bharat ka itihas essay

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भारत का सम्पूर्ण इतिहास 🔥| Complete Indian History in Hindi in 75+Chapters

भारत का सम्पूर्ण इतिहास 🔥| Complete Indian History in Hindi in 75+Chapters

Indian History in Hindi के इस पृष्ठ में आप पायेंगे  भारत का इतिहास  ( Indian History in Hindi ) नोट्स, जो कि हिन्दी में हैं जिन्हें  हमने 4 भागों में बांटा है, प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास, आधुनिक भारत और स्वतन्त्रता आंदोलन |

ये सभी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहद उपयोगी हैं, नोट्स को बनाने का मकसद तेजी से रिविज़न के साथ साथ सभी उपयोगी तथ्यों को भी रखना है ताकि कोई भी तथ्य ना छूटे ये इन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है जैसे – UPSC Exam, UPPSC,  SSC CGL, उम्मीद है भारतीय इतिहास ( Indian History in Hindi ) के ये नोट्स आपके लिए उपयोगी साबित होंगे ! कई सारे इतिहास के नोट्स Download के लिए भी उपलब्ध हैं, शीघ्र ही और भी नोट्स उपलब्ध होंगे !

प्राचीन भारत का इतिहास | Ancient History in Hindi

मध्यकालीन इतिहास | medieval history in hindi, आधुनिक भारत का इतिहास | modern history in hindi, स्वाधीनता संग्राम.

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Download PDF Indian History in Hindi

  • (56 Facts PDF) प्राचीन इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण तथ्य
  • NCERT History eBook in Hindi – Download PDF
  • प्राचीन इतिहास | Handwritten Notes Hindi PDF Download

इतिहास के महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर (History in Hindi)

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  • साहित्यिक स्रोतों से सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले 20 सवाल
  • क्या 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन अहिंसक था ?
  • भारत में 19वीं शताब्दी के जनजातीय विद्रोह के क्या कारण थे ?
  • जैन दर्शन के अनुसार सृष्टि की रचना एवं पालन पोषण कैसे हुआ है ?
  • वैदिक सभ्यता में धर्म और ऋत से क्या तात्पर्य था ?

75+ History Important Questions in Hindi

  • कैबिनेट मिशन को प्रधानमंत्री एटली ने भारत कब भेजा ? उत्तर- 19 फरवरी,1946
  • बीजक में किसका उपदेश संग्रहित है? उत्तर- कबीर का
  • कैपटन हाकिन्स किस मुगल शासक के दरबार में आया था ? उत्तर- जहाँगीर
  • भारत आने वाले प्रथम यूरोपीय कौन था? उत्तर- पुर्तगाल
  • भारत में रेलवे की शुरुआत कब हुई थी? उत्तर- 1853 ई. में
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्षा कौन थीं? उत्तर- एनी बेसेंट
  • भारत के संविधान का पिता किसे कहा जाता है? उत्तर- डॉ. बी. आर अम्बेडकर
  • प्रसिद्ध विरुपाक्ष मंदिर कहाँ स्थित है? उत्तर- हम्पी में
  • सिक्किम भारत का हिस्सा कब बना? उत्तर- 1975 में
  • राज्य पुर्नगठन आयोग की स्थापना कब हुआ?उत्तर- 1953 में
  • हड़प्पा सभ्यता किस युग की सभ्यता है? उत्तर- कांस्य युग
  • सिंधु घाटी के निवासियों को किस धातु का ज्ञान नहीं था? उत्तर– लोहा, note :- उन्हें सोना,चांदी और तांबा धातु का ज्ञान था
  • इण्डिका की रचना किसने की? उत्तर- मैगस्थनीज ने
  • गुप्तों की काल में कौन चीनी यात्री भारत आया? उत्तर- फाह्यान
  • महाभारत की रचना किसने की ? उत्तर- वेद व्यास
  • महाभारत का युद्ध कितने दिन चला? उत्तर– 18 दिन तक
  • कुरु वंश की राजधानी कहाँ थी ? उत्तर- हस्तिनापुर में
  • त्रिपिटक साहित्य संबंधित है? उत्तर– बौद्ध धर्म से
  • तृतीय बौद्ध संगीति किसके शासन काल में हुआ? उत्तर- अशोक के समय में
  • आईन-ए-अकबरी’ एवं ‘अकबरनामा’ की रचना किसने की? उत्तर-अबुल फजल
  • अकबर का वित्तिय मंत्री था? उत्तर- टोडरमल
  • पुराणों की संख्या कितनी है?उत्तर- 18
  • तम्बाकू का सेवन सबसे पहले किस मुगल सम्राट ने किया? उत्तर-अकबर ने
  • पानीपत का प्रथम युद्ध किस वर्ष हुआ था ? उत्तर– 1526 ई. में
  • शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह स्थित है? उत्तर- अजमेर में
  • अकबर ने किस वर्ष दिन-ए इलाही धर्म चलाया? उत्तर- 1582 ई.
  • स्थापत्य काल का सर्वाधिक विकास किसके काल में हुआ? उत्तर- शाहजहाँ के काल में
  • विजयनगर सम्राज्य की स्थापना किसने की? उतर- हरिहर और बुक्का ने
  • गोपुरम से आप क्या समझते है? उत्तर- मंदिर का प्रवेश द्वारा
  • हम्पी नगर किस राज्य से संबंधित है? उत्तर- विजयनगर
  • विजयनगर के शासको ने अपने आप को कहा? उत्तर– राय
  • तकवन्दी (ननकाना साहिब) किसका जन्म स्थान हैं? उत्तर– नानक का
  • उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन का आरम्भ किस संत ने शुरू किया?उत्तर- रामानंद
  • भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस की स्थापना कब हुई? उत्तर- 1885 में
  • राबिया कौन-सी संत थी उत्तर- रहस्यवादी
  • इब्नबतूता की देश का यात्री था? उत्तर– मोरक्को
  • अलबरुद्दीन किसके साथ भारत आया था ? उत्तर- महमूद गजनी
  • संथाल विद्रोह का नेता था? उत्तर- सिंद्धु और कान्हू
  • दामिन-ए-कोह क्या था?उत्तर– भू-भाग
  • स्थायी बंदोबस्त कहा लागू किया गया? उत्तर-बंगाल में
  • इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई?उत्तर- 1600 ई.में
  • स्थायी बंदोबस्त किससे संबंधित है? उत्तर– वेलेजली
  • संथाल विद्रह कब हुआ था ? उत्तर- 1855 में
  • व्यपगत के सिंद्धांत का सम्बन्ध किससे है? उत्तर-लार्ड डलहौजी
  • 1857 की क्रांति आरम्भ हुई? उत्तर- 10 मई,1857 से
  • बिहार में 1857 की क्रांति का नेता कौन था? उत्तर- कुंवर सिंह
  • कलकत्ता में अंग्रेजों की किलेबंद बस्ती का नाम था?उत्तर-फोर्ड विलियन
  • गेट वे ऑफ इंडिया का निर्माण कब हुआ? उत्तर-1911 ई. में
  • दिल्ली चलो का नारा किसने दिया? उत्तर- सुभाषचन्द्र बोस
  • जलियांवाला बाग हत्या कांड कब हुआ? उत्तर- 1919 में
  • काला कानून किसे कहा गया ? उत्तर- रोलट एक्ट को
  • द्वितीय विश्व युद्ध की घोषणा कब हुई और किसने की? उत्तर-3 सितम्बर,1939 में ब्रिटेन ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की
  • संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई?उत्तर- 9 दिसम्बर,1946 को
  • भारतीय संविधान सभा पर हस्ताक्षर कब हुआ?उत्तर-  24 जनवरी,1950 को
  • 1917 में रूस में समाजवादी राज्य की स्थापना किसने की? उत्तर- लेलिन ने की
  • भारत का प्रथम गृह मंत्री कौन था? उत्तर- सरदार बल्लभ भाई पटेल
  • सीमान्त गांधी के नाम से किसे जाना जाता है?उत्तर- ख़ान अब्दुल गफ्फार खाँ को सीमान्त गांधी के नाम से जाना जाता है
  • कश्मीर के भारत में विलय पत्र पर किसने हस्ताक्षर किया था? उत्तर- राजा हरीसिंह
  • राज्यो से पुनर्गठन आयोग के अश्याक्ष कौन था?उत्तर- न्यामूर्ति फजल अली
  • हड़प्पा किस नदी के किनारे स्थित है? उत्तर– रावी नदी के किनारे
  • कालीबंगान स्थिति है? उत्तर- राजस्थान में
  • पूना समझौता किस वर्ष हुआ? उत्तर- 1932 ई. में
  • बिहार में चंपारण सत्या ग्रह कब हुआ? उत्तर- 1917 ई. में
  • डांडी किस राज्य में स्थित है? उत्तर- गुजरात में
  • 1920 ई. में कौन-सा आंदोलन हुआ? उत्तर- असहयोग आंदोलन
  • स्वतंत्र भारत के अंतिम गवर्न जनरल कौन था?उत्तर-सी.राजगोपालाचारी
  • मुस्लिम लीग की स्थापना किस वर्ष हुई? उत्तर- 1906 में
  • भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम कब पारित हुआ? उत्तर- 18 जुलाई 1947 को
  • भारतीय संविधान के अनुसार सम्प्रभुता निहित है?उत्तर- राष्ट्रपति में
  • भारतीय पुरातत्व के पिता किसे कहा जाता है? उत्तर- अलेक्जेंडर कनिघम
  • यूरोप का समुंद्र गुप्त कौन था? उत्तर- नेपोलियन
  • दिल्ली से दौलताबाद किस शासक ने अपनी राजधानी परिवर्तित की ?उत्तर- मुहम्मद तुगलक
  • विजयनगर सम्राज्य द्वारा असैनिक और सैनिक सेवा के लिए दिया जाने वाला भूमिदान की कहलाता है? उत्तर– अमरभ

नेहरू के निर्धन के बाद उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी कों बना?उत्तर- लालबहादुर शास्त्री

भारत में आपातकाल कब लगाया गयाउत्तर- 25 जून,1975 को, भारत में संविधान के किस अनुच्छेद के तहत वित्तिय आपातकाल लगाया गयाउत्तर- अध्यादेश-360, भारतीय इतिहास की शुरुआत कब हुई.

भारत का इतिहास कई सहस्र वर्ष पुराना माना जाता है । 65,000 साल पहले, पहले आधुनिक मनुष्य, या होमो सेपियन्स, अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में पहुँचे थे, जहाँ वे पहले विकसित हुए थे। सबसे पुराना ज्ञात आधुनिक मानव आज से लगभग 30,000 वर्ष पहले दक्षिण एशिया में रहता है।

भारत का इतिहास कितने प्रकार का है?

प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास, आधुनिक भारत और स्वतन्त्रता आंदोलन

Sources – Wikipedia

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18 Comments

Yah post competitive exam ki preparation karne walo ke liye bahut helful hai…

Thanks for the information sir

Verry good tripst by study center

Sir ji apne jo topic select kiye hai wo elsare reet me available hai isliye… NCERT ki aisi koi Book jisme prachin Bharat, Madhyakalin bharat,nd aadhunik bharat ki Book ya fir PDF Hindi medium me ho to PLZZ send me sir ji…. Or tino ki NCERT me Alag alag book milti ho to muje jarur bataye 🙏🙏

Indian history

Nice Post of history INDIA

Sir ji apne jo topic select kiye hai wo elsare reet me available hai isliye… NCERT ki aisi koi Book jisme prachin Bharat, Madhyakalin bharat,nd aadhunik bharat ki Book ya fir PDF Hindi medium me ho to PLZZ send me sir ji…. Or tino ki NCERT me Alag alag book milti ho to muje jarur bataye 🙏🙏

Sir ji apne dehli sultanet or bahmni A-Z topic send karo

Nice to meet you sir

Nice post history 👍❤sir

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भारत का इतिहास पर निबंध bharat ka itihas essay in hindi

Bharat ka itihas essay in hindi.

दोस्तों आज मैं आप लोगों को भारत के इतिहास के बारे में बताने जा रहा हूं कि हमारे भारत में क्या क्या हुआ था और हमारे भारत देश को आजादी दिलाने के लिए किन-किन महापुरुषों ने अपना बलिदान दिया था। अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए कौन कौन से आंदोलन किए गए थे ,कौन-कौन से युद्ध हमारे भारत में किए गए ,कौन कौन सी सभ्यता हमारे भारत में थी यह हम जानेंगे ।

bharat ka itihas essay in hindi

हमारे देश का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प रहा है । आज भी जब हम हमारे देश के इतिहास के बारे में पढ़ते हैं तो हमें गर्व होता है कि हम भारत के निवासी हैं । हमारे देश में कई सभ्यताये थी जैसे कि सिंधु घाटी की सभ्यता , वैदिक सभ्यता और मौर्य , गुप्तों का युग आदि । हमारे देश के इतिहास में कई ऐसे राजाओं ने जन्म लिया है जिनका नाम आज भी इतिहास मैं लिया जाता है । जब हम इन राजाओं की कहानी और दास्तां पढ़ते हैं तो हमें इतना गर्व महसूस होता है कि हम भारत के निवासी हैं । जब हमारे देश को अंग्रेजों ने गुलाम बनाने के लिए भारत में ब्रिटिश कंपनी का आगमन हुआ था और ब्रिटिश कंपनी में अपना साम्राज्य भारत के चारो तरफ फैला लिया तब हमारे देश को गुलाम बना लिया था । देश की गरीब जनता पर अत्याचार करना , देश की महिलाओं पर अत्याचार करना अंग्रेजों का प्रतिदिन का काम बन गया था । किसानों पर कई तरह के अत्याचार अंग्रेजो के द्वारा किए गए थे । अंग्रेजों का विरोध जताने के लिए हमारे देश में कई वीरों ने जन्म लिया जिन्होंने हमारे देश को आजाद कराने के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । हमारे देश को आजाद कराने के लिए कई राजा महाराजा ने भी योगदान दिया था । अब मैं आपको कुछ ऐसे युद्ध बताने वाला हूं जो देश को आजाद कराने के लिए किए गए थे ।

दोस्तों 23 जून 1757 को हमारे भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्लासी का युद्ध किया गया और यह युद्ध बंगाल में प्लासी नामक जगह पर किया गया था । रॉबर्ट क्लाइव और बंगाल के राजा सिराजुद्दौला के बीच यह युद्ध हुआ था । इस युद्ध में बंगाल का विभाजन किया गया था । यह युद्ध इसलिए किया गया था क्योंकि बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को अंग्रेजों से नफरत थी और वह बंगाल को अंग्रेजों के शासन के हवाले नहीं करना चाहते थे । जब अंग्रेजों की कूटनीति को देख कर यह लगा कि अंग्रेज कोलकाता पर राज करना चाहते हैं तब वहां के नवाब सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज उठाई , काल कोठरी कांड के विरुद्ध आवाज उठाई गई क्योंकि सिराजुद्दौला ब्रिटिश सरकार को स्वीकार नहीं करना चाहते थे ।

स्वदेशी आंदोलन एक ऐसा आंदोलन माना जाता है जिस आंदोलन ने अंग्रेजी सरकार की धज्जियां उड़ा दी थी । यह आंदोलन 1905 में बंगाल विभाजन के बाद किया गया था । इस आंदोलन का एक ही मकसद था अंग्रेजों का विरोध करना । इस आंदोलन में देश के सभी लोग ने विदेशी वस्तुओं का विरोध जता कर एवं अंग्रेजो के द्वारा जो काम दिया गया था उसका विरोध जता कर किया था । एवं खाने-पीने की जो वस्तुएं हैं उन वस्तुओं को अपने हाथों के द्वारा बनाकर उपयोग लिया जाने लगा था । स्वदेशी वस्तुओं को अपनाया जाने लगा और यह विरोध कामयाब भी रहा था इस विरोध से अंग्रेज घबरा गए थे ।

इसके बाद हमारे भारत में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम किया गया और 1857 की क्रांति में देश के सभी लोगों ने हिस्सा लिया । 1857 की क्रांति में कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने हिस्सा लिया था । जैसे कि मंगल पांडे , तात्या टोपे और रानी लक्ष्मी बाई आदि । इन लोगों ने 1857 की क्रांति में भाग लिया था । हमारे देश को आजाद कराने के लिए अनेक आंदोलन किए गए थे । काकोरी कांड मैं अंग्रेजी सरकार की एक रेलगाड़ी हथियार और सोना चांदी एवं खजाने को लेकर सहारनपुर से लखनऊ की ओर जा रही थी तभी इस रेल गाड़ी को लूट लिया गया और इस रेलगाड़ी को लूटने के लिए राम प्रसाद बिस्मिल , चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खान और कई क्रांतिकारी मौजूद थे। यह घटना 9 अगस्त 1925 को हुई थी । हमारे देश को आजाद कराने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन किया गया एवं अंग्रेजो का विरोध किया गया था ।

हमारे देश को आजाद कराने के लिए सबसे बड़ा जो आंदोलन माना जाता है वह नमक सत्याग्रह आंदोलन हैं । इसमें महात्मा गांधी जी ने दांडी मार्च निकालकर अंग्रेजों का विरोध जताया था । यह आंदोलन 12 मार्च 1930 को प्रारंभ किया गया था । इस आंदोलन में गांधीजी के साथ साथ कई क्रांतिकारियों ने इस आंदोलन में भाग लिया था । 12 मार्च 1930 से यह आंदोलन प्रारंभ किया गया और 6 अप्रैल 1930 को नमक बनाकर अंग्रेजों का विरोध जताया गया । इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था कि हम भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार होना चाहिए ।

भारत छोड़ो आंदोलन भी जबरदस्त आंदोलन था जो कि 9 अगस्त 1942 को कई स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा किया गया था । इस आंदोलन से अंग्रेज घबराए हुए थे की यह भारत के लोग अब आजादी लेकर ही दम लेंगे । इस तरह से हमारा देश का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प रहा है । हमारे देश के इतिहास को सारी दुनिया पसंद करती है क्योंकि हिंदुस्तान को आजाद कराने के लिए सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की परवाह ना कर के देश को आजाद कराने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था ।

दोस्तों यह आर्टिकल bharat ka itihas essay in hindi आपको अच्छा लगे तो शेयर जरूर करें धन्यवाद ।

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भारतीय इतिहास की जड़ें काफी गहरे तक अपनी पकड़ जमाए हुए हैं, जिसे जानना आज के युवाओं के लिए बेहद आवश्यक है। भारत का इतिहास एक ऐसा रोचक, तथ्यात्मक और महत्त्वपूर्ण विषय है जिसपर जितना पढ़ा और लिखा जाए उतना ही कम है। इस लेख में भारतीय इतिहास के प्राचीन, मध्य और आधुनिक काल को समझने का प्रयास किया गया है। वर्तमान भारत, भारतीय इतिहास और परंपराओं के आधार पर निर्मित है।

इतिहास क्या है?

इतिहास के अन्तर्गत मानव द्वारा किए गए अतीत के प्रयासों को रखा जाता है। प्राचीन भारत का इतिहास मानव सभ्यता के निर्माण के साथ जुड़ा हुआ है। जब मनुष्य जीवन के साक्ष्य उपलब्ध न हों, तो उसे प्राक् इतिहास की संज्ञा दी जाती है, आगे जाकर उस समय से संबंधित अवशेषों की प्राप्ति से हमें उस काल के विषय में जानकारियाँ मिलती हैं। आज का मानवीय विकास इसी क्रमिक विकास का परिणाम है। भारत का इतिहास बेहद विविध और विस्तृत है, इसमें अनेक युग और समय के चक्र शामिल हैं। यह इतिहास 65000 साल पुराना है, जिसकी शुरुआत होमो सेपीयन्स के साथ मानी जाती है। इन्होंने सिंधु घाटी सभ्यता का विकास किया। 

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प्राचीन भारत का इतिहास

सिंधु घाटी सभ्यता.

  • भारतीय इतिहास के विद्वानों का मानना था कि सिकंदर से पहले भारत में कोई सभ्यता नहीं थी, पुरातत्ववादियों ने 20वीं सदी के तीसरे दशक में ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ और ‘हड़प्पा सभ्यता’ की खोज की।

भौगोलिक विस्तार

  • भारत के अलावा इस सभ्यता का विस्तार पकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के कुछ क्षेत्रों में भी मिलता है। यह 13 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में त्रिभुजाकार आकृति में फैली थी।
  • 1921 में भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष सर दयाराम साहनी के नेतृत्व में ‘हड़प्पा सभ्यता’ की खोज की गई। सिंधु घाटी सभ्यता में चार प्रजातियों का निवास था- भूमध्यसागरीय, माँगोलॉयड, अल्पाइन और प्रोटो औसट्रेलॉयड।
  • नई खोज के अनुसार ये सभ्यता करीब 8000 साल पुरानी है। पुरातत्ववादियों ने इस सभ्यता का निर्धारण यहाँ पर पाए गए कंकालों के आधार पर किया, जिसमें मोहनजोदड़ो में सबसे अधिक कंकाल पाए गए।

भारत से जुड़ी ये जानकारी भी पढ़ें-

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल

  • हड़प्पा – 1921 में सर्वप्रथम खोज हड़प्पा की हुई। वर्तमान में यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटमोगरी जिले में स्थित है। इसे स्टुअर्ट पिग्गट ने ‘अर्द्ध औद्योगिक नगर’ की संज्ञा दी है।
  • मोहनजोदड़ों – इसका अर्थ है, ‘लाशों का टीला’। यह पाकिस्तान के सिंधु नदी के तट पर स्थित है। इसकी शासन व्यवस्था जनतंत्रात्मक थी।
  • लोथल – यह गुजरात के अहमदाबाद के गाँव में दक्षिण में स्थित भोगवा नदी के पास है। इसकी खोज 1955 में हुई। यह एक बंदरगाह थी, जो पश्चिमी एशिया में व्यापार के लिए बेहद अहम थी।
  • कालीबांगा – इसकी स्थिति राजस्थान में घग्घर नदी के किनारे है। इसका अर्थ होता है ‘काले रंग की चूड़ियाँ’।

वैदिक सभ्यता

  • वैदिक अथवा आर्य सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के बाद आई। आर्यों ने ही वैदिक संस्कृति का निर्माण किया, इस संस्कृति में आर्य शब्द का प्रयोग श्रेष्ठता के लिए किया जाता है। आर्य संस्कृत भाषा का प्रयोग करते थे।
  • (ऋग्वैदिक काल 1500 से 1000 ई. पूर्व) इस काल में ऋग्वेद संहिता की रचना हुई। इस काल में आर्यों का जीवन कृषि और पशु चारण पर निर्भर था। अवेस्ता (ईरानी भाषा का प्राचीन ग्रंथ) से ऋग्वेद की कुछ बातें मिलतीं हैं।
  • ऋग्वेद में आर्यों का निवास स्थान सप्त सैन्धव (सात नदियों का क्षेत्र) है, जिसमें सतलज, व्यास, रावी, झेलम और चेनाब शामिल हैं। आर्यों का विस्तार पाकिस्तान, पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश के पश्चिम तक था।
  • गंगा और यमुना के आसपास के क्षेत्रों में कब्जा कर इस क्षेत्र को ब्रह्यवृत कहा गया, उत्तर भारत में आर्यों के कब्जे के बाद इस क्षेत्र को आर्यवृत कहा जाने लगा।

उत्तरवैदिक काल

  • इस समय में वैदिक सभ्यता का विस्तार होने लगा और जनपदों का निर्माण हुआ। इस काल में वर्णों का विभाजन हुआ। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में हेय समझा जाने लगा, जिसके चलते ब्राह्मण के विरोध में स्वर ऊंचा होने लगा।

वैदिक साहित्य

  • इस युग का प्रमुख साहित्य था- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथ, उपनिषद् आदि।

महाजनपदों का विस्तार

  • आर्यों के विलीनीकरण के कारण महाजनपदों का निर्माण हुआ। ये 16 महाजनपद थे, इनका विस्तार छठी शताब्दी ईसापूर्व में हुआ। इस समय में भारत में व्यापार और संवृद्धि हुई, इसलिए इसे भारत के राजनैतिक इतिहास का प्रारंभ माना जाता है।
  • इस शताब्दी में बिहार और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में लोहे का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर हुआ, इसने व्यापार और वाणिज्य को बल प्रदान किया, जिससे क्षेत्रीय वर्गों को काफी फायदा मिला।
  • महाजनपदों का वर्णन बौद्ध और जैन ग्रंथों में मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में महाजनपदों की संख्या 16 बताई गईं हैं।

मौर्य साम्राज्य

  • इस साम्राज्य के साक्ष्य जैन और बौद्ध साहित्य में मिलते हैं, विदेशी लेखकों में एरियन आदि कई लेखकों ने मौर्य वंश के बारे में लिखा।
  • यूनानी विद्वानों जैसे जस्टिन ने चनद्रगुप्त को ‘सैंड्रोकोट्स’ कहा। सेल्यूकस निकेटर के राजदूत मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त के दरबार में आया, इसने पाटलिपुत्र का वर्णन ‘इंडिका’ नामक पुस्तक में किया।
  • कई पुरातत्व साक्ष्य भी भारत में मौर्य वंश की मौजूदगी के परिणाम हैं, भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में अशोक के 40 से भी ज्यादा अभिलेख मिले हैं।

मौर्यवंश की स्थापना

  • मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त ने अपने गुरु चाणक्य के साथ मिलकर चौथी शताब्दी ई. पूर्व में क्रूर शासक घनानंद को हराकर मगध में की, पाटलिपुत्र इसकी राजधानी थी।

मौर्यवंश के प्रमुख शासक

  • चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई. से 298 ई. पूर्व)
  • बिन्दुसार (297 ई. से 273 ई. पूर्व)
  • अशोक (268 ई. पूर्व से 232 ई. पूर्व)

मौर्योत्तर काल

  • मौर्यों के अंतिम शासक वृहद्रथ की हत्या कर शंगु वंश ने कब्जा कर लिया, जिसके प्रमाण साहित्य और पुरातत्व दोनों से प्राप्त हुए।
  • यह काल दक्षिण भारत के इतिहास का प्रमाण है, इसका अर्थ है मिलन या संगोष्ठी जो तमिल के कवियों और लेखकों से संबंधित है। इसमें लेखक अपने लेखों और रचनाओं को संगम में एकत्रित अन्य लेखकों के सामने रखते थे, और स्वीकृति मिलने के बाद इनका प्रकाशन किया जाता था।
  • ऋषि अगस्त्य ने दक्षिण भारत में वैदिक संस्कृति का प्रसार किया। इसके प्रमाण संगम साहित्य से ही मिलते हैं।
  • संगम से संबंधित यह दक्षिणी प्राचीन साहित्य ही संगम साहित्य है। संगम युग की जानकारी भी इसी साहित्य से प्राप्त की जाती है, जिसकी उपलब्धता 9 खंडों में है।

गुप्त साम्राज्य

  • शक और कुषाण शासन की राजनीतिक स्थिति चौथी सदी ई. पूर्व में कमजोर होती दिखी, जिसके बाद गुप्त साम्राज्य का उदय हुआ।
  • कुषाणों के बाद चार सदियों तक भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी विकास हुआ, जिसके पीछे गुप्त शासन के राजा थे। इन्होंने पहले बिहार और उत्तर प्रदेश में राज किया। गुप्तों की मुद्राओं के अभिलेख उत्तर प्रदेश में पाए गए।
  • साहित्यिक स्त्रोत- रामगुप्त और चन्द्रगुप्त द्वितीय की जानकारी विशाखादत्त के नाटक से मिलती है, इसके अलावा कालिदास की रचनाएं- मेघदूत, अभिज्ञान शकुंतलं, और वात्स्यायन के कामसूत्र से भी मिलती है।
  • पुरातत्व स्त्रोत – गुप्त अभिलेखों के सिक्के और स्मारक से इनके होने का पता चलता है। स्कंदगुप्त ने सुदर्शन झील का दुबारा निर्माण कराया। इसके विषय में जानकारी जूनागढ़ अभिलेख देते हैं।

गुप्त काल में सोने के सिक्के दीनार , चांदी के सिक्के ‘ रुपक ‘ और तांबे के सिक्के ‘ माषक ‘ कहे जाते थे। ये सिक्के राजस्थान के गाँव बयाना से मिले। भारत में पाए जाने वाली अजंता और बाग की गुफ़ाएं भी गुप्तकाल की ही हैं।

प्रमुख शासक

  • चन्द्रगुप्त प्रथम (240 से 280 ई.) – श्रीगुप्त को गुप्त राजवंश का संस्थापक माना जाता है।
  • समुद्रगुप्त (335 से 375 ई.) – चन्द्रगुप्त का पुत्र समुद्रगुप्त जिसे भारत के नेपोलियन के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने ही अश्वमेध यज्ञ कराया।
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय (375-414 ई.) – विक्रमादित्य के शासन काल को गुप्तकाल का स्वर्ण युग कहा गया है, इनके ही शासन में चीन का यात्री फाह्यान भारत आया।
  • कुमारगुप्त (415-454 ई.) – कुमारगुप्त ने ही नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की, गुप्त काल के शासकों में से सबसे अधिक अभिलेख इनके ही मिलते हैं।
  • स्कंदगुप्त (455-467 ई.) – इनके समय में हूणों का आक्रामण एक महत्वपूर्ण घटना थी। जूनागढ़ के अभिलेखों पर मलेच्छों पर स्कंदगुप्त की विजय का वर्णन देख जाता है।

गुप्तोत्तर काल

  • छठी सदी के मध्य तक आते-आते, गुप्त शासन काल नष्ट होता चला गया, जिसके बाद क्षेत्रीयता की भावना ने जन्म लिया, इसके बाद भी भारत में क्षेत्रीय एकता की स्थापना नहीं हो सकी।

गुप्तोत्तर काल के साम्राज्य

  • वर्धन साम्राज्य, के संस्थापक हर्षवर्धन (590-647 ई.) थे, इनके शासन के समय इन्होंने अपनी राजधानी कन्नौज को बनाया। इनके समय में ह्वेनसांग भारत आया।
  • पाल वंश के शासकों ने 750 ई. तक भारत पर राज किया, इसके प्रमुख शासक थे- गोपाल (750-770 ईस्वी), धर्मपाल (770-810 ई.), देवपाल (810-850 ई.), महिपाल प्रथम (988 ई.)।

दक्षिण भारत के राजवंश

  • पल्लव वंश , के संस्थापक सिंहविष्णु (575 से 600 ई.)
  • राष्ट्रकूट, के संस्थापक दंतिदूर्ग (736-756 ई.)
  • चोल साम्राज्य , (9वीं से 12वीं शताब्दी में)

मध्यकालीन भारत का इतिहास

  • कई एतिहासिक स्त्रोत बताते हैं कि भारत का मध्यकालीन इतिहास किस प्रकार का रहा। भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना तुर्कों द्वारा की गई, तुर्कों ने भी भारत पर कई चरणों में आक्रमण किए, जिसमें पहला 1000 से 1027 ई. के मध्य में महमूद गजनवी ने किया।
  • इन्होंने अपना शासन गुजरात में स्थापित किया। इनका उत्तर भारत पर प्रभाव कम था, इसके बाद गौर के शासक शहबुद्दीन मोहम्मद गौरी ने 1175 से 1206 ई. के दौरान ऐबक और बख्तियार खिलजी के साथ भारत पर आक्रमण किया। गौरी की मृत्यु के बाद तुर्क साम्राज्य का विभाजन हो गया, और यही आगे चलकर दिल्ली सल्तनत के नाम से जाने गए।

गुलाम वंश (1206 से 1290 ई.)

  • कुतुबउद्दीन ऐबक – इन्होंने जून 1206 में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया, इन्होंने ही कुतुब मिनार की नींव रखी, इन्हें ‘लाल बख्श’ भी कहा जाता है। इनकी मृत्यु 1210 में हुई।
  • शम्सुद्दीन इल्तुतमिश – ऐबक के पुत्र आरमशाह को राजगद्दी पर बिठाया गया, जिसके कारण अराजकता फैल गई, इसे इल्तुतमिश (ऐबक के दामाद) ने हरा कर गद्दी पर कब्जा किया, इसके बाद उन्होंने 1231-1232 ई. में कुतुबमिनार का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया।
  • रजिया सुल्तान – ये इल्तुतमिश की बेटी थीं, जो दिल्ली सल्तनत की पहली महिला मुस्लिम शासक थीं।
  • बलबन (1266 ई.)- रजिया सुल्तान के बाद अन्य अयोग्य शासकों को गद्दी से हटाकर बलबन को शासक बनाया गया। 1287 में बलबन की मृत्यु के बाद जलालुद्दीन खिलजी का उदय हुआ।

खिलजी वंश (1290-1320 ई.)

  • जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 ई. में खिलजी राजवंश की स्थापना की, और किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया।
  • अलालुद्दीन खिलजी ने 1296 में दिल्ली की गद्दी संभाली, अपने राज में इन्होंने बाजार नियंत्रण प्रणाली को लागू किया, जमायतखाना मस्जिद और अलाई दरवाजा का निर्माण करवाया।
  • अमीर खुसरो इनके ही दरबारी कवि रहे, इनकी मृत्यु 1316 ई. हुई।
  • मुबारक शाह खिलजी ने खिलाफत उल-लह अल-इनाम की उपाधि ली, और खुद को खलीफा घोषित कर दिया।

तुगलक वंश (1320- 1413 ई.)

  • गयासुद्दीन तुगलक – इन्होंने 1320 ई. में दिल्ली की गद्दी हासिल की, दिल्ली में तुगलकाबाद नाम का नगर स्थापित किया। 1325 ई. में इनकी मृत्यु हुई।
  • मुहम्मद बिन तुगलक – 1327 ई. में इन्होंने दिल्ली की कमान संभाली, और अपनी राजधानी को दौलताबाद रखा। कृषि के विकास के लिए दीवान-ए-कोही नाम का विभाग बनाया, 1333 ई. इनके शासन काल में इब्नबतूता मोरक्को से भारत आया। बिन तुगलक की मृत्यु 1351 में हुई।
  • फिरोजशाह तुगलक – 1351 में दिल्ली का सुल्तान बना, और 24 करो की संख्या को 4 कर दिया। इसने दिल्ली में फिरोजबाद और अन्य स्थानों पर हिसार, जौनपुर जैसे नगरों को स्थापना की। कोटला फिरोजशाह दुर्ग का निर्माण दिल्ली में किया।

लोदी वंश (1451 से 1526 ई.)

  • बहलोल लोदी – (1451 से 1489 ई.)
  • सिकंदर लोदी – (1489 से 1517 ई.)
  • इब्राहीम लोदी – (1517 से 1526 ई.)

भारत में धार्मिक आंदोलन

  • सूफी आंदोलन – इसमें एकेश्वरवाद पर बल दिया गया, दिल्ली के शेख निजामुद्दीन औलिया, और नसीरुद्दीन आदि सूफी के ही संत थे।
  • भक्ति आंदोलन – भक्ति आंदोलन का विकास 12 वैष्णव संतों और 63 शैव संतों ने मिलकर किया, यह आंदोलन 7वीं और 12वीं शताब्दी के बीच दक्षिण भारत में किया गया।

विजयनगर और बहमनी साम्राज्य

  • दिल्ली सल्तनत का विरोध दक्षिण भारत में किया गया, क्योंकि दक्षिण भारत को भी इसमें शामिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसके चलते यहाँ विजयनगर और बहमनी साम्राज्य का उदय हुआ।
  • विजयनगर साम्राज्य को 1336 में हरिहर और बुक्का ने स्थापित किया। इसकी राजधानी हम्पी थी। हरिहर और बुक्का ने जिस वंश का निर्माण किया उसे उनके पिता के नाम पर संगम वंश कहा गया।
  • बहमनी साम्राज्य तुगलक साम्राज्य के हसन गूंग ने बहमनी साम्राज्य बनाया। यहाँ के शासक हुमायूं को दक्कन का नीरो कहा जाता था ।
  • मेवाड़- विजय स्तम्भ का निर्माण राणा कुम्भ ने चितौड़ में 1448 ई. में कराया, खनवा का युद्ध 1527 ई. में राणा साग और बाबर के बीच हुए, इसमें बाबर विजयी हुआ। हल्दीघाटी का युद्ध राणा प्रताप और अकबर के बीच 1576 ई. में हुआ, अकबर विजयी हुआ।

मुग़ल साम्राज्य

  • मुग़लों के आगमन से भारत के मध्यकाल में नए बदलाव आए। मुग़ल वंश की स्थापना बाबर (1526-1530 ई.) ने की। पानीपत के पहले युद्ध (1526 ई.) में तुगलूमा युद्ध नीति का प्रयोग सबसे पहले बाबर ने किया।
  • हुमायूँ (1530-40 ई. और 1555-1556 ई.) ने दिल्ली की सत्ता संभाली, और दिल्ली में दीनपनाह की स्थापना की, शेर खां और हुमायूं के बीच चौसा का युद्ध 1539 ई. में हुआ।
  • 1540 के कन्नौज युद्ध में हुमायूँ को हराकर शेर खां ने दिल्ली और आगरा पर कब्जा जमा लिया, इसके बाद 1555 ई. में सिकंदर सूरी को हराकर दिल्ली पर हुमायूँ ने फिर कब्जा कर लिया, दीनपनाह की सीढ़ियों से गिरकर इनकी मृत्यु हुई।
  • शेरशाह सूरी (1540-1545 ई.) ने सुर साम्राज्य की स्थापना की, डाक प्रथा का शुरुआत की, पुराने किले का निर्माण करवाया, मालिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना इनके शासन काल में की।
  • अकबर (1556-1605 ई.) ने पानीपत के दूसरे युद्ध में हेमू को हराया,1562 में इन्होंने दास प्रथा का अंत किया, और कई बड़े निर्णय लिए। हल्दी घाटी के युद्ध में अकबर ने महाराणा प्रताप को हराया।
  • जहांगीर (1605 से 1627 ई.) के बचपन का नाम सलीम था, जहांगीर की आत्म कथा का नाम है तुजुक-ए-जहांगीर, जिसे फ़ारसी भाषा में लिखा गया है। इसके समय को चित्रकला के लिए स्वर्णकाल कहा गया है।
  • शहांजहाँ (1627 से 1658 ई.) ने ताजमहल का निर्माण कराया, इसके अलावा दिल्ली में लाल किला, दीवाने ए आम और खास का निर्माण भी कराया। 1658 ई. में औरंगजेब ने इन्हें बंदी बनाया इसके बाद, 1666 ई. में इनकी मृत्यु हुई।
  • औरंगजेब को जिंदा पीर के नाम से भी जाना जाता था, इन्होंने बीबी के मकबरे का निर्माण किया, इन्होंने ही सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर की हत्या दिल्ली में कारवाई, इनकी मृत्यु 1707 ई. में हुई।
  • बहादुरशाह प्रथम (1707-1712 ई.) को खफी खां ने शाहे बेखबर कहा, मुग़लों के अंतिम शासक बहादुरशाह जफ़र थे।

मराठा साम्राज्य

  • शिवाजी ने इस साम्राज्य की स्थापना की, शिवाजी ने छत्रपति की उपाधि हासिल की और इनकी मृत्यु 1680 ई. में हुई।

आधुनिक भारत का इतिहास

  • भारत में वास्को डी गामा 1498 ई. पुर्तगाल से आया, जिसने भारत के पश्चिमी तट के कालीकट से भारत में कदम रखा।
  • 1600 ई. एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अधिकार प्रदान किया और 1608 में पहली फैक्ट्री सूरत में डाली गई, फ़्रांसीसियों ने पहली फैक्ट्री सूरत में 1668 में डाली।
  • बंगाल – औरंगजेब की मृत्यु के बाद बंगाल स्वतंत्र हुआ और राजधानी मुर्शिदाबाद बनाई। 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ, और अंग्रेजों के विरुद्ध गठबंधन की हार हुई।
  • मैसूर – 1782 ई. के बाद टीपू सुल्तान ने स्वतंत्रता का प्रयास किया और एक अलग सेना बनाई, अंग्रेजों, निजाम और मराठों ने मिलकर टीपू सुल्तान को हरा दिया, टीपू की मृत्यु के बाद मैसूर पर लॉर्ड वेलजली का कब्जा हुआ।

बंगाल के गवर्नर

  • रॉबर्ट क्लाइव (1757-60ई, 1765-67 ई.)
  • वारेन हेस्टिंगस (1774-85 ई.)
  • लॉर्ड कॉर्नवलिस (1786-93 ई.)
  • लॉर्ड वेलजली (1798-1805 ई.)
  • लॉर्ड मिंटों (1807-13 ई.)
  • लॉर्ड हेस्टिंग (1813-23 ई.)
  • लॉर्ड एमहसर्ट (1823-28 ई.)

भारत के गवर्नर

  • लॉर्ड विलियम बैंटिक (1828 से 1835 ई.)
  • सर चार्ल्स मेटकॉफ (1835 से 1836 ई.)
  • लॉर्ड ऑकलैंड (1836 से 1842 ई.)
  • लॉर्ड एलनबरो (1842 से 1844 ई.)
  • लॉर्ड हार्डिंग (1844 से 1848 ई.)
  • लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856 ई.)

सन् 57 का विद्रोह

  • यह विद्रोह भारत की स्वतंत्रता का पहला विद्रोह था, जिसे मंगल पांडे ने बैरकपुर में शुरू किया। लेकिन यह विद्रोह असफल रहा, इसका कारण था, दक्षिण की ओर न फैल पाना, और कई राज्यों के राजाओं ने ही इस आंदोलन को रोकने में अंग्रेजों की मदद की।
  • सामाजिक सुधार और आंदोलन – इस दौरान देश में ब्रह्म, आर्य और प्रार्थना समाजों की स्थापना की, इसके अलावा 1897 ई. में स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, और 1894 में वेदान्त समाज का गठन न्यूयॉर्क में किया।
  • राष्ट्रीय आंदोलन – भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना सन् 1885 में ए-ओ ह्यूम द्वारा की गई, इसका पहला अधिवेशन मुंबई में बुलाया गया।
  • सन् 1905 में लॉर्ड कर्जन ने राष्ट्रीय भावना को कमजोर करने के उद्देश्य से बंगाल के विभाजन की घोषणा की, टाउन हाल में स्वदेशी आंदोलन के चलते रबीन्द्र नाथ टैगोर ने अमार सोनार बांग्ला की रचना की, जो बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान है। 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन और तेज हुआ।
  • महात्मा गांधी सन् 1915 में भारत लौटे, गुजरात के चंपारण में साबरमती आश्रम की स्थापना की, और 1917 में चंपारण में नील की खेती के लिए अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन किया।
  • रोल्ट एक्ट – ब्रिटिश सरकार ने देश में उठ रही क्रांति की लहर को शांत करने के लिए एक कमिटी नियुक्त की जिसे ‘काला कानून’ यानी रोल्ट एक्ट के नाम से जाना जाता है, 1919 में हुआ।
  • 1920 में खिलाफत आंदोलन हुआ जिसकी अध्यक्षता मोहम्मद अली और शौकत अली ने की।
  • 1920 में ही असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई, इसकी अध्यक्षता गांधी ने की, इसमें शिक्षण संस्थाओं और न्यायालयों का विरोध किया गया। गांधी ने इस आंदोलन को चोरा चोरी में हुई घटना के चलते, 1922 में वापस ले लिया।
  • साइमन कमीशन का विरोध भारत में बड़े स्तर पर हुआ, इस आयोग से 8 सदस्यों में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था, यही विरोध का कारण बना, लाहौर में इसी आंदोलन के चलते लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई।
  • पूर्ण स्वराज की मांग (1929 में) काँग्रेस के ऐतिहासिक अधिवेशन लाहौर में पूर्ण स्वराज की मांग उठी।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन- इरविन ने 1930 में गांधी के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने के कारण इस आंदोलन की शुरुआत हुई।
  • 12 मार्च 1930 में दांडी मार्च किया और 6 अप्रैल को नामक कानून को तोड़ा।
  • पहला गोलमेज सम्मेलन 1930 में लंदन में आयोजित हुआ। इस आंदोलन का गांधी ने बहिष्कार किया लेकिन अंबेडकर ने तीनों सम्मेलनों में हिस्सा लिया।
  • 5 मार्च 1931 को गांधी और इरविन में समझौता हुआ, दूसरा गोलमेज 1931 में हुआ, इसमें गांधी ने भी हिस्सा लिया। तीसरे गोलमेज (1932) में काँग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया।
  • भारत छोड़ो आंदोलन – 1942 में बंबई में काँग्रेस की बैठक से यह प्रस्ताव पास हुआ, और गांधी ने करो या मरो का नारा दिया, इसके बाद नेताओं को गिरफ्तार किया गया। मुस्लिम लीग ने इस आंदोलन का विरोध किया।
  • इस समय में द्वि-राष्ट्र के सिद्धांत को मान्यता दी गई। केबिनेट मिशन (1946) देशी रियासतों की स्वतंत्रता आदि को इस मिशन में स्वीकारा गया।
  • भारत के आखिरी ब्रिटिश वायसराय का 1947 में भारत आगमन और भारत के स्वतंत्रता विधेयक पर हस्ताक्षर, जिसे 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश की संसद में स्वीकृति मिली।

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प्राचीन भारत का इतिहास नोट्स

प्राचीन भारत का इतिहास ( prachin bharat ka itihas).

उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला यह उपमहाद्वीप भारतवर्ष के नाम से ज्ञात है , जिसे महाकाव्य तथा पुराणों में ‘भारतवर्ष’ अर्थात ‘भरत का देश’ तथा यहां के निवासियों को भारती तथा भरत की संतान कहा गया है । यूनानियों ने भारत को इंडिया तथा मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने हिंद अथवा हिंदुस्तान के नाम से संबोधित किया है ।

Prachin Bharat ka itihas ncert notes

भारतीय इतिहास को अध्ययन की सुविधा के लिए तीन भागों में बांटा गया है – प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत एवं आधुनिक भारत

1. प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत

प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में जानकारी चार स्रोतों से प्राप्त होती है – धर्म ग्रंथ ,ऐतिहासिक ग्रंथ, विदेशियों का विवरण तथा पुरातत्व संबंधी साक्ष्य

धर्म ग्रंथ एवं ऐतिहासिक ग्रंथ से मिलने वाली महत्वपूर्ण जानकारी

भारत का सर्व प्राचीन धर्म ग्रंथ वेद है , जिसके संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता है । वेद चार है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद । इन चार वेदों को संहिता कहा जाता है ।

⇒ ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है । इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त एवं 10462 ऋचाएँ हैं ।

⇒ इस वेद से आर्य के राजनीतिक प्रणाली एवं इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है ।

⇒ विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है ।

⇒ ऋग्वेद के नौवें मंडल में देवता सोम का उल्लेख है ।

⇒ इसके आठवीं मंडल की हस्तलिखित ऋचाओं को खिल कहा जाता है ।

⇒ चातुष्वर्ण्य समाज की कल्पना का आदि श्रोत ऋग्वेद के दसवें मंडल में वर्णित पुरुषसूक्त है , जिसके अनुसार चार वर्ण ब्राह्मण ,क्षत्रिय वैश्य ,शूद्र हैं।

⇒ वामनावतार के तीन पगों का उल्लेख प्राचीनतम स्रोत ऋग्वेद है ।

⇒ ऋग्वेद में इंद्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गयी है ।

यजुर्वेद :-

⇒ यजुर्वेद में यज्ञों के नियमों एवं विधि विधानों का संकलन मिलता है ।

⇒ यह वेद गद्य और पद्य दोनों में है । इसके दो भाग हैं – कृष्ण यजुर्वेद एवं शुक्ल यजुर्वेद

⇒ इस वेद में यज्ञों के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्रों का संकलन है ।

⇒ इसे भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है ।

अथर्ववेद :-

⇒ अथर्वा ऋषि द्वारा रचित इस वेद में कुल 731 मंत्र तथा लगभग 6000 पद्य हैं ।

⇒ इसमें सामान्य लोगों की विश्वासों ,अंधविश्वासों का वर्णन है । जादू, टोने-टोटके ,भूत प्रेत ,जड़ी-बूटी सभी का वर्णन है ।

⇒ इसमें सभा एवं समिति को प्रजापति की दो पुत्रियाँ कहा गया है ।

महत्वपूर्ण बिंदु :-

(1) वेदों को भली-भांति समझने के लिए 6 वेदांगों की रचना हुई – शिक्षा ,ज्योतिष, कल्प, व्याकरण, निरुक्त , छंद

(2) पुराणों की रचयिता लोमहर्ष अथवा उनके पुत्र उग्रश्रवा ने की , जिनकी संख्या 18 है ।

(3) शतपथ ब्राह्मण में स्त्री को पुरुष का अर्धांगिनी कहा गया है ।

(4) स्मृति ग्रंथों में सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक मनुस्मृति मानी जाती है । यह शुंग काल का मानक ग्रंथ है ।

(5) जातक में बुद्ध की पूर्वजन्म की कहानियां वर्णित है । हीनयान का प्रमुख ग्रंथ ‘कथावस्तु’ है ,जिसमें महात्मा बुद्ध का जीवन चरित्र वर्णित है ।

(6) जैन साहित्य को आगम कहा जाता है । जैनधर्म का प्रारंभिक इतिहास ‘कल्पसूत्र’ से ज्ञात होता है ।

(7) अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य है ,इसमें मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है ।

(8) संस्कृत साहित्य में ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमबद्ध लिखने का सर्वप्रथम प्रयास कल्हण ने किया था । कल्हण द्वारा रचित पुस्तक ‘राजतरंगिणी’ है, जिसका संबंध कश्मीर के इतिहास से है ।

(9) अरबों की सिंध विजय का वर्णन चचनामा में है , जिसके लेखक अली अहमद है ।

(10) संस्कृत भाषा व्याकरण की प्रथम पुस्तक ‘अष्टाध्यायी’ के लेखक पाणिनि है । इसमें मौर्य के पहले का इतिहास तथा मौर्ययुगीन राजनीतिक अवस्था की जानकारी प्राप्त होती है ।

(11) कत्यायन की गार्गी संहिता एक ज्योतिष ग्रंथ है , इसमें यवन आक्रमण का उल्लेख मिलता है ।

(12) पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित पंतजलि के महाभाष्य से शुंगों के इतिहास का पता चलता है ।

विदेशी यात्रियों से मिलने वाली प्रमुख जानकारी

A. यूनानी- रोमन लेखक, b. चीनी लेखक, c. अरबी लेखक, d. अन्य लेखक, पुरातत्व संबंधी साक्ष्य से मिलने वाली जानकारी.

⇒ 1400 ईसा पूर्व के अभिलेख ‘बोगाज़-कोई’ (एशिया माइनर ) से वैदिक देवता मित्र ,वरुण, इंद्र और अश्विनी कुमार के नाम मिलते हैं ।

⇒ मध्य भारत में भागवत धर्म विकसित होने का प्रमाण यवन राजदूत होलियोडोरस के वेसनगर(विदिशा) गरुड़ स्तंभ लेख से प्राप्त होता है ।

⇒ सर्वप्रथम भारतवर्ष का जिक्र हाथी गुफा अभिलेख में हैं ।

⇒ सर्वप्रथम भारत पर होने वाले हुण आक्रमण की जानकारी भीतरी स्तंभ लेख से प्राप्त होती है ।

⇒ सती प्रथा का पहला लिखित साक्ष्य एरण अभिलेख ( शासक भानु गुप्त ) से प्राप्त होती है ।

⇒ रेशम बुनकर की श्रेणियों की जानकारी मंदसौर अभिलेख से प्राप्त होती है ।

⇒ कश्मीरी नवपाषाणिक पुरास्थल बुर्जहोम से गर्तावास(गढ्ढा घर) का साक्ष्य मिला है ।

⇒ प्राचीन सिक्कों को आहत सिक्के कहा जाता है, इसी को साहित्य में  काषार्पण कहा गया है ।

⇒ सर्वप्रथम सिक्कों पर लेख लिखने का कार्य यवन शासक ने किया ।

⇒ समुंद्र गुप्त की वीणा बजाती हुई मुद्रा वाले सिक्के से उसके संगीत प्रेमी होने का प्रमाण मिलता है ।

⇒ अरिकमेडू से रोमन सिक्के प्राप्त हुए हैं ।

⇒ उत्तर भारत के मंदिरों की कला की शैली नागर शैली एवं दक्षिण भारत के मंदिरों की कला द्रविड़ शैली कहलाती है ।

⇒ दक्षिणपंथ के मंदिरों के निर्माण में नागर और द्रावीड़ दोनों शैलियों का प्रभाव पड़ा ,अत: यह वेलर शैली कहलाती है ।

⇒ पंचायतन शब्द मंदिर रचना शैली से संबंधित है । उदाहरण – कंदरिया महादेव मंदिर (खजुराहो ), ब्रह्मेश्वर मंदिर (भुवनेश्वर ),लक्ष्मण मंदिर (खजुराहो ), लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर ), दशावतार मंदिर (देवगढ़ ,उ. प्रदेश ), गोंडेश्वर मंदिर (महाराष्ट्र )

महतवपूर्ण अभिलेख

नोट: – अभिलेखों का अध्ययन इपीग्राफी कहलाता है ।

Prachin Bharat ka itihas

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भारत पर निबंध (India Essay in Hindi)

भारत

पूरे विश्व भर में भारत एक प्रसिद्ध देश है। भौगोलिक रुप से, हमारा देश एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। भारत एक अत्यधिक जनसंख्या वाला देश है साथ ही प्राकृतिक रुप से सभी दिशाओं से सुरक्षित है। पूरे विश्व भर में अपनी महान संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के लिये ये एक प्रसिद्ध देश है। इसके पास हिमालय नाम का एक पर्वत है जो विश्व में सबसे ऊँचा है। ये तीन तरफ से तीन महासागरों से घिरा हुआ है जैसे दक्षिण में भारतीय महासागर, पूरब में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरेबिक सागर से। भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या के लिहाज से दूसरे स्थान पर है। भारत में मुख्य रूप से हिंदी भाषा बोली जाती है परंतु यहां लगभग 22 भाषाओं को राष्ट्रीय रुप से मान्यता दी गयी है।

भारत पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on India in Hindi, Bharat par Nibandh Hindi mein)

इंडिया पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

भारत देश शिव, पार्वती, कृष्ण, हनुमान, बुद्ध, महात्मा गाँधी, स्वामी विवेकानंद और कबीर आदि जैसे महापुरुषों की धरती है। भारत एक समृद्ध देश है जहाँ साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्र में महान लोगों ने जन्म लिया जैसे रविन्द्रनाथ टैगोर, सारा चन्द्रा, प्रेमचन्द, सी.वी.रमन, जगदीश चन्द्र बोस, ए.पी.जे अब्दुल कलाम, कबीर दास आदि।

भारत : विविधता में एकता

भारत“विविधता में एकता”काप्रतिकहैक्योंकि भारत मेंविभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग एकता के साथ रहते हैं। भारत में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के लोग आपस में भाईचारे से रहते है। भारत में 22 प्रकार की आधिकारिक भाषाएँ बोली जाती है। यहाँ हर धर्म, पंथ और समुदाय की अपनी अलग भाषा, पहनावा और रीती रिवाज है। इतनी विभिन्नता में भी भारतीयता की डोर ने सभी को आपस में बांध रखा है।

भारत : एक महान और पुरातन राष्ट्र

भारत एक पुरातन देश है, जहाँ की सभ्यता प्राचीन काल में ही शीर्ष पर थी। यह प्राचीन समय से ही ज्ञान और विज्ञानं का केंद्र रहा है। भारत ने हमेशा ही वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया जिसका अर्थ है यह सम्पूर्ण संसार ही मेरा घर है।

भारत : विश्व गुरु

भारत शिक्षा, शास्त्र और शस्त्र में अग्रणी देश रहा है। भारत में अलबरूनी , मेगस्थनीज आदि जैसे अनेक विदेशी विद्वान शिक्षा प्राप्त करने आते थे।भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय रहे , जिनमे देश विदेश के विद्यार्थी अध्ययन करने आते थे। भारत ने आर्यभट्ट , वराहमिहिर, रामानुज , चरक , सुश्रुत आदि जैसेविद्वान हुए , जिन्होंने पुरे संसार में भारत का परचम लहराया।

भारत को  वेद, पुराण, संस्कृति, भाषा, विज्ञानं, धर्म  आदि से धनवान बनाने में महापुरुषों का अतुलनीय योगदान रहा है। भारत देवभूमि है, जो ऋषियों की भूमि रही है। हम सभी को भारत देश पर गर्व है।

इसे यूट्यूब पर देखें : इंडिया पर निबंध

निबंध 2 (200 शब्द)

भारत एक खूबसूरत देश है जो अपनी अलग संस्कृति और परंपरा के लिये जाना जाता है। ये अपने ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ के नागरिक बेहद विनम्र और प्रकृति से घुले-मिले होते हैं। ब्रिटिश शासन के तहत 1947 से पहले ये एक गुलाम देश था। हालाँकि, हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और समर्पण की वजह से 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली। जब भारत को आजादी मिली तो पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और भारतीय झंडे को फहराया और कहा कि “जब दुनिया सोती है, भारत जीवन और आजादी के लिये जागेगा”।

भारत मेरी मातृभूमि है और मैं इसे बहुत प्यार करता हूँ। भारत के लोग स्वभाव से बहुत ही ईमानदार और भरोसेमंद होते हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोग बिना किसी परेशानी के एक साथ रहते हैं। मेरे देश की मातृ-भाषा हिन्दी है हांलाकि बिना किसी बंधन के अलग-अलग धर्मों के लोगों के द्वारा यहाँ कई भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत एक प्राकृतिक सुंदरता का देश है जहाँ समय-समय पर महान लोग पैदा हुए हैं और महान कार्य किये। भारतीयों का स्वाभाव दिल को छू लेने वाला होता है और दूसरे देशों से आये मेहमानों का वो दिल से स्वागत करते हैं।

भारत में जीवन के भारतीय दर्शन का अनुसरण किया जाता है जो सनातन धर्म कहलाता है और यहाँ विविधता में एकता को बनाए रखने के लिये मुख्य कारण बनता है। भारत एक गणतांत्रिक देश है जहाँ देश की जनता को देश के बारे में फैसले लेने का अधिकार है। यहाँ देखने के लिये प्राचीन समय के बहुत सारे अति सुंदर प्राकृतिक दृश्य, स्थल, स्मारक, ऐतिहासिक धरोहर आदि है जो विश्व के हर कोने के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। भारत अपने आध्यात्मिक कार्यों, योगा, मार्शल आर्ट आदि के लिये बहुत प्रसिद्ध है। भारत में दूसरे देशों से भक्तों और तीर्थयात्रियों की एक बड़ी भीड़ यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक धरोहरों की सुंदरता को देखने आती हैं।

निबंध 3 (350 शब्द)

भारत मेरी मातृ-भूमि है जहाँ मैंने जन्म लिया है। मैं भारत से प्यार करता हूँ और इस पर मुझे गर्व है। भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या में चीन के बाद दूसरे स्थान पर काबिज़ है। इसका समृद्ध और शानदार इतिहास रहा है। इसे विश्व की पुरानी सभ्यता के देश के रुप में देखा जाता है। ये सीखने की धरती है जहाँ विश्व के हर कोने से विद्यार्थी यहाँ के विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिये आते हैं। कई धर्मों के लोगों के अपने विभिन्न अनोखे और विविध संस्कृति और परंपरा के लिये ये देश प्रसिद्ध है।

प्रकृति में आकर्षित होने की वजह से विदेशों में रहने वाले लोग भी यहाँ की संस्कृति और परंपरा का अनुसरण करते हैं। कई आक्रमणकारी यहाँ आये और यहाँ की शोभा और बहुमूल्य चीजों को चुरा कर ले गये। कुछ ने इसको अपना गुलाम बना लिया जबकि देश के बहुत से महान नेताओं की संघर्ष और बलिदान की वजह से 1947 में हमारी मातृ-भूमि अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुयी।

जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुयी उसी दिन से हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। पंडित नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। प्राकृतिक संसाधनों से भरा देश होने के बावजूद भी यहाँ के रहवासी गरीब हैं। रविन्द्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चन्द्र बोस, सर सी.वी.रमन, श्री एच.एन भाभा आदि जैसे उत्कृष्ट लोगों की वजह से तकनीक, विज्ञान, और साहित्य के क्षेत्र में ये लगातार बढ़ रहा है।

ये एक शांतिप्रिय देश है जहाँ बिना किसी हस्तक्षेप के अपने त्योहारों को मनाने के साथ ही विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा का अनुसरण करते हैं। यहाँ पर कई शानदार ऐतिहासिक इमारतें, विरासत, स्मारक और खूबसूरत दृश्य हैं जो हर वर्ष अलग देशों के लोगों के मन को अपनी ओर खिंचता है। भारत में ताजमहल एक महान स्मारक और प्यार का प्रतीक है तथा कश्मीर धरती के स्वर्ग के रुप में है। ये प्रसिद्ध मंदिरों, मस्ज़िदों, चर्चों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, कृषि योग्य मैदान, सबसे उँचा पर्वत आदि का देश है।

निबंध 4 (400 शब्द)

भारत मेरा देश है और मुझे भारतीय होने पर गर्व है। ये विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा और विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। इसे भारत, हिन्दुस्तान और आर्यव्रत के नाम से भी जाना जाता है। ये एक प्रायद्वीप है जो पूरब में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरेबियन सागर और दक्षिण में भारतीय महासागर जैसे तीन महासगरों से घिरा हुआ है। भारत का राष्ट्रीय पशु चीता, राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय फूल कमल, और राष्ट्रीय फल आम है। भारतीय झंडे में तीन रंग है, केसरिया का मतलब शुद्धता (सबसे ऊपर), सफेद अर्थात् शांति (बीच का जिसमें अशोक चक्र है) और हरा रंग का अर्थ उर्वरता से है (सबसे नीचे)। अशोक चक्र में बराबर भागों में 24 तीलियाँ हैं। भारत का राष्ट्र गान “जन गण मन”, राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” और राष्ट्रीय खेल हॉकी है।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग अलग-अलग भाषा बोलते हैं और विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय और संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। इसी वजह से भारत में “विविधता में एकता” का ये आम कथन प्रसिद्ध है। इसे आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकीय की भूमि भी कहा जाता है। प्राचीन समय से ही यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, जैन और यहूदी एक साथ रहते हैं। ये देश अपने कृषि और खेती के लिये प्रसिद्ध है जो प्राचीन समय से ही इसका आधार रही है। ये अपने पैदा किये हुए अनाज और फल इस्तेमाल करता है। ये एक प्रसिद्ध पर्यटन का स्वर्ग है क्योंकि पूरे विश्व के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ये स्मारकों, मकबरो, चर्चों, ऐतिहासिक इमारतों, मंदिर, संग्रहालयों, रमणीय दृश्य, वन्य जीव अभ्यारण्य, वास्तुशिल्प की जगह आदि इसके राजस्व का जरिया हैं।

ये वो जगह है जहाँ ताजमहल, फतेहपुर सीकरी, स्वर्ण मंदिर, कुतुब मीनार, लाल किला, ऊटी, नीलगिरी, कश्मीर, खजुराहों, अजन्ता और एलोरा की गुफाएँ आदि आश्चर्य मौजूद हैं। ये एक महान नदियों, पहाड़ों, घाटियों, झील और महासागरों का देश है। भारत में मुख्य रूप से हिंदी भाषा बोली जाती है। ये एक ऐसा देश है जहाँ 29 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेश है। ये मुख्य रुप से कृषि प्रधान देश है जो गन्ना, कपास, जूट, चावल, गेंहूँ, दाल आदि फसलों के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है। ये एक ऐसा देश है जहाँ महान नेता (शिवाजी, गाँधीजी, नेहरु, डॉ अंबेडकर आदि), महान वैज्ञानिकों (डॉ जगदीश चन्द्र बोस, डॉ होमी भाभा, डॉ सी.वी.रमन, डॉ नारालिकर आदि) और महान समाज सुधारकों (टी.एन.सेशन, पदुरंगाशास्त्री अलवले आदि) ने जन्म लिया। ये एक ऐसा देश है जहाँ शांति और एकता के साथ विविधता मौजूद है।

Essay on India in Hindi

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Essay on India For Students and Children

500+ words essay on india.

India is a great country where people speak different languages but the national language is Hindi. India is full of different castes, creeds, religion, and cultures but they live together. That’s the reasons India is famous for the common saying of “ unity in diversity “. India is the seventh-largest country in the whole world.

Geography and Culture

India has the second-largest population in the world. India is also knowns as Bharat, Hindustan and sometimes Aryavart. It is surrounded by oceans from three sides which are Bay Of Bengal in the east, the Arabian Sea in the west and Indian oceans in the south. Tiger is the national animal of India. Peacock is the national bird of India. Mango is the national fruit of India. “ Jana Gana Mana ” is the national anthem of India . “Vande Mataram” is the national song of India. Hockey is the national sport of India. People of different religions such as Hinduism, Buddhism , Jainism, Sikhism, Islam, Christianity and Judaism lives together from ancient times. India is also rich in monuments, tombs, churches, historical buildings, temples, museums, scenic beauty, wildlife sanctuaries , places of architecture and many more. The great leaders and freedom fighters are from India.

F lag of India

The indian flag has tricolors.

The first color that is uppermost color in the flag which is the saffron color, stands for purity. The second color i.e. the middle color in the flag is the white color and it stands for peace. The third color that is the lowest color in the flag is the green color and it stands for fertility. The white color has an Ashoka Chakra of blue color on it. Ashoka Chakra contains twenty-four spokes which are equally divided. India has 29 states and 7 union territories.

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My Favorite States from India are as follows –

Rajasthan itself has a glorious history. It is famous for many brave kings, their deeds, and their art and architecture. It has a sandy track that’s why the nuclear test was held here. Rajasthan is full of desert, mountain range, lakes, dense forest, attractive oases, and temples, etc. Rajasthan is also known as “Land Of Sacrifice”. In Rajasthan, you can see heritage things of all the kings who ruled over there and for that, you can visit Udaipur, Jodhpur, Jaisalmer, Chittaurgarh, etc.

Madhya Pradesh

Madhya Pradesh is bigger than a foreign (Italy) country and smaller than Oman. It also has tourists attractions for its places. In Madhya Pradesh, you can see temples, lakes, fort, art and architecture, rivers, jungles, and many things. You can visit in Indore, Jabalpur, Ujjain, Bhopal, Gwalior and many cities. Khajuraho, Sanchi Stupa, Pachmarhi, Kanha national park, Mandu, etc. are the places must visit.

Jammu and Kashmir

Jammu and Kashmir are known as heaven on earth . We can also call Jammu and Kashmir as Tourists Paradise. There are many places to visit Jammu and Kashmir because they have an undisturbed landscape, motorable road, beauty, lying on the banks of river Jhelum, harmony, romance, sceneries, temples and many more.

In Jammu and Kashmir, u can enjoy boating, skiing, skating, mountaineering, horse riding, fishing, snowfall, etc. In Jammu and Kashmir, you can see a variety of places such as Srinagar, Vaishnav Devi, Gulmarg, Amarnath, Patnitop, Pahalgam, Sonamarg, Lamayuru, Nubra Valley, Hemis, Sanasar,  Anantnag,  Kargil, Dachigam National Park, Pulwama, Khilanmarg, Dras, Baltal, Bhaderwah, Pangong Lake, Magnetic Hill, Tso Moriri, Khardung La, Aru Valley, Suru Basin,Chadar Trek, Zanskar Valley, Alchi Monastery, Darcha Padum Trek, Kishtwar National Park, Changthang Wildlife Sanctuary, Nyoma, Dha Hanu, Uleytokpo, Yusmarg, Tarsar Marsar Trek and many more.

It is known as the ‘God’s Own Country’, Kerala is a state in India, situated in the southwest region, it is bordered by a number of beaches; covered by hills of Western Ghats and filled with backwaters, it is a tourist destination attracting people by its natural beauty. The most important destinations which you can see in Kerela are the museum, sanctuary, temples, backwaters, and beaches. Munnar, Kovalam, Kumarakom, and Alappad.

India is a great country having different cultures, castes, creed, religions but still, they live together. India is known for its heritage, spices, and of course, for people who live here. That’s the reasons India is famous for the common saying of “unity in diversity”. India is also well known as the land of spirituality , philosophy, science, and technology.

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Prachin Bharat Ka Itihas

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Book Source: Digital Library of India Item 2015.348254

dc.contributor.author: Dr.giraj Sankar Prshad dc.date.accessioned: 2015-08-13T00:56:24Z dc.date.available: 2015-08-13T00:56:24Z dc.date.copyright: 1955 dc.date.digitalpublicationdate: 2010/07 dc.date.citation: 1955 dc.identifier.barcode: 99999990275953 dc.identifier.origpath: /data6/upload/0128/755 dc.identifier.copyno: 1 dc.identifier.uri: http://www.new.dli.ernet.in/handle/2015/348254 dc.description.scannerno: Banasthali University dc.description.scanningcentre: Banasthali University dc.description.main: 1 dc.description.tagged: 0 dc.description.totalpages: 350 dc.format.mimetype: application/pdf dc.language.iso: Hindi dc.publisher.digitalrepublisher: digital library of india dc.publisher: Jaipur Pablisig Hause dc.source.library: Charan Sahitye Shodh Sansthan dc.title: Prachin Bharat Ka Itihas dc.type: print - paper dc.type: book

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प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत 

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  • Updated on  
  • नवम्बर 3, 2023

प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत की लें यहाँ पूरी जानकारी

भारत एक महान देश है जिसका इतिहास इतना समृद्ध है कि आपको हर कोने में छुपा हुआ मिलेगा। इतिहास का अध्ययन करने पर हम ये जान पाते हैं कि हमारे देश में सभ्यता और संस्कृति कैसे विकसित हुई, धर्म और धार्मिक व्यवहार कैसे अस्तित्व में आये या फिर कौन कौन सी कई ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं घटित हुई है। प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत के बारे में विस्तार से इस ब्लॉग में दिया गया है। दुनिया के इतिहास की तरह, भारतीय इतिहास को भी विस्तार से समझने के लिये 3 भागों में वर्गीकृत किया गया है, जो कि निम्नलिखित हैं:-

  • प्राचीन भारत 
  • मध्यकालीन भारत
  • आधुनिक भारत 

यह भी पढ़ें : मगध साम्राज्य का संपूर्ण इतिहास

आज के इस ब्लॉग में हम प्राचीन भारत के इतिहास के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि प्राचीन भारतीय इतिहास क्या है और इसको जानने के स्त्रोत क्या क्या है। जिसके लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना होगा। 

This Blog Includes:

प्राचीन भारत का इतिहास , पुरातात्विक स्त्रोत, साहित्यिक स्त्रोत, विदेशी स्त्रोत .

भारतीय इतिहास की शुरुआत हज़ारों साल पहले होमो सेपियन्स के साथ हुई थी और इसी मानव उदय से लेकर दसवीं सदी तक का इतिहास, प्राचीन भारत के इतिहास के अंतर्गत आता है। प्राचीन भारत, कई मायनों में मध्यकालीन और आधुनिक भारत से अलग था जिसमें क्षेत्रफल, सीमाएं, सभ्यता, संस्कृति आदि शामिल है। इन्हीं सब के बारे जानकारी प्राप्त करने से पहले हमें विभिन्न स्त्रोतों का अध्ययन करना पड़ता है, जिनके बारे में हमने नीचे विस्तार से बताया है।

यह भी पढ़ें : अभिलेख किसे कहते हैं?

प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत

इस ब्लॉग के माध्यम से आप प्राचीन इतिहास को जानने के 3 महत्वपूर्ण स्त्रोत (sources of ancient india in hindi) को जान पाएंगे, जो कि निम्नलिखित है-

  • विदेशी स्त्रोत

प्राचीन भारतीय इतिहास में पुरातात्विक स्त्रोतों का महत्वपूर्ण योगदान है। पुरातात्विक स्त्रोतों में मुख्य रूप से अभिलेख, सिक्कें, स्मारक, भवन, मूर्तियां तथा चित्रकलायें आदि आते हैं। 

भारतीय इतिहास में अभिलेखों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन काल में राजाओं तथा अन्य शाषकों द्वारा पाषाणों, शिलाओं, स्तम्भों, ताम्रपत्रों एवं दीवारों पर उत्कीर्ण किये गये पाठन सामाग्री को ‘अभिलेख’ कहा जाता है। यह आमतौर पर आदेशों का प्रसार करने के लिए किया जाता था। ताकि लोग उन्हें देख सके और पालन कर सके। इन अभिलेखों को अलग अलग भाषाओं में लिखा जाता था जिसमें से प्रमुख भाषाएँ पाली, संस्कृत और प्राकृत है।  

प्राचीन सिक्के

प्राचीन सिक्कों ने भी भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह सिक्के विभिन्न धातुओं जैसे सोना, तांबा, चाँदी इत्यादि से बने होते थे, जिसके आधार पर उस समय में किसी की आर्थिक स्थिति का पता चलता था। इसके अलावा इन सिक्कों या मुद्राओं पर बने राजाओं एवं तिथियों से तत्कालीन राजा के बारे में, देवी देवताओं के चित्र से तत्कालीन धर्म, विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र के चित्र से तत्कालीन कला और संगीत के बारे में पता चलता था।  

स्मारक एवं भवनें

जिस प्रकार से अभिलेखों, सिक्कों से प्राचीन इतिहास की जानकारी मिलती थी, उसी प्रकार से स्मारक एवं भवनों से भी प्राचीन भारत के सांस्कृतिक व धार्मिक जीवन का पता चलता है। इन स्मारकों में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, नालंदा, कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर, इंडोनेशिया में जावा का बोरोबुदुर मंदिर आदि शामिल है। 

चित्रकलाएं एवं मूर्तियां

भारत में कई धर्मों में चित्रकलाएँ एवं मूर्तिया काफी प्रचलन में रही हैं। प्राचीन काल की चित्रकलाओं से धार्मिक व्यवस्था, संस्कृति एवं कला के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इसके साथ ही चित्रों के माध्यम से प्राचीन समय के लोगों के जीवन की जानकारी भी मिलती है। 

यह भी पढ़ें : कालीबंगा

साहित्यिक स्त्रोत के अंतर्गत हम ऐतिहासिक सामग्रियों का अध्ययन करते हैं। इसमें किताबें, ग्रंथ एवं जीवनियां आदि शामिल हैं। प्राचीन काल में पुस्तकें हाथ से ताड़पत्रों तथा भोजपत्रों पर लिखी जाती थी। साहित्यिक स्रोतों के अंतर्गत वैदिक रचनाएं, बौद्ध और जैन साहित्य, पुराण, प्राचीन जीवनियां इत्यादि आते हैं। साहित्यिक स्त्रोत को दो भागों में विभाजित किया गया है- धार्मिक साहित्य और लौकिक साहित्य। सबसे पहले हम धार्मिक साहित्य पर चर्चा करेंगे।  

धार्मिक साहित्य

धार्मिक साहित्य में मुख्य रूप से हिन्दू, बौद्ध तथा जैन धर्म के बारे में जानकारी मिलती है। इन धर्मों के साथ-साथ प्राचीन भारत के समाज, संस्कृति, लोगों की जीवनशैली व अर्थव्यवस्था आदि के सम्बन्ध में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।  

हिन्दू धर्म का साहित्य

हिन्दू धर्म विश्व के सबसे प्राचीनतम धर्मो में से एक है। हिन्दू धर्म में वेद, ग्रन्थ और पुस्तकों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। 

  • वेद : हिन्दू धर्म में 4 वेद हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद। ऋग्वेद में देवताओं की स्तुतियाँ हैं, यजुर्वेद में यज्ञ के नियमों तथा अन्य धार्मिक विधि-विधान है, सामवेद में यज्ञ के मंत्रो और अथर्ववेद में धर्म, औषधि तथा रोग निवारण इत्यादि के बारे में जानकारी मिलती है। 
  • वेदांग : वेदांग यानी वेदों के अंग। वेदांगों में वेद के गूढ़ ज्ञान को सरल भाषा में लिखा गया है।
  • उपनिषद : उपनिषद ग्रंथों का अंतिम भाग हैं। उपनिषदों में ईश्वर और आत्मा के स्वभाव का विस्तृत वर्णन किया गया है। 
  • रामायण : रामायण की रचना ‘ महर्षि वाल्मीकि’ द्वारा की गयी है। रचना के समय रामायण में 6,000 श्लोक थे, परन्तु अब श्लोकों की सख्या 24,000 पहुँच गयी है। रामायण को कुल 7 खंडो में विभाजित किया गया है – बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, युद्धकाण्ड तथा उत्तरकाण्ड।
  • महाभारत : महाभारत की रचना ‘महर्षि वेद व्यास’ द्वारा की गयी है। यह एक काव्य ग्रन्थ है जिसे 18 भागों में बांटा गया है – आदि, सभा, वन, विराट, उद्योग, भीष्म, द्रोण, कर्ण, शल्य, सौप्तिक, स्त्री, शांति, अनुशासन, अश्वमेध, आश्रमवासी, मौसल, महाप्रस्थानिक तथा स्वर्गारोहण। 
  • पुराण : पुराणों में सृष्टि, प्राचीन ऋषि मुनियों व राजाओं का वर्णन किया गया है। पुराणों की कुल संख्या 18 है, जिसमें विष्णु पुराण, मतस्य पुरान, वायु पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण तथा भागवत पुराण काफी महत्वपूर्ण पुराण हैं।

बौद्ध धर्म का साहित्य

बौद्ध धर्म में महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों का वर्णन किया गया है। जिसमें ‘त्रिपिटक’ सबसे पुराना बौद्ध साहित्य का ग्रन्थ है। त्रिपिटक में प्राचीन भारत की सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था का भी वर्णन मिलता है।  

जैन धर्म का साहित्य

प्राचीन जैन ग्रंथो में महावीर द्वारा प्रतिपादित किये गये सिद्धांतों का वर्णन है, जो प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं। जैन धर्म साहित्य के 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण व 6 छेद सूत्र हैं।

लौकिक साहित्य

इसमें ऐतिहासिक पुस्तकें, जीवनी, वृत्तांत इत्यादि शामिल हैं। जिसमें 6वीं शताब्दी में एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान ‘पाणिनी’ द्वारा रचित “अष्टाध्यायी” , मौर्यकाल में कौटिल्य की पुस्तक “अर्थशास्त्र” , विशाखदत्त द्वारा रचित “मुद्राराक्षस”, सोमदेव द्वारा रचित “कथासरितसागर” तथा क्षेमेद्र द्वारा रचित “वृहतकथामंजरी” से मौर्यकाल के बारे में काफी जानकारी मिलती है। ऐसे ही अन्य पुस्तकों में तत्कालीन धार्मिक, आर्थिक व सामाजिक व्यवस्था सभी पहलुओं के बारे में जानकारी मिलती है। 

यह भी पढ़ें : महाजनपद क्या है

विदेशी स्त्रोत के अंतर्गत हमें विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांत के बारे में जानने को मिलेगा, जिसमें विदेशी लेखकों का विदेशी राजाओं के साथ भारत की यात्रा पर आना, और उनके द्वारा भारत की सामाजिक, आर्थिक तथा भौगोलिक व्यवस्था का वर्णन करना बताया गया है। कुछ महत्वपूर्ण विदेशी लेखक एवं उनके साहित्य निम्लिखित है।

  • हेरोडोटस : हेरोडोटस यूनानी लेखक एवं इतिहासकार थे जिनको ‘इतिहास के पिता’ के रूप में भी जाना जाता था। इन्होने ‘ हिस्टोरिका’ नामक एक पुस्तक की रचना की थी जिसमें भारत और ईरान के बीच आपसी संबंधो का वर्णन किया है।
  • मेगास्थनीज : मेगास्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में सेल्यूकस निकेटर का राजदूत थे, जिन्होंने अपनी पुस्तक ‘इंडिका’ में भारतीय समाज और संस्कृति के बारे में लिखा था। 
  • डायमेकस- डायमेकस सीरियन राजा अन्तियोकस का राजदूत था, जो बिन्दुसार के दरबार में आया था।
  • प्लिनी – प्लिनी ने ‘ नेचुरल हिस्टोरिका’ नामक पुस्तक लिखी थी जिसमें उन्होंने भारतीय पशु, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थों आदि का वर्णन किया है।  
  • फाह्यान – प्रथम चीनी यात्री जो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन काल में भारत आये और कई सालो तक भारत में रहे और फिर अपनी पुस्तक में भारतीय राजनीतिक तथा सामाजिक स्थितियों का वर्णन किया।
  • ह्वेनसांग – यह सम्राट् हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आये थे। यह भी कई सालों तक भारत में रहे और इनकी पुस्तक से भी तत्कालीन भारत के संबंध में कई अहम जानकारी मिलती है।
  • इत्सिंग – यह भी एक चीनी यात्री थे जिन्होंने बिहार प्रदेश का भ्रमण किया था। इन्होने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन भी किया था। 

प्राचीन इतिहास को जानने के लिए इतिहासकार वी. डी. महाजन ने स्रोतों को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया है – साहित्यिक स्रोत, पुरातात्विक स्रोत, विदेशी विवरण, एवं जनजातीय गाथायें। 

प्राचीन भारत के पुरातात्विक साक्ष्य के अंतर्गत अभिलेख, स्मारक एवं भवन, सिक्के, मूर्तियाँ, चित्रकला एवं मुहरों को शामिल किया जाता है।

1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया और इसे हड़प्पा सभ्यता का नाम दिया गया। 

राखलदास बेनर्जी को मोहनजोदड़ो का खोजकर्ता माना गया है।

सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ई. पू.) को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता था।

आशा है आपको प्राचीन इतिहास को जानने के स्त्रोत (sources of ancient india in hindi) की जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

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