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महिला शिक्षा पर निबंध | Essay On Women Education In Hindi

Essay On Women Education In Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आज हम  महिला शिक्षा पर निबंध  आपके साथ साझा कर रहे हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स तथा बच्चों के लिए सरल भाषा में  Essay On Women Education In Hindi  लिखा गया हैं.

इस निबंध को आप 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400 और 500 शब्दों में  Nari Shiksha ka mahatva essay in hindi  के रूप में भी पढ़ सकते हैं. चलिए  नारी शिक्षा महत्व एस्से  आरम्भ करते हैं.

Essay On Women Education In Hindi

नमस्कार दोस्तों आज नारी शिक्षा पर निबंध लेकर आए हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए भारत में नारी शिक्षा महत्व, आवश्यकता, इतिहास पर शोर्ट निबंध, भाषण अनुच्छेद यहाँ 400 और 500 वर्ड्स में दिया गया हैं.

चलिए  Woman Education Essay in Hindi  पढ़ना आरम्भ करते है.

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नारी शिक्षा के महत्व पर निबंध

भारतीय समाज में नारी शिक्षा की स्थिति-  आधुनिक पुरुष प्रधान समाज में नारी को पुरुष के मुकाबले कमतर आँका जाता हैं. इस मानसिकता के चलते नारी शिक्षा के मामले में भी समाज में उदासीनता रहती है जबकि पुरुषों को शिक्षा में सुअवसर मिलते रहे हैं.

नारी को पुरुष प्रधान समाज में पहले बेटी फिर बहू और माँ के रूप में जीवन की इन भूमिकाओं का निर्वहन करना पड़ता हैं. उनका स्थान इतना महत्वपूर्ण होने के उपरान्त भी वह शिक्षा की दायरे से अभी भी बाहर ही स्वयं को पाती हैं.

प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक महिला शिक्षा के कोई विशेष प्रबंध व सुविधाएं नहीं थी, मगर आजादी के बाद से केंद्र सरकार, राज्य सरकारे तथा समाज नारी शिक्षा में उन्नति की ओर बढ़ा है फिर भी औसतन नारी आज भी साक्षरता से वंचित हैं. आज भी पुरुषों की तुलना में नारी साक्षरता बेहद कम हैं.

शिक्षित नारी का समाज में स्थान – एक साक्षर इन्सान स्वयं के भौतिक एवं बौद्धिक विकास में सबल होता हैं. इस लिहाज से यदि नारी शिक्षित हो तो वह एक गृहणी, माँ अथवा पत्नी के रूप में बेहतर परिवार का संचालन, बच्चों की देखभाल कर सकती हैं. वह अपनी सन्तान में उत्तम संस्कार तथा अच्छे गुणों को जन्म दे सकती हैं.

सदाचार, अनुशासन तथा ईमानदारी जैसे गुण तभी समाज पैदा किये जा सकते है जब प्रत्येक नारी साक्षर हो. एक पढ़ी लिखी नारी विविध भूमिकाओं में यथा माँ के रूप में उत्तम शिक्षिका, पत्नी के रूप में श्रेष्ठ भागीदार, बहिन के रूप में अच्छी मित्र और पथप्रदर्शक हो सकती है.

एक शिक्षित नारी समाज सेवा में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दे सकती हैं. वकील, चिकित्सक, प्रशासनिक अधिकारी, सलाहकार के रूप में अपने दायित्वों को पूरा कर पाएगी.

महिला अपनी दोहरी भूमिकाओं को लेखिका, कवयित्री, अभिनेत्री, प्रशासिका तथा कुशल गृहणी के रूप में अपनी सेवाएं परिवार तथा समाज को दे सकती हैं. नारी शिक्षा से समाज और देश के विकास को दुगुनी गति मिल सकेगी तथा उनका सकारात्मक योगदान तरक्की में सहायक हो सकेगा.

शिक्षित नारी आदर्श गृहणी-  ज्ञान अर्थात शिक्षा ही मनुष्य के ज्ञान चक्षु खोलती हैं. अतः एक गृहणी नारी का शिक्षित होना अति आवश्यक हैं. वह अपने घर, परिवार, बच्चों के हित अहित सही गलत के फैसले सही तरीके से कर सकेगी तथा परिवार के विकास में एक स्तम्भ बनकर साबित होगी.

गृहस्थी के भार का वहन शिक्षित पति पत्नी उतना आसानी से कर सकते है जिससे परिवार में सुख शान्ति व सम्रद्धि का वातावरण रहता है जो बच्चों के संतुलित विकास के लिए भी जरुरी हैं.

एक अशिक्षित नारी की तुलना में शिक्षित नारी परिवार के आय व्यय का लेखा जोखा अच्छी तरह से रख सकती है अपव्यय से बचा सकती हैं.

वह परिवार की प्रतिष्ठा को बनाएं रखने में सहयोग कर सकती है तथा हस्त उद्योग यथा सिलाई, बुनाई जैसे कार्य में भी अपना योगदान दे सकती हैं. घर की स्वच्छता तथा सजावट में रूचि रखने वाली शिक्षित नारी घर को स्वर्ग का रूप दे सकती हैं.

वह अन्धविश्वास तथा आडम्बरों से मुक्त रहने के साथ ही परिवार में इस तरह के विचारों को रोकने में प्रभावी होती हैं. वह विभिन्न तरीको से अपने परिवार को सुखी एवं सम्पन्न बनाने में पति के अर्द्धांगिनी बन सकती हैं.

नारी शिक्षा का महत्व – भारतीय संस्कृति में नारी को हमेशा से सम्मानित स्थान प्राप्त था. प्राचीन काल में नारियो को देवी का स्वरूप मानकर उन्हें पूजनीय कहा गया था.

उस दौर में भी नारियां परम्परागत शिक्षा प्राप्त कर पुरुष के समान जिम्मेदारियों को पूरा कर समाज कल्याण में सहयोगिनी हुआ करती थी. आज भी बिना नारी के सहयोग के पुरुष के समस्त कार्य अप्रभावी हैं यही वजह है कि नारी का एक अन्य नाम अर्द्धांगिनी है दोनों से मिलकर समाज बनता है

एक गाड़ी के चलने के लिए जिस प्रकार दोनों पहियों का सम्वत चलना जरुरी है उसी भांति गृहस्थी को चलाने के लिए भी स्त्री पुरुष को समान भागीदारी से आगे बढना जरुरी हैं. परिवार में आत्मीयता तथा एकता की स्थापना में शिक्षित नारी अधिक कारगर साबित हो सकती हैं.

वह अपने निजी व्यवहार में सभी सदस्यों के साथ संतुलन बनाए रखती हैं. इससे परिवार का वातावरण हल्का रहता है तथा सुख सम्रद्धि से पूर्ण रहता हैं, जिसका सीधा असर समाज व देश पर पड़ता हैं.

उपसंहार-  अंत में यही कहा जा सकता है कि एक नारी अच्छी एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पाकर न केवल अपने सुचरित्र का निर्माण करती है बल्कि वह अपने परिवार तथा समाज में भी अपने विचारों की छाप छोड़ती हैं.

एक शिक्षित नारी आदर्श पत्नी, कुशल गृहिणी, आदर्श माँ, बहिन किसी भी रूप में देश व समाज की अशिक्षित नारी की तुलना में बेहतर एवं कुशल रूप में अपनी सेवाएं दे सकती हैं.

जिस समाज व देश की नारियां सुसंस्कृत होती है वह हमेशा तरक्की के शिखर पर आरूढ़ होता है इसकी कारण कहा गया है शिक्षित नारी सुख सम्रद्धिकारी.

Short Essay On Women Education In Hindi 400 Words

भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आदर का भाव प्राचीन काल से ही रहा है| शिक्षा की भूमिका स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण रही है|

आजादी के बाद से,विशेष रूप से पिछले दो -ढाई दशको से केंद्र सरकार तथा विभिन्न राज्य सरकारों द्धारा चलाए जा रहे सतत साक्षरता अभियान तथा 6 से 14 वर्ष सभी बालक -बालिकाओं (importance of girl education) को प्राथमिक शिक्षा दिलाने की अनिवार्यता ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है. साथ ही प्रोढ़ शिक्षा कार्यक्रम में भी इसमे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं.

यदि हम देखे तो पायेगे कि भारत के अतीत में विशेष रूप से वैदिक काल उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों को पुरुषो के समान ही शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार प्राप्त था. गार्गी, मैत्रेयी, लोपमुद्रा आदि कतिपय विदुषी नारियां स्त्री शिक्षा के सर्वोतम उदहारण हैं, जिनका उल्लेख प्राचीनतम साक्ष्यो में मिलता हैं.

इसी क्रम में बौधकाल में भी स्त्रियों को संघ में प्रवेश लेने व शिक्षा प्राप्ति का अधिकार था. कालान्तर में अनेक विदेशी आक्रंताओ के आने से स्त्री सुरक्षा का प्रश्न स्त्री शिक्षा की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया. तथा स्त्रियों पर बहुत से सामाजिक बंधन बढ़ने लगे.

परिणाम स्वरूप समाज में स्त्रियाँ हर क्षेत्र में पिछड़ गईं तथा समाज पुरुष प्रधान हो गया जिससे शिक्षा की द्रष्टि से स्त्रियों और पुरुषो में विषमता फ़ैल गईं. पर्दा प्रथा, सती प्रथा, दास प्रथा आदि कुरीतियों ने स्त्रियों की स्थति में गिरावट लाने का ही काम किया.

आधुनिक काल में भारत में आए सामाजिक नवजागरण के साथ ही स्त्रियों की शिक्षा व्यवस्था का नया सूत्रपात हुआ. तथा राजा राममोहन राय, स्वामी द्यान्न्त सरस्वती जैसे समाज सुधारको की प्रेरणा से तथा साथ ही कुछ मशीनरियो द्वारा बालिका शिक्षा के लिए कुछ विद्यालय स्थापित किये.

1904 में श्रीमती एनीबेसेंट ने बनारस में केन्द्रीय हिन्दू बालिका विद्यालय की स्थापना की. आजादी के बाद भारतीय सविधान में सभी जाति धर्म सम्प्रदाय के स्त्री-पुरुषो को समान रूप से शिक्षा प्रदान करने का अधिकार सभी नागरिको को दिया गया.

तथा स्त्री शिक्षा के प्रचार के लिए राष्ट्रिय महिला शिक्षा समिति राष्ट्रिय महिला शिक्षा परिषद हंसा मेहता समिति आदि का गठन कर स्त्री शिक्षा के क्षेत्र महत्वपूर्ण कार्य हुआ.

आज ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रो में समान रूप से बालिका शिक्षा का प्रतिशत उल्लेखनीय रूप से बढ़ रहा हैं. सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रो जैसे चिकित्सा, अभियांत्रिकी, तकनिकी, विज्ञान, खेल, प्रबंध, भूगर्भ, विज्ञान, अन्तरिक्ष विज्ञान, राजनीति तथा समाज सेवा के क्षेत्रो में अनेक शिक्षित महिलाओं ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए,

राष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया हैं. कहते हैं, एक पुरुष के शिक्षित होने केवल एक व्यक्ति शिक्षित होता हैं. जबकि एक महिला के शिक्षित होने पर पूरा परिवार शिक्षित होता हैं. हमारी वर्तमान भारत सरकार ने भी बालिका शिक्षा को लेकर कई उपक्रम चलाए हैं

तथा अनेक शिक्षण संस्थान स्त्रियों के लिए विशेष रूप से स्थापित किये गये हैं. आज शिक्षा के हर क्षेत्र में स्त्रिया पुरुषो से आगे निकल रही हैं.

Long Essay On Women Education In Hindi In 500 Words

हमारे समाज में पुरुष की अपेक्षा नारी को कम महत्व दिया जाता हैं. इस कारण पुरुष को शिक्षा प्राप्त करने का सुअवसर मिलता हैं. परन्तु महिला को परिवार की परिधि में कभी कन्या, कभी नववधू या पत्नी तो कभी माता के रूप में जकड़ी रहती हैं. और उसकी शिक्षा पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता हैं.

प्राचीन काल एवं मध्य काल में महिला शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएं नहीं थी. परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार नारी शिक्षा पर ध्यान दे रही हैं. फिर भी अभी शिक्षित महिलाओं का प्रतिशत बहुत ही कम हैं.

शिक्षित महिला का समाज में स्थान-  शिक्षित महिला अपने बौद्धिक विकास और भौतिक व्यक्तित्व का निर्माण करने में सक्षम होती हैं.

गृहणी के रूप में वह अपने घर परिवार का संचालन कुशलता से कर सकती हैं. वह अपनी सन्तान को वीरता, त्याग, उदारता, कर्मठता, सदाचार, अनुशासन आदि के ढाँचे में आसानी से ढाल सकती हैं.

सुशिक्षित नारी माँ के रूप में श्रेष्ठ गुरु, पत्नी के रूप में आदर्श गृहणी, बहिन के रूप में स्नेही मित्र और मार्गदर्शिका होती है. यदि महिला शिक्षित है तो वह समाज सेविका, वकील, डॉक्टर, प्रशासनिक अधिकारी, सलाहकार और उद्यमी आदि किसी भी रूप में सामाजिक दायित्व का निर्वाह कर सकती हैं.

वह कवयित्री, लेखिका, अभिनेत्री, प्रशासिका और साथ ही श्रेष्ठ गृहणी भी हो सकती हैं तथा अपने समाज व देश का अभ्युदय करने में अतीव कल्याणकारी और सहयोगिनी बन सकती हैं.

शिक्षित महिला आदर्श गृहिणी-  प्रत्येक आदर्श गृहिणी के लिए सुशिक्षित होना परम आवश्यक हैं. शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति को कर्तव्य- अकर्तव्य एवं अच्छे बुरे का ज्ञान होता हैं. गुणों और अवगुणों की पहचान इसी से ही होती है. गृहस्थी का भार वहन करने के लिए सुशिक्षित गृहिणी अधिक सक्षम रहती हैं.

वह परिवार की प्रतिष्ठा का ध्यान रखती है सिलाई बुनाई कढाई आदि कार्यों में दक्ष होती है. स्वच्छता सजावट में रूचि रखती है. अंधविश्वासों और ढोंगों से मुक्त रहती है तथा हर प्रकार से और हर उपाय से अपनी गृहस्थी को सुख सम्रद्धशाली बनाने की चेष्टा करती हैं.

शिक्षा और महिला सशक्तिकरण-  शिक्षित नारियों से समाज और देश का गौरव बढ़ता हैं. परन्तु वर्तमान में महिलाओं के अधिकार का हनन हो रहा है. उनके साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता है. तथा अनेक तरह से शोषण उत्पीड़न किया जाता हैं. ऐसे में शिक्षित नारी अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती है.

समाज का हित भी स्त्री सशक्तिकरण से ही हो सकता है. इसके लिए स्त्री शिक्षा की तथा जन जागरण की जरूरत है. वस्तुतः शिक्षित एवं सशक्त नारी ही घर परिवार में संतुलन बनाए रख सकती है. देश की प्रगति के लिए नारी सशक्तिकरण जरुरी हैं.

उपसंहार-  संक्षेप में कहा जा सकता कि उचित व अनुकूल शिक्षा प्राप्त करके महिला अपने व्यक्तित्व का निर्माण तो करती ही है, वह अपने समाज, घर परिवार में सुख का संचार करती है.

शिक्षित नारी आदर्श गृहिणी, आदर्श माता, आदर्श बहिन और आदर्श सेविका बनकर देश के कल्याण के लिए श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण करती है. इसी कारण शिक्षित नारी सुख सम्रद्धिकारी कहा गया हैं.

Essay on Women Education in India in Hindi Language- भारत में महिला शिक्षा पर निबंध

प्राचीन काल में महिला शिक्षा-  भारत के अतीत में ऐसा लम्बा दौर रहा जिनमें पुरुषों को तो शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था मगर नारियों को इस अधिकार से वंचित रखा जाता था.

इन सबके बावजूद अपने मानसिक कौशल के दम पर विश्वतारा, घोष, लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषी महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई.

भारत में बौद्ध धर्म के उद्भव के समय नारी शिक्षा के द्वार कुछ समय के लिए अवश्य खुले जिनमें स्त्रियों की शिक्षा के लिए अलग से बौद्ध संघ बनाए गये थे. मगर मध्यकाल आते आते नारी शिक्षा बिलकुल चौपट सी हो गई.

मुस्लिम आक्रान्ताओं के इस दौर में कुछ बड़े परिवार की लड़कियों को छोड़कर किसी को शिक्षा पाने का न कोई अधिकार था न उस समय इस तरह की कोई पुख्ता शिक्षा व्यवस्था थी.

इस अन्धकार भरे दौर में भी कुछ महिलाओं ने इतिहास पर अपनी छाप छोड़ी जिनमें रजिया बेगम, नूरजहाँ, जहांआरा, जेबुनिस्सा, मुक्ताबाई, जीजाबाई, गुलबदन मुमताज महल आदि का नाम लिया जाता हैं.

मुगलों का दौर खत्म होने के बाद भारत में अंग्रेजों के शासन की स्थापना में भी महिलाओं की शिक्षा के लिए कोई ख़ास व्यवस्थाएं नहीं थी. हाँ कुछ ईसाई मशिनिरिज अवश्य थी जो धर्म बदल चुकी महिलाओं के लिए खोली गई थी.

मगर सार्वजनिक तौर पर सभी महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार खुलने की शुरुआत बाकी थी. भारत में पहली बार डेविड हेयर ने पहला बालिका स्कूल खोला.

इसके बाद 1882 आते आते अंग्रेजी सरकार की ओर से भी इस दिशा में कुछ अहम कदम उठाएं गये. श्रीमती एनी बेसेंट ने वाराणसी में केन्द्रीय हिन्दू बालिका विद्यालय खोला.

इसके बाद महात्मा गांधी ने भी बालिका शिक्षा के लिए लोगों में जन जागरण की अहम भूमिका निभाई. उन्ही के प्रयासों की बदौलत 1927 में अखिल भारतीय स्त्री शिक्षा सम्मेलन आयोजित हुए जिसमें नारी शिक्षा की मांग प्रबल स्वर में उठाई गई थी.

भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद सभी स्कूलों में बालक बालिकाओं के लिए समावेशी शिक्षा के प्रावधान किये गये.

essay on women education in hindi language महिला शिक्षा निबंध

essay on importance of women education in hindi : कहा जाता हैं यदि एक पुरुष शिक्षित होता हैं तो केवल वहीँ शिक्षित होता हैं किन्तु एक स्त्री शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता हैं.

इससे स्त्री शिक्षा के महत्व का अनुमान लगाया जा सकता हैं यूँ भी समाज में जो परिवर्तन की लहर बह रही हैं, उसे देखते हुए यह जरुरी हो गया हैं कि हर क्षेत्र में स्त्री को समान अधिकार मिले.

यह स्त्री शिक्षा के बल पर ही संभव हैं.   हालांकि सामाजिक विधानों ने महिलाओं को राजनीतिक,  आर्थिक, सामाजिक  और धार्मिक अधिकार दिये हैं. लेकिन मात्र अधिकार प्राप्त होना,  उन्हें इन अधिकारों के लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता.

कानून उन्हें चुनाव में वोट देने का अधिकार,  चुनाव लड़ने और  राजनीतिक पद  ग्रहण करने का अधिकार भले ही दे, लेकिन यह उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.

पर कितनी स्त्रियाँ इन अधिकारों के प्रयोग करने के लिए जोर डालती है. इसका कारण हैं अशिक्षा. वे जागरूक नहीं. परम्परागत मूल्यों से चिपकी हुई हैं. साहस की कमी उन्हें साहसिक कदम उठाने से रोकती हैं.

इसलिए शिक्षा ही उन्हें उदार व व्यापक दृष्टि कोण से सम्पन्न व्यक्तित्व की स्वामिनी बनाएगी तथा उनकी अभिरुचियों, मूल्यों एवं भूमिका विषयक विचारों को बदलेगी.

भारत में वुमेन एड्यूकेशन (women education in india essay) : सामान्य अनुभव यह बताता है कि शैक्षिक अवसरों में भेदभाव लिंग के आधार पर सर्वाधिक था.

लेकिन अब स्त्री शिक्षा ने बड़े लम्बे डग भरे हैं आज विश्वविद्यालयों में कई विभागों और संभागों में युवकों की अपेक्षा युवतियां अधिक दिखाई देती हैं.

लेकिन  शिक्षा व्यवस्था में प्रवेश करने वाली अधिकतर शहरी युवतियाँ सफेदपोश परिवारों की हैं. ग्रामीण आवास, निम्न जाति और निम्न आर्थिक स्तर निश्चित रूप से लड़कियों को शिक्षा के अवसरों से वंचित कर देते हैं. स्त्रियों की शिक्षा में भागीदारी सुनिश्चित करने और उसमें सुधार के लिए निम्नलिखित विशिष्ट कदम उठाएं गये हैं.

स्त्री शिक्षा के उपाय (hindi essays on women education)

  • ओपरेशन ब्लेक बोर्ड के अंतर्गत सरकार ने प्राथमिक स्कूल अध्यापकों का पद स्रजन किया हैं, जिनमें अधिकांश महिला शिक्षिकाएं ही होगी.
  • लड़कियों के लिए गैर औपचारिक शिक्षा केन्द्रों की संख्या में वृद्धि.
  • महिला समाख्या परियोजना प्रारम्भ की गई, जिसका उद्देश्य है प्रत्येक सम्बन्धित गाँव में महिला संघ के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने के लिए महिलाओं को तैयार करना.
  • सजग कार्यवाही द्वारा नवोदय विद्यालयों में लड़कियों का प्रवेश 28 प्रतिशत तक सुनिश्चित किया गया हैं.
  • प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों में स्त्रियों के प्रवेश पर विशेष ध्यान दिया गया हैं.
  • ग्रामीण प्रकार्यात्मक साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत प्रौढ़ शिक्षा में नामांकित लोगों में अधिकांश महिलाएं शामिल करना.

स्त्री शिक्षा क्यों आवश्यक है (essay on stri shiksha in hindi language) : शिक्षा के बिना स्त्री पुरुष समानता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता. लेकिन कानून किसी स्त्री को स्वयं को शिक्षित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता.

न ही माता पिता को अपनी पुत्रियों को स्कूल भेजने के लिए बाध्य किया जा सकता हैं इसलिए समाज के सभी सदस्यों को स्त्रियों की शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता हैं.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 भी स्त्री पुरुष समानता के लिए शिक्षा पर बल दियाजो नवीन मूल्यों को विकसित करेगी प्रस्तावित नीति में स्त्रियों के विकास के लिए सक्रिय कार्यक्रम बनाने हेतु शैक्षिक संस्थाओं को प्रोत्साहन देने, स्त्रियों की निरक्षरता खत्म करने, प्रारम्भिक शिक्षा तक स्त्रियों की पहुच सम्बन्धी बाधाओं को हटाने तथा व्यावसायिक, प्राविधिक एवं पेशेवर शिक्षा पाठ्य क्रम में लिंग रुढियों के स्थिर रूपों को समाप्त करने के लिए गैर भेदभाव नीति अपनाने आदि पर जोर दिया गया हैं.

नारी शिक्षा का भारत में इतिहास (nari shiksha essay in hindi language)  : यदि हम भारतीय समाज के इतिहास पर दृष्टि डाले तो देखते हैं कि कुछ अंधकारमयकालखंड को छोड़कर सामान्यतया स्त्री की शिक्षा एवं संस्कार को महत्व दिया गया. ऋग्वैदिक काल तथा उपनिषद काल में नारी शिक्षा का पर्याप्त विकास था.

उच्च शिक्षा के लिए पुरुषों की भांति स्त्रियाँ भी शैक्षिक अनुशासन के अनुसार ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर शिक्षा ग्रहण करती थी. शास्त्रों की रचना करने वाली नारियों को ब्रह्मावादिनी कहा गया हैं.

इनमें कोमशा, लोपामुद्रा, घोषा, इंद्राणी आदि के नाम प्रसिद्ध हैं. पुस्तक रचना, शास्तार्थ तथा अध्ययन कार्य के द्वारा नारी उच्च शिक्षा का उपयोग करती थी. शास्त्रार्थ प्रवीण गार्गी का नाम जगत प्रसिद्ध हैं.

पतंजली ने जिस शाक्तकी शब्द का प्रयोग किया हैं. वह भाला धारण करने वाली अर्थ का बोधक हैं. इससे प्रतीत होता हैं कि नारियों को सैनिक शिक्षा भी दी जाती थी. इसके अतिरिक्त स्त्रियों को विशेष रूप से ललित कला, नृत्य, संगीत आदि विधाओं की शिक्षा दी जाती थी.

स्त्री शिक्षा वाद विवाद (debate on nari shiksha in hindi) : मध्यकाल में मुस्लिम सभ्यता एवं संस्कृति में व्याप्त पर्दे की प्रथा के कारण स्त्री शिक्षा लगभग लुप्तप्राय हो गई थी. केवल अपवाद के रूप में सम्रद्ध मुसलमान परिवार की महिलाएं ही घर पर शिक्षा ग्रहण करती थी.

इनमें नूरजहाँ, जहाँआरा, जेबुन्निसां आदि के नाम प्रसिद्ध हैं. लेकिन सामान्यतया महिलाओं की स्थिति मध्यकाल में सबसे दयनीय थी. हिन्दू समाज में भी बाल विवाह, सती प्रथा जैसी अनेक कुरीतियों के कारण बहुसंख्यक नारियां शिक्षा से वंचित रहीं.

19 वीं शताब्दी ने नवजागरण चेतना ने भारतीय समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों को समाप्त करने की कोशिश की. भारत में तेजी से हुए सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन ने कुप्रथाओं को दूर करके स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन दिया.

ईश्वर चन्द्र विद्या सागर ने बंगाल में कई विद्यालय लड़कियों की शिक्षा के लिए खुलवाएं. सन 1882 के भारतीय शिक्षा आयोग के द्वारा भारत सरकार की ओर से शिक्षण प्रशिक्षण का प्रबंध हुआ.

आयोग ने स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में अनेक उत्साहवर्धक सुझाव प्रस्तुत किये, लेकिन रूढ़िवादिता के कारण वे अधिक प्रभावी तरीके से कार्यान्वित नहीं हो सके.

नवजागरण की चेतना या लहर चूँकि समूचे विश्व में व्याप्त थी, इसीलिए वैश्विक स्तर पर स्त्री शिक्षा के सन्दर्भ में उल्लेखनीय प्रगति हुई, भारत भी इससे अछूता नहीं रहा.

उच्च शिक्षा की दृष्टि से 1916 महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि इस समय दिल्ली मर लेडी होर्डिंग कॉलेज एवं समाजसुधारक डी के कर्वे द्वारा बम्बई में लड़कियों के लिए विश्वविद्यालय खोला गया.

इस समय भारतीय मुसलमान स्त्रियों ने भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पर्दापण किया. स्त्रियों की प्राविधिक शिक्षा में कला, कृषि, वाणिज्य आदि विषयों का समावेश हुआ और नारी सहशिक्षा की ओर अग्रसर हुई.

तब से लेकर आजतक स्त्री शिक्षा के स्तर एवं आयाम में निरंतर वृद्धि होती जा रही हैं. स्त्रियाँ अपने अधिकारों से परिचित होकर पुरुषों के समकक्ष स्वयं को सिद्ध करने के लिए शिक्षा के महत्व की अपरिहार्यता को समझने लगी हैं.

उन्हें एहसास हो गया हैं कि प्रगतिशील एवं शिक्षित समुदाय बनने से स्त्री पुरुष का भेद स्वतः ही मिट जाएगा.

Short essay on importance of women’s education in hindi Language

female education essay in hindi: भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आदर का भाव प्राचीन काल से ही रहा हैं. शिक्षा की भूमिका स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं.

आजादी के बाद से पिछले दो ढाई दशकों से केंद्र सरकार तथा विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे सतत साक्षरता अभियान तथा 6 से 14 वर्ष के सभी बालक बालिकाओं को प्राथमिक शिक्षा दिलाने की अनिवार्यता ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया हैं.

साथ ही प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं. यदि हम देखे तो पाएगे कि भारत के अतीत में विशेष रूप से वैदिक काल तथा उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों को पुरुषों के समान ही शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार प्राप्त था, गार्गी मैत्रेयी, लोपमुद्रा कतिपय विदुषी नारियाँ स्त्री शिक्षा के सर्वोत्तम उदाहरण हैं.

जिनका उल्लेख प्राचीनतम साक्ष्यों में मिलता हैं. इसी क्रम में बौद्धकाल में भी अनेक स्त्रियों को संघ में प्रवेश लेने व शिक्षा प्राप्ति का अधिकार था.

कालान्तर में अनेक विदेशी आक्रान्ताओं के आने से स्त्री सुरक्षा का प्रश्न स्त्री शिक्षा की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया तथा स्त्रियों पर बहुत से सामाजिक बंधन बढ़ने लगे.

परिणामतः समाज में स्त्रियाँ हर क्षेत्र में पिछड़ गई तथा समाज पुरुष प्रधान हो गया, जिससे शिक्षा की दृष्टि से स्त्रियों और पुरुषों में विषमता फ़ैल गई. पर्दा प्रथा, सती प्रथा, दास प्रथा आदि कुरीतियों ने स्त्रियों की स्थिति में गिरावट लाने का काम किया.

आधुनिक काल में भारत में आये सामाजिक नवजागरण के साथ ही स्त्रियों की शिक्षा व्यवस्था का नया सूत्रपात हुआ. तथा राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे समाज सुधारकों की प्रेरणा से तथा साथ ही कुछ मिशनरियों द्वारा बालिका शिक्षा के लिए कुछ विद्यालय स्थापित किये. 1904 में श्रीमती एनीबेसेण्ट ने बनारस में केंद्रीय हिन्दू बालिका विद्यालय की स्थापना की.

आजादी के बाद भारतीय संविधान में सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय के स्त्री पुरुषों को समान रूप से शिक्षा प्रदान करने का अधिकार सभी नागरिकों को दिया गया तथा स्त्री शिक्षा के प्रसार के लिए राष्ट्रीय महिला शिक्षा समिति, राष्ट्रीय महिला शिक्षा परिषद्, हंसा मेहता समिति आदि का गठन कर स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य हुआ.

आज ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में समान रूप से बालिका शिक्षा का प्रतिशत उल्लेखनीय रूप से बढ़ रहा हैं. सार्वजनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे चिकित्सा, अभियांत्रिकी, तकनीक, विज्ञान, खेल, प्रबंधन, भूगर्भ विज्ञान, अन्तरिक्ष विज्ञान, राजनीति तथा समाज सेवा के क्षेत्रों में अनेक शिक्षित महिलाओं ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए राष्ट्र के निर्माण में योगदान किया हैं.

कहते है एक पुरुष के शिक्षित होने पर केवल एक व्यक्ति ही शिक्षित होता है, जबकि एक महिला के शिक्षित होने पर पूरा परिवार शिक्षित होता है.

हमारी वर्तमान भारत सरकार ने भी बालिका शिक्षा को लेकर कई उपक्रम चलाए है तथा अनेक शिक्षण संस्थान स्त्रियों के लिए विशेष रूप से स्थापित किये गये हैं. आज शिक्षा के क्षेत्र में हर क्षेत्र में स्त्रियाँ पुरुषों से आगे निकल रही हैं.

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उम्मीद करता हूँ दोस्तों  Essay On Women Education In Hindi & महिला शिक्षा पर निबंध  का यह लेख आपकों पसंद आया होगा.

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Women Education Essay In Hindi

महिला शिक्षा पर निबंध – Women’s Education Essay In Hindi

भारत में महिला शिक्षा पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on women education in india in hindi), स्त्री शिक्षा और महिला–उत्थान – female education and female upliftment.

  • प्रस्तावना,
  • समाज में स्त्रियों का स्थान,
  • महिलाओं की प्रगति,
  • स्त्री सशक्तीकरण जरूरी,
  • स्त्री शिक्षा की आवश्यकता और महत्व,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना– मानव समाज के दो पक्ष हैं–स्त्री और पुरुष। प्राचीनकाल से ही पुरुषों को स्त्री से अधिक अधिकार प्राप्त रहे हैं। स्त्री को पुरुष के नियंत्रण में रहकर ही काम करना पड़ा है।

‘नारी स्वतंत्रता के योग्य नहीं है’, कहकर स्मतिकार मन ने स्त्री को बन्धन में रखने का मार्ग खोल दिया है, किन्तु वर्तमान शताब्दी प्राचीन रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने का समय है। स्त्री भी पुराने बन्धनों से मुक्त होकर आगे बढ़ रही है।

समाज में स्त्रियों का स्थान– समाज में स्त्रियों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाता है। उनको पुरुष के समान स्थान तथा महत्त्व आज भी प्राप्त नहीं है। उसे बचपन से वृद्धावस्था तक परम्परागत घर–गृहस्थी के काम करने पड़ते हैं।

अब बालिकाओं को स्कूलों में पढ़ने जाने का अवसर मिलने लगा है, परन्तु काफी महिलाएँ शिक्षा से अब भी वंचित हैं। शिक्षा के अभाव में स्त्रियाँ आगे नहीं बढ़ पाती और समाज में अपना अधिकार तथा स्थान प्राप्त नहीं कर पाती।

महिलाओं की प्रगति– स्वतंत्रता प्राप्त होने के पश्चात भारत निरन्तर प्रगति कर रहा है। महिलाएँ किसी देश की आधी शक्ति होती हैं। जब तक महिलाओं की प्रगति न हो तब तक देश की प्रगति अधूरी होती है।

भारत की प्रगति और विकास भी नारियों के पिछड़ी होने से अपूर्ण है। उद्योग–व्यापार, विभिन्न सेवाओं, सामाजिक संगठनों तथा राजनैतिक दलों में महिलाओं की उपस्थिति का प्रतिशत बहुत कम है।

चुनाव के समय राजनैतिक दल उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं बनाते। लोकसभा तथा विधानसभाओं में महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित करने का बिल पेश ही नहीं हो पाता। पुरुष नेता उन्हें वहाँ देखना ही नहीं चाहते।

स्त्री सशक्तीकरण जरूरी– आज के समाज में स्त्री को देवी, पूज्य, मातृशक्ति आदि कहकर भरमाया जाता है। वैसे उसे कदम–कदम पर अपनी कमजोरी और उसके कारण सामने आने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

घर तथा बाहर सभी उसकी कमजोरी का लाभ उठाते हैं। वर्ष 2002 से 2012 के बीच महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में 69 प्रतिशत वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के निम्नलिखित आँकड़े इसका खुलासा करते हैं

  • महिलाओं के विरुद्ध अपराध – 2002 – 2012 – वृद्धि का प्रतिशत
  • बलात्कार – 16373 – 24923 – 52.2
  • अपहरण – 14506 – 38262 – 163.8 —
  • पति या निकट सम्बन्धियों द्वारा अपराध – 49237 – 106527
  • कुल अपराध – 109784 – 186033 – 69

अपराधों के उक्त आँकड़ों को देखने पर और समाज में महिलाओं की दुर्दशा को देखते हुए स्त्री सशक्तीकरण आज की अनिवार्य आवश्यकता बन गयी है।

स्त्री शिक्षा की आवश्यकता और महत्व– नारियों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यकता है- शिक्षित बनने की। शिक्षा ही महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर सकती है। शिक्षित होने पर ही उनमें किसी क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर सकने की क्षमता विकसित हो सकती है।

घर के बाहर जाकर काम करने के लिए ही नहीं घर में परिवार के दायित्वों का निर्वाह करने के लिए भी शिक्षित होना बहुत सहायक होता है शिक्षित महिला अपने बच्चों का मार्गदर्शन अच्छी तरह करके उनका तथा देश का भविष्य सँभाल सकती हैं।

यद्यपि महिलाएँ प्रशासन, शिक्षण, चिकित्सा विज्ञान, राजनीति आदि क्षेत्रों में आगे आई हैं और अच्छा काम किया है। वे पुलिस और सेना में भी काम कर रही हैं किन्तु उनकी संख्या अभी बहुत कम है। शिक्षा के अवसरों के विस्तार से विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति नि:संदेह बढ़ेगी।

उपसंहार– शिक्षा से ही महिलाएँ शक्ति अर्जित करेंगी। शिक्षित और सशक्त महिलाएँ देश और समाज को भी शक्तिशाली बनाएँगी। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।

इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। शिक्षण संस्थाओं में उनके लिए स्थान आरक्षित होना तथा उनको आर्थिक सहयोग और सहायता दिया जाना भी परमावश्यक है।

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महिला शिक्षा पर निबंध व महत्व Essay and Importance of Women Education in Hindi

महिला शिक्षा पर निबंध व महत्व Essay and Importance of Women Education in Hindi

इस पोस्ट मे महिला शिक्षा पर निबंध व महत्व Essay on Importance of Women Education in Hindi हिन्दी मे पढ़ें। स्त्री शिक्षा पर इस निबंध से स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी भी मदद भी ले सकते हैं।

Table of Content

महिला शिक्षा पर निबंध Essay on Women Education in Hindi

पिछले वर्षों से भारत के इतिहास में, महिलाओं की तुलना में पुरुषों की उच्च साक्षरता दर होती थी। भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य के समय में साक्षर महिलाओं का कुल महिला आबादी का मात्र 2-6% था।

भारत गणराज्य की स्थापना के बाद सरकार ने महिलाओं की शिक्षा पर काफी जोर दिया है। महिलाओं को शिक्षित बनाना महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है।

एक महिला का भी इस दुनिया मे उतना ही हक है जितना की एक पुरुष का। उन्हें भी शिक्षा के लिए उतना प्रोत्साहन देना चाहिए जितना पुरुषों को दिया जाता है। आज के इस आधुनिक युग मे महिलाओं और पुरुषों मे शिक्षा के क्षेत्र मे लिंग भेद करना मूर्खता है।

आज महिलायें शिक्षित होकर बड़े से बड़े पद पर कार्य कर रहे हैं। एक स्कूल की अध्यापिका से लेकर विमान की पाइलट तक आप हर जगह महिलाओं को काम करते हुए देख सकते हैं। अगर महिलाओं को भी समान शिक्षा दी जाए तो वे पुरुषों के समान ही सभी जगह अपना कमाल दिखा सकती हैं।

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महिला अधिकार के तथ्य व इतिहास Facts and History of Women’s Rights

कुछ साल पहले महिलाओं को सिर्फ रसोई और बच्चों को संभालने काम दिया जाता था। लोगो को अपने घर की महिलाओं को शिक्षा दिलाने पर यह डर था कि वह शिक्षित होने के बाद वे हिंदू परिवार की व्यवस्था को समाप्त कर देंगी।

दूसरा कारण अहंकार है, जो आज के इस आधुनिक युग में भी ज्यादातर पुरुषों द्वारा किया जाता है। अगर महिलाएं पुरुषों की तुलना में अत्यधिक शिक्षित हो गई तो पुरुषों के अहंकार को चोट लगती है। एक और चीज गरीबी के कारण भी ज्यादातर क्षेत्रों में आज भी कुछ माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षा के लिए अनुमति भी नहीं देते थे।

महात्मा ज्योतिबा फूले, उनके साथी और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फूले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए कई एतिहासिक प्रयासों में योगदान दिया। ज्योतिबा फूले और डॉ बाबा साहब अंबेडकर निम्न जाति के नेता थे, जिन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए पहल की थी।

वे सामाजिक सुधारक थे, इन्होंने शैक्षिक प्रणाली के खिलाफ काफी लड़ाईयां लड़ी और वे हमेशा महिलाओं की  शिक्षा की समानता का हमेशा समर्थन करते रहे । वे महिला अधिकारों के लिए लड़े और इसमें सफल भी रहे।

महिला शिक्षा के महत्व Importance of women education

आत्मनिर्भर बनना to become self-sufficient.

शिक्षा से महिलाओं के अंदर, आत्मविश्वास , आत्मसम्मान पैदा होता है जिससे वे अपनी क्षमता की खोज कर सकती हैं और वे नए विचारों और नवीनता के मार्ग की ओर अग्रसर होती हैं। शिक्षा से लिंग भेदभाव दूर होता हैं। महिलाएं अपने फ़ैसलों को लेने में सक्षम बनती है। शिक्षित महिलायें आज की दुनिया में स्वतंत्र हैं।

परिवार की देखभाल Caring of family in a better way

यदि महिलाओं को शिक्षित किया जाता है, तो इसका लाभ पूरे परिवार को मिलता है। यदि एक महिला शिक्षित होती है, तो वह पूरे घर को शिक्षित कर सकती है।

घर की महिलाएं शिक्षा के माध्यम से जो ज्ञान प्राप्त करती है, वह उसका उपयोग अपने बच्चों की बेहतर देखभाल करने में करती है, इसका अर्थ है उचित टीकाकरण, बच्चे की शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता , आदि।

1970 से 1995 के बीच महिला शिक्षा के कारण बाल कुपोषण में कमी आई। शिक्षित महिलाएं परिवार की आय और परिवार की स्थिति में सुधार कर सकती हैं और आज वह शिक्षा के कारण परिवार की समस्याओं को सुलझाने में सक्षम हैं।

समुदाय और समाज में नारी शिक्षा के लाभ Benefits in Community and Society

सामाजिक स्थिरता से संबंधित समस्याओं का समाधान खोजने के लिए महिलाओं की शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जिससे समुदाय और समाज अधिक समृद्ध हो जाते हैं।

महिला शिक्षा के परिणामस्वरूप माता और शिशु मृत्यु दर में कमी के साथ जीवन रक्षा दर, स्कूली शिक्षा और सामुदायिक उत्पादकता में वृद्धि हो रही है।

राष्ट्र की उन्नति Nation’s progress

शिक्षित महिला आर्थिक चुनौतियों का सामना- जैसे कि कृषि उत्पादन के क्षेत्र में, भोजन आत्मनिर्भरता, पर्यावरणीय गिरावट के खिलाफ लड़ाई और पानी और ऊर्जा का संरक्षण करने में सक्षम होती है जिससे देश उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख मे आपने महिला शिक्षा पर निबंध पढ़ा। इसमे हमने नारी शिक्षा के लाभ और इसके महत्व के विषय में भी चर्चा किया। साथ ही इससे देश और समाज में महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने से किस प्रकार से लाभ होगा इसके विषय मे भी चर्चा किया।

महिलाओं की शिक्षा पर इस लेख से जुड़े आपके अगर प्रश्न हैं तो कमेन्ट के माध्यम से हमें भेजें। आशा करते हैं आपको महिला शिक्षा पर निबंध (Essay on Women Education in Hindi) पसंद आया होगा।

2 thoughts on “महिला शिक्षा पर निबंध व महत्व Essay and Importance of Women Education in Hindi”

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essay on women's education in hindi language

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Essay On Women Education:महिला शिक्षा का महत्व

Meena Bisht

  • March 21, 2020
  • Hindi Essay

Essay On Women Education  , महिला शिक्षा का महत्व पर हिन्दी में निबन्ध

Essay On Women Education  

महिला शिक्षा का महत्व पर निबन्ध.

प्रस्तावना 

“महिलाएं समाज की वास्तविक वास्तुकार होती हैं।” और यह बात तो सर्वविदित है कि अगर कोई भी घर या ऑफिस सही वास्तु के हिसाब से ना बना हो तो , वह शुभ फल नहीं देता है।यही बात महिलाओं की शिक्षा के लिए भी लागू होती हैं। क्योंकि महिलाएं ही समाज का स्वरूप निर्धारित करती हैं।

अगर महिलाएं खुद अच्छी स्थिति में नहीं होंगी , तो वो भला सभ्य समाज के निर्माण में क्या भूमिका निभाएंगी। यह हम सब समझ सकते हैं।हम सब Women Empowerment की बात तो बहुत करते हैं। लेकिन अगर वाकई में महिलाओं को सशक्त बनाना है तो , शिक्षा ही उस दिशा में पहला कदम होगा। 

महिला शिक्षा का अर्थ (Meaning of Women Education)

महिलाओं को शिक्षित करने का अर्थ है एक सभ्य समाज , देश और एक सभ्य विश्व का निर्माण करना। दुनिया की आधी आबादी को शिक्षित करे बिना , क्या वाकई में एक खुशहाल परिवार , एक सभ्य व विकसित राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।और क्या भविष्य में एक शिक्षित पीढ़ी को जन्म दे सकते है। अगर नहीं , तो अब आप समझ ही गए होंगे कि महिलाओं की शिक्षा क्यों आवश्यक है।

महिला शिक्षा का महत्व ( Importance of Women Education)

  • किसी भी परिवार का मुखिया भले ही घर का पुरुष , लेकिन महिला उस घर का एक मजबूत स्तंभ होती है। जिस पर पूरे घर का भविष्य टिका रहता है। और घर को सुचारू और सुनियोजित तरीके से चलाने के लिए दोनों का समझदार व शिक्षित होना आवश्यक है।
  • समझदारी , बुद्धि , विवेक तो शिक्षा से ही आती है। इसीलिए महिलाओं का शिक्षित होना अति आवश्यक है। अगर महिला शिक्षित होती है तो वह अपने घर परिवार के अन्य सदस्यों को , यहां तक कि अपने नवजात संतान को भी शिक्षित करना शुरू कर देती है। 
  •  विपरीत परिस्थितियों में भी शिक्षित महिला अपने धैर्य व बुद्धि विवेक का इस्तेमाल कर परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना देती हैं। 
  •  एक महिला की शिक्षा उस वक्त सबसे ज्यादा काम आती है। जब परिवार किसी तरह की आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रहा हो। ऐसे में महिला घर से बाहर निकल कर कोई नौकरी कर परिवार को आर्थिक मजबूती दे सकती है।या घर पर ही रह कर स्वरोजगार के माध्यम से परिवार को आर्थिक तंगी से बाहर निकालने में मदद करती है। 
  •  एक शिक्षित मां अपने बच्चों के स्कूल संबंधी समस्याओं को भी आसानी से सुलझा सकती हैं। तथा स्कूल द्वारा दिए गए उनके होमवर्क को भी पूरा करने में मदद कर सकती हैं। 
  •  आज के इस प्रतिस्पर्धा के दौर पर जब बच्चों को एक सही मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। तो एक शिक्षित मां ही अपने बच्चों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे सकती हैं। 
  • पति के जीवन में आने वाली अनेक समस्याओं और उतार-चढ़ावों में शिक्षित पत्नी अपनी समझदारी से उसकी जीवन की राह आसान बनाने में मदद करती हैं। 
  • यही नहीं आज पढ़ी लिखी महिलाएं अपने घर व परिवार को तो व्यवस्थित ढंग से चला ही रही हैं। इसके साथ ही समाज में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। 
  •  समाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण बनती जा रही है।उन्होंने अपनी मेहनत व सफलता के दम पर हर क्षेत्र में अपने नाम का झंडा फहराया है। 
  •  उच्च व प्रशिक्षित पढ़ी-लिखी महिलाएं भारत ही नहीं , विश्व के अनेक उच्च व महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। और अपनी योग्यता से अपनी भूमिकाओं को प्रखरता व विश्वसनीयता के साथ निभा रही हैं। 
  • शिक्षा महिलाओं की बुद्धि विवेक ,सोचने समझने की शक्ति को बढ़ाती है।उनके अंदर सकारात्मक विचारों का प्रवाह होता है। 

महिला शिक्षा की आवश्यकता

चाहे पुरुष हो या महिला , शिक्षा की आवश्यकता दोनों को बराबर है।क्योंकि परिवार से लेकर समाज व राष्ट्र तक में दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।अगर उनमें से एक भी अपनी भूमिका को अच्छे से ना निभाए तो , वह राष्ट्र तरक्की नहीं कर सकता। 

महिलाओं को शिक्षित करने का मतलब सिर्फ उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता दिलाना नहीं है।या पढ़ लिखकर पुरुषों से प्रतिद्ंद करना नहीं है , या अपने को उनसे श्रेष्ठ साबित करना नहीं है। बल्कि उनके साथ खड़े होकर कंधे से कंधा मिलाकर चलना। एक स्वस्थ व सभ्य समाज व देश का निर्माण करना है। 

लेकिन यह बात भी सच है कि महिलाओं को शिक्षित कर उन्हें हर तरह की स्वतंत्रता दिलाई जा सकती हैं।चाहे वो मानसिक हो या आर्थिक स्वतंत्रता। शिक्षा ही महिलाओं की सोचने समझने , विपरीत परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ा सकती है।

यह भी पढ़ें। …Essay on library in Hindi 

  भारत में महिला शिक्षा (Essay On Women Education)

आज भी हमारे देश में महिलाओं की शिक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।आज भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की शिक्षा का प्रतिशत बहुत कम है।शहरी क्षेत्रों में तो फिर भी ठीक है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह हालात और भी बुरे हैं।

कुछ जगहों में तो लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा के बाद माध्यमिक व उच्च शिक्षा के लिए स्कूल भेजने के बजाय उनकी शादी कर मां-बाप अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं।एक बार शादी हो जाने के बाद लड़कियों पारिवारिक समस्याओं में ही उलझ कर रह जाती हैं। ऐसे में आगे की पढ़ाई लिखाई का ध्यान उनके दिमाग में ही नहीं आता हैं। 

आज भी हमारे समाज में Women Empowerment के लिए कई सारी योजनाएं चलानी पड़ती है। क्योंकि आये दिन महिलाओं के साथ हिंसा , मारपीट , छेड़छाड़ , बलात्कार , दहेज हत्या आदि जैसे अपराध होते हैं।

यह सब सिर्फ अनपढ़ महिलाओं के साथ ही नहीं , बल्कि पढ़ी लिखी , सभ्य समाज में रहने वाली महिलाओं के साथ भी होता हैं।अशिक्षा के कारण आज भी हमारे समाज में बच्चियों को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है।कई महिलाएं दहेज की बलि चढ़ जाती हैं। 

आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं ज्यादातर घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। क्योंकि उनके पास जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोई आजीविका का साधन नहीं होता हैं। और अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्हें मजबूरी वश दूसरों के ऊपर निर्भर रहना पड़ता हैं।

इस वजह से वो ज्यादा हिंसा या शोषण का शिकार होती हैं।अगर ऐसे में कोई महिला शिक्षित हो तो वह घर से बाहर निकल कर या घर में ही स्वरोजगार अपनाकर अपनी आजीविका चला सकती हैं।  और शोषण का शिकार होने से बच सकती है। महिला शिक्षा महिलाओं को ना सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त करती हैं , बल्कि उनके सामाजिक सम्मान में भी वृद्धि करती हैं। 

निश्चित रूप से भारत में पहले की अपेक्षा आज के समय में शिक्षित महिलाओं के प्रतिशत का ग्राफ जरूर बढ़ रहा है।लेकिन अभी भी उतना नहीं है जितना होना चाहिए।आज जरूर मां बाप बेटियों की पढ़ाई के प्रति जागरूक हुए हैं।उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने व उनके सपनों को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्ध दिखते हैं।आज पढ़े-लिखे माता-पिता अपनी बच्चियों को पढ़ाई की स्वतंत्रता दे रहे हैं। 

पहले की अपेक्षा आज माता-पिता अपनी बच्चियों को पूरा पूरा सहयोग दे रहे हैं। और आज बेटियां जिस क्षेत्र में भी जाना चाहे , माता-पिता उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं। और यह होना भी चाहिए।

यह भी पढ़ें……Essay on discipline in Hindi

अगर महिलाओं व बच्चियों को शोषण से बचाना है और उनका संपूर्ण विकास करना है। उनके अंदर बौद्धिक शक्ति को जगाना है , तो उनका शिक्षित होना अति आवश्यक है।पढ़ी-लिखी बेटियां या महिलाएं अपने बुद्धि विवेक का इस्तेमाल कर , अपनी परिस्थितियों से खुद निपट सकती हैं।और आर्थिक रूप से सशक्त हो , अपना जीवन सम्मानपूर्वक व स्वतंत्रतापूर्वक जी सकती हैं।

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नारी शिक्षा पर निबंध | Hindi Essay on Women education

by Editor January 20, 2019, 2:38 PM 4 Comments

नारी शिक्षा पर निबंध | Hindi Essay on Women education | महिला शिक्षा पर निबंध  

एक समय ऐसा था जब नारी शिक्षा को समाज में कोई महत्व नहीं दिया जाता था जिसके कारण हमारा समाज पिछड़ेपन का शिकार था। केवल पुरुषों को शिक्षा देने से कोई देश प्रगति नहीं कर सकता, जहां नारी को भी शिक्षा का अधिकार होता है, समान अधिकार होता है वही देश हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। 

नारी शिक्षा के इसी महत्व को हम निबंध के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं –

नारी शिक्षा पर निबंध ( 150 शब्द)

जब एक नारी शिक्षित होती है तभी हमारा समाज आगे बढ़ सकता है। नेल्सन मंडेला ने कहा था की दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा सबसे बड़ा औज़ार है। पहले के समय में महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जाता था उन्हें पढ़ने -लिखने के लिए स्कूल नहीं भेजा जाता था। इसी कारण वश दुनिया के कई देश विकास नहीं कर पाये क्यूंकी उनकी आधी आबादी अशिक्षित रह गयी।

पहले के मुक़ाबले अब वक़्त बदला है। भारत जैसे देश में अब सिर्फ लड़कों को ही शिक्षा का हक नहीं बल्कि लड़कियों को भी शिक्षा का अधिकार है। आज हमारे देश में लड़कियां भी लड़कों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहीं हैं और हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहीं हैं।

एक शिक्षित नारी ही अपने परिवार, अपने बच्चों और समाज का विकास कर सकती है अतः नारी शिक्षा सबसे जरूरी है। नारी शिक्षा से ही हम एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।

नारी शिक्षा का महत्व पर निबंध (20 0 शब्द)

विकासशील देशों में महिलाओं और लड़कियों को अक्सर शिक्षा के अवसरों से वंचित रखा जाता है। नारी शिक्षा की कमी आने वाली अपार संभावनाओं को सीमित करती है, पारिवारिक आय को कम करती है, स्वास्थ्य को कम करती है, महिलाओं और लड़कियों को तस्करी और शोषण के जोखिम में डालती है, और देश की आर्थिक उन्नति को सीमित करती है।

नारी शिक्षा से ही देश आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होता है और परिवार आर्थिक रूप से सशक्त होता है।

भारत देश में आज भी महिला साक्षरता दर पुरुषों के मुक़ाबले कम है इसका अर्थ यह हुआ की हमारा देश काफी मंद गति से विकास कर रहा है। भारत में महिला साक्षरता अभियान से नारी शिक्षा पर काफी ज़ोर दिया गया है इसकी वजह से समाज में लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है।

एक अशिक्षित महिला ना तो अपने परिवार का विकास कर सकती है और ना ही समाज का। अशिक्षा के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एक शिक्षित नारी ही अपने बच्चों को सही ज्ञान दे सकती है और अपने परिवार का आर्थिक विकास कर सकती है। अतः नारी शिक्षा समाज के उत्थान के लिए बहुत ही जरूरी है।

नारी शिक्षा पर निबंध (30 0 शब्द)

शिक्षा को विश्व स्तर पर लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन से बचाने का सबसे शक्तिशाली साधन माना जाता है। लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा से ही हम समाज और देश का भविष्य बदल सकते हैं। नारी शिक्षा ही पूरी दुनिया में एक सकारात्मक और स्थायी परिवर्तन ला सकती है।

शिक्षा से लड़कियों और महिलाओं को अधिक ज्ञान, कौशल, आत्मविश्वास और क्षमता प्राप्त होती है, जिससे उनकी खुद की जीवन संभावनाएं बेहतर होती हैं और बदले में एक शिक्षित महिला अपने परिवार के लिए बेहतर पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रदान करती है। शिक्षा एक महिला को अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम बनाती है।

जब महिलाओं को शिक्षित किया जाता है और उन्हें शिक्षा की स्वतंत्रता होती है तब गरीबी की जंजीरों को तोड़ा जा सकता है, परिवारों को मजबूत किया जा सकता  है, परिवार की आय को बढ़ाया जा सकता है; और सामाजिक रूप से एक नए बदलाव की अधिक संभावना होती है।

जब एक नारी अशिक्षित होती है तो वह ना तो अपने परिवार का विकास कर सकती है, ना अपने बच्चों का विकास कर सकती है और समाज पर भी उसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो नारी अपने जीवन में शिक्षा के महत्व को नहीं जानती हैं वह अपने बच्चों की शिक्षा के लिए भी गंभीर नहीं होती इससे परिवार और साथ ही पूरे देश की प्रगति पर रोक लग जाती है।

एक सफल राष्ट्र बनने की यात्रा, महिलाओं के लिए सार्वभौमिक शिक्षा से शुरू होती है। भारत एक राष्ट्र के रूप में अपनी वास्तविक क्षमता तक तभी पहुंच सकता है जब उसकी महिला आबादी शिक्षा की शक्ति से पूर्ण हो।

पिछले कुछ सालों से भारत में महिला शिक्षा का दर बढ़ा है और अब हर माँ-बाप समान रूप से अपने बच्चों को पढ़ने स्कूल भेजते हैं। आज हमें इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है।

महिला शिक्षा पर निबंध (40 0 शब्द)

शिक्षा किसी के भी जीवन का सबसे बुनियादी हिस्सा है। वास्तव में, शिक्षा प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण मानव अधिकारों में से एक है, और अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना अपराध माना जाता है। दुर्भाग्य से, लंबे समय तक महिलाओं को शिक्षा की अनुमति नहीं थी, और यहां तक कि महिलाओं की शिक्षा पर पैसा खर्च करना पैसों की बरबादी माना जाता था। कई वर्षों तक लोगों ने महिलाओं की शिक्षा के महत्व को नहीं देखा। हालाँकि, महिलाओं को शिक्षित न करना किसी भी समाज पर भारी पड़ता है।

जिन महिलाओं को शिक्षित नहीं किया जाता है, उनके सामने सबसे बड़ा वैश्विक मुद्दा होता है बाल विवाह। कभी-कभी लड़कियों की शादी तब की जाती है जब वे केवल 6 साल की होती हैं जिसके कारण वो अशिक्षित रह जातीं हैं और जीवन में उन्हें कई दिक्कतों को सामना करना पड़ता है।

अशिक्षित महिला कभी भी अपने बच्चों की शिक्षा पर ज़ोर नहीं दे सकती क्यूंकी वह स्वयं उसके महत्व को नहीं समझती। ना ही वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से सशक्त कर सकती है और ना ही कोई निर्णय लेने में सक्षम होती है।

एक शिक्षित नारी अपने परिवार की ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह से संभाल सकती है, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उनका विकास कर सकती है, परिवार को आर्थिक रूप से मददगार बनती है और कोई भी निर्णय लेने में वह आत्मनिर्भर होती है।

नारी अशिक्षित हो तो परिवार, समाज और देश का विकास रुक जाता है। पुरुष और स्त्री दोनों गाड़ी के दो पहिये के समान होते हैं अतः गाड़ी को सही चलाने के लिए दोनों का समान होना जरूरी है। जो शिक्षा लड़कों के लिए जरूरी है वही शिक्षा कहीं ज्यादा लड़कियों के लिए जरूरी है।

भारत देश में शिक्षा का अधिकार अब सभी को है और लोगों की यह सोच बदली है की केवल लड़कों को शिक्षा का अधिकार होता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में नारी शिक्षा का दर काफी बढ़ा है और आज नारी हर क्षेत्र में अपना जौहर दिखा रहीं हैं। भारत देश आज प्रगति की राह पर है क्यूंकी पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी एक साथ खड़ी होकर देश की उन्नति में अपना योगदान दे रहीं हैं।

शिक्षा हमारे राष्ट्र की सफलता और विकास की सीढ़ी है। महिला शिक्षा प्रत्येक घर के विकास के साथ-साथ राष्ट्र और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। लड़कियां हमारी अर्थव्यवस्था के लिए धूप की तरह हैं जो हमारे भविष्य को उज्ज्वल करती हैं। लड़कियों को शिक्षित कर हम राष्ट्र को सशक्त बना रहे हैं। शिक्षा एक हथियार है जो दुनिया को बदलने की क्षमता रखता है। तो आइए नारी को शिक्षित करें और भारत को सशक्त बनाएं।

नारी शिक्षा पर निबंध ( 500 शब्द)

प्रस्तावना .

शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है चाहे वह सामाजिक हो या आर्थिक विकास। एक राष्ट्र को वास्तविक अर्थों में शिक्षित तभी किया जा सकता है, जब पुरुष और महिला समान रूप से शिक्षित होते हैं।

महिला साक्षरता दर के कम होने के कारण समाज के समग्र विकास पर भारी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्यूंकी महिलाएं ही बच्चों की देखभाल और उनके विकास के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होतीं हैं। जिन बच्चों की एक शिक्षित माँ द्वारा देखभाल की जाती है उनका अच्छी तरह से पालन-पोषण होता है और उनका सर्वांगीण विकास होता है।

क्यूँ जरूरी है नारी शिक्षा

महिलाओं के लिए शिक्षा परिवार और समाज के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सबसे प्रभावी तरीका है। शिक्षा के साथ महिला एक शक्तिशाली व्यक्ति बन जाती है। एक शिक्षित महिला के पास परिवार में बच्चों को शिक्षित करने की, महत्वपूर्ण निर्णय लेने व मार्गदर्शन देने की, परिवार में आर्थिक योगदान देने की और घर – समाज  के हर मोर्चे पर मदद करने की शक्ति होती है।

हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा महिलाओं का है, जब 50% आबादी शिक्षा से वंचित होगा तो देश कैसे विकास करेगा। शिक्षित सशक्त महिलाएं कई तरीकों से समाज, समुदाय और राष्ट्र के विकास में योगदान देती हैं।

शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है जो मानव जाति के जीवन को आकार देती है। यह सोचने, तर्क करने, उचित निर्णय लेने और खुद को उत्पीड़न और दुरुपयोग से बचाने की क्षमता के साथ सशक्त बनाती है। हालांकि, भारत सहित दुनिया भर के अधिकांश विकासशील देशों में, महिलाओं को अक्सर शिक्षा के अवसरों से वंचित रखा जाता है।

नारी शिक्षा के लाभ

महिला शिक्षा के कई लाभ हैं। जैसे की –

• जो महिलाएं शिक्षित हैं, वे अपने भविष्य की जिम्मेदारी खुद उठा सकतीं हैं।   • शिक्षित महिला कमा सकती है और अपने परिवार की आय में योगदान कर सकती है। • जिन महिलाओं को शिक्षित किया जाता है, वे बाल और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद करती हैं। • शिक्षित महिलाएं अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होतीं हैं। • शिक्षित महिलाएं घरेलू हिंसा से स्वयं को बचा सकतीं हैं। • एक शिक्षित नारी आत्मविश्वास से पूर्ण होती है और स्वयं निर्णय लेने में सक्षम होती है। • एक शिक्षित नारी बड़े पैमाने पर समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान देती है। • राजनीति में शिक्षित महिलाओं को शामिल करने से विकास के नए रास्ते खुलते हैं।

I thIndia, along with me, needs to put a lot of effort in the field of education. Later, the training center for women is 65%, compared to other Western countries, nothing.ink

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नारी शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)

नारी शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)

आज   हम नारी शिक्षा पर निबंध (Essay On Women Education In Hindi) लिखेंगे। नारी शिक्षा पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

नारी शिक्षा पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Women Education In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

शिक्षा के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। आज हर किसी के जीवन में शिक्षा को अभिन्न अंग के रूप में स्वीकारा गया हैं। अशिक्षित व्यक्ति के जीवन की कठिनाइयों का वर्णन ही नहीं किया जा सकता है।

अशिक्षित व्यक्ति को जीवन के हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आज के दौर में स्त्री और पुरुष दोनों को समान शिक्षा का हक दिया गया है। भारत जैसे उन्नतशील देश में प्रायः स्त्रियों की शिक्षा पर विशेष जोर नहीं देते हैं। यही वजह है कि भारत की उन्नति में कहीं न कहीं अंकुश लग जाता है।

आजादी के बाद से वर्तमान समय में लगभग हर क्षेत्र में काफी प्रगति और विकास हुआ है। पुराने समय का जिक्र करें, तो उन नारियों का जीवन घर से जुड़ी जिम्मेदारियों तक सीमित रहता था। उन्हें घर संभालना, बच्चों का लालन-पालन करना पड़ता था।

स्त्रियों को शिक्षित करने पर विशेष बल नहीं दिया जाता था। एक प्रकार से वह अभाव ग्रस्त जीवन जिया करती थी। लेकिन समय बदलने के साथ लोगों के सोच में भी परिवर्तन हुआ, अब लोग महिलाओं को शिक्षित करने की ओर विशेष रूप से ध्यान दे रहे हैं।

नारियों को शिक्षित करने के लिए आए दिन सरकार की ओर से नई नई योजनाएं जारी की जाती है, जिससे उनको शिक्षित किया जा सके और वह जीवन में आत्मनिर्भर बन सके। महिलाओं को शिक्षित करना इसलिए भी जरूरी माना गया है, क्योंकि एक शिक्षित नारी पढ़ लिखकर आगे बढ़ती है तो वह आने वाले पीढ़ी को भी शिक्षित करने पर जोर देगी।

महिलाओ के शिक्षित होने से देश को लाभ

नारी के लिए शिक्षा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि महिलाओ के ऊपर तरह-तरह के अन्याय होते रहते है। घरेलू हिंसा और दहेज प्रथा जैसी गलत प्रथा के चलते ना जाने कितनी महिलाओं कि असमय मृत्यु हो जाती है।

अशिक्षित महिला को लोग बोझ के नज़रिए से देखते है। इन सभी समस्याओं के निवारण के लिए स्त्री का शिक्षित होना बेहद जरूरी है। एक शिक्षित महिला विषम परिस्थितियों में भी अपने बच्चों का पालन पोषण अच्छे से कर सकती है। वह आत्मविश्वास से भरी होती है। शिक्षा का सही उपयोग करके वह अपने घर का भरण पोषण कर सकती है।

महिलाओं को शिक्षित करने में सरकार की भूमिका

आज वर्तमान समय में लोग स्त्री शिक्षा पर विशेष बल देने लगे हैं। सरकार की ओर से भी तरह – तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिससे लोगों में जागरूकता आए और वह महिलाओं को शिक्षित करने में अपना सहयोग दे सके।

सरकार की ओर से पढ़ रही बच्चियों को पाठ्य पुस्तक, यूनिफॉर्म के अलावा स्कूल जाने के लिए साइकिल जैसी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति की जा रही है। जिससे शिक्षा की राह में उनके सामने किसी भी प्रकार की बाधा ना उत्पन्न हो पाए।

परीक्षा में अच्छे नंबर अर्जित करने वाली छात्राओं को पुरस्कार के रूप में नगद रुपए सरकार के द्वारा प्रदान किए जाते हैं। वहीं कई शहरों में बालिकाओं को स्कूल ले जाने के लिए बस जैसी विशेष सुविधाएं सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है।

महिलाओ को शिक्षित करने के प्रति लोगों में जागरूकता

शिक्षा के महत्व को समझते हुए भारतवर्ष के लोगों में पहले की अपेक्षा काफी जागरूकता आई है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत की कुल जनसंख्या का 73% भाग ही शिक्षित है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 45 में दिए गए प्रावधान के अनुसार 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करना राज्य के कर्तव्यों में से एक है।

भारत में 64.6 प्रतिशत महिलाएं ही शिक्षित है। स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में शिक्षा का व्यापक रूप से प्रचार और प्रसार हुआ है। भारत के कुछ राज्यो में शिक्षित लोगो के प्रतिशत में काफी इजाफा हुआ है। केरल एक ऐसा पहला राज्य है जहां पर कोट्टायम-एनारकुलम जैसे जिलों में शत -प्रतिशत शिक्षित लोग निवास करते हैं।

महिलाओ की शिक्षा बाधित होने का कारण

नारियों के अशिक्षित होने के पीछे कई वजह रही है, जिनमें सबसे बड़ा कारण है हमारे देश का अंग्रेजो के अधीन होना। अंग्रेजो के चलते भारत की लड़कियों को घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाती थी। जिसके फलस्वरूप उन्हें घर का चूल्हा चौका और घर के बड़े बूढ़े को देखना पड़ता था।

जैसे ही हमारा देश स्वतंत्र हुआ। लोगों की मानसिकता में भी परिवर्तन आया। वे महिलाओ को शिक्षित करने के लिए विद्यालय भेजने लगे। इसके लिए जोतिबा फुले और सावित्री बाई फुले इनका योगदान रहा है।

समाज में महिलाओ को दर्जा

प्राचीन काल में महिलाओं का स्थान समाज में काफी महत्वपूर्ण था। महिलाएं पुरुषों के साथ यज्ञ में हिस्सा लिया करती थी। महिलाओ को शास्त्रार्थ भी आता था, लेकिन धीरे धीरे महिलाओं का स्थान पुरुषों के बाद होता गया। वहीं पुरुषों ने महिलाओं के ऊपर मनमाने नियम थोपने शुरू कर दिए।

उनको अपना जीवन व्यतीत करने के लिए पिता, पति और पुत्र का सहारा लेने के लिए मजबूर किया गया। प्राचीन काल की माने उस समय महिलाओ को काफी आजादी दी गई थी। आज से शताब्दियों पूर्व स्त्रियों को अपने पति चुनने तक का अधिकार था।

पिता अपनी पुत्री का विवाह करने के लिए स्वयंवर सभा का आयोजन करते थे। जिसमें पुत्री अपनी इच्छा अनुसार वर चुन लिया करती थी। इस प्रकार की स्वतंत्रता महिलाओ को इसलिए दी गई थी, क्योंकि उस समय उनको समाज में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था।

उनके अंदर अच्छा और बुरा समझने की सूझबूझ थी। लेकिन जैसे ही भारत में मुगलों का आगमन हुआ, उनके शासनकाल में महिलाओं के अस्तित्व और अधिकारों पर गहरा खतरा मंडराने लगा।

आधुनिक युग की नारियां

महिलाओं के शिक्षित होने से उन्होंने अपनी उपलब्धियों के कारण देश विदेश में भी नाम और शोहरत कमाई है। महिलाएं आज के दौर में लगभग हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा रही है।

नारी हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ देकर अपनी क्षमता और कार्यकुशलता से चांद तक की दूरी तय कर चुकी है। उच्च शिक्षा प्राप्त करके लड़कियां घर की जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से निभा रही है।

समाज की विभिन्न कुरीतियों को खत्म करने के पीछे आज की शिक्षित नारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा और शिशु हत्या जैसे अपराधों पर लगाम लगाना नारी शिक्षा के कारण संभव हो रहा है।

भारत को प्रगतिशील देश बनाने में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत जैसे देश की आधी आबादी महिलाओं की मानी जाती है। इस नाते यह बेहद आवश्यक है कि भारत की महिलाएं शिक्षित हो।

यदि महिलाएं शिक्षित रहेंगी, तो वह आने वाले पीढ़ी को भी शिक्षित करने में सहयोग दें सकेगी। महिलाओ के ऊपर तरह तरह के अन्याय हो रहे है, इसलिए आज की महिला को शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं को सशक्त करने के लिए कॉलेज के स्तर तक की छात्रवृति सरकार की ओर से दी जाती है, जिससे महिलाएं शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित हो सके।

इन्हे भी पढ़े :-

  • शिक्षा पर निबंध (Essay On Education In Hindi)
  • शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance Of Education Essay In Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay In Hindi)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध (Bhartiya Samaj Me Nari Ka Sthan Essay In Hindi)
  • स्त्री पुरुष समानता पर निबंध (Stri Purush Samanta Essay In Hindi)

तो यह था नारी शिक्षा   पर निबंध (Women Education Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि नारी शिक्षा पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Women Education) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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महिला शिक्षा पर निबन्ध

Essay On Women Education In India In Hindi: महिला शिक्षा देश के विकास के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। महिला की साक्षरता पुरुषो के समान लाना बहुत जरुरी है। यहां पर महिला शिक्षा पर निबन्ध शेयर कर रहे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार होगा।

Essay On Role Of Woman Society In Hindi

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महिला शिक्षा पर निबन्ध | Essay On Women Education In India In Hindi

महिला शिक्षा पर निबन्ध (250 शब्द).

भारत में वर्तमान समय में नारी शिक्षा को बढ़ावा देना बहुत ही जरूरी है। हालांकि नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए देश में कई प्रकार के अभियान चलाए जा रहे हैं। भारतीय समाज में आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए नारी शिक्षा का महत्व जरूरी है। समाज के दो पहलू महिला और पुरुष है और दोनों का शिक्षित होना अनिवार्य है। अन्यथा भारतीय समाज विकसित नहीं हो पाएगा।

उदाहरण के तौर पर जिस प्रकार से साइकिल का संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों के लिए बराबर तैयार होने चाहिए। उसी प्रकार से समाज के दोनों पहलू पुरुष और महिला शिक्षा के तौर पर मजबूत होने जरूरी है। समाज का विकास पुरुष और महिलाओं के कंधों पर आश्रित हैं और दोनों ही देश कि एक अलग पहचान बनाने में सक्षम है। यदि दोनों में से किसी एक भी पहलू के पिता का स्तर गिर गया तो वह वापस प्रगति पर लाना काफी मुश्किल हो जाएगा।

भारत के विकास के लिए महिलाओं की शिक्षा बहुत ही अनिवार्य मानी जा रही है। क्योंकि महिलाओं की शिक्षा शुरुआत में बच्चों के भविष्य को मजबूत करती है। बच्चे स्कूल में जानकारी सीखता है, उससे ज्यादा जानकारी मां के जरिए के द्वारा घर पर सीख लेते हैं। अनपढ़ महिलाएं अच्छाइयां और बुराइयां से अवगत नहीं होती है और कई प्रकार के खतरे को नजरअंदाज कर देती है। इसके अलावा अनपढ़ महिलाओं में घर को अच्छे तरीके से संभालने की काबिलियत भी नहीं होती है।

जब माता-पिता साक्षर नहीं होते हैं तो आने वाली पीढ़ी में भी कमजोरी दिखने मिलती है। क्योंकि माता-पिता बच्चों को पढ़ाने की बजाय अन्य जगह से खेलना पसंद करते हैं। माता-पिता का पढ़ा लिखा होना वर्तमान समय में बहुत ही जरूरी है। साक्षरता की दर पुरुषों की तुलना में महिलाओं की काफी कम है। हालांकि केरल जैसे शिक्षित राज्य में साक्षरता की दर महिलाओं और पुरुषों की लगभग समान है। लेकिन ऐसे ही साक्षरता की दर अन्य राज्यों में भी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

महिला शिक्षा पर निबन्ध (800 शब्द)

भारत को आजाद हुए काफी साल हो गए हैं लेकिन आज भी भारत में महिला शिक्षा को लेकर कई प्रकार की समस्याएं सामने आ रही है। लोग महिला शिक्षा को लेकर अभी भी जागरूक नहीं हुए हैं। महिलाओं को पढ़ाने में लोगों की रुचि नहीं बढ़ रही है और कई जगह तो लड़कियों के पैदा होने पर भी नाराजगी जताई जाती है।

महिला साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा दिन प्रतिदिन कई प्रकार के नए-नए कार्य किए जा रहे हैं। भारत में महिला साक्षरता दर काफी गंभीर स्थिति में है और इस गंभीर स्थिति से इस साक्षरता दर को निकालना बहुत ही जरूरी है। महिला साक्षरता के बिना महिला सशक्तिकरण असंभव है।

विश्व में भारत अगर पिछड़ा हुआ है तो उसकी सबसे मुख्य वजह महिला साक्षरता ही है। क्योंकि भारत में लोग महिलाओं को पढ़ाने की बजाय उन पर कई प्रकार की पाबंदियां और अन्य प्रकार की जिम्मेदारियां सौंप देते हैं।

सरकार द्वारा महिला शिक्षा को लेकर भी कई प्रकार के प्रयास निरंतर किया जा रहा है। महिलाओं को मुफ्त शिक्षा प्रदान करवाने का भी प्रयास किया जा रहा है। देश भर में महिला शिक्षा को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलाई जा रही है। महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे वे आगे बढ़ कर समाज को आगे बढ़ा सके और देश के नए बदलाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।

महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजना

भारत सरकार महिला शिक्षा और साक्षरता दर बढ़ाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है और उन योजनाओं के माध्यम से सरकार देश की महिला शिक्षा को बढ़ाना चाहती है। देश की महिला सशक्तिकरण में सरकार द्वारा कई प्रकार की योजनाओं के माध्यम से मुख्य भूमिका निभाई जा रही है। सरकार द्वारा जो योजनाएं चलाई जा रही हैं। वह योजना निम्न प्रकार हैः

  • सर्व शिक्षा अभियान
  • इंदिरा महिला योजना
  • बालिका समृधि योजना
  • राष्ट्रीय महिला कोष
  • महिला समृधि योजना
  • रोज़गार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र

महिलाओं तथा लड़कियों की प्रगति के लिए विभिन्न कार्यक्रम

इसके अलावा भी सरकार द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करके लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जा रहा है और अपने हक के लिए खड़े होने को लेकर कई प्रकार के मुख्य काम भी सरकार द्वारा किए जा रहे हैं।

महिला शिक्षा से क्या प्रभाव होगा

सबसे पहली बात यह आती है कि महिलाएं यदि शिक्षित हो भी जाएगी तो क्या फायदा होने वाला है। तो एक बात मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि महिला यदि शिक्षित होगी तो कई प्रकार की समस्याएं पूरी तरह से जड़ से खत्म हो जाएगी और भारत में महिला शिक्षा बढ़ने के पश्चात कई प्रकार के गलत काम पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। महिला शिक्षा की वजह से भारत को क्या प्रभाव पड़ेगा, उसकी जानकारी नीचे निम्नलिखित रुप से दी गई है:

महिला शिक्षित होने के पश्चात भरपेट खाना मिलना शुरू हो जाएगा, कुपोषण का शिकार कोई भी नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि कई जगह पर पुरुष अकेला काम आता है, जिससे दो टाइम का खाना बराबर नहीं मिल पाता। लेकिन यदि महिला भी शिक्षित होगी तो दोनों कमाने लगेंगे और इससे दोनों टाइम का भरपेट खाना आराम से मिल जाएगा।

  • यदि भारत की महिलाएं शिक्षित होगी तो यौन उत्पीड़न जैसी समस्या से छुटकारा मिलेगा साथ ही साथ कम उम्र में यौन उत्पीड़न की समस्याएं खत्म हो जाएगी।
  • शिक्षित महिलाएं जो माता-पिता की खराब आर्थिक स्थिति को सुधारने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
  • महिलाओं की शिक्षा इसलिए जरूरी है। क्योंकि महिलाएं यदि शिक्षित होगी तो कई प्रकार की सामाजिक पाबंदियां से छुटकारा मिल जाएगा।
  • इसके अलावा अनपढ़ महिलाओं के ऊपर माता-पिता और सास-ससुर के द्वारा कई प्रकार के दबाव बनाए जाते हैं। उनका छुटकारा मिल जाएगा।
  • कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर महिलाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने की अनुमति नहीं दी जाती है। यदि महिलाएं शिक्षित होगी तो अपने परिवार वालों को उच्च शिक्षा के लिए आराम से मना पाएगी।

सर्व शिक्षा अभियान क्या है?

सरकार द्वारा चलाई गई एक प्रकार की राष्ट्रीय योजना है, जिस योजना के माध्यम से देश में 8 साल तक 6 वर्ष की उम्र से लेकर 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को उत्तम शिक्षा देने का अभियान चलाया जा रहा है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा इस योजना को शुरू किया गया है और इस योजना को चलाने का मकसद देश में साक्षरता दर को बढ़ाना है।

देश में पुरुषों की साक्षरता दर को बढ़ाने के साथ-साथ महिला साक्षरता दर को बढ़ावा देना, इस योजना का मुख्य उद्देश्य है। इस योजना को जब शुरू किया गया तब से लेकर निश्चित लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं और उस लक्ष्य को पूरा भी किया गया है। सर्वशिक्षा अभियान योजना द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य की जानकारी को जिस प्रकार से है।

  • 2002 तक देश के सभी जिलो में शिक्षा को पहुँचाना।
  • 2003 तक सभी बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाना।
  • 2007 तक सभी बच्चों की न्यूनतम 5 साल की शिक्षा अनिवार्य करना।
  • 2010 तक सभी बच्चें अपनी 8 साल की शिक्षा पूरी कर चुके हो इसको सुनिश्चित करना।

ग्रामीण व शहरी इलाकों में महिला शिक्षा के स्तर में वर्तमान समय में काफी बढ़ा हुआ है। लेकिन अभी भी कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं। जहां महिलाओं की शिक्षा को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं है। लोग महिलाओं को पांचवी या दसवीं तक ही पढ़ाते हैं, उसे आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं देते हैं। लेकिन महिला शिक्षा देश के भविष्य के लिए बहुत ही जरूरी है।

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  • ईमानदारी पर निबंध
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध
  • शिष्टाचार पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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नारी शिक्षा पर निबंध women education in hindi essay and importance.

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Women Education in Hindi Essay नारी शिक्षा पर निबंध

Women Education in Hindi Essay

Women Education in Hindi Essay 400 Words

एक सभ्य समाज का निर्माण उस देश के शिक्षित नागरिको द्वारा होता है और नारी इस कड़ी का एक अहम् हिस्सा है। परिवार की छोटी छोटी इकाइयां मिलकर एक समाज का गठन करती हैं और परिवार की केंद्र बिंदु नारी होती है, यदि एक नारी शिक्षित होती है तो एक परिवार शिक्षित होता है और जब एक परिवार शिक्षित होता है तो पूरा राष्ट्र शिक्षित होता है, इसलिए किसी ने ठीक ही कहा है कि जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप सिर्फ एक आदमी को शिक्षित करते हैं, लेकिन अगर आप एक स्त्री को शिक्षित करते हैं, तो आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं।

जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न है यह तो नारी हो या पुरुष दोनों के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण है। शिक्षा सभी का समान रूप से हित-साधन किया करती है। फिर भी भारत जैसे विकासशील देश में नारी की शिक्षा का महत्त्व इसलिए अधिक है क्योंकि वह देश की भावी पीढ़ी को योग्य बनाने के कार्य में उचित मार्ग-दर्शन कर सकती है। बच्चे सबसे अधिक माताओं के सम्पर्क में रहा करते हैं। शिक्षित माता ही बच्चों के कोमल व मन-मस्तिष्क में उन समस्त संस्कारों के बीज बो सकती है जो आगे चलकर अपने समाज, देश और राष्ट्र के उत्थान के लिए परम आवश्यक हुआ करते हैं।

नारी का कर्ततव्य बच्चों के पालन-पोषण करने के अतिरिक्त अपने घर-परिवार की व्यवस्था और संचालन करना भी होता है। एक शिक्षित और विकसित मन-मस्तिष्क वाली नारी अपनी आय, परिस्थिति, घर के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता आदि का ध्यान रखकर उचित व्यवस्था एवं संचालन कर सकती है। विश्व की प्रगति शिक्षा के बल पर ही चरम सीमा तक पहुँच सकी है। यदि नारी जाति अशिक्षित हो तो वह अपने जीवन को विश्व की गति के अनुकूल बनाने में सदा असमर्थ रहती है। यदि वह शिक्षित हो जाए तो उसका पारिवारिक जीवन स्वर्गमय हो सकता है और उसके बाद देश, समाज और राष्ट्र की प्रगति में वह पुरुषों के साथ कन्धे-से-कन्धा मिलाकर चलने में समर्थ हो सकती है।

भारतीय समाज में शिक्षित माता गुरु से भी बढ़ कर मानी जाती है, क्योंकि वह अपने पुत्र को महान् से महान् बना सकती है। सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए नारी शिक्षा अत्यन्त आवश्यक है। सशिक्षा के द्वारा नारी जाति समाज में फैली कुरीतियों व कुप्रथाओं को मिटाकर अपने ऊपर लगे लाँछनों का सहज ही निराकरण कर सकती है। नारी है ममता की ज्योति, ज्ञान की ज्योति भी बनाना है, नारी को पढ़ाना है, नारी को पढ़ाना है…

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महिला शिक्षा पर निबंध

Essay on Women Education in Hindi

महिला शिक्षा पर निबंध : Essay on Women Education in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘महिला शिक्षा पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप महिला शिक्षा पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

महिला शिक्षा पर निबंध : Essay on Women Education in Hindi

प्रस्तावना :-

महिलाएं इस समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। लेकिन, फिर भी उन्हें वह महत्व नहीं दिया जा रहा है जिसकी वह हकदार है। इस आधुनिक युग व बदलते समय में शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक हो गई है, चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष।

दोनों को शिक्षा की बराबर ही आवश्यकता होती है। लेकिन, इस आधुनिक युग में आज भी कईं जगहों पर स्त्रियों को तुच्छ समझा जाता है और उन्हें शिक्षा के लायक नहीं समझा जाता है।

उन्हें घर की चारदीवारी में रखकर घर के काम करवाना ही सही समझा जाता है। आज भी भारत के कईं समाज ऐसे है, जो लड़कियों को लड़कों के समान नहीं समझते है। उनके जीवन का फैसला आज भी पुरुष ही लेते है।

समाज में इतना बदलाव होने के बावजूद भी कईं जगह महिलाओं को उनके अधिकार नहीं दिए जाते है और इस कारण उनके साथ कईं प्रकार के अत्याचार होते है। जैसे:- घरेलु हिंसा, दहेज़ के लिए प्रताड़ना, इत्यादि।

महिला शिक्षा की आवश्यकता :-

महिला की शिक्षा काफी महत्वपूर्ण होती है। महिलाओं की शिक्षा अपने परिवार व समाज को ही नहीं बल्कि पूरे देश को उन्नति की राह पर ले जाएगी। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियाँ शिक्षा का अधिक प्रसार करती है।

महिलाओं के शिक्षित होने से उनके साथ हो रहे कईं अत्याचार समाप्त हो जाते है व वह बिना डरे अपने अत्याचार के प्रति आवाज उठा सकती है। शिक्षा से महिलाएं आत्मनिर्भर बनती है।

शिक्षा के द्वारा वह अपने साथ-साथ अपने परिवार के जीवनयापन में भी सहायता कर सकती है। अशिक्षा महिलाओं को पीछे की तरफ धकेलती है। अशिक्षित महिलाएं रूढ़िवादी परम्पराओ में ही फंसकर रह जाती है और अपना जीवन उस अंधकार में ही बिता देती है।

इस अंधकार से निकलने के लिए ही महिलाओं को शिक्षा की आवश्यकता है। इससे वह इन रूढ़िवादी परम्पराओं से बाहर निकलकर शिक्षा की रोशनी में अपना जीवन जी पाएगी और विकास की तरफ बढ़ेगी।

महिला शिक्षा के विरुद्ध विचार :-

समाज में कईं लोग आज भी महिला शिक्षा के विरोधी है। वें आज भी सोचते है कि महिलाए शिक्षा प्राप्त करने के लिए नहीं बल्कि घर पर रहकर बच्चे पालने के लिए ही होती है।

उनका मत है कि महिलाओं के शिक्षित होने से इस समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उनका कहना है कि यहीं महिलाएं शिक्षित होंगी, तो वें अपने परिवार पर ध्यान नहीं दे पाएगी और गलत रास्ते पर जाएगी।

उन्हें महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर आपत्ति होती है और वें सोचते है कि यहीं महिलाएं बाहर जाएगी व शिक्षा प्राप्त करेगी तो उनके साथ गलत होने की संभावना ज्यादा होती है। शिक्षित महिलाएं अपने पति का सम्मान नही करती है।

महिला शिक्षा के लाभ :-

  • महिलाओं के शिक्षित होने से इस देश व समाज का विकास होता है।
  • शिक्षित महिलाएं इस समाज में अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती है। जिससे वह अपने साथ होने वाले किसी भी प्रकार के अत्याचार को सहन नहीं करती है।
  • वह स्वतंत्रतापूर्वक अपना जीवनयापन कर सकती है और अपने जीवन के सभी महत्वपूर्ण फैसले भी ले सकती है।
  • महिलाओं की शिक्षा से दहेज़-प्रथा जैसी कुरुतियां समाप्त हो जाएगी और भ्रूण-हत्या भी कम हो जाएगी।
  • शिक्षित महिलाएं स्वयं का व्यवसाय भी आरम्भ कर सकती है और देश की उन्नति में अपना योगदान दे सकती है।

देश के विकास के साथ-साथ महिलाओं का भी काफी विकास हुआ है। वें भी पुरुषों के समान आत्मनिर्भर बन गई है। उन्होंने हर जगह पुरुषों को कड़ी टक्कर दी है। इस देश के विकास में महिलाओं ने भी पुरुषों के बराबर ही अपना योगदान दिया है।

शिक्षा से महिलाओं का स्तर काफी बढ़ गया है और उन्हें समाज में भी सम्मान मिल रहा है। हमें यदि इस देश को विकसित देशों में सम्मलित करना है, तो इस देश की प्रत्येक महिला को शिक्षित होना होगा। तभी उनकी स्थिति पूरी रूप से इस समाज में सुधर पाएगी।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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नारी शिक्षा पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - लड़कियों की वर्तमान स्थिति - लड़कियों की शिक्षा का महत्व - सरकार द्वारा उठाए गए कदम - उपसंहार ।

हमारा समाज पुरुष-शासित है। यहाँ माना जाता है कि पुरुष बाहर जाएँ तथा अपने परिवारों के लिए कमाएँ। महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे घर में रहें और परिवार की देखभाल करें। पहले इस व्यवस्था का समाज में सख्ती से पालन किया जाता था। आज भी थोड़ी-बहुत ऐसी मानसिकता देखी जा सकती है। जनसँख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है और भारत में लड़कियों की शिक्षा की दर बहुत कम है। इस कारण नारीओं की शिक्षा को बहुत क्षति हुई । उन्हें अध्ययन के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। नारी की शिक्षा को अनुपयोगी समझा जाता था।

परंतु, अब समय बदल गया है। सामाजिक परिस्थितियाँ और आवश्यकताएँ बदल गई हैं। हमारा देश विकसित देश बनने की दौर में है। अब नारी-शिक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती। हमारी लगभग आधी आबादी महिलाओं की है। इसलिए लड़कों के साथसाथ उनकी शिक्षा समान रूप से महत्त्वपूर्ण हो जाती है। किसी नारी को शिक्षित करने के बहुत-से लाभ हैं। वह परिवार की देखभाल करती है। यदि वह शिक्षित है, तो वह घर पर वित्त की व्यवस्था कर सकती है, अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती है। वह अपने बच्चों को पढ़ा सकती है। मुद्रा-स्फीति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आजकल सिर्फ एक व्यक्ति की आय से ही घर को चलाना अत्यंत कठिन है। अतएव, वह इस ओर भी योगदान कर सकती है।

देश के भविष्य के लिए भारत में लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है क्योंकि महिलायें अपने बच्चों की पहली शिक्षक हैं जो देश का भविष्य हैं। अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में योगदान नहीं दे सकती और बच्चों की उचित देखभाल करने में नाकाम रहती हैं। इस प्रकार भविष्य की पीढ़ी कमजोर हो सकती है। लड़कियों की शिक्षा में कई फायदे हैं। एक सुशिक्षित और सुशोभित लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के काम और बोझ को साझा कर सकती है। एक शिक्षित लड़की की अगर कम उम्र में शादी नहीं की गई तो वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा कर सकती हैं। इसके अलावा वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शन कर सकती है।

शिक्षित लड़कियाँ बच्चों में अच्छे गुण प्रदान करके परिवार के प्रत्येक मेंबर को उत्तरदायी बना सकती हैं। शिक्षित महिला सामाजिक कार्यकलापों में भाग ले सकती हैं और यह सामाजिक-आर्थिक रूप से स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक बड़ा योगदान हो सकता है। एक आदमी को शिक्षित करके केवल राष्ट्र का कुछ हिस्सा शिक्षित किया जा सकता है जबकि एक महिला को शिक्षित करके पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। लड़कियों की शिक्षा की कमी ने समाज के शक्तिशाली भाग को कमजोर कर दिया है। इसलिए महिलाओं को शिक्षा का पूर्ण अधिकार होना चाहिए और उन्हें पुरुषों से कमजोर नहीं मानना चाहिए।

आर्थिक संकट के इस युग में लड़कियों के लिए शिक्षा एक वरदान है। आज के समय में एक मध्यवर्गीय परिवार की जरूरतों को पूरा करना वास्तव में कठिन है। शादी के बाद अगर एक शिक्षित लड़की काम करती है तो वह अपने पति के साथ परिवार के खर्चों को पूरा करने में मदद कर सकती है। अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो वह काम करके पैसा कमा सकती है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, चाहे वह लड़का हो या लड़की सभी के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। लेकिन हमारे समाज में अभी भी शिक्षा को लेकर लैंगिक भेदभाव किया जाता है जहां लड़कों की शिक्षा को तवज्जो दी जाती है वहीं लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है।

शिक्षा महिलाओं के सोच के दायरे को भी बढ़ाती है जिससे वह अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है। इससे वह यह भी तय कर सकती है कि उसके और उसके परिवार के लिए क्या सबसे अच्छा है। शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है ताकि वह अपने अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण को पहचान सके जिससे उसे लिंग असमानता की समस्या से लड़ने में मदद मिले।

सरकार ने नारी-शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु बहुत-से उपाय किए हैं। बच्चों को निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए । 'सर्वशिक्षा अभियान' आरंभ किया गया है। बहुत-से नारी विद्यालय खोले गए हैं। छात्राओं को विद्यालय-पोशाक और साइकिलें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। मेधावी छात्राओं को उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता दी जाती है। बहुत-से संगठन भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।

लड़कों की तरह लड़कियों को भी विभिन्न प्रकार की शिक्षा देना जरूरी है। उनकी शिक्षा इस तरह से होनी चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को उचित तरीके से पूरा करने में सक्षम हो सके। शिक्षा के द्वारा वे जीवन के सभी क्षेत्रों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती हैं। एक शिक्षित महिला अपने कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में अच्छी तरह जानती हैं। वह देश के विकास के लिए पुरुषों के समान अपना योगदान दे सकती हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि नारी की शिक्षा को अब अनुपयोगी नहीं समझा जा सकता। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी कन्याएँ भी अनिवार्य रूप से विद्यालय जाएँ। वे न सिर्फ उन्हें उनकी गृहस्थी चलाने में, बल्कि राष्ट्र को भी मजबूत बनाने में मदद करेंगी।

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नारी शिक्षा पर निबंध

नारी शिक्षा पर निबंध-essay on women education in hindi..

प्रस्तावना :- शिक्षा हर किसी के जीवन का अभिन्न अंग है। बिना शिक्षा की किसी के भी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।  शिक्षण जीवन के हर पहलू को असर करता है। इस तरह शिक्षण स्त्री पुरुष दोनों का समान हक है। मगर भारत जैसे विकसित देश में स्त्रियों को शिक्षित बनाने के लिए कोई महत्व नहीं दिया गया है।  इस निबंध के माध्यम से शिक्षा का नारी जीवन में क्या महत्व है ये उजागर करने का प्रयास करेंगे।

अन्य देशों की तरह भारत भी एक विकसित देश है जिसमें पुराने समय की तुलना में आज हर एक जगह प्रगति और विकास हुआ देख सकते हैं। पुराने समय में नारी का कर्तव्य घरके काम करना, घर संभालना, बच्चे संभाल आदि कामों को ही महत्व दिया जाता था।  नारी के पढ़ाई को लेकर कोई ज्यादा व्यवस्था और उनका कोई ज्यादा महत्व नहीं था। मगर बदलते समय के साथ इसमें भी परिवर्तन आया है।

नारी के शिक्षा को लेकर आजकल कई योजनाएं आई है और नारी को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका दिया जा रहा है। आज के समय में नारी शिक्षित हो वह बहुत ही आवश्यक हो गया है नारी अगर पढ़ी लिखी होगी तो आने वाली पीढ़ी का निर्माण भी पढ़ा लिखा होगा।  नारी घर में आर्थिक रूप से भी सहायक कर सकती है। अगर कोई लड़का पढेगा तो सिर्फ अपने परिवार को ही आगे लाता है मगर जब कोई नारी पढ़ती है।  वह अपने साथ साथ दोनों परिवार को भी आगे ला सकती है।  इसलिए नारी का पढ़ा लिखा होना बहुत ही आवश्यक है शिक्षित नारी जीवन में आने वाली हर समस्याओं का शिक्षा के माध्यम से अपनी सूझबूझ से बाहर निकल सकती है।

अगर उस पर कभी कभी घरेलू हिंसा हो तो अपने कानूनी नियमों को जानकर वह उसी से भी अन्याय न सहकर न्याय के लिए आगे बढ़ सकती है।  बच्चों का पालन पोषण भी शिक्षित होने से अच्छे से कर सकती है। शिक्षित नारी बहुत ही आत्मा विश्वासी होती है शिक्षित होने से धन कमाकर अपने और अपने परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर सकती है। इसलिए नारी के जीवन में शिक्षा बहुत ही महत्व है जीन के लिए आज के समय में सरकार ने भी हर नारी को शिक्षा मिले इसलिए फ्री में शिक्षण की भी व्यवस्था की है तदुपरांत नारी को शिक्षा में बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से पढ़ने वाली हर नारी को पाठ्यपुस्तक, यूनिफॉर्म, स्कूल जाने के लिए साइकिल जैसी कई चीजे स्कूल की तरफ से दिया जाता है।

अच्छे नंबरों से पास होने वाली लड़कियों के लिए पुरस्कार के रूप में नकद रुपयों देने का सरकार द्वारा प्रस्थापित किया गया है।  कइ पिछले नगरों में नारियों को स्कूल ले जाने के लिए बस जैसी सुविधाएं भी सरकार द्रारा पर्याप्त की गई है।

शिक्षा का प्रचार:-   आज हमारे भारत देश मे शिक्षा का काफी प्रचार हो गया है। नवीनतम आंकड़ो के अनुसार भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या का करीब 73 प्रतिशत भाग शिक्षित है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 45 में ये प्रावधान है, कि 14 वर्ष तक कि आयु के बच्चो को मुफ्त शिक्षा देना राज्य का कर्तव्य है। भारत मे महिलाओ का 64.6 प्रतिशत भाग शिक्षित है। इस प्रतिशत में शहरी महिलाओं की संख्या अधिक है। स्वतंत्रता के उपरांत हमारे देश मे शिक्षा का व्यापक प्रचार हुआ है। केरल, मिजोरम, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, आदि राज्यो में शिक्षा का प्रतिशत बढ़ा है। केरल देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां के कोट्टायम-एनारकुलम जैसे जिलों में शत-प्रतिशत शिक्षित रहते है।

नारियो में शिक्षा की कमी के अनेक कारण रहे है। सबसे बड़ा कारण तो हमारी सदियों की गुलामी थी, जिसकी वजह से लड़कियों को अंग्रेजों के भय के कारण घर से बाहर नही निकलने दिया जाता था और उनके जिम्मे चूल्हा, चौका, घर का इंतजाम ओर बच्चों को जन्म देना तथा उनका लालन-पालन था। समय बदला और आज महिलाएं हर दिशा में आगे आ रही है।

प्राचीन भारत मे महिलाओं का स्थान:- प्राचीन भारत मे महिलाएं का स्थान समाज मे काफी महत्वपूर्ण था। महिलाएं भी पुरुषों के साथ यज्ञों में भाग लेती थी, युधो में जाति थी, शाश्त्रार्थ करती थी। धीरे धीरे महिलाओं का स्थान पुरुषों के बाद निर्धारित किया गया तथा पुरुषों ने महिलाओं के लिए मनमाने नियम बनाये ओर उनको अपना जीवन बिताने के लिए पिता, पति तथा पुत्र का सहारा लेने की प्रेरणा फैल गई। आज से शताब्दियों पूर्व स्त्रियों को अपना पति चुनने की स्वतंत्रता थी। पिता स्वयम्वर सभाओं का आयोजन करते थे, जिसमे लड़की अपनी इच्छा से अपने पति का वर्ण करती थी। इस प्रकार की सुविधाएं इसलिए दी गई थी, कि वे शिक्षित थी और अपना अच्छा तथा बुरा वे सही ढंग से सोचने में सक्षम थी। मुगलो के शासनकाल में शिक्षा, कला, साहित्य तथा अन्य विविध गुणों को प्राप्त करने की परिस्थितिया मिट सी गई थी।

उपसंहार :- इसलिए आज के किसी भी प्रगतिशील देश के लिए नारियों का शिक्षित होना आवश्यक है और आज की नारी शिक्षा के दम पर आगे बढ़ चुकी है। आज का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ नारी ने अपने कदम न बढ़ाए हो।  यही देश का सच्चा विकास और प्रगति कहा जा सकता है।  इसीलिए तो कहा जाता है कि पढ़ेगा भारत , आगे बढ़ेगा भारत ….

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  • शिक्षक दिवस पर निबंध
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध
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1 thought on “नारी शिक्षा पर निबंध”

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Hindi Grammar by Sushil

नारी शिक्षा पर निबंध | Women Education Essay in Hindi

Women Education Essay in Hindi:- शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण शक्ति है ,जो मानव जाति जीवन को आकार देती है ।यह सोचने ,तर्क करने ,उचित निर्णय लेने, और खुद को उत्पीड़न और दुरुपयोग से बचाने की क्षमता के साथ सशक्त बनाती है।

किसी भी बच्चे के जीवन की प्रथम शिक्षक उसकी मां होती है बच्चे के जन्म से लेकर उसके पालन-पोषण और अच्छी सीख देने की जिम्मेदारी एक मां की होती है, लेकिन क्या हुआ अगर वह माही अशिक्षित हो?

नारी और पुरुष किसी समाज की मुख्य काई होते हैं जिसमें दोनों का बराबर का की भूमिका होती है। यदि पुरुष शिक्षित रहेगा और महिला अशिक्षित रहेगा तो स्थिति कैसी होगी आप समझ ही सकते हैं। इसी पर एक महान विचारक बिृंघम यंग कहते हैं कि–

“अगर आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं तो सिर्फ उस आदमी को शिक्षित करते हैं अगर आप एक औरत को शिक्षित करते हैं तो आप एक पूरी पीढ़ी को शिक्षित करते हैं।” बिृंघम यंग

नारी शिक्षा पर निबंध | Women Education Essay in Hindi

Table of Contents

नारी शिक्षा पर निबंध (100 शब्दों में)

जब एक नारी से छेद होती है तभी हमारा समाज आगे बढ़ सकता है। नेल्सन मंडेला ने कहा था कि दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा सबसे बड़े औजार के रूप में है पहले के समय में महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जाता था उन्हें पढ़ने लिखने के लिए स्कूल नहीं भेजा जाता था इसी कारण दुनिया के कई देश विकास विकास की राह से भटक गए क्योंकि उनकी आधी आबादी अशिक्षित रह गई।

आज जब वक्त बदला है और भारत जैसे अनेक देशों में स्त्रियों की शिक्षा का हक दिया गया एवं उन्हें शिक्षा की ओर अग्रसर किया गया तो आज हमारे देश की लड़कियां भी लड़कों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है और हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी के परचम लहरा रही है।

एक शिक्षित नारी अपने बच्चों परिवार के साथ साथ पूरे समाज का विकास करती है अतः नारी शिक्षा सबसे जरूरी है नारी शिक्षा से ही हम एक बेहतर दुनिया और एक शिक्षित समाज का निर्माण कर सकते हैं।

नारी शिक्षा पर निबंध (250 शब्दों में)

विश्व स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन से बचाने का सबसे शक्तिशाली साधन नारी शिक्षा है। महिलाओं की शिक्षा से ही हम समाज और देश का भविष्य बदल सकते हैं नारी शिक्षा ही पूरी दुनिया में एक सकारात्मक और स्थाई परिवर्तन ला सकती है।

शिक्षा से स्त्री के ज्ञान, कौशल ,आत्मविश्वास और क्षमता में वृद्धि होती है। जिससे उसके खुद की जीवन संभावनाएं बेहतर होती है और बदले में एक शिक्षित महिला अपने परिवार के लिए बेहतर पोषण ,स्वास्थ्य ,देखभाल और शिक्षा प्रदान करती है। एक शिक्षित महिला अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होती है।

जब एक स्त्री को शिक्षित किया जाता है, तो वह अपनी शिक्षा से परिवार की आय को बढ़ाती है और सामाजिक रूप से एक नए बदलाव की अधिक संभावनाएं होती है, किंतु जब एक नारी अशिक्षित होती है तो वह ना तो अपने परिवार का विकास कर सकती है, ना अपने बच्चों का विकास कर सकती है और, ना ही समाज में अपनी भूमिका का सही प्रकार से निर्वाह कर सकती है।

जो नारी शिक्षा के महत्व को नहीं जानती वह अपने बच्चों की शिक्षा के लिए भी गंभीर नहीं होती ऐस परिवार और साथ ही पूरे देश की प्रगति पर रोक लग जाती है ।अतः नारी शिक्षा हर स्थिति में आवश्यक है।

हर एक देश को जो एक सफल राष्ट्र बनने की यात्रा कर रहा है उसके लिए महिलाओं के लिए सार्वभौमिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक है ।भारत एक राष्ट्र के रूप में अपनी वास्तविक क्षमता था तभी पहुंच सकता है, जब उसकी महिलाएं पूर्ण रूप से शिक्षित हो।

हालांकि पिछले कुछ दशकों से भारत की महिला शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है। और हर मां- बाप समान रूप से अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं इसके कारण भारत में महिला शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। एवं अपने शिक्षा के कौशल को बिखेर कर हर क्षेत्र में अपने मां-बाप का सर गर्व से ऊंचा कर रही है।

महिला शिक्षा पर निबंध (300 शब्दों में)

आज के आधुनिक युग में चाहे पुरुष हो या महिला दोनों शिक्षा की दृष्टि से बराबर है जिसका उल्लेख हमारे संविधान में भी है हमारा संविधान सभी को शिक्षा का मूल अधिकार प्रदान करता है जिसके चलते आज हम जहां पर भी नजर दौड़ते हैं वहां स्त्री– पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ती नजर आ रही हैं।

पुरुषों के साथ-साथ नारी भी इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक, पायलट, पुलिस जैसे पदों पर अपनी सेवाएं दे रही है। रानी लक्ष्मीबाई, इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू जैसी स्त्रियों ने ना केवल समाज में अपने वर्चस्व को स्थापित किया बल्कि, घर की दहलीज पार कर के अन्य बेटियों को भी प्रोत्साहित किया, और उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक प्रेरणा दी।

नारी शिक्षा के परिणाम स्वरूप आज हमारे समाज में बहुत सुधार हो रहा है ।और समाज बेटियों को शिक्षित करने में लगा हुआ है जिसके परिणाम हमारे सामने हैं कि आज स्त्रियां हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ आगे आ रही है और वह यह साबित कर रही है कि वह किसी भी रूप में पुरुषों से कम नहीं है।

नारी शिक्षा के कारण ही भारत में महिलाओं ने नए नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं, कल्पना चावला (भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री), इंदिरा गांधी ,सरोजिनी नायडू, प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, आदि भारतीय समाज की नारियों के लिए प्रेरणा स्रोत है ऐसी ही भारत की अनेक स्त्रियों ने अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ चढ़कर भाग ले रही हैं और आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन रही हैं।

हाल ही मैं चंद्रयान–2 मिशन में देश की नारियों ने अपने अद्भुत कौशल का परिचय दिया फिर भी आज के इस शिक्षित परिवेश में भी देश के विभिन्न स्थानों पर स्त्री की स्थिति संतोषजनक नहीं है बहुत से पिछड़े क्षेत्रों में नारी की स्थिति अभी घर की दहलीज तक ही सीमित है।

परंतु वर्तमान सरकार के प्रयासों तथा सर्व शिक्षा अभियान के तहत समाज की इस स्थिति में सुधार आ रहा है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों से भी अब बहुत सी लड़कियों ने आगे निकालकर कला, खेलकूद, चिकित्सा, विज्ञान और प्रशासनिक सेवाओं जैसे पदों पर पुरुषों को पीछे कर अपने कौशल को बिखेरा है और स्त्रियों का परिणाम लड़कों की तुलना में श्रेष्ठ गुणवत्ता में आ रहा है।

जैसा कि हम जानते हैं स्त्री और पुरुष समाज के दो पहिए होते हैं अगर इसमें से एक भी खराब हो गया तो समाज को चलने में दिक्कत आती है। इसीलिए समाज में जिस प्रकार पुरुष को शिक्षा का अधिकार है उसी प्रकार नारी को ही शिक्षा का अधिकार हर स्थिति में मिलना ही चाहिए।

एक शिक्षित महिला अपने परिवार की हर स्थिति में हर संभव मदद कर सकती है, एवं समाज में अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम होती है और वह अपने पैरों पर खड़ी हुई है जिससे कि उसे पुरुष की कृपा के अंदर नहीं रहना पड़ता है। अतः हमें जरूरी है कि हम स्त्रियों को अधिक से अधिक शिक्षित बनाए जिससे वह जीवन के हर क्षेत्र में अपना बेहतरीन योगदान दे सकें।

नारी शिक्षा पर निबंध (500 शब्दों में)

प्रस्तावना-.

शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है चाहे वह विकास सामाजिक हो या आर्थिक । एक राष्ट्र को वास्तविक अर्थों में शिक्षक तभी किया जा सकता है जब उस राष्ट्र के पुरुष व महिला समान रूप से शिक्षित हो।

महिला साक्षरता दर कम होने के कारण समाज के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि महिलाएं बच्चों की देखभाल और उनके विकास के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होती है। जिन बच्चों की मां शिक्षित होती हैं उनका पालन– पोषण और सर्वांगीण विकास अच्छे तरीके से होता है।

नारी शिक्षा के प्रति सोच

आज भी कई लोग नारी की उपेक्षा करते हैं वह उन्हें तुच्छ समझते हैं। इस सोच के पीछे का कारण है कि हमने अपने संस्कार, संस्कृति ,शास्त्र ,आदि भुला दिए जिनमें नारी को लक्ष्मी, सरस्वती तथा काली का रूप बताया गया है। अर्थात नारी धन, विद्या, तथा शक्ति तीनों प्राप्त अथवा ग्रहण कर सकती है। हमने नारी के गुणों को पहचानने की कोशिश नहीं की हमने यह नहीं समझा कि नारी मार्गदर्शन व परम मित्र की प्रतिमूर्ति है। नारी परिवार की निस्वार्थ सच्ची सेवा करने वाली माता के समान जीवन देने वाली, रक्षा करने वाली व धर्म के अनुकूल कार्य करने वाली है।

नारी के प्रति इस उपेक्षित सोच का कारण अशिक्षा ही है। क्योंकि व्यक्ति कितना ही सुंदर ,सुशील क्यों ना हो अगर उसके पास शिक्षा नहीं है तो उसका व्यक्तित्व कभी बड़ा नहीं हो सकता।

नारी शिक्षा की आवश्यकता

महिलाओं के लिए शिक्षा परिवार और समाज के जीवन को बेहतर बनाने के लिए एक सबसे प्रभावी तरीका है शिक्षा के साथ महिला एक शक्तिशाली व्यक्तित्व बन जाती है। एक शिक्षित महिला में परिवार में बच्चों को शिक्षित करने, महत्वपूर्ण निर्णय लेने, वा विभिन्न निर्णयों मे अपने मार्गदर्शन बेकार एवं परिवार को आर्थिक योगदान देकर घर एवं समाज के हर मोर्चे पर मदद करने की शक्ति होती है।

हमारे देश की आबादी का लगभग आधा हिस्सा महिलाओं का है अगर यह 50% आबादी शिक्षा से वंचित रह गई तो देश विकास कैसे करेगा। शिक्षित व सशक्त महिलाएं विभिन्न तरीकों से समाज समुदाय और राष्ट्र के विकास में योगदान देती है।

महिला सशक्तिकरण में नारी शिक्षा की भूमिका

महिला का अर्थ होता है नारी या स्त्री और सशक्तिकरण का अर्थ होता है शक्ति या सत्ता अधिकारी संपन्न बनना। महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य है महिला को अपने जीवन से जुड़े फैसले लेने के लिए स्वतंत्रता देना महिलाओं को समान अधिकार देना महिला सशक्तिकरण के लिए नारी शिक्षा पहली और मुख्य साधन है केवल शिक्षित नारी ही अपने भावी पीढ़ी का सही मार्गदर्शन कर सकती है एवं अपने निर्णय को सही दिशा की ओर आगे बढ़ा सकती है।

शिक्षा से ही नारी में सही फैसले लेने की क्षमता का विकास होगा ।बिना शिक्षा प्राप्त किए स्त्री फैसले लेने में असमर्थ रहेगी अतः महिला सशक्तिकरण के लिए नारी शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है ।जिससे वह अपने अधिकारों को जानेंगीं, और उनका उल्लंघन किए जाने पर उसका विरोध करेंगी।

भारत में नारी की शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारक

भारत के समाज में महिलाओं की कम शिक्षकों के लिए कई कारक जैसे– गरीबी, प्राथमिक विद्यालयों की गांव से दूरी इसी दूरी के चलते लड़कियों के की सुरक्षा की चिंता, स्कूलों में लड़कियों को कभी-कभ विभिन्न प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ता है जिससे लड़कियां खुद को असुरक्षित महसूस करती है।

इसके अलावा लोगों की नकारात्मक धारणाएं जैसे कि एक लड़की को खाना बनाना चाहिए घर को साफ रखना चाहिए और घरेलू काम सीखना चाहिए क्योंकि यही लड़की के जीवन का पहला कर्तव्य है। एवं बाल विवाह जैसी सोचो के कारण स्त्री शिक्षा से वंचित रह जाती है।

नारी शिक्षा के लिए सरकार की योजनाएं

आज की सरकार है देश में नारी शिक्षा को प्रत्येक कोने में पहुंचाने के लिए और इसे बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तर पर कार्य कर रही है और नारी शिक्षा को बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं बनाई है जैसे–

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम
  • किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना
  • इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना
  • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना
  • महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम

नारी शिक्षा के लाभ (Women Education Advantages)

जो स्त्रियां शिक्षित हैं वह अपने भविष्य की जिम्मेदारी खुद उठा सकती हैं और उन्हें किसी पर निर्भर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।

  • एक शिक्षित महिला कमा सकती हैं आर्थिक रूप से अपने परिवार की आय में योगदान देती है।
  • शिक्षित महिलाएं स्वयं को एवं अन्य महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचा सकती है।
  • एक शिक्षित नारी आत्मविश्वास से पूर्ण होती है और स्वयं निर्णय लेने में सक्षम होती है।
  • नारी शिक्षा बड़े पैमाने पर समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान देती है।
  • नारी शिक्षा के द्वारा बाल और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद मिलती है।

एक लड़के को शिक्षित करना एक व्यक्ति को शिक्षित करना है, जबकि एक लड़की को शिक्षित करना एक राष्ट्र को शिक्षित करने के समान होता है। यह कथन पूरी तरह से सत्य है दुनिया भर में कई सर्वेक्षणों और अध्ययनों से पता चलता है कि, महिलाओं को शिक्षित करना बच्चों के स्वास्थ्य, सामुदायिक कल्याण और विकासशील देशों, की दीर्घकालिक सफलता के निर्माण की दृष्टि से सबसे लाभदायक साबित होता है।

शिक्षा एक लड़की के लिए अवसरों की एक पूरी नई दुनिया बनाती है यह उसे जीवन की विभिन्न समस्याओं से निपटने आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने बेहतर विकल्प खोजने परिवार व सामुदायिक मुद्दों को संतोषजनक ढंग से हल करने अपने अधिकारों के लिए खड़े होने और अपने आने वाली पीढ़ी को मार्गदर्शन करने का आत्मविश्वास देती है। आज की इस आधुनिक दुनिया में स्त्री शिक्षा को किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। और हर स्त्री को हर संभव कीमत पर शिक्षा मिलनी ही चाहिए।

इन्‍हें भी पढ़ें

  • महाशिवरात्रि पर निबंध
  • नारी का महत्‍व पर निबंध
  • समय के सदुपयोग पर निबंध
  • समाचार पत्र पर निबंध
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • दिवाली पर निबंध

Suneel

नमस्‍कार दोस्‍तों! Hindigrammar.in.net ब्‍लॉग पर आपका हार्दिक स्‍वागत हैं। मैं Suneel Kevat इस ब्‍लॉग का Writer और Founder हूँ. और इस वेबसाइट के माध्‍यम से Hindi Grammar, Essay, Kavi Parichay, Lekhak Parichay, 10 Lines Nibandh and Hindi Biography के बारे में जानकारी शेयर करता हूँ।

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Women Empowerment Essay in Hindi : महिला सशक्तिकरण पर छात्र ऐसे लिख सकते हैं निबंध, यहाँ देखें सैंपल

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  • Updated on  
  • मार्च 4, 2024

Women Empowerment Essay in Hindi

“लोगों को जगाने के लिए, महिलाओं का जागृत होना जरूरी है” पण्डित जवाहर लाल नेहरू द्वारा कही गयी यह लाइन महिला सशक्तिकरण के महत्व को दर्शाती है। बता दें कि महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत स्तर पर सशक्त बनाना है। महिला सशक्तिकरण देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे समाज के हर क्षेत्र में योगदान दे सकती हैं। इस बीच भारत सरकार भी महिला सशक्तिकरण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है। ऐसे में विद्यार्थियों को भी महिला सशक्तिकरण के बारे में बताने के लिए पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। आईये इस लेख के माध्यम से जानते हैं महिला सशक्तिकरण पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Women Empowerment Essay in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं विस्तार से। 

This Blog Includes:

महिला सशक्तिकरण के बारे में , महिला सशक्तिकरण पर 100 शब्दों में निबंध , महिला सशक्तिकरण पर 200 शब्दों में निबंध, महिला सशक्तिकरण क्यों महत्वपूर्ण है, महिलाओं की राष्ट्र निर्माण में भूमिका, महिला सशक्तिकरण पर 10 लाइन्स.

‘महिला सशक्तिकरण’ के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिये कि हम ‘सशक्तिकरण’ क्या है। तो आईये आपको बता देते हैं कि ‘सशक्तिकरण’ का अर्थ किसी व्यक्ति या समूह को अपनी क्षमता पहचानने, विकसित करने और उपयोग करने में सक्षम बनाना है। ताकि वह अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके। 

अब समझते हैं कि महिला सशक्तिकरण क्या है। महिला सशक्तिकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो महिलाओं को उनकी क्षमता तक पहुंचने और समाज में समान भागीदारी करने में मदद करता है। 

आज महिलायें विकासशील भारत को विकसित बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है परंतु फिर भी उन्हें कई बार अलग-अलग रूपों में प्रताड़ित किया जाता है। ऐसे में महिला सशक्तिकरण मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संदर्भित करता है, ताकि वह स्वयं निर्णय ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवारिक या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन को संभाल सकें। सरल शब्दों में कहे तो, यह महिलाओं को अपने स्वयं के व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है। 

100 शब्दों में Women Empowerment Essay in Hindi इस प्रकार है:

महिला सशक्तिकरण, एक सशक्त समाज की नींव है जो महिलाओं को उनकी क्षमता तक पहुंचने और समाज में समान भागीदारी करने में सक्षम बनता है। महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं को पुरुषों के साथ समान रूप से खड़े होने में मदद करना। यह देश के साथ-साथ एक परिवार की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक मूलभूत कदम है। शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से, महिलाएं रूढ़िवादिता को चुनौती देने, बाधाओं को कम करने और अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनती हैं। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे परिवार कल्याण, सामुदायिक विकास और राष्ट्रीय समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

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200 शब्दों में Women Empowerment Essay in Hindi इस प्रकार है: 

महिला सशक्तिकरण, एक सतत प्रक्रिया है जो महिलाओं को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाती है। यह महिलाओं को जीवन में समान अधिकार प्राप्त करने में सहायता करता है, उनको अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। एक सशक्त नारी अपने इच्छानुसार पढ़ने और काम करने सफल होती है। वे अधिक आत्मविश्वासी होती हैं। इसके साथ ही वह एक खुशहाल परिवारों के पोषण और सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

लोगों के द्वारा लगाए गए अवरोध अक्सर महिला सशक्तीकरण में बाधा डालते हैं। कई बार उन्हें घरेलू भूमिकाओं तक सीमित कर देते हैं। इस मानसिकता के परिणामस्वरूप लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जाता है। नारियों को सामाजिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चिंताएँ उनके सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण बाधाएँ पैदा करती हैं। फिर भी, महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता साबित की है, रूढ़िवादिता को दूर किया है और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ाने के प्रयासों में बाल विवाह को समाप्त करने और दहेज प्रथा को खत्म करने जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज के बीच सहयोग का होना भी महत्वपूर्ण है।

महिला सशक्तिकरण पर 500 शब्दों में निबंध

500 शब्दों में Women Empowerment Essay in Hindi इस प्रकार है: 

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विश्व स्तर पर अपनी संस्कृति और विरासत के लिए प्रसिद्ध, भारत विविध संस्कृतियों से भरा हुआ देश है। लेकिन भारतीय समाज हमेशा से एक पुरुष प्रधान देश रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से लगातार वंचित रखा गया है। महिला सशक्तिकरण आज के समय में एक विशेष चर्चा का विषय है। इसका अर्थ केवल महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देना नहीं है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना भी है। आज भी भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए कई चुनौतियां हैं। इनमें दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता आदि शामिल हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

महिलाओं के सशक्त होने से समाज भी मजबूत होता है। जब महिलायें सशक्त होती है तो वे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाती हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाती है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। जिनमें से कुछ निम्नलिखित है :  

  • न्याय और समानता
  • आर्थिक विकास
  • सामाजिक विकास
  • स्वास्थ्य और शिक्षा

बदलते समय के साथ, आज की नारी पढ़-लिख कर स्वतंत्र है। वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है और चारदीवारी से बाहर निकलकर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वे अब देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर बड़े से बड़े कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं। शिक्षा से लेकर राजनीति तक महिलाएं सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं और इन क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करने में मदद कर रही है। सही समर्थन मिलने पर महिलाओं ने हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है। भारत में भी, हमने महिलाओं को विविध भूमिकाओं को संभालते देखा है, चाहे वह एक प्रधान मंत्री, अंतरिक्ष यात्री, उद्यमी, बैंकर और बहुत कुछ हो। 

आज भारत दुनिया के सबसे तेजी से विकसित हो रहे देशों में शुमार है। इस आर्थिक प्रगति के साथ-साथ, महिला सशक्तिकरण को प्राप्त करना भी बेहद महत्वपूर्ण है। भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति पुरानी सोच में बदलाव लाना अत्यंत आवश्यक है। हालाँकि यह सच है कि लोगों की सोच बदल रही है, लेकिन हमें इस दिशा में और भी प्रयास करने की आवश्यकता है। महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक अवसरों, राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक जीवन में समान अधिकार और अवसर प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। महिला सशक्तिकरण केवल महिलाओं के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। हमें सभी को मिलकर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए।

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Women Empowerment Essay in Hindi में आप महिला सशक्तिकरण को यहाँ दिए गए 10 लाइन्स में आसानी से समझ सकते हैं-

  • महिला सशक्तिकरण का अर्थ है समाज में महिलाओं की हिस्सेदारी को पुरुषों के बराबर बनाना। 
  • महिला सशक्तिकरण महिलाओं को अपने निर्णय स्वयं लेने की आजादी देता है और उन्हें अधिक आत्मनिर्भर बनाता है।
  • महिला सशक्तिकरण, किसी भी देश की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • महिला सशक्तिकरण से महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से स्वतंत्र बनती है।
  • महिला के सशक्त होने एक सुखी और समृद्ध विश्व की स्थापना में मदद मिलेगी।  
  • महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य है सभी महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करना।
  • सशक्त महिलाएँ समाज में अधिक प्रभावी ढंग से योगदान दे सकती हैं।
  • महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव मिटाने के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। 
  • महिला सशक्तिकरण, सभी महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।

लातविया दुनिया का ऐसा देश है जहाँ महिलाओं की जनसँख्या ज्यादा है। बता दें कि इस देश में महिलाओं की कुल जनसँख्या की 54.10% है।

महिला सशक्तिकरण की मदद से समाज में नारी को वह स्थान मिलता, जिसकी वह हमेशा से हकदार रही है। महिला सशक्तिकरण की मदद से महिलायें, बन्धनों से मुक्त होकर अपने निर्णय खुद ले सकती हैं। 

राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनायी थी।

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Essay on Women Education in Hindi- नारी शिक्षा पर निबंध

In this article, we are providing Nari Shiksha essay in Hindi / Essay on Women Education in Hindi. नारी / स्त्री शिक्षा पर निबंध, आधुनिक युग में नारी-शिक्षा, नारी शिक्षा की आवश्यकता, प्राचीन काल में नारी-शिक्षा

Essay Women Education in Hindi- नारी शिक्षा पर निबंध

भूमिका- हिन्दी के प्रसिद्ध कवि जयशंकर प्रसाद ने नारी के संदर्भ में ये काव्य-पंक्तियां रची हैं

नारी तुम केवल अल्ला हो।

विश्वास रखत नग-पग तल में।

पीयूष स्त्रोत सी बहा करो।

जीवन के सुन्दर समतल में।

इन पंक्तियों में नारी को श्रद्धा मान कर उससे कामना की गई है कि वह जीवन में सदैव अमृत-मयी धारा बन कर बहती रहे। मनुष्य सामाजिक प्राणी है, अतएव उसकी वैयक्तिक उन्नति भी सामाजिक विधान पर ही निर्भर करती है। नारी उसके साथ आरम्भ से ही सहचरी बन कर आई है। जीवन के उपवन में जो पुष्प खिलते हैं उनमें सुख की सौरभ नारी ही बिखेरती है। यह पारिवारिक जीवन के लिए ही सहायक नहीं होती है अपितु जीवन के हर कोण पर ही संघर्ष में नारी ने पुरुष का साथ देकर इतिहास-निर्माण में सहयोग किया है। हमारे देश के इतिहास में सामाजिक ढांचे में काल-क्रम में ऐसे परिवर्तन हुए हैं जिससे नारी का अस्तित्व झूले पर झूलते हुए व्यक्ति के समान हो गया और वह अनेक बंधनों में जकड़। कर कठपुतली के समान बनकर रह गई।

नारी-शिक्षा की आवश्यकता- वास्तव में यह प्रश्न ही नितांत अज्ञानता का सूचक । है कि नारी की शिक्षा की क्या आवश्यकता है ? नारी की शिक्षा के प्रति अनेक प्रकार के प्रश्न समाज के तानाशाह तथा अशिक्षित परम्परावादी लोगों ने उठाए हैं। नारी का रूप मा, । पत्नी, बहिन के रूप में सामाजिक जीवन में देखा जाता है और इन रूपों में वह विभिन्न  प्रकार के दायित्वों को निभाती है। मां के रूप में वह केवल जन्म देने वाली ही नहीं है अपितु वन में ही वह अपने बच्चे को सही दिशा दे सकती है। पढ़ी लिखी, शिक्षित होने पर, लक के मनोविज्ञान से परिचित होने पर और सामाजिक मूल्यों को पहचानते हुए ही नारी । बच्चे के मानसिक विकास में सहायक होती है। बच्चे की सबसे पहली पाठशाला तो घर ही होता है जिसमें उसकी मां ही उसे आरम्भिक ज्ञान-दान करती है। अत: माँ ही बच्चे के लिए पहली शिक्षिका है और वही उसके जीवन को मोड़ दे सकती है। इसी प्रकार पत्नी के रूप में वह अपनी गृहस्था की रक्षक ही नहीं होती है बल्कि उसे सुख का स्वर्ग भी बनाती है। वर्तमान युग में तो उसने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुष वर्ग के समान ही बहुमुखी प्रगति की है। अत: नारी-शिक्षा की आवश्यकता और उसके महत्त्व पर प्रश्न करना केवल हमारी अज्ञानता का सूचक है।

प्राचीन काल में नारी शिक्षा- आरम्भ के युग में नारी का अच्छा सम्मान था। वे पढ़ी-लिखी होती थी। इससे नारी का बौद्धिक स्तर विकसित हो जाता और वे अपने कर्तव्य को पहचान लेती थीं। वे पुरुष के इंगितों पर नहीं चलती थी। तभी तो कैकेयी ने महाराजा दशरथ की युद्ध में रक्षा की, तभी तो विदुला ने अपने संजय को ऐसा समझाया कि वह युद्ध से भागा हुआ पुनः युद्ध में चला गया तभी तो मंडन मिश्र की पली अभय भारती ने शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में हराया। हमारे पास एक नहीं, अनेक स्त्रियों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपनी शिक्षा के प्रभाव से समय-समय पर अपने पुत्रों और पतियों को सजग किया। उस समय नारी बहुत शिक्षा पाती थी और उस समय की शिक्षा भी आदर्श होती थी। मनुस्मृति में नारी के संदर्भ में कहा गया है-

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।

अर्थात् जहां नारी की पूजा होती है वहाँ देवता भी रमते हैं। नारी पूजा का अर्थ उसे सम्मान देना है, उसे शिक्षित बनाना है और जीवन के प्रत्येक पहलू में उसे साथ रखना है।

मध्ययुग में यवनों के आक्रमण आरम्भ हो गए, मुसलमान लड़कियों को उठा ले जाते थे, इसलिए उनके लिए पर्दे की प्रथा आरम्भ हो गई और बाल-विवाह होने लगे और उस समय पुरुष वर्ग ने नारी का केवल एक कर्तव्य समझा पति की सेवा और बच्चों का पालन। स्त्रियों ने भी अपने आप को पुरुषों के अधीन कर दिया और शिक्षा न होने के कारण स्त्रियां अपना कर्तव्य स्वतन्त्र दृष्टि से निश्चित न कर पाई। परिणामत: वे एक ऐसे घेरे में बन्द हो। गई जहाँ से उनका निकलना असम्भव सा हो गया। यही कारण है कि उन में निराशा फैल गई। वे पूर्णतया पुरुषाश्रिता हो गई। जीविकोपार्जन के लिए नारी का बाह्य जीवन में कूदना पाप समझा जाने लगा। यदि विवशतावश किसी नारी को ऐसा करना पड़ता तो उसे कुल्टा कह अपमानित किया जाता था। नौकरी करने वाली लड़कियों के लिए आज भी समाज के कुछ लोगों में सम्मानित धारणा नहीं।

मध्य युग में कुछ कवियों ने नारी के संदर्भ में स्वस्थ विचार नहीं दिए। कबीर ने कहा  है-

नारी की झाई पड़त, अन्य होत भुजंग।

तुलसीदास जी ने ‘कु’ और ‘सु’ नारी के चरित्र द्वारा कुपात्र को ढोल गंवार शूद्र और पशु कहा है लेकिन वे सीता अनुसुइयां तथा कौशल्या मंदोदरी जैसे नारी पात्रों को सुपात्र कह कर उन्हें वन्दनीय मानते हैं।

मध्यकाल में गुरु नानक देव जी ने नारी के सन्दर्भ में क्रान्तिकारी विचार दिए और समाज में उसे प्रतिष्ठा दी।।

शिक्षा के अभाव के कारण भारत की मातृशक्ति में आत्महीनता की अन्थि आ गई और उसका अपना इतिहास बदल गया। विवाह के पश्चात् नारी जब ससुराल से तंग होती, सास, ननद और पति द्वारा दु:खी की जाती और यह देखती कि पुरुष इसीलिए कहर ढा रहा है। कि वह पढ़ा-लिखा है, उसकी भी आत्मा शिक्षा पाने के लिए छटपटाती और चाहती कि वह आर्थिक दृष्टि से स्वच्छन्द हो जाए। तब वह पंजाबी लोकगीत द्वारा मायके आकर मां को इस तरह पूछती है :-

‘दस नी माये मेरिए विद्या किनी की दूर

अर्थात् मेरी माता, बता पढ़ाई कितनी कठिन है।

आधुनिक युग में नारी- शिक्षा-सब युग एक समान नहीं रहते। महर्षि स्वामी दयानन्द जी ने इस अभाव को देखा, मातृशिक्षा की इस पीड़ा को परखा और नारी-शिक्षा का नारा लगाया। उस समय स्वामी जी और उनके शिष्यों पर ईटें बरसाई गई। धीरे-धीरे लोगों ने युग को समझा, समाज ने निश्चय कर लिया कि लड़की को इतना पढ़ाना चाहिए कि वह चिट्ठी-पत्र लिख सके। इसलिए आज से साठ वर्ष पहले लड़कियों को केवल प्राइमरी तक शिक्षा दी जाने लगी। पर वह भी बहुत कम। सारे मुहल्ले में केवल एक लड़की पढ़ी होती। उसका बहुत आदर होता था। धीरे-धीरे यह धारणा बदली और निश्चय किया गया कि प्राइमरी शिक्षा बहुत कम है। आज से तीस वर्ष पहले लड़कियों के लिए मिडल और प्रभाकर तक की शिक्षा को उचित समझा गया। बी. ए. की बात क्या करनी, मैट्रिक भी बहुत कम होती थीं। धीरे-धीरे यह दृष्टिकोण भी बदला। निश्चय किया गया कि इतना पढ़ाया जाए जिससे वे आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बी बन सकें। इससे वे मैट्रिक, बेसिक और कुछ बी.ए. बी.टी. होने लगी। आज वह स्थिति भी बहुत बदल गई है। आज लड़की का पहला गुण यह पूछा जाता है कि पढ़ी कितनी है। किसी एम. ए. पास लड़के के साथ मैट्रिक पास लड़की बाँध दी जाए तो वह नाक-भौं चढ़ाता है। मैट्रिक पास लड़का मैट्रिक पास लड़की मांगता है। आजकल शिक्षा नारी-जीवन का अनिवार्य अंग बन गई है। नारी-शिक्षा दो कारणों से दी जा रही है : लड़की को अच्छा वर मिले और आर्थिक दृष्टि से वह आत्मनिर्भरत बन सके।

अब यह कहा जाता है कि नारी को अवश्य शिक्षा देनी चाहिए, नारी-शिक्षा का महत्त्व अधिक है। आज जो लोग अपनी लड़कियों को शिक्षा नहीं देते, उन्हें पश्चाताप करते हुए देखा गया है। आज नारी-शिक्षा केवल इसलिए ही नहीं दी जाती है कि वह मूर्ख न रह जाए, उसे भले-बुरे का ज्ञान हो जाए। अपितु उसकी आत्मा भी ऊपर उठे, वह मूक पशु की तरह न रहे। अपना और अपने परिवार का जीवन सुखी और शान्त बना सके। नारी-शिक्षा का यह  भी उद्देश्य है कि भगवान् न करे, यदि लड़क़ी पर कोई विपत्ति आ जाए तो वह “ार स्वयं उठा सके, उसे दूसरों के दरवाजे खटखटाने की आवश्यकता न रहे। यही नहीं,  निर्धन परिवार की लड़कियां नौकरी करके घर की आर्थिक अवस्था को सुधारने में भी अपने पति का हाथ बंटाती हैं।

आज के युग में नारी शिक्षा, व्यापार, मेडिकल इन्जीनियरिंग, वैज्ञानिक शोध, खेल-कूद, किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। पीछे रहने की अपेक्षा अब स्थिति बदलने लगी है। स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के जो परीक्षा परिणाम घोषित होते हैं उनमें लड़कियों का सफलता प्रतिशत तो अधिक होती ही है वे पोजिशन भी प्राप्त करती हैं। आज शिक्षा के क्षेत्र में वह पुरुष से कहीं ज्यादा सफल शिक्षिका बनती है मेडिकल के क्षेत्र में वह ममतामयी डॉक्टर और नर्स भी बनती है। क्योंकि उसकी स्वाभाविक करुणा और ममता, मातृत्व भावना उसे कर्तव्य के प्रति अधिक जागरूक बनाती है। मासिक कुण्ठा और तनाव से निकल कर वह अपने बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण अधिक अच्छे ढंग से करती है। अपने घर को अच्छे ढंग से संभालती या व्यवस्था करती है। वह डर और भय के कल्पित लोक से निकल कर, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, विदेश, ऑफिस, आकाश और समुद्र तक अपने विकास को ले जाती है। समाज के संतुलित और सम्यक विकास के लिए यह आवश्यक है।

उपसंहार- दो बातें आज की नारी के बारे में कहना भी अनुचित न होगा। स्वतन्त्र भारत की मातृशक्ति शिक्षित हो रही है। यह बात देशवासियों के लिए गौरव की है। पर आज की नारी-शिक्षा हमारी मातृशक्ति को न तो स्वस्थ तन दे रही है न मन। कहां है सीता का तेज, जो एक वर्ष रह कर भी रावण के चंगुल से बच कर आई थी ? कहां है राजपूतनियों का साहस जो हँसते हँसते पतियों को युद्धक्षेत्र में भेजती थीं ? कहां है दोनों हाथों से तलवार चलाने वाली झांसी की रानी ? कहां है अपने पति को ठीक राह पर लागे वाली तुलसी दास की पत्नी रत्नावली ? कहां है मां जीजाबाई जिस ने शिवा जी जैसे वीर पैदा किए ? कहाँ हे सती सारन्धा जिसने गुलाम होने से पहले अपने और अपने पति के छुरा घोंप दिया ? ।

नारी-शिक्षा दिनों-दिन बढ़े, पर वह ऐसी शिक्षा हों जो भारतीय संस्कृति के अनुरूप हो। भारत की नारी आदर्श मां, आदर्श बहिन, आदर्श पुत्री, आदर्श पत्नी बन सके। उसमें वह शक्ति हो जो दुष्ट की दृष्टि के चंगुल से उसे बचा सके, न कि चूहे के खटखट करते ही होश हो जाए। वह समय पर फूल जैसी कोमल और पत्थर जैसी कठोर भी हो। तभी हमारी  नारी-शिक्षा सफल होगी।

शिक्षा में खेल-कूद का महत्त्व पर निबंध

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निबंध (Essay on International Women’s Day in Hindi)

आज के वैश्विकरण वाले प्रतिस्पर्धी दौर में महिलाएं सिर्फ घर ही नहीं संभालतीं बल्कि देश, दुनिया की तरक्की में भी अपना योगदान दे रही हैं। घर से लेकर विभिन्न क्षेत्रों चाहे वह आईटी सेक्टर हो या बैंकिंग या अन्य, सभी में अपनी प्रतिभा और कार्य कौशल का लोहा मनवा रही हैं। महिलाओं के इसी हौसले और जज्बे को सराहने और सम्मान देने के लिए दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। हर साल मार्च माह की 8 तारीख को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2024 की थीम (Theme of International Women's Day-2024 in hindi)
  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2023 की थीम (Theme of International Women's Day-2023 in hindi)
  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य (Objective of International Women's Day)

लैंगिग समानता की पहल (Gender equality initiative)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निबंध (essay on international women’s day in hindi).

  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई? (How did International Women's Day start?)

भारत में महिला सशक्तीकरण (Women Empowerment in India)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निबंध (Essay on International Women’s Day in Hindi)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) को मनाने का खास मकसद समाज में महिलाओं को बराबरी को हक दिलाना, महिला सशक्तीकरण पर जोर देना है। साथ ही किसी भी क्षेत्र में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के मकसद से भी इस दिवस को मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 (International Women’s Day essay in hindi) विषय की गंभीरता तथा आपके जीवन में एक महिला का क्या महत्व है, इसे समझने में Careers360 का यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 (International Women’s Day 2024 essay in hindi) विशेष लेख पाठकों के लिए सहायक सिद्ध होगा।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 पर यह निबंध (International Women’s Day 2024 hindi essay) इस धरती पर मौजूद प्रत्येक महिला के सम्मान से संबंधित है और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 (essay on International Women’s Day 2024 in hindi) विषय के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 (International Women’s Day 2024) पर अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़े।

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2024 की थीम (Theme of International Women's Day-2024 in hindi)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2024 की थीम यानि ध्येय वाक्य ‘उसकी गिनती करें : आर्थिक सशक्तीकरण के माध्यम से लैंगिक समानता में तेजी लाना’ (Count Her In : Accelerating Gender Equality Through Economic Empowerment) है जिसका तात्पर्य है कि आर्थिक सशक्तीकरण होने से महिला-पुरुष में समानता में तेजी आएगी। इसके बिना हम समतामूलक, समावेशी और न्यायसंगत भारत का निर्माण नहीं कर सकते है। महिलाओं को अर्थव्यवस्था में समान भागीदारी हासिल करने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। शिक्षा, रोजगार, वित्तीय सेवाओं और साक्षरता तक समान पहुंच के बिना, हम लैंगिक समानता तक पहुंचने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाओं और लड़कियों को अपनी क्षमताओं का निर्माण करने और सीखने, कमाने और नेतृत्व करने की उनकी क्षमता को मजबूत करने के लिए समान अवसर दिए जाएं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में स्थिति बदली है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2023 की थीम (Theme of International Women's Day-2023 in hindi)

इन्हीं परिवर्तनों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी” (DigitALL: Innovation and technology for gender equality) थीम के साथ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 मनाया गया। इस थीम के पीछे यह विचार है कि लैंगिक समानता प्राप्त करने और सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तीकरण के लिए डिजिटल युग में नवाचार, तकनीकी परिवर्तन और शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए। महिलाओं के विषय में विकास से तात्पर्य उन्हें लेकर समाज में पूर्वाग्रहों, सोच और विचारों में परिवर्तन करना हैं। महिलाओं को समानता की नज़र से देखना, उन्हें अपने विकास के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करना तथा उनकी शिक्षा के लिए कार्य करना, एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करना तथा उनका सम्मान करना है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2023 की थीम महिलाओं के प्रति समानता के भाव को दर्शाता है तथा साथ ही सतत विकास के पथ को भी प्रदर्शित करता है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य (Objective of International Women's Day)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का मंतव्य यही था कि महिलाओं को उनकी क्षमता प्रदान की जाए तथा महिला सशक्तीकरण किया जाए। मानसिकता कहें या जड़ता, कहीं न कहीं पुरुष महिलाओ को अपने से नीचा समझता आया है इस मानसिकता में परिवर्तन करना बहुत जरुरी था और यह केवल महिलाओं को बेहतर अवसर प्रदान करके ही किया जा सकता था। जब महिलाओं को अवसर प्रदान किए गए तथा महिला सशक्तीकरण किया गया तो महिलाओं ने अपने आप को बेहतर रूप से साबित किया। यह महिलाओं की योग्यता और क्षमताओं का परिणाम है जो आज महिलाएं बेहतर स्थिति में हैं। मगर अभी भी महिलाओं के लिए काफी काम किया जाना बाकी है, बहुत से परिवर्तनों के बावजूद आज भी महिलाओं को संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें शिक्षा, सम्मान और समानता के लिए अभी भी बहुत संघर्ष करना पड़ता है।

आज विश्व में हर जगह लैंगिग समानता के बारे में चर्चा होती है परन्तु आज भी विश्व भर में आर्थिक सुधारों के बाद भी 60 प्रतिशत महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर हैं। आज भी विश्व में पुरुषों और महिलाओं की आमदनी में विषमता है। इसके अलावा महिलाओं की विश्व में राजनीति के क्षेत्र में भागीदारी केवल 24 प्रतिशत है। हालांकि विश्व के कई देश हैं, जिनमें महिलाओं की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है। उत्तर कोरिया इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। इसके अलावा पोलैंड, रूस, और युक्रेन में साक्षरता दर 99.7 प्रतिशत है। हमारे पडोसी चीन में यह दर 95.2 प्रतिशत है। जबकि भारत में स्थिति अभी भी ख़राब है और महिला साक्षरता दर केवल 65.8 प्रतिशत है। हमारे अन्य पड़ोसी देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति तो और भी अधिक ख़राब है।

इसी प्रकार यदि हम महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर के बारें में चर्चा करें तो हमारे पड़ोसी देश नेपाल में यह 81.4 प्रतिशत है, वियतनाम में 72.73 प्रतिशत, सिंगापुर में 61.97, यूके में 58.09, यूएसए में 56.76, प्रतिशत है, जबकि भारत एक ग्रामीण प्रधान देश है फिर भी यह दर केवल 20.7 प्रतिशत ही है। महिला सशक्तीकरण (women Empowerment) और महिला साक्षरता (women Literacy) के लिए इतने अधिक प्रयास करने के बावजूद भी स्थिति अभी भी सामान्य नहीं है। महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाओं में भी वृद्धि देखने को मिली है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए हमें अपनी सोच में परिवर्तन करना होगा और इसका दायित्व आज की युवा पीढ़ी पर ही है। हमें अपनी मर्दानगी तथा पुरुष प्रधानता के विचार को छोड़ कर नारी के प्रति समानता की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पूर्ण रूप से एक नारी के संघर्ष की गाथा को प्रकट करता है। यह दिन यानी 8 मार्च हजारों वर्षों से शोषण को झेल रही महिलाओं के संघर्ष की याद दिलाता है जो आडंबरों के माध्यम से तो कभी परिवार के सम्मान के नाम पर उनके साथ होता आ रहा था। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) की शुरुआत आज से लगभग एक सदी पूर्व एक समाजवादी आंदोलन के माध्यम से हुई थी जो कि एक श्रम आंदोलन से उपजा था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को वार्षिक रूप से मनाने की मान्यता दी थी।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई? (How did International Women's Day start?)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर की सड़कों पर हजारों महिलाएं घंटों काम के लिए बेहतर वेतन और सम्मान तथा समानता के अधिकार को प्राप्त करने के लिए उतरी थी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव क्लारा जेटकिन का था, उन्होंने साल 1910 में यह प्रस्ताव रखा था। पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 1911 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में मनाया गया था।

यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास से संबंधित कुछ बातें थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता वर्ष 1996 में प्रदान की गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे ‘अतीत का जश्न, भविष्य की योजना’ थीम के साथ शुरू किया गया था।

आज के परिप्रेक्ष्य में अगर हम विचार करें, तो हम पाते हैं कि आज की तारीख में महिलाएं पुरुषों से बहुत आगे निकल गई हैं। महिलाओं को जब-जब अवसर दिया गया, तब-तब उन्होंने पूरे विश्व को बता दिया कि वह पुरुष के बराबर ही नहीं, बल्कि कई मौकों पर वे उनसे कई गुना बेहतर साबित हुई हैं। आज विश्व पटल पर महिलाएं नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। अब वह समय नहीं रहा जब महिलाएं घर की चारदिवारी में बंद की जाती थी। अब महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

भले ही आज भारत में महिलाओं के उत्थान के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु इसकी शुरुआत राजा राम मोहन राय ने की थी। उन्हें भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत भी माना जाता है। उन्होंने भारतीय समाज से सती प्रथा जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास किया। वर्त्तमान समय में भारत सरकार महिलाओं की स्थिति को सुधारने का प्रयास कर रही है, साल 2001 में भारत सरकार ने महिला सशक्तिकरण हेतु अपनी राष्ट्रीय नीति का गठन किया। महिला सशक्तिकरण नीति को मंजूरी केंद्र सरकार ने 21 मार्च 2001 को दी गई थी। महिला सशक्तिकरण नीति के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  • महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं को देश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में पुरुषों के समान अधिकार प्रदान करना।
  • महिलाओं के प्रति होने वाले हर तरह के शोषण और भेदभाव को समाप्त करना।
  • महिलाओं के लिए ऐसा वातावरण तैयार करना जिसमें वह खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।
  • समाज में महिलाओं के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने के लिए राजनितिक, सामाजिक, और आर्थिक क्षेत्र में बराबर हिस्सेदारी प्रदान करना।
  • महिलाओं और बालिकाओं के प्रति होने वाले अपराध को समाप्त करना।
  • कन्या भ्रूण हत्या को समाप्त करना।
  • देश में महिला और पुरुष अनुपात को समान अवस्था में लाना।
  • महिलाओं को शिक्षा प्रदान करना तथा उन्हें आरक्षण प्रदान करना।

कक्षा 10वीं के बाद करियर बनाने में सहायक कुछ महत्वपूर्ण लेख पढ़ें :

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यूं तो महिलाओं के बिना जीवन ही नहीं है इसलिए ही कामायनी में जय शंकर प्रसाद जी ने महिलाओं के सम्मान में कहा है कि

नारी तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत- नग-पग तल में

पियूष सुता सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में

इसी तरह हिंदी के बहुत बड़े कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी भी अपनी कविता में महिलाओं के संघर्ष को दर्शाते हैं, उनकी कविता की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार है:

वह तोडती पत्थर

देखा उसे मैंने इलाहाबाद के पथ पर

कोई न छायादार

पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;

श्याम तन, भर बंधा यौवन,

नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,

गुरु हथौड़ा हाथ,

करती बार-बार प्रहार:-

सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार।

जय शंकर प्रसाद जी की इस अभिव्यक्ति से महिलाओं के संघर्ष, सशक्तीकरण को समझा जा सकता है।

उम्मीद है कि इस लेख से छात्र-छात्राओं, प्रतियोगी परीक्षा देने वाले युवाओं को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को समझकर अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने और कई अवधारणाओं को समझने में काफी मदद मिलेगी और परीक्षा के दौरान इस विषय पर बेहतरीन लेख तैयार कर सकेंगे।

Frequently Asked Question (FAQs)

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1996 में प्रदान की गयी थी।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2024 की थीम ‘उसकी गिनती करें : आर्थिक सशक्तीकरण के माध्यम से लैंगिक समानता में तेजी लाना’ (Count Her In : Accelerating Gender Equality Through Economic Empowerment) है जिसका तात्पर्य है कि आर्थिक सशक्तीकरण होने से महिला-पुरुष में समानता में तेजी आएगी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 "डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी” (DigitALL: Innovation and technology for gender equality) थीम के साथ मनाया गया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 का ध्येय वाक्य ‘ब्रेक द बायस’ ( Break the Bias) था।

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शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह हममें आत्मविश्वास विकसित करने के साथ ही हमारे व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायता करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। पूरे शिक्षा तंत्र को प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा जैसे को तीन भागों में बाँटा गया है। शिक्षा के सभी स्तर अपना एक विशेष महत्व और स्थान रखते हैं। हम सभी अपने बच्चों को सफलता की ओर जाते हुए देखना चाहते हैं, जो केवल अच्छी और उचित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।

शिक्षा का महत्व पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Importance of Education in Hindi, Shiksha Ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – शिक्षा का महत्व.

जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए शिक्षा सभी के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है। यह हमें जीवन के कठिन समय में चुनौतियों से सामना करने में सहायता करता है।

पूरी शिक्षण प्रक्रिया के दौरान प्राप्त किया गया ज्ञान हम सभी और प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रति आत्मनिर्भर बनाता है। यह जीवन में बेहतर संभावनाओं को प्राप्त करने के अवसरों के लिए विभिन्न दरवाजे खोलती है जिससे कैरियर के विकास को बढ़ावा मिले। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा बहुत से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। यह समाज में सभी व्यक्तियों में समानता की भावना लाती है और देश के विकास और वृद्धि को भी बढ़ावा देती है।

शिक्षा का महत्व

आज के समाज में शिक्षा का महत्व काफी बढ़ चुका है। शिक्षा के उपयोग तो अनेक हैं परंतु उसे नई दिशा देने की आवश्यकता है। शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए कि एक व्यक्ति अपने परिवेश से परिचित हो सके। शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक बहुत ही आवश्यक साधन है। हम अपने जीवन में शिक्षा के इस साधन का उपयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों की सामाजिक और पारिवारिक सम्मान तथा एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है, यहीं कारण है कि हमें शिक्षा हमारे जीवन में इतना महत्व रखती है।

आज के आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा काफी अहम है। आजकल के समय में  शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके सारे तरीके अपनाये जाते हैं। वर्तमान समय में शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल चुका है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क में प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

निबंध 2 (400 शब्द) – विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

शिक्षा स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए समान रुप से आवश्यक है, क्योंकि स्वास्थ्य और शिक्षित समाज का निर्माण दोनो द्वारा मिलकर ही किया जाता हैं। यह उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक यंत्र होने के साथ ही देश के विकास और प्रगति में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस तरह, उपयुक्त शिक्षा दोनों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करती है। वो केवल शिक्षित नेता ही होते हैं, जो एक राष्ट्र का निर्माण करके, इसे सफलता और प्रगति के रास्ते की ओर ले जाते हैं। शिक्षा जहाँ तक संभव होता है उस सीमा तक लोगों बेहतर और सज्जन बनाने का कार्य करती है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली

अच्छी शिक्षा जीवन में बहुत से उद्देश्यों को प्रदान करती है जैसे; व्यक्तिगत उन्नति को बढ़ावा, सामाजिक स्तर में बढ़ावा, सामाजिक स्वस्थ में सुधार, आर्थिक प्रगति, राष्ट्र की सफलता, जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना, हमें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूक करना और पर्यावरण समस्याओं को सुलझाने के लिए हल प्रदान करना और अन्य सामाजिक मुद्दे आदि। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के प्रयोग के कारण, आजकल शिक्षा प्रणाली बहुत साधारण और आसान हो गयी है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली, अशिक्षा और समानता के मुद्दे को विभिन्न जाति, धर्म व जनजाति के बीच से पूरी तरह से हटाने में सक्षम है।

विद्या सर्वश्रेष्ठ धन है

विद्या एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चुरा सकता है और नाही कोई छीन सकता। यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाँटने पर कम नहीं होता, बल्कि की इसके विपरीत बढ़ता ही जाता है। हमने देखा होगा कि हमारे समाज में जो शिक्षित व्यक्ति होते हैं उनका एक अलग ही मान सम्मान होता है और लोग उन्हें हमारे समाज में इज्जत भी देते हैं। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि वह एक साक्षर हो प्रशिक्षित हो इसीलिए आज के समय में हमारे जीवन में पढ़ाई का बहुत अधिक महत्व हो गया है। इसीलिए आपको यह याद रखना है कि शिक्षा हमारे लिए बहुत जरूरी है इसकी वजह से हमें हमारे समाज में सम्मान मिलता है जिससे हम समाज में सर उठा कर जी सकते हैं।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को उच्च स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है और समाज में लोगों के बीच सभी भेदभावों को हटाने में मदद करती है। यह हमारी अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में भी हमारी सहायता करता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – शिक्षा की मुख्य भूमिका

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है । हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा क्या है ?

यह लोगों की सोच को सकारात्मक विचार लाकर बदलती है और नकारात्मक विचारों को हटाती है। बचपन में ही हमारे माता-पिता हमारे मस्तिष्क को शिक्षा की ओर ले जाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था में हमारा दाखिला कराकर हमें अच्छी शिक्षा प्रदान करने का हरसंभव प्रयास करते हैं। यह हमें तकनीकी और उच्च कौशल वाले ज्ञान के साथ ही पूरे संसार में हमारे विचारों को विकसित करने की क्षमता प्रदान करती है। अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने का सबसे अच्छे तरीके अखबारों को पढ़ना, टीवी पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों को देखना, अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ना आदि हैं। शिक्षा हमें अधिक सभ्य और बेहतर शिक्षित बनाती है। यह समाज में बेहतर पद और नौकरी में कल्पना की गए पद को प्राप्त करने में हमारी मदद करती है।

शिक्षा की मुख्य भूमिका

आधुनिक तकनीकी संसार में शिक्षा मुख्य भूमिका को निभाती है। आजकल, शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत तरीके हैं। शिक्षा का पूरा तंत्र अब बदल दिया गया है। हम अब 12वीं कक्षा के बाद दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम (डिस्टेंस एजूकेशन) के माध्यम से भी नौकरी के साथ ही पढ़ाई भी कर सकते हैं। शिक्षा बहुत महंगी नहीं है, कोई भी कम धन होने के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकता है। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से हम आसानी से किसी भी बड़े और प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में बहुत कम शुल्क पर प्रवेश ले सकते हैं। अन्य छोटे संस्थान भी किसी विशेष क्षेत्र में कौशल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

यह हमें जीवन में एक अच्छा चिकित्सक, अभियंता (इंजीनियर), पायलट, शिक्षक आदि, जो भी हम बनना चाहते हैं वो बनने के योग्य बनाती है। नियमित और उचित शिक्षा हमें जीवन में लक्ष्य को बनाने के द्वारा सफलता की ओर ले जाती है। पहले के समय की शिक्षा प्रणाली आज के अपेक्षा काफी कठिन थी। सभी जातियाँ अपनी इच्छा के अनुसार शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकती थी। अधिक शुल्क होने के कारण प्रतिष्ठित कालेज में प्रवेश लेना भी काफी मुश्किल था। लेकिन अब, दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ना बहुत ही आसान और सरल बन गया है।

Importance of Education Essay in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

घर शिक्षा प्राप्त करने पहला स्थान है और सभी के जीवन में अभिभावक पहले शिक्षक होते हैं। हम अपने बचपन में, शिक्षा का पहला पाठ अपने घर विशेष रुप से माँ से प्राप्त करते हैं। हमारे माता-पिता जीवन में शिक्षा के महत्व को बताते हैं। जब हम 3 या 4 साल के हो जाते हैं, तो हम स्कूल में उपयुक्त, नियमित और क्रमबद्ध पढ़ाई के लिए भेजे जाते हैं, जहाँ हमें बहुत सी परीक्षाएं देनी पड़ती है, तब हमें एक कक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण मिलता है।

एक-एक कक्षा को उत्तीर्ण करते हुए हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं, जब तक कि, हम 12वीं कक्षा को पास नहीं कर लेते। इसके बाद, तकनीकी या पेशेवर डिग्री की प्राप्ति के लिए तैयारी शुरु कर देते हैं, जिसे उच्च शिक्षा भी कहा जाता है। उच्च शिक्षा सभी के लिए अच्छी और तकनीकी नौकरी प्राप्त करने के लिए बहुत ही आवश्यक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का महत्व

हम अपने अभिभावकों और शिक्षक के प्रयासों के द्वारा अपने जीवन में अच्छे शिक्षित व्यक्ति बनते हैं। वे वास्तव में हमारे शुभ चिंतक हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को सफलता की ओर ले जाने में मदद की। आजकल, शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं ताकि, सभी की उपयुक्त शिक्षा तक पहुँच संभव हो। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षा के महत्व और लाभों को दिखाने के लिए टीवी और अखबारों में बहुत से विज्ञापनों को दिखाया जाता है क्योंकि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और शिक्षा की ओर अधूरी जानकारी के कारण पढ़ाई करना नहीं चाहते हैं।

गरीबों और माध्यम वर्ग के लिए शिक्षा

पहले, शिक्षा प्रणाली बहुत ही महंगी और कठिन थी, गरीब लोग 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। समाज में लोगों के बीच बहुत अन्तर और असमानता थी। उच्च जाति के लोग, अच्छे से शिक्षा प्राप्त करते थे और निम्न जाति के लोगों को स्कूल या कालेज में शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। यद्यपि, अब शिक्षा की पूरी प्रक्रिया और विषय में बड़े स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। इस विषय में भारत सरकार के द्वारा सभी के लिए शिक्षा प्रणाली को सुगम और कम महंगी करने के लिए बहुत से नियम और कानून लागू किये गये हैं।

सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, दूरस्थ शिक्षा प्रणाली ने उच्च शिक्षा को सस्ता और सुगम बनाया है, ताकि पिछड़े क्षेत्रों, गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भविष्य में समान शिक्षा और सफलता प्राप्त करने के अवसर मिलें। भलीभाँति शिक्षित व्यक्ति एक देश के मजबूत आधार स्तम्भ होते हैं और भविष्य में इसको आगे ले जाने में सहयोग करते हैं। इस तरह, शिक्षा वो उपकरण है, जो जीवन, समाज और राष्ट्र में सभी असंभव स्थितियों को संभव बनाती है।

शिक्षा: उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण

शिक्षा हम सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक उपकरण है। हम जीवन में शिक्षा के इस उपकरण का प्रयोग करके कुछ भी अच्छा प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा का उच्च स्तर लोगों को सामाजिक और पारिवारिक आदर और एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है। शिक्षा का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में एक अलग स्तर और अच्छाई की भावना को विकसित करती है। शिक्षा किसी भी बड़ी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हर करने की क्षमता प्रदान करती है। हम से कोई भी जीवन के हरेक पहलू में शिक्षा के महत्व को अनदेखा नहीं कर सकता। यह मस्तिष्क को सकारात्मक ओर मोड़ती है और सभी मानसिक और नकारात्मक विचारधाराओं को हटाती है।

शिक्षा लोगों के मस्तिष्क को बड़े स्तर पर विकसित करने का कार्य करती है तथा इसके साथ ही यह समाज में लोगों के बीच के सभी भेदभावों को हटाने में भी सहायता करती है। यह हमें अच्छा अध्ययन कर्ता बनने में मदद करती है और जीवन के हर पहलू को समझने के लिए सूझ-बूझ को विकसित करती है। यह सभी मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में हमारी सहायता करती है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Importance of Education (शिक्षा का महत्व पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- तथागत बुध्द के अनुसार शिक्षा व्यक्ति के समन्वित विकास की प्रक्रिया है।

उत्तर- शिक्षा तीन प्रकार की होती है औपचारिक शिक्षा, निरौपचारिक शिक्षा, अनौपचारिक शिक्षा।

उत्तर- शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है।

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