जा रहा है। उस तेजी से ही महिला सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए। आज की इस पोस्ट के द्वारा हमने आपको “ नारी सशक्तिकरण पर निबंध ” छोटे से बड़े रूप में लिखना बताया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जरूर पसंद आएगा। अगर आपको इससे जुड़ी किसी भी जानकारी के विषय में जानना है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन से जुड़े रह सकते हैं।

  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध 
  • मेरा घर पर निबंध 10 लाइन

आपको यह नारी सशक्तिकरण निबन्ध कैसा लगा? हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

  • by Rohit Soni
  • 14 min read

इस लेख में महिला सशक्तिकरण पर निबंध शेयर किया गया है। जो कि आपके परीक्षा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। Essay on Women Empowerment in Hindi प्रतियोगी परीक्षाओं में लिखने के लिए आता है। इसलिए महिला सशक्तिकरण पर निबंध बहुत जरूरी है आपके लिए। इसके साथ ही देश की संमृद्धि के लिए भी महिला सशक्तिकरण अति आवश्यक है।

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi

Table of Contents

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 300 शब्दों में – Short Essay On Mahila Sashaktikaran in Hindi

महिला सशक्तिकरण क्या है.

महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है। जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती हैं, और परिवार व समाज में अच्छे से रह सकती हैं। पुरुषों की तरह ही समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है?

महिला सशक्तिकरण आवश्यकता का मुख्य कारण महिलाओं की आर्थिक तथा सामाजिक स्थित में सुधार लाना है। क्योंकि आज भी भारत में पुरुष प्रधान समाज की व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बहुत कम महत्व दिया जाता है। उन्हें घर तक ही सीमित करके रखा जाता है। कम उम्र में विवाह और शिक्षा के अभाव से महिलाओं का विकाश नहीं हो पाता है। जिससे वे समाज में स्वयं को असुरक्षित और लाचार महसूस करती है। इसी वजह से महिलाओं का शोषण हो रहा है। महिला सशक्तिकरण जरूरी है, ताकि महिलाओं को भी रोजगार, शिक्षा , और आर्थिक तरक्की में बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। और महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकांक्षाओं को पूरा कर सके और स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें।

जहाँ वैदिक काल में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता था। वहीं वर्तमान के कुछ शतकों में समाज में नारी की स्थित बहुत ज्यादा दयनीय रही है। और महिलाओं को काफी प्रताड़ना झेलना पड़ा है। यहां तक की आज भी कई गांवों में कुरीतियों के चलते महिलाओं के केवल मनोरंजन समझा जाता है। और पुरुषों द्वारा उनके अधिकारों का हनन कर उनका शोषण किया जाता है। इसलिए आज वर्तमान के समय में महिला सशक्तिकरण एक अहम चर्चा का विषय बन चुका है। हालाँकि पिछले कुछ दशकों में सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया गया है। लेकिन अभी भी पिछड़े हुए गांवों में सरकार को पहुंचकर लोगों को महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता लाने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरत है।

>यह भी पढ़ें Essay Environment in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में (Essay on Women Empowerment in Hindi)

महिला सशक्तिकरण में बहुत बड़ी ताकत है जिससे देश और समाज को सकारात्मक तरीके से बदला जा सकता है। महिलाओं को समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढंग से निपटना आता है। सही मायने में किसी देश या समाज का तभी विकाश होता है जब वहां की नारी जाति को प्रतिष्ठा व सम्मान दिया जाता है।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ – Meaning of women empowerment

नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है। अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व संभव हुआ है। फिर भी वर्तमान युग में एक नारी इस पुरुष समाज में स्वयं को असुरक्षित और असहाय महसूस करती है। अतः महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार, आर्थिक विकाश के समान अधिकार मिल सके, जिससे वह सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता और खुद को सुरक्षित प्राप्त कर सके।

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य

महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास को बढ़ाना हैं। महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि वे सृजन कर्ता होती हैं। अगर उन्हें सशक्त कर दिया जाए, उन्हें शक्तिशाली बनाएं और प्रोत्साहित करें, तो इससे राष्ट्र का विकाश सुनिश्चित होता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके अधिकारों को उनसे अवगत कराना तथा सभी क्षेत्र में समानता प्रदान करना ही महिला सशक्तिकरण का प्रमुख उद्देश्य है।

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है?

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान हैं। क्योंकि बिना शिक्षा के महिलाओं की प्रगति में सकारात्मक परिवर्तन सम्भव नही है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं में जागरूकता लाना आसान है और आयी भी है, वे अपने बारे में सोचने की क्षमता रखने लगी है, उन्होंने अब महसूस किया है कि घर से बाहर भी उनका जीवन है। महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार हुआ तथा उनके व्यक्तित्व में निखार आया है। इसीलिए सरकार द्वारा बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ योजना चलाई गई है। ताकि घर-घर बेटियों को शिक्षा दी जा सके।

महिला सशक्तिकरण के उपाय

महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शासन की तरफ से चलाई गई हैं जिससे नारी जाति के उत्थान में मदद मिली है। और भारत में महिलाओं को एक अलग पहचान प्रदान करती है। महिला सशक्तिकरण के उपाय के लिए चल रही योजनाओं के नाम निम्नलिखित हैं –

  • सुकन्या समृध्दि योजना
  • बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  • प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना
  • वन स्टॉप सेंटर
  • लाड़ली लक्ष्मी योजना
  • फ्री सिलाई मशीन योजना

एक स्त्री पुरुष की जननी होकर भी एक पुरुष से कमजोर महसूस करती है। क्योंकि उसका पिछले कई सदियों से शोषण किया जा रहा है। जिस कारण से एक नारी अपनी शक्ति और अधिकारों को भूल चुकी है। और अपने साथ हो रहे दुराचार को बर्दाश्त करती चली आ रही है। परन्तु वर्तमान युग महिला का युग है। अब उन्हें अपने अधिकारों को प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए कई महिला सशक्तिकरण के उपाय भी किए जा रहे है। किन्तु अभी भी कुछ आदिवासी पिछड़े गांवों में कई सारी कुरीतियां या शिक्षा की कमी के कारण महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। अतः वहां तक पहुँच कर उन महिलाओं को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूक करना होगा।

>यह भी पढ़ें दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में

महिला सशक्तिकरण पर निबंध 1000 शब्दों में (Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi)

[ विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) महिलाओं का अतीत, (3) भारत में महिलाओं का सम्मान, (4) वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार, (5) महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता, (6) शासन तथा समाज का दायित्व, (7) नारी जागरण की आवश्यकता, (8) उपसंहार ।]

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आंचल में है दूध और आंखों में पानी ।”

प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ बड़ा अन्याय होता आ रहा है। उन्हें शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित किया गया जिससे महिलाओं का जो सामाजिक और आर्थिक विकाश होना चाहिए वह नहीं हो सका। समाज में आज भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम आका जाता है। और वे ज्यादातर अपने जीवन-यापन के लिए पुरुषों पर ही निर्भर रह गयी जिससे उन्हें न चाहते हुए भी पुरुषों का अत्याचार सहना पड़ रहा है। इसलिए महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक विकाश के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है।

महिलाओं का अतीत

वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। उन्हें देवी,  अर्द्धांगिनी,  लक्ष्मी माना जाता था। स्मृति काल में भी ” यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता”   यह सम्मानित स्थान प्रदान किया गया था। तथा पौराणिक काल में नारी को शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती थी। परन्तु 11 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारत में महिलाओं की स्थिति बहुत ज्यादा दयनीय होती गई। यह महिलाओं के लिए अंधकार युग था। पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को अपनी इच्छाओं के अनुसार उपयोग में लिए जाने तक ही सीमित रखा जाता था। विदेशी आक्रमण और शासकों की विलासिता पूर्ण प्रवृत्ति ने महिलाओं को उपभोग की वस्तु बना दिया था। और उसके कारण भारत के कुछ समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह पर रोक, अशिक्षा आदि सामाजिक कुरीतियां जिंदगी का एक हिस्सा बन चुकी थी।जिसने महिलाओं की स्थिति को बदतर बना दिया और उनके अधिकारों व स्वतंत्रता को उनसे छीन लिया।

भारत में महिलाओं का सम्मान

भारत में महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर योजनाएं निकाली गई हैं जिनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। जिसका असर यह है कि आज महिलाएं भी पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चलने में सक्षम हो रही हैं। महिलाओं को बराबर की शिक्षा, रोजगार और उनके अधिकार को दिलाकर भारत में महिलाओं को सम्मानित किया गया है। अब महिलाएं घर की दीवारों तक ही सीमित नहीं रहीं हैं। हालांकि कुछ शतकों पहले भारत में महिलाओं की स्थित काफी दयनीय रही हैं किन्तु 21 वीं सदी महिला सदी है। अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का परिचय दे रही हैं।

वर्तमान में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार

महिलाओं के उत्थान के लिए भारत में कई प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं इसके बावजूद भी अभी तक महिलाओं का उतना विकाश नहीं हो पा रहा है। भारत में 50 प्रतिशत की आबादी महिलाओं की है और कही न कहीं महिलाएं स्वयं को कमजोर और असहाय मानती है जिसके कारण से पुरुषों द्वारा उनके प्रति अनुदार व्यवहार किया जाता है। शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं अपने अधिकारों और शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। परिणाम स्वरूप उनका शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। कई ऐसे गांव कस्बे हैं जहाँ अभी भी महिलाओं को शिक्षा और उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है और कई प्रकार की कुरीतियों के चलते उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। और उन्हें देह-व्यापार करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे में सरकार और समाज दोनों को इसके प्रति विचार करना चाहिए।

महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

जैसा कि भारत में 50 फीसदी की आबादी महिलाओं की है और जब तक इनका विकास नहीं होगा तो भारत कभी भी विकसित देश नहीं बन सकता है। देश के विकाश के लिए महिलाओं का विकाश होना जरूरी है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि प्राचीन काल के अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी है। और जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान बहुत कम हो गया था। वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो रही है।

शासन तथा समाज का दायित्व

महिलाओं के विकाश के लिए शासन तथा समाज का दायित्व है कि इसके लिए विभिन्न प्रकार से प्रयास किए जाएं ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सके, और परिवार व समाज में सुरक्षित तरीके से रह सकें। तथा पुरुषों की तरह ही महिलाएं भी समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करें।

शासन द्वारा महिला सशक्तीकरण से संबंधित कुछ प्रमुख सरकारी योजनाएँ

  • सुकन्या समृद्धि योजना

नारी जागरण की आवश्यकता

यह समाज पुरुष प्रधान है और हमेशा से ही महिलाओं को पुरुषों से नीचे रखा गया है। परन्तु नारी की अपनी एक गरिमा है। वह पुरुष की जननी है नारी स्नेह और सौजन्य की देवी है। किसी राष्ट्र का उत्थान नारी जाति से ही होता है। और वर्तमान समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए नारी जागरण की आवश्यकता महसूस हो रही है। समाज के बेहतर निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार दिए जाए तभी एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा। इसके लिए नारी को अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आना होगा।

वैदिक काल, और प्राचीन काल में महिलाओं को पूजा जाता था उन्हें पुरुषों से भी ऊँचा दर्जा प्रदान किया गया था। किन्तु मध्यकाल में नारी जाति का अत्यधिक शोषण हुआ है जिस कारण से महिलाओं का विकाश बहुत कम हो पाया है। उन्हें घर के अंदर तक ही बंधन में रखा जाता है बाहर निकल कर रोजगार करने में प्रतिबंध लगाया जाता है। और यदि बाहर निकलने की छूट भी मिलती है तो समाज के अराजक तत्वों से उन्हें कई तरह से खतरा बना रहता है। अतः उनके उत्थान के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। महिलाओं को उचित शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों को पहचान सकें और अपने ऊपर हो रहें अत्याचार का विरोध कर सकें। तथा अपने जीवन के अहम फैसले स्वयं लेने के लिए हमेशा स्वतंत्र रहें।

  • रिश्तों के नाम हिंदी और अंग्रेजी में जानें

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

महिला सशक्तिकरण पर 10 वाक्य (Nari Sashaktikaran par Nibandh in Hindi)

  • महिला सशक्तिकरण से आशय यह है कि महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना।
  • हमारे देश में महिलाओं के प्रति अनुदार व्यवहार को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है।
  • महिला सशक्तिकरण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या सम्बृध्दि योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना आदि शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण के तहत मुहिम चलाई जा रही है।
  • बेटी व महिलाओं को पुरुष समाज में बराबरी के अधिकार दिलाने के लिए उनमें जागरूकता लाना आवश्यक है।
  • बेहतर समाज के निर्माण के लिए समाज में नारी को एक समान अधिकार व सम्मान प्रदान करना उतना ही जरूरी है, जितना की जीवन के लिए भोजन जरूरी है।
  • 21 वीं सदी महिला सदी माना जाता है, अब महिलाएं भी हर क्षेत्र में अपनी कुशलता का बखूबी परिचय दे रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण से ही संभव है।
  • वर्तमान समय में कई भारतीय महिलाएँ महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं।
  • महिलाओं को अपने अधिकार, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए स्वयं आगे आना होगा।
  • महिलाओं के उत्थान के लिए समाज और शासन को अधिक से अधिक उपाय करना चाहिए।

यह निबंध महिला सशक्तिकरण के बारे में है। जिसका शीर्षक इस प्रकार से है “ महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में ” अथवा “ Essay on Women Empowerment in Hindi ” यह निबंध आपके लिए बहुत उपयोगी है अतः आपको Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi 1000 शब्दों में लिखना जरूर से आना चाहिए।

FAQ Mahila Sashaktikaran Essay

Q: महिला सशक्तिकरण कब शुरू हुआ था.

Ans: महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई।

Q: महिला सशक्तिकरण कब लागू हुआ था?

Ans: राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।

Q: समाज में महिलाओं की क्या भूमिका है?

Ans: समाज में महिलाओं की अहम भूमिका है क्योंकि नारी ही परिवार बनाती है, परिवार से घर बनता है, घर से समाज बनता है और फिर समाज ही देश बनाता है। इसलिए महिला का योगदान हर जगह है। और महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।

इसी प्रकार के और भी उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में पढ़ने के लिए Hindi Read Duniya को सबस्क्राइब जरूर करें। निबंध को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!

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3 thoughts on “महिला सशक्तिकरण पर निबंध 500 शब्दों में | Essay on Women Empowerment in Hindi”

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Bahut achcha nibandh lika hai🙏

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धन्यवाद भाई 💖

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महिला सशक्तीकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay)

English Icon

लिंग, वर्ग, धर्म या सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर भेदभाव के बिना महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षिक अधिकार देना "महिला सशक्तीकरण"(mahila sashaktikaran essay) या नारी सशक्तीकरण (nari sashaktikaran par nibandh) कहलाता है। किसी राष्ट्र के विकसित होने के लिए यह एक आवश्यक शर्त है। इस लेख में "महिला सशक्तीकरण" (mahila sashaktikaran essay) पर कुछ सैंपल निबंध दिए गए हैं, जो छात्रों के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

महिला सशक्तीकरण पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Women Empowerment)

महिला सशक्तीकरण पर 200 शब्दों का निबंध (200 words essay on women empowerment), महिला सशक्तीकरण पर 500 शब्दों का निबंध (500 words essay on women empowerment).

महिला सशक्तीकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay)

हम सभी ने "महिला सशक्तीकरण"(mahila sashaktikaran essay) या नारी सशक्तीकरण (nari sashaktikaran par nibandh) के बारे में सुना होगा। "महिला सशक्तीकरण" (mahila sashaktikaran essay) समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ बनाने तथा सभी लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए किए गए कार्यों को संदर्भित करता है। व्यापक अर्थ में, यह विभिन्न नीतिगत उपायों को लागू करके महिलाओं के आर्थिक तथा सामाजिक सशक्तीकरण से संबंधित है। प्रत्येक बालिका की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी शिक्षा को अनिवार्य बनाना, महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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एक शिक्षित महिला अपनी और अपने परिवार दोनों की मांगों को पूरा कर सकती है। आज के दौर में वे अधिक प्रसिद्ध हैं और राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में उनकी आवाज प्रखर है। महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में पहला कदम उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना और उनके अधिकारों और हितों की रक्षा करना है।

कोई देश कितना भी प्रगतिशील क्यों न हो, लगभग सभी देशों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का इतिहास रहा है। दूसरे शब्दों में, महिलाएँ पूरे इतिहास में विद्रोही रही हैं ताकि वे आज जो मुकाम हासिल कर रही हैं उसे प्राप्त कर सकें। भारत जैसे तीसरी दुनिया के देश अभी भी महिला सशक्तीकरण में पीछे हैं, जबकि पश्चिमी देश आगे बढ़ रहे हैं। भारत में महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

महिला सुरक्षा: भारत उन देशों में से एक है जहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यह कई कारकों के कारण है। सबसे पहले, ऑनर किलिंग भारत में महिलाओं के लिए खतरा है। यदि यह माना जाता है कि महिलाओं ने परिवार को बदनाम किया है, तो उनके परिवार का मानना है कि उन्हें मार डालना उचित है।

बाल विवाह: इसके अतिरिक्त, स्वतंत्रता और ज्ञान की यह तस्वीर अपेक्षाकृत पिछड़ी हुई है। महिलाओं की कम उम्र में शादी कर दी जाती है और वे उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाती हैं। अन्य क्षेत्रों में, पुरुष महिलाओं पर इस तरह शासन करते हैं जैसे कि वह उनकी सेवा करने के लिए बनी हो। वे उन्हें घर से बाहर निकलने की किसी भी स्वतंत्रता या अवसर से वंचित करते हैं।

अन्यायपूर्ण व्यवहार: भारत में, घरेलू हिंसा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। क्योंकि वे मानते हैं कि महिलाएं उनकी संपत्ति हैं, पुरुष उनकी पत्नियों को मारते और गाली देते हैं। इसके विरुद्ध आवाज़ उठाना महिलाओं के लिए बहुत कठिन था। इसी तरह काम करने वाली महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम पारिश्रमिक दिया जाता है। समान श्रम के लिए किसी को उसके लिंग के आधार पर कम भुगतान करना स्पष्ट रूप से अन्यायपूर्ण और लैंगिकवादी है। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि महिलाओं के सशक्त होने का समय आ गया है।

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महिलाओं को उनके उचित अधिकार देना उन्हें सशक्त बनाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने का एक तरीका है। भारत की पौराणिक कथाएं महिलाओं को देवी का दर्जा देती हैं। देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और उन्हें हमारे घर में प्रथम स्थान दिया जाता है। लेकिन जब बात महिलाओं की आती है तो उन्हें मौलिक अधिकार भी नहीं मिलते हैं। ये भी पढ़ें : हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

राजनीतिक सशक्तीकरण

राजनीतिक सशक्तीकरण सरकारी भूमिकाओं और निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी का वर्णन करता है। 2017 के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में सभी संसदीय पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 23.6% है। महिलाओं को मतदान का अधिकार प्रदान करना और उन्हें उच्च पद बनाए रखने की अनुमति देना महिलाओं के लिए राजनीतिक सशक्तीकरण रणनीतियों के दो उदाहरण हैं। संसदीय सीटों में महिलाओं के लिए आरक्षण और अन्य संवैधानिक भूमिका उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में अधिक प्रमुखता प्रदान करेगी।

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आर्थिक सशक्तीकरण

महिलाएं अपनी प्रतिभा को निखारकर तथा अपनी रोजगार क्षमता बढ़ाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इसे महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण कहा जाता है। महिलाओं की शिक्षा और कौशल विकास के लिए एक कार्यक्रम नीति निर्माताओं द्वारा गैर सरकारी संगठनों और अन्य प्रासंगिक समूहों के सहयोग से स्थापित किया जाता है ताकि वे या तो सार्थक रोजगार पा सकें या अपना व्यवसाय शुरू कर सकें।

आर्थिक रूप से स्वतंत्र होकर महिलाओं की सामाजिक स्थिति और स्वाभिमान को ऊंचा किया जा सकता है। महिला सशक्तीकरण की सभी चर्चाएँ तभी सार्थक हैं जब महिलाएँ अपने परिवार और खुद को स्वतंत्र रूप से सहारा देना सीख लेंगी।

महिला सशक्तीकरण के लाभ (Advantages of Women Empowerment)

महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) के समाज और पूरे देश दोनों के लिए कई फायदे हैं। महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

महिलाएं सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम होंगी तथा खुद का सम्मान करेंगी।

जैसे-जैसे महिलाएं आगे बढेंगी और देश के विकास में योगदान देंगी, महिलाओं को अधिक आत्मविश्वास प्राप्त होगा।

महिलाओं को उच्च सामाजिक स्थान प्राप्त होगा और वें अधिक व्यापक रूप से स्वीकृत और मूल्यवान होंगी।

महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता और स्वतंत्र मौद्रिक निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी।

महिलाओं को सशक्त बनाने से लैंगिक पूर्वाग्रह से रहित न्यायपूर्ण समाज का मार्ग प्रशस्त होगा।

समग्र रूप से राष्ट्र की बेहतर स्वास्थ्य स्थिति महिलाओं की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच का परिणाम है।

एक महिला जो काम करती है वह परिवार की आय में वृद्धि करती है, उनके जीवन और सामाजिक प्रतिष्ठा में सुधार करती है।

एक शिक्षित महिला यह सुनिश्चित करेगी कि उसके बच्चे शिक्षित हों, जिससे एक समृद्ध देश का निर्माण हो सके।

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG 2030) को महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran) के समर्थन से प्राप्त किया जा सकता है।

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मेरे विचार (My Opinion)

महिलाओं को किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना उचित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच होनी चाहिए। जब महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran essay) की बात आती है, तो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र महत्वपूर्ण होता है। पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं का निरंतर सुधार सुनिश्चित होगा। परिणामस्वरूप, हमारी नगरपालिका आवश्यक कदम उठा रही है। वे महिलाओं को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं, उन्हें मुफ्त राशन तथा उपयुक्त मतदान सुविधा प्रदान करते हैं।

पहले हमारे क्षेत्र में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था, लेकिन अब वे बिना किसी भेदभाव या खतरे के वोट दे सकती हैं। अपनी नगरपालिका को ये कदम उठाते हुए देखकर मुझे गर्व और खुशी महसूस हो रही है। मैं सरकार और उच्च अधिकारियों को इस तरह के कदम उठाने और इन अविश्वसनीय महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं।

महिलाओं को सशक्त बनाने में समाज की बड़ी भूमिका है। कई महिलाएं इस डर से हिंसक रिश्तों में रहती हैं कि दूसरे क्या सोचेंगे। महिलाओं का समर्थन करना एक सरल कदम है जो एक ऐसे समाज में काफी सुधार करेगा जहां सभी को स्वीकार किया जाता है। ऊपर शामिल महिला सशक्तीकरण (Women Empowement Essay in hindi) पर निबंध पाठकों को समाज में महिला सशक्तीकरण (mahila sashaktikaran) के महत्व और आवश्यकता को समझने में मदद करने में सहायक होना चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं कि महिला सशक्तीकरण निबंध (Women Empowement Essay in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से महिला सशक्तीकरण निबंध (Women Empowement Essay in hindi) संबन्धित आपकी सभी समस्याओं का सामाधान हो गया होगा। ऐसे ही और भी महत्वपूर्ण लेख व निबंधों को पढ़ने के लिए इस लेख में मौजूद लिंक्स पर क्लिक करें।

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नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi Pdf

आज का यह लेख  नारी सशक्तिकरण पर निबंध ( Women Empowerment Essay In Hindi Pdf ) के रूप में दिया गया हैं. महिला सशक्तिकरण जिन्हें नारी सशक्तिकरण के नाम से जाना जाता हैं, यहाँ पढ़िए यहाँ छोटा बड़ा नारी महिला वीमेन एम्पावरमेंट हिंदी एस्से यहाँ स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं.

नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi

नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi

Get Here Free Short Essay On Women Empowerment Essay In Hindi Pdf For School Students & Kids

नमस्कार दोस्तों आज का निबंध महिला सशक्तिकरण पर निबंध Women Empowerment Essay In Hindi पर दिया गया हैं. महिला सशक्तिकरण अर्थात वीमेन एम्पोवेर्मेंट अर्थ महत्व पर आसान भाषा में स्टूडेंट्स के लिए यहाँ निबंध दिया गया हैं.

यह जानना आवश्यक हैं आखिर  महिला सशक्तिकरण हैं क्या ? सरल शब्दों में कहा जाए तो नारी (स्त्री,महिला) को उस स्तर तक ले जाना जहाँ से वह अपने निर्णय स्वय कर सके.

वे अपने करियर, शादी, रोजगार, परिवार नियोजन सहित सभी विषयों पर बिना किसी के मदद व दवाब के निर्णय ले सके.

उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हो जो पुरुष वर्ग को हैं, वह किसी के भरोसे जीने की बजाय इस काबिल बन जाए कि स्वय अपना कार्य कर सकने में सक्षम हो, यही महिला सशक्तिकरण हैं.

चलिए महिला सशक्तिकरण (वीमेन एम्पोवेर्मेंट) के छोटे निबंध को.

150 शब्द, नारी सशक्तिकरण निबंध

यदि हम अपने देश की ही बात करे तो आए दिन प्रति हजार लोगों पर स्त्रियों की संख्या निरंतर कम ही होती जा रही हैं. इसका दूसरा पहलु सरकार की ओर से कथित दलीले हैं. सरकार के कथनानुसार गाँव के लोगों तक 100 फीसदी शिक्षा पहुच चुकी हैं.

जिससे कारण बालिका शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के विषय में लोगों में जागरूकता बढ़ रही हैं. मगर आज की स्थति बया करती है, आज भी कई जातिया ऐसी हैं जहाँ लडको की संख्या अधिक और लड़कियों की संख्या में कमी हैं.

मजबूरन अब लोगों को अपनी जाति की परिधि से बाहर निकलकर शादी ब्याह करना पड़ता हैं. सभव हैं अभी भी स्थति नियंत्रित की जा सकती हैं. फिर भी हम नही जगे, तो जिस तरह जीवो की प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं. जिनमे कल बेटियों का नाम भी आ सकता हैं.

बेटी हम सभी के घर में उजाले का दीपक हैं, भला वो भी तो इंसान हैं. वह इस संसार की जगत जननी हैं. जिनकी रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य भी हैं. इसलिए आज हम सभी यह सकल्प करे कि कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाते हुए, इन्हे भी बेटों की तरह जीने का अधिकार देगे.

नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध 300 शब्द ( Essay On Women Empowerment In Hindi)

संकट एवं चुनौतियों का मुकाबला करने में महिलाएं अपने शौर्य और पराक्रम में कभी पीछे नही रही हैं. इन्होने सदा ही आगे बढ़कर चुनौतियों का न केवल समझदारी के साथ सामना किया हैं, बल्कि इन्हें अपने साहस एवं सूझ बुझ से परास्त भी किया हैं.

जब भी राष्ट्र एवं विश्व मानवता पर संकट के बादल छाएँ है युवतियों के शौर्य ने ही प्रचंड प्रभजन बनकर इन्हें छिन्न भिन्न किया हैं.

कथाएँ वैदिक इतिहास की हो या फिर उपनिषदों की अथवा आधुनिक समय की, सभी ये ही सच बताती हैं कैकेय राज्य की राजकुमारी अप्रतिम यौद्धा था. एक भीषण युद्ध में कैकेयी ने अपनी जान पर खेलकर अपने पति दशरथ की जान बचाई थी. जगन्माता सीता युद्धकला में अत्यंत निपुण थी. रणचंडी दुर्गा और महाकाया काली का शौर्य तो सर्वविदित हैं.

वैदिककाल में महिलाओं को न केवल ज्ञान प्रदान किया जाता था, बल्कि उन्हें युद्ध की कला एवं कुशलता में पारंगत होने के लिए विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाता था.

अतः वैदिक काल की महिलाएं किसी भी पराक्रमी युवा से कम नही होती थी. अपने देश का प्राचीन इतिहास महिलाओं के शौर्य एवं पराक्रम से भरा पड़ा हैं.

ऐसी अनगिनत घटनाएं है जिनमें महिलाओं ने अपनी रणकुशलता एवं समझदारी से हारी बाजी को जीत में बदल दिया और इतिहास की धारा को मोड़ने में सक्षम और समर्थ हो सकी.

घुड़सवारी, तलवारबाजी, धनुषविद्या जैसी अनेक युद्धकलाओं में पारंगत अनेकों वीरांगनाओं के नाम इतिहास में दर्ज है अमर हैं.

भारत में नारी सशक्तिकरण का इतिहास ( Women Empowerment in hindi)

भारत के स्वतंत्र होने का इतिहास भी इस तथ्य का साक्षी हैं वर्ष 1857 से वर्ष 1947 तक लम्बे स्वतंत्रता संघर्ष में देशवासियों के ह्रदय में देशभक्ति एवं क्रांति की भावों को आरोपित करने वाले युवाओं के साथ युवतियों की भूमिका भी सराहनीय रही. वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भी थी.

उनके समान अद्भुत साहस, शौर्य, पराक्रम एवं जज्बा आज भी किसी में देख पाना संभव नही हैं. जबकि रानी लक्ष्मीबाई तो तब मात्र 30 वर्ष की थी. उनकी सेना की एक और जाबाज झलकारीबाई युवती ही थी.

उन्ही की प्रेरणा से सुंदर, मुंदर, जूही, मोतीबाई जैसी नृत्यांगनाएं क्रांति की वीरांगनाएँ बन गई. स्वाधीनता की बलिवेदी पर स्वयं का सर्वस्व लुटाने वाली ये वीरांगनाएं आज भी किसी प्रेरणा से कम नही हैं.

निबंध (400 शब्द) Women Empowerment Hindi Essay

हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत में महिलाओं का अति प्राचीनकाल से ही सम्मानजनक स्थान रहा हैं. वैदिक काल में महिलाओं को शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रो में पुरुषो के बराबर अधिकार प्राप्त थे.

लेकिन उत्तरवैदिक काल आते-आते पर्दा-प्रथा, अशिक्षा तथा अन्य कुरुतिया फैलती गईं और नारी सिर्फ घर की चारदीवारी में कैद होने लगी तथा पुरुषो के निजी स्वामित्व वाली वस्तु मानी जाने लगी. सामाजिक अंधविश्वास,पाखंड, अशिक्षा तथा पितर प्रधान समाज में महिलाओं की स्थति बद से बदतर होती चली गईं.

आधुनिक काल में शिक्षा के प्रचार, समाज सुधारकों के प्रयासों से महिला के सम्मान तथा अधिकारों के लिए आवाज उठने लगी.

महिला सशक्तिकरण जोर पकड़ने लगा. महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओ की सकारात्मक सहभागिता आवश्यक हैं. महिलाओं के प्रति समन्वयात्मक द्रष्टिकोण अपनाकर पुराने रूढ़ सामाजिक मूल्यों के रूपांतरण की आवश्यकता हैं.

नारी / महिला सशक्तिकरण का अर्थ (Women Empowerment Meaning In Hindi)

महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य ऐसा वातावरण सर्जित करने से हैं जिसमे प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमताओ का पूर्ण उपयोग करते हुए अपने जीवन व कार्यो के लिए निर्णय स्वय ले सके. वर्तमान में नारी विकास के लिए हमारे सविधान में मूल अधिकारों व निति निर्देशक तत्वों में भी कई प्रावधान हैं. जिनमे नारी को पुरुष के समान अधिकार दिए हैं.

2005 में हिन्दू उतराधिकार कानून में संशोधन से बेटियों को भी बेटों के बराबर अधिकार प्रदान किये गये हैं. राजनितिक क्षेत्र में भी नारी ने पुरुषो के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर अपनी पहचान बनाई हैं.

देश के प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति व राज्यों के मुख्यमंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष आदि पदों पर स्त्रियों अपना स्थान बना रही हैं. सामाजिक क्षेत्र में भी नारी आगे रही हैं. जिनमे रमाबाई पंडित ने स्त्री शिक्षा पर कार्य किया तो मदर टरेसा ने सर्वधर्म समभाव से सभी गरीबो के लिए मुक्त में सेवा कार्य किया हैं.

आर्थिक क्षेत्रो में भी पुरुषो के बराबर व्यापार में हाथ आजमा रही हैं. व सफल भी हो रही हैं. इनमे चंदा कोचर, इंद्रा नूरी आदि महिलाओं के नाम आते हैं.

साहित्यिक क्षेत्र में मानवीय संवेदना को गहराई तक महसूस कर लिखने में महादेवी वर्मा, सरोजनी नायडू जैसी महिला लेखिकाओं के नाम मुख्य हैं. खेल के क्षेत्र में भी सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, अपुर्वी चन्देल जैसी खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय कार्य किया हैं.

महिला सशक्तिकरण के प्रयास (Effort Of Women Empowerment In Hindi)

सरकार द्वारा भी महिला सशक्तिकरण के लिए 8 मार्च 2010 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रिय मिशन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा शुरू किया गया था.

राज्य सरकारों ने भी महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएँ शुरू की गईं. जैसे स्वास्थ्य सखी योजना, कामधेनु योजना, स्वावलम्बन योजना, स्वशक्ति योजना आदि वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण के बारे में स्वय महिलाए भी जागरूक हो गईं हैं. यह शिक्षा के प्रचार का प्रभाव हैं.

नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध 500 शब्द (Hindi Essay About Women Empowerment )

भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान

आदिकाल से हमारा देश नारीपूजक रहा हैं, तभी तो नारायण से पूर्व लक्ष्मी, शंकर से पूर्व भवानी, राम के पूर्व सीता और कृष्ण के पूर्व राधा का नामोच्चार होता हैं.

भारतीय समाज में विदुषी महिलाओं की कोई भी कमी नहीं रही. रणभूमि में भारतीय नारी ने अपने जौहर दिखाए, लेकिन दैनिक जीवन में भारतीय नारी कभी नर के समकक्ष सम्मान की अधिकारिणी नहीं बन पाई.

नारी की वास्तविक स्थिति

समाज का पचास प्रतिशत वर्ग नारी वर्ग हैं. किन्तु समाज के निर्माण में उसकी भूमिका को प्रायः नजरअंदाज किया जाता हैं. सच तो यह है कि समाज का पुरुष वर्ग नारी की भूमिका का विस्तार नहीं चाहता है.

उसे भय है कि नारी अभ्युदय से उसका महत्व और एकाधिकार समाप्त हो जाएगा. अशिक्षा और रुढ़िवादी दृष्टिकोण ने नारी की भूमिका की स्थिति को शौचनीय बना रखा हैं.

नारी शिक्षा का महत्व

शिक्षित नारी तो दो कुलों का उद्धार करती हैं. नारी को अशिक्षित रखकर राष्ट्र की आधी क्षमता का विनाश किया जा रहा हैं. शिक्षित नारी ही बच्चों का लालन पोषण ठीक ढंग से कर पाती हैं.

वह बच्चों में अच्छे संस्कार उत्पन्न कर सकती हैं. उसे समाज में सभ्य ढंग से जीना आता हैं. शिक्षा, नारी में आत्मविश्वास पैदा करती हैं. और बुरे दिनों में उसकी सबसे विश्वसीय सहायिका बनती हैं.

शिक्षित नारी की भूमिका

नारी शिक्षा का देश में जितना प्रचार प्रसार हुआ हैं. उसका श्रेष्ठ परिणामों सभी के सामने हैं. आज नारी जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने की क्षमता रखती हैं. शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, धर्म, समाज सेवा और सेना में भी आज नारी प्रशन्सनीय भूमिका निभा रही हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी नारी चेतना करवट ले रही हैं. उनको स्थायी स्वशासन में 30 प्रतिशत भागीदारी का अधिकार मिल गया हैं. किन्तु यहाँ भी अशिक्षा ने उसकी भूमिका को पृष्टभूमि में डाल रखा हैं. पंचायतों में उसके प्रतिनिधि ही भाग ले रहे हैं.

नारी आज सफल व्यवसायी हैं, प्रबन्धक, अध्यापक है, वकील है, मंत्री है, प्रधानमंत्री है, राज्यपाल है, मुख्यमंत्री हैं, वैज्ञानिक है तथा साहसिक अंतरिक्ष अभियानों में पुरुषों से होड़ लेती हैं. कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं.

शिक्षित नारी का आदर्श स्वरूप

भारतीय नारी ने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को प्रमाणित किया हैं. कुछ महिलाएं शिक्षित होने का अर्थ कतिपय हास्यास्पद क्रियाकलापों से जोड़ लेती हैं. उनके अनुसार विशेष वेशभूषा अपनाना, फैशन परेडो और किटी पार्टियों में भाग लेना ही शिक्षा और प्रगतिशीलता की निशानी हैं.

भारतीय नारी के कुछ महत्वपूर्ण दायित्व हैं. उसे अपने विशाल नारी समाज को आगे बढ़ाना हैं. देश की ग्रामीण बहिनों को उनके अज्ञान एवं अंधविश्वासों से मुक्ति दिलानी हैं. हमें अपनी खेल सम्बन्धी महान परम्पराओं की पुनः स्थापना करनी हैं.

600 शब्द नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध (Short Empowerment Of Women Hindi Essay)

नारी सशक्तिकरण से आशय (Meaning of women empowerment)

प्राचीन भारत में नारी को समाज तथा परिवार में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था. उस समय स्त्रियाँ सुशिक्षित और समर्थ होती थी. समाज और राज्य के संचालन में भी उनका योगदान होता था. भारत में पराधीनता के प्रवेश के साथ ही नारी का पतन आरम्भ हो गया.

उनकी स्वतंत्रता प्रतिबंधित हो गई, उनको शिक्षा प्राप्त करने तथा देश समाज के प्रति कर्तव्यपालन से रोक दिया गया. वह अशक्त और असमर्थ हो गई. स्वाधीन भारत के लिए नारी की अशक्तता कदापि हितकर नहीं. वह देश के नागरिकों की आधी संख्या हैं.

उनके बिना देश का भविष्य उज्ज्वल हो ही नहीं सकता. अतः नारी के संबल, शिक्षित और समर्थ बनाने की आवश्यकता को गहराई से महसूस किया गया, उसको शिक्षा प्राप्त करने, घर से बाहर जाकर काम करने, समाज और राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने के लिए अवसर दिया जाना जरुरी हो गया.

घर से बाहर कार्यालयों, उद्योगों, राजनैतिक संस्थाओं में नारी को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाना राष्ट्र की आवश्यकता बन चूका हैं. नारी को सशक्त बनाने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा हैं. परन्तु संसद तथा विधान सभाओं में उसके लिए स्थान आरक्षित होना अभी भी शेष हैं.

नारी को सशक्त बनाने के प्रयास हो रहे हैं. उद्योग, व्यापार, उच्च शिक्षा, वैज्ञानिक शोध एवं प्रशासन के क्षेत्र में वह निरंतर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. स्थानीय शासन में उसे 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त हो चूका हैं.

संसद और विधानसभाओं भी उसे आरक्षण प्राप्त होना सुनिश्चित हैं. अच्छी शिक्षा प्राप्त होने पर वह स्वयं ही सशक्त हो जायेगी.

वर्तमान समाज में नारी की स्थिति (Status of women in present society)

स्वतंत्र भारत में नारी ने अगड़ाई ली हैं. वह फिर से अपने पूर्व गौरव को पाने के लिए बैचेन हो उठी हैं. शिक्षा व्यवस्था, विज्ञान, सैन्य सेवा, चिकित्सा, कला, राजनीति हर क्षेत्र में वह पुरुष से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.

वह सरपंच है, जिला अध्यक्ष है, मेयर है, मुख्यमंत्री है, प्रधानमंत्री है, राष्ट्रपति हैं. लेकिन अभी तक तो यह सौभाग्य नगर निवासिनी नारी के हिस्से में ही दिखाई देता हैं. उसकी ग्रामवासिनी करोड़ों बहिनें अभी तक अशिक्षा, उपेक्षा और पुरुष के अत्याचार झेलने को विवश हैं.

एक ओर नारी के सशक्तिकरण की, उसे संसद और विधानसभाओं में ३३ प्रतिशत आरक्षण देने की बातें हो रही हैं तो दूसरी और पुरुष वर्ग उसे नाना प्रकार के पाखंडों और प्रलोभनों से छलने में लगा हुआ हैं.

सशक्तिकरण हेतु किये जा रहे प्रयास- भारतीय नारी का भविष्य उज्ज्वल हैं. वह स्वावलम्बी बनना चाहती हैं. अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाना चाहती हैं. सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराना चाहती हैं.

देश की प्रमुख सशक्त नारियों का परिचय (Introduction of the country’s main empowered women)

स्वतंत्रता के लिए होने वाले आंदोलन में अनेक नारियों ने अपना योगदान देकर नारी शक्ति का परिचय दिया था. रानी लक्ष्मीबाई से कौन अपरिचित हैं. सरोजनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित, सचेत कृपलानी, राजकुमारी अमृतकौर, अरुणा आसफअली आदि को कौन नहीं जानता.

भारत की इंदिरा गांधी, जय ललिता, मायावती, महादेवी, मन्नू भंडारी, लता मंगेशकर, सानिया मिर्जा, बछेंद्री पाल, कल्पना चावना, सुनीता विलियम्स आदि नारियों ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सफलता अर्जित की हैं.

देशीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारतीय नारियों ने कीर्तिमान स्थापित किये हैं. इनमें मल्ल विद्या का उल्लेख विशेष उल्लेखनीय हैं.

पुरुष और नारी के संतुलित सहयोग में ही दोनों की भलाई हैं. दोनों एक दूसरे को आदर दे तथा एक दूसरे को आगे बढ़ाने में सहयोग करे. इसी से ही भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा.

(700 शब्द) महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay On Women Empowerment In Hindi

इसी गौरवगाथा में आज की युवा नारियां थल सेना, वायु सेना एवं जलसेना में भी प्रवेश कर अपने साहस का परिचय दे रही हैं. बीकानेर की तनुश्री पारिक वह पहली महिला हैं. जो सीमा सुरक्षाबल जैसे संघर्षपूर्ण क्षेत्र में एसिस्टेंट कमांडेंट के रूप में नियुक्त हुई. तेईस वर्ष की तनुश्री स्वयं को इस पद पर पाकर अत्यंत गौरवान्वित महसूस करती हैं.

उनका कहना है कि यदि नारी संकल्पित हो जाये तो उसको कोई शक्ति नही डिगा सकती हैं. बचपन से उनके मन में एक अदम्य इच्छा जागती थी. कि राष्ट्र के लिए उनका जीवन उत्सर्ग हो.

स्वयं के लिए तो सब जीते है पर राष्ट्र के लिए जीना और राष्ट्र को अपनी हर साँस में महसूस करना, दिल की हर धड्कन में इसे बसा लेना ही जीवन की सार्थकता है वे कहती है कि bsf में जाकर उनका यह सपना पूरा हुआ हैं.

सीमा सुरक्षा बल में पुरुष सैनिकों का वर्चस्व है कठिन से कठिन परिस्थियों में स्वयं को ढाल लेना एवं अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम देना उनके अनुकूल होता हैं. परन्तु इन भीषण एवं विषम परिस्थियों में महिलाओ का कार्य करना अत्यंत कठिन एवं दुष्कर होता हैं.

परन्तु तनुश्री ने इन असम्भव जैसे कठिन कार्य को आसान बना दिया. और उन युवा नारियों के लिए प्रेरणा बन गई, जो इस दिशा में सोचती है और इस क्षेत्र में अपना शौर्य और पराक्रम लगाना चाहती हैं.

crpf में बकायदा दो महिला बटालियन नियुक्त हैं और अपने साहस का शानदार परिचय दे रही हैं. दरअसल पुलिस एवं सेना क्षेत्र को महिलाओं के लिए उपयुक्त नही माना जाता,

परन्तु आज की नारियो ने इस तथ्य को न केवल झूठला दिया हैं, बल्कि अपनी समझदारी एवं अप्रितम शौर्य से सबको अचम्भित भी कर दिया हैं.

नारियों के इन अद्भुत कारनामों में एक और नाम अनीता पुरोरा का जुड़ता हैं, जो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर तैनात रही हैं. उन्होने इस पद को अपनी कुशलता और विशेषज्ञता से सुशोभित किया था.

उनका कहना है कि यह उनके लिए सपना सच होने जैसा था. बचपन से ही उमंग और उत्साह उनके मन में कुचाले मारा करते थे.

युवावस्था में कदम धरते ही उनकी असीमित मानसिक एवं शारीरिक ऊर्जा एक पथ खोज रही थी. जो इस चुनौतीपूर्ण पद को पाकर सही दिशा में बहने लगी. राष्ट्र के प्रति उनका यह जज्बा एवं समर्पण निसंदेह अविस्म्रिय एवं अद्भुत हैं.

भारतीय वायुसेना में नारियों का प्रवेश और उनका योगदान महत्वपूर्ण हो रहा हैं. इस क्षेत्र में उनकी अभिरुचि यह दर्शाती हैं कि आज की युवा नारियां युवाओं से किसी भी क्षेत्र में कमतर या कमजोर नही हैं.

बल्कि उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का जज्बा रखती हैं. उनकी इस अभिरुचि के कारण वर्ष 1991 में ही युवा नारियों को पायलट की भूमिका देनी शुरू हो गई थी.

मगर अब तक ये सिर्फ हेलीकॉप्टर और परिवहन विमान ही उड़ाती रही हैं. इस कड़ी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2016 के अवसर पर एयर इंडिया की से चलाई गई दुनिया की सबसे लम्बी वीमेन फ्लाईट का नेतृत्व उतराखंड की बेटी क्षमता वाजपेयी ने किया.

उनके निर्देशन में पूरी टीम, जो युवा लड़कियों से सुसज्जित थी, ने 17 घंटे में 14500 किलोमीटर का सफर तय कर नया विश्व रिकॉर्ड बना डाला.

नई दिल्ली से सेनफ्रांसिस्को तक विमान का संचालन करने वाली क्षमता वाजपेयी को भारत की तीसरी और उत्तराखंड की पहली महिला कमांडर होने का गर्व प्राप्त हैं.

परन्तु इन सबके बावजूद अब युवा नारियों की चुनौती और भी बड़ी होने वाली हैं, भारत के इतिहास में पहली बार तीन कैडेट वाला महिला लड़ाकू पायलटों का पहला बैच भारतीय वायुसेना में शामिल हो रहा हैं. यह पल बेहद अहम एवं गौरवशाली हैं.

अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कंठ महिला पायलटों के इन जत्थों में शामिल हैं. ये तीनों ही युवा वय की हैं. और इनकी आँखों में दुश्मनों के लिए विनाश और विप्लव का सपना सजोया हुआ हैं.

इन तीनों अधिकारियों ने आसमान में बीजली की रफ्तार से विमान उड़ाने की साहसिक भूमिका में आने के साथ ही इस क्षेत्र में पुरुषों के आधिपत्य को चुनौती दे दी हैं.

देश की वीरांगनाओं में एक नाम निवेदिता का भी हैं, जो स्वामी विवेकानंद की मानसपुत्री के नाम से जानी जाती थी. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान दिया था.

उनके गुरु स्वामी विवेकानंद ने नारियों के लिए कहा था- नारी शक्ति का प्रतीक हैं सरष्टि में ऐसी कोई शक्ति नही, जो उन्हें शक्ति प्रदान कर सके. उन्हें तो केवल बोध भर कराने की आवश्यकता हैं. शेष तो वे स्वयं अपना कार्य कर लेगी.

आज भी स्वामी जी का यह अग्निमंत्र सर्वकालिक हैं. आज भी प्रेरक हैं और कल भी रहेगा. इस अग्निमंत्र के सहारे युवा नारी को स्वयं को सबल बनाकर अपने शौर्य पराक्रम को राष्ट्रहित में लगा देना चाहिए.

Q. आज के भारत में महिलाओं की स्थिति क्या हैं?

Q. महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों हैं, q. महिला सशक्तिकरण पर निबंध कैसे लिखे.

  • महिला आरक्षण निबंध
  • कामकाजी महिलाओं पर निबंध
  • नारी/महिला सुरक्षा पर निबंध
  • नारी शक्ति पर सुप्रसिद्ध नारे स्लोगन

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay in Hindi)

महिला सशक्तिकरण

‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ से क्या समझते है। ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें ये योग्यता आ जाती है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। महिला सशक्तिकरण में भी हम उसी क्षमता की बात कर रहे है जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो।

महिला सशक्तिकरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Women Empowerment in Hindi, Mahila Sashaktikaran par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – महिलाओं को सशक्त बनाना जरुरी क्यों है.

पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य “लोगों को जगाने के लिये”, महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।

महिला सशक्तिकरण जरुरी क्यों है

लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये। लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो।

लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये इसे हर एक परिवार में बचपन से प्रचारित व प्रसारितकरना चाहिये। ये जरुरी है कि महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। चूंकि एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिये एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का चलन है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिये सरकार कई सारे कदम उठा रही है।

महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिये महिला आरक्षण बिल-108वाँ संविधान संशोधन का पास होना बहुत जरुरी है ये संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है। दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिये कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है।

सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिये लड़िकयों के महत्व और उनकी शिक्षा को प्रचारित करने की जरुरत है।

निबंध 2 (400 शब्द) – महिला सशक्तिकरण: लैंगिक समानता की ओर एक कदम

लैंगिक असमानता भारत में मुख्य सामाजिक मुद्दा है जिसमें महिलाएँ पुरुषवादी प्रभुत्व देश में पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिला को बराबरी पर लाने के लिये महिला सशक्तिकरण में तेजी लाने की जरुरत है। सभी क्षेत्रों में महिलाओं का उत्थान राष्ट्र की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिये। महिला और पुरुष के बीच की असमानता कई समस्याओं को जन्म देती है जो राष्ट्र के विकास में बड़ी बाधा के रुप में सामने आ सकती है। ये महिलाओं का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उन्हें समाज में पुरुषों के बराबर महत्व मिले। वास्तव में सशक्तिकरण को लाने के लिये महिलाओं को अपने अधिकारों से अवगत होना चाहिये। न केवल घरेलू और पारिवारिक जिम्मेदारियों बल्कि महिलाओं को हर क्षेत्रों में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये। उन्हें अपने आस-पास और देश में होने वाली घटनाओं को भी जानना चाहिये।

महिला सशक्तिकरण में ये ताकत है कि वो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकें। वो समाज में किसी समस्या को पुरुषों से बेहतर ढ़ंग से निपट सकती है। वो देश और परिवार के लिये अधिक जनसंख्या के नुकसान को अच्छी तरह से समझ सकती है। अच्छे पारिवारिक योजना से वो देश और परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करने में पूरी तरह से सक्षम है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ किसी भी प्रभावकारी हिंसा को संभालने में सक्षम है चाहे वो पारिवारिक हो या सामाजिक।

महिला सशक्तिकरण के द्वारा ये संभव है कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था के महिला-पुरुष समानता वाले वाले देश को पुरुषवादी प्रभाव वाले देश से बदला जा सकता है। महिला सशक्तिकरण की मदद से बिना अधिक प्रयास किये परिवार के हर सदस्य का विकास आसानी से हो सकता है। एक महिला परिवार में सभी चीजों के लिये बेहद जिम्मेदार मानी जाती है अत: वो सभी समस्याओं का समाधान अच्छी तरह से कर सकती है। महिलाओं के सशक्त होने से पूरा समाज अपने आप सशक्त हो जायेगा।

मनुष्य, आर्थिक या पर्यावरण से संबंधित कोई भी छोटी या बड़ी समस्या का बेहतर उपाय महिला सशक्तिकरण है। पिछले कुछ वर्षों में हमें महिला सशक्तिकरण का फायदा मिल रहा है। महिलाएँ अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी, तथा परिवार, देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी को लेकर ज्यादा सचेत रहती है। वो हर क्षेत्र में प्रमुखता से भाग लेती है और अपनी रुचि प्रदर्शित करती है। अंतत: कई वर्षों के संघर्ष के बाद सही राह पर चलने के लिये उन्हें उनका अधिकार मिल रहा है।

निबंध  3 (500 शब्द): भारत में महिला सशक्तिकरण की जरुरत

महिला सशक्तिकरण क्या है ?

महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएँ शक्तिशाली बनती है जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है।

भारत में महिला सशक्तिकरण की क्यों जरुरत है ?

महिला सशक्तिकरण की जरुरत इसलिये पड़ी क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुषप्रधान समाज था। महिलाओं को उनके अपने परिवार और समाज द्वार कई कारणों से दबाया गया तथा उनके साथ कई प्रकार की हिंसा हुई और परिवार और समाज में भेदभाव भी किया गया ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी दिखाई पड़ता है। महिलाओं के लिये प्राचीन काल से समाज में चले आ रहे गलत और पुराने चलन को नये रिती-रिवाजों और परंपरा में ढ़ाल दिया गया था। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिये माँ, बहन, पुत्री, पत्नी के रुप में महिला देवियो को पूजने की परंपरा है लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि केवल महिलाओं को पूजने भर से देश के विकास की जरुरत पूरी हो जायेगी। आज जरुरत है कि देश की आधी आबादी यानि महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए जो देश के विकास का आधार बनेंगी।

भारत एक प्रसिद्ध देश है जिसने ‘विविधता में एकता’ के मुहावरे को साबित किया है, जहाँ भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते है। महिलाओं को हर धर्म में एक अलग स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को ढ़के हुए बड़े पर्दे के रुप में और कई वर्षों से आदर्श के रुप में महिलाओं के खिलाफ कई सारे गलत कार्यों (शारीरिक और मानसिक) को जारी रखने में मदद कर रहा है। प्राचीन भारतीय समाज दूसरी भेदभावपूर्ण दस्तूरों के साथ सती प्रथा, नगर वधु व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह तथा देवदासी प्रथा आदि परंपरा थी। इस तरह की कुप्रथा का कारण पितृसत्तामक समाज और पुरुष श्रेष्ठता मनोग्रन्थि है।

पुरुष पारिवारिक सदस्यों द्वारा सामाजिक राजनीतिक अधिकार (काम करने की आजादी, शिक्षा का अधिकार आदि) को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया। महिलाओं के खिलाफ कुछ बुरे चलन को खुले विचारों के लोगों और महान भारतीय लोगों द्वारा हटाया गया जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्यों के लिये अपनी आवाज उठायी। राजा राम मोहन रॉय की लगातार कोशिशों की वजह से ही सती प्रथा को खत्म करने के लिये अंग्रेज मजबूर हुए। बाद में दूसरे भारतीय समाज सुधारकों (ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोभा भावे, स्वामी विवेकानंद आदि) ने भी महिला उत्थान के लिये अपनी आवाज उठायी और कड़ा संघर्ष किया। भारत में विधवाओं की स्थिति को सुधारने के लिये ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपने लगातार प्रयास से विधवा पुर्न विवाह अधिनियम 1856 की शुरुआत करवाई।

पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिये सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किये गये है। हालाँकि ऐसे बड़े विषय को सुलझाने के लिये महिलाओं सहित सभी का लगातार सहयोग की जरुरत है। आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरुक है जिसका परिणाम हुआ कि कई सारे स्वयं-सेवी समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में कार्य कर रहे है। महिलाएँ ज्यादा खुले दिमाग की होती है और सभी आयामों में अपने अधिकारों को पाने के लिये सामाजिक बंधनों को तोड़ रही है। हालाँकि अपराध इसके साथ-साथ चल रहा है।

कानूनी अधिकार के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये संसद द्वारा पास किये गये कुछ अधिनियम है – एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट 1976, दहेज रोक अधिनियम 1961, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956, मेडिकल टर्म्नेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987, बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006, लिंग परीक्षण तकनीक (नियंत्रक और गलत इस्तेमाल के रोकथाम) एक्ट 1994, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट 2013।

भारतीय समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिये महिलाओं के खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना और उन्हें हटाना होगा जो कि समाज की पितृसत्तामक और पुरुष प्रभाव युक्त व्यवस्था है। जरुरत है कि हम महिलाओं के खिलाफ पुरानी सोच को बदले और संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव लाये।

Women Empowerment Essay

निबंध – 4 (600 शब्द): महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं

आज के समय में महिला सशक्तिकरण एक चर्चा का विषय है, खासतौर से पिछड़े और प्रगतिशील देशों में क्योंकि उन्हें इस बात का काफी बाद में ज्ञान हुआ कि बिना महिलाओं तरक्की और सशक्तिकरण के देश की तरक्की संभव नही है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय, संपत्ति और दूसरे वस्तुओं की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को उंचा कर सकती है।

भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं

1) सामाजिक मापदंड

पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के कारण भारत के कई सारे क्षेत्रों में महिलाओं के घर छोड़ने पर पाबंदी होती है। इस तरह के क्षेत्रों में महिलाओं को शिक्षा या फिर रोजगार के लिए घर से बाहर जाने के लिए आजादी नही होती है। इस तरह के वातावरण में रहने के कारण महिलाएं खुद को पुरुषों से कमतर समझने लगती है और अपने वर्तमान सामाजिक और आर्थिक दशा को बदलने में नाकाम साबित होती है।

2) कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण

कार्यक्षेत्र में होने वाला शोषण भी महिला सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा है। नीजी क्षेत्र जैसे कि सेवा उद्योग, साफ्टवेयर उद्योग, शैक्षिक संस्थाएं और अस्पताल इस समस्या से सबसे ज्यादे प्रभावित होते है। यह समाज में पुरुष प्रधनता के वर्चस्व के कारण महिलाओं के लिए और भी समस्याएं उत्पन्न करता है। पिछले कुछ समय में कार्यक्षेत्रों में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़ने में काफी तेजी से वृद्धि हुई है और पिछले कुछ दशकों में लगभग 170 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है।

3) लैंगिग भेदभाव

भारत में अभी भी कार्यस्थलों महिलाओं के साथ लैंगिग स्तर पर काफी भेदभाव किया जाता है। कई सारे क्षेत्रों में तो महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के लिए बाहर जाने की भी इजाजत नही होती है। इसके साथ ही उन्हें आजादीपूर्वक कार्य करने या परिवार से जुड़े फैलसे लेने की भी आजादी नही होती है और उन्हें सदैव हर कार्य में पुरुषों के अपेक्षा कमतर ही माना जाता है। इस प्रकार के भेदभावों के कारण महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक दशा बिगड़ जाती है और इसके साथ ही यह महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को भी बुरे तरह से प्रभावित करता है।

4) भुगतान में असमानता

भारत में महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है और असंगठित क्षेत्रो में यह समस्या और भी ज्यादे दयनीय है, खासतौर से दिहाड़ी मजदूरी वाले जगहों पर तो यह सबसे बदतर है। समान कार्य को समान समय तक करने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषों के अपेक्षा काफी कम भुगतान किया जाता है और इस तरह के कार्य महिलाओं और पुरुषों के मध्य के शक्ति असमानता को प्रदर्शित करते है। संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के तरह समान अनुभव और योग्यता होने के बावजूद पुरुषों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है।

महिलाओं में अशिक्षा और बीच में पढ़ाई छोड़ने जैसी समस्याएं भी महिला सशक्तिकरण में काफी बड़ी बाधाएं है। वैसे तो शहरी क्षेत्रों में लड़किया शिक्षा के मामले में लड़को के बराबर है पर ग्रामीण क्षेत्रों में इस मामले वह काफी पीछे हैं। भारत में महिला शिक्षा दर 64.6 प्रतिशत है जबकि पुरुषों की शिक्षा दर 80.9 प्रतिशत है। काफी सारी ग्रामीण लड़कियां जो स्कूल जाती भी हैं, उनकी पढ़ाई भी बीच में ही छूट जाती है और वह दसवीं कक्षा भी नही पास कर पाती है।

6) बाल विवाह

हालांकि पिछलें कुछ दशकों सरकार द्वारा लिए गये प्रभावी फैसलों द्वारा भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को काफी हद तक कम कर दिया गया है लेकिन 2018 में यूनिसेफ के एक रिपोर्ट द्वारा पता चलता है, कि भारत में अब भी हर वर्ष लगभग 15 लाख लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले ही कर दी जाती है, जल्द शादी हो जाने के कारण महिलाओं का विकास रुक जाता है और वह शारीरिक  तथा मानसिक रुप से व्यस्क नही हो पाती है।

7) महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध

भारतीय महिलाओं के विरुद्ध कई सारे घरेलू हिंसाओं के साथ दहेज, हॉनर किलिंग और तस्करी जैसे गंभीर अपराध देखने को मिलते हैं। हालांकि यह काफी अजीब है कि शहरी क्षेत्रों की महिलाएं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के अपेक्षा अपराधिक हमलों की अधिक शिकार होती हैं। यहां तक कि कामकाजी महिलाएं भी देर रात में अपनी सुरक्षा को देखते हुए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नही करती है। सही मायनों में महिला सशक्तिकरण की प्राप्ति तभी की जा सकती है जब महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके और पुरुषों के तरह वह भी बिना भय के स्वच्छंद रुप से कही भी आ जा सकें।

8) कन्या भ्रूणहत्या

कन्या भ्रूणहत्या या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात भारत में महिला सशक्तिकरण के रास्तें में आने वाले सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। कन्या भ्रूणहत्या का अर्थ लिंग के आधार पर होने वाली भ्रूण हत्या से है, जिसके अंतर्गत कन्या भ्रूण का पता चलने पर बिना माँ के सहमति के ही गर्भपात करा दिया जाता है। कन्या भ्रूण हत्या के कारण ही हरियाणा और जम्मू कश्मीर जैसे प्रदेशों में स्त्री और पुरुष लिंगानुपात में काफी ज्यादे अंतर आ गया है। हमारे महिला सशक्तिकरण के यह दावे तब तक नही पूरे होंगे जबतक हम कन्या भ्रूण हत्या के समस्या को मिटा नही पायेंगे।

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जाती है। महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जा रही है। इन्हीं में से कुछ मुख्य योजनाओं के विषय में नीचे बताया गया है।

1) बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना

2) महिला हेल्पलाइन योजना

3) उज्जवला योजना

4) सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप)

5) महिला शक्ति केंद्र

6) पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण

जिस तरह से भारत सबसे तेजी आर्थिक तरक्की प्राप्त करने वाले देशों में शुमार हुआ है, उसे देखते हुए निकट भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। हमें महिला सशक्तिकरण के इस कार्य को समझने की आवश्यकता है क्योंकि इसी के द्वारा ही देश में लैंगिग समानता और आर्थिक तरक्की को प्राप्त किया जा सकता है।

संबंधित जानकारी:

महिला सशक्तिकरण पर स्लोगन

महिला सशक्तिकरण पर भाषण

FAQs: Frequently Asked Questions on Women Empowerment (महिला सशक्तिकरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- पारिवारिक और सामाजिक प्रतिबंध के बिना खुद का निर्णय लेना महिला सशक्तिकरण कहलाता है।

उत्तर- शिक्षा, महिला सशक्तिकरण का सबसे मुख्य स्रोत है।

उत्तर- डेनमार्क

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महिला सशक्तिकरण पर संक्षिप्त निबंध। Women Empowerment Essay in Hindi

महिला सशक्तिकरण पर संक्षिप्त निबंध। Women Empowerment Essay in Hindi

इस पोस्ट में, आपको महिला सशक्तिकरण पर कई बेहतरीन निबंध (women empowerment essay in hindi) मिलेंगे जो महिला सशक्तिकरण (mahila sashaktikaran) की परिवर्तनकारी यात्रा को दर्शाते हैं। इन छोटे-छोटे महिला सशक्तिकरण के निबंधों (women empowerment essay 250 words to 500 words)के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के महत्व, उनके सामने आने वाली चुनौतियों और आगे की राह के बारे में भी जानेंगे। 

साथ ही साथ महिलाओं की प्रगति के लिए शिक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक भागीदारी की आवश्यकता के बारे में टिप्पणी करेंगे। तो हमारे साथ इस यात्रा में शामिल हो और एक उज्जवल और अधिक न्यायसंगत भविष्य के लिए महिलाओं को सशक्त बनाएं।

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध 250 से 500 शब्द के बीच । Women Empowerment Essay 250 words to 500 words or Women empowerment essay in hindi or Essay on women empowerment in hindi:

Table of Contents

महिला सशक्तिकरण (mahila sashaktikaran) आज के समाज में बहुत ही महत्व और प्रासंगिकता का विषय है। इसमें महिलाओं को सशक्त बनाने, उन्हें समान अधिकार, अवसर और संसाधन प्रदान करने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के विचार शामिल हैं।

महिला सशक्तिकरण (nari sashaktikaran)  केवल लैंगिक समानता के बारे में नहीं है बल्कि यह एक ऐसा समाज बनाने के बारे में है जहाँ महिलाओं का सम्मान किया जाता है, उन्हें महत्व दिया जाता है, और उन्हें अपने जीवन के बारे में चुनाव करने की आज़ादी होती है।

यहां महिला सशक्तिकरण पर विभिन्न लघु निबंध (Women Empowerment Essay 250 words to 500 words) भारतीय समाज और संस्कृति के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण की अवधारणा की पड़ताल करते हैं, इसके महत्व, चुनौतियों और आगे की राह पर प्रकाश डालते हैं।

आइए हम महिला सशक्तिकरण (women empowerment in hindi) की यात्रा और व्यक्तियों, समुदायों और समाज पर इसके परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में जानें।

Women-Empowerment-Quotes-in-Hindi-1

1. महिला सशक्तिकरण: भीतर की शक्ति को उजागर करना। Women empowerment essay in hindi or mahila sashaktikaran essay in hindi

महिला सशक्तिकरण एक सतत आंदोलन है जो बाधाओं को तोड़ने, लिंग मानदंडों को चुनौती देने और एक ऐसे समाज का निर्माण करने की कोशिश करता है जहां महिलाएं अपनी क्षमता का पूरी तरह से एहसास कर सके।

यह एक परिवर्तनकारी प्रयास है जो न केवल महिलाओं को लाभान्वित करती है बल्कि समाज का उत्थान भी करती है और सामाजिक प्रगति को गति देती है।

इस निबंध में, हम महिला सशक्तिकरण के सार, इसके महत्व और और इसमें किए जाने वाले महत्वपूर्ण प्रयासों पर प्रकाश डालेंगे।

इसके मूल में, महिला सशक्तिकरण महिलाओं के निहित मूल्य, क्षमताओं और अधिकारों को पहचानने के बारे में है। इसमें उन्हें शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने की प्रक्रिया में समान अवसर प्रदान करना शामिल है।

सशक्त महिलाएं परिवर्तन की प्रतिनिधि हैं जो आर्थिक विकास, सामाजिक विकास में योगदान दे सकती हैं। जब महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने की आजादी दी जाती है, तो वे सकारात्मक बदलाव की उत्प्रेरक बन जाती हैं।

महिला सशक्तिकरण के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो समाज फलता-फूलता है। जिससे गरीबी दर कम होती है, स्वास्थ्य के बेहतर परिणाम मिलते हैं और समग्र कल्याण में वृद्धि होती है।

सशक्त महिलाओं के पास आवाज उठाने की शक्ति होती है और वे नीतियों को आकार देने और अधिक समावेशी समाज बनाने में सक्रिय रूप से भाग ले सकती हैं।

सामाजिक बाधाओं को तोड़कर और लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देकर, हम एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं जहाँ महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाता है और उनका सम्मान किया जाता है।

हालांकि, महिला सशक्तिकरण हासिल करना इसकी चुनौतियों के बिना नहीं है। पितृसत्तात्मक मानदंड, सांस्कृतिक परम्पराओं की गहरी जड़ें अक्सर प्रगति में बाधा डालते हैं। इन बाधाओं को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।

एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए सरकार, समाज संगठनों और व्यक्तियों की भागीदारी की आवश्यकता है, जो लैंगिक समानता को बढ़ावा दे और महिलाओं को सशक्त बनाये।

सार्थक परिवर्तन लाने के लिए, हमें लड़कियों के लिए शिक्षा और कौशल विकास में निवेश करना चाहिए, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। आर्थिक सशक्तिकरण भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता और उद्यमिता के अवसर प्रदान करता है।

इसके अतिरिक्त, हमें लिंग आधारित हिंसा को रोकने का प्रयास करना चाहिए और सहायता प्रणाली प्रदान करनी चाहिए।

अंत में, महिला सशक्तिकरण एक परिवर्तनकारी आंदोलन है जिसका उद्देश्य बाधाओं को दूर करना और एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां महिलाएं आगे बढ़ सकें।

यह केवल समानता प्राप्त करने के बारे में नहीं है; यह समाज में महिलाओं की अपार क्षमता और योगदान को पहचानने के बारे में है।

महिलाओं को सशक्त बनाकर, हम एक ऐसी शक्ति का निर्माण करते हैं जो सभी के लिए सकारात्मक परिवर्तन, समानता और एक उज्जवल भविष्य ला सकती है।

Women-Empowerment-Quotes-in-Hindi-2

2. महिला सशक्तिकरण: उज्जवल भविष्य की संभावनाओं को उजागर करना। Women Empowerment Essay 250 words to 500 words or Women empowerment essay in hindi

महिला सशक्तिकरण एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है। इसमें शिक्षा और आर्थिक अवसर से लेकर सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी शामिल हैं। इसके मूल में, महिला सशक्तिकरण महिलाओं को वे उपकरण और संसाधन देने के बारे में है जिनकी उन्हें जीवन को जीने के लिए आवश्यकता है।

महिला सशक्तिकरण क्यों महत्वपूर्ण है इसके कई कारण हैं। यह केवल मानवाधिकारों का मामला नहीं है। महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य का पुरुषों के समान अधिकार है। उन्हें समाज के सभी स्तरों पर निर्णय लेने में भाग लेने का भी अधिकार है।

जब महिलाओं को इन अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो यह भेदभाव का एक रूप है। महिला सशक्तिकरण मानव अधिकारों का विषय होने के साथ-साथ समग्र रूप से समाज के लिए भी अच्छा है।

जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो उनके अर्थव्यवस्था में योगदान करने, स्वस्थ बच्चों को पालने और जिम्मेदार नागरिक के रूप में भाग लेने की अधिक संभावना होती है। इससे एक अधिक समृद्ध, स्थिर और लोकतांत्रिक समाज बन सकता है।

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है। सरकार महिलाओं के अधिकारों की गारंटी देने वाले कानून पारित कर सकती हैं। व्यवसाय ऐसी नीतियां बना सकते हैं जो महिलाओं के रोजगार का समर्थन करती हैं। व्यक्ति लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती दे सकते हैं और महिला नेतृत्व का समर्थन कर सकते हैं।

साथ मिलकर काम करके हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां सभी महिलाओं को उचित अवसर मिले। महिला सशक्तिकरण कैसे प्राप्त किया जा सकता है इसके कुछ विशिष्ट उदाहरण यहां दिए गए हैं:

शिक्षा: लड़कियों को शिक्षित करना उन्हें सशक्त बनाने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। शिक्षा महिलाओं को वह ज्ञान और कौशल प्रदान करती है जिससे उन्हें अच्छी नौकरी पाने, जीविकोपार्जन करने और अपने जीवन के बारे में सही निर्णय लेने के लिए आवश्यक है।

आर्थिक अवसर: महिलाओं को उचित वेतन देने वाली अच्छी नौकरियों तक पहुंच की आवश्यकता है। जब महिलाओं के पास आर्थिक सुरक्षा होती है, तो वे अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण बेहतर तरीके से कर पाती हैं।

सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी: महिलाओं को समाज में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम होना चाहिए। इसमें मतदान का अधिकार,किसी भी पद के लिए सक्षम और नेतृत्व के पदों को धारण करना शामिल है।

स्वास्थ्य देखभाल: महिलाओं को प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सहित उत्तम स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता है। यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

महिला सशक्तिकरण एक यात्रा है, मंजिल नहीं। यह लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती देने, समानता को बढ़ावा देने और अधिक न्यायसंगत दुनिया बनाने की एक सतत प्रक्रिया है।

3. महिला सशक्तिकरण: महिलाओं के बारे में हमारी सोच में बदलाव। Women empowerment essay in hindi or nari sashaktikaran essay in hindi or nari shakti essay in hindi

महिला सशक्तिकरण का मतलब केवल महिलाओं को अधिकार और अवसर देना नहीं है। यह महिलाओं के बारे में हमारे सोचने के तरीके को बदलने के बारे में भी है।

बहुत लंबे समय से महिलाओं को दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में देखा जाता रहा है। उन्हें समाज के सभी क्षेत्रों में कमतर आंका जाता है, लेकिन अब समय के साथ साथ चीजें बदलने लगी है।

लैंगिक असमानता के खिलाफ महिलाएं तेजी से आवाज उठा रही है। वे समान वेतन, समान अधिकार और समान अवसर की मांग कर रही हैं। और वे प्रगति कर रही हैं।

हाल के वर्षों में, हमने महिलाओं के लिए कई सकारात्मक विकास देखे हैं। वे सरकार, व्यवसाय और शिक्षा में उच्च-स्तरीय पदों पर आसीन हैं। और वे राजनीति और समाज में अपनी आवाज उठा रही हैं।

लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। आज भी महिलाओं को जीवन के कई क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उनके गरीब होने की संभावना अधिक है, शिक्षित होने की संभावना कम है, और हिंसा के शिकार होने की संभावना अधिक है।

हमें महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम करना जारी रखना होगा। हमें लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देने और एक ऐसी दुनिया बनाने की जरूरत है जहां महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जाए।

हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जीवन में सफल होने के लिए महिलाओं के पास पुरुषों के समान अवसर हों।

महिला सशक्तिकरण का मतलब सिर्फ महिलाओं की मदद करना नहीं है। यह समग्र रूप से समाज की मदद करने के बारे में है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे स्वस्थ बच्चों को पालने और अर्थव्यवस्था में योगदान करने की भी अधिक संभावना रखती है।

महिलाओं को सशक्त बनाना सभी के लिए फायदे का सौदा है। यह करना सही बात है, और यह पूरे समाज के लिए अच्छा है। यहां कुछ खास उपाय हैं जो हम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कर सकते हैं:

लड़कियों और महिलाओं को शिक्षित करें: शिक्षा सशक्तिकरण का आधार है। यह महिलाओं को ज्ञान और कौशल प्रदान करता है जिससे उन्हें अच्छी नौकरी पाने, जीविकोपार्जन करने और अपने जीवन के बारे में सही निर्णय लेने के लिए आवश्यकता होती है।

आर्थिक अवसर प्रदान करें: महिलाओं को समान वेतन देने वाली अच्छी नौकरियों तक पहुंच की आवश्यकता है। जब महिलाओं के पास आर्थिक सुरक्षा होती है, तो वे अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण बेहतर तरीके से कर पाती हैं।

लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती दें: हमें महिलाओं के बारे में अपनी सोच बदलने की जरूरत है। हमें उन्हें दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में नहीं बल्कि समान रूप में देखने की जरूरत है।

सम्मान की संस्कृति बनाएं: हमें एक ऐसी दुनिया बनाने की जरूरत है जहां महिलाओं का सम्मान हो। इसका मतलब है महिलाओं के खिलाफ हिंसा को चुनौती देना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना।

ऐसी ही अन्य महिला सशक्तिकरण पर प्रेरणादाई निबंधों, स्लोगन और अन्य जानकारी के लिए लिए हमारे Women Empowerment Blogs वेब पेज को विजिट करना और पढ़ना ना।

essay in hindi on nari sashaktikaran

आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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Nari Sashaktikaran Par Nibandh – नारी सशक्तिकरण पर निबंध

Nari sashaktikaran par nibandh.

नारी सशक्तिकरण के विषय में कहा गया है कि…..

नहीं सहना है अब किसी का अत्याचार, नारी सशक्तिकरण का यही है मुख्य विचार।।

प्रस्तावना 

जब भी बात नारी सशक्तिकरण की होती है, तब हमारे समाज में उन महिलाओं का उदाहरण दिया जाता है। जिन्होंने अपने क्षेत्र में महान उपलब्धियां हासिल की हैं। लेकिन सही मायनों में यह तभी सार्थक है, जब आधी आबादी अपने हक और अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद कर सकें। यानि भारतीय महिलाएं जब अपने घरों से निकलकर अपनी जिंदगी के फैसले स्वयं लेने में सक्षम होंगी। तभी नारी सशक्तिकरण के वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति हो सकेगी। ऐसे में आज हम आपके लिए “नारी सशक्तिकरण” विषय पर हिंदी भाषा में निबंध लेकर आए हैं। जो अवश्य ही आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

नारी सशक्तिकरण से क्या आशय  है?

सशक्तिकरण से तात्पर्य किसी व्यक्ति के अपने जीवन के प्रति जागृत और उद्देशित होने से है। और आज हम नारी सशक्तिकरण के विषय में बात कर रहे हैं। जिससे हमारा तात्पर्य महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्वावलंबन से है। क्योंकि प्राचीन समय से ही हमारे समाज में स्त्रियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता आया है। उन्हें सदैव ही पुरुषों से कमजोर आंका गया है। फिर चाहे वह उनका घर हो या कार्यस्थल, नारी का हर जगह शोषण ही होता आया है। इसलिए नारी सशक्तिकरण वर्तमान समय की जरूरत है। हालांकि हमारे भारतीय समाज में कई ऐसे महान पुरुष हुए हैं। जिन्होंने इस दिशा में काफी योगदान दिया। और वर्तमान सरकारें भी इस ओर काफी प्रयासरत हैं। लेकिन किसी ने सही ही कहा है…

सदियां बदली, युग बदला लेकिन नही बदली तो वो है मानसिकता समाज की।

ऐसे में यदि कोई देश और समाज वास्तव में तरक्की करना चाहता है तो उसको महिलाओं की समृद्धि से जुड़े विषयों पर भी अग्रसरित होना पड़ेगा। अन्यथा यह कहावत सही सिद्ध हो जाएगी कि जिस देश में नारियों का सम्मान  नही होता है। उस देश और समाज का पतन निश्चित है। इसलिए हमें नारियों को सशक्त बनाने की दिशा में भी कार्य करना पड़ेगा। क्योंकि मानव योनि में जन्म लेने के कारण स्त्रियों को भी पुरुषों की तरह जीवन जीने का अधिकार है। ऐसे में हम महिलाओं को सिर्फ इसलिए कमजोर नही आंक सकते हैं, क्योंकि उनकी शारीरिक संरचना पुरुषों से अलग होती है। हमें कदाचित यह नहीं भूलना चाहिए कि एक नारी की कोख से ही एक पुरुष जन्म लेता है। तो इसलिए हमें महिलाओं को सदैव ही ऐसा माहौल देना चाहिए जिससे वह अपनी योग्यता के आधार पर अपने जीवन के अहम फैसले खुद के बलबूते पर ले सकें। 

स्त्री का सशक्त होना क्यों जरूरी है?

हमारा समाज आरंभ से ही पुरुष प्रधान रहा है। इसी कारण से जहां घरों में अधिकतर फैसले लेने का अधिकार पुरुषों को होता है। तो वहीं बाहर भी पुरुषों ने ही सब जगह अपना वर्चस्व स्थापित कर रखा है। ऐसे में समाज में महिलाओं को हर जगह हिंसा और शोषण का शिकार होना पड़ता है। आज 21वीं सदी के युग में भी यदि कोई महिला पुरुष से किसी भी क्षेत्र में आगे निकल जाती है। तो वह उनसे सहन नही हो पाता है और वह महिलाओं के प्रति अपराध को अंजाम देते है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा, बाल विवाह शारीरिक शोषण, बलात्कार, वेतन और प्रोन्नति आदि में असमानता, अशिक्षा, भ्रूण हत्या आदि के मामलों में बढ़ोतरी इसी के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ऐसे में यदि महिलाओं को समाज में अपने अस्तित्व को कायम रखना है, तो उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। और यह तभी संभव है जब नारियां सशक्त होंगी। उनपर किसी प्रकार का सामाजिक और आर्थिक दबाव नहीं होगा, उन्हें उच्च शिक्षा की ओर प्रेरित किया जाएगा, उन्हें कार्यक्षेत्र में समान व्यवहार और मानदेय दिया जाएगा, उनको घर की चहारदीवारी में कैद नहीं किया जाएगा, उनके विचारों और सोच को महत्व दिया जाएगा, साथ ही उनके साथ किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती नहीं की जाएगी। तभी वह पुरुषों की भांति प्रत्येक क्षेत्र में अपना परचम लहरा सकती हैं। जिसकी शुरुआत हमें खुद से करनी होगी। क्योंकि जिस परिवार में नारी के विषय में विचार किया जाता है, वहीं से एक स्वस्थ विचारधारा का जन्म होता है। जोकि किसी भी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास की अहम जरूरत है। इसके अलावा एक महिला के कंधों पर आने वाली पीढ़ी का भविष्य और दो परिवारों की जिम्मेदारी होती है। और यदि वही अपने अधिकारों के लिए जागरूक नहीं होगी तो हम कैसे एक उज्जवल कल के बारे में सोच सकते हैं? ऐसे में हम कह सकते हैं कि जब महिलाएं सशक्त होगी, तभी एक परिवार, क्षेत्र, गांव, शहर और देश तरक्की कर पाएंगे।

देश में पुरुष और महिलाओं का प्रत्येक क्षेत्र में भागीदारी का प्रतिशत

बात की जाए अगर, नारी साक्षरता की तो हमारे देश में पुरुषों के मुकाबले मात्र 60 प्रतिशत महिलाएं ही शिक्षित हैं। तो वहीं शहरी क्षेत्रों में केवल 30 प्रतिशत महिलाएं कंपनियों में कार्यरत है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं कम पैसों में दैनिक मजदूरी किया करती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज भी महिलाएं पुरुषों से 20 प्रतिशत कम भुगतान पाती हैं। और तो और आज भी शक्ति प्रदर्शन के क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान मात्र 8.5 प्रतिशत है। बात की जाएं राजनीति में महिलाओं की स्थिति में, तो संसद में महिलाएं केवल 11% हैं। इसके अलावा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि में महिलाओं का प्रतिशत 76%, विनिर्माण के क्षेत्र में 10%, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 28%, आईटी क्षेत्र में 40%, प्रबंध के शहर में 35%, कानून से जुड़े रोजगार में 32% महिलाएं कार्यरत हैं। जोकि पुरुषों के मुकाबले काफी कम है। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य दृष्टि से देखें तब भी हर साल ना जाने कितनी ही महिलाएं सही खान पान ना मिलने की वजह से एनीमिया की शिकार हो जाती हैं। तो वही कुछ महिलाएं आज भी अपने स्वास्थ्य और महावारी के दिनों को लेकर जागरूक नहीं है, जिस वजह से उनकी मृत्यु के आंकड़े भी हैरान कर देने वाले हैं। वह आज भी घर और बच्चों की देखरेख में अपने सपनों का बलिदान कर रही है। इतना ही नहीं कुछ जगहों पर तो, महिलाओं को अपने तरीके से उठने-बैठने, कपड़े पहनने और अपनी आजादी से जीने के अधिकार से भी वंचित रखा गया है। और अगर कोई स्त्री अपने अधिकारों के लिए आगे आती है। तो उसे सबक सिखाने के उद्देश्य से उसके साथ दुष्कर्म और शारीरिक शोषण जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया जाता है। हमारे देश में आए दिन महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं सुनने को मिलती है। जिसे देखकर और सुनकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महिला अपराध के आंकड़े दिन प्रति दिन बढ़ रहे हैं। और यदि समय रहते इस ओर कठोर कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नही, जब मानव जीवन का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा क्योंकि आधी आबादी केवल स्त्री मात्र नहीं है, बल्कि उसे भारत देश में देवी स्वरूपा माना जाता है। ऐसे में स्त्री समाज का पतन किसी भी देश के भविष्य की नींव को हिला सकता है। इसलिए हमें आज भी नारी सशक्तिकरण के दिशा में अधिक प्रयासरत होने की आवश्यकता है।

भारतीय स्त्रियां जिन्होंने पेश की नारी शक्ति की अनूठी मिसाल

हमारे देश का इतिहास सदैव ही नारियों के शौर्य और विजय की गाथाएं सुनाता है। प्राचीन भारत में देश में गार्गी, अनुसूया, वैदेही, आम्रपाली, रजिया सुल्तान, रानी लक्ष्मीबाई, जीजाबाई, दुर्गावती, मीराबाई, एनी बेसेंट, कस्तूरबा, विजय लक्ष्मी पंडित, सावित्रीबाई फुले, सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, मदर टेरेसा, एम फातिमा बीबी, लक्ष्मी सहगल आदि कई शक्तिशाली नारियों ने जन्म लिया। बात करें आधुनिक समय कि तो अंतरिक्ष में कल्पना चावला, राजनीति में इंदिरा गांधी, खेल में सानिया मिर्जा, प्रसाशनिक सेवा में किरण बेदी, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली बछेंद्री पाल, महिला पायलट हरिता कौर देओल, संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर, विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय, प्रसिद्ध चित्रकार आंजोली इला मेनन, महिला खिलाड़ी पी. टी. उषा, भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम, भारतीय लेखक अरुधंति रॉय, कमला सुरैया समेत प्रबंध के क्षेत्र से जुड़ी चंदा कोचर, अरुधंति भट्टाचार्य, रेणु सूद कर्नाड और नरगिस, अमृता प्रीतम, अन्ना चंडी आदि अनेकों ऐसी महिलाओं के उदाहरण है। जिन्होंने सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर सम्पूर्ण देश में अपनी पहचान बनाई है।

नारी स्वालंबन की दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम

हालांकि नारियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा समय समय पर कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई हैं। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा समर्थ योजना जिसके तहत वैश्विक वस्त्र उद्योग में महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित करना तय हुआ है। इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा ग्रामीण और शहरी महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन के लिए फ्री सिलाई मशीन योजना, उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन देना, कामगार महिलाओं के लिए सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना, लड़कियों की पढ़ाई और शादी के उद्देश्य से सुकन्या समृद्धि योजना, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए बेटी बचाओ बेटी बचाओ योजना, लड़कियों और महिलाओं को छेड़छाड़ से बचाने के लिए स्पेशल कानून और वूमेन हेल्पलाइन जारी करना समेत राजीव गांधी सबला योजना, इंदिरा गांधी मातृत्व योजना, लड़कियों की शिक्षा में भागीदारी बढ़ाने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, किशोरी शक्ति योजना, प्रेरणा योजना, राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण नीति, स्वयं सहायता समूह, महिला बाल विकास परियोजना आदि का संचालन किया गया है। साथ ही सरकार महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रमों का आयोजन भी करती है। ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर देश के विकास में अपनी भूमिका निभा सकें।

महिला सशक्तिकरण से जुड़े कानूनों के बारे में

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात महिलाओं की स्थिति को ठीक करने के उद्देश्य से भारतीय संविधान में कई प्रावधान किए गए। इसी दिशा में महिला आरक्षण बिल को पारित किया गया। जिसके तहत संसद में 33% महिलाओं की भागीदारी को आवश्यक घोषित कर दिया गया। इसके साथ ही साल 1856 में भारत के कानून में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित कर विधवा स्त्रियों के आत्मसम्मान की दिशा में कार्य किया गया। साथ ही नौकरियों में आरक्षण के माध्यम से भी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का संकल्प भारतीय संविधान द्वारा लिया गया है। तो वहीं महिलाओं की शोचनीय दशा को सुधारने के लिए भारतीय संविधान में अन्य कई प्रावधान किए गए हैं। जिसके तहत महिलाओं को उनके अधिकारों से परिचित करवाया जाता है। जैसे – बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006, दहेज रोक अधिनियम 1961, लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994, यौन शोषण एक्ट 2013, अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956, मेडिकल ट्रेमिशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987, हिंदू विवाह अधिनियम 2005, विदेशी विवाह अधिनियम 1969, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925, गर्भावस्था अधिनियम 2020, राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम , मातृत्व लाभ अधिनियम 1990, कारखाना अधिनियम 1948, महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व अधिनियम 1986, सती अधिनियम 1987, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, भारतीय तलाक अधिनियम 1896, कानूनी चिकित्सक अधिनियम 1923,  फास्ट ट्रैक कोर्ट, परिश्रमिक एक्ट 1976 आदि। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की राजनीति में भागीदारी के उद्देश्य से पंचायती राज संस्थाओं ने 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की हैं। इसके साथ ही यदि, कोई महिला बलात्कार का शिकार हुई है तो उसे मुफ्त कानूनी मदद पाने का अधिकार है। और यदि पुलिस किसी महिलाको गिरफ्तार करना चाहती है, तो वह उसे सूरज डूबने के बाद और उगने से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकती है। महिलाओं को आज अपने पिता की संपत्ति में से भी हिस्सा प्राप्त होता है और पति की मौत के बाद किसी भी महिला का उसके घर और संपत्ति पर पूर्ण अधिकार होता है। और अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी से तलाक लेना चाहता है तो उसे गुजरा भत्ता भी देना पड़ता है। इसके अलावा यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिला को अपनी पहचान गोपनीय रखने का अधिकार प्राप्त है। इस प्रकार, भारतीय संविधान महिलाओं को पूर्ण रूप से जीने का अधिकार प्रदान करता है।  

इस प्रकार, महिलाओं का सशक्त होना किसी भी देश और समाज के लिए बहुत आवश्यक है। इसके अभाव में एक सभ्य और सुसंस्कृत समाज की स्थापना कभी नही की जा सकती है। इसके साथ ही हमारा निबंध हिंदी भाषा का महत्व (Nari Sashaktikaran Par Nibandh) समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे लेख –  निबंध लेखन को पढ़ें।

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अंशिका जौहरी

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women Empowerment Essay In Hindi

नीचे दिए गए महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay In Hindi, Nari Sashaktikaran Ka Nibandh, Nari Sashaktikaran In Hindi) के माध्यम से आप नारी

Editorial Team

June 14, 2021

Women Empowerment Essay in Hindi

नीचे दिए गए महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay In Hindi, Nari Sashaktikaran Ka Nibandh, Nari Sashaktikaran In Hindi) के माध्यम से आप नारी सशक्तिकरण के सभी पहलुओं को सरलता से समझ सकेंगे। महिला (Mahila Sashaktikaran In Hindi) Women Empowerment In Hindi के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमारे इस लेख Mahila Sashaktikaran Par Nibandh को अंत तक जरूर पढ़ें।

Table of Contents

Women Empowerment Meaning In Hindi यानी कि महिला सशक्तिकरण का संबंध सीधा अधिकारों और शक्तियों से है अर्थात महिलाओ की क्षमता या योग्यता जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके।

नारी सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं की उस क्षमता से है जिससे वह परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सकती है।

Women Empowerment In Hindi और Essay On Women Empowerment In Hindi के लिए हमारी पोस्ट ध्यान से पढ़ें।

महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) यह शब्द पिछले 500 सालों से प्रचलन में हैं लेकिन हमारे लिए जानना जरूरी है कि Mahila Sashaktikaran का अर्थ क्या है? Shakti Karan Kya Hai और Nari Shakti की परिभाषा क्या है? इसकी आवश्यकता क्या है? तो चलिए जानते है नारी सशक्तिकरण पर निबंध के बारे में विस्तार से।

नारी सशक्तिकरण क्या है?

आज के समय में महिलाये पुरुषों से कही आगे है, चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो। लेकिन आज से कई साल पहले महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया था। जिसकी वजह से बहुत से महिलायें पुरुषों पर निर्भर थी जब महिलाओं ने अपने लिए आवाज उठायी तो उसे महिला सशक्ती करण का नाम दिया गया।

essay in hindi on nari sashaktikaran

यही एक वह माध्यम है जिससे महिलाओं को उनके अधिकार और ताकत का पता चल सकता है।

कहा जाता है कि नारी जब अपने ऊपर थोपी हुई बेड़ियों और कड़ियों को तोड़ने लगेगी तो विश्व की कोई शक्ति उसे नहीं रोक पाएगी। महिलाओं इसी शक्ति का संचार करने के लिए महिला सशक्तिकरण (Mahila Sashktikaran) की जरूरत है यह आप Mahila Sashaktikaran Per Nibandh के माध्यम से आगे जानेंगे

नारी सशक्तिकरण का अर्थ और परिभाषा

(Woman Empowerment Meaning In Hindi, Nari Sashaktikaran Ki Paribhasha, Nari Sashaktikaran Kya Hai, Nari Sashaktikaran Ka Mahatva)

महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना, ताकि उन्हें भी पुरुषों के बराबर रोजगार और शिक्षा (Women’s Education) का मौका मिल सके। जिससे वह सामाजिक रूप से स्वतंत्रता को प्राप्त कर सके। अपने सभी निर्णय खुद ले सके। नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ यही है कि समाज की महिलाओं को उनके अधिकारों को प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाया जा सके।

एक नारी हर कार्य में सक्षम होती है। पुरुषों से ज्यादा मेहनत एक महिला कर सकती है इसीलिए यह जरूरी है कि उसे खुद का फैसला लेने का बराबर हक हो। एक महिला में इतनी क्षमता होनी चाहिए कि वह अपने परिवार। समाज, देश और स्वयं के लिए फैसले ले सके।

वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण विशेष चर्चा का विषय है। महिलाएं हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा है। हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि जहां नारी की पूजा होती है। वहां देवता निवास करते हैं। उसके बावजूद भी नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता पढ़ना हमें सोचने पर मजबूर करता है।

भारत में महिला सशक्तिकरण

(Woman Empowerment In India)

भारत में लिंग के आधार पर भेदभाव, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, अशिक्षित महिलाएं काफी हद तक है। भारत में विशेष रुप से निम्न जातियों की महिलाएं जैसे अनुसूचित जातियां, पिछड़ी जातियां, आदिवासी समुदाय की महिलाएं विशेष रुप से असुरक्षित हैं। अशिक्षित और निर्णय लेने की क्षमता ना होने के कारण महिलाओं को अधिकतर हिंसा का सामना करना पड़ता है। इसीलिए भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत है।

भारत में महिला सशक्तिकरण विभिन्न पहलुओं पर निर्भर करता है जैसे भौगोलिक (शहर,ग्रामीण स्तर), शिक्षा (Education and Women’s Empowerment In India), जाति, आयु, वर्ग इत्यादि।

भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण (Woman Empowerment In India) के लिए राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर बहुत से कानून (Law of women), कार्यक्रम, संगठन मौजूद हैं जो महिलाओं को जागरूक करते है। उन्हें इस काबिल बना रहे हैं कि वह अपने और अपने परिवार, समाज और देश से जुड़े निर्णय ले सके।

नारी सशक्तिकरण का उद्देश्य / भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता

(Aims and Objective of Woman Empowerment in India)

हमारे समाज में महिलाओं की आवाज को हमेशा दबाया जाता है उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जाता। लड़का और लड़की में भेदभाव होता है।

हजारों सालों से पुरुषों के द्वारा महिलाओं का शोषण किया जा रहा है और इन सब का परिणाम यह हुआ कि हमारे देश की महिलाओं को दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, इत्यादि का सामना करना पड़ा।

essay in hindi on nari sashaktikaran

नारी पर हो रहे इन सभी अत्याचारों पर रोक लगाने के लिए और उन्हें अपने अधिकारों से रूबरू करवाने के लिए महिला सशक्तिकरण की जरूरत पड़ी। अब यह जरूरी है कि देश की सभी महिलाएं शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत बने। नारी सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाओं को यह भरोसा दिलाया जाएगा कि वह चाहे तो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सकती हैं। वह किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। एक सशक्त नारी में इतनी क्षमता होती है कि वह अपने पूरे समाज को सशक्त कर सकती है।

भारत में महिला सशक्तिकरण का यही उद्देश्य (Aims of woman empowerment in India) है कि महिलाओं को साक्षर बनाया जाए, उनमें इतनी क्षमता का विकास किया जाए कि वह अपने, अपने परिवार, अपने समाज, देश से संबंधित सभी निर्णय ले सके। अपने अधिकारों के लिए लड़ सके और अपने ऊपर हो रही हिंसा पर रोक लगा सके।

कहा जाता है कि जिस महिला के मुख्य में कहने की शक्ति हो या आवाज हो सही मायने में वह एक मजबूत और निडर औरत कहलाती है। नारी सशक्तिकरण का उद्देश्य (Nari Sashaktikaran Ka Uddeshya) है कि भारत की सभी महिलाएं निडर औरत बनें।

महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की योजनाएं

(Nari ShaktiKaran Yojana Kya Hai, Nari Shakti Karan Yojana)

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। कई सारी योजनाएं (Nari Shakti Karan Yojana) सरकार द्वारा बनाई गई है जिससे महिलाओं का विकास हो सके। समाज में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सके। जीवन के इस तराजू में महिला और पुरुष बराबर हो।

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (Beti Bachao Beti Padhao Yojana)- लड़की एक बोझ है इस बात को गलत साबित करने के लिए यह योजना शुरू की गई है। इस योजना के माध्यम से कन्या भ्रूण हत्या और कन्या शिक्षा पर काम किया गया है साथ ही लड़कियों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें आर्थिक सहायता भी दी जाती है।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjawala Yojana)- इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिया गया है। जिससे उन्हें सशक्त बनाया जा सके और वह शारीरिक रूप से स्वस्थ रहे।
  • महिला हेल्पलाइन योजना (Women Helpline Number)- इस योजना के अंतर्गत महिलाओं की मदद के लिए 24 घंटे इमरजेंसी सहायता सेवा प्रदान की जाती है। जिससे महिलाएं अपने विरुद्ध होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा या अपराध की शिकायत खुद कर सकती हैं। इस योजना के अंतर्गत महिलाएं निर्धारित नंबर 181 पर डायल करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
  • महिलाओं के लिए आरक्षण (Reservation for Women)- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण की घोषणा की है। इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के सामाजिक स्तर को सुधारने के लिए भी प्रयास किया गया है। इसी का परिणाम देखने को मिला कि कई प्रदेशों में भारी मात्रा में महिलाएं ग्राम पंचायत अध्यक्ष चुनी गई।
  • किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना- इस योजना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की देखरेख में चलाया जा रहा है। इस योजना से प्राप्त होने वाले लाभ को दो समूहों में विभाजित किया गया है। पहले समूह में 11-15 वर्ष की बालिकाएं आते हैं जिन्हें सरकार की तरफ से पका हुआ खाना दिया जाता है। दूसरे समूह में 15-18 वर्ष की महिलाएं आती हैं जिन्हें आयरन की गोलियां और अन्य दवाइयां उपलब्ध करवाई जाती है।
  • इंदिरा गांधी (Indra Gandhi) मातृत्व सहयोग योजना – इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो बच्चों के जन्म तक वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती है।
  • स्वाधार घर योजना- समाज की कुछ महिलाएं जैसे रिहा कैदी, विधवा, मानसिक रूप से विकलांग, बेसहारा महिलाओं के पुनर्वास की व्यवस्था इस योजना के अंतर्गत की जाती है साथ ही इस योजना के अंतर्गत तलाकशुदा महिलाओं को कानूनी परामर्श, चिकित्सा सुविधाएं भी प्रदान की जाती है।

महिला सशक्तिकरण कानून

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार ने कई कानून भी बनाए हैं जिससे महिलाओं का समाज में शोषण ना हो।

  • न्यूनतम मजदूरी अधिनियम।
  • हिंदू विवाह अधिनियम।
  • दहेज निषेध अधिनियम।
  • मातृत्व लाभ अधिनियम।
  • गर्भावस्था अधिनियम।
  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण एक्ट।
  • लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट।
  • बाल विवाह रोकथाम अधिनियम।
  • राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनयम।
  • विदेशी विवाह अधिनियम।
  • भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम।

सरकार के द्वारा महिलाओं के लिए इतने सारे कानून बनाने के बावजूद भी महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय है। ग्रामीण इलाकों में तो आज भी महिलाओं को पुरुषों के पैरों की जूती ही समझा जाता है। इसका मुख्य कारण महिला शिक्षा (Education and Women’s Empowerment in India), आर्थिक परतंत्रता, और महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी ना होना है।

महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली समस्याएं

भारतीय समाज ऐसा समाज है जिसमें कई तरह के रीति-रिवाज, मान्यताएं, परपराए शामिल है. यही कुछ परंपराएं महिला सशक्तिकरण के रास्ते में आने वाली सबसे बड़ी समस्याएं हैं। पुरानी विचारधारा के कारण महिलाओं को उनके घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं होती।

जिसके कारण रोजगार तो दूर की बात है वह उचित शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर सकती और इसी विचारधारा के कारण वह अपने आप को हमेशा पुरुषों से कम समझती है। भारत में केवल 64.6 प्रतिशत महिला शिक्षा दर है जबकि पुरुष शिक्षा दर 80.9 प्रतिशत है। आजकल कुछ परिवार लड़कियों को स्कूल तो भेजते हैं लेकिन आठवीं, दसवीं कक्षा पास करने के बाद उनकी पढ़ाई छुड़वा दी जाती है ताकि वह घर की चारदीवारी में रहकर घर के काम सीख सकें।

पुरुष प्रधान समाज होने के कारण भी महिलाओं के लिए समस्याएं उत्पन्न होती हैं। महिलाओं को अपने कार्य क्षेत्रों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है जिसके चलते वह रोजगार के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। लैंगिक स्तर पर भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है हमेशा यह माना जाता है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कमजोर है। समान कार्य होने के बावजूद भी महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है।

Women Empowerment Essay

(Nari Sashaktikaran Par Nibandh) (100-200 Words में )

महिलाओं के व्यक्तिगत विकास और उन्हें सभी निर्णय स्वयं लेने के लिए सशक्त बनाना ही नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment) कहलाता है।

भारत प्राचीन काल से ही अपनी संस्कृति, परंपराओं, समाज, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत पुरुष रूढ़िवादी राष्ट्र के रूप में भी जाना जाता। भारतीय पुरुषों के द्वारा महिलाओं को बोलने या कभी कोई निर्णय लेने का मौका नहीं दिया जाता।

इसी बात का परिणाम है कि आज हमारे देश की महिलाओं को घरेलू हिंसा, बलात्कार, असमानता, मानव तस्करी, यौन हिंसा, दहेज प्रथा जैसी कुप्रथा ओं और अत्याचारों का सामना करना पड़ता है।

जब पानी सर से ऊपर जाने लगा और महिलाओं के प्रति अत्याचार लगातार बढ़ता गया तो महिला सशक्तिकरण ही एक ऐसा उपाय था जिससे महिलाओं को सशक्त किया जा सकें। उन्हें उनके अधिकारों की पहचान करवाई जा सकें, उन्हें इस काबिल बनाया जा सकें कि वह अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध खड़ी होकर अपने हक की लड़ाई लड़ सकें साथ ही अपनी जिंदगी के सभी निर्णय खुद ले सकें।

नारी सशक्तिकरण पर निबंध

(Nari Sashaktikaran Par Nibandh) (300-500 Words में )

भारत देश के उज्जवल भविष्य, समाज और परिवार को फलने फूलने के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है.

महिला सशक्तिकरण महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास के लिए अपने फैसले लेने का अधिकार देता है. महिलाएं समाज की रीढ़ होती है इसीलिए उन्हें बचपन से ही विकसित करना जरूरी है।

हमारी सरकार के द्वारा महिलाओं को जागरूक करने और उनके अधिकारों से अवगत कराने के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं साथ ही महिलाओं को समाज में हो रहे अत्याचारों से बचाने के लिए कई कानून भी बनाए गए हैं। हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, मातृ दिवस मनाया जाता है।

महिला सशक्तिकरण का वास्तविक अर्थ यही है कि ही महिलाओं को उनके अधिकारों से अवगत करवाने के साथ-साथ उन्हें इस काबिल बनाना है कि वह अपने सभी निर्णय स्वयं ले सके। अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों पर खुद आवाज उठा सके।

पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा कहा गया है कि “लोगों को जगाने के लिए महिलाओं को जागरूक होना जरूरी है। जब एक महिला अपना कदम आगे बढ़ाती है तो उसका परिवार भी आगे बढ़ता है, उसका गांव भी आगे आता है और सभी का विकास होता है।

लैंगिक समानता को प्राथमिकता देते हुए पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण पर लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत देश के लिए जरूरी है कि महिलाएं शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनें। देश को मजबूत बनाने के लिए हमें सबसे पहले महिलाओं के खिलाफ हो रहे दुर्व्यवहार, अत्याचार, हिंसा को रोकना होगा जिससे महिलाओं का विकास हो सके और वह देश के विकास में अपनी भागीदारी निभा सकें।

लंबे समय के संघर्ष के बाद महिलाओं को संपत्ति का अधिकार, मतदान का अधिकार, नागरिक अधिकार, विवाह और रोजगार के मामलों में कानूनी सुरक्षा प्राप्त हो पाई है।

महिलाओं और किशोरियों की सुरक्षा के लिए सरकार के द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ उज्ज्वला योजना किशोरी कौशल योजना जैसी योजनाएं चलाई जा रही है.

वास्तव में सशक्तिकरण लाने के लिए महिलाओं को अपने स्वयं के अधिकारों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है। महिलाओं को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उनके आसपास उनके समाज और उनके देश में क्या हो रहा है ? महिलाओं को यह पता होना चाहिए कि किसी भी समस्या का समाधान करने में वह पुरुषों के मुकाबले ज्यादा सक्षम हैं अगर महिलाएं आगे आकर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाएगी तो उम्मीद की जा सकती है कि हमारे देश को कभी भी किसी भी तरह के आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

महिला सशक्तिकरण Quotes

(Woman Empowerment Quotes/ Nari Sashaktikaran Slogan in Hindi)

नारी सशक्तिकरण पर भाषण

(Nari Sashaktikaran Par Speech)

हमारा समाज आज भी लड़का और लड़की में भेदभाव करने की सोच से ऊपर नहीं उठ पाया है। लेकिन इस देश के विकास के लिए हमें सबसे पहले इस भेदभाव को मिटाना होगा।

लैंगिक समानता लाने के लिए भारत में सबसे पहले महिला सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है। जब महिला सशक्त होगी तो वह घर के कामकाज से उभर कर अपने लिए भी जिंदगी जीना सीखेगी और देश की आर्थिक, सामाजिक स्थिति को सुधारने में अपना योगदान दे पाएंगे।

महिलाएं देश की आधी शक्ति है जब यह आदिशक्ति पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी तो वह दिन दूर नहीं होगा जब भारत देश भी विकसित देशों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाएगा।

नारी सशक्तिकरण के कई उपाय हैं. हमारी सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत से कानून बनाए हैं। देश में बहुत से ऐसे संगठन है जो नारी सशक्तिकरण (Women Empowerment) पर काम कर रहे हैं। आजकल महिलाओं को शिक्षा के लिए घर से बाहर भी जाने दिया जा रहा है। शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण करना सबसे आसान है अगर महिला शिक्षित होगी तो सशक्तिकरण को और अच्छे से समझ पाएगी।

लेकिन भारतीय पुरुषों के लिए यह आवश्यक है कि वह एक महिला की शक्ति को समझें। किसी भी पुरुष को यह नहीं सोचना चाहिए कि महिला घर में परिवार के कामकाज के लिए बनी है साथ ही महिलाओं को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा जिससे वह एक बेहतर कैरियर बना सके।

भारत में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए लगातार सरकार और कुछ संगठनों के द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। महिलाओं को उनके अधिकार से अवगत कराने के लिए देश में हर साल 8 मार्च को महिला दिवस (Women’s day) भी मनाया जाता है।

भारतीय समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिए उनके खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना होगा और उन्हें हटाना होगा जो महिलाओं के विकास में बाधा उत्पन्न कर रही है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि हमें महिलाओं के खिलाफ लोगों की पुरानी सोच को बदलना होगा। अगर इस देश की तरक्की में महिला और पुरुष की बराबर की भागीदारी होगी तो वह दिन दूर नहीं होगा जब भारत विकासशील से विकसित देश बन जाएगा। उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आप महिला सशक्तिकरण (Mahila Sashaktikaran) से जुड़े सभी पहलुओं को समझ गए होंगे। आपको यह लेख कैसा लगा? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language

In this article, we are providing information about Nari Shakti in Hindi- A Short Essay on Nari Shakti in Hindi Language. नारी शक्ति पर निबंध, Nari Shakti Par Nibandh in 300 words.

जरूर पढ़े – Women Empowerment Essay in Hindi

नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language

Essay on Nari Shakti in Hindi

( Essay-1 ) Nari Shakti Essay in Hindi

नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ करने का निश्यचय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है।

प्राचीन काल से ही हमारे समाज में झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है। आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है। आज भी महिला कोमल और मधुर ही है लेकिन उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है।

आज के युग में नारी भले ही जागरूक हो गई है और उसने अपनी शक्ति को पहचाना है लेकिन वह आज भी सुरक्षित नहीं है। आज भी नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझा जाता है। पुरूषों को नारी का सम्मान करना चाहिए और उन पर इतना भी अत्याचार मत करो की उनकी सहनशीलता खत्म हो जाए और वो शक्ति का रूप ले ले क्योंकि जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय आई है। नारी देवीय रूप है इसलिए नारी शक्ति सब पर भारी है। नारी से ही यह दुनिया सारी है।

हम सब को नारी शक्ति को प्रणाम करना चाहिए और आगे में उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि यदि देश की नारी विकसित होगी तो हर घर, हर गली और पूरा देश विकसित होगा।

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( Essay-2 ) Nari Shakti Par Nibandh in 500 words| नारी शक्ति पर 500 शब्दों में निबंध

प्रस्तावना यह बात तो हम सभी जानते ही हैं कि नारी शक्ति का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। पहले समय की बात कुछ और थी, जब नारी को कमजोर समझा जाता था। लेकिन आज 20वीं सदी की नारी बहुत तरक्की कर रही है। आज की महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।

हर क्षेत्र में लहरा रही है परचम। अगर हमें समाज को बदलना होगा, तो समाज का शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए सरकार के द्वारा शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण पहलू के रूप में माना गया है। महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छी परफॉर्मेंस कर रही है। स्कूल कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आज की नारियां अच्छी जगह पर जॉब कर रही है। प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी विभाग में भी महिलाएं नौकरी कर रही है। जब महिलाएं पढ़ लिख रही हैं, तो उनकी स्थिति में भी सुधार हो गया है। काफी विभाग ऐसे हैं, जहां पर नौकरी पाना बहुत ज्यादा मुश्किल है। लेकिन महिलाएं अपनी मेहनत और बलबूते पर वहां भी नौकरियां पा चुकी हैं।

महिलाएं किसी से कम नहीं है। पहले जमाना कुछ और था, जब महिलाओं को पुरुषों से कमजोर समझा जाता था। कहा जाता था कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, महिलाएं काफी बदल गई हैं। पहले जहां महिलाएं पुरुषों पर निर्भर होती थी, आज महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। पढ़ लिखकर अच्छे महकमे में नौकरियां कर रही है और अच्छा पैसा कमा रही हैं। देखा जाए तो महिलाएं आज के समय में पुरुषों से किसी भी काम में पीछे नहीं है। जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह काम महिलाएं भी कर रही हैं।

महिलाएं अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। पहले जमाने में महिलाओं पर अत्याचार होता रहता था और महिलाएं अत्याचार सहती रहती थी। लेकिन आज के समय में महिलाएं शोषण के विरुद्ध आवाज उठा रही हैं। अगर महिलाओं को कोई भी समस्या है या कोई भी महिलाओं का शोषण करता है, तो महिलाएं उसके खिलाफ आवाज भी उठाती हैं। जैसे-जैसे समय बदला है, महिलाओं की स्थिति में भी सुधार हुआ है।

महिलाएं अपने फैसले खुद ले रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में महिलाएं अपनी निजी जिंदगी और प्रोफेसनल जिंदगी से जुड़े हर निर्णय खुद ले रही है। पहले समय में परिवार और पति के द्वारा उन पर अत्याचार किया जाता था। फैसले थोप दिए जाते थे, जिन्हें महिलाओं को मानना ही पड़ता था। लेकिन आज की महिला बिल्कुल बदल चुकी हैं। महिलाएं अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर निर्णय लेना सीख चुकी हैं और वह समाज में भागीदारी भी कर रही है। बहुत महिलाएं ऐसी हैं, जो समाज के लिए काफी अच्छे-अच्छे काम भी कर रही हैं और समाज के लिए मिसाल बन रही है।

# Nari Shakti Essay in Hindi

Essay on Women in Indian society in Hindi

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6 thoughts on “नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language”

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I love it. It is very very very nice essay

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Hi I like the essay

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Very good ??

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Nari Shakti Sacha Mein Sabpar Bhari Ha

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