वैसे तो लता मंगेशकर के कंठ में खुद सरस्वती का निवास है लेकिन उन्हें यह सरस्वती विद्यालय में नहीं बल्कि अपनी कला के माध्यम से प्राप्त हुई है क्योंकि लता मंगेशकर ने पढ़ाई की ही नहीं है। असल में जब उन्हें पहले दिन विद्यालय भेजा गया तो वहां पर एक शिक्षक के साथ मामूली विवाद हो गया। विवाद का विषय कुछ ऐसा था कि आशा को शिक्षक कक्षा में नहीं बैठा रहे थे, जिसके बाद लता मंगेशकर को बीच में बोलना पड़ा। इस घटना का असर लता मंगेशकर के ह्रदय में हुआ और फिर कभी दोबारा विद्यालय जाने की उन्होंने इच्छा भी नहीं जाहिर की।
लता मंगेशकर का करियर ( Lata Mangeshkar Career)
लता मंगेशकर का नाम जब भी हम सुनते हैं तो सबसे पहला एहसास जो हमारे दिमाग में आता है वह संगीत है। हम किसी और रूप में लता मंगेशकर को देख ही नहीं सकते क्योंकि लता मंगेशकर और संगीत का नाता कुछ ऐसा है जैसे एक मां और बच्चे का कि इन दोनों को एक दूसरे के बिना कोई वजूद ही नहीं है. लेकिन आपको यह जानकर थोड़ा आश्चर्य होगा कि शुरुआत में लता मंगेशकर अभिनय क्षेत्र में ज्यादा एक्टिव थी। 5 वर्ष की उम्र में ही अपने पिताजी के थिएटर में काम करना शुरू कर दिया था। लता मंगेशकर के पिता संगीत में भी काफी अच्छे थे इसलिए खुद वह लता मंगेशकर को संगीत की भी शिक्षा दिया करते थे।
लता जी जब 13 वर्ष की थी तभी उनके सर से पिता का हाथ उठ गया। पिता का देहांत होने के बाद लता मंगेशकर के ऊपर अपने परिवार की जिम्मेदारी आ गई क्योंकि वह घर की सबसे बड़ी बेटी थी इसलिए उन्हें ज्यादा जिम्मेदार बनना पड़ा। मास्टर विनायक जोकि चित्रपट मूवी कंपनी के मालिक थे उन्होंने लता मंगेशकर की काफी मदद की। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, जिस से बाहर निकालने के लिए लता जी ने मंगलागौर, माझे बाल, जीवनयात्रा, गजभाऊ, बड़ी मां जैसे कुछ मराठी फिल्मों में अभिनय किया। इसे लता जी की आर्थिक स्थिति तो थोड़ी बेहतर हुई पर उनकी प्राथमिकता अभिनय नहीं थी।
संगीत उनकी हृदय के ज्यादा करीब था और वो एक संगीतकार बनना चाहती थी। हालांकि यहीं से लता मंगेशकर ने अपना करियर एक संगीतकार के रूप में शुरू कर दिया। 1942 में आई फिल्म मंगला गौर में लता मंगेशकर ने पहली बार अपनी आवाज दी।
लता मंगेशकर का फ़िल्मी करियर (Lata Mangeshkar Film Career)
लता मंगेशकर ने वैसे तो 36 भाषाओं में गाने गाए है लेकिन हिंदी और मराठी उनके दिल के सबसे करीब थी। इसीलिए काम पाने के लिए वह मुंबई चली गई। यहां पर उन्होंने अमर अली खान को अपना गुरु बनाया। यह भिंडीबाजार घराना के उस्ताद थे, यहीं पर लता जी ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल की। लता जी के करियर में एक और उपलब्धि तब जुड़ गई जब ‘बड़ी मां’ फिल्म में उनका गाना ‘माता तेरे चरणों’ में आया. 1946 में एक और फिल्म है जिसका नाम था ‘आपकी सेवा में’ में लता जी के द्वारा गाया गाना ‘पा लागूं कर जोरी’ काफी हिट हुआ और यहीं से अन्य संगीत निर्देशकों की नजर में लता जी की कला पहली बार सामने आएगी।
1949 लता मंगेशकर के कैरियर में एक बड़ा माइलस्टोन था। इसी वर्ष फिल्म ‘महल’ रिलीज हुई थी जिसमें मधुबाला अभिनय कर रही थी। खेम चंद्र प्रकाश जो कि एक संगीत निर्देशक थे, उन्होंने लता मंगेशकर जी से इस फिल्म का एक गाना गवाया था, जिसका नाम था ‘आएगा आने वाला’. आप भी एक बार इस गाने को जरुर सुनिएगा। यह गाना इतना बेहतर तरीके से गाया गया था कि आज भी यदि इसे सुना जाए तो बिल्कुल सजीव लगता है। यहीं से लता मंगेशकर ने भारतीय फिल्म संगीत जगत में अपनी मजबूत पहचान बना ली थी।
लता मंगेशकर के 1950 – 1970 की फेमस गाने (Lata Mangeshkar 1950 – 1970 hit Songs)
लता जी की प्रतिस्पर्धा नूरजहां और शमशाद बेगम जैसी गायिका से थी जो लता मंगेशकर के पहले से बॉलीवुड में गा रही थी, लेकिन लता जी ने अपनी गायकी की एक अलग पहचान बनाई, जिसका नतीजा यह हुआ कि 1950 के बाद बहुत कम ही ऐसी फिल्में आई हैं, जिसमें लता जी का कोई गाना नहीं था। इनका एकछत्र राज म्यूजिक इंडस्ट्री में था। बड़े से बड़े फिल्म कलाकार यह चाहते थे कि लता जी उनके फिल्म में गाना गाए, क्योंकि लता जी के गाने का मतलब है कि फिल्म हिट होने की संभावना बढ़ जाएगी।
लता मंगेशकर जी के द्वारा गाया हुआ गाना ‘ ऐ मेरे वतन के लोगों ‘ सीधे हमारी रूह को छूता है. इस गाने को सुनते ही हम देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो जाते हैं। ऐसा ही पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ हुआ जब उन्होंने लता मंगेशकर को लाइव यह गाना गाते हुए सुना। इसे सुनते ही वो इतने भावुक हो गए कि अपने आंसुओं को भी नहीं रोक सके। यह उदाहरण है लता मंगेशकर की गायकी और स्वर का जो सीधे हमारी भावनाओं को छूती है।
चाचा जिंदाबाद
आए दिन बहार के
मेरे हमदम मेरे दोस्त
रेलवे प्लेटफॉर्म
बीस साल बाद
दिल अपना और प्रीत पराई
बरसात राम लखन
मैंने प्यार किया
राम तेरी गंगा मैली
लता मंगेशकर के 10 की फेमस गाने ( Lata Mangeshkar hit Songs)
आएगा आएगा आएगा आने वाला
लग जा गले की फिर
ऐ मालिक तेरे बंदे हम
प्यार किया तो डरना क्या
ये मेरे वतन के लोगो
मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियाँ है
आप की नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे
तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं
ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया
हाय-हाय ये मजबूरी
ये मौसम और ये दूरी
लता मंगेशकर के 1990 की फेमस गाने ( Lata Mangeshkar 1990 hit Songs)
जो कारवाँ 1940 से शुरू हुआ था वह लगातार 1990 तक चलता रहा। लता जी इस समय अवधि में पूरी क्षमता के साथ संगीत की सेवा करती रही, लेकिन 90 के दशक के बाद संगीत में भी बहुत बदलाव आया, जो लता जी के स्तर से काफी नीचे था। लता जी एक विशुद्ध गायिका है और इस दशक के गानों में गायकी, राग, स्वर आदि पर इतना जोर नही रहता था, गीत की धुन और लिरिक्स भी पहले के जैसे नही लिखी जाती थी। लता जी हालांकि कहती थी कि यदि किसी अच्छे गाने के लिए किसी ने मुझे पेशकश की तो वो जरूर गायेगी।
दिल वाले दुलहनिया ले जायेंगे
दिल तो पागल है
हम आपके है कौन
लता मंगेशकर को मिले अवार्ड ( Lata Mangeshkar Singing Awards)
लता जी को इतने सम्मान पुरुस्कार मिले है कि उन्हें कई बार तो खुद मना करना पड़ा कि उनकी जगह किसी नए कलाकार को वह देना चाहिए। 1970 में ऐसा ही कुछ फिल्मफेयर के दौरान घटा था।
मुख्य पुरुस्कार
1969 में पद्म भूषण
1989 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
1999 में पद्म विभूषण
2001 में भारत रत्न
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरुस्कार
1972 – फिल्म परी के लिए
1974 – फ़िल्म कोरा कागज़ के लिए
1990 – फिल्म लेकिन के लिए
फिल्मफेयर पुरुस्कार
1993 में फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड.
1959 में आजा रे परदेसी के लिए
1963 में काहे दीप जले कही दिल के लिए
1966 में तुम मेरे मंदिर तुम मेरी पूजा के लिए
1970 में आप मुझसे अच्छे लगने लगे के लिए
1994 में दीदी तेरा देवर दीवाना
2004 में फ़िल्मफ़ेयर स्पेशल अवार्ड
इनके अलावा महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड्स भी लगातार कई वर्षों तक मिले है।
लता मंगेशकर का वैवाहिक जीवन (Lata Mangeshkar married life)
बचपन से ही पारिवारिक जिम्मेदारियों को उठाना कही न कही एक बड़ी वजह थी। लता जी को संगीत से भी काफी प्रेम है, यह भी वजह कही जा सकती है। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि संगीतकार सी. रामचंद्र ने लता के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था पर उन्होंने मना कर दिया। दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि लता जी इन्हें पसंद भी करती थी लेकिन संगीतकार सी. रामचंद्र पहले से शादीशुदा थे इसलिए लता जी ने मना किया था।
निष्कर्ष – लता मंगेशकर का जीवन (Lata Mangeshkar Biography in Hindi) हम सबके लिए एक प्रेरणा है की कैसे मुश्किल परिस्थितियों के बाद भी अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है। लता जी गीत इस दुनियां में सदियो तक गूंजते रहेंगे।
Q : लता मंगेशकर का असली नाम क्या है? Ans : हेमा मंगेशकर
Q : लता मंगेशकर की उम्र क्या है? Ans : 28 सितंबर 1929 (आयु 92 वर्ष)
Q : लता मंगेशकर का जन्मदिन कब है? Ans : 28 सितंबर को
Q : लता मंगेशकर का जन्म कब हुआ था? Ans : 28 सितंबर 1929 (आयु 92 वर्ष)
Q : लता मंगेशकर ने कितने गाने गाए? Ans : 30,000 से ज्यादा गाने गाए
Q : लता मंगेशकर की बहन का क्या नाम है? Ans : आशा भोसले
Q : क्या लता मंगेशकर जिंदा है? Ans : नहीं , लता मंगेशकर अभी जिंदा नही है।
Q : लता मंगेशकर का पहला गाना Ans : मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ का गाना कितना हसोगे
Q : लता मंगेशकर का सबसे आखिरी गाना कौन सा है? Ans : मराठी गाने ‘आता विसाव्याचे क्षण’
Q : लता मंगेशकर की मौत कब हुई ? Ans : लता मंगेशकर की मौत 06 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुई।
Q : लता मंगेशकर की मौत कैसे हुई ? Ans : लता मंगेशकर लम्बे समय से बीमार थी और बीमारी के चलते उनकी मौत हो गयी।
Q : लता मंगेशकर का निधन कब हुआ ? Ans : 06 फरवरी 2022 को
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प्रेरणादायक
अध्ययन कक्ष
महत्वपुर्ण प्रश्न
Biography :
Published By : Jivani.org : लता दिनानाथ मंगेशकर जन्म : 28 सितंबर, 1929 इन्दोर पिता : दिनानाथ मंगेशकर माता : शेवंती मंगेशकर
लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है।
आरंभिक जीवन :
लता मंगेशकर का जन्म मराठी बोलने वाले गोमंतक मराठा परिवार में, मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल गायक और थिएटर एक्टर थे। उनकी माता शेवंती (शुधामती) महाराष्ट्र के थालनेर से थी और वह दीनानाथ की दूसरी पत्नी थी। परिवार का उपनाम (सरनेम) हर्डीकर थे, लेकिन दीनानाथ ने इसे बदल्कार मंगेशकर रखा, ताकि उनका नाम उनके पारिवारिक गाँव मंगेशी, गोवा का प्रतिनिधित्व करे। जन्म के समय लता का नाम “हेमा” रखा गया था लेकिन बाद में उनका नाम बदलकर लता रखा गया था। लता अपने माता-पिता की पहली संतान है। इसके साथ ही मीना, आशा भोसले, उषा और हृदयनाथ उनके भाई-बहन है।
मंगेशकर ने अपना पहला पाठ अपने पिता से सिखा था। पाँच साल की उम्र में लता जी ने अपने पिता के म्यूजिकल नाटक के लिये एक्ट्रेस का काम करना शुरू किया था (संगीत नाटक) । स्कूल के पहले दिन से ही उन्होंने बच्चो को गाने सिखाने शुरू कर दिये थे। जब शिक्षको ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो वह बहुत गुस्सा हो गयी थी और उन्होंने स्कूल जाना ही छोड़ दिया था। सूत्रों के अनुसार ये भी पता चला है की लता अपने साथ स्कूल में आशा को लेकर आती थी और स्कूल वालो ने उन्हें साथ लाने से मना कर दिया था इसीलिए उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया था।
13 साल की उम्र में 1942 में एक मराठी फिल्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया| फिल्म रिलीज़ हुई लेकिन किसी कारणवश फिल्म से गाना हटा दिया गया, इस बात से लता जी बहुत आहात हुई| इस साल लता जी के पिता की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई| लता जी अपने घर में सब भाई बहनों में बड़ी थी, तो सारी ज़िम्मेदारी उनके कंधो पर आ गई| विनायक दामोदर एक फिल्म कंपनी के मालिक थे, जो दीनानाथ जी के अच्छे मित्र थे, उनके जाने के बाद उन्होंने लता जी के परिवार को संभाला|
1945 में लता जी मुंबई आ गई और अमानत अली खान से ट्रेनिंग लेने लगी| लता जी ने 1947 में हिंदी फिल्म ‘आप की सेवा में’ के लिए भी एक गाना गया, लेकिन किसी ने उनको नोटिस नहीं किया| उस समय गायिका नूर जहान, शमशाद बेगम, ज़ोह्राभई अम्बलेवाली का दबदबा था, बस यही गायिका पूर्ण रूप से सक्रीय थी, उनकी आवाज भारी व अलग थी, उनके सामने लता जी की आवाज काफी पतली और दबी हुई लगती थी| 1949 में लता जी ने लगातार 4 हिट फिल्मों में गाने गए और सबमे उनको नोटिस किया गया| बरसात, दुलारी, अंदाज व महल फ़िल्में हिट थी, इसमें से महल फिल्म का गाना ‘आएगा आनेवाला’ सुपर हिट हुआ और लता जी ने अपने पैर हिंदी सिनेमा में जमा लिए|
लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने ग़ैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन् 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला। इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौक़ा मिला। इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहाँ अप्रासंगिक न होगा। जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह 1949 में गाया गया “आएगा आने वाला”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी।
इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना। लता जी ने दो आँखें बारह हाथ, दो बीघा ज़मीन, मदर इंडिया, मुग़ल ए आज़म, आदि महान फ़िल्मों में गाने गाये है। आपने “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- 1961), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनो-1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-1961), “ये समां” (जब जब फूल खिले-1965) इत्यादि।
आपने गीत, गज़ल, भजन, संगीत के हर क्षेत्र में अपनी कला बिखेरी है। गीत चाहे शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर आधारित हो या फिर लोक धुन की खुशबू में रचा-बसा हो। हर गीत को लता जी अपनी आवाज़ के जादू से एक ऐसे जीवंत रूप में पेश करती हैं कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। लता जी ने युगल गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। मन्ना डे, मुहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार, महेंद्र कपूर आदि के साथ-साथ आपने दिग्गज शास्त्रीय गायकों पं भीमसेन जोशी, पं जसराज इत्यादि के साथ भी मनोहारी युगल-गीत गाए हैं। गज़ल के बादशाह जगजीत सिंह के साथ आपकी एलबम “सजदा” ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ।
देश-भक्ति गीत :
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। ऐसा था आपका भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी स्वर। आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है।
संगीत प्रशिक्षण :
1945 में लता जी मुम्बई आ गयी और उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से संगीत प्रशिक्षण लेना शूरू कर दिया | लता जी और उनकी बहन आशा ने 1945 में विनायक की पहली हिंदी फिल्म बड़ी माँ छोटा सा किरदार भी निभाया था | इस फिल्म में लता जी ने एक भजन “माता तेरे चरणों में ” भी गाया था | इसके बाद विनायक की दुसरी हिंदी फिल्म सुभद्रा के लिए उनका परिचय संगीत निर्देश वसंत देसाई से कराया गया | 1947 में विभाजन के बाद उस्ताद अमानत अली खान पाकिस्तान चले गये इसलिए वो रजब अली खा के भतीजे अमानत खा से शास्त्रीय संगीत सीखने लगी |
1948 में विनायक की मौत के बाद गुलाम हैदर उनके संगीत गुरु बने | गुलाम हैदर ने लता जी की मुलाक़ात शशधर मुखर्जी से कराई जो उन दिनों शहीद फिल्म पर काम कर रहे थे लेकिन मुखर्जी ने यह कहकर मना कर दिया कि उनकी आवाज पतली है | उनको क्या पता था कि आने वाले दौर में निर्माता निर्देशक उनको अपनी फिल्म में गाना गंवाने के लिए उनके पैर पड़ेंगे | हैदर ने लता जी को मजबूर फिल्म में मौका दिया जिसमे उन्होंने “दिल मेरा तोडा ,मुझे कही का न छोड़ा ” गाना गाया जो उनके जीवन का पहला हिट गाना बना | यही कारण है कि लता जी गुलाम हैदर साहब को ही अपना गॉडफादर मानती है जिन्होंने उनके टैलेंट को पहचाना और उन पर विश्वास दिखाय था |
लता के गाये यादगार गीतों में एन फिल्मों के नाम विशेष उल्लेखनीय है – अनारकली, मुगले आजम अमर प्रेम, गाइड, आशा, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्,आदी. नए फिल्मों में भी उनकी आवाज पहले की तरह न केवल सुरीली है, बल्किउसमे और भी निखार आ गया है, जैसे हिना, रामलखन, आदी में. एक समय उनके गीत ‘बरसात’, ‘नागिन’, एवं ‘पाकीजा’ जैसी फिल्मों में भी काफी चले बतौर फिल्म निर्माता – गायन के अलावा लता जी ने विविध अवसरों पर चार फिल्मों का निर्माण किया था।
सबसे पहले 1953 में मराठी फिल्म ‘वाडई‘ बनाई थी। इसी वर्ष उन्होंने संगीतकार सी. रामचंद्र के साथ मिलकर हिंदी फिल्म ‘झांझर‘ का निर्माण किया था। तत्पश्चात 1955 में हिंदी फिल्म ‘कंचन‘ बनाई। उपरोक्त तीनों औसत फिल्में थीं। 1990 में उनकी निर्मित फिल्म ‘लेकिन‘ हिट गई थी। लता जी ने पांच फिल्मों में संगीत निर्देशन दिया था। सभी फिल्में मराठी थीं और 1960 से 1969 के बीच बनी थीं। बतौर संगीत निर्देशक उनकी पहली फिल्म राम और पाव्हना (1960) थी। अन्य फिल्में मराठा टिटुका मेलेवा (1962), साहित्यांजी मंजुला (1963), साधु मानसे (1955) व तबाड़ी मार्ग (1969) थीं।
पुरस्कार :
1. फिल्म फेर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994) 2. राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990) 3. महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967) 4. 1969 - पद्म भूषण 5. 1974 - दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड 6. 1989 - दादा साहब फाल्के पुरस्कार 7. 1993 - फिल्म फेर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार 8. 1996 - स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार 9. 1997 - राजीव गान्धी पुरस्कार 10. 1999 - एन.टी.आर. पुरस्कार 11. 1999 - पद्म विभूषण 12. 1999 - ज़ी सिने का का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार 13. 2000 - आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार 14. 2001 - स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार 15. 2001 - भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत रत्न" 16. 2001 - नूरजहाँ पुरस्कार 17. 2001 - महाराष्ट्र भूषण ( 3 )
महिला ( 38 )
कलाकार ( 127 )
वैज्ञानिक ( 540 )
लेखक ( 312 )
प्रेरणादायक ( 51 )
राजा ( 37 )
राजनेता ( 161 )
व्यवसायी ( 53 )
रानी ( 18 )
मानवतावादि ( 34 )
प्रसिद्ध ( 80 )
अभिनेता ( 84 )
राज-वंश्य ( 7 )
अन्य ( 102 )
धार्मिक नेता ( 21 )
संगीतकार ( 13 )
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lata mangeshkar biography, लता मंगेशकर के जीवन परिचय शिक्षा एवं करियर के बारे में विस्तार.
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safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Fri, 08 Dec 2023 12:35 PM IST
लता मंगेशकर को अनेक प्रतिष्ठ नागरिक सम्मानों और संगीत पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। लता जी को मिले प्रमुख पुरस्कार एवं अलंकरणों की सूची इस प्रकार है। 1969 पद्म भूषण 1989 दादा साहब फाल्के पुरस्कार 1996 राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार 1999 पद्म विभूषण 2001 भारत रत्न
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Source: safalta
लता मंगेशकर का प्रारंभिक जीवन
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गायकी में करियर, लता मंगेशकर को सम्मानित की गई पुरस्कारों के नाम, गायक के अलावा संगीत निर्देशक में काम, फिल्म निर्माता भी थी लता मंगेशकर .
उनकी बनाई फिल्मों की सूची इस प्रकार है- 1953 बादल 1953 झांझर 1955 कंचन 1990 लेकिन इनमें बादल फिल्म मराठी में थी, शेष सभी फिल्में हिन्दी भाषा में हैं। लता मंगेशकर की बनाई ‘लेकिन’ फिल्म रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी पर आधारित है और इसे खूब पसंद किया गया।
अविवाहित रही लता मंगेशकर
लता जी के प्रसिद्ध गीत, लता मंगेशकर जी से जुड़े एफएक्यू .
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लता मंगेशकर पर निबंध | Essay On Lata Mangeshkar In Hindi
Essay On Lata Mangeshkar In Hindi | लता मंगेशकर पर निबंध: एक ऐसी गायिका जो स्वयं गीतों का पर्याय बन चुकी हैं, जिनके कंठ से तीस हजार गानें बीस अलग अलग भाषाओं में और 65 से अधिक वर्षों में संगीत करियर में अपना जो ओहदा बनाया हैं.
उससे हर कोई प्रेरित होता है. हम बात कर रहे है भारतरत्न लता मंगेशकर की. यहाँ आप बोलीवूड के टॉप सोंग्स की लिस्ट बनाना चाहे जिनमें माधुर्य, मिठास हो और संगीत दिल को भा जाए तो आपकों लताजी के इन सभी गानों को इस सूचि में शुमार करना पड़ेगा.
लता मंगेशकर की जीवनी (lata mangeshkar biography in hindi)
28 सितम्बर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में लताजी का जन्म एक मराठी परिवार में हुआ था. स्वर कोकिला लताजी के पिता श्री दीनानाथ मंगेशकर जी फिल्म जगत से जुड़े हुए व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने बेटी को मात्र पांच साल की आयु में ही संगीत का प्रशिक्षण देना आरम्भ कर दिया था.
लताजी जब सात वर्ष की हुई तभी इन्हें रंगमंच में स्टेज पेरफोम करना आरम्भ कर दिया, जिसके चलते वह अपनी स्कूली शिक्षा ठीक ढंग से पूर्ण नहीं कर पाई. इसके पश्चात इनका परिवार मुंबई आ गया.
मंगेशकर यही पर कार्यक्रमों में शिरकत करने लगी. स्टेज सिंगर के रूप में वह कार्यक्रमों के भाग लिया करती थी. वर्ष 1942 ई में दीनानाथ जी का निधन हो गया. उस समय लताजी मात्र 13 साल की थी.
पिताजी के देहांत के बाद परिवार की समस्त जिम्मेदारियों का बोझ इनके कंधे पर आ गया. काम की तलाश में इन्हें मराठी और हिंदी की आठ मूवी में बाल आर्टिस्ट के रूप में काम मिला जिसे उन्होंने बखूबी निभाया.
जब 1948 में इन्हें लगा कि यह उनके संगीत में बाधक बन सकता है तो उन्होंने फिल्मी अदाकारी छोड़कर बेकस्टेज सिंगर के रूप में अपना करियर शुरू किया.
लता मंगेशकर का करियर (mera priya gayak lata mangeshkar)
यह लता जी ने पार्श्वगायिका के रूप में अपनी जमीन खोजनी शुरू की तो समय तक फ़िल्मी गानों पर शास्त्रीय गायिकाओं नूरजहाँ, अमीरबाई, शमनाद बेगम और राजकुमारी जैसी हस्तियों के साथ सीधा मुकाबला था. उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ा.
उनका पहला गाना एक मराठी फिल्म के लिए था. जिसका नाम था कीति हसाल मगर यह गाना सेंसर बोर्ड द्वारा काट दिया गया था.
अब उन्हें अपने लिए और सफर तय करना था उनके पास नैसर्गिक सुरीली आवाज और अच्छा अभ्यास था. मगर उन्हें एक अवसर की तलाश थी जो जल्द ही उनके हाथ लगा.
1949 में लता मंगेशकर ने महल फिल्म के लिए आएगा आने वाला आएगा और इसके बाद अंदाज फिर बरसात के लिए गाने गये तो पूरा हिन्दुस्तान उनकी सुरीली आवाज का मोहित हो गया.
तथा देखते ही देखते लता जी की गिनती संगीत सम्राटों में की जाने लगी. तथा एक स्थापित पार्श्वगायिका के रूप में अपना स्थान हासिल कर लिया.
कहा जाता है कि उनके देशभक्ति गाने ऐ मेरे वतन के लोगो को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री की आँखे मर आई थी. ये लताजी का अब तक का सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला लोकप्रिय गाना हैं, हर मुहं दिल से इसकी प्रशंसा करता नजर आता हैं.
कई फिल्म नायिकाओं और अभिनेत्रियों के साथ लता जी ने काम किया. इन्होने चालीस के दशक में मधुबाला, मीना कुमारी वैजयन्ती तथा नब्बे के दशक में काजोल, माधुरी दीक्षित, करिश्मा कपूर जैसी अभिनेत्रियों को आवाज दी.
रफी, मुकेश कुमार तथा किशोर कुमार जैसे संगीत बादशाहों के साथ इन्होने सैकड़ों गाने गाए हैं. वर्ष 1974 में लता जी ने एक कलाकार द्वारा सबसे अधिक गाने गाने का विश्व कीर्तिमान रच गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में अपना नाम दर्ज कराया.
लता मंगेशकर को मिले पुरस्कार (Awards to Lata Mangeshkar)
पार्श्वगायिका के रूप में भारतीय व हिंदी संगीत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई सारे सम्मानों से नवाजा गया.
वर्ष 1958, 62, 65, 69, 93 और 1994 इन वर्षों का फिल्म फेयर अवार्ड लता मंगेशकर ने अपने नाम किया. इन्हें तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका हैं. भारत सरकार ने 1969 में इन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया.
इन्हें के नाम पर संगीत के क्षेत्र में मध्यप्रदेश राज्य में लता मंगेशकर अवार्ड की परम्परा शुरू हुई. यह भारतीय इतिहास की पहली शख्सियत है जिनके जीवित रहते हुए उनके नाम के अवार्ड कलाकारों को दिए जाते हैं. वर्ष 1989 में लता जी को दादा साहेब फाल्के सम्मान से नवाजा गया,
वर्ष 1993 में इन्हें फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट खिताब दिया गया. 1997 में राजीव गांधी पुरस्कार तथा 1999 में इंजे पद्म विभूषण से नवाजा गया.
वर्ष 2000 में लताजी को राज्यसभा सदस्या भी चुना गया तथा वर्ष 2001 में इन्हें भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारतरत्न दिया गया.
लता मंगेशकर का व्यक्तित्व व योगदान (Lata Mangeshkar’s Personality and Contribution)
इसमें कोई शक नही हैं कि लता मंगेशकर बॉलीवुड की सबसे जनप्रिय पार्श्वगायिका हैं. इन्हें सुरीली आवाज लोगों के दिलो में बसी हुई हैं. भगवान् ममता के इस साक्षात स्वरूप को लम्बी आयू दे तथा वे हमेशा हमारे साथ यूँ ही बनी रहे.
रेडियो के जमाने से आज तक लताजी आज तक गानों में छाई रही हैं. उनकी आवाज ने हर संगीत प्रेमी का मनोरंजन किया हैं. वे अपने जीवन के 89 वसंत देख चुकी हैं.
उम्रः के इस पड़ाव में भले ही वह एक गायिका के रूप में हमारे सामने नहीं आ पाती. मगर उनकी उपस्थिति भी दिल के सुकून दे जाती हैं. वे मास्टर दीनानाथ अस्पताल के जरिये जन जन की सेवा का कर्म कर रही हैं.
6 फरवरी 2022 के दिन स्वर के एक महायुग का अंत हो गया, जब लता मंगेशकर ने 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. लता जी की मृत्यु मल्टीपल ओर्गन फेलियर की वजह से मृत्यु हुई.
वे लम्बे समय से अस्पताल में जीवन मृत्यु की जंग लड़ रही थी. लता जी के देहावसान पर दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई तथा उनके सम्मान में आधा ध्वज भी झुकाया गया.
One comment
Hindi me purnviram Aisa nahi hota Balki ‘l’ aisa hota hai
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लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi
आज हम इस आर्टिकल में आपको लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi के बारे में बताएंगे।
लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi
Lata Mangeshkar भारत की सबसे अनमोल गायिका है।
पूरी दुनिया उनकी आवाज की दीवानी हैं पिछले 10 दशको से भारतीय सिनेमा को अपनी आवाज दे रही लता मंगेशकर बेहद शांत स्वभाव की और प्रतिभा की धनी है. Lata Mangeshkar Biography Hindi
भारत के क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर उन्हे अपनी मां मानते हैं.
आज पूरी संगीत की दुनिया उनके आगे नतमस्तक है।
लता जी ने लगभग 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए हैं।
लता जी हमेशा नंगे पावँ गाना गाती है।
लेकिन उनके पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्व गायक के रूप में रही है।
जन्म – लता मंगेशकर की जीवनी
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था।
इनका बचपन में नाम ‘हेमा’ था, लेकिन जब यह 5 वर्ष की थी तो इनके माता-पिता ने इनका नाम ‘लता’ रख दिया गया। इनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवंती मंगेशकर था।
इनका जन्म एक मराठा परिवार में हुआ था।
लता के पिता रंगमंच कलाकार और शास्त्रीय गायकार थे.
यह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।
लता मंगेशकर के भाई बहनों के नाम इस प्रकार है- ह्रदयनाथ मंगेशकर, उषा मंगेशकर ,मीना मंगेशकर आशा भोसले ।
इन सभी ने अपनी आजीविका चलाने के लिए गायन को ही चुना।
लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में हुआ था, लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई।
जब लता 7 साल की थी तब वह महाराष्ट्र आई।
लता मंगेशकर ने 5 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया।
1942 में दीनानाथ मंगेशकर की मृत्यु हो गई। इस दौरान लता केवल 13 वर्ष की थी। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और उनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) उनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनने में मदद की।
पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ति हसाल के लिए गाया। लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फिल्मों के लिए गए इसलिए गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था। अपने पिता की मृत्यु के बाद लता मंगेशकर को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय करना बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असमय मृत्यु के कारण पैसों की कमी के कारण उन्हें अभिनय करना पड़ा और उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर(1942) रही। जिसमें उन्होंने स्नेहाप्रभा प्रधान की छोटी बेटी के रूप में भूमिका निभाई। इसके बाद में उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया जिनमें से माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ(1944), बड़ी मां(1945), जीवन यात्रा(1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी(1952) शामिल थी लता मंगेशकर ने खुद की भूमिका के लिए गाने भी गाए और आशा के लिए पार्श्व गायन भी किया ।
1945 से 1949 तक – लता मंगेशकर की जीवनी
1945 में उस्ताद गुलाम हैदर अपनी आने वाली फिल्म के लिए लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गए जिसमें कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फिल्म के लिए पार्श्व गायन करें लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी।
1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में लता को गाना गाने का मौका दिया। इस फिल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने ‘मजबूर’ फिल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का ना छोड़ा तेरे प्यार” ने जैसे गानों से अपनी स्थिति सुदृढ़ की। लेकिन इसके बावजूद भी लता को उसका खास हिट कि अभी भी तलाश थी।
1949 में लता को एक बार फिर ऐसा मौका फिल्म ” महल” के “आएगा आने वाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था। यह फिल्म काफी सफल रही थी और लता तथा मधु बाला दोनों के लिए यह बहुत ही शुभ साबित हुई। इसके बाद में लता जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
फिल्म फेयर पुरस्कार 1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994 में
राष्ट्रीय पुरस्कार- 1972, 1975 और 1990 में
महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार 1966 और 1967 में
पदम भूषण 1969
1976 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकॉर्ड
दादा साहेब फालके अवॉर्ड 1989 में
फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 1993 में
1996 में स्क्रीन का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
1997 में राजीव गांधी पुरस्कार से नवाजा गया
1999 में एम. टी. आर. पुरस्कार, पदम विभूषण और जी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2000 में आई.आई.ए.एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2001 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया इसके साथ- साथ ही नूरजहां पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण, स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
निधन – लता मंगेशकर की जीवनी
लता मंगेशकर जी का निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ .
उन्होंने 6 फरवरी 2022 को लेजेंड्री सिंगर लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली.
इसे भी पढ़े – मनोज मुकुंद नरवणे की जीवनी – Manoj Mukund Naravane Biography Hindi
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Lata Mangeshkar Biography in Hindi | लता मंगेशकर का जीवन परिचय
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Lata Mangeshkar Biography in Hindi लता मंगेशकर की जीवनी
“नाम गुम जाएगा,चेहरा ये बदल जायेगा।
मेरी आवाज ही पहचान है,गर याद रहे।।”
भारत की स्वर-कोकिला,सुर-सम्राज्ञी,एक ऐसी आवाज,जो किसी पहचान की मोहताज नही। भारत-रत्न लता मंगेश्कर जी, जिन्हें हम सभी लता दीदी के नाम से भी जानते है। पिछले 6 दशकों से जिनकी मधुर आवाज के हम सभी कायल है।सुख हो या दुःख, चिंता हो या मनन, ख़ुशी के पल हो या गमनीन माहौल। हर मौके पर,उनके गीत गुनगुनाने का मन हो उठे। ऐसी ही शख्शियत है- Lata Mangeshkar उर्फ ‘लता दीदी’।
Lata Mangeshkar : An Introduction लता मंगेशकर : एक परिचय
लता (हेमा) दीनानाथ मंगेशकर
28 सितम्बर 1929, इंदौर मध्य प्रदेश
• भारत-कोकिला • स्वर-सम्राज्ञ • देश की आवाज • देश की बेटी • बॉलीवुड की नाइटेंगल • दीदी आदि।
मधुमती(1959), बीस साल बाद(1963), खानदान (1966), जीने की राह(1970), हम आपके है कौन(1995) के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका (1994) – दीदी तेरा देवर दीवाना (1995)
• पदम् भूषण(1969) • दादा साहेब फाल्के अवार्ड (1989) • भारत रत्न (2001) • Legion of Honour (2007)
6 फरवरी 2022 (रविवार)
ब्रिज कैंडी अस्पताल, मुंबई
कई अंगों का कार्य न करना, कोविड के कारण
₹368 करोड़ (लगभग) 2023 के अनुसार
लता मंगेशकर का बचपन Lata Mangeshkar Early Life
लता दीदी का जन्म 28 सितम्बर 1929 को,मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में,एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई थी।लता जी,अपनी तीन बहनों(मीना,आशा,उषा) व एक भाई(ह्र्दयनाथ) में सबसे बड़ी है। उनके बचपन का नाम हेमा रखा गया,जिसे बाद में बदलकर लता किया गया।
उनके पिता स्व० प० दीनानाथ मंगेशकर,रंगमंच के जानेमाने कलाकार व शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक थे।मात्र तरह वर्ष की आयु में ही,उनके पिताजी का देहांत(1942) में हो गया।इसके बाद,घर मे बड़ी होने के कारण,सारी जिम्मेदारी उन पर आ गईं।
लता मंगेशकर : बचपन की यादगार घटनाए Lata Mangeshkar Life History in Hindi
बचपन में लता मंगेशकर को संगीत नहीं सिखाया जा रहा था। उनके बाबा दीनानाथ मंगेशकर जी के बहुत सारे शिष्य थे। एक बार हुआ कुछ ऐसा। उनका एक शिष्य गलत गाना गा रहा था। अपने बाबा की गैर हाजरी में, नन्ही लता ने उस बच्चे को ठीक करना शुरू कर दिया।उसे बताया कि यह राग ऐसे नहीं, ऐसे गाया जाता है।
वह इस बात से बेखबर थी। उनके बाबा उनके पीछे खड़े थे। दीनानाथ मंगेशकर ने उनकी आइ से कहा। मैं तो बाहर के बच्चों को सिखा रहा हूं। जबकि घर में ही एक गवैया मौजूद है। बस उस दिन से लता जी की संगीत की शिक्षा घर मे शुरू हो गई।
बहुत छोटी उम्र में ही, लता अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर के साथ स्टेज पर perform करती थी। एक बार कुछ ऐसा हुआ। एक नाटक चल रहा था। जिसमें नारद का किरदार निभाने वाला कलाकार नहीं आया। उनके पिता बहुत परेशान थे। नन्ही-सी लता ने अपने बाबा से कहा। कोई बात नहीं, अगर वह नहीं आया। अगर आप कहें। तो मैं उसका रोल निभा देती हूं।
उनके पिता को थोड़ा सा अजीब लगा। उन्होंने कहा कि तुम इतनी छोटी सी हो। मेरे साथ स्टेज पर गाना गाओगी,अजीब सा लगेगा। लता ने कहा बाबा देखना। मैं once more लेकर आऊंगी। एक अवसर तो दे। फिर कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं। इस तरह लता जी ने अपने बाबा के साथ stage पर perform किया।फिर निश्चित रूप से once more भी आया। इसी प्रकार जाने : Tragedy King – Dilip Kumar Biography । यूसुफ खान से दिलीप कुमार तक का सफर।
दीनानाथ मंगेशकर की भविष्यवाणी
बचपन में ही दीनानाथ मंगेशकर, जो ज्योतिष के एक बड़े ज्ञाता थे। उन्होंने लता जी से कहा। देख बेटी, तू आगे चलकर इतनी सफल होगी। जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन उस सफलता को देखने के लिए, मैं नहीं रहूंगा। तेरी शादी भी नहीं होगी। परिवार की सारी जिम्मेदारी तुझ पर ही रहेगी। नन्ही सी लता, उस वक्त समझ नहीं पाई। कि उनके बाबा बहुत जल्द जाने वाले हैं। ठीक वैसा ही हुआ।
दीनानाथ मंगेशकर का स्वर्गवास हो गया। फिर सारी जिम्मेदारी लता जी के कंधों पर आ गई। उन्होंने stage के साथ-साथ, फिल्मों में भी छोटे-मोटे किरदार निभाने शुरू किये। लता जी ने संगीत का पहली शिक्षा, अपने पिताजी से ली थी।वे उनके साथ संगीत नाट्य प्रस्तुति में भाग लेती रहती थी।उनके पिता नही चाहते थे कि वो फिल्मों के लिये गाना गाए। उन्हें अभिनय पसन्द नही था,लेकिन पिता की मृत्यु के बाद,पैसो की दिक्कत की वजह से काफी संघर्ष करना पड़ा।
तब उन्होंने कुछ हिंदी व मराठी फिल्मों में अभिनय भी किया, जिनमे पाहिलीमंगलागोर (1942), माझेबाल (1943),गजभाऊ(1944),बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946) व छत्रपति शिवाजी (1952) प्रमुख थी। लताजी ने 1948 में पार्श्वगायिकी में कदम रखा, उस समय नूरजहाँ, शमशाद बेगम व राजकुमारी जैसी गायिकाओं का दौर था।ऐसे में अपने कदम जमाना मुश्किल था।
Lata Mangeshkar – Identified as Playback Singer
मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में, इनकी आवाज को सुनकर कहा गया था। इनकी आवाज बहुत पतली है। यह पार्श्वगायिका के लिए नहीं है। इनके गुरु और God father गुलाम हैदर ने यह बात साबित करने का बीड़ा उठा लिया। लता जैसी आवाज और किसी के पास नहीं है। मास्टर गुलाम हैदर जी ने, इनके जीवन मे एक बड़ी भूमिका निभाई। इनको न ही बड़े break दिलाए। बल्कि यह विश्वास भी रखा कि एक दिन सिर्फ इसकी ही आवाज ही गूंजेगी। बाकी सारी आवाजें, इसके सामने फीकी रहेगी। इसके बाद ठीक वैसा ही हुआ।
लता जी ने 1947 में वसंत जोगलेकर की फ़िल्म ” आपकी सेवा में” से अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने अपनी गायिकी की एक अलग शैली विकसित की।उन्होंने तभी भिंड़ीबाजार घराने के उस्ताद अमानत अली खान से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की।बड़ी मां फ़िल्म में गाए, भजन से सभी का ध्यान उनकी ओर गया।उस्ताद गुलाम हैदर(संगीतकार) ने,उनकी बहुत से निर्माता-निर्देशकों से मुलाकात कराई।लेकिन काफी समय उन्हें उस सफलता से दूर रहना पड़ा,जिसकी वह हकदार थी।
फिर गुलाम हैदर साहब ने 1948 में फ़िल्म ‘मजबूर’ का गीत ‘दिल मेरा तोड़ा’ गवाया।जो उनके जीवन का पहला हिट गीत साबित हुआ। गुलाम हैदर को, लता जी का गॉडफादर माना जा सकता है।मधुबाला अभिनीत फिल्म ‘महल’ (1949) का गीत ‘आएगा आने वाला’ ने धूम मचा दी। फिर लता जी ने पीछे मुड़कर नही देखा। यह गीत लता दीदी के बेहतरीन गीतों में से एक है।जिसे आज भी लोगों की जुबान पर महसूस किया जा सकता है। इसी प्रकार जाने : Jubin Nautiyal Biography in Hindi । Rejection से Success तक का सफर।
Lata Mangeshkar की अपनी शर्त
लता मंगेशकर पहली ऐसी गायिका थी। जिन्होंने producer से गाने की royalty की मांग की।उनका मानना था कि Recording के पेमेंट के बाद भी, जब तक वह record बिक रहा है। उसकी कमाई का छोटा-सा हिस्सा, गायक को भी आना चाहिए। फिर इन्हें royalty भी मिली। जबकि हर producer इसके खिलाफ थे।
राज कपूर साहब ने तो यहां तक कहा था। लता, मैं तुम्हें royalty नहीं दे सकता। मैं यहां पर business करने आया हूं। तब लता जी ने जवाब दिया था। राज साहब, अगर आप बिजनेस करने आए हैं। तो मैं भी film industry में रानी बाग घूमने नहीं आई। फिर लता जी ने अपनी बात मनवा ली।
Lata Ji को जान से मारने की कोशिश
साठ के दशक में, जब लता मंगेशकर अपना एक अलग मुकाम हासिल कर चुकी थी। तभी उनकी तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई थी।उन्हें मौत के मुंह से बाहर निकाला गया था। तब डॉक्टर ने बोला था। आपको कोई धीमा जहर दे रहा था। वह डॉक्टर सही था। उनका रसोईया हर रोज, उन्हें जहर दिया करता था। जिसमें लता जी की जान भी जा सकती थी। लेकिन इनके बीमार पड़ते ही, रसोईया भाग गया। तब इस बात का खुलासा हुआ।
लता मंगेशकर के गाने
यूँ तो लता दीदी,आवाज की दुनिया की एक ऐसी शख्शियत है। जिनका कोई युग हो ही नही सकता।वह सदाबहार थी और हमेशा रहेगी। उन्होंने सदाबहार गीत हम सभी को दिये।उनका सम्पूर्ण जीवन गीत-संगीत को समर्पित है।उन्होंने 20 अलग-अलग भाषाओं में, 30,000 से भी अधिक गीतों को, अपनी आवाज़ से नवाजा।
उनकी आवाज़ में वो खलिश है कि कभी बचपन की यादें, तो कभी आँखों मे आँसू, तो कहीं सीमा पर खड़े जवानों में नया जोश भरने के लिए काफी है। लता जी का फिल्मों में पार्श्व गायिका के रूप में कभी न भुलाया जाने वाला योगदान है।
पचास का दशक- लता जी ने इस दशक के महान संगीतकारों के साथ बहुत से सुपरहिट गाने गाए।जिनमें अनिल विश्वास, एस डी बर्मन,शंकर जय किशन, मदन मोहन, नौशाद अली प्रमुख थे।
लता जी ने नौशाद साहब के लिए फ़िल्म बैजू बावरा(1952), कोहिनूर औऱ मुगल-ए-आजम(1960) में बेहतरीन गाने गाए। दादा एस डी बर्मन के लिए फ़िल्म साजा(1951), देवदास औऱ हाउस न० ४२०(1955) के लिये गाया, लता जी दादा की सबसे पसंदीदा गायिका थी।शंकर जयकिशन के लिए फ़िल्म आह(1953), श्री 420(1955) और चोरी-चोरी(1956) के लिए बेहतरीन नग़मे दिए।
साठ का दशक- साठ के दशक में भी लता जी छाई रही, इस दशक के कुछ बेहतरीन सदाबहार गीत यूँ थे। न जाने तुम कहाँ थे(1961),क्या हुआ मैने अगर इश्क का इज़हार किया(1963), सुनो सजना पपीहे ने, रहा गर्दिशों में हरदम, कभी तेरा दामन न छोड़ेंगे हम(1966), महबूब मेरे महबूब मेरे(1967),फलसफा प्यार का तुम क्या जानो(1968), हमने देखी है इन आँखों की, वो शाम कुछ अजीब थी, आया सावन झुमके(1969) ।
1961 के दौर में उन्होंने अल्लाह तेरो नाम,ईश्वर तेरो नाम और प्रभु तेरा नाम जैसे गीत दिए।किशोर दा के साथ- होठों पे ऐसी बात,गाता रहे मेरा दिल,आज फिर जीने की तम्मना है, जैसे गीत गाये।
सत्तर व अस्सी के दशक- इस दशक में लता जी के कुछ चुनिंदा गीतों की एक झलक- सारे रिश्ते नाते तोड़ के आ गई(जानी दुश्मन), गुम है किसी के प्यार में(रामपुर का लक्ष्मण), वादा करो नही छोड़ोगे तुम(आ गले लग जा), वादा करले साजना( हाथ की सफाई), नही नही अभी नही(जवानी दीवानी), तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा(आँधी), मै झट यमला पगला दीवाना(प्रतिज्ञा),चला भी आ आजा रसिया(मन की आंखे),जाते हो जाने जाना(परवरिश),किसी पे दिल अगर आ जाये तो क्या होता है(रफूचक्कर),सुनो कहो कहा न (आपकी कसम)।
आज फिर तुमपे प्यार आया है(दयावान),तुमसे मिलकर न जाने क्यों(प्यार झुकता नही),मेरे प्यार की उमर हो इतनी सनम(वारिश),प्यार करने वाले(हीरो),जब हम जवां होंगे(बेताब),प्यार किया नही जाता(वो सात दिन) । लता जी ने 70’s व 80’s में बहुत से संगीतकारों के साथ काम किया जिनमें लक्ष्मीकांत प्यारेलाल,मदन मोहन,सलिल चौधरी व हेमन्त कुमार मुख्य थे।
नब्बे से अबतक का सफर- नब्बे के दशक से अब तक, लता जी ने उस दौर के बहुत से संगीतकारों के साथ काम किया,जिनमे जतिन ललित,नदीम श्रवण, आनन्द मिलन्द,अनु मलिक,आदेश श्रीवास्तव, ए आर रहमान प्रमुख थे।इसके साथ ही उन्होंने बहुत से सह गायकों के साथ भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उनमे से जगजीत सिंह, एस पी सुब्रमण्यम, उदित नारायण ,कुमार सानू, अभिजीत भट्टाचार्य,गुरुदास मान, सोनू निगम आदि प्रमुख है। इसी प्रकार जाने : South Super Star Mahesh Babu Biography in Hindi । रील से रियल तक का सफर।
किस गीत पर रो पड़े प० जवाहर लाल नेहरू
यह बात उस समय की है,जब 1962 के युद्ध मे चीन ने भारत को बुरी तरह पराजित कर दिया था। देश का मनोबल नीचा था, ऐसे में दरकार थी, एक ऐसे जज्बे की,जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक,कच्छ के रण से अरुणाचल प्रदेश तक,देश को एक कर सके। आसमान में तिरंगे को लहराते देखकर,गर्व महसूस करा जा सके। ऐसे में ही राष्ट्र कवि प्रदीप ये शब्द-ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा याद आँख में भर लो पानी।जो शहीद हुए है ,उनकी जरा याद करो कुर्बानी। इन शब्दों को आवाज दी थी,लता जी ने। जो सदा सदा के लिए अमर हो गए।
इस गाने को पहली बार दिल्ली के लाल किले से हजारों लोगों के साथ,जब प्रधानमंत्री प० नेहरू ने सुना तो उनकी आँखें बरबस छलक उठी। तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ रो पड़ा पूरा वतन।लता जी की ज़ुबान से निकला ये देशभक्ति का गाना ही नही, बल्कि हिंदुस्तान का दर्द था।
यह बात भी मशहूर रही है। लता मंगेशकर इकलौती ऐसी गायिका है। जो गाने के लब्ज़ को सुनकर ही, गाने को record करती हैं। यदि कोई भी आपत्तिजनक शब्द हुआ। तो लता दी उस गाने को रिकॉर्ड करने से मना कर देती हैं। गजलें रही हो या रोमांटिक गाने। दर्द भरा गीत रहा हो या फिर सपनो भरा। हर जज़्बात को लता जी की आवाज मिली है। ऐसी आवाज सदियों में एक बार ही जन्म लेती है।हम सभी को उन पर गर्व के साथ, अभिमान है।
Lata Mangeshkar Awards लता मंगेशकर पुरस्कार
परिचय(1972),कोरा कागज(1974) लेकिन(1990)सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका मधुमती(1959),बीस सालबाद(1963)खानदान (1966), जीने की राह(1970)हम आपके है कौन(1995) के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका (1994) – दीदी तेरा देवर दीवाना (1995)
पदम् भूषण(1969) दादा साहेब फाल्के अवार्ड (1989) भारत रत्न (2001) Legion of Honour (2007)
लता मंगेशकर का निधन कब हुआ Lata Mangeshkar Death
लता मंगेशकर जी को, उनकी तबीयत खराब होने के कारण 5 फरवरी बसंत पंचमी को मुंबई के ‘ब्रीच कैंडी अस्पताल’ में भर्ती किया गया। जहां उनकी हालत काफी नाजुक बनी हुई थी। वह काफी लंबे समय से करोना संक्रमित थी। इसके पहले भी 8 जनवरी को उन्हें भर्ती कराया गया था।
आज 6 फरवरी 2022 को उनका निधन मुम्बई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में हो गया। जो पूरे भारतवर्ष के लिए, एक अपार क्षति के समान है। जिसकी भरपाई, किसी भी रुप में संभव नहीं है। सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेश्कर जी 92 वर्ष की थी।
उ० 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर निधन मुम्बई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में हो गया।
उ० लता मंगेशकर जी ने शादी नहीं की थी।
उ० गुलाम हैदर साहब ने 1948 में फ़िल्म ‘मजबूर’ का गीत ‘ दिल मेरा तोड़ा ‘ गवाया। जो उनके जीवन का पहला हिट गीत साबित हुआ।
उ० लता मंगेशकर जी ने कभी शादी नहीं की ।
उ० 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर निधन हो गया था।
उ० लता मंगेशकर जी ने 2006 में फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में ‘ लुका छिपी ‘ गाना गाया था। यह उनके जीवन का आखरी गाना था
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3 thoughts on “lata mangeshkar biography in hindi | लता मंगेशकर का जीवन परिचय”.
Swar Kokila Lata ji ko Sadar Shradhanjali
Very beautiful and inspiring biography.
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Lata Mangeshkar Biography in Hindi | लता मंगेशकर जीवन परिचय
वास्तविक नाम
लता मंगेशकर
उपनाम
बॉलीवुड की नाइटिंगेल
व्यवसाय
भारतीय पार्श्व गायिका
लम्बाई (लगभग)
से० मी०- मी०- फीट इन्च-
वजन/भार (लगभग)
आँखों का रंग
काला
बालों का रंग
सफेद और काला
जन्मतिथि
28 सितंबर 1929
जन्मस्थान
इंदौर राज्य, मध्य भारत, ब्रिटिश भारत
मृत्यु तिथि
6 फरवरी 2022 (रविवार)
मृत्यु स्थान
ब्रीच कैंडी अस्पताल, मुंबई
श्मशान स्थल
शिवाजी पार्क, मुंबई
आयु (मृत्यु के समय)
मृत्यु के कारण
कोविड-19 जटिलताएं और कई अंग विफलता के कारण
राशि
तुला
राष्ट्रीयता
भारतीय
गृहनगर
मुंबई, भारत
स्कूल/विद्यालय
Attended a Catholic School in Orbassano, a town near Turin, Italy
महाविद्यालय/विश्वविद्यालय
Bell Educational Trust's language school, Cambridge City, England
शैक्षिक योग्यता
ज्ञात नहीं
डेब्यू
- 'माता, एक सपूत की दुनिया बदल दे तू' ('गजाभाऊ मराठी, 1943)
संगीत शिक्षक
दीनानाथ मंगेशकर (पिता) उस्ताद अमानत अली खान अमानत खान देवस्वाले गुलाम हैदर पंडित तुलसीदास शर्मा
पुरस्कार
• वर्ष 1972 में, फ़िल्म परिचय के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका • वर्ष 1974 में, फ़िल्म कोरा कागाज़ के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका • वर्ष 1990 में, फ़िल्म लेकिन के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका
• वर्ष 1959 में, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका गीत "आजा रे परदेसी" (मधुमती) के लिए • वर्ष 1963 में, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका गीत "कहीं दीप जले कहीं दिल" (बीस साल बाद) के लिए • वर्ष 1966 में, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका गीत "तुम्हीं मेरे मंदिर, तुम्हीं मेरी पूजा" (ख़ानदान) के लिए • वर्ष 1970 में, सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका गीत "आप मुझे अच्छे लगने लगे" (जीने की राह) के लिए • वर्ष 1994 में, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड • वर्ष 1995 में, फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार गीत "दीदी तेरा देवर दिवाना" (हम आपके हैं कौन) के लिए
• वर्ष 1966 में, सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका फिल्म "साधी माणसं" के लिए • वर्ष 1977 में, सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका फिल्म "जैत रे जैत" के लिए • वर्ष 1997 में, महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित • वर्ष 2001 में, महाराष्ट्र रत्न (प्रथम प्राप्तकर्ता) से सम्मानित
• वर्ष 1969 में, पद्म भूषण से सम्मानित • वर्ष 1989 में, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित • वर्ष 1999 में, पद्म विभूषण से सम्मानित • वर्ष 2001 में, भारत रत्न से सम्मानित • वर्ष 2008 में, भारत की आजादी के 60 वीं वर्षगांठ स्मृति के दौरान "लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड" से सम्मानित किया गया। - इनके अलावा, उनके पास कई अन्य पुरस्कार, सम्मान, उपलब्धियां भी है।
परिवार
-
-
- - , ,
धर्म
हिन्दू
जातीयता
महाराष्ट्रीयन
शौक/अभिरुचि
क्रिकेट देखना, साइकिल चलाना
विवाद
• एक समय में, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के बीच रॉयल्टी के मुद्दे पर मतभेद हो गए, क्योंकि लता संगीत एलबम में हिस्सा लेना चाहती थीं, जबकि रफी वेतन के लिए गीत गाते थे। • एक बार लता मंगेशकर और एस. डी. बर्मन के बीच मतभेद उत्पन्न हुए, और उन्होंने 7 वर्ष तक एक-दूसरे के साथ काम करने से इनकार कर दिया।
पसंदीदा भोजन
मसालेदार भोजन
पसंदीदा पेय-पदार्थ
कोका-कोला
पसंदीदा राजनीतिज्ञ
पसंदीदा अभिनेता
, , देव आनंद
पसंदीदा अभिनेत्री
नरगिस, मीना कुमारी
पसंदीदा संगीत निर्देशक
गुलाम हैदर, मदन मोहन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, ए आर रहमान
पसंदीदा फिल्में
किस्मत (1943), जेम्स बॉण्ड की फिल्में
पसंदीदा खेल
क्रिकेट
पसंदीदा क्रिकेटर
पसंदीदा स्थान
लॉस एंजेलिस
वैवाहिक स्थिति
अविवाहित
बॉयफ्रैंड्स एवं अन्य मामले
भुपेन हजारिका (गीतकार)
पति
लागू नहीं
बच्चे
कोई नहीं
कार संग्रह
मर्सिडीज बेंज
संपत्ति (लगभग)
60 करोड़ भारतीय रुपए (2016 के अनुसार)
लता मंगेशकर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ
क्या लता मंगेशकर धूम्रपान करती हैं ? नहीं
क्या लता मंगेशकर शराब पीती हैं ? नहीं
उनका जन्म इंदौर के एक मराठी भाषा बोलने वाले परिवार- दीनानाथ मंगेशकर और शेवंती (सुभामिता) के घर में हुआ, जो कि मध्य भारत (अब मध्य प्रदेश) का हिस्सा था।
उनके पिता एक रंग मंच अभिनेता और शास्त्रीय गायक थे।
उनकी मां, शेवंती मंगेशकर दीनानाथ की दूसरी पत्नी थीं।
उनके पिता दीनानाथ ने अपना उपनाम हार्दिकर से बदल कर मंगेशकर रख लिया, क्योंकि वह अपने मूल निवास, जो कि गोवा में स्थिति एक छोटा सा क़स्बा मंगेशी था, को अपने परिवार के नाम के साथ जोडना चाहते थे।
जब लता पैदा हुई तो उनका नाम हेमा रखा गया था, जिसे उनके माता-पिता ने बाद में बदल कर लता रख दिया, क्योंकि उनके पिता द्वारा नाटक “भावबन्धन” में एक महिला चरित्र का नाम लतिका था।
वर्ष 1938 में, उनका पहला लोक नाटक नुतन थियेटर, सोलापुर में था, जहां उन्होंने राग खंबावती और 2 मराठी गाने गाए।
5 वर्ष की उम्र में ही लता ने अपने पिता द्वारा निर्देशित मराठी नाटकों में एक अभिनेत्री के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया था।
वह केवल एक ही दिन के लिए स्कूल गई थी। ऐसा कहा जाता है कि स्कूल के पहले ही दिन अपनी छोटी बहन आशा को अपने साथ स्कूल ले गई थीं, और स्कूल के अन्य छात्राओं को संगीत सीखने लग गई। जब अध्यापकों ने लता को अपनी छोटी बहन को स्कूल लाने और छात्राओं को संगीत सीखने के लिए माना किया तो लता इतनी क्रोधित हुई की उन्होंने तत्काल स्कूल छोड़ दिया और फिर वापस स्कूल कभी नहीं गई।
जब वह 13 साल की थी, तब 1942 में उनके पिता की हृदय रोग के कारण मृत्यु हो गई थीं, और उनके पिता की मृत्यु के बाद, मंगेशकर परिवार के सबसे करीबी दोस्त- मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने उनके परिवार की देखभाल की और उनकी मदद एक अभिनेत्री और गायक बनने के रूप में की।
वर्ष 1942 में, उन्होंने अपना पहला गीत “नाचू या गडे,खेळू साड़ी मणि हाउस भारी” मराठी फिल्म “किती हसाल” के लिए गाया, हालांकि, बाद में इस गाने को अंतिम कट से हटा दिया गया था।
वर्ष 1942 में, उन्होंने अपना पहला प्रदर्शित गीत ‘नताली चैत्राची नवालाई’ एक मराठी फिल्म ‘पहिली मंगलागौर’ में गाया था।
वर्ष 1943 में, उन्होंने पहला हिंदी गीत- ‘माता, एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ मराठी फिल्म “गजाभाऊ” के लिए गाया था।
वर्ष 1945 में, लता मुंबई स्थानांतरित हो गईं।
उन्होंने मास्टर विनायक की पहली हिंदी फिल्म “बडी माँ” (1945) में अपनी छोटी बहन आशा के साथ एक छोटी सी भूमिका निभाई।
जब गुलाम हैदर (संगीत निर्देशक) ने लता को फिल्म शहीद (1948) के निर्माता सशधर मुखर्जी से मिलाया तो मुखर्जी ने लता की आवाज़ को ‘बहुत पतली’ बताते हुऐ उन्हें खारिज कर दिया। इसके बाद गुलाम हैदर ने कहा कि आने वाले वर्षो में फिल्म के निर्माता और निर्देशक लता का पैर पकड़ कर भीख मांगे गए की वह उनकी फिल्मों में गीत गाए।
लता का पहला सफल गीत “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने (मजबूर, 1948 ) था।
ऐसा कहा जाता है कि शुरू में उन्होंने प्रख्यात गायिका नूरजहां को कॉपी किया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी स्वयं की गायन शैली को विकसित किया।
उर्दू / हिंदी गीत गाते हुए मराठी उच्चारण करने पर दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर के ऊपर एक नकारत्मक टिप्पणी कि थी। इसके बाद लता ने उर्दू का सटीक उच्चारण सीखने की ठान ली और शफी नामक एक उर्दू अध्यपक से उर्दू में उच्चारण करना सीखने लगी।
गीत “आएगा आनेवाला” (महल, 1949) से वह काफी लोकप्रिय हो गईं, और ऐसा मानते है कि इस गीत को जिस ख़ूबसूरती से लता मंगेशकर ने गाया है, ऐसा कोई अन्य गायक नहीं गा सकता है।
वर्ष 1956 में, उनका एक गीत “रसिक बलमा” (चोरी चोरी) ने सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। फिल्मफेयर अवॉर्ड 1958 में शुरू किए गए थे और पार्श्व गायकों का कोई भी वर्ग इसमे शामिल नहीं था, इसलिए उन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिला, और उनके विरोध के बाद, इस श्रेणी को 1958 में शामिल किया गया था।
लता को सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए पहला फिल्मफेयर पुरस्कार गीत “आजा रे परदेसी” (मधुमत, 1958) के लिए मिला। उन्होंने 1958 से 1966 तक सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कारों पर एकाधिकार किया। अपनी उदारता का परिचय देते हुए, वर्ष 1969 में लता ने फिल्मफेयर पुरस्कार लेने से मना कर दिया ताकि नए लोगो की प्रतिभाओं को बढ़ावा मिल सके।
उन्होंने फिल्म “परिचय” (1972) में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए पहला नेशनल फिल्म अवार्ड जीता।
वह फिल्म “लेकिन…” (1990) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड की सबसे पुरनी विजेता (oldest winner) (61 उम्र) का भी रिकॉर्ड रखती है।
वर्ष 1962 की, शुरुआत में उन्हें हल्का जहर दे दिया था, और उसके बाद, वह लगभग 3 महीने के लिए बिस्तर पर रहीं।
27 जनवरी 1963 को, लता ने चीन-भारत युद्ध के पृष्ठपट से एक देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाया। यह गीत सुनने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू (भारत के पूर्व प्रधान मंत्री) की आँखों में आँसू आ गए थे।
लता ने संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए अधिकतम संख्या में गाने (712) गाए हैं।
उन्होंने चार फिल्मों का निर्माण भी किया, जैसे कि- वादाई (मराठी 1953), झिंझर (हिंदी, 1953), कंचन (हिंदी, 1955), लेकिन (हिंदी,1990) ।
मध्यप्रदेश सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने क्रमशः 1984 और 1992 में लता मंगेशकर पुरस्कार की स्थापना की।
उन्हें मेकअप करना पसंद नहीं है।
एक साक्षात्कार के दौरान लता मंगेशकर ने बताया कि मशहूर गायक के एल सैगल से मिलना और दिलीप कुमार के लिए गीत गाना उनकी अतृप्त इच्छाओं में से एक है।
उन्होंने 14 विभिन्न भाषाओं में 50000 से अधिक गाने गाए हैं।
यहां संगीत की देवी की एक झलक है:
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Lata-Voice of the golden era
Lata Mangeshkar: A Brief Biography
After Dinanath’s untimely death in 1942, a 13 year-old Lata entered the film industry as her family’s sole bread-winner. In the early part of her career, she did bit roles in some Marathi and Hindi films. She recorded her first song ‘Naachu Yaa Gade Kheloo Saaree’ for a Marathi film Kiti Hasaal (1942). In Aap Ki Seva Mein (1947), she made her playback singing debut for Hindi films with the song ‘Paa Laagoo Kar Joree Re’. Even though she has sung approximately 6,500 songs in many different languages, her maximum output and best work is in Hindi, Marathi and Bengali.
As a singer, her main body of work comprises of film songs. The simplicity and easy accessibility of this musical form coupled with Lata’s matchless virtuosity and versatility have made her a national cultural icon who has stood the test of time. It is the class, creativity, critical acclaim and cultural impact, not to mention the consistent commercial success of her musical output that has set her apart from her contemporaries and has given her the status of ‘Melody Queen of India’.
Most of the stalwarts of Indian classical music have praised her role in popularizing their genre among the masses through her semi-classical film songs. The legendary classical singer Ustad Bade Ghulam Ali Khan had once affectionately called Lata ‘Ustaadon ki Ustaad’ (Master of Masters). Commercially speaking, various film soundtracks and non-film albums dominated by her songs have topped the charts for more than six decades and they have sold in the millions. From the time she first made her mark with the haunting rendition of ‘Aayegaa Aanewaalaa’ in the 1949 film Mahal, her songs have occupied pride of place in the music of almost all the top composers of Hindi film music. These songs have been associated with many important milestones in Indian cinema: Barsaat, Anarkali, Nagin, Mother India, Madhumati and Mughal-E-Azam being prime examples of the early ‘Golden era’ of the 1950s and 60s; Pakeezah, Bobby, Ek Duuje Ke Liye, Ram Teri Ganga Maili, Maine Pyar Kiya, Hum Aapke Hain Kaun, Dilwale Dulhaniya Le Jaayenge, Dil To Paagal Hai of the 70s, 80s and 90s, right up to post-millennium era blockbusters such as Lagaan and Veer Zaara.
Her emotional rendition of the patriotic song- ‘Aye Mere Watan Ke Logon’ after the culmination of the Indo-China war had moved the late Prime Minister Jawaharlal Nehru to tears. Many of her non-film albums like ‘Meera Bhajan’, ‘Chaala Vaahi Des’, ‘Lata sings Ghalib’, ‘Dnyaneshwar Mauli’, ‘Koli Geete’, ‘Ganpati Aarati’, ‘Abhang Tukayache’, ‘Shiv Kalyan Raja’, ‘Ram Shyam Gungaan’, ‘Sajda’ and ‘Shraddhanjali’ have carved a musical niche of their own.
She composed songs for a few Marathi movies in the 1950s and 60s, mostly under the pseudonym Anandghan . As a composer, her flair for melody and the ability to smoothly blend classical and folk music were apparent. She won the ‘Maharashtra State Award’ as the ‘Best Composer’ for the film ‘Saadhi Maanse’ (1965).
Every possible major musical and lifetime achievement award at the regional and national level has been bestowed on her at some time or the other. In 1989, she received the Dadasaheb Phalke award for her path-breaking contribution to Indian cinema. After earlier giving her the prestigious ‘Padma Bhushan’ (1969) and ‘Padma Vibhushan’ (1999) awards, the Indian government ultimately conferred upon her the highest civilian honour – the ‘Bharat Ratna’ in 2001. Later, she also went on to receive the prestigious ‘Legion of Honour’ award from the Government of France. Such is the cultural impact of her monumental musical contribution that three state governments – Madhya Pradesh, Maharashtra and Goa – have each separately instituted an annual ‘Lata Mangeshkar award’ for honouring senior artistes in popular music for lifetime achievement.
While choosing her as one of the four ‘Indians of the Twentieth Century’ along with Mahatma Gandhi, Swami Vivekanand and Dhirubhai Ambani, ‘The Times of India’ said: “All of them are self-made individuals; they did not have the advantage of wealth, aristocracy or caste; they fought adversity and believed in action - karmayogis in a true sense. They made India proud and gave the world new ideas, dreams and hopes.”
Nothing can describe Lata Mangeshkar, the legend, any better!
(*Source: Lata-Voice of the golden era by Dr. Mandar V. Bichu, Popular Prakashan )
Occupation: Playback Singer, Music Director, Producer
Religion: Hinduism
Start of Playback Singing Career: 1942
Total number of songs (approx): 50,000 in 36 languages
Nickname: Nightingale of India
Net Worth (approx.): $10 million
Lata Mangeshkar is one of the best singers of the Hindi film industry. She is listed in the Guinness Book of World Records as the most recorded artist in the world. She started her started in 1942 and has spanned over seven decades. Lata is said to have recorded songs for over a thousand Hindi films. She also has the credit of having sung in over thirty-six regional Indian languages and foreign languages. Lata Mangeshkar is the elder sister of singers Asha Bhosle, Hridaynath Mangeshkar, Usha Mangeshkar and Meena Mangeshkar. She was honoured with India's highest award in cinema, the Dadasaheb Phalke Award, in 1989.
Childhood & Early Life
Lata Mangeshkar was born on September 28, 1929 in Indore, Central Provinces (now Madhya Pradesh). She was the eldest daughter among the five children of Dinanatha and Shevanti Mangeshkar who belonged to a Maharashtrian Brahmin family. Dinanath hailed from the town of Mangeshi in Goa and he changed his last name from Haridkar to Mangeshkar in identify with his hometown. Her father Pandit Deenanath Mangeshkar was an accomplished classical singer and stage actor. Lata was initially named Hema when she was born, but later her father renamed her as Lata, inspired by a character in one of his plays. She had four siblings, three sisters, Meena, Asha and Usha; and one brother, Hridaynath. All five Mangeshkar siblings learned classical music from their father.
Lata started acting in her father’s musical plays since the age of five. She also took lessons in classical music from maestros like Amanat Khan, Pandit Tulsidas Sharma and Aman Ali Khan Saheb later in life. She was inspired by K.L. Saigal’s music when she was young. She did not receive a formal education as she did not attend school. PanditDinanath passed away when Lata was just 13 years old and as the eldest child, the financial responsibility of the family came to rest upon Lata’s shoulders.
Lata Mangeshkar has had an illustrious career in various roles, better at some than others. A God-gifted voice led her to become the most successful and celebrated female playback singer from the 1940s till 1980s. Starting from Vaijayantimala till Preity Zinta, she has lent her voice to all leading ladies of Bollywood. Her songs had touched the hearts of millions throughout the years and across borders. She also did some acting at the start of her career. Her attempts as a music director were not as successful as her singing career.
Playback Singer
Lataji started her career in 1942, right after the death of her father. Vinayak Damodar Karnataki, a family friend helped her get jobs as an actress in Marathi and Hindi Films. Beginning years of her career were quite rocky as young Lata struggled to find her foothold in the industry. Her first song as a playback singer was ‘NaachuYaa Gade, Khelu Saari Mani Haus Bhaari’ for a Marathi film Kiti Hasaal with composer Sadashivrao Nevrekar. The song was dropped from the film before release. Her first Hindi song happened the next year in 1943, with ‘Mata Ek Sapoot Ki Duniya Badal De Tu’ in the movie Gajaabhaau.
Lata Mangeshkar moved to Bombay in 1945. She faced numerous rejections from contemporary music composers as they found her voice too thin and sharp, as opposed to the preferred style of that time. She would often imitate famous singers like Noor Jahan to satisfy the music directors.
Apart from Master Vinayak, Lata was mentored by music director Ghulam Haider. Under his guidance, Lataji achieved her first recognition in the song ‘Dil Mera Toda, Mujhe Kahin Ka Na Chhora’ in the 1948 movie Majboor. Her first tumultuous hit song came with the song ‘Ayega Anewala’ presented on-screen by actress Madhubala in the film Mahal in 1949.
Her music career took off from there as she started working with all major music directors and playback singers of the time. She did playback singing for celebrated music directors like Sachin Dev Burman, Salil Chowdhury, Sankar Jaikishan, Naushad, Madan Mohan, Kalyanji-Anandji, Khayyam and Pandit Amarnath HusanLal Bhagat Ram. During the 1950s, she worked in successful films like Baiju Bawra (1952), Mother India (1957), Devdas (1955), ChoriChori (1956) and Madhumati (1958). She won her first Filmfare Award for best Female Playback Singer in 1958 for the song ‘Aaja Re Pardesi’ from the film Madhumati with music director Salil Chowdhury.
She easily flitted between different genres for various music directors. She sung raga based song like ‘MoheBhool Gaye Sawariya’ based on Raga Bhairav from the 1952 film BaijuBawra. She sung western theme song like ‘Ajeeb Dastan Hain Yeh’ from Dil Apna aur Preet Parayi (1960) as well as Bhajan like Allah Tero Naam for the movie Hum Dono in 1961. She was the voice behind the most glamorous heroines of the time, from Madubala to Meena Kumari. She moved dignitaries including Prime Minister Jawaharlal Nehru to tears with her rendition of the famous patriotic song ‘Ae Mere Watan Ke Logon’.
She started playback singing for regional films in Tamil and Marathi. Her first song in Tamil was ‘Enthan Kannalan’ in the film Vanaradham in 1956. In Marathi films, she sung for her brother Hridaynath Mangeshkar who was a celebrated music director, in films like Jait Re Jait. He sang playback for Bengali films for music directors like Salil Chowdhury and Hemant Kumar. She made her debut in the Kannada playback industry with the song Bellane Belagayithu composed by Lakshman Berlekar from the movie Krantiveera Sangolli Rayanna in 1967. In 1974, she recorded her only Malayalam song "Kadali Chenkadali" for the film Nellu, composed by Salil Chowdhury, and written by Vayalar Ramavarma.
She collaborated with noted male playback singers like Mohammed Rafi, Kishore Kumar, Mukesh, Hemant Kumar, Mahendra Kapoor and Manna Dey in many projects. She became the unrivaled queen of the playback industryand enjoyed star status. People could not praise her voice enough and every major producer, music director and actor was vying to work with her. Her duets with Kishore Kumar all through the 1970s and 1980s became legends of the Hindi Film Industry and are celebrated till date. Songs like ‘Kora Kagaz’ from film Aradhana (1969), ‘Tere Bina Zindagi Se’ from the 1971 film Andhi, ‘Tere Mere Milan Ki’ from Abhimaan (1973) and ‘Aap Ki Ankhon Me Kuch’ from the film Ghar (1978), are some examples of unforgettable musical magic that this pair created.
During the 1980s Lataji worked on compositions by Rahul Dev Burman, son of Sachin Dev Burman, and Lataji’s would be brother-in-law. R.D., who was known to prefer Asha Bhosle for his versatile compositions, used Lataji’s voice for his more melodious compositions like ‘Kya Yahi Pyar Hai’ in Rocky (1981), ‘Humein Aur Jeene Ki’ in Agar Tum Na Hote (1983), ‘Tujhse Naraaz Nahin’ in Masoom (1983) and ‘Seeli Hawa Chhoo Gayi’ in Libas (1988).
Her collaboration with music director duo Laxmikant Pyarelal produced some of the most superhit songs of the time that are still hummed with equal enthusiasms by Indians. The duo considered Lataji instrumental in their success. ‘Dil Vil Pyar Vyar’ from Shagird (1968), Sheesha Ho YaDil Ho from Asha (1980), Mere Naseeb Mein from Naseeb (1981) and Ye Galiyan Ye Chaubara from Prem Rog (1982) are some of their most popular collaborations. Other acclaimed scoresin the 1980s with include title track from Ram Teri Ganga Maili (1985) with music director Ravindra Jain and Dikhayi Diye Yun in Bazaar (1982) with Khayyam.
1990s onwards, Lataji worked with music directors like Anu Malik, Jatin Lalit and A.R. Rahman. Films like Dilwale Dulhania Le Jayenge, Hum aapke Hain Kaun, Dil Se, Rang De Basanti featured acclaimed songs sung by Lataji. She gradually decreased the volume of her work due to health reasons, singing selective compositions. She launched several albums during her musical career including Chala Vahi Des (1979) with Brother Hridaynath Mangeshkar, Ram Ratan Dhan Payo (1983) and Shraddanjali-My Tribute to the Immortals (1994).
Music Director
Lata Mangeshkar also assumed the role of music director for several Marathi Films, first of which was Ram Ram Pavhane in 1955. Her other projects were Maratha Tituka Melvava (1963), Mohityanchi Manjula (1963), Sadhi Manase (1965) and Tambadi Mati (1969). She won Maharashtra State Government's Best Music Director Award for the film Sadhi Manase with the song ‘Airanichya Deva receiving the best song award.
As a producer, Lata Mangeshkar made four films - Vaadal, a Marathi language film in 1953, Jhaanjhar with C. Ramchandra as co-producer in 1953, Kanchan in 1955 and Lekin…, the directorial venture of lyricist Gulzar in 1990. She launched her own music label in 2012 called LM Music and released a Devotional album along with younger sister Usha Mangeshkar.
Awards and Honors
Lataji has received numerous awards and honors for her illustrious career as a playback singer. Some of the Awards she won are Padma Bhushan (1969), Dadasaheb Phalke Award (1989), Padma Vibhushan (1999), Maharashtra Bhushan Award (1997), NTR National Award (1999), and ANR National Award (2009). She was awarded the Bharat Ratna, India's Highest Civilian Award in 2001. She won 3 National Film Awards (1972, 1974, 1990), and 12 Bengal Film Journalists' Association Awards (1964, 1967-1973, 1975, 1981, 1983, 1985, 1987, 1991). She has also won the Filmfare Awards for Best Female Playback Singer four times (1958, 1962, 1965, 1969, 1993, 1994). She was awarded the Filmfare Lifetime Achievement Award in 1993.
Controversies
Lataji has had to go through her share of controversies as well. Her relationship with S. D. Burman soured as the two had an altercation and the duo did not work between 1958 and 1962. She also had a difference of opinion with Mohammed Rafi over the issue of royalty. She was constantly pitted against her own sister Asha Bhosle for the number one spot. There was a controversy over the Guinness Record in 1974, where Lataji was named as the most recorded artist in history as she has recorded "not less than 25,000 solo, duet and chorus backed songs in 20 Indian languages" between 1948 and 1974. Mohammed Rafi contested the statistics, and after 1991 the record was discontinued from the Guinness Book of Records.
general knowledge
Lata Mangeshkar Biography: Age, Early Life, Family, Education, Singing Career, Net Worth, Awards and Honours, and more
Lata mangeshkar biography: legendary singer lata mangeshkar breathed her last in mumbai's breach candy hospital on 6 february 2022 (sunday) morning. she was 92. she was an indian playback singer and music director. she was one of the most respected playback singers in india. let us have a look at her biography including age, family, education, singing career, awards, honours, etc..
Lata Mangeshkar Biography: Lata Mangeshkar is a big name for music enthusiasts all over the world, and the day marks her 94th birth anniversary. Legendary singer Lata Mangeshkar has recorded songs in over a thousand Hindi films and was one of the best-known and most respected playback singers in India. She had a sweet and captivating voice which is the main reason for her popularity.
At the age of 13, Lata Mangeshkar started her career in 1942 and has sung over 30,000 songs in various Indian languages. She is considered one of the greatest singers of Indian cinema and received Bharat Ratna, India's highest civilian honour in 2001.
National Film Awards BFJA Awards Filmfare Award for Best Female Playback Singer Filmfare Special Awards Filmfare Lifetime Achievement Award
Honours
Padma Bhushan (1969) Dadasaheb Phalke Award (1989) Maharashtra Bhushan (1997) Padma Vibhushan (1999) Bharat Ratna (2001) Legion of Honour (2007)
Died
6 February 2022
Place of Death
Mumbai's Breach Candy Hospital
Lata Mangeshkar Biography: Age, Family, Early Life, and Education
Legendary playback singer Lata Mangeshkar was noted for her distinctive voice and vocal range that extended over more than three octaves.
She was born on 28 September 1929 in Indore, India. She was the eldest of five siblings. Her father was Pandit Deenanath Mangeshkar and her mother was Shevanti. His father was a noted Marathi stage personality popularly known as Master Dinanath.
She was introduced to music at an early age. At the age of 13, she recorded her first song for Vasant Joglekar’s Marathi film Kiti Hasaal.
Lata Mangeshkar's birth name was "Hema". Later, her parents renamed her name and kept it, Lata, after a female character, Latika, in one of her father's plays, BhaawBandhan. Her siblings' names in birth order are Meena, Asha, Usha, and Hridaynath. All are accomplished singers and musicians. Her educational career is not much known but she proved that a degree is not the only way to earn. She received her first music lesson from her father. When she was five years old, she started to work as an actress in her father's musical plays.
Lata Mangeshkar Biography: Singing Career and her Musical Journey
Early career of lata mangeshkar in the 1940s and 50s.
When Lata Mangeshkar was 13 years old, her father died due to a heart attack in 1942 . The owner of Navyug Chitrapat movie company named Master Vinayak or Vinayak Damodar Karnataki took care of them. He was a close friend of the Mangeshkar family. He helped Lata to get started in a career as a singer and actress.
In 1942 , Lata Mangeshkar sang the song "Naachu Yaa Gade, Khelu Saari Mani Haus Bhaari". It was composed by Sadashivrao Nevrekar for Vasant Joglekar's Marathi movie Kiti Hasaal. The song dropped from the final cut. A small role was also provided by Vinayak in Navyug Chitrapat's Marathi movie Pahli Mangalaa-gaur, she sang "Natali Chaitraachi Navalaai". It was composed by Dada Chandekar. "Mata Ek Sapoot Ki Duniya Badal De Tu" was her first song in Hindi.
As a teenager, she struggled and support her family. She established herself as a playback singer in the Hindi film industry of the 1940s. She moved to Mumbai in 1945. She started taking lessons from Ustad Aman Ali Khan of Bhindibazaar Gharana in Hindustani classical music. For the movie Aap Ki Seva Mein (1946), she sang the song "Paa Lagoon Kar Jori" which was composed by Datta Davjekar. Also, in Badi Maa (1945) movie, Lata and her sister Asha played minor roles. In this movie, she also sang a Bhajan "Mata Tere Charnon Mein."
In 1948, Vinayak died and music director Ghulam Haider mentored her as a singer. He introduced Lata to producer Sashadhar Mukherjee. She recorded the hit “Uthaye ja unke sitam” in Andaz (1949), and her destiny was sealed. From this point, she gave her musical voice to every major leading lady, representing every generation of Hindi cinema from Nargis and Waheeda Rehman to Madhuri Dixit and Preity Zinta.
Her singing contributed a great deal to the commercial films like Mahal (1949), Barsaat (1949), Meena Bazaar (1950), Aadhi Raat (1950), Chhoti Bhabhi (1950), Afsana (1951), Aansoo (1953), and Adl-e-Jehangir (1955).
She also sang various Raag-based songs for Naushad in films like Deedar (1951), Baiju Bawra (1952), Amar (1954), Uran Khatola (1955), and Mother India (1957). Her first song for the composer Naushad was Ae Chorre Ki Jaat Badi Bewafa, a duet with G. M. Durrani. The duo, Shankar–Jaikishan, chose Lata for Barsaat (1949), Aah (1953), Shree 420 (1955), and Chori Chori (1956).
Composer S.D Burman before 1957 chose Lata as the leading female singer for his musical scores in Sazaa (1951), House No. 44 (1955), and Devdas (1955). In 1957, a rift developed between Lata Mangeshkar and Burman and she did not sing his compositions again until 1962.
Singing Career of Lata Mangeshkar in the 1960s, 70s, and 80s
How can we forget the song "Pyar Kiya To Darna Kya" from Mughal-e-Azam (1960). Lata Ji sang this song very beautifully and still, it remains in everyone's heart. It was composed by Naushad and lip-synced by Madhubala. Also, one of my favourite songs "Ajeeb Dastaan Hai Yeh" from Dil Apna Aur Preet Parai (1960) was also sung by Lata Ji very beautifully. It was composed by Shankar–Jaikishan and lip-synced by Meena Kumari.
Two popular bhajans were recorded by Lata Mangeshkar in 1961 namely "Allah Tero Naam" and "Prabhu Tero Naam", for Burman's assistant, Jaidev. She was awarded her second Filmfare Award in 1962 for the song "Kahin Deep Jale Kahin Dil" from Bees Saal Baad, composed by Hemant Kumar.
Lata Ji sang a patriotic song against the backdrop of the Sino-Indian War in January 1963. The song was "Aye Mere Watan Ke Logo" in the presence of Jawaharlal Nehru, then the Prime Minister of India. It is said that the song brought tears to former Prime Minister Jawaharlal Nehru. The song was composed by C. Ramchandra and written by Kavi Pradeep.
Lata Ji returned to collaborate with S. D Burman in 1963. She then sang in R.D Burman's first film Chhote Nawab (1961), and later in his films such as Bhoot Bungla (1965), Pati Patni (1966), Baharon Ke Sapne (1967), and Abhilasha (1969).
Various popular songs were also recorded by her namely "Aaj Phir Jeene Ki Tamanna Hai", "Gata Rahe Mera Dil" (duet with Kishore Kumar) and "Piya Tose" from Guide (1965), "Hothon Pe Aisi Baat" from Jewel Thief (1967), and "Kitni Akeli Kitni Tanhaa" from Talash.
She also continued her association with Madan Mohan and sang beautiful songs including "Aap Ki Nazron Ne Samjha" from Anpadh (1962), "Lag Jaa Gale" and "Naina Barse Rim Jhim" from Woh Kaun Thi? (1964), "Woh Chup Rahen To" from Jahan Ara (1964), "Tu Jahan Jahan Chalega" from Mera Saaya (1966), and "Teri Aankho Ke Siva" from Chirag (1969).
The 1960s also witnessed the beginning of the association of Lata Ji with Laxmikant-Pyarelal, the music director for whom she sang the most popular songs.
It is said that she sang over 700 songs for the composer duo over a period of 35 years, many of which become hits. She sang for several movies including Parasmani (1963), Mr. X in Bombay (1964), Aaye Din Bahar Ke (1966), Milan (1967), Anita (1967), Shagird (1968), Mere Hamdam Mere Dost (1968), Intaquam (1969), Do Raaste (1969) and Jeene Ki Raah. For this, she got her third Filmfare Award.
She sang several playback songs for Marathi films. And during the 1960s and 1970s, she also sang various Bengali songs. She recorded duets with Kishore Kumar, Mukesh, Manna Dey, Mahendra Kapoor, and Mohammed Rafi in the 1960s.
Meena Kumari's last film was released in 1972 which featured popular songs like "Chalte Chalte" and Inhi Logon Ne", sung by Lata Ji and composed by Ghulam Mohammed.
She also recorded various popular songs for S.D Burman's last films like "Rangeela Re" from Prem Pujari (1970), "Khilte Hain Gul Yahaan" from Sharmeelee (1971), and "Piya Bina" from Abhimaan (1973) and for Madan Mohan's last films, including Dastak (1970), Heer Raanjha (1970), Dil Ki Rahen (1973), Hindustan Ki Kasam (1973), Hanste Zakhm (1973), Mausam (1975) and Laila Majnu (1976).
Various songs by Lata Mangeshkar were composed by Laxmikant-Pyarelal and Rahul Dev Burman in the 1970s. Various hit songs are also sung by her with Rahul Dev Burman in the films including Amar Prem (1972), Caravan (1971), Kati Patang (1971), and Aandhi (1975). The two are noted for their songs with the lyricists Majrooh Sultanpuri, Anand Bakshi, and Gulzar.
She won National Film Award in 1973 for Best Female Playback Singer for the song "Beeti Na Bitai" from the film Parichay. It was composed by R.D Burman and written by Gulzar. She also sang Malayalam song in 1974 ""Kadali Chenkadali" for the film Nellu. It was composed by Salil Chowdhury, and written by Vayalar Ramavarma.
She again won National Award in 1975 for the song "Roothe Roothe Piya" from Kora Kagaz, composed by Kalyanji Anandji. She also staged several concerts from the 1970s onwards including various charity concerts. In 1974, her first concert was at the Royal Albert Hall, London and she was the first Indian to do so.
An album was also released by her of Mirabai's Bhajans, "Chala Vaahi Des". Composed by her brother Hridaynath Mangeshkar.
Satyam Shivan Sundaram in 1978 was directed by Rak Kapoor in which lata Ji sang the main theme song "Satyam Shivam Sundaram" which become the hit of the year.
In the late 1970s and early 1980s , she worked with composers namely Rahul Dev Burman, son of Sachin Dev Burman, Rajesh Roshan, son of Roshan, Anu Malik, son of Sardar Malik, and Anand–Milind, sons of Chitragupta. In the Assamese language also sung several songs. The song "Dil Hoom Hoom Kare" from Rudaali (1993) made the highest record sales that year.
From the 1980s, she sang for various movies including Karz (1980), Ek Duuje Ke Liye (1981), Silsila (1981), Prem Rog (1982), Hero (1983), Pyar Jhukta Nahin (1985), Ram Teri Ganga Maili (1985), Nagina (1986), and Ram Lakhan (1989). Her song "Zu Zu Zu Yashoda" from Sanjog (1985) was a hit at that time.
In the late 1980s, she also sang for Tamil movies. The biggest hits of Lata ji in 1980s were "Sheesha Ho Ya Dil Ho" in Asha (1980), "Tu Kitne Baras Ka" in Karz (1980), "Kitna Aasan Hai" in Dostana (1980), "Hum Ko Bhi Gham" in Aas Paas (1980), "Mere Naseeb Mein" in Naseeb (1980), "Zindagi Ki Na Toote" in Kranti (1981), "Solah Baras Ki" in Ek Duuje Ke Liye (1981), "Ye Galiyan Ye Chaubara" in Prem Rog (1982), "Likhnewale Ne Likh Dale" in Arpan (1983), "Din Maheene Saal" in Avtaar (1983), "Pyar Karnewale" and "Nindiya Se Jagi" in Hero (1983), "Zu Zu Zu Yashoda" in Sanjog (1985), "Zindagi Har Qadam" in Meri Jung (1985), "Baith Mere Paas" in Yaadon Ki Kasam (1985), "Ungli Mein Anghoti" in Ram Avtar (1988) and "O Ramji Tere Lakhan Ne" in Ram Lakhan (1989).
Some songs were also composed by Bappi Lehri for Lata Ji like "Dooriyan Sab Mita Do" in Saboot (1980), "Baithe Baithe Aaj Aayi" in Patita (1980), "Jaane Kyun Mujhe" in Agreement (1980), "Thoda Resham Lagta Hai" in Jyoti (1981), "Dard Ki Ragini" in Pyaas (1982), and "Naino Mein Sapna" (duet with Kishore Kumar) in Himmatwala (1983).
She also sang hits during the 1980s like "Sun Sahiba Sun" in Ram Teri Ganga Maili (1985) for Ravindra Jain, "Chand Apna Safar" in Shama (1981), "Shayad Meri Shaadi" and "Zindagi Pyar Ka" in Souten (1983), "Hum Bhool Gaye Re" in Souten Ki Beti (1989) for Usha Khanna. Hridaynath Mangeshkar had "Kale Kale Gehre Saye" in Chakra (1981), "Ye Ankhen Dekh Kar", and "Kuchh Log Mohabbat Ko" in Dhanwan (1981), "Mujhe Tum Yaad Karna" in Mashaal (1984), Assamese song "Jonakore Rati" (1986) with music and lyrics by Dr. Bhupen Hazarika, "Jaane Do Mujhe" in Shahenshah (1989) for Amar-Utpal, "Sajan Mera Us Paar" in Ganga Jamuna Saraswati (1988) and "Mere Pyar Ki Umar" in Waaris (1989) for Uttam Jagdish.
Lata Mangeshkar's Career in 1990s and 2000s
During the 1990s she recorded with various music directors like Anand-Milind, Nadeem-Shravan, Jatin-Lalit, etc. She also launched her own production house in 1990 for Hindi movies which produced the Gulzar-directed movie Lekin..... She won her third National FIlm Award for Best Female Playback Singer for the song "Yaara Sili Sili". It was composed by her brother Hridaynath.
She also sung for almost all the Yash Chopra films. Even A. R Rahman had recorded a few songs with her during this period like "Jiya Jale" in Dil Se.., "Khamoshiyan Gungunane Lagin" in One 2 Ka 4, "Ek Tu Hi Bharosa" in Pukar, "Pyaara Sa Gaon" in Zubeidaa, "So Gaye Hain" in Zubeidaa, etc.
She also released Shraddanjali - My Tribute to the Immortals in 1994. The main feature of the film is that Lata Ji offers her tribute to immortal singers of the time by rendering a few songs in her voice. She sang "Kuch Na Kaho" for Rahul Dev Burman the last song in 1994 in 1942: A Love Story.
A perfume brand name was also launched named Lata Eau de Parfum in 1999. She was also awarded Zee Cine Award for Lifetime Achievement the same year. She was also nominated as a member of the Rajya Sabha in 1999.
She was awarded the Bharat Ratna, India's highest civilian honour in 2001. She also established the Master Deenanath Mangeshkar Hospital in Pune in the same year. It was managed by the Lata Mangeshkar Medical Foundation.
Lata Mangeshkar's Career in the 2010s
She released the album Sarhadein: Music Beyond Boundaries on 12 April 2011. It contains duet Tera Milna Bahut Acha Lage" by Mangeshkar and Mehdi Hassan. She also recorded a song for composer Nadeem-Shravan "Kaise Piya Se" for Bewafaa (2005). Shamir Tandon also recorded a song with her "Tere Hasne Sai Mujheko" for the movie Satrangee Parachute (2011).
She also recorded a song in her own studio. The song was "Jeena kya hai, jaana maine" for Dunno Y2-Life Is A Moment (2015).
Lata Mangeshkar Biography: Production
She has produced four films:
1953 - Vaadal in Marathi
1953 - Jhaanjhar in Hindi and, co-produced with C. Ramchandra
1955 - Kanchan Ganga in Hindi
Lata Mangeshkar Biography: Awards and Honours
She won several awards and honours and some of them are listed below:
2009 - ANR National Award
2007 - Legion of Honour
2001 - Bharat Ratna, India's highest civilian award
1999 - Padma Vibhushan
1999 - Zee Cine Award for Lifetime Achievements
1999 - NTR National Award
1997 - Maharashtra Bhushan Award
1989 - Dadasaheb Phalke Award
1972, 1974, and 1990 - Three National Film Awards
15 Bengal Film Journalists' Association Awards
1959, 1963, 1966, and 1970 - Four Filmfare Best Female Playback Awards.
1993 - Filmfare Lifetime Achievement Award
1994 and 2004 - Filmfare Special Awards
1984 - State Government of Madhya Pradesh instituted the Lata Mangeshkar Award of Lata Mangeshkar
1992 - the State Government of Maharashtra also instituted a Lata Mangeshkar Award
1969 - Padma Bhushan
2009 - She was awarded the title of Officer of the French Legion of Honour, France's highest order
2012 - She was ranked number 10 in Outlook India's poll of the Greatest Indian.
Remembering Lata Didi on her birth anniversary. Her contribution to Indian music spans decades, creating an everlasting impact. Her soulful renditions evoked deep emotions and will forever hold a special place in our culture. — Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023
She is also a recipient of honorary doctorates from Sangeet Natak Akademi (1989), Indira Kala Sangeet Vishwavidyalaya, Khairagarh, and Shivaji University in Kolhapur.
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When was Lata Mangeshkar awarded with Bharat Ratna, India's highest civilian honour? + Lata Mangeshkar was awarded the Bharat Ratna, India's highest civilian honour in 2001.
Who wrote the biography of Lata Mangeshkar? + “Lata Mangeshkar- A musical Journey” a book on Lata Mangeshkar was published by author Yatindra Mishra.
What is Lata Mangeshkar's real name? + The real name of Lata Mangeshkar was Hema Mangeshkar.
In which year Legendary Singer Lata Mangeshkar was born? + Legendary singer Lata Mangeshkar was born on 28 September 1929 in Indore, Madhya Pradesh.
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Lata Mangeshkar: A career that spanned the arc of Hindi cinema
Lata mangeshkar's death is mourned by millions across the world. here's a timeline of her prolific career..
Lata Mangeshkar, known to millions as the "Nightingale of India" and a regular fixture of the country's airwaves for decades, died Sunday morning at the age of 92.
We remember her contribution to music with a timeline of her life and career, which spans over nine decades.
September 28, 1929: Lata Mangeshkar was born in Indore in (now) Madhya Pradesh, the first of five children, to Pt Deenanath Mangeshkar, a renowned Marathi theatre actor and Hindustani classical musician, and Shevanti Haridas Lad. All other children — Usha, Meena, Asha and Hridaynath — became musicians and singers as well.
1930s: Lata acts and sings in Marathi plays written by her father.
1942: Lata recorded her first playback song for a Marathi film, Kiti Hasaal, at the age of 13, and even acted in a Marathi film, Pahili Mangalagaur. This was also the year her father passed away following an illness.
1946: Records her first Hindi film playback song for Aap Ki Seva Mein, directed by Vasant Jogalekar. The year before, she and her sister, Asha, acted in a film.
1940s: Lata trains under Ustad Aman Ali Khan, of the Bhendi Bazaar gharana, famed for his Merukhand style, a mathematical ordering of notes to convey thousands of taans (beats). “Khan saheb was a very kind-hearted, systematic and benevolent guru,” she once told an interviewer.
1949: Lata, now 20, becomes the go-to voice of the heroine after two films released that year. In Madhubala-starrer Mahal, she sang the breakthrough Aayega Aanewala and in Barasaat, she sang nine songs for three different stars in the film.
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As HMV began to make records with singers, entering into exclusive contracts with them, music historians note that Lata Mangeshkar helped organise other singers to put pressure on music labels to credit the singers on the records.
1950s-60s: Lata cements her position as the most popular playback singer of Hindi cinema, working with some of the most notable music composers of her generation, including Anil Biswas, Naushad Ali, Madan Mohan, SD Burman, C Ramchandra, Khayyam, among others. She sang alongside some of the great male playback singers: from Kishore Kumar to Mohammed Rafi.
January, 1963: Lata performs Ae Mere Watan Ke in front of former prime minister Jawaharlal Nehru at the Ramlila Maidan in Delhi, moving him to tears. The song was written in honour of the Indian soldiers who died in the India-China War of 1962.
1969: Wins the Padma Bhushan, the third-highest civilian award for exceptional and distinguished service.
1970s-80: Lata sings prolifically across genres. She recorded over 700 songs for composers Laxmikant Pyarelal alone.
1972: Wins first National Award for best female playback singer for film Parichay.
1974: Performed at London’s Royal Albert Hall; Wins second National Award for best female playback singer for film, Kora Kagaz.
1989: Wins Dadasaheb Phalke award.
1990: Wins third National Award for best female playback singer for Lekin.
1997: AR Rahman’s composed Ma Tujhe Salam, sung by Lata, broke sales records at the time of its release. The song was made on the occasion of India’s 50th year of Independence.
2001: Wins the country’s highest civilian award, Bharat Ratna; also receives the first Maharashtra Ratna.
2007: Awarded Officer of the Legion of Honour, France’s highest civilian award.
2012: Launches music label, LM Music. By this time, she had thousands of songs in several Indian languages, from Punjabi to Tamil, Bengali to Chhattisgarhi, and across genres from Gurbani to ghazals to qawwals to classical compositions. As she enters the eighth decade of work, she begins to record fewer Hindi cinema songs.
January 8, 2022: The 92-year-old admitted to Breach Candy after testing positive for Covid-19, with mild symptoms. She died on February 6.
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