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स्कूल के कपड़ों में अच्छा कैसे दिखें?

Mahesh Yadav

हम सभी का बचपन हमें बहुत प्यारा होता हैं। बचपन की कुछ बातें हमें ताउम्र याद रहती हैं जिन्हें हम खुद कभी भूलना नहीं चाहते।

ऐसा माना जाता हैं कि बचपन ही हमारे जीवन का सबसे सुखमय समय होता हैं जब हम दुनियादारी नहीं समझते थे और सिर्फ अपनी शर्तों पर ही आगे बढ़ते थे। बचपन में जब हम स्कूल जाते थे तो हमारा मन बहुत ही अच्छा रहता था लेकिन तब हम स्कूल के कपड़ों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते थे और ना ही हमें इन सब बातों से मतलब रहता था।

लेकिन आज के समय में स्कूल के कपड़ों का भी उचित देखभाल किया जाता हैं जिससे बच्चों के व्यक्तित्व में निखार आ सके। ऐसे में आज हम आपको कुछ विशेष सुझाव देने वाले हैं जिसमें स्कूल के कपड़ों में अच्छा दिखने के तरीके बताए जाएंगे।

स्कूल में अच्छे कपड़े पहनने का महत्व

स्कूल चाहे छोटा हो या बड़ा हर स्कूल में एक विशेष यूनिफॉर्म होती हैं। जब बच्चा स्कूल में पढ़ाई करने आता हैं तो वह यूनीफॉर्म को पहनकर ही आता हैं। ऐसे में स्कूल में अच्छे कपड़े पहनने का विशेष महत्व माना जाता हैं जिसके अंतर्गत यूनिफार्म साफ-सुथरी होनी चाहिए।

अगर स्कूल में अच्छे कपड़े पहन कर जाया जाए तो निश्चित रूप से ही एक अच्छे व्यक्तित्व की झलक दिखाई देती हैं जिससे उस बच्चे की ओर भी ध्यान अपने आप ही आकर्षित हो जाता हैं।

अच्छे कपड़े पहनने से काफी व्यक्तित्व में निखार आता हैं। यह काफी हेल्थी प्रोसेस होता हैं। जब बच्चा बड़ा होता हैं।तब वह उसके विकास में अच्छे कपड़े का प्रभाव पड़ता हैं।

अकसर ऐसा देखा जाता हैं कि जो बच्चे क्लास में अपने कपड़े की साफ सफाई रखते हैं। वह बड़े होकर भी अपने कामकाजी जीवन में, अपने पारिवारिक जीवन में काफी सुलझे हुए और सहजता के साथ जीवन जीते हैं और खुद काफी व्यवस्थित रखना पसंद करते हैं।

इसलिए मां बाप का यह कर्तव्य बन जाता हैं कि वह जब आपका बच्चा छोटा हो, तब भी उसके कपड़े को लेकर काफी सजग रहें और उसके स्कूल ड्रेस को अच्छे इस्त्री किया होना चाहिए।

अच्छे कपड़े पहनने से बच्चे को भी अच्छा महसूस होता हैं और उसका मन पढ़ाई और उस स्कूल की तरफ लगने लगता हैं। वैसे तो किसी भी स्कूल में ज्यादा विकल्प नहीं होते लेकिन अगर आपका जन्मदिन या कोई खास दिन हैं ऐसे में भी अच्छे कपड़े पहन कर अपनी प्रतिभा को भी दिखाया जा सकता हैं।

स्कूल के कपड़ों में भी अच्छा दिखने का तरीका

कुछ बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म पहनना अच्छा नहीं लगता ऐसी स्थिति में भी वो बार-बार माता-पिता को परेशान करते हैं। लेकिन अगर आप स्कूल के कपड़ों में भी अपने बच्चे को अच्छा दिखाना चाहते हैं, तो ऐसी स्थिति मैं भी आप स्कूल के कपड़ों में बच्चों को अच्छा दिखा सकते हैं।

1) साफ-सुथरी यूनिफॉर्म को पहना कर

अगर आप स्कूल में बच्चों को अच्छा दिखाना चाहे तो ऐसे में हमेशा अपने बच्चों को साफ-सुथरी यूनिफॉर्म पहना कर ही भेजना चाहिए।

साफ-सुथरी यूनिफॉर्म से बच्चा हमेशा अच्छा दिखाई देता हैं और लोगों को भी उससे बात करने का मन होता हैं। अगर आप चाहें तो दो या तीन दिनों में यूनिफार्म बदल कर नई यूनिफार्म पहना सकते हैंं लेकिन एक बात हमेशा याद रखें कि अगर बच्चे ने यूनिफॉर्म को कुछ ज्यादा ही गंदा किया हो ऐसी स्थिति में आप पहले भी हटा सकते हैं।

2) ज्यादा लंबी यूनिफार्म ना पहना कर

कई बार ऐसा भी देखा जाता हैं कि माता-पिता बच्चों को लंबी यूनिफॉर्म पहना देते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि यही यूनिफार्म आने वाले दो-तीन सालों तक इस्तेमाल की जा सके लेकिन अगर आप ज्यादा लंबी यूनिफॉर्म बच्चों को पहनाते हैं ऐसे में उनका आत्मविश्वास कहीं खो जाता हैं क्योंकि बार-बार उनका ध्यान अपनी यूनिफार्म की तरफ ही जाता हैं।

ऐसे में जब भी आप स्कूल के कपड़ों की खरीदारी करें तो हमेशा सोच समझकर ही करें ताकि बच्चा परेशान ना रह सके।

3) सही साइज के कपड़े पहना कर

अगर आप बच्चों को स्कूल के कपड़ों में अच्छा दिखाना चाहते हैं तो हमेशा एक बात का ध्यान रखें कि उन्हें सही साइज के कपड़े पहना कर ही भेजें।

कभी-कभी देखने में आता हैं कि बच्चे अपने बड़े भाई बहनों के कपड़े पहनकर स्कूल आते हैं। अगर आप ऐसा ही करते हैं तो ऐसे में बच्चे को परेशानी हो सकती हैं और सही साइज नहीं होने की वजह से बच्चे को बार बार दिक्कत हो सकती हैं।

जब भी आप मार्केट जाते हैं तो हमेशा सही साइज के कपड़े खरीद ले भले ही वे कपड़े 1 साल बाद छोटे ही क्यों ना हो?

4) अपने गीले हाथों को यूनिफॉर्म से ना पोछकर

कई बार ऐसा होता हैं कि जब बच्चे छोटे होते हैं तो वे अपने गीले हाथों से ही यूनिफार्म को पोछते हैं। ऐसे मे उन्है समझ नहीं आता कि यह करने उन पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं ऐसे में अगर आप बच्चे को यूनिफॉर्म में भी अच्छा दिखाना चाहते हैं ऐसी स्थिति में बच्चे को घर से ही समझा कर भेजना होगा कि कभी भी वे गीले हाथों से अपने यूनिफार्म को ना छुए।

हमेशा बच्चे को एक रुमाल जरूर दें ताकि वह सही तरीके से स्कूल में भी अपने यूनिफॉर्म की देखभाल कर सकें।

बच्चों को तैयार करने में माता-पिता का अहम योगदान

जब भी बच्चा स्कूल जाता हैं तो इस स्थिति में माता-पिता का विशेष योगदान माना जाता हैं। बच्चे के तैयार होने से लेकर बैकपैक करने तक, स्कूल वाहन में बैठने से लेकर स्कूल पहुंचते तक हर बात का ख्याल माता-पिता बहुत अच्छे से रखते हैं।

ऐसे में अगर बच्चे को भी सही तरीके से तैयार किया जाए तो कभी भी बच्चा सीखने में देर नहीं करता और हमेशा निश्चित रूप से वह कार्य को स्वयं कर सकता हैं। जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं वह अपने कार्यों की जिम्मेदारी को समझने लगते हैं।

ऐसे में स्कूल के कपड़े में अच्छा दिखना उन्हें भी कई प्रकार से आ जाता हैं जिसके अंतर्गत यह सही तरीके से हर काम करने की कोशिश करते हैं और उसे पूरा भी करते हैं।

ऐसे में माता-पिता के ऊपर बच्चों को तैयार करने के साथ-साथ स्कूल के कपड़ों में अच्छा दिखाने की भी जिम्मेदारी होती हैं जिसे बच्चे भी बखूबी समझते हैं और माता-पिता द्वारा किए गए बातों को फॉलो भी करते हैं।

अपने बच्चे को बनाए व्यवहार कुशल

ऐसे में माता-पिता को हमेशा याद रखना चाहिए कि अपने बच्चे को व्यवहार कुशल बनाना उनका ही कर्तव्य हैं। अगर बच्चा घर में व्यवहार कुशलता पूर्वक व्यवहार करता हैं ऐसे में वह निश्चित रूप से स्कूल में भी व्यवहार कुशल रहेगा।

बच्चे को इस बात का भी ध्यान दें कि अगर उन्होंने स्कूल के कपड़े पहन रखे हैं, तो उसे सही तरीके से पहननै के तरीकों के बारे में बताएं जिससे बच्चे का व्यक्तित्व विकास हो सके और स्कूल में भी वह अपने कपड़े और यूनिफार्म का ध्यान सही तरीके से रख सके।

ऐसे में बच्चों को भी ध्यान रखना होगा कि वह अपनी यूनिफार्म को कभी गंदी ना करें, उसमें हाथ ना पोछे और हमेशा साफ कपड़े ही पहनकर स्कूल आएं।

जब बच्चा छोटा हो उसी समय से ही स्कूल के कपड़ों के बारे में जानकारी देना चाहिए। उन्है यह भी बताना चाहिए कि सप्ताह के किस दिन कौन सी यूनिफॉर्म पहनना हैं?

ऐसा करने से बच्चे हमेशा अपने कपड़ों का ध्यान रखेंगे और किसी प्रकार की गलती को नहीं दोहराएंगे। बच्चों के व्यवहार कुशल होने की सफलता उनके भविष्य में देखी जा सकेगी जो बचपन से ही सिखाई जाती हैं।

ऐसे में आज हमने देखा कि ऐसे तो आज के समय में बच्चे बहुत ही समझदार होते हैं लेकिन फिर भी उन्हें स्कूल के कपड़ों के बारे में सही जानकारी नहीं होती और वह हमेशा उसे गंदा करते हैं।

अगर बच्चे को समय रहते ही इन बातों की जानकारी दी जाए तो वह कभी भी गलत कार्य नहीं करेंगे और हमेशा अपनी यूनिफॉर्म को साफ रखते हुए हर यूनिफार्म में वे अच्छे ही नजर आएंगे।

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importance of uniform essay in hindi

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importance of uniform essay in hindi

Essay on Importance of School Uniform for Students

Essay on School uniform

If we try to remember our childhood the first picture that comes to mind is our school and school uniform. School uniform is the dress that you have to compulsorily wear in your school. The school uniform was the identity of the student and his school. The word uniform means same it means that we all are the same and equal no one is superior and no one is inferior.

Essay on School uniform

The accountability and credibility of an educational institution depend on the feeling of unity among the students. Uniforms help to develop the spirit of unity among the students. In school students of different strata of society study together. If we allow them to wear any dress of their choice then rich students will wear expensive dresses and poor students will wear simple less expensive dresses this may develop superiority and inferiority complex in students.

Hence the feeling of unity cannot develop among the student. It is commonly observed that in colleges where there is no dress code students are very indisciplined they just try to impress others with their looks and dress. Colleges are becoming fashion shows and students don’t give importance to study.

School and colleges are not for impressing others with your fashionable clothes but they are for impressing others with your knowledge and discipline. Students do not realize these especially teenage students because they are in the phase of transition from childhood to adulthood.

School uniform is part of school’s reputation in society. The people in town identity school from the color of uniform wear by the student. Because of this students behave with much responsibility and discipline while returning from school or going to school.

The habit of cleaning and maintaining uniform must be developed in students since childhood because when these children will grow up and become adults they will serve the nation in different government services. Each government service has its own dress code from police to doctors.

One common problem with uniforms is that some schools give students very expensive uniforms and the quality of cloth is very poor. They tear easily and students have to again buy a new uniform.

It is not a problem to reach students but it is a very big problem for poor students. We personally think that government should provide both government and private school the good quality of cloth for making uniform free of cost.

Each school should have a different uniform. Uniforms should be simple and sober it should not be very colorful and fashion-oriented. Uniforms should be designed in such a way that both male and female students are comfortable with them.

The school uniform should have the logo of the school on a uniform. There should not be any symbol of a particular religion on the school uniform. The uniform should be complete it should include a tie, belt, shoes, batch, and I-card. The school uniform should not be fashionable doesn’t mean that it should not be attractive.

Students often complain that our school uniform is too traditional our cousin makes fun of us when we wear it. The School uniform should be attractive but formal. The teacher should advise the student to clean and wash their uniform by themselves after two days. The student should be given two pairs of uniforms so that proper hygiene should be maintained.

The student should be given one special uniform for Saturday morning schools. The uniform should be loose so that students can do different exercises in them freely and comfortably. Wearing a white uniform on Saturday just change the way teacher and student look at each other it gives us the feeling of peace.

The management of the school should be very careful while deciding the colour of the uniform. Psychological research shows that different colors create different feelings in our minds. We don’t want to go into the details of that psychological research. But White, Green, Brown, and violet are the most commonly used color for uniforms that creates a positive feeling in the mind of students and teacher for the learning process.

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समान नागरिक संहिता पर निबंध Essay on Uniform Civil Code in Hindi (UCC)

समान नागरिक संहिता पर निबंध Essay on Uniform Civil Code in Hindi

समान नागरिक संहिता पर निबंध Essay on Uniform civil code in Hindi (UCC)

दोस्तों आजकल एक मुद्दा बहुत सामने आ रहा है, समान नागरिक संहिता का जो देश के बिभिन्न भागो में चर्चा का विषय बना हुआ है। आज हम बात करेंगे, इसके बारे में और समझेंगे की आखिर यह है, क्या और आम जनता के लिए इसके क्या फायदे एवं नुक्सान क्या है? तो शुरू करते है इसको समझने की –      

Table of Content

समान नागरिक संहिता क्या है? What is Uniform Civil Code in Hindi? (UCC)

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। भारतीय संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 44 के अनुसार भारत के समस्त नागरिकों के लिये एक समान नियम एवं कानून होने चाहिए। भारतीय गणराज्य के पहले प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू , उनके समर्थक और महिला सदस्य चाहते थे कि समान नागरिक संहिता लागू हो।

इसका अर्थ एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून भी होता है, जो सभी धर्म के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है। फिर भले ही वो किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो।

आज देश में अलग-अलग मजहबों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं। देश में समान नागरिक संहिता के लागू होने से हर मजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। यानी मुस्लमानों को भी तीन शादियां करने और पत्नी को महज तीन बार तलाक बोले देने से रिश्ता खत्म कर देने वाली परंपरा खत्म हो जाएगी।

जैसा की सब जानते है की भारत में अधिकतर व्यक्तिगत कानून धर्म के आधार पर बनाये गए हैं। हिंदू, सिख , जैन और बौद्ध धर्मों के व्यक्तिगत कानून हिंदू विधि से संचालित किये आते हैं, वहीं मुस्लिम तथा ईसाई धर्मों के अपने अलग व्यक्तिगत कानून हैं। मुस्लिमों का कानून शरीयत पर आधारित है, जबकि अन्य धार्मिक समुदायों के व्यक्तिगत कानून भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानून पर आधारित हैं।

इन क़ानूनों को सार्वजनिक कानून के नाम से जाना जाता है, और इसके अंतर्गत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने और संरक्षण जैसे विषयों से संबंधित क़ानूनों को शामिल किया गया है। आज विश्व के अधिकतर आधुनिक देशों में ऐसे कानून लागू हैं।

यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी क़ानूनों से ऊपर होता है। भारत देश में इसके सुचारु रूप से लागू होने से महिलाओं को अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे। समान नागरिक संहिता का उद्देश्य हर धर्म के पर्सनल लॉ में एकरूपता लाना है। इसके तहत हर धर्म के क़ानूनों में सुधार और एकरूपता लाने पर काम होगा, इसका अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी एक धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

हिन्दू विवाह अधिनियम Hindu Marriage Act

यह कानून भारत की संसद द्वारा सन् 1955 में पारित एक कानून है। देश में इसके विरोध के कारण इस बिल को कई भागों में बांट दिया गया। इसी कालावधि में तीन अन्य महत्वपूर्ण कानून पारित हुए: हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम सन 1955 में लागू किया गया, हिन्दू अल्पसंख्यक तथा अभिभावक अधिनियम 1956 में लागू किया गया और हिन्दू एडॉप्शन और भरणपोषण अधिनियम 1956 में लागू किया गया।

ये सभी नियम हिंदुओं के वैधिक परम्पराओं को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से लागू किए गये थे। इस कानून ने महिलाओं को सीधे तौर पर सशक्त बनाया। इनके तहत महिलाओं को पैतृक और पति की संपत्ति में अधिकार मिलता है। इसके अलावा अलग-अलग जातियों के लोगों को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार है, लेकिन कोई व्यक्ति एक शादी के रहते दूसरी शादी नहीं कर सकता है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड Muslim Personal Law Board

देश के मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है जो इस्लामी कानून संहिता के आवेदन प्रदान करता है। इसके अनुसार शादीशुदा मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को महज तीन बार तलाक कहकर तलाक दे सकता है। हालांकि मुस्लिम पर्सनल कानून में तलाक के और भी तरीके दिए गए हैं, लेकिन उनमें से तीन बार तलाक भी एक प्रकार का तलाक माना गया है, जिसे कुछ मुस्लिम विद्वान शरीयत के खिलाफ भी बताते हैं।

क्यों है बहस का मुद्दा? Why is the debate?

इसकी वकालत करने वालों का कहना है, कि भारत में जिस तरह भारतीय दंड संहिता और ‘सीआरपीसी’ सब पर लागू हैं, उसी तरह समान नागरिक संहिता भी होनी चाहिए, चाहे वो हिन्दू हों या मुसलमान हों, या फिर किसी भी धर्म को मानने वाले क्यों ना हों।

यह बहस इसलिए हो रही है, क्योंकि इस तरह के क़ानून के अभाव में महिलाओं के बीच आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा बढ़ती जा रही है, हालांकि सरकार इस तरह का क़ानून बनाने की कोशिश तो कर रही हैं, लेकिन राजनीतिक मजबूरियों की वजह से अभी तक सरकार इसको लेकर कोई ठोस कदम नही उठा पाई।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के माध्यम से धर्मनिरपेक्षता शब्द को प्रविष्ट किया गया। इससे यह स्पष्ट होता है, कि भारतीय संविधान का लक्ष्य भारत के समस्त नागरिकों के साथ धार्मिक आधार पर सभी को एक सामान का दर्जा देना है, लेकिन वर्तमान समय तक समान नागरिक संहिता के लागू न हो पाने के कारण, भारत में एक बड़ा वर्ग अभी भी धार्मिक क़ानूनों की वजह से अपने अधिकारों से वंचित है।

अंग्रेजों द्वारा भारत में सभी धर्मों के लिए एक समान क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बनाया गया। जो अभी भी लागू है। सामान नागरिक संहिता के बारे में 1840 में ऐसे प्रयास किए गए, परंतु हिंदुओं सहित अन्य धर्मावलंबियों के विरोध के बाद यह लागू नहीं हो सका। संविधान सभा में लंबी बहस के बाद अनुच्छेद 44 के माध्यम से सामान नागरिक संहिता बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिया, जिसे पिछले 70 वर्षों में लागू करने में सभी सरकारें असफल रही हैं।

कट्टरपंथियों के विरोध के बावजूद 1955-56 में हिंदुओं के लिए संपत्ति, विवाह एवं उत्तराधिकार के कानून पारित हो गए। दूसरी ओर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साल 1937 में निकाह, तलाक और उत्तराधिकार पर जो पारिवारिक कानून बनाए थे, वह आज भी अमल में आ रहे हैं, जिन्हें बदलने के लिए मुस्लिम महिलाएं एवं प्रगतिशील लोग प्रयासरत है। सिविल लॉ में विभिन्न धर्मों की अलग परंपरा हैं, परंतु सर्वाधिक विवाद शादी, तलाक, मेंटेनेंस, उत्तराधिकार के कानून में भिन्नता से होता है। ईसाई दंपति को तलाक लेने से पहले 2 वर्ष तक अलग रहने का कानून है, जबकि हिंदुओं के लिए यह अवधि कुल एक वर्ष की है।

इसके विरोध में तीन मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर, तीन तलाक और निकाह हलाला को गैर-इस्लामी और कुरान के खिलाफ बताते हुए इस पर पाबंदी की मांग की। इसके साथ ही समय समय पर लोग इसके लिए प्रयासरत रहते है –

  • सर्वोच्च न्यायालय भी कई बार समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में केन्द्र सरकार के विचार जानने की पहल कर चुका है।
  • संविधान के संस्थापकों ने राज्य के नीति निदेशक तत्व के माध्यम से इसको लागू करने की ज़िम्मेदारी बाद की सरकारों को हस्तांतरित कर दी थी।
  • अभी हाल ही में मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश के अधिकार पर कोर्ट ने मोहर लगाई है। जिसका लाभ मुस्लिम महिलाओं को भी मिलने की बात हो रही है। मुस्लिम पर्सनल लॉ में भी महिलाओं द्वारा बदलाव की मांग जायज़ है, जो संविधान के अनुच्छेद 14ए 15 एवं 21 के तहत उनका मूल अधिकार भी है। सामान नागरिक संहिता अगर लागू हुई तो एक नया कानून सभी धर्मों के लिए बनेगा।

समान नागरिक संहिता क्यों है जरूरी? Why is the Uniform Civil Code important?

सभी नागरिकों हेतु एक समान कानून होना चाहिये, लेकिन स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद भी जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग अपने मूलभूत अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहा है। इस प्रकार समान नागरिक संहिता का लागू न होना एक प्रकार से विधि के शासन और संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन है। वैसे तो इसके लागू होने से कई प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलेंगे, जिनमे से कुछ इस प्रकार है – 

अटूट रिश्ते के लिए For strong relationship

हिंदुओं में शादी जन्मों का बंधन है जिसे तोड़ा नहीं जा सकता, साथ ही सम्मिलित हिन्दू परिवार की जो कल्पना है वो इस समाज की संस्कृति का हिस्सा है। कानून बनने से रिश्तों में मज़बूती आयेगी।

समानता के दर्जे के लिए For equality

आज जहाँ महिलाएँ पुरुष के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही है, वहीँ कई जगह आज भी महिलाओ को अच्छी निगाहों से नही देखा जाता। इसके लागू होने से महिला अपना आत्म सम्मान से जीवन यापन कर पायेगी और आधुनिक युग में महिलाओं को भी अधिकार होना चाहिए कि वो अपने फैसले ख़ुद ले सके।

हिन्दू महिलाएं भी चाहती हैं कि उनके पिता और पति की संपत्ति में उन्हें बराबर का हिस्सा मिले। यह बराबरी का मुद्दा है। हर समाज की महिलाएं बराबरी चाहती हैं, इसलिए समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।

एक जैसे कानून के लिए For equal law

आज विभिन्न धर्मों के अलग अलग कानून होने के कारण न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है, इसके लागू हो जाने से इस मुश्किल से निजात मिलेगी और न्यायालयों में वर्षों से पड़े मामलों के निपटारे जल्द होने शुरू होंगे|

देश के विकास के लिए For development of our country

सभी के लिए कानून में एक समानता से एकता को बढ़ावा मिलेगा और हर नागरिक समान होगा, समानता से देश विकास तेजी से होगा|

अन्य कारण Other reason

  • मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बेहतर होगी।
  • हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से राजनीति में भी बदलाव आएगा या यू कहें कि वोट बैंक की राजनीति पर लगाम लगेगी
  • इसके तहत हर धर्म के लोगों को सिर्फ समान कानून के दायरे में लाया जाएगा, जिसमें शादी, तलाक, प्रॉपर्टी और गोद लेने जैसे मामले शामिल होंगे, ये लोगों को कानूनी आधार पर मजबूत बनाएगा|
  • समान नागरिक संहिता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में भी सुधार आएगा। कुछ धर्मों के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सीमित हैं। इतना ही नहीं, महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में भी एक समान नियम लागू होंगे।
  • व्यक्तिगत स्तर सुधरेगा।

भारत मद कहाँ लागू हो चुका है? Where it is currently effective in India?

समान नागरिकता कानून भारत के संबंध में है, जहाँ भारत का संविधान राज्य के नीति निर्देशक तत्व में सभी नागरिकों को समान नागरिकता कानून सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करता है। वही अभी तक इसको लागू नही किया गया है।

गोवा एक मात्र ऐसा राज्य है , जहां यह लागू है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देश इसे लागू कर चुके हैं।

दोस्तों जैसा की अपने जाना की समान नागरिक संहिता क्या होती है और इसके लाभ क्या है| देखा जाये तो यदि यह भारत में लागू होती है तो इसके लागू होने से आम जनता को काफी राहत मिलेंगे| साथ ही महिलाओ की दयनीय दशा में काफी सुधार होगा।      

4 thoughts on “समान नागरिक संहिता पर निबंध Essay on Uniform Civil Code in Hindi (UCC)”

जी बहुत धन्यवाद। यह निबंध हम लोगों के लिए काफी महत्वपुणँँ हैं।

Thanks it’s very important for me..

Thanks, it’s Very informative

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जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध

हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध- jeevan me siksha ka mahatv par nibandh..

ज़िन्दगी में अगर हमे कुछ बनना है या आत्मनिर्भर होना है तो हमे शिक्षित होने की आवश्यकता है। शिक्षा एक रोशनी की तरह है जो जिन्दगी के अज्ञानता भरे अन्धकार को दूर कर देती है। शिक्षा प्राप्त करने से एक व्यक्ति ही केवल शिक्षित नहीं होता बल्कि उसका सुप्रभाव परिवार पर भी पड़ता है। प्राचीन काल में ऋषि मुनियो द्वारा शिक्षा आश्रम में दिया जाता था। कई तरह के वेद पुराणों की शिक्षा दी जाती थी। उसके कई दशकों के बाद अंग्रेज़ो के आगमन के पश्चात स्कूलों का निर्माण हुआ। बच्चों ने स्कूल जाकर ज्ञान अर्जन किया। शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार सभी को है। ज्ञान बाटने से ज्ञान बढ़ता है।

साक्षर का मतलब है कि उस इंसान को लिखना -पढ़ना आता है। लेकिन क्या सिर्फ साक्षर होना काफी है? नहीं अगर आपको ज़िन्दगी में किसी पर निर्भर नहीं होना है तो आपको शिक्षित होने की आवश्यकता है। शिक्षित होने का तात्पर्य है अपनी ज़िन्दगी में विद्या का सही उपयोग करना और साथ ही परिवार और समाज के लिए काबिल बनना। शिक्षा का उपयोग ज़िन्दगी के हर क्षेत्र के लिए लाभदायक है। अगर आप शिक्षित है तो आप एक सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते है। आपको अच्छे, बुरे, सही गलत का ज्ञान होता है। आप ज़िन्दगी में कोई भी कार्य आत्मविश्वास के साथ कर सकते है।

हम शिक्षित है तो हम अपनी सुविधानुसार कहीं पर भी नौकरी कर सकते है। समाज में आपकी इज़्ज़त रहती है। अगर कोई भी व्यक्ति अशिक्षित है तो उसे ज़िन्दगी में हर वक़्त कठिनाईओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें पैसो की गिनती से लेकर अखबार पढ़ने तक हर क्षेत्र में असुविधा का सामना करना पड़ेगा।

उन्हें अशिक्षित होने का घुटन महसूस होने लगेगा। सिखने की कोई विशेष उम्र नहीं होती है। अगर मनुष्य किसी कारणवश अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाया है तो उसे घबराने की ज़रूरत नहीं है। वह शिक्षा संस्थानों से संपर्क कर प्रवेश पा सकता है। शिक्षा की लौह पूरी मनुष्य की ज़िन्दगी में रोशनी भर देती है। शिक्षित व्यक्ति परिश्रम करके अपना रोजगार चला सकता है। उसका करियर भी अच्छे से स्थापित हो जाता है।

शिक्षा पर सभी धर्म, जाति लिंग का अधिकार है। शिक्षा ग्रहण करना  सभी का मौलिक अधिकार है। इस पर किसी प्रकार का भेदभाव निंदनीय है। अगर व्यक्ति शिक्षित है तो वह अपने ज्ञान से हर मुश्किल आसान कर देता है।

मनुष्य शिक्षित होने पर अपने परिवार की भली -भाँती देखभाल कर पता है। ज़िन्दगी के कठिन फैसले वह खुद लेने में सक्षम रहता है। शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में अपनी हर चाह को पूरी कर सकता है और मेहनत कर सफलता के मार्ग पर अग्रसर होता है। शिक्षित व्यक्ति अपने देश के प्रति हर ज़िम्मेदारियों को बखूभी निभाता है। उसे नैतिक और कानूनी अधिकारों के बारे में सब पता होता है। वह सरकार द्वारा हर आदेश का पालन करता है और गलत रास्ते नहीं जाता है। वहां अशिक्षित व्यक्ति शिक्षा के अभाव में ज़िन्दगी में गलत मार्ग का अनुकरण करता है।

अशिक्षित व्यक्ति को अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती है जिसके चलते वह ज़िन्दगी में गलत मार्ग और शार्ट कट चीज़ें अपनाते है। यहाँ उनकी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाती है। शिक्षित व्यक्ति की इज़्ज़त समाज करता है और उस व्यक्ति से राय लेता है। वहीं अशिक्षित व्यक्ति को समाज झुटला देता है। अशिक्षित व्यक्ति की बातों पर कोई भी ध्यान नहीं देता है। शिक्षित व्यक्ति को हर छोटी बड़ी बातों का ज्ञान होता है। वह रोज़ ज़िन्दगी में नविन तत्यों को सिखता है और पुस्तकों का अध्धयन भी करता है। जिस वजह से कोई भी साधारण व्यक्ति उसे मुर्ख नहीं बना सकता है।

शिक्षित व्यक्ति हर महत्वपूर्ण चीज़ों की जांच करता है और सोच-समझ कर फैसले करता है। किसी भी अनजान व्यक्ति की बातों में नहीं आता है।  वह हर पहलु का तोल -मोल करके ही अपना फैसला लेता है। किसी भी कागज़ को बिना पढ़े हस्ताक्षर नहीं करता है। समाज और देश की प्रगति के लिए हर व्यक्ति का शिक्षित होना अनिवार्य है।

लेकिन कुछ वजहों से समाज में हर व्यक्ति को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसका मूल कारण जनसंख्या वृद्धि है। देश में जनसंख्या बढ़ती चली जा रही है जिसकी वजह से प्रत्येक कोने में स्कूल नहीं खुल पा रहे है।

देश में गरीबी एक प्रमुख समस्या है। मजदूर और गरीबवर्ग के लोग जो दैनिक आय पर जीते है। रोज़ खाने के लिए ही पैसा जुट पाता है।वह शिक्षा अपने बच्चो को दिलाने में असमर्थ है। गांव में कई किलोमीटर उन्हें पढ़ने हेतु जाना पड़ता है। वहां कुछ बच्चे जाने में असमर्थ है। पैसो की तंगी के कारण उन्हें बाल मजदूरी के दल दल में धकेल दिया जाता है।

आजकल विद्यालय खासकर अंग्रेजी medium स्कूल्ज में बच्चे को पढ़ाना मतलब पानी की तरह पैसा बहाना होता है। शिक्षा अत्यंत महंगी हो गयी है कि सिर्फ गिने -चुने वर्ग के लोग यह महंगी शिक्षा बर्दास्त कर पाते है। जो लोग धनी है उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिन परिवारों में आर्थिक समस्याएं है वह इतनी महंगी शिक्षा अपने बच्चे को प्रदान करवाने में असमर्थ है।

समाज की सोच कई जगहों पर बहुत पिछड़ी हुई है। कई गाँव में बेटियों को अभी भी पढ़ाया नहीं जाता है और उनसे घर के काम करवाए जाते है। इसलिए लड़कियाँ बहुत से हिस्सों में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रही है।

लेकिन आज दुनिया में बहुत परिवर्तन आया है। भारत सरकार ने शिक्षा को एहमियत देते हुए कई नियम बनाये है ताकि शिक्षा प्राप्त करने कि सुविधा हर इंसान को नसीब हो। मुफ्त शिक्षा के स्कूल गाँव और कस्बो में खोले गए है। बहुत सारे सरकारी स्कूलों में फीस बहुत कम है ताकि परिवारों को तकलीफ न हो और निश्चिंत होकर आपने बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेज सके। बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसे मुहीम आरम्भ किये गए है ताकि लड़कियों को शिक्षा मिल सके। शिक्षा पर लड़के -लड़की का बराबर हक़ होता है।

शिक्षा सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है। भारत सरकार अपनी तरफ से पूरी चेष्टा कर रही है ताकि सभी को बराबर शिक्षा मिल सके।  शिक्षा मनुष्य को सकारात्मक सोच की और ले जाती है। अशिक्षा बुराई और नकारात्मक सोच को जन्म देती है। हम इस नकारात्मक सोच को शिक्षा रूपी मोमबत्ती की लौह से प्रकाश कर ज्ञान का उजाला भर देंगे।

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भाषा का महत्व पर निबंध | Essay On The Importance Of Language In Hindi

नमस्कार फ्रेड्स आज हम  भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language In Hindi  पढ़ेगे.

आज के निबंध में जानेगे कि भाषा क्या होती है हिंदी भाषा का महत्व जीवन में भाषा की उपयोगिता के बारे में विस्तार से सरल भाषा में जानेगे.

भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language

भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language

भाषा भावों की वाहिका और विचारों की माध्यम होती है. अतएवं किसी भी जाति अथवा राष्ट्र की भावोंत्क्रष और विचारों की समर्थता उसकी भाषा से स्पष्ट होती है.

जब से मनुष्य ने इस भूमंडल पर होश संभाला है, तभी से भाषा की आवश्यकता रही है. भाषा व्यक्ति को व्यक्ति से, जाति को जाति से राष्ट्र को राष्ट्र से मिलाती है.

भाषा का महत्व पर निबंध Short Essay On The Importance Of Language

भाषा द्वारा ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है. राष्ट्र को सक्षम और धनवान बनाने के लिए भाषा और साहित्य की सम्पन्नता और उसका विकास परमआवश्यक है.

भाषा का भावना से गहरा सम्बन्ध है. और भावना तथा विचार व्यक्तिगत के आधार है. यदि हमारे भावों तथा विचारों को पोषक रस किसी विदेश अथवा पराई भाषा से मिलता है. तो निश्चय ही हमारी व्यक्तिगत भी भारतीय अथवा स्वदेशी न रहकर अभारतीय अथवा विदेशी हो जाएगा.

प्रत्येक भाषा और प्रत्येक साहित्य अपने देश काल और धर्म से परिचित तथा विकसित होता है. उस पर अपने महापुरुषों और चिंतको का, उनकी अपनी परिस्थतियों के अनुसार प्रभाव पड़ता है.

कोई दूसरा देश काल और समाज भी उस सुंदर स्वास्थ्यकारी संस्कृति से प्रभावित हो, यह आवश्यक नही है.

अतएवं व्यक्ति के व्यक्तित्व का समुचित विकास और उसकी शक्तियों को समुचित गति अपने पठन पाठन में मिल सकती है.

इसका कारण यह भी है कि मात्रभाषा में जितनी सहज गति से संभव है और इसमे जितनी कम शक्ति समय की आवश्यकता पडती है उतनी किसी भी विदेशी और पराई भाषा से संभव नही है.

यह भी सच है कि हमारे देश के प्रतिभाशाली और होनहार लोग पशिचमी भाषा और साहित्य में अपनी क्षमता को देखकर स्वयं भी चकिंत रह जाते है. जिसकी यह मातृभाषा नही है.

यह भी मानना पड़ेगा कि इन परिश्रमी लोगों ने अपनी शक्ति समय और तन्मयता पराई भाषा के लिए खपाई, वह यदि मातृभाषा के लिए प्रयोग की गई होती तो एक अद्भुत चमत्कार ही हो गया होता.

माइकेल मधुसूदन दत्त का द्रष्टान्त आपके सामने है. प्रतिभा के स्वामी इस बांगला कवि ने अंग्रेजी में काव्य रचना करके कीर्ति और गौरव कमाने के लिए भारी परिश्रम और प्रयत्न किया. यह तथ्य उनको तब समझ में आया जब वे इंग्लैंड यात्रा पर गये.

बहुत अच्छा लिखकर भी वह द्वितीय श्रेणी के लेखक और कवित से अधिक कुछ नही हो सके. यदि चाहते तो अपनी भाषा के कृतित्व के बल पर वह सहज ही प्रथम श्रेणी के कवियों में प्रतिष्टित हो सकते थे.

यह सब पता चलने के बाद उन्होंने अपनी भाषा में लिखने का निर्णय किया. प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता है.

श्रीमती सरोजनी नायडू यदि अपनी मातृभाषा में काव्यरचना करती तो निश्चय ही श्रेष्ट कवयित्री होने का गौरव प्राप्त करती. मै देखती हु कि उच्च ज्ञान विज्ञान का माध्यम अंग्रेजी होने पर पिछले डेढ़ सौ वर्षो में अंग्रेजी में एक भी रवीन्द्रनाथ, शरतचंद्र, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और उमाशंकर जोशी आदि पैदा नही हो सके. राष्ट्रभाषा राष्ट्र की उन्नति की धौतक होती है.

मानव जाति के विकास के सिदीर्घ इतिहास में सर्वाधिक महत्व संप्रेषण के माध्यम का रहा है और वह माध्यम है भाषा. मनुष्य समाज की इकाई होता है तथा मनुष्यों से ही समाज बनता है.

समाज की इकाई होने के कारण परस्पर विचार, भावना, संदेश, सूचना आदि को अभिव्यक्त करने के लिए मनुष्य भाषा का ही प्रयोग करता हैं.

वह भाषा चाहे संकेत भाषा हो अथवा व्यवस्थित, ध्वनियों शब्दों या वाक्यों में प्रयुक्त कोई मानक भाषा हो. भाषा के माध्यम से ही हम अपने भाव एवं विचार दूसरे व्यक्ति तक पहुचाते हैं तथा दूसरे व्यक्ति के भाव एवं विचार जान पाते हैं.

भाषा ही वह साधन हैं. जिससे हम अपने इतिहास संस्कृति, संचित विज्ञान तथा महान परम्पराओं को जान पाते हैं.

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay on importance of Hindi language

संसार में संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, बंगला, गुजराती, उर्दू, मराठी, तेलगू, मलयालम, पंजाबी, उड़िया, जर्मन, फ्रेंच, इतालवी, चीनी जैसी अनेक भाषाएँ हैं. भारत अनेक भाषा भाषी देश हैं.

तथा अनेक बोली और भाषाओं से मिलकर ही भारत राष्ट्र बना हैं. संस्कृत हमारी सभी भारतीय भाषाओं की सूत्र भाषा है तथा वर्तमान में हिंदी हमारी राजकीय भाषा हैं.

भाषा के दो प्रकार होते है, पहला मौखिक व दूसरा लिखित. मौखिक भाषा आपस में बातचीत के द्वारा, भाषणों तथा उद्बोधन के रूप में प्रयोग में लाई जाती हैं.

तथा लिखित भाषा लिपि के माध्यम से लिखकर प्रयोग में लाई जाती हैं. यदपि भाषा भौतिक जीवन के पदार्थों तथा मनुष्य के व्यवहार व चिंतन की अभिव्यक्ति के साधन के रूप में विकसित हुई हैं.

जो हमेशा एक सी नहीं रहती हैं अपितु उसमें दूसरी बोलियों, भाषाओं से सम्पर्क भाषाओं से शब्दों का आदान प्रदान होता रहता हैं.

जीवन के प्रति रागात्मक सम्बन्ध भाषा के माध्यम से ही उत्पन्न होता हैं. किसी सभ्य समाज का आधार उसकी विकसित भाषा को ही माना जाता हैं.

हिंदी खड़ी बोली ने अपने शब्द भंडार का विकास दूसरी जनपदीय बोलियों, संस्कृत तथा अन्य समकालीन विदेशी भाषाओं के शब्द भंडार के मिश्रण से किया हैं. किन्तु हिंदी के व्याकरण के विविध रूप अपने ही रहे हैं.

हिंदी में अरबी फ़ारसी अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओं के शब्द भी प्रयोग के आधार पर तथा व्यवहार के आधार पर आकर समाहित हो गये हैं. भाषा स्थायी नहीं होती उसमें दूसरी भाषा के लोगों के सम्पर्क में आने से परिवर्तन होते रहते हैं.

भाषा में यह परिवर्तन धीरे धीरे होता हैं. और इन परिवर्तनों के कारण नई नई भाषाएँ बनती रहती हैं, इसी कारण संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि के क्रम में ही आज की हिंदी तथा राजस्थानी, गुजराती, पंजाबी, सिन्धी, बंगला, उड़िया, असमिया, मराठी आदि अनेक भाषाओं का विकास हुआ हैं.

भाषा के भेद प्रकार (Type of language)

जब हम आपस में बातचीत करते है तो मौखिक भाषा का प्रयोग करते है तथा पत्र, लेख, पुस्तक, समाचार पत्र आदि में लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं. विचारों का संग्रह भी हम लिखित भाषा में ही करते हैं.

  • मौखिक भाषा (Oral language)
  • लिखित भाषा (written language)

मूलतः सामान्य जन जीवन के बीच बातचीत में मौखिक भाषा का ही प्रयोग होता हैं, इसे प्रयत्नपूर्वक सीखने की आवश्यकता नहीं होती हैं.

बल्कि जन्म के बाद बालक द्वारा परिवार व समाज के सम्पर्क तथा परस्पर सम्प्रेष्ण व्यवहार के कारण स्वाभा विक रूप से ही मौखिक भाषा सीखी जाती हैं.

जबकि लिखित भाषा की वर्तनी और उसी के अनुरूप उच्चारण प्रयत्नपूर्वक सीखना पड़ता हैं. मौखिक भाषा की ध्वनियों के लिए स्वतंत्र लिपि चिह्नों के द्वारा भी भाषा का निर्माण होता हैं.

भाषा और बोली में अंतर

एक सीमित क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा के स्थानीय रूप को बोली कहा जाता हैं, जिसे उप भाषा भी कहते हैं. कहा गया है कि कोस कोस पर पानी बदले पांच कोस पर बानी.

हर पांच सात मील पर बोली में बदलाव आ जाता हैं. भाषा का सीमित, अविक सित तथा आम बोलचाल वाला रूप बोली कहलाती हैं.

जिसमें साहित्य की रचना नहीं होती तथा जिसका व्याकरण नहीं होता व शब्दकोश भी नहीं होता, जबकि भाषा विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती हैं, उसका व्याकरण तथा शब्दकोश होता हैं तथा उसमें साहित्य लिखा जाता हैं.

किसी बोली का संरक्षण तथा अन्य कारणों से यदि क्षेत्र विस्तृत होने लगता है तो उसमें साहित्य लिखा जाने लगता हैं. तो वह भाषा बनने लगती है तथा उसका व्याकरण निश्चित होने लगता हैं.

  • जाति का अर्थ परिभाषा महत्व
  • पुरुषार्थ का अर्थ व परिभाषा
  • भारत के राज्य और उसकी भाषाएँ
  • शिक्षा का अर्थ महत्व व परिभाषा

उम्मीद करता हूँ दोस्तों भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language In Hindi का यह लेख आपकों पसंद आया होगा.

भाषा के महत्व पर दिया गया निबंध पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
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  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
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  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
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  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
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  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
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  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
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  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

इस लेख में आप विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढेंगे। जिसमें हमने विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ, प्रकार, भूमिका, महत्व और दस वाक्यों को बेहद आकर्षक और सरल रूप से लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi)

विद्यार्थी जीवन में कठिन परिश्रम और अनुशासन की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। जिस विद्यार्थी में इन गुणों की कमी होती है उसका बौद्धिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता।

विद्या अध्ययन को बेहद कठिन और एकाग्रतासाध्य काम माना जाता है। जिसमें उच्चकोटि का ध्यान और समर्पण की आवश्यकता होती है।

बाल्यावस्था किसी भी विषय को सीखने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी मनुष्य का अधिकतम मानसिक विकास पंद्रह वर्ष की उम्र तक हो जाता है।

जो विद्यार्थी मेहनत और अनुशासन को अपने जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाते हैं वे एक सफल विद्यार्थी बनने के साथ-साथ एक आदर्श नागरिक भी बनते हैं।

दुनिया में किसी भी कार्य की उपलब्धि के लिए सतत संघर्ष और अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक है। जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसके अलावा अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन काल में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है  जहां अनुशासन की आवश्यकता और उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। आसान शब्दों में विद्यार्थी जीवन को पूरे जीवन काल की आधारशिला कहा जा सकता है क्योंकि इस समय में वह जो कुछ भी सीखता है उसका प्रभाव पूरे जीवन  जीवन भर दिखाई देता है।

विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ Definition of Student and Discipline in Hindi

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन। इसका अर्थ होता है कि किसी भी नियम के अधीन रहकर कार्य करना अथवा नियमों के शासन में रहना।

सरल शब्दों में कहा जाए तो अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।

दुनिया के महान तथा सफल लोगों ने इसका महत्व बताया है कि किस प्रकार अनुशासन ही उद्देश्य तथा उपलब्धि के बीच का सेतु होता है।

सामान्य जीवन में ऐसे लक्ष्यों अथवा कार्यों को प्राथमिकता देना जो आने वाले भविष्य पर प्रत्यक्ष रुप से प्रभाव डालते हैं उनका अनुसरण करना ही अनुशासन कहलाता है।

सच कहा जाए तो अनुशासन ही मानव सभ्यता के विकास का प्रथम चरण है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका होना अत्यंत आवश्यक है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के प्रकार Types of Disciplines of Student life in Hindi

आमतौर पर जीवन के हर विषय में अनुशासन के विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए धैर्य  तथा अनुशासन की आवश्यकता होती है।

किंतु सामान्य रूप से देखा जाए तो अनुशासन के दो प्रकार होते हैं- बाहरी अनुशासन तथा आंतरिक अनुशासन।

बाहरी अनुशासन का तात्पर्य इस बात से है, यदि किसी व्यक्ति की इच्छा के बिना उस पर जबरजस्ती किसी नियम कानून को थौंपा जाए तो वह बाहरी अनुशासन कहलाता  है।

आज के समय में विद्यार्थियों को किसी भी शैक्षणिक स्थान में कड़ी नियम कानूनों द्वारा बांध दिया जाता है लेकिन उन्हें अनुशासन के वास्तविक महत्व के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती।

दूसरा अनुशासन वही होता है जो स्वयं अपनी इच्छा से किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से अपने कार्य के प्रति समर्पित कर देना अथवा कड़े नियमों का पालन  करना ही आंतरिक अनुशासन कहलाता है।

विद्यार्थी और अनुशासन की भूमिका Role of Student and Discipline in Hindi

जीवन में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां अनुशासन की आवश्यकता न होती हो। विद्यालयों में बच्चों के लिए कड़े नियम कानून बनाए जाते हैं, जिससे वे सही-गलत का फर्क कर सके और अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

प्रत्येक मनुष्य अपने प्रारंभिक जीवन में एक विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी जीवन इसीलिए इतना महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस समय में  बच्चे जो कुछ भी सीख पाते हैं उसका प्रभाव उनके चरित्र  तथा भविष्य पर प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।

विद्यार्थी जीवन में किसी भी प्रकार के कला को बहुत सरलता से सीखा जा सकता है। इसीलिए मानव जीवन के इस स्वर्णिम समय में अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है।

अध्यापक अपने विद्यार्थियों को नियमित रूप से अनुशासन का पालन करना सिखाते हैं। शिक्षक बच्चों को अपने से बड़ों का आदर सम्मान करना, रोजाना समय पर कक्षा में हाजिर रहना अपने मित्रों के साथ झगड़ा ना करना और झूठ न बोलना आदि जैसे अच्छी बातें भी सिखाते हैं।

अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थियों में संयम तथा सद्गुण जैसे कई गुण विकसित होते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व भली-भांति समझता है इसीलिए अपने से बड़ों की बात कभी भी नजरअंदाज नहीं करता।

एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा अपने समय को नई चीजों को सीखने में लगाता है तथा निर्धारित समय पर अपना अभ्यास कार्य करता है। वहीं दूसरी ओर एक सामान्य विद्यार्थी पढ़ने के लिए हमेशा टालमटोल करता है तथा अनुशासन का कभी भी पालन नहीं करता।

इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि कोई भी व्यक्ति अनुशासन के महत्व को समझे बगैर सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। केवल कड़े अनुशासन का पालन करके ही बड़ी से बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की जा सकतीं हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन का महत्व Importance of Students and Discipline in Hindi

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही आवश्यक है, जिस प्रकार जीवित रहने के लिए भोजन आवश्यक होता है।

भारत में प्राचीन काल में बाल्यावस्था से ही बच्चों को शिक्षा के लिए गुरुकुल भेज दिया जाता था जहां उन्हें कड़े  नियम कानून के अंतर्गत शिक्षा दिया जाता था। गुरुकुल में सभी विद्यार्थी पूरे अनुशासन के साथ अपनी शिक्षा  पूरी करते थे।

अपने जीवन में सफल होने का केवल एक ही रास्ता होता है वह अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास करना है।

किसी भी राष्ट्र की वास्तविक संपदा वहां के विद्यार्थी होते हैं। यही बच्चे पढ़ लिख कर आगे चलकर बड़े-बड़े डॉक्टर, इंजीनियर, पॉलीटिशियंस, कलाकार, पायलट इत्यादि बनते हैं।

यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करके अपने देश  के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

अनुशासन ही सफलता का मूल मंत्र होता है। इसीलिए इसके जरिए जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर सफल जीवन की कामना की जा सकती है। 

एक विद्यार्थी की उन्नति का मुख्य द्वार अनुशासन ही होता है तथा इसी से एक सभ्य समाज के साथ-साथ एक विकसित राष्ट्र का निर्माण भी होता है।

इसका प्रयोग करके विद्यार्थी न केवल परीक्षा में अच्छे अंक ही प्राप्त कर सकते हैं बल्कि आगे चलकर समाज में एक अच्छे नागरिक भी बनते हैं।

यही कारण है कि विद्यालयों में बच्चों की अनुशासनहीनता पर उन्हें अध्यापक द्वारा दंडित किया जाता है जिससे वे गलती को दोबारा नहीं दोहराते हैं। विद्यार्थी जीवन में धैर्य और समझदारी का निर्माण इसी के कारण होता है। 

विद्यार्थी और अनुशासन पर 10 लाइन Best 10 lines on Students and Discipline in Hindi

  • अनुशासन ही सफलता की वास्तविक कुंजी होती है।
  • आज तक जितने भी लोग महान तथा सफल हुए हैं वे लगातार संघर्ष और अनुशासन  के पालन से ही हुए हैं।
  • विद्यालय में विद्यार्थियों को अनुशासन के पालन करने पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है।
  • अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।
  • दुनिया में अधिकतर सफल लोग अपनी सफलता का कारण अनुशासन को ही ही बताते हैं।
  • अनुशासन के बिना एक सफल जीवन की कामना करना मूर्खता पूर्ण होता है।
  • वेदों में अनुशासन को इंसान के लिए सबसे जरुरी तपस्या बताया गया है।
  • महात्मा गांधी अपने आश्रम में अनुशासन को कड़ाई से पालन करवाते थे।
  • बाह्य अनुशासन के मुकाबले अंतः अनुशासन मुख्य होता है।
  • विद्यार्थी और अनुशासन ये दोनों एक दुसरे के पूरक होते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी में निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढ़ा। आशा यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह निबंध आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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अनुशासन का महत्व पर निबंध

importance of uniform essay in hindi

By विकास सिंह

importance of discipline essay in hindi

अनुशासन का मतलब समय की पाबंदी, नियमों का पालन करना और हमारे जीवन के हर पहलू में संगठित होना है। इससे हमारे विभिन्न कार्यों और गतिविधियों को कुशलतापूर्वक पूरा करना और आसानी से सफलता प्राप्त करना आसान हो जाता है।

विषय-सूचि

अनुशासन का महत्व पर निबंध, essay on importance of discipline in hindi (100 शब्द)

अनुशासन एक मूल्यवान गुण है। यदि आप अनुशासित हैं तो आप अपने स्कूल के असाइनमेंट को पूरा कर सकते हैं और उन्हें समय पर जमा कर सकते हैं। समय के प्रति सचेत रहने से आपको अपने लक्ष्यों को उत्कृष्टता के साथ हासिल करने में मदद मिलती है।

आप अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सकते हैं। यदि आप बेकार और अप्रासंगिक गतिविधियों पर अपना समय बर्बाद नहीं करते हैं, तो आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जो महत्वपूर्ण है उसे पूरा करने के लिए अपने समय का उपयोग कर सकते हैं।

समय की पाबंदी के अलावा, अपनी गतिविधियों और असाइनमेंट को व्यवस्थित रूप से करने से आपको अनुशासन के साथ काम करने में मदद मिलती है। बेतरतीब ढंग से काम करने से समय और ऊर्जा बर्बाद होती है। अनुशासन विकसित करने के लिए निम्नलिखित नियम भी आवश्यक हैं।

अनुशासन का महत्व पर निबंध, essay on importance of discipline in hindi (150 शब्द)

अनुशासन आपके काम को आसान और कुशलतापूर्वक पूरा करने में मदद करता है। अनुशासन के साथ काम करना आपको गतिविधि को घंटे के अनुकूल बनाता है। एक छात्र के रूप में आपको अध्ययन करने की आवश्यकता है। सुबह के शुरुआती घंटों में अध्ययन करना सबसे अच्छा है जब पूरी रात की नींद के बाद मन ताजा होता है।

यदि आप देर से उठते हैं तो आप दिन के सबसे अधिक उत्पादक समय को खो देते हैं। इसी तरह, यदि आप बेकार की गतिविधियों में लिप्त हैं, तो आप अपने इच्छित लक्ष्यों तक नहीं पहुँच पाते है। इसलिए, एक व्यावहारिक समय-सारणी तैयार करना और उसके अनुसार काम करना बेहतर है।

एक क्रमबद्ध तरीके से काम करने से अनुशासन विकसित करने में मदद मिलती है। यदि आप एक व्यवस्थित तरीके से काम करते हैं, तो आप अपने काम को अधिक आसानी से पूरा कर सकते हैं। आप तनावग्रस्त होने से भी बच सकते हैं। आपको नियमों का पालन करके अनुशासित किया जा सकता है। इससे आपका काम सरल हो जाएगा।

अनुशासन का महत्व पर लेख, article on importance of discipline in hindi (200 शब्द)

अनुशासन अच्छी तरह से व्यवहार में चीजों को करने का सही तरीका है। इसे मन और शरीर पर नियंत्रण की आवश्यकता है। किसी के पास आत्म-अनुशासन की प्राकृतिक संपत्ति है, लेकिन किसी को उनके अंदर इसे विकसित करना है। अनुशासन भावना को नियंत्रित करने और सही समय पर सही काम करने की क्षमता है और साथ ही कमजोरियों को दूर करता है।

अनुशासन के बिना जीवन अधूरा और असफल है। हमें अपने बुजुर्गों और वरिष्ठों का सम्मान करते हुए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। यह घर, कार्यालय, खेल के मैदान या अन्य जगह पर जीवन के हर क्षेत्र में हर किसी के लिए बहुत आवश्यक उपकरण है। यदि हम अनुशासन का पालन नहीं करेंगे तो हमारा दैनिक जीवन असंगठित हो जाएगा। इस दुनिया में हर चीज में अनुशासन होता है और अनुशासन से संगठित होता है।

हवा, पानी और जमीन हमें जीवन जीने का रास्ता देते हैं। पूरी दुनिया, देश, समाज, समुदाय, आदि अनुशासन के बिना अव्यवस्थित हो जाएंगे क्योंकि सब कुछ अनुशासन की आवश्यकता है। अनुशासन वह प्रकृति है जो प्रकृति द्वारा बनाई गई हर चीज में मौजूद है।

अनुशासन का महत्व पर अनुच्छेद: paragraph on importance of discipline in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना:.

अनुशासन का पालन किया जा रहा है और उचित अधिकार के आदेशों का पालन करने के लिए आत्म-नियंत्रित व्यवहार है। अनुशासन का पूरे जीवन में बहुत महत्व है और जीवन के हर क्षेत्र में इसकी आवश्यकता है। यह उन सभी के लिए आवश्यक है जिन्हें किसी भी कार्य को गंभीरता से करने की आवश्यकता है। यह हम वरिष्ठों के आदेशों का पालन और पालन नहीं करते हैं; निश्चित रूप से हम समस्याओं का सामना करेंगे या असफल हो सकते हैं।

दैनिक जीवन में अनुशासन:

हमें हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए और अपने जीवन में सफल होने के लिए अपने माता-पिता और शिक्षकों के आदेश का पालन करना चाहिए। हमें सुबह-सुबह बिस्तर से उठना चाहिए और एक गिलास पानी पीना चाहिए और खुद को तरोताजा रखना चाहिए। हमारे दांतों को ब्रश करें, स्नान करें और फिर हमारा स्वस्थ नाश्ता करें। बिना भोजन ग्रहण किए हमें कभी स्कूल नहीं जाना चाहिए। हमें अपने होमवर्क को सही समय पर साफ और स्वच्छ तरीके से करना चाहिए।

हमें अपने माता-पिता को कभी भी अस्वीकार नहीं करना चाहिए, उनका अपमान करना चाहिए या उन्हें नाखुश करना चाहिए और हमेशा उनके आदेश का पालन करना चाहिए। हमें सही समय पर और उचित यूनिफॉर्म में स्कूल जाना चाहिए। कक्षा में, हमें स्कूल के मानदंडों के अनुसार प्रार्थना करनी चाहिए। हमें शिक्षक के आदेशों का पालन करना चाहिए, कक्षा में सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और सही तरीके से सब कुछ सीखना चाहिए।

निष्कर्ष:

हमें शिक्षकों, प्रिंसिपल, नौकरानी, ​​गेट कीपर्स या छात्रों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। हमें घर, स्कूल, कार्यालय या अन्य स्थानों पर सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में कुछ भी बड़ा हासिल नहीं कर सकता है। इस प्रकार, हम सभी को अपने माता-पिता और शिक्षकों का पालन करना चाहिए और जीवन में एक सफल व्यक्ति बनना चाहिए।

अनुशासन का महत्व पर निबंध, importance of discipline essay in hindi (300 शब्द)

अनुशासन हमारे शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रण में रखने और परिवार के माता-पिता, शिक्षकों और बड़ों के आदेशों का पालन करके सभी कार्यों को सही तरीके से करने का कार्य है। अनुशासन में रहने के लिए नियमों और विनियमों को स्वीकार करने के लिए हमारे दिमाग को प्रशिक्षित करने का कार्य है। हम अपने दैनिक जीवन में प्रकृति में अनुशासन के उदाहरण भी देख सकते हैं

प्रकृति में अनुशासन के उदाहरण:

सूर्य हर दिन सही समय पर उठता है और सही समय पर अस्त होता है, चाँद सही समय पर उठता है, सुबह और शाम बिना देर किए उठता है, नदी हमेशा बहती है, माता-पिता हमेशा प्यार करते हैं, शिक्षक हमेशा हमें सिखाते हैं और बहुत कुछ। तो क्यों हमें अपने जीवन में पीछे छोड़ दिया जाना चाहिए, हमें समस्याओं से पीड़ित हुए बिना आगे बढ़ने के लिए अपने जीवन में आवश्यक सभी अनुशासन का पालन करना चाहिए।

अनुशासन कैसे सीखें?

हमें माता-पिता, शिक्षकों और अपने बुजुर्गों का पालन करना चाहिए। हमें उनके अनुभवों के बारे में जानने और उनकी जीत और असफलताओं से सीखने के लिए उन्हें सुनना चाहिए। जब भी हम किसी चीज को गहराई से देखना शुरू करते हैं, तो यह हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक देती है।

मौसम सही पैटर्न में आते हैं और चलते हैं, बारिश होती है और जाती है और सब कुछ सही समय पर होता है ताकि हमारे जीवन को संतुलित बनाया जा सके। इसलिए, हमें भी इस धरती पर जीवन चक्र को बनाए रखने के लिए अनुशासन में रहने की आवश्यकता है।

हमारे जीवन, माता-पिता, शिक्षक, परिवार, पर्यावरण, वातावरण आदि के प्रति हमारी बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। एक इंसान के रूप में, हमारे पास सोचने, सही या गलत के बारे में निर्णय लेने और इसे कार्य में बदलने के लिए अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए बहुत दिमाग है। इसलिए, हम अपने जीवन में इस अनुशासन की आवश्यकता और महत्व को जानने के लिए अत्यधिक जिम्मेदार हैं।

अनुशासनहीनता जीवन में बहुत भ्रम पैदा करती है और एक व्यक्ति को गैर जिम्मेदार और आलसी बनाती है। यह आत्मविश्वास के स्तर को कम करता है और मन को एक साधारण काम करने के बारे में अनिश्चित बनाता है। हालाँकि, अनुशासन में रहना हमें जीवन की उच्चतम सीढ़ी की ओर अग्रसर करता है और हमें सफलता पाने में मदद करता है।

अनुशासन का महत्व पर निबंध, essay on importance of discipline in hindi (350 शब्द)

अनुशासन हमें अपने कार्यों और गतिविधियों को एक कुशल तरीके से पूरा करने में मदद करता है। हमें अपने जीवन के हर चरण और गतिविधि में अनुशासित होना चाहिए। अनुशासित होने से सफलता मिलने में मदद मिलती है।

नियमों का पालन करने से हम अनुशासन विकसित करते हैं:

अनुशासन के लिए आवश्यक है कि हम उन नियमों का पालन करें जो हम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, सड़क नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है। अगर हमें एक सड़क पार करनी है तो हमें पैदल यात्री क्रॉसिंग पर ऐसा करने की आवश्यकता है। अगर हम नियम की अवज्ञा करते हैं, तो यह खतरनाक होगा।

इसी तरह, हमें उन नियमों का पालन करना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए जिन्हें हम संगठन का हिस्सा मानते हैं। यदि हम किसी स्कूल या शिक्षण संस्थान में पढ़ते हैं, तो हमें उपस्थिति और अध्ययन के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।

अगर हम छुट्टी लेते हैं तो हमें छुट्टी का आवेदन जमा करना होगा। इसी तरह, अगर हम स्कूल में प्रयोगशाला, कंप्यूटर कक्ष और खेल के मैदान जैसी सुविधाओं का उपयोग करना चाहते हैं, तो हमें उनके उपयोग के लिए निर्धारित नियमों का पालन करना होगा।

यदि हम किसी सामाजिक, व्यावसायिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक या सांस्कृतिक संगठन का हिस्सा हैं, तो हमें इसके सुचारू और सामंजस्यपूर्ण कामकाज के नियमों का पालन करने की आवश्यकता है। हमें उस देश के नियमों और कानूनों का भी पालन करना होगा जो हम हैं। यदि किसी देश के सभी नागरिक गैर-कानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं तो पूरे देश में अराजकता होगी।

नियमों का पालन करने से न केवल हम किसी सुविधा या सेवा से लाभ प्राप्त करते हैं बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि इसका उपयोग करने वाले या अन्य लोगों को कोई गड़बड़ी या विनाश न हो। इसलिए, सभी के अनुशासित होने पर अधिक सामंजस्य और व्यवस्था होती है।

अनुशासन समय के विवेकपूर्ण उपयोग की अनुमति देता है:

सही समय पर सही गतिविधि करके हम अधिक अनुशासित भी हो सकते हैं। इस प्रकार हम अपने पास उपलब्ध समय का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करते हैं। अप्रासंगिक गतिविधियों में समय बर्बाद करने के बजाय, हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों और ऊर्जाओं को लागू करते हैं।

एक छात्र के रूप में हमें समय के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है ताकि हम समय पर स्कूल पहुँच सकें। हमें अपने कार्य और परियोजनाएँ समय पर पूरी करनी चाहिए। इसी तरह, अगर हमारी किसी विशेष समय पर नियुक्ति होती है, तो हमें समय पर पहुंचने के लिए समयनिष्ठ होना चाहिए। समय की पाबंदी में कमी अनुशासनहीनता को दर्शाता है।

अनुशासन का महत्व पर लेख: article on importance of discipline in hindi (400 शब्द)

अनुशासन एक ऐसी चीज है, जो सभी को अच्छे नियंत्रण में रखती है। यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। हम में से हर एक ने अपनी आवश्यकता और जीवन के प्रति समझ के अनुसार विभिन्न रूपों में अनुशासन का अनुभव किया है। सभी के जीवन में इसकी उपलब्धता सही रास्ते पर जाने के लिए बहुत आवश्यक है।

अनुशासन: इसका महत्व और प्रकार (importance of discipline)

अनुशासन के बिना जीवन निष्क्रिय और बेकार हो जाता है क्योंकि योजना के अनुसार कुछ भी नहीं होता है। अगर हमें किसी भी कार्य को पूरा करने के बारे में सही तरीके से अपनी रणनीति को लागू करने की आवश्यकता है, तो हमें पहले अनुशासन में रहने की आवश्यकता है। अनुशासन चीजों को आसान बनाता है और हमारे जीवन में सफलता लाता है।

अनुशासन आम तौर पर दो प्रकार के होते हैं। एक प्रेरित अनुशासन है जिसमें हम दूसरों के द्वारा अनुशासन में रहना सीखते हैं और दूसरा एक आत्म-अनुशासन है जो अनुशासन में रहने के लिए हमारे स्वयं के मन से आता है। हालाँकि, हमें अपनी आत्म-अनुशासन की आदत को सुधारने के लिए कुछ प्रभावी व्यक्तित्व से प्रेरणा की आवश्यकता हो सकती है।

हमें अनुशासन की आवश्यकता क्यों है?

हमें अपने जीवन के कई चरणों में अनुशासन की आवश्यकता है, इसलिए बचपन से अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा है। स्व-अनुशासन का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग होता है जैसे कि छात्रों के लिए, इसका मतलब है कि स्वयं को अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना और सही समय पर काम पूरा करना।

हालांकि, कामकाजी व्यक्ति के लिए, इसका मतलब है कि सुबह समय पर बिस्तर से उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और नौकरी के कार्यों को ठीक से करना।

जीवन में सेल्फ डिसिप्लिन

स्व-अनुशासन की सभी के लिए बहुत आवश्यकता होती है, क्योंकि आधुनिक समय में किसी के पास दूसरों को अनुशासन में रहने के लिए प्रेरित करने का समय नहीं है। अनुशासन के बिना कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में असफल हो सकता है और अपने कैरियर में शैक्षणिक या अन्य सफलता का आनंद नहीं ले सकता है।

हर क्षेत्र में आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है, जैसे कि डाइटिंग में, किसी को वसायुक्त और जंक फूड पर नियंत्रण करने और नियमित व्यायाम आदि करने की आवश्यकता होती है। कोई भी भोजन पर नियंत्रण के बिना मोटापे जैसे स्वास्थ्य मुद्दों को विकसित कर सकता है, इसलिए इसे सख्त अनुशासन की आवश्यकता है।

माता-पिता को आत्म-अनुशासन की आदतों को विकसित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें अपने बच्चों को एक अच्छा अनुशासन सिखाने की आवश्यकता होती है। उन्हें हर समय अच्छा व्यवहार करने और सही समय पर सबकुछ करने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। कुछ शरारती बच्चे अपने माता-पिता की सलाह का पालन नहीं करते हैं, ऐसे में माता-पिता को उन्हें अनुशासन सिखाने के लिए धैर्य रखने की आवश्यकता होती है।

प्रकृति के अनुसार अनुशासन का अर्थ सीखने के लिए हर किसी के पास अलग-अलग समय और क्षमता है। इसलिए, कभी भी हार न मानें और हमेशा अनुशासन में रहने की कोशिश करें, क्योंकि आज उठाया गया एक छोटा कदम कल के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अनुशासन हमेशा आपको एक बेहतर इंसान बनाएगा और आपको सफलता के करीब लाएगा।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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लीडरशिप पर निबंध (Leadership Essay in Hindi)

Leadership

लीडरशिप एक गुण है जिससे आप दूसरों पर बढ़त प्राप्त कर सकते हैं। नेता सार्वजनिक जीवन जीते हैं जिससे आसपास के लोगों को मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती है। एक महान नेता में कई गुण होते हैं जो उन्हें लोकप्रिय बनाते हैं। लीडरशिप करने की क्षमता एक गुण है जो कुछ ही लोगों के अन्दर देखी जाती है। कुछ लोगों को यह विरासत में मिलती है जबकि कुछ इसे समय की अवधि के साथ प्राप्त करते हैं।

नेतृत्व पर छोटा व बड़ा निबंध (Short and Long Essay on Leadership in Hindi, Netritva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द).

कुछ लोगों में जन्म से ही नेताओं के गुण पाए जाते हैं। ऐसे गुण उन्हें विरासत में मिलते है या यूँ कहे  उनके खून में पाए जाते है। अन्य लोग ऐसे व्यक्तियों से प्रेरित हो लीडरशिप के गुण हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करते हैं। कुछ इन गुणों को प्राप्त करने में असफल रह जाते हैं और कुछ लगातार प्रयासों के माध्यम से इन्हें प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं। हालांकि लीडरशिप एक शक्तिशाली गुण है इसके अलावा नेताओं के पास अन्य कई ऐसे गुण होते हैं जो उनकी लोकप्रियता को बढ़ाते हैं।

एक अच्छे नेता के गुण

एक अच्छे नेता के पाँच मुख्य गुण हैं:

ईमानदारी नेता के मुख्य गुणों में से एक है। एक नेता उदाहरण के आधार पर लीडरशिप करता है इसलिए यदि आप चाहते हैं कि आपकी टीम आपकी उम्मीदों पर खरी उतरे, आपकी विचारधाराओं पर भरोसा करे, आपके द्वारा प्रदान किए गए कार्यों में ईमानदारी का पालन करें तो आपको खुद ईमानदार होना ज़रूरी है। एक धोखेबाज व्यक्ति हेराफेरी के जरिए लोगों को आकर्षित ज़रूर कर सकता है पर वह जल्द ही निश्चित रूप से अपनी विश्वसनीयता खो देगा।

एक नेता खुद को दूसरों से बेहतर नहीं समझता इसलिए वह किसी से भी दूरी बनाए रखने में विश्वास नहीं करता। वह विचारों को साझा करने, मुद्दों पर चर्चा करने और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए दो तरफा संचार का प्रवाह सुनिश्चित करता है।

  • आत्म-विश्वास

नेताओं के आत्मविश्वास का स्तर त्रुटिहीन है। वे अपने स्वयं के कार्यों और सोच के बारे में निश्चित हैं और अपने अनुयायीओं को कैसे प्रेरित करना है यह अच्छी तरह से जानते हैं। अच्छे नेताओं को अपनी टीम में पूरा विश्वास होता है।

अच्छे नेता तथ्यों के साथ छेड़खानी नहीं करते। व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों रिश्तों में काम करते समय वे पारदर्शिता बनाए रखते हैं। यह उनके लक्षणों में से एक है जिसके लिए नेता की छवि अत्यधिक विश्वसनीय और सम्मानित मानी जाती हैं।

जो व्यक्ति असहिष्णु है, जिसे अक्सर गुस्सा आता है वह कभी भी अच्छा नेता बनने के योग्य नहीं हो सकता है। एक अच्छे नेता बनने के लिए धैर्य रखना मुख्य कुंजी है। अगर कोई व्यक्ति धैर्य रखता है तो ही वह दूसरों की गलतियों को समझ सकता है और उन्हें सुलझाने में सहायता कर सकता है।

एक अच्छे नेता में दूसरों को प्रेरित करने और भविष्य के नेताओं को पैदा करने के लिए अपने अधीनस्थों में लीडरशिप गुणों को पैदा करने की क्षमता होती है।

निबंध 2 (400 शब्द)

अच्छा लीडरशिप से तात्पर्य आत्मविश्वास, ईमानदारी, प्रतिबद्धता, अखंडता, धैर्य, पारदर्शिता, रचनात्मकता, सकारात्मक दृष्टिकोण, खुला दिमाग, जिम्मेदारी को व्यक्त करने की क्षमता और प्रभावी रूप से संवाद करने की क्षमता सहित कई गुणों को अपने अन्दर समाए रखने से है। जहाँ नेता अक्सर दूसरों को प्रेरणा के रूप में देखते हैं वहीं उनमे खुद कई प्रकार की अच्छाई और बुराई होती है।

एक नेता होने के अच्छे नतीजे

आइए एक नेता होने के अच्छे नतीजों को विस्तार से देखें:

लोग आपको एक प्रेरणा के रूप में देखते हैं। आप उनके लिए मार्गदर्शन का एक स्रोत हैं और वे आपके सामने विभिन्न मुद्दों पर सुझाव प्राप्त करने के लिए आ सकते हैं। इससे उनके मन में आपके लिए सम्मान की भावना विकसित होती हैं।

  • स्वयं जागरूकता का बढ़ना

आप सुधार के प्रयास में अपने सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का विश्लेषण करने की कोशिश करते हैं क्योंकि ऐसे कई लोग हैं जो आप का अनुसरण करते हैं। इससे आत्म-जागरूकता बढ़ जाती है।

  • सोच का विस्तार

एक अच्छा नेता अपनी टीम के लोगों की शक्तियों और कमजोरियों और साथ ही उनकी स्थिति को समझते हुए उनको अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य करने में सहायता करता है। इससे न केवल अपने आस-पास के लोगों की मदद होती है बल्कि खुद की मानसिकता में भी व्यापक स्तर पर विस्तार होता है।

  • निर्णय लेने का कौशल

एक नेता के रूप में आपको न केवल अपने लिए बल्कि अपनी टीम के लिए निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। आपके फैसले लेने के कौशल में इस प्रकार विकास होता है।

  • सपनों को विकसित करें

एक नेता के रूप में आप उन लोगों को मार्गदर्शन करते हैं जो आपका अनुसरण करते हैं और इस तरह अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। अच्छे लीडरशिप से आपके व्यवसाय / फर्म को भी सफलता मिल सकती है।

एक नेता होने के बुरे नतीजे

आइए एक नेता होने के बुरे नतीजों को विस्तार से देखें:

चूंकि आप नेता हैं तो आप अपनी टीम के सदस्यों के कृत्यों के लिए जिम्मेदार हैं। आप अपनी टीम के सभी कार्यों के लिए जवाबदेह हैं।

कोई फर्क नहीं पड़ता आप अपनी टीम के कितने करीब हो और दो-तरफ़ा संचार को कितना प्रोत्साहित करते हो, जो आपसे मीठा बोलकर अपना काम निकलवाना चाहते है उनका कार्य करके आप अपनी टीम के बाकी सदस्यों के बीच अलगाव की भावना को जन्म दे सकते हैं।

  • सभी प्रकार के लोगों के साथ काम करना

एक नेता के रूप में आपको दोनों अच्छे और बुरे लोगों से निपटना पड़ सकता है। वे आपके धैर्य को चुनौती दे सकते हैं और यह समय के गुज़रने के साथ काफी निराशाजनक हो सकता है। इस प्रकार की चुनौती का एकमात्र जवाब शांत रहना है।

यदि आपके पास लीडरशिप करने के गुण हैं तो आप एक नेता की भूमिका निभा सकते हैं, अगर आपके लीडरशिप करने के आवश्यक गुण हैं तो आपको इस स्थिति को सावधानी से संभालना होगा। हालांकि अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले सभी प्रकार के नकारात्मक पक्ष का ज़रूर ध्यान रखें।

Leadership Essay

निबंध 3 (500 शब्द)

अन्य गुणों की तरह लीडरशिप करने का गुण भी विरासत में मिलता है। कई बार हम दूसरों (ज्यादातर माता-पिता और शिक्षक) की छवि से प्रभावित हो जाते हैं – वे हमें कैसा बनता देखना चाहते हैं और हमारे निर्णयों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं इस ख्याल में हम अपने वास्तविक जीवन को भूल जाते हैं और जैसा वे चाहते है उस तरीके का व्यवहार हम करना शुरू कर देते हैं। अगर आपको लगता है कि आपके पास एक अच्छा नेता बनने के सारे गुण मौजूद हैं लेकिन इसको लेकर जरा संदेह में हैं तो निम्नलिखित कदम आपको स्पष्टता पाने में मदद कर सकते हैं।

सात लक्षण आपके लीडरशिप के गुण से संबंधित:

  • आप सहानुभूति दिखा सकते हैं

एक अच्छे नेता के मुख्य गुणों में से एक यह है कि वह आसपास के लोगों के साथ सहानुभूति दिखाए। आपके पास लोगों के मुद्दों को समझने और विभिन्न विचारों का उपयोग करके उन्हें हल करने में मदद करने के लिए लीडरशिप के गुण होने चाहिए। यदि आपके विचार और दृष्टिकोण प्रभावी साबित होते हैं तो आप निश्चित रूप से इस पहलू में बढ़त प्राप्त कर सकते हैं।

  • प्रभावी संचार प्रधान गुण है

एक अच्छे नेता की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वह कुशलता से बात कर सके। एक अच्छा नेता जानता है कि कब हस्तक्षेप और बातचीत करनी है तथा कैसे उस स्थिति को कुशलता से संभालना है। अगर आपमें ये सभी गुण हैं और दूसरों को सुनने का धैर्य भी हैं तो विचारों के आदान-प्रदान बनाए रखने में आपको आसानी होगी।

  • आत्मविश्वास और विश्वास को पहचानना

आत्मविश्वास ऐसी चीज़ है जो हर किसी के पास नहीं है। यदि आप अपने बारे में आश्वस्त हैं तथा आत्मविश्वास और विश्वास को अलग करने वाली रेखा को पहचानते हैं तो आपके पास लीडरशिप करने के मुख्य गुण मौजूद है।

  • आसानी से उपलब्धता

एक अच्छा नेता अपने गुणों के बारे में जानता है इसलिए वह घमंड की हवा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। वह जनता का नेता है जिससे आसानी से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

  • विश्लेषणात्मक और समस्या सुलझाने का कौशल

अगर आप सही और गलत का अच्छा अंदाज़ा लगा सकते हैं तो जल्द किसी निष्कर्ष पर न जाएं। किसी भी स्थिति में आप चीजों को अच्छी तरह से विश्लेषण करके, जांच परख करके, पक्ष-विपक्ष को देख कर ही फिर निर्णय लें। आप उन लोगों में से एक हैं जो किसी समस्या के चारों ओर मंडराने या बहाने बनाने की बजाय हर उसका हल ढूंढने का प्रयास करते हैं।

  • सकारात्मक दृष्टिकोण

आप हर स्थिति में आशावादी रहते हैं तो आप उन व्यक्तियों में से एक हैं जो समस्याग्रस्त स्थितियों में भी उज्ज्वल पक्ष को देखते हैं। आप अपने आप में विश्वास करते हैं और अक्सर खुद को याद दिलाते हैं कि अगर कुछ कर-गुज़रने की इच्छा है तो कुछ भी असंभव नहीं है।

  • अच्छा निरीक्षण कौशल

एक नेता को विभिन्न प्रकार के लोगों से निपटने की आवश्यकता होती है। उसे लोगों की सहायता करने, उनके मुद्दों को सुलझाने, उनसे संबंधित प्रमुख निर्णय लेने और कई मामलों में उनके कार्यों के लिए उत्तरदायी भी होने की ज़रूरत पड़ती है। यदि आप लोगों और उनकी परिस्थितियों को समझ रहे हैं तो आपको बेहतर समझ है और नेता के रूप में आप प्रभावी निर्णय लेने में सक्षम होंगे।

अगर आप में ये गुण हैं तो आप किसके लिए इंतज़ार कर रहे हैं? अपनी पसंदीदा क्षेत्र में सफलता की आपकी यात्रा में शामिल होने के लिए एक नेता की भूमिका निभाएं।

निबंध 4 (600 शब्द)

लीडरशिप एक अनूठा गुण है जो हर किसी के पास नहीं हो सकता। यदि आपके पास यह है तो आप खुद को भाग्यशाली मान सकते हैं। सही दिशा में अपने करियर को बढ़ाने और अपने आस-पास के लोगों को प्रेरणा देने के लिए लीडरशिप के गुण को आगे बढ़ा बढ़ाना जरुरी है। हालांकि आगे बढ़ने और अपने कौशल को सुधारने से पहले विभिन्न प्रकार के लीडरशिप शैलियों को समझना जरूरी है।

लीडरशिप शैलियों के प्रकार

  • डेमोक्रेटिक लीडरशिप

आपके अधीनस्थ काम करने वाले इस प्रकार के लीडरशिप में निर्णय लेने की प्रक्रिया का एक हिस्सा हैं। इस तरह का लीडरशिप अधीनस्थों के योगदान पर केंद्रित होता है। हालांकि उनके निर्णयों और कार्यों की अंतिम जवाबदेही नेता की है। यह सबसे पसंदीदा लीडरशिप शैलियों में से एक माना जाता है।

  • परिवर्तनकारी लीडरशिप

इस प्रकार का लीडरशिप स्वयं के, समूह के सदस्यों, संगठन के साथ ही अन्य कारकों में सुधार करके प्रदर्शन को प्रभावित करने के बारे में है। एक परिवर्तनकारी नेता उच्च लक्ष्यों को स्थापित करके और उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करके दूसरों को प्रेरित करता है।

  • टीम लीडरशिप

एक टीम का नेता अपनी परियोजना में पूरी टीम को शामिल करता है। नेता अपनी टीम को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है और साथ ही वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने और पेशेवर ज्ञान के विकास के लिए काम करता हैं।

  • सामरिक लीडरशिप

इस प्रकार की लीडरशिप शैली में ऐसा नेता होता है जो मूल रूप से एक फर्म/कंपनी का प्रमुख होता है लेकिन वह शीर्ष प्रबंधन के विचारों को साझा नहीं करता है। वह सभी स्तरों पर पूरी टीम के साथ शामिल होता है। वह नई संभावनाओं और यथार्थवाद की आवश्यकता के बीच की खाई को जोड़ने के लिए एक पुल की तरह कार्य करता है।

  • लोकतांत्रिक लीडरशिप

इस प्रकार का लीडरशिप शैली बॉस पर केंद्रित होती है। यहां नेता सभी अधिकार अपने पास रखता है। वह अपनी टीम से परामर्श किए बिना अपने विवेक पर पूरी तरह से निर्णय लेता है। वह अपनी टीम के साथ संवाद कर उनसे तत्काल कार्यान्वयन की अपेक्षा करता है। वह अकेले अपने निर्णयों के लिए जिम्मेदार है। इस शैली में किसी प्रकार की कोई ढील नहीं बरती जाती। इस तरह के लीडरशिप की अक्सर आलोचना की जाती है।

  • दूरदर्शी लीडरशिप

इस प्रकार का नेता अपनी टीम के सदस्यों की प्रतिभा और जरूरतों को पहचानता है। वह सफलता की दृष्टि को स्थापित कर इच्छित परिणाम प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करता है।

  • कोचिंग लीडरशिप

प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए एक कोचिंग नेता लगातार अपनी टीम के सदस्यों को मार्गदर्शित और उनकी निगरानी करता है। वह अपनी टीम के सदस्यों को प्रेरित करता है और उन्हें कठिन काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है। लीडरशिप की इस शैली को अत्यधिक सराहना मिलती है।

  • सुविधाजनक लीडरशिप

अगर टीम कम काम कर रही है तो एक सुगम नेता अपनी टीम के सदस्यों को समय-समय पर निर्देश देकर उनकी काम करने की प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक चलाने में मदद करता है। यदि उच्च कार्यशील टीम है तो नेता काम करने के हल्का दृष्टिकोण भी अपना सकता है।

  • क्रॉस-सांस्कृतिक लीडरशिप

इस प्रकार का लीडरशिप तब होता है जब अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से निपटना होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में विभिन्न संगठनों में काम करने वाले कई नेता क्रॉस-सांस्कृतिक हैं क्योंकि विभिन्न संस्कृतियों के लोग वहां कार्यरत हैं।

  • अहस्तक्षेप लीडरशिप

लीडरशिप के इस प्रकार की शैली में टीम के सदस्यों को अधिकार दिए जाते हैं। टीम के सभी सदस्यों को काम करने की छूट मिली होती है और नेता की ओर से किसी तरह का कोई दखल अंदाजी नहीं होता। यह एक प्रभावी लीडरशिप शैली नहीं मानी जाती।

  • लेन-देन संबंधी लीडरशिप

लीडरशिप के इस प्रकार की प्रक्रिया में लेन-देन संबंधी कार्य शामिल है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत टीम के सदस्यों को सही ढंग से नेता के विचारों और निर्णय को लागू करने के लिए सम्मानित और पुरस्कृत  किया जाता है।

  • करिश्माई लीडरशिप

इस प्रकार की शैली में नेता अपने अनुयायीओं के विश्वास मूल्यों और व्यवहार को बदलने के लिए समय लेता है ताकि अपने कर्मचारियों से बेहतर काम करवाया जा सके।

अगर आपको ऐसा लगता है की लीडरशिप के गुण को अधिक प्रकारों में नहीं बांटा जा सकता तो यहाँ दी गई जानकारी यह मिथक तोड़ने में मदद कर सकती हैं। इससे आप अपने अंदर मौजूद लीडरशिप के गुणों और अद्वितीय लीडरशिप शैली को पहचान कर उन पर महारथ हासिल कर सकते हैं।

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Essay on Importance of Library in Hindi- पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

In this article, we are providing an Essay on Importance of Library in Hindi पुस्तकालय पर निबंध- पुस्तकालय के लाभ और प्रकार। Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For Students.  

importance of uniform essay in hindi

Pustakalaya ka mahatva par nibandh ( 800 words )

‘पुस्तकालय’ शब्द पुस्तक + आलय दो शब्दों के मेल से बना है। इसका अर्थ है- वह स्थान या घर जहां पर काफी मात्रा में प्रस्तुत राखी जाती है। आज के युग में पुस्तक हमारे जीवन का एक अंग बन चुकी है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं की वह प्रत्येक पुस्तक को खरीद सके। आजकल पुस्तकें बहुत महंगी हो चुकी है। अंत: हमें की शरण लेनी पड़ती है।

छोटे-छोटे स्कूलों से लेकर बड़े-बड़े स्कूल और कॉलेज इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्थापित किए गए हैं परंतु ज्ञान का क्षेत्र इतना विशाल है कि ये शिक्षण-संस्थाएँ एक निश्चित सीमा और निश्चित ज्ञान में पूर्ण रूप से ज्ञान-साक्षात्कार नहीं करा सकतीं। इसलिए ज्ञान-पिपासुओं को पुस्तकालय का सहारा लेना पड़ता है। प्राचीन काल में पुस्तके हस्तलिखित होती थीं जिनमें एक व्यक्ति के लिए विविध विषयों पर अनेक पुस्तके उपलब्ध कराना बड़ा कठिन था परंतु आज के मशीनी युग में भी जबकि पुस्तकों का मूल्य प्राचीन काल की अपेक्षा बहुत ही कम है, एक व्यक्ति अपनी ज्ञान-पिपासा की तृप्ति के लिए सभी पुस्तके खरीदने में असमर्थ है। पुस्तकालय हमारी इस असमर्थता में बहुत सहायक हैं।

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं। कई विद्या-प्रेमी, जिन पर लक्ष्मी की कृपा होती है, अपने उपयोग के लिए अपने घर में ही पुस्तकालय की स्थापना करते हैं। ऐसे पुस्तकालय ‘व्यक्तिगत पुस्तकालय’ कहलाते हैं। सार्वजनिक उपयोगिता की दृष्टि से इनका महत्व कम होता है।

दूसरे प्रकार के पुस्तकालय कॉलेजों और विद्यालयों में होते हैं। इनमें बहुधा उन्हीं पुस्तकों का संग्रह होता है जो पाठ्य विषयों से संबंधित होती हैं। इस प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक उपयोग में भी नहीं आते। इनका उपयोग छात्र और अध्यापक ही करते हैं परंतु ज्ञानार्जन और शिक्षा की पूर्णता में इनका सर्वाधिक महत्व है। ये पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय नहीं होते। इनके बिना शिक्षालयों की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

तीसरे प्रकार के राष्ट्रीय पुस्तकालयों में देश-विदेश में छपी विभिन्न विषयों की पुस्तकों का विशाल संग्रह होता है। इनका उपयोग भी बड़े-बड़े विद्वानों द्वारा होता है। चौथे प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा होता है। आजकल ग्रामों में भी ग्राम पंचायतों के द्वारा सबके उपयोग के लिए पुस्तकालय चलाए जा रहे हैं परंतु शिक्षा के क्षेत्र में इनका महत्वपूर्ण योगदान नहीं होता। आजकल एक अन्य प्रकार के पुस्तकालय दिखाई देते हैं, उन्हें चल-पुस्तकालय’ कहते हैं। ये मोटरों या गाड़ियों में बनाए जाते हैं। इनका उद्देश्य ज्ञान-विज्ञान का प्रसार करना होता है। इनमें अधिकतर प्रचार-साहित्य ही होता है।

पुस्तकालय का उपयोग – पुस्तकालय का कार्य पाठको के उपयोग के लिए सभी प्रकार की पुस्तकों का संघ्रह करना है। अपने पाठको की रूचि और आवश्यकता को देखते हुए पुस्तकालय अधिकारी देश-विदेश में मुद्रित पुस्तके प्राप्त करने में सुविधा के लिए पुस्तकों की एक सूची तैयार करते हैं। पाठकों को पुस्तके प्राप्त कराने के लिए एक कर्मचारी नियुक्त किया जाता है। पुस्तकालय में पाठकों के बैठने और पढ़ने के लिए समुचित व्यवस्था होती है। पढ़ने के स्थान को ‘वाचनालय’ कहते हैं। पाठकों को घर पर पढ़ने के लिए भी पुस्तके दी जाती हैं परंतु इसके लिए एक निश्चित राशि देकर पुस्तकालय की सदस्यता प्राप्त करनी होती है। पुस्तकालय में विभिन्न पत्रिकाएँ भी होती हैं।

पुस्तकालयों की दृष्टि से रूस, अमेरिका और इंग्लैंड सबसे बड़े देश हैं। मॉस्को के लेनिन पुस्तकालय में लगभग डेढ़ करोड़ मुद्रित पुस्तके संगृहीत हैं। वाशिंग्टन (अमेरिका) के काँग्रेस पुस्तकालय में चार करोड़ से भी अधिक पुस्तके हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय समझा जाता है। इंग्लैंड के ब्रिटिश म्यूजियम पुस्तकालय में पचास लाख पुस्तकों का संग्रह है। भारत में कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय में दस लाख पुस्तके हैं। केद्रीय पुस्तकालय, बड़ोदरा में लगभग डेढ़ लाख पुस्तकों का संग्रह है। प्राचीन भारत में नालंदा और तक्षशिला में बहुत बड़े पुस्तकालय थे।

पुस्तकालय के अनेक लाभ हैं। ज्ञान-पिपासा की शांति के लिए पुस्तकालय के अतिरिक्त और कोई साधन नहीं है। अध्यापक विद्यार्थी का केवल पथ-प्रदर्शन करता है। ज्ञानार्जन की क्रिया पुस्तकालय से ही पूरी होती है। देश-विदेश के तथा भूत और वर्तमान के विद्वानों के विचारों से अवगत कराने में पुस्तकालय हमारा सबसे बड़ा साथी है। आर्थिक दृष्टि से भी पुस्तकालय का महत्व कम नहीं है। एक व्यक्ति जितनी पुस्तके पढ़ना चाहता है, उतनी खरीद नहीं सकता। पुस्तकालय उसकी इस कमी को भी पूरी कर देता है। कहानी, उपन्यास, कविता और मनोरंजन विषयों की पुस्तके भी वहाँ से प्राप्त हो जाती हैं। अवकाश के समय का सदुपयोग पुस्तकालय में बैठकर किया जा सकता है। अत: आधुनिक युग में शिक्षित व्यक्ति के जीवन में पुस्तकालय का काफ़ी महत्व है।

दूरदर्शन तथा फिल्मों ने पुस्तकों के प्रकाशन को अत्यधिक प्रभावित किया है लेकिन पुस्तकों की उपयोगिता प्रत्येक युग में बनी रहेगी। सामान्य पाठक पुस्तकों को खरीद नहीं सकता। अत: उसे पुस्तकालय का ही सहारा लेना पड़ता है। आज ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालयों की अत्यधिक आवश्यकता है। अनपढ़ता को दूर करने में पुस्तकालयों का बड़ा योगदान हो सकता है।

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  1. स्कूल यूनिफॉर्म क्यों जरूरी है और School Uniform में अच्छा कैसे दिखे?

    Hindi Essay (2) Hindi Quotes (59) Hindi Thoughts (39) Let's Laugh (8) Motivational Hindi Songs (47) Motivational Hindi Stories (25) Personality Development (50) Success Stories (17) अमर कहानियाँ (7) चाणक्य नीति (19) चुटकुले (9) जीवनी (63) धार्मिक परंपरा ...

  2. School Uniforms Essay

    School Uniforms Essay: School uniforms should be utilized in educational systems. Uniforms are both as useful for schools just as for the pupils. Wearing outfits will help construct a feeling of solidarity inside the school. Rather than everybody as a different group, everybody will be in a similar group.

  3. Essay on importance of school uniform in hindi

    Essay on importance of school uniform in hindi - 2225141. स्कूल में स्कूल वर्दी की जरूरत बिल्कुल है। यह हमें महसूस कराता है कि हम स्कूल में हैं। वर्दी की मदद से बच्चे अपनी भावनाओं को ...

  4. School Uniform Essay

    1. School uniforms are a necessity in most schools to bring about uniformity in students. 2. School uniform unifies all students, regardless of their cultural, religious, and financial background. 3. It instils a sense of belonging in the students. 4.

  5. Essay on Importance of School Uniform for Students

    Essay on School uniform. The accountability and credibility of an educational institution depend on the feeling of unity among the students. Uniforms help to develop the spirit of unity among the students. In school students of different strata of society study together. If we allow them to wear any dress of their choice then rich students will ...

  6. Essay on Discipline in Hindi

    Hindi Essay and Paragraph Writing - Discipline (अनुशासन ) for all classes from Class 1 to Class 12 . अनुशासन पर निबंध - इस लेख में हम अनुशासन का अर्थ, जीवन में अनुशासन का महत्त्व, दैनिक जीवन में अनुशासन ...

  7. Essay on importance of school uniform in hindi

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  8. हिंदी का महत्व पर निबंध

    Hindi Ka Mahatva Par Nibandh Hindi Essay . हिंदी का महत्व (Importance of Hindi ) Par Nibandh Hindi mein. जहां अंग्रेजी अधिकांश देशों में व्यापक रूप से बोली जाती है और इसे दुनिया की शीर्ष दस सबसे अधिक बोली ...

  9. हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध: Importance of hindi language in hindi

    हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Importance of hindi language) हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं ...

  10. समान नागरिक संहिता पर निबंध Essay on Uniform Civil Code in Hindi

    January 4, 2023 by बिजय कुमार. समान नागरिक संहिता पर निबंध Essay on Uniform civil code in Hindi (UCC) दोस्तों आजकल एक मुद्दा बहुत सामने आ रहा है, समान नागरिक संहिता का जो ...

  11. जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    सुभाष चंद्र बोस- मेरे प्रिय नेता पर निबंध. महान व्यक्तियों पर निबंध. पर्यावरण पर निबंध. प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध. सामाजिक मुद्दे पर ...

  12. शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

    शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / January 13, 2017. बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए ...

  13. Essay On Importance Of Uniform In School In Hindi

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  14. भाषा का महत्व पर निबंध

    भाषा का महत्व पर निबंध Short Essay On The Importance Of Language. भाषा द्वारा ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है. राष्ट्र को सक्षम और धनवान बनाने ...

  15. Hindi Essay (Hindi Nibandh)

    हिन्दी निबंध - Essay in Hindi - Hindi Nibandh सच्चा धर्म पर निबंध - (True Religion Essay) राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध - (Role Of Youth In Nation Building Essay)

  16. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

    विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ Definition of Student and Discipline in Hindi. अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन। इसका अर्थ होता है कि किसी भी नियम के ...

  17. भारत (इंडिया) पर निबंध

    भारत पर निबंध (India Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / July 19, 2023. पूरे विश्व भर में भारत एक प्रसिद्ध देश है। भौगोलिक रुप से, हमारा देश एशिया महाद्वीप के ...

  18. Importance Of School Uniform Essay In Hindi

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  21. खेल का महत्व पर निबंध (Importance of Sports Essay in Hindi)

    खेल का महत्व पर निबंध (Importance of Sports Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / January 13, 2017. हम यहाँ दैनिक जीवन में खेल के महत्व पर विभिन्न शब्द सीमाओं में ...

  22. लीडरशिप पर निबंध

    लीडरशिप पर निबंध (Leadership Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / May 18, 2017. लीडरशिप एक गुण है जिससे आप दूसरों पर बढ़त प्राप्त कर सकते हैं। नेता सार्वजनिक जीवन ...

  23. Essay on Importance of Library in Hindi- पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

    Essay on Importance of Library in Hindi- पुस्तकालय का महत्व पर निबंध. In this article, we are providing an Essay on Importance of Library in Hindi पुस्तकालय पर निबंध- पुस्तकालय के लाभ और प्रकार। Nibandh in 200, 300, 500 ...