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मेरी दिनचर्या पर निबंध | Daily Routine Essay In Hindi

My Daily Routine Essay In Hindi नमस्कार दोस्तों आपका हार्दिक स्वागत है आज हम मेरी दिनचर्या पर हिंदी निबंध और भाषण (स्पीच) के रूप में यह आर्टिकल दिया गया हैं.

हम सुबह से शाम तक जो कुछ करते है नियमित रूप से करते हैं, यह हमारी दिनचर्या यानी डेली रूटीन कहलाती हैं. स्कूल में पढने वाले बच्चों को जब मेरी दिनचर्या के बारे में निबंध लिखने को कहा जाए तो आप इस लेख की मदद ले सकते हैं.

मेरी दिनचर्या पर निबंध Daily Routine Essay In Hindi

मेरी दिनचर्या पर निबंध | Daily Routine Essay In Hindi

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निबंध 1 : मेरी दिनचर्या

मैं कक्षा चार का विद्यार्थी हूँ मेरी दिनचर्या बहुत साधारण है. सप्ताह के छः दिन एवं रविवार की दिनचर्या अमूमन एक सी ही रहती हैं. मैं नित्य सवेरे छः बजे उठता हूँ.

उठने के पश्चात दातुन करके शौच आदि से निवृत होने के पश्चात हल्का नाश्ता करता हूँ. नाश्ता करने के उपरान्त दादाजी के साथ सुबह की वाक पर जाता हूँ.

भ्रमण से लौटने के पश्चात नहा धोकर विद्यालय के लिए तैयार होता हूँ तथा माँ के साथ पाठ पूजा में बैठने के उपरान्त आशीर्वाद लेकर अपने दोस्तों के साथ विद्यालय को प्रस्थान करता हूँ.

सुबह 10 बजे मेरा विद्यालय खुलता है तथा चार बजे की छुटी के बाद घर लौट आता हूँ. माँ नाश्ता करवाती है इसके बाद खेलने चला जाता हूँ. आठ से नौ बजे तक अपने रीडिंग रूम में गृहकार्य करता हूँ तथा दस बजे खाना खाकर सो जाता हूँ.

इस तरह यह साधारण दिनचर्या हर दिन दोहराता रहता हूँ. छुट्टी के दिन कही बाहर परिवार के साथ घूमने जाता हूँ अथवा अपने दोस्तों के साथ खेलने में छुट्टी का दिन बीत जाता हैं.

निबंध 2 : दैनिक दिनचर्या

प्रस्तावना – मैं आठवीं क्लाश का विद्यार्थी हूँ इस कारण मेरी नित्य दिनचर्या बड़े नियमों में बंधी हुई हैं. विगत वर्ष आयोजित वार्षिकोत्सव के मौके पर जिला कलक्टर महोदय ने विद्यार्थी जीवन में दिनचर्या के महत्व पर दिए  महत्वपूर्ण  भाषण   से अत्यधिक प्रेरित होकर मैंने इसे अपने जीवन का मूल मन्त्र बना दिया हैं.

स्वास्थ्य, धन और बुद्धिमता जैसे गुणों के विकास में स्वस्थ और अनुशासित नित्य दिनचर्या का अहम योगदान हैं.

सुबह का कार्यक्रम – मैं कटिबद्ध रूप से अपनी दिनचर्या का पालन करता हूँ इसी कड़ी में मैं नित्य सवेरे पांच बजे उठता हूँ उठने के बाद शौच से निवृत होने के बाद ठंडे जल से नहाता हूँ फिर स्वच्छ कपड़े पहनकर सवेरे भ्रमण के बाद मन्दिर में दर्शन के लिए जाता हूँ.

वापिस घर लौटने के बाद दो बिस्कुट या एक डबलरोटी का टुकड़ा और एक गिलाश दूध के साथ अपना नाश्ता लेता हूँ. सवेरे नौ बजे तक मैं अपने कक्ष में जाकर पढ़ाई करता हूँ.

पिछले दिन दिए गये गृहकार्य और पढ़ाई गयी विषयवस्तु को दोहराता हूँ. तथा अगले दिन के लिए पढाए जाने वाले पाठ को एक बार के लिए पढ़ लेते थे.

मैं एक विद्यार्थी होने के नाते मेरे विध्याध्यन का तरीका भी अलग हैं. कुछ लोग केवल परीक्षा के वक्त ही पढ़ते हैं मैं नियमित अध्ययन की ओर ध्यान देता हूँ तथा सत्र के पहले दिन से ही परीक्षा के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई में जुट जाता हूँ.

मेरी नियमित दिनचर्या के पहले पड़ाव में सुबह के नित्यादी कार्य के बाद २ घंटे की पढ़ाई के बाद 9;30 को मैं विद्यालय के लिए घर से निकल जाता हूँ.

स्कूल का कार्यक्रम – मेरे एक दिन का दूसरा सफर दस बजे स्कूल में प्रवेश से आरम्भ होता हैं. २० मिनट के पैदल सफर के बाद मैं समय पर स्कूल पहुँचता हूँ तथा प्रार्थना आदि में भाग लेने के बाद 10:30 बजे से हमारी स्कूल क्लाश आरम्भ हो जाती हैं. मेरा शिक्षा स्तर काफी अच्छा रहा है विगत वर्षों में मैंने प्रथम श्रेणी से उतीर्ण की हैं.

गणित तथा अंग्रेजी विषयों में मेरी अच्छी पकड़ हैं तथा मैं अध्यापक जी द्वारा पूछे गये हर सवाल का जवाब देता हूँ. इस कारण कक्षा में मेरी पहचान एक होनहार विद्यार्थी के रूप में भी हैं.

मेरी कक्षा में कई छात्र ऐसे हैं जिनका पढ़ाई को लेकर कोई आकर्षण नहीं हैं. वे ठीक से न तो क्लाश में पढ़ते है न शिक्षक द्वारा पूछे किसी सवाल का जवाब देते है.

परीक्षा के समय तैसे वैसे जुगाड़ करके पास होने के लिए माँ बाप या किसी पहचान वाले से सिफारिश करवाते हैं अथवा परीक्षा के समय में आगे पीछे बैठने वाले की तांक झांक में ही रहते हैं. मुझे ऐसे साथियों से हमेशा कड़ी शिकायत रहती हैं.

मेरी क्लाश में विद्यालय के टाइम टेबल के मुताबिक़ पढ़ाई होती हैं. बारी बारी से अलग अलग विषयों के अध्यापक हमे पढ़ते हैं पहले तीन कालांशों में गणित विज्ञान और अंग्रेजी की पढाई होती है. मैं पूर्ण एकाग्रता भाव से कक्षा में उपस्थित रहने का प्रयास करता हूँ.

स्कूल के बाद का कार्यक्रम – विद्यालय के समयानुसार चार बजकर तीस मिनट पर हमारी क्लाशे खत्म कर छुट्टी कर दी जाती हैं मैं अपने दोस्तों के साथ उसी वक्त घर के लिए निकल जाता हूँ.

घर आकर स्थानबद्ध कपड़े, जूते और स्कूल बैंग रखने के बाद हाथ धोकर खाने की टेबल पर जाता हूँ. सायं साढ़े पांच बजे पास ही के मैदान में खेलने के लिए निकल जाता हूँ.

खेल के मैदान में अपने साथियों के साथ क्रिकेट खेल खेलते हैं अगले दो घंटे तक हम क्रिकेट का भरपूर आनन्द लेते हैं. जब तक शरीर की ऊर्जा भी जवाब दे देती है और थके हारे पैर घर की तरफ चल पड़ते हैं. घर आकर ठंडे पानी से नहाने के बाद शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता हैं.

नहाने के बाद कुछ वक्त अपने दादाजी के साथ टहलने के लिए पार्क में चले जाते हैं. घर लौटने पर माताजी खाना बना चुकी होती हैं परिवार के सभी लोग साथ बैठकर खाना खाते हैं. खाने के बाद माँ और दादी के साथ हम टीवी देखते और रात नौ बजे अपने शयनकक्ष में सोने के लिए चला जाता हूँ.

रविवार का कार्यक्रम : हफ्ते का वह दिन जिसके आने का मुझे बड़ा इंतजार रहता हैं वह है रविवार. यह दिन रोजाना की दिनचर्या से हटकर कुछ अलग ही होता हैं, हालांकि सुबह उठने के बाद १० बजे तक मेरी दिनचर्या वही होती हैं जो सप्ताह के अन्य छः दिन की होती हैं.

स्कूल जाने के वक्त से रविवार के दिन मेरे कार्यक्रम बदल जाते हैं, सर्वप्रथम मैं अपने कमरे, अलमारी आदि की सफाई करने में लग जाता हूँ तथा बाद में अपने पापा के साथ सिनेमा के लिए जाते हैं. और सायं को अपने दोस्तों के साथ कहीं नजदीकी स्थान पर घुमने के लिए जाता हूँ. इस तरह रविवार का मेरी दिनचर्या में महत्वपूर्ण स्थान हैं.

उपसंहार – विद्यार्थी काल को जीवन का स्वर्णकाल माना गया हैं. इस पड़ाव में व्यवस्थित जीवन जीने की बहुत आवश्यकता हैं. जीवन जब तक नियमों और अनुशासन में बंधा नहीं होगा तब तक हम अपने इच्छित लक्ष्य को नहीं पा सकते हैं.

अतः प्रत्येक विद्यार्थी को जीवन में एक स्वस्थ दिनचर्या बनाते समय जल्दी सोना और जल्दी उठना को अवश्य शामिल करना चाहिए.

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  • यदि परीक्षा न होती तो निबंध
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Hindi Essay on “My Daily Routine”, “मेरी दिनचर्या”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरी दिनचर्या.

My Daily Routine 

मैं चौथी कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरी दिनचर्या बहुत ही साधारण है। एक बार मैंने अपने अध्यापक से सुना था कि सुबह जल्दी उठना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इसलिए मैं सुबह जल्दी उठता हूँ। मैं सुबह 5.30 बजे उठ जाता हूँ। उसके बाद आधा घंटा अपने बगीचे में सैर करता हूँ। तथा उसके बाद नहाता हूँ उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनकर मंदिर जाता हूँ। मेरी दादी जी ने मुझे सिखाया कि रोज सुबह भगवान की प्रार्थना करनी चाहिए। मंदिर से आने के बाद मैं अपना नाश्ता करता हूँ। नाश्ते में मैं दूध और ब्रेड, फल इत्यादि खाता हूँ। उसके बाद मैं अपनी किताबों को बैग में लगाकर तैयार करता हूँ तथा 7.30 पर विद्यालय के लिए निकल जाता हूँ। मेरा विद्यालय 8.00 बजे शुरू होता है। मैं 7.45 पर विद्यालय पहुँच जाता हूँ और अपने विद्यालय में ध्यान से पढ़ाई करता हूँ।

विद्यालय की छुट्टी 2.00 बजे होती है। मैं घर में 2.15 तक पहुँच जाता हूँ। और उसके बाद खाना खाकर मैं 1 घंटे आराम करता हूँ। 3.00 बजे से 5.00 बजे तक मैं अपने विद्यालय का कार्य करता हैं और उसके बाद शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट या बैडमिंटन खेलने चला जाता हैं। जससे मझमें नई ताजगी आती है। दो घंटे खेलने के बाद 7.00 बजे मैं घर आ जाता हैं। उसके बाद मैं नहाता हूँ अब मैं अपने आपको बड़ा हल्का महसूस करता हूँ। रात का खाना खाने के बाद मैं थोड़ी देर अपने पिताजी के साथ घूमने चला जाता हूँ। वहाँ से आने के बाद मैं अपनी माताजी के पास बैठ जाता हूँ वह मुझे अच्छी कहानियाँ सुनाती हैं। और 9.30 के करीब मैं सो जाता हूँ। रविवार के दिन मैं अक्सर अपने रिश्तेदार के घर घूमने चला जाता हूँ क्योंकि छुट्टी वाले दिन विद्यालय नहीं जाना होता। लेकिन मैं छुट्टी वाले दिन भी जल्दी उठना तथा जल्दी सोना कभी नहीं भूलता।

My Daily Routine

रूप – रेखा  

दिनचर्या का अर्थ , प्रात : काल की दिनचर्या , स्कूल की तैयारी , स्कूल में कार्य , दोपहर बाद की दिनचर्या , शाम की दिनचर्या , रात की दिनचर्या ।

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम लोग प्रतिदिन जो कार्य करते हैं, उसे दिनचर्या कहते हैं । इस प्रकार नित्यप्रति किया जाने वाला कार्य व्यवहार दिनचर्या कहलाता है । दिनचर्या का नियमित होना बहुत होता है । यह जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है। एक छात्रा हूँ। मेरी दिनचर्या प्रातः पाँच बजे से आरंभ होती है । मैं बजे उठकर मुँह-हाथ धोती हूँ। फिर एक गिलास पानी पीकर शौच जाती हैं। इसके बाद मैं पिताजी और माँ के साथ सुबह की सैर के लिए निकल पडती हूँ। आधे घंटे की सैर से पूरा व्यायाम हो जाता है। प्रात: कालीन सूर्य के दर्शन में मन प्रफुल्लित हो उठता है। मैं सूर्य देवता को नमस्कार कर घर की राह पकड़ती हूँ।

सैर से लौटकर आधे घंटे में मैं स्कूल के लिए नहा-धोकर तैयार हो जाती हूँ। झटपट नाश्ता करती हूँ। स्कूल के पीरियड के अनुसार बस्ता तैयार करती हूँ। जूतों को ब्रश से झाडकर पहनती हूँ। फिर स्कूल बस पकड़ने के लिए सड़क के किनारे खडी हो जाती हूँ। लेकिन ये सारे काम स्कूल में छुट्टी होने की स्थिति में नहीं होते । छुट्टी के दिनों की दिनचर्या कुछ अलग होती है। नहा-धोकर नाश्ता करती हूँ और अध्ययन में जुट जाती हूँ।

स्कूल पहुँचने पर मेरी दिनचर्या सामूहिक दिनचर्या का रूप ले लेती है। मध्यावकाश में सभी विद्यार्थी प्रसन्न होकर लंच करते हैं। समय मिलने पर उछल-कूद भी खूब होती है । छुट्टी होने पर स्कूल बस मुझे समय पर घर तक छोड़ आती है। घर लौटकर बस्ते को सही जगह पर रखती हूँ। स्कूल ड्रैस, जूता आदि यथास्थान रखकर मुँह-हाथ धोती हूँ। फिर भोजन का कार्यक्रम होता है। भोजन के बाद आधे घंटे का विश्राम होता है।

शाम के तीन से पाँच बजे तक पढ़ाई करती हूँ । इसी समय से मिले गृहकार्य को निबटाती हूँ। माता जी गृहकार्य को पूरा करते पूरा सहयोग देती हैं । गृहकार्य से निबटकर पढ़ाए गए पाठों को दोहराती भी हूँ। दो घंटे बहुत जल्दी बीत जाते हैं । घर पर पढ़ाई के ये दो घंटे बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

शाम पाँच बजे से साढ़े छह बजे तक का समय मैंने खेल निश्चित कर रखा है। मैं अपनी सहेलियों के साथ बैडमिंटन खेलती हूँ। यह मेरा सबसे प्रिय खेल है । खेल के दौरान सहलियों से थोडी गप-शप भी होजाती है । खेल का कार्यक्रम समाप्त कर हाथ-मुंह धोती हूँ। इस समय घर में सामूहिक प्रार्थना होती है । में प्रार्थना और आरती में भाग लेती हूँ। इससे मन में शांति आती है।

सात से नौ बजे तक पढ़ाई चलती है । थोड़ी देर के लिए पिताजी का मार्गदर्शन भी मिलता है । यह समय एक या दो विषयों को विस्तार से पढ़ने का होता है । नौ बजते ही मैं टी.वी के सामने बैठ जाती हूँ । इस समय मैं अपना मनपसंद कार्यक्रम देखती हूँ। इसी दौरान माँ गरमागरम भोजन परोस देती है । खाना खाते-खाते दस बज जाते है । नींद के झोंके आने लगते हैं । मैं बिस्तर पर जाकर सो जाती हूँ। यही मेरी दिनचर्या है।

छुट्टी के दिनों में मेरी दिनचर्या में कुछ मनोरजक बदलाव आ जाता है । छुट्टी के दिनों में मैं घर के कामों में माँ का हाथ बँटाती हूँ । इन दिनों में अपनी चित्रकारी के शौक को भी पूरा करती हूँ । सहेलियों से मिलने-जुलने का कार्यक्रम भी इन्हीं दिनों में होता है।

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मेरी दिनचर्या पर निबंध

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मैं तीसरी कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरी दिनचर्या बहुत ही साधारण है। एक बार मैंने अपने अध्यापक से सुना था कि सुबह जल्दी उठना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इसलिए मैं सुबह जल्दी उठता हूँ। मैं सुबह 6 बजे उठ जाता हूँ। उसके बाद आधा घंटा अपने बगीचे में सैर करता हूँ।

तथा उसके बाद नहाता हूँ उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनकर मंदिर जाता हूँ। मेरी दादी जी ने मुझे सिखाया कि रोज सुबह भगवान की प्रार्थना करनी चाहिए। मंदिर से आने के बाद मैं अपना नाश्ता करता हूँ। नाश्ते में मैं दूध और ब्रेड, फल इत्यादि खाता हूँ। उसके बाद मैं अपनी किताबों को बैग में लगाकर तैयार करता हूँ तथा 8.00 पर विद्यालय के लिए निकल जाता हूँ।

मेरा विद्यालय 8.30 बजे शुरू होता है। मैं 8.15 पर विद्यालय पहुँच जाता हूँ और अपने विद्यालय में ध्यान से पढ़ाई करता हूँ। विद्यालय की छुट्टी 2.30 बजे होती है। मैं घर में 2.45 तक पहुँच जाता हूँ। और उसके बाद खाना खाकर मैं कुछ देर आराम करता हूँ। 3.30 बजे से 5.00 बजे तक मैं अपने विद्यालय का कार्य करता हैं और उसके बाद शाम को मैं अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट या बैडमिंटन खेलने चला जाता हैं। जिससे मुझमें नई ताजगी आती है।

दो घंटे खेलने के बाद 7.00 बजे मैं घर आ जाता हैं। उसके बाद मैं नहाता हूँ अब मैं अपने आपको बड़ा हल्का महसूस करता हूँ। रात का खाना खाने के बाद मैं थोड़ी देर अपने पिताजी के साथ घूमने चला जाता हूँ। वहाँ से आने के बाद मैं अपनी माताजी के पास बैठ जाता हूँ वह मुझे अच्छी कहानियाँ सुनाती हैं। और 9.30 के करीब मैं सो जाता हूँ।

रविवार के दिन मैं अक्सर अपने रिश्तेदार के घर घूमने चला जाता हूँ क्योंकि छुट्टी वाले दिन विद्यालय नहीं जाना होता। लेकिन मैं छुट्टी वाले दिन भी जल्दी उठना तथा जल्दी सोना कभी नहीं भूलता।

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