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  • होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें

Updated On: October 21, 2024 11:23 AM

  • होली पर 200 शब्दो में निबंध (Essay on Holi in …
  • होली पर निबंद 500 शब्दों में (Essay on Holi in …
  • होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in …

होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली, भारत का प्रमुख त्यौहार, रंगों और खुशियों का प्रतीक है। इसे "रंगों का त्यौहार" भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। होली का त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो मार्च महीने में आता है। होली हिंदूओं का प्रमुख त्योहार है। होली पर अक्सर स्कूलों में निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। जिसमें होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi), होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words), होली पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay on Holi in 1000 words) में लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध (Holi per Nibandh) कैसे लिखें और निबंध में क्या लिखें ? इसे लेकर छात्र अक्सर भ्रमित हो जाते हैं। ऐसे में हम यहां इस आर्टिकल में छात्रों को होली पर हिंदी में निबंध (Holi par Hindi me Nibandh) लिखना बता रहा है। होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखने के लिए आप प्रस्तावना के साथ शुरू कर सकते हैं।  इसके बाद आप होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है, कब मनाना जाता है, इसका महत्व और इतिहास के बारे में लिख सकते हैं। होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) के कुछ सैंपल नीचे दिए गए हैं, जिसकी मदद से आप होली पर 200 शब्दों में निबंध (Essay on Holi in 200 words) से लेकर होली पर 1000 शब्दों में निबंध (Essay on Holi in 1000 words) लिखने को लेकर आइडिया ले सकते हैं। होली पर 100 शब्दों में निबंध (Essay on Holi in 1000 words) होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें: - दशहरा पर निबंध होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखना सीख सकते हैं।

होली पर 200 शब्दो में निबंध (Essay on Holi in 200 words)

होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है.

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।

इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।

होली पर निबंद 500 शब्दों में (Essay on Holi in 500 words)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं।

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?

इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें-

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) -  होली के हानिकारक प्रभाव

होली का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।

सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव

होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

  • होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
  • होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
  • होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
  • होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
  • होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
  • होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है।

होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in 750 words in Hindi)

रंगों का त्योहार: होली होली भारत का एक प्रमुख और रंगारंग त्योहार है जिसे हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंगों, मिठाइयों और खुशियों का प्रतीक है। होली का प्रारंभिक उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय और प्रेम एवं भाईचारे का संदेश देना है। यह त्योहार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह अब पूरे भारत और दुनिया भर में विभिन्न समुदायों द्वारा मनाया जाता है। होली का धार्मिक और पौराणिक महत्व: होली का पर्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस त्योहार का संबंध प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा से है। कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी राजा था जिसने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि से अजेयता का वरदान प्राप्त था, की मदद ली। होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जल गई। इस प्रकार, होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। होली के त्योहार की तैयारी: होली के त्योहार की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और विशेष पकवान जैसे गुजिया, पापड़ी, ठंडाई आदि बनाते हैं। होली के दिन से एक दिन पहले होलिका दहन होता है, जिसमें लकड़ियों का ढेर बनाकर होलिका की प्रतिमा का दहन किया जाता है। इस दहन के माध्यम से बुराई का नाश और अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली का दिन: होली के दिन सभी लोग सुबह से ही रंग खेलने की तैयारी में लग जाते हैं। लोग रंग, गुलाल और पानी के रंगों से एक-दूसरे को रंगते हैं। बच्चे पिचकारियों और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाते हैं और रंग-गुलाल से उनका स्वागत करते हैं। इस दिन सभी भेदभाव मिट जाते हैं और हर कोई एक दूसरे के गले लगकर बधाई देता है। होली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: होली का त्योहार सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस दिन सभी लोग अपने आपसी मतभेद भूलकर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। होली का पर्व न केवल भारत में बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है जो पूरी दुनिया में प्रचलित है। होली के गीत और नृत्य: होली के मौके पर लोग फागुन के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। होली के गीतों में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है। विशेषकर ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के लोग फागुन के महीने में रंगों से खेलते हैं और राधा-कृष्ण की होली की झांकी प्रस्तुत करते हैं। इसके अलावा, बॉलीवुड में भी होली पर आधारित कई प्रसिद्ध गीत हैं जो इस त्योहार की खुशी को और बढ़ा देते हैं। होली के रंगों का महत्व: होली के रंगों का विशेष महत्व होता है। यह रंग जीवन में खुशियां, समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक हैं। हर रंग का अपना एक विशेष अर्थ होता है। लाल रंग प्रेम और शक्ति का प्रतीक है, हरा रंग समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक है, पीला रंग ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है और नीला रंग शांति और विश्वास का प्रतीक है। होली के रंग न केवल हमारे जीवन को रंगीन बनाते हैं, बल्कि यह हमें जीवन की विभिन्न रंगीन पहलुओं को भी सिखाते हैं। निष्कर्ष: होली का त्योहार हमारे जीवन में रंगों, खुशियों और प्रेम की महत्ता को दर्शाता है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है और हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखने की प्रेरणा देता है। होली का पर्व सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो हमारे समाज को और भी मजबूत और खुशहाल बनाता है। इसलिए, हमें इस त्योहार को पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाना चाहिए और इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।

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होली वसंत ऋतु का संदेशवाहक माना जाता है। इसके आलावा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। होली भाईचारे और प्रेम का पर्व भी है। होली के दिन सभी लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं और मिठाई खिलाते हैं।

होली पर निबंध लिखने के लिए आप प्रस्तावना के साथ शुरू कर सकते हैं।  इसके बाद आप होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है, क्यों मनाया जाता है, कब मनाना जाता है, इसका महत्व और इतिहास के बारे में लिख सकते हैं। जैसे- होली एक प्रमुख हिंदू धार्मिक पर्व है जो भारतीय सभ्यता और संस्कृति में गहरी रूप से स्थापित है। यह फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। हर साल होली का आयोजन बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ किया जाता है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को गुलाल और अबीर लगाते हैं, पानी के रंग उड़ाते हैं और मिठाई खाते हैं।

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होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

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होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) - भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मास की पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के रूप में मनाई जाती है। उत्सव के इसी क्रम में वसंतोत्सव के रूप में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली का त्योहार बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का पर्व भारतीय संस्कृति में बुराई को जलाकर भस्म कर देने का उत्सव है। यह भारतीय जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा है। होली पर निबंध (Holi per nibandh) से इस पर्व से जुड़ी विभिन्न पौराणिक कथाओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी।

होली पर निबंध (holi par nibandh): होलिका दहन का मुहूर्त

होली निबंध (essay holi in hindi) - होली के त्योहार की तैयारी कैसे करें, होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली में रंगों का क्या महत्व है, होली पर निबंध (essay on holi in hindi) - उपसंहार (conclusion), होली पर निबंध (essay holi in hindi) - होली पर निबंध 10 लाइन (holi essay in hindi 10 lines), देश में होली के लिए प्रसिद्ध शहर (famous cities for holi in the country).

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) -  Holi Par Nibandh 200, 300, 500 शब्दों में

रंगों का त्योहार होली हमारे देश भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जैसै-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है, लोगों में खासकर बच्चों में इसको लेकर काफी उत्साह नजर आता है। सब अपने लिए होली खेलने की योजनाएं तैयार करने में जुट जाते हैं। होली पर हिंदी निबंध (Essay on holi in hindi) में होली के त्योहार से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर जानकारी दी गई है। उम्मीद है कि इस लेख में होली पर निबंध (holi par nibandh) उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा जो होली विषय पर निबंध तैयार करना चाहते हैं।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

रंगों का त्योहार होली संस्कृति के अनूठे उल्लास को समेटे हुए है। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। होली का त्योहार इसी विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम तथा भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा करते हैं और छोटे अपने बड़ों से शुभाशीष प्राप्त करते हैं। विविधतापूर्ण संस्कृति वाले भारत देश में हर धर्म-संप्रदाय के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें से आपसी प्रेम तथा सद्भावना की भावना को मजबूत करने वाला होली का पर्व विशेष महत्व रखता है। होली के लोकगीत एक माह पहले से ही सुनाई पड़ने लगते हैं।

होली पर निबंध (holi par nibandh) विषय पर केंद्रित होली पर लेख में हमने रंगों के त्योहार होली (Festival of colours) के सार को समेटने का प्रयास किया है। पाठक इस होली पर निबंध हिंदी (Essay on holi in hindi) में से जानकारी जुटाकर न केवल भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली के बारे में अपनी जानकारी को समृद्ध बनाएंगे, बल्कि स्कूलों में अध्ययनरत बच्चे अक्सर परीक्षा में पूछे जाने वाले निबंध के प्रश्न की तैयारी भी कर पाएंगे तथा होली पर हिंदी में निबंध (Essay on holi in hindi) सीख कर परीक्षा में भी उसका लाभ उठा सकेंगे।

होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली की शुभकामनाएं (Holi Greetings in Hindi)

होली के अवसर पर लोग एक-दूसरे को होली शुभकामना संदेश भेजते हैं। नीचे कुछ होली के शुभकामना संदेश दिए गए हैं-

  • हर कदम पर खुशियां मिलें, दुख से कभी न हो सामना; जीवन में सारी खुशियां मिलें, होली की है यही शुभकामना!
  • खुशियों से भरी रहे सदा आपकी झोली, रंग-बिरंगी और मंगल हो आपकी होली।
  • जीवन में हो हर्ष के सभी रंगों की भरमार, सबसे हैप्पी होलो हो तुम्हारी मेरे यार।
  • होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
  • होली का त्योहार आपके जीवन को रंगों से सरोबार करे।
  • रंगों का त्योहार होली आपके जीवन को और भी रंगीन बनाए!
  • रंगों का त्योहार आपके जीवन को रंगीन बनाए!

हिंदी पत्र लेखन पीडीएफ़ डाउनलोड करें।

छात्र इस लेख के माध्यम से होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) भी जान सकते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है तथा उस दिन होली मनाई जाती है। वर्ष 2025 में होलिका दहन रात साढ़े 10 बजे के बाद किया जाएगा। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का अपना महत्व है। कहा जाता है कि होलिका दहन से आस-पास नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। विज्ञान की दृष्टि से देखें तो होली पहले ही मौसम अनुकूल हो जाने के चलते बीमारियां फैलाने के लिए जिम्मेदार घातक सूक्ष्मजीवों की बाढ़ आ जाती है, होलिका की आग से कफी हद तक इनका विनाश भी हो जाता है।

होली 2025 कब है? (holi kab hai)

फागुन की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भद्रा रहित मुहूर्त में होलिका दहन होता है। वर्ष 2025 में होलिका दहन रात साढ़े 10 बजे के बाद किया जाएगा।

होली 2025 में कब पड़ेगी?

वर्ष 2025 में होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। वहीं होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।

होलिका दहन का मुहूर्त और भद्रा का समय

होलिका दहन मुहूर्त : 13 मार्च को रात 11:30:14 बजे से रात 12:24:09 बजे तक।

अवधि : 53 मिनट

भद्रा पुंछा 07:13:07 से 08:30:15 तक

भद्रा मुखा 08:30:15 से 10:38:48 तक

महत्वपूर्ण लेख:

  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • महात्मा गांधी पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध

होली की प्रचलित कहानियां (Famous stories related to Holi in hindi)

होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा हुआ है। पौराणिक समय में श्री कृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई। आज भी बरसाने और नंदगाव की लट्ठमार होली विश्व विख्यात है। यह त्योहार जीवन के उत्साह, उल्लास तथा उमंग को दर्शाता है। होली के पर्व को सतयुग में विष्णु भक्ति के प्रतिफल के रूप में भी मनाया जाता है।

होली की एक कहानी भगवान शिव से भी जुड़ी है। इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या भंग करने का आदेश दिया। कामदेव ने उसी समय वसंत को याद किया और अपनी माया से वसंत का प्रभाव फैलाया, इससे सारे जगत के प्राणी काममोहित हो गए। कामदेव का शिव को मोहित करने का यह प्रयास होली तक चला। होली के दिन भगवान शिव की तपस्या भंग हुई। उन्होंने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया तथा यह संदेश दिया कि होली पर काम (मोह, इच्छा, लालच, धन, मद) इनको अपने पर हावी न होने दें। तब से ही होली पर वसंत उत्सव एवं होली जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई। इस घटना के बाद शिवजी ने माता पार्वती से विवाह की सम्मति दी। जिससे सभी देवी-देवताओं, शिवगणों, मनुष्यों में हर्षोल्लास फैल गया। उन्होंने एक-दूसरे पर रंग गुलाल उड़ाकर जोरदार उत्सव मनाया, जो आज होली के रूप में घर-घर मनाया जाता है।

होली पर हिंदी निबंध (Holi Essay in Hindi) - प्रस्तावना

विद्यार्थियों को परीक्षा में होली पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Holi in 200 words in hindi) या होली पर लेख (holi par lekh) या होली पर निबंध 300 शब्दों में (Holi Essay in Hindi 300 words) या हिंदी में होली पर निबंध (holi per nibandh in hindi) लिखने को कहा जाता है। होली पर निबंध ( holi par nibandh) की शुरुआत इस त्योहार के बारे में बताकर कर सकते हैं। होली, जिसे "रंगो का त्योहार" के नाम से भी दुनिया भर में जाना जाता है, हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। फाल्गुन (फागुन) मास की पूर्णमासी के दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन चैत्र (चैत) मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगोत्सव यानी होली का त्योहार मनाया जाता है।

आपमें से कई यह सोच रहे होंगे कि साल 2024 में होली कब मनाई जाएगी? साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों के द्वारा बेहद ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि यह हिंदुओं का त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी साथ मिलकर, उत्साह और उमंग के साथ बड़ों को भी बच्चा बना देने वाले इस त्योहार में मनोरंजक कार्य करते नजर आ जाते हैं।

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होली के त्योहार के लिए लोग अपने-अपने ढंग से तैयारी में जुट जाते हैं। फागुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम खुशनुमा होने लगता है। इस त्योहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है, फाग लोकगीतों के बिना कुछ अधूरा सा लगता है। पहले तो लोगों को फाग सुनकर ही ही पता लगता था कि होली आने वाली है। ढोलक, मंजीरे और हारमोनियम के साथ लोग अपने रसीले फाग गायन कौशल से दिल जीत लेते हैं। फाग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन इस अवसर पर किया जाता है। होली से पहले पहले और होली के दिन दोपहर तक फगुआ गाया जाता है। इसमें होली से जुड़े लोकभाषा के गीत होते हैं। होली के दिन रात में चैता गाने की भी परंपरा है।

होली के त्योहार को लेकर विशेषकर बच्चों में काफी उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए काफी पहले से लकड़ियाँ जमा करने लगते हैं। गाँवों में तो हालांकि लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर आदि की तलाश करते हैं और अमूमन वे दूसरों से माँगकर होलिका की व्यवस्था करते हैं। होलिका तैयार करने में सभी लकड़ियों का योगदान करते हैं। आजकल शहरों में आमतौर पर किसी चौक-चौराहे पर दो-चार दिन पहले से ही लोग पेड़ की सूखी टहनियां, लकड़ी, बांस आदि जमा करने लगते हैं। पहाड़ जैसे इस ढेर में मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन करते हैं। लोगों के घरों में पकवान बनता है। होली के पर्व के लिए घर पर मिलने आने वाले लोगों के लिए महिलाएं मिठाइयां, नमकीन और गुझिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल का स्टॉक तैयार किया जाता है।

फाल्गुन मास की पूर्णमासी को होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है, जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएं होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।इस दिन तो ऐसा लगता है कि लोगों को एक-दूसरे को रंगने और पानी से भिगाने का लाइसेंस मिला होता है। साथ ही "बुरा न मानो, होली है" का जुमला यह बताता है कि आज के दिन लोगों को रंग-गुलाल लगाने की छूट है और इससे किसी को भी नाराज नहीं होना चाहिए।

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होली रंगों का त्योहार है। होली की पहचान, रौनक और आत्मा इन्हीं रंगों में बसी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं। बड़े शहरों की बड़ी सोसायटियों में होली के अवसर पर खास आयोजन होने लगे हैं। इस सामूहिक आयोजन में लोग रेन डांस में रंगों से सरोबार होकर नाचते-झूमते हैं। शहरों के बाहर बने वाटर पार्क में भी होली को लेकर कई तरह के आयोजन होने लगे हैं।

होली अब विश्व प्रसिद्ध

राग-रंग के इस लोकप्रिय त्योहार होली को वसंत का संदेशवाहक भी कहा जाता है। होली अब भारत के साथ विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का यह त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन होली मनाते हैंं। इसे धुलेंडी व धुरड्डी व कई अन्य नाम से भी मनाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। होली के दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और एकता का संदेश देते हैं। कई प्रदेशों में रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिला कर खुशियां बांटते हैं।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ लोग बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। कुछ असामाजिक तत्व इस दौरान मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ समाज के शरारती तत्व होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा।

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होली पर निबंध (Essay on Holi Hindi) - होली क्यों मनाते हैं - होली का इतिहास

होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। विष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा प्रतिबंधित कर रखी थी। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त निकला और वह दिन-रात भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता। दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं था। ऐसे में जब किसी भी तरह से प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोक पाने में उसे सफलता हाथ नहीं लगी, तो उसने प्रह्लाद को जान से मारने का आदेश दिया। हाथी के पैरों तले कुचलने और पहाड़ से फेंककर भी जब प्रहलाद को नहीं मार सका, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की होलिका की मदद से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि में वह नहीं जलेगी। इसलिए लकड़ियों के ढेर पर वह प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई। इस होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट इच्छाओं के चलते जलकर भस्म हो गई। मान्यता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में तभी से ही होली का त्योहार मनाया जा रहा है।

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होली का त्योहार आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

होली अंदर के अहंकार और बुराई को मिटा कर सभी के साथ घुल-मिलकर, भाई-चारे, प्रेम और सौहार्द्र के साथ रहने का त्योहार है। छोटे-छोटे बच्चे अपनी इच्छानुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि होली मिल-जुलकर, प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्योहार है। इसलिए रंगों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए और पानी या रंग भरे बैलून चलाने से बचना चाहिए। होली का त्योहार हमें हमेशा सन्मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। होली का त्योहार सामाजिक सद्भावना का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में सामाजिक एकता की भावना मजबूत होती है।

ये भी देखें :

1) होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।

2) होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है।

3) यह त्यौहार विष्णु भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है।

4) इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

5) बच्चे इस त्योहार पर रंग, गुलाल, पिचकारी और पानी वाले गुब्बारों को लेकर बहुत उत्साहित होते हैं।

6) होलिका रूपी बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए सभी भगवान की पूजा करते हैं।

8) इस अवसर पर अपने परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर इसे मनाया जाता है।

9) होली के अवसर पर भारत में शासकीय अवकाश रहता है। लोग इस त्योहार का बड़े उत्साह के साथ आनंद लेते हैं।

10) होली (holi essay in hindi) हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है।

उम्मीद करते हैं कि होली पर निबंध हिन्दी में (holi par nibandh hindi mein) देने की हमारी कोशिश सफल रही होगी और छात्रों को holi ka nibandh hindi mein पढ़कर वांछित जानकारी मिल गई होगी। रंगों के त्योहार होली का निबंध हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) पढ़ने के बाद इस त्योहार की समग्र समझ विकसित करने में यह लेख मददगार होगा; अब आपकी होली पहले से अधिक रंगीन और सुखद होगी, ऐसी हम कामना करते हैं। हैप्पी होली!

हमें उम्मीद है कि आपको होली पर निबंध (holi par nibandh) लिखने में इस लेख से मदद मिलेगी। परीक्षा में हिंदी में होली निबंध (holi essay in hindi) या holi par nibandh in hindi भी पूछा जाता है। इस लेख की सहायता से आप होली पर निबंध ( holi per nibandh) लिख सकते हैं।

देश में कुछ शहरों में होली के आयोजन बहुत प्रसिद्ध हैं और उसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यूपी के बरसाना और नंदगांव में हर साल लट्‌ठमार होली का आयोजन होता है। इस दौरान देश-दुनिया के पर्यटक इस त्योहार को देखने और उसमें हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस त्योहार का आयोजन लगभग एक सप्ताह चलता है और रंगपंचमी के दिन संपन्न होता है। बरसाना की लट्‌ठमार होली सामान्यत: फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन नंद गांव के ग्वाल बाल बरसाना में होली खेलने आते हैं और अगले दिन फाल्गुन पक्ष शुक्ल दशमी को बरसाना के ग्वाल बाल नंदगांव में होली खेलने पहुंचते हैं।

इसी तरह मध्यप्रदेश के इंदौर में भी होली या धुलेंडी के पांच दिन बाद रंगपंचमी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। रंगपंचमी होलकर शासनकाल के दौरान मनाया जाता था और यह परंपरा अब तक बरकरार है। इस दौरान इंदौर में छुट्‌टी घोषित रहती है और शहर के अलग-अलग दिशाओं से लोग रंगों में सरोबार होकर गेर यात्रा के साथ इंदौर के हृदयस्थल राजबाड़ा पहुंचते हैं। इस दौरान साथ चल रहे टैंकर के पानी में रंग घुला रहता है और उससे लोगों पर बौछार की जाती है। इस फाग यात्रा को गेर कहा जाता है। रंगारंग गेर चारों दिशाओं से आकर राजबाड़ा में इकट्‌ठा होती है और लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। स्थानीय नगर निगम और जिला प्रशासन पूरा मुस्तैद रहता है।

महत्वपूर्ण प्रश्न :

होली का त्योहार (holi ka tyohar) वर्ष 2025 में कब है?

अक्सर लोग यह पूछते हैं कि कब है होली? (Kab Hai Holi 2025)। तो इसका जवाब है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट से आरंभ होगी और 14 मार्च की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक समापन होगा। 13 मार्च को होलिका दहन होगा। वर्ष 2025 में होली का त्योहार (holi ka tyohar) 14 मार्च को मनाया जाएगा।

क्या होली के दिन चंद्रग्रहण लगेगा?

नहीं, साल 2025 में होली के दिन चंद्र ग्रहण नहीं लगेगा।

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) कब है?

होलिका दहन का मुहूर्त (Holika Dahan Muhurt) जानें- फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और उसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस वर्ष 2025 में 13 मार्च को होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात 11 बजकर 30 मिनट से लेकर 12 बजकर 24 मिनट तक है।

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Frequently Asked Questions (FAQs)

यह त्यौहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को असुरों द्वारा आग में जलाने के प्रयास के विफल होने की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर सांकेतिक रूप से होलिका रूपी बुराई को जलाया जाता है और अगले दिन बुराई के अंत और भक्त प्रह्लाद के प्रचंड ज्वाला में जीवित बच जाने का उत्सव एक-दूसरे पर रंग और गुलाल डालकर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

साल 2024 में होली 25 मार्च को मनाई जाएगी।

होली आकर्षक और मनोहर रंगों का त्योहार है, यह हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं और एक-दूसरे को होली के पावन पर्व की शुभकामनाएँ देते हैं।

बच्चों के लिए यह रंग, गुलाल, पिचकारी, पानी वाले गुब्बारों और ढेर सारी मस्ती का पर्याय है। वे सुबह से शुरू हो जाते हैं और दिन-भर लोगों को रंगने और भिगोने में व्यस्त रहते हैं। युवा अपनी टोलियों के साथ रंग की मस्ती में सरोबार रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों का त्योहार बच्चों और युवाओं के लिए होली के सामान दिलाने और बाद में उनका शिकार बनने से बचने में बीतता है। अपने हमउम्र लोगों के साथ वे भी मस्ती करते हैं। महिलाएं रसोईघर की भारी-भरकम जिम्मेदारियों के बीच भी समय निकालकर जोश-खरोश के साथ होली मनाती हैं, मनाएं भी क्यों न, रंगों से उनको सबसे अधिक प्यार जो होता है।

होली की पहचान, रौनक और आत्मा रंगों में छिपी है। रंगों से सराबोर चेहरे, कपड़े सभी के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान ले आते हैं। बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत इस त्योहार के रंगों में है। कई तरह की आभा वाले रंग होली के त्योहार की जान हैं।

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। कुछ जगह इसे धुलेड़ी या धुलेंडी, धुरखेल, धुरड्डी, धूलिवंदन और चैत बदी भी कहा जाता है।

होली आपसी प्रेम और भाई-चारे का संदेश देने वाला मस्ती भरा त्योहार है। रंग में भंग न हो इसके लिए होली पर कुछ सावधानियां रखनी जरूरी होती हैं-

  • होलिका में किसी भी ऐसी वस्तु को जलाने से बचें जिससे वायु प्रदूषण हो। प्लास्टिक और रबर की चीजों का पुनर्चक्रीकरण किया जा सकता है, इनको जलाकर प्रदूषण न फैलाएं।
  • रंग तथा गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है।
  • आंख, नाक जैसे संवेदनशील अंगों पर रंग-गुलाल लगाने से बचें।
  • पानी के गुब्बारों से किसी को न मारें, विशेषकर ऊंचे भवनों से नीचे जा रहे लोगों पर गुब्बारे न फेंके।
  • जबरदस्ती किसी के साथ होली न खेलें। 
  • मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें। होली हैप्पी बनी रहे इसे ध्यान में रखकर काम करें।

साल 2023 में होली 8 मार्च को मनाई गई।

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

होली

अपडेट किया गया: 20 फरवरी 2023

होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो विश्वभर मेंबड़े धूमधाम सेमनायाजाता है। यहमुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।नेपाल की तराई होलीविश्वप्रसिद्ध है। मंजीरा, ढोलकवमृदंग की ध्वनि से गूंजताऔर रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मार्च का महीना जैसे होली कीउत्साह कोऔरभी बढ़ा देता है। इस त्यौहार में सभी की ऊर्जा देखतेही बनती है। होली के अवसर पर बच्चोंमें अलग ही उमंग देखने को मिलता है,वे रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते हैं और जोर-जोर से “होली है..” कहते हुए पूरे मोहल्ले में भागते फिरते हैं।

होली पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

अक्सर, बच्चों को विद्यालयमें होलीपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहाँ हमने आपकी आसानी के लिए होली पर कई निबंध दिए है, उम्मीद करते है की ये सभी निबंध आपको पसंद आयेंगे-

होली पर निबंध – 1 (100 -150 शब्द )

होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है।यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है।होली का त्यौहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 2: (250 – 300 शब्द)

होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है। इस पर्व की ख़ास तैयारी में लोगों के अंदर बहुत अधिक उत्साह को देखा जा सकता है।

होली की तैयारी

होली की विशेष तैयारी में एक दिन से ज्यादा का समय लगता है। इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुनआदि प्रमुख हैं। लोग महीनो पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्यौहार पर अपने बच्चों के लिए कपड़े अवश्य खरीदता है।

होली कैसे मनाई जाती है

होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं,हम, लोगों का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। झूमने का एक अन्य कारण भांग और ठंडाई भी है यह होली पर विशेषतौर पर पीया जाता है। घर की महिलाएं सारे पकवान बना कर जहां दोपहर से होली खेलना प्रारंभ करती है वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ मैदान में आ जाते हैं।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन

होली के एक दिन पहले गांवों  व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का बोध कराती है।

होली आनंद से भरा रंगों का त्यौहार है, यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्योहारों की ख़ास बात यह है, की इसकी मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्योहारों में विशेष स्थान रखता है।

यूट्यूब पर देखें: Holi par nibandh

होली पर निबंध– 3  (300 शब्द)

होली रंगो का त्यौहार है, जो भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है।यह त्यौहार शरद ऋतू के अंत और वसंत ऋतू के आरम्भ का प्रतिक भीमाना जाता है।होली का त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्तम और भावपूर्ण उदाहरण हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है।

होली का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है ?

होली के इस पावन त्यौहार को मनाने के पीछे कई कथाये प्रचलित है, परन्तु सबसे मान्य कथा भक्त प्रह्लाद की है। प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप था, जो की क्रूर और आततायी था।  उसने स्वयं को ही भगवान मान लिया था और चाहता था की उसकी प्रजा भगवन की जगह उसकी पूजा करे , परन्तु उसका पुत्र प्रह्लाद जो की विष्णु का अनन्य भक्त था उसने अपने पिता को पूजने से इंकार कर दिया। इससे क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे तरह तरह की नीति अपनाकर वश में करने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रह्लाद अडिग रहा ।

  अतः उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लेकर एक षड़यंत्र रचा, परन्तु आग की होली में होलिका के प्रह्लाद को गोंद में लेकर बैठने पर भगवन के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया । तब से ही होली का पर्व मनाया जाता है, होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है। फिर दूसरे दिन रंग और गुलाल से बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी मनाई जाती है।

होली का हमारे जीवन में महत्व

होली के त्यौहार का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। होली का त्यौहार हमें हर वर्ष एक प्रतिक के रूप में यह सन्देश देता है की हमें सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। फिर चाहे हमारे पथ में हिरण्यकश्यप या होलिका जैसी विपत्तियां क्यों न आये ,जीत सदा सत्य की ही होती है। यह कथा और त्यौहार हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है।

अतः हमें यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाना चाहिए और अपने से छोटो को इस त्यौहार के महत्व को बताना चाहिए, जिससे की होली के त्यौहार की तरह उनके जीवन में भी खुशियों के विभिन्न रंग और गुलाल भर जाये।

यूट्यूब पर देखें : Holi par nibandh

होली पर निबंध 4: 400 शब्द

प्राचीन समय में होली के अवसर पर जहां मंदिरों में कृष्ण और राम के भजन गूंजते थे, वहीं नगरों में लोगों द्वारा ढोलकव मंजिरों के ताल पर लोकगीत गाए जाते थे। पर बदलते समय के साथ इस त्योहार का स्वरूप भी बदलता नज़र आ रहा है।

कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानोंमें होली

होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है मगर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होली की संध्या में मित्रों से मेल-मिलाप

दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं।

होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण

होली पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है।

बाजारों की रौनक में, होली की परंपरागत रीति कहीं खो न जाए

होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पर समय बितने के साथ ज्यादातर लोग अब स्वयं से कोई पकवान नहीं बनाते वे हर प्रकार की मिठाइयां बाजार से ही खरीद लेते हैं। इससे त्योहार की धूम का बाजारीकरण में खो जाने का भय है।

समय के साथ होली का बदलता स्वरूप

परंपरागत विधि से आज इस त्यौहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले लोग होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को नहीं भूलते थे। लेकिन आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहें हैं। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना आदि।

होली पर हुड़दंग

होली पर वह भी रंगों से भीग जाते हैं जो अपने घरों से नहीं निकलना चाहते और जैसे की भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”। कुछ लोग त्यौहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं। यह सरासर गलत व्यवहार है।

होली पर सभी मस्ती में डूबे नज़र आते हैं। जहां सामान्य व्यक्ति अनेकों प्रकार के स्वादिष्ट भोजन तथा ठंडाई का सेवन करते हैं। वहीं मनचलों को नशे में धुत्त होकर अपनी मनमानी करने का एक अवसर प्राप्त हो जाता है। होली रंगों का त्योहार है इसे प्रेम पूर्वक खेलना चाहिए।

Holi Essay

होली पर निबंध 5: 500 शब्द

अपना घर चलाने के लिए जो पेशेवर घरों से दूर रहते हैं, वह भी होली के समय पर अपने परिवार के पास लौट आते हैं। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, अतः इस दृष्टी से यह हमारे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।

होली का इतिहास व मनाए जाने का कारण

पुराणों के अनुसार, विष्णु भक्त प्रह्लाद से क्रोधित होकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने, पुत्र प्रह्लाद को ब्रह्मा द्वारा वरदान में प्राप्त वस्त्र धारण किए बहन होलिका के गोद में आग से जला देने की मंशा से बैठा दिया। किन्तु प्रभु की महिमा से वह वस्त्र प्रह्लाद को ढ़क लेता है और होलिका जल कर भस्म हो जाती है। इस खुशी में नगरवासियों द्वारा दूसरे दिन होली मनाया गया। तब से होलिका दहन और होली मनाया जाने लगा।

होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली

“सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।

मथुरा और वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली

महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।

पंजाब का “ होला मोहल्ला”

पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों की शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथाघुड़सवारी,तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

बंगाल की “ डोल पूर्णिमा” होली

बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली

होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।

उम्मीद करते हैं कि ये सभी होली के निबंध आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमे से कोई भी निबंध इस्तेमाल कर सकते हैं। धन्यवाद!

Frequently asked questions (FAQS) होली से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर- प्रह्लाद की बुआ होलिका के नाम पर इस त्यौहार का नाम होली पड़ा।

उत्तर- लठमार होली श्री कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतिक होने के कारण विशेष है।

उत्तर- प्रह्लाद विष्णु भगवान ( नरसिंह अवतार ) का उपासक था।

उत्तर- होली त्यौहार के प्रमुख व्यंजन गुजिया , गुलाब जामुन , ठंडाई आदि हैं।

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short essay on holi in hindi

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। मार्च में पूर्णिमा के दिन भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन “ होलिका दहन ” (Holika Dahan) मनाते हैं और चारों ओर इकट्ठा होते हैं और लकड़ी और गाय के गोबर के ढेर जलाते हैं, और होली से संबंधित भजन गाते हैं।

फिर अगले दिन, सभी उम्र के लोग “गुलाल” नामक रंगों और “दुलाहांडी” नामक रंगीन पानी के साथ खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और “गुजिया” नामक दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाई खाते हैं और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेली जानी चाहिए। उपयोग किए गए गुलाल को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और जहां भी यह संपर्क में आता है। लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाया जाता है। होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शिक्षण संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।

होली पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Holi 10 lines in Hindi)

  • होली भारत में मुख्य रूप से हर साल हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।
  • मार्च वह महीना है जब देश में ज्यादातर होली मनाई जाती है, कभी-कभी यह त्योहार दो दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है,
  • भारत के विभिन्न राज्य अलग-अलग तरीकों से होली मनाते हैं और प्रत्येक उत्सव अद्वितीय और सुंदर होता है।
  • होली से एक दिन पहले, एक अनुष्ठान किया जाता है जिसे ‘होलिका दानन’ कहा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे हर कोई खेलता है।
  • लोग एक विशाल अलाव बनाते हैं और विभिन्न समारोह करते हैं, और इस तरह ‘होलिका दानन’ दिखाया जाता है।
  • होली एक खुशी और खुशी का त्योहार है जो सभी को खुश करता है।
  • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होली के उत्सव की शुरुआत राधा और कृष्ण ने की थी।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार से मिलते हैं और दोस्त एक दूसरे को उत्सव के रूप में रंग लगाते हैं।
  • उत्तर भारत में होली मनाने के तरीके के रूप में गीत गाने की परंपरा है।
  • होली के लिए कई अनोखी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, और सबसे आम में से एक है ‘गुजिया’।

होली पर निबंध 100 शब्दों में (short Essay on Holi in 100 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह रंगों, खुशी और दोस्ती का त्योहार है। यह मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं। होली को और रंगीन बनाने के लिए लोग वाटर गन, पिचकारी और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं।

लोग अपनी दुश्मनी भूलकर रंगों का त्योहार मनाते हैं। लोग सफेद कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन मिठाई और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। लोग अपनों को उपहार बांटते हैं। होली एकता, सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है।

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होली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on Holi in 150 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) -होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है। होली का त्योहार वसंत ऋतु में दो दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत त्योहार से एक रात पहले होलिका दहन से होती है और अगले दिन को होली कहा जाता है।

होली के मौके पर लोगों में काफी खुशी है। वे अपनी चिंताओं और चिंताओं को भूल जाते हैं। वे स्वादिष्ट खाना बनाते हैं। उन्होंने नए कपड़े पहने। वे एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे दूसरों के चेहरों पर रंगीन पाउडर बिखेरते हैं। वे गाते हैं, नाचते हैं और उछल-कूद करते हैं। वे ढोल बजाते हैं और होली के गीत गाते हैं। वे लगभग खुशी से पागल हैं। वे भूल जाते हैं कि वे क्या हैं। शाम को वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिलने जाते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। वे दूसरों के चेहरे पर अबीर का धब्बा लगाते हैं।

होली एक खुशी का अवसर है जब हम सभी के साथ खुलकर घुलमिल जाते हैं। हम अमीर और गरीब के बीच के सामाजिक भेद को भूल जाते हैं। त्योहार का यह रंग लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।

होली निबंध 200 शब्दों में (Holi Essay in 200 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। होली का त्योहार उनमें से एक है। होली रंगों का त्योहार है। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह वसंत की शुरुआत में आयोजित किया जाता है। प्रकृति अपनी गहरी नींद से जागती हुई प्रतीत होती है। पेड़ नए पत्ते लाते हैं। फूल खिलने लगते हैं।

इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।

लेकिन कुछ लोग होली को बहुत ही अश्लील तरीके से मनाते हैं। वे शराब पीते हैं और हंगामा करते हैं। वे झगड़ा करते हैं और दूसरों का अपमान करते हैं। वे दूसरों पर कीचड़ और गंदगी फेंकते हैं। ऐसी बुराइयों को रोकना चाहिए। लोगों के लिए समस्याएँ पैदा करने के बजाय खुशी और उल्लास लाने के लिए त्योहार मनाए जाने चाहिए।

होली निबंध 250 शब्दों में (Holi Essay in 250 words in Hindi)

Essay on Holi – कई संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के देश के रूप में, भारत पूरे वर्ष अपने कैलेंडर में अनगिनत त्योहार मनाता है। सबसे व्यापक रूप से ज्ञात त्योहारों में, हम होली को सरल शब्दों में रंगों का उत्सव पाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम थोड़ा गहरा गोता लगाते हैं, होली अपने साथ कई अर्थ और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व लेकर आती है।

होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।

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होली निबंध 300 शब्दों में (long Essay on Holi in 300 words in Hindi)

Essay on Holi – होली का त्योहार हर साल मार्च (फागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे एकता, प्रेम, खुशी, खुशी और जीत के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। हम एक दूसरे के साथ प्यार और खुशी का इजहार करने के लिए इस त्योहार को चमकीले और आकर्षक रंगों में खेलते हैं। इसका अपना महत्व है साथ ही इसे मनाने के कई कारण, कहानियां और मान्यताएं भी हैं।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे। इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।

इस त्योहार के मौके पर सभी अपने अपनों से मिलते हैं, रंग और अबीर से होली खेलते हैं, साथ ही कई ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जो एक दूसरे के लिए खुशी दर्शाती हैं। ऐसे में लोग रंगों के इस त्योहार में अपनों के साथ जश्न मनाते हैं.

होली निबंध से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हिंदी में (FAQs)

होली किस महीने में मनाई जाती है.

जिस महीने मार्च में होली मनाई जाती है वह देश में गर्मी का चरम होता है।

होली का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?

होली का त्योहार ज्यादातर पांच दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर इसे पांच दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है।

क्या होली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?

होली भारत में मनाई जाती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, सभी धर्मों के लोगों ने भी अपने देश में इस त्योहार के आयोजन में हिस्सा लिया है।

प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सिफारिश क्यों की जाती है?

देश ने कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न तीव्रता के त्वचा रोगों में वृद्धि देखी है।

होली मनाने के लिए भारत में सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?

भारत का हर हिस्सा अपने तरीके से मनाता है लेकिन मथुरा, दिल्ली, जयपुर और आगरा में होली का भव्य उत्सव मनाया जा सकता है।

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Holi 2024 : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

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  • Updated on  
  • मार्च 21, 2024

Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : भारत में सभी त्योहारों की अलग प्रसिद्धि है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग रूप में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। इनमें रंगों का त्योहार होली भी शामिल है। होली का त्योहार विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। होली के बारे में या होली पर निबंध अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है और इसलिए यहां हम 100, 250, 500 शब्दों में होली पर निबंध लिखना सीखेंगे।

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रंगों का त्यौहार  होली , खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है।

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्यौहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम, रंगों और ठंडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं। 

  • होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
  • हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
  • हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
  • होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
  • होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
  • होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
  • पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
  • होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
  • इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
  • भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।

Holi Essay in Hindi

150 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली बुराई पर अच्छाई की जीत को उत्साह से मनाने का त्योहार है लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माइने बदल गए है। जहां अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।

200 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।

होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी , जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली: रंगों का त्योहार

होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का  मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है। 

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रहा। पिता की क्रोध की सीमा न रही हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका।  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने अपने गांव,मोहल्ले में उपलो,लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं । फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।

होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

इसी प्रकार होली एक ऐसा पवित्र त्यौहार है। जिसमें छोटे-बड़े ,अमीर-गरीब आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। 

Holi Essay in Hindi

होली पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में होली पर निबंध इस प्रकार हैः

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

राग-रंग का पर्व होली हिंदुओं का लोकप्रिय पर्व है। होली आनंद उत्साह का, मौज, मस्ती और रंगों से सराबोर महोत्सव है। वास्तव में होलिका दहन और होलिकोत्सव, नास्तिकता पर आस्तिकता का, बुराई पर भलाई का, पाप पर पुण्य का तथा दानवता पर देवत्व की विजय का मांगलिक पर्व है ।

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व बसंत के आगमन का संदेशवाहक है। यह त्यौहार पूर्णिमा से पूर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों के साथ रास रचाया तब से होली का प्रचलन हुआ, परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक अत्यंत बलशाली राजा था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। वो चाहता था कि उसकी प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करे, परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था । हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का वध करने के अनेक उपाय किए, परंतु वह सफल ना हो सका। फिर उसने प्रहलाद को आग में जलाकर मार डालना चाहा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं  जल सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर में बैठ गई। उस ढेर में आग लगा दी गई परंतु भगवान की लीला तो अद्भुत है ।जिस होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, वह तो जल गई और प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ।

फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन स्त्रियां व्रत रखती है और होली पूजने जाती है। किसी चौक में अथवा खुले स्थान पर लकड़ियों के ढेर या उपलो से होली बनाई जाती है। रात्रि के समय निश्चित समय पर होलिका जलाई जाती है और होली की आग में गेहूं तथा चने की बालियां डाली जाने की परंपरा है।  इसे होलिका दहन कहते हैं।

होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच  की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।

वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। सूरदास, नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहर वर्णन अनेक पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारियों  से  रंग बिरंगे  फव्वारे छूटते है  तथा गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं। देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।

 बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल होली का रूप बिगड़ गया है। लोग रासायनिक रंगों का प्रयोग करने लगे हैं, बच्चे गुब्बारे मारते हैं। कुछ लोग कीचड़ आदि भी डालते हैं। अनेक व्यक्ति शराब,गांजा,भांग,चरस आदि का सेवन करते हैं, गंदे गाने गाते हैं तथा गाली-गलौज करते हैं। हमें शीघ्र-अतिशीघ्र इस त्यौहार से इन बुराइयों को दूर करना चाहिए तभी हम होली जैसे पवित्र त्यौहार कि पवित्रता को संजो के रख सकते है।

 होली प्रेम व भाईचारे का त्यौहार है, रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है। होली का गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। होली मनुष्यों को आपस में जोड़ने का त्यौहार है कवि मैथिलीशरण गुप्त होली का सजीव चित्रण इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं:

काली- काली कोयल बोली, होली, होली, होली । फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली, पीली, चोली। । 

होली का त्योहार भारत ही बल्कि कई देशों में काफी महत्व रखता है। भारत में मथुरा की होली को विश्व प्रसिद्ध होली माना जाता है। होली के त्योहार पर हम सब एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देकर बुराई पर अच्छाई की विजयी याद करते हैं।

Holi Essay in Hindi for Class 2 इस प्रकार हैः

होली भारत और नेपाल में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है । रंगों का त्योहार, जो मार्च में होता है, रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली तीन दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें होली पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) सबसे पहले होती है। पुनो का दूसरा दिन, या छोटी होली। पर्व, या होली दिवस, त्योहार का तीसरा दिन है। लोग इस दिन सफेद कपड़े पहनते थे और जमीन पर इकट्ठा होते थे। इस त्योहार के लिए वे प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं और पेंटिंग गन से खेलते हैं। वे मीठी लस्सी पीते हैं और तरह-तरह के खोया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं।

Essay on Holi in Hindi Class 4 यहां बताया जा रहा हैः

भारत, कई अलग-अलग भाषाओं, जातियों, परंपराओं, विचारधाराओं, संस्कृतियों, विश्वासों, धर्मों आदि के साथ एक राष्ट्र के रूप में साल भर त्योहारों की अधिकता रखता है। यह वास्तव में भूमि और विविधता की एक इकाई है। होली भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो न केवल यहां बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और वास्तव में भारत की संस्कृति और मान्यताओं से प्रेरित और प्रभावित है। मूल रूप से यह रंगों, उल्लास और खुशियों का त्योहार है। इतना ही नहीं, त्योहार हमारे चारों ओर बसंत के मौसम की शुरुआत की टिप्पणी करता है और इसीलिए लोग रंगों या गुलाल से होली खेलते हैं, चंदन लगाते हैं, पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं जो केवल होली के अवसर पर बनाए जाते हैं और निश्चित रूप से, भूलने के लिए नहीं ठंडाई का प्रसिद्ध पेय। लेकिन जैसा कि हम इस होली निबंध में गहराई से उतरते हैं, ऐसा लगता है कि इसमें असंख्य अर्थ और ऐतिहासिक हैं।

भारत के हर राज्य में होली खेलने या मनाने का अपना अलग तरीका है। साथ ही रंगों और खुशियों के इस त्योहार को मनाने के पीछे हर किसी या हर समुदाय के लिए मायने बदल जाते हैं. आइए अब इस होली निबंध में होली मनाने के कुछ कारणों के बारे में जानें। कुछ लोगों और समुदायों के लिए, होली और कुछ नहीं बल्कि राधा और कृष्ण द्वारा मनाया जाने वाला प्रेम और रंगों का एक शुद्ध त्योहार है – एक ऐसा प्रेम जिसका कोई नाम, आकार या रूप नहीं है। अन्य इसे एक कहानी के रूप में देखते हैं कि कैसे हम में अच्छाई अभी भी बुराई पर विजय प्राप्त करती है। दूसरों के लिए, होली फुरसत, खिलवाड़, क्षमा और करुणा का भी समय है। होली के अनुष्ठान तीन दिनों तक चलते हैं, पहले दिन अलाव द्वारा प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होता है और दूसरे और तीसरे दिन रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य, भोजन और आशीर्वाद के त्योहार के साथ समाप्त होता है। 

Essay on Holi in Hindi Class 5

Essay on Holi in Hindi Class 5 यहां दिया जा रहा हैः

होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे। होलिका लपटों और आग के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। होलिका तब राख में बदल गई जब वह प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में आगे बढ़ी, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया क्योंकि होलिका का श्राप तभी काम करता जब वह अकेले यानी अकेले आग में शामिल होती। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोगों ने होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव जलाया।

दिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ खान-पान और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है। त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक-दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ की शुभकामनाएं देते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है क्योंकि हर कोई अलग-अलग रंगों के कपड़े पहने हुए है।

होली फाल्गुन के महीने में मनाया जाने वाला प्यार और खुशी का एक हिंदू त्योहार है जो गेंहू की फसल से भी मेल खाता है और धन और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। वसंत का मौसम सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है; नतीजतन, वसंत जलवायु विशेष रूप से सुखद होती है, खासकर जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। नतीजतन, होली को प्रकृति की वसंत सुंदरता और समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

होली रंगों का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली को न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं जो इसे और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती कहती है कि राजा हिरण्यकशिपु का अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ विवाद हो गया था क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करने पर जोर दिया था। इससे राजा नाराज हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।

हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को प्रह्लाद को आग में फेंकने के लिए कहा क्योंकि वह उसके राज्य के लिए खतरा था। उनके भतीजे उनके प्रति वफादार थे, इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को लकड़ी के एक टुकड़े से बांधकर आग में फेंक दिया। हालांकि, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने उसके साथ जलती चिता पर बैठकर उसे बचा लिया।

होली पर निबंध

 होली पर आधारित अन्य ब्लॉग्स

हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।

होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। होली के दूसरे दिन को छोटी होली या नंदी होली के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “रंगों से खेलना”। लोग समूहों में इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे पर रंगों से खेलते हैं। परंपरागत रूप से, महिलाएं पुरुषों पर सुगंधित रंग डालती हैं और बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकते हैं। होली के तीसरे दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और फिर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे प्यार के प्रतीक के रूप में मिठाइयों और नमकीन का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन होली समारोह के अंत का प्रतीक है। होली पूरे भारत और दुनिया भर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। त्योहार में आम तौर पर गायन, नृत्य, रंगों और पिचकारी (पानी की बंदूकें) के साथ खेलना और गुजिया और लड्डू जैसे व्यंजनों का आनंद लेना शामिल होता है।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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Jan Bhakti

Holi Essay in Hindi : इस लेख में पाएं 100 शब्दों से लेकर 1000 शब्दों में होली पर निबंध 

Holi essay in hindi

Holi Essay in hindi : भारत में रंगों का त्यौहार होली, फागुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। होली, रंगों, खुशी, और उत्सव का त्यौहार है, जो लोगों को एकजुट करता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के बारे में है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भाईचारे का जश्न मनाने के लिए इस त्योहार में शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी शत्रुताएँ भूल जाते हैं और उत्सव की भावना में डूब जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों से खेलते हैं और त्योहार के रंग में रंगने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं। इस विशेष लेख के जरिए हम आपके लिए लेकर आए हैं होली के पावन त्योहार से संबंधित 100 से लेकर 1000 शब्दों के निबंध इन निबंध को पढ़कर आप होली के त्यौहार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे यह सभी निबंध सभी विद्यार्थियों के लिए भी काफी लाभदायक हैं , इसीलिए हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़िए। 

Essay on My Favorite Festival Holi

प्रस्तावना:

होली, रंगों का त्योहार, भारत के सबसे प्रिय और उत्साहपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवीन जीवन और रंगों का प्रतीक है।

होली का इतिहास:

होली के त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। सबसे प्रचलित कथा प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की है। हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राजा था जो चाहता था कि लोग उसकी पूजा करें। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कई कोशिशें कीं, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। अंत में, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका, जो आग में जलने से अक्षत रहने का वरदान प्राप्त थी, प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई।  लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई।

होली का महत्व:

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार लोगों को सामाजिक बंधनों को मजबूत करने और एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।

होली का उत्सव:

होली का उत्सव एक दिन पहले बरसाना (barsana) से, उत्सव वृन्दावन की ओर बढ़ता है और यहीं वे अपने चरम पर होते हैं। होलिका दहन से शुरू होता है। लोग लकड़ी और उपलों का ढेर बनाकर उसमें आग लगाते हैं।  इसके बाद, होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं।

होली के रंगों का महत्व:

होली के रंगों का विशेष महत्व है। लाल रंग प्रेम और उत्साह का प्रतीक है, पीला रंग खुशी और समृद्धि का प्रतीक है, हरा रंग प्रकृति और नवीन जीवन का प्रतीक है, और नीला रंग शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

होली के व्यंजन:

होली के त्योहार पर कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं।  गुझिया, मठ्ठी, ठंडाई, और दाल-बाटी-चूरमा कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं।

होली का पर्यावरण पर प्रभाव:

होली के त्योहार पर पानी और रंगों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है।  इसलिए, यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण के अनुकूल होली मनाएं।

होली का त्योहार एक ऐसा त्योहार है जो हमें जीवन का आनंद लेने और एक दूसरे के साथ प्रेम और भाईचारे का भावना को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।  हमें इस त्योहार को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाना चाहिए।

होली पर निबंध 100 शब्दों में (essay on Holi 100 words)

होली पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार है। हिंदू होली को प्यार और खुशी के त्योहार के रूप में मनाते हैं, जिसमें वे प्यार और एकजुटता के नए जीवन को अपनाने के लिए दुश्मनी, लालच और नफरत को त्याग देते हैं।

होली का त्योहार वसंत ऋतु में, हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने के दौरान मनाया जाता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च महीने या कभी-कभी फरवरी के अंत से मेल खाता है। यह दो दिवसीय त्योहार है जो पूर्णिमा की रात को होलिका दहन के साथ शुरू होता है। मुख्य होली त्यौहार होलिका दहन के अगले दिन होता है। यह गेहूं की फसल के साथ भी मेल खाता है और समृद्धि और खुशी से जुड़ा है।

होली पर निबंध 300 शब्दों में ( Essay On Holi 300 Words)

होली, रंगों का त्यौहार, भारत के सबसे लोकप्रिय और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो प्रकृति के नवजीवन और रंगों का उत्सव मनाता है। होली न केवल रंगों का त्यौहार है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम और भाईचारे का भी प्रतीक है।

होली का इतिहास अनेक पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी दुष्ट चाची होलिका की है। कहा जाता है कि होलिका को आग में जलने का वरदान प्राप्त था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे, और होलिका ने उन्हें आग में डालकर मारने का प्रयास किया। परंतु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई। इस घटना का जश्न मनाने के लिए लोग रंगों का त्यौहार होली मनाते हैं।

होली की परंपराएं:

होली के त्यौहार की कई परंपराएं हैं। होली से एक दिन पहले, ‘होलिका दहन’ किया जाता है। लोग लकड़ी और गोबर के ढेर को जलाते हैं और उसके चारों ओर घूमकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक जश्न मनाते हैं। होली के दिन, लोग रंगों से खेलते हैं, पिचकारी से पानी उड़ाते हैं, और मिठाई खाते हैं। बच्चे और बूढ़े, सभी इस त्यौहार में समान रूप से भाग लेते हैं। रंगों का यह उत्सव लोगों में खुशी और उत्साह का संचार करता है। होली के त्यौहार में कुछ विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं। गुझिया, मठ्ठी, दही-बड़े, और ठंडाई कुछ प्रसिद्ध व्यंजन हैं।

होली का त्यौहार कई महत्वपूर्ण मूल्यों को दर्शाता है। यह त्यौहार हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यह हमें प्रेम, भाईचारे, और एकता का संदेश देता है। होली का त्यौहार लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। यह त्यौहार हमें जीवन में खुशियां और रंगों का महत्व समझाता है।

आज के दौर में होली:

आज के दौर में भी होली का त्यौहार उतना ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ बदलाव भी आए हैं। पहले लोग प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते थे, लेकिन अब बाजार में कई तरह के कृत्रिम रंग उपलब्ध हैं। इन कृत्रिम रंगों का उपयोग पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा, कुछ लोगों ने होली के त्यौहार को गलत तरीके से मनाना शुरू कर दिया है। वे शराब पीकर हुड़दंग करते हैं और दूसरों को परेशान करते हैं। यह होली के त्यौहार का सच्चा मकसद नहीं है। हमें होली का त्यौहार सच्चे उत्साह और उमंग के साथ मनाना चाहिए। हमें पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करना चाहिए। हमें दूसरों को परेशान किए बिना, खुशी और प्रेम के साथ इस त्यौहार का आनंद लेना चाहिए।

होली का त्यौहार रंगों, खुशियों, और प्रेम का त्यौहार है। यह त्यौहार हमें जीवन में रंगों का महत्व समझाता है और हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। हमें इस त्यौहार को सच्चे उत्साह और उमंग के साथ मनाना चाहिए और इसके सच्चे मकसद को समझना चाहिए।

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होली पर निबंध 500 शब्दों में (Essay On Holi 500 Words)

होली का त्यौहार रंगों का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है जो हर साल ‘फाल्गुन’ या मार्च के महीने में भारत के लोगों द्वारा बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों के लिए मौज-मस्ती और उल्लासपूर्ण गतिविधियों का त्योहार है, जो त्योहार से एक सप्ताह पहले शुरू होता है और एक सप्ताह बाद समाप्त होता है। मार्च के महीने में, पूरे देश में, विशेषकर उत्तर भारत में हिंदू होली मनाते हैं।

महोत्सव की किंवदंती और कहानी:

वर्षों से, भारतीय कई कहानियों और किंवदंतियों के साथ होली मनाते आए हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण त्यौहार है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, होली का उत्सव कई साल पहले शुरू हुआ था जब होलिका अपने ही भतीजे को आग में मारने की कोशिश करते समय आग में जल गई थी।

ऐसा माना जाता है कि छोटे प्रह्लाद के पिता, हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस राजा ने अपने ही बेटे को जिंदा जलाने का प्रयास किया था जब प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यप के प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास विफल हो गए, तो उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया क्योंकि उसे आग से कभी कोई नुकसान नहीं होने का श्राप मिला था।

हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि छोटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसके भगवान ने उसे बचा लिया था। आग में होलिका जल गयी और प्रह्लाद बच गया। तब से हर साल हिंदू होली मनाते हैं। होली एक ऐसा त्योहार है जो प्रेम, भाईचारा, सद्भाव और खुशी फैलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। होली एक ऐसा त्योहार है जिसके दौरान सभी लोग अपनी प्रतिद्वंद्विता भूल जाते हैं, और सभी नफरत और नकारात्मकता को भूलकर अपने दुश्मनों को गले लगाते हैं।

होलिका के रीति रिवाज:

होली से एक दिन पहले, लोग एक चौराहे पर लकड़ियों का ढेर बनाते हैं और उसे होलिका के प्रतीक के रूप में जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग जलती हुई होलिका की कई परिक्रमा करते हैं और अग्नि में सभी पापों और बीमारियों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए इसकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत में, लोग सरसों के पेस्ट से शरीर की मालिश करते हैं और फिर इसे होलिका में जला देते हैं, इस आशा से कि शरीर को सभी बीमारियों और बुराइयों से छुटकारा मिल जाए।

अगले दिन, ‘होलिका दहन’ के बाद, लोग एक-दूसरे पर रंग फेंककर होली का रंगीन त्योहार मनाने के लिए एक जगह इकट्ठा होते हैं। होली की तैयारियां मुख्य उत्सव से एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती हैं। लोग, विशेषकर बच्चे, बहुत खुश होते हैं और आयोजन से एक सप्ताह पहले ही अलग-अलग रंग खरीदना शुरू कर देते हैं। वे भी, अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ रंगों से खेलना शुरू करते हैं और पानी छिड़कने के लिए ‘पिचकारी’ और छोटे गुब्बारों का उपयोग करते हैं। उत्सव सुबह से शुरू होता है जब चमकीले रंग के कपड़े पहने लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और उन्हें रंग लगाते हैं। होली त्यौहार के व्यंजनों में ‘गुझिया’, ‘मिठाइयाँ’, ‘पानी पुरी’, ‘दही बड़े’, ‘चिप्स’ इत्यादि शामिल हैं, जिनका मेहमानों और मेजबानों दोनों द्वारा आनंद लिया जाता है। होली एक ऐसा त्यौहार है जिसका मुख्य उद्देश्य भाईचारा और प्रेम फैलाना है। त्योहार में उपयोग किए जाने वाले चमकीले रंग समृद्धि और खुशी का प्रतिनिधित्व करते हैं। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतिनिधित्व करती है, जो अधिकांश भारतीय त्योहारों का केंद्र है। यह हमें नेक रास्ते पर चलने और सामाजिक बुराइयों से बचने की सीख भी देता है।

होली पर निबंध 1000 शब्दों में (Essay On Holi 1000 Words)

होली का त्यौहार हर व्यक्ति के घर पर खुशी का रंग लाता है। होली को लोग प्यार और रंग के त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह त्यौहार लोगों के बीच प्यार बढ़ाता है और होली के पूरे दिन रंग-गुलाल खेलकर, नाच-गाकर इसका भरपूर आनंद उठाता है। यह एक सांस्कृतिक और पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो अब भारत और कई देशों में मनाया जाता है। इस दिन को लोग बड़े उत्साह से मनाने का इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग कई पीढ़ियों से इस त्योहार को मनाते आ रहे हैं और इस त्योहार की खासियत और आधुनिकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

होली त्यौहार का महत्व:

होली प्रेम और रंग का उत्सव है। यह हर साल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा त्योहार है। यह त्यौहार लोगों को जोश और खुशियों से भर देता है। होली लोगों के बीच की दूरियां मिटाती है और कपल्स और दोस्तों के बीच मजबूत रिश्ता बनाती है। लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार और दोस्तों के साथ होली का आनंद लेते हैं और बहुत खुशी के साथ जश्न मनाते हैं। होली उत्सव के दौरान, लोग प्रेम और स्नेह के प्रतीक के रूप में गुलाल का उपयोग करते हैं। इसीलिए होली के दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं। इस दिन सभी लोग सुबह से रात तक अनोखे कार्यक्रमों के साथ दिन का आनंद लेते हैं।

इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग से भरे गुब्बारों को मारते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे रंगों में न फंसे। इस दिन ज्यादातर लोग अपने घरों में गुजिया, मालपुआ, सेवइयां और कई अन्य स्वादिष्ट मिठाइयां बनाते हैं. कुछ लोग अपने इलाकों में अपने पड़ोसियों को मिठाइयाँ बाँटते हैं। भारत और अब कई अन्य देशों में लोग हर साल होली मनाते हैं। हम इस त्यौहार को बहुत सारे अनुष्ठानों के साथ मनाते हैं। होली के दिन परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार मिलकर गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और रात में होलिका दहन करते हैं। होली की शाम को लोग होलिका जलाकर अनुष्ठान करते हैं। लोगों का मानना है कि इस अनुष्ठान से जीवन की सभी नकारात्मक चीजें दूर हो जाती हैं और सकारात्मक शुरुआत होती है।

होली उत्सव का उत्सव:

विभिन्न राज्यों और देशों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से होली मनाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति पूर्णिमा के दिन पहले दिन होली पूर्णिमा के नाम से होली मनाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर जश्न मनाते हैं। दूसरे दिन, मुहूर्त के अनुसार, लोग रात के समय में होलिका दहन करते हैं।

मथुरा और वृन्दावन: होली समारोह

होली का त्यौहार मथुरा और वृन्दावन में प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए भारत के अन्य शहरों और विभिन्न देशों से लोग मथुरा और वृन्दावन आते हैं।

मथुरा और वृन्दावन वे पवित्र स्थान हैं जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पारंपरिक भारतीय इतिहास के अनुसार, लोग राधा कृष्ण के समय से ही होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं। होली के अवसर पर मथुरा और वृन्दावन के लोग विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। बांके बिहारी मंदिर में सबसे पहले महा होली उत्सव होता है और फिर मथुरा के ब्रज में गुलाल कुंड में लोग होली मनाते हैं। सदस्य यहां कृष्ण लीला नाटक का भी आयोजन करते हैं।

होली त्यौहार का इतिहास:

होली बहुत ही सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं का त्योहार है जिसे लोग बहुत पौराणिक काल से मनाते हैं। पुराणों, रत्नावली जैसे भारतीय पवित्र ग्रंथों में आपको होली के कई वर्णन मिलेंगे। होली पर विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूर्णिमा के दिन भगवान की पूजा करती हैं। होली का त्योहार मनाने का एक अलग स्वास्थ्य लाभ भी है। इससे लोगों की चिंता दूर होती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

होली पर निबंध PDF (Essay On Holi PDF Download)

होली के पावन त्योहार से संबंधित विशेष निबंध हम आपसे साझा कर रहे हैं, अगर आप चाहे तो आप निबंध के इस पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते हैं और कभी भी निबंध को पढ़ भी सकते हैं।

होली पर निबंध PDF Download

होली पर निबंध हिंदी में (Essay On Safety in Hindi

होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, नस्ल या धर्म की परवाह किए बिना एक त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। भारत में होली मार्च में पूर्णिमा के दिन दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन इकट्ठा होकर लकड़ी और गोबर के ढेर जलाकर और होली से संबंधित भजन गाकर “होलिका दहन” मनाते हैं।

अगले दिन, सभी लोग “गुलाल” , रंगों और , रंगीन पानी से खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और उस दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाइयाँ खाते हैं जिन्हें “गुजिया” कहा जाता है और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेलनी चाहिए. उपयोग किया जाने वाला गुलाल जैविक रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा और जहां भी इसके संपर्क में आता है, वहां जलन पैदा कर सकता है। लोगों को होली खेलते समय अपने आस-पास के प्रति सचेत रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे। भारत में कुछ जगहों पर होली पांच दिनों तक भी मनाई जाती है. होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शैक्षणिक संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।

होली बुराई पर अच्छाई की जीत के उत्सव के रूप में:

होली के उत्सव से एक पौराणिक कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि हिरण्यकशिपु नाम के एक क्रूर राजा को ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि कोई भी मनुष्य या जानवर उसे घर या बाहर ज़मीन पर नहीं मार सकेगा। लेकिन वह एक अत्याचारी राजा था और चाहता था कि उसके राज्य में हर कोई उसे भगवान के रूप में सबसे बुरा माने, और इसलिए उसने अपने इकलौते बेटे प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका द्वारा आग लगवाकर मरवाने का आदेश दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का एक वफादार भक्त था और होलिका को आशीर्वाद प्राप्त था। कि वह आग से न छुए।

ऐसा कहा जाता है कि इस जघन्य कृत्य के दिन, होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई लकड़ियों के ढेर पर बैठी थी, लेकिन प्रह्लाद जलने के बजाय, भगवान विष्णु ने उसे बचा लिया और होलिका राख में बदल गई। तब भगवान विष्णु ने खुद को आधा पशु, आधा देवता रूप में बदल लिया और हिरण्यकशिपु का पेट फाड़कर उसका वध कर दिया। इसलिए, होली का उत्सव बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक रहा है। यह भी एक कारण है कि छोटी होली पर लकड़ियाँ जलाने को “होलिका दहन” कहा जाता  है।

होली पर 10 पंक्ति (Holi Per Nibandh 10 Line)

short essay on holi in hindi

  • होली भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  • होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च में मनाया जाता है।
  • होली रंग और खुशियों का त्योहार है.
  • होली का त्योहार दुनिया भर में ज्यादातर हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अब इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
  • भारत में लोग राधा और भगवान कृष्ण के समय से ही होली खेलते आ रहे हैं।
  • होली जीवन में रंगों और खुशियों से भरी होती है।
  • होली खूब रंग (गुलाल) और पानी से मनाई जाती है।
  • होली के जश्न के लिए लोग नई-नई पोशाकें खरीदते हैं।
  • अधिकांश हिंदू परिवार होली उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और जूस बनाते हैं।
  • मोहल्ले के लोग आपस में सारे गुस्से और झगड़ों को भूलकर खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं

होली पर निबंध class 5(Holi essay in hindi for class 5)

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। होली हर साल मार्च के महीने में हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे रंगों के साथ खेलने और स्वादिष्ट व्यंजन खाने के लिए हर साल इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं।

होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने का दिन है। लोग अपनी परेशानियों को भूलकर भाईचारे का जश्न मनाने के लिए इस त्योहार में शामिल होते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी दुश्मनी भूल जाते हैं और उत्सव की भावना में डूब जाते हैं। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों से खेलते हैं और त्योहार के रंग में रंगने के लिए उन्हें एक-दूसरे के चेहरे पर लगाते हैं।

हिंदू धर्म का मानना है कि बहुत समय पहले हिरण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। उनका प्रह्लाद नाम का एक बेटा और होलिका नाम की एक बहन थी। ऐसा माना जाता है कि शैतान राजा को भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त था। इस आशीर्वाद का मतलब था कि कोई भी आदमी, जानवर या हथियार उसे नहीं मार सकता था। यह आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप में बदल गया क्योंकि वह बहुत अहंकारी हो गया था। उसने अपने राज्य को आदेश दिया कि वह भगवान के बजाय उसकी पूजा करे, और अपने बेटे को भी न बख्शे।

इसके बाद, उनके पुत्र प्रह्लाद को छोड़कर सभी लोग उनकी पूजा करने लगे। प्रह्लाद ने भगवान के बजाय अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह भगवान विष्णु का सच्चा भक्त  था। उसकी अवज्ञा को देखकर, राजा ने अपनी बहन के साथ प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। उसने उसे अपने पुत्र को गोद में लेकर आग में बैठाया, जहाँ होलिका तो जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बाहर आ गया। इससे संकेत मिलता है कि उसकी भक्ति के कारण उसके भगवान द्वारा उसकी रक्षा की गई थी। इस प्रकार, लोग होली को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाने लगे।

विशेषकर उत्तर भारत में लोग अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ होली मनाते हैं। होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। इस अनुष्ठान में, लोग सार्वजनिक क्षेत्रों में जलाने के लिए लकड़ियों का ढेर लगाते हैं। यह होलिका और राजा हिरण्यकश्यप की कहानी को संशोधित करते हुए बुरी शक्तियों के जलने का प्रतीक है। इसके अलावा, वे आशीर्वाद लेने और भगवान के प्रति अपनी भक्ति अर्पित करने के लिए होलिका के चारों ओर इकट्ठा होते हैं। अगला दिन शायद भारत का सबसे रंगीन दिन है। लोग सुबह उठकर भगवान की पूजा करते हैं। फिर, वे सफेद कपड़े पहनते हैं और रंगों से खेलते हैं। वे एक दूसरे पर पानी छिड़कते हैं। बच्चे पानी की बंदूकों का उपयोग करके पानी के रंग छिड़कते हुए इधर-उधर दौड़ते हैं। इसी तरह इस दिन बड़े भी बच्चे बन जाते हैं। वे एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं और खुद को पानी में डुबो देते हैं।

शाम को, वे नहाते हैं और अच्छे कपड़े पहनकर अपने दोस्तों और परिवार से मिलने जाते हैं। वे पूरे दिन नृत्य करते हैं और ‘भांग’ नामक एक विशेष पेय पीते हैं। होली के खास व्यंजन ‘गुजिया’ का स्वाद हर उम्र के लोग चाव से खाते हैं।संक्षेप में कहें तो होली प्रेम और भाईचारा फैलाती है। यह देश में सद्भाव और खुशहाली लाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह रंग-बिरंगा त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।

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Holi Festival Paragraph

होली भारत का एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन माह में मनाया जाता है। यह त्यौहार फाल्गुन की पूर्णिमा से शुरू होकर एक रात और एक दिन तक चलता है। यह आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च महीने से मेल खाता है। होली खुशी और प्रेम का त्योहार है और यह भारतीय उपमहाद्वीप, विशेषकर भारत और नेपाल में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि लोग सड़कों पर निकलते हैं और रंगों से खेलते हैं। अधिकांश हिंदू त्योहारों के विपरीत, होली में किसी भी हिंदू देवी-देवता की पूजा शामिल नहीं होती है और इस प्रकार यह पूरी तरह से मनोरंजन के लिए मनाया जाता है। हालाँकि, होली से एक रात पहले, होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है, जिसमें लोग अपने फेंके हुए सामानों को अलाव में जलाते हैं।

Conclusion:

होली एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एकजुट करता है, प्रेम और सद्भाव की भावना को बढ़ावा देता है, और जीवन में खुशियां और उत्साह लाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में कितने भी रंग हों, प्रेम और भाईचारे के रंग हमेशा सबसे ऊपर रहते हैं. होली के त्योहार से संबंधित यह लेख अगर आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्र गणों के साथ अवश्य साझा करें साथ ही हमारे अन्य आर्टिकल्स को भी जरूर पढ़ें।

Q. होली कब मनाया जाता है?

Ans. होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार रंगों और खुशियों का प्रतीक है।

Q. होली का त्यौहार कितने दिनों तक चलता है?

Ans. होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है। पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंगों का त्यौहार मनाया जाता है।

Q. होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

Ans. होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्यौहार भगवान विष्णु द्वारा राक्षस प्रह्लाद की रक्षा और उसकी बहन होलिका के दहन का प्रतीक है।

Q. होली त्यौहार के दौरान कौन से रंगों का उपयोग किया जाता है?

Ans. होली त्यौहार के दौरान विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि गुलाबी, पीला, हरा, नीला, नारंगी, आदि।

Q. होली त्यौहार के दौरान कौन से विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं?

Ans. होली त्यौहार के दौरान गुझिया, मठ्ठी, दाल-बड़ा, खीर, आदि जैसे विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।

Q. होली त्यौहार का भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है?

Ans. होली त्यौहार का भारत के अलावा नेपाल, पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका, और अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

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Jan Bhakti

Essay On Holi Festival In Hindi And English : India is a colorful & religious country here over the year celebrate many of the Festivals,  Holi Festival (होली पर निबंध) one of them.

this is a great Hindu festival, it is celebrated all over the world on Phalguna Purnima (in approx march month).

Essay On Holi Festival In English

India is a country of festivals and fairs. Holi is the most popular of all seasonal festivals. it foretells the coming spring.

to celebrate this festival of color, people throw colored water and rub the faces of one another with the powder called gulal.

it is a special day for students. they seem to be full of health, vigor, and vitality. on this day they forget their enemies with one another.

the people celebrate this festival with great enthusiasm. they use big hoses to shower colored water on the passengers. to be precise a complete sense of merriment prevails on the day of the Holi festival.

(100 शब्द) होली पर निबंध Essay On Holi Festival In Hindi

भारत त्योहारों और मेलों का देश है। होली सभी मौसमी त्यौहारों में सबसे लोकप्रिय है। आगामी बसंत ऋतू के आगमन की खबर देने के रूप में होली का पर्व आता है.

रंग के इस उत्सव का जश्न मनाने के लिए, रंगों के साथ पानी फेंकते हैं और एक दूसरे के चेहरे पर गलाल के साथ रगड़ते हैं।

यह छात्रों,बड़े बूढों सभी के लिए एक विशेष दिन है। वे स्वास्थ्य, शक्ति और जीवन शक्ति से भरे हुए प्रतीत होते हैं। इस दिन वे अपने दुश्मनी को एक दूसरे के साथ भूल जाते हैं।

लोग होली के उत्सव को बहुत उत्साह से मनाते हैं। वे यात्रियों पर रंगो एवं गुलाल का पानी को स्नान करने के लिए बड़ी नली का उपयोग करते हैं। होली त्यौहार के दिन मौज मस्ती मजाक को कोई भी दिल पर नही लेता है. इस तरह यह होली का त्यौहार आपसी प्रेम व भाईचारें को बढाता है.

(150 शब्द) होली पर निबंध

होली हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इसे रंगो का त्योहार भी कहते है. होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस त्योहार का संबंध प्रहलाद की कथा से माना जाता है.

उसे सजा देने के उसके पिता हिरन्यकश्यप ने अपनी बहिन होलिका की गोद में उसे रखकर आग में बैठाया. तब होलिका तो जल गई परन्तु भक्त प्रहलाद बच गया. तब से यह त्योहार उनकी याद में मनाया जाता है. संध्या के समय होली जलाई जाती है.

होली में नयें अनाज की बालियों को सेका जाता है. अगले दिन धुलंडी होती है. सभी लोग रंग, अबीर, गुलाल आदि से खेलते है और अपनी ख़ुशी प्रकट करते है. इस दिन आपसी मतभेद भुलाकर सभी लोग गले मिलते है. घरों में मिठाई और अच्छे पकवान परोसे जाते है.

इस होली के त्योहार पर कुछ लोग कीचड़ उछालते है और शराब आदि का नशा करते है. यह बुराई नहीं अपनानी चाहिए. होली का त्योहार आपसी मेल-जोल, प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने वाला है.

(400 शब्द) Essay On Holi In Hindi For Kids

हमारे देश में वर्ष पर्यन्त त्यौहार मनाए जाते है. अलग-अलग धर्मो के अनुयायी अपने अपने व्रत त्योहारों को बड़ी लग्न व् श्रद्धा के साथ मनाते है. भारत के मुख्य त्योहारों में दीपावली, रक्षाबन्धन, दशहरा और होली प्रमुख चार बड़े पर्व है.

इन चारो त्योहारों का विभाजन वर्णों के आधार पर किया गया है. रक्षाबन्धन जिन्हें ब्राह्मणों का त्यौहार माना जाता है. दशहरा क्षत्रियो का दीपावली को वैश्यों का तो होली का त्यौहार शुद्रो का माना जाता है.

इसे रंगों का त्यौहार Color festival भी कहते है. पूर्व में चाहे जो भी स्थति रही हो. आज के समय में न सिर्फ हिन्दू धर्म के चारों वर्ण मनाते है. बल्कि सिख, जैन सहित सभी धर्मो के अनुयायी भी इस पर्व को धूमधाम से मनाते आ रहे है.

विभिन्नता में यही एकता हमारे भारतवर्ष की पहचान है. जिन्हें निरंतर आगे बढ़ाने में ऐसें जैसे फैस्टिवल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.

विशिष्ट त्यौहार- बंसत ऋतू का पहला त्यौहार बसंत पंचमी है. इसके बाद यह पर्व आता है. हर साल हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है. उसी रात को अथवा दुसरे दिन प्रत्येक गाँव नगर या स्थान स्थान पर होलीका दहन किया जाता है.

इस होली की आग से प्रत्येक सनातनधर्मी अपने घर के आस-पास होली की स्थापना कर सही मुहूर्त पर इसका दहन करते है.

मनाने का तरीका- इस अवसर पर नये पके हुए अन्न को आग में भुना जाता है. तथा इस भुने हुए अन्न को प्रसाद को सभी मित्रों व् रिश्तेदारों में वितरित किया जाता है. संस्कृत भाषा में होली के इस पके हुए अन्न को होलक कहा जाता है.

इसी कारण इस उत्सव को होलिकोउत्सव या होली कहते है. कुछ लोग इस त्यौहार का सम्बन्ध प्रहलाद की बुआ होलिका से मानते है. इसके मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई है तथा प्राचीन काल से होली का त्योंहार मनाया जाता रहा है.

होली खेलना- होलिका दहन के उपरांत लोग रंग और गुलाल से खेलते है. अपरान्ह में स्नान भोजन इत्यादि करने के पश्चात सभी लोग साफ़ तथा नवीन वस्त्र धारण करके एक दुसरे के यहाँ जाते है. और एक दुसरे से मिलते है.

होली के इस अवसर पर शत्रु भी मित्र के समान परस्पर मिलते है. और ऐसा जान पड़ता है. मानो आज उनकी सालों की दुश्मनी समाप्त हो गई है.

उपसंहार(महत्व)-  देश और स्थान के भेद के कराण भारत में इस पर्व को मनाने के ढंग और उनकी रीतियों में भी थोड़ा अंतर पाया जाता है. ब्रज में कई दिनों तक रंग की होली होती हैं.

और होली नामक गीत लगभग सम्पुरण उत्तर भारत में बड़े प्रेम के साथ गाया जाता हैं. ब्रज की होली प्रसिद्ध है. परन्तु किसी किसी प्रदेश में पंचमी के दिन भी खेली जाती हैं.

(500 शब्द) होली निबंध essay on holi in hindi for class 3

एक ही तरह का जीवन जीते जीते व्यक्ति उब जाता हैं. इसके लिए समाज ने अनेक पर्वों त्योहारों एवं मेलों आदि की व्यवस्था की हैं. हमारे देश में सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. सभी के अपने अपने त्योहार हैं. हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में होली का महत्वपूर्ण स्थान हैं.

होली मनाने का कारण – होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं. वसंत ऋतू के आगमन से चारों ओर वातावरण सुगन्धित हो जाता हैं. खेतों में फसले पकने के लिए तैयार हो जाती हैं.

किसान फसलों को देखकर खुश हो उठता हैं. उसकी यही ख़ुशी होली के त्योहार के रूप में फूट पड़ती हैं. यह भी कहा जाता है कि प्राचीनकाल में दैत्यराज हिरन्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहिन होलिका को बुलाया था.

होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में नही जलेगी. वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, भगवान की कृपा से प्रहलाद तो बच गया परन्तु होलिका जल गई. इसी ख़ुशी में प्रतिवर्ष होली के दिन होलिका का दहन किया जाता हैं.

होली मनाने का तरीका -होली का त्योहार की तैयारी एक माह पहले से होने लगती हैं. घरों व मुहल्लों में उपले लकड़ियाँ एकत्रित कर जलाई जाती है, होली के शुभ मुहूर्त में आग लगाई जाती हैं. क्षेत्रीय परम्पराओं के अनुसार होली का त्योहार मनाया जाता हैं.

मथुरा में जलती होली के बिच से पंडा निकलता हैं. सभी एक दूसरे पर रंग, अबीर, गुलाल डालते है तथा आपस में गले मिलते हैं. बरसाने की लट्टमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं.

होली में जौ एवं गेहूं की बालियाँ भुनकर सब एक दूसरे से प्रेम सहित भेट करते हैं. पुराने गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले मिलते हैं. होली को प्रीति पर्व भी कहा जाता हैं. सब एक दुसरे को रंगों से सराबोर कर देते हैं.

होली की अच्छाईयां – होली का त्योहार परस्पर प्रेम और सौहार्द की भावना को बढ़ाता हैं. होली पर अमीर गरीब का भेद मिट जाता हैं. सभी में नया उत्साह, नई उमंग, नया जोश दिखाई देता हैं.

होली की बुराइयां – होली के त्योहार के साथ कुछ बुराइयां भी जुड़ी हुई हैं. इस दिन कई लोग शराब भांग आदि का सेवन करते हैं. और नशे में एक दूसरे से झगड़ा कर बैठते हैं. रंग लगाने के बहाने लोग दूसरों पर कीचड़, कोलतार, तेज़ाब आदि भी डाल देते हैं. जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता हैं.

उपसंहार – होली के त्योहार के साथ जुड़ी हुई ये छोटी सी बुराइयां यदि दूर हो जाये तो इससे अच्छा और कोई त्योहार नही हैं. यह मेल मिलाप और भाईचारे की भावना को विकसित करता हैं. आपस में भेदभाव भुलाकर हम सबकों होली का त्यौहार मनाना चाहिए.

(600 शब्द) होली निबंध Short Essay On Holi In Hindi

होली का इतिहास- होली को मनाए जाने के पीछे कई कथाएँ एवं कारण बताए जाते हैं. पुराणों में दैत्यों के राजा हिरन्यक्ष्यप की कथा आती हैं. यह भगवान विष्णु का विरोधी था. इसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था. हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद से रुष्ट होकर उसे मरवाने के प्रयास किये. किन्तु सफल न हुआ.

अंत में उसकी बहिन ने प्रहलाद को मारने का उपाय सुझाया. उसके पास एक अग्निरोधक चादर थी. वह उसे ओढ़कर और प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि के बीच बैठ गई, किन्तु आंधी से चादर प्रहलाद पर लिपट गई और वह बच गया. उसकी बुआ जलकर मर गई.

इसी स्मृति में होली जलाई जाती हैं. कुछ लोग इसे ऋतु या फसल का उत्सव भी मानते हैं. नई फसल के होलो या बालों को आग में भूना जाता हैं. और बांटा जाता हैं.

मनाने का समय और स्वरूप- होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं. यह त्योहार दो दिन चलता हैं. पहले दिन लकड़ी के उपलों का ढेर लगाकर उसमें आग लगाई जाती हैं. लोग इसकी आग में गेहूं की बालें और चने के पौधे या होले भूनते हैं इसकी परिक्रमा लगाते और जयकार करते हैं.

अगले दिन रंग की होली होती हैं स्त्री, पुरुष, बालक, वृद्ध सभी होली के रंग में मस्त हो जाते हैं. घरों पर मिलने जाते हैं. एक दूसरों को गुलाल लगाते हैं. आने वालों को ठंडाई और पकवानों से स्वागत किया जाता हैं.

गलियों और बाजारों में लोग समूहों में गाते, बजाते, रंग गुलाल उड़ाते घूमते हैं. सायंकाल स्थान स्थान पर होली मिलन समारोह आयोजित होते हैं. मन्दिरों में भी भक्तिभाव से होली खेली जाती हैं.

महत्व- होली उल्लास और मस्ती का त्योहार है. यह वर्ष भर के बैर विरोध को भुलाकर गले मिलने का पर्व हैं. कुछ लोग शराब आदि का सेवन करके अशोभनीय उत्पात भी करते हैं. इसे रोका जाना चाहिए. होली के द्वारा हमें सामाजिक प्रेमभाव को बढ़ाने के अवसर प्राप्त होते हैं.

संदेश- मेल मिलाप और प्रेम की वृद्धि होली के त्योहार का लक्ष्य हैं. होली का त्योहार हिन्दू धर्म से सम्बन्धित होने पर भी धार्मिक भेदभाव से युक्त हैं. इस त्योहार का आधार सामाजिकता हैं. लोगों को मतभेद भुलाकर परस्पर प्रेम एवं मेल से रहने का संदेश होली देती हैं.

एक दूसरे के गले मिलकर सारे गिले शिकवे दूर किये जाते हैं. दूसरों की हंसी उड़ाने की आदत तो मनुष्यों की होती ही हैं. परन्तु होली अपने ऊपर ही हंसने का अवसर देती हैं. इससे आदमी के दोष उसके सामने आते हैं. तथा उनसे बचने का अवसर उसको प्राप्त होता हैं.

(1000 शब्द) होली पर निबंध 2024 Short & Long essay on holi in hindi

भारत को त्योहारों के देश के रूप में जाना जाता है यहाँ भांति भांति के पर्व त्यौहार मनाए जाते है. होली हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है.

इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है फाल्गुन माह की पूर्णिमा को यह हर साल मनाया जाता है. जिस तरह हर पर्व त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा कहानी व कई कारण जुड़े होते है. होली मनाने के पीछे भी कुछ स्टोरीज जुड़ी है

हम होली क्यों मनाते है (Why We Celebrate Holi)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन के महीने में होली (जिसे फगवा या भोजपुरी भी कहा जाता है) फाल्गुन पूर्णिमा (या पूरनमाशी, पूर्ण चंद्रमा) पर मनाया जाता है।

यह पूर्णिमा की शाम से शुरू होने वाली रात और एक दिन तक रहता है। पहली शाम को होलीका दहन या छोटी होली और अगले दिन होली, रंगवाली होली, धुलेटी, धुलंडी या फगवा के नाम से जाना जाता है.

इसकों मनाने की तिथि हिन्दू पंचाग के अनुसार निर्धारित होती है. हर साल यह सर्द ऋतु की समाप्ति एवं बसंत के आगमन के समय फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि को मनाते है. जो हर साल मार्च के पहले से तीसरे सप्ताह में अमूमन होती है.

होली क्यों मनाई जाती है, होली मनाने का कारण व कहानी हिंदी में (Why We Celebrate Holi festival In Hindi)

एक समय की बात है कि भारतवर्ष में एक हिरण्यकशिपु नाम का राक्षस राज करता था. उसके एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था. प्रहलाद भगवान का परम भक्त था. परन्तु उसका पिता भगवान को अपना शत्रु मानता था. वह अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने तक को मना करता था.

परन्तु वह अपने पुत्र प्रहलाद को ईश्वर भजन से न रोक सका. इस पर हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को पहाड़ से भी गिराया, सर्पो की कोठरी में बंद कराया. हाथी के सामने डलवाया परन्तु उस भक्त का कुछ भी न हुआ.

अतः में हिरण्यकशिपु बोला कि मेरी बहिन होलिका को बुलाओं और उससे कहो कि प्रहलाद को अग्नि में लेकर बैठ जाय जिससे प्रहलाद तो जलकर मर जाएगा. और अग्नि होलिका का कुछ नही बिगाड़ सकती.

क्योंकि होलिका को यह वरदान था कि उसे अग्नि नही जला सकती. अतः होलिका को बुलाया गया. उसने अपने भाई की बात मानी और अग्नि के बीच होलिका प्रहलाद को लेकर बैठ गईं.

प्रहलाद भगवान् को याद करता रहा. भगवान की कृपा से अग्नि प्रहलाद के लिए बर्फ के समान शीतल हो गई और उस अग्नि ने होलिका को भस्म कर दिया. उसी दिन से यह होलिका जलाई जाती है. हे भगवान तुमने भक्त जैसे प्रहलाद की रक्षा की वैसे सबकी रक्षा करना.

यह होली का पर्व फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है. इस दिन सभी स्त्री पुरुष बच्चे होली का पूजन करते है. पूजन के बाद होलिका को जलाया जाता है. इस पर्व पर व्रत भी करना चाहिए.

होली के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पहले हनुमान जी भैरोजी आदि देवताओं की पूजा करे. फिर उन पर जल, रोली, माला, चावल, फूल, प्रसाद, गुलाल, चन्दन, नारियल आदि चढावे. दीपक से आरती करके दंडवत प्रणाम करे. फिर सबके रोली से तिलक लगादे. और जिन देवताओं को आप मानते है उनकी पूजा करें.

फिर थोड़े से तेल को सब बच्चों का हाथ लगाकर किसी चौराहे पर भैरों के नाम से एक ईट पर चढ़ा देवे. यदि कोई लड़का हुए का या लड़की के विवाह का उजमन करता होवे तो वह होली के दिन ही उजमन करे.

इस उद्यापन में एक थाली में १३ जगह ४-४ पूरी और सीरा रखे उन पर अपनी श्रद्धानुसार रूपये कपड़े तथा १३ गोबर की सुपाड़ी की माला रखें. फिर उन पर हाथ फेरकर अपनी सासूजी को पाय लगकर देवे. सुपाड़ी की माला अपने घर में ही टांग देवे.

इस दिन अच्छे अच्छे भोजन, मिठाई, नमकीन पकवान बनावें. फिर थोड़ा थोड़ा सभी सामान एक थाली में देवताओं के नाम का निकाल कर ब्राह्मणी को दे देवें. भगवान का भोग लगाकर स्वयं भोजन कर लेवें.

होली की पूजा विधि और सामग्री (Holi Puja Vidhi in Hindi, Holi puja kaise Kare, Holi Puja Niyam)

पहले जमीन पर थोड़े गोबर और जल का चौका लगा देवे. चौका लगा देने के बाद एक सीधी लकड़ी के चारो तरफ गुलरी की माला लगा देवे. उन मालाओं के आस-पास गोबर की ढाल, तलवार खिलोने आदि रख दे.

जो होली पूजन का समय नियत हो, उस समय जल, मोली, रोली, चावल, फूल, गुलाल, गुड़, आदि से होलिका पूजन करने के बाद ढाल तलवार अपने घर में रख लेवे. चार जेल माला अपने घर में पीतर जी, हनुमान जी, शीतलामाता तथा घर के नाम की उठाकर अलग रख देवे.

यदि आपके यहाँ घर में होली न जलती हो तो सब ओर यदि होली घर में ही जलाते हो तो एक माला ऊख, पूजा की समस्त सामग्री, कच्चे सूत की कुकड़ी, जल का लौटा, नारियल, बूट (कच्चे चने की डाली), पापड़ आदि सब सामान गाँव या शहर की होली जिस स्थान पर जलाते है वहां लेकर चले जाये.

वहां जाकर डंडी होली का पूजन करे. जेल माला, नारियल आदि चढ़ा देवे. परिक्रमा देवे, पापड़ बुटं आदि होली जलने पर भुन लेवे. सभी बांटकर खा लेवे. ऊख घर वापिस ले आए. यदि घर पर होली जलावे तो शहर गाँव वाली होली में से ही अग्नि लाकर घर ही होली जलावें. फिर घर आकर पुरूष अपने घर की होली का पूजन करने के बाद जलावें.

घर की होली में अग्नि लगाते ही उस डंडा या लकड़ी को बाहर निकाल लेवे. इस डंडे को भक्त प्रहलाद मानते है. स्त्रियाँ होली जलाते ही एक घंटी से सात बार जल का अर्ध्य देकर रोली चावल चढ़ावे.

फिर होली के गीत या बंधाएं गावें. पुरूष घर की होली में बुन्ट और जौ की बाल पापड़ आदि भुनकर तथा उन्हें बांटकर खा लेवें. होली पूजन के बाद बच्चे तथा पुरूष रोली से तिलक टीका लगावे. छोटे अपने बड़ों के पाँव छूकर आशीर्वाद लेवे.

यह ध्यान रहे कि जिस लड़की का विवाह जिस साल हुआ हो, वह उस साल ससुराल की जलती हुई होली को न देखे. यदि हो सके तो अपने मायके चली जावें.

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Holi Essay in Hindi: होली पर आकर्षक निबंध

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Holi Essay in Hindi: त्योहार भारतीय जीवन-शैली का एक अटूट हिस्सा है, जहां विभिन्न प्रकार के रंगीन और विविध त्योहारों का आयोजन होता है। इनमें से होली, जो साथी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण पर्व है, विशेष महत्व रखती है। होली, जो भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जीवन के उत्साह, खुशी, और उमंग को बढ़ावा देने में मदद करती है। होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) में हमने होली के इस महत्वपूर्ण पर्व के सभी पहलुओं की जानकारी प्रदान की है। यह आशा है कि इस होली के निबंध का उपयोग वे छात्र भी करेंगे जो होली हिंदी होली पर निबंध तैयार करना चाहते हैं या होली पर निबंध के लिए सामग्री खोज रहे हैं।

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होली पर निबंध 100 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

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होली हिंदी होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है। यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्योहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 200- 300शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली सबसे रंगीन और प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है। यह दर्शाता है कि वसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। लोग इस त्योहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते हैं, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है। होली पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग फेंकते हैं। वे ढोल बजाकर गाते और नाचते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। यह त्योहार पिछले दुखों को भूलने और माफ करने और नए दोस्त बनाने और पुराने लोगों के साथ रिश्तों को मजबूत करने का भी समय है।

होली एक खुशनुमा और मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मायने भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से आया है, जहां भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को हराया था। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा के बीच प्रेम भी त्योहार से जुड़ा हुआ है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत सारी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग त्योहार में एक साथ मिलते हैं, जो एकता, सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देता है। यह समय अपनी सभी चिंताओं को दूर करने और जीवन का पूरा आनंद लेने का है।

होली का इतिहास होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है। पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।

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होली पर निबंध 350 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली, भारतीय सांस्कृतिक कला और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जो भारत और भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखता है। होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है।

इस अद्वितीय त्योहार की महत्वपूर्ण धारा रंग का खेल है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर विभिन्न रंगों का पाउडर फेंकते हैं और खुशियों का इज़हार करते हैं। होली का महत्व न केवल एक त्योहार मात्र है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है और यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक रंगीन और आनंददायक त्योहार के रूप में पहचाना जाता है।

होली का महत्व

होली का महत्व भारतीय समाज के लिए गहरा है और यह एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग साल भर बेताबी से इंतजार करते हैं। यह त्योहार विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ मिलकर मनाया जाता है, और इसके तहत लोग अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं।

होली के त्योहार का महत्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक कथा है, जिसमें होली को हिरण्यकशिपु के खिलवाड़े और प्रह्लाद के भक्ति की जीत के रूप में मनाने का प्रतीक माना जाता है। हिरण्यकशिपु, एक दुष्ट राक्षस राजा थे, जो भगवान विष्णु के खिलवाड़े से डरते थे। वे अपने पुत्र प्रह्लाद के भक्ति को बंद करने का प्रयास करते थे, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के प्रति अपनी अद्भुत श्रद्धा में अटल रहे। होली के दिन, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को उसके साथ बांधकर आग में डालने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बिना कोई कष्ट उठाए बच गए। होली के इस घड़ीघड़ी मोमें, होलिका जलकर मर गई, जबकि प्रह्लाद अस्तित्व में बने रहे। इसी प्रकार, होली का त्योहार भक्ति और सच्चे दर्शन की जीत का प्रतीक बन गया, और यही कारण है कि होली को विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

इसके अलावा, होली का महत्व भारतीय ऋतुओं के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो भारत में बसंत ऋतु की आगमन का समय होता है। बसंत ऋतु के साथ आती हैं खुशियों की बहार और फूलों की महक, और होली इस ऋतु का आगाज़ और खुशियों का स्वागत करने का एक तरीका होता है। इसलिए, होली का महत्व भारतीय जीवन में बसंत के आगमन के साथ जुड़ा हुआ है और यह एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।

होली का आयोजन

होली का आयोजन विभिन्न तरीकों से भारत के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है, और हर स्थान पर इसे अपने तरीके से मनाया जाता है। होली के पहले दिन, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है, लोग होलिका के मूर्ति को आग में जलाते हैं। इसके पीछे का सन्देश है कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई की जीत पर होता है।

होली के दूसरे दिन, लोग रंगों के साथ खेलने और एक-दूसरे को रंगने का आनंद लेते हैं। यह दिन गुलाल, अबीर, और अन्य रंगीन पाउडर के साथ खेलने का होता है। होली के इस रंगीन खेल में लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आनंद और खुशी का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, लोग विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयों का स्वाद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का साथ मनाते हैं।

कुछ स्थानों में, होली के खेल में संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता है। लोग रंगीन वस्त्र पहनकर नृत्य करते हैं और गीतों का आनंद लेते हैं।

होली के खास पकवान

होली के खास पकवान और मिठाइयाँ इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। गुझिया, मालपुआ, दही-बड़े, और मिठाई जैसे विभिन्न पकवान खाए जाते हैं। इन पकवानों का आनंद लेना होली के त्योहार को और भी मजेदार बनाता है।

निषेध: खतरनाक रंगों का उपयोग

होली के खेल में खतरनाक या हानिकारक रंगों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे रंगों का उपयोग करने से क्षति हो सकती है और त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमें होली के खेल में सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।

होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक अद्वितीय त्योहार है जो खुशियों की खोज में लोगों को जोड़ता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ आनंद और खुशी का साथ मनाते हैं, और वे अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं। होली का महत्व भारतीय संस्कृति, परंपरा, और रंगीनता का प्रतीक है, और यह एक त्योहार के रूप में विश्वभर के लोगों के लिए बहुत खास है। इसलिए, होली का त्योहार भारतीय समाज में गहरा महत्व रखता है और यह एक खुशी और एकता भरा समाजिक त्योहार होता है।

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होली पर निबंध FAQs

होली के बारे में निबंध कैसे लिखें.

होली के बारे में निबंध लिखते समय, पहले होली का महत्व और इसका इतिहास पर बताएं, फिर इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं और महत्व को विस्तार से व्यक्त करें।

होली क्यों मनाई जाती है 10 लाइन?

होली को मनाई जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु का स्वागत करने और रंग-बिरंगे जीवन की खुशियों का प्रतीक है, साथ ही हिन्दू धर्म में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक मेलजोल को प्रमोट करने का मौका प्रदान करता है।

होली पर क्या लिखें?

होली पर रंगों का खेल और खुशियों का त्योहार मनाते हुए सभी को प्यार और खुशियाँ बांटने की शुभकामनाएं!

होली पर निबंध होली कैसे मनाई जाती है?

होली को भारत में फागुन माह के पूनम के दिन रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंग फेंककर आपसी खुशियों का जश्न मनाते हैं।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : दोस्तों आज हमने होली पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है इस Holi Par Nibandh की सहायता से हमने होली त्योहार को कैसे मनाया जाता है,

इसका इतिहास क्या है और वर्तमान में Holi को किस तरह से भारत और अन्य देशों में मनाया जाता है इस पर हमने विस्तारपूर्वक निबंध लिखा है। यह निबंध हमने विद्यार्थियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए अलग- अलग शब्द सीमा में लिखा है।

Holi Essay in Hindi

Get Some Essays on Holi in Hindi for students under 150, 300, 500 and 1500 words।

Short Holi Essay in Hindi 150 Words

होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। Holi का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल बांग्लादेश अमेरिका ऑस्ट्रेलिया कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है।

यह त्यौहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है जिसने पहले दिन होली दहन किया जाता है जिसमें लकड़ियां और गोबर के कंडे डालकर होलिका दहन किया जाता है।

Holi के दूसरे दिन को धुलण्डी कहा जाता है जिसमें सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग लगाते है इस दिन भारत में लोग कोई भी जात-पात नहीं देखते सभी एक दूसरे से गले मिलकर खूब धूमधाम से होली को मनाते है।

यह भी पढ़ें – 10+ होली पर कविता – Hindi Poem on Holi

इस त्यौहार को प्रेम का त्यौहार भी कहा जाता है क्योंकि जिस दिन सभी लोग अपने गिले-शिकवे भुलाकर दोस्ती कर लेते हैं और पूरे हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनाते है। भारत में नंदगांव, वृंदावन और बरसाने की होली बहुत अधिक प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते है।

Essay on Holi in Hindi 300 Words

हिंदू धर्म का होली का त्योहार विश्व प्रसिद्ध है यह त्यौहार मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास में इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाया जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है

जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे कोई भी नहीं मार सकता है इसलिए फिर वह वरदान पा कर इतना कुरुर हो गया कि वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा दुश्मन था।

हिरण्यकश्यप का एक बेटा था जो कि भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था काफी समझाने के बाद भी वह भगवान विष्णु की पूजा करना नहीं छोड़ रहा था तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से उसे मारने की कोशिश की,

होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान था इसलिए वह प्रहलाद को लेकर जलती आग की चिता पर बैठ गई थी लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलीका जलकर भस्म हो गई।

यह भी पढ़ें –  होली की शायरी – Happy Holi Shayari in Hindi

इसे बुराई पर अच्छाई की जीत माना गया और होली त्यौहार का उदय हुआ। इसीलिए वर्तमान में लोग अब जगह जगह होली के दिन होलिका का दहन करते है। होलिका का दहन करने के लिए घास फूस और सूखी लकड़ियां साथ में गोबर की बहुत सारे कंडे इस्तेमाल में लिए जाते है।

होलिका दहन से पहले महिलाएं होली की पूजा करती है और इसके बाद होलिका दहन कर दिया जाता है। होली का दूसरा दिन मौज मस्ती का होता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल रंग लगाते है और एक दूसरे को रंग बिरंगे रंगों से रंग देते है।

वृंदावन में फूलों की होली भी खेली जाती है यह त्योहार सच में सौहार्द का त्यौहार है क्योंकि इस दिन सभी लोग अपने देश में भूलाकर दोस्ती कर लेते है।

Holi Par Nibandh 500 Words

प्रस्तावना –

हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए होली का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण है हिंदू धर्म को मानने वालों के अनुसार होली का त्यौहार हिंदुओं का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है।

इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग बनाते हैं वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है।

यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी खुशी इस त्योहार को मनाते है इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है।

होली मनाने का कारण –

हिंदू धर्म में Holi मनाने का एक प्रमुख कारण है इसके पीछे एक पुरानी कथा जुड़ी हुई है इस कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस था जो कि अपनी भक्ति और शक्ति के लिए बहुत प्रसिद्ध था।

उसे देवताओं से एक वरदान मिला हुआ था जिसके अनुसार उसकी मृत्यु कभी नहीं हो सकती है।

यह भी पढ़ें –  मकर संक्रांति पर निबंध – Makar Sankranti Essay in Hindi

यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा और अपनी प्रजा से स्वयं की पूजा करने को कहने लगा। प्रजा उसके क्रोध के कारण उसकी पूजा भी करने लगी लेकिन कुछ समय पश्चात ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया।

प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त बन गया अपने पिता हिरण्यकश्यप के लाख समझाने के बावजूद भी है भगवान विष्णु की ही पूजा करता था इसलिए हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर अपनी बहन होलिका को अपने ही बेटे को मारने का फरमान सुना दिया। होलिका को वरदान था कि वह किसी भी प्रकार की अग्नि उसे जला नहीं सकती।

होलीका प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।

जिसके बाद यह माना गया कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है। इसके बाद से ही होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली की मनाने की प्रक्रिया –

होली त्योहार की तैयारियां लोग कई दिनों पहले से ही करने लग जाते हैं बाजारों में रंग बिरंगे गुलाल नए कपड़े और मिठाइयां बिकने को आ जाती है। बाजारों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है होली के पहले दिन संध्या के समय होलिका दहन किया जाता है। सभी लोग होलिका दहन के बाद एक दूसरे को गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देते हैं और पूरे मोहल्ले भर में मिठाइयां बांटते है।

होली का दूसरा दिन धुलण्डी के रूप में जाना जाता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग से रंगते है। और पूरे दिन भर रंगो से खेलते है। इस दिन लोग खूब मौज मस्ती करते हैं और नई मिठाईयां खाते है।

उपसंहार –

होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है इस त्यौहार से सीख लेते हुए हमें भी अपनी बुराइयों को छोड़ते हुए अच्छाई को अपनाना चाहिए। इस त्यौहार से में एक और सीखने को मिलती है कि कभी भी हमें अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार हमारे सोचने समझने की शक्ति को बंद कर देता है।

हमें होली का त्यौहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ खूब धूमधाम से मनाना चाहिए।

Long Essay on Holi in Hindi 1500 Words

रूपरेखा –

भारत त्योहारों का देश है इसीलिए आप प्रत्येक दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है भारत में हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की जनसंख्या अधिक है इसलिए यहां पर बहुत त्योहार मनाए जाते है। होली का त्यौहार भी एनी त्योहारों में से एक है लेकिन यह त्यौहार अपनी एक अलग पहचान रखता है।

ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार हजारों वर्षों से मनाया जाता है जा रहा है होली के त्यौहार की कृष्ण की रासलीला में भी जिक्र किया गया है भगवान कृष्ण को भी होली का त्योहार बहुत अधिक प्रिय था। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है साथ ही यह मौज मस्ती का भी प्रतीक है।

होली कब मनाई जाती है –

होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस जोहार को फाल्गुन मास में मनाने की प्रथा है। इस वर्ष 2019 में होली का त्यौहार 20 मार्च 2019 को मनाया जाएगा ।

होली का इतिहास –

होली के त्यौहार का जिक्र है पुराने ग्रंथों में इसे भी देखने को मिलता है जो कि यह बतलाता है कि होली का त्यौहार बहुत बड़ा है। इस त्योहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही अच्छी और प्रसिद्ध कथा है।

पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया जिसके बाद ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप को वरदान मांगने के लिए कहा तो विनय कश्यप ने वरदान में मांगा कि उसे ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से उसकी हत्या नहीं की जा सकती है।

हिरण्यकश्यप को यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह सोचने लगा कि वही इस सृष्टि का दाता है और वही सबसे बड़ा भगवान है। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा।

वह भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। प्रजा के कुछ लोगों ने भय वश उसकी पूजा भी करने लगे।

समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम पहलाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था वह सुबह शाम की पूजा करता था। जैसे ही हिरण्यकश्यप को पता चला कि उसका बेटा भगवान विष्णु का भक्त है तो उसने अपने बेटे को समझाने की कोशिश की लेकिन प्रहलाद में अपने पिता की एक बात ने सुनी।

हिरण्यकश्यप को इस बात को लेकर बहुत क्रोध आया और उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया और अपने ही बेटे को मारने को कहा। होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई।

प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली कैसे मनाई जाती है –

होली का पर्व भारत के साथ साथ नेपाल अमेरिका ऑस्ट्रेलिया भूटान कनाडा मॉरिशस जैसे देशों में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है होली के त्यौहार की तैयारियां कई दिनों पहले से ही होनी प्रारंभ हो जाती है। महीनों पहले ही बाजारों में रौनक आ जाती है और बाजार रंग बिरंगी रंगों से सजे जाते है।

Holi मनाने के लिए लोग नए कपड़े खरीदते हैं और खूब सारी मिठाइयां खरीदते है। होली के दिन एक जगह चिन्हित कर ली जाती है जहां पर होली जलाई जानी होती है वहां पर पूरे दिन भर लोग लकड़ियां और गोबर के कंडे इकट्ठे करते है शाम तक यह एक बड़े ढेर में बदल जाता है। इस ढेर के बीचो-बीच पहलाद के प्रतीक के रूप में एक लकड़ी लगाई जाती है।

संध्या के समय महिलाओं द्वारा होली की पूजा की जाती है लोटे से जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर होलिका दहन कर दिया जाता है जैसे ही आग की लपटें बढ़ने लग जाती हैं पहलाद के प्रतीक वाली लकड़ी को निकाल दिया जाता है और दर्शाया जाता है की बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है।

होलिका दहन होते समय कुछ लोग इसमें मीठे व्यंजन भी डालते हैं सब लोग अपनी प्रथा के अनुसार होलिका दहन में वस्तुएं डालते है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होली का धुआं जिस दिशा की ओर जाता है उस दिशा में उस साल बहुत अच्छी फसल होती है। होलिका दहन के पश्चात सभी लोग एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते है और खूब सारी मिठाइयां बांटते है।

धुलण्डी –

होली का दूसरा दिन जिसे धुलण्डी का नाम दिया गया है यह दिल मौज मस्ती का दिन होता है इस दिन बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी मौज मस्ती करते हैं और एक दूसरे को रंग बिरंगी रंग लगाते है। सभी लोग एक दूसरे को ऐसे रंग देते हैं कि शाम होते-होते यह समझ ही नहीं आता है कि कौन सा व्यक्ति कौन है।

कुछ लोग इस दिन पक्के रंगों का भी इस्तेमाल करते हैं जिससे लोगों की सेहत खराब हो जाती है तो हमें पक्के रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए हमेशा गुलाल से ही धुलण्डी खेलनी चाहिए। बच्चे जिन पार्टियों में पानी भर लेते हैं और पिचकारी उसे एक दूसरे के ऊपर रंग उड़ाते है।

सभी लोग अपनी-अपनी टोलियां बनाकर पूरे मोहल्ले भर में सभी को रंग लगाते फिरते हैं और एक बार आग लगाने के बाद उसे अपनी टोली में शामिल कर लेते हैं और ढोल नगाड़े बजाते हुए निकलते है। इस दिन लोग इतनी मौज मस्ती करते हैं कि सड़कों पर ही नाचने गाने लग जाते है।

भारत की प्रसिद्ध होली –

हमारे भारत देश में कुछ ऐसी जगह है जहां पर Holi का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है यहां की होली जो भी एक बार वे दूसरी बार यहां पर जरूर आना चाहता है इनमें से कुछ जगह इस प्रकार हैं

वृंदावन की होली – यहां के लोग रंगों की वजह फूलों से होली खेलते हैं सभी लोग एक दूसरे पर रंग बिरंगे फूल उड़ाते है। भगवान श्री कृष्ण भी यहां पर होली खेला करते थे और वृंदावन भी उन्हीं की नगरी है इसीलिए लोगों में उत्साह है और बढ़ जाता है।

यहां की होली देखने कई विदेशों से पर्यटक आते हैं जो कि यहां पर आकर बहुत ही धूमधाम से होली खेलते है।

बरसाने की होली – यह माता राधा का जन्म स्थान है यहां पर भगवान श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ नंद गांव से बरसाने में होली खेलने आते थे। उसी तरह आज भी लोग नंद गांव से बरसाने में होली खेले जाते हैं यहां की होली इसलिए प्रमुख है क्योंकि यहां पर महिलाएं पुरुषों पर रंगो की वजह लकड़ी की लाठियों से उन्हें पीटती है।

यह देखने में बहुत ही सुंदर लगता है इसीलिए यहां की होली को लठमार होली भी कहा जाता है। कुछ इसी तरह की होली हरियाणा राज्य में भी खेली जाती है जहां भाभी देवर पर लाठियां बरसाती है। इसमें किसी को चोट नहीं आती क्योंकि पुरुषों के पास बचाव के लिए ढाल होती है।

राजस्थान की होली – राजस्थान की होली हमारे देश के साथ साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर होली का त्यौहार आने से महीनों पहले ही ढप और चंग की ताल पर पौराणिक होली के प्रसिद्ध गीत गाए जाते है। यहां पर लोग मोहल्लों में इकट्ठा हो जाते हैं और पूरी रात रात भर गीत गाते हैं और नाचते है।

राजस्थान की होली जो भी एक बार देख लेता है उसका मन यहां पर आने काम दूसरी बात भी करता है।

होली के त्यौहार का महत्व –

होली का ऐतिहासिक महत्व – होली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए लोगों को इस त्यौहार से शिक्षा मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है इसलिए वह हमेशा अच्छे रास्ते को अपनाते है।

सामाजिक महत्व – होली एक सौहार्दपूर्ण त्यौहार है जिसमें लोग वर्षों पुरानी दुश्मनी लड़ाई झगड़ा भुलाकर एक दूसरे से गले मिल जाते है इसीलिए इस त्यौहार को दोस्ती का भी प्रतीक कहा गया है। इस दिन समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं देखता सभी लोग एक दूसरे को गले लगा कर होली का त्यौहार मनाते है।

इसे समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होती है इसलिए यह त्योहार सामाजिक महत्व भी रखता है।

वर्तमान में होली का रूप –

वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्व को नहीं समझ रहे हैं और इसी सौहार्दपूर्ण त्योहार की जगह है नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे हैं

आजकल की युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करके बैठे रहते है कुछ लोगों को तो इसे गंभीर नुकसान भी हो जाते हैं लेकिन वह इसकी परवाह नहीं करते है।

इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। लोग होली के त्यौहार पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब दुश्मनी बढ़ाने लगे है। आजकल युवा लोग रंग की जगह गोबर नाली का पानी और पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं जो कि होली की शोभा को धूमिल करते है

यह सब चीजें Holi के त्यौहार की छवि को खराब कर रहे है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।

निष्कर्ष –

होली का त्योहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है यह दोस्ती का त्योहार है इसलिए इसे दोस्ती का त्यौहार ही बने रहना देना चाहिए इसे कोई और रूप देने का हमें कोई हक नहीं होता है।

वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्यौहार के महत्व और विशेषता के बारे में बताना चाहिए ताकि उनके विचार विचार के प्रति बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्यौहार की छवि बनी रहे।

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Holi Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

20 thoughts on “होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi”

Very nice essay on holi

Thank you Rubi devi

needs imporvement but overall its ok

thank you Kenisha

ভালো খুব ভালো । Good very good essay. अच्छा है काफी अच्छा है निबन्ध।

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदित्य दास, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Very good essay

thank you Mayank for appreciation.

Hey the full stop in hindi is | not this’.’

We have corrected all the mistakes, thank you Sparsh.

Write the fifty line essay on Holi in Hindi and English

We will soon write fifty lines essay on Holi

Very good essay. Super!

Thank you Charchit for appreciation.

bahut hi achha nibandh tha

Dhanyawad Aman ji aise hi website par aakar hamara manobal badhate rahe

bahut hi acha tyohar hai holi ka

Holi ka lekh aap ko pasand aaya hame bhut khushi hui, aise hi website par aate rahe, Dhanyawad.

बहुत ही अच्छा लेख है, एक लेख ऐसा ही मैंने लिखा है अगर आपको पसन्द आये तो ज़रूर बताइये ये रहा

प्रखर जी आप को हमारे द्वारा लिखा गया होली पर निबंध पसंद आया हमे बहुत खुशी हुई, प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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Essay on holi in hindi होली पर निबंध.

Essay On Holi in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और विद्यार्थियों के लिए होली के त्यौहार पर निबंध हिंदी में। What is Holi or why we celebrate Holi in Hindi? We have written a very short essay on Holi in Hindi/ Holi Nibandh. Now you can take an example to write a paragraph on Holi in Hindi and Holi essay in Hindi in a better way. We have added Holi festival essay in Hindi/ Essay on Holi in Hindi in 100, 200, 300, 350, 450 and 500 words. Now you can learn essay on Holi in Hindi language along with few lines on Holi in Hindi. If you get a chance to give Holi speech in Hindi you will find good sentences here. होली का त्योहार।

Essay on Holi in Hindi

hindiinhindi Essay on Holi in Hindi

Essay on Holi in Hindi 200 Words

होली का त्यौहार हर फागुन मार्च के महीने में मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुडी है। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय कथा है। भक्त प्रहलाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। उन्होने प्रहलाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होने प्रहलाद को मारने का प्रयास किया था।

प्रहलाद के पिता ने आखिर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी और होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई थी। होलिका प्रहलाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु भगवान विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद बचे रहे और होलिका जल कर राख हो गई। इस कथा से इस बात की शिक्षा मिलती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हमेशा होती है। आज भी लोग होली जलाते है और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल और तरह-तरह के रंग डालते है इस दिन लोग सुबह उठकर रंगों को लेकर अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ मिलकर होली खेलते है।

सभी लोग अपनी दुश्मनी भूलकर कर दोस्तों की तरह एक दूसरे से गले लगते है वह एक दूसरे को गुलाल लगाते है और मिठाईयाँ खाते है। होली का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है।

Essay on Holi in Hindi 300 Words

नीले, पीले, लाल, गुलाबी रंगों की बात चलते ही सबसे पहले मन में होली का खयाल आता है। सच ही तो है, होली हम भारत के लोगों के लिए केवल एक त्योहार ही नहीं, बल्कि रंगों का ही दूसरा नाम है। हर तरफ उड़ता रंग-गुलाल, पिचकारियाँ थामे नन्हे-नन्हे हाथ, ढोल के साथ होली के गीत और गुझिया का स्वाद! यही तो खासियत है इस त्योहार की।

होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसलिए इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। खेतों में सरसों के फूल खिल उठते हैं। पेड़-पौधों पर नई चमक आ जाती है। खेतों में गेहूं की बालियाँ नाचने लगती हैं। इस त्योहार की शुरुआत तो वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है। यह त्योहार दो दिन का होता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है। इसके लिए चौराहे या किसी खुली जगह पर एक डंडा गाड़कर उसके पास लकड़ियाँ और उपले इकट्ठे किए जाते हैं। उसका पूजन किया जाता है। लोग अपने घरों में बने पकवानों का यहाँ भोग लगाते हैं। दिन ढलने पर ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर तय समय में होलिका जलाई जाती है। इसमें गेहूं की बालियाँ और चने के होले भी भूने जाते हैं।

होलिका दहन के पीछे एक कहानी है। माना जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बलशाली असुर था। वह इतना घमंडी हो गया था कि उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी, लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद ईश्वर–भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की इच्छा से यह आदेश दिया कि होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठे। ऐसा करने पर प्रह्लाद को तो भगवान् ने बचा लिया, लेकिन होलिका जल गई। भक्त प्रहलाद की याद में ही हर साल होलिका जलाई जाती है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दूसरे दिन रंग खेलने वाली होली यानी धुलेंडी मनाई जाती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और होली के गीत गाते हैं।

Essay on Holi in Hindi 350 Words

होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। होली रंगों का त्योहार है जिसे हर साल फाल्गुन (मार्च) के महीने में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। सभी बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। यह त्योहार लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले शिकवे भूल कर गले मिलते हैं और एक दुसरे को रंग गुलाल लगाते हैं। इस दौरान सभी मिलकर ढोलक, हारमोनियम की धुन पर नाचते – गाते हैं। होली के दिन पर सभी खासतौर पर घर में बने गुजिया, पापड़, दही-भल्ले, हलवा, पानी पूरी, आदि खाते और खिलाते हैं।

होली उत्सव के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है:

हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था जिसका पुत्र था प्रहलाद जो विष्णु भगवान् का भक्त था जबकि उनके पिता विष्णु के विरोधी थे। हिरण्यकश्यप अपने ही पुत्र को मारना चाहता था क्यूंकि प्रहलाद भगवान् विष्णु को मानता था। हिरण्यकश्यप चाहता था की उसका पुत्र उसे भगवान् कहे न की विष्णु को। हिरण्यकश्यप ने बार-बार प्रहलाद को विष्णु की भक्ति करने से रोका और जब प्रहलाद नहीं माने तो उन्होंने प्रहलाद को जान से मारने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को भगवान से प्राप्त वरदान था की कोई भी उसे आग में जला नहीं सकता जब तक उसके पास भगवान् से प्राप्त चुन्नी होगी। प्रहलाद के पिता ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी और दोनों ने मिलकर प्रहलाद को मारने का एक षड़यंत्र रचा। जिसमे होलिका प्रहलाद को अपने गोद में लेकर जलती चिता में जाकर बैठ जाती है परन्तु भगवान् विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ हानि नहीं होती है और होलिका चिता में जलकर भष्म हो जाती हैं। तभी से हिन्दु धर्म के लोग बुराई के खिलाफ अच्छाई के विजय के रुप में हर साल होली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाते हैं। होली के इस उत्सव में सभी एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर दिनभर होली का जश्न मनाते हैं।

होली एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन लोग अपने बीच के सारे मतभेदों को भूल जाते हैं। सभी लोग एक दुसरे के ऊपर रंगों को फेकते हैं, माथे पर अबीर लगाते हैं और एक – दुसरे को गले लगाकर होली खेलते हैं।

Essay on Holi in Hindi 400 Words

होली भारत त्योहारों का देश है। यहाँ समय-समय पर अनेक त्योहार मनाए जाते हैं फिर भी कुछ त्योहार अधिक महत्त्वपूर्ण और उल्लासमय होते हैं। हमारे अनेक त्योहारों में सबसे रंगीन त्योहार है – होली। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

होली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। हिरण्यकश्यप नाम का राजा स्वयं को भगवान कहकर लोगों से अपनी पूजा करवाता था। उसने विष्णु की तपस्या करके ऐसा वरदान पा लिया था कि वह न दिन में मरे, न रात में, न आदमी से मारा जाए, न जानवर से, न देवता से मारा जा सके न राक्षस से, न अंदर मारा जाए न बाहर। उसने सोचा जब मैं मर ही नहीं सकता तो मैं भगवान ही हो गया। वरदान के मद में वह लोगों को सताने लगा। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। वह सब जगह नारायण का वास मानता था। हिरण्यकश्यप चिढ़कर अपने ही बालक को सताने लगा। प्रहलाद को पहाड़ से गिराया गया, हाथी से कुचलवाया गया, परंतु प्रहलाद बच गया। अंत में प्रहलाद को हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के साथ आग में बैठा दिया गया। उसकी बहन होलिका के पास एक वरदानी चादर थी जिसकी विशेषता थी कि जो कोई उसे ओढ़कर अग्नि में प्रवेश करेगा, उसे अग्नि जला नहीं सकेगी। आग भड़की तो विष्णु की कृपा से हवा का झोंका ऐसा आया कि होलिका की वरदानी चादर उसके ऊपर से उड़कर प्रहलाद के ऊपर पड़ गई। इस प्रकार प्रह्लाद का बाल भी बाँका न हुआ पर होलिका जलकर भस्म हो गई। लोग बहुत प्रसन्न हुए परंतु राजा क्रोध से आग बबूला हो गया। उसने प्रहलाद को एक खंभे पर लिपटने का आदेश दिया। भगवान को याद करके प्रहलाद खंभे से लिपट गया तभी चमत्कार हुआ। खंभा फटी और भगवान आधा शेर और आधा नर का (नृसिंह) रूप धारण करके प्रकट हुए। उन्होंने गरजकर हिरण्यकश्यप को पकड़ लिया और अपने घुटनों पर रखकर उसे नाखूनों से फाड़ डाला।

हिरण्यकश्यप के नाश और होलिका दहन के उल्लास में हर वर्ष होली जलाकर मनाई जाती है। दूसरे दिन सुबह सभी एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं। घर के लोग आने वालों को मिठाइयाँ खिलाते हैं। सभी खुशी-खुशी एक-दूसरे के गले मिलते हैं।

भगवान कृष्ण की जन्मभूमि वृंदावन की होली का रंग तो अनोखा ही होता है। हमें चाहिए कि मौजमस्ती तथा उल्लास से भरे इस त्योहार को स्वच्छ और सुंदर ढंग से मनाएँ।

Essay on Holi in Hindi 450 Words

भारत त्योहारों और पर्वो का देश है। यहाँ हर वर्ष अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। रक्षा-बन्धन, दीपावली, दशहरा, होली आदि यहाँ के प्रसिद्ध त्योहार है। होली त्योहार सामाजिक एकता, मेलजोल और प्रेम भावना का प्रतीक है।

होली का त्योहार बसंत ऋतु में मनाया जाता है। बसन्त में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है, तो होली का त्योहार उसका श्रृंगार करने आता है। इस त्योहार को बसंत का यौवन भी कहा जाता है। इस दिन चारों ओर राग-रंग, उल्लास एवं उमंग का वातावरण होता है। मौसम का रंग तथा मुस्कान देखकर हमारा मन ही रंग-बिरंगा होने लगता है। इसलिए होली को रंगों का त्योहार भी कहते हैं। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस कारण इसे ‘फाग’ भी कहते हैं।

हमारा देश कृषि प्रधान देश है। फरवरी और मार्च के महीने में गेहूँ और चने के दाने पक जाते हैं। अग्नि देवता को प्रसन्न करने के लिए आहुति दी जाती है। नए अनाज की बाले भूनकर अपने इष्ट मित्रों में बाँटी जाती हैं। होलिका दहन के बाद लोग परस्पर एक दूसरे के गले मिलते हैं। अगले दिन फाग खेला जाता है। चारों ओर रंग और गुलाल उड़ता दिखाई देता है। लोग एक दूसरे के चेहरे पर गुलाल लगाते हैं।

“ग़म हमारे दूर करके, भरती खुशियों से झोली। वैरभाव दूर कर, आपस में गले मिलाती होली। ”

होली खेलने के बहाने लोग अपने सारे काम-काज और वैर-विरोध भूलकर आपस में गले मिलते हैं। इस अवसर पर लोगों के चेहरे एवं वस्त्र रंग-बिरंगे हो जाते हैं। चारों ओर मस्ती और उमंग का वातावरण छा जाता है। लोगों की टोलियाँ मस्ती से गाती, नाचती, ढोल-मंजीरे बजाती हुई गली-मोहल्ले में निकलती है। वृन्दावन की होली सबसे प्रसिद्ध है। यह भाईचारे का त्योहार है। दुश्मन भी इस दिन अपनी दुश्मनी को भूलकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं। | यह मिलन का त्योहार है। इसे समता, प्रेम और भाईचारे से मनाना चाहिए। तभी हम इसका सच्चा आनन्द उठा सकते हैं।

पौराणिक कथा

इस त्योहार के साथ एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। प्राचीनकाल में हरिण्यकश्पयु नामक एक निर्दयी और नास्तिक राजा था। वह अपने आप को भगवान मानता था। वह चाहता था कि प्रजा उसे परमात्मा से भी बढ़कर सम्मान करे तथा उसकी पूजा करे। लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त था। उसने अपने पिता का विरोध किया। हरिण्कश्पयु ने क्रोध में आकर अपने बेटे का वध करवाना चाहा। तब उसने अपनी बहन होलिका को बुलवाया, जिसको कि अग्नि देवता ने एक ओढणी के रूप में आग में न जलने का वरदान दिया था | हरिण्कश्पय के आदेश पर वह प्रहलाद को लेकर जलती आग में बैठ गई। लेकिन भगवान की कृपा से ऐसी आँधी चली कि वह ओढनी उड़कर प्रहलाद पर आ गई जिससे वह बच गया। होलिका जलकर राख हो गई। तब से यह पर्व प्रति वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रात्रि के समय होलिका-दहन किया जाता है। लोग इसकी परिक्रमा करते हैं।

Essay on Holi in Hindi 500 Words

In this 500 words essay you will find Holi information in Hindi and can get 10 lines on Holi festival in Hindi. Holi festival in hindi 500 words and now you can say happy Holi in Hindi language.

“मस्ती का त्योहार है होली, बोलो सबसे मीठी बोली। मिलकर खेलेंगे हम जोली, आपस का प्यार है होली।

भारत त्यौहारों का देश है। हम पूरे वर्ष के दौरान कई त्यौहार मनाते हैं। होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है और यह सर्दियों के मौसम के अंत में और वसंत की शुरुआत में मनाया जाता है। यह बहुत खुशी और उत्साह का एक रंगीन त्योहार है, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। होली का पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है | इस पर्व का विशेष धार्मिक, पौराणिक व सामाजिक महत्व है। होली को बुराई पर सच्चाई की विजय के रूप में मनाया जाता है इस त्योहार को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक असूर राजा ने ब्रह्मा के वरदान तथा अपनी शक्ति से मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली थी। राजा हिरण्यकश्यप ने ईश्वर पर विश्वास नहीं किया अपितु अपनी शक्तियों में विश्वास किया। अभिमानवश वह स्वयं को अजेय समझने लगा। प्रहलाद भगवान का भक्त था जबकि उनके पिता हिरण्यकश्यप विष्णु के विरोधी थे| उन्होंने प्रहलाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रहलाद को मारने का प्रयास किया।

उनकी बहन होलिका को एक ईश्वर-प्रतिभाशाली वरदान था कि कोई उसे आग में जला नहीं पाएगा। प्रहलाद के पिता ने आखिर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई और प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठी परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई। तभी से होलिका दहन परंपरागत रूप से हर फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सभी रात में एक जगह इकठ्ठा होकर लकड़ी और गोबर के ढेर को जलाकर होलिका दहन के रिवाज को संपन्न करते है।

होलिका दहन की अगली सुबह, लोग रंग-बिरंगी होली को एक साथ मनाने के लिये एक जगह इकठ्ठा हो जाते है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग गुलाल लगाते हैं। साथ ही मजेदार पकवानों का आनंद लेते। होली एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन लोग अपने बीच के सारे मतभेदों को भूल जाते हैं, टूटे रिश्तों को बनाते हैं और फिर खुश दुनिया में वापस आ जाते हैं। उन पर रंगों को फेंक कर, माथे पर अबीर लगाने और एक-दूसरे को गले लगाने के दवारा होली खेलते हैं।

लोग होली के गाने गाकर और अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ मिलकर संगीत पर नाचकर सड़क पर रंग खेलते हैं। दोपहर के बाद, लोग नमस्कार करने के लिए एक-दूसरे के घर जाते हैं। जगह और संस्कृति के अनुसार होली का उत्सव भिन्न होता है। कुछ जगहों पर, सफेद रंग की पोशाक में होली खेलने की एक परंपरा है और शाम को ऍक-दूसरे को अपना प्यार, स्नेह और भाईचारे दिखाने के लिए गले लगाते हैं।

कुछ लोग सच्ची भावना से त्योहार नहीं मनाते हैं, वे शराब पीते हैं और अन्य लोगों के चेहरों पर कीचड़ का इस्तेमाल करते हैं। इसे टाला जाना चाहिए। हमें स्वच्छ होली खेलना चाहिए। हमें लोगों को इन गतिविधियों को छोड़ने और त्योहार को सही भावना से मनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए क्योंकि यह बहुत सारे रंग, मित्रों और खुशी का उत्सव है।

Essay on Holi in Hindi 600 Words

होली भारतीय समाज का एक अति विशिष्ट और महत्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार को भारतीय समाज अत्यंत प्राचीन काल से नाना रूपों, रंगों और नामों से मनाता आता रहा है, जिसे आज हम रंगों के त्योहार होली के नाम-रूप में जानते-पहचानते और मनाते हैं। कभी इसे मदनोत्सव कहकर पुकारा जाता था। पहले, इस दिन सभी लोग एक-दूसरे पर पुष्पों और उनके बने मधुर, सुकोमल रंगों के इत्रों आदि को डालते थे। बाद में इनका स्थान समुचित रंगों ने ले लिया।

भारतीय समाज एक धर्म-प्राण और तीज-त्योहारों वाला देश रहा है। आज के भौतिकवादी समय में भी भारतवर्ष ने अपनी इस महान् परम्परा को किंचित मात्र भी नहीं छोड़ा है। आज भी समग्र भारतीय समाज इस पर्व के दिन एक अजब उत्साह और उल्लास से भर उठता है। वस्तुत: जैसा कि प्रायः विद्वानों द्वारा कहा भी जाता है, भारतीय पर्व, भारतीय जनमानस की आनंदोत्सव के प्रतीक और उसकी उल्लासपूर्ण अभिव्यक्ति है।

हम सभी इस बात से पूर्णत: परिचित हैं कि साहित्य अपने सारतत्व के लिए मूलतः मानव समाज पर ही न केवल निर्भर होता है अपितु अगर यह कहा जाए कि वो पूर्णत: उसकी आनन्द और विवाद पर ही अवलम्बित होता है, तो किसी प्रकार की असंगति नहीं होगी। साहित्य में जब मानव-जीवन की अपनी बाह्य एवं आन्तरिक रूप-स्वरूप व्यक्त अभिव्यक्त होता है, तब इसका संकेत वस्तुत: यही होता है कि मानवीय जीवन जिन-जिन आयामों, रूपों और भिन्न-भिन्न पक्षों से आप्लावित हुआ करता है साहित्य में वो सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चित्रित होते ही रहते हैं। जिस प्रकार साहित्य में मानव जीवन की कठोर वास्तविकताएं चित्रित एवं अभिव्यंजित होती है ठीक उसी प्रकार मानवीय जीवन के अह्लादपरक क्षण भी साहित्य में चित्रित होते हैं। भारतीय मानव का एक ऐसा ही आह्वापरक क्षण है होली का पवित्र त्योहार। हिन्दी साहित्य में इस उल्लासपूर्ण त्योहार का व्यापक एवं अत्यंत समृद्ध चित्रण हुआ है। यहाँ तक कि भारतीय संस्कृत-साहित्य की भी इस संदर्भ में किसी से पीछे नहीं कहा जा सकता। फिर भी हिन्दी कविता का स्थान इस संदर्भ में अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय रहा है।

होली का चित्रण साहित्य में वैसे तो प्रत्यक्ष रूप से अत्यंत विपुल मात्रा में हुआ है जिसमें प्रमाणों से हिन्दी साहित्य का समग्र इतिहास भरा पड़ा है। किन्तु इसका महत्व तब और भी बढ़ जाता है जब इस होली के त्योहार का उल्लास साहित्य में अप्रत्यक्ष रूप से चित्रित होता है। यथाः

चितवत जारी ओर चख चकि चौंध कौंधे भनि प्रणमेस मातु किरन खरी सी है छवि प्रतिबिम्ब छुट्यों छिति है छपाकार ते छाजत छबीली राजै कनक छरी सी है दीनौ हर लुरक गुलाब को प्रसून ग्रास झुक झुक झुमि झुमि झाँकत परी सी है। आनन अमल अरविन्द ते अमल अति। अद्भुत अमूल आया उफनि परी सी है।

इसी प्रकार से भिखारीदास ने भी होली का भव्य चित्रण अपने काव्य में किया है उनकी एक अत्यंत प्रसिद्ध काव्यांश इस प्रकार से है।

कढ़ि के निसंक पैठि जाति झुंड झुंडन में, लोगन को देखि दास अनंद पगति है। दौरि दौरि जहाँ तही लाज करि डारति है। अंक लगि कंठ लगिबे को उजगारी है। चमक झमक बारी, ठमक जमक बारी, रमक नमक बारी जाहिर जगति है। राम असि रखरे की रन में नरन में निलाज बनिता सी होगी खेलन लगति है।

इसी प्रकार की एक कविता पद्माकर जी ने भी लिखी है। यथाः

फागु की भीर, अभीरिन में गहि गोविंद ले गई भीतर गोरी। भाई करी मन की पदमाकर ऊपर भाई कबीर की झोरी।। छीख पितंबर कम्मर ते सुबिदा पई मीडि कपोलन रोरी नैन बचाय कही मुसनम बला फिर आइयो खेलन होरी॥

अत: हमारे कहने का अभिप्राय जो था वह इन उदाहरणों से पूर्णत: सिद्ध हो जाता है कि जिस प्रकार रंगों का यह त्योहार हम भारतीयों में व्यापकता में बसा हुआ है उसी प्रकार हमारे साहित्य में भी।

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Holi Essay In Hindi | होली पर हिन्दी निबंध | essay on Holi in hindi | Holi: The festival of colors- होलीः गुलाल से गुलजार रंगो का त्योहार

By: savita mittal

The start of Spring- वसंत से आगाज | Holi Essay

The victory of the good over the evil- अच्छाई पर बुराई की जीत का पर्व, holi in the pages of history- इतिहास के पन्नों में होली का जिक्र, colorful country- रंगो से सराबोर देश, braj holi- ब्रज की होली, holi in india and across the globe- देश-विदेश में होली के रंग.

फाल्गुन की पूर्णिमा और बसंत की बयार, गर्मी की दस्तक और होली का त्योहार होली। होली एक ऐसा त्योहार, जिसके दस्तक देते ही समूचा देश गुलाल से गुलजार हो उठता है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश का हर कोना रंगों में सराबोर हो खुशियों के इस पर्व को पूरी मौज-मस्ती के साथ मनाता है। मशहूर शायरनज़ीर अकबराबादीने होली को कुछ तरह बयां करते हुए कहा है-

यहाँ पढ़ें : होलिका दहन का पर्व

जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की। और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की।। बाज़ार, गली और कूचों में ग़ुल शोर मचाया होली ने। दिल शाद किया और मोह लिया ये जौबन पाया होली ने।।

रंग और गुलाल ही होली के प्रमुख अंग हैं। प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहा जाता है। फाल्गुन मास (मार्च महीना) की पूर्णिमा को मनायी जाने वाली होली को बसंत का त्योहार, रंगों का त्योहार और प्यार के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। वैसे तो होली का पर्व देश की शान है लेकिन साथ ही होली उन त्योहारों में से एक है, जिन्हें पूरे एशिया सहित कई पश्चिमि देशों में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।

होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होने के साथ ही यह अनेकता में एकता का त्योहार भी है। होली के दिन सभी लोग आपसी गिले-शिकवे भूल कर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और सब साथ मिल कर होली खेलते हैं। जिसके कारण इसे प्यार का पर्व भी कहा जाता है।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन का रिवाज होता है, जिसे कई जगहों पर छोटी होली के नाम से जाना जाता है। इसके अगले दिन बड़ी होली खेली जाती है, जिसे देश के हर कोनों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कई जगहों पर इसे रंग वाली होली, तो कहीं धुलेटी, धलांडी और फाग्वाह भी कहा जाता है।

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वैसे तो होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को ही मना गया है लेकिन वास्तव में होली का पर्व वसंत पंचमी के दिन से ही शुरू हो जाता है।

वसंत पंचमी के पर्व से ही खेतों में लहलहाती सरसों और इठलाती गेहूँ की बलियाँ…बाग-बगीचों में फूलों की चादर बिछ जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सभी खुशी से परिपूर्ण हो उठते हैं। वसंत की बयार के साथ हीचारों तरफ रंगों की फुहार फूट पड़ती है और सभी लोग पहली बार रंग – गुलाल उड़ा कर होली के आगमन का शंखनाद कर देते हैं। Holi Essay

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नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथो में भी होली के पर्व का उल्लेख मिलता है। हिन्दु धर्म में मनाए जाने वाले हर त्योहार की तरह होली की भी एक पौराणिक कथा है, जिसके साक्ष्य भागवत पुराण में मिलते हैं। इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के अहंकार में आकर वह खुद को ही भगवान मानने लगा था।

इसी कारण उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर भी पाबंदी लगा दी थी। मगर, हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और हमेशा विष्णु का ही ध्यान करता रहता था।

प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद के लेकर आग में बैठ जाए। दरअसल होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती।

हिरण्यकश्यप का आदेश मान कर होलिका प्रह्लाद को अपनी गोंद में लेकर आग में बैठ गई । आग में बैठते ही अग्नि की लपटें होलिका को अपने चपेट में लेने लगीं लेकिन प्रह्लाद को एक आंच भी नहीं आई। इस प्रकार होलिका तो जल गई, मगर प्रह्लाद सुरक्षित बच गया।

इस घटना को अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में देखा जाता है। जहाँ होलिका को समाज में व्याप्त बैर और बुराई का प्रतीक जाना  माना जाता है, वहीं प्रह्लाद को प्रेम तथा आनंद का रूप माना जाता है।

होली के संदर्भ में एक और कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण ने कंस द्वारा भेजी पूतना नाम की राक्षसी का वध किया था। पूतना के वध के पश्चात अगले दिन पूरे ब्रज में होली खेल कर खुशियाँ मनायी गईं थी। यही वो दिन था जब राधा-कृष्ण पहली बार मिले थे। इसीलिए पूतना वध को बुराई पर अच्छाई की जीत और राध-कृष्ण के मिलन को प्यार के पर्व के रूप में मनाया जाता है।

पौराणिक त्योहार होने के साथ ही होली एतिहासिक त्योहार भी है, जिसका जिक्र इतिहास के पन्नों में कई जगहों पर मिलता है। वसंत ऋतु में मनाए जाने के कारण इतिहास में होली का उल्लेख वसंतोत्सव और कामहोत्सव के रूप में किया गया है।

इतिहासकारों के अनुसार सबसे पहले होली का उत्सव मनाने का प्रचलन आर्यों में था, साथ ही इस त्योहार को ज्यादातर पूर्वी भारत में मनाया जाता था। होली के त्योहार का वर्णन जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र सहित अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है। इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध अरबी यात्री अल-बरुनी ने भी अपने यात्रावृतांत ‘किताब-उल-हिंद’ में भी ‘होलिकोत्सव’ के नाम से होली के त्योहार का उल्लेख किया है।

मध्यकाल में भी देश में होली खेलने के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। मुगलकालीन ग्रंथ अकबरनामा में मुगल बादशाह अकबर और उनकी बेगम जोधाबाई के होली खेलने का जिक्र मिलता है। वहीं अलवर संग्रहालय में संग्रहित एक मुगलकालीन चित्र में जहाँगीर और नूरजहाँ को होली खेलते हुए दिखाया गया है।

मुगल बादशाह शाहजहाँ के समय तक होली खेलने का मुग़लिया अंदाज़ ही बदल गया था। उनके ज़माने में होली का जिक्र ‘ईद-ए-गुलाबी’ या ‘आब-ए-पाशी’ ( रंगों की बौछार ) के रूप में किया गया है। इसके अलावा मध्ययुगीन हिन्दी साहित्य में दर्शित कृष्ण की लीलाओं में भी होली का विस्तृत वर्णन मिलता है।

मध्यकालीन भारतीय मंदिरों पर बनी आकृतियों में भी होली के सजीव चित्र देखे जा सकते हैं। जहाँ एक ओर विजयनगर की राजधानी हंपी मेंबने एक चित्रफलक पर होली का बेहद खूबसूरत चित्र उकेरा गया है।तो वहीं एक कलाकृति में मेवाड़ के राजा महाराणा को अपने दरबारियों के साथ होली का जश्न मनाते हुए दिखाया गया है।

इसके अलावा सहित्य के कई ग्रंथो मसलन हर्ष की प्रियदर्शिका व रत्नावली , कालिदास की कुमारसंभवम्, चंद बरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो सहित भक्ति काल में कबीर, मीराबाई, सूरदास से लेकर आदिकाल में विद्यापति तक की रचनाओं में होली का विस्तृत वर्णन मिलता है।

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देश के विभिन्न कोनों में होली का त्योहार अनेक तरह से मनाया जाता है। सभी समुदाय अपनी-अपनी परंपराओं के आधार पर होली का जश्न मनाते हैं। लेकिन होलिका दहन और रंगों की होली अमूमन पूरे देश में एक समान ही मनायई जाती है।

होली के सात दिन पहले से ही इसकी तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। गली, मोहल्लों और नुक्कड़ों तथा चौपालों पर बाँस, लकड़ी और गोबर के उपलों से होलिका लगाई जाती है। छोटी होली के दिन दोपहर से ही होलिका का विधिवत पूजन आरंभ हो जाता है। जिसके बाद रात को पूर्णिमा के आरंभ के साथ होलिका दहन होता है।

होलिका दहन के अगले दिन को धूलिवंदन कहा जाता है। इस दिन लोग रंगों और गुलाल से होली खलते हैं। सूरज की पहली किरण के साथ ही लोग अपने चाहने वालों के साथ तो होली खेलते ही हैं, साथ ही सभी लोग आपसी कड़वाहटों पर भी गुलाल छिड़क कर हर रिश्ता गुलजार कर लेते हैं।

शहरों, मोहल्लों और गाँवों में जगह-जगह टोलियाँ रंग-बिरंगे कपड़े पहने नाचती-गाती दिखाई पड़ती हैं। वहीं बच्चे भी पिचकारियों और पानी भरे गुब्बारों के साथ होली का भरपूर आनन्द लेते हैं। मौज-मस्ती का ये सिलसिला दोपहर तक चलता रहता है, जिसके बाद सभी नए कपड़े पहनकर शाम को एक-दूसरे के साथ मिलकर स्वादिष्ट पकवानों के जायकों का लुत्फ उठाते हैं।

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होली का पर्व अमूमन पूरे देश में बेहद धूम-धाम और उतने ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है लेकिन जमकर होली खेलने की फेहरिस्त में मथुरा का नाम शुमार है। मथुरा की होली न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी खासी मशहूर है, जिसका लुत्फ उठाने के लिए देश-विदेश से कई पयर्टक आते हैं। मथुरा की होली अपने आप में बेहद खास है। अमूमन पूरे देश में जहाँ एक या दो दिन तक होली का जश्न मनाया जाता है वहीं मथुरा नगरी पूरे 15 दिनों तक होली के रंग में सराबोर रहती है। 15 दिनों तक चलने वाली इस होली में हर दिन अलग और अनोखा होता है।

मथुरा की होली में सबसे मशहूर लठमार होली है। ब्रज के बरसाना गाँव में खेली जाने वाली लठमार होली बेहद अनोखी होती हैं। इस होली को कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़ कर देखा जाता है।

माना जाता है कि कृष्ण का रंग सांवला था इसलिए वोराधा के गोरे रूप को देखकर चिढ़ते थे। जिसके कारण कृष्ण अपने दोस्तों के साथ राधा को रंग लगाने बरसाने जाते थे। तब राधा और उनकी सखियाँ कृष्ण और उनके सखाओं पर जमकर डंडे बरसाती थीं। तब से ये होली लठमार होली के नाम से मशहूर हो गई। होली के दिन जहाँ पूरे देश में रंगों से होली खेली जाती है, वहीं ब्रिज में लठमार होली खेलने का रिवाज है।

होली के पर्व पर मथुरानगरी का नजारा सीधा लोगों के दिलों पर दस्तक देता है। 15 दिवसीय होली पर मथुरा में नन्दगाँव की होली , बरसाने की होली, फूलों की होली, लड्डुओं की होली भी खासी दिलचस्प होती है।

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होली के दिन पूरा भारत गुलाल से गुलजार हो उठता है। पूर्वी भारत में भी होली का त्योहार काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहाँ होली को फगुआ कहा जाता है। वहीं मणिपुर में होली का पर्व छह दिनों तक मनाया जाता है।

उत्तर प्रदेश और बिहार में होली के दिन रंग खेलने के अलावा लोक गीतों और नृत्यों का आयोजन किया जाता है। होली के दिन यहाँ ठंडाई पीने का रिवाज भी है।

गुजरात स्थित द्वारकाधीश मंदिर में होली का भव्य आयोजन किया जाता है। इस दौरान दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान कृष्ण के दर्शन करने द्वारका आते हैं।

जम्मू-कश्मीर में भी होली के त्योहार को गर्मियों की फसल कटाई के आरंभ के रूप में मनाया जाता है। बड़ी सख्यां में लोग होली समारोह में हिस्सा लेते हैं और पूरे धूम-धाम से परंपराओं के साथ होली का जश्न का मनाते हैं।

महाराष्ट्र में होली की तैयारियाँ लगभग एक हफ्ते पहले ही शुरू हो जाती है। छोटी होली के दिन होलिका दहन के बाद पारंपरिक मिष्ठान पुरान पोली खाई जाती है। बच्चों में ‘होली रे होली पुरान्ची पोली’ कहकर चिल्लाते हुए पुरान पोली का स्वाद चखते हैं।

उत्तराखंड में भी होली पूरे धम-धाम से मनाई जाती है लेकिन यहाँ के कुमाऊँ क्षेत्र में होली का विशेष महत्व है। यहाँ होली को मुख्य रूप से तीन तरह से मनाया जाता है – बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली। बैठकी होली में स्थानीय नृत्य और लोकगीत गाते हुए पारंपरिक रूप में होली मनाई जाती है, वहीं खड़ी होली मनाने का प्रचलन ज्यादातर कुमाऊँ क्षेत्र के गाँवों में है।

होली की धूम न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी खासी दिलचस्प होती है। इस दिन नेपाल, पाकिस्तान, अमेरिका, फिजी, मॉरिशस, इंडोनेशिया, गुयाना सहित कई देश होली के रंग में रंग जाते हैं।

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Reference – 2020, holi festival of colours , wikipedia 2020, होली , विकिपीडिया

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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होली पर निबन्ध | Essay for Kids on Holi in Hindi

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होली पर निबन्ध | Essay for Kids on Holi in Hindi!

होली रंगों का त्योहार (Festival of Colours) है । इस त्योहार को देश के अलग-अलग भागों में भिन्न-भिन्न (Different) प्रकार से मनाया जाता है किन्तु यह चाहे जिस रूप में मनाया जाए वसन्त ऋतु (Spring Season) के इस त्योहार का रंग हर जगह एक-सा लगताहै । पेड़ों पर जन्म लेते नये-नयेपत्तों तथा आनन्ददायक (Pleasant) हवाओं के बीच रंग और गुलाल से प्रकृति (Nature) को और रंगीन बनाने तथा खुले मन से नाचने-गाने का पर्व है होली ।

ADVERTISEMENTS:

होली का त्योहार अपने देश की कुछ पौराणिक कहानियों (Epical Stories) से जुड़ा हुआ है । उनमें से प्रहलाद और होलिका की कहानी तो हर साल होली में दुहराई (Repeat) जाती है । कहा जाता है कि हिरण्यकश्यपु नामक राक्षस राजा अपने पुत्र प्रस्ताद को इसलिए मार डालना चाहता था क्योंकि वह भगवान विष्णु का भक्त था । हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को अपना शत्रु (Enemy) मानता था ।

उसने प्रस्ताद को मारने के अनेक उपाय किये, लेकिन असफल (Unsuccessful)  रहा । एक बार उसने अपनी बहन होलिका को देवताओं द्वारा दिये गए वस्त्र को पहन कर, प्रस्ताद को गोद में लेकर जलती चिता में बैठने के लिए कहा ।

होलिका ने वैसा ही किया किन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रस्ताद बच गया और होलिका जलकर मर गई । ऐसा माना जाता है कि तभी से हर वर्ष फाष्टन पूर्णिमा को होलिका दहन और होली मनाने की प्रथा चली ।

होली में पूजा-पाठ के साथ-साथ तरह-तरह के नये वस्त्र पहनने तथा नये-नये प्रकार के भोजन करने का रिवाज है । लोग कई दिन पहले से ही होली मनाने की व्यवस्था करने में लग जाते हैं । होली के दिन होलिका दहन किया जाता है अर्थात् पुराने घास-फूस-झाड़ियाँ टूटी-फूटी चीजें आदि जलाई जाती हैं और लोग नाचते-गाते हैं । लोग दिन निकलते ही तरह-तरह के वस्त्र पहन कर एक दूसरे पर रंग डालते और गुलाल लगाते तथा गले मिलते हैं । बच्चे-बूढ़े, युवक, स्त्री-पुरुष सबके मन में नई आशा और नया उमंग (Joy) लहराने लगता है ।

4. उपसंहार:

होली अपने दुखों को भूलकर भावी जीवन सँवारने, पुरानी दुश्मनी भूलकर नये रिश्ते कायम करने तथा बुराइयों को छोड्‌कर अच्छाई की राह पर चलने के निश्चय का त्योहार है ।

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होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi 2024 (Holi par Nibandh)

Holi Essay in Hindi 2024: हमारा देश पर्वों एवं त्योहारों की भूमि है। यहाँ विभिन्न धर्मों के अनेक त्योहार प्रतिवर्ष मनाए जाते हैं। होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे रंगों का त्योहार (festival of colours) भी कहते हैं। इस आर्टिकल में हम विद्यार्थियों के लिए होली पर हिंदी निबंध लेकर आए हैं। यहाँ से students अपनी पसंद और आवश्यकता के अनुसार होली पर निबंध का चयन कर सकते हैं। यदि आपने भी अपने स्कूल में होली के अवसर पर निबंध लेखन प्रतियोगिता (Essay writing competition) में भाग लिया है तो आप हमारे द्वारा प्रस्तुत कराए गए essays की मदद से होली पर एक शानदार निबंध लिख सकते हैं। Essay on Holi in Hindi for students.

Holi Essay in hindi

होली को रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। हर साल मार्च के महीने में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा उत्साह के साथ होली मनाई जाती है। जो लोग इस त्योहार को मनाते हैं, वे हर साल रंगों के साथ खेलने के लिए उत्सुकता से इंतजार करते हैं।

दीपावली की तरह होली जैसे त्यौहार पर भी स्कूल आदि में शिक्षकों (Teachers) द्वारा बच्चों को निबंध लिखने के लिए कहा जाता है ऐसे में सभी विद्यार्थी एक उत्कृष्ट निबंध (Excellent essay) लिखने की कोशिश करते हैं।

इस आर्टिकल में हमने 1 से 12 कक्षा के विद्यार्थियों के लिए होली पर छोटे, बड़े, आसान और सरल निबंध प्रस्तुत कराए है जो छात्रों की होली पर निबंध लिखने में बहुत सहायता कर सकते हैं।

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होली का त्यौहार बच्चों के लिए विशेष रूप से मजेदार और आनंदमय होता है। होलिका दहन के दिन लकड़ी एकत्र की जाती है। सभी महिलाएं होलिका दहन के दिन शाम को होली जलाने से पहले होली की पूजा करती हैं।

सभी धर्मों के लोग एक साथ होली मनाते हैं। होली के दिन हर कोई एक-दूसरे को रंग (colour) लगाकर एक-दूसरे के प्रति प्यार जताता है।

होली हमारे देश का प्रमुख त्योहार है। यह हिंदू धर्म का त्योहार है लेकिन सभी धर्मों के लोगों द्वारा इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। होली के दिन सभी एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। होली के एक दिन पहले होलिका दहन (holika dahan) किया जाता है, जो रात में होता है।

होलिका दहन के पीछे एक पौराणिक कथा (mythology) है जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है। होली के दिन, लोग सभी शिकायतों को भूल जाते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं। होली का त्यौहार एक साथ मिलजुल कर मनाया जाता है।

होली का त्यौहार एक बहुत ही खूबसूरत त्यौहार (beautiful festival) है। यह पूरे भारत में मनाया जाता है। इसे रंगोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। होली दो दिन का त्योहार है। इस दिन हम शाम को होलिका दहन करते हैं और दूसरे दिन हम एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली का त्योहार मनाते हैं।

यह होली का त्यौहार वसंत के मौसम (Spring season) के आगमन पर मनाया जाता है। हमारे भारत में, यह त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। हम इस त्योहार पर रंगों और गुलाल से एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं।

इस दिन हमारी माँ विशेष मिठाइयाँ बनाती हैं। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली एक प्रसिद्ध त्योहार (famous festival) है। यह रंगों का त्योहार है। होली दो दिवसीय त्योहार है। हम पहले दिन की रात को होलिका दहन करते हैं। दूसरे दिन लोग रंगों से खेलते हैं। होली हर साल फालुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।

यह त्योहार लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करता है। इस दिन सभी लोग पके हुए खाद्य पदार्थों जैसे गुझिया, पापड़, दही भल्ले आदि का सेवन करते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु ने अपने महान भक्त प्रह्लाद को होलिका से बचाया था। होली बुराई पर अच्छाई की जीत को चिन्हित करता है।

होली पूरे भारत में और दक्षिण एशिया के अन्य देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाए जाने वाले प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। होली रंगों का त्यौहार है और लोग इस दिन रंग लगाते हैं। होली खुशी का त्योहार है जो वसंत के आगमन का प्रतीक है।

होली को आशा और आनंद का प्रतीक माना जाता है। यह एक अच्छी फसल के लिए धन्यवाद के रूप में मनाया जाता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

यह त्योहार मार्च के महीने में और कभी-कभी फरवरी के महीने में आता है। होली का त्यौहार हम सभी को मिलकर मनाना चाहिए।

होली रंगों का त्योहार है। यह हिन्दुओं के त्योहार के रूप में है, लेकिन अब हर कोई एक-दूसरे पर रंग उड़ाने के माध्यम से प्यार को साझा करने की इस सुंदर संस्कृति में लिप्त है।

होली प्यार में एक दूसरे को रंग देने का प्रतीक है। होली को सभी संस्कृतियों और राज्यों (Cultures and states) द्वारा व्यापक रूप से भारत में मनाया जाता है। वैसे भी, होली एक मजेदार त्योहार (fun festival) है।

छोटे बच्चे पानी के रंगों के साथ खेलना पसंद करते हैं, बुजुर्ग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, अच्छा भोजन और पल साझा करते हैं। सभी आयु वर्ग के लोग होली के इस त्योहार का आनंद लेते हैं।

होली का त्यौहार एक हिंदू त्यौहार (hindu festival) है जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है। रंगों का त्योहार प्रेम, हंसी, दोस्ती, आशा और खुशी का उत्सव (celebration of happiness) है।

यह व्यापक रूप से भारत (India) के सबसे रंगीन त्योहार (colorful festival) के रूप में जाना जाता है, और इसे आमतौर पर गुलाल, रंगीन पाउडर के साथ वसंत के रंगों की नकल करते हुए मनाया जाता है।

आमतौर पर हिंदू कैलेंडर में फाल्गुन (मार्च) की पहली पूर्णिमा को मनाया जाता है, होली सभी उम्र के लोगों के लिए एक बहुत अच्छा पर्व है।

एक ऐसा पर्व जो एक दूसरे के साथ जुड़ने, एक दूसरे के साथ गाने और नृत्य करने, भोजन साझा करने के लिए, और आगे आने वाले दिनों की आशा जगाता है। अब इसे पूरे विश्व में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

होली वसंत के मौसम में हर साल मनाया जाने वाला रंगों का त्यौहार है। यह पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन पड़ता है। लोग अपनी पुरानी दुश्मनी को भूल जाते हैं और होली के दौरान एक दूसरे के साथ रंगों से खेलते हैं।

होलिका दहन पूर्णिमा के दिन शाम को किया जाता है जहाँ होलिका दहन के प्रतीक के रूप में लकड़ी का एक बड़ा ढेर जमीन पर जलाया जाता है। महिलाएं इस दौरान पारंपरिक गीत (traditional songs) गाती हैं।

अगले दिन सुबह लोग रंगों से खेलते हैं। छोटे बच्चे (small children) रंगीन पानी से गुब्बारे (balloons) भरते हैं और एक दूसरे पर फेंकते हैं। लोग इस त्योहार का आनंद गाते हुए, नाचते हुए और स्वादिष्ट भोजन (delicious food) करके लेते हैं।

हर कोई इस दिन परिवार (family) और दोस्तों (friends) से मिलता है और अपनी खुशी का इजहार करता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

होली को रंगों के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों (important festivals) में से एक है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में हिन्दू धर्म के अनुयायियों (followers) द्वारा उत्साह और उमंग के साथ होली मनाई जाती है।

जो लोग इस त्यौहार को मनाते है वे हर साल रंगों के साथ खेलने और मनोहर व्यंजनों का बेसब्री से इंतजार करते हैं। होली दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ मनाने के बारे में है।

लोग अपनी परेशानियों को भूल जाते है और भाईचारे का त्योहार मनाने के लिए इस त्यौहार का आनंद लेते है। दुसरे शब्दों में हम अपनी दुश्मनी भूल जाते है और त्यौहार की भावना में खो जाते है।

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि लोग रंगों के साथ खेलते है और त्यौहार के सार में रंग पाने के लिए उन्हें एक दुसरे के चेहरे पर लगाते है।

हमारा देश पर्वों एवं त्योहारों की भूमि है। यहाँ विभिन्न धर्मों के अनेक त्योहार प्रतिवर्ष मनाए जाते हैं। होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं। होली का त्यौहार सारे देश में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

होली प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन रात में होलिका दहन होता है। होलिका दहन के अगले दिन सुबह सभी एक दुसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं।

प्रत्येक घरों में मिठाइयाँ और पकवान बनाए जाते हैं। बच्चे उन्हें खाकर बहुत प्रसन्न होते हैं। रंग खेलने के बाद सभी नहा धोकर नए-नए वस्त्र पहनते हैं। सभी इर्ष्या-द्वेष भुलाकर एक-दुसरे के घर जाकर आपस में गले मिलते हैं।

इस दिन लोग एक दुसरे को होली की बधाई देते हैं। होली का कार्यक्रम लगभग एक सप्ताह तक चलता है। जगह-जगह होली मिलन समारोहों का आयोजन होता है। यह एक ऐसा त्योहार है जो समाज में प्रेम और भाईचारे को बनाए हुए है।

परिचय: भारत मेलों और त्योहारों का देश है। हिन्दुओं, मुसलमानों और ईसाईयों के अपने त्योहार हैं। होली हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है। यह खुशी और दोस्ती का त्योहार (festival of friendship) है।

उत्सव का समय: यह मार्च-वसंत के मौसम में मनाया जाता है। वसंत वर्ष के सभी मौसमों में सबसे अच्छा है। यह सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है।

इसके पीछे की पौराणिक कथा: यह भक्त प्रह्लाद की याद में मनाया जाता है। उसे ईश्वर पर बहुत भरोसा था। उसके पिता हिरण्यकश्यप ने उसे यातनाएं दीं लेकिन उसने भगवान में अपना विश्वास नहीं छोड़ा। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अपनी बाहों में प्रह्लाद के साथ अग्नि की ज्वाला में बैठने को कहा। होलिका जलकर राख हो गई लेकिन प्रह्लाद ने लपटों से अछूते को हटा दिया।

यह कैसे मनाया जाता है: शहर के कई स्थानों पर रात में होली जलाई जाती है। ढोल पीटा जाता है। लोग नाचते और गाते हैं। वे गुलाल से एक-दूसरे का मुंह रंगीला बना देते हैं। वे खाते हैं, पीते हैं, नाचते हैं और आनंद लेते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। उन्होंने घर में तैयार मिठाइयों को साझा किया।

निष्कर्ष: वास्तव में, होली रंगों का त्योहार है। अगर हमारे दिल में उमंग और खुशी है।

होली हिंदुओं का लोकप्रिय त्योहार (popular festival) है। यह प्रत्येक वर्ष पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। यह बहुत ही मनोहर त्यौहार है। एक-दुसरे पर रंग डालने और अपने साथियों के चेहरे को रंगीन बना देने में बड़ा आनंद आता है।

यह त्यौहार सभी के लिए ख़ुशी और मौज-मस्ती का त्यौहार है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन शाम को किसी चौराहे पर लकड़ी आदि जलाते हैं।

इस दिन किसान (farmers) अन्न के नये दाने होलिका की अग्नि में चढ़ा कर नया अन्न खाना शुरू करते हैं। रंग के दिन लोग एक-दुसरे पर गुलाल डालते हैं। इस दिन बड़ा मजा आता है।

बच्चे इस मौके का बेसब्री से इंतजार करते हैं कि कब वो अपने दोस्तों को रंग सके। होली मेल व एकता का पर्व है इसलिए इस मौके पर किसी पर कीचड़ आदि फेंकना या शराब पीना अनुचित है।

केवल प्यार से रंग खेलना चाहिए, मतलब होली का त्यौहार मनाना चाहिए। स्वादिष्ट पकवानों का मिलकर आनंद लेना चाहिए और दुश्मनों को भी दोस्त बना लेना चाहिए। इस त्यौहार की सभी को मुबारकबाद देनी चाहिए।

होली हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है। होली हर साल फाल्गुन (मार्च) के महीने में विभिन्न प्रकार के रंगों के साथ मनाई जाती है। होली का त्यौहार पुरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दिन घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। होली का त्यौहार लोग आपस में गले लगकर और एक दुसरे को रंग लगाकर मनाते हैं। इस दौरान धार्मिक और फाल्गुन गीत (phalgun song) भी गाये जाते हैं। होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।

होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास (ancient history) है। प्राचीन समय में हिरनकश्यप नाम का एक असुर था जो भगवान् विष्णु विरोधी था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था।

कश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान् विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे इसी कारण कश्यप ने अपनी बहन होलिका से पुत्र प्रहलाद को जान से मारने के लिए आग में लेकर बैठने को कहा क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था।

उसके बाद होलिका प्रहलाद को लेकर चिता में बैठ जाती है लेकिन प्रहलाद आग में सुरक्षित बच जाते हैं जबकि होलिका आग में चलकर भस्म हो जाती है।

होली हँसी-खुशी का त्यौहार है। यह एकता और भाई -चारे, मिलन और खुशी का प्रतीक है। होली का त्यौहार फाल्गुन महीने की पूर्णमासी को मनाया जाता है। इसमें एक-दुसरे पर रंग डालते हैं। सूखा, गुलाल रंग भी मलते हैं। रंग पानी में घोलकर पिचकारी चलाने से बड़ा आनंद आता है।

सबके मन मस्त हो जाते हैं। लोग नाचते-गाते हैं और विभिन्न प्रकार के स्वांग रचते हैं। आपस में गले मिलते है। कहते हैं कि, प्रहलाद ईश्वर भक्त था। उनके पिता हिरण्यकश्यप कहता था कि “मुझे ईश्वर मानो।” परन्तु उसका पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था।

पिता के कहने पर भी प्रहलाद ने भगवान की भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप की बहिन होलिका थी जिसे आग से नहीं जलने का वरदान प्राप्त था। अत्याचारी हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई थी पर होलिका तो जल गई, प्रहलाद बच गया।

होली उस प्राचीन घटना (ancient event) की भी याद दिलाती है। कई बच्चे और कई बड़े भी मिट्टी उड़ाते हैं, गुब्बारे मारते हैं, कालिख मलते हैं, गालियाँ बकते हैं और भद्दे शब्द (ugly words) बोलते है। इससे कभी-कभी लड़ाई-झगड़ा भी हो जाता है।

कुछ लोग नशा करते हैं। ये बुरी बातें हैं। होली ख़ुशी मनाने का पर्व है। इस दिन पुरानी दुश्मनी भूल जानी चाहिए। रूठे हुए लोगों को मनाना चाहिए और इस तरह प्रेम प्रीति का जीवन (life of love) व्यतीत करने का संकल्प करना चाहिए।

होली एक रंगों का त्योहार है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संदेश वाहक (संदेशवाहक = संदेश लाने वाला) है। इसके आगमन पर सभी प्राणी (creature) और यहाँ तक कि प्रकृति भी आनंद और उमंग से इठला जाती है। हिन्दू लोग इसे हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

यह त्यौहार एकता, मिलन और पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस त्यौहार को किसान लोग बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। इन दिनों किसानों की वर्ष भर के परिश्रम (labor) से उगाई गई फसल पक कर तैयार होती है। वे अपनी फसल को लहराई हुई देखकर फुले नहीं समाते हैं।

सभी किसान मिलकर नाचते गाते हैं। इस दिन सभी लोग रात को नए अनाज की बालों को होली की आग में भूनकर उसके दानों को सब में बाँटते हैं और आपसी बैर-भाव को भुलाकर एक दुसरे से गले मिलते हैं। संध्या समय महिलाएं और बच्चे होली की पूजन करते हैं।

होली का अगला दिन दुल्हैंडी का होता है। इस दिन लगभग दोपहर के दो बजे तक रंग और गुलाल से होली खेली जाती है। इस होली के रंग, गुलाल में बच्चे, जवान और बूढ़े पुरुष-महिलाएं सभी हिस्सा लेते हैं। कुछ लोग गुलाल की जगह चंदन का टिका लगाते हैं और आपस में गले मिलते हैं।

गली-मुहल्लों और सड़कों पर अनेक टोलियाँ नाचती-गाती दिखाई पड़ती है। ब्रज की होली बहुत प्रसिद्ध है। इस दिन लोग पकवान बनाते हैं और दुसरे लोगों को मिष्ठान आदि खिलाते है। होली के दिन कुछ लोग तो भांग आदि का भी सेवन करते हैं।

होली रंगों का त्योहार है। यह एक मौसमी त्योहार (seasonal festival) है और हिंदुओं के लिए सबसे सुखद त्योहार है। यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। यह मार्च के महीने में चैत के पहले दिन मनाया जाता है। इसकी पृष्ठभूमि में एक कहानी (story) है। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी राजा (tyrannical king) था। वह ईश्वर में विश्वास नहीं करता था। उसने अपनी प्रजा को भगवान की पूजा करने से प्रतिबंधित कर दिया।

उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान का भक्त था। दुष्ट राजा ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को आग में जिंदा जलाने का आदेश दिया। एक दिव्य उपहार के अनुसार, होलिका आग में नहीं जल सकती थी, लेकिन भगवान की महिमा अद्भुत है। होलिका जल गई और प्रह्लाद का कुछ नहीं हुआ। होलिका दहन उसी घटना को मनाने के लिए होली से एक रात पहले किया जाता है।

होलिका दहन के बाद का दिन हास्य और रंग का होता है। सभी बच्चे, लड़के और लड़कियां रंगों में खेलते हैं। लोग सड़कों पर और सड़कों पर, ड्रम बजाते हुए, गाने गाते हुए समूहों में हँसते, गाते और नाचते हैं। हास्य विनोद अपनी सीमा तक पहुँचता है।

वे अवीर लेते हैं (लाल, हरा, पीला रंग जिसे लोग होली के दिन माथे पर लगाते हैं, इसे अवीर कहा जाता है।) अपने हाथों में और इसे अपने दोस्तों और परिवारों के माथे पर लगाते हैं। शाम को लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं। होली आनंद देने वाला त्यौहार है।

यह त्योहार लोगों को चिंतामुक्त (tension free) करता है। लोग विभिन्न ढंग से अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हैं। कुछ लोग इस अवसर पर कीचड़ और गंदे पानी डालते हैं। यह उचित नहीं है। कुछ लोग नशीली वस्तुओं का सेवन करते हैं। गंदे गाने गाते है और नारियों का अपमान करते हैं।

असामाजिक तत्व इस अवसर को गन्दा बनाते हैं। होली का त्योहार हमें प्रेम की शिक्षा देता है। इसे उचित ढंग से मनाना चाहिए। हम लोगों को सभी नागरिक की तरह व्यवहार करना चाहिए। यह त्यौहार हमें भाईचारे का पाठ पढ़ाता है।

होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस समय ग्रीष्म ऋतु (summer season) की शुरुआत हो जाती है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। एक कथा है, प्राचीन काल में हिरनकश्यप नाम का एक असुर राजा हुआ करता था। वह खुद को ईश्वर से भी महान समझता था। उसका पुत्र प्रहलाद परम ईश्वर भक्त था।

हिरनकश्यप ने प्रहलाद को ईश्वर भक्ति छोड़कर अपनी भक्ति करने का आदेश दिया लेकिन प्रहलाद ने अपने पिता का आदेश नहीं माना तो हिरनकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को मारने का निश्चय किया। हिरनकश्यप की एक बहन भी थी जिसे आग में न जलने का वरदान प्राप्त था जिससे उस पर आग का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता था।

इसलिए असुर राजा ने अपनी बहन को प्रहलाद को लेकर आग में बैठने का आदेश दिया। होलिका अपने भाई का आदेश मानकर प्रहलाद को आग में लेकर बैठ गई। मगर हुआ यूँ कि, प्रहलाद को आग भी नहीं जला सकी, जबकि होलिका आग में न जलने का वरदान प्राप्त होते हुए भी आग में जल गई और प्रहलाद सुरक्षित बच गया।

इस कहानी के आधार पर होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक कहा जाता है। इसलिए सभी लोग मिलजुल कर होली का त्यौहार मनाते हैं। होली के दिन रंगों से खेलते हैं, सभी एक-दुसरे पर रंग मलते हैं। बच्चे पिचकारियों में रंग भर कर एक दुसरे पर रंग की पिचकारी मारते हैं।

छोटे-बड़ो की टोलियाँ हर गली-मोहल्लों में गाते -बजाते निकलती हैं और बुरा ना मान होली है, कहकर सब पर रंग छिड़कते हैं। इस दिन सभी कटुता को भूलकर प्रेम के रंग में रंग जाते हैं।

इसलिए होली को मेल-मिलाप का त्यौहार भी कह सकते हैं। होली का त्यौहार हमारे लिए एक संदेश हैं कि, अपने मन की बुराइयों को खत्म करके अच्छाईयों को अपनाओ, यही प्यार भरे जीवन की राह है।

होली रंगों का त्यौहार है जो हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन, सभी लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार का इजहार करने के लिए रंग और गुलाल लगाते हैं। यह उत्साह और भाईचारे से भरा त्योहार है। इस दिन सभी घरों में गुझिया, पापड़, हलवा आदि बनाया जाता है और आपस में खाते हैं।

इस त्योहार को मनाने के पीछे एक भक्त की कथा है। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा हुआ करता था जो अपनी प्रजा को स्वयं की पूजा करने के लिए कहता था और खुद को दिव्य मानता था। गरीब लोग डर से राजा की पूजा करते थे, लेकिन राजा का पुत्र, जिसका नाम प्रहलाद था, भगवान विष्णु का परम भक्त था।

हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से नफरत करता था और अपने पुत्र को विष्णु की पूजा करने से मना करता था। सभी प्रयासों के बाद, जब प्रह्लाद ने विष्णु की पूजा करना बंद नहीं किया, तो एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन के साथ, जिसका नाम होलिका था, भक्त प्रहलाद को आग में जलाने की योजना बनाई।

होलिका को ब्रह्मा से वरदान मिला था कि वह आग से नहीं जलेगी। होलिका प्रहलाद को जलती हुई अग्नि में लेकर बैठ जाती है, लेकिन प्रह्लाद का बाल बांका नहीं हुआ और होलिका उसी अग्नि में अपने बुरे कर्मों से भस्म हो गयी।

इस तरह, भगवान द्वारा भक्त की स्मृति में और सत्य पर असत्य की जीत के प्रतीक के रूप में होली का त्योहार मनाया गया। तब से लेकर आज तक, होली से एक दिन पहले हर कोई होलिका दहन करता है और दूसरे दिन रंगों के साथ होली का त्योहार मनाता है।

त्यौहार जीवन की एकरसता को तोड़ने और उत्सव के द्वारा नई रचनात्मक स्फूर्ति हासिल करने के लिए हुआ करते हैं। संयोग से मेल-मिलाप का अनूठा त्यौहार होने के कारण होली में यह स्फूर्ति हासिल करने और साझेपन की भावना को विस्तार देने के अवसर ज्यादा हैं। देश में मनाए जाने वाले धार्मिक व सामजिक त्योहारों के पीछे कोई न कोई घटना अवश्य जुड़ी हुई है।

शायद ही कोई ऐसी महत्वपूर्ण तिथि हो, जो किसी न किसी त्यौहार या पर्व से संबंधित न हो। दशहरा, रक्षाबंधन, दीपावली, रामनवमी, वैशाखी, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति, बुद्ध पूर्णिमा आदि बड़े धार्मिक त्यौहार है। इनके अलावा कई क्षेत्रीय त्यौहार भी है। भारतीय तीज त्यौहार साझा संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक रहे हैं।

रंगों का त्यौहार होली धार्मिक त्यौहार होने के साथ-साथ मनोरंजन का उत्सव (entertainment festival) भी है। यह त्यौहार अपने आप में उल्लास, उमंग और उत्साह लिए होता है। इसे मेल व एकता का पर्व भी कहा जाता है। हंसी ठिठोली के प्रतीक होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार कहलाता है।

इस त्यौहार में लोग पुराने बैरभाव त्याग एक दुसरे को गुलाल लगाकर बधाई देते हैं और गले मिलते हैं। इसके पहले दिन पूर्णिमा को होलिका दहन और दुसरे दिन के पर्व को धुलेंडी कहा जाता है। होलिका दहन के दिन गली-मुहल्लों में लकड़ी के ढेर लगा होलिका बनाई जाती है।

शाम के समय महिलाएं-युवतियां उसका पूजन करती हैं। इस अवसर पर महिलाएं श्रंगार आदि कर सजधज के आती है। बृज क्षेत्र में इस त्यौहार का रंग करीब एक पखवाड़े पूर्व चढ़ना शुरू हो जाता है। होली भारत का एक ऐसा पर्व है जिसे देश के सभी निवासी सहर्ष मनाते हैं।

हमारे तीज त्यौहार हमेशा साझा संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक रहे हैं। यह साझापन होली में हमेशा दिखता आया है। मुगल बादशाहों की होली की महफिलें इतिहास में दर्ज होने के साथ यह हकीकत भी बयां करती है कि रंगों के इस अनूठे जश्न में हिन्दुओं के साथ मुसलमान भी बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं।

मीर, जफर और नजीर की शायरी में होली की जिस धूम का वर्णन है वह दरअसल लोक परंपरा और सामाजिक बहुलता का ही रंग है।

होली एक ऐसा रंग बिरंगा त्यौहार है जिसे हर धर्म के लोग पुरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। होली रंगों का एक शानदार उत्सव है जो भारत में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ये पर्व हर साल बसंत ऋतू के समय फाल्गुन महीने में आता है। यह हर साल चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बहुत सुन्दर और रंगीन नजर आते है।

हिन्दू पौराणिक ग्रंथो के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम के एक दुष्ट भाई की एक दुष्ट बहन थी होलिका, जो अपने भाई के पुत्र प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर आग में जलाना चाहती थी। प्रहलाद भगवान् विष्णु के परम भक्त थे, जिन्होंने होलिका की आग से प्रहलाद को बचाया और आग में होलिका को राख कर दिया। तभी से हिन्दू धर्म के लोग शैतानी शक्ति के खिलाफ अच्छाई की विजय के रूप में हर साल होली का त्यौहार मनाते हैं।

होली रंगों का त्योहार है। होली खेलने के लिए लोग तरह-तरह के रंगों का इस्तेमाल करते हैं। पुराने जमाने के लोग प्राकृतिक रंग का प्रयोग करते थे। जिसकी वजह से उनकी स्किन को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। लेकिन अब लोग  रासायनिक आधारित (chemical based) रंग का इस्तेमाल करते हैं। गुलाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। किसी को जबरदस्ती रंग नहीं लगाना चाहिए क्योंकि किसी -किसी की त्वचा संवेदनशील होती है।

केमिकल वाले रंग त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। होली का ये उत्सव फाल्गुन के अंतिम दिन होलिका दहन की शाम से शुरू होता है। सभी रात में एक जगह इकठ्ठा होकर लकड़ी, घास और गोबर के ढेर को जलाकर उसमें हरी खेजड़ी का एक बड़ा लक्कड़ प्रहलाद के रूप में खड़ा करके होलिका दहन की रिवाज को संपन्न करते हैं।

इसमें महिलाएं रीति से संबंधित गीत गाती है और पुरुष भांग लेकर धमाल गाते है और होली खेलने के लिए सुबह का इंतजार करते हैं। इस दिन सभी लोग सामाजिक विभेद को भुलाकर स्वादिष्ट पकवानों और मिठाइयाँ (sweets) बांटकर खुशी का इजहार करते हैं। होली भारत और भारत में रहने वाले हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है।

लेकिन होली हिन्दू ही नहीं सभी लोग मनाते हैं क्योंकि होली उत्साह, नई आशा और जोश के साथ मनाई जाती है। इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज, बैंक, कार्यालय, विश्व विद्यालय और दुसरे सभी संस्थान बंद रहते हैं।

ताकि सभी लोग अपने परिवार के साथ इस रंगीले त्यौहार का लुप्त उठा सके। यह एक ऐसा त्यौहार है जिस दिन लोग अपने बीच के सारे मतभेद को भूल जाते हैं।

होली का पर्व ऋतुराज वसंत के आगमन पर फाल्गुन की पूर्णिमा को आनंद और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इन दिनों रबी की फसल पकने की तैयारी में होती है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लोग गाते-बजाते, हँसते-हँसाते अपने खेतों पर जाते हैं। वहां से वे जौ की सुनहरी बालियाँ तोड़ लाते हैं। जब होली में आग लगती है तब उस अधपके अन्न को उसमें भुनकर एक-दुसरे को बाँटकर गले मिलते हैं।

होलिका दहन के संबंध में कहानी प्रसिद्ध है। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि आगे उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मानता था। वह खुद को ही बड़ा मानता था। उसका बेटा प्रहलाद उसके पिता के विपरीत ईश्वर पर विश्वास करता था। पिता ने उसे ऐसा करने के लिए बार-बार समझाया, किंतु प्रह्लाद पर कोई असर नहीं हुआ।

इससे हिरण्यकश्यप बहुत क्रूद्ध हुआ। उसने अपने पुत्र को तरह-तरह से त्रास दिए, लेकिन प्रहलाद अपने निश्चय से डिगा नहीं। अंत में हिरनकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका के सुपुर्द कर दिया। होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। होलिका तो जल गई लेकिन भक्त प्रहलाद का कुछ भी नहीं बिगड़ा। इस प्रकार होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय है।

एक कथा के अनुसार, भगवान् श्रीकृष्ण ने इस दिन गोपियों से रासलीला की थी। इसी दिन नंदगाव में सभी लोगों ने रंग और गुलाल के साथ खुशियाँ मनाई थी। नंदगाव और बरसाने की ब्रजभूमि पर इसी दिन बूढ़े और जवान, स्त्री और पुरुष सभी ने एक साथ मिलकर जो रास-रंग मचाया था, होली आज भी उसकी याद ताजा कर जाती है।

पहले प्रतिभोज का आयोजन होता था, गीतों, फागों क उत्सव होते थे, मिठाइयाँ बाँटी जाती थी। बीते वर्षों की कमियों पर विचार होता था। इसके बाद दुसरे दिन होली खेली जाती थी। छोटे-बड़े मिलकर होली खेलते थे। अतिथियों को मिठाइयाँ और तरह-तरह के पकवान खिलाकर तथा गले मिलकर विदा किया जाता था।

लेकिन आज यह पर्व बहुत घिनौना रूप धारण कर चुका है। इसमें शराब और अन्य नशीले पदार्थों का भरपूर सेवन होने लगा है। राह चलते लोगों पर कीचड़ उछाला जाता है। होली की जलती आग में घरों के किवाड़, चौकी, छप्पर आदि जलाकर राख कर दिए जाते हैं। खेत-खलिहानों के अनाज, मवेशियों का चारा तक स्वाहा कर देना अब साधारण सी बात हो गई है।

रंग के बहाने दुश्मनी निकालना, शराब के नशे में मन की भड़ास निकालना आज होली में आम बात हो गई है। यही कारण है कि आज समाज में आपसी प्रेम के बदले दुश्मनी पनप रही है। जोड़ने वाले त्यौहार मनों को तोड़ने लगे हैं।

होली की इन बुराइयों के कारण सभी और समझदार लोगों ने इससे किनारा कर लिया है। रंग और गुलाल से लोग भागने लगे हैं।

भारत मेलों और त्योहारों की भूमि है। शायद ही कोई महीना किसी मेले या त्योहार के बिना गुजरे। होली रंगों का त्योहार है। यह आमतौर पर मार्च के महीने में आता है। यह सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है। यह मौज-मस्ती और तुच्छता का त्योहार है। यह उल्लास और उमंग का अवसर है। पुरुष, स्त्रीत्व बच्चे सभी उच्च आत्माओं में हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। लोग एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे एक दूसरे के चेहरे रंग रगड़ते हैं, गोल पाउडर रंग एक दूसरे पर फेंकते हैं। दिन व्यावहारिक चुटकुले, मजेदार और हँसी द्वारा चिह्नित है। बच्चे अपने हाथों में रंगीन पानी और पानी पंप की बोतलों के साथ सड़कों पर चले जाते हैं।

ड्रमों को पीटा जाता है और गाने गाए जाते हैं और पूरा वातावरण खुशी के जयकारों के साथ बजता है। पुराने लोगों को भी नहीं बख्शा जाता। जो लोग बचते हैं रंग लगवाने से उन पर रंगीन पानी की बाल्टी डाली जाती है। सभी सिर रंग की धूल से भरे हुए हैं, सभी कपड़े रंगीन पानी से गीले हैं और सभी चेहरे रंगीन और पहचान से परे होते हैं।

पानी और रंग फेंकना दोपहर में समाप्त हो जाता है। लोग खुद को साफ करते हैं और साफ कपड़े पहनते हैं। स्वादिष्ट व्यंजन ‘भांग’ से तैयार किए जाते हैं, यह माना जाता है कि यह भगवान शिव का पसंदीदा पेय है। लोग खाना खाते हैं, डांस करते हैं।

पारंपरिक शैली में मथुरा और बृंदाबन में होली मनाई जाती है। ‘रास-लीलाएँ’ की जाती हैं और भगवान कृष्ण और उनकी गोपियों की यादें एक हज़ार तरीकों से पुनर्जीवित होती हैं।

वहाँ, इसका धार्मिक स्पर्श है और होली के त्योहार में भाग लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। कई मिथक और किंवदंतियाँ होली से जुड़ी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्रह्लाद अपने पिता हिरणकश्यप द्वारा यातनाएं देता था, क्योंकि प्रह्लाद को ईश्वर में दृढ़ विश्वास था। महान यातनाओं के बावजूद प्रह्लाद ने ईश्वर में अपना विश्वास नहीं छोड़ा।

तब हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अपनी बाहों में प्रहलाद के साथ दफन चिता में बैठने के लिए कहा। होलिका जलकर राख हो गई लेकिन प्रह्लाद आग की लपटों से अछूता नहीं रहा। इस प्रकार होली प्रह्लाद की भक्ति और उनके पिता हिरणकश्यप की क्रूरता को याद करती है।

हर साल एक अलाव जलाया जाता है और खलनायक के लिए होलिका जलाई जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने पूतना नामक दैत्य का वध किया।

होली का अब तक एक और महत्व है। यह एक मौसमी त्योहार है, यह कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। गेहूं की फसलें खेतों में पकी हुई हैं और होली के तुरंत बाद कटाई शुरू हो जाती है। जो भी होली का महत्व हो सकता है, वह निश्चित रूप से एक रंगीन त्योहार है।

यह हमारे जीवन को मस्ती और आनंद, उल्लास और हंसी के बेहतरीन रंगों से भर देता है, लोग सभी पुरानी दुश्मनी भूल जाते हैं और रंगों के इस त्योहार को मनाते हैं।

हमारे द्वारा यहाँ प्रस्तुत कराए गए होली पर हिन्दी निबंध विद्यार्थियों के लिए बहुत मददगार साबित होंगे। इनकी सहायता से students होली पर उत्कृष्ट निबंध लिख सकते हैं।

और हाँ, होली के खूबसूरत रंगों की तरह आपको और आपके परिवार को बहुत बहुत रंगों भरी उमंग भरी शुभकामनायें। Happy Holi 2024.

यह भी पढ़ें:

  • होली क्यों मनाई जाती है? Why is Holi Celebrated in Hindi

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Essay on Holi (होली पर निबंध)

Essay on Holi (होली पर निबंध)…

Holi – The Festival of Colors

When is holi celebrated, what’s the story behind holi.

  • Conclusion of the Essay.

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Holi is the festival of Colors. It is majorly the festival of Hindus, but now everyone indulges in this beautiful culture of sharing love through smearing colors on each other’s face. Holi symbolizes “Coloring one another in love”. होली रंगों का त्योहार है। यह प्रमुख रूप से हिंदुओं का त्योहार है, लेकिन अब हर कोई एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाकर प्यार बांटने की इस खूबसूरत संस्कृति का आनंद लेता है। होली “प्यार में एक दूसरे को रंगने” का प्रतीक है।

Holi is celebrated widely in India, by all cultures and states. Anyway, Holi is a fun festival, isn’t it? Holi brings great dishes, new clothes and so many other great things. Little kids love to play with water colours, the elders visit each others’ houses, share good food and moments. People of all age groups enjoy this festival, Holi. होली भारत में सभी संस्कृतियों और राज्यों में व्यापक रूप से मनाई जाती है। वैसे भी, होली एक मजेदार त्योहार है, है ना? होली अपने साथ शानदार पकवान, नए कपड़े और कई अन्य अच्छी चीजें लाती है। छोटे बच्चे रंगों से घुले पानी के साथ खेलना पसंद करते हैं, बुजुर्ग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, अच्छे पकवान और आनंद के क्षण साझा करते हैं। सभी आयु वर्ग के लोग इस त्योहार का आनंद लेते हैं ।

Essay on Holi continues….

The people, allergic to Colors, should stay away from chemical Colors. We should be aware of the hazards of using chemical colours, one should use herbal Colors. We can also prepare colors at home using various flowers and ways. जिन लोगों को रंगों से एलर्जी होती है, उन्हें कैमिकल युक्त रंगों से दूर रहना चाहिए। रासायनिक रंगों के उपयोग करने से होने वाले खतरों के बारे में पता होना चाहिए, इसलिए उन्हें हर्बल रंगों का ही उपयोग करना चाहिए। हम तरह तरह के फूलों और तरीकों से भी घर पर ही रंग तैयार कर सकते हैं।

The festival of Holi typically falls in the month of March. Well, Holi in 2019 was on the 21st of March. Similarly, the upcoming Holi in 2020 is likely to be on the 10th of March. होली का त्योहार आम तौर पर मार्च के महीने में पड़ता है। खैर, 2019 की होली 21 मार्च को थी। इसी तरह, 2020 में आगामी होली 10 मार्च को होने की संभावना है।

The celebration of Holi is about the victory of good over evil. Holi delivers the message that it’s an evil that has to perish, no matter how hard is it to be good in this world, but it’s only good, virtue, and humanity that wins.

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के बारे में है। होली यह संदेश देता है कि बुराई का अन्त होता ही है, कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस दुनिया में अच्छा होना कितना मुश्किल है, लेकिन यह केवल अच्छाई, पुण्य और मानवता ही है जो हमेशा जीतता है।

The mythological story behind Holi is of God Prahlad. He was a dedicated devotee of Lord Vishnu. But his father, an atheist and rebel against God’s believe didn’t like the idea of worshiping God. He wanted everyone to worship him, rather. He expected the same from his son, Prahlad too. Prahlad continued worshiping Lord Vishnu and that did hurt his father.

होली के पीछे की पौराणिक कहानी भगवान प्रह्लाद की है। वे भगवान विष्णु के समर्पित भक्त थे। लेकिन उनके पिता, नास्तिक और भगवान पर विश्वास करने के खिलाफ थे तथा भगवान की पूजा करने के विचार को पसंद नहीं करते थे।  बल्कि, वे चाहते थे कि हर कोई उनकी पूजा करे। उन्हें अपने बेटे प्रह्लाद से भी यही उम्मीद थी। प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करता रहा और इससे उसके पिता को अच्छा नहीं लगता था। 

So he asked his sister, Holika to sit in the fire with Prahlad in her lap. Holika was blessed that she would not be harmed by fire. They planned to kill Prahlad. When Holika tries to kill Prahlad, by sitting in the fire, it’s she who burns. Prahlad, the devotee of God is saved. The perishing of Holika is a symbol of perishing of evil. Hence, Holi endorses the idea of doing good. Because evil has to end, get destroyed. इसलिए उन्होंने अपनी बहन होलिका को उसकी गोद में प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठने को कहा। होलिका को आशीर्वाद दिया गया था कि उसे आग से कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई। जब होलिका आग में बैठकर प्रह्लाद को मारने की कोशिश करती है, तो वही जल जाती है। भगवान का भक्त प्रहलाद बच जाता है। होलिका का मर जाना बुराई के नाश का प्रतीक है। इसलिए, होली अच्छाई करने के विचार का समर्थन करती है। क्योंकि बुराई का अंत होना ही है।

Conclusion of The Essay

Holi is the Festival of Colors that falls in the month of March and brings joy to everyone’s family. One should be careful about using Colors. Consent is an important thing, one should not use Colors violently as a tool to bully or abuse Someone. होली रंगों का त्योहार है जो मार्च के महीने में आता है और सभी के परिवार में खुशियाँ लाता है। रंगों के इस्तेमाल करने में हमें सावधानी बरतनी चाहिए। सहमति एक महत्वपूर्ण बात है, रंग का प्रयोग किसी को हिंसक रूप से धमकाने या किसी को गाली देने के साधन के रुप में नहीं करना चाहिए।

The judicious way of playing Holi is always better. One should try to keep the message that Holi endorses. होली खेलने का विवेकपूर्ण/ समझदार तरीका हमेशा बेहतर होता है। इसलिए हमें उस संदेश को याद रखना चाहिए जो होली हमें देता है।

I hope, you liked this Essay on Holi. Please share it with your friends and family.

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10 thoughts on “Essay on Holi (होली पर निबंध)”

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Nice Essay… फोटो में आरोही या अर्नवी लग रही है..

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Sir, ek request hai ki aap Hume easy ki PDF file bhi uplbbdh kraye. Please. Baar Baar mobile mai Aankhen lagaye rakhna health ke liye theek nahi hai.

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Fantastic story based on holi festival. Better effect to have been narrated. Thank you sir ?

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Holi per nibandh pura bhejiye pura nibandh English mein bhejna

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Sir kharona se kaise bhacha kya sir us per essay

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very good eassay

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Thank you sir

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Essay on Holi for Students and Children

500+ words essay on holi.

Holi is known as the festival of colours. It is one of the most important festivals in India . Holi is celebrated each year with zeal and enthusiasm in the month of March by followers of the Hindu religion. Those who celebrate this festival, wait for it every year eagerly to play with colours and have delectable dishes.

Essay on Holi

Holi is about celebrating happiness with friends and family. People forget their troubles and indulge in this festival to celebrate brotherhood. In other words, we forget our enmities and get into the festival spirit. Holi is called the festival of colours because people play with colours and apply them to each other’s faces to get coloured in the essence of the festival.

History of Holi

The Hindu religion believes there was a devil king named Hiranyakashyap long ago. He had a son named Prahlad and a sister called Holika. It is believed that the devil king had blessings of Lord Brahma. This blessing meant no man, animal or weapon could kill him. This blessing turned into a curse for him as he became very arrogant. He ordered his kingdom to worship him instead of God, not sparing his own son.

Following this, all the people began worshipping him except for his son, Prahlad. Prahlad refused to worship his father instead of God as he was a true believer of Lord Vishnu. Upon seeing his disobedience, the devil king planned with his sister to kill Prahlad. He made her sit in the fire with his son on the lap, where Holika got burned and Prahlad came out safe. This indicated he was protected by his Lord because of his devotion. Thus, people started celebrating Holi as the victory of good over evil.

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The Celebration of Holi

People celebrate Holi with utmost fervour and enthusiasm, especially in North India. One day before Holi, people conduct a ritual called ‘Holika Dahan’. In this ritual, people pile heaps of wood in public areas to burn. It symbolizes the burning of evil powers revising the story of Holika and King Hiranyakashyap. Furthermore, they gather around the Holika to seek blessings and offer their devotion to God.

The next day is probably the most colourful day in India. People get up in the morning and offer pooja to God. Then, they dress up in white clothes and play with colours. They splash water on one another. Children run around splashing water colours using water guns. Similarly, even the adults become children on this day. They rub colour on each other’s faces and immerse themselves in water.

In the evening, they bathe and dress up nicely to visit their friends and family. They dance throughout the day and drink a special drink called the ‘bhaang’. People of all ages relish holi’s special delicacy ‘gujiya’ ardently.

In short, Holi spreads love and brotherhood. It brings harmony and happiness in the country. Holi symbolizes the triumph of good over evil. This colourful festival unites people and removes all sorts of negativity from life.

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