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पर्यावरण के मुद्दें और जागरूकता पर निबंध (Environmental Issues and Awareness Essay in Hindi)

पर्यावरण के मुद्दें और जागरूकता

आधुनिक तकनीकी संसार में बहुत से पर्यावरण के मुद्दें हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और दिनचर्या को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। पर्यावरण के सभी मुद्दों को इस ग्रह के सभी व्यक्तियों के प्रयासों के द्वारा तत्काल आधार पर सुलझाने की आवश्यकता है। सामान्य जनता विशेषरुप से युवाओं (क्योंकि वो स्थिति को बेहतर समझते और संभाल सकते है) के बीच में जागरुकता को बढ़ावा देना बहुत आवश्यक है।

निबंध लेखन प्रतियोगिता बहुत आम है जिसे स्कूल के कैंपस या कैंपस के बाहर विद्यालय के प्राधिकरी या सरकार के द्वारा, छात्रों की एक विशेष विषय पर जागरुकता में सुधार के साथ ही ज्ञान में वृद्धि के लिये आयोजित किया जाता है। हमने छात्रों की मदद के लिये पर्यावरण के मुद्दों पर बहुत से निबंध उपलब्ध कराये हैं। उनमें से कुछ विषय है जैसे: पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग, जनसंख्या, वनों की कटाई, जल प्रदूषण आदि।

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essay on environmental issues in hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
  • Essay in Hindi

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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण पर निबंध – 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

essay on environmental issues in hindi

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण का अर्थ है एक ऐसा परिवेश जहां हम मिलते हैं, हम रहते हैं और हम सांस लेते हैं। यह जीवित प्राणियों के लिए बुनियादी आवश्यक चीजों में से एक है। पर्यावरण शब्द में सभी जैविक और अजैविक चीजें शामिल हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं। Essay on Environment यह हवा, पानी, भोजन और भूमि जैसी मूलभूत चीजें प्रदान करता है जो हमारी भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिया गया एक उपहार है जो मानव जीवन को पोषित करने में मदद करता है।

पर्यावरण का महत्व  (Importance of Environment)

  • यह जीवित चीजों को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने में एक जोरदार भूमिका निभाता है।
  • यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह भोजन, आश्रय, वायु प्रदान करता है और मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इस वातावरण के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi)

  • हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
  • पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखना सभी का दायित्व है।
  • सभी जीवित और निर्जीव जीव पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
  • वृक्षारोपण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, प्रदूषण कम करने और जागरूकता पैदा करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
  • एक स्वस्थ वातावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
  • हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ के नाम से जाना जाता है। फिर फिर, यह एकमात्र ऐसा है जो जीवन को बनाए रखता है।
  • पर्यावरण प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
  • पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली किसी भी गतिविधि में कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
  • सभी को यह मानना ​​चाहिए कि पौधों और पेड़ों को बचाना उनका कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।
  • प्रकृतिक वातावरण
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  • सामाजिक वातावरण

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पर्यावरण पर निबंध 100 शब्द (Essay On Environment 100 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण वह परिस्थिति है जिसमें पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधन रहने के अनुकूल होते हैं। मनुष्य, जानवर, पेड़, महासागर, चट्टानें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन हैं और मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वे एक जीव के लिए रहने की स्थिति प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण को भौतिक और जैविक में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल), और स्थलमंडल (ठोस) शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में मनुष्य जैसे सभी जीवित प्राणी शामिल हैं। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए इन दोनों श्रेणियों की एक साथ आवश्यकता है। इनमें से किसी भी श्रेणी के अभाव में पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अवसर नहीं होगा।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द (Essay On Environment 150 Words in Hindi)

वह परिवेश जिसमें पृथ्वी पर जीवन मौजूद है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में हवा, पानी, सूरज की रोशनी, पेड़, जानवर और इंसान शामिल हैं। वे पृथ्वी के जीवित और निर्जीव प्राणी हैं। पेड़, मनुष्य और जानवर जीवित जीव हैं। सूर्य, जल और वायु निर्जीव जीव हैं जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक प्राणी एक दूसरे के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है। उदाहरण के लिए, हिरण एक प्राकृतिक संसाधन है जिसे शेर खा सकता है। इन प्राकृतिक संसाधनों में से किसी एक के अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो पाएगा।

हालांकि, पर्यावरण में वायुमंडल और जलमंडल के घटक होते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसें मौजूद हैं। जलमंडल सभी जल निकायों को कवर करता है, प्रत्येक जीवित प्राणी इन घटकों की विशेषताओं के अनुसार बनाया गया है। उदाहरण के लिए, जलीय जंतु पानी के भीतर सांस लेने के लिए बनाए जाते हैं। हवाई जानवर हवा में सांस लेने के लिए बने होते हैं

पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द (Essay On Environment 200 Words in Hindi)

पर्यावरण पृथ्वी का प्राकृतिक परिवेश है जो किसी जीव को जीवित रहने में सक्षम बनाता है। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है। इसमें मनुष्य, पौधे और जानवर जैसे जीवित प्राणी शामिल हैं। वायु, जल और भूमि निर्जीव हैं। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा इस तरह से डिजाइन की गई है कि सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे प्रभावशाली प्राणी है जो पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हो सकता है। उसे सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। न केवल मनुष्य बल्कि पौधों और जानवरों को भी सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। वायु के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होगा। पर्यावरण की बर्बादी के लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है।

पर्यावरण को विभिन्न परतों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल में विभाजित किया गया है। वायुमंडल कई गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बना है। सभी जल निकाय जलमंडल बनाते हैं। लिथोस्फीयर पृथ्वी का आवरण है जो चट्टान और मिट्टी से बना है। जीवमंडल में जीवन मौजूद है।

पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द (Essay On Environment 250 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पृथ्वी परिवेश से बनी है जिसमें सभी सजीव और निर्जीव अपना जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति की भौतिक, जैविक और प्राकृतिक शक्तियाँ एक साथ मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो एक जीव को जीने में सक्षम बनाती हैं। ऐसी परिस्थितियों को पर्यावरण कहते हैं। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है।

सभी जैविक (जीवित) और अजैविक (निर्जीव) संस्थाएं पर्यावरण का निर्माण करती हैं। जैविक चीजों में शामिल हैं- मनुष्य, पौधे, जानवर और कीड़े। उन्हें पर्यावरण के जैविक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक जैविक प्राणी का अपना एक निश्चित जीवन चक्र होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य पृथ्वी पर सबसे मजबूत जीवित जीव है। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों और जानवरों की जरूरत है। उनके बिना उसका जीवन-चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

जबकि, अजैविक घटकों में वायुमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और जीवमंडल शामिल हैं। वे पर्यावरण की परतें हैं। इन परतों को पर्यावरण के भौतिक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायुमंडल हवा की वह परत है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों से बनी होती है। सभी जल निकाय जैसे नदियाँ और महासागर मिलकर जलमंडल बनाते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठोस, सबसे बाहरी भाग है। यह क्रस्ट से बना है जो पृथ्वी की सतह पर मेंटल, चट्टानों और मिट्टी को ढकता है। सबसे महत्वपूर्ण परत जीवमंडल है जहां जीवन मौजूद है। इसमें जलीय, स्थलीय और हवाई पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। पेड़ों की जड़ प्रणाली से लेकर गहरे पानी के नीचे के जीवन तक जीवमंडल की विशेषता है।

इन सभी जीवों का अस्तित्व एक दूसरे के साथ उनके निरंतर संपर्क पर निर्भर है। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा व्यवस्थित है और एक बार बर्बाद होने पर नष्ट हो सकती है। आज पर्यावरण का क्षरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिससे मानव को निपटना है।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द (Essay On Environment 300 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – कई तरह से हमारी मदद करने के लिए हमारे आस-पास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया जाता है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने का एक बेहतर माध्यम देता है। यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है। हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी मदद की ज़रूरत है, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे। मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं।

केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ पूरे विश्व में जीवन संभव है और पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में जनता के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें।

हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदमों से बहुत ही आसान तरीके से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुरानी वस्तुओं को नए तरीके से पुनर्चक्रण करने के लिए, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना। बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।

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पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द (Essay On Environment 500 Words in Hindi)

पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर प्राकृतिक है। आज यह प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय गतिविधियों से खतरे में है। पेड़, जंगल, झीलें, नदियाँ, प्राकृतिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक हैं, जबकि सड़कों, कारखानों और कंक्रीट के ढांचे आदि का निर्माण पर्यावरण के अतिक्रमण के उदाहरण हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण समाप्त होता जा रहा है।

पर्यावरण अनमोल है

‘पर्यावरण अनमोल है’; इस दावे को प्रमाणित करने के लिए कम से कम दो मुख्य स्पष्टीकरण हैं। पहला यह है कि आज हम जिस प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, जैसे नदियों, झीलों, जंगलों, पहाड़ियों, भूजल संसाधनों आदि को वर्तमान अवस्था में आने में हजारों या लाखों साल लग गए हैं। पर्यावरण की बहुमूल्यता को प्रमाणित करने का दूसरा तर्क यह है कि यह स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है। मुझे थोड़ा विस्तार से बताएं।

कोई भी वनाच्छादित क्षेत्र जिसे आप जानते हैं वह आपके बचपन से रहा है, शायद हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। एक प्राकृतिक जंगल को अपनी पूर्ण महिमा में आने और उस सभी जैव विविधता का समर्थन करने में इतने सालों लगते हैं। लेकिन जब किसी जंगल को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए काटा जाता है, तो चीजें कभी भी वैसी नहीं रहतीं, भले ही जंगल को फिर से बढ़ने का उचित मौका दिया जाए। अफसोस की बात है कि जैव विविधता के नुकसान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

यही स्थिति पर्यावरण के अन्य तत्वों के साथ भी है। जिस भूजल का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, वह हजारों वर्षों की अवधि में निर्मित हुआ है। इसका मतलब है कि भूजल के किसी भी अपशिष्ट को फिर से भरने में सदियों लगेंगे।

जीवन और पर्यावरण

हम रोज़मर्रा के कामों में इतने मशगूल हैं कि हमें उस हंगामे के पीछे की असली ताकत का एहसास नहीं होता, जो हमें चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। हम सोचते हैं कि हमारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। महत्वाकांक्षाएं और कुछ नहीं बल्कि मन के लक्ष्य हैं जो हम अपने लिए निर्धारित करते हैं, लेकिन हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं, केवल इसलिए कि हमारा पर्यावरण स्वास्थ्य में हमारा समर्थन करता है।

यह हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान करता है – ऑक्सीजन, पानी, भोजन, वायु और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन। हम एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि, अगर हम ऐसा करते हैं, तो पृथ्वी पर कोई जीवन नहीं होगा, एक कठिन जीवन के बारे में भूल जाओ।

सौभाग्य से, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसमें अभी भी 20% ऑक्सीजन सांद्रता द्वारा होती है, जबकि मनुष्यों को सांस लेने या अधिक विशिष्ट होने के लिए – ‘जीने के लिए’ लगभग 19.5% ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हालाँकि, जिस दर से हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, टेबल जल्दी से पर्याप्त रूप से बदल सकते हैं, मरम्मत के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।

महासागरों से समुद्री ऑक्सीजन की हानि पहले से ही मछलियों और अन्य समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्व प्रदूषण हैं। जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और यह समग्र रूप से पर्यावरण के लिए भी खतरा है।

ये परिवर्तन संभवत: अलार्म कॉल हैं जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ मानवता को चेतावनी देते हैं। स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण के बिना, ग्रह पर किसी भी तरह के जीवन के बारे में सोचना भी बेकार होगा। अगर पर्यावरण को नुकसान होता रहा तो पृथ्वी की सारी सुंदरता गायब हो जाएगी।

यह संदेह से परे है कि ग ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है और जब तक अपने मूल रूप और आकार में रहता है, जीवन फलता-फूलता रहेगा। लेकिन, अगर यह एक निश्चित स्तर से अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो धीरे-धीरे भूमि और समुद्री जीवन समाप्त हो जाएगा, जिससे ग्रह बेजान हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करना और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पर्यावरण क्यों महत्वपूर्ण है.

पर्यावरण हर किसी के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। यह सभी जीवों का एकमात्र घर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण हवा, भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है।

मानव द्वारा किन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है?

मनुष्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख उपभोक्ता है। वे जानवरों और पौधों से खाद्य उत्पाद प्राप्त करते हैं। वस्त्र मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वह फिर से उन्हीं उल्लिखित संसाधनों से कपड़े प्राप्त करता है।

मनुष्य पर्यावरण को कैसे खराब करेंगे?

मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण का प्रमुख कारण है। आदमी की जरूरत ने दुनिया भर के आधे से ज्यादा जंगलों का सफाया कर दिया है। फलस्वरूप आज बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हो गई हैं।

एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?

एक पारिस्थितिकी तंत्र एक बड़ा समुदाय है जिसमें जीवन के कुछ या सभी रूप एक साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी पर एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र है। पेड़, पौधे, झाड़ियाँ बड़े और छोटे जानवर, कीड़े एक साथ रहते हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। वन जानवरों का प्राकृतिक आवास है। जानवरों को उनके प्राकृतिक घर से बाहर निकालना उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी आपदा होगी।

वनों की कटाई क्या है?

निर्माण, कृषि भूमि और शहरीकरण जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए दुनिया भर में पेड़ों को काटना। यह प्राकृतिक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)

प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment 

“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।

पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की  भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi

पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।

पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ  उपलब्ध कराता है।

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day 

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi

पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.

पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक,  अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।

प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।

पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।

पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।

और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध

पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।

गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।

वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

मनुष्य  अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।

  • पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें  छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।

लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi

  • उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए। 
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।

हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।

इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 

पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi

  • पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
  • पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन  के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
  • पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
  • पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
  • पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
  • पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
  • घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।

1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”

आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

Thnx Greatly useful for me

It’s really awesome essay

Wow amazing essay

Very Nice Article Helpful post for All people.

Sabbd milan apne accha nahi kiya hai Aur soch badiya hai

Pls give reply in English b’coz I can’t understand

Amazing!! Helped me a lot.. thanks

Very useful for us….

Thank you i have gain 12 out of 12 marks from my examination thank u

Very excellent essay

Thanks for Writing here !

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क्या मैं अपने नुक्कड़ नाटक में आपके इस निबंध रख सकता हूँ?

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

पर्यावरण पर निबंध – Essay on Environment in Hindi

Essay on environment.

Essay on Environment in Hindi / पर्यावरण : प्रदूषण और निराकरण पर आधारित हिंदी में निबंध, Environment: Pollution and Solution ( पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध )

पर्यावरण विकास और संरक्षण:

हमारे चारों ओर जो भी भौतिक, जैविक और सांस्कृतिक वातावरण है वही पर्यावरण है। जीवन की शुरुआत से लेकर अंत तक हमारा पर्यावरण ( Environment ) के साथ निरंतर संपर्क, संघर्ष और सामंजस्य रहता है । एक व्यक्ति ही दूसरे व्यक्ति के लिए पर्यावरण है, अत: पर्यावरण को हमें व्यक्तिगत एवं सामाजिक अस्तित्व की दृष्टि से देखना होता है। वस्तुत: पर्यावरण के साथ सही सामंजस्य में ही व्यक्ति और समाज का न केवल विकास बल्कि संरक्षण निहित है। अपने से अलग हटकर अन्य से, दुनिया से जोड़ने का उपक्रम ही पर्यावरण के साथ होना है । विकास के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति का जिस-जिस रूप में दोहन किया या उपभोग किया और जिस तरह वस्तुओं को उच्छिष्ट मानकर आसपास के परिवेश में फेंका है, उससे व्यक्ति का पर्यावरण के साथ इतना संतुलन बिगड़ गया है और निरंतर रूप से बिगड़ता जा रहा है कि वह विनाश के मुंँह की ओर जाता जा रहा है। इसलिए पर्यावरण का प्रदूषण आज सभी व्यक्तियों और देशों की जनता के लिए विकास से भी अधिक महत्त्व का विषय है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण का तीव्रगामी प्रसार:

मनुष्य के प्रारंभिक विकास में मनुष्य और प्रकृति का निकट का संबंध था। प्रकृति का मनुष्य पर दबाव भी कम था परंतु धीरे-धीरे मनुष्य के संख्यात्मक प्रसार ने तथा उसके उपयोग की बढ़ती हुई लालसा ने प्रकृति का दोहन ऐसे शुरू किया कि पर्यावरण की समस्या उत्पन्न हो गई। औद्योगक क्रांति ने तो पर्यावरण का स्वरूप ही बदल कर रख दिया। उद्योगों की चमनियों से निकलता हुआ धुआं और रासायनिक कारखानों से बहता हुआ विषैला पदार्थ प्रकृति में कार्बन कण, कार्बन डाई-ऑक्साइड, कार्बन डाई-सल्फाइड आदि विषाक्त गैसें बढ़ाने लगा, इससे वायु और जल दूषित होने लगे। उद्योगों में ईंधन के रूप में पेट्रोल और कोयला जलाए जाने से हवा में ज़हरीलापन बढ़ने लगा । विकसित देशों ने अपने औद्योगिक विकास के ज़रिये स्वयं अपने देशों में, एवं विकासशील देशों में भी, कारखाने लगाकर प्रदूषण को बढ़ाने में तेजी से वृद्धि की । एक और प्रकृति के ऊर्जा के भंडारों का शोषण होने लगा, दूसरी ओर प्रदूषण बढ़ने लगा । विभिन्न प्रकार की रासायनिक गैसों, विषैले कीटाणुओं और जैविक विषाणुओं से विभिन्न तरह की किरणें एवं विकिरण सब-कुछ: मनुष्य के अस्तित्व, स्वास्थ्य एवं उन्नति के विरुद्ध आ खड़े हुए। एक अनुमान के अनुसार प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों द्वारा विश्व के वायुमंडल में प्रतिवर्ष लगभग 20 करोड़ टन कार्बन मोनो-ऑक्साइड, 5 करोड़ टन सल्फर डाई-ऑक्साइड, 5 करोड़ टन अन्य कार्बन गैसें समा रही हैं। इसके अलावा मनुष्य कई-कई टन सिलिकॉन, आर्सेनिक, निकिल, कोबाल्ट, जस्ता और एण्टीमनी छोड़ता रहता है जो जीव-जन्तुओं के लिए विष के समान घातक है। प्रति वर्ष हमारी पृथ्वी की हरियाली धीरे-धीरे कम होती जा रही है तथा तापमान में वृद्धि होती जा रही है। वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा 4 प्रतिशत की दर से प्रति वर्ष बढ़ती जा रही है। इस प्रकार न केवल सारा मनुष्य समाज बल्कि सारी जैविक सृष्टि अपने अस्तित्व के ख़तरे का सामना कर रही है ।

प्रदूषण के कारण:

पर्यावरण प्रदूषण ( Environment Pollution ) के कारणों में प्रमुख हैं-निरंतर बढ़ते हुए कल-कारखानों, वाहनों द्वारा छोड़ा जानेवाला धुआं, नदियों, तालाबों में गिरता हुआ कूड़ा-करकट, वनों की कटाई, रासायनिक खादों का बढ़ता प्रयोग, बाढ़ का प्रकोप, मिट्टी का कटाव एवं निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या। अभी तक पर्यावरण प्रदूषण की समस्या बहुत-कुछ नगरों तक सीमित थी, परंतु अब गाँव भी इसकी चपेट में आते जा रहे हैं।

जल-प्रदूषण:

पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग पानी से ढका किंतु उसमें केवल 3 प्रतिशत जल पीने योग्य है। समुद्र के अलावा पृथ्वी तल का अन्य पानी भी पीने योग्य नहीं रहा है। भारत की अधिकतर नदियों का पानी न केवल पीने योग्य है बल्कि नहाने और पशुओं पीने योग्य भी नहीं है। केवल उसमें से 30 प्रतिशत पानी ही साफ करके पीया जा सकता है। जल-प्रदूषण के कारण पेचिश, खुजली, पीलिया, हैज़ा आदि बीमारियाँ बढ़ रही हैं। पिछले वर्षों में सूरत एवं दिल्ली फैले प्लेग में हुई व्यापक मानव-मृत्यु ने जल प्रदूषण की समस्या का विकराल रूप हमारे सामने रखा है।

वायु प्रदूषण:

वायु प्रदूषण (Pollution ) के मुख्य कारण हैं-उद्योगों का कूड़ा-करकट, कार्बन, मोटर आदि वाहनों द्वारा छोड़ी जानेवाली जहरीली गैसों रेडियोधर्मी पदार्थ आदि। एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार हमारे वायुमंडल में विषाक्त रासायनिक पदार्थ इतने तीव्र गति से छोड़े जा रहे हैं कि इन सबके प्रभावों का आकलन करना कठिन हो रहा है। इराक़ पर हुई बम वर्षा और वहाँ के तेल कुओं में लगी आग से कितने टन विषाक्त पदार्थ वायुमंडल में फैले इसका अनुमान लगाना असंभव है। इतना ही जान लेना पर्याप्त है कि वहाँ पर दो-तीन बार काले पानी की वर्षा हुई । वायु-प्रदूषण द्वारा होनेवाली मौतों का इतिहास अत्यंत दुखद है। सन् 1952 में लंदन में काला कोहरा (Black FOG) पड़ा था जिसमें मौजूद सल्फर डाई-ऑक्साइड गैस ने लगभग 4 हज़ार लोगों के प्राण ले लिए थे। इसी कड़ी में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कंपनी गैस कांड में ‘मिक’ गैस के रिसने से लगभग 2500 व्यक्तियों के मुंह में वह ज़हरीली गैस चली गई जिससे उनकी मृत्यु हो गई, इसके अलावा उसके दुष्प्रभाव को अभी भी हज़ारों लोग भोग रहे हैं।

जीव-जंतुओं के अलावा पेड़-पौधे और भवन तक वायु-प्रदूषण द्वारा प्रभावित हो रहे हैं। आगरा के ताजमहल को वायु-प्रदूषण से बचाने की दृष्टि से उद्योगों को अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगाने पड़े हैं । वायु प्रदूषण का ही एक रूप कार्बनिक गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन है जिससे औज़ोन पर्त में छिद्र हो गया है तथा पराबैंगनी किरणों का दुष्प्रभाव धरती भोग रही है। इसी तरह इन ताप-अवशोषक गैसों में निरंतर हो रही वृद्धि से धरती का ताप बढ़ रहा है तथा धरती की वनस्पति एक नए संकट को झेल रही है।

ध्वनि-प्रदूषण:

मशीनों की आवाज़ तथा लाउडस्पीकर आदि के कारण ध्वनि-प्रदूषण की समस्या भयंकर होती जा रही है । ध्वनि-प्रदूषण से मानव को अनेक मानसिक और मनोवैज्ञानिक विकारों का सामना करना पड़ता है । शादी, उत्सवों, त्योहारों आदि अवसरों पर होनेवाला ध्वनि-प्रदूषण अनेक व्यक्तियों की नींद हराम करता रहता है।

रसायनों एवं कीटनाशकों द्वारा प्रदूषण:

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अधिकांश कीटनाशकों को विषैला घोषित कर दिया है। इसके बावजूद भारत में कीटनाशक दवाईयाँ एवं कृत्रिम उर्वरकों का प्रयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। 1971 से 1995 के बीच के दशक में हरित क्रांति की बड़ी भूमिका रही है किंतु इस अवधि में यूरिया, फासफोरस और पोटाश उर्वरकों के प्रयोग में लगभग छह गुना वृधि हुई है जिसकी किसानों को बड़ी लागत चुकानी पड़ रही है । कीटनाशकों का छिड़काव करनेवाले व्यक्तियों को रतौंधी, लकवा, मस्तिष्क-ज्वर एवं आँख पर दुष्प्रभाव आदि अनेक रोग तो होते ही हैं साथ ही फल, सब्जी आदि भी प्रभावित होते हैं जिसका बुरा असर उनका उपयोग करनेवालों पर होता है। भारत में लगभग 10,000 कारख़ाने रासायनिक कार्य से जुड़े हुए हैं, इनमें काम करनेवाले श्रमिकों को तरह-तरह के रोग होते हैं और अनेक मृत्यु को प्राप्त होते हैं। टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक अध्ययन के अनुसार पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के विनाश से सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का 10 प्रतिशत से अधिक नुकसान हो रहा है। शीतल पेय पदार्थों में कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग ने भारतीय संसद सहित संपूर्ण देश को भयभीत किया है। सब्जियों और यहाँ तक कि दूध में भी रासायनिक प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर पहुँच रहा है। इसी तरह रसायनों एवं कीटनाशकों से सैंकड़ों जैव प्रजातियों का लोप होता जा रहा है जबकि जैव विविधता पर्यावरण की अंत: क्रियाओं के खतरों के प्रति बीमा की तरह भी कार्य करती है।

वृक्षों की कटाई द्वारा प्रदूषण:

वृक्ष कार्बन डाइ-ऑक्साइड को शुद्ध करके ऑक्सीजन प्रदान करते हैं किंत वृक्षों की कटाई के द्वारा जिस तरह से जंगल-दर-जंगल सफ़ाई होती जा रही है उससे पर्यावरण में कॉर्बन-डाई-ऑक्साइड को कम करने की प्राकृतिक क्रिया ही धीमी होती जा रही है।

औद्योगिक विकास के कारण पर्यावरण का जो प्रदूषण बढ़ता जा रहा है उसको हम गरीबी और अशिक्षा के कारण न तो भली प्रकार समझ पा रहे हैं और न उसका निवारण करने में अपने-आपको सक्षम ही पा रहे हैं। इसलिए इस घने होते जा रहे प्रदूषणों की ओर निरंतर बढ़ते जाना हमारे लिए चिंता का विषय है।

निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए गाँवों, कस्बों विशेषकर बड़े शहरों में सुख-सुविधाओं जुटाने के लिए अनेक विकास-कार्य किए जा रहे हैं किंतु वे अत्यंत अपर्याप्त । सुर्नियोजन ढंग से बस्ती बसाने के लिए, स्वच्छ जल एवं भोजन जुटाने के लिए पर्याप्त कार्य नहीं किया जा रहा है। बस्तियों में जिस प्रकार का प्रदूषण है उसको अधिक वित्तीय साधन जुटाकर, लोगों में पर्यावरण के प्रति चेतना पैदा करके एक अभियान के तहत कार्य करने की, उसे तत्काल हटाने की आवश्यकता है । हमको नदियों में कूड़ा एवं मलबा बहाना बंद करना चाहिए। पानी का दुरुपयोग बंद करके उसके संरक्षण के उपायों पर अमल करना चाहिए । बस्तियों के कचरे को बहुत दूर ढककर डालना चाहिए।

विकास और पर्यावरण : एक आधारभूत बहस:

पर्यावरण ( Environment ) के साथ अंधाधुंध छेड़खानी विकास के नाम पर हुई है।ग़रीबी उन्मूलन के नाम पर धरती के संसाधनों का बेतहाशा दोहन किया गया, फलस्वरूप एक ओर धरती के अपने परिवेश में असंतुलन आया दूसरी ओर उस कच्चे माल से कारखानों में जिस तकनीक से उत्पादन किया गया उसमें धातु, जल, गैस एवं अन्य रासायनिक द्रवों से प्रदूषण बढ़ा। इन दो तरह की प्रक्रियाओं से वस्तुओं का उत्पादन तो बढ़ा किंतु प्रदूषण ने स्थायी तौर पर मनुष्य को रुग्ण कर लिया। उस रुग्णता के रहते स्थायी विकास की संभावना कहाँ। वस्तुत: विकास तो वह है जिसमें समाज के सभी लोग स्थायी तौर पर स्वस्थ और सुखी रहें। वह उत्पादन विकासकारी नहीं है जो बहुत मात्रा में तो होता है किंतु हमारे पर्यावरण संतुलन को नष्ट कर देता है। उस उत्पादन से जो आर्थिक विषमता फैलती है उससे तो आर्थिक-सांस्कृतिक प्रदूषण और फैलता है।

हमें विकास की पश्चिम द्वारा दी गई परिभाषा छोड़नी चाहिए तथा भौतिक संसाधनों के दोहन एव उनके उत्पादन में कम प्रदूषण पैदा करनेवाली (पशु, सौर, पवन, समुद्री लहरें, भूमिगत ताप और नदी के बहाव से जल विद्युत) ऊर्जा-स्रोतों को काम में लेना चाहिए । बड़े और केंद्रीकृत उद्योगों के स्थान विकेंद्रीकृत लघु उद्योगों को अपनाना चाहिए जो आर्थिक विषमता में कमी तथा सर्वोदय तो करते ही हैं साथ ही प्रदूषण भी नहीं फैलाते  । दरअसल सवाल विकास से पहले संरक्षण का है, विनाश से बचने का है, इसलिए प्रदूषण का प्रश्न विकास से अधिक आधारभूत है, यह संपूर्ण प्राणिजगत् और मानवता का सवाल है।

प्रदूषण नियंत्रण के उपाय पर:

पर्यावरण प्रदूषण ( Environment Pollution ) को रोकने के लिए शहरों में परिवहन की नीति में इस तरह परिवर्तन करने की ज़रूरत है कि ज़हरीली गैसें फैलानेवाली परिवहन तकनीक का उपयोग कम करें एवं ऐसी तकनीक को बढ़ाएँ जो वायु-प्रदूषण को कम करती है । पेट्रोलियम पदार्थों से चलनेवाले साधनों एवं सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों की दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए। विकास के नाम पर यदि ऐसी बस्तुएँ उत्पन्न हो रही हों जो ज़हरीली गैसों को बढ़ावा दे रही हों तो हमें ऐसे उपयोग पर भी नियंत्रण रखना है । वनों के संरक्षण करने एवं वृक्ष लगाने के कार्य को तेजी से एवं प्रभावी ढंग से करने की आवश्यकता है। वन हमारे रक्षक हैं। इनसे भू-क्षरण, भू-स्खलन तथा बाढ़ रुकती हैं। अत: हरियाली बढ़ाने के लिए इनके सुनियोजित विकास पर ज़ोर देने की आवश्यकता है। फैक्ट्रियों और प्रयोगशालाओं के आसपास वृक्ष रोपे जाने चाहिए ताकि वायु और ध्वनि-प्रदूषण कम हो। हमारी नदियों एवं बाँधों के पानी को स्वच्छ रखने के लिए भी जन-जागरण की आवश्यकता है।

रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का प्रयोग भी बहुत सावधानी से एवं सीमित मात्रा में करने की आवश्यकता है तथा जैविक कीटनाशकों के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए। ‘मेवाड़ पानी चेतना समिति’ का पानी कार्य, मीनासर का ‘गोचर आंदोलन’, खेजड़ी गाँव (जोधपुर) में हर वर्ष लगनेवाला बिश्नोइयों का मेला, चमौली (उ.प्र.) का ‘चिपको आंदोलन’, नर्मदा और टिहरी जैसे बाँधों पर प्रतिबंध लगाने के आंदोलन का हमारे पर्यावरण को स्वच्छ एवं संतुलित बनाए रखने की प्रेरणा देने के उत्तम उदाहरण हैं। हमें इन आंदोलनों से सीख लेनी चाहिए। जोहांसबर्ग पृथ्वी सम्मेलन, क्योटो संधि कोपेनहेगन आदि इस दिशा में किए गए, उल्लेखनीय अंतरराष्ट्रीय प्रयास हैं।

पर्यावरण ( Environment ) के प्रति संवेदनशीलता का विकास:

पर्यावरण ( Environment ) स्वच्छता का अर्थ है इस धरती पर सभी जीवधारियों का अस्तित्व और स्वास्थ्य। इसलिए सभी व्यक्तियों, राष्ट्रों को पर्यावरण के प्रति सही समझ विकसित करने की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना ही है। पर्यावरण हमारे जीवन की प्राथमिकता में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । विकसित देशों में ऊर्जा स्रोत के रूप में नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग पर नियंत्रण रखने का प्राथमिक सवाल है । ऊर्जा के गैर-पारम्परिक स्रोतों की खोज करके, विशेषकर ऐसे स्रोतों की खोज करके जो पर्यावरण प्रदूषण बहुत कम करते हैं, हम पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि सब लोग प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए उसको क्षति पहुँचाना बंद करें । विकास, औद्योगीकरण तथा मानव स्वास्थ्य के बीच तालमेल बढ़ाएँ। औद्योगिक विकास के बारे में ढंग से सोचें । प्रकृति का दोहन बंद करें और समुचित दोहन के द्वारा प्रकृति और विकास का संतुलन बनाए रखें । भारत के आर्य ग्रंथों ने आज से हज़ारों वर्ष पूर्व कहा था प्रकृति हमारी माता है जो अपना सब- कुछ अपने बच्चों को अर्पण कर देती है ।’ अतःआवश्यकता है हम हमारी प्रकृति माँ को सुरक्षित रखने के लिए कुछ इस प्रकार का काम करें कि वह भी स्वच्छ रहे और हम भी स्वस्थ-स्वच्छंद रहें।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – Environmental Pollution Essay in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (essay on environmental pollution in hindi), पर्यावरण प्रदूषण-समस्या और समाधान। – environmental pollution – problems and solutions.

  • प्रस्तावना,
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण (वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रासायनिक प्रदूषण),
  • प्रदूषण पर नियन्त्रण।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक तथा रासायनिक विशेषताओं का वह अवांछनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थाओं तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुँचाता है।

तात्पर्य यह है कि जीवधारी अपने विकास, बुद्धि और व्यवस्थित जीवन-क्रम के लिए सन्तुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं। किन्तु कभी-कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है या वातावरण में कुछ हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। परिणामत: वातावरण दूषित हो जाता है।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण-प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ हुआ है। विकासशील देशों में वायु और पृथ्वी भी प्रदूषण से ग्रस्त हो रही है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गन्दे जल को बहाने का प्रश्न भी एक विकराल रूप धारण करता जा रहा है।

1. वायु प्रदूषण- वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। श्वांस द्वारा हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते रहते हैं। हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन निष्कासित करते रहते हैं।

इससे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के लिए वनों को काटता है, परिणामत: वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है।

मिलों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वातावरण में विभिन्न प्रकार की हानिकारक गैसें बढ़ती जा रही हैं। औद्योगिक चिमनियों से निष्कासित सल्फर डाइऑक्साइड गैस का प्रदूषकों में प्रमुख स्थान है। इसके प्रभाव से पत्तियों के किनारे और नसों के मध्य का भाग सूख जाता है।

वायु प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वसन सम्बन्धी बहुत-से रोग हो जाते हैं। इनमें फेफड़ों का कैंसर, दमा और फेफड़ों से सम्बन्धित दूसरे रोग सम्मिलित हैं।

2. जल प्रदूषण- सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व, कार्बनिक-अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं। यदि जल में ये पदार्थ आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाते हैं जो साधारणतया जल में उपस्थित नहीं होते हैं तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है और प्रदूषित जल कहलाता है।

3. रेडियोधर्मी-प्रदूषण- परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणविक परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण होता है जो आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। विस्फोट के स्थान पर तापक्रम इतना अधिक हो जाता है कि धातु तक पिघल जाती है।

एक विस्फोट के समय रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं जहाँ पर ये ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और बाद में ठोस अवस्था में बहुत छोटे-छोटे धूल के कणों के रूप में वायु में फैलते रहते हैं और वायु के झोकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।

द्वितीय महायुद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से अनेक मनुष्य अपंग हो गये थे। इतना ही नहीं, जापान की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गयी।

4. ध्वनि प्रदषण- अनेक प्रकार के वाहन, मोटरकार, बस जेट विमान टैक्टर आदि तथा लाउडस्पीकर बाजे एवं कारखानों के सायरन, मशीनों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि की लहरें जीवधारियों की क्रियाओं पर प्रभाव डालती हैं। .

अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य की सुनने की शक्ति में कमी होती है, उसे नींद ठीक प्रकार से नहीं आती है और नाड़ी संस्थान सम्बन्धी एवं अनिद्रा का रोग उत्पन्न हो जाता है, यहाँ तक कि कभी-कभी पागलपन का रोग भी उत्पन्न हो जाता है। कुछ ध्वनियाँ छोटे-छोटे कीटाणुओं को नष्ट कर देती हैं, परिणामत: अनेक पदार्थों का प्राकृतिक रूप से परिपोषण नहीं हो पाता है।

5. रासायनिक प्रदूषण- प्राय: कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, घासनाशक और रोगनाशक दवाइयों तथा रसायनों का प्रयोग करते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

आधुनिक पेस्टीसाइडों का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि पहुँचा रहा है। जब ये वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते हैं तो वहाँ पर रहने वाले जीवों पर ये घातक प्रभाव डालते हैं। इतना ही नहीं, मानव देह भी इनसे प्रभावित होती है।

प्रदूषण पर नियन्त्रण-पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकने तथा उनके समुचित संरक्षण के प्रति गत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में चेतना आयी है। आधुनिक युग के आगमन व औद्योगीकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गम्भीर कभी नहीं हुई थी, और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिकों तथा अन्य लोगों का इतना ध्यान ही गया था। औद्योगीकरण और जनसंख्या की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है।

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी, दोनों ही स्तरों पर पूरा प्रयास आवश्यक है। जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 के ‘जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम’ लागू किया तथा इस कार्य हेतु बोर्ड बनाये। इन बोर्डों ने प्रदूषण के नियन्त्रण की अनेक योजनाएँ तैयार की हैं। औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक तैयार किये गये हैं।

उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नये उद्योगों को लाइसेंस दिये जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निवारण की समुचित व्यवस्था करनी होगी और इसकी पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

वनों की अनियन्त्रित- कटाई को रोकने के लिए भी कठोर नियम बनाये गये हैं। इस बात के प्रयास किये जा रहे हैं कि नये वनक्षेत्र बनाये जायें और जन-सामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाये।

इस प्रकार स्पष्ट है कि सरकार प्रदूषण की रोकथाम के लिए पर्याप्त सजग है। पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर ही हम आने वाले समय में और अधिक अच्छा और स्वास्थ्यप्रद जीवन जी सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।

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पर्यावरण के मुद्दे (Environmental Issues)

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वायु प्रदूषण और इसका नियंत्रण

वाहन वायु प्रदूषण का नियंत्रण - दिल्ली में किया गया एक अध्ययन, तालिका 16.1: भारत में उत्सर्जन मानक, जल प्रदूषण एवं इसका नियंत्रण, घरेलू वाहित मल और औद्योगिक बहिःस्राव, एकीकृत अपशिष्ट जल उपचारः केस अध्ययन, ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट के उपचार सम्बन्धी अध्ययन, कृषि-रसायन और उनके प्रभाव, जैव खेती- केस अध्ययन, रेडियो सक्रिय अपशिष्ट, ग्रीनहाउस प्रभाव और विश्वव्यापी उष्णता, समतापमण्डल में ओजोन अवक्षय, संसाधन के अनुचित प्रयोग और अनुचित अनुरक्षण द्वारा निम्नीकरण, मृदा अपरदन और मरुस्थलीकरण, जलाक्रान्ति और मृदा लवणता, वन-संरक्षण में लोगों की भागीदारी - एक अध्ययन.

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StoryRevealers

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi

by StoriesRevealers | May 9, 2020 | Essay in Hindi | 2 comments

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi : धरती के प्राकृतिक वातावरण को पर्यावरण का नाम दिया गया है जो मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों और वनस्पतियों को पृथ्वी पर रहने फलने फुलने में मदद करता है।

स्वस्थ व्यक्ति का विकास स्वच्छ वातावरण में ही संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर द्वारा की गई प्रत्येक प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित होती है, पर्यावरण के कारण हम सांस ले पाते हैं शुद्ध पानी प्राप्त होता हैं, इसलिए सभी को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का महत्व

मनुष्य, जानवर, वनस्पति, पेड़, पेड़, मौसम, जलवायु सभी पर्यावरण के भीतर समाहित हैं।

पर्यावरण न केवल जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें प्रदान करने का कार्य भी पर्यावरण हि करता है।

आज जहां विज्ञान ने तकनीक को बढ़ावा दिया है जिससे दुनिया में बहुत विकास हुआ है, वहीं दूसरी ओर वे पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi

आधुनिकीकरण, औद्योगिकीकरण और बढ़ती प्रौद्योगिकी के उपयोग ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की कटाई कर रहा है और प्राकृतिक संसाधनों से खेल रहा है, जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है।

कुछ मानव निर्मित चिजों के कारण, वायुमंडल, जल मंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं, पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

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इसलिए पर्यावरण की महत्वता को समझते हुए हम आप सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और जीवन

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात् मनुष्य पर्यावरण पर पूरी तरह से निर्भय है, पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है।

इसलिए भौतिक सुख की सिद्धि के लिए मनुष्य को प्रकृति के दोहन से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, भूमि ये पांच तत्व हैं, जिन पर मानव जीवन टिका है और हमें यह सब पर्यावरण से प्राप्त होता है।

पर्यावरण न केवल एक माँ के रूप में हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है, बल्कि हमें मानसिक शांति और खुशी भी प्रदान करता है।

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पर्यावरण मानव जीवन का अभिन्न अंग है, इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

पर्यावरण को बचाने के लिए हम सड़कों या सार्वजनिक क्षेत्रो में कचरा न फेंक कर पहल करनी चाहिएँ, और हमे निजी वाहनों का वजाए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना शुरू कर देना चाहिए।

साथ ही, हमें कंपनियों के बारे में पता होना चाहिए जो पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल रही है। और कई इको-फ्रेंडली और उन दिन-प्रतिदिन की चीजों का उपयोग करना होगा जिनका पुनरावृत्ति की जा सके। हमें ऐसी तकनीक का आविष्कार करना चाहिए जो हमारे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए और ऐसी तकनीक भी हो जो हमारे पर्यावरण की रक्षा करने में मदद कर सके।

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पर्यावरण को बचाना कोई छोटी बात नहीं है, इसमें बहुत समय, शक्ति और प्रयास लगेगा। लोगों का एक छोटा झुंड बड़ा बदलाव नहीं कर सकता।

हर व्यक्ति को एक साथ आना चाहिए और हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए काम करना शुरू करना चाहिए। इसे स्वच्छ और स्वस्थ रखना हमारी जिम्मेदारी है, सभी को यह याद रखना चाहिए। मनुष्य के लिए एक पर्यावरण सबसे महत्वपूर्ण चीज है जिसका हमें ध्यान रखना है।

हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता है पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।

साथ ही, हमें पर्यावरण को स्वच्छ रखने को अपना कर्तव्य मानना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ वातावरण में रहने से ही एक स्वस्थ मनुष्य का निर्माण और विकास होगा।

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Reema

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