प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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प्रदूषण पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 21, 2023

Essay on Pollution in Hindi

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 156 शहरों में तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। बहुत खराब का मतलब है कि इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रहा। जबकि 21 शहरों की हवा की क्वालिटी खराब श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जिसका जन्म विज्ञान से हुआ है जिसका परिणाम पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है। प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसका विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

This Blog Includes:

प्रदूषण क्या होता है, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, रेडियोएक्टिव प्रदूषण, थर्मल प्रदूषण, दृश्य प्रदूषण, एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है, विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर, प्रदूषण कम करने के उपाय, प्रदुषण पर निबंध 100 शब्द , प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 300 शब्द, प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द , प्रदुषण पर उद्धरण.

प्रदूषण(संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

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प्रदूषण के प्रकार 

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जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

Pollution Essay in Hindi वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

एयर क्वालिटी इंडेक्स को इंग्लिश में Air Quality Index AQI कहा जाता है जो कि एक इंडेक्स होता है। इसका इस्तेमाल सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि लोकल एयर क्वालिटी उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।

Pollution Essay in Hindi में एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

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हमें इस बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिए गए कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते हैं-

  • पटाखों को ना कहिए
  • अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर
  • कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके
  • काम्पोस्ट का उपयोग किजिए
  • प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके
  • रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर
  • कड़े इंडस्ट्रियल नियम-कानून बनाकर

प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह  पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण मुख्यतः 4  प्रकार का होता है  वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भू प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। वाहनो के बढ़ती संख्या की वजह से  हानिकारक और ज़हरीली गैसों का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है  वही दूसरी और कारखाने और खुले में आग जलाना, वायु प्रदुषण के मुख्य कारण हैं। कारखानें भी  निर्माण प्रक्रिया के दौरान  कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज  करते  है वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना  जल प्रदुषण का मुख्य कारण है। उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण भू  प्रदूषण होता है। भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्याओ और कभी कभी बहरापन का कारण बनती हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके।

प्रदुषण पर निबंध 200 शब्द 

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

Essay on Pollution in Hindi 300 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण कैसे होता है?

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है।

प्रदूषण के नुकसान

आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीज़ें अशुद्ध होती जा रही हैं। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है आज वो ही सबसे ज़्यादा खतरे में हैं। प्रदूषण से सबसे ज़्यादा नुकसान प्रकृति को हो रहा है। हवा, पानी और मिट्टी में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्रकृति और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ों आदि को भी हानि पहुँच रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, उस जल्द-से-जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।

प्रदूषण के कारण और बचाव

प्रदूषण के कई अलग-अलग कारण हैं, जिनमें पेड़ों की कटाई, बढ़ते उद्योग, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि शामिल हैं। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या का तेजी से बढ़ना। इन सभी कारणों की वजह से पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। यह वायु, जल, मृदा, ध्वनि आदि सभी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण से हमें भूकंप, बाढ़, तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ रहा है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे और अपने आसपास साफ-सफाई रखनी होगी। इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को कम करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।     

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ जाता है। और यह असंतुलन ही प्रदूषण मुख्य कारण बनता है। इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी चीजों पर इसका असर पड़ता हैं।

इसके अलावा जो भी कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। अतः हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

 प्रदूषण के कारण 

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

 प्रदूषण के सोर्स

  • घरेलू बेकार पदार्थ, जमा  हुआ  पानी, कूलर में पड़ा पानी, पौधों मे जमा पानी
  • रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
  • गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि
  • उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश 
  • पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम 

आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण। कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है। इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता। विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है। अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं, जैसे कि  मच्छर, मक्खियाँ व्इ त्यादि। कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती। पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है। ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है। धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है।  

प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
  • भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए। 
  • पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है।
  • कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
  • अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं।
  • कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। इसके उपाय के लिए डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प  है।
  • पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
  • प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
  • घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके ।
  • हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोका जा सके ।
  • यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  |
  • हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। 

निष्कर्ष 

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।

यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा, न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा, जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे। जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे। 

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।।
  • आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।
  • शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।
  • प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।।
  • हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।

इसके कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो जाती है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।

ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्प कणिकाएं, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं।

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1Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

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Sabbd milan apne accha nahi kiya hai Aur soch badiya hai

Pls give reply in English b’coz I can’t understand

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Thank you i have gain 12 out of 12 marks from my examination thank u

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Thanks for Writing here !

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क्या मैं अपने नुक्कड़ नाटक में आपके इस निबंध रख सकता हूँ?

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दा इंडियन वायर

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

pollution essay in hindi for class 4

By विकास सिंह

environment pollution essay in hindi

विषय-सूचि

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution essay in hindi (150 शब्द)

प्रस्तावना:.

पर्यावरण प्रदूषण वर्तमान समय के परिदृश्य में हमारे ग्रह द्वारा सामना किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक है। यह एक वैश्विक मुद्दा है, जो आमतौर पर सभी देशों में देखा जाता है, जिसमें तीसरी दुनिया के देश भी शामिल हैं, चाहे उनकी विकास की स्थिति कुछ भी हो।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है?

पर्यावरण प्रदूषण तब होता है जब मानव गतिविधियाँ पर्यावरण में प्रदूषण का परिचय देती हैं, जिससे दिनचर्या की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे पर्यावरण में अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले एजेंटों को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषक पदार्थ प्रकृति में होने वाले पदार्थ हैं या बाहरी मानव गतिविधियों के कारण बनाए जाते हैं। प्रदूषक भी पर्यावरण में ऊर्जा की कमी के रूप हो सकते हैं। प्रदूषकों और पर्यावरण के घटकों में होने वाले प्रदूषण के आधार पर, पर्यावरण प्रदूषण को निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. वायु प्रदुषण

2. जल प्रदूषण

3. मिट्टी/ भूमि प्रदूषण

4. ध्वनि प्रदूषण

5. रेडियोधर्मी प्रदूषण

6. ऊष्मीय प्रदूषण

निष्कर्ष:

पर्यावरण में पाया जाने वाला कोई भी प्राकृतिक संसाधन, जब इसकी पुनर्स्थापना की क्षमता से अधिक दर पर उपयोग किया जाता है, तो कमी हो जाती है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण होता है। इससे पर्यावरणीय गुणवत्ता में गिरावट आएगी और जैव विविधता की हानि, वनस्पतियों और जीवों की हानि, नई बीमारियों की शुरूआत और मानव आबादी में तनावपूर्ण जीवन, आदि इसका सबूत है।

vehicle pollution essay in hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution essay in hindi (250 शब्द)

पर्यावरण मानव जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू बनाता है क्योंकि यही वह जगह है जहाँ हम जीवन की अनिवार्यताओं का पता लगाते हैं, जैसे, हवा, पानी और भोजन। वैश्विक औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण के कारण पर्यावरण प्रदूषण हुआ है। पर्यावरण प्रदूषण ने जानवरों, पौधों और मनुष्यों के जीवन की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित किया है।

पर्यावरण प्रदूषण के परिणामस्वरूप होने वाली बीमारियों सहित खतरनाक प्रभाव। पर्यावरण प्रदूषण मूल रूप से भौतिक और जैविक दोनों प्रणालियों में पर्यावरण की प्रकृति का संदूषण है जो पर्यावरण के सामान्य कामकाज को प्रभावित करता है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार और कारण:

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार पर्यावरण के कारणों और घटकों के लिए विशिष्ट हैं। पर्यावरणीय प्रदूषण को प्राकृतिक घटकों के आधार पर समूहों में वर्गीकृत किया गया है; वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण। पर्यावरण के दूषित पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है।

मुख्य प्रदूषक उद्योग हैं क्योंकि उद्योग वायुमंडल में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं, औद्योगिक अपशिष्टों को जल प्रदूषण में भी परिवर्तित किया जाता है। अन्य प्रदूषकों में दहन से निकलने वाला धुआं, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, जो भारत में अधिक है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव:

भारत में पर्यावरण प्रदूषण एक चुनौती रही है। प्रतिकूल प्रभाव प्रदूषण के प्रकार के लिए विशिष्ट हैं, हालांकि कुछ में कटौती हो सकती है। वायु प्रदूषण के कारण मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा है और वातावरण में ओजोन परतों का विनाश हुआ है। जल प्रदूषण से जलीय जीवन और अम्लीयता की मृत्यु हुई है। मृदा प्रदूषण के कारण अस्वास्थ्यकर मृदा अर्थात् असंतुलित मृदा pH होता है जो पौधे की वृद्धि का पक्ष नहीं लेता है। भारत पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों से जूझ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण हमारे ग्रह को बचाने के लिए एक बड़ी चिंता बन गया है। हमें पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। उनमें से कुछ में पेड़ लगाना, गैर-नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग कम करना, कचरे का उचित निपटान आदि शामिल हैं। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाए।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution essay in hindi (300 शब्द)

हमें अपनी धरती के पर्यावरण को अपनी माँ की तरह मानना ​​चाहिए। यह हमारा पोषण भी करता है। यदि जलवायु प्रदूषित हो जाती है, तो हम कैसे बच सकते हैं?

पृथ्वी हमें हमारे स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन प्रदान करती है। लेकिन, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, हम और अधिक स्वार्थी होते जा रहे हैं और अपने पर्यावरण को प्रदूषित करते जा रहे हैं। हम नहीं जानते कि अगर हमारा पर्यावरण अधिक प्रदूषित हो जाता है, तो यह अंततः हमारे स्वास्थ्य और भविष्य को भी प्रभावित करेगा। पृथ्वी पर आसानी से जीवित रहना हमारे लिए संभव नहीं होगा।

स्वास्थ्य पर पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:

यह बताना अनावश्यक है कि पर्यावरण प्रदूषण ने मानव की मूलभूत आवश्यकताओं, अर्थात, जल, भोजन, वायु और मिट्टी के अंदर अपने विषैले तंतुओं को फैला दिया है। यह हमारे रहने, पीने और खाने को प्रभावित करता है। यह इंसानों के साथ जानवरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है।

विभिन्न चीजें हवा को प्रदूषित करती हैं जैसे मोटर वाहन प्रज्वलन और उद्योगों से गैसीय रिलीज, हवा के अंदर जीवाश्म ईंधन जलाना, आदि ठोस औद्योगिक अपशिष्ट, तेल फैल, प्लास्टिक डंप, और पानी में फेंकने वाले शहर का कचरा नदी और महासागरों को प्रदूषित करता है। इसी तरह, कृषि की अकार्बनिक प्रक्रियाएं मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देती हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि पानी पीने के लिए उपयोग किया जाता है, भोजन बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी, और साँस लेने के लिए हवा का उपयोग किया जाता है, ये तीनों दूषित तत्व मानव के शरीर के अंदर अपने प्रदूषकों को डालते हैं और परिणामस्वरूप रोग होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर, लेड पॉइजनिंग, कार्डियोवस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक, रेडिएशन इनेबल्ड कैंसर, मरकरी पॉइजनिंग, जन्मजात डिसएबिलिटी, एलर्जी, फेफड़े की बीमारियां हैं, जो ऑक्यूपेशनल एक्सपोजर के कारण होती हैं। कई विष और कई और अधिक। सूची एकजुट हो रही है।

हमारी पृथ्वी हर जीवित प्राणी के लिए अस्वस्थ भविष्य के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। इसलिए, हमें उन कारकों के बारे में पता होना चाहिए जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और हमारे भविष्य को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाते हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution essay in hindi (500 शब्द)

हमारा पर्यावरण जीवित और निर्जीव दोनों चीजों से बना है। जीवित चीजों में जानवर, पौधे और अन्य सूक्ष्मजीव शामिल हैं, जबकि हवा, पानी, मिट्टी, धूप, आदि पर्यावरण के गैर-जीवित घटकों का निर्माण करते हैं।

जब भी हमारे परिवेश में किसी भी तरह की विषाक्तता को लंबे समय तक जोड़ा जाता है, तो यह पर्यावरण प्रदूषण की ओर जाता है। कुछ प्रमुख प्रकार के प्रदूषण वायु, जल, मिट्टी, शोर, प्रकाश और परमाणु प्रदूषण हैं।

उद्योगों, घर की चिमनियों, वाहनों और ईंधन से निकलने वाले धुएँ से वायु प्रदूषण होता है। व्यर्थ औद्योगिक सॉल्वैंट्स, प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट, सीवेज आदि जल प्रदूषण का कारण बनते हैं। कीटनाशकों और वनों की कटाई का उपयोग मिट्टी के प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। वाहनों के अनावश्यक सम्मान, लाउडस्पीकर के उपयोग से ध्वनि प्रदूषण होता है।

यद्यपि यह प्रकाश और परमाणु प्रदूषण का एहसास करना कठिन है, लेकिन ये समान रूप से हानिकारक हैं। अत्यधिक चमकदार रोशनी कई मायनों में पर्यावरण संतुलन को खतरे में डालते हुए बहुत अधिक ऊर्जा की खपत करती है। कहने की जरूरत नहीं कि परमाणु प्रतिक्रिया के नकारात्मक प्रभाव कई दशकों तक आते हैं।

सभी घटक एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जैसे-जैसे प्रकृति का चक्र आगे बढ़ता है, वैसे ही एक घटक की विषाक्तता को अन्य सभी घटकों तक भी पहुंचाया जाता है। ऐसे विभिन्न साधन हैं जिनके द्वारा पर्यावरण में प्रदूषण जारी है। हम इसे नीचे दिए गए उदाहरण से समझ सकते हैं।

जब बारिश होती है, तो हवा की अशुद्धियां धीरे-धीरे जल-निकायों और मिट्टी में घुल जाती हैं। जब फसलें खेतों में पैदा होती हैं, तो उनकी जड़ें दूषित मिट्टी और पानी के माध्यम से इन हानिकारक विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करती हैं। एक ही भोजन जानवरों और मनुष्यों दोनों द्वारा निगला जाता है। इस तरह, यह खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर पहुंच जाता है जब मांसाहारी मांसाहारियों द्वारा सेवन किया जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के परिणामों को गंभीर स्वास्थ्य रोगों के रूप में देखा जा सकता है। अधिक लोग श्वसन समस्याओं, कमजोर प्रतिरक्षा, गुर्दे और यकृत संक्रमण, कैंसर और अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। वनस्पतियों और जीवों सहित जलीय जीवन तेजी से घट रहा है। मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की गुणवत्ता बिगड़ रही है।

ग्लोबल वार्मिंग पर्यावरण प्रदूषण के परिणामस्वरूप एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिसे दुनिया को सामना करने की आवश्यकता है। अंटार्कटिका में पिघलने वाले हिमखंडों के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएँ जैसे लगातार भूकंप, चक्रवात, आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण हुए कहर के कारण हैं। रूस में हिरोशिमा-नागासाकी और चेर्नोबिल की घटनाओं ने मानव जाति को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।

इन आपदाओं के जवाब में, दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा हर संभव उपाय किया जा रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के खतरों और हमारे ग्रह की रक्षा की आवश्यकता के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए अधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जीने के ग्रीनर तरीके लोकप्रिय हो रहे हैं। ऊर्जा-कुशल बल्ब, पर्यावरण के अनुकूल वाहन, सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग, कुछ नाम हैं।

सरकारें अधिक पेड़ लगाने, प्लास्टिक उत्पादों को खत्म करने, प्राकृतिक कचरे के बेहतर पुनर्चक्रण और कीटनाशकों के कम से कम उपयोग पर जोर दे रही हैं। इस तरह की जैविक जीवन शैली ने हमें कई पौधों और जानवरों की प्रजातियों को धरती से एक जीवित और स्वस्थ जगह बनाने के लिए विलुप्त होने से बचाने में मदद की है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environment pollution greatest destruction essay in hindi (600 शब्द)

पर्यावरण में एक पदार्थ की उपस्थिति जो मनुष्य, पौधों या जानवरों के लिए हानिकारक हो सकती है जिसे हम प्रदूषक कहते हैं और इस घटना को पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता है। पर्यावरण प्रदूषण सबसे अधिक चर्चा में से एक है, जिस पर शोध किया गया है और साथ ही आज के युग में हम सभी द्वारा इसे अनदेखा किया जाता है।

हम पहले से ही इसके बारे में बहुत कुछ जानते हैं, फिर भी हम इसे नियंत्रित करने के लिए बहुत कम करने का इरादा रखते हैं। शायद हमने अभी तक इसका प्रत्यक्ष प्रभाव महसूस नहीं किया है जो पहले से ही हमारे जीवन पर पड़ा है। उदाहरण के लिए, अभी हाल ही में WHO द्वारा एक अध्ययन किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली में रहने वाले व्यक्ति के औसत जीवन में हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने के 10 साल कम हो गए हैं, जिसमें दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति को सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

सीधे तौर पर कहा जाए, पर्यावरण प्रदूषण, हालांकि पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है, लेकिन इसके नियंत्रण की दिशा में ठोस कदम अभी तक देखने को नहीं मिले हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार:

पर्यावरण प्रदूषण को आमतौर पर वायु प्रदूषण का संदर्भ माना जाता है। हालांकि, यह एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग हवा, मिट्टी और पानी के साथ-साथ प्रदूषण के अन्य रूपों जैसे गर्मी, प्रकाश, रेडियोधर्मी सामग्री और शोर के कारण होने वाले प्रदूषण को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण:

प्रत्येक प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों का अपना सेट है, जिनमें से कुछ को आसानी से पहचाना जा सकता है, जबकि कुछ प्रदूषण के प्रत्यक्ष स्रोत नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे समान ट्रिगर कर सकते हैं। उदाहरण के लिए –

औद्योगिक कचरा – विभिन्न उद्योगों से उत्पन्न अपशिष्ट जल, वायु और मृदा प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा पानी को इस हद तक दूषित कर देता है कि ऐसे उदाहरण सामने आ गए हैं कि दुनिया के कुछ क्षेत्रों में लोग अपने आस-पास दूषित पानी की उपस्थिति के कारण विशिष्ट बीमारियों से पीड़ित हैं।

इसके अलावा, उद्योगों से निकलने वाले गंधक, नाइट्रोजन और कार्बन जैसे धुएँ या हानिकारक गैसें हवा के साथ मिल कर उसे दूषित कर देती हैं।

वाहन – वाहनों का उपयोग बड़े पैमाने पर हो गया है और पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। यद्यपि वाहनों के उपयोग ने हमें बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाया है, लेकिन वाहनों के उत्सर्जन से वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है। वास्तव में, दुनिया के कई शहरों को विषम और यहां तक ​​कि रणनीतियों को चाक करने के लिए मजबूर किया गया है।

जहां वाहन विषम या सम दिनों पर अपने पंजीकरण संख्या के आधार पर ऐसे शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्लाई करते हैं। इसके अलावा, पेट्रोलियम ईंधन के विशाल उपयोग ने मानव जाति के लिए उपलब्ध संसाधनों को और भी कम कर मिट्टी से जीवाश्म ईंधन को कम किया है।

कृषि अपशिष्ट – लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण, कृषि उत्पादों की मांग कई गुना बढ़ गई है। इससे उत्पादकता बढ़ाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों के बड़े पैमाने पर उपयोग को बढ़ावा मिला है। हालांकि, इस प्रथा का पर्यावरण पर प्रभाव का अपना हिस्सा है। उदाहरण के लिए, भारत में पंजाब की कपास बेल्ट कपास उद्योग के लिए वरदान रही है, लेकिन साथ ही, इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को कीटनाशकों और रसायनों के बड़े उपयोग के कारण कैंसर के विभिन्न रूपों से पीड़ित पाया गया है।

आबादी के अतिवृद्धि और प्रौद्योगिकी प्रगति ने सभी को इष्टतम अस्तित्व के लिए संसाधनों की मांग में वृद्धि का नेतृत्व किया है हालांकि, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण को उसी के लिए एक बड़ी कीमत देने के लिए मजबूर किया गया है और हम सभी को पर्याप्त रूप से जिम्मेदार होना चाहिए ।

ताकि, हमारे बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके अन्यथा भविष्य के लिए मुश्किल हो सकता है पीढ़ियों तक भी इस ग्रह पर जीवित रहते हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और अन्य पारिस्थितिक रूप से सुरक्षित प्रौद्योगिकियों के उपयोग जैसे बेहतर तरीके निश्चित रूप से एक स्वस्थ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के लिए एक विकल्प माना जा सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, environmental pollution greatest destruction essay in hindi (1000 शब्द)

भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है और 1.3 ट्रिलियन से अधिक लोगों का घर है। यह भव्य और शानदार परिदृश्य, प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन, और छुट्टी के गंतव्य के बाद सबसे अधिक मांग वाली भूमि है। लेकिन आज के समय की सबसे बड़ी चिंता देश के सामने बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर चुनौती है।

शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) ने भारत को दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश बताया है। देश में पर्यावरण प्रदूषण की भयावह स्थिति के कारण औसत भारतीय का जीवन चार साल से कम हो गया है। भारत सरकार ने शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित की है।

भारत के सबसे प्रसिद्ध कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह जानकर हैरान कर दिया कि दिल्ली में लगभग आधे स्कूल जाने वाले बच्चे अपरिवर्तनीय फेफड़ों की दुर्बलता की स्थिति में हैं। हवा, पानी और मिट्टी में खतरनाक और जहरीले प्रदूषकों का स्तर सुरक्षित सीमा से ऊपर चला गया है। भारी औद्योगीकरण, शहरीकरण और कृषि अपशिष्ट जलाने जैसी कुछ पुरानी प्रथाओं ने भारत में पर्यावरण की दयनीय स्थिति में समान रूप से योगदान दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक:

1. वायु प्रदूषण:

नई दिल्ली, भारत की राजधानी, ने हाल ही में वैश्विक सुर्खियां बनाईं जब यह पृथ्वी पर शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित स्थानों में बदल गया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार द्वारा उद्योगों से प्रदूषित उत्सर्जन का प्रबंधन करने और वैकल्पिक यातायात तंत्र का उपयोग करने के कई प्रयासों के बावजूद, वायु की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत यातायात, बिजली संयंत्र, उद्योग, अपशिष्ट जलाना, लकड़ी और लकड़ी का कोयला का उपयोग करना है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन हवा में जहरीले तत्वों की एकाग्रता के लिए एक वास्तविक समय का खतरा है।

2. मृदा प्रदूषण:

भारत में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में एक शानदार वृद्धि देखी जा रही है। परिणामस्वरूप देश के सभी हिस्सों में मृदा प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय बन रहा है। मृदा प्रदूषण कृषि उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य के लिए एक खतरनाक खतरा बन गया है। उपजाऊ भूमि का क्षेत्र बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए रसायनों के उपयोग से हर गुजरते दिन खराब हो रहा है।

भारत में शहरों के विकास ने मिट्टी का उपयोग नगरपालिका के कचरे की सतत मात्रा के लिए एक सिंक के रूप में किया है। देश के आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलूरु और चेन्नई जैसे शहरों में डंप यार्ड में बड़ी मात्रा में ई-कचरे के ढेर लगे हैं। शहरों के बाहरी इलाके में डंपिंग ग्राउंड के रूप में बड़ी मात्रा में भूमि बर्बाद हो गई है। इन डंपिंग ग्राउंड को मवेशियों के लिए चारागाह के रूप में देखा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप कई स्वास्थ्य खतरे हो सकते हैं।

3. जल प्रदूषण:

भारत में, हम जल प्रदूषण के लिए नए नहीं हैं। कृषि देश के लिए प्रमुख आवश्यकता है और जाहिर तौर पर जलवायु पर पर्यावरणीय प्रभाव ने मानसून को बुरी तरह प्रभावित किया है। उद्योगों से आने वाले जहरीले रसायनों, जैसे धातुओं सहित अपशिष्ट की भारी मात्रा को नदियों और जल-निकायों में डंप किया जाता है।

भारत में जल प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत अनुपचारित मलजल है। भारत में कुछ गाँव अभी भी खुले में शौच का अभ्यास करते हैं जो पास के जल निकायों को प्रदूषित करता है। गंगा और यमुना को दुनिया की सबसे प्रदूषित 10 नदियों में शुमार किया जाता है।

4. शोर प्रदूषण:

शोर प्रदूषण आधुनिक भारत का एक और ज्वलंत मुद्दा है। सड़कों पर ट्रैफिक की भीड़, हार्न बजाने के शोर की आवाज, फैक्ट्री सायरन, मशीनों के चलने की तेज आवाज और लाउडस्पीकर की तेज आवाज ध्वनि प्रदूषण में जबरदस्त बढ़ोतरी में योगदान देती है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण एक औसत भारतीय के लिए कई स्वास्थ्य मुद्दों का प्रकोप हुआ है।

प्रदुषण को कम करने के उपाय:

भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 170 देशों के साथ 24 नवंबर 2017 को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए। जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए भारत ने खुद को प्रतिबद्ध किया है। भारत के प्रधान मंत्री श्री। नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने 12 मार्च 2018 को मिर्जापुर जिले में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया।

भारत ने जर्मनी के साथ भारत-जर्मन ऊर्जा कार्यक्रम – ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (IGEN-GEC) के तहत तकनीकी सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार ‘स्वच्छ गंगा’, ‘नमामि गंगे’ और ‘यमुना सफाई कार्यक्रम’ को लागू करके गंगा और यमुना नदियों की पवित्रता को बहाल करने के लिए गंभीर कदम उठा रही है।

चूंकि प्लास्टिक एक प्रमुख प्रदूषक है, इसलिए महाराष्ट्र राज्य सरकार ने 23 जून 2018 से प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में प्लास्टिक सामग्री जैसे बैग, चम्मच, के विनिर्माण, उपयोग, बिक्री, संचलन और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

प्लेटें और अन्य डिस्पोजेबल आइटम। प्रतिबंध में पैकेजिंग सामग्री और थर्मोकोल भी शामिल हैं। हालाँकि प्लास्टिक का उपयोग दवाओं और दवाओं की पैकेजिंग, दूध और ठोस अपशिष्ट के उपचार के लिए किया जाता है

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि शहरी भारत में प्रदूषित वातावरण एक टिकने वाला बम है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए विपुल औद्योगिकीकरण ने स्पष्ट रूप से भारतीय शहरों में ताजी हवा की एक सांस को भी खतरे में डाल दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण से लड़ने के लिए कड़े कानूनों के कार्यान्वयन में सार्वजनिक भागीदारी का अभाव एक और बड़ी चिंता है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य गंभीर खतरे में है। भारत सरकार एक बड़े कैनवास पर समाधान लागू करने के लिए काम कर रही है, उदाहरण के लिए, स्वच्छ ऊर्जा पर स्विच करना, हानिकारक प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करने के लिए नियम, और पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में परिचितों को फैलाने के लिए अभियान चलाना।

सबसे महत्वपूर्ण पहलू भारतीय लोगों को अपनी सदियों पुरानी प्रथाओं को दूर करने के लिए प्रोत्साहित करना है जो पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं। संस्कृत का वाक्यांश “वसुधैव कुटुम्बकम” जिसका अर्थ है कि ‘दुनिया एक परिवार की तरह है’, परंपराओं की इस सुंदर और शांत भूमि को बचाने के लिए हममें से प्रत्येक के मन और दिलों में जीवित रहना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध, essay on environmental pollution in hindi (1500 शब्द)

शब्दकोश द्वारा परिभाषित प्रदूषण एक पदार्थ की उपस्थिति है जो हानिकारक है या पर्यावरण पर जहरीला प्रभाव डालता है। प्रदूषण को आगे चलकर प्राकृतिक पर्यावरण के दूषित पदार्थों की शुरूआत के रूप में समझाया गया है जो प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बन सकता है। बुनियादी होने के लिए, पर्यावरण प्रदूषण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और जो बदले में पर्यावरण में लोगों को नुकसान पहुंचाता है।

पर्यावरण प्रदूषण की घटना:

पर्यावरण प्रदूषण की घटना तब होती है जब वातावरण प्रदूषक द्वारा दूषित होता है; इससे कुछ बदलाव आते हैं जो हमारी नियमित जीवनशैली पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। प्रदूषण के प्रमुख घटक या तत्व प्रदूषक हैं और वे बहुत भिन्न रूपों के अपशिष्ट पदार्थ हैं। प्रदूषण पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में गड़बड़ी लाता है। विकास और आधुनिकीकरण ने उनके साथ प्रदूषण में तेजी से वृद्धि की है और इसने विभिन्न मानव बीमारियों और सबसे महत्वपूर्ण ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है।

पर्यावरण प्रदूषण के रूप:

जल, वायु, रेडियोधर्मी, मिट्टी, गर्मी, शोर और प्रकाश सहित पर्यावरण प्रदूषण के कई विभिन्न रूप हैं। प्रदूषण के हर रूप के लिए, प्रदूषण के दो स्रोत हैं; गैर बिंदु और बिंदु स्रोत। प्रदूषण के बिंदु स्रोतों की निगरानी, ​​निगरानी और नियंत्रण करना बहुत आसान है, जबकि गैर-बिंदु प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करना काफी कठिन और कठिन है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण और स्रोत:

पर्यावरण प्रदूषण के स्रोतों और कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

1. औद्योगिक गतिविधियाँ:

दुनिया भर के उद्योग, भले ही वे संपन्नता और समृद्धि लाए हों, पारिस्थितिक संतुलन में लगातार गड़बड़ी हुई है और जीवमंडल की जांच की है। प्रयोगों का गिरना, धुएं का गुबार, औद्योगिक अपशिष्ट और घूमती हुई गैसें पानी और हवा दोनों को दूषित, प्रदूषित करने के लिए एक निरंतर खतरा हैं।

औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान जल और मृदा प्रदूषण दोनों का स्रोत बन गया है। विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट नदियों, झीलों, समुद्रों और धुएं के छोड़े जाने के माध्यम से मिट्टी और हवा में प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।

2. ठोस अपशिष्ट बहाना:

जब कचरे का सही तरीके से निपटान नहीं किया जाता है तो वाणिज्यिक और घरेलू अपशिष्ट पर्यावरण प्रदूषण के स्रोत होते हैं।

3. वाहन:

डीजल और पेट्रोल का उपयोग करने वाले वाहन धूम्रपान करते हैं और कोयले को पकाने से जो धुआं निकलता है वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करता है। सड़कों पर वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि ने केवल धुएं के उत्सर्जन को सहायता प्रदान की है, जब रिलीज होती है और अंततः हवा के साथ मिश्रित होती है जिसे हम सांस लेते हैं। इन विभिन्न वाहनों का धुआं काफी हानिकारक है और वायु प्रदूषण का प्राथमिक कारण है। ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करने वाले इन वाहनों से आवाज़ों का जोखिम भी है।

4. तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण:

शहरीकरण की तेजी से दर और औद्योगीकरण भी पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं क्योंकि वे पौधों और पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं, जो जानवरों, मनुष्यों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।

5. जनसंख्या अतिवृद्धि:

विकासशील देशों में तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हुई है, कब्जे, बुनियादी भोजन और आश्रय की मांग बढ़ रही है। उच्च मांग के कारण, जनसंख्या की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करने के लिए वनों की कटाई तेज हो गई है।

6. जीवाश्म ईंधन दहन:

जीवाश्मों के ईंधनों का लगातार दहन कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी विषैली गैसों के माध्यम से मिट्टी, हवा और पानी के प्रदूषण का स्रोत है।

7. कृषि अपशिष्ट:

कृषि के दौरान उपयोग किए जाने वाले कीटनाशक और उर्वरक पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।

वायु प्रदुषण:

यह संभवतः पर्यावरण प्रदूषण का सबसे खतरनाक और सामान्य रूप है और इसे शहरीकरण का पर्याय माना जाता है। इसका प्राथमिक कारण ईंधन के दहन की उच्च दर है। ईंधन दहन अब घरेलू और औद्योगिक रूप से परिवहन, खाना पकाने और कुछ अन्य गतिविधियों के लिए एक बहुत ही बुनियादी आवश्यकता है। ये सभी गतिविधियाँ बड़ी संख्या में जहरीले रसायनों को वायुमंडल में छोड़ती हैं और हमारे अस्तित्व को प्रभावित और खतरे में डालकर हवा से नहीं निकालती हैं।

सल्फर ऑक्साइड को धुएं द्वारा हवा में छोड़ा जाता है और इससे हवा बहुत जहरीली हो जाती है। यह प्राथमिक रूप से कारखाने के ढेर, चिमनी, वाहनों या यहां तक ​​कि लकड़ी के लॉग के जलने जैसे कुछ सामान्य से धुएं के कारण होता है। वातावरण में सल्फर ऑक्साइड और कई अन्य गैसों के उत्सर्जन से अम्लीय वर्षा होने की क्षमता के साथ ग्लोबल वार्मिंग होती है।

इन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और इसके कारण होने वाले ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में सूखे, अनियमित बारिश और तापमान में वृद्धि हुई है। ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और फेफड़े के कैंसर के बेहद खतरनाक मामले जैसी स्थितियां और बीमारियां शहरों में होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारण पैदा होने वाली आपदाओं के कई दुखद उदाहरणों में से एक उदाहरण भोपाल की 1984 गैस त्रासदी है। गैस त्रासदी एक गैस संयंत्र में गैस (मिथाइल आइसोसाइनेट) की रिहाई का एक परिणाम था। त्रासदी में लगभग 2,000 लोगों ने अपनी जान गंवाई और 200,000 से अधिक लोग व्यापक श्वसन समस्याओं से पीड़ित थे।

श्वसन संबंधी बीमारियां, अस्थमा और हृदय रोगों में वृद्धि एक अड़चन के कारण हो सकती है (उदाहरण के लिए, पार्टिकुलेट जो आकार में 10 माइक्रोमीटर से नीचे हैं)। इस क्षण तक, जन्म लेने वाले शिशुओं में अभी भी जन्म दोष हैं और इसके लिए भोपाल त्रासदी को जिम्मेदार ठहराया गया है।

जल प्रदूषण:

पानी जीवन के लिए आवश्यक है; प्रत्येक जीवित प्राणी या अस्तित्व जीवित रहने के लिए पानी पर निर्भर करता है। सभी प्रजातियों के लगभग 60% पानी में रहते हैं; इसका मतलब है कि पानी का प्रदूषण एक बहुत महत्वपूर्ण प्रदूषण प्रकार है जिसे नियंत्रित किया जाना है।

बहुत सारे कारक हैं जो जल प्रदूषण में योगदान करते हैं, एक बहुत बड़ा योगदान कारक औद्योगिक प्रवाह है जिसे नदियों और समुद्रों में निपटाया जाता है और पानी के गुणों में एक बड़ा असंतुलन पैदा करता है और यह पानी के जीवों को जीने के लिए अयोग्य बनाता है। बहुत सारी बीमारियाँ भी हैं जो जल प्रदूषण के कारण होती हैं और ये रोग गैर-जलीय और जलीय दोनों प्रजातियों को प्रभावित करते हैं।

कीटनाशक जो विभिन्न पौधों पर छिड़काव किए जाते हैं, वे भूजल के प्रदूषण का एक स्रोत हैं और साथ ही, महासागरों में तेल फैलने से पानी के शरीर को गंभीर अपरिवर्तनीय क्षति हुई है। जल प्रदूषण का एक अन्य स्रोत यूट्रोफिकेशन है और यह नदियों, तालाबों या झीलों के पास बर्तन, कपड़े धोने जैसी गतिविधियों के कारण होता है; वॉशिंग डिटर्जेंट पानी में चला जाता है और अनजाने में सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को अवरुद्ध करता है और इससे पानी की ऑक्सीजन सामग्री कम हो जाती है और यह जलमग्न हो जाता है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने आगे कहा कि लगभग 80% समुद्री पर्यावरण प्रदूषण अपवाह जैसे स्रोतों से उत्पन्न होता है। पानी के प्रदूषण का समुद्री जीवन पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। एक उदाहरण का हवाला देते हुए, सीवेज के साथ रोगजनकों का विकास अच्छी तरह से होता है, जबकि पानी में होने वाले अकार्बनिक और कार्बनिक यौगिक पानी की संरचना को बदल सकते हैं। यदि भंग ऑक्सीजन का स्तर कम है, तो पानी को प्रदूषित माना जाता है; घुलित ऑक्सीजन सीवेज जैसे कार्बनिक पदार्थों पर किए गए अपघटन से है जो पानी में मिलाया जाता है।

जलीय जीवों को नुकसान पहुंचाकर, जल प्रदूषण मनुष्यों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाकर पूरी खाद्य श्रृंखला को दूषित कर देता है जो जलीय जीवों पर निर्भर हैं। हर जगह डायरिया और हैजा के मामलों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है।

मिट्टी प्रदूषण:

इसे भूमि प्रदूषण भी कहा जाता है और यह उन रसायनों के कारण होता है जो मानव गतिविधियों के कारण मिट्टी को खराब करते हैं। कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी से नाइट्रोजन के सभी यौगिकों को हटा दिया जाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए अत्यधिक अयोग्य हो जाता है। वनों की कटाई, खनन और उद्योगों से निकलने वाला कचरा भी मिट्टी को नष्ट करता है और इससे पौधों की वृद्धि बाधित होगी और मिट्टी खत्म हो जाएगी।

ठोस अपशिष्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा औद्योगिक या वाणिज्यिक अपशिष्ट है। खतरनाक अपशिष्ट को अपशिष्ट के किसी भी ठोस, तरल या कीचड़ के रूप में कहा जा सकता है, जिसमें ऐसे गुण हैं जो खतरनाक हैं या पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

उद्योगों में कीटनाशक निर्माण, पेट्रोलियम शोधन, खनन और रसायनों से जुड़े कई अन्य निर्माणों से खतरनाक अपशिष्ट उत्पन्न होते हैं। खतरनाक कचरे केवल उद्योगों द्वारा उत्पन्न नहीं होते हैं; घरों में अपशिष्ट उत्पन्न होता है जो फ्लोरोसेंट रोशनी, पेंट और सॉल्वैंट्स, एरोसोल के डिब्बे, मोटर तेल और गोला बारूद की तरह खतरनाक होते हैं।

ध्वनि प्रदूषण:

यह एक शोर है जिसकी तीव्रता 85db से अधिक है और यह नंगे कानों तक पहुंचता है। शोर प्रदूषण विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्याओं (जैसे उच्च रक्तचाप और तनाव) का कारण बनता है। यह कभी-कभी सुनने में एक स्थायी हानि का कारण बनता है जो कि बहुत ही विनाशकारी बात है। शोर प्रदूषण बड़े पैमाने पर उद्योगों में लाउड कंप्रेशर्स और पंपों के कारण होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण:

यह प्रदूषण के अत्यधिक खतरनाक प्रकारों में से एक माना जाता है क्योंकि प्रभाव स्थायी होते हैं। परमाणु कचरे का लापरवाही से निपटारा, परमाणु संयंत्रों में दुर्घटनाएं, आदि सभी रेडियोधर्मी प्रदूषण के उदाहरण हैं। रेडियोधर्मी प्रदूषण एक्सपोजर, कैंसर (रक्त और त्वचा), अंधापन और विभिन्न जन्म दोषों के परिणामस्वरूप बांझपन का कारण बन सकता है। यह हवा, मिट्टी और पानी को स्थायी रूप से बदल सकता है – जो प्रमुख जीवन स्रोत हैं।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) - 200, 300, 500 शब्दों में

जीवन की तीन अनिवार्य आवश्यकताओं वायु, जल और भोजन के बिना जीवन संभव नहीं हैं। इनमें भी वायु यानी हवा सबसे अनिवार्य है क्योंकि भोजन और पानी के बिना तो जीव कुछ समय तक जिंंदा रह सकता है, लेकिन हवा के बिना दो मिनट भी जीवित रहना मुश्किल है। वायु गैसों का मिश्रण है, स्वच्छ वायु में लगभग 78% प्रतिशत भाग नाइट्रोजन और 21% भाग ऑक्सीजन और बाकी कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, आर्गन, जल वाष्प की मात्रा रहती है। अगर इनमें खासकर कार्बन, मिथेन, नाइट्रोजन की मात्रा में बदलाव हुआ तो ये वायु प्रदूषित हो जाती है। वर्तमान समय में वायु में इसी तरह की गैस और धूलकणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है जिससे वैश्विक स्तर पर इसको लेकर चिंता बढ़ी है। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) - वायु प्रदूषण क्या है? (What is Air Pollution?)

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) - 200, 300, 500 शब्दों में

औद्योगीकरण की तेज रफ़्तार ने वायु प्रदूषण (Air Pollution) को जन्म दिया है। वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) के माध्यम से हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution in hindi) से इस विकट समस्या को जहां समझने में आसानी होगी, वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अन्य कारणों से भी परिचित हो सकेंगे। इससे स्कूली छात्रों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Hindi Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution hindi) से छात्रों को परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी। साथ ही पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on World Environment Day in hindi) लिखने में भी यह लेख उनकी सहायता करेगा।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on air pollution in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से हमें सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि वायु प्रदूषण क्या है? मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्व प्रदूषक कहलाते हैं, जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते हैं और वायु में ऐसे प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता है। जब वायु में प्रदूषक तत्व उपस्थित होते हैं, तो कहा जाता है कि वायु प्रदूषित है।

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वायु प्रदूषण के प्रकार को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है -

प्राथमिक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - प्राथमिक प्रदूषक वाले प्रदूषण में ज्वालामुखी विस्फोट से राख, लावा धुँआ; वाहनों आदि से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस आदि से होने वाला प्रदूषण आता है।

द्वितीयक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं, बल्कि जब प्राथमिक प्रदूषक आपस में क्रिया या प्रतिक्रिया करते हैं। तब वे वायु में निर्मित होते हैं। जमीनी स्तर की ओज़ोन द्वितीयक प्रदूषक का प्रमुख उदाहरण है, जो धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाती है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) के इस भाग में अब हम वायु प्रदूषण के स्रोतों के बारे में जानेंगे। वायु प्रदूषण के स्रोतों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

विभिन्न प्रकार के ईंधनों के दहन से संबंधित मानवजनित स्रोत (मानव गतिविधि) और प्राकृतिक स्रोत।

वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक मानवीय गतिविधियाँ हैं। विद्युत संयंत्र, कल-कारखाने, लकड़ी, कोयले और उपले या अन्य सामग्रियों के दहन से निकले वाली गैस और वाहनों से निकलने वाला धुँआ आदि इसका एक प्रमुख कारण है।

कभी-कभी वायु प्रदूषण प्राकृतिक कारणों से जैसे कि ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला धुँआ या धूल की वजह से भी होता है, तो कई बार वनों में लगने वाली आग से निकलने वाला धुँआ भी इसके लिए जिम्मेदार होता है।

इसे भी देखें- होली पर निबंध

वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन व हृदय संबंधी बीमारियों का होना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है। वायु प्रदूषण के सबसे आम स्रोतों में निलंबित कण, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड आदि आते हैं। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की स्थिति के कारण होने वाली कुल मौतों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साल 2014 में लगाए गए अनुमान के अनुसार हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में लगभग 70 लाख लोगों की असमय मौत होती है। मार्च 2019 में प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि यह संख्या लगभग 88 लाख तक हो सकती है। पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरों के कारण होने वाली मौतों के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा कारण है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अस्थमा से अधिक मौतें होती हैं। दिसंबर 2013 में चीन में प्रत्येक साल वायु प्रदूषण से लगभग 500,000 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था। इस तरह हम देख सकते हैं कि वायु प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारियों को न केवल समझना होगा, बल्कि निभाने की भी जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) के इस अहम भाग में हम वायु प्रदूषण की समस्या को खत्म या कम करने के कुछ उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे-

पेड़-पौधे वातावरण की कार्बन डाईऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए और कड़ाई से इसका पालन किया जाना चाहिए। जंगलों में लगने वाली आग के त्वरित नियंत्रण के उपाय किए जाएँ।

जीवाश्म ईंधन के बजाए वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।

कल-कारखानों में प्रदूषण मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए।

वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार गतिविधियों को सीमित या बंद किया जाए।

नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों तथा इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को शहर और रिहायशी इलाकों से दूर रखना।

ऐसी तकनीकों का उपयोग करना, जिससे कम से कम धुँआ उत्सर्जित हो।

उम्मीद है कि वायु प्रदूषण पर निबंध (वायु प्रदूषण पर लेख) विशेष इस लेख के माध्यम से वायु प्रदूषण को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली होगी और हम सब वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) में बताई गई जानकारियों का उपयोग कर वायु प्रदूषण को कम कर बेहतर पर्यावरण के निर्माण की दिशा में अपना छोटा लेकिन बेशकीमती योगदान देंगे।

वायु प्रदूषण की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरल शब्दों में नारे (स्लोगन) तैयार किए जाते हैं जो आसानी से समझ में आ जाते हैं और लंबे समय तक याद भी रहते हैं। प्रदूषण, विशेषकर वायु प्रदूषण के बारे में नीचे हमने कुछ नारे संकलित किए हैं, जिनका उपयोग लोगों को जागरूक करने और वायु प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जा सकता है।

नीचे कुछ वायु प्रदूषण पर नारे हिंदी में दिए गए हैं -

1. स्वच्छ वायु के लिए कुछ कर दिखाना होगा; पेड़ों, बाग-बगीचों को कटने से बचाना होगा।

2. तरक्की की क्या खूब हमने गढ़ी कहानी है, वायु प्रदूषण इसकी सबसे बड़ी निशानी है।

3. जागरूक नागरिक बनिए, वायु प्रदूषण फैलाने से बचिए।

4. आओ वायु प्रदूषण को मिलकर हटाएँं, हम सब मिलकर पड़े लगाएँ।

5. कुछ पाने की हमने बड़ी कीमत चुकाई, अपनी साँसों को खुद हमने जहरीली हवा पिलाई।

6. जागो तुम, जागेगा भारत, शुद्ध हवा पाएगा भारत।

7. स्वच्छ हवा को अगर पाना है, सबको पेड़ लगाना है।

8. अपना नहीं भविष्य का सोचो, वायु प्रदूषण को आज ही रोको।

9. सबका एक ही नारा, प्रदूषण मुक्त हो देश हमारा।

11. स्वस्थ और बलशाली लोग भी वायु प्रदूषण से प्रभावित हो सकते हैं।– जेन लैपिंग

12. धरती माता अपने सभी बच्चों के साथ गैस चैंबर की ओर जा रही हैं- स्टीवन मैगी

स्वार्थपरता से ऊपर उठकर दुनिया के सभी देशों को इसमें अपनी भूमिका का सक्रियता से निर्वहन करने की जरूरत है। दुनिया के बड़े और शक्तिशाली देशों ने ही सबसे अधिक वायु प्रदूषण किया है इसलिए इसकी रोकथाम करने की दिशा में भी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इनकी ही बनती है, क्योंकि न केवल जरूरी संसाधन और विशेषज्ञता के कारण ये ऐसा करने में सक्षम हैं, बल्कि इनके ही कर्मों की सजा पूरी दुनिया को भुगतनी पड़ रही है। वायु प्रदूषण दुनिया में तेजी से बढ़ रही एक गंभीर समस्या है, जिसकी रोकथाम करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास भी इसमें अहम भूमिका निभाएँगे। हम सभी को पर्यावरण प्रदूषण रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका को समझना होगा और उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करना होगा, केवल तभी वायु प्रदूषण की समस्या पर लगाम कसी जा सकेगी।

हम उम्मीद करते हैं कि वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) विशेष इस लेख से आपको न सिर्फ वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध (Air Pollution Essay in hindi) लिखने में ही सहायता मिलेगी, बल्कि आप वायु प्रदूषण को लेकर काफी जागरूक भी हुए होंगे। धन्यवाद।

Frequently Asked Question (FAQs)

मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्व प्रदूषक कहलाते हैं जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते। वायु में इन प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता है। वायु में प्रदूषक तत्वों के उपस्थित होने की स्थिति में वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण मोटे तौर पर दो प्रकार का होता है-

प्राथमिक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - प्राथमिक प्रदूषक वाले प्रदूषण में ज्वालामुखी विस्फोट से राख, लावा धुँआ; वाहनों आदि से निकलने वलीकार्बन मोनो ऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस आदि से होने वाला प्रदूषण आता है।

द्वितीयक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं। बल्कि जब प्राथमिक प्रदूषक आपस में क्रिया या प्रतिक्रिया करते हैं तब वे वायु में निर्मित होते हैं। जमीनी स्तर की ओज़ोन द्वितीयक प्रदूषक का प्रमुख उदाहरण है जो धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्च 2019 में प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में  लगभग 88 लाख लोगों की असमय मौत होती है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अस्थमा से अधिक मौतें होती हैं। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का बिगड़ना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है।   

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय कई तरह के हो सकते हैं। वायु प्रदूषण रोकने कुछ उपाय नीचे दिए गए हैं-

पेड़-पौधे वातावरण की कार्बन डाई ऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए और कड़ाई से इसका पालन किया जाना चाहिए। जंगलों में लगने वाली आग के त्वरित नियंत्रण के उपाय किए जाएँ।

जीवाश्म ईंधन के वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।

  • नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों और इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

ऐसी तकनीकों का उपयोग करना जिससे कम से कम धुँआ उत्सर्जित हो।

छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास भी वायु प्रदूषण नियंत्रण में अहम भूमिका निभाएँगे। सभी को पर्यावरण प्रदूषण रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका को समझना होगा और उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करना होगा। वायु प्रदूषण नियंत्रण के कुछ व्यक्तिगत उपाय नीचे दिए गए हैं- 

  • अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना।
  • पेड़ों, बाग-बगीचों को नुकसान न पहुँचाएँ और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें।
  • छोटे-मोटे आयोजन कर आस-पास वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करने वालों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करना।
  • वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए आदि।
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Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Database Architect

If you are intrigued by the programming world and are interested in developing communications networks then a career as database architect may be a good option for you. Data architect roles and responsibilities include building design models for data communication networks. Wide Area Networks (WANs), local area networks (LANs), and intranets are included in the database networks. It is expected that database architects will have in-depth knowledge of a company's business to develop a network to fulfil the requirements of the organisation. Stay tuned as we look at the larger picture and give you more information on what is db architecture, why you should pursue database architecture, what to expect from such a degree and what your job opportunities will be after graduation. Here, we will be discussing how to become a data architect. Students can visit NIT Trichy , IIT Kharagpur , JMI New Delhi . 

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Product manager.

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Operations Manager

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Stock Analyst

Individuals who opt for a career as a stock analyst examine the company's investments makes decisions and keep track of financial securities. The nature of such investments will differ from one business to the next. Individuals in the stock analyst career use data mining to forecast a company's profits and revenues, advise clients on whether to buy or sell, participate in seminars, and discussing financial matters with executives and evaluate annual reports.

A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Safety Manager

A Safety Manager is a professional responsible for employee’s safety at work. He or she plans, implements and oversees the company’s employee safety. A Safety Manager ensures compliance and adherence to Occupational Health and Safety (OHS) guidelines.

Conservation Architect

A Conservation Architect is a professional responsible for conserving and restoring buildings or monuments having a historic value. He or she applies techniques to document and stabilise the object’s state without any further damage. A Conservation Architect restores the monuments and heritage buildings to bring them back to their original state.

Structural Engineer

A Structural Engineer designs buildings, bridges, and other related structures. He or she analyzes the structures and makes sure the structures are strong enough to be used by the people. A career as a Structural Engineer requires working in the construction process. It comes under the civil engineering discipline. A Structure Engineer creates structural models with the help of computer-aided design software. 

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Field Surveyor

Are you searching for a Field Surveyor Job Description? A Field Surveyor is a professional responsible for conducting field surveys for various places or geographical conditions. He or she collects the required data and information as per the instructions given by senior officials. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Pathologist

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

ITSM Manager

Automation test engineer.

An Automation Test Engineer job involves executing automated test scripts. He or she identifies the project’s problems and troubleshoots them. The role involves documenting the defect using management tools. He or she works with the application team in order to resolve any issues arising during the testing process. 

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay In Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay In Hindi Language)

आज हम प्रदूषण   पर निबंध (Essay On Pollution In Hindi) लिखेंगे। प्रदूषण विषय पर लिखा यह निबंध बच्चो (Kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

प्रदूषण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Pollution In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

Table of Contents

प्रदुषण पर निबंध ( Pollution Essay In Hindi)

देश में सबसे बड़ी परेशानी का सामना लोग कर रहे हैं तो वह है प्रदूषण। आज कल हर कोई प्रदूषण से परेशान है, किसी को सांस संबंधित परेशानी हो जाती है तो कहीं पर पशु पक्षियों को परेशानी हो जाती है। क्योंकि प्रदूषण जैसे बढ़ रहा है, लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

यहां तक कि छोटे जीव जंतु का भी जीवन भी संकट में आ गया है। हम सभी जानते हैं कि जंगलों की कटाई धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। जिससे जानवरो को रहने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है और वह मरते जा रहे हैं। उसी प्रकार शहरों में गाड़ियों का धुआं प्रदूषण फैला रहा है, आसपास के गंदे कारखाने प्रदूषण फैला रहे हैं।

जिससे समाज संबंधी रोग, कान से संबंधित रोग पैदा हो रहे है। आजकल हवा, पानी, मिट्टी सब जगह प्रदूषण फैल चुका है। प्रदूषण के कारण पृथ्वी की ओजोन परत धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। क्योंकि उसमें पराबैंगनी किरणों को शोषित करने की क्षमता कम होते जा रहे हैं। लोगों द्वारा फैलाये जाने वाले प्रदूषण के कारन पानी दूषित होता जा रहा है और पानी के संपर्क में आने से लोगों को चर्म रोग भी होते जा रहे हैं।

दुनिया में ज्यादातर होने वाले प्रदूषण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण है। आज हर कोई इन प्रदूषण से परेशान है। आसपास में फैली गंदगी हवा के साथ मिल जाती है जिसके कारण वायु प्रदूषण होता है।

यही गंदगी धीरे-धीरे नालियों से होते हुइ पानी में जाती है, जिससे अंदर कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो भूमि में अवशोषित नहीं हो पाते जिस कारण जल प्रदुषण, भूमि प्रदूषण होता रहता है। गाड़ियों की आवाज लोगों को परेशान करती हैं जो ध्वनि प्रदुषण का कारण होता है।

वायु प्रदूषण

वायु मे रासायनिक और जहरीली गैस और धूल के कणों के कारण प्रकृति और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह हवा में प्रदूषण फैला देते हैं, जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधित बीमारियां हो जाती है। ऐसी स्थिति को पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता है।

पर्यावरण में वायु प्रदूषण होने के निम्न कारण है :-

  • गाड़ियों से निकलने वाला धुआं।
  • उद्योगों की बड़ी बड़ी चिमनीओं से निकलने वाला धुआं और रसायन।
  • प्लास्टिक की थैलियों को बनाने से निकलने वाला कार्बन और उसकी बदबू।
  • पेड़ों की कटाई और कोयले के जलने से तथा कार्बन के जलने से निकलने वाला धुआं।
  • ज्वालामुखी के फटने पर निकलने वाला जलवाष्प जो जहरीली गैसों से भरा होता है और पर्यावरण को प्रदूषित कर देता है।

आजकल लोगों की लापरवाही के कारण गंदा पानी अच्छे पानी में मिलता जा रहा है। जिसके कारण पानी दूषित होता जा रहा है और जल प्रदूषण हो रहा है। जल प्रदूषण होने का कारण इंसान द्वारा नदिया, नहरों में मल कर देना या गंदी चीजें को विसर्जन कर देना, पानी की सफाई के सही प्रबंधन नहीं होना है।

साथ ही फैक्ट्रियों का गंदा पानी नदियों में मिला देना, कृषि के काम में आने वाले रसायनों और खाद्य पदार्थों का पानी में मिला देना, मानव द्वारा कूड़ा करकट को पानी के अंदर बहा देना, नदी तालाब के आसपास में गंदगी छोड़ देना है।

जिसके कारण वह गंदगी पानी में मिल जाती है, और इस कारण पानी में पाए जाने वाली मछलिया मर जाती है।

ध्वनि प्रदूषण

लोगों की एक सबसे बड़ी लापरवाही यह है कि वह अपने आसपास के क्षेत्रों में लाउडस्पीकर म्यूजिक बजाते हैं। जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण होता है, यह लोगों को बहुत परेशान करता है।

क्योंकि यह लोगों को बहरा कर देती है। कहीं बार तेज आवाज के कारण एक दूसरे की बात तक सुनाई नहीं देती। आजकल शादी पार्टियों में लोग बहुत तेज से म्यूजिक बजाते हैं। इससे आसपास के लोगों को बहुत परेशानी होती है और यह सभी ध्वनि प्रदूषण करते हैं।

पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण होने के निम्न कारण है :-

  • ध्वनि प्रदूषण मुख्य रूप से गांव में त्योहारों और उत्सव पर तेज आवाज में माइक और संगीत चलाने से होता है।
  • नेताओं द्वारा चुनाव के समय रेलिया निकालना और लाउडस्पीकर के साथ में म्यूजिक बजाना।
  • गाड़ियों का सही से रखरखाव नहीं करने के कारण उन से आने वाली तेज आवाज के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है।
  • बाजार में बेवजह हॉर्न बजाना जिसके कारण आसपास के लोगों को सिर दर्द होता है।
  • डीजल पंप अल्टरनेटर का चलाना जिसके कारण उन से आने वाली तेज आवाज लोगों को बहुत परेशान करती हैं।

भूमि प्रदूषण

लोगों की लापरवाही के कारण जहरीली रासायनिक पदार्थ जमीन में छोड़े जाते हैं और वह धीरे-धीरे मिट्टी में मिल जाते हैं। जिस के संपर्क में लोगों के आने से बीमारियां फैलती है और लोगों की यही लापरवाही भूमि प्रदूषण को तेजी से बढ़ा रही है।

भूमि प्रदूषण का कारण है लोगों की लापरवाही, जैसे कि खेतों में काम आने वाले रसायन कीटनाशक दवाइयो को भूमि में मिला देना।

  • सड़क पर पड़ा हुआ कचरा भूमि में मिलाना।
  • कारखानों से निकलने वाला पदार्थ भूमि में मिलाना।
  • गाड़ियों का काला तेल भूमि में मिल जाना।
  • प्लास्टिक की थैलियो का अधिक उपयोग करना, जिन्हे जमीन में दबा कर गलाने की कोशिश करते हैं परंतु वह गलती नहीं है और भूमि प्रदूषण होता है।
  • होटलों से निकलने वाला गंधा पदार्थ, प्लास्टिक की थैलियां, कपड़े, लकड़ीयो को भूमि पर ऐसे ही फेक देना इससे भी भूमि प्रदूषण होता है।

प्रदूषण से होने वाले नुकसान

  • वायु में प्रदूषण के कारण मनुष्य पशु पक्षियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • इंसानों को सांस लेने की परेशानी, दमा, खांसी, चर्म रोग आदि बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
  • वायु प्रदूषण के कारण लोगों को कई बार फेफड़ों से संबंधित बीमारिया हो जाती है।
  • सर्दी के समय कोहरा छाया रहता है, जिसके कारण लोगों को दिखाई नहीं देता और आंखों में जलन होती है।
  • ओजोन परत का नुकसान हो रहा है, क्योंकि पराबैगनी किरणों को अवशोषित करने की ताकत उसमें अब कम हो रही है।
  • सूर्य से आने वाली किरणों से लोगों को त्वचा के रोग, कैंसर रोग हो रहा है।
  • वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है और सूर्य की गर्मी के कारण पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस, नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस आदि का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जो कि हम सब के लिए हानिकारक है।
  • वायु में प्रदूषण के कारण होने वाली बरसात भी अम्ल वर्षा हो रही है, जो कि मानव जीवन के लिए समस्या का विषय है।

Water Pollution से होने वाले नुकसान

  • जल के प्रदूषण के कारण इंसानों, जानवरों, पक्षियों का जीवन खतरे में आ गया है। जल में होने वाले प्रदूषण के कारण जानवर और पक्षियों की मृत्यु हो जाती है।
  • जल प्रदूषण के कारण टाइफाइड, हैजा, पीलिया आदि बीमारियां हो जाती है।
  • इसके कारण पेड़ों को नुकसान होता है और वनस्पति प्रजातियां खत्म होती है।
  • जल प्रदूषण के कारण नहरों का पानी खराब हो जाता है।
  • जल के अंदर होने वाले प्रदूषण के कारण जन्म पाए जाने वाले जीव जंतु मर जाते हैं।

भूमि प्रदुषण से होने वाले नुकसान

  • भूमि प्रदूषण के कारण भूमि कृषि योग्य नहीं रहती।
  • इसके कारण जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण दोनों में वृद्धि होती जाती है।
  • इस के कारण भूस्खलन की समस्या पैदा हो जाती है।
  • भूमि के अंदर गंदगी के कारण जानवरों को बीमारियां हो जाती है, क्योंकि इन गंदगी के संपर्क में जानवर आते हैं।

Sound Pollution के कारण नुकसान

  • ध्वनि प्रदूषण के कारण व्यक्ति को सिर दर्द, सुनने में परेशानी, चिड़चिड़ापन आदी हो जाता है।
  • ध्वनि प्रदूषण से हृदय की गति बढ़ जाती है और जिसके कारण सिर दर्द और रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर जैसे अनेक बीमारियां हो जाती है।

Pollution को रोकने के उपाय

  • प्रदूषण को रोकने के लिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा।
  • वायु में प्रदूषण न फैले इसके लिए लोगों को वाहनों का सही से रखरखाव करना होगा और धूल मिट्टी से बचाव के लिए मुंह पर मास्क लगाए रखना होगा।
  • वायु प्रदूषण ना हो इसके लिए लोगों को कचरा इधर-उधर नहीं फैलाना चाहिए।
  • जल प्रदूषण रोकने के लिए लोगों को गंदे पानी को अच्छे पानी में मिलने से रोकना चाहिए।
  • फैक्ट्रियों से निकलने वाले रसायन को पानी में मिलने से रोकना चाहिए।
  • भूमि प्रदूषण को रोकने के लिए कूड़ा करकट को किसी पात्र में जला कर राख कर देना चाहिए, उन्हें ऐसे ही जमीन पर जलाना नहीं चाहिए।
  • अपने वाहनों में खराबी के कारण आने वाली तेज आवाज को रोकने के लिए वाहनों का सही से काम करवाना चाहिए और बेफिजूल का हॉर्न नहीं बजाना चाहिए।

देश की समस्याओं में से प्रदूषण एक समस्या बन चुका है। आजकल हमारे आसपास के सभी इलाकों में प्रदुषण ज्यादा फैल रहा है। जिसके कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

हमारे आसपास के क्षेत्रों में जीव जंतुओं के मरने का कारण प्रदूषण होना पाया गया है। प्रदूषण के कारण मनुष्य को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बहुत बार लोगों को सांस की परेशानी, कानों की परेशानी, दिल की परेशानी जैसी समस्याएं हो जाती है।

इन सभी के लिए मानव जीवन ही जिम्मेदार है। मानव ने अपने आसपास के वातावरण को पूरी तरह से प्रदूषण से भर दिया है, जिसके कारण रोग बढ़ते ही जा रहे है। इसे रोकने के लिए सरकार ने भी अपने तरफ से योगदान दिया है।

वाहनों की सही रखरखाव नहीं होने पर वाहनों से निकलने वाले प्रदुषण को रोकने के लिए जुर्माना लगाया है। यदि व्यक्ति ज्यादा तेज आवाज करता है, तो पुलिस को कंप्लेंट करने की अनुमति दी गयी है जिससे की ध्वनि प्रदुषण को रोका जा सके।

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प्रदूषण पृथ्वी का एक ऐसा कण है जो पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य , जिव और जंतु सभी के लिए हानिकारक है। प्रदूषण हमारे शरीर के लिए बहूत नुकसान दायक है।

प्रदूषण हमारे देश के सभी जगह पाया जाता है, लेकिन महानगर में इसकी मात्रा ज्यादा होता है। इसका वास्तविक कारण यह है, कि हम सभी को पता है की महनागर में बहुत सारे कारखाने (फैक्ट्री) होते है और उन कारखानो से भारी मात्रा में प्रदूषण होता है।

फैक्ट्री से प्रदूषण होने का कारण यह हैं की कारखानो में काम होता है और उसका कुछ सामान ख़राब होने से इधर -उधर फेक दिया जाता है। कुछ सामान बनाने वाले कारखाने और इट बनाने वाले चिमनी को हम लोग देखते ही है की उसका धुआँ कितना ख़राब निकलता है। ये सभी कारखानो से निकलने वाला प्रदूषण होता है।

अगर हम लोग छोटे नगर या ग्रामीण क्षेत्र में देखे तो कुछ कचरा सब इधर -उधर फेक देते हैं। वही कचरा कुछ दिन बाद ख़राब हो जाता है और फिर उसकी महक भी बहुत ख़राब आने लगती है।

और उससे बहुत ज्यादा मात्रा में प्रदूषण होता है, ये हमारे आस पास के वायु को प्रदूषित कर देता है। इसी लिये सारा कचरा हम सबको एक जगह जमा करने के बाद उसे मिट्टी के अन्दर या फिर कचरा पेटी में डाल देना चाहिए, इससे हमारे आस – पास के सभी लोग सुरक्षित रहेंगे और हम भी सुरक्षित रहेंगे।

कचरा ज्यादा दिनों तक एक जगह रहने से वह सड़ने लगता है। जिस वजह से उसपर बहुत से कीड़े और विषाणु बन जाते है। ऐसे में बड़ी खतरनाक बीमारिया भी फ़ैल सकती है।

आज कल हम लोग इस चीज को बहुत अच्छे से जानते है और देखते भी है की आज समय से बारिश नहीं होती है। पहले सभी किसान अपना फसल का समय बनाये हुए थे और उन्हें पता था किस महीने में बारिश कितनी होगी .

उसी अनुशार से सभी किसान अपना फसल लगते थे और उसी बारिश के पानी से अपने फसल की सिचाई करते थे। इस वजह से उन्हें अलग से पानी देने की कोई जरुरत नहीं होता थी।

लेकिन अब शायद ही कोई फसल के समय प्राकिर्तिक बारिश से किसान फसल का उब्जा कर पाते है। आज प्रदूषण के वजह से मौसम भी कभी साल में गर्मियों का ज्यादा दिनों तक रहता है तो कभी ठंडी का मौसम ज्यादा दिन तक रहता है।

कोई भी मौसम अपने समय से नहीं आता हैं और कोई भी मौसम अपने समय से ख़त्म नहीं होता है। इस सब का कारण है प्रदूषित वातावरण, जब तक हम लोग प्रदूषण को कम करने की कोशिश नहीं करेंगे, तब तक इन सारी समस्याओ को हमे और हमारे आने वाले पीढ़ीओ को झेलना पड़ेगा।

प्रदूषण के कही प्रकार है और वह सभी बहुत तरह से फैलता है। तो इन सभी प्रदूषण को हम बारी बारी से विस्तार से जानते और समझते है।

प्रदूषण के प्रकार (Types Of Pollution)

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

यह प्रदूषण हवा के प्रदूषित होने से होता है, हवा प्रदूषित तब होती है जब हवा में हानिकारक गैस, धूल, कण आदि मिल जाते हैं। यह प्रदूषित हवा मनुष्य शरीर के लिए हानिकारक होती है और ऐसे ही प्रदूषित हवा से वायु प्रदूषण होता है।

हमे पता है की साधारण मनुष्य को जीवन जीने के लिए साँस लेना कितना जरुरी है और जब हम साँस लेते है तो हमारे शरीर को शुद्ध ऑक्सीजन की जरुरत होती है। लेकिन हवा में धूल कण जाने से वायु प्रदूषित हो जाती है और ये वायु नाक द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करती है।

इससे हमरे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचता है और हमे बीमारी का सामना करना परता है। इसी लिए हमारे शरीर के लिए वायु प्रदूषण बहुत हानिकारक होता हैं। वायु प्रदूषण होने से  प्रदूषित क्षेत्र में जब बारिश होती हैं, तो उससे बारिश के पानी में भी प्रदूषित हवा का धूल – कण मिलने से बारिश का पानी साफ नहीं रह पाता हैं।

और जब अशुद्ध पानी किसान के फसलों में जाता हैं तो फसल ख़राब हो जाते है, उससे किसान को भी भारी नुकसान का सामना करना परता हैं। वायु प्रदूषण अधिकांश गाड़ियों से निकलने वाले धुए और किसी प्लास्टिक जैसे चीजों को जलाने से निकलने वाले धुए से होता है।

अगर हमे वायु प्रदूषण को बढ़ने से बचाना है, तो हमे इन सभी पर ध्यान देना चाहिए और कोसिस करना चाहिए की वायु शुद्ध रहे।

जल प्रदूषण (Water Pollution)

जल प्रदूषण को सामान्य शब्दों में कहे तो पानी का गन्दा होना जल प्रदूषण कहलाता है। जब कोई हानिकारक रसायनिक खाद्य -पदार्थ और धूल – कण जल में मिल जाते है तो उसे जल प्रदूषण कहते हैं।

जल प्रदूषण के बढ़ने से हम सबको पिने के लिए साफ़ पानी की कमी हो रही है। बहुत सारे नदी – तालाब में प्रदूषित जल होता है और उस जल में मछली पालन किया जाता है। लेकिन उस मछली को खाना शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है।

जब प्रदूषित जल से किसान अपने फसलों को उगाता है, तो उस फल और सब्जी आदि के तहत विषाणु हमारे शरीर के अंदर जाते हैं। तो उससे हमे बहुत सारी बीमारियाो का सामना करना पडता है और हमारे शरीर को नुकसान पहुँचता है।

प्रदूषित जल से  मनुष्य, पशु – पक्षी ये सभी का स्वास्थ को खतरा है, प्रदूषित जल के वजह से टाईफाईड ,पीलिया और हैजा जैसी बीमारीया होती है। इस बीमारियों से बचना हमारे जीवन में बहुत ही जरुरी है।

जल प्रदूषण मुख्यतः नदियों से होता है, क्योकि नदियों में फक्ट्री से निकलने वाला कुळा कचरा मिल जाता है। आज कल बड़े -बड़े शहरों के नालो को भी नदी और नहरों से मिला दिया जाता है जो जल प्रदूषण को बढ़ा देता है।

बहोत से कारखानो का गन्दा पानी नदियों से मिला दिया जाता है। जल प्रदूषण होने से रोकने के लिए हमे इन सब पर विचार करना चाहिए और अपने आप से सतर्क रहना चाहिए।

भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)

मिट्टी में हानिकारक रसायनिक पदार्थ के मिलावट होने के बजह से भूमि प्रदूषण होता है। भूमि प्रदूषण से जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होती हैं। भूमि प्रदूषण के बढ़ने से हमारे किसान को खेती करने के लिए अच्छी जमीन की कमिया होते जा रही है।

प्रदूषित भूमि में उगाये गए फसल मिट्टी के वजह से प्रदूषण होती है और उस प्रदूषित फसल का इस्तेमाल करने से हमारे सरीर में बहुत सारी समस्याए होने लगती हैं।

भूमि प्रदूषण मुख्यतः खेतो में रसायनो तथा कीटनाशक का इस्तेमाल करने से होता है। अपने फसल को बचाने के लिए किसान कीटनाशक रसायनो का इस्तेमाल करते हैं और इससे भूमि प्रदूषण में बहुत बड़ा प्रभाव परता है।

साथ ही में घर और कारखानों से निकलने वाले कचरे और प्लास्टिक जो की मिटटी में मिलना बहुत मुश्किल होता है इससे भूमि प्रदूषित होती है। भूमि प्रदूषण से अनाज के भी कमी का सामना करना पड़ता है और अगर प्रदूषित भूमि में अनाज ऊगा कर खाया जाये। तो इससे भी हमारे शरीर को नुकसान पहुचता है। इसलिए हमे भूमि को प्रदूषण होने से बचाना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution)

ज्यादा तेज ध्वनि और तीव्र ध्वनि जो की मानव के लिए सुनना मुश्किल है, ऐसे ध्वनि के कारण फैलने वाले प्रदूषण को ध्वनि प्रदूषण कहते है। ध्वनि प्रदूषण से हमारे सुनने की छमता कम होने लगती है।

ध्वनि प्रदूषण से बच्चो के स्वास्थ पे बहुत जयादा प्रभाव पड़ता है और इससे दिल की धरकन तेजी बढ़ जाती है। इससे बचना हमारे लिए बहुत जरुरी है। ध्वनि प्रदूषण मुखयतः गाड़ीयो के आवाज से और त्यौहार, रैली या फिर किसी कार्यक्रम में तेज आवाज होने के लिए लौडस्पीडकर का इस्तेमाल किया जाता है उससे होता है।

हम लोगो को इन सभी प्रदूषण से बचने की कोशीश करनी चाहिए। प्रदूषण को हम सब मिल कर रोक सकते हैं, इसके लिए हम सबको आस – पास के सभी लोगो को इसकी जानकारी देनी होगी और उन्हें समझाना होगा।

ताकि हम सब मिलकर पर्यावरण में होने वाले इन प्रदूषण को रोक सके और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सके। अगर प्रदूषण को अभी से नहीं रोका गया तो हमारे लिए और हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण बहुत हानिकारक होगा।

तो यह था प्रदूषण पर निबंध, आशा करता हूं कि प्रदूषण   पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Pollution) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध

September 23, 2017 by essaykiduniya

Get information about Pollution in Hindi. Here you will get Paragraph & Short Essay on Pollution in Hindi Language / Pradushan par Nibandh / Pradushan ke Karan in Hindi for students of all classes in 150, 250, 500, 600 and 1000 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में प्रदूषण पर निबंध मिलेगा।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 150 words )

हमारे चारों ओर की चीज़ों को पर्यावरण कहा जाता है। यह जीवित प्राणियों और वनस्पतियों की दुनिया के साथ भूमि, पानी, हवा का संयोजन है। प्रकृति द्वारा बनाए गए पर्यावरण में एक अद्भुत संतुलन रहा है, और यह पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखता है। लेकिन मनुष्य जो की सबसे बुद्धिमान प्राणी है, ने अपने लाभ के लिए प्रकृति का शोषण करने की कोशिश की है। उन्होंने संसाधनों का उपयोग अपने तरीके से करने के लिए आविष्कारक कौशल लागू किया है। इसने प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक संतुलन वितरित किया है। हमारी तथाकथित प्रगति और समृद्धि के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की हमारी इच्छा ने हमें अपने पर्यावरण को नष्ट कर दिया है जिससे हमारे लिथोस्फीयर, वायुमंडल, जलमंडल और जीवमंडल को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हम निश्चित रूप से भविष्य में परेशानी में होंगे। इसलिए, हमें किसी भी कीमत पर अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 250 Words ) 

यह सही कहा जाता है कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन मनुष्य ही है वह इतना स्वार्थी हो गया है कि वह प्रकृति का शोषण कर रहा है। आज मनुष्य द्वारा बनाई गई सबसे गंभीर समस्या पर्यावरण प्रदूषण है। दूर के अतीत में कोई भी समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं देता, लेकिन आज यह एक भयानक समस्या बन गई है। प्रदूषण की समस्या के लिए औद्योगिकीकरण की तेजी से प्रगति के साथ आधुनिक जीवन शैली को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हर जगह हम अपने साँस को दबाने के अंधेरे बादलों को देख सकते हैं। सड़कों में वाहनों से भीड़ होती है जो जहरीली गैसों का उत्सर्जन करती हैं। कारखानों और कार्यशालाओं की चिमनी से निकलने वाले धुएं के कारण स्थिति बढ़ गई है।

व्यस्त सड़क पर कुछ मिनट के लिए भी चलना मुश्किल है। यह लोगों की एक आम शिकायत है कि उनकी आँखें अंधी हैं, कान बहरे हुए हैं और नाक की रासायनिक धूल और धुआं लापरवाह वनों की कटाई के परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग और अनियमित मानसून में हुई है। आक्सीजन इन दिनों दुर्लभ हो रहा है। दिन दूर नहीं हैं जब हमें श्वास लेने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाना होगा। रसायन उर्वरकों, कीटनाशकों और दवाइयों के अत्यधिक उपयोग ने हमारी धरती को जहरीली बना दिया है। पीने के पानी खतरनाक रसायनों से भरे हुए हैं।

वायु प्रदूषण भी चर्चा करने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विज्ञान ने कई घातक बीमारियों का इलाज पाया है लेकिन प्रदूषण ने घातक रोगों की सूची में कई बीमारियों को शामिल किया है। इन बीमारियों को कभी भी नहीं सुना था। अब स्थिति ऐसे पास से आई है जहां मनुष्य, पशु और वनस्पति का हर अस्तित्व राज्य में है। हमें जागना और प्रदूषण को रोकना चाहिए अन्यथा यह बहुत देर हो जाएगी।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 500 Words )

प्रदूषण का अर्थ है वातावरण या वायुमंडल का दूषित होना। प्रदूषण की समस्या आधुनिक वैज्ञानिक युग की देन है। इस समस्या से विश्व के अधिकांश देश ग्रसित हैं। प्रकृति ने मानव की जीवन-प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने के लिए, उसे शुद्ध वायु, जल और वनस्पति तथा भूमि प्रदान की है। परंतु जब किन्हीं कारणों से ये सब दूषित हो जाती हैं तो मानव तथा अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न प्रकार से हानिकारक हो जाती हैं।

प्रदूषण चार प्रकार का होता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण। आधुनिक वैज्ञानिक युग में आर्थिक प्रगति के नाम पर अनेक प्रकार के छोटेबड़े कल-कारखानों और उद्योगों का विकास मानव ने अपनी भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए कर लिया है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ग्राम, नगर और महानगरों ने बढ़ना आरंभ कर दिया है। वन क्षेत्र को काटकर आवास की समस्या हल की जा रही है। उत्पादन और सुरक्षा के लिए ऐसे यंत्रों का निर्माण किया जा रहा है जो रात-दिन ध्वनि और धुआँ उगलते रहते हैं। नदियों पर बा रहे हैं। परिवहन की सुविधा उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण राज उगलते रहते हैं। नदियों पर बाँध बनाए जा बड़ी संख्या में नगरों-महानगरों की ओर आ रहे हैं। महानगरों के लोग ओर आ रहे हैं। महानगरों के लोग अपने उद्योगधंधा का गांव की ओर बढ़ा रहे हैं। इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है।

कल-कारखानों का दुषित और अनियंत्रित जल-मल बाहर निकलकर दुयु गैस फैलाला है। कारखानों की धुआँ गलती हुई चिमनियाँ दूर-दूर तक वातावरण को दूषित करती हैं, इनसे वायुमंडल दषित हो जाता है। इससे सॉस और फेफड़ा के रोग पनपते हैं, आँखें खराब होती हैं। वाहनों और मशीनों के शोर, यातायात के साधनों के हार्मों की चिल्ल-पों, चीखते लाउडस्पीकर, तेज आवाज़ में चलते टेलीविज़न, रेडियो, टेपरिकार्डर आदि से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। सुनाई देना कम हो जाता है, रक्तचाप बढ़ जाता है। शारीरिक व मानसिक रोग पनपते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जा स्रोतों में नहाने, कपडे धोने, मल-मूत्र त्यागने, जानवरों के नहलाने, शवा की राख बहाने आदि से भी जल प्रदूषित हो जाता है जिससे हैजा, आंत्रशोथ तथा पेचिश जैसे रोग हो जाते हैं। उपज बढ़ाने के लिए भूमि में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों को मिलाया।

जा रहा है जिससे भूमि प्रदूषण होता है। ऐसी प्रदूषित भूमि में उत्पन्न होने वाला खाद्यान्न, साग-सब्ज़ियाँ भी प्रदूषित हो जाती हैं। इनके खाने से मानव के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। हमारे देश में ही नहीं, विश्व के अन्य देशों में भी प्रदूषण की समस्या निर्बाध रूप से बढ़ रही है। यह ठीक है कि विज्ञान की प्रगति के साथ औद्योगीकरण का विकास भी अनिवार्य हो गया है। यही रास्ता है जिस पर चलकर कोई देश आर्थिक रूप से संपन्न हो सकता है। किंतु फिर भी हमें आधुनिक सभ्यता के पर्याय ध्वनि विस्तारक यंत्र, आँखों को चौंधियाती बत्तियाँ, रसायनों से बने खाद्य और वस्त्र, औषधियाँ और सौंदर्य प्रसाधन, परिवहन के साधनों की अनिवार्यता पर अंकुश लगाना पड़ेगा।

इसके अतिस्क्ति मानव निर्मित कृत्रिम वातावरण व प्रकृति द्वारा प्रदत्त वातावरण में संतलन कायम करना होगा। वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना पड़ेगा। वन क्षेत्र बढाने के लिए वृक्ष लगाने होंगे। जनसंख्या पर नियंत्रण करना पड़ेगा। खतरनाक रसायनों को कम-से-कम प्रयोग करना पड़ेगा। अणुबमों के विकास तथा परीक्षण पर रोक लगानी पड़ेगी, तभी आधुनिक सभ्यता में जीने वाला मानव स्वस्थ और सुखी जीवन व्यतीत कर सकेगा।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 600 Words )

प्रदूषण मानव जाति के लिए सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है| प्रदूषण को बहुत बड़ी मात्रा में पर्यावरण में जहरीले और अवांछित पदार्थों के अलावा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। तीन तरह के प्रदूषण-हवा, पानी और मिट्टी है विभिन्न ऑटोमोबाइल और उद्योगों द्वारा वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसे विषाक्त गैसों का उत्सर्जन, जीवन देने वाले ऑक्सीजन की असंतुलन का कारण बनता है। इस प्रकार हवा प्रदूषित हो जाता है और सांस लेने के लिए अयोग्य है। उद्योगों से अपशिष्ट जल और उनके तरल पदार्थों को नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है।

वे जल प्रदूषण करने के अलावा समुद्री जीवन को भी मारते हैं, तटीय और नदी के पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाते हैं और पेयजल संसाधनों को नष्ट करते हैं। मक्खियों जो इन प्रदूषकों पर फ़ीड अपने शरीर पर जहर बरकरार रखता है। जब मनुष्य इन मछलियों का उपभोग करते हैं तो उन्हें जहर मिलता है।  पर्यावरण प्रदूषण एक बहुत गंभीर विषय है| कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक और गैर-जिम्मेदार उपयोग से मिट्टी प्रदूषण का कारण बनता है। यह केवल इसलिए है क्योंकि पौधे केवल उर्वरक या कीटनाशक का एक निश्चित मात्रा ले सकता है अतिरिक्त मात्रा मिट्टी में जाती है जिससे मिट्टी के पुनरुत्थान की शक्तियों को नष्ट हो जाता है और इसे बांझकर बना दिया जाता है। बारिश के दौरान अक्सर यह अतिरिक्त उर्वरक और कीटनाशक के पास के तालाबों और नहरों में प्रवाह होता है, जो इस प्रकार ज़हर हो जाते हैं।

नवीनतम प्रदूषक जो हवा, पानी और मिट्टी की धमकी दे रहा है वह परमाणु अपशिष्ट और उत्सर्जन है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में कोई भी दुर्घटना मिट्टी, वायु, अनाज, पानी इत्यादि में उत्पन्न होती है, जिससे उन्हें सभ्यता के लिए अयोग्य बनाते हैं। वैसे, सबकुछ नष्ट नहीं हुआ है। हाल ही में तकनीकी प्रगति ने प्रदूषण को नियंत्रित करने और पारिस्थितिकी को अपने मूल गुणवत्ता में लौटाना संभव बना दिया है। इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिटीटेटर्स या औद्योगिक उत्सर्जन, ऑटोमोबाइल उत्सर्जन के लिए उत्प्रेरक कन्वर्टर्स, औद्योगिक अपशिष्ट जल और तरल पदार्थों के लिए पौधों को रीसाइक्लिंग और कृषि प्रयोजनों के लिए जैव उर्वरक और कीटनाशकों आदि आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जो प्रकृति को अपनी पवित्रता प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इन उपायों की उपस्थिति में अब जो जरूरी है वह जनता है और राजनीतिक दृढ़ संकल्प को छूटेगा, ताकि हम एक बार फिर साफ वातावरण में रह सकें।

शोर प्रदूषण का भी पर्यावरण और लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अनुसंधान से पता चलता है कि कई बीमारियां शोर प्रदूषण से जुड़ी हैं, जैसे कि सुनवाई हानि, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग और भाषण हस्तक्षेप। औद्योगिक शोर भी पशुओं के जीवन को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, जहाज़ों की आवाज़ के कारण व्हेल नेविगेशन प्रणाली टूट जाती है| इसके अलावा, औद्योगिक शोर जंगली प्रजातियों को अधिक जोर देने के लिए संवाद करता है जिससे अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है और उनकी जीवन अवधि कम हो जाती है। जनसंख्या और तकनीकी प्रगति का विकास पृथ्वी के पारिस्थितिक अवस्था पर आधारित है।

प्राकृतिक स्रोतों, कारखानों और पौधों का काम, और मानव गतिविधि के अन्य उत्पादों का निष्कर्षण परिणामस्वरूप विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं में होता है। पानी, वायु और ध्वनि का प्रदूषण हमारे पर्यावरण पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण के प्रभाव में एसिड बारिश, हानिकारक बीमारियों और लोगों और जानवरों की बीमारियों और ग्लोबल वार्मिंग शामिल है। पर्यावरण प्रदूषण वैश्विक समस्या है जो पर्यावरण संरक्षण और पुनर्वास के लिए कट्टरपंथी कार्यों की मांग करता है। इसके अलावा, वैश्विक समुदाय के एकजुट प्रयासों द्वारा इस समस्या का वैश्विक स्तर पर हल किया जाना चाहिए।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 1000 Words )

‘प्रदूषण’ शब्द को लैटिन शब्द ‘प्रदूषण’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘गंदी बनाना’ प्रदूषण पर्यावरण को बनाने की प्रक्रिया है, अर्थात्, भूमि, पानी और हवा में हानिकारक पदार्थों को जोड़कर गंदा। पर्यावरण में प्रदूषण असंतुलन का कारण बनता है। इस असंतुलन ने जीवन के सभी रूपों के बहुत अस्तित्व को खतरा बताया है यह पूरी दुनिया के लिए खतरा है| पर्यावरण निष्पादन सूचकांक 2012 में भारत 132 देशों में से कम 125 में स्थान रखता है। यह रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच के साथ मिलकर येल और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की जाती है। पर्यावरण प्रदूषण औद्योगिक समाज की एक गंभीर समस्या है औद्योगिक विकास और हरित क्रांति ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

लोगों ने पूरे जीवन की जीवन-प्रणाली को अपने संसाधनों में परिवर्तित कर दिया है और प्राकृतिक पारिस्थितिक संतुलन में काफी परेशान किया है। मानवीय लालच को संतुष्ट करने के लिए संसाधनों का अति प्रयोग, दुरुपयोग और कुप्रबंधन के कारण गंभीर गिरावट और कमी ‘का कारण रहा है। पर्यावरण प्रदूषण को हमारे परिवेश के प्रतिकूल परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया गया है। यह मानवीय गतिविधियों का उप-उत्पाद है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण में होने वाले बदलावों के लिए जिम्मेदार हैं। ये परिवर्तन भूमि, वायु या पानी के शारीरिक, रासायनिक या जैविक विशेषताओं में हो सकते हैं जो मानव जीवन और अन्य जीवित चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। जनसंख्या विस्फोट, तेजी से औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, अनियोजित शहरीकरण, वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति आदि पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।

भारत के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत गंभीर पर्यावरणीय प्रदूषण के अधीन है। पृथ्वी के तीन-चौथाई पानी होते हैं, फिर भी पिटबुल पानी की कमी होती है भारत में, नदियों, झीलों, तालाबों और कुओं जैसे पानी के सभी स्रोत प्रदूषित हैं और पीने के लिए अयोग्य हैं। उर्वरकों के बढ़ते उपयोग के परिणामस्वरूप, नदियों, समुद्र और महासागर हानिकारक प्रदूषक के साथ दूषित हो गए हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल 500 टन से अधिक पारा महासागर में प्रवेश करता है। तेल की सफ़ाई, औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों, सीवेज और उर्वरकों ने जल जीवन को भी धमकी दी है। औद्योगिकीकरण ने शहरीकरण के लिए नेतृत्व किया है।

काम की तलाश में शहरों में ग्रामीण आबादी का उत्थान एक अस्वस्थ वातावरण बनाता है। यह झुग्गी क्षेत्रों की भीड़-भाड़ और स्थापना के लिए प्रेरित हुआ है। कस्बों और शहरों में धुएं, गंदगी, धूल, बकवास, गैसों, गंध और शोर से भरे हुए हैं। वायु प्रदूषण प्रदूषण का सबसे खतरनाक रूप है। यह उद्योगों से गैस उत्सर्जन, थर्मल पावर स्टेशन, घरेलू दहन, आदि से निकलता है। वायु प्रदूषण के कारण, हवा की संरचना पूरी दुनिया में बदल रही है। ज्यादातर गैस और वायु प्रदूषण ईंधन के जलने से उत्पन्न होते हैं। कोयले की जलन कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि उत्पन्न करती है, जो अम्ल वर्षा के लिए जिम्मेदार हैं।

क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जो प्रणोदक और रेफ्रिजरेंट के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, ओजोन की कमी के कारण होता है। परमाणु विस्फोट और परमाणु परीक्षण, जो दिन से बढ़ रहे हैं, हवा में रेडियोधर्मी सामग्री फैलाएं। यह रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण मानव में कैंसर, असामान्य जन्म और उत्परिवर्तन हो सकता है। आगरा में ताजमहल , मथुरा रिफाइनरी से उत्सर्जित धुएं से प्रभावित है। रिपोर्टों का अनुमान है कि रिफाइनरी से हानिकारक उत्सर्जन के कारण स्मारक बीस वर्षों के अंतराल के भीतर विलीन हो जाएगा।

जल प्रदूषण में पानी की गुणवत्ता में भारी प्रभाव पड़ता है। यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को परेशान करता है और स्वास्थ्य संबंधी खतरों का कारण बनता है। पानी अकार्बनिक और जैविक या जैविक पदार्थों की मौजूदगी या इसके अलावा के द्वारा प्रदूषित हो जाता है। नदियों में फेंकने वाले औद्योगिक अपशिष्ट जल को जल प्रदूषण के स्तरों में जोड़ देते हैं। शोर भी प्रमुख प्रदूषकों में से एक है। मेगा शहरों में सामान्य शोर स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है शोर मुख्यतः लाउडस्पीकर, एयरक्राफ्ट और अन्य मोटर वाहन, जुलूस और रैलियों के कारण होता है|

मृदा प्रदूषण आम तौर पर कृषि पद्धतियों से और अमानवीय आदतों से ठोस और अर्द्ध ठोस अपशिष्टों के निपटान से निकलता है। खतरनाक सामग्री और सूक्ष्म जीवों द्वारा मिट्टी को अत्यधिक प्रदूषित किया जाता है, जो खाद्य श्रृंखला या पानी में प्रवेश करते हैं और कई स्वास्थ्य खतरा पैदा करते हैं ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में जलवायु परिवर्तन हुआ है।

प्रदूषण की वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हुई है। प्राकृतिक और मानव गतिविधि दोनों के परिणामस्वरूप ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के तापमान में ग्लोबल वार्मिंग औसत वृद्धि है जलवायु परिवर्तन का शब्द अक्सर ग्लोबल वार्मिंग शब्द के साथ एक दूसरे शब्दों में प्रयोग किया जाता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ टोपी तेजी से पिघल शुरू हो गई है इससे समुद्र और महासागरों के जल स्तर के उदय में वृद्धि हुई है। अंटार्कटिका में ‘घास अंकुरण’ और संयुक्त अरब अमीरात के रेगिस्तान में बर्फबारी, ग्लोबल वार्मिंग के सभी चेतावनी संकेत हैं। ये ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण होते हैं|

भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है, लेकिन जंगलों के विनाश के कारण जलवायु परिवर्तन में बदलाव आया है। इससे वन्य जीवन की कई दुर्लभ प्रजातियों के विलुप्त होने का भी कारण बन गया है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के रोगों का कारण बनता है वायु प्रदूषण एलर्जी, अस्थमा, फेफड़े के कैंसर और ब्रोंकाइटिस का कारण बनता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण श्वसन समस्याओं, पक्षाघात, कैंसर और अन्य बीमारियों का कारण है। अत्यधिक शोर प्रदूषण के कारण बधिरता, चिंता, तनाव, दिल की धड़कन की दर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हो सकती है। ओजोन परत की कमी के कारण त्वचा रोग भी हो सकते हैं। प्रदूषण के इस खतरे से लड़ने के लिए, जोरदार प्रयास किए जाने चाहिए। प्रदूषण विरोधी कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने के लिए, सीवेज और कारखाना कचरे को उचित तरीके से इलाज और साफ करने से पहले साफ किया जाना चाहिए। हर जगह और वाहनों को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंधों की जागरूकता, इन समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने और विनाश से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। दुनिया के सभी देशों को पर्यावरण पर नियंत्रण रखने के लिए जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए प्रदूषण। इस दिशा में एक कदम संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन है, जो दुनिया के सभी सदस्य देशों को एक मेज पर मंथन करने के लिए लाता है, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीके अपनाता है।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध )को पसंद करेंगे।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: Pollution Essay (Long & Short) in Hindi

Pollution Long & Short Essay in Hindi : प्रकृति और मनुष्य का संबंध प्राचीन काल से चला आ रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से मनुष्य ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने मे कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। कल कारखानों और उद्योगों का विकास, जनसंख्या वृद्धि और पेड़ों का निरंतर कटाव प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे है। कारखानो से निकलने वाले धुएं से नदियों के जल दूषित हो रहे है। और जंगलो की अंधा धुंध कटाई के कारण जीव जंतु समाप्त होते जा रहे है। मानवता को प्रदूषण पर रोक लगानी चाहिए। आज हमने नीचे प्रदूषण की समस्या पर बड़ा (1300 Word) और छोटा (10 Line) निबंध लिखा है जिसे छात्र किसी भी Class के लिए Essay या Speech के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है।

Table of Contents

प्रदूषण का अर्थ और प्रकार

वायु प्रदूषण (air pollution), जल प्रदूषण (water pollution), धवनि प्रदूषण (noise pollution), भूमि प्रदूषण (land pollution), पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का समाधान, प्रदूषण पर दस लाइन : 10 line short essay on pollution, प्रदूषण पर निबंध: essay on pollution in hindi.

प्रदूषण पर निबंध Pollution Essay in Hindi

मानव जाति ने अपनी सुख सुविधाओ और प्रकृति पर विजय पाने के लिए प्रकृति का संतुलन बिगाड़ना आरंभ किया। प्रकृति पर अत्याचार करने का दंड मानव जाति को विभिन्न प्रकार के रोगों के रूप मे मिला। जब सृष्टि का निर्माण हुआ तब मनुष्य और प्रकृति एक साथ थी। उस काल में कोई रोग मानव को परेशान नही करता था। परंतु आज के इस दौर में धीरे धीरे प्रकृति का संतुलन मानव जाति के हाथो से बिगड़ता गया और अनेक रोगों का जन्म होने लग गया। आज विज्ञान ने कई ऐसे उद्योगों , कारखानो और साधनों का निर्माण किया है जिससे प्रकृति के तत्वों मे विकार पैदा हो गए है। प्रकृति के हर तत्वों मे विकार पैदा करके मानव जाति ने अपने आप के लिए ही मुसीबत पैदा कर ली है।

पृथ्वी के वायु, जल और आवरण आदि में गतिशील बदलाव को पर्यावरण कहा गया है। प्रकृतिक संतुलन इसी से बना हुआ है। मानव शरीर को समय समय पर शुद्ध पेय जल और शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है। मानव के कान सीमित धवनि सुन सकते है। इसके अलावा अन्य सभी इंद्रियाँ सीमित अनुभूति का अहसास करती है। परंतु अगर उनमे विकार पैदा हो जाता है तो वह हमारे लिए प्रदूषण साबित होता है।

प्रकृतिक से मिले अनमोल उपहारों मे वैज्ञानिक अविष्कारों ने भी कई विकार पैदा कर दिए है। जिससे हमारे जीवन मे हर रोज काम आने वाली हवा, पानी आदि सब प्रदूषित होने लग गए है। अधिक तेज रोशनी आँखों को और अधिक तेज आवाज़ हमारे कानों को हानि पहुँचती है। धीरे- धीरे वायु, ध्वनी , जल आदि सब दूषित होता जा रहा है।

आज प्रदूषण इतना बड़ा रूप लेकर मानव जाति के सामने आ गया है कि वह एक विषम और भयंकर समस्या बन गया है। वायु, जल, भूमि आदि को तेज़ी से दूषित करने की क्रिया को प्रदूषण कहते है। प्रदूषण हमारे सामने कई तरह से आ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार है जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, धवनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।

प्रकृति ने वायु को बिल्कुल साफ बनाया था। परंतु आजकल यातायात के साधनों मे इतनी वृद्धि हुई है कि वे हर समय जहरीला धुआ छोड़ते है। जो वायुमंडल को दूषित बना देते है। कारखानों और उद्योग धंधों के विकास ने तो प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सासँ लेने मे भी कठिनाई आने लग गई है। हमारे शरीर में आक्सीजाँन की मात्रा कम होती जा रही है शाम के समय बड़े बड़े महानगरो मे इतना प्रदूषण फैल जाता है कि चारो ओर धुआँ धुआँ नज़र आता है। जिससे हमारी आँखों मे जलन होती हैं और आँखे कई प्रकार के रोगों से प्रभावित हो जाती है।

वायु प्रदूषित होने से सांस के रोगियों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है फेफड़ों के रोग और आँखों के खराब होने की समस्या भी पनपती जा रही है। प्रकृति द्वारा दिये गए इतने महत्वपूर्ण उपहार को मानव ने इतना बिगाड़ दिया है कि आज ये एक समस्या बनकर सामने आ गयी है। इस बढ़ते हुए वायु प्रदूषण के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक भी चिंतित है।

जल के रूप में प्रकृति ने हम एक अनमोल उपहार दिया है, जल को जीवन की संज्ञा दी गई है किंतु आज जल मलिन एवम विशुद्ध हो गया है। जो हमारे शरीर में अनेको बीमारियों को फैला रहा है। जल एक ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा है ।जिसके बिना मानव जाति का जीवन मुमकिन नहीं। बिना पानी पिए इंसान ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकता।

नदी, नहर और तालाब आदि जल के प्रमुख स्त्रोत है जो हमारे दैनिक कार्यो को पूरा करने मे हमारी सहायता करते है। किंतु आज के समय मे हमारी नदियों में विशुध् जल बह रहा है, धरती के नीचे प्रदूषित जल इकट्ठा किया हुआ है। प्रकृति के सभी जल स्त्रोत मनुष्य के लिए नितांत दूषित बने हुए हैं। परंतु वाह रे स्वर्थी इंसान तूने जल को भी शुद्ध नही रहने दिया।

नदियों मे शहरो और नगरों का गंदा पानी नालो द्वारा प्रवाहित किया जाता है। कारखानों का जल नदियों में डाला जाता है। इस कारण से नदियों का पानी इतना दूषित हो गया है कि बिना साफ किये पिया नही जा सकता।

विज्ञान के ध्वनी प्रसारण आविष्कार लाउडस्पीकर ने धवनि को प्रदूषित करने मे सहायता दी। रेलगाड़ियों, बसो, कारों व अन्य साधनों हॉर्न से निकलने वाली तेज़ धवनियो ने बहुत अधिक धवनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरो मे अनेकों ऐसे यत्र है जिनमे से बहुत ही तेज आवाज़ निकलती है। सुबह शाम मंदिरों, मस्जिदो , गुरुद्वारो मे से बड़ी जोर से आवाज़ आती है जिससे भी धवनि प्रदूषण होता है। इसका प्रभाव हमारे कानों पर पड़ता है।

धवनि प्रदूषण से हमारे शरीर के कोमल तंतु प्रभावित होते है। इस कारण हम मे सुनने की शक्ति कम होती जा रही है। और सिर्फ कान ही नही बल्कि और भी कई प्रकार की बीमारियों ने शरीर को घेर लिया है जैसे सिर दर्द व भारीपन बना रहता है। नींद कम आने लग गयी है अनिंद्रा की बीमारी हो गयी है उच्च रक्तचाप आदि रोग होने लग गए है। इस प्रकार धवनि प्रदूषण से कई प्रत्यक्ष और प्रोक्ष रोग पैदा हो रहे है।

जल, वायु, और धवनि प्रदूषण के साथ साथ भूमि प्रदूषण भी अब एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। वैज्ञानिक उन्नति और उद्योग धंधो के कारण भूमि प्रदूषण की समस्या भी निरंतर बढती जा रही है जो आगे चलकर एक विकराल रूप ले सकती है। कारखानो के कचरे और गंदे पानी और रासायनिक कूड़े से तेज़ी से भूमि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक की थैलियों का जोर शोर से हो रहे प्रयोग से भी भूमि प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा है।

आज के समय में सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण की हो रही है। जिसके कारण हर वस्तु दूषित होती जा रही है। वायु प्रदूषण को रोकना अति आवश्यक है। यदि हम वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नही करेंगे तो ये सम्पूर्ण मानव जाती के लिए विनाशकारी साबित होगा। वायु प्रदूषण को रोकने हेतु सबसे पहले कदम प्रकृति के श्रृंगार सवरूप पेड़ों की कटाई पर रोक होना चाहिए।

वृक्ष मानव जाति के सबसे बड़े मित्र होते है, पेड़ पौधे निरंतर वायुमंडल को साफ करते रहते है। इसलिए हमें अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर चलने वाले वाहनों के वजह इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देना चाहिए। उद्योग धंधो और कारखानों को शहर और बस्तियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण कम करने के लिए गंदे पानी वाले नालो को नदियों के बजाय खेतो या दूसरे क्षेत्रो में मिलाना चाहिए। धवनि प्रसारण यत्रो की धवनि को कम करना या उन पर रोक लगाने से ध्वनी प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

आज के युग मे हर मनुष्य को अपने अपने स्थान पर प्रदूषण को रोकना चाहिए। मानव के लिए शुद्ध जल, शुद्ध वायु , शुद्ध भोजन, और शुद्ध मौसम अनिवार्य तत्व है। हम भी हर रोज अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होते है। आज के इस दौर मे बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए हम सब को अपनी सामर्थ्य के अनुसार पैड लगाने चाहिए। बिना किसी जरूरत के वृक्ष नहीं काटने चाहिए। गंदगी को साफ रखने का प्रयास करना चाहिए।

  • पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में परिवर्तन पर्यावरण कह लाता है।
  • प्रकृति ने हमे बहुत से अनमोल उपहार दिये है जिसमे जल, वायु आदि शामिल है।
  • आज पर्यावरण को मानव द्वारा दूषित किया जा रहा है। हमे इस पर रोक लगानी चाहिए।
  • पर्यावरण को साफ रखने के लिए वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।
  • जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाकर भी हम पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं।
  • मनुष्य को पर्यावरण की खातिर प्लास्टिक के थैलो का उप्योग कम करके काग़ज़ से बने लिफ़ाफ़ों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • अपने आस पास के स्थानों में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चहिये।
  • पर्यावरण के हित के लिए वृक्षों की हो रही अनआवश्यक कटाई को रोकना चाहिए।
  • धवनि प्रसारण के यत्रो की धवनि कम करनी चाहिए और अगर कोई इस बात का पालन ना करे तो उस पर जुर्माना लगाया जाना चाहिये।
  • कारखानों को आबादी से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। इससे भी प्रदूषण की समस्या को कम करने में काफी हद्द तक मदद मिलती है।

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हिंदी कोना

प्रदूषण पर हिंदी निबंध। pollution essay in hindi

pollution essay in hindi

प्रदूषण मानव द्वारा जन्मा एक ऐसा राक्षस है जो धीरे धीरे मानस सभ्यता को काल के मुँह में धकेलता जा रहा है । प्रदुषण की समस्या विश्वव्यापी है। आज आप इस पोस्ट में pollution essay in hindi पढ़ेंगे। प्रदुषण पर निबंध स्कूल और कॉलेज में जरूर पुछा जाता है। इस हिंदी निबंध को आप essay on pollution in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

जब भी पॉल्युशन की बात की जाती से जिसे हिंदी में प्रदूषण कहते है सबसे पहले एक ऐसा चित्र दिमाग मे बनता है जिसमे बहुत सारा धुंआ हो। पर अगर वाकई में समझा जाये तो ये इससे बहुत ज़्यादा है। अक्सर बिना समझे, बिना जाने, जो लोग जागरूक नही होते वे प्रदूषण को बस धुंए तक समझ कर सीमित कर देते हैं। 

आज एक ऐसेअनसुलझे शब्द की बात बड़े आसान रूप से करेंगे जिसका सिर्फ लोग नाम ही जानते है प्रदूषण ।आखिर ये जागरूकता की कमी ही तो है जो प्रदूषण के स्तर में इजाफा होता ही चला जाता है। जब घर मे संतान का जन्म होता है, तब उसे ये सीखाया  जाता है कि अपने आस पास के लोगो के साथ कैसे व्यवहार करें। और सर्वप्रथम ये सीखाया जाता है कि कैसे आस पास के लोगो से मधुर व्यवहार करें। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कोई भी अपने घर मे अपनी संतान को ये नही सीखाता की प्रकृति से कैसे मधुर व्यवहार करें। 

प्रस्तावना-  प्रदूषण – इस जटिल शब्द को आसान से आसान भाषा मे समझने का उद्देश्य रखते हुए, एक साधारण तौर पर इसे समझा जाये तो इसका अर्थ है दूषित तत्वों का पर्यावरण में मिश्रण। जब दूषित तत्वों का पर्यावरण में मिश्रण होता है। वातावरण दूषित होता है और इसे हम प्रदूषण कहते है। प्रदूषण बेशक हर जगह होता है, किस कारण होता है उसपर हम चर्चा करेंगे। परंतु उसके पहले भारत देश मे प्रदूषण की स्थिति से रूबरू होना आवश्यक है। आखिर प्रदूषण में भारत कहा तक ज़िम्मेदार है? ये जानना हर भारतिय का अधिकार है। द हिन्दू के अखबार में आईक्यू एयर विजुअल की रिपोर्ट प्रकाशित हुई। वह रिपोर्ट सबको चौकाने वाली थी। समूचे विश्व मे भारत प्रदूषण के स्तर में पांचवे स्थान पर रहा। सब कड़ियों को जोड़ने से पहले हम जान लेते है प्रदूषण के बारे में आम जानकारी। जिससे आगे की बात बेहतर रूप से समझ आये। आज हम इसे पढ़ कर तथ्य और मिथ्या में फर्क भी कर पाएंगे। 

प्रदूषण के विकराल प्रकार- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण। 

 आप सोच रहे होंगे कि सीधे से प्रदूषण के प्रकार ना बोलते हुए इसे प्रदूषण के विकराल प्रकार क्यों बोला गया? इसकी एक मात्र वजह है लोगो को इसके बारे में जानकारी ही नही है कि प्रदूषण के प्रकार विकराल है।हम प्रदूषण को उसके शब्द जितना ही तो छोटा समझते है। जबकि असल मे प्रदूषण के प्रकार कोई छोटा किरदार नही निभाते है वातावरण को दूषित करने में। सब एक समान वातावरण दूषित करते है। हम लोग प्रदूषण को बस धुंए जितना समझते हैं। असल मे ये बेहद विकराल है। 

वायु प्रदूषण- वायु प्रदूषण तब होता है जब वायु की गुणवत्ता का स्तर घट जाता है। और फिर वही वायु जब हम स्वाश के रूप में लेते है तब वह हमारे लिए नुकसानदायक होती है। ये बात जान कर हैरानी होगी कि कई पशु पक्षी की जाती इसी वजह से विलुप्त भी हो जाती है। उन्हें उनके रहने के लिए सही वातावरण प्राप्त नही हो पाता। वायु प्रदूषण से मनुष्य नही जानवरो को भी खतरा है। पशु पक्षियों को बीमारिया होती है और साथ ही मनुष्य को भी विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। खास तौर पर तब जब वायु प्रदूषण से कोई नई बीमारी का सृजन होता है। मनुष्य को दमा, सर्दी-खांसी, अंधापन, त्वचा के रोग, स्वास संभंधित बीमारिया, हार्ट अटैक आदि समस्याएं होती है। हाल ही में इसी वर्ष 2 लाख लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण से होने का लेख अखबार दा हिन्दू में प्रकाशित हुआ था। हम प्रदूषण की वजह से अपने प्रिय जानो की जान जाते देख  विचलित है।

वायु प्रदूषण वाहनों से धुआं निकलने की वजह से होता है। फैक्ट्री से धुआं अधिक मात्रा में निकलने की वजह से होता है। पेड़ पौधों को कांटने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है। व ऐसे कई कारण वायु प्रदूषण को फैलाने में हिस्सेदार हैं। किसान पराली जलाते है उससे भी वायु प्रदूषण में तेज़ी से इजाफा होता है।वायु प्रदूषण संसार मे हर प्रकार से हानि कारक है।

जल प्रदूषण-  जब साफ स्वच्छ पानी मे घातक पदार्थ मिल जाते है उसे हम जल प्रदूषण कहते है। पानी की गुणवत्ता को गिराता है जल प्रदूषण। जब आम जन उसी पानी को इस्तेमाल करते है तब उनके शरीर में वो पदार्थ बेहद बुरा असर करते हैं।पशु पक्षी उसी दूषित पानी को पीकर मार जाते है। कुछ बीमार हो जाते है। नहर नालो में गंदगी की वजह से मच्छर उत्पन्न होते है। और घातक प्रहार करते है। जिससे मनुष्य को टायफाइड, पीलिया, मलेरिया जैसी बीमारियां होती है। इसकी वजह से पेड़ पौधों में भी शुद्ध पानी नही पहुंचता। पानी मे रहने वाले जीव-जंतु को हानि होती है।उन्हें ठीक मात्रा में ऑक्सीजन नही मिलती।

जल प्रदूषण खास तौर पर फैक्ट्री व उद्योग से निकलने वाले रासायनित पानी को समुद्र में डालने से होता है। कई बार आस पास की नदियों में भी वह गंदा पानी डाल दिया जाता है। मुख्य वजह में से एक वजह है नालों को नदियों से जोड़ना, उससे पीने का पानी भी दूषित होता है। हर छोटी चीज़ को पानी मे विसर्जित करने से भी जल प्रदूषण बढ़ता है। 

भूमि व ध्वनि प्रदूषण-  जब भूमि के स्तर में गुणवत्ता की कमी होती है उसे भूमि प्रदूषण बोलते है। साथ ही जब अनियंत्रित ध्वनि से लोगो को तकलीफों का सामना करना पड़ता है उसे ध्वनि प्रदूषण कहते है। अधिक प्लास्टिक को जब भूमि में गाढ़ दिया जाता है उससे भी भूमि दूषित होती है।प्लास्टिक पॉलीथिन दशको बाद भी गलती नही है। किसानों द्वारा अधिक कीटनाशक का उपयोग भी भूमि के लिए हानिकारक होता है। उससे कृषि द्वारा अनाज दूषित होता है।भूस्खलन की संभावनाएं बढ़ती है। सायरन से ध्वनि प्रदूषण  बढ़ता है।वाहनों की अधिक ध्वनि मुख्य कारण है ध्वनि प्रदूषण का। इससे हृदय रोग की व रक्तचाप अर्थात ब्लड प्रेशर की संभावनाएं बनती है। 

प्रदूषण संबंधित आंकड़े-   हाल ही में पूरे विश्व में ब्लड प्रेशर से 14 लाख लोगों की मृत्यु हुई। आगे भी ये सिलसिला जारी रहने की सौ प्रतिशत संभावनाए है। अगर ध्यान नही दिया गया तो ये संख्या में इजाफा होने आम बात होगी। आईक्यू एयर विजुअल द्वारा रिपोर्ट में पहले स्थान पर बांग्लादेश रहा और पांचवे स्थान पर भारत रहा।  लेकिन वर्ष 2019 में 30 सबसे प्रदूषित शहर में से 21 शहर भारत के रहे। भारत का गाज़ियाबाद शहर सबसे प्रदूषित शहर माना गया। वही भारत की राजधानी दिल्ली सभी राजधानियों  में से सबसे प्रदूषित राजधानी मानी गयी। इसके लिए सरकार ने कदम भी उठाए। जनरेटर का अधिक उपयोग बंद करवाया। एन्टी पॉल्युशन गाईडलाइन भी दी। किसानों को पराली जलाने से मना किया। एनसीसी की मदद से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज लोकुर जी ने दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम कर प्रयास किये। अब तक विशेष बदलाव नज़र नही आये। परंतु आशा है कि जल्द से जल्द प्रदूषण कम हो। 

रोकथाम उपाय- सभी कड़ियों को जोड़ते हुए फिर हम उस मोड़ पर खड़े है जहाँ हमने प्रदूषण का भयावह रूप देखा। जहाँ मौत के आंकड़े भी लाखों की संख्या में रहे। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम अपने भावी पीढ़ी को  ऐसा वातावरण दे रहे जो उनका स्वस्थ जीवन भी सुनिश्ति नही करता। अपने लिए न सही तो आने वाली पीढ़ी के लिए आज के मनुष्य को पूर्णतः जागृत होने की आवश्यकता है।अन्यथा जाने अनजाने हम ही हमारे भावी पीढ़ी के विनाशक होंगे। 

कोई कठिन कार्य को हम करना सही समझते है। लेकिन पर्यावरण की रक्षा करने जैसा आसान काम हम सही नही समझते। हर व्यक्ति अपने जीवन मे पौधारोपण करे तो ये वृक्ष ही हमे जीवन दान देंगे। पौधारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहेगा और हमे स्वच्छ हवा की किल्लत कदापि नही होगी। 

बेशक अगर कुछ लोग जागरूक है तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम अन्य लोगो को भी जागरूक करे। उन्हें पर्यावरण का महत्व समझाए। वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करे।सरकार के नियमो का पालन करे।सरकार को भी नियम का उल्लंघन करने वालो पर अधिक से अधिक जुर्माना लगाने चाहिए। फैक्ट्री को जीविका क्षेत्र से दूर लगाने के लिए सख्त प्रावधान बनाना चाहिए। हर जगह डस्टबिन की व्यवस्था हो।  रीसायकल बिन हो जिसमे गीले व सूखे कचरे अलग भी डाले जा सके। किसान कीटनाशक का कम से कम उपयोग करे।

उपसंहार- हर वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस मनाया जाता है। परन्तु इसके बारे में अधिक लोग जानते ही नही। हमे हर रोज़ हर क्षण अपने पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। एक दिन में दशको की गंदगी कैसे खत्म होगी। हमे साफ सफाई, वृक्षारोपण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसे कोई भी कार्य नही करना चाहिए जो हमारे पर्यावरण के हित में ना हो। पर्यावरण हमारा है और उसपर हमारा पूरा अधिकार है। हम अपने पर्यावरण को मिल कर बचाएंगे। इस तरह से बर्बाद आगे कभी भी नही होने देंगे। 

अब उठिए, जागिये और आज भी अपने आंगन में पौधे लगाइये।

हमें आशा है आपको pollution essay in hindi language में पसंद आया होगा। आप इस निबंध को essay on pollution या short essay on pollution के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। environment and pollution essay in hindi के लिए इस पोलुशन एस्से को आप प्रयोग कर सकते है।

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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English का यह निबंध आपको पसंद आया होगा. यदि आपको प्रदूषण पर हिंदी और इंग्लिश में दिया गया निबंध पसंद आया हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.

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  • Hindi Essay

प्रदूषण की समस्या पर एक निबंध – Hindi Essay On Pollution Pradushan Ki Samasya Par Nibandh

Hindi essay on pollution pradushan ki samasya par nibandh, प्रदूषण की समस्या पर निबंध.

जब वातावरण मे अशुद्ध और विषैले तत्व मिल जाते है तो वातावरण प्रदूषित हो जाता है, जिससे मानव और प्रकृति पर बुरा प्रभाव पड़ता है, इसे प्रदूषण कहा जाता है, जो की आज के समय मे प्रदूषण की समस्या एक विकराल रूप ले चुका है,

तो वातावरण मे बढ़ते प्रदूषण और प्रदूषण की समस्या को ध्यान मे रखते हुए प्रदूषण की समस्या पर निबंध, Hindi Essay On Pollution ( Pradushan Ki Samasya Par Nibandh ) बताने जा रहे है, जिसे कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के छात्र अपने कक्षा मे इस Short and Long Essay on Pollution in Hindi , प्रदूषण पर निबंध, Pollution essay in Hindi लिख सकते है।

Short Hindi Essay On Pollution 300 Words

तो ऐसे मे अगर प्रदूषण से हमे निपटना है, तो पहले की तरह खाली स्थानो पर पेड़ लगाने पर ज़ोर देना चाहिए और हरे पेड़ो को काटने से रोकना चाहिए, तभी वातावरण को शुद्ध बना सकते है, ऐसे मे हर इंसान का पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी खुद से लेनी चाहिए, और वातावरण अशुद्ध न हो, ऐसे पर्याप्त कदम उठाने चाहिए, जिससे अपने हर कोई अपने आस पास के वातावरण को शुद्ध बना सकता है, जिसके लिए पेड़ पौधे का लगाना, साफ सफाई, गंदे जल का समुचित निकास व्यवस्था  और रासायनिक हानिकारक तत्वो को मिट्टी मे मिलने से बचाना आदि प्रमुख है, इन सभी पर समुचित उपाय और सही प्रयास से वातावरण को प्रदूषण मुक्त बना सकते है।

Table of Contents :-

अगर हमे धरती माँ को रहने योग्य बनाए रखना है, तो हम सभी को मिलकर प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के उपायो पर अमल करना चाहिए, तभी हम सभी धरती को रहने योग्य और आने वाली पीढ़ी को सुंदर सा वातावरण प्रदान कर सकते है।

प्रदूषण की समस्या पर विस्तृत निबंध

Long hindi essay on pollution 800 words.

जब मिट्टी, जल और वायु मे प्रदूषित तत्व मिल जाते है, तो इस प्रकार के प्रदूषित और हानिकारक प्रभाव डालने वाले तत्वो के मिलने से मिट्टी, जल और वायु की शुद्धता मे कमी आ जाती है, तो इसे प्रदूषण कहते है, और इस प्रकार से भिन्न भिन्न हानिकारक प्रभाव देखने को मिलते है, जिससे प्रदूषण की समस्या उत्तपन होती है,

जरा सोचिए बचपन के दिनो मे घर के आस पास खेत खलिहान, तालाब, बाग बगीचे, नदिया आदि होते थे, जो की वर्तमान मे या तो अपने आकार मे सिमट गए है या फिर उनका अस्तित्व ही खत्म हो गया है। इन बाग बगीचो मे ढेर सारे तरह तरह के वृक्ष हुआ करते थे, जिनसे हमे आक्सीजन मिलती थी, नदियो तालाबो के जल मे अपशिष्ट मिलने और कचरा जाने से नदियो का जल पीने योग्य नहीं रह गया है, जिससे इन पानी मे रहने वाले जीवो के जीवन पर ही खतरा आ गया है,

जगह जगह बढ़ती जनसंख्या के कारण कूड़े कचरे फेके जाने लगे है, जिससे उपजाउ मिट्टी भी प्रदूषित हो गयी है, और जंगलो बगीचो के पेड़ पौधे काटकर उन जगहो पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग और कल कारखाने लगाए जाने लगे है, जिससे इन हरे पेड़ो के कटने और कल कारखानो मे धुए निकलने से वातावरण एकदम से प्रदूषित हो गया है, जो की सभी कारण से प्रदूषण की समस्या के लिए उत्तरदाई है,

प्रदूषण के प्रकार

Type of pollution in hindi.

तो चलिए प्रदूषण कितने प्रकार के होते है, उनके बारे मे जानते है।

1 :- वायु प्रदूषण (Air Pollution in Hindi)

2 :- जल प्रदूषण (Water Pollution in Hindi)

3 :- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution in Hindi)

4 :- ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution in Hindi)

1 :- वायु प्रदूषण

Air pollution in hindi.

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण वनो, जंगलो की कटाई है, जिसके लिए हमारी बढ़ती जनसंख्या काफी हद तक उत्तरदाई है, बढ़ती जनसंख्या के चलते हर किसी को रहने के लिए अपना आवास चाहिए, और खाने के लिए अन्न चाहिए, जिस कारण से बड़े बड़े जंगलो को काटकर उन जगहो पर घर और खेत बनाए जाने लगे है, जिस कारण से इन जंगलो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है,

इन जंगलो के पेड़ो के काटने से ये जो पेड़ आक्सीजन जो की इंसान और सभी जीवो के लिए प्राणवायु है, कम होती जा रही है, या वायु का लेवल घटता जा रहा है, जिस कारण से वायु मे अन्य गैसों की मात्रा बढ्ने से ये जीवनदायी वायु विषैली होती जा रही है, जिसका मुख्य कारण ये वायु प्रदूषण ही है।

इसके अतिरिक्त मानव विज्ञान की सहायता से नित नए नए आविष्कार भी करता जा रहा है, इन आविष्कारों मे मानव ने अनेक तरह के वाहन, मोटर का आविष्कार भी कर लिया है, जो की ईधन से चलती है, और इन ईधन के मोटर मे चलने से अनेक विषैली कार्बनडाइ ऑक्साइड जैसे गैसे निकलती है, जो की सीधे वायु मे मिलकर वायु को प्रदूषित करती है, इसके अतिरिक्त अनेक तरह के खतरनाक परमाणु बम, हाईड्रोजन बम के परीक्षण से भी अनेक खतरनाक विषैली गैसे निकलती है, जो की वातावरण को प्रदूषित करती है,

इसके अतिरिक्त घरो मे उपयोग होने वाले एयर कोंडीशन, कल कारखानो के चिमनियों से निकलने वाले विषैले धुए से भी वायु प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जो की कही न कही वातावरण के साथ साथ मानव जीवन के साथ प्रकृति के सभी जीव जन्तुओ के लिए भयंकर प्रदूषण की समस्या बनती जा रही है,

ऐसे मे समय रहते मानव अपने प्रगति के राह पर चलते हुए इस प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण नही किया तो भविष्य मे इस प्रदूषण की समस्या से भयंकर परिणाम देखने को मिल सकते है.

  • पर्यावरण प्रदूषण निबंध हिंदी में

2 :- जल प्रदूषण

Water pollution in hindi.

जल प्रदूषण का मुख्य कारण नदियो तालाबो, झीलों आदि के पीने योग्य जल मे प्रदूषित तत्व या नालो के जरिये बहने वाले गंदे और विषैले पानी के मिल जाने से होता है, जिसमे मुख्यत अधिकतर मात्रा मे कभी नष्ट न होने वाली प्लास्टिक, रासायनिक प्रदार्थ के कचरे, कल कारखानो के नालो से निकलने वाले गंदे और रासायनिक जल होते है, जो की अपने श्रोत्र स्थान से निकालकर सीधे इन तालाबो, नदियो मे छोड़ दिया जाता है, जिसे ये विषैले गंदे पानी, नदी तालाब आदि के शुद्ध पानी को गंदा कर देते है।

जिस कारण से इन नदियो तालाबो का जल पीने योग्य नही रह गया है, इन प्रदूषित पानी के पीने से मानव मे नयी नयी तरह की अनेक नयी बीमारिया उत्पन्न हो रही है, इसके अतिरिक्त नदियो, तालाबो के जल मे अनेक जीव जन्तु भी निवास करते है, इनका जल प्रदूषित हो जाने से इन जीवो की मृत्यु होती जा रही है, जो की ये सभी जीव पारिस्थितिक तंत्र के महत्वपूर्ण घटक है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र मे विषमता आने लगी है।

इसलिये यदि समय रहते इंसान नही चेतता है, तो जल प्रदूषण के चलते इंसान को शुद्ध पानी पीने के लिए तरसता रह जाएगा, और बिना पानी के तो मानव क्या किसी भी जीव के जीवन की कल्पना करना मुश्किल है,

तो ऐसे मे जल प्रदूषण को रोकने के लिए हर सभी को मिलकर सार्थक प्रयास करना बहुत जरूरी है, वरना ये जल प्रदूषण की समस्या विकराल रूप ले सकती है।

3 :- मृदा प्रदूषण

Soil pollution in hindi.

मृदा यानि मिट्टी जो की उपजाऊ मिट्टी होती है, जिनमे हम सभी अन्न उगाते है, जिससे उगे हुए अन्न से मानव का पेट भरता है, और उदर की पूर्ति होती है, ऐसे मे यदि घरो, कारखानो से निकलने वाले कचरो को उचित स्थान पर न फेककर सीधे सीधे इन उपजाऊ मिट्टी मे फेका जाता है, तो इन कचरो मे अनेक खतरनाक रासायनिक तत्व होते है, जो की उपजायु मिट्टी मे मिलकर इन मिट्टी को बंजर बना देते है,

इसके अतिरिक्त इन कचरो मे अनेक गंदे अपशिष्ट प्रदार्थ भी होते है, जिनसे तरह तरह के किटाणु भी पैदा होते है, जो की वातावरण मे मिलकर अनेक प्रकार के बीमारिया उत्पन्न करते है.

इस तरह प्रदूषण की समस्या मे मृदा प्रदूषण भी एक महत्वपूर्ण कारक है, जिसके लिये समुचित प्रयास करना बहुत जरूरी है, वरना ऐसे मे लोग कचरा और गंदगी मिट्टी मे मिलाते रहेगे तो दिन भी दूर नही होगा जब सभी उपजाऊ मिट्टी बंजर हो जाएगी, जिससे इंसान को खाने के लिए अन्न भी मिलना मुश्किल हो जाएगा।

4 :- ध्वनि प्रदूषण

Sound pollution in hindi.

प्रदूषण मे ध्वनि प्रदूषण भी आज के समय की विकराल समस्या बनती जा रही है, अत्यधिक तेज वाहनो के मोटरो से तेज गति से ध्वनि निकलते है, इसके अतिरिक्त पटाखे, लाउडस्पीकर, डीजे, अत्यधिक शोर शराबे वाले वाहन भी ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाते है, जिससे मनुष्य मे मानसिक तनाव, कम सुनाई देना, बहरापन जैसे घातक बीमारिया जन्म लेती है, जो की मानव जीवन पर बुरा प्रभाव डालते है,

इसके अतिरिक्त ऐसे अनेक जीवाणु भी होते है, जो की अति सूक्ष्म होते है, जो की इन्सानो, मिट्टी, पेड़ पौधे के लिए लाभदायक होते है, ये अत्यधिक तेज ध्वनि की गति को सहन नही कर पाते है, और अत्यधिक तेज ध्वनि से मर जाते है, जिस कारण से कही न कही ये हमारे पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है, ऐसे मे ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सभी को मिलकर समुचित सार्थक प्रयास करना चाहिये, तभी ध्वनि प्रदूषण जैसी विकराल प्रदूषण की समस्या से निजात पा सकते है।

इस तरह सभी मिलकर एकसाथ एकजुट होकर प्रदूषण की समस्या पर समुचित प्रयास करते है, तो निश्चित ही इस बढ़ती प्रदूषण की समस्या पर निजात पा सकते है और फिर से इस धरती को हरा भरा और सुंदर और रहने योग्य बना सकते है।

तो आप सभी को यह निबंध प्रदूषण की समस्या पर निबंध | Pradushan Ki Samasya Par Nibandh Hindi Essay On Pollution | Hindi Essay On Pollution खूब पसंद आया होगा तो इसे अपने कक्षा मे भी लिख सकते है, और साथ साथ इस निबंध को दूसरों के साथ शेयर कर सकते है, और यह निबंध आपको कैसे लगा, कमेंट बॉक्स मे जरूर बताए।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay On Pollution In Hindi)- Pollution Essay in Hindi

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प्रदूषण पर निबंध (Essay On Pollution In Hindi)- प्रदूषण शब्द सुनते ही हमारे मन में तरह-तरह के सवाल उमड़-घुमड़ करने लगते हैं और हम इस कदर चिंतित हो उठते हैं कि अब तो इस समस्या का कोई न कोई हल तो अवश्य ही ढूंढ निकालेंगे। हमारा देश हमेशा से ही प्राकृतिक आपदाओं, वैश्विक महामारियों, प्रदूषण आदि जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करता आया है। शहरों में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण शहरों पर इस कदर हावी हो चुका है कि अब वहाँ रह रहे लोगों के लिए इसके बचकर निकल पाना मतलब शेर के पिंजरे से जिंदा बचकर आने के बराबर है।

प्रदूषण पर निबंध (Essay On Pollution In Hindi)

आप हमारे इस पेज से हिंदी में प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution In Hindi), प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के प्रकार, प्रदूषण से होने वाले नुकसान, प्रदूषण के बचाव आदि चीज़ों के बारे में जान सकते हैं। हमारे इस लेख “प्रदूषण पर निबंध हिंदी में” का मुख्य उद्देश्य हमारे पाठकों के बीच प्रदूषण के संबंधित सही और सभी जानकारी पहुँचना है, ताकि आप प्रदूषण जैसे मुद्दे को गंभीरता से लें और जागरूक हो सकें। इसके अलावा स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र हमारे इस प्रदूषण पर लेख से सहायता लेकर निबंध प्रतियोगिताओं में भी भाग ले सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध Pollution Essay In Hindi

प्रदूषण का संबंध प्रकृति से जुड़ी किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह तो सत्य है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

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प्रदूषण का अर्थ

आज के समय में प्रकृति को जो सबसे अधिक नुकसान पहुँचा सकता है वो प्रदूषण है। प्रदूषण का आसान सा मतलब है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित हो जाना। इन प्राकृति संसाधनों के दूषित हो जाने के कारण हम न तो ताजी हवा में सांस ले रहे हैं, न स्वच्छ पानी पी रहे हैं, न शुद्ध खाना खा रहे हैं और न ही शांत वातावरण में रह रहे हैं, जिसका हम अधिकार रखते हैं। हरियाली, हरे-भरे बाग-बगीचे, चिड़ियों की चहचहाहट, नदियों का साफ और नीला जल मानो आने वाले समय में महज़ एक सपना बनकर ही न रह जाए। मनुष्य से लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जल, वायु, अग्नि आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर हमारे पर्यावरण को बनाते हैं। इन सभी चीजों का पर्यावरण निर्माण में विशेष योगदान रहता है परंतु आज इन सभी चीजों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।

प्रदूषण क्या है?

प्रदूषण को समझने के लिए हमें सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि आख़िर प्रदूषण है क्या? आसान शब्दों में इसे समझें, तो जब हवा, पानी, मिट्टी आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित करने लगते हैं और मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि प्राकृतिक चीज़ों के स्वास्थ्य पर जब उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है, तो उसे ही हम प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक असंतुलन पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है और यह मानव जीवन के लिए भी गंभीर समस्या खड़ी कर सकता है।

ये सब देखते हुए यह हमारी ही जिम्मेदारी बनती है कि हमने जाने-अंजाने में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, अब उसमें जल्द-से-जल्द सुधार करते हुए प्रदूषण की समस्या को धीरे-धीरे खत्म किया जाए। पेड़ों और जंगलों को नष्ट करने से तो हमें रोकना है लेकिन उससे ज़्यादा ज़रूरत हमें अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने की है। ऐसे ही प्रयासों से प्रदूषण की इस समस्या पर धीरे-धीरे काबू पाया जा सकता है। इसी तरह और भी बहुत से उपाय हैं, जिनसे हम सभी मिलकर प्रदूषण को कम करने की हर संभव कोशिश कर सकते हैं और एक नए अभियान की शुरुआत कर सकते हैं। अब बात करते हैं प्रदूषण के कारणों, प्रकारों और बचावों के बारे में।

प्रदूषण के कारण

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हमारे सामने आते हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना एक आम इंसान के बस में नहीं है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।

प्रदूषण के प्रकार

अब हम बात करते हैं प्रदूषण के प्रकारों के बारे में। प्रदूषण के इन प्रकारों के कारण भी पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। प्रदूषण के कई अलग-अलग प्रकार हैं जिसकी वजह से प्रदूषण की समस्याओं में इज़ाफा हुआ है और ये प्रदूषण के बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार भी हैं। प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित हैं. जैसे-

  • वायु प्रदूषण – वायु प्रदूषण को प्रदूषण के सबसे खतरनाक प्रकारों में एक माना जाता है क्योंकि यह सीधा हवा में घुलकर हम सभी की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। वायु प्रदूषण के होने का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इनमें से निकलने वाले हानिकारक और जहरीले धुएं से लोगों को सांस लेने के लिए काफी मुश्किल और तकलीफ का सामना करना पड़ता है। लगातार बढ़ते हुए उद्योगों और वाहनों के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों को दिल और फेफड़ों से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसी भी प्रकार की जलने वाली आग से जो धुआं निकलता है, वह धुआं भी वायु प्रदूषण को बढ़ाता है और सभी जीवों को नुकसान पहुँचाता है।
  • जल प्रदूषण- जिन कारखानों में और घरों में हम काम करते हैं और वहाँ से जो कूड़ा-कचरा निकलता है उसे हम राह चलते कहीं पर भी फैंक देते हैं जो कई बार नालियों में बहता हुआ नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में जाकर मिल जाता है। इसे ही हम जल प्रदूषण कहते हैं। कभी शुद्ध, साफ-सुथरी और पवित्र मानी जानें वाली हमारी यह नदियां अब प्रदूषित होती जा रही हैं और कई तरह की बीमारियों का भी घर बन गई हैं। इसकी एक नहीं बल्कि बहुत सी वजह है जैसे प्लास्टिक पदार्थ, रासायनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के कचरों का पानी में मिल जाना। अगर ये कचरा एक बार जल में मिल जाता है तो फिर यह जल्दी से घुल नहीं सकता, जिस वजह से जल प्रदूषण होता है।
  • मृदा या भूमि प्रदूषण- जो कचरा फैक्ट्रियों और घरों से निकलकर पानी में घुल नहीं पाता है और फिर वह जमीन पर ही फैला रहता है, वो ही मृदा प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है। हालांकि इस कचरे को दोबारा प्रयोग में लाने के लिए विभिन्न स्तर पर कोशिश की जाती है। भूमि प्रदूषण की वजह से मच्छर, मक्खियाँ और दूसरे तरह के कीड़े पनपने लगते हैं, जिस वजह से मनुष्यों और दूसरे जीव-जंतुओं में अलग-अलग तरह की गंभीर बीमारियाँ होने लगती हैं और उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
  • ध्वनि प्रदूषण- ध्वनि प्रदूषण का सीधा संबंध शोर या तेज़ आवाज़ से होता है। ध्वनि प्रदूषण कारखानों में चलने वाली तेज़ आवाज़ वाली मशीनों औक दूसरी तेज़ आवाज़ करने वाली चीज़ों से पैदा होता है। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण सड़क पर चलने वाली गाड़ियों, पटाखे फूटने की आवाज़ और लाउड स्पीकर के कारण भी अधिक होता है। ध्वनि प्रदूषण होने की वजह से मनुष्यों में मानसिक तनाव बढ़ जाता है, उनकी सुनने की क्षमता कम हो जाती है और कभी-कभी तो उनकी सुनने की ताकत की चली जाती है।

प्रदूषण से क्या हानि होती है?

प्रदूषण के बढ़ने से हमें कई अलग-अलग प्रकार की हानियों और नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जैसे- भूकंप, बाढ़, तूफान, भूस्खलन, जंगलों में आग, सूखा, महामारी आदि। ये हानियाँ और नुकसान सिर्फ प्रदूषण से ही नहीं हो रही बल्कि प्रदूषण के अलावा मनुष्य प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ कर रहा है, वह भी इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। प्रदूषण की वजह से मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। लोग शुद्ध और खुली हवा में सांस नहीं ले पा रहे हैं। लोगों का अशुद्ध भोजन खाना पड़ रहा है, गंदा जल पीना पड़ रहा है जिसके कारण कई तरह की गंभीर बीमारियां मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक परिणाम पैदा कर रही हैं। पर्यावरण-प्रदूषण की वजह से अब न तो समय पर वर्षा हो रही है और न ही सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक से चल रहा है। बढ़ती हुई प्राकृतिक घटनाओं का कारण भी प्रदूषण ही है। प्रदूषण की मार मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, समुद्रों आदि सभी चीज़ों पर पड़ रही है। प्रदूषण से जो गंभीर हानि हो रही है, उसकी भरपाई करने में कितना समय लगेगा ये कोई नहीं जानता।

प्रदूषण से बचाव के उपाय

वर्तमान में हर व्यक्ति एक ही बात को लेकर चिंतित है कि कि प्रदूषण से कैसे बचा जाए? या प्रदूषण से बचाव के क्या उपाय हैं? यह सवाल तो सबके पास है लेकिन इसका जवाब आज भी नहीं मिल पाया है। अगर जवाब मिल भी गया है, तो क्या हम उस बात पर अमल करते हैं जो प्रदूषण को कम करने और प्रकृति को बचाए रखने के लिए सहायक है। प्रदूषण से तभी बचा जा सकता है जब हम सबसे पहले अपने अंदर बदलाव लाएंगे। प्रकृति को बिना कोई नुकसान पहुँचाए प्राकृतिक चीज़ों का ज़रूरत के हिसाब से इस तरह से उपयोग करेंगे कि यह भावी पीढ़ी के लिए भी सुरक्षित रह सकें।

हमें अपने भीतर यह भावना रखनी होगी कि जो कुछ भी प्रकृति से हमें मिला है, उसे किसी न किसी रूप में हम प्रकृति को वापिस ज़रूर करेंगे। ऐसा हम अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, अपने आसपास साफ-सफाई रखकर, संसाधनों का सीमित मात्रा में उपयोग करके, मशीनों का कम इस्तेमाल करके, प्लास्टिक की जगह कपड़ों से बने थैलों का इस्तेमाल करके, नदियों को साफ रखकर और जीव-जंतुओं की रक्षा करके ही कर सकते हैं। इसी तरह ही हम प्रकृति की रक्षा और उसके साथ न्याय दोनों ही कर सकेंगे और प्रदूषण से खुद को और लोगों को बचा सकेंगे।

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250 शब्दों में

प्रदूषण कैसे होता है?

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है।

प्रदूषण के नुकसान

आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीज़ें अशुद्ध होती जा रही हैं। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है आज वो ही सबसे ज़्यादा खतरे में हैं। प्रदूषण से सबसे ज़्यादा नुकसान प्रकृति को हो रहा है। हवा, पानी और मिट्टी में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्रकृति और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ों आदि को भी हानि पहुँच रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, उस जल्द-से-जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।

प्रदूषण के कारण और बचाव

प्रदूषण के कई अलग-अलग कारण हैं, जिनमें पेड़ों की कटाई, बढ़ते उद्योग, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि शामिल हैं। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या का तेजी से बढ़ना। इन सभी कारणों की वजह से पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। यह वायु, जल, मृदा, ध्वनि आदि सभी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण से हमें भूकंप, बाढ़, तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ रहा है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे और अपने आसपास साफ-सफाई रखनी होगी। इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को कम करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।        

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 200 शब्दों में

प्रदूषण क्या होता है?

हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत न होगा।    

प्रदूषण के प्रभाव और बचाव

प्रदूषण की वजह से प्रकृति और पर्यावरण को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। दुनिया में जिनती भी प्राकृतिक चीज़ें हैं, उन सभी पर प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव देखा जा सकता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति में असंतुलन भी पैदा हो रहा है। प्रदूषण को कई कारणों ने एक साथ मिलकर जन्म दिया है। वनों और पेड़ों के लगातार कम होने की वजह भी प्रदूषण का सबसे बड़े कारण है। अगर हम चाहते हैं कि प्रदूषण कम हो तो हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाकर प्रदूषण पर जीत हासिल करनी होगी। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।       

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 शब्दों में

प्रदूषण इस धरती पर पाए जाने वाले सभी प्राकृतिक संसाधनों में हानिकारक और जहरीले तत्वों का मिश्रण है। प्रदूषण प्राकृतिक जीवन चक्र को परेशान करता है साथ ही यह इस पृथ्वी पर सभी प्रजातियों के सामान्य जीवन को भी प्रभावित करता है। प्रदूषण का हम कई अलग-अलग प्रकार में बांट सकते हैं, जैसे- ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि। 

प्रदूषण से कैसे बचें?

जिस हवा में हम हर पल सांस ले रहे हैं, वो हवा ही अब हमारे फेफड़ों के कई विकारों का कारण बन रही है। ऐसे ही पीने के पानी में रोगाणु, वायरस, हानिकारक रसायन आदि के मिल जाने से मिट्टी और जल प्रदूषण भी होता है। प्रदूषण को खत्म करने के लिए सबसे पहले हमें प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों का पता लगाना होगा और सरकार ने जो भी नियम और उपाय लागू किए हैं, उन सभी का पालन करना होगा। इसके अलावा प्रदूषण रोकने के लिए हमें कम से कम वाहनों का उपयोग करना होगा और ज़्यादा से ज़्यादा पेड़-पौधे लगाने होंगे।  

प्रदूषण से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल- FAQ’s

People also ask

प्रश्न- प्रदूषण क्या है और उसके प्रकार? उत्तर- वाहनों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाली गैसों के कारण हवा (वायु) प्रदूषित होती है। मानव कृतियों से निकलने वाले कचरे को नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषण होता है। लोंगों द्वारा बनाये गये अवशेष को पृथक न करने के कारण बने कचरे को फेंके जाने से भूमि (जमीन) प्रदूषण होता है।

प्रश्न- प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? उत्तर- प्रदूषण से आशय है जब किसी वस्तु, पदार्थ तथा तत्व के प्राकृतिक गुणों में विकृति या मिलावट आ जाती है, तब उस विकृति या मिलावट को प्रदूषण कहा जाता है। वायु प्रदूषण कारखानों से निकले धुओं, कीटनाशकों के प्रयोग, रासायनिक परीक्षणों तथा कूड़ा-करकट व जीव-जन्तुओं के मृत शरीरों के सड़ने से उत्पन्न होता है।

प्रश्न- प्रदूषण का अर्थ क्या होता है? उत्तर- प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं। प्रदूषण का अर्थ है- ‘वायु, जल, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना’, जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तन्त्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं।

प्रश्न- प्रदूषण रोकने के उपाय क्या हैं? उत्तर- धूम्रपान ना करने से वायु प्रदूषण को कम करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है। आज प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बढ़ते वाहनों की संख्या भी है। ऐसे में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपने वाहनों का सही से ख्याल रखें और समय-समय पर प्रदूषण की जांच करवाते रहें। ऐसा करके आप पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।

प्रश्न- प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें? उत्तर- प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है। मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है।

प्रश्न- प्रदूषण जांच केंद्र कैसे खोलें? उत्तर- अगर आप नया प्रदूषण जांच केंद्र खोलना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने नजदीकी आरटीओ ऑफिस से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट को प्राप्त करना अनिवार्य है। इस जांच केंद्र को आप किसी भी पेट्रोल पंप ऑटो मोबाइल वर्कशॉप पर बिना किसी रुकावट के खोल सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

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Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Noise Pollution Essay in Hindi)

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण को पर्यावरण प्रदूषण के रुप में पर्यावरण को बड़े स्तर पर विभिन्न स्त्रोतों के माध्यम से हानि पहुंचाने वाले तत्वों के रुप में माना जाता है। ध्वनि प्रदूषण को ध्वनि अव्यवस्था के रुप में भी जाना जाता है। अत्यधिक शोर स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है और मानव या पशु जीवन के लिए असंतुलन का कारण है। यह भारत में व्यापक पर्यावरणीय मुद्दा है जिसे सुलझाने के लिये उचित सतर्कता की आवश्यकता है, हालांकि, यह जल, वायु, मृदा प्रदूषण आदि से कम हानिकारक है।

ध्वनि प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Noise Pollution in Hindi, Dhwani Pradushan par Nibandh Hindi mein)

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

ध्वनि के दुरुपयोग द्वारा होने वाले प्रदूषण को ध्वनि प्रदूषण कहते है। हमारे कान नियमित तेज आवाज को सहन नहीं कर पाते और जिससे कान के पर्दें बेकार हो जाते हैं जिसका परिणाम अस्थायी या स्थायी रुप से सुनने की क्षमता की हानि होता है।

कारण और प्रभाव

ध्वनि प्रदूषण के कुछ मुख्य स्त्रोत सड़क पर यातायात के द्वारा उत्पन्न शोर, निर्माणकार्य (भवन, सड़क, शहर की गलियों, फ्लाई ओवर आदि) के कारण उत्पन्न शोर, औद्योगिक शोर, दैनिक जीवन में घरेलू उत्पादकों (जैसे घरेलू सामान, रसोइ घर का सामान, वैक्यूम क्लीनर, कपड़े धोने की मशीन, मिक्सी, जूसर, प्रेसर कूकर, टीवी, मोबाइल, ड्रायर, कूलर आदि) से उत्पन्न शोर, आदि हैं।

अधिक तेज आवाज सामान्य व्यक्ति की सुनने की क्षमता को हानि पहुँचाती है। अधिक तेज आवाज धीरे-धीरे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और एक धीरे जहर के रुप में कार्य करती है। इसके कारण और भी कई परेशानी होती हैं जैसे: सोने की समस्या, कमजोरी, अनिद्रा, तनाव, उच्च रक्त दाब, वार्तालाप समस्या आदि।

ध्वनि प्रदूषण का रोकथाम

ध्वनि प्रदूषण पर रोकथाम के लिए हमें उचित कदम लेने की जरुरत है। लाउड स्पीकर, हॉर्न, और अन्य उपकरण जो शोरगुल मचाते है, उन्हें कम से कम इस्तेमाल करने की जरुरत है।

अत्यधिक शोर स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है और मानव या पशु जीवन के लिए असंतुलन का कारण है। यह भारत में व्यापक पर्यावरणीय मुद्दा है जिसे सुलझाने के लिये उचित सतर्कता की आवश्यकता है।यह भारत में व्यापक पर्यावरणीय मुद्दा है जिसे सुलझाने के लिये उचित सतर्कता की आवश्यकता है।

निबंध 2 (400 शब्द) – ध्वनि प्रदूषण के परिणाम

पर्यावरण में बहुत प्रकार के प्रदूषण हैं, ध्वनि प्रदूषण, उनमें से एक है, और स्वास्थ्य के लिये बहुत खतरनाक है। यह बहुत ही खतनराक हो गया है कि इसकी तुलना कैंसर आदि जैसी खतरनाक बीमारियों से की जाती है, जिससे धीमी मृत्यु निश्चित है। ध्वनि प्रदूषण आधुनिक जीवन और बढ़ते हुये औद्योगिकीकरण व शहरीकर का भयानक तौहफा है। यदि इसे रोकने के लिये नियमित और कठोर कदम नहीं उठाये गये तो ये भविष्य की पीढियों के लिये बहुत गंभीर समस्या बन जायेगा। ध्वनि प्रदूषण वो प्रदूषण है जो पर्यावरण में अवांछित ध्वनि के कारण उत्पन्न होता है। यह स्वास्थ्य के लिये बहुत बड़ा जोखिम और बातचीत के समय समस्या का कारण बनता है।

उच्च स्तर का ध्वनि प्रदूषण बहुत से मनुष्यों के व्यवहार में चिडचिड़पन लाता है विशेषरुप से रोगियों, वृद्धों और गर्भवति महिलाओं के व्यवहार में। अवांछित तेज आवाज बहरेपन और कान की अन्य जटिल समस्याओं जैसे, कान के पर्दों का खराब होना, कान में दर्द, आदि का कारण बनती है। कभी-कभी तेज आवाज में संगीत सुनने वालों को अच्छा लगता है, बल्कि अन्य लोगों को परेशान करता है।

वातावरण में अनिच्छित आवाज स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होती है। कुछ स्त्रोत ऐसे है जो ध्वनि प्रदूषण में मुख्य रुप से भाग लेते हैं जैसे उद्योग, कारखानें, यातायात, परिवहन, हवाई जहाज के इंजन, ट्रेन की आवाज, घरेलू उपकरणों की आवाज, निर्माणकार्य आदि।

उच्च स्तर की ध्वनि उपद्रव, चोट, शारीरिक आघात, मस्तिष्क में आन्तरिक खून का रिसाव, अंगों में बड़े बुलबुले और यहां तक कि समुद्री जानवरों मुख्यतः व्हेल और डॉलफिन आदि की मृत्यु का कारण बनती है क्योंकि वो बातचीत करने, भोजन की खोज करने, अपने आपको बचाने और पानी में जीवन जीने के लिये अपने सुनने की क्षमता का ही प्रयोग करती हैं। पानी में शोर का स्त्रोत जल सेना की पनडुब्बी है जिसे लगभग 300 माल दूरी से महसूस किया जा सकता है। ध्वनि प्रदूषण के परिणाम बहुत अधिक खतरनाक है और निकट भविष्य में चिंता का विषय बन रहे हैं।

60 डीबी आवाज को सामान्य आवाज माना जाता है, हालांकि, 80 डीबी या इससे अधिक आवाज शारीरिक दर्द का कारण और स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होती है। वो शहर जहां ध्वनि की दर 80 डीबी से अधिक हैं उनमें से दिल्ली (80 डीबी), कोलकत्ता (87 डीबी), मुम्बई (85 डीबी), चेन्नई (89 डीबी) आदि हैं। पृथ्वी पर जीवन जीने के लिये अपने स्तर पर शोर को सुरक्षित स्तर तक कम करना बहुत आवश्यक हो गया है क्योंकि अवांछित शोर मनुष्यों, पेड़-पौधो, और जानवरों के भी जीवन को प्रभावित करता है। ये लोगों में ध्वनि प्रदूषण, इसके मुख्य स्त्रोत, इसके हानिकारक प्रभावों के साथ ही इसे रोकने के उपायों बारे में सामान्य जागरुकता लाकर संभव किया जा सकता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – ध्वनि प्रदूषण के कारण

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण उस स्थिति में उत्पन्न होता है जब पर्यावरण में आवाज का स्तर सामान्य स्तर से बहुत अधिक होता है। पर्यावरण में अत्यधिक शोर की मात्रा जीने के उद्देश्य से असुरक्षित है। कष्टकारी आवाज प्राकृतिक सन्तुलन में बहुत सी परेशानियों का कारण बनती है। तेज आवाज या ध्वनि अप्राकृतिक होती है और अन्य आवाजों के बाहर जाने में बाधा उत्पन्न करती है। आधुनिक और तकनीकी के इस संसार में, जहां सब कुछ घर में या घर के बाहर बिजली के उपकरणों से संभव है, ने तेज ध्वनि के खतरे के अस्तित्व में वृद्धि कर दी है।

भारत में औद्योगिकीकरण और शहरीकरण की बढ़ती हुई मांग लोगों में अवांछित आवाज के प्रदर्शन का कारण हैं। रणनीतियों का समझना, योजना बनाना और उन्हें प्रयोग करना ध्वनि प्रदूषण को रोकना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। वो आवाज जिसका हम प्रतिदिन निर्माण करते हैं जैसे, तेज संगीत सुनना, टीवी, फोन, मोबाइल का अनावश्यक प्रयोग, यातायात का शोर, कुत्ते का भौंकना, आदि ध्वनि उत्पन्न करने वाले स्त्रोत शहरी जीवन का एक अहम हिस्सा होने के साथ ही सबसे ज्यादा परेशान करने वाले, सिर दर्द, अनिद्रा, तनाव आदि कारण बनता हैं। ये चीजें दैनिक जीवन के प्राकृतिक चक्र को बाधित करती हैं, वो खतरनाक प्रदूषक कहलाते हैं। ध्वनि प्रदूषण के स्त्रोत, कारक और प्रभाव निम्नलिखित हैं:

ध्वनि प्रदूषण के कारक या कारण

  • औद्योगिकीकरण ने हमारे स्वास्थ्य और जीवन को खतरे पर रख दिया है क्योंकि सभी (बड़े या छोटे) उद्योग मशीनों का प्रयोग करते हैं जो बहुत ज्यादा मात्रा में तेज आवाज पैदा करती है। कारखानों और उद्योगों में प्रयोग होने वाले अन्य उपकरण (कम्प्रेशर, जेनरेटर, गर्मी निकालने वाले पंखे, मिल) भी बहुत शोर उत्पन्न करते हैं।
  • सामान्य सामाजिक उत्सव जैसे शादी, पार्टी, पब, क्लब, डिस्क, या पूजा स्थल के स्थान मन्दिर, मस्जिद, आदि आवासीय इलाकों में शोर उत्पन्न करते हैं।
  • शहरों में बढ़ते हुए यातायात के साधन (बाइक, हवाई जहाज, अंडर ग्राउंड ट्रेन आदि) तेज शोर का निर्माण करते हैं।
  • सामान्य निर्माणी गतिविधियाँ (जिसमें खानों, पुलों, भवनों, बांधो, स्टेशनों, आदि का निर्माण शामिल है), जिसमें बड़े यंत्र शामिल होते हैं उच्च स्तर का शोर उत्पन्न करते हैं।
  • दैनिक जीवन में घरेलू उपकरणों का उपयोग ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है।

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव

  • ध्वनि प्रदूषण से बहुत सी सुनने की समस्याएं (कान के पर्दों का खराब होना और स्थायी रुप से सुनने की क्षमता का ह्रास होना) अवांछित आवाज के कारण होती हैं।
  • यह कानों की ध्वनि संवेदनशीलता को कम करता है जो शरीर नियंत्रित रखने में सहायक होती है।
  • जंगली जानवरों के जीवन को प्रभावित करके उन्हें बहुत आक्रामक बनाता है।

रोकने के उपाय

पर्यावरण में असुरक्षित आवाज के स्तर को नियंत्रित करने के लिये लोगों के बीच में सामान्य जागरुकता को बढ़ाना चाहिये और प्रत्येक के द्वारा सभी नियमों को गंभीरता से माना जाना चाहिये। घर में या घर के बाहर जैसे: क्लब, पार्टी, बार, डिस्को आदि में अनावश्यक शोर उत्पन्न करने वाले उपकरणों के प्रयोग को कम करना चाहिये।

ध्वनि प्रदूषण के कई निवारक उपाय हैं जैसे, उद्योगों में साउड प्रूफ कमरों के निर्माण को बढ़ावा देना, उद्योग और कारखानें आवासीय इमारत से दूर होनी चाहिए, मोटरसाइकिल के खराब हुये पाइपों की मरम्मत, शोर करने वाले वाहनों पर प्रतिबंध, हवाई अड्डों, बस, रेलवे स्टेशनों और अन्य परिवहन टर्मिनलों का आवासीय स्थलों से दूर होना चाहिए, शैक्षणिक संस्थानों और हॉस्पिटल्स के आसपास के इलाकों को आवाज-निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया जाये, सड़को पर शोर के कारण उत्पन्न होने वाले ध्वनि प्रदूषण को अवशोषित करने के लिये रिहायसी इलाकों के आस-पास हरियाली लगाने की अनुमति देनी चाहिये।

निबंध 4 (600 शब्द) – ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत

ध्वनि प्रदूषण वो औद्योगिक या गैर-औद्योगिक क्रियाएं हैं जो मनुष्य, पौधो और पशुओं के स्वास्थ्य पर बहुत से आयामों से विभिन्न ध्वनि स्त्रोतों के द्वारा आवाज पैदा करके प्रभावित करती है। निरंतर बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के स्तर ने वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के जीवन को बड़े खतरे पर रख दिया है। हम नीचे ध्वनि प्रदूषण के स्त्रोतों, प्रभावों और ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिये वैधानिक आयामों पर चर्चा करेंगे।

ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत निम्न लिखित हैं

भारत में बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण शहरीकरण, आधुनिक सभ्यता, औद्योगिकीकरण आदि के द्वारा बढ़ा है। ध्वनि का प्रसार औद्योगिक और गैर-औद्योगिक स्त्रोतों के कारण हुआ है। ध्वनि के औद्योगिक स्त्रोतों में तेज गति से काम करने वाली उच्च तकनीकी की बड़ी मशीनें और बहुत से उद्योगों में ऊंची आवाज पैदा करने वाली मशीनें शामिल हैं। ध्वनि पैदा करने वाले गैर-औद्योगिक स्त्रोतों में यातायत के साधन, परिवहन और अन्य मानव निर्मित गतिविधियाँ शामिल हैं। ध्वनि प्रदूषण के कुछ औद्योगिक और गैर-औद्योगिक स्त्रोत नीचे दिये गये हैं:

  • वायु सेना के एयर क्राफ्ट पर्यावरण में बहुत बड़े स्तर पर ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि करते हैं।
  • सड़क पर चलने वाले परिवहन के साधन दिन प्रति दिन मोटर वाहनों जैसे ट्रक, बसों, ऑटो, बाइक, वैयक्तिक कार आदि अधिक आवाज उत्पन्न करने लगें हैं। शहरों की बड़ी इमारतें अपने निर्माण के समय में कुछ समय के लिये अपने आस-पास के क्षेत्र में ध्वनि उत्पन्न करती हैं।
  • विनिर्माण उद्योगों में मोटर और कम्प्रशेर, पंखे आदि के प्रयोग के कारण उत्पन्न औद्योगिक शोर।
  • बड़ी इमारतों, सड़को, हाई-वे, शहर की सड़कों आदि के निर्माण के समय हथौड़े, बुलडोजर, एयर कम्प्रेशर, डम्पिंग ट्रक, लोडर आदि के माध्यम से उत्पन्न निर्माणी ध्वनि।
  • रेल की पटरियों का शोर (ट्रेन के लोकोमोटिव इंजन, सीटी, हार्न, रेलवे फाटक को उठाते और गिराते समय) उच्च स्तर के शोर का निर्माण करने में बहुत प्रभावी होता है क्योंकि ये चरम सीमा की ध्वनि लगभग 120 डीबी से 100 फीट की दूरी तक की आवाज पैदा करते हैं।
  • इमारतों में प्लम्बिंग, जैनरेटर, ब्लोअर, घरेलू उपकरणों, संगीत, एयर कंडीशनर, वैक्यूम क्लिनर, रसोइघर के उपकरण, पंखों और अन्य गतिविधियों के कारण उत्पन्न शोर।
  • ध्वनि प्रदूषण का एक अन्य स्त्रोत विभिन्न किस्मों के पटाखों का त्योहारों और अन्य पारिवारिक उत्सवों के दौरान प्रयोग है।

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव निम्नलिखित हैं

ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों, जानवरों और सम्पत्ति के स्वास्थ्य को बहुत अधिक प्रभावित करता है। उनमे से कुछ निम्न है:

  • दिन प्रति दिन बढ़ता ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों की काम करने की क्षमता और गुणवत्ता को कम करता है।
  • ध्वनि प्रदूषण थकान के कारण एकाग्रता की क्षमता को बड़े स्तर पर कम करता है।
  • गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करता है और चिड़चिड़ेपन और गर्भपात का कारण बनता है।
  • लोगों में बहुत सी बीमारियों (उच्च रक्तदाब और मानसिक तनाव) का कारण होता है क्योंकि मानसिक शान्ति को भंग करता है।
  • तेज आवाज काम की गुणवत्ता को कम करती है और जिसके कारण एकाग्रता का स्तर कम होता है।
  • यदि आवाज का स्तर 80 डीबी से 100 डीबी हो तो यह लोगों में अस्थायी या स्थायी बहरेपन का कारण बनता है।
  • यह ऐतिहासिक इमारतों, पुरानी इमारतों, पुलों आदि को हानि पहुंचाता है क्योंकि ये संरचना में बहुत कमजोर होती है और तेज ध्वनि खतरनाक तरंगों का निर्माण करती है जो उनकी दिवारों को हानि पहुंचाती है।
  • पशु अपने मस्तिष्क पर अपना नियंत्रण खो देते हैं और बहुत खतरनाक हो जाते हैं क्योंकि तेज आवाज उनके नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) को प्रभावित करती है।
  • यह पेड़-पौधों को भी प्रभावित करता है और जिसके कारण खराब किस्म का उत्पादन होता है।

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिये वैधानिक कदम निम्नलिखित है:

  • भारत के संविधान ने जीवन जीने, सूचना प्राप्त करने, अपने धर्म को मानने और शोर करने के अधिकार प्रदान किये हैं।
  • धारा 133 ने नागरिकों को शक्ति प्रदान की हैं कि वो सशर्त और स्थायी आदेश पर पब्लिक प्रदर्शन को हटा सकती है।
  • पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1996 के अन्तर्गत ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियम 2000 को ध्वनि प्रदूषण की बढ़ती हुई समस्या को नियंत्रित करने के लिये शामिल किया है।
  • ध्वनि की कमी और तेल की मशीनरी का कारखाना अधिनियम कार्यस्थल पर शोर को नियंत्रित करता है।
  • मोटर वाहन अधिनियम हार्न और खराब इंजन के इस्तेमाल को शामिल करता है।
  • भारतीय दंड संहिता ध्वनि प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुद्दों से संबंधित है। किसी को भी ट्रोट कानून के अन्तर्गत दंडित किया जा सकता है।

ध्वनि प्रदूषण ने इसके स्त्रोत, प्रभाव और ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपायों के बारे में सामान्य जागरुकता की तत्काल आवश्यकता का निर्माण किया है। कार्यस्थल, शैक्षणिक संस्थान, आवासीय क्षेत्र, अस्पताल आदि स्थानों पर ध्वनि का तेज स्तर रोका जाना चाहिये। युवा बच्चों और विद्यार्थियों को तेज आवाज करने वाली गतिविधियों जैसे; किसी भी अवसर पर तेज आवाज पैदा करने वाले उपकरणों और यंत्रो का प्रयोग आदि में शामिल न होने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। तेज आवाज करने वाले पटाखों के विशेष अवसरों जैसे; त्योहारों, पार्टियों, शादियों, आदि में प्रयोग को कम करना चाहिये। ध्वनि प्रदूषण से संबंधित विषयों को पाठ्यपुस्तकों में जोड़ा जाये और विद्यालय में विभिन्न गतिविधियों जैसे लेक्चर, चर्चा आदि को आयोजित किया जा सकता है, ताकि नयी पीढ़ी अधिक जागरुक और जिम्मेदार नागरिक बन सके।

Essay on Noise Pollution in Hindi

FAQs: Frequently Asked Questions on Noise Pollution (ध्वनि प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- ध्वनि प्रदूषण मानव के कान के पर्दो को अत्यधिक प्रभावित करता है?

उत्तर- कल कारखाने तथा यातायात के साधन।

उत्तर- 180 डेसीबल

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वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi

Air Pollution Essay in Hindi  : आज हमने वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध में  हमने वायु प्रदूषण के बारे में बताया है.

Air Pollution पर निबंध  इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुएअलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Get some Air Pollution Essay in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12th Students

Best Air Pollution Essay in Hindi 100 Words

वायु प्रदूषण वातावरण में घुलने वाली हानिकारक गैसों के कारण होता है. वायु प्रदूषण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जंतुओं पर हानिकारक प्रभाव डालता है इसके कारण कई ऐसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं जो कि जीवन भर मानव के शरीर का साथ नहीं छोड़ती हैं और अंत में उस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण का अत्यधिक प्रभाव शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है क्योंकि वहां पर बड़े-बड़े उद्योग धंधों, मोटर वाहनों इत्यादि से जहरीली गैसें निकलती है.

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है. वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Air Pollution Essay in Hindi 200 Words

वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया भर में एक अहम मुद्दा बन चुका है वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक देश इसके हानिकारक प्रभावों को झेल रहा है. आज दुनिया भर में सब लोग सिर्फ अपने उद्योग धंधों की तरफ दे रहे हैं वह इतने स्वार्थी हो गए हैं कि पर्यावरण की उनको जरा भी चिंता नहीं है.

वायु प्रदूषण के कारण हर साल लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है. वायु प्रदूषण के कारण कैंसर, दमा, हार्ट अटैक श्वसन संबंधी खतरनाक बीमारियां हो रही है.

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इसके कारण हमारे पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत का क्षरण हो रहा है जिसके कारण सूर्य की हानिकारक कितने हमारी पृथ्वी पर सीधी पड़ती है और कई बीमारियों को जन्म देती है.

वायु प्रदूषण के कारण आज जीव जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. इसी के कारण आज मानव का जीवन काल भी कम हो गया है पहले मानव 100 साल तक जीवित रहता था लेकिन आजकल 70 वर्ष की अवधि भी पार करना मुश्किल हो रहा है.

वायु प्रदूषण उद्योग धंधे, मोटर वाहनों, ज्वालामुखी फटने इत्यादि के कारण बढ़ रहा है इसको कम करने के लिए हमें जल्द से जल्द पेड़ पौधे लगाने होंगे और ऊर्जा के लिए नए संसाधन ढूंढने होंगे जिनसे वायु प्रदूषण न के बराबर हो.

Vayu Pradushan Essay in Hindi 500 Words

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है. इसके कारण हमारे देश में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु हो रही है. यह प्रतिवर्ष दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण को लेकर ना तो सरकार की तरफ से कोई पुख्ता कदम उठाई जा रहे हैं और ना ही आम आदमी इसके बारे में कोई चिंता कर रहा है.

पृथ्वी पर रहने वाला एक जीव या मानव भोजन और जल के बिना तो कुछ दिन तक जिंदा रह सकता है लेकिन वायु के बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता है इसलिए हमें प्राण दाई ऑक्सीजन को प्रदूषित नहीं करना चाहिए.

वायु प्रदूषण के कारण हमारी पृथ्वी पर भी बदलाव आ रहा है जिसके कारण हमारी पृथ्वी का वातावरण बहुत तेजी से गरम हो रहा है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. वायु प्रदूषण हमारी पूरी पृथ्वी के वातावरण को नष्ट कर रहा है.

वायु प्रदूषण होने के दो प्रमुख कारण है जिसमें एक प्राकृतिक है और एक मानव जनित है –

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वायु प्रदूषण के प्राकृतिक कारण –

हमारी पृथ्वी पर कई ऐसी प्राकृतिक घटनाएं होती रहती हैं जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है जैसे की ज्वालामुखी का फटना, जंगलों में आग लगना, धूल उड़ना, रेत संकुचन, महासागर की लवणता बढ़ना, आंधी-तूफान, धूमकेतु स्प्रे, पराग अनाज, विषाणु, बैक्टीरिया इत्यादि कारण है जिसके कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण का मानव निर्मित कारण –

पृथ्वी पर वायु प्रदूषण प्रमुख रूप से मानव द्वारा किया जा रहा है इसके प्रमुख कारण इस प्रकार है – बड़े उद्योग धंधे, कल कारखाने, मोटर वाहन, धूम्रपान, लकड़ियों का धुँआ, खेतों में कीटनाशकों का उपयोग, खरपतवार को हटाने के लिए और फसल को रगड़ो से मुक्त करने के लिए गैसों का छिड़काव, फसल काटने के बाद बची हुई घास को जलाना, पार्टिकुलेट पदार्थ, बम विस्फोट, परमाणु विस्फोट, खुले में शौच करना, कोयले का दोहन, निर्माण कार्य से उड़ती धूल इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में फैलता है.

इन सभी कारणों से हमारे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड और अमोनिया जैसी गैसों की मात्रा बढ़ जाती है यह सभी कैसे हमारे वायुमंडल के लिए हानिकारक है.

पृथ्वी पर इन सभी गैसों की मात्रा बढ़ने के कारण कैंसर, दमा, दिल की बीमारियां, पेट की बीमारियां, आंखें खराब होना जैसी लाइलाज बीमारियां अत्यधिक मात्रा में बढ़ रही है. अगर जल्द ही वायु प्रदूषण को कम नहीं किया गया तो यह पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकता है.

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वायु प्रदूषण से हमारी पृथ्वी को बचाने के लिए हमें उद्योग धंधों को रिहायशी इलाकों से दूर स्थापित करना चाहिए, हमें परमाणु ऊर्जा के स्थान पर नई ऊर्जा के स्त्रोत खोजने चाहिए जिनसे प्रदूषण कम हो, हमें सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए, बैटरी से चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता देनी चाहिए, घरों में लकड़ियों के स्थान पर गैस का इस्तेमाल होना चाहिए,

निर्माण कार्य करते समय पानी का छिड़काव करके या फिर कपड़े से ढककर निर्माण कार्य करना चाहिए और सबसे अधिक और जरूरी कार्य में अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Full Latest Air Pollution Essay in Hindi 2500 Words

प्रस्तावना –

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया भर में एक महामारी के रूप में फैल रहा है. वायु पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए प्रथम आवश्यकता है लेकिन इसमें जब हानिकारक गैसें मिल जाती है तब यह धीमे जहर की तरह काम करता है. पूरी दुनिया भर में वायु प्रदूषण बहुत तेजी से फैल रहा है.

जिसके कारण कई लाइलाज बीमारियां जन्म ले रही है वायु प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. जो वस्तुएं हमें प्रगति की ओर ले कर जा रही है असल में वह हमें दुगनी रफ़्तार से दुर्गति की ओर लेकर जा रही है क्योंकि हम जितनी भी वस्तुए काम में लेते है-

जैसे मोटर वाहन, हवाई जहाज, कल कारखाने, ऊर्जा के लिए कोयले का इस्तेमाल आदि इन से जहरीली गैसे बनती है जो कि हमारे वातावरण और हमारे लिए बहुत खतरनाक है. वायु प्रदूषण को जल्द से जल्द रोका जाना बहुत जरूरी है.

वायु प्रदूषण क्या है –

हमारी पृथ्वी के वातावरण विभिन्न प्रकार की गैसों से बना हुआ है जिसमें मानव और एवं अन्य सजीव जीव जंतुओं के जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो कि वातावरण में लगभग 24% है. लेकिन धीरे-धीरे पृथ्वी में हो रहे बदलाव के कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है इसमें कई प्रकार की विषैली गैसे घुल रही है.

साधारण शब्दों में बात करें तो स्वच्छ वायु में रसायन, सूक्ष्म पदार्थ, धूल, विषैली गैसें, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के कारण वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण के कारण –

जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है तब से वायु प्रदूषण हो रहा है लेकिन मानव सभ्यता के आने से पहले वायु प्रदूषण बहुत कम मात्रा में होता था लेकिन मानव जनित कार्यों के कारण वायु प्रदूषण 2 से 3 गुना अधिक रफ्तार से बढ़ रहा है.

दुनिया के लगभग सभी देश वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता का विषय हमारे भारत देश के लिए है क्योंकि वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर हमारे भारत देश में ही है. जिसके कारण हमारे देश के शहरों में जीना मुश्किल हो गया है.

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण मे प्राकृतिक कारणों और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है जिसको हमने विस्तारपूर्वक नीचे बताया है

(1) ज्वालामुखी का फटना – हमारी पृथ्वी पर बहुत सारे ज्वालामुखी है जोकि समय-समय पर पढ़ते रहते हैं और उनसे जहरीली गैस से और लावा निकलता रहता है जिसके कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती रहती है. हाल ही में अभी इंडोनेशिया में एक ज्वालामुखी फटा था जिसका धूल का गुबार करीब 4000 मीटर तक फैल गया था. जिससे वहां के आसपास की वनस्पति और जीव-जंतु समाप्त हो गए थे और इसके कारण करीब 1400 लोग मारे गए थे.

(2) जंगल में आग लगना – पृथ्वी पर बहुत से बड़े बड़े जंगल हैं जिन में बहुत से पेड़ पौधे और वनस्पतिया है जिनके कारण जंगलों में बहुत सी जलाऊ लकड़ी पाई जाती है यह थोड़ी सी आग की चिंगारी से जलने लग जाते है. ज्यादातर गर्मियों में जंगलों में आग लगती है जिसके कारण पूरा जंगल जलने लग जाता है जिससे अधिक मात्रा में धुँआ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषण होता है.

(3) धूल उड़ना – हमारे वातावरण में हर समय धूल मिट्टी उड़ती रहती है इसका कारण यह है कि कभी तेज हवा चलती है तो कभी आंधी तूफान आ जाते हैं जिसके कारण धूल का एक गुबार सा उठता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. धूल मोटर वाहनों और अन्य बड़े वाहनों के चलने के कारण धूल उड़ती है.

(4) बैक्टीरिया – पृथ्वी के वातावरण में कई बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं जिनमें से कुछ अच्छे होते है तो कुछ हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं यह में खुली आंखों से तो दिखाई नहीं देते लेकिन यह हवा के साथ मिलकर हमारे शरीर में चले जाते है जिसके कारण हमारा शरीर किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो जाता है. यह हानिकारक बैक्टीरिया केमिकल फैक्ट्री और अन्य हानिकारक वस्तु से निकलते रहते है.

(5) फूलों के परागण – दुनिया के सभी देशों में फूलों के बागान होते है. जिनमें अधिक मात्रा में फूल उगते है लेकिन उन फूलों के ऊपर बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में फूलों के परागकण होते हैं जो की थोड़ी सी हवा से उड़ने लग जाते हैं और उसके कारण वायु प्रदूषण हो जाता है.

(6) धूमकेतु / उल्का पिंड – पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में बहुत सारे धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते हैं और वे कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते हैं जिसके कारण उनकी धूल मिट्टी के कारण हमारा पूरा वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है.

(7) पशुओं द्वारा – हमारे यहां पशुओं को अनेक चीजों के लिए पाला जाता है कुछ लोग उनसे दूध निकालते हैं तो कुछ उनको बाहर के रूप में प्रयोग करते हैं लेकिन पशुओं से भी वायु प्रदूषण होता है क्योंकि इनके द्वारा छोड़ी गई गैस मिथेन के रूप में निकलती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है.

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वायु प्रदूषण के मानव निर्मित कारण –

(1) उद्योग धंधे/ कल कारखाने – बड़े उद्योग धंधे और कल कारखाने किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है लेकिन इन्हीं कारखानों के कारण दिन प्रतिदिन हमारा वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है क्योंकि इन कारखानों से धुएं के साथ साथ हानिकारक गैसे भी निकलती है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित करती है.

बड़े उद्योगों में रासायनिक केमिकल और कोयले का इस्तेमाल किया जाता है दोनों ही हमारे वातावरण के लिए हानिकारक है. इन उद्योगों के लिए कई कड़े कानून बनाए गए हैं लेकिन सही से कानून की पालना नहीं होने के कारण वायु प्रदूषण दुगनी तेजी से फैल रहा है.

(2) वनों की अंधाधुंध कटाई – वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण क्योंकि पेड़ पौधों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ली जाती हो और बदले में ऑक्सीजन छोड़ी जाती है लेकिन पेड़ों की संख्या कम होने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में बढ़ती जा रही है

इसका मुख्य कारण है कि हम बहुत तेजी से वनों को काट रहे है लेकिन उतनी तेजी से पेड़ पौधे लगा नहीं रहे है. इसी कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है और पूरे वातावरण में बदलाव आ रहे है.

(3) जनसंख्या वृद्धि – वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि भी है क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण दिन प्रतिदिन ऑक्सीजन की मात्रा का उपयोग अधिक मात्रा में हो रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड अधिक मात्रा में उत्पन्न हो रही है. बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक संसाधनों की भी जरूरत पड़ती है जिनके कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

(4) पराली जलाना – फसल काटने के बाद खेत में फसल के डंठल बच जाते हैं जिनको किसानों द्वारा जला दिया जाता है और सभी देशों में खेत अधिक मात्रा में होती है और हमारे भारत देश की बात करें तो हमारा देश कृषि प्रधान देश है जहां पर ज्यादातर किसान लोग ही रहते हैं इसलिए अधिक मात्रा में खेतों में डंठल बच जाते है. जिनको जलाए जाने से वायु में धुएं का गुबार छा जाता है

जिसके कारण लोगों को सांस लेने और दिखाई देने में दिक्कत होने लग जाती है. इसका उदाहरण हम दिल्ली राज्य से ले सकते हैं जहां पर हर साल नवंबर दिसंबर माह में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है यह मात्रा इतनी ज्यादा अधिक होती है कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर सकती है.

वायु प्रदूषण की मात्रा एक्यूआई में मापी जाती है जो कि 0 से 50 एक्यूआई तक अच्छी मानी जाती है लेकिन दिल्ली में इसकी मात्रा 400 एक्यूआई से भी अधिक चली जाती है जो कि बहुत ही हानिकारक होती है

(5) मोटर वाहन – जितनी ज्यादा जनसंख्या की वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से लोगों की विलासता की चीजों में भी रुचि बढ़ती जा रही है लोग दिन प्रतिदिन नए वाहन खरीद रहे है जिसके कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं स्वच्छ हवा में घुलता है और उसे प्रदूषित कर देता है.

(6) परमाणु परीक्षण – पूरी दुनिया में प्रत्येक देश अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए परमाणु परीक्षण कर रहा है जिसके कारण जहरीले तत्व हवा में घुल रहे है हवा के साथ साथ परमाणु बम से पूरा वातावरण नष्ट हो रहा है इसे हम एक उदाहरण के तहत समझ सकते हैं जब दुसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने नागा शाकी नाम की जगह पर परमाणु बम गिराया था तो वहां पर जिंदगी का नामोनिशान मिट गया था जिसका असर आज भी देखने को मिलता है वहां की हवा आज भी प्रदूषित है

(7) सूखा कचरा जलाना – प्रतिदिन घरों से सूखा और गीला कचरा निकलता है सूखे कचरे को हम नादानी में जला देते हैं और सोचते हैं कि इससे क्या प्रदूषण होगा लेकिन अगर करना की जाए तो दुनिया भर में बहुत सारे करें और उनमें से रोज अगर थोड़ा भी कचरा निकलता है तो वह एक साथ मिलाने पर बहुत अधिक हो जाता है और उसे जलाने पर प्रदूषण की मात्रा बड़ी जाती है

(8) मरे हुए मवेशी – हमें जगह-जगह आवारा मरे हुए देखने को मिल जाते हैं जिनसे भयंकर बदबू आती रहती है और उनमें कई तरह के व्यक्तित्व उत्पन्न हो जाते हैं जो कि पूरी हवा को प्रदूषित कर देते हैं इसके कारण कई बीमारियां भी फैल जाती है. कभी-कभी तो इन के कारण बहुत गंभीर बीमारियां हो जाती है.

(9) रासायनिक पदार्थ – वर्तमान समय में सभी लोग रासायनिक पदार्थों से बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने लगे है जिंदगी वस्तुओं में रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है वे एक समय के बाद खराब होने लग जाती है और उनसे जहरीला पदार्थ निकलने लग जाता है जोकि हवा में आसानी से घुल जाता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है.

(10) धूम्रपान – पूरी दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और दिन प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है जिससे हमारे वातावरण की सोच व प्रदूषित हो रही है.

(11) कीटनाशक – वर्तमान में किसानों द्वारा अच्छी फसल के लिए खेतों में कीटनाशकों का उपयोग किया जाने लगा है जिसके कारण जब भी वे फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं तो हवा में कीटनाशक दवा बन जाती है और वह हवा को प्रदूषित कर देती है.

(12) लकड़ी का अत्यधिक उपयोग – भारत में आज भी गांव में गैस का उपयोग नहीं किया जाता है और अधिक मात्रा में लकड़ी जलाई जाती है जिसके कारण धुआं उत्पन्न होता है और यह हवा में घुलकर पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. हालांकि सरकार ने गांव में भी गैस पहुंचाने के लिए उज्जवला योजना प्रारंभ की है लेकिन इस योजना का लाभ अभी कुछ लोग ही ले पाए है.

(13) ताप ऊर्जा – बिजली बनाने के लिए आज भी कोयला सबसे सस्ता साधन है लेकिन इसके कारण बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है कोयला सत्ता होने के कारण आज भी 70% बिजली कोयले से ही बनाई जाती है जिसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है.

(14) औद्योगिक निर्माण – पूरी दुनिया में जिस तेजी से तरक्की हो रही है उसी तेजी से औद्योगिक निर्माण भी किया जा रहा है हर तरफ निर्माण कार्य चल रहा है जिसके कारण हवा में सीमेंट, धूल आदि उठते रहते हैं जिसके कारण हवा प्रदूषित होती रहती है.

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव –

(1) ओजोन परत का क्षरण होना – जैसे-जैसे पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है उसके कारण पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत पतली होती जा रही है जिसके कारण सूची से आने वाली हानिकारक किरणें सीधी हमारे ऊपर पड़ती है जिससे त्वचा का कैंसर जैसी बीमारियां हो रही है.

(2) बीमारियों को निमंत्रण – पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और मनुष्य को स्वच्छता की आवश्यकता होती है इसके बिना वे एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं अगर हवा प्रदूषित होगी तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारी हो सकती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है इन बीमारियों के कारण प्रतिदिन कई लोगों की मृत्यु हो जाती है.

(3) ऑक्सीजन की कमी – हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24% थी लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम होती जा रही है एक रिसर्च के अनुसार हमारे वातावरण में अभी ऑक्सीजन की मात्रा 22% ही रह गई है.

(4) जीव जंतुओं की असमय मृत्यु – स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण असमय जीव-जंतुओं की मृत्यु हो रही है और साथ ही कुछ प्रजातियां तो विलुप्त भी हो गई है अगर ऐसे ही वायु प्रदूषण होता रहा तो एक दिन सभी जीव जंतु की प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी.

(5) वातावरण प्रभावित होना – वायु में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने के कारण पृथ्वी का पूरा वातावरण प्रभावित हो रहा है इसके कारण पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है. आए दिन कोई ना कोई आपदा आती रहती है इसका कारण प्रदूषण ही है अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा.

(6) अम्लीय वर्षा – वायु प्रदूषण के कारण शुद्ध हवा में कई प्रकार की हानिकारक ऐसे मिल जाती हैं जिनमें सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है यह हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है

जिससे अम्लीय वर्षा होती है जिस को आम भाषा में हम तेजाब वर्षा भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती है और यह पानी में घुलने कारण सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं.

(7) पृथ्वी के तापमान में वृद्धि – वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी के वातावरण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है एक शोध के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा तो सन 2050 तक पृथ्वी का वातावरण 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा जबकि अगर पृथ्वी का तापमान 2 से 3% भी बढ़ता है तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे जिससे भयंकर बाढ़ आ सकती है और पूरी पृथ्वी नष्ट हो सकती है.

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय –

(1) पेड़ पौधे लगाना – अगर हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है तो हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ पौधों से ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते है जिसके कारण ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है वर्तमान में पेड़-पौधों को अधिक मात्रा में काटा जा रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में फ़ैल रहा है.

(2) जनसंख्या नियंत्रण – आज पूरी दुनिया जनसंख्या वृद्धि की समस्या से जूझ रही है अगर हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर लेते हैं तो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की भी कमी होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी जिससे प्रदूषण की मात्रा में कमी आएगी. वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि ही है.

(3) कल कारखाने कम करना – हमें उन कल कारखानों को बंद कर देना चाहिए कि से अधिक मात्रा में प्रदूषण होता है और जिन कल कारखानों की हमें आवश्यकता है उनकी चिमनीयो की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए जिससे हमारा वायुमंडल कम से कम प्रभावित हो.

(4) ऊर्जा के नए स्रोत खोजना – हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत खोजने चाहिए हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम करना चाहिए हमें सौर ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करना चाहिए जिसके कारण वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी मिल जाएगी.

(5) नियमों के अनुसार निर्माण कार्य करना – हमारे पूरे देश में जब भी कोई निर्माण होता है तो वह खुले में होता है जिसके कारण चारों तरफ धूल मिट्टी उड़ती रहती है और पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है. जब भी हम निर्माण कार्य करें तो उसे किसी कपड़े से ढककर करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण नहीं हो.

(6) पुराने वाहनों को बंद करना – हमारे भारत देश में आज भी पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं जिनसे अधिक मात्रा में जहरीला धुआं निकलता है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित कर देते है. एक पुरानी वाहन से 10 नए वाहनों के बराबर धुआं निकलता है जो कि वायु प्रदूषण में अहम भूमिका निभाता है. सरकार को नए नियम लागू पुराने वाहन बंद कर देनी चाहिए जिसे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके/

(7) सार्वजनिक वाहनों का उपयोग – अगर हमें वायु प्रदूषण को कम करना है तो हमें अधिक मात्रा में सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना होगा जिससे कम से कम प्रदूषण होगा.

(8) कानूनी नियंत्रण – वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हमारी सरकार को नए नियम बनाने चाहिए और प्रदुषण नियन्त्रण सम्बन्धी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता की जानी चाहिए साथ ही वायु प्रदूषण कानून (1981) की सख्ती से पालना करवानी चाहिए.

(9) जन जागरण – किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर है अगर नियंत्रण पाना है तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए. हमें रेलिया निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत करना चाहिए और स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है.

हमें गांव में जाकर नुक्कड़ नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते है.

उपसंहार –

वायु प्रदूषण जानलेवा है  इस पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है नहीं तो पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान ही मिट जाएगा. जब तक हम सभी लोग वायु प्रदूषण को कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक वायु प्रदूषण कम नहीं हो सकता है.

क्योंकि हमारी सरकार हर गली मोहल्ले में जाकर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं लगा सकती है इसलिए हमें  आगे आकर लोगों को वायु प्रदूषण के बारे में बताना होगा और इसके उपायों के बारे में समझाना होगा तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते है.

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8 thoughts on “वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi”

Good , I like it. Help me like this always please.

Thank you Kritika Singh for appreciation.

Thanks 😊😘😊😊😊😊😊 Bahut accha essay hai

Atharv, sarahna ke liye dhanyawad aise hi hindi yatra par aate rahe.

It’s very nice, thanks alot to write it, it’s very useful for me.

Welcome Rahul Kumar Saini keepvisiting hindiyatra.com

Thanks apne bahut sahi kiya jo y essay diya esko padkar mujhe bahut santuste hue h thanks

Welcome Sakshipal and thank you for appreciation.

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