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योग पर निबंध (Yoga Essay in Hindi)

योग

नियमित योग करने वाले व्यक्तियों के लिए योग एक बहुत ही अच्छा अभ्यास है। यह स्वस्थ जीवन शैली तथा बेहतर जीवन जीने में हमारी काफी सहायता करता है। योग वह क्रिया है, जिसके अन्तर्गत शरीर के विभिन्न भागों को एक साथ लाकर शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को सन्तुलित करने का कार्य किया जाता है। पहले समय में योग का अभ्यास ध्यान की क्रिया के साथ किया जाता था। योग सांस लेने के अभ्यास और शारीरिक क्रियाओं का जोड़ है। योग व्यवस्थित, वैज्ञानिक और परिणाम दोनों शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के सुधारों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

योग पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Yoga in Hindi, Yog par Nibandh Hindi mein)

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 पर निबंध | योग पर 10 वाक्य

योग पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)

योग के संस्थापक पतंजलि के अनुसार जो मन की वृत्तियों पर नियंत्रण करती है, वही योग है।(योगः चित्तवृत्त्तिः निरोधः) योग कला की उत्पत्ति भारत में हुई थी। योग शरीर तथा मन के संबंधों में सन्तुलन बनाने में हमारी सहायता करता है।

योग के प्रकार और आसन

योग कई प्रकार के होते हैं  जैसे- राज योग, जन योग, भक्ति योग, कर्म योग, हस्त योग। योग में विभिन्न प्रकार के प्राणायाम और कपाल-भाति जैसी योग क्रियाएं शामिल हैं, जो सबसे ज्यादा प्रभावी सांस की क्रियाएं हैं। सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, पद्मासन आदि विभिन्न प्रकार के आसन विभिन्न उद्देश्यों के लिए किये जाते है।

योग के महत्व

योग का नियमित अभ्यास हमारे शरीर को सही आकार देता है। योग का नियमित अभ्यास करने से लोगों को सांस संबंधी समस्याओं और उच्च व निम्न रक्तदाब जैसी बीमारियों में आराम मिलता है। यह हमारे शरीर में कई सारे सकारात्मक बदलाव लाता है और शरीर के अंगों की प्रक्रियाओं को भी नियमित करता है। योग के नियमित अभ्यास के द्वारा हम शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रह सकते हैं।

पूरे विश्व में योग के महत्व को समझते हुए 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किया गया। योग करके हम अपने शरीर की अनेक बीमारियों को दूर कर सकते है। यह बीमारियाँ ही नहीं ठीक करता बल्कि यादाश्त, अवसाद, चिंता, डिप्रेशन, मोटापा, मनोविकारों को भी दूर भगाता है। शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ाने का योग से अच्छा कोई और तरीका नहीं हो सकता है।

योग व इसके लाभ – निबंध 2 (300 शब्द)

योग की उत्पत्ति प्राचीन समय में, योगियों द्वारा भारत में की गई थी। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द से हुई है, जिसके दो अर्थ हैं। एक अर्थ है जोड़ना और दूसरा अर्थ है अनुशासन। योग का अभ्यास हमें शरीर और मस्तिष्क के जुड़ाव द्वारा शरीर और मस्तिष्क के अनुशासन को सिखाता है। यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है, जो शरीर और मस्तिष्क के संतुलन के साथ ही प्रकृति के करीब आने के लिए ध्यान के माध्यम से किया जाता है।

यह पहले समय में, हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों द्वारा किया जाता था। यह व्यायाम का ही एक अद्भुत प्रकार है, जो शरीर और मन को नियंत्रित करके जीवन को बेहतर बनाता है। योग हमेशा स्वस्थ जीवन जीने का एक विज्ञान है। यह एक दवा की तरह है, जो हमारे शरीर के अंगों के कार्यों करने के ढंग को नियमित करके हमें विभिन्न बीमारियों से बचाने का कार्य करता है।

आंतरिक शांति

योग हमारे शरीर में शांति बढ़ाने और हमारे सभी तनाव तथा समस्याओं मुक्ति दिलाने का कार्य करता है। योग और इसके लाभों के बारे में दुनिया भर के लोगों को जागरूक करने के लिए वार्षिक रुप से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर (अंतरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस) कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसका अभ्यास लोगों के द्वारा किसी भी आयु में किया जा सकता है जैसे बचपन, किशोरावस्था, वयस्क या वृद्धावस्था। इसके लिए नियंत्रित तरीके से सांस लेने के साथ सुरक्षित, धीमे और नियंत्रित शारीरिक गतिविधियों की भी आवश्यकता होती है। वयस्कों और बच्चों की तुलना में वयस्कों की आयु में सबसे ज्यादा समस्याएं हैं। योग करने से शरीर में शांति का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण हमारे अंदर आत्मविश्वास भी जागृत होता है।

वास्तव में योग वह क्रिया है, जो शरीर के अंगों की गतिविधियों और सांसों को नियंत्रित करता है। यह शरीर और मन, दोनों को प्रकृति से जोड़कर आन्तरिक और बाहरी ताकत को बढ़ावा देने का कार्य करता है। विभिन्न प्रकार के योग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं, इसलिए केवल आवश्यक और सुझाये गए योगों का ही अभ्यास करना चाहिए। यह केवल एक शारीरिक क्रिया ही नहीं है, क्योंकि यह एक मनुष्य को मानसिक, भावनात्मक और आत्मिक विचारों पर नियंत्रण करने के योग्य भी बनाता है।

दैनिक जीवन में योग से लाभ – निबंध 3 (400 शब्द)

योग प्राचीन समय से मनुष्य को प्रकृति द्वारा दिया गया बहुत ही महत्वपूर्ण और अनमोल उपहार है, जो जीवन भर मनुष्य को प्रकृति के साथ जोड़कर रखता है। यह शरीर और मस्तिष्क के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए, इन दोनों को संयुक्त करने का सबसे अच्छा अभ्यास है। यह एक व्यक्ति को सभी आयामों पर, जैसे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर नियंत्रण के द्वारा उच्च स्तर की संवेदनशीलता प्रदान करता है। स्कूल और कालेज में विद्यार्थियों की बेहतरी के साथ ही पढ़ाई पर उनकी एकाग्रता को बढ़ाने के लिए भी योग के दैनिक अभ्यास को बढ़ावा दिया जाता है। यह लोगों द्वारा किया जाने वाला व्यवस्थित प्रयास है, जो पूरे शरीर में उपस्थित सभी अलग-अलग प्राकृतिक तत्वों के अस्तित्व पर नियंत्रण करके व्यक्तित्व में सुधार लाने के लिए किया जाता है।

दैनिक जीवन में योग

योग के सभी आसनों से लाभ प्राप्त करने के लिए सुरक्षित और नियमित अभ्यास की आवश्यकता है। योग का अभ्यास आन्तरिक ऊर्जा को नियंत्रित करने के द्वारा शरीर और मस्तिष्क में आत्म-विकास के माध्यम से आत्मिक प्रगति को लाना है। योग के दौरान श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन लेना और छोड़ना सबसे मुख्य वस्तु है। दैनिक जीवन में योग का अभ्यास करना हमें बहुत सी बीमारियों से बचाने के साथ ही कई सारी भयानक बीमारियों जैसे- कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज़), उच्च व निम्न रक्त दाब, हृदय रोग, किडनी का खराब होना, लीवर का खराब होना, गले की समस्याओं तथा अन्य बहुत सी मानसिक बीमारियों से भी हमारी रक्षा करता है।

एक स्वस्थ व्यक्ति अपने जीवन में बहुत लाभ कमा सकता है और स्वस्थ्यपूर्ण जीवन जीने के लिए नियमित योग बहुत ही आवश्यक है। आज के आधुनिक जीवन में तनाव काफी बढ़ चुका है और आस-पास का पर्यावरण भी स्वच्छ नहीं है। बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बेहतर स्वस्थ का मतलब होता है बेहतर जीवन। आप 20-30 मिनट का योग करके अपने जीवन को काफी बेहतर बना सकते हैं क्योंकि रोज प्रातः उठकर योगाभ्यास करने से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।

आजकल लोगों के जीवन को बेहतर करने के लिए फिर से योग का अभ्यास करने की आवश्यकता है। दैनिक जीवन में योग का अभ्यास शरीर को आन्तरिक और बाहरी ताकत प्रदान करता है। यह शरीर के प्रतिरोधी प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है, इस प्रकार यह विभिन्न और अलग-अलग बीमारियों से बचाव करता है। यदि योग को नियमित रुप से किया जाए तो यह दवाइयों का दूसरा विकल्प हो सकता है। यह प्रतिदिन खाई जाने वाली भारी दवाइयों के दुष्प्रभावों को भी कम करता है। प्राणायाम और कपाल-भाँति जैसे योगों को करने का सबसे अच्छा समय सुबह का समय है, क्योंकि यह शरीर और मन पर नियंत्रण करने के लिए बेहतर वातावरण प्रदान करता है।

विश्व योग दिवस: योग से एकाग्रता की ओर – निबंध 4 (600 शब्द)

बिना किसी समस्या के जीवन भर तंदुरुस्त रहने का सबसे अच्छा, सुरक्षित, आसान और स्वस्थ तरीका योग है। इसके लिए केवल शरीर के क्रियाकलापों और श्वास लेने के सही तरीकों का नियमित अभ्यास करने की आवश्यकता है। यह शरीर के तीन मुख्य तत्वों; शरीर, मस्तिष्क और आत्मा के बीच संपर्क को नियमित करता है। यह शरीर के सभी अंगों के कार्यकलाप को नियमित करता है और कुछ बुरी परिस्थितियों और अस्वास्थ्यकर जीवन-शैली के कारण शरीर और मस्तिष्क को परेशानियों से बचाव करता है। यह स्वास्थ्य, ज्ञान और आन्तरिक शान्ति को बनाए रखने में मदद करता है। अच्छे स्वास्थ्य प्रदान करने के द्वारा यह हमारी भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करता है, ज्ञान के माध्यम से यह मानसिक आवश्यकताओं को पूरा करता है और आन्तरिक शान्ति के माध्यम से यह आत्मिक आवश्यकता को पूरा करता है, इस प्रकार यह हम सभी के बीच सामंजस्य बनाए रखने में भी मदद करता है।

योग से एकाग्रता की ओर

सुबह को योग का नियमित अभ्यास हमें अनगिनत शारीरिक और मानसिक बीमारियों से बचाने का कार्य करता पहै। योग के विभिन्न आसन मानसिक और शारीरिक मजबूती के साथ ही अच्छाई की भावना का निर्माण करते हैं। यह मानव मस्तिष्क को तेज करता है, बौद्धिक स्तर को सुधारता है और भावनाओं को स्थिर रखकर उच्च स्तर की एकाग्रता में मदद करता है। अच्छाई की भावना मनुष्य में सहायता की प्रकृति के निर्माण करती है और इस प्रकार, सामाजिक भलाई को बढ़ावा देती है। एकाग्रता के स्तर में सुधार ध्यान में मदद करता है और मस्तिष्क को आन्तरिक शान्ति प्रदान करता है। योग प्रयोग किया गया दर्शन है, जो नियमित अभ्यास के माध्यम से स्व-अनुशासन और आत्म जागरूकता को विकसित करता है।

विश्व योग दिवस

योग का अभ्यास किसी के भी द्वारा किया जा सकता है, क्योंकि आयु, धर्म या स्वस्थ परिस्थितियों परे है। यह अनुशासन और शक्ति की भावना में सुधार के साथ ही जीवन को बिना किसी शारीरिक और मानसिक समस्याओं के स्वस्थ जीवन का अवसर प्रदान करता है। पूरे संसार में इसके बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, संयुक्त संघ की सामान्य बैठक में 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में मनाने की घोषणा करने का सुझाव दिया था, ताकि सभी योग के बारे में जाने और इसके प्रयोग से लाभ लें। योग भारत की प्राचीन परम्परा है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी और योगियों के द्वारा तंदुरुस्त रहने और ध्यान करने के लिए इसका निरन्तर अभ्यास किया जाता है। निकट जीवन में योग के प्रयोग के लाभों को देखते हुए संयुक्त संघ की सभा ने 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रुप में मनाने की घोषणा कर दी है।

योग के प्रकार

योग में कई तरह के होते हैं जैसे राजयोग, कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग और हठ योग। लेकिन जब ज्यादातर लोग भारत या विदेशों में योग के बारे में बात करते हैं, तो उनका आमतौर पर हठ योग होता है, जिसमें ताड़ासन, धनुषासन, भुजंगासन, कपालभांति और अनुलोम-विलोम जैसे कुछ व्यायाम शामिल होते हैं। योग पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा की एक महत्वपूर्ण प्रणाली है।

योग आपको लचीला बनाता है

कुछ लोगों को अपने शरीर को इधर उधर झुकाने या अपने पैर की उंगलियों को झुकने या छूने में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एक बार जब कोई व्यक्ति नियमित आधार पर योग करना शुरू करता है, तो वे जल्द ही इसका प्रभाव महसूस करना शुरू कर देता है। यह जोड़ों में दर्द को हटाने में भी मदद करता है, जो कि ज्यादातर बड़े लोगों में एक आम बात है। ये लोगों को प्राकृतिक तरीकों से भी रोगों से मुक्ति दिलाता है जिससे मनुष्य अपने शरीर में काफी लचीलापन तथा फुर्ती महसूस करता है।

हम योग से होने वाले लाभों की गणना नहीं कर सकते हैं, हम इसे केवल एक चमत्कार की तरह समझ सकते हैं, जिसे भगवान ने मानव प्रजाति को उपहार के रुप में प्रदान किया है। यह हमारी शारीरिक तंदुरुस्ती को बनाए रखता है, तनाव को कम करता है, भावनाओं को नियंत्रित रखते हुए नकारात्मक विचारों को भी नियंत्रित करता है। जिससे हममें भलाई की भावना, मानसिक शुद्धता, और आत्मविश्वास विकसित होता है। योग के अनगिनत लाभ हैं, हम यह कह सकते हैं कि योग मानवता को मिला हुआ एक ईश्वरीय वरदान है।

Yoga Essay

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2023 पर अधिक जानकारी

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  • Hindi Grammar /

Essay on Yoga in Hindi: जानिए परीक्षाओं में आने वाले योग पर निबंध

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 9, 2023

Essay on Yoga in Hindi

योग के नियमित अभ्यास से बेहतर एकाग्रता और फोकस से में ध्यान दिया जा सकता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता जो किसी कार्य में मन लगाना चाहते हैं। योग एक ऐसा व्यायाम है जो फुर्तीलेपन, शक्ति और संतुलन में सुधार करता है। विद्यार्थियों को कई बार इससे अवगत करने के लिए योग पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Essay On Yoga In Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

योग पर निबंध सैंपल 1, योग पर निबंध सैंपल 2, योग का अर्थ , योग का महत्व, योग पर 10 लाइन्स .

योग, प्राचीन भारत से उत्पन्न हुआ था। महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है। योग सौम्य मुद्राओं और सचेतन श्वास के संयोजन से शरीर कल्याण को पूर्ण रूप बढ़ावा देता है। यह अभ्यास न केवल शारीरिक फुर्तीली और शक्ति को बढ़ाता है बल्कि मानसिक विश्राम और तनाव में कमी को भी बढ़ावा देता है। ध्यान के माध्यम से, योग एक शांत दिमाग विकसित करता है, मन की एकाग्रता में सुधार करता है और चिंता को कम करता है। उम्र की परवाह किए बिना कोई भी व्यक्ति आसन में सुधार और संतुलित, स्वस्थ जीवन के लिए योग अपना सकता हैं। योग के लाभ को समझकर इसे विश्व स्तर पर महत्व दिया जाता है तथा प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। नियमित अभ्यास को शामिल करके, व्यक्ति बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य, बेहतर मानसिक लचीलेपन और जीवन की गुणवत्ता में सुधार सकते हैं।

Essay On Yoga In Hindi सैंपल 2 नीचे दिया गया है-

योग, भारत में शुरू हुई एक प्राचीन पद्धति है जो हमारे शरीर और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखने का एक गहरा तरीका प्रदान करता है। योग में गतिविधियों और मुद्राओं के माध्यम से यह व्यक्तियों को लचीलापन और ताकत विकसित करने में सहायता मिलती है। योग में अपनाई गई अनोखी साँस लेने की तकनीकें न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाती हैं, बल्कि लोगों में शांति की भावना भी पैदा करती हैं, जो तनाव के लिए एक शक्तिशाली औषधि के रूप में काम करती हैं।

ध्यान, योग का एक प्रमुख हिस्सा है। ध्यान स्पष्ट सोच और आंतरिक शांति की सुविधा प्रदान करता है, जो हमारे व्यस्त जीवन के बीच अमूल्य साबित होता है। योग के असंख्य लाभ हैं – यह हमारे शरीर को अत्यधिक लचीला बनाने में सहायता करता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है और स्वस्थ जोड़ों को बढ़ावा देता है। आम ग़लतफ़हमियों के विपरीत, योग केवल वयस्कों तक ही सीमित नहीं है; यह बच्चों और बुजुर्गों सहित सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त अभ्यास है। यह एक ऐसा व्यायाम से जो किसी भी उम्र के व्यक्ति के द्वारा किया जा सकता है। 

नियमित रूप से योग करने से आप अच्छी फिटनेस और मानसिक संतुलन को पा सकते हैं। योग को अपने जीवन में शामिल करके, हम शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं, मानसिक लचीलापन विकसित कर सकते हैं और आत्म-खोज के परिवर्तनकारी मार्ग पर चल सकते हैं। संक्षेप में, योग एक अभ्यास है जो इसे अपनाने वाले सभी लोगों के जीवन को समृद्ध बनाता है।

योग पर निबंध सैंपल 3

Essay On Yoga In Hindi सैंपल 3 नीचे दिया गया है:

योग कला और विज्ञान की तरह है जो हमें स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है। यह एक प्रकार की आध्यात्मिक प्रथा है जो हमारे दिमाग और शरीर को एक साथ संतुलित तरीके से काम करने पर केंद्रित करती है। यह सिर्फ व्यायाम नहीं है, बल्कि यह हमारे पूरे जीवन को अनुशासन में रखता है।

योग बीमारियों से बचाव और हमें स्वस्थ रखने के लिए भी अच्छा और आसान विकल्प है। यह उन समस्याओं को हल करने में मदद करता है जो हमारे जीने के तरीके से आती हैं। यह दर्शाता है कि योग शारीरिक आसन नहीं है, यह हमारे दिमाग और शरीर को तालमेल में रखने का एक तरीका है।

“योग” शब्द का अर्थ है “जोड़ना”।  केवल शारीरिक व्यायाम करने से परे, योग व्यक्तिगत स्व या चेतना को अनंत आत्मा से जोड़ने कार्य करता है। यह दो चीज़ों को एक साथ लाने जैसा है। योग में अभ्यास और प्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम से मन की प्रकृति की खोज करना भी शामिल है। यह एक प्राचीन कला है जिसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करना और उनका विकास करना है।

योग यह देखने का एक तरीका है कि हमारा दिमाग कैसे काम करता है। इसमें योगिक साहित्य में वर्णित विभिन्न अभ्यास और तकनीकें शामिल हैं, और इन सभी चीजों को एक साथ ‘योग’ कहा जाता है। सरल शब्दों में, योग खुद को किसी बड़ी चीज़ से जोड़ने, अपने दिमाग को बेहतर ढंग से समझने और हमारे समग्र कल्याण को विकसित करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करने में सहायता करता है।

योग बच्चों के लिए एक अच्छे दोस्त की तरह है, जो उनके शरीर, दिमाग और भावनाओं के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देता है। यह शारीरिक शक्ति, सहनशक्ति और ऊर्जा का निर्माण करने में मदद करता है, साथ ही बढ़ती एकाग्रता, शांति और संतुष्टि जैसे मानसिक लाभ भी लाता है। इससे अंदर और बाहर संतुलन बनता है। योग रोजमर्रा की जिंदगी के तनाव से निपटने का एक साधन बन गया है।

योग को शरीर के लिए एक स्थिरता प्रदान करने वाले और कभी-कभी व्यस्त मन के लिए एक शांत प्रभावक के रूप में भी कार्य करता है। यह जोड़ों और अंगों जैसी अंदरूनी चीजों की भी देखभाल करता है, हर चीज को अच्छी तरह से रखता है। चिकित्सा अध्ययन कहते हैं कि सभी शारीरिक गतिविधियों में से, योग सबसे अलग है क्योंकि यह पूरे शरीर को अच्छी कसरत देता है, जिससे बीमार होने की संभावना कम हो जाती है।  नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से किसी के भी जीवन पर सकारात्मक, स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।

Essay On Yoga In Hindi पर लाभ नीचे दिए गए हैं-

  • योग समग्र स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए एक जादुई औषधि की तरह है, जो शरीर की मुद्राओं (आसन) और सांस पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • ध्यान और साँस लेने के व्यायाम (प्राणायाम) का अभ्यास करके, आप अपने जीवन से तनाव को दूर कर सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन शैली का आनंद ले सकते हैं। यह उन पुरानी बीमारियों के लिए एक शानदार उपाय है जिनसे नियमित दवाओं से निपटना कठिन होता है। 
  • यदि आप पीठ दर्द या गठिया से जूझ रहे हैं, तो प्रमुख मांसपेशियों को लक्षित करने वाले विशिष्ट आसन अविश्वसनीय रूप से सहायक हो सकते हैं। फेफड़ों की क्षमता के लिए, प्राणायाम से बढ़कर कुछ नहीं, जो सर्वोत्तम साँस लेने का व्यायाम है।
  • सांस के साथ जुड़े आसन का क्रम न केवल आपके शरीर के हर हिस्से को लाभ पहुंचाता है बल्कि ताकत, फुर्तीलेपन और संतुलन को भी बढ़ाता है। 
  • दैनिक योग मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, फुर्तीलेपन बढ़ाता है और जोड़ों की समस्याओं से बचाता है। 
  • यह ऊर्जा बढ़ाने, आरामदायक नींद को बढ़ावा देने और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए वन-स्टॉप समाधान की तरह है। 
  • योग की असली सुंदरता शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के कल्याण पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव में निहित है। विभिन्न फिटनेस स्तरों के अनुरूप चुनने के लिए आसनों की एक विस्तृत विविधता मौजूद है। 
  • योग में दवाओं की कोई ज़रूरत नहीं – योग बिना किसी हानिकारक दुष्प्रभाव के प्राकृतिक उपचारक की तरह काम करता है। बस अपने शरीर के लिए सही आसन चुनें, उनका सही ढंग से अभ्यास करें और शांतिपूर्ण मन और स्वस्थ शरीर के असीम लाभों का आनंद लें।

योग स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का एक सुरक्षित और अद्भुत तरीका है, और सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कोई भी कर सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी उम्र कितनी है या आपका आकार कैसा है। योग शारीरिक समन्वय को बेहतर बनाने में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि आप सीधे खड़े हों और बैठें।  यह आपके परिसंचरण, पाचन और तंत्रिका तंत्र के लिए शक्ति बढ़ाने का कार्य करता है, जिससे आप युवा और ऊर्जा से भरपूर महसूस करते हैं।

योग के बारे में अच्छी बात यह है कि यह मन और शरीर दोनों पर एक साथ कार्य करता है, जिससे यह शरीर के समग्र कल्याण का एक आदर्श उदाहरण बन जाता है। यह अब बहुत चलन में है, प्रसिद्ध लोग, नेता और नियमित लोग सभी इसमें शामिल हो रहे हैं। यह आपके दिमाग को साफ़ करता है, आपके शरीर को स्वस्थ रखता है, और आपकी भावनाओं और विचारों को नियंत्रित करने में आपकी मदद करता है।  यह खुद को बदलने और फिट रहने का एक लोकप्रिय और आसान तरीका है जिसे नियमित रूप से किया जाए तो यह आपको जीवनभर स्वस्थ रखने का कार्य कर सकता है।

Essay On Yoga In Hindi जानने के बाद योग पर 10 लाइन्स भी जानिए, जो नीचे दी गई हैं-

  • योग की उत्पत्ति भारत में हिंदू धर्मग्रंथों से हुई और दुनिया भर में इसका अभ्यास किया जाता है।
  • लोग समझ गए हैं कि योग किस प्रकार व्यायाम करने और मन को शांत करने में मदद करता है।
  • योग को केवल व्यायाम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।  इसे स्वस्थ, सुखी और शांतिपूर्ण जीवन का मंत्र माना जाना चाहिए।
  • योगाभ्यास से शांति और अच्छा स्वास्थ्य पाया जा सकता है।
  • योग सिर्फ शरीर के लिए ही नहीं बल्कि मन और आत्मा के लिए भी एक व्यायाम है।
  • योग का अभ्यास करके व्यक्ति तनाव और शारीरिक बीमारियों सहित कई चुनौतियों से निपट सकता है।
  • योग मांसपेशियों को लचीला बनाने, वजन कम करने और त्वचा के स्वास्थ्य में भी सुधार करने में मदद करता है।
  • योग धैर्य और एकाग्रता विकसित करने, याददाश्त तेज करने और हमारे जीवन में शांति लाने में मदद करता है।
  • 21 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • यदि कोई प्रतिदिन योग का अभ्यास करता है, तो वह एक संतुलित जीवन जीने की राह पर है।

योग अपने परिणामों के कारण जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। यह लोगों को उनके शारीरिक और मानसिक कल्याण में मदद कर सकता है।

योग की उत्पत्ति का पता 500 साल पहले लगाया जा सकता है और इसका सबसे पहले उल्लेख वेदों में से एक यानी ऋग्वेद में किया गया था।

योग पर एक लघु निबंध में इसके महत्व, उत्पत्ति और लाभ जैसे विभिन्न बिंदु शामिल होंगे और इसमें कुछ प्रकार के योग भी शामिल हो सकते हैं।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Essay On Yoga In Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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योग या Yoga का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, प्रकार तथा महत्व

योग शब्द का शाब्दिक अर्थ जोड़ना या मिलन कराना है। योग शब्द के इस अर्थ का भारतीय संस्कृति में बहुत अधिक प्रयोग किया गया है । जैसे गणित शास्त्र में दो या दो से अधिक संख्याओं के जोड़ का योग कहते है । चिकित्सा शास्त्र में विभिन्न औषधियों के मिश्रण को योग कहते है, ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की विभिन्न स्थितियों को योग कहते है।

योग क्या है? (What is Yoga)

बहुत से अन्य क्षेत्रों में योग शब्द का विभिन्न अर्थों में प्रयोग किया गया है। किन्तु हम आध्यात्मिक क्षेत्रों में इस शब्द के अर्थ पर विचार करते है तो वहाँ उसका अर्थ अपने आप से युक्त होना अर्थात् अपने स्वरूप में स्थिर हो जाना या जीवात्मा का परमात्मा से मिलन योग कहा जाता है । 

योग दर्शन में कहा है – ‘‘तंद्रा द्रश्टु: स्वरूपेऽवस्थानम् ।’’ जब चित का क्लिष्ट और अक्लिश्ट उभय प्रकार की वृतियों का अभाव या निरोध हो जाता है तब दृश्टा-आत्मा का स्व स्वरूप यानि ब्रह्मस्वरुप में स्थित हो जाता है । योग शब्द को संस्कृत व्याकरण के ‘युज’ धातु से उत्पन्न हुआ मानते है।

संस्कृत व्याकरण के पाणिनी के गण पाठ में युज धातु तीन प्रकार से प्रयोग में लायी गई है जो इस प्रकार है –

  • ‘‘युज समाधौ’ – (दिवादिगणीय)
  • ‘‘युजिर योगे’’ – (अधदिगणीय)
  • ‘‘युज संयमने’ – (चुरादिगणीय)

इनमें प्रथम धातु का अर्थ समाधि है, द्वितीय धातु का अर्थ मिलन या संयोग तथा तृतीय धातु का अर्थ संयम है । 

योग का अर्थ (Meaning of Yoga)

अधिकतर विद्वानों ने आध्यात्मिक क्षेत्र में योग शब्द का अर्थ प्रथम ‘‘धातु’’ युज समाधौ से ही निष्पन्न हुआ माना है । महर्षि व्यास भी योग शब्द का अर्थ करते हुए कहा है कि समाधि को ही योग कहते है । ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के युजिर् धातु से हुई है, जिसका अर्थ है-’सम्मिलित होना’ या ‘एक होना’। इस एकीकरण का अर्थ जीवात्मा तथा परमात्मा का एकीकरण अथवा मनुष्य के व्यक्तित्व के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक पक्षों के एकीकरण से लिया जा सकता है।  

‘योग’ शब्द ‘युज’ धातु से बना है। संस्कृत व्याकरण में दो युज् धातुओं का उल्लेख है, जिनमें एक का अर्थ जोड़ना तथा दूसरे का मन: समाधि, अर्थात् मन की स्थिरता है। अर्थात् सामान्य रीति से योग का अर्थ सम्बन्ध करना तथा मानसिक स्थिरता करना है। इस प्रकार लक्ष्य तथा साधन के रूप में दोनों ही योग हैं। शब्द का उपयोग भारतीय योग दर्शन में दोनों अर्थों में हुआ है। 

योग शब्द का अर्थ भिन्न-भिन्न प्रकार से लिया गया है।

  • ‘पाणिनीयों धतु पाठ’ में योग का अर्थ- समाधि, संयोग एवं संयमन है। 
  • ‘अमर कोश’ में इसका अर्थ- कवच, साम-दाम आदि उपाय, ध्यान, संगति, युक्ति है।
  • ‘संस्कृत-हिन्दी कोश’ में इसका अर्थ- जोड़ना, मिलाना, मिलाप, संगम, मिश्रण, संपर्क, स्पर्श, संबंध है। 
  • ‘आकाशवाणी शब्द कोश’ में इसका अर्थ- जुआ, गुलामी, बोझ, दबाव, बन्धन, जोड़ना, नत्थी करना, बाँध देना, जकड़ देना, जोतना, जुआ डालना, गुलाम बनाना लिया गया है। 
  • ‘मानक अंग्रेजी-हिन्दी कोश’ में योग का अर्थ- चिन्तन, आसन, बतलाया गया है।
  • शब्द कल्पद्रुम’ में योग का अर्थ- उपाय, ध्यान, संगति, है।
  • ‘ए प्रक्टिकल वैदिक डिक्सनरी’ में योग शब्द का अर्थ- जोड़ना है।
  • ‘उर्दू-हिन्दी शब्द कोश’ में योग शब्द का अर्थ- बैल की गर्दन पर रखा जाने वाला जुआ बतलाया गया है। 

पाणिनी ने ‘योग’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘युजिर् योगे’ ,’युज समाधो’ तथा ‘युज् संयमने’ इन तीन धातुओं से मानी है। प्रथम व्युत्पत्ति के अनुसार ‘योग’ शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग किया गया है।, महर्षि पतंजलि ने योग शब्द को समाधि के अर्थ में प्रयुक्त किया है। व्यास जी ने ‘योग: समाधि:’ कहकर योग शब्द का अर्थ समाधि ही किया है। 

योग की परिभाषा (Definition of Yoga)

योग की परिभाषा योग शब्द एक अति महत्त्वपूर्ण शब्द है जिसे अलग-अलग रूप में परिभाषित किया गया है।

1. पातंजल योग दर्शन के अनुसार-  योगष्चित्तवृत्ति निरोध: अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

2. महर्षि पतंजलि- ‘योगष्चित्तवृत्तिनिरोध:’ यो.सू.1/2 अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध करना ही योग है। 

चित्त का तात्पर्य, अन्त:करण से है। बाह्मकरण ज्ञानेन्द्रियां जब विषयों का ग्रहण करती है, मन उस ज्ञान को आत्मा तक पहुँचाता है। आत्मा साक्षी भाव से देखता है। बुद्धि व अहंकार विषय का निश्चय करके उसमें कर्तव्य भाव लाते है। इस सम्पूर्ण क्रिया से चित्त में जो प्रतिबिम्ब बनता है, वही वृत्ति कहलाता है। 

3. सांख्य दर्शन के अनुसार-  पुरुशप्रकृत्योर्वियोगेपि योगइत्यमिधीयते। अर्थात् पुरुष एवं प्रकृति के पार्थक्य को स्थापित कर पुरुष का स्व स्वरूप में अवस्थित होना ही योग है।

4. महर्षि याज्ञवल्क्य –  ‘संयोग योग इत्युक्तो जीवात्मपरमात्मनो।’ अर्थात जीवात्मा व परमात्मा के संयोग की अवस्था का नाम ही योग है।

5. कठोशनिषद् में योग के विषय में कहा गया है-

‘यदा पंचावतिश्ठनते ज्ञानानि मनसा सह। बुद्धिष्च न विचेश्टति तामाहु: परमां गतिम्।। तां योगमिति मन्यन्ते स्थिरामिन्द्रियधारणाम्। अप्रमत्तस्तदा भवति योगो हि प्रभावाप्ययौ।।

अर्थात् जब पाँचों ज्ञानेन्द्रियां मन के साथ स्थिर हो जाती है और मन निश्चल बुद्धि के साथ आ मिलता है, उस अवस्था को ‘परमगति’ कहते है। इन्द्रियों की स्थिर धारणा ही योग है। जिसकी इन्द्रियाँ स्थिर हो जाती है, अर्थात् प्रमाद हीन हो जाता है। उसमें सुभ संस्कारो की उत्पत्ति और अशुभ संस्कारों का नाश होने लगता है। यही अवस्था योग है।

6. पतंजलि योगसूत्र में योग की परिभाषा – योगष्चित्तवृत्ति निरोध: ।। (पातंजल योग सूत्र, 1/2)

योग, चित्त वृत्तियों का निरुद्ध होना है। अर्थात् योग उस अवस्था विषेश का नाम है, जिसमें चित्त में चल रही सभी वृत्तियां रूक जाती हैं। यदि हम और अधिक जानने का प्रयास करें तो व्यास-भाष्य मे हमें स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है कि योग समाधि है। इस प्रकार जब चित्त की सम्पूर्ण वृत्तियां विभिन्न अभ्यासों के माध्यम से रोक दी जाती है, तो वह अवस्था समाधि या योग कहलाती है।

अत: सारांश में हम यह कह सकते हैं कि पातंजल योग सूत्र में योग, चित्त की सम्पूर्ण वृत्तियों का निरोध है या चित्त का बिलकुल शान्त हो जाना है जो समाधि की अवस्था भी कहलाती है।

योग के उद्देश्य (Objective of Yoga)

  • मानसिक शक्ति का विकास करना।
  • रचनात्मकता का विकास करना।
  • तनावों से मुक्ति पाना।
  • प्रकृति विरोधी जीवनशैली में सुधार करना।
  • वृहत-दृष्टिकोण का विकास करना।
  • मानसिक शान्ति प्राप्त करना।
  • उत्तम शारीरिक क्षमता का विकास करना।
  • शारीरिक रोगों से मुक्ति पाना।
  • मदिरापान तथा मादक द्रव्य व्यसन से मुक्ति पाना।
  • मनुष्य का दिव्य रूपान्तरण।

योग के प्रकार (Types of Yoga)

योग के कितने प्रकार हैं, योग कितने प्रकार के होते हैं भारतीय योग शास्त्रियों ने योग को 8 प्रकार का बतलाया है-

1. हठयोग क्या है?

प्राचीन समय में हठयोग में सिद्ध महात्मा घेरण्ड हुए हैं। इन्होंने अपने शिष्य चण्डकपालि को क्रियात्मक रुप से समझाने के लिए घेरण्ड संहिता पुस्तक की रचना की जो आज भी उपलब्ध है। यह हठयोग का एक प्रामाणिक एवं सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें हठयोग के सात अंगों षट्कर्म आसन, मुद्रा, प्रत्याहार, प्राणायाम, ध्यान और समाधि का वर्णन है ।

हठयोग में शारीरिक क्रियाओं का समावेश है शरीर को शट्चक्र भेदन के लिए उपयुक्त करने के लिए गौरक्षनाथ जी ने कई मुद्राओं पर बल दिया है जैसे काकी मुद्रा (जिव्हा को कौऐ की चोंच के समान कर प्राण वायु पान करना) खेचरी मुद्रा (जीभ को जिव्हामूल की ओर पलटकर वायुपान करना) उसके बाद चौरासी आसनों का निष्पन्न करना। मूलबन्ध, उड्डीयान बन्ध जालन्धर बन्ध लगाना आदि ।

2. लययोग क्या है?

योग के आचार्यों ने लय को भी ईश्वर प्राप्ति का एक साधन माना है इसका अर्थ है- ‘‘मन को आत्मा में लय कर देना, लीन कर देना।’’ 

‘‘आनंद त: पष्यन्ति विद्वांसस्तेन लयेन पष्यन्ति।’’ 

‘‘वे विद्वान पुरुष उसे आनन्द (आत्मा) स्वरुप देखते हुए उनमें लय हो जाते हैं और फिर उससे भिन्न उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई देता ‘‘ इस प्रकार ज्ञान द्वारा सत्य की खोज करते करते मनुष्य आत्मा तक पहुँच जाता है और वह देखता है कि केवल यह मेरा मन ही नहीं, सभी लोक लोकान्तर उसी में लीन हैं। यह आत्मा ही परमात्मा है दोनों में कोई भेद नहीं, यही लय योग है।

3. राजयोग क्या है?

‘‘राजत्वात् सर्वयोगानां राजयोग इति स्मृत:’’ । 

स्मृतियों  में ऐसा कहा गया है कि सभी योग साधनों में श्रेष्ठ होने के कारण तथा सभी योग प्रक्रियाओं का राजा होने के कारण इसे राजयोग कहा गया है।’’राजयोग का ध्यान ब्रह्म ध्यान, समाधि को निर्विकल्प समाधि तथा राजयोग में सिद्धमहात्मा, जीवनमुक्त कहलाता है राजयोग के सम्बन्ध में सर्वाधिक प्रमाणित ग्रन्थ महर्षि पतंजलि द्वारा रचित योगदर्शन है। ऐसा कहा जाता है कि चित्त की चंचलता को दूर कर, योग एवं सिद्धयोग का अवधारणात्मक पहलू मन को एकाग्र तथा बुद्धि को स्थिर करके जीवात्मा को परमात्मा में विलीन करने की जो साधना है वह स्वयं ब्रह्मा ने वेदों के द्वारा ऋषियों की बताई। 

कुछ योगशास्त्र ने राजयोग को सोलह कलाओं से पूर्ण माना है अर्थात् 16 अंग माने हैं। सात ज्ञान की भूमिकाएं, दो प्रकार की धारणा – प्रकृति धारणा और ब्रह्मधारणा, तीन प्रकार का ध्यान – विराट ध्यान, ईष ध्यान और ब्रह्मध्यान, तथा चार प्रकार की समाधि – दो सविचार और दो निर्विचार अर्थात् वितर्कानुगत, विचारनुगत, आनन्दानुगत और अस्मितानुगत। इस क्रम से साधनाकरता हुआ राजयोगी अपने स्वरूप को प्राप्त करके इसी जीवन में मुक्त हो जाता है ।

4. भक्ति योग क्या है?

निष्काम कर्म अर्थात कर्म करते हुए कर्मफल की आकांक्षा नहीं रखते हैं। भक्ति मार्ग का पालन करने से साधक को ईश्वर की अनुभूतिस्वयं होने लगती है। गीता में कहा है- 

‘‘पत्रं पुष्प फलं तोयंयो में भक्तया प्रयच्छति ‘‘

‘अर्थात पत्र, पुष्प, फल, जल इत्यादि को कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से अर्पण कर देता है उसे मैं अत्यन्त खुशी से स्वीकार करता हूँ।’’

5. ज्ञानयोग क्या है?

संसार में ज्ञान से बढ़कर कुछ भी पवित्र नहीं है।

गीता के अनुसार-’’ नहि ज्ञानेन सदृषंपवित्रमिह विद्यते ’’

दो प्रकार का ज्ञान होते है –

  • तार्किक ज्ञान- तार्किक ज्ञान को विज्ञान कहा जाता है यह वस्तु के आभास में सत्यता के निरुपद के लिए किया जाता है इसमें ज्ञाता और ज्ञेय का ज्ञान रहता है।-
  • आध्यात्मिक ज्ञान -आध्यात्मिक ज्ञान को ‘‘ज्ञान’’ कहा जाता है इसमें ज्ञाता और ज्ञेय का भेद मिट जाता है ऐसा व्यक्ति सब रूपों में ईश्वर देखता है।

6. कर्मयोग क्या है?

यज्ञार्था कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धन:गीता-तक्ष्र्थ कर्म कौन्तेय मुक्तासंग: समाचार:।। 

योग एवं सिद्धयोग का अवधारणात्मक पहलू यह संसार कर्म की श्रृंखला से बंधा हुआ है। स्वंययज्ञ की उत्पति कर्म से होती है खेतों में अन्न कर्म से ही पैदा होता है क्योंकि योगी लोग आत्म शुद्धि के लिए कर्म करते हैं। प्रकृति के गुणों द्वारा विवश होकर हर एक को कर्म करने पड़ते हैं। कर्मों के फल से छुट्टी पाये बिना मुक्ति नहीं।

7. जप योग क्या है?

जप एक दिव्य शक्ति का एक मंत्र या नाम है। स्वामी शिवानंद के अनुसार जप योग एक महत्वपूर्ण अंग है जप इस कलयुग व्यवहार में अकेले शाश्वत शांति परमानंद व अमरता दे सकता है। जप अभ्यस्त हो जाना चाहिये और सात्विक भाव, पवित्रता, प्रेम और श्रद्धा के साथ लिया जाना चाहिये। जप योग से बड़ा कोई योग नहीं है। यह आपको सभी (जो आप चाहते हैं) सत् सिद्धी, भक्ति वमुिक्त प्रदान कर सकता है।

8. अष्टांग योग क्या है?

महर्षि पतंजलि ने पातंजल योग दर्शन, “अथयोग अनुषासनम्ं” शब्द से प्रारम्भ किया है इससे स्पष्ट है कि उन्होंने जीवन के आदर्शों में अनुशासन को कितना महत्व दिया है। पंतजलि योग विकास, आठ क्रमों में होता है इसलिए इसे अष्टांग योग भी कहते हैं । अष्टांग योग के अंतर्गत आठ अंग बताये गये हैं।

  • प्रत्याहार 

उपरोक्त आठ अंगों का अभ्यास करने से पूर्व व्यक्तियों को षट्कर्म करना अतिआवश्यक होता है षट्कर्म निम्न प्रकार से बताये गये हैं –

योग का महत्व (Importance of Yoga)

शारीरक रूप में.

  • शारीरिक स्वच्छता हेतु
  • रोगो से बचाव
  • शरीर को सौंदर्य बनाने हेतु
  • शरीर की सही मुद्रा हेतु
  • मांसपेशियों को विकसित करने के लिए
  • हृदय व फेफडों की कार्यक्षमता बढाने में
  • लचक विकसित में सहायक

सामाजिक रूप में

  • सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायक
  • सामाजिक रिश्ते विकसित करने में

मानसिक रूप में

  • तनाव से मुक्ति
  • तनाव रहित जीवन
  • एकाग्रता बढ़ाने में सहायक
  • याददास्त बढ़ाने में सहायक
  • सहनशक्ति बढ़ाने में सहायक

अध्यात्मिक रूप में

  • अध्यात्मिक गुणों का विकास
  • ध्यान बढ़ाने में सहायक
  • नैतिक गुणों को विकसित करने में सहायक

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  • पाठ्यक्रम का अर्थ, परिभाषा, प्रकृति एवं क्षेत्र
  • आवश्यकता किसे कहते हैं? विशेषताएं तथा निर्धारक तत्व

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essay on yoga meaning in hindi

Essay on Yoga in Hindi | Importance and Benefits of Yoga | योग पर निबंध हिंदी में

Essay on Yoga in Hindi

हम सब जानते हैं कि योग का महत्व हमारे जीवन मे बहुत ज्यादा है। यदि हम रोजाना योग करेंगे तो शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। Essay on yoga in hindi में आज हम जानेंगे कि Yog से जुड़ी तमाम बातें।

इस निबंध का उपयोग 3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 कक्षा के विद्यार्थी परीक्षा में भी कर सकते हैं। योग पर निबंध को बहुत ही आसान भाषा मे लिखा गया है।

तन मन और आत्मा के बीच संतुलन बैठाने का काम योग करता है। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से योग करता है तो उसके जीवन में इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

योग करने से ना सिर्फ हमारा शरीर लचीला बनता है साथ ही हमारा मन और मस्तिष्क स्वस्थ होता है। योग के ऐसे ही कुछ अच्छे प्रभावों की वजह से भारतीय संस्कृति हमेशा ही योग को अपने जीवनचर्या का एक हिस्सा मानती आई है। हमारे देश में प्राचीन काल से ही लोग योग की उपयोगिता के बारे में जागरूक थे।

Table of Contents

Importance of Yoga in Hindi (योग का महत्व हिंदी में )

हमारी बदलती हुई जीवनशैली के बीच योग का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। अनियमित खानपान, प्रदूषण भरे माहौल में रहने से एवं सोने-जागने का एक निश्चित वक्त न होना, इन सब कारणों की वजह से कहीं ना कहीं हमारा स्वास्थ्य बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

जिसका असर हमारी कार्यक्षमता में स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है। जब हमारा शरीर और मन स्वस्थ नहीं होता तो हम पूरी ऊर्जा के साथ काम नहीं कर पाते। ऐसे में योग सबसे बड़ी औषधि का काम करता है।

योग ना सिर्फ हमारे शरीर को स्वस्थ बनाता है बल्कि मन और मस्तिष्क दोनों को मजबूती प्रदान करता है। योग के कारण हमारे जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।

जिसकी सहायता से हम हर बुराई से लड़ने के काबिल बनते हैं। योग करने से हमारा मन शांत होता है जिसका सीधा सा अर्थ है कि हम Blood Pressure जैसी चुनौतियों से अच्छी तरीके से निपट सकते हैं क्योंकि विचलित मन की वजह से ही ऐसी समस्याओं का जन्म होता है।

आज का परिवेश बहुत ज्यादा तनाव भरा हो गया है, ऐसे में योग आपके जीवन से तनाव कम करने का सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है। हम सबको अपने जीवन मे योग अपनाना चाहिये और जीवन को सुखमय बनाने की कोशिश करना चाहिए।

Essay on yoga in hindi (योग पर निबंध हिंदी में) – (500 शब्द)

पहले भारत सिर्फ में ही योग के महत्व को लोग जानते थे लेकिन भारत के प्रयासों के कारण आज पूरी दुनियाँ योग को ना सिर्फ स्वीकार कर चुकी है बल्कि अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही है।

21 जून 2015 को विश्व का पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। यह योग के प्रति लोगों की बढ़ती ललक को दर्शाता है।

हमें कई ऐसी कहानियां सुनने को मिल जाती हैं जो यह बताती हैं कि योग के माध्यम से कई लोगों ने बहुत बड़ी-बड़ी असाध्य बीमारियों से भी छुटकारा पाया है।

योग करने के नियम (Yoga Rules in Hindi)

योग करने से कुछ नियमों को जानना जरूरी है। ऐसे ही कुछ नियम निम्नलिखित है:-

  • योग करते समय हमेशा आरामदायक सूती कपड़े पहनना चाहिए।
  • योग करने से पहले स्नान किया जा सकता है लेकिन योग करने के तुरंत बाद स्नान कभी भी ना करें।
  • हमेशा खाली पेट ही योग करना चाहिए इसलिए योग करने से करीब 2 घंटे पहले से कुछ भी खाना ना खाएं।
  • हमेशा अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही योग करना चाहिए।
  • योगासन करने के बाद ही हमेशा प्राणायाम करना चाहिए।
  • योगासन करने का सबसे उत्तम समय सूर्योदय व सूर्यास्त होता है।
  • योग अभ्यास नियमित रूप से करें तो यह बेहतर है।
  • यदि आपको कमर दर्द की दिक्कत है तो पीछे मुड़ने वाले योगासन नहीं करना चाहिए।
  • यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं या शरीर में किसी भी तरह की दिक्कत है तो पहले डॉक्टर की परामर्श लेना चाहिए उसके बाद ही योग करना चाहिए।
  • योग और व्यायाम करने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।

अच्छे योगाभ्यास के लिए जरूरी सावधानियां (Important precautions for good yoga practice)

योगासन लाभकारी है पर कुछ विशेष परिस्थितियों में नुकसान भी कर सकता है। इसलिए योग से जुड़ी ये जरूरी सावधानियां जरूरी करनी चाहिए।

  • गर्भावस्था के दौरान योग करते समय सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि कुछ ऐसे योग हैं जो इस अवस्था में आपको नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। इसलिए हमेशा किसी योग गुरु के देखरेख में योग करना चाहिए।
  • बचपन से ही बच्चों में योग करने की आदत जरूर डालना चाहिए लेकिन यदि बच्चे की उम्र 10 वर्ष से कम है तो उसे बहुत मुश्किल योगाभ्यास ना कराएं।
  • योगाभ्यास के साथ-साथ अपने जीवन में खान-पान के प्रति संयम बरतें धूम्रपान और मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें क्योंकि यह सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • योगाभ्यास के साथ-साथ शरीर के पोषण का भी भरपूर ध्यान रखें हमेशा ऐसा खाना खाएं जिस में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद हो। अन्यथा शरीर में कमजोरी भी आ सकती है।
  • योगाभ्यास अच्छे जीवन के लिए जरूरी है। लेकिन इसके साथ में नींद भी उतनी ही ज्यादा जरूरी है, क्योंकि नींद भी एक तरह का योग है इसलिए नींद को महत्व देना चाहिए।

योग शुरू करने के लिए जरूरी सुझाव (Important tips to start yoga)

यदि किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में कभी योग नहीं किया और वह अब योग शुरू करना चाहता है तो कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए जैसे कि:-

  • योगाभ्यास करते वक्त अपने शरीर पर अनावश्यक दबाव ना डालें। सहजता के साथ जितना योग आपका शरीर कर सकता है सिर्फ उतना ही करें क्योंकि शुरुआती दिनों में आपके शरीर में लचीलेपन की कमी होगी लेकिन जैसे-जैसे योग करते जाएंगे वैसे ही आपका शरीर अधिक लचीला होता जाएगा।
  • शुरुआत में सिर्फ वही आसान करने की कोशिश करें जिनमें आप सहज महसूस करते हैं। योगासन में सांस लेने और छोड़ने का बहुत ज्यादा महत्व होता है इसलिए शुरू से ही इस पर ध्यान जरूर दें।
  • कभी भी जल्दी-जल्दी योगासन नहीं करें हमेशा आराम से योगासन करें और दो योगासनों के बीच कुछ मिनट का अंतराल जरूर रखें।
  • योगासन की समाप्ति हमेशा शवासन के साथ ही करें।

International Yoga Day ( विश्व योग दिवस)

पूरे विश्व मे योग का प्रसार हो सकें और लोग योग को अपने जीवन मे उतार सकें इसके लिए प्रतिवर्ष 21 जून के दिन विश्व योग दिवस मनाया जाता है।

विश्व योग दिवस मनाने की शुरुआत 21 जून 2015 से हुई थी। यह पहला विश्व योग दिवस था। 21 जून का दिन भारत और एशियाई देशों में साल का सबसे का सबसे बड़ा दिन होता है।

21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाना चाहिए, इसका प्रस्ताव हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संध के समक्ष रखा था, जिससे सभी देशों ने सहमति जताई और इस तरह विश्व योग दिवस की शुरुआत हुई।

भारत योग का जनक है और एक बार फिर भारत से ही दुनियाँ में योग का प्रसार हो रहा है लेकिन योग को अपनाने में हम भारतीय आज भी पीछे हैं। हमें भी योग को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिये।

Essay on yoga in hindi (योग पर निबंध हिंदी में) – (1500 शब्द)

योग एक ऐसा शब्द है जिसके आने को अर्थ है। योगेश्वर श्रीकृष्ण ने भगवत गीता में योग का, जिक्र तीन बार किया है और हर बार योग का एक अलग अर्थ निकलता है।

महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है । उन्होंने योग को कुछ अलग ही तरह से परिभाषित किया है, लेकिन जब इन सब बातों की गहराई पर जाते हैं तो हमें पता चलता है कि योग का सिर्फ एक ही मकसद है और वह है खुद को जानना और आजाद करना।

योग हमें आजाद होने का मार्ग दिखाता है। श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी योग के इसी रूप का जिक्र किया है जिसमें वह अर्जुन को कहते हैं कि उन्हें खुद को स्वतंत्र करने के लिए पहले स्वयं को जानना चाहिए।

What is yoga ( योग की परिभाषा)

‘योग’ जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ है जोड़ना। योग का महत्व हमारे जीवन में बहुत अधिक है इसी बात को समझाने के लिए कई महान विभूतियों ने योग को अपने अपने शब्दों में वर्णित किया है।

हम आज योग का जो स्वरूप देखते है वह कुल योग का एक छोटा सा हिस्सा है। लेकिन फिर भी यह महत्वपूर्ण है। आज हमारी सोच सिर्फ शरीर तक ही सीमित रह गई है इसलिए हम योग के ऐसे स्वरूप को जल्दी समझ पाते हैं, जो शरीर से संबंधित फायदे पहुचाने वाला होता है।

लेकिन यदि सम्पूर्ण योग को एक साथ देखा जाए तो यह बहुत व्यापक है। योग सिर्फ शरीर तक सीमित सीमित नहीं है बल्कि योग तो हमें बताता है कि किस तरह से हम इस जीवन मरण के चक्र से बाहर निकल सकते हैं और मुक्त हो सकते हैं।

भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता में योग के अनेक रूपों का वर्णन किया है। यदि कोई भी व्यक्ति उनमें से किसी भी रूप को अपने जीवन में उतार लेता है तो वह इस जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो सकता है।

जिन ग्रंथों में योग के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है उनमें लिखा है कि योग के माध्यम से हम अपनी चेतना को ब्रह्मांड ही चेतना के साथ जोड़ सकते हैं।

जब हमारी चेतना ब्रह्मांड ही चेतना से जुड़ जाती है तो हम, ब्रह्मांड और इस पूरी सृष्टि के साथ एकरूपता महसूस करते हैं एकरूपता महसूस करने की यही प्रवृत्ति ही योग है।

History Of Yoga in Hindi ( योग का इतिहास)

हमारे देश में योग का अस्तित्व तब से है जब धर्मों का निर्माण भी नहीं हुआ था। जब कोई सभ्यता नहीं थी उसके पहले भी योग था। योग के पहले ज्ञाता भगवान शिव थे। भगवान शिव से ही यह ज्ञान सप्त ऋषि को मिला। भगवान शिव को इसी वजह से आदियोगी भी कहा जाता है।

फिर इन सप्तऋषियों ने योग का प्रचार प्रसार पूरी दुनिया में किया। लेकिन योग की सबसे ज्यादा अभिव्यक्ति भारत में हुई क्योंकि भारत में ही योग का जन्म हुआ था।

महाभारत, रामायण जैसे कई महाकाव्यों में भी योग के बारे में वर्णन मिलता है। यदि बात करें वर्तमान सभ्यताओं की दो सिंधु घाटी सभ्यता में कई ऐसे अवशेष मिले हैं जो यह बताते हैं कि वहां के लोग योग करते थे।

हिंदू, बौद्ध और जैन परंपराओं में तो योग इनके जीवन का हिस्सा है,लेकिन योग के सभी सूत्रों को लिखकर एक जगह समाहित करने का श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है। इसी वजह से इन्हें योग का जनक भी कहा जाता है।

महर्षि पतंजलि ने अपने ग्रंथ में योग के अनेक रूपों का वर्णन किया है। इन्हीं के लिखित ग्रंथों को पढ़कर और उनसे योग की शिक्षा लेकर अनेक ऋषि और योगाचार्य ने योग का प्रचार प्रसार फिर आगे किया।

Types of yoga in Hindi  ( योग के प्रकार)

योग का विस्तृत वर्णन मुख्य रूप से 2 ग्रंथो में किया गया है। महर्षि पतंजलि द्वारा रचित ग्रंथ में योग का बहुत विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अलावा श्रीमद्भागवत गीता में भी श्री कृष्ण ने योग के कई रूप बताए हैं।

महर्षि पतंजलि द्वारा योग के निम्नलिखित रुप है:-

अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह यह पांचों नियम यम के अंतर्गत आते हैं। ऋषि पतंजलि के अनुसार योग की शुरुआत यम से होती है। यम हमें बताता है कि हमें दुनिया को किस नजर से देखना चाहिए और दुनिया के साथ किस तरह से व्यवहार करना चाहिए।

संतोष,स्वाध्याय,तप,ईश्वर प्रणिधान और शौच यह पांच नियम कहलाते हैं। ये पांच नियम हमारे लिए बनाए गए हैं

एक स्थिति में लंबे वक्त तक बैठे रहने की प्रक्रिया ही आसन कहलाती है योग में आसन का बहुत अधिक महत्व है कई अलग-अलग तरह के आसनों का वर्णन योग में मिलता है।

प्राणायाम का मतलब होता है अपनी सांसो को लयबद्ध करना ऋषि पतंजलि ने अपने ग्रंथ में बताया है कि हमें हमारे सांस लेने, रोकने और छोड़ने की प्रक्रिया के बीच एक तारतम्य होनी चाहिए।

अपने मन को संकुचित करना एवं बाहरी चीजों से दूर करना ही प्रत्याहार कहलाता है। सुनना, सूंघना, देखना और महसूस करना इन्हीं 4 तरीकों से कोई भी जानकारी हमारे मन मे जाती है। लेकिन प्रत्याहार का अभ्यास करने से इन बाहरी प्रभावों का हमारे मन पर असर नहीं पड़ेगा और हमारा मन स्थिर रहेगा।

अपनी परेशानियों से हमेशा के लिए मुक्ति पाने और खुद को स्वतंत्र करने का पहला चरण धारणा कहलाता है। धारणा का अभ्यास करते समय हमें अपने मन को किसी एक बिंदु पर केंद्रित करना पड़ता है। यदि हमारा मन भटकता भी है तो भी हमें खींच कर वापस लाना है और उस बिंदु पर ध्यान देना होता है।

हम जिस वस्तु पर अपना चित्त टिकाने की कोशिश करें और उसी वस्तु पर हमारा चित्त टिक जाए। चित्त के स्थिर रहने की यही प्रक्रिया ही ध्यान कहलाती है।

चित्त को स्थिर करने के लिए कई तरह के प्राणायाम और ध्यान की प्रक्रिया बताई गई हैं। लेकिन चित्त की स्थिरता इस बात पर निर्भर करती है कि हमने ऊपर के चरणों मे दक्षता हासिल की है या नहीं।

ध्यान के बाद जो आखिरी चरण होता है वह समाधि कहलाता है। समाधि के वक्त योगी की चेतना उस चीज से एकसार हो जाती है जिसके ऊपर उसने अपना ध्यान केंद्रित किया है।

महर्षि पतंजलि ने योग के 8 रूपों का वर्णन किया है लेकिन इनके अलावा भी भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवत गीता में योग के तीन अलग रूपों का वर्णन किया है।

श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार योग के प्रकार निम्नलिखित है:-

श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को बार-बार इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि उन्हें कर्मयोगी बनना चाहिए।

यहां पर कर्मयोग से तात्पर्य है किसी कर्म के प्रति आसक्ति की भावना रखना। हम जब कोई काम करते हैं तो उसके परिणाम का विचार पहले ही अपने मन में कर लेते हैं और उसके परिणाम से अपने दुख-सुख को जोड़ लेते हैं।

लेकिन भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि एक कर्मयोगी कभी भी परिणाम की चिंता नहीं करता वह बस कर्म करता है और फल भगवान के ऊपर छोड़ देता है।

क्योंकि फल हमारे हाथ में नहीं होता हमारे हाथ में सिर्फ कर्म करना ही है। एक सच्चा कर्मयोगी सुख और दुख दोनों ही स्थिति में समान भाव रखता है। एक कर्मयोगी यश-अपयश से प्रभावित नहीं होता है उसके लिए दोनों ही स्थिति एक जैसी होती हैं।

भगवान श्री कृष्ण ने योग के जरिए मुक्ति पाने का जो दूसरा मार्ग बताया है वह भक्ति योग है। भक्ति योग का मतलब होता है किसी की भक्ति में इस तरह डूब जाना कि हमारी भावनाएं सुख-दुख, यश-अपयश किसी भी भावना से प्रभावित ना हो।

ना तो हमें स्वर्ग की लालसा होना न हमें नर्क जाने का डर हो ना तो हमें पैसों का मोह हो न हमें भोग विलास की वस्तुओं की लालसा।

यदि कोई व्यक्ति इस तरह किसी की भक्ति करता है तो उसकी चेतना बहुत ही परिष्कृत हो जाती है और वह व्यक्ति मोक्ष के द्वार पर पहुंच जाता है।

ज्ञान के माध्यम से ईश्वर के अस्तित्व स्वरूप को समझना तथा वास्तविक सत्य जानने के लिए ज्ञान की सहायता लेना ही ज्ञान योग कहलाता है। एक ज्ञानयोगी ईश्वर तक पहुंचने के लिए ज्ञान को अपना साधन बनाता है।

ज्ञान योगी अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए कई पुस्तकों का अध्ययन करता है ग्रंथों को पढ़ता है,इन्हीं सब माध्यमों के जरिए वह जानने की कोशिश करता है कि आखिर ईश्वर कौन है, इस दुनिया का सत्य क्या है, और वह कौन है और उसकी मुक्ति कैसे हो सकती है

योग के लाभ (Benefits of Yoga)

योग के कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित है:-

  • भावनाओं में नियंत्रण

महर्षि पतंजलि द्वारा योग के जिन 8 चरणों का वर्णन किया है यदि उनमे से शुरुआती दो नियमों का पालन भी किया जाए तो हम अपनी भावनाओं में नियंत्रण ला सकते हैं। भावनाओं में नियंत्रण आने से मन मे व्यर्थ के विचार नही आयेंगे और हम अपने काम के लिए ज्यादा सजग और केंद्रित रहेंगे। क्योंकि भावनाएं कही न कही हमको अपने लक्ष्य से भटका देती है।

  • मजबूत दिमाग

प्राणायाम करने से हमारे दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है, जिससे कि दिमाग ज्यादा बेहतर काम करता है। हम सांसों के ऊपर कभी ध्यान देते ही नही है। हमारी सांसें जितनी कम गहरी होंगी उतना कम ऑक्सीजन शरीर मे पहुँचेगा। जबकि गहरी सांस लेने से ज्यादा ऑक्सीजन पहुँचेगा।

  • ध्यान केंद्रित करने की क्षमता का विकास

ध्यान के माध्यम से हम अपना ध्यान किसी एक काम पर ज्यादा देर लगाने का अभ्यास कर सकते हैं। यदि हम ऐसा करने में सफल हो जाते हैं हमें इसके कई फायदे मिलेंगे। खासकर विद्यार्थियों को इस बात की बहुत ज्यादा समस्या रहती है कि उनका पढ़ाई में मन नही लगता है।

  • व्यवस्थित जीवन

योग एक क्रियाकलाप नही है बल्कि एक जीवनशैली है। जब हम योग करते हैं और खुद को खुद से जोड़ते हैं तो पाते हैं कि अब हम पहले से ज्यादा व्यवस्थित हो गए हैं। पहले ज्यादा हमारे कोई काम पूरे नही होते थे वहीं अब उन्ही कामों को तय समय मे कर पाते हैं।

  • शारीरिक रोगों से मुक्ति

योग और व्यायाम यदि दोनों हमारे जीवन का एक हिस्सा बन जाये तो हम कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों का शिकार होने से बच सकते हैं। योग और व्यायाम शरीर और मन, मष्तिस्क की चुस्ती फुर्ती देता है।

सभी योग का आखिरी लक्ष्य हमारी चेतना और ब्रम्हांडीय चेतना के बीच एक रूपता स्थित करना है। आचार्य पतंजलि के योग सूत्र और श्री कृष्ण के द्वारा बताए गए योग सूत्रों के नियम जरूर अलग है लेकिन दोनों की मंजिल एक ही बताया गया है।

अपने जीवन के सर्वोच्चम आयाम से परिचित होना चाहते हैं तो योग को जीवन का एक अहम हिस्सा बनाए।

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योग पर निबंध

essay on yoga meaning in hindi

By विकास सिंह

yoga essay in hindi

योग – व्यायाम का एक प्राचीन रूप जो भारतीय समाज में हजारों साल पहले विकसित हुआ था और तब से लगातार इसका अभ्यास किया जा रहा है। इसमें किसी व्यक्ति को अच्छे आकार में रखने के लिए और बीमारियों और अक्षमताओं के विभिन्न रूपों से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न प्रकार के अभ्यास शामिल हैं। यह ध्यान के लिए एक मजबूत तरीका भी माना जाता है जो मन और शरीर को शांत करने में मदद करता है।

आज दुनिया भर में योग का अभ्यास किया जा रहा है। दुनिया भर के लगभग 2 अरब लोग योगाभ्यास करते हैं।

विषय-सूचि

योग पर निबंध, (100 शब्द)

योग एक प्राचीन कला है जो लगभग छह हजार साल पहले भारत में उत्पन्न हुई थी। पहले लोगों को स्वस्थ और मजबूत जीवन जीने के लिए अपने दैनिक जीवन में योग और ध्यान का अभ्यास करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। हालाँकि इस तरह के भीड़ और व्यस्त वातावरण में योग का अभ्यास दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा था।

योग बहुत सुरक्षित है और किसी के द्वारा भी कभी भी बच्चों द्वारा सुरक्षित रूप से इसका अभ्यास किया जा सकता है। योग शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बनाने के लिए शरीर के अंगों को एक साथ लाने का एक अभ्यास है। पहले योगियों द्वारा उनका ध्यान करने का अभ्यास किया जाता था।

योग पर निबंध, yoga essay in hindi (150 शब्द)

मन-शरीर संबंध को संतुलित करके प्रकृति से जुड़ने के लिए योग सबसे अनुकूल विधि है। यह एक प्रकार का व्यायाम है जो संतुलित शरीर के माध्यम से किया जाता है और आहार, श्वास और शारीरिक मुद्राओं पर नियंत्रण पाने की आवश्यकता होती है। यह शरीर के विश्राम के माध्यम से शरीर और मन के ध्यान से जुड़ा हुआ है।

यह तनाव और चिंता को कम करके शरीर और मस्तिष्क के उचित स्वास्थ्य प्राप्त करने के साथ-साथ मन और शरीर पर नियंत्रण करने के लिए बहुत उपयोगी है। बहुत सक्रिय और मांग करने वाले जीवन विशेष रूप से किशोरों और वयस्कों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए दैनिक आधार पर एक अभ्यास के रूप में योग किसी के द्वारा भी किया जा सकता है।

यह स्कूल, दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों के जीवन के कठिन समय और दबाव का सामना करने में मदद करता है। योग अभ्यास के माध्यम से व्यक्ति अपनी समस्याओं और दूसरों द्वारा दिए गए तनाव को गायब कर सकता है। यह शरीर, मन और प्रकृति के बीच के संबंध को आसानी से पूरा करने में मदद करता है।

योग पर निबंध (200 शब्द)

योग सभी के जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शरीर और मन के बीच संबंधों को संतुलित करने में मदद करता है। यह व्यायाम का प्रकार है जो नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक अनुशासन सीखने में मदद करता है। इसकी उत्पत्ति भारत में बहुत समय पहले प्राचीन समय में हुई थी।

पहले लोग बौद्ध धर्म के थे और हिंदू धर्म का अनुसरण योग और ध्यान के लिए किया जाता था। विभिन्न प्रकार के योग हैं राज योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग, हठ योग। आमतौर पर हठ योग में कई आसनों का अभ्यास भारत में लोगों द्वारा किया जाता है। दुनिया भर में लोगों में योग के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग नामक एक विश्व स्तरीय कार्यक्रम मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस (संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा) भारत के सुझाव और दीक्षा के बाद 21 जून को मनाया जाता है। योग में प्राणायाम और कपाल भांति शामिल हैं जो सबसे अच्छे और प्रभावी श्वास व्यायाम में से एक हैं। योग एक थेरेपी है जो नियमित रूप से अभ्यास करने पर धीरे-धीरे बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद करती है।

यह आंतरिक शरीर में कुछ सकारात्मक बदलाव करता है और शरीर के अंगों के कामकाज को नियमित करता है। विभिन्न प्रयोजनों के लिए विशिष्ट योग है, इसलिए केवल आवश्यक अभ्यास किया जा सकता है।

योग पर निबंध, yoga essay in hindi (200 शब्द)

yoga essay

योग को हिंदू धर्म से बहुत पहले से माना जाता है और आज दुनिया भर में इसका अभ्यास किया जा रहा है। लोगों ने योग के गुणों के बारे में सीखा है और इसे व्यायाम और ध्यान के रूप में स्वीकार किया है। मूल रूप से योग न केवल व्यायाम का एक रूप है, बल्कि यह स्वस्थ, खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन जीने का एक प्राचीन ज्ञान है। यह आंतरिक शांति पाने में मदद करता है और स्वयं के साथ मिलन होता है।

आमतौर पर लोग सोचते हैं कि योग व्यायाम का एक रूप है जिसमें शरीर के अंग को खींचना और मोड़ना शामिल है लेकिन योग सिर्फ व्यायाम से कहीं अधिक है। योग मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक पथ के माध्यम से जीवन जीने की कला या कला है। यह शांति प्राप्त करने और आंतरिक स्वयं की चेतना में टैप करने की अनुमति देता है।

यह सीखने में भी मदद करता है कि कैसे मन, भावनाओं और कम शारीरिक जरूरतों की खींचातानी से ऊपर उठकर दैनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। योग एक शरीर, मन और ऊर्जा के स्तर पर काम करता है। योग के नियमित अभ्यास से चिकित्सक में सकारात्मक बदलाव आते हैं – मजबूत मांसपेशियाँ, लचीलापन, धैर्य और अच्छा स्वास्थ्य।

हमें योग के प्रति धैर्य रखना चाहिए। लोग आमतौर पर वजन कम करने के लिए दवाई, स्टेरॉयड या सर्जरी के उपयोग जैसे शॉर्टकट पसंद करते हैं, जो स्पष्ट रूप से समय की अवधि में बुरा प्रभाव डालते हैं।

योग का महत्व पर निबंध, importance of yoga essay in hindi (300 शब्द)

yoga

प्रस्तावना:

योग एक व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यह शरीर और मन को शांत करने के लिए शारीरिक और मानसिक अनुशासन को एक साथ लाता है। यह तनाव और चिंता को प्रबंधित करने में भी सहायता करता है और आपको तनावमुक्त रखता है। योग आसन को शक्ति, लचीलापन और आत्मविश्वास विकसित करने के लिए जाना जाता है।

योग के लाभ:

  • मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार करता है
  • शरीर के आसन और संरेखण को ठीक करता है
  • पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है
  • आंतरिक अंगों को मजबूत करता है
  • अस्थमा को ठीक करता है
  • मधुमेह को ठीक करता है
  • दिल से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है
  • त्वचा की चमक में मदद करता है
  • शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ावा देता है
  • स्वर आंतरिक अंग
  • एकाग्रता में सुधार करता है
  • मन और विचार नियंत्रण में मदद करता है
  • चिंता, तनाव और अवसाद पर काबू पाने से मन शांत रहता है
  • तनाव मुक्त करने में मदद करता है
  • रक्त परिसंचरण और मांसपेशियों को विश्राम में मदद करता है
  • वज़न घटाना
  • चोट से सुरक्षा
  • ये योग के कई लाभों में से एक हैं। योग स्वास्थ्य और स्व-चिकित्सा के प्रति आपकी स्वाभाविक प्रवृत्ति पर केंद्रित है।

एक योग सत्र में मुख्य रूप से श्वास व्यायाम, ध्यान और योग आसन शामिल होते हैं जो विभिन्न मांसपेशी समूहों को खिंचाव और मजबूत करते हैं। यह उन दवाओं से बचने का एक अच्छा विकल्प है जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

योग का अभ्यास करने का एक मुख्य लाभ यह है कि यह तनाव को प्रबंधित करने में मदद करता है। तनाव इन दिनों आम है और एक के शरीर और दिमाग पर विनाशकारी प्रभाव पड़ने के लिए जाना जाता है। तनाव के कारण लोगों में स्लीपिंग डिसऑर्डर, गर्दन में दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द, तेज हृदय गति, पसीने से तर हथेलियां, असंतोष, गुस्सा, अनिद्रा और ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

योग को समय की अवधि में इस प्रकार की समस्याओं को ठीक करने के लिए वास्तव में प्रभावी माना जाता है। यह ध्यान और साँस लेने के व्यायाम से तनाव को प्रबंधित करने में एक व्यक्ति की मदद करता है और एक व्यक्ति की मानसिक भलाई में सुधार करता है। नियमित अभ्यास से मानसिक स्पष्टता और शांति मिलती है जिससे मन शांत होता है।

निष्कर्ष:

योग एक बहुत ही उपयोगी अभ्यास है जो करना आसान है और कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करता है जो आज की जीवन शैली में आम हैं।

योग के फायदे पर निबंध, benefits of yoga essay in hindi (400 शब्द)

yoga

योग एक अभ्यास है जो मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्रों में विकास के आठ स्तरों पर काम करता है। जब शारीरिक स्वास्थ्य बरकरार होता है, तो मन स्पष्ट और केंद्रित होता है और अधिक नहीं होता है। योग के मुख्य लक्ष्यों में शामिल हैं:

  • शारीरिक स्वास्थ्य
  • मानसिक स्वास्थ्य
  • आध्यात्मिक स्वास्थ्य
  • आत्म बोध
  • सामाजिक स्वास्थ्य
  • नियमित रूप से योग का अभ्यास करने के कारण

योग एक ऐसी कला है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ती है और हमें मजबूत और शांतिपूर्ण बनाती है। योग आवश्यक है क्योंकि यह हमें फिट रखता है, तनाव को दूर करने में मदद करता है और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखता है। स्वस्थ मन अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकता है और सब कुछ कर सकता है।

योग महत्वपूर्ण है क्योंकि योग का अभ्यास करने से आपको निम्नलिखित बिंदुओं पर लाभ हो रहा है:

आंतरिक शान्ति – योग आंतरिक शांति प्राप्त करने और तनाव और अन्य समस्याओं से लड़ने में मदद करता है। योग एक व्यक्ति में शांति के स्तर को बढ़ाता है और उसे अधिक खुशी देता है जिसके परिणामस्वरूप अधिक आत्मविश्वास होता है।

स्वस्थ – एक स्वस्थ व्यक्ति अस्वस्थ व्यक्ति की तुलना में अधिक काम को प्राप्त कर सकता है और कर सकता है। आजकल का जीवन बहुत तनावपूर्ण है और हमारे आसपास बहुत प्रदूषण है। यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण है। हर दिन सिर्फ 10-20 मिनट योगासन आपके स्वास्थ्य को फिर से हासिल करने में मदद कर सकते हैं। बेहतर स्वास्थ्य का मतलब है बेहतर जीवन।

सक्रियता – आजकल लोग आलसी, थके हुए या नींद महसूस करते हैं। जिसके कारण वे जीवन में ज्यादातर मौज-मस्ती करने से चूक जाते हैं और अपना काम सही ढंग से पूरा नहीं कर पाते हैं। सक्रिय रहने से आपको अपने आस-पास होने वाली चीजों के बारे में पता चलता है और आपको अपने काम को अधिक कुशलता से और जल्दी से पूरा करने में भी मदद मिलती है। और इसे प्राप्त करने का एक तरीका नियमित रूप से योग का अभ्यास करना है।

लचीलापन – आजकल लोग जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं, झुकते समय या पैर की उंगलियों को छूने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। योग का नियमित अभ्यास इन दर्द को दूर करने में मदद करता है। प्रभाव अभ्यास के कुछ दिनों में देखा जा सकता है।

रक्त प्रवाह  – योग आपके दिल को स्वस्थ बनाने में मदद करता है और आपके शरीर और नसों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर इसे और अधिक कुशलता से काम करता है। यह आपके शरीर को ऑक्सीजन युक्त रखने में मदद करता है।

ध्यान केंद्रित करने की शक्ति – योग आपके शरीर को शांत करने और आराम करने में मदद करता है जिसका अर्थ है कि तनाव कम है और व्यक्ति अपने काम पर जल्दी ध्यान केंद्रित कर सकता है। इसीलिए बच्चों और किशोरों को योग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि इससे उन्हें अपनी पढ़ाई पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।

इस प्रकार, योग एक चमत्कार है और एक बार पालन करने पर, यह आपको पूरे जीवन का मार्गदर्शन करेगा। प्रति दिन 20-30 मिनट योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन को बढ़ावा देकर लंबे समय में आपके जीवन को बदल सकता है।

योग और स्वास्थ्य निबंध, health and yoga essay in hindi (500 शब्द)

essay on yoga meaning in hindi

योग का मूल:

योग का जन्म प्राचीन भारत में हजारों साल पहले हुआ था, पहले धर्म या विश्वास प्रणाली का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि शिव प्रथम योगी या आदियोगी और प्रथम गुरु हैं। हजारों साल पहले, हिमालय में कांतिसरोवर झील के तट पर, आदियोगी ने अपने ज्ञान को महान सात ऋषियों में साझा किया था, क्योंकि उनके सभी ज्ञान और ज्ञान को एक व्यक्ति में रखना कठिन था। ऋषियों ने इस शक्तिशाली योग विज्ञान को एशिया, उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ले गए। भारत अपनी संपूर्ण अभिव्यक्ति में योग प्रणाली को पाकर धन्य है।

सिंधु-सरस्वती सभ्यता के जीवाश्म अवशेष प्राचीन भारत में योग की उपस्थिति का प्रमाण हैं। इस उपस्थिति का लोक परंपराओं में उल्लेख मिलता है। यह सिंधु घाटी सभ्यता, बौद्ध और जैन परंपराओं में शामिल है। अध्ययनों के अनुसार, एक गुरु के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में योग का अभ्यास किया जा रहा था और इसके आध्यात्मिक महत्व को बहुत अधिक महत्व दिया गया था। वैदिक काल के दौरान सूर्य को सबसे अधिक महत्व दिया गया था और बाद में सूर्यनमस्कार का आविष्कार कैसे किया गया था।

हालाँकि, महर्षि पतंजलि को आधुनिक योग के पिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने योग का आविष्कार नहीं किया क्योंकि यह पहले से ही विभिन्न रूपों में था। उन्होंने इसे व्यवस्था में आत्मसात किया। उन्होंने देखा कि किसी भी सार्थक तरीके से इसे समझने के लिए यह काफी जटिल हो रहा था। इसलिए उन्होंने सभी पहलुओं को एक निश्चित प्रारूप में आत्मसात किया और योग सूत्र में शामिल किया।

आसन या योगासनों के अभ्यास में सांस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। सांस एक महत्वपूर्ण शक्ति है और हमारे शरीर की ऑक्सीजन की आवश्यकता हमारे कार्यों के आधार पर बदलती है। यदि हम व्यायाम करते हैं तो हमें अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है इसलिए साँस लेना तेज़ हो जाता है और यदि हम आराम कर रहे होते हैं तो हमारी साँस आराम और गहरी हो जाती है। योग में, ध्यान को धीमी गति से चलने के साथ-साथ पूरा आसन करते हुए सांस पर एकीकृत किया जाता है। योग अभ्यास के दौरान चिकनी और आराम से साँस लेना और साँस छोड़ने को बढ़ावा देता है।

योग केवल आंशिक रूप से आसन तक सीमित होने के रूप में समझा जाता है। लेकिन लोग शरीर, मन और सांस को एकजुट करने में दिए जाने वाले अपार लाभों को महसूस करने में असफल रहते हैं। योग को किसी भी आयु वर्ग और किसी भी शरीर के आकार द्वारा चुना और अभ्यास किया जा सकता है। किसी के लिए भी शुरू करना संभव है। आकार और फिटनेस स्तर अलग-अलग लोगों के अनुसार हर योग आसन के लिए संशोधन नहीं हैं।

योग का निबंध, yoga essay in hindi (600 शब्द)

योग आसन हमेशा से योगिक संस्कृति में एक महत्वपूर्ण चर्चा रही है। विदेशों में स्थित कुछ योग विद्यालयों में योग आसनों को स्थायी, बैठना, पीठ पर लेटना और पेट पर झूठ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है लेकिन योग के वास्तविक और पारंपरिक वर्गीकरण में कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग और क्रिया योग सहित चार मुख्य मार्ग शामिल हैं।

योग का वर्गीकरण:

यहां उनके महत्व को समझने के लिए योग के चार मुख्य मार्गों पर एक नज़र डालते हैं।

कर्मा योग – इसे पश्चिमी संस्कृति में of अनुशासन के कार्य ’के रूप में भी जाना जाता है। यह रूप योग के चार आवश्यक मार्गों में से एक है। यह फल से जुड़े बिना या निस्वार्थ गतिविधियों और कर्तव्यों को पूरा करने के बिना किसी के कर्तव्य को करना सिखाता है। यह मुख्य पाठ है जो कर्म योगियों को सिखाया जा रहा है।

यह उन लोगों के लिए है जो आध्यात्मिक मार्ग की तलाश करते हैं और भगवान के साथ मिल जाते हैं। इनाम की उम्मीद किए बिना ईमानदारी से एक के कर्तव्य का पालन करके हमारे नियमित जीवन में इसका अभ्यास किया जा सकता है। यह आध्यात्मिक विकास का मार्ग है।

मूलतः कर्म वह क्रिया है जो हम करते हैं और उसके बाद की प्रतिक्रिया। व्यक्ति का जीवन उसके कर्म चक्र द्वारा नियंत्रित होता है, जिसमें यदि किसी व्यक्ति के अच्छे विचार, अच्छे कार्य और अच्छे शब्द हैं, तो वह एक खुशहाल जीवन जीएगा, जैसे कि यदि किसी व्यक्ति के बुरे विचार, बुरे कार्य और बुरे शब्द हैं, तो वह एक व्यक्ति का नेतृत्व करेगा दुखी और कठिन जीवन।

आज की दुनिया में इस तरह के निस्वार्थ जीवन का नेतृत्व करना बहुत मुश्किल है क्योंकि मानव श्रम के फल से ग्रस्त हैं। यही कारण है कि हम उच्च तनाव, मानसिक बीमारी और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कर्म योग सभी भौतिकवादी मार्गों से छुटकारा पाने और एक सुखी और संतुष्ट जीवन जीने की शिक्षा देता है।

जनाना योगा – इसे ‘बुद्धि योग’ के रूप में भी जाना जाता है। यह सभी के बीच बहुत कठिन और जटिल रास्ता है। यह एक व्यक्ति को विभिन्न मानसिक तकनीकों का गहन अंतःकरण मन में ध्यान देकर और स्व प्रश्न सत्र आयोजित करके आंतरिक आत्म के साथ विलय करना सिखाता है। यह एक व्यक्ति को स्थायी जागरूक और अस्थायी भौतिकवादी दुनिया के बीच अंतर करने के लिए कहता है। यह मार्ग 6 मौलिक गुणों – शांति, नियंत्रण, त्याग, सहनशीलता, विश्वास और फोकस पर ध्यान केंद्रित करके मन और भावनाओं को स्थिर करना सिखाता है। लक्ष्य प्राप्त करने और इसे सर्वश्रेष्ठ तरीके से करने के लिए अक्सर एक सक्षम गुरु के मार्गदर्शन में ज्ञान योग का अभ्यास करने की सलाह दी जाती है।

भक्ति योगा – ‘आध्यात्मिक या भक्ति योग’ के रूप में भी जाना जाता है। यह ईश्वरीय प्रेम से जुड़ा हुआ है क्योंकि यह प्रेम और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान का सबसे बड़ा मार्ग है। इस मार्ग में एक व्यक्ति भगवान को प्रेम की सर्वोच्च अभिव्यक्ति और अवतार के रूप में देखता है। इसकी मुख्य विशेषताएं हैं – स्वामी के नाम का जाप करना, उनकी प्रशंसा या भजन गाना और पूजा और अनुष्ठान में संलग्न होना।

यह सबसे आसान और सबसे लोकप्रिय है। भक्ति योग से मन और हृदय की शुद्धि होती है और इसे कई मानसिक और शारीरिक योग प्रथाओं द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। यह विपरीत परिस्थितियों में भी साहस देता है। यह मूल रूप से दयालु भावना विकसित कर रहा है और शुद्ध दिव्य प्रेम के साथ आंतरिक स्वयं को शुद्ध करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

क्रिया योग – यह शारीरिक अभ्यास है जिसमें शरीर के कई आसन ऊर्जा और सांस नियंत्रण या प्राणायाम की ध्यान तकनीकों के माध्यम से किए जाते हैं। इसमें शरीर, मन और आत्मा का विकास होता है। क्रिया योग का अभ्यास करने से कुछ ही समय में पूरी मानव प्रणाली सक्रिय हो जाती है।

सभी आंतरिक अंग जैसे यकृत, अग्न्याशय आदि सक्रिय होते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक हार्मोन और एंजाइम स्रावित होते हैं। रक्त ऑक्सीजन की उच्च मात्रा को अवशोषित करता है और जल्दी से डी-कार्बोनेटेड हो जाता है जो सामान्य रूप से अच्छी तरह से मदद करता है और मनोदैहिक रोगों की संख्या से बचा जाता है।

सिर में अधिक परिसंचरण के माध्यम से, मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय होती हैं, मस्तिष्क की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है और याददाश्त तेज होती है और व्यक्ति आसानी से थक नहीं पाता है।

एक योग गुरु या शिक्षक चार मौलिक मार्गों का उपयुक्त संयोजन सिखा सकते हैं जैसा कि प्रत्येक साधक के लिए आवश्यक है। प्राचीन कहावतों ने जोर दिया है कि उपरोक्त योग मार्गों को प्राप्त करने के लिए गुरु के निर्देशों के तहत काम करना आवश्यक है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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बहुत ही अच्छी जानकारी बहुत बहुत धन्यवाद, क्रप्या यह भी देखें योग और स्वास्थ्य पर निबंध

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योग पर निबंध | Essay on yoga In Hindi

Essay on yoga In Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम आपके साथ  योग पर निबंध  शेयर करने जा रहे हैं. इस लेख के माध्यम से आप जान पाएगे कि योग क्या है योग का अर्थ, योग का महत्व, योग के लाभ क्या है. आदि विषयों को ध्यान में रखते हुए yoga Essay In Hindi का लेख आपके साथ प्रस्तुत कर रहे हैं.

योग पर निबंध | Essay on yoga In Hindi

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योग पर निबंध Short Essay on yoga In Hindi In 500 Words For Students

योग की प्राचीन परम्परा.

भारतीय संस्कृति ने सदा मानवमात्र के हित की कल्पना की हैं. हमारे ऋषियों, मुनियों मनीषियों ने मानव जीवन को सुखी बनाने के लिए अनेक उपाय बताए हैं. तन और मन दोनों को स्वस्थ रखना ही सुखी जीवन का मूलमंत्र हैं.

इस दिशा में हमारे पूर्वजों ने तन और मन को स्वस्थ बनाये रखने का अमूल्य उपाय योग को बताया है. योग मानव जाति के लिए भारतीय संस्कृति का अनुपम उपहार हैं.

योग क्या है

योग भारत की अत्यंत प्राचीन विद्या या विज्ञान हैं. योग शब्द का साधारण अर्थ है, जुड़ना या मिलना. योग और योगियों के बारे में हमारे यहाँ अनेक कल्पनाएँ चली आ रही हैं. योग को एक कठिन और रहस्यमय साधना माना जाता रहा हैं.

जन साधारण के जीवन में भी योग की उपयोगिता हैं. इससे प्रायः अनजान बने हुए हैं. योग के प्रथम आचार्य महर्षि पतंजलि माने गये हैं. योग के आठ अंग हैं.

यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि. इन अंगों को क्रमशः अपनाने और सिद्ध करने वाला योगी कहा जाता हैं.

योगासन और स्वास्थ्य

योग के बारे में लोगों की धारणाएँ अब बदल चुकी हैं. अब जन साधारण के जीवन में भी योग का महत्व प्रमाणित हो चुका हैं. योगासनों और प्राणायाम से मनुष्य का तन और मन दोनों स्वस्थ बनते हैं. शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती हैं.

योगासनों से साधारण रोग ही नहीं बल्कि मधुमेह, मोटापा, लकवा, स्लिपडिस्क, सियाटिका और कैंसर जैसे कठिन और असाध्य रोग भी ठीक हो रहे हैं. अतः योग भगाए रोग यह कथन सत्य प्रमाणित होता हैं.

स्वामी रामदेव का योगदान

योग को जन जन में लोकप्रिय बनाने और योगासन, प्राणायाम, आहार, विहार से लोगों को वास्तविक लाभ पहुचाने में स्वामी रामदेव का योगदान अतुलनीय हैं.

आपने देश और विदेश में सैकड़ों योगाभ्यास के शिविर लगाकर लोगों को स्वस्थ रहने का सहज उपाय सुझाया हैं. स्वामी रामदेव ने हरिद्वार में पतंजली योगपीठ की स्थापना की हैं.

यहाँ योग की शिक्षा और योग द्वारा रोगों की चिकित्सा का प्रबंध हैं. यहाँ हजारों योग के शिक्षक तैयार करने की व्यवस्था भी की गई हैं. ये शिक्षक सारे देश में जाकर लोगों को योग की शिक्षा देगे.

योग के विरुद्ध कुप्रचार

स्वामी रामदेव द्वारा योगासन और प्राणायाम द्वारा हजारों रोगियों को स्वस्थ किया गया हैं. उनकी सफलता और लोकप्रियता से इर्ष्या करने वाले कुछ लोगों ने योग का विरोध भी किया हैं.

इसमें डोक्टर, दवा कम्पनियां भी हैं. लेकिन सच्चाई के सामने विरोधी नहीं टिक पाए. योग के विरुद्ध धार्मिक फतवे भी दिए गये लेकिन लोगों ने इन सबकों ठुकरा दिया.

आज योग, देश, धर्म, जाति की सीमाएं तोड़कर सारे विश्व में लोकप्रिय हो चूका हैं. योग तो एक विज्ञान हैं. इसे जो भी अपनाएं वही स्वस्थ और सुखी बनेगा. विद्यार्थी, शिक्षक, व्यापारी, वैज्ञानिक, सैनिक सभी के लिए योग लाभदायक सिद्ध हो रहा हैं.

योग का स्वास्थ्य पर प्रभाव पर निबंध Essay On Effects Of Yoga On Health In Hindi

योग के प्रणेता पतंजलि के बारे में (who is the father of yoga).

योग परम्परा में महर्षि पतंजलि का नाम बहुत श्रद्धापूर्वक लिया जाता है. इन्हें योग का पिता भी कहा जाता है. महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग का पन्थ, धर्म, या सम्प्रदाय नही है.

बल्कि जीवन जीने की सम्पूर्ण पद्दति है. योग परम्परा बहुत पुरानी है, जिसका जिक्र महाभारत के युग से सुनते आ रहे है.

इस योग से विचलित व भटके हुए मन को केन्द्र्ण या फोकस प्रदान करता है, साथ ही विचारों के संघर्ष अर्थात मानसिक उतार चढाव की समाप्ति करता है.

योग हमे कई प्रकार के गुणों को जीवन में उतारने में मदद करता है. जैसे- संयम, सत्य, अहिंसा, स्वाध्याय, संतोष, अनुशासन, ध्यान, एकाग्रता, भावना नियंत्रण, समर्पण आदि.

जिससे मानव शरीर में सकारात्मक ऊर्जा व सोच का संचार होता है, जो आज की व भावी पीढ़ी के लिए बहुत जरुरी है. क्योंकि आज की पीढ़ी में इन गुणों का अभाव है.

योग के इन लाभों के कारण पतंजलि ने मनुष्यों को देने का निर्णय किया. योग के द्वारा आज हम कई सारे असाध्य रोग पर विजय प्राप्त कर चुके है.

योग का स्वास्थ्य पर प्रभाव Effects Of Yoga On Health

आज तनाव से भरी जिंदगी में योग जीवनदायिनी अमृत की तरह उभर कर आया है. योग के मुख्यतः दो पहलु है एक शारीरिक दूसरा आध्यात्मिक, दार्शनिक, भावनात्मक.

शरीर की स्वस्थता से लेकर समाधि की सिद्धि तक योग की यात्रा बहुत ही सरल, सहज, वैज्ञानिक, प्रमाणिक, व्यावहारिक व सार्वभौमिक है.

जीवन के तीन मूल तत्व माने जाते है विचार, भावनाएं एवं क्रियाएँ. योग करने से व्यक्ति के जीवन में ये मूल तत्व तथा कई मूलभूत परिवर्तन या रूपांतरण आते है. जो जीवन के लिए आवश्यक है.

योग करने वाला व्यक्ति सात्विक व अहिंसक प्रवृति से युक्त होता है. अर्थात राजसिक, तामसिक व हिंसक सम्रद्धि में विश्वास नही करता है.

योग व्यक्ति व समष्टि (population) में संतुलन बनाए रखता है. योग से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक व विवेकपूर्ण विचारधाराओं का प्रवाह करता है. योग एक गूढ़ अत्यंत उपयोगी व व्यवहारिक विषय है. यह रूपांतरण का विज्ञान (science of transformation) है.

योग क्या है (what is yoga)

योग केवल साधु, संतो व ऋषि मुनियों के लिए ही नहीं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह व्यापारी, किसान, नौकरीपेशा व्यक्ति, मजदूर एवं विद्यार्थी हो, सभी के लिए उत्कृष्ट देन है. योग एक अत्यंत प्राचीन भारतीय जीवन शैली है. योग शिक्षा से शरीर निरोग और स्वस्थ बनता है.

तथा योग द्वारा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है. 21 जून 2021 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) के रूप में मनाया जाएगा. दुनियां के अधिकतर देशों ने योग के महत्व को समझा है.

जीवन में योग का महत्व निबंध | Importance Of Yoga In Modern Life Essay In Hindi

योग न सिर्फ लोगों को बीमार होने से बचाता है, बल्कि वह नकारात्मक ऊर्जा से दूर कर उनमे सकारात्मक एनर्जी भरने का कार्य भी करता है.

आज के मशीनीकरण के युग में मानव का जीवन यंत्रवत हो गया है, तथा उनके सारे कार्य मशीनों से सम्पन्न होने लगे है. इस तरह के माहौल में स्वयं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखना एक बड़ा चैलेन्ज बन गया है.

आज की हमारी जीवन चर्या का ही परिणाम है कि हमारा शरीर तनाव बिमारी व आलस का कारण बनता जा रहा है.

भले ही विज्ञान की उन्नति ने हमे वो सभी सुख सुविधा प्रदान कर दी है, जिससे हमारा जीवन आसानी से व्यतीत हो जाए. मगर मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के सिवाय विज्ञान के पास भी कोई सहारा नही है.

मानव ने मलेरिया से कैंसर जैसे असाध्य बीमारियों के लिए दवाइयों की खोज कर ली मगर अभी तक मानसिक शांति के लिए उनके पास भी कोई जवाब नही है.

मगर भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति ने विश्व के लोगों को न सिर्फ शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में युक्तियाँ प्रदान की है, बल्कि मन की शान्ति के लिए भी एक ऐसी आशा की किरण प्रदान की है,

वह है योग जिसके माध्यम से तनाव, बिमारी, थकान व अन्य स्वास्थ्य समस्याओ से पूर्णत छुटकारा पाया जा सकता है. योग व्यक्ति के मन की शांति प्राप्त करने का सबसे युक्तिसंगत तरीका है.

योग का इतिहास (History of yoga)

1950 के आस-पास योग भारतीय उपमहाद्वीप से निकलकर पश्चिम के देशों में अपनी पहचान बनाने लगा. पश्चिम के देशों द्वारा कई बार योग पर वैज्ञानिक शोध व परीक्षण किये गये.

उन शोध के नतीजों ने भारतीय योग शिक्षकों के दावे पर मुहर लगा दी. आज के युग में योग मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. इस कारण इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है.

योग का शाब्दिक अर्थ व परिभाषा (The meaning and definition of yoga)

योग शब्द की उत्पति संस्कृत की यज धातु से निर्मित है. जिसका शाब्दिक अर्थ होता है जोड़ना या सम्बन्धित करना. यदि योग को परिभाषित किया जाए तो यह उस विधा का नाम है, जिससे शरीर व आत्मा का मिलन अर्थात योग होता है.

प्राचीन भारत के छ दर्शनों (न्याय, वैशेषिक, सांख्य, वेदांग एवं मीमासा) में योग की भी गिनती की जाती है. भारत में आज से पांच हजार वर्ष पूर्व से योग का जन्म माना जाता है. इसके बारे में पहला प्रमाणिक ग्रन्थ पतंजली द्वारा योगसूत्र 200 ईसा पूर्व लिखा गया था.

प्राचीन भारत में रही गुरु शिष्य परम्परा के चलते यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती हुई आज भी जीवित है. इस विधा से आज करोड़ लोग लाभार्थी हो रहे है. जिनका श्रेय भारतीय योग गुरुओं जैसे बाबा रामदेव को दिया जाना न्याय संगत है. जिन्होंने निस्वार्थ योग की परम्परा को देश विदेशों में लोगों तक पहुचने का कार्य आजीवन कर रहे है.

योग के प्रकार (types of yoga in hindi)

महर्षि पतंजली द्वारा लिखे गये योगसूत्र में पांच प्रकार के योग का वर्णन किया गया है. जिनमे हठ योग, कर्म योग, ध्यान योग, भक्ति योग व ज्ञान योग. इनका सम्बन्ध इस प्रकार से उल्लेखित किया गया है.

ज्ञान का मस्तिष्क से, भक्ति का आत्मा से, ध्यान का मन से तथा कर्म योग का सम्बन्ध कार्यों से माना गया है. साथ ही योग के 8 अंगों का विधान भी किया गया है. जो इस प्रकार है.

  • यम- हिंसा न करना, सत्य बोलना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य व धन इकट्ठा न करने की शिक्षा
  • नियम- स्वयं अध्ययन, संतोषी स्वभाव, तपस्या, शारीरिक व मानसिक पवित्र आचरण तथा आस्था को नियम में रखा गया है.
  • आसन- योगसूत्र में विभिन्न 84 शारीरिक क्रियाओं को आसन में शामिल किया जाता है.
  • प्राणायाम- श्वास को अंदर लेना, अंदर रोककर रखना, तथा छोड़ना प्राणायाम में आता है.
  • प्रत्याहार- लौकिक सुख और इच्छाओं को समाप्त एक अपना मन एकाग्रसित करना प्रत्याहार कहलाता है.
  • धारणा- किसी श्रेष्ट कर्म को मन में धारण कर उसकी सम्प्राप्ति हेतु किया जाने वाला प्रयत्न धारणा कहलाता है.
  • ध्यान- अतरात्मा के साथ अपने मन को इस तरह केन्द्रित कर देना, जिससे संसार के किसी क्रियाकलाप का उस पर प्रभाव न पड़े.

योग का जीवन में महत्व (importance of yoga in modern life)

अब तक के विवरण से यह साफ़ हो चूका है कि शरीर को स्वस्थ स्थति में लाकर ही योग किया जा सकता है. साथ ही किस तरह योग के आठ अंग व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकते है.

योग का सीधा सा उद्देश्य यही है कि मन आत्मा व शरीर इन तीनों अवयवों को एक कर देना, उनमे एक सम्बन्ध स्थापित कर देना ही योग है.

व्यक्ति द्वारा योग करने से उसे आत्मीय संतोष, शान्ति, नवीन चेतना व तनाव से छुटकारा मिलता है. आसन के अभ्यास का सीधा शारीरिक लाभ होता है,

शरीर के विभिन्न अवयवों के बिच समन्वय बढ़ने के साथ ही योग करने से जोड़ो, मासपेशियों की विकृतियों को दूर कर इनमें लचीलापन व मजबूती प्रदान करता है. मानव के रक्त परिसंचरण तन्त्र को सुचारू रूप से चलाने में योग महती भूमिका निभा रहा है. ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए यह बहुमूल्य औषधि भी है.

योग का लाभ/फायदे (benefits of yoga essay)

  • नियमित रूप से योग करने के लाभ निम्न है.
  • शरीर के विभिन्न जोड़ो की हड्डियों को मजबूत बनाता है.
  • व्यक्ति का शरीर तनाव से मुक्ति पाकर शांति व संतोष की प्राप्ति करता है.
  • शरीर को छोटी मोटी बीमारियों को स्वतः ठीक कर देता है.
  • शरीर में रक्त प्रवाह को सुन्चारू करता है, व पाचन शक्ति को बढ़ाता है.
  • योग व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, जो विभिन्न बिमारीयों से लड़ने में उनकी मदद करता है.
  • यह अनिद्रा, तनाव, थकान, उच्च रक्तचाप, मानसिक चिंता को दूर करता है.
  • व्यक्ति के चित को शांत व एकाग्र करता है.
  • विद्यार्थियों में योग सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास व एकाग्रता को बढ़ाता है.

योग कौन कर सकता है (Who can do yoga )

किसी भी उम्रः के स्त्री पुरुष योग को कर उसके फायदों से लाभान्वित हो सकते है. मगर इसके प्रशिक्षण की विशेष आवश्यकता रहती है. कुछ विशेष बीमारियों की स्थति में योग लाभ पहुचाने की जगह नुकसान दे सकता है. इसलिए योगा ट्रेनर के दिशा निर्देश में ही इसे किया जाना चाहिए.

आज के प्रदूषित वातावरण में व्यक्ति का जीना कठिन हो गया है. ऐसे में योग हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी कई बड़ी समस्याओं को समाधान हो सकता है.

दूसरी तरफ यह कई लोगों को रोजगार देने में भी समर्थ है. बहुत से भारतीय योगा ट्रेनर इस दिशा में कार्य कर रहे, तो विश्व के अलग अलग देशों में अपनी योग क्लासेज चला रहे है.

योग का महत्व पर निबंध | Importance Of Yoga For Students Essay In Hindi

योग न सिर्फ हमारे शरीर को बीमारियों से मुक्त रखने में मदद करता है बल्कि यह जीवन को सही ढंग से जीने का तरीका तथा सकारात्मक एनर्जी भी प्रदान करता है.

आज के वैज्ञानिक युग ने हमारे जीवन को भी यंत्रवत बना दिया है, एक मशीन की तरह काम करना और वैसा ही सोचना इसके साइडइफ्फेक्ट है, ऐसे हालातों में अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहा है.

भले ही विज्ञान की प्रगति के चलते हमारे सुख सुविधा के साधनों में बढ़ोतरी हो गई, मगर शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य की एक बड़ी समस्या आज भी उसी रूप में व्याप्त है, जिसका एक ही साधन हो सकता है वो है योग.

पाश्चात्य देश भले ही अपने आधुनिक शोध तथा परीक्षणों से दुनियाँ की अधिकाँश बीमारियों का हल ढूढ़ पाए हो मगर मन की शान्ति तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए आज भी उन्हें हमारी पुरातन शिक्षा प्रणाली तथा योग की तरफ ही आना पड़ रहा है.

कई वैज्ञानिक अनुसन्धान यह साबित कर चुके है कि अच्छे मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग से बेहतरीन कोई विकल्प नही है.

यही वजह है कि आज हमारे योग साधना को पूरी दुनियाँ ने अपनाया है, तथा कई योगगुरुओं के निर्देशन में इस पद्दति की शिक्षा ली जा रही है. 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

योग का शाब्दिक अर्थ और इतिहास (The literal meaning and history of yoga)

योग शब्द संस्कृत की यज धातु से बना शब्द है, जिसका अर्थ होता है जोड़ना, सम्मलित करना तथा संचालित करना. यदि योग की परिभाषा दी जाए तो योग आत्मा और शरीर को जोड़ने  वाली पद्दति है.

इन्हें भारत के प्राचीन छ दर्शनों में शामिल किया गया है. भारतीय गुरुकुल परम्परा के तहत योग शिक्षा गुरुओ द्वारा अपने शिष्यों को दी जाती थी जो इसी क्रम में आगे चलती रहती थी.

आज से तक़रीबन साढ़े पांच हजार पूर्व योग का इतिहास माना जाता है. आज के समय में योगगुरु बाबा रामदेव के इष्ट पतंजली को योग का जनक माना जाता है.

हालाँकि पतंजली से पूर्व भी योग प्रचलन में था मगर इन्होने 200 ईसा पूर्व योग सूत्र नामक संस्कृत ग्रन्थ की रचना कर इसे लिखित रूप प्रदान किया.

प्राचीन योग शास्त्र के अनुसार योग के पांच प्रकार/रूप बताए गये है. जो निम्न प्रकार है.

  • हठ योग (इसका सम्बन्ध मनुष्य के प्राण से होता है)
  • ध्यान योग (इस योग के प्रकार का सम्बन्ध मनुष्य के मन से)
  • कर्म योग (इसका सम्बन्ध मनुष्य द्वारा की गई सम्पूर्ण क्रियाओं द्वारा)
  • भक्ति योग (ईश्वरीय प्रेम की भावना)
  • ज्ञान योग (बुद्धि तथा शास्त्रीय ज्ञान से माना जाता है.)

मगर योग के प्रणेता पतंजली द्वारा योगसूत्र में आठ अंगो का वर्णन किया गया है. योग के अंग कहे जाने वाले आठ प्रकार ये है-

  • यम  अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय तथा ब्रह्मचर्य आदि नैतिक नियमों का पालन यम के अंतर्गत आता है.
  • नियम-  स्वाध्याय, संतोष, तप, पवित्रता, ईश्वर के प्रति चिन्तन आदि को नियम के अंदर शामिल किया गया है.
  • आसन-  अपने मन को एकाग्र करने की विद्या को आसन कहा जाता है पतंजली ने आसनों की संख्या 84 बताई है, उनके द्वारा बताए गये कुछ आसनों के प्रकार इस प्रकार है. शवासन, हलासन, शीर्षासन, धनुराषन, ताड़ासन, सर्वागासन, पश्चिमोतासन, भुजंगासन, चतुष्कोणआसन, त्रिकोणासन, मत्स्यासन, गुरुडासन, भुजंगासन, कोणासन, पदमासन, मयूरासन, शलभासन, धनुरासन, गोमुखासन, सिंहासन, वज्रासन, स्वस्तिकासन, पर्वतासन आदि.
  • प्राणायाम- श्वास की गति को नियंत्रित करना. श्वास की क्रिया को अंदर भरना तथा बाहर निकलना जिनमे कुभन तथा रेचन की क्रियाएँ शामिल है.
  • धारणा- चित को बांधना
  • प्रत्याहार- इन्द्रियों को अपने नियन्त्रण में करना
  • ध्यान- संसार की भौतिक वस्तुओ से अपने मन को हटाकर तीसरी शक्ति के उपर ध्यान केन्द्रं करना.
  • समाधि-  योग की सर्वोतम स्थति इसमे साधक पूर्ण एकाकार हो जाता है.

योग का महत्व (Importance of yoga)

अब तक के इस विवरण से स्पष्ट हो चूका है कि मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए योग की युक्ति का जन्म हुआ.

जो हमारे समस्त उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक है सच्चे अर्थ में शरीर मन और आत्मा तीनों को जोड़ना ही योग है. इससे इंसान को संतुष्टि, चेतना और शान्ति की प्राप्ति होती है.

तथा कई प्रकार के मनोविकारो से छुटकारा मिलता है. यह न सिर्फ मानसिक रूप से मनुष्य को मजबूत बनाता है बल्कि शरीर के विकास तथा मांसपेशियों की मजबूती तथा कार्यक्षमता बढ़ाने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है.

मानव के रक्त परिसंचरण, पाचनक्रिया तथा श्वसन तन्त्र को योग के द्वारा सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है. यह हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है तथा विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने में हमे मदद करता है.

योग के लाभ (Benefits of yoga)

  • योग विद्यार्थियों शिक्षकों तथा शोधकर्ताओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ साथ उनकी एकाग्रता को बढ़ाने में भी मदद करता है.  जिससे उनके कार्य में सुगमता हो जाती है.
  • योग स्त्री पुरुष तथा सभी श्रेणी के लोगों के लिए लाभदायक है मगर गर्भवती स्त्री, रोगी तथा विशेष आवश्यकता वाले लोगों को योग ट्रेनर के प्रशिक्षण में इसका अभ्यास करना चाहिए.
  • दिल्ली जैसे शहरों में जहाँ वायु प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर है, जिसके कारण बीमार होने की संभावना कई गुना तक बढ़ जाती है, ऐसी स्थति में योग हमारे लिए एक महत्वपूर्ण साधन है जिससे इस समस्या का सामना करने में मदद मिल सकती है.
  • भारतीय योग प्रशिक्षकों के लिए यह आज एक उत्तम रोजगार का साधन भी बनकर सामने आ रहा है. पश्चिम के देश यकायक योग विद्या की तरफ आकर्षित हो रहे है.
  • इस लिहाज से आज के सम्पूर्ण विश्व के परिद्रश्य में योग न सिर्फ किसी राष्ट्र के लिए बल्कि विश्व के सभी देशों के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण साधन बन चूका है.
  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस निबंध
  • स्वास्थ्य और व्यायाम पर निबंध
  • तनाव प्रबंधन क्या है अर्थ उपाय व टिप्स

मित्रों Essay on yoga In Hindi का ये लेख आपकों कैसा लगा, हमारे लिए योग पर निबंध   इस लेख के बारे में कोई सुझाव या सलाह के लिए हमे आपके कमेंट का इन्तजार रहेगा. 

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Essay on Yoga In Hindi – योग पर निबंध

September 21, 2017 by essaykiduniya

सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में योग के महत्व पर निबंध। Short and Long Essay on Yoga In Hindi Language for Students of all Classes in 500, 600 and 1000 words.

Essay on Yoga In Hindi – योग पर निबंध:  योग का महत्व: योग निबंध, अनुच्छेद, भाषण, पैराग्राफ (500 words)

योग निबंध, लेख, भाषण, पैराग्राफ़, महत्व: योग एक बेहद अमीर और अत्यधिक जटिल आध्यात्मिक परंपरा है। इसका मतलब सार्वभौमिक आत्मा के साथ अलग-अलग आत्मा में शामिल होना है योग का मूल उद्देश्य और कार्य शारीरिक और मानसिक शक्ति, रोग के प्रति प्रतिरोध और मजबूत मन को विकसित करना है। आजकल योग अधिक लोकप्रिय हो गए हैं क्योंकि लोग अपने महत्व को महसूस कर रहे हैं और आधुनिक तनाव के इलाज की कुंजी योग में निहित है। योग सांस लेने के अभ्यास और पेशे के संयोजन के साथ सस्ती, नि: शुल्क हथियार का रूप है। योग व्यवस्थित, वैज्ञानिक और परिणाम दोनों शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के सुधार से प्राप्त किया जा सकता है।

योग और आधुनिकीकरण:  आधुनिक जीवन के परिणामस्वरूप हमें एक व्यस्त और असंतुष्ट जीवनशैली लेना है। यह सभी अनियमित भोजन की आदतों, अभाव या अनुचित नींद, लंबे काम के घंटे, आदि को जोड़ती है। निश्चित रूप से नई पीढ़ी के बच्चों या वयस्कों को स्वास्थ्य, जीवन शक्ति, लचीलापन, ऊर्जा और रोगों के लिए समग्र प्रतिरोध खो रहे हैं। इन सभी को ठीक करने का एक तरीका खोजने के लिए, योग के साथ एक आशा है। योग और संयमी शरीर और आत्मा के साथ “आसन”, प्राणायाम और ध्यान के साथ एक संतुलित जीवन प्राप्त किया जा सकता है।

स्वस्थ जीवन के लिए योग का महत्व:  योग का पूरा और नियमित अभ्यास करने के लिए जीवन का आनंद लेने के लिए एक स्वस्थ शरीर आवश्यक है जिससे बहुत अधिक स्वास्थ्य प्रदान हो सके। योग जोरदार अभ्यास के उन रूपों नहीं है इसके बजाय, यह व्यवस्थित और लयबद्ध आंदोलनों का एक रूप है जिसे एक के बाद एक करना होगा। श्वास पैटर्न “आसन” में महत्वपूर्ण है उचित योग अनुयायी को व्यायाम , आराम और अधिकतम परिणामों के लिए आहार के लिए दिनचर्या का एक समूह का पालन करना चाहिए। योग को शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता है और शांतिपूर्वक किया जाता है योग में कोई चरम गति नहीं है योग सभी उम्र के लोगों और यहां तक कि बीमार लोगों द्वारा भी किया जा सकता है हालांकि बीमार लोगों को एक विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए ताकि आवश्यक अभ्यासों की योजना बनाई जाए या इससे बचा जा सके और तीव्रता भी हो।

योग के दौरान मंत्र और ध्यान के अभ्यास और संयोजन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण हमारे विचारों और मानसिकता में कई बदलाव पैदा करता है। यह हमें व्यसन से मुक्त बनाता है, हमारी स्मृति शक्ति को बढ़ाता है, हमारे दिमाग को शांत रखता है और समग्र रूप से हमें अधिक ऊर्जावान, प्रभावी बनाता है और हमारे बीच आत्म-नियंत्रण बनाता है। योग वास्तव में जीवन की कला है यह ऋषि पतंजलि की एक प्राचीन कला है यह कालातीत है क्योंकि आज की आवश्यकता के अनुरूप यह बहुत प्रासंगिक है, हालांकि यह सदियों पहले बनाया गया था। योग बहुत पश्चिम में स्वीकार किया जाता है और बाबा रामदेव के माध्यम से यह तेजी से लोकप्रिय हो गया है। इसलिए कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि योग मानव में देवत्व को अनलॉक करने की कुंजी है। शरीर को एक मंदिर माना जाता है और योग उसे पूजा करने का तरीका है।

Essay on Yoga In Hindi

Essay on Yoga In Hindi – योग पर निबंध (600 words)

अच्छे परिणाम के लिए शांत परिवेश में योग किया जाना चाहिए। योग एक कला है जो हमारी आत्मा, मन और शरीर को एक साथ जोड़ती है। यह हमें मजबूत, लचीला, शांतिपूर्ण और स्वस्थ बनाता है भारत जैसे देशों में जहां लोगों को बहुत तनाव है और थकान है, योग बहुत आवश्यक है यह हमारे लिए फिट और स्वस्थ बनाता है एक स्वस्थ मन सब कुछ कर सकता है| इन दिनों, लोगों को उनके दैनिक कार्यों, काम और तनावपूर्ण जीवन के कारण योग के लिए समय नहीं है। अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने से वित्तीय रूप से बढ़ने से बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि स्वास्थ्य के बिना आप काम नहीं कर सकते हैं और बिना काम किए बिना कमा सकते हैं।

आंतरिक शांति: योग हमारे शरीर में शांति बढ़ाने और हमारे सभी तनाव और समस्याओं के खिलाफ झगड़े के लिए जाना जाता है। वयस्कों की तुलना में बच्चों की तुलना में वयस्कों की आयु में सबसे ज्यादा समस्याएं हैं। योग करने से शांति का स्तर बढ़ जाता है और आपको अधिक आत्मविश्वास होता है जिसके कारण अधिक आत्मविश्वास होता है। तनाव कम होने का मतलब है कि आप स्वस्थ होंगे क्योंकि यह वैज्ञानिक तौर पर साबित होता है कि तनाव हमें अस्वास्थ्यकर बनाता है, लेकिन योग करना इस को रोका जा सकता है।

स्वस्थ: एक स्वस्थ व्यक्ति अपने जीवन का सबसे अधिक लाभ कर सकता है, जो कि अस्वास्थ्यकर है। आधुनिक जीवन बहुत तनावपूर्ण है, और हमारे आसपास के कई प्रदूषण हैं बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, और उनमें से एक आलस्य है। यहां तक कि 10-20 मिनट योग भी आप पूरी तरह से जाग सकते हैं। बेहतर स्वास्थ्य का मतलब बेहतर जीवन है|

सक्रियता: सक्रिय होने के नाते अपने आप में एक सुनहरा मौका है। जब आप आलसी होते हैं, थका हुआ या नींद महसूस करते हैं, तो आप अधिकतर मजाक उगल रहे हैं और काम को सही ढंग से पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। एक अच्छा सक्रियता बनाए रखने का मतलब है कि आप अपने आस-पास के हालात के बारे में जानते हैं और साथ ही आप अपनी नौकरी और काम को सटीकता और कम से कम समय के साथ पूरा कर सकते हैं।

आपको लचीला बनाता है: कुछ लोगों को अपने पैर की उंगलियों को झुकने या छूने में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एक बार जब कोई व्यक्ति नियमित आधार पर योग करना शुरू करता है, तो वे जल्द ही इसका प्रभाव महसूस करना शुरू कर देंगे। यह जोड़ों में दर्द को हटाने में भी मदद करता है, जो कि ज्यादातर बड़े लोगों में मनाया जाता है|

शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है: योग से शरीर में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने का कोई बेहतर तरीका नहीं हो सकता। योग आपको अपने शरीर को ऑक्सीजन युक्त रखने में मदद करता है। यह आपके दिल को बहुत स्वस्थ बना देता है और इसे अधिक कुशलता से काम करता है।

आप ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है: योग आपको और आपके शरीर को आराम और शांत महसूस करता है। इसका मतलब यह है कि आप कम तनाव में हैं और आपके काम पर तुरंत ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यही कारण है कि बच्चों और किशोरों को भी योग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि यह उनके अध्ययन पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

आपको बेहतर सोता है: अंदरूनी शांति और आराम से शरीर के साथ, आप आसानी से सो सकते हैं कि रात के मध्य में जागने और शरीर के आसन को बदलना। बेहतर दिन के लिए एक अच्छी नींद आवश्यक है यदि आप नींद आते हैं, तो संभवतः आप बेहतर नहीं कर पाएंगे और अवसर खो सकते हैं।

शक्ति बनाता है: योग आपको अधिक पेशी और मजबूत बनाने में मदद करता है यह आपकी पकड़ बढ़ाता है और आपको और अधिक करने के लिए प्रेरित करता है। योग एक चमत्कार है, एक बार बाद, यह आपको पूरे जीवन का मार्गदर्शन करेगा। दिन में 20 से 30 मिनट का योग आपके जीवन को लंबे समय तक बदल सकता है।

Essay on Yoga In Hindi – योग पर निबंध (1000 Words) :  शब्द ‘योग’ संस्कृत शब्द से प्राप्त किया गया है, ‘युज’ जिसका मतलब है एकता। यह सबसे गहरा स्तर पर सही सद्भाव प्राप्त करने के लिए मन और शरीर के संघ के रूप में समझाया जा सकता है। यह मानसिक जीव के परिवर्तन के माध्यम से, हमें चेतना के उच्च स्तर तक पहुंचने में सहायता करता है। योग के पास कोई विशिष्ट धार्मिक अर्थ नहीं है ‘ इसकी अपील सार्वभौमिक है और यह कई लोगों द्वारा प्रचलित है| उपनिषद, महाभारत, भगवद गीता समेत, जैन धर्म में बौद्ध धर्म और बौद्ध धर्म योग प्रथाओं को स्वीकार करते हैं। पतंजलि के योग सूत्र योग पर सबसे पुराना पाठ पुस्तक है। यह दूसरी शताब्दी के दौरान लिखा गया था और बहुत लोकप्रिय हो गया। यह शास्त्रीय भारतीय दर्शन के छह स्कूलों में से एक के रूप में विकसित किया गया है, जो अक्सर सांख्य विद्यालय से जुड़ा हुआ है।

योग, मानवीय प्रकृति-आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक के विभिन्न तत्वों के नियंत्रण के माध्यम से मन, शरीर और आत्मा की पूर्ण सामंजस्य प्राप्त करने का एक सामरिक प्रयास है। योग के दो फर्म कुर्सियां हैं वे शारीरिक और भावनात्मक हैं भौतिक पक्ष में मुद्राओं के अलावा आसन, क्रिया, बंद और प्राणायाम हैं। इन अभ्यासों का एक उचित अभ्यास आध्यात्मिक प्रगति बनाने के लिए योग और योग के शरीर और मन को तैयार करता है।

आध्यात्मिक पहलू मूलतः मन और आत्म-प्राप्ति पर नियंत्रण है। योग न केवल आत्म-विकास के मानसिक और शारीरिक तकनीकों के साथ-साथ आंतरिक ऊर्जा के प्रत्यक्ष नियंत्रण के साथ-साथ, अर्थात प्राणायाम से भी संबंधित है। प्राणायाम योग की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। यह मुख्य रूप से ‘सांस’ का नियमन है| जब कोई नाक के एक भाग से हवा में घुसता है और दूसरे से इसे उकसता है। प्रसिद्ध योगी स्वामी रामदेव का दावा है कि प्राणायाम का एक नियमित अभ्यास कैंसर, हृदय रोगों, मधुमेह, रक्त सम्मिलन, यकृत विकारों और गंभीर गैनाकोकालिक समस्याओं जैसी घातक बीमारियों को रोक सकता है और उन्हें ठीक कर सकता है। आज, योग चिकित्सा की एक वैकल्पिक प्रणाली के रूप में विकसित हुआ है। अधिक से अधिक लोग सीख रहे हैं और इसे नियमित रूप से कर रहे हैं व्यवस्थित रूप से योग का अभ्यास करके, उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया है।

इसके अलावा, इसमें न्यूनतम खर्च शामिल है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है इसके विपरीत, कई एलोपैथिक दवाइयां जैसे कि मजबूत एंटीबायोटिक दवाओं और दर्द-हत्यारों बहुत महंगा हैं और इनके असंख्य दुष्प्रभाव भी हैं। योग कार्यक्रम और प्राणायाम के लिए सबसे अच्छा समय सुबह होता है। इस अवधि के दौरान, ताजा हवा का आनंद ले सकते हैं, ऑक्सीजन से भरा हो सकता है। आसपास के योग और ध्यान के लिए अनुकूल हैं, क्योंकि यह आमतौर पर सुबह शांत और शांतिपूर्ण है। इसके अलावा, यह वह समय है जब मन और शरीर को अच्छी नींद की अच्छी आवाज के बाद ताजा महसूस होता है। यहां तक कि डॉक्टरों का सुझाव है कि सुबह किसी भी अभ्यास के लिए सबसे अच्छा समय है, यह योग हो, या तेज चलना, या कोई अन्य। योग महसूस करता है कि हमारे शरीर की अपनी गरिमा है, जैसा कि हमारा मन है आसन या आसन एकाग्रता के लिए शरीर को तैयार करने के मामले में आधार है। इससे पहले कि हम ध्यान करना शुरू करें, हमें एक सुविधाजनक आसन में अपने आप को बन्द करना होगा। पतंजलि का उल्लेख है कि मुद्रा स्थिर, सुखद और आसान होना चाहिए।

योग में आसन की एक बड़ी संख्या है उन सभी को चिकित्सक की तरफ से समर्पण और अनुशासन की आवश्यकता होती है। एक योग शिक्षक या गुरु की सलाह हमेशा अलग आसन अभ्यास करने के लिए ली जानी चाहिए। यहां तक कि चिकित्सक की उम्र और बीमारी के अनुसार भोजन को नियंत्रित किया जाना चाहिए योगासन में किसी की आरंभ से पहले शराब, नशीली दवाओं, धूम्रपान आदि की आदत जैसे खराब आदतों को छोड़ देना पड़ता है। इसमें योग का अभ्यास करने के लिए जीवन में अनुशासन की आवश्यकता होती है। प्रत्येक आसन को एक विशेष बीमारी का इलाज करना होता है। कुछ लोकप्रिय योग आसन में पद्मशना, त्रिलोकसाना, शलभसन, भुजंगासन, धनुरासन, हलसाना, सर्वसंगना, चक्रस्थान, वज्रसाना, शवासना आदि शामिल हैं। ध्यान, जब योग के साथ अभ्यास किया जाता है, हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है और हमारे दिमाग को आराम देता है। योग और ध्यान प्रथाओं ने लोगों को चेतना के उच्च स्तर पर खुद को उठाने में सक्षम बनाया है।

आध्यात्मिक प्रगति के लिए सबसे प्रभावी सहायता में से एक भौंहों के बीच के बिंदु पर शांतिपूर्वक ध्यान रखना है आधुनिक तंत्रिका विज्ञान ने प्रगट किया है कि जब किसी की ऊर्जा और ध्यान अग्रमस्तिष्क में दृढ़ता से केंद्रित होता है, तो नकारात्मक भावनाओं से दूर होना असंभव है। सांस को नियंत्रित करने और आराम से, हम शांत होने के लिए मन को प्रभावित कर सकते हैं। ध्यान कहीं भी अभ्यास किया जा सकता है ध्यान में रखते हुए, एक सीधे या एक योग मुद्रा में बैठना चाहिए। किसी को अपनी आँखें बंद रखनी चाहिए, ताकि शरीर और मन के साथ आंखों को भी कुछ आराम मिले। बुद्ध, महावीर और रामकृष्ण परमहंस जैसे सभी महान दार्शनिकों ने मन और आत्मा के शुद्धि के लिए ध्यान के अभ्यास पर बल दिया है। योगों के विभिन्न रूपों को वर्णित किया गया है। उदाहरण के लिए, वाथा योग ‘आत्मा के नियंत्रण के माध्यम से हमारी आत्मा के पुनर्मिलन’ की ओर जाता है, शरीर और महत्वपूर्ण ऊर्जा, विशेष रूप से, सांस। इस ‘राफिया योग’ का उपयोग पारंपरिक नृत्य और संगीत में भी किया जाता है।

अनियमित बीमारियों के लिए “रामबाण” यह हमारे शरीर को मजबूत कर सकता है, हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकता है और विशाल मानसिक शक्ति और स्थिरता प्रदान कर सकता है। यह वास्तव में एक व्यक्ति में एक नई चेतना जागृत कर सकता है और उसके पूरे व्यक्तित्व को ढाला जा सकता है। योग में उम्र, जाति, धर्म या लिंग का कोई अवरोध नहीं है। कोई भी योगासन का अभ्यास कर सकता है। हालांकि, हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी योग मुद्राएं और साँस लेने का अभ्यास सही तरीके से किया जाता है।

किसी समय की अवधि में नियमित अभ्यास के बाद एक व्यक्ति की मानसिकता और जीवनशैली में एक सकारात्मक और सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव होगा। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के लॉस एंजिल्स के वैज्ञानिकों की एक टीम ने कहा कि ध्यान केवल कुछ हफ्तों में एड्स के बिगड़े को धीमा कर सकता है, शायद प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करके। उन्होंने मानसिकता ‘ध्यान के रूप में परिभाषित एक तनाव-कम करने वाले कार्यक्रम का परीक्षण किया, जो वर्तमान क्षण के एक खुला और ग्रहणशील जागरूकता के अभ्यास के रूप में परिभाषित किया गया था, जो कि पिछले या चिंता के बारे में सोचने से बचने के लिए। सीडी4 की गणना दो महीने के कार्यक्रम के पहले और बाद में मापा गया था। इस अध्ययन में पहला संकेत दिया गया है कि सावधानीपूर्वक ध्यान और तनाव-प्रबंधन प्रशिक्षण एचआईवी रोग की प्रगति धीमा करने पर सीधा प्रभाव डाल सकता है।

यह दिमाग़ कार्यक्रम एक समूह आधारित और कम लागत वाला इलाज है, और यदि यह प्रारंभिक खोज बड़े नमूनों में दोहराया जाता है, तो संभव है कि इस तरह के प्रशिक्षण को एचआईवी रोग के लिए शक्तिशाली पूरक उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, दवाओं के साथ। अंत में, योग सार्वभौमिक है योग का जन्म स्थान भारत हो सकता है, लेकिन यह मानवता के लिए है, चाहे धर्म, लिंग, राष्ट्रीयता और भाषा के बावजूद। इसका मतलब है ‘स्वास्थ्य में सुधार और खुशी का प्रसार करने के लिए”|

( International Yoga Day )अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Essay on Yoga In Hindi – योग पर निबंध )को पसंद करेंगे।

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योग का महत्त्व पर निबंध | योग भगाए रोग हिन्दी निबंध

योग क्या है, योग करने से क्या बीमारियाँ ठीक हो सकती हैं, योग के क्या फायदे हैं, क्या योग करने के कोई नुकसान भी हो सकते हैं? योग का महत्व जानने के लिए योग के अर्थ और इतिहास को जानना आवश्यक है। योग पर निबंध के माध्यम से इन सभी प्रश्नों का उत्तर पाया जा सकता है। योग का महत्व केवल वो ही बात सकता है जिसने अपने जीवन में योग को अपनाया है। योग भगाए रोग पर निबंध हिन्दी में विद्यार्थियों से परीक्षा में पूछा जा सकता है। व्यायाम और स्वास्थ्य पर निबंध को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

योग का महत्त्व पर निबंध | Essay on Yoga in Hindi | योग भगाए रोग निबंध

योग क्या है meaning of yoga in hindi.

योग का शाब्दिक अर्थ है ‘जोड़’। इसका अभिप्राय है कि योग मनुष्य को जोड़ने का काम करता है। मनुष्य के शरीर  और आत्मा को जोड़ने का, मनुष्य के शरीर को प्रकृति से जोड़ने का। महर्षि पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना (चित्तवृत्तिनिरोधः) ही योग है। अर्थात मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना ही योग है।

मनुष्य की इन्द्रियाँ खुशी की तलाश में उसे हर समय बाहर की ओर धकेलती रहती हैं। जबकि खुशी उसके मन के भीतर ही है। इसी खुशी से उसका परिचय कराने के लिए भारत के ऋषियों ने इसकी खोज की। इंसान मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरजाघर में भगवान को तलाश करता है जबकि भगवान का निवास उसके खुद के अंदर ही है। जैसा कि संत कबीर के भजन से स्पष्ट है;’ मोको कहां ढूंढे रे बंदे, ना मैं मंदिर, ना मैं मस्जिद………… मैं तो तेरे विश्वास में’। योग के द्वारा वह अपने अंदर छुपे भगवान के दर्शन कर सकता है।

योग का इतिहास History of Yoga

प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि योग, तपस्या, साधना ; यह सभी ऋषियों के लिए बनाए गए हैं । साधु मुनि कम से कम साधनों की मदद लेकर विरक्त स्थान पर जाकर ध्यान लगाया करते थे। जब उन्हें मन की शांति का गूढ़ रहस्य मिल जाता था, तो कहा जाता था कि उनका योग सिद्ध हो गया। यह प्रक्रिया बहुत ही कठिन समझी जाती थी और कुछ विरले लोग ही इसे कर पाते थे।

आधुनिक जीवन और योग Yoga and Modern Life

आज योग घर -घर में आ पहुँचा है। इसे आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय योग गुरु बाबा रामदेव को जाता है। आधुनिक समय में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए गुरुओं ने प्राणायाम  के साथ-साथ  शारीरिक आसनों पर ज्यादा ज़ोर देना शुरू कर दिया है। क्योंकि आज के समय में मनुष्य ऐसे कामों में व्यस्त है, जिससे वह एक ही जगह पर सुबह से शाम तक बैठा रहता है। जिससे उसका शरीर अकड़ जाता है। बहुत सी बीमारियां उसके शरीर में घर बना लेती है।

इन बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए केवल भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया ने इसे अपनाया है । जगह-जगह व्यायाम केंद्र खुल गए हैं । जहां पर आसन पद्धतियां सही तरीके से सिखाई जाती हैं। किंतु मनुष्य आज यह समझ नहीं पा रहा है  कि योग का अर्थ केवल थोड़े से आसन और प्राणायाम करने से नही है।

योग के फायदे –

योग और अनुशासन yoga and discipline.

योग का अर्थ अपने जीवन में अनुशासन लाना है। सुबह एक घंटा व्यायाम करने  का यह मतलब नहीं है कि अब आप कुछ भी खाएं, कभी भी सोयें, कभी भी जागे, कैसे भी चले, कैसे भी बैठे। अपने जीवन में पूर्ण अनुशासन लाना ही योग है।  जो लोग शारीरिक रोगों से बहुत अधिक परेशान हैं, वे सभी सुबह या शाम को एक घंटा योग केंद्र या पार्कों में जाकर कसरत करते हैं। उसके बाद कुछ भी खाद्य पदार्थ ग्रहण करते हैं  तो उनका रोग कभी भी ठीक नहीं होता और व्यायाम की सार्थकता पर संदेह करते हैं।

योग भगाए रोग Yoga cures Diseases

मनुष्य द्वारा आत्मिक शांति की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले कार्यों में से योग सबसे पवित्र है। आज हम सभी अनचाहे विचारों और नकारात्मक भावनाओं से अपने आप को बचाना चाहते हैं। इसके लिए इस लाभकारी तरीके को हम अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।

हमें योग को अपने जीवन में पूर्णतया उतारना है। बहुत अधिक हर्ष की बात है  कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयासों के द्वारा  यू एन ओ (UNO) ने  2014 में  21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में  मनाए जाने का निर्णय लिया। आज केवल भारत ही नहीं सारा विश्व  योग को अपना रहा है। योग के फायदों को समझ कर इसका लाभ उठा रहा है । इसी वजह से योग भगाए रोग का नारा आज सारी दुनिया में गूंज रहा है।

International Yoga Day | Ways to Celebrate

चिंता और तनाव का अचूक इलाज Yoga keeps Tension and Depression Away

योग सांसों पर नियंत्रण, सरल ध्यान की तकनीक, और कुछ विशिष्ट शारीरिक मुद्राओं का मेल है। योग द्वारा सांसो पर ध्यान केंद्रित कर हम अपने मन को शांत रखना सीखते हैं। कुछ शारीरिक मुद्राओं और आसनों के द्वारा हम अपने शरीर में लचीलापन ला सकते हैं और अपने मन में एक दिव्य भाव पैदा कर सकते हैं। योग हमारे जीवन के हर पहलू में शामिल है।

हमारा मुख्य उद्देश्य अपने आप को मानसिक रूप से सतर्क और शारीरिक रूप से मजबूत रखना है। योग उन प्रथाओं में से एक है, जो हमारे शारीरिक और दिमागी कल्याण को प्रोत्साहन देता है। योग के इन्हीं फायदों की वजह से पश्चिमी सभ्यता के लोग बहुत बड़ी संख्या में इसके साथ जुड़े हैं। हम अपने जीवन में कुछ उद्देश्य निर्धारित करें और इन्हें अर्जित कर ऐसा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाएं, जिसमें गहरी शांति और सुकून हो।

आशा करते हैं योग का महत्व हिन्दी निबंध पढ़कर आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव होगा। योग का महत्व जानने के बाद आप भी हमारे साथ कहेंगे – योग भगाए रोग!

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योग पर निबंध 100, 150 200, 250, 300, 500 शब्दों मे (Essay On Yoga in Hindi)

essay on yoga meaning in hindi

Essay On Yoga in Hindi – योग इन दिनों एक प्रसिद्ध शब्द है, इसे एक आध्यात्मिक अनुशासन कहा जाता है जो एक सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित है जिसका उद्देश्य शरीर और मन के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। इसे स्वस्थ जीवन प्राप्त करने के लिए विज्ञान और कला भी कहा जाता है। योग शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत शब्द युज से मानी जाती है। युज का अर्थ है जुड़ना या जुए का अर्थ है जोड़ना।

योग सुरक्षित है और बच्चों और वृद्धों द्वारा भी इसका अभ्यास किया जाता है। कठोर उपकरण का कोई उपयोग नहीं है, लेकिन विस्तार के लिए केवल शरीर की हरकतें हैं। योग न केवल मन को आराम देता है बल्कि शरीर को भी लचीलापन देता है।

छात्रों को उनके पाठ्यक्रम में योग के लाभों के बारे में भी बताया जाता है। क्या आपको कभी योग पर निबंध लिखने का काम मिला है? आप इसे कैसे लिखने जा रहे हैं? खैर, पहली बात जो आपके दिमाग में आएगी वह है योग निबंध में शामिल करने के लिए योग के फायदे। यह अन्य विषयों पर एक निबंध लिखने जैसा है – आपको एक सटीक शीर्षक, एक व्यापक परिचय, निबंध का मुख्य भाग और एक आकर्षक निष्कर्ष लिखना होगा।

क्या आप योग निबंध लिखने के लिए मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहते हैं? यहां आपके मार्गदर्शन के लिए साझा की गई जानकारी है।

बच्चों के लिए योग पर 10 लाइन निबंध (10 Lines Essay On Yoga For kids in Hindi)

  • योग की उत्पत्ति भारत में हिंदू शास्त्रों से हुई है और दुनिया भर में इसका अभ्यास किया जाता है।
  • लोग समझ गए हैं कि कैसे योग व्यायाम करने और मन को शांत करने में मदद करता है।
  • योग को केवल व्यायाम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसे स्वस्थ, सुखी और शांतिपूर्ण जीवन का मंत्र मानना ​​चाहिए।
  • योग के अभ्यास से व्यक्ति शांति और अच्छा स्वास्थ्य पा सकता है।
  • योग केवल शरीर के लिए ही नहीं बल्कि मन और आत्मा के लिए भी एक व्यायाम है।
  • योग का अभ्यास करके व्यक्ति तनाव और शारीरिक बीमारियों सहित कई चुनौतियों से निपट सकता है।
  • योग मांसपेशियों को लचीला बनाने में मदद करता है, वजन कम करता है और त्वचा के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है।
  • योग धैर्य और एकाग्रता विकसित करने में मदद करता है, याददाश्त तेज करता है और हमारे जीवन में शांति लाता है।
  • 21 जून को हर साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • यदि कोई प्रतिदिन योग का अभ्यास करता है, तो वह एक संतुलित जीवन जीने की राह पर है।

योग पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Yoga in Hindi)

योग एक ऐसी प्रथा है जो हजारों वर्षों से चली आ रही है और इसकी जड़ें भारत में हैं। अतीत में, लोगों को लंबे, स्वस्थ जीवन जीने के लिए नियमित रूप से योग और ध्यान करने की आदत थी। हालाँकि, इतनी भीड़ और व्यस्त सेटिंग में, योग कम लोकप्रिय होता जा रहा था। योग अभ्यास करने के लिए बेहद सुरक्षित है और सभी उम्र, यहां तक ​​कि बच्चे भी इसका आनंद ले सकते हैं। जब हम शांत मन के साथ गहन चिंतन में संलग्न होते हैं तो हम अपने भीतर से जुड़ा हुआ और जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। योग के अभ्यास से शरीर, मन और आत्मा का संतुलन प्राप्त होता है।

योग पर 150 शब्दों का निबंध (150 Words Essay On Yoga in Hindi)

योग आध्यात्मिक व्यायाम का एक प्राचीन रूप है जो हमारे शरीर और दिमाग को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। इसकी उत्पत्ति 500 ​​ईसा पूर्व की है जब इसे ऋग्वेद में लिखा गया था। यह हिंदुओं का एक पवित्र ग्रंथ है। ऐसा माना जाता है कि योग का अभ्यास प्राचीन भारतीय पुजारियों द्वारा अत्यधिक अनुशासन के रूप में किया जाता था। वे कई दिनों तक बिना भोजन या पानी के गहरे ध्यान में बैठे रहे। आधुनिक समय के योग में कुछ आसन या पोज़ होते हैं जिनका अभ्यास आसानी से किया जा सकता है। कुछ जटिल आसन भी होते हैं, जिनके लिए काफी अभ्यास और लचीलेपन की जरूरत होती है। योग एक ऐसी चीज है जिसे हर उम्र के लोग कर सकते हैं, चाहे वह युवा हो या बूढ़ा। कुछ लोग योग को एक कला के रूप में भी वर्णित करते हैं। यह विशेषज्ञ योग चिकित्सकों के पास विशेष कौशल के कारण कहा जाता है। यह सलाह दी जाती है कि आप चटाई पर बैठकर योग का अभ्यास करें।

योग पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Yoga in Hindi)

योग शरीर और मन को जोड़ता है या जोड़ता है, हमें शरीर और मन के अनुशासन के बारे में सिखाता है। सुबह-सुबह ध्यान शरीर और मन को सामंजस्य में रखने और प्रकृति के संपर्क में रहने के लिए एक आध्यात्मिक अभ्यास है। यह व्यायाम का एक अद्भुत रूप है जो शरीर और मन को नियंत्रित करके जीवन को बेहतर बनाता है। योग एक ऐसा विज्ञान है जो लोगों को लंबा, स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है।

यह एक ऐसी दवा के समान है जो शारीरिक अंगों की सामान्य कार्यप्रणाली को बहाल करके अन्य बीमारियों को धीरे-धीरे ठीक करती है। असंख्य शारीरिक और भावनात्मक बीमारियों से बचकर, सुबह नियमित योग अभ्यास बाहरी और आंतरिक दोनों तरह की राहत प्रदान करता है। आसन, या आसन, शारीरिक और मानसिक शक्ति के साथ-साथ कल्याण की भावना के निर्माण में मदद करते हैं। क्योंकि यह भावनाओं और भावनाओं को नियंत्रित करता है, यह लोगों को अधिक स्पष्ट रूप से सोचने, उनकी बुद्धि बढ़ाने और ध्यान के उच्च स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। कुछ कठिन मुद्राओं में बहुत लचीलेपन और अभ्यास की आवश्यकता होती है। योग व्यायाम का एक रूप है जिसे युवा या वृद्ध कोई भी कर सकता है। योग को एक कला रूप के रूप में भी संदर्भित किया गया है। ऐसा अनुभवी योग साधकों की अद्वितीय क्षमताओं के प्रकाश में कहा गया है। यह सुझाव दिया जाता है कि योग को जमीन पर चटाई पर बैठकर किया जाना चाहिए।

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योग पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay On Yoga in Hindi)

योग किसी के भौतिक अस्तित्व और आध्यात्मिक विवेक के बीच सामंजस्य का अंतिम कार्य है। मन और शरीर के बीच सही तालमेल को योग के रूप में जाना जाता है। व्यायाम के एक भौतिक रूप से अधिक, इसे एक आध्यात्मिक क्रिया के रूप में माना जाता है जो आपको स्वयं के बारे में जागरूक करता है। जब हमारा दिमाग शांत होता है तो हम जो गहरा आत्मनिरीक्षण करते हैं, वह हमें अपने भीतर से जुड़ा हुआ महसूस कराता है। प्रारंभिक सिंधु घाटी सभ्यताओं के दौरान प्राचीन भारत में योग ने आकार लिया। मूल रूप से योग का अभ्यास करने वाले हिंदू पुजारियों द्वारा इसे विस्तार से प्रलेखित किए जाने के बाद यह लोकप्रिय हो गया। भारत में योग को व्यायाम के रूप के बजाय जीवन के एक तरीके के रूप में अपनाया गया है।

लोग आध्यात्मिक, स्वास्थ्य और ध्यान संबंधी लाभों के लिए योग का अभ्यास करते हैं। विभिन्न मुद्राओं या आसनों का संयोजन योग का सार है। पारंपरिक योग में 84 आसन हैं, लेकिन अनुमान 400 से 1000 तक कहीं भी जा सकता है अगर हमारे पास योग को दस्तावेज करने वाले सभी शास्त्रों तक पहुंच हो। चरम ध्यान के कार्य के रूप में जो शुरू हुआ वह अब विश्राम के साधन के रूप में लोकप्रिय हो गया है।

पश्चिमी देशों ने अनगिनत स्वास्थ्य लाभों के लिए योग को आसानी से अपना लिया है। अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में हजारों योग विद्यालय हैं जो योग की कला सिखाते हैं। जबकि योग का अभ्यास घर पर कोई भी कर सकता है, जटिल आसनों के लिए कुछ अभ्यास की आवश्यकता होती है। योग में गहरी जड़ें जमा चुकी अध्यात्मवाद इसलिए है क्योंकि जब हमारे मन और शरीर पूर्ण सामंजस्य में होते हैं, तो हमें दिव्य शांति की अनुभूति होती है जिसे संस्कृत में ‘मोक्ष’ कहा जा सकता है। योग का उद्देश्य हमारे शरीर में किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर हमें खुद से जोड़ना है। यह सलाह दी जाती है कि हमें योग करते समय जमीन पर बैठना चाहिए क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा जमीन पर स्थानांतरित हो जाती है।

योग पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Yoga in Hindi)

जीवन भर प्रकृति से जुड़ने के लिए योग प्राचीन काल से प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे महत्वपूर्ण और अनमोल उपहार है। यह दोनों के बीच पूर्ण सामंजस्य स्थापित करने के लिए मन और शरीर को एकजुट करने का अभ्यास है। यह शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से शरीर पर नियंत्रण पाकर व्यक्ति को उच्च स्तर की चेतना प्राप्त करने में भी मदद करता है। छात्रों की बेहतरी के लिए और अध्ययन के प्रति उनकी एकाग्रता के स्तर को बढ़ाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में प्रतिदिन अभ्यास करने के लिए योग को बढ़ावा दिया गया। शरीर में सभी विभिन्न प्राकृतिक तत्वों पर नियंत्रण प्राप्त करके पूर्णता प्राप्त करने के लिए लोगों द्वारा किया गया एक व्यवस्थित प्रयास।

योग के सभी आसनों को प्राप्त करने के लिए बहुत ही सुरक्षित और नियमित अभ्यास की आवश्यकता होती है। आंतरिक ऊर्जा को नियंत्रित करके आत्म-विकास के लिए शरीर और मन में आध्यात्मिक प्रगति लाने के लिए योगाभ्यास किया जाता है। योग के दौरान ऑक्सीजन को अंदर लेना और छोड़ना मुख्य है। दैनिक जीवन में योग का अभ्यास नियमित रूप से विभिन्न रोगों से बचाव के साथ-साथ कैंसर, मधुमेह, उच्च या निम्न रक्तचाप, हृदय रोग, किडनी विकार, यकृत विकार, स्त्री रोग संबंधी समस्याओं और विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याओं सहित घातक बीमारियों का इलाज करता है।

आजकल लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए फिर से योगाभ्यास करना जरूरी है। दैनिक योगाभ्यास से शरीर को आंतरिक और बाहरी शक्ति प्राप्त होती है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है, इस प्रकार विभिन्न बीमारियों से बचाता है और उनका इलाज करता है। यदि लगातार अभ्यास किया जाए तो योग चिकित्सा की एक वैकल्पिक प्रणाली के रूप में कार्य करता है। यह रोजाना ली जाने वाली कई भारी दवाओं के दुष्प्रभाव को भी कम करता है। योग जैसे प्राणायाम और कपाल भारती के अभ्यास के लिए सुबह का समय अच्छा होता है, क्योंकि यह शरीर और मन को नियंत्रित करने के लिए बेहतर वातावरण प्रदान करता है।

योग पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Yoga in Hindi)

योग आपके शेष जीवन के लिए आकार में रहने के लिए एक जोखिम-मुक्त, सरल और स्वस्थ तरीका है। सभी आवश्यक है कि उचित श्वास और गति के पैटर्न के साथ लगातार अभ्यास किया जाए। योग हमारे शरीर के तीन भागों: शरीर, मन और आत्मा के बीच एक सुसंगत कड़ी स्थापित करता है। नकारात्मक परिवेश और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण शरीर और मन को अशांत होने से रोकते हुए, शरीर के सभी अंगों के कार्यों को विनियमित किया जाता है। यह कल्याण, ज्ञान और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है। हमारी शारीरिक ज़रूरतें अच्छे स्वास्थ्य से पूरी होती हैं, हमारी मनोवैज्ञानिक ज़रूरतें ज्ञान से पूरी होती हैं, और हमारी आध्यात्मिक ज़रूरतें आंतरिक शांति से पूरी होती हैं, जो सभी के बीच सद्भाव बनाए रखने में योगदान देती हैं। जब हम अच्छा महसूस करते हैं तो हम एक सहायक स्वभाव विकसित करते हैं, जो हमारे सामाजिक कल्याण में सुधार करता है।

योग की उत्पत्ति

अनिवार्य रूप से, भारतीय उपमहाद्वीप वह स्थान है जहाँ योग पहली बार प्रकट हुआ था। योगियों द्वारा आदिकाल से ही इसका अभ्यास किया जाता रहा है। शब्द “योग” एक संस्कृत शब्द से लिया गया है जिसका अनिवार्य अर्थ “एकता और अनुशासन” है। यह एक बार जैनियों, बौद्धों और हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा अभ्यास किया गया था। इसने धीरे-धीरे पश्चिमी देशों में अपना रास्ता बना लिया। तब से, दुनिया भर के लोगों ने अपने मन को शांत करने और शारीरिक फिटनेस बनाए रखने के लिए योग का अभ्यास किया है। इसके अलावा, योग की बढ़ती लोकप्रियता के परिणामस्वरूप भारत ने एक योग महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठा विकसित की। योग के फायदों के बारे में अधिक लोग जागरूक हो रहे हैं।

योग के चार प्रमुख अभ्यास

हठ योग योग का एक उपसमुच्चय है जो जीवन शक्ति या ऊर्जा को चैनल और संरक्षित करने के लिए भौतिक तरीकों का उपयोग करने पर केंद्रित है। योग की शैली जो सबसे अधिक बार की जाती है वह हठ है। यह एक धीमी गति वाला योग है जिसमें सांस लेने के व्यायाम और स्ट्रेचिंग शामिल हैं।

कुंडलिनी योग

कुंडलिनी योग आध्यात्मिक जागरण को प्रोत्साहित करता है। कुंडलिनी योग के विभिन्न फायदे हैं जो अनुसंधान द्वारा सत्यापित किए गए हैं। शोध बताते हैं कि यह संज्ञानात्मक कार्य, आत्म-धारणा और आत्म-प्रशंसा को बढ़ाते हुए चिंता और तनाव को कम कर सकता है। योग की इस शैली में सांस लेने के व्यायाम पर जोर दिया जाता है जो जल्दी और बार-बार किए जाते हैं। एक खास तरीके से लगातार सांस लेते हुए एक खास मुद्रा बनाए रखनी चाहिए।

अष्टांग योग

अष्टांग योग शारीरिक सहनशक्ति के निर्माण और मांसपेशियों को मजबूत बनाने पर केंद्रित है। आपका शरीर अष्टांग अभ्यास से नवीनीकृत हो जाता है और अधिक विनियमित, टोंड, लचीला और मजबूत हो जाता है। पहली शृंखला के कई मुद्राएं विकृतियों से मिलती-जुलती हैं और इसके लिए एक मजबूत भुजा और कोर की मांसपेशियों की आवश्यकता होती है। प्रत्येक शिष्य इसके छह संभावित अनुक्रमों में से एक का प्रदर्शन कर सकता है।

बिक्रम चौधरी द्वारा विकसित और बीसी घोष की शिक्षाओं के आधार पर, बिक्रम योग गर्म योग की एक शैली है जिसका उपयोग व्यायाम के रूप में किया जाता है। इसने पहली बार 1970 के दशक की शुरुआत में लोकप्रियता हासिल की। बिक्रम योग, जिसे अक्सर हॉट योगा के रूप में जाना जाता है, का अभ्यास ऐसे स्थान पर किया जाता है जिसका तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। आसनों के परिणामस्वरूप आपका शरीर अधिक लचीला हो जाता है, जिससे आपको पसीना भी आता है, जिससे आपको फैट बर्न करने में मदद मिलती है।

यदि हम इसे गंभीर रूप से देखें तो योग के विभिन्न लाभ हैं। यदि आप इसे बार-बार उपयोग करते हैं तो आपको राहत मिलेगी क्योंकि यह बीमारियों को आपके शरीर और मन दोनों को प्रभावित करने से रोकता है। इसके अतिरिक्त, योग हमें अधिक स्पष्ट रूप से सोचने और हमारी बुद्धि विकसित करने में सक्षम बनाता है। योग हमें सिखाता है कि हम अपनी भावनाओं को कैसे नियंत्रित करें और साथ ही अपने ध्यान के स्तर को कैसे बढ़ाएं। यह हमारे सामाजिक कल्याण में सुधार करता है और हमें पहले से कहीं अधिक प्रकृति के करीब लाता है। यदि आप इसे लगातार करते हैं तो योग आपको आत्म-नियंत्रण और आत्म-जागरूकता प्राप्त करने में मदद कर सकता है। एक बार जब आप इसे नियमित रूप से करना शुरू कर देंगे तो आप अधिक नियंत्रण में महसूस करेंगे और एक स्वस्थ, समस्या-मुक्त जीवन जीने में सक्षम होंगे।

योग पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

योग कहाँ से आया.

योग की उत्पत्ति प्राचीन भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान हुई थी।

योग कितना पुराना है?

योग को 5000 वर्ष पुराना बताया जाता है।

योग शब्द की उत्पत्ति क्या है?

योग संस्कृत शब्द ‘युज’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘जुए के लिए।’ जुए का अर्थ है एकजुट होना ताकि योग को मन और शरीर के मिलन के रूप में माना जा सके।

कितने योग आसन हैं?

84. प्राचीन भारतीय शास्त्रों में कुल 84 आसन हैं जो हमें विभिन्न मुद्राओं के बारे में बताते हैं।

essay on yoga meaning in hindi

योग के महत्व पर निबंध – Essay on Importance of Yoga in Hindi

Essay on Importance of Yoga in Hindi

योग एक ऐसी क्रिया है, जो न सिर्फ मनुष्य को शरीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रखने में उसकी मद्द करती है, बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में भी मद्द करती है।

योग कर कोई भी व्यक्ति पूर्ण रुप से निरोगी रह सकता है एवं सफल, स्वस्थ और शांतिपूर्ण तरीके से अपने जीवन का निर्वहन कर सकता है। नियमित योग करने के कई फायदे हैं।इसलिए अब विश्व भर में योग को खास महत्व दिया रहा है।

वहीं योग को प्राथमिकता देने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से अब हर साल 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस भी मनाया जाता है। इसके अलावा योग के फायदों के बारे में बच्चों को समझाने के लिए और योग करने को लेकर प्रेरित करने एवं उनके लेखन कौशल में विकास करने के मकसद से स्कूलों में विद्यार्थियों को योग के महत्व के विषय पर कई बार निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस पोस्ट इस विषय पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –

Essay on Importance of Yoga in Hindi

योग का जीवन में महत्व – Importance of Yoga in Our Life

किसी भी व्यक्ति को सुखी एवं स्वस्थ रखने में योग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग करने से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक रुप से फिट रहता है। युवा हो या फिर बुजुर्ग सभी के जीवन में योग सामान रुप से लाभकारी है।

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर दिन भर में 15 मिनट भी योग के लिए दिए जाएं तो इससे अनगिनत लाभ पहुंचते हैं।

इसके साथ ही यह जीवन की कठिन परिस्थियों में मनुष्य के तनाव और चिंता को कम कर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास की भावना पैदा करता है। योग मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क, मन, आत्मा एवं प्रकृति के बीच एक अच्छा संतुलन स्थापित करता है।

योग के प्रमुख कारण – Causes of Yoga

  • मनुष्य को निरोगी रखना
  • व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक रुप से विकास करना।
  • सकारात्मकता की भावना विकसित करना।
  • आत्म चिंतन में मद्द करना।

योग के अलग-अलग प्रकार – Types of Yoga

  • योग अलग-अलग तरह के होते हैं, जिनमें से कुछ योग के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं –
  • राज योग – इसके तहत पदमासन, सूर्य नमस्कार जैसे आसन शामिल हैं, जिन्हें करने से शऱीर में फुर्ती रहती है।
  • भक्ति योग – भक्ति योग मुख्य रुप से व्यक्ति के तनाव को कम करने और डिप्रेशन को भगाने में सहायक होता है।
  • कर्म योग – कर्म योग करने से मुख्यत: मोटापे जैसी बीमारी नहीं होती है, इसमें मनुष्य की मांसपेशियां और दिमाग दोनों काम करते हैं।
  • हठ योग – आमतौर पर पूरे दुनिया में हठ योग सबसे ज्यादा किया जाता है, इसमें कई तरह के प्रसिद्ध आसन जैसे – भजुंगासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, कपालभांति, अनुलोग, विलोग, सूर्य नमस्कार जैसे कई व्यायाम शामिल होते हैं।
  • ज्ञान योग – मुख्य रुप से मन की शांति के लिए किए जाने वाले योग इसमें शामिल हैं।

योग के आसन – Yoga ke Aasan

योग में कई तरह के आसन शामिल होते हैं, जिनमें सबका अपना अलग-अलग महत्व होता है। व्यक्ति के शरीर के प्रत्येक अंग को स्वस्थ रखने के लिए और सही आकार देने के लिए इन आसनों को किया जाता है।

वहीं योग गुरु बाबा रामदेव के मुताबिक कुल 84 आसन होते हैं, जिनमें से मयूरासन¸ पद्मासन¸ धनुरासन¸ पर्वतासन¸ भुजंगासन¸ शलभासन¸ कोणासन¸ सर्वांगासन¸ गोमुखासन¸ सिंहासन¸ बज्रासन¸ गरूड़ासन, मत्स्यासन¸ पश्चिमोत्तानासन¸ हलासन¸ चतुष्कोणासन¸ स्वस्तिकासन¸ त्रिकोणामन¸ श्वासन¸ शीर्षासन¸ ताड़ासन¸ आदि सबसे ज्यादा किए जाने वाले आसन हैं।

नियमित रुप से योग करने से मिलने वाले लाभ – Benefits of Yoga

योग करने से मनुष्य को शारीरिक, मानसिक, एवं आध्यात्मिक रुप से कई तरह से लाभ पहुंचता है, जिनमें से कुछ लाभों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं –

  • योग, मनुष्य को स्वस्थ रहने में मद्द करता है।
  • मनुष्य के मानिसक विकास करने में सहायक होता है।
  • योग से बुद्धि और तेज बढता है।
  • योग से चिंता, तनाव आदि दूर होता है।
  • योग करने से जीवन के प्रति सकरात्मकता आती है, और मनुष्य के अंदर की सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
  • योग से मनुष्य के अंदर चुस्ती-स्फूर्ति आती है।
  • योग मनुष्य के शरीर को लचीला बनाता है, साथ ही मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
  • योग करने से मनुष्य कई रोगों से दूर रहता है।
  • योग से मनुष्य के मन को शांति मिलती है।
  • योग मनुष्य का ध्यान केन्द्रित करने में सहायता करता है।
  • योग मोटापा दूर करने में मद्द करता है।
  • योग करने से सौंदर्य बढ़ता है।
  • योग से मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास की भावना बढ़ती है और कुछ कर दिखाने का जज्बा पैदा होता है।
  • योग से रक्त के प्रवाह को ठीक करता है।
  • योग से मांसपेशियों का खिंचाव होता है, जिससे मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार आता है।
  • योग पाचन तंत्र को सुधारने में मद्द करता है।
  • शरीर, मन, मस्तिष्क और आत्मा को संतुलित करने में मद्द करता है।
  • योग कई रोगों का इलाज करता है।
  • योग मनुष्य के आलस को दूर भगाने में सहायता करता है।
  • योग करने से ऊर्जा में वृद्धि होती है।
  • योग से सहनशक्ति में बढ़ोतरी होती है।
  • योग से आंतरिक शांति मिलती है।

अंतराष्ट्रीय योग दिवस – International Day of Yoga

योग का हर किसी के जीवन में बेहद महत्व हैं, वहीं इसके अनगिनत लाभों के चलते इसकी लोकप्रियता आज विश्व स्तर पर है। लाखों लोगों को योग के माध्यम से अपने रोगों को दूर करने में सहायता मिली है। वहीं एक सर्वे के मुताबिक दुनिया में 2 अरब से भी ज्यादा लोग रोजाना योगाभ्यास करते हैं।

इसलिए योग के महत्व के प्रति जागरूक करने और नियमित रुप से लोगों को योग के प्रति प्रोत्सिाहित करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्दारा साल 2015 में 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई थी।

विश्व योग दिवस के मौके पर जगह-जगह योग कैंप का आयोजन करवाया जाता है और योग के सही तरीकों एवं इसके महत्व के बारे में लोगों को अवगत करवाया जाता है।

योग करने का सही तरीका एवं नियम – Rules Of Yoga

योग करने के कुछ नियम होते हैं, जिन पर जरूर ध्यान देना चाहिए, अन्यथा आप इसका फायदा नहीं उठा सकेंगे –

  • योग को सुबह सुर्योदय के बाद करना एवं सूर्यस्त से पहले करना चाहिए।
  • कभी खाना खाने के बाद योग नहीं करना चाहिए,खाली पेट योग करना चाहिए। योग करने से करीब 2-3 घंटे पहले से कुछ नहीं खाना चाहिए।
  • योग करने के करीब आधा घंटे बाद ही कुछ खाना चाहिए।
  • योग को हमेशा विशेषज्ञ की सलाह लेकर करना चाहिए।
  • योग करने से पहले इसे सीखना बेहद आवश्यक है, अर्थात योग, गुरु की निगरानी में ही किया जाना चाहिए।
  • योग करते समय सही तरह से श्वास छोड़ना अथवा लेना आना चाहिए।
  • अगर योग करने की शुरुआत कर रहे हैं, तो कठिन आसनों एवं व्यायाम से शुरुआत न करें, इसके साथ ही धीमे-धीमे योग करने की क्षमता बढ़ाएं, शुरुआती दिनों में अपने शरीर के अंगों के साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।
  • कॉटन व आरामदायक कपड़े पहनकर योग करना चाहिए।
  • योग अभ्यास, किसी दरी अथवा चटाई पर बैठकर किए जाने चाहिए।
  • योग का लाभ मिलना धीरे-धीरे शुरु होता है, इसलिए धैर्य के साथ योगाभ्यास को किया जाना चाहिए, जल्दी परिणाम की इच्छा नहीं करना चाहिए।

मनुष्य को हर तरह से सुखी रखने में योग अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग करने के अनगिनत फायदे हैं। योग, मनुष्य के शरीर को स्वस्थ रखता है एवं मन को पवित्र रखता है।

योग, एक अद्भुत क्रिया है, जिसके द्धारा मनुष्य अपने मन और मस्तिष्क को नियंत्रण में रख सकता है। वहीं आज जिस तरह का मनुष्य की जीवनशैली हो गई, उसमें योग के माध्यम से ही संतुलन बनाया जा सकता है।

  • Yoga Quotes
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योग पर निबंध, प्रकार व महत्व Essay on Yoga in Hindi – Types and Importance

योग पर निबंध, प्रकार व महत्व Essay on Yoga in Hindi - Types and Importance

हमारे देश में योग अब बहुत प्रचलित हो गया है। योग करके हम अपने शरीर की अनेक बीमारियों को दूर कर सकते है। यह बीमारियाँ ही नही ठीक करता बल्कि अवसाद, चिंता, डिप्रेशन, मोटापा, मनोविकारों को भी दूर भगाता है। योग से अनेक लाभ है।

विश्व में हर साल 21 जून का दिन “विश्व योग दिवस” के रूप में मनाया जाता है। 2014 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने “विश्व योग दिवस” मनाने की घोषणा की थी। योग का अर्थ है “बांधना” या “एकता”। यह विश्व के अनेक देशों में प्रचलित हो गया है।

चीन, जापान, तिब्बत, श्रीलंका, के साथ-साथ अब अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन में भी यह बहुत प्रचलित हो गया है। वेदों में भी योग का उल्लेख मिलता है। सिन्धु घाटी सभ्यता से ऐसी अनेक मूर्तियाँ मिली है जिसमे योग के चित्र बने हुए है। ऋषि पतंजली योग दर्शन के संस्थापक माने जाते है।

“योग कोई प्राचीन मिथक नही है। यह वर्तमान की सबसे बहुमूल्य विरासत है। यह आज की आवश्यकता है और कल की संस्कृति” – स्वामी सत्यानन्द सरस्वती

योग के फायदों को देखते हुए इसे स्कूलों में लागू कर दिया गया है। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी योग का समर्थन करते है। इसे हर देशवासी को करना चाहिये। सुबह के समय किसी पार्क या खुली जगह पर बैठकर योग करने से बहुत लाभ है।

योग के प्रकार Types of Yoga

  •      मंत्र योग – मंत्र का समान्य अर्थ है- ‘मननात् त्रायते इति मंत्रः’। इस प्रकार के योग का सम्बन्ध मन से है। इसे करके मन पर नियन्त्रण किया जा सकता है। मन से उत्पन्न होने वाली स्वस्थ तरंगे हमे लाभ पहुंचाती है।
  •      हठयोग- इसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, भ्रमध्येहरिम् और समाधि प्रकार का 8 योग होता है।
  •      कुंडलिनी योग- जब साधक चित्त् में चलते, बैठते, सोते और भोजन करते समय हर समय ब्रह्म का ध्यान करते है तब उसे कुंडलिनी योग कहते है।
  •      राजयोग- महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग में राजयोग का वर्णन मिलता है। इसका उद्देश्य मन की इक्षाओ को नियंत्रित करना है।

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योग करने का सही तरीका How to do Yoga Correctly Step by Step in Hindi

और पढ़ें: शुरुवात के लिए बेस्ट योगासन

योग के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सबसे अच्छा होता है। स्नान करने के बाद ही योग करना चाहिये। इसे हमेशा खाली पेट करना चाहिये। सूती कपड़े पहनकर योग करना अच्छा रहता है। योग करने के 30 मिनट बाद ही कुछ खाना चाहिये।

इसे योग गुरु या एक्सपर्ट से सही तरीका सीखकर करना चाहिये। हमेशा प्रशिक्षित योग गुरु से सीखना चाहिये। किसी दरी या मैट बिछाकर करना चाहिये। योग हमेशा शांत वातावरण में करना चाहिये।

इसे करते समय सही तरह से श्वास छोड़ना और लेना आना चाहिये। कई लोग जबरदस्ती क्षमता से अधिक अपने शरीर के अंगो- हाथ, पैरों, जांघो, कमर को मोड़ देते है। खुद के साथ जबरदस्ती बिलकुल नही करनी चाहिये। योग को जल्दी जल्दी नही करना चाहिये।

कुछ लोग जल्दी जल्दी कपालभांति और अनुलोम विलोम जैसे आसान करते है। वो सोचते है की कुछ ही दिन में उनको फायदा शुरू हो जाएगा। पर ऐसा नही है। योग का लाभ नियमित करने पर ही होता है। प्राणायाम, अनुलोग विलोम, कपालभाति, भ्रामरी योग के प्रमुख आसन है।

योग से फायदे Advantages of Yoga in Hindi

1. अनेक रोगों से दूर रखता है keep away from diseases.

योग करने से अनेक फायदे है। इससे अस्थमा, रक्तचाप, पाचनविकार, मधुमेह, गठिया जैसी अनेक बीमारियाँ ठीक होती है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बनी रहती है।

2. वजन कम करता है Help in reducing weight

योग के द्वारा लोग अपने बढ़े हुए वजन में कमी कर सकते है। सूर्य नमस्कार और कपालभाति, प्राणायाम जैसे आसन को हर दिन 20 मिनट करने से व्यक्ति अपना वजन आसानी से कम कर सकते है।

3. अवसाद, चिंता और डिप्रेशन दूर करता है Reduce tension and Depression

आज की जिन्दगी में लोगो के जीवन में बहुत तनाव बढ़ गया है। तनाव के कारण ही उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारियाँ, मधुमेह जैसे अनेक बीमारियाँ होती है। अवसाद, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याओ को योग द्वारा आसानी से दूर किया जा सकता है।

4. ऊर्जा और चुस्ती फुर्ती में वृद्दि Keep Stamina and Energetics

योग के द्वारा हम अपने शरीर की ऊर्जा में वृद्धि कर सकते है। अशुद्ध खान-पान की वजह से अब लोगो में पहली वाली ताकत, चुस्ती फुर्ती और ऊर्जा नही रह गयी है। अब 30-40 साल के बाद स्त्री पुरुष दोनों में कोई न कोई बीमारी हो जाती है। लोग जरा सा काम करने पर थकान और कमजोरी की शिकायत करते है। इसलिए लोगो को योग जरुर करना चाहिये।

5. आत्मिक शांति की प्राप्ति Provides spritual peace

योग करने से हम आध्यात्मिक शांति मिलती है। मन प्रसन्न और खुशनुमा रहता है।

योग का महत्व Importance of Yoga

आज हम सभी पाश्चात्य देशो की संस्कृति का अनुसरण कर रहे है। हमारे देश में विदेशी खान-पान जैसे बर्गर, पिज्जा, चाऊमीन, तला भुना खाना, कोल्ड ड्रिंक्स, पैकेट फ़ूड का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है। इसके अतिरिक्त बाहर रेस्तरां में खाने का चलन तेजी से बढ़ गया है।

अधिक मसालेदार और तला भुना भोजन करके लोग बीमारियों और मोटापे का शिकार हो रहे है। अब तो बच्चो को युवावस्था में ही अनेक तरह की बीमारियाँ होने लगी है। हमारी जीवन शैली बिलकुल भी नियमित नही रह गयी है।

खाने, सोने का कोई निश्चित समय नही है। इस वजह से आज का युवा बीमारियों का कुछ अधिक ही शिकार हो रहा है। 21 जून 2018 को कोटा शहर में “विश्व योग दिवस” का आयोजन करके नया रिकॉर्ड बनाया गया जिसमे 1 लाख से अधिक लोगो ने साथ में योग किया।

योग में बाबा रामदेव का योगदान Baba Ramdev Contribution in Yoga

बाबा रामदेव देश भर में मुफ्त शिविर लगाकर लोगो को योग करना सिखा रहे है। उन्होंने भारत के योग को विदेशो में भी बहुत लोकप्रिय बना दिया है।

योग के प्रसिद्ध ग्रन्थ Famous Books on Yoga

निष्कर्ष conclusion.

इस लेख में आपके योग पर निबंध (Essay on Yoga in Hindi) हिन्दी में पढ़ा। इसमें आपने योग के फायदे, महत्व और सही प्रकार से करने के तरीकों को भी जाना। इस लेख से विद्यार्थी अपने परीक्षा के लिए भी मदद ले सकते हैं।

आपको यह लेख कैसा लगा कमेन्ट के माध्यम से जरूर भेजें।

4 thoughts on “योग पर निबंध, प्रकार व महत्व Essay on Yoga in Hindi – Types and Importance”

Very nice informations

This is not of my use but

It’s good to read

Very easy and comfortable language One of the bast essay on yoga

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Yoga Essay In Hindi

योग पर निबंध – Yoga Essay In Hindi

योग पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on yoga in hindi), योग और युवावर्ग – yoga and youth.

  • प्रस्तावना,
  • युवा और योग,
  • युवाओं की योग के प्रति सोच,

प्रस्तावना- कहा गया है ‘योगः कर्मस कौशलम’। इसका अर्थ है कि कर्मों में कशलता योग है। इसका संकेत यह भी है कि यदि कर्मों में कुशलता प्राप्त करनी है तो योग अपनाइए। यह विचार सर्वथा उपयुक्त और परीक्षित भी है।

कार्यकुशल व्यक्ति एक प्रकार का योगी ही होता है। योग के आठ अंगों में से यम, नियम, आसन, ध्यान ये चार प्रत्येक व्यक्ति को सामान्य जीवन में लाभ पहुँचाते हैं। इनके अंगों के साधन से व्यक्ति तन और मन दोनों को सशक्त और परम उपयोगी बना सकता है।

युवा और योग-युवावर्ग के लिए तो योग वरदान से कम नहीं है। युवकों के सामने एक लंबा जीवन होता है। उनके विविध लक्ष्य, अभिलाषाएँ और सपने होते हैं। उनसे समाज और राष्ट्र की अनेक अपेक्षाएँ होती हैं।

इन सभी को प्राप्त करने और अपेक्षाओं पर खरे उतरने के लिए, व्यक्ति को उत्साही, ऊर्जावान, आत्मविश्वास से परिपूर्ण और धैर्यशाली होना चाहिए। उपर्युक्त योग के चारों अंग इन विशेषताओं को प्राप्त करने में पूर्ण सहायक होते हैं। अतः युवाओं द्वारा योग को अपनाना उन्हें हर क्षेत्र में कुशलता और सफलता प्रदान कर सकता है।

युवाओं की योग के प्रति सोच- बाबा रामदेव से पहले भी योग पर चर्चाएँ होती थीं। ग्रन्थों में योगियों को रहस्यमय और चमत्कार दिखाने में सक्षम व्यक्ति बताया जाता था। योग को एक परम कठिन और रहस्यमय विद्या माना जाता था। रामदेव ने उसे वनों और पर्वत-गुफाओं से बाहर लाकर सामान्य जन जीवन की घटना बनाया।

उनके द्वारा आयोजित योग- शिविरों, क्रियात्मक प्रदर्शनों और प्रत्यक्ष लाभों ने आज योग को सर्वसाधारण के लिए सुगम बना दिया गया है। इससे युवाओं की एक अच्छी संख्या योग से जुड़ी है, फिर भी आज के युवाओं के प्रिय विषय कुछ और ही बने हुए हैं। युवाओं की दिनचर्या, खान-पान, वेश-भूषा और व्यवहार योग के अनुकूल नहीं है। इस प्रवृत्ति के कारण युवावर्ग कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण लाभों से वंचित हो रहा है।

योग कोई व्यायाम की विशेष पद्धति मात्र नहीं है, बल्कि जीवन में, सफलता के शिखरों तक ले जाने वाली सरल सीढ़ी है। युवाओं को यदि अपने सपने साकार करने हैं, तो योग को अपनाने से बढ़कर और कोई उनका सच्चा सहायक नहीं हो सकता।

उपसंहार- जीवन का चाहे कोई क्षेत्र क्यों न हो, एकाग्रता, धैर्य, आत्मविश्वास, अथक प्रयत्न की क्षमता, अहंकार शून्यता ही वे गुण हैं, जो हर युवा को कीर्तिमान स्थापित करने के अवसर प्रदान करते हैं। ये गुण उन्हें योग के प्रयोग से सहज ही प्राप्त हो सकते हैं।

अतः युवाओं को नियमित योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या में सम्मिलित कर लेना चाहिए। इससे व्यायाम और जीवन के नए-नए आयाम दोनों का लाभ प्राप्त होगा। कह नहीं सकता कि मेरे साथी युवा. मेरे इस अनुभूत प्रयोग अर्थात योग को अपनाएँगे या नहीं।

StoryRevealers

योग पर निबंध – Essay on Yoga in Hindi [500+ words]

by StoriesRevealers | Feb 5, 2022 | Essay in Hindi | 0 comments

Essay on Yoga in Hindi

Essay on Yoga in Hindi – योग एक आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक अभ्यास है। उपचार में इसके सिद्धांतों के कारण इसे वैश्विक कद मिला, यह बिना किसी दुष्प्रभाव के व्यक्ति के सवास्थ को ठिक कर देता हैं। भारत की पहल और सुझाव के बाद, 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रूप में घोषित किया गया। योग में प्राणायाम और कपाल जैसी योग गतिविधियाँ शामिल हैं, जो सबसे प्रभावी साँस लेने की गतिविधियाँ हैं। नियमित अभ्यास से लोगों को सांस की समस्या और उच्च और निम्न रक्तचाप जैसी स्थितियों में आराम मिलता है। अगर योग का नियमित रूप से अभ्यास किया जाए तो यह धीरे-धीरे बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। यह हमारे शरीर में कई सकारात्मक बदलाव लाता है और शरीर के अंगों की प्रक्रियाओं को भी नियंत्रित करता है।

योग क्या है?

योग एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है मन, आत्मा और शरीर का मिलन। योग संरचित गति (आसन) और श्वास अभ्यास (प्राणायाम) पर केंद्रित है, जो इसके अभिन्न अंग हैं।

नियमित योग करने वाले व्यक्तियों के लिए योग एक बहुत अच्छा अभ्यास है। यह हमें स्वस्थ और जीवन शैली को बेहतर बनाने में मदद करता है। योग वह क्रिया है जिसके अंतर्गत शरीर के विभिन्न अंगों को एक साथ लाकर शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को संतुलित करने का कार्य किया जाता है। पहले ध्यान की क्रिया के साथ योग का अभ्यास किया जाता है। योग सांस लेने के व्यायाम और शारीरिक क्रियाओं का योग है। योग को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

Essay on Yoga in Hindi

Essay on Yoga in Hindi

योग हम सभी के जीवन में बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह हमें शरीर और मस्तिष्क के बीच संतुलित रखने में मदद करता है। इसके नियमित अभ्यास से हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं।

योग कला की उत्पत्ति 5,000 साल पहले उत्तर भारतीय द्वारा की गई थी। पहले के समय में, हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के लोग योग और ध्यान का उपयोग करते थे। योग कई प्रकार का होता है जैसे राज योग, जन योग, भक्ति योग, कर्म योग, हस्त योग। सामान्य तौर पर भारत में हस्त योग के तहत कई आसनों का अभ्यास किया जाता है।

एक स्वस्थ व्यक्ति अपने जीवन में बहुत अधिक लाभ कमा सकता है और स्वस्थ जीवन जीने के लिए नियमित योग बहुत आवश्यक है। आज के आधुनिक जीवन में तनाव काफी बढ़ गया है और आसपास का वातावरण भी साफ नहीं है। बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बेहतर स्वास्थ्य का अर्थ है बेहतर जीवन। आप 20-30 मिनट तक योग करके अपने जीवन को काफी बेहतर बना सकते हैं क्योंकि हर सुबह योग का अभ्यास करने से आप कई बीमारियों से बच सकते है।

योग के प्रकार

योग कई प्रकार के होते हैं जैसे राज योग, कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग और हठ योग। लेकिन जब ज्यादातर लोग भारत या विदेशों में योग के बारे में बात करते हैं, तो उनके पास आमतौर पर हठ योग के बारे मे ही पता होता है, जिसमें कुछ व्यायाम जैसे ताड़ासन, धनुषासन, भुजंगासन, कपाल और प्रत्यक्ष-उलटा शामिल हैं। योग पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा की एक महत्वपूर्ण प्रणाली है।

योग हमें लचीला बनाता है

कुछ लोगों को अपने शरीर को इधर-उधर मोड़ने या झुकने या पैर की उंगलियों को छूने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एक बार जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से योग करना शुरू कर देता है, तो उसे जल्द ही इसका प्रभाव महसूस होने लगता है। यह जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी मदद करता है, जो कि ज्यादातर उम्रदराज लोगों में एक आम बात है। यह लोगों को प्राकृतिक रूप से बीमारियों से मुक्त करता है जिससे मनुष्य अपने शरीर में काफी लचीलापन और फुर्ती महसूस करता है।

हमारे देश भारत में अब योग को बहुत प्रचलित किया जा रहा है। योग करने से हम अपने शरीर की कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं। यह सिर्फ बीमारियों को ही नही ठीक करता बल्कि याददाश्त, अवसाद, चिंता, मोटापा, मनोविकृति को भी दूर करने में मदद करता है। योग के कई फायदे होते हैं। शरीर में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए योग से बेहतर कोई उपाय नहीं हो सकता।

Hope this essay on yoga in hindi helps you learn about yoga.

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योग पर निबंध (Essay On Yoga in Hindi)

Essay on Yoga in Hindi

In this Article

योग पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Yoga In Hindi)

योग पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on yoga in hindi 200-300 words), योग पर निबंध 400-500 शब्दों में (essay on yoga in 400-500 words), योग क्या है (what is yoga), योग का महत्व (importance of yoga), योग का इतिहास (history of yoga), योग के प्रकार (type of yoga), योग के फायदे (benefits of yoga), योग के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about yoga in hindi), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs), योग के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a yoga essay).

भारत में योग का अस्तित्व कई हजार साल पुराना है, जिसे ऋषि-मुनी योग विद्या के रूप में प्राचीन काल से अभ्यास करते आए हैं। योग एक प्रकार से आपके शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है और शरीर में रक्त का संचार बेहतर करता इसके अलावा भी योग के ढ़ेरों लाभ हैं जो किसी भी व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से रोगमुक्त करने की क्षमता रखता है। योग क्रिया में कई सारे आसन और ध्यान प्रक्रिया जिसे मेडिटेशन कहते हैं वो शामिल होता है। इसलिए योग को हमारे शरीर और मन दोनों के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। यह न केवल शरीर को मजबूत और चुस्त बनाता है बल्कि तनाव को कम करने में भी मदद करता है और आपके दिमाग को स्थिरता व शांति प्रदान करता है। योग भारत की खोज है, जो आज सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े पैमाने पर अभ्यास में लाई जा रही हैं। इसका एक मात्र कारण यह है कि दुनिया योग से मिलने वाले लाभों को जान रही है। बड़े हो या बच्चे हर किसी को अपनी दिनचर्या में थोड़ा समय निकालकर योग जरूर करना चाहिए। क्योंकि आजकल जिस प्रकार की जीवनशैली हम सब ने अपनाई हुई है उसमें फोकस माइंड के साथ काम करना मुश्किल होने लगा है, ऐसे में योग आपका कॉन्सेंट्रेशन और कार्य करने शक्ति को बढ़ाता है। योग को बढ़ावा देने के लिए हर साल 21 जून को ‘अंतराष्ट्रीय योग दिवस’ भी मनाया जाता है। यदि आपको भी योग में रुचि है या आपको योग पर एक अच्छा हिंदी में निबंध लिखना है तो नीचे दिए गए 10 वाक्यों का निबंध, शार्ट पैराग्राफ, शार्ट और लॉन्ग एस्से के रूप में योग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

जैसे हम अपने बाहरी शरीर को स्वच्छ रखने पर ध्यान देते हैं वैसे ही हमें अपने आंतरिक शरीर को साफ रखने का प्रयास करना चाहिए और उसके लिए योग करना बहुत जरूरी है। योग आपकी सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाता है। बड़ों के साथ बच्चों को भी आंतरिक रूप से स्वच्छ और मजबूत बनाता है। स्कूलों में भी बच्चों को योग अभ्यास कराया जाता है। अगर आपका बच्चा संक्षेप में योग पर 10 लाइन हिंदी में लिखना या बोलना चाहता है, तो नीचे दी गई योग पर 10 पंक्तियों की मदद ले सकता है:

  • योग हमारे देश भारत की ही देन है।
  • इसकी उत्पत्ति ऋषि मुनियों द्वारा 5000 साल पहले की गई थी।
  • योग करने से शरीर और मन स्वस्थ रहता है।
  • योग शास्त्र के अनुसार 84 प्रकार के योग आसन है।
  • योग में ध्यान क्रिया को बहुत महत्व दिया जाता है।
  • योग करने से तनाव कम होता है।
  • योग हमें शरीरिक और मानसिक दोनों रूप से मजबूत बनाता है।
  • नियमित रूप से योग करना आपको बीमारियों से बचाता है।
  • हृदय रोग, अस्थमा, डाइबिटीज, बीपी आदि बीमारियों में योगाभ्यास करने की सलाह दी जाती है।
  • योग को बढ़ावा देने के लिए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।

अक्सर हमें उन विषयों के बारे में लिखने के लिए मिल जाता है, जिन विषयों पर हमने बहुत ध्यान नहीं दिया होता है, हालांकि वो हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होना चाहिए। योग क्रिया का इतिहास बहुत पुराना है और यह हमारे देश की एक बड़ी उत्पत्ति भी है जिसका महत्व लोगों को अब पता चल रहा और हमारी इस सभ्यता को बढ़ावा देने के लिए अब देश के प्रधानमंत्री व अन्य लोग योगाभ्यास को अपने निजी जीवन में शामिल करके हमे भी इसे अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यदि आप शार्ट पैराग्राफ या हिंदी में योग पर शार्ट एस्से लिखना चाहते हैं तो इसे कैसे लिखना है उसका उदहारण आपको नीचे दिया गया है। आइए देखते हैं:

योग एक ऐसी क्रिया है जो सिर्फ किसी व्यक्ति विषेश के लिए सीमित नहीं है। हर वो व्यक्ति जो खुद को बीमारियों से मुक्त रखना चाहता है उसे योग को अपने जीवन में शामिल करना चाहिए। योग एक ऐसी क्रिया है जो आपके शरीर और मन के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। भगवान शिव को योग का आदि गुरु माना जाता है, जिसके बाद ऋषि-मुनियों ने इस विद्या को अपनाया और अपनी ऊर्जा को सही रूप से नियंत्रित किया। योग शास्त्र के अनुसार कुल 84 प्रकार के आसन हैं जो भारत की ही देन है जिसे लोग आज बड़े स्तर पर देश-विदेश में अपने अभ्यास में ला रहे हैं। योग करने से शरीर आंतरिक रूप से स्वस्थ होता है साथ-साथ यह हमारे मन को भी शांत करता है। जब शरीर स्वस्थ और मन शांत होता है, तो हमारी दिनचर्या भी सकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। हृदय रोग, अस्थमा, डाइबिटीज, बीपी, श्वास संबंधी आदि बिमारियों में योगाभ्यास करने की सलाह दी जाती है, यदि हम नियमित रूप से योग अभ्यास करें तो खुद को कई गंभीर बिमारियों से दूर रख सकते हैं। प्राचीन काल में स्वस्थ जीवन जीने के लिए नियमित रूप से योग और ध्यान करने का अभ्यास करते थे। हालांकि आजकल हम जिस प्रकार की जीवनशैली को अपना रहे हैं, वो हमारी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है, हमारी खान पान की आदतें, सोने और जागने का समय, इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का अधिक उपयोग आदि  सब प्रभावित हुआ है, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। लोग अवसाद व अन्य मानसिक और शारीरक बिमारियों का शिकार हो रहे हैं। यदि हम आंतरिक रूप से मजबूत होंगे तो इन समस्याओं से बेहतर रूप से लड़ सकेंगे, जिसके लिए योग करना हमें शरीरिक, मानसिक रूप से मजबूत और सक्रिय बनाता है।

 “ यदि रोगमुक्त है जीवन जीना , हर दिन योग का अभ्यास करना ”

योग एक ऐसी क्रिया है जो हमारे शरीर को ऊर्जावान बनाए रखती है। योग के जानकारों के अनुसार इसकी उत्पत्ति भारत में 5000 साल पहले हुई थी और लोगों को जैसे-जैसे इसका महत्व पता चला वे इसे अपनाते चले गए। योग का सबसे बड़े गुरु भगवान शिव को मानते हैं जिन्हे आदियोगी के नाम से भी जाना जाता है, जिसके बाद ऋषि मुनियों ने योग विद्या को अपनाया। आज विज्ञान भी योग और उसके लाभों को मानती है। इस विषय में अधिक जानकारी नीचे दी गई है। आइए देखते है:

योग एक ऐसी क्रिया है जिसकी खोज 5000 साल पूर्व की बताई जाती हैं, जिसका उल्लेख पुराणों में भी किया गया है।  योग को एक सफल जीवन की कुंजी कहा जाता है। यह हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से योग करता है तो उसके जीवन में इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। योग करने से न सिर्फ हमारा शरीर सक्रिय रहता है, बल्कि हमारा मन और मस्तिष्क को भी स्वस्थ्य रखने में मदद मिलती है। योग प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों द्वारा अभ्यास किया जाता रहा है और हमारी भारतीय संस्कृति में इसका बहुत महत्व बताया गया है। योग के अनेकों लाभ होने के कारण इसे देश विदेश में बहुत महत्व दिया जा रहा है और लोग योग के प्रति पहले से ज्यादा जागरूकता दिखा रहे हैं। योग सिर्फ साधु संतों द्वारा किया जाने वाला व्यायाम है, अब यह धारणा धीरे-धीरे बदल रही है। अनियमित खान-पान, देर रात तक जागना या फिर प्रदूषण भरे माहौल में रहना आदि, इन सभी कारणों की वजह से हमारा स्वास्थ्य भी दिन पर दिन प्रभावित हो रहा है, जिसका असर हमारी जीवन में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। ऐसे में योग करना हमें स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं रखने की ओर मोड़ता है। योग के लाभों के चलते अब डॉक्टर भी योगाभ्यास को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाने की सलाह देते हैं। आज न केवल देश बल्कि विदेश में भी योग को काफी प्राथमिकता दी जाती है, जिसके पीछे स्वामी विवेकानंद, श्री अरबिंदो घोष, योगानंद जैसे महापुरुषों की अहम भूमिका रही है।

योग, मनुष्य के तन और मन को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए बेहद जरूरी है। योग करने से आपके जीवन में न सिर्फ अनुशासन आएगा बल्कि आप खुद को अध्यात्म से जोड़ सकेंगे यह आपकी चेतना को दूसरे स्तर पर ले जाता है। इतना ही नहीं योग शरीर की सहनशक्ति बढ़ाता है, मानसिक रूप मजबूत बनाता है। इस क्रिया के दौरान ध्यान करने और श्वसन क्रिया को सही से करने पर ज्यादा जोर दिया जाता है। नियमित रूप से योग करना आपको तनाव और अन्य मानसिक रोगों से दूर करता है जो आज के समय में बड़ों और खासतौर पर बच्चों को बड़ी मात्रा में प्रभावित कर रहा है। इसके नियमित अभ्यास से यह शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ जीवन का वास होता है इसलिए योग का महत्व हमारे जीवन में बहुत ज्यादा है।

आज से करीब 5,000 साल पहले तक योग अस्तित्व में आया और इसकी उत्पत्ति भारत में हुई जो हमारे शरीर को आंतरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप सचेत करता है। योग के बारे में सबसे पहले ऋग्वेद में बताया गया है, जो पांचवीं या छठी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ था। भारत के प्रसिद्ध प्राचीन ग्रंथों जैसे भागवत गीता, उपनिषद, योग वशिष्ठ, हठ योग प्रदीपिका, गेरांडा संहिता, शिव संहिता, पुराण आदि में भी इसका उल्लेख किया है। योग का पिता ‘पतंजलि’ को माना जाता है, क्योंकि उन्होने योग सूत्रों के माध्यम से इसे और बेहतर बनाया। इसके अलावा उन्होंने योग के जरिए लोगोंं को सही उद्देश्य के साथ जीवन जीने की प्रेरणा दी थी।

योग के चार प्रकार हैं मंत्रयोग, हठयोग लययोग व राजयोग:

  • मंत्र योग- मंत्रयोग का संबंध मन से है, जो मन की चंचलता को रोकने के लिए मंत्र के द्वारा योग करता है वो मंत्र योग की श्रेणी में आता है।
  • हठ योग- हठयोग में ‘ह’ का अर्थ सूर्य और ‘ठ’ का अर्थ चंद्रमा से है, यह दोनों मिलकर मानव शरीर में ध्रुवों के रूप में कार्य करते हैं। शरीर की सभी गतिविधियों का सुचारू रूप से काम करने के लिए इन दोनों का आपसी ताल-मेल होना अवश्य है।
  • लय योग- अपना सारा ध्यान ब्रह्म पर केंद्रित करना ही लय योग कहलाता है। यह योग आपके चित्त को शांत करके ब्रह्मांड की शक्तियों से जोड़ता है।
  • राज योग- राज योग, योग के लक्ष्य और उस लक्ष्य को प्राप्त करने से तात्पर्य है। लगातार ध्यान और योग का अभ्यास करने से शांति और संतुष्टि का आभास होने लगता है। आसान शब्दों में समझा जाए तो राज योग मन और शरीर पर नियंत्रण रखने का योग है।

योग करने के अनेकों फायदे हैं, योग के अलावा ऐसी शायद ही कोई क्रिया हो जो एक साथ आपके शरीर, मन और अध्यात्म को सही दिशा में केंद्रित कर सकता है। यदि आप हर दिन नियमित रूप से योग आसन का पालन करते हैं तो आप खुद अपने अंदर सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे, क्योंकि ये शरीर और दिमाग और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखने में शरीर की मदद करता है और बीमारियों से भी दूर रखता है। इसके अलावा, जब हम विभिन्न आसन और मुद्राओं का अभ्यास करते हैं, तो यह हमारे शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है। योग से आपका दिमाग तेज होता है और साथ ही आपकी सोचने समझने की क्षमता को बढ़ाता है। अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करने से हमे कई गंभीर बिमारियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, दिल की समस्या, सांस लेने में तकलीफ आदि से राहत मिलती है। योग जीवन में अनुशासन विकसित करता है। योग ऐसी क्रिया है जिसे बड़े बच्चे और बूढ़े सभी कर सकते हैं। यदि आप पहली बार योग कर रहे हैं तो किसी गाइड या ट्रेनर की मदद ले सकते हैं।

  • स्वामी विवेकानंद ने 1893 में योग के बारे में देश विदेश में जागरूकता फैलानी शुरू की।
  • योग शब्द संस्कृत की युज धातु शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोड़ना।
  • पुरुषों से ज्यादा महिलाएं योग करती हैं, लगभग 72% महिलाएं इसका अभ्यास करती हैं।
  • दुनिया भर में लगभग 30 करोड़ लोग योग करते हैं।
  • विश्व की सबसे बड़ी योग के क्लास में 100,984 लोग उपस्थित थे।
  • पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015, 21 जून का मनाया गया।

1.   हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार किस भगवान को योग का सर्वोच्च माना गया है?

भगवान शिव को योग का सर्वोच्च भगवान माना जाता है।

2.   योग शब्द की उत्पत्ति कहा से हुई है?

योग एक संस्कृत शब्द ‘युज’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’ है।

3.   अब तक योग के कुल कितने आसन हैं?

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कुल 84 आसन हैं जो हमें विभिन्न आसनों के बारे में बताते हैं।

हमारे शरीर की ऊर्जा को बनाएं रखने के लिए जितना जरूरी भोजन है उतना ही जरूरी योग करना है। खासतौर पर बच्चों के लिए। आधुनिकरण के चलते हमने अपने जीवन में अनावश्यक खानपान और रहन-सहन को अपना लिया है, जिससे पूरी तरह बचा नहीं जा सकता लेकिन होने जीवन को योग शमिल कर के इसे कुछ हद तक नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इस निबंध से बच्चों को यह सीख मिलेगी कि हमे अपने प्रचीनकाल की सभ्यता से जुड़े रहना चाहिए। आज देश विदेश में हमारी सभ्यता को अपनाया जा रहा। अपनी परंपराओं को हमे ही आगे लेकर जाना है।

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योग भारत के सबसे प्रमुख सांस्कृतिक निर्यातों में से एक है। यह सिर्फ पोज और ध्यान से कहीं अधिक है। इस लेख में, आप योग, इसके इतिहास, उपयोगों के बारे में सब कुछ जान सकेंगे। यूपीएससी के दृष्टिकोण से, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस लेख में आपको इसके बारे में भी जानकारी दी जाएगी कि, भारतीय प्रतिष्ठान द्वारा योग को एक सॉफ्ट पावर के रूप में कैसे उपयोग किया जाता है।

आईएएस परीक्षा 2024 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार योग के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को ध्यान से पढ़ें। इस लेख में हम आपको योग और उसकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताएंगे। पेरिस समझौते के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए Yoga पर क्लिक करें।

योग क्या है?

योग आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक प्रथाओं का एक समूह है जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। योग का शाब्दिक अर्थ है जोड़ना। योग शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा (आसन), ध्यान, सांस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ता है।

इस शब्द का अर्थ ही ‘योग’ या भौतिक का स्वयं के भीतर आध्यात्मिक के साथ मिलन है। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना के मिलन का भी प्रतीक है, जो मन और शरीर, मानव और प्रकृति के बीच एक पूर्ण सामंजस्य का संकेत देता है। योग के अभ्यास का उल्लेख ऋग्वेद और उपनिषदों में भी मिलता है।

पतंजलि का योगसूत्र (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व), योग पर एक आधिकारिक ग्रंथ है और इसे शास्त्रीय योग दर्शन का एक मूलभूत ग्रंथ माना जाता है।

आधुनिक समय के दौरान और विशेष रूप से पश्चिम में, योग को बड़े पैमाने पर शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ ध्यान और मुद्राओं के रुप में अपनाया जा रहा है। हालांकि, योग का उद्देश्य स्वस्थ मन और शरीर से परे है।

योग, हिंदू दर्शन के षड्दर्शन (छः दर्शन) में से एक है। ये 6 दर्शन – सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त के नाम से जाने जाते हैं। इन दर्शनों के प्रणेता पतंजलि, गौतम, कणाद, कपिल, जैमिनि और बादरायण माने जाते हैं। इन दर्शनों के आरंभिक संकेत उपनिषदों में भी मिलते हैं।

सांख्य दर्शन के बारे में अधिक जानकारी के लिए लिंक किये गये लेख को पढ़ें ।

नोट: उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा 2023 की तैयारी शुरू करने से पहले नवीनतम UPSC Prelims Syllabus in Hindi का ठीक से अध्ययन कर लें। इसके बाद ही अपनी आईएएस परीक्षा की तैयारी की रणनीति बनाएं।

योग की उत्पत्ति

योग की उत्पत्ति की सटीक समय अवधि पर कोई सहमति नहीं है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इसकी उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता की अवधि के दौरान हुई, कुछ का कहना है कि यह योग, पूर्वी भारत में पूर्व-वैदिक युग से उत्पन्न हुआ था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी उत्पत्ति वैदिक युग में हुई थी। फिर भी अन्य लोग श्रमण परंपराओं की ओर इशारा करते हैं। मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति मुहर से पता चलता है कि एक आकृति मूलबंधासन (योग में बैठने की मुद्रा) में बैठी हुई है, और इसलिए कुछ शोधकर्ता इसे सिंधु घाटी मूल के योग के प्रमाण के रूप में देते हैं। प्रारंभिक बौद्ध ग्रंथों, मध्य उपनिषदों, भगवद गीता आदि में योग की व्यवस्थित व्याख्या की गई है। आधुनिक युग में, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, स्वामी विवेकानंद, रमण महर्षि आदि गुरुओं ने पूरे विश्व में योग के विकास और लोकप्रिय बनाने में योगदान दिया। योग शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ऋग्वेद के एक श्लोक में प्रात:काल में उगते हुए सूर्य देव के लिए हुआ है। हालांकि, ऋग्वेद में यह उल्लेख नहीं है कि यौगिक अभ्यास क्या थे। योग के अभ्यास के शुरुआती संदर्भों में से एक बृहदारण्यक उपनिषद में पाया जा सकता है, जो पहले उपनिषदों में से एक है। हालांकि, योग शब्द समकालीन समय के समान अर्थ के साथ कथा उपनिषद में पाया गया है।

नोट: यूपीएससी 2023 परीक्षा करीब आ रही है; इसलिए आप BYJU’S द्वारा द हिंदू समाचार पत्र के मुफ्त दैनिक वीडियो विश्लेषण के साथ अपनी तैयारी को पूरा करें।

पतंजलि का योग सूत्र

योग सूत्र संस्कृत में लिखे गए लगभग 195 सूत्रों या सूक्तियों का संग्रह है। इसकी रचना ऋषि पतंजलि ने योग पर पिछले कार्यों और पुरानी परंपराओं पर चित्रण करते हुए की थी। इसकी रचना 500 ईसा पूर्व और 400 ई के बीच मानी जाती है। इस ग्रंथ में, पतंजलि ने योग को आठ अंगों (अष्टांग) के रूप में वर्णित किया है। वे यम (संयम), नियम (पालन), आसन (योग आसन), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों को वापस लेना), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (ध्यान) और समाधि (अवशोषण) हैं। मध्ययुगीन काल के दौरान, इसका अनुवाद लगभग 40 भारतीय भाषाओं और अरबी और पुरानी जावानीस में भी किया गया था। योगसूत्र को आधुनिक समय में लगभग भुला दिया गया था जब तक कि स्वामी विवेकानंद ने इसे पुनर्जीवित नहीं किया और इसे पश्चिम में ले गए।

नोट: आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुडें, यहां हम प्रमुख जानकारियों को आसान तरीके से समझाते हैं।

हठ योग क्या है?

हठ योग मध्य युग (500 – 1500 CE) के दौरान उभरा था। इसी काल में योग की अनेक उप परम्पराओं का भी उदय हुआ था। हठ का अर्थ बल से है और आधुनिक समय में जो अभ्यास किया जाता है वह अनिवार्य रूप से योग का यही रूप है जिसमें शारीरिक व्यायाम, आसन और श्वास अभ्यास पर ध्यान दिया जाता है। हठ योग, योग की बिल्कुल प्रारंभिक प्रक्रिया है, ताकि शरीर ऊर्जा के उच्च स्तर को बनाए रखने में सक्षम हो सके। हठ योग का वर्णन करने वाला सबसे पुराना ग्रंथ अमृतसिद्धि (11वीं शताब्दी सीई) है। 

साफ्ट पावर के रूप में योग

साल 2014 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को हर साल ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। यह भारत द्वारा शुरू किया गया था और इसे भारत की सॉफ्ट पावर के प्रसार के रूप में देखा जाता है। भारत की इस पहल के बाद योग को दुनिया के कौने- कौने में प्रोत्साहन मिलने लगा। साथ ही इसमें भारत की अन्य सॉफ्ट पावर के पहलु जैसे भारतीय सिनेमा, आयुर्वेद, वेदांत, शास्त्रीय कला, भारतीय हस्तशिल्प और व्यंजन आदि भी जुड़ गए।

योग का प्रसार करने की भारत की ये मुहिम काफी हद तक सफल रही है जो इस तथ्य से परिलक्षित होती है कि भारत के योग दिवस के प्रस्ताव को दुनिया के 170 से अधिक देशों का समर्थन प्राप्त हुआ है।

भारत सरकार, स्वास्थ्य और कल्याण और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में दुनिया में भारत के योगदान को पेश करने के लिए योग की लोकप्रियता और इसके लाभों का उपयोग करने की कोशिश कर रही है।

योग दिवस, हमारे देश के लिए एक बड़ा पर्यटक प्रोत्साहन उत्सव भी हो सकता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो विदेश में रहते हैं और अपने देश में योग सीखने और अभ्यास करने के लिए यहां आना चाहते हैं।

योग दिवस समारोह और इस दिशा में सरकार के प्रयासों के पीछे विचार यह है कि मानवता को योग – दुनिया को भारत का उपहार स्वीकार करना चाहिए और उसका जश्न मनाना चाहिए।

योग दिवस ने पूरी दुनिया में योग के प्राचीन भारतीय अभ्यास की लोकप्रियता को भी दुनिया के सामने दिखाया।

  • वर्तमान में, दुनिया भर में योग के 300 मिलियन से अधिक अभ्यासी हैं।
  • लगभग 50% चिकित्सक भारतीय मूल के हैं।
  • योग, स्पेन, अमेरिका, पुर्तगाल, इंडोनेशिया, मोरक्को, यूके, कोस्टा रिका, इटली आदि जैसे विविध देशों में भी बेहद लोकप्रिय है। 

आईएएस परीक्षा 2023 की तैयारी करने वाले उम्मीदवार लिंक किए गए लेख के माध्यम से पूरा UPSC Syllabus in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। परीक्षा से संबंधित अधिक तैयारी सामग्री नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से मिलेगी।

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योग के महत्व पर निबंध- Essay on Importance of Yoga in Hindi

In this article, we are providing Essay on Importance of Yoga in Hindi. योग के महत्व पर निबंध- योग के प्रकार, योग के लाभ, योग पर निबंध, योग करने के नियम, Yoga essay in Hindi.

भूमिका- आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत को नजरअंदाज करते जा रहे हैं। आज की व्यस्त कार्यशैली में लोगों के पास समय नही है कि वो खुद पर ध्यान दे यही वजह है कि लोग दवाईयों के आदि होते जा रहे है और मानसिक रूप से भी परेशान और तनाव में रहने लगे हैं। मानसिक और शारिरीक रूप से स्वस्थ रहने के लिए सबसे सरल उपाय योगा है। योगा अथवा व्यायाम को रोज करने से हम तंदरूस्त रहते है और तनाव मुक्त भी रहते हैं। योगा का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

योगा के प्रकार- योगा में सिर्फ एक व्यायाम नहीं है । इसके निम्नलिखित प्रकार है-

1. राज योग- इसके अंतर्गत बहुत से आसन आते हैं जैसे की सूर्य नमस्कार, पदमासन। इनसे शरीर में फूर्ती रहती है। 2. कर्म योग- कर्म यानि काम। जब हम कोई काम करते है तब हमारी मांशपेशियां और दिमाग दोनों ही कार्यरत होते है जिससे कि मोटापे जैसी बिमारी नही होती। 3. भक्ति योग- इसमें हमारा जहन तनाव मुक्त रहता है हम कहीं शांति में बैठकर ध्यान लगातेहैं। 4. ज्ञान योग-इसमें हम भक्ति करते है ताकि मन शांत रहे। बहुत से शरीर से जुड़े रोग तनाव से भी उत्पन्न होते है।

योग के लाभ- योगा न केवल हमें शारिरीक रूप से स्वस्थ रखती है बल्कि हमें मानसिक और भौतिक रूप से भी स्वस्थ रखती है। सैर और साईकिल चलाना भी एक तरह के योगा ही है। योगा से होने वाले लाभ निम्नलिखित है-

1. यह आलस को दुर भगाता है और हमें चुस्ती और तंदरूस्ती देता है। 2. यह हमें बहुत सी बिमारियों से बचाता है। योगा करने से अस्थमा,, रक्तचाप, मधुमेह और जोड़ो के दर्द का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। 3. योग करने से इंसान के दिमाग में नकारात्मक विचार भी उत्पन्न नहीं होते। मनुष्य सकारात्मक ही सोचता है। 4. योगा करने वाला व्यक्ति हमेशा तनाव रहित और खुश रहता हैं। 5. योगा करने से बिमारी दुर रहती है जिससे कि चिकित्सा पर खर्च होने वाला पैसा भी बचता है। इस तरह योगा एक मुफ्त उपचार का काम भी करता है।

योग करने के नियम – योगा को हम कभी भी कही भी नही कर सकते इसे करने के भी बहुत से नियम है-

1. योगा को सूर्योदय के बाद और सूर्यस्त से पहले करना चाहिए। 2. योगा को सूती कपड़े पहन कर ही करना चाहिए। 3. सभी योगा आसन किसी दरी पर ही बैठकर करने चाहिए। 4. योगा किसी गुरू की निगरानी में ही करनी चाहिए। 5. योगा खाली पेट करनी चाहिए। योगा से दो घंटे पूर्व तक कुछ भी नहीं खाया होना चाहिए।

निष्कर्ष- योगा हमे निरोगी बनाती है। हमें चिकित्सा की बजाय योगा ही करनी चाहिए। यह हमारी सेहत मे बरकत देता है खुशियों को बढाता है और दवाईयों पर लगने वाले पैसे को भी बचाता है। हर व्यक्ति को इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में योगा करके खुद को स्वस्थ रखना चाहिए। ” योग स्वास्थय को करे निरोग”।

#Essay on Yoga in Hindi

व्यायाम का महत्व पर निबंध- Essay on Importance of Exercise in Hindi

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योग पर निबंध

Essay on Yoga in Hindi

योग पर निबंध : Essay on Yoga in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘योग पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है। यदि आप योग पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

योग पर निबंध : Essay on Yoga in Hindi

प्रस्तावना :-

योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है। जिसका अर्थ होता है:- आत्मा का परमात्मा से मिलन। योग एक ऐसी क्रिया है जो हमें शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत बनाती है। योग का अविष्कार भारत में ही माना जाता है। योग भारत में प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है।

जिसका पीढ़ी दर पीढ़ी अभ्यास किया जाता रहा है। योग हमें शारीरिक व मानसिक बीमारियों से बचाता है। योग करने से व्यक्ति का पूरा शरीर स्वस्थ रहता है। यह हमारें शरीर व आत्मा को नियंत्रित करने में हमारी सहायता करता है।

योग का महत्व :-

योग सभी मनुष्यों के जीवन में काफी महत्वपूर्ण है। योग करने से हमें शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह हमारें शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है अर्थात प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

योग करने से हम आसानी से किसी भी बीमारी के सम्पर्क में नहीं आते है। यह हमारे मस्तिष्क को भी शांत रखता है एवं राहत भी देता है। यह हमें हर समय तरोताजा रखता है।

यह हमारे जीवन जीने के तरीके में भी बदलाव लाता है। योग करने से हमारा दिनचर्या भी काफी अच्छा रहता है। यह हमारें शारीरिक एवं मानसिक विकास को भी तेज करता है।

योग के प्रकार :-

योग को मुख्य रूप से चार भागों में बाँटा गया है। जो कि ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग और राज योग है। ज्यादातर मनुष्य कर्म योग को अपनाते है।

योग करने के फायदें :-

  • स्वास्थ्य :- योग करने से हम हमेशा स्वस्थ रहते है। बीमारियाँ आसानी से हमारे पास नहीं आती है। हमारा शरीर इन बीमारियों से लड़ने के लिए इतना मजबूत हो जाता है कि छोटी-मोटी बीमारियों का हमारें शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह हमें मानसिक व शरीरिक दोनों रूप से स्वस्थ रखता है।
  • मानसिक व शरीरिक मजबूती :- योग हमें मजबूत बनाता है। यह शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी हमें मजबूत बनाता है।
  • तनाव से छुटकारा :- योग करने से व्यक्ति को तनाव की समस्या नहीं होती है। योग को नियमित रूप से करने से यह हमारें शरीर से तनाव को छुटकारा दिलाता है।
  • अच्छी नींद :- योग करने से मनुष्य का मस्तिष्क स्वस्थ रहता है और शांत भी रहता है जिससे उसे अच्छी नींद आती है।
  • फिट रहना :- नियमित योग करने से हमारा शरीर बिल्कुल स्वस्थ और संरचना में रहता है। योग करने से हम मोटापे से भी दूर रहते है और फिट रहते है।
  • आलस्य दूर होना :- योग करने से मनुष्य हमेशा ही आलस्य से दूर रहता है। वह हमेशा तरोताजा महसूस करता है। इसलिए, हमें अपने जीवन में योग को अपनाना चाहिए।
  • पाचन तंत्र सही रहता है :- योग करने से वैसे तो हमारे शरीर का प्रत्येक हिस्सा सही रहता है। योग हमारे शरीर की पाचन क्षमता को बढ़ाता है। इससे हमारा खाना सही से पचता है और हमें ज्यादा ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • बुढ़ापा जल्दी नहीं आता है :- अपने जीवन में योग को दिनचर्या में लाने से हमारा शरीर जल्दी बुड्ढा नहीं होता है। हमारा शरीर ज्यादा आयु तक स्वस्थ रहता है और हमारें चेहरे में झुर्रियां भी जल्दी नहीं पड़ती है।
  • एकाग्रता बढ़ती है :- योग करने से व्यक्ति का ध्यान हमेशा केंद्रित रहता है। जब व्यक्ति योग को अपने जीवन में अपनाता है, तो उसकी एकाग्रता में वृद्धि होती है।

आज हम सभी को विकास के साथ-साथ नईं-नईं बीमारियाँ भी देखने को मिल रही है। इस बदलते परिवेश के साथ हमारा खान-पान भी बदल गया है, जिससे हमारा शरीर भी कमजोर हो रहा है। छोटी-छोटी बीमारियाँ हमारें शरीर को आसानी से प्रभावित कर देती है।

ऐसे समय में हम सभी को अपने जीवन में योग के महत्व को समझ कर उसे अपने जीवन में अपनाना होगा। योग हमारे पूर्वजों की देन है, जिसे हमें अपनाना चाहिए। आज सभी लोग अपने स्वस्थ्य के प्रति सतर्क हो रहे है और योग को अपने दिनचर्या में ला रहे है।

आज पूरी दुनिया योग को अपना रही है। योग को आगे बढ़ाने के लिए ही आज अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस भी मनाया जाने लगा है। आज योग पूरी दुनिया में फैल गया है। सभी इसके महत्व को समझ रहे है।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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योगा पर निबन्ध | essay on yoga in Hindi

By: Amit Singh

योग पर हिंदी में निबंध लिखे | Essay on yoga in Hindi – Video

“ सफलता तीन चीजों से मापी जाती है – धन, प्रसिद्धी और मन की शांति

धन और प्रसिद्धी पाना आसान है, लेकिन ‘ मन की शांति ’ केवल योग से ही मिलती है। “

भारतीय संस्कृति से योग का जुड़ाव सदियों पुराना है। शायद यही कारण है कि इतिहास ने ढ़ेरों करवटें लीं, समय बदला, सम्राज्य बदले, शासक बदले, सीमाएं बदलीं और परिस्तिथियां भी बदलीं, लेकिन कुछ चीजों का महत्व जस का तस बरकरार रहा और बदलते समय में वही चीजें भारतीय सभ्यता की शान बनकर उभरी। योग भी भारतीय संस्कृति की एक ऐसी ही सभ्यता का उदाहरण है।

योगा हर इसांन के जीवन में एक अहम भूमिका निभाता है। वहीं योग का भारतीय संस्कृति से भी सदियों पुराना नाता रहा है। योगा का जिक्र सर्वप्रथम वेदों में मिलता है, जिनके अनुसार, वैदिक काल में सूर्योदय के समय योगा करने का प्रचलन था।

इसके बाद चौथी शताब्दी में पणिनि ने संस्कृत के युज शब्द से योगा को नाम दिया, जिसका अर्थ होता है जोड़े रखना। वहीं योगा को पहली बार पन्नों पर उतारने का काम  वेद व्यास द्वारा योगसूत्र के रुप में किया गया। योगसूत्र में व्यास ने क्रिया योग का जिक्र करते हुए रोजमर्रा के कार्यों में योगा को सबसे अहम स्थान दिया है।

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इसी कड़ी में योगा भारतीय संस्कृत में काफी प्रसिद्ध हो गया। प्राचीन ग्रंथों में योग का अभ्यास करने वाले पुरुषों को योगी और महिलाओं को योगिनी कहा जाने लगा। योगा सिर्फ मानसिक और शारीरिक गतिविधियों के लिए ही नहीं है, बल्कि यह खुद को पहचानने और परमात्मा से जुड़ने का एकमात्र साधन भी है। योग गुरु पंतजलि के शब्दों में-

योग मन को शांति में स्थिर करना है। जब मन स्थिर हो जाता है , हम अपनी आवश्यक प्रकृति में स्थापित हो जाते हैं , जोकि असीम चेतना है। हमारी आवश्यक प्रकृति आम तौर पर मस्तिष्क की गतिविधियों द्वारा ढक  दी जाती है।

हिन्दू धर्म ग्रंथों से परे योग के महत्व को महायान बौद्ध ग्रंथों और इस्लाम धर्म के धार्मिक ग्रंथ कुरान शरीफ में भी दर्शाया गया है। हिन्दू धर्म में जहां ध्यान लगा कर बैठे भगवान शिव को आदियोगी की संज्ञा दी गयी है, तो ब्रह्मा को भी योग की मुद्रा में और विष्णु को योगनिद्रा में दर्शाया गया है। वहीं बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध की ज्यादातर आकृतियां योगमुद्रा में ही मौजूद हैं।

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वास्तव में योगा का जिक्र भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही मिलना शुरु हो जाता है। योगा के उद्भव को लेकर अमूमन दो मत हैं। पहले मत के अनुसार योगा की पहल भारतीय उपमहाद्वीप पर सर्वप्रथम आर्यों द्वारा की गयी, जिसे बाद में ग्रंथों में पिरोया गया और इसका प्रचार-प्रसार बौद्ध धर्म ने किया। वहीं दूसरे मत के अनुसार योगा की पहल भारत की ही देन है।

योगा से जुड़ी लेखिनियों की बात करें तो ऋगवैदिक काल में सबसे पहले उपनिषदों में योगा का जिक्र हुआ। जिसके बाद 500 ईसा.पूर्व से 200 ईसा.पूर्व के बीच योगा नवउदित बौद्ध धर्म और जैन धर्म का भी हिस्सा बन गया। भगवत गीता में भी योग का जिक्र करते हुए लिखा है कि-

योग को दृढ संकल्प और अटलता के साथ बिना किसी मानसिक संदेह या संशय के साथ किया जाना चाहिए। कर्म योग में कभी कोई प्रयत्न बेकार नहीं जाता , और इससे कोई हानि नहीं होती। इसका थोड़ा सा भी अभ्यास जन्म और मृत्यु के सबसे बड़े भय से बचाता है।

5वीं शताब्दी में योग गुरु पंतजलि द्वारा रचित पंतजलीयोगसूत्र में इसका उल्लेख किया गया। जिसमें उन्होंने योगा के आठ सूत्रों को विस्तार से पिरोया है। ये आठ सूत्र यम, नियम, आसन, प्रणायाम, प्रत्यहारा, धरना, ध्यान और समाधि हैं। पंतजलि के अनुसार, योग मन को स्थिर करने की क्रिया है।

प्राचीनकाल में योगा अपने चरम पर होने के बाद मध्यकाल में लगातार कई विदेशी आक्रमण के चलते इसकी चमक थोड़ी फीकी पड़ गयी, क्योंकि विदेशी शासकों ने योगा के प्रति कुछ ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।

हालांकि शासकों से परे भक्ति आंदोलन के दौरान कई वैष्णव और अलवर संतों ने योगसूत्र का उपयोग अपनी लेखनियों में करते हुए वियोग रस, भक्ति रस और वैराग्य रस को तवज्जो दी। सूरदास द्वारा रचित गोपी-उद्धव संवाद इसी काल में लिखे वैराग्य रस का एक हिस्सा है।

वहीं मध्यकाल के दौरान बौद्ध धर्म में योग का महत्व फीका नहीं पड़ा, जिसका मुख्य कारण था भगवान बुद्ध का योगमुद्रा में बैठकर ध्यान लगाना। भगवान बुद्ध के अनुसार-

ध्यान से ज्ञान आता है ; ध्यान की कमी अज्ञानता लाती है। अच्छी तरह जानो कि क्या तुम्हे आगे ले जाता है और क्या तुम्हे रोके रखता है , और उस पथ को चुनो जो ज्ञान की ओर ले जाता है।

15वीं और 16वीं शताब्दी में गुरुनानक द्वारा सिख धर्म की नींव रखने के बाद योग सिख धर्म का भी अभिन्न अंग बन गया। गुरु ग्रंथ साहिब में भी योग को रब तक पहुंचने का साधन करार दिया गया है।

हालांकि आधुनिक काल में 19वीं शताब्दी के अंत तक योगा ने फिर से उभरना शुरु किया। इस दैरान अंग्रेजी शासन का दौर होने के चलते कुछ ही समय में भारतीय संस्कृति का यह अमूल्य भाग पश्चिमी शिक्षा का हिस्सा बन गया। वहीं वेदांन्ता और स्वामी विवेकानन्द ने भी योग का खासा महत्व दिया है।

योगा का आशय सिर्फ साधना या ध्यान से नहीं है, बल्कि इसमें शारीरिक गतिविधियों से भी जुड़े कई आसन विद्यमान हैं। अमूमन योगा प्रणायाम जैसी शारीरिक व्यायाम से शुरु होकर मन की शांति के लिए ध्यान पर खत्म होता है। योगा के विषय में अमित रे कहते हैं-

योग एक धर्म नहीं है। यह एक विज्ञान है , सलामती का विज्ञान , यौवन का विज्ञान , शरीर , मन और आत्मा को एकीकृत करने का विज्ञान है।

20वीं शताब्दी को योगा के नवनिर्माण का युग भी कहा जा सकता है। इस दौरान सदियों से महज ध्यान तक सीमित योगा के नए आसनों का परिचय कराया गया। जिनमें, हाथ योग, सूर्य नमस्कार, अष्टंग विन्यास योगा, पावर योगा, सिद्धासन और पद्मासन का विकास होना शुरु हुआ।

जब आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मन की शांति महज एक कल्पना बनकर रह गयी है। ऐसे में योग ने एक बार फिर लोगों को रास्ता दिखाया है और आज आलम यह है कि बड़े बिजनेसमैन से लेकर आम विद्यार्थी तक सभी ने योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।

योग के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए 2015 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने 21 जून को अतंर्राष्ट्रीय योगा दिवस घोषित कर दिया है। तब से हर साल 21 जून के दिन न सिर्फ भारत बल्कि समूचा विश्व अतंर्राष्ट्रीय योग दिवस खासे उत्साह के साथ मनाता है।

वहीं योगा के प्रति लोगों में बढ़ती जागरुकता और इसके सदियों पुराने इतिहास के मद्देनजर यूनेस्को ने भी योगा को 1 दिसम्बर 2016 को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया है।

भारत में भी 21 जून के दिन जगह-जगह भव्य योगा समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी समेत देश की कई दिग्गज हस्तियां हिस्सा लेती हैं। 2015 से हर साल आयोजित होने वाले विभिन्न योगा समारोहों में भारत सरकार का आयुष मंत्रालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

2015 में पहली बार भारत ने इतिहास रचते हुए सबसे भव्य योगा कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के राजपथ पर 84 देशों के गणमान्यों सहित 35,985 लोगों के साथ कुल 21 प्रमुख आसन किए थे। सूर्य नमस्कार से शुरु होने वाला यह आसन कुल 35 मिनट तक चला था।

जाहिर है योगा दिवस पर भारत के इस भव्य आयोजन ने योग के महत्व को वैश्विक पटल पर उजागर किया। इसका एक उदाहरण तब देखने को मिला जब योगा दिवस के दिन बुल्गेरिया के प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी को वीडियो संदेश के जरिए अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस की बधाई दी।

वर्तमान में न सिर्फ सरकार बल्कि कई अन्य भारतीय भी योगा और आयुर्वेद के रुप में दुनिया को भारत की प्राचीन सभ्यता की झलक प्रस्तुत करने में जुटें है। योग गुरु बाबा रामदेव के नेतृत्व में पंतजलि ब्रांड इसी का एक उदाहरण है। बाबा रामदेव जीवन में योगा के महत्व का जिक्र करते हुए कहते हैं-

प्राणायाम बुनियादी सांस लेने का व्यायाम है जो ऑक्सीजन को तुम्हारे शरीर के सभी भागों तक पहुँचाने में मदद करता है जिससे न सिर्फ कोशिकाओं को फिर से जीवंत कर देता है बल्कि तुम्हारे अंदर बहुत सारी ऊर्जा भी भर देता है। मेरे अनुसार , एक इंसान को छः घंटे  सोना , एक घंटा योग , एक घंटा दैनिक दिनचर्या , दो घंटा परिवार के साथ जरुर व्यतीत करना चाहिए।

हाल में कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी योगा ने दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। इस दौरान दुनिया भर में लॉकडाउन लगने के कारण घरों में बंद कई लोगों ने योगा को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।

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योग पर निबंध – Hindi Essay on Yoga

योग पर निबंध – hindi essay on yoga.

योग हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है। अगर हमे स्वस्थ रहना और अपनी इम्यूनिटी बढ़ानी है, तो हमे रोज़ाना योग करना चाहिए। ऐसा करने से हमारा शरीर रोगों से कोसो दूर रहता है। चलिए आज हम इस लेख के जरिए योग पर निबंध लिखेंगे

क्या है योग? योग का अर्थ एकता या बांधना कह सकते है। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। विज्ञान के अनुसार, योग जीने का सही ढंग है। इस हम हमने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते है। योग हमारे भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक जीवन से जुड़ा हुआ।

योग का महत्व : योग हमें स्वास्थ होने साथ-साथ सकारात्मक सोच भी प्रदान करता है। योग से हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। योग से हमें एक सुखी तथा सरल जीवन जीने का अवसर मिलता है। योग से मनोरंजन भी किया जा सकता है तथा भटकते मन को शांति भी प्रदान की जा सकती है। योग हमारे जीवन की सभी बधांओ को दूर करने में सहयोग करता है। योग से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है, इसलिए योग को अपने जीवन में उतारे तथा सभी को नियमित योग के लिए प्रेरित करें। योग करने से हमारा मन संतुष्ट रहता है। सबसे पहले योग दिवस 21 जून 2015 को अंतर्राष्ट्री स्तर पर मनाया गया था। इस दिन करोड़ों लोगों एक साथ योग करके विश्व रिकॉर्ड मनाया था।

योग करने से फायदे : नियमित रूप से योग करने से शरीर, मन और दिमाग शांत रहता है। योग करने से आप सभी चीजों में संतुलन बनाने में कारगर हो सकते हैं। मन को शांत रखने के लिए योग से बढ़कर कुछ नहीं है। योग करने से बीमारियां खुद-व-खुद दूर रहती है। योग करने वाला व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है। योग गंभीर से गंभीर बीमारियों से हमारा बचाव करने में मददगार होता है।

योग से व्यक्ति ऊर्जावान और तरोताजा रहता है। योग करने वाला व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्रिय रहता है, वह तनावमुक्त रहता है और हमेशा खुश नजर आता है। योग व्यक्ति को प्रकृति के पास ले जाता है। योग करने से शरीर को लचीला बनता है। योग पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं। योग करने से व्यक्ति फिट रहता है। योग करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है, जिससे नींद अच्छी आती है और तनाव भी कम होता है। अगर आप इसका नियमित अभ्यास करते हैं, तो इससे धीरे-धीरे आपका तनाव दूर हो सकता है।

योग के प्रकार: योग के मुख्य चार प्रकार होते हैं।

  • राज योग- राज योग यानी राजसी योग… इसमें ध्यान महत्वपूर्ण है। इसके आठ अंग हैं। इनमें यम (शपथ), नियम (आचरण-अनुशासन), आसन (मुद्राएं), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि (परमानंद या अंतिम मुक्ति)।
  • कर्म योग- हर कोई इस योग को करता है। कर्म योग ही सेवा का मार्ग है। कर्म योग का सिद्धांत है कि जो आज अनुभव करते हैं वह हमारे कार्यों से भूतकाल में बदलता जाता है। जागरूक होने से हम वर्तमान से अच्छा भविष्य बना सकते हैं। स्वार्थ और नकारात्मकता से दूर होते हैं।
  • भक्ति योग- भक्ति का मार्ग से सभी की स्वीकार्यता और सहिष्णुता पैदा होता है। इसमें भक्ति के मार्ग का वर्णन है। सभी के लिए सृष्टि में परमात्मा को देखकर, भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है।
  • ज्ञान योग- अगर भक्ति को मन का योग मानें तो ज्ञान योग बुद्धि का योग है। इसमें ग्रंथों और ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से बुद्धि के विकास की आवश्यकता होती है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना जाता है और साथ ही साथ सबसे प्रत्यक्ष होता है।

योग के नियम : योग हमेशा सुबह और खाली पेट ही करना चाहिए। अगर आप दिन या फिर शाम के समय योगाभ्यास कर रहे हैं, तो उससे 3 घंटे पहले तक कुछ ना खाएं। योगासनों का अभ्यास हमेशा मोटे कपड़े या फिर योगा मैट पर ही करना चाहिए।

योगाभ्यास की शुरुआत करने से पहले आपको शौच आदि से निवृत हो जाना चाहिए, क्योंकि इससे आपको शारीरिक शांति मिलती है और पेट पर कोई हानिकारक दबाव भी नहीं पड़ता। इसके साथ ही आपको अपने नाक और गले को भी साफ कर लेना चाहिए।

हर योगासन के बीच में कम से कम 10 से 30 सेकेंड का आराम जरूर लेना चाहिए। योगासनों को हमेशा खुली हवा और शांत जगह पर करना चाहिए।

योगा के बाद आपको शॉवर लेना चाहिए. क्योंकि, जमीन पर बैठने-लेटने से आपका शरीर गंदा हो सकता है और पसीने के कारण कीटाणु भी आ जाते हैं, लेकिन यह भी ध्यान रखें कि योगासन करने के 20 मिनट पहले या बाद तक नहाना नहीं चाहिए।

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