biography of lata mangeshkar in hindi

लता मंगेशकर जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi

स्वर कोकिला लता मंगेशकर भारत की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सबसे मशहूर और अनमोल गायिका हैं, उन्होंने अपनी सुरीली आवाज का जादू न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी चलाया है। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी को संगीत का पर्यायवाची कहना भी गलत नहीं होगा, क्योंकि उन्होंने अपनी मधुर और मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज से संगीत में जो मानक स्थापित कर दिया है, वहां तक शायद ही कोई पहुंच सकता है।

लगा मंगेशकर जी की अद्भुत आवाज को लेकर  रिसर्च तक की जा चुकी है, उनकी मधुर आवाज को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह तक कह डाला है कि लता जी की तरह इतनी सुरीली आवाज न कभी थी और न ही संभवत: कभी होगी। कई सदियों की महागायिका कहलाने वाली लता जी भारत की एक सबसे प्रसिद्ध, बेहतरीन और सम्मानित प्लेबैक सिंगर प्रसिद्ध भारतीय प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर के रुप में जानी जाती हैं।

भारत रत्न लता मंगेशकर जी कई दशकों से भारतीय सिनेमा को अपनी मधुर आवाज दे रही हैं। लता मंगेशकर जी के आगे आज पूरी संगीत की दुनिया नतमस्तक है। साल 1942 में जब लता जी महज 13 साल की थी, तब से ही वे भारतीय सिनेमा को अपनी सुरीली आवाज दे रही हैं।

उन्होंने अब तक करियर में 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और तक़रीबन 36  से भी ज्यादा  भाषाओं में गाने गाए हैं। इसके साथ ही लता जी ने कई विदेशी भाषाओं में भी गीत गा चुकीं हैं। आपको बता दें कि संगीत का महानायिका Lata Mangeshkar जी ने सबसे ज्यादा गाना मराठी और हिंदी भाषा में  गाए है।

लता जी सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने वाली म्यूजिक आर्टिस्ट के रुप में भी पहचानी जाती है। वहीं एक कार्यक्रम में जब लता जी ने “ए मेरे वतन के लोगो को,जरा आँख में भर लो पानी” गाया तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरूजी के आँखों में भी आंसू आ गए थे। महागायिका लता जी के द्धारा संगीत के क्षेत्र में दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।

साल 1989 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फालके पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। लता जी  एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद दूसरी ऐसी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मन भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।

लता जी ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव और संघर्षों को झेला है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वे लगातार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ती रहीं,और जीवन की अनंत ऊंचाइयों को छूआ। आज आज लता जी सभी के लिए आदर्श हैं और उनका जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं – तो आइए जानते हैं लता मंगेशकर जी के जीवन, संगीत करियर और उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में –

Lata Mangeshkar

लता मंगेशकर का जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Lata Mangeshkar Information in Hindi

भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी 28 सितंबर साल 1929 में मध्यप्रदेश के इंदौर में एक मराठी बोलने वाले गोमंतक मराठा परिवार में जन्मीं थी। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर एक्टर थे, इसलिए यह कह सकते हैं कि लता जी को संगीत विरासत में मिला है।

लता जी के माता का नाम शेवंती (शुधामती) था जो कि महाराष्ट्र के थालनेर से थी और वह दीनानाथ की दूसरी पत्नी थी। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के परिवार का उपनाम (सरनेम) हर्डीकर था, लेकिन उनके पिता ने इसे बदलकर अपने गृहनगर के नाम पर मंगेशकर रखा, ताकि उनका नाम उनके पारिवारिक गांव मंगेशी, गोवा का प्रतिनिधित्व करे। हालांकि, लता जी के जन्म के कुछ समय बाद ही उनका परिवार महाराष्ट्र में जाकर रहने लगा था।

लता मंगेशकर को बचपन में उन्हें “हेमा” नाम से बुलाया जाता था, लेकिन बाद में उनके पिता ने एक प्ले ”भाव बंधन’ से प्रेरित होकर उनका नाम बदलकर लता रख दिया था और बाद में संगीत के क्षेत्र में इसी लता नाम ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। लता अपने माता-पिता की सबसे बड़ी औऱ पहली संतान है। इनसे छोटे चार भाई-बहन हैं जिनके नाम मीना, आशा भोसले , उषा और हृदयनाथ हैं।

बचपन से ही संगीत में रुचि होने की वजह से सुरों की जादूगर लता मंगेशकर ने  अपना पहला पाठ अपने पिता से सीखा था। वे अपने पिता से अपना सभी भाई-बहनों के साथ क्लासिकल संगीत सीखतीं थी। आपको बता दें कि जब लता जी महज 5 साल की थी, तब से उन्होंने अपने पिता के म्यूजिकल प्ले के लिए एक्ट्रेस के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। लता मंगेशकर जी संगीत के क्षेत्र का चमत्कार है, इसका अहसास उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर को लता के बचपन में ही हो गया था।

9 साल की उम्र में इस स्वरासम्राज्ञानिने शास्त्रीय संगीत की मैफिल सजाई थी। शुरु से ही संगीत में रुचि होने की वजह से लता जी ने क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग उस्ताद अमानत खान, बड़े गुलाम अली खान, एवं पंडित तुलसीदास शर्मा एवं अमानत खान देवसल्ले से ली थी। उस समय लता जी के.एल. सहगल के म्यूजिक से काफी प्रभावित थीं।

पिता के मौत के बाद घर की आर्थिक उन्होंने अपने कंधों पर उठाई:

साल 1942 में संगीत के चमत्कार कही जाने वाले लता मंगेशकर जी पर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब उनके पिता को ह्रदय संबंधी बीमारी हो गई और वे अपने विशाल युवा परिवार को बीच में छोड़ कर चल बसे। उस दौरान लता जी सिर्फ 13 साल की थी, वहीं परिवार में सबसे बड़ी होने के नाते लता जी पर अपने भाई-बहनों की आर्थिक जिम्मेदारी आ गई। जिसके बाद से लता जी ने कम उम्र में ही अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये काम करना शुरू कर दिया था।

लता जी का करियर –  Lata Mangeshkar Career

13 साल की उम्र में लता जी ने अपने करियर की शुरुआत की थी और तब से वे अपनी भारतीय सिनेमा को अपनी मधुर आवाज दे रही हैं। लता ने अपना पहला गाना 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिये “‘नाचू या ना गड़े खेडू सारी, मानी हौस भारी’ गाया था, इस गाने को सदाशिवराव नेवरेकर ने कंपोज किया था, लेकिन इस फिल्म की एडिटिंग करते समय इस गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था।

इसके बाद नवयुग चित्रपट फिल्‍म कंपनी के मालिक और लता जी के पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने इनके परिवार की मौत के बाद इनके परिवार को संभालने में मद्द की और लता मंगेशकर जी को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में भी मद्द की। मास्टर विनायक ने साल 1942 में लता जी को मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला-गौर’ में एक छोटा सा किरदार भी दिया था जिसमे लता ने एक गाना भी गाया था।

भले ही लता ने अपना करियर मराठी गायिका और अभिनेत्री के रूप में शुरू किया था, लेकिन उस समय यह कोई नही जानता था की यह छोटी लड़की एक दिन हिंदी सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध और मधुर गायिका बनेगी।

देखा जाये तो, उनका पहला हिंदी गाना भी 1943 में आई मराठी फिल्म का ही था। वह गाना “माता एक सपूत की दुनियाँ बदल दे तू” था जो मराठी फिल्म “गजाभाऊ” का गाना था। इसके बाद लता जी साल 1945 में मास्टर विनायक कंपनी के साथ मुंबई चली गईं थी। और यहां से ही उन्होंने  अपनी संगीत प्रतिभा को निखारने के लिए उस्ताद अमानत अली खान से हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था।

वहीं इस दौरान उन्हें बहुत सारे म्यूजिक कंपोजर ने उनकी पतली और तीखी आवाज बताकर रिजेक्ट कर दिया था, क्योंकि उनकी आवाज उस दौर के पसंद किए जाने वाले गानों से एकदम अलग थी। वहीं उस दौरन लता जी से उस दौर की मशहूर सिंगर नूरजहां के लिए भी गाने के लिए कहा जाता था।

1948 में दुर्भाग्यवश विनायक की मृत्यु हो गयी थी और लता के जीवन में एक और तूफ़ान आया था, इस तरह हिंदी फिल्म जगत में उनके शुरुआती साल काफी संघर्ष से भरे हुए थे। हालांकि  विनायक जी की मौत के बाद गुलाम हैदर जी ने लता जी के करियर में काफी मद्द की थी।

साल 1948 में मजदूर फिल्म का गाना “दिल मेरा तोड़ा,मुझे कहीं का ना छोड़ा” से लता मंगेशकर जी को पहचान मिली थी। वहीं इसके बाद साल 1949 में आई फिल्म ‘महल’ में उन्होंने अपना पहला सुपर हिट गाना “आएगा आनेवाला” गाया।

इस गाने के बाद लता जी, संगीत की दुनिया के कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर और प्लेबैक सिंगर की नजरों में चढ़ गईं थी, जिसके बाद उन्हें एक के बाद एक कई गानों के लिए ऑफर मिलते चले गए।

साल 1950 में लता जी को कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर जैसे अनिल बिस्वास, शंकर जयकिशन, एस.डी. बर्मन, खय्याम, सलिल चौधरी, मदन मोहन, कल्यानजी-आनंदजी, इत्यादि के साथ काम करने का मौका मिला।

वहीं उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्हें 1958 में म्यूजिक डायरेक्टर सलिल चौधरी द्धारा फिल्म “मधुमती” का गाना “आजा रे परदेसी” के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का सबसे पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला।

इस दौरान स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी ने कुछ राग आधारित गाने जैसे बैजू बावरा के लिए राग भैरव पर “मोहे भूल गए सावरिया” कुछ भजन जैसे हम दोनों मूवी में “अल्लाह तेरो नाम” साथ ही कुछ पश्चिमी थीम के गाने जैसे “अजीब दास्ता भी गाए थे।

उस दौरान अपनी आवाज से सभी के दिलों में राज करने वाली लता जी ने मराठी और तमिल से लोकल भाषाओं में भी गीत गाना शुरु किया था, तमिल ने उन्होंने ”वानराधम” के लिए “ एंथन कन्नालन” गाया था।

इसके बाद लता जी ने अपने छोटे भाई ह्दयनाथ मंगेशकर के लिए गाना गाया था, जो कि जैत के जैत जैसी फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर थे। इसके अलावा लता जी ने बंगाली भाषा के म्यूजिक को अपनी मधुर आवाज से एक नई पहचान दी है। साल 1967 में लता जी ने “क्रान्तिवीरा सांगोली” फिल्म में लक्ष्मण वेर्लेकर के द्धारा कम्पोज किए गए गाने “बेल्लाने बेलागयिथू” से कन्नड़ भाषा में अपना डेब्यू किया था।

इसके बाद स्वर कोकिला लता जी ने मलयालयम में नेल्लू फिल्म के लिए सलिल चौधरी द्धारा कंपोज किया गया गाना ”कदली चेंकाडाली” गाना गाया था। फिर बाद में कई अलग-अलग भाषाओं में गाने गाकर उन्होंने अपनी आवाज से संगीत को एक नई पहचान दी।

इस दौरान लता जी ने कई बड़े म्यूजिक कंपोजर जैसे हेमंत कुमार, महेन्द्र कपूर, मोहम्मद रफी, मत्रा डे के साथ कई बड़े प्रोजक्ट्स किए थे। उस दौर में लता जी का करियर सातवें आसमान पर था, उनकी सुरीली और मधुर आवाज की बदौलत वे एक सिंगिंग स्टार बन गईं थी, यह वो दौर था जब बड़े से बड़ा प्रोड्यूसर, म्यूजिक कंपोजर, एक्टर और डायरेक्टर लता जी के साथ काम करना चाहता था।

1960 का समय लता जी के लिये सफलताओ से भरा हुआ था, इस समय में उन्होंने “प्यार किया तो डरना क्या”, “अजीब दासता है ये” जैसे कई सुपरहिट गाने गाए। 1960 के साल को सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और लता जी के संबंध के लिये भी जाना जाता था जिसके बाद लता जी ने तक़रीबन 35 साल के अपने लंबे करियर में 700 से भी ज्यादा गाने गाए।

इसके बाद मंगेशकर की सफलता और आवाज़ का जादू 1970 और 1980 के दशक में भी चलता गया। इस दौर में उनके किशोर कुमार के साथ गाए ड्यूएट बहुत पसंद किए गए। कुछ गाने जैसे कि “कोरा कागज़” (1969), ”आंधी” फिल्म  का तेरे बिना जिंदगी से (1971), अभिमान फिल्म का “तेरे मेरे मिलन की” (1973), घर का आप की आँखों में कुछ” (1978) ये वो गाने हैं, जिन्हें सुनकर आज भी मन को सुकून मिलता है।

ये लता जी के एवरग्रीन गाने हैं। इसके अलावा लता जी ने कुछ धार्मिक गीत भी गाए थे। इस समय उन्होंने अपनी सुरमयी आवाज़ की बदौलत  अपनी पहचान पुरे विश्व में बना ली थी। साल 1980 में महानगायिका लता जी ने सचिन बर्मन के बेटे राहुल देव बर्मन के साथ और आर.डी.बर्मन के साथ काम किया था।

आपको बता दें कि आर.डी.बर्मन, लता जी की छोटी बहन और हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका आशा भोंसले जी के पति हैं। उन्होंने लता जी के साथ अगर तुम ना होते का “हमें और जीने की, रॉकी का “क्या यही प्यार हैं”,मासूम में “तुझसे नाराज नहीं जिंदगी” आदि गाने गए।

इसके कुछ सालों बाद धीरे-धीरे लता जी का स्वास्थ्य खराब होता गया और फिर उन्होंने कुछ चुंनिदा गानों में ही अपनी आवाज देनी शुरु कर दी, लता जी ने अपने करियर में न सिर्फ फिल्मों के लिए गीत गाए बल्कि कई म्यूजिक एल्बम भी लॉन्च किए थे। साल 1990 में बॉलीवुड में बहुत से नये महिला गायकों ने प्रवेश किया लेकिन जिनके कंठ में स्वयं सरस्वती विराजमान है उन्हें भला  कौन पीछे छोड़ सकता है।

इस समय भी लता की सफलता का दीया जलता रहा। और आज के समय में भी लोग लता जी से उतना ही प्यार करते है जितना 70, 80 और 90 के दशक में करते थे।

लता जी के गाये यादगार गीतों में कुछ  फिल्मों के नाम विशेष उल्लेखनीय है – अनारकली, मुगले आजम अमर प्रेम, गाइड, आशा, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्आ दी. वहीं नए फिल्मों में भी उनकी आवाज पहले की तरह न केवल सुरीली है, बल्कि उसमे और भी निखार आ गया है, जैसे हिना, रामलखन, आदी में।

एक समय उनके गीत ‘बरसात’, ‘नागिन’, एवं ‘पाकीजा’ जैसी फिल्मों में भी काफी चले थे। उन्होंने 30,000 से अधिक गाने गाये है तथा सभी भारतीय भाषाओ में गाने का उनका एक कीर्तिमान भी है।

लता मंगेशकर पुरस्कार  – Lata Mangeshkar Awards

लता मंगेशकर ने न केवल कई गीतकारो एवं संगीतकारों को सफल बनाया है, बल्कि उनके सुरीले गायन कारण ही कई फिल्में लोकप्रिय सिद्ध हुई है। लता मंगेशकर जी को अपने करियर में कई बहुत से बड़े औऱ राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त कर चुकी हैं, जिनमें भारत के सर्वोच्च पुरस्कारों में शामिल पद्मश्री और भारत रत्न भी शुमार है।

इसके अलावा लता जी को गायन के लिए 1958, 1960, 1965,एवं 1969 में फिल्म फेयर अवॉर्ड भी प्राप्त हुए हैं। ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ की तरफ से भी उनका विशेष सम्मान किया जा चुका है। मध्यप्रदेश शासन की तरफ से उनके नाम हर साल 1 लाख रूपये का पारितोषिक दिया जाता है। 1989 में लताजी को ‘दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

लता जी को मिले पुरस्कार इस प्रकार हैं –

  • फिल्म फेयर अवॉर्ड – पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
  • नेशनल फिल्म अवॉर्ड (1972, 1974 और 1990)
  • महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और1967)
  • 1969 – पद्म भूषण
  • 1974 – दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
  • 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
  • 1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 1997 – राजीव गांधी पुरस्कार
  • 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
  • 1999 – पद्म विभूषण
  • 1999 – ज़ी सिने का का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
  • 2001 – नूरजहाँ पुरस्कार
  • 2001 – महाराष्ट्र भूषण
  • 2008 _ लता जी को भारत के 60वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ”वन टाइम अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट” से भी नवाजा गया था।

भारत रत्न लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और सम्माननीय महागायिका है जिनका दशको का करियर कई उपलब्धियों से भरा हुआ है। लता जी ने अपनी आवाज़ से 7 दशकों से भी ज्यादा समय तक संगीत की दुनिया को अपने मधुर सुरों से नवाजा है। भारत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने बहुत सी भाषाओ में हजारो गाने गाए है।

उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आये तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी ने आज भी स्वयं को पूरी तरह संगीत के लिये समर्पित करके रखा है। लता जी एक लीजेंड है, जिन पर हर भारतवासी गर्व करता है।

लता जी के और नये गाने सुनने के लिये हम सभी बेकरार है और उम्मीद करते है की जल्द ही हमें उनका कोई नया गाना सुनने को मिलेंगा। लता मंगेशकर दुनिया की एक ऐसी कलाकार है, जिनके जैसा न कोई पहले हुआ है और न संभवतः हो सकेगा।

5 thoughts on “लता मंगेशकर जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi”

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it is brilliant article on lata mangeshkar 1 it is all information of lata mangeshkar

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The great singer on the earth. The real swar Kokila . The real gem of Bharat.

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लता जी के बारे में जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है उन्हें स्वर कोकिला ऐसे ही नहीं कहा जाता था उनका एक गाना Kabhi Khushi Kabhie Gham का मेरे दिल के सबसे करीब है LATA MANGESKAR G YOU ARE A GREAT SINGER. I LOVE YOU …….. SO MUCH….

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लता जी के बारे में जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है उन्हें स्वर कोकिला ऐसे ही नहीं कहा जाता था उनका एक गाना Kabhi Khushi Kabhie Gham का मेरे दिल के सबसे करीब है

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Best knowledge.

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Biography of Lata Mangeshkar In Hindi - लता मंगेशकर की जीवनी

Lata Mangeshkar Biography In Hindi – लता मंगेशकर की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Lata Mangeshkar Biography In Hindi में भारत की स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जीवन परिचय देने वाले है। 

सुर-साधिका, सरस्वती की वरद् पुत्री, कोकिल कण्ठी सुश्री लता मंगेशकर भारत की सर्वश्रेष्ठ फिल्मी पार्श्व गायिका हैं । शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ गायिका लता का गायन भारत के लिए ही नहीं, वरन् विश्व के लिए भी विस्मित कर देने वाला है । स्वर कोकिला लता मंगेशकर का एक-एक गीत सम्पूर्ण कलाकृति होता है। आज lata mangeshkar husband ,lata mangeshkar birthday और lata mangeshkar tamil songs से सम्बंधित सभी बाते बताने वाले है। स्वर, लय और शब्दार्थ का एक ऐसा त्रिवेणी नाद सौन्दर्य उनकी सुर लहरियों में समाया होता है कि कानों में पड़ते ही मधुरता एवं मादकता की अनुभूति दिल की गहराइयों में उतरने लगती है ।

लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi

आज हम इस आर्टिकल में आपको लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi

Lata Mangeshkar  भारत की सबसे अनमोल गायिका है।

पूरी दुनिया उनकी आवाज की दीवानी हैं पिछले 10 दशको से भारतीय सिनेमा को अपनी आवाज दे रही लता मंगेशकर बेहद शांत स्वभाव की और प्रतिभा की धनी है. Lata Mangeshkar Biography Hindi

भारत के क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर उन्हे अपनी मां मानते हैं.

आज पूरी संगीत की दुनिया उनके आगे नतमस्तक है।

लता जी ने लगभग 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए हैं।

लता जी हमेशा नंगे पावँ गाना गाती है।

लेकिन उनके पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्व गायक के रूप में रही है।

जन्म – लता मंगेशकर की जीवनी

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था।

इनका बचपन में नाम ‘हेमा’ था, लेकिन जब यह 5 वर्ष की थी तो इनके माता-पिता ने इनका नाम ‘लता’ रख दिया गया। इनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवंती मंगेशकर था।

इनका जन्म एक मराठा परिवार में हुआ था।

लता के पिता रंगमंच कलाकार और शास्त्रीय गायकार थे.

यह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।

लता मंगेशकर के भाई बहनों के नाम इस प्रकार है- ह्रदयनाथ मंगेशकर, उषा मंगेशकर ,मीना मंगेशकर आशा भोसले ।

इन सभी ने अपनी आजीविका चलाने के लिए गायन को ही चुना।

लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में हुआ था, लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई।

जब लता 7 साल की थी तब वह महाराष्ट्र आई।

लता मंगेशकर ने 5 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया।

  • 1942 में दीनानाथ मंगेशकर की मृत्यु हो गई। इस दौरान लता केवल 13 वर्ष की थी। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और उनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) उनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनने में मदद की।
  • पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ति हसाल के लिए गाया। लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फिल्मों के लिए गए इसलिए गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था।  अपने पिता की मृत्यु के बाद लता मंगेशकर को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय करना बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असमय मृत्यु के कारण पैसों की कमी के कारण उन्हें अभिनय करना पड़ा और उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर(1942) रही। जिसमें उन्होंने स्नेहाप्रभा प्रधान की छोटी बेटी के रूप में भूमिका निभाई। इसके बाद में उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया जिनमें से माझे बाल,  चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ(1944), बड़ी मां(1945), जीवन यात्रा(1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी(1952) शामिल थी लता मंगेशकर ने खुद की भूमिका के लिए गाने भी गाए और आशा के लिए पार्श्व गायन भी किया ।

1945 से 1949 तक – लता मंगेशकर की जीवनी

  • 1945 में उस्ताद गुलाम हैदर अपनी आने वाली फिल्म के लिए लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गए जिसमें कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फिल्म के लिए पार्श्व गायन करें लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी।
  • 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में लता को गाना गाने का मौका दिया। इस फिल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने ‘मजबूर’ फिल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का ना छोड़ा तेरे प्यार” ने जैसे गानों से अपनी स्थिति सुदृढ़ की। लेकिन इसके बावजूद भी लता को उसका खास हिट कि अभी भी तलाश थी।
  • 1949 में लता को एक बार फिर ऐसा मौका फिल्म ” महल” के “आएगा आने वाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था। यह फिल्म काफी सफल रही थी और लता तथा मधु बाला दोनों के लिए यह बहुत ही शुभ साबित हुई। इसके बाद में लता जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
  • फिल्म फेयर पुरस्कार 1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994 में
  • राष्ट्रीय पुरस्कार- 1972, 1975 और 1990 में
  • महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार 1966 और 1967 में
  • पदम भूषण 1969
  • 1976 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकॉर्ड
  • दादा साहेब फालके अवॉर्ड 1989 में
  • फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 1993 में
  • 1996 में स्क्रीन का लाइफ  टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 1997 में राजीव गांधी पुरस्कार से नवाजा गया
  • 1999 में एम. टी. आर. पुरस्कार, पदम विभूषण और जी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2000 में  आई.आई.ए.एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2001 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया इसके साथ- साथ ही नूरजहां पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण, स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

निधन – लता मंगेशकर की जीवनी

लता मंगेशकर जी का निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ .

उन्होंने 6 फरवरी 2022 को लेजेंड्री सिंगर लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली.

इसे भी पढ़े –  मनोज मुकुंद नरवणे की जीवनी – Manoj Mukund Naravane Biography Hindi

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Lata Mangeshkar Biography Hindi – सुरसम्रागी लता मंगेशकर की जीवनी

Lata Mangeshkar Biography Hindi – सुरसम्रागी लता मंगेशकर भारत की मशहूर गायिका है, इन्होने अपने जीवन में कई हजार गाने गाये है, आज भी यह गायन का कार्य करती है, और बॉलीवुड की सबसे मशहूर गायिका है। इनका जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर , मध्य भारत, ब्रिटिश भारत में हुआ था, वर्तमान में यह 90 वर्ष की है। इन्होने सबसे पहले पार्श्व गायिका (फिल्म)- ‘माता, एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ (‘गजाभाऊ मराठी, 1943) में गाना गया था, यही इनके कैरियर की शुरुआत थी।

लता मंगेशकर से जुड़े सवाल जो इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च होते है।

लता मंगेशकर का जन्म कब हुआ था? लता मंगेशकर की जाति क्या है? लता मंगेशकर का गांव कौन सा है? लता मंगेशकर की एज कितनी है?

Lata Mangeshkar Biography Hindi – संछिप्त परिचय

Lata Mangeshkar Biography Hindi

  • वास्तविक नाम – लता मंगेशकर
  • उपनाम – बॉलीवुड की नाईट्रिगल
  • प्रोफेशन – भारतीय प्रसिद्ध पार्श्व गायिका
  • जन्म – 28 सितंबर 1929
  • जन्म स्थान – इंदौर राज्य, मध्य भारत, ब्रिटिश भारत
  • गृहनगर – मुंबई , भारत
  • वर्तमान पता – मुंबई
  • डेब्यू फिल्म – ‘माता, एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ (‘गजाभाऊ मराठी, 1943)
  • Lata Mangeshkar Net Worth – $50 Millions
  • राशि – तुला
  • राष्ट्रीयता – भारतीय
  • गृहनगर – मुंबई, भारत
  • शौक – क्रिकेट देखना, साइकिल चलाना
  • वैवाहिक स्थिति – अविवाहित
  • कार संग्रह – मर्सिडीज बेंज

पसंदीदा चीजें –

  • लताजी को मसालेदार भोजन पसंद है।
  • कोका-कोला इनका पसंदीदा पेय-पदार्थ है।
  • अटल बिहारी वाजपेयी इनके पसंदीदा राजनीतिज्ञ रहे।
  • दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन और देव आनंद इनके पसंदीदा अभिनेता है।
  • नरगिस और मीना कुमारी इनकी पसंदीदा अभिनेत्री है।
  • गुलाम हैदर, मदन मोहन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और ए आर रहमान इनके पसंदीदा संगीत निर्देशक है।
  • किस्मत (1943) और जेम्स बॉण्ड इनकी पसंदीदा फिल्में है।
  • पसंदीदा खेल – क्रिकेट
  • पसंदीदा क्रिकेटर – सचिन तेंदुलकर
  • लॉस एंजेलिस की सैर करना इनको पसंद है।

लता जी के संगीत शिक्षक

  • दीनानाथ मंगेशकर (पिता)
  • उस्ताद अमानत अली खान
  • अमानत खान देवस्वाले
  • पंडित तुलसीदास शर्मा

लता जी का परिवार – इनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था, माता जी का नाम शेवंती मंगेशकर था, हृदयनाथ मंगेशकर इनके भाई है, उषा मंगेशकर, आशा भोसले, और मीना खडीकर इनकी बहनें है।

लताजी की शिक्षा –

लताजी ने अपनी शिक्षा Attended a Catholic School in Orbassano, a town near Turin, Italy से की थी। बाद में इन्होने Bell Educational Trust’s language school, Cambridge City, England से अपनी आगे की पढाई की थी, योग्यता के बारे में जानकारी ज्ञात नहीं है।

Lata Mangeshkar Career –

लताजी ने अपने कैरियर की शुरुआत एक मराठी फिल्म ‘माता, एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ (1943) से की थी, इसके बाद इन्होने बॉलीवुड की फिल्मों में अपना कैरियर स्टार्ट किया यह 70 से 90 के दशक में बहुत फेमस रही, आज भी यह गाना गाती है, यह भारत की सबसे बड़ी गायिका है।

लताजी का पहला सफल गाना “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने (मजबूर, 1948 ) था।

वर्ष (1972) में फिल्म “परिचय” में लताजी को सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए पहला नेशनल फिल्म अवार्ड मिला था।

27 जनवरी 1963 को, लताजी ने भारत – चीन युद्ध के पृष्ठपट से एक देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाया था, यह गीत सुनने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू (भारत के पहले प्रधान मंत्री) की आँखों में आँसू आ गए थे।

लताजी ने संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए सबसे अधिक गाने (712) गाए हैं।

अभी तक लताजी ने वादाई (मराठी 1953), झिंझर (हिंदी, 1953), कंचन (हिंदी, 1955) और लेकिन (हिंदी,1990) चार फिल्मों का निर्माण भी किया है।

वर्ष 2001 में, लता मंगेशकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

लता मंगेशकर से जुडी रोचक जानकारी – (Lata Mangeshkar Biography Hindi)

  • लताजी ने अभी तक 14 विभिन्न भाषाओं में 50000 से अधिक गाने गाए हैं।
  • इनको संगीत की देवी और सुरसम्रागि भी कहा जाता है।
  • लताजी को मेकअप करना अच्छा नहीं लगता है।
  • वर्ष 1955 में लताजी ने पहली बार एक मराठी फिल्म “राम राम पाव्हणं” के लिए गीत लिखा था।
  • गीत “आएगा आनेवाला” (महल, 1949) से वह काफी लोकप्रिय रही।
  • एक बार उर्दू / हिंदी गीत गाते हुए मराठी उच्चारण करने पर दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर के ऊपर एक नकारत्मक टिप्पणी कि थी।
  • ऐसा बताया जाता है की लताजी ने शुरुआत में मशहूर गायिका नूरजहाँ को कॉपी किया था।
  • एक इंटरव्यू में लताजी ने बताया था की, गुलाम हैदर अली उनके असली गुरु थे।
  • वर्ष 1945 में लताजी मुंबई आयी थी, तब से यह यहीं रहती है।
  • बताया जाता है की इनके पिता एक रंग मंच अभिनेता और शास्त्रीय गायक थे।
  • इनकी माता शेवंती मंगेशकर दीनानाथ की दूसरी पत्नी थीं।
  • वर्ष 1938 में, लताजी ने अपना पहला लोक नाटक नुतन थियेटर, सोलापुर में रखा था, जहां उन्होंने राग खंबावती और 2 मराठी गाने गाए थे।
  • बताया जाता है की जब लताजी 13 साल की थी, तब 1942 में उनके पिता की हृदय रोग के कारण मृत्यु हो गई थीं।
  • लताजी भारत की एक महान गायिका है, आज भी इनके गाने लोग सुनना पसंद करते है।

Lata Mangeshkar Biography Hindi से जुडी जानकारी आपको कैसी लगी?

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लता मंगेशकर जी की संपूर्ण जीवनी – Lata Mangeshkar biography

यह लेख स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के संपूर्ण जीवन पर प्रकाश डालने का एक छोटा सा प्रयास स्वरूप है। इस लेख के माध्यम से आप लता मंगेशकर जी के व्यक्तित्व , फिल्मी जगत तथा निजी पारिवारिक कुछ अहम जानकारियां हासिल कर पाएंगे।उनके बचपन से लेकर जीवन के प्रत्येक क्षण में व्याप्त सादगी और उनके यादगार स्मृतियों से ओतप्रोत यह लेख उनकी दिव्य छवि को प्रस्तुत करने में सक्षम है। किस प्रकार एक छोटी सी लता ने स्वर साम्राज्ञी बनने तक का सफर तय किया। क्यों आज भी उनके अनेकों चाहने वाले हैं , आज भी वह लोगों के दिलों में किसी देवी से कम स्थान नहीं रखती।आज इसी पर आधारित कुछ स्मृतियां प्रस्तुत कर रहे हैं –

Table of Contents

लता मंगेशकर जी की संपूर्ण जीवनी – Lata Mangeshkar biography in Hindi

जन्म – 28 सितंबर 1929 स्थान – इंदौर मध्य प्रदेश भारत राष्ट्रीयता –   भारतीय नाम –  लता मंगेशकर उपनाम – स्वर साम्राज्ञी , राष्ट्र की आवाज , सहराबदी की आवाज , भारत कोकिला आदि। पिता – दीनानाथ मंगेशकर माता – शेवतंति मंगेशकर भाई –  हृदयनाथ मंगेशकर बहन – मीना खाड़ीकर , आशा भोसले , उषा मंगेशकर। मृत्यु – 6 फरवरी 2022

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महत्वपूर्ण पुरस्कार –

भारत रत्न , राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार , फिल्म फेयर पुरस्कार , फिल्मफेयर आजीवन पुरस्कार।

  • फिल्म फेयर पुरस्कार – 1958 ,1962 , 1965 , 1969 ,1993 , 1994
  • राष्ट्रीय पुरस्कार – 1972 ,1975 ,1990
  • महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार – 1966 ,1967
  • पद्मभूषण – 1969
  • परी फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 1972
  • दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज विश्व रिकॉर्ड – 1974
  • फिल्म कोरा कागज के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – 1974
  • दादा साहब फाल्के पुरस्कार – 1989
  • फिल्म लेकिन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – 1990
  • फिल्म फेयर पुरस्कार लाइफ टाइम अचीवमेंट – 1993
  • स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 1996
  • राजीव गांधी पुरस्कार – 1997
  • N.T.R. पुरस्कार – 1999
  • पद्म विभूषण – 1999
  •  जी सिने लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 1999
  • आई.आई.ए.एफ लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 2000
  • स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार – 2001
  • भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न –  2001
  • नूरजहां पुरस्कार – 2001
  • महाराष्ट्र भूषण – 2001

( 1970 के उन्होंने गायकी के क्षेत्र में फिल्मफेयर पुरस्कार स्वीकार नहीं किया। उन्होंने यह पुरस्कार उभरते हुए दूसरे गायकों को देने के लिए कहा। )

लता मंगेशकर आज वह हस्ती है , जिनको देश ही नहीं अपितु विदेश भी जानता है , और सराहना करता है। यही कारण है कि इतनी उम्र होने के बावजूद भी वह सबके लिए बड़ी दीदी बनी हुई है। यह उनके चाहने वालों का प्रेम ही है , जो उनसे सदैव जोड़े रहता है। लता जी की आरंभिक दुनिया ऐसी नहीं थी , उन्होंने अपने स्वयं के संघर्ष के बलबूते आज यह मुकाम हासिल किया है।

आज जहां देखने को मिलता है कोई बड़े सितारे का बेटा , अपने बाप की काबिलियत के माध्यम से अपने जीवन में आगे बढ़ता है। लता जी के साथ ऐसा कदाचित नहीं था।

उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर  , इस प्रकार की प्रसिद्धि के सख्त खिलाफ थे।

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एक समय की घटना है –

लता जी पास की दुकान से कुछ सामान ले आती है। दुकानदार को जब यह पता चलता है कि , यह लड़की पंडित दीनानाथ मंगेशकर की बेटी है , तो वह उनसे पैसे नहीं लेता। घर आकर लता जी ने जब पैसे न लेने की बात बताई , पिता ने काफी डांट लगाया।  उन्हें वापस पैसे देकर आने को कहा और आगे भविष्य में इस प्रकार का कार्य न करने को भी सख्त हिदायत दी। पंडित दीनानाथ मंगेशकर जी का मानना था कि प्रसिद्धि किसी दूसरे के माध्यम से नहीं , अपितु स्वयं के संघर्ष और मेहनत से बनाया जाना चाहिए।

यह सीख लता जी के जीवन पर काफी गहरा प्रभाव डालने में सक्षम रहा। इसी सीख को उन्होंने सदैव अपने मन – मस्तिष्क में रखा।  आज लगभग 6-7 दशक हो गए होंगे , उन्होंने निरंतर अपने जीवन में कामयाबी हासिल की। यही कारण है कि आज पूरे विश्व में उनकी प्रसिद्धि है।  आज पूरा विश्व उन्हें आदर के साथ सम्मान देता है।

कोई ऐसा पुरस्कार नहीं है जिसे लता जी ने प्राप्त नहीं किया हो।

भारतीय सिनेमा में लता जी का आगमन संयोग नहीं था बल्कि प्रयोग था। लता जी का सपना था कि वह भारतीय सिनेमा में अपने स्वर के माध्यम से योगदान देंगी । यही कारण था कि उन्होंने आजीविका के लिए गायन का क्षेत्र चुना।

लता जी की बहन तथा भाई ने भी भारतीय सिनेमा में गायन का क्षेत्र चयन किया।

लता जी भारतीय सिनेमा में पार्श्य गायन के माध्यम से भारतीय सिनेमा को उच्च शिखर पर ले जाने का भरसक प्रयत्न किया। यही नहीं लता जी ने तीस से अधिक भाषाओं में गीत , भजन आदि गायन किया। अनगिनत अभिनेत्री और अभिनेता को अपने स्वर से पहचान दिलाई। विदेशी पत्रिका टाइम्स ने भी उनके योगदान और प्रसिद्धि को स्वीकार करते हुए , उन्हें एकछत्र स्वर साम्राज्ञी के रूप में स्वीकार किया।

यह उनके जीवन में सिनेमा क्षेत्र के योगदान के लिए बेहद ही सराहनीय पुरस्कार है।

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आरम्भिक जीवन के संघर्ष

लता जी का जन्म मराठी , ब्राह्मण , मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। पिता दीनानाथ मंगेशकर का लगाओ भारत के उभरते रंगमंच के प्रति था। उन्होंने रंगमंच के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। वह रंगमंच पर गायन तथा अभिनय का कार्य किया करते थे। लता जी को यहीं से भारतीय सिनेमा क्षेत्र में आने की प्रेरणा संभवत मिली होगी।

आरंभ में उनके पिता नहीं चाहते थे कि , उनके परिवार से और कोई भारतीय सिनेमा के लिए कार्य करें। यही कारण था कि लता जी ने जब पहली बार फिल्म कीर्ति हसाल के लिए एक गाना गाया। तब उनके पिता ने इस गाने को फिल्म में शामिल करने से इंकार कर दिया। किंतु लता जी के प्रतिभा को उन्होंने यहां नहीं पहचाना। लता जी के स्वर से काफी निर्देशक और फिल्म जगत के बड़े-बड़े लोग काफी प्रभावित थे। उन्होंने लता जी को प्रेरित किया।

पिता की मृत्यु के बाद जब आर्थिक संकट ने उनको घेरना आरंभ किया।

घर में बड़ी होने के कारण जिम्मेदारी लता जी के कंधों पर आ टिकी , बहने और भाई उनसे छोटे थे।  लता जी अभी महज तरह वर्ष की ही थी , अब उनके सामने अपनी आजीविका को चलाने की कड़ी चुनौती आ खड़ी हुई थी।

तब फिल्मी जगत के बड़े-बड़े लोगों ने उन्हें फिल्म के लिए अपने स्वर देने की मांग रखी। लता जी को पहले से ही गाने का बहुत शौक था , उन्होंने अभिनेत्री के रूप में कार्य करने से इंकार कर दिया , किंतु उन्होंने पार्श्व गायन को स्वीकार किया। वह पर्दे के पीछे से अभिनय करने वालों को अपना स्वर देने लगी। इन के स्वरों में वह जादुई तेज था , जिसे लोगों ने बेहद सराहना करते हुए ग्रहण किया। उनके स्वर की प्रसिद्धि दिन – प्रतिदिन बढ़ती गई। विश्व की ऐसी कोई सीमा नहीं है जो इनके स्वर को रोक सकी हो। इनके चाहने वाले किसी एक सीमा में बंधे नहीं है , देश-विदेश हर जगह इनके स्वर के कद्रदान  हैं।

महात्मा ज्योतिबा फुले

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फिल्म जगत में आगमन

जैसा कि उपरोक्त बता चुके हैं , पिता दीनानाथ मंगेशकर अपनी बेटियों को फिल्म जगत में आने देना नहीं चाहते थे। जब लता जी ने पहली फिल्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया तो , उसे फिल्म में शामिल करने से दीनानाथ मंगेशकर जी ने मना कर दिया। किंतु पिता के असमय निधन ( 1942 ) से पूरा परिवार आर्थिक संकट में घिर गया।

सिनेमा तथा रंगमंच जगत के लोगों ने जब अभिभावक बनकर लता मंगेशकर के सामने रंगमंच तथा सिनेमा के लिए कार्य करने का अनुरोध किया तो , अपने बड़ों की बात वह टाल ना सकी। उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों के लिए गायन तथा अभिनेत्री के रूप में कार्य करना स्वीकार किया।

बतौर अभिनेत्री उनकी पहली फिल्म 1942 में बनी पाहिली मनलागौर थी।

उसके बाद उन्होंने कुछ प्रमुख फिल्मों में काम किया जैसे –

  • माझे बाल 1943
  • चिमुकला संसार 1943
  • बड़ी माँ 1945
  • जीवन यात्रा 1946
  • छत्रपति शिवजी 1952

कुछ फिल्मों में लता जी ने अभिनेत्री का रोल अदा किया , साथ ही खुद के लिए पार्श्व गायन भी किया। लता जी के लिए संगीत का क्षेत्र भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं था।

उस समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री तथा गायिका के रूप में –

  • नूरजहां ,  
  • अमीरबाई कर्नाटकी ,  
  • शमशाद बेगम ,  
  • राजकुमारी पहले से ही मौजूद थे , जिन्हें चुनौती देना असंभव था।

इनकी लोकप्रियता इतनी थी कि किसी नए कलाकार के लिए अपनी जगह बनाना जंग जीतने के समान था।

फिर भी उन्होंने उन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए , अपने आजीविका का क्षेत्र फिल्म जगत को ही बनाया । लता जी ने जिस पहले फिल्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया था , पिता के आग्रह पर वह गाना पहले तो फिल्म में शामिल नहीं किया गया।  वह फिल्म भी पर्दे पर कभी नहीं आ सकी।

यहां से उनकी कैरियर की शुरुआत मानी जाती है।

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लता जी को गायन के क्षेत्र में 1947 में वसंत जोगलेकर जी के नेतृत्व में सफलता हाथ लगी , उन्होंने उनके लिए – ” अंग्रेजी छोरा चला गया। ” , ” दिल मेरा तोड़ा हाय कहीं का ना छोड़ा तेरे प्यार ने। “ गायन किया । इसके बाद कई बड़े हस्तियों ने लता जी को सराहते हुए फिल्म जगत में स्वागत किया जिसमें प्रमुख थे वसंत देसाई ,  गुलाम हैदर। इन्होंने कितने ही फिल्मों के लिए सिफारिशें की और अपने फिल्मों में कार्य दिया।  वह लता जी के प्रतिभा को भलीभांति पहचान चुके थे , वह जानते थे भविष्य के उभरते जगमगाते स्वर्णिम सितारों में से एक है।

1949 में बनी फिल्म महल  के लिए उन्होंने पार्श्व गायन का कार्य किया , यह फिल्म पर्दे पर बेहद सफल रही। इसके सभी गाने लोकप्रिय हुए , यहां से लता जी के लिए सफलता के मार्ग खुल चुके थे। फिर उन्होंने एक के बाद एक सभी फिल्मों में सुपरहिट गानों की माला तैयार कर दी। आज तक इन्होंने कहीं विराम नहीं लिया और अभी भी फिल्मों में पार्श्व गायन को अपना सौभाग्य मानती हैं। इनकी प्रसिद्धि आज इससे लगा सकते हैं , इन्होंने 36  से अधिक भाषाओं में गायन किया जिसमें 30000 से अधिक गाने अभी तक वह गा चुकी हैं। कितनी ही देश तथा विदेश की प्रसिद्ध ख्यातिया इन्हें प्राप्त है। पुरस्कार शायद इनके लिए ही बने हो ऐसा लगता है।

लता मंगेशकर जी की साधना

लता जी का परिवार पहले से ही रंगमंच के लिए अभिनय और गायन का कार्य किया करता था , यही उनकी कर्मभूमि थी। लता मंगेशकर को गायन और शास्त्रीय संगीत का ज्ञान विरासत में प्राप्त हुआ था। पिता उन्हें शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देना चाहते थे , उन्होंने स्कूली ज्ञान के लिए भी लता जी को विद्यालय में नाम लिखवाया।  किंतु वहां शिक्षिका के साथ ठीक प्रकार से नहीं जमा।  उन्होंने विद्यालय जाने का विचार बदल लिया और स्वतंत्र रूप से घर पर ही शास्त्रीय संगीत का ज्ञान अर्जन किया।

माना जाता है लता जी नित्य – प्रतिदिन शास्त्रीय संगीत का अधिक समय अभ्यास किया करती हैं। उनके जानने वाले बताते हैं वह जब भी गायन के क्षेत्र में आती हैं तो वह नंगे पांव ही गायन का कार्य करती है। यहां तक कि वह स्टूडियो में भी जब अपने गाने को रिकॉर्ड करती हैं , तब वह नंगे पांव ही होती हैं।

यही साधना उन्हें महान बनाने में योगदान देती है। मां सरस्वती स्वयं उनके जिह्वा पर विराजमान है।  उनके वाणी से निकले गए शब्द स्वर लहरियों में इस प्रकार बैठते हैं की दर्शक और श्रोता मंत्रमुग्ध रह जाते हैं। मां सरस्वती की ऐसी अनुकंपा अन्यत्र दुर्लभ है।

लता जी का मानना है उन्होंने जो भी ग्रहण किया है वह समाज की देन है। उन्होंने समाज से ही अपनी सारी शिक्षा ग्रहण की है ,  उनकी सारी शिक्षा पर अधिकार भी समाज का है। इसलिए वह समाज में अपने ज्ञान को श्रद्धांजलि स्वरूप ऐसे शिष्य तैयार कर रही हैं , जो उनकी विरासत को भविष्य में संभाल सकें। इसलिए उन्होंने विद्यालय के माध्यम से नित्य – प्रतिदिन अपने शिष्यों को शास्त्रीय गायन की कला सिखाती है।

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संगीत के क्षेत्र में अनूठा प्रयोग

जिस समय फिल्म जगत में लता मंगेशकर जी का आगमन उस समय हुआ जब कितनी ही दिग्गज कलाकार पहले से मौजूद थी। जिन्हें ख्याति प्राप्त थी , उनकी प्रसिद्धि जगजाहिर थी। ऐसे समय में अपनी जगह बनाना लता जी के लिए संभव नहीं था।

उन्होंने समय को पहचाना और उर्दू जुबान को सरल शब्दों में प्रयोग किया।

  • उन्होंने उर्दू – हिंदी मिश्रित शब्दों को अपने गायन में प्रयोग किया।
  • यह प्रयोग लोगों को और अधिक भाने लगा।
  • यही कारण है कि लता जी की शैली की प्रसिद्धि दिन – प्रतिदिन बढ़ती गई।
  • उनके श्रोताओं की संख्या गुणात्मक रूप से बढ़ती गई।
  • उन्होंने पूर्व से चली आ रही परिपाटी को बदल दिया था।
  • शास्त्रीय संगीत में भी उन्होंने अधिक राग – अलाप आदि का प्रावधान नहीं किया।
  • उन्होंने श्रोता को सर्वोपरि मानते हुए उनके लिए अपने गायन शैली को ढाला।
  • इस प्रयोग ने लता जी के प्रसिद्धि का मार्ग खोल दिया था।

फिल्म महल 1949 का एक गाना जिसे नूरजहां के लिए पार्श्वगायन  के रूप में गाया गया – “आएगा आने वाला”   इस गाने ने फिल्म जगत में उनकी उपस्थिति को दर्ज कराया।

यहां से उन्होंने जो सफलता प्राप्त की , वह सफलता नित्य – निरंतर गुणात्मक रूप से उन्हें प्राप्त होती गई।

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पुरस्कार और सम्मान

लता मंगेशकर किसी सम्मान की मोहताज नहीं है , उनके हजारों – लाखों चाहने वाले उन्हें अपने दिलों में बसाकर रखते हैं।  यह किसी भी कलाकार के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार और सम्मान होता है। इससे बढ़कर कोई और पुरस्कार तथा सम्मान नहीं हो सकता।

कितने ही पुरस्कार आज लता मंगेशकर जी के पास आकर अपना भाग्य समझ रहे हैं।

कितने ही पुरस्कारों को लता जी ने यह कह कर लेने से मना कर दिया कि , वह किसी नए उभरते कलाकार को पुरस्कार और सम्मान दें। ताकि उनको भविष्य के लिए हौसला मिल सके।

ऐसे महान हस्ती और आत्मा को किसी और पुरस्कार तथा सम्मान की क्या आवश्यकता ?

फिर भी उनके नाम कुछ पुरस्कार और सम्मान लिखे जा चुके हैं जो कुछ इस प्रकार हैं –

भारत सरकार पुरस्कार

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, फिल्मफेयर अवार्ड्स, महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड्स.

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प्रमुख कलाकारों के साथ काम किया

आज भी लता मंगेशकर जी के साथ कार्य करने के लिए बहुत सारे कलाकार लालायित रहते हैं। किंतु उम्र और समय अब इसकी इजाजत नहीं देता। फिर भी कुछ पाबंदियों के साथ लता जी आज भी सिनेमा जगत में अपना योगदान दे रही हैं। नए सितारे उनके साथ छोटा सा भी कार्य कर कर स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं। लता दीदी इतनी शांत और शील स्वभाव की हैं कि उनकी छत्रछाया में रहना प्रत्येक कलाकार के लिए गौरव की बात है।

उन्होंने अपने दौर में कुछ प्रमुख हस्तियों के साथ कार्य किया जिनमें –

  • अनिल बिस्वास
  • शंकर जयकिशन
  • सचिन देव बर्मन
  • हुस्न लाल भगत राम
  • श्री रामचंद्र
  • सज्जाद हुसैन
  • कल्याणजी आनंदजी
  • लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
  • राहुल देव बर्मन

यह कुछ प्रमुख कलाकार थे , जिनके साथ लता दीदी ने बेहद लोकप्रिय सुपरहिट गानों की प्रस्तुति दी।

आज इनके द्वारा बनाए गए संगीत घर – घर में बजते हुए सुन सकते हैं। आज भी कोरा कागज और सिलसिला जैसे फिल्मों के गाने जब कहीं बजते हुए कानों में धुन सुनाई पड़ते हैं , तो व्यक्ति ठहर कर उस गाने को पूरा सुनने को विवश हो जाता है।

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कई पीढ़ियों के लिए योगदान

लता जी का संगीत और फिल्म जगत में आगमन लगभग आजादी के आसपास का समय माना जाता है। उस समय की पीढ़ी के साथ लता जी ने कार्य करना आरंभ किया था और यह निरंतर जारी है। आज भी कितनी ऐसी अभिनेत्री  है जिनके लिए लता जी अपने स्वर के माध्यम से पार्श्व गायन करती हैं। जिसमें रानी मुखर्जी , करिश्मा कपूर , ऐश्वर्या राय , करीना कपूर आदि ऐसे नए युग की अभिनेत्रियां है , जिनके लिए लता मंगेशकर ने आग्रह पर गाना स्वीकार किया।

लता मंगेशकर ने भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने जब स्टेज पर ऐ मेरे वतन के लोगों का गायन किया वहां श्रोता स्तब्ध रह गए। उनकी आंखों से निरंतर अश्रु की धारा बह रही थी। गाने की प्रत्येक पंक्ति , शब्द लोगों के दिलों में उतर रहे थे। इसके लिए लता जी को सभी लोगों ने हृदय से आभार व्यक्त किया और यह गाना उनके मुख से निकल कर अमर हो गया।

आज भी भक्ति गीत की बात आती है तो , “ऐ मेरे वतन के लोगों” गीत का सर्वप्रथम चयन किया जाता है।

भारतीय सिनेमा में लता जी का योगदान 7 – 8  दशक का माना गया है।

उन्होंने इन दशकों में अनेकों – अनेक कलाकारों के साथ कार्य किया।  क्या छोटे और क्या बड़े , सभी उनसे प्रेम करते और वह स्वयं उनसे प्रेम करती। और लोकप्रिय कलाकारों की भांति इनमें लेसमात्र का भी अहंकार और क्रोध नहीं है।

यही कारण है कि आज की पीढ़ियां भी इनका नाम आदर के साथ लेती है।

लता मंगेशकर जी से जुड़े विवाद

लता जी इतने शांत और सौम्य स्वभाव की है , कि उनके साथ किसी विवाद का होना विवादास्पद लगता है। फिर भी लता जी एक सामान्य व्यक्ति है , सामान्य व्यक्ति के साथ कुछ विवादों का होना तो स्वाभाविक है। उन्होंने जिस समय सिनेमा के लिए कार्य करना आरंभ किया , तब से लेकर आज तक उनके साथ कुछ छोटे-मोटे विवाद उनके साथ जुड़े रहे। जिसमें कभी उनके डायरेक्टर और संगीतकार के साथ रहे हो मनमुटाव , कभी वित्तीय लेनदेन के लिए उस समय के वरिष्ठ कलाकारों के साथ खींचतान ।

एक विवाद उनके साथ और जुड़ गया जब उन्हें सफेद साड़ी पहनने के लिए निशाना बनाया गया। लोगों को समझना चाहिए जो संगीत की पूजारन है , स्वयं वह सरस्वती देवी की भक्त अवश्य होगी।

सरस्वती देवी सफेद वस्त्र धारण करती है , तो भक्त भी श्रद्धा स्वरूप सफेद वस्त्र धारण करते हैं।

किंतु लोगों को बात बनाने के लिए छोटा सा माध्यम चाहिए होता है। तिल को भी पहाड़ बना देने वाले लोग समाज में मौजूद हैं। उन्होंने इसको लेकर काफी विवाद उत्पन्न किया किंतु लता जी ने इन विवादों को सदैव नजर अंदाज किया।

मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर के गाने आज भी लोकप्रिय हैं। इन दोनों के बीच गाए जाने वाले गानों को लेकर रॉयल्टी के संदर्भ में कुछ मनमुटाव उस समय देखने को मिलता था।

लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी का यह विवाद लगभग साढ़े तीन साल तक चला था।

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बात यह थी , उस समय गायकों ने एक मंडली बनाई और अपने मेहनत के लिए रॉयल्टी की मांग बड़ी कंपनियों से रखी , जिनके लिए वह गाना रिकॉर्ड किया करते थे। अग्रणी भूमिका में मोहम्मद रफी थे।

मोहम्मद रफी बड़े भोले थे ,वह कंपनियों के बाद में आ गए और उन्होंने उनकी बातों को मान लिया। जिसमें लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जी के बीच मनमुटाव हो गया। दोनों ने एक दूसरे के साथ गाने के लिए मना कर दिया। यह विवाद तीन – साढे तीन साल तक चला , फिर लता दीदी ने खुद माफी मांग ली।

वह मोहम्मद रफी को बड़े भाई मानती थी , और बड़े भाई से ज्यादा दिन नाराज नहीं रहा जा सकता था।

एक विवाद उनके साथ और यह जुड़ गया 1962 में जब लता मंगेशकर जी के पेट में अचानक दर्द हुआ। डॉक्टर के संपूर्ण इलाज के बाद यह बात निकलकर सामने आई कि उन्हें जहर दिया गया था। इसको लेकर काफी बड़ी चर्चा हुई , किंतु यह बात निकलकर सामने नहीं आई। आखिर किसका लता जी के साथ वैर है ? और किसने उन्हें इस प्रकार का जहर दिया है ?

आज तक यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

शादी को लेकर भी लता जी के साथ विवाद जुड़े रहे कभी कोई आरोप लगा था कि वह शादीशुदा है तो कभी उसका खंडन होता।

अनेकों छोटे-मोटे विवादों से लता जी व्यक्तिगत रूप से जुड़ी रहे , किंतु उन्होंने कभी भी स्वयं उन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि यह मुद्दे उन पर कभी हावी नहीं हो पाए। कुछ समय बाद अपने आप वह मुद्दे शांत हो जाते और इस प्रकार के विवाद उनको छू भी नहीं पाए।

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शादी के विषय पर लता मंगेशकर   जी  की राय

लता जी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि , उन्होंने शादी इसलिए नहीं कि क्योंकि पिता की असमय मृत्यु के कारण भाई-बहन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। सभी को पालन – पोषण करना और व्यवस्थित करना यह उनका दायित्व बन गया था।

अपने भाई – बहन के पालन – पोषण के अतिरिक्त उनके पास और अधिक समय नहीं बचता था , जिसके कारण वह शादी जैसे विषयों से सदैव दूर रही।

किशोर दा से मुलाकात

किशोर दा जी से उनकी पहली मुलाकात बेहद रोचक थी। जब लता मंगेशकर जी ने चालीस के दशक में गाना आरंभ किया था , तब वह मालवाड़  लोकल ट्रेन से जाया करती थी। उसके बाद वहां से मुंबई स्टूडियो पैदल ही निकल जाया करती थी। रास्ते में उन्हें एक व्यक्ति मिलता जो उन्हें देखकर हंसता और कभी अपनी छड़ी घुमाता और अजीब हरकतें करता है जैसे कोई मदारी या निर्देशक करता है।

इस व्यक्ति की हरकतें लता जी को पसंद नहीं आई।

यह व्यक्ति एक दिन स्टूडियो में भी पहुंच गया। यह देखकर लता जी आश्चर्यचकित रह गई , कि यह मेरा पीछा करते हुए यहां तक आ गया।  उन्होंने खेमचंद प्रकाश जिसे कहा – चाचा यह लड़का मेरा रोज पीछा करता है , मुझे देख कर हंसता है। खेमचंद जोर से हंसे और कहा अरे यह अशोक कुमार का छोटा भाई किशोर दा है।

यह भी इसी फिल्म के गाने को रिकॉर्ड करने आए हैं।

वाकई यह दृश्य काफी हास्यास्पद था , उनके विषय में लता जी से बातें करते हैं , तो वह हमेशा या कहती हैं किशोर दा की बात अगर मैं करने लगु तो हंसते-हंसते समय निकल जाएगा , मगर उनकी बातें कभी खत्म नहीं होगी।

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लता मंगेशकर जी की पसंदीदा अभिनेत्रीयां

लता मंगेशकर जी के प्रिय तो फिल्म जगत में काम करने वाले सभी हैं। उनका यही सौम्य स्वभाव सबके लिए प्रिय बनाता है।  किंतु व्यक्तिगत वह जिन अभिनेत्रियों को पसंद करती हैं उनमें से –

  • मीना कुमारी
  • वहीदा रहमान
  • सायरा बानो और
  • दिलीप कुमार है जो उन्हें छोटी बहन भी मानते हैं।

नए युग की अभिनेत्रियां जिसमें –

  • रानी मुखर्जी
  • ऐश्वर्या राय

उन्हें अधिक प्रिय हैं , जिनके लिए गाना , गाना उन्हें बेहद ही पसंद आता है।

मुकेश भैया और दिलीप भैया के लिए वह आज भी बातें करते हुए उसी युग में पहुंच जाती है। जब वह युवा हुआ करती थी उनकी बातें उनकी शैली आज भी याद करके उनके होठों पर मुस्कान आ जाती हैं। उस जमाने को लता जी आज भी याद कर सुकून महसूस करती हैं।

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2 thoughts on “लता मंगेशकर जी की संपूर्ण जीवनी – Lata Mangeshkar biography”

लता मंगेशकर जी के गाने सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है. आपने उनकी जीवनी बहुत अच्छे तरीके से लिखी है. मुझे उनके बारे में बहुत सारी नई बातें भी पता चली जो मुझे अभी तक कहीं सुनने को या पढ़ने को नहीं मिला था.

हमें आपका कॉमेंट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. आप लोगों के ऐसे फीडबैक पढ़कर हमें काफी प्रेरणा मिलती है.

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biography of lata mangeshkar in hindi

लता मंगेशकर जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi

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Lata Mangeshkar Death Anniversary – लता मंगेशकर की 8 जनवरी को तबियत ख़राब हो गई थी, जब ब्रिज कैंडी अस्पताल में भर्ती किया तो जाँच में पता चला की वो कोरोना पॉजिटिव थी. कोरोना के साथ साथ उनकी निमोनिया भी हो गया था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस जंग से लड़ती रही। और ICU में डॉक्टर की निगरानी में रही, उनकी सेहत में दिन प्रतिदिन सुधार भी हो रहा था और ऑक्सीजन भी कंट्रोल में था। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था दिनांक 06 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में आखिरी साँस ली और भारत रत्न से सम्मानित सुरो की सरताज लता मंगेशकर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

संगीत की दुनिया में बहुत कम ही संगीतकार हुए हैं जिन्होंने अपनी कला से इतना गहरा छाप छोड़ा है जिसे सदियों गुजर जाने के बाद भी याद किया जाएगा। ऐसी ही एक कलाकार है भारत रत्न सुश्री लता मंगेशकर जी। करीब 70 दशकों तक अपनी शक्कर सी मीठी आवाज से न सिर्फ भारतीय बल्कि पूरी दुनिया के लोगों को संगीत के उस मधुर अनुभव का एहसास कराया जो आज बहुत कम मिलता है। इनकी इसी खूबी के चलते स्वर कोकिला का उपनाम भी दिया गया, हालांकि इनकी कला के सामने कोई भी उपाधि छोटी ही प्रतीत होगी। तो आज हम स्वर कोकिला लता मंगेशकर जीवन परिचय (Lata Mangeshkar Biography in Hindi)  लेकर आए हैं जिसमें इनके जीवन से जुड़े  कई पहलुओं के बारे में जानेंगे।

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

Table of Contents

लता मंगेशकर जीवन परिचय (Lata Mangeshkar Biography in Hindi)

लता मंगेशकर का जन्म और परिवार (lata mangeshkar birth and family).

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। इनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवंती मंगेशकर था। लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ भी कला के क्षेत्र से ही जुड़े हुए थे। वह मराठी संगीत, शास्त्रीय संगीत और एक थिएटर एक्टर भी थे. लता मंगेशकर कुल चार बहनें और एक भाई थे। इन सभी में लता मंगेशकर सबसे बड़ी थी। इनकी तीन बहने मीना, आशा और उषा थी। इनके भाई का नाम हृदयनाथ था.

लता मंगेशकर शिक्षा ( Lata Mangeshkar Education)

वैसे तो लता मंगेशकर के कंठ में खुद सरस्वती का निवास है लेकिन उन्हें यह सरस्वती विद्यालय में नहीं बल्कि अपनी कला के माध्यम से प्राप्त हुई है क्योंकि लता मंगेशकर ने पढ़ाई की ही नहीं है। असल में जब उन्हें पहले दिन विद्यालय भेजा गया तो वहां पर एक शिक्षक के साथ मामूली विवाद हो गया। विवाद का विषय कुछ ऐसा था कि आशा को शिक्षक कक्षा में नहीं बैठा रहे थे, जिसके बाद लता मंगेशकर को बीच में बोलना पड़ा। इस घटना का असर लता मंगेशकर के ह्रदय में हुआ और फिर कभी दोबारा विद्यालय जाने की उन्होंने इच्छा भी नहीं जाहिर की।

लता मंगेशकर का करियर ( Lata Mangeshkar Career)

लता मंगेशकर का नाम जब भी हम सुनते हैं तो सबसे पहला एहसास जो हमारे दिमाग में आता है वह संगीत है। हम किसी और रूप में लता मंगेशकर को देख ही नहीं सकते क्योंकि लता मंगेशकर और संगीत का नाता कुछ ऐसा है जैसे एक मां और बच्चे का कि इन दोनों को एक दूसरे के बिना कोई वजूद ही नहीं है. लेकिन आपको यह जानकर थोड़ा आश्चर्य होगा कि शुरुआत में लता मंगेशकर अभिनय क्षेत्र में ज्यादा एक्टिव थी। 5 वर्ष की उम्र में ही अपने पिताजी के थिएटर में काम करना शुरू कर दिया था। लता मंगेशकर के पिता संगीत में भी काफी अच्छे थे इसलिए खुद वह लता मंगेशकर को संगीत की भी शिक्षा दिया करते थे।

लता जी जब 13 वर्ष की थी तभी उनके सर से पिता का हाथ उठ गया। पिता का देहांत होने के बाद लता मंगेशकर के ऊपर अपने परिवार की जिम्मेदारी आ गई क्योंकि वह घर की सबसे बड़ी बेटी थी इसलिए उन्हें ज्यादा जिम्मेदार बनना पड़ा। मास्टर विनायक जोकि चित्रपट मूवी कंपनी के मालिक थे उन्होंने लता मंगेशकर की काफी मदद की। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था, जिस से बाहर निकालने के लिए लता जी ने मंगलागौर, माझे बाल, जीवनयात्रा, गजभाऊ, बड़ी मां जैसे कुछ मराठी फिल्मों में अभिनय किया। इसे लता जी की आर्थिक स्थिति तो थोड़ी बेहतर हुई पर उनकी प्राथमिकता अभिनय नहीं थी।

संगीत उनकी हृदय के ज्यादा करीब था और वो एक संगीतकार बनना चाहती थी। हालांकि यहीं से लता मंगेशकर ने अपना करियर एक संगीतकार के रूप में शुरू कर दिया। 1942 में आई फिल्म मंगला गौर में लता मंगेशकर ने पहली बार अपनी आवाज दी।

लता मंगेशकर का फ़िल्मी करियर (Lata Mangeshkar Film Career)

लता मंगेशकर ने वैसे तो 36 भाषाओं में गाने गाए है लेकिन हिंदी और मराठी उनके दिल के सबसे करीब थी। इसीलिए काम पाने के लिए वह मुंबई चली गई। यहां पर उन्होंने अमर अली खान को अपना गुरु बनाया। यह भिंडीबाजार घराना के उस्ताद थे, यहीं पर लता जी ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा हासिल की। लता जी के करियर में एक और उपलब्धि तब जुड़ गई जब ‘बड़ी मां’ फिल्म में उनका गाना ‘माता तेरे चरणों’ में आया. 1946 में एक और फिल्म है जिसका नाम था ‘आपकी सेवा में’ में लता जी के द्वारा गाया गाना ‘पा लागूं कर जोरी’ काफी हिट हुआ और यहीं से अन्य संगीत निर्देशकों की नजर में लता जी की कला पहली बार सामने आएगी।

1949 लता मंगेशकर के कैरियर में एक बड़ा माइलस्टोन था। इसी वर्ष फिल्म ‘महल’ रिलीज हुई थी जिसमें मधुबाला अभिनय कर रही थी। खेम चंद्र प्रकाश जो कि एक संगीत निर्देशक थे, उन्होंने लता मंगेशकर जी से इस फिल्म का एक गाना गवाया था, जिसका नाम था ‘आएगा आने वाला’. आप भी एक बार इस गाने को जरुर सुनिएगा। यह गाना इतना बेहतर तरीके से गाया गया था कि आज भी यदि इसे सुना जाए तो बिल्कुल सजीव लगता है। यहीं से लता मंगेशकर ने भारतीय फिल्म संगीत जगत में अपनी मजबूत पहचान बना ली थी।

लता मंगेशकर के 1950 – 1970 की फेमस गाने (Lata Mangeshkar 1950 – 1970 hit Songs)    

लता जी की प्रतिस्पर्धा नूरजहां और शमशाद बेगम जैसी गायिका से थी जो लता मंगेशकर के पहले से बॉलीवुड में गा रही थी, लेकिन लता जी ने अपनी गायकी की एक अलग पहचान बनाई, जिसका नतीजा यह हुआ कि 1950 के बाद बहुत कम ही ऐसी फिल्में आई हैं, जिसमें लता जी का कोई गाना नहीं था। इनका एकछत्र राज म्यूजिक इंडस्ट्री में था। बड़े से बड़े फिल्म कलाकार यह चाहते थे कि लता जी उनके फिल्म में गाना गाए, क्योंकि लता जी के गाने का मतलब है कि फिल्म हिट होने की संभावना बढ़ जाएगी।

लता मंगेशकर जी के द्वारा गाया हुआ गाना ‘ ऐ मेरे वतन के लोगों ‘ सीधे हमारी रूह को छूता है. इस गाने को सुनते ही हम देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो जाते हैं। ऐसा ही पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ हुआ जब उन्होंने लता मंगेशकर को लाइव यह गाना गाते हुए सुना। इसे सुनते ही वो इतने भावुक हो गए कि अपने आंसुओं को भी नहीं रोक सके। यह उदाहरण है लता मंगेशकर की गायकी और स्वर का जो सीधे हमारी भावनाओं को छूती है।

  • चाचा जिंदाबाद
  • आए दिन बहार के
  • मेरे हमदम मेरे दोस्त
  • रेलवे प्लेटफॉर्म
  • बीस साल बाद
  • दिल अपना और प्रीत पराई
  • बरसात राम लखन
  • मैंने प्यार किया
  • राम तेरी गंगा मैली

लता मंगेशकर के 10 की फेमस गाने ( Lata Mangeshkar hit Songs)

  • आएगा आएगा आएगा आने वाला
  • लग जा गले की फिर
  • ऐ मालिक तेरे बंदे हम
  • प्यार किया तो डरना क्या
  • ये मेरे वतन के लोगो
  • मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियाँ है
  • आप की नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे
  • तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं
  • ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया
  • हाय-हाय ये मजबूरी
  • ये मौसम और ये दूरी

लता मंगेशकर के 1990 की फेमस गाने ( Lata Mangeshkar 1990 hit Songs)

जो कारवाँ 1940 से शुरू हुआ था वह लगातार 1990 तक चलता रहा। लता जी इस समय अवधि में पूरी क्षमता के साथ संगीत की सेवा करती रही, लेकिन 90 के दशक के बाद संगीत में भी बहुत बदलाव आया, जो लता जी के स्तर से काफी नीचे था। लता जी एक विशुद्ध गायिका है और इस दशक के गानों में गायकी, राग, स्वर आदि पर इतना जोर नही रहता था, गीत की धुन और लिरिक्स भी पहले के जैसे नही लिखी जाती थी। लता जी हालांकि कहती थी कि यदि किसी अच्छे गाने के लिए किसी ने मुझे पेशकश की तो वो जरूर गायेगी।

  • दिल वाले दुलहनिया ले जायेंगे
  • दिल तो पागल है
  • हम आपके है कौन

लता मंगेशकर को मिले अवार्ड ( Lata Mangeshkar Singing Awards)

लता जी को इतने सम्मान पुरुस्कार मिले है कि उन्हें कई बार तो खुद मना करना पड़ा कि उनकी जगह किसी नए कलाकार को वह देना चाहिए। 1970 में ऐसा ही कुछ फिल्मफेयर के दौरान घटा था।

मुख्य पुरुस्कार

  • 1969 में पद्म भूषण
  • 1989 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार
  • 1999 में पद्म विभूषण
  • 2001 में भारत रत्न

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरुस्कार

  • 1972 – फिल्म परी के लिए
  • 1974 – फ़िल्म कोरा कागज़ के लिए
  • 1990 – फिल्म लेकिन के लिए

फिल्मफेयर पुरुस्कार

  • 1993 में फ़िल्मफ़ेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड.
  • 1959 में आजा रे परदेसी के लिए
  • 1963 में काहे दीप जले कही दिल के लिए
  • 1966 में तुम मेरे मंदिर तुम मेरी पूजा के लिए
  • 1970 में आप मुझसे अच्छे लगने लगे के लिए
  • 1994 में दीदी तेरा देवर दीवाना
  • 2004 में फ़िल्मफ़ेयर स्पेशल अवार्ड

इनके अलावा महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवार्ड्स भी लगातार कई वर्षों तक मिले है।

लता मंगेशकर का वैवाहिक जीवन (Lata Mangeshkar married life)

बचपन से ही पारिवारिक जिम्मेदारियों को उठाना कही न कही एक बड़ी वजह थी। लता जी को संगीत से भी काफी प्रेम है, यह भी वजह कही जा सकती है। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि संगीतकार सी. रामचंद्र ने लता के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था पर उन्होंने मना कर दिया। दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि लता जी इन्हें पसंद भी करती थी लेकिन संगीतकार सी. रामचंद्र पहले से शादीशुदा थे इसलिए लता जी ने मना किया था।

निष्कर्ष – लता मंगेशकर का जीवन (Lata Mangeshkar Biography in Hindi) हम सबके लिए एक प्रेरणा है की कैसे मुश्किल परिस्थितियों के बाद भी अपने लक्ष्य को पाया जा सकता है। लता जी गीत इस दुनियां में सदियो तक गूंजते रहेंगे।

Q : लता मंगेशकर का असली नाम क्या है? Ans : हेमा मंगेशकर

Q : लता मंगेशकर की उम्र क्या है? Ans : 28 सितंबर 1929 (आयु 92 वर्ष)

Q : लता मंगेशकर का जन्मदिन कब है? Ans : 28 सितंबर को 

Q : लता मंगेशकर का जन्म कब हुआ था? Ans : 28 सितंबर 1929 (आयु 92 वर्ष)

Q : लता मंगेशकर ने कितने गाने गाए? Ans : 30,000 से ज्यादा गाने गाए

Q : लता मंगेशकर की बहन का क्या नाम है? Ans : आशा भोसले

Q : क्या लता मंगेशकर जिंदा है? Ans : नहीं , लता मंगेशकर अभी जिंदा नही है।

Q : लता मंगेशकर का पहला गाना Ans : मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ का गाना कितना हसोगे

Q : लता मंगेशकर का सबसे आखिरी गाना कौन सा है? Ans : मराठी गाने ‘आता विसाव्याचे क्षण’

Q : लता मंगेशकर की मौत कब हुई ? Ans : लता मंगेशकर की मौत 06 फरवरी 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्‍पताल में हुई।

Q : लता मंगेशकर की मौत कैसे  हुई ? Ans : लता मंगेशकर लम्बे समय से बीमार थी और बीमारी के चलते उनकी मौत हो गयी।

Q : लता मंगेशकर का निधन कब हुआ ? Ans : 06 फरवरी 2022 को

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 lata mangeshkar biography, लता मंगेशकर के जीवन परिचय शिक्षा एवं करियर के बारे में विस्तार.

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safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Fri, 08 Dec 2023 12:35 PM IST

लता मंगेशकर को अनेक प्रतिष्ठ नागरिक सम्मानों और संगीत पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। लता जी को मिले प्रमुख पुरस्कार एवं अलंकरणों की सूची इस प्रकार है। 1969 पद्म भूषण 1989 दादा साहब फाल्के पुरस्कार 1996 राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार 1999 पद्म विभूषण 2001 भारत रत्न

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Source: safalta

लता मंगेशकर का प्रारंभिक जीवन

शुरुआती पढ़ाई, free daily current affair quiz- attempt now with exciting prize, गायकी में करियर, लता मंगेशकर को सम्मानित की गई पुरस्कारों के नाम, गायक के अलावा संगीत निर्देशक में काम,  फिल्म निर्माता भी थी लता मंगेशकर  .

उनकी बनाई फिल्मों की सूची इस प्रकार है- 1953 बादल 1953 झांझर 1955 कंचन 1990 लेकिन इनमें बादल फिल्म मराठी में थी, शेष सभी फिल्में हिन्दी भाषा में हैं। लता मंगेशकर की बनाई ‘लेकिन’ फिल्म रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी पर आधारित है और इसे खूब पसंद किया गया।

अविवाहित रही लता मंगेशकर

लता जी के प्रसिद्ध गीत, लता मंगेशकर जी से जुड़े एफएक्यू  .

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लता मंगेशकर का जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi

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लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भारत की सबसे प्रतिष्ठित पार्श्‍वगायिका हैं। उनके चाहने वाले उन्‍हें मां सरस्वती का अवतार मानते हैं। आज भारत के हर कोने में तो लता मंगेशकर को खूब सम्मान मिलता ही है इसके साथ ही विदेशों में भी उनका नाम विख्यात है। लता मंगेशकर को भारत के सबसे सर्वोच्‍च सम्‍मान भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही उन्हें पद्म भूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म विभूषण सहित कई अन्य पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

आज हर गायक लता मंगेशकर को अपने भगवान की तरह पूजता है। लता मंगेशकर ने हजारों फिल्मी गीत गाये हैं। उन्होंने 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गीत गाये हैं। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को सुर कोकिला भी कहा जाता है। आइए आज जानते हैं सुरों की देवी लता मंगेशकर का जीवन परिचय (Lata Mangeshkar Biography in Hindi)

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लता मंगेशकर का जीवन परिचय – Lata Mangeshkar Biography in Hindi

Lata mangeshkar birthdate and mother-father names in hindi – लता मंगेशकर का जन्‍म व माता-पिता.

28 सितंबर 1929 के‍ दिन लता मंगेशकर का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। लता मंगेशकर मराठा परिवार से ताल्लुक रखती हैं। बचपन में लता मंगेशकर को हेमा नाम से बुलाया जाता था। लता मंगेशकर के पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर है। वह भी एक संगीतज्ञ थे। उनकी माता का नाम शेवंती मंगेशकर है। लता मंगेशकर की मां गुजराती थीं। शेवंती दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी पत्नी थीं। वह दीनानाथ मंगेशकर की पहली पत्नी नर्मदा की सगी बहन थीं। नर्मदा मंगेशकर के निधन के बाद दीनानाथ मंगेशकर ने शेवंती से शादी कर ली थी।

हार्डीकर से बनीं मंगेशकर

लता मंगेशकर के पिता का सरनेम हार्डीकर हुआ करता था, जिसे बाद में उन्‍होंने बदलकर मंगेशकर कर लिया था। दरअसल दीनानाथ मंगेशकर गोवा में मंगेशी के रहने वाले थे। यही कारण था कि मंगेशी के आधार पर उन्‍होंने अपना नया सरनेम मंगेशकर कर लिया था।

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Lata Mangeshkar Earlier Life in Hindi – लता मंगेशकर का शुरुआती जीवन

महज 5 साल की उम्र से ही लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) संगीत में रुचि रखने लगी थीं। एक इंटरव्‍यू में उन्होंने यह बताया था कि वह जब महज पांच साल की थीं, तब वह अपने गीत अपनी माँ को सुनाया करती थीं। साल 1942 में लता मंगेशकर के पिता का देहांत हो गया, जब उनके पिता की मृत्यु हुई, तब उनकी उम्र केवल 13 वर्ष थी।

Lata Mangeshkar Brother-Sisters Names in Hindi – लता मंगेशकर के भाई- बहन

लता मंगेशकर अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। इनके अलावा इनकी तीन बहनें मीना खाड़ीकर, आशा भोसले और उषा मंगेशकर हैं। वहीं लता मंगेशकर के एक भाई भी हैं जिनका नाम हृदयनाथ मंगेशकर है। लता मंगेशकर के साथ इनकी तीनों बहनें और भाई भी संगीत की दुनिया से ही ताल्‍लुक रखते हैं।

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

Lata Mangeshkar Education in Hindi – शिक्षा

लता मंगेशकर अपने जीवनकाल में सिर्फ एक दिन के लिए स्‍कूल गई थीं। दरअसल पहले ही दिन जब लता स्‍कूल गईं तो वह अपनी बहन आशा को भी साथ ले गईं थीं, ल‍ेकिन उनकी टीचर ने आशा को क्‍लास में बैठने की अनुमति नहीं दी, जिस कारण वह फिर कभी स्‍कूल नहीं गईं।

लता मंगेशकर का करियर – Lata Mangeshkar Career in Hindi

Lata Mangeshkar Biography in Hindi (लता मंगेशकर का जीवन परिचय) उनके करियर की बात किए बिना अधूरा ही रह जाएगा। आइए यहां जानते हैं लता मंगेशकर का जीवन परिचय (Lata Mangeshkar Biography in Hindi) और करियर (Lata Mangeshkar Career in Hindi)

लता मंगेशकर का एक्टिंग करियर

साल 1942 में जब लता महज 13 साल की थीं, पिता की मृत्‍यु के बाद परिवार की पूरी जिम्‍मेदारी उनपर आ गई। नवयुग चित्रपट मूवी कंपनी के मालिक और मंगेशकर परिवार में काफी अच्‍छे संबंध थे। इन्‍हीं लोगों ने लता को उनका करियर अभिनय और गायिका के रूप में स्‍थापित करने में मदद की थी। वैसे तो लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को अभिनय में कोई खास रूचि नहीं थी, लेकिन मजबूरियों के कारण उन्‍होंने कुछ हिंदी और मराठी फिल्‍मों में अभिनय भी किया। साल 1942 में मंगला गौर, 1943 में माझे बाल, 1944 में गजभाऊ, 1945 में बड़ी मां, 1946 में जीवन यात्रा जैसी कई फिल्‍मों में लता मंगेशकर ने छोटे-मोटे किरदार निभाए थे।

लता मंगेशकर का पहला गाना – Lata Mangeshkar First Song

साल 1942 में लता मंगेशकर ने अपना पहला गाना मराठी फिल्‍म ‘कीती हसाल’ के लिए गाया था। इस गाने के लिए उन्हें 25 रूपये मिले थे। लेकिन इस गाने को फाइनल कट के बाद फिल्‍म से हटा दिया गया था।

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1949 में मिली पहचान

बचपन से ही गायिका बनने का सपना देखने वाली लता मंगेशकर को 1949 में आई फिल्म महल का गाना “आएगा आनेवाला” से पहचान मिली। एक पार्श्‍वगायिका के रूप में उनका पहला गाना 1942 में आया था। इसके बाद साल 1947 में बसंत जोगलेकर ने अपनी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ लता मंगेशकर को गाने का मौका दिया, जिसके बाद उनकी आवाज़ को खूब सराहना मिली। उन्होंने साल 1949 में आई फिल्म ‘महल’ के गाने ‘आएगा आनेवाला’ से खूब नाम कमाया। यह गाना अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था। बड़े पर्दे पर यह फिल्म हिट साबित हुई थी।

आशा भोसले और लता मंगेशकर में हुई थी अनबन

पिता के निधन के बाद लता मंगेशकर पर ही परिवार का सारा बोझ आ गया। पिता की मौत के सात साल बाद धीरे-धीरे घर की स्थिति सुधर ही रही थी कि लता मंगेशकर की छोटी बहन आशा भोसले ने प्रेम विवाह के लिए अपने परिवार वालों से बगावत कर दी। आशा भोसले गणपत राव भोसले से शादी करना चाहती थीं। जिससे लता बहुत आहत हुईं और दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई थी। इसके बाद साल 1949 में आशा ने गणपतराव भोसले से शादी कर ली थी।

लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी के बीच अनबन

एक समय में लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी में ऐसी अनबन हो गई थी कि दोनों ने काफी समय तक एक दूसरे से बात तक नहीं की। इसको लेकर दोनों काफी चर्चा में भी रहे। यह अनबन दोनों में रॉयल्टी को लेकर हुई थी। जिसकी वजह से करीब 3 साल दोनों ने एक दूसरे से बात नहीं की। दरअसल लता अपने गाए हुए गानों की रॉयल्टी चाहती थीं जिसमें मोहम्‍मद रफ़ी ने उनका साथ नहीं दिया। जिसकी वजह से दोनों के बीच बहस हो गई। वहीं इस पर मोहम्‍मद रफ़ी का कहना था कि सिंगर्स को जब पेमेंट मिल चुकी है तो रॉयल्टी का कोई मतलब नहीं था।

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

लता मंगेशकर ने क्यों नहीं की शादी?

लता मंगेशकर अपने घर में सबसे बड़ी थीं। मात्र 13 साल की उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया था। इसके बाद लता पर घर का सारा बोझ आ गया। अपनी बहनों और भाई से बड़े होने के नाते लता ने घर की ज़िम्‍मेदारी अपने कंधों पर उठा ली, जिसके लिए लता ने शादी न करने का फैसला लिया। लता ने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि अगर वह चाहें भी तो वह शादी नहीं कर सकती थीं, क्योंकि उन पर उनके भाई-बहनों की ज़िम्मेदारी थी।

अब तक गाए 35 भाषाओँ में 30 हज़ार से भी ज्यादा गाने

लता मंगेशकर 35 भाषाओं में गाना गाने वाली पहली भारतीय महिला गायिका हैं। लता मंगेशकर ने अब तक 30 हज़ार से भी ज्यादा गाने गाये हैं। लता को बचपन से ही गाने का शौक था और वह महज पांच साल की उम्र से ही संगीत में बेहद रूचि रखती थीं।

एम मुखर्जी ने फिल्म में गाने के लिए किया था रिजेक्ट

लता मंगेशकर की मुलाकात जब गुलाम हैदर से हुई तो उन्होंने लता की आवाज़ सुनी जिसके बाद गुलाम हैदर को उनकी आवाज़ बेहद पसंद आई। उन्होंने लता के गाने को लेकर एम मुखर्जी से बात की और उनसे कहा कि वह अपनी फिल्म में लता मंगेशकर को एक बार गाने का मौका दें, लेकिन लता की आवाज़ पतली होने के कारण मुखर्जी को यह नहीं पसंद आई जिससे उन्होंने लता को फिल्म में गाना देने से मना कर दिया था।

लता मंगेशकर को मिला माँ सरस्वती का दर्जा

देश में लता मंगेशकर को उनके चाहने वालों ने सरस्वती माँ का दर्जा दिया हुआ है। हर गायक लता को माँ सरस्वती का रूप मानता है। अभिनेता राज कपूर लता के बहुत बड़े फैन थे। उन्हें लता का गाना इतना पसंद था कि वह अपनी हर फिल्म में लता का गाना चाहते थे। वह लता के गाने से इतना प्रभावित थे कि उन्होंने ही पहली बार लता मंगेशकर को माँ सरस्वती का दर्जा दिया था। इसके बाद सभी उन्हें माँ सरस्वती का रूप मानने लगे।

Lata Mangeshkar Awards List – लता मंगेशकर अवार्ड्स

इसके साथ ही लता मंगेशकर को कई और भी बड़े अवार्ड्स से सम्‍मानित किया जा चुका है।

लता जी के बारे में रोचक तथ्य – Lata Mangeshkar Biography in Hindi

  • लता मंगेशकर अपनी आवाज़ के लिए एक दिन में 10 से 15 हरी मिर्च खा जाती हैं।
  • वह एक मात्र ऐसी जीवित व्यक्तित्व हैं जिनके नाम के पुरस्‍कार दिए जाते हैं।
  • लता मंगेशकर हमेशा नंगे पांव गाना गाती हैं।
  • उन्होंने 30 हज़ार से भी अधिक गाने गाये हैं।
  • लता मंगेशकर की सुरीली आवाज के कारण विदेशों के रिसर्चर्स उनकी वोकल कॉर्ड पर रिसर्च करने की इच्‍छा जता चुके हैं।
  • उनकी पतली आवाज़ की वजह से उन्हें पहले रिजेक्ट किया गया था।
  • गाना गाने से पहले वह कुछ नहीं खाती थीं यही कारण था कि एक बार रिकॉर्डिंग के बीच में वह बेहोश हो गई थीं।

लता मंगेशकर का निधन – Lata Mangeshkar Death

भारत रत्‍न लता मंगेशकर का 6 फरवरी 2022 को सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर निधन हो गया। लता मंगेशकर के निधन का कारण मल्‍टी ऑर्गन फेलियर बताया जा रहा है। वह बीते कई दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में एडमिट थीं।

FAQ’s

Q : लता मंगेशकर का वास्‍तविक नाम क्‍या है.

Ans : लता मंगेशकर का वास्‍तविक नाम हेमा मंगेशकर है।

Q : लता मंगेशकर के पति का नाम क्‍या है?

Ans : लता मंगेशकर अविवाहित हैं।

Q : लता मंगेशकर की बहनों के नाम क्‍या हैं?

Ans : उषा मंगेशकर, आशा भोसले, मीना खाड़ीकर

Q : लता मंगेशकर का पहला गाना कौन सा है?

Ans : लता मंगेशकर ने अपना पहला गाना मराठी फिल्‍म ‘कीती हसाल’ के लिए गाया था, लेकिन फाइनल कट के बाद इस गाने को फिल्‍म से हटा दिया गया था।

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लता मंगेशकर – lata mangeshkar ki jivani in hindi

By: Sakshi Pandey

Lata Mangeshkar Biography in Hindi – lata mangeshkar ka biodata

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50 को दशक को फिल्म इंडस्ट्री का स्वर्ण काल कहा जाता है। जहां एक तरफ बड़े पर्दे पर कई अनोखे बदलावों का आगाज हो रहा था, वहीं इसी दौरान फिल्म जगत से एक ऐसी आवाज रुबरु हो रही थी, जिसके तरानों ने सीधा लोगों के दिलों पर दस्तक दी। नतीजतन बेहद कम समय में यही आवाज समूचे हिन्दुस्तान की शान बन गई और वो आवाज थी, पिछले 71 सालों में 27,000 से ज्यादा सुपरहिट गाने देकर संगीत जगत पर राज करने वाली मेलोडि क्वीन लता मंगेशकर की। (lata mangeshkar biography )

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 (lata mangeshkar birthday) को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में हुआ था।लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक मराठी गायक थे, वहीं लता की माता शिवांती मंगेशकर गुजराती परिवार से ताल्लुक रखती थीं।

दरअसल मंगेशकर परिवार का उपनाम हरदिकार था, वहीं गोवा के मंगेशी गांव में रहने के चलते उन्होंने अपने परिवार का उपनाम बदल कर मंगेशकर कर लिया।

लता अपने पांच भाई-बहनों मीना, आशा, ऊषा और हृदयनाथ में सबसे बड़ी बहन हैं। वहीं लता सहित उनके सभी भाई-बहन संगीत जगत की जानी-मानी शख्सियत हैं।

लता मंगेशकर के नाम से समूची दुनिया में मशहूर लता के बचपन का नाम हेमा मंगेशकर था। बेहद कम उम्र में ही लता का नाता संगीत और अभिनय की दुनिया से जुड़ गया। लता ने पांच साल की उम्र में अपने पिता के निर्देशन में बने नाटक ‘भावबंधन’  में लतिका नामक अभिनेत्री का मुख्य किरदार निभाया था। जिसके चलते लता के पिता ने उनका नाम हेमा से बदलकर लता रख दिया।

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi

संगीत के क्षेत्र से रुबरु होने का जिक्र करते हुए लता मंगेशकर अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं कि, एक दफा पिता जी अपने एक शाहगिर्द को राग पर अभ्यास करने का निर्देश देकर किसी काम में व्यस्त हो गए। मैं वहीं पास में ही खेल रही थी। तभी मैंने शाहगिर्द को गलत अभ्यास करते देखा और मैंने उसे सुधारने की कोशिश की। जब पिता जी लौटे तो वो मुझे राग बनाते देखकर हैरान रह गए और उसी वक्त उन्होंने अपनी बेटी में ही एक शाहगिर्द को पाया।

लता बताती हैं कि, उस रोज जब पिता जी घर पहुंचे तो उन्होंने मां से अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि –‘हमारे घर में ही एक बेहतरीन गायक मौजूद हैं और हम इस बात से अब तक अनजान थे।’

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संगीत के क्षेत्र में अपनी आवाज को आकार देने की जद्दोजहद में जुटीं लता को सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा जब 1942 में उनके पिता ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

13 वर्षीय लता के सर से पिता का साया हटने के बाद मंगेशकर परिवार के करीबी विनायक दामोदर कर्नाटकी (मास्टर विनायक) ने लता के परिवार का हाथ थामा। नवयुग चित्रापट फिल्म कपंनी के मालिक मास्टर विनायक ने संगीत और अभिनय के क्षेत्र से लता का परिचय कराया।

लता मंगेशकर ने 1942 में नवयुग चित्रापट की फिल्म ‘पहिली मंगाला गौर’ में एक छोटी सी भूमिका अदा की। इस फिल्म में उन्होंने ‘नताली चित्राची नवालाई’ नाम के मराठी गाने में अपनी आवाज दी।

हालांकि लता ने अपना पहला हिन्दी गाना ‘माता एक सपूत की किस्मत बदल  तू’ साल 1943 में रिलीज हुई मराठी फिल्म गाजाभाऊ में गाया था।

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साल 1945 में मास्टर विनायक की कंपनी का मुख्यालय मुंबई स्थांतारित होने के कारण लता ने मायानगरी का रुख करने का फैसला किया। मुंबई में लता मंगेशकर भिंडी बाजार से ताल्लुक रखने वाले उस्ताद अमन अली खान से संगीत के गुर सीखने के लिएहिन्दुस्तान क्लासिकल म्यूजिक का हिस्सा बनीं।

इसी कड़ी में लता ने 1946 में रिलीज हुई फिल्म ‘आपकी सेवा में’ के गाने ‘पा लगूं कर जोरी’ गाया। वहीं लता ने ‘माता तेरे चरणों में’ नाम के पहले भजन में भी अपनी आवाज दी।

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi

साल 1948 में लता के बेहद करीब रहे मास्टर विनायक की मृत्यु हो गई। जिसके बाद गुलाम हैदर ने लता के मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। उस दौर का जिक्र करते हुए लता बताती हैं कि, गुलाम साहब ने मुझे निर्माता शशाधार मुखर्जी से मिलवाया और उनकी आगामी फिल्म शहीद में मेरी आवाज देने की बात कही।

हालांकि मुखर्जी ने बहुत पतली आवाज होने के कारण इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया। जिसके बाद गुलाम साहब गुस्सा हो गए और उन्होंने कहा कि ‘एक दिन सभी निर्माता निर्देशक लता की आवाज के कायल होंगे।’

साल 2013 में अपने 84वें जन्मदिन के मौके पर गुलाम साहब के बारे में बात करते हुए लता कहती हैं कि, “गुलाम हैदर सचमुच मेरे भगवान हैं, वह पहले ऐसे संगीत निर्देशक हैं जिन्हें मेरी आवाज पर मुझसे भी ज्यादा भरोसा था।”

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आखिरकार गुलाम हैदर का विश्वास सच साबित हुआ और 1949 में रिलीज हुई फिल्म महल में लता की आवाज ने दर्शकों का दिल जीत लिया।

खेमचंद प्रकाश और मधुबाला की जोड़ी और लताकी आवाज ने फिल्म महल के गाने ‘आएगा आनेवाला’ को सुपरहिट कर दिया और इसी के साथ संगीत जगत में लता मंगेशकर एक नया चेहरा बन कर उभरीं।

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50 के दशक में लता मंगेशकर ने बड़ी बहन (1950), मीना बाजार (1950), अफसाना (1951), उड़न खटोला (1955), श्री 420 (1955), देवदास (1955), मदर टेरेसा (1957), अदालत (1958) सहित कई सुपरहिट फिल्मों के गानों में अपनी आवाज दी।

1958 में रिलीज हुई फिल्म ‘मधुमती’ के गाने ‘आजा रे परदेसी’ के लिए लता मंगेशकर को फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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60 के दशक को फिल्म इंडस्ट्री का स्वर्ण काल (golden era)माना जाता है। जहां एक तरफ बॉलीवुड में कई फिल्में लगातार बड़े पर्दे पर हिट हो रहीं थीं, वहीं ज्यादातर फिल्मों की सफलता में लता की आवाज ने चार-चांद लगा दिए थे।

दशक की शुरुआत ब्लॉकबस्टर फिल्म मुगल-ए-आजम (1960) के साथ हुई। इस फिल्म में लता की आवाज  ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’और मधाबाला की अदाकारी ने सीधा दर्शकों के दिल पर दस्तक दी।

वहीं इसी साल रिलीज हुई फिल्म हवांईयां में मीना कुमारी पर फिल्माया गाना ‘अजीब दास्तां है ये’ न सिर्फ सुपरहिट हुआ बल्कि इस गाने का नाम लता मंगेशकर के एवरग्रीन गानों (latamangeshkar evergreen songs) की फेहरिस्त में भी शुमार हो गया।

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi

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60 का दशक न सिर्फ लता के लिए बल्कि देश के लिए खासा अहम रहा। एक तरफ जहां लता सफलता की ऊंचाइयां छूने की कोशिशों में मशगूल थीं, वहीं देश को दशक की शुरुआत में ही सरहद पर शिकस्त का सामना करना पड़ा।

दरअसल 1962 में भारत-चीन युद्ध में चीन का पलड़ा भारी था। इसी कड़ी में भारत न सिर्फ ये युद्ध हार गया बल्कि देश ने अपने कई शौर्यवीरों को भी हमेशा के लिए खो दिया था।

इसी दौरान देश में फैली शोक की लहर के बीच लता के द्वारा गाया गाना ‘ए मेरे वतन के लोगों’ ने मरहम का काम किया। यही नहीं तात्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने अपने एक साक्षात्कार में बताया कि उस दौरान लता की आवाज सुनकर उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।

महज एक दशक पहले बॉलीवुड में अपनी पहचान तराश रहीं लता मंगेशकर 60 के दशक के अंत तक फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर हस्ती बन गई थीं।

1962 में लता मंगेशकर को फिल्म ‘बीस साल बाद’ के गाने ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ के लिए उन्हें दूसरे फिल्म फेयर आवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वहीं लता बैक टू बैक सुपरहिट गाने देकर बी-टाउन की मेलोडि क्वीन बन गईं।

इस दौरान उन्होंने ‘आपकी नजरों ने समझा’, ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’, ‘गाता रहे मेरा दिल’, ‘पिया तोसे’, ‘होठों पे ऐसी बात’, ‘नेना बरसे रिमझिम’, ‘लग जा गले’ सहित कई ब्लॉकबस्टर गानों में अपनी आवाज दी।

इसी कड़ी में लता ने फिल्म इंडस्ट्री के कई मशहूर सिंगरों मसलन मोहम्मद रफी (lata mangeshkar and mohammadrafi) , किशोर कुमार, मंहेद्र कपूर और मुकेश के साथ भी गाने रिकॉर्ड किए। वहीं उन्होंने कई मराठी और बंगाली गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा।

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70 के दशक तक लता की आवाज का जादू इस कदर परवान चढ़ चुका था कि उनका गाना हर सुपरहिट फिल्म की पहचान बन गया। 1972 में रिलीज हुई फिल्म पाकीजा मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म में मीना कुमारी के किरदार पर लता की आवाज में गाया गाना ‘चलते-चलते’ और ‘इन्हीं लोगों ने’दर्शकों की जमकर सराहना बटोरी।

इसके अलावा लता मंगेशकर ने प्रेम पुजारी (1970), अभिमान (1973), दस्तक (1970), हीर रांझा (1970), दिल की राहें (1973), हिंन्दुस्तान की कसम (1973), हसंते जखम (1973), मौसम (1975), लैला मजनू (1976), कारवाँ (1971), कटी पतंग (1971), आंधी (1975) जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में अपने हुनर का जादू बिखेरा।

इसी सिलसिले में 1973 में लता मंगेशकर को फिल्म ‘परिचय’ के गाने ‘बेटी न बिताई’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म फेयर के खिताब से नवाजा गया। वहीं लता को फिल्म ‘कोरा कागज’ के गाने ‘रुठे-रुठे पिया’ के लिए राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

वहीं 1978 में राज कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म सत्यम् शिवम् सुंदरम् के टाइटल सांग में लता की अवाज को लोगों का भरपूर प्यार मिला। नतीजतन ये साल का सबसे हिट गाना साबित हुआ।

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80 के दशक तक लता मंगेशकर की आवाज लगभग हर सुपरहिट फिल्म की मांग बन चुकी थी। इस दौर में लता ने सिलसिला (1981), चांदनी (1989), बेजुबान (1982), मैंने प्यार किया (1989), कर्ज (1980), एक दूजे के लिए (1981), प्रेम रोग (1982), राम तेरी गंगा मैली (1985), नगीना (1986), राम लखन (1989), संजोग (1985) जैसी दशक की ज्यादातर सुपरहिट हिन्दी फिल्मों में अपनी आवाज दी।

इसके अलावा लता के द्वारा गाया गाना आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। मसलन इस फेहरिस्त में ‘शीशा हो या दिल हो’, ‘मेरे नसीब में’, ‘जिंदगी कीन टूटे’, ‘सोलह बरस की’, ‘ये गलियां ये चौबारा’, ‘दिन महीने साल’, ‘यशोदा का नन्दलाला’, ‘उंगली में अंगूठी’, ‘ओ राम जी तेरे लखन ने’, ‘बिंदिया तरसे’, ‘क्या यही प्यार है’, ‘देखा मैंने देखा’, ‘तुझ संग प्रीत’, ‘थोड़ा रेशम लगता है’, ‘नेनों में सपना’, ‘जिंदगी प्यार का’, ‘साजन मेरा उस पार है’ जैसे एवरग्रीन गाने शामिल हैं।

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90 के दशक में लता मंगेशकर ने आनन्द मिलिंद, अनु मलिक, उत्तम सिंह, जतिन ललित, नदीम श्रवण जैसे कई मशहूर संगीत निर्माताओं के साथ काम किया। वहीं लता ने जगजीत सिंह के साथ कई गजलें भी गायीं। (lata mangesh karghazal)

लता ने उस दौर के जाने-माने गायकों कुमार सानू, एस.पी.बालसुब्रमण्यम्, उदित नारायण (lata mangeshkar uditnarayan) , मोहम्मद अजीज, अभिजीत भट्टाचार्य, रूप कुमार राठौड़, विनेद राठौड़, सोनू निगम के साथ भी मंच साझ किया।

वहीं 90 के दशक में यशराज फिल्म के बैनर तले बनी चांदनी (1989), लम्हे (1991), डर (1993), ये दिल्लगी (1994), दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे (1995), दिल तो पागल है (1997), मोहब्बतें (2000), मुझसे दोस्ती करोगी (2002), वीर जारा (2004) जैसी ज्यादातर ब्लॉकबस्टर फिल्मों में कई सुपरहिट गाने दिए।

इसके अलावा लता ने इस दशक की फिल्में मसलन पत्थर के फूल (1991), महबूब मेरे (1992), सातवां आसमान (1992), दिल की बाजी (1993), अंतिम न्याय(1993), हम आपके हैं कौन (1994), मेघा (1996), रंग दे बसंती सहित कई फिल्मों में गीत गाए। Lata Mangeshkar Biography in Hindi

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90 के दशक के अंत तक लता ने संगीत से सियासत तक का सफर तय कर लिया था। दरअसल साल 1999 में लता को राज्यसभा सदस्य चुना गया।

हालांकि इस दौरान संसद के किसी सत्र में हिस्सा न लेने के चलते ससंद के सदस्यों नजमा, प्रणब मुखर्जी और शबाना आजमीं ने लता की जमकर आलोचना भी की।

वहीं लता ने सत्र में हिस्सा न लेने की वजह अपनी खराब सेहत को बताया और इसी के साथ लता ने संसद का सदस्य होने के नाते दिल्ली में सरकार की तरफ से मिले घर और तनख्वा को भी लेने से इंकार कर दिया।

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पिछले कई दशकों से संगीत जगत में अपने सुरों का जादू बिखेर देश –विदेश की मशहूर शख्सियत बन चुकीं लता मंगेशकर को साल 2000 में भारत सरकार द्वारा देश के सबसे अहम सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।

71 सालों तक सुरों की मलिका के रूप में संगीत जगत पर राज करने वाली लता मंगेशकर वर्तमान में भी सिंगिग के क्षेत्र में एक्टिव हैं। 27,000 से ज्यादा गानों में अपनी आवाज दे चुकीं लता ने अपना आखिरी गाना ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ साल 2019 में रिलीज किया था। (lata mangeshkar latest songs) इसके अलावा लता मंगेशकर बतौर निर्माता चार फिल्मों – वाडाल (मराठी), कंचन गंगा (हिन्दी), लेकिन (हिन्दी), झांझर (हिन्दी) से जुड़ी रहीं। Lata Mangeshkar Biography in Hindi

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इसके अलावा ऑउटलुक इंडिया नामक पत्रिका ने लता मंगेशकर को महान भारतीयों की सूची में 10वां स्थान दिया था। वहीं मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार भी लता की कला के कुछ इस कदर कायल हुए कि उन्होंने लता के हुनर को कुदरत का करिशमा करार दिया।

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Reference- 3 March 2021, Lata Mangeshkar Biography in Hindi , wikipedia

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I am enthusiastic and determinant. I had Completed my schooling from Lucknow itself and done graduation or diploma in mass communication from AAFT university at Noida. A Journalist by profession and passionate about writing. Hindi content Writer and Blogger like to write on Politics, Travel, Entertainment, Historical events and cultural niche. Also have interest in Soft story writing.

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Lata Mangeshkar: A Brief Biography

After Dinanath’s untimely death in 1942, a 13 year-old Lata entered the film industry as her family’s sole bread-winner. In the early part of her career, she did bit roles in some Marathi and Hindi films. She recorded her first song ‘Naachu Yaa Gade Kheloo Saaree’ for a Marathi film Kiti Hasaal (1942). In Aap Ki Seva Mein (1947), she made her playback singing debut for Hindi films with the song ‘Paa Laagoo Kar Joree Re’. Even though she has sung approximately 6,500 songs in many different languages, her maximum output and best work is in Hindi, Marathi and Bengali.

As a singer, her main body of work comprises of film songs. The simplicity and easy accessibility of this musical form coupled with Lata’s matchless virtuosity and versatility have made her a national cultural icon who has stood the test of time. It is the class, creativity, critical acclaim and cultural impact, not to mention the consistent commercial success of her musical output that has set her apart from her contemporaries and has given her the status of ‘Melody Queen of India’.

Most of the stalwarts of Indian classical music have praised her role in popularizing their genre among the masses through her semi-classical film songs. The legendary classical singer Ustad Bade Ghulam Ali Khan had once affectionately called Lata  ‘Ustaadon ki Ustaad’  (Master of Masters). Commercially speaking, various film soundtracks and non-film albums dominated by her songs have topped the charts for more than six decades and they have sold in the millions. From the time she first made her mark with the haunting rendition of ‘Aayegaa Aanewaalaa’ in the 1949 film  Mahal,  her songs have occupied pride of place in the music of almost all the top composers of Hindi film music. These songs have been associated with many important milestones in Indian cinema:  Barsaat, Anarkali, Nagin, Mother India, Madhumati  and  Mughal-E-Azam being prime examples of the early ‘Golden era’ of the 1950s and 60s;  Pakeezah, Bobby, Ek Duuje Ke Liye, Ram Teri Ganga Maili, Maine Pyar Kiya, Hum Aapke Hain Kaun, Dilwale Dulhaniya Le Jaayenge, Dil To Paagal Hai  of the 70s, 80s and 90s, right up to post-millennium era blockbusters such as  Lagaan  and  Veer Zaara.

Her emotional rendition of the patriotic song- ‘Aye Mere Watan Ke Logon’ after the culmination of the Indo-China war had moved the late Prime Minister Jawaharlal Nehru to tears. Many of her non-film albums like ‘Meera Bhajan’, ‘Chaala Vaahi Des’, ‘Lata sings Ghalib’, ‘Dnyaneshwar Mauli’, ‘Koli Geete’, ‘Ganpati Aarati’, ‘Abhang Tukayache’, ‘Shiv Kalyan Raja’, ‘Ram Shyam Gungaan’, ‘Sajda’ and ‘Shraddhanjali’ have carved a musical niche of their own.

She composed songs for a few Marathi movies in the 1950s and 60s, mostly under the pseudonym  Anandghan . As a composer, her flair for melody and the ability to smoothly blend classical and folk music were apparent. She won the ‘Maharashtra State Award’ as the ‘Best Composer’ for the film  ‘Saadhi Maanse’  (1965).

Every possible major musical and lifetime achievement award at the regional and national level has been bestowed on her at some time or the other. In 1989, she received the Dadasaheb Phalke award for her path-breaking contribution to Indian cinema. After earlier giving her the prestigious ‘Padma Bhushan’ (1969) and ‘Padma Vibhushan’ (1999) awards, the Indian government ultimately conferred upon her the highest civilian honour – the ‘Bharat Ratna’ in 2001. Later, she also went on to receive the prestigious ‘Legion of Honour’ award from the Government of France. Such is the cultural impact of her monumental musical contribution that three state governments – Madhya Pradesh, Maharashtra and Goa – have each separately instituted an annual ‘Lata Mangeshkar award’ for honouring senior artistes in popular music for lifetime achievement.

While choosing her as one of the four ‘Indians of the Twentieth Century’ along with Mahatma Gandhi, Swami Vivekanand and Dhirubhai Ambani, ‘The Times of India’ said: “All of them are self-made individuals; they did not have the advantage of wealth, aristocracy or caste; they fought adversity and believed in action -  karmayogis  in a true sense. They made India proud and gave the world new ideas, dreams and hopes.”

Nothing can describe Lata Mangeshkar, the legend, any better!

(*Source: Lata-Voice of the golden era by Dr. Mandar V. Bichu, Popular Prakashan )

Lata Mangeshkar

Lata Mangeshkar

  • Born September 28 , 1929 · Indore, Indore State, Central India Agency, British India
  • Died February 6 , 2022 · Mumbai, Maharashtra, India (complications from COVID-19)
  • Birth name Hema Mangeshkar
  • The Nightingale of Bollywood
  • Nightingale of India
  • Queen Of Melody
  • Lata Mangeshkar was born in Indore on September 28, 1929, and became, quite simply, the most popular playback singer in Bollywood's history. She sung for over 50 years for actresses from Nargis to Preity G Zinta , as well as recorded albums of all kinds (ghazals, pop, etc). Until the 1991 edition, when her entry disappeared, the Guinness Book of World Records listed her as the most-recorded artist in the world with not less than 30,000 solo, duet,and chorus-backed songs recorded in 20 Indian languages between 948 and 1987. Today that number may have reached 40,000! She was born the daughter of Dinanath Mangeshkar , the owner of a theater company and a reputed classical singer in his own right. He started giving Lata singing lessons from the age of five, and she also studied with renowned singers Aman Ali Khan Sahib and Amanat Khan. Even at a young age she displayed a God-given musical gift and could master vocal exercises the first time. Ironically, for someone of her stature, she made her entry into Bollywood at the wrong time - around the 1940s, when bass singers with heavily nasal voices, such as Noor Jehan and Shamshad Begum were in style. She was rejected from many projects because it was believed that her voice was too high-pitched and thin. The circumstances of her entry into the industry were no less inauspicious - her father died in 1942, the responsibility of earning income to support her family fell upon her, and between 1942 and 1948 she acted in as many as eight films in Hindi and Marathi to take care of economic hardships. She made her debut as a playback singer in the Marathi film Kiti Hasaal (1942) but, ironically, the song was edited out! However, in 1948, she got her big break with Ghulam Haider in the film Majboor (1948) , and 1949 saw the release of four of her films: Mahal (1949) , Dulari (1949) , Barsaat (1949) , and Andaz (1949) ; all four of them became runaway hits, with their songs reaching to heights of what was until then unseen popularity. Her unusually high-pitched singing rendered the trend of heavily nasal voices of the day totally obsolete and, within a year, she had changed the face of playback singing forever. The only two lower-pitched singers to survive her treble onslaught to a certain extent were Geeta Dutt and Shamshad Begum . Her singing style was initially reminiscent of Noor Jehan , but she soon overcame that and evolved her own distinctive style. Her sister, Asha Bhosle , too, came up in the late 1950s and the two of them were the queens of Indian playback singing right through to the 1990s. Her voice had a special versatile quality, which meant that finally music composers could stretch their creative experiments to the fullest. Although all her songs were immediate hits under any composer, it was the composers C. Ramchandra and Madan Mohan who made her sound her sweetest and challenged her voice like no other music director. The 1960s and 1970s saw her go from strength to strength, even as there were accusations that she was monopolizing the playback-singing industry. However, in the 1980s, she cut down her workload to concentrate on her shows abroad. Today, Lata sings infrequently despite a sudden resurgence in her popularity, but even today some of Hindi Cinema's biggest hits, including Dilwale Dulhania Le Jayenge (1995) , Dil To Pagal Hai (1997) , and Veer-Zaara (2004) feature her legendary voice. No matter which female playback singer breaks through in any generation, she cannot replace the timeless voice of Lata Mangeshkar. She was an icon beyond icons.... - IMDb Mini Biography By: Q. Leo Rahman
  • Parents Dinanath Mangeshkar Shevanti Mangeshkar
  • Relatives Asha Bhosle (Sibling) Usha Mangeshkar (Sibling) Meena Khadikar (Sibling) Hridaynath Mangeshkar (Sibling) nm13294690 (Niece or Nephew)
  • A legendary playback singer in Indian movies, she recorded over 30,000 songs in 14 Indian languages, making her the most recorded voice in history.
  • Mentioned in the song "Brimful of Asha" by Cornershop. (The title refers to her sister, Asha Bhosle , who is also mentioned in the song.).
  • In an interview,Lata Mangeshkar herself disclosed on her 84th birthday in September,2013," Ghulam Haider is truly my Godfather.It was his confidence in me that he fought for me to tuck me into the Hindi Film Industry which otherwise had initially rejected me.Remembering her early rejection,Lata once said," Ghulam Haider was the first music director who showed complete faith in my talent.He introduced me to many film producers including S. Mukherji,a big name in film production,but when he said my voice was "too thin" to use in his film,Ghulam Haider was furious.Hence,finally he convinced Bombay Talkies,a banner bigger than S. Mukherji and introduced me through their movie Majboor (1948) .Lata's first big breakthrough film song,was "Dil mera tora,mujhe kaheen ka na chhora teray pyaar ne" lyrics by Nazim Panipati ,composed by Ghulam Haider.
  • Was awarded the Bharatha Rathna, the highest civilian honor by the Government of India.
  • Her contribution to Indian music industry in a career spanning seven decades gained her honorific titles such as the Nightingale of India, Voice of the Millennium and Queen of Melody.
  • About singing for Veer-Zaara (2004) : "Madan Mohan was like my brother. Yashji's like my brother. I felt I had gone back in time."
  • About her love of diamonds: "I've been fond of diamonds from childhood. As a child, my father used to design jewelry. But we couldn't afford them. He had a keen eye for jewelry and was fond of wearing precious stones. We kids were equally fascinated by jewels. But until I became a professional playback singer, I refused to wear jewelry. I had decided I'd wear only diamonds."
  • About the number of her songs being remixed in music videos: "I don't like it. I don't like remix albums as a concept. On top of that, these girls dancing in itsy-bitsy clothes suggestively! From childhood we've been told that a woman's dignity is in the way she conducts herself in public. The less you reveal, the more attractive you appear. I must say that the songs that I considered vulgar in those days seem like bhajans [devotional music] compared with what's being sung these days! Yes, I've sung naughty songs, but "Kaanta Lagaa," for instance, had another context when I sang it. I feel sorry for the girl who was seen in the music video of "Kaanta Lagaa." I've heard she's from a decent family. Why wasn't she stopped by her family? Ambition? If she did it with their consent, then God help them. I struggled hard to get where I am - that's why I am still here."
  • About music composition: "It doesn't suit me. Although I've done it in the past, now I don't feel like it. I don't think I've the patience."
  • About the December 2004 tsunami: "This sort of calamity shakes our faith in every law of nature. Little children, women, and entire families have perished. We must help...yes we must."

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Lata Mangeshkar Biography: Age, Early Life, Family, Education, Singing Career, Net Worth, Awards and Honours, and more

Lata mangeshkar biography: legendary singer lata mangeshkar breathed her last in mumbai's breach candy hospital on 6 february 2022 (sunday) morning. she was 92. she was an indian playback singer and music director. she was one of the most respected playback singers in india. let us have a look at her biography including age, family, education, singing career, awards, honours, etc..

Shikha Goyal

Lata Mangeshkar Biography: Lata Mangeshkar is a big name for music enthusiasts all over the world, and the day marks her 94th birth anniversary. Legendary singer Lata Mangeshkar has recorded songs in over a thousand Hindi films and was one of the best-known and most respected playback singers in India. She had a sweet and captivating voice which is the main reason for her popularity. 

At the age of 13, Lata Mangeshkar started her career in 1942 and has sung over 30,000 songs in various Indian languages. She is considered one of the greatest singers of Indian cinema and received Bharat Ratna, India's highest civilian honour in 2001.

Lata Mangeshkar Biography

Lata mangeshkar biography: age, family, early life, and education.

Legendary playback singer Lata Mangeshkar was noted for her distinctive voice and vocal range that extended over more than three octaves. 

She was born on 28 September 1929 in Indore, India. She was the eldest of five siblings. Her father was Pandit Deenanath Mangeshkar and her mother was Shevanti. His father was a noted Marathi stage personality popularly known as Master Dinanath. 

She was introduced to music at an early age. At the age of 13, she recorded her first song for Vasant Joglekar’s Marathi film Kiti Hasaal. 

Lata Mangeshkar's birth name was "Hema". Later, her parents renamed her name and kept it, Lata, after a female character, Latika, in one of her father's plays, BhaawBandhan. Her siblings' names in birth order are Meena, Asha, Usha, and Hridaynath. All are accomplished singers and musicians. Her educational career is not much known but she proved that a degree is not the only way to earn. She received her first music lesson from her father. When she was five years old, she started to work as an actress in her father's musical plays.  

Lata Mangeshkar Biography: Singing Career and her Musical Journey

Early career of lata mangeshkar in the 1940s and 50s.

When Lata Mangeshkar was 13 years old, her father died due to a heart attack in 1942 . The owner of Navyug Chitrapat movie company named Master Vinayak or Vinayak Damodar Karnataki took care of them. He was a close friend of the Mangeshkar family. He helped Lata to get started in a career as a singer and actress. 

In 1942 , Lata Mangeshkar sang the song "Naachu Yaa Gade, Khelu Saari Mani Haus Bhaari". It was composed by Sadashivrao Nevrekar for Vasant Joglekar's Marathi movie Kiti Hasaal. The song dropped from the final cut. A small role was also provided by Vinayak in Navyug Chitrapat's Marathi movie Pahli Mangalaa-gaur, she sang "Natali Chaitraachi Navalaai". It was composed by Dada Chandekar. "Mata Ek Sapoot Ki Duniya Badal De Tu" was her first song in Hindi.

As a teenager, she struggled and support her family. She established herself as a playback singer in the Hindi film industry of the 1940s.  She moved to Mumbai in 1945. She started taking lessons from Ustad Aman Ali Khan of Bhindibazaar Gharana in Hindustani classical music. For the movie Aap Ki Seva Mein (1946), she sang the song "Paa Lagoon Kar Jori" which was composed by Datta Davjekar. Also, in Badi Maa (1945) movie, Lata and her sister Asha played minor roles. In this movie, she also sang a Bhajan "Mata Tere Charnon Mein."

In 1948, Vinayak died and music director Ghulam Haider mentored her as a singer. He introduced Lata to producer Sashadhar Mukherjee. She recorded the hit “Uthaye ja unke sitam” in Andaz (1949), and her destiny was sealed. From this point, she gave her musical voice to every major leading lady, representing every generation of Hindi cinema from Nargis and Waheeda Rehman to Madhuri Dixit and Preity Zinta.

Her singing contributed a great deal to the commercial films like Mahal (1949), Barsaat (1949), Meena Bazaar (1950), Aadhi Raat (1950), Chhoti Bhabhi (1950), Afsana (1951), Aansoo (1953), and Adl-e-Jehangir (1955).

She also sang various Raag-based songs for Naushad in films like Deedar (1951), Baiju Bawra (1952), Amar (1954), Uran Khatola (1955), and Mother India (1957).  Her first song for the composer Naushad was Ae Chorre Ki Jaat Badi Bewafa, a duet with G. M. Durrani. The duo, Shankar–Jaikishan, chose Lata for Barsaat (1949), Aah (1953), Shree 420 (1955), and Chori Chori (1956).

Composer S.D Burman before 1957 chose Lata as the leading female singer for his musical scores in Sazaa (1951),  House No. 44 (1955), and Devdas (1955). In 1957, a rift developed between Lata Mangeshkar and Burman and she did not sing his compositions again until 1962.

Singing Career of Lata Mangeshkar in the 1960s, 70s, and 80s

How can we forget the song "Pyar Kiya To Darna Kya" from Mughal-e-Azam (1960). Lata Ji sang this song very beautifully and still, it remains in everyone's heart. It was composed by Naushad and lip-synced by Madhubala. Also, one of my favourite songs "Ajeeb Dastaan Hai Yeh" from Dil Apna Aur Preet Parai (1960) was also sung by Lata Ji very beautifully. It was composed by Shankar–Jaikishan and lip-synced by Meena Kumari.

Two popular bhajans were recorded by Lata Mangeshkar in 1961 namely  "Allah Tero Naam" and "Prabhu Tero Naam", for Burman's assistant, Jaidev. She was awarded her second Filmfare Award in 1962 for the song "Kahin Deep Jale Kahin Dil" from Bees Saal Baad, composed by Hemant Kumar.

Lata Ji sang a patriotic song against the backdrop of the Sino-Indian War in January 1963. The song was "Aye Mere Watan Ke Logo" in the presence of Jawaharlal Nehru, then the Prime Minister of India. It is said that the song brought tears to former Prime Minister Jawaharlal Nehru. The song was composed by C. Ramchandra and written by Kavi Pradeep.

Lata Ji returned to collaborate with S. D Burman in 1963. She then sang in R.D Burman's first film Chhote Nawab (1961), and later in his films such as Bhoot Bungla (1965), Pati Patni (1966), Baharon Ke Sapne (1967), and Abhilasha (1969). 

Various popular songs were also recorded by her namely  "Aaj Phir Jeene Ki Tamanna Hai", "Gata Rahe Mera Dil" (duet with Kishore Kumar) and "Piya Tose" from Guide (1965), "Hothon Pe Aisi Baat" from Jewel Thief (1967), and "Kitni Akeli Kitni Tanhaa" from Talash.

She also continued her association with Madan Mohan and sang beautiful songs including "Aap Ki Nazron Ne Samjha" from Anpadh (1962), "Lag Jaa Gale" and "Naina Barse Rim Jhim" from Woh Kaun Thi? (1964), "Woh Chup Rahen To" from Jahan Ara (1964), "Tu Jahan Jahan Chalega" from Mera Saaya (1966), and "Teri Aankho Ke Siva" from Chirag (1969).

The 1960s also witnessed the beginning of the association of Lata Ji with Laxmikant-Pyarelal, the music director for whom she sang the most popular songs. 

It is said that she sang over 700 songs for the composer duo over a period of 35 years, many of which become hits. She sang for several movies including Parasmani (1963), Mr. X in Bombay (1964), Aaye Din Bahar Ke (1966), Milan (1967), Anita (1967), Shagird (1968), Mere Hamdam Mere Dost (1968), Intaquam (1969), Do Raaste (1969) and Jeene Ki Raah. For this, she got her third Filmfare Award.

She sang several playback songs for Marathi films. And during the 1960s and 1970s, she also sang various Bengali songs. She recorded duets with Kishore Kumar, Mukesh, Manna Dey, Mahendra Kapoor, and Mohammed Rafi in the 1960s. 

Meena Kumari's last film was released in 1972 which featured popular songs like "Chalte Chalte" and Inhi Logon Ne", sung by Lata Ji and composed by Ghulam Mohammed. 

She also recorded various popular songs for S.D Burman's last films like "Rangeela Re" from Prem Pujari (1970), "Khilte Hain Gul Yahaan" from Sharmeelee (1971), and "Piya Bina" from Abhimaan (1973) and for Madan Mohan's last films, including Dastak (1970), Heer Raanjha (1970), Dil Ki Rahen (1973), Hindustan Ki Kasam (1973), Hanste Zakhm (1973), Mausam (1975) and Laila Majnu (1976).

Various songs by Lata Mangeshkar were composed by Laxmikant-Pyarelal and Rahul Dev Burman in the 1970s. Various hit songs are also sung by her with Rahul Dev Burman in the films including Amar Prem (1972), Caravan (1971), Kati Patang (1971), and Aandhi (1975). The two are noted for their songs with the lyricists Majrooh Sultanpuri, Anand Bakshi, and Gulzar.

She won National Film Award in 1973 for Best Female Playback Singer for the song "Beeti Na Bitai" from the film Parichay. It was composed by R.D Burman and written by Gulzar. She also sang Malayalam song in 1974 ""Kadali Chenkadali" for the film Nellu. It was composed by Salil Chowdhury, and written by Vayalar Ramavarma.

She again won National Award in 1975 for the song "Roothe Roothe Piya" from Kora Kagaz, composed by Kalyanji Anandji. She also staged several concerts from the 1970s onwards including various charity concerts. In 1974, her first concert was at the Royal Albert Hall, London and she was the first Indian to do so.

An album was also released by her of Mirabai's Bhajans, "Chala Vaahi Des". Composed by her brother Hridaynath Mangeshkar.

Satyam Shivan Sundaram in 1978 was directed by Rak Kapoor in which lata Ji sang the main theme song "Satyam Shivam Sundaram" which become the hit of the year. 

In the late 1970s and early 1980s , she worked with composers namely  Rahul Dev Burman, son of Sachin Dev Burman, Rajesh Roshan, son of Roshan, Anu Malik, son of Sardar Malik, and Anand–Milind, sons of Chitragupta. In the Assamese language also sung several songs. The song "Dil Hoom Hoom Kare" from Rudaali (1993) made the highest record sales that year.

From the 1980s, she sang for various movies including Karz (1980), Ek Duuje Ke Liye (1981), Silsila (1981), Prem Rog (1982), Hero (1983), Pyar Jhukta Nahin (1985), Ram Teri Ganga Maili (1985), Nagina (1986), and Ram Lakhan (1989). Her song "Zu Zu Zu Yashoda" from Sanjog (1985) was a hit at that time.

In the late 1980s, she also sang for Tamil movies. The biggest hits of Lata ji in 1980s were "Sheesha Ho Ya Dil Ho" in Asha (1980), "Tu Kitne Baras Ka" in Karz (1980), "Kitna Aasan Hai" in Dostana (1980), "Hum Ko Bhi Gham" in Aas Paas (1980), "Mere Naseeb Mein" in Naseeb (1980), "Zindagi Ki Na Toote" in Kranti (1981), "Solah Baras Ki" in Ek Duuje Ke Liye (1981), "Ye Galiyan Ye Chaubara" in Prem Rog (1982), "Likhnewale Ne Likh Dale" in Arpan (1983), "Din Maheene Saal" in Avtaar (1983), "Pyar Karnewale" and "Nindiya Se Jagi" in Hero (1983), "Zu Zu Zu Yashoda" in Sanjog (1985), "Zindagi Har Qadam" in Meri Jung (1985), "Baith Mere Paas" in Yaadon Ki Kasam (1985), "Ungli Mein Anghoti" in Ram Avtar (1988) and "O Ramji Tere Lakhan Ne" in Ram Lakhan (1989).

Some songs were also composed by Bappi Lehri for Lata Ji like "Dooriyan Sab Mita Do" in Saboot (1980), "Baithe Baithe Aaj Aayi" in Patita (1980), "Jaane Kyun Mujhe" in Agreement (1980), "Thoda Resham Lagta Hai" in Jyoti (1981), "Dard Ki Ragini" in Pyaas (1982), and "Naino Mein Sapna" (duet with Kishore Kumar) in Himmatwala (1983).

She also sang hits during the 1980s like "Sun Sahiba Sun" in Ram Teri Ganga Maili (1985) for Ravindra Jain, "Chand Apna Safar" in Shama (1981), "Shayad Meri Shaadi" and "Zindagi Pyar Ka" in Souten (1983), "Hum Bhool Gaye Re" in Souten Ki Beti (1989) for Usha Khanna. Hridaynath Mangeshkar had "Kale Kale Gehre Saye" in Chakra (1981), "Ye Ankhen Dekh Kar", and "Kuchh Log Mohabbat Ko" in Dhanwan (1981), "Mujhe Tum Yaad Karna" in Mashaal (1984), Assamese song "Jonakore Rati" (1986) with music and lyrics by Dr. Bhupen Hazarika, "Jaane Do Mujhe" in Shahenshah (1989) for Amar-Utpal, "Sajan Mera Us Paar" in Ganga Jamuna Saraswati (1988) and "Mere Pyar Ki Umar" in Waaris (1989) for Uttam Jagdish.

 Lata Mangeshkar's Career in 1990s and 2000s

During the 1990s she recorded with various music directors like Anand-Milind, Nadeem-Shravan, Jatin-Lalit, etc. She also launched her own production house in 1990 for Hindi movies which produced the Gulzar-directed movie Lekin..... She won her third National FIlm Award for Best Female Playback Singer for the song "Yaara Sili Sili". It was composed by her brother Hridaynath.

She also sung for almost all the Yash Chopra films. Even A. R Rahman had recorded a few songs with her during this period like "Jiya Jale" in Dil Se.., "Khamoshiyan Gungunane Lagin" in One 2 Ka 4, "Ek Tu Hi Bharosa" in Pukar, "Pyaara Sa Gaon" in Zubeidaa, "So Gaye Hain" in Zubeidaa, etc.

She also released  Shraddanjali - My Tribute to the Immortals in 1994. The main feature of the film is that Lata Ji offers her tribute to immortal singers of the time by rendering a few songs in her voice. She sang "Kuch Na Kaho" for Rahul Dev Burman the last song in 1994 in 1942: A Love Story.

A perfume brand name was also launched named Lata Eau de Parfum in 1999. She was also awarded Zee Cine Award for Lifetime Achievement the same year. She was also nominated as a member of the Rajya Sabha in 1999. 

She was awarded the Bharat Ratna, India's highest civilian honour in 2001.  She also established the Master Deenanath Mangeshkar Hospital in Pune in the same year. It was managed by the Lata Mangeshkar Medical Foundation.

Lata Mangeshkar's Career in the 2010s

She released the album Sarhadein: Music Beyond Boundaries on 12 April 2011. It contains duet Tera Milna Bahut Acha Lage" by Mangeshkar and Mehdi Hassan. She also recorded a song for composer Nadeem-Shravan "Kaise Piya Se" for Bewafaa (2005). Shamir Tandon also recorded a song with her "Tere Hasne Sai Mujheko" for the movie Satrangee Parachute (2011). 

She also recorded a song in her own studio. The song was "Jeena kya hai, jaana maine" for Dunno Y2-Life Is A Moment (2015).

Lata Mangeshkar Biography: Production

She has produced four films:

1953 - Vaadal in Marathi

1953 - Jhaanjhar in Hindi and, co-produced with C. Ramchandra

1955 - Kanchan Ganga in Hindi

Lata Mangeshkar Biography: Awards and Honours

She won several awards and honours and some of them are listed below:

2009 - ANR National Award 

2007 - Legion of Honour  

2001 - Bharat Ratna, India's highest civilian award

1999 - Padma Vibhushan 

1999 - Zee Cine Award for Lifetime Achievements

1999 - NTR National Award 

1997 - Maharashtra Bhushan Award 

1989 - Dadasaheb Phalke Award 

1972, 1974, and 1990 - Three National Film Awards 

15 Bengal Film Journalists' Association Awards

1959, 1963, 1966, and 1970 - Four Filmfare Best Female Playback Awards.

1993 - Filmfare Lifetime Achievement Award

1994 and 2004 - Filmfare Special Awards 

1984 - State Government of Madhya Pradesh instituted the Lata Mangeshkar Award of Lata Mangeshkar

1992 - the State Government of Maharashtra also instituted a Lata Mangeshkar Award

1969 - Padma Bhushan 

2009 - She was awarded the title of Officer of the French Legion of Honour, France's highest order

2012 - She was ranked number 10 in Outlook India's poll of the Greatest Indian.

Remembering Lata Didi on her birth anniversary. Her contribution to Indian music spans decades, creating an everlasting impact. Her soulful renditions evoked deep emotions and will forever hold a special place in our culture. — Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023

She is also a recipient of honorary doctorates from  Sangeet Natak Akademi (1989), Indira Kala Sangeet Vishwavidyalaya, Khairagarh, and Shivaji University in Kolhapur.

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  • What is Lata Mangeshkar's real name? + The real name of Lata Mangeshkar was Hema Mangeshkar.
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Lata Mangeshkar Age, Death, Husband, Family, Biography

Some lesser known facts about lata mangeshkar, who is lata mangeshkar.

Lata Mangeshkar was a legendary Indian playback singer, who is considered one of the greatest singers in India. The ‘Queen of Melody,’ who began her career in the 1940s, rose to prominence when she lent her voice to the cult song ‘Ayega Aane Waala’ from the 1949 classic Mahal. Through her melodious voice, the legendary singer redefined the fabric of Indian music, remaining an inseparable part of it for nearly six decades. By the early 2000s, she had decided to focus on her personal commitments and give younger singers a chance. On 6 February 2022, she passed away, marking the end of an era.

It was not really the external influence that made me a singer. Music was within me. I was full of it.” – Lata Mangeshkar

Named After a Character from Her Father’s Play

When Lata was born, she was named Hema, which her parents later renamed Lata, which was a female character ‘Latika’ in one of her father’s plays, ‘BhaawBandhan.’ Her father, Deenanath, changed the surname of the family from Hardikar to Mangeshkar as he wanted to identify his family with their native town, Mangeshi in Goa.

A rare childhood photo of Lata Mangeshkar

A rare childhood photo of Lata Mangeshkar

A Huge Fan of K. L. Saigal

As far as I can remember, I always wanted to meet K. L. Saigal. As a child, I used to say that ‘I will get married to him after I grow up’ and that’s when my father explained to me that when I’ll be big enough to get married, Saigal saab will be too old enough to get married.”

Nomadic Childhood

The early life of Lata Mangeshkar is a tale of poverty, hard work, and hard luck. The Maratha heartland of Maharashtra is far away from Indore, where she was born. Her father, Deenanath Mangeshkar, who belonged to Mangeshi in Goa, was a classical singer trained in the colorful Punjabi school of Baba Mushelkar. A theatrical troupe Deenanath owned made him pitch his tent in nearly every town in the state, including Pune, Kolhapur, Satara, Sangli, and Miraj. Lata Mangeshkar, along with her siblings, was roped into a nomadic life by their father’s profession. In the absence of a proper schooling system for his children, Deenanath tried to compensate by injecting them with music lessons at a young age. Lata once said,

The foundation of my musical propensities was laid as early as that.” Lata Mangeshkar (sitting left) with her sisters

Sole Breadwinner

I hated putting on make-up; I hated standing in the glare of lights. But I was the breadwinner of the family, and there was hardly any choice left. The day I went to work in Master Vinayak’s film, there was nothing to eat in the house.” A rare old photograph showing teenage Lata Mangeshkar with young Hridaynath

She also talked about how she missed her childhood as she rose to stardom at an early age. She said,

I missed out on my childhood. I had to work hard, but I was immediately given a place in playback.” Young Lata Mangeshkar

Attended School For Only One Day!

She went to school for only one day. It is said that on the very first day of her school, she brought her younger sister, Asha, and started teaching music to other students and when teachers intervened, she was so furious that she stopped going to the school. In an interview, she talked about her anger issues and said,

I have a fierce temper. I’ve mastered it over the years, but when I’m angry, no one can force me to do anything I don’t want to.” Lata Mangeshkar’s childhood photo

First Public Performance

Initial Career

Arrived in Bombay

Didi was burning the candle at both ends to keep the family going.”

She Would Have Become a Classical Singer

Lata’s first big achievement in Bombay was her meeting with Aman Ali Khan Bhindi Bazarwala, a classical singer, who accepted her as a student; reportedly, A cord was tied around her arm as part of the ceremonial acceptance. After India’s partition, Aman Ali went to Pakistan, and Lata had to find a guru in Amanat Ali, an accomplished singer who went to the same school as Amir Khan. When Amanat Ali died in 1951, Lata’s apprenticeship in classical music ended abruptly. Lata once wistfully said,

Maybe I’d have become a classical singer if Amanat Ali were alive.” Lata Mangeshkar playing the Veena

Rejected For Her ‘Thin’ Voice

After Vinayak’s death, Lata had no fixed income following which she approached a supplier of film extras who later introduced her to Master Ghulam Haidar, a close friend of Amanat Ali and a leading music director of the times. Haidar, who was awed by her range and sweet voice, took her to Filmistan, the Mecca of Bombay’s show business, owned by Subodh Mukherjee. When Ghulam Haidar (music director) introduced Lata to Mukherjee who was making the film ‘Shaheed’ (1948), Mukherjee dismissed Lata’s voice as “too thin” and said that her voice would not match that of the heroine, Kamini Kaushal, the screen siren of the ’40s, to this Haidar responded,

In the coming years, producers and directors would “fall at Lata’s feet” and “beg her” to sing in their movies.”

In an interview, Lata Mangeshkar declared that Ghulam Haidar was her true Godfather who trusted her talent.

Lata Mangeshkar's mentor Ghulam Haidar

Lata Mangeshkar’s mentor Ghulam Haidar

First Breakthrough

On The same day, when Mukherjee rejected her voice, she accompanied Haidar to the studios of Bombay Talkies at Malad, where she was selected to sing for Majboor (1948), and the song ‘Dil Mera Toda, Mujhe Kahin Ka Na Chhora’ from the film became her first breakthrough hit song. She reportedly recorded the song at the 32nd take. While recalling the success of Majboor’s song, Lata said,

I never looked back since then.”

Early Fame and Hectic Schedule

I recorded two songs in the morning, two in the afternoon, two in the evening and two at night.” Lata Mangeshkar in a recording studio

Dilip Kumar Questioned Her Accent

When Naushad introduced her to Dilip Kumar , he teased her for her Marathified Hindi following which she took lessons in Urdu from an Urdu teacher, Shafi. Dilip Kumar recalled the incident over three decades later and said he got embarrassed hearing Lata to pronounce each Hindi and Urdu word with such eloquence that he could not comprehend. He said,

my ears tingled in shame.” Lata Mangeshkar tying Rakhi to Dilip Kumar

She Monopolized the Filmfare Awards

Filmfare Awards were first introduced in 1954, and at that time, the Best Music award was given to a particular song, not to the whole album; however, from 1956, the award was given to the music director for the whole album. When Shankar-Jaikishan won the award in 1957, Lata was not happy as she wanted the awards to include the category of Best Singer. In an interview, she narrated this story and said,

Jaikishan came to see me and said: ‘We’re getting the award so you must sing Rasik Balma at the awards ceremony.’ I said: ‘I won’t sing.’ Then Jaiskishan said, ‘Why won’t you? We’re getting an award.’ And I said, ”You are getting the award, not me. The award is for Best Music. They aren’t giving the award to the singer or lyricist. So why don’t you let your orchestra play the tune without words and singer?’ We had a big fight and he said: ‘How can you talk to me like this? I’m going.’ I said: ‘Very well. Go!’ Then Shankarji came and said: ‘Lataji, he’s naïve and young. Don’t be upset by what he says.’ I explained to Shankarji why I had refused. ‘I won’t sing unless Filmfare introduces awards for playback singers and songwriters. Then I’ll come. Otherwise I won’t.’ These were the kinds of quarrels we had.” Lata Mangeshkar with Shankar Jaikishan

Lata Mangeshkar posing with her Filmfare Award

Lata Mangeshkar posing with her Filmfare Award

Oldest Winner of the National Film Award

She Imitated a Singer

Slow poison.

In 1962, I fell very ill for about three months. One day, I woke up feeling very uneasy in my stomach. And then I started throwing up – it was terrible, the vomit was a greenish colour. The doctor came and even brought an x-ray machine home because I could not move. He x-rayed my stomach and said I was being slowly poisoned.”

Her Song Brought Nehru to Tears

Lata, Tumne Aaj Mujhe Rula Diya” Lata Mangeshkar singing Aye Mere Watan Ke Logon at New Delhi’s National Stadium on 26 January 1963

Composer and Producer

Ram Ram Pavhana

Abroad Tours

Lata Mangeshkar performing at London's prestigious Royal Albert Hall in 1974

Lata Mangeshkar performing at London’s prestigious Royal Albert Hall in 1974

Details of a concert of Lata Mangeshkar on the display board of Madison Square Garden in New York

Details of a concert of Lata Mangeshkar on the display board of Madison Square Garden in New York

Member of Rajya Sabha

Whether it is a fact that the incidents of derailment of trains on various sections have been on the increase; if so, the number of train derailment incidents since the beginning of the year 2000; the estimated loss suffered by the Railways as a consequence thereof; what measures have been taken by government to prevent such incident?” Lata Mangeshkar outside the Parliament of India

The Madhya Pradesh Government and the Maharashtra Government instituted the ‘Lata Mangeshkar Award’ in 1984 and 1992, respectively.

Lata Mangeshkar Award announced by Maharashtra government in 1992

Lata Mangeshkar Award announced by the Maharashtra government in 1992

Prime Minister Narendra Modi receives the first Lata Deenanath Mangeshkar Award in Mumbai on 24 April 2022

Prime Minister Narendra Modi receives the first Lata Deenanath Mangeshkar Award in Mumbai on 24 April 2022

Relevant in Every Generation

Her voice suited to almost every female star, from Madhubala in the 1940s to Kajol in the 1990s, and she sang alongside top male singers, including Mohammed Rafi and Kishore Kumar . She also worked with every leading filmmaker in Bollywood, from Raj Kapoor and Guru Dutt to Mani Ratnam and Karan Johar . Moreover, from roadside vendors to long-distance truckers, and from Army jawans in Ladakh to the glittering elite of Mumbai, Lata Mangeshkar’s voice is considered the one that no Indian can miss.

An auto rickshaw in Mumbai displaying the versatility of Lata Mangeshkar

An auto-rickshaw in Mumbai displaying the versatility of Lata Mangeshkar

In 2012, she again rose her voice to get royalties from recording companies after her songs, owned by recording companies, began appearing on various music albums. She lamented,

What do I get from this? I don’t get any royalty. Now there is internet and the MP3 format.”

Unfulfilled Desires

Daughter of the nation, a different lata.

This may sound strange but when I used to visit America on holiday, I loved spending time in Las Vegas. It’s an exciting city. I really enjoyed playing the slot machines. I never played roulette or cards – but I used to spend the whole night at a slot machine. I was very lucky and won many times.”

Lata Mangeshkar's Pet Dog Bittu

Loved Cooking

It was my maternal grandmother and mother who taught me how to cook. I started cooking when I was very young and often made lunch and dinner at home. In later years, Mrs. Bhalji Pendharkar, whom we called Bakula Mausi, taught me how to cook some dishes. She was a dear and close family friend. I called her ‘Ma.’ I was very close to her and often stayed with her. She used to wash my hair and taught me how to make pulao and mutton. And many vegetarian dishes too. Mrs. Majrooh Sultanpuri showed me how to make pasanda and chicken curry.” Lata Mangeshkar (sitting) learning cooking skills from composer Anil Biswas
I cook quickly, and the kitchen is always left neat and tidy after I have finished. The pleasure of cooking isn’t in cooking, but seeing people enjoy the meal and say they have liked what I made for them – that makes me happy. earlier, when I used to spend time in London, I always used to cook there.”

An Outstanding Photographer

My love for photography started in 1946. I was on an outdoor shoot and took a picture of someone who was standing by a river. I became intrigued by photography. I told Madhavrao Shinde, the film editor, about my interest, and he taught me the basics: how to load film and the kind of camera I should buy.” Lata Mangeshkar posing with a camera
I don’t know what I’d have done if I wasn’t a singer. But photography was definitely a feasible option. It’s a pity that the art of clicking pictures has been  replaced by digital photography. People now take all their pictures on their phone. The sheer joy of capturing cameras through the lens of an old fashioned camera is lost.”

A Passionate Cricket Fan

Lata Mangeshkar with the 1983 Cricket World Cup winning Indian team

Lata Mangeshkar with the 1983 Cricket World Cup-winning Indian team

Lata Mangeshkar with Sachin Tendulkar

Lata Mangeshkar with Sachin Tendulkar

Voice insurance

Last birthday.

On 28 September 2021, her 92nd birthday, which also proved to be her last birthday, she recalled her childhood days and said,

That long journey is with me, and that little girl is still with me. She has not gone anywhere. Some people call me ‘Saraswati’ or say that I have her blessings. They say I am this and that. All this is nothing I believe but the blessings of my parents, our deity Mangesh, Sai Baba, and God.”
It is their blessing that people like whatever I sing. Otherwise who am I? I am nothing. There have been better singers than me, and some of them are not even with us. I am grateful to God and to my parents for whatever I have today.”

The End of an Era

On the morning of 6 February 2022, the world of music came to standstill when the news of Lata Mangeshkar’s demise broke on television sets. On the same day, her last rites were performed at Shivaji Park Crematorium, Mumbai with the full state honour, and it was attended by many dignitaries and celebrities including Shah Rukh Khan , Sachin Tendulkar , and PM Narendra Modi who paid their last tributes to the legendary singer at the crematorium. Later, two-day national mourning was observed for the departed soul. On 10 February 2022, her ashes were immersed in the holy Ramkund on the banks of the Godavari river in Maharashtra.

Prime Minister Narendra Modi (left) and Shah Rukh Khan (right) paying their last tributes to Lata Mangeshkar on 6 February 2022 at Shivaji Park in Mumbai

Prime Minister Narendra Modi (left) and Shah Rukh Khan (right) pay their last tributes to Lata Mangeshkar on 6 February 2022 at Shivaji Park in Mumbai

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References/Sources: [ + ]

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