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मछली पालन बिजनेस कैसे शुरू करें। प्रक्रिया, नस्ल, लागत, कमाई।

Fish farming या fisheries का Hindi में अर्थ मछली पालन से लगाया जा सकता है। व्यवसायिक भाषा में जिसका मतलब fish अर्थात मछलियों को अपनी कमाई करने हेतु पालने का होता है । वैसे कुछ आरामपसंद, धनी, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग अपने शौक व अपनी प्रोटीन सम्बन्धी जरूरतों की पूर्ति हेतु भी मछलियों का पालन करते हैं। क्योकि मछली लोगो की प्रोटीन सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने का प्राथमिक स्रोत है । यही कारण है, की मछली पालन का बिज़नेस India में निरन्तर बढ़ता जा रहा है ।

और इसका इंडिया की Gross Domestic Product (GDP) में 1.4% की हिस्सेदारी है। यदि हम पूरे कृषि सम्बंधित व्यापारों की बात करें, तो Indian जीडीपी में इनकी हिस्सेदारी 4.6% है। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं की फिश फार्मिंग भारत में कितना फलता फूलता business है। वर्तमान में Fish Pond  या मछलियों के तालाबों की भारी कमी के कारण समुद्र और नदियां ही मछली सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के माध्यम हैं। चूँकि मनुष्य ने इन प्राकृतिक संसाधनों से बहुत अधिक मात्रा में मछलियों को पकड़ लिया है ।

इसलिए धीरे धीरे समुद्रों और नदियों में भी मछलियों की संख्या कम होती जा रही है । एक आंकड़े के मुताबिक भारत में 60% से अधिक लोग अपने खाने में मछली पसंद करते हैं । अब यदि मछलियों की संख्या कम हो जाती है, या फिर समुद्र या नदियों में मछलियाँ नहीं मिलती हैं । तो जरा सोचिये की मछली खाने के आदी  मनुष्य अपने शरीर में प्रोटीन की कमी को कैसे पूरा करेगा । इसलिए अभी यह उचित समय है जब कोई उद्यमी Fish Farming या मछली पालन का बिज़नेस स्थापित करके लोगों की मांग को पूर्ण करने का जिम्मा उठाकर, अपनी Kamai करने का काम कर सकता है।

हमारे देश भारत को प्रकृति ने अनेकों नदियों, झीलों और अन्य पानी के स्रोतो से अलंकृत किया हुआ है। इसलिए मछली पालन का business किसी उद्यमी के लिए एक उचित निर्णय हो सकता है । इसके अलावा India में Fish Farming करने के कुछ फायदे भी हैं जो इस प्रकार से हैं।

Fish farming Machli-palan-business-in-india

मछली पालन के लाभ (Advantages of Fish Farming in Hindi):

Machali Palan ke Fayde : वैसे तो India में व्यवसायिक तौर पर मछली फार्म स्थापित करने के अनेकों फायदे हैं लेकिन इनमे से जो मुख्य हैं उनका विवरण निम्नलिखित है।

  • जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं, India में 60% से अधिक लोग खाने में मछली खाना पसंद करते हैं | जो साफ़ इशारा करता है की इस business में असीम सम्भावनाएं हैं ।
  • मछली में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण इसकी मांग और कीमत हमेशा उच्च बनी रहती है ।
  • भारतवर्ष की जलवायु यह व्यवसाय करने के लिए अनुकूल है । जिससे रिस्क कम हो जाता है।
  • अभी हमने कहा था, की भारतवर्ष को प्रकृति ने विभिन्न पानी के स्रोतों से सरोबार किया हुआ है । इसलिए मछली पालन से जुड़ने वाला उद्यमी अपना Fish Pond आसानी से किसी नजदीकी पानी के स्रोत से भर सकता है।
  • India में मछली की बहुत सारी जातियां उपजातियां आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं । आप अपने Fish Pond के लिए जल्दी बड़ी होने वाली नस्ल का चुनाव कर सकते हैं ।
  • चूँकि ग्रामीण इलाकों में मजदूर आसानी से और सस्ते दामों पर मिल जाते हैं । इसलिए आप एकीकृत फार्मिंग भी कर सकते हैं । जिसमे आप Fish Farming के अलावा Dairy Farming , Goat Farming , खेती इत्यादि भी कर सकते हैं।
  • वे लोग जो कोई और काम भी कर रहे हों, उसके साथ साथ ही Fish Farming या मछली पालन का भी business कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उनके पास अपेक्षित जमीन एवं सेवाएं होना अति आवश्यक है ।

मछली पालन कैसे शुरू करें?(How to start Fish farming in India):

Fish Farming Kaise Shuru Kare : हालांकि India में मछलियों का फार्म स्थापित करना कोई आसान काम नहीं है । लेकिन जब मछली पालन व्यवसायिक तौर पर करना ही हो तो, थोड़ी बहुत परेशानियां तो उठानी ही पड़ेंगी। और व्यवसायिक तौर पर यह business स्थापित करने के लिए उद्यमी को भिन्न भिन्न प्रक्रियाओं से होकर गुज़रना पड़ेगा। जिनका वर्णन हम नीचे संक्षिप्त रूप में कर रहे हैं ।

1. मछलियों के लिए तालाब बनाना (Preparation of Fish Pond):

Fish Pond मछली पालन business के लिए सबसे अहम कड़ी है । जैसे की आपने एक कविता सुनी होगी ” मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है । जी हाँ बिलकुल मछली का जीवन जल है। इसलिए यदि हमें Fish farming करनी है, तो पानी को संचय करना होगा। और पानी को संगृहीत करने हेतु Fish Pond बनाना होगा । Fish Pond में मछली पालन मौसमी और स्थायी दोनों तरीके से किया जा सकता है।

वह क्षेत्र या स्थान जहाँ पानी हर महीने उपलब्ध नहीं होता, वहां मौसमी Fish Pond बनाकर मछली पालन किया जा सकता है। और इस Fish Pond में जल्दी बड़ी होने वाली मछली को अपने बिजनेस का हिस्सा बनाना बेहद आवश्यक है। Fish Pond में पानी और मछलियों का बीज डालने से पहले इसको अच्छी तरह तैयार कर लेना चाहिए। कही ऐसा तो नहीं की पानी लीकेज हो रहा है।

रिसाव चेक करने के लिए Fish Pond में पानी छोड़ने के तीन चार दिन बाद मछलियों के बीज को उसमे डालना चाहिए। लेकिन Fish Pond में पानी भरने से पहले अच्छी तरह से उसकी सफाई और फ़र्टिलाइज़र सिस्टम स्थापित कर लेना चाहिए ताकि मछलियों के लिए Inner Feed उपलब्ध हो सके।

2. मछली की नस्ल का चुनाव करना :

उद्यमी को एक लाभकारी Fish Farming बिज़नेस के लिए अच्छी नस्ल वाली मछली का चुनाव करना बेहद आवश्यक है। क्योकि Farming Business चाहे बकरी पालन बिजनेस हो डेयरी फार्मिंग व्यवसाय हो या फिर Poultry Farming एक लाभकारी बिज़नेस तभी हो सकता है। जब उद्यमी द्वारा जल्दी बढ़ने वाली नस्ल का चुनाव किया गया हो। Fish Farming के लिए मछली की नस्ल का चयन करते समय अपने क्षेत्र में मछलियों की मांग, और जिस मछली की नस्ल जल्दी और ढंग से बड़ी हो सकती है, इत्यादि बातों का ध्यान रखें।

आप चाहें तो किसी एक नस्ल का उत्पादन न करके भिन्न भिन्न नस्लों का उत्पादन एक साथ कर सकते हैं । जैसे कुछ मछलियाँ ऐसी होती हैं जिनको तले (bootom) में रहने की आदत होती है। और कुछ मछलियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें पानी के बीचों बीच रहने की आदत होती है । इसके अलावा कुछ मछलियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें पानी के उपरी सतह पर रहने की आदत होती है ।

अगर उद्यमी एक साथ रोहू, मृगल, कतला मछलियों को अपने Fish Pond का हिस्सा बनाता है। तो उसके Fish Pond का कोई भी हिस्सा व्यर्थ नहीं जायेगा। इंडिया की जलवायु के हिसाब से मुख्य मछलियों की नस्लें निम्न हैं।

  • कतला मछली (Catla)
  • रोहू (Rohu)
  • मृगल (Mrigal)
  • सिल्वर कार्प (Silver Carp)
  • ग्रास कार्प (Grass Carp)
  • कॉमन कार्प  (Common Carp)

3. मछलियों के खाने का इंतज़ाम करना (Feeding)

इसमें कोई दो राय नहीं की अच्छा गुणवत्ता वाला खाना मछलियों के जल्दी वृद्धि होने में सहायक होगा । आप व्यवसायिक रूप से Fish Farming करने हेतु एकीकृत फार्मिंग करके डेरी उत्पाद, सब्जियों इत्यादि को मछलियों का खाना बना सकते हैं ।

India में मछली पालन व्यवसाय से जुड़े अधिकतर किसान अपनी मछलियों को प्राकृतिक खाने के भरोसे ही छोड़ देते हैं। प्राकृतिक खाना मछलियों के लिए कितना होगा यह सब Fish Pond फर्टिलाइजेशन पर निर्भर करता है। वैसे आप मछलियों के खाने के प्रबंधन को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं।

1. Outer Feed (बाह्य खाना) :

Outer Feed का प्रबंध जैसे की हमने पहले भी बताया एकीकृत फार्मिंग के द्वारा भी किया जा सकता है । इसके अलावा बाज़ार में उपलब्ध मछलियों का खाना लेकर उसको तालाब में मछलियों के खाने हेतु डाला जा सकता है। वैसे मछलियाँ आटा, चावल इत्यादि भी खाती हैं । तो उद्यमी इनका उपयोग भी मछलियों के खाने हेतु कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे की मछलियों के खाने के व्यवहार को आँका जाय। क्योकि अनावश्यक रूप से Fish Pond के अंदर डाली जाने वाली सामग्री Fish Pond को गन्दा कर सकती है।

2. Inner Food (आंतरिक खाना) :

Inner Food से आशय तालाब में उत्पादित खाने से है । इसमें छोटे छोटे कीड़े मकोड़े जिन्हे मछलियां खाती हैं वे आते हैं । लेकिन यह सब उत्पादित हो, इसके लिए आपको महीने में दो बार Fish Pond फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया करनी पड़ती है । Inner Food उत्पादित करने हेतु जैविक खाद एवं रासायनिक खादों का उपयोग किया जा सकता है ।इसमें गोबर का उपयोग भी हो सकता है।

4.मछलियों की देखभाल करें(Care and management)

व्यवसायिक तौर पर Fish Farming या मछली पालन करने के लिए मछलियों की नस्ल और खाने का इंतज़ाम करने पर ही उद्यमी की ड्यूटी खत्म नहीं हो जाती। अब समय आ जाता है अपनी मछलियों का अच्छे ढंग से ध्यान रखने का। मछली की बीमारियों से मछलियों को बचाने  का । पानी में उत्पन्न होने वाले मछली के दुश्मनो से मछलियों को बचाने का। छोटी मछली को बड़ी मछली से बचाने के लिए कदम उठाने का ।

और कहीं गन्दा पानी होने के कारण मछलियों की जान खतरे में न पड़ जाये इसलिए समय समय पर पानी का PH स्तर चेक कराने का । साधारणतया मछली पालन बिजनेस से उत्पादित उत्पाद के लिए लोकल ग्राहक अर्थात जिस क्षेत्र में आपका Fish Pond है । उसी क्षेत्र के ग्राहक भी मिल जाते हैं लेकिन यदि उद्यमी का उत्पादन उस क्षेत्र की आवश्यकताओं से अधिक है ।

तो उद्यमी को अपना उत्पाद बेचने के लिए मार्केटिंग करनी पड़ेगी । मार्केटिंग की दृष्टि से Fish Farming business का सबसे बड़ा फायदा यह है की आपको अपना उत्पाद साथ लेके नहीं घूमना है। उद्यमी को पहले अपने ग्राहक तैयार करने हैं । उनसे आर्डर लेने हैं उसके बाद आवश्यकतानुसार मछलियों को Fish Pond से बाहर निकालना है।

मछलियों को कहाँ बेचें (Where to sell fish):

वर्तमान में मछली खाने वाले लोगों की संख्या हर जगह चाहे आप भारत के किसी भी कोने में उपलब्ध हों पर्याप्त मात्रा में है। यही कारण है की मछली की माँग हर स्थानीय बाज़ार में हमेशा बनी रहती है। कहने का आशय यह है की यदि आप मछली पालन करके बहुत अधिक मछलियों का उत्पादन नहीं कर रहे हैं। तो आप इन्हें स्थानीय बाज़ार में खुद भी बेच सकते हैं ।

लेकिन आम तौर पर इस तरह का बिजनेस (Fish Farming Business) कर रहे उद्यमियों के पास उस एरिया में स्थित वे लोग पहले ही पहुँच जाते हैं, जो किसी स्थानीय बाज़ार में, साप्ताहिक बाज़ार में सड़क के किनारे बैठकर मछली बेचते हैं।

इसके अलावा स्थानीय मंडी जहाँ लोग मीट मछली खरीदने जाते हैं, आप वहां भी इन्हें बेच सकते हैं। लेकिन यदि आपका उत्पादन बहुत अधिक है तो बेहतर यही होता है की आप उस एरिया में स्थित मछली के थोक विक्रेताओं से संपर्क करें। और उन्हें अपने फिश फार्म  से ही मछली ले जाने को कहें। क्योंकि उनके पास वाहनों की ऐसी व्यवस्था होती है, जिनमें मछलियों को जिन्दा भी ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।

मछली पालन करने में आने वाली लागत

हालांकि बहुत सारे लोगों को लगता है की मछली पालन बिजनेस शुरू करना आसान प्रक्रिया है । लेकिन सच्चाई यह है इसमें आपको एक जिन्दा जलजीव की खेती करनी होती है, इसलिए इसके तकनिकी जानकारी होना अति आवश्यक होती है ।

जहाँ तक लागत की बात है इस बिजनेस में आने वाली लागत भी इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी किस स्तर का मछली पालन व्यापार शुरू करना चाहता है । और वह किन किन मछलियों का पालन करना चाहता है ।

लेकिन एक व्यक्ति जो राहू, कतला और मृगल मछली को अपना फार्म का हिस्सा बनाकर छोटे से स्तर पर इसे शुरू करना चाहता है, उसे इस बिजनेस को शुरू करने के लिए निम्न मदों पर खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है। इसमें जमीन का खर्चा शामिल नहीं है क्योंकि जहाँ पर मछली का तालाब बनाया जाएगा, वह जमीन उद्यमी की खुद की होनी चाहिए।

इस तरह से देखें तो एक छोटा सा मछली फार्म खोलने में भी उद्यमी को लगभग ₹189500 खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है। इसमें भी जमीन का खर्चा शामिल नहीं है, क्योंकि इसमें हम यह मान कर चल रहे हैं की जमीन इस बिजनेस को करने वाले उद्यमी की खुद की है।    

मछली पालन बिजनेस से कितनी कमाई होगी

जहाँ तक कमाई का सवाल है इस बिजनेस (Fish Farming Business) से होने वाली कमाई इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी एक साल में कितनी किलो मछली का उत्पादन कर पाने में सफल हो पाता है। यदि उद्यमी एक साल में 3000 किलो मछली का उत्पादन करने में भी सफल होता है और इसकी औसतम कीमत यदि हम 110 रूपये प्रति किलो मान के भी चलते हैं। तो इस हिसाब से उद्यमी 110×3000 = ₹330000 की साल में ग्रॉस इनकम कर पाता है।

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Fish Farming Business Plan: मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें?

machli palan business kaise kare

Business Idea: आज के दौर में भारत में मछली पालन या “मतस्य पालन” करना काफी मुनाफ़ेवाला व्यापार हो गया है। बहुत से लोग इस बिजनेस से जुड़े हुए है और लाखो का मुनाफा कमा रहे हैं। भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मछली का सेवन करती है और सालाना प्रति व्यक्ति मछली की खपत करीब 8-9 किलोग्राम तक है। इस कारण से इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है और साल दर साल इसके बढ़ने की ही उम्मीद है।

अगर आप भी कम लागत में मछली पालन शुरू करना चाहते हैं तो आप इसे छोटे टैंक या फिर एक तालाब से शुरू कर सकते है और महीने में लाखों रुपए तक की कमाई कर सकते है।

चलिए देखते है कम निवेश में ज़्यादा लाभ बनाने वाली मछली फार्मिंग (Fish farming) कैसे शुरू करें

मछली पालन की तकनीक

मछली पालन मुख्यतः 3 तरीके से की जाती है।

  • तालाब में मछली पालन
  • बायोफ्लॉक टैंक

RAS प्रणाली

तालाब में मछली पालन (earthen fishpond).

आपने कभी न कभी गांव या कस्बे में छोटे-छोटे मछली पालन किये जाने वाले कृत्रिम तालाब अवश्य ही देखे होंगे। यह मछली पालन करने की सबसे पुरानी और परंपरागत विधि है, जिससे लोग अपना जीवन यापन करते है।

अगर आपके पास ज़मीन की कमी नहीं है या फिर आप गांव में रहते है और आपके पास काफी खाली ज़मीं उपलब्ध है, तो इस तरीके से आप मछली पालन शुरू कर सकते हैं।

इस प्रकार के तालाब को बनाने के लिए आपको खेत की आवश्यकता पड़ेगी। उसे खोदकर एक कृत्रिम तालाब बनाना होगा, जिसके बाद उसमें गोबर का उपचार और चूना इत्यादि डालकर पानी भरना होगा। तालाब की गहराई कमसेकम 6 फुट होनी आवश्यक है और तालाब में पानी का स्तर लगभग 4.5 फुट से लेकर 5 फुट तक होनी चाहिए, अगर इससे कम पानी का स्तर रहा तो मछली की वृद्धि में असर पड़ेगा।

तालाब का मुख पूर्व से पश्चिम की ओर होना चाहिए, मतलब लम्बाई पूर्व से पश्चिम दिशा में होना चाहिए और चौड़ाई उत्तर-दक्षिण दिशा में।

इस तरह के तालाब को बनाने का खर्च, मछली के बीज, मछली का खाना, दवा और रखरखाव में लगभग 10 लाख से लेकर 12 लाख रुपए तक का खर्च आता है। यहाँ पर हमने लगभग 1 हेक्टेयर (2.47 एकड़) ज़मीन के ऊपर आकलन किया है। ये आंकड़ा आपको ज़रूर ज़्यादा लग रहा होगा, मगर यह सिर्फ एक बार का निवेश है इसके बाद आपको इस बिजनेस से मुनाफा ही होगा।

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बायोफ्लॉक टैंक (Biofloc tank)

बायोफ्लॉक तकनीक को 1990 के दशक में विकसित किया गया था। जिसका मकसद कम फीड देकर और अपशिष्ट जल का फिर से उपयोग कर मछली पालन करना था। यह तकनीक भारत में भी काफी प्रचलित है और बहुत से किसान इस तकनीक का उपयोग कर मछली पालन कर रहें है।

बायोफ्लॉक टैंक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – पीवीसी टैंक/ तारपोलीन टैंक और सीमेंट टैंक ।

पीवीसी टैंक/तारपोलीन टैंक: इस प्रकार के टैंक आपको बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं जिनकी कीमत 20,000 रुपए से शुरू होती है। अगर आप इस बिजनेस में बिलकुल नए हैं तो 10,000 लीटर की क्षमता वाले बायोफ्लॉक फिश फार्मिंग टैंक के साथ शुरुआत करें, इसकी कीमत लगभग आपको 12,000 से 15,000 रूपए के बीच पड़ेगी। इस टैंक में आप 600-700 किलोग्राम मछली का उत्पादन कर सकते हैं।

टैंक लेने से पहले तारपोलिन का GSM ज़रूर जाँच कर लें, हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले टैंक पर निवेश करें। एक अच्छे टैंक का GSM 500 से ऊपर होता है, जो भी टैंक इस रेंज में आते हो उन्हें ही ख़रीदे। इससे नीचे के GSM में भी आपको बायोफ्लॉक टैंक उपलब्ध हो जायेंगे मगर उनमे कटने-फटने का डर रहता है, जिससे आपको आगे चलकर नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इसके साथ ही आपको तिरपाल की भी ज़रूरत पड़ेगी, जिससे तापमान नियंत्रित हो पाए और अवांछित तत्त्व भी आपके टैंक में न गिर सके। इसकी लागत करीब 1500-2000 रूपए तक आएगी।

इस तरह देखा जाये तो एक पूरी तरह सेटअप PVC biofloc tank में आप करीब 20,000 रुपए तक का निवेश करके मछली पालन का व्यापार शुरू कर सकते हैं।

सीमेंट टैंक: अगर आपको मछली पालन बिजनेस में थोड़ा समय हो गया है और आपने कुछ पैसे भी बना लिए हैं तो आप सीमेंट टैंक भी बनवा सकते हैं। इस प्रकार के टैंक बनवाने में तारपोलीन टैंक से दुगना खर्च करना पड़ सकता है, मगर यह एकमुश्त निवेश है। एक बार निर्माण हो जाने के बाद यह टैंक 10-12 साल आसानी से चल जाते है और रखरखाव में भी खर्च न के बराबर होता है। एक 10,000 लीटर सीमेंट टैंक के निर्माण में करीब 25,000 रूपए तक का खर्च आ सकता है।

इसके अलावा दोनों ही प्रकार के टैंक में एयर पंप चाहिए होगा जिससे की पानी में ऑक्सीजन की मात्रा सुचारू रूप से जारी रहे। एक 10,000 लीटर बायोफ्लॉक टैंक के लिए एयर पंप की कीमत लगभग 18,000 से शुरू होती है। हमेशा दो एयर पंप अपने साथ रखें, अगर किसी कारण से एक एयर पंप नहीं चलता है तो दूसरा बैकअप आपके पास ज़रूर होना चाहिए। क्योंकि, बिना ऑक्सीजन के मछलियों के मरने का भय रहता है।

साथ ही में एक इन्वर्टर की भी व्यवस्था होनी आवश्यक है, क्योंकि बहुत सारे इलाकों में बिजली आपूर्ति ठीक नहीं रहती अगर आपके पास इन्वर्टर रहेगा तो एयर पंप चलाने में परेशानी नहीं होगी।

इन सबके साथ फिश सीड, प्रोबिओटिक्स, TDS meter, PH meter, अमोनिया टेस्ट किट इत्यादि में 30,000 रूपए तक का खर्च आ सकता है। कुल मिलाकर, एक 10 हज़ार लीटर बायोफ्लॉक फिश टैंक का निर्माण से लेकर प्रोडक्शन तक करीब 40,000 से लेकर 50,000 रूपए तक का खर्च आएगा।

री-सर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) प्रणाली मछली पालन के लिए सबसे कारगर तकनीक है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है, किसी भी जलवायु और स्थान में मछली पालन करना। इसे आप मैदानी, तटीय और पहाड़ी किसी भी स्थान पर लगा कर मछली उत्पादन शुरू कर सकते हैं। चाहे बाहर का तापमान कुछ भी हो, टैंक का तापमान आपके नियंत्रण में रहता है।

मौसम में हुआ बदलाव पानी के तापमान को निर्धारित नहीं करेगा, और दैनिक पानी के तापमान में उतार-चढ़ाव मछली पर दबाव नहीं डालेगा, जिससे बीमारी और मृत्यु दर में कमी आएगी। चाहे गर्म पानी की मछली हो या फिर ठंडे पानी की, RAS सिस्टम दोनों ही प्रजातियों के लिए तापमान का नियंत्रण करता है। क्योंकि पानी को फिर से री-सर्कुलेट किया जाता है, जिस कारण हीटिंग और कूलिंग की लागत कम हो जाती है।

उदाहरण के लिए, बायोफ्लॉक सिस्टम में मछली का एक कल्चर लेने के बाद पानी को छोड़ देते हैं, जिसे आम तौर पर ओपन या फ्लो-थ्रू सिस्टम कहा जाता है। मगर, RAS प्रणाली में यह सिस्टम विभिन्न स्तरों पर फिल्टर का उपयोग करके पानी को साफ करता है और उसी पानी को फिर से उपयोग में लाता है। जिससे पानी की काफी बचत होती है और खर्च में भी कमी आती है।

एक 30,000 लीटर के RAS फिश टैंक की कीमत करीब 35-40 हज़ार रूपए होती है और पुरे फिल्ट्रेशन प्लांट को बनाने में करीब 15 से 20 लाख रूपए की लागत आती है। यह सिस्टम थोड़ा खर्चीला ज़रूर है मगर इससे मुनाफा भी तालाब और बायोफ्लॉक टैंक के मुकाबले ज़्यादा आता है। क्यूंकि, सभी काम ऑटोमेटिक तरीके से मशीन द्वारा होता है और बहुत कम मैन्युअल वर्क की ज़रूरत पड़ती है।

मछलियां कितने प्रकार की होती है?

सामान्यतः मछलियाँ 2 प्रकार की पाई जाती है पानी के अंदर सांस लेने वाली (Underwater breathing fish) और हवा से सांस लेने वाली (Air breathing fish).

हवा से सांस लेने वाली मछलियां ये हैं: देसी मांगुर, सिंघी, पंगेसियस, वियतनाम कोई, देसी कोई और पाबदा।

पानी के अंदर सांस लेने वाली मछलियां: रोहू, कतला, मृगल कार्प, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प, तिलापिया और रूपचंद।

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में कौन सी मछली पालें?

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में विशेष प्रकार से हवा से सांस लेने वाली मछलियों (Air breathing fish) का कल्चर किया जाता है, क्यूंकि ये मछलियां किसी भी प्रकार की परिस्थितियों को झेल लेती है।

जैसे की कभी टैंक का एयर पंप (Air Pump) जिससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा पहुंचाई जाती है किसी कारण नहीं चल रहा हो या फिर पानी में अमोनिया की मात्रा ज़्यादा हो जाए — तब भी इस प्रकार की मछलियां पानी के ऊपर जाकर सांस ले सकती है और उस सिचुएशन को झेल जाती है। जिससे मोर्टेलिटी रेट कम रहता है और मुनाफे में वृद्धि होती है।

वैसे तो IMC और एयर ब्रीथर दोनों ही प्रकार की मछलियों का कल्चर बायोफ्लॉक और RAS टैंक में किया जा सकता है, हालाँकि अगर आप इस बिज़नेस में बिलकुल नए हैं तो हवा से सांस लेने वाली मछलियां (Air breathing fish) के साथ शुरुआत करें और थोड़ा अनुभव हो जाने के बाद IMC मछलियां जिसमे रोहू, कतला, मृगल शामिल है इनका प्रयास करें।

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में IMC fish जैसे रोहू, कतला और मृगल की ग्रोथ ज़रूर होती है मगर ये प्रक्रिया काफी समय लेती है, और किसी कारण ऑक्सीजन में कमी आयी तो ये मछलियां आधे घण्टे भी टैंक में जीवित नहीं रह पाती। अगर आप भी इन मछलियों को पालना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान ज़रूर रखें की आपके एरिया में पावर सप्लाई नियमित रूप से आती हो या फिर एक अच्छे इन्वर्टर पर निवेश करें।

मछली पालन के लिए बीज कहाँ से ख़रीदे?

मछली के बीज आप अपने जिले या फिर राज्य के मत्स्य पालन विभाग (Department of Fisheries) के द्वारा ले सकते हैं, वहां पर मछली पालकों के लिए उचित दरों पर बीज मुहैया करवाया जाता है और साथ ही साथ ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसके अलावा अगर आपके एरिया में कोई किसान पहले से मछली पालन कर रहा है और उसकी हैचरी भी है तो आप उनसे भी संपर्क करके बीज ले सकते हैं।

आमतौर पर मछली के बीज 200 रुपये से 250 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मिलते हैं। आप चाहे तो फिश सीड पीस के हिसाब से भी आर्डर कर सकते है जो की 1 रुपया/पीस से लेकर 5 रुपया/पीस तक हो सकती है।

मछली कितने महीने में तैयार हो जाती है?

आमतौर पर मछलियाँ 5 से 6 महीने में लगभग 500 ग्राम तक की हो जाती है, मगर यह पूरी मछली की प्रजाति पर निर्भर करता है। कई मछलियाँ इतने दिनों में बस 150-200 ग्राम तक का ही वज़न हासिल कर पाती है।

चलिए हम एक उदाहरण के तौर पर विभिन्न प्रकार की मछलियों का “बीज से लेकर हार्वेस्ट” करने तक का विश्लेषण करते हैं:

आजकल ज़्यादातर किसान 10,000 लीटर बायोफ्लॉक टैंक से मछली पालन की शुरुआत कर रहें है तो हम उसी को मानक ले रहे हैं। अगर आप IMC कैटेगरी की मछली जैसे रोहू, कतला, कॉमन कार्प और तिलापिया को पालना चाहते हैं तो टैंक में आपको करीब 900-1000 मछलियां डालनी होगी। यह मछलियाँ 6 महीने में औसतन 500 ग्राम तक का वज़न हासिल कर पाती है और हार्वेस्टिंग के समय आपको एक टैंक से करीब 450-500 किलोग्राम तक की मछलियाँ मिलेगी।

यहाँ एक बात का ज़रूर ध्यान रखें, मछलियों में कुछ न कुछ मोर्टलिटी ज़रूर होगी इसलिए 20% के हिसाब से टैंक में 900 से 1000 मछलियां डाले जिससे अंत में आपका टारगेट हासिल हो पाए।

अगर आप कैटफ़िश प्रजाति की मछली जैसे वियतनाम कोई (Vietnam Koi) का कल्चर करना चाहते है और एक सीजन में कम से कम 300 किलोग्राम तक मछली का हार्वेस्ट करना है तो आपको टैंक में करीब 2000 से लेकर 2500 मछली डालनी होगी।

इस मछली का एवरेज साइज 150-200 ग्राम होता है, और यह लगभग 6 महीने में पूरी तरीके से तैयार हो जाती है। मार्केट में इसका रेट भी 300 से 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक जाता है।

मछली पालन के लिए लोन कैसे मिलेगा?

केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाईं जा रही हैं, जिसका फायदा लेकर किसान भाई इस व्यवसाय से जुड़ सकते है और पैसे कमा सकते हैं।

अगर आप भी मछली पालन के लिए लोन लेना चाहते हैं तो “ पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) ” के तहत ले सकते हैं। इसकी शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वर्ष 2020 में की गयी थी, इस योजना में मत्स्य पालकों को लोन देने के साथ ही निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों की तरफ से आपकी परियोजना के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है, जो कि सामान्य जाति के लिए 40% है और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति महिलाओं के लिए 60% तक निर्धारित की गई है।

मत्स्य पालन हेतु ऋण लेने के लिए आप अपने राज्य के मत्स्य विभाग के कार्यालय से संपर्क करें। वहां पर सम्बंधित अधिकारी आपको लोन के लिए कैसे अप्लाई करना है और लोन किस तरह से प्राप्त होगा इसकी पूरी जानकारी दे पाएंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑफलाइन है, और फिलहाल ऑनलाइन आवेदन के लिए संबंधित विभाग से कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

हालांकि, अगर आप इस योजना के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की आधिकारिक वेबसाइट पर जायें – https://dof.gov.in/pmmsy

FAQ: Fish Farming Business Plan

Q. मछली पालन के लिए पानी का pH मान कितना होना चाहिए? Ans. मछली पालन के लिए पानी का pH मान 6.5 से 8.5 तक होना चाहिए।

Q. मछली कितने दिन में तैयार होती है? Ans. मछली को सामान्यतः पूरी तरह विकसित होने में करीब 5 से 6 महीने तक का समय लगता है।

Q. देश का सबसे बड़ा मछली जीरा बाजार कहाँ है? Ans. भारत में मछली पालन के लिए जीरा का उत्पादन सबसे ज़्यादा पश्चिम बंगाल में होता है।

Q. मछली पालन बिज़नेस के लिए कितना निवेश करना पड़ेगा? Ans. इस बिजनेस को आप मात्र 20,000 रुपये सालाना खर्च करके शुरू कर सकते हैं और हर महीने लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं।

Q. मछली पालन किस सीजन में करना चाहिए? Ans. वैसे तो मछली पालन किसी भी मौसम में किया जा सकता है, मगर मछली पालने के लिए सबसे अच्छा सीजन फ़रवरी से अक्टूबर तक होता है। सर्दियों के मौसम में मछली का आकार धीमी गति से बढ़ता है क्योंकि उस समय मछलियां पानी के नीचे चली जाती है और खाना भी कम खाती है।

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मछली पालन का व्यवसाय कैसे शुरू करें? Fish Farming Business Plan in Hindi

Fish Farming Business in Hindi: अगर शरीर मे प्रोटीन की कमी हो तो डॉक्टर मछली खाने की सलाह देते है क्योंकि मछली प्रोटीन का बहुत ही अच्छा स्रोत है। यही वजह है कि सिर्फ भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व मे मछली की बहुत ही ज्यादा डिमांड रहती है। आज के समय मे मछली पालन का व्यवसाय काफी फायदे का बिजनेस माना जाता है

अगर आप भी उन लोगों में से है जो खुद का बिजनेस करके एक अच्छा मुनाफा करना चाहते है तो आप यह काम मछली पालन यानी की मत्स्य पालन करके कर सकते है। इस बिजनेस में आप मछली पालते है और उनको बेचकर पैसे कमाते है। मछली पालन के लिए आपको ज्यादा बड़ा निवेश करने की जरुरत नहीं है और इस बिजनेस में आपको सिर्फ एक बार ही निवेश करना होता है उसके बाद आप अपना खर्च इसी बिजनेस से निकालने लगते है।

मछली पालन व्यवसाय (Machli Palan Kaise Kare in Hindi) के बारे आज हम सभी जानकारी देने वाले है किस प्रजातियां की मछलियों को पाले, मछलियां को आहार कितना दे और इसमें होने वाले लागत और मुनाफा कितना होगा इसलिए हमारे लेख को अंत तक जरूर पढ़ें

Table of Contents

मछली पालन स्वरोजगार क्या है ?

Fish Farming मछली पालन का एक ऐसा स्वरोजगार है, जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा आप कमा सकते हैं। कम जगह में कई वैरायटी की मछलियां पाली जाती हैं और उन्हें बाजार में बेचकर लाभ कमाया जाता है। मछली प्रोटीन और विटामिन का सबसे अच्छा स्रोत होता है‌। एक बार मछली पालन का काम शुरू करने से लगातार आपकी आमदनी होती रहती है। मछली पालन के लिए रोहू, सिल्वर, ग्रास, भाकुर व नैना मछलियों जैसी वैरायटी की मछलियां अधिक पाली जाती हैं।

मछली पालन का व्यवसाय क्यों करें ?

आपके दिमाग में एक बात आती होगी की हम मछली पालन का व्यवसाय क्यों करे ऐसा क्या है मछली पालन के व्यापार में क्या फायदा है? मछली पालन के व्यवसाय करने से और ऐसे कई बाते जो लोगो के दिमाग में आ रही होंगी जो लोग पहली बार इस व्यवसाय को कर रहे होंगे या ऐसे वे लोग जिनको कोई आईडिया नही होगा मछली पालन के व्यापार का तो आपको ये बताना चाहते है की

मछली पालन का व्यवसाय भारत में जितने प्रतिशत में हो रहा है उससे कई ज्यादा प्रतिशत में दुसरे देशों में भी हो रहा है,मछली से मिलने वाले एनर्जी पौष्टिक आहार जिससे हमारे शरीर और रोगों में दवा के रूप में आने वाले कई फायेदे है इससे मछली का मांग दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है आज –कल तो लोग अपने यहाँ पे ही तालब या छोटे –छोटे फार्म बनाकर ही इस व्यवसाय को बढ़ावा दे रहे है,और ज्यादा से ज्यादा फायदा कमा रहे है

यहाँ तक की मछलियों के भी कई प्रजातियां होती है,जिसके हर प्रजाति का कोई न कोई अपना ही कुछ विशेष गुण होता है ये अपने विशेष गुण के चलते बाज़ार में जादा ही प्रचलित होते है लोग इनकी मांग जादा करते है ये सभी फायदे मछली पालन के व्यवसाय को बहुत फायदे में लेकर जाता है

मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें? How to Start Fish Farming Business in Hindi

How to Start Fish Farming Business in Hindi

मछली पालन का व्यापार भारत के लगभग सभी राज्यों में होता है भारत में लगभग 70 प्रतिशत लोग मछली का सेवन करते है मछली पालन का व्यापार कर के भारत के ऐसे कई शहर है जहाँ के 25 प्रतिशत आबादी इसी रोजगार से अपना पालन करते है मछली पालन के व्यवसाय को हम दूसरे भाषा में fish farming भी बोलते है

भारत के लगभग आधी से ज्यादा जनसंख्या मछली खाती है और मछली पालन का व्यवसाय उन क्षेत्रों के लिए और भी फायदेमंद है जहाँ पे नदियां ,झरने,तालाब का क्षेत्र आता हो जहाँ पे इन सभी स्त्रोतों की सुविधा अच्छी मिलती है,वहां पर मछली पालन का व्यापार करना और भी आसन हो जाता है

ऐसे तो मछली पालन करने के लिए आप लोगो को कुछ जमीन और छोटे –छोटे तालाबों की भी जरूरत होती है जिसमे हम मछली को कुछ दिनों के लिए रख सकते है मछली पालन के व्यापार करने के लिए कोई ज्यादा पूंजी की जरूरत नही होती है अगर हम चाहे तो कम पूंजी में भी इसके व्यापार को चालू कर सकते है और जादा से जादा मुनाफा कमा सकते है

किस प्रजातियां (नस्ल) की मछलियों को पाले

अगर आप मछली पालन में घुस रहे है और आपको ज्यादा जानकारी नहीं है की  किस नस्ल की मछलियों को पालना चाहिए तो हम आपको बताते है आपको शुरुआत में  टूना ,सिल्वर क्रॉप , रोहू , कॉमन क्रॉप आदि मछलियां पालनी चाहिए।

इनकी डिमांड हमेशा ही मार्किट में बनी रहती है आप मछलियों को पालने के लिए मत्स्य पालन विभाग से मछली प्राप्त कर सकते है। यह ज्यादातर शहरों में मत्स्य पालकों की मदद के लिए उपलब्ध है। यहाँ पर जाकर आप मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़ी और भी जानकारी पा सकते है।

मछली पालन के लिए मछलियों के प्रमुख प्रजातियां भारत में पाई जाने वाली यहाँ से पढ़े

मछलियों के प्रजातियों का चयन करने से पहले इन बातो का धयान दे

1. तालाब के माहौल में ढलने की छमता –  हमलोग ने जो तालाब बना रखा है मछली पालन के लिए वो तालाब कैसा है उसमे बारो महीना पानी रहता है यह सिर्फ बारिश के मौसम में पानी रहता है इस प्रस्थिति को हमें धयान में रखना होगा

2. तेज़ी से बढ़ने की छमता – हमें यह भी ध्यान रखना होगा अगर हम व्यावासिक रूप से मछली पालन कर रहे है जिस मछली की प्रजाति को हम पाल रहे है उसकी बढ़ने की छमता अच्छी होनी चाहिए अगर मछलियां की growth अच्छी नहीं होगी तो हमें मछली पालन में ज्यादा फ़ायदा नहीं हो पायेगा और अगर तालाब मौसमी है सिर्फ बारिश के टाइम में ही तालाब में पानी रहता है 12 महीना नहीं रह पाता तो हमें मछली की growth में ज्यादा ध्यान देना होगा हमें उस मछली की प्रजाति को तालाब में पालन करना होगा जिसकी growth अच्छी हो

3. तालाबों में उपलब्ध खाने को खा सकने की छमता –  आम तोर पे जो 12 मिहिनो के जो स्थाई तालाब होते है उनमे सहज रूप में कुछ खाना उपलब्ध रहता है जिन्हे मछलियां कहती है और जिन्दा रहती है मगर कई मछलियों की प्रजाति ऐसे भी होती है जो तालाब में उपलब्ध खाने को नहीं कहती है इन्हे अलग से खाना देना पड़ता है इन् बातो का भी हमें धयान रखना पड़ता है

4. जल्दी बीमार न पड़ने की छमता –  जिस माहौल में हम मछली को पाल रहे है उस माहौल में ढलने की छमता होनी चाहिए इस लिए ऐसी मछली का चुनाव करे जो सब वातावरण में आसानी से ढल सके और हमें ज्यादा से ज्यादा लाभ हो सके

5. बाजार में मांग और दाम –  यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है आखिर हम मछली पालन कर क्यों रहे है व्यापार के लिए और मुनाफे के लिए अगर हम जिस मछली की पालन कर रहे है और उस मछली की बाजार में मांग नहीं है तो हमें उस मछली को पालने का कोई फायदा नहीं है हमें उन् मछलियों की पालन करना है जिसकी मांग हमेशा मज़ार में रहती है

कौन सी मछली जल्दी बढ़ती है?

मछली पालन के व्यवसाय के लिये आप रोहू , मृगल , कतला , ग्रास कार्प , सिल्वर कार्प , कामन कार्प आदि को पाला जा सकता है। ये जल्दी बढ़ती भी है। इसके अलावा फिश फार्मिंग पूर्ण रूप से उस एरिया में लोगों के खाने की पसंद पर भी निर्भर होती है। जिस जगह लोगों को जो मछलियों ज्यादा पसंद आती है उसका ही पालन करना चाहिए ताकि आपको इस व्यवसाय में लाभ प्राप्त हो और जिस प्रकार की मछलियां तालाब के पानी मे आसानी से निर्वाह कर अपने नस्ल की वृद्धि कर सके वैसी मछलियों का पालन इस व्यवसाय में करना चाहिए।

मछली के लिए आहार कैसे तैयार करें ?

गोबर कर छिरकाव करना – अगर जिस तालाब में आप मछली पालन कर रहे है उसमे 1 महीना पहले से ही गोबर का छिरकाव करदे तो जब हम बीज डालेंगे तो उनके लिए वह भरपूर खाना पहले से ही उपलब्ध रहती है 1 हेक्टर में आप 1000 किलो गोबर का छिरकाव कर सकते है

चोकर – मछलिओं को चोकर देना भी बहुत अच्छा होता है जब हम तालाब में बीज डालते है मछलिओं के बच्चो के मुँह के आकर बहुत छोटे होते और वह चोकर आसानी से खा सकते है और पाचा भी लेती है

पानी में रहने वाली बत्तख – हमलोग पानी में रहने वाली बत्तख भी पाल सकते है क्युकी बत्तख का जो बीट रहता है उसे मछलियां खाती है और यह भी देखा गया है जिस तालाब में बत्तख रहते है उस तालाब की मछलियों का वजन बहुत ही तेज़ी से बढ़ जाता है यह एक बहुत ही अच्छा विचार है अगर आप मछली पालन कर रहे है तो साथ में बत्तख भी पाल सकते है इसमें आपको दूगनाह मुनाफा होगा

कई व्यापारी तो मछलियों को आटा भी दिया करते है इसके छोटे-छोटे टुकड़े बना कर मछलियों को दाने के रूप में दिया करते है ऐसे कई आहार ऐसे भी जिसे हम मछलियों को प्रदान कर सकते है,जैसे जमीन से निकलने वाले केंचुए भी मछलियों को दिए जाते है इनसे मछलियों में विकास जल्दी होता है |

मछली संचयन आप अप्रैल से जून तक कर सकते है मछली संचयन के समाये में मछली का वजन 40 से 50 ग्राम और इनकी लम्बाईए 35 से 40 सेंटीमीटर होना चाहिए

मछली का बीज कितने रुपए किलो मिलता है?

आप अपने एरिया के मछली के बीज बेचने वाले दूकानदारों से संपर्क कर सस्ते दामों पर भी मछली के बीज ले सकते हैं। इसके अलावा देश के प्रत्येक जिले में मछली पालन विभाग होता है जहाँ से भी आप मछली के बीज से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते है।

इसके अलावा मछली के बीज किसी भी हैचरी से खरीदे जा सकते है। सहारनपुर, दिल्ली, आगरा, हरिद्वार जैसे कई शहरों में आपको ऐसे हैचरी मिल जाएंगे जहाँ से आप मछली के बीज खरीद सकते है। मछली का बीज आपको बाजार में 85 पैसे प्रति बीज के हिसाब से मिल जाता है।

मछली को कितना खाना देना चाहिए?

जब बात मछलियों को खाना देने की आती है तो इसका आपको खासा ध्यान देना पड़ता है ताकि मछलियों में अच्छी वृद्धि हो और वे जीवित रह सके। इसके लिए आपको तालाब में मछली के बीज डालने के 3 से 4 दिन के बाद से ही पोष्टिक खाना देने की आवश्यकता है। मछलियों के अच्छे विकास के लिए खाने की क्वालिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए  ताकि पानी के अंदर मछलियों की नस्ल वृद्धि कर सके। एक दिन में मछलियों को कम से कम 3 बार खाना दिया जाता है।

जो लोग मछली पालन करना चाहते है उन्हें यह दिक्कत भी आता है की मछलियों को आहार कितना दे तो आज मैं आपको बताने वाला हूँ की प्रति हेक्टर कितन आप आहार मछलियों को दे सकते है

  • पहला 3 महीना में आपको 3 किलो दाना देना है
  • दूसरे 3 महीना में 8 किलो दाना देना होगा
  • तीसरे 3 महीने में 16 किलो दाना देना होगा 
  • चौथी 3 महीना में 24 किलो दाना देना होगा

मछलियां दाना कितना खाती है

जब मछलियां छोटी रहती है तो वह अपना वजन का सिर्फ 5% ही दाना खा सकती है और जैसे जैसे मछली बढ़ने लगती है और बड़ी हो जाती है तो जो उनका खाना होता है प्रतिशत में घाट जाता है वो अपने वजन का 4% ही खाना खा सकती है 

मछली पालन के लिए कितना बड़ा तालाब चाहिए?

अब अगर बात तालाब की करें तो फिश फार्मिंग यानी मछली पालन के लिए आपको कम से कम 0.2 हैक्टेयर का तालाब सही रहता है उससे कम का तालाब बनाने से मछली पालन में खास फायदा नही मिलता है इसलिए शुरुआत में इतना बड़ा तालाब तो अवश्य बनाये जहाँ आप बड़ी संख्या में मछलियों का पालन कर लाभ कमा सके।

मछली पालन के लिए तालाब की गहराई कितनी होनी चाहिए?

मछली पालन के लिए तालाब की गहराई कम से कम 7 फुट होनी ही चाहिए ताकि सभी किस्म की मछलियां आराम से संतुलित रह पाये। वैसे भी मछली पालन के व्यवसाय में एक ही तालाब के अंदर मिश्रित प्रकार की मछलियों को रखा  जाता है।  अतः पानी मे ये मछलियां अपने अनुसार संतुलन बना लेती है।

मछली को कब बाहर निकाले

मछली को बाहर तभी निकाला जाना चाहिए जब वह 1 से 1.5 किलो की हो जाए।क्योंकि अगर मछली का वजन इससे कम हुआ तो आपका नुक्सान होगा। इसलिए मछलीके इतना बड़े होने तक इंतज़ार करें।

आमतौर पर मछली 10 से 12 महीनो में इतने वजन की हो जाती है इसके बाद बाहर जाकर बेचने के लिए भी तैयार होती है पर मछली को बेचने के लिए उसको पानी से सही से निकालना भी होगा। तो मछली को पानी से बाहर निकालने के लिए जाल का इस्तेमाल कर सकते है।

एक एक करके मछली को पकड़ने में काफी समय लगेगा इसलिए मछली के बीज जो आपने अपने नजदीकी मतस्य विभाग से लिए उनको पानी में 1 साल तक डालने के बाद जाल की मदद से मछली को पानी से बाहर निकाले।इसके साथ ही मछली को जल्दी ही बाजार तक पहुंचाए। क्योंकि ज्यादा समय तक खुली जगह में रहने के कारण मछली खराब हो जाती है।

मछली पालन में कितना खर्च आता है?

मछली पालन में लागत आपकी जरुरत के हिसाब से हो सकती है। मछली पालन में होने वाला खर्च तालाब के साइज पर भी निर्भर करता है जैसे शुरुआत में आप 0.2 हैक्टेयर के तालाब से कर सकते है। इसके लिए आपको 1 लाख से 2 लाख तक खर्च करना पड़ता है और बड़े तालाब के लिए 10 से 15 लाख तक का खर्च करना पड़ सकता है। इसके अलावा अन्य खर्चे भी है जिनमें वॉटर पम्पिंग सेट, मछली पकड़ने के लिए जाल और काम करने वाले मजदूरों का वेतन आदि खर्च शामिल है।

मछली पालन से मुनाफा कितना होता है

अगर हम मछलियों से होने वाले मुनाफे की बात करे तो हम इसे ऐसे भी समझ सकते है अगर हम जमीन और मछलियों के 5000 बीज में 5 लाख का 25 प्रतिशत भी खर्च करते है और मछलियों को बड़ा होने के लिए तालाब और टैंक में रख देते है और उन मछलियों को तब निकालते जब उनका वजन लगभग 1 किलो के बराबर हो गया हो और हम हर मछली को लगभग 100 से 150 रुपय पर भी बेचते है, तो आप सोच सकते की कितना का मुनाफा हुआ है तो हम देख सकते है मछली के व्यवसाय में हमे कितना का फायदा हो सकता है |

मतस्य पालन में मुनाफा काफी अधिक है इसमें आप हर साल 4-5 लाख रुपये आसानी से कमा सकते है आप जितनी ज्यादा मछलियों को पालेंगे उतना ही ज्यादा पैसा कमाएंगे। अच्छी नस्ल और अच्छी मछलियां आपको बिजनेस में आगे पहुंचाने में काफी मददगार साबित हो सकती है इसलिए मछली को अच्छा खाना, साफ़ पानी दे।

मछली पालन के लिए लाइसेंस कौन सी लगती है?

मछली पालन के लिये आपको निम्नलिखित लाइसेंस लेने की जरूरत पड़ती है

  • आपको अपने फर्म का रेजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है।
  • जीएसटी नंबर लेना पड़ता है।
  • ट्रेड लाइसेंस
  • अगर आप मछली पालन व्यवसाय के लिए सरकार से  सब्सिडी लेना चाहते है तो MSME रेजिस्ट्रेशन अवश्य करवाये।
  • FSSAI लाइसेंस

अगर आप पाले गये मछलियों का विदेशों में निर्यात करना चाहते है तो IEC कोड की भी जरूरत पड़ती है।

मछली पालन के लिए ट्रेनिंग

मछली पालन के लिए सरकार द्वारा ट्रेनिंग की भी सुविधाएं हैं। भारत सरकार के मत्स्य विभाग में समय-समय पर ट्रेनिंग की सुविधाएं मिलती हैं। पशुपालन विभाग, डेयरी विभाग और मत्स्यपालन यह तीनों कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। सरकार रोजगार और स्वरोजगार के लिए किसानों की आय बढ़ाने और बेरोजगारों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं इस समय लॉन्च की है।

सरकारी मत्स्य विभाग की वेबसाइट https://dof.gov.in में समय-समय पर ट्रेनिंग की सूचनाएं आपको मिलती है। इस समय फिशिंग फार्मिंग में ब्लू रिवॉल्यूशन यानी कि नीली क्रांति के लिए सरकार प्रोत्साहित कर रही है और फिशिंग फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है। आधुनिक तरीके से फिशिंग फार्मिंग छोटे पैमाने पर टैंक में भी किया जा सकता है।

टैंक या छोटे तालाब में मछली पालन को नई तकनीक द्वारा विकसित करने की पहल भारत सरकार द्वारा की जा रही है, जिसका फायदा करोड़ों मछली उत्पादक उठा रहे हैं। भारत सरकार द्वारा सन 2018 में लगभग ₹1 लाख 85 हजार लाख रुपए फिशिंग सेक्टर में दिया है।

हरियाणा सरकार के द्वारा भी मत्स्य पालन के लिए कई ट्रेनिंग दी जाती है। 10 दिन से लेकर 15 दिन की ट्रेनिंग मछली पालन से लेकर तालाब सफाई और किस तरह बीज डाला जाए इन सब चीजों पर होती है। वेबसाइट से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं – mahendragarh.gov.in

मछली पालन के लिए लोन

मछली पालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए लोन दिया जाता है। कम ब्याज दरों में यह लोन स्थानीय बैंकों द्वारा भी उपलब्ध कराया जाता है। मछली पालन के लिए किराए या खुद का टैंक लगवा सकते हैं। मछली पालन करने के लिए कुल लागत का 75 परसेंट सरकार द्वारा लोन के रूप में दिया जाता है, जिसे आसान किस्तों में आसानी से भरा जा सकता है।

मछली पालन के लिए लोन पाने के लिए, अगर आप commercial aquaculture system से मछली पालन करना चाहते तो इसके लिए ₹20 लाख का लोन जिला मत्स्य विभाग से हासिल किया जा सकता है। लेकिन आपको मत्स्य पालन का प्लान (fishing farming plan) के साथ पांच लाख रुपए अपनी तरफ से इन्वेस्ट करना होगा। टैंक में मछली पालन करने के लिए भी छोटे लोन भी दिए जाते हैं। जिला मछली पालन विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

मछली पालन में कितनी सब्सिडी मिलती है?

अगर आप भी मछली पालन का व्यवसाय करना चाहते है पर बजट की समस्या है तो घबराने की जरूरत नही है क्योंकि सरकार अब मछली पालन के लिए सब्सिडी भी देती है ताकि इस व्यवसाय को जीविका यापन के लिए सहज बनाया जा सके। इसके लिये सरकार द्वारा ” प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” का सुभारम्भ किया गया है। इस योजना के अनुसार मछली पालक को मत्स्य पालन का प्रशिक्षण भी दिया जाता है और फिश फार्मिंग के लिये सरकार सब्सिडी भी देती है।

एक हैक्टेयर तालाब बनाने के लिए करीबन पांच लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें सब्सिडी सरकार कुछ इस तरह से प्रदान करती है कि जिसमें 50 फीसदी केंद्र सरकार और 25 फीसदी राज्य सरकार अनुदान देती है। साधारण शब्दों में कहें तो यदि आप मछली पालन का व्यवसाय करना चाहते है तो आपको सिर्फ 25 फीसदी का ही खर्च उठाना पड़ता है।

इसके अलावा अगर आपके पास पहले से ही तालाब मौजूद है और आप इसका इस्तेमाल मछली पालन के लिए करना चाहते है तो इसमें सुधार कर मछली पालन योग्य बनाने के लिए भी केंद्र और राज्य सरकार अनुदान देती है। अनुमानन इसमें खर्च 9 लाख रुपये आती है तो मछली पालक को सिर्फ 25 फीसदी का ही खर्च लगाना पड़ता है

मछलियों का मार्केटिंग कैसे करे ?

ऐसे तो भारत के हर शहर में मछलियों को बेचने के लिए एक हाट लगता है जहाँ पर सिर्फ मछलियों की ही मंडी लगती है और गाँव या उनके छोटे बाज़ार में आप खुद भी मछलियों को ले जाकर बेच सकते और बढ़िया पैसा कमा सकते है गाँव के बाजार में मछलियों का अच्छा व्यवसाय होता है मछलियों के कई बड़े फार्म तो सादी या बड़े पार्टी में भी मछलियों का सप्लाई देते है और अच्छा मुनाफा कमाते है

जो लोग मछली पालन का व्यवसाय छोटे स्तर पर शुरू करते हैं वह अक्सर लोकल मार्केट में मछली बेचकर मुनाफा कमा लेते हैं लेकिन अगर आप इस बिजनेस को बड़े लेवल पर शुरू करना चाहते हैं और अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो हमारी सुझाव है कि आप इसको अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने का प्रयास करें क्योंकि भारत के स्थानीय बाजार में आपको कम कीमत पर मछलियां बेचनी पड़ती है लेकिन वही आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मछलियों का निर्यात करेंगे तो उससे आपकी आमदनी कई गुना तक बढ़ जाएगी।

प्लास्टिक टैंक में मछली पालन कैसे करें ?

तालाब के लिए पर्याप्त जगह की कमी के कारण अब घर में भी प्लास्टिक के टैंक बनाकर मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ाया जा रहा है। मत्स्य पालन के इस पद्धति में 100 स्क्वायर मीटर की जगह बहुत होती है। इसे आप जरूरत के अनुसार घरों की छतों पर भी रखकर मछली पालन का व्यवसाय कर सकते है। इस प्रकार के मछली पालन में दो हजार लीटर वाले प्लास्टिक टैंक को एक दूसरे के साथ जोड़ दिया जाता है।

इस पद्धति में आप 1 से लेकर 5 टैंकों के इस्तेमाल कर मिश्रित मछली पालन भी कर सकते है। पहले वाले टैंक में जासर मछली की फिंगरलिंग यानी तीन इंच वाली सीड डाली जाती है। इससे निकलने वाले पानी को दूसरी वाली टैंक में जमा किया जाता है।

इस टैंक में देसी कार्प यानी कतला , रोहू और मृगल की फिंगरलिंग सीड डाली जाती है। तीसरे टैंक में विदेशी कार्प यानी ग्रास , सिल्वर, कामन की फिंगरलिंग सीड डाली जाती है। इसके बाद वाली टैंक का इस्तेमाल फ्रेश वॉटर के लिये किया जाता है तो इस तरह से प्लास्टिक टैंक में भी मछली पालन का व्यवसाय किया जाता है।

जो लोग मछली पालन का व्यवसाय करते हैं उनका अक्सर यही प्रश्न रहता है कि आखिर मछली का बीज कितने दिनों में 1 किलो का हो जाता है। जो लोग लंबे समय से मछली पालन कर रहे हैं उन्हें तो इस बारे में बखूबी पता रहता है लेकिन जो लोग नए रहते हैं वह जल्दी मुनाफा कमाने के चक्कर में अक्सर इस तरह के प्रश्नों का हल ढूंढने का प्रयास करते रहते हैं।

उन लोगों को बता देंना चाहता हूं कि अगर आप जनवरी में मछली का बीज तालाब में डाल रहे हैं तो कम से कम 9 महीने बाद वह मछली 1 किलो की हो जाती है लेकिन कभी कबार देखा गया है कि 1 साल से भी अधिक का समय हो जाता है लेकिन मछली 1 किलो की या इससे अधिक वजन की नहीं हो पाती है तो इसका यही कारण है कि मछलियों की सही तरीके से देखभाल नहीं की जाती है उन्हें समय पर खान पान से संबंधित सुविधाएं नहीं प्रदान की जाती है।

मछली पालन का व्यवसाय में जोखिम

वैसे तो मछली पालन व्यवसाय में आपको किसी भी तरह के जोखिम का सामना नहीं करना पड़ता है लेकिन आमतौर पर मछलियों की सही तरीके से देखभाल न की जाए तो यह आपके लिए समस्या पैदा कर सकता है क्योंकि जब तक आप मछलियों की सही देखभाल नहीं करेंगे तब तक आप उन्हें अच्छी कीमत पर नहीं बेच पाएंगे।

आने वाले समय में मछली पालन के व्यवसाय की मांग और भी अधिक बढ़ने वाली है क्योंकि जिस हिसाब से जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है उसको देखते हुए मछलियों की मांग भी मार्केट में बढ़ने वाली है ऐसे में अगर आप आज से ही इस बिजनेस को शुरू कर लेते हैं तो आने वाले समय में आप ज्यादा से ज्यादा लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और वहां से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

FAQ – मछली पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों द्वारा पूछे जाने वाले सवाल

Q1. कम से कम जगह में मछली पालन कैसे करें?

Ans. कम से कम जगह में मछली पालन करने के लिए आप प्लास्टिक टैंक का इस्तेमाल कर सकते है इसके लिए 100 स्क्वायर मीटर की जगह बहुत होती है। आप अपने जरूरत के अनुसार घरों की छतों पर प्लास्टिक टैंक में मछली पालन का व्यवसाय कर सकते है

Q2. मछली पालन में कितना खर्च आता है?

Ans. मछली पालन में में खर्च की बात करें तो अगर आप छोटे स्तर पर अपने घर पर मछली पालन कर रहे है तो 50 हजार से 1 लाख तक में शुरूवात कर सकते है वही अगर बड़े स्तर पर किसी तालाब में मछली पालन के लिए कम से कम 10 लाख तक की आवश्यकता होगी

Q3. मछली कितने दिन में 1 किलो की हो जाती है?

Ans. मछली पालन अगर आप फरवरी— मार्च के महीने में कर रहे है तो दिसंबर महीने तक 1 किलो की हो जाती है मतलब इन्हे कम से कम 9 महीने का समाये लगता है

Q4. मछली का दाना कितने रुपए किलो आता है?

Ans. मछली का दाना आपको बाजार में 150 से 160 प्रति किलो के हिसाब से मिल जाता है।

Q5. सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली कौन सी है?

Ans. कतला मछली जो सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली होती है और इसकी दमाद भी मार्किट में बहुत ज्यादा होती है

तो दोस्तों ये थी आसान स्टेप जिससे की आप समझ गए होंगे की मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें? How to Start Fish Farming Business in Hindi यह व्यापार आज के समय में काफी लोगों की पसंद बनता जा रहा है तथा इसमें होने वाला मुनाफा भी समय के साथ बढ़ता जा रहा है अगर अभी आप मछली पालन का व्यापार शुरू करते है तो उम्मीद है की आगे चलकर यह व्यापार और भी ज्यादा बढ़ेगा और आपका फायदा बढ़ता ही जायेगा। धन्यवाद

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