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मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें? Fish Farming Business Plan in Hindi.

Fish Farming को हिंदी में मछली पालन कहते हैं और कई लोग इस तरह के व्यवसाय को  Fisheries भी कहते हैं। वर्तमान में मछली का सेवन लोग न सिर्फ स्वादिष्ट होने के कारण करते हैं बल्कि इसके सेवन से अनेकों स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं इसलिए भी इसका सेवन बहुतायत मात्रा में किया जाता है। मछली को प्रोटीन का प्रमुख स्रोत के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है इसलिए इसकी बिक्री हर क्षेत्र चाहे ग्रामीण हो या शहर में लगातार होती रहती है।

वैसे देखा जाय तो लोगों की मछली सम्बन्धी मांग स्थानीय स्तर पर उस क्षेत्र में उपलब्ध स्थानीय नदियों के माध्यम से ही पूर्ण हो पाती है । लेकिन इन सबके बावजूद एक अधिकांश हिस्सा व्यवसायिक तौर पर Fish Farming करके भी मछली सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रयासरत रहता है। चूँकि भारत में अभी भी मछली के तालाबों की भारी कमी है इसलिए मछली की आवश्यकताओं की पूर्ति अधिकांश तौर पर नदियों एवं समुद्रों पर ही निर्भर है।

यद्यपि यह भी देखने में आया है की बहुत सारे लोग केवल अपने शौक एवं प्रोटीन सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी मछली पालन करते हैं। लेकिन ये केवल अपने एवं अपमे परिवार की मछली सम्बन्धी आवश्यकताओं के अनुरूप ही उत्पादन करते हैं इसलिए इन्हें व्यवसायिक श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सकता। लेकिन इन सबके बावजूद मछली पालन भारत की कुल सकल उत्पाद में एक अहम् भूमिका अदा करता है।

और जीडीपी में कुल कृषि उत्पादों की हिस्सेदारी में से लगभग एक चौथाई हिस्सेदारी मछली पालन की होने के कारण यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि बन गई है। एक विश्वसनीय आंकड़े की बात करें तो भारत के 60% से अधिक लोग खाने में मछली बेहद पसंद करते हैं और भारत जैसे जनाधिक्य वाले देश का 60% लगभग 78 करोड़ होता है।

जिसका अभिप्राय है की भारत में लगभग 78 करोड़ लोग खाने में मछली बेहद पसंद करते हैं।  इसलिए इतनी बड़ी जनसँख्या की मछली सम्बन्धी माँग को सिर्फ नदियों, समुद्रों के माध्यम से पूर्ण कर पाना कठिन है। इसलिए इस अवसर का लाभ कोई भी भारतीय Fish Farming Business शुरू करके ले सकता है।

Fish farming business plan in hindi

पूरा लेख एक नजर में

मछली पालन के लाभ (Benefits of Fish Farming in Hindi):

वैसे देखा जाय तो भारत में व्यवसायिक तौर पर Fish Farming शुरू करने के एक नहीं बल्कि अनेकों फायदे हैं। और जो सबे बड़ा फायदा है वह यह है की यहाँ पर मछली पसंद करने वाले लोगों की एक बहुत बड़ी संख्या है। ऐसे ही कुछ अन्य प्रमुख फायदों की लिस्ट इस प्रकार से है।

  • चूँकि भारत में मछली पसंद करने वालों की संख्या लगभग 60% से अधिक है इसलिए इतनी भारी माँग को पूर्ण करने के लिए मछली पालन में अपार संभावनाएं व्याप्त हैं।
  • मछली में प्रोटीन बहुतायत मात्रा में पाया जाता है इसलिए डॉक्टर द्वारा भी अनेक लोगों को मछली सेवन करने के लिए कहा जाता है।
  • भारत को प्रकृति ने अनेकों नदियों, नालों, झीलों एवं अन्य पानी के स्रोतों से बेहतर बनाया है इसलिए उद्यमी किसी भी पानी के स्रोत के नज़दीक Fish Farming Business शुरू कर सकती है।
  • हमारे देश भारत की जलवायु एवं वातावरण मछली पालन के अनुकूल है इसलिए इस तरह के बिजनेस को करने में जोखिम काफी कम हो जाता है।
  • यद्यपि इस तरह के बिजनेस को सफल बनाने के लिए मछली की प्रजाति का चयन करना बेहद ही जटिल प्रक्रिया है। लेकिन भारत में अनेकों प्रकार की मछलियों की जाति एवं उपजाति पायी जाती है । उद्यमी इनमें से किसी ऐसी प्रजाति जो जल्दी बड़ी होती हों का चयन मछली पालन के लिए कर सकता है।
  • ऐसे किसान जो पहले से कृषि कार्य एवं अन्य फार्मिंग जैसे डेयरी, गोट फार्मिंग इत्यादि कर रहे हों । वे भी इस तरह का यह बिजनेस कर सकते हैं क्योंकि ग्रामीण इलाकों में कृषि मजदूर काफी सस्ती दरों पर उपलब्ध हो जाती हैं।
  • ऐसे लोग जो कोई अन्य काम या फिर कोई नौकरी ही क्यों न कर रहे हों वे भी समय निकालकर Fish Farming Business शुरू कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उनके पास उपयुक्त जमीन एवं मजदूरों का होना अति आवश्यक है।
  • यह कृषि से जुड़ा हुआ व्यवसाय है इसलिए भारत सरकार ग्रामीण इलाकों में रोजगार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ऐसे व्यवसायों को विभिन्न योजनाओं के तहत प्रोत्साहित करती है। अनेक योजनाओं के तहत इस तरह के बिजनेस के लिए लिए जाने वाले लोन पर सब्सिडी भी दी जाती है।   

मछली पालन कैसे शुरू करें (How to Start Fish Farming)

हालांकि बहुत सारे लोगों को मछली पालन नामक यह कार्य शुरू करना एक आसान काम लगता है। लेकिन सच्चाई यह है की यह एक बेहद ही जटिल कार्य है क्योंकि इसके लिए बहुत सारे कार्य ऐसे होतेहैं। जिन्हें काफी सोच समझकर एवं गहन शोध के बाद ही शुरू करना ठीक रहता है। यहाँ पर यह स्पष्ट कर देना भी बेहद जरुरी है की Fish Farming नामक यह कार्य जटिल या कठिन तो अवश्य है।

लेकिन यदि इसे उचित तकनीक एवं शोध के साथ शुरू किया जाए तो इसमें आने वाली कठिनाइयों से शायद आसानी से लड़ा जा सकता है । कहने का आशय यह है की जब व्यक्ति ने मछली पालन शुरू करने का सोच ही लिया हो तो उसे इसमें आने वाली परेशानियों से डरने की बजाय उनका सामना करने के तरीकों पर विचार करना चाहिए।और संभव हो तो Fish farming Business  शुरू करने वाले उद्यमी को, इसका प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए। भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् द्वारा भी मत्स्य पालन पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।  

1. मछली तालाब बनाना (Construct Fish Pond)

जैसा की हम सबको अच्छी तरह से ज्ञात है की Fish Farming के लिए हमें पानी को संचय करने की आवश्यकता होती है। ताकि हम उस पानी में मछली के बीज बोकर मछली पालन शुरू कर सकें। इसलिए इस तरह के बिजनेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर तालाब ही है। ध्यान रहे यदि हम व्यवसायिक मछली पालन शुरू करना चाहते हैं तो हम इसे बिना तालाब के शुरू नहीं कर सकते। भारत में मछली पालन करने के लिए उद्यमी पहले से मौजूद तालाब को इस्तेमाल में ला सकता है या फिर कोई नए तालाब की भी संरचना कर सकता है।

और उद्यमी मौसमी या स्थायी दोनों में स किसिही तरह के तालाब में यह काम कर सकता है। मौसमी तालाब वह तालाब होता है जो वर्षा के पानी पर निर्भर होता है जबकि स्थायी तालाब किसी ऐसे पानी के स्रोत पर निर्भर करता है जिसमें वर्ष के बारह महीने पानी उपलब्ध रहता है। लेकिन ध्यान रहे मौसमी तालाबों में केवल ऐसी मछली ही पालनी चाहिए जो बड़ी तीव्र गति से बढती हों।

मछली के तालाब में बीज इत्यादि डालने से पहले इसे अच्छी तरह से तैयार यानिकी फ़र्टिलाइज़र इत्यादि से सुसज्जित कर साफ़ कर लेना चाहिए और इस बात का भी निरीक्षण करना चाहिए की कहीं तालाब से रिसाव तो नहीं हो रहा है। रिसाव का परीक्षण करने के लिए तालाब में पानी भरकर तीन चार दिन के लिए उसे छोड़ देन और जब लगे की तालाब से पानी कम नहीं हुआ है तो तभी उसमें मछली के बीज को डालें।

2. मछली की नस्ल का चयन करें (Select Fish Species)

हालांकि भारत की जलवायु हर तरह के मछली पालन के अनुकूल मानी जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी Fish Farming Business कर रहे उद्यमी को मछली की नस्ल का चुनाव अनेक बातों जैसे उस एरिया एवं वातावरण में पैदा होने वाली मछली, स्थानीय मांग इत्यादि पर विचार करके करना होता है।ध्यान रहे की मछली की नस्ल का चुनाव सम्पूर्ण मछली उत्पादन एवं लाभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसलिए इस कार्य को करते वक्त तनिक भी लापरवाही न बरतते हुए अच्छे से शोध एवं विश्लेषण के पश्चात ही नस्ल का चुनाव करना चाहिए। वैसे उद्यमी को हमेशा ऐसी नस्ल का चुनाव करना चाहिए जो उस एरिया में आसानी से पैदा की जा सकती हों और उनके लिए वहाँ पर माँग, प्राकृतिक सुविधाएँ, पानी, संसाधन इत्यादि भरपूर मात्रा में उपलब्ध हों।

ताजे पानी के तालाबों में कटला, रुई, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प, तिलपिया, कोइ, झींगा, विभिन्न प्रकार के कैटफ़िश इत्यादि का पालन किया जा सकता है। पानी एवं तालाब संसाधनों का उचित इस्तेमाल के लिए उद्यमी चाहे तो एक ही तालाब में अनेकों मछली नस्लों का उत्पादन कर सकता है और क्वालिटी मछली के बीज के लिए उद्यमी को मत्स्य विभाग या फिर मछली प्रजनकों से संपर्क करना चाहिए।

3. मछलियों के लिए खाना (Feed Arrangement for Fish )

यद्यपि उद्यमी को तालाब इस तकनीक से तैयार करना होता है की मछलियों को तालाब के अन्दर भी भोजन मिलता रहे। लेकिन मछलियों को इनर फीड के अलावा आउटर फीड की भी आवश्यकता होती है। ध्यान रहे अच्छी गुणवत्तायुक्त मछली का भोजन मछलियों की जल्दी वृद्धि करने में सहायक होता है। और भारतवर्ष का अधिकतर किसान या उद्यमी जो मछली पालन से जुड़ा हुआ है वह तालाब में उत्पन्न होने वाले भीतरी भोजन को ही मछलियों के लिए उपयुक्त मानता है।

लेकिन यदि उद्यमी मछलियों का व्यवसायिक उत्पादन करना चाहता है तो केवल भीतरी खाना ही मछलियों के लिए पर्याप्त नहीं है और उद्यमी को पौष्टिक एवं उच्च गुणवत्तायुक्त आउटर भोजन भी मछलियों को प्रदान करना होगा।

4. मछलियों का प्रबंधन एवं देखभाल (Care and Management of Fish Farming)

Fish Farming Business करने वाले उद्यमी को तालाब का वातावरण तो मछलियों के अनुकूल रखना ही होता है। लेकिन साथ में पौष्टिक एवं गुणवत्तायुक्त भोजन भी मछलियों को खिलाना होता है। लेकिन इन सबके अलावा मछलियों का उचित प्रबंधन एवं देखभाल भी करनी होती है। विशेषकर जब मछलियों की वृद्धि होती रहती है तो उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है इसलिए उद्यमी को चाहिए की वह तालाब के पानी का PH लेवल नियमित तौर पर टेस्ट करे।

एक आंकड़े के मुताबिक मछली पालन के लिए आदर्श PH लेवल 7-8 है । इसके अलावा उद्यमी को मछली के तालाब में मछलियों को नुकसान पहुँचाने वाले विभिन्न शिकारियों जैसे बगुले एवं अन्य पक्षियों से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। और मछली की बीमारियों के खिलाफ भी उद्यमी को आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता होगी । जैसा की बीमारियों के बारे में कहा जाता है की इन्हें रोकना ईलाज करने से बेहतर है इसलिए उद्यमी को मछलियों का प्रबंधन एवं देखभाल ऐसी करनी चाहिए की उनके स्वास्थ्य पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

5. मार्केटिंग करें (Promote your Fish Farming)  

हालांकि Fish Farming Business से उत्पादित उत्पाद यानिकी मछली को कहीं भी यहाँ तक की स्थानीय बाजार में भी आसानी से बेचा जा सकता है। लेकिन यदि उद्यमी के उत्पादन की क्षमता उस क्षेत्र विशेष में उपलब्ध मछलियों की मांग से अधिक है तो उद्यमी को एक प्रभावी मार्केटिंग योजना की आवश्यकता हो सकती है। क्योंकि जब तक उद्यमी को यह पता नहीं होगा की वह अपने उत्पादित उत्पाद को कहाँ और किसे बेचेगा तो उसके अन्दर अच्छे उत्पादन की इच्छा भी जाग्रत नहीं हो पायेगी।

लेकिन ऐसे लोगों को हम बता देना चाहेंगे की भारत में मछली को कहीं भी उचित दामों में आसानी से बेचा जा सकता है । और आज भ अधिकांश मछली पालन करने वे कसन अपने उत्पाद को स्थानीय बाज़ारों में ही आसानी से बेच देते हैं। लेकिन भारतीय मछलियों की अंतराष्ट्रीय बाज़ारों में भी भारी मांग है। इसलिए यदि उद्यमी चाहे तो अपने उत्पाद को बाहरी देशों की ओर निर्यात भी कर सकता है। लेकिन शुरूआती दौर में स्थानीय बाज़ारों में ही मछली बेचना बजट इत्यादि के हिसाब से उचित रहता है।

भारत में Fish Farming एक ऐसा व्यवसाय है जो शायद कभी लुप्त नहीं होगा क्योंकि जनसँख्या वृद्धि के साथ मछली की मांग भी निरंतर बढ़ी ही है। इसलिए ग्रामीण इलाकों में उद्यमिता एवं कमाई करने का यह एक बेहतरीन साधन बन सकता है।

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6 thoughts on “मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें fish farming business plan in hindi.”.

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मुझे मछली पालन करना है इसके लिए जो जानकारी है वो मुझे चाहिये मुझे इजराइल टँक टाईप होते उसमे मछली पालन करना है इसके लिए जो खर्चा है उसके बारे मे बताइये रोके से और किस तरिके से करता है करना पडता है, और मछली पालन के लिए सरकार से कोई सबसिडी मिलती है आरो कैसे मिलती है क्या करना पडता है प्लीज मुझे इसके बारे मे पुरी इन्फॉर्मेशन मिलेगी तो आपका धन्यवाद होगा मै आपका आभार व्यक्त करता हु

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जी दीपक जी, इसमें कोई दो राय नहीं की, मछली पालन सिर्फ व्यक्तिगत व्यक्ति की कमाई का स्रोत नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। शायद यही कारण है की, हर राज्य में इस तरह के व्यवसायों को प्रोत्साहन देने के लिए कोई न कोई योजना विद्यमान हैं। आप राज्य विशेष के कृषि विभाग, मत्स्य विभाग इत्यादि से संपर्क करके सब्सिडी योजना की जानकारी ले सकते हैं।

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मछली पालन के लिऐ तालाब को सरकार से कैसे लिज मे लिया जाता हे ?

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Sir bhi karna he

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Me Mani Poswal me datana chahata hu fish farming me kafi munafa ha

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सादर प्रणाम मेरे खेत की पक्की जमीन में 0.250 हेक्टेयर की डिग्गी (कच्ची पानी की टंकी) हैं। क्या उसमे मछली पालन कर सकते हैं?

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Business Ideas in Hindi

मछली पालन का व्यापार (बिजनेस) कैसे शुरू करें 2022|How to start Best fish farming business in Hindi

मछली पालन का व्यापार 2023 कैसे शुरू करें (मार्केटिंग, लागत) How to start fish farming business and get loan in Hindi

मछली पालन का व्यापार भारत में करना काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है, क्योंकि भारत की करीबन 60 प्रतिशत आबादी मछली को खाना पसंद करती है. मछली पालन को अग्रेंजी भाषा में फिश फार्मिंग भी कहा जाता है. इस कारोबार को शुरू करने के लिए नदी का होना बेहद जरूर होता है. वहीं हमारे देश में कई सारी नदियां, झीलें और समुद्र मौजूद हैं. जिनकी मदद से कोई भी इस व्यापार को शुरू कर सकता है. वहीं इस व्यापार को करने के लिए आपको जमीन की भी जरूरत पड़ती है. इस जमीन का उपयोग टैंक, तालाब या फिर ऐसा स्थान बनाने के लिए किया जाता है. जिसमें पानी भरा जा सके और मछलियों को पकड़ने के बाद इनमें रखा जा सके. वहीं इस व्यापार से जुड़ी अन्य जानाकरी आपको नीचे दी गई है.

मछली पालन (fish farming business) क्यों करें

केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मछलियों की मांग बढ़ती जा रही है. वहीं मांग बढ़ने का मुख्य कारण मछली का स्वादिष्ट होना और इसमें मौजूदा कई प्रोटीन एवं विटामिन्स के स्रोतों का होना है. इसलिए विश्व स्तर पर इसका बाजार बढ़ता ही जा रहा है.

जैसे हमने आपको ऊपर बताया कि इस व्यापार को करने का सबसे बड़ा स्रोत समुद्र, नदियां एवं तालाब होते हैं. लेकिन बढ़ती तकनीक के साथ लोगों ने मछली पकड़ने के पुराने प्राकृतिक तरीके छोड़कर नए तरीके अपना लिए हैं. अब लोगों ने कृत्रिम रूप से तालाब या टैंकों का निर्माण करके मछली पालन शुरू कर दिया है.  इतना ही नहीं समुद्र से मछली पकड़ने के व्यापार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. जिसका कारण लोगों द्वारा खुद से ही मछली फार्म का निर्माण करके मछली की पैदावार करना है.  

क्या है फिश फार्मिंग

फिश फार्मिंग का मतलब मछली को पालकर उसका आकार बढ़ाना एवं उनसे पैदा होने वाली मछलियों को पालना है. इतना ही नहीं इस व्यापार में लगने वाली लागत, प्राप्त होने वाले लाभ की तुलना में बहुत कम होती है. सीधे शब्दों में आप 5 से 10 गुना लाभ आसानी से कमा सकते हैं.

मछली पालन (fish farming business)करने की प्रक्रिया

मछली पालन करने के लिए सबसे पहले तालाब या टैंक का निर्माण करना होता है. इसको बनाने के लिए आपको जमीन की जरुरत पड़ती है. अर्थात सबसे पहला कदम तालाब या मछलियों के रखने के स्थान का निर्माण करना है.

वातावरण के अनुकूल स्थान का चयन (site selection for fish farming)

मत्स्य या मछली पालन के लिए उचित स्थान का चयन करना बेहद आवश्यक है, ध्यान रखे की मछली पालन में वातावरण एवं जगह का बहुत फर्क पड़ता है. उदाहरण के तौर पर सर्दियों में या ठंडे इलाकों में मछली का आकार धीमी गति से बढ़ता है. अगर आप भारत में रहते हैं, तो कोशिश करें की तालाब का निर्माण सर्दियों के मौसम में पूरा कर लें. जिससे गर्मियां आने से थोड़ा पहले ही आप मछलियों को पालना शुरू कर दें.

मत्स्य पालन हेतु तालाब या स्थान का निर्माण (Pond Design And Construction process)

तलाब या टैंक का निर्माण आप कई तरीकों से कर सकते हैं, उदाहरण के तौर पर अगर आप मेहनत और समय बचाना चाहते हैं. तो प्लास्टिक के बड़े-बड़े टैंक खरीद सकते हैं. वहीं अगर आप जमीन पर इसका निर्माण करना चाहते हैं, तो आप मशीन की सहायता से उस जगह को तालाब के आकार में बना सकते हैं. वहीं अगर आपका बजट कम है तो आप फावड़े मदद से भी तालाब का निर्माण आसानी से कर सकते हैं. निर्माण करने के बाद ब्लीचिंग पाउडर और मिट्टी में चूने का छिड़काव जरूर कर दें. ऐसा करने से चयनित क्षेत्र में मछलियों को हानि पहुंचाने वाले कीट एवं अनावश्यक जीव मर जाते हैं.

मछलियों के खाने और जिन्दा रहने के इंतजाम (fish farming feeding systems)

मछलियों के व्यापार को तेजी देने के लिए जरूरी है कि मछलियां तालाब में जिन्दा रह सकें और उनकी संख्या बढा सकें. इसलिए आपको मछलियों के आवश्यक खाने का इंतजाम पहले ही कर लेना चाहिए. ध्यान रहे कि भोजन मछलियों के लिए अनुकूल होना चाहिए और हो सके तो मछली की प्रजाति को ध्यान में रखते हुए उनके खाने का इंतजाम करें. इतना ही नहीं उसके साथ ही तालाब के पानी को लेकर भी सावधानी बरतना जरूरी है. पानी सही है कि नहीं इसकी जांच करने के बाद ही इसको तालाब में डालें.

भारत में मछलियों की प्रजातियां ( Selection of Fish Breeds )

मछली पालन के लिए सबसे महत्वपूर्ण एवं आवश्यक चीज है फार्मिंग के लिए मछली की प्रजाति का चुनाव करना. भारत में रोहू, कटला, मुर्रेल, टूना, ग्रास शार्प एवं हिस्ला मछलियों की प्रजातियां ही मुख्य रूप से पायीं जाती हैं. इस तरह की प्रजातियां मानसून एवं परिस्थितियों के हिसाब से अपने आपको ढाल भी सकती है. मतलब भारत में कारोबार करने के लिए इस तरह की मछलियां चयन करना लाभदायक साबित होगा. वहीं ये प्रजातियां भारत में आसानी से मिल जाती इसलिए इनके दाम भी काम होते हैं.

मछलियों का रख रखाव (maintenance)

इस व्यापार को सुचारु रूप से चलाने के लिए आपको मजदूरों की भी जरूरत पड़ती है. जो कि इन मछलियों का ख्याल रख सकें और समय-समय पर इन्हें खाना दे सकें. इसके साथ ही मछलियों को सुरक्षित रखना भी काफी महत्वपूर्ण होता है. वहीं अगर किसी मछली को कोई बीमारी हो जाती है, तो ऐसे में आप पोटेशियम परमैंगनेट और साल्ट यानि सोडियम का इस्तेमाल करें. क्योंकि एक मछली में फैलने वाले ये कीटाणु या रोग पूरी मछलियों को बीमार कर सकते हैं. इसलिए मछलियों की देखरेख का खास ध्यान रखें.

पानी की गुणवत्ता को बनाएं रखना

पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आपको तालाब को हर हफ्ते में एक बार साफ करना होगा. हालांकि आप इस प्रक्रिया को महीनें में दो बार भी कर सकते हैं. इसके साथ-साथ आपको तालाब में भरे पानी की पीएच मान भी 7 से लेकर 8 तक संतुलित करने की आवश्यकता होती है. ऐसा करने से मछलियों को साफ पानी मिलता है और मछलियों की उत्पादन क्षमता भी बढ़ जाती है.

मत्स्य पालन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और उनके दाम (fish farming equipment s )

मछली टैंक और तालाब (plastic pond for fish farming)

इस तरह के उपकरण यानी मछली टैंक की जरूरत तब पड़ती है. जब आप छोटे या घरेलू स्तर पर व्यापार करने की सोच रहे हैं. आप इस टैंक को अपने घर की छत पर भी स्थापित कर सकते हैं. या फिर आप एक निकली तालाब (कृत्रिम) खरीद सकते हैं. वहीं इनकी कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितना बड़ा टैंक लें रहे हैं

कहां से लें ये सामान

आप टैंक और तालाब ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से खरीद सकते हैं ऑफलाइन इन्हें खरीदने के लिए आपको किसी प्लास्टिक का सामान बेचने वाली कंपनी या दुकान पर जाना होगा. जहां पर आपको ये चीजें आसानी से मिल जाएगी. वहीं इसे ऑनलाइन आर्डर भी किया जा सकता है. https://www.alibaba.com/showroom/plastic-fish-farm-tank.html एवं https://dir.indiamart.com/impcat/aquaculture-tanks.html इन सभी लिंक पर जाकर के आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं.

पानी की जांच करने वाले उपकरण

पानी जांच करने वाले उपकरणों को आप नीचे बताए गए लिंक पर जाकर खरीद सकते हैं. इसकी कीमत 1500 रूपय के आस-पास है, इस उपकरण की जरूरत पानी की गुणवत्ता जांच करने के लिए पड़ती है.

https://dir.indiamart.com/impcat/water-testing-equipment.html

अन्य उपकरण और उनके दाम-

पम्प का इस्तेमाल पानी भरने एवं खाली करने के समय किया जाता है, आपको इसके लिए पाइप भी खरीदने की भी जरूरत पड़ती हैं. इन मशीनों की कीमत 3000 रुपए से शुरू होती है और लाख तक जाती है. वहीं आप अपने बजट को के हिसाब से मशीन लें. इसके साथ-साथ आपको मछली को तालाब से निकालने वाला उपकरण भी खरीदना पड़ता है. जिसकी कीमत 100 रुपए के आस पास पड़ जाती है.

मछली पालन करने के तरीके (Different types of fish farming)

वैसे तो मत्स्य या मछली पालने के बहुत से तरीके मौजूद हैं, लेकिन मुख्य रूप से नीचे बताए गए तकनीकों को अधिकतर इस्तेमाल किया जाता है. इनको इस्तेमाल करने का मुख्य कारण कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना है.

  • पिंजरा विधि (cage system)

इस तकनीक का इस्तेमाल समुद्रों, झीलों और नदियों में किया जाता है, यानी की आपको अपना पूरा व्यापार किसी नदी या समुद्र के पानी में ही करना होता है. ये मत्स्य पालन का व्यापार करने का सबसे सरल एवं फायदेमंद तरीका है. जिसमे बहुत कम लागत लगती है. इस तरीके में आपको समुद्र या नदी के पानी में ही पिंजरे नुमा जाल बिछाना होता है. लेकिन समुद्र मे इस तरीके के जाल को बिछाते समय सावधानी जरूर बर्तें.

2. कृत्रिम तालाब बनाकर (pond system)

इस तकनीक को सबसे अच्छी तकनीक माना जाता है, इसके लिए आपको कृत्रिम विधि से तालाब बनाना होता है या  फिर आप किसी पुराने तालाब का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. लेकिन इसके रख-रखाव एवं व्यापार को अच्छे से बैठाने में थोड़ा खर्च ज्यादा खर्च आ सकता है और इसमें मेहनत भी काफी लगती है. लेकिन मछलियों की पैदावार भी उच्च दर्जे की होती है, और भरपूर लाभ प्राप्त होता है.

  • घर या बंद कमरे में मछली पालन (indoor fish farming)

आज की आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से आप अपने घर पर या किसी बंद जगह में भी मछली पालन कर सकते हैं. इसके लिए आपको तकनीक का इस्तेमाल करके मछलियों के रहने लायक वातावरण तैयार करना होता हैं. इसके लिए आपको कमरे का तापमान घटाना और बढ़ाना भी पड़ सकता है. ऐसा करने के लिए आपको कमरे में उपकरण लगाने की आवश्यकता होगी. जिनकी मदद से आप कमरे का तापमान अपने हिसाब से नियत्रंण कर सकते हैं. इस तकनीक के जरिए फिश फार्मिंग करना लाभदायक ही होता है. वहीं उचित स्थान का चयन करते समय ये जरूर देख लें की वहां पर बिजली और पानी की अच्छी सुविधा मौजूद हो.

मछली पालन करने के लाभ (Advantages of Fish Farming)

  • अभी हाल में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक मछली पालन करने के व्यापार में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है. ऐसा में आप इस व्यापार के जरिए अच्छा खासे पैसे हर साल कमा सकते हैं. इतना ही नहीं आप अपने इस व्यापार को विदेशों तक भी पहुंचा सकते हैं और दूसरे देशों में भी अपनी मछलियां निर्यात कर सकते हैं.
  • इस व्यापार को शुरू करने में ज्यादा खर्चा नहीं आता है और आप इसे कम लागत यानी कम पैसों में शुरू कर सकते हैं. इतना ही नहीं हमारे देश की नदियों में मछलियां बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती हैं. ऐसे में कभी भी इस व्यापार में गिरवाट नहीं आती है.

मछली उत्पादन हेतु लाइसेंस (fish farming license)

भारत में किसी भी तरह के व्यापार को शुरू करने से पहले उसे पंजीकृत करवाना पड़ता है. अपने व्यापार को पंजीकृत करने के लिए आपको एक फार्म भरना पड़ता है. जिसे सरकार ने उद्योग आधार का नाम दिया है. आप सीधे एमएसएमई मंत्रालय के किसी भी सरकारी कार्यालय में जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं. जिसके लिए आपको अपने व्यवसाय सम्बन्धी सभी दस्तावेज एवं पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड एवं मालिक की फोटो आदि ले जानी होती है. आपको पंजीकरण के बाद एक पंजीयन संख्या दी जाती है. जिसका इस्तेमाल आप सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी या फिर लोन पाने के लिए कर सकते हैं. लेकिन आप समुद्र या नदी पर इस व्यापार को करना चाहते हैं तो आपको सरकार से नो ऑप्जेक्शन सर्टिफिकट लेना आवश्यक हो जाता है.

घर पर कैसे शुरू करे ये व्यापार (fish farming at home)

टब या प्लास्टिक के कृत्रिम तालाब की मदद से आप इस व्यापार को अपने घर से भी शुरू कर सकते हैं. आप ये टब या कृत्रिम तालाब को एक रूम में भी रख सकते हैं या फिर इनको आप अपने घर की छत पर भी रख सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें की मछलियों से काफी बुरी गंध आती है. जो कि आपके घर में भी फैल सकती है और इससे आस पास के लोगों को भी समस्या हो सकती है. वहीं आपको पानी, मछलियों के खाने के सामान और मछलियों की दवाओं का भी समय-समय पर इंतजाम करना होता है. इसके अलावा टब या तलाब के पानी को हफ्ते में दो बार जरूर बदलें.

छोटे एवं बड़े स्तर पर मछली पालन (small scale and large scale Fish farming)

अगर आप इस व्यापार को छोटे स्तर पर शुरू करते हैं, तो जमीन एवं कृत्रिम तालाब या टब लेने का खर्चा बड़ जाता. अगर आपके पास जमीन है तो आप उस पर तालाब खोदकर अपना व्यापार शुरू कर सकते हैं. अगर देखा जाए तो आपकी लागत आपके व्यापार के स्तर एवं पालन करने के तरीके पर निर्भर करती है.  इसलिए अपने बजट के हिसाब से ही व्यापार करने की तकनीक का चुनाव करें. बड़े स्तर पर इस व्यापार को शुरू करने के लिए आपको अधिक जमीन और कृत्रिम तालाबों की जरूरत पड़ती है. वहीं ऊपर आपको मछली पालन करने के तीन तरीके बताए गए है. जिनकी प्रक्रिया हर स्तर पर एक जैसी ही होती है.

मार्केटिंग (Fish market)

भारत के लगभग हर शहर में मछलियों को बेचने के लिए बाजार लगाया जाता है. जहां पर आप भी जाकर अपनी मछलियां बेच सकते हैं. इतना ही नहीं भारत से मछली विदेशों में भी भेजी जाती हैं. इसके अलावा आप अपनी मछलियों को सीधे तौर पर किसी होटलों या छोटे दुकानदारों को भी बेच सकते हैं.

पैकेजिंग (Packaging)

होटलों और दुकानदारों को मछलियां बेचने से पहले आपको इनकी अच्छे से पैकिंग करनी होती है. ताकि मछलियों को सही तरह से और बिना किसी परेशानी से इन तक पहुंचाया जा सके. वहीं अगर आप अपनी मछलियों को किसी विदेश या दूसरे राज्य में बेचते हैं तो भी आपको पैकेजिंग की जरूरत पड़ती है. आप इनकी पैकेजिंग किसी भी तरह के पॉलिथीन बैग में कर सकते है और आपको ये बैग आसानी से बाजार में मिल जाएंगे.

मछली पालन में लगने वाली लागत (how much does it cost to start a fish farm)

30 से 50 हजार रुपए के बीच में आप तालाब का पूरा सेटअप तैयार कर सकते हैं. उसके बाद मछली के बीज, खाना, पानी एवं बिजली का कुल बिल मिलाकर 1 से 1.5 लाख रूपय तक का खर्चा आता है. यानी इस व्यापार को अच्छे स्तर पर शुरू करने के लिए आपको कम से कम 2 लाख रुपए की जरूरत पड़ती है.

मछली पालन से होने वाला मुनाफा (fish farming profit margin in india)

अगर आप इस व्यापार में एक लाख रुपय लगाते हैं, तो आपको कम से कम 3 गुना लाभ हो सकता है. इसके अलावा इस व्यापार में होने वाला फायदा आपकी क्षमता, कार्यशैली, एवं मार्केटिंग स्तर पर निर्भर करता है. यानी अगर आप अच्छे से मेहनत करते हैं तो आपको लाभ भी अच्छा ही होगा.

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5 thoughts on “मछली पालन का व्यापार (बिजनेस) कैसे शुरू करें 2022|How to start Best fish farming business in Hindi”

Good information sir.

मछली पालन पोषण और से संबंधित

mughe plastic tank me fish farming krna hi loan vidhi bataye trainning kaha se mile ga iska aur kitne din ka trainning hota hai kon sa time fish farming ke liye sahi hai .

Sir aagar hmm 15000 mangur fish palte h too us se kitna profit kam sakte h

Sir agar main fish faing cement tank main karna chahata hu to vo sahi hai ya nahi agar sahi hai to konsi fish Maine choice karni chahiye

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Fish Farming Business Plan: मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें?

machli palan business kaise kare

Business Idea: आज के दौर में भारत में मछली पालन या “मतस्य पालन” करना काफी मुनाफ़ेवाला व्यापार हो गया है। बहुत से लोग इस बिजनेस से जुड़े हुए है और लाखो का मुनाफा कमा रहे हैं। भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मछली का सेवन करती है और सालाना प्रति व्यक्ति मछली की खपत करीब 8-9 किलोग्राम तक है। इस कारण से इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है और साल दर साल इसके बढ़ने की ही उम्मीद है।

अगर आप भी कम लागत में मछली पालन शुरू करना चाहते हैं तो आप इसे छोटे टैंक या फिर एक तालाब से शुरू कर सकते है और महीने में लाखों रुपए तक की कमाई कर सकते है।

चलिए देखते है कम निवेश में ज़्यादा लाभ बनाने वाली मछली फार्मिंग (Fish farming) कैसे शुरू करें

मछली पालन की तकनीक

मछली पालन मुख्यतः 3 तरीके से की जाती है।

  • तालाब में मछली पालन
  • बायोफ्लॉक टैंक

RAS प्रणाली

तालाब में मछली पालन (earthen fishpond).

आपने कभी न कभी गांव या कस्बे में छोटे-छोटे मछली पालन किये जाने वाले कृत्रिम तालाब अवश्य ही देखे होंगे। यह मछली पालन करने की सबसे पुरानी और परंपरागत विधि है, जिससे लोग अपना जीवन यापन करते है।

अगर आपके पास ज़मीन की कमी नहीं है या फिर आप गांव में रहते है और आपके पास काफी खाली ज़मीं उपलब्ध है, तो इस तरीके से आप मछली पालन शुरू कर सकते हैं।

इस प्रकार के तालाब को बनाने के लिए आपको खेत की आवश्यकता पड़ेगी। उसे खोदकर एक कृत्रिम तालाब बनाना होगा, जिसके बाद उसमें गोबर का उपचार और चूना इत्यादि डालकर पानी भरना होगा। तालाब की गहराई कमसेकम 6 फुट होनी आवश्यक है और तालाब में पानी का स्तर लगभग 4.5 फुट से लेकर 5 फुट तक होनी चाहिए, अगर इससे कम पानी का स्तर रहा तो मछली की वृद्धि में असर पड़ेगा।

तालाब का मुख पूर्व से पश्चिम की ओर होना चाहिए, मतलब लम्बाई पूर्व से पश्चिम दिशा में होना चाहिए और चौड़ाई उत्तर-दक्षिण दिशा में।

इस तरह के तालाब को बनाने का खर्च, मछली के बीज, मछली का खाना, दवा और रखरखाव में लगभग 10 लाख से लेकर 12 लाख रुपए तक का खर्च आता है। यहाँ पर हमने लगभग 1 हेक्टेयर (2.47 एकड़) ज़मीन के ऊपर आकलन किया है। ये आंकड़ा आपको ज़रूर ज़्यादा लग रहा होगा, मगर यह सिर्फ एक बार का निवेश है इसके बाद आपको इस बिजनेस से मुनाफा ही होगा।

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बायोफ्लॉक टैंक (Biofloc tank)

बायोफ्लॉक तकनीक को 1990 के दशक में विकसित किया गया था। जिसका मकसद कम फीड देकर और अपशिष्ट जल का फिर से उपयोग कर मछली पालन करना था। यह तकनीक भारत में भी काफी प्रचलित है और बहुत से किसान इस तकनीक का उपयोग कर मछली पालन कर रहें है।

बायोफ्लॉक टैंक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – पीवीसी टैंक/ तारपोलीन टैंक और सीमेंट टैंक ।

पीवीसी टैंक/तारपोलीन टैंक: इस प्रकार के टैंक आपको बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं जिनकी कीमत 20,000 रुपए से शुरू होती है। अगर आप इस बिजनेस में बिलकुल नए हैं तो 10,000 लीटर की क्षमता वाले बायोफ्लॉक फिश फार्मिंग टैंक के साथ शुरुआत करें, इसकी कीमत लगभग आपको 12,000 से 15,000 रूपए के बीच पड़ेगी। इस टैंक में आप 600-700 किलोग्राम मछली का उत्पादन कर सकते हैं।

टैंक लेने से पहले तारपोलिन का GSM ज़रूर जाँच कर लें, हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले टैंक पर निवेश करें। एक अच्छे टैंक का GSM 500 से ऊपर होता है, जो भी टैंक इस रेंज में आते हो उन्हें ही ख़रीदे। इससे नीचे के GSM में भी आपको बायोफ्लॉक टैंक उपलब्ध हो जायेंगे मगर उनमे कटने-फटने का डर रहता है, जिससे आपको आगे चलकर नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इसके साथ ही आपको तिरपाल की भी ज़रूरत पड़ेगी, जिससे तापमान नियंत्रित हो पाए और अवांछित तत्त्व भी आपके टैंक में न गिर सके। इसकी लागत करीब 1500-2000 रूपए तक आएगी।

इस तरह देखा जाये तो एक पूरी तरह सेटअप PVC biofloc tank में आप करीब 20,000 रुपए तक का निवेश करके मछली पालन का व्यापार शुरू कर सकते हैं।

सीमेंट टैंक: अगर आपको मछली पालन बिजनेस में थोड़ा समय हो गया है और आपने कुछ पैसे भी बना लिए हैं तो आप सीमेंट टैंक भी बनवा सकते हैं। इस प्रकार के टैंक बनवाने में तारपोलीन टैंक से दुगना खर्च करना पड़ सकता है, मगर यह एकमुश्त निवेश है। एक बार निर्माण हो जाने के बाद यह टैंक 10-12 साल आसानी से चल जाते है और रखरखाव में भी खर्च न के बराबर होता है। एक 10,000 लीटर सीमेंट टैंक के निर्माण में करीब 25,000 रूपए तक का खर्च आ सकता है।

इसके अलावा दोनों ही प्रकार के टैंक में एयर पंप चाहिए होगा जिससे की पानी में ऑक्सीजन की मात्रा सुचारू रूप से जारी रहे। एक 10,000 लीटर बायोफ्लॉक टैंक के लिए एयर पंप की कीमत लगभग 18,000 से शुरू होती है। हमेशा दो एयर पंप अपने साथ रखें, अगर किसी कारण से एक एयर पंप नहीं चलता है तो दूसरा बैकअप आपके पास ज़रूर होना चाहिए। क्योंकि, बिना ऑक्सीजन के मछलियों के मरने का भय रहता है।

साथ ही में एक इन्वर्टर की भी व्यवस्था होनी आवश्यक है, क्योंकि बहुत सारे इलाकों में बिजली आपूर्ति ठीक नहीं रहती अगर आपके पास इन्वर्टर रहेगा तो एयर पंप चलाने में परेशानी नहीं होगी।

इन सबके साथ फिश सीड, प्रोबिओटिक्स, TDS meter, PH meter, अमोनिया टेस्ट किट इत्यादि में 30,000 रूपए तक का खर्च आ सकता है। कुल मिलाकर, एक 10 हज़ार लीटर बायोफ्लॉक फिश टैंक का निर्माण से लेकर प्रोडक्शन तक करीब 40,000 से लेकर 50,000 रूपए तक का खर्च आएगा।

री-सर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS) प्रणाली मछली पालन के लिए सबसे कारगर तकनीक है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है, किसी भी जलवायु और स्थान में मछली पालन करना। इसे आप मैदानी, तटीय और पहाड़ी किसी भी स्थान पर लगा कर मछली उत्पादन शुरू कर सकते हैं। चाहे बाहर का तापमान कुछ भी हो, टैंक का तापमान आपके नियंत्रण में रहता है।

मौसम में हुआ बदलाव पानी के तापमान को निर्धारित नहीं करेगा, और दैनिक पानी के तापमान में उतार-चढ़ाव मछली पर दबाव नहीं डालेगा, जिससे बीमारी और मृत्यु दर में कमी आएगी। चाहे गर्म पानी की मछली हो या फिर ठंडे पानी की, RAS सिस्टम दोनों ही प्रजातियों के लिए तापमान का नियंत्रण करता है। क्योंकि पानी को फिर से री-सर्कुलेट किया जाता है, जिस कारण हीटिंग और कूलिंग की लागत कम हो जाती है।

उदाहरण के लिए, बायोफ्लॉक सिस्टम में मछली का एक कल्चर लेने के बाद पानी को छोड़ देते हैं, जिसे आम तौर पर ओपन या फ्लो-थ्रू सिस्टम कहा जाता है। मगर, RAS प्रणाली में यह सिस्टम विभिन्न स्तरों पर फिल्टर का उपयोग करके पानी को साफ करता है और उसी पानी को फिर से उपयोग में लाता है। जिससे पानी की काफी बचत होती है और खर्च में भी कमी आती है।

एक 30,000 लीटर के RAS फिश टैंक की कीमत करीब 35-40 हज़ार रूपए होती है और पुरे फिल्ट्रेशन प्लांट को बनाने में करीब 15 से 20 लाख रूपए की लागत आती है। यह सिस्टम थोड़ा खर्चीला ज़रूर है मगर इससे मुनाफा भी तालाब और बायोफ्लॉक टैंक के मुकाबले ज़्यादा आता है। क्यूंकि, सभी काम ऑटोमेटिक तरीके से मशीन द्वारा होता है और बहुत कम मैन्युअल वर्क की ज़रूरत पड़ती है।

मछलियां कितने प्रकार की होती है?

सामान्यतः मछलियाँ 2 प्रकार की पाई जाती है पानी के अंदर सांस लेने वाली (Underwater breathing fish) और हवा से सांस लेने वाली (Air breathing fish).

हवा से सांस लेने वाली मछलियां ये हैं: देसी मांगुर, सिंघी, पंगेसियस, वियतनाम कोई, देसी कोई और पाबदा।

पानी के अंदर सांस लेने वाली मछलियां: रोहू, कतला, मृगल कार्प, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प, तिलापिया और रूपचंद।

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में कौन सी मछली पालें?

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में विशेष प्रकार से हवा से सांस लेने वाली मछलियों (Air breathing fish) का कल्चर किया जाता है, क्यूंकि ये मछलियां किसी भी प्रकार की परिस्थितियों को झेल लेती है।

जैसे की कभी टैंक का एयर पंप (Air Pump) जिससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा पहुंचाई जाती है किसी कारण नहीं चल रहा हो या फिर पानी में अमोनिया की मात्रा ज़्यादा हो जाए — तब भी इस प्रकार की मछलियां पानी के ऊपर जाकर सांस ले सकती है और उस सिचुएशन को झेल जाती है। जिससे मोर्टेलिटी रेट कम रहता है और मुनाफे में वृद्धि होती है।

वैसे तो IMC और एयर ब्रीथर दोनों ही प्रकार की मछलियों का कल्चर बायोफ्लॉक और RAS टैंक में किया जा सकता है, हालाँकि अगर आप इस बिज़नेस में बिलकुल नए हैं तो हवा से सांस लेने वाली मछलियां (Air breathing fish) के साथ शुरुआत करें और थोड़ा अनुभव हो जाने के बाद IMC मछलियां जिसमे रोहू, कतला, मृगल शामिल है इनका प्रयास करें।

बायोफ्लॉक और RAS टैंक में IMC fish जैसे रोहू, कतला और मृगल की ग्रोथ ज़रूर होती है मगर ये प्रक्रिया काफी समय लेती है, और किसी कारण ऑक्सीजन में कमी आयी तो ये मछलियां आधे घण्टे भी टैंक में जीवित नहीं रह पाती। अगर आप भी इन मछलियों को पालना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान ज़रूर रखें की आपके एरिया में पावर सप्लाई नियमित रूप से आती हो या फिर एक अच्छे इन्वर्टर पर निवेश करें।

मछली पालन के लिए बीज कहाँ से ख़रीदे?

मछली के बीज आप अपने जिले या फिर राज्य के मत्स्य पालन विभाग (Department of Fisheries) के द्वारा ले सकते हैं, वहां पर मछली पालकों के लिए उचित दरों पर बीज मुहैया करवाया जाता है और साथ ही साथ ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसके अलावा अगर आपके एरिया में कोई किसान पहले से मछली पालन कर रहा है और उसकी हैचरी भी है तो आप उनसे भी संपर्क करके बीज ले सकते हैं।

आमतौर पर मछली के बीज 200 रुपये से 250 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मिलते हैं। आप चाहे तो फिश सीड पीस के हिसाब से भी आर्डर कर सकते है जो की 1 रुपया/पीस से लेकर 5 रुपया/पीस तक हो सकती है।

मछली कितने महीने में तैयार हो जाती है?

आमतौर पर मछलियाँ 5 से 6 महीने में लगभग 500 ग्राम तक की हो जाती है, मगर यह पूरी मछली की प्रजाति पर निर्भर करता है। कई मछलियाँ इतने दिनों में बस 150-200 ग्राम तक का ही वज़न हासिल कर पाती है।

चलिए हम एक उदाहरण के तौर पर विभिन्न प्रकार की मछलियों का “बीज से लेकर हार्वेस्ट” करने तक का विश्लेषण करते हैं:

आजकल ज़्यादातर किसान 10,000 लीटर बायोफ्लॉक टैंक से मछली पालन की शुरुआत कर रहें है तो हम उसी को मानक ले रहे हैं। अगर आप IMC कैटेगरी की मछली जैसे रोहू, कतला, कॉमन कार्प और तिलापिया को पालना चाहते हैं तो टैंक में आपको करीब 900-1000 मछलियां डालनी होगी। यह मछलियाँ 6 महीने में औसतन 500 ग्राम तक का वज़न हासिल कर पाती है और हार्वेस्टिंग के समय आपको एक टैंक से करीब 450-500 किलोग्राम तक की मछलियाँ मिलेगी।

यहाँ एक बात का ज़रूर ध्यान रखें, मछलियों में कुछ न कुछ मोर्टलिटी ज़रूर होगी इसलिए 20% के हिसाब से टैंक में 900 से 1000 मछलियां डाले जिससे अंत में आपका टारगेट हासिल हो पाए।

अगर आप कैटफ़िश प्रजाति की मछली जैसे वियतनाम कोई (Vietnam Koi) का कल्चर करना चाहते है और एक सीजन में कम से कम 300 किलोग्राम तक मछली का हार्वेस्ट करना है तो आपको टैंक में करीब 2000 से लेकर 2500 मछली डालनी होगी।

इस मछली का एवरेज साइज 150-200 ग्राम होता है, और यह लगभग 6 महीने में पूरी तरीके से तैयार हो जाती है। मार्केट में इसका रेट भी 300 से 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक जाता है।

मछली पालन के लिए लोन कैसे मिलेगा?

केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाईं जा रही हैं, जिसका फायदा लेकर किसान भाई इस व्यवसाय से जुड़ सकते है और पैसे कमा सकते हैं।

अगर आप भी मछली पालन के लिए लोन लेना चाहते हैं तो “ पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) ” के तहत ले सकते हैं। इसकी शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वर्ष 2020 में की गयी थी, इस योजना में मत्स्य पालकों को लोन देने के साथ ही निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

इसके तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों की तरफ से आपकी परियोजना के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है, जो कि सामान्य जाति के लिए 40% है और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति महिलाओं के लिए 60% तक निर्धारित की गई है।

मत्स्य पालन हेतु ऋण लेने के लिए आप अपने राज्य के मत्स्य विभाग के कार्यालय से संपर्क करें। वहां पर सम्बंधित अधिकारी आपको लोन के लिए कैसे अप्लाई करना है और लोन किस तरह से प्राप्त होगा इसकी पूरी जानकारी दे पाएंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑफलाइन है, और फिलहाल ऑनलाइन आवेदन के लिए संबंधित विभाग से कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

हालांकि, अगर आप इस योजना के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो पीएम मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की आधिकारिक वेबसाइट पर जायें – https://dof.gov.in/pmmsy

FAQ: Fish Farming Business Plan

Q. मछली पालन के लिए पानी का pH मान कितना होना चाहिए? Ans. मछली पालन के लिए पानी का pH मान 6.5 से 8.5 तक होना चाहिए।

Q. मछली कितने दिन में तैयार होती है? Ans. मछली को सामान्यतः पूरी तरह विकसित होने में करीब 5 से 6 महीने तक का समय लगता है।

Q. देश का सबसे बड़ा मछली जीरा बाजार कहाँ है? Ans. भारत में मछली पालन के लिए जीरा का उत्पादन सबसे ज़्यादा पश्चिम बंगाल में होता है।

Q. मछली पालन बिज़नेस के लिए कितना निवेश करना पड़ेगा? Ans. इस बिजनेस को आप मात्र 20,000 रुपये सालाना खर्च करके शुरू कर सकते हैं और हर महीने लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं।

Q. मछली पालन किस सीजन में करना चाहिए? Ans. वैसे तो मछली पालन किसी भी मौसम में किया जा सकता है, मगर मछली पालने के लिए सबसे अच्छा सीजन फ़रवरी से अक्टूबर तक होता है। सर्दियों के मौसम में मछली का आकार धीमी गति से बढ़ता है क्योंकि उस समय मछलियां पानी के नीचे चली जाती है और खाना भी कम खाती है।

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मछली पालन बिजनेस कैसे शुरू करें। प्रक्रिया, नस्ल, लागत, कमाई।

Fish farming या fisheries का Hindi में अर्थ मछली पालन से लगाया जा सकता है। व्यवसायिक भाषा में जिसका मतलब fish अर्थात मछलियों को अपनी कमाई करने हेतु पालने का होता है । वैसे कुछ आरामपसंद, धनी, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग अपने शौक व अपनी प्रोटीन सम्बन्धी जरूरतों की पूर्ति हेतु भी मछलियों का पालन करते हैं। क्योकि मछली लोगो की प्रोटीन सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने का प्राथमिक स्रोत है । यही कारण है, की मछली पालन का बिज़नेस India में निरन्तर बढ़ता जा रहा है ।

और इसका इंडिया की Gross Domestic Product (GDP) में 1.4% की हिस्सेदारी है। यदि हम पूरे कृषि सम्बंधित व्यापारों की बात करें, तो Indian जीडीपी में इनकी हिस्सेदारी 4.6% है। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं की फिश फार्मिंग भारत में कितना फलता फूलता business है। वर्तमान में Fish Pond  या मछलियों के तालाबों की भारी कमी के कारण समुद्र और नदियां ही मछली सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के माध्यम हैं। चूँकि मनुष्य ने इन प्राकृतिक संसाधनों से बहुत अधिक मात्रा में मछलियों को पकड़ लिया है ।

इसलिए धीरे धीरे समुद्रों और नदियों में भी मछलियों की संख्या कम होती जा रही है । एक आंकड़े के मुताबिक भारत में 60% से अधिक लोग अपने खाने में मछली पसंद करते हैं । अब यदि मछलियों की संख्या कम हो जाती है, या फिर समुद्र या नदियों में मछलियाँ नहीं मिलती हैं । तो जरा सोचिये की मछली खाने के आदी  मनुष्य अपने शरीर में प्रोटीन की कमी को कैसे पूरा करेगा । इसलिए अभी यह उचित समय है जब कोई उद्यमी Fish Farming या मछली पालन का बिज़नेस स्थापित करके लोगों की मांग को पूर्ण करने का जिम्मा उठाकर, अपनी Kamai करने का काम कर सकता है।

हमारे देश भारत को प्रकृति ने अनेकों नदियों, झीलों और अन्य पानी के स्रोतो से अलंकृत किया हुआ है। इसलिए मछली पालन का business किसी उद्यमी के लिए एक उचित निर्णय हो सकता है । इसके अलावा India में Fish Farming करने के कुछ फायदे भी हैं जो इस प्रकार से हैं।

Fish farming Machli-palan-business-in-india

मछली पालन के लाभ (Advantages of Fish Farming in Hindi):

Machali Palan ke Fayde : वैसे तो India में व्यवसायिक तौर पर मछली फार्म स्थापित करने के अनेकों फायदे हैं लेकिन इनमे से जो मुख्य हैं उनका विवरण निम्नलिखित है।

  • जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं, India में 60% से अधिक लोग खाने में मछली खाना पसंद करते हैं | जो साफ़ इशारा करता है की इस business में असीम सम्भावनाएं हैं ।
  • मछली में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने के कारण इसकी मांग और कीमत हमेशा उच्च बनी रहती है ।
  • भारतवर्ष की जलवायु यह व्यवसाय करने के लिए अनुकूल है । जिससे रिस्क कम हो जाता है।
  • अभी हमने कहा था, की भारतवर्ष को प्रकृति ने विभिन्न पानी के स्रोतों से सरोबार किया हुआ है । इसलिए मछली पालन से जुड़ने वाला उद्यमी अपना Fish Pond आसानी से किसी नजदीकी पानी के स्रोत से भर सकता है।
  • India में मछली की बहुत सारी जातियां उपजातियां आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं । आप अपने Fish Pond के लिए जल्दी बड़ी होने वाली नस्ल का चुनाव कर सकते हैं ।
  • चूँकि ग्रामीण इलाकों में मजदूर आसानी से और सस्ते दामों पर मिल जाते हैं । इसलिए आप एकीकृत फार्मिंग भी कर सकते हैं । जिसमे आप Fish Farming के अलावा Dairy Farming , Goat Farming , खेती इत्यादि भी कर सकते हैं।
  • वे लोग जो कोई और काम भी कर रहे हों, उसके साथ साथ ही Fish Farming या मछली पालन का भी business कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उनके पास अपेक्षित जमीन एवं सेवाएं होना अति आवश्यक है ।

मछली पालन कैसे शुरू करें?(How to start Fish farming in India):

Fish Farming Kaise Shuru Kare : हालांकि India में मछलियों का फार्म स्थापित करना कोई आसान काम नहीं है । लेकिन जब मछली पालन व्यवसायिक तौर पर करना ही हो तो, थोड़ी बहुत परेशानियां तो उठानी ही पड़ेंगी। और व्यवसायिक तौर पर यह business स्थापित करने के लिए उद्यमी को भिन्न भिन्न प्रक्रियाओं से होकर गुज़रना पड़ेगा। जिनका वर्णन हम नीचे संक्षिप्त रूप में कर रहे हैं ।

1. मछलियों के लिए तालाब बनाना (Preparation of Fish Pond):

Fish Pond मछली पालन business के लिए सबसे अहम कड़ी है । जैसे की आपने एक कविता सुनी होगी ” मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है । जी हाँ बिलकुल मछली का जीवन जल है। इसलिए यदि हमें Fish farming करनी है, तो पानी को संचय करना होगा। और पानी को संगृहीत करने हेतु Fish Pond बनाना होगा । Fish Pond में मछली पालन मौसमी और स्थायी दोनों तरीके से किया जा सकता है।

वह क्षेत्र या स्थान जहाँ पानी हर महीने उपलब्ध नहीं होता, वहां मौसमी Fish Pond बनाकर मछली पालन किया जा सकता है। और इस Fish Pond में जल्दी बड़ी होने वाली मछली को अपने बिजनेस का हिस्सा बनाना बेहद आवश्यक है। Fish Pond में पानी और मछलियों का बीज डालने से पहले इसको अच्छी तरह तैयार कर लेना चाहिए। कही ऐसा तो नहीं की पानी लीकेज हो रहा है।

रिसाव चेक करने के लिए Fish Pond में पानी छोड़ने के तीन चार दिन बाद मछलियों के बीज को उसमे डालना चाहिए। लेकिन Fish Pond में पानी भरने से पहले अच्छी तरह से उसकी सफाई और फ़र्टिलाइज़र सिस्टम स्थापित कर लेना चाहिए ताकि मछलियों के लिए Inner Feed उपलब्ध हो सके।

2. मछली की नस्ल का चुनाव करना :

उद्यमी को एक लाभकारी Fish Farming बिज़नेस के लिए अच्छी नस्ल वाली मछली का चुनाव करना बेहद आवश्यक है। क्योकि Farming Business चाहे बकरी पालन बिजनेस हो डेयरी फार्मिंग व्यवसाय हो या फिर Poultry Farming एक लाभकारी बिज़नेस तभी हो सकता है। जब उद्यमी द्वारा जल्दी बढ़ने वाली नस्ल का चुनाव किया गया हो। Fish Farming के लिए मछली की नस्ल का चयन करते समय अपने क्षेत्र में मछलियों की मांग, और जिस मछली की नस्ल जल्दी और ढंग से बड़ी हो सकती है, इत्यादि बातों का ध्यान रखें।

आप चाहें तो किसी एक नस्ल का उत्पादन न करके भिन्न भिन्न नस्लों का उत्पादन एक साथ कर सकते हैं । जैसे कुछ मछलियाँ ऐसी होती हैं जिनको तले (bootom) में रहने की आदत होती है। और कुछ मछलियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें पानी के बीचों बीच रहने की आदत होती है । इसके अलावा कुछ मछलियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें पानी के उपरी सतह पर रहने की आदत होती है ।

अगर उद्यमी एक साथ रोहू, मृगल, कतला मछलियों को अपने Fish Pond का हिस्सा बनाता है। तो उसके Fish Pond का कोई भी हिस्सा व्यर्थ नहीं जायेगा। इंडिया की जलवायु के हिसाब से मुख्य मछलियों की नस्लें निम्न हैं।

  • कतला मछली (Catla)
  • रोहू (Rohu)
  • मृगल (Mrigal)
  • सिल्वर कार्प (Silver Carp)
  • ग्रास कार्प (Grass Carp)
  • कॉमन कार्प  (Common Carp)

3. मछलियों के खाने का इंतज़ाम करना (Feeding)

इसमें कोई दो राय नहीं की अच्छा गुणवत्ता वाला खाना मछलियों के जल्दी वृद्धि होने में सहायक होगा । आप व्यवसायिक रूप से Fish Farming करने हेतु एकीकृत फार्मिंग करके डेरी उत्पाद, सब्जियों इत्यादि को मछलियों का खाना बना सकते हैं ।

India में मछली पालन व्यवसाय से जुड़े अधिकतर किसान अपनी मछलियों को प्राकृतिक खाने के भरोसे ही छोड़ देते हैं। प्राकृतिक खाना मछलियों के लिए कितना होगा यह सब Fish Pond फर्टिलाइजेशन पर निर्भर करता है। वैसे आप मछलियों के खाने के प्रबंधन को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं।

1. Outer Feed (बाह्य खाना) :

Outer Feed का प्रबंध जैसे की हमने पहले भी बताया एकीकृत फार्मिंग के द्वारा भी किया जा सकता है । इसके अलावा बाज़ार में उपलब्ध मछलियों का खाना लेकर उसको तालाब में मछलियों के खाने हेतु डाला जा सकता है। वैसे मछलियाँ आटा, चावल इत्यादि भी खाती हैं । तो उद्यमी इनका उपयोग भी मछलियों के खाने हेतु कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे की मछलियों के खाने के व्यवहार को आँका जाय। क्योकि अनावश्यक रूप से Fish Pond के अंदर डाली जाने वाली सामग्री Fish Pond को गन्दा कर सकती है।

2. Inner Food (आंतरिक खाना) :

Inner Food से आशय तालाब में उत्पादित खाने से है । इसमें छोटे छोटे कीड़े मकोड़े जिन्हे मछलियां खाती हैं वे आते हैं । लेकिन यह सब उत्पादित हो, इसके लिए आपको महीने में दो बार Fish Pond फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया करनी पड़ती है । Inner Food उत्पादित करने हेतु जैविक खाद एवं रासायनिक खादों का उपयोग किया जा सकता है ।इसमें गोबर का उपयोग भी हो सकता है।

4.मछलियों की देखभाल करें(Care and management)

व्यवसायिक तौर पर Fish Farming या मछली पालन करने के लिए मछलियों की नस्ल और खाने का इंतज़ाम करने पर ही उद्यमी की ड्यूटी खत्म नहीं हो जाती। अब समय आ जाता है अपनी मछलियों का अच्छे ढंग से ध्यान रखने का। मछली की बीमारियों से मछलियों को बचाने  का । पानी में उत्पन्न होने वाले मछली के दुश्मनो से मछलियों को बचाने का। छोटी मछली को बड़ी मछली से बचाने के लिए कदम उठाने का ।

और कहीं गन्दा पानी होने के कारण मछलियों की जान खतरे में न पड़ जाये इसलिए समय समय पर पानी का PH स्तर चेक कराने का । साधारणतया मछली पालन बिजनेस से उत्पादित उत्पाद के लिए लोकल ग्राहक अर्थात जिस क्षेत्र में आपका Fish Pond है । उसी क्षेत्र के ग्राहक भी मिल जाते हैं लेकिन यदि उद्यमी का उत्पादन उस क्षेत्र की आवश्यकताओं से अधिक है ।

तो उद्यमी को अपना उत्पाद बेचने के लिए मार्केटिंग करनी पड़ेगी । मार्केटिंग की दृष्टि से Fish Farming business का सबसे बड़ा फायदा यह है की आपको अपना उत्पाद साथ लेके नहीं घूमना है। उद्यमी को पहले अपने ग्राहक तैयार करने हैं । उनसे आर्डर लेने हैं उसके बाद आवश्यकतानुसार मछलियों को Fish Pond से बाहर निकालना है।

मछलियों को कहाँ बेचें (Where to sell fish):

वर्तमान में मछली खाने वाले लोगों की संख्या हर जगह चाहे आप भारत के किसी भी कोने में उपलब्ध हों पर्याप्त मात्रा में है। यही कारण है की मछली की माँग हर स्थानीय बाज़ार में हमेशा बनी रहती है। कहने का आशय यह है की यदि आप मछली पालन करके बहुत अधिक मछलियों का उत्पादन नहीं कर रहे हैं। तो आप इन्हें स्थानीय बाज़ार में खुद भी बेच सकते हैं ।

लेकिन आम तौर पर इस तरह का बिजनेस (Fish Farming Business) कर रहे उद्यमियों के पास उस एरिया में स्थित वे लोग पहले ही पहुँच जाते हैं, जो किसी स्थानीय बाज़ार में, साप्ताहिक बाज़ार में सड़क के किनारे बैठकर मछली बेचते हैं।

इसके अलावा स्थानीय मंडी जहाँ लोग मीट मछली खरीदने जाते हैं, आप वहां भी इन्हें बेच सकते हैं। लेकिन यदि आपका उत्पादन बहुत अधिक है तो बेहतर यही होता है की आप उस एरिया में स्थित मछली के थोक विक्रेताओं से संपर्क करें। और उन्हें अपने फिश फार्म  से ही मछली ले जाने को कहें। क्योंकि उनके पास वाहनों की ऐसी व्यवस्था होती है, जिनमें मछलियों को जिन्दा भी ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।

मछली पालन करने में आने वाली लागत

हालांकि बहुत सारे लोगों को लगता है की मछली पालन बिजनेस शुरू करना आसान प्रक्रिया है । लेकिन सच्चाई यह है इसमें आपको एक जिन्दा जलजीव की खेती करनी होती है, इसलिए इसके तकनिकी जानकारी होना अति आवश्यक होती है ।

जहाँ तक लागत की बात है इस बिजनेस में आने वाली लागत भी इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी किस स्तर का मछली पालन व्यापार शुरू करना चाहता है । और वह किन किन मछलियों का पालन करना चाहता है ।

लेकिन एक व्यक्ति जो राहू, कतला और मृगल मछली को अपना फार्म का हिस्सा बनाकर छोटे से स्तर पर इसे शुरू करना चाहता है, उसे इस बिजनेस को शुरू करने के लिए निम्न मदों पर खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है। इसमें जमीन का खर्चा शामिल नहीं है क्योंकि जहाँ पर मछली का तालाब बनाया जाएगा, वह जमीन उद्यमी की खुद की होनी चाहिए।

इस तरह से देखें तो एक छोटा सा मछली फार्म खोलने में भी उद्यमी को लगभग ₹189500 खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है। इसमें भी जमीन का खर्चा शामिल नहीं है, क्योंकि इसमें हम यह मान कर चल रहे हैं की जमीन इस बिजनेस को करने वाले उद्यमी की खुद की है।    

मछली पालन बिजनेस से कितनी कमाई होगी

जहाँ तक कमाई का सवाल है इस बिजनेस (Fish Farming Business) से होने वाली कमाई इस बात पर निर्भर करती है की उद्यमी एक साल में कितनी किलो मछली का उत्पादन कर पाने में सफल हो पाता है। यदि उद्यमी एक साल में 3000 किलो मछली का उत्पादन करने में भी सफल होता है और इसकी औसतम कीमत यदि हम 110 रूपये प्रति किलो मान के भी चलते हैं। तो इस हिसाब से उद्यमी 110×3000 = ₹330000 की साल में ग्रॉस इनकम कर पाता है।

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मछली पालन का व्यवसाय कैसे शुरू करें? Fish Farming Business Plan in Hindi

Fish Farming Business in Hindi: अगर शरीर मे प्रोटीन की कमी हो तो डॉक्टर मछली खाने की सलाह देते है क्योंकि मछली प्रोटीन का बहुत ही अच्छा स्रोत है। यही वजह है कि सिर्फ भारत ही नही बल्कि पूरे विश्व मे मछली की बहुत ही ज्यादा डिमांड रहती है। आज के समय मे मछली पालन का व्यवसाय काफी फायदे का बिजनेस माना जाता है

अगर आप भी उन लोगों में से है जो खुद का बिजनेस करके एक अच्छा मुनाफा करना चाहते है तो आप यह काम मछली पालन यानी की मत्स्य पालन करके कर सकते है। इस बिजनेस में आप मछली पालते है और उनको बेचकर पैसे कमाते है। मछली पालन के लिए आपको ज्यादा बड़ा निवेश करने की जरुरत नहीं है और इस बिजनेस में आपको सिर्फ एक बार ही निवेश करना होता है उसके बाद आप अपना खर्च इसी बिजनेस से निकालने लगते है।

मछली पालन व्यवसाय (Machli Palan Kaise Kare in Hindi) के बारे आज हम सभी जानकारी देने वाले है किस प्रजातियां की मछलियों को पाले, मछलियां को आहार कितना दे और इसमें होने वाले लागत और मुनाफा कितना होगा इसलिए हमारे लेख को अंत तक जरूर पढ़ें

Table of Contents

मछली पालन स्वरोजगार क्या है ?

Fish Farming मछली पालन का एक ऐसा स्वरोजगार है, जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा आप कमा सकते हैं। कम जगह में कई वैरायटी की मछलियां पाली जाती हैं और उन्हें बाजार में बेचकर लाभ कमाया जाता है। मछली प्रोटीन और विटामिन का सबसे अच्छा स्रोत होता है‌। एक बार मछली पालन का काम शुरू करने से लगातार आपकी आमदनी होती रहती है। मछली पालन के लिए रोहू, सिल्वर, ग्रास, भाकुर व नैना मछलियों जैसी वैरायटी की मछलियां अधिक पाली जाती हैं।

मछली पालन का व्यवसाय क्यों करें ?

आपके दिमाग में एक बात आती होगी की हम मछली पालन का व्यवसाय क्यों करे ऐसा क्या है मछली पालन के व्यापार में क्या फायदा है? मछली पालन के व्यवसाय करने से और ऐसे कई बाते जो लोगो के दिमाग में आ रही होंगी जो लोग पहली बार इस व्यवसाय को कर रहे होंगे या ऐसे वे लोग जिनको कोई आईडिया नही होगा मछली पालन के व्यापार का तो आपको ये बताना चाहते है की

मछली पालन का व्यवसाय भारत में जितने प्रतिशत में हो रहा है उससे कई ज्यादा प्रतिशत में दुसरे देशों में भी हो रहा है,मछली से मिलने वाले एनर्जी पौष्टिक आहार जिससे हमारे शरीर और रोगों में दवा के रूप में आने वाले कई फायेदे है इससे मछली का मांग दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है आज –कल तो लोग अपने यहाँ पे ही तालब या छोटे –छोटे फार्म बनाकर ही इस व्यवसाय को बढ़ावा दे रहे है,और ज्यादा से ज्यादा फायदा कमा रहे है

यहाँ तक की मछलियों के भी कई प्रजातियां होती है,जिसके हर प्रजाति का कोई न कोई अपना ही कुछ विशेष गुण होता है ये अपने विशेष गुण के चलते बाज़ार में जादा ही प्रचलित होते है लोग इनकी मांग जादा करते है ये सभी फायदे मछली पालन के व्यवसाय को बहुत फायदे में लेकर जाता है

मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें? How to Start Fish Farming Business in Hindi

How to Start Fish Farming Business in Hindi

मछली पालन का व्यापार भारत के लगभग सभी राज्यों में होता है भारत में लगभग 70 प्रतिशत लोग मछली का सेवन करते है मछली पालन का व्यापार कर के भारत के ऐसे कई शहर है जहाँ के 25 प्रतिशत आबादी इसी रोजगार से अपना पालन करते है मछली पालन के व्यवसाय को हम दूसरे भाषा में fish farming भी बोलते है

भारत के लगभग आधी से ज्यादा जनसंख्या मछली खाती है और मछली पालन का व्यवसाय उन क्षेत्रों के लिए और भी फायदेमंद है जहाँ पे नदियां ,झरने,तालाब का क्षेत्र आता हो जहाँ पे इन सभी स्त्रोतों की सुविधा अच्छी मिलती है,वहां पर मछली पालन का व्यापार करना और भी आसन हो जाता है

ऐसे तो मछली पालन करने के लिए आप लोगो को कुछ जमीन और छोटे –छोटे तालाबों की भी जरूरत होती है जिसमे हम मछली को कुछ दिनों के लिए रख सकते है मछली पालन के व्यापार करने के लिए कोई ज्यादा पूंजी की जरूरत नही होती है अगर हम चाहे तो कम पूंजी में भी इसके व्यापार को चालू कर सकते है और जादा से जादा मुनाफा कमा सकते है

किस प्रजातियां (नस्ल) की मछलियों को पाले

अगर आप मछली पालन में घुस रहे है और आपको ज्यादा जानकारी नहीं है की  किस नस्ल की मछलियों को पालना चाहिए तो हम आपको बताते है आपको शुरुआत में  टूना ,सिल्वर क्रॉप , रोहू , कॉमन क्रॉप आदि मछलियां पालनी चाहिए।

इनकी डिमांड हमेशा ही मार्किट में बनी रहती है आप मछलियों को पालने के लिए मत्स्य पालन विभाग से मछली प्राप्त कर सकते है। यह ज्यादातर शहरों में मत्स्य पालकों की मदद के लिए उपलब्ध है। यहाँ पर जाकर आप मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़ी और भी जानकारी पा सकते है।

मछली पालन के लिए मछलियों के प्रमुख प्रजातियां भारत में पाई जाने वाली यहाँ से पढ़े

मछलियों के प्रजातियों का चयन करने से पहले इन बातो का धयान दे

1. तालाब के माहौल में ढलने की छमता –  हमलोग ने जो तालाब बना रखा है मछली पालन के लिए वो तालाब कैसा है उसमे बारो महीना पानी रहता है यह सिर्फ बारिश के मौसम में पानी रहता है इस प्रस्थिति को हमें धयान में रखना होगा

2. तेज़ी से बढ़ने की छमता – हमें यह भी ध्यान रखना होगा अगर हम व्यावासिक रूप से मछली पालन कर रहे है जिस मछली की प्रजाति को हम पाल रहे है उसकी बढ़ने की छमता अच्छी होनी चाहिए अगर मछलियां की growth अच्छी नहीं होगी तो हमें मछली पालन में ज्यादा फ़ायदा नहीं हो पायेगा और अगर तालाब मौसमी है सिर्फ बारिश के टाइम में ही तालाब में पानी रहता है 12 महीना नहीं रह पाता तो हमें मछली की growth में ज्यादा ध्यान देना होगा हमें उस मछली की प्रजाति को तालाब में पालन करना होगा जिसकी growth अच्छी हो

3. तालाबों में उपलब्ध खाने को खा सकने की छमता –  आम तोर पे जो 12 मिहिनो के जो स्थाई तालाब होते है उनमे सहज रूप में कुछ खाना उपलब्ध रहता है जिन्हे मछलियां कहती है और जिन्दा रहती है मगर कई मछलियों की प्रजाति ऐसे भी होती है जो तालाब में उपलब्ध खाने को नहीं कहती है इन्हे अलग से खाना देना पड़ता है इन् बातो का भी हमें धयान रखना पड़ता है

4. जल्दी बीमार न पड़ने की छमता –  जिस माहौल में हम मछली को पाल रहे है उस माहौल में ढलने की छमता होनी चाहिए इस लिए ऐसी मछली का चुनाव करे जो सब वातावरण में आसानी से ढल सके और हमें ज्यादा से ज्यादा लाभ हो सके

5. बाजार में मांग और दाम –  यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है आखिर हम मछली पालन कर क्यों रहे है व्यापार के लिए और मुनाफे के लिए अगर हम जिस मछली की पालन कर रहे है और उस मछली की बाजार में मांग नहीं है तो हमें उस मछली को पालने का कोई फायदा नहीं है हमें उन् मछलियों की पालन करना है जिसकी मांग हमेशा मज़ार में रहती है

कौन सी मछली जल्दी बढ़ती है?

मछली पालन के व्यवसाय के लिये आप रोहू , मृगल , कतला , ग्रास कार्प , सिल्वर कार्प , कामन कार्प आदि को पाला जा सकता है। ये जल्दी बढ़ती भी है। इसके अलावा फिश फार्मिंग पूर्ण रूप से उस एरिया में लोगों के खाने की पसंद पर भी निर्भर होती है। जिस जगह लोगों को जो मछलियों ज्यादा पसंद आती है उसका ही पालन करना चाहिए ताकि आपको इस व्यवसाय में लाभ प्राप्त हो और जिस प्रकार की मछलियां तालाब के पानी मे आसानी से निर्वाह कर अपने नस्ल की वृद्धि कर सके वैसी मछलियों का पालन इस व्यवसाय में करना चाहिए।

मछली के लिए आहार कैसे तैयार करें ?

गोबर कर छिरकाव करना – अगर जिस तालाब में आप मछली पालन कर रहे है उसमे 1 महीना पहले से ही गोबर का छिरकाव करदे तो जब हम बीज डालेंगे तो उनके लिए वह भरपूर खाना पहले से ही उपलब्ध रहती है 1 हेक्टर में आप 1000 किलो गोबर का छिरकाव कर सकते है

चोकर – मछलिओं को चोकर देना भी बहुत अच्छा होता है जब हम तालाब में बीज डालते है मछलिओं के बच्चो के मुँह के आकर बहुत छोटे होते और वह चोकर आसानी से खा सकते है और पाचा भी लेती है

पानी में रहने वाली बत्तख – हमलोग पानी में रहने वाली बत्तख भी पाल सकते है क्युकी बत्तख का जो बीट रहता है उसे मछलियां खाती है और यह भी देखा गया है जिस तालाब में बत्तख रहते है उस तालाब की मछलियों का वजन बहुत ही तेज़ी से बढ़ जाता है यह एक बहुत ही अच्छा विचार है अगर आप मछली पालन कर रहे है तो साथ में बत्तख भी पाल सकते है इसमें आपको दूगनाह मुनाफा होगा

कई व्यापारी तो मछलियों को आटा भी दिया करते है इसके छोटे-छोटे टुकड़े बना कर मछलियों को दाने के रूप में दिया करते है ऐसे कई आहार ऐसे भी जिसे हम मछलियों को प्रदान कर सकते है,जैसे जमीन से निकलने वाले केंचुए भी मछलियों को दिए जाते है इनसे मछलियों में विकास जल्दी होता है |

मछली संचयन आप अप्रैल से जून तक कर सकते है मछली संचयन के समाये में मछली का वजन 40 से 50 ग्राम और इनकी लम्बाईए 35 से 40 सेंटीमीटर होना चाहिए

मछली का बीज कितने रुपए किलो मिलता है?

आप अपने एरिया के मछली के बीज बेचने वाले दूकानदारों से संपर्क कर सस्ते दामों पर भी मछली के बीज ले सकते हैं। इसके अलावा देश के प्रत्येक जिले में मछली पालन विभाग होता है जहाँ से भी आप मछली के बीज से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते है।

इसके अलावा मछली के बीज किसी भी हैचरी से खरीदे जा सकते है। सहारनपुर, दिल्ली, आगरा, हरिद्वार जैसे कई शहरों में आपको ऐसे हैचरी मिल जाएंगे जहाँ से आप मछली के बीज खरीद सकते है। मछली का बीज आपको बाजार में 85 पैसे प्रति बीज के हिसाब से मिल जाता है।

मछली को कितना खाना देना चाहिए?

जब बात मछलियों को खाना देने की आती है तो इसका आपको खासा ध्यान देना पड़ता है ताकि मछलियों में अच्छी वृद्धि हो और वे जीवित रह सके। इसके लिए आपको तालाब में मछली के बीज डालने के 3 से 4 दिन के बाद से ही पोष्टिक खाना देने की आवश्यकता है। मछलियों के अच्छे विकास के लिए खाने की क्वालिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए  ताकि पानी के अंदर मछलियों की नस्ल वृद्धि कर सके। एक दिन में मछलियों को कम से कम 3 बार खाना दिया जाता है।

जो लोग मछली पालन करना चाहते है उन्हें यह दिक्कत भी आता है की मछलियों को आहार कितना दे तो आज मैं आपको बताने वाला हूँ की प्रति हेक्टर कितन आप आहार मछलियों को दे सकते है

  • पहला 3 महीना में आपको 3 किलो दाना देना है
  • दूसरे 3 महीना में 8 किलो दाना देना होगा
  • तीसरे 3 महीने में 16 किलो दाना देना होगा 
  • चौथी 3 महीना में 24 किलो दाना देना होगा

मछलियां दाना कितना खाती है

जब मछलियां छोटी रहती है तो वह अपना वजन का सिर्फ 5% ही दाना खा सकती है और जैसे जैसे मछली बढ़ने लगती है और बड़ी हो जाती है तो जो उनका खाना होता है प्रतिशत में घाट जाता है वो अपने वजन का 4% ही खाना खा सकती है 

मछली पालन के लिए कितना बड़ा तालाब चाहिए?

अब अगर बात तालाब की करें तो फिश फार्मिंग यानी मछली पालन के लिए आपको कम से कम 0.2 हैक्टेयर का तालाब सही रहता है उससे कम का तालाब बनाने से मछली पालन में खास फायदा नही मिलता है इसलिए शुरुआत में इतना बड़ा तालाब तो अवश्य बनाये जहाँ आप बड़ी संख्या में मछलियों का पालन कर लाभ कमा सके।

मछली पालन के लिए तालाब की गहराई कितनी होनी चाहिए?

मछली पालन के लिए तालाब की गहराई कम से कम 7 फुट होनी ही चाहिए ताकि सभी किस्म की मछलियां आराम से संतुलित रह पाये। वैसे भी मछली पालन के व्यवसाय में एक ही तालाब के अंदर मिश्रित प्रकार की मछलियों को रखा  जाता है।  अतः पानी मे ये मछलियां अपने अनुसार संतुलन बना लेती है।

मछली को कब बाहर निकाले

मछली को बाहर तभी निकाला जाना चाहिए जब वह 1 से 1.5 किलो की हो जाए।क्योंकि अगर मछली का वजन इससे कम हुआ तो आपका नुक्सान होगा। इसलिए मछलीके इतना बड़े होने तक इंतज़ार करें।

आमतौर पर मछली 10 से 12 महीनो में इतने वजन की हो जाती है इसके बाद बाहर जाकर बेचने के लिए भी तैयार होती है पर मछली को बेचने के लिए उसको पानी से सही से निकालना भी होगा। तो मछली को पानी से बाहर निकालने के लिए जाल का इस्तेमाल कर सकते है।

एक एक करके मछली को पकड़ने में काफी समय लगेगा इसलिए मछली के बीज जो आपने अपने नजदीकी मतस्य विभाग से लिए उनको पानी में 1 साल तक डालने के बाद जाल की मदद से मछली को पानी से बाहर निकाले।इसके साथ ही मछली को जल्दी ही बाजार तक पहुंचाए। क्योंकि ज्यादा समय तक खुली जगह में रहने के कारण मछली खराब हो जाती है।

मछली पालन में कितना खर्च आता है?

मछली पालन में लागत आपकी जरुरत के हिसाब से हो सकती है। मछली पालन में होने वाला खर्च तालाब के साइज पर भी निर्भर करता है जैसे शुरुआत में आप 0.2 हैक्टेयर के तालाब से कर सकते है। इसके लिए आपको 1 लाख से 2 लाख तक खर्च करना पड़ता है और बड़े तालाब के लिए 10 से 15 लाख तक का खर्च करना पड़ सकता है। इसके अलावा अन्य खर्चे भी है जिनमें वॉटर पम्पिंग सेट, मछली पकड़ने के लिए जाल और काम करने वाले मजदूरों का वेतन आदि खर्च शामिल है।

मछली पालन से मुनाफा कितना होता है

अगर हम मछलियों से होने वाले मुनाफे की बात करे तो हम इसे ऐसे भी समझ सकते है अगर हम जमीन और मछलियों के 5000 बीज में 5 लाख का 25 प्रतिशत भी खर्च करते है और मछलियों को बड़ा होने के लिए तालाब और टैंक में रख देते है और उन मछलियों को तब निकालते जब उनका वजन लगभग 1 किलो के बराबर हो गया हो और हम हर मछली को लगभग 100 से 150 रुपय पर भी बेचते है, तो आप सोच सकते की कितना का मुनाफा हुआ है तो हम देख सकते है मछली के व्यवसाय में हमे कितना का फायदा हो सकता है |

मतस्य पालन में मुनाफा काफी अधिक है इसमें आप हर साल 4-5 लाख रुपये आसानी से कमा सकते है आप जितनी ज्यादा मछलियों को पालेंगे उतना ही ज्यादा पैसा कमाएंगे। अच्छी नस्ल और अच्छी मछलियां आपको बिजनेस में आगे पहुंचाने में काफी मददगार साबित हो सकती है इसलिए मछली को अच्छा खाना, साफ़ पानी दे।

मछली पालन के लिए लाइसेंस कौन सी लगती है?

मछली पालन के लिये आपको निम्नलिखित लाइसेंस लेने की जरूरत पड़ती है

  • आपको अपने फर्म का रेजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है।
  • जीएसटी नंबर लेना पड़ता है।
  • ट्रेड लाइसेंस
  • अगर आप मछली पालन व्यवसाय के लिए सरकार से  सब्सिडी लेना चाहते है तो MSME रेजिस्ट्रेशन अवश्य करवाये।
  • FSSAI लाइसेंस

अगर आप पाले गये मछलियों का विदेशों में निर्यात करना चाहते है तो IEC कोड की भी जरूरत पड़ती है।

मछली पालन के लिए ट्रेनिंग

मछली पालन के लिए सरकार द्वारा ट्रेनिंग की भी सुविधाएं हैं। भारत सरकार के मत्स्य विभाग में समय-समय पर ट्रेनिंग की सुविधाएं मिलती हैं। पशुपालन विभाग, डेयरी विभाग और मत्स्यपालन यह तीनों कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। सरकार रोजगार और स्वरोजगार के लिए किसानों की आय बढ़ाने और बेरोजगारों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं इस समय लॉन्च की है।

सरकारी मत्स्य विभाग की वेबसाइट https://dof.gov.in में समय-समय पर ट्रेनिंग की सूचनाएं आपको मिलती है। इस समय फिशिंग फार्मिंग में ब्लू रिवॉल्यूशन यानी कि नीली क्रांति के लिए सरकार प्रोत्साहित कर रही है और फिशिंग फार्मिंग को बढ़ावा दे रही है। आधुनिक तरीके से फिशिंग फार्मिंग छोटे पैमाने पर टैंक में भी किया जा सकता है।

टैंक या छोटे तालाब में मछली पालन को नई तकनीक द्वारा विकसित करने की पहल भारत सरकार द्वारा की जा रही है, जिसका फायदा करोड़ों मछली उत्पादक उठा रहे हैं। भारत सरकार द्वारा सन 2018 में लगभग ₹1 लाख 85 हजार लाख रुपए फिशिंग सेक्टर में दिया है।

हरियाणा सरकार के द्वारा भी मत्स्य पालन के लिए कई ट्रेनिंग दी जाती है। 10 दिन से लेकर 15 दिन की ट्रेनिंग मछली पालन से लेकर तालाब सफाई और किस तरह बीज डाला जाए इन सब चीजों पर होती है। वेबसाइट से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं – mahendragarh.gov.in

मछली पालन के लिए लोन

मछली पालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए लोन दिया जाता है। कम ब्याज दरों में यह लोन स्थानीय बैंकों द्वारा भी उपलब्ध कराया जाता है। मछली पालन के लिए किराए या खुद का टैंक लगवा सकते हैं। मछली पालन करने के लिए कुल लागत का 75 परसेंट सरकार द्वारा लोन के रूप में दिया जाता है, जिसे आसान किस्तों में आसानी से भरा जा सकता है।

मछली पालन के लिए लोन पाने के लिए, अगर आप commercial aquaculture system से मछली पालन करना चाहते तो इसके लिए ₹20 लाख का लोन जिला मत्स्य विभाग से हासिल किया जा सकता है। लेकिन आपको मत्स्य पालन का प्लान (fishing farming plan) के साथ पांच लाख रुपए अपनी तरफ से इन्वेस्ट करना होगा। टैंक में मछली पालन करने के लिए भी छोटे लोन भी दिए जाते हैं। जिला मछली पालन विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

मछली पालन में कितनी सब्सिडी मिलती है?

अगर आप भी मछली पालन का व्यवसाय करना चाहते है पर बजट की समस्या है तो घबराने की जरूरत नही है क्योंकि सरकार अब मछली पालन के लिए सब्सिडी भी देती है ताकि इस व्यवसाय को जीविका यापन के लिए सहज बनाया जा सके। इसके लिये सरकार द्वारा ” प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” का सुभारम्भ किया गया है। इस योजना के अनुसार मछली पालक को मत्स्य पालन का प्रशिक्षण भी दिया जाता है और फिश फार्मिंग के लिये सरकार सब्सिडी भी देती है।

एक हैक्टेयर तालाब बनाने के लिए करीबन पांच लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें सब्सिडी सरकार कुछ इस तरह से प्रदान करती है कि जिसमें 50 फीसदी केंद्र सरकार और 25 फीसदी राज्य सरकार अनुदान देती है। साधारण शब्दों में कहें तो यदि आप मछली पालन का व्यवसाय करना चाहते है तो आपको सिर्फ 25 फीसदी का ही खर्च उठाना पड़ता है।

इसके अलावा अगर आपके पास पहले से ही तालाब मौजूद है और आप इसका इस्तेमाल मछली पालन के लिए करना चाहते है तो इसमें सुधार कर मछली पालन योग्य बनाने के लिए भी केंद्र और राज्य सरकार अनुदान देती है। अनुमानन इसमें खर्च 9 लाख रुपये आती है तो मछली पालक को सिर्फ 25 फीसदी का ही खर्च लगाना पड़ता है

मछलियों का मार्केटिंग कैसे करे ?

ऐसे तो भारत के हर शहर में मछलियों को बेचने के लिए एक हाट लगता है जहाँ पर सिर्फ मछलियों की ही मंडी लगती है और गाँव या उनके छोटे बाज़ार में आप खुद भी मछलियों को ले जाकर बेच सकते और बढ़िया पैसा कमा सकते है गाँव के बाजार में मछलियों का अच्छा व्यवसाय होता है मछलियों के कई बड़े फार्म तो सादी या बड़े पार्टी में भी मछलियों का सप्लाई देते है और अच्छा मुनाफा कमाते है

जो लोग मछली पालन का व्यवसाय छोटे स्तर पर शुरू करते हैं वह अक्सर लोकल मार्केट में मछली बेचकर मुनाफा कमा लेते हैं लेकिन अगर आप इस बिजनेस को बड़े लेवल पर शुरू करना चाहते हैं और अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो हमारी सुझाव है कि आप इसको अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने का प्रयास करें क्योंकि भारत के स्थानीय बाजार में आपको कम कीमत पर मछलियां बेचनी पड़ती है लेकिन वही आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मछलियों का निर्यात करेंगे तो उससे आपकी आमदनी कई गुना तक बढ़ जाएगी।

प्लास्टिक टैंक में मछली पालन कैसे करें ?

तालाब के लिए पर्याप्त जगह की कमी के कारण अब घर में भी प्लास्टिक के टैंक बनाकर मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ाया जा रहा है। मत्स्य पालन के इस पद्धति में 100 स्क्वायर मीटर की जगह बहुत होती है। इसे आप जरूरत के अनुसार घरों की छतों पर भी रखकर मछली पालन का व्यवसाय कर सकते है। इस प्रकार के मछली पालन में दो हजार लीटर वाले प्लास्टिक टैंक को एक दूसरे के साथ जोड़ दिया जाता है।

इस पद्धति में आप 1 से लेकर 5 टैंकों के इस्तेमाल कर मिश्रित मछली पालन भी कर सकते है। पहले वाले टैंक में जासर मछली की फिंगरलिंग यानी तीन इंच वाली सीड डाली जाती है। इससे निकलने वाले पानी को दूसरी वाली टैंक में जमा किया जाता है।

इस टैंक में देसी कार्प यानी कतला , रोहू और मृगल की फिंगरलिंग सीड डाली जाती है। तीसरे टैंक में विदेशी कार्प यानी ग्रास , सिल्वर, कामन की फिंगरलिंग सीड डाली जाती है। इसके बाद वाली टैंक का इस्तेमाल फ्रेश वॉटर के लिये किया जाता है तो इस तरह से प्लास्टिक टैंक में भी मछली पालन का व्यवसाय किया जाता है।

जो लोग मछली पालन का व्यवसाय करते हैं उनका अक्सर यही प्रश्न रहता है कि आखिर मछली का बीज कितने दिनों में 1 किलो का हो जाता है। जो लोग लंबे समय से मछली पालन कर रहे हैं उन्हें तो इस बारे में बखूबी पता रहता है लेकिन जो लोग नए रहते हैं वह जल्दी मुनाफा कमाने के चक्कर में अक्सर इस तरह के प्रश्नों का हल ढूंढने का प्रयास करते रहते हैं।

उन लोगों को बता देंना चाहता हूं कि अगर आप जनवरी में मछली का बीज तालाब में डाल रहे हैं तो कम से कम 9 महीने बाद वह मछली 1 किलो की हो जाती है लेकिन कभी कबार देखा गया है कि 1 साल से भी अधिक का समय हो जाता है लेकिन मछली 1 किलो की या इससे अधिक वजन की नहीं हो पाती है तो इसका यही कारण है कि मछलियों की सही तरीके से देखभाल नहीं की जाती है उन्हें समय पर खान पान से संबंधित सुविधाएं नहीं प्रदान की जाती है।

मछली पालन का व्यवसाय में जोखिम

वैसे तो मछली पालन व्यवसाय में आपको किसी भी तरह के जोखिम का सामना नहीं करना पड़ता है लेकिन आमतौर पर मछलियों की सही तरीके से देखभाल न की जाए तो यह आपके लिए समस्या पैदा कर सकता है क्योंकि जब तक आप मछलियों की सही देखभाल नहीं करेंगे तब तक आप उन्हें अच्छी कीमत पर नहीं बेच पाएंगे।

आने वाले समय में मछली पालन के व्यवसाय की मांग और भी अधिक बढ़ने वाली है क्योंकि जिस हिसाब से जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है उसको देखते हुए मछलियों की मांग भी मार्केट में बढ़ने वाली है ऐसे में अगर आप आज से ही इस बिजनेस को शुरू कर लेते हैं तो आने वाले समय में आप ज्यादा से ज्यादा लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं और वहां से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

FAQ – मछली पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों द्वारा पूछे जाने वाले सवाल

Q1. कम से कम जगह में मछली पालन कैसे करें?

Ans. कम से कम जगह में मछली पालन करने के लिए आप प्लास्टिक टैंक का इस्तेमाल कर सकते है इसके लिए 100 स्क्वायर मीटर की जगह बहुत होती है। आप अपने जरूरत के अनुसार घरों की छतों पर प्लास्टिक टैंक में मछली पालन का व्यवसाय कर सकते है

Q2. मछली पालन में कितना खर्च आता है?

Ans. मछली पालन में में खर्च की बात करें तो अगर आप छोटे स्तर पर अपने घर पर मछली पालन कर रहे है तो 50 हजार से 1 लाख तक में शुरूवात कर सकते है वही अगर बड़े स्तर पर किसी तालाब में मछली पालन के लिए कम से कम 10 लाख तक की आवश्यकता होगी

Q3. मछली कितने दिन में 1 किलो की हो जाती है?

Ans. मछली पालन अगर आप फरवरी— मार्च के महीने में कर रहे है तो दिसंबर महीने तक 1 किलो की हो जाती है मतलब इन्हे कम से कम 9 महीने का समाये लगता है

Q4. मछली का दाना कितने रुपए किलो आता है?

Ans. मछली का दाना आपको बाजार में 150 से 160 प्रति किलो के हिसाब से मिल जाता है।

Q5. सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली कौन सी है?

Ans. कतला मछली जो सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली होती है और इसकी दमाद भी मार्किट में बहुत ज्यादा होती है

तो दोस्तों ये थी आसान स्टेप जिससे की आप समझ गए होंगे की मछली पालन का व्यापार कैसे शुरू करें? How to Start Fish Farming Business in Hindi यह व्यापार आज के समय में काफी लोगों की पसंद बनता जा रहा है तथा इसमें होने वाला मुनाफा भी समय के साथ बढ़ता जा रहा है अगर अभी आप मछली पालन का व्यापार शुरू करते है तो उम्मीद है की आगे चलकर यह व्यापार और भी ज्यादा बढ़ेगा और आपका फायदा बढ़ता ही जायेगा। धन्यवाद

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भारत में मछली पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें? बिज़नेस प्‍लान, लाइसेंस, मार्केटिंग

How to start fish farming business in hindi | मछली पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें.

भारत में मत्स्य पालन एक बहुत ही महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है और विविध संसाधनों और संभावनाओं के साथ एक समृद्ध क्षेत्र है। भारतीय स्वतंत्रता के बाद ही कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है। इस क्षेत्र की जीवंतता की कल्पना भारत द्वारा केवल छह दशकों में मछली उत्पादन में हुई 11 गुना वृद्धि से की जा सकती है, यानी 1950-51 में 0.75 मिलियन टन से 2012-13 के दौरान 9.6 मिलियन टन तक।

इसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में 4.5 प्रतिशत से अधिक की एक अद्वितीय औसत वार्षिक वृद्धि दर हुई है, जिसने चीन के बाद ही देश को वैश्विक मछली उत्पादन में सबसे आगे रखा है।

घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावा, मछली और मत्स्य उत्पादों से 3.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2012-13) की अपनी आजीविका और विदेशी मुद्रा आय के लिए मत्स्य पालन गतिविधियों पर 14.5 मिलियन से अधिक लोगों की निर्भरता, देश की अर्थव्यवस्था और आजीविका सुरक्षा में इस क्षेत्र के महत्व को काफी हद तक सही ठहराती है।

भारत भी एक महत्वपूर्ण देश है जो दुनिया में जलीय कृषि के माध्यम से मछली पैदा करता है। भारत वैश्विक मछली विविधता के 10 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा है। वर्तमान में, देश लगभग 9.06 मिलियन मीट्रिक टन के वार्षिक मछली उत्पादन के साथ कुल मछली उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है।

इस लेख की रूपरेखा:

Fish Farming Business in Hindi - मछली पालन व्यवसाय

मछली का महत्व

Importance of Fish in Hindi

लगभग 60% भारतीयों के भोजन मेनू में मछली पसंदीदा वस्तुओं में से एक है। इसलिए मछली की वस्तुओं की बाजार में मांग हमेशा अधिक रहती है। यदि हम वैश्विक मांग पर भी विचार करें, तो कुल आवश्यकता बहुत अधिक हो जाती है। मछली का मुख्य स्रोत समुद्र से है। लेकिन समुद्र से वैश्विक मछली की फसल तेजी से घट रही है।

बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मछली की उपलब्धता सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका मछली फार्म है। अंतर्देशीय मीठे पानी की मछली यहाँ एक प्रमुख भूमिका निभाती है। हमारे यहां बड़ी संख्या में प्राकृतिक तालाब हैं। एक अच्छी व्यवसाय योजना और निर्णय के साथ, हम इस अवसर को एक सफल छोटे पैमाने के खेत में बदल सकते हैं।

मछली फार्म व्यवसाय के लाभ

Advantages of Fish Farm Business in Hindi

वाणिज्यिक मछली पालन व्यवसाय स्थापित करने के कई फायदे हैं। भारत में वाणिज्यिक मछली उगाने वाले व्यवसाय की स्थापना के मुख्य लाभ नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • भारत में मछली और मछली उत्पादों की भारी मांग है। मछली 60 प्रतिशत से अधिक भारतीय लोगों के भोजन मेनू में सबसे आम और पसंदीदा वस्तुओं में से एक है।
  • भारत में मछली और मछली से संबंधित उत्पादों के लिए बाजार की मांग और कीमत हमेशा अधिक होती है।
  • मछली उत्पादन और मछली उगाने वाले व्यवसाय के लिए भारतीय जलवायु बहुत उपयुक्त है।
  • विभिन्न प्रकार के आसानी से मिलने वाले जल स्रोत उपलब्ध हैं। आप अपने तालाब को अपनी नजदीकी नदी, झील या किसी अन्य जल स्रोत से पानी से भर सकते हैं।
  • विभिन्न प्रकार की तेजी से बढ़ने वाली मछली प्रजातियां उपलब्ध हैं। तेजी से बढ़ने वाली मछली प्रजातियों की खेती आपके निवेश का तेजी से रिटर्न सुनिश्चित करती है।
  • आसानी से उपलब्ध और कम लागत वाला श्रम। आप विभिन्न प्रकार के जानवरों, पक्षियों, फसलों और सब्जियों के साथ एकीकृत मछली उगाने का व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं। एकीकृत मछली पालन से भोजन की लागत कम होती है और अधिकतम उत्पादन सुनिश्चित होता है।
  • भारत में मछली व्यवसाय वास्तव में बहुत ही लाभदायक और जोखिम रहित व्यवसाय है। वाणिज्यिक मछली उगाने से नई आय और रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। बेरोजगार शिक्षित युवा मछलियां पालना शुरू कर सकते हैं। यह उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता और स्थायी आय के अवसर दोनों प्रदान करेगा।
  • अन्य व्यवसाय या नौकरी वाले लोग भी अपने नियमित काम को प्रभावित किए बिना मछली व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। यदि आपके पास मछली उगाने के लिए उपयुक्त भूमि और सुविधाएं हैं तो आप आसानी से इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं।
  • आप चाहें तो बैंक लोन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। और भारत में मछली पालन शुरू करने के और भी फायदे हैं। यदि आपके पास उपयुक्त भूमि और उचित सुविधाएं हैं तो संभावनाओं का दुरुपयोग न करें। कुछ मछली उठाना शुरू करें। अगर आप नए हैं तो छोटे पैमाने का फिश फार्म बिजनेस शुरू करें और अनुभव बटोरें। आप कुछ ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक रूप से कुछ मछली फार्मों पर भी जा सकते हैं।

मछली फार्म कैसे शुरू करें?

How To Star a Fish Farm in Hindi

भारत में फिश फार्म शुरू करना इतना आसान नहीं है। एक लाभदायक मछली पालन व्यवसाय स्थापित करने के लिए, आपको कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। यहां पर भारत में मछली पालन के विभिन्न चरणों का वर्णन किया है।

मछली पालन बिज़नेस प्‍लान

Fish Farming Business Plan in Hindi

यदि आप एक व्यावसायिक मछली पालन व्यवसाय की योजना बना रहे हैं, तो निस्संदेह मछली पालन एक अधिक लाभदायक उद्यम है जो मछली पालन व्यवसाय योजना तैयार करने के लिए आवश्यक है। एक वाणिज्यिक मछली पालन व्यवसाय योजना में, पहले अच्छे लाभ के लिए मछली पालन के अभ्यास के बारे में शोध करना होगा।

मछली पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए बाजार विश्लेषण और व्यवसाय योजना आवश्यक होगी। इसमें आने से पहले आपको एक गहन बाजार अनुसंधान करना चाहिए। फिर स्थानीय बाजार की प्रवृत्तियों और मछलियों के प्रकार की आवश्यकता की जांच करें। यदि आप निर्यात के लिए कमर्शीयल मछली पालन कंपनी की योजना बना रहे हैं, तो आगे मछली प्रोसेससिंग यूनिट इकाइयों से बात करें।

मछली पालन व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए अपने व्यवसाय के लिए सटीक मछली प्रजातियों का चयन करना। खेती के लिए मछली की प्रजातियों को चुनना जलवायु परिस्थितियों, बाजार की मांग, रखरखाव की दृष्टि से और संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार आदि पर निर्भर करता है।

यदि आप सोच रहे हैं कि यहां मछली पालन व्यवसाय कैसे शुरू किया जाए तो हमारे पास विस्तृत मछली पालन व्यवसाय योजना भी है जो आपको मछली पालन व्यवसाय शुरू करने में मदद करेगी।

आपको सबसे पहले यह तय करना होगा कि आप बड़े पैमाने पर या छोटे पैमाने पर मछली पालन व्यवसाय करना चाहते हैं।

मछली पालन व्यवसाय पानी की विश्वसनीय आपूर्ति की मांग करता है। इसलिए एक विश्वसनीय जल आपूर्ति और एक बैकअप योजना होने का एक बिंदु बनाएं।

जिस रास्ते पर आप अपनी मछली उगाने का फैसला करते हैं, उस पर तालाब सेट है, अब पानी का तरीका सेट करें। नगरपालिका स्रोत पानी आगे बढ़ने का एक शानदार तरीका है, लेकिन अगर आपके पास विकल्प है, तो भरोसेमंद साधन भी एक शानदार चीज है।

आपको सबसे अधिक मांग वाली सबसे आकर्षक या मछली प्रजातियों पर बाजार अध्ययन करने की आवश्यकता है।

मछली की विशेष प्रजातियों के लिए डिमांड फीडर का उपयोग किया जाता है। तिलपिया को समय के साथ कम मात्रा में खिलाया जाता है।

मछली पालन व्यवसाय के लिए आवश्यक लाइसेंस

License Required For Fish Farming Business in Hindi

एक बार जब आप मछली पालन व्यवसाय योजना के साथ कर लेते हैं तो आपको मछली पालन व्यवसाय के लिए आवश्यक लाइसेंस की तलाश करनी चाहिए।

मछली पालन व्यवसाय के लिए आवश्यक लाइसेंस की सूची:

1. फर्म का रजिस्ट्रेशन: आप छोटे से मध्यम मछली पालन व्यवसाय या तो एक प्रोपराइटरशिप या पार्टनरशिप फर्म शुरू कर सकते हैं। यदि आप इस व्यवसाय को एक व्यक्ति कंपनी के रूप में शुरू कर रहे हैं, तो आपको अपनी फर्म को एक स्वामित्व के रूप में रजिस्टर करना होगा। पार्टनरशिप ऑपरेशन के लिए, आपको लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) या लिमिटेड कंपनी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC) के साथ प्राइवेट के रूप में रजिस्ट्रेशन करना होगा।

2. जीएसटी रजिस्ट्रेशन: जीएसटी नंबर (जीएसटी नियम के बाद सभी व्यवसायों के लिए अनिवार्य), टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर और बीमा प्रमाण पत्र प्राप्त करें।

3. ट्रेड लाइसेंस: स्थानीय अधिकारियों से व्यापार लाइसेंस प्राप्त करें।

4. प्रदूषण प्रमाण पत्र: प्रदूषण प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करें क्योंकि पोल्ट्री फार्म एक अप्रिय गंध पैदा करता है।

5. MSME/SSI रजिस्ट्रेशन: MSME/SSI रजिस्ट्रेशन आपको सरकारी स्कीम्स और सुविधाओं के लिए योग्य बना देगा, इसलिए यदि आप अपने मछली पालन व्यवसाय के संबंध में सरकारी सब्सिडी या स्कीम्स प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको MSME/SSI रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होगा। .

6. EPF रजिस्ट्रेशन: कर्मचारी राज्य बीमा जो श्रमिकों के लिए एक बीमा योजना है।

7. ESI रजिस्ट्रेशन: उस व्यवसाय के लिए कर्मचारी भविष्य निधि अनिवार्य है जहां 20 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं।

8. ट्रेडमार्क: अपने ब्रांड नाम को ट्रेडमार्क के साथ रजिस्टर करें जो आपके ब्रांड की रक्षा करेगा।

9. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI): उद्योग खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अंतर्गत श्रेणियां हैं; इसलिए, आपको FSSAI लाइसेंस प्राप्त करना होगा।

10. IEC कोड: यदि आप उत्पाद को अन्य देशों में निर्यात करने की योजना बना रहे हैं तो आपको आईईसी कोड लेना होगा जो किसी भी व्यवसाय में उत्पाद के निर्यात के लिए अनिवार्य है।

मछली पालन उपकरण

Equipment for Fish Farming in Hindi

मुझे मछली पालन के कौन से उपकरण चाहिए?

व्यावसायिक मछली फार्म प्राप्त करने के लिए आपको निम्नलिखित मछली पालन उपकरण की आवश्यकता होगी:

  • एक्वेरियम या फिश टैंक
  • Aeration उपकरण
  • नेट या सीन रील्स
  • हैंडलिंग और ग्रेडिंग उपकरण
  • जल परीक्षण उपकरण

बड़े पैमाने पर तालाब आधारित मछली फार्मों के लिए, आपको कुछ अतिरिक्त उपकरणों की आवश्यकता होगी।

मछली तालाब कैसे तैयार करें

How to Prepare Fish Pond

मछली व्यवसाय का सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा एक तालाब है। हम तालाब के बिना मछली पालन का व्यवसायिक व्यवसाय नहीं कर सकते। आप भारत में मछली व्यवसाय के लिए अपने मौजूदा तालाब का उपयोग कर सकते हैं या एक नया निर्माण कर सकते हैं। हम मौसमी और स्थायी दोनों तालाबों में मछलियाँ पाल सकते हैं।

मौसमी तालाब में जहां पूरे साल पानी नहीं रहेगा, वहां मछलियां उगाने के मामले में, हमें कुछ तेजी से बढ़ने वाली और जल्दी परिपक्व होने वाली मछलियों की नस्लें बढ़ानी होंगी। तालाब में छोटी मछली ​​रखने से पहले इसे अच्छी तरह से तैयार कर लें। तालाब के तल को अच्छी तरह साफ करें और फिर उसमें खाद डालें। तालाब के पानी और मिट्टी की PH वैल्‍यू को अनुकूलन करें। उच्च गुणवत्ता वाले तालाब का वातावरण उच्च उत्पादन और लाभ सुनिश्चित करता है।

मछली की नस्लों का चयन

मछली की नस्लों का चयन हमारे व्यवसाय की स्थिरता में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। निर्णय बाजार की मांग, रखरखाव के दृष्टिकोण, संसाधन की उपलब्धता, संसाधनों के प्रभावी उपयोग आदि पर आधारित होना चाहिए। कार्प आइटम जैसे कैटला, रोहू, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प, आदि भारतीय तालाबों के लिए उपयुक्त हैं। अन्य नस्लों जैसे तिलापिया, कैटफ़िश आदि की भी भारतीय तालाबों में खेती की जाती है। पॉलीकल्चर (एक ही तालाब में दो या दो से अधिक मछलियों की नस्लें उगाना) संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए उपयुक्त रणनीति है। आप निकटतम मछली किसान या मत्स्य विभाग से गुणवत्ता वाले मछली के बीज (बेबी फिश) प्राप्त कर सकते हैं।

मछली खिलाना और रखरखाव

मछलियों को उगाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इष्टतम विकास के लिए पानी का PH मान 7 से 8 होना चाहिए। वायरस के हमले की संभावना से बचना चाहिए। मछली तालाब को शिकारियों से बचाना चाहिए। दैनिक स्काउटिंग की जानी चाहिए और संदिग्ध मछलियों को तालाब से अलग करना चाहिए ताकि पूरे तालाब में बीमारियों के प्रसार से बचा जा सके। नमक, पोटैशियम परमैंगनेट के घोल, रसायन आदि से पानी का उपचार करके मछली के रोगों का इलाज किया जा सकता है।

संवर्धित मछली प्रजातियां

Cultured fish species

जबकि भारत में मीठे पानी में खेती की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति कार्प है, यह खारे पानी के क्षेत्र से झींगा है जो उत्पादन में बड़ा योगदान देता है। तीन भारतीय प्रमुख कार्प, अर्थात्, कटला (कैटला कतला), रोहू लेबियो (लाबेओ रोहिता) और मृगल कार्प (सिरहिनस मृगला) कुल भारतीय जलीय कृषि उत्पादन में 90% से अधिक का योगदान करते हैं। 1970 के दशक के दौरान देश में कार्प पॉलीकल्चर सिस्टम में पेश किया गया, तीन विदेशी कार्प, अर्थात् सिल्वर कार्प (हाइपोफथाल्मिथिस मोलिट्रिक्स), ग्रास कार्प (केटेनोफेरीनगोडन आइडेलस), और कॉमन कार्प (साइप्रिनस कार्पियो) अब एक दूसरा महत्वपूर्ण समूह बनाते हैं।

कैटफ़िश में, फिलीपीन कैटफ़िश, ‘मगुर’ (क्लारियस बत्राचस) एकमात्र ऐसी प्रजाति है जिस पर बहुत ध्यान दिया गया है। चुभने वाली कैटफ़िश, ‘सिंघी’ (हेटेरोपनेस्टेस फॉसिलिस) एक अन्य वायु-श्वास कैटफ़िश प्रजाति है, जिसे विशेष रूप से पूर्वी राज्यों में दलदलों और परित्यक्त जल निकायों में कुछ हद तक खेती की जा रही है। हाल के वर्षों में, पंगेसियस पंगेसियस, पंगेसियस सच्ची, ओरियोक्रोमिस निलोटिकस, ओमपोक पाबडा आदि मछलियों की संस्कृति को विकसित करने का प्रयास किया गया है।

महत्व की अन्य फिनफिश प्रजातियों में चढ़ाई पर्च (अनाबास टेस्टुडीनेस), मसल्स (चन्ना स्ट्रेटा और सी। मारुलियस), आदि शामिल हैं। मीठे पानी के झींगे में, विशाल नदी झींगे (मैक्रोब्राचियम रोसेनबर्गि), सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है जिसके बाद मानसून नदी है। झींगा, एम.मैल्कमसोनी।

खारे पानी के जलीय कृषि क्षेत्र को मुख्य रूप से झींगा उत्पादन के साथ-साथ विशाल बाघ झींगा (पेनियस मोनोडोन) द्वारा समर्थित किया जाता है, जो उत्पादन के थोक के लिए जिम्मेदार है, जिसके बाद हाल ही में पेश किए गए सफेद पैर झींगा, पेनियस वेनामेई हैं। वास्तव में, इस झींगा की संस्कृति ने बहुत ही कम समय में बाघ के झींगे के बराबरी हासिल कर ली है।

हालांकि भारत में फिनफिश और शेलफिश की कई अन्य संभावित प्रजातियां हैं, लेकिन इनका उत्पादन अभी भी बहुत कम महत्वपूर्ण है। समुद्री जल में, खेती की जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ हैं ग्रीन मसल्स (पर्ना विरिडिस), इंडियन ब्राउन मसल्स (पर्ना इंडिका), इंडियन बैकवाटर सीप (क्रैसोस्ट्रिया मदरसेन्सिस), जापानी पर्ल ऑयस्टर (पिंक्टाडा फुकाटा), और ग्रेसिलेरिया एडुलिस जैसी समुद्री शैवाल प्रजातियाँ।

मछलियों का मार्केटिंग

अधिकांश किसानों के लिए स्थानीय बाजार आसानी से उपलब्ध बाजार है। लेकिन निर्यात की तुलना में मुनाफा कम होगा। मछली के मांस को मूल्य वर्धित उत्पादों के उत्पादन के लिए संसाधित किया जा सकता है और विदेशी बाजारों में निर्यात किया जा सकता है। किसान संघ का गठन इस मार्केटिंग में मदद कर सकता है।

स्थानीय बाजार का लाभ यह है कि यहां मछली की बिक्री कोई समस्या नहीं है और किसानों को अच्छी आय हो सकती है। इसलिए दोनों बाजारों की मजबूती इस खेती की सफलता सुनिश्चित करती है। मछली उगाना मुख्य कृषि क्षेत्रों में से एक बन रहा है जो ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या को कम करता है। तो मछली से प्यार करने वालों के लिए यहां हमेशा एक अवसर मौजूद होता है।

भविष्य की संभावनाएं

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग है, जिसमें मत्स्य पालन विभाग नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत है। यह संस्थान सभी भारतीय राज्यों में कई केंद्रीय वित्त पोषित मत्स्य पालन और जलीय कृषि विकास परियोजनाओं के डिजाइन, पर्यवेक्षण और वित्त पोषण का प्रभारी है।

अधिकांश राज्यों में मत्स्य पालन का एक अलग मंत्रालय है, या यह अन्य में पशुपालन मंत्रालय के अंतर्गत आता है। सभी राज्यों में सुव्यवस्थित मत्स्य विभाग हैं, जिसमें जिला मत्स्य पालन कार्यकारी अधिकारी और ब्लॉक मत्स्य विस्तार अधिकारी हैं जो इस क्षेत्र के समग्र विकास में सक्रिय हैं।

हालांकि, राज्य स्तर पर प्रशासनिक संरचना अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है। 422 एफएफडीए जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाएं देश के लगभग सभी जिलों को कवर करती हैं और समुद्री जिलों में 39 बीएफडीए ने भी जलीय कृषि विकास में योगदान दिया है।

How To Start Poultry Farm Business in Hindi | भारत में मुर्गी पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें

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-Business Ideas in Hindi – Sabhi tarah ke vyapar ki Jankari ek Jagah Par

मछली पालन बिजनेस बना देगा आपको मालामाल, जानें बिजनेस शुरु करने का पूरा प्लान। Fish Farming Business Plan in Hindi

मछली पालन का व्यापार (बिजनेस) कैसे शुरू करें

मछली पालन का व्यापार 2022 कैसे शुरू करें (मार्केटिंग, लागत) How to start fish farming business and get loan in Hindi

मछली पालन बिजनेस (Fish Farming Business) देश में एक मुख्य व्यापार बन चुका है. इसके साथ ही इस बिजनेस ने कई लोगों का रोजगार संभाल रखा है. इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अगर आप भी अपना कोई रोजगार शुरु करना चाहते हैं तो मछली पालन का बिजनेस शुरु करके हर महीने एक अच्छी कमाई कर सकते हैं. जी हां दरअसल आपको बता दें कि मछली पालन एक कच्चा व्यापार है लेकिन यह आपको मोटा मुनाफा पैदा करने के लिए एक बेहतरीन साधन है. इसीलिए इस बिजनेस को शुरु करने के लिए आपको पूरा प्रोसेस समझाने जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें – भारत में जूते चप्पल का बिजनेस कैसे शुरु करें

मछली पालन बिजनेस क्या है। What is Fish Farming Business

अब आपको बता दें कि आखिर मछली पालन बिजनेस है क्या और इसे कैसे शुरु किया जा सकता है. मछली पालन बिजनेस का मतलब है कि मछली को पालकर उसका आकार बढ़ाना एवं उनसे पैदा होने वाली मछलियों को पालना है. इतना ही नहीं इस व्यापार में लगने वाली लागत, प्राप्त होने वाले लाभ की तुलना में बहुत कम होती है. इसीलिए अगर आप भी इस व्यापार को शुरु करने जा रहे हैं तो आप इसे शुरु करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं.

मछली पालन कैसे शुरु करें। How To Start Fish Farming Business

अब आपको बता दें कि मछली पालन बिजनेस कैसे शुरु कर सकते हैं.

  •  मछली पालन करने के लिए सबसे पहले तालाब या टैंक का निर्माण करना होता है. इसको बनाने के लिए आपको जमीन की जरुरत पड़ती है.
  •  इसके बाद मछली पालन के लिए उचित स्थान का चयन करना बेहद आवश्यक है, ध्यान रखे की मछली पालन में वातावरण एवं जगह का बहुत फर्क पड़ता है.
  •  तलाब या टैंक का निर्माण आप कई तरीकों से कर सकते हैं, उदाहरण के तौर पर अगर आप मेहनत और समय बचाना चाहते हैं. तो प्लास्टिक के बड़े-बड़े टैंक खरीद सकते हैं. वहीं अगर आप जमीन पर इसका निर्माण करना चाहते हैं, तो आप मशीन की सहायता से उस जगह को तालाब के आकार में बना सकते हैं.
  • मछलियों के व्यापार को तेजी देने के लिए जरूरी है कि मछलियां तालाब में जिन्दा रह सकें और उनकी संख्या बढा सकें. इसलिए आपको मछलियों के आवश्यक खाने का इंतजाम पहले ही कर लेना चाहिए.
  •  इतना ही नहीं उसके साथ ही तालाब के पानी को लेकर भी सावधानी बरतना जरूरी है. पानी सही है कि नहीं इसकी जांच करने के बाद ही इसको तालाब में डालें.
  •  मछली पालन के लिए सबसे महत्वपूर्ण एवं आवश्यक चीज है फार्मिंग के लिए मछली की प्रजाति का चुनाव करना. भारत में रोहू, कटला, मुर्रेल, टूना, ग्रास शार्प एवं हिस्ला मछलियों की प्रजातियां ही मुख्य रूप से पायीं जाती हैं. इस तरह की प्रजातियां मानसून एवं परिस्थितियों के हिसाब से अपने आपको ढाल भी सकती है.

यह भी पढ़ें – भारत में चाय का बिजनेस कैसे शुरु करें

मछली पालन बिजनेस के लिए जरुरी सामग्री। Requirements For Fish Farming Business

अब आपको बता दें कि मछली पालन बिजनेस शुरु करने के लिए आपको कई चीजों की जरुरत पड़ती है. बिना उनके आप मछली पालन नहीं शुरु कर सकते हैं.

  • सबसे पहले आपको मछली पालन बिजनेस शुरु करने के लिए एक प्लास्टिक पॉंड की जरुरत पड़ती है. इसके साथ ही आपको एक मछली टैंक की जरूरत तब पड़ती है. जब आप छोटे या घरेलू स्तर पर व्यापार करने की सोच रहे हैं. आप इस टैंक को अपने घर की छत पर भी स्थापित कर सकते हैं. या फिर आप एक निकली तालाब खरीद सकते हैं.
  • इसके बाद आपको पानी की जांच करने वाली मशीन की भी जरुरत पड़ती है. जो आपको किसी भी ऑनलाइन ई कॉमर्स साइट पर मिल जाएगा.
  • इसके बाद पम्प का इस्तेमाल पानी भरने एवं खाली करने के समय किया जाता है, आपको इसके लिए पाइप भी खरीदने की भी जरूरत पड़ती हैं. इन मशीनों की कीमत 3000 रुपए से शुरू होती है और लाख तक जाती है. वहीं आप अपने बजट को के हिसाब से मशीन लें.

मछली पालन बिजनेस शुरु करने में लगने वाली लागत। Investment in Fish Farming Business

अब आपको बता दें कि मछली पालन शुरु करने के लिए आप किस स्तर पर बिजनेस शुरु कर रहे हैं इसके हिसाब से ही लागत का निर्णय किया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 30 से 50 हजार रुपए के बीच में आप तालाब का पूरा सेटअप तैयार कर सकते हैं. उसके बाद मछली के बीज, खाना, पानी एवं बिजली का कुल बिल मिलाकर 1 से 1.5 लाख रूपय तक का खर्चा आता है. यानी इस व्यापार को अच्छे स्तर पर शुरू करने के लिए आपको कम से कम 2 लाख रुपए की जरूरत पड़ती है..

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मछली पालन बिजनेस से कितनी होगी कमाई। Profit in Fish Farming Business

अब आपको बता दें कि मछली पालन बिजनेस से आप हर महीने लाखों रुपए कमा सकते हैं. अगर आप इस व्यापार में एक लाख रुपय लगाते हैं, तो आपको कम से कम 3 गुना लाभ हो सकता है. इसके अलावा इस व्यापार में होने वाला फायदा आपकी क्षमता, कार्यशैली, एवं मार्केटिंग स्तर पर निर्भर करता है. यानी अगर आप अच्छे से मेहनत करते हैं तो आपको लाभ भी अच्छा ही होगा.

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल। FAQs

प्रश्न.मछली पालन बिजनेस शुरु करने में कितनी लागत लगती है. 

उत्तर: ये बात आप पर निर्भर करता है कि आप किस स्तर पर अपना बिजनेस शुरु कर रहे हैं. एक हिसाब से आप मछली पालन का बिजनेस 1.5 से 2 लाख रुपए तक की लागत में शुरु कर सकते हैं.

प्रश्न.मछली पालन बिजनेस से कितनी होगी कमाई.

उत्तर: आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मछली पालन में अगर आप 2 लाख रुपए लगाते हैं तो इसका तीन गुना फायदा आपको होगा. साथ ही यह आपकी मेहनत और मार्केटिंग पर भी निर्भर करता है. इसीलिए आप इस बिजनेस से हर महीने न्यूनतम 1 लाख रुपए महीना कमा सकते हैं.

प्रश्न.मछली पालन बिजनेस शुरु करने के लिए लाइसेंस की जरुरत पड़ती है.

उत्तर: आपको बता दें कि मछली पालन बिजनेस शुरु करने के लिए आपको बस ट्रेडर लाइसेंस की आवश्यकता होती है. और यह लाइसेंस बड़ी आसानी से बन जाता है.

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Author: Arora

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Fish farming business kaise kare [यहाँ पढ़ें फिश फार्मिंग/मछली पालन का बिज़नेस कैसे शुरू करें]

हमारा देश कृषि प्रधान देश है। आज भी हमारे देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। गांवों का मुख्य कारोबार खेती है। खेतों में काम करने वाले किसान को खेती से इतना नहीं मिल पाता कि वह अपने परिवार का आर्थिक स्तर ऊंचा उठा सके। इसके अलावा गांवों में भूमि विहीन श्रमिक भी रहते हैं, जो खेतों में काम करके यानी मज़दूरी करके अपना परिवार पालते हैं और जब गांवों में काम नहीं मिलता तो उन्हें मजबूरी में महानगरों की ओर रोजगार के लिए जाना पड़ता है। छोटे किसान हों या भूमिहीन श्रमिक हों। इनके जीवन यापन के लिए गांवों में पशुपालन या मछली पालन बहुत बड़ा सहारा हैं। आजकल के जमाने में पशुओं को पालना तो महंगा हो गया है। पशुपालन भूमिहीन श्रमिकों के वश की बात नहीं रह गयी है।  नदी, नहर व पोखर, तालाब के किनारे रहने वाले गरीब श्रमिक भी मछली पालन का काम करके अपना परिवार अच्छी तरह से पालन-पोषण कर सकते हैं।

मछली पालन के उद्देश्य

मछली पालन क्यों किया जाता है? मछली पालन का उद्देश्य क्या है? फिलहाल हम तो यही जानते हैं कि मछली पालन हम धन कमाने और रोजगार पाने के लिए करते हैं। सरकार ने मछली पालन को स्वरोजगार की संज्ञा दी है। इसलिये गांवों में बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएँ चलायीं हैं। सरकार मछली पालन के लिए कम ब्याज दरों वाला लोन भी देती है और मछली पालन के लिए सरकारी विभागों द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता है। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार बढ़ाने के लिए ये योजनाएँ चलायीं  जा रही हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगार युवा आत्मनिर्भर बन सकें और उनका आर्थिक स्तर बढ़ सके।

मछली पालन का व्यवसाय तीन प्रमुख व्यवसायों से जुड़ा हुआ है।

1. पहले व्यवसाय में मछली को खाने के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। भारत की कुल आबादी के लगभग 20 प्रतिशत लोग मछली को भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इतनी भारी संख्या में मछली खाने के शौकीन लोगों के कारण मछली पालन का व्यवसाय करने वालों के लिए प्रमुख बाजार उपलब्ध है। जहां से मछली पालक अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।

2. दूसरा व्यवसाय मछली का धार्मिक महत्व और स्टेटस सिम्बल से जुड़ा हुआ है। हमारे शास्त्रों, पुराणों में मछली के दर्शन को बहुत शुभ माना जाता है।  इसके अलावा आज के लोगों में घरों में मछली दर्शन के लिए फ़िश एक्वेरियम रखा जाता है। आज के फ़िश एक्वेरियम को स्टेटस सिंबल से भी जोड़ दिया गया है। इसलिये इन शौकीन लोगों के बीच मछली की अच्छी खासी डिमांड होती है। ये मछलियां बहुत महंगी बेची जातीं हैं।

3. मछली से जुड़ा तीसरा व्यवसाय मेडिकल क्षेत्र से जुड़ा है। मछली में उपलब्ध प्रोटीन, विटामिन की अनेक दवाओं में जरूरत पड़ती है। अनेक दवा बनाने वाली कंपनियों में मछलियों की बहुत अधिक डिमांड होती है। 134 करोड़ की आबादी वाले देश में बड़े पैमाने पर दवा बनाने के लिए मछलियों का प्रयोग किया जाता है। इसका मछली पालकों को बहुत अधिक लाभ होता है।

fish business plan in hindi

क्यों है फ़िश फ़ार्मिंग का अच्छा स्कोप?

फ़िश फ़ार्मिंग का स्कोप इतना अच्छा क्यों माना जा रहा है क्योंकि एक अनुमान के अनुसार भारत मेंं आधे से अधिक लोग मछली खाना पसंद करते हैं।  यहां तक कि कई शहर ऐसे भी हैं जहां 25 से अधिक लोग मछली का बिजनेस करके अपना जीवन यापन करते हैं।

भारत की लगभग सभी नदियों में मछली पाई जाती है। इन नदियों के किनारे रहने वाले अधिकांश लोग मछली का व्यवसाय करते हैं। इसके अलावा समुद्र से भी मछली पकड़ कर लाई जाती है। समुद्र तट से जुड़े क्षेत्रों में भारी संख्या में मछुआरे मछली का ही बिजनेस करते हैं।  लेकिन नदियों व समुद्र से मछली पकड़ने तथा उसे बेचने का व्यवसाय के अलावा अब उन जगहों पर भी मछली पालन का व्यवसाय किया जा सकता है जहां पर तालाब व नदियां न हों। इसके लिए कृत्रिम तालाब व टैंक बनाकर मछली को पाला जाता है।

Red tilapia fish farming

How to start fish farming business in Hindi? | कैसे शुरू किया जाये फिश फार्मिंग बिजनेस?

यदि आपको फ़िश फ़ार्मिंग के बारे कोई अनुभव है या कोई जानकारी है तो अच्छी बात है वरना आपको मछली पालन की ट्रेनिंग लेनी होगी। सरकार द्वारा मछली पालन के लिए ट्रेनिंग की सुविधाएँ  दे रखीं हैं। भारत सरकार के मत्स्य विभाग में समय-समय पर फ़िश फ़ार्मिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। कृषि मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग आता है। आप मत्स्य विभाग की वेबसाइट (http//dof.gov.in/hi) से मत्स्य पालन की ट्रेनिंग की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर जल्दी-जल्दी ही ट्रेनिंग शुरू होने के बारे में जानकारी अपडेट रहती है।

इस ट्रेनिंग में मत्स्य पालक को तालाब की साफ सफाई करना, जिस प्रकार बुआई से पहले खेत तैयार किये जाते हैं, उसी प्रकार मछली पालन से पहले तालाबों को भी तैयार किया जाता है, उन सबकी जानकारी ट्रेनिंग में दी जाती है। इसके अलावा अच्छी नस्ल की मछलियों के बीज कहां से और कैसे उपलब्ध होंगे, उसकी जानकारी दी जाती है। इसके बाद मछली पालन के दौरान कौन कौन सी सावधानियां बरतनीं होतीं है अथवा कौन कौन सी चीजें तालाब में डालना है, उसको बताया जाता है जिससे जल्द से जल्द मछलियों का विकास हो सके ताकि उनका वजन बढ़ सके।  उन्हें कब तालाब से निकाल कर मार्केट में बेचा जाये तथा किस प्रकार बेचा जाये कि उससे अधिक से अधिक लाभ मत्स्य पालक को मिल सके। इसकी जानकारी ट्रेनिंग के दौरान दी जाती है। सरकार के मत्स्य विभाग द्वारा दी जाने वाली ट्रेनिंग 10-15 दिन की होती है।

मत्स्य पालन के लिए आपके पास जगह है जहां पर तालाब बना सकते हैं तो सबसे बेहतर है वरना आजकल टैंक में छोटे पैमाने पर फ़िश फ़ार्मिंग का बिजनेस किया जा रहा है। इस तरह से मत्स्य पालन करके लाखों लोग इस बिजनेस से लाभ कमा रहे हैं। सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अनेक योजनाएँ चला रखीं हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी भूमि में बने तालाबों पर मछली पालन के ठेके दिये जाते हैं। यदि आप इन ठेकों को लेने में सक्षम हैं तो आप वहां से भी बिजनेस कर सकते हैं।

तालाब की व्यवस्था करते वक्त यह देखना बहुत जरूरी है कि ये तालाब केवल बरसात में ही नहीं भरते हैं क्योंकि आपको ऐसे तालाब की आवश्यकता है जिसमें पूरे साल भर पानी उपलब्ध रहना चाहिये। इसकी वजह यह है कि मछली एक साल में ही इतनी बड़ी हो पाती है जिसका बिजनेस करके अच्छी आय कमाई जा सके।

आजकल ग्रामीण क्षेत्र में लोग आपस में मिलकर तालाब बनवाते हैं और छोटे-छोटे फार्म बनाकर उसमें मछली पालन का व्यवसाय करते हैं।  इसके अलावा और छोटे पैमाने पर अपने घर पर ही लोग टैंक में मछली पालन करके व्यवसाय करते हैं।

तालाब की व्यवस्था होने के बाद आपको सबसे पहले तालाब की साफ सफ़ाई अच्छी तरह से की जानी चाहिये। उसके बाद उस तालाब में गोबर का छिड़काव करके पानी का भराव करना चाहिये। गोबर डाले जाने के बाद उसमें उत्पन्न होने वाले नन्हें कीट मछली के बीजों का भोजन बन जाते हैं। इसके अलावा गर्मी, सर्दी से भी उन बीजों का बचाव हो जाता है। इससे बीजों का अच्छा विकास हो जाता है।

तालाब को पूर्ण रूप से तैयार करने के बाद अब आपको उन किस्म या नस्ल की मछलियों के बीज तलाशने होंगे जिनकी मार्केट में अच्छी कीमत पर भारी मांग हो। इस बारे में आप बीज भंडार और मत्स्य विभाग के जिला कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं, जहां से अच्छी नस्ल वाली मछली के बीज आसानी से मिल सकते हैं।

अच्छी किस्म की मछलियों के बीज डालने के बाद तालाब की समय-समय पर देखरेख करनी चाहिये। समय समय पर उनके लिए भोजन डालना होता है और यदि किसी प्रकार के रोग के संकेत मिलें तो तत्काल उसका निदान करना होता है।

मछलियों का वजन जब 5 से 10 किलो के बीच हो जाये तब उन्हेें पानी से बाहर निकालकर बाजार में बेचना चाहिये। इससे मत्स्यपालक को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगा।

फ़िश फ़ार्मिंग का बिजनेस शुरू करने से पहले की खास बातें

1. हमें सबसे पहले हमें मछलियों की नस्लों के बीज का चयन करना होगा, जिनकी बाजार में हमेशा डिमांड रहती है और जिनका बाजार में अच्छा भाव मिलता हो।इस तरह की मछलियों में रोहू, कॉमन क्रॉप, सिल्वर क्रॉप और टूना प्रमुख हैं।

2. अब हमें तालाब का भी ध्यान रखना होगा। फ़िश फ़ार्मिंग के लिए पूरे बारह माह पानी वाले तालाब की आवश्यकता होती है। इसलिये हमें तालाब का चयन करते समय ये ध्यान देना चाहिये कि कहीं ऐसा न हो कि केवल बरसात में तालाब में पानी रहता हो और बाद में सूख जाता हो और आसपास पास भरने की भी सुविधा न हो तो उस स्थिति में मछली पालन नहीं किया जा सकता है। मत्स्य पालक को नुकसान हो सकता है।

3. आपको तालाब में अच्छी व्यवस्थाएँ रखें तथा इस बात का ध्यान रखें कि आप बिजनेस करने जा रहे हैं तो आपको अपने तालाब में उन किस्म की मछलियों के बीज डालने हों, जो जल्दी से बढ़ती हों। यदि आपकी मछली तेज़ी नहीं बढ़ेगी तो आपका ही नुकसान होगा।

4. तालाबों में मछलियों का भोजन उपलब्ध हो तो अति उत्तम रहेगा यदि ऐसा न हो तो आपको मछलियों के भोजनकी व्यवस्था करनी होगी। यह तो सभी जानते हें कि मछलियों कीडे  मकोड़े खाती हैं। इसलिये तालाब में ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि मछलियों को भोजन मिलता रहे। चाहे वह केचुए को डालना हो या आटे की गोली डालनी हो अथवा चोकर डालना हो।

5. मछलियों के बीमार पड़ने की आशंका न रहे

6. आपको तालाब में वो सारी व्यवस्थाएँ करनी चाहिये जिनसे आपकी मछलियां किसी भी प्रकार की बीमारी से बची रहें। इसके लिए आपको तालाब के माहौल के अनुसार ही मछलियों के बीज का चुनाव करना चाहिये। इस बारे मेंं आपको आपके क्षेत्र में पहले से मत्स्य पालन करने वाले सीनियर लोग जानकारी दे सकते हैं।

7. मछली पालन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको अधिक दाम मिले और आपका माल जल्द बिक सके। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि हम पैसे कमाने के लिए मत्स्य पालन का बिजनेस कर रहे हें। आपको उस नस्ल की मछलियां पालना होगा जिनकी बाजार में मांग सबसे अधिक रहती हो । इससे आपको अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगा।

मछली के आहार की व्यवस्था कैसे करें?

1. तालाब में गोबर का छिड़काव करके.

आप जिस तालाब में मछली पालन का व्यवसाय करने की सोच रहे हैं , उसमे एक महीना पहले से ही गोबर का छिड़काव करना चाहिये । इससे मछली का बीज डालने के समय उन्हें भरपूर खाना मिल सकेगा।

Fishes in aquarium

2. तालाब में चोकर डालें

गेहूं के आटे को छानने से जो चोकर निकलता है उसको भी तालाब में डाल कर मछलियों को भोजन दिया जा सकता है।  इसके अलावा आप तालाब में आटे की गोलियां बनाकर भी डाल सकते हैं तथा केचुए भी डालकर मछलियों को भोजन दिया जा सकता है।

3. तालाब में बत्तख पालें

तालाब में पानी में रहने वाली बत्तखों को पाल कर भी मछलियों को भोजन दे सकते हैं। ये बताया जाता है कि पानी में रहने वाली बत्तख को तालाब में पाला जाता है तो उसकी बीट को मछलियां खातीं हैं, इससे मछलियों का वजन भी तेज़ी से बढ़ता है।

4. फ़िश फ़ार्मिंग के लिए लोन की सुविधा

मछली पालने के लिए कम ब्याज दरों पर स्थानीय बैंकों से भी लोन मिल सकता है। किसान क्रेडिट कार्ड से भी लोन लिया जा सकता है।  मत्स्य पालन के लिए सरकार से भी लोन मिलता है। आप टैंक बनवाएं या तालाब बनवाएं सरकार अपनी ओर से 75 प्रतिशत तक लोन देती है। इसके बारे में मत्स्य विभाग से सम्पर्क किया जा सकता है।  इस बिजनेस के लिए आप 20 लाख रुपये तक का लोन आसानी से ले सकते हैं।

Profit margin in fish farming business in Hindi? | फिश फार्मिंग बिजनेस के लिए लागत एवं मुनाफा?

मछली पालन का व्यवसाय की लागत मत्स्य पालक की क्षमता  पर निर्भर करती है। फिर भी इस बिजनेस को शुरू करने में कम से कम 3 लाख रुपये लागत आती है। इसके बाद आप जितना अधिक चाहें इन्वेस्ट कर सकते हैं।प्रत्येक व्यक्ति कोई सा भी बिजनेस पैसे कमाने यानी मुनाफे के लिए करता है। इसलिये आपको भी मुनाफे की उम्मीद तो होती है।  जानकार लोगों का मानना है कि इस बिजनेस में 25 से 40 प्रतिशत तक का मुनाफा मिल सकता है।

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How to Start a Fisheries (fish farming) Business in India[Investments Profits]

Table of Contents

In India, where almost 60 percent of the population prefers consuming fisheries and fish products, fish farming can definitely be considered as one of the most profitable businesses. The term fish farming had originated from the Agrarian language. The moment you need to get stared with this business you need to have access to fresh flowing water system like a river.

India is a country that has numerous water system, including sea, oceans, lakes, rivers and ponds. Without access to any of the above mentioned water system, it is not possible to get started with this system. You need to try and construct an artificial lake or pond system, generally termed as tank that can be used to hold fish in it. You can fill it with water and fish can be kept inside it. Apart from this you also need to get familiar with other set of information related to this business.

Why the need for fish farming?

There certainly are numerous benefits of getting started with fish farming business some of which are stated as below:-

  • One of the most important reasons for getting started with fish farming business is that fish is in great demand not in India but also in other parts of the world.
  • One of the main reasons is that more number of people prefers eating fish and fish products as compared to other meat or animal products. There is much higher demand of fish as source of food due to vitamins and proteins.
  • Within the national and international platform the demand for fish market is also on rise in present time. As per the increasing demand and shortage of supply chain it is obvious that more number of people are shifting towards fish farming as modern traditions.
  • In present time people started to farm fish in small and big tanks at their farm lands or small room. This step has also been taken as there is shortage in supply of certain edible fish in the sea, ocean, and rivers. This is one of the main reasons why more number of people are stepping forward for setting up fish farms.

What is fish farming?

  • Fish farming is the art or technique of breeding fish and taking care of them till they grow and reproduce and maintaining their growing number in the ponds or tanks.
  • Fish farmers have to take care of fish and their number and also take care that they grow in size so they can be sold in the market for profitable price.
  • Apart from this fish farm is a business that also offers you with over ten times more profits as compared to start up amount.

Getting started with fish farming process

To get started with the process of fish farming you have to first get a pond or a tank constructed at your place of work. This tank and pond can be used as a breeding place for any fish type. To construct a tank or a fish pond you may need small piece of land. So it is utmost important to get started with constructing a tank or a pond.

Right spot or place to select for fish farming

  • It is important to make the right selection of the place for constructing fish pond or tank. It is important to maintain right temperature and conditions for breeding fish.
  • You need to keep in mind that temperature plays a major role in growth of growth cycle of the fish as during winter seasons fish do not grow much in size.
  • So it is important to try and construct the fish pond or tank before winter seasons so you can get started with breeding fish in the pond during summer seasons.

Process for design and construction of fish pond

  • There are numerous ways that can be used for construction of pond or tank. If you are looking around for saving your time and money you can also try and purchase ready made tanks made up of plastic material.
  • If you want to construct a pond in the ground itself then you may have to seek help from a professional to dig a big pond. The size in general would depend on the availability of the land at your place.
  • If you are running short of funds then you can also DIY (Do It Yourself) using local handy tools. Once the pond has been dug out you just need to make use of coating mix prepared by bleaching powder and mud.
  • This mix can be prepared along with calcium powder to coat the pond base. This will help in preventing the formation of algae and fungus in the water that can harm fish.
  • In order to breed fish perfectly it is important that you need to assure that the fish survives to compete its growth cycle. It is also important that the fish should breed naturally.
  • This will help in increase in the number of the fish. So it is important that you need to feed the fish with right type of food. It is important that you have to make the right selection of fish food.
  • The food should be selected depending on the breed of the fish you are having at the farm. You also have to maintain right hygiene and temperature of the water in the pond. This means that on regular basis you will have to test it for salinity and pH.

What fish to breed in the farm?

One of the most important factors to get started with fish farm process is the selection of the right fish breed for farming. You need to keep in mind that it is not possible to breed all types of fish in the farm.

  • In India there is a great demand for certain varieties of fish like Rohu, Mureli, Katla, grey shark and tuna. Apart from this Hisla fish is also in great demand.
  • One of the main benefits of selecting these varieties of fish is that they are easy to breed and can easily get adopted to the climatic and water conditions.
  • So the moment you make a selection of these fishes it is obvious that you may be able to generate health profit from the business. Apart from this it is also possible to easily find these varieties in the Indian market.

Maintenance process

  • When running fish farm business you may have to hire external labors depending on the size of your business. The trained labor is ideal choice who can take care of the fish and pond.
  • It is also important that labor should take care of the fish and its feed. The trained person should be aware of fish diseases and conditions. It is important to make use of potassium permanganate and common salt (Sodium) in case the fish is not well.
  • In case not taken care at the right time then one fish can spread germs and virus to others as well in the pond.

Maintaining water condition

For maintaining good health of the fish and it life, it is important to maintain right condition of the water.

  • You may have to ensure that the water is cleaned at least once a month or week, depending on the size. It is important to maintain the pH level of water between 7 to 8.
  • This is considered as healthy water condition for the fish to survive and breed. So you need to take proper care of it on regular basis.

Equipment s required for Fish Farming

  • Natural or plastic pond – This is one of the most important things that you may need when thinking of fish farming. You can use them as fish tanks of bigger size. It is also ideal for people to get started with this business using tanks in a small room.
  • You can also get it installed at the roof top or in the ground. You can also look around for artificial ponds that are available in the market. The cost factor may depend on quality and size.

Where to purchase materials?

  • It is possible for you to purchase pond (artificial) and tank (Glass / plastic) online. You can purchase it from a retailer or whole seller shop. You just need to see where and who is selling it for cheaper price.
  • You can also order it online at https://www.alibaba.com/showroom/plastic-fish-farm-tank.html or at https://dir.indiamart.com/impcat/aquaculture-tanks.html. you just need to click the links provided.

How to purchase water testing equipments

  • You can directly visit the link at https://dir.indiamart.com/impcat/water-testing-equipment.html or enquire before purchasing. The equipments will only cost Rs 1500 and are useful for checking with pH and water salinity. Apart from this you may need to install water pump for pumping water which may only cost you around Rs 3000.
  • You have to purchase transparent water pipes as additional accessories. You can make the purchase as per your desired budget. You may also have to invest money in purchasing net for fish so it is easy to remove them when cleaning. It only costs Rs 100 per net.

Types and variants of fish farming

There certainly are numerous ways to help get started with this business plan. The methods that we have included here are most common and affordable. One main benefit is that they don’t cost much at start up.

1          Cage system

  • This method is mainly used in oceans, seas and rivers. So when using this system you may have to work and setup your business nearby to some such system.
  • This is one of the most profitable methods of fish farming. The cost of start up is very low but you may have to install cage in river or sea. But you may have to take your precautions when setting up cage in sea or river bed.

2          Pond system

  • This is one safe method and is very much durable and reliable. You may have to construct a small pond to farm fish. You can also construct it near by to a small river outlet.
  • This is one common method used by most farmers. The initial start up cost may be a bit high but is very much reliable. You may also have to pay attention when using this method as it is done on river bank.

3          indoor method

  • This is a modern method of setting up a fish farm when you can select a small enclose room for getting started. You may have to furnish entire set up in small area and then get started.
  • You may have to take care of most things on your own. You have to check with water temperature and salinity or pH. You may have to install thermometer and other relevant devices in the room.
  • You also need to ensure that the room gets uninterrupted supply of electricity and water so fish are safe.

Benefits of fish farm

  • As per recent survey there are a number of people who are getting involved with this business as per growing demand. You can get to earn consistent income every year. You can target national and international market demand.
  • You may not have to invest big money in start up and you can earn money in initial stage itself. This is best business opportunity in India as fish is in demand. You may not notice down fall of market.

How to get license?

  • It is important to get the business registered in India before starting. You have to get registered by submitting business registration form. You will be provided with registration number.
  • You will have to get registered at government offices. You may have to submit all details related to information about yourself and business. You can also apply for subsidy under government sector for business.
  • If you are looking forward to start up this business in sea or river bank then you may have to take special permission.

Residential fish farm

You can get started at home by investing in small plastic tub or tank. You can get it installed at any place at home roof top or in a closed room. You may have to get NOC from society on account of fish odor. You may have to invest some money in fish food and medicines. You also have to ensure that water is cleaned regularly.

Large and small scale farms

  • To get started at small or large scale you may have to construct a pond at farm land or at home backyard. It all depends on the size and business plan. You may have to work according to your planned budget.
  • You have to ensure that you have sufficient land and open space for constructing pond or tank. You also have to ensure that all guidelines stated above are followed.

In most places in India fish markets areas are very much common. These are places where you can sell your fish produce. You can export fish products in international market. You can approach hotels and restaurants.

Before you dispatch your fish to hotels of consumers you have to ensure that is safely packed. This will ensure that the fish is supplied to consumers end fresh. If you want to export in international market you need to pack it well. You can make use of modern packing systems for packing fish.

Cost factor for start up

The business can be started by investing Rs 30 to 50 thousand. You may have to invest additional money in fish feed, electricity, water, and eggs. This may be equivalent to Rs 1 to 1.5 lakh. In the initial stage you may need over Rs 2 lakh as investment.

Profit margin

It is obvious that if you invest around Rs 1 lakh then you can generate over Rs 3 lakhs as profit margin.  This may also depend on production, marketing and other factors.

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  • How to start poultry Farming Business

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Fish Farming in India: How to Start Fish Business

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January 20, 2024

Fish farming in India is a popular form of agriculture. A well maintained fish pond can give a handsome profit. Learn how to set up fish rearing ponds and start fish business.

Fish farming is also called ‘pisciculture’ and is the practice of commercial fish rearing in enclosed tanks. In India, it is an important sector contributing to agricultural exports and food security in a major way. Since the demand for fish as a food is increasing it has resulted in overfishing worldwide causing a depletion in the population. This has led to establishment of fish farms or aquaculture wherein fish is grown artificially in man-made ponds or tanks. Aquaculture has now become so popular that more than 50% of the total fish population in the world came from aquaculture alone in 2016. Globally, 62% of the total fish supply comes from China.

Advantages of Fish Farming in India

  • At least 60% Indians consume fish as a part of their regular meals.
  • The demand for fish being high in the market, its price is also very high ensuring good income.
  • The subtropical and tropical climate of India is ideal for growth and production of fish.
  • Since there are abundant water sources in India like lakes, ponds, rivers, streams, etc. it is not very difficult to procure fish and grow them in the farm.
  • Growing fish in a farm is not a laborious process. Additionally, it can be integrated with other types of farming like poultry, vegetables, animals, etc. Integrated aquaculture is very popular among farmers.
  • Since fish farming business is not as laborious as other types of farming, it is easy to handle along with regular work. It can be also easily managed by other family members of the house like kids and women.

Setting up Fish Farming Ponds

Fish farming pond

Fish rearing in pond has some specific requirements. Before constructing a pond it is necessary to choose the right type of site. Hence the first step in fish farming is selecting the right type of site.

Site Selection

The success of a fish business depends on the selection of the right place. The site chosen must have a good water supply all year round and the soil must have a good water retention capacity. Site selection factors can be divided into 3 categories as:

Biological Factors

Biological factors are concerned with fish species chosen for culture purposes. Seed source, variety, culture type, species, etc. must be considered at the time of establishing a fish farm.

Ecological Factors

Climate, soil, water and topography are the primary factors that must be considered when constructing fish farming ponds. These can be enumerated as below:

  • Primarily the soil must be able to hold water in a pond. That is it must have good water retention capacity.
  • Take a handful of soil in wet hand and squeeze it. If the soil retains the shape after opening the palms, the soil is suitable for establishing a pond.
  • Rocky, limestone, sandy soil must be avoided since they cannot retain water.
  • Loamy soil, clayey soil, silt etc. are best suited for pond construction.
  • Gravel if present must not be more than 10%.
  • Water must have a neutral pH. In case of acidic or alkaline water suitable corrections must be done.
  • The pond must be constructed near natural water bodies like ponds or rivers. However, it should be away from flooding area.
  • Water salinity is another factor that must be considered as not all fish can tolerate saline water.
  • Land topography is essential for engineering the pond construction. Areas like industrial zone, flood prone areas, areas with poor rainfall, electricity poles and densely rooted vegetation must be avoided.

Social Factors

Considering social factors while starting a fish business may sound paradoxical. This is however important since the tradition and culture of the place must be taken into account. This would ensure acceptance of the farm by the locales and no legal issues. Other factors include market aspects, transportation, accessibility, infrastructural facilities, etc.

Catching fish

Pond Construction for Fish Farming in India

Pond construction at the chosen site involves a series of steps such as cleaning the site, constructing the bank or dyke, digging the pond, constructing the inlets and outlets, covering the dyke and last but the least- fencing the pond.

Clearing the Site

The site must be cleared of bushes, tree stumps and other such debris. Trees and other vegetation within 10 meters of the pond area must be cleared away. In addition about 30 cm of surface soil must be cleared since they are likely to contain roots and other organic debris that interfere with the pond development.

Digging and Constructing Dyke

An ideal dyke must contain 15-30% silt, 30-35% clay and 45-55% sand. After digging the dyke the ridge must be in proportion with the slope. A mixture of sand and clay in 1:2 proportions must be deposited to form a 15 cm thick layer in order to elevate the dyke. This is done at the center of the pond. Generally, digging is done in plain areas while in hilly areas, embankment method is followed. The dykes are erected on the sides as per need. However, embankment method cannot be followed for fish culture since it is difficult to get the standard depth and size as per specifications.

Constructing the Inlet and Outlet

Ponds must be filled with sufficient quantity of water for which feeder canals are constructed alongside. The inlet and outlets permit flow of water. Inlets are constructed at the top of the pond while outlets are at the pond bottom. The inlet pipes must be designed such that they do not take more than 2 days to fill. Outlets are used when dewatering of the pond to harvest the fish becomes necessary. It is also used to drain out the stale water while replacing it with freshwater so as to maintain the water quality.

Types of Fish Farming Pond

Fish rearing in pond

There are different types of ponds based on the growth stage of the fish such as:

Nursery Pond

3 day old spawns are reared in this pond until they attain a length of 2-3 cm. This takes about 30 days.

Rearing Tank

Tiny, newly-hatched fish grow and start feeding themselves. However they are not fully grown adult fish. Such fish called ‘fry’ are reared in the rearing ponds till they attain a size of 12-15 cm. These fish are called fingerlings.

Stocking Pond

Fingerlings

The fingerlings are grown in the stocking pond and reared into marketable sized fish. The duration varies between 8- 10 months. Although there is no specified rule about the pond size, the area of the pond ranges between 1-2 hectares.

Bio-ponds are settling tanks that are sometimes also used as stocking ponds. The water meant for the fishpond is biologically purified in this pond.

Selecting the Fish Breed

After pond construction the next step is to choose the right type of fish breed for rearing. The first point to be considered here is the type of fish to be reared- whether ornamental, freshwater or brackish water fish. Choosing the right type and breed depends on the type of water in the pond, resource availability, climate conditions and market demand. For example, carp varieties of fish like rohu, catfish, catla, grass carp, etc. is meant for the Indian ponds. Some farmers grow two or more different breeds of fish in the same pond as this ensures better utilization of resources. In case of ornamental fish, some of the commercially important species are loaches, barbs, freshwater sharks, danio, goldfish, etc.

Feeding the Fish

While rearing fish in ponds, feeding is done to ensure that the fish attain maximum weight as per market standards within the shortest possible time. However, while feeding and rearing care must be taken to maintain the water pH between 7 and 8 for optimal growth. The feed must provide essential nutrients for the growth, maintenance and reproduction. The feed must contain essential nutrients like proteins, carbohydrates, vitamins and fats in addition to other minerals in sufficient quantities. It is easier to maintain natural foods in the fish pond like zooplankton, phytoplankton, insect larvae, etc. That way, the natural habitat necessary for growth of the fish is maintained to some extent. The growth of phytoplankton can be given a boost by adding various wastes from organic farming to the pond such as poultry droppings from poultry farming , organic compost , etc. In addition, supplementary feed is given in moist or dry form. For fish that feed from top layers, floating pellets can be given while those feeding from the bottom are given sinking pellets.

Fish Farm Maintenance

Dead fish

The first precaution in fish farm maintenance is to maintain the water pH. The pH must be maintained at neutral for optimal growth of the fish. In addition it must be treated with salt, potassium permanganate, etc. to prevent growth of pathogens. Occasional water treatment also ensure prevention of viral attacks.

Fish farming in India is a profitable business. One can start a stand alone fish farm or integrate it with other farming to minimize the risk and maximize the profit.

fish business plan in hindi

  • http://vikaspedia.in/agriculture/fisheries
  • http://mofa.gov.gh/site/?page_id=10284
  • http://www.fao.org/docrep/019/i3146e/i3146e00.htm
  • https://en.wikipedia.org/wiki/Fish_farming

27 thoughts on “Fish Farming in India: How to Start Fish Business”

Very interesting. I need to learn more on modern method of farming in closed spaces

Great article .. providing this much valuable information on every aspect what you should know and need to know about fish farming and other such stuff but what if we need to know about Biofloc fish farming system.

Because For traditional or conventional fish farming system one should need a good amount of land but if someone who has small piece of land can not do Traditional Fish Farming so Biofloc is something which can help getting better earning in small piece of land.

I am not promoting our selves here but when we wanted to start Biofloc fish farming we did not get any good recourse to get required help. We tried various places and collected required stuff and started Biofloc fish farming and it has been 2 years we do not think we stepped into a wrong business.

Please advise from where can we have proper training etc. for fish farming. Need to see the overall procedures, cost involvement, suitable places.

Please download our project report on inland fishery for complete economics and technical details.

Please provide the project report of fish farming From starting fish rearing to feeding and costing calculations

A good way of giving a knowledge, how to start a fishing business..Appreciable work, I also want to start this business after few months, so that I want to know all of business details & stabilise a higher level of this business…How I contact you, Thanks and regards Er. Rohit Singh

Thank you for your interest in fish farming. We shall get in touch with you when will shall get started the consultancy service.

Hi i want to start fish farming in utter predesh . I want to know all the details how i contect you Regrd Rajiv

Hi sir, I Have fish farm in Tamilnadu, I am farming sea bass fish, my pound water salinity is 4.5, how to reduce it and how to maintaine PH level, and what feed food good for sea bass? Please help me thank you.

Hii sir I am kamesh singha from West Bengal Siliguri . I want to start fish farming. . And I want all the details of fish farming. Please sir help me me out .

solomon james

i want tostart fish farming in uttar pradesh looking for bio flock fish farming help me to geta project report.

thanking you

Do we have complete project report for Fish Farming/Aqua Culture? Currently your webpage offers only two project reports, i.e. Dairy Culture. The project report shall include complete guide from scratch:

– Approximate Capital Investment – Infrastructure Building and Resources – Maintenance – Labor Strength – Stocking/Rearing techniques – Marketing and Selling – Top Seed Sources – Top Buyers – Start-up Financial Solutions

Anticipating positive response.

Regards, Mudassir Madni

Hi Want to start fish farming in Goa having a 2 acre land. It was a salt pan earlier now just left doing nothing

Hello sir, Rajesh sajwan from dehradun and I’m very interested to start fish farming. Please guide me. Thankyou!

Good evening I like to start a fish farm in my village home in Jessore in Bangladesh. This is a medium type of pond and will be used for family cum semi commercial purposes.

The pond size is 100 feet long x 60 feet wide x 7 feet deep. It needs to supply artificial water by Shallow Tube well in the Winter or in the Dry season.

I like to cultivate fishes like shrimp/ pabda / Koi/ Tilapia in the first layer of water ( pl. suggest me suitable spices and fish population for the 1st layer).

Catfish and others in the second layer of water. ( pl. suggest me the spices of fishes for the 2nd layer and fish population )

Ruhi / katla/ Mrigal in the 3rd layer of water.( pl. suggest me the spices of fishes in the 3rd layer and fish population)

I am not an expert in fish cultivation and have experiencing but like to start cultivation with your suggestions. Pl. suggest me :

1. Is it possible to cultivate those fishes in those layers of waters? Or different spices of fishes suitable in each layer ? 2. The fish spices population to be maintained in each layer.

With thanks and regards. Asdadul Baqui

I want to start a fish farming unit in Kerala .Need advises.

Dear sir I want to start fish farming in one acre land kindly guide…..for start up in balasore,odisha…… Also detailed project report is required to apply for bank loan…… Kindly support…

Hello Rajesh, please download our detailed project report on fresh water fish farming in pond. This DPR contains detailed technological and economical details about polyculture fish farming.

Download link: https://www.farmatma.in/product/fish-farming-project-report-pdf/

Im interested to do a aquafarming i have 5 acres to start the business , so my question is were should approach or whom to contact the right person to get ideas to buy and sell the fishes.

Can i start fish farming in well, it is 100 feet, Please give a comment

I am interested in Catfish pond farming report how we get with current rate

Dear sir, I want to open a fish farm in Abu-Road, Rajasthan. I need your help to establish this bussiness and also need to undestand the whole process of this farming technique. So help me with your positive reply. Thank you.

i m interested to start fish farming business i need full details to study

I want to start fish business I have a plot vacant of 133sqyds Size is 20ftx50ft How much will be the investment Water and electricity can be arranged What will be the returns Please reply Thanks PRAKASH

im interested for fish forming in my field i need your guidance

Hey ! We are planning to start this business . But we need someone who could help us teach all this . How can we contact you?

I am rajasthan samaysingh machya my pond is tha big katla /rahu fish my coice fish

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Fish Farming Business Plan in Hindi | मछली पालन योजना बिहार 2022

Fish Farming Business Plan in Hindi | मछली पालन योजना बिहार | मत्स्य पालन योजना बिहार | मत्स्य पालन प्रशिक्षण ,मछली पालन लोन 2021 बिहार | Macchli Palan business

Table of Contents

Fish Farming Business Plan in Hindi

मछली का कारोबार दो प्रकार से कर सकते हैं।.

  • खाद्य मछली पालन Business
  • सजावट वाली मछली पालन Business

मछली का पालन का कारोबार / Business बड़ा ही लाभदायक हो सकता है।

 क्योंकि यह लगभग 4-6 माह में तैयार हो जाती हैं, 3 से 4 टन प्रति हेक्टेयर की दर से आप इसका उत्पादन कर सकते हैं।  मछली पालन का व्यवसाय को कामयाब बनाने के लिए आपको उचित प्रबंधन के साथ-साथ सभी आवश्यक बातों पर ध्यान रखना होगा।

इसे भी पढ़ें-

Fertilizer Business License

खाई जाने वाली Fish Farming Business Ideas

मछली फ़ार्मिंग दो प्रकार से कर सकते हैं।

  • तालाब/ Pond

Biofloc का निर्माण

तालाब का निर्माण-.

मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण 1.5 से 2.5 मीटर गहराई होनी चाहिए इससे अधिक एक कम गहरा न हो।

तालाब का आकार अक्सर भारत में पाए जाने वाले तालाब आयताकार आकार में बनाए जाते हैं, और यह देखने में ही खूबसूरत लगता है.

तालाब में बीज संचय से पहले मिट्टी की गुणवत्ता का परीक्षण करना बेहतर होता है।

और तालाब में सीड किसी प्रमाणित हेचरी से डालनी चाहिए ।

 तालाब की मछलियों का उचित उपचार किया जाना जरूरी है, पानी का उचित प्रबंधन भी जरूरी है ताकि पानी का उचित प्रबंधन बना रहे।

तालाब में ऑक्सीजन का स्तर उचित बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में पानी होना चाहिए।

मछली के लिए प्रोटीनयुक्त फ़ीड दिया जाना चाहिए।

मछलियों का पालन करते समय मछलियों की प्रजातियों का चयन ध्यान से करना चाहिए, एक साथ ऐसी दो प्रकार की मछलियां का प्रयोग ना करें जो आपस में एक दूसरे को नुकसान पहुंचाएं।

मछली फ़ार्मिंग बिजनस करने से पूर्व अपने राज्य के Fisheries Department से संपर्क कर सकते हैं। या अपने आस-पास के किसी Biofloc फार्मर से प्रशिक्षण ले सकते हैं।

फ़ार्मिंग से पूर्व प्रशिक्षण अवश्य प्राप्त कर लें।

Fish Farming की एक नई विधि है, जिसमें सिमेन्ट से या त्रिपाल आदि से tank बनाए जाते हैं। जिसकी 04 मीटर या अधिक चौड़ाई होती है, 1.5 या इससे अधिक गहराई होती है।

जिसको बनाने में 18 से 25 हजार प्रति Biofloc खर्च  आता है, 1 साल में 2 बैच ले सकते हैं।

Biofloc किसी भी स्थान पर बना सकते हैं इसमें पानी की आवश्यकता तालाब की तुलना में बहुत कम पड़ती हैं, फीडिंग में भी लागत कम आती है।

Biofloc Fish Farming संबधित अधिक जानकारी के लिए अपने राज्य के Fisheries Department से संपर्क कर सकते हैं। या अपने आस-पास के किसी Biofloc फार्मर से प्रशिक्षण ले सकते हैं।

बाढ़ की स्थिति में मछली पालन प्रबंधन –

बाढ़ की स्थिति में मछली पालन प्रबंधन संबंधित जरूरी ध्यान देने वाली बातें-

जहां पानी का धारा का बहुत ज्यादा हो ऐसी जगह तालाब का निर्माण ऐसी जगह न करें।

 तालाब निर्माण के लिए बांधों की ऊंचाई का निर्धारण पिछले 50 वर्ष की बाढ़ की स्थिति का अनुमानुसार करें।

ऊंचाई अधिकतम जल स्तर से 1 मीटर ऊंचा होना चाहिए,

 चूहों के द्वारा बनाए गए छिद्र बांधों को बरसात में काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं इसलिए इसको बंद करने पर विशेष ध्यान दें।  बरसात के दिनों में तालाब का पानी निकालने और लाने के लिए उचित वेवस्था होनी चाहिए।

क्षतिग्रस्त बांध के मरम्मत पर विशेष ध्यान दें, बाढ़ ग्रस्त इलाका के मछली फार्मर बरसात से पहले तालाब का बांध के चारों तरफ बांस का खूटा लगाकर कम से कम 4 फीट ऊंचा जाल लगा दें तथा जाल के निचले भाग को अच्छी तरह से दबा दें।

 बाढ़ के समय मछलियों को सुरक्षित तालाब में रखें, ज्यादा खतरा होने पर बरसात से पहले तालाब खाली कर दें।

 मछली पालक को निश्चित तौर पर मौसम पूर्वानुमान विभाग द्वारा जारी सूचनाओं की जानकारी भी रखना जरूरी है, ताकि होने वाले नुकसान से तालाब से बचाया जाए।  बाढ़ इलाके के तालाब में नाव जरूर रखें।  साथ ही तालाबों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना विभाग को भी जरूर दें।

 स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि/ प्रखंड स्तर के पदाधिकारी / जिला स्तरीय पदाधिकारी से संपर्क बनाए रखें किसी भी तरह की घटना होने पर विभाग को जानकारी जरूर दें।

तालाब का प्रबंधन –

मत्स्य पालन के लिए सलाह दी जा रही है कि तालाब ऊंची स्थान पर करें, बाढ़ वाले क्षेत्र में जहां पानी का बहाव कम हो ऐसे स्थान का चयन करें।

गर्मी के मौसम में तलाब का उपचार के लिए रासायनिक की अनुपलब्धता के लिए जल की गुणवत्ता बनाए रखें।  इस समस्या से निपटने के लिए उपाय इस प्रकार कर सकते हैं:-

 इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों को पानी की गहराई 1.5 मीटर से अधिक रखना चाहिए।

 जल गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तालाब में 250 किलोग्राम चूना और 500 ग्राम पोटेशियम परमैग्नेट प्रति हेक्टेयर प्रतिमाह का प्रयोग करें।

 तालाब में पानी के रंग को हल्का हरा बनाए रखें।

 गहरा हरा होने पर तालाब में साफ पानी डालें।

 मछली की संख्या कम कर दें ताकि पानी की गुणवत्ता और मछली का विकास और स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े।

Fish Feeding (मछली फीड)

मछली के लिए feed अपने आसपास के बाजार से खरीद सकते हैं, साथ ही आप स्वयं भी घर पर फ़ीड तैयार कर सकते हैं।

 मत्स्य पालक को स्वयं तैयार किया गया फ़ीड का उपयोग करने की सलाह मत्स्य विभाग द्वारा दी गई है।

मछली के लिए फ़ीड तैयार करना-

फ़ीड को तैयार करने के लिए मत्स्य पालक स्थानीय बाजार में उपलब्ध सामग्री जैसे खली, अपशिष्ट अनाज, चावल की भूसी, खनिज मिश्रण आदि का उपयोग कर सकते हैं।

100 किलोग्राम फिश फीड तैयार करने के लिए 40 किलोग्राम खली, 19 किलोग्राम अपशिष्ट अनाज (पिसा हुआ), 40 किलोग्राम चावल की भूसी और 1 किलोग्राम खनिज मिश्रण को ठीक से मिला कर तैयार करें।

मछली की पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध फ़ीड सामग्री का उपयोग करने से पहले उबाल लेना चाहिए।

मछली के पकड़ने व विपणन प्रबंधन-

मछली को पकड़ने के लिए स्थानीय मछुआरे या परिवार के सदस्य जिनके स्वास्थ्य की स्थिति सही हो उन्हें अपने तालाब में मछली पकड़ने के काम में लगा सकते हैं।

 अगर स्थानीय मछुआरे /परिवार के सदस्य उपलब्ध नहीं है तो मछली पकड़ने के लिए एकल उपयोग उपकरण का उपयोग करें।

 जो एकल मछुआरे द्वारा संचालित किए जाते हैं जैसे गिलनेट, फाँसजाल, कॉस्टनेट/ भेरकाजाल आदि का प्रयोग कर सकते हैं।

Bihar Fish Farming House-

फिश फ़ार्मिंग संबंधित आप बिहार मत्स्य विभाग के ऑफिशियल वेबसाइट के माध्यम से सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

या पाने राज्य के मत्स्य विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

बिहार के लगभग सभी जिलों में फिश फॉर्म उपलब्ध है जहां से fish farming business शुरू करने के इच्छुक संपर्क कर सकते हैं।

 फिश फार्म संबंधित विवरण जाने के लिए ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कीजिए जिसका लिंक दिया जा रहा है।

Fish Businessman के लिए बेचने की व्यवस्था-

मछली की बिक्री स्थानीय बाजार में करें या फिर आप ट्रांसपोर्ट के माध्यम से देश के विभिन्न स्थानों पर भी एक्सपोर्ट कर सकते हैं।

हॉलेसेल में मछुआरों को भी दे सकते हैं जो स्थानीय बाजार में बेचते हैं।

मछली बिक्री हेतु मार्केट और अवसर को देखते हुए मात्रा में पकड़े,  खपत कम हो तो मछली को कम मात्रा में पकड़ें, मांग बढ़ने पर अधिक मात्रा में पकड़ सकते हैं।

मछलियों का प्रकार –

देश में लगभग 72 से अधिक पर प्रजाति की मछलियां पाई जाती है।

कुछ मछलियों के नाम इस प्रकार है:-

 रोहू, केतला, नैनी, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प, तिलापिया, बोआरी, मागुर, सिंघी, कवई, पोठी, टेंगरा, खेसरा, मोया, सूहीया, हिलसा, धवाई, ग्लास फिश, कोटारी, डेंडुआ, सिलटोका, करौनचर, थूथूनहिया, भगन, बाटा, रेबा, गुर्दा, चलवा, सिधरी, दरही, बघूआ, बाघा, नकाती, नटवा, पतारा, जलकपुर, हुनगरा, रीटा, सीलूनड, गलफूलानी, बेंग मछरिया, कौवा, पंगास, बाम, जाया, केनवची, सुमहा, भोला, सौर, चनागा, गिरई, रैया, बुल्ला, आदि मछलिया के नाम हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में नाम अलग हो सकता है।

Decorative Fish Farming (सजावटी मछली ) Business Ideas-

अक्सर लोगों को घर पर मछलियां पालना शौक के तौर पर अच्छा लगता है, अक्सर लोग रंग बिरंगी मछलियों को घर का सदस्य मानते हैं, और इसमें अपना गुडलक भी तलाश करते हैं.

 घर में रखने वाली मछलियां में ज्यादा पॉपुलर है गोल्डफिश, बाजार में इसकी कीमत 2500/ से 28000/ रुपये तक जाती है।  इसलिए बाजार में गोल्डफिश की मांग बहुत अधिक है।

इस कारोबार को शुरू करने के लिए एक लाख से 2.5 लाख रुपये तक लगाकर Business शुरू कर सकते हैं।

जिससे महीने में एक से दो लाख रुपये तक कमा सकते हैं।

Decorative Fish Farming Business में लागत-

सजावटी मछलियों की Farming और Business शुरु करने के लिए आपको दो से 2.5 लाख तक खर्च करना पड़ सकता है।

 जिसके लिए लगभग 50000/ रुपये 100 वर्ग फीट के एक एकवेरियम पर खर्च करना होता है।

 और लगभग इतने रुपए अन्य सामान के लिए खर्च आता है।

इसके अलावा अनेक प्रजातियों की मछली सीड पर खर्च करना पड़ता है।

जिसे ₹100 से ₹500 प्रति पीस लेना पड़ता है, साथ ही मछली खरीदने में फीमेल और मेल का अनुपात का ध्यान रखना पड़ता है, इसका अनुपात 4:1 रखा जाता है।

सजावटी मछली का प्रकार-

अलग-अलग मछलियों की प्रजाति जैसे गोल्डनफिश, अरवान, चाइनीस फ्लावर, इंडियन फ्लावर हॉर्न ,डिस्कन और पेस्ट कुछ मुख्य मछलियां हैं।

सजावटी मछली की सीड चेन्नई, कोलकाता, चीन, हांगकांग से मंगाए जाते हैं इसी लिए यह कुछ महंगी होती है।

 जिसे आप भारत में उपलब्ध डीलरों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं इनमें से सबसे महंगे गोल्डनफिश, अरवान होती है, 28000/ रुपये से भी अधिक इसकी कीमत होती है।

4 से 6 महीने के बाद शुरू करें

 सीड डालने के बाद 5-6 महीने में इन्हें बेचा जा सकता है, लेकिन फार्मिंग करते समय एक एकवेरियम में केवल एक ही प्रकार के मछली रखी जाए और आवश्यकतानुसार इन मछलियों को फ़ीड डालें।

प्रति दिन इनकी फीडिंग का अच्छा ख्याल रखें।

इन मछलियों को आप विभिन्न ने मार्केट में या ऑनलाइन मार्केट बेच सकते हैं।

Fish Seed Form in Bihar

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Bihar feed

मछली पालन (Fish Farming Business) का व्यपार कैसे शुरू करें 2022 | fish farming ki puri jankari hindi me

Fish farming business plan in hindi.

Photo of Bihar Feed Team

अगर आप भी खाद्य पदार्थ से सम्बन्धित बिजनेस करने के लिए सोच रहे हैं तो ऐसे मे मछली पालन का बिजनेस आपके लिए एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है, और जैसा कि आप सब भी जानते हैं कि आज कल मछली का सेवन लगभग मे हर कोई करता है, और कुछ लोग तो इसका सेवन केवल प्रोटीन को लेने के लिए करते हैं। तो ऐसे मे अगर आप इस मछली पालन का व्यपार शुरू करते हैं तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद शाबित हो सकता है। और इस मछली पालन के बिजनेस शुरू करने के लिए आपको करोड़ो ख़र्च भी करने कि जरूरत नहीं है। आप इस बिजनेस को केवल बहुत हीं कम लागत मे आसानी से शुरू कर सकते हैं। तो अगर आपको भी मछली पालन के बिजनेस से सम्बन्धित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ सकते हैं, और मछली पालन के व्यपार ( fish farming business plan Hindi ) से सम्बन्धित सभी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अगर फिश फार्म बिजनेस को शुरू करने के लिए आपके पास जल निकाय नहीं है, तो आप इस बिजनेस को घर पर हीं विभिन्न प्रकार की श्रोत का निर्माण करके मछली पालन ( machhali palan kaise karen ) शुरू कर सकते हैं। लेकिन इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपके पास कुछ जमीन का होना अति आवश्यक है।और जैसा कि आपने भी देखा होगा कि लोग आम तौर पर इस उद्योग में तालाब या टैंक या अन्य कोई पानी जमा करने के श्रोत का उपयोग करते हैं, और यह सबसे लोकप्रिय और आसान विकल्प होता है। इस मछली पालन के बिजनेस को शुरू करने के लिए।

वहीं अगर इसके अलावा अगर आपके पास मछली पालन के बिजनेस से संबंधित कोई भी जानकारी कोई भी योजना नहीं है तो आपको सबसे पहले से इससे संबंधित सभी जानकारी को जुटाना होगा। जैसे कि कौन से प्रजापति के मछली का पालन करना चाहिए, मछली के खाने के उचित व्यवस्था से सम्बन्धित जानकारी और साथ मे इस बिजनेस ( Fish Farming Business Plan in Hindi ) को शुरू करने से पहले जरूरी लाइसेंस के बारे में जानकारी जुटाना अति आवश्यक होता है।

फिश फार्मिंग (machhali palan kaise hota hai) बिजनेस क्या है?

अगर आपको भी फिश फार्मिंग बिजनेस के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फिश फार्मिंग ( machhali palan kaise hota hai ) का बिजनेस के तहत मछलियों को और उनसे होने वाले मछली के बच्चों को पाला जाता है, और फिर कुछ बड़ा होने के बाद उसे मार्केट में ले जाकर के सेल कर दिया जाता है। और इसी को फिश फार्मिंग बिजनेस कहा जाता है।

आज से कुछ सालों पहले तक यह बिजनेस उतना पॉपुलर नहीं था क्योंकि उस समय लोग मछलियों को समुंदर से या कोई अन्य तलाब, नदी से पकड़ते थे और जाकर फिर मार्केट में सेल करते थे। लेकिन अब लोगों ने कृत्रिम रूप से तालाब या टैंकों का निर्माण करके मछली पालन शुरू कर दिया है। और इसी को मछली पालन का बिजनेस कहते हैं।

मछली पालन का मार्केट डिमांड

अगर आपके मन मे भी मछली पालन के मार्केट मे डिमांड से सम्बन्धित कोई सवाल आ रहा है तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की मछलियों की मांग दिनों दिन केवल बढ़ती हीं जा रही है, और इसका डिमांड न केवल हमारे देश बल्कि पुरे विश्व मे तेज से मछलियों की मांग बढ़ती जा रही है। और इसके पीछे का मुख्य वजह इसमें मौजूदा कई प्रोटीन एवं विटामिन्स के स्रोतों का होना है। इसलिए अब तो कुछ लोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखने के लिए भी मछली का सेवन करने लगे हैं। तो ऐसी परिस्थिति में आपको मछली पालन के मार्केट में डिमांड से संबंधित कोई भी चिंता करने वाली बात नहीं है। और इसका डिमांड मार्केट में कभी भी कम नहीं होने वाला है।

मछली पालन (Fish Farming cost 2022) के बिजनेस मे लागत

वहीं अगर मछली पालन के बिजनेस ( fish farming ki cost ) शुरू करने में लगने वाले लागत के बारे में बात किया जाए तो आप इस बिजनेस को 80 हज़ार से लेकर 2 लाख के बीच में आसानी से शुरू कर सकते हैं। और इसमें मुख्य लागत आपको कृत्रिम रूप से तालाब या टैंकों का निर्माण करने मे आने वाला है, और इस बिजनेस के बाकी के कामों के लिए आपको उतना ज्यादा पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होता है।

और यह लागत केवल आपको एक बार लगाना होता है और उसके बाद आपको कुछ छोटे-मोटे कामों के लिए पैसा खर्च करने की जरूरत होता है, और फिर आप इस बिजनेस से 10 गुना से भी ज्यादा के लाभ आसानी से केवल कुछ महीनों मे कमा सकते हैं।

मछली पालन (Machhali Palan ki Vyapar Kaise Shuru Karen) का व्यपार शुरू करने के तरीके।

तो अगर आप भी मछली पालन ( machhali palan ke tarike ) का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आप नीचे दिए गए कुछ स्टेट को फॉलो करके आसानी से इस बिजनेस को शुरू कर सकते हैं।

जानकारी जुटाना : किसी भी बिजनेस ( machhali palan business ) को शुरू करने से पहले आपको से संबंधित जानकारी जुटाना अति आवश्यक होता है तो ऐसी स्थिति में आपको मछली पालन के बिजनेस शुरू करने से पहले इससे संबंधित सभी जानकारी को जुटाना होगा।

जगह का चयन : इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको वातावरण के अनुकूल स्थान का चयन करना होगा । और इसके लिए आपको एक ऐसी जगह का चयन करना है जहां का वातावरण ज्यादा ठंडा भी नहीं होना चाहिए और ना ही ज्यादा गर्मी। क्योंकि ठंडे इलाकों में मछली का आकार धीमी गति से बढ़ता है, और ज़्यदा गर्मी से आपके द्वारा निर्माण किये गए तालाब और टैंक का पानी सुख सकता है, और जिससे कि आपकी सारी मछलियां मर सकती हैं। इसीलिए आपको इस बिजनेस के लिए एक सही जगह का चयन करना अति आवश्यक होता है।

कृत्रिम रूप से तालाब या टैंकों का निर्माण : और जब आप एक सही जगह का सिलेक्शन कर लेते हैं तो उसके बाद आप को कृत्रिम रूप से तलाब या टैंक का निर्माण करने की जरूरत होता है जहां आप मछली का पालन पोषण और उनके देख रेख को कर सकते हैं।

मछलियों की प्रजातियां का चयन : इस बिजनेस के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मे से एक मछलियों की प्रजातियां का चयन होता है तो ऐसे मैं आपको मछलियों के प्रजाति का चयन करने में बहुत ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए इसका चयन करने से पहले आप अपने आसपास के मार्केट में देख ले कि कौन से मछलियों के प्रजाति का यहां बिजनेस होता है उसी हिसाब से वहां अपने मछली की प्रजातियों का चयन करें।

List of edible fish species : वहीं अगर अगर आपको खाए जाने वाले मछली के प्रजातियों के बारे में नहीं पता है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें की Sable fish, Sardines, Salmon fish, Trout fish, Tuna, Pollock, Mackerel fish, Herring fish का सेवन ज्यादा तर लोगो द्वारा किया जता है, और इन्हीं प्रजातियों के मछली आपको ज्यादा बाजार में देखने को मिलेंगे।

मछलियों के खाने : वहीं अगर आप आप अपने इस मछली पालन के बिजनेस को जल्द ग्रो करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको मछलियों के आवश्यक खाने का इंतजाम अच्छे डंग से करना चाहिए। और उनके भोजन मछलियों के लिए अनुकूल होना चाहिए।

उदाहरण के लिए कुछ मछलियाँ शाकाहारी होती हैं, कुछ सर्वाहारी, कुछ मछलियाँ सिर्फ शैवाल खाती हैं, कुछ झींगे आदि खाती हैं| लेकिन ज़्यादातर मछलियाँ सर्वाहारी ही होती हैं, यानी वो शाकाहारी और माँसाहारी दोनों तरह के भोजन ग्रहण कर लेती हैं। इसलिए आपको मछलियों के भोजन का खास ध्यान रखने की जरूरत होता है।

मछलियों का रख रखाव : उसके बाद आपको मछलियों के रखरखाव के लिए कुछ वर्कर की आवश्यकता होगी जो कि मछलियों को सही समय पर उनकी भोजन का प्रबंध कर सकें, और साथ मे पानी मे होने वाली बदलाव कि देख रेख कर सकें।

इस तरह आप ऊपर दिए गए केवल इन कुछ स्टेट को फॉलो करके आसानी से मछली पालन ( machhali palan ke business ) के बिजनेस को शुरू कर सकते हैं और अच्छा खासा प्रॉफिट कमा सकते हैं।

मछली पालन बिजनेस को ग्रो जल्दी कैसे करें।

अगर आपको भी मछली पालन बिजनेस को जल्द से जल्द ग्रो करना है तो इसके लिए आपको निचे दिये गए निम्नलिखित प्रोसेस को फ़ॉलो करना होगा। उसके बाद आप आसानी से अपने मछली पालन बिजनेस को ग्रो कर पाएंगे।

  • सबसे पहले आपको मार्केट में जाकर के पता करना है कि किन प्र जातियों के मछलीयों की मार्केट में सबसे ज्यादा डिमांड है आपको ही उन्हीं मछलियों का पालन शुरू करना है।
  • आपको अपनी मछली फार्म बिजनेस से संबंधित सभी जानकारी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा करते रहना है जिससे कि आपके बिजनेस की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। क्योंकि आपको भी पता है कि आजकल सोशल मीडिया का उपयोग लगभग में सभी लोग करते है।
  • इसके अलावा आपको मछली पालन का बिजनेस बड़ी अस्तर पर शुरू करना है जिससे कि आप मछलीयों का होलसेल भी करना है, और साथ में आपको निजी मार्केट में खुर्दरा सेल करना है। ऐसा करने से आप ज्यादा मात्रा में मछलियों को सेल कर पाएंगे।
  • वही इसके अलावा आप चाहे तो निजी मार्केट में जिन मछलियों का प्राइस ज्यादा है उनको आप उनसे कम प्राइस में शुरुआती दिनों में सेल कर सकते हैं। जिससे कि लोगों का अट्रैक्शन आपके प्रति ज्यादा होगा।

इस तरह अगर आप ऊपर दिए गए इन कुछ स्टेप्स को फॉलो करते हैं तो आप आसानी से अपने मछली व्यापार को जल्द से जल्द को ग्रो कर पाएंगे।

आशा करता हूं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको मछली पालन के बिजनेस शुरू करने में बहुत मदद मिलेगा बाकि किसी अन्य बिजनेस संबंधित सहायता के लिए या कोई जानकारी के लिए नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करना ना भूले। धन्यवाद 🙏🙏

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