गाँव के जीवन पर निबंध – Essay on Village Life in Hindi

नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं. गाँव के जीवन पर निबंध – Essay on Village Life in Hindi आज के निबंध में आपका स्वागत हैं.

ग्रामीण जीवन के बारे में सरल जानकारी इस निबंध में दी गई हैं. छोटी कक्षाओं के स्टूडेंट्स के लिए यहाँ आसान निबंध दिया गया हैं.

गाँव के जीवन पर निबंध - Essay on Village Life in Hindi

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गांव का जीवन पर निबंध, short essay on village life in hindi (200 शब्द)

गांवों में बसनें वाले लोग अधिकतर खेती बाड़ी के काम में शामिल होते हैं और तनावपूर्ण भागदौड़ भरे शहर के जीवन की गहमागहमी से मीलो दूर रहते हैं। इनका जीवन जीने का ढंग सादगी भरा होता हैं। एक गाँव के जीवन की शुरुआत भौर के समय पक्षियों के चहचाहट और धीमी सूरज की किरण से होती है।

अमूमन गाँवों में लोग सवेरे 5 बजे उठते हैं और अपनी दिनचर्या के कार्यों शुरुआत करते हैं। गांवों में अधिकतर लोग घर की छत या आंगन में खुले स्थान पर सोते हैं, इसलिए भौर के उजाले के समय वे जल्दी उठ जाते हैं। गाँवों में सुबह के समय मुर्गे की बाँग सुनाई देना आम बात हैं।

काम की तलाश में गाँव के ज्यादातर पुरुष बाहर जाते है जबकि महिलाएं पर ही रहती हैं और घर के काम खाना बनाना, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना आदि होता है। किसान परिवार की महिलाएं पुरुषों के साथ खेतों पर काम पर भी जाती हैं।

गाँव के पुरुष सदस्य अधिकतर कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में शामिल होते हैं। इनके पास या तो स्वयं के खेत हैं अथवा इनको मजदूरी पर लेने वाले जमींदारो के लिए कार्य करते हैं। अपने घर से थोड़ी दूरी पर काम करने के लिए कारीगर, मजदूर साइकिल की मदद से जाते है। ग्रामीण जीवन में वाहनों के कम उपयोग के चलते प्रदूषण की समस्या कम ही हैं ।

गाँवों के किसान दिनभर अपने खेतों में काम करते हैं। दोपहर के समय घर की महिलाएं उनके लिए भोजन लेकर खेतों में पहुचती हैं और इस तरह किसान अपना दोपहर का भोजन वृक्षों की ठंडी छाव में बैठकर करते हैं। गांव में जीवन मध्यम मगर शांतिपूर्ण होता है।

500 शब्द गांव के जीवन पर निबंध

भारत ग्राम्य प्रधान दर्श हैं. यहाँ 80 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में निवास करती हैं. गांधीजी का कहना था कि भारत गाँवों में बसता हैं. गाँवों में लोग घास की टूटी फूटी कच्ची झोपड़ियों में रहते हैं,

जबकि शहरों में लोग ऊँची अट्टालिकाओं और भव्य प्रसादों में रहते हैं. फिर भी जीवन का वास्तविक आनन्द गाँवों में ही प्राप्त होता हैं शहरों में नहीं.

गाँव के लोग बाहर से अधनंगे, अनाकर्षक और अशिक्षित होते हुए भी ह्रदय से सीधे सच्चे और पवित्र होते हैं. गाँव के लोग ईमानदार और अतिथि सत्कार करने वाके होते हैं.

गाँव का जीवन बाह्य आडम्बर और छल कपट से दूर होता हैं. सादा जीवन और उच्च विचार की झलक गाँवों में ही देखने को मिलती हैं वे कृत्रिम साधनों से दूर रहते हैं.

ग्रामीण लोग रूखा सूखा जो भी मिल जाता हैं खा लेते हैं. वे मोटा और सस्ता कपड़ा पहनते हैं. अतिथि का दिल खोलकर स्वागत करते हैं. प्रातःकाल से संध्या तक खेतों में परिश्रम करते हैं.

वे गाय भैंस का ताजा दूध पीते हैं. और चटनी रोटी खाकर ही संतोष प्राप्त कर लेते हैं. अतः ग्रामों का जीवन सरल शांत और आनन्दमय होता हैं. गाँवों में प्रकृति का शुद्ध रूप देखने को मिलता हैं. गाँवों के छोटे छोटे बाग़ बगीचे और कच्चे लिपे पुते घरों में जो आनन्द मिलता हैं, वह शहरों में उपलब्ध नहीं हैं.

आज गाँवों में जो समस्याएं मुहं उठाए खड़ी हुई हैं, वे भारत जैसे देश के लिए कलंक की बात हैं. अधिकांश ग्रामीण अशिक्षा, भयंकर रोग, दरिद्रता और अन्धविश्वास से ग्रसित हैं. वहां के लोग इसी वातावरण में बड़े होते हैं. भारत की सरकार गाँवों की दशा सुधारने का प्रयास कर रही हैं.

वर्तमान समय में गाँव रुढियों और हानिकारक रीती रिवाजों से ग्रस्त हैं. किसानों को हमेशा सूदखोर महाजनों के शोषण का शिकार होना पड़ता हैं. और बढ़ती हुई बेकारी ने ग्रामीणों के जीवन को कुंठित और निराशामय बना दिया हैं. अतः गाँवों के देश भारत की सर्वांगीण उन्नति के लिए उनके बारे में सोचना नितांत आवश्यक हैं.

वैसे तो सरकारों द्वारा गाँवों को रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए वहां अस्पताल खोले जा रहे हैं. उनके आर्थिक विकास के लिए गाँवों को सड़कों से जोड़ा जा रहा हैं.

नलकूप, बिजली, रासायनिक खाद और कृषि यंत्रों में सुधार किया जा रहा हैं. सरकार के इन प्रयत्नों से ग्रामों की दशा में उल्लेखनीय सुधार हुआ हैं. अब वह दिन दूर नहीं जब भारत के गाँव पुनः पृथ्वी का स्वर्ग कह्लाए.

600 शब्द ग्रामीण जीवन निबंध | Rural Life Essay In Hindi

भारत के गाँव भारत की सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक है. गाँव भारतवर्ष की आत्मा है. और सम्पूर्ण भारत उसका शरीर. शरीर की उन्नति आत्मा की स्वस्थ स्थति पर निर्भर करती है.

आत्मा के स्वस्थ होने पर ही सम्पूर्ण शरीर में नवचेतना और नवशक्ति का संसार होता है. आज भी भारत की साठ प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में निवास करती है.

गाँवों की उन्नति से ही भारत की उन्नति हो सकती है. गाँव में ही सेवा और परिश्रम के अवतार किसान बसते है.अतः भारत की सच्ची झांकी देखनी हो तो गाँवों में चले जाइए.

भारत की उन्नति गाँवों की उन्नति पर ही निर्भर है. अतः ग्रामोन्नति का कार्य है. महाकवि सुमित्रानंदन पन्त ने भारतमाता ग्राम वासिनी नामक कविता में यह ठीक ही कहा है कि भारत माता का वास्तविक स्वरूप भारत में ही है.

स्वतंत्रता के पूर्व ग्रामो और ग्रामीणों की दशा दयनीय थी. निर्धनता बेरोजगारी और भुखमरी का नग्न नृत्य होता रहता था. अशिक्षा और अज्ञानता की अग्नि दिन रात धधकती रहती थी.

विश्व के किस अंग ने क्या अंगड़ाई ली, इसके क्या सुपरिणाम और दुष्परिणाम हुए इन बातों से इनका कोई सम्बन्ध नही था.

जीवन यापन की स्वस्थ प्रणाली से गाँव वाले अपरिचित थे. उनके जीवन में संघर्ष के लिए दरिद्रता, अज्ञानता अस्वस्थता बहुत थे. प्रतिवर्ष हजारों अकाल मृत्यु होती थी.

महामारी से रक्षा करने के छोटे छोटे नियम भी उनको समझ नही आते थे. न उनके मन में आगे बढ़ने की कोई इच्छा थी. अशिक्षा के साथ साथ ग्रामवासियों की आर्थिक स्थिति की समस्या भी प्रबल थी. अन्याय, अंधविश्वास और अशिक्षा का पूर्ण सम्राज्य था.

इन सब समस्याओं के साथ साथ वे सम्पूर्ण जीवन ऋण से दबे रहते थे. कृषि की सारी उपज सेठ साहूकार ले जाते थे. कृषि की दशा भी गिरी हुई थी. भारत का किसान प्रकृति के भरोसे पर रहता था. वह हल और बैल से खेती करता था. यही नही गाँवों में यातायात के साधनों की भी बहुत कमी थी.

ग्रामवासियों की पक्की सड़क पर पहुचते पहुचते 15-20 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता था. अधिकाँश गाँव यातायात के साधनों के अभाव में शहरों से बिलकुल कटे हुए थे. जिससे उनका जीवन आदिवासियों के जीवन के समान था.

यह सत्य है कि ब्रिटिश शासनकाल में गाँवों की उपेक्षा की गई. उनके विकास की ओर बिलकुल भी ध्यान नही दिया गया था. किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हमारी सरकार गाँवों के प्रति निरंतर प्रयत्नशील है. वहां की आर्थिक दशा को सुधारने के लिए कृषि की प्रगति की गई जिसके फलस्वरूप देश के कृषि उत्पादन में काफी वृद्दि हुई.

आज स्थति यह है कि हमारे देश में खाद्यान्न की कोई कमी नही है. बल्कि हम खाद्यान्नों का निर्यात भी कर रहे है. जो किसान हल और बैल से कृषि करता था. वह अब खेती के नए नए साधनों का प्रयोग करता है. हरित क्रांति इसका जीता जागता उदाहरण है.

सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में गाँवों की ओर विशेष ध्यान दिया है. अब प्राय सभी गाँवों में माध्यमिक स्कूल और कस्बो में में डिग्री कॉलेज खुल गये है. इन कॉलेजों को शहरों के विश्विद्यालय से जोड़ दिया गया है.

जिससे छात्र स्वत ही शहरी शिक्षा पा लेते है. जिन ग्रामवासियों की सात पीढियां निरक्षर थी. उनके बच्चे अब विदेशो में शिक्षा अध्ययन कर रहे है. प्रोढ़ शिक्षा की ओर भी सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

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ग्रामीण जीवन पर निबंध (गाँव का जीवन) Essay on Village Life in Hindi

ग्रामीण जीवन पर निबंध (गाँव का जीवन) Essay on Village Life in Hindi

इस लेख मे हमने ग्रामीण जीवन पर निबंध (गाँव का जीवन) Essay on Village Life in Hindi हिन्दी मे लिखा है। इसमे आप ग्रामीण क्षेत्रों मे शिक्षा, घर, जीवन शैली, स्वास्थ्य सुविधाएं, लोग और परंपराओं के विषय मे पूरी जानकारी दी है। यह निबंध स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए 1200 शब्दों मे लिखा गया है।

आईए शुरू करते हैं – गाँव के जीवन या ग्रामीण जीवन पर निबंध (Essay on Village in Hindi)

Table of Content

प्रस्तावना Introduction (ग्रामीण जीवन पर निबंध-1200 Words)

गाँव का जीवन या लोगों का ग्रामीण जीवन उनका माना जाता है जो शहरों से दूर रहते हैं और शहरों की तरह उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएँ नहीं मिल पाते हैं। शहरी लोगों के तुलना में गाँव के लोगों का जीवन बहुत अलग होता है।

आज की इस लेख में हम ग्रामीण – गांव में रहने वाले लोग कैसे अपना जीवन व्यतीत करते हैं उनके रहन-सहन का तरीका और साथ ही वहां के सुंदर वातावरण के विषय में आपको बताएंगे।

भारत मे गाँव Villages in India

आज भारत एक विकासशील देश है। तब भी आज शहरों के मुकाबले भारत में बहुत अधिक गाँव है। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय जनसंख्या गाँव में रहते हैं। गाँव का जीवन शांत, हरियाली और प्रदूषण मुक्त होता है।

गाँव के खेतों की सुंदरता और हरियाली देखने का मज़ा कुछ और ही होता है। गाँव में सभी बड़े निर्णय पंचायत ऑफिस के अधिकारी और सरपंच के माध्यम से पारित होते हैं।

ग्रामीण शिक्षा Education in Rural areas

आज भी इस आधुनिक युग में गाँव का जीवन शहरों से बहुत अलग है। गाँव में पूर्ण रूप से शिक्षा की सुविधाएँ आज भी उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। आज भी ज्यादातर गाँव में मात्र प्राइमरी स्कूलों की सुविधा है और कुछ बड़े गाँव में मात्र हाई स्कूल की सुविधा है।

कॉलेज या उच्च शिक्षा के लिए आज भी गाँव के बच्चों को बड़े शहरों में जाना पड़ता है। ऐसे में जिन लोगों के घर में अपने बच्चों को शहर भेजने के लिए पैसे नहीं होते हैं वह उनकी शिक्षा वही रोक देते हैं। इस प्रकार ज्यादातर लोग गाँव में अशिक्षित रह जाते हैं।

गाँव के घर और जीवन शैली House & Lifestyle in Villages

पहले भारत के सभी गाँव में बांस और भूसे से बने चाट हुआ करते थे और घर भी मिट्टी के होते थे परन्तु अब प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से गाँव में गरीब लोगों को मुफ्त में पक्के घर मिल रहे हैं।

लगभग सभी गाँव के लोग खेती-किसानी करते हैं और अपने घरों में मुर्गियां , गाय-भैंस, बैल, और बकरियां पालते हैं। साथ ही गाँव के लोग शहरी लोगों की तरह सब्जी-मंडी में सब्ज़ियाँ खरीदने नहीं जाते हैं। हर कोई अपने खेतों और बगीचों में सब्ज़ियाँ लगाते हैं और खुद के घर की सब्ज़ियाँ खाते हैं।

गाँव के लोगों का मुख्य कार्य खेती होता है। आज भी शहरों में जिन अनाजों को लोग खाते हैं सभी गाँव के खेतों से ही आता है। आज भी इस 21वीं सदी में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ तक पहुँचने के लिए अच्छी सड़क तक नहीं हैं।

हाला की प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अनुसार ज्यादातर गाँव को अब पक्की सड़कों से जोड़ा जा चूका है परन्तु फिर भी कुछ ऐसे गाँव हैं जहाँ पर सड़क ना होने के कारण वहां जाना तक बहुत मुश्किल होता है। उन जगहों पर सड़क ना होने के कारण बारिश के महीने में कीचड़ भर जाता है, गड्ढों के कारन जाना मुश्किल हो जाता है।

शहर के मुकाबले गाँव में बहुत कम लोग रहते हैं। गाँव में लोगों के घर के आस-पास बहुत खुली जगह होती है और हर किसी व्यक्ति के पास मोटरसाइकिल या कार नहीं होता है। गाँव में ज्यादातर लोगों के पास वाहन के रूप में बैल गाड़ी होता है। परन्तु कुछ जगहों में अब गाँव में भी लोगों के पास गाडी-मोटर की सुविधाएँ हैं।

स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाएँ Health care facilities in villages

अब गाँव के पास भी सरकार की और से प्राथमिक चिकित्सा केंद्र जगह-जगह खोले जा चुके हैं जिससे गाँव के लोगों को भी चिकित्सा के क्षेत्र में सुविधाएँ मिल रही है। इमरजेंसी के समय के लिए सरकार ने अब ज्यादातर प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में मुफ्त 108 एम्बुलेंस सर्विस प्रदान की है जो बहुत मददगार साबित हुए हैं।

गाँव के लोग साप्ताहिक छोटे बाज़ार लगते हैं जहाँ लोग कपड़े, खाने का समान, बिजली आ समान और अन्य ज़रूरी समान खरीदने जाते हैं। अगर उन्हें कुछ बड़ी चीजें खरीदना होता है तो वह पास के शहर जाते हैं।

गाँव में मौसम बहुत ही सुहाना और वातावरण बहुत स्वच्छ होता है। आज शहरी इलाकों में प्रदूषण के कारण सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। परन्तु गाँव में ऐसा नहीं है। गाँव में कम वाहन चलने के कारण प्रदूषण ना के बराबर होता है और इसलिए वातावरण भी स्वच्छ होता है।

परन्तु जिन ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी होती है वहां के जल संपदा बहुत अस्वच्छ होते हैं क्योंकि ज्यादातर गाँव में लोग जिस तालाब के पानी में कपड़े धोते हैं, गाय-भैंस को नहलाते हैं उसी में स्वयं नहाते हैं और उस पानी को खाने-पीने के काम में भी लेते हैं।

आज भी ज्यादातर गाँव में लोग बाहर शौच करते हैं जिसके कारण कई प्रकार की बीमारियाँ – जैसे टाइफाइड, डायरिया आदि से भी भुगतना पड़ता है। आज सरकार के कई अभियान जैसे – स्वच्छ भारत अभियान के द्वारा लोगों को स्वच्छता के विषय में जागरूक करने की मुहीम शुरू की जा चुकी है परन्तु इस प्राचीन काल से आये हुए अन्धविश्वास और अस्वच्छ भारत की आदतों को सुधारने में हमें बहुत समय लगेगा।

गाँव के लोग People of Village

जिन क्षेत्रों में कुछ प्राकृतिक कारणों से खेती किसानी सही प्रकार से नहीं हो पा रही है उन क्षेत्रों के गाँव में ज्यादातर लोग गरीबी रेखा (BPL-Below poverty line) के नीचे होते हैं। उनके पास खेत ना होने या खेतों में पानी की सुविधा सही प्रकार से ना हो पाने के कारण उनके पास एक वक्त का खाना खाने के लिए भी अनाज नहीं होता है।

ज्यादातर राज्यों की सरकार के इन गरीबी रेखा के लोगों के लिए जन धन योजना बैंक अकाउंट प्रदान किया है और साथ ही परिवार के अनुसार 2 रुपए वाला चावल प्रदान किया जा रहा है और साथ ही प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अनुसार घर-घर LPG गैस दिए जा रहे हैं।

पहले कुछ वर्ष पहले गाँव का जीवन रात होते ही अंधकार में डूब जाता था क्योंकि ज्यादातर गाँव में बिजली की सुविधा नहीं थी। आज लगभग ज्यादातर गाँव में बिजली की सुविधा पहुँच चुकी है। अब गाँव के बच्चे भी मेहनत कर रहे हैं और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सफलताएँ प्राप्त कर रहे हैं।

पारंपरिक त्यौहार और संस्कृति Traditional Festivals and Culture

आज भले ही शहरी क्षेत्रों में लोग भारत के संस्कृति और परंपरा को कई हद तक भुला चुके हैं वहीँ आज भी ग्रामीण लोगों के दिल में हमारे देश की परंपरा और संस्कृती कूट-कूट कर भरी हुई है। गाँव के त्यौहार में शहरों के जितना आतिशबाजी और रौशनी तो नहीं होता है परन्तु उसमें सही नियम, और लोग मिलझूल कर त्यौहार का आनंद उठाते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

भले ही गाँव का जीवन देखने मे बहुत ही कष्टदायी दिखता हो परंतु होता बहुत ही सुंदर और मनमोहक है। आज इंटरनेट और अच्छे रोड रास्तों के कारण भारत का ग्रामीण जीवन भी बहुत आगे निकाल चुका है।

आशा करते हैं आपको गाँव के जीवन या ग्रामीण जीवन पर निबंध अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह निबंध अच्छा लगा हो तो इस आर्टिकल को अपने सोशल मीडिया पर ज़रूर शेयर करें।

11 thoughts on “ग्रामीण जीवन पर निबंध (गाँव का जीवन) Essay on Village Life in Hindi”

Very nice but it is too long to write

pls send an essay on rural Family.

Very helpful. Thank you

Dear sir, There have been lot of changes in the villagers. They get more benefits. Now there are four wheeler, motorcycle, you can found in many villages. I agree they have simple life but young generation have been changed. I love villages, beautiful environment, pure air.

Yes I am agree to you, I am also from village

You are write I also agree with you I also live in a village but we have car, motor-cycle, scooty tractor and much more appliances there is every benefit which a city have.

good article

Very helpful it helps me to do my Hindi project

Thanks Helped a lot

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