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वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi

Air Pollution Essay in Hindi  : आज हमने वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध में  हमने वायु प्रदूषण के बारे में बताया है.

Air Pollution पर निबंध  इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुएअलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Get some Air Pollution Essay in Hindi for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12th Students

Best Air Pollution Essay in Hindi 100 Words

वायु प्रदूषण वातावरण में घुलने वाली हानिकारक गैसों के कारण होता है. वायु प्रदूषण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जंतुओं पर हानिकारक प्रभाव डालता है इसके कारण कई ऐसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं जो कि जीवन भर मानव के शरीर का साथ नहीं छोड़ती हैं और अंत में उस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण का अत्यधिक प्रभाव शहरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है क्योंकि वहां पर बड़े-बड़े उद्योग धंधों, मोटर वाहनों इत्यादि से जहरीली गैसें निकलती है.

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है. वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Air Pollution Essay in Hindi 200 Words

वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया भर में एक अहम मुद्दा बन चुका है वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक देश इसके हानिकारक प्रभावों को झेल रहा है. आज दुनिया भर में सब लोग सिर्फ अपने उद्योग धंधों की तरफ दे रहे हैं वह इतने स्वार्थी हो गए हैं कि पर्यावरण की उनको जरा भी चिंता नहीं है.

वायु प्रदूषण के कारण हर साल लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है. वायु प्रदूषण के कारण कैंसर, दमा, हार्ट अटैक श्वसन संबंधी खतरनाक बीमारियां हो रही है.

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इसके कारण हमारे पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत का क्षरण हो रहा है जिसके कारण सूर्य की हानिकारक कितने हमारी पृथ्वी पर सीधी पड़ती है और कई बीमारियों को जन्म देती है.

वायु प्रदूषण के कारण आज जीव जंतुओं की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. इसी के कारण आज मानव का जीवन काल भी कम हो गया है पहले मानव 100 साल तक जीवित रहता था लेकिन आजकल 70 वर्ष की अवधि भी पार करना मुश्किल हो रहा है.

वायु प्रदूषण उद्योग धंधे, मोटर वाहनों, ज्वालामुखी फटने इत्यादि के कारण बढ़ रहा है इसको कम करने के लिए हमें जल्द से जल्द पेड़ पौधे लगाने होंगे और ऊर्जा के लिए नए संसाधन ढूंढने होंगे जिनसे वायु प्रदूषण न के बराबर हो.

Vayu Pradushan Essay in Hindi 500 Words

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है. इसके कारण हमारे देश में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु हो रही है. यह प्रतिवर्ष दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण को लेकर ना तो सरकार की तरफ से कोई पुख्ता कदम उठाई जा रहे हैं और ना ही आम आदमी इसके बारे में कोई चिंता कर रहा है.

पृथ्वी पर रहने वाला एक जीव या मानव भोजन और जल के बिना तो कुछ दिन तक जिंदा रह सकता है लेकिन वायु के बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकता है इसलिए हमें प्राण दाई ऑक्सीजन को प्रदूषित नहीं करना चाहिए.

वायु प्रदूषण के कारण हमारी पृथ्वी पर भी बदलाव आ रहा है जिसके कारण हमारी पृथ्वी का वातावरण बहुत तेजी से गरम हो रहा है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. वायु प्रदूषण हमारी पूरी पृथ्वी के वातावरण को नष्ट कर रहा है.

वायु प्रदूषण होने के दो प्रमुख कारण है जिसमें एक प्राकृतिक है और एक मानव जनित है –

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वायु प्रदूषण के प्राकृतिक कारण –

हमारी पृथ्वी पर कई ऐसी प्राकृतिक घटनाएं होती रहती हैं जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ता है जैसे की ज्वालामुखी का फटना, जंगलों में आग लगना, धूल उड़ना, रेत संकुचन, महासागर की लवणता बढ़ना, आंधी-तूफान, धूमकेतु स्प्रे, पराग अनाज, विषाणु, बैक्टीरिया इत्यादि कारण है जिसके कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण का मानव निर्मित कारण –

पृथ्वी पर वायु प्रदूषण प्रमुख रूप से मानव द्वारा किया जा रहा है इसके प्रमुख कारण इस प्रकार है – बड़े उद्योग धंधे, कल कारखाने, मोटर वाहन, धूम्रपान, लकड़ियों का धुँआ, खेतों में कीटनाशकों का उपयोग, खरपतवार को हटाने के लिए और फसल को रगड़ो से मुक्त करने के लिए गैसों का छिड़काव, फसल काटने के बाद बची हुई घास को जलाना, पार्टिकुलेट पदार्थ, बम विस्फोट, परमाणु विस्फोट, खुले में शौच करना, कोयले का दोहन, निर्माण कार्य से उड़ती धूल इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में फैलता है.

इन सभी कारणों से हमारे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड और अमोनिया जैसी गैसों की मात्रा बढ़ जाती है यह सभी कैसे हमारे वायुमंडल के लिए हानिकारक है.

पृथ्वी पर इन सभी गैसों की मात्रा बढ़ने के कारण कैंसर, दमा, दिल की बीमारियां, पेट की बीमारियां, आंखें खराब होना जैसी लाइलाज बीमारियां अत्यधिक मात्रा में बढ़ रही है. अगर जल्द ही वायु प्रदूषण को कम नहीं किया गया तो यह पूरी पृथ्वी को नष्ट कर सकता है.

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वायु प्रदूषण से हमारी पृथ्वी को बचाने के लिए हमें उद्योग धंधों को रिहायशी इलाकों से दूर स्थापित करना चाहिए, हमें परमाणु ऊर्जा के स्थान पर नई ऊर्जा के स्त्रोत खोजने चाहिए जिनसे प्रदूषण कम हो, हमें सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए, बैटरी से चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता देनी चाहिए, घरों में लकड़ियों के स्थान पर गैस का इस्तेमाल होना चाहिए,

निर्माण कार्य करते समय पानी का छिड़काव करके या फिर कपड़े से ढककर निर्माण कार्य करना चाहिए और सबसे अधिक और जरूरी कार्य में अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Full Latest Air Pollution Essay in Hindi 2500 Words

प्रस्तावना –

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया भर में एक महामारी के रूप में फैल रहा है. वायु पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी के लिए प्रथम आवश्यकता है लेकिन इसमें जब हानिकारक गैसें मिल जाती है तब यह धीमे जहर की तरह काम करता है. पूरी दुनिया भर में वायु प्रदूषण बहुत तेजी से फैल रहा है.

जिसके कारण कई लाइलाज बीमारियां जन्म ले रही है वायु प्रदूषण के कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है. जो वस्तुएं हमें प्रगति की ओर ले कर जा रही है असल में वह हमें दुगनी रफ़्तार से दुर्गति की ओर लेकर जा रही है क्योंकि हम जितनी भी वस्तुए काम में लेते है-

जैसे मोटर वाहन, हवाई जहाज, कल कारखाने, ऊर्जा के लिए कोयले का इस्तेमाल आदि इन से जहरीली गैसे बनती है जो कि हमारे वातावरण और हमारे लिए बहुत खतरनाक है. वायु प्रदूषण को जल्द से जल्द रोका जाना बहुत जरूरी है.

वायु प्रदूषण क्या है –

हमारी पृथ्वी के वातावरण विभिन्न प्रकार की गैसों से बना हुआ है जिसमें मानव और एवं अन्य सजीव जीव जंतुओं के जीवन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो कि वातावरण में लगभग 24% है. लेकिन धीरे-धीरे पृथ्वी में हो रहे बदलाव के कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है इसमें कई प्रकार की विषैली गैसे घुल रही है.

साधारण शब्दों में बात करें तो स्वच्छ वायु में रसायन, सूक्ष्म पदार्थ, धूल, विषैली गैसें, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के कारण वायु प्रदूषण होता है.

वायु प्रदूषण के कारण –

जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है तब से वायु प्रदूषण हो रहा है लेकिन मानव सभ्यता के आने से पहले वायु प्रदूषण बहुत कम मात्रा में होता था लेकिन मानव जनित कार्यों के कारण वायु प्रदूषण 2 से 3 गुना अधिक रफ्तार से बढ़ रहा है.

दुनिया के लगभग सभी देश वायु प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता का विषय हमारे भारत देश के लिए है क्योंकि वायु प्रदूषण के मामले में दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहर हमारे भारत देश में ही है. जिसके कारण हमारे देश के शहरों में जीना मुश्किल हो गया है.

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण मे प्राकृतिक कारणों और मानव जनित कार्यों से उत्पन्न होता है जिसको हमने विस्तारपूर्वक नीचे बताया है

(1) ज्वालामुखी का फटना – हमारी पृथ्वी पर बहुत सारे ज्वालामुखी है जोकि समय-समय पर पढ़ते रहते हैं और उनसे जहरीली गैस से और लावा निकलता रहता है जिसके कारण वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती रहती है. हाल ही में अभी इंडोनेशिया में एक ज्वालामुखी फटा था जिसका धूल का गुबार करीब 4000 मीटर तक फैल गया था. जिससे वहां के आसपास की वनस्पति और जीव-जंतु समाप्त हो गए थे और इसके कारण करीब 1400 लोग मारे गए थे.

(2) जंगल में आग लगना – पृथ्वी पर बहुत से बड़े बड़े जंगल हैं जिन में बहुत से पेड़ पौधे और वनस्पतिया है जिनके कारण जंगलों में बहुत सी जलाऊ लकड़ी पाई जाती है यह थोड़ी सी आग की चिंगारी से जलने लग जाते है. ज्यादातर गर्मियों में जंगलों में आग लगती है जिसके कारण पूरा जंगल जलने लग जाता है जिससे अधिक मात्रा में धुँआ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषण होता है.

(3) धूल उड़ना – हमारे वातावरण में हर समय धूल मिट्टी उड़ती रहती है इसका कारण यह है कि कभी तेज हवा चलती है तो कभी आंधी तूफान आ जाते हैं जिसके कारण धूल का एक गुबार सा उठता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. धूल मोटर वाहनों और अन्य बड़े वाहनों के चलने के कारण धूल उड़ती है.

(4) बैक्टीरिया – पृथ्वी के वातावरण में कई बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं जिनमें से कुछ अच्छे होते है तो कुछ हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं यह में खुली आंखों से तो दिखाई नहीं देते लेकिन यह हवा के साथ मिलकर हमारे शरीर में चले जाते है जिसके कारण हमारा शरीर किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो जाता है. यह हानिकारक बैक्टीरिया केमिकल फैक्ट्री और अन्य हानिकारक वस्तु से निकलते रहते है.

(5) फूलों के परागण – दुनिया के सभी देशों में फूलों के बागान होते है. जिनमें अधिक मात्रा में फूल उगते है लेकिन उन फूलों के ऊपर बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में फूलों के परागकण होते हैं जो की थोड़ी सी हवा से उड़ने लग जाते हैं और उसके कारण वायु प्रदूषण हो जाता है.

(6) धूमकेतु / उल्का पिंड – पृथ्वी के आसपास अंतरिक्ष में बहुत सारे धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते हैं और वे कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते हैं जिसके कारण उनकी धूल मिट्टी के कारण हमारा पूरा वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है.

(7) पशुओं द्वारा – हमारे यहां पशुओं को अनेक चीजों के लिए पाला जाता है कुछ लोग उनसे दूध निकालते हैं तो कुछ उनको बाहर के रूप में प्रयोग करते हैं लेकिन पशुओं से भी वायु प्रदूषण होता है क्योंकि इनके द्वारा छोड़ी गई गैस मिथेन के रूप में निकलती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है.

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वायु प्रदूषण के मानव निर्मित कारण –

(1) उद्योग धंधे/ कल कारखाने – बड़े उद्योग धंधे और कल कारखाने किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी है लेकिन इन्हीं कारखानों के कारण दिन प्रतिदिन हमारा वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है क्योंकि इन कारखानों से धुएं के साथ साथ हानिकारक गैसे भी निकलती है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित करती है.

बड़े उद्योगों में रासायनिक केमिकल और कोयले का इस्तेमाल किया जाता है दोनों ही हमारे वातावरण के लिए हानिकारक है. इन उद्योगों के लिए कई कड़े कानून बनाए गए हैं लेकिन सही से कानून की पालना नहीं होने के कारण वायु प्रदूषण दुगनी तेजी से फैल रहा है.

(2) वनों की अंधाधुंध कटाई – वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण क्योंकि पेड़ पौधों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ली जाती हो और बदले में ऑक्सीजन छोड़ी जाती है लेकिन पेड़ों की संख्या कम होने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में बढ़ती जा रही है

इसका मुख्य कारण है कि हम बहुत तेजी से वनों को काट रहे है लेकिन उतनी तेजी से पेड़ पौधे लगा नहीं रहे है. इसी कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है और पूरे वातावरण में बदलाव आ रहे है.

(3) जनसंख्या वृद्धि – वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि भी है क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण दिन प्रतिदिन ऑक्सीजन की मात्रा का उपयोग अधिक मात्रा में हो रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड अधिक मात्रा में उत्पन्न हो रही है. बढ़ती हुई जनसंख्या की जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक संसाधनों की भी जरूरत पड़ती है जिनके कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

(4) पराली जलाना – फसल काटने के बाद खेत में फसल के डंठल बच जाते हैं जिनको किसानों द्वारा जला दिया जाता है और सभी देशों में खेत अधिक मात्रा में होती है और हमारे भारत देश की बात करें तो हमारा देश कृषि प्रधान देश है जहां पर ज्यादातर किसान लोग ही रहते हैं इसलिए अधिक मात्रा में खेतों में डंठल बच जाते है. जिनको जलाए जाने से वायु में धुएं का गुबार छा जाता है

जिसके कारण लोगों को सांस लेने और दिखाई देने में दिक्कत होने लग जाती है. इसका उदाहरण हम दिल्ली राज्य से ले सकते हैं जहां पर हर साल नवंबर दिसंबर माह में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है यह मात्रा इतनी ज्यादा अधिक होती है कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर सकती है.

वायु प्रदूषण की मात्रा एक्यूआई में मापी जाती है जो कि 0 से 50 एक्यूआई तक अच्छी मानी जाती है लेकिन दिल्ली में इसकी मात्रा 400 एक्यूआई से भी अधिक चली जाती है जो कि बहुत ही हानिकारक होती है

(5) मोटर वाहन – जितनी ज्यादा जनसंख्या की वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से लोगों की विलासता की चीजों में भी रुचि बढ़ती जा रही है लोग दिन प्रतिदिन नए वाहन खरीद रहे है जिसके कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं स्वच्छ हवा में घुलता है और उसे प्रदूषित कर देता है.

(6) परमाणु परीक्षण – पूरी दुनिया में प्रत्येक देश अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए परमाणु परीक्षण कर रहा है जिसके कारण जहरीले तत्व हवा में घुल रहे है हवा के साथ साथ परमाणु बम से पूरा वातावरण नष्ट हो रहा है इसे हम एक उदाहरण के तहत समझ सकते हैं जब दुसरे विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने नागा शाकी नाम की जगह पर परमाणु बम गिराया था तो वहां पर जिंदगी का नामोनिशान मिट गया था जिसका असर आज भी देखने को मिलता है वहां की हवा आज भी प्रदूषित है

(7) सूखा कचरा जलाना – प्रतिदिन घरों से सूखा और गीला कचरा निकलता है सूखे कचरे को हम नादानी में जला देते हैं और सोचते हैं कि इससे क्या प्रदूषण होगा लेकिन अगर करना की जाए तो दुनिया भर में बहुत सारे करें और उनमें से रोज अगर थोड़ा भी कचरा निकलता है तो वह एक साथ मिलाने पर बहुत अधिक हो जाता है और उसे जलाने पर प्रदूषण की मात्रा बड़ी जाती है

(8) मरे हुए मवेशी – हमें जगह-जगह आवारा मरे हुए देखने को मिल जाते हैं जिनसे भयंकर बदबू आती रहती है और उनमें कई तरह के व्यक्तित्व उत्पन्न हो जाते हैं जो कि पूरी हवा को प्रदूषित कर देते हैं इसके कारण कई बीमारियां भी फैल जाती है. कभी-कभी तो इन के कारण बहुत गंभीर बीमारियां हो जाती है.

(9) रासायनिक पदार्थ – वर्तमान समय में सभी लोग रासायनिक पदार्थों से बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करने लगे है जिंदगी वस्तुओं में रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है वे एक समय के बाद खराब होने लग जाती है और उनसे जहरीला पदार्थ निकलने लग जाता है जोकि हवा में आसानी से घुल जाता है और पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है.

(10) धूम्रपान – पूरी दुनिया में धूम्रपान करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और दिन प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है जिससे हमारे वातावरण की सोच व प्रदूषित हो रही है.

(11) कीटनाशक – वर्तमान में किसानों द्वारा अच्छी फसल के लिए खेतों में कीटनाशकों का उपयोग किया जाने लगा है जिसके कारण जब भी वे फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं तो हवा में कीटनाशक दवा बन जाती है और वह हवा को प्रदूषित कर देती है.

(12) लकड़ी का अत्यधिक उपयोग – भारत में आज भी गांव में गैस का उपयोग नहीं किया जाता है और अधिक मात्रा में लकड़ी जलाई जाती है जिसके कारण धुआं उत्पन्न होता है और यह हवा में घुलकर पूरी हवा को प्रदूषित कर देता है. हालांकि सरकार ने गांव में भी गैस पहुंचाने के लिए उज्जवला योजना प्रारंभ की है लेकिन इस योजना का लाभ अभी कुछ लोग ही ले पाए है.

(13) ताप ऊर्जा – बिजली बनाने के लिए आज भी कोयला सबसे सस्ता साधन है लेकिन इसके कारण बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है कोयला सत्ता होने के कारण आज भी 70% बिजली कोयले से ही बनाई जाती है जिसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है.

(14) औद्योगिक निर्माण – पूरी दुनिया में जिस तेजी से तरक्की हो रही है उसी तेजी से औद्योगिक निर्माण भी किया जा रहा है हर तरफ निर्माण कार्य चल रहा है जिसके कारण हवा में सीमेंट, धूल आदि उठते रहते हैं जिसके कारण हवा प्रदूषित होती रहती है.

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव –

(1) ओजोन परत का क्षरण होना – जैसे-जैसे पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है उसके कारण पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत पतली होती जा रही है जिसके कारण सूची से आने वाली हानिकारक किरणें सीधी हमारे ऊपर पड़ती है जिससे त्वचा का कैंसर जैसी बीमारियां हो रही है.

(2) बीमारियों को निमंत्रण – पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और मनुष्य को स्वच्छता की आवश्यकता होती है इसके बिना वे एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं अगर हवा प्रदूषित होगी तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारी हो सकती है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है इन बीमारियों के कारण प्रतिदिन कई लोगों की मृत्यु हो जाती है.

(3) ऑक्सीजन की कमी – हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24% थी लेकिन धीरे-धीरे इसकी मात्रा कम होती जा रही है एक रिसर्च के अनुसार हमारे वातावरण में अभी ऑक्सीजन की मात्रा 22% ही रह गई है.

(4) जीव जंतुओं की असमय मृत्यु – स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन की कमी के कारण असमय जीव-जंतुओं की मृत्यु हो रही है और साथ ही कुछ प्रजातियां तो विलुप्त भी हो गई है अगर ऐसे ही वायु प्रदूषण होता रहा तो एक दिन सभी जीव जंतु की प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी.

(5) वातावरण प्रभावित होना – वायु में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने के कारण पृथ्वी का पूरा वातावरण प्रभावित हो रहा है इसके कारण पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है. आए दिन कोई ना कोई आपदा आती रहती है इसका कारण प्रदूषण ही है अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा.

(6) अम्लीय वर्षा – वायु प्रदूषण के कारण शुद्ध हवा में कई प्रकार की हानिकारक ऐसे मिल जाती हैं जिनमें सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है यह हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है

जिससे अम्लीय वर्षा होती है जिस को आम भाषा में हम तेजाब वर्षा भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती है और यह पानी में घुलने कारण सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं.

(7) पृथ्वी के तापमान में वृद्धि – वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी के वातावरण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है एक शोध के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा तो सन 2050 तक पृथ्वी का वातावरण 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा जबकि अगर पृथ्वी का तापमान 2 से 3% भी बढ़ता है तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे जिससे भयंकर बाढ़ आ सकती है और पूरी पृथ्वी नष्ट हो सकती है.

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय –

(1) पेड़ पौधे लगाना – अगर हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है तो हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ पौधे लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ पौधों से ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते है जिसके कारण ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है वर्तमान में पेड़-पौधों को अधिक मात्रा में काटा जा रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में फ़ैल रहा है.

(2) जनसंख्या नियंत्रण – आज पूरी दुनिया जनसंख्या वृद्धि की समस्या से जूझ रही है अगर हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर लेते हैं तो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की भी कमी होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी जिससे प्रदूषण की मात्रा में कमी आएगी. वायु प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि ही है.

(3) कल कारखाने कम करना – हमें उन कल कारखानों को बंद कर देना चाहिए कि से अधिक मात्रा में प्रदूषण होता है और जिन कल कारखानों की हमें आवश्यकता है उनकी चिमनीयो की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए जिससे हमारा वायुमंडल कम से कम प्रभावित हो.

(4) ऊर्जा के नए स्रोत खोजना – हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत खोजने चाहिए हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम करना चाहिए हमें सौर ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करना चाहिए जिसके कारण वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी मिल जाएगी.

(5) नियमों के अनुसार निर्माण कार्य करना – हमारे पूरे देश में जब भी कोई निर्माण होता है तो वह खुले में होता है जिसके कारण चारों तरफ धूल मिट्टी उड़ती रहती है और पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है. जब भी हम निर्माण कार्य करें तो उसे किसी कपड़े से ढककर करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण नहीं हो.

(6) पुराने वाहनों को बंद करना – हमारे भारत देश में आज भी पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ते रहते हैं जिनसे अधिक मात्रा में जहरीला धुआं निकलता है जो कि पूरे वातावरण को प्रदूषित कर देते है. एक पुरानी वाहन से 10 नए वाहनों के बराबर धुआं निकलता है जो कि वायु प्रदूषण में अहम भूमिका निभाता है. सरकार को नए नियम लागू पुराने वाहन बंद कर देनी चाहिए जिसे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके/

(7) सार्वजनिक वाहनों का उपयोग – अगर हमें वायु प्रदूषण को कम करना है तो हमें अधिक मात्रा में सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना होगा जिससे कम से कम प्रदूषण होगा.

(8) कानूनी नियंत्रण – वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए हमारी सरकार को नए नियम बनाने चाहिए और प्रदुषण नियन्त्रण सम्बन्धी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता की जानी चाहिए साथ ही वायु प्रदूषण कानून (1981) की सख्ती से पालना करवानी चाहिए.

(9) जन जागरण – किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर है अगर नियंत्रण पाना है तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए. हमें रेलिया निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत करना चाहिए और स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है.

हमें गांव में जाकर नुक्कड़ नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते है.

उपसंहार –

वायु प्रदूषण जानलेवा है  इस पर नियंत्रण किया जाना आवश्यक है नहीं तो पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान ही मिट जाएगा. जब तक हम सभी लोग वायु प्रदूषण को कम करने के बारे में नहीं सोचेंगे तब तक वायु प्रदूषण कम नहीं हो सकता है.

क्योंकि हमारी सरकार हर गली मोहल्ले में जाकर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं लगा सकती है इसलिए हमें  आगे आकर लोगों को वायु प्रदूषण के बारे में बताना होगा और इसके उपायों के बारे में समझाना होगा तभी जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते है.

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8 thoughts on “वायु प्रदूषण पर निबंध – Air Pollution Essay in Hindi”

Good , I like it. Help me like this always please.

Thank you Kritika Singh for appreciation.

Thanks 😊😘😊😊😊😊😊 Bahut accha essay hai

Atharv, sarahna ke liye dhanyawad aise hi hindi yatra par aate rahe.

It’s very nice, thanks alot to write it, it’s very useful for me.

Welcome Rahul Kumar Saini keepvisiting hindiyatra.com

Thanks apne bahut sahi kiya jo y essay diya esko padkar mujhe bahut santuste hue h thanks

Welcome Sakshipal and thank you for appreciation.

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वायु प्रदूषण पर निबंध-Essay On Air Pollution In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

वायु प्रदूषण पर निबंध-essay on air pollution in hindi.

air pollution essay in hindi for class 5

वायु प्रदूषण पर निबंध 1 (100 शब्द)

वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। वायु प्रदूषण के कारण ओज़ोन परत भी बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जो पर्यावरण में गंभीर व्यवधान का कारण बन रही है। मनुष्य की हमेशा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वृद्धि हो रही है जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य की दैनिक गतिविधियाँ बहुत से खतरनाक रसायनों, वातावरण को गंदा करने का कारण होती है, जो जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन के लिये मजबूर करती है। औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में कई हानिकारक गैसों, कणों, पेंट और बैट्रियों का आक्रामक संचालन, सिगरेट, आदि कार्बन मोनो ऑक्साइड, परिवहन के साधन कार्बन डाई ऑक्साइड और अन्य ज़हरीली पदार्थों को वातावरण में छोड़ते हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध 2 (200 शब्द)

वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है।

जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है। हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना है जिससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण फैले, और वायु प्रदूषण ही नहीं और भी प्रदूषण जैसे कि जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करें क्योंकि सभी प्रदूषण से पृथ्वी के जीवन को खतरा ही है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।

वायु प्रदूषण का अर्थ :   वायु प्रदूषण का अर्थ होता है वायु में अनावश्यक रूप से कुछ तत्वों के मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। जब किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ जैसे – रसायन, सूक्ष्म पदार्थ या फिर जैविक पदार्थ वातावरण में मिलते हैं तो वायु प्रदूषण होता है।

जब वायु में धूल, धुआं, विषाक्त, गैस, रासायनिक वाष्पों, वैज्ञानिक प्रयोगों की वजह से आंतरिक संरचना प्रभावित हो जाती है अथार्त विजातीय पदार्थों की अधिकता होने पर जब वायु, मनुष्य और उसके पर्यावरण के लिए हानिकारक हो जाते हैं तो इस स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।

उपसंहार: वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावर्णीय समस्याओं में से एक है जिस पर ध्यान देने के साथ ही सभी के सामूहिक प्रयासों से सुलझाने की जरूरत है। उपयोगितावाद के हाथों से प्राकृतिक साधनों का अँधा-धुंध दोहन हुआ है जिसकी वजह से वातावरण में लगातार प्रदूषण बढ़ता गया है।

कहने को तो सभी प्रदूषण का प्रभाव हानिकारक होता है लेकिन वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत अधिक व्यापक होता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हमें अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने होंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है।

प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

जन जागरण की आवश्यकता : किसी भी प्रकार के प्रदूषण पर हमें अगर नियंत्रण पाना है, तो लोगों को प्रदूषण के बारे में पता होना चाहिए। हमें रेलिया निकालकर प्रदूषण के बारे में लोगों को सचेत तथा जागरूक करना चाहिए। स्कूलों में प्रदूषण के बारे में पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो की किस काम को करने से प्रदूषण फैलता है।

हमें गांवों में जाकर नुक्कड़-नाटकों की सहायता से लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। तब जाकर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पा सकते हैं।

वायु प्रदूषण के नुकसान :  वायु प्रदूषण के बहुत ही ज्यादा नुकसान है अगर वायु प्रदूषण बढ़ जाता है तो सभी जीव जंतुओं का सांस लेना मुश्किल हो जाएगा और पेड़ पौधे भी खत्म होने लगेंगे वायु प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होंगी जिनका इलाज हो पाना मुश्किल होगा और जब जीव जंतुओं का इलाज नहीं हो पाएगा तो उनकी मृत्यु हो जाएगी।

वर्तमान समय में भी कई शहरों में इतना ज्यादा प्रदूषण हो गया है की खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है जैसे कि हमारे भारत देश के दिल्ली में बहुत ही ज्यादा  प्रदूषण हो गया है।

उपसंहार: प्रदूषण की समस्या पर अच्छे-अच्छे निबंध, लेख, भाषण, स्लोगन आदि लिखने से या बच्चों के सामने बड़ी-बड़ी बाते करने से प्रदूषण की समस्या का इलाज नहीं किया जा सकता है।

प्रदूषण का इलाज तभी संभव है जब हम खुद जागरूक होंगे और अपने से ही इसे खत्म करने की शुरुआत करेंगे। जमीनी स्तर पर कार्य करके ही हम अपनी प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा कर पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 5 (500 शब्द)

वायु प्रदूषण का कारण : वायु प्रदूषण के इतना अधिक बढने का कारण उद्योगों का व्यापक प्रसार, धुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोगों के लिए ऊर्जा के स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन होना है। पर्यावरण की ताजी हवा दिन-प्रतिदिन विभिक्त, जैविक अणुओं, और कई प्रकार के हानिकारक सामग्री के मिलने की वजह से दूषित हो रही है।

संसार की बढती हुयी जनसंख्या ने प्राकृतिक संसाधनों का अधिक प्रयोग किया है। औद्योगीकरण की वजह से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते जा रहे हैं। वाहनों और कारखानों से जो धुआं निकलता है उसमें सल्फर-डाई-आक्साइड की मात्रा होती है जो पहले सल्फाइड और बाद में सल्फ्यूरिक अम्ल में बदलकर बूंदों के रूप में वायु में रह जाती है।

वायु प्रदूषण की रोकथाम :  वायु से दूषित करने वाले तत्वों को हटाकर वायु को दूषित होने से बचाया जा सकता है। हम वन संरक्षण और वृक्षारोपण से भी वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं। जलाऊ लकड़ी की जगह पर ऊर्जा के अन्य विकल्पों को ढूँढना चाहिए। कचरे का उपयुक्त विधि से निवारण करना चाहिए।

सरकारी वनरोपण को प्रोत्साहन देना चाहिए। औद्योगिक संस्थानों को आवासी जगहों से दूर बसाना चाहिए। वाहन को चलाते समय मास्क या चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। सरकार को घर पर बैठकर काम करने वाली नीतियों का प्रयोग करना चाहिए। जितना हो सके उतना साइकिल का प्रयोग करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण न हो।

वायु प्रदूषण की संकेतात्मक प्रक्रिया :  हमारी वायु में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनों आक्साइड आदि बहुत सी गैसे विद्यमान होती हैं। वायुमंडल में इनकी मात्रा निश्चित होती है। धूम्र सूचकांक की सहायता से वायु को एक कागज के टेप पर गुजारते हैं और विद्युत् प्रकाशीय मापी से हम घनत्व का पता लगा सकते हैं।

निलंबित और वायु में तैरते हुए पदार्थों की विधि से वातावरण में धूल और कालिख की मात्रा को नापा जा सकता है। वायु में पदार्थों की सहायता से वायु संरचना की स्थिति को ज्ञान किया जा सकता है। गैसों की मात्रा में अगर इनके अनुपात के संतुलन में कोई परिवर्तन होता है तो वायुमंडल अशुद्ध हो जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषित हो जाती है।

उपसंहार: हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना है जिससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण फैले, और वायु प्रदूषण ही नहीं और भी प्रदूषण जैसे कि जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करें क्योंकि सभी प्रदूषण से पृथ्वी के जीवन को खतरा ही है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका :  वायु से हमारा तात्पर्य हवा या पवन से है। वायु से ही हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए सबसे ज़रूरी है। फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो, पेड़-पौधे हों या जीव-जन्तु हों। सभी को जीवित रहने के लिए शुद्ध और स्वस्च्छ वायु की ज़रूरत है। लेकिन क्या आज हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं? हमें क्यों पेड़-पौधों से मिलने वाली प्राकृतिक ऑक्सीजन के बावजूद भी सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है।

वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु पृथ्वी पर जीवन का एक आवश्यक तत्व है। इसी से प्राणियों एवं जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो जीवन का आधार है और इसी से वनस्पति को कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलती है जिससे उसका पोषण होता है। वायु मण्डल एक कम्बल के समान है, जिसके न होने से तापमान अधिक या अति न्यून हो जाएगा। वायु मण्डल ही हमारी अल्ट्रावायलेट किरणों से रक्षा करता है और उल्काओं को जला कर नष्ट कर देता है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव :  हवा दूषित होने की वजह से कई दुष्परिणाम भी है जिनमें सबसे प्रमुख सांस लेने में होने वाली समस्याएं हैं। यह पूरी तरह से जीवन को प्रभावित करती है। जीव जंतु और मनुष्य के जीने और मरने की वजह होती है।

दूषित हवा सांस के रूप में लेने से इंसान गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, बहुत ही जहरीली गैस हैं जो हवा में मिल जाने से सभी जीव जंतुओं के लिए बहुत हानिकारक है।

स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव : वायु प्रदूषण के कारण होने वाले स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का बिगड़ना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है।

वायु प्रदूषण के सबसे आम स्रोतों में निलंबित कण, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड आदि आते हैं। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की स्थिति के कारण होने वाली कुल मौतों को देखते हुए विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

वायु प्रदूषण की प्रकृति : जीव मण्डल का आधार वायु है। वायु में उपस्थित ऑक्सीजन पर ही जीवन निर्भर है। प्राणी वायुमण्डल से ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन-डाई-ऑक्साइड निष्कासित करते हैं, जिसे हरे पौधे ग्रहण कर लेते हैं और एक संतुलित चक्र चलता रहता है।

किंतु इस संतुलन में उस समय रुकावट आ जाती है जब उद्योगों, वाहनों एवं अन्य घरेलू उपयोगों से निकलता धुआँ एवं अन्य सूक्ष्म कण, विभिन्न प्रकार के रसायनों से उत्पन्न विषैली गैस, धूल के कण, रेडियोधर्मी पदार्थ आदि वायु में प्रवेश करके, स्वास्थ्य के लिये ही नहीं अपितु समस्त जीव-जगत् के लिए हानिकारक बना देते हैं। यही वायु प्रदूषण या वायु मण्डलीय प्रदूषण कहलाता है।

प्रदूषण रोकने के उपाय : वायु प्रदूषण को अगर समय रहते अनियंत्रित ना किया गया तो यह पूरी मानव सभ्यता के लिए घातक साबित हो जाएगी हम जो इंधन इस्तेमाल करते हैं अगर उससे प्रदूषित गैस निकलती है तो इसे कम से कम जलाने की कोशिश करनी चाहिए।

कचरे को जलाने से अच्छा है कि उसे जमीन में किसी जगह में दफना दिया जाए। निजी वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे नियंत्रण करना जरूरी है। इसकी जगह अगर लोग पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन का इस्तेमाल करें वह ज्यादा बेहतर होगा।

उपसंहार : प्रदूषण की समस्या पर अच्छे-अच्छे निबंध, लेख, भाषण, स्लोगन आदि लिखने से या बच्चों के सामने बड़ी-बड़ी बाते करने से प्रदूषण की समस्या का इलाज नहीं किया जा सकता है। प्रदूषण का इलाज तभी संभव है जब हम खुद जागरूक होंगे और अपने से ही इसे खत्म करने की शुरुआत करेंगे। जमीनी स्तर पर कार्य करके ही हम अपनी प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा कर पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु प्रदूषण का अर्थ होता है वायु में अनावश्यक रूप से कुछ तत्वों के मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। जब किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ जैसे – रसायन, सूक्ष्म पदार्थ या फिर जैविक पदार्थ वातावरण में मिलते हैं तो वायु प्रदूषण होता है।

कुछ रासायनिक गैसे वायुमण्डल में पहुंचकर वहाँ के ओजोन मंडल से क्रिया करके उनकी मात्रा को कम कर देते हैं जिसकी वजह से भी वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। अगर वायुमंडल में लगातार कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनो-आक्साइड, नाईट्रोजन, आक्साइड, हाईड्रोकार्बन इसी तरह से मिलते रहंगे तो वायु प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच जायेगा।

वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कपड़ा बनाने के कारखाने, रासायनिक कारखाने, तेल शोधक कारखाने, चीनी बनाने के कारखाने, धातुकर्म और गत्ता बनाने वाले कारखाने, खाद और कीटनाशक कारखाने होते हैं। इन कारखानों से निकलने वाले कार्बन-डाई-आक्साइड, नाईट्रोजन, कार्बन-मोनो-आक्साइड, सल्फर, सीसा, बेरेलियम, जिंक, कैडमियम, पारा और धूल सीधे वायुमंडल में पहुंचते हैं जिसकी वजह से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।

वायु प्रदूषण का एक कारण बढती हुयी जनसंख्या और लोगों का शहरों की तरफ आना भी है। लोगों के रहने के स्थान की व्यवस्था और आवास की व्यवस्था के लिए वृक्षों और वनों को लगातार काटा जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है। जब सार्वजनिक और व्यक्तिगत शौचालयों की समुचित सफाई नहीं होती है जिससे क्षेत्र विशेष में वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ जाता है।

जब जानवरों की खाल को निकालकर उनके मृत शरीर को खुली जगह पर डाल दिया जाता है और उसके शरीर के सड़ने की वजह से बदबू वायु में फैलती है जिससे वायु प्रदूषण होता है। आणविक ऊर्जा, अंतरिक्ष यात्रा, परमाणु तकनीक के विकास की वजह से अथवा शोधकार्य के लिए किये जाने वाले विस्फोट या क्रिया से वातावरण को दूषित करती है।

वायु प्रदूषण की संकेतात्मक प्रक्रिया : हमारी वायु में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनों आक्साइड आदि बहुत सी गैसे विद्यमान होती हैं। वायुमंडल में इनकी मात्रा निश्चित होती है। धूम्र सूचकांक की सहायता से वायु को एक कागज के टेप पर गुजारते हैं और विद्युत् प्रकाशीय मापी से हम घनत्व का पता लगा सकते हैं।

वायु प्रदूषण की समस्या या प्रभाव : वायु प्रदूषण के परिणाम बहुत ही घातक होते हैं क्योंकि वायु का सीधा संबंध पृथ्वी की जीवन प्रणाली से होता है। लोग अशुद्ध वायु को साँस के द्वारा अंदर लेकर अनेक तरह की बिमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। शहरों की स्थिति गांवों की अपेक्षा बहुत ही भयानक रूप ले चुकी है। इस प्रकार की दूषित वायु से स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं, बीमारी और मृत्यु का कारण हो सकती हैं।

प्रदूषण पूरे पारिस्थितिक तंत्र को लगातार नष्ट करके पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन को बहुत ही प्रभावित किया है और अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है। वायु में उपस्थित सल्फर-डाई-आक्साइड की वजह से दमा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। जब सल्फर-डाई-आक्साइड बूंदों के रूप में वर्षा के समय भूमि पर गिरती है तो उससे भूमि की अम्लता बढ़ जाती है और उत्पादन क्षमता घट जाती है।

ओजोन मंडल सूर्य की हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा करता है लेकिन जब ओजोन मंडल की कमी हो जाएगी तो त्वचा कैंसर की संभावना बढ़ जाएगी। वायु प्रदूषण के कारण लोगों की मृत्यु की संख्या में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है। वायु प्रदूषणों की वजह से भवनों, धातुओं, और स्मारकों का क्षय होता है।

जब वायु में आक्सीजन की कमी हो जाएगी तो प्राणियों को साँस लेने में तकलीफ होगी। जब कारखानों से निकलने वाले पदार्थों का अवशोषण वृक्षों के द्वारा किया जायेगा तो प्राणियों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव महानगरों पर पड़ता है।

वायु प्रदूषण की वजह से मनुष्य को श्वसन, दमा, ब्रोंकाइटिस, सिरदर्द, फेफड़े का कैंसर, खांसी, आँखों में जलन, गले में दर्द, निमोनिया, ह्रदय रोग, उल्टी, जुकाम जैसे रोगों का सामना करना पड़ता है। सल्फर-डाई-आक्साइड की वजह से एम्फायसीमा नामक रोग होने की संभावना होती है। वायु प्रदूषण का सबसे गहरा प्रभाव जीव-जंतुओं पर गंभीर रूप से पड़ता है। इसकी वजह से जीव-जंतुओं का श्वसन तंत्र और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।

वायु प्रदूषण का समाधान : वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत जल्द ही कुछ कदम उठाने होंगे। हमें घरों, कारखानों, फैक्ट्रियों और वाहनों के धुएं को उनकी सीमा में रखना होगा और पटाखों के प्रयोग को कम करने के लिए कोशिश करनी होगी। कूड़े-कचरे को जलाने की जगह पर नियमित स्थान पर डालना होगा।

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सभी कानूनों का सख्ती से पालन करना होगा। निजी वाहनों की संख्या को कम करना होगा। सार्वजनिक वाहनों की प्रणाली की समुचित सुविधाओं पर नियंत्रण करना होगा। प्रदूषण नियंत्रण संबंधी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता और वायु कानून का पालन करना होगा।

पर्यावरण के संरक्षण के लिए निजी संस्थानों को बाध्य करने पर नियंत्रित करना होगा। पैट्रोल, डीजल की जगह पर सौर, जल, गैस और विद्युत ऊर्जा से चलने वाले वाहनों का आविष्कार और उत्पादन करना होगा। सीसा रहित पेट्रोल के प्रयोग पर नियंत्रण करना होगा। वाहनों के दुरूपयोग पर नियंत्रण करना होगा। जंगलों की कटाई को हितोत्साहित करना होगा।

वायु प्रदूषण की रोकथाम : वायु से दूषित करने वाले तत्वों को हटाकर वायु को दूषित होने से बचाया जा सकता है। हम वन संरक्षण और वृक्षारोपण से भी वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं। जलाऊ लकड़ी की जगह पर ऊर्जा के अन्य विकल्पों को ढूँढना चाहिए। कचरे का उपयुक्त विधि से निवारण करना चाहिए।

अपने घरों के आस-पास के पेड़ों की देखभाल और रक्षा करनी चाहिए। जब ज्यादा जरूरत न हो बिजली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जहाँ पर आपको जरूरत है वहीं पर कूलर या पंखा चलाना चाहिए बाकि स्थानों का पंखा या कूलर बंद कर देना चाहिए। सूखे पत्तों को जलाने की जगह पर उनका खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए।

अपनी गाड़ी का प्रदूषण हर तीन महीने में जाँच जरुर करवानी चाहिए। हमेशा सीसायुक्त पेट्रोल का प्रयोग करना चाहिए। बाहर की जगह पर घर में प्रदूषण का प्रभाव बहुत कम होता है इसी वजह से जब बाहर प्रदूषण अधिक हो जाये तो घरों के अंदर चले जाना चाहिए।

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi)- प्रदूषण के सभी प्रकारों में से वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है क्योंकि यह एक ही समय में पर्यावरण, प्रकृति, प्राकृतिक संसाधनों, मनुष्य, पेड़-पौधों, जानवरों, पशु-पक्षियों, वायु, जल आदि सभी को एक साथ बहुत तेजी से प्रभावित कर सकता है। वायु प्रदूषण मानव जीवन पर कई तरह से अपने दुष्प्रभाव छोड़ता है और आने वाले समय के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है। समय रहते अगर इसका समाधान नहीं निकाला गया, तो यह धीरे-धीरे प्रकृति को नष्ट कर देगा।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi)

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वायु प्रदूषण पर निबंध Air Pollution Essay In Hindi

वायु से हमारा तात्पर्य हवा या पवन से है। वायु से ही हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है, जो पृथ्वी पर जीवन यापन के लिए सबसे ज़रूरी है। फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो, पेड़-पौधे हों या जीव-जन्तु हों। सभी को जीवित रहने के लिए शुद्ध और स्वस्च्छ वायु की ज़रूरत है। लेकिन क्या आज हम साफ हवा में सांस ले पा रहे हैं? हमें क्यों पेड़-पौधों से मिलने वाली प्राकृतिक ऑक्सीजन के बावजूद भी सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ती है। ये समय क्यों आ गया है कि हमें बाहर निकलते वक्त अपने मुँह को किसी कपड़े या मास्क के ढककर निकलना पड़ रहा है। इसका कारण सिर्फ एक है और वो है तेजी से अपने पैर पसारता हुआ “प्रदूषण”। प्रदूषण ने ना सिर्फ प्रकृति को नुकसान पहुँचाया है बल्कि महामारियों को भी जन्म दिया है।

यह निबंध भी पढ़ें-

वायु प्रदूषण क्या है?

सबसे पहले हम ये जानने की कोशिश करते हैं कि वायु प्रदूषण है क्या? दरअसल वायु प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पूरी वायुमंडलीय हवा में बाहरी तत्वों से मिलकर बनता है। यह तत्व छोटे-बड़े उद्योगों और अनगिनत मोटर वाहनों से पैदा होते हैं। यह खतरनाक, हानिकारक और जहरीली गैसें ही हमारे मौसम, पेड़-पौधों, जानवरों, पक्षियों और मनुष्यों के ऊपर अपना दुष्प्रभाव डालती हैं। मानवीय संसाधन वायु प्रदूषण के मुख्य कारकों में से एक हैं। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होने का कारण इंसानों द्वारा की जाने वाली गतिविधियाँ हैं। ये गतिविधियाँ तेल का जलना, गंदा कचरा जलाना, प्लास्टिक जलाना, हानिकारक गैसों को छोड़ना, कारखानों, मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआँ आदि में सम्मिलित होती हैं।

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण होने के मुख्य दो कारण सामने आते हैं, पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानव निर्मित कारण। इन दोनों कारणों की वजह से ही वायु प्रदूषण पैदा होता है। लेकिन अगर तुलना की जाए, तो सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव निर्मित कारण की वजह से ही बढ़ा है। वायु प्रदूषण के अन्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • ज्वालामुखी से निकलने वाली जहरीली गैस और लावा
  • प्राकृतिक रूप में जंगलों में लगने वाली आग
  • वातावरण में हर समय उड़ती हुई धूल और मिट्टी
  • तेज हवा, आंधी और तूफान
  • बड़े उद्योगों और कारखानों से निकलने वाली दूषित गैस
  • वनों की कटाई
  • जनसंख्या वृद्धि
  • परमाणु परीक्षण से निकलने वाले जहरीले तत्व
  • गंदे कचरे से उड़ने वाली भयंकर बदबू
  • किसानों द्वारा पराली जलाना

वायु प्रदूषण के ये वो सभी कारण हैं जिनसे हम सभी अवगत हैं और जिनकी हम पहचान कर सकते हैं। इन कारणों को पहचाने के बावजूद हमें इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं और इन्हें भूलकर चुप बैठ जाते हैं। लेकिन अब ज़रूरत है कि वायु प्रदूषण के कारणों की समय पर पहचान करते हुए इसका तुंरत हल निकाला जाए और प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जाए।

वायु प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण प्रदूषण के प्रकारों में से ही एक है, लेकिन वायु प्रदूषण के अपने भी कुछ प्रकार हैं, जैसे-

  • विविक्त प्रदूषण- हवा में कई तरह के प्रदूषक ठोस रूप में उड़ते हुए पाये जाते हैं। इस तरह के प्रदूषकों में धूल, राख आदि शामिल होते हैं। इसके कण बड़े और चौड़े आकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह पर फैलकर प्रदूषण फैलाते हैं। इस तरह के प्रदूषण को विविक्त प्रदूषण कहा जाता है।
  • गैसीय प्रदूषण- जो क्रियाएं मानव करता है उससे कई तरह की गैसों का निर्माण होता है और इस निर्माण में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी मौजूद होते हैं। हवा में ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जलने पर जो धुआं मिल जाता है, उसे ही गैसीय प्रदूषक कहा जाता है।
  • रासायनिक प्रदूषण- वर्तमान में चलने वाले आधुनिक उद्योगों में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों से जो गैस और धुआं निकलता है, वो वायुमण्डल में विषैली रासायनिक गैसें होती हैं जो हवा को दूषित करती हैं।  
  • धुआँ और धुंध प्रदूषण- हमारे वायुमण्डल में धुआँ (स्मोक) और कोहरा (फॉग) यानी कि हवा में पायी जाने वाली जलवाष्प और जल की बूँदों के छोटे-छोटे कणों से धुंध (स्मॉग) का निर्माण होता है। इसी धुंध से वायुमण्डल में घुटन पैदा होती है और दृश्यता भी काफी कम हो जाती है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ने से और इसके अनियंत्रित होने की वजह से इसके कई दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। ये दुष्प्रभाव आने वाले समय और धरती पर जीवन यापन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। वायु प्रदूषण के होने वाले गंभीर दुष्प्रभावों में निम्नलिखित हैं, जैसे-

बीमारियों का बढ़ना 

हम सभी को इस पृथ्वी पर रहने के लिए स्वच्छता की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। साफ-सफाई के बिना हम एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं। अगर हमारी हवा ही प्रदूषित होगी, तो इसके कारण अस्थमा, दमा, कैंसर, सिर दर्द, पेट की बीमारियां, एलर्जी, दिल की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाएगा। ये बीमारियाँ हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकती हैं।

ऑक्सीजन कम होना 

वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी पर ऑक्सीजन भी कम होती जा रही है। पहले हमारे वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा 24 प्रतिशित थी लेकिन धीरे-धीरे अब इसकी मात्रा भी कम हो रही है। एक रिसर्च के मुताबिक अब हमारे पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा घटकर केवल 22 प्रतिशत ही बची है।

पशु-पक्षियों की समय से पहले मृत्यु 

स्वच्छ हवा और ऑक्सीजन न मिलने की वजह से रोज़ न जाने कितने ही जीव-जंतुओं की मौत हो रही है। वायु प्रदूषण के कारण पशु-पक्षियों की कुछ प्रजातियां तो बिल्कुल ही विलुप्त होती जा रही हैं। इस तरह से ही अगर वायु प्रदूषण बढ़ता रहा, तो एक दिन ऐसा आएगा जब धरती पर कोई भी जीव-जंतु जीवित नहीं बचेगा।

वातावरण प्रभावित होना 

हवा में प्रदूषण की मात्रा ज़्यादा होने की वजह से पृथ्वी का पूरा वातावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इस वजह से पृथ्वी का संतुलन भी बिगड़ रहा है। रोज़ कोई ना कोई आपदा या महामारी आती रहती है। इन सबका कारण प्रदूषण ही है। अगर हमें हमारे वातावरण को बचाना है, तो वायु प्रदूषण को कम करना होगा।

अम्लीय वर्षा होना 

वायु प्रदूषण होने की वजह से साफ हवा में बहुत सी प्रकार की हानिकारक गैसें मिल जाती हैं। इन गैसों में सल्फर डाइऑक्साइड सबसे खतरनाक होती है। जब ये हवा में घुल जाती है और जब बारिश होती है, तो जल के साथ क्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है, जिसे अम्लीय3 वर्षा बोलते हैं। इसे आम भाषा में हम तेजाब वर्षा या ऐसिड रेन भी कहते हैं जिसके कारण कई बीमारियां फैलती हैं। यह पानी में घुलने की वजह से सीधे हमारे शरीर में चली जाती हैं और कई अलग-अलग प्रकार की गंभीर बीमारियां बनाती हैं।

तापमान का बढ़ना 

वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ धरती का तापमान भी लगातार बढ़ता जा रहा है। एक रिसर्च के अनुसार अगर इसी तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता रहा, तो पृथ्वी का तापमान भी तेजी से बढ़ता जाएगा। यदि पृथ्वी का तापमान दो से तीन प्रतिशत भी बढ़ता है, तो पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल सकते हैं और भयंकर बाढ़ आ सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो पृथ्वी पूरी तरह से नष्ट भी हो सकती है।

वायु प्रदूषण के निवारण

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और इसे नियंत्रित करने के लिए हमें छोटे-छोटे उपायों से ही शुरुआत करनी होगी। सबकी भागीदारी ही वायु प्रदूषण को खत्म करने में मदद करेगी। वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय इस प्रकार हैं-

ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना– अगर हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना चाहते हैं, तो हमें ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा में पेड़-पौधे लगाने होंगे। क्योंकि पेड़-पौधों से ही ऑक्सीजन निकलती है और यह कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं जिस वजह से ज्यादातर प्रदूषित हवा साफ हो जाती है। लेकिन आज के समय में पेड़-पौधों को ही सबसे ज़्यादा काटा और नष्ट किया जा रहा है, जिसके कारण वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा देना– जनसंख्या वृद्धि की समस्या सबसे गंभीर समस्या है और इस समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है। यदि हम जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी कम होगी और हमें कम उद्योग धंधे लगाने की आवश्यकता होगी, जिससे प्रदूषण अपने आप ही कम हो जाएगा। जनसंख्या वृद्धि भी वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है।

उद्योग और कारखाने कम करना – वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें उन उद्योगों और कारखानों को भी बंद करना होगा, जो अधिक मात्रा में प्रदूषण करते हैं। जिन कारखानों की हमें ज़रूरत है, उनकी चिमनीयों की ऊंचाई भी ज़्यादा होनी चाहिए। ऐसा करने से हमारा वायुमंडल भी कम से कम प्रभावित होगा।

ऊर्जा के नए स्रोत तलाशें– कारखानों, फैक्ट्रियों, मशीनों आदि को चलाने के लिए हमें ऊर्जा के लिए नए स्रोत तलाशने होंगे। हमें कोयले और परमाणु ऊर्जा का प्रयोग कम करना होगा। हमें सौर ऊर्जा का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा करना होगा। ऐसा करने से वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और हमें ऊर्जा भी पूरी तरह से प्राप्त हो जाएगी।

सार्वजनिक वाहनों का उपयोग– वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हमें निजी वाहनों का इस्तेमाल बंद करके ज़्यादा से ज़्यादा सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करना होगा। इस पहल से भी वायु प्रदूषण में कमी आएगी।

कानूनी नियंत्रण जरूरी– वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमारी देश की सरकार को नए नियम और कानून बनाने चाहिए। इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े प्रमाण पत्र की भी अनिवार्यता करनी होगी और लोगों को वायु प्रदूषण कानून का भी सख्ती से पालना करना सीखना होगा।

जन जागरण की आवश्यकता– प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए हमें लोगों को प्रदूषण के बारे में सचेत और जागरूक करना होगा। प्रदूषण के बारे में सभी विद्यालयों में पाठ्यक्रम शामिल होना चाहिए जिससे बचपन से ही बच्चों को पता हो प्रदूषण कैसे फैलता है और इसे फैलने से कैसे रोकें। इसके अलावा हमें गांव-गांव में जाकर नुक्कड़-नाटकों के माध्यम से वहाँ के लोगों को समझाना चाहिए कि प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। इन सभी प्रयासों के बाद ही हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में सफल हो सकते हैं।

वायु प्रदूषण की समस्या एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसके बारे में हम लोगों को जितना जागरूक करेंगे उतनी ही जल्दी हम इस समस्या का इलाज कर पाएंगे। लोगों को जागरूक करेंगे का काम हमें जमीनी स्तर पर रहकर, उनके बीच जाकर और उन्हें इस समस्या के दुष्प्रभावों के बारे में बताकर करना होगा। लेकिन उससे भी पहले हमें खुद जागरूक होना होगा, खुद को बदलना होगा और सबसे पहले इसकी शुरुआत हमें अपने आप से ही करनी होगी, तब कहीं जाकर हम वायु प्रदूषण मुक्त भारत की कल्पना कर सकते हैं।

वायु प्रदूषण से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल- FAQ’s

People also ask

प्रश्न- वायु प्रदूषण कैसे होता है? उत्तर- वायु में हानिकारक प्रदूषकों के एकत्रित होने को वायु प्रदूषण कहते हैं। अधिक जनसंख्या, वाहन, असंतुलित औद्योगीकरण इसके मुख्य कारण हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषण किसे कहते हैं? उत्तर- प्रदूषकों को प्राथमिक या द्वितीयक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राथमिक प्रदूषक वे तत्व हैं जो सीधे एक प्रक्रिया से उत्सर्जित हुए हैं जैसे ज्वालामुखी विस्फोट से राख, मोटर गाड़ी से कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस। द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषण का अर्थ क्या है? उत्तर- वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ या जैविक पदार्थ के वातावरण में मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव-जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग होते हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषक कौन-कौन से हैं? उत्तर- कार्बन मोनोआक्साइड: दहन प्रक्रिया से उत्सर्जित। भूस्तरीय ओजोन: सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में नाइट्रोजन के आक्साइडों और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के बीच रासायनिक अभिक्रिया से बनने वाला द्वितीयक प्रदूषक।

प्रश्न- वायु प्रदूषण के स्रोत कौन-कौन से हैं? उत्तर- कोयला, मिट्टी के तेल, जलाऊ लकड़ी, गोबर के केक, सिगरेट से निकलने वाले धुएं आदि के जलने के दौरान निकलने वाली आम प्रदूषक गैसें कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि लगभग 90% हैं।

प्रश्न- वायु प्रदूषण क्या है इसके कारण बताइए? उत्तर- वाहनों से निकलने वाला धुआँ। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुआँ तथा रसायन। आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसें तथा धूल-कण। जंगलों में पेड़-पौधों के जलने से, कोयले के जलने से तथा तेल शोधन कारखानों आदि से निकलने वाला धुआँ।

प्रश्न- प्रदूषण को रोकने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए? उत्तर- रासायनिक प्रदूषण से बचने के लिए रासायनिक की जगह जैविक खाद, प्लास्टिक की जगह कागज, पोलिस्टर की जगह सूती कपड़े या जूट का इस्तेमाल करें। इसके आलावा प्लास्टिक की थैलियों को रास्ते में न फेंके, ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे और हरियाली लगायें। इसके आलावा रसायन सम्बन्धी सभी कानूनों का पालन करें।

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay In Hindi)

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay In Hindi Language)

आज के इस लेख में हम वायु प्रदूषण   पर निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi) लिखेंगे। वायु प्रदूषण पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

वायु प्रदूषण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Air Pollution In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

मनुष्य सभ्यता को आज सबसे बड़ा खतरा प्रदूषण से है। मनुष्य के आस पास का समस्त वातावरण उसके प्रयोग में आने वाला सम्पूर्ण जल भंडार, उसके सांस लेने के लिए वायु, अन्न पैदा करने वाली धरती और यहाँ तक कि अंतरिक्ष का सारा विस्तार भी स्वय मनुष्य द्वारा दूषित कर दिया गया है।

मनुष्य अपने आनंद ओर उल्लास के लिए प्रकृतिक साधनों का पूर्णतया दोहन कर लेना चाहता है। यही कारण है कि प्रदूषण की समस्या विकराल रूप में आ खड़ी हुई है। अतएव प्रदूषण की विभिन्न समस्याओं और कारकों पर प्रकाश डालना आवश्यक प्रतीत हो रहा है। जो इस प्रकार है:-

हमारा वातावरण और वायु प्रदूषण

ओधोगिकीकरण की इस अंधी दौड़ में संसार का कोई भी राष्ट पीछे नहीं रहना चाहता है। विलासिता के साधनों का उत्पादन भी खूब बढ़ाया जा रहा है। धरती की सारी सम्पदा को उसके गर्भ में उलीच कर बाहर लाया जा रहा है।

वह दिन भी आएगा, जब हम सृष्टि की सारी प्राकृतिक संपदाओं से हाथ धो चुके होंगे। यह दिन मनुष्य जाति के लिए निश्चय ही बड़ा मनहूस होगा। परन्तु इससे भी बढ़कर हानि यह होंगी की धरती के भीतर का सारा खनिज, तेल, कोयला तथा सब धातुएं गैसों के रूप में वायुमण्डल में प्रवेश कर, धरती पर रहने वाले प्राणियों का जीना ही दूभर कर देंगे।

नदियां ओर समुद्र हानिकारक तत्वों से भरे पड़े है। दिन-रात चलने वाले कारखानों का करोडों -अरबों गेलन गन्दा पानी नदियों तथा समुद्रों में जा रहा है।

हम कुछ समय तक भोजन के बिना जीवित रह सकते है। परंतु वायु के बिना तो हम कुछ क्षण भी जीवित नहीं रह सकते है। यह साधारण तथ्य हमें बताता हैं कि स्वच्छ वायु हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है।

आप यह जानते है कि वायु गैसों का मिश्रण आकलन के अनुसार इस मिश्रण का लगभग 78% नाइट्रोजन, तथा लगभग 21% ऑक्सीजन का और कार्बनडाइआक्साइड, आर्गन, मेथेन है, तथा जल वाष्प भी वायु में अल्प मात्रा में उपस्थित है।

वायु प्रदूषण किसे कहते है ?

वायु मंडल में धुँए की मात्रा में अंतर है। क्या आप बता सकते है कि यह धुँआ कहां से आता है। इस प्रकार के पदार्थो से जैसे उधोगो व स्वचालित वाहनों से निकले धुँए के मिल जाने से भिन्न-भिन्न स्थानों के वायुमंडल की प्रकृति एवं संघटन में बदलाव आ जाता है। जब वायु कुछ अनचाहे पदार्थो के द्वारा संदूषित हो जाती है जो सजीव तथा निर्जीव दोनों के लिए हानिकारक है, तो इसे वायु प्रदूषण कहते है।

सच्चाई यह है कि वायु- प्रदूषण सबसे बड़ा और कुप्रभवशाली प्रदूषण है। इसका प्रभाव सबसे पहले ओर सबसे अधिक समय तक पड़ता है। भूमि-प्रदूषण और जल प्रदूषण दोनों ही वायु में निरंतर फैलते रहते है। फलतः शुद्ध और ताजी वायु का मिलना असम्भव नही, तो कठिन अवश्य हो जाता है।

वायु -प्रदूषण का एक कारण जनसंख्या का अत्यंत तेजी से बढ़ना भी है। एक अनुसंधान के अनुसार लगभग कार्बनडाइआक्साइड पांच अरब टन प्रतिवर्ष दर से बढ़ रही है। मनुष्य के साथ पशु-पक्षी ओर अन्य प्राणी भी वायु-प्रदूषण के कारण शुद्ध वायु के लिए छटपटा रहे है।

वैज्ञानिको की यह खोज है कि वायु -प्रदूषण से समुद्रतटीय-क्षेत्र दुष्प्रभावित होने लगे है। अंटाक्राटीका जैसा शांत क्षेत्र भी अब तूफानों की गिरफ्त में आ गया है। सी.एफ.सी. गैस का बढ़ना जारी है।

इसके ही दुष्प्रभाव से आज ओजोन की परत पतली होती जा रही है। इसके कारण पराबैगनी किरणे सीधे धरती पर आती है, जो अंतः कैंसर जैसे आदि भयानक बीमारियों का कारण बनती जा रही है।

वायु -प्रदूषण का मुख्य कारण ओधोगिक इकाइयां है, वही परमाणु ऊर्जा पर आधारित बिजलीघर ओर कारखाने भी है। इनसे वायु मंडल में रेडियोधर्मी लहरें दुष्प्रभावित होती है। इनमें बाहर निकलने वाली गैसे वायुमण्डल को प्रदूषित करती रहती है।

इसके साथ-साथ वायु-प्रदूषण का भयानक चाप तो परमाणु-परीक्षण-विस्फोट, परमाणु-शक्ति-संचालित अंतरिक्ष अभियान भी प्रमुख कारण है। इनमें वायुमंडल अब अधिक प्रदूषित होकर आंदोलित होने लगा है।

वायु प्रदूषित कैसे होती है ?

जो पदार्थ वायू को संदूषित करते है उन्हें वायु प्रदूषक कहते है। कभी-कभी ये प्रदूषक प्रकृतिक स्त्रोतों जैसे ज्वालामुखी का फटना, वनों में लगने वाली आग से उठा धुँआ अथवा धूल द्वारा आ सकते है।

मानवीय क्रियाकलापों के द्वारा भी वायु में प्रदूषक मिलते है। इन वायु प्रदूषक के स्त्रोत फैक्ट्री, विद्युत् यंत्र, स्वचालित वाहन, निर्वातक, जलावन लकड़ी तथा उपलों के जलने से निकलने वाला धुँआ हो सकता है। बहुत सी शवसन समस्याएं भी वायू प्रदूषण के कारण ही होती है।

वायु में उपस्थित प्रदूषित तत्व

आप तो जानते ही है कि वायु में कितने खतरनाक तत्व निहित है। शहरों में कितनी तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ रही है। वाहनों से अधिक मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन आक्ससीड, तथा धुँआ उतपन्न होता है।

पेट्रोल और डीजल जैसे ईधनों के अपूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है। यह एक विषैली गैस है। यह रुधिर में ऑक्सीजन वाहक क्षमता को घटा देती है।

धूम कोहरा वायु में प्रदूषण का कारण

वायु मंडल में दिखने वाली कोहरे जैसी मोटी परत तो आपको याद ही होंगी, आप शायद नहीं जानते कि ये धूम कोहरा जो धुँए ओर कोहरे से मिलकर बनता है। इस धुँए में नाइट्रोजन आक्ससीड उपस्थित हो सकते है।

जो अन्य वायु प्रदूषकों तथा कोहरे के संयोग से धूम कोहरा बनाते है। इसके कारण दमा, खासी, तथा बच्चों में साँस के साथ ही हरहराहट उत्पन्न होती हैं।

उधोगो से बढ़ता प्रदूषण

बहुत से उधोग भी वायु प्रदूषण के लिए उत्तरदायी है। पेट्रोलियम ,परिकरन शालाएं, सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, जैसे गैसीय प्रदूषकों के प्रमुख स्त्रोत है।विधुत संयंत्रों में कोयला जैसे ईंधन के दहन से सल्फर डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। जो फेफड़ों को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त करने के साथ-साथ स्वसन समस्याये भी उतपन्न कर सकता है।

अन्य प्रकार के प्रदूषण

क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) है जिसका उपयोग रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर तथा एरो के साथ फुहार में होता है। CFCs के द्वारा वायुमण्डल की ओजोन परत पतली होती जा रही है। जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैगनी किरणों से हमें बचातीं है। परंतु अब CFCs के स्थान पर कम हानिकारक रसायनों का प्रयोग होने लगा है, जो अच्छी बात है।

इन गैसों के अतिरिक्त डीजल तथा पेट्रोल के दहन से चलने वाले स्वचालित वाहनों द्वारा अत्यंत छोटे कण भी उत्तपन्न होते है। जो अत्यधिक समय तक वायु में रहते है और ये किसी भी चीज पर चिपक कर उसकी सुंदरता भी कम कर सकते है।

सांस लेने पर ये शरीर के भीतर पहुंचकर रोग उत्पन्न करते है। ये कण इस्पात निर्माण तथा खनन जैसे ओधोगिक परकर्मो द्वारा भी उतपन्न होते है। विधुत सयंत्रो से निकलने वाली राख के अति सूक्ष्म कण भी वायुमण्डल को प्रदूषित करते है।

इसका एक उदाहरण, पिछले दो दशक से अधिक समय से पर्यटकों को सर्वाधिक आकर्षित करने वाला भारत का आगरा शहर का ताजमहल चिंता का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञ ने यह चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण इसके सफेद संगमरमर को बदरंग कर रहा है। अतः वायु प्रदूषण द्वारा केवल सजीव ही नही अपितु निर्जीव चीजे भी प्रभावित हो रही है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

प्रदूषण के विकराल कालमुखी दुष्प्रभाव को रोकने के लिए यह नितांत आवश्यक है कि प्रदूषण के कारणों का गलाघोंट दिया जाए। दूसरे शब्दों में भूमि-प्रदूषण की रोक के लिए यह आवश्यक है, कि बाँधो के लगातार निर्माण, वेशुमार वन कटाव ओर रासायनिक उर्वरकों का सीमित ओर अपेक्षित प्रयोग हो।

जल-प्रदूषण की रोक-थाम के लिए यह आवश्यक है कि उधोग के प्रदूषित जल को स्वच्छ जल से बचाये। वायु प्रदूषण की रोक तभी सँभव है जब उधोग -धंधो की दूषित वायु को वायुमण्डल में फैलने ना दे।

इसके लिए उधोगों की चिमनिया पर उपयुक्त फिल्टरों को लगाना चाहिए। इसके अतिरिक्त परमाणु उर्जा से उतपन्न होने वाले वायु प्रदूषण की रोक के लिए अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा-संघ के नियमो का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। पर्यावरण- प्रदूषण की रोक जनसंख्या- व्रद्धि पर अंकुश लगा कर ही कि जा सकती है।

वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार   द्वारा किये जा रहे उपाय

(1) राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों ओर उधोगों के लिए क्षेत्र विशिष्ट उत्सर्जन ओर प्रवाह मानकों की अधिसूचना जारी किया गया है।

(2) वायु प्रदूषण निवारण एवम नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दिशा ;निर्देश जारी किया गया है।

(3) अत्यधिक प्रदूषणकारी ओधोगिक क्षेत्रो की निगरानी के लिए ऑनलाइन उपकरणों की स्थापना की गई है।

(4) परिवेश वायु गुणवत्ता के आकलन के लिए निगरानी नेटवर्क की स्थापना की गई है।

(5) CNG, LPG आदि जैसे स्वच्छ गैस ईंधन को बढ़ावा देना और पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा बढाना।

(6) राष्टीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत की गई, जसके तहत सभी वाहनों के लिए BS-4 मानक अपनाना अनिवार्य कर दिया गया है।

(7) बायोमास जलाने पर प्रतिबंध।

(8) पटाखे छोड़ने पर भी प्रतिबंध।

(9) सभी इंजन चालित वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया गया है।

(10) सार्वजनिक परिवहन नेटवर्को को बढ़ावा दिया जा रहा है। सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क को बढ़ावा देना।

(11) दिल्ली और NCR के लिए श्रेणीबद्ध प्रतिकिर्या की करवाई योजना चलाई जा रही है।

सरकार द्वारा चलाये गए उपायों का हमे सख्ती के साथ ओर अपने स्वयम के प्रति सतर्क रहते हुए नियमो का पालन करना अति आवश्यक है।

वायु प्रदूषण हमारे लिए प्राण घातक है। यह सृष्टि ओर प्रकृति के प्रति सरासर अन्याय और दुःसाहस है। इसलिए अगर इस के प्रति हम समय रहते हुए कोई गम्भीर कदम नहीं उठाते है।तो यह कुछ समय बाद हमारे वश में नहीं रहेगा। फिर हमारे कठिन से कठिन प्रयासों को यह ठेंगा दिखाते हुए हमारी जीवन को देखते-देखते ही समाप्त कर देगा।

इन्हे भी पढ़े :- 

  • प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay In Hindi Language)
  • जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay In Hindi)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environment Pollution Essay In Hindi)
  • 10 Lines On Pollution In Hindi Language
  • प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Plastic Pollution Essay In Hindi)

तो यह था वायु प्रदूषण पर निबंध, आशा करता हूं कि वायु प्रदूषण पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Air Pollution) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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Here we are providing an Essay on Air Pollution in Hindi- ( Vayu Pradushan ) वायु प्रदूषण पर निबंध. What is Air Pollution in Hindi. वायु प्रदूषण की समस्या और उसको को रोकने के उपाय की पूरी जानकारी है। Air Pollution Essay  in 150, 200, 300, 500, 1000 words For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.

वायु प्रदूषण पर निबंध- Essay on Air Pollution in Hindi

Air Pollution Essay in Hindi 300 words

वायु प्रदूषण आज दुनिया में चर्चा का विषय बन चुका है, यदि आज वायु प्रदूषण पर नियंत्रण न रखा गया तो आगे के भविष्य में हमें बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और वायु प्रदूषण से आज सबसे बड़ा नुकसान यह हो रहा है कि प्रतिदिन लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता जा रहा है और मैं आपको इसी गंभीर विषय के बारे में बहुत ही सरल भाषा में समझाने वाला हूं कि वायु प्रदूषण क्या है और वायु प्रदूषण किस तरह होता है ? और इस वायु प्रदूषण को किस तरह से रोका जा सकता है ?

वायु प्रदूषण क्या है?

सबसे पहले आपको यह जान लेना जरूरी है कि वायु प्रदूषण क्या है ? वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु में विभिन्न गैसों कि उपरोक्त्त मात्रा उसे संतुलित रखती है, अगर इसमें थोड़ा सा भी अन्तर आ जाता है तो यह असंतुलित हो जाती है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती है ‌। हमें श्वसन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है और जब कभी वायु कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन में ‌ ऑक्साइडो कि वृद्धि हो जाती है, तो ऐसी वायु को प्रदूषित वायु या फिर हम इसे “ वायु प्रदूषण ” भी कह सकते हैं ।

अभी आपने यह तो जान लिया कि air pollution क्या होता है और अब हम जानते हैं कि इस वायु प्रदूषण को किस तरह से रोका जा सकता है । वायु प्रदूषण को किस तरह से नियंत्रण में लाया जा सकता है उसके कुछ उपाय बताता हूं :

1. सबसे पहले हमें वाहनों में ईंधन से निकलने वाले धुएँ पर नियंत्रण रखना पड़ेगा ।

2. उसके बाद धुआँ रहित चूल्हे व सौर ऊर्जा को हमें प्रोत्साहन करना पड़ेगा

3. वनों की अनियंत्रित कटाई को हमें रोक लगानी होगी और इसके साथ हमें वृक्षारोपण कार्यक्रम को भी प्रोत्साहित करना है ।

यदि हमने इन तीनों उपायों को सही ढंग से किया तो कि एक दिन जरूर वायु प्रदूषण पर नियंत्रण ला पाएंगे ।

Vayu Pradushan Nibandh par Nibandh 500 words

भूमिका –  वायु का दुषित होना ही वायु प्रदुषण है। दुषित हवा हमारे संपूर्ण वातावरण में फैली हुई है और हम उसी हवा में सास लेते है। प्रदुषित वातावरण मनुष्य के साथ-साथ पशुपक्शियों यहाँ तक कि पेड़पौधों को भी नुकसान पहुँचाता है। पर्यायवरण में निरंतर बढ़ रही रसायनों की संख्या वायु को दुषित कर रही है और ओजोन परत में भी छेद कर रही है।

वायु प्रदुषण के कारण – हवा के दुषित होने का कारण मनुष्य और उसकी गतिविधियाँ है। तरक्की की होड़ में मनुष्य अपने वातावरण को हानि पहुँचाता जा रहा है। मनुष्य खुद के स्वास्थ का दुश्मन खुद ही बनता जा रहा है। मनुष्य द्वारा वायु के प्रदुषित होने के निम्नलिखित कारण है-

1. वाहन-  सड़को पर दौड़ रही कारों, बसों, मोटर साइकिल से निकलने वाले धुएँ से भी वायु दुषित होती है। 2. उघोग- बढ़े बढ़े उघोगों से निकलने वाले धुएँ से जिसमें बहुत से रसायन होते है हवा के दुषित होने का एक मुख्य कारण है । 3. फसल अवशेष- फसल के बाद बचे हुए अवशेष जलाने से भी वायु प्रदुषण होता है। 4. बम पटाखे- दीवाली में और शादियों में जलाए जाने वाले बम पटाखों से भी हवा दुषित होती है।

वायु प्रदुषण के परभाव – दुषित वायु जिसमें हम सास लेते है हमारे स्वास्थ पर बहुत बुरा असर डालती हैं। इसके अलग अलग चीजों पर होने वाले परभाव निम्नलिखित है-

1. दुषित हवा के कारण सभी जीवों को सास लेने में बहुत तकलीफ होती है और फेफड़ो संबंधित बिमारी भी उत्पन्न होती है। 2. इसकी वजह से ओजोन परत में छेद होता है जिसके कारण हानिकारक कॉस्मिक किरणें हमारे शरीर पर पड़ती है और त्वचा कैंसर जैसी गंभीर बिमारी को जन्म देती है। 3. हवा में मौजुद रसायन वातावरण के तापमान को भी बढ़ाते है जिससे गर्मी ज्यादा होती है। रसायनों के कारण अमलीय वर्षा भी होती है जो कि फसलों को खराब करती है।

वायु प्रदुषण को रोकने के उपाय – वायु प्रदुषण को रोकना बहुत ही आवश्यक है अन्यथा धीरे धीरे हमें बिमार बनाते जाएगा। इसे रोकने के बहुत से उपाय हैं-

1. लोगों को नीजी वाहनों की जगह पब्लिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। 2. वाहनों को सी.एन. जी. गैस से ही चलाना चाहिए। 3. फसलों के अवशेषों को जलाने की बजाय उनको खाद की तरह प्रयोग करना चाहिए। 4. उघोगों से निकलने वाले धुएँ की चिमनी काफी ऊँची होनी चाहिए। 5.ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिए।

निष्कर्ष – हर व्यक्ति को उभरने के लिए स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता है। जब तक हमारी मूल आवश्यकता हवा ही दुषित होगी तब तक हम उभर नहीं सकते। तरक्की की होड़ में इतने भी गुम मत हो जाओ कि पर्यायवरण को ही हानि पहुँचाए। हमें अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भी वातावरण को स्वच्छ रखना है।

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1 thought on “वायु प्रदूषण पर निबंध- Essay on Air Pollution in Hindi”

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हवा, पानी, मिट्टी , वर्षा आदि मनुष्य को कुदरत के द्वारा दी गयी कुछ अनमोल वस्तुएँ हैं जिनका मनुष्य जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव रहता हैं और ये मनुष्य लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं मगर मनुष्य एक जिज्ञाशु प्राणी हैं और जिज्ञासा के कारण और विज्ञान के बल पर उसने ऐसे ऐसे आविष्कार कर लिए हैं जिनको देखकर कुदरत भी हैरान हैं मगर कुदरत के नियम या प्रकृति से छेड़ छाड़ करने का परिणाम मनुष्य को समय समय पर भोगना पड़ा हैं और भोगना पड़ेगाhttps://www.hindidarshan.com/essay-on-air-pollution-in-hindi/

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वायु प्रदूषण पर निबंध essay on air pollution in hindi.

Essay on Air Pollution in Hindi. वायु प्रदूषण पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए वायु प्रदूषण पर निबंध हिंदी में।

Essay on Air Pollution in Hindi – वायु प्रदूषण पर निबंध

Hindiinhindi essay on air pollution in hindi

Essay on Air Pollution in Hindi 300 Words

पदार्थ जो मानव शरीर के लिए हानिकारक होते है, वे वातावरण में कई साधनो से जोड जाते है तो वह वायु प्रदूषण के रूप में जाने जाते है। यह अस्थमा, एलर्जी और मनुष्यों की मौत जैसी बीमारियों का भी कारण बन सकता है। यह इमारतों को भी नुक्सान पहुँचा सकता है। मानव गतिविधियों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं दोनों ही वायु प्रदूषण का कारण बन सकते है। वायुमंडल में मिलकर यह गैसे, जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड इत्यादि वायु प्रदूषण का कारण बनती है। जीवाश्म ईंधन की जलन वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड जारी करती है जो की एक ग्रीनहाउस। गैस है और ग्रीनहाउस गैस की मात्रा में वृद्वि के कारण ही ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव बहुत ही खतरनाक है। जैसे कि बर्फ का पिघलना, ओजोन परत की कमी, जलवायु परिवर्तन इत्यादि जैसी समस्याएं पैदा कर रही है। जब उधोगों द्वारा सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों को हवा में छोड़ दिया जाता है तो यह बादलों में पानी के साथ मिलकर एसिड की बारिश करके इमारतों और यहाँ तक की मिटटी को भी प्रदूषित करने का कारण बनती है।जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण वाहनों का उपयोग मी ज्यादा मात्रा में हो रहा है जिसकी वजह से प्रदूषण की मात्रा भी बड़ी हद तक बढ रही है । इस तरह मानव गतिविधियाँ हवा को प्रदूषित करती है। कार पुंलिंग, पेड़ लगाकर, जीवाश्म ईधन को जलने से। बचाने से वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है । यह सही समय है जब हम वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाये, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।

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वायु प्रदूषण पर निबंध – Essay on Air Pollution in Hindi

Essay on Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) : हम सब जानते है कि देश के विकास के साथ-साथ प्रदूषण भी काफी ज्यादा बढ़ रहा है, क्योंकि विकास में पेड़-पौधे कम हो रहे है और गाड़ीयों व फैक्ट्रीयों का प्रदूषण बढ़ रहा है। इसलिए हमें यह समझना होगा कि वायु प्रदूषण क्या है, इसके कारण क्या है और इसे कैसे रोक सकते है।

मैने इस आर्टिकल में Essay On Air Pollution In Hindi 200 Words, 500 words और 1000 word में लिखा हैं। इसके अलावा मैने वायु प्रदूषण पर निबंध 10 लाइनें भी लिखी है। यह आर्टिकल Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 सभी के लिए Helpful है।

वायु प्रदूषण पर निबंध निम्नलिखित प्रकार से लिख सकते हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में (Essay On Air Pollution In Hindi 200 Words)

आज के समय में वायु प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक समस्या बनता जा रहा है, जिससे हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। अगर इस प्रदूषण को सही समय पर नही रोका गया तो आने वाले समय में बहुत सारी बीमारियां फैल जाएगी, और सभी जीव-जंतु खत्म होने लगेंगे।

वायु प्रदूषण क्या है , जब वायुमंडल में हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन किया जाता है, तो उसे वायु प्रदूषण ( Air Pollution) कहा जाता है। यह हानिकारक पदार्थ उद्योग के धुंओं और गाड़ियों के धुंओं से सबसे ज्यादा उत्सर्जित होते है। इस वायु प्रदूषण से पूरे पर्यावरण को खतरा होता है।

जैसे-जैसे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बीमारियां फैल रही है और जीवों की आयु कम होती जा रही है। वायु प्रदूषण से अनेक तरह की गंभीर बीमारियां फैल रही हैं, जैसे- खांसी, श्वास लेने में कठिनाई, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग, स्ट्रोक, मृत्यु का खतरा, कैंसर, जन्म दोष, प्रजनन क्षमता में कमी, अस्थमा, मधुमेह, मनोवैज्ञानिक समस्याएं आदि।

अगर हमें पृथ्वी पर जीवन बचाना है तो हमें वायु प्रदूषण कम करना होगा। उदाहरण के लिए हमें वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए। हमें जीवाश्म ईंधनों की जगह स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत ऊर्जा। इसके अलावा औद्योगिक धुंए को कार्बन में बदला जाना चाहिए।

Essay on Air Pollution in Hindi से हम वायु प्रदूषण के कारणों को समझ सकते है और इस रोकने का प्रयास कर सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में  (Essay On Air Pollution In Hindi 500 Words)

प्रस्तावना.

वायु प्रदूषण प्रकृति के लिए एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह औद्योगीकरण और शहरीकरण का एक घातक परिणाम है। अगर समय रहते वायु प्रदूषण को नही रोका गया तो पृथ्वी पर जीवन संकट में आ सकता है। वायु प्रदूषण से पृथ्वी का पूरा पारस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो सकता है, जिसके बहुत सारे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

वायु प्रदूषण किसे कहते है

Air Pollution, जब स्वच्छ वायु में रसायनिक कण, धूल कण, विषैली गैसे, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि मिल जाते हैं तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। यह वायु प्रदूषण अनेक कारणों से होता है, जैसे- जीवाश्म ईंधन के दहन से, गाड़ियों के धुंए से, औद्योगिक फैक्ट्रियों के धुंए से, कृषि कार्यों में कीटनाशकों और उर्वरकों से इत्यादि।

वायु प्रदूषण के कारण

Air Pollution के अनेक कारण हैं, जिनमें से मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • औद्योगिकरण वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है, क्योंकि औद्योगिकरण प्रक्रिया में अनेक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं।
  • पैट्रोल और डीजल वाहन भी वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत है। क्योंकि वाहनों से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक पदार्थ निकलते हैं।
  • जीवाश्म ईंधनों का उपयोग भी वायु प्रदूषण को काफी ज्यादा बढ़ाता है। जीवाश्म ईंधन जैसे- बिजली संयंत्र कोयला, तेल, या प्राकृतिक गैस।
  • कृषि में कीटनाशकों के उपयोग से और फसलों को जलाने से भी वायु प्रदूषण होता है।

इसके अलावा और कई कारण है जिससे वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण के दुषप्रभाव

वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या है क्योंकि इसका दुषप्रभाव पूरी प्रकृति पर पड़ता है। इससे काफी सारी गंभीर बीमारियां फैलती हैं, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है, जैसे- अस्थमा, कैंसर, गर्भपात, जन्म दोष, हृदय रोग, खांसी, फेंफड़ो से संबंधित रोग आदि।

Air Pollution का नकारात्मक प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ता हैं, जैसे- जलवायु में परिवर्तन, जल प्रदुषित होना, वनस्पति और जीवों को नुकसान पहुंचना, पारस्थितिकी तंत्र असंतुलित होना।

वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय

हमारे लिए वायु प्रदूषण को कम करना एक बहुत बड़ी चुनौति है, लेकिन हमें मिलकर प्रयास करना होगा। हमें पेट्रोल या डिजल वाहनों का कम से कम उपयोग करना होगा। हमें जीवाश्म ईंधनों का कम उपयोग करना होगा। इसके अलावा कल कारखानों को बंद करना होगा, और जो कल कारखाने ज्यादा जरूरी हैं, उनकी चिमनीयों की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए, ताकि हमारा वायुमंहल कम प्रदुषित हो।

हम सभी मिलकर ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाकर वायु प्रदूषण को कम कर सकते है। हमें सरकार द्वारा बनाए गए वायु प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करना चाहिए।

उपसंहार

अगर वायु प्रदूषण को सही समय पर नही रोका गया तो यह भविष्य में जानलेवा साबित हो सकता है। आने वाले कुछ ही वर्षों में पृथ्वी पर जीवन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। इसलिए हमें वायु प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लेना होगा, और इसे खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो आने वाले कुछ सालों हमारा पर्यावरण दोबारा स्वच्छ हो सकता है।

आप Essay on Air Pollution in Hindi में कुछ इस प्रकार लिख सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 1000 words  (Essay On Air Pollution In Hindi 1000 Words)

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। लेकिन यह समस्या भारत के लिए काफी बड़ी है। क्योंकि भारत में लगातार जनसंख्या बढ़ रही हैं, और इसके साथ-साथ आवश्यकताएं भी बढ़ रही है, जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगातार प्रदूषण को बढ़ा रहा है। उदाहरण के लिए पेट्रोल या डिजल वाहनों का बहुत ज्यादा उपयोग करना। औद्योगिकीकरण की प्रक्रियाओं का बढ़ना, जिससे कई हानिकारक गैसे, सुक्ष्म कण, और रासायन आदि का उत्सर्जन होना।

अगर हमें अपने देश को बचाना है तो हमें वायु प्रदूषण को कम करना होगा, और जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा।

वायु प्रदूषण क्या है

पृथ्वी पर जीवन के लिए वायु एक महत्वपूर्ण कारक है। एक शुद्ध वायु में ऑक्सीजन होती है, जो जीवन का आधार है, और इसी से वनस्पति को कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलती है, जो वनस्पति का पोषण है। यह वायुमंडल प्रकृति की एक बहुत बड़ी देन है।

वायु प्रदूषण क्या है , जब वायु में विषैली गैसे (कार्बन डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जमीन स्तरीय ओजोन, सरल्फर डाई ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर आदि), रसायन, सुक्ष्म कण, धूल, जैविक पदार्थ आदि मिल जाते है, तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है।

हमारे वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड और शेष 0.97% आर्गन, नियोन, सल्फर डाईऑक्साइ, कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन के कण, धूल मिट्टी और जलवाष्प होते है। लेकिन प्रदूषण की वजह से ऑक्सीजन कम हो रही है, और कार्बनिक पदार्थ ज्यादा बढ़ रहे है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।

वायु प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं, मतलब जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इसी तरह वायु प्रदूषण को भी कई आधारों पर वर्गीकृत किया गया है। वायु प्रदूषण के मुख्य दो प्रकार हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • प्राकृतिक प्रदूषण – वह प्रदूषण जो मानवीय गतिविधियों की बजाय प्राकृतिक प्रक्रियाओं से होता है, जैसे- ज्वालामुखी विस्फोट से, जंगल की आग से, धूल भरे तूफान से, मवेशियों के दहन से आदि।
  • मानव निर्मित प्रदूषण – यह वह प्रदूषण है जो मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होता है, जैसे- औद्योगिक कल कारखाने, पेट्रोल व डीजल वाहन, जीवाश्म ईंधन, दावानल आदि। इसके अलावा और भी अनेक कारण है जिससे वायु प्रदुषण फैलता है।

वायु प्रदूषण आंतरिक और बाह्य प्रकार के भी होते हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण प्राथमिक ( उदाहरण – सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड) और द्वितीयक ( उदाहरण – सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड) प्रकार के भी होते हैं।

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानवीय कारणों की वजह से होते हैं, जो निम्नलिखित हैं।

प्राकृतिक कारण:

  • ज्वालामुखी वायु प्रदूषण का एक बहुत बड़ा प्राकृतिक कारण है, क्योंकि ज्वालामुखी के फटने पर जहरीली गैसे और लावा बाहर निकलता है।
  • कई बार जंगलों में गर्मीयों की वजह से आग लग जाती है, जिससे अधिक मात्रा में धुंआ निकलता है और वायु प्रदूषण फैलता है।
  • तूफान भी वायु प्रदूषण का एक प्राकृतिक कारण है, क्योंकि तूफान से धूल मिट्टी उड़ती है।
  • वायु में कई सुक्ष्म बैक्टेरिया भी होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते है। ऐसे बैक्टेरिया भी वायु को प्रदूषित करते है।
  • पृथ्वी के चारों ओर कई धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते है, जो कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते है। इससे धूली मिट्टी और कुछ गैसे वायु में मिल जाती है।
  • पशुओं से छोड़ी जाने वाली मिथेन गैस से भी वायु प्रदुषण होता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।

मानवीय कारण:

  • बड़े-बड़े औद्योगिक कल कारखानों से निकलने वाले धुएं और हानिकारक गैसों से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है।
  • वनों की अंधाधुन कटाई से भी वायु प्रदूषण काफी बढ़ रहा है। क्योंकि पैड़-पौधे न होने की वजह से कार्बन डाईऑक्सान बड़ रही है, और ऑक्सीजन कम हो रही है।
  • जनसंख्या वृद्धि वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है, क्योंकि अधिक लोगों के लिए अधिक संसाधनों की जरूरत पड़ती है, और इससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
  • किसान फसलों को काटने के बाद डंठल को जला देते है, जिससे जहरीले कीटनाशक रसायन जलने के साथ वायुमंडल में आ जाते है, और वायु प्रदूषण फैलाते है।
  • पैट्रोल व डीजल वाहनों से निकलने वाले धूंए की वजह से भी वायु प्रदूषण फैलता है।
  • जीवाश्म ईंधन जैसे पैट्रोलियम उत्पाद, कोयला और प्राकृतिक गैस के दहन से भी वायु प्रदूषण होता है।
  • लोगों द्वारा किए जा रहे धूम्रपान से भी वायु प्रदूषण काफी ज्यादा हो रहा है।

पर्यावरण पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

वायु प्रदूषण से प्रकृति पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता हैं। ये दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  • वायु प्रदूषण से वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्सान (CO2) लगातार बढ़ रही है, जिससे ओजोन परत पतली होती जा रही है। इससे से प्रकृति और मानव सभी को खतरा है।
  • वायु प्रदूषण से वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 24% से कम होकर 22% हो गयी है।
  • Air Pollution की वजह से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
  • वायु प्रदूषण की वजह से प्राकृतिक आपदाएं भी आती रहती हैं।
  • वायु प्रदूषण से पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है। और ऋतुओं का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
  • Air Pollution से अम्लीय वर्षा भी होती है, जिससे प्रकृति को काफी नुकसान होता है।

मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

प्रदूषित वायु मानव के स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावीत करती है। इससे अनेक तरह की गंभीर बीमारियां भी फैलती हैं, जैसे-

  • श्वासनीय रोग- सांस की एलर्जी, घबराहट, अस्थमा, खांसी और ब्रोंकाइटिस।
  • हृदय रोग- हृदय की गति बढ़ना, रक्तचाप का बढ़ना, स्ट्रोक, और अन्य हृदय रोग।
  • प्रजनन संबंधित रोग – गर्भपात, जन्म दोष और अन्य प्रजनन संबंधित रोग।
  • कैसर रोग – वायु प्रदूषण से कैंसर की बीमारी।

इस तरह वायु प्रदूषण से अनेक तरह रोग फैलते है, जो कई बार जानलेवा भी साबित हो जाते है।

वायु प्रदूषण को कम करने के तरीके

भारत में वायु प्रदूषण काफी हद तक बढ़ रहा है, जिसे रोकना काफी ज़रूरी है। हम वायु प्रदूषण को निम्न तरीके से रोक सकते है।

  • वायु प्रदूषण को रोकने का सबसे आसान और अच्छा तरीका पेड़-पौधे लगाना है।
  • अगर हम जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित कर ले, तो वायु प्रदूषण कम हो सकता है।
  • अधिक मात्रा में प्रदूषण फैलाने वाले कल कारखानों को बंद करना चाहिए।
  • हमे सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए, और कोयले व परमाणु ऊर्जा का कम उपयोग करना चाहिए।
  • कंस्ट्रक्शन के कार्य को कपड़े से ढ़ककर किया जाना चाहिए, ताकि ज्यादा धूल मिट्टी के कण न उड़े।
  • हमें वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए, ताकि गाड़ियों से निकलने वाला धुआ कम हो।
  • वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा बनाए गए वायु प्रदूषण कानून (1981) का अच्छे पालन करना चाहिए।
  • हमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा वायु प्रदूषण के बारे में जागरूक करना चाहिए।

आज के समय में वायु प्रदूषण केवल भारत के लिए नही बल्कि पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। अगर इस समस्या को पूरी तरह से खत्म करना है तो हम सभी को जागरूक होना होगा, और इसे कम करने के लिए साथ-साथ कदम उठाने होंगे।

अगर हमने अभी प्रयास नही किए तो आने वाले समय में पृथ्वी से सभी जीव का नामों निशान खत्म हो जाएगा। इसलिए सभी को वायु प्रदूषण के संकट को लेकर जागरूक होना चाहिए।

हम 1000 शब्दों में Essay on Air Pollution in Hindi में कुछ इस प्रकार से लिख सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन

  • वायु में जब हानिकारक और विषैले पदार्थ मिल जाते है, तो उसे वायु प्रदुषण कहा जाता है।
  • वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है।
  • आज के समय में वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या है।
  • अभी के समय में वायु प्रदूषण को रोकना बहुत जरूरी है, अन्यथा हमारा भविष्य संकट में आ सकता है।
  • वायु प्रदूषण उत्पति के आधार पर मुख्य दो प्रकार हैं- प्राकृतिक वायु प्रदूषण और मानव निर्मित वायु प्रदूषण।
  • वायु प्रदूषण के मुख्य कारण कल कारखाने, वाहन, जनसंख्या वृद्धि, जीवाश्म ईंधन है।
  • वायु प्रदूषण से पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते है, जैसे- जलवायु परिवर्तन, अम्लीय वर्षा, ग्लेशियरों का पिघलना।
  • वायु प्रदूषण से अनेक तरह की बीमारियां फैलती हैं, जैसे- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, उच्च रक्तचाप, हर्ट अटैक, कैंसर आदि।
  • वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय- पेड़-पौधे लगाना, वाहनों का उपयोग कम करना, कल कारखानों को बंद करना, जनंसख्या वृद्धि पर नियंत्रण आदि।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार अगर तेजी से Air Pollution बढता रहा तो 2050 तक पृथ्वी का तापमान 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा, जिससे पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे और भंयकर बाढ़ आएगी। इससे पूरी पृथ्वी पर जीवन खत्म हो जाएगा।

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वायु प्रदूषण पर निबंध 10 Lines,100,150, 200, 350, शब्दों मे ( Air Pollution Essay in Hindi)

air pollution essay in hindi for class 5

Essay on Air Pollution in Hindi – पर्यावरणीय परिवर्तन हानिकारक प्रदूषकों की प्राकृतिक या कृत्रिम सामग्री के कारण होते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र पर अस्थिरता, अशांति या प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर सकते हैं। Air Pollution Essay वायु, जल और मिट्टी के बढ़ते प्रदूषण के कारण पृथ्वी और उसका पर्यावरण अधिक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। पर्यावरणीय क्षति अनुचित संसाधन प्रबंधन या लापरवाह मानवीय गतिविधियों के कारण होती है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi) इसलिए, कोई भी गतिविधि जो पर्यावरण की मूल प्रकृति का उल्लंघन करती है और गिरावट की ओर ले जाती है, प्रदूषण कहलाती है। हमें इन प्रदूषकों की उत्पत्ति को समझने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के तरीके खोजने की जरूरत है। यह प्रदूषकों के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर भी किया जा सकता है।

वायु प्रदूषण वायु में कोई भी भौतिक, रासायनिक या जैविक परिवर्तन है। गैस का एक निश्चित प्रतिशत वायुमंडल में मौजूद है। इन गैसों की संरचना में वृद्धि या कमी अस्तित्व के लिए हानिकारक है। गैस संरचना में यह असंतुलन वैश्विक तापमान में वृद्धि का कारण बनता है जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi) पर्यावरणीय परिवर्तन हानिकारक प्रदूषकों की प्राकृतिक या कृत्रिम सामग्री के कारण होते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र पर अस्थिरता, अशांति या प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर सकते हैं। वायु, जल और मिट्टी के बढ़ते प्रदूषण के कारण पृथ्वी और उसका पर्यावरण अधिक गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। पर्यावरणीय क्षति अनुचित संसाधन प्रबंधन या लापरवाह मानवीय गतिविधियों के कारण होती है। इसलिए, कोई भी गतिविधि जो पर्यावरण की मूल प्रकृति का उल्लंघन करती है और गिरावट की ओर ले जाती है, प्रदूषण कहलाती है। हमें इन प्रदूषकों की उत्पत्ति को समझने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के तरीके खोजने की जरूरत है। यह प्रदूषकों के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर भी किया जा सकता है।

वायु प्रदूषण का परिचय (Introduction to air pollution in Hindi)

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi) पृथ्वी और उसके पर्यावरण को वायु, जल और मिट्टी के बढ़ते प्रदूषण से गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है-पृथ्वी की महत्वपूर्ण जीवन समर्थन प्रणाली। पर्यावरण को नुकसान संसाधनों के अनुचित प्रबंधन या लापरवाह मानवीय गतिविधियों के कारण होता है। इसलिए कोई भी गतिविधि जो प्रकृति के मूल चरित्र का उल्लंघन करती है और उसके क्षरण की ओर ले जाती है, प्रदूषण कहलाती है। हमें इन प्रदूषकों के स्रोतों को समझने और प्रदूषण को नियंत्रित करने के तरीके खोजने की जरूरत है। यह प्रदूषण के प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करके भी किया जा सकता है। 

78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और अन्य सभी गैसों के 1% के साथ वायु पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करती है। सामान्य रूप से गैसों के नियमित प्रतिशत और उनकी संरचना को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं होती हैं।

वायु प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Air Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

 1) वायु प्रदूषण के लिए हानिकारक गैसों, विषैले तत्वों, एलर्जेन आदि का वायु में प्रवेश उत्तरदायी है।.

2) वायु प्रदूषण वायु की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित करता है, जिससे यह मानव अस्तित्व के लिए खतरनाक हो जाता है।

3) औद्योगिक, वाहन उत्सर्जन और ज्वालामुखी विस्फोट वायु प्रदूषण के कुछ कारण हैं।

4) अत्यधिक प्रदूषित हवा क्षेत्र के पौधे और वनस्पति को भी प्रभावित कर सकती है।

5) 2012 में वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में 6 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।

6) वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण मानव निर्मित गतिविधियाँ हैं।

7) स्मॉग एक प्रकार का वायु प्रदूषक है जो आंखों और गले में जलन पैदा कर सकता है, फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और यहां तक ​​कि अस्थमा के हमलों को भी जन्म दे सकता है।

8) उद्योगों और वाहनों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों ने वायु प्रदूषण को जन्म दिया।

9) जीवाश्म ईंधन के जलने में कमी, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग, पुनर्वनीकरण आदि वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

10) ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करने से पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

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वायु प्रदूषण निबंध 100 शब्द (short Essay on Air pollution 100 words in Hindi)

पूरी दुनिया में मौजूदा समय में वायु प्रदूषण एक गंभीर खतरा बन गया है। औद्योगीकरण के विशाल स्तर के कारण, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफ़सी, सल्फर डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक पदार्थ हवा में मिल जाते हैं। मोटर वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसें, जीवाश्म ईंधन के जलने से भी वायु प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण से ओजोन परत बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जिससे पर्यावरण को गंभीर गड़बड़ी हो रही है।

वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह हमें भी नुकसान पहुंचाता है। इससे सिरदर्द, त्वचा में जलन, फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग, श्वसन रोग आदि हो सकते हैं। बच्चे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया से पीड़ित होते हैं। सरकार और नागरिकों को आगे आना चाहिए और वायु प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

वायु प्रदूषण निबंध 150 शब्द (Air pollution essay 150 words in Hindi)

Essay on Air Pollution in Hindi – आज के समय में प्रदूषण की बहुत चर्चा होती है। इसका वास्तव में मतलब पूरे वातावरण में जहर घोलना है। बेशक, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण हैं। वायु प्रदूषण इन्हीं प्रकारों में से एक है। हवा प्रदूषित होती है और जीवन और सभ्यता के लिए खतरा है। वास्तव में, यह खतरा बहुत ही भयानक है और इसे नियंत्रित करना आसान नहीं है।

इस प्रदूषण का मुख्य कारण लापरवाह औद्योगीकरण है। अनेक मिलें और फैक्ट्रियां लगातार धुआं छोड़ती हैं और ऊपरी वातावरण में जहर घोलती हैं। फिर से, वाहनों के चलने से गैसों और गंदगी को बाहर फेंका जाता है और फैलाया जाता है। इसके अलावा, थर्मल स्टेशनों और घरेलू उद्देश्यों के लिए जलाए गए कोयले से काफी मात्रा में जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है।

वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य को अत्यधिक प्रभावित करता है। यह विभिन्न फेफड़ों और हृदय रोगों का कारण बनता है। इसकी किसी भी कीमत पर जांच होनी चाहिए। हानिकारक गैसों के प्रसार को रोकने के लिए उपाय किए जाने चाहिए और उनका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। सभी के लिए स्वच्छ और स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए पेड़ भी लगाए जाने चाहिए।

वायु प्रदूषण निबंध 200 शब्द (Air pollution essay 200 words in Hindi)

Essay on Air Pollution in Hindi – पर्यावरण प्रदूषण आधुनिक जीवन की एक बड़ी समस्या है। वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत घर, उद्योग और कृषि हैं। घर में लकड़ी, कोयला, रसोई गैस और अपशिष्ट उत्पादों को जलाने से गैस निकलती है जो हवा को प्रदूषित करती है। औद्योगिक क्षेत्रों में, इंजनों, भट्टियों और औद्योगिक कालिख से निकलने वाले निकास से हवा प्रदूषित हो जाती है। कारखानों से निकलने वाला धुआं, रासायनिक धुएं और धूल भी गंभीर प्रदूषण पैदा करते हैं।

परमाणु रिएक्टर प्रतिष्ठानों, बिजली संयंत्रों और परमाणु विस्फोटों द्वारा छोड़े गए परमाणु कचरे से धूल हवा को गंभीर रूप से प्रदूषित करती है और वे स्वास्थ्य खतरों के संभावित स्रोत हैं। इसके अलावा, भूसी मिलों में जले हुए ईंधन, ऑटोमोबाइल से निकलने वाले निकास के कारण हम जिस हवा में सांस लेते हैं, उसमें कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसें जमा हो जाती हैं। ये सभी जीवों के लिए हानिकारक हैं।

सबसे ज्यादा नुकसान वायु प्रदूषण के कारण होता है। अशुद्ध हवा में सांस लेने से हमारे फेफड़ों को बहुत नुकसान होता है। वायु प्रदूषण के कारण बच्चों को निमोनिया और ब्रोंकाइटिस होने का भी खतरा होता है। हमें वायु प्रदूषण के प्रति जागरूक और सावधान रहना चाहिए। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। सरकार और नागरिकों के संयुक्त प्रयास ही इस समस्या को काफी हद तक हल कर सकते हैं।

वायु प्रदूषण निबंध 250 शब्द (Air pollution essay 250 words in Hindi)

Essay on Air Pollution in Hindi – वायु प्रदूषण आधुनिक दुनिया की गंभीर समस्याओं में से एक है। वर्तमान में हम जिस हवा में सांस लेते हैं, वह पहले की तरह साफ नहीं है। यह कई कारकों से प्रदूषित हो रहा है। वायु में ऐसे रसायनों, पार्टिकुलेट मैटर्स या जैविक पदार्थों का प्रवेश जो मनुष्यों या अन्य जीवित जीवों को नुकसान या असुविधा का कारण बनते हैं, वायु प्रदूषण कहलाते हैं।

मानव गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने, उद्योगों और कारखानों से उत्सर्जन, कृषि गतिविधियों और अपशिष्ट उत्पादन के कारण जनसंख्या और शहरीकरण की बढ़ती वृद्धि में, गैसों और रसायनों को हवा में छोड़ा जाता है। एक अन्य कारण ज्वालामुखी विस्फोट और जंगल की आग है जो प्राकृतिक घटनाएं हैं जो वातावरण में कार्बन गैसों को छोड़ती हैं। नतीजतन, वायु प्रदूषण होता है।

हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में आने से अम्लीय वर्षा, स्मॉग, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन रिक्तीकरण आदि का अनुभव हो रहा है। ओजोन परत जो पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकती है, वायु प्रदूषण के कारण समाप्त होती जा रही है। एसिड रेन के कारण ताजमहल और लोटस टेंपल जैसे स्मारक प्रभावित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, निमोनिया, श्वसन रोग, त्वचा में जलन और कई अन्य हैं।

जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसे स्वच्छ बनाने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए। वायु प्रदूषण को रोकने के संभावित उपाय अधिक पेड़ लगाना, पर्यावरण के अनुकूल वाहन और जनता में जागरूकता पैदा करना है। आइए हम आराम से जीने के लिए अपना हिस्सा करें।

वायु प्रदूषण पर निबंध 350 शब्द (Air pollution essay 350 words in Hindi)

वायु प्रदूषण पर निबंध – पहले हम जिस हवा में सांस लेते थे वह शुद्ध और ताजा होती थी। लेकिन, बढ़ते औद्योगीकरण और वातावरण में जहरीली गैसों की सघनता के कारण हवा दिन-ब-दिन जहरीली होती जा रही है। साथ ही ये गैसें सांस और अन्य कई बीमारियों का कारण होती हैं। इसके अलावा, तेजी से बढ़ती मानवीय गतिविधियाँ जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना, वनों की कटाई वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है।

वायु प्रदूषण के कारण

इसके कारणों में जीवाश्म ईंधन और जलाऊ लकड़ी का जलना, कारखानों से निकलने वाला धुआं, ज्वालामुखी विस्फोट, जंगल की आग, बमबारी, क्षुद्रग्रह, सीएफ़सी (क्लोरोफ्लोरोकार्बन), कार्बन ऑक्साइड और कई अन्य शामिल हैं।

इसके अलावा, कुछ अन्य वायु प्रदूषक हैं जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, बिजली संयंत्र, थर्मल परमाणु संयंत्र, आदि।

ग्रीनहाउस प्रभाव

ग्रीनहाउस प्रभाव भी वायु प्रदूषण का कारण है क्योंकि वायु प्रदूषण से वे गैसें उत्पन्न होती हैं जिनमें ग्रीनहाउस शामिल होता है। इसके अलावा, यह पृथ्वी की सतह के तापमान को इतना बढ़ा देता है कि ध्रुवीय टोपियां पिघल रही हैं और अधिकांश यूवी किरणें आसानी से पृथ्वी की सतह में प्रवेश कर रही हैं।

स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण का लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। यह मनुष्य में कई त्वचा और श्वसन विकारों का कारण है। साथ ही इससे हृदय रोग भी होता है। वायु प्रदूषण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और कई अन्य बीमारियों का कारण बनता है।

इसके अलावा, यह फेफड़ों की उम्र बढ़ने की दर को बढ़ाता है, फेफड़ों के कार्य को कम करता है, श्वसन प्रणाली में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।

वायु प्रदूषण को कम करने के तरीके (ways to reduce air pollution in Hindi)

Air Pollution Essay in Hindi – हालांकि वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर बिंदु पर पहुंच गया है। लेकिन, अभी भी ऐसे तरीके हैं जिनसे हम हवा से वायु प्रदूषकों की संख्या को कम कर सकते हैं।

वृक्षारोपण- अधिक से अधिक पेड़ लगाकर हवा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है क्योंकि वे हवा को साफ और फिल्टर करते हैं।

उद्योगों के लिए नीति- देशों में गैस फिल्टर से संबंधित उद्योगों के लिए सख्त नीति पेश की जाए। इसलिए, हम कारखानों से निकलने वाले विषाक्त पदार्थों को कम कर सकते हैं।

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वायु प्रदूषण पर निबंध अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या वायु प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है.

हाँ, वायु प्रदूषण का अस्तित्व सभी ग्रह लोगों के लिए ज्वलंत प्रश्न है। इस जोखिम भरे माहौल में न रहें वरना आप किसी लाइलाज बीमारी को मात देने के लिए तैयार हैं।

यदि आप वायु प्रदूषण को नहीं रोकेंगे तो क्या होगा?

यदि आप वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों को नहीं रोकते हैं, तो फेफड़ों से संबंधित समस्या को संभालना आसान नहीं है। इतना ही नहीं आपको सांस लेने में भी दिक्कत होती है।

हम वायु प्रदूषण को कैसे रोक सकते हैं?

अपने दैनिक जीवन के काम में साहसिक कदम उठाते हुए, वायु प्रदूषण के प्रभाव को संभालना आसान हो जाता है। कार या मोटरबाइक पर कम ही सवारी करें। बाइक का प्रयोग करें और पैदल चलें। वह ईंधन खरीदें जो कम ईंधन दक्षता के रूप में हो।

वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?

वायु प्रदूषण का आपके स्वास्थ्य पर क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इस पर कोई सटीक स्पष्टीकरण नहीं है। अप्रत्यक्ष संबंध अंग पर पड़ता है। हालांकि, कुछ अंगों का प्रमुख प्रभाव। थकान, चिंता और सिरदर्द तंत्रिका तंत्र क्षति आंखों, नाक और शरीर के किसी अन्य संवेदनशील अंग में जलन

दा इंडियन वायर

वायु प्रदूषण पर निबंध

air pollution essay in hindi for class 5

By विकास सिंह

essay on air pollution in hindi

विषय-सूचि

वायु प्रदूषण पर निबंध, short essay on air pollution in hindi (100 शब्द)

दुनिया भर में विशेष रूप से बड़े शहरों में औद्योगीकरण के विशाल स्तर के कारण वायु प्रदूषण वर्तमान समय की सबसे गंभीर समस्या है। इस तरह के वायु प्रदूषकों को स्मॉग, पार्टिकुलेट, सॉलिड मैटेरियल्स इत्यादि में भारी मात्रा में रिलीज़ करने से शहर पर बसने लगे हैं, जिससे लोगों को वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य को खतरा है। विशेष रूप से बड़े शहरों में दैनिक आधार पर लोगों द्वारा उत्पादित गंदे कचरे के बहुत सारे वायुमंडलीय वायु को काफी हद तक प्रदूषित करते हैं।

वायु प्रदूषण में मोटर वाहनों के जलने, औद्योगिक प्रक्रियाओं, कचरे को जलाने आदि से गैसीय प्रदूषकों की रिहाई से योगदान होता है। कुछ प्राकृतिक प्रदूषक जैसे पराग, धूल, मिट्टी के कण, प्राकृतिक गैसें आदि भी वायु प्रदूषण का स्रोत हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध, essay on air pollution in hindi (150 शब्द)

वायु प्रदूषण किसी भी हानिकारक पदार्थों को वायुमंडल में मिला देता है ताजी हवा में भारी मात्रा में नुकसान होता है, मानव स्वास्थ्य संबंधी विकार, जीवन की गुणवत्ता को कम करते हैं, आदि उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। ऐसी प्रदूषित हवा कभी भी एक जगह पर नहीं रहती है लेकिन पूरे पर्यावरण में फैल जाती है और दुनिया भर में लोगों के जीवन को प्रभावित करती है।

विभिन्न प्रकार की बीमारियों के कारण मनुष्यों की मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। प्रदूषित हवा हम हर पल सांस लेते हैं जिससे फेफड़े के विकार होते हैं और यहां तक ​​कि फेफड़ों का कैंसर भी शरीर के अन्य अंगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

वायु प्रदूषण पूरे पारिस्थितिक तंत्र को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है और पौधों और जानवरों के जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। यह महत्वपूर्ण अवस्था में पहुंच गया है और सूर्य से पृथ्वी तक अधिक हानिकारक विकिरणों की अनुमति देकर पूरे वातावरण को प्रभावित कर रहा है। फिर से प्रदूषित वायु एक बेहतर इन्सुलेटर के रूप में कार्य करती है जो गर्मी को अंतरिक्ष में वापस जाने से रोकता है।

वायु प्रदूषण पर निबंध, essay on air pollution in hindi (200 शब्द)

वायु प्रदूषण आजकल के मुख्य पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। इस वायु प्रदूषण को नियमित रूप से बढ़ाने के पीछे कई कारण हैं। अधिकांश वायु प्रदूषण ऑटोमोबाइल, परिवहन साधनों, औद्योगीकरण, बढ़ते शहरों आदि के कारण होता है। ऐसे स्रोतों से कई हानिकारक गैसों या खतरनाक तत्वों की रिहाई पूरे वायुमंडलीय वायु प्रदूषण का कारण बन रही है।

वायु प्रदूषण से ओज़ोन परत भी बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जो पर्यावरण के लिए गंभीर गड़बड़ी का कारण बनती है। लगातार बढ़ती मानव जनसंख्या की बढ़ती आवश्यकता प्रदूषण का मुख्य कारण है। दैनिक मानव की गतिविधियाँ खतरनाक रसायनों को छोड़ती हैं, जिससे वातावरण पहले से अधिक गंदा हो जाता है और जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन होता है।

औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया कई हानिकारक गैसों, कणों, पेंट और बैटरियों में सीसा, सिगरेट कार्बन मोनोऑक्साइड छोड़ती है, परिवहन का मतलब है कि वातावरण में CO2 और अन्य विषाक्त पदार्थों को छोड़ता है। सभी प्रदूषक वायुमंडल के संपर्क में आ रहे हैं, ओजोन परत को नष्ट कर रहे हैं और पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक किरणों को बुला रहे हैं।

वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हमें दैनिक आधार पर अपनी आदतों में कुछ बड़े बदलाव लाने चाहिए। हमें पेड़ों को नहीं काटना चाहिए, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए, स्प्रे के डिब्बे से बचना चाहिए, और वायु प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए पक्ष में बहुत सारी गतिविधियां हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध, 250 शब्द:

वायु प्रदूषण पूरे वायुमंडलीय वायु में विदेशी पदार्थों का मिश्रण है। उद्योगों और मोटर वाहनों द्वारा उत्सर्जित हानिकारक और जहरीली गैसें जीवित जीवों को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं चाहे पौधे, जानवर या इंसान। कुछ प्राकृतिक और विभिन्न मानव संसाधन वायु प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। हालांकि, अधिकांश वायु प्रदूषण स्रोत मानव गतिविधियों से बाहर हैं जैसे जीवाश्म ईंधन, कोयला और तेल जलाना, कारखानों और मोटर वाहनों से हानिकारक गैसों और पदार्थों को छोड़ना।

ऐसे हानिकारक रासायनिक यौगिकों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ठोस कण आदि ताज़ी हवा में मिल रहे हैं। पिछली सदी से मोटर वाहनों की विस्तारित आवश्यकता के कारण हानिकारक प्रदूषकों में 690% वृद्धि के कारण वायु प्रदूषण का स्तर काफी हद तक बढ़ गया है।

वायु प्रदूषण का अन्य स्रोत लैंडफिल में कचरे का अपघटन और ठोस कचरे का निपटान है जो मीथेन गैस (स्वास्थ्य के लिए खतरनाक) उत्सर्जित कर रहे हैं। जनसंख्या का तेजी से विकास, औद्योगिकीकरण, ऑटोमोबाइल, हवाई जहाज आदि के उपयोग में वृद्धि ने इस समस्या को गंभीर पर्यावरणीय समस्या बना दिया है। हर पल जो हवा हम सांस लेते हैं, वह हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर में जाने वाले प्रदूषकों से भरी होती है और रक्त के माध्यम से बेशुमार स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करती हैं।

प्रदूषित हवा पौधों, जानवरों और मनुष्यों को कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीकों से नुकसान पहुंचा रही है। यदि पर्यावरण संरक्षण नीतियों का गंभीरता से और सख्ती से पालन नहीं किया जाता है, तो हाल के दशकों में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर सालाना एक मिलियन टन तक बढ़ सकता है।

वायु प्रदूषण पर निबंध, 300 शब्द:

जब धूल, जहरीली गैसों, धुएं, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के माध्यम से ताजी हवा प्रदूषित हो जाती है, जिसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ताजा हवा स्वस्थ जीवन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, हमें यह सोचने की जरूरत है कि यदि संपूर्ण वायुमंडलीय वायु गंदी हो जाती है तो क्या होता है। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव बिरादरी के लिए बड़े खेद का विषय है।

वायु प्रदूषण के कुछ बड़े कारणों में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए निर्दोष किसानों द्वारा कृषि क्षेत्रों में जहरीले उर्वरकों, कीटनाशकों, कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इस तरह के उर्वरकों से जारी रसायन और खतरनाक गैसें (अमोनिया) ताजी हवा में मिल रही हैं और वायु प्रदूषण का कारण बन रही हैं।

कोयले, पेट्रोलियम सहित अन्य जीवाश्म ईंधनों के जलने से फैक्ट्री के अन्य कंबाइबल्स भी वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। ऑटोमोबाइल से धुआं उत्सर्जन की विविधता जैसे कार, बस, मोटरसाइकिल, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज आदि भी वायु प्रदूषण का कारण बन रहे हैं।

उद्योगों की बढ़ती संख्या कारखानों और मिलों से पर्यावरण तक विषाक्त औद्योगिक धूम्रपान और हानिकारक गैसों (जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बनिक यौगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) की रिहाई का कारण बन रही है। लोगों की कुछ इनडोर गतिविधियाँ जैसे सफाई उत्पादों, निर्दोष पाउडर, पेंट आदि का निर्दोष उपयोग हवा में विभिन्न विषाक्त रसायनों का उत्सर्जन करता है।

वायु प्रदूषण का लगातार बढ़ता स्तर जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाता है। ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते स्तर के कारण वायुमंडलीय तापमान बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इस तरह के ग्रीन हाउस गैसों के कारण फिर से ग्रीन हाउस प्रभाव होता है और समुद्र के स्तर में वृद्धि होती है, हिमनद पिघलते हैं, मौसम में बदलाव होता है, जलवायु में परिवर्तन होता है, आदि वायु प्रदूषण बढ़ने से कई घातक बीमारियाँ (कैंसर, हार्ट अटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दे की बीमारियाँ होती हैं) आदि) और होने वाली मृत्यु।

इस ग्रह से विभिन्न महत्वपूर्ण जानवरों और पौधों की प्रजातियों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ता स्तर एसिड वर्षा की घटना का कारण बन रहा है और ओजोन परत को कम कर रहा है।

वायु प्रदूषण पर निबंध, long essay on air pollution in hindi (400 शब्द)

वायुमंडल की ताजी हवा में हानिकारक और विषाक्त पदार्थों की बढ़ती एकाग्रता वायु प्रदूषण का कारण बन रही है। विभिन्न मानव गतिविधियों से निकलने वाले विदेशी कणों, जहरीली गैसों और अन्य प्रदूषकों की विविधता ताजी हवा को प्रभावित कर रही है, जिसका मानव, जानवरों और पौधों जैसे जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण का स्तर विभिन्न स्रोतों से जारी प्रदूषकों के प्रकार और मात्रा पर निर्भर करता है।

स्थलाकृतिक और मौसम संबंधी परिस्थितियां प्रदूषकों के प्रसार और एकाग्रता को बढ़ा रही हैं। उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की विविधता हानिकारक गैसों के उत्सर्जन के प्रकार और मात्रा को बढ़ा रही है। बढ़ती जनसंख्या घनत्व अधिक औद्योगीकरण की आवश्यकता की मांग कर रहा है जो अंततः वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

वायु प्रदूषक जैसे हानिकारक तरल बूंदें, ठोस कण और जहरीली गैसें (कार्बन, हैलोजेनेटेड और गैर-हैलोजेनेटेड हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर गैसों के ऑक्साइड, निलंबित अकार्बनिक कण मामले अकार्बनिक और कार्बनिक एसिड, बैक्टीरिया, वायरस, कीटनाशक आदि) जो आम तौर पर होते हैं। ताजा हवा के घटक पौधे और पशु जीवन के लिए बहुत खतरनाक नहीं हैं।

दो प्रकार के वायु प्रदूषण स्रोत हैं जो प्राकृतिक स्रोत और मानव निर्मित स्रोत हैं। वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोत ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी (राख, कार्बन डाइऑक्साइड, धुआं, धूल और अन्य गैसों) की तरह हैं, रेत, धूल, समुद्र और समुद्र से लवण स्प्रे, मिट्टी के कण, तूफान, जंगल की आग, ब्रह्मांडीय कण , किरणें, क्षुद्रग्रह पदार्थों की बमबारी, धूमकेतु, पराग कण, फंगल बीजाणु, विषाणु, जीवाणु आदि।

वायु प्रदूषण के मानव निर्मित स्रोत उद्योग, कृषि, बिजली संयंत्र, ऑटोमोबाइल, घरेलू स्रोत आदि हैं। मानव निर्मित स्रोतों में से कुछ वायु प्रदूषक धूम्रपान, धूल, धुएं, कण मामलों, रसोई से गैसों, घरेलू जैसे हैं ताप, विभिन्न वाहनों से उत्सर्जन, कीटनाशकों, कीटनाशकों, शाकनाशियों का उपयोग, बिजली संयंत्रों से उत्पन्न गर्मी, धूम्रपान, राख उड़ना, आदि वायु प्रदूषकों की बढ़ती संख्या के कारण इसे दो प्रकारों में विभाजित किया गया है जैसे प्राथमिक प्रदूषक और द्वितीयक प्रदूषण।

प्राथमिक प्रदूषक वे हैं जो सीधे ताजी हवा को प्रभावित करते हैं और धुआं, राख, धूल, धुएं, धुंध, स्प्रे, अकार्बनिक गैसों, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रिक ऑक्साइड और रेडियोधर्मी यौगिकों से उत्सर्जित होते हैं। द्वितीयक प्रदूषक वे हैं जो प्राथमिक प्रदूषकों और अन्य वायुमंडलीय घटकों जैसे सल्फर-ट्राइऑक्साइड, ओज़ोन, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, आदि के लिए रासायनिक बातचीत से अप्रत्यक्ष रूप से हवा को प्रभावित करते हैं।

पूरी दुनिया में इंसानों के प्रयास को वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक एस्टेट की स्थापना आवासीय क्षेत्रों से दूर होनी चाहिए, छोटे के बजाय लंबी चिमनी (फिल्टर और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर के साथ) का उपयोग करने के लिए प्रेरित करें, ऊर्जा के गैर-दहनशील स्रोतों का उपयोग करें, गैर-लीड के उपयोग को बढ़ावा दें गैसोलीन में एंटीकॉक एजेंट, पुन: वृक्षारोपण और इतने सारे सकारात्मक प्रयासों को बढ़ावा दे सकते हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution in Hindi

वायु प्रदुषण पर निबंध व पूरी जानकारी Essay on Air Pollution in Hindi

इस लेख में हमने वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution in Hindi लिखा है। इसमें आप वायु प्रदूषण का कारण, प्रभाव, नियंत्रण करने के उपायों के बारे में प्रकाश डाला गया है।

Table of Content

जैविक अणुओं और अन्य हानिकारक पदार्थों के मिश्रण के कारण दिन-प्रतिदिन वातावरण की ताजी हवा प्रदूषित होती जा रही है, इस तरह की प्रदूषित हवा से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ होती है और कई  बीमारियाँ और मृत्यु का कारण बनती है।

वायु प्रदूषण सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरण के मुद्दों में से एक है, जिसके लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए और इसे सभी को मिलकर हल करना होगा।

इस मुद्दे के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए, वायु प्रदूषण निबंध लेखन प्रतियोगिता का एक महत्वपूर्ण विषय बनाया जाना चाहिए। तो, विद्यार्थी सही जगह पर हैं, बस उन्हें आगे बढ़ना है।

यह वायु प्रदूषण पर निबंध आपको निबंध लेखन प्रतियोगिता जीतने में मदद करेगा, क्योंकि यह सभी आसान शब्दों का उपयोग करके बहुत सरल हिन्दी भाषा में लिखा गया हैं।

वायु प्रदूषण के कारण Causes of Air Pollution in Hindi

निम्नलिखित वायु प्रदूषण के विभिन्न कारण हैं –

  • उद्योगों में प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, कोयला और लकड़ी का दहन, ऑटोमोबाइल, एयरक्राफ्ट, रेलवे, थर्मल प्लांट, कृषि जल, रसोई, आदि। (सॉट, फ्युम्स, CO2, CO, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड)।
  • धातु-उद्योग- संबंधी प्रौद्योगिकी (खनिज धूल, फ्लोराइड, सल्फाइड युक्त धुएं और सीसा, क्रोमियम, निकिल, बेरिलियम, आर्सेनिक, वैनेडियम, कैडमियम, जस्ता, पारा जैसे धातु के प्रदूषण)।
  • कीटनाशकों, उर्वरक, वीडीसाईडेस, फंगलसाइड सहित रासायनिक उद्योग।
  • प्रसाधन सामग्री
  • सूती वस्त्र, गेहूं आटा मिलों, एस्बेस्टोस जैसे प्रसंस्करण उद्योग।
  • वेल्डिंग, पत्थर को तोडना, रत्न पालिश करना।

प्राकृतिक वायु प्रदूषण में शामिल हैं (a) पराग कण, बीजाणु, (b) मार्श गैस, (c) ज्वालामुखी गैसों और (a) बिजली के तूफान और सौर चमक  द्वारा हानिकारक रसायनों के संश्लेषण।

शहरी इलाकों में प्रदूषण का प्रमुख कारण ऑटोमोबाइल है, जिससे अप्रभावी रूप से पेट्रोलियम जलाता है, 75% शोर और 80% वायु प्रदूषण फैलाता है। एक क्षेत्र में उद्योगों का एकाग्रता वायु प्रदूषण का एक और प्रमुख कारण है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव Effects of Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषकों को आमतौर पर कण और गैसीय रूप में वर्गीकृत किया जाता है। कण पदार्थों में ठोस और तरल कण होते हैं, गैसीय में पदार्थ शामिल हैं जो सामान्य तापमान और दबाव पर गैसीय क्षेत्र में होते हैं।

गैसीय में सामान्य तापमान और दबाव पर गैसीय क्षेत्र में मौजूद पदार्थ शामिल होते हैं। वायु प्रदूषण से मनुष्यों, जानवरों, वनस्पतियों, इमारतों पर प्रतिकूल असर पड़ता है, वायु प्रदूषकों ने भी पृथ्वी की जलवायु को बदल दिया।

सौंदर्यशास्त्र के ज्ञान के अनुसार हवा, प्रदूषण से प्रभावित होती है। विभिन्न वायु प्रदूषण और उनके प्रभाव इस प्रकार हैं:

1. कण पदार्थ Particulate Matter

यह दो प्रकार के है – स्थिर और निलंबित स्थिर करने योग्य धूलों का कण बहुत ज्यादा लंबे होते है (छोटे कणों को हवा में लंबी अवधि के लिए निलंबित रहने में सक्षम होते हैं। कणों के महत्वपूर्ण प्रभाव होते हैं।

धूल और धुएं के कण श्वसन तंत्र के जलन का कारण बनते है और ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियाँ उत्पन्न करते है। धुंध एक अंधेरे या अपारदर्शी कोहरा होता है, जो धूल और धुएँ के कणों से बना होता है जिससे वह जल वाष्प के संघनन और SO2, H2S, NO2, आदि जैसे रासायनिक पदार्थों को आकर्षित करता है।

ग्लेज़िंग और नेक्रोसिस के माध्यम से प्रकाश की कम उपलब्धता के अलावा कोहरा पौधों के जीवन को हानि पहुंचाता है। यह मनुष्य और जानवरों में श्वसन समस्याओं को पैदा करता है।

पार्टिकुलेट पदार्थ हवा में निलंबित होकर बिखर जाते है  और कुछ आंशिक रूप से प्रकाश अवशोषण करते है, जिससे औद्योगिक और शहरी इलाकों में, गर्मियों में सूर्य की रोशनी 1/3 और सर्दी में 2/3 कम हो जाती है।

150 ग्राम / 100 m3 से अधिक की एकाग्रता में, कपास की धूल से  जुकाम प्रक्रिया में न्यूमोकोनियोसिस या फेफड़े के फाइब्रोसिस पैदा होते हैं जिसे हम बाईसिनोसिस कहते हैं।

अन्य उद्योगों में उत्पादित फेफड़े के फाइब्रोसिस में एस्बेस्टस शामिल है(एस्बेस्टोस उद्योग में), सिलिकोसिस (पत्थर पीसने वाले), साइडरोस (लौह मिल), कोयला खनिकों की न्यूमोकोनियोजन, आटा मिल न्यूमोकोनियोजन आदि ।

2. कार्बन मोनोऑक्साइड Carbon Monoxide

यह कुल वायुमंडलीय प्रदूषक का 50% है यह विभिन्न उद्योगों, मोटर वाहनों, चूल्हाओं, रसोई, आदि में कार्बन ईंधन के अधूरे दहन द्वारा बनाई गई है। कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त के हीमोग्लोबिन से मिलकर ऑक्सीजन की क्षमता कम करती है। उच्च एकाग्रता में, कार्बन मोनोऑक्साइड घातक साबित होता है।

3. सल्फर ऑक्साइड Sulphur Oxide

यह मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड के रूप में होते हैं। यह धातु अयस्कों के गलाने और उद्योगों, तापीय पौधों, घर और मोटर वाहनों में पेट्रोलियम और कोयले के जलाने के दौरान बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है। हवा में, सल्फर ऑक्साइड (SO2) पानी के साथ जोड़ता है, जिसमें सल्फ़ुरस एसिड (H2SO3) होता है, जो एसिड बारिश का कारण होता है।

यह वनस्पति के क्लोरीसिस और नेक्रोसिस का कारण बनता है 1 पीपीएम से ऊपर सल्फर डाइऑक्साइड, मनुष्य को प्रभावित करता है इससे आंखों में जलन होती है और श्वसन के रास्ते को मुश्किल होती है। इसका परिणाम इमारतों, मूर्तियों, चित्रित सतहों, कपड़े, काग़ज़, चमड़े आदि के विघटन और गिरावट में होता है।

3. नाइट्रोजन आक्साइड Nitrogen Oxide

यह प्राकृतिक रूप से नाइट्रेट्स, नाइट्राइट्स, बिजली के तूफान, उच्च ऊर्जा विकिरण और सौर चमक से जैविक और अजैविक गतिविधियों के माध्यम से उत्पन्न होती हैं। मानव गतिविधि उद्योगों, ऑटोमोबाइल, भस्मक और नाइट्रोजन उर्वरकों की दहन प्रक्रिया में नाइट्रोजन आक्साइड बनती है।

नाइट्रोजन ऑक्साइड असामान्य रूप से हाइड्रोकार्बन पर कार्य करते हैं, जिससे प्रॉक्सोसी- एसेएल नाइट्रेट या PAN बनते है, यह फ़ोटोकैमिकल कोहरे को उत्पन्न करते है, वे आंखों में जलन, श्वसन समस्याओं, रक्त का जमाव और धमनियों के खिचाब का कारण बनते हैं।

4. कार्बन डाइआक्साइड Carbon Dioxide

अत्यधिक दहन गतिविधि के कारण, CO2 की सामग्री लगातार बढ़ती जा रही है। जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में जमा हो रही है, यह अधिक से अधिक अवरक्त विकिरण को अवशोषित करता है।

तापमान में वृद्धि का कारण ग्रीन हाउस पर प्रभाव पड़ता है, जिस कारण ध्रुवीय बर्फ की परत और ग्लेशियरों को पिघलने से समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है, जिनमें से अधिकांश, प्रमुख जनसंख्या केंद्र और उपजाऊ भूमि प्रभावित हो रही है।

5. फास्जीन और मिथाइल आइसोसाइनेट Phosgene and Methyl Isocyanate

फॉस्जीन (CoCl2) एक ज़हरीली और घुटनदार अस्थिर तरल है, जो डाई उद्योग और कार्बनिक यौगिकों के संश्लेषण में प्रयुक्त होता है, भोपाल के औद्योगिक दुर्घटना में फॉस्जीन और एमआईसी की मुक्त हुई, और जिसके कारण (2 दिसंबर, 1984) में 2500 से अधिक लोग मारे गए  और कई हजार व्यक्ति अपंग हो गए।

6. एयरोसोल Aerosol

जो व्यापक रूप से कीटनाशकों के रूप में उपयोग किया जाते है, अन्य स्रोत हैं जेट विमान उत्सर्जन जिसमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन होते हैं। क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स का उपयोग प्रशीत और कुछ विशेष प्रकार के ठोस प्लास्टिक फोम के गठन में भी किया जाता है।

प्लास्टिक को जलाने से पॉलिक्लोरीन युक्त बायैफेनील (पीसीबी) पैदा होता है।  लगातार उत्तरार्द्ध के कारण ये भोजन श्रृंखला में प्रवेश करते है। क्लोरोफ्लुओरकार्बन और कार्बन टेट्राक्लोराइड स्ट्रैटोस्फियर के ओज़ोन परतों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, और इसलिए समान रूप से समाप्त होते हैं।

7. फोटोकैमिकल ऑक्सीडेंट Photochemical Oxidant

हाइड्रोकार्बन में कैंसर जनक गुण हैं, इनमें से कुछ भी पौधों के लिए हानिकारक हैं क्योंकि वे शिथिलता और अनुपयोग का कारण बनते हैं। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में, हाइड्रोकार्बन ओज़ोन, पार्क-एसेल, नाइट्रेट्स, एल्डिहाइड और अन्य यौगिकों के उत्पादन के लिए नाइट्रोजन आक्साइड के साथ प्रतिक्रिया करता है।

पेयॉक्सी-एसाइल नाइट्रेट वायु प्रदूषण का एक प्रमुख घटक हैं। इससे आंखों की जलन और श्वसन रोग जैसी बीमारियाँ होती हैं।

8. ऑटोमोबाइल निकास Automobile Exhausts

वे वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं महत्वपूर्ण प्रदूषक कार्बन मोनोऑक्साइड, बेन्ज़पैरीन, लीड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर यौगिकों और अमोनिया हैं।

9. पराग और सूक्ष्म जीव Pollen grains and Microorganisms

वातावरण में रोगाणुओं की अधिकता सीधे वनस्पति, खाद्य पदार्थों को नुकसान पहुंचाती है और पौधों, जानवरों और मनुष्यों में बीमारियों का कारण बनती है। पराग की अधिकता कई मनुष्यों में एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण बनती है।

आम प्रतिक्रियाओं को सामूहिक रूप से परागण-ज्वर कहा जाता है। सामान्यतः एलर्जी का पराग अमरान्थुस स्पिनोसस, चेनोपोडियम एल्बम, सायनोडन डैटीयलॉन, रिसीनस कोम्युनिस, सॉरघम वल्गेर, प्रोसोपिस चिलेनेसिस आदि से संबंधित है।

वायु प्रदूषण नियंत्रण करने के उपाय Ways To Reduce Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण को रोकने के कुछ बेहतरीन उपाय –

  • औद्योगिक प्रतिष्ठानों की स्थापना आवासीय क्षेत्रों से दूरी पर की जानी चाहिए।
  • लंबे चिमनी का उपयोग परिवेश में वायु प्रदूषण को कम करेगा और चिमनी में फिल्टर और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिटरेटर्स के अनिवार्य उपयोग  करें ।
  • पानी टॉवर स्क्रबर या स्प्रे कलेक्टर के माध्यम से धुएं को पार करके जहरीली गैसों को हटाता है ।
  • कण राख उत्पादन में कमी के लिए उच्च तापमान भस्मकर्ताओं का उपयोग करें।
  • ऊर्जा के गैर-दहनशील स्रोतों के विकास करें, जैसे, परमाणु ऊर्जा, भूतापीय बिजली, सौर ऊर्जा, ज्वारीय शक्ति, पवन ऊर्जा आदि।
  • गैसोलीन में गैर-लीड एंटीकनक एजेंटों का उपयोग करना चाहिए ।
  • ऑटोमोबाइल के प्रदूषण को मुक्त ईंधन विकसित करने का प्रयास किया जाना चाहिए, जैसे शराब, हाइड्रोजन, बैटरी पावर निकास उत्सर्जन नियंत्रण के साथ ऑटोमोबाइल फिट होना चाहिए।
  • औद्योगिक संयंत्रों और रिफाइनरियों में कचरे को हटाने और रीसाइक्लिंग के उपकरणों  साथ में  फिट किये जाने चाहिए।
  • कार्बन मोनोऑक्साइड की उपस्तिथि में सक्षम पौधों को बढ़ाना, उदा। साइसयूलुस वल्गेरिस,  कोलियस ब्लुमेइ, डॉकस कारोटा, फिकस वेरीएगेटा(बिडवेल और बेबी , 1974)।
  • मेटाबोलाइजिंग नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य गैसीय प्रदूषकों में सक्षम पौधों को बढ़ाना, उदा।, वाइटिस, पिमिस, जेटनिपरस, क्वर्कस, पीयरस, रॉबिनिया स्यूडो-एकेसिया, विबर्नम, क्रैटेएगस, रिब्स, रामनस।
  • प्राथमिकता के आधार पर खनन क्षेत्र के वनीकरण।

2 thoughts on “वायु प्रदूषण पर निबंध Essay on Air Pollution in Hindi”

Yes,Air pollution is now the biggest threat to health.

nice artical sir and great job for pollution awarness

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi)

प्रदूषण

वह अवांछित तत्व जो किसी निकाय के संतुलन के प्रतिकूल हो और उसकी खराब दसा के लिए जिम्मेदार हो प्रदूषक तत्व कहलाते हैं तथा उनके द्वारा उत्पन्न विषम परिस्थितियां प्रदूषण कहलाती है। दूसरे शब्दों में “ हमारे द्वारा उत्पन्न वे अपशिष्ट पदार्थ जो पर्यावरण के पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित कर रहे हैं, प्रदूषक तत्व तथा उनके वातावरण में मिलने से उत्पन्न विभिन्न प्रकार के संकट की स्थिति प्रदूषण कहलाती है। ”

प्रदूषण पर 10 वाक्य || प्रदूषण मानवता को कैसे प्रभावित करता है पर निबंध || शहरीकरण के कारण प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essays on Pollution in Hindi, Pradushan par Nibandh Hindi mein)

प्रदूषण से संबंधित समस्त जानकारियां आपको इस निबंध के माध्यम से मिल जाएगी। तो आईए इस निबंध को पढ़कर पर्यावरण प्रदूषण के बारे में खुद को अवगत कराएं।

प्रदूषण पर निबंध 1 (300 शब्द) – प्रदूषण क्या है

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ ( Meaning of Pollution )

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनो में मिल जाते है। तो इसके कारण कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। प्रदूषण मुख्यतः मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते है और यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मनुष्यों के लिए छोटी बीमारियों से लेकर अस्तित्व संकट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की अन्धाधुंध कटाई की है। जिस कारण पर्यावरण असंतुलित हो गया है। प्रदूषण भी इस असंतुलन का मुख्य कारण है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर इस पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। और प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है। ताकि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीवन रह सके।

प्रदूषण पर निबंध 2 (400 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार

हमें पहले यह जानना जरुरी है कि हमारी किन-किन गतिविधियों के कारण प्रदूषण दिन प्रति दिन बढ़ रहा है और पर्यावरण में असंतुलन फैला रहा है।

पहले मेरे गांव में ढ़ेर सारे तालाब हुआ करते थे, किन्तु अब एक भी नहीं है। आज हम लोगों ने अपने मैले कपड़ो को धोकर, जानवरों को नहलाकर, घरों का दूषित और अपशिष्ट जल, कूड़ा-कचरा आदि तालाबों में फेंककर इसे गंदा कर दिया है। अब उसका जल कहीं से भी स्नान करने और न ही पीने योग्य रह गया है। इसका अस्तित्व समाप्ति की कगार पर है।

प्रदूषण के प्रकार ( Pradushan ke Prakar )

वातावरण में मुख्यतः चार प्रकार के प्रदूषण हैं –

  • जल प्रदूषण ( Water Pollution )

घरों से निकलने वाला दूषित पानी बहकर नदियों में जाता है। कल-कारखानों के कूड़े-कचरे एवं अपशिष्ट पदार्थ भी नदियों में ही छोड़ा जाता है। कृषि में उपयुक्त उर्वरक और कीट-नाशक से भूमिगत जल प्रदूषित होता है। जल प्रदूषण से डायरिया, पीलिया, टाइफाइड, हैजा आदि खतरनाक बीमारियाँ होती है।

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)

कारखानों की चिमनी और सड़को पर दौड़ते वाहनों से निकलते धुएँ में कार्बन मोनो ऑक्साइड, ग्रीन हाउस गैसें जैसै कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि खतरनाक गैसें निकलती हैं। ये सभी गैसें वायुमंडल को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। इससे हमारे सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। दमा, खसरा, टी.बी. डिप्थीरिया, इंफ्लूएंजा आदि रोग वायु प्रदूषण का ही कारण हैं।

  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

मनुष्य के सुनने की क्षमता की भी एक सीमा होती है, उससे ऊपर की सारी ध्वनियां उसे बहरा बनाने के लिए काफी हैं। मशीनों की तीव्र आवाज, ऑटोमोबाइल्स से निकलती तेज़ आवाज, हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। इनसे होने वाला प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। इससे पागलपन, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, बहरापन आदि समस्याएं होती है।

  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

खेती में अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों और कीट-नाशकों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण होता है। साथ ही प्रदूषित मिट्टी में उपजे अन्न खाकर मनुष्यों एवं अन्य जीव-जंतुओं के सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी सतह पर बहने वाले जल में भी यह प्रदूषण फैल जाता है।

प्रदूषण को रोकना बहुत अहम है। पर्यावरणीय प्रदूषण आज की बहुत बड़ी समस्या है, इसे यदि वक़्त पर नहीं रोका गया तो हमारा समूल नाश होने से कोई भी नहीं बचा सकता। पृथ्वी पर उपस्थित कोई भी प्राणी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी  आदि सभी का जीवन हमारे कारण खतरे में पड़ा है। इनके जीवन की रक्षा भी हमें ही करनी है। इनके अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व संभव है।

इन्हे भी पढ़ें: वाहन प्रदूषण पर निबंध || पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध || प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध || वायु प्रदूषण पर निबंध || मृदा प्रदूषण पर निबंध || जल प्रदूषण पर निबंध || ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध 3 (500 शब्द) – प्रदूषण के कारण

2019 में दीवाली के कुछ दिन बाद ही राजधानी दिल्ली में पॉल्यूशन हॉलीडे हुआ। यह अत्यंत चौंकाने वाली बात थी कि, दिल्ली सरकार को पॉल्यूशन के कारण विद्यालय बंद कराना पड़ा। कितने दुःख की बात है। ऐसी नौबत आ गयी है, अपने देश में।

पर्यावरणीय प्रदूषण आज के टाइम की सबसे बड़ी प्राब्लम है। विज्ञान की अधिकता ने हमारे जीवन को सरल तो बनाया है, साथ ही प्रदूषण बढ़ाने में भी योगदान दिया है। मनुष्य ने अपने लाभ के लिए प्रकृति से बहुत छेड़छाड़ किया है। प्रकृति का अपना नियम होता है, सभी जीव-जंतु उसी नियम के हिसाब से अपना-अपना जीवन-चक्र चलाते हैं, किंतु हम मनुष्यों ने इससे पर्याप्त छेड़-छाड़ किया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है।

प्रदूषण के मुख्य कारण (Main Reason for Pollution)

प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –

  • वनों की कटाई (Deforestation)

बढ़ती जनसंख्या भी एक महत्वपूर्ण कारण हैं, जिस कारण लगातार वनों को काटा गया है।  पर्यावरण प्रदूषण के पीछे सबसे बड़े कारणों में से एक निर्वनीकरण है। वृक्ष ही वातावरण को शुध्द करते हैं। वनोन्मूलन के कारण ही वातावरण में ग्रीन-हाउस गैसों की अधिकता होते जा रही है। जिसके दुष्परिणाम ग्लोबल-वार्मिग के रूप में प्रकट हो रही है। क्योंकि पेड़ ही पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइआऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं।

  • उद्योग-धंधे (Industries)

भोपाल गैस त्रासदी अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कारखाने में कीटनाशक रसायन को बनाने के लिए मिक गैस का उत्पादन होता था। इस गैस संयंत्र के कारखाने में 2-3 दिसंबर 1984 को जहरीली मिक गैस (मिथाइल आइसो सायनाइड) के रिसाव के कारण कुछ ही घंटो में करीबन 2500 लोगों की जान चली गयी थी और हजारों घायल हुए थे। हजारों जानवरो की भी मृत्यु हो गयी थी। इस घटना को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है।

इस घटना की चर्चा यहाँ इसलिए की, क्योंकि यह औद्योगिकीकरण के कारण हुए प्रदूषण का उदाहरण है। इतना ही नहीं, 6 से 9 अगस्त, 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में किए गए एटॉमिक बम अटैक के कारण हुए भयंकर परिणाम से पूरी दुनिया वाक़िफ है। उसके कारण हुए वायु-प्रदूषण से जापान आज तक उबर नहीं पाया है। अटैक के कारण विनाशकारी गैसें सम्पूर्ण वायु-मंडल में समा गयी थी।

वैज्ञानिकों की माने तो औद्योगिकीकरण के नाम पर बीते 100 सालों में 36 लाख टन कार्बन डाइआऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ी गयी है, जिस कारण हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ा है। और तो और मौसम में तब्दीलियां भी इसी कारण हो रही हैं, जैसे अत्यधिक गर्मी, बाढ़, सूखा, अम्लीय वर्षा, बर्फ का पिघलना, समुद्र के जल-स्तर में वृध्दि होना आदि। अकेले अमेरिका विश्व का लगभग 21% कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जित करता है।

बढ़ता प्रदूषण आज समूल विश्व का सरदर्द बन चुका है। प्रदूषण के कारण चीजें दिन प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही है। चूँकि पूरा विश्व इसके प्रति गंभीर है। लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए हर साल पर्यावरण दिवस, जल दिवस, ओजोन दिवस, पृथ्वी दिवस, जैव विविधता दिवस आदि मनाये जाते है। समय-समय पर पर्यावरण के संरक्षण के लिए स्कॉटहोम सम्मेलन, मॉट्रियल समझौता आदि होता रहा है।

Pollution Essay in Hindi

प्रदूषण पर निबंध 4 (600 शब्द) – प्रदूषण के प्रकार व रोकथाम

आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसने हमारे पृथ्वी को पूर्ण रुप से बदल कर रख दिया है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण को क्षति पहुंचाते जा रहे है, जोकी हमारे जीवन को और भी ज्यादे मुश्किल बनाते जा रहा है। कई तरह के जीव और प्रजातियां प्रदूषण के इन्हीं हानिकारक प्रभवों के कारण धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहीं है।

प्रदूषण के प्रकार (Types Of Pollution)

1. वायु प्रदूषण (Air Pollution)

वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

2. जल प्रदूषण (Water Pollution)

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

3. भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

4. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

5. प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

6. रेडियोएक्टिव प्रदूषण (Radioactive Pollution)

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

7. थर्मल प्रदूषण (Thermal Pollution)

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

8. दृश्य प्रदूषण (Visual Pollution)

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर (Most Polluted City of The World)

एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

प्रदूषण कम करने के उपाय (Tips for Preventing Pollution)

जब अब हम प्रदूषण के कारण और प्रभाव तथा प्रकारों को जान चुके हैं, तब अब हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिये गये कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते है।

1. कार पूलिंग

2. पटाखों को ना कहिये

3. रीसायकल/पुनरुयोग

4. अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर

5. कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके

6. पेड़ लगाकर

7. काम्पोस्ट का उपयोग किजिए

8. प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके

9. रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर

10. कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर

11. योजनापूर्ण निर्माण करके

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – भारत का सबसे अधिक प्रदूषित राज्य राजधानी नई दिल्ली है।

उत्तर – भारत में सबसे कम प्रदूषित शहर मिजोरम का लुंगलेई शहर है।

उत्तर – विश्व का सबसे कम प्रदूषित देश डेनमार्क है।

उत्तर –जल प्रदूषण की मात्रा BOD (Biological Oxygen Demand) से मापी जाती है। 

उत्तर –भारत में प्रदूषण नियंत्रण “केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड” के अंतर्गत आता है।

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वायु प्रदूषण पर निबंध | air pollution Essay in Hindi

मानव द्वारा पृथ्वी पर फैलाए गए प्रदूषण के कारण मानव को ही नित नए-नए रोगों से सामना करना पड़ता है। दिन प्रतिदिन पर्यावरण की ताजी हवा विविक्त, जैविक अणुओं, और अन्य हानिकारक सामग्री के मिलने का कारण प्रदूषित हो रही है। वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है जिस पर ध्यान देने के साथ ही सभी के सामूहिक प्रयासों से सुलझाने की आवश्यकता है। इस लेख में हम Air Pollution Essay in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।

वायु प्रदूषण पर निबंध | air pollution Essay in Hindi

Table of Contents

वायु प्रदूषण पर निबंध 150 words

वातावरण की ताजी हवा में हानिकारक और विषैले पदार्थों का लगातार बड़ना वायु प्रदूषण का कारण है। विभिन्न बाहृय तत्वों विषाक्त गैसों और अन्य मानवीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न प्रदूषण ताजी हवा को प्रभावित करता है जो प्रतिकूलता से फिर मानव जीवन, पेड़ पौधों और पशुओं को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण का स्तर उन सभी प्रदूषण पर निर्भर करता है जो विभिन्न स्त्रोतों से निकलता है। स्थलाकृति और मौसम की स्थिति प्रदूषण की निरंतरता को बढ़ा रही है। उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती जा रही है। बढ़ता हुआ जनसंख्या घनत्व और अधिक औद्योगिकीकरण की मांग कर रहा है जो आखिरकार वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

वायु प्रदूषण हानिकारक तरल बूंदों, ठोस पदार्थों और विषाक्त गैसों का मिश्रण है जो सामान्यतः ताजी हवा में नहीं पाए जाते और पेड़ पौधों और पशुओं के जीवन के लिए बहुत खतरनाक है। वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है जो कि प्राकृतिक और मानव निर्मित स्त्रोत है। वही प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्त्रोतों जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी, रेत संकुचन, धूल, समुद्र और महासागर की लवणीयता, मिट्टी के कण, तूफान, जंगलों के आग, बृहृमांडीय कण, किरण, क्षुद्रगृह सामग्री की बमबारी, धूमकेतु से स्प्रे, पराग अनाज, कवक बीजाणु, वायरस, बैक्टीरिया आदि है।

पूरी दुनिया के लोगों के सामूहिक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लंबी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए छोटे तापमान सूचको के स्थान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊर्जा के उज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना, पेट्रोल में गैर नेतृत्वकारी एंटीनॉक एजेंट के प्रयोग को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और भी बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना।

वायु प्रदूषण पर निबंध 200 शब्‍दों में

वायु प्रदूषण पूरी वायुमंडलीय हवा में बाह्य तत्वों का मिश्रण है। उद्योगों और मोटर वाहनों से उत्सर्जित हानिकारक और विषैली गैसें मौसम पेड़ पौधों और मनुष्य सभी को बहुत हानि पहुंचाती है। कुछ प्राकृतिक और कुछ माननीय संसाधन वायु प्रदूषण के कारक है। हालांकि सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण होता है जैसे जीवाश्म, कोयला और तेल का जलना, हानिकारक गैसों को छोड़ना और कारखानों और मोटर वाहनों के पदार्थ आदि।

इस तरह के हानिकारक रासायनिक तत्व जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, ठोस पदार्थ आदि ताजी हवा में मिश्रित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बड़े स्तर पर बड़ा है, जिसका कारण पिछली शताब्दी में मोटर वाहनों की बढ़ती हुई आवश्यकता है, जिससे 69% तक वायु प्रदूषण में वृद्धि की है।

वायु प्रदूषण के अन्य स्त्रोतों में लैंडफिल में कचरे का अपघटन और ठोस पदार्थों के निराकरण की प्रक्रिया से मिथेन गैस का निकालना है। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या, औद्योगिकीकरण, स्वचालित वाहनों के प्रयोग में वृद्धि, हवाई जहाज आदि ने इस मुद्दे को गंभीर पर्यावरण का मुद्दा बना दिया है।

जिस हवा को हम सांस के द्वारा प्रत्येक क्षण लेते हैं, वो पूरी तरह से प्रदूषित है जो हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण के माध्यम से जाती है और अनगिनत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनती है। प्रदूषित वायु पेड़ पौधों, पशुओं और मनुष्य के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से नष्ट करने का कारण बनती है। यदि पर्यावरण को सुरक्षित करने वाली नीतियों का गंभीरता और कड़ाई से पालन नहीं किया गया तो वायु प्रदूषण का बढ़ता हुआ स्तर आने वाले दशकों में 1 मिलियन टन वार्षिक के आधार पर बढ़ सकता है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

जल शुद्ध ताजी हवा धूल, धुआं, विषैली गैसों, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के कारण प्रदूषित होती है तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। जैसा की हम सभी जानते हैं कि ताजी हवा स्वास्थ्य जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, हमें यह सोचने की जरूरत है, तब क्या होगा जब पूरे वातावरण की वायु गंदी हो जायेंगी। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिए बड़े खेद की बात है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख बड़े कारकों में भोले किसानों को द्वारा अपनी फसल की ऊपज को बढ़ाने के लिए विषैले उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग है। इन उर्वरकों से रासायनिक और खतरनाक गैसें (अमोनिया) निकलती है, और वायु में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती है।

जीवाश्म ईंधन का जलना जैसे; कोयला, पेट्रोलियम जिसमें अन्य कारखानों के जलावन भी शामिल है, आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। मोटर वाहनों और स्वचलित वाहनों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं जैसे कारों, बसों, बाइक, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज, आदि भी वायु प्रदूषण का कारण है। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण विषैले औद्योगिक धुएं और हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बनिक योगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) कारखानों तथा मिलों में से पर्यावरण में छोड़ी जाती है। कुछ घरेलू गतिविधियां जैसे सफाई करने के लिए अज्ञानतावश सफाई उत्पादकों का प्रयोग करना, कपड़े धोने का पाउडर, पेंट आदि बहुत से विषैले रसायनों को वायु में छोड़ता है।

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इसके सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है। ये ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का निकालना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को फिर से बढ़ाती है। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों (कैंसर, हार्टअटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दे की बीमारियां आदि) और मृत्यु का कारण बन रहा है। बहुत से महत्वपूर्ण पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियां इस ग्रह से पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रहा है।

वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। वायु प्रदूषण के कारण ओजोन परत भी बहुत अधिक प्रभावित हो रही है जो पर्यावरण में गंभीर व्यवधान का कारण बन रही है। मनुष्य की हमेशा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उनकी आवश्यकता में भी वृद्धि हो रही है जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य की दैनिक गतिविधियां बहुत से खतरनाक रसायनों, वातावरण को गंदा करने का कारण होती है, जो जलवायु में नकारात्मक परिवर्तन के लिए मजबूर करती हैं। औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया में कई हानिकारक गैसों, कणों, पेंट और बैटरीओ का आक्रामक संचालन, सिगरेट, आदि कार्बन मोनो ऑक्साइड, परिवहन के साधन कार्बन डाइ ऑक्साइड और अन्य जहरीली पदार्थों को वातावरण में छोड़ते हैं।

सभी तरह के प्रदूषण पर्यावरण से जुड़े हुए हैं जो ओजोन परत को हानि पहुंचाकर सूर्य की हानिकारक किरणों पर पृथ्वी पर आमंत्रित करते हैं। वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हमें दैनिक आधार पर अपनी क्रिया-कलापों में बड़े स्तर पर परिवर्तन लाने होंगे।

वायु प्रदूषण क्या है?

सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि वायु प्रदूषण है क्या? दरअसल वायु प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पूरी वायुमंडलीय हवा में बाहरी तत्वों से मिलकर बनता है। यह तत्व छोटे बड़े उद्योगों और अनगिनत मोटर वाहनों से पैदा होते हैं। यह खतरनाक, हानिकारक और जहरीली गैस ही हमारे मौसम, पेड़ पौधों, जानवरों, पक्षियों और मनुष्यों के ऊपर अपना दुष्प्रभाव डालती हैं। मानवीय संसाधन वायु प्रदूषण के मुख्य कारकों में से एक है। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होने का कारण इंसानों द्वारा की जाने वाली गतिविधियां हैं। ये गतिविधियां तेल का जलना, गंदा कचरा डालना, प्लास्टिक जलाना, हानिकारक गैसों को छोड़ना, कारखानों, मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं आदि में सम्मिलित होती है।

वायु प्रदूषण के कारण

वायु प्रदूषण होने के मुख्य दो कारण सामने आते हैं, पहला प्राकृतिक कारण और दूसरा मानव निर्मित कारण। इन दोनों कारणों की वजह से ही वायु प्रदूषण पैदा होता है। लेकिन अगर तुलना की जाए, तो सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण मानव निर्मित कारण की वजह से ही बड़ा है। वह आयु प्रदूषण के अन्य कारण निम्नलिखित हैं।

  • ज्वालामुखी से निकलने वाली जहरीली गैस और लावा
  • प्राकृतिक रूप में जंगलों में लगने वाली आग
  • वातावरण में हर समय उड़ती हुई धूल और मिट्टी
  • तेज हवा, आंधी और तूफान
  • बड़े उद्योगों और कारखानों से निकलने वाली दूषित गैस
  • वनों की कटाई
  • जनसंख्या वृद्धि
  • परमाणु परीक्षण से निकलने वाले जहरीले तत्व
  • गंदे कचरे से उड़ने वाली भयंकर बदबू
  • किसानों द्वारा पराली जलाना

वायु प्रदूषण के ये वो सभी कारण हैं जिनसे हम सभी अवगत हैं और जिनकी हम पहचान कर सकते हैं। इन कारणों को पहचानने के बावजूद हमें इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं और इन्हें भूलकर चुपचाप बैठ जाते हैं। लेकिन अब जरूरत है कि वायु प्रदूषण के कारणों की समय पर पहचान करते हुए इसका तुरंत हल निकाला जाए और प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जाए।

वायु प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण प्रदूषण के प्रकारों में से ही एक है, लेकिन वायु प्रदूषण के अपने भी कुछ प्रकार है, जैसे-

विविक्त प्रदूषण-

हवा में कई तरह के प्रदूषक ठोस रूप में उड़ते हुए पाए जाते हैं। इस तरह के प्रदूषकों में धूल, राख आदि शामिल होते हैं। इसके कण बड़े और चौडे आकार के होते हैं, जो पृथ्वी की सतह पर फैलकर प्रदूषण फैलाते हैं। इस तरह के प्रदूषण को विविक्त प्रदूषण कहा जाता है।

गैसीय प्रदूषण-

जो कि्याए मानव करता है उससे कई तरह की गैसों का निर्माण होता है और इस निर्माण में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी मौजूद होते हैं। हवा में ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जलने पर जो धुआं मिल जाता है, उसे ही गैसीय प्रदूषक कहा जाता है।

रासायनिक प्रदूषण-

वर्तमान में चलने वाले आधुनिक उद्योगों में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों से जो गैस और धुआं निकलता है, वो वायूमंडल में विषैली रसायनिक गैसें होती हैं जो हवा को दूषित करती है।

धुआं और धुंध प्रदूषण-

हमारे वायुमंडल में धुआं (स्मोक) और कोहरा (फॉग) यानी की हवा में पाई जाने वाली जलवाष्प और जल की बूंदों के छोटे-छोटे कणों से धुंध (स्मांग) का निर्माण होता है। इसी धंधे से वायुमंडल में घुटन पैदा होती है और दृश्यता काफी कम हो जाती है।

FAQ: वायु प्रदूषण पर महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न

वायु प्रदूषण क्‍या हैं.

मनुष्‍यों और अन्‍य जीवित प्राणियों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्‍व प्रदूषक कहलाते हैं जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते। वायु में इन प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता हैं। वायु में प्रदूषक तत्‍वों के उपस्थिति होने की स्थिति में वायु प्रदूषण होता हैं।

वायु प्रदूषण के प्रकार कितने है?

गैसीय प्रदूषण- जो कि्याए मानव करता है उससे कई तरह की गैसों का निर्माण होता है और इस निर्माण में कई तरह के प्राकृतिक तत्व भी मौजूद होते हैं। हवा में ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जलने पर जो धुआं मिल जाता है, उसे ही गैसीय प्रदूषक कहा जाता है। रासायनिक प्रदूषण- वर्तमान में चलने वाले आधुनिक उद्योगों में कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों से जो गैस और धुआं निकलता है, वो वायूमंडल में विषैली रसायनिक गैसें होती हैं जो हवा को दूषित करती है।

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तो आप सभी को “ वायु प्रदूषण पर निबंध | air pollution Essay in Hindi” के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त हो गई होगी। हमें पूरी उम्‍मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्‍न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्‍ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्‍तों के साथ जरूर शेयर करें।

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Essay on Air Pollution in Hindi | वायु प्रदूषण पर निबंध

हमारा जीवन तीन महत्वपूर्ण चीजों पर निर्भर करता है। हमारे जीवन की तीन ऐसी आवश्यकताएं हैं जिनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इनमें हमारी सबसे पहली जरूरत है वायु, दूसरी जल और तीसरी है भोजन। इन तीनों का पर्याप्त मात्रा में होना और वो शुद्ध होना अति आवश्यक है। इनके अशुद्ध होने से न जाने कितनी प्रकार की बीमारियां फैलती हैं।  बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए आज कल वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। वायु गैसों का मिश्रण होती है, जिसमें 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और बाकी के 1% में कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन, मेथेन और साथ ही जल वाष्प की भी अल्प मात्रा वायु में मिश्रित रहती है।

क्या है वायु प्रदूषण? What is Air Pollution

air pollution essay in hindi for class 5

जब स्वच्छ वायु में ऐसे हानिकारक तत्व मिल जाते हैं, जो समस्त जीवों और वस्तुओं तक को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसे ही वायु प्रदूषण (air pollution) कहते हैं । जब वायु में ऐसे हानिकारक प्रदूषक तत्व उपस्थित होते हैं तो ऐसा कहा जाता है कि वायु प्रदूषित है।

वायु प्रदूषण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:-

  • प्राकृतिक स्रोत
  • मानवीय स्रोत

वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत

कुछ ऐसी प्राकृतिक क्रियाएँ भी होती हैं जिनके कारण भी वायु प्रदूषण होता है, लेकिन ये सीमित और क्षेत्रीय होता है। इसमें ज्वालामुखी का विस्फोट एक एक प्राकृतिक क्रिया है, जिसके द्वारा विस्फोट होने के आस पास के क्षेत्र का वायु मण्डल प्रदूषित हो जाता है। वनों में लगने वाली आग भी वायु प्रदूषण का एक कारण बनती है, इससे होने वाला धुआँ और राख के कण वायु में मिल कर इसे प्रदूषित कर देते हैं । स्वच्छ वायु पर तेज चलने वाली हवाओं एवं आंधी-तूफान से भी प्रदूषण फैलता है क्योंकि जो धूल के कण होते हैं वे वायु मण्डल में फैल जाते हैं। कुछ पौधों से उत्पन्न हाइड्रोजन के यौगिक और पराग कण भी प्रदूषण का कारण हैं। ठंड के मौसम में होने वाला कोहरा भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। प्राकृतिक स्रोतों से होने वाला वायु प्रदूषण सीमित एवं बहुत कम हानिकारक होता है क्योंकि प्रकृति स्वयं विभिन्न क्रियाओं से इसमें संतुलन बनाए रखती है।

वायु प्रदूषण के मानवीय स्रोत

वायु को प्रदूषित करने में सबसे बड़ा हाँथ मानव जाति का है । मनुष्यों ने अपनी विभिन्न क्रियाओं से संपूर्ण वायुमंडल को बहुत अधिक प्रदूषित किया है और लगातार करता जा रहा है। ऊर्जा के अनेक उद्योग, परिवहन, रसायनों के प्रयोग में वृद्धि आदि ने मानव को बहुत सी सुविधाएं प्रदान की हैं, लेकिन वायु प्रदूषण के रूप में एक बहुत बड़े संकट को भी जन्म दिया है। नियमित रूप से होने वाले घरेलू कार्य जैसे भोजन बनाने, पानी गर्म करने आदि में प्रयोग होने वाले ईंधन, जैसे लकड़ी, कोयला, मिट्टी का तेल, गैस आदि के जलाने से वायु में कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड आदि हानिकारक गैसें मिल जाती हैं, जो वायु को प्रदूषित करती हैं। 

वर्तमान में परिवहन के क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति हुई है जिसके चलते वायुमंडल में प्रदूषण का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वाहनों से निकलने वाला धुआँ जोकि बहुत विषैली गैसों और हानिकारक प्रदूषण तत्वों से युक्त होता है, जो वायु को सबसे अधिक प्रदूषित करते हैं। यही धुंआ कोहरे का भी जन्म देता है।  वायु प्रदूषण के लिए एक ओर परिवहन उत्तरदायी है तो दूसरी ओर उद्योग। दरअसल वास्तविक रूप से तो वायु प्रदूषण औद्योगिक क्रांति की ही एक सबसे बड़ी देन है। उद्योगों में एक ओर दहन क्रिया होती है तो दूसरी ओर विविध पदार्थों का धुआँ जो औद्योगिक चिमनियों से निकलकर वायु मण्डल में विलीन हो जाता है, जिसके कारण वायु प्रदूषण होता है।  अम्लीय वर्षा भी वायु प्रदूषण का एक खतरनाक कारण है। अम्लीय वर्षा तब होती है जब सल्फर डाईऑक्साइड वायु में पहुँच कर सल्फ्यूरिक एसिड बन जाता है, जो सूक्ष्म कणों के रूप में गिरता है जिसमें सल्फेट आयन अधिक मात्रा में उपस्थित होता है। इस प्रकार ये जल मानव और वनस्पति दोनों के लिए बहुत अधिक हानिकारक होता है ।

वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव

वायु प्रदूषण (air pollution) का समस्त जीवधारियों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है । इसके द्वारा मानव को सांस लेने में कठिनाई, घबराहट होना, खाँसी आना, अस्थमा और हृदय संबंधी आदि बीमारियां हो जाती हैं। वायु प्रदूषण के द्वारा मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की के कारण होने वाली कुल मौतों के आंकड़ों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर इसका प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है ।पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरों के कारण होने वाली मौतों के मामले में वायु प्रदूषण दुनिया का सबसे बड़ा कारण है। इसके कारण मृत्यु दर भारत में कहीं से भी सबसे अधिक है। वायु प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हम सभी को अपनी जिम्मेदारियों को न केवल समझना चाहिए, बल्कि निभाना भी चाहिए वरना आगे चलकर इससे हमें ही समस्या होने वाली है ।

वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय

वाहनों के इस्तेमाल को कम करना होगा और उसकी अच्छी तरह से रख-रखाव करना। डीज़ल या सीसा रहित पेट्रोल का उपयोग करें । वाहनों के बदले में आस पास जाने के लिए साइकिल का उपयोग करें । पत्तों, टायरों आदि को नहीं जलाना चाहिए । अपने घरों के आस-पास अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं। पेड़-पौधे वातावरण में उपस्थित कार्बन डाईऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना होगा क्योंकि इसके कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। जीवाश्म ईंधन के बजाए वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा का प्रयोग करना चाहिए। कारखानों में प्रदूषण मानकों का पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है। प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को शहरों से दूर रखना चाहिए। ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल शुरू किया जाना चाहिए जिससे कम से कम धुँआ निकले। सभी नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों और इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

यहां भी पढ़ें:

  • जल प्रदूषण पर निबंध

Nibandh – Essay in Hindi [For Class 4, 5, 6, 7, 8]

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Air Pollution Essay in Hindi। वायु प्रदुषण पर निबंध

air pollution essay in hindi

वायु जो प्रकृति की एक ऐसी देन है जो प्रत्येक प्राणी के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। हम प्राण वायु अर्थार्त आक्सीजन के बिना जीने की कामना भी नहीं कर सकते है। परन्तु प्रकृति द्वारा दिए गए शुद्ध वायु को आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ या आधुनिकरण के नाम पे दूषित करता जा रहा है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में air pollution essay in hindi ले कर आये है । वायु प्रदुषण पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज में इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on air pollution in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

वायु प्रदूषण देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। यह समस्या केवल देश की ही नही बल्कि पूरी दुनिया की है। इस समस्या ने लोगों को झंझोड़ कर रख दिया। इससे जुड़े मौत के आंकड़े डराने वाले है। वास्तव में वायु हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसे अच्छा रखना हमारा धर्म होना चाहिए। पर्यावरण को स्वच्छ रखने में कोई खास मेहनत नही लगती। हम कुछ ही बातों को ध्यान में रख कर भी पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते है। इसके विपरीत हम अपने आस पास के वातावण को अशुद्ध पर अशुद्ध करते जा रहे है। जिसके कारण हमारी वायु पर विशेष दुष्प्रभाव होता है। वायु की गुणवत्ता अत्यधिक खराब हो जाती है। वायु प्रदूषण को समझना बेहद आसान कार्य है। क्योंकि अन्य किसी भी जीव में चाहे वह जानवर हो या मनुष्य , हम मनुष्य ही अपने पर्यावरण के करीब होने के साथ इसे अच्छा रखने का प्रयास कर सकते है। हम ही अपने पर्यावरण को लेकर चिंतित हो सकते है। केवल मनुष्य ही पर्यावरण के सुधार में विशेष से भी विशेष योगदान दे सकता है।  

प्रस्तावना – वायु हमारे पर्यावरण का सबसे अनमोल हिस्सा है। साथ ही वायु हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आधार व साधन है। वायु हम मनुष्य के साथ साथ अन्य जीव जंतुओं के लिए भी आवश्यक है। बिना वायु के हम मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते। हमारे जीने के लिए या जिंदा रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला आधार है वायु। जानवर का भी वायु पर उतना ही हक है जितना कि मनुष्य का। और वायु प्रदूषण की वजह से नाजाने कितनी ऐसी प्रजातियां है जो विलुप्त हो जाती है। जिनका कोई नामोनिशान तक नही मिलता। वायु अवशोषित पदार्थो से दूषित होती है। जिसका भुकतान धरती पर रह रहे हर एक जीव को करना होता है। वायु को दूषित करने में चाहे सिर्फ मनुष्य का हाथ क्यों न हो पर इसका भुकतान मनुष्य के साथ धरती पर रह रहे सभी जानवरों व पेड़ – पौधो को करना पड़ता है। हमारी वायु को प्रदूषित कर हम अपना ही जीवन संकट में डालते है। दूषित वायु को सांस के रूप में जब हम अंदर लेते है तब वह हमें विकराल रूप से कष्ट पहुचा सकती है। वायु प्रदूषण ने नगर में , गाँव मे , शहर में , देश मे व पूरी दुनिया के कई स्थानों में हाहाकार मचा रखा है। जब वायु की गुणवत्ता कम हो जाती है , और उसमे अवशोषित पदार्थो की मात्रा बढ़ जाती है। तब उसे हम वायु प्रदूषण कहते है। जिसके कारण हम सभी के जीवन पर गहरा असर पड़ता है।

वायु प्रदूषण की वजह – हैरानी की बात यह है कि वायु प्रदूषण के ज़िम्मेदार कोई और नही हम मनुष्य ही है। हमने अपनी आधुनिक सुविधाओं के लिए अपने ही पर्यावरण को नुकसान पहुचाया। और अपनी ही वायु को दूषित किया। यह बात कही ना कही हम सब जानते है कि इसके ज़िम्मेदार हम स्वयं है। किस तरह से हमने वायु को नुकसान पहुंचाया यह हम अब जानने वाले है। लेकिन यह पढ़ने से पहले शायद अब हमे अपने आप से यह वादा कर लेना चाहिए कि ये वजहों को जानने के बाद हम हमारी गलतियों को अवश्य सुधारेंगे। और वायु की गुणवत्ता की रक्षा में अपनी भूमिका अवश्य अदा करेंगे।  

  वाहनों व औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुंआ – वायु को सबसे ज़्यादा प्रभाव व वायु को सबसे ज़्यादा नुकसान वाहनों से निकलने वाले धुंए से होता है। रोज़ाना सड़कों पर दिन रात हज़ारों करोड़ो वाहन चलते है। जिनसे निकलने वाला धुंआ हमारी वायु की गुणवत्ता पर गहरा असर डालता है। वायु की गुणवत्ता को कम करता है। हर देश में , हर शहर में , हर नगर में , हर गांव में , हमे इसका अलग अलग असर देखने को मिलता है। कही पर प्रदूषण कम तो कही पर अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि दुनिया के   30 में से 21 शहर भारत के प्रदूषण में आगे है। हम सभी ने गाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश का नाम सुना ही होगा। आईक्यू एयर विजुअल द्वारा रिपोर्ट में गाज़ियाबाद दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर पाया गया। 30 में से 21 शहर भारत के सबसे प्रदूषित पाए गए जिसमे भारत की राजधानी दिल्ली भी शामिल है। बढ़ती हुई औद्योगिक इकाइयों का भी वायु पर गंभीर असर पड़ा है। फैक्ट्री से निकलने वाला धुंआ प्रदूषण में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी की वजह साबित हो रहा है।

पेड़ पौधे जलाना व कांटना – भारत देश की पहचान हरीतिमा से है। भारत का स्वाभिमान ये भूमि के हरे भरे होने से है।साथ ही यह पेड़ पौधे हमे शुद्ध हवा प्रदान करते है। वह वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को लेते है और हमे ऑक्सीजन देता है। हमारे जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण ऑक्सीजन है जो हमे पेड़ पौधों से मिलती है। यह पेड़ पौधे हमारे पर्यावरण से अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर वातावरण में गैस का संतुलन सुनिश्चित करते है। बदले में हम हमारी ही रक्षा करने वाले पेड़ो को अपने मतलब के लिए कांट देते है। हमें आधुनिकता की सीडी चढ़ने की इतनी जल्दबाज़ी होती है कि हम जाने अनजाने पौधों को कांट देते है या जला देते है। अधिक कार्बन डाइऑक्साइड के होने से प्रदूषण भी अधिक होता है। हमारे वातावरण में पेड़ पौधों के होने से हमें स्वच्छ वायु मिलती है। पर हम दिन प्रतिदिन पेड़ो को कांटते जा रहे है। जब पर्यावरण में हरियाली कम व वायु की गुणवत्ता कम करने वाली गतिविधियां अधिक होंगी तब वायु प्रदूषण भी अधिक होगा।  

पराली जलाना – पराली किसानो द्वारा जलाई जाती है। जब एक फसल के उगने के बाद और उसमें से अनाज निकालने के बाद   दूसरी फसल बौने के लिए किसान जब खेती की जमीन को साफ करने के लिए अनावश्यक पदार्थों को जलाते है। उसे पराली जलाना कहते है। जिसके कारण वायु की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ता है। कुछ लोगो का मानना है कि इसमें किसानों की गलती है। परंतु तकनीकों की कमी की वजह से व अनाज बौने का मौसम निकलने की जल्दबाजी की वजह से उन्हें पराली को जलाना ही पड़ता है। सरकार ने इसके लिए कई सारे नियम भी बनाये थे। परंतु किसान के पास समय कम होने की वजह से उन्हें पराली जलानी पढ़ी। पराली जलाने के कारण भी प्रदूषण बढ़ता है। हाली में दिल्ली में पराली जलाने की वजह से काफी प्रदूषण बढ़ा था। जिसे लेकर सरकार ने काम भी किया। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज लोकुर व एनसीसी कैंडिडेट ने मिलकर इसके लिए काम किया।

इसी प्रकार की वजाहों के कारण हमारे देश से व   दुनिया से वायु प्रदूषण कम व खत्म नही होता। एक ताजा खबर में यह भी सामने आया था कि वायु प्रदूषण से 16 लाख लोगों की मृत्य पूरी दुनिया मे हुई। यह आज के दशक में अकाल मौत के प्रमुख कारणों में से प्रथम माना गया।  

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव – हम मनुष्य ही वायु प्रदूषण के जिम्मेदार हैं। और वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव भी सबसे ज़्यादा हम मनुष्य को ही पड़ता है।वायु की गुणवत्ता के कम होने से मनुष्य विभिन्न प्रकार के रोगों का सामना करता है। वायु प्रदूषण के कारण नई नई बीमारियां भी पैदा होती रही है। यह ना केवल हमारे फेफड़ो को नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह बेवजह किसी भी उम्र के व्यक्ति की मौत का कारण भी बनता है। ना जाने कितने शिशु वायु प्रदूषण के कारण पैदा होते से ही मृत हो जाते है। इसके कारण दमा , सर्दी , खांसी , अंधापन , त्वचा रोग इत्यादि होते है। इससे मनुष्य के अलावा मासूम पशु पक्षियों को भी नुकसान होता है। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पलायन करते है। कुछ पशु पक्षी प्रदूषण के कारण बेमौत मर जाते है। मनुष्य और इंसान दोनो ही गंभीर बीमारियों का सामान करते है।

वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ता है। जिससे पूरी पृथ्वी संकट में रहती है। बड़े बड़े बर्फ पिघलने लगते है। धरती के तापमान में इज़ाफ़ा होना एक गंभीर विषय है। वायु प्रदूषण से तापमान में काफी प्रभाव पड़ता है।  

रोकथाम उपाय – यह समस्या हमने दशकों में सृजित होते देखी है। और यह बात हम सब जानते है कि कुछ पल में हम इस समस्या को खत्म नही कर सकते। लेकिन अगर सरकार और हम आमजन ठान ले तो वायु प्रदूषण पर काबू हम जल्द पा सकते है। हम सभी को इसके लिए एकजुट होकर अपनी भूमिका निर्धारित करनी होगी।ट्रैफिक सिग्नल पर अगर 20 सेकंड से ज़्यादा समय का स्टॉप है तो हमे अपनी गढ़ियों को बंद कर देना चाहिए। जिससे धुंआ कम से कम निकले। हमे पास के स्थान पर जाने के लिए गढ़ियों का इस्तेमाल नही करना चाहिए। चलने से हमारी सेहत भी दुरुस्त रहती है। ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिए जिससे पर्यावरण का संतुलन ठीक बना रहे। हम सभी को अपने पूरे जीवन मे 5 पेड़ तो लगाने चाहिए। यह सोचना चाहिए कि हम कुछ पेड़ अपनी आने वाली पीढ़ी के पर्यावरण को हरा भरा बनाने के लिए लगा रहे है। सरकार को औद्योगिक इकाइयों का समय समय पर जायज़ा करना चाहिए , तथा नगर से दूर फैक्ट्री लगाने की अनुमति देनी चाहिए। वृक्षारोपण पर विशेष जागरूकता पैदा करना व वृक्ष कांटने वालो पर अत्यधिक जुर्माना लगाने का प्रावधान भी लाना चाहिए।

उपसंहार – जैसे हम अपने जीवन के कार्यो के प्रति समर्पित है वैसे ही हमें अपने पर्यावरण के प्रति समर्पित होने की विशेष आवश्यकता है। अपनी आने वाली पीढ़ी को खुशहाल और हरा भरा वातावरण देने की हमारी जिम्मेदारी से हमे पीछे नही हटना चाहिए। वायु की गुणवत्ता को नुकसान हो ऐसा कोई भी काम नही करना चाहिए। हम सभी वृक्षारोपण से अपने पर्यावरण को और अपने आप को एक स्वस्थ ज़िंदगी भेंट कर सकते है।   

हमें आशा है आपको air pollution in hindi निबंध पसंद आया होगा। आप इस निबंध को air pollution in hindi essay के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। इस निबंध को air pollution speech in hindi language के लिए भी प्रयोग कर सकते है ।

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प्रदूषण पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 21, 2023

Essay on Pollution in Hindi

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 156 शहरों में तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। बहुत खराब का मतलब है कि इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रहा। जबकि 21 शहरों की हवा की क्वालिटी खराब श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जिसका जन्म विज्ञान से हुआ है जिसका परिणाम पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है। प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसका विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

This Blog Includes:

प्रदूषण क्या होता है, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, रेडियोएक्टिव प्रदूषण, थर्मल प्रदूषण, दृश्य प्रदूषण, एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है, विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर, प्रदूषण कम करने के उपाय, प्रदुषण पर निबंध 100 शब्द , प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 300 शब्द, प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द , प्रदुषण पर उद्धरण.

प्रदूषण(संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

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प्रदूषण के प्रकार 

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जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

Pollution Essay in Hindi वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

एयर क्वालिटी इंडेक्स को इंग्लिश में Air Quality Index AQI कहा जाता है जो कि एक इंडेक्स होता है। इसका इस्तेमाल सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि लोकल एयर क्वालिटी उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।

Pollution Essay in Hindi में एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

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हमें इस बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिए गए कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते हैं-

  • पटाखों को ना कहिए
  • अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर
  • कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके
  • काम्पोस्ट का उपयोग किजिए
  • प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके
  • रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर
  • कड़े इंडस्ट्रियल नियम-कानून बनाकर

प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह  पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण मुख्यतः 4  प्रकार का होता है  वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भू प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। वाहनो के बढ़ती संख्या की वजह से  हानिकारक और ज़हरीली गैसों का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है  वही दूसरी और कारखाने और खुले में आग जलाना, वायु प्रदुषण के मुख्य कारण हैं। कारखानें भी  निर्माण प्रक्रिया के दौरान  कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज  करते  है वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना  जल प्रदुषण का मुख्य कारण है। उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण भू  प्रदूषण होता है। भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्याओ और कभी कभी बहरापन का कारण बनती हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके।

प्रदुषण पर निबंध 200 शब्द 

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

Essay on Pollution in Hindi 300 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण कैसे होता है?

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है।

प्रदूषण के नुकसान

आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीज़ें अशुद्ध होती जा रही हैं। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है आज वो ही सबसे ज़्यादा खतरे में हैं। प्रदूषण से सबसे ज़्यादा नुकसान प्रकृति को हो रहा है। हवा, पानी और मिट्टी में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्रकृति और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ों आदि को भी हानि पहुँच रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, उस जल्द-से-जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।

प्रदूषण के कारण और बचाव

प्रदूषण के कई अलग-अलग कारण हैं, जिनमें पेड़ों की कटाई, बढ़ते उद्योग, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि शामिल हैं। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या का तेजी से बढ़ना। इन सभी कारणों की वजह से पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। यह वायु, जल, मृदा, ध्वनि आदि सभी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण से हमें भूकंप, बाढ़, तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ रहा है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे और अपने आसपास साफ-सफाई रखनी होगी। इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को कम करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।     

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ जाता है। और यह असंतुलन ही प्रदूषण मुख्य कारण बनता है। इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी चीजों पर इसका असर पड़ता हैं।

इसके अलावा जो भी कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। अतः हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

 प्रदूषण के कारण 

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

 प्रदूषण के सोर्स

  • घरेलू बेकार पदार्थ, जमा  हुआ  पानी, कूलर में पड़ा पानी, पौधों मे जमा पानी
  • रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
  • गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि
  • उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश 
  • पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम 

आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण। कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है। इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता। विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है। अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं, जैसे कि  मच्छर, मक्खियाँ व्इ त्यादि। कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती। पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है। ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है। धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है।  

प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
  • भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए। 
  • पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है।
  • कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
  • अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं।
  • कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। इसके उपाय के लिए डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प  है।
  • पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
  • प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
  • घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके ।
  • हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोका जा सके ।
  • यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  |
  • हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। 

निष्कर्ष 

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।

यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा, न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा, जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे। जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे। 

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।।
  • आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।
  • शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।
  • प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।।
  • हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।

इसके कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो जाती है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।

ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्प कणिकाएं, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं।

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वायु पर निबंध Essay On Air In Hindi

Essay On Air In Hindi  नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत करता हूँ आज के लेख में हम  वायु पर निबंध अनुच्छेद पैराग्राफ  पढेगे. जीवन के लिए आवश्यक तत्वों में से वायु एक है जिसकें बिना जीवन सम्भव नहीं हैं.

आज के  निबंध  में हम जानेगे कि  वायु क्या है अर्थ परिभाषा, विशेषताएं, परतें, महत्व  आदि को समझने का प्रयत्न करेंगे.

Essay On Air In Hindi वायु पर निबंध

Essay On Air In Hindi वायु पर निबंध

10 Lines on Air Pollution for Children and Students In Hindi

1) वायु प्रदूषण के लिए हानिकारक गैसों, विषैले तत्वों, एलर्जी आदि का वायु में प्रवेश उत्तरदायी है।

2) वायु प्रदूषण वायु की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित करता है, जिससे यह मानव अस्तित्व के लिए खतरनाक हो जाता है।

3) औद्योगिक, वाहन उत्सर्जन और ज्वालामुखी विस्फोट वायु प्रदूषण के कुछ कारण हैं।

4) अत्यधिक प्रदूषित हवा क्षेत्र के पौधे और वनस्पति को भी प्रभावित कर सकती है।

5) २०१२ में वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में ६ मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।

6) वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण मानव निर्मित गतिविधियाँ हैं।

7) स्मॉग एक प्रकार का वायु प्रदूषक है जो आंखों और गले में जलन पैदा कर सकता है, फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और यहां तक ​​कि अस्थमा के हमलों को भी जन्म दे सकता है।

8) उद्योगों और वाहनों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों ने वायु प्रदूषण को जन्म दिया।

9) जीवाश्म ईंधन के जलने में कमी, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग, पुनर्वनीकरण आदि वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

10) ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करने से पर्यावरण को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

Essay On Air In 300 Words In Hindi, हवा पर लघु निबंध

हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक गैसीय पदार्थ उपस्थित है इस गैसीय पदार्थ को वायु कहते हैं. कोई भी सजीव बिना वायु के जीवित नहीं रह सकता.

वायु का आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए हैं वायुमंडल कहलाता हैं. पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण वायु का यह घेरा पृथ्वी को जकड़े हुए हैं.

वायु की विशेषताएं

  • वायु सभी जगह व्याप्त है, किन्तु हम इसे देख नहीं पाते. हम केवल वायु का अनुभव ही कर सकते हैं.
  • वायु एक पदार्थ हैं.
  • इसमें भार होता हैं,
  • इसमें कोई रंग नहीं होता अर्थात वायु रंगहीन हैं.
  • इसके आर पार देखा जा सकता है, अतः वायु पारदर्शक होती हैं.
  • वायु अनेक भारी व हल्की गैसों का मिश्रण है वायुमंडल में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन, 0.093 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड, 0.90 प्रतिशत आर्गन तथा शेष अन्य गैसें व कण पाए जाते हैं. इस प्रकार वायु में सर्वाधिक मात्रा में नाइट्रोजन गैस पाई जाती है. यह गैस अपेक्षाकृत कम क्रियाशील होती हैं.
  • धरातल के समीप वायु का घनत्व अधिक पाया जाता है तथा ज्यों ज्यों हम धरातल से ऊपर उठाते हैं घनत्व कम होता जाता हैं.
  • सामान्यतः भारी गैसें वायु मंडल के निचले भाग में तथा हल्की गैसें वायुमंडल के ऊपरी भाग में पाई जाती हैं.
  • वायु में कोई गंध या स्वाद नहीं है.
  • वायु में जलवाष्प होती है, यही जलवाष्प गिलास की ठंडी सतह के सम्पर्क में आने पर वहां बूंदों के रूप में परिवर्तित होकर जमा हो जाती हैं.
  • जिस प्रकार सभी सजीवों को साँस लेने के लिए वायु आवश्यक है उसी प्रकार किसी वस्तु के जलने के लिए वायु भी जरुरी हैं.
  • वायु पर गर्मी और सर्दी का असर पड़ता है गर्मी पाकर वायु फैलती है गर्मियों में साइकिल के ट्यूब के फटने का भी यही कारण है सर्दी पाकर वायु सिकुड़ती हैं.
  • वायु गर्म होकर ऊपर उठती है गर्मियों में तेज हवा और आंधी चलने का यही कारण हैं.
  • हर खाली और रन्ध्रदार वस्तु में वायु होती हैं.
  • जलवाष्प व धुल के कण भी वायु का अवयव हैं.
  • यदि वायु का तापमान बढ़ता है तो उसका आयतन भी बढ़ता हैं.
  • वायु दवाब डालती हैं.
  • बंद पात्र में दाब बढ़ाने पर वायु संपीडित हो जाती हैं जैसे जैसे दाब बढाते है वायु और अधिक संपीडित होती हैं संपीडित वायु का दाब अधिक होता हैं.
  • वायु दाब में अंतर होने पर वायु का प्रवाह होता है मौसम परिवर्तन में वायुदाब की प्रमुख भूमिका होती हैं.
  • वायु का भार और दाब इसके तापमान के अनुसार बदलते रहते हैं.
  • वायु के विभिन्न गैसों का प्राकृतिक रूप से सन्तुलन बना रहता हैं.

वायुमंडल की परतें

क्षोभमंडल (Troposphere): वायुमंडल का सबसे निचला संस्तर 8 से 14.5 किमी तक. मुख्यतः नाइट्रोजन व ऑक्सीजन उपलब्ध. मौसमी परिवर्तन इसी मंडल में होते हैं. यह दिन में सूर्य की तेज गर्मी से हमारी रक्षा करता है तथा रात्रि में धरातल को ठंडा होने से बचाता हैं.

1920 में रूसी वैज्ञानिक मौलेशनौफ ने क्षोभमंडल की खोज की. इसकी उपरी सीमा क्षोभ सीमा कहलाती हैं. जिसकी चौड़ाई लगभग 1.5 से 2 किमी तक हैं. वायुमंडल का यह सबसे घना मंडल हैं.

वायु प्रदूषण

पृथ्वी के वायुमंडल को आधुनिक समय में वायु, जल और मिट्टी के प्रदूषण के गम्भीर खतरे का सामना करना पड़ रहा हैं. मानव की अनुचित गतिविधियों के चलते वायु की मूल प्रकृति में बदलाव आना प्रदूषण कहलाता हैं.

यातायात के साधनों, फैक्ट्रियों संयंत्रों से निकलने वाली विषैली गैसे प्रमुख रूप से वायु प्रदूषण की जिम्मेदार हैं. लोगों को वायु प्रदूषण इसके नुक्सान के बारे में जागरूक करके इसके स्तर को सिमित किया जा सकता हैं.

  • भारत की जलवायु एवं वर्षा वितरण
  • राजस्थान की जलवायु एवं वार्षिक वर्षा
  • वायु प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव एवं रोकने के उपाय

दोस्तों  Essay On Air In Hindi वायु पर निबंध  पर दिया गया निबंध आपकों कैसा लगा कमेंट कर जरुर बताएं, यदि आपकों वायु पर दिया गया निबंध पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें.

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Essay on Air Pollution for Students and Children

500+ words essay on air pollution.

Essay on Air Pollution – Earlier the air we breathe in use to be pure and fresh. But, due to increasing industrialization and concentration of poisonous gases in the environment the air is getting more and more toxic day by day. Also, these gases are the cause of many respiratory and other diseases . Moreover, the rapidly increasing human activities like the burning of fossil fuels, deforestation is the major cause of air pollution.

Essay on Air Pollution

How Air Gets Polluted?

The fossil fuel , firewood, and other things that we burn produce oxides of carbons which got released into the atmosphere. Earlier there happens to be a large number of trees which can easily filter the air we breathe in. But with the increase in demand for land, the people started cutting down of trees which caused deforestation. That ultimately reduced the filtering capacity of the tree.

Moreover, during the last few decades, the numbers of fossil fuel burning vehicle increased rapidly which increased the number of pollutants in the air .

Causes Of Air Pollution

Its causes include burning of fossil fuel and firewood, smoke released from factories , volcanic eruptions, forest fires, bombardment, asteroids, CFCs (Chlorofluorocarbons), carbon oxides and many more.

Besides, there are some other air pollutants like industrial waste, agricultural waste, power plants, thermal nuclear plants, etc.

Greenhouse Effect

The greenhouse effect is also the cause of air pollution because air pollution produces the gases that greenhouse involves. Besides, it increases the temperature of earth surface so much that the polar caps are melting and most of the UV rays are easily penetrating the surface of the earth.

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Effects Of Air Pollution On Health

air pollution essay in hindi for class 5

Moreover, it increases the rate of aging of lungs, decreases lungs function, damage cells in the respiratory system.

Ways To Reduce Air Pollution

Although the level of air pollution has reached a critical point. But, there are still ways by which we can reduce the number of air pollutants from the air.

Reforestation- The quality of air can be improved by planting more and more trees as they clean and filter the air.

Policy for industries- Strict policy for industries related to the filter of gases should be introduced in the countries. So, we can minimize the toxins released from factories.

Use of eco-friendly fuel-  We have to adopt the usage of Eco-friendly fuels such as LPG (Liquefied Petroleum Gas), CNG (Compressed Natural Gas), bio-gas, and other eco-friendly fuels. So, we can reduce the amount of harmful toxic gases.

To sum it up, we can say that the air we breathe is getting more and more polluted day by day. The biggest contribution to the increase in air pollution is of fossil fuels which produce nitric and sulphuric oxides. But, humans have taken this problem seriously and are devotedly working to eradicate the problem that they have created.

Above all, many initiatives like plant trees, use of eco-friendly fuel are promoted worldwide.

{ “@context”: “https://schema.org”, “@type”: “FAQPage”, “mainEntity”: [{ “@type”: “Question”, “name”: “Mention five effect of air pollution on human health?”, “acceptedAnswer”: { “@type”: “Answer”, “text”: “The major risk factor related to human health are asthma, lung cancer, Alzheimer, psychological complications, and autism. Besides, there are other effects of air pollution on a person’s health.”} }, { “@type”: “Question”, “name”: “What is the effect of air pollution in the environment?”, “acceptedAnswer”: { “@type”: “Answer”, “text”:”Acid, rain, ozone depletion, greenhouse gases, smog are many other things are the cause of air pollution that affect the environment severely.”} }] }

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Short Essay on Pollution For Class 5

Pollution is a rising problem in our society. It is bringing great danger to humanity. Long ago there was not as much pollution. But with the advancement of technology, pollution is increasing. Scientists are concerned about pollution. If we don’t prevent pollution, our next generation will suffer.

We are providing students of class 5 with two essay samples on the topic ‘Pollution’ in English for reference.

Short Essay on Pollution of 100 Words

There are many types of pollution. All these pollutions affect our daily life. Moreover, it directly affects the quality of life we are living. People who live in the city are more affected by air pollution. Pollutants like carbon-die-oxide and carbon-monoxide pollute the air.

People who live in the villages do not suffer from air pollution. Water pollution is a problem for them. Pollutants like herbicides, domestic wastes, insecticides make the water polluted there. Water pollution lowers the quality of agriculture.

Pollution affects our health very much. Inhaling polluted air for a long time can cause lung diseases. There are other pollutions like noise pollution, plastic pollution, solid waste pollution.

Long Essay on Pollution of 150 Words

Pollution is a word that is known by all at this moment. The increasing rate of pollution is making us worry. We all know pollution is a man-made phenomenon. Humans are responsible for all types of pollution.

Effects of air and water pollution are very much visible nowadays. Water pollution is making people suffer from various gut diseases. Lung cancer and bronchitis are two major diseases caused by air pollution.

Plastic pollution is interfering with our daily activity. Plastic is not biodegradable. So indirectly it is causing soil pollution. Plants and trees are the victims of regular soil pollution. Because of this, the roots of many trees are loosening. This is why floods are becoming so much frequent.

People need to be conscious to prevent all pollutions. The government should enforce strict rules to avoid all pollutions. We need to abide by those rules. This is how we can overcome the danger.

10 Lines On Pollution In English

  • Pollution is bringing damage to our nature in many ways.
  • Pollution causes various diseases around the world.
  • Planting trees can help us control pollution.
  • Our environment is greatly affected by pollution
  • Pollution is a result of human greed.
  • Noise pollution can damage our airs.
  • Air pollution can be controlled by adding an advanced exhaust filter in the cars.
  • Many industrial areas are contributing to air pollution.
  • People should be educated about all kind of pollutions and their effects on our life.
  • All water sources like rivers and ponds are getting affected by water pollution.

Frequently Asked Questions on Pollution Essay

Question: What is Pollution?

Answer: when a harmful and unknown substance gets mixed with a pure source, the result is known as pollution. In the 20th century, pollution is affecting our lives more than ever. Pollution is rising every day.

Question: What are the ways to prevent pollution?

Answer:  There are a few ways to prevent pollution. At first, we need to understand the importance of trees. Trees can prevent soil pollution directly. It increases the oxygen in the air. So we need to plant more trees.

Question: What is the most dangerous pollution?

Answer:  Air pollution is the most harmful among all pollution. It directly harms human health. Many people die from lung problems every year. Living in air polluted areas increases the chance of these problems.

Question: Name some of the most polluted cities in India .

Answer:  Cities like Patna, Ghaziabad, Delhi, Noida, Lucknow is very much polluted. The capital of India, New Delhi, is known for its extreme air pollution. Also, Varanasi is known for its water pollution.

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