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प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay in Hindi)

प्रकृति संरक्षण

प्रकृति का संरक्षण प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से सबंधित है। इनमें मुख्यतः पानी, धूप, वातावरण, खनिज, भूमि, वनस्पति और जानवर शामिल हैं। इन संसाधनों में कुछ संसाधन का अधिक उपयोग हो रहा है जिस कारण वे तेज़ गति से कम हो रहे हैं। हमें प्रकृति के संरक्षण के महत्व को समझना चाहिए तथा पारिस्थितिक संतुलन सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। प्रकृति का संरक्षण किसी भी मानवीय हस्तक्षेप के बिना स्वाभाविक रूप से बनने वाले संसाधनों का संरक्षण दर्शाता है।

प्रकृति संरक्षण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Conservation of Nature in Hindi, Prakriti Sanrakshan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द) – prakriti sanrakshan par nibandh.

प्रकृति हमें  पानी, भूमि, सूर्य का प्रकाश और पेड़-पौधे प्रदान करके हमारी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करती है। इन संसाधनों का उपयोग विभिन्न चीजों के निर्माण के लिए किया जा सकता है जो निश्चित ही मनुष्य के जीवन को अधिक सुविधाजनक और आरामदायक बनाते हैं।

दुर्भाग्य से, मनुष्य इन संसाधनों का उपयोग करने के बजाए नई चीजों का आविष्कार करने में इतना तल्लीन हो गया है कि उसने उन्हें संरक्षित करने के महत्व को लगभग भुला दिया है। फ़लस्वरूप, इन संसाधनों में से कई तेज़ गति से कम हो रहे हैं और यदि इसी तरह से ऐसा जारी रहा तो मानवों के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाले अन्य जीवों का अस्तित्व मुश्किल में पड़ जाएगा।

प्रकृति के संरक्षण से अभिप्राय जंगलों, भूमि, जल निकायों की सुरक्षा से है तथा प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण खनिजों, ईंधन, प्राकृतिक गैसों जैसे संसाधनों की सुरक्षा से है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ये सब प्रचुर मात्रा में मनुष्य के उपयोग के लिए उपलब्ध रहें। ऐसे कई तरीके हैं जिससे आम आदमी प्रकृति के संरक्षण में मदद कर सकता है। यहां कुछ ऐसे ही तरीकों का विस्तृत वर्णन किया गया है जिससे मानव जीवन को बड़ा लाभ हो सकता है:-

पानी का सीमित उपयोग

पानी को बुद्धिमानी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अगर पानी का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हमें थोड़े से पानी के लिए भी तरसना पड़ेगा। पानी का सही इस्तेमाल काफी तरीकों से किया जा सकता है जैसे अपने दांतों को ब्रश करते हुए बहता हुआ पानी बंद करके, फव्वारें के जगह बाल्टी के पानी से नहाकर, आरओ का अपशिष्ट पानी का उपयोग पौधों में देकर या घर को साफ करने के लिए इस्तेमाल करके ताकि पानी ज्यादा मात्रा में ख़राब न हो।

बिजली का सीमित उपयोग

प्रकृति के संरक्षण के लिए बिजली के उपयोग को भी सीमित करना आवश्यक है। बिजली की बचत हम कई तरह से कर सकते है जैसे विद्युत उपकरण बंद करके  खासकर जब वे उपयोग में ना हो या फिर ऐसे बल्ब अथवा ट्यूबलाइट का इस्तेमाल करके जिससे कम कम से बिजली की खपत हो उदाहरण के लिए एलईडी लाइट।

ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे और सब्जियां उगाकर

जितना संभव हो सके उतने पेड़ लगाए तभी हर दिन जो पेड़ कट रहे हैं उनकी भरपाई हो सकेगी। पेशेवर खेती में उपयोग किए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए कोशिश करें कि घर पर ही सब्जियां उगायें। इसके अलावा लोग पेपर के उपयोग को सीमित करके, वर्षा जल संचयन प्रणाली को नियोजित करके, कारों के उपयोग को सीमित कर और प्रकृति के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैला कर अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Conservation of Nature in Hindi

निबंध 2 (400 शब्द) – प्रकृति संरक्षण पर निबंध

प्रकृति ने हमें कई उपहार जैसे हवा, पानी, भूमि, धूप, खनिज, पौधों और जानवर दिए है। प्रकृति के ये सभी तोहफ़े हमारे ग्रह को रहने लायक जगह बनाते हैं। इन में से किसी के भी बिना पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन का अस्तित्व संभव नहीं होगा। अब, जबकि ये प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर प्रचुरता में मौजूद हैं, दुर्भाग्य से मानव आबादी में वृद्धि के कारण सदियों से इनमें से अधिकांश की आवश्यकता बढ़ गई है।

इनमे से कई प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अधिक गति से किया जा रहा है जबकि उनका उत्पादन  क्षमता कम है। इस प्रकार प्रकृति के संरक्षण तथा प्रकृति द्वारा उपलब्ध कराये प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की आवश्यकता है। यहां कुछ तरीकों पर एक विस्तृत नजर डाली गई है, जिनसे ये संसाधन संरक्षित किए जा सकते हैं:-

पानी की खपत कम करके

पृथ्वी पर पानी प्रचुरता में उपलब्ध है इसलिए लोग इसका उपयोग करने से पहले इसकी कम होती मात्रा की तरफ ज्यादा ध्यान देना जरुरी नहीं समझते। अगर हम पानी का इसी तेज़ गति से उपयोग करते रहें तो निश्चित ही रूप से हमे भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। पानी को बचने के लिए हम कुछ सरल चीजों को प्रयोग में ला सकते है जैसे ब्रश करने के दौरान नल को बंद करना, वॉशिंग मशीन में पानी का उपयोग कपड़ो की मात्रा के अनुसार करना तथा बचा हुआ पानी पौधों में देकर।

बिजली का उपयोग कम करके

बिजली की बचत करके ही बिजली बनाई जा सकती है। इसीलिए बिजली के सीमित उपयोग को करने का सुझाव दिया जाता है। सिर्फ इतना ध्यान रखकर जैसे कि अपने कमरे से बाहर निकलने से पहले रोशनी को बंद करना, उपयोग के बाद बिजली के उपकरणों को बंद करना और फ्लोरोसेंट या एलईडी बल्बों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल में लाना आदि बिजली बचाने में एक महतवपूर्ण कदम हो सकता है।

कागज़ का सीमित उपयोग करके

कागज़ पेड़ से बनता है। अधिक कागज़ का प्रयोग करने से मतलब है कि वनों की कटाई को प्रोत्साहित करना जो आज के समय में चिंता का विषय है। हमे यह सुनिश्चित करने कि जरुरत है कि जितना आवश्यकता है उतना ही कागज़ का उपयोग करें। प्रिंट आउट लेना और ई-कॉपी का उपयोग करना बंद करना होगा।

नई कृषि पद्धतियों का उपयोग करें

सरकार को चाहिए की वह किसानों को मिश्रित फसल, फसल रोटेशन तथा कीटनाशकों, खाद, जैव उर्वरक और जैविक खाद के उचित उपयोग करने सिखाए।

जागरूकता फैलाए

प्रकृति के संरक्षण के बारे में जागरूकता फ़ैलाना तथा इसके लिए इस्तेमाल होने वाली विधि का सही तरीका अपनाना अति महत्वपूर्ण है। यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब अधिक से अधिक लोग इसके महत्व को समझें और जिस भी तरीके से वे मदद कर सकते हैं करे।

इसके अलावा अधिक से अधिक पौधे लगाना भी बेहद जरुरी है। लोग यात्रा के लिए साझा परिवहन का उपयोग करके और प्रकृति के संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली को नियोजित करके वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में अपना योगदान दे सकते है।

निबंध 3 (500 शब्द) – प्रकृति संरक्षण पर निबंध

प्रकृति का संरक्षण उन सभी संसाधनों के संरक्षण को संदर्भित करता है जो स्वाभाविक रूप से मनुष्यों की सहायता के बिना बने हैं। इनमें पानी, हवा, धूप, भूमि, वन, खनिज, पौधें और जानवर शामिल हैं।  ये सभी प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर जीवन को जीने लायक बनाते हैं। पृथ्वी पर मौजूद हवा, पानी, धूप और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं है। इसलिए पृथ्वी पर जीवन तथा पर्यावरण को बरकरार रखने के लिए इन संसाधनों को संरक्षित करना अति आवश्यक है। यहां धरती पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों और इनका संरक्षण करने के तरीकों पर एक नजर डाली गई है:-

प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार

  • अक्षय संसाधन:- यह ऐसे संसाधन हैं जो स्वाभाविक रूप से फिर से उत्पन्न हो सकते हैं जैसे वायु, पानी और सूरज की रोशनी।
  • गैर-अक्षय संसाधन:- यह ऐसे संसाधन हैं जो या तो फिर से उत्पन्न नहीं होते या बहुत धीमी गति से बनते हैं जैसे जीवाश्म ईंधन और खनिज आदि।
  • जैविक: ये जीवित प्राणियों तथा पौधों और जानवरों की तरह कार्बनिक सामग्री से आते हैं ।
  • अजैविक: ये गैर-जीवित चीजों और गैर-कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त होते हैं। इसमें हवा, पानी और भूमि शामिल हैं, साथ ही लोहे, तांबे और चांदी जैसी धातुएं को भी इसमें गिना जा सकता है।

प्राकृतिक संसाधनों को भी वास्तविक संसाधन, आरक्षित संसाधन, स्टॉक संसाधन और उनके विकास के स्तर के आधार पर संभावित संसाधन जैसे श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

प्रकृति संरक्षण के तरीके

प्रकृति का संरक्षण एक गंभीर विषय है जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।

प्रकृति के अधिकांश संसाधन तेज़ गति से घट रहे हैं। इसका कारण है इन संसाधनों की मांग अधिक होना जबकि उनके निर्माण की दर कम है। हालांकि, हमे यह समझने की जरूरत है कि प्रकृति ने हमें उन सभी संसाधनों को प्रचुर मात्रा में दिया है जिनकी हमें आवश्यकता है। हमें केवल उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बुद्धिमानी से करने की आवश्यकता है। इन संसाधनों को संरक्षित करने के लिए हमे  नीचे दिए गए तरीकों का पालन करना चाहिए:

सीमित उपयोग

जल और बिजली दो ऐसी चीजें हैं जो आज के समय में सबसे ज्यादा बर्बाद हो रही हैं। हमारे लिए इन दोनों को बचाने के महत्व को समझना आवश्यक है। कोशिश करें जितनी जरुरत हो उतने ही पानी को उपयोग में लायें। ऐसा ही नियम बिजली पर लागू करना होगा। बिजली के उपकरणों का उपयोग बुद्धिमानी से करें तथा जब वे प्रयोग में ना हो तब उन्हें बंद कर दें। इसी तरह कागज, पेट्रोलियम और गैस जैसे अन्य संसाधनों का उपयोग भी एक सीमित दर में होना चाहिए।

प्रकृति को फिर से हरा भरा बनाएं

लकड़ी के बने पेपर, फर्नीचर और अन्य वस्तुओं के निर्माण के लिए काटे गए पेड़ों की जगह अधिक से अधिक वनरोपण करें। इसके अलावा अपने क्षेत्र के आसपास सफाई सुनिश्चित करें तथा जल निकायों और अन्य जगहों में अपशिष्ट उत्पादों को न फेकें।

जागरूकता फैलाएं

अंत में, जितना हो सके प्रकृति के संरक्षण के महत्व के बारे में उतनी जागरूकता फैलाए।

प्राकृतिक संसाधनों की खपत अपने उत्पादन से अधिक है। यह हम में से हर एक का कर्तव्य है कि प्रकृति के इन उपहारों की बर्बादी को बंद करे और उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करना शुरू करें ताकि पृथ्वी पर पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखा जा सके। उपरोक्त दी विधियों का पालन करके हम प्रकृति के संरक्षण में अपना योगदान दे सकते है।

निबंध 4 (600 शब्द) – Prakriti Sanrakshan par Nibandh

प्रकृति का संरक्षण मूल रूप से उन सभी संसाधनों का संरक्षण है जो प्रकृति ने मानव जाति को भेंट की है। इसमें खनिज, जल निकायों, भूमि, धूप और वातावरण आदि शामिल हैं तथा इसमें वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण भी शामिल हैं। प्रकृति द्वारा दिए ये सभी उपहार संतुलित वातावरण बनाने में मदद करते है तथा ये सब मनुष्य के अस्तित्व और पृथ्वी पर अन्य जीवों के अस्तित्व के लिए उपयुक्त है। इसलिए प्रकृति का संरक्षण अति महत्वपूर्ण है।

प्राकृतिक संसाधनों को उनकी विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। यहां इस वर्गीकरण पर एक नजर डाली गई है, जिसमें से प्रत्येक को संरक्षित करने के सुनियोजित तरीके हैं:

प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण

प्राकृतिक संसाधनों को मुख्यतः नवीनीकृत करने, विकास का स्रोत और विकास के स्तर पर अपनी क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। इन्हें आगे उप श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इनकी विस्तृत जानकारी इस प्रकार से है:

कुछ संसाधन नवीकरणीय हैं जबकि अन्य गैर-नवीकरणीय हैं यहां इन दोनों श्रेणियों पर विस्तृत रूप से डाली गई है:

  • नवीकरणीय संसाधन : ये संसाधन वह है जो स्वाभाविक रूप से पुनः उत्पन्न होते हैं। इनमें हवा, पानी, भूमि और सूर्य का प्रकाश शामिल हैं।
  • गैर-नवीकरणीय संसाधन : ये संसाधन या तो बहुत धीमी गति उत्पन्न होते हैं या स्वाभाविक रूप से नहीं बनते। खनिज और जीवाश्म ईंधन इस श्रेणी के कुछ उदाहरण हैं।

उनके मूल के आधार पर, प्राकृतिक संसाधनों को दो प्रकारों में बांटा गया है:

  • अजैविक: ये वह संसाधन हैं जो गैर-जीवित चीजों और गैर-कार्बनिक पदार्थों से बनते हैं। इस प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों के कुछ उदाहरणों में पानी, वायु, भूमि और धातु जैसे लोहा, तांबे, सोना और चांदी शामिल हैं।
  • जैविक: ये वह संसाधन है जो जीवित प्राणियों, पौधों और जानवरों जैसे कार्बनिक पदार्थों से उत्पन्न होते हैं। इस श्रेणी में जीवाश्म ईंधन भी शामिल है क्योंकि वे क्षययुक्त कार्बनिक पदार्थ से प्राप्त होते हैं।

विकास के स्तर के आधार पर, प्राकृतिक संसाधनों को निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया गया है:

  • वास्तविक संसाधन: इन संसाधनों का विकास प्रौद्योगिकी की उपलब्धता और लागत पर निर्भर है। ये संसाधन वर्तमान समय में उपयोग लिए जाते हैं।
  • रिज़र्व संसाधन: वास्तविक संसाधन का वह भाग जिसे भविष्य में सफलतापूर्वक विकसित और उपयोग में लाया जाए उसे रिज़र्व संसाधन कहा जाता है।
  • संभावित संसाधन: ये ऐसे संसाधन हैं जो कुछ क्षेत्रों में मौजूद होते हैं लेकिन वास्तव में इस्तेमाल में लाने से पहले उनमें कुछ सुधार करने की आवश्यकता होती है।
  • स्टॉक संसाधन: ये वह संसाधन हैं जिन पर इस्तेमाल में लाने के लिए सर्वेक्षण तो किए गए हैं लेकिन प्रौद्योगिकी की कमी के कारण अभी तक उपयोग में नहीं लाए जा सके हैं।

प्रकृति के संरक्षण के विभिन्न तरीके

चाहे नवीकरणीय हो या गैर नवीकरणीय, जैविक हो या गैर-जैविक, प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण होना चाहिए। यहां कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं जो सरकार और व्यक्तियों को प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रयोग में लाने चाहियें:

  • प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग करना बंद कर देना चाहिए। उपलब्ध संसाधनों को अपव्यय के बिना समझदारी से उपयोग करने की जरुरत है।
  • वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जंगली जानवरों का शिकार करना बंद कर दिया जाना चाहिए।
  • किसानों को मिश्रित फसल की विधि, उर्वरक, कीटनाशक, कीटनाशक, और फसल रोटेशन के उपयोग को सिखाया जाना चाहिए। खाद, जैविक उर्वरक और बायोफलाइलाइजर्स के इस्तेमाल को प्रोत्साहितकरने की जरुरत है।
  • वनों की कटाई को नियंत्रित करना चाहिए।
  • वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
  • सौर, जल और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • कृषि प्रक्रियाओं में इस्तेमाल होने वाले पानी को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणाली का पालन करना चाहिए।
  • कार-पूलिंग जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने का एक अच्छा तरीका है।
  • कागज के उपयोग को सीमित करें और रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करें।
  • पुराने लाइट बल्ब की जगह फ्लोरोसेंट बल्ब को इस्तेमाल करके ऊर्जा की बचत करें जिससे बिजली बचाई जा सके। इसके अलावा जब आवश्यकता नहीं हो रोशनी के उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बंद करें।

संतुलित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए प्रकृति का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है हालांकि दुख की बात यह है कि बहुत से प्राकृतिक संसाधन तेज़ी से घट रहे हैं। उपर्युक्त विधियों का पालन करके प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपना योगदान करना चाहिए।

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पर्यावरण बचाओ पर निबंध 10 lines (Save Environment Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

essay on save nature in hindi

  Save Environment Essay in Hindi – पर्यावरण हमारे आवास के आसपास का क्षेत्र है। यह हमारे अस्तित्व और अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह “पर्यावरण” में है जहां एक जीवित चीज के जन्म, वृद्धि, विकास और स्वयं जीवन की संभावना होती है। उस वातावरण में मौजूद संकेत धीरे-धीरे उनकी उत्तरजीविता और आवास को आकार देते हैं।

छोटी उम्र से ही, हमें सिखाया जा रहा है कि हम अपने पर्यावरण को कैसे बचाएं और इस ग्रह पृथ्वी को सुंदर बनाने में मदद करें। पर्यावरण एक जीवित प्राणी की मनोवैज्ञानिक स्थिति और भौतिक प्रावधान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समय के साथ, यह जीवित चीजों को आकार देता है। पर्यावरणीय मुद्दों के भार के साथ ग्रह पृथ्वी का भविष्य में अधिक प्रभाव पड़ेगा।

इसलिए, पर्यावरण को बचाना बेहद जरूरी है, क्योंकि; अनुकूल वातावरण का अस्तित्व ही इसकी सीमाओं के भीतर जीवन के जीवित रहने और विकास की संभावनाओं को निर्धारित करता है।

पर्यावरण बचाओ पर 10 लाइनें (10 Lines on Save Environment in Hindi)

  • 1) पर्यावरण का तात्पर्य उस परिवेश या आवास से है जिसमें व्यक्ति, जानवर या पौधे रहते हैं।
  • 2) एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ और हरा-भरा वातावरण महत्वपूर्ण है।
  • 3) पर्यावरण ग्रह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक बड़ी भूमिका निभाता है।
  • 4) मनुष्य के स्वार्थी उद्देश्यों से पर्यावरण अत्यधिक प्रभावित हो रहा है।
  • 4) प्राकृतिक संसाधनों के निरंतर दोहन से पर्यावरण में एक बड़ा असंतुलन पैदा हो गया है।
  • 5) बढ़ती मानव आबादी ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की दर में वृद्धि की है।
  • 7) हमें प्राकृतिक संसाधनों की खपत को सीमित करना होगा और यदि हम पृथ्वी को बचाना चाहते हैं तो हमें अक्षय संसाधनों पर निर्भर रहने का प्रयास करना चाहिए।
  • 8) पेड़ और पानी जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से प्रदूषण मुक्त वातावरण बनता है।
  • 9) हमें प्लास्टिक या पॉली बैग का उपयोग बंद कर देना चाहिए और पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक पर्यावरण अनुकूल उत्पाद पर निर्भर होना चाहिए।
  • 10) सरकार, नागरिक समुदायों को पर्यावरण को बचाने के लिए प्रदूषण और औद्योगीकरण के बाद के प्रभावों को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।

पर्यावरण बचाओ पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Save Environment in Hindi)

हमारे पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण किया जाना चाहिए। प्राकृतिक ऊर्जा संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें बनाए रखता है। हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए कई रणनीतियाँ हैं, जिनमें से पहली है प्रदूषण के स्तर को कम करना। क्योंकि वाहनों का धुआं बहुत अधिक प्रदूषण पैदा करता है, कारों के लिए ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस का उपयोग करने से धुएं के उत्सर्जन में कमी आएगी। बैटरी द्वारा संचालित ऑटोमोबाइल भी पर्यावरण के अनुकूल हैं। सौर ऊर्जा का उपयोग हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए किया जाता है। सौर ऊर्जा गैर-प्रदूषणकारी और नवीकरणीय है।

हमें पानी में कूड़ा-करकट डालने और उपोत्पाद बनाने से बचना चाहिए। नमामि गंगे, उदाहरण के लिए, जलमार्गों को साफ करने का प्रयास करता है और स्वच्छ पर्यावरण की ओर एक कदम है। हम सभी को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना हिस्सा करना चाहिए।

पर्यावरण बचाओ पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Save Environment in Hindi)

पर्यावरण एक भौगोलिक क्षेत्र या प्राकृतिक दुनिया है जो मानव गतिविधि से प्रभावित है और इसमें खनिज मिट्टी, हवा और पानी, जानवर आदि शामिल हैं। कंक्रीट संरचनाओं और सड़कों ने प्राकृतिक परिदृश्य को बदल दिया क्योंकि होमो सेपियन्स शहरीकरण और औद्योगीकरण की ओर बढ़े, जिससे चिकित्सा, औद्योगिक और सामाजिक विकास हुआ।

हालांकि, भोजन, पीने के लिए पानी और कृषि, ईंधन के लिए लकड़ी आदि के लिए इन प्राकृतिक वातावरणों पर मानव निर्भरता जारी है। प्रकृति पर हमारी निर्भरता इतनी महत्वपूर्ण है कि हम इसके संसाधनों को संरक्षित किए बिना विकसित नहीं हो सकते। पर्यावरण का जीव के अस्तित्व और विकास पर प्रभाव पड़ता है।

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प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार

इन प्राकृतिक संसाधनों को मोटे तौर पर नवीकरणीय या गैर-नवीकरणीय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नवीकरणीय संसाधन वे हैं जिनकी प्राकृतिक रूप से पूर्ति की जा सकती है। जल, जंगल और फसलें इसके उदाहरण हैं। दूसरी ओर गैर-नवीकरणीय संसाधन, जैसे कि तेल और खनिज, का नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है और वर्तमान परिवेश में तेजी से समाप्त हो रहे हैं।

जनसंख्या विस्तार और समाज के धनी क्षेत्रों की ओर से ‘उपभोक्तावाद’ सभी प्राकृतिक संसाधनों की इस तेजी से कमी के प्राथमिक कारण हैं। इसके परिणामस्वरूप जीव-जंतुओं और पेड़ों का विलुप्त होना और पर्यावरण का विघटन हुआ है। नतीजतन, इन प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद करने से रोकने और उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करने का समय आ गया है।

पर्यावरण बचाओ पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Save Environment in Hindi)

एक जीवित प्राणी के सभी परिवेशों का योग, जिसमें हवा, पानी, धूप आदि शामिल हैं और जीवित जीव जैसे जानवर, पौधे, मनुष्य आदि, जो वृद्धि और विकास के लिए स्थायी स्थिति प्रदान करते हैं, पर्यावरण का गठन करते हैं।

हमारे पर्यावरण को बचाने का महत्व

आज औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में, इस वातावरण में अच्छी पक्की सड़कें, बहुमंजिला कंक्रीट की इमारतें और गगनचुंबी इमारतें शामिल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य बढ़ती आबादी को समायोजित करना और समाज के समृद्ध वर्गों को विभिन्न विलासिता प्रदान करना है।

हालांकि, इस आंदोलन के बावजूद प्रकृति से प्राप्त संसाधनों पर मानव की विश्वसनीयता कायम है। हम सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और अन्य दैनिक कामों के लिए उपयोग करते हैं।

समय की मांग है कि संसाधनों के दुरुपयोग को रोका जाए और इसके बजाय उनका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए, क्योंकि धरती माता संसाधनों के इस तीव्र उपयोग को बनाए नहीं रख सकती है। यह ‘सतत विकास’ से ही संभव है।

पर्यावरण बचाओ पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Save Environment in Hindi)

प्राकृतिक पर्यावरण के उपहार मनुष्य और अन्य जीवित प्रजातियों के लिए आनंद का स्रोत हैं। ये प्राकृतिक संसाधन, जैसे हवा, सूरज की रोशनी, ताजा पानी, जीवाश्म ईंधन आदि इतने आवश्यक हैं कि इनके बिना जीवन का अस्तित्व नहीं हो सकता। हालाँकि, विशाल जनसंख्या की भौतिक वस्तुओं की इच्छा के कारण, इन संसाधनों को बर्बाद किया जा रहा है और अत्यधिक दुरुपयोग किया जा रहा है। यह ‘आर्थिक प्रगति’ मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक हानिकारक सिद्ध हो रही है।

पर्यावरण को बचाने की आवश्यकता क्यों है

निम्नलिखित बिंदु प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग और बर्बादी और पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जीवन पर असर के कारण होने वाले प्रदूषण का वर्णन करते हैं। इस प्रकार, पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए:

वायु प्रदूषण | परिवहन के लिए गैसोलीन और डीजल के बढ़ते उपयोग और ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए उद्योगों में जीवाश्म ईंधन के दहन से वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह सल्फर ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों को बढ़ाता है। ये खतरनाक गैसें मानव स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के कैंसर और अन्य श्वसन संबंधी विकार पैदा करती हैं। इसके अलावा, ओजोन परत को कम करने और मनुष्यों को पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में लाने से, वायु प्रदूषण ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को तेज करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।

जल प्रदूषण | जल प्रदूषण कारखानों से पानी में घुलनशील अकार्बनिक यौगिकों के निलंबन, अनुपचारित मानव और पशु अपशिष्टों को मीठे पानी में छोड़ने और नदी सिंचाई के दौरान उर्वरकों और कीटनाशकों को निकालने के कारण होता है। इससे पानी पीने के लिए असुरक्षित हो जाता है, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार और कैंसर हो सकता है।

मृदा प्रदूषण | मिट्टी में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से हानिकारक और अच्छे कीट मर जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप फसलें कम पौष्टिक होती हैं। इसके अलावा, मिट्टी के संदूषण के कारण होने वाली रासायनिक-संक्रमित फसलों के लिए लंबे समय तक जोखिम स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। अत्यधिक वनों की कटाई और निर्माण से प्रेरित मिट्टी का कटाव बाढ़ की आवृत्ति को बढ़ाता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन को विनाशकारी क्षति होती है।

ध्वनि प्रदूषण | कारखानों और कारों से अत्यधिक शोर कान को शारीरिक नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अस्थायी या स्थायी सुनवाई हानि हो सकती है। ध्वनि प्रदूषण होमो सेपियन्स के मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है, तनाव, चिंता और जलन पैदा करता है, और इस तरह काम के प्रदर्शन को ख़राब करता है।

पर्यावरण संरक्षण के तरीके

इतिहास के माध्यम से पीछे मुड़कर देखने पर, हम देख सकते हैं कि हमारे पूर्वज आज की तुलना में पर्यावरण संरक्षण के प्रति अधिक चिंतित थे। इसे चिपको आंदोलन में सुंदरलाल बहुगुणा के योगदान में देखा जा सकता है, जिसने वन संसाधनों की रक्षा की। इसी तरह, मेधा पाटकर ने आदिवासियों के आवासों को प्रभावी ढंग से बचाया, जिन्हें नर्मदा नदी पर बांधों के निर्माण से भारी नुकसान पहुंचा था। इसी तरह, आज के युवा के रूप में, हम अपने प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण के लिए छोटे-छोटे उपाय कर सकते हैं:

छात्र जो पहल कर सकते हैं

  • गैर-नवीकरणीय संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से बचने के लिए, हमें कम करने, अर्थात कम करने, रीसायकल करने और पुन: उपयोग करने के सिद्धांत को बढ़ावा देना चाहिए और लागू करना चाहिए। धातु स्क्रैप, उदाहरण के लिए, नए धातु आइटम बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • ऊर्जा की बचत करने वाले ट्यूबलाइट और बल्ब का प्रयोग कर बिजली बचाएं।
  • जब भी संभव हो कागज और लकड़ी के उत्पादों के बजाय ई-पुस्तकों और ई-पेपर का उपयोग करें।
  • चलने, कारपूलिंग या सार्वजनिक परिवहन द्वारा जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों के स्थान पर जूट/कपड़े के थैलों का प्रयोग करें।
  • रिचार्जेबल बैटरी या सौर पैनलों का उपयोग करें।
  • उर्वरकों की आवश्यकता को सीमित करने के लिए खाद बनाने के लिए कम्पोस्ट बिन की स्थापना करना।

सरकार ने प्रकृति और जानवरों की सुरक्षा के लिए कई परियोजनाएं तैयार की हैं और कानून बनाए हैं। सभी को आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण का संरक्षण करना जारी रखना चाहिए क्योंकि हम इसका लाभ उठा रहे हैं।

पर्यावरण बचाओ पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न निबंध (FAQs)

प्रश्न 1. स्वच्छ पर्यावरण क्या है.

उत्तर: एक स्वच्छ पर्यावरण की पहचान ताजी और स्वच्छ हवा, पानी और जमीन से होती है। यह कम प्रदूषण और बीमारियों को संदर्भित करता है।

प्रश्न 2. हम वायु प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं?

उत्तर: ऑटोमोबाइल में ईंधन के रूप में बैटरी चालित कारों और प्राकृतिक गैस का उपयोग वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का सही तरीका है। हमें कचरे के दहन को रोकना चाहिए, जो वातावरण में बहुत अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ता है।

प्रश्न 3. जूट का क्या उपयोग है ?

उत्तर: जूट के थैले और वाहक आसान होते हैं क्योंकि वे प्लास्टिक की तरह प्रदूषण नहीं करते हैं और पर्यावरण के अनुकूल हैं।

प्रश्न 4. सौर ऊर्जा क्या है ?

उत्तर: सौर ऊर्जा सूर्य द्वारा दी गई ऊर्जा है। हम सौर पैनलों का उपयोग करके सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं और इसका उपयोग खाना पकाने, पानी गर्म करने आदि के लिए कर सकते हैं।

दा इंडियन वायर

पर्यावरण बचाओ पर निबंध

essay on save nature in hindi

By विकास सिंह

essay on save environment in hindi

लेकिन यहां तक कि महानगरीय शहरों से संबंधित लोगों को उनके भोजन, मछली, ईंधन की लकड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों से आपूर्ति किए गए चारे मिलते हैं, जो अंततः प्राकृतिक परिदृश्य से निकाले जाते हैं। इसलिए, प्राकृतिक संसाधनों पर हमारी निर्भरता ने हमें अपने प्राकृतिक पर्यावरण के विनाश और कमी को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने के लिए आवश्यक बना दिया है।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, short essay on save environment in hindi (200 शब्द)

एक भौगोलिक क्षेत्र या प्राकृतिक दुनिया जिसमें खनिज मिट्टी, हवा और पानी, जानवर आदि शामिल हैं, जो मानव गतिविधि से प्रभावित होता है, पर्यावरण के रूप में कहा जाता है। शहरीकरण और औद्योगीकरण की ओर होमो सेपियन्स के आंदोलन के साथ, जिसने चिकित्सा, औद्योगिक और सामाजिक क्षेत्र में विकास किया, प्राकृतिक परिदृश्य को कंक्रीट की इमारतों और सड़कों से बदल दिया गया।

हालाँकि, भोजन, पीने के लिए पानी और कृषि, ईंधन की लकड़ी, आदि के लिए इन प्राकृतिक परिदृश्यों पर हमारी निर्भरता अभी भी कायम है। प्रकृति पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक है कि हम इसके संसाधनों की रक्षा किए बिना नहीं रह सकते हैं।

इन प्राकृतिक संसाधनों को मोटे तौर पर नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय में वर्गीकृत किया जा सकता है। अक्षय संसाधन वे हैं जो प्राकृतिक रूप से पुनर्जीवित हो सकते हैं। इनमें जल, जंगल, फसल आदि शामिल हैं। इसके विपरीत, गैर-नवीकरणीय संसाधनों जैसे कि तेल और खनिजों की भरपाई नहीं की जा सकती है और वर्तमान परिदृश्य में बहुत तेज गति से खपत की जा रही है।

प्राकृतिक संसाधनों के सभी प्रकार के इस तेजी से ह्रास के लिए मुख्य कारक जनसंख्या वृद्धि और समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों की ओर से ‘उपभोक्तावाद’ है। इससे न केवल वन्यजीवों और पेड़ों का नुकसान हुआ है, बल्कि उन्होंने इको-सिस्टम को भी बाधित किया है। इस प्रकार, यह उच्च समय है कि हमें इन प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग करना बंद करना चाहिए और इसके बजाय उनका विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, essay on save environment in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

वायु, जल, सूर्य के प्रकाश इत्यादि सहित जीवों के सभी परिवेशों का कुल योग और जीव-जंतु जैसे जीव-जंतु, पौधे, मनुष्य आदि, जो विकास और विकास के लिए स्थायी स्थिति प्रदान करते हैं, पर्यावरण का निर्माण करते हैं।

हमारे पर्यावरण को बचाने का महत्व:

आज औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में, इस वातावरण में अच्छी तरह से पक्की सड़कें, बहु-मंजिला कंक्रीट की इमारतें और गगनचुंबी इमारतें शामिल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य बढ़ती आबादी को समायोजित करना और समाज के संपन्न वर्गों को विभिन्न विलासिता प्रदान करना है।

हालाँकि, इस आंदोलन के बावजूद प्रकृति से प्राप्त संसाधनों पर मनुष्यों की विश्वसनीयता अभी भी कायम है। हम सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और अन्य दैनिक कामों के लिए उपयोग करते हैं। यहां तक ​​कि हमारे द्वारा खाया जाने वाला भोजन भी सब्जियों, दूध, अंडे आदि से पौधों और जानवरों से प्राप्त किया जाता है। इन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, इन संसाधनों का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, जिन्हें इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है:

नवीकरणीय संसाधन: जैसा कि शब्द से पता चलता है, अक्षय संसाधनों को प्राकृतिक रूप से वर्षा और पुन: विकास के माध्यम से नवीनीकृत किया जा सकता है। हालांकि, ये कम हो जाएंगे अगर इस तेज गति से उनकी खपत जारी रहती है, इससे पहले ही प्रकृति उन्हें बदल सकती है। उदाहरण के लिए, रबर, लकड़ी, ताजा पानी।

गैर-नवीकरणीय संसाधन: ये संसाधन मिट्टी के नीचे लाखों वर्षों की अवधि में बने हैं और इसलिए इन्हें दोबारा नहीं बनाया जा सकता है। एक बार उपयोग करने के बाद, जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला और तेल जैसे गैर-नवीकरणीय संसाधनों को नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

समय की जरूरत है कि संसाधनों के दुरुपयोग को रोका जाए और इसके बजाय उनका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए क्योंकि संसाधनों के इस तेजी से उपयोग के साथ धरती मां कायम नहीं रह सकती है। यह केवल ‘सतत विकास’ के माध्यम से संभव है। ‘ इसके अलावा, विनिर्माण इकाइयों द्वारा कचरे के रूप में त्यागने वाले ठोस और तरल उत्पादों को समान रूप से प्रबंधित किया जाना चाहिए ताकि प्रदूषण को रोका जा सके जिससे कैंसर और गैस्ट्रो-आंत्र रोग जैसे विभिन्न रोग हो सकते हैं। यह केवल तभी संभव है जब व्यक्तिगत आधार पर कदम उठाए जाएं, न कि पूरी तरह से सरकार पर निर्भर हो।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, essay on save environment in hindi (400 शब्द)

समय की शुरुआत से, पर्यावरण ने हमें वनस्पतियों और जीवों के साथ संबंध स्थापित करने में मदद की है, और अंततः हमारे गठन और अस्तित्व को निर्धारित किया है। इसने हमें विभिन्न उपहार दिए हैं, उदा। पानी, सूरज की रोशनी, हवा, जीव और जीवाश्म ईंधन जिन्होंने हमारे ग्रह को रहने लायक बना दिया है।

पर्यावरण की रक्षा और बचत कैसे करें:

चूँकि ये संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, इसलिए इनका अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है और जनसंख्या में विस्फोट के कारण बहुत अधिक गति से उपभोग किया जा रहा है और समाज के विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों की शानदार माँगों को पूरा करने के लिए। इस प्रकार, सभी तरीकों से इन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना महत्वपूर्ण हो गया है। यहाँ कुछ तरीके हैं जिनसे प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग को संरक्षित किया जा सकता है:

खनिज और ऊर्जा संसाधन: कोयला, तेल और विभिन्न जीवाश्म ईंधन सहित विभिन्न खनिजों से निकाली गई ऊर्जा का बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन संयंत्रों में और वाहनों में भी उपयोग किया जाता है, जो वायु प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से योगदान करते हैं। उनके निष्कर्षण और खपत के कारण होने वाली वायु जनित बीमारियों को रोकने के लिए, सूर्य के प्रकाश, पवन और ज्वारीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

वन संसाधन: मिट्टी के क्षरण को रोकने में वन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सूखे के प्रभावों को भी कम करते हैं क्योंकि वे बारिश के पानी को जमीन से बहने से रोकते हैं। इसके अलावा, वे न केवल जलवायु परिस्थितियों को नियंत्रण में रखते हैं, बल्कि जीवित जीव के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर भी बनाए रखते हैं। इस प्रकार, वनों को संरक्षित करना और उनका विस्तार करना महत्वपूर्ण है, जो गैर-लकड़ी उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने, राज्यों की घूर्णी चराई योजनाओं को बढ़ावा देने और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अधिक पेड़ लगाने के लिए किया जा सकता है।

जल संसाधन: जलीय पारिस्थितिक तंत्र लोगों द्वारा उनके दैनिक कामों के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि पीने, खाना पकाने, धोने आदि और जल चक्र वाष्पीकरण और वर्षा के माध्यम से इसे बनाए रखता है। हालाँकि, ताजे पानी का अत्यधिक उपयोग मनुष्य द्वारा किया जा रहा है और वनों की कटाई (बाढ़) के कारण बर्बाद हो रहा है।

यह बड़े पैमाने पर प्रदूषित हो रहा है। निकट भविष्य में जल संकट को रोकने के लिए, कई उपायों की आवश्यकता है, जिसमें मेगा परियोजनाओं के बजाय छोटे जलाशयों का निर्माण, ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देना, रिसाव को रोकना, नगरपालिका के कचरे का उपचार और पुनर्चक्रण करना शामिल है।

खाद्य संसाधन: हरित क्रांति के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न तकनीकों ने फसलों के उत्पादन को कम करके भुखमरी को कम करने में मदद की, जिससे वास्तविक रूप से मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आई। इस प्रकार, खाद्य उत्पादन के टिकाऊ तरीकों का उपयोग करने की आवश्यकता है जिसमें अकार्बनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के विकल्प का उपयोग करना, खराब मिट्टी पर उगने वाली फसलों की खपत को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।

इस प्रकार, यह केवल सतत विकास और उचित प्रबंधन के माध्यम से है कि हम व्यक्तियों के रूप में पर्यावरण की रक्षा और बचाने के लिए कदम उठा सकते हैं।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, essay on save environment in hindi (500 शब्द)

“इस धरती पर किसी भी पीढ़ी का राज नहीं है। हमारे पास एक जीवन किरायेदारी है – एक पूर्ण मरम्मत पट्टे के साथ। ”ये शब्द मार्गरेट थैचर द्वारा बहुत ही उपयुक्त रूप से उद्धृत किए गए हैं और प्राकृतिक वातावरण के साथ हमारे अस्थायी संबंध को परिभाषित करते हैं। विभिन्न उपहारों के बावजूद जो हमें हमारे जीवन को आसान बनाने के लिए प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए हैं और इस ग्रह को रहने लायक बनाया गया है, जैसे कि हवा, धूप, पानी, जानवर और खनिज, हमने अपने स्वयं के स्वार्थों के लिए उनका अत्यधिक शोषण किया है।

पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाने की जरूरत है:

बढ़ती आबादी के स्तर के कारण हमारी वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए, हम प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग किए बिना किसी भी जांच के लगातार बने रहे हैं। हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए चिंतित नहीं हैं। इस प्रकार, समय की आवश्यकता है कि हम नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय दोनों प्रकार के संसाधनों का संरक्षण करें, जो प्रकृति द्वारा प्रदत्त हैं यदि हमें वास्तव में धरती माता को बचाने की आवश्यकता है।

पर्यावरण पर प्रदूषण का प्रभाव:

पिछले कुछ दशकों के दौरान, पर्यावरण को होने वाले दीर्घकालिक पारिस्थितिक नुकसान की कीमत पर अल्पकालिक लाभ प्राप्त करने के लिए जल, वायु और भूमि को दूषित किया गया है। इन अवांछनीय परिवर्तनों का न केवल पौधों और वन्यजीवों पर, बल्कि उन मनुष्यों पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ा है जिनकी चर्चा इस प्रकार की गई है:

वायु प्रदूषण: परिवहन प्रणाली के विकास और पेट्रोल और डीजल के बड़े पैमाने पर उपयोग ने हवा में अवांछनीय ठोस और गैसीय कणों के उत्पादन को तेज कर दिया है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन्स, सल्फर ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और यहां तक ​​कि सीसा के स्तर में वृद्धि के साथ, अल्ट्रा वायलेट किरणों से सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ओजोन परत क्षीण होने लगी है। इससे तापमान में वृद्धि हुई है, जिसे आमतौर पर ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के रूप में जाना जाता है।

जल प्रदूषण: मानव और पशुओं के अपशिष्ट, अनुपचारित अकार्बनिक रसायन जैसे कि पारा और उद्योगों से निकलने वाले पानी के सस्पेंशन और ताजे पानी के तालाबों और नदियों में डिटर्जेंट और तेल सहित कार्बनिक रसायनों के निकास ने किसी भी उपयोग के लिए अपने पानी को अयोग्य बना दिया है। इससे जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, फसल की पैदावार में कमी आई है और इसने मानव और जानवरों दोनों के उपभोग के लिए पानी को असुरक्षित बना दिया है।

मृदा प्रदूषण: डीडीटी जैसे उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक छिड़काव के कारण, सिंचाई के पानी का उपयोग जो कि फसल की पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से लवणों में अधिक होता है, लंबे समय तक रेंडर भूमि को बेकार कर देता है। यह मृदा प्रदूषण के रूप में जाना जाता है जो कि मानव गतिविधियों जैसे निर्माण, वनों की कटाई, आदि के कारण मृदा अपरदन से भी तेज होता है।

शोर प्रदूषण: भारत में दिवाली के दौरान वाहनों, कारखानों और विशेष रूप से पटाखे फोड़ने से होने वाला शोर ध्वनि प्रदूषण में योगदान देता है। यह जानवरों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है क्योंकि वे ऐसे शोरों के अनुकूल नहीं होते हैं और बदले में सुनवाई हानि से गुजरते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के संरक्षण के लिए पूरी तरह से योगदान करना चाहिए और प्रमुख रूप से स्वयं सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए। जाने या अनजाने में हम दैनिक आधार पर प्रदूषण की ओर योगदान करते हैं। इसलिए, प्रकृति के उपहारों के उपभोक्ता के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दें, रीसाइक्लिंग उत्पादों की प्रक्रिया में व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से भाग लें, बिजली और ताजे पानी जैसे संसाधनों की बर्बादी से बचें, आदि। छोटे कदम जो हम अपने बीमार ग्रह के स्वास्थ्य को प्रभावी ढंग से सुधार सकते हैं।

पर्यावरण बचाओ पर निबंध, long essay on save environment in hindi (600 शब्द)

प्राकृतिक वातावरण द्वारा प्रदान किए गए उपहार मानव जाति के साथ-साथ अन्य जीवों के लिए भी आनंदित हैं। वायु, सूर्य के प्रकाश, ताजे पानी, जीवाश्म ईंधन आदि सहित ये प्राकृतिक संसाधन इतने महत्वपूर्ण हैं कि इनके बिना जीवन कभी संभव नहीं हो सकता। हालांकि, बड़ी आबादी द्वारा भौतिक वस्तुओं के लालच में वृद्धि के साथ, इन संसाधनों का उपयोग और उनकी सीमाओं से परे दुरुपयोग किया जा रहा है। यह, ‘आर्थिक विकास’ के बजाय मानव स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक साबित हो रहा है, जिसकी चर्चा नीचे की गई है।

पर्यावरण को बचाने के कारण:

प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग और अपव्यय के कारण प्रदूषण का वर्णन करने वाले बिंदु निम्नलिखित हैं और पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों के जीवन पर उनके प्रभाव, इस प्रकार हमें पृथ्वी पर जीवन को बचाने के लिए अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए:

वायु प्रदूषण: परिवहन के लिए पेट्रोल और डीजल के उपयोग में वृद्धि और ऊर्जा के उत्पादन के लिए उद्योगों में जीवाश्म ईंधन के जलने से वायु को प्रदूषित करने में एक भयानक योगदान होता है। इसके परिणामस्वरूप सल्फर ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि के स्तर में वृद्धि होती है।

ये खतरनाक गैसें मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, जिससे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, फेफड़े का कैंसर और श्वसन संबंधी विभिन्न बीमारियां होती हैं। इसके अलावा, ओजोन परत के घटने का कारण मानव जाति को पराबैंगनी किरणों के प्रति संवेदनशील बनाना, वायु प्रदूषण न केवल ग्लोबल वार्मिंग ’को तेज करता है, बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली को भी कमजोर करता है।

जल प्रदूषण: उद्योगों से पानी में घुलनशील अकार्बनिक रसायनों का निलंबन, ताजे पानी में अनुपचारित मानव और पशु अपशिष्टों को छोड़ना और नदियों में सिंचाई के दौरान उर्वरकों और कीटनाशकों के निकास से जल प्रदूषण होता है। यह न केवल पानी को पीने के लिए अयोग्य बनाता है, जैसे कि इसके सेवन से गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल रोग होते हैं, बल्कि कैंसर भी होता है। इसके अलावा, जलीय जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करके, जल प्रदूषण मछली को उपभोग के लिए अयोग्य बनाता है।

मृदा प्रदूषण: मिट्टी में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न केवल खराब, बल्कि अच्छे कीटों को भी मारता है, जिससे हमें कम पौष्टिक फसलें मिलती हैं। साथ ही, कई वर्षों में मिट्टी के प्रदूषण के कारण रासायनिक संक्रमित फसलों के संपर्क में आने से उत्परिवर्तन होता है, कैंसर पैदा होता है, आदि मृदा अपरदन, बाढ़ की आवृत्ति में अत्यधिक वनों की कटाई और निर्माण एड्स के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर मानव जीवन का विनाश होता है। पैमाने।

शोर प्रदूषण: कारखानों और वाहनों से निकलने वाले अत्यधिक शोर से कान को शारीरिक नुकसान हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अस्थायी या स्थायी सुनवाई हानि हो सकती है। होमो सेपियंस के बीच, ध्वनि प्रदूषण का मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन होता है, जिससे काम पर प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

पर्यावरण को बचाने के तरीके:

इतिहास के पन्नों पर विचार करते हुए, यह देखा जा सकता है कि हमारे पूर्वज हमारे पर्यावरण को बचाने के बारे में अधिक चिंतित थे, जैसे कि हम आज हैं। यह सुंदरलाल बहुगुणा के योगदान में देखा जा सकता है, जिन्होंने चिपको आंदोलन के माध्यम से वन संसाधनों की रक्षा की। इसी तरह, मेधा पाटकर ने आदिवासी लोगों के पर्यावरण को प्रभावी ढंग से बचाया, जो नर्मदा नदी पर बांधों के निर्माण के कारण नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ। आज के युवा के रूप में हम छोटे कदम उठा सकते हैं, इसी तरह हमारे प्राकृतिक पर्यावरण को बचाने के लिए:

  • हमें गैर-नवीकरणीय संसाधनों के अत्यधिक उपयोग को रोकने के लिए 3 आर की अवधारणा को लागू करना चाहिए, अर्थात् कम करना, पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग करना चाहिए। उदाहरण के लिए, धातु स्क्रैप का उपयोग नए धातु उत्पादों को बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • ऊर्जा कुशल ट्यूब लाइट और बल्ब का उपयोग करें जो ऊर्जा को बचाते हैं।
  • जहां भी संभव हो कागज और लकड़ी के उत्पादों का उपयोग कम करें और ई-बुक और ई-पेपर के लिए जाएं।
  • चलने या कार पूल या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करके जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करें।
  • प्लास्टिक की थैलियों के बजाय जूट / कपड़े के थैलों का प्रयोग करें।
  • रिचार्जेबल बैटरी / सौर पैनल का उपयोग करें।
  • खाद के उपयोग को कम करने के लिए खाद का उत्पादन करने के लिए खाद बिन की स्थापना।

यद्यपि सरकार ने विभिन्न योजनाएँ बनाई हैं और प्रकृति और वन्य जीवन दोनों को बचाने के पक्ष में कानून स्थापित किए हैं। यह हमारी व्यक्तिगत पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है, क्योंकि हम लोग इसके लाभों का उपभोग कर रहे हैं। यह बहुत ही उचित रूप से लेस्टर ब्राउन के शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है, “हमें अपने पूर्वजों से यह धरती विरासत में नहीं मिली है: हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है”।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे Save Environment Essay & Slogans in Hindi

इस लेख में हमने पर्यावरण संरक्षण पर निबंध, बेहतरीन नारे (Save Environment Essay & Slogans in Hindi) प्रस्तुत किया है।

पर्यावरण सुरक्षा निबंध के माध्यम से हमने पर्यावरण को बचाने के महत्व, कारणों और चुनौतियों के बारे में बताया है। इस 1500 शब्दों के निबंध से स्कूल और कॉलेज के छात्र अपनी परीक्षा और प्रतियोगिता में मदद ले सकते हैं।

तो आईये शुरू करते हैं – पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे Save Environment Essay & Slogans in Hindi

Table of Content

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Save Environment Essay in Hindi

हमारे आस-पास का वो आवास पर्यावरण है जिसमे हम रहते है। इस प्राकृतिक आवास में उपस्थित प्राकृतिक घटक जो मनुष्यों और जानवरों के जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है। इन घटकों में मुख्य है हवा, पानी, मिट्टी तथा अन्य घटक भी शामिल है।

पर्यावरण संरक्षण क्या है? What is Save Environment in Hindi?

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ है हमारे पर्यावरण को सुरक्षित करना यानी की पर्यावरण सुरक्षा। लेकिन हमारे द्वारा किये गए कई कारणों से हमारा पर्यावरण खराब हो रहा है।

ये कारण कुछ इस प्रकार है ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि आदि कारणों से पर्यावरण हमारे लिये चिंता का कारण बन गया है।

न केवल मानव के लिए बल्कि अन्य जीवित प्राणियों के लिए भी पर्यावरण संरक्षण बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि यदि पर्यावरण सुरक्षित नही रहेगा, तो पृथ्वी पर भी जीवन की संभावना कम हो जायेगी। इसीलिए हमे अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Importance of Save Environment in Hindi

हमारे अनमोल पर्यावरण की सुरक्षा करना हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवों का जीवन पूरी तरह से इस पर निर्भर है। हम सभी जानते है कि मनुष्य पानी, हवा और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके ही अपना जीवन जी रहे है।

वैसे तो हम भोजन में दूध, अंडे, और सब्जियों के साथ अन्य चीजों का सेवन करते हैं लेकिन वे सभी भी जानवरों और पौधों से ही प्राप्त होते हैं। जो हमारे वातावरण के द्वारा ही हमें प्राप्त होता है।

इसके अलावा सभी जीव जंतु वनस्पतिओं के द्वारा छोड़े गए ऑक्सीजन के कारण ही जीवित है। इसीलिए हमे अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखना चाहिए जिससे हमारा अस्तित्व बना रहे।

पर्यावरण संरक्षण, इस पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राणियों के जीवन तथा प्राकृतिक संसाधनों के लिए बहुत ही आवश्यक है। आज की इस आधुनिकता में प्रदूषण के कारण पृथ्वी दूषित हो रही है। इसके परिणाम स्वरूप एक समय ऐसा आयेगा जब पृथ्वी पर मानव का जीवन असंभव हो जायेगा।

इस सभी कारणों को देखते हुए विश्व के 174 देशों ने मिलकर 1992 में ब्राजील में “पृथ्वी सम्मेलन” का आयोजन किया। जिसमे पर्यावरण को कैसे सुरक्षित करना है इसके बारे में चर्चा किया गया था।

इसके बाद सन 2002 में जोहान्सबर्ग में एक बार फिर ‘पृथ्वी सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। जिसमे विश्व के सभी देशों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने अपने सुझाव दिए।

पढ़ें: पर्यावरण संरक्षण पर जबरदस्त नारे

पर्यावरण संरक्षण के कारण Why Should We Protect Our Environment?

आप सभी को पता होगा कि पर्यावरण के संकट के कई कारण है जैसे प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई आदि। हम आपको पर्यावरण के संकट के बारे में विस्तार से नीचे बताया है।

1. प्रदूषण का बढ़ना Increased Pollution

प्रदूषण (पढ़ें: प्रदुषण पर निबंध ) के बारे में आप सभी को पता होगा। आज के इस आधुनिकता में हम अपनी ज़रूरतों की पूर्ति के लिए प्लास्टिक , वाहनों, जैसे अन्य चीजों का इस्तेमाल करते है।

जिससे वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , भूमि प्रदूषण जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है। प्रदूषण के कारण आज स्थिति इतनी गंभीर है कि लगभग 2 बिलियन लोगो के पास स्वच्छ पीने का पानी नही है। जो हमारे पर्यावरण के संकट का मुख्य कारण प्रदूषण है।

2. ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना Increased Global Warming

दोस्तों क्या आप सभी को पता भी है कि दिन प्रतिदिन ग्लोबल वार्मिंग (पढ़ें: ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध ) का खतरा धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है।

इसका मुख्य कारण है कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2)। हमारे द्वारा उपयोग किये गए जीवाश्म ईंधनों से निकलने वाला कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) हमारे वातावरण में उपस्थित होता है जो पृथ्वी के तापमान में वृद्धि करता है।

जिसके फलस्वरूप ग्लेशियर पिघलने लगते है और समुद्र के जल का स्तर बढ़ जाता है। इसके फलस्वरूप जो शहर तट पर उपस्थित होते है उनके डूबने का खतरा बढ़ जाता है।

3. वनों की कटाई में बढौतरी Increasing cutting of Trees

वनों की कटाई (पढ़ें: वनोन्मूलन पर निबंध ) पर्यावरण के संकट का एक मुख्य कारण है। मानव अपनी आवश्यकताओं के अनुसार वनों की कटाई करते रहते है। इसके कारण जंगली जंतुओं और पक्षियों का आवास नष्ट हो रहा है।

इसके अलावा वनों की कटाई के कारण वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) और कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है, क्योंकि पेड़ ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) को ऑक्सीजन में बदलने का काम करते है।

4. जनसंख्या वृद्धि Population Growth

अधिक जनसंख्या (पढ़ें: जनसंख्या वृद्धि पर निबंध ) भी पर्यावरण के संकट के लिए जिम्मेदार है। जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण संसाधनों की पूर्ति नही हो जाती है और मांग बढ़ जाती है।

जिससे मनुष्य अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए पक्षियों और जानवरों का आश्रय नष्ट कर देता है। इससे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है। जो हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय How to Save Environment?

दोस्तों जिस तरह से हम रह रहे है, जिससे हमारा वातावरण तेजी से दूषित हो रहा है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक समय ऐसा भी आएगा। जब पृथ्वी पर भी जीवन असंभव हो जाएगा। इसके लिए हमें सही तरीके से पर्यावरण की देख-रेख करनी होगी और हमारे आने वाली नस्ल के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखना होगा।

पर्यावरण को सुरक्षित रखने के कई उपाय है, जिनके बारे में हमने नीचे बताया है। जो इस प्रकार है:

  • पर्यावरण का संरक्षण करने के लिए हमे मानवीय क्रिया कलापों को सुधारने की जरूरत है जिससे मानव और पर्यावरण के बीच संतुलन बना रहे।
  • पर्यावरण को संकट से बचाने के लिए हमें कारख़ानों से निकलने वाली दूषित हवा और कचरा का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए। जिससे हवा, जल और भूमि जैसे प्रदूषण होने से रोक कर हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर सके।
  • हमे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए वनों की कटाई पर रोक लगनी चाहिए। तथा हमे वृक्षारोपण भी करने चाहिए। जिससे वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) की मात्रा का संतुलन बना रहे।
  • इसके लिए हमें लकड़ी, कागज़ के उत्पादों का उपयोग कम करना चाहिए। इसके स्थान पर हमे ई-पेपर या ई-बुक का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • हमे जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करना चाहिए। जिससे वायु प्रदूषण की समस्या से बचा जा सके। ऐसा करने से हम पर्यावरण का संरक्षण कर सकते है।
  • किसानों को कीटनाशक और रासायनिक खाद का उपयोग काम करना चाहिए, जिससे पर्यावरण संरक्षण किया जा सके।
  • हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हम 3R (recycle, reduce and reuse) की अवधारणा का उपयोग कर सकते है। इससे हम एक सामान को बार बार उपयोग पाएंगे और इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
  • पर्यावरण को बचाने के लिए हमे अपने आस-पास के लोगो को जागरूक करना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि आज के समय भी लोग बहुत से चीजों से अनजान है। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगो को जागरूक करना बहुत जरूरी है।

पर्यावरण सुरक्षा के लिए सरकार के कदम Government Steps for Save Environment in India

हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये है। इसके साथ ही सरकार ने लोगो को जागरूक करने के लिए कई पहल भी किये है। जिनके बारे में जानकर सभी नागरिक पर्यावरण को बचाने के लिए सही कदम उठा सके। पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाये कदम इस प्रकार है:

1. स्वच्छ भारत अभियान Swachh Bharat Abhiyaan

पढ़ें: स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध

पर्यावरण को बचाने के लिए भारत में सरकार द्वारा अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान है।

इस योजना की शुरुआत हमारे प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली के राजघाट पर 2 अक्टूबर 2014 को किया गया था। इस योजना का मकसद भारत को पूरी तरह से साफ़ सुथरा बनाना और हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखना।

2. नदियों की सफाई Cleaning of Rivers

आपको बता दें कि हमारे पंद्रहवें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तीन दिन गंगा नदी की सफाई के अपने लक्ष्य को पूरा किया है।

गंगा नदी की सफाई करने से पर्यावरण नही अनुकूल बना रहेगा और इसके अलावा श्रद्धालुओं के लिए गंगा पवित्र भी रहेगी। इस योजना को प्रधानमंत्री ने जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती को सौंपा था।

पर्यावरण संरक्षण पर 10 नारे Slogans on Save Environment in Hindi

नीचे हमने पर्यावरण संरक्षण पर 10 बेहतरीन नारे दिए हैं जिन्हें आप विभिन्न कार्यक्रम और उत्सवों में उपयोग कर सकते हैं-

  • पर्यावरण का रखें ध्यान, तभी बनेगा देश महान।
  • पर्यावरण है हम सबकी जान, पेड़ लगाओ, जग स्वच्छ बनाओ, करो इसका सम्मान।
  • हम सबका है एक ही नारा, स्वच्छ सुंदर हो विश्व हमारा।
  • हमको रोकना होगा प्रदूषण, तभी होगा पर्यावरण का सही पालन-पोषण।
  • आने वाली पीढ़ी है बुद्धिमान और प्यारी, पर्यावरण की रक्षा है ज़िम्मेदारी हमारी।
  • आओ बच्चों समझें एक बात ज्ञान की, पेड़ पौधे करते हैं रक्षा हमारे प्राण की।
  • प्रकृति का ना करें हरण, आओ बचाएं पर्यावरण।
  • वातावरण को शुद्ध बनाना होगा, प्रदूषण मुक्त विश्व बनाना होगा।
  • वृक्ष, पानी और स्वच्छ हवा, यह तीन है जीवन रक्षा की अनमोल दवा।
  • पेड़ पौधों को ना करो नष्ट, वरना सांस लेने में होगा कष्ट।

निष्कर्ष Conclusion

आज अगर हम पर्यावरण सुरक्षा पर ध्यान नहीं देंगे तो आने वाले समय में हम पृथ्वी के विनाश को रोक नहीं पाएंगे। हमें अपने पर्यावरण को बचाने की शुरुवात आज और इसी वक्त से शुरू कर देना चाहिए।

आशा करते हैं पर्यावरण संरक्षण पर निबंध व नारे (Save Environment Essay & Slogans in Hindi) पर यह लेख आपको पसंद आया होगा।

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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Save Environment Essay in Hindi- पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

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Save Environment Essay in Hindi- पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

पर्यायवरण दो शब्दौं से मिलकर बना है परि और आवरण जिसका अर्थ है ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से घेरै हुए है। पृथ्वी पर जीवन संभव है क्योंकि यहाँ पर पर्यायवरण है। यह हमें जीवित रहने को लिए हवा, पानी, रोशनी आदि उपलब्द कराता है। इसके बिना जीवन संभव नहीं है। मानव अपनी गतिविधियों से निरंतर वातावरण को हानि पहुँचाता जा रहा है। वह इसे दुषित करता जा रहा है जिससे की बहुत सी हानियाँ है।

वातावरण के दुषित होने के कारण- मनुष्य द्वारा लगाए गए कारखाने वातावरण के दुषित होने का सबसे बड़ा कारण है। वाहनों से निकलने वाले धुएँ से वातावरण दुषित होता जा रहा है। बढ़ते हुए प्लास्टिक के प्रयोग ने भी वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। सड़को पर कचरा फेंकने और उच्च ध्वनि से भी वातावरण को हानि पहुँच रही है। मनुष्य ने विग्यान और तकनीक का प्रयोग प्रगति के लिए किया था लेकिन अब वह इस प्रगति की हौड़ में अपने कीमती वातावरण को भी नुकसान पहुँचाता जा रहा है।

वातावरण को सरंक्षित रखने की आवश्यकता- जीवित रहने के लिए वातावरण को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। यदि हमारा वातावरण इसी तरह दुषित रहेगा तो हमें श्वास लेने के लिए शुद्ध हवा और पीने को लिए स्वच्छ पानी नहीं मिल सकेगा। दुषित वातावरण की वजह से मनुष्य बहुत सी बिमारियों का शिकार होता जा रहा है। इसकी वजह से पशु पक्षी और फसलों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वातावरण सरंक्षण के उपाय- स्वस्थ रहने के लिए हमें स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता है क्योमकि हमारे आस पास का वातावरण हमारे उपर बहुत प्रभाव डालता है। अच्छा वातावरण हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है। हमें अपने वातावरण को बचाकर रखना चाहिए। हमें निजी वाहनों को छोड़कर सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। थोड़ी दुर जाने के लिए हमें साईकिल का प्रयोक करना चाहिए और हो सके तो पैदल चलना चाहिए। हमें ऐसी चीजों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए जिन्हें पुनः प्रयोग में लाया जा सके। प्लासटिक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। कारखानों को थोड़ा दुर लगाना चाहिए। पानी और वायु को दुषित नहीं करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए और वातावरण को सुरक्षित करना चाहिए।

निष्कर्ष- वातावरण के बिना किसी भी ग्रह पर जीवन संभव नहीं है। यह हमें जीवित रहने के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराता है। हमें इसे सुरक्षित रखना चाहिए क्योंकि यह हमारे लिए बहुमुल्य है। आज के आधुनिक युग में मनुष्य प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ कर रहा है। हमें पर्यायवरण सरंक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना होगा। बच्चों को भी स्कूल में वातावरण को सुरक्षित रखने के तरीके बताए जाने चाहिए। हमें प्रद्यौघिकी और वातावरण के बीच में सामंज्सय बिठाकर चलना होगा। हमें इस तरर से प्रगति करनी चाहिए कि वातावरण को कोई हानि न हो और प्राकृतिक संसाधनों को भविष्य के लिए भी सुरक्षित रखना है। सरकार ने भी वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिससे कि पूरे देश में साफ सफाई करके वातावरण को सुरक्षित रखा जा सके।

# Essay on Save Environment Essay in Hindi

पर्यावरण पर निबंध- Essay on Environment in Hindi

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Home » Essay Hindi » प्रकृति का महत्व पर निबंध | Essay On Nature In Hindi

प्रकृति का महत्व पर निबंध | Essay On Nature In Hindi

प्रकृति पर निबंध – essay on nature in hindi.

दोस्तो, प्रकृति में सुंदरता का वास होता है। Essay On Nature In Hindi में प्रकृति का महत्व पर निबंध संक्षिप्त में लिखने का प्रयास है। धरती ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन की धारा बह रही है। यह जीवन रूपी धारा ही प्रकृति है। प्रकृति ही जीवन के लिए आवश्यक संसाधनों की पूर्ति करती है।

सौरमण्डल में जिन ग्रहों को हम जानते है, उन पर प्रकृति का विकराल रूप है। बंजर धरा और विषयुक्त वायु इन पर विद्यमान है। हमारी प्यारी धरती इनसे अलग है। प्रकृति ने पृथ्वी पर हरियाली की आकर्षक छटा फैलाई हुई है। प्रकृति हमे जीवन देती है। जीवन रूपी वायु ऑक्सीजन, जल और भोजन प्रकृति का अनमोल उपहार है। आइये इसी सुंदर प्रकृति की चर्चा Importance Of Nature In Hindi Essay निबंध में करते है।

यह भी पढ़े –

  • ऑक्सीजन क्या है?
  • जल क्या है?

प्रकृति क्या है? What Is Nature In Hindi

धरती पर प्रकृति (Nature) के अलग अलग रुप है। कही पर पेड़ों के सघन वन है तो कही पर रेतीले रेगिस्तान है। कही पर बहते हुए पानी के रूप में समुद्र और नदिया है तो कही पर विशाल मैदान है। धरती पर हिमालय पर्वत जैसी विशाल और लंबी पर्वत श्रंखलाएं भी है जो प्रकृति का विशाल स्वरूप दिखाती है।

धरती के धुर्वो पर प्रकृति की सुंदरता बर्फ के रूप में है। प्रकृति को वातावरण भी कह सकते है। प्रकृति का वातावरण कही पर ठंडा है तो कही पर गर्म है। Essay On Nature In Hindi निबंध में जानने का प्रयास करते है की प्रकृति क्या है?

दोस्तों प्रकृति कोई एक चीज नही है। यह कई चीजो का समावेश है। प्रकृति में जल, वायु, पेड़ पौधे, पशु पक्षी और मनुष्य आते है। घास के हरे भरे मैदान प्रकृति की सुंदरता को बिखेरते है। तरह तरह के रंग बिरंगे फूल हर किसी का मन मोह लेते है। उदास मन भी इन्हें देखकर प्रफुल्लित हो जाता है। प्रकृति हमारे मन और आंखों को सुकून देती है।

प्रकृति (Nature) को ईश्वर का वरदान भी कहते है। लेकिन यह वरदान कभी कभी अभिशाप बनकर सामने आता है। जब कभी भी प्रकृति में असंतुलन पैदा होता है, तब प्रकृति विकराल रूप लेती है। वर्तमान में कई कारणों की वजह से प्रकृति का संतुलन गड़बड़ाया हुआ है। ये कारण मुख्यतः मनुष्य जनित होते है। मनुष्य अपने फायदे के लिए इसको नुकसान पहुँचाता है।

आधुनिकता की हौड़ में मनुष्य इतना खो गया है कि वह प्रकृति को भूल चुका है। वह संसाधनों का त्रीव गति से दोहन कर रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो भविष्य के लिए संसाधनों का अभाव हो जाएगा। आधुनिकता और प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होते है। बढ़ती आधुनिकता प्रकृति की सुंदरता को कम कर रही है।

  • यह पोस्ट भी पढ़े – वायु प्रदूषण पर निबंध 

प्रकृति को प्रभावित करने वाले कारण

1. मनुष्य लगातार प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। संसाधनों में होती तेज कमी का जिम्मेदार मनुष्य ही है। प्रकृति के संसाधन सीमित है, हमें इनका उपयोग संतुलित करना चाहिये। आधुनिक विकास के चलते प्रकृति को नुकसान हुआ है। पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई और घटते हुए जंगल प्रकृति को नष्ठ कर रहे है।

हरे भरे पेड़ो की जगह बड़ी इमारते और फैक्टरियां बन रही है। जीव जंतुओं का आवास वन है लेकिन हम इनके आवासो को उजाड़ रहे है। प्रकृति की सुंदरता पेड़ पौधों और वन्य जीवों से है लेकिन इनका लगातार हास् हो रहा है।

2. फेक्ट्रियो से निकला धुंआ भी प्रकृति को नुकसान करता है। यह एक जहर के समान है जिससे वायु प्रदूषण होता है। वाहनों से भी ईंधन के जलने से धुआं निकलता है। आये दिन होने वाला ट्रैफिक जाम यह बताने के लिये काफी है कि वायु प्रदूषण कितना हो रहा है।

3. खनीज प्रदार्थो का अत्यधिक दोहन हो रहा है। कोयला, लोहा, जिंक, सोना जैसे खनिजो का अत्यधिक खनन होता है। खनिजो के खनन से वायु में जहरीले प्रदार्थ मिल जाते है। यह प्रकृति को भारी नुकसान पहुँचा रहे है।

4. धरती पर लहराते हुए खेत किसी मुग्ध आकर्षण से कम नही होते है। किसान अपने अथाह परिश्रम से खेत जोतकर बीजारोपण करता है। जब इस परिश्रम का फल लहराती हुई फसल के रूप में दिखता है, तब इसका सौन्दर्य मंत्रमुग्ध कर देता है। वर्तमान में कृषि भूमि लगातार कम हो रही है। इसका कारण कृषि योग्य भूमि पर फैक्ट्रियों और इमारतों का बनना है।

  • यह भी पढ़िए – जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 

5. बढ़ती जनसंख्या भी प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही है। बीते कुछ दशकों में जनसंख्या में त्रीव बढ़ौतरी से संसाधनों में भारी कमी हुई है। बढ़ता शहरीकरण भी प्रकृति को नुकसान पहुचाने में जिम्मेदार है।

6. मनुष्य ने स्वार्थ में आकर प्रकृति को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। मनुष्य जनित कचरा भी प्रकृति की खूबसूरती को खत्म कर रहा है। प्लास्टिक सबसे खतरनाक कचरा है जो भूमि की उवर्कता को खत्म कर देता है।

7. फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए में हानिकारक रसायन भी होते है जो Nature को दूषित करते है। यह रसायन नदियों और समुद्र में मिलकर उसे दूषित कर रहे है। इसके कारण जलीय जीवो को भारी नुकसान पहुँचा है और इससे जलीय जीवों की कई प्रजाति नष्ट हो चुकी है।

8. किसी विशेष क्षेत्र में आने वाली प्राकृतिक आपदाएं भी प्रकृति की दोषी है। इनमे बाढ़, भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, अकाल प्रमुख है। ये कारण प्राकृतिक है।

9. प्रकृति का संतुलन बिगाड़ने और प्राकृतिक विषमताएं पैदा करने के लिए सबसे ज्यादा मनुष्य ही जिम्मेदार है। मनुष्यों के विभिन्न क्रियाकलापों के कारण प्रकृति में कई हानिकारक प्रदूषक मिल जाते है। ये प्रदूषक हवा और पानी मे मिलकर इन्हें जहरीला बना देते है। मनुष्य को इनके कारण श्वसन सम्बन्धी रोग हो जाते है। कई वायरल बीमारिया जैसे फ्लैग एक बड़ी आबादी को बीमारी बना देती है।

  • यह निबंध भी पढ़े – ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 

प्रकृति का महत्व पर निबंध Importance Of Nature In Hindi Essay

विकास के नाम पर मनुष्य प्रकृति का लगातार दोहन कर रहा है। प्रकति ने हमे बिना मांगे बहुत कुछ दिया है। प्रकृति के दिये उपहार अनमोल है और हमे इनकी कद्र करनी चाहिए। प्रकृति में मनुष्य जो कचरा भर रहा है, उसे वह किसी भी दिन बाढ़, भूकम्प के रूप में निकाल देती है। प्रकृति का हार पेड़ पौधे और जीव जंतु है। इनके बिना प्रकृति का वजूद नही है। इसलिये सेव नेचर एंड सेव ह्यूमैनिटी।

Note:- प्रकृति का महत्व पर निबंध Essay On Nature In Hindi पर यह लेख “Information About Nature In Hindi” कैसा लगा? इस पोस्ट “प्रकृति क्या है? निबंध” Importance Of Nature In Hindi Essay  के बारे में आपके विचारो का स्वागत है।

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पर्यावरण बचाओ पर निबंध – Save Environment Essay in Hindi

पर्यावरण बचाओ पर निबंध – पर्यावरण का तात्पर्य प्राकृतिक परिवेश और परिस्थितियों से है जिसमें हम रहते हैं। दुर्भाग्य से, यह पर्यावरण गंभीर खतरे में आ गया है। यह खतरा लगभग पूरी तरह से मानवीय गतिविधियों के कारण है। इन मानवीय गतिविधियों ने निश्चित रूप से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। सबसे उल्लेखनीय, यह क्षति पृथ्वी पर जीवित चीजों के अस्तित्व को जोखिम में डालती है। इसलिए पर्यावरण को बचाने की नितांत आवश्यकता है।

Essay on Save Environment in Hindi

पर्यावरण को बचाने के तरीके.

सबसे पहले, पेड़ लगाने पर बड़े पैमाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इन सबसे ऊपर, एक पेड़ ऑक्सीजन का स्रोत है। दुर्भाग्य से, निर्माण के कारण, कई पेड़ काट दिए गए हैं। यह निश्चित रूप से पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है। अधिक पेड़ उगाने का मतलब है अधिक ऑक्सीजन। इसलिए, अधिक पेड़ बढ़ने का मतलब बेहतर जीवन गुणवत्ता होगा।

इसी तरह, लोगों को वन संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। वन पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, वनों की कटाई निश्चित रूप से दुनिया भर के जंगलों के क्षेत्र को कम करती है। जंगलों के संरक्षण के लिए सरकार को कार्यक्रम शुरू करने चाहिए। सरकार को वनों को नुकसान पहुंचाना एक आपराधिक अपराध बनाना चाहिए।

Save Environment Essay in Hindi

पर्यावरण को बचाने के लिए मृदा संरक्षण अभी तक एक और महत्वपूर्ण तरीका है। इसके लिए भूस्खलन, बाढ़ और मिट्टी के कटाव का नियंत्रण होना चाहिए । इसके अलावा, मिट्टी को संरक्षित करने के लिए वनीकरण और वृक्षारोपण भी होना चाहिए। इसके अलावा, छत की खेती और प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग कुछ और तरीके हैं।

अपशिष्ट प्रबंधन पर्यावरण की सुरक्षा का एक शक्तिशाली तरीका है। कचरे का उचित निपटान होना चाहिए। सबसे उल्लेखनीय, यह परिवेश को स्वस्थ रखने में मदद करेगा। सरकार को सड़कों और अन्य प्रदूषित भूमि क्षेत्रों को साफ करना सुनिश्चित करना चाहिए । इसके अलावा, हर घर में शौचालय होना चाहिए। साथ ही, सरकार को पर्याप्त सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध कराने चाहिए।

प्रदूषण शायद पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है। धुआं, धूल और हानिकारक गैसें वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं। वायु प्रदूषण के ये कारण ज्यादातर उद्योगों और वाहनों से आते हैं। इसके अलावा, रसायन और कीटनाशक भूमि और जल प्रदूषण का कारण बनते हैं।

पर्यावरण को बचाने के लाभ

सबसे पहले, विश्व जलवायु सामान्य रहेगी। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग हो गई है। इसके कारण कई मनुष्यों और जानवरों की मौत हो गई है। इसलिए, पर्यावरण को बचाने से ग्लोबल वार्मिंग कम होगी।

लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रदूषण और वनों की कटाई के कारण कई लोगों का स्वास्थ्य खराब है। पर्यावरण के संरक्षण से निश्चित रूप से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। सबसे उल्लेखनीय, पर्यावरण को बचाने से कई बीमारियां कम होंगी।

पर्यावरण को बचाने से निश्चित रूप से जानवरों की रक्षा होगी। पर्यावरण को बचाने के कारण कई प्रजातियों का विलोपन नहीं होगा। कई लुप्तप्राय प्रजातियों की आबादी में भी वृद्धि होगी।

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जल स्तर बढ़ जाएगा। पर्यावरण को नुकसान ने भूजल के स्तर को गंभीर रूप से कम कर दिया है। इसके अलावा, दुनिया भर में पीने के साफ पानी की कमी है । इसके कारण कई लोग बीमार पड़ गए और मर गए। पर्यावरण को बचाने से निश्चित रूप से ऐसी समस्याओं से बचा जा सकता है।

अंत में, पर्यावरण इस ग्रह पर एक अनमोल उपहार है। हमारा पर्यावरण एक बड़े खतरे का सामना कर रहा है। पर्यावरण को बचाना समय की जरूरत है। शायद, यह मानवता की सबसे बड़ी चिंता है। इस संबंध में कोई भी देरी विनाशकारी हो सकती है।

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प्रकृति पर निबंध

Essay on Nature in Hindi:  हम यहां पर प्रकृति पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में प्रकृति के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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प्रकृति पर निबंध | Essay on Nature in Hindi

प्रकृति पर निबंध (250 शब्द).

प्रकृति हमारी माँ के समान है, जो हमारा पूरी तरह से लालन पालन करती है और बदले में हमसे कुछ भी नही मांगती है। बिना प्रकृति के धरती पर हमारा अस्तित्व नही है। प्रकृति में पृथ्वी के सभी सजीव और निर्जीव घटक शामिल होते है। प्रकृति कुदरत के अनगिनत रंगो से भरपूर है। कुदरत का मानव पर प्रेम प्रकृति द्वारा दिखता है।

जीवन की मुख्य सभी जरूरतें जैसे कि हवा, पानी, फल- फूल, दवा, सब्जियां हमें प्रकृति से मिलते है। जीवित रहने के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण तत्व गर्मी और प्रकाश भी प्रकृति से ही प्राप्त होते हैं। स्वास्थ्य और प्रकृति के बीच का संबंध अनोखा है। प्रकृति  मन के नकारात्मक विचार और तनाव को कम करती है और मन को शांति, आनंद और ठंडक पहुंचाती है। प्रकृति के साये में रहने से शरीर रोगमुक्त हो जाता है।

प्रकृति हमारी अनमोल संपत्ति है। प्रकृति का हर रूप जैसे पौधे, जानवर, नदियाँ, पहाड़, चाँद, सूरज और बहुत कुछ हमारे लिए समान महत्व रखता है। एक तत्व की अनुपस्थिति मानव जीवन  में तबाही मचाने के लिए काफी है। वर्तमान समय में मानव की स्वार्थी गतिविधियों के कारण उसको काफी गहरा नुकसान हो रहा है। प्रौद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए जंगलों की अंधाधुन कटाई हो रही है।जंगलों के कटने से प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो रही है। 

प्रकृति हमें सहनशीलता, निरंतरता, निस्वार्थ भावना जैसे गुण सिखाती है। अगर हम चाहते है की  हमारी भावी पीढ़ी भी इस अनमोल सम्पत्ति का आनद और लाभ ले सके इसके लिए हमें अभी से प्रकृति का जतन करना होगा। प्रकृति की रक्षा करना हमारा धर्म और जिम्मेदारी है। 

प्रकृति पर निबंध (800 शब्द)

अगर पृथ्वी ग्रह का कोई आकर्षण है तो वो है सिर्फ प्रकृति। प्रकृति को प्राकृतिक पृथ्वी और उस पर मौजूद चीजों, या किसी व्यक्ति या वस्तु  के रूप में परिभाषित किया गया है। पेड़, जंगल, पक्षी और जानवर सभी प्रकृति के उदाहरण हैं। प्रकृति हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग हैं। इमर्सन का कहना है कि,’ प्रकृति सुंदर है क्योंकि यह जीवित है, चलती है, प्रजनन करती है’।

प्रकृति हमारी वास्तविक माता कहलाती है क्योंकि हमारी जीवन की सभी मुख्य जरूरतें जैसे की पीने के लिए पानी, सांस लेने के लिए हवा, फल, फल और सब्जियां हमें  प्रकृति माता प्रदान करती है। प्रकृति की गोद में खेलकर हम बड़े होते है। प्रकृति हमारे मन की शांति और परम सुख लिए भी उपयोगी है। इतना सब कुछ देने के बाद भी प्रकृति हमसे बदले में कुछ नहीं मांगती।

प्रकृति कुदरत के अनगिनत रंगों से भरी हुई है। प्रकृति में सजीव और निर्जीव सभी घटक का समावेश होता है। प्रकृति भौतिक दुनिया की घटनाओं और सामान्य रूप से जीवन को भी संदर्भित कर सकती है। 

प्रकृति का महत्व

हमारे अस्तित्व के लिए प्रकृति काफी अहमियत रखती है। प्रकृति के बिना दुनिया की कल्पना भी नहीं कर सकते। प्रकृति ही हमारी एकमात्र आपूर्तिकर्ता है। प्रकृति हमें पेड़ों के द्वारा जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन देती है। बिना ऑक्सीजन के हम एक पल भी जिंदा नहीं रह सकते। नदी, सागर, तालाब, झरने के रूप में हमें प्रकृति ने पानी प्रदान किया है। 

प्रकृति ने जंगल, जानवर, पेड़, पौधों के रूप में हमें हमारे शरीर के लिए खाने की सामग्री दी है। प्राकृतिक चक्र जैसे कि जलवायु चक्र और पोषक तत्व चक्र भी प्रकृति की ही देन है। प्रकृति हमें सूरज, चाँद, तारें, मौसम और वातावरण दिया है, जिसकी वजह से हमें प्रकाश और गर्मी मिलती है। कवियों, लेखकों, कलाकारों और चित्रकारों के लिए प्रकृति उनका सबसे पसंदीदा विषय रहा है। प्रकृति में एक शक्तिशाली परिवर्तनकारी शक्ति है। 

प्रकृति के लाभ

प्रकृति की तरफ से हमें अनगिनत लाभ मिलते है। प्रकृति खुद एक उपचारात्मक स्पर्श है। प्रकृति हमारे मन के मानसिक तनाव को कम करती है और मन को शांति और आनंद का अनुभव देती है। प्रकृति की हरियाली में वह शक्ति है, जो हमारे शरीर को रोगों से दूर रखती है।

मनुष्य की सभी भौतिक आवश्यकताओं हमें प्रकृति देती है। प्रकृति एक रहस्यमय वो अभिव्यक्ति है जो प्राकृतिक ऊर्जा और गतिशीलता के साथ मनुष्य का कायाकल्प करती है। नष्ट हो चूका मन और शरीर प्रकृति की गोद में खेलकर फिर से जीवित और स्वस्थ हो जाता है। प्रकृति वो घर है, जिस घर में रहकर मनुष्य को बहुत संतोष और सांत्वना मिलती है। डायबिटिज,  हृदय रोग, लीवर और पाचन संबंधी समस्या,  दिमागी समस्याओं आदि बीमारियों की दवा हमें प्रकृति से ही मिलती है।

प्रकृति का संरक्षण

प्रकृति हमारे लिए एक सुरक्षा कवच के समान है। प्रकृति की संपत्ति को बचाना हर एक मनुष्य का कर्तव्य और जिम्मेदारी है। मनुष्य को कभी भी प्रकृति के साथ अपने स्वार्थ के लिए छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। लगातार जंगलों की कटाई से पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग की समस्या में बढ़ोतरी हो रही है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। उनका सीधा प्रभाव जलवायु चक्र और पोषक चक्र पर हो रहा है।

प्रकृति का संरक्षण न केवल मानव जीवन के लिए बल्कि सभी जीवों के लिए आवश्यक है। मानव व्यवहार और स्वार्थी जरूरतों के कारण कई प्राकृतिक संसाधन धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। यदि हम प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए कार्य नहीं करते हैं, तो हमें अपने अस्तित्व के मामले में भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। पानी की कमी, सांस लेने के लिए ताजी हवा की अनुपलब्धता और वनस्पति की कमी के कारण उचित और ताजा भोजन की अनुपलब्धता के कारण आने वाली पीढ़ियों को बहुत नुकसान होने वाला है।

प्राकृतिक संपदा के संरक्षण और संतुलन की आवश्यकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।प्रकृति को बचाने के लिए हमें तत्काल कठोर कदम उठाने चाहिए ताकि आगे किसी भी तरह की क्षति को रोका जा सके। सभी स्तरों पर वनों की कटाई को रोकना सबसे महत्वपूर्ण कदम है। विभिन्न क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई के गंभीर परिणाम होते हैं। 

ईश्वर ने हमें प्रकृति का उपहार देकर हमें अपना सच्चा प्यार दिया है। प्रकृति से हमें ईश्वरीय शक्ति का एहसास होता है। प्रकृति हमारा सबसे बड़ा मित्र है। प्रकृति से हमें जीवन में सहनशीलता, निरंतरता, निस्वार्थ, बलिदान, ईमानदारी और दृढ़ता जैसे गुण सीखने को मिलते है। हमें  प्रकृति के सभी घटकों का आनंद उठाना चाहिए।

अगर प्रकृति में हमारी रक्षा करने की क्षमता है, तो यह पूरी मानव जाति को नष्ट करने के लिए भी पर्याप्त शक्तिशाली है।घरती पर हमारी भावी पीढ़ी के अस्तित्व के लिए हमें  पर्यावरण का संतुलन बनाये रखना होगा। इसलिए पर्यावरण को स्वच्छ रखना हमारी अहम जिम्मेदारी है और इसके लिए सभी पृथ्वीवासियों को एकजुट होना होगा।

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Essay and poem on nature in hindi प्रकृति पर कविता एवं निबंध.

Read about nature in Hindi language. We have added an essay on Nature in Hindi and a poem on Nature in Hindi. Now more about nature and how it will help you in keeping good health. प्रकृति पर कविता एवं निबंध।

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Nature in Hindi

प्रकृति मानव की सबसे आदिम सहचरी है। वस्तुत: मानव की आंखें ही प्रकृति की मनोरम गोद में खुली थीं। मनुष्य ने स्वयं को प्राकृतिक भव्यता के बीचोबीच पाया था। उसे अपने बेहद करीब देखा और पाया था। अर्थात् मानवीय अंतजर्गत में पहले-पहल भाव और विचार प्रकृति ने ही उत्पन्न किए। इससे मनुष्य में मानसिक गतिशीलता का जन्म और विकास हुआ। अनेक रूपा प्रकृति, अग्नि-शिखा सदृश सूर्य, अमृत की शीतल धारा को पृथ्वी पर बिखेरता चंद्र, गगन छूने को लालायित पर्वत, अपनी उताल तरंगों से धरती को क्षुब्ध करता हुआ समुद्र, धरा की प्यास बुझाने के लिए घिरते श्याम वर्णी मेध, भयंकर वेग से गर्जन करती हुई सरिताएं, पवन के अनेक रूप-स्वरूप और वातावरण को अपने मधुर कलरव से आनंदित करते अनेक रूपरंगधारी पक्षी ये सभी मानव-सभ्यता की दीर्घ यात्रा के चिर-परिचित अनुभव रहे हैं।

जिस प्रकार प्रकृति मनुष्य के भौतिक, जागतिक जीवन की घनिष्ठ सहचरी रही है, ठीक उसी प्रकार रचनाशील मनुष्य के काव्य में भी प्रकृति अपनी संपूर्ण भव्यता और विराटता में सदैव उपस्थित रही है। संस्कृति का प्राचीन साहित्य काव्य और प्रकृति के चिर संबंध को सहज प्रमाणित करता है। इसी प्रकार प्राकृत-साहित्य, अपभ्रंश-साहित्य, आधुनिक आर्य भाषाओं-अवधी, ब्रज, खड़ी बोली आदि में रचित हिन्दी साहित्य की प्रकृति-चित्रण की दृष्टि से विश्व-साहित्य में अप्रतिम स्थान रखता है। डॉ सुरेन्द्रनाथ सिंह ने ‘प्रकृति-चित्रण’ को परिभाषित करते हुए एक स्थान पर लिखा है: “मानव और मानव-कृत पदार्थों के अतिरिक्त विश्व में जो कुछ रूपात्मक सत्ता दृष्टिगोचर है, उसका चित्रण जब काव्य में किय जाता है तब उसे ‘प्रकृतिचित्रण’ कहते हैं।” प्राचीन साहित्य में चित्रित प्रकृति के रूप-स्वरूप को रेखांकित करते हुए वे कहते हैं: “वैदिक युगीन कवि प्रकृति की छटा देखकर विस्मय-विमुग्ध है, चमत्कृत है। क्षणक्षण में बदलने वाले प्रकृति के रूपों में चैतन्य का दर्शन करता है। लौकिक संस्कृत के काव्यों में प्रकृति के अनेकानेक रूपों का हृदयग्राही चित्रण हुआ है। प्रकृति के प्रति कवि में आत्मीयता एवं संवेदना है। उसका सौन्दर्य-बोध अत्यंत परिष्कृत है। उसने प्रकृति-वर्णन के विविध पक्षों का चित्ताकर्षक उद्घाटन किया है।”

काव्य में प्रकृति-चित्रण अनेक रूपों में हुआ है। जिनमें प्रमुखतः प्रकृति का आलंबन रूप में चित्रण, उद्दीपन रूप में चित्रण, उपदेशिका रूप में चित्रण, मानवीकरण के रूप में चित्रण आदि प्रमुख हैं।

हिन्दी साहित्य का मध्यकाल प्रकृति-चित्रण की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है, हालाँकि इससे पूर्व विद्यापति के काव्य में भी प्रकृति के नैसर्गिक रूप-सौन्दर्य का अद्भुत चित्रण व्यापक रूप में हुआ है। तुलसीदास, जायसी, सूर, केशवदास, बिहारी, घनानंद, आदि कवियों की एक लंबी श्रृंखला रही है, जिन्होंने अपने काव्य को प्रकृति की मार्मिक रूप-छटाओं से समृद्ध किया है। प्रकृति का शोक-संतप्त और उसका समानुभूत रूप तुलसीदास ने ‘गीतावली’ के अरण्येकाण्ड में चित्रित किया है। इसकी प्रभावन्विति और मार्मिकता अद्वितीय है। उदाहरण स्वरूपः

सरित जल मलिन सरति सूखे नलिन, अलि न गुंजत कल कूर्जी न मराल। कोलिनि कोल किरात जहां-तहां बिलखात। बल न बिलोकि जात खग मृग भाल। तरु जे जानकी लये ध्यावे अरि करी। हेरौं न हुंकरि करें फल न रसाल। औरै सो सब समाजु कुसल न दैखौ आजु गहबर हिय कहं कौसभपाल।

प्रकृति का उद्दीपन रूप में चित्रण रीतिकालीन कविता की एक निजी विशेषता रही है। बिहारी का निम्नोक्त दोहा, जो हिन्दी समाज में अति प्रसिद्ध है, प्रकृति के उद्दीपन रूप का एक सटीक प्रमाण है:

सघन कुज, छाया सुखद, सीतल मंद समीर। मन हवै जात अज, वा जमुना के तीर।।

मानवीकृत रूप में प्रकृति का चित्रण, प्रकृति-चित्रण का एक उच्च स्तर है। घनानंद की कविता संपूर्ण रूप में प्रकृति-चित्रण के इसी स्तर से संबंधित है। उनकी कविता से प्रकृति-चित्रण का एक उदाहरण दृष्टव्य है।

कारी कूर कोकिला कहां को बैर काढ़ति री; कुकि कुकि अबही करे जो किन कोरि रै। पैंड़ परैपापी ये कलापी निसि घौस ज्यों ही, चातक रे घातक ध्वै तुहू कान फोरि लै।

हिन्दी साहित्य का “आधुनिक काल” प्रकृति-चित्रण की परंपरा को पूर्णत: ग्रहण करता है। भारतेन्दु, रामनरेश त्रिपाठी, जगमोहन सिंह आदि आरंभिक समय के कवि हैं और इनका काव्य प्राकृतिक सौन्दर्य में स्वयं को पूर्णत: डूबो देने वाला साहित्य प्रतीत होता है। ‘छायावाद’ तो मूलत: प्रकृति-काव्य ही है। इसी प्रकार प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता आदि अनेक काव्य-आंदोलन भी प्रकृति-चित्रण की प्रवृति से तटस्थ नही कहे जा सकते। अनेक राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक विकृतियों के व्यापक चित्रण की प्रवृति के बाद भी हिन्दी की समकालीन कविता स्वयं को प्रकृति के प्रति अपने सहज आकर्षण से मुक्त नहीं रख सकी है। इस स्थिति में स्पष्टत: कहा जा सकता है कि प्रकृति और काव्य का संबंध आदिम ही नहीं शाश्वत भी हैं।

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Environment Essay In Hindi

पर्यावरण बचाओ पर निबंध – Environment Essay In Hindi

पर्यावरण बचाओ पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on save environment in hindi), प्रदूषण-वृद्धि की समस्या अथवा पर्यावरण बचाओ अभियान – (pollution problem – save environment campaign).

  • प्रस्तावना,
  • पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार,
  • पर्यावरण प्रदूषण : जिम्मेदार कौन,
  • पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- आज की दुनिया विचित्र नवीन, प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन। हैं बँधे नर के करों में वारि, विद्युत, भाप, हुक्म पर चढ़ता-उतरता है पवन का ताप। वैज्ञानिक प्रगति के उन्माद से ग्रस्त मानव ने प्रकृति-माता को दासी के पद पर धकेल दिया है। वह नाना प्रकार से प्रकृति के निर्मम दोहन में व्यस्त है। उसे विरूप बना रहा है। उद्योगों का कूड़ा-कचरा और विषैले विसर्जन पर्यावरण को प्रदूषित करने की होड में लगे हए हैं। मनुष्य ने अपने ही प्रमाद से अपने भविष्य को अंधकारमय बना डाला है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार-आज सृष्टि का कोई पदार्थ, कोई कोना प्रदूषण के प्रहार से नहीं बच पाया है। प्रदूषण मानवता के अस्तित्व पर एक नंगी तलवार की भाँति लटक रहा है। प्रदूषण मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार का है-

(1) जल प्रदूषण-जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ है। जल के परम्परागत स्रोत हैं-कुएँ, तालाब, नदी तथा वर्षा का जल। प्रदूषण ने इस सभी स्रोतों को दूषित कर दिया है। औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ हानिकारक कचरा और रसायन बड़ी बेदर्दी से इन जलस्रोतों में मिल रहे हैं। महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा तो अत्यन्त दयनीय है। गंगा, यमुना, गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गई है।

(2) वायु प्रदूषण-वायु भी जल जितना ही आवश्यक पदार्थ है। श्वास-प्रश्वास के साथ वायु निरन्तर शरीर में आती आज शद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया है। वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी . जहर भर दिया है। घातक गैसों के रिसाव भी यदा-कदा प्रलय मचाते रहते हैं। गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से रक्षा करने वाली ‘ओजोन परत’ को भी छेद डाला है।

(3) खाद्य प्रदूषण-प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशु-पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं। चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी कोई भी भोजन के प्रदूषण से नहीं बच सकता।

(4) ध्वनि प्रदूषण-कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक सन्तुलन को बिगाड़ती हैं और उसकी कार्य-क्षमता को भी कुप्रभावित करती हैं। आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यन्त्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि-विस्तारकों का शोर। सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हुए हैं।

(5) विकिरणजनित प्रदूषण-परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयन्त्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि से विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा है। रूस के चेर्नोबिल तथा जापान के परमाणु केन्द्रों से होने वाला प्रदूषण जग विख्यात है।

पर्यावरण प्रदूषण : जिम्मेदार कौन ?-प्रायः हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्धि के लिए हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है। वाहनों का गैस-विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में जहर फूंक रही हैं। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक और जीवन-स्तर की प्रगति से जुड़ गये हैं। हमारी हालत साँप-छछूदर जैसी हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय-प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार की गन्दगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिए।

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियन्त्रण आवश्यक है। प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने जो दीर्घगामी नीति बनाई है, भारत उसे स्वीकार कर चुका है। बहुसंख्यक देश भी इसे स्वीकार करने को तत्पर दिखते हैं। किन्तु अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति महोदय (ट्रंप) की भूमिका अत्यंत निराशाजनक है।

उपसंहार-पर्यावरण का प्रदूषण एक अदृश्य दानव की भाँति मनुष्य-समाज को निगल रहा है। यह एक विश्वव्यापी संकट है। यदि इस पर समय रहते नियन्त्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शान्त वातावरण के लिए तरस जायेगा। प्रशासन और जनता, दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है।

save the rivers india

Save the Rivers in Hindi | नदियों की रक्षा करना हिंदी में

भारतीय नदी प्रणाली भारतीय लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । नदियां वनस्पति और जीवों का पोषण करती हैं और एक परिदृश्य पैदा करती हैं।जैव विविधता नदी के अस्तित्व पर एक बड़ी हद तक निर्भर करती है। नदियों ने मछली पकड़ने और कृषि के रूप में बहुत से लोगों को आजीविका प्रदान की है। यही कारण है कि लगभग सभी महत्वपूर्ण भारतीय शहरों इन नदियों के किनारे स्थित हैं।

नदियों ने किसानों को अपने खेत सिंचाई और बिजली (जलविद्युत) उत्पन्न करने में मदद की। नदियों का भी परिवहन उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है जैसे कि माल परिवहन और एक शहर से दूसरे शहर तक। नदियों के कई अन्य उपयोग हैं जो गिर गए हैं मानव सभ्यता को बचाने के लिए, हमें नदियों को बचाने की आवश्यकता है।

भारतीय नदी प्रणाली अपनी सहायक नदियों के साथ सात प्रमुख नदियों से बना है। ये प्रमुख नदियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, दामोदर, कावेरी और चंबल हैं। अधिकांश नदियां बंगाल सागर की खाड़ी में समाप्त होती हैं, जबकि कुछ नदियों अरब सागर में समाप्तहोती हैं। भारत में अधिकांश नदियों में निम्न तीन स्रोतों में से एक है –

  • हिमालय और काराकोरम पर्वतमाला
  • पश्चिमी भारत में सह्याद्री या पश्चिमी घाट
  • मध्य भारत में विंध्य और सतपुरा पर्वतमाला और चटानगपुर पठार

पर्यावरण महत्व के अलावा, नदियों में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी हैं। गंगा और यमुना को भारत में सबसे पवित्र नदियों में माना जाता है। गंगा अपने बेसिन क्षेत्र की दृष्टि से सबसे बड़ी नदी है क्योंकि इसका बेसिन क्षेत्र 11 उत्तरी भारतीय राज्यों में फैल गया है।

नतीजतन, भारत के कई तीर्थयात्रा गंगा नदी के किनारे स्थित हैं। वाराणसी, हरिद्वार और इलाहाबाद (जिसे प्रयाग भी कहा जाता है) गंगा नदी के तट पर स्थित हैं। हरिद्वार और इलाहाबाद कुंभ मेला के लिए प्रसिद्ध हैं जो विश्व में सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। यह माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इन दोनों नदियों (नदी गंगा और यमुना नदी) में से किसी भी में अपने सभी पापों और गलतियों को माफ कर दिया जाता है।

औद्योगिक गतिविधियों और लोगों के धार्मिक विश्वासों के कारण, नदियों का पानी प्रदूषित है। इंडस्ट्रीज नदियों में हानिकारक रसायनों, लवण और सीवेज को डंप करते हैं जो न केवल नदियों के पानी को पीने के लिए उपयुक्त नहीं बल्कि नहाने के लिए भी अयोग्य हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण, लोग विभिन्न अपशिष्टों को डंप करते हैं जो कि नदियों को विषाक्त बनाते हैं। इसलिए, नदियों को बचाने की बहुत बड़ी जरूरत है प्रदूषण से नदियों को बचाने के लिए और प्रदूषण से उन्हें ठीक करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

प्रदूषण से नदियों को रोकने के लिए जो कदम उठाए जा सकते हैं

  • पानी में कुछ डंपिंग नहीं करें
  • रिवर क्षेत्र को साफ रखने के लिए नगर निगमों के साथ समन्वय
  • नदियों के किनारे पर कूड़ेदान रखें
  • नदियों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करें और उनकी स्वच्छता की आवश्यकता है।
  • नदियों में अपशिष्ट पदार्थों का निपटान रोकने के लिए उद्योगों से इनकार करें।
  • उसके बाद सफाई के लिए नदी या उचित उपायों में मूर्तियों के विसर्जन से बचें।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए नदियों में पानी को डंप करने से पहले उद्योगों और घरों से जल निकासी का इलाज किया जाना चाहिए।
  • घरेलू रसायनों और दवाओं का ठीक से निपटारा होना चाहिए।

प्रदूषित नदियों को स्वच्छ और पुनर्प्राप्त करने के 2 कदम

  • ठोस और अघुलनशील अपशिष्ट के लिए नदियों की मैनुअल सफाई
  • घुलनशील अपशिष्टों के लिए प्रदूषक विशिष्ट सफाई प्रक्रिया

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