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अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay in Hindi)

अनुशासन

हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्पूर्ण चीज है। बिना अनुशासन के कोई भी एक खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है। कुछ नियमों और कायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है। अनुशासन सब कुछ है जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं। ये हमें सही राह पर ले जाता है। हम अपने रोजमर्रा के जीवन में कई प्रकार के नियमों और कायदों के द्वारा अनुशासन पर चलते हैं।

अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Discipline in Hindi, Anushasan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द) – अनुशासन.

अनुशासित व्यक्ति आज्ञाकारी होता है और उसके पास उचित सत्ता के आज्ञा पालन के लिये स्व-शासित व्यवहार होता है। अनुशासन पूरे जीवन में बहुत महत्व रखता है और जीवन के हर कार्यों में इसकी जरुरत होती है। यह सभी के लिये आवश्यक है जो किसी भी प्रोजेक्ट पर गंभीरता से कार्य करने के लिये जरुरी है। अगर हम अपने वरिष्ठों की आज्ञा और नियमों को नहीं मानेंगे तो अवश्य हमें परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और असफल भी हो सकते हैं।

अनुशासन का पालन

हमें हमेशा अनुशासन में होना चाहिये और अपने जीवन में सफल होने के लिये अपने शिक्षक और माता-पिता के आदेशों का पालन करना चाहिये। हमें सुबह जल्दी उठना चाहिये, निययमित दिनचर्या के तहत साफ पानी पीकर शौचालय जाना चाहिये, दाँतों को साफ करने के बाद नहाना चाहिये और इसके बाद नाश्ता करना चाहिये। बिना खाना लिये हमें स्कूल नहीं जाना चाहिये। हमें सही समय पर स्वच्छता और सफाई से अपना गृह-कार्य करना चाहिये।

हमें कभी भी अपने माता-पिता की बातों का निरादर, नकारना या उन्हें दुखी नहीं करना चाहिये। हमें अपने स्कूल में पूरे यूनिफार्म में और सही समय पर जाना चाहिये। कक्षा में स्कूल के नियमों के अनुसार हमें प्रार्थना करना चाहिये। हमें अपने शिक्षकों की आज्ञा का पालन करना चाहिये, साफ लिखावट से अपना कार्य करना चाहिये तथा सही समय पर दिये गये पाठ को अच्छे से याद करना चाहिये। हमें शिक्षक, प्रधानाध्यापक, चौकीदार, खाना बनाने वाले या विद्यार्थियों से बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिये।

हमें सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिये, चाहे वो घर, स्कूल, कार्यालय या कोई दूसरी जगह हो। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में कोई भी बड़ी उपलब्धि प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिये अपने जीवन में सफल इंसान बनने के लिये हमें अपने शिक्षक और माता-पिता की बात माननी चाहिये।

निबंध 2 (300 शब्द) – अनुशासन: सफलता की चाबी

अनुशासन एक क्रिया है जो अपने शरीर, दिमाग और आत्मा को नियंत्रित करता है और परिवार के बड़ों, शिक्षकों और माता-पिता की आज्ञा को मानने के द्वारा सभी कार्य को सही तरीके से करने में मदद करता है। ये एक ऐसी क्रिया है जो अनुशासन में रह कर हर नियम-कानून को मानने के लिये हमारे दिमाग को तैयार करती है। हम अपने दैनिक जीवन में सभी प्राकृतिक संसाधनों में वास्तविक अनुशासन के उदाहरण को देख सकते हैं।

अनुशासन- सफलता की चाबी

सूरज और चाँद का सही समय पर उगना और अस्त होना, सुबह और शाम का अपने सही समय पर आना और जाना, नदियाँ हमेशा बहती है, अभिभावक हमेशा प्यार करते हैं, शिक्षक हमेशा शिक्षा देते है और भी बहुत कुछ। तो फिर क्यों हम अपने जीवन में पीछे हैं, बिना परेशानियों का सामना किये आगे बढ़ने के लिये हमें भी अपने जीवन में सभी जरुरी अनुशासन का पालन करना चाहिये।

हमें अपने शिक्षक, अभिभावक और बड़ों की बातों को मानना चाहिये। हमें उनके अनुभवों के बारे में उनसे सुनना चाहिये और उनकी सफलता और असफलता से सीखना चाहिये। जब भी हम किसी चीज को गहराई से देखना और समझना शुरु करते हैं, तो ये हमें जीवन में महत्वपूर्ण सीख देता है। मौसम अपने सही समय पर आता और जाता है, आकाश बारिश करता है और रुकता है आदि सभी सही समय होती हैं जो हमारे जीवन को संतुलित बनाती है।

इसलिये, इस धरती पर जीवन चक्र को कायम रखने के लिये हमें भी अनुशासन में रहने की जरुरत है। हमारे पास अपने शिक्षक, अभिभावक, पर्यावरण, परिवार, वातावरण और जीवन आदि के प्रति बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। मानव होने के नाते हमारे पास सोचने-समझने का, सही-गलत के बारे में फैसला करने के लिये और अपनी योजना को कार्य में बदलने के लिये अच्छा दिमाग है। इसलिये, अपने जीवन में अनुशासन के महत्व और जरुरत को जानने के लिये हम अत्यधिक जिम्मेदार हैं।

अनुशासनहीनता की वजह से जीवन में ढेर सारी दुविधा हो जाती है और व्यक्ति को गैर-जिम्मेदार और आलसी बना देता है। ये हमारे विश्वास के स्तर को कम करती है और आसान कार्यों में भी व्यक्ति को दुविधाग्रस्त रखती है। जबकि अनुशासन में होने से ये हमें जीवन के सबसे अधिक ऊंचाईयों की सीढ़ी पर ले जाती है।

निबंध 3 (400 शब्द) – स्व-अनुशासन की जरुरत

अनुशासन कुछ ऐसा है जो सभी को अच्छे से नियंत्रित किये रखता है। ये व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता है और सफल बनाता है। हम में से हर एक ने अपने जीवन में समझदारी और जरुरत के अनुसार अनुशासन का अलग-अलग अनुभव किया है। जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिये हर एक व्यक्ति में अनुशासन की बहुत जरुरत पड़ती है।

स्व-अनुशासन की जरुरत

अनुशासन के बिना जीवन बिल्कुल निष्क्रिय और निर्थक हो जाता है क्योंकि कुछ भी योजना अनुसार नहीं होता है। अगर हमें किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा करने के बारे में अपनी योजना को लागू करना है तो सबसे पहले हमें अनुशासन में होना पड़ेगा। अनुशासन दो प्रकार का होता है एक वो जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वो जो हमारे अंदर खुद से उत्पन्न होता है। हालाँकि कई बार, हमें किसी प्रभावशाली व्यक्ति से अपने स्व-अनुशासन आदतों में सुधार करने के लिये प्रेरणा की जरुरत होती है।

हमारे जीवन के कई पड़ावों पर बहुत से रास्तों पर हमें अनुशासन की जरुरत पड़ती है इसलिये बचपन से ही अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा होता है। स्व-अनुशासन का सभी व्यक्तियों के लिये अलग-अलग अर्थ होता है जैसे विद्यार्थियों के लिये इसका मतलब है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिये गये कार्य को पूरा करना। हालाँकि काम करने वाले इंसान के लिये सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और ऑफिस के कार्य को ठीक ढंग से करना। हर एक में स्व-अनुशासन की बहुत जरुरत है क्योंकि आज के आधुनिक समय में किसी को भी दूसरों को अनुशासन के लिये प्रेरित करने का समय नहीं है। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में असफल हो सकता है, अनुशासन के बिना कोई भी इंसान कभी भी अपने अकादमिक जीवन या दूसरे कार्यों की खुशी नहीं मना सकता।

स्व-अनुशासन की जरुरत हर क्षेत्र में होती है जैसे संतुलित भोजन करना (मोटापे और बेकार खाने को नियंत्रित करना), नियमित व्यायाम (इसके लिये एकाग्रता की जरुरत है) आदि। गड़बड़ और अनियंत्रित खाने-पीने से किसी को भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं इसलिये स्वस्थ रहने के लिये अनुशासन की जरुरत है। अभिवावक को स्व-अनुशासन को विकसित करने की जरुरत है क्योंकि उसी से वो अपने बच्चों को एक अच्छा अनुशासन सिखा सकते हैं। उन्हें हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जुरुरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें। कुछ शैतान बच्चे अपने माता-पिता के अनुशासन को नहीं मानते हैं, ऐसे वक्त में अभिभावकों को हिम्मत और धैर्य के साथ अपने बदमाश बच्चों को सिखाना चाहिये।

प्रकृति के अनुसार अनुशासन को ग्रहण करने की सभी व्यक्ति का अलग समय और क्षमता होती है । इसलिये, कभी हार मत मानो और लगातार प्रयास करते रहो अनुशासन में होने को, छोटे-छोटे कदमों से ही बड़ी मंजिलें हासिल की जा सकती हैं।

निबंध 4 (600 शब्द) – जीवन में अनुशासन का महत्व

अनुशासन हमारे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बिना हमारा जीवन सुचारु रुप से नहीं चल सकता, खासतौर से आज के आधुनिक समय में अनुशासन बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इस व्यस्तता भरे समय में यदि हम अनुशासन भरे दिनचर्या का पालन ना करें तो हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जायेगा।

जीवन में अनुशासन का महत्व

अनुशासन कार्यों को क्रमबद्ध तथा संयमित तरीको से करने की एक विधि होती है, यदि हम नियमित रुप से अनुशासित दिनचर्या का पालन करें तो हम अपने जीवन स्तर को काफी अच्छा बना सकते हैं। यह हमें हमारे कार्यों को और भी अच्छी तरह से करने में हमारी सहायता करता है। शोधों में देखा गया है कि जो लोग अपने जीवन को अनुशासित तरीके से जीते हैं। वह अस्त-व्यस्त दिनचर्या का पालन करने वालों की अपेक्षा अपने समय तथा उर्जा का अधिक अच्छीतरह उपयोग कर पाते हैं। इसके साथ ही अनुशासन हमारे स्वास्थ्य और सामाजिक स्तर को सुधारने में भी हमारी सहायता करता है।

यही कारण है कि जीवन में अनुशासन का पालन करने वालों को अनुशासनहीनव्यक्तियोंकी अपेक्षा अधिक मान-सम्मान और सफलता प्राप्त होती है। वास्तव में अनुशासन का अर्थ, यह नहीं है कि हम दूसरों के बताये कार्यों का पालन करके अपने जीवन में अनुशासन लाने का प्रयास करें, इसके बजाय हमें अपने जीवन में स्वअनुशासन का पालन करना चाहिए क्योंकि स्वंय द्वारा पालित अनुशासन ही सर्वोत्तम होताहै, हर एक व्यक्ति का लक्ष्य तथा कार्यप्रणाली दूसरे से भिन्न होती है, इसलिए दूसरों द्वारा बताये गये अनुशासन के तरीकों को हमें अपने प्राथमिकता के आधार पर अपनाना चाहिए।

अनुशासित रहने के तरीके

हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं।

1.एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना।

2.कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना।

3.व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना।

4.बुरी आदतों और कार्यों से दूरी बनाना।

5.अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना।

अनुशासन का लाभ और आवश्यकता

जीवन में अनुशासन को अपनाने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं। सेना और रक्षा तथा अनुसंधान संगठनों में तो जीवन तथा कार्यों में अनुशासन को सर्वोपरिमाना गया है, क्योंकि इन क्षेत्रों में एक सेकेंड या मिनट भर की देरी या फिर एक छोटी सी चूक के कारण काफी बड़े नकरात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। यही कारण है कि इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुशासन को इतना महत्व दिया जाता है और अधिकतम कार्यों में इसका पूर्ण रुप से पालन किया जाता है।

इसके साथ ही विद्यार्थियों के लिये तो अनुशासन सफलता का सबसे महत्वपूर्ण अंग है,यदि कोई छात्र अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए अपना अध्ययन करता है, तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। यही कारण है कि छात्र जीवन में अनुशासन को सफलता का आधार माना गया है।

ना सिर्फ विद्यार्थी जीवन में बल्कि कैरियर और घरेलू जीवन में भी अनुशासन का काफी महत्व है, जो लोग अपने जीवन में अनुशासन को अपना लेते हैं, वह कई तरह के परेशानियों से बच जाते हैं। इसके साथ ही जो व्यक्ति अनुशासन के साथ जीवन जीते हैं, उन्हें अनुशासनहीन व्यक्तियों कि अपेक्षा जीवन में कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। एक ओर जहाँ छात्रों के लिये यह उनके भविष्य को सुनहरा बनाने का कार्य करता है, वही दूसरी ओर नौकरीपेशा लोगों के लिये यह तरक्की के मार्ग भी खोलता है।

हम कह सकते हैं कि अनुशासन जीवन में सफलता की कुंजी है और जो व्यक्ति इसे अपने जीवन में अपनाता है, वह अपने जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त करता है। यही कारण है कि आज के इस आधुनिक युग में भी अनुशासन को इतना महत्व दिया जाता है।

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उत्तर- अनुशासन का मुख्य अर्थ नियमो एवं सीमाओं के अंदर रहकर अपने कार्य को अंजाम देना।

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Essay on Discipline in Hindi

अनुशासन पर निबंध | Discipline Essay in Hindi in 150 words

अनुशासन का अर्थ है-नियमों के अनुसार जीवन-यापन। अनुशासन मानव की प्रगति का मूलमंत्र है। अनुशासन से मनुष्य की सारी शक्तियाँ केंद्रित हो जाती हैं। उससे समय बचता है। बिना अनुशासन के बहुत सारा समय इधर-उधर के सोच-विचार में नष्ट हो जाता है। यदि सूर्य और चंद्रमा को भी अनुशासन ने न बाँध रखा होता, तो शायद ये भी किसी दिन अँगड़ाई लेने ठहर जाते। तब इस सृष्टि का न जाने क्या होता! मनुष्य को प्रकृति ने छूट दी है। वह चाहे तो अनुशासन अपना कर अपना जीवन सफल कर ले; अन्यथा पश्चात्ताप कर ले । संसार के सभी सफल व्यक्ति अनुशासन की राह से गुजरे हैं। गाँधी जी समय और दिनचर्या के अनुशासन का कठोरता से पालन करते थे। अंग्रेजों की थोड़ी-सी सेना पूरे भारत पर इसलिए शासन कर सकी, क्योंकि उसमें अद्भुत अनुशासन था। इसके विपरीत भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम केवल इसीलिए विफल हो गया, क्योंकि उनमें आपसी तालमेल और अनुशासन नहीं था।

Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay

अनुशासन पर निबंध हिंदी में | Anushasan Ka Mahatva par Nibandh 300 words

अनुशासन का अर्थ- अनुशासन दो शब्दों के मिश्रण से बना है अनु+शासन.अनुशासन का अर्थ है नियमो का पालन करना। अनुशासन को अगर दूसरे सब्दो में कहे तो अपने विकास के लिए कुछ नियम निर्धारित करना और उस नियम का रोजाना पालन करना चाहे वो नियम आपको पसंद हो या ना हो इसी को अनुशासन कहते है। अगर आप अपने जीवन को नियम के साथ नही जीते तो आपका जीवन व्यर्थ है। जिस प्रकार खाना बिना नमक इसी प्रकार अनुशासन बिना जीवन व्यर्थ हो जाता है इसलिए हमें अपने जीवन को नियम के साथ जीना चाहिए।

अनुशासन को सीखने का सबसे बड़ा उदाहरण प्रकृति है जिस प्रकार से सूरज अपने नियमित समय पर उगता है और अपने नियमति समय पर ढल जाता है,नदियाँ हमेशा बहती है,गर्मी और ठंड के मौसम अपने नियमित समय पर आते जाते रहते है। ये सारे काम अपने नियमित रूप से चालू रहते है अगर प्रकृति ये सारे काम को नियमित रूप से ना करे तो मानव जाति का पतन हो जाएगा ठीक इसी तरह हम भी अपने काम को नियमित रूप से ना करे और अपने आप को अनुशासन में ना रखे तो हमारे जीवन का भी पतन हो जाएगा इसलिए हमें अपने आपको को अनुशासित करना चाहिए।

इस पृथ्वी पर जितने भी माह पुरुष हुए है उन सब में एक बात समान है की वह जानते है कि उन्हें कौन सा काम सबसे पहले करना है और वह अपने प्रति बहुत ईमानदार है ऐशे ही हमको भी पता रहना चाहिए कि कौन सा काम हमे सबसे पहले करना है। अगर हम अपना जीवन नियम के साथ जिये तो हमारा जीवन सुख और शांति से भर जायगा।

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi in 500 words

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम। हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो कि समाज में रहता है और उसमें रहने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है।अनुशासन हमारी सफलता की सीढ़ी होती है जिसके सहारे हम कोई भी मंजिल हासिल कर सकते है। जिस व्यक्ति के जीवन में अनुशासन नहीं उस व्यक्ति का जीवन कभी खुशहाल नहीं होता। प्रकृति भी सभी कार्य अनुशासन में ही करती है सूर्य समय पर उदय होता है और समय पर ही अस्त होता है। अगर इन सब में से कुछ भी इधर उधर हुआ तो पूरा जीवन ही अस्त वयस्त हो जाएगा।

अनुशासन का विद्यार्थि जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्तव है क्योंकि यह जीवन का वह पड़ाव होता है जहाँ हम जो कुछ सीखते है वह हमारे साथ हमेशा रहता है। अनुशासन के अंदर बड़ो का आदर, छोटों से प्यार, समय का पक्का, नियमों का पालन और अध्यापकों का अनुसरण आदि आता है। अनुशासन प्रिय लोग सभी को बहुत पसंद आते है। अनुशासन व्यक्ति को चरित्रवान और कौशल बनने में मदद करता है। सैनिक जीवन में अनुशासन देखने को मिलता है जिसकी वजह से वो कठिन परिस्थितियों में जी पाते है। खेलों में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अनुशासन प्रिय खिलाड़ी ही खेल को जीत सकता है। अनुशासन एक व्यक्ति से लेकर समाज तक सभी के लिए आवश्यक विद्यार्थियों में हर काम समय पर करने की आदत होती है वह अपना आज का काम कल पर नहीं टालते। वह दी हुई समय गति में ही कार्य पूरा करने की कोशिश करते है जो कि किसी भी नौकरी पेशे के लिए चुने जाते है।

अनुशासन कई लोगों में जन्म से ही मौजुद होते है और कुछों को उत्पन्न करना पड़ता है। अनुशासन दो प्रकार का होता है- पहला जो किसी में जोर जबरदस्ती से लाया जाता है और लोगों पर धक्के से थोपा जाता है इसे बाहरी अनुशासन कहते है। दूसरा वह होता है जो लोगो में पहले से ही विद्यमान होता है और इसे आंतरिक अनुशासन कहते है।

जब कोई व्यक्ति हर काम समय से करेगा, व्यवस्थित तरीके से करेगा तो सफलता अवश्य ही उसके कदम चुमेगी और वह अपना लक्षय को प्राप्त कर लेगा। इंसानों के साथ साथ पशु भी अनुशासन में रहना पसंद करते है। हर क्षेत्र में अनुशासित लोंगो को ही प्राथमिकता दी जाती है। जिस व्यक्ति को समय की कदर नही दुनिया भी उसकी कदर नहीं करती। अनुशासन हीन व्यक्ति हमेशा जीवन में पिछड़ा हुआ रह जाता है वह कभी लक्षय को प्राप्त नहीं कर पाता। आजकल विद्यार्थि बहुत ही अनुशासन हीन होते जा रहे है वह समय का महत्व को भूलते जा रहे है और बड़ो का आदर करना भी।अनुशासन हीनता को उच्च शिक्षा से नियंत्रित किया जा सकता है। अनुशासन हमें लक्षय प्राप्ति और राष्ट्र के विकास में सहायक होता है। हम सब को अपने जीवन में अनुशासन को अपनाना चाहिए।

#Discipline Essay in Hindi

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इस लेख के माध्यम से हमने Anushasan Par Nibandh |  Hindi Essay on Discipline  का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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18 thoughts on “अनुशासन का महत्व पर निबंध- Essay on Discipline in Hindi”

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थैंक्स सर, बहुत ही बढ़िया निबंध सर

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Very good essay sir

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Thanks sir for such a nice essay .

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Nibandh

अनुशासन पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - अनुशासन का अर्थ - अनुशासित व्यक्ति के गुण - अनुशासन का महत्त्व - अनुशासन के नियम - अनुशासन के लाभ - उपसंहार।

अनुशासन किसी के व्यक्तित्व का आधार होता है। हर व्यक्ति के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। अगर आधार सही नहीं है, तो व्यक्तित्व मजबूत नहीं हो सकता। अनुशासन हमे सही समय में सही तरीके से समय का उपयोग करना तथा काम करना सिखाता हैं। अनुशासित होने का अर्थ है अपने शरीर और मस्तिष्क पर नियंत्रण रखना। यह हमें अपने समाज के नियमों का पालन करने योग्य बनाता है।

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है - 'अनु' और 'शासन'। अनु का अर्थ है 'पालन' और शासन का अर्थ है 'नियम'। अनुशासन का अर्थ है 'नियमों का पालन करना'। हमारे जीवन में अनुशासन का अधिक महत्व है यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो कि समाज में रहता है और उसमें रहने के अनुशासित रहना आवश्यक है। अनुशासन हमारी सफलता की वह सीढ़ी है, जिसके सहारे हम अपनी मंजिल हासिल कर सकते है तथा अपने सपने पुरे कर सकते है।

हमलोगों को बचपन से ही अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है। बैठना, खड़ा होना, बात करना, खाना खाना, व्यवहार करना आदि के तरीके अनुशासन के प्रारंभिक पाठ हैं। हमारे बुजुर्ग हमें ये पाठ पढ़ाते हैं। हम कभी-कभी गुस्सा हो जाते हैं, परंतु हमें यह समझना चाहिए कि यह हमारी भलाई के लिए ही है। एक अनुशासित व्यक्ति अपने समाज के सभी नियमों का पालन करता है। वह दूसरों को सम्मान देता है और दूसरों से सम्मानित होता है। उसे अपने व्यवहार पर पूर्ण नियंत्रण रहता है। वह कभी कानून का उल्लंघन नहीं करता। वह कभी किसी को दुःख नहीं देता। वह एक सच्चा देशभक्त होता है। वह स्वयं को भ्रष्टाचार एवं धोखेबाजी से दूर रखता है।

छात्र-जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्त्व होता है। छात्र को हर सुबह जल्दी जग जाना चाहिए। उसे अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए। उसे अपना अधिकांश समय अपने अध्ययन में देना चाहिए। उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए। उसे कभी भी धोखा नहीं देना चाहिए। उसे कभी किसी के प्रति अशिष्ट नहीं होना चाहिए। उसे अच्छी संगति रखनी चाहिए। छात्र देश के भविष्य होते हैं। इसलिए उन्हें उचित रूप से अनुशासित होना चाहिए। संसार के प्रत्येक महान् व्यक्ति का जीवन अनुशासित रहा है। अनुशासन के बिना कोई व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। अनुशासन हमें हमेशा शानदार अवसर देता है जैसे, आगे बढ़ने का सही तरीका, जीवन में नई चीजें सीखने, कम समय के भीतर अधिक अनुभव करने, आदि। जबकि, अनुशासन की कमी से बहुत भ्रम और विकार पैदा होते हैं। अनुशासनहीनता के कारण जीवन में कोई शांति और प्रगति नहीं होती है, जिस कारण मनुष्य अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता और अपने जीवन से निराश होकर गलत कदम उठाने पर विवश हो जाता हैं।

हमें अपने जीवन को अनुशासित बनाए रखने के लिए हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। क्योंकि बाल काल से अनुशासन ही सफल जीवन की पहली सीड़ी मानी जाती है। हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए :

  • एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए।
  • अपने से छोटे और बड़े लोगों का सम्मान करना चाहिए।
  • अपने कार्यों को समय पर पूरा करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
  • व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना चाहिए अर्थात समय का सही उपयोग करना चाहिए।
  • बुरी आदतों और कार्यों से हमेशा दूर रहना चाहिए।
  • हर व्यक्ति के प्रति सकारात्मक सोच रखना चाहिए।
  • अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना चाहिए और हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए।
  • अपने जीवन में कोशिश करें की हमेशा सयम से काम करें।

जीवन में अनुशासन से रहने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं। विद्यार्थियों के लिये अनुशासन सफलता का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, यदि कोई छात्र अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए अपना अध्ययन करता है, तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। यही कारण है कि छात्र जीवन में अनुशासन को सफलता का आधार माना गया है। जो लोग अपने जीवन में अनुशासन को अपना लेते हैं, वह कई तरह की परेशानियों से दूर रहते हैं। इसके साथ ही जो व्यक्ति अनुशासन के साथ जीवन जीते हैं, उन्हें अनुशासनहीन व्यक्तियों कि अपेक्षा जीवन में कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। एक ओर जहाँ छात्रों के लिये यह उनके भविष्य को सुनहरा बनाने का कार्य करता है, वही दूसरी ओर नौकरी-पेशा लोगों के लिये यह तरक्की के मार्ग भी खोलता है।

स्वतंत्रता के पहले बहुत-सी समस्याएँ नहीं थीं। लेकिन अब, हमारा देश भ्रष्टाचार, घूसखोरी, घोटाला, धोखेबाजी, आतंकवाद आदि-जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। कुछ युवा भ्रमित हो चुके हैं। सिर्फ शिक्षित और अनुशासित युवा ही हमारे देश को उज्ज्वल भविष्य दे सकते हैं। अंत: यह कहना गलत नहीं होगा कि अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। यह उसे अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उसे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देता हैं। अनुशासन ही इन समस्याओं का एकमात्र समाधान है।

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अनुशासन पर निबंध (Essay On Discipline In Hindi)- विद्यार्थी और अनुशासन के बारे में पढ़ें

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अनुशासन पर निबंध (Essay On Discipline In Hindi) – अनुशासन हर व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन कायम कर लेता है, वो व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर लेता है। अनुशासन का अर्थ (anushasan ka arth) की बात करें, तो ये दो शब्दों से अनु और शासन से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ है नियंत्रण में रहना अथवा किसी भी काम के प्रति नियमों में रहना। विद्यार्थी और अनुशासन (vidyarthi aur anushasan) का नाता बहुत ही पुराना है। अगर विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व सिख लेते हैं, तो वे हर पड़ाव आसानी से पार कर लेते हैं। अनुशासन क्या है, अब तक आप समझ चुके होंगे। जीवन में अनुशासन का महत्व, अनुशासन के प्रकार और अनुशासन के लाभ बारे में जानने के लिए हमारा आर्टिकल पढ़ें।

अनुशासन पर निबंध (Essay On Discipline In Hindi)

आप इस आर्टिकल के माध्यम से आसान भाषा में अनुशासन पर निबंध (anushasan par nibandh) पढ़ सकते हैं। आपको अनुशासन पर निबंध हिंदी में (discipline essay in hindi) पढ़कर अनुशासन की पूरी जानकारी मिल जाएगी। इस पेज पर hindi essay on discipline को 1000 / 300 /100 शब्दों में लिखा गया है। तो चलिए नीचे फिर अनुशासन पर लेख (anushasan par lekh) देखते हैं।

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अनुशासन दो शब्दों अनु और शासन से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ है नियंत्रण में रहना अथवा किसी भी काम के प्रति नियमों में रहना। एक सुखीपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है अनुशासन को निभाना उसे पूर्ण रूप से जीवन में बनाए रखना। यह जीवन के एक अभिन्न अंग की तरह काम करता है। अनुशासन सफलता पाने की कुंजी है।

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अनुशासन का महत्त्व

अनुशासन का किसी एक कार्य में नहीं बल्कि जीवन के प्रत्येक हिस्से में महत्त्व है। अनुशासन हमारे भटकते जीवन को एक नई दिशा दिखाने का काम करता है। अनुशासन सफल जीवन की पहली राह है क्योंकि प्रगति की ओर बढ़ने में अनुशासन मुख्य रूप से सहयोगी होता है। समय किसी की नहीं सुनता, समय पर हर काम पूरा करना बेहद जरूरी होता है। यह अनुशासन के बिना असम्भव है। समय को अपने हाथों में संजो कर रखना अनुशासन के साथ ही हो सकता है। अगर हम अनुशासन को बचपन से या विद्यार्थी समय से ही जीवन में उतार लेते हैं, तो हमारा जीवन किसी स्वर्ग से कम नहीं कहलाता है। हमारी पृथ्वी सजग रूप से चल रही है, किस वजह से? इसमें अनुशासन की ही अहम भूमिका है; समय पर सूर्य का उगना और ढलना, मौसम में परिवर्तन, फसलों को समय पर उगाना और काटना। यदि हमें राष्ट्र का भी विकास सजग रूप से होते हुए देखना है, तो उसमें भी अनुशासन का पालन करते हुए सभी परिवर्तन समय से होना जरूरी है।

अनुशासन का लाभ और आवश्यकता

अनुशासन के लाभ:- यदि हम अपने जीवन में अनुशासन को अपना लेते हैं, तो उससे ना हमारे जीवन में बदलाव आएगा बल्कि हमारी बढ़ती हुई बढ़ोतरी की वजह से हमें हर जगह मान–सम्मान प्राप्त होगा। प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा आदर किया जाएगा। यदि कोई भी ऐसा काम हो कि ये हमें आज ही करना जरूरी है जिसकी पल भर देरी सभी खराब कर सकती है वहां सबसे ज्यादा हमें अनुशासन ही लाभ देगा। अनुशासन की विद्यालय, सेना, सरकार से जुड़े काम, जीवन की हर प्रक्रिया में जरूरत होती है।

अनुशासन का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है?

अनुशासन हमारे जीवन से जुड़े प्रत्येक कार्य में जरूरी होता है। अनुशासन अपनाए बिना जीवन जीने का कोई मूल्य नहीं। यदि हम कोई भी काम करते हैं, तो जब तक हम उसमें कोई समय निश्चित नहीं करेंगे, उससे जुड़े नियमों के प्रति अनुशासन में नहीं रहेंगे, तो वह काम कभी समय पर पूरा होगा ही नहीं, वह आज करने या कल करने पर ही चलता रहेगा। इससे जीवन की अर्थव्यवस्था हिल–डुल जाती है। प्रत्येक कार्यों में परिपक्वता बनाए रखने के लिए जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है। अनुशासन के बिना हमारा जीवन असफल है। अनुशासन को अपनाना शुरू में हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता है, क्योंकि एक ही बार में हम किसी भी कार्य के प्रति सजग नहीं होते है लेकिन अगर हम इसे पूर्ण रूप से अपना लेते हैं, तो उसका परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभप्रद होगा।

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का क्या महत्त्व है?

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन (vidyarthi jeevan mein anushasan):- विद्यार्थी जीवन में अनुशासन कई प्रकार से विद्यार्थी का सहयोगी होता है। यदि विद्यार्थी शुरू से ही अनुशासन को अपने जीवन में उतार लेता है, तो उसे हर पग पर सफलता पाने से कोई रोक नहीं सकता। इससे वह केवल स्वयं का नहीं बल्कि अपने परिवार, अपने राष्ट्र का भी उद्धार करेगा। एक विद्यार्थी के लिए अनुशासन उसकी पढ़ाई, खेल–कूद, करियर हर चीज़ में काम आता है। विद्यार्थी को अपने पूरी दिनचर्या में अनुशासन को बनाए रखना जरूरी होता है चाहे वह काम विद्यालय से जुड़ा हो या फिर घर से। उसे समय पर उठना, प्रतिदिन स्नान करना, समय से खाना खाना, अनुशासन में विद्यालय में जाना, सभी नियमों का पालन करना, विद्यालय द्वारा दिया गया कार्य समय से करना बहुत जरूरी माना जाता है। इस तरह की जीवनशैली ही जीवन को एक नई दिशा दे सकती है। हम ऐसे कई विद्यार्थी भी देख सकते हैं जो बिना पढ़े ही पास होना चाहते हैं, किसी भी तरह के प्रयत्न में उनका कोई ध्यान नहीं होता। वे अपने जीवन की दुर्दशा कर लेते है। सबसे पहले तो ऐसे विद्यार्थियो के लिए अनुशासन बहुत जरूरी होता है।

अनुशासन का पालन कैसे करना चाहिए?

हमें समय से उठकर, नियमित नहाकर, संतुलित आहार खाना चाहिए। हम जो भी काम करते हैं हमें ध्यान रखना चहिए कि वह काम समय से पूरा हो जाए। हमें इधर-उधर घूमकर व्यर्थ की बातों में समय नहीं गवाना चाहिए। ना ही ऐसी कोई आदत अपनानी चाहिए जो हमारे जीवन और अनुशासन पर गलत प्रभाव डाले।

अनुशासन कितने प्रकार के होते हैं?

अनुशासन के प्रकार मुख्य रूप से दो होते हैं:- 1. बाह्य अनुशासन और 2. आंतरिक अनुशासन। बाह्य रूप से अनुशासन का अर्थ है किसी के द्वारा थोपने पर अनुशासन को जीवन में उतारना जिसका कोई मोल नहीं; यह भी कुछ ही समय के लिए जीवन में चलता है। जबकि आंतरिक अनुशासन का ही जीवन में मोल होता है। क्योंकि जब तक हम किसी भी चीज़ को आंतरिक रूप से नहीं अपनाएंगे, वह बात और लक्ष्य कभी पूरा नहीं होगा।

अनुशासन का उद्देश्य क्या है?

अनुशासन का उद्देश्य है समाज में शांति बनाए रखना, सामाजिक या आर्थिक अर्थव्यवथा को नियंत्रण में रखना, शासन बनाए रखना, जीवन को सही दिशा में रखना, मनुष्य को जीवन के कर्म के प्रति प्रेरित करना। अनुशासन का दूसरा नाम क्या है:- अनुशासन के दूसरे नाम को हम विद्यार्थी जीवन से संबोधित कर सकते हैं। यह धारना त्रिभुवनेश भारद्वाज द्वारा मानी गई है।

अनुशासन कैसे बनाया जाता है?

हमें अपने जीवन में अनुशासन को बनाए रखने के लिए हर एक चीज़ का ध्यान रखना होगा कि कब हमें उठना है, किस समय खाना खाना है ऐसी दिनचर्या के साथ हमें सबसे पहले समय के महत्त्व को समझना है। हमें नियमों का सटीकता से पालन करना है। किसी भी काम को पूरा करने के लिए आत्मविश्वास बनाए रखना है। इसके साथ हमें सकारात्मक सोच भी रखनी है ताकि किसी भी काम में अगर हमें कोई हानि प्राप्त होती है, तो भी हम अनुशासन बनाते हुए आगे बढ़ सकें।

हम इसका यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यदि हम अपने जीवन में अनुशासन को नियमित रूप से मानने लगते हैं, तो यह हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। एक अनुशासित व्यक्ति को कोई पकड़ नहीं सकता, हर कोई उसके जैसा बनने की इच्छा रखेगा। अनुशासन के बिना जीवन जीने का कोई मतलब नहीं होता है। अनुशासन हमारे लिए जिंदगी सवारने जैसा होता है।

अनुशासन पर निबंध 100 शब्द

अनुशासन जीवन का एक मूल अंग है। इसके बिना कोई भी इंसान सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। हमें एक अच्छा इंसान बनना है तो हमें अपने जीवन में अनुशासन लाना बहुत ही जरूरी है। हर एक इंसान की सफलता के पीछे अनुशासन होता है। यदि आप छात्र हैं और आप एक अनुशासन के साथ अपनी पढ़ाई करते हैं, तो आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। अगर आप एक निजी कंपनी में काम करते हो। उस काम को आप पूरे अनुशासन के साथ करते हो, तो आपको एक सफल इंसान बनाने से कोई नहीं रोक सकता है।

अनुशासन पर निबंध 300 शब्द

मेरे परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आए। क्या अपने अपनी पढ़ाई अनुशासन के साथ की थी?, सवाल इसलिए है क्योंकि अगर आप परीक्षा से पहले पूरे अनुशासन के साथ पढ़ाई करते तो आपके जरूर अच्छे अंक आते। जो विद्वान आज सफलता की सीढ़ी चढ़ रहें हैं, उसके पीछे केवल अनुशासन ही है। उन्होंने अपने सभी काम एक अनुशासन के साथ किये हैं। ऐसे दुनिया में अनेक लोग हैं जो अपना सभी काम अनुशासन के साथ करते हैं। अनुशासन के बिना हमारा जीवन असफल है। अनुशासन को अपनाना शुरू में हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता है, क्योंकि एक ही बार में हम किसी भी कार्य के प्रति सजग नहीं होते हैं लेकिन अगर हम इसे पूर्ण रूप से अपना लेते हैं, तो उसका परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभप्रद होगा।

हमें अपने जीवन में अनुशासन लाने के लिए हर प्रयास करने चाहिए। जैसे कि हमें सुबह कब उठना है, हमें किस समय पढ़ाई करनी है, किस समय लंच-डिनर करना है, हमें दिनचर्या को पूरे अनुशासन के साथ करना है। इसके साथ-साथ हमें एक सकारात्मक सोच भी रखनी है। यदि हम सकारात्मक सोच रखेंगे, तो हमारा पूरा काम आसान हो जायेगा।

अनुशासन हमारे लिए एक बहुत अच्छा अवसर पैदा करता है। जीवन में आगे बढ़ने का एक सही तरीका भी सिखाता है। अनुशासन के साथ हम कम समय में अपने जीवन को बहुत अच्छा बना सकते हैं। एक अनुशासित व्यक्ति जब समाज के लिए काम करता है, तो उसके सभी गुण एक मिसाल बन जाते हैं। अनुशासित व्यक्ति के साथ लोग अच्छे से पेश आते हैं। लेकिन अनुशासनहीन व्यक्ति के साथ न ही समाज और न ही लोग अच्छे से पेश आते हैं। इसलिए जीवन में हर व्यक्ति को अनुशासन का पालन कर एक अच्छा इंसान बनना चाहिए।

अनुशासन पर 10 लाइन

1. अनुशासन हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

2. हमें आज से ही अपने जीवन में अनुशासन का पालन करना होगा।

3. अनुशासन के बिना हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

4. अगर हमने अनुशासन का पालन नहीं किया, तो हमारा जीवन असफलता की तरफ जा सकता है।

5. अनुशासन हमें एक अच्छा इंसान बनाता है।

6. अनुशासन का पालन करना विद्वान का सबसे बड़ा गुण है।

7. जीवन में अनुशासन का न होना, हमें आलसी, बेपरवाह और लापरवाह बनाता है।

8. अनुशासन हमें जीवन में सम्मान दिलाता है।

9. जीवन में अनुशासन हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

10. अनुशासन के परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभदायक होंगे।

अनुशासन के निबंंध पर अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ’s)

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प्रश्न- अनुशासन से क्या समझते हैं? उत्तर: अनुशासन हर इंसान के लिए बहुत जरूरी है जैसे इंसान के लिए खाना, पीना, रहना, सोना घूमना-फिरना आदि। अनुशासन का मतबल साफ है यदि अनुशासन नहीं तो जीवन में सफलता नहीं।

प्रश्न- जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है? उत्तर: जैसे जीवन को जीने के लिए पानी बहुत जरूरी है वैसे ही जीवन में अनुशासन भी बहुत जरूरी है। अनुशासन का किसी एक कार्य में नहीं बल्कि जीवन के प्रत्येक हिस्से में महत्त्व है।

प्रश्न- विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है? उत्तर: विद्यार्थी जीवन में अनुशासन कई प्रकार से विद्यार्थी का सहयोगी होता है। यदि विद्यार्थी शुरू से ही अनुशासन को अपने जीवन में उतार लेता है, तो उसे हर पग पर सफलता पाने से कोई रोक नहीं सकता। इसलिए विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व है।

प्रश्न- अनुशासन कितने प्रकार के होते हैं? उत्तर: अनुशासन के प्रकार मुख्य रूप से दो होते हैं:- बाह्य और आंतरिक अनुशासन। पूरी जानकारी ऊपर आर्टिकल से पढ़ें।

अनुशासन पर निबंध (anushasan essay in hindi) देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। आपको हमारे द्वारा दिए हुए अनुशासन पर निबंध (essay on anushasan in hindi) कैसा लगा? हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।

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Hindi Essay

अनुशासन पर निबंध हिंदी | Discipline Essay in Hindi 500 Words | PDF

Discipline essay in hindi.

Discipline Essay in Hindi 500 + Words (Download PDF) अनुशासन पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए- के माध्यम से आज हम जानेंगे की अनुशासन मनुष्य के जीवन में क्यों आवश्यक है। अनुशासन हमे क्या सिखाता है और हमे इसका क्यों पालन करना चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर हम प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे, तो आइये शुरू करते है। Discipline Essay in Hindi

सृष्टि के सभी प्राणियों में मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। खाना, पीना, सोना, आदि गुण मनुष्य व अन्य प्राणियों के समान रूप से ही पाए जाते हैं, परंतु कुछ गुण ऐसे भी हैं जिनके कारण मानव अन्य प्राणियों की अपेक्षा श्रेष्ठ है। उनमें से एक गुण है अनुशासन।

मानव सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ नियमों व मर्यादाओं से बंधा है। उनका पालन करना उसके लिए परमावश्यक है। यदि मानव स्वेच्छाचारी बन जाता है और अनुशासन से दूर हो जाता है, तो वह पशुवत हो जाता है।

नियम व मर्यादाओं से सामाजिक व्यवस्था बनी रहती है। उसी से मानव माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, छोटे, बड़ों के साथ व्यवहार करता है। इन्हीं मर्यादित व्यवहारों से वह मानव कहलाने का गौरव प्राप्त करता है।

अर्थ व अभिप्राय

अनुशासन शब्द, ‘अनु’ व शासन दो शब्दों के मेल से बना है। ‘अनु’ उपसर्ग है, जिसका अर्थ है पश्चात व अनुसरण। शासन से अभिप्राय नियंत्रण व नियमों का आदेशों का पालन करना है। नियमानुशीलता को विशेषता को अनुशासन का पर्याय कहा जा सकता है।

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मानव को नियमों व मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है। हम सभी प्रकार के नियमों का पालन करके समाज में अनुशासन बनाते हैं।

विद्यालय में अनुशासन

 विद्यालय में देश के भावी नागरिकों का निर्माण होता है। वहां से सभ्य व अनुशासित विद्यार्थी निकलकर देश के भविष्य का निर्माण करते हैं। सारे देश व समाज का भविष्य विद्यालय के अनुशासन पर निर्भर करता है।

जिस प्रकार सेना व देश में अनुशासन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार विद्यालय में भी अनुशासन की आवश्यकता होती है। सेना में अनुशासन की कमी से देश परतंत्र हो जाता है। खेल में अनुशासनहीनता से पराजय निश्चित है।

उसी प्रकार विद्यालयों में अनुशासनहीनता से छात्र अपने मानसिक असंतोष व दुर्व्यवहार प्रदर्शित करेंगे। फलसवरूप छात्र का जीवन नष्ट हो जाता है और देश का भविष्य खतरे में। इसलिए यदि अपने देश को उन्नत व समाज को विकसित करना है तो विद्यालय में अनुशासन बनाना परम आवश्यक है।

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आज के छात्रों में अनुशासनहीनता

यह बहुत खेद का विषय है कि आज का विद्यार्थी दिन-प्रतिदिन अनुशासनहीन बनता जा रहा है। समय पर विद्यालय ना पहुंचना, समय से पहले ही स्कूल से चले जाना, घर से आकर विद्यालय में ना पहुंचना, छात्रों में अनुशासनहीनता की निशानी है। आजकल विद्यालय में वहां के साज-समानो  की तोड़ -फोड़ होती है। दरवाजों के शीशे, डेस्क, कुर्सी तोड़ना आम बात हो गई है।

अनुशासनहीनता के कारण

विद्यालयों में अनुशासनहीनता के लिए समाज बहुत बड़ा जिम्मेदार है क्योंकि बालक समाज में अधिक समय रहता है। इसलिए समाज का उस पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। वहां के अध्यापक व प्रधानाचार्य अपने विद्यालय की व्यवस्था बालक को अनुशासनहीन बनाती है।

वहां के अध्यापक व प्रधानाचार्य अपने विद्यालयों को अनुशासित बनाने में उत्तरदायी हैं। अध्यापक का आचरण बालक के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। यदि वह आचरणहीनता प्रदर्शित करें, लोभ-लालच पूर्ण व्यवहार करें तो व्यवस्था के प्रति विद्रोह होगा और विद्यालय का वातावरण अशांत हो जाएगा।

इसके अतिरिक्त माता-पिता की असावधानी व विद्यार्थी का स्वयं का चरित्र भी अनुशासन के लिए जिम्मेदार है। कॉलेजों में राजनीति के प्रवेश ने वहां के वातावरण को और भी अधिक विषैला बना दिया है।

अनुशासन बनाने के उपाय

माता-पिता अपने पुत्र के प्रति जागरूक रहे हैं। वह उसको समाज के गलत वातावरण में जाने से रोके। विद्यालय की व्यवस्था में पूर्ण सुधार होना चाहिए। योग्य अध्यापक व प्रधानाचार्य के मार्गदर्शन में छात्र उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है।

विद्यालयों में छात्र-अभिभावक संघ बने, जिनके द्वारा छात्रों को अनुशासित व योग्य बनाने में दोनों मिलकर भागीदार बने। विद्यालय में ट्यूशन तथा नकल प्रथा का अंत होना चाहिए। अध्यापक व अभिभावक अपने अपने दायित्व को उचित रूप से समझे।

कॉलेजों में छात्रों संघों पर रोक लगाई जाए। जिसे छात्र केवल शिक्षा की ओर ध्यान दें और लड़ाई-झगड़े से बचे हैं। सरकार को विशेष रूप से शिक्षा स्तर बढ़ाने के लिए ध्यान देना चाहिए और विद्यालय की सारी समस्याएं सुलझानी चाहिए।

अनुशासन ही सफलता की कुंजी है

जीवन को सफल बनाने के लिए अनुशासन का बहुत बड़ा महत्व है। जो छात्र अनुशासन का पालन करता है, विद्यालय के नियम अनुसार अपने सारे क्रियाकलाप करता है, अपने गुरुजनों का सम्मान करता है, वह निश्चित रूप से अच्छी श्रेणी में उत्तीर्ण होकर अपने जीवन को सफल बनाता है।

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समाज में भी जो व्यक्ति अपने सब कार्य नियम से करता है। वह अपने कार्य में सिद्धि प्राप्त करता है। जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन ही व्यक्ति को ऊँचा उठाता है। अनुशासित व्यक्ति, समाज व राष्ट्र उन्नति के शिखर पर पहुंच जाता है क्योंकि अनुशासन सफलता की कुंजी है।

अनुशासन जीवन का आधार है। विद्यार्थी जीवन संपूर्ण जीवन की आधारशिला होने के कारण उसका अनुशासित होना नितांत आवश्यक है। वह देश का भावी कर्णधार है और भविष्य की आशा है। इसलिए यह सब का उत्तरदायित्व है कि छात्रों को अनुशासित बनाने के लिए अनुकूल वातावरण बनाए जाए।

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Q&A. on Discipline in Hindi

अनुशासन क्या है और इसका महत्व क्या है.

उत्तर – अनुशासित होना हर किसी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लक्षणों में से एक है। अनुशासन नियमों और विनियमों को सांकेतिक करता है। जो किसी भी कार्य को करते समय पालन किया जाना चाहिए।  यह कार्य को करते समय मेहनती, ईमानदार, प्रोत्साहित और प्रेरित होने का एक उचित तरीका है।

अनुशासन हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है?

उत्तर – अनुशासन किसी भी व्यक्ति को जिम्मेदार और सम्मानजनक होना सिखाता है और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और संरचना लाता है। अनुशासन का पालन करना ही समाज का आधार है। एक बेहतर समाज को संगठित करने का नियम है।

अनुशासन सफलता की कुंजी क्यों है?

उत्तर – किसी भी व्यक्ति का सफल होने का एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण गुण आत्म-अनुशासन है। अनुशासन आपको अपने लक्ष्यों तक पहुँचने पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है और आपको नई बाधाओं और परेशानी को दूर करने में मदद करता है।

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अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi | विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व

लघु निबंध –.

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु तथा शासन। अनु का अर्थ है पालन करना तथा शासन का मतलब है नियम, अर्थात् नियम का पालन करना। अनुशासन ही मनुष्य को एक अच्छा व्यक्ति व एक आदर्श नागरिक बनाता है। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं।

समस्त प्रकृति भी एक अनुशासन में ही चलती है, जैसे – सूर्य और चन्द्रमा हर दिन सही समय पर उदय होते हैं और सही समय पर ही अस्त होते हैं, सभी ऋतुएं बारी-बारी से आती हैं, बादल समय पर वर्षा करते हैं आदि। प्रकृति कभी भी इसका उलंघन नहीं करती।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन को ही सफलता का महत्वपूर्ण आधार माना गया है। अनुशासित विद्यार्थी न केवल पढ़ाई में बल्कि खेलकूद और जीवन की हर दौड़ में प्रथम रहता है। विद्यार्थी ही हमारे देश का भविष्य है। यदि इनमें ही अनुशासन की कमी होगी, तो हम सोच सकते हैं कि हमारे देश का भविष्य कैसा होगा।

जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। सभी कार्यों को समय पर पूरा करना चाहिए। जो भी व्यर्थ के कार्यों हों, उनसे दूर रहना चाहिए। अपने कार्यों को प्रति पूरी लगन एवं ईमानदारी से करना चाहिए।

जो विद्यार्थी अपने माता-पिता, गुरु की आज्ञा का उल्लंघन करता है, उनके द्वारा बताए गए मार्ग में नहीं चलता, वह शिक्षित नहीं हो सकता तथा अपने जीवन में पद, प्रतिष्ठा एवं धन-सभी से वंचित रहता है। अनुशासनहीन व्यक्ति केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त देश व समाज के लिए घातक सिद्ध होता है।

अनुशासन सफलता की वो कुंजी है जिसमें ज्ञान का भंडार समाया रहता है तथा इसको संभाल कर रखना हमारी सर्वप्रथम जिम्मेदारी है।

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi

विस्तृत निबंध –

प्रस्तावना –.

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु तथा शासन। अनु का अर्थ है पालन करना तथा शासन का मतलब है नियम, अर्थात् नियम का पालन करना। हमारे जीवन में अनुशासन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। अनुशासन के बिना कोई भी जीवन में सुखी नहीं रह सकता। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो कि समाज में रहता है और उसे समाज में रहने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है। हमारे जीवन मे ‘अनुशासन’ एक ऐसा गुण है, जिसकी आवश्‍यकता मनुष्य को पग-पग पर पड़ती है। अनुशासन हमारी सफलता की सीढ़ी है, जिसके सहारे से हम कोई भी मंजिल हासिल कर सकते है। अनुशासन ही मनुष्य को एक अच्छा व्यक्ति व एक आदर्श नागरिक बनाता है।

अनुशासन का महत्व –

हमारे जीवन में अनुशासन का अत्यधिक महत्व है। यदि मनुष्य अनुशासन के साथ जीवन-यापन करता है, तो वह स्वयं के लिए सुखद और उज्जवल भविष्य की राह का निर्माण करता है। मनुष्य को अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में, चाहे वह खेल का मैदान हो, विद्यालय हो, घर हो अथवा घर से बाहर कोई भी जगह। सब जगह ही अनुशासन के नियमों का पालन करना पड़ता है। अनुशासन से हमारे अंदर धैर्य और समझदारी का विकास होता है तथा सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

हमें अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिये जहाँ एक ओर नियमित व्यायाम करना, पौष्टिक खान-पान जरूरी है। वहीं दूसरी और अपने व्यवहार को अनुशासित करने के लिए बड़ों का कहना मानना, उनका सम्मान करना और समाज के द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करना भी जरूरी है।

हम देखते है कि समस्त प्रकृति भी एक अनुशासन में ही चलती है, जैसे – सूर्य और चन्द्रमा हर दिन सही समय पर उदय होते हैं और सही समय पर ही अस्त होते हैं, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत, वसंत, ग्रीष्म ऋतुएं बारी-बारी से आती हैं, बादल समय पर वर्षा करते हैं आदि। प्रकृति कभी भी अनुशासन का उलंघन नहीं करती। इस प्रकार प्रकृति हमें अनुशासनबद्ध जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। अनुशासन के द्वारा ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है, अनुशासन में न रहने पर व्यक्ति चरित्रहीन, दुराचारी, आलसी तथा निंदनीय हो जाता है और समाज में उसका कोई सम्मान नहीं रहता।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व –

विद्यार्थियों के लिये तो अनुशासन ही सफलता का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विद्यार्थी अथवा व्यक्ति समय पर अपना काम प्रारम्भ करता है और समयानुसार उसे समाप्त करता है, उसकी उन्नति कोई नहीं रोक सकता। यही कारण है कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन को ही सफलता का महत्वपूर्ण आधार माना गया है। अनुशासित विद्यार्थी न केवल पढ़ाई में बल्कि खेलकूद और जीवन की हर दौड़ में प्रथम रहता है। विद्यार्थी ही हमारे देश का भविष्य है। यदि इनमें ही अनुशासन की कमी होगी, तो हम सोच सकते हैं कि हमारे देश का भविष्य कैसा होगा। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन ही समाज की बुराइयों से मुक्त हुए बिना बच्चे को अपने लक्ष्य की ओर जाने में मदद करता है। इसलिए अनुशासन की शिक्षा और उनका पालन करना ही विद्यार्थी का परम कर्तव्य है।

अनुशासन की शिक्षा –

परिवार ही अनुशासन की प्रथम पाठशाला है। बच्चा शिक्षा का पहला पाठ अपने माता-पिता और परिवार से ही सीखता है। बच्चा बचपन में पूरे समय घर पर ही रहता है इसलिए बचपन में अनुशासन सिखाने की सारी जिम्‍मेदारी माता-पिता की ही होती है। इसलिए हमें अपने माता-पिता को कभी भी अस्वीकार नहीं करना चाहिए, कभी भी उनका अपमान नहीं करना चाहिए और हमेशा उनके आदेश का पालन करना चाहिए। हमें उनके अनुभवों के बारे में जानने और उनकी जीत और असफलताओं से सीखने के लिए उन्हें सुनना चाहिए।

परिवार के बाद अनुशासित जीवन की शिक्षा देना विद्यालय की जिम्मेदारी होती है। शुद्ध आचरण वाले गुरुओं के छात्र अनुशासित आचरण करने वाले होते हैं। विद्यालय में बालक के शरीर, आत्मा और मस्तिष्क का संतुलित रूप से विकास होता है। फिर बड़े होने पर हम समाज से अनुशासन सीखते हैं। कुछ सामाजिक क़ायदे और सरकारी क़ानून हमें अनुशासन में रखते हैं। इस प्रकार अनुशासन के यह पाँच स्तम्भ हैं- परिवार, गुरुजनों की सीख, समाज के आचार-व्यवहार, शिक्षा प्रणाली और सरकारी क़ानून।

अनुशासित रहने के तरीके –

हमें अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। सभी कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए। जो भी व्यर्थ के कार्यों हों, उनसे दूर रहना चाहिए। बुरी आदतों और कार्यों से हमेशा दूरी बनानी चाहिए। अपने कार्यों को प्रति पूरी लगन एवं ईमानदारी से करना चाहिए।

अनुशासन के लाभ एवं आवश्यकता –

जीवन में अनुशासन को अपनाने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इसलिये बचपन से ही इसका अभ्यास करना श्रेष्ठ होता है। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं। वैसे तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यह अत्यंत आवश्यक है, परन्तु विद्यार्थी-जीवन में यही सफलता की एकमात्र चाबी है।

जो विद्यार्थी अपने माता-पिता, गुरु की आज्ञा का उल्लंघन करता है, उनके द्वारा बताए गए मार्ग में नहीं चलता, वह शिक्षित नहीं हो सकता तथा अपने जीवन में पद, प्रतिष्ठा एवं धन-सभी से वंचित रहता है। इसलिए माता-पिता को हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जुरुरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें। कुछ शैतान बच्चे अपने माता-पिता के अनुशासन को नहीं मानते हैं, ऐसे वक्त में अभिभावकों को हिम्मत और धैर्य के साथ अपने बदमाश बच्चों को सिखाना चाहिये।

स्व-अनुशासन का अर्थ सभी व्यक्तियों के लिये अलग-अलग होता है जैसे विद्यार्थियों के लिये इसका अर्थ है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिये गये कार्य को पूरा करना। काम करने वाले व्यक्तियों के लिये सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और ऑफिस के कार्य को ठीक ढंग से करना आदि। एक ओर जहाँ छात्रों के लिये यह उनके भविष्य को सुनहरा बनाने का कार्य करता है, वही दूसरी ओर नौकरीपेशा लोगों के लिये यह तरक्की के मार्ग भी खोलता है | ऐसे ही चाहे युद्ध के मैदान हो या खेल के मैदान, विजयी वही होते हैं, जो अनुशासित रहकर आगे बढ़ते हैं।

अनुशासनहीनता एक अभिशाप –

अनुशासनहीन व्यक्ति केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त देश व समाज के लिए घातक सिद्ध होता है। आज जहाँ तक नजर दौड़ाते हैं वहाँ तक केवल अनुशासनहीनता का साम्राज्य ही दिखाई देता है। विद्यार्थी भी राजनीति और समाज में फैली अराजकता के शिकार हैं। अनुशासनहीनता व्यक्ति को गैर-जिम्मेदार और आलसी बनाती है। यह हमारे विश्वास के स्तर को कम करती है और आसान कार्यों में भी व्यक्ति को दुविधाग्रस्त रखती है। दुर्भाग्यवश आज अनुशासनहीनता अत्यधिक बढ़ रही है। अनुशासनहीनता मनुष्य को विनाश के पथ पर अग्रसर करती है।

उपसंहार –

अनुशासन ही विद्यार्थियों के भविष्य को कल्याणकारी बनाता है। अनुशासन सफलता की वो कुंजी है जिसमें ज्ञान का भंडार समाया रहता है तथा इसको संभाल कर रखना हमारी सर्वप्रथम जिम्मेदारी है। कहा जाता है कि छोटा बच्चा कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा आकार दिया जाए वह वैसा ही बन जाता है। अतः आवश्यक है कि बचपन से ही बच्चों को इसका महत्त्व बताया जाए और उसका पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए।

अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। हमें नियमों का पालन करने, आदेशों का पालन करने और व्यवस्थित तरीके से व्यवहार करने की आवश्यकता है। हमें अपने दैनिक जीवन में अनुशासन को अत्यधिक महत्व देना चाहिए। हमारे जीवन, माता-पिता, शिक्षक, परिवार, पर्यावरण, वातावरण आदि के प्रति हमारी बहुत सारी जिम्मेदारियाँ हैं। उन जिम्मेदारियों को समझते हुए हमें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।

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Good Essay for everyone ?.

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अनुशासन पर निबंध – Discipline Essay in Hindi

Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |

Table of Contents

अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Discipline in Hindi)

अनुशासन का महत्त्व – importance of discipline.

  • अनुशासन का तात्पर्य
  • अनुशासनहीनता
  • अनुशासन की शिक्षा
  • अनुशासन का महत्त्व
  • भारत और अनुशासन

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- स्वतंत्रता मानव के लिए वरदान है किन्तु स्वच्छन्दता नहीं। तंत्र के ऊपर स्व का बंधन ही स्वतंत्रता है। मनुष्य जो चाहे वह करने के लिए स्वतंत्र नहीं है, उसे देश तथा समाज के कुछ नियमों को मानना होता है, उनके नियंत्रण को स्वीकार करना होता है। नियमों को मानना तथा उनके अनुसार जीवन बिताना ही अनुशासन है।

अनुशासन का तात्पर्य शासन शब्द से पूर्व ‘अन’ उपसर्ग जोड़ने से अनुशासन बनता है। शासन अर्थात् नियंत्रण के पीछे चलना अर्थात् सामाजिक नियमों का पालन करते हुए जीवन बिताना ही अनुशासन है। अनुशासन दो प्रकार का होता है-एक, बाह्य तथा दूसरा, आन्तरिक। देश, जाति, धर्म, समाज, संस्था आदि के नियमों को मानना, उनका पालन करना बाह्य अनुशासन कहलाता है।

इन नियमों को भंग करने पर दण्ड की व्यवस्था होती है। बाह्य अनुशासन दण्ड के भय से मान्य होता है। आन्तरिक अनुशासन मन का अनुशासन होता है। मनुष्य स्वयं बिना किसी भय के अपना कर्त्तव्य समझते हुए जब नियमों का पालन करता है तो इसे आत्मानुशासन कहते हैं। आत्मानुशासन ही उत्तम प्रकार का अनुशासन होता है।

अनुशासनहीनता- अनुशासन, यदि मनुष्य को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाता है तो अनुशासनहीनता उसको अवनति के गर्त में धकेल देती है। अनुशासन का पालन करने वाला उद्दण्ड नहीं होता। वह सौम्य स्वभाव का होता है, वह अपना काम समय पर पूरा करता है।

उग्र व्यवहार और कटु भाषण अनुशासनहीनता की पहचान हैं। प्रत्येक स्थान पर अपनी ही चलाना, अनुचित और असभ्य व्यवहार करना, विनम्रता का अभाव होना आदि अनुशासनहीनता के लक्षण हैं।

अनुशासन की शिक्षा- अनुशासन की शिक्षा का आरम्भ परिवार से होता है। बच्चा अपने बड़ों को यदि अनुशासित व्यवहार करते देखता है तो वह भी वैसा ही करता है। जिस परिवार में छोटे, बड़ों का सम्मान नहीं करते तथा बड़े, छोटों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखते, वहाँ अनुशासन का अभाव होता है।

इससे पारिवारिक वातावरण गड़बड़ा जाता है। परिवार से निकलकर बच्चा स्कूल जाता है। स्कूल के नियम कठोर होते हैं, उनका उल्लंघन करने से शिक्षा-प्राप्ति में बाधा पड़ती है। अनुशासन न मानने वाले अशिक्षित बच्चे समाज के लिए समस्या बनते हैं।

अनुशासन का महत्त्व- जीवन में अनुशासन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रकृति अपने समस्त कार्य अनुशासित रहकर ही करती है। मनुष्य भी अनुशासन के अनुकूल चलकर ही अपने जीवन में आगे बढ़ सकता है। अनुशासनहीनता लक्ष्य को पाने में बाधक होती है।

अनुशासित मनुष्य संयमी, मृदु और मितभाषी होता है। उसका व्यवहार दूसरों के प्रति सम्वेदना और सहानुभूति से भरा होता है। इससे वह समाज में सभी का स्नेहपात्र बन जाता है, उसे सबका सहयोग मिलता है। इस प्रकार अनुशासन मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।

भारत और अनशासन- आज भारतीय समाज के सामने अनुशासन का पालन करने की गम्भीर समस्या है। विद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में अनुशासनहीनता बढ़ी हुई है। राजनैतिक दल अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए छात्रों में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देते हैं। स्वार्थ और अर्थलाभ की प्रवृत्ति के बढ़ने के कारण देश और समाज में भयंकर अनुशासनहीनता व्याप्त है।

राजनैतिक दलों में भी आन्तरिक अनुशासन की कमी है। समाज का मार्गदर्शन राजनीतिज्ञों द्वारा होता है। अनुशासनहीन राजनेता भारतीय समाज में बढ़ती हुई अनुशासनहीनता के लिए जिम्मेदार हैं।

उपसंहार- हमारा भारत विकास के पथ पर चल रहा है इस पथ पर वह अनुशासन का पालन करके ही सफलता के लक्ष्य को पा सकता है। अनुशासन की कमी उसके कदमों को बढ़ने से निश्चित ही रोकेगी। अतः देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अनुशासित जीवन बिताए।

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अनुशासन पर निबंध 10 lines 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे (Discipline Essay in Hindi)

discipline essay in hindi for class 7

Discipline Essay in Hindi – जीवन का पहला और सबसे महत्वपूर्ण सबक अनुशासित होना है। यदि अनुशासन का पाठ बचपन से ही शुरू हो जाए तो यह कठिन नहीं है, लेकिन अगर यह देर से शुरू होता है तो यह जीवन में सीखने का सबसे कठिन पाठ हो सकता है। Discipline Essay in Hindi पूर्ण आत्म-नियंत्रण प्राप्त करने के लिए कठिन अनुशासन और समर्पण की आवश्यकता होती है। अच्छा अनुशासन अपना सर्वश्रेष्ठ ला सकता है और हम समाज की सर्वोत्तम सेवा कर सकते हैं और अपने आसपास के लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। 

जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शुरू से ही अनुशासित रहने की जरूरत है। अनुशासन से ही हम जीवन में अपने लक्ष्य पर केंद्रित रह सकते हैं। अनुशासन में समय के मूल्य को समझना, मानवता के प्रति सम्मान दिखाना और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता दिखाना शामिल है। सफलता की ओर पहला कदम अनुशासन है।

Discipline Essay in Hindi अनुशासित होना जीवन में सीखने के लिए महत्वपूर्ण और कठिन पाठों में से एक है। आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करने और अपने आप को इस तरह से संचालित करने के लिए अत्यधिक समर्पण और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है जो समाज की सर्वोत्तम सेवा करता है और हमारे आसपास रहता है। अनुशासित होने पर ही व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। अनुशासन हमें एकाग्र रखने में अहम भूमिका निभाता है। 

अनुशासन का अभ्यास करने के अलग-अलग तरीके हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगातार और समय को महत्व दें। किसी कार्य का निरंतर अभ्यास करके, मानवता और प्रकृति का सम्मान करके और समय को महत्व देकर जीवन में सही दिशा में चलना सीख सकते हैं। यही मूल कारण है कि दुनिया भर में सफल लोग अनुशासन की आवश्यकता का प्रचार करते हैं।

अनुशासन निबंध 10 पंक्तियाँ (Discipline Essay 10 lines in Hindi)

  • 1) अनुशासन का अर्थ है उचित नियमों और विनियमों के साथ जीवन जीना।
  • 2) इसमें नियम, विनियम, शिष्टाचार और शिष्टाचार शामिल हैं जो हमारे जीवन को आकार देते हैं।
  • 3) जीवन में अनुशासन हमें अपनी आदतों और व्यक्तित्व को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • 4) अनुशासन हमें सही सिद्धांतों को अपनाने और अपने जीवन में सफल होने के लिए निर्देशित करता है।
  • 5) यह भी माना जाता है कि देश का एक अच्छा नागरिक होने के लिए एक अनुशासित जीवन आवश्यक है।
  • 6) यह हमारे जीवन में आत्म-विश्वास और आत्म-नियंत्रण उत्पन्न करने में मदद करता है।
  • 7) जल्दी उठना, व्यायाम करना, स्वस्थ आहार लेना और बुरी आदतों से दूर रहना भी अनुशासित जीवन का हिस्सा है।
  • 8) हमारे खाने की आदतों में अनुशासन हमें फिट और स्वस्थ रहने में भी मदद करता है।
  • 9) दूसरों का सम्मान करना और आज्ञाकारी रहना अनुशासन का सिद्धांत है।
  • 10) भाषा में अनुशासन हमें लोगों के साथ सभ्य और सम्मानजनक तरीके से बात करने में मदद करता है।

अनुशासन निबंध 20 लाइनें (Discipline Essay 20 lines in Hindi)

  • 1) छात्र के जीवन में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसे अपने करियर के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
  • 2) अनुशासन में रहने का अर्थ है कुछ नियमों, विनियमों के एक सेट का पालन करना और उचित व्यवहार का प्रदर्शन करना।
  • 3) एक अनुशासित जीवन शैली हमेशा सफलता की ओर ले जाती है, चाहे वह शैक्षणिक, स्वास्थ्य, व्यवसाय या पेशा हो।
  • 4) एक छात्र के रूप में, अनुशासन एक ड्राइविंग सिद्धांत के रूप में कार्य करता है जो हमें गलत रास्ते पर जाने से बचाता है।
  • 5) अनुशासन एक नहर के रूप में कार्य करता है जो व्यक्ति के चरित्र को सही दिशा में ले जाता है।
  • 6) अनुशासन हमारे जीवन को एक उचित दिनचर्या में बनाता है और एक पूर्वनिर्धारित आचार संहिता का पालन करने में मदद करता है।
  • 7) हमारे खान-पान में अनुशासन हमें विभिन्न बीमारियों से बचाता है, जिससे हमें लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है।
  • 8) यदि भारत के लोग अनुशासन की सख्त व्यवस्था का पालन करते हैं तो हमें विश्व की महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।
  • 9) माता-पिता और परिवार बच्चे में अनुशासन की भावना विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो उसके समग्र व्यक्तित्व को आकार देने में मदद करता है।
  • 10) अनुशासन आपको हमेशा सफलता की ओर ले जाएगा जबकि अनुशासन हमेशा आपके जीवन में नई समस्याओं और मुद्दों का एक समूह खड़ा करेगा।
  • 11) अनुशासन हमेशा सभी के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • 12) अनुशासन राष्ट्र निर्माण में भी मदद करता है और ऐसे कई देश हैं जो अपने देश में सख्त कानूनों के कारण विकसित हुए हैं।
  • 13) कॉर्पोरेट जगत में, दिए गए कार्य को समय पर पूरा करना, काम के प्रति समर्पण और अच्छा समय प्रबंधन काम पर सख्त पेशेवर अनुशासन को दर्शाता है।
  • 14) अधिक मात्रा में संगीत नहीं बजाना, सार्वजनिक स्थानों पर कतार बनाए रखना, केवल कूड़ेदान में कचरा फेंकना सामाजिक अनुशासन के कुछ उदाहरण हैं।
  • 15) सख्त आहार व्यवस्था का पालन करना, समय पर व्यायाम करना और नशीली दवाओं के सेवन से दूर रहना एक खिलाड़ी के अनुशासित जीवन को दर्शाता है।
  • 16) आत्म-अनुशासन के लिए हमेशा दृढ़ इच्छा शक्ति और मन पर मजबूत नियंत्रण की आवश्यकता होती है और यदि इसे प्राप्त कर लिया जाए तो यह निश्चित रूप से आपको सफलता की ओर ले जाएगा।
  • 17) सख्त अनुशासन का पालन करने के लिए, आपको हमेशा एक लक्ष्य और उसके प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है और अंततः यह आपको सख्त अनुशासन का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • 18) यदि आपका कोई लक्ष्य है, तो आप स्वतः ही भौतिकवादी इच्छाओं से दूर रहेंगे और अपने व्यवहार में एक सख्त दिनचर्या और आचार संहिता का पालन करेंगे।
  • 19) अनुशासन आपको अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आने और आत्म सुधार के द्वारा अपनी कमजोरियों पर काबू पाने में मदद करता है।
  • 20) अनुशासन हमें अधिक केंद्रित और समर्पित बनाकर हमारी दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है।

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अनुशासन पर लघु निबंध (Short Essay on Discipline in Hindi)

Discipline Essay in Hindi – अनुशासन हमारे जीवन को खुश और सुनियोजित बनाने के लिए एक बहुत ही आवश्यक हिस्सा है। अनुशासन के बिना जीवन समस्याओं और अराजकता से भरा होता है। अनुशासन व्यक्ति को बेहतर बनाने में मदद करता है। अनुशासन व्यक्ति को अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। इस व्यस्त दुनिया में लोग भ्रमित और विचलित हो जाते हैं। अनुशासन व्यक्ति के जीवन में ईमानदारी लाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में अनुशासन को लागू करना कठिन होता है।

 एक अनुशासित व्यक्ति की हमेशा प्रशंसा की जाती है और उसे महत्व दिया जाता है। छात्रों के लिए अनुशासन भी बहुत जरूरी है। बच्चों को बचपन से ही अनुशासन की शिक्षा देनी चाहिए। एक अनुशासित व्यक्ति के पास हर चीज के लिए एक निश्चित समय होता है। इसलिए यह उनके सभी कार्यों को समय पर प्रबंधित किया जाता है। एक अनुशासित छात्र समय पर उठेगा और अपनी सभी गतिविधियों को समय पर पूरा करेगा। समय प्रबंधन अनुशासन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। एक व्यक्ति जो अपने समय को अच्छी तरह से प्रबंधित कर सकता है वह अच्छी तरह से अनुशासित हो सकता है। अनुशासन निश्चित रूप से किसी व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाने की सीढ़ी है।

अनुशासन निबंध 100 शब्द (Discipline Essay 100 words in Hindi)

अनुशासन सफलता की सीढ़ी है। स्वतंत्रता और स्वतंत्रता का जीवन किसे पसंद नहीं है? लेकिन इस स्वतंत्रता की कुछ सीमाओं का प्रयोग सनक और कल्पनाओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। जीवन में व्यवस्था लाने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है। अनुशासन के सख्त रखरखाव के बिना, लोग सफलता प्राप्त करने में ध्यान खो देते हैं।

एक अनुशासित छात्र एक उचित करियर बनाने में सफल होता है, एक अनुशासित टीम दूसरों पर अपनी छाप छोड़ती है। देश की सुरक्षा भी एक अनुशासित सेना द्वारा सुनिश्चित की जाती है। नियम सख्त प्रतीत होते हैं लेकिन जब लोग इन सख्ती का पालन करते हैं, तो वे लंबे समय में सफल हो जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने छात्र जीवन से अनुशासन का विकास करना चाहिए।

अनुशासन निबंध 150 शब्द (Discipline Essay 150 words in Hindi)

अनुशासन हमारे दैनिक जीवन का एक मूलभूत हिस्सा है। निबंध लिखने से लेकर उत्तम स्कूल यूनिफॉर्म पहनने से लेकर शतरंज या बैडमिंटन जीतने तक- हमारे स्कूली जीवन से जुड़ी हर चीज अनुशासन पर आधारित है। वयस्क भी अपनी सफलता का अधिकांश श्रेय अनुशासन को देते हैं। काम पर अच्छा प्रदर्शन बनाए रखना या उम्र के साथ अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना – सभी को एक निश्चित मात्रा में अनुशासन की आवश्यकता होती है।

आदेश और नियमों के एक समूह के अनुसार कार्य करने से समय की पाबंदी और योजना में सुधार होता है। अनुशासन नियमों, प्रबंधन और व्यवस्था का एक संयोजन है जो जीवन के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा अनुशासन संतुलन भी जोड़ता है। यह हमें अपने कार्यों को अलग करने और प्रबंधित करने में मदद करता है। यह न केवल स्कूल जाने वाले छात्रों के जीवन में बल्कि सेना में या एक खिलाड़ी के जीवन में भी आवश्यक है जो एक शांतिपूर्ण और सफल जीवन बनाना चाहता है और दूसरों को यह प्रेरणादायक लगता है।

अनुशासन निबंध 200 शब्द (Discipline Essay 200 words in Hindi)

अनुशासन एक विशेषता है जिसमें नियमों, मापदंडों और व्यवहार पैटर्न का एक निश्चित सेट शामिल होता है। जब संयुक्त और एक साथ लागू किया जाता है, तो ये जीवन में घटनाओं के सामाजिक और व्यक्तिगत क्रम को बनाए रखने में मदद करते हैं।

अनुशासन बहुत कम उम्र से ही घर पर ही विकसित होना शुरू हो सकता है। यह बदले में फैलता है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करने के लिए विकसित होता है। एक उचित नींद कार्यक्रम बनाए रखना, एक स्वस्थ आहार, व्यायाम, जुनून या शौक का पीछा करना, नियमित रूप से एक खेल का अभ्यास करना सभी व्यक्तिगत अनुशासन के अंतर्गत आते हैं। सामाजिक अनुशासन में सभाओं, बैठकों या आयोजनों में एक विशेष तरीके से व्यवहार करना शामिल है। जबकि पेशेवर अनुशासन में ज्यादातर समय प्रबंधन, समय सीमा को पूरा करना, वरिष्ठों का उचित अभिवादन करना, स्वस्थ संबंध बनाए रखना आदि शामिल हैं।

अनुशासन समाज का एक अंतर्निहित हिस्सा है और इसकी भूमिका की शुरुआत हमारे शिक्षण संस्थानों में होती है। लेकिन आजकल लोग अक्सर समय से चूक जाते हैं और अनुशासित जीवन शैली को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास करने पड़ते हैं। स्कूल, कार्यस्थलों या घरों में भी अनुशासन बनाए रखने के कुछ तरीकों में शामिल हैं:

  • किसी संस्थान के दिशा-निर्देशों और नियमों से अवगत होना
  • सहकर्मियों के साथ विचारशील और समझदार होना
  • सख्ती बनाए रखना लेकिन निष्पक्ष रहना
  • स्पष्ट परिणाम और दंड निर्धारित करना
  • परिवार या व्यक्तिगत नियम बनाना
  • एक नियोजित कार्यक्रम के साथ रहना

उपरोक्त उपाय हंगामे और पछतावे से रहित अनुशासित जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकते हैं। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि अनुशासन की सही गुणवत्ता के साथ हमारे सभी उपक्रमों का सफल होना निश्चित है!

अनुशासन निबंध 250 शब्द (Discipline Essay 250 words in Hindi)

मनुष्य एक सामाजिक ढांचे के बड़े हिस्से हैं और किसी भी ढांचे के कार्य करने के लिए, नियम और कानून एक परम आवश्यकता हैं। जब ये नियम मानव व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं और संगठन की भावना विकसित करते हैं, तो एक प्रणाली या व्यक्ति को अनुशासित कहा जाता है। अनुशासन मानव के हर पहलू के साथ-साथ जीवन के अन्य रूपों में अपना महत्व पाता है। यह जिम्मेदारी, विश्वसनीयता की भावना पैदा करता है और एक व्यक्ति को अपने कार्यों के लिए अधिक जवाबदेह होने का पोषण करता है।

एक खिलाड़ी की दिनचर्या से लेकर व्यवसायी के नियमित कार्यक्रम से लेकर पहले कदम या बच्चों की उपलब्धियों तक, अनुशासन सभी जगहों पर मौजूद है। लेकिन यह समझना भी उतना ही जरूरी है कि नियमों की एक ही किताब हर व्यक्ति के काम नहीं आती। स्कूल में एक बच्चे के लिए सजा शानदार ढंग से काम कर सकती है लेकिन दूसरे बच्चे को अपने बारे में दुखी महसूस कराती है। इसलिए अनुशासन कहीं भी संगत और विचारशील होना चाहिए। “नियम और शर्तों” के विपरीत, जो उनकी अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप हैं, अनुशासन को हमेशा पहले व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए।

हमारे तेज-तर्रार जीवन में, हमें भीड़ का हिस्सा बनने के लिए अक्सर इतनी तेजी से दौड़ना पड़ता है कि हम अपने नियोजित कार्यक्रम को भूल जाते हैं। इससे रातों की नींद हराम, चिंता, विकार और चरम मामलों में अराजकता और हंगामा होता है। हमें वास्तव में प्रतिस्पर्धा के साथ घुलने-मिलने के लिए खुद को आगे बढ़ाते रहने की जरूरत है, लेकिन खुद को पहले रखना अनिवार्य है।

जबकि अनुशासन की कई व्याख्याएँ और धारणाएँ होती हैं, इसका अंतिम उद्देश्य हमें जीवन का एक स्पष्ट विचार देना है। महान व्यक्तियों का इतिहास उपलब्धियों को चलाने में अनुशासन की शक्ति का साक्षी है। अनुशासन हमेशा हमारे जीवन के हर मिनट को निर्धारित करने वाला कुछ नहीं होता है, यह छोटे कदमों के रूप में हो सकता है, जो एक अच्छा दिन घर में खुद का एक बड़ा, बेहतर संस्करण लाता है।

अनुशासन निबंध 300 शब्द (Discipline Essay 300 words in Hindi)

इसलिए यदि आप एक ऐसा जीवन जीना चाहते हैं जो विनियमित और व्यवस्थित हो तो आपको अनुशासन में रहने की आवश्यकता है। नियमों के एक निश्चित सेट का पालन करने की क्षमता को अनुशासन के रूप में जाना जाता है। यह हर किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह व्यक्ति को अपने जीवन में मर्यादा बनाए रखता है। इसलिए यदि आप किसी भी प्रकार की अराजकता से बचना चाहते हैं तो आपको उस समाज के कानूनों का पालन करना चाहिए जिसमें आप रहते हैं।

प्रकृति स्वयं अपने तंत्र में अनुशासन का प्रदर्शन करती है। आप हर दिन देख सकते हैं कि सूर्य पूर्व में उगता है और पश्चिम में अस्त होता है और यह प्रकृति की एक ही प्रक्रिया है। कई अन्य प्रक्रियाएं हैं जो प्रतिदिन अनुशासन प्रदर्शित करती हैं।

जिस दिन से हम पैदा हुए हैं और आज तक हम अनुशासन के महत्व को सीखते हुए बड़े हुए हैं। बचपन में ही हमें सुबह जल्दी उठकर, अपने दाँत ब्रश करके और नहाने के लिए और फिर स्कूल के लिए तैयार होकर अनुशासन में रहना सिखाया जाता था। यह दिन की शुरुआत में अनुशासन का पहला कदम है। पूरा दिन अनुशासन की मांग करता है ताकि हमारा जीवन पटरी पर रहे और व्यवस्था न बिगड़े।

स्कूल में, हमारे शिक्षक हमेशा हमारे दिमाग में अनुशासन और समय की पाबंदी लगाने की कोशिश करते हैं। इस तरह वे हमें सिखाते हैं कि स्कूल में शिष्टाचार कैसे बनाए रखें, चाहे वह सुबह की सभा हो, या समय पर गृहकार्य करना हो। इसलिए उन्हें बेहतर बनाने के लिए हमारे दैनिक जीवन में अनुशासन के महत्व को जानना महत्वपूर्ण है।

न केवल स्कूल बल्कि अनुशासन कार्यस्थलों पर भी उतना ही महत्वपूर्ण है जहां सैकड़ों कर्मचारी एक साथ काम करते हैं। कार्यालय में काम करने वाले लोगों को अपने कार्यस्थल पर अनुशासन बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। इससे ऑफिस का माहौल स्वस्थ और शांतिपूर्ण रहता है। इसलिए किसी व्यक्ति के लिए अनुशासन के महत्व को सीखना बहुत महत्वपूर्ण है, इससे निश्चित रूप से उन्हें एक सफल और सुखी जीवन जीने में मदद मिलेगी।

अनुशासित रहने के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपको अपने जीवन के लक्ष्यों पर केंद्रित रहने में मदद करता है। अनुशासन में रहने वाले लोग आमतौर पर बुरी आदतों से दूर रहते हैं और बाहरी दुनिया से ज्यादा अपने काम पर फोकस कर पाते हैं। हर कोई अनुशासित व्यक्ति का सम्मान करता है और उन्हें अपना आदर्श मानता है।

संक्षेप में, किसी व्यक्ति के जीवन में सबसे आवश्यक चीज अनुशासन है। अनुशासन में रहकर ही कोई सार्थक जीवन व्यतीत कर सकता है। यह हमें सही काम नहीं करने देता है और चारों ओर सकारात्मकता से भरा एक खुशहाल जीवन व्यतीत करता है।

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अनुशासन निबंध 500 शब्द (Discipline Essay 500 words in Hindi)

अनुशासन पर निबंध- अनुशासन एक ऐसी चीज है जो प्रत्येक व्यक्ति को नियंत्रण में रखती है। यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। हर कोई अपने जीवन में अलग-अलग रूप में अनुशासन का पालन करता है। इसके अलावा, हर किसी के पास अनुशासन की अपनी संभावना होती है। कुछ लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं और कुछ नहीं। यह वह मार्गदर्शक है जो उपलब्धता व्यक्ति को सही रास्ते पर ले जाती है।

महत्व और अनुशासन के प्रकार

अनुशासन के बिना व्यक्ति का जीवन नीरस और निष्क्रिय हो जाएगा। साथ ही, एक अनुशासित व्यक्ति उन लोगों की तुलना में परिष्कृत तरीके से जीने की स्थिति को नियंत्रित और संभाल सकता है जो नहीं करते हैं।

इसके अलावा, यदि आपके पास कोई योजना है और आप उसे अपने जीवन में लागू करना चाहते हैं तो आपको अनुशासन की आवश्यकता है। यह आपके लिए चीजों को संभालना आसान बनाता है और अंततः आपके जीवन में सफलता लाता है।

यदि अनुशासन के प्रकारों की बात करें तो वे सामान्यत: दो प्रकार के होते हैं। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन।

प्रेरित अनुशासन एक ऐसी चीज है जो दूसरे हमें सिखाते हैं या हम दूसरों को देखकर सीखते हैं। जबकि आत्म-अनुशासन भीतर से आता है और हम इसे अपने आप सीखते हैं। आत्म-अनुशासन के लिए दूसरों से बहुत प्रेरणा और समर्थन की आवश्यकता होती है।

इन सबसे ऊपर, बिना किसी गलती के अपने दैनिक कार्यक्रम का पालन करना भी अनुशासित होने का हिस्सा है।

अनुशासन की आवश्यकता

हमें जीवन में लगभग हर जगह अनुशासन की आवश्यकता होती है। इसलिए, हमारे जीवन के शुरुआती चरणों से अनुशासन का अभ्यास करना सबसे अच्छा है। आत्म-अनुशासन का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग चीजें हैं। छात्रों के लिए इसका अर्थ एक कर्मचारी के लिए अलग है इसका अर्थ अलग है, और बच्चों के लिए इसका अर्थ अलग है।

इसके अलावा, अनुशासन का अर्थ जीवन के चरणों और प्राथमिकता के साथ बदलता है। हर किसी को अनुशासित नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसके लिए बहुत मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है। साथ ही इसके लिए सकारात्मक दिमाग और स्वस्थ शरीर की जरूरत होती है। अनुशासन के प्रति सख्त होना होगा ताकि वह सफलता की राह को सफलतापूर्वक पूरा कर सके।

अनुशासन के लाभ

शिष्य एक सीढ़ी है जिसके द्वारा व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। साथ ही, यह उसे लक्ष्य से विचलित नहीं होने देता।

इसके अलावा, यह व्यक्ति के मन और शरीर को नियमों और विनियमों का जवाब देने के लिए प्रशिक्षण और शिक्षित करके व्यक्ति के जीवन में पूर्णता लाता है, जो उसे समाज का एक आदर्श नागरिक बनने में मदद करेगा।

अगर हम पेशेवर जीवन की बात करें तो अनुशासित व्यक्ति की तुलना में अनुशासित व्यक्ति को अधिक अवसर मिलते हैं। साथ ही, यह व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक असाधारण आयाम जोड़ता है। इसके अलावा, व्यक्ति जहां भी जाता है, लोगों के दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।

अंत में, हम कह सकते हैं कि अनुशासन किसी के भी जीवन के प्रमुख तत्वों में से एक है। एक व्यक्ति तभी सफल हो सकता है जब वह एक स्वस्थ और अनुशासित जीवन व्यतीत करे। इसके अलावा, अनुशासन हमें कई तरह से मदद करता है और हमारे आस-पास के व्यक्ति को अनुशासित होने के लिए प्रेरित करता है। इन सबसे ऊपर, अनुशासन एक व्यक्ति को वह सफलता प्राप्त करने में मदद करता है जो वह जीवन में चाहता/चाहती है

अनुशासन निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

जीवन में अनुशासन क्यों जरूरी है.

अनुशासन सभी नियमों का पालन करने के बारे में है। बिना किसी नियम या कानून का पालन किए आप जीवन में सफल नहीं हो सकते।

हम अनुशासन कैसे बनाए रख सकते हैं?

किसी विशेष दिनचर्या का पालन करके और उस पर टिके रहकर अनुशासन बनाए रखा जा सकता है।

क्या सफल होने के लिए अनुशासन जरूरी है?

हां, हमें अनुशासन विकसित करना चाहिए और सफल होने के लिए उसी के अनुसार काम करना चाहिए।

सैन्य प्रशिक्षण को इतने गहन अनुशासन की आवश्यकता क्यों है?

सेना में लोगों को युद्ध और संकट की बहुत ही विकट परिस्थितियों में पनपना पड़ता है। आदेश और आदेश के संदर्भ में इसके लिए वर्षों के अभ्यास की आवश्यकता होगी।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

इस लेख में आप विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढेंगे। जिसमें हमने विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ, प्रकार, भूमिका, महत्व और दस वाक्यों को बेहद आकर्षक और सरल रूप से लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi)

विद्यार्थी जीवन में कठिन परिश्रम और अनुशासन की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। जिस विद्यार्थी में इन गुणों की कमी होती है उसका बौद्धिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता।

विद्या अध्ययन को बेहद कठिन और एकाग्रतासाध्य काम माना जाता है। जिसमें उच्चकोटि का ध्यान और समर्पण की आवश्यकता होती है।

बाल्यावस्था किसी भी विषय को सीखने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी मनुष्य का अधिकतम मानसिक विकास पंद्रह वर्ष की उम्र तक हो जाता है।

जो विद्यार्थी मेहनत और अनुशासन को अपने जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाते हैं वे एक सफल विद्यार्थी बनने के साथ-साथ एक आदर्श नागरिक भी बनते हैं।

दुनिया में किसी भी कार्य की उपलब्धि के लिए सतत संघर्ष और अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक है। जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसके अलावा अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन काल में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है  जहां अनुशासन की आवश्यकता और उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। आसान शब्दों में विद्यार्थी जीवन को पूरे जीवन काल की आधारशिला कहा जा सकता है क्योंकि इस समय में वह जो कुछ भी सीखता है उसका प्रभाव पूरे जीवन  जीवन भर दिखाई देता है।

विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ Definition of Student and Discipline in Hindi

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन। इसका अर्थ होता है कि किसी भी नियम के अधीन रहकर कार्य करना अथवा नियमों के शासन में रहना।

सरल शब्दों में कहा जाए तो अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।

दुनिया के महान तथा सफल लोगों ने इसका महत्व बताया है कि किस प्रकार अनुशासन ही उद्देश्य तथा उपलब्धि के बीच का सेतु होता है।

सामान्य जीवन में ऐसे लक्ष्यों अथवा कार्यों को प्राथमिकता देना जो आने वाले भविष्य पर प्रत्यक्ष रुप से प्रभाव डालते हैं उनका अनुसरण करना ही अनुशासन कहलाता है।

सच कहा जाए तो अनुशासन ही मानव सभ्यता के विकास का प्रथम चरण है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका होना अत्यंत आवश्यक है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के प्रकार Types of Disciplines of Student life in Hindi

आमतौर पर जीवन के हर विषय में अनुशासन के विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए धैर्य  तथा अनुशासन की आवश्यकता होती है।

किंतु सामान्य रूप से देखा जाए तो अनुशासन के दो प्रकार होते हैं- बाहरी अनुशासन तथा आंतरिक अनुशासन।

बाहरी अनुशासन का तात्पर्य इस बात से है, यदि किसी व्यक्ति की इच्छा के बिना उस पर जबरजस्ती किसी नियम कानून को थौंपा जाए तो वह बाहरी अनुशासन कहलाता  है।

आज के समय में विद्यार्थियों को किसी भी शैक्षणिक स्थान में कड़ी नियम कानूनों द्वारा बांध दिया जाता है लेकिन उन्हें अनुशासन के वास्तविक महत्व के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती।

दूसरा अनुशासन वही होता है जो स्वयं अपनी इच्छा से किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से अपने कार्य के प्रति समर्पित कर देना अथवा कड़े नियमों का पालन  करना ही आंतरिक अनुशासन कहलाता है।

विद्यार्थी और अनुशासन की भूमिका Role of Student and Discipline in Hindi

जीवन में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां अनुशासन की आवश्यकता न होती हो। विद्यालयों में बच्चों के लिए कड़े नियम कानून बनाए जाते हैं, जिससे वे सही-गलत का फर्क कर सके और अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

प्रत्येक मनुष्य अपने प्रारंभिक जीवन में एक विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी जीवन इसीलिए इतना महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस समय में  बच्चे जो कुछ भी सीख पाते हैं उसका प्रभाव उनके चरित्र  तथा भविष्य पर प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।

विद्यार्थी जीवन में किसी भी प्रकार के कला को बहुत सरलता से सीखा जा सकता है। इसीलिए मानव जीवन के इस स्वर्णिम समय में अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है।

अध्यापक अपने विद्यार्थियों को नियमित रूप से अनुशासन का पालन करना सिखाते हैं। शिक्षक बच्चों को अपने से बड़ों का आदर सम्मान करना, रोजाना समय पर कक्षा में हाजिर रहना अपने मित्रों के साथ झगड़ा ना करना और झूठ न बोलना आदि जैसे अच्छी बातें भी सिखाते हैं।

अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थियों में संयम तथा सद्गुण जैसे कई गुण विकसित होते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व भली-भांति समझता है इसीलिए अपने से बड़ों की बात कभी भी नजरअंदाज नहीं करता।

एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा अपने समय को नई चीजों को सीखने में लगाता है तथा निर्धारित समय पर अपना अभ्यास कार्य करता है। वहीं दूसरी ओर एक सामान्य विद्यार्थी पढ़ने के लिए हमेशा टालमटोल करता है तथा अनुशासन का कभी भी पालन नहीं करता।

इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि कोई भी व्यक्ति अनुशासन के महत्व को समझे बगैर सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। केवल कड़े अनुशासन का पालन करके ही बड़ी से बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की जा सकतीं हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन का महत्व Importance of Students and Discipline in Hindi

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही आवश्यक है, जिस प्रकार जीवित रहने के लिए भोजन आवश्यक होता है।

भारत में प्राचीन काल में बाल्यावस्था से ही बच्चों को शिक्षा के लिए गुरुकुल भेज दिया जाता था जहां उन्हें कड़े  नियम कानून के अंतर्गत शिक्षा दिया जाता था। गुरुकुल में सभी विद्यार्थी पूरे अनुशासन के साथ अपनी शिक्षा  पूरी करते थे।

अपने जीवन में सफल होने का केवल एक ही रास्ता होता है वह अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास करना है।

किसी भी राष्ट्र की वास्तविक संपदा वहां के विद्यार्थी होते हैं। यही बच्चे पढ़ लिख कर आगे चलकर बड़े-बड़े डॉक्टर, इंजीनियर, पॉलीटिशियंस, कलाकार, पायलट इत्यादि बनते हैं।

यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करके अपने देश  के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

अनुशासन ही सफलता का मूल मंत्र होता है। इसीलिए इसके जरिए जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर सफल जीवन की कामना की जा सकती है। 

एक विद्यार्थी की उन्नति का मुख्य द्वार अनुशासन ही होता है तथा इसी से एक सभ्य समाज के साथ-साथ एक विकसित राष्ट्र का निर्माण भी होता है।

इसका प्रयोग करके विद्यार्थी न केवल परीक्षा में अच्छे अंक ही प्राप्त कर सकते हैं बल्कि आगे चलकर समाज में एक अच्छे नागरिक भी बनते हैं।

यही कारण है कि विद्यालयों में बच्चों की अनुशासनहीनता पर उन्हें अध्यापक द्वारा दंडित किया जाता है जिससे वे गलती को दोबारा नहीं दोहराते हैं। विद्यार्थी जीवन में धैर्य और समझदारी का निर्माण इसी के कारण होता है। 

विद्यार्थी और अनुशासन पर 10 लाइन Best 10 lines on Students and Discipline in Hindi

  • अनुशासन ही सफलता की वास्तविक कुंजी होती है।
  • आज तक जितने भी लोग महान तथा सफल हुए हैं वे लगातार संघर्ष और अनुशासन  के पालन से ही हुए हैं।
  • विद्यालय में विद्यार्थियों को अनुशासन के पालन करने पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है।
  • अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।
  • दुनिया में अधिकतर सफल लोग अपनी सफलता का कारण अनुशासन को ही ही बताते हैं।
  • अनुशासन के बिना एक सफल जीवन की कामना करना मूर्खता पूर्ण होता है।
  • वेदों में अनुशासन को इंसान के लिए सबसे जरुरी तपस्या बताया गया है।
  • महात्मा गांधी अपने आश्रम में अनुशासन को कड़ाई से पालन करवाते थे।
  • बाह्य अनुशासन के मुकाबले अंतः अनुशासन मुख्य होता है।
  • विद्यार्थी और अनुशासन ये दोनों एक दुसरे के पूरक होते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी में निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढ़ा। आशा यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह निबंध आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi (कक्षा 5 से 9 के लिए निबंध)

Essay on Discipline in Hindi

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi : व्यक्तिगत स्तर पर अनुशासन आत्म-नियंत्रण विकसित करने में बेहद मदद करता है, जिससे व्यक्ति वर्तमान संतुष्टि का विरोध कर सकता है और भविष्य में कुछ बेहतर हासिल कर सकता है। बड़े समाज में अच्छे व्यवहार को बनाए रखने और समुदायों को नियमों का पालन करने और सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए सदस्यों के बीच अनुशासन महत्वपूर्ण है। अनुशासित रहने से हमें अधिक केंद्रित रहने और निर्दिष्ट समय सीमा और समय सीमा के भीतर अपने कार्यों को पूरा करने की क्षमता मिलती है। हम पहले सोचते हैं और फिर कोई काम करते हैं, न कि उसमें कूद पड़ते हैं। अनुशासित रहने से आपको दूसरों का सम्मान हासिल करने में भी मदद मिलती है। यदि आप एक छात्र हैं तो अपना होमवर्क समय पर जमा करना और अपनी परीक्षाओं के लिए अच्छी तैयारी करना आपको अपने शिक्षकों के सामने एक अनुशासित छात्र बना देगा। 

यदि आप एक कर्मचारी हैं, तो आप हमेशा अपने कार्यों को समय सीमा के भीतर पूरा करेंगे और समय पर अपने कार्यस्थल पर आएंगे। इससे आपके बॉस के साथ-साथ सहकर्मियों का भी सम्मान बढ़ेगा। हमारा यह लेख अनुशासन के विषय पर ही आधारित है जिसमें हम आपके लिए अनुशासन पर निबंध लेकर आएं है, जो आप स्कूल के किसी प्रोजेक्ट या फिर किसी निबंध प्रतियोगिता में उपयोग में ले सकते हैं। इस लेख में आपको अनुशासन पर निबंध 150 words,अनुशासन पर निबंध 100 words,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 300 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 500 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 200 शब्द यह सभी मिल जाएगा जो आप कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,910 से लेकर बड़ी निबंध प्रतियोगिता में यूज कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको अनुशासन पर निबंध ( Essay on Discipline in Hindi ) class 7 और अनुशासन पर निबंध class 6 के लिए भी लेखन सामग्री इस लेख के जरिए मिल जाएगी।

अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Anushasan ka Mahatva Nibandh)

हम इस लेख के जरिए हम आपके लिए अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध लेकर आएं है। आप अपनी जरुरत के हिसाब से हमारे निचे दिए गए निबंध का उपयोग कर सकते हैं।जीवन में हर चीज़ के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है। यह नियमों का पालन करने और उचित, पूर्व-निर्धारित आचार संहिता का पालन करने का कार्य है। एक अनुशासित व्यक्ति वह है जिसका अपने कार्यों, मन, शरीर और आत्मा पर पूर्ण नियंत्रण होता है। यह एक आवश्यक आजीवन मूल्य है जिसे शुरुआत से ही अपने अंदर विकसित करना चाहिए। अनुशासन अक्सर भावी जीवन की सफलता में एक महत्वपूर्ण कारक साबित होता है। यह अक्सर किसी के जीवन का एक तरीका बन जाता है जहां समय की पाबंदी और व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रमुख स्थान लेते हैं। अनुशासित होने का एक और फायदा यह है कि यह हमें स्वस्थ और सक्रिय रखने में मदद करता है। एक अनुशासित व्यक्ति हमेशा अपना दिन निर्धारित करता है और जानता है कि किस समय कौन सी गतिविधियाँ करनी हैं। उसके सोने, व्यायाम करने, नहाने और खाने के लिए एक निश्चित समय होगा। अनुशासित लोगों में आत्म-नियंत्रण भी अधिक होता है। वे अपनी जीभ पर नियंत्रण रख सकते हैं और कभी भी बिना सोचे-समझे नहीं बोलते। वे स्वस्थ और निरंतर संबंध बनाने में भी अच्छे होते हैं। वे जानते हैं कि उनके लिए क्या हानिकारक है और इसलिए वे खुद को इसमें शामिल होने से रोकते हैं, चाहे यह कितना भी आकर्षक क्यों न लगे।

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अनुशासन पर निबंध हिंदी में 300 शब्द | Jivan Mein Anushasan Ka Mahatva Nibandh

अनुशासन एक ऐसी चीज़ है जो प्रत्येक व्यक्ति को नियंत्रण में रखता है। यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। हर कोई अलग-अलग रूप में अपने जीवन में अनुशासन का पालन करता है। इसके अलावा, हर किसी की अनुशासन की अपनी संभावना होती है। कुछ लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं और कुछ नहीं। यह मार्गदर्शक है कि उपलब्धता व्यक्ति को सही रास्ते पर ले जाती है। अनुशासन के बिना व्यक्ति का जीवन नीरस और निष्क्रिय हो जाएगा। इसके अलावा, एक अनुशासित व्यक्ति उन लोगों की तुलना में परिष्कृत तरीके से जीवन की स्थिति को नियंत्रित और संभाल सकता है जो ऐसा नहीं करते हैं।

वहीं अगर आपके पास कोई ऐसी योजना है और आप आने वाले भविष्य में  उस योजना को अपने जीवन में लागू करना चाहते हैं तो आपका अनुशासित होना बहुत जरुरी हैं। अनुशासन से आप कई  चीजों को आसानी से संभाल सकते हैं और अंततः आपके जीवन में सफलता लाता है। यदि अनुशासन के प्रकारों की बात करें तो ये सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन।प्रेरित अनुशासन एक ऐसी चीज़ है जो दूसरों ने हमें सिखाया है या हम दूसरों को देखकर सीखते हैं। जबकि आत्म-अनुशासन भीतर से आता है और हम इसे स्वयं सीखते हैं। आत्म-अनुशासन के लिए दूसरों से बहुत अधिक प्रेरणा और समर्थन की आवश्यकता होती है।

सबसे बढ़कर, बिना किसी गलती के अपने दैनिक कार्यक्रम का पालन करना भी अनुशासित होने का हिस्सा है। हमें जीवन में लगभग हर जगह अनुशासन की आवश्यकता होती है। इसलिए, हमारे जीवन के शुरुआती चरणों से ही अनुशासन का अभ्यास करना सबसे अच्छा है। आत्म-अनुशासन का अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मतलब होता है। छात्रों के लिए इसका अर्थ अलग है, कर्मचारी के लिए इसका अर्थ अलग है, और बच्चों के लिए इसका अर्थ अलग है। इसके अलावा, अनुशासन का अर्थ जीवन के चरणों और प्राथमिकता के साथ बदलता है। हर किसी को अनुशासित नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके लिए बहुत अधिक मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है। साथ ही, इसके लिए सकारात्मक दिमाग और स्वस्थ शरीर की भी आवश्यकता होती है। व्यक्ति को अनुशासन के प्रति सख्त होना होगा ताकि वह सफलता की राह को सफलतापूर्वक पूरा कर सके। शिष्य एक सीढ़ी है जिसके माध्यम से व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। यह व्यक्ति को जीवन में अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। साथ ही, यह उसे लक्ष्य से भटकने नहीं देता।

Also Read: इस तारीख को होगा चंद्रयान-3 मिशन लांच, जानें बजट, उद्देश्य और पूरी जानकारी

Anushasan ka Mahatva Esaay in Hindi | अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (600 शब्द)

अनुशासन का अर्थ है मन को प्रशिक्षित करना ताकि वह नियमों या आदेशों के नियंत्रण को स्वेच्छा से स्वीकार कर सके। संक्षेप में, यह श्रेष्ठ प्राधिकारी के प्रति सहज आज्ञाकारिता है, यह सीखने के लिए एक मूल्यवान सबक है। दुनिया के महान देशों ने खुद को सबसे कठोर अनुशासन के अधीन रखकर महानता हासिल की।प्राचीन हिंदुओं के साथ-साथ प्राचीन स्पार्टन्स ने संयम का जीवन जीने की आवश्यकता पर जोर दिया, यहां तक कि आत्म-त्याग का भी। वे जानते थे कि सख्त नियंत्रण के बिना, मनुष्य की ऊर्जा अक्सर बेकार प्रयासों में बर्बाद हो जाती है। किसी के नैतिक जीवन के लिए सबसे पहले अनुशासन आवश्यक है। आत्मभोग सभी मनुष्यों के लिए एक स्वाभाविक प्रलोभन है। हमारी इंद्रियाँ सहज संतुष्टि चाहती हैं। लेकिन अगर हम इस लालसा को रास्ता देते हैं, तो समय के साथ हम इसके अलावा कुछ नहीं सोचेंगे। यह आसान रास्ता है, गुलाबों की सेज की तरह सुखों का जीवन जीना; लेकिन अंततः यह दुख की ओर ले जाता है।

अनुशासन के प्रकार

अनुशासन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन। प्रेरित अनुशासन का सीधा-सा अर्थ है जब कोई अन्य व्यक्ति आपके जीवन और निर्णयों पर नियंत्रण कर लेता है। और आत्म-अनुशासन का अर्थ है जब कोई व्यक्ति स्वयं अपने जीवन पर नियंत्रण कर लेता है। आप क्या सोचते हैं? इनमें से कोनसा बेहतर है।आत्म-अनुशासन बेहतर है. जब कोई दूसरा आपको नियंत्रित करता है, तो यह चिड़चिड़ा हो जाता है और आप हमेशा इससे छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब आप अपने जीवन को नियंत्रित करते हैं, तो आप शायद इसका आनंद लेते हैं। अपने जीवन को नियंत्रित करने का मतलब यह नहीं है कि आप जो करना चाहते हैं उस तक पहुंच हो, यह उन नियमों का पालन करने के बारे में है जो आपने अपने लिए बनाए हैं।

विद्यार्थी जीवन में इसका महत्व

अनुशासन के बिना व्यक्ति का जीवन उलझनों से भरा होता है। साथ ही, एक अनुशासित व्यक्ति उन लोगों की तुलना में जटिल समस्याओं को आसानी से नियंत्रित और संभाल सकता है जो अनुशासित नहीं हैं। नियोजन अनुशासन का एक भाग है। योजना के बिना, कोई वांछित परिणाम नहीं मिलता है और किसी भी चीज़ के लिए योजना बनाने से आपको समय की पाबंदी विकसित करने में मदद मिलती है जो किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है।अनुशासन व्यक्ति को अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, अनुशासन का व्यक्ति अपने काम, कार्यों या लक्ष्यों पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर पाता है। अनुशासन व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की विकर्षणों से दूर रखता है। अनुशासन से ईमानदारी एवं गंभीरता की भावना बढ़ती है। नतीजतन, उच्च गुणवत्ता वाला फोकस अनुशासन का परिणाम है।

अनुशासन की आवश्यकता 

हमें जीवन के लगभग हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता है। स्वस्थ शरीर पाने के लिए हमें अपने खान-पान में अनुशासित होने की आवश्यकता है। इससे इस बात का अवलोकन करने की भावना विकसित होगी कि क्या खाना अच्छा है और क्या नहीं। हमें अपने कार्यों और लक्ष्यों के प्रति समय का पाबंद और नियमित रहने की आवश्यकता है।अनुशासन समाज में हमारी स्पष्ट छवि स्थापित करता है क्योंकि एक अनुशासित व्यक्ति होना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। इसके लिए दृढ़ समर्पण और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। साथ ही इसके लिए ठोस दिमाग और स्वस्थ शरीर की भी जरूरत होती है। किसी को सख्ती से अनुशासित होना होगा ताकि वह सफलता की राह को सफलतापूर्वक पूरा कर सके।

सफलता की कुंजी

अनुशासन एक सीढ़ी है जिस पर चढ़कर व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। यह व्यक्ति को अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। साथ ही यह उसे लक्ष्य से भटकने भी नहीं देता। इसके अतिरिक्त, यह व्यक्ति के मन और शरीर को नियमों और विनियमों का पालन करने के लिए शिक्षित और प्रशिक्षित करके उसके जीवन में पूर्णता का कारण बनता है जो उसे एक बेहतर नागरिक बनने में मदद करता है।

अगर हम पेशेवर जीवन की बात करें तो अनुशासित व्यक्ति को अनुशासित नहीं रहने वाले व्यक्ति की तुलना में अधिक अवसर मिलते हैं। साथ ही, यह व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक असाधारण आयाम का मिश्रण करता है। इसके अलावा व्यक्ति जहां भी जाता है लोगों के मन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।

अनुशासन गुलामी नहीं है. शुरुआत में यह गंभीर रूप से दर्दनाक लग सकता है लेकिन जल्द ही व्यक्ति को इसकी आदत पड़ जाएगी। लेकिन दुर्लभ अवसरों पर आज्ञाकारिता को तर्कसंगत बनाना पड़ सकता है और किसी के विवेक की अनदेखी करके ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। यह देखने में एक उच्चतर वस्तु है। दास स्वामी की इच्छा के प्रति अंध समर्पण दर्शाता है। सच्चा अनुशासन किसी उच्च उद्देश्य की प्राप्ति के लिए स्वयं की जागरूक और सहज अधीनता में निहित है।इसलिए, अनुशासन यांत्रिक नहीं होना चाहिए; क्योंकि मनुष्य कोई मशीन नहीं है. इसका मतलब स्वतंत्र निर्णय को नकारना नहीं हो सकता। अनुशासन स्वीकार करना किसी भी तरह से बहुत सुखद नहीं है। इसका मतलब है उस व्यक्तित्व का समर्पण जो परेशान करने वाला है। यदि हम अपने सामने केवल स्वयं से बढ़कर कुछ रखते हैं, तो अनुशासन केवल स्वेच्छा से लेकिन प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया जाएगा। इसका चरित्र पर उत्थानकारी प्रभाव पड़ता है।

जीवन में अनुशासन का महत्व | Essay on Discipline in Hindi Download PDF

इस पॉइन्ट में हम आपको जीवन में अनुशासन का महत्व पर निबंध Download PDF उपलब्ध करा रहे है जो आप डाउनलोड कर सकते है और कभी भी खुद भी पढ़ सकते है और अपने बच्चों या परिजनों को पढ़ा सकते हैं।

अनुशासन पर भाषण 10 लाइन | Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Nibandh

Speech on Discipline in Hindi

  • व्यक्ति का जीवन अनुशासन पर आधारित होना चाहिए।
  • अनुशासन नियमों का पालन करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह लोगों को आत्म-नियंत्रण और आत्म-आश्वासन विकसित करने में मदद करता है।
  • अनुशासन हमें घर, स्कूल और रोजगार के स्थान पर सिखाया जाता है।
  • सब कुछ अनुशासन से संबंधित है, हम कैसे कपड़े पहनते हैं से लेकर हम खुद को कैसे व्यवस्थित करते हैं, समय की पाबंदी से लेकर नैतिक व्यवहार की भावना तक।
  • जब हम देर से पहुंचते हैं या उचित पोशाक नहीं पहनते हैं तो हमें स्कूल में सज़ा मिलती है क्योंकि ये व्यवहार स्थापित अनुशासनात्मक प्रक्रियाओं के विरुद्ध होते हैं।
  • हमें सुबह की असेंबली के लिए तैयार होने और समय सीमा से पहले अपना स्कूल का काम पूरा करने के लिए भी कहा जाता है।
  • स्कूल उचित शिक्षण और दंड के माध्यम से हममें अनुशासन पैदा करते हैं।
  • न केवल छात्रों को सख्त आचार संहिता का पालन करना पड़ता है, बल्कि पेशेवरों, सैनिकों, एथलीटों आदि को भी सख्त आचार संहिता का पालन करना पड़ता है।
  • यद्यपि कठिन है, किसी के जीवन में अनुशासन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसी वजह से हमें छोटी उम्र से ही यह सिखाया जाता है।
  • अनुशासन की सहायता से हम शांत और व्यवस्थित जीवन जी सकते हैं

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गए छोटे और बड़े निबंध आपको पसंद आएं होंगे। जैसे कि हमने आपको निबंध के शुरुआत में बताया था कि इस निबंध में आपको अनुशासन पर निबंध 150 words,अनुशासन पर निबंध 100 words,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 300 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 500 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 200 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध class 7,अनुशासन पर निबंध पर निबंध class 6 मिल जाएंगे। आगे भी हम ऐसे कई विषय पर आपके लिए निबंध लेकर आते रहेंगे।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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Anushasan Essay in Hindi 150 words

जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व होता है इसके बिना सफल जीवन जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. जो भी अपने जीवन में अनुशासन नहीं रखता है वह कभी भी सफल नहीं हो सकता चाहे वह मनुष्य हो या फिर कोई वन्य प्राणी.

अगर हमें जीवन में सफल होना है तो समय पर उठना होगा समय पर सोना होगा और बिना समय को खराब करें अनुशासन की पालना करनी होगी. Anushasan किसी के सिखाने से नहीं आता यह स्वंय को सीखना होता है.

Anushasan Essay in Hindi

जैसे गुरु आपको शिक्षा दे सकते हैं सही मार्ग पर चलना सिखा सकते है लेकिन उस शिक्षा का आप किस प्रकार अनुसरण करते है यह आप पर निर्भर करता है. अगर आप एक सफल व्यक्ति बनना चाहते है और अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं तो अपने जीवन में अनुशासन की आज और अभी से पालना करनी शुरू कर दे और हमेशा अपने से बड़ों को सम्मान दें.

Anushasan Essay in Hindi 250 words

हमारे जीवन का हर एक क्षण मूल्यवान है अगर हम जीवन को बिना अनुशासन के जीते हैं तो हमेशा ही दुख और असफलता का मुंह देखना पड़ता है. Discipline का मतलब होता है कि अपने जीवन में कुछ नियम बनाकर चलें और साथ ही समय का सदुपयोग करते हुए अपना जीवन जिए.

अनुशासन की गई कारण आप सोचते हैं कि हम नियमों में अगर बंध जाएंगे तो अपना जीवन खुशहाली पूर्वक कैसे जी पाएंगे ?

अनुशासन का मतलब यह नहीं होता है कि आप अपनी इच्छा अनुसार अपना जीवन नहीं जी पाएंगे इसका मतलब यह होता है कि आपको हर कार्य समय पर और व्यवस्थित ढंग से करना होता है

जैसे सुबह उठने से लेकर स्कूल जाने तक, ऑफिस जाने तक, किसी जरूरी कार्य पर जाने तक अगर आप इन कार्यों को समय पर नहीं करते है तो आप जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाते है. और साथ ही कई लोग आपका साथ भी छोड़ देते है जिससे आप जीवन में अकेले पड़ जाते है.

अगर आप जीवन को अनुशासन से जिएंगे तो आप जीवन में सफल नहीं होंगे बल्कि लोग आपका आदर और सम्मान भी करेंगे. अनुशासन का मतलब यह भी होता है कि वह बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें और सभी लोगों से आदर और प्रेम पूर्वक बात करें. कभी भी ऐसा काम ना करें जिससे किसी भी व्यक्ति को चोट या ठेस पहुंचे.

अपने जीवन में एक बात गांठ बांधकर चलें कि हमें हमेशा समय का सदुपयोग करना है और जीवन को Anushasan से जीना है तभी हमारे जीवन जीना सफल हो पाएगा.

Essay on Discipline in Hindi 350 Words

अनुशासन किसी व्यक्ति या संस्था के सफल भविष्य निर्माण कर सकता है अगर अनुशासन नहीं होगा तो भविष्य का निर्माण कभी भी नहीं हो सकता है. अनुशासन सफलता की कुंजी है जिससे कठिन से कठिन परीक्षा में भी सफल हो या जा सकता है.

Discipline हमें हमेशा अपनी सीमा में रहना सिखाता है लेकिन अनुशासन ही हमें सीमाओं को तोड़ना भी सिखाता है. जिस प्रकार जीवन जीने के लिए जल की जरूरत होती है उसी प्रकार जीवन में सफलता पाने के लिए अनुशासन का भी उतना ही महत्व होता है.

हम अपने आसपास के माहौल से बहुत सी चीजें सीखते है जिनमें कुछ चीजें अच्छी होती है तो कुछ बुरी भी होती हैं अनुशासन हमें सही और गलत में फर्क करना सिखाता है. अनुशासन हमें समय के साथ चलना और परिवर्तन करना भी भली-भांति सिखाता है.

हम अनुशासन की प्रेरणा प्रकृति से रह सकते है जैसे सूरज हर रोज सुबह अपने समय पर निकलता है और शाम को ढल जाता है उसी के साथ पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूमती है और हमें दिन से रात और रात से दिन देखने को मिलता है.

यह भी पढ़ें –   विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi

इस बात से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा समय के साथ चलें और संसार में होने वाले परिवर्तनों को भी अपनाते रहे, तभी हम सफलता की सीढ़ी चढ़ सकेंगे. जीवन में प्रतिदिन समस्याएं आती रहेंगी लेकिन अगर हम अनुशासन में रहते है तो उनका हल हम निकाल ही लेते है.

अनुशासन में सिर्फ समय की पालना करना और समय के साथ चलना है ही नहीं आता है Discipline किसे कहते हैं जिसमें व्यक्ति सभी लोगों से प्रेम भाव से बात करता हो, अपने से बड़े लोगों को आदर और सम्मान देता हो, कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश ना करता हो यह सब अनुशासन ही हमें सिखाता है.

कुछ अनुशासन का भाग हमें शिक्षको और अपने माता-पिता द्वारा सीखने को मिलता है. वे हमेशा हमें अच्छी बातें सीखने को कहते है और अगर हम कभी कुछ गलत करते हैं तो हमें हमारी गलती का भी एहसास कराते है वे हमें सही मायनों में अनुशासन में रहना सिखाते है.

इसलिए अगर आपको अपना जीवन खुशहाली और सफलता पूर्वक बिताना है तो हमेशा अनुशासन की पालना करें.

Anushasan Essay in Hindi 1000 words

अनुशासन शब्द से ही हमें सीखने को मिलता है कि अपने आप अपनी गलतियों का अनुसरण करना और सही मार्ग अपनाना ही अनुशासन कहलाता है. अनुशासन का एक और मतलब है कि आप अपने ऊपर स्वयं कंट्रोल रख सकें.

क्योंकि इस दुनिया में ज्यादातर लोग आपको गलत राह पर ले जाने की कोशिश करते है और अगर आपका अपने आप पर ही कंट्रोल नहीं होगा तो आप गलत राह पर जा सकते है इसलिए जीवन में अनुशासन का अहम स्थान है इसके बिना सफल जीवन की कामना करना वैसा ही है जैसे बिना बीज बोए फसल की कामना करना.

Anushasan हम में पहले से ही होता है लेकिन उस को अमल में लाने की जरूरत होती है जिसके लिए हमें बचपन से ही विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा जाता है जिससे वहां के शिक्षक हमें पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासन भी सिखाते है.

जब हम छोटे बच्चे होते हैं तब हम एक खाली किताब की तरह होते है जिसमें उस समय जो भी लिख दिया जाता है वह जिंदगी भर हमारे साथ रहता है. इसलिए हमें बचपन से ही बड़ों का आदर करना और समय को बर्बाद नहीं करना सिखाया जाता है.

Discipline हम किसी को सिखा नहीं सकते हैं यह तो हम सिर्फ उनको बता सकते है लेकिन इस को अमल में लाना उन पर निर्भर करता है. हमारे माता पिता हमें सही और गलत में फर्क करना सिखा सकते हैं लेकिन अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम गलत का साथ देते हैं या फिर सही का यहां पर हमारा अनुशासन ही काम आता है जो कि हमें सही राह पर चलना सिखाता है.

अनुशासन सफलता की पहली सीढी है जिसके बिना सफलता की कामना नहीं की जा सकती है. अनुशासन सभी जगह पर काम आता है चाहे वह किसी कार्यालय में जाना हो या स्कूल में जाना हो खेलने जाना है पढ़ने जाना हो या फिर किसी से मिलने जाना हो.

अगर हम Anushasan में रहेंगे तो यह कार्य हम बहुत ही सरल ढंग से कर लेंगे लेकिन अगर हमारा जीवन में अनुशासन नहीं होगा तो हम कभी भी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच सकते और समय पर किसी से मिलने नहीं जा सकते.

जिसके कारण लोग हम पर विश्वास करना कम कर देंगे और जीवन में अगर एक बार किसी से विश्वास उठ जाता है तो दोबारा विश्वास कायम करने में बहुत समय लग जाता है इसलिए हमेशा हमें अनुशासन में रहना चाहिए.

हमारे देश में बहुत से महापुरुष हुए हैं जो कि हमेशा अनुशासन का पालन करते थे जिसके कारण उन्हें महापुरुष का जाता है उनमें से एक हमारे पूज्य महात्मा गांधी जी है. जिनके अनुशासन के कारण आज हमारा देश आजाद हो पाए है.

वह जब देश को आजाद कराने चले थे तब अकेले ही चले थे लेकिन उनके अनुशासन के कारण लोगों का उन पर विश्वास बढ़ता गया और लोग उनके साथ जुड़ते गए और परिणाम स्वरुप हमारा देश आजाद हो गया. इस से आप समझ सकते हैं कि अनुशासन का जीवन में कितना बड़ा महत्व होता है.

अनुशासन में रहना हम एक छोटी सी चींटी से भी सीख सकते हैं अगर आपने कभी चीटियों को देखा होगा तो वह हमेशा एक कतार में चलती है और लगातार अपने कार्य में लगी रहती हैं हम अगर उनके रास्ते में कोई बाधा भी उत्पन्न करते हैं तब भी वह कोई ना कोई रास्ता निकाल कर अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाती है.

और हम मनुष्य हैं कि जब भी हमें कतार में लगने को कहा जाए तो हमें ऐसा लगता है कि हमें नियमों में बांधा जा रहा है लेकिन हम यह नहीं समझते कि हमारे कतारबद्ध रहने से सभी का काम जल्दी होगा.

यह छोटी-छोटी अनुशासन में रहने की बातें हम हमारे पर्यावरण से सीख सकते हैं लेकिन हम हमेशा इन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं जिसके कारण हमें जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

हम अनुशासन में रहना एक बहती हुई नदी से सीख सकते हैं जो कि हमेशा अपने पथ पर बहती है और अगर उसके पथ के बीच में कोई चट्टान भी आ जाए तो वह उसे काट कर आगे चली जाती है. वह उस पहाड़ को इसलिए ही काट पाती है क्योंकि वह चट्टान को देखकर अपना रास्ता नहीं बदलती है.

अगर हम भी जीवन में Discipline में रहें और अपने लक्ष्य ऊपर ही ध्यान रखे तो जीवन में कितनी भी बड़ी कठिनाई क्यों ना आए हम उसे आसानी से पार कर सकते है. आपने देखा होगा कि अनुशासन के पालन करने से ही आज हमारे देश में कई सफल व्यक्ति है.

जैसे धीरूभाई अंबानी,रतन टाटा, अजीज प्रेम जी और हमारे देश के प्रधानमंत्री ऐसे कई सफल व्यक्ति हैं जिन्होंने अनुशासन की सहायता से अपने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं जिनके आज देश में ही नहीं विदेशों में भी उनकी सफलता के लिए जाना जाता है.

आप इन सभी व्यक्तियों को या तो देखा होगा तो यह सभी हमेशा अनुशासन का पालन करते हैं हमेशा अपना कार्य समय पर करते है इन सभी व्यक्तियों की निर्णय लेने की क्षमता अच्छी होती है इसका कारण यही होता है कि यह हमेशा अपने जीवन में अनुशासन बनाए रखते है.

अनुशासन हमारे जीवन का अनिवार्य और अभिन्न अंग है जिसके बिना सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है. अनुशासन की प्रेरणा हम किसान से ले सकते हैं क्योंकि किसान जब खेत में बीज बोता है तो उसे वो कर भूल नहीं जाता है वह प्रतिदिन उसे खाद और पानी देता है तभी जाकर फसल की पैदावार होती है.

किसान के लिए यही अनुशासन है अगर वह नियमित रूप से फसल को पानी और खाद नहीं देगा तो फसल की पैदावार नहीं होगी इसी प्रकार अगर हम नियमित रूप से सफलता के लिए मेहनत नहीं करेंगे तो हमारा असफल होना तय है.

Anushasan के मायने सभी व्यक्तियों के लिए अलग अलग हो सकते हैं जैसे कार्यालय में जाने वाले व्यक्ति हमेशा समय से कार्यालय पर पहुंचे और अपना कार्य सही ढंग से करें.

विद्यार्थियों के लिए अनुशासन का रूप है कि वह सदा अपने गुरुजनों का आदर करें और प्रतिदिन विद्यालय में जाए और एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई करें.

खिलाड़ी के लिए आवश्यक है कि वह प्रतिदिन अपने खेल के प्रति समर्पित रहे उसको और अच्छा करने के लिए प्रतिदिन प्रयास करता रहे.

सेना में सैनिक के लिए अनुशासन का रूप है कि वह हमेशा देश की सेवा करता रहे और देश की सेवा में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करें.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Anushasan Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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Student And Discipline Essay In Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Student And Discipline Essay In Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – essay on student and discipline in hindi.

  • प्रस्तावना,
  • (क) असुरक्षित और लक्ष्यहीन भविष्य,
  • (ख) दोषपूर्ण शिक्षा–प्रणाली,
  • (ग) कक्षा में छात्रों की अधिक संख्या,
  • (घ) पाठ्य–सहगामी क्रियाओं का अभाव,
  • (ङ) घर और विद्यालय का दूषित वातावरण,
  • (च) दोषपूर्ण परीक्षा–प्रणाली,
  • (छ) छात्र–गुट,
  • (ज) गिरता हुआ सामाजिक स्तर,
  • (झ) आर्थिक समस्याएँ,
  • (ब) निर्देशन का अभाव,
  • (क) शिक्षा–व्यवस्था में सुधार,
  • (ख) सीमित प्रवेश,
  • (ग) आर्थिक समस्याओं का निदान,
  • (घ) रुचि और आवश्यकतानुसार कार्य,
  • (ङ) छात्रों में जीवन–मूल्यों की पुनर्स्थापना,
  • (च) सामाजिक स्थिति में सुधार,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Vidyaarthee Aur Anushaasan Par Nibandh

प्रस्तावना– मानव–स्वभाव में विद्रोह की भावना स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहती है, जो आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति न होने पर ज्वालामुखी के समान फूट पड़ती है।

छात्र– असन्तोष के कारण हमारे देश में, विशेषकर युवा–पीढ़ी में प्रबल असन्तोष की भावना विद्यमान है। छात्रों में व्याप्त असन्तोष की इस प्रबल भावना के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

(क) असुरक्षित और लक्ष्यहीन भविष्य–आज छात्रों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में तेजी से होनेवाली वृद्धि से छात्र–असन्तोष का बढ़ना स्वाभाविक है। एक बार सन्त विनोबाजी से किसी विद्यार्थी ने अनुशासनहीनता की शिकायत की। विनोबाजी ने कहा, “हाँ, मुझे भी बड़ा आश्चर्य होता है कि इतनी निकम्मी शिक्षा और उस पर इतना कम असन्तोष!”

(ख) दोषपूर्ण शिक्षा–प्रणाली–हमारी शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है। वह न तो अपने निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करती है और न ही छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान देती है। परिणामतः छात्रों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता। छात्रों का उद्देश्य केवल परीक्षा उत्तीर्ण करके डिग्री प्राप्त करना ही रह गया है। ऐसी शिक्षा–व्यवस्था के परिणामस्वरूप असन्तोष बढ़ना स्वाभाविक ही है।

(ग) कक्षा में छात्रों की अधिक संख्या–विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है, जो कि इस सीमा तक पहुंच गई है कि कॉलेजों के पास कक्षाओं तक के लिए पर्याप्त स्थान नहीं रह गए हैं। अन्य साधनों; यथा–प्रयोगशाला, पुस्तकालयों आदि का तो कहना ही क्या। जब कक्षा में छात्र अधिक संख्या में रहेंगे और अध्यापक उन पर उचित रूप से ध्यान नहीं देंगे तो उनमें असन्तोष का बढ़ना स्वाभाविक ही है।

(घ) पाठ्य–सहगामी क्रियाओं का अभाव–पाठ्य–सहगामी क्रियाएँ छात्रों को आत्माभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करती हैं। इन कार्यों के अभाव में छात्र मनोरंजन के अप्रचलित और अनुचित साधनों को अपनाते हैं; अत: छात्र–असन्तोष का एक कारण पाठ्य–सहगामी क्रियाओं का अभाव भी है।

(ङ) घर और विद्यालय का दूषित वातावरण–कुछ परिवारों में माता–पिता बच्चों पर कोई ध्यान नहीं देते और वे उन्हें समुचित स्नेह से वंचित भी रखते हैं, आजकल विद्यालयों में भी उनकी शिक्षा–दीक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। दूषित पारिवारिक और विद्यालयीय वातावरण में बच्चे दिग्भ्रमित हो जाते हैं। ऐसे बच्चों में असन्तोष की भावना का उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है।

(च) दोषपूर्ण परीक्षा–प्रणाली–हमारी परीक्षा–प्रणाली छात्र के वास्तविक ज्ञान का मूल्यांकन करने में सक्षम नहीं है। कुछ छात्र तो रटकर उत्तीर्ण हो जाते हैं और कुछ को उत्तीर्ण करा दिया जाता है। इससे छात्रों में असन्तोष उत्पन्न होता है।

(छ) छात्र गुट–राजनैतिक भ्रष्टाचार के कारण कुछ छात्रों ने अपने गुट बना लिए हैं। वे अपनी बढ़ती महत्त्वाकांक्षाओं को फलीभूत न होते देखकर अपने मन के आक्रोश और विद्रोह को तोड़–फोड़, चोरी, लूटमार आदि करके शान्त करते हैं।

(ज) गिरता हुआ सामाजिक स्तर–आज समाज में मानव–मूल्यों का ह्रास हो रहा है। प्रत्येक व्यक्ति मानव–आदर्शों को हेय समझता है। उनमें भौतिक संसाधन जुटाने की होड़ मची है। नैतिकता और आध्यात्मिकता से उनका कोई सम्बन्ध नहीं रह गया है। ऐसी स्थिति में छात्रों में असन्तोष का पनपना स्वाभाविक है।

(झ) आर्थिक समस्याएँ–आज स्थिति यह है कि अधिकांश अभिभावकों के पास छात्रों की शिक्षा आदि पर व्यय करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है। बढ़ती हुई महँगाई के कारण अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति भी उदासीन होते जा रहे हैं, परिणामस्वरूप छात्रों में असन्तोष बढ़ रहा है।

(अ) निर्देशन का अभाव–छात्रों को कुमार्ग पर जाने से रोकने के लिए समुचित निर्देशन का अभाव भी हमारे देश में व्याप्त छात्र–असन्तोष का प्रमुख कारण है। यदि छात्र कोई अनुचित कार्य करते हैं तो कहीं–कहीं उन्हें इसके लिए और बढ़ावा दिया जाता है। इस प्रकार उचित मार्गदर्शन के अभाव में वे पथभ्रष्ट हो जाते हैं।

छात्र–असन्तोष के निराकरण के उपाय–छात्र–असन्तोष की समस्या के निदान के लिए निम्नलिखित मुख्य सुझाव दिए जा सकते हैं-

(क) शिक्षा–व्यवस्था में सुधार हमारी शिक्षा–व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जो छात्रों को जीवन के लक्ष्यों को समझने और आदर्शों को पहचानने की प्रेरणा दे सके। रटकर मात्र परीक्षा उत्तीर्ण करने को ही छात्र अपना वास्तविक ध्येय न समझें।

(ख) सीमित प्रवेश–विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या निश्चित की जानी चाहिए, जिससे अध्यापक प्रत्येक छात्र के ऊपर अधिक–से–अधिक ध्यान दे सके; क्योंकि अध्यापक ही छात्रों को जीवन के सही मार्ग की ओर अग्रसर कर सकता है। ऐसा होने से छात्र–असन्तोष स्वत: ही समाप्त हो जाएगा।

(ग)आर्थिक समस्याओं का निदान–छात्रों की आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए निम्नलिखित मुख्य उपाय करने चाहिए-

  • निर्धन छात्रों को ज्ञानार्जन के साथ–साथ धनार्जन के अवसर भी दिए जाएँ।
  • शिक्षण संस्थाएँ छात्रों के वित्तीय भार को कम करने में उनकी सहायता करें।
  • छात्रों को रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए।
  • छात्रों को व्यावसायिक मार्गदर्शन प्रदान किया जाए।
  • शिक्षण संस्थाओं को सामाजिक केन्द्र बनाया जाए।

(घ) रुचि और आवश्यकतानुसार कार्य–छात्र–असन्तोष को दूर करने के लिए आवश्यक है कि छात्रों को उनकी रुचि और आवश्यकतानुसार कार्य प्रदान किए जाएँ। किशोरावस्था में छात्रों को समय–समय पर समाज–सेवा हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सामाजिक कार्यों के माध्यम से उन्हें अवकाश का सदुपयोग करना सिखाया जाए तथा उनकी अवस्था के अनुसार उन्हें रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखा जाना चाहिए।

(ङ) छात्रों में जीवन–मूल्यों की पुनर्स्थापना–छात्र–असन्तोष दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि छात्रों में सार्वभौम जीवन–मूल्यों की पुनर्स्थापना की जाए।

(च) सामाजिक स्थिति में सुधार–युवा–असन्तोष की समाप्ति के लिए सामाजिक दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आवश्यक हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने भौतिक स्तर को ऊँचा उठाने की आकांक्षा छोड़कर अपने बच्चों की शिक्षा आदि पर अधिक ध्यान दें तथा समाज में पनप रही कुरीतियों एवं भ्रष्टाचार आदि को मिलकर समाप्त करें।

यदि पूरी निष्ठा तथा विश्वास के साथ इन सुझावों को अपनाया जाएगा तो राष्ट्र–निर्माण की दिशा में युवा–शक्ति का सदुपयोग किया जा सकेगा।

उपसंहार– इस प्रकार हम देखते हैं कि छात्र–असन्तोष के लिए सम्पूर्ण रूप से छात्रों को ही उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। युवा समुदाय में इस असन्तोष को उत्पन्न करने के लिए भारतीय शिक्षा–व्यवस्था की विसंगतियाँ (अव्यवस्था) अधिक उत्तरदायी हैं; फिर भी शालीनता के साथ अपने असन्तोष को व्यक्त करने में ही सज्जनों की पहचान होती है। तोड़–फोड़ और विध्वंसकारी प्रवृत्ति किसी के लिए भी कल्याणकारी नहीं होती।

दा इंडियन वायर

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

discipline essay in hindi for class 7

By विकास सिंह

student and discipline essay in hindi

विषय-सूचि

विद्यार्थी और अनुशासन पर छोटा निबंध, student and discipline essay in hindi (400 शब्द)

अनुशासन एक आचार संहिता है जो हमारे जीवन को सुचारू, सुखद और रहने योग्य बनाती है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अनुशासन हमारे व्यक्तित्वों के सुचारू विकास के लिए बहुत जरूरी है और इसलिए राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण है।

अपनी स्वतंत्रता का आनंद लेने के लिए, हमें दूसरों को भी अपनी स्वतंत्रता का आनंद लेने की अनुमति देनी चाहिए। यह बहुत आत्म-अनुशासन और नियंत्रण की मांग करता है।

अनुशासन में मेहनत करनी पड़ती है। जीवन के हर क्षेत्र में, चाहे वह घर, खेल का मैदान, स्कूल, घूमना हो या पुस्तकालय में, अनुशासन एक जरूरी चीज़ है। अनुशासन का अर्थ है हमारे कर्तव्यों और दायित्वों के बारे में अच्छी जागरूकता। अनुशासन और सफलता लगभग एक दूसरे के पर्याय हैं। आत्म-नियंत्रण के बिना किसी को थोड़ी सी भी सफलता नहीं मिल सकती है।

एक छात्र के लिए अनुशासन एक बुनियादी महत्व है क्योंकि छात्र जीवन एक कैरियर की शुरुआत है। यदि एक छात्र अनुशासित नहीं होता है, तो उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाएगा। उसे अपनी परीक्षाओं में सफलता नहीं मिलेगी। वह जीवन में कुछ भी हासिल नहीं करेगा। अनुशासन ही अच्छे शिष्टाचार का मूल आधार है। अनुशासन एक सज्जन का वास्तविक आभूषण है।

एक अनुशासित छात्र वह है जो अपने काम और अच्छी आदतों में नियमित है। वह स्कूल जाने के लिए समय का पाबंद है और अपने शिक्षकों और बड़ों की बात मानता है। वह कभी भी असभ्य नहीं है। हमारे छात्रों और देश का भविष्य अनुशासन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

आज का एक छात्र कल का एक अभिभावक और नागरिक है। वह समाज में शांति बनाए रखने में मदद करता है। उसे अनुशासन का एक अच्छा मानक दिखाना होगा। वह सड़क के नियमों का पालन करता है और फलदायी, लेकिन अनुशासित जीवन जीता है। एक स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां एक छात्र में एक अच्छे नागरिक के सभी गुण विकसित किए जा सकते हैं। यह अपने नागरिकों का अनुशासन है जो किसी देश को वास्तव में महान बनाता है।

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध, student and discipline essay in hindi (500 शब्द)

student and discipline

सरल शब्दों में, अनुशासन का मतलब कुछ नियमों और विनियमों का पालन करना है। छात्रों के जीवन में अनुशासन बहुत आवश्यक है। हम एक सफल छात्र की कल्पना भी नहीं कर सकते जो अपने जीवन में अनुशासन का पालन नहीं करता है। जीवन के शुरुआती चरण में जब एक छात्र किंडरगारटन में प्रवेश करता है, तो उसे अनुशासन सिखाया जाता है। उस अवस्था से, उसे एक अनुशासित इंसान बनने के लिए सिखाया जाता है ताकि वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सके।

हम जानते हैं कि समय एक छात्र के लिए धन है। किसी छात्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह समय का सही उपयोग कैसे करता है या नहीं। विद्यार्थी यदि अनुशासित नहीं है तो वह समय का पूरा उपयोग नहीं कर सकता है। अनुशासन हमारे जीवन के हर चरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक अनुशासनहीन जीवन पतवार के बिना एक जहाज की तरह है।

टीम के किसी भी खेल में अनुशासन का सख्ती से पालन किया जाता है। एक टीम अनुशासन के बिना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती है। कभी-कभी खेल में, इतने प्रसिद्ध और अनुभवी खिलाड़ियों के साथ एक टीम अनुशासन की कमी के कारण खेल हार जाती है। इसी तरह, एक अच्छा छात्र अपने पाठ्यक्रम को निर्धारित समयावधि में कवर नहीं कर सकता है यदि वह अनुशासन का पालन नहीं करता है। इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि एक छात्र जीवन में सफलता पाने के लिए अनुशासन एक अहम् हिस्सा है।

छात्रों के जीवन में अनुशासन के महत्व पर निबंध:

जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अवधि छात्र जीवन है। यह वह समय है जब हम अपने जीवन की नींव का निर्माण करते हैं। किसी व्यक्ति का भविष्य जीवन की इस अवधि पर निर्भर करता है। तो जीवन की इस अवधि का उचित तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता है। ऐसा करने के लिए, अनुशासन एक बहुत जरूरी चीज है जिसका व्यक्ति को अपने जीवन में अनुसरण करना चाहिए।

एक अच्छा छात्र हमेशा अपने पाठ्यक्रम को पूरा करने या कवर करने के लिए समय सारिणी का पालन करता है और इस प्रकार उसे सफलता मिलती है। यहां तक ​​कि प्रकृति अनुशासन का पालन करती है। सूर्य उचित समय पर उगता है और अस्त होता है, पृथ्वी अपने अक्ष पर अनुशासित तरीके से चलती है। इसी तरह, एक छात्र को अपने सर्वांगीण विकास के लिए अनुशासन का पालन करना चाहिए।

जिन छात्रों के पास उचित समय सारिणी नहीं है, वे अपनी सह-पाठयक्रम गतिविधियों के लिए समय नहीं बचा सकते हैं। आधुनिक समय में एक अच्छे छात्र को अपनी नियमित पढ़ाई के बीच खुद को विभिन्न पाठ्येतर गतिविधियों में शामिल करने की आवश्यकता होती है। लेकिन अनुशासन के बिना, एक छात्र को इन गतिविधियों के लिए समय की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

या कभी-कभी सह-पाठयक्रम गतिविधियों में अत्यधिक भागीदारी के कारण वह पढ़ाई में पीछे रह सकता है। इस प्रकार एक छात्र को अपने करियर में सफलता पाने के लिए अच्छी तरह से अनुशासित होने की आवश्यकता है। परीक्षा हॉल में भी फिर से अनुशासन बहुत आवश्यक है।

अनुशासन एक सफल जीवन की एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि निष्कर्ष में हम कह सकते हैं कि अनुशासन ही सफल जीवन की कुंजी है। हम सभी का एक सफल जीवन का सपना होता है। उसके लिए हमें उचित समय पर उचित तरीके से काम करने की जरूरत है।

छात्र और अनुशासन पर निबंध, student and discipline essay in hindi (600 शब्द)

student

हर किसी के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। अनुशासन के बिना कोई सुखी जीवन नहीं जी सकता। यह कुछ नियमों और विनियमों का पालन करते हुए जीवन जीने का कार्य है। अनुशासन वह सब कुछ है जो हम सही समय में सही तरीके से करते हैं। यह हमें सही रास्ते पर ले जाता है।

हम सभी अपने दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुशासन का पालन करते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे हम सुबह जल्दी उठते हैं, एक गिलास पानी पीते हैं, ताज़े पाने के लिए वॉशरूम जाते हैं, दाँत साफ़ करते हैं, नहाते हैं, नाश्ता करते हैं, सही समय पर यूनिफॉर्म में स्कूल जाते हैं, आदि सभी अनुशासन हैं ।

चूंकि विद्यार्थी जीवन सीखने और संवारने का दौर है, इसलिए एक छात्र को अपने लक्ष्यों के प्रति ईमानदार, समर्पित, दृढ़ और केंद्रित होना चाहिए। अनुशासन उनके व्यक्तित्व को आकार देने और उनके चरित्र को ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एक छात्र को अपनी दिनचर्या के लिए समय का बहुत पाबंद होना चाहिए। उसे बहुत नियमित होना चाहिए और अपनी पढ़ाई के प्रति ईमानदार होना चाहिए। उसे कड़ी मेहनत करनी चाहिए। वह हमेशा विभिन्न अन्य पाठ्येतर गतिविधियों में तैयार और सक्रिय होना चाहिए। उसे सक्रिय और स्मार्ट रहना चाहिए। उसे सीखना चाहिए कि कठिन परिस्थितियों का सामना कैसे किया जाए और उन पर कैसे विजय प्राप्त की जाए।

एक छात्र देश का भविष्य है। यह वह है जिसे देश की जिम्मेदारी लेनी है। वह स्वस्थ और तंदुरुस्त होना चाहिए। शारीरिक शिक्षा छात्रों के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना पढ़ाई में अध्ययनशील और ईमानदार होना। एक छात्र को हमेशा अच्छे स्वास्थ्य और फिटनेस में होना चाहिए। इसके लिए उसे सुबह जल्दी उठना चाहिए। उसे रोजाना व्यायाम करना चाहिए। उसे रोज अपनी पसंद का खेल खेलना चाहिए। यह सर्वविदित है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग होता है। उनका मन तभी मजबूत और तेज होगा जब वह शारीरिक रूप से मजबूत, फिट और स्वस्थ होगा।

एक छात्र का सबसे बड़ा कार्य अध्ययन करना है। एक छात्र को अपनी पढ़ाई के प्रति बहुत समर्पित और ईमानदार होना चाहिए। उसे समय का बहुत पाबंद होना चाहिए। उसे समय के महत्व को जानना चाहिए। उसे नियमित रूप से अपने घर का काम करना चाहिए। उसे नई चीजें सीखने की ललक होनी चाहिए। उसे अपने शिक्षकों और बड़ों के प्रति सम्मान होना चाहिए। उसे अपने दोस्तों के साथ बहुत सहयोग करना चाहिए। उसे जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।

अनुशासन आत्म-नियंत्रण और समर्पण की मांग करता है। जो खुद को नियंत्रित नहीं कर सकता, वह दूसरों को नियंत्रित नहीं कर सकता। उसे समाज के बड़े हित में अपना व्यक्तित्व समर्पित करना होगा। अनुशासन एक गुण है। बचपन से ही इसकी पालना करने की जरूरत है।

इसे रातोंरात विकसित नहीं किया जा सकता है। इसमें समय लगता है और धैर्य की आवश्यकता होती है। जब अनुशासन लागू किया जाता है, तो यह वांछित परिणाम लाने में सफल रहता है। लागू होने पर अनुशासन का सच्चा सार खो जाता है। आदमी ज्यादा मशीन बन जाता है और इंसान कम।

विद्यार्थी जीवन जीवन का गठन काल है। इसी समय के दौरान वयस्कता की नींव रखी जाती है। आदमी उस समय अधिग्रहित आदतों और शिष्टाचार के साथ बढ़ता है। ये चीजें शायद ही बदलती हैं। इसलिए एक छात्र को अपने छात्र जीवन में बहुत अनुशासित होना चाहिए। जो अनुशासित होता है वह जीवन में ऊंचा उठता है। महापुरुषों का जीवन अनुशासन का उदाहरण है। महापुरुषों ने अपने जीवन में अपनी छाप छोड़ी है, क्योंकि वे पूरी ईमानदारी और लगन के साथ अपने लक्ष्य का पालन करते हैं।

तो, हमें जीवन के प्रारंभिक चरण से अनुशासित होने की कोशिश करनी चाहिए। स्कूल और घर दोनों में उन्हें अनुशासन के नियमों का पालन करना चाहिए। माता-पिता, शिक्षक और बुजुर्गों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक छात्र को हमेशा अच्छी आदतें सीखनी चाहिए। इससे एक अच्छे समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा।

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इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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अनुशासन का महत्व पर निबंध | Essay on Discipline In Hindi

अनुशासन का महत्व पर निबंध Essay on Discipline In Hindi : सभी के जीवन में अनुशासन अत्यंत आवश्यक हैं. अनुशासन जीवन को संयमित एवं नियंत्रित करता हैं.

अनुशासन के माध्यम से ही जीवन संतुलित बनता हैं और विकास करता हैं. अनुशासन का अर्थ हैं निति नियमों का पालन करना.

आज के अनुशासन के महत्व   पर यहाँ बात करने वाले हैं. अनुशासन पर निबन्ध हिंदी में आपकों इसका अर्थ परिभाषा प्रकार, जीवन व विद्यार्थी के जीवन में महत्व तथा अनुशासन हीनता के नुकसान तथा डिसिप्लिन के फायदों के बारे में जानकारी इस निबन्ध में दी गई हैं.

अनुशासन का महत्व पर निबंध Essay on Discipline In Hindi

अनुशासन का महत्व पर निबंध | Essay on Discipline In Hindi

जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन अलग अलग हैं. जैसे भोजन का अनुशासन अलग हैं. रहन सहन का अनुशासन अलग हैं. जीवन जीने के तौर तरीको का अनुशासन अलग हैं.

अनुशासन हमारे जीवन के लिए आवश्यक नही, बल्कि प्रकृति ने स्वयं को भी अनुशासनबद्ध करके रखा हैं. बिना अनुशासन के वह अनियंत्रित होती हैं.

प्रकृति का अनुशासन सभी पर समान लागू होता हैं. लेकिन मानव जीवन का अनुशासन देश काल की परिस्थतियों के अनुसार बदलता हैं.

अनुशासन है नीति नियमों का पालन करना. अनुशासनों का निर्धारण मनुष्य स्वयं करता हैं, इनमें आवश्यकतानुसार फेर बदल भी करता हैं. लेकिन अनुशासन का निर्माण बहुत सोच समझकर किया जाता हैं.

अनुशासन होते ही इसलिए है ताकि जीवन को सही दिशा दी जा सके. इनके माध्यम से जीवन की ऊर्जा का अनावश्यक व्यय नही होता, बल्कि सुनियोजन होता हैं.

जीवन में अनुशासन पर निबंध

पतंजली ने भी योगदर्शन के आरम्भिक सूत्र में सबसे पहले योग अनुशासन की बात कही हैं. अथ योगानुशासनम. अनुशासन है हमें सचेत करने के लिए.

इस बात पर ध्यान आकर्षित करने के लिए कि अब हम विशेष पथ पर चल रहे हैं, विशेष नियमों का पालन करना अब जरुरी हैं, अन्यथा हम भटक सकते हैं, दिग्भ्रमित हो सकते हैं.

अनुशासन नदी के दो किनारों की तरह हमें बहकने तथा भटकने नही देता. अनुशासन हमारे जीवन में वह रेखा खीच देता हैं, जो हमारे लिए अत्यंत जरुरी है और जिसे पार करने में हमारे नुकसान की संभावना हैं.

इसलिए विशेष कार्यों में अनुशासन का पालन करना अत्यंत जरुरी हो जाता हैं. अनुशासन के अभाव में सारी व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाती हैं.

अनुशासनहीनता होने पर नुक्सान होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इसलिए किसी बड़े कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व अनुशासन के नीति नियम निर्धारित कर लिए जाते हैं.

और उसी के अनुसार कार्यक्रम सम्पन्न किये जाते हैं, जरा भी अनुशासन की अवहेलना होने वाले कार्यक्रम की सफलता में बाधा डालती हैं.

हमारी प्रकृति को भी अनुशासन अति प्रिय हैं. प्रकृति की इसी अनुशासनप्रियता के कारण ही ऋतुएँ समय पर आती और चली जाती हैं. मौसम में समयानुसार ही परिवर्तन होता हैं और हम यह निश्चित कर पाते है कि अमुक महीने में वर्षा ठंड या गर्मी होगी.

यदि प्रकृति का अनुशासन हमें पता नही होता तो इस बात का निर्धारण करना कठिन हो जाता कि आने वाला समय क्या लेकर आने वाला हैं.

आज प्रकृति और मानव जीवन दोनों का ही अनुशासन गड़बड़ाया हैं. मनुष्य के अवांछनीय कार्यों के कारण प्रकृति में प्रदूषण बढ़ा हैं व इसका जलवायु पर बहुत ही घातक प्रभाव पड़ा हैं.

फलतः प्रकृति के अनुशासन में गड़बड़ियाँ उत्पन्न होने लगी हैं और इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा हैं. मनुष्य व अन्य सभी जीवधारियों व वनस्पतियों को. मनुष्य जीवन का भी अनुशासन गड़बड़ाया हैं.

फलतः कई तरह की जीवन शैली से सम्बन्धित बीमारियाँ प्रकट होने लगी हैं. जब तक मानव अनुशासन के इस विशेष महत्व को नही समझेगा और उसका पालन नही करेगा, उसे प्रकृति उसकी इस अनुशासनहीनता का दंड विभिन्न स्वरूप में देती रहेगी.

अनुशासन व अनुशासनहीनता को समझने के लिए पानी का उदहारण बहुत सटीक और उपयुक्त हैं.पानी बाढ़ के रूप में बहता हैं और बाँध के द्वारा भी बहता हैं. बाढ़ का पानी अनुशासनविहीन होता हैं.

उसके पास बहने और बधने की कोई विधि नही होती, इसलिए वह कोई लाभ नही पहुचाता, केवल बह जाता हैं और बहुत नुकसान पहुचाता हैं, विनाश का कारण बनता हैं.

जबकि बाँध का पानी मर्यादा में रहता हैं तटों की मर्यादा से बंधा रहता हैं. उसकी यह मर्यादा और अनुशासन उसे विकास का माध्यम बना देती हैं.

पानी दोनों ही अवस्था में हैं और पानी की बूद जीवनदायिनी होती हैं, लेकिन अनुशासनविहीन होने पर बाढ़ का पानी विनाश करता है और अनुशासन में रहकर बाँध का पानी विकास कार्यों में सहयोगी होता हैं.

इसलिए हमें भी अपने जीवन को टटोलना चाहिए, कि हमारा जीवन अनुशासन के दायरे में हैं अथवा नही. अनुशासन मतलब जीवन के सिद्धांत, नीति नियम, मर्यादाएं, सीमाएं हमारे जीवन में हैं अथवा नही.

यदि है तो हम उनका कितना पालन कर पाते हैं, यदि नही है हम किसी अनुशासन को नही मानते हैं, इन्हें बंधन समझते हैं तो फिर हमारे जीवन की स्थिति कैसी हैं. नीति नियम इसलिए बनाएं जाते हैं ताकि जीवन की ऊर्जा व्यर्थ बर्बाद न हो.

इसका सदुपयोग हो. साधना इसलिए की जाती है और इसके नियम निर्धारित किये जाते हैं, ताकि साधना सही मार्ग पर, सही ढंग से आगे बढ़े और अपने गंतव्य तक पहुच सके.

सिद्धि को प्राप्त हो सके. अन्यथा साधना तो बहुत से लोग शुरू करते हैं लेकिन नियम अनुशासनों के अभाव में भटककर रह जाते हैं.

यह जरुरी नही कि सदैव दूसरों के बने बनाएं अनुशासन पर चला जाए और उनका पालन करते रहा जाए. यदि जीवन में कुछ विशेष करना हैं तो अपने जीवन का अनुशासन हमें स्वयं बनाना होगा और उसका पालन करना होगा.

परमपूज्य गुरुदेव का कहना था कि अनुशासन का पालन करने क्व लिए छोटे छोटे संकल्प ले और उन्हें पूरा करे और इस तरह अपने जीवन में अनुशासन की शुरुआत करे.

  • अनुशासन पर भाषण
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध
  • अनुशासन पर कविता

आशा करता हूँ दोस्तों  Essay on Discipline In Hindi का यह अनुशासन पर निबंध, अनुशासन का महत्व, अनुशासन का अर्थ का लेख आपकों अच्छा लगा होगा.

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Hindi Essays for Class 7: Top 10 Hindi Nibandhs

discipline essay in hindi for class 7

List of popular essays for class 7 students in Hindi language!

स्वावलंबन (आत्म-निर्भरता) पर निबन्ध | Essay on Essay on Self Independent in Hindi

बालक-बालिका एक समान पर निबन्ध | Essay on Boys and Girls are Equal in Hindi

परोपकार पर निबन्ध | Essay on Beneficence in Hindi

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एकता ही बल है पर निबन्ध | Essay on Unity is Strength in Hindi

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 1

स्वावलंबन का अर्थ है – अपने ऊपर आश्रित या निर्भर होना । वे बड़े भाग्यवान हैं जो अपने ऊपर आश्रित हैं । दूसरों की दया पर निर्भर होकर जीने में आनंद नहीं है । पराधीनता में जीना कष्टप्रद है इसमें दुख ही दुख है ।

कहा भी गया है – ‘पराधीन सुख सपनेहुँ नाहीं ।’ पराधीनता स्वप्न में भी सुखदायी नहीं है । जेल की चारदीवारी में कैदियों को कोई खास काम नहीं करना पड़ता । उन्हें भोजन भी मुफ्त का और ठीक-ठाक मिलता है । पर कैदी कैदखाने में नहीं रहना चाहता क्योंकि वहाँ किसी प्रकार की आजादी नहीं है ।

पिंजड़े में बद पक्षी की भी यही दशा है – ‘कहीं भली है कटुक निबोरी, कनक कटोरी की मैदा से ।’ अर्थात् दूसरों की अधीनता में सुख की कल्पना भी बेकार है । इसीलिए हम लोग स्वावलंबी होना चाहते हैं आ स्वावलंबन आत्मा की पुकार है ।

यह मनुष्य को आत्म-निर्भर बनाता ही है उसे जीवन में कुछ नेक कार्य करने के लिए भी प्रेरित करता है । गाँधी जी इसीलिए चाहते थे कि भारत के गाँव स्वावलंबी बनें । ग्रामवासी अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए शहरों की ओर कातर दृष्टि से न देखें ।

परंतु यह न हो सका । नतीजे में भारत के गाँव अभी भी पिछड़े हुए हैं । ग्रामवासियों को रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है । व्यक्ति और गाँव की तरह देश का भी स्वावलंबी होना आवश्यक है । स्वतंत्रता के बाद दो-तीन दशकों तक राष्ट्र अपने लोगों के लिए खाने भर अनाज भी पैदा नहीं कर सकता था ।

कृषि प्रधान देश भारत की इस दीन-हीन दशा का दुनिया में मजाक उड़ाया जाता था । आज हम खाद्यान्नों के मामले में आत्म-निर्भर हैं । आज हमारे देश में इंजीनियरों, डॉक्टरों तथा तकनीकी पेशे से जुड़े विशेषज्ञों की कोई कमी नहीं है ।

हम अनेक क्षेत्रों में स्वावलंबी हैं । हम दुनिया के परमाणु शक्ति-संपन्न अग्रणी राष्ट्रों में से एक हैं । सूई से लेकर हवाई जहाज तक कुदाल से लेकर हैक्टर तक हम अपने ही देश में बना सकते हैं । स्वावलंबन का गुण मनुष्य को महान बनाता है । यह गुण अपने साथ धैर्य, संतोष, आत्मविश्वास, साहस आदि गुणों को भी समाविष्ट करता है ।

प्रत्येक कार्य में दूसरों पर निर्भरता बुरी चीज है । इससे आत्मा का नाश होता है । वे व्यक्ति जो स्वावलंबन के गुण का महत्व नहीं समझते वे अपनी स्थिति दयनीय बना लेते हैं । स्वावलंब हमें सुख शांति और समृद्धि प्रदान करता है कर्महीन यह नहीं जानते ।

स्वावलंबी व्यक्ति समाज के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है । वह आवश्यकता पड़ने पर जरूरतमंदों की मदद कर सकता है । उसका आत्म-विश्वास उसे किसी भी स्थिति को अपने मनोनुकूल बनाने की प्रेरणा देता रहता है । स्वावलंबन का अर्थ यह नहीं कि हम सब काम अपने हाथों से ही करें ।

समाज में श्रम-विभाजन के बिना काम नहीं चलाया जा सकता श्रम-विभाजन आवश्यक है । स्वावलंबन से तात्पर्य इतना ही है कि हम दूसरों पर उस हद तक आश्रित न हों कि हमारे दैनिक कार्य ही रुक जाएँ । अपने ऊपर इतना विश्वास होना चाहिए कि प्रतिबंधात्मक स्थितियों में भी हमारा काम नहीं रुक सकता ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 2

किसी भी देश या प्रांत में प्रति हजार लड़कों के अनुपात में कितनी लड़कियाँ हैं, इसी को लिंगानुपात कहा जाता है । यह अनुपात लगभग समान होना चाहिए । परंतु प्रति हजार बालकों पर यदि बालिकाओं की संख्या नौ सौ या इससे कम हो जाए तो मामला चिंताजनक स्तर तक पहुँच जाता है ।

हमारे देश में भी ऐसी ही चिंताजनक स्थिति बन गई है । हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और देश के कई प्रांतों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या चिंताजनक सीमा से भी काफी कम है । आखिर ऐसा क्यों है कि बालिकाओं की तुलना में बालकों की संख्या अधिक है ? इसके कारण स्पष्ट हैं ।

हमारे समाज में बालकों को बालिकाओं से श्रेष्ठ समझा जाता है । अभिभावक सोचते हैं कि लड़का होगा तो बुढ़ापे में सेवा करेगा जीवन भर सुख देगा । हिंदुओं की धारणा है कि पुत्र माता-पिता को संसार से तारता है मोक्ष प्रदान करवाता है । दूसरी ओर बालिकाओं के बारे में यह धारणा है कि ये पराया धन होती हैं ।

बालिकाओं की शादी में दिया जाने वाला दहेज भी माता-पिता को लड़कियों को एक बोझ मानने पर विवश कर देता है । अभिभावकों के मन में बेटों की चाह इतनी होती है कि कई लड़कियाँ गर्भ में ही मार दी जाती हैं । अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक तकनीकों से गर्भ के लिंग के बारे में पता चल जाता है और लड़कियाँ गलत धारणाओं की भेंट चढ़ जाती हैं ।

आज का युग पहले जैसा नहीं रह गया है । आज बालिकाएँ भी पट्ट-लिखकर बूढ़े माँ-बाप का सहारा बन सकती हैं । ऐसा भी देखा गया है कि बेटों द्वारा परित्यक्त माँ-बाप की सेवा-सुश्रुषा बेटियाँ करती हैं । आज की लड़कियाँ धार्मिक एवं सामाजिक उद्देश्यों को भली-भांति पूरा कर सकती हैं ।

आज की शिक्षित नारियाँ डॉक्टर, इंजीनियर, आरक्षी, वकील, अंतरिक्ष यात्री, खिलाड़ी, समाज सेविका, नर्स, राजनीतिज्ञ, अभिनेत्री आदि कुछ भी बन सकती हैं । नर्स और अध्यापिका के रूप में तो उनका विकल्प ही नहीं है । फिर क्यों यह भेद-भाव और लैंगिक असमानता ? क्यों वह समाज में उपेक्षित है ?

लड़कियों का अनुपात घटना यह सिद्ध करता है कि शिक्षित समाज भी अपने संकीर्ण मानसिक दायरे से नहीं निकल पाया है । यह असंतुलन भविष्य के लिए खतरे की घंटी है । इसका दुष्प्रभाव अभी से दिखाई पड़ रहा है । कई प्रांतों के युवक इसलिए कुँवारे हैं क्योंकि विवाह योग्य युवतियाँ नहीं मिल रही हैं ।

आज की लड़कियाँ ही तो कल बड़ी होकर माँ बनती हैं । क्या हम ऐसी दुनिया या समाज की कल्पना कर सकते हैं जहाँ केवल लड़के हों, लड़कियाँ नहीं ? बालक और बालिका में किसी भी तरह का भेदभाव अमानवीय है । हमें दोनों को एक समान समझना चाहिए ।

इसी से लिंगानुपात को सुधारा जा सकेगा । हमें गर्भ में ही लड़कियों को मारने की कुप्रथा को दंडात्मक नीति अपनाकर समाप्त करना होगा । यदि इस स्थिति को अभी न सँभाला गया तो भविष्य की परेशानियाँ कहीं बड़ी होंगी ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 3

दूसरों के हित के लिए किया गया कार्य परोपकार है । अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर जनसामान्य के कल्याण के लिए किया गया कार्य परोपकार मैं ।

अपनी छोटी-छोटी समस्याओं एवं दु:खों की परवाह न करते हुए नमूह की हित-चिंता करना परोपकार है । परोपकार के कार्यों से ही मनुष्य समाज में प्रशंसित एव सम्मानित होता है । परोपकार यह लोक ही नहीं परलोक भी सुधारता है ।

ऐसे कार्य जो परहित को ध्यान में रखकर किए जाते हैं वे मनुष्य को महान् वनाते हैं । परोपकारी व्यक्ति हर युग में होते हैं । समाज इनका ऋणी होता है । मनुष्य ही नहीं अन्य जीव समुदाय एवं जड़ वस्तु भी परोपकार की भावना से कार्य करते हैं । इन पंक्तियों से इस तथ्य का खुलासा होता है:

”वृक्ष कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर । परमारथ के कारणे साधुन धरा शरीर ।। ”

वृक्ष अपना फल स्वय नहीं खाता, अर्थात् दूसरों के लिए उत्पन्न करता है । नदी कभी भी अपना जल इकट्ठा करके नहीं रखती । प्राणियों के हित के लिए हमेशा प्रवाहमान् रहती है । इसी तरह, परमार्थ के कारण, परोपकार के हेतु साधु पुरुष जन्म ग्रहण करते हैं ।

दुनिया में एक से बढ़कर एक परोपकारी मनुष्य हुए हैं । महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण हेतु अपना शरीर त्याग दिया और अपनी हड्डियाँ दान में दे दीं । गिद्धराज जटायु ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए रावण से सीता को छुड़ाने का प्रयत्न किया ।

सुकरात ने प्याले में भरा विष पी लिया । भगवान कृष्ण ने आजीवन परोपकार की दृष्टि से अनेक कार्य किए । राम ने राक्षसों को मारकर विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की । ईसा मसीह जनहितार्थ सूली पर चढ़ गए । परोपकारी व्यक्तियों के कारण ही सत्य, धर्म और संस्कृति की रक्षा हो सकी है ।

जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जो परोपकार की दृष्टि से किए जाते हैं । पहले धनी-मानी लोग कुएँ-तालाब खुदवाते थे, राहगीरों के लिए छायादार वृक्ष लगवाते थे । स्थान-स्थान पर धर्मशालाएँ बनवाई जाती थीं ताकि यात्रियों को ठहरने में सुविधा हो ।

आज भी लोग परोपकार के कार्यों में अपना योगदान देते हैं । प्राकृतिक विपत्तियों में फँसे लोगों की मदद के लिए आगे आना परोपकार ही है । भयंकर लू में लोगों के लिए पेय जल की व्यवस्था करना परोपकार ही है । निरक्षरों को शिक्षित बनाना, पेड़-पौधे लगाना, आस-पड़ोस को साफ-सुथरा रखना, भूखों को भोजन कराना आदि कार्य परोपकार की श्रेणी में आते हैं ।

परंतु परोपकार किसी लाभ की प्राप्ति के उद्देश्य से नहीं करना चाहिए । उपकार करके प्रत्युपकार की आशा न रखना ही सही मायने में परोपकार है । आजकल परोपकारी व्यक्तियों की संख्या में कमी आ गई है । इसका कारण समाज में स्वार्थ भावना में वृद्धि है ।

यही कारण है कि सड़क पर पड़े घायल व्यक्ति की सहायता के लिए कोई आगे नहीं आना चाहता । पड़ोसी के घर चूल्हा जले न जले, अपने घर पकवान जरूर बनना चाहिए, यह भावना हमारा उद्धार नहीं कर सकती । जिस शरीर से लोगों का कल्याण न हुआ, वह बेकार और अनुपयोगी है ।

कबीरदास जी कहते हैं:

“बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं फल लागै अति दूर ।”

बड़े खजूर से कहीं अच्छा वह तृण है जिसे खाकर पशु अपना पेट भरते हैं । परोपकार की भावना से ओत-प्रोत कवि तुलसीदास जी कहते है

परहित सरिस धर्म नहिं भाई , पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।

परोपकार के समान दूसरा कोई धर्म नहीं है । अर्थात् परोपकार सबसे बड़ा धर्म है और दूसरों को कष्ट देने से बड़ा कोई पाप, कोई दुष्टता नहीं है । अत: हमें परोपकार की भावना को अपने जीवन में धारण करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 4

मौसम कभी भी एक जैसा नहीं रहता है । यह परिवर्तित होता रहता है । मौसम के साथ-साथ ऋतुएँ भी बदलती हैं । शीत ऋतु के बाद बसंत की सुहानी ऋतु आती है ।

बसंत ऋतु के बाद प्रचंड गरमी की ऋतु ग्रीष्म ऋतु आती है । हालाँकि कुछ हद तक यह कष्टदायक ऋतु है परंतु इस ऋतु का भी अपना एक आनंद, एक अलग सौंदर्य है । ग्रीष्म ऋतु अप्रैल माह से आरंभ होकर जून-जुलाई तक चलती है । इस ऋतु में पर्णपाती वृक्षों की पत्तियाँ गिर जाती हैं ।

इसलिए इसे पतझड़ ऋतु भी कहते हैं । गरमी इतनी पड़ती है कि दोपहर में घर से निकलना कठिन हो जाता है । जैसे-जैसे दिन अत्मे बढ़ता है प्रखर सूर्य रश्मियों क्य प्रकोप बढ़ता जाता है । दोपहर के तीन-चार घंटे बड़े कष्टदायक प्रतीत होते हैं । लोग घर से बाहर सिर पर टोपी, पगड़ी डालकर या छाता लेकर निकलते हैं ।

त्वचा झुलसने लगती है । शारीरिक श्रम करने वाले पसीने से नहा जाते हैं । इस ऋतु में संध्या क्य समय कुछ सुखदायी होता है । लोग घर, आँगन, छत में जल छिड़ककर राहत महसूस करते हैं । रात्रिकाल में भी काफी उमस होती है । सभी खुली छत पर या कमरे में पंखा-कूलर चला कर सोते हैं ।

गरमियों के दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं । ऐसे में कष्टदायक दिन काम बहुतों के लिए कठिन होता है । इसीलिए घरों, दुकानों तथा दफ्तरों में पंखा, कूलर या वातानुकूलित संयंत्र लगाए जाते हैं । इस ऋतु में पानी को ठंडा रखने के लिए हम घड़ा, सुराही, फ्रिज आदि का प्रयोग करते हैं ।

ठंडे पेय पदार्थ, लस्सी, शरबत आदि अत्यंत प्रिय लगते हैं । इस ऋतु में आम, लीची, खीरा, ककड़ी आदि फल-सब्जियाँ तृप्तिदायक होती हैं । ग्रीष्म ऋतु को गरीबों की ऋतु कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में बहुत कम वस्त्रों से भी काम चल जाता है ।

इस ऋतु में सूती वस्त्र बहुत उपयोगी होते हैं जो हमें लू के थपेड़ों से बचाते हैं । कभी-कभी आँधी तूफान भी आते हैं और धूल-भरी हवाएँ आसमान में छा जाती हैं । आसमान लोहित हो जाता है । पर जब वायु जरा भी हिलती-दुलती नहीं तो उमस बढ़ जाती है ।

ग्रीष्म ऋतु में जल का महत्त्व बढ़ जाता है । प्यासे लोग, प्यासी भूमि, प्यासे पशु-पक्षी और झुलसे हुए पेड़-पौधे सभी जल की माँग करते हैं । धन्य है वह किसान जो इस ऋतु में भी फसलों की सिंचाई करता है । वे स्त्रियाँ भी धन्य हैं जो मटके लेकर मीलों जल भरने जाती हैं । सरोवर ताल-तलैया, कुएँ, बावड़ियों, झील, नदियाँ सभी इस ऋतु में सूखने लगती हैं ।

भूमि का जल-स्तर काफी नीचे चला जाता है । प्यासी धरती, आकुल लोग, पशु-पक्षी सब आसमान की ओर निहारने लगते हैं । मयूर भी यह आस लगाए रहता है कि वर्षा हो और मैं नृत्य करूँ । कवि ने कविता के माध्यम से ग्रीष्म ऋतु का वर्णन इस प्रकार किया है:

”सूरज तपता धरती जलती गरम हवा जोरों से चलती । तन से बहुत पसीना बहता हाथ सभी के पंखा रहता । आ रे बादल काले बादल लो घनघोर घटा रे बादल । ”

लोगों की आकांक्षा रहती है कि बादल छाए, बरसे और राहत दे । पर ग्रीष्म ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं । जब धरती तपेगी ताप से समुद्र का जल सुखेगा तभी तो वर्षा होगी । अच्छा मानसून आए इसके लिए अच्छी गरमी आवश्यक है ।

सब्जियों एवंग फलों की विविधता की दृष्टि से भी यह उत्तम ऋतु है । लौकी, खीरा, तरबूज, बेल, आम, पुदीना, भिंडी, करेला, परवल, हरे शाक आदि कितनी ही प्रिय वस्तुएँ ग्रीष्म ऋतु की देन हैं । हमें हर मौसम हर ऋतु का आनंद उठाना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 5

सत्संगति का अर्थ है – अच्छी संगति । अच्छे लोगों का साथ सत्संगति है । बुरे लोगों का साथ कुसंगति है । भले लोगों की संगति में जो सुख और आनद है वह कुसंगति में नहीं है ।

विद्वानों, संतों, साधुओं और सदाचारी व्यक्तियों के संपर्क में रहना सत्संगति है । अच्छी संगति में रहने के बहुत से लाभ हैं । यदि हमारा साथ अच्छे लोगों से है तो इससे हमारा चारित्रिक विकास होगा । हम सज्जनों के गुणों का अनुसरण करके आत्म-कल्याण की ओर प्रवृत्त होंगे ।

उनके आचरण का प्रभाव हमारे ऊपर अवश्य पड़ेगा । इसीलिए तो लोग साधु-संतों की शरण में जाते हैं उनके प्रवचन सुनते हैं उनके गुणों का अनुशीलन करते हैं । सत्संगति के प्रभाव से दुर्जन व्यक्ति भी सज्जन बन जाता है । जब अंगुलिमाल नामक दुर्दांत हत्यारा भगवान् बुद्ध के संपर्क में आया तो वह सुधर गया । तुलसीदास जी कहते हैं –

सठ सुधरहिं सत्संगति पाई । पारस परसि कुधातु सुहाई ।

अर्थात् जिस प्रकार पारसमणि के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है उसी प्रकार सत्संगति के प्रभाव से दुष्ट मनुष्य सुधर जाता है । इसलिए समझदार लोग सज्जनों के संपर्क में रहते हैं । जब व्यक्ति कुसंगति में पड़ता है तो उसका पतन निश्चित हो जाता है ।

कुसंगति काजल की कोठरी के समान है जहाँ से गुजरने पर कालिख लग ही जाती है । नशे की लत कुसंगति के कारण ही लगती है । शराबी जुआरी अपराधी आदि जन्म से ही नीच कार्य नहीं करते, बुरे लोगों का साथ ही उन्हें इन कार्यों को करने के लिए विवश करता है । गंदे नालों से जुड़कर ही नदियाँ अपवित्र और प्रदूषित होती हैं ।

अत: हमें कुसंगति से बचना चाहिए और महापुरुषों, विद्वानों और भले व्यक्तियों की संगति में रहना चाहिए । सत्संगति से बुद्धि का विकास होता है, गलत धारणाएं मिटती हैं । मन-प्राणों में सुगंध उठती है वाणी में मधुरता और निष्कपटता आती है । सत्संगति उन्नति का द्वार खोल देती है । यह आत्म-शुद्धि का सरल मार्ग है ।

अच्छे लोगों की संगति मनुष्य को महान बनाती है । बूँद समुद्र में मिलकर अपार जलराशि का रूप ले लेती है । क्षुद्र नदी-नाले गंगा जी में मिलकर अपनी मलिनता खो देते हैं । रामकृष्ण परमहंस की संगति में साधारण से व्यक्ति नरेंद्र स्वामी विवेकानंद बन गए ।

वानर-भालू, प्रभु राम से मित्रता कर इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम लिखा गए । बालक चद्रगुप्त नीति निपुण चाणक्य का शिष्य बनकर महान् सम्राट बन गया । गाँधी जी के संपर्क में आकर हजारों व्यक्तियों ने आत्म-सुधार की दिशा में अपने कदम बढ़ाने आरंभ कर दिए ।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । उसे अच्छे या बुरे लोगों के साथ में रहना ही पड़ता है । हमें चाहिए कि हम अच्छे लोगों को अपना साथी बनाएँ । यदि हमारा साथ भले लोगों से होगा तो हम कुसंगति से बचे रह सकते हैं ।

जिस प्रकार कि एक सड़ा आम या सेब पूरी टोकरी के फलों सड़ाने लगता है उसी प्रकार एक असज्जन कई सज्जनों को भी अपने जैसा बनाने का प्रयास करता है । अत: व्यक्ति को हमेशा श्रेष्ठ मनुष्यों का ही संग करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 6

युग सदैव एक-सा नहीं रहता । युग के अनुसार लोगों की आवश्यकताएँ एवं मान्यताएँ बदल जाती हैं । परिवार का आकार छोटा हो या बड़ा इस संबंध में भी युग के अनुसार विचार करना पड़ता है ।

किसी समय बड़े परिवार की कल्पना की गई थी क्योंकि देश की आबादी कम थी । आज छोटे परिवार को आदर्श माना जाता है क्योंकि हमारे देश की आबादी आवश्यकता से कहीं अधिक है । आज लगभग जनसख्या विस्फोट की स्थिति है । सन् 1950 में भारत की आबादी लगभग तीस करोड़ थी ।

आज हम सौ करोड़ का कड़ा पार कर चुके हैं । सन् 2011 तक हमारी आबादी एक सौ पद्रह करोड़ के आस-पास हो जाएगी । सन् 2035 तक हम चीन से भी आगे निकल सकते हैं । ऐसे में छोटे परिवार की महत्ता काफी बढ़ गई है । छोटे परिवार की कल्पना अब संभव है क्योंकि आज महामारियों पर नियंत्रण पाया जा सका है ।

दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हुआ है । बाल मृत्यु दर में निरंतर कमी आती जा रही है । आज एक या दो संतानों वाला परिवार अधिक सुखी है क्योंकि अभिभावक अपनी एक या दो संतानों को शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएँ प्रदान कर सकते हैं ।

यदि परिवार बड़ा हो तो उपलब्ध साधनों का बँटवारा हो जाता है, हरेक सदस्य को थोड़ा-थोड़ा ही मिल पाता है । ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ के बारे में लोगों के विचार सकारात्मक होने लगे हैं । समझदार और शिक्षित व्यक्ति अपने परिवार को सीमित रखने का प्रयास करता है । वह जानता है कि अधिक बच्चे हुए तो उनके लालन-पालन में कठिनाई आएगी ।

अधिक संतानों के लिए भोजन, वस्त्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधा आएगी । वह समझता है कि अधिक बच्चे पैदा करने वाली माँएँ कमजोर हो जाती हैं, उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है । आज की शिक्षित स्त्रियाँ छोटे परिवार की खूबियों के प्रति जागरूक हैं ।

छोटे परिवार की महत्ता समझने पर भी हमारे देश की आबादी तेजी से बढ़ रही है । इसका प्रमुख कारण अशिक्षा और निर्धनता है । अशिक्षित व्यक्ति अपना भला नहीं सोच पाता । धर्म की रूढ़ियाँ भी प्रमुख अवरोधक तत्व हैं । गरीबी का दुश्चक्र भी लोगों को बड़े परिवार की ओर उम्मुख करता है ।

समाज और राष्ट्र की खुशहाली इसी में है कि वह छोटे परिवार का महत्व समझे । आज प्रति व्यक्ति आवश्यकताएँ बढ़ रही हैं । सभी को बिजली, पानी, स्वास्थ्यप्रद आवास, क्रीड़ा स्थल, रोजगार और शिक्षा चाहिए । दूध, फल, अनाज और सब्जियों की भी प्रति व्यक्ति उपलब्धता बनाए रखना आवश्यक है ।

दूसरी ओर वन पेड़-पौधे जल भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों का अभाव होता जा रहा है । अत: समझदारी इसी में है कि हम अपना परिवार छोटा रखें । परिवार का छोटा आकार हमारी खुशहाली के लिए अत्यंत आवश्यक है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 7

भारत में प्रमुखतया तीन ऋतुएँ वसंत, शीत और ग्रीष्म हैं । इनमें से बसंत को ऋतुओं का राजा या ऋतुराज कहा जाता है । दुनिया के बहुत कम देशों में बसंत ऋतु के दर्शन होते हैं । भारत एक ऐसा देश है जहाँ ऋतुराज बसंत की अपूर्व छटा के दर्शन होते हैं ।

बसंत को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि इस ऋतु में प्रकृति का रंग-रूप पूरी तरह निखरा होता है । इसका आगमन कड़ाके की शीत ऋतु के बाद होता है । बसंत के आगमन के साथ ही प्रकृति और मौसम का मिजाज परिवर्तित होने लगता है ।

चारों ओर का मौसम स्वर्णिम एवं गुलाबी होने लगता है । प्रकृति सुंदर मनमोहक एवं आकर्षक प्रतीत होती है । शीत ऋतु के प्रभाव से आहत वनस्पतियाँ पत्तों एव फूलों के रूप में नए-नए परिधानों से युक्त सुहावने प्रतीत होते हैं ।

खेतों में सरसों के फूल खिल उठते हैं गेहूँ की सुनहरी बालियाँ निकल आती हैं । फूली सरसों का रंग बहुत आकर्षक लगता है जैसे प्रकृति ने पीली चादर ओढ़ ली हो । लताएँ वृक्षों से लिपट कर झूमने लगती हैं । हल्की गरमाहट लिए मंद-मंद बहती वायु नव-विकसित पुष्पों आम्र मंजरियों की भीनी-मधुर सुगंध लिए वातावरण में घुल-मिल जाती है ।

यह सुंगधित वायु मनुष्यों एव जीव-जंतुओं के तन-मन में प्रवेश कर जाती है । खेत-खलिहानों मैदानों एवं बागों में मखमली घास बिछी होती है । घास पर पड़ी ओस की बूँदों के स्पर्श से तलबों में सुखद अनुभूति होती है । उस पर आम के डाल पर बैठी कोयल की पंचम स्वर में ऐसी कूक उठती है कि तन-मन प्रसन्न हो उठता है ।

बच्चे, युवा, वृद्ध सभी उम्र का बंधन तोड़कर बासंती सौंदर्य को निहारने लगते हैं । हालाकि जैसे-जैसे देश का शहरीकरण होता जा रहा है बसंत का मादक प्रभाव भी कहीं खोता जा रहा है । बसंत कब आया और कब चला गया किसी को पता नहीं चल पाता है । परंतु बसंत तो आता है ।

गाँवों में, बाग-बगीचों में, खेतों में और यहाँ तक कि प्रकृति प्रेमियों के लिए महानगरों में भी आता है । जहाँ भी बाग-बगीचे हैं पेड़ हैं लता-कुंज हैं वहाँ बसंत अवश्य आता है । गेंदा, गुलाब, सूरजमुखी, पलास आदि के फूल कहाँ नहीं खिलते । बसंती हवा किसी के साथ भेदभाव नहीं करती ।

वह जहाँ से गुजरती है अपना मादक प्रभाव छोड़ जाती है । बसंत ऋतु पर्व-त्योहारों की भी ऋतु है । हमारा प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार ‘गणतंत्र दिवस’ इसी ऋतु के आरंभ काल में मनाया जाता है । देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह को खुशनुमा बनाने में खुले दिन वाले सुनहरे मौसम का बहुत बड़ा योगदान होता है ।

लगभग इसी समय में बसंत पंचमी का त्योहार आता है । लोग वीणापाणी माँ सरस्वती की पूजा-आराधना में जुट जाते हैं । सरस्वती पूजन समारोह एवं वसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले मेले वासंती रंग में रंग जाते हैं । युवतियाँ धनी एवं पीले वस्त्र धारण कर वसत की शोभा में चार चाँद लगा देती हैं ।

ऐसा लगता है जैसे वसंत सजीव होकर इधर-उधर डॉल रहा हो । फिर आता है मदमस्त होली का त्योहार । वसंत ऋतु स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बड़ी हितकारी ऋतु है । इस ऋतु में असाध्य रोगी भी स्वस्थ होने लगते हैं । सामान्य जनों को भी सरदी-ज्वर आदि नहीं होता ।

इस समशीतोष्ण ऋतु में सभी नाचते-गाते और आनंदित होते हैं । गाँवों में ढोल-नगाड़े बज उठते हैं । होली के गीतों की थिरकन से जन-समूह उत्साहित हो उठता है । बसंत का गुणगान करने के लिए कवि की लेखनी चल पड़ती है ।

बसंत में कुछ भी असुंदर नहीं होता । यह ऋतु हमें प्रकृति सौंदर्य से परिचित कराती है । यह मानव को दु:ख-पीड़ा से निकलकर आनंदित होने क्य अवसर प्रदान करती है । पर मानव है कि प्रकृति विनाश के कार्यों में लगा हुआ है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 8

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । समाज से उसका अंतरंग रिश्ता है । मनुष्य के जन्म के समय सामाजिक उत्सव तथा मृत्यु के समय सामाजिक शोक मनाया जाता है । बच्चा समाज के अन्य हमउम्र सदस्यों के साथ खेलता है पढ़ता-लिखता है ।

जन्मदिन, विवाह आदि अवसरों पर समाज की भागीदारी प्रमुख होती है । संकटकाल में भी समाज ही सहायक होता है । यदि समाज इतना महत्त्वपूर्ण है तो समाजिक उत्थान का कार्य भी बहुत आवश्यक है । समाज की भलाई के लिए जो कार्य किए जाते हैं इन्हें हम समाज सेवा कहते हैं ।

समाज सेवा राष्ट्र सेवा का ही अंग है । बिनोवा जी ने भूदान आंदोलन चलाकर महान समाज सेवा की । करोड़ों ग्रामीण ऐसे थे जिनके पास कृषि-भूमि का एक टुकड़ा न था और कुछ लोग ऐसे थे जिनके पास सौ-पचास एकड़ भूमि थी । भूदान आदोलन के द्वारा यह भारी अंतर पाटने का प्रयास किया गया ।

उन्नीसवीं शताब्दी में राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा बाल विवाह आदि कुप्रथाओं को समाप्त करने में समाज की बड़ी सहायता की थी । मुगलकाल में तुलसीदास जी ने अपने अमर काव्यों के माध्यम से हिंदुओं के बीच सामाजिक चेतना लाने का सफल प्रयास किया ।

कबीरदास जी ने सीधे-सादे विचारों के माध्यम से धर्म की कुरीतियों पर आघात किया । उनके प्रयासों से हिंदुओं और मुसलमानों में सामाजिक एकता की स्थापना हुई । मनुष्य जो कुछ भी ग्रहण करता है वह सब समाज की देन है । अत: हमारा कर्त्तव्य है कि हम समाज की सेवा नि:स्वार्थ भाव से करें ।

आज भी हमारे देश में कई तरह की सामाजिक समस्याएँ हैं । दहेज प्रथा अशिक्षा निर्धनता नशाखोरी आदि समस्याएँ हमें अंदर ही अंदर खोखला कर रही हैं । हमारी सामाजिक मान्यताएँ भी बदल रही हैं । आज का आदमी पहले से कहीं अधिक स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो गया है ।

समाज में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं । सामाजिक अपराध का ग्राफ भी ऊँचा होता जा रहा है । ऐसे में समाज सेवकों का उत्तरदायित्व पहले से कहीं अधिक हो गया । समाज सेवा का दायरा विस्तृत है । बाल मजूदरी का अंत, स्त्री शिक्षा, निर्धन व्यक्तियों के लिए रोजगार का प्रबंध, बेसहारा महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाना आदि कार्य समाज सेवा के कार्य हैं ।

हमारे देश के कुछ क्षेत्रों में पेय जल का भारी अभाव है । यहाँ के लोग मीलों चलकर पानी लाते हैं । समाज सेवा के द्वारा ऐसे लोगों की मदद की जा मकती है । अनाथ बच्चों के लिए अनाथाश्रम खोलना, उन्हें शिक्षित करना तथा उन्हें समाज की मुख्य धारा में वापस लाना समाज सेवा है ।

अपनों द्वारा परित्यक्त वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम खोलना विकलांगों के लिए रोजगार के साधन एवं आश्रय स्थल ढूँढ़ना आदि कार्य समाज के प्रति हमारे दायित्व हैं । एड्‌स के प्रसार को रोकने से संबंधित कार्य भी समाज सेवा के अंतर्गत आता है ।

समाज सेवा का कार्य दिखाऊ नहीं होना चाहिए । धन और सम्मान की प्राप्ति के उद्देश्य से किया गया कार्य समाज सेवा नहीं है । समाज सेवा परोपकार की भावना से की जानी चाहिए । बीमारों वृद्धों, दलितों, शोषितों और आपदा से पीड़ित लोगों के प्रति जिनके मन में दया नहीं है वह समाज सेवा नहीं कर सकता ।

समाज को अपना समझकर तन, मन और धन से किए गए परोपकार के कार्य समाज सेवा के दायरे में आते हैं । अपने लिए तो सभी जीते हैं, बड़प्पन इसी में है कि हम दूसरों की भलाई के लिए जीएँ । यही मानवता है, यही समाज सेवा है ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 9

वर्षा ऋतु बहुत सुहावनी ऋतु होती है । यह मानव पशु-पक्षी और समस्त जीव समुदाय के लिए आनंददायी ऋतु है । ग्रीष्म ऋतु में जब पेडू-पौधे झुलस जाते हैं तब यह ऋतु उनके लिए जीवनदायी जल लेकर आती है ।

प्यासी धरती की प्यास बुझाने वाली वर्षा ऋतु को ऋतुओं की रानी कहा गया है । वर्षा ऋतु का आरंभ जुलाई मास से होता है । सितंबर में इस ऋतु का अत हो जाता है । इन तीन महीनों में आसमान प्राय: बादलों से घिरा रहता है । धूप और छाया का खेल चलता ही रहता है ।

कुछ दिन वर्षा फिर धूप यह क्रम जब चलता है तो किसानों को धान और मक्के की फसल उगाने में बहुत मदद मिलती है । खेतों में पूरा पानी रहता है तालाब लबालब भर जाते हैं । नदी-नालों में पूरा जल आ जाता है । छोटे-छोटे गड्‌ढों में भी पानी भर आता है ।

किसान वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं । वे खेतों में बीज बोते हैं । धान की फसल के लिए खेत जोते जाते हैं । किसान उसका परिवार खेतिहर मजदूर आदि व्यस्त हो जाते हैं । वे भीगते हुए भी कृषि कार्य करते हैं । गाँवों में वर्षा ऋतु आरंभ होने पर लोक गीत गाए जाते हैं ।

श्रावण मास में शिव-भक्ति की लहर फैल जाती है । काँवरिए गेरुआ वस्त्र धारण कर शिव को जल चढ़ाने निकल पड़ते हैं । ग्रामीण स्त्रियाँ कजरी गीत गाती हैं । वर्षा ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा आम नागरिक भी करते हैं । जब पहली बारिश होती है तो लोगों को भीषण गरमी से राहत मिलती है ।

खुले बदन पहली बारिश का आनंद लेने वाले भी कम नहीं । कभी अंधी-तूफान के साथ वर्षा होती है तो कच्चे मकानों को नुकसान पहुँचता है । अत्यधिक वर्षा से जल-प्लावन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । खेत-खलिहानों मैदानों तथा ऊँची भूमि का पानी नदी-नालों में जमा होने लगता है ।

कई नदियों में बाढ़ आ जाती है । नदी का पानी तटबंध फसलों को नुकसान पहुँचाता है । बाद का पानी आबादी वाले स्थानों में घुसकर भयंकर तबाही मचाता है । बाद से जान-माल की भारी क्षति होती है । सड़कें टूट जाती हैं, यातायात व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है ।

टेलीफोन बिजली आदि के खंभे गिर जाते हैं । कभी जब बादल फटते हैं तब भी काफी नुकसान हो जाता है । वर्षा में गंदे जल के जमाव से मच्छरों, मक्खियों एवं तरह-तरह के कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है । इस ऋतु में पेय जल अस्वच्छ हो जाता है ।

प्रदूषित जल पीने से तथा मच्छरों आदि के काटने से कई प्रकार के संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है । गली-कूचों और गिन में कीचड़ हो जाता है । कच्ची गलियों एवं सड़कों पर चलना कठिन हो जाता है । सड़कों पर भी जल-निकास की उचित व्यवस्था न होने से पानी भर आता है ।

कुछ खामियों और परेशानियों के बावजूद वर्षा ऋतु का स्वागत सर्वत्र किया जाता है । इस ऋतु में पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं । एक कहावत भी है कि सावन के अंधे को सर्वत्र हरा-भरा दिखाई देता है । श्रावणी मास की हरियाली सबका मन मोह लेती है ।

वनों में मोर नृत्य कर वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं । पशुओं के लिए इस ऋतु में हरे चारे की कमी नहीं रहती । प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है । आसमान में यदा-कदा इंद्रधनुष अपनी अछूत छटा बिखेर कर मन को आह्वादित कर देता है ।

मेढक की टर्र-टर्र एवं झींगुर की आवाज से वातावरण गुंजित हो जाता है । साँप भी अपने बिलों से निकल कर हवाखोरी करने लगते हैं । मल्लाह अपनी नौका सँभालकर नदी तट पर आ जाते हैं । बिजली की गड़गड़ाहट और चमक से विरहिणियों का मन डोलने लगता है ।

वर्षा ऋतु का आनंद अनूठा है । इस ऋतु में प्रकृति तरह-तरह की लीलाएँ करती है । हमें इस ऋतु का पूरा आनंद उठाना चाहिए । इस ऋतु में स्वच्छता का पालन अवश्य करना चाहिए । स्वस्थ रहकर ही हम वर्षा ऋतु का पूरा लुल्क उठा सकते हैं ।

Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 10

एकता में बड़ी शक्ति होती है । यदि परिवार में एकता होती है तो उसके सभी सदस्यों का उचित विकास होता है । यदि समाज में एकता होती है तो समाज उन्नति करता है तथा सामाजिक कार्य आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं ।

इसी तरह यदि राष्ट्र के लोगों में एकता होती है तो शत्रु उस राष्ट्र का बाल-बाँका तक नहीं कर पाते । राष्ट्रीय एकता की स्थिति में राष्ट्र का तेजी से विकास होता है । इतिहास गवाह है कि आपसी फूट का फायदा शत्रुओं को मिला है । रावण और विभीषण की आपसी फूट का लाभ राम को मिला ।

जयचंद और पृथ्वीराज की शत्रुता का लाभ मुहम्मद गौरी ने उठाया । सिकंदर ने भारत के राजवंशों के आपसी झगड़े का लाभ उठाकर भारत पर आक्रमण कर दिया । राजपूत राजा आपस में झगड़े तो मुगलों की बन आई । अँगरेजों ने भारतीय राजाओं नवाबों की अनेकता का भरपूर लाभ उठाया और भारत में अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर ली ।

‘फूट डालो और राज करो’ उनकी प्रसिद्ध नीति थी । कांग्रेस में एकता न रही तो देश में अनेक दल बन गए और अंतत: देश का विभाजन हो गया । एकता में असीम बल है । बिखरे हुए लोग किसी बड़े काम को उसके अंजाम तक नहीं पहुँचा सकते ।

कहा भी गया है – ‘अकेला चना भीड़ नहीं फोड़ सकता ।’ यदि सम्मिलित शक्ति से प्रयास किए जाएँ तो असंभव से दिखाई देने वाले कार्य भी पूरे हो सकते हैं । मधुमक्खियाँ एक साथ मिलकर ही मधु संचय कर पाती हैं । सैनिक एकजुट होकर ही शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं । नागरिकों की एकजुटता किसी बड़ी क्रांति को जन्म देती है ।

यहाँ तक कि अपराधी भी दल बाँधकर गिरोह बनाकर अपने बुरे मंसूबे में कामयाब हो जाते हैं । लेकिन हमें एकता को शुभ कार्यो में लगाना चाहिए । ऐसी एकता किसी काम की नहीं जिससे दूसरों का बुरा होता हो । एकता का उद्देश्य शुभ होना चाहिए ।

एकता किसी भी समाज अथवा राष्ट्र के लिए संजीवनी शक्ति है । बड़े-बड़े बाँध, कारखाने, आलीशान महल, नहरें, खनन उद्योग, कृषि एवं औद्योगिक विकास की आधारभूमि राष्ट्रीय एकता है । जब राष्ट्र के लोग मिलकर प्रयास करते हैं तो उनकी समस्याओं का अंत होने लगता है ।

स्वतंत्रता आंदोलन के समय राष्ट्रीय एकजुटता अद्वितीय थी इसलिए हम विदेशियों को बाहर करने में सफल हुए । स्वतंत्रता के बाद हमें कई विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा हमने सभी आक्रमणों का डट कर एकजुट होकर मुकाबला किया । शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर राष्ट्र को उसकी सम्मिलित शक्ति का आभास कराया ।

कारगिल विजय हमारी संगठित शक्ति का प्रतिफल था । अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियाँ तथा भारत का परमाणु शक्ति से संपन्न होना हमारे वैज्ञानिकों के सम्मिलित प्रयासों का ही परिणाम कहा जा सकता है । आज पूरी दुनिया आतंकवाद का मुकाबला मिलकर कर रही है क्योंकि कोई अकेला देश अपने प्रयासों से इस समस्या पर काबू नहीं पा सकता ।

सामाजिक एकता के लिए आवश्यक है कि लोग अपनी-अपनी जिद छोड़े और लक्ष्यों का निर्धारण कर उनके प्रति संकल्पित हो जाएँ । लेकिन ‘अपनी डफली अपना राग’ छेड़ने वाला समाज बिखर जाता है, उनमें फूट पड़ जाती है ।

मजदूर और कर्मचारी अपना सघ बनाकर अपनी माँगे मनवाने में सफल हो जाते हैं । परंतु जब उनमें फूट पड़ती है तो नियोक्ताओं को लाभ होता है । एकता के बल की महिमा अनंत है । जिन्हें यह समझ है, वे अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को सुखी-संपन्न और गौरवान्वित कर सकते हैं ।

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Essay on Discipline for Students and Children

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Essay on Discipline – Discipline is something that keeps each person in control. It motivates a person to progress in life and achieve success . Everyone follow discipline in his/her life in a different form. Besides, everyone has his own prospect of discipline. Some people consider it a part of their life and some don’t. It is the guide that availability directs a person on the right path.

Essay on Discipline

Importance and types of discipline

Without discipline, the life of a person will become dull and inactive. Also, a disciplined person can control and handle the situation of living in a sophisticated way than those who do not.

Moreover, if you have a plan and you want to implement it in your life then you need discipline. It makes things easy for you to handle and ultimately bring success to your life.

If talk about the types of discipline, then they are generally of two types. First one is induced discipline and the second one is self-discipline.

Induced discipline is something that others taught us or we learn by seeing others. While self- discipline comes from within and we learn it on our own self. Self-discipline requires a lot of motivation and support from others.

Above all, following your daily schedule without any mistake is also part of being disciplined.

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The Need for Discipline

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Moreover, the meaning of discipline changes with the stages of life and priority. Not everyone can be disciplined because it requires a lot of hard work and dedication. Also, it needs a positive mind and a healthy body . One has to be strict to discipline so that she/he can successfully complete the road of success.

Advantages of Discipline

The disciple is a staircase by which the person achieve success. It helps a person to focus on his/her goals in life. Also, it does not let him/her derivate from the goal.

Besides, it brings perfection in a person life by training and educating the mind and body of the person to respond to the rules and regulation, which will help him to be an ideal citizen of the society.

If we talk about professional life then, the disciplined person gets more opportunities than the person who is undisciplined. Also, it adds an exceptional dimension to the personality of the individual. Besides, the person leaves a positive impact on the mind of people wherever she/he goes.

In conclusion, we can say that discipline is one of the key elements of anyone’s life. A person can only be successful if she/he strictly live a healthy and disciplined life. Besides, the discipline also helps us in a lot of ways and motivates the person around us to be disciplined. Above all, discipline helps a person to achieve the success that she/he wants in life.

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  10. अनुशासन पर निबंध Essay on Discipline in Hindi (1000W)

    अनुशासन पर 10 लाइन Few Lines about Discipline in Hindi. अनुशासित व्यक्ति आज्ञाकारी होता है।. अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन, 'अनु' का अर्थ है ...

  11. अनुशासन पर निबंध 10 lines 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे

    अनुशासन निबंध 10 पंक्तियाँ (Discipline Essay 10 lines in Hindi) 1) अनुशासन का अर्थ है उचित नियमों और विनियमों के साथ जीवन जीना।. 2) इसमें नियम, विनियम ...

  12. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

    विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ Definition of Student and Discipline in Hindi. अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन। इसका अर्थ होता है कि किसी भी नियम के ...

  13. अनुशासन पर निबंध, लेख, अनुशासन और विद्यार्थी जीवन: discipline essay in

    अनुशासन पर निबंध, easy discipline essay in hindi (100 शब्द) हर किसी के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। अनुशासन के बिना कोई सुखी जीवन नहीं जी सकता। यह कुछ नियमों और ...

  14. अनुशासन पर निबंध

    अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi: व्यक्तिगत स्तर पर अनुशासन आत्म-नियंत्रण विकसित करने में बेहद मदद करता है, जिससे व्यक्ति वर्तमान संतुष्टि का विरोध कर ...

  15. अनुशासन पर निबंध

    Essay on Discipline in Hindi 350 Words. अनुशासन किसी व्यक्ति या संस्था के सफल भविष्य निर्माण कर सकता है अगर अनुशासन नहीं होगा तो भविष्य का निर्माण कभी भी ...

  16. अनुशासन पर अनुच्छेद

    अनुशासन पर अनुच्छेद | Paragraph on Discipline in Hindi! अनुशासन का अर्थ है शासन को मानना या शासन का अनुसरण करना । जब हम शासन को मानते हैं तो हमारा जीवन व्यवस्थित हो जाता है ...

  17. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

    ADVERTISEMENTS: विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi! मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण ...

  18. अनुशासन पर निबंध

    अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Essay on Discipline in Hindi) ... Maharashtra Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 Statistics Practice Set 7.5; Maharashtra Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 Financial Planning Problem Set 6;

  19. Student And Discipline Essay In Hindi

    विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध - Essay On Student And Discipline In Hindi रूपरेखा- प्रस्तावना, छात्र-असन्तोष के कारण- (क) असुरक्षित और लक्ष्यहीन भविष्य, (ख) दोषपूर्ण शिक्षा ...

  20. विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध, student and discipline essay in hindi

    सरल शब्दों में, अनुशासन का मतलब कुछ नियमों और विनियमों का पालन करना है। छात्रों के जीवन में अनुशासन बहुत आवश्यक है। हम एक सफल छात्र की कल्पना भी नहीं कर ...

  21. अनुशासन का महत्व पर निबंध Essay on Discipline In Hindi

    अनुशासन का महत्व पर निबंध Essay on Discipline In Hindi: सभी के जीवन में अनुशासन अत्यंत आवश्यक हैं. अनुशासन जीवन को संयमित एवं नियंत्रित करता हैं.

  22. Hindi Essays for Class 7: Top 10 Hindi Nibandhs

    Hindi Nibandh for Class 7 (Essay) # 10. एकता ही बल है पर निबन्ध | Essay on Unity is Strength in Hindi. एकता में बड़ी शक्ति होती है । यदि परिवार में एकता होती है तो उसके सभी सदस्यों का ...

  23. Essay on Discipline for Students and Children

    500+ Words Essay on Discipline. Essay on Discipline - Discipline is something that keeps each person in control. It motivates a person to progress in life and achieve success. Everyone follow discipline in his/her life in a different form. Besides, everyone has his own prospect of discipline. Some people consider it a part of their life and ...