आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W)

आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W) लिखा हैं जिसमें  हमने प्रस्तावना, आतंकवाद क्या है, आतंकवाद का उद्देश्य, विश्व में प्रमुख आतंकवादी हमले, भारत मे आतंकवाद विकसित होने के कारण, आतंकवाद का समाधान, आतंकवाद पर 10 लाइन के बारे में लिखा हैै।

Table of Contents

प्रस्तावना (आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi)

आज यदि हम भारत के विभिन्न समस्याओं पर विचार करें, तो हमें लगता है कि हमारा देश अनेक प्रकार के समस्याओं के चक्रव्यू में गिरा हुआ है। एक और भुखमरी, दूसरी और बेरोजगारी, कहीं अकाल तो, कहीं बाढ़ का प्रकोप है।

आतंकवाद ही एक एसी समस्या है जो देश रूपी वटवृक्ष को दिमाग के समान  चट-चट कर खोखला कर रही है। कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।

आतंकवाद का क्या है What about Terrorism in Hindi

आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसका भारत में हम कई दशकों से सामना कर रहे हैं। आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार है जो सम्मान या उसके बड़े भाग में राजनीतिक उद्देश्य से पैदा करने के इरादे से किया जा रहा है।

“अहिंसा परमो  धर्मा” तथा “वसुधैव कुटुंबकम” जैसे महा मानवता के सिद्धांत वाला हमारा देश भारत के पिछले अनेक वर्षों से संप्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद की विकराल समस्या बनी हुई है।

आतंकवाद का उद्देश्य Purpose of Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद का कोई नियम कानून नहीं होता वह केवल अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के ऊपर दबाव बनाने के साथ ही आतंक को हर जगह फैलाने के लिए निर्दोष लोगों के समूह या समाज पर हमला करते हैं।
  • यह सच है कि बेकारी तथा बेरोजगारी के कारण परेशान युवाओं को धन का लालच देकर तथा धर्म के नाम पर उकसाने तथा आतंकवाद बनाने का काम धार्मिक कट्टरपंथी संस्थाएं करती रहती है।
  • आतंकवादियों द्वारा सीरियल ब्लास्ट कथा साइकल बम ब्लास्ट जैसी घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है, इसीलिए आज आतंकवादियों के खिलाफ कठोरता से पेश आने की आवश्यकता है।

विश्व में प्रमुख आतंकवादी हमले Major Terrorism attacks in the world in Hindi

  • 1947 में भारत के आजादी के बाद से ही, भारत को विभिन्न देशों में विद्रोह और आतंकवादी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
  • 12 मार्च 1993 को भारत के आर्थिक राजधानी को बम विस्फोट की एक श्रृंखला से हिला दिया गया था।
  • 1998 में कोयंबटूर बमबारी।
  • 13 दिसंबर 2001 को देश की सबसे सुरक्षित इमारत संसद पर हमला।
  • 24 सितंबर 2002 को गांधीनगर, गुजरात में अक्षरधाम मंदिर परिसर आत्मघाती हमला।
  • 2005 में दिल्ली सीरियल बम विस्फोट।
  • 2006 में बॉम्बे ट्रेन विस्फोट।
  • 2007 में समझौता एक्सप्रेस बमबारी।
  • 26/11 2008 मुंबई में हुई सबसे बड़ी आतंकी हमला का भारत ने सामना किया।

भारत में आतंकवाद विकसित होने के कारण Due to the development of Terrorism in India in Hindi

जिनमें से प्रमुख गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, तथा धार्मिक उन्माद है। इनमें से धार्मिक कट्टरता आतंकवादी गतिविधियों को अधिक प्रोत्साहित कर रही है। लोग धर्म के नाम पर एक दूसरे का गला काटने को तैयार हो जाते हैं।

धार्मिक उन्माद अपने विरोधी धर्मावलंबी को सहन नहीं कर पाता। परिणाम स्वरूप हिंदू मुस्लिम हिंदू सीख आदि धर्म के नाम पर अनेक दंगे भड़क उठते हैं।

आतंकवाद का समाधान Solution to Terrorism in Hindi

यह मुश्किल हो सकता है एक निश्चित व्यक्ति जिसने अपना मन बना लिया हो उसे रोकना जो आतंक का कार्य करना चाहता है लेकिन हमेशा राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित कर सख्त कानून की जरूरत है सरकार को आतंकवादी विधि के प्रवाह को रोकने और कड़ाई से निगरानी करने के लिए कानून बनाना चाहिए और प्रभावी ढंग से और कार्य करना चाहिए।

आतंकवादी गतिविधियों को कुचलने के लिए सरकार तथा जनता को मिलकर कार्य करना चाहिए। ऐसा करने से सबसे पहले कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना होगा।

जहां जहां पर अंतरराष्ट्रीय सीमा हमारे देश की सीमा को छू रही है उन समस्त क्षेत्रों की नाकाबंदी की जानी चाहिए जिसकी वजह से आतंकवादी सीमा पार से हथियार, गोली, बारूद और प्रशिक्षण प्राप्त करने में असफल हो जाए।

आतंकवाद मानव सभ्यता के लिए कलंक है उसे पनपने नहीं देना चाहिए। विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

आतंकवाद पर 10 लाइन 10 line on Terrorism in Hindi

  • आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसका भारत में जिसका भारत में हम गए दस्को से सामना कर रहे हैं।
  • आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार है जो सम्मान या उसके बड़े भाग में राजनीतिक उद्देश्य से पैदा करने के इरादे से किया जा रहा है।
  • महा मानवता के सिद्धांत वाला हमारा देश भारत के पिछले अनेक वर्षों से संप्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद की विकराल समस्या बनी हुई है।
  • आतंकवाद हि एक एसी समस्या है जो देश रूपी वटवृक्ष को दिमाग के समान चट- चट कर खोखला कर रही है। कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
  • कुछ अलगाववादी शक्तियां तथा पथभ्रष्ट नवयुवक हिंसात्मक रूप से देश को विभिन्न क्षेत्रों में दंगा फसाद करवा कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
  • विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

निष्कर्ष Conclusion

 आतंकवाद जैसी मानसिकता का समाधान खोजने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा, और इसीलिए हर साल 21 मई को आतंकवादी विरोधी दिवस मनाया जाता है।

इस समस्या से लड़ने के लिए एक अकेला देश कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि आतंकवाद विश्वव्यापी समस्या है जिसे जड़ से खत्म करना विश्व शांति के लिए आवश्यक है।

यदि आपको हमारा यह आतंकवाद पर निबंध अच्छा लगा हो तो हमारे साथ और भी इसी तरह की जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए।

 धन्यवाद

1 thought on “आतंकवाद पर निबंध Essay on Terrorism in Hindi (1000W)”

सर जी आपका द्वारा लिखा गया ये निबंध बहुत ही अच्छे शब्दो मे है और आपने इसको बहुत सहजता से बहुत ही सरल भाषा में लिखा है मेरा एसएसबी हेड कांस्टेबल का एग्जाम है उसमे निबंध की महत्वपूर्ण भूमिका है आपका आशीर्वाद रहा तो जरूर सफलता मिलेगी सहृदय धन्यवाद्

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terrorism essay meaning in hindi

आतंकवाद पर निबंध – Essay on Terrorism in Hindi

Essay on Terrorism in Hindi

आज आतंकवाद जिस तरह से पूरे विश्व में अपनी जड़े फैला रहा है, और लोगों के अंदर भय पैदा कर रहा है, यह वाकई चिंतनीय है। आतंकवाद का मुद्दा आज पूरे दुनिया में एक ज्वलंत मुद्दा बन चुका है, वहीं अगर जल्द ही आतंकवाद के प्रति लोगों के अंदर जागरुकता नहीं फैलाई गई और इसे काबू पाने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में इसका काफी बुरा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

आतंकवाद जैसे अतिसंवेदनहीन मुद्दों के प्रति बच्चों की समझ विकसित करने के उद्देश्य से आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में अलग-अलग शब्द सीमा पर आतंकवाद पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Essay on Terrorism

आतंकवाद की समस्या अब वैश्विक स्तर पर फैल चुकी है, जिससे चलते कई गैरकानूनी अमानवीय और हिंसक कृत्य जन्म ले रहे हैं, जिससे आमजन के मन में डर बैठ रहा है, तो वहीं इस पर काबू पाने की बजाय कई राजनेता, अपने वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और जाति, धर्म और संप्रदायिकता के मुद्दों को बढ़ावा दे रहे हैं जिससे आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं बढ़ती जंनसंख्या और बेरोजगारी की वजह से भी आतंकवाद की जड़ें मजबूत होती जा रही हैं।

आतंकवाद का अर्थ – Terrorism Meaning

हिंसात्म कुकृत्यों द्धारा आम लोगों के अंदर भय पैदा करना ही आतंकवाद कहलाता है। गैरकानूनी तरीके से सरकार से अपनी अनुचित बात मनवाना, सामाजिक हिंसा को बढ़ावा देना अथवा राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार और आम-जनता में भय पैदा करना ही आंतकवाद का मुख्य मकसद होता है।

या फिर दूसरे शब्दों में कहें तो आतंकवाद एक तरह का माहौल है जिसके तहत लोग अपनी धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक ज़रूरत की पूर्ति के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं।

वहीं आतंकवादी वो होते हैं, जो अमानवीय, हिंसात्मक गतिविधियों का समर्थन करते हैं और अपने कृत्यों से लोगों को भयभीत करते हैं।

आपको बता दें कि आतंकवादियों की न कोई जाति होती है, न कोई धर्म होता है और न हीं उनका कोई देश होता है।

आतंकवादी, सिर्फ हिंसात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए, मासूम बच्चों, निर्दोष महिलाएं, बेकसूर बूढ़े और जवानों की निर्मम तरीके से जान ले लेते हैं, और देश में आराजकता का माहौल पैदा करते हैं।

वहीं आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की जो भी अधिकारी हिमाकत करता है, आतंकवादी उसे हिंसक तरीके से अपने रास्ते से हटा देते हैं अथवा उनकी जान ले लेते हैं। ताकि, उनके डरकर कोई भी अपनी आवाज न उठा सके और चुपचाप आतंकवादियों के अत्याचारों को सहते रहें।

आतंकवादी संगठन गुप्त जगहों पर अपना ठिकाना बनाते हैं, ताकि कोई परिंदा भी उनके ठिकानों पर अपना पर नहीं मार सके और वे गुपचुप तरीके से अपने अमानवीय कृत्यों को अंजाम देने की तैयारी कर सकें।

आतंकवाद का खात्मा करने के लिए हमारी सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं। इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। लेकिन इन सबके बाबजूद भी आतंकवाद, एक संक्रामक बीमारी की तरह पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है।

यही नहीं, कई आतंकवादी संगठनों द्धारा आतंक का प्रभाव और तेज करने के लिए कई ऐसे बेकसूर और सामान्य लोगों को आतंकवादी बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है, साथ ही हिंसक कृत्यों को करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

वहीं अगर इस तरह आतंकवाद बढ़ता रहा तो आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है, इसलिए हम सभी लोगों को एकजुट होकर इसके खिलाफ कदम उठाने चाहिए और अपनी लालची प्रवृत्ति को छोड़ना चाहिए, अर्थात ऐसे लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए जो लालच देकर दंगे – फसाद समेत कई हिंसात्मक गतिविधियों करने के लिए विवश करते हैं, तभी आतंकवाद पर काबू पाया जा सकेगा।

आतंकवाद पर निबंध नंबर 2 – Aatankwad Par Nibandh

आतंकवाद का मुद्दा आज का सबसे गंभीर मुद्दा बन चुका है, इसकी वजह से देश-दुनिया के विकास की गति धीमी हो गई है। मनुष्य के दिल – दिमाग में इसका गलत असर पड़ रहा है और यह सम्पूर्ण दुनिया में भय का माहौल पैदा कर रहा है।

आतंकवादी विनाशकारी हथियारों के बल पर न सिर्फ कई बेकसूर लोगों और मासूमों की जान ले रहे हैं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों को तबाह कर रहे हैं। वहीं पिछले कुछ सालों में भारत में आतंकवाद तेजी से पनपा है।

आतंकवाद के कई रुप –

आतंकवाद कई रुपों में आज पूरी दुनिया में फैल रहा है, जैसे कि – अपराधिक आतंकवाद, सांप्रदायिक आतंकवाद और राजनीतिक आतंकवाद आदि।

सांप्रदायिक आतंकवाद को कट्टर धार्मिक, संकीर्ण और छोटी मानसिकता वाले लोग जन्म देते हैं,ऐसी विचारधारा वाले लोग अक्सर किसी दूसरे धर्मों के प्रति असहज महसूस करते हैं और उनके धर्म नहीं मानने वाले लोगों को बर्दाश्त करना पसंद नहीं करते हैं।

यही नहीं धर्म के नाम पर अलग-अलग राज्य बनाने की कोशिश करते हैं और अन्य धर्मों के प्रति नफरत फैलाते हैं। उस धर्म का गलत तरीके से प्रचार-प्रसार करते हैं या फिर अन्य धर्म के लोगों से उनके धर्म को अपनाने के लिए विवश करते हैं।

इस तरह धार्मिक सांप्रदायिकता की भावना बड़े स्तर पर आतंकवाद को जन्म देती है।

वहीं अपराधिक आतंकवाद के अंदर, कई लालची प्रवृत्ती के लोग गैर कानूनी तरीके से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपहरण, चोरी, डकैती आदि कर पैसों की मांग करते हैं।

जबकि राजनीतिक आतंकवाद के तहत, कुछ लोग जनता का वोट अपनी झोली में करने के लिए, और अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए जाति-धर्म आदि की राजनीति करते हैं और जनता में डर का माहौल पैदा करते हैं। इसके साथ ही कुछ लालची लोगों को पैसों का लालच देकर दंगा-फसाद करवाते हैं, जिससे देश की एकता तो कमजोर होती है और इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ता है और आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है।

भारत में आतंकवाद की समस्या

भारत में आतंकवाद जिस तरह तेजी से बढ़ रहा है, वह न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल रहा है बल्कि देश के विकास को भी रोक रहा है। धर्म, जाति, समुदाय आदि के आधार पर हुए राष्ट्रों के विभाजन ने लोगों के अंदर हिंसा, नफरत, अलगाववादी, आतंकवाद आदि की भावना पैदा कर दी थी, जिसके चलते आजादी के इतने सालों बाद भी लोगों की नफरतें खत्म नहीं हुई और आतंकवाद ने एक बड़ा रुप ले लिया।

ब्रिटिश शासकों की फूट डालो, शासन करो की नीति के बाद भी भारत में आतंकवाद का स्तर बढ़ा है। इसके अलावा नागालैंड समेत बांग्लादेश औऱ पाकिस्तान के भारत से विभाजन के बाद आतंकवाद की शुरुआत हुई और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए भी कई नए आंतकवादियों ने जन्म लिया, जो कई अमानवीय कुकृत्यों द्धारा भारत में आतंक को बढ़ा रहे हैं और लोगों के मन में खौफ पैदा कर रहे हैं।

भारत को नुकसान पहुंचाने और जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों पर कब्जा करने समेत भारतीय जनता में भय का माहौल पैदा करने के उद्देश्य से कई बार ऐसे आतंकवादी हमले करवाए जाते हैं, जिससे देश के कई बेकसूर और बेगुनाह लोग मारे जाते हैं।

साथ ही भारत की सुरक्षा पर सेंध लगाने के उद्देश्य से भारतीय सुरक्षा बलों समेत भारतीय सैनिकों पर भी हमले किए जाते हैं, जिससे लड़ाई करते हुए कई सीमा पर तैनात भारतीय जवान शहीद हो जाते है।

इसके अलावा आतंकवादियों द्धारा भारत के कई सार्वजनिक स्थलों पर भी बम-बिस्फोट समेत कई हिंसात्मक और अमानवीय गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है।

वहीं भारत में आतंकवाद की मूल वजह बढ़ती जनसंख्या, गरीबी, अशिक्षा भुखमरी असमानता और बेरोजगारी है।

वहीं भारत में कई बडे़ आतंकी संगठनजैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा, उल्फा, तालिबान, ISIS आदि सक्रिय हैं, और यह संगठन भारत के बेरोजगारों और गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर अपने संगठन में शामिल कर रहे हैं, जिससे भारत में आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है।

वहीं भारत में आतंकवाद तो पहले सिर्फ कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित था जैसे कि जम्मू कश्मीर। लेकिन पिछले कुछ सालों में आतंकवाद, भारत में काफी फैल चुका है। इसके बड़े उदाहरण 26/11 मुंबई आतंकी हमला , जयपुर विस्फोट, मुंबई ट्रेन धमाका, दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट, 1993 में हुए मुंबई सीरियल ब्लास्ट, कोयंबटूर धमाका, भारतीय संसद पर हमला आदि हैं।

आतंकवाद जिस तरह से पूरे संसार में अपनी जड़े फैला रहा है, यह गंभीर चिंता का विषय है। अगर इस पर जल्द काबू नहीं किया गया तो, आने वाली पीढ़ी के लिए यह बड़ा खतरा पैदा कर सकता है।

इसलिए, आतंकवाद की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है।

अगले पेज आतंकवाद पर और भी निबंध……

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आतंकवाद पर निबंध – Terrorism Essay in Hindi (Aatankwad Par Nibandh)

आतंकवाद लोगों को डराने के लिए आतंकवादियों द्वारा हिंसा करने का एक गैर क़ानूनी तरीका है। इसका प्रयोग देश में लोगों को डराने धमकाने के लिए किया जाता है। आज के समय में यह समस्या देश में नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या बन गई है जिससे देशों में आतंकी हमले किए जाते हैं। आतंकवाद विश्व ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

Published on 20 April 2024

आतंकवाद लोगों को डराने के लिए आतंकवादियों द्वारा हिंसा करने का एक गैर क़ानूनी तरीका है। इसका प्रयोग देश में लोगों को डराने धमकाने के लिए किया जाता है। आज के समय में यह समस्या देश में नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या बन गई है जिससे देशों में आतंकी हमले किए जाते हैं। आतंकवाद विश्व के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है जो कि कई देशों को तबाह कर चुकी है। आतंकवाद सबसे अधिक निशाना देश की आम जनता को बनाता है और राजनैतिक एवं वैचारिक हिंसा को बढ़ावा दिया जाता है। आज इस लेख में हम आपको आतंकवाद पर निबंध – Terrorism Essay in Hindi (Aatankwad Par Nibandh) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहें हैं अतः आप इस लेख को तक जरूर देखें।

आतंकवाद (Terrorism) क्या है?

टेररिज्म का मुख्य उद्देश्य हिंसा करके लोगों के भीतर डर का खौफ पैदा करना है जो कि एक गैर कानूनी कार्य है। यह एक देश के नागरिकों के लिए नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के लिए एक खतरा बना हुआ है जिसका कि अंत नहीं हो सकता। देश में यदि कहीं भी बम विस्फोट, हिंसा के कार्य या फिर दंगे फसाद होते हैं ये सब आतंकवाद कहलाते हैं और यह कार्य करने वाले आतंकवादी कहलाते हैं। अक्सर भारत में आतंकवाद को नक्सलवादियों के रूप में देखा जाता है क्योंकि सर्वप्रथम नक्सलवादी ही आतंकवादी बनकर आए थे। विश्व में फ्रांसीसी क्रांति के समय इस शब्द की उत्पति हुई थी। इसके पश्चात आतंक की स्थापना वर्ष 1793-94 में हुई थी और वर्ष 1950 में यह बुराई तेजी से फैलने लग गई और इसका उत्थान भारत, जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं जापान आदि देशों में देखा गया।

सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा साल 2005 में टेररिज्म को परिभाषित किया गया था कि यदि कोई संगठन लोगों को डराने धमकाने के लिए एवं सरकार पर दबाव डालता है एवं आम जनता को जान-माल का नुक्सान करते हैं तो इसे आतंकवाद कहा जाएगा।

वर्ष 1987 में आतंकवादी एवं विघटनकारी क्रियाकलाप अधिनियम को भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। यदि कोई समुदाय सरकार पर दबाव डाले एवं देश की जनता को आघात एवं क्षति पहुंचाता है वह आतंकवादी कार्य मन जाएगा।

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आतंकवाद (Terrorism) कितने प्रकार का होता है?

किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गलत कार्यों एवं तरीकों को अपनाना टेररिज़्म कहलाता है, इसके निम्न प्रकारों की जानकारी हम नीचे देने जा रहें हैं।

जातीयता पर आधारित Terrorism

यह एक इस प्रकार का आतंकवाद है जो कि जातीय राष्ट्रवादी उद्देश्यों के लिए बनाया जाता है। यह आतंकवाद जाति को टारगेट करता है ताकि वे एक अलग राज्य स्थापित कर सके या फिर अलग जातीय समूह बना सके।

धार्मिक Terrorism

धार्मिक आतंकवाद एक ऐसा आतंक है जो कि धार्मिक विचारों से पैदा होता है एक आतंकी दूसरे आतंकी के विचारों से प्रेरित होता है। धार्मिक आतंक एक विनाशकारक आतंकवाद है।

राज्य प्रायोजित Terrorism

जब किसी देश की सरकार किसी दूसरे देश की घातक हमले की activities को अंजाम देती है तो इस प्रकार के आतंकवाद को राज्य प्रायोजित Terrorism कहा जाता है। अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इस प्रकार की गतिविधियां की जाती है।

स्वापक आतंकवाद

ऐसा आतंकवाद जो हिंसा के माध्यम से सरकार एवं समाज की नीतियों को प्रभावित करने के लिए नशीले पदार्थ की तस्करी के प्रयास करता है स्वापक आतंकवाद कहलाता है।

राष्ट्रवादी Terrorism (नृजातीय)

आतंकवादी किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उप-राष्ट्रीय नृजातीय संगठन बनाते हैं और हिंसा करते है इस प्रकार के टेररिज्म लो राष्ट्रवादी Terrorism (नृजातीय) कहते हैं।

विचारधारा प्रेरित Terrorism

1. वामपंथी Terrorism

किसी संगठन द्वारा न्यापूर्ण समाज की स्थापना करने के उद्देश्य से पूंजीवाद का जमकर विरोध करने की हिंसा को वामपंथी Terrorism कहा जाता है।

2. दक्षिणपंथी Terrorism

प्राचीन समूह द्वारा प्राचीन संस्कृति का संरक्षण करने के लिए एकल संगठन द्वारा की गई हिंसा को दक्षिणपंथी Terrorism कहते हैं।

आतंकवाद के दुष्प्रभाव क्या-क्या हो सकते हैं?

जब भी कहीं राजनीतिक एवं सामाजिक कार्य को बिगाड़ने की कोशिश की जाती है जिससे कि उस राज्य एवं देश की सरकार गिर जाए इसे आतंकवाद कहते है। टेररिज्म का सबसे अधिक दुष्परिणाम आम जनता पर होता है। इसके अतिरिक्त समाज में बहुत दुष्प्रभाव होते है जिसकी जानकारी हम नीचे निम्न प्रकार से देने जा रहें हैं-

  • किसी देश में आतंकी राज होने पर लोगों के मन में डर उत्पन्न हो जाता है जिससे कि लोगों का सरकार के ऊपर से भरोसा उठ जाता है।
  • आतंकवादी को देखकर अन्य लोग भी आतंकवादी बनने के लिए विवश हो जाते हैं।
  • आतंकवाद के कारण कई सरकारों को खत्म कर दिया जाता है।
  • मनुष्य का एक दूसरे के ऊपर से विश्वास हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।
  • शहर के शहर तबाह हो जाते हैं।
  • आतंकी हमलो एवं बम विष्फोटो से जीव-जंतु एवं लाखों मनुष्यों की मृत्यु हो जाती है।

भारत में हुए आतंकवादी हमले

भारत में कई बड़े आतंकी हमले हुए हैं जिनकी जानकारी हम आपको निम्न प्रकार से बताने जा रहें हैं।

  • 12 मार्च 1983 में मुंबई शहर में सीरियल धमाके हुए थे जिसे कि मुंबई सीरियल ब्लास्ट कहा गया था।
  • 14 फरवरी 1998 में इस्लामिक ग्रुप अल उम्माह में कोयम्बटूर धमाका किया गया था।
  • वर्ष 2001 में 1 अक्टूबर में जम्मू कश्मीर विधानसभा में आतंकवादी हमला हुआ था।
  • जयपुर में सिसिलेवार बम धमाका 13 मई 2008 को किया गया था।
  • 13 दिसंबर 2001 में आतंकवादियों ने फिर से हमला किया इस बार उन्होंने अपना निशाना संसद को बनाया था।
  • मुंबई शहर में पकिस्तान के कुछ आतंकवादी घुस गए और उन्होंने वर्ष 2008 में 26 नवंबर को हमला कर लिया जिसमे लोग को अत्यंत नुक्सान हुआ।
  • वर्ष 1999 में कारगिल का युद्ध भी इसी का कारण था।
  • वर्ष 2008 में अहमदाबाद में आत्मघाती हमलावरों ने बम धमाका किया था।
  • मुंबई की आम रेलों में वर्ष 2006 में आतंकी हमला किया गया।
  • देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी तथा इंदिरा गाँधी की भी हत्या एक आतंकवादी साजिश ही शामिल थी।
  • साल 2017 में कई यात्री अमरनाथ की यात्रा पर जा रहें थे हमलावरों ने 11 जुलाई में उन बसों पर हमला कर दिया।
  • आतंकियों ने वर्ष 2016 में देश में पठानकोट की सेना के ठिकानों को निशाना बना कर बम विस्फोट किए।
  • रामपुर में सीआरपीएफ के जवानों पर वर्ष 2008 में आतंकी हमला किया गया था जिसमें कि 8 जवानों ने अपने प्राण गवा दिए।
  • भारत में आतंकवादी पुलवामा हमला 14 फरवरी 2019 में किया गया था जिसमें कि कई जवान घायल हुए एवं 37 जवान शहीद हो गए।
यह भी पढ़िए :- जातिवाद पर निबंध, अर्थ और इतिहास

स्वच्छता पर निबंध से जुड़े सवाल/जवाब

Aatankwad क्या है?

किसी उद्देश्य या लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लोगों को डराना धमकाना एवं उन पर हिंसा करना आतंकवाद कहलाता है।

आतंकवाद के क्या दुष्प्रभाव है?

आतंकवाद के का कारण देश के लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं लोगों के दिल आतंकवाद से सहम जाते हैं और सरकार भी कुछ नहीं कर पाती।

क्या भारत में आतंकवाद दिवस मनाया जाता है?

जी हाँ,हर साल भारत सरकार द्वारा 21 मई को आतंकवाद दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश के पूर्व प्राइम मिनिस्टर राजीव गाँधी जी को श्रन्दाजलि दी जाती है।

आतंकवाद के क्या कारण हो सकते हैं?

आतंकवाद के कई निम्नलिखित कारण हो सकते हैं, जैसे की भ्रष्टाचार, सामाजिक एवं आर्थिक विभिन्नता का होना, राजनैतिक विभिन्नता एवं धार्मिक विवाद आदि।

देश में Terrorism की शुरुआत किस वर्ष हुई है?

वर्ष 1773 से 1794 के समय विश्व में आतंक राज की स्थापना हुई थी। यह समय फ्रांसीसी क्रांति का था। वर्ष 1950 में भारत एवं यूरोपीय के कई देशों में यह आतंकवाद शुरू हो गया था।

इस आर्टिकल में हमने आपको Terrorism Essay in Hindi (Aatankwad Par Nibandh) से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी को साझा कर दिया है यदि आपको इस लेख से जुड़ी अन्य जानकारी या किसी प्रश्न को पूछना है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट सेक्शन में अपना प्रश्न पूछ सकते है हम कोशिश करेंगे कि आपके प्रश्रों का उत्तर जल्द दे पाएं। इसी तरह के निबंधों के लेख एवं सरकारी योजनाओं के बारे में जानने के लिए आप हमारी साइट से ऐसे ही जुड़े रह सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख से जानकारी जानने में सहायता प्राप्त हुई हो और यह लेख पसंद आया हो धन्यवाद।

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Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद पर निबंध – Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on terrorism in hindi), आतंकवाद : एक विश्वव्यापी समस्या (अथवा) मानव सभ्यता का संकट : आतंकवाद – (terrorism: a worldwide problem or crisis of human civilization: terrorism).

  • प्रस्तावना,
  • आतंकवाद क्या है?
  • आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या,
  • भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास,
  • आतंकवादी समस्या का समाधान,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना नहीं सुरक्षित मन्दिर, मस्जिद, गिरजे या गुरुद्वारे। निर्दोषों के खून बहाते घूम रहे हत्यारे। पता नहीं कब कहाँ मौत का अग्नि पुंज फट जाए? चिथड़े-चिथड़े लाशों से निर्दोष धरा पट जाए।

आतंकवाद ने आज मानव-जीवन को कितना दयनीय और असुरक्षित बना दिया है! विश्व का कोई कोना आज मौत के इन सौदागरों से सुरक्षित नहीं है।

Terrorism Essay in hindi

आतंकवाद क्या है? What is the Terrorism

उपनिवेशवादी शासकों के विरुद्ध वहाँ की जनता ने कभी हथियार उठाये थे वह एक क्रान्तिकारी अभियान था। उसके पीछे स्वतन्त्रता और न्याय का आधार था। किन्तु आज तो कुकुरमुत्तों की भाँति ढेरों संगठित गिरोह संसार में फैले हुए हैं, जिनके उद्देश्य बड़े सीमित और स्वार्थपूर्ण हैं।

धन ऐंठना, निर्दोष लोगों, महिलाओं और बच्चों तक की हत्या करना तथा मादक पदार्थों एवं शस्त्रों के अवैध व्यापार आदि आज के इन तथाकथित मुक्तिमोर्चों के कुकृत्य हैं।

Essay on Terrorism in Hindi

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या- आज आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका है। आज ऐसे अनेक छद्म संगठन और गिरोह सक्रिय हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं। भारत तो दशकों से आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा है किन्तु जब अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर भस्मसात् हुआ और इंग्लैण्ड की ट्रेनों में धमाके हुए, इण्डोनेशिया के पर्यटन स्थलों पर तबाही हुई तो सारे विश्व को आतंकवाद की भयावहता स्वीकार करनी पड़ी।

आतंकवाद के पीछे विभिन्न देशों के आर्थिक और राजनैतिक स्वार्थ निहित हैं। मादक पदार्थों तथा अवैध शस्त्र व्यापार चलाने वाले माफिया संगठन आतंकवादियों के पोषक बने हुए हैं। कुछ देशों की सरकारें भी आतंकवादियों की संरक्षक बनी हुई हैं। ‘आई.एस.’ तो एक सुसंगठित खूख्वार और घृणित आतंकी संगठन है।

भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास- भारत में आतंकी गतिविधियाँ पूर्वी सीमान्त से प्रारम्भ हुईं। नागालैण्ड, त्रिपुरा, असम आदि राज्यों में आतंकवाद काफी समय तक प्रभावी रहा। इसके पश्चात् पंजाब और जम्मू-कश्मीर ने आतंकवाद की क्रूरता को झेला।

गुजरात का अक्षरधाम मन्दिर, संसद भवन, मुम्बई की लोकल ट्रेनें, बनारस का संकटमोचन मन्दिर, समझौता एक्सप्रेस, आतंकवाद का निशाना बन चुके हैं। इसके अतिरिक्त छोटी-मोटी आतंकी घटनाएँ तो आए दिन होती रहती हैं।

26/11 के मुम्बई में हुए आतंकवादी प्रहार ने विश्व को झकझोरा था। कुछ ही समय पूर्व नापाक पड़ोसी द्वारा ‘उड़ी’ ऐयर-बेस में खून का खेल खेला जा चुका है।

आतंकवादी समस्या का समाधान- आतंकवाद का कुफल अब विश्व के विकसित देश भी भोग रहे हैं। अतः इस विकट समस्या के समाधान के प्रति हर सभ्य देश चिन्तित है। आतंकवाद से छुटकारा तभी हो सकता है जब विश्व के सभी देश इसकी समाप्ति में सक्रिय सहयोग दें। इसका प्रमाण ‘आई.एस’ के विनाश में जुटे विश्व के सभी प्रमुख देशों की भूमिका से मिल रहा है।

‘आई.एस.’ का सर्वनाश अब अधिक दूर नहीं लगता । अतः जनता की जागरूकता, सुरक्षा बलों को समर्थन और दलीय राजनीति से ऊपर उठकर प्रबल इच्छा-शक्ति से ही आतंकवाद का सामना किया जा सकता है।

आतंकवाद को उसी की भाषा में जबाव देकर ही उसे समाप्त किया जा सकता है। भारत द्वारा ‘सर्जीकल अटैक’ इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

उपसंहार- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, धर्मान्धता और माफिया गिरोहों से ही आतंकवाद दाना-पानी और संरक्षण पा रहा है, किन्तु अब आतंकवाद का निर्यात करने वालों के घर भी जलने लगे हैं। अतः रोग लाइलाज हो जाय उससे पहले ही उसको समाप्त कर देना बुद्धिमानी है। इसके लिए सभी देशों का सहयोग आवश्यक है।

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भारत में आतंकवाद पर निबंध (Terrorism in India Essay in Hindi)

आतंकवादी समूहों का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच आतंक पैदा करना होता है और वे लोगों को निरंतर इसी डर और खौफ के साथ देखना पसंद करते हैं तथा इस उद्देश्य पुरा करने के लिए वो समय-समय पर विभिन्न छोटी-बड़ी आतंकवादी गतिविधियां करते रहते हैं। भारत में लगभग 100 से भी अधिक आतंकवादी संस्थाए चल रही हैं और वे देश में तनाव और भय का माहौल उत्पन्न करने में सफल भी हो रही हैं। इन आतंकवादी समूहों द्वारा कई आतंकवादी गतिविधियां की गई हैं। भारत अपने पड़ोसी देश द्वारा मुख्य रूप से पाकिस्तान द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों से बहुत हानि हुई है।

भारत में आतंकवाद पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Terrorism in India in Hindi, Bharat mein Atankvad par Nibandh Hindi mein)

भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठन

भारत में संचालित कुछ प्रमुख आतंकवादी समूह यहां दिए गए हैं:

  • जैश-ए-मोहम्मद: यह जम्मू-कश्मीर में संचालित एक पाकिस्तानी आतंकवादी समूह है, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करना है। इस समूह ने घाटी के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए कई आतंकवादी हमलों को भी अंजाम दिया है।
  • लश्कर-ए-तैयबा: यह एक इस्लामवाद आतंकवादी समूह है जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ-साथ भारत के जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों में भी काम कर रहा है। इसे पाकिस्तान द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और ये भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार है।
  • माओवादी: 2004 के वामपंथी आतंकवादियों और भारत सरकार के बीच वार्ता के बाद, नक्सली समूहों के विलय से इस आतंकवादी समूह का निर्माण हुआ था।
  • यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असम (उल्फा): यह आतंकवादी समूह भारतीय राज्य असम में विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है।

परन्तु विडमबना यह है कि इन आतंकवादी समूहो द्वारा किये गये बम धमाको और आंतकवादी गतिविधियो के बावजूद भी, ज्यादेतर समय सरकार इन तक पहुंचने और इनके विरुद्ध कड़ी कारवाई करने में असफल साबित हुई है।

भारत में आतंकवाद का कारण

भारत में व्यापक प्रसार आतंकवाद के कई कारण हैं। भारत में मुख्य रूप से चार प्रकार के आतंकवाद हैं। इसमें धार्मिक आतंकवाद, नार्को आतंकवाद, वामपंथी आतंकवाद और एथनो-राष्ट्रवादी आतंकवाद शामिल हैं। विभिन्न आतंकवादी संगठनो से जुड़े आतंकवादी अलग-अलग कारणों से एक जुट हो सकते हैं, परन्तु  उनके अधीन चल रहे सभी आतंकवादी संगठनो का मुख्य उद्देश्य समान ही होता है और यह आम जनता के बीच बड़े स्तर पर भय और दहशत पैदा करने के लिए सदैव तैयार रहते है।

भारत में आतंकवाद के कुछ मुख्य कारण यहां दिए गए हैं:

भारत विभिन्न धर्मों की भूमि है। विभिन्न धर्मों के लोग बड़े पैमाने पर देश में शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं, वहीं कई ऐसी धार्मिक चरमपंथी संगठन भी हैं जो उनके बीच दरार पैदा करना चाहती हैं। ये समूह अपने धर्म की शिक्षाओं के बारे में झुठा दावा करती हैं और यह साबित करने का प्रयास करती हैं कि उनका धर्म दूसरों के धर्म से श्रेष्ठ है। अतीत में इन समूहों द्वारा किए गए कई हिंसक आंदोलनों ने देश की शांति और सद्भाव को भंग भी किया है और इस प्रकोप के कारण कई लोग को नुकसान भी हुआ है, जिसमे कई लोगो को अपनी जीवन भी गवाना पड़ा हैं।

एथनो-राष्ट्रवादी

चरमपंथी समूहों द्वारा इस प्रकार के आतंकवाद को सदैव उकसाया जाता है। जब एक राज्य की आबादी का प्रमुख हिस्सा खुद को अलग करने तथा अपना अलग राज्य/देश बनाने की इच्छा व्यक्त करता हैं तो वो आतंकवाद को बढ़ावा देता हैं। पंजाब में खालिस्तान आंदोलन इस प्रकार के आतंकवाद के उदाहरणों में से एक है। इस तरह के आतंकवाद के कारण कश्मीर जैसा सुंदर भारतीय राज्य भी इससे पीड़ित है क्योंकि कुछ कश्मीरी इस्लामी समूह कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते हैं। उसी तरह नागालैंड, त्रिपुरा, असम और तमिलनाडु भी इस प्रकार के आतंकवाद से पीड़ित हैं।

राजनीतिक परिदृश्य

सरकार तथा देश की राजनीतिक व्यवस्था से असंतुष्ट लोग आतंकवादी समूह का गठन करते हैं। भारत में वामपंथी उग्रवादियों को नक्सलवाद के नाम से जाना जाता हैं। अतीत में नक्सलवादीयों ने देश की राजनीतिक व्यवस्था से निराश होकर कई आतंकवादी हमले भी किए हैं। उन्होंने सशस्त्र विद्रोह के साथ सरकार को उखाड़ फेकने का लक्ष्य बनाया है, जिससे वह स्वंय की सत्ता का निर्माण कर सके।

सामाजिक-आर्थिक असमानता

भारत अपने सामाजिक-आर्थिक असमानता के लिए जाना जाता है। जहां अमीर और अमीर होते जा रहे हैं तथा गरीब और गरीब। ये गरीब वर्ग के बीच असमानता की भावना पैदा करता है। जिसके कारण ये ऊपरी वर्ग के लोगों को नष्ट करने के लिए आतंकवादी संगठनो में शामिल हो जाते हैं। वे ज्यादातर सत्ता लोगों तथा उच्चवर्गीय इलाकों को लक्ष्य बना कर आतंकवादी हमले करते हैं।

भारत में आतंकवाद का प्रभाव

आतंकवाद ने देश पर व्यापक प्रभाव डाला है। भारत में आतंकवाद के प्रभावों पर एक नज़र:

लोगों के बीच घबराहट

भारत में आतंकवाद ने आम जनता के बीच आतंक पैदा किया है। हर समय देश में एक विस्फोट, फायरिंग या अन्य प्रकार की आतंकवादी गतिविधियां होती रहती है। इसके कारण, कई लोग असामयिक रूप से मरे जाते हैं और अन्य कई लोगों को अपना बाकी का जीवन विकलांग के रुप में गुजारना पड़ता हैं। इन हमलों के कारण आम जनता के बीच तनाव और चिंता का माहौल तथा डर पैदा हो जाता है और लोग अपने घरों से बाहर निकलने में भी डर लगने लगता हैं।

पर्यटन उद्योग पर प्रभाव

लोग, आतंकवादी हमलों से ग्रस्त स्थानों पर जाने से डरते हैं। बाहरी और अंदरुनी आतंकवादी संगठनो के आतंकवादी गतिविधियो के वजह से भारत के पर्यटन उद्योग और शांति व्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। आंतकवादी गतिविधियो के वजह से पर्यटन उद्योग कई महीनो के लिये ठप पड़ जाता है।

विदेशी निवेश

विदेशी निवेशक भारत और अन्य आतंकवाद से ग्रस्त देशों में निवेश से पहले कई बार सोचते हैं, क्योंकि ऐसे जगहो पर जोखिम काफी अधिक होता हैं और वे सुरक्षित विकल्पों की तलाश में होते हैं। जिससे भारतीय कारोबारीयों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।

अर्थव्यवस्था पर संकट

भारत की अर्थव्यवस्था पर आतंकवाद का प्रतिकूल असर देखने को मिलता है। कई भारतीय प्रमुख शहरों पर आतंकवादी हमलों का प्रभाव पड़ा हैं, जिससे संपत्ति और व्यवसायों का नुकसान हुआ है, वहीं ऐसे मामलों में पुनरुत्थान लागत काफी अधिक होता है। उत्पादक कार्यों में उपयोग की जा सकने वाली देश की संपत्ति, आतंकवादी हमलों के कारण होने वाली हानि को भरने में निवेश की जाती है। इसके अलावा, पर्यटन उद्योग में गिरावट, भारत में निवेश करने के लिए विदेशी निवेशकों की कमी और भारत में आतंकवाद के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दरों में वृद्धि, देश की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा नकारात्मक प्रभाव डालता है।

प्रतिभा पलायन

भारत में कई प्रतिभाशाली युवा, देश की निम्न गुणवत्ता और आतंकवादी हमलो के अनिश्चितताओं के कारण देश में नहीं रहना चाहते। वे संयुक्त राष्ट्र, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम जैसे विकसित देशों में स्थानांतरित हो जाते हैं जो आतंकवादी हमलो से कम प्रभावित होते हैं तथा आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। इस कारण से, आतंकवादी गतिविधियों के कारण प्रतिभा पलायन में वृद्धि हुई है।

वैश्विक आतंकवाद

आतंकवाद सिर्फ भारत देश तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये पुरे विश्व की समस्या बन चुकी है। विभिन्न देशों तथा भारत में आतंकवादी समूहों के गठन के कारण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। पर इन कारणों में मुख्य रूप से सामाजिक-आर्थिक असमानता, भेदभाव/अलगाव, सत्तारूढ़ दल, धार्मिक उग्रवाद और जातीय राष्ट्रवाद के कामकाज से असंतोष शामिल हैं।

इस दुनिया में लगभग हर देश, ऊपर बताये गये एक या अन्य समस्याओं से पीड़ित है और इसके कारण इन देशों के भीतर विभिन्न आतंकवादी संगठनो का गठन हुआ है। ये आतंकवादी संगठन आम जनता के बीच डर का माहौल बनाये रखने के लिए समय-समय पर देश के भीतर आतंकवादी हमले करते रहते हैं तथा विभिन्न देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को जन्म देती है। जिससे धार्मिक उन्माद, आर्थिक असमानता, विकासशील देशों को प्रदान की जाने वाली सहायता में अंतर के कारण प्रतिद्वंद्विता या घृणा की भावना विकसित हो जाती है। पाकिस्तान द्वारा भारत और विभिन्न देशों पे किये गये हमले अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का स्पष्ट उदाहरण हैं।

पाकिस्तान, सीरिया, भारत, रूस, मिस्र, इराक, लीबिया, नाइजीरिया, इज़राइल, फिलीपींस, कोलंबिया, सोमालिया, थाईलैंड, तुर्की, यमन और नेपाल जैसे देश पिछले दो दशकों में कई आतंकवादी हमलों से प्रभावित हुए हैं तथा वे दोनों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हमलों से पीड़ित हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई 9/11 की घटना विश्व देश में सबसे जघन्य और प्रमुख आतंकवादी हमलों में से एक रही है।

Essay on Terrorism in India in Hindi

भारत में आतंकवादी हमला

भारत ने कई आतंकवादी हमलों को देखा है जिन्होंने जनता के बीच भय तथा डर खौफ पैदा किया है और बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बना है। यहां कुछ प्रमुख आतंकवादी हमलों के बारे में जानकारी दी गयी हैं जिसने पिछले कुछ वर्षों में भारत को बुरी तरीके से प्रभावित किया हैं:-

  • 1991 पंजाब हत्याकांड
  • 1993 बॉम्बे बम धमाके
  • 1993 चेन्नई में आरएसएस कार्यलय में बमबारी
  • 2000 चर्च बमबारी
  • 2000 लाल किला आतंकवादी हमला
  • 2001 भारतीय संसद हमला
  • 2002 मुंबई बस बमबारी
  • 2002 अक्षरधाम मंदिर पर हमला
  • 2003 मुंबई बम बमबारी
  • 2004 असम में धमाजी स्कूल बमबारी
  • 2005 दिल्ली बम विस्फोट
  • 2005 भारतीय विज्ञान संस्थान शूटिंग
  • 2006 वाराणसी बमबारी
  • 2006 मुंबई ट्रेन बमबारी
  • 2006 मालेगांव बमबारी
  • 2007 समझौता एक्सप्रेस बमबारी
  • 2007 मक्का मस्जिद बमबारी
  • 2007 हैदराबाद बमबारी
  • 2007 अजमेर दरगाह बमबारी
  • 2008 जयपुर बमबारी
  • 2008 बैंगलोर सीरियल विस्फोट
  • 2008 अहमदाबाद बमबारी
  • 2008 दिल्ली बम विस्फोट
  • 2008 मुंबई हमले
  • 2010 पुणे बमबारी
  • 2010 वाराणसी बमबारी
  • 2011 मुंबई बमबारी
  • 2011 दिल्ली बमबारी
  • 2012 पुणे बमबारी
  • 2013 हैदराबाद विस्फोट
  • 2013 श्रीनगर हमला
  • 2013 बोध गया बमबारी
  • 2013 पटना बम विस्फोट
  • 2014 छत्तीसगढ़ हमला
  • 2014 झारखंड विस्फोट
  • 2014 चेन्नई ट्रेन बमबारी
  • 2014 असम हिंसा
  • 2014 चर्च स्ट्रीट बम विस्फोट, बैंगलोर
  • 2015 जम्मू हमला
  • 2015 गुरदासपुर हमला
  • 2015 पठानकोट हमला
  • 2016 उरी हमला
  • 2016 बारामुल्ला हमला
  • 2017 भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन बमबारी
  • 2017 अमरनाथ यात्रा हमला
  • 2018 सुक्का हमला

भारत में आतंकवाद से लड़ने के लिए कुछ प्रमुख एजेंसिया-

भारत में कई पुलिस, खुफिया और सैन्य संगठनों ने देश में आतंकवाद से लड़ने के लिए विशेष एजेंसियां ​​बनाई हैं।

एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस)

महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के भारतीय राज्यों में आतंकवाद विरोधी दल (एटीएस) संचालित है। यह एक विशेष पुलिस बल है जिसने भारत में कई आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार की रणनीतियां अपनाई हैं।

रीसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ)

वर्ष 1968 में स्थापित, रॉ भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है। यह आतंकवादी साजिशो को नाकाम करने में अपना योगदान देती है तथा काउंटर प्रसार को बढ़ावा देता है और भारत के परमाणु कार्यक्रम की रखवाली करता हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए)

ये एजेंसी देश में आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित की गई है। दुर्भाग्यपूर्ण 2008 इसकी शुरुआत मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद हुई। इस एजेंसी को राज्यों से किसी विशेष अनुमति के बिना, किसी भी भारतीय राज्य में होने वाले आतंकवादी समूहों/गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त है।

आतंकवाद ने भारत को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। आतंकवादी हमलों की वजह से हजारों निर्दोषों की जान गई हैं। आतंकवाद विरोधी एजेंसियों और उनकी उच्च रणनीतियों के गठन के बावजूद भी,  आतंकवादी समूह अभी भी आतंकवादी गतिविधियों को पूरा करने में सफल हैं।

आतंकवादी हमलों के लिए भारत सरकार की प्रतिक्रिया कभी भी उतनी कठोर नहीं है जितनी होनी चाहिए।  आतंकवादी गतिविधियों के लिए उचित रणनीतिक प्रतिक्रिया के अभाव, आतंकवादी संगठनो को निडरता से ऐसी गतिविधियों को करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।

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आतंकवाद पर निबंध। terrorism essay in hindi

Terrorism Essay in Hindi

terrorism जिसे हम हिंदी में आतंकवाद के नाम से जानते है। मानव विकास और सामाजिक सौहार्द के बीच सबसे बड़ी बाधा आतंकवाद है । आज पूरा विश्व आतंकवाद की पीड़ा को झेल रहा है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में terrorism essay in hindi ले कर आये है । इस आतंकवाद पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on terrorism in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

टेररिज्म जिसे हम हिंदी में आतंकवाद कहते है।आतंकवाद आतंक शब्द से उभरा हुआ शब्द है। कई लोग आतंकवाद को बहुत छोटी चीज़ समझते है। लेकिन जहां ये सुचारु रूप से चलन में है, वहां के लोग इसे बखूबी समझते है। दुनिया के हर कोने में बेशक ये ना हो लेकिन से दुनिया के कुछ खास देश व प्रदेशों में है।ईरान, अफगानिस्तान नाइजीरिया, सीरिया और पाकिस्तान सबसे ज़्यादा इन गतिविधियों का हिस्सा होते है। आई.ई.पी के ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स में इसका खुलासा हुआ । जो लोग इसे महज कोई मामूली झगड़े के समान समझते है वे इसके दुष्प्रभाव के बारे में जानने से वे फिलहाल वंचित है। एक गुत्थि सुलझने के प्रयास में ना जाने हम कितने उलझ से जाते है। जी हां मेरा मकसद सबसे पहले ये बताने का था कि आतंकवाद कोई मामूली चीज नही है। लोग इसे हल्के में ना ले। अब हम आसान भाषा मे आतंकवाद व आतंकवादी जैसे शब्दों का अर्थ समझेंगे। आतंकवाद को सीधे तौर पर देखा जाए तो वह गद्दारी और हिंसा होती है। और जो इसे करता है उसे हम आतंकवादी कहते हैं। जो जी पूर्णताः गद्दार के समान होता है। कई बार वे आपने ही राष्ट्र के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है। हिंसात्मक होता है।

प्रस्तावना-  आतंकवाद का कोई धर्म, कोई राष्ट्र, कोई भाषा, कोई घर, कोई परिवार नही होता। उनका एक ही मकसद होता है ” विरोध”। अगर और स्पष्ट रूप से समझा जाये की आतंकवादी कौन है, तो ये एक समूह है जिसमे हर व्यक्ति का सामान उद्देश्य होता है। वह उद्देश्य ही आतंकवाद को जन्म देता है। और आतंकवादी उद्देश्य की पूर्ति करते है। वे देश को या देश के नागरिकों को जान-मान तक कि हानि पहुचाते है।आतंकवादी आतंकवाद फैलाने के लिए जगह जगह दंगे करवाते है। वे अलग अलग टुकड़ी में विभाजित होकर दुनिया के अलग अलग कोने की शांति भंग करते हैं। कई बार अपने मकसद में कामयाब होने की जद्दोजहद में वे बारूद के बम को ब्लास्ट करवाते है। वे ऐसी जगहों पर बम को लगाते है जहां बड़ी संख्या में लोग आते जाते रहते हो। जैसे कोई मॉल, बाजार, थिएटर इत्यादि। वे विभिन्न प्रकार के हानिकरक बम का इस्तेमाल करते है। आतंकवाद जब एक दो जगह से बढ़ते बढ़ते बहुत सारी जगह होने लगे तब ये काफी चिंता का विषय होता हैं। आज भी ये चिंता का विषय है।

आतंकवादियों का मकसद एवं उद्देश्य- बिना उद्देश्य व बिना किसी मकसद के तो कहा जाता है कि पत्ता भी नही हिलता फिर ये तो गोलियों की आवाजों, दंगों, व बम विस्फोट की बात है। आतंकवादियों का मकसद भी इसी प्रकार अलग अलग है। किसी के अंदर बदले की भावना होती है तो वह आम लोग को नुकसान पहुंचाते हैं। इसमे विचारों का अहम हिस्सा है। जब कोई व्यक्ति अपने कार्य को सिद्ध करने या करवाने के लिए हिंसात्मक होने का विचार बनाता है वहां से ही आतंकवाद की शुरुवात हो जाती है। हिंसा का रास्ता अपनाने की शुरुवात विचारों से ही होती है। आतंकवादियों का मकसद हर बार अलग अलग होता है। कुछ अपने संगठन के लोगों को सरकार से छुड़वाने के लिए आतंकवाद के प्रसार का  रास्ते अपनाते है। जिससे सरकार उनके संगठन के लोगो को छोड़ दे। वे देश के मासूम लोगो को अपना निशाना बनाते है। कुछ लोग के विचार वर्तमान सरकार से अलग होते है वे चाहते है कि सिर्फ दुनिया मे हमारी ही चले। कुछ पैसों के लिए आतंवादी बनते है। कुछ लोग किसी की हत्या को रोकने के लिए पैसे की मांग करते है जिससे उन्हें पैसा मिले पैसा मिलते ही वह अमुख व्यक्ति को छोड़ देते है। आतंकवादियों के अलग अलग संघठन होते है। अलग अलग मकसद से होते है।अलग अलग जगहों पर होते है। माना जाता है कि आतंकवाद घरेलू स्तर याने की एक गांव में , राष्ट्रीय स्तर याने कुछ अमुख मुल्कों में एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर अर्थात हर जगह फैलाया जाता है। अपने मन मर्ज़ी के लक्ष्यों को पूर्ति करने के लिए लोग हिंसा का सहारा अपनाते है। उनके बेशक उद्देश्य अलग अलग होते है। जैसे राष्ट्र की शांति भंग करना, बदला लेना, पैसे हड़पना, राष्ट्र की बदनामी करना,दंगे भड़काना इत्यादि।परंतु मकसद एक ही होता है ” हिंसात्मक रूप से अपने कार्य को, अपने लक्ष्य को पूरा करवाना” । जब आतंकवादी हिंसा को अपना कर अपने कार्य पूर्ण करवाते है उसी को हम आतंकवाद कहते है। जैसे जैसे लोगो में अलग व गलत कार्य सिद्ध करवाने की आशा बढ़ती है, वैसे वैसे आतंकवाद में भी तेजी से बढ़ोतरी होती है।

आतंकवादी बनने की वजह- आतंकवादी कोई दूसरे ग्रह से आये एलियन नही है। वे भी हमारी ही तरह इंसान है। जिस तरह से देश की रक्षा करने का जस्बा या साहस हमारी बॉर्डर के लोगों में होता है। ठीक वैसे ही आतंकवादियों में आतंक फैलाने का कीड़ा होता है। लेकिन हमारी सीमा पर जो सैनिक तैनात है उन्हें कही न कही से वहां डटे रहने की प्रेरणा मिलती है। तो हम ये क्यों नही समझते कि आतंवादियों को भी आतंकवाद करने और उसमें डटे रहने की प्रेरणा मिलती है। जब हम अच्छी प्रेरणा को बढ़ावा देते है तो बुरी प्रेरणा को कम क्यों नही करते है? 

आपके हृदय में इस क्षण जो भाव आया वही भाव देश के नागरिकों को आना चाहिए। 

एक व्यक्ति आतंकवादी बनने से पहले एक आम इंसान होता है। ताज्जुब की बात ये है कि लोग आतंकवादी को इस प्रकार देखते है कि जैसे उसने जन्म ही आतंकवादी के रूप में लिया हो। उनके जीवन मे क्या मुश्किलें रही जिसके कारण उन्हें आतंकवादी बनना पड़ा ये 80 प्रतिशत से ज़्यादा लोग समझने का कभी प्रयास नही करते। तरह तरह के कारण की वजह से लोग आतंकवाद का रास्ता अपनाते है। अधिक लोग इसमे मजबूरी के कारण जाते है। कोई पारिवारिक समस्या होती है या फिर उनके माहौल में असंतुलन। बचपन से किसी बच्चे को हर छोटी चीज़ के लिए डांटा जाए मारा जाए ये बेहद खराब स्थिति देख बच्चे के दिमाग पर असर पड़ता है। हो सकता है अपना जीवन जीने वो अपने रास्ते पर निकले और उसे गलत संगति मिल जाये। वह व्यक्ति पहले से ही आहत है। वो आसानी से लोगो की बातों में आकर गलत रास्ते पर जा सकता है। इसी प्रकार के कई कारण होते है। जिससे बच्चे के मस्तिष्क पर असर पड़ता है। वह क्रोध करता है। हिंसा का मार्ग अपनाता है। लेकिन इस सूची में आने वाले महज 5 प्रतिशत लोग ही आतंकवाद का सहारा लेते है। बाकी के बचे लोग की आतंकवाद को अपनाने की अलग वजह होती है। और उन सब मे से सबसे बड़ी 2 वजह है “शिक्षा एवं बेरोज़गारी का अभाव”। 

जिस भी क्षेत्र में ज्ञान की कमी है, वहां आतंकवादी आम जन ही है। 

जब व्यक्ति शिक्षित हो जाता है पर उसे रोज़गार मुहैया नही कराया जाता, वह व्यक्ति अपने आप को दुनिया का बदनसीब इंसान समझता है। जब लंबे समय तब समान स्थिति बनी रहे तो इसके बाद उनके पास आतंकवाद के रास्ते खुलते है। देश ये युवाओं को आतंकवादी संगठन ढूंढते है उन्हें प्रेरित करते है कि हमारे साथ जुडो। जिन लोगो के पास नौकरी नही होती ऐसे लोग बड़ी आसानी से जाल में यह सोच कर फस जाते है कि कमसे कम हमे पैसा तो मिलेगा, भूखे तो नही रहेंगे। कुछ लोग इसी प्रेरणा से और कुछ मजबूरी से आतंकवादी बन जाते है।

आतंकवाद को कम करने का उपाय- आतंकवाद को कम करने के लिए हमे दीर्घदृष्टि की आवश्यकता है। सबसे पहले हमें उन्हें समझते हुए उनका दिमाग पढ़ना होगा और ये समझना होगा कि वे किस वजह से आतंकवाद में आये। अलग अलग टुकड़ी का उद्देश्य इसी प्रकार समझना होगा। आतंकवाद कम करने के लिए आतंकवादी कम करने पड़ेंगे। और आतंकवादी कम करने के लिए शिक्षा का संचार करना होगा। जिससे इन व्यक्ति के बाद में आतंकवादी बनने वाले व्यक्ति की संभावना इस रास्ते पर आने को लेकर है वह शून्य हो जाएं। शिक्षा के माध्यम से अच्छा और बुरा पहचानने में लोगो को मदद मिलेगीं। साथ ही उन लोगो को हृदय से समझने की आवश्यकता हैं। जिससे आतंकवाद की संभावना जड़ से खत्म हो पाए।जिनके पास शिक्षा नही है उन्हें शिक्षित करे। जिनके पास रोज़गार नही है उन्हें रोज़गार मुहैया कराए।जो तनाव ग्रसित है उनसे उनकी समस्या पूछी जाए। जो अलग विचार रखते है उनसे स्पष्ट बात की जाए। जो नामुनकिन है उसे मुमकिन किया जाए। फिर जब आतंकवादी ही नही बचेंगे तो आतंकवाद कहाँ से  होगा। खाली दिमाग मे जो अंकुरित करते है, परिणाम स्वरूप वही सामने आता है। इसीलिए सरकार को शिक्षा, रोज़गार दोनो मुहैया करने की आवश्यकता है। 

उपसंहार- अगर आम लोग की बात है तो हमे भी आतंकवाद कम करने में योगदान देना चाहिए। अपने आस पास के लोगो की मदद करे। कोई अनपढ़ है तो आप उसे पढ़ाई में मदद करिए। कोई परेशान है तो उसके जीवन मे सुधार का हिस्सा बनिये। जो व्यक्ति आतंकवादी बनता है वह हमारे बीच का ही कोई व्यक्ति होता है। वह आतंकवादी बनने से पहले एक आम इंसान की ज़िंदगी जी रहा होता है। ध्यान रखिये की आपके बीच का व्यक्ति कभी आतंकवाद का रास्ता न अपनाए। इसकी जिम्मेदारी अगर हर व्यक्ति लेगा तो आतंकवाद जड़ से नष्ट हो जाएगा।

उनकी पीड़ा को न समझ कर देशद्रोही का खिताब देने की बजाए पीड़ा को समझे और जिस प्रेरणा से वह आतंकवादी बन सकते है उस प्रेरणा को मिटाए। 

समझदार है तो ज़िम्मेदारी लीजिये, वरना विनाश के ज़िम्मेदार भी खुद को ठहराइये। 

हमें आशा है आपको terrorism essay पसंद आया होगा। आप इस निबंध को global terrorism essay या फिर international terrorism essay के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। इस निबंध को paragraph on terrorism के लिए भी प्रयोग कर सकते है ।

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आतंकवाद पर निबंध ( Essay on Terrorism in Hindi ) – अहिंसा मानव के लिए सबसे जरूरी चीज होती है। हमें हर पल अहिंसा का साथ देना चाहिए। आपने यह कहते हुए भी सुना होगा कि अहिंसा हमारा परम धर्म होता है। हमारे शास्त्रों में यही लिखा है कि हमें कभी भी हिंसा नहीं करनी चाहिए। किसी को डरा धमकाकर काम करवाना सही नहीं होता है। हिंसा के मार्ग पर चलना बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं होती है। हिंसक व्यक्ति के दिमाग का संतुलन बिगड़ जाता है। वह अच्छे और बुरे के बीच में अंतर नहीं देख पाता है। ऐसे व्यक्ति को आतंकवादी की संज्ञा दी जाती है।

आतंकवाद पर निबंध ( Terrorism Essay in Hindi)

आतंक शब्द ही सुनने में बहुत अजीब लगता है। आतंकवाद अपने आप में गंभीर समस्या है। आतंक एक प्रकार का रोग है। यह रोग अक्सर दिमाग में पनपता है। आतंक से भरा व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। उस व्यक्ति के सिर पर सनक सवार होती है। आतंकवाद धीरे-धीरे फैलने वाला रोग है। आज के समय में हमारे समाज में आतंक व्यापक रूप से फैल गया है। इसकी कोई सीमा ही नहीं रही है। आतंक किसी भी रूप में हो वह घातक ही होता है। आतंक से पूरे समाज में दहशत पैदा हो जाती है।

आतंकवाद से किसी का भी भला नहीं होता है। आतंक को समाज और देश के लिए एक कलंक से ज्यादा और कुछ नहीं माना जाता है। आतंकवाद किसी भी देश को आर्थिक रूप से कमजोर बना देता है। आतंकवाद के चलते अनेक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। आतंक के चलते समाज में लोग डरे सहमे से रहते हैं। इसी वजह के चलते समाज में कोई भी पनप नहीं सकता है। तो आज का हमारा विषय आतंकवाद पर आधारित है। तो चलिए हम आतंकवाद पर निबंध पढ़ना शुरू करते हैं।

आज के समय दुनिया में आतंकवाद एक ऐसी समस्या बन चुकी है जिस पर लगाम लगाना बहुत ज्यादा जरूरी हो चुका है। आतंकवाद की अवधारणा एक सीमित दायरे में नहीं आती है। आतंकवाद का दायरा बहुत बड़ा है। वह हर चीज़ जो किसी भी तरह से किसी के मन और ह्रदय में भय को उत्पन्न करे वह आतंकवाद की श्रेणी में आता है।

आतंकवाद भारत के लिए भी उतनी ही बड़ी समस्या है जितनी किसी दूसरे देश की। आतंकवाद के चलते संसार में कितने ही लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। यह समस्या समाज में व्यापक रूप से फैली हुई है। यह उस दीमक की तरह जो समाज को खोखला किए जा रहा है।

आज आतंकवाद के चलते समाज अपने आप को बहुत ही कमजोर महसूस करता है। आतंकवादी को एक ही रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। जो भी किसी को डराता या धमकाता है, उसे भी आतंकवादी की श्रेणी में डाला जाता है। जिसके सिर पर आतंकवाद सवार होता है वह मनुष्य होते हुए भी एक दैत्य के समान ही माना जाता है।

ऐसा इंसान एक हैवान की तरह काम करता है। उसे हर बुरे काम को करने में आनंद की अनुभूति होती है। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे कि एक समय पर रावण और कंस जैसे राक्षस धरती पर आतंक फैलाते थे। वह हमेशा भले लोगों को अपना निशाना बनाते थे। आज हम सभी को पग पग पर आतंकवादी देखने को मिलेंगे।

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आतंकवाद क्या है?

आतंकवाद आज के समय में एक बहुत बड़ी समस्या है। आज के इस दौर में आतंकवाद ने भयानक रूप ले लिया है। आतंकवाद जहर के समान है। यह समाज में सभी को धीरे धीरे खत्म कर देता है। आतंकवाद समाज को खोखला बना देता है। आज हम अपने समाज में हर जगह आतंक का माहौल देख सकते हैं।

आज छोटी छोटी बातों में बहस और तनाव हो जाता है। यह तनाव कब बड़े झगड़े में बदल जाता है कुछ पता ही नहीं चलता है। यह झगड़ा एक प्रकार से आतंकवाद ही होता है। आतंकवाद शब्द कोई नया शब्द नहीं है। आतंकवाद की समस्या ने लोगों को हमेशा से ही परेशान किया है। आज से हजारों साल पहले भी आतंक फैलाने वाले राक्षस हमारे समाज का हिस्सा थे।

उन सभी ने मिलकर पूरी दुनिया में आतंक फैला रखा था। वह सभी को परेशान किया करते थे। वह सभी उस समय के आतंकवादी थे। आज के समय में आतंकवादी बहुत ज्यादा फैल गए हैं। आतंकवादी संगठन व्यापक रूप से फैल चुके हैं। पूरी दुनिया में आज कहीं पर भी बम धमाके हो जाते हैं। इन बम धमाकों में कितने ही लोग मारे जाते हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान भुगतना पड़ता है। आतंकवाद विष के समान सब कुछ खत्म कर देता है।

आतंकवाद के कारण

आतंकवाद आज के समय में एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। आज पूरी दुनिया को आतंकवाद ने अपनी चपेट में ले रखा है। आतंकवाद फैलने के पीछे भी कई कारण हो सकते हैं। चलिए हम इन कारणों पर गौर करते हैं –

(1) अशिक्षा और बेरोजगारी – आतंकवाद फैलने का सबसे बड़ा कारण है अशिक्षा और बेरोजगारी। आज का युवा अशिक्षा और बेरोजगारी होने के चलते भटक गया है। उसे सही और बुरे का कोई फर्क नहीं रह गया है। क्योंकि एक युवा अशिक्षित होता है तो उसे राह से भटकाना बहुत आसान होता है। राह से भटका व्यक्ति हिंसा के मार्ग पर ही चलता है।

(2) मनोवैज्ञानिक कारण – आतंकवादी बनने के पीछे का कारण मनोविज्ञान भी होता है। बहुत बार ऐसा होता है कि लोग भोले भाले युवाओं का ब्रेनवाश कर देते हैं। उन युवा लोगों को यह सिखाया जाता है कि आतंक फैलाने से समाज में प्रतिष्टा बढ़ती है। वह बच्चे समाज में अपने रुतबे को बनाने के चक्कर में आतंकवादी बन जाते हैं। उनका दिमाग हिंसक रूप में काम करने लगता है।

(3) जागरूकता की कमी – समाज चाहे कोई भी हो जब तक समाज में सही रूप से जागरूकता नहीं होती है तो उस स्थिति में समाज में असंतोष और अराजकता फैलती है। इसी जागरूकता की कमी के चलते ही आतंकी पनपते हैं। इन सभी आतंकियों को हल्के में लिया जाता है। इसी वजह से इनकी हिम्मत और बढ़ती चली जाती है।

आतंकवाद रोकने के उपाय

आतंकवाद जैसी गंभीर समस्या को रोकना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि आतंकवाद पर रोकथाम ही नहीं लगाई जा सकती है। आतंकवाद एक प्रकार का रोग है जिसका निदान हम बड़े ही अच्छे तरीके से कर सकते हैं। आतंकवाद को रोकने का सबसे ज्यादा कारगर उपाय है शिक्षा को बढ़ावा देना।

जब समाज में लोग शिक्षित होते हैं तो वह रोजगार भी प्राप्त कर लेते हैं। शिक्षित व्यक्ति कभी भी किसी के बहकावे में नहीं आता है। दूसरा उपाय है पूरी दुनिया का एकजुट होना। यह बहुत जरूरी है कि पूरी दुनिया एकजुट होकर आतंकवाद से लड़े। एकजुटता से बड़ी से बड़ी समस्या भी खत्म की जा सकती है। जागरूकता भी आतंकवाद से लड़ने में सहायक हो सकती है।

आतंकवाद पर प्रसिद्ध उद्धरण

(1) मैं किसी भी परिस्थिति में जान से मारना या हत्या करना या आतंकवाद को अच्छा नहीं मानता। – महात्मा गांधी

(2) आतंकवाद की कोई राष्ट्रीयता या धर्म नहीं है। – व्लादिमीर पुतिन

(3) यदि आप आवाज़ नहीं उठाएंगे तो आतंकवाद फैल जाएगा। – मलाला युसूफजई

(4) यदि हम आतंकवाद के जवाब में मानव अधिकारों और क़ानून के शासन को नष्ट कर देते हैं तो ये उनकी जीत है। – जोय्ची इटो

(5) टेररिज्म युद्ध का एक सिस्टेमेटिक हथियार बन गया है जो कोई सीमा नहीं जानता और जिसका कभी-कभार ही कोई चेहरा होता है। – जाक शिराक

(6) हमारे लिए विश्वव्यापी आतंकवाद को कम करने का एक तरीका ये है कि हम इसमें इंगेज होना बंद कर दें। – नोम चौमस्की

(7) हमारे मूल्य और जीने का तरीका रहेंगे- आतंकवाद नहीं होगा। – जाॅन लिन्डर

(8) आप आतंकवाद के खिलाफ युद्ध कैसे छेड़ सकते हैं जब युद्ध खुद आतंकवाद है? – हावर्ड जिन

(9) यदि आप दहशतगर्दी से लड़ते हैं, तो ये भय पर आधारित है। यदि आप शांति को बढ़ावा देते हैं; तो ये आशा पर आधारित है। – ग्रेग मॉर्टनसन

(10) आतंकवाद और धोखा शक्तिशालियों के नहीं बल्कि कमजोरों के हथियार हैं। – महात्मा गांधी

(11) हम आतंकवादियों से लड़कर आतंकवाद को पैदा नही करते। हम उन्हें अनदेखा करके आतंकवाद को आमंत्रित करते हैं। – जार्ज डब्ल्यू बुश

आतंकवाद पर निबंध 150 शब्दों में

आतंकवाद का नाम सुनते ही किसी के भी मन में भय का माहौल पैदा हो जाता है। यह शब्द किसी को भी भयभीत कर सकता है। आतंकवाद को हम किसी खतरनाक बीमारी से जोड़कर देख सकते हैं। गंभीर बीमारी के समान ही आतंकवाद भी फैलता रहता है। आतंकवाद को रोकना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। हम सभी इसका उदाहरण देख चुके हैं।

हम सभी को यह पता है कि कितने आतंकवादी संगठन आज दुनियाभर में दहशत फैलाए हुए हैं। आए दिन दुनिया में आतंकी हमले होते रहते हैं। आतंकवाद ने अपनी जड़े मजबूत कर रखी है। आतंकवाद किसी को भी नहीं बख्शता है। आतंकवाद मानवता और अर्थव्यवस्था दोनों को हिलाकर रख देता है। लेकिन आतंकवाद को लेकर हम सभी को सजग होना पड़ेगा। आतंकवाद को जड़ से खत्म करना ही हम सभी का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।

आतंकवाद पर 10 लाइनें

(1) आतंकवाद एक प्रकार की भयानक समस्या है।

(2) आतंकवाद पूरी दुनिया को खोखला बना देता है।

(3) आतंक और दहशत फैलाने वाले लोगों को आतंकवादी की श्रेणी में रखा जाता है।

(4) पूरी दुनिया के लोग आतंकवाद का नाम सुनते ही थर थर कांपने लगते हैं।

(5) आतंकवाद मानवता और अर्थव्यवस्था को गंभीर चोट पहुंचाता है।

(6) आतंकवादी हमला कहीं पर भी किसी भी रूप में हो जाते हैं।

(7) आतंकवाद के माध्यम से निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जाता है।

(8) आतंकवाद किसी भी रूप में हो सकता है। इसकी कोई श्रेणी नहीं होती।

(9) आतंकवाद दुनिया में हमेशा से ही प्रचलन में था। समय के साथ आतंकवाद के रूप बदलते गए।

(10) आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए सभी को शिक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है।

आतंकवाद ने हमेशा से ही हमें परेशान किया है। आतंकी हमले दुनियाभर में कहीं पर भी हो जाते हैं। आतंकवाद दुनिया को कमजोर बनाता है। हमारा उद्देश्य यही होना चाहिए कि हमें आतंकवाद को खत्म कर देना चाहिए।

आतंकवाद पर निबंध FAQs

प्रश्न 1. आतंकवाद क्या है?

उत्तर- आतंकवाद जहर के समान है। यह समाज में सभी को धीरे धीरे खत्म कर देता है। आतंकवाद समाज को खोखला बना देता है। दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान भुगतना पड़ता है। आतंकवाद विष के समान सब कुछ खत्म कर देता है।

प्रश्न 2. आतंकवाद फैलने का मुख्य कारण क्या रहता है?

उत्तर- आतंकवाद फैलने का मुख्य कारण अशिक्षा और बेरोजगारी है।

प्रश्न 3. आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई थी?

उत्तर- आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति आतंक शब्द से मानी गई है।

प्रश्न 4. आतंकवाद के रूप कितने होते हैं?

उत्तर- बमबारी, सशस्त्र हमले, अपहरण या बंधक बनाना आदि।

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Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध हिंदी में

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By clickaurjaniy

Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध हिंदी में

आतंकवाद पर निबंध | Aatankwad Par Nibandh

Essay on Terrorism in Hindi | Aatankwad Par Nibandh हिंदी में, आतंकवाद एक सोच है, जिसका उद्देश्य अवैध तरीकों से आम लोगों में भय पैदा करना है। यह मानवता के लिए खतरा है। इसमें हिंसा फैलाने वाले व्यक्ति या समूह, दंगे, चोरी, बलात्कार, अपहरण, लड़ाई, बम विस्फोट आदि शामिल हैं। आतंकवाद कायरता का कार्य है। साथ ही, आतंकवाद का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। Aatankwad Par Nibandh आतंकवादी केवल आतंकवादी होता है, हिंदू या मुसलमान नहीं।

आतंकवाद के प्रकार | Aatankwad Kya Hai

आतंकवाद पर निबंध हिंदी में, आतंकवाद दो तरह का होता है, Aatankwad Kya Hai

  • एक है राजनीतिक आतंकवाद जो बड़े पैमाने पर दहशत पैदा करता है
  • और दूसरा आपराधिक आतंकवाद जो फिरौती के पैसे लेने के लिए अपहरण का काम करता है।
  • राजनीतिक आतंकवाद आपराधिक आतंकवाद से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अच्छी तरह से प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार कानून लागू करने वाली एजेंसियों के लिए उन्हें समय पर गिरफ्तार करना मुश्किल हो जाता है।
  • Essay on Terrorism in Hindi राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी फैल गया।
  • क्षेत्रीय आतंकवाद सबसे अधिक हिंसक है। क्योंकि आतंकवादी सोचते हैं कि एक आतंकवादी के रूप में मरना पवित्र है, और इस प्रकार वे कुछ भी करने को तैयार हैं।
  • ये सभी आतंकवादी समूह अलग-अलग उद्देश्यों से बनाए गए हैं।

Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध हिंदी में

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आतंकवाद के कारण | Causes of Terrorism

Terrorism In Hindi के विकास में बड़ी मात्रा में मशीन-गनों, परमाणु बमों, हाइड्रोजन बमों, परमाणु हथियारों, मिसाइलों आदि के उत्पादन इसके कुछ मुख्य कारण हैं। तीव्र जनसंख्या वृद्धि, राजनीति, सामाजिक, आर्थिक समस्याएं, देश की व्यवस्था के प्रति लोगों का असंतोष, अभाव शिक्षा, भ्रष्टाचार, जातिवाद, आर्थिक असमानता, भाषाई अंतर, ये सभी आतंकवाद के प्रमुख तत्व हैं, और उनके बाद आतंकवाद पनपता है। Terrorism In Hindi लोग अपनी बात को साबित करने और उसे सही ठहराने के लिए आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दंगे सबसे प्रसिद्ध हैं लेकिन जाति और आतंकवाद में अंतर है। Essay on Terrorism in Hindi

आतंकवाद के प्रभाव | The Effects Of Terrorism

EFFECTS OF TERRORISM IN HINDI- आतंकवाद लोगों में भय फैलाता है, देश में रहने वाले लोग आतंकवाद के कारण असुरक्षित महसूस करते हैं। आतंकवादी हमलों से लाखों का माल नष्ट हो जाता है, हजारों बेगुनाहों की जान चली जाती है, जानवर भी मारे जाते हैं। एक आतंकवादी गतिविधि को देखकर इंसानियत में अविश्वास पैदा हो जाता है, यह एक और आतंकवादी को जन्म देता है। देश और विदेश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह के आतंकवाद मौजूद हैं। Conclusion Of Terrorism

Essay on Terrorism in Hindi आज आतंकवाद केवल भारत की ही समस्या नहीं है, बल्कि हमारे पड़ोसी देश में भी है और इससे निपटने के लिए दुनिया भर की सरकारें बहुत प्रयास कर रही हैं। 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले को दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है । ओसामा बिन लादेन ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की सबसे ऊंची इमारत पर हमला किया, जिसमें लाखों लोग मारे गए और हजारों लोग मारे गए।

भारत में आतंकवादी हमले | Terrorist Attacks in India

TERROSRIST ATTACKS IN HINDI – भारत ने कई आतंकवादी हमलों का सामना किया है जिससे जनता में भय पैदा हुआ और भारी विनाश हुआ। पिछले कुछ वर्षों में भारत में हुए कुछ प्रमुख आतंकवादी हमले यहां दिए गए हैं: Essay on Terrorism in Hindi

  • 1991 – पंजाब हत्याएं,
  • 1993 – बॉम्बे बम विस्फोट,चेन्नई में आरएसएस बमबारी,
  • 2000 – चर्च बमबारी, लाल किला आतंकवादी हमला,
  • 2001- भारतीय संसद हमला,
  • 2002 – मुंबई बस बम विस्फोट,अक्षरधाम मंदिर पर हमला,
  • 2003 – मुंबई बमबारी,
  • 2004 – असम में धेमाजी स्कूल बमबारी,
  • 2005 – दिल्ली बम विस्फोट, भारतीय विज्ञान शूटिंग संस्थान,
  • 2006 – वाराणसी बम विस्फोट, मुंबई ट्रेन बम विस्फोट, मालेगांव बम विस्फोट,
  • 2007 – समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट, मक्का मस्जिद बमबारी, हैदराबाद बमबारी, अजमेर दरगाह बमबारी,
  • 2008 – जयपुर बम विस्फोट, बैंगलोर सीरियल विस्फोट, अहमदाबाद बम विस्फोट, दिल्ली बम विस्फोट, मुंबई हमले,
  • 2010 – पुणे बमबारी, वाराणसी बमबारी।

हाल के atankavadi hamlon में

  • 2011 शामिल हैं – मुंबई बमबारी, दिल्ली बमबारी,
  • 2012 – पुणे बमबारी,
  • 2013 – हैदराबाद विस्फोट, श्रीनगर हमला, बोधगया बम विस्फोट, पटना बम विस्फोट,
  • 2014 – छत्तीसगढ़ हमला, झारखंड विस्फोट, चेन्नई ट्रेन बमबारी, असम हिंसा, चर्च स्ट्रीट बम विस्फोट, बैंगलोर,
  • 2015 – जम्मू हमला, गुरदासपुर हमला, पठानकोट हमला,
  • 2016 – उरी हमला, बारामूला हमला,
  • 2017 – भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन बम विस्फोट, अमरनाथ यात्रा हमला,
  • 2018 सुकमा हमला,
  • 2019- पुलवामा हमला।

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भारत में आतंकवाद से लड़ने वाली एजेंसियां | Agencies fighting Terrorism in India

Anti terrorism agencies in hindi – भारत में कई पुलिस, खुफिया और सैन्य संगठनों ने देश में आतंकवाद से लड़ने के लिए विशेष एजेंसियों का गठन किया है। भारत में आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाली प्रमुख एजेंसियां ​​​​आतंकवाद विरोधी दस्ते Essay on Terrorism in Hindi

  • (ATS), Anti Terrorism Squad
  • अनुसंधान और विश्लेषण विंग (RAW),
  • राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) हैं।

निष्कर्ष | Conclusion

आतंकवाद एक वैश्विक खतरा बन गया है जिसे प्रारंभिक स्तर से नियंत्रित करने की आवश्यकता है। आतंकवाद को केवल कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। आतंकवाद के इस बढ़ते खतरे का सामना करने के लिए दुनिया के लोगों को भी एक होना होगा।

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Terrorism essay in hindi language (aatankwad) आतंकवाद पर निबंध.

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Essay on Terrorism in Hindi 300 Words

विनाशकारी शक्तियो द्वारा विभिन तरीके से जान-माल का नुक्सान पहुँचाना या भय की स्थिति पैदा करने को आतंकवाद कहते है। विश्व के बहुत सारे देश पहले ही कठिन परिस्तिथियों और चुनौतियों जैसे कि गरीबी, जनसंख्या वृद्धि, निरक्षरता, असमानता आदि का सामना कर रहे है, किन्तु इन सब से खतरनाक है – आतंकवाद। आतंकवाद का कोई क्षेत्र न होने के कारन यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। आतंकवाद पूरी मानव जाति को मानसिक तोर से प्रभावित कर रहा है। विकसित हो चुके देशो यूएसए, रुस आदि और विकसित हो रहे देशो, दोनों के लिए आतंकवाद बहुत बड़ी चुनौती है। कुछ चंद लोग अपने राजनीतिक लाभ, धार्मिक या व्यक्तिगत लक्ष्य पाने के लिए भी आतंकवाद का सहारा लेते है, जो दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है।

आतंकवाद का कोई धर्म या जाति नहीं होती, वह अपनी माँगों को मनवाने के लिए गलत तरीके से सरकार के ऊपर दबाव बनाते है, जिसके लिए वह मासूम लोगो पर हमला कर देते है जिनका कोई कसूर नहीं होता। आतंकवादी विमानों का अपहरण करते हैं, लोगों पर गोलियाँ चलाते हैं, बम विस्फोट द्वारा और दूसरी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। ऐसी ज्यादातर घटनाये सिनेमाघरों, रेलगाड़ियों, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में होती है ताकि ज्यादा नुक्सान और दहशत पैदा की जा सके।

आतंकवादी लक्ष्य के साथ वारदात को अंजाम देते है। भारत में पहले ऐसा माना जाता था कि आतंकवादी गतिविधियाँ केवल जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित है, पर आज आतंकवाद अपनी जड़े दूसरे क्षेत्रों में भी फैला रहा है। अपने कार्य के अनुसार राजनीतिक और आपराधिक आतंकवाद के दो मुख्य प्रकार हैं। आतंकवाद के जरिये देश में असुरक्षा, भय और संकट की स्थिति पैदा हो जाति है, जो सभी देशो के नागरिको के लिए बहुत खतरनाक है। आतंकवाद बहुत बुरी बीमारी है जो दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है, अब समय आ गया है कि सरकार इसके लिये कठोर कदम उठाये।

Essay on Terrorism in Hindi 700 Words

समग्र विश्व आज बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है; और यह बारूद है आतंकवाद की राज से पीडित विश्व मानव-समाज आज अपनी परछाई से भी डरने लगा है, अपने ही कदमों की आहट से चौंकने लगा है। हालांकि इस सब का समाधान वैश्विक स्तर पर एक मुद्दा बना हुआ है, लेकिन आतंकवाद से पूर्णत: निजात पाकर कब चैन की सांस ले पायेंगे, उस दिन का इंतजार हम सबको है। वैसे इस संदर्भ में हम अपने देश भारत को ही देखें तो ऐसा लगता है कि वाकई यहाँ से आतंकवाद का खात्मा बहुत जल्द ही होने वाला है। भले ही आतंकवादियों की हमलावर, अत्याचारी और साजिशों भरा कदम अभी तक नहीं थका है, लेकिन उनको शायद यह पता नहीं यह कदम उनके अंत की ओर ही जा रहा हैं।

भारत में बरसों पहले, सन् 1989 में कश्मीर में आतंकवाद ने अपनी दूसरी दस्तक दी थी। तब से आतंकवाद का जेहादी संस्करण तकरीबन एक लाख इंसानों की कुर्बानियां ले चुका है। कश्मीर से बाहर आकर संसद से सड़क तक, पुलों से लेकर रेलों तक, सब स्थानों पर उसने अपने विध्वंसकारी मंसूबों को अंजाम दिया है। कश्मीर में आतंकवाद का आगाज जे। के। एल। एफ। (Janimu Kashmir Liberation front) के माध्यम से हुआ है, जो कश्मीर की मुकम्मल आजादी को अपना लक्ष्य बनाकर मैदान में आया था। लेकिन जे। के। एल। एफ। के स्थान पर पाक इंटेलीजेंस आई एस आई ने हिजबुल मुजाहिदीन को महत्व दिया, जो कि कश्मीर के पाक में विलय का हिमायती है। अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं के विरूद्ध इस्लामिक जेहादियों के मोर्चा खोलने के लिए आई एस आई ने अलकायदा को पाला-पोसा था और अलकायदा के अफगान मुजाहिदों को आई एस आई ने कश्मीर में विद्रोहियों को आतंकवाद की ट्रेनिंग के लिए सबसे पहले इस्तेमाल किया। इस तरह सन् 1990 से ही कश्मीर के कथित जेहाद में अलकायदा की बाकायदा उपस्थिति दर्ज की गई है। हिजबुल मुजाहिदीन संगठन में कश्मीरी नौजवानों की क्षमता कायम रही और इसका कमांडर भी एक कश्मीरी रहा है।

अब, जबकि अमेरिका के कूटनीतिक दबाव के कारण आई एस आई को जेहादी आतंकवादियों की सीधी सरपरस्ती से पीछे हटना पड़ रहा है, अलकायदा ने संपूर्ण आतंकवादी नेटवर्क पर अपना आधिपत्य कायम कर लिया है। लम्बे वक्त से अलकायदा और ओसामा बिन लादेन एक दूसरे के पूरक रहे हैं। न्यूयार्क ट्रेड सेंटर से लेकर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तक अलकायदा के जेहादियों ने अमेरिका को अपनी विध्वसंक साजिश निशाना बनाया। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कबाइली इलाकों में भी छुपकर अलकायदा और लादेन सारी दुनिया में अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं।

इधर बंग्लादेश भी इस आतंकवाद का एक बहुत बड़ा अड्डा बनता जा रहा है। भारत में जेहादी आतंकवादियों की घुसपैठ इसी अलकायदा के अड्डों से हो रही है। अलकायदा का वास्तविक मकसद मजहब के नाम पर दुनिया के मुसलमानों को एकजुट करके एक ‘इस्लामिक दुनिया’ बनाना है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के खातिर अलकायदा ने हिन्दु धर्मस्थलों को अपना पहला निशाना बनाया ताकि धार्मिक वैमनस्य फैलाकर भारत को हिन्दू मुसलमानों के मध्य विभाजित किया जाए। लेकिन अलकायदा की ये कोशिश काश्मीर से ही नाकामयाब हो गयी और वह भी पिछले पन्द्रह सालों की कोशिशों के बावजूद। यह इसलिए संभव हो पाया है कि कश्मीरी नागरिक अपनी परपरांगत कश्मीरियत पर कायम हैं।

सूफीवाद के दर्शन से ओतप्रोत कश्मीरियों ने हमेशा इन्सानी भाईचारे को साकार किया है। पंजाब के उदाहरण से यह बात और भी साफ हो सकती है कि धर्मनिरपेक्षता और देशभक्ति से संकीर्ण मजहबी आतंकवाद को बखूबी परास्त किया जा सकता है। इसलिए अलकायदा के जेहादियों से संघर्ष करते हुए भारत को अपनी धर्मनिरपेक्षता और देशभक्ति पर अडिग रहना होगा। कश्मीर में जेहादियों ऐसी जबरदस्त नाकमी इस बात को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि भारत अलकायदा की साजिशों से निपट सकता है। यह स्थिति एक और तथ्य से भी स्वयं सिद्ध हो जाती है कि विगत पांच वर्षों के दौरान जो सक्रिय आतंकवादी गिरफ्तार किए गए हैं, उनकी संख्या तकरीबन 15 हजार रही और इनमें से तकरीबन 11 हजार जेहादी आतंकवादी, पाकिस्तान एवं अन्य देशों के रहे हैं। तो पन्द्रह वर्षों की तमाम कोशिशों के बाद भी जहाँ जेहादी, कश्मीर में निरंतर छापामार युद्ध करने की स्थिति तक पहुंच नहीं पाया वहां अपने आतंकवाद का कहर बरसाकर पूरे भारत से कैसे निबट पाएगा? ऐसे में कहा जा सकता है आतंकवाद की आतंकी साजिशों को अब उल्टे कदम थामना पड़ेगा, पिछे की तरफ वापस लौटना ही पड़ेगा।

Essay on Terrorism in Hindi 750 Words

आतंकवाद और अमेरिका

9/11 की घटना से हम सब परिचित ही हैं। इस दिन को विश्व के काल दिना का श्रेणी में रखा जाता है। यह घटना विश्व की भयावह घटनाओं में से एक सर्वाधिक भयावह घटना थी। इस दिन अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर और वाशिंगटन स्थित प्रशासनिक मुख्यालय पेंटागन को कतिपय आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा हवाई जहाज के माध्यम से निशाना बनाया गया और उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। इस घटना से पूरे अमेरिका में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में कोहराम मच गया। सारा विश्व इसके बाद स्तब्ध सा रह गया। आतंकवाद की यह सर्वाधिक प्रबल अभिव्यक्ति थी जिसे अमेरिका जनता को भुगतना पड़ा था।

वस्तुत: आतंकवाद आज विश्व की सर्वाधिक विकराल समस्याओं में से है। इसके दुष्प्रभाव आज सम्पूर्ण विश्व को अपने स्तर पर झेलने पड़ रहे हैं। विश्व का शायद ही कोई देश ऐसा हो, जिसे आतंकवाद की काली छाया का सामना कभी न कभी, किसी न किसी रूप में न करना पड़ा हो। वस्तुत: लोकतांत्रिक राजनीति और व्यापक रूप से आयोजित किये गए औद्योगिक विकास ने सांमती-सोच वाले लोगों को सामाजिक-आर्थिक रूप से परिवर्तित होने पर बाध्य किया। किन्तु इससे उनके स्वार्थों का हनन होता था। इसी कारण आतंकवादी संगठन अपने स्वार्थवश आधुनिकता का विरोध कर, सामंती जीवन पद्धति पर बल देते हैं। इसके लिए पूर्णत: हिंसात्मक क्रियाकलापों को ही ग्रहण करते हैं और मासूम लोगों की हत्याओं से पूरे समाज में भय का संचार करते हैं, ताकि कोई भी उनका विरोध करने का साहस न कर सके। आतंकवाद भय के व्यापार पर ही चलता है। दूसरे शब्दों में कहें तो आतंकवाद एक प्रकार से भय का व्यापार है।

9/11 के बाद अमेरिकी समाज और वहां के सरकारी-तंत्र ने प्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद के घिनौने रूप का अनुभव किया। इसके बाद समग्र रूप से आतंकवाद को विश्व-मानवता के लिए घातक माना गया और वैश्विक स्तर पर इसके विरूद्ध संगठित होने की अनिवार्यता को महसुस किया गया। किन्तु ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अमेरिका किसी प्रकार की विश्व-शांति का चहेता देश है। उसके अपने आर्थिक और राजनीतिक स्वार्थ हैं जिन्हें पूरा करने के लिए वह नित नयी राजनीतियां निर्मित और कार्यान्वित करता रहता है। आजकल अमेरिकी प्रशासन इसी प्रकार की एक दषित रणनीति को वैश्विक स्तर पर कार्यान्वित कर रहा है। वह सायास रूप से यह झूठा प्रचार कर रहा है कि आतंकवाद मुस्लिम देशों की उपज है। इसके माध्यम से वह मुस्लिम देशों को अपने आर्थिक-स्वार्थों की पूर्ति का साधन बनाना चाहता है। हम आतंकवाद के निकृष्ट प्रत्यय का पूर्णत: विरोध करते हैं किन्तु जो देश अपने आर्थिक स्वार्थों की पति के लिए इस आतंकवाद को निशाना बनाते हैं उनका भी समर्थन नहीं किया जाना चाहिए।

9/11 के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया। इस हमले का नुकसान आतंकवादी संगठनों को नहीं भुगतना पड़ा, बल्कि इस विनाश का शिकार अधिकतर वहां की मासूम जनता बनी। आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने वाले देशों को इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि आतंकवादी संगठन किसी धर्म, जाति अथवा किसी अन्य सामाजिक पहचान से जुड़े हुए नहीं होते हैं। उनका कोई धर्म और कोई मजहब नहीं होता। अत: हमें भी आतंकवादियों को धर्म आदि से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसे किसी धर्म विशेष से संबंधित समूचे समाज को ही आतंकवादी परिभाषित कर देते हैं। अमेरिका मुस्लिम-समाज के साथ आज ऐसा ही कर रहा है।

जिन लोगों ने अमेरिका में आतंकवादी घटनाएँ की उनका न तो कोई धर्म था और न ही कोई जाति। वे हत्यारों के अलावा और कुछ नहीं हो सकते । किन्तु हमें इस बात का पूरा ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि अपने निहित-स्वार्थों से गतिशील आतंकवादी आम लोगों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति तथा गरीबी का फायदा न उठा सकें । अमेरिका पर आतंकवाद की दस्तक कहीं न कहीं उसकी दूषित आर्थिक नीतियों का ही परिणाम है। उसे इस पर विचार करना चाहिए।

आतंकवाद जैसी विकराल समस्या के सामाधान के लिए बहुत ही कठोर नीति अवलम्बन करनी चाहिए और हमें व्यापक रूप से ऐसी नीतियों का ग्रहण करना चाहिए, जिससे हम विश्व से आतंकवादी-मनोवृति का सफाया कर सकें और समूचे विश्व में शांति की स्थापना कर सकें।

Essay on Terrorism in Hindi 800 Words

‘राजधानी में बम विस्फोट : पांच व्यक्ति मरे बीस घायल’, ‘सीमा पार से तीन आतंकवादी देश की सीमा में घुसे’ ; पोस्ट ऑफ़िस में एंथ्रेक्स का संदेश’ जैसे अनेक समाचार आए दिन समाचारपत्रों, दूरदर्शन और रेडियो की सुर्खियाँ बने नज़र आते हैं। जहाँ देखो आतंकवाद का बोलबाला है। आतंकवाद की यह समस्या केवल भारत की ही नहीं, सारे विश्व की समस्या है। अल्बू निदाल, ओसामा बिन लादेन जैसे अंतर्राष्ट्रीय शस्त्र-तस्कर और आतंकवादियों ने विश्व के लगभग सभी देशों को आतंकवाद का लक्ष्य बनाया है। आतंकवाद एक भयंकर चुनौती के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरा है। यह विश्व क्षितिज पर प्रलयंकारी बादलों की भाँति छाया हुआ है और प्रति क्षण मानव जाति के लिए संकट का वाहक बना हुआ है। कोई नहीं जानता कब किसके ऊपर उसकी गाज गिरे और विनाशलीला प्रकट हो जाए। हाल ही में अमरीका व भारत में कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

आतंक का अर्थ है ‘भय’। आतंकवादी ऐसे किसी भी संगठन के सदस्य हो सकते हैं जो अपने किसी राजनैतिक, सामाजिक, अथवा धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति विनाशकारी उपायों से करते हैं। वे निरीह लोगों की हत्या करके, सार्वजनिक अथवा धार्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति विनाशकारी उपायों से करते हैं। वे निरीह लोगों की हत्या करके, सार्वजनिक स्थलों पर बम विस्फोट करके, सरकारी सम्पत्ति को हानि पहुंचाकर समाज में आतंकवाद फैलाते हैं। इस कारण मनुष्य हर क्षण संत्रस्त तथा डरा हुआ बना रहता है।

आतंकवाद वस्तुत: अतिवाद का दुष्परिणाम है। आज के भौतिकवादी युग में अतिवाद की काली छाया इतनी बढ़ गई है कि चारों ओर असंतोष की स्थिति तेजी से बढ़ रही है। असंतोष की अभिव्यक्ति अनेक माध्यमों से होती है। आतंकवाद आज राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए एक अस्त्र बन गया है। अपनी बात मनवाने के लिए आतंक उत्पन्न करने की पद्धति एक सामान्य नियम बन गई है। आज यदि शक्तिशाली देश निर्बल देशों के प्रति उपेक्षा का व्यवहार करता है तो उसके प्रतिकार के लिए आतंकवाद का सहारा लिया जाता है। उपेक्षित वर्ग भी अपना अस्तित्व प्रमाणित करने के लिए आतंकवाद का मार्ग अपनाता है।

स्वार्थबद्ध संकुचित दृष्टि ही आतंकवाद की जननी है। क्षेत्रवाद, धर्माधता, भौगोलिक एवं ऐतिहासिक कारण, सांस्कृतिक टकराव, भाषाई मतभेद, आर्थिक विषमता, प्रशासनिक मशीनरी की निष्क्रियता और नैतिक ह्रास अंतत: आतंकवाद के पोषण एवं प्रसार में सहायक बनते हैं।

भारत को जिस प्रकार के आतंकवाद से जूझना पड़ रहा है, यह भयावह और चिंतनीय इसलिए है क्योंकि उसके मूल में अलगाववादी और विघटनकारी तत्त्व काम कर रहे हैं। स्वतन्त्रता प्राप्ति के तत्काल पश्चात् से ही देश के विभिन्न भागों में विदेशी शह पाकर आतंकवादी सक्रिय हो उठे थे। इसका दुष्पारेणाम यह है कि आज कश्मीर का एक बहुत बड़ा भाग पाकिस्तानी कबाइलियों और उनके देश में आए पाक सैनिकों के हाथ पहुंच गया है। आज तो कश्मीर में आतंकवाद का प्रभाव इस सीमा तक बढ़ चुका है कि वहाँ के मूल निवासी शरणार्थी बनकर मारे-मारे भटक रहे हैं।

केवल कश्मीर ही नहीं अपितु नागा पहाड़ी क्षेत्र, मिजोरम, सिक्किम, पंजाब आदि आतंकवाद का शिकार बन रहे हैं। उत्तर-पूर्व राज्यों में भी आतंकवाद रह-रहकर उभरता रहता है। देश के कुछ भागों में नक्सली आतंकवादी आज भी सक्रिय हैं। फलस्वरूप हमेशा भय, आतंक और तनाव का वातावरण बना रहता है। इसका अंत कब, कहाँ और किस प्रकार होगा ? सरकार भी इस संबंध में कुछ निश्चित कह पाने में असमर्थ है। शासन व्यवस्था बेकार सी होकर रह गई है।

जहाँ-जहाँ आतंकवादियों का बोलबाला है, वहाँ-वहाँ की आम जनता का जीवन प्रायः ठप्प है। वहाँ अगर हलचल और सक्रियता दिखाई देती है तो बस आतंकवादियों के उग्र-घातक कार्यों में या फिर उन्हें दबाने और निष्क्रिय करने के कार्य में लगे सुरक्षा बलों और सेना की गतिविधियों में। आतंकवाद पशुता है एवं दानवता है। हर आतंकवादी संगठन मानवता का शत्रु है चाहे वह उल्फा हो, लिट्टे हो, अथवा कश्मीरी उग्रवादी संगठन या तालिबान हो या अल-कायदा।

मानवीय मूल्यों से रहित आतंकवादी विचारधारा को समाप्त करने के लिए जहाँ एक ओर तो आज संसार के सारे देशों का कटिबद्ध होकर शक्ति प्रयोग द्वारा इसका अंत करना होगा, वहीं दूसरी ओर इस असंतोष के कारणों तथा आम लोगों के नैतिक मूल्यों का विकास तथा राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग तथा ‘जय जगत’ की कल्पना को विकसित करना होगा। सौहार्द एवं मैत्री की अवधारणा को जन-मानस तक पहुंचाना होगा और इन सबसे ऊपर हमें जनता में इतना आत्मबल विकसित करना होगा कि वह असहाय, मूक और निरीह दर्शक बने रहने के बजाय स्वयं आगे आकर आतंकवाद से टकरा सके।

Terrorism in India essay in Hindi 1000 Words

आतंकवाद किसी एक व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र विशेष के लिए ही नहीं अपितु पूरी मानव सभ्यता के लिए कलंक है। हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में इसका विष इतनी तीव्रता से फैल रहा है कि यदि इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरी मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है।

शाब्दिक अर्थों में आतंकवाद का अर्थ भय अथवा डर के सिद्धान्त को मानने से है। दूसरे शब्दों में, भययुक्त वातावरण को अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु तैयार करने का सिद्धान्त आतंकवाद कहलाता है। विश्व के समस्त राष्ट्र प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसके दुष्प्रभाव से ग्रसित हैं। रावण के सिर की तरह एक स्थान पर इसे खत्म किया जाता है तो दूसरी ओर एक नए सिर की भांति उभर आता है। यदि हम अपने देश का ही उदाहरण लें तो हम देखते हैं कि अथक प्रयासों के बाद हम पंजाब से आतंकवाद को समाप्त करने में सफल होते हैं तो यह जम्मू-कश्मीर, आसाम वं अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में प्रारम्भ हो जाता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद को समर्थन देने की प्रथा तो निरन्तर पचास वर्षों से चली आ रही है।

हमारा देश धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां पर अनेक धर्मों के मानने वाले लोग निवास करते हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, ब्रह्म समाजी, आर्य समाजी, पारसी आदि सभी धर्मों के अनुयाइयों को यहां समान दृष्टि से देखा जाता है तथा सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं। वास्तविक रूप में धर्मों का मूल एक है। सभी ईश्वर पर आस्था रखते हैं तथा मानव कल्याण को प्रधानता देते हैं। सभी धर्म एक-दूसरे को प्रेमभाव और मानवता का संदेश देते हैं परन्तु कुछ असामाजिक तत्व अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए धर्म का गलत प्रयोग करते हैं। धर्म की आड़ में वे समाज को इस हद तक भ्रमित कर देते हैं कि उनमें किसी एक धर्म के प्रति घृणा का भाव समावेशित हो जाता है। उनमें ईष्र्या, बैर व परस्पर अलगाव इस सीमा तक फैल जाता है कि वे एक दूसरे का खून बहाने से भी नहीं चूकते हैं।

देश में आतंकवाद के चलते पिछले पांच दशकों में 50,000 से भी अधिक परिवार प्रभावित हो चुके हैं। कितनी ही महिलाओं का सुहाग उजड़ गया है। कितने ही माता-पिता बेऔलाद हो चुके हैं तथा कितने ही भाइयों से उनकी बहनें व कितनी ही बहनें अपनी भाइयों से बिछुड़ चुकी हैं। पिछले दशक के हिंदू-सिख दंगों में कितने ही लोग जिन्दा जला दिए गए। इसी आतंकवाद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी। हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व० राजीव गाँधी इसी आतंक रूपी दानव की क्रूरता का शिकार बने। अनेक नेता जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए आतंकवाद का समर्थन किया बाद में वे भी इसके दुष्परिणाम से नहीं बच सके। पाकिस्तान के अंदर बढ़ता हुआ आतंकवाद इसका प्रमाण है। वहाँ के शासनाध्यक्षों पर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। पूरी दुनिया में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाओं का एक सिलसिला सा चल पड़ा है।

धरती को स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में तो खून की नदियाँ बहना आम बात हो गई है। प्राकृतिक सौंदर्य का यह खजाना आज भय और आतंक का पर्याय बन रहा है। खून-खराबा, मार-काट, बलात्कार आदि घटनाओं से ग्रस्त यह प्रदेश पांच दशकों से पुन: अमन-चैन की उम्मीदें लिए कराह रहा है। आतंकवाद के कारण यहाँ का पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हजारों की संख्या में लोग यहाँ से पलायन कर चुके हैं। विगत वर्षों में इस आतंकवाद ने कितनी जाने ली हैं कितने सैनिक शहीद हुए हैं, इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। चूंकि यह आतंकवाद एक सुनियोजित अभियान के तहत चलाया जा रहा है, इसलिए इसकी समाप्ति इतनी सरल नहीं है।

भारत में दंगों का एक लम्बा इतिहास रहा है। हर दंगे अपने पीछे घृणा और आपसी वैमनस्य के बीज छींट कर फिर से कई नए दंगों की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं। गुजरात के दंगे अब तक के भीषणतम दंगे कहे जा सकते हैं। निर्दोष कार सेवकों को जलाने की घटना से शुरू हुए ये दंगे हजारों के लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं थे मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि राजनीतिक दलों और मीडिया ने इस घटना में आग में घी डालने जैसी हरकतें कीं। यह पहली घटना नहीं है कि जब भी दो समुदायों के बीच झड़पें, विवाद और दंगे होते हैं, सत्ताधारी व विपक्ष इससे अपने-अपने लाभ की बात सोचते हैं जिसे भारतीय राजनीति का एक विकृत स्वरूप कहा जा सकता है।

कुछ राजनीतिक दलों की मान्यता है कि यदि अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा का भय बना रहे तो उनकी सुरक्षा की दुहाई देकर उनके वोट हासिल किए जा सकते हैं। ये दल जब सत्ता में आते हैं तब अल्पसंख्यकों के प्रति तुष्टीकरण की नीति अपनाकर अपना हितसाधन करते हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय मुसलमानों में गरीबी और अशिक्षा अधिक मात्रा में व्याप्त है जिसकी तरफ किसी नेता का ध्यान नहीं जाता। अशिक्षा भी आतंकवाद का एक मुख्य कारण है।

आतंकवाद के चलते खलनायकों को नायक के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल निरीह लोग ही इसकी गिरफ्त में आते हैं। आतंकवाद ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी नहीं बख्शा जिसके फलस्वरूप हजारों लोग मौत के मुँह में समा गए तथा उसे अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।

आतंकवाद मानव सभ्यता के लिए कलंक है। उसे किसी भी रूप में पनपने नहीं देना चाहिए। विश्व के सभी राष्ट्रों को एक होकर इसके समूल विनाश का संकल्प लेना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को हम एक सुनहरा भविष्य प्रदान कर सकें।

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आतंकवाद पर निबंध || Essay On Terrorism

  • April 15, 2023

आतंकवाद पर निबंध

सामाजिक आर्थिक एवं राजनीति विषमता के कारण आतंकवाद की उत्पत्ति होती है। आतंकवाद किसी भी देश के विकास के लिए बहुत बड़ा खतरा है। आतंकवाद के कारण लोग सभी जगहों पर स्वतंत्र रूप से निवास नहीं कर पाते हैं। आज कोई भी पूर्णरूपेण सुरक्षित नहीं है। चारों तरफ दहशत का माहौल उत्पन्न हो जाता है। इसका मुख्य कारण आतंकवाद है। आतंक के कारण निर्दोष लोगों की जान जाती है। आर्थिक क्षति अधिक होती हैं और राष्ट्रीय विकास भी बाधित होता है

आतंकवाद के विभिन्न कारण

  • आतंकवाद की मुख्य जड़ असंतोष, राजनैतिक स्वार्थ , प्रशासनिक भ्रष्टाचार , धार्मिक कट्टरता , और आपसी मतभेद आदि है। इस आतंकवाद को लेकर भारत ही नहीं वरन् संपूर्ण विश्व आक्रांत एवं त्रस्त है। आतंकवादी आधुनिक अस्त्र– शास्त्र से पूर्ण है।
  • आधुनिक अस्त्र–शास्त्र के बल पर वे लोगों को आतंकित करते हैं । आतंकवाद एक ऐसा कठोर प्राणी है। जिसके समक्ष किसी भी जीवन का कोई मोल नहीं है। यह आतंकी कभी हवाई जहाज का अपहरण कर लेते हैं तो कभी ट्रेन को ही उखाड़ देते हैं। कार, बस, ट्रक, ट्रेन, आदि की लूट और अपहरण दिन दहाड़े हत्यारों के बल पर की जाती है। आतंकवाद विश्व भर के लिए एक भयंकर चुनौती बन गया है। आधुनिक युग में विश्व के अनेक देशों में विभिन्न खूंखार आतंकवादी गुट सक्रिय है। विज्ञान की सहायता से ऐसे कई हथियारों का निर्माण कर लिया गया है जिससे पूरे विश्व को नष्ट किया जा सकता है। ऐसे कई घातक हथियारों का निर्माण किया गया है जिसका प्रयोग आतंकवाद आतंक फैलाने के लिए करते हैं।

आतंकवाद के प्रभाव

आज संपूर्ण विश्व आतंक के प्रभाव से ग्रसित  है।

आतंकवाद आज राष्ट्रीय विरोधी तत्व के रूप में सब जगह व्याप्त है। आतंकवाद क्षेत्रीय स्तर से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक व्याप्त है। आतंकवाद के कारण देश के विकास में बाधा उत्पन्न होती है। जिस देश में आतंकी हमले होता है उस देश के विकास का मार्ग समाप्त होने लगता है। उस देश की अर्थव्यवस्था तथा जीव जगत को अपार क्षति पहुंचती है। आतंकवाद के कारण लोग स्वतंत्र रूप से हर जगह निवास नहीं कर पाते हैं। आतंकवाद अपना एक स्वतंत्रता सत्ता कायम करना चाहता है। जिसके लिए धार्मिक उन्मादियों द्वारा अब तक लाखों लोगों की जान ले ली गई। वे बड़े,‌ बूढ़े, स्त्रियां, बच्चे किसी को भी नहीं छोड़ते हैं। अतः आतंकवाद का‌ दुष्प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

आतंकवाद को समाप्त करने के प्रयास

  • आतंकवाद की गंभीरता के कारण आज विश्व के सभी देश इन को संगठित रूप से समाप्त करने के प्रयास में जुटे हैं।
  • भारत में आतंकियों को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जोड़ने का प्रलोभन दिया जा रहा है।
  • भारत में आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए कई प्रकार के अस्त्र–शास्त्र को एकत्रित किया जा रहा है।
  • भारत को आतंकी हमले से बचाने के लिए भारतीय बॉर्डर पर सैन्य शक्ति बढ़ाया जा रहा है। तथा देश के अंदर भी सैन्य शक्ति पर बल दिया जा रहा है।
  • देश को आतंकी हमलों से बचाने के लिए सबसे पहले धार्मिक एकता एवं भाईचारे की आवश्यकता है। यदि देश के अंदर सभी धर्मों के लोग आपस में मिल–जुल कर रहते हैं तो आतंकवाद को मार्ग दिया जा सकता है।

आतंकवाद किसी भी देश के विकास के लिए बहुत बड़ा खतरा है। आतंकवाद एक ऐसा खतरा जो व्यक्ति के जीवन में भय उत्पन्न करता है। आतंक से ग्रसित देश का नामो निशान मिट जाता है। आतंकवाद जिस देश पर हावी होता है उस देश को खोखला कर देता है। वहां पर विकास के मार्ग समाप्त होने लगते हैं। उस देश  की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। राष्ट्रीय विकास भी बाधित होता है। अत: आतंकवाद सभी देशों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

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आतंकवाद पर निबंध | Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद पर निबंध Essay On Terrorism In Hindi : आज आए दिन हम देखते सुनते है कि फला स्थान पर आतंकवादी हमला हुआ, शायद ही कोई दिन गया हो जब कहीं बेगुनाहों का खून न बहा हो.

पाकिस्तान के प्रश्रय से विश्व भर में वैश्विक आतंकवाद का आलम बेहद खतरनाक नजर आता हैं.  कक्षा 10 के बच्चों के लिए Terrorism Essay In Hindi यहाँ साझा कर रहे हैं.

आतंकवाद पर निबंध Essay On Terrorism In Hindi

भारत में आतंकवाद की समस्या पर निबंध Hindi Aatankwad Ki Samasya Essay : पुलावामा हमले के बाद आतंकवाद की समस्या का एक नया रूप भारत व दुनियां ने देखा हैं.

भीड़ वाले इलाकों में बम धमाके, लोगों को बंदी बनाना, निहत्थों पर वार कर उनकों मौत के घाट उतार देना आतंकवाद का स्वरूप हैं. Aatankwad Ki Samasya Essay में हम इस समस्या के बारे में विस्तार से जानेगे.

Cross Border Terrorism Essay In India In English

In this  Cross Border Terrorism Essay brief introduction terrorism problems in India in Hindi and English language. after the 2008 Mumbai Terror attack continuously, suffered it the whole world.

Cross-Border Terrorism becomes now a global problem and a big threat to human life. in this written ” best essays on terrorism”  in 200,250, 300 words. these valuable points include it What are the problem of terrorism, its adverse consequences, and preventive measures.

almost all over the world terrorist groups are arising like carrot grass. the number of terrorist groups in increasing. some of them are maos, bodos, jklf, nakasal Vadis, LTTE.

they are trying to destroy the peace of related states. they are organized to fulfill their political and religious desires to give an advantage to the particular race.

they are using the worst methods of destroying national and public property by a bomb blast and killing innocent people by using guns.

Cross-Border Terrorism has no religion. they only aim is to occupy the power of some state or nation. they fill the terror in the hearts of peace-loving people.

The only way to conquer this burning problem is to start talks with terrorists and prepare them to leave the way of killing innocent people.

Alas! our leaders have no courage to solve this Cross Border Terrorism problem. they always think of capturing the ruling seat. Parvez Musharraf said that if he left the Kashmir issue, he would leave Pakistan.

only talks will not solve this Cross Border Terrorism problem. terrorists should be killed firmly with iron hands. terrorists don’t deserve mercy.

the nation should not depend on America. which takes the side of Pakistan. our India can be saved from the poisoned fruits of Cross Border Terrorism by taking strict steps.

Cross Border Terrorism Essay In Hindi

विभिन्न तरीकों से डर अर्थात भय की स्थति उत्पन्न करना Terrorism आतंकवाद कहलाता है. इसके कई प्रकार है. मुख्य रूप से सीमा पार Terrorism के कारण न सिर्फ भारत बल्कि आज पूरा विश्व चिंतित है. यह किसी राज्य अथवा देश की समस्या न होकर विश्व की ज्वलंत समस्या बन चूका है.

किसी युद्ध अथवा झगड़े का कोई समाधान हो सकता है. मगर छुटपुट घुसपैठ से भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाकर निर्दोष नागरिकों की जान लेने का यह खुनी खेल आप अपने चरम पर पहुच चूका है. अमेरिका जैसा शक्तिशाली मुल्क भी इसके दुष्परिणाम भुगत चूका है.

अमेरिका को चन्द्रमा पर पहुचने के लिए जितनी मेहनत नही करनी पड़ी, उतनी खूखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को ढूढने में लगी. बहरहाल इसे विगत वर्षों में पाकिस्तान की सरभूमि पर मार गिराया था.

इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है. Terrorism को जड़ से समाप्त करना किसी एक देश के लिए कितना मुशीबत भरा हो सकता है.

तक़रीबन 50-70 साल पूर्व आतंकवाद नाम की कोई चीज नही हुआ करती थी. भारत पाक विभाजन के चलते कुछ पाकिस्तानी कट्टरपंथी संगठनों ने जिहाद के नाम पर जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने के लिए इस तरह के Terrorism संगठन तैयार किये थे. अमेरिका तथा अन्य इस्लामिक देशों ने इसे आर्थिक व सैन्य सहायता के बन्दोबस्त किये थे.

पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान तथा अन्य मुस्लिम देशों में Terrorism attack को देखकर कहा जा सकता है, जिसनें विष को पाला अब वह उन्हें ही डस रहा है.

भारत में भी आए दिन घुसपैठिये अपनी नाकाम कोशिशे करते रहे है. मगर सीमा सुरक्षा बल की मुस्तैदी के चलते हर बार हमारी सेना ने आतंकवादियों के मंसूबों को नाकाम किया है.

आतंकवाद निबंध 1

धर्म के नाम पर इंसानियत का खून नये नये चेहरों पर जेहाद का जूनून क्या खूब स्वागत है इक्कीसवीं सदी का मौत की स्याही से लिखा जाता है सुकून

आतंकवाद से आज विश्व के अधिकाँश देश पीड़ित हैं. धर्म और जेहाद के नाम पर नित्य कहीं न कहीं निर्दोष लोगों की हत्याएँ हो रही हैं. हत्या, शोषण, मादक द्रव्यों और अवैध शस्त्रों के व्यापार में लिप्त अनेक आतंकी गिरोह शांति और सभ्यता के शत्रु बने हुए हैं.

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या – आज आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन चुका हैं.  आज  ऐसे संगठन   और  गिरोह सक्रिय हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं. भारत तो दशकों से आतंकवाद का दंश आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा हैं. किन्तु जब 11 सितम्बर 2001 को अमेरिकन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर भस्मसात हुआ,

इंग्लैंड की ट्रेनों में धमाके हुएइंडोनेशिया के पर्यटन स्थलों पर तबाही हुई  सारे विश्व को आतंकवाद की भयावहता स्वीकार करनी पड़ी आतंकवाद के पीछे विभिन्न देशों के आर्थिक और राजनैतिक स्वार्थ निहित हैं.

मादक पदार्थों तथा अवैध शस्त्र व्यापार चलाने वाले माफियासंगठन आतंकवादियों के पोषक बने हुए हैं. कुछ देशों की सरकारें भी आतंकवादियों की संरक्षक बनी हुई हैं.

भारत में आतंकवादी गतिविधियों का इतिहास – भारत में आतंकी गतिविधियाँ पूर्वी सीमांत से प्रारम्भ हुई. नागालैंड, त्रिपुरा, असम आदि राज्यों में आतंकवाद काफी समय प्रभावी रहा.

इसके पश्चात पंजाब और जम्मू कश्मीर से आतंकवाद की क्रूरता को झेला. अब तो लगभग सारे देश में आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं.

गुजरात का अक्षरधाम, संसद भवन, दिल्ली का लाल किला, मुंबई की लोकल ट्रेनें, बनारस का संकटमोचन मन्दिर सभी आतंकी प्रहार झेल चुके हैं.

भारत और पाकिस्तान के मध्य चलाई गई समझौता एक्सप्रेस में बम विस्फोट, मुंबई के  ताज होटल  हमला तथा पठानकोट एअर बेस पर हमला आतंकवाद की भयानक घटनाएँ हैं. छोटी मोटी आंतकी घटनाएं आज भी जारी हैं.

आतंकवाद की नर्सरी – आज सारा संसार जान चुका है कि आतंकवाद की नर्सरी पाकिस्तान में हैं. वर्षों से इस देश में आतंक वादियों को प्रशिक्षण और शरण मिलती आ रही हैं.

समाप्ति के उपाय – आतंकवाद से टुकड़ो में नहीं निपटा जा सकता. अब तो संसार के सभी जिम्मेदार राष्ट्रों को संगठित होकर आतंकवाद के विनाश में सक्रिय भागीदारी करनी होगी.

पाकिस्तान को सही रास्ते पर आने को मजबूर करना होगा. भारतीय नेताओं को भी वोट बैंक, स्वार्थ और सत्ता लोलुपता त्यागकर देश की आंतरिक सुरक्षा को अभेद्य बनाना होगा. जनता को भी केंद्रीय सत्ता में प्रचंड संकल्प वाले युवा लोगों को चुनकर भेजना होगा.

उपसंहार – आतंकवाद मानव सभ्यता पर कलंक हैं. उसे धर्म का अंग बताकर निर्दोषों का खून बहाने वाले मानव, मानव नहीं दानव हैं. उनका संहार करना हर सभ्य राष्ट्र का दायित्व हैं.

आतंकवाद निबंध 2

आज सम्पूर्ण मानवता आतंकवाद की समस्या से त्रस्त है. पिछड़े और विकासशील देश तो इसकी गिरफ्त में है, सम्रद्ध व शक्तिशाली देश भी इस खतरे से अछूते नही है.

विधि सम्मत सरकार के विरुद्ध हिंसात्मक कार्यवाही करना तथा जनता को भयभीत करना आतंकवाद है. हिंसा की धमकी, व्यक्तिगत हिंसात्मक कृत्य और लोगों को आतंकित करना आतंकवाद   है. भारत सहित दक्षिण एशियाई देश तो इस समस्या से जूझ ही रहे है, अमेरिका भी इसका अपवाद नही है.

जम्मू कश्मीर तथा देश के अन्य भागों में विघटनकारी घटनाओं को अंजाम देने का कार्य यही आतंकवादी कर रहे है. दिसम्बर 2001 में भारतीय संसद पर जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तोयबा के आतंकवादियों ने हमला कर दिया था.

विदेशी आतंकवादी संगठनों द्वारा प्रायोजित यह छाया युद्ध युद्ध भारत के लिए एक बड़ी समस्या है. आतंकवाद राज्य एवंम इसका राज्य प्रायोजित रूप अत्यंत भयावह है.

इसके अंतर्गत विश्व के कई राज्य अपने स्वार्थी हितों की पूर्ति के लिए खुलेआम आतंकवाद और आतंकवादी संगठनों को शह एवं प्रश्रय दे रहे है.

इन आतंकवादी संगठनों के पास अत्याधुनिक हथियार, विस्फोटक, वित्त व अन्य सभी संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.

अनगिनत वार्ताओं व सम्मेलनों में चर्चा के बावजूद आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. इससे प्रभावित देश में शांति और परस्पर विश्वास तो खंडित हुआ ही है. आर्थिक संसाधनों की बर्बादी हुई है.

अच्छा हो, आने वाला समय आतंकवादी गतिविधियों से मुक्त हो तथा इस अथाह धनराशी का प्रयोग जनता के विकास की ओर उन्मुख करने का मार्ग प्रशस्त हो.

आतंकवाद की समस्या का विस्तार ( aatankwad ke karan )

आज दुनिया का लगभग हर देश आतंकवादी की समस्या को लेकर चिंतित है. यह सर्वविदित है, कि इस समस्या की जड़ पाकिस्तान से जुड़ी हुई है.

पाक की ख़ुफ़िया एजेंसी isi को पालिसी हमेशा इन आतंकवादी संगठनो को प्रश्रय देने की रही है. कई टेरिरिस्ट ग्रुप्स और उनके लीडर जैसे हाफिज सईद पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में भारत की मांग पर कई देशों ने सहयोग किया.

पाकिस्तान व चीन आतंकवाद के मामले में भारत की राह का रोड़ा बनकर भविष्य में अपनी चुनौतियों को आमत्रित कर रहे है.

इसका नतीजा पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान सहित्र कई इस्लामिक मुल्क भी भुगत रहे है.ईरान, सीरिया, नाइजीरिया, अफगानिस्तान में आतंकवाद पाकिस्तान की दुचाल का ही कारण है.

आतंकवाद की समस्या के समाधान के उपाय (aatankwad ki samasya ka samadhan)

आतंकवाद को नियंत्रित करने के हर संभव प्रयास पिछले कुछ सालों से किये जा रहे है. लेकिन कुछ देशों में अभी भी गुप्त रूप से टेररिस्ट ट्रेनिंग के कैम्प खुलेआम चल रहे है. धार्मिक फंड के नाम पर कई बड़े देश इन्हें चोरी छिपे फंडिग कर रहे है. इससे आतंकवादियों के हौसलें बुलंद है.

यह कितने खतरनाक साबित हो सकते है. इस बात का अनुमान लगाने के लिए आप समझ सकते है, आज के परमाणु युग में जो तकनीक कई विकसित राष्ट्रों के पास नही है, वो आज इन आतंकवादी संगठनो के पास है.

धर्म के नाम पर चल रहा aatankwad का यह खुनी खेल दुनिया को तबाह कर रख देगा. यदि दुनिया के शक्तिशाली देश समय रहते इसके विरोध में नही आए तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते है.

आतंकवाद निबंध 3

बमों के धमाके, गोलियों की तड़तड़ाहट, असुरक्षित जन जीवन, असुरक्षित धर्म स्थान, निर्दोषों का बहता लहूँ, निराश्रितों के बढ़ते शरणस्थल, यह तस्वीर है हमारे आधुनिक जगत की. कोई भी कही भी सुरक्षित नही हैं. समाचार पत्र आतंकवादी कृत्यों के समाचारों से भरे रहते हैं.

आतंकवाद क्या हैं- आतंकवाद बल प्रयोग द्वारा तथा आतंक फैलाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का बर्बर तरीका हैं.

आतंकवाद का विश्वव्यापी रूप – आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या हैं. ओसाबा बिन लादेन के नेतृत्व में अलकायदा अफगानिस्तान के तालिबान, पड़ोस में पल फूल रहे जेहादी तथा भारत एवं नेपाल में सक्रिय माओवादी और नक्सलवादी आतंकवाद के सहारे ही अपना अधिकार जमाना चाहते हैं.

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ एवं दुष्परिणाम- स्वतंत्र भारत में आतंकवाद का प्रारम्भ पूर्वी सीमान्त से हुआ. नागालैंड, त्रिपुरा, असम आदि प्रदेशों में विदेशी शक्तियों के षड्यंत्र से आतंकवादी गतिविधियाँ काफी समय से चलती हैं. 

भारत में स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या से लेकर, विमान अपहरण, निर्दोष लोगों की हत्याएं, जगह जगह धमाके, यहाँ तक कि घात लगाकर सेना पर हमला, अक्षरधाम और संसद भवन पर हमला आदि आतंकवाद के ही उदहारण हैं. जयपुर में बम ब्लास्ट तथा मुंबई में हुए हमले में सैकड़ो लोगो की जान चली गई. 

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों की आतंकवादी हमले में हत्या कर दी गई. आतंकवाद को प्रोत्साहित करने वाला देश स्वयं आतंकवाद की चपेट में आ गया हैं. यह घटना संदेश देती हैं कि आतंकवाद बढ़ाकर किसी समस्या का समाधान नही हो सकता.

मुक्ति के उपाय- आतंकवाद के विरुद्ध संसार का हर सभ्य और समझदार देश आवाज उठा रहा हैं. किन्तु यह रोग बढ़ता ही जा रहा हैं. आतंकवादी गतिविधियों का कठोरता से सामना करके ही सफलता मिल सकती हैं.

उपसंहार- आज आतंकवाद को रोकने के लिए हमे अपनी सेना को नवीनतम सैन्य उपकरणों से सुसज्जित करना होगा और सारी गुप्तचर एजेंसियों को अधिक चुस्त और सावधान बनाना होगा. तभी हम आतंकवाद की इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या निबंध 4

आज के समय में विश्व की सबसे ज्वलंत समस्याओं पर नजर डाले तो जिनमे आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रहा हैं. न सिर्फ भारत बल्कि समूचा संसार इस जहरीले आतंक की आग की लपेट में जल रहा हैं.

1993 के मुंबई ब्लास्ट, 11 सितम्बर 2001 में अमेरिका के वाइट हाउस,इसी वर्ष भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला (Terrorist attack on Indian Parliament) और 26 नवम्बर 2008 के दिन मुंबई की ताज होटल पर हमला, 2017 में पेरिस और उरी में हुई आतंकवादी घटनाओं इस बात का गवाह हैं.

कि यह समस्या किसी एक देश की न होकर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद (International terrorism) का रूप ले चुकी हैं.

आतंकवाद की जड़ कहे जाने वाले अलकायदा के ओसामा बिन लादेन और बगदादी के पतन के बावजूद इस तरह की आतंकी घटनाएँ निरंतर बढ़ रही हैं. 

आतंकवाद मुख्य रूप से हिंसा के द्वारा आम जन में भय का माहौल बनाकर अपने राजनीतिक (Political) ,आर्थिक (Economic) , धार्मिक (Religious) और सामाजिक उद्देश्यों (Social objectives) को पूरा करना ही हैं.

आज विश्व में आतंकवाद के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं. जिनमे कही राजनितिक आतंकवाद,कही धार्मिक आतंकवाद तो कही सामाजिक आतंकवाद के उदहारण आए दिन देखने को मिलते हैं.

भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्यों मूख्य रूप से जम्मू कश्मीर और असम में हिंसक गठबन्धनों द्वारा किये गये कार्य राजनीतिक आतंकवाद (Political terrorism) के उदहारण हैं.

आतंकवाद के उद्देश्य (Objectives of terrorism)

हमारे देश और पड़ोसी मुल्को में तालिबान,अलकायदा, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहमद जैसे कई कट्टर धार्मिक आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. जो अपनी कट्टरपंथी विचारधारा (Radical ideology) के प्रयास के लिए हिंसा और अपराध को जन्म देते है.

इसके अतिरिक्त समाज में व्याप्त क्रांतिकारी विद्रोह (Revolutionary revolt) को भी आतंकवाद की श्रेणी में शामिल किया जाता हैं. अकसर भारत में नक्सलवाद और गैर राजनितिक आतंकवाद के उदहारण देखने को मिलते हैं.

आतंकवादी हमेशा नए-नए तरीकों की तलाश करते हैं, जिनके कारण अधिक से अधिक मात्रा में लोग मारे जाए, और उसमे भय उत्पन्न किया जा सके. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्लेन हाईजेक करना, रेववे स्टेशन या ट्रेन में बम डालना, रेल की पटरियों को उखाड़ लेना.

आम नागरिकों या विद्यार्थियों को बंदी बना लेना, भीडभाड वाले स्थान को घेर लेना या उनमे घुसकर गोलीबारी करना आतंकवादियों के मुख्य हथियार (Main weapon of terrorists) होते हैं.

भारत में आतंकवाद और आतंकवादी घटनाएं (Terrorism and terrorist incidents in India)

यु तो हर दिन विश्व के किसी न किसी देश में छोटी-बड़ी आतंकवादी घटनाएँ घटित होती रहती हैं. मगर इनमे भारत आतंकवाद की समस्या से सबसे अधिक त्रस्त राष्ट्र हैं.

पिछले कुछ ही वर्षो से देश के जम्मू कश्मीर और अन्य हिस्सों में आतंकवादी घटनाएँ निरंतर बढ़ी हैं. 80 के दशक में भारत में आतंकवाद की शुरुआत पंजाब में खालिस्तान की मांग से शुरू हुई थी,

भारत में आतंकवाद के इतिहास में सबसे बड़ा एंटी टेरिरिज्म ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) था. 1984 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने पंजाब के प्रसिद्ध स्वर्ण मन्दिर पर सैनिको को गोलियाँ बरसाने का आदेश दिया था.

इसके ठीक १० साल बाद 12 मार्च 1993 में मुंबई में हुई सिलसिले वार बम धमाकों में 250 से अधिक आम नागरिक मारे गये थे.

इसके पश्चात 13 दिसम्बर 2001 को भारत के लोकतंत्र पर आतंवादियों द्वारा सीधा हमला किया गया. संसद पर हुए इस हमले में ९ सुरक्षाकर्मियो सहित कुछ निर्वाचित सदस्य भी मारे गये थे.

इसके पश्चात वाराणसी , मुंबई और भारत पाक के बिच चलने वाली रेल में भयंकर आतंकी हमले हुए, जिनमे सैकड़ो लोगो ने अपनी जान गवाई थी.

भारत में आतंकवादी हमले (Terrorist attacks in India)

विगत महीनों में हुआ उरी आतंकी हमला जिनमे कई सुरक्षा सैनिक मारे गये थे, इसके अलावा जम्मू कश्मीर और एलओसी पर आए दिन चिट-पिट आतंकी घटनाएं और घुसपेट की घटनाए आए दिन सुनने को मिलती हैं.

वैसे तो हमेशा से आतंकवादियो ने जम्मू कश्मीर को अपना निशाना बनाया है, भारत के इस राज्य में आतंकवाद की शुरुआत (The beginning of terrorism) 1947 से ही हो गई थी. जो आज तक जारी हैं.

इस आतंकवाद को हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान हमेशा से आश्रय देता आया हैं. 1990 आते-आते आतंकवाद न सिर्फ भारत की बल्कि समूचे विश्व की समस्या के रूप में सामने आया. मुख्य रूप से इस्लाम कट्टरपंथी पाकिस्तान समर्पित आतंकवाद ही इस सम्पूर्ण समस्या की जड़ हैं.

आज के समय में छतीसगढ़ सहित पश्चिम बंगाल में नक्सलवाद पूर्ण रूप से आतंकवाद का स्वरूप ले चूका हैं. आरम्भ में नक्सलवाद ने अपने हक़ और अधिकारों के लिए एक विद्रोह शुरू किया था.

जो कालांतर में एक हिंसक विद्रोह का रूप ले चूका हैं. साथ ही इन संगठनो द्वारा हिंसा का रास्ता चुन लिए जाने के कारण नक्सलवाद का स्वरूप आतंकवाद के समरूप हो चूका हैं.

पश्चिम बंगाल से शुरू हुई नक्सलवाद की समस्या आज उड़ीसा, बिहार, झारखंड, आंध्रप्रदेश और उत्तरप्रदेश सहित देश के अन्य भागों में फ़ैल चुकी हैं.

आतंकवाद के कारण और प्रभाव (Due to terrorism and influence)

आरम्भिक वर्षो में आतंकवाद ने राजनितिक स्वार्थ के लिए धर्म को आधार बनाकर सता प्राप्ति का रास्ता चुना था. दूसरी तरफ नक्सलवाद की उत्पति/इसके जन्म का कारण मुख्य रूप से सामाजिक हैं. जिनमे अत्यंत गरीबी और अशिक्षा इसके मूल कारण हैं.

यही वजह हैं कि कम शिक्षित क्षेत्रों में आतंकवादी संगठनो द्वारा लोगों को धर्म के झासे में फसाकर इस प्रकार के संगठनो से जोड़ दिया जाता हैं. थोड़े से लाभ के लिए ये लोग आतंकवाद के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कार्य करते हैं.

यदि हम वैश्विक या भारतीय परिप्रेक्ष्य (Indian perspective) में पिछले 10 वर्षो में लोगों की मृत्यु की घटनाओं (Incidence of death) को देखे तो किसी भी प्राकृतिक आपदा से अधिक लोग आतंकवाद के शिकार हुए हैं.

इनके कुकृत्यो से मारे जा चुके हैं. बहुत सारे ऐसे परिवार हैं, जो आतंकवाद के कारण अपना पूरा परिवार या परिवार के किसी सदस्य को खो चुके हैं.

दूसरी तरफ लाखों की संख्या में ऐसे दिव्यांग (Divyang) मिल जाएगे, जिन्होंने आतंकवाद घटनाओं में अपने अंगो को खो दिया हैंजिनका दंश वो आज भी भोग रहे हैं.

यदि हम आतंकवाद की रोकथाम (Terrorism Prevention) इस समस्या के समाधान के पहलुओ को जानना चाहे तो मुख्य रूप से शिक्षा और रोजगार का बड़ा मसला हैं.

पिछड़े इलाकों में नवयुवक शिक्षा की कमी और रोजगार की अनुपलब्धता के कारण धार्मिक कट्टरपंथी (Religious fanatics) लोगों के लालच या बहकावे में आकर आतंकवाद का दामन थाम लेते हैं.

दूसरी तरफ नक्सलवाद (racism) भी किसी तरह आतंकवाद से कम नही हैं, सरकार को चाहिए कि वह उन लोगों की मागों को पूरा करे, जिसके लिए उन्होंने हथियार उठाएँ हैं.

समाधान (Solution)

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का सबसे खतरनाक रूप देखने को मिलता हैं. जिसकी मुख्य वजह पाकिस्तानी घुसपैठ भी हैं.

हाल ही के वर्षो में भारत सरकार ने एलओसी को पूर्ण रूप से अभेद्द बनाए जाने के प्रयासों को ओर तेज कर राज्य की आंतरिक प्रशासन व्यवस्था को सुधारे जाने की सख्त आवश्यकता हैं. जो बेहद निम्न स्तर की रही हैं.

यह भी हो सकता हैं, कि पाकिस्तान भले ही हमारा दुश्मन मुल्क हैं. आतंकवाद को प्रश्रय देने का कार्य भी मूल रूप से पाकिस्तान का भी, इसका खामियाजा उन्हें भी हर रोज भुगतना पड़ता हैं. अत: इस विषय पर दोनों देशों के राजनयिकों (Diplomats) को बैठकर कोई बिच का रास्ता निकालना चाहिए.

चूँकि आतंकवाद एक अंतराष्ट्रीय समस्या हैं. इसलिए इसका समाधान प्रभावित देशों के सदस्यों के साथ बैठकर भी कोई हल निकाला जा सकता हैं. जिनमे सयुक्त राष्ट्र संघ, अंतराष्ट्रीय न्यायालय जैसे सगठन महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं.

आतंकवाद पर निबंध 5

आतंकवाद एक ऐसी समस्या हैं जिसका भारत में हम कई दशकों से सामना कर रहे हैं. आज आतंकवाद एक ऐसी समस्या माना जाता हैं. जो न केवल राष्ट्रिय बल्कि अंतराष्ट्रीय राजनीती को भी अस्थिर कर सकती हैं.

जिन कारको ने आतंकवाद को कट्टरपंथीयों द्वारा अवांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इसे महत्वपूर्ण हथियार बनाया. वे हैं.

उद्देश्य में दृढ विशवास, कट्टरता, अपने सरगनाओं के प्रति निष्ठा, हिंसात्मक आदर्शवाद आदर्शवाद आत्म बलिदान की इच्छा तथा विदेशो से मिलती वित्तीय सहायता आदि.

आतंकवाद क्या हैं ?- आतंकवाद एक हिंसक व्यवहार हैं जो समाज या उसके बड़े भाग में राजनितिक उद्देश्यों से भय पैदा करने के उद्देश्य से किया जाता हैं. यह राज्य या समाज के विरुद्ध होता हैं.

यह अवैध और गैर क़ानूनी होता हैं. यह न केवल निशाना बनाया जाने वाले व्यक्ति आपितु सामान्य व्यक्तियों को डराने और बेबसी व लाचारी की भावना पैदा करता हैं.

आतंकवाद के उद्देश्य- आतंकवादियो का मुख्य उद्देश्य अपनी विचारधारा का प्रचार करना हैं. इस प्रक्रिया में यह विचार जन-समर्थन प्राप्त करना चाहता हैं. वह शासन की सैन्य शक्ति व मनो वैज्ञानिक शक्ति को विघटित करना चाहता हैं.

आतंकवाद किसी भी देश/क्षेत्र की आंतरिक स्थिरता तोड़ना और उसके सतत विकास को रोकना चाहता हैं. वह अपने विचार रूपी आन्दोलन को बढ़ाना चाहता हैं.

इस आन्दोलन की रूकावट चाहे वो व्यक्ति हो या सस्था उसे हटाने की कोशिश करता हैं. यह शासन को प्रतिक्रिया दिखाने के लिए उकसाता हैं.

भारत में आतंकवाद समस्या & हमले

” अहिंसा परमोधर्म: तथा “वसुधैव कुटुम्बकम” जैसे महामानवता वादी सिद्दांत वाले हमारे देश भारत में पिछले अनेक वर्षो से साम्प्रदायिक हिंसा तथा आतंकवाद विकराल समस्या बनी हुई हैं. बंगाल में नक्सलियों द्वारा की गईं हिंसा आगे जाकर पंजाब में खालिस्तान बनाने की मांग के चलते असंख्य बेगुनाहों का रक्तपात हुआ.

आज देश में जम्मू कश्मीर, असम, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, त्रिपुरा तथा उत्तर भारत के अनेक शहर आतंकवादियो के निशाने पर रहते हैं. बीते वर्षो में हमारी संसद पर किया गया आतंकवाद हमला एक प्रकार से हमारे सविधान तथा हमारे स्वाभिमान पर किया गया हमला था.

यदि समय रहते हमारे जवानों ने उन आतंकवादियों को काबू में न किया होता तो हम कल्पना कर सकते हैं, उसके कितने भयानक दुष्परिणाम हो सकते थे.

आतंकवाद का कारण

यह सच हैं कि बेकारी तथा बेरोजगारी के कारण परेशान युवाओं को धन का लालच देकर तथा धर्म के नाम पर उकसाने तथा आतंकवादी बनने का काम धार्मिक कट्टरपंथी संस्थाएँ करती रहती हैं.

ये संस्थाए अपने द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों के माध्यम से देश में अस्थिरता का वातावरण बनाते रहते हैं. मुंबई, दिल्ली, जयपुर तथा अहमदाबाद में आतंकवादियो द्वारा “सीरियल ब्लास्ट” तथा “साइकिल बम ब्लास्ट” जैसी घटनाओं ने देश को झंकझोर कर रख दिया. इसलिए आज आतंकवाद के खिलाफ कठोरता से पेश आने की आवश्यकता हैं.

आतंकवाद को नियंत्रित करने के उपाय-

राष्ट्रीय समस्याओं पर आम सहमती तैयार की जानी चाहिए. न्याय व्यवस्था से सम्बन्धित सुधार करना, शासक और जनता में संवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए,

पुलिस तथा सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जाना चाहिए तथा शिक्षा एवं रोजगार की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.

आतंकवादी जब अपने आत्मघाती हथियारों तथा बमों से लोगों के घर उजाड़ते हैं तब यही कहने को मन करता हैं कि,

‘लोग सारी उम्र लगा देते हैं एक घर बनाने में | उनको शर्म नही आती बस्तियाँ जलाने में || “

आतंकवाद के कारण और निवारण निबंध 6

What is Terrorism Problem, Causes, Type and solution in Hindi 

आतंक का शाब्दिक अर्थ होता है- भय,त्रास या अनिष्ट की पीड़ा. षडयंत्रपूर्वक क्रूरता  से नागरिकों को मारना, हमले करना, भय का वातावरण बनाना आतंकवाद कहलाता है.

आतंकवादी अमानवीय प्रवृति के कारण अतीव क्रूर एवं स्वार्थी होते है. इनमे असहनशीलता एवं उग्रता चरम मात्रा में भरी रहती है. इसी स्वभाव के कारण आतंकवादियों को उग्रवादी भी कहा जाता है.

हमारे देश भारत में यह आतंकवाद और उग्रवाद पड़ोसी देश पाकिस्तान द्वारा तथा कुछ विदेशी इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा छद्म रूप में चलाया जा रहा है.

भारत में आतंकवाद (Terrorism in India)

भारत में यदपि पूर्वोतर सीमांत क्षेत्र पहले ही अलगाववादी प्रवृति से ग्रस्त रहा है, परन्तु कश्मीर को लेकर आतंकवाद का प्रारम्भ 1989 को हुआ. उस समय जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट  के संगठन ने सशस्त्र अलगाववादी आंदोलन की शुरुआत की.

इससे कुछ कट्टरपंथी इस्लामी संगठन उभरे, जिन्होंने जेहाद के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया ये सभी संगठन पाकिस्तान के समर्थक और और उसके सहयोग निर्देश पर काम करते है. पाकिस्तान में ही उन आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर है.

और वही से उन्हें आर्थिक सहायता तथा विस्फोटक सामग्री उपलब्ध होती है पकिस्तान ये सारे काम पर्दे के पीछे करता है और विश्व मंच पर हो हल्ला करता है. कि मुस्लिम बहुल कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाए तथा कश्मीर में आतंकवादी तो वास्तव में जेहादी लोग है.

इस प्रकार पिछले दो दशकों से भारत को इन आतंकवादियों का सामना करना पड़ रहा है.

पाकिस्तान समर्थित आतकंवादी समय समय पर भारत में नरसंहार करते रहे है. दिल्ली के लाल किले पर, फिर कश्मीर विधानसभा भवन पर, फिर 13 दिसम्बर 2001 को संसद भवन पर हमला,, बाद में गांधीनगर के अक्षरधाम पर, 2008 में मुंबई की ताज होटल, 2017 में उरी और पठानकोट पर जो आतकवादियों ने किया है.

वह राष्ट्र की आत्मा के लिए एक चुनौती है. कश्मीर में प्रतिदिन कही न कही पर सैनिकों के साथ आतंकवादियों की झड़पें होती रहती है. और अब तक भाड़े के हजारों आतंकवादी मारे जा चुके है.

पाकिस्तान एक प्रकार से आतंकवादी देश है जो सदा ही आतंकवादियों को तैयार करता रहा है. कश्मीर को हथियानें के लिए वह अनेक कुचालें चल रहा है.

जिनमे आतंकवादियों को हर जगह की सहायता में विशेष रूचि दिखाता है. उसके द्वारा भेजे गये भाड़े के आतंकवादी मानवता की चिंता न कर निरपराध जनता को मार डालते है.

इससे जम्मू कश्मीर से अल्पसंख्यकों का पलायन हो चूका है. और कई वर्षों से लोग जम्मू तथा दिल्ली में शरण लेकर रहने को मजबूर है.

आतंकवाद का दुष्परिणाम (Causes and solution of Terrorism Problem in Hindi)

आतंकवाद वस्तुतः अब कुटनीतिक इशारों पर छदम युद्ध का रूप धारण करने लगा है. जिसका दुष्परिणाम यह है कि भारत को अपनी सम्पूर्ण पश्चिमी सीमा पर सेना तैनात करनी पड़ रही है.

हमारा भारत देश अभी तक विश्व समुदाय का ध्यान रख रहा है, लेकिन जब से भारतीय संसद तथा कश्मीर विधानसभा पर आतंकवादियों ने जो आत्मघाती हमला किया है.

तब से उसकी दुससाहसी प्रवृति भारत की प्रभुसता के लिए एक खतरा बन गई हाई. इस चुनौती के कारण भारत की सीमाओं पर सैन्य बन तैनात है तथा प्रतिदिन आतंकवादियों से डटकर सामना कर रहे है, जिससे आतंकवादी उग्रवादी मारे एवं पकड़े जा रहे है.

इस तरह हमारे देश में बढ़ रहे आतंकवाद का नामोनिशान मिटाने की जरुरत है. भारत सरकार इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही . तथा हमारी सेनाएँ प्रत्येक चुनोती का उचित जवाब दे रही है.

परन्तु जम्मू कश्मीर के निवासियों की तथा देश की काफी आर्थिक हानि हो रही है. अतएवं आतंकवाद के विषदंत को जड़ से उखाड़कर इसके प्रायोजक पाकिस्तान को दंड देने से इस समस्या से मुक्ति मिल सकती है.

7# आतंकवाद पर निबंध | Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद का अर्थ क्या है इतिहास, वैश्विक परिदृश्य, प्रकृति व भारत पर प्रभाव | What Is Terrorism In Hindi

एक हम एक बेहद खतरनाक समस्या से गुजर रहे हैं वह है  आतंकवाद – Terrorism  यह किसी एक देश की समस्या न होकर सम्पूर्ण वैश्विक समाज के लिए संकट बनकर उभर रहा हैं. विश्व समुदाय अभी तक आतंकवाद की परिभाषा व उसका अर्थ भी समझ नहीं पाया हैं.

आतंकवाद मूलतः एक विखंडनकारी प्रवृति है जिसका अन्य विखंडनकारी प्रवृत्तियों के साथ गहरा संबंध हैं. यह कोई राजनीतिक अवधारणा नहीं है,

किसी न किसी रूप में यह प्राचीन काल से लेकर अब तक सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं में विद्यमान रही हैं. आतंकवाद, साम्प्रदायिकतावाद और पृथकवाद एक दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं.

आतंकवाद ने विश्व शांति को सर्वाधिक नुक्सान पहुचाया हैं. भारत आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले देशों में से एक हैं. आतंकवाद को परिभाषित करना अत्यंत दुष्कर कार्य हैं.

एक दृष्टिकोण की मान्यता है कि किसी एक के विचार में जो आतंकवादी है वह दूसरे के विचार में स्वतंत्रता सेनानी भी हो सकता हैं.

वर्तमान विश्व में आतंकवाद धार्मिक व जातीय आधार पर ही जिन्दा हैं. विश्व में इस्लामिक आतंकवाद आज सबसे गंभीर समस्या हैं.

आतंकवाद का अर्थ क्या है (What Is Terrorism In Hindi)

terror का लेटिन भाषा में अर्थ है to make tremble किसी को भय से कंपकपाने को मजबूर करना. ओ दिमेरस ने लिखा है कि आतंकवाद एक विभ्रम हैं.

यह मनोवैज्ञानिक हमला हैं. इसका लक्ष्य मनौवैज्ञानिक परिणाम प्राप्त करना होता हैं. हिंसा की नाटकीय प्रस्तुती और उन्नति व प्रसिद्ध आतंकवाद की मुख्य प्रकृति हैं.

सामान्य अर्थ में किसी भी तरह से भय उत्पन्न करने की विधि को आतंकवाद की संज्ञा दी जा सकती हैं. जब एक व्यक्ति या समूह उचित मांगों की पूर्ति के लिए शान्तिपूर्वक, अहिंसात्मक ढंग से सकारात्मक प्रयास करता है तो उसे आंदोलन कहा जाता हैं.

आंदोलन लोकतंत्रात्मक व्यवस्था की अपरिहार्य प्रक्रिया कही जा सकती हैं. इसके विपरीत व्यक्ति या व्यक्ति समूह जब अपनी अनुचित मांगों की पूर्ति के लिए व्यापक स्तर पर हिंसा व अशांति पर आधारित नकारात्मक प्रयत्न करता है तो उसे आतंकवाद कहा जाता हैं.

आतंकवाद को आमतौर पर धार्मिक, जातीय, क्षेत्रीय, नस्लीय आधार पर समर्थन मिलता हैं. किन्तु यह अलोकतांत्रिक होने के कारण व्यापक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में समर्थन प्राप्त करने में असफल रहता हैं. आतंक के प्रयोग से तात्पर्य है- भय पैदा करना.

सभी निरंकुश समाजों की स्थापना भय पर आधारित थी. आधुनिक युग में तथाकथित अधिनायकवादी शासन का मूल आधार भय ही हैं. शांतिकाल में युद्ध जैसी हिंसा के घोषित रूप में आतंक की तलवार सदैव उन पर मंडराती रहती हैं. जो विद्रोह करने की सोचते हैं.

आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान पर विधिसंगत शासन को अपदस्थ कर सत्ता हथियाना होता हैं. आतंकवाद विश्व की सबसे खतरनाक हिंसक मनोवैज्ञानिक युद्ध प्रणाली हैं.

आतंकवाद एक तरह से संक्रामक बिमारी हैं. आतंकवाद के वास्तविक भौतिक प्रभाव से कहीं अधिक इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव हैं.

शीतयुद्ध की समाप्ति के पश्चात विश्व के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा बन गया हैं. आतंकवाद उन नवीन संस्कारों में शामिल हैं. जिससे आण्विक, जैविक व रासायनिक हथियारों के प्रयोग व सामूहिक विनाश की आशंका बनी हुई हैं.

व्यवहार में आतंकवाद कई बार गरीब का शक्तिशाली के विरुद्ध हथियार बन जाता हैं तो कभी धर्म की सत्ता व धर्म की रक्षा का हथियार.

आतंकवाद का इतिहास (History Of Terrorism In Hindi)

सम्पूर्ण इतिहास में शक्ति को प्राप्त करने के लिए आतंक का बार बार प्रयोग हुआ हैं. सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए बल के सामने झुकना और स्थापित व्यवस्था को मजबूरन स्वीकारना हर युग में आम बात थी.

आतंक का प्रयोग सबसे पहले संभवतः उस समय हुआ होगा, जब शासन के लिए आदिम अवस्था में सजा देकर किसी को विशेष गतिविधि करने से रोका गया था.

प्रथम मेसोपोटामिया का साम्राज्य अक्कड़ के सारगोन पूर्णतया डरा धमकाकर ही स्थापित किया गया था. प्रथम सैनिक साम्राज्य अनसिरियाई ने अपने विरोधियों की इच्छा शक्ति और साहस को तोड़ने के लिए क्रूर, भयानक तरीको का प्रयोग किया गया था.

सम्पूर्ण इतिहास में निरंकुश समाजों में आतंक का प्रयोग लोगों को मजबूरन दासत्व व अधीनता स्वीकार करवाने के लिए हथियार के रूप में होता रहा हैं.

सदियों से आतंक का साया मानवता पर मंडराता रहा हैं. राज्य का आतंक चाहे गुप्त रूप से अथवा खुले रूप से हो हमेशा सामूहिक हत्या के लिए प्रयोग किया गया था.

मंगोलों और तैमूर लंग ने केवल आतंक या भय का प्रयोग कर बड़े बड़े शहरों को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था.

यह सदैव अलग अलग स्वरूप में विद्यमान रहा था. समय काल और स्थान के अनुसार इसके तरीकों और प्रकृति में जरुर अंतर रहा होगा, लेकिन आतंक सर्वत्र व्याप्त था.

प्रथम शताब्दी के यहूदी उग्रपंथियों से लेकर 11 वीं से 13 वीं शताब्दियों के इस्माइली एसेसिन हत्यारों को इस श्रेणी में गिना जा सकता हैं.

आतंकवाद की धर्म से सम्बद्धता हर कालखंड रही में रही हैं. वर्तमान समय में आतंकवाद का धार्मिक आयाम इसे जरुर विशिष्ट बनाता हैं. वास्तव में धार्मिक आतंकवाद भी नया नहीं हैं. आधुनिक युग में आतंकवाद ने गुरिल्ला युद्ध को भी पीछे छोड़ दिया हैं.

आतंकवाद का वैश्विक परिदृश्य (World Prespective Of Terrorism Hindi)

9/11 की घटना में अचानक आतंकवाद को पुनः महत्वपूर्ण बना दिया. वस्तुतः तालिबानी स्वरूप पिछली शताब्दी के अंतिम दो दशकों में सक्रिय था,

किन्तु अमेरिका ने उन्हें महिमामंडित किया और योद्धा और जन मुक्ति दाता कहा, उल्लेखनीय है कि यही रवैया पाकिस्तान का कश्मीर के आतंकवादियों के प्रति रहा हैं.

वे उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की संज्ञा देकर अपने राजनीतिक मंसूबों को साधना चाहता हैं. धार्मिक आधार पर सहानुभूति प्रदर्शित कर वह राजनीतिक रोटियाँ सेक रहा है.

आतंकवाद प्रतिक्रियावादी व आत्मघाती दोनों प्रभाव रखता हैं. आज पाकिस्तान जो आतंकवाद का मुख्य पोषक देश है स्वयं आतंकवाद से जूझ रहा हैं.

एक देश ने अपने विरोधी देश के खिलाफ रणनीति के बतौर आतंकवाद का खूब सहारा लिया हैं. अमेरिका ने तालिबान रुपी दैत्य को पूर्व सोवियत संघ के विरोध में उत्पन्न किया. किन्तु दो दशक बाद वह दैत्य उसके विरुद्ध हो गया. ईराक को पनपाना तालिबान को पनपाना, अमेरिकी राज्य रणनीति का हिस्सा था.

स्वयं अमेरिका ने 9/11 के बाद युद्ध को नया नाम आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही देकर ईराक और अफगानिस्तान की संप्रभुता पर हमला किया.

अमेरिका और उसके सहयोगिनी का मानना है कि किसी भी किस्म के विध्वंसक हथियार रखना और उसके जरिये हिंसक कार्यवाही करना आतंकवाद हैं. इसी नजरिये से आतंकी संगठनों और उनके पनाह देने वाले राष्ट्रों को चिन्हित किया जा रहा हैं.

वास्तव में आतंकवाद केवल हिंसा की तकनीक नहीं हैं. यह सिर्फ जान से मार देने की या आतंकित कर देने की कला नहीं हैं. अपितु विचारधारा हैं.

इसका शीतयुद्धकालीन अमेरिकी विदेश नीति से गहरा संबंध हैं. शीतयुद्ध वस्तुतः रक्तबीज हैं. इसे जितना मारोगे यह उतना ही विकराल रूप धारण करता जाएगा.

उपरी तौर पर शीतयुद्ध समाप्त हो गया परन्तु विचारधारा के तौर पर यह आज भी जिन्दा हैं. मौजूदा ISIS तालिबान और आतंकवाद का विश्वव्यापी स्वरूप उसका हिस्सा हैं.

इस स्वरूप का अपना तंत्र है और अपनी विचारधारा हैं. इसकी प्राणवायु बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हैं. आतंकवाद अब कोई स्थानीय ढांचागत नही रहा हैं.

इसके प्रभाव को सीमा में नहीं बाँधा जा सकता हैं. इसका मौजूदा वैविध्य पूर्ण रूप इसे पूरी तरह विश्वव्यापी ढांचागत संरचना बनाता हैं. आतंकवाद अत्याधुनिक हथियारों और विदेशी धन के सहारे फलफूल रहा हैं.

तालिबान, अलकायदा, लिट्टे, खालिस्तान, कमांडो फोर्स आद्रेन, रोबर्ती द आब्यूस्सोन, फलांगा आदि दर्जनों आतंकी संगठनों के बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से संबंध रहे हैं.

यह कम्पनियां दो प्रकार की है नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाली व दूसरी हथियारों का निर्माण करने वाली. आतंकवाद की यह रणनीति रही है कि हिंसा के माध्यम से सुनियोजित ढंग से आम जनता में दहशत पैदा की जाए. सत्ता की प्रतिक्रियाओं में लाभ उठाया जाए और अपनी मांगों को उभारा जाए.

बी क्रोजियर में ए थ्योरी ऑफ़ कान्फ्लिक्ट में रेखांकित किया गया है कि आतंक और हिंसा कमजोरों का अस्त्र है. ये लोग संख्या में कम होते है और सत्ताहीन होते है, ये ऐसे लोग है जो परम्परागत ढंग से सत्ता प्राप्ति करने में असमर्थ होते हैं.

धर्मान्धता और आतंकवाद (Fanaticism & Terrorism Problem)

आतंकवाद को धर्म से सम्बद्ध मानने की प्रवृत्ति काफी दिनों से विवाद का विषय रही हैं. यह एक गंभीर प्रश्न है कि आतंकवाद को किसी धर्म विशेष से जोड़ा जाए या नहीं. यह मानना है कि धर्म के अनुयायी आतंकवाद को प्रश्रय देते है. यह बिलकुल असत्य और निराधार हैं.

पश्चिमी देशों के आतंकवाद के विश्लेषकों ने माना कि कुछ देशों में धर्म विशेष का हिंसक उत्परिवर्तन काफी गम्भीर विषय हैं. जो विगत 25-30 वर्षों में एक शक्तिशाली प्रवृति व घटना के रूप में उभरा हैं.

आतंकवादियों में किसी एक गुट विशेष के प्रति समर्पण का भाव न होकर एक समुदाय विशेष के प्रति समर्पण भाव रखना एक नकारात्मक प्रवृति हैं.

जो एक स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज के लिए हितकारी नहीं होता हैं. आत्म बलिदान और असीमित बर्बरता, ब्लैकमेल, जबरन धन वसूली और निर्मम न्रशंस हत्याएं करना ऐसे आतंकवाद की विशेषता बन गई हैं. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया पृथकतावादी श्रेणी में आता हैं.

पाकिस्तान में वर्ष 2014 में स्कूल में घुसकर मासूम बच्चों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर 132 बच्चों की हत्या आतंकवाद का वास्तविक भयानक चेहरा प्रस्तुत करता हैं.

खून से भीगे बस्ते, पानी की बोतले, जूते, खाने के टिफिन बताते है कि आतंकवाद मूलतः मानवता के विरुद्ध अपराध हैं.

आतंकवाद की प्रकृति (Nature Of Terrorism)

इसमें मुख्य रूप से तीन पात्र होते हैं.

  • आतंकवादी गुट

आम जनता अन्य देशों की सरकार व आतंकवादी गुट इसके दर्शक होते हैं.

भारत में आतंकवाद (Terrorism Problem In India)

आतंकवाद कोई नई प्रवृत्ति नहीं हैं. जिसका रातोरात आधुनिक युग में अवतरण हुआ हो. भारत के सम्पूर्ण इतिहास में शक्ति को प्राप्त करने के लिए आंतक का बार बार प्रयोग हुआ हैं.

भारत में पिछली सदी के दो दशकों के पंजाब के आतंकवाद, जम्मू और कश्मीर के आतंकवाद व वर्तमान में विभिन्न भारतीय राज्यों में सक्रिय नक्सलवाद और उत्तर पूर्व के विभिन्न राज्यों के उग्रवाद को आतंकवाद की परिभाषा में सम्मिलित किया जा सकता हैं.

भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में कई स्थानीय आतंकी संगठनों के अतिरिक्त अन्य विदेशी आतंकी संगठन भी सक्रिय हैं. भारत में वर्ष 2016 तक कुल 38 आतंकवादी संगठनों को अनाधिकृत गतिविधि अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया जा चुका हैं.

भारत में आतंकवाद का स्वरूप (Nature Of Terrorism In India)

भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठनों की प्रकृति एक जैसी नहीं हैं. यदपि सभी आतंकवादी संगठन हिंसा व भय पैदा करने के विभिन्न तरीको को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयोग जरुर करते हैं.

भारत में उत्तर पूर्वी राज्यों, विशेषतया सीमावर्ती राज्यों, जम्मू कश्मीर, असम, पंजाब, आंध्रप्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, बिहार, बंगाल व महाराष्ट्र आदि में आतंकवादी गुट सक्रिय हैं.

कश्मीर में आतंकवादी गुटों को धार्मिक कारणों से अधिक जनाधार प्राप्त हैं. उन्हें विदेशी पाकिस्तानी समर्थन भी भरपूर मात्रा में प्राप्त हैं. धन, हथियार, प्रशिक्षण, दुष्प्रचार व युवाओं में धार्मिक वैचारिक विकार पैदा करने में पाकिस्तान ने अहम भूमिका निभाई हैं.

मनोवैज्ञानिक रूप से विभिन्न हथकंडों का प्रयोग करते हुए कश्मीर के युवाओं में धर्मान्धता व कट्टरपन की भावना पैदा कर उन्हें मुख्य राष्ट्रीय धारा से विमुख करने में विदेशी समर्थन का बहुत बड़ा योगदान हैं. जिसने भारत के भौगोलिक, राजनीतिक एवं सामरिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला हैं.

यदपि पिछली शताब्दी में सक्रिय पंजाब के आतंकवादियों का केन्द्रीय लक्ष्य पृथक राष्ट्र की मांग एक जैसी ही हैं. पंजाब, जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पूर्णतया पृथकतावादी श्रेणी में आता हैं.

सभी आंतकी सगठनों की एक जैसी राजनीतिक सोच संभव नहीं हैं. पंजाब व जम्मू कश्मीर दोनों जगह आतंकवाद ने धार्मिक कट्टरवाद का सहारा लिया हैं.

पंजाब में आतंकवादियों ने हत्या के लिए निर्दोष नागरिकों को अपना निशाना बनाया वहीँ कश्मीर में आतंकवादियों ने सेना व अन्य सुरक्षा बलों को नुकसान पहुचाना अपना लक्ष्य बनाया हुआ हैं.

पंजाब में आतंकवाद के उस चरण में आतंकवादियों ने राज्य मशीनरी को निशाना बनाने की बजाय निर्दोष लोगों की हत्या की.

राज्य पुलिस बल उनका दूसरा लक्ष्य था. असम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड में आतंकवादी गुटों का मुख्य निशाना समुदाय विशेष के लोग हैं. कभी कभी राज्य मशीनरी पर भी हमला बोला जाता हैं.

किन्तु आम तौर पर किसी समुदाय विशेष के लोगों पर ही हमलें होते रहे हैं. अतः इन राज्यों के आतंकवाद में समूह या जनजातीय ग्रुपों के बीच में हिंसक मुठभेडे या हमलें होते रहते हैं.

राज्य मशीनरी पर हमला करने का राजनीतिक तौर पर प्रत्यक्ष संबंध नहीं है किन्तु प्रछन्न पृथकतावादी गिरोहों से संबंध जरुर दिखाई देता हैं. मसलन पंजाब में खालिस्तानियों और नक्सली गुटों और आंध्रप्रदेश में पीपुल्सवार ग्रुप का लिट्टे से रिश्ता था.

इसी तरह प्रत्येक प्रान्त में ऐसे आतंकवादी गिरोह सक्रिय हैं जो प्रत्यक्ष विदेशी इशारों पर आतंकवाद की कार्यवाहियों में सक्रिय रहते हैं.

तात्पर्य यह है कि आतंकवादी गिरोहों का परिपेक्ष्य एक सा नहीं हैं. भारत में प्रमुख आतंकवादी घटना 12 मार्च 1993 को बम्बई में हुई जिसमें बम विस्फोटों में 317 निर्दोष लोगों की म्रत्यु हुई.

इस विध्वस्कारी घटना में अपराधी और तस्कर गिरोह कट्टरपंथियों और विदेशी एजेंसियों की भूमिका थी. मूलतः यह एक आतंकवादी कार्यवाही थी.

साम्प्रदायिकता, पृथक्तावाद और आतंकवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इन तीनों में अन्तःक्रियाएं चलती रहती हैं. तात्पर्य यह है कि साम्प्रदायिकता के पृथकतावादी या आतंकवादी प्रवृति में रूपांतरण की संभावना हैं उसी तरह से पृथकतावाद से साम्प्रदायिकता और आतंकवाद में बदल जाने की संभावना बनी हैं.

इसी प्रकार आतंकवाद के साम्प्रदायिकता एवं पृथकतावादी रूप लेने की भी संभावना हैं. झारखंड, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश व छतीसगढ़ में नक्सली आतंकी गिरोहों की आतंकवादी कार्यवाहियों से भिन्न होता हैं.

नक्सलवादी गिरोहों का पृथकतवाद केन्द्रीय लक्ष्य नहीं हैं. 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुआ आतंकी हमला हाल ही के वर्षों में भारत में होने वाला सबसे बड़ा आतंकी हमला है जिसमें 44 CRPF के जवान शहीद हुए थे.

भारत के आतंकवाद प्रभावित राज्य (Terrorism Affected States Of India)

  • जम्मू कश्मीर
  • उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत
  • पूर्वोत्तर भारत- असम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड
  • दक्षिण भारत- अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक

आतंकवादियों की सामाजिक पृष्टभूमि (Social Background Of Terrorism)

भारत में आतंकवादी कार्यवाहियों में शामिल व्यक्ति की सामाजिक पृष्टभूमि अलग अलग रही हैं.

  • मध्य वर्ग और उच्च मध्य वर्ग के युवा
  • पंजाब, कश्मीर बंगाल के नक्सली, उत्तर पूर्वी राज्यों के आतंकी मोटे तौर पर इन्ही वर्गों से आते हैं.
  • धर्मांध गरीब तबके के विभ्रमित युवा.

आतंकवादी कार्यवाही के लक्ष्य (Objectives Of Terrorist Activities)

  • सुनिश्चित ढंग से कुछ प्रमुख केन्द्रों या संस्थानों पर हमला करना
  • आतंक और हिंसा की कार्यवाहियों की बढ़ चढ़कर जिम्मेवारी लेना
  • सत्ता से लाभ प्राप्त करना

पहला लक्ष्य कार्यनीतिक है दूसरा रणनीतिक है और तीसरा मील अभिसिप्त लक्ष्य हैं. कार्यनीतिक स्तर पर लोगों को डराना, धमकाना, आतंकित करना और हमला करना होता हैं. रणनीतिक चरण के अंतर्गत अतिनाटकीय ढंग से आतंक एवं हिंसा की कार्यवाही को सम्पन्न करना.

परिणामतः ज्यादा से ज्यादा माध्यमों का ध्यान खीचने में सफलता प्राप्त करना उनका लक्ष्य होता हैं. आतंकवादियों की कार्यनीति, रणनीति और लक्ष्य ये तीनों एक दूसरे से अंतरग्रंथित हैं.

आतंकवाद के मनोवैज्ञानिक तत्व (Psychological elements of terrorism)

आतंकवाद अपरिहार्य रूप से एक ऐसी रणनीति है जो मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर आधारित होती हैं. इस रणनीति के तहत आतंकवादी दर्शकों को प्रभावित करते हैं. यहाँ दर्शक वे लोग है जो आतंकवादी कार्यवाही से भयग्रस्त हो जाते हैं.

  • कर्म द्वारा प्रचार
  • अस्त व्यस्तता व अराजकता उथल पुथल

आतंकवाद और मीडिया कवरेज (Terrorism and Media Coverage)

आतंकवाद और मीडिया कवरेज- तकनीकी के प्रयोग के कारण आतंक और हिंसा की कार्यवाही और भी आकर्षक दिखती हैं.

भारत में पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद की प्रस्तुतियों में स्टीरियों टाइप छवि का प्रभुत्व रहा हैं. परिणामतः आतंकवादियों के प्रति तकनीकी माध्यमों के द्वारा घ्रणा के बजाय सहिष्णु भाव पैदा हुआ हैं.

इस तरह के मिडिया के कवरेज का समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ता हैं. पहला आतंक हिंसा की गतिविधियों की रिपोर्टिंग को मिलने वाले महत्व अन्य को वैसी ही कार्यवाही को प्रेरित करती हैं. दूसरा कम या ज्यादा माध्यम कवरेज से यह संभव हैं. कि राज्य उत्पीड़न की कार्यवाहियां बढ़े.

यही स्थिति आतंकवाद पैदा करना चाहती हैं. इससे उन्हें अपने लक्ष्य के विस्तार में मदद मिलती हैं. तीसरा मीडिया कवरेज के द्वारा आम जनता के अंदर भावशून्य स्थिति पैदा हो जाती हैं. चौथा आतंकवादियों द्वारा अपह्रत या बंदी व्यक्ति के लिए मिडिया कवरेज से जान का खतरा पैदा हो सकता हैं.

आतंकवाद कुछ विशेष शैली प्रतीकों और बिम्बों का प्रयोग करते हैं. पंजाब के आतंकवादी दौर में मोटर साइकिल, मारुति वैन और ए के 47 आतंकवादियों का प्रतीक मानी जाती थी. डर का माहौल पैदा करना उनका मकसद होता हैं. इससे प्रशासनिक मशीनरी पंगु बन जाती हैं.

सेना व सुरक्षा बल लगातार काम करते हैं. जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती हैं. राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक व आर्थिक कारणों से समाज की आतंकवाद के प्रति सहिष्णुता पैदा करना अत्यंत घातक हो जाती हैं.

आम जनता में भाव शून्यता से सहन करने की क्षमता बढ़ जाती हैं. वह आतंकी हिंसा को जीवन की सच्चाई के रूप में देखने लगती हैं.

सामान्य तौर पर आतंकवादी गिरोहों की कार्यवाही के दो मकसद होते हैं.

  • हिंसा के माध्यम से जनमाध्यमों का ध्यान आकर्षित करना.
  • भय और आतंक का माहौल पैदा करना.

इन दोनों तरीकों के जरिये आतंकवादी गिरोह अपनी मांगों को लोकप्रिय बनाने और राष्ट्रीय एजेंडे पर लाने में सफल हो जाते हैं. अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए दवाब डालते हैं. अत्यधिक मीडिया कवरेज से आतंकवाद फलता फूलता हैं. आतंकवाद और जन माध्यमों का जटिल संबंध हैं.

और सशलिष्ट प्रक्रिया से यह सम्बन्ध विकसित होता हैं. अब यह सामान्य धारणा बन चुकी हैं कि किसी आतंकवादी घटना को मीडिया द्वारा अधिक कवरेज देने से इसका दुष्प्रचार होता हैं. जो राज्य के हितो का विरोधी हैं.

आतंकवादी घटना के अत्यधिक मिडिया कवरेज का दुष्प्रभाव (Repurcussions Of Over Reporting Of Terrorist Activity By Media)

  • यह विभिन्न आतंकवादी गुटों का निर्माण के लिए उत्प्रेरित करता हैं.
  • धार्मिक व साम्प्रदायिक कारणों से आतंकवादियों को सस्ती लोकप्रियता हासिल होने की संभावना निहित हैं.
  • विभिन्न गुटों में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होने पर बढत व पहलकदमी हासिल करने की होड़ उत्पन्न करना.
  • आतंकवादी गिरोहों द्वारा मिडिया कवरेज करने वाले चैनल्स पर नियंत्रण स्थापित करने की आशंका बनना.
  • प्रशासनिक मशीनरी की कार्य कुशलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना.

यह माना जाता है कि आतंकवाद एक तरह से संक्रामक बिमारी हैं. जाने अनजाने माध्यमों से आतंक एवं हिंसा को प्रोत्साहित किया जाता हैं. घटनाओं की एक जैसी पुनरावृत्ति और बार बार कवरेज पुनः हिंसा और आतंक को जन्म देता हैं. आतंकवादी गिरोहों का सहज रूप से अपनी राजनीतिक मांगों के लिए मंच मिल जाता हैं. परिणामतः इससे आतंकवाद बढ़ता हैं.

आतंकवाद की सफलता- आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य वर्तमान या विधिसंगत शासन को अपदस्थ कर सत्ता हथियाना होता हैं. यह रणनीति मुख्यतः विद्रोही व बलवाई आतंकवादियों द्वारा अपनाई जाती हैं.

यदि हमें आतंकवादियों के सफलता के परिणामों को देख पाते है कि केवल उपनिवेशवादी विरोधी गुटों को पूरी तरह सफलता प्राप्त हो सकी उनमें मुख्य हैं.

20 वीं व 21 वीं शताब्दी के अधिकांश आतंकवादी गुट अपने मंसूबों को पूरा करने में पूरी तरह से असफल रहे हैं. भारत में पंजाब के आतंकी पूरी तरह असफल हुए.

LTTE जैसा दुर्दांत आतंकवादी संगठन श्रीलंका में अन्तः असफल ही हुआ. आईएसआई एस ISIS वोकोहरम, तालिबान, जैश ए मोहम्मद व अन्य मुस्लिम आतंकवादी संगठन अभी तक राजनीतिक रूप से असफल ही रहे हैं.

पूर्व सोवियत संघ के विद्वान् यूरी त्रिफोनाव ने लिखा है कि आतंकवाद का विश्व स्तर पर पतन हुआ हैं. रंगमंच खून से तर बतर और चरित्र म्रत्यु हैं. डेविड फ्रामकिन ने लिखा है कि हिंसा आतंकवाद का प्रारम्भ है इसका परिणाम है इसका अंत.

ब्रेनाजिन किंस ने लिखा है कि आतंकवादी चाहते है कि बहुत सारे लोग देखे और सारे लोग सुने न कि बहुत सारे लोग मरे.

आज भी आतंकवाद विश्व शांति और सुरक्षा के लिए गम्भीर चुनौती बना हुआ हैं. विश्व के समस्त देश जब तक एकजुट होकर इस दैत्य का मुकाबला नहीं करते तब तक यह समस्या समाप्त नहीं होगी.

भारत में भी आतंकवाद आधे से अधिक राज्यों को प्रभावित कर रहा हैं. शासन को आने वाले समय में आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे.

आतंकवाद क्या है?

वर्तमान में विश्व शान्ति के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या हैं, भारत पर अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला कौनसा था.

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आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh) | Essay on Terrorism in Hindi

  • by Rohit Soni
  • Essay , Education

आतंकवाद पर निबंध, Terrorism जो हमारे समाज और देश को हानि पहुंचाने वाली गंभीर समस्या है, इसके प्रभाव और निवारण के बारे में अधिक जानने की इच्छा है तो आप सही जगह पर हैं! हमारे इस निबंध में हम आपको आतंकवाद के परिभाषा, प्रकार, कारण, प्रभाव और निवारण के उपायों के बारे में विस्तार से बताएंगे। यह निबंध आपको आतंकवाद के विषय में गहरी समझ और ज्ञान प्रदान करेगा। तो चलिए, आतंकवाद पर निबंध को पढ़ें और इस जटिल समस्या को समझने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त करें।

Table of Contents

आतंकवाद पर निबंध 150 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh 10 Line)

  • आतंकवाद देश और समाज के लिए एक गंभीर समस्या है।
  • यह हिंसा के माध्यम से दहशत फैलाता है।
  • आतंकवादी हमलों के कारण लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा होता है।
  • आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को हानि पहुंचाता है।
  • यह सामाजिक, आर्थिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।
  • आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना आवश्यक है।
  • जनसंख्या को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करना आवश्यक है।
  • सामरिक सहयोग के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा सकती है।
  • शिक्षा को मजबूत करने और आर्थिक विकास को बढ़ाने से भी आतंकवाद को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • हम सभी को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए और एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज की रचना करनी चाहिए।

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आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay on Terrorism in Hindi)

Essay on Terrorism in Hindi | आतंकवाद पर निबंध 1000 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh)

हमारे समाज में आतंकवाद एक बहुत बड़ी समस्या है। यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इस निबंध में, हम आतंकवाद के महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से देखेंगे और इसके प्रभाव और निवारण पर चर्चा करेंगे।

आतंकवाद का अर्थ

आतंकवाद एक बहुत व्यापक शब्द है जिसे विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है। इसका मतलब होता है एक संगठित तरीके से हिंसा का उपयोग करके नगरीय जीवन को हानि पहुंचाने का प्रयास करना। आतंकवादी संगठन विभिन्न माध्यमों के माध्यम से अपने धार्मिक, राजनीतिक या सामाजिक उद्देश्यों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।

आतंकवाद के प्रकार

आतंकवाद कई प्रकार का हो सकता है। इसमें धार्मिक आतंकवाद, राजनीतिक आतंकवाद और साइबर आतंकवाद शामिल होते हैं।

धार्मिक आतंकवाद: धार्मिक आतंकवाद जब किसी धर्म के नाम पर होता है, तो वह धार्मिक आतंकवाद कहलाता है। इसमें आतंकवादी समुदाय अपने धर्म के नाम पर हिंसा का उपयोग करता है और अपने मकसद को प्राप्त करने की कोशिश करता है।

राजनीतिक आतंकवाद: राजनीतिक आतंकवाद वह होता है जब किसी संगठन या व्यक्ति राजनीतिक मुद्दों के नाम पर हिंसा का प्रयोग करता है। यह मुद्दे राजनीतिक तकराव, असहयोग या न्यायाधीशों या राजनेताओं के खिलाफ विरोध के कारण हो सकते हैं।

साइबर आतंकवाद: साइबर आतंकवाद आधुनिक दुनिया में एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा है। यह आतंकवाद का एक नया रूप है जहां आतंकवादी संगठन इंटरनेट और साइबर स्थानों का उपयोग करके अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।

आतंकवाद के कारण

आतंकवाद के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण कारणों पर चर्चा करेंगे:

सामाजिक आर्थिक असमानता: सामाजिक और आर्थिक असमानता आतंकवाद का मुख्य कारण हो सकती है। जब लोग अपने सामाजिक और आर्थिक हक्क के अभाव को महसूस करते हैं और उन्हें न्याय की अपेक्षा नहीं मिलती है, तब वे आतंकवाद के मार्ग का चुनाव कर सकते हैं।

राजनीतिक संकट: राजनीतिक संकट भी आतंकवाद का प्रमुख कारण हो सकता है। यहां राजनीतिक तकराव, आपसी नफरत और राजनीतिक आपातकाल जैसे मुद्दे आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव: धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव भी आतंकवाद के पीछे एक कारण हो सकते हैं। जब लोग अपने धर्म और संस्कृति के प्रति अपने विचारों को सुरक्षित नहीं महसूस करते हैं और उन्हें दूसरे समुदायों के साथ टकराव होता है, तब आतंकवाद का खतरा बढ़ जाता है।

शिक्षा के अभाव: शिक्षा की कमी भी आतंकवाद के प्रमुख कारणों में से एक है। जब लोगों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिलता है और उन्हें अवसरों की कमी का अहसास होता है, तब वे आतंकवाद की ओर आकृष्ट हो सकते हैं।

आतंकवाद के प्रभाव

आतंकवाद के प्रभाव व्यापक होते हैं और इसकी सीमा विस्तारित होती जा रही है। कुछ महत्वपूर्ण प्रभावों को हम यहां देखेंगे:

मानसिक स्वास्थ्य: आतंकवाद का मुख्य प्रभाव लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर होता है। आतंकवादी हमलों और हिंसा की घटनाओं के कारण, लोगों में भय और चिंता का माहौल पैदा होता है। यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और उन्हें स्थायी रूप से परेशान कर सकता है।

आर्थिक विकास: आतंकवाद का अन्यत्र प्रभाव आर्थिक विकास पर होता है। आतंकवाद के कारण व्यापार और पर्यटन को नुकसान पहुंचता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। यह विकास और प्रगति को रोकता है और गरीबी और असंगठितता को बढ़ावा देता है।

सामाजिक संगठन: आतंकवाद के प्रभाव के तहत सामाजिक संगठनों को भी प्रभावित किया जाता है। यह संगठनों की स्थिति और स्थायित्व पर असर डालता है और सामाजिक समरसता को हानि पहुंचाता है। आतंकवाद की वजह से विभाजन, असहयोग और विरोध की वातावरण उत्पन्न होती है, जो सामाजिक संगठनों को कमजोर करती हैं।

आतंकवाद के नियंत्रण

आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए कठोर और सशक्त कार्रवाई की जरूरत होती है। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण नियंत्रण उपायों पर चर्चा करेंगे:

सुरक्षा बढ़ाना: आतंकवाद को नियंत्रित करने का पहला कदम है सुरक्षा को मजबूत बनाना। लोगों को सुरक्षित महसूस करना चाहिए और उन्हें विश्वास दिलाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को सशक्त करना चाहिए।

जागरूकता फ़ैलाना: आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए जागरूकता फ़ैलाना महत्वपूर्ण है। लोगों को आतंकवाद के बारे में जागरूक करना चाहिए, उन्हें संक्रमित होने से बचाने के लिए उपाय बताने चाहिए और सामरिक सहयोग का आह्वान करना चाहिए।

शिक्षा और व्यापार को सुधारना: आतंकवाद को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है शिक्षा और व्यापार को सुधारना। शिक्षा के अधिकार को सभी तक पहुंचाना चाहिए और व्यापार में सुधार कर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहिए।

आतंकवाद एक गंभीर समस्या है और इसका साम्राज्यवादी विचारधारा, राजनीतिक संकट, धर्मांतरण और संस्कृतिक टकराव, और शिक्षा के अभाव जैसे कारण हो सकते हैं। इसके प्रभाव में मानसिक स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, और सामाजिक संगठन को प्रभावित किया जाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बढ़ाना, जागरूकता फ़ैलाना, और शिक्षा और व्यापार को सुधारना जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।

आतंकवाद पर निबंध 150 शब्दों में (Aatankwad par Nibandh 10 Line)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q: आतंकवाद क्या है.

उत्तर: आतंकवाद एक हिंसात्मक कार्रवाई है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को हानि पहुंचाती है। यह हिंसा के माध्यम से नरक फैलाता है और सामाजिक, आर्थिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।

Q: क्या कारण हैं जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं?

उत्तर: आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कारण विभिन्न हो सकते हैं, जैसे आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक या राजनीतिक टकराव, असहयोग, विरोध और शिक्षा के अभाव।

Q: आतंकवाद का निवारण कैसे संभव है?

उत्तर: आतंकवाद को निवारण करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना, जनसंख्या को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक करना, शिक्षा को सुधारना, और सामरिक सहयोग को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। साथ ही, एकता, सद्भाव, और सामरिकता के संकल्प का अवलंबन करना भी आवश्यक है।

Q: आतंकवाद के प्रभाव क्या होते हैं?

उत्तर: आतंकवाद के प्रभाव में सामाजिक और राजनीतिक संकट, आर्थिक विसंगति, सामाजिक टकराव, और सामाजिक संगठन में विघटन शामिल हो सकते हैं। यह समाज के मानसिक स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, और सामाजिक सुख को प्रभावित करता है।

Q: आतंकवाद से कैसे बचा जा सकता है?

उत्तर: आतंकवाद से बचने के लिए सुरक्षा बढ़ाने, जनसंख्या को जागरूक करने, शिक्षा को सुधारने, सामरिक सहयोग को बढ़ाने और व्यापार में सुधार कर देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के उपाय अपनाए जा सकते हैं।

इस लेख के माध्यम से हमने आतंकवाद के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की है और आतंकवाद को रोकने के लिए उचित कार्रवाई की जरूरत को उजागर किया है। हम सभी को मिलकर सामाजिक सुरक्षा, सौहार्द, और सद्भाव की दिशा में अग्रसर रहना चाहिए ताकि हम सभी एक बेहतर और शांतिपूर्ण दुनिया में रह सकें।

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Deepawali par Nibandh in Hindi | दीपावली क्यों मनाई जाती है निबंध हिंदी में

Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

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दा इंडियन वायर

वैश्विक आतंकवाद पर निबंध

terrorism essay meaning in hindi

By विकास सिंह

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विषय-सूचि

वैश्विक आतंकवाद पर निबंध, global terrorism essay in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

आज एक दिन एक दुसरे देशों से इस प्रकार जुडा हुआ है की यदि एक देश में कुछ होता है तो इससे दुसरे देशो पर भी असर देखने को मिलता है। आतंकवाद के मामले में यह और भी प्रभावी होता है। आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है।

वैश्विक आतंकवाद (global terrorism)

11 सितंबर के हमलों के बाद से दुनिया काफी बदल गई है। सुरक्षा चिंता का सबब बन गई है। साधारण नागरिकों को अब व्यावसायिक यात्राओं या कारकों के इर्द-गिर्द छुट्टियों की योजना बनानी होती है जैसे कि गंतव्य सुरक्षित है या नहीं, सुरक्षा जांच के लिए कौन से मार्ग कम से कम खतरे में हैं और कारक को कितना समय देते हैं।

इसके अलावा, लोग अब अपने ही देशों में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं क्योंकि आतंकवादी हमले उन देशों में हुए हैं जिन्हें सुरक्षित माना जाता था और विभिन्न स्थानों जैसे मॉल, पब और यहां तक ​​कि पूरी तरह से सुरक्षित जगह हैं।

विश्व स्तर पर आतंकवाद के प्रभाव:

आतंकवाद का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक प्रभाव भी है। आतंकवादी इमारतों और क्षेत्रों को लक्षित करते हैं जो महत्वपूर्ण रूप से वित्तीय या दृश्यता या दोनों के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। वे निर्माण, मशीनों, पौधों के परिवहन और अन्य आर्थिक संसाधनों को नष्ट कर देते हैं जो पुनर्निर्माण में हजारों और अरबों डॉलर के बीच कहीं भी खर्च कर सकते हैं। इसके अलावा, शेयर बाजार, व्यापार, बीमा और पर्यटन भी आतंकवादी हमलों के कारण गंभीर झटके लेते हैं।

आतंकवाद ने भी राष्ट्रवाद के उदय और विदेशी व्यवसायों और संस्कृतियों और आप्रवासियों और शरणार्थियों के संदेह को बढ़ाया है। दुनिया भर में पूर्वाग्रह बढ़ रहा है और देश अप्रवासियों के लिए अपनी सीमाओं को बंद कर रहे हैं, इस प्रकार आर्थिक लेनदेन की विविधता और आकार को कम कर रहे हैं।

इसके साथ ही राजनीतिक नतीजे भी हैं। ब्रेक्सिट और राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प का चुनाव उन लोगों की बढ़ती द्वीपीय और राष्ट्रवादी सोच को दर्शाता है जो विदेशियों के लिए बहुत संदिग्ध हो गए हैं और अपने पूर्वाग्रहों को हर किसी को देखने के लिए बाहर जाने दे रहे हैं।

निष्कर्ष:

आतंकवादी निश्चित रूप से संचार के आधुनिक तरीकों के माध्यम से अपने राजनीतिक और धार्मिक एजेंडा पर ध्यान देने में सफल हुए हैं। हालांकि, इसके परिणाम बहुत अधिक व्यापक हैं और लंबे समय तक चलने वाले अनुमानों की तुलना में लंबे समय तक चलने वाले हैं। दुनिया विभाजित है और देश खुद को बंद कर रहे हैं। जब तक प्रतिक्रियावादी नीतियां जारी रहती हैं, तब तक पर्याप्त तबाही होगी कि आतंकवादी अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए लाभ उठा सकते हैं।

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आतंकवाद एक वैश्विक समस्या पर निबंध, global terrorism essay in hindi (350 शब्द)

11 सितंबर के हमलों ने सबसे पहले इस खतरे को सामने लाया कि आतंकवादी गतिविधियां दुनिया के लगभग हर हिस्से में हैं। इन हमलों से पहले, आतंकवाद को मध्य पूर्व तक सीमित माना जाता था। हालांकि, हमलों ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की भेद्यता को उजागर किया और बाद के हमलों ने केवल इस कमजोरी को कम किया है।

आतंक के विरुद्ध लड़ाई:

11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य पहल शुरू की गई थी। इस पहल को आतंक पर युद्ध कहा गया। राष्ट्रपति बुश के अनुसार, यह आतंकवादियों के कट्टरपंथी नेटवर्क के साथ-साथ उन सरकारों पर लक्षित था, जिन्होंने उनका समर्थन किया था।

इसके लिए, इराक और अफगानिस्तान में अमेरिका और संबद्ध सैनिकों को तैनात किया गया था, दोनों को आतंकवादी कोशिकाओं और नेताओं का घर माना जाता था। आखिरकार, ओबामा प्रशासन ने औपचारिक रूप से युद्ध को समाप्त कर दिया और अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की घोषणा की।

ओसामा बिन लादेन को कथित तौर पर यूएस नेवी सील्स द्वारा मार दिया गया था और अल-कायदा को खतरा नहीं माना गया था जो कि एक बार हुआ करता था। हालांकि, 2014 में ISIS या ISIL (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट) का उदय हुआ। जिहादी संगठन को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी समूह करार दिया था। इसने ऑपरेशन इनहेरेंट रिज़ॉल्यूशन नामक एक नए ऑपरेशन का गठन किया, जो दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में आतंक को लक्षित करेगा।

संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने आतंकवाद के खिलाफ अपने उपायों की घोषणा की है, जिसमें चरमपंथी कारणों के प्रति सहानुभूति रखने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंध भी शामिल हैं। यूरोपीय संघ ने भी कट्टरपंथीकरण के कारणों की पहचान करने और इसका मुकाबला करने, सीमाओं को सुरक्षित करने और परिवहन पर सुरक्षा बढ़ाने, आतंकवादियों के लिए समर्थन और संचार के स्रोतों की पहचान करने और उन्हें काटने और आतंकवादी हमले के बाद संकट प्रबंधन पर काम करने के लिए निर्धारित किया। जितना संभव हो हताहतों को कम करें।

आतंकवाद पौराणिक हाइड्रा के बराबर प्रतीत होता है; अगर एक का सिर काट दिया जाए; दो और इसकी जन्मते हैं। आतंकवाद से लड़ना शब्द के सामान्य अर्थों में युद्ध नहीं है। आतंकवाद एक संगठन नहीं है, क्योंकि यह एक रणनीति है। इसके साथ लड़ना भी कठिन है क्योंकि इसमें कोई एक इंसान या एक संगठन नहीं है बल्कि सैकड़ों संगठन हैं जो समय के साथ अपने आप को जनता के सामने लाते हैं और आतंकी गतिविधि करके गुम हो जाते हैं।

वैश्विक आतंकवाद पर निबंध, world terrorism essay in hindi (400 शब्द)

भारत पिछले कुछ दशकों में तेजी से विकासशील विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है। इसने इसे विश्वास आधारित आतंकवाद के लिए विशेष रूप से कश्मीर राज्य पर पाकिस्तान के साथ विवादों से संबंधित एक लक्ष्य बनाया है। गृह मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि आतंकवाद भारतीय लोगों के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। देश में आतंकवाद के अन्य रूप भी प्रचलित हैं, जिनमें एथनो-नेशनलिस्ट, नार्को और लेफ्ट विंग आतंकवाद शामिल हैं।

भारत में वैश्विक आतंकवादी हमलों का कालक्रम:

  • 11 सितंबर, 2001 से बहुत पहले दुनिया ने आतंकवाद के खतरों पर ध्यान आकर्षित किया, भारत ने पहले ही कई आतंकवादी हमलों का सामना किया था, जिनमें से सबसे पहले बीएसई या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में बम विस्फोट हुए थे।
  • 13 बम विस्फोटों में 257 लोग मारे गए और 1400 अन्य घायल हो गए। वे दुनिया में कहीं भी सिलसिलेवार बम विस्फोटों का पहला उदाहरण होने का संदिग्ध भेद रखते हैं।
  • इसके बाद, कई अन्य हमले हुए। 25 अगस्त, 2003 को एक उल्लेखनीय घटना हुई, जब दो सूटकेस बम बंद हुए – एक गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास और एक ज़वेरी बाज़ार के पास – 52 लोगों की मौत और सौ से अधिक लोग घायल।
  • सबसे बदनाम और घातक हमला 26 नवंबर, 2008 को हुआ और पूरे तीन दिनों तक चला। इस दौरान लश्कर-ए-तैयबा या लश्कर के 10 आतंकवादियों ने समन्वित हमले किए जिसमें बमबारी के साथ-साथ गोलीबारी भी हुई। वे 164 लोगों को मार गए और 308 को घायल कर दिया।

वैश्विक आतंकवाद पर भारत की नीति (india sets global narratives on terrorism)

भारतीय खुफिया जानकारी के अनुसार, इन हमलों में शामिल आतंकवादी या तो पाकिस्तान में संचालकों द्वारा प्रशिक्षित थे या अल-कायदा जैसे समूहों द्वारा प्रशिक्षित थे। इन एजेंसियों ने यह भी निर्धारित किया कि पाकिस्तान की आईएसआई इन समूहों का समर्थन कर रही है।

इस और अतिरिक्त खुफिया जानकारी के आधार पर, भारत पाकिस्तान को एक आतंकवादी राज्य के रूप में वर्गीकृत करने की कोशिश कर रहा है। हालाँकि, इन प्रयासों को केवल कुछ सफलता मिली है। पाकिस्तान को चीन के संरक्षण में मज़ा आता है, जो खुद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है और उसके पास एक वीटो है।

इसके अलावा, अमेरिका और यूके जैसे देशों ने इन हमलों को भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के परिणामों के रूप में रेखांकित करने के बजाय उन्हें आतंकवादी हमलों के रूप में वर्गीकृत करने की कोशिश की है जो वे हैं।

भारत पाकिस्तान को एक आतंकवादी राज्य के रूप में मान्यता देने के लिए वैश्विक आक्रोश का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है। इस प्रयास में, इसमें बहुत सफलता नहीं मिली। भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में नैतिक आक्रोश को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन चीन, पाकिस्तान जैसे संरक्षक के साथ फिलहाल काफी सुरक्षित है।

अब तक, भारत के इस खतरे से निपटने के तरीके अहिंसक रहे हैं। हालाँकि, यह भारत पर वैश्विक आतंकवाद के हमलों की समस्या के अधिक सैन्य समाधान का समय हो सकता है।

वैश्विक आतंकवाद पर निबंध, world terrorism essay in hindi (450 शब्द)

विश्व स्तर पर सुर्खियों में प्रमुख विषय होने के बावजूद, आतंकवाद की एक परिभाषा नहीं है जो सार्वभौमिक रूप से सहमत है। सामान्य शब्दों में, किसी विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धमकियों या हिंसा के उपयोग को आतंकवाद कहा जाता है। आतंकवाद का गठन करने वाली कानूनी परिभाषाएँ देश से अलग-अलग होती हैं। पिछली सदी में, दुनिया भर में आतंकवाद के कृत्य बढ़े हैं। हालांकि, आतंकवाद अपने आप में कोई नई घटना नहीं है।

आतंकवाद का इतिहास:

आतंकवाद मानव इतिहास में लंबे समय से मौजूद है। कुछ शुरुआती उदाहरण यहूदी सिसिली हैं जो मध्य पूर्व में रोमन शासन को उखाड़ फेंकना चाहते थे। उनका मानना ​​था कि यहूदियों को अन्य लोगों द्वारा शासित नहीं किया जा सकता है और उन्हें केवल भगवान द्वारा शासित किया जाना चाहिए।

अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए, उन्होंने रोमन साम्राज्य के यहूदी सहानुभूतिवादियों को निशाना बनाया। एक अन्य उदाहरण गाय फॉक्स है जिसने इंग्लैंड पर कैथोलिक सम्राट को स्थापित करने के लिए एक आतंकवादी साजिश रची। फ्रांस में, गणतंत्र की स्थापना आतंक के शासनकाल के बाद हुई, एक ऐसी अवधि, जिसके दौरान राज्य प्रायोजित आतंकवादी बड़प्पन के खिलाफ काम करता है और कोई भी उनका समर्थन करने के लिए समझा जाता है।

20 वीं और 21 वीं सदी:

आतंकवाद का आधुनिक संस्करण, जिसे हम सबसे अधिक परिचित हैं, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद प्रदान किया गया था। राष्ट्रवादी आंदोलनों ने उन सभी क्षेत्रों में फैलाना शुरू कर दिया जो यूरोपीय साम्राज्यों के औपनिवेशिक चौकी थे। एक अच्छी तरह से जुड़े दुनिया की बदौलत, ये आंदोलन अंतर्राष्ट्रीय नीति पर अपने कारणों और व्यायाम प्रभाव पर ध्यान देने में सक्षम थे।

दुनिया के अन्य हिस्सों में लोगों को स्थानीय मुद्दों को वैश्विक ध्यान में लाने के लिए इस रणनीति को अपनाने की जल्दी थी और आधुनिक आतंकवाद का जन्म हुआ। आतंकवाद का यह संस्करण संयुक्त राज्य अमेरिका में ट्विन ट्रेड टावर्स और पेंटागन पर 11 सितंबर के हमलों में अपने शीर्ष पर पहुंच गया।

जानमाल का नुकसान चौंका देने वाला था – कुछ ही मिनटों के दौरान लगभग 3000 लोग मारे गए और 6000 से अधिक घायल हुए। इसने वैश्विक रूप से आतंकवाद पर ध्यान केंद्रित किया और आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का कारण बन गया जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों को इराक और अफगानिस्तान में पहुंचा दिया।

आतंकवाद आधुनिक समय की बहुत वास्तविकता है और एक आतंकवादी हमले का मात्र खतरा सामान्य आबादी के बीच दहशत और भय पैदा करने के लिए पर्याप्त है। इस तथ्य से भी इनकार नहीं है कि वैश्विक आतंकवाद ने नीतिगत निर्णयों को काफी हद तक प्रभावित किया है।

इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के अंतर्संबंध ने आतंकवादी संगठनों को अपना एजेंडा फैलाने और अधिक लोगों की भर्ती करने का वैश्विक मंच दिया है। उनसे लड़ना अब केवल सैन्य हमलों की बात नहीं है; उनकी कट्टरपंथी विचारधारा को नापसंद करना आवश्यक है – एक ऐसा काम जो किसी भी तरह से आसान नहीं होगा।

वैश्विक आतंकवाद पर निबंध, global terrorism essay in hindi (500 शब्द)

जबकि आतंकवाद अपने आप में कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसका वैश्विक अवतार निश्चित रूप से कुछ ऐसा है जो पिछले कुछ दशकों में पैदा हुआ है। दुनिया अब कितनी जुड़ी हुई है, इसकी बदौलत दुनिया भर में खबरें कुछ ही सेकंड में पहुंच जाती हैं और पहले की तुलना में अरबों तक पहुंच जाती है।

इसने आतंकवादियों के लिए एक उपजाऊ जमीन बनाई है, जो मुख्य रूप से नागरिकों और गैर-लड़ाकों पर निर्देशित हिंसक कृत्यों में संलग्न होकर उनके कारणों पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करते हैं। इसके अलावा, ये कृत्य उन स्थानों पर होते हैं जिन्हें सबसे लंबे समय तक सुरक्षित माना जाता रहा है।

मानवता के लिए खतरा:

आतंकवाद शब्द संकेत देता है कि आतंकवादी रणनीति का उपयोग करने वाले चरमपंथी हर जगह लोगों के दिलों में डर पैदा करना चाहते हैं। अब तक, यह चिलिंग टैक्टिक काम कर चुका है। क्योंकि लक्ष्य नागरिक हैं और उन्हें उन जगहों पर लक्षित किया जाता है जहां वे आदर्श रूप से सुरक्षित रहेंगे जैसे कि स्कूल, मॉल, खरीदारी , पब, नाइटक्लब, चर्च और मस्जिद, इन रणनीति के परिणाम घातक होते हैं। अतः आतंकवादी यहीं अधिकतर अकामों को अंजाम देते हैं।

इसके अलावा, मीडिया ऐसी कहानियों पर तुरंत कूद जाता है क्योंकि वे यह महसूस किए बिना बेहतर रेटिंग उत्पन्न करते हैं कि वे आतंकवादियों को सटीक कुख्याति देना चाहते हैं। आतंकवाद कोई संगठन नहीं है; यह एक रणनीति है जिसका उपयोग विभिन्न संगठन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए करते हैं। इसका मतलब यह है कि आतंकवाद पर हमला करना असंभव नहीं तो मुश्किल है।

तात्कालिक परिणाम आतंक और क्रोध है। आतंकी हमले के लिए सरकारों से लेकर विदेशियों तक सभी को दोषी ठहराया जाता है। हालांकि, आतंकवाद के दीर्घकालिक प्रभाव बहुत अधिक कपटी हैं। आतंकवादी हमले सार्वजनिक मनोबल को प्रभावित करते हैं और भय का वातावरण उत्पन्न करते हैं।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस तरह के हमले विभिन्न क्षेत्रों, जातीयता और धर्मों के लोगों के बीच विभाजन पैदा करते हैं। इस खतरे से लड़ने के लिए एक साथ आने के बजाय, लोग एक-दूसरे पर शक करते हैं और खुद को बंद कर लेते हैं। राष्ट्रवाद अपने बदसूरत सिर को उठाना शुरू कर देता है जैसे कि पूर्वाग्रह और नस्लवाद। कुछ लोगों के कार्यों से कई शांत हो जाते हैं।

आतंकवाद कोई एकमुश्त युद्ध नहीं है, चाहे चरमपंथी इसे क्यों न कहें। यह एक युद्ध है; एक हमला यहां और दूसरा हमला वहां और तीसरा हमला कहीं और। हर बार भय और संदेह बढ़ता है और जो लोग पहले एकजुट हो गए थे, वे विभाजित हो जाते हैं।

आतंकवादी हमलों में मारे गए या घायल हुए लोगों में से केवल आतंकवाद ही नहीं होता; समग्र रूप से मानवता एक दुर्घटना बन जाती है। इससे सैकड़ों लोग घायल होते हैं और साथ ही सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर मिलती है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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आतंकवाद पर निबंध

आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Terrorism in Hindi)

#1. [500-600 word] आतंकवाद पर निबंध-Essay On Terrorism In Hindi

आतंकवाद एक ऐसी समस्या जिसने न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को अपने लपेटे में ले रखा है जब हम बात अपने भारत की करते हैं तो हम पाते हैं कि आतंकवाद से हमारा देश बुरी तरह से प्रभावित है पिछले कई वर्षो में हुए भारत में आतंकवादी हमलों ने देश में रह रहे नागरिकों को झकझोर के रख दिया वह फिर चाहे 26/11 का आतंकवादी हमला हो या दिल्ली के बम धमाके हो या पुलवामा का आतंकवादी हमला, इन हम लोगों ने कयोंकि घर बर्बाद किए हैं किसी के हाथों की कलाई सुनी हो गई तो किसी के घर का चिराग बुझ गया, जब कभी भी मैं इन बेबस लोगों की कहानी सुनती हूं तो स्वयं पर इतना गुस्सा आता है कि हम क्या इन चंद लोगों के सामने इतना बेबस हो जाते हैं तब यही ख्याल आता है कि 70 वर्ष पूर्व की गई एक गलती का परिणाम हम सबको अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। हालांकि वर्तमान केंद्र सरकार ने इस तरफ बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया धारा 370 कश्मीर से हटाकर अब कश्मीर केंद्र शासित राज्य बन गया है शायद इससे आतंकवाद को काफी हद तक रोका जा सकेगा।

यदि हम आतंकवाद पर चर्चा करें तो इसे एक धर्म विशेष से जोड़कर देखा जाता है जो मेरे हिसाब से बिल्कुल गलत है मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता गीता, कुरान शरीफ, बाइबल एवं गुरु ग्रंथ साहिब जैसे महान ग्रंथ है जो सिर्फ और सिर्फ प्रेम की ही शिक्षा देते हैं इसलिए यह कहना कि किसी धर्म विशेष में इसे सही माना गया है गलत है यह धर्म के कुछ ठेकेदार हैं जो गरीब और मासूम जनता को भड़का के आपस में लड़ा देते हैं और स्वयं उसका फायदा उठाते हैं यदि आप किसी भी व्यक्ति को यह बता दीजिए कि उसकी मृत्यु 4 दिन बाद हो जाएगी तो भय के कारण वह 4 दिन से पहले ही मर जाएगा परंतु इन आतंकियों को पता होता है कि यदि वह किसी मिशन पर जा रहे हैं तो बचके नहीं आ पाएंगे फिर भी पूरे जोश के साथ अपना मिशन पूरा करते हैं इसके पीछे बेहद प्रभावशाली विचार होते हैं जो उन्हें अपना कार्य पूरा करने के लिए प्रेरित करते हैं सबसे पहले ऐसे विचारों को खत्म करने की आवश्यकता है।

आज के समय में भारत जितनी बाहरी आतंकवाद से प्रभावित नहीं है उतना आंतरिक आतंकवाद से प्रभावित है आंतरिक आतंकवाद से मेरा मतलब हमारे बीच के ही चंद लोग जो अपने विचारों के माध्यम से कहीं ना कहीं आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

खैर सरकार जो कर रही है आतंकवाद की समस्या से लड़ने के लिए वह अत्यंत ही सराहनीय है परंतु एक देश के नागरिक होने के नाते हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हमें राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए ऐसे जयचंदो को भारत से निकाल फेंकना होगा मैंने जयचंद का नाम इसलिए लिया कि यदि जयचंद ने गद्दारी नहीं की होती तो पृथ्वीराज चौहान जैसे पराक्रमी राजा को हराना आसान न था भारत का इतिहास हमेशा से इस बात का प्रमाण देता आया है कि जब जब भारत गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा है तब तक उसका कारण हमारे स्वयं के देश के जयचंद ही रहे हैं।

मेरा ऐसा मानना है कि आतंकवाद एक नकारात्मक विचारधारा है जिसको खत्म करने के लिए विचारों का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है और सबसे बड़ी बात सही और गलत का बोध होना और यह कार्य करेगा कौन हम सब मिलकर इस समय मुझे विवेकानंद के वह वाक्य याद आते हैं कि उठो जागो और तब तक लड़ों जब तक सफलता ना मिल जाए आज यदि हम आतंकवाद को समाप्त करना चाहते हैं तो हर एक के अंदर एक नए स्वामी विवेकानंद या एक नई विचारधारा का उदय होना आवश्यक है तब शायद हम काफी हद तक आतंकवाद को खत्म कर सके।

जागृति अस्थाना लेखक

Essay on aatankwad in hindi

#2. [long Essay 1000+ words] आतंकवाद पर निबंध- Long Paragraph on aatankwad in hindi Essay

मानव-मन में विद्यमान भय प्रायः उसे निष्क्रिय और पलायनवादी बना देता है। इसी भय का सहारा लेकर समाज का व्यवस्था-विरोधी वर्ग अपने दूषित और नीच स्वार्थों की सिद्धि के लिए समाज में आतंक फैलाने का प्रयास करता है। स्वार्थसिद्धि के लिए यह वर्ग हिंसापूर्ण साधनों का प्रयोग करने से भी नहीं चूकता है। इसी स्थिति में आतंकवाद का जन्म होता है।

आतंकवाद से तात्पर्य-आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है, जो राजनीतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बल या अस्त्र-शस्त्र में विश्वास रखती है। अस्त्र-शस्त्रों का ऐसा घृणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग, दल, समुदाय या संप्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से किया जाता है। अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए आतंकवादी गैर-कानूनी ढंग से या हिंसा से सरकार को गिराने तथा शासनतंत्र पर अपना अधिकार करने का प्रयास भी करते हैं।

विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद-आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में है। सारे संसार में राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए सार्वजनिक हिंसा और हत्याओं का रास्ता अपनाया जा रहा है। संसार के भौतिक दृष्टि से संपन्न देशों में आतंकवाद की यह प्रवृत्ति और ज्यादा पनप रही है। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉन.एफ. कैनेडी और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या, अमेरिका के हवाई जहाज में बम विस्फोट, भारत के हवाई जहाज का पाकिस्तान में अपहरण, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की हत्या, काश्मीर, असम और अन्य प्रांतों में भी सम्मानित व्यक्तियों का अपहरण तथा हत्या आदि की घटनाएँ ऐसे ही अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के उदाहरण हैं।

भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ-कुछ वर्ष पहले लालडेंगा ने स्वार्थसिद्धि के लिए सम.एन.एफ. की स्थापना की। यह दल विद्रोही बन गया और आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित हो गया। इसने बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों को अपना निशाना बनाया। इसने इतना आतंक  फैलाया कि बहुत से अधिकारियों ने सेवा से त्यागपत्र ही दे दिया। बंगाल के नक्सलवादियों ने अनेक प्रकार के हिंसात्मक कार्य किए और महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया। भारत के भूतपूर्व न्यायाधीश श्री ए.एन.राय 10 मार्च सन् 1975 को बाल-बाल बचे। तत्कालीन रेलवे मंत्री श्री ललितनारायण मिश्र की भाषण देते समय हत्या कर दी गई। पं. दीनदयाल उपाध्याय को रेलयात्रा के बीच मार दिया गया।

पंजाब में पाकिस्तान से प्रशिक्षण लेकर आए आतंकवादियों ने सुव्यस्थित रूप से अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। ये धार्मिक स्थलों को अपने अड्डे के रूप में प्रयोग करते रहे। आतंकवादियों ने अपनी एक पूरी सेना तैयार कर ली। इन्हीं आतंकवादियों ने श्रीमती इंदिरा गांधी और श्री लोंगोवाल की हत्या की। इंडियन एयरलाइंस का एक जहाज गिरा दिया गया, जिसमें सभी 329 यात्री जीवन से हाथ धो बैठे। भूतपूर्व सेनाध्यक्ष श्रीधर वैद्य की 10 अगस्त 1986 को पूना में हत्या कर दी गई।

राजनीतिक हत्याओं के क्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं की हत्या तो एक सिलसिला बन चुका है। पंजाब केसरी के संपादक लाला जगतनारायण एवं श्री रमेशचंद्र की हत्या भी आतंकवादियों के स्वार्थी क्रोध का ही परिणाम है। पंजाब गत अनेक वर्षों से आतंकवाद की ज्वाला में धधकता रहा। बैंकों को लूटा जाता रहा, घरों में आग लगाई जाती रही, निर्दोष लोगों की हत्याएँ की गईं, कितने ही व्यक्ति अपने घर, खेत, कारखाने छोड़कर भाग खड़े हुए।

आतंकवाद की ज्वाला से पंजाब तो जल ही रहा था, आतंकवादियों ने इस जहर को अन्य प्रांतों में भी फैलाना शुरू कर दिया। राजधानी में भी उन्होंने अपनी स्थिति जताई और दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में आयोजित जन्मदिवस समारोह में 14 बेकसूर लोगों की हत्या कर दी। अनेक स्थलों पर बम विस्फोट हुए। खिलौनों, ट्रांजिस्टरों, ब्रीफकेसों तथा टार्च आदि के रूप में आतंकवादी विस्फोटक पदार्थ अनेक स्थानों पर छोड़ गए। पंजाब और दिल्ली के अतिरिक्त . यह आग उत्तर प्रदेश के तराई वाले क्षेत्र में भी फैल गई। पीलीभीत और कोटद्वार के हत्याकांड इसके उदाहरण हैं। परिणामस्वरूप कितने ही अनजान लोगों की जानें चली गईं।

यह घृणित सिलसिला अब भी जारी है। इस बीच पाकिस्तान में प्रशिक्षित और पथभ्रष्ट कश्मीरी नवयुवकों ने कश्मीर की सुकोमल घाटी को अपनी आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बनाया हुआ है। 1990 के प्रारंभ में इन आतंकवादियों ने कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मुशीर-उल-हक और एच.एम.टी. के जनरल मैनेजर श्री एम.एल. खेड़ा का अपहरण करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया। भारत-विरोधी कतिपय देश इन आतंकवादी गतिविधियों में अनेक प्रकार की सहायता कर रहे हैं-धन से, हथियारों से तथा आतंकवादियों को प्रशिक्षित करके निश्चय ही उनका उद्देश्य भारत को तोड़ना और उसकी उन्नति तथा प्रगति में बाधा उपस्थित करना है।

21 मई को तमिलनाडु ने श्रीपेरुंबुदूर में श्री राजीव गांधी की हत्या से यह सिद्ध हो गया है कि आतंकवादी गतिविधियाँ पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक संपूर्ण भारतवर्ष में फैल चुकी हैं। । आतंकवाद के विविध रूप-आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य है सर्वसाधारण में डर और आतंक फैलाना, ताकि कोई व्यक्ति आतंकवादियों के विरुद्ध गवाही न दे सके और वे निर्भीक भाव से अपनी घृणित गतिविधियाँ जारी रख सकें; अंत: आतंकवादी अनेक प्रकार से आतंक फैलाने का प्रयास करते हैं-राजनीतिज्ञों की हत्या, राजदूतों का अपहरण, निर्दोष लोगों को बंदी बनाकर सरकार के सामने अपनी उचित-अनुचित माँगें रखना, हवाई जहाजों का अपहरण, भीड़ भरे स्थानों पर बम विस्फोट, रेलवे लाइनों की फिश प्लेंटे हटना, ताकि बड़ी रेल दुर्घटनाएँ हो सकें, कुएँ आदि के पानी में विष का मिश्रण, बैंक डकैतियाँ आदि अनेक कार्य हैं, जो आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित हैं।

आतंकवाद के उद्देश्य-उद्देश्य की दृष्टि से आतंकवादी गतिविधियों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है

(क) धनात्मक, (ख) ऋणात्मक।

(क) धनात्मक आतंकवाद -धनात्मक आतंकवाद वह है, जिसके उद्देश्य अपवित्र नहीं हैं। विदेशी सत्ता से अपने देश को स्वतंत्र कराने के लिए की जाने वाली आतंकवादी गतिविधियाँ इसी प्रकार की हैं। भारत के क्रांतिकारी, उत्तर आयरलैंड, फिलिस्तीन, दक्षिण अफ्रीका आदि के आतंकवादी इसी श्रेणी में रखे जा सकते हैं। किंतु हम अच्छे उद्देश्य के लिए भी आतंकवादी उपायों को अपनाने का अनुमोदन नहीं करते। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि अच्छे उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अच्छे ही साधन अपनाए जाने चाहिए। शांतिमय और अहिंसक साधन ही स्थायी उपलब्धियों की ओर ले जाते हैं।

(ख) ऋणात्मक आतंकवाद -ऋणात्मक आतंकवाद वह है, जिसमें किसी देश अथवा जाति का कोई असंतुष्ट गुट देश से अलग होने, अलग राज्य स्थापित करने की माँग मनवाने के लिए पूरे देश और समाज को आतंकित करता है। पंजाब का आतंकवाद इसी श्रेणी में आता है, जिसने देश के बाहर भी अपने पंजे फैलाए।

आतंकवाद का समाधान-आतंकवाद का स्वरूप या उद्देश्य कोई भी हो, उसका भौगोलिक क्षेत्र कितना ही सीमित या विस्तृत क्यों न हो, इसने जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है। आतंकवाद मानव-जाति के लिए कलंक है, इसलिए इसको शक्ति के साथ दबा दिया जाना चाहिए।

भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों को बड़ी गंभीरता से लिया है और इनको मिटाने के लिए दृढ़ कदम उठाए हैं। भारत की संसद ने आतंकवाद-विरोधी विधेयक पारित कर दिया है, जिसमें आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्तियों को कठोर-से-कठोर दंड देने का प्रावधान किया गया है।

हमारे राष्ट्रनेताओं का मत है कि हिंसा और आतंकवाद के द्वारा किसी समस्या को हल नहीं किया जा सकता। यदि कोई समस्या है भी तो उसे पारस्परिक विचार-विमर्श से हल करना चाहिए। इसके लिए निर्दोष लोगों की हत्या करने का कोई औचित्य नहीं है। आतंकवाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैनिक. दोनों स्तरों पर किया जाना चाहिए। जिन लोगों को पीडा हई, किसी भी कारण जिनके परिवार अथवा संपत्ति को नुकसान हुआ है, संबंधियों और रिश्तेदारों की मृत्यु हुई है, उन्हें भरपूर मानसिक समर्थन दिया जाना चाहिए, ताकि घाव हरे न रहें और वे मानसिक पीड़ा के बोझ को न सह सकने के कारण आतंकवादी न बन जाएँ।

सरकार को सदैव हठ का रवैया नहीं अपनाना चाहिए। किसी वर्ग तथा समुदाय की उचित माँगों को अविलंब स्वीकार कर लेना चाहिए। किसी भी बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना शासन के लिए उचित नहीं हो सकता। कई बार शासन को कठोर कदम भी उठाने पड़ते हैं। आवश्यकता होने पर इस प्रकार के कदम उठाने से डरना उचित नहीं होता। इसके लिए गुप्तचर एजेंसियों को सशक्त करने की आवश्यकता है, ताकि आतंकवादी गतिविधियों के आरंभ होने से पहले ही उन्हें कुचल दिया जाए। कानून और व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए।

आतंकवादियों को पकड़ने तथा उनको दंडित करने के आधुनिक साधनों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए जनता को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है, ताकि आतंकवाद से लड़ने में वह भय का अनुभव न करे। आतंकवाद से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किया जाना चाहिए। अनेक देशों के राजनेताओं ने आतंकवाद की भर्त्सना की है। आवश्यकता इस बात की है कि सभी देश एक मत से आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ निश्चय करें। विश्व की सभी सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के विरुद्ध पारस्परिक सहयोग करना चाहिए ताकि कोई भी आतंकवादी गुट किसी दूसरे देश में शरण या प्रशिक्षण न पा सके।

आज विश्व के अधिकांश देश आतंकवाद को समाप्त करने के लिए सजग हो उठे हैं, किंतु दुर्भाग्य से अब भी कई ऐसे देश हैं, जो आतंकवादियों की मुक्तस्थली बने हुए हैं। निश्चय ही इस प्रकार के देशों की निंदा की जानी चाहिए। आतंकवाद के विरुद्ध त्वरित तथा प्रभावी कार्यवाही की आवश्यकता है, ताकि जनसाधारण में व्याप्त भय और अनिश्चितता की भावना को समाप्त किया जा सके और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सके।

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आतंकवाद : एक विकराल समस्या

‘आतंकवाद’ शब्द की उत्पत्ति फ्राँसीसी क्रांति के दौरान उस समय हुई थी, जब वर्ष 1793-94 के दौरान वहाँ आतंक का राज स्थापित हुआ था। लेकिन मूल रूप से इसका आरंभ विश्व भर में 1950 के दशक में हुए वामपंथ के उत्थान के बाद से देखा जा सकता है। इसकी जद में यूरोप सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी और भारत जैसे अनेक देश आए। भारत में नक्सलवाद और माओवाद के रूप में आतंकवाद का स्वरूप काफी लंबे अरसे से उपस्थित रहा है। वर्तमान में तो भारत में धार्मिक आतंकवाद का असर कहीं ज्यादा देखने को मिल रहा है।

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आतंकवाद की परिभाषा

यूं तो आतंकवाद की कोई सीधी सटीक परिभाषा देना संभव नहीं है, लेकिन फिर भी अनेक संस्थाओं और कानूनों के माध्यम से आतंकवाद को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है। उनमें से कुछ संस्थाओं व कानूनों के तहत दी गई आतंकवाद की परिभाषा निम्नानुसार है-

  • वर्ष 2005 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकवाद को परिभाषित करते हुए कहा था कि “लोगों को भयभीत करने या सरकार या किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन को कोई कार्य करने अथवा नहीं करने के लिए विवश किए जाने के उद्देश्य से नागरिकों या निहत्थे लोगों को मारने या गंभीर शारीरिक क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया कृत्य आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाएगा।”
  • भारतीय संसद ने वर्ष 1987 में ‘आतंकवादी और विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ पारित किया था। इसके तहत आतंकवाद को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि “जो कोई भी कानून द्वारा स्थापित सरकार को डराने या लोगों या लोगों के किसी समूह को आतंकित करने या उन्हें मारने या विभिन्न समूहों के मध्य सौहार्द को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के उद्देश्य से बम, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थ या ज्वलनशील पदार्थ या घातक हथियारों या ज़हर या हानिकारक गैसों या अन्य रसायनों या खतरनाक प्रकृति के अन्य किसी पदार्थ (जैविक या अन्य) का इस तरह से प्रयोग करते हुए कोई कार्य करता है, जिससे व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु हो या उन्हें कोई चोट पहुँचे या संपत्ति की हानि या विनाश हो या समुदाय के जीवन के लिये अनिवार्य आपूर्तियाँ अथवा सेवाओं में बाधा पहुँचे अथवा किसी व्यक्ति बाधित हो या सरकार या किसी अन्य व्यक्ति को कोई कार्य करने से अलग रहने के लिये विवश करने हेतु लोगों को मारने या घायल करने की धमकी देता है, उसका कृत्य आतंकवादी कार्य माना जायेगा।”
  • वर्ष 2002 में पारित ‘आतंकवाद निवारण अधिनियम’ (POTA) के अंतर्गत आतंकवाद के वित्तीयन को भी आतंकवादी कृत्य माना गया है।

आतंकवाद के प्रकार

आतंकवाद को मुख्यतः निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है-

1. नृजातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद :

डेनियल बाइमैन के अनुसार, अपने उद्देश्य प्राप्ति हेतु किसी उप-राष्ट्रीय नृजातीय समूह द्वारा जान बूझकर की गई हिंसा ‘नृजातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद’ कहलाता है। ऐसी हिंसा पृथक राज्य के गठन या किसी नृजातीय समूह की अपेक्षा अपना स्तर सुधारने के लिये की जाती है। जैसे- श्रीलंकाई तमिल राष्ट्रवादी समूह, पूर्वोत्तर भारत में अलगाववादी समूह आदि।

2. धार्मिक आतंकवाद :

वर्तमान में यह आतंकवाद का अत्यधिक प्रचलित रूप है। हॉफमैन के अनुसार, पूर्णत: या अंशत: धार्मिक आदेशों से प्रेरित आतंकवादी हिंसा धार्मिक आतंकवाद कहलाती है। इससे प्रेरित आतंकवादी हिंसा का औचित्य सिद्ध करने के लिए विभिन्न धार्मिक साधनों का सहारा लेते हैं। भारत के इस आतंकवाद से अत्यधिक प्रभावित है।

3. विचारधारा-प्रेरित आतंकवाद :

I. वामपंथी आतंकवाद :

पूंजीवाद का विरोध करते हुए एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करने के उद्देश्य से की जाने वाली हिंसा वामपंथी आतंकवाद कहलाती है। जैसे- लेनिन, माओ त्से-तुंग और मार्क्स की विचारधारा पर आधारित हिंसा।

II. दक्षिणपंथी आतंकवाद :

एक समूह द्वारा प्राचीन संस्कृति की पुनर्स्थापना या उसके संरक्षण के लिए की जाने वाली हिंसा दक्षिणपंथी आतंकवाद कहलाती है। जैसे- जर्मनी में नाजीवाद, इटली में फासीवाद आदि।

4. राज्य प्रायोजित आतंकवाद :

जब किसी देश की सरकार के द्वारा किसी अन्य देश में हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिलाया जाता है, तो इसे राज्य प्रायोजित आतंकवाद कहा जाता है। इस प्रकार की हिंसा सामान्यतः विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए की जाती है। जैसे-

  • रूस द्वारा बाल्कन क्षेत्र में स्लाव लोगों का समर्थन।
  • प्रथम विश्व युद्ध के बाद बुल्गारिया द्वारा यूगोस्लाविया के विरुद्ध मैसेडोनिया के क्रांतिकारियों का इस्तेमाल।
  • शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों द्वारा साम्यवाद विरोधियों का समर्थन।
  • भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद आदि।

5. स्वापक आतंकवाद :

मादक द्रव्यों की तस्करी में संलग्न गिरोहों द्वारा अपने उद्देश्यों के परिपूर्ति के लिए की जाने वाली हिंसा स्वापक आतंकवाद की श्रेणी में आती है। इसके अंतर्गत मादक द्रव्यों की तस्करी में संलग्न गिरोह अपने उद्देश्य की परिपूर्ति के लिए विभिन्न आतंकवादी संगठनों का सहारा लेते हैं। इसके परिणाम स्वरूप आतंकवादियों को आसानी से आर्थिक लाभ प्राप्त हो जाता है तथा मादक द्रव्यों की तस्करी करने वाले गिरोह अपने उद्देश्य में सफल हो जाते हैं, इसीलिए ये दोनों पक्ष आसानी से एक दूसरे का सहयोग करने के लिए तैयार हो जाते हैं। अतः कहा जा सकता है कि स्वापक आतंकवाद मुख्य रूप से आर्थिक हितों से प्रेरित होता है।

भारत में आतंकवाद के नियंत्रण हेतु उठाए गए कदम

भारत विश्व में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देशों में से एक है। ‘इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस’ की मानें तो वर्ष 2018 भारत आतंकवाद से 7 वाँ सर्वाधिक प्रभावित देश था। आजादी के बाद से ही भारत में अनेक आतंकवादी घटनाएं घटित होती रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2001 से 2018 के मध्य भारत में आतंकी हमलों के कारण 8000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। ऐसे में, भारत सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जो निम्नानुसार हैं-

  • सभी प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए भारतीय संसद ने वर्ष 1967 में ‘गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम’ (UAPA) पारित किया था तथा इसे और प्रभावी बनाने के लिए वर्ष 2004 में इसमें संशोधन भी किया गया था।
  • भारतीय संसद में वर्ष 1987 में आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए ‘आतंकवादी और विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (TADA) पारित किया था।
  • वर्ष 2002 में भारतीय संसद में ‘आतंकवाद निवारण अधिनियम’ (POTA) भी पारित किया था इसका उद्देश्य भी आतंकवादी गतिविधियों से निपटना था।
  • भारत के मुंबई में हुए कुख्यात 26/11 आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’ (NIA) का गठन किया था।
  • इसके अलावा, भारत सरकार ने विभिन्न खुफिया एजेंसियों का गठन किया है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए कार्य करती हैं। इनमें ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (RAW), ‘इंटेलिजेंस ब्यूरो’ (IB) आदि संस्थाएं प्रमुख हैं।
  • भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड’ (NATGRID) का निर्माण भी किया है। इसका उद्देश्य विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के डेटाबेस को आपस में जोड़ना है, ताकि ये सुरक्षा एजेंसियां बेहतर सामंजस्य के साथ कार्य कर सकें।
  • भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड’ (NSG) नामक एक अर्ध सैनिक बल का गठन भी किया है।
  • इसके अलावा, भारत ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) नामक अंतर्राष्ट्रीय संगठन का भी सदस्य है, जो मुख्य रूप से धन शोधन व आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने का कार्य करती है।

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आतंकवाद पर निबंध | Terrorism Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Terrorism in Hindi

By: savita mittal

आतंकवाद का बदलता और बढ़ता स्वरूप | Terrorism Essay in Hindi

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आतंकबाद एक ऐसा विचार है, जो सामान्य जनमानस में भय की भावना का संचार कर देता है। भय मृत्यु का या आर्थिक, सामाजिक किसी भी श्रेणी का हो सकता है। आज आतंकवाद एक ऐसी वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है, जिसकी आग में पूरा विश्व जल रहा है। आज कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता की उसकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं है और वह आतंकबाद से पूरी तरह से मुक्त है। आतंकबाद लैटिन भाषा के ‘टेस’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है समाज में हिंसक कार्यों और गतिविधियों से जनमानस में भय की मन:स्थिति की स्थापना कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयास करना।

इस प्रकार से आलंकबाद समाज के मानव समुदाय द्वारा संचालित ऐसी मानव विरोधी गतिविधियाँ हैं जो कि उसी समाज के मानव समुदाय के बिरुद्ध लूट, अपहरण, बम बिस्फोट और हत्या जैसे जघन्य अपराधों का कारण बनती हैं।

आतंकवाद का उद्देश्य राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक ही नहीं, सामाजिक या अन्य किसी प्रकार का भी हो सकता हैं। वैसे तो आतंकवाद के कई प्रकार है, किन्तु इनमें से तीन ऐसे हैं जिनसे पूरी दुनिया अस्त है- राजनीतिक आतंकबाद, धार्मिक कट्टरता एवं गैर-राजनीतिक या सामाजिक आतंकबाद। श्रीलंका में लिट्टे समर्थकों एवं अफग़ानिस्तान में तालिबानी संगठनों की गतिविधियाँ राजनीतिक आतंकबाद के उदाहरण हैं।

कश्मीर, लद्दाख एवं असम में अलगाववादी गुटों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य भी राजनीतिक आतंकबाद के ही उदाहरण है। अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से आपराधिक कृत्यों को अंजाम देते हैं। अत: ऐसे आतंकवाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है। अपनी सामाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न सामाजिक क्रान्तिकारी विद्रोह को गैर-राजनीतिक आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाता है। 

भारत में नक्सलबाद गैर-राजनीतिक आतंकवाद का उदाहरण है। इस प्रकार, आतंकी गुट विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति विभिन्न रूपों में करते हैं। आतंकवादी हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। भीड़भाड़ वाले स्थानों, रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों, बस इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेल पटरियों का उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण, निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बन्दी बना लेना, बैंक डकैतियाँ इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ हैं, जिनसे पूरा विश्व विगत कुछ दशकों से त्रस्त है।

Terrorism Essay in Hindi

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विश्व स्तर पर आतंकबाद के फैलते साम्राज्य का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि अभी तक आतंकवाद पर नियन्त्रण के सारे प्रयास निष्फल साबित हुए हैं। परिणामस्वरूप ‘विश्व शान्ति’ की कल्पना एक स्वप्न बनकर रह गई है। 

आतंकवाद एक ऐसी भयावह समस्या है, जिससे दुनिया में मानव अस्तित्व का समूल नाश सम्भव है फिर भी दुनिया के लगभग प्रत्येक देश में आतंकवाद है, कहीं धार्मिक संगठनों की हिंसक गतिविधियों के रूप में तो कहीं राजनीतिक विचारधाराओं के मध्य विध्वंसात्मक संघर्ष के रूप में। तो कहीं क्षेत्र, भाषा या फिर जाति जैसे मुद्दों पर निर्मित संगठनों के हथियार बन्द संघर्ष के रूप में आतंकवाद व्याप्त है। 

दुनिया में आतंकबाद की समस्या की भयावहता का मूल कारण यह है कि आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण आतंकवादियों के लिए जहाँ रासायनिक, नाभिकीय, जैविक मानव बम जैसे अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग उपलब्ध है.तो यहाँ इण्टरनेट की उपलब्धता से उनके लिए सरकारी आंकड़ों की गोपनीयता तक पहुँचना भी सम्भव हो गया है। इन परिस्थितियों में दुनिया में आतंकवाद का प्रसार बढ़ रहा है।

आज विश्व स्तर पर आतंकवाद की अमरबेल मानव समाज की सुख-समृद्धि और शान्ति के प्रयासों को निष्फल कर रही है। पिछले एक दशक में पूरे विश्व में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि हुई है। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के स्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर आतंकी हमला आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है। 

दिसम्बर, 2014 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के एक कैम्पस में ग्राहकों को बन्दी बनाना, पाकिस्तान के पेशावर जिले में स्थित एक आमने स्कूल में लगभग 180 मासूम बच्चों को निर्ममतापूर्वक मौत के घाट उतारना, जनवरी, 2015 में फ्रांस में ‘शाकों आब्दी के कार्यालय पर हमला कर पत्रकारों की हत्या। इसके अतिरिक्त वर्ष 2017 में क्रमश: काबुल (मार्च में), बलख (अप्रैल में), लन्दन में (मार्च में), सीरिया च मिस्र (नवम्बर में) आदि ऐसी मयावह वारदाते हैं, जो आतंकवाद के घिनौने रूप की प्रकट करती हैं।

वस्तुतः आतंकबाद एक वैश्विक समस्या है, किन्तु भारत इस समस्या से सर्वाधिक त्रस्त है। इसका प्रमुख कारण भारत के पड़ोसी देश विशेष रूप से पाकिस्तान है। भारत और पाकिस्तान में आरम्भ से ही जम्मू-कश्मीर राज्य (अब कश्मीर और लद्दाख केन्द्रशासित प्रदेश) विवाद का मुद्दा रहा है और दोनों देश इस पर अपना अधिकार करना चाहते हैं। पाकिस्तान कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयत्न कई बार कर चुका है। यह आए दिन सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है, लेकिन उसे अभी तक असफलता ही हाथ लगी है। अत: पाकिस्तान ने भारत को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से आतंकवाद का सहारा लेना शुरू कर दिया है।

12 मार्च, 1993 को मुम्बई में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोट, 13 दिसम्बर, 2001 को संसद भवन पर हमला, 7 मार्च, -2006 को बाराणसी बम विस्फोट, 26 जुलाई, 2008 का अहमदाबाद बम बिस्फोट, 26 नवम्बर, 2008 को मुम्बई के ताज होटल पर हमला, वर्ष 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमला, वर्ष 2017 में अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हमला, 14 फरवरी 2019 का पुलवामा हमला इत्यादि कुछ ऐसी घटनाएँ हैं, जो भारत को आतंकवाद पीड़ित देश घोषित करती है। इन बड़ी घटनाओं के अतिरिक्त आतंकवादी भारत में अनेक छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। नक्सलवाद भी एक प्रकार से देश में आतंकबाद का स्वरूप ग्रहण का चुका है।

प्रारम्भ में यह विद्रोह प. बंगाल तक सीमित था, किन्तु अब यह धीरे-धीरे ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में भी फैल गया है। चीन द्वारा भी भारत में पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी एवं नक्सलवादी घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। चीन भारत में सक्रिय अलगाववादी गुटों को पैसा, हथियार एवं संरक्षण मुहैया कराकर भारत में अराजकता की स्थिति बनाने पर लगा है। चीन, भारत को प्रत्येक स्तर पर अपना विरोधी मानते हुए कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष माध्यम से भारत के विकास में रोड़ा अटकाता रहता है। इसके अलावा वह सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति पैदा करने का भी जिम्मेदार है।

आतंकवाद के दुष्परिणामस्वरूप अब तक दुनिया के कई राजनयिकों सहित मासूमों एवं निर्दोष लोगों की जाने जा चुकी हैं तथा लाखो लोग विकलांग एवं अनाथ हो चुके है।। आतंकवाद के सन्दर्भ में सबसे बुरी बात यह है कि कोई नहीं। जानता कि आतंकबाद और आतंकवादियों का अगला निशाना कौन होगा? इसलिए आतंकवाद ने आज लोगों के जीवन को असुरक्षित बना दिया है। यह मानव जाति के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है।

वैश्विक समस्या के चलते आतंकवाद के वैश्विक समाधान की दिशा में सतत प्रयास जारी हैं। विभिन्न देशों के साथ ही कई अन्य संगठन भी इस दिशा में प्रयासरत है। जैसे-ब्राजील में 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (2019) में आतंकबाद का मुद्दा महत्वपूर्ण रहा। 

14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, 2019 (थाईलैण्ड), ताशकन्द में हुए 18वें शंघाई सहयोगसंगठन शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने पर गहन विमर्श किया गया। नवम्बर, 2019 में पेरिस मै जारी ग्लोबल टेररिज्म इण्डेक्स-2018 ज्यादा फैल गया है, लेकिन वर्ष 2014 में यह बात सामने आई है कि आतंकियों का दुनिया भर में जाल पहले से कहीं में 33,565 की तुलना में वर्ष 2018 में 15,952 का आंकड़ा आतंकी हत्या के गिरते ग्राफ का संकेत है। 

यह गिरावट एक या दो प्रतिशत की नहीं 15.2% की है। निश्चय ही इसके पीछे अमेरिका, भारत और यूरोपियन देशों के आतंकवाद विरोधी अभियान की बड़ी भूमिका है।

भारत में भी आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार ने समय-समय पर अनेक कानूनों का सहारा लिया है, जैसे- वर्ष 1950 में निवारक निरोध अधिनियम, वर्ष 1970 में मीसा, वर्ष 1980 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1987 में टाडा (TADA), वर्ष 2002 में पोता (POTA), वर्ष 2008 में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेन्सी (एनआईए), 2019 में विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक-2019 (यूएपीए) को मंजूरी आदि। 

इसके अतिरिक्त रोशनी जैसे कार्यक्रम भी चलाए गए हैं तथा ऐसी गतिविधियों में संलग्न लोगों के लिए स्वरोजगार सम्बन्धी उपाय मी जा रहे हैं। जिससे देश के कुछ राज्यों में इससे नक्सलवादी लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर (अब कश्मीर एवं लद्दाख) में आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए भारत को कड़े कदम उठाने होंगे एवं पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकते हुए इस राज्य पर अपनी प्रशासनिक पकड़ मजबूत बनानी होगी।

दुनिया के देशों को आतंकवाद पर नियन्त्रण हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वोपरि भूमिका को स्वीकार करते हुए उसके निर्णय को बाध्यकारी बनाए जाने की जरूरत है। इसके अतरिक्त विभिन्न देशों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद पर नियन्त्रण और रोकथाम के लिए ठोस निर्णय लेना होगा। दुनिया के ऐसे देश जिनके द्वारा आतंकवाद को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय सहायता से पूर्णतः अलग-थलग कर आतंकवाद पर नियन्त्रण और रोकथाम के प्रयास किए जाने चाहिए। 

दुनिया में जीवन के अस्तित्व और सुरक्षा के लिए आतंकवाद पर नियन्त्रण जरूरी है। दुनिया में आतंक का खौफ मानवता के लिए एक ऐसा अभिशाप साबित हो रहा है। जिसने विश्व शान्ति की परिकल्पना के क्रियान्वयन पर विराम लगा दिया है। दुनिया को आतंकवाद से मुक्त किए बिना जीवन में सुख-समृद्धि, शान्ति और विकास की बात सम्भव नहीं है। इस दृष्टि से विश्व के प्रत्येक देश और समाज में प्रत्येक नागरिक को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा अन्यथा आतंकवाद के भयानक विस्फोट में मानव अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा।

सामाजिक मुद्दों पर निबंध | Samajik nyay

reference Terrorism Essay in Hindi

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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House Republicans Clash With Leaders of Public Schools Over Antisemitism Claims

Politicians said educators had not done enough. But the New York chancellor said members were trying to elicit “gotcha moments” rather than stop antisemitism.

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David Banks, in a blue suit and red tie, gestures as he testifies at the hearing.

By Dana Goldstein ,  Troy Closson and Michael Levenson

Dana Goldstein reported from the House committee hearing room.

A Republican-led House committee turned its attention to three of the most politically liberal school districts in the country on Wednesday, accusing them of tolerating antisemitism, but the district leaders pushed back forcefully, defending their schools.

The hearing was the third by House Republicans to expose what they see as a pro-Palestinian agenda gripping schools and college campuses since the start of the Israel-Hamas war.

During the contentious two-hour session, Republicans accused the district leaders — from New York City, Berkeley, Calif., and Montgomery County, Md. — of “turning a blind eye” to antisemitism.

Enikia Ford Morthel, the superintendent of Berkeley schools, acknowledged some incidents in her schools, but pointedly stated that “antisemitism is not pervasive in Berkeley Unified School District.”

And David C. Banks, the New York City schools chancellor, said the repeatedly hostile questions from the panel suggested it was trying to elicit “gotcha moments” rather than solve the problem of antisemitism.

If we really care about solving for antisemitism, and I believe this deeply, it’s not about having gotcha moments. It’s about teaching. You have to raise the consciousness of young people. And the challenge we have as a system is that we do have some adults who bring their own bias into the classroom. And we’ve got to figure out how do we unpack all of it at the same time. But the ultimate answer for antisemitism is to teach, to expose young people to the Jewish community so that they understand our common humanity. And I would certainly ask that to my colleagues from across the nation, and I would call on Congress, quite frankly, to put the call out to action, to bring us together to talk about how we solve for this. This, this convening for too many people across America in education feels like the ultimate gotcha moment. It doesn’t sound like people are actually trying to solve for something that I believe we should be doing everything we can to solve for.

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“We cannot simply discipline our way out of this problem,” he said. “The true antidote to ignorance and bias is to teach.”

The hearing came about five months after a hearing on antisemitism in which the presidents of Harvard University and the University of Pennsylvania gave lawyerly statements, prompting an intense backlash that helped lead to their resignations.

But on Wednesday, Republicans did not appear to elicit similarly damaging moments.

Nor did the school leaders’ answers appear to prompt widespread anger back in their communities, as happened when Nemat Shafik, the president of Columbia, testified before Congress last month. Her promise to crack down on protesters seemed to mollify Republicans, at least temporarily, but deepened discontent on campus.

A confluence of factors led to the muted outcome on Wednesday. The hearing was held by a subcommittee with an inexperienced chair, featuring only a cameo by Representative Elise Stefanik of New York, the Republican who led the sharpest questioning of the university presidents.

The school leaders also seemed prepared for questions that had tripped up the Harvard and Penn presidents.

When Representative Aaron Bean of Florida, the first-term Republican who led the hearing, opened with a series of rapid-fire questions — Does Israel have the right to exist as a Jewish state? Was the Oct. 7 Hamas attack on Israel an act of terrorism? — the school leaders gave brief, affirmative answers.

He then moved on, saying he had “to boogie” to get through the hearing.

“Mr. Banks, does Israel have the right to exist as a Jewish state?” “Absolutely.” “Ms. Silvestre?” “Yes.” “Ms. Ford Morthel?” “Yes.” “Does — is the phrase, ‘From the river to the sea, Palestine will be free,’ is that antisemitic?” “I think most Jewish people experience that as antisemitic, and as such, it is not allowed in our schools.” “You would say it is?” “I would say it is antisemitic.” “Ms. Silvestre?” “It is if the intent is the destruction of the Jewish people, yes.” “And it is. And it is, and so I would say I’d put you down as a ‘yes.’ You’re OK with that?” A ‘yes’?” “Yes.” “Ms. Ford Morthel?” “If it is calling for — sorry. “It’s a yes — you can just go yes or no.” “It is if it is calling for the elimination of the Jewish people in Israel. And I will also say that I recognize that it does have different meaning to different members of —” “I’m going to go ‘yes.’ I’ll put you down, ‘yes.’ I got a boogie because five minutes goes by so fast.”

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Throughout, the district leaders were quick to condemn antisemitism and said that they had addressed antisemitic incidents in their schools through disciplinary measures and new teaching guides to combat hate.

Mr. Banks said that New York had removed or disciplined, or was in the process of disciplining, at least a dozen staff members and school leaders, including removing a principal in the middle of the school year.

The district has also suspended at least 30 students, has involved the police when hate crimes were committed, and has retrained all 1,600 principals on the disciplinary code, he said.

When antisemitism rears its head, I believe we must respond. And we have. We have removed, disciplined or are in the process of disciplining at least a dozen staff and school leaders, including removing a principal in the middle of a school year. We have suspended at least 30 students.

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Republicans accused him of not taking strong enough action.

In one of the more heated exchanges, Representative Brandon Williams, Republican of New York, grilled Mr. Banks about an incident last fall at Hillcrest High School in Queens, where, officials said, students led a raucous demonstration against a pro-Israel teacher.

The Education Department removed Hillcrest’s principal in December. Under questioning from Mr. Williams, Mr. Banks acknowledged that the principal was still on the city payroll.

“How can Jewish students feel safe in New York City public schools when you can’t even manage to terminate the principal of ‘Open Season on Jews High School,’” Mr. Williams said.

Mr. Banks, who graduated from Hillcrest in the 1970s, responded: “It’s not ‘Open Season on Jews High School.’ It’s called Hillcrest High School. That’s the name of the school, and at that school, we considered his leadership not strong enough to be the leader in that school.”

“Is the former principal at Hillcrest still drawing a salary from New York City public schools today?” “Yes, he is.” “I’m sorry. Can you say that again?” “I said, yes, he is. He is no longer the —” “You are still paying —” “He is no longer the principal of the school.” “How, how can Jewish students feel safe at New York City public schools when you can’t even manage to terminate the principal of ‘open season on Jews high school,’ or even endorse suspension of a student harassment? How can Jewish students go to school knowing that he is still on your payroll? Your payroll, sir.” “I know whose payroll it is, sir. And it’s not, it’s not ‘open season on Jews school.’ It’s called Hillcrest High School. That’s the name of the school. And at that school, we considered his leadership not strong enough to be the leader in that school.” “Wow, but he can still —” “He’s no longer —” “He’s still strong enough to participate in your school district? He’s still strong school to be on your payroll —” “As the leader of that school.” “Is he still strong enough a leader to be on your payroll, sir?” “Every one of the —” “Is that what you’re saying? You’re endorsing him to continue on your payroll because he has the moral authority to lead —” “Within our system.” “Is that what you’re saying, Mr. Banks?” “What I said is what I just —” “You’re saying that he still has the moral authority to be —” “I did not say that. That’s what you said.” That is what I’m asking you. You’re, you’re justifying his continuing employment. And I’m trying to challenge how can that be?” “He, every employee who works in our schools has due process rights, sir.” [laughing] “Due process.” We do not have the authority —” “There are egregious crimes —” “Just because I disagree to just terminate someone. That’s not the way that it works in our school system.”

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Questioned again about why the Hillcrest principal had not been fired, Mr. Banks said that every employee in the school system has due process rights. Ms. Stefanik later forced Mr. Banks to acknowledge that the principal was still employed, in Mr. Banks’s words, on “one of the teams under one of our deputy chancellors.”

Ms. Stefanik also asked Mr. Banks about a New York City teacher who posted approvingly about Hamas on social media. Mr. Banks called the teacher’s posting “absolutely disgusting,” but refused to say what disciplinary action had been taken, if any.

Ms. Stefanik complained that Mr. Banks and other school leaders were paying “lip service” to the issue of antisemitism, and that there was “a lack of enforcement and a lack of accountability.”

Mr. Banks rejected that accusation. Overall, he said, the New York City school system has recorded more than 280 “incidents” since Oct. 7. About 40 percent have been antisemitic, he said, and another 30 percent were Islamophobic. He said that while the district “can’t prevent every incident from ever happening,” school leaders were doing their best.

He pointed to an incident at a Brooklyn grade school, where a map of North Africa and the Middle East did not include Israel, labeling it “Palestine.” Mr. Banks said that “to me, that’s antisemitic.” But he also pushed back on calls to fire the teacher, saying she acknowledged that she “made a mistake.”

Here’s the challenge. These things don’t always come down to so clear. yes and no. I’ll give you an example. We had a school where a teacher hung up a map of the Middle East that eliminated Israel from the map. So the question is, is that antisemitic? To me, that’s antisemitic, and we had it removed. But others have said, ‘Did you fire her?’ She said essentially, ‘I made a mistake. I didn’t intend it to be antisemitic.’ And she had a reason.

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The teacher, Rita Lahoud, who identified herself as a Palestinian American, said in an email on Tuesday that she “felt abandoned and unprotected” by the city’s Education Department after news of the classroom map drew backlash on social media.

Ms. Ford Morthel, the superintendent in Berkeley, said Jewish students in her district had shared painful stories about antisemitism in their schools. But she refused to say whether any teachers had been fired in response to accusations of antisemitism.

Under questioning by Representative Kevin Kiley, Republican of California, Ms. Ford Morthel acknowledged that a group known as Liberated Ethnic Studies was a “thought partner” of the district. That group has put forth sample teaching materials that portray Israel as a settler-colonial entity and are strongly critical of the country.

Karla Silvestre, the school board president in Montgomery County, outside Washington, said the board was committed to fighting antisemitism, hatred and racism, but “I can tell you we haven’t gotten it right every time.”

Still, she said, the board tries to improve its responses, and starting this summer, Montgomery County will have “mandatory hate-based training” for all staff.

Some critics of the education system who attended the hearing said they were disappointed.

“I thought that the questions were not sharp,” said Lori Lowenthal Marcus, legal director of the Deborah Project, a group that has sued several California school districts, including Berkeley, for what it considers antisemitic bias in curriculum materials about Israel. “I thought that the people testifying were able to slide away.”

The top Democrat on the panel, Representative Suzanne Bonamici of Oregon, accused Republicans of hypocrisy, pointing out that President Donald J. Trump spoke of “very fine people on both sides” after white supremacists marched in Charlottesville, Va., in 2017, chanting “Jews will not replace us.”

“If my colleagues cared about antisemitism, they would denounce and condemn these comments from the leader of their party,” Ms. Bonamici said. “Does anyone have the courage to stand up against that?”

After a pause, she said, “Let the record show that no one spoke up.”

Alan Blinder , Jacey Fortin , Heather Knight , Sarah Mervosh and Campbell Robertson contributed reporting.

Dana Goldstein covers education and families for The Times.  More about Dana Goldstein

Troy Closson reports on K-12 schools in New York City for The Times. More about Troy Closson

Michael Levenson joined The Times in December 2019. He was previously a reporter at The Boston Globe, where he covered local, state and national politics and news. More about Michael Levenson

Our Coverage of the Israel-Hamas War

News and Analysis

The United Nations’ top court is scheduled to hear arguments from South Africa  after the country recently requested that the court issue further constraints on Israel, saying “the very survival” of Palestinians in Gaza was under threat.

Secretary of State Antony Blinken warned that recent gains in getting desperately needed humanitarian aid  to people in the Gaza Strip risked being undone by the fighting in southern Gaza.

The Biden administration has told Congress that it intends to move forward with a plan for the United States to sell more than $1 billion in new weapons to Israel .

PEN America’s Boiling Point: As it cancels events amid criticism of its response to the Israel-Hamas war, PEN America faces questions  about when an organization devoted to free speech for all should take sides.

A Key Weapon: When President Biden threatened to pause some weapons shipments to Israel if it invaded Rafah, the devastating effects of the 2,000-pound Mark 84 bomb  were of particular concern to him.

A Presidential Move: Ronald Reagan also used the power of American arms to influence  Israeli war policy. The comparison underscores how much the politics of Israel have changed in the United States since the 1980s.

Netanyahu’s Concerns: Prime Minister Benjamin Netanyahu of Israel, under pressure from all sides, is trying to reassure his many domestic, military and diplomatic critics. Here’s a look at what he is confronting .

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    आतंकवाद पर निबंध Essay On Terrorism In Hindi: आज आए दिन हम देखते सुनते है कि फला स्थान पर आतंकवादी हमला हुआ, शायद ही कोई दिन गया हो जब कहीं बेगुनाहों का खून न बहा हो.

  15. आतंकवाद पर निबंध 1000 ...

    आतंकवाद पर निबंध, Terrorism जो हमारे समाज और देश को हानि पहुंचाने वाली गंभीर समस्या है, इसके प्रभाव और निवारण के बारे में अधिक जानने की इच्छा है तो आप सही जगह

  16. वैश्विक आतंकवाद पर निबंध, आतंकवाद एक वैश्विक समस्या पर निबंध, भारत की

    वैश्विक आतंकवाद पर निबंध, आतंकवाद एक वैश्विक समस्या पर निबंध, भारत की नीति, लेख, अर्थ: global terrorism essay in hindi, meaning, problem, world terrorism, india's narrative, international terrorism, india sets global narratives on terrorism, 300, 500 words.

  17. आतंकवाद पर निबंध -Essay On Terrorism In Hindi » हिंदी निबंध, Nibandh

    आतंकवाद पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Terrorism in Hindi) #1. [500-600 word] आतंकवाद पर निबंध-Essay On Terrorism In Hindi आतंकवाद एक ऐसी समस्या जिसने न केवल भारत अपितु पूरे विश्व को अपने ...

  18. आतंकवाद

    2. धार्मिक आतंकवाद : वर्तमान में यह आतंकवाद का अत्यधिक प्रचलित रूप है। हॉफमैन के अनुसार, पूर्णत: या अंशत: धार्मिक आदेशों से प्रेरित ...

  19. आतंकवाद : भारत की प्रमुख समस्या

    Test Series. आतंकवाद (Terrorism in Hindi) एक ऐसा शब्द है जो प्रायः खबरों में आता है। आतंकवाद (Terrorism in Hindi) एक व्यापक शब्द है जो घटनाओं और विचारों की एक विस्तृत ...

  20. देश देशांतर

    1979 में पाकिस्तान ने एक नीति अपनाई कि वह कश्मीर में आतंकवाद का सहारा लेगा और उसकी राजनीतिक भाषा थी blitze india अर्थात् भारत के टुकड़े करो ...

  21. आतंकवाद पर निबंध

    आतंकवाद का बदलता और बढ़ता स्वरूप | Terrorism Essay in Hindi. आतंकबाद एक ऐसा विचार है, जो सामान्य जनमानस में भय की भावना का संचार कर देता है। भय मृत्यु का या आर्थिक ...

  22. Essay on International Terrorism

    Here is an essay on 'International Terrorism' for class 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on 'International Terrorism' especially written for school and college students in Hindi language. Essay on International Terrorism

  23. आतंक से संघर्ष, न्याय संगतता द्वारा संरक्षण

    साइबर-आतंकवाद (Cyber-terrorism) साइबर-आतंकवाद, आतंकवाद और साइबरस्पेस का संयोजन है।. इसे मुख्यत: राजनीतिक अथवा सामाजिक हितों की पूर्ति के लिये ...

  24. House Republicans Clash With Public School Leaders in Antisemitism

    Politicians said educators had not done enough. But the New York chancellor said members were trying to elicit "gotcha moments" rather than stop antisemitism.