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जन्माष्टमी पर निबंध | Essay on Janmashtami in Hindi

हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में ( Janmashtami in Hindi ) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Janmashtami Festival) के अंतर्गत हम जन्माष्टमी से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।

Short Essay on Janmashtami

प्रस्तावना :.

जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। यह पर पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ सभी श्रद्धालु मनाते हैं। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों के द्वारा पूर्ण आस्था एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण युगो युगो से हमारी आस्था और ध्यान का केंद्र है। वह कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कन्हैया जो सारे जगत के पालनहार हैं।

जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है:

भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जो कि रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा नगरी के राजा कंस के कारागार में हुआ था। मथुरा नगरी के राजा कंस के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय भविष्यवाणी हुए कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव के साथ कालकोठरी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण के पहले सातों पुत्रों की हत्या कर दी।

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जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया था कि वे श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा मैया और नंद बाबा के पास छोड़ आए, जहां वह अपने अत्याचार कंस मामा से सुरक्षित रह कर अपना पालन पोषण कर सके। इनका पालन-पोषण यशोदा मैया और नंद बाबा की देखरेख में ही हुआ। बस उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रति वर्ष जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

सभी जातियों के लोग इस दिवस को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिंदुओं के लिए एक बहुत ही प्रमुख त्योहार माना जाता है और इसे हर साल बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे भगवान श्री कृष्ण की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए इसे जन्माष्टमी कहा जाता है।

जन्माष्टमी के अलावा भी इसे कई अन्य नामों से जाना जाता है। जैसे- कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती आदि। श्री कृष्ण हिंदू धर्म के सबसे प्रिय भगवान थे। उन्होंने धरती पर मानव के रूप में जन्म लिया। जिससे वे मानव जीवन को बचा सके और मानव के दुखों को दूर करके सृष्टि का निर्माण कर सकें।

जन्माष्टमी का महत्व: 

हम जानते हैं कि जैसे ही विवाहित जीवन शुरू होता हर दंपत्ति की इच्छा होती है कि उसके पूरे जीवन के लिए उसके पास एक अनूठा बच्चा हो। विवाहित सभी जोड़ों को यह आशीर्वाद मिलता है और जल्द ही उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है कभी-कभी कुछ कारणों से देरी भी होती है।

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पौराणिक समय के ऋषि मुनि के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को पूरा करने वाले को व्रत का फल एक बच्चे के आशीर्वाद के रूप में मिलता है। जो महिलाएं अविवाहित होती है वह भविष्य में एक अच्छे बच्चे के लिए इस दिन का व्रत श्रद्धा से करती है।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म लेना धर्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वे भगवान विष्णु के रूप में पृथ्वी पर आए थे और मानव जीवन को उनके आदर्शों के साथ दिशा दिखाने के लिए आये थे। उनके जीवन की गाथाएँ हमें मोक्ष और धर्म के महत्व को समझाती हैं।

जन्माष्टमी के त्योहार कैसे मनायें:

मंदिर यात्रा: जन्माष्टमी के दिन, लोग मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं। मंदिरों में धूप, दीप, फूल, और पुष्पांजलि के साथ भगवान का अनुसरण करते है।

रासलीला: कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी के दिन रासलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण के लीलाएँ दिखाई जाती हैं। यह दृश्य देखकर लोग भगवान की भक्ति में मग्न हो जाते है ।

फल और मिठाई बाँटना: जन्माष्टमी के दिन हमलोग गरीबों को फल और मिठाई बाँटते हैं। इससे एक अपना सा माहौल बनता है और समाज में सहानुभूति की भावना बढ़ती है।

जन्माष्टमी का महत्व सामाजिक दृष्टि से भी बहुत अधिक है। यह पर्व समाज में एकता और प्यार की भावना को बढ़ावा देता है। लोग इस दिन परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और अच्छे कर्मों की ओर बढ़ने का संकेत देते हैं।

दही-हांडी/ मटकी फोड़ प्रतियोगिता :

जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगहों पर दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन होता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल गोविंदा भाग लेते हैं और छाछ दही आदि से भरी इस मटकी को रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दिया जाता है और बाल गोविंदा इस मटकी को छोड़ने का प्रयास करते हैं। इस प्रतियोगिता को जीतने वाली टीम को उचित इनाम दिया जाता है।

मंदिरों की सौंदर्यता:

जिस दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है। उस दिन मंदिरों को खास तौर पर वह भी रूप में सजाया जाता है। इस दिन सभी लोग 12:00 बजे तक व्रत रखते हैं। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में झांकियां निकाली जाती है और भगवान श्री कृष्ण को झूले पर बुलाया जाता है।

जगह जगह पर इस दिन रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हर बच्चे के घर के सामने पाल ने सजाए जाते हैं। जहां वे इस कॉलोनी में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं।

इस प्रकार कृष्ण के आसपास अन्य खिलौने रखकर उन्हें देखने के लिए आसपास से बहुत से लोग आते हैं। जिस वजह से वहां पर मेला से लग जाता है और झूले खिलौनों की बौछार हो जाती है क्योंकि जो भी व्यक्ति देखने आते हैं। वह खुशी से श्री कृष्ण भगवान के लिए झूले और खिलौने लेकर आते हैं।

जन्माष्टमी का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व:

जन्माष्टमी के पर्व का हमारे जीवन में सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व की भावना को बढ़ावा देना है । यह हमें अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमारे मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद भी करता है।

जन्माष्टमी के दिन हम भगवान कृष्ण के आदर्शों के साथ जुड़कर उनकी भक्ति करते हैं। हम उनके जीवन से सीखते हैं कि कैसे हमें आध्यात्मिकता, ध्यान, और कामना एवं वासना से रहित कर्म के माध्यम से हम अच्छे मानव बन सकते हैं। उनकी गीता में दी गई उपदेशों ने हमें जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझाया है और हमारी मानसिकता को सुधारने में मदद की है।

जन्माष्टमी के दिन हम अपने आप को भगवान कृष्ण के साथ जोड़ सकते हैं और अच्छे कर्मों की ओर बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, इसे मानवता के लिए सेवा का मौका भी माना जाता है।

Frequently Asked Questions

उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर मनाया जाता है।

उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।

उत्तर: भगवान श्री कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे।

उत्तर: भगवान श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे।

उत्तर: भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।

उपसंहार (Conclusion of Janmashtami)

जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक, सामाजिक एकता, और अच्छे कर्मों की भावना को बढ़ावा देता है। यह हमें भगवान कृष्ण के आदर्शों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमें एक बेहतर और सद्गुणी जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए, हमें जन्माष्टमी को खुशी और उत्साह के साथ मनाना चाहिए और इस अलोकिक पर्व का महत्व अच्छे कार्यों की ओर बढ़ने पर प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Janmashtami festival) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।

यदि आपको यह लेख Janmashtami Essay अच्छा लगा हो इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो आप अपनी प्रसन्नता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook , Google+, Twitter इत्यादि पर Share कीजिए।

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कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Krishna Janmashtami Essay in Hindi)

पुराणों के अनुसार सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग इन चार युगों में समयकाल विभाजित है। द्वापर युग में युगपुरूष के रूप में असमान्य शक्तियों के साथ श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में मध्यरात्री में कंश के कारागृह में जन्म लिया। कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है अतः हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर छोटे-बडें निबंध (Short and Long Essay on Krishna Janmashtami in Hindi, Krishna Janmashtami par Nibandh Hindi mein)

जन्माष्टमी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष को कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदु धर्म के परंपरा को दर्शाता है व सनातन धर्म का बहुत बड़ा त्योहार है, अतः भारत से दूर अन्य देशों में बसे भारतीय भी इस त्योहार को धूम-धाम से मनाते हैं।

जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है

श्री कृष्ण को सनातन धर्म से संबंधित लोग अपने ईष्ट के रूप में पूजते है। इस वजह से उनके जीवन से जुड़ी अनेकों प्रसिद्ध घटनाओं को याद करते हुए उनके जन्म दिवस के अवसर को उत्सव के रूप में मनाते हैं।

विश्वभर में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम

यह पूरे भारत में मानाया जाता है। इसके अलावा बांग्लादेश के ढांकेश्वर मंदिर, कराची, पाकिस्तान के श्री स्वामी नारायण मंदिर, नेपाल, अमेरिका, इंडोनेशिया, समेत अन्य कई देशों में एस्कॉन मंदिर के माध्यम से विभिन्न तरह से मनाया जाता है। बांग्लादेश में यह राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, तथा इस दिवस पर राष्ट्रीय छुट्टी दी जाती है।

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत

यह भारत के विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न तरह से मनाया जाता है। इस उत्सव पर ज्यादातर लोग पूरा दिन व्रत रह कर पूजा के लिए घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखते हैं। पूरा दिन भजन कीर्तन करते तथा उस मौसम में उपलब्ध सभी प्रकार के फल और सात्विक व्यंजन से भगवान को भोग लगा कर रात्रि के 12:00 बजे पूजा अर्चना करते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी की विशेष पूजा सामग्री का महत्व

पूजा हेतु सभी प्रकार के फलाहार, दूध, मक्खन, दही, पंचामृत, धनिया मेवे की पंजीरी, विभिन्न प्रकार के हलवे, अक्षत, चंदन, रोली, गंगाजल, तुलसीदल, मिश्री तथा अन्य भोग सामग्री से भगवान का भोग लगाया जाता है। खीरा और चना का इस पूजा में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है जन्माष्टमी के व्रत का विधि पूर्वक पूजन करने से मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर वैकुण्ठ (भगवान विष्णु का निवास स्थान) धाम जाता है।

श्री कृष्ण को द्वापर युग का युगपुरूष कहा गया है। इसके अतिरिक्त सनातन धर्म के अनुसार विष्णु के आंठवे अवतार हैं, इसलिए दुनिया भर में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध – 2 (400 शब्द)

श्री कृष्ण के भजन कीर्तन और गीतों के माध्यम से उनका आचरण और कहानियां विश्व विख्यात हो गई है। इस कारणवश श्री कृष्ण के जन्म दिवस को उत्सव के रूप में विश्व भर में मनाया जाता है। यह सनातन धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, अतः इस दिवस पर अनेक लोगों द्वारा उपवास भी रखा जाता है।

भारत के विभिन्न स्थान पर कृष्ण जन्माष्टमी

भारत विभिन्न राज्यों से बना एक रंगीन (रंगो से भरा) देश है। इसमें सभी राज्य के रीति रिवाज, परंपरा एक दूसरे से असमानता रखते हैं। इसलिए भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में कृष्ण जन्माष्टमी का विभिन्न स्वरूप देखने को मिलता है।

महाराष्ट्र की दही हांडी

दही हांडी की प्रथा मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात से संबंध रखता है। दुष्ट कंस द्वारा अत्याचार स्वरूप सारा दही और दुध मांग लिया जाता था। इसका विरोध करते हुए श्री कृष्ण ने दुध-दही कंस तक न पहुंचाने का निर्णय लिया। इस घटना के उपलक्ष्य में दही हांडी का उत्सव मटके मे दही भरकर मटके को बहुत ऊचाई पर टांगा जाता है तथा फिर युवकों द्वारा उसे फोड़ कर मनाया जाता है।

मथुरा और वृदावन की अलग छटा

वैसे तो जन्माष्टमी का त्योहार विश्व भर (जहां सनातन धर्म बसा हुआ है) में मनाया जाता है, पर मथुरा और वृदावन में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यहां कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रासलीला का आयोजन किया जाता है। देश-विदेश से लोग इस रासलीला के सुंदर अनुभव का आनंद उठाने आते हैं।

दिल्ली में एस्कॉन मंदिर की धूम

देश भर के कृष्ण मंदिरों में दिल्ली का एस्कॉन मंदिर प्रसिद्ध है। इस दिवस की तैयारी मंदिर में हफ्तों पहले से शुरू कर दी जाती है, उत्सव के दिन विशेष प्रसाद वितरण तथा भव्य झांकी प्रदर्शन किया जाता है। जिसे देखने और भगवान कृष्ण के दर्शन हेतु विशाल भीड़ एकत्र होती है। इस भीड़ में आम जनता के साथ देश के जाने माने कलाकार, राजनीतिज्ञ तथा व्यवसायी भगवान कृष्ण के आशिर्वाद प्राप्ति की कामना से पहुंचते हैं।

देश के अन्य मंदिर के नज़ारे

देश के सभी मंदिरों को फूलों तथा अन्य सजावट की सामग्री के सहायता से कुछ दिन पहले से सजाना प्रारम्भ कर दिया जाता है। मंदिरों में कृष्ण के जीवन से जुड़े विभिन्न घटनाओं को झांकी का रूप दिया जाता है। इस अवसर पर भजन कीर्तन के साथ-साथ नाटक तथा नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। इसके साथ ही राज्य पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए जाते हैं जिससे की उत्सव में कोई समस्या उत्पन्न न हो सके।

श्री कृष्ण हिंदुओं के आराध्य के रूप में पूजे जाते हैं इस कारणवश भारत के अलग-अलग क्षेत्र में कोई दही हांडी फोड़ कर मनाता है, तो कोई रासलीला करता है। इस आस्था के पर्व में भारत देश भक्ति में सराबोर हो जाता है।

Krishna Janmashtami par Nibandh – 3 (500 शब्द)

वर्ष के अगस्त या सितम्बर महिने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव तथा हिंदुओं के आस्था का प्रतीक है। इस त्योहार को दो दिन मनाया जाता हैं।

Essay on Krishna Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी दो दिन क्यों मनाया जाता हैं ?

ऐसा माना जाता है नक्षत्रों के चाल के वजह से साधु संत (शैव संप्रदाय) इसे एक दिन मनाते हैं, तथा अन्य गृहस्थ (वैष्णव संप्रदाय) दूसरे दिन पूजा अर्चना उपवास करते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर बाज़ार की चहल-पहल

कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हफ्तों पहले से बाज़ार की रौनक देखते बनती है, जिधर देखो रंग बिरंगे कृष्ण की संदुर मन को मोह लेने वाली मूर्तियां, फूल माला, पूजा सामग्री, मिठाई तथा सजावट के विविध समान से मार्केट सज़े मिलते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का महत्व बहुत व्यापक है, भगवत गीता में एक बहुत प्रभावशाली कथन है “जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं जन्म लूँगा”। बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो एक दिन उसका अंत अवश्य होता है। जन्माष्टमी के पर्व से गीता के इस कथन का बोध मनुष्य को होता है। इसके अतिरिक्त इस पर्व के माध्यम से निरंतर काल तक सनातन धर्म की आने वाली पीढ़ी अपने आराध्य के गुणों को जान सकेंगी और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगी। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हमारे सभ्यता व संस्कृति को दर्शाता है।

युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता, संसकृति से अवगत कराने के लिए, इन लोकप्रिय तीज-त्योहारों का मनाया जाना अति आवश्यक है। इस प्रकार के आध्यात्मिक पर्व सनातन धर्म के आत्मा के रूप में देखे जाते हैं। हम सभी को इन पर्वों में रुचि लेना चाहिए और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं को जानना चाहिए।

कृष्ण की कुछ प्रमुख जीवन लीला

  • श्री कृष्ण के बाल्यावस्था के कारनामों को ही देखते हुए इस बात को अनुमान लगाया जा सकता है, वह निरंतर चलते रहने और धरती पर अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अवतरित हुए। एक के बाद एक राक्षसों (पूतना, बघासुर, अघासुर, कालिया नाग) के वध से उनकी शक्ति और पराक्रम का पता चलता है।
  • अत्यधिक शक्तिशाली होने के उपरांत (बाद) भी, वह सामान्य जनों के मध्य सामान्य व्यवहार करते, मटके तोड़ देना, चोरी कर माखन खाना, ग्वालो के साथ खेलना जीवन के विभिन्न पहलुओं के हर भूमिका को उन्होनें आनंद के साथ जीया है।
  • श्री कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। सूफी संतों के दोहों में राधा तथा अन्य गोपियों के साथ कृष्ण के प्रेम व वियोग लीला का बहुत संदुर चित्रण प्राप्त होता है।
  • कंस के वध के बाद कृष्ण द्वारकाधीश बने, द्वारका के पद पर रहते हुए वह महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बने तथा गीता का उपदेश देकर अर्जुन को जीवन के कर्तव्यों का महत्व बताया और युद्ध में विजय दिलाया।

कृष्ण परम ज्ञानी, युग पुरूष, अत्यधिक शक्तिशाली, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले तथा एक कुशल राजनीतिज्ञ थे पर उन्होंने अपनी शक्तियों का उपयोग कभी स्वयं के लिए नहीं किया। उनका हर कार्य धरती के उत्थान के लिए था।

कारावास में कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण के कारागृह में जन्म लेने के वजह से देश के ज्यादातर थाने तथा जेल को कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सजाया जाता है तथा यहां पर्व का भव्य आयोजन किया जाता है।

श्री कृष्ण के कार्यों के वजह से महाराष्ट्र में विट्ठल, राजस्थान में श्री नाथजी या ठाकुर जी, उड़ीसा में जगन्नाथ तथा इसी तरह विश्व भर में अनेक नामों से पूजा जाता है। उनके जीवन से सभी को यह प्रेरणा लेने की आवश्यकता है की चाहे जो कुछ हो जाए व्यक्ति को सदैव अपने कर्म पथ पर चलते रहना चाहिए।

Essay on Krishna Janmashtami in Hindi

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्णपक्ष के अष्टमी के दिन मनाया जाता है।

उत्तर – वे विष्णु के 8वें अवतार थें।

उत्तर – वे वासुदेव व देवकी के आठवीं संतान थे।

उत्तर – कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।

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जन्माष्टमी पर निबंध - Janmashtami Essay in Hindi

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जन्माष्टमी पर निबंध - Janmashtami Essay in Hindi: कृष्ण जन्माष्टमी भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो हिंदू माह श्रावण के कृष्ण पक्ष के 8वें दिन मनाया जाता है। यह भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है और पूरे देश में हिंदू इसे खुशी से मनाते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात और अन्य राज्यों में उत्सव विशेष रूप से मनाते हैं। इस त्योहार के दौरान भगवान् विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण का सम्मान किया जाता है।

जन्माष्टमी २०२३ तिथि - Janmashtami 2023 Date 

द्रिक पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी 2023 लगातार दो दिन पड़ रही है. 

2023 में, जन्माष्टमी के लिए रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर को सुबह 9:20 बजे शुरू होगा और 7 सितंबर को सुबह 10:25 बजे समाप्त होगा। रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि एक साथ होने के कारण श्री कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी २०२३ की छुट्टी - Janmashtami Holiday 2023

जन्माष्टमी २०२३ निबंध , कृष्णा जन्माष्टमी पर 10 lines हिंदी में .

  • Line 1: कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म का हिंदू त्योहार है।
  • Line 2: जन्माष्टमी भारत में एक प्रमुख त्योहार है और इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  • Line 3: माना जाता है कि उनका जन्म भारत के मथुरा में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था।
  • Line 4: कृष्ण हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय देवता हैं और उनकी पूजा उनके चंचल और शरारती स्वभाव के साथ-साथ उनकी बुद्धि और करुणा के लिए की जाती है।
  • Line 5: भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता विष्णु के आठवें अवतार हैं।
  • Line 6: भक्त इस दिन उपवास करते हैं, भजन गाते हैं, मंदिरों को सजाते हैं और अपने आस पास के सभी जगहों को रोशन किया जाता है।
  • Line 7: जन्माष्टमी पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शन भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे नाटक, नृत्य और संगीत समारोह।
  • Line 8: कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के लिए अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने का समय है।
  • Line 9: इस त्यौहार को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कृष्ण का जन्म मथुरा के पास एक गाँव गोकुल में हुआ था।
  • Line 10:जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को फूलों, दीपों और मेहराबों से सजाया जाता है। भक्त प्रार्थना करते हैं और कृष्ण के भजन गाते हैं।
  • दही हांडी: भारत के कुछ हिस्सों में बुराई के विनाश के प्रतीक के रूप में मिट्टी के बर्तन तोड़ने (जिसे मटका फोड़ कहा जाता है) की परंपरा है।
  • जन्माष्टमी परिवार और दोस्तों के इकट्ठा होने और जश्न मनाने का भी समय है। लोग खीर, चावल का हलवा और पूरन पोली जैसे पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं।

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श्री कृष्णा जन्माष्टमी पर 500 शब्दों में हिंदी निबंध - 500 words essay krishna janmashtami, परिचय (introduction), श्री कृष्ण जन्माष्टमी.

यह त्यौहार भाद्रपद महीने के अंधेरे पखवाड़े के आठवें दिन मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर में पड़ता है। इस दिन, कृष्ण मंदिरों को फूलों, रोशनी और अन्य उत्सव की वस्तुओं से सजाया जाता है। भक्त उपवास करते हैं और कृष्ण से प्रार्थना करते हैं। कई भक्त उनके जन्म का जश्न मनाने के लिए पूरी रात जागते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था।

कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के कई अलग-अलग तरीके हैं। कुछ लोग ऐसे ग्रंथ पढ़ते हैं जो कृष्ण के जीवन की कहानी बताते हैं, तो कई लोग उनकी प्रशंसा में कृष्ण भजन गाते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में कृष्ण-लीला करने या कृष्ण के जन्म की कहानी को नाटक के माध्यम से प्रदर्शित करने की भी परंपरा है।

कृष्ण जन्माष्टमी पर एक लोकप्रिय परंपरा दही-हांडी या मटकी-फोर है, यानी दूध और दही से भरे मिट्टी के बर्तन को फोड़ना। यह बुराई के विनाश के प्रतीक के रूप में किया जाता है। यह भगवान के प्रति भक्त के प्रेम का भी एक कार्य है क्योंकि कृष्ण अपने शरारती बचपन के लिए जाने जाते हैं। एक अन्य परंपरा किसी गरीब व्यक्ति को खाना खिलाना या किसी आश्रय स्थल को भोजन दान करना है।

कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के लिए अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने और उनमें अपनी आस्था की पुष्टि करने का समय है। यह परिवार और दोस्तों के इकट्ठा होने और एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेने का भी समय है।

श्री कृष्ण का महत्व

श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का महत्व.

कृष्ण जन्माष्टमी एक खुशी का त्योहार है जो दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। यह अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने, अपने विश्वास की पुष्टि करने और परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का समय है।

यह त्यौहार सभी भक्तों के लिए कृष्ण की शिक्षाओं पर विचार करने की शिक्षा  देता है। कृष्ण एक बुद्धिमान शिक्षक हैं जिन्होंने अपने अनुयायियों को प्रेम, करुणा और दूसरों की सेवा का महत्व सिखाया। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों को अधिक पूर्ण और सार्थक जीवन जीने में मदद कर सकती हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला एक उत्साहपूर्ण त्योहार है। यह अवसर हम सभी को प्रेम, कड़ी मेहनत, सामाजिक संबंध, कर्म आदि के बारे में भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं का पालन करने के लिए भी आमंत्रित करता है, जो सुखी एवं समृद्ध जीवन के लिए हमें ज्ञान प्रदान करते हैं।

How Kids Celebrate Janmashtami in Various Parts of India

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write essay on janmashtami in hindi

कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध | Krishna Janmashtami Essay in Hindi

जन्माष्टमी पर निबंध, 10, 20, 50, 100, लाइन, 100, 200 और 500 शब्द, छोटे- छोटे पैराग्राफ, शार्ट एवं लॉन्ग (Krishna  Janmashtami Essay in Hindi, 150 words, line, Students and Children, Paragraph for class 5)

Krishna  Janmashtami Essay in Hindi – कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओ का एक सबसे अहम त्योहार है जो हर वर्ष श्रावण माह की कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है. इस पर्व को भगवान कृष्ण जी (shree krishna janmashtami 2023) के जन्मोत्सव के रूप में मनाते है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात सहित पुरे देश में इस हर्षोल्लास के साथ इसे मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग व्रत रखते है विशेष रूप से भगवान कृष्ण के भक्त इनकी पूजा अर्चना करते है. हर साल कृष्ण जन्माष्टमी अमूमन अगस्त और सितंबर के महीने में आती है. इस दिन भगवान् विष्णु की भी पूजा की जाती है क्योंकि  भगवान् विष्णु जी के अवतार भगवान कृष्ण है. देश के सभी मंदिरों में भगवान कृष्ण की खुबसूरत झांकी निकली जाती है.   

Krishna Janmashtami Essay in Hindi

Table of Contents

जन्माष्टमी पर निबंध (Krishna Janmashtami Essay in Hindi)

जन्माष्टमी पर 100 लाइन का निबंध.

जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद मनाये जाने वाले उत्सव (shri krishna janmashtami 2023 kab hai) हैं. जन्माष्टमी के दिन (मध्य रात्रि) को भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए प्रत्येक वर्ष उनके जन्मोत्सव को धूम धाम के साथ मनाया जाता हैं, जिसको जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता हैं. जन्माष्टमी को सनातन धर्म का प्रमुख त्यौहार माना जाता हैं. इस दिन को सनातन धर्म के लोग एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं और भगवान श्री कृष्ण की पूजा, व्रत, सावर्जनिक कार्यक्रम का आयोजन आदि करते हैं.  

भगवान विष्णु का कृष्णावतार स्वरुप

भगवान श्री कृष्ण का अवतार (जन्म) उस काल में हुआ था, जब पृथ्वी के एक बड़े भू भाग पर अत्याचारियों की संख्या बहुत बढ़ गई थी. धर्म का नाश हो रहा था. अच्छे लोग पीड़ित थे. वैसे ही एक अत्याचारी राजा था, जिसका नाम कंश था. भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अत्याचारी कंश के वध के लिए ही इस धरा पर अवतार धारण किया था.

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जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध (Essay On Janmashtami In Hindi For Class 5)

जन्माष्टमी का उत्सव.

भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के सोलह कलाओ से संपन्न अवतार थे. वे पूर्ण ब्रह्म थे. इस कारण जब उनका जन्म हुआ तो हर ओर उल्लास के साथ उत्सव मनाया गया. उसी उत्सव के निमित्त आज भी प्रत्येक वर्ष उनका जन्म दिन को उत्सव के साथ मनाया जाता हैं. लोग इस दिन व्रत धारण करते हैं. उत्सव मनाते हैं, कई स्थानों पर जन्माष्टमी के अगले दिन गोविंदा दही हांड़ी फोड़ते हैं, मंदिरो में भजन की गूंज सुनाई पड़ती हैं और वातावरण में सकरात्मता का संचार होता हैं.

भगवान श्री कृष्ण का जन्म

भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष (अँधेरे पखवाड़े) की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि के समय कंश के कारागार, मथुरा (आज का वर्तमान मथुरा) में हुआ था, जबकि जिस समय भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय रोहिणी नक्षत्र था. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जन्माष्टमी प्रत्येक वर्ष अगस्त या सितंबर महीना में आती हैं.

शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी की रात्रि को मोह रात्रि भी कही जाती हैं. जन्माष्टमी की रात्रि जागरण का एक कारण यह भी हैं कि इस रात्रि को जाग कर भगवान श्री कृष्ण की भक्ति, भजन, ध्यान, साधना करने से प्राणी की अनावश्यक मोह माया से मुक्ति मिलती हैं और वह परमार्थ की ओर अग्रसर हो जाता हैं. जन्माष्टमी का व्रत अपने आप में अति फलदायी हैं.

रोहिणी नक्षत्र और निशिता काल

चूँकि भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए रोहिणी नक्षत्र में किया गया व्रत अधिक फलदायी होता हैं. रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर 2023 (krishna birthday date 2023) की सुबह 9:20  से 7 सितंबर 2023 की सुबह 10:25 तक हैं. जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण की पूजा निशिता काल में (krishna janmashtami 2023 date and time)  होती हैं. निशिता काल मध्य रात्रि के आस पास के समय को कहते हैं.

Krishna Janmashtami Par Nibandh In Hindi

भगवान श्री कृष्ण की जन्म से जुड़ी दैवीय घटना.

उस समय कंश मथुरा का राजा हुआ करता था. वह बड़ा अत्याचारी था. उसके अत्याचार और अन्याय से जन जन पीड़ित थे. वह धर्म का नाश कर रहा था. इस कारण भगवान विष्णु ने देवकी के गर्भ से अवतार धारण किया लेकिन उनके धरती पर अवतार धारण करने से पहले एक घटना देखने को मिली.

कंश की एक छोटी बहन थी, जिनका नाम देवकी था और उनके पति का नाम वासुदेव था. जब एक बार कंश उन दोनों को लेकर भ्रमण पर जा रहे थे तभी उसे एक आकाशवाणी सुनाई पड़ी, जिसमें कंश को बताया गया कि देवकी की आठवीं संतान ही उसका वध करेगा.

इसके बाद कंश क्रोधित हो गया और बाद में उसने देवकी व वासुदेव को कारागार में डालकर बंदी बना लिया. वहां कंश ने उनकी छः संतानो के जन्म लेते ही बारी बारी से उन सभी की हत्या कर दी मगर सातवीं संतान में वह भगवान की माया का शिकार हो गया और अंत में जब आठवीं संतान की बारी आयी तब स्वयं भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से जन्म धारण किया. उस समय मध्य रात्रि थी. वह अँधेरे पखवाड़े का समय था. बाद के समय में वही अँधेरा पखवाड़ा कृष्ण पक्ष के नाम से जाने जाने लगा. अँधेरा पखवाड़ा होने के कारण वह बड़ी घनघोर अँधेरी रात्रि थी. उस अँधेरी रात्रि में बाहर तेज मूसलाधार बारिश हो रही थी.

लेकिन भगवान के जन्म लेने के बाद अचानक से कारागार के द्वार स्वयं ही खुल गए. सैनिक, पहरेदार को गहरी नींदे  आ गई. तब वासुदेव ने शिशु कृष्ण की जान बचाने के लिए उसी समय उन्हें टोकड़ी में लेकर वहां से निकल गए क्योकि अगर कंश को पता चल जाता तो इससे शिशु कृष्ण की जान को संकट था. वासुदेव उसी अँधेरी रात्रि की मूसलाधार बारिश में यमुना नदी को पार करते हुए यशोदा और नन्द के घर पहुंच गए. उस समय यशोदा के गर्भ से स्वयं महामाया ने जन्म लिया था. इसके बाद वासुदेव ने शिशु कृष्ण को यशोदा के पास रख दिया और वहां पहले से अवतरिक महामाया के अंश को अपने साथ लेकर पुनः कारागार आ गए.

इससे कंश के हाथो शिशु कृष्ण का जीवन बच गया. इधर जब कंश को पता चला तो उसे आश्चर्य हुआ कि आकशवाणी के अनुसार तो आठवीं संतान लड़का होना था, लेकिन लड़की कैसे हो गई. बाद में वह जब महामाया के अंश को मारने आया तब वह उसके हाथो से छूटकर विराट रूप धारण करके बोली कि तू मुझे क्या मारेगा, तुझे मारने वाला तो गोकुल में जन्म धारण कर चुका हैं. उसके बाद वह वही अंतर्धान हो गई.  

श्री कृष्णा जन्माष्टमी निबंध हिंदी (Shri Krishna Janmashtami Paragraph in Hindi)

जन्माष्टमी में भगवान श्री कृष्ण की पूजा.

श्री कृष्ण पूर्ण ब्रह्म हैं. वह सच्चे प्रेम भक्ति के वश में होते हैं. इसलिए जन्माष्टमी में उनकी पूजा श्रद्धा के साथ करनी चाहिए. उनकी छोटी प्रतिमा को रंग बिरंगे वस्त्र, गहना आदि से सजा देना चाहिए. उनकी प्रतिमा को धुप दीप से वंदना करनी चाहिए. उन्हें पुष्प अर्पित करनी चाहिए. उन्हें चंदन लगाना चाहिए. इसके साथ ही उन्हें भोग भी लगाना चाहिए. चूँकि जन्माष्टमी में भगवान श्री कृष्ण के शिशु स्वरुप की पूजा होती हैं, इसलिए उन्हें दूध, दही, मक्खन, मिसरी आदि अर्पित करनी चाहिए. पूजन के बाद उन्ही प्रसाद का वितरण करना चाहिए.  

भगवान कृष्ण का स्वरुप – बांसुरी वाला से चक्रधर तक

भगवान श्री कृष्ण बाल अवस्था में कई बाल लीलाएं की. वे बड़े मनभावन लीलाएं थी. वे बाल अवस्था में बांसुरी धारण करते थे और ग्वाल बाल के साथ गायें चराने भी जाते थे. उन्होंने रास लीलाएं भी की मगर बाद में उन्होंने अपने स्वरुप में बदलाव किया. उन्होंने बांसुरी त्याग कर धर्म रक्षा के लिए चक्र धारण किया और अनगिनत पापियों का वध किया. उन्होंने महाभारत युद्ध में अर्जुन की सारथी की भूमिका निभाई.

महाभारत युद्ध में उन्होंने शस्त्र न उठाने का प्रण ले रखा था इसलिए उस युद्ध में उन्होंने प्रत्यक्षतः शस्त्र नहीं उठाया मगर बावजूद इसके उस युद्ध में उनकी भूमिका सबसे अधिक थी. उसी युद्ध भूमि में उन्होंने अर्जुन के नेत्र पर चढ़े मोह के परत को हटाने के लिए ज्ञान दिए, जो गीता का ज्ञान से जाना जाता हैं. गीता सनातन धर्म के सबसे पवित्र धर्म ग्रंथो में से एक हैं. गीता निष्काम कर्म की शिक्षा देती हैं.

निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको बताया जन्माष्टमी पर निबंध ( Krishna Janmashtami Essay in Hindi ) के बारें में. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी. अगर आपका कोई सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताइए. अगर आपको लेख अच्छा लगा हो तो रेटिंग देकर हमें प्रोत्साहित करें.

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जन्माष्टमी पर निबंध

write essay on janmashtami in hindi

By विकास सिंह

janmashtami essay in hindi

विषय-सूचि

जन्माष्टमी पर निबंध, janmashtami short essay in hindi (250 शब्द)

जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण का जन्मदिन जुलाई या अगस्त के महीने में भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह धार्मिक त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी या भादो के महीने में अंधेरे पखवाड़े के 8 वें दिन मनाया जाता है।

श्री कृष्ण को भगवान विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक माना जाता है। उनका जन्म 5,200 साल पहले मथुरा में हुआ था। श्रीकृष्ण के जन्म का एकमात्र उद्देश्य पृथ्वी को राक्षसों की बुराई से मुक्त करना था। उन्होंने महाभारत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भक्ति और अच्छे कर्म के सिद्धांत का प्रचार किया जो भागवत गीता में गहराई से वर्णित है।

श्रीकृष्ण का जन्म कंस के संरक्षण में जेल में हुआ था। वासुदेव, उनके पिता ने तुरंत अपने दोस्त नंद के बारे में सोचा और कृष्ण को कंस के चंगुल से बचाने के लिए अपने बच्चे को उन्हें सौंपने का फैसला किया। कृष्ण गोकुल में पले बढ़े और अंत में अपने चाचा राजा कंस को मार डाला।

जन्माष्टमी का वास्तविक उत्सव मध्यरात्रि के दौरान होता है क्योंकि माना जाता है कि श्रीकृष्ण को अपने चाचा कंस के शासन और हिंसा को समाप्त करने के लिए अंधेरी, तूफानी और घुमावदार रात में जन्म लेना चाहिए। पूरे भारत में इस दिन को भक्ति गीतों और नृत्यों, पूजाओं, आरती, शंख की ध्वनि और बच्चे श्रीकृष्ण की पालकी के साथ मनाया जाता है।

मथुरा और वृंदावन का जन्माष्टमी उत्सव, जिन स्थानों पर श्रीकृष्ण ने अपना जीवन बिताया था, वे बहुत खास हैं। इस दिन मंदिरों और घरों को शानदार ढंग से सजाया जाता है और रोशनी की जाती है। रात भर प्रार्थना की जाती है और मंदिरों में धार्मिक मंत्र गाए जाते हैं।

जन्माष्टमी पर निबंध, janmashtami essay in hindi (350 शब्द)

janmashtami essay

कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। उत्त प्रदेश में इसे अष्टमी भी कहा जाता है। जन्माष्टमी, कृष्ण के जन्म का एक हिंदू त्योहार है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। गोकुल और वृंदावन उनका खेल का मैदान था।

कृष्ण जन्माष्टमी अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो उत्तर भारत में 22 अगस्त को हिंदू कैलेंडर में श्रावण मास के अंधेरे आधे या कृष्ण पक्ष के आठवें दिन है। रास लीला मथुरा और वृंदावन के क्षेत्रों और मणिपुर में वैष्णववाद के बाद के क्षेत्रों में एक विशेष विशेषता है। रासलीला कृष्ण के युवा दिनों का एक मंच कार्यक्रम है। मक्खन के एक उच्च फांसी वाले बर्तन तक पहुंचने और इसे तोड़ने के लिए एक परंपरा है। यह गोकुलाष्टमी पर तमिलनाडु में एक प्रमुख कार्यक्रम है।

जन्माष्टमी, मुंबई और पुणे में दही हांडी के नाम से प्रसिद्ध है। यह बहुत उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। हाथियों को शहर के चारों ओर स्थापित किया जाता है, और युवाओं के समूह, जिन्हें गोविंदा पथक कहा जाता है, ट्रकों में यात्रा करते हैं, जो दिन के दौरान संभव के रूप में कई हाथियों को तोड़ने की कोशिश करते हैं। गुजरात में, जहां द्वारका शहर में द्वारकाधीश मंदिर है, इसे धूमधाम और खुशी के साथ मनाया जाता है।

पूर्वी राज्य उड़ीसा में, नबद्वीप में पुरी और पश्चिम बंगाल के आसपास, लोग इसे उपवास के साथ मनाते हैं और आधी रात को पूजा करते हैं। भागवत पुराण से पुराण प्रकाशन 10 वें स्कन्ध से किया गया है जो भगवान कृष्ण के अतीत से संबंधित है। अगले दिन को नंद उत्सव या नंद महाराज और यशोदा महारानी का आनंद उत्सव कहा जाता है। उस दिन लोग अपने उपवास को तोड़ते हैं और शुरुआती घंटों के दौरान विभिन्न पकाए गए मिठाइयों की पेशकश करते हैं।

कृष्णाष्टमी एकता की बहुत खुशी और अहसास लाती है। इसे भगवान कृष्ण की पूजा माना जाता है। श्रीकृष्ण ने गीता में सलाह और उपदेश दिए। इस किताब में लिखे गए हर शब्द ने हमेशा अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा दी।

जन्माष्टमी पर निबंध, long essay on janmashtami in hindi (600 शब्द)

janmashtami essay in hindi

जन्माष्टमी पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भगवान कृष्ण की जयंती के रूप में माना जाता है, जिन्हें हिंदू धर्म के अनुसार विष्णु का अवतार माना जाता है।

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण महीने के अगस्त (अगस्त-सितंबर) के आठवें दिन मनाया जाता है। कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे। राजा कंस ने यादव प्रांत “मथुरा” पर शासन किया और एक भविष्यवाणी ने अपनी बहन से पैदा हुए आठ पुत्रों द्वारा राजा की मृत्यु की भविष्यवाणी की। कंस ने दंपति को कैद करने के बाद देवकी द्वारा दिए गए सभी छह बच्चों को मार डाला।

सातवें, बलराम को चुपके से रोहिणी को सौंप दिया गया। आठवीं संतान कृष्णा थी। जिस रात कृष्ण का जन्म हुआ था, तब वासुदेव जेल से भाग गए थे और उन्हें गोकुला में अपने पालक माता-पिता, यसोदा और नंदा को सौंप दिया गया था। कृष्ण का अवतार अंधकार के अंत का संकेत देता है और पृथ्वी पर हावी हो रही बुरी ताकतों से बाहर निकलता है।

कहा जाता है कि वे एक सच्चे ब्राह्मण थे जो निर्वाण तक पहुंचे थे। कृष्ण को नीले रंग के रूप में जाना जाता है जहां आकाश की तरह नीले रंग की क्षमता और प्रभु की असीम क्षमता का प्रतीक है। उनके पीले कपड़े पृथ्वी के रंग का प्रतिनिधित्व करते हैं जब एक बेरंग लौ में पेश किया जाता है। बुराई को खत्म करने और अच्छाई को पुनर्जीवित करने के लिए कृष्ण के रूप में एक शुद्ध, अनंत चेतना का जन्म हुआ।

कृष्ण द्वारा बजाए गए बांसुरी का करामाती संगीत दिव्यता का प्रतीक है। बड़े हुए कृष्ण बाद में मथुरा लौट आए जहाँ उन्होंने कंस का वध किया और अपने बुरे कर्मों का अंत किया।

हिंदू मंदिरों, घरों और सामुदायिक केंद्रों में दो दिनों में जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं। आधी रात से शुरू होने वाले उत्सव से पहले भक्तों द्वारा 24 घंटे का उपवास रखा जाता है। इस अवसर को देवता की मूर्ति को पालने में रखकर दूध, घी, शहद, गंगाजल और तुलसी के पत्तों से बने पंचामृत से स्नान कराया जाता है। इस पंचामृत को भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

अक्सर एक पालने में बच्चे को रखा और हिलाया जाता है। कीर्तन, आरती, छंदों का पाठ करना और फूल चढ़ाना मंदिरों और अन्य स्थानों पर एक आम दृश्य है जहां पूजा चल रही है। मंदिरों को कवर करने वाली सजावट और लहराती रोशनी रात में एक अद्भुत दृश्य है।

मुंबई में मटकी फोडो (अर्थ मिट्टी के बर्तन) प्रतियोगिता का आयोजन कर जन्माष्टमी मनाने की अपनी एक परंपरा है, जिसमें युवा लड़के और लड़कियों के समूह शामिल होते हैं, जो एक अंगूठी बनाने के लिए भाग लेते हैं, और दही से भरी मटकी तक पहुँचने के लिए एक दूसरे के ऊपर एक मंजिल बनाते हैं।

एक बढ़े हुए तार पर। भक्तों का वह समूह जो सबसे पहले फॉलों को तोड़ने में सक्षम होता है और फिर से रिंग स्ट्रक्चर के फर्श बनाने के लिए उठता है उसे विजेता घोषित किया जाता है। इस तरह के प्रतियोगिता विभिन्न इलाकों में आयोजित किए जाते हैं।

भगवान कृष्ण के जन्म और जीवन का भारतीय संस्कृति, दर्शन और सभ्यता पर गहरा प्रभाव पड़ा। भागवत गीता में महाभारत नामक महाकाव्य युद्ध का वर्णन करने में कृष्ण द्वारा निभाई गई भूमिका में कृष्ण और राजकुमार अर्जुन के बीच एक संवाद शामिल है जहां कृष्ण एक शिक्षक और दिव्य सारथी के रूप में प्रस्तुत करते हैं: धर्म, योग, कर्म, ज्ञान और भक्ति योद्धा व्यवहार के आवश्यक तत्व के रूप में। बिना किसी लगाव के गीता के अनुशासित कार्यों का उपदेश भागवत गीता में सिखाया गया मूल सिद्धांत है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi

इस लेख में हमने जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi लिखा है जिसमें जन्माष्टमी क्या है,कब मनाया जाता है, यह क्यों मनाया जाता है, कैसे बनाया जाता है ,साथ ही जन्माष्टमी का महत्व तथा पूजा पद्धति और जन्माष्टमी पर 10 लाइन को विस्तृत रूप से बताया गया है।  

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प्रस्तावना (जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi) 

सनातन संस्कृति के प्रतिनिधित्व के रूप में भगवान विष्णु को देखा जाता है। भगवान विष्णु ही ब्रह्मांड के सर्वेसर्वा माने जाते हैं। भगवान राम से लेकर कृष्ण सभी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।

भगवान विष्णु को संसार के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। जन्माष्टमी को भगवान विष्णु के आराधक उनके कृष्ण अवतार को याद करते हैं।

सनातन संस्कृति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि के रचयिता पालनहार और विनाशक के रूप में जाना जाता है। मूल रूप से ब्रह्मा, विष्णु और महेश उस परमपिता परमात्मा के तीन कर्मों के नाम हैं जिन्हें देवता के रूप में पूजा जाता है।

हिंदू देवी देवताओं में श्रीकृष्ण को पूरी दुनिया में सबसे अधिक पूजा जाता है। श्री कृष्ण के ज्ञान श्री भगवत गीता को दुनिया के सभी धर्मों के लोग पढ़ते हैं और अपने सभी सवालों के जवाब पाते हैं यही कारण है कि पूरी दुनिया के लोगों में भगवान श्री कृष्ण की प्रसिद्धि ज्यादा है।

जन्माष्टमी क्या है? What is Janmashtami in Hindi?

भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी कहां जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए हर वर्ष इसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

जन्माष्टमी को हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। जिसे दुनिया भर में रहने वाले हिंदू अपनी अपनी श्रद्धा के अनुसार मनाते हैं।

जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है? Why is Janmashtami Celebrated?

द्वापर युग में जब आसुरी प्रवृत्तियों के लोग सज्जनों को सताने लगे और धर्म के विपरीत कर्म करने लगे और जब धरती पर कंस के द्वारा पाप की अधिकता होने लगी तब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया और धरती पर से आसुरी प्रवृत्तियों का समूल नाश करने की शुरुआत की।

जन्माष्टमी को मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, वैज्ञानिक तथा सामाजिक कारण भी है। आध्यात्मिक कारण के रूप में इस दिन की बड़ी महानता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन को ज्योतिष में बेहद प्रभावी दिन माना जाता है और इस दिन किए गए व्रत अनुष्ठान का फल कई गुना बढ़ जाता है।

वैज्ञानिक कारण के रूप में जन्माष्टमी को महाज्ञानी भगवान श्री कृष्ण के जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।

आज श्रीमद् भागवत गीता पर वैज्ञानिकों द्वारा गहन रिसर्च किया जा रहा है ऐसा माना जाता है कि श्रीमद्भागवत गीता में हर प्रश्नों का सटीक जवाब होता है। 

सामाजिक कारण के रूप में जन्माष्टमी यह जनसमूह को सदैव सत्य मार्ग पर चलने तथा हमेशा दया करुणा वह सहयोग की भावना जागृत रखने की सीख देता है।

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जन्माष्टमी कब है? When is Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आता है वर्ष के अगस्त या सितम्बर महीने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। इस वर्ष जन्माष्टमी 30 अगस्त दिन सोमवार को पड़ रहा है।

जन्माष्टमी का महत्व Importance of janmashtami in Hindi

सनातन संस्कृति में देवताओं और महापुरुषों की जयंती को बेहद पवित्र दिन माना जाता है और इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।

यह एक ओर मनुष्य को अभावों में विचलित न होने की सीख देता है तो दूसरी ओर बुराइयों के सामने अडिग खड़े रहने की सीख भी देता है।

हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए जन्माष्टमी का बहुत ही महत्व है क्योंकि वह इस दिन अपने आराध्य श्री कृष्ण के बाल लीलाओं तथा जीवन लीलाओं का आनंद लेते हैं साथ ही अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

जन्माष्टमी के सबसे बड़े महत्व के रूप में उन अनैतिकताओं को चुनौती दी जाती है और नास्तिकता को पर्याप्त सबूत मिलता है कि जब-जब धर्म की हानि होती है तब तक ईश्वर धरती पर जन्म लेते हैं।

जन्माष्टमी पर्व यह सनातन संस्कृति की महानता को भी दर्शाता है। क्योंकि सनातन संस्कृति में ही ऐसे महापुरुष और देवता हुए हैं जो जनसमूह पर बिना कोई दबाव बनाएं सत्य सनातन के मार्ग पर चलने का आग्रह करते हैं।

जन्माष्टमी हमें सिखाती है कि भले ही जीवन की शुरुआत कठिनाइयों में हुई हो लेकिन मनुष्य अपने पुरुषार्थ से सभी कठिनाइयों पर विजय पा सकता है।

भगवान श्री कृष्ण के जीवन में मुश्किलों का अंबार लगा रहा लेकिन उन्होंने हमेशा अपने पुरुषार्थ से मुश्किलों पर विजय पाया।

सनातन संस्कृति में भक्ति को सबसे कठिन और गूढ़ मार्ग कहा गया है। भक्ति यह प्रेम का सर्वोपरि और उत्कृष्ट भाग है। इसलिए जन्माष्टमी पर भक्तगण अपने भगवान की लीलाओं का रसास्वादन कर उनके प्रेम में डूब जाते हैं।

जन्माष्टमी के सामाजिक महत्व के रूप में आज हिंदू समाज की एकता को देखा जा सकता है। जन्माष्टमी के दिन मटकी फोड़ कार्यक्रमों में बिना किसी जाति या समुदाय के भेदभाव के लोग एक समूह बनाकर इन प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।

जन्माष्टमी की कहानी Story of Janmashtami in Hindi

द्वापर युग में कंस नामक एक पराक्रमी और क्रूर शासक हुआ जिसे देवताओं से बहुत से अधिक दिव्य आशीर्वाद प्राप्त था। उसने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कमजोर लोगों को सताने और अपने स्वार्थ की पूर्ति करने में किया। 

कंस इतना ताकतवर था कि उसके सामने बड़े-बड़े चक्रवर्ती सम्राट भी थरथर कांपते थे। अभिमान वश कमजोर मनुष्यों को मसलते चले जाता था।

एक बार जब वह अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से संपन्न कराकर घर लौट रहा था तभी आकाशवाणी हुई की अगर तुमने अपनी पाप लीला बंद नहीं की तो देवकी की आठवीं संतान तुम्हारा वध कर देगी।

आकाशवाणी से घबराकर कंस देवकी और वासुदेव को कालकोठरी में डाल दिया और एक एक कर उनकी 7 संतानों की निर्मम हत्या कर दिया।

लेकिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद वसुदेव जी उन्हें राजा नंद के घर माता यशोदा की देखरेख में छोड़ आए ताकि किसी प्रकार कंस से उनकी रक्षा की जा सके।

भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यमुना जी से लेकर पंचमुखी नाग ने भी की थी। इन्हीं सभी लीलाओं के माध्यम से श्री कृष्ण जी के भक्तों कि मन में भक्ति का सरोवर उमड़ा हुआ रहता है।

अपने बाल लीलाओं में भगवान श्रीकृष्ण बहुत से दैत्यों का संहार किया और अपनी प्रजा की रक्षा की। लेकिन समय आने पर भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा जाकर कंस का वध किया और प्रजा को मुक्त किया।

भगवान श्री कृष्ण महाभारत में एक बार भी शस्त्र धारण नहीं किया लेकिन सत्य के ज्ञान से पूरी पापी सेना कौरव का विनाश कर दिया। 

जन्माष्टमी की पूजा कैसे करें? How to do Janmashtami Pooja in Hindi

जन्‍माष्‍टमी की पूजा के लिए थोड़ी मात्रा में कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है जिनमें चौकी, लाल वस्‍त्र, बाल गोपाल की मूर्ति, गंगाजल, मिट्टी का दीपक, घी, रूई की बत्ती, धूप, चंदन, रोली, अक्षत, तुलसी ,पंचामृत शामिल हैं। 

लेकिन जन्माष्टमी के दिन बाल लीला के लिए दूध, दही, घी, शहद, मक्खन, मिश्री, मिष्ठान/नैवेद्य, फल, बाल गोपाल के लिए वस्त्र, श्रृंगार की सामग्री फूल और पालना इत्यादि की आवश्यकता होती है।

जन्‍माष्‍टमी की पूजा शुरू करने से पहले रात 11 बजे फिर से स्नान कर लें। उसके बाद घर के मंदिर में ऊपर बताई गई सभी सामग्री रख लें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। 

इसके बाद पालने को सजा लें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित कर पूजा प्रारंभ करें। कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है।

जन्माष्टमी की आरती (Janmashtami Aarti in Hindi)

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला  श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला  गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली  लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की  आरती कुंजबिहारी की.. कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं  गगन सों सुमन रासि बरसै  बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की  आरती कुंजबिहारी की.. जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की आरती कुंजबिहारी की… चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू  चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की आरती कुंजबिहारी की. श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

जन्माष्टमी पर 10 वाक्य 10 Lines on Janmashtami in Hindi

  • भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं।
  • श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे।
  • इस उत्सव पर ज्यादातर लोग पूरा दिन व्रत रह कर, पूजा के लिए, घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखते हैं।
  • श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ।
  • कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा में रासलीला का आयोजन किया जाता है।
  • जन्माष्टमी के दिन मटकी फोड़ कार्यक्रमों में बिना किसी जाति या समुदाय के भेदभाव के लोग एक समूह बनाकर इन प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
  • उत्सव के दिन विशेष प्रसाद वितरण तथा भव्य झांकी प्रदर्शन किया जाता है।
  •  इस अवसर पर भजन कीर्तन के साथ-साथ नाटक तथा नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। 
  • जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं।
  • जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।

निष्कर्ष Conclusion 

इस लेख में आपने जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल लगा हो अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।

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जन्माष्टमी पर निबंध-Essay On Janmashtami In Hindi

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जन्माष्टमी पर निबंध-Essay On Janmashtami In Points

1. जन्माष्टमी का त्यौहार सभी हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार होता है और इसे हर साल मनाया जाता है। 2. इसे भगवान कृष्ण की जयंती के रूप में मनाया जाता है इसी लिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। 3. इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे – कृष्णाष्टमी , गोकुलाष्टमी , अष्टमी रोहिणी , श्री कृष्ण जयंती , श्री जयंती आदि। 4. भगवान कृष्ण हिन्दू धर्म के भगवान थे। उन्होंने धरती पर मानव रूप में जन्म लिया था जिससे वे मानव जीवन को बचा सकें और मानव के दुखों को दूर कर सकें। 5. इस पर्व को पूरी दुनिया में बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। 6. जन्माष्टमी को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय भी बड़ी आस्था और उल्लास के साथ मनाते हैं। 7. श्री कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था। 8. इनके पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी था। 9. कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी के दिन लोग वृत रखते हैं और आधी रात 12 बजे कृष्ण का जन्म होने के बाद घंटियाँ बजाकर श्री कृष्ण की आरती की जाती है। 10. इसके बाद लोग अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों में प्रसाद बाँटकर ख़ुशी प्रकट करते हैं। उसके बाद वे खुद खाना खाते हैं। इस तरह से पूरे दिन वृत रखकर यह त्यौहार मनाया जाता है। 11. लोग सूर्योदय से पहले उठकर नहा-धोकर साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर तैयार हो जाते हैं। 12. सके बाद ईष्ट देव के सामने पूरी भक्ति और विश्वास के साथ पूजा करते हैं। 13. वे कृष्ण के मन्दिर जाते हैं और प्रसाद , धूप , बत्ती , दिया , फूल , फल , भोग और चन्दन चढाते हैं। 14. वे भक्त गीतों को गाते हैं और संतान गोपाल मन्त्र का भी जाप करते हैं। 15. बाद में वे कृष्ण जी की मूर्ति की घी के दिए से आरती उतारते हैं और उनसे संतान की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। 16. कुछ लोग कृष्ण के जन्म और पूजा के बाद वृत तोड़ते हैं लेकिन कुछ लोग सूर्य के उदय होने पर वृत खोलते हैं। 17. जब भगवान का जन्म हो जाता है उसके बाद भक्ति और पारंपरिक गीत गाये जाते हैं। 18. अगर हम पूरी भक्ति और विश्वास के साथ प्रार्थना करते हैं भगवान श्री कृष्ण उसके सभी पापों और कष्टों को दूर कर देते हैं और हमेशा मानवता की रक्षा करते हैं। 19. जन्माष्टमी के दिन देश में कई जगहों पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। 20. दही हांड़ी प्रतियोगिता में जो टीम विजयी होती है उसे उचित इनाम दिया जाता है। 21. जन्माष्टमी के दिन मन्दिरों में झाकियाँ सजाई जाती हैं और भगवान श्री कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। 22. इस दिन रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हर बच्चे के घर के सामने पालने सजाये जाते हैं। 23. मथुरा , वृंदावन और ब्रज के अन्य नगरों में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 24. जन्माष्टमी के दिन मन्दिर में इतनी भीड़ होती हैं कि लोगों को लाईनों में खड़े होकर भगवान कृष्ण के दर्शन करने पड़ते हैं। सुरक्षा के लिए मन्दिर के बाहर पुलिस खड़ी की जाती है। 25. जन्माष्टमी के दिन वृत रखने का विधान है। लोगों को अपने सामर्थ्य के अनुसार वृत रखना चाहिए।

जन्माष्टमी पर निबंध-Essay On Janmashtami In Details

भूमिका : सभी जातियाँ अपने महापुरुषों के जन्म दिवस को बड़ी धूमधाम से मनाती आई है। जन्माष्टमी का त्यौहार सभी हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार होता है और इसे हर साल मनाया जाता है। इसे भगवान कृष्ण की जयंती के रूप में मनाया जाता है इसी लिए इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं।

इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे – कृष्णाष्टमी , गोकुलाष्टमी , अष्टमी रोहिणी , श्री कृष्ण जयंती , श्री जयंती आदि। भगवान कृष्ण हिन्दू धर्म के भगवान थे। उन्होंने धरती पर मानव रूप में जन्म लिया था जिससे वे मानव जीवन को बचा सकें और मानव के दुखों को दूर कर सकें।

कुछ लोगों का मानना है कि कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। लेकिन अधिकांश लोग इसे जन्माष्टमी ही कहते हैं। जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को पूरी दुनिया में बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

जन्माष्टमी को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय भी बड़ी आस्था और उल्लास के साथ मनाते हैं। श्री कृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी तो यशोदा माँ के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा।हिन्दू इस त्यौहार को भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण के जन्म के रूप में मनाते हैं।

दिन प्रतिदिन उनके भक्तों की संख्या बढती ही जा रही है। जब संसार में पाप, अत्याचार, द्वेष और घृणा अधिक बढ़ जाते हैं , धर्म का नाश होने लगता है , सज्जन और दीन दुखियों को सताया जाने लगता है तब इस संसार में एक महान शक्ति अवतार लेती है और धर्म की स्थापना करती है।

श्री कृष्ण ने भी धरती पर तभी अवतार लिया था जब कंस का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था और दीन दुखियों को सताया जाने लगा था। उनका स्वरूप देखने में बहुत ही आकर्षक लगता था जिस वजह से सारी गोपियाँ उन पर मोहित थीं। उनके हाथों में बांसुरी और सिर पर मोरपंख लगा हुआ था।

श्री कृष्ण का जन्म : श्री कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में पडती है। इनके पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी था। यह त्यौहार अगस्त या सितम्बर में पड़ता है।

कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी के दिन लोग वृत रखते हैं और आधी रात 12 बजे कृष्ण का जन्म होने के बाद घंटियाँ बजाकर श्री कृष्ण की आरती की जाती है। इसके बाद लोग अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों में प्रसाद बाँटकर ख़ुशी प्रकट करते हैं। उसके बाद वे खुद खाना खाते हैं। इस तरह से पूरे दिन वृत रखकर यह त्यौहार मनाया जाता है।

पौराणिक कथा : देवकी कंस की बहन थी और कंस मथुरा का राजा था। उसने मथुरा के राजा और अपने पिता अग्रसेन को जेल में बंदी बना लिया और खुद राजा बन गया था। कंस को अपनी बहन प्राणों से भी प्रिय थी। देवकी का विवाह कंस के मित्र वसुदेव के साथ हुआ था।

कंस बहुत ही अत्याचारी था। जब वह अपनी बहन देवकी को विवाह के बाद रथ पर उसके ससुराल छोड़ने जा रहा था तब एक आकाशवाणी हुई – ‘ जिस बहन को तुम इतने प्यार से विदा कर रहे हो उसकी आठवीं संतान तुम्हारी मौत का कारण बनेगी ‘। इस आकाशवाणी को सुनकर कंस घबरा गया था।

उसने अपनी बहन और उसके पति को कारखाने में बंद कर दिया था। देवकी को सात पुत्र हुए लेकिन कंस ने उन्हें बहुत ही बेहरमी से मार दिया। जब देवकी के आठवें पुत्र का जन्म हुआ था तब कारागार के सारे पहरेदार सोये हुए थे। वसुदेव अपने बच्चे को गोकुल के नन्द बाबा के घर छोड़ आये और उनकी लडकी को लेकर लौट आये।

जब सुबह हुई तो वासुदेव ने उस कन्या को कंस को सौंप दिया था। कंस ने जैसे ही उसे पत्थर पर पटका तो वह लडकी उडकर आकाश में चली गई और जाते-जाते उसने कहा कि तुझे मारने वाला अभी जीवित है और गोकुल पहुंच चुका है। इस आकाशवाणी को सुनकर कंस बहुत घबरा गया था।

उसने कृष्ण को मारने के लिए बहुत प्रयत्न किये। उसने बहुत से राक्षसों को जैसे – पूतना , वकासुर को कृष्ण को मरने के लिए भेजा लेकिन कोई भी कृष्ण को मार नहीं पाया। श्रीकृष्ण ने सभी की हत्या कर दी थी।

जन्माष्टमी का महत्व : हम लोग पहले से ही जानते हैं कि जैसे ही विवाहित जीवन शुरू होता है। हर दंपत्ति की इच्छा होती है कि पूरे जीवन के लिए उसके पास एक अनूठा बच्चा हो। हालाँकि सभी जोड़ों को यह आशीर्वाद मिलता है लेकिन किसी को जल्दी हो जाता है और किसी को कुछ कारणों की वजह से देर में होता है।

मातृत्व उपहार के लिए सभी विवाहित औरतें वृत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो जन्माष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस वृत को पूरा करती हैं उन्हें इस वृत का फल एक बच्चे के आशिर्वाद के रूप में मिलता है। जो महिलाएं अविवाहित होती हैं वो भविष्य में एक अच्छे बच्चे की कामना के लिए इस दिन का वृत रखती हैं।

जब पति और पत्नी दोनों पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ वृत रखते हैं तो वह अधिक प्रभावकारी होता है। लोग सूर्योदय से पहले उठकर नहा-धोकर साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर तैयार हो जाते हैं। उसके बाद ईष्ट देव के सामने पूरी भक्ति और विश्वास के साथ पूजा करते हैं।

वे कृष्ण के मन्दिर जाते हैं और प्रसाद , धूप , बत्ती , दिया , फूल , फल , भोग और चन्दन चढाते हैं। वे भक्त गीतों को गाते हैं और संतान गोपाल मन्त्र का भी जाप करते हैं। बाद में वे कृष्ण जी की मूर्ति की घी के दिए से आरती उतारते हैं और उनसे संतान की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

कुछ लोग कृष्ण के जन्म और पूजा के बाद वृत तोड़ते हैं लेकिन कुछ लोग सूर्य के उदय होने पर वृत खोलते हैं। जब भगवान का जन्म हो जाता है उसके बाद भक्ति और पारंपरिक गीत गाये जाते हैं। अगर हम पूरी भक्ति और विश्वास के साथ प्रार्थना करते हैं भगवान श्री कृष्ण उसके सभी पापों और कष्टों को दूर कर देते हैं और हमेशा मानवता की रक्षा करते हैं।

कब और क्यों मनायी जाती है : भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिन को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है। श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे।

मथुरा नगरी का राजा कंस था और वह बहुत अत्याचारी था। कंस के अत्याचार दिनों-दिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय पर आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का आठवाँ पुत्र उसका वध करेगा। यह आकाशवाणी सुनकर कंस ने अपनी बहन और उसके पति को कारागार में डाल दिया।

कंस ने एक-एक करके देवकी के सात शिशुओं को मौत के घाट उतार दिया। जब देवकी को आठवीं संतान हुई तो भगवान विष्णु ने वासुदेव को यह आदेश दिया कि वे कृष्ण को गोकुल के यशोदा माँ और नन्द बाबा के पास पहुँचा दे जहाँ पर वह कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माँ और नन्द बाबा की देखरेख में हुआ। उनके जन्म की ख़ुशी की वजह से ही हर साल जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाने लगा।

दही-हांड़ी प्रतियोगिता :  जन्माष्टमी के दिन देश में कई जगहों पर मटकी फोड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। दही हांड़ी में सभी जगह के बालक भाग लेते हैं। हांड़ी को छाछ और दही से भर दिया जाता है और इसे एक रस्सी की मदद से आसमान में लटका दिया जाता है।

इस मटकी को फोड़ने के लिए बालकों द्वारा प्रयास किया जाता है। दही हांड़ी प्रतियोगिता में जो टीम विजयी होती है उसे उचित इनाम दिया जाता है। जो टीम मटकी को फोड़ने में सफल हो जाती है वह टीम इनाम की हकदार होती है।

लोक रक्षक श्रीकृष्ण : ऐसा कहा जाता है कि जब कृष्ण जी का जन्म हुआ था तब कारखाने के सारे पहरेदार सो गये थे और देवकी और वासुदेव की बेड़ियाँ अपने आप ही खुल गयीं थीं और कारखाने के दरवाजे अपने आप ही खुल गये थे। तब एक आकाशवाणी हुई कि कृष्ण को जल्द से जल्द गोकुल पहुँचा दिया जाये।

उसके बाद कृष्ण के पिता उन्हें सूप में सुलाकर वर्षा ऋतु में उफनती हुई नदी को पर करके गोकुल गये थे और कृष्ण को नन्द के यहाँ छोडकर आये थे। सब लोग इसको कृष्ण का ही चमत्कार मानते हैं। नहीं तो कंस ने कृष्ण के सातों भाइयों को मार दिया था। फिर कृष्ण ने बचपन में कंस और उसके राक्षसों को कैसे मार दिया था।

इसी वजह से लोग उन्हें भगवान का अवतार मानते थे। इसी वजह से लोग उनकी पूजा अर्चना करते हैं। श्री कृष्ण ने गोकुल में रहकर अनेक बाल लीलाएं की थीं। वे अपने ग्वाले दोस्तों के साथ गाय चराने के लिए जाते थे। गोकुल के सभी लोग कृष्ण से बहुत प्यार करते थे। कृष्ण भी सब की सहायता करने के लिए हमेश तत्पर रहते थे।

श्री कृष्ण को गेंद का खेल बहुत प्रिय था। उन्होंने इंद्र के घमंड को चूर-चूर कर दिया था। उन्होंने बड़ी-बड़ी विपत्तियों से ब्रज को बचाया था। श्री कृष्ण ने लोक रक्षा के लिए बहुत से काम किये थे। इसी वजह से वे जनता में बहुत लोकप्रिय हो गये थे।उन्होंने उन्हें अपना मित्र बनाया था जिन्हें समाज में छोटा समझा जाता है।

उन्हीं मित्रों के साथ उन्होंने अपना जीवन बिताया था। उन्होंने लोगों को गायों का महत्व बताया था। गायों की रक्षा और पालन के लिए उन्होंने जनता को उत्साहित किया। इससे खेती की उन्नति भी हुई। इससे गोपालों से लोगों के स्वास्थ्य में बहुत सुधार हुआ। श्री कृष्ण ने कंस का वध किया और उसके बंधन से अपने माता-पिता और नाना को मुक्त किया और अपने नाना को फिर से मथुरा का राजा बनाया था।

मन्दिरों के दृश्य : जिस दिन श्री क्रष्ण जन्माष्टमी होती है उस दिन मन्दिरों को खासतौर पर सजाया जाता है। जिस दिन जन्माष्टमी होती है तब पूरा दिन वृत रखने का विधान होता है। जन्माष्टमी पर सभी लोग 12 बजे तक वृत रखते हैं।जन्माष्टमी के दिन मन्दिरों में झाकियाँ सजाई जाती हैं और भगवान श्री कृष्ण को झूला झुलाया जाता है।

इस दिन रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हर बच्चे के घर के सामने पालने सजाये जाते हैं। वे उस पालने में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं। कंस का कारखाना बनाकर उसमें देवकी और वासुदेव को बैठा देते हैं और कारखाने के बाहर सिपाही तैनात कर देते हैं।

इसी तरह से कृष्ण के आस-पास अन्य खिलौने रख देते हैं। इन्हें देखने के लिए आस-पास से बहुत से लोग आते हैं। उन लोगों के आस-पास मेला सा लग जाता है जहाँ पर जगह अधिक होती है वहाँ पर झूले और खिलौने बेचने वाले भी आ जाते हैं।बच्चे यहाँ पर पलना देखने के साथ-साथ झूला भी झूलते हैं और खिलौने भी खरीदते हैं।

विशेषकर जन्माष्टमी पर बच्चे बहुत ही उत्साहित होते हैं क्योंकि कई तरह के खिलौने खरीदकर उन्हें पालना सजाना होता है। कई जगहों पर कृष्ण लीला भी की जाती है। इसमें मथुरा का जन्मभूमि मन्दिर और बांकेबिहारी का मन्दिर प्रमुख होता है। बच्चे लोगों को बताते थे कि श्री कृष्ण अपने मित्रों से साथ कैसे गाय चराने जाते थे।

गोपियाँ उन्हें कितना प्यार करती थीं। उनकी बांसुरी की धुन को सुनने के लिए वे सारा काम छोडकर भाग खड़ी होती थीं। इस तरह की कई क्रियाओं की झाँकियाँ इस दिन मन्दिरों में दिखाई देती हैं। मथुरा , वृंदावन और ब्रज के अन्य नगरों में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर तीन -चार दिन पहले से ही मन्दिर सजने शुरू हो जाते हैं।जन्माष्टमी के दिन मन्दिर की शोभा चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाता है। बिजली से जलने वाले रंगीन बल्बों से मन्दिरों को सजाया जाता है। कहीं-कहीं पर झाँकियाँ निकलती हैं जो गली, मोहल्ले और दुकानों से होती हुई मन्दिर तक पहुंचती हैं।

भक्तगणों का सुबह से तांता लगा रहता है जो आधी रात तक थामे नहीं थमता है।इस दिन समाज सेवक भी मन्दिर के कामों को करवाने में मदद करते हैं।जन्माष्टमी के दिन मन्दिर में इतनी भीड़ होती हैं कि लोगों को लाईनों में खड़े होकर भगवान कृष्ण के दर्शन करने पड़ते हैं। सुरक्षा के लिए मन्दिर के बाहर पुलिस खड़ी की जाती है।

उपसंहार : जन्माष्टमी के दिन वृत रखने का विधान है। लोगों को अपने सामर्थ्य के अनुसार वृत रखना चाहिए। भगवान कोई भी हो वह हम से यह नहीं कहता है कि तुम मेरे लिए भूखे रहो इसी वजह से अपनी श्रद्धा के अनुसार वृत करना चाहिए।अगर आप पुरे वृत में कुछ भी नहीं खायेंगे तो आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

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Janmashtami katha: पढ़िए श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा और जानिए कैसे मनाए जन्माष्टमी का महापर्व?

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  • Updated on  
  • सितम्बर 4, 2023

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा

धरती पर जब-जब क्रूरता मानवता को हानि पहुंचाने लगती है, जब-जब अधर्म अपना विस्तार करने लगता है, तब-तब मानव को सद्मार्ग दिखाने, क्रूरता से मानवता को बचाने और अधर्म का अंत करके धर्म का राज स्थापित करने के लिए, भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा ऐसी ही एक ऐतिहासिक और पौराणिक घटना है, जब भगवान श्री हरि विष्णु द्वापर युग में पृथ्वी पर अवतरित हुए और मानवता का उत्थान किया। Janmashtami katha को पढ़ने के लिए आपको Krishna Birth Story in Hindi का यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना चाहिए।

This Blog Includes:

जानिए क्या है krishna birth story in hindi, श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा, कृष्ण जन्म किस युग में हुआ और द्वापर युग कितने वर्षों का था, कैसे मनाएं श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व, श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा से सीखने योग्य बातें.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा के बारे में जानने से पहले आपको इसकी पृष्ठभूमि के बारे में जान लेना चाहिए, जिसका लक्ष्य द्वापर युग में मानव की क्रूरता और अधर्म से सनातन संस्कृति का संरक्षण करना था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा का आरंभ भगवान श्री कृष्ण के पृथ्वी पर अवतरण के साथ होता है। पौराणिक साक्ष्यों के आधार पर यह माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को मथुरा के कारागार में, देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

जिस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी, जिसको युगों-युगों से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता आ रहा है। श्री कृष्ण के जनमोत्स्व की कथा को ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, विधिवत तरीके से की जाती है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के समय श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा सुनने से सुख-समृद्धि, धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

भागवत पुराण के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा नगरी पर कंस नाम का एक अत्याचारी और क्रूर राजा शासन करता था। अपने पिता राजा उग्रसेन को गद्दी से हटाकर वह स्वयं राजा बन गया था। मथुरा की प्रजा उसके शासन में बहुत दुखी थी, लेकिन वह अपनी बहन देवकी को बहुत प्यार करता था। उसने देवकी का विवाह अपने मित्र वासुदेव से कराया था। जब वो देवकी और वासुदेव को उनके राज्य लेकर जा रहा था तभी एक आकाशवाणी हुई – ‘हे कंस! जिस बहन को तू उसके ससुराल छोड़ने जा रहा है, उसके गर्भ से पैदा होने वाली आठवीं संतान ही तेरी मृत्यु का कारण बनेगी।’

आकाशवाणी सुनकर कंस क्रोधित हो उठा और वसुदेव को मारने बढ़ा। तभी देवकी ने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए कहा कि उनकी जो भी संतान जन्म लेगी, उसे वो कंस को सौंप देगी। कंस ने बहन की बात मान कर दोनों को कारागार में डाल दिया। कारागार में देवकी ने एक-एक करके सात बच्चों को जन्म दिया, लेकिन कंस ने उन सभी का वध कर दिया। हालांकि सातवीं संतान के रूप में जन्में शेष अवतार बलराम को योगमाया ने संकर्षित कर माता रोहिणी के गर्भ में पहुंचा दिया था। इसलिए ही बलराम को संकर्षण भी कहा जाता है।

आकाशवाणी के अनुसार, माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में स्वयं भगवान विष्णु, कृष्ण अवतार के रूप में पृथ्वी पर जन्मे थे। उसी समय माता यशोदा ने एक पुत्री को जन्म दिया। इस बीच कारागार में अचानक प्रकाश हुआ और भगवान श्री हरि विष्णु प्रकट हुए। उन्होंने वसुदेव से कहा कि आप इस बालक को अपने मित्र नंद जी के यहां ले जाओ और वहां से उनकी कन्या को यहां ले आओ।

भगवान विष्णु के आदेश से वसुदेव जी भगवान कृष्ण को सूप में अपने सिर पर रखकर नंद जी के घर की ओर चल दिए। भगवान विष्णु की माया से सभी पहरेदार सो गए, कारागार के दरवाजे खुल गए, यमुना ने भी शांत होकर वसुदेव जी के जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। वसुदेव भगवान कृष्ण को लेकर नंद जी के यहां सकुशल पहुंच गए और वहां से उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस आ गए। जब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म की सूचना मिली। वह तत्काल कारागार में आया और उस कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटकना चाहा। लेकिन वह कन्या उसके हाथ से निकल कर आसमान में चली गई। फिर कन्या ने कहा- ‘हे मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और वह वृंदावन पहुंच गया है। अब तुझे जल्द ही तेरे पापों का दंड मिलेगा।’ वह कन्या कोई और नहीं, स्वयं योग माया थीं।

कृष्ण भगवान का जन्म द्वापर युग में माना जाता है। अब बात आती है द्वापर युग की क्योंकि अक्सर लोगों को यह ही नहीं पता होता कि द्वापर युग कौनसा है या युग कितने प्रकार के होते हैं, इस पूरी कथा में भी आपने युग का वर्णन सुना होगा। हम आपको बता दें कि एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि को ही युग कहा जाता है। युगों के अनुसार ही मानव जीवन की आयु, कद-काठी इत्यादि निर्धारित होती है। सनातन वैदिक हिन्दू धर्म के अनुसार चार युग होते हैं, जिनके नाम क्रमशः सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग हैं। इनके काल-अवधि निम्नलिखित है-

  • सतयुग : लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष
  • त्रेतायुग : लगभग 12 लाख 96 हजार वर्ष
  • द्वापरयुग : लगभग 8 लाख 64 हजार वर्ष
  • कलयुग : लगभग 4 लाख 32 हजार वर्ष

Janmashtami katha जानने के बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाने के लिए आप अपने घर में पूरी आस्था के साथ लड्डू गोपाल की सेवा करने का संकल्प ले सकते हैं, श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर उपवास रख कर और दही-हांडी उत्सव के माध्यम से भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मना सकते हैं। दही-हांडी बाल कृष्ण की लीलाओं का प्रतीक मानी जाती, इसलिए इस लीला से मिलने वाला रस आपको कृष्णमय कर देता है।

Krishna Birth Story in Hindi के माध्यम से आप श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा को आत्मसात कर सकते हैं, जिसके परिणाम स्वरुप श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा आपके जीवन में साकारात्मक परिवर्तन लाएगी। श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा से आप निम्नलिखित बातें सीख सकते हैं-

  • अन्याय, अधर्म और क्रूरता का नाश करने के लिए भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते हैं।
  • भगवान मानव शरीर में रहकर, मानव जैसे कष्टों को सहकर ही नर से नारायण बनते हैं।
  • धर्म का अर्थ है धारण करना, धारण करना सद्कर्मों को, धारण करना सद्गुणों को।
  • मानव को मानवता के मार्ग पर चलकर ही मुक्ति मिलती है।
  • भक्ति भाव और समर्पण भाव के माध्यम से ही ईश्वर को पाया जाता है।

आशा है कि आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा का यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी प्रकार के इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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मयंक विश्नोई

जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई

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Home » जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध | Krishna Janmashtami Essay in Hindi

जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध | Krishna Janmashtami Essay in Hindi

नमस्कार दोस्तों, सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं! जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का खुशनुमा त्योहार है, जिसे न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में उत्साह के साथ मनाया जाता है। आज के इस लेख में Krishna Janmashtami Essay in Hindi हम विद्यार्थियों के लिए एक सरल और पूर्ण ‘कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध’ प्रस्तुत कर रहे हैं.

भारतीय समाज में, ‘यशोदा नंदन’ और ‘देवकी पुत्र’ के नाम से पूजे जाने वाले भगवान कृष्ण को सदियों से महत्वपूर्ण माना जाता है। वह एक ऐसा एकांकी नायक हैं, जिनमें जीवन के सभी पहलू उपस्थित हैं। कृष्ण एक ऐसी किताब की तरह हैं, जो हमें विभिन्न शिक्षाओं के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण प्रासंगिक पाठ पढ़ाते हैं, और विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक सोच की प्रेरणा देते हैं।

भगवान कृष्ण का जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाते हैं।

जन्माष्टमी पर्व की तैयारियां एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती हैं। घरों को सजाया जाता है, मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है और भगवान कृष्ण की मूर्तियों को आकर्षक रूप से सजाया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और भगवान कृष्ण को प्रेम और भक्ति से प्रार्थना की जाती है।

जन्माष्टमी पर्व पर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। भगवान कृष्ण की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है, उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और उन्हें मिठाइयों और फूलों की माला चढ़ाई जाती है। इस दिन भजन, कीर्तन और भक्ति गीतों का आयोजन किया जाता है।

जन्माष्टमी पर्व का सांस्कृतिक महत्व भी है। इस दिन कई तरह के लोकगीत और नृत्य किए जाते हैं। बच्चे और युवा कृष्णलीला का मंचन करते हैं। इस दिन मिठाइयों और पकवानों का विशेष महत्व होता है।

जन्माष्टमी पर्व एक खुशहाल और उत्सवपूर्ण त्योहार है। यह दिन भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने का दिन है। यह दिन हमें भगवान कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का दिन है।

भगवान कृष्ण द्वारा परम सत्य उपदेश | श्री कृष्ण सुविचार

जन्माष्टमी का महत्व

(krishna janmashtami essay).

जन्माष्टमी पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह भगवान कृष्ण के जन्म का दिन है, जिन्हें हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। भगवान कृष्ण को प्रेम, करुणा, दया और न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है।

जन्माष्टमी पर्व का महत्व निम्नलिखित है:

  • यह भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने का दिन है।
  • यह दिन हमें भगवान कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरणा लेने का दिन है।
  • यह दिन हमें प्रेम, करुणा, दया और न्याय के मूल्यों को याद दिलाने का दिन है।

जन्माष्टमी पर्व की परंपराएं 

जन्माष्टमी पर्व को मनाने के लिए कई तरह की परंपराएं हैं। इनमें से कुछ परंपराएं निम्नलिखित हैं:

  • व्रत रखना: जन्माष्टमी पर्व पर व्रत रखना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन भक्त सुबह से ही उपवास रखते हैं और शाम को भगवान कृष्ण की पूजा के बाद ही भोजन करते हैं।
  • भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना: जन्माष्टमी पर्व पर भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की मूर्तियों का अभिषेक करते हैं, उन्हें नए वस्त्र पहनाते हैं और उन्हें मिठाइयों और फूलों की माला चढ़ाते हैं।
  • भजन, कीर्तन और भक्ति गीतों का आयोजन: जन्माष्टमी पर्व पर भजन, कीर्तन और भक्ति गीतों का आयोजन करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की स्तुति करते हैं और उनके जीवन और शिक्षाओं के बारे में गाते हैं।
  • कृष्णलीला का मंचन: जन्माष्टमी पर्व पर कृष्णलीला का मंचन करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन बच्चे और युवा भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन करते हैं।
  • मिठाइयों और पकवानों का सेवन: जन्माष्टमी पर्व पर मिठाइयों और पकवानों का सेवन करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस दिन लोग कई तरह की मिठाइयों और पकवानों का आनंद लेते हैं।

Why to Celebrated Krishna Janmashtami – Importance & Story

जन्माष्टमी पर्व का संदेश

जन्माष्टमी पर्व का संदेश प्रेम, करुणा, दया और न्याय का संदेश है। यह संदेश हमें भगवान कृष्ण के जीवन और शिक्षाओं से मिलता है। भगवान कृष्ण ने अपने जीवन में प्रेम, करुणा, दया और न्याय के मूल्यों को जीया और उन्हें दूसरों के साथ साझा किया। जन्माष्टमी पर्व हमें इन मूल्यों को याद दिलाने का दिन है।

यह लेख ‘जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध | Krishna Janmashtami Essay in Hindi’ आपको कैसा लगा. आपके लिए कितना हेल्पफुल रहा। कृपया कमेंट कर अवश्य बतायें, आपके किसी भी प्रश्न एवं सुझावों का स्वागत है। कृपया Share  करें, जुड़े रहने की लिए Subscribe करें . धन्यवाद

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100, 200, 250, & 500 Words Essay on Janmashtami Festival in English & Hindi

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Table of Contents

Introduction

Hindus celebrate Krishna Janmashtami in the months of August and September. Lord Vishnu’s 8th incarnation is celebrated on Krishna Janmashtami, the anniversary of his birth. There is no doubt that Krishna is one of the most revered Hindu deities.

100 Words Essay on Janmashtami Festival in English

Hindus celebrate Janmashtami on this day. Krishna is the focus of this festival. Ashtami of the Krishna Paksha of Bhadrapada is a festival of great joy. Mathura was the birthplace of Lord Krishna on this day.

Yashoda Ji and Vasudeva had eight children, including Lord Krishna. In the temple, people worship Lord Krishna on this day and clean their homes. Various places organize fairs. A special occasion like this is enjoyed by everyone.

Dahi-Handi competitions are held throughout the country on this day. In their homes, everyone makes Qatariya, Panjari, and Panchamrit. The Aarti is read and offered to God at midnight following the birth of Lord Krishna. Our faith in Krishna is symbolized by this festival.

200 Words Essay on Janmashtami Festival in English

A lot of Hindu festivals in India are observed in the worship of Hindu deities and goddesses. The eighth reincarnation of Vishnu, Sri Krishna, is also celebrated on Krishna Janmashtami, which commemorates his birth.

North and northwest India celebrate the festival with extraordinary zeal and enthusiasm. A grand celebration takes place in Mathura, the birthplace of Krishna. Colorful ribbons, balloons, flowers, and decorative lights decorate every street, crossing, and Krishna temple in Mathura.

There are devotees and tourists from all over the world visiting the Krishna temples in Mathura and Vrindavan. A large number of foreign tourists wore white ascetic clothes and chanted bhajans.

During the festival, even the houses become temporary temples where the members perform pujas (venerations) to Krishna in the early morning. Sacred rituals are performed with devotion, and Krishna and Radha statues sit side by side.

It is believed that Krishna established his kingdom in Dwarka, Gujarat, where a distinct celebration takes place. Makhan Handi is performed there in accordance with Mumbai’s “Dahi Handi”. Additionally, various groups in the Kutch district of Gujarat dance along with the bullock carts in procession on Krishna.

250 Words Essay on Janmashtami Festival in Hindi

The Hindu god, Vishnu and his avatars are an important part of Hindu mythology, and Sri Krishna is one of his most essential incarnations. Lord Krishna was born on the Ashtami Tithi of the month of Shravan on the date of Krishna Paksha. This day is known as Janmashtami and is celebrated every year with great gaiety.

Janmashtami is an auspicious day that is celebrated by people of all ages. A community of Lord Krishna’s life organizes plays with children dressing up like Lord Krishna.

A whole day of fasting is observed by the elders who participate in the puja arrangements. As part of the puja, they prepare prasad for the guests and break their fast with sweets and prasad after midnight.

On the day of Janmashtami, a game known as “Matkifor” is played in Maharashtra, in which an earthen pot is tied high above the ground, and a pyramid of pots and curd is formed. Despite being an interesting sport, a lack of precautions has led to many casualties.

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On a minor and major scale, Janmashtami is celebrated. Both houses celebrate it. Many customs and decorations are followed in people’s homes. Thousands of people also gather for Janmashtami events worldwide where they chant, pray, and celebrate all day. People come together during festivals like Janmashtami and spread the message of love, harmony, and peace.

  • 50, 100, 200, & 500 Words Essay on Draupadi Murmu in English
  • 100, 150, 300, 400, & 500 Words Lokmanya Tilak Essay in English

400 Words Essay on Janmashtami Festival in English

A very significant festival in Hindu culture, Janmashtami is celebrated all over India. During the festival, Lord Krishna is celebrated as he was born. Often referred to as the Vishnu incarnation of the most power, Krishna is also known as the most powerful manifestation.

Hindu mythology gives these names, such as Vishnu, Brahma, and Krishna. Mythology tends to be believed by people. A good example of this is Krishna. Festival day is marked by various rituals performed by Hindus. Similarly, in certain regions, people break matki and extract butter from it. Witnessing this event is a lot of fun.

The festival of Janmashtami falls on Krishna Paksha Ashtami. August is the most common month for it. It was on the 8th night of Bhadon that Lord Krishna was born. The greatness of his character was also celebrated.

It was his maternal uncle who wanted to kill him when he was born, but he survived it all, it was indeed his ability to escape evil forces that tried to kill him that enabled him to escape. The thought processes and ideas he contributed to the world were a blessing. Krishna’s stories are also becoming the subject of countless television commercial soap operas. They are watched and adored by many people.

Lights and ornamentation decorate people’s houses. A large variety of food is also made and eaten by families and communities. In any case, celebrating a festival is all about sharing happiness and celebrating it with your loved ones. The occasion of Janmashtami is also marked by dancing and singing.

It is important to note that Janmashtami is no different from any other festival. Family, community and individual happiness are also spread by it. One’s elation is heightened by festivals; they make people happy. As a celebration of Krishna’s birth, Janmashtami is observed by a larger number of people. Mysticism is part of Krishna’s character.

It is his innovation and ideas about humankind that inspire people throughout his life, and it is this that has made him so popular. There is also a remarkable story about Krishna’s role in the Mahabharata. Draupadi referred to him as brotherly and enthralled by his magic of words and intelligence. The court didn’t disgrace Draupadi because of his actions. The Pandavas were friends with him. A person of intellect, he was.

Conclusion,

Different ways are also used in houses to celebrate Janmashtami. Houses are decorated with lights both inside and outside. A variety of pujas and offerings are performed at the temples. The entire day prior to Janmashtami is filled with mantras and bells. Religious songs are also loved by many people. Hindus celebrate Janmashtami with pomp and celebration.

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जन्माष्टमी पर निबंध – Essay on janmashtami in Hindi

भूमिका – कृष्ण जन्म काल की सामाजिक परिस्थितियां – धर्म की पुर्नस्थापना – पर्व मनाने की प्रथा – उपसंहार

जन्माष्टमी हिन्दुओं का श्रेष्ठतम पवित्र त्यौहार है. क्यूंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए इसको श्री कृष्ण के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है. यह त्यौहार भादौं माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है. हर हिन्दू परिवार इस त्यौहार को बड़े श्रद्धा व भक्ति-भाव से मनाता है. इस पर्व का आध्यात्मिक, धार्मिक व आर्थिक महत्त्व भी है. 

कृष्ण जन्म काल की सामाजिक परिस्थितियां

जिस काल में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, उस समय भारत की सामाजिक परिस्थिति अत्यंत दयनीय थी. यहां के रहने वाले लोगों का चारित्रिक व नैतिक पतन चरम सीमा पर था. स्वार्थपरता, व्यभिचार, भ्रष्टाचार, मादेरापान, जुआ खोरी आदि का सर्वथा बोलबाला था. स्त्रियों, बच्चों व वृद्धों का शोषण पराकाष्ठा पर था. क्षत्रिय लोग पारस्परिक फुट कारण सत्ता लोलुप बन चुके थे. ब्राम्हण चाटुकारिता के गर्त में फंसे थे. उस समय कंस, शिशुपाल, जरासंध जैसे राजाओं का एकाधिकार था. कंस अपने बाप को जेल में डालकर स्वयं राजा बना था और अपनी बहिन व जीजा को कड़ी कैद में बंद किए हुए था. चहुं ओर असुरों का बोलबाला था. ऐसी ही स्थिति अन्य राजाओं के यहां भी थी. इस प्रकार उस काल में धर्म का पूर्ण ह्रास हो चुका था. ऐसी विषम परिस्थितियों में इस पृथ्वी पर भगवान कृष्ण का अवतार हुआ.  

janmashtami par nibandh

धर्म की पुर्नस्थापना

उस काल में एक ऐसे महापुरुष की आवश्यकता थी जो समाज को शोषण व अत्याचार से मुक्त करा सके. श्री कृष्ण का जन्म इन्हीं परिस्थितियों में हुआ. उस विकट वातावरण में कृष्ण ने अत्याचारियों का नाश कर धर्म की स्थापना की. इसलिए जन्माष्टमी का यह पावन पर्व हमें यह संदेश देता है कि हम कृष्ण द्वारा स्थापित मर्यादाओं का अनुसरण करें. उन्होंने समाज में व्याप्त अनाचार व शोषण के विरुद्ध लड़ने में अपना सारा जीवन लगा दिया. सारे भारत में व्याप्त आसुरी प्रवृत्तियों को नाश करने के लिए उन्हें उन अत्याचारी राजाओं के विरुद्ध युद्ध भी करना पड़ा. इस प्रकार उन्होंने सभी प्रकार की सामाजिक बुराइयों को दूर कर एक सच्चे धर्म की स्थापना की. इसलिए कृष्ण के जन्म दिन को धर्म संस्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.

पर्व मनाने की प्रथा

जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सभी कृष्ण भक्त दिन भर व्रत रखते हैं. रात्रि को मंदिरों में व घर में पूजा करके अर्द्ध रात्रि बारह बजे के अनन्तर भोजन ग्रहण करते हैं क्योंकि यह मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म अर्द्ध रात्रि में हुआ था. इस दिन सभी मंदिरों की शोभा निराली रहती है. कई दिन पूर्व से मंदिरों को सजाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. वहां दिन भर भजन, कीर्तन, सत्संग चलता रहता है. श्रद्धालु लोग उक्त कार्यक्रमों में बड़े भक्ति भाव से भाग लेते हैं. इस अवसर पर कहीं-कहीं शाम को सत्यनारायण की कथा होती है. लोग बड़ी श्रद्धा से कथा श्रवण करते हैं. इस प्रकार जन्माष्टमी का दिन सुबह से रात्रि 12 बजे तक विविध धार्मिक कार्यक्रम चलते रहते हैं. शहरों में कृष्ण के जीवन सम्बन्धी झांकियां भी निकाली जाती हैं. कहीं-कहीं मंच बनाकर श्री कृष्ण लीला का आयोजन किया जाता है. 

श्री कृष्ण ने समाज में मर्यादा की स्थापना की. उसके लिए उन्हें जीवन भर संघर्षों का सामना करना पड़ा. समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने पर्वत को अपने हाथ में उठाया. पर्वत मुसीबतों व कठिनाइयों का प्रतिक है. ऐसी कठिन परिस्थितियों का उन्हें सामना करना पड़ा. अतः हमें भी कृष्ण के जीवन से शिक्षा ग्रहण कर अपने समाज की बुराइयों के विरुद्ध लड़ना चाहिए.

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ये था जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on janmashtami in Hindi ). उम्मीद है ये छोटा सा निबंध आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है, तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. अगले निबंध में मिलते हैं. धन्यवाद.

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जन्माष्टमी पर निबंध 2023-24 Krishna Janmashtami Essay in Hindi & English for Students Class 1-12 Pdf

जन्माष्टमी पर निबंध

कृष्णा जन्माष्टमी 2023 : कृष्णा जन्माष्टमी को हम सब भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिवस के रूप में जश्न मनाकर मनाते हैं| कान्हा जी भगवान विष्णु के अवतार हैं, जिनका जन्म लगभग पांच हजार साल पहले ‘द्वापर युग’ में मथुरा में हुआ था। कृष्णा जन्माष्टमी को अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती, कृष्णाष्टमी, सातम आठम, गोकुलष्टमी और सिर्फ जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को हम कृष्णा जी के जन्मदिन के रूप में सबके साथ मिलकर मनाते हैं| इसलिए आज हम आपके सामने जन्माष्टमी का निबंध, जन्माष्टमी निबंध इन हिंदी, जन्माष्टमी के ऊपर छोटा निबंध, janmashtami essay in english, krishna janmashtami essay, जन्माष्टमी एस्से इन हिंदी, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध, स्पीच प्रतियोगिता, debate competition, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

जन्माष्टमी पर निबंध

जन्माष्टमी कब है 2023 : इस वर्ष जन्माष्टमी 24 august मनाई जाएगी| कुछ कुछ जगहों पर कृष्णा जन्माष्टमी का त्यौहार 3 सितम्बर को मनाया जाएगा| आइये अब जाने janmashtami ka essay, जन्माष्टमी पर कविता , janmashtami festival essay, Janmashtami images for drawing , essay on krishna janmashtami, जन्माष्टमी पर भाषण , एस्से ओं जन्माष्टमी इन इंग्लिश, Janmashtami Nibandh in Gujarati , एस्से ऑफ़ जन्माष्टमी,  Janmashtami Quotes in Hindi Language  व एस्से ओं जन्माष्टमी इन हिंदी| इन जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं| इन निबंध को Hindi font, hindi language, गुजराती, ओरिया, ओड़िया, बंगाली, संस्कृत, मराठी, English, Urdu, Tamil, Telugu, Punjabi, English, Haryanvi, Gujarati, Bengali, Marathi, Malayalam, Kannada, Nepali के Language Font के 3D Image, Pictures, Pics, HD Wallpaper, Greetings, Photos, Free Download कर सकते हैं| साथ ही आप Anchoring Script for Janmashtami Celebration भी देख सकते हैं|आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

2019 श्री कृष्णा जन्माष्टमी पर निबंध – Shri Krishna Janmashtami Festival Essay in Hindi कृष्णा जन्माष्टमी हिंदू धर्म के लोगों द्वारा हर साल मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान कृष्ण की जयंती या जन्म तिथि के रूप में मनाया जाता है भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के भगवान हैं, जिन्होंने पृथ्वी पर एक मानव के रूप में जन्म लिया था ताकि वह मानव जीवन की रक्षा कर सकें और अपने भक्तों के दुख दूर कर सके। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। भगवान कृष्ण को गोविंद, बालगोपाल, कान्हा, गोपाल और लगभग 108 नामों से जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण को प्राचीन समय से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा उनकी विभिन्न भूमिकाओं और शिक्षाओं (जैसे भगवद गीता) के लिए पूजा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी (8 वें दिन) को कृष्ण पक्ष में श्रावण महीने के अंधेरी आधी रात में हुआ था। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों के लिए इस धरती पर जन्म लिया और शिक्षक, संरक्षक, दार्शनिक, भगवान, प्रेमी, के रूप विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। हिंदू लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और विभिन्न प्रकार के कृष्ण के रुपों की पूजा करते हैं। उनके हाथों एक बांसुरी और सिर पर एक मोर का पंख रहता है। कृष्ण अपनी रासलीलाओं और अन्य गतिविधियों के लिए अपने मानव जन्म के दौरान बहुत प्रसिद्ध हैं। भारत के साथ-साथ कई एनी देशों में भी हर साल अगस्त या सितंबर के माह में बड़े उत्साह, तैयारी और खुशी के साथ जन्माष्टमी मनाते हैं। पूर्ण भक्ति, आनन्द और समर्पण के साथ लोग जन्माष्टमी (जिसे सटम आथम, गोकुलाष्टमी, श्री कृष्ण जयंती आदि कहते हैं) का जश्न मनाते हैं। यह भद्रप्रद माह में आठवें दिन प्रतिवर्ष मनाया जाता है। लोग व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, और भगवान कृष्ण के भक्ति में भव्य उत्सव के लिए दहीहंडी, रास लीला और अन्य समाहरोह का आयोजन करते हैं। इस वर्ष भी सभी वर्षों की तरह पूरे भारत के साथ-साथ ही विदेशों में भी कृष्णा जन्माष्टमी (भगवान कृष्ण की जन्मगांठ) को लोग हर्ष और उल्लास के साथ मनाएंगे।

Janmashtami Essay in Hindi

Janmashtami Essay in Hindi

जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे- कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती इत्यादि। परंतु अधिकांश लोग इसे ‘जन्माष्टमी’ ही कहते हैं। हिन्दू इस त्योहार को भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण के जन्म के रूप में मनाते हैं। कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार श्रावण (सावन) माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ती है। यह त्योहार कभी अगस्त और कभी सितम्बर में पड़ता है। कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी को लोग व्रत रखते हं और आधी रात को 12 बजे कृष्ण का जन्म हो जाने के बाद घंटे-घड़ियाल बजाकर श्री कृष्ण की आरती उतारते हैं। तत्पश्चात् सभी लोग अपने आस-पड़ोस और मित्र-रिश्तेदारों को ईश्वर का प्रसाद वितरण कर के खुशी प्रकट करत हैं। फिर वे स्वयं खाना खाते हं। इस प्रकार पूरे दिन व्रत रखकर यह त्योहार मनाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बच्चे अपने घरों के सामने हिंडोला सजाते हैं। वे हिंडोले (पालने) में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं। कंस का कारागार बना देते हैं। उसमें देवकी और वसुदेव को बिठा देते हैं कारागार के बाहर सिपाही तैनात कर देते हैं। इसी प्रकार उसके आसपास अन्य खिलौने रख देते हैं। इन्हें देखने के लिए आस-पास के बहुत लोग आते हैं। वहाँ मेला-सा लग जाता है। जहाँ स्थान अधिक होता है वहाँ झूले और खिलौने बेचने वाले भी आ जाते हैं। बच्चे वहाँ हिंडोला देखने के साथ-साथ झूला झूलते हैं और खिलौने वगैरह भी खरीदते हैं। विशेषकर जन्माष्टमी के दिन बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं क्योंकि कई प्रकार के खिलौने खरीदकर उन्हें हिंजोला सजाना होता है। कई स्थान पर कृष्ण-लीला भी होती है। इसमें मथुरा का जन्मभूमि मंदिर और बांकेबिहारी का मंदिर मुख्य है। कहा जाता है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ था तब कारागार के सभी पहरेदार सो गए थे देवकी-वसुदेव की बेड़ियाँ स्वतः ही खुल गई थीं और कारागार के दरवाजे स्वतः ही खुल गये थे। फिर आकाशवाणी ने वसुदेव को बताया कि वे अभी कृष्ण को गोकुल पहँचा दें। तत्पश्चात् कृष्ण के पिता वसुदेव कृष्ण को सूप में सुलाकर वर्षा ऋतु में उफनती हुई नदी पार कर के गोकुल ले गए और नंद के यहाँ छोड़ आए। सभी लोग इसे कृष्ण का ही चमत्कार मानते हैं। वर्ना कंस ने तो कृष्ण के सात भाइयों को पैदा होते ही मार दिया था। फिर कृष्ण ने बचपन से युवावस्था तक कंस सहित अनेक राक्षसों का वध किया और अपने भक्तों का उद्धार किया। यही कारण है कि लोगउन्हें ईश्वर का अवतार मानकर उनकी पूजा-अर्चना एवं भक्ति कर तेहैं। इस प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार आनंद ¸ सांप्रदायिक सद्भाव और अनेकता में एकता का त्योहार है।

Janmashtami short essay

‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ हिन्दुओं का एक प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इसे भगवान् श्री कृष्ण के जन्म दिन के रूप में मनाते हैं। जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, श्रीजयंती के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र में जन्माष्टमी दही हांडी के लिए विख्यात है। जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिरों में भव्य समारोह किये जाते हैं। सम्पूर्ण भारत में जगह जगह श्रीकृष्ण की झांकियां सजाई जाती हैं तथा रास लीला का आयोजन किया जाता है। मथुरा और वृन्दावन जहाँ भगवान् श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था वहां की जन्माष्टमी विश्व प्रसिद्द है। जन्माष्टमी के दिन लोग दिन भर व्रत रहते हैं तथा आधी रात में भगवान् श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को मनाकर व्रत तोड़ते हैं। सभी जगह कीर्तन एवं भजन का आयोजन किया जाता है।

Essay on Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा।

जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है : 

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।

तैयारियां : 

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है। जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।

दही-हांडी/मटकी फोड़ प्रतियोगिता :

जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं। छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में सफल हो जाती है वह इनाम का हकदार होती है।

जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए। कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत करें। पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

Janmashtami Nibandh in Hindi – 200 words

अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है रथ यात्रा पर निबंध लिखें| यहाँ हमने हर साल 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 व 2023 के अनुसार janmashtami short essay in english, जन्माष्टमी पर एस्से, lord krishna birthday essay, कृष्ण जन्माष्टमी एस्से इन हिंदी, इन संस्कृत, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध, जन्माष्टमी के लिए निबंध दिए हैं जो की जन्माष्टमी टॉपिक पर निश्चित रूप से आयोजन समारोह या बहस प्रतियोगिता (debate competition) यानी स्कूल कार्यक्रम में स्कूल या कॉलेज में निबंध में भाग लेने में छात्रों की सहायता करेंगे।

हिन्दु धर्म के पर्वा में कृष्ण जन्माष्टमी को पूरे देश में बड़ी ही धुम-धाम और उत्साहर जोश के साथ मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का प्रसिद्व त्यौहार है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी को अन्य कई उपनामों जैसे :- गोकुलाष्टमी, जन्माष्टमी और कृष्णाष्टमी वह श्रीजयंती नाम से भी मनाया वह जाना जाता है। इस दिन भारत के सभी मंदिर सजाए जाते हैं, वह भगवान श्री कृष्ण की मुर्तियों को सजाया जाता है। वह देश भर में झांकियाँ निकाली जाती है, इसमें बड़े-बुढे, जवान, महीलाएँ सभी बढ़-चढकर भाग लेते है। मथुरा वह देश के विभिन्न क्षेत्रों में कृष्णजन्माष्टमी के दिन दही हांडी तोड़ने की प्रतीयोगीता रखी जाती है। इसमें उच्चाई पर दही या मक्कन से भरी हाड़ी लटकाई जाती है, जिसे तोड़ने वाले को पुरस्कार दिया जाता है। इस पर्व के दिन हिन्दु परिवार में कुछ लोग वर्त रखते है, देश के मंदिरों में कृष्णजन्माष्टमी के दिन लडडु का प्रसाद बनाया जाता है। इस प्रसाद को कृष्ण भगवान को चढ़ाने के बाद मंदिन में आने वाले लोगों में बाँट दिया जाता है। ये पर्व भगवान भगवान श्री कृष्ण के दिखाएं पथ पर चलने वह उनके आदर्शो का पालन कर मानवजाति के विकास के लिए अपना योगदान देने की तरफ हमें संदेश देता है।

Essay on Janmashtami in English

Janmashtami is a Hindu festival celebrating the birth of Krishna. Janmashtami is celebrated as the birthday of Lord Sri Krishna. Krishna Janmashtami is also known as Sri Krishna Jayanti, Krishnashtami, Gokulashtami and sometimes simply as Janmashtami. Hindus observed this festival to celebrate the birthday of their beloved God Sri Krishna. The birth of Lord Krishna marks the end of inhumanity and cruelty over mankind. Krishna is a symbol of righteousness. Sri Krishna was born at mid-night of this day. Krishna Janmashtami is observed on the Ashtamitithi, the eighth day of the dark half or Krishna Paksha of the month of Shraavana. He is considered as an avatar of the God Vishnu. The day is celebrated with great zeal and devotion. The Lord Krishna devotees observe fast for the entire day and night, worshipping him. Temples of Sri Krishna are beautifully decorated. Thousands of Hindu men and women wear new clothes and gather in these temples to celebrate the birthday of their beloved God. The priest chants mantras and worship Lord Sri Krishna. Some temples also conduct readings of the Hindu religious scripture Bhagavad Gita. Religious plays or Raslilas are performed to recreate events from the life of Lord Krishna. Janmashtami is one such festival that is celebrated equally in North and South India. Different parts of the country celebrate the festival differently. Janmaashtami or Gokulashtami, popularly known in Mumbai and Pune as DahiHandi, is celebrated as an event which involves making a human pyramid and breaking an earthen pot (handi) filled with buttermilk (dahi), which is tied at a convenient height. The town of Dwarka in Gujarat which is Krishna’s own land witnesses hordes of visitors gathering here for celebrations.Places in Uttar Pradesh that are associated with Krishna’s childhood, such as Mathura, Gokul and Vrindavan, attract visitors from all over India, who go there to participate in the festival celebrations. Krishnashtami brings much joy and feeling of unity.The festival is celebrated with zeal and rejoicings all over the country and in various other parts of the world wherever there exist Hindu societies.

10 lines on Janmashtami in hindi

जन्माष्टमी हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। जो भगवान् कृष्ण को समर्पित है। यह त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान् श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। भगवान् कृष्णा यशोदा जी और वासुदेव के आठवीं संतान थे। जन्माष्टमी के अवसर पर सभी लोग व्रत रखते हैं जिसे रात 12 बजे ही तोड़ा जाता है। इस दिन जोग अपने-अपने घरों को साफ़ करके मंदिर में भगवान् कृष्णा की पूजा करते हैं। जन्माष्टमी के 4 -5 दिनों पूर्व ही मंदिर, बाजार आदि सजने शुरू हो जाते हैं। जगह-जगह मेलों का आयोजन किया जाता है। जिससे चरों ओर रौनक बढ़ती है। सभी लोग अपने-अपने घरों और मंदिरों को झांकियों से सजाते हैं। इस दिन देश भर में जगह-जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। मथुरा के मंदिरों में विशेष तौर पर रासलीला का आयोजन किया जाता है। मंदिरों में लोग भगवान् कृष्णा के बाल स्वरुप को झूला झुलाते हैं। सभी लोग अपने-अपने घरों में कतरिया, पंजीरी और पंचामृत बनाते हैं। रात बारह बजे भगवान् कृष्णा का जन्म होते ही आरती पढ़कर भगवान् को भोग लगाया जाता है। यह पर्व भगवान् कृष्ण में हमारी आस्था का प्रतीक है।

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Janmashtami Essay for Students and Children

500+ words essay on janmashtami.

Essay on Janmashtami

Lord Krishna

Lord Krishna was born on the 8th day of Dark Fortnight in the month of Bhadon. Bhadon is a month in the Hindu calendar. Moreover, he was born around 5,200 years ago approximately. Because he was one of the most powerful Gods. He was born for a special purpose on Earth. Lord Krishna was born to free the world from evil.

As a result, he played an important role in the book of Mahabharata. Also, Lord Krishna preached about good karma and the theory of Bhakti.

Lord Krishna was born in a prison. He was in the clutches if Kansa. But his father Vasudev gave him to his friend Nand to save him. Because he knew that Kansa was evil-minded. Furthermore after getting saved the upbringing of Sri Krishna was in a Gokul family. Sri Krishna after some time became strong. As a result, he was able to kill Kansa.

When I was a child I used to watch many shows on Sri Krishna. As a result, I know many things about him. First of all, Sri Krishna was very fond of eating Makhan. Because of that he always used to steal it from his mothers’ kitchen. Therefore his name was ‘Natkahat Nand Lal’. Sri Krishna was dark-colored. So he was always worried about his color. Moreover, Sri Krishna had a friend named Radha. Radha was of great importance to Krishna. So he always spent time with her. Radha was very beautiful and fair so Lord Krishna always feels color complex.

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How is Janmashtami Celebrated?

People celebrate Janmashtami in mid-night. Because Lord Krishna was born in the dark. Moreover, people have a special way of celebrating the festival. Since Sri Krishna was fond of eating Makhan people play this sport.

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The sport is, they tie an earthen pot(matki). The judge of the game ties the matki really high from the ground. Furthermore, a person fills Makhan in the matki. Also, what people do is they build a human pyramid to break the matki. Since the matki is too high they have to build a tall pyramid. As a result, many people have to take part in sport. Moreover, there are other teams too who stop them from breaking the matki. Equal chances are there for both the teams. Each team gets a chance for a particular time period. If the team is not able to do it in time then the other team tries it. This is an interesting sport many people gather to watch this sport.

Furthermore, the celebration is also done in houses. People decorate their houses from outside with lights. Moreover, the temples are full of people. They perform various rituals inside the temple. As a result, we hear the sound of bells and mantras the whole day.

Moreover, people perform a dance on different religious songs. Finally, it is one of the most enjoyable festivals in the Hindu religion.

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जन्माष्टमी पर निबंध। Essay on Janmashtami in Hindi

जन्माष्टमी पर निबंध। Essay on Janmashtami in Hindi : जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे- कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती इत्यादि। परंतु अधिकांश लोग इसे ‘जन्माष्टमी’ ही कहते हैं। हिन्दू इस त्योहार को भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण के जन्म के रूप में मनाते हैं।

Essay on Janmashtami in Hindi

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  5. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध/How to write Essay on janmashtami in hindi

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  5. जन्माष्टमी पर निबंध || essay on Janmashtami in Hindi

  6. 10 Lines Essay On Krishna Janmashtami In English l Essay On Janmashtami l कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

COMMENTS

  1. जन्माष्टमी पर निबंध

    जन्माष्टमी पर निबंध | Essay on Janmashtami in Hindi. August 27, 2021 by Mukesh Singh. हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में (Janmashtami in Hindi) पड़ेंगे जो कि ...

  2. कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (Krishna Janmashtami Essay in Hindi)

    Krishna Janmashtami par Nibandh - 3 (500 शब्द) परिचय. वर्ष के अगस्त या सितम्बर महिने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता ...

  3. Essay on Janmashtami in Hindi

    200 शब्दों में Essay on Janmashtami in Hindi कुछ इस प्रकार है -. जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में ...

  4. जन्माष्टमी पर निबंध

    जन्माष्टमी पर निबंध - Janmashtami Essay in Hindi: कृष्ण जन्माष्टमी भारत में मनाया जाने वाला ...

  5. जन्माष्टमी पर निबंध

    Short Essay on Janmashtami in Hindi जन्माष्टमी पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में. जन्माष्टमी महोत्सव पर अनुच्छेद: जन्माष्टमी एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार ...

  6. Janmashtami Essay : जन्माष्टमी पर हिन्दी में आदर्श निबंध

    Essay On Janmashtami प्रतिवर्ष भाद्रपद मास में कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। कृष्‍ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था ...

  7. कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

    जन्माष्टमी पर निबंध, 10, 20, 50, 100, लाइन, 100, 200 और 500 शब्द, छोटे- छोटे पैराग्राफ, शार्ट एवं लॉन्ग (Krishna Janmashtami Essay in Hindi, 150 words, line, Students and Children, Paragraph for class 5)

  8. जन्माष्टमी

    कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे जन्माष्टमी वा गोकुलाष्टमी के रूप में भी ...

  9. जन्माष्टमी पर निबंध (2019): janmashtami essay in hindi, 100 words, 200

    जन्माष्टमी पर निबंध, janmashtami short essay in hindi (250 शब्द) जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण का जन्मदिन जुलाई या अगस्त के महीने में भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया ...

  10. Janmashtami in Hindi : कैसे हुई जन्माष्टमी का त्यौहार मनाने की शुरुआत

    जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है? Janmashtami in Hindi का आयोजन विभिन्न स्थलों और परिपर्णता के आधार पर भिन्न-भिन्न तरीकों से किया जा सकता है, लेकिन यह ...

  11. जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi

    इस लेख में हमने जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi लिखा है जिसमें जन्माष्टमी क्या है,कब मनाया जाता है, यह क्यों मनाया जाता है, कैसे बनाया जाता है ,साथ ही ...

  12. जन्माष्टमी पर निबंध-Essay On Janmashtami In Hindi

    जन्माष्टमी पर निबंध-Essay On Janmashtami In Points 1. जन्माष्टमी का त्यौहार सभी हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही प्रमुख त्यौहार होता है और इसे हर साल मनाया जाता है। 2.

  13. Janmashtami katha: पढ़िए श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा और जानिए कैसे मनाए

    Janmashtami katha जानने के बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाने के लिए आप अपने घर में पूरी आस्था के साथ लड्डू गोपाल की सेवा करने का संकल्प ले ...

  14. जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध

    जन्माष्टमी पर्व पर हिन्दी में निबंध | Krishna Janmashtami Essay in Hindi. भारतीय समाज में, 'यशोदा नंदन' और 'देवकी पुत्र' के नाम से पूजे जाने वाले भगवान कृष्ण को सदियों से ...

  15. 100, 200, 250, & 500 Words Essay on Janmashtami Festival in English & Hindi

    250 Words Essay on Janmashtami Festival in Hindi. The Hindu god, Vishnu and his avatars are an important part of Hindu mythology, and Sri Krishna is one of his most essential incarnations. Lord Krishna was born on the Ashtami Tithi of the month of Shravan on the date of Krishna Paksha. This day is known as Janmashtami and is celebrated every ...

  16. Paragraph on Janmashtami in Hindi

    जन्माष्टमी (Janmashtami) पर अनुच्छेद - Paragraph on Krishna Janmashtami in Hindi.

  17. जन्माष्टमी पर निबंध

    जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on janmashtami in Hindi): जन्माष्टमी हिन्दुओं का श्रेष्ठतम पवित्र त्यौहार है. क्यूंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था.

  18. जन्माष्टमी पर निबंध 2023-24 Krishna Janmashtami Essay in Hindi

    Janmashtami Essay in Hindi. जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे ...

  19. Janmashtami Essay for Students and Children

    500+ Words Essay on Janmashtami. Essay on Janmashtami - The Hindus celebrate Janmashtami for the birth of Sri Krishna. The festival usually occurs in August. Moreover, the Hindus celebrate this festival in the Ashtami of Krishna Paksha. Moreover, Lord Krishna is the most powerful incarnation of Lord Vishnu. It is a joyful festival for the Hindus.

  20. 10 lines on Janmashtami in hindi

    10 lines on janmashtami in hindi : जन्माष्टमी हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। जो भगवान् कृष्ण को समर्पित है। यह त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बड़ी धूम-धाम ...

  21. Essay On Janmashtami : कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध

    Essay On Janmashtami : कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध . प्रस्तावना- प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री ...

  22. जन्माष्टमी पर निबंध। Essay on Janmashtami in Hindi

    जन्माष्टमी पर निबंध। Essay on Janmashtami in Hindi : जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। इसे अन्य नामों से भी ...

  23. Krishna Janmashtami Wishes: जन्माष्टमी पर खास कोट्स, मैसेज, विश आदि

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