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Earthquake Explained: क्या होता है भूकंप, कैसे आता है... क्या होती है इसकी वजह?

नेपाल में भूकंप आया. भारत और चीन भी हिल गए. इस साल भारत में 948 भूकंप आए. लेकिन क्या आपको पता है कि भूकंप कैसे आता है इसके पीछे की क्या वजह है ये कब आता है, क्यों आता है. ये है क्या बला इससे क्या नुकसान होता है. ये कितनी ताकतवर हो सकता है..

भूकंप की वजह से ही आपकी धरती का ये स्वरूप बना है, जिस पर हम आज रह रहे हैं. (फोटोः गेटी)

ऋचीक मिश्रा

  • 09 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 09 नवंबर 2022, 8:37 AM IST)

earthquake presentation in hindi

हमारी पृथ्वी प्रमुख तौर पर चार परतों से बनी है. यानी इनर कोर (Inner Core), आउटर कोर (Outer Core), मैंटल (Mantle) और क्रस्ट (Crust). क्रस्ट सबसे ऊपरी परत होती है. इसके बाद होता है मैंटल. ये दोनों मिलकर बनाते हैं लीथोस्फेयर (Lithosphere). लीथोस्फेयर की मोटाई 50 किलोमीटर है. जो अलग-अलग परतों वाली प्लेटों से मिलकर बनी है. जिसे टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) कहते हैं. 

धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं. ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेट आपस में टकराती हैं. रगड़ती हैं. एकदूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर जाती हैं, तब जमीन हिलने लगती है. इसे ही भूकंप कहते हैं. भूकंप को नापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं. जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहते हैं. 

रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल 1 से 9 तक होती है. भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से नापा जाता है. यानी उस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसी स्केल पर मापा जाता है. 1 यानी कम तीव्रता की ऊर्जा निकल रही है. 9 यानी सबसे ज्यादा. बेहद भयावह और तबाही वाली लहर. ये दूर जाते-जाते कमजोर होती जाती हैं. अगर रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7 दिखती है तो उसके आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटका होता है. 

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3800 साल पहले आया था दुनिया का सबसे भयावह भूकंप

वैज्ञानिकों को मानव इतिहास के अब तक के सबसे बड़े भूकंप के बारे में पता चला है. चिली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिएगो सालाजार ने इस बारे में रिसर्च किया. इस भयानक भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 9.5 थी. इस भूकंप से 8000 किलोमीटर तक सुनामी आई थी. उस समय धरती पर रह रहे इंसानों 1000 साल तक आसपास के समुद्र तटों को छोड़ना पड़ा था. यह भूकंप 3800 साल पहले आया था. जहां ये आया था, उसे अब उत्तरी चिली कहा जाता है. एक टेक्टोनिक प्लेट के टूटने की वजह से इस इलाके की तटरेखा (Coastline) ऊपर उठ गई थी. भूकंप की वजह से सुनामी की 66 फीट लंबी लहरें उठी थीं. 

आधुनिक इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप वाल्डिविया में आया था

अब तक, रिकॉर्ड किया गया सबसे बड़ा भूकंप 1960 में आया वाल्डिविया भूकंप (Valdivia earthquake) था. यह  9.4 से 9.6 के बीच की तीव्रता का था. इसने दक्षिणी चिली को हिलाकर रख दिया था. इस भूकंप में 6,000 लोग मारे गए थे. इसकी वजह से प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में बार-बार सुनामी आई. वाल्डिविया भूकंप जिस टेक्टोनिक प्लेट के टूटने से आया, उसकी लंबाई 800 किमी थी. 

लगातार चीन की तरफ बढ़ रही है भारतीय टेक्टोनिक प्लेट

इंडियन टेक्टोनिक प्लेट हिमालय से लेकर अंटार्कटिक तक फैली है. यह पाकिस्तान बार्डर को सिर्फ छूती है. भूगोल के हिसाब से यह हिमालय के दक्षिण में है. जबकि यूरेशियन प्लेट हिमालय के उत्तर में है. इंडियन प्लेट उत्तर-पूर्व दिशा में यूरेशियन प्लेट की तरफ यानी चीन की तरफ लगातार बढ़ रही है. अगर ये प्लेट टकराती हैं तो भूकंप का केंद्र भारत में होगा. जिससे बड़ी तबाही होगी. 

Earthquake Explained

भूकंप चार प्रकार के होते हैं... जानिए कौन-कौन से

भूकंपों के तीन प्रकार होते हैं. पहला इंड्यूस्ड अर्थक्वेक (Induced Earthquake) यानी ऐसे भूकंप जो इंसानी गतिविधियों की वजह से पैदा होते हैं. जैसे सुरंगों को खोदना, किसी जलस्रोत को भरना या फिर किसी तरह के बड़े भौगोलिक या जियोथर्मल प्रोजेक्ट्स को बनाना. बांधों के निर्माण की वजह से भी भूकंप आते हैं. 

दूसरा होता है वॉल्कैनिक अर्थक्वेक (Volcanic Earthquake) यानी वो भूकंप जो किसी ज्वालामुखी के फटने से पहले, फटते समय या फटने के बाद आते हैं. ये भूकंप गर्म लावा के निकलने और सतह के नीचे उनके बहने की वजह से आते हैं. तीसरा होता है कोलैप्स अर्थक्वेक (Collapse Earthquake) यानी छोटे भूकंप के झटके जो जमीन के अंदर मौजूद गुफाओं और सुरंगों के टूटने से बनते हैं. जमीन के अंदर होने वाले छोटे विस्फोटों की वजह से भी ये आते हैं.

चौथा है एक्सप्लोसन अर्थक्वेक (Explosion Earthquake) इस तरह के भूकंप के झटके किसी परमाणु विस्फोट या रासायनिक विस्फोट की वजह से पैदा होते हैं. 

Earthquake Explained

भूकंपों के आने से क्या फायदा होता है? 

भूकंप से धरती की अंदरूनी संरचना को समझने में वैज्ञानिकों को मदद मिलती है. भूकंपों की वजह से ही ऊंचाई वाले इलाकों का निर्माण होता है. इससे उस इलाके की जलवायु पर पॉजिटिव इफेक्ट पड़ता है. जैसे पर्वत, पठार, घाटियां. इन स्थानों पर वनों का निर्माण होता है. जीवन पनपता है. मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है. भूकंपों की वजह से ही हमारी दुनिया का ये स्वरूप हमें देखने को मिल रहा है. हालांकि इनकी वजह से जानमाल का नुकसान बहुत होता है. 

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earthquake presentation in hindi

भूकंप कैसे आता है | भूकंप आने के कारण और प्रकार | Earthquake In Hindi

भूकंप किसे कहते हैं | भूकंप आने के कारण | भूकंप का प्रभाव | भूकंप का केंद्र | भूकंप से कैसे बचे | भूकंप कैसे आता है | भूकंप क्या है | भूकंप के प्रकार | भूकंप की तीव्रता का मापन

Earthquake In Hindi : हर साल दुनिया भर में कहीं न कहीं भूकंप की खबरें आती रहती हैं. रात को जब हम सोते है और अचानक देखते है कि बेड और आसपास रखी चीजें अपने आप हिलने लगती है. इस डर से लोग जाग जाते है और घरों से बाहर निकल जाते है. दरअसल भूकंप एक प्राकृतिक आपदा (Natural Disaster) है. अक्सर जब भूकंप आता है तो उसका एक केंद्र होता है. और इसकी तीव्रता हम रिक्टर स्केल से मापते है. हर साल सैकड़ों लोग भूकंप की वजह से मारे जाते है. 21 मार्च 2023 की रात को उत्तर भारत के सभी हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. बताया जाता है कि इसका केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद के आसपास में था. भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर (Earthquake In Delhi) सहित राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा महसूस किये गए और भूकंप की तीव्रता 6.6 बताई जा रही है.   

अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि भूकंप ( Earthquake In Hindi ) कैसे आता है, इसके आने के कारण और यह कितने प्रकार के होते है. हम आपको इन सभी के बारें में विस्तार से जानकारी देने वाले है.

Earthquake In Hindi

Table of Contents

भूकंप क्या है (What Is An Earthquake In Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो किसी भी स्थान पर कभी भी आ सकती है. आसन शब्दों में समझें तो जब पृथ्वी की सतह हिलने या कंपन होने लगती है तब भूकंप आता है. इसकी वजह से पृथ्वी से निकलने वाली भूकंपीय तरंगें सभी दिशाओं में फैलने वाली तरंगों को उत्पन्न करता है. पृथ्वी की सतह के ठीक नीचे का स्थान जहाँ से भूकंप का कंपन शुरू होता है उसे हाइपोसेंटर कहते है और पृथ्वी की सतह से ठीक ऊपर के स्थान को उपरिकेंद्र कहा जाता है. इस स्थान पर भूकंप की तीव्रता सबसे अधिक होगी और कंपन भी तेज़ होगा. जैसे-जैसे कंपन की आवृत्ति कम होती जाती है, उसका प्रभाव भी कम होता जाता है. कुछ भूकंप इतने ज्यादा खतरनाक होते है कि पूरा शहर धरती में समा जाते है.

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भूकंप आने के कारण (Causes Of Earthquake In Hindi)

भूकंप आने के कारण क्या है इसे समझने के लिए हमे वैज्ञानिक रूप से धरती की संरचना को समझना होगा. यह पृथ्वी 15 से 20 टेक्टॉनिक प्लेटों से बनी है. जिसमें मुख्य प्लेटों की संख्या 7 (अरबी प्लेट, कैरिबियन प्लेट, जोन दे फूका प्लेट, कोकोस प्लेट, नाजका प्लेट, फिलिपीन सागर प्लेट, स्कोश्या प्लेट) होती है. यह पृथ्वी के स्थलमंडल के नीचे तरल पदार्थ लावा के रूप में कमजोर और नरम एक चट्टानों की परतें होती हैं जो निरंतर धीमी गति से तैरती रहती हैं. स्वाभाविक रूप से, अधिकांश भूकंप टेक्टोनिक प्लेट्स के आपस में टकराने से आते है. उनके बीच के गेप को फॉल्ट लाइन कहते है. जैसे ही यह प्लेटें आपस में टकराती है तो उनके कोने टूट जाते है और घर्षण की वजह से आपस में चिपक जाते है. और इन पर दबाव बनता है, साथ ही फॉल्ट लाइन के आसपास संग्रहीत तनाव ऊर्जा जमा होती रहती है. जब यह दबाव बहुत अधिक हो जाता है और एक सीमित वेल्यु पार कर जाती है तो घर्षण बल कमजोर हो जाता है. जिससे चिपकी हुई प्लेटों के बीच अचानक हलचल होती है, जिससे भ्रंश बनता है. भ्रंश के निर्माण के कारण पृथ्वी की सतह का हिंसक विस्थापन हो जाता है और तनाव ऊर्जा उत्पन्न होती है. यह ऊर्जा भूकंपीय तरंगों का कारण बनती है. जिस कारण हमे भूकंप के झटके महसूस होते है.

भूकंप के प्रकार (Types of Earthquake In Hindi)

भूकंप वैसे कई प्रकार के होते हैं जिनमे टेक्टोनिक भूकंप, ज्वालामुखीय भूकंप, संक्षिप्त भूकंप और विस्फोट भूकंप. भूकंप का प्रकार उसके क्षेत्र पर निर्भर करता है जहां पर भूकंप आता है और उस क्षेत्र की भूगर्भिक संरचना पर भी निर्भर करता है. जानते है इन सभी भूकंप के प्रकार के बारे में-

विवर्तनिक भूकंप (Tectonic Earthquake)

यह भूकंप सामान्य रूप आता रहता है. ये तब होते हैं जब पृथ्वी की सतह में मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने से जो ऊर्जा उत्पन होती है और उस ऊर्जा के बाहर निकलने से भूकंप जैसा महसूस होता है. उसे विवर्तनिक भूकंप कहते है.

ज्वालामुखीय भूकंप (Volcanic Earthquake)

ज्वालामुखीय भूकंप विस्फोट के पहले या बाद में आता है. यह आमतौर पर मैग्मा के ज्वालामुखी विस्फोट के कारण होता है. जो चट्टानों द्वारा सतह पर धकेल दिया जाता है.

संक्षिप्त भूकंप (Collapse Earthquake)

यह भूकंप भूमिगत गुफाओं और खानों में छोटे भूकंप के रूप में आता है. इस तरह के भूकंप के आने का मुख्य कारण चट्टानों के अंदर उत्पन्न प्रेशर हो सकता है.

विस्फोटक भूकंप (Explosion Earthquake)

यह भूकंप परमाणु और रासायनिक उपकरणों के विस्फोट से आता है. जो सामान्य रूप से मानव निर्मित गतिविधियाँ के कारण होता है.

भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquake In Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है. यदि ज्यादा तीव्रता का भूकंप आता है, तो यह लोगों और जगजीवन को भारी नुकसान पहुंचा सकता है. जिसकी हम कल्पना भी नही कर सकते है. लेकिन हम आपको भूकंप के प्रभावों से अवगत कराने जा रहे हैं जो इस प्रकार हैं:-

  • झटके लगना और धरती का फटना
  • भूस्खलन और हिमस्खलन होना
  • मिट्टी द्रवीकरण होना
  • बांध और ब्रिज के टूटने से बाढ़ आना
  • मानव के जीवन को प्रभावित करना

भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है? (How are Earthquakes Measured In Hindi)

भूकंप की तीव्रता को रिक्टर स्केल से माप की जाती है. रिक्टर स्केल एक गणितीय पैमाना है जिसका उपयोग भूकंप तरंगों की तीव्रता को मापने के लिए किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल (Richter magnitude scale) कहा जाता है. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर उसके केंद्र से 1 से 9 तक मापी जाती है. यह पैमाना भूकंप के दौरान पृथ्वी के अंदर से निकलने वाली एनर्जी के आधार पर तीव्रता को मापता है.

भूकंप का केंद्र क्‍या होता है (Epicenter Of An Earthquake In Hindi)

भूकंप का केंद्र वह स्थान है जिसके ठीक नीचे प्लेटों की गति से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. इस जगह पर भूकंप का प्रभाव सबसे अधिक होता है और कंपन भी सबसे तेज होता है. जैसे-जैसे कंपन की फ्रीक्वेंसी दूर होती जाती है ऐसे में इसका असर कम हो जाता है. लेकिन अगर रिक्टर पैमाने पर 7 से अधिक की तीव्रता वाला भूकंप आता है, तो 40 किमी के दायरे में झटके तेज हो जाते हैं. यह भूकंप की फ्रीक्वेंसी और रेडियस पर निर्भर करता है. यदि भूकंप की फ्रीक्वेंसी ऊपर की ओर है तो कम क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा.

भूकंप से कैसे बचे (Stay Safe During An Earthquake In Hindi)

  • भूकंप के समय अगर आप घर में हैं तो जमीन पर बैठ जाएं या फिर किसी मज़बूत डेस्क या लकड़ी के फ़र्नीचर के नीचे बैठकर अपने सिर और चेहरे को अपने हाथों से ढक लें. जब तक झटके न रुके घर से बाहर न निकले
  • अगर रात के समय भूकंप आता है तो आप बिस्तर पर लेटे है तो सिर को तकिये से ढक लें और घर के सभी बिजली के स्विच बंद कर दें.
  • यदि आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाते हैं, तो अपने मुंह को रुमाल या कपड़े से ढक लें और मलबे के नीचे अपनी उपस्थिति का संकेत देने के लिए पाइप या दीवार को किसी चीज़ से बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको ढूंढ सके. अगर फिर भी आपको कुछ समझ नही आ रहा तो चिल्लाये लेकिन हिम्मत मत हारे.
  • भूकंप के समय अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची बिल्डिंग और बिजली के खंभों से दूर रहें. यदि आप कार चला रहे हैं तो उसे किसी खाली जगह पर रोक दें लेकिन कार से बाहर न निकलें. ध्यान रहे किसी भी फ्लाईओवर पर कार न रोके.
  • भूकंप के दौरान यदि आप मलबे के नीचे दब जाते हैं, तो माचिस बिल्कुल न जलाएं. ऐसा करने पर इससे गैस रिसाव के कारण आग लगने का खतरा बढ़ सकता है.
  • भूकंप आने पर अगर आप घर पर हैं तो चलिए नही बल्कि सही जगह ढूंढकर बैठ जाओ या फिर किसी कोने में बैठ जाओ. ध्यान रहे कांच की खिड़कियों और दरवाजों से दूर रहें.
  • भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल न करे जहां तक हो सीढ़ियों का प्रयोग करे. भूकंप के दौरान घबराएं नहीं और किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दे और न फैलाएं.

निष्कर्ष – आज के इस लेख में हमने आपको बताया भूकंप (Earthquake In Hindi) कैसे आता है, इसके आने के कारण और यह कितने  प्रकार के होते है. उम्मीद करते है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी.

Q : भूकंप क्या होता है? Ans : पृथ्वी की सतह को हिलने को भूकंप कहते है.

Q : सबसे बड़ा भूकंप कब आया था? Ans : सबसे बड़ा भूकंप 22 मई 1960 को साउथ अमेरिका के चिली में आया.

Q : भूकंप कितने प्रकार के होते हैं? Ans : भूकंप 4 प्रकार के होते हैं, टेक्टोनिक भूकंप, ज्वालामुखीय भूकंप, संक्षिप्त भूकंप और विस्फोटक भूकंप.

Q : भारत में सबसे बड़ा भूकंप कब आया था? Ans : साल 1934 में बिहार और नेपाल में आया था.

Q : भूकंप मापी यंत्र का नाम क्या है? Ans : सिस्मोमीटर

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भूकंप: क्या करें तथा क्या ना करें

भूकंप आने से पहले क्या करें

  • छत तथा नींव के पलास्तर में पड़ी दरारों की मरम्मत कराएं। यदि कोई संरचनात्मक कमी का संकेत हो तो विषेशज्ञ की सलाह लें।
  • सीलिंग में ऊपरी (ओवरहेड) लाइटिंग फिक्सचर्स (झूमर आदि) को सही तरह से टांगें।
  • भवन निर्माण मानकों हेतु पक्के इलाके में प्रासंगिक बीआईएस संहिताओं का पालन करें।
  • दीवारों पर लगे षेल्फों को सावधानी से कसें।
  • नीचे के षेल्फों में बड़ी अथवा भारी वस्तुओं को रखें।
  • सांकल/चिटकनी वाली लकड़ी की निचली बंद कैबिनेटों में भंगुर (ब्रेकेबल) मदें जैसे बोतलबंद खाद्य सामग्री, गिलास तथा चीनी मिट्टी के बर्तन को रखें।
  • भारी चीजों जैसे तस्वीर तथा षीषे आदि को, बिस्तर, सेटीज (सोफा, बेंच या कोच) तथा जहां भी लोग बैठते हैं, से दूर रखें।
  • फैन फिक्चर्स तथा ओवरहेड लाइट को नट-बोल्ट की मदद से अच्छी तरह फिट कराएं।
  • खराब या दोशपूर्ण बिजली की तारों तथा लीक करने वाले गैस कनेक्षनों की मरम्मत कराएं जिनसे आग लगने के जोखिम की संभावना होती है।
  • पानी गर्म करने का हीटर, एलपीजी सिलेंडर आदि को दीवार के साथ अच्छी तरह कसवाएं बंधवाएं अथवा फर्ष पर बोल्ट कसवा के उन्हें सुरक्षित बनाएं।
  • अपतृण-नाषी (वीड किलर्स), कीटनाषक तथा ज्वलनषील पदार्थों को सांकल वाले कैबिनेटों में तथा नीचे के षेल्फों में सावधानी से रखें।
  • घर के अंदर तथा बाहर सुरक्षित स्थानों को तलाष कर रखें।
  • मजबूत खाने की मेज, बिस्तर के नीचे।
  • किसी भीतरी दीवार के साथ।
  • उस जगह से दूर जाना जहां खिड़की, षीषे, तस्वीरों से कांच गिरकर टूट सकता हो अथवा जहां किताबों के भारी षेल्फ अथवा भारी फर्नीचर नीचे गिर सकता हो।
  • खुले क्षेत्र में बिल्डिंग, पेड़ों, टेलीफोन, बिजली की लाइनों, फ्लाईओवरों तथा पुलों से दूर रहें।
  • आपातकालीन टेलीफोन नंबरों को याद रखें (जैसे डाक्टरों, अस्पतालों, तथा पुलिस आदि के टेलीफोन नंबर)।
  • स्वयं तथा परिवार के सदस्यों को भूकंप के बारे में जानकारी दें।

आपदा आपातकालीन किट को तैयार रखें

  • अतिरिक्त बैटरियों सहित बैटरी चालित टॉर्च
  • बैटरी चालित रेडियो
  • प्राथमिक सहायता थैला (किट) तथा मैनुअल
  • आपातकालीन खाद्य सामग्री (ड्राई आइटम्स) तथा पीने का पानी (पैक्ड तथा सीलबंद)
  • एक वाटरप्रूफ कंटेनर में मोमबत्तियों तथा माचिसें
  • क्लोरीन की गोलियां तथा पाउडर-युक्त वाटर प्यूरिफायर
  • अनिवार्य दवाइयां
  • नकदी तथा क्रेडिट कार्ड
  • मोटी रस्सी तथा डोरियां

एक आपातकालीन संपे्रशण योजना तैयार करना

  • यदि किसी स्थिति में परिवार के सदस्य एक-दूसरे से भूकंप के दौरान अलग हो जाएं (दिन के दौरान होने वाली एक वास्तविक संभावना जब घर के वयस्क सदस्य काम पर गए हों और बच्चे स्कूल में हो), आपदा के बाद वापस इकट्ठा होने के लिए एक योजना तैयार रखें।
  • राज्य से बाहर रहने वाले अपने रिष्तेदार अथवा दोस्त को आपदा के बाद “पारिवारिक सूत्र” (फैमिली कांटेक्ट) के रूप में उपलब्ध होने के लिए कहें, अक्सर दूर स्थित व्यक्ति से बात करना आसान होता है। सुनिष्चित करें कि परिवार का हर व्यक्ति संपर्क सूत्र (कांटेक्ट पर्सन) का नाम, पता तथा फोन नंबर जानता हो।

अपने समुदाय को तैयार रहने में मदद करें

  • अपने स्थानीय अखबार में एक विषेश खंड प्रकाषित करें जिसमें भूकंप पर चेतावनी सूचना उपलब्ध हो। स्थानीय आपातकालीन सेवा कार्यालयों तथा अस्पतालों के फोन नंबर प्रकाषित करें। सूचना को स्थानीय स्तर पर स्थान दें।
  • घर में खतरों को पता लगाने के लिए साप्ताहिक अवधि वाली श्रृंखलाओं का संचालन करें।
  • विकलांग व्यक्तियों (मूक-बधिर, दृश्टिहीन, अपंग आदि) के लिए विषेश रिपोर्ट को तैयार करने हेतु स्थानीय आपातकालीन सेवाओं तथा अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ इस पर बात काम करना कि भूकंप के दौरान उनके लिए क्या किया जाए।
  • घर में भूकंप से निपटने के लिए कवायदों (ड्रिल) के संचालन पर उपयोगी सुझाव देना।
  • अपने समुदाय में अपनी जानकारी को भवन निर्माण संहिताओं पुनर्निर्माण/पुनःमरम्मत (रेट्रोफिटिंग) कार्यक्रमों, खतरे के बारे में पता लगाने, आस-पड़ोस तथा परिवार के लिए आपातकालीन योजनाओं को बनाने में प्रयोग करने के लिए मिल-जुलकर काम करना।

भूकंप के दौरान क्या करें

भूकंप के दौरान जितना संभव हो उतना सुरक्षित रहें। इस बात के प्रति सतर्क रहें कि कौन-से भूकंप वास्तव में इसकी पूर्व-चेतावनी देने वाले भूकंप के झटके होते हैं और बाद में बड़ा भूकंप भी आ सकता है। धीरे-धीरे कुछ कदमों तक सीमित हलचल करें जिससे पास में किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें और भूकंप के झटकों के रुकने पर घर में तब तक रहें जब तक कि आपको यह सुनिष्चित हो जाएं कि बाहर निकलना सुरक्षित है।

यदि आप घर के अंदर हों

  • आप यदि घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाए, किसी मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के किसी हिस्से के नीचे षरण लें अथवा तब तक मजबूती से पकड़कर बैठे रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं। यदि आपके पास कोई मेज या डेस्क न हो तो अपने चेहरे तथा सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं।
  • किसी आंतरिक दरवाजे के लिन्टॅल (लेंटर), किसी कमरे के कोने में, किसी मेज अथवा यहां तक कि किसी पलंग के नीचे रुककर अपने आपको बचाएं।
  • षीषे, खिड़कियों, दरवाजों तथा दीवारों से दूर रहें अथवा ऐसी कोई चीज जो गिर सकती हो (जैसे लाइटिंग फिक्सचर्स या फर्नीचर), से दूर रहें।
  • भूकंप के षुरू होने पर, यदि आप उस समय पलंग पर हांे तो पलंग पर ही रहें। अपने सिर पर किसी तकिए को ढककर बचाएं जब तक कि आप किसी भारी लाइट फिक्सचर जो गिर सकती हो, के नीचे न आएं। यदि ऐसी स्थिति हो तो पास के किसी सुरक्षित स्थान की ओर खिसक जाएं।
  • षरण लेने के लिए तभी ऐसे किसी दरवाजे से निकलकर बाहर जाएं जब वह आपके निकट हो और आप जानते हों कि ये किसी सषक्त सहारे (सपोर्ट) वाला है या यह सषक्त और वजन को झेल सकने वाला दरवाजा है।
  • जब तक भूकंप के झटके न रुके तथा बाहर जाना सुरक्षित न हो तब तक अंदर रुके रहंे। अनुसंधान से यह पता चला है कि ज्यादातर चोटें तब लगती है जब भवन के अंदर मौजूद लोग किसी दूसरी जगह अथवा बाहर जाने का प्रयास करते हैं।
  • ध्यान रखें कि बिजली कभी भी जा सकती है अथवा स्प्रिंकलर सिस्टम अथवा चेतावनी वाले फायर अलार्म कभी भी चालू हो/बज हो सकते हैं।

यदि आप घर के बाहर हों

  • यदि आप घर के बाहर हों तो जहां हों वहां से आप न हिलें। तथापि बिल्डिंग, पेड़ों, स्ट्रीट लाइटों तथा बिजली/टेलीफोन आदि की तारों आदि से दूर रहें।
  • यदि आप किसी खुली जगह पर हों तो वहां तब तक रुके रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं। सबसे बड़ा खतरा बिल्डिंग के बाहर, निकास द्वारों तथा इसकी बाहरी दीवारों के पास होता है। भूकंप से संबंधित अधिकांष दुर्घटनाएं दीवारों के गिरने, टूटकर गिरने वाले कांच तथा गिरने वाली वस्तुओं के कारण होती हैं।

यदि किसी चलते वाहन में हों

  • जितनी जल्दी संभव हो सुरक्षा के साथ गाड़ी रोकें तथा गाड़ी में रुके रहें। बिल्डिंग, पेड़ों, ओवरपास, बिजली/टेलीफोन आदि की तारों के पास अथवा नीचे रुकने से बचें।
  • सावधानी से भूकंप के रुकने के बाद आगे बढ़ें अथवा सड़कों, पुलों, रैम्प से बचें जो भूकंप द्वारा क्षतिग्रस्त हुए हो सकते हैं।

यदि मलबे के नीचे फंसे हों

  • माचिस की तीली को न जलाएं।
  • धूल न उड़ाएं अथवा हिले-डुले नहीं।
  • अपने मुंह को किसी रुमाल अथवा कपड़े से ढकें।
  • किसी पाइप अथवा दीवार को थपथपाएं ताकि बचाने वाले आपको ढूंढ सकें। यदि उपलब्ध हो तो सीटी का उपयोग करें । अगर और कोई उपाय न हो तो तेजी से चिल्लाएं। चिल्लाने से आपके मुंह में सांस के द्वारा खतरनाक धूल अंदर जा सकती है।

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भूकंप के कारण और प्रभाव (Earthquake: Causes and Effects)

  • भूकंप   पृथ्वी की सतह का हिलना है, जिसके परिणामस्वरूप   पृ थ्वी के  स्थलमंडल में  ऊर्जा  की अचानक रिहाई होती है  जो  भूकंपीय तरंगें पैदा करती है ।
  • भूकंप पृथ्वी की सतह परत के माध्यम से प्रसारित तरंग गति की ऊर्जा का रूप है।
  • यह फॉल्टिंग, वलन, प्लेट मूवमेंट, ज्वालामुखी विस्फोट और बांधों और जलाशयों जैसे मानवजनित कारकों के कारण हो सकता है।
  • भूकंप अब तक की सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अप्रत्याशित और अत्यधिक विनाशकारी है।
  • पृथ्वी की पपड़ी के भीतर कंपन की हल्की तरंगों के कारण होने वाले छोटे  भूकंप हर कुछ मिनटों में आते हैं, जबकि  बड़े भूकंप  आमतौर पर दोषों के साथ होने वाली हलचल के कारण होते हैं  , विशेष रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बहुत विनाशकारी हो सकते हैं।

भूकंप के अध्ययन में प्रयुक्त शब्दावली

  • भूकंप तीव्रता
  • भूकंप की तीव्रता
  • रिक्टर पैमाने
  • मर्कल्ली पैमाना
  • भूकंप का झटका
  • भूकंप-सूचक यंत्र

फोकस और उपकेंद्र (Focus and Epicenter)

  • पृथ्वी के भीतर वह बिंदु जहां भ्रंश शुरू होता है ,  फोकस  या  हाइपोसेंटर  है ।
  • सतह पर फोकस के ठीक ऊपर का बिंदु  भूकंप का केंद्र  है । भूकंप की तीव्रता भूकंप के केंद्र पर सबसे अधिक होती है और भूकंप के केंद्र से दूरी के साथ कम होती जाती है।

भूकंपीय तरंगों का फैलाव

रिक्टर पैमाने (Richter scale)

  • रिक्टर परिमाण पैमाना भूकंप से निकलने वाली  ऊर्जा की तीव्रता को मापने  का पैमाना है ।
  • यह पैमाना  चार्ल्स द्वारा तैयार किया गया था।  वर्ष 1935 में  एफ. रिक्टर ।
  • परिमाण दर्शाने वाली संख्या  0 से 9 के बीच होती है
  • एक भूकंप जो रिक्टर पैमाने पर 5.0 दर्ज करता है, उसका कंपन आयाम 4.0 दर्ज किए गए भूकंप की तुलना में 10 गुना अधिक होता है, और इस प्रकार कम तीव्रता वाले भूकंप से 31.6 गुना अधिक ऊर्जा निकलती है।

मर्कल्ली पैमाने (Mercalli scale)

  • मर्कल्ली तीव्रता पैमाना एक भूकंपीय पैमाना है जिसका उपयोग भूकंप की  तीव्रता को मापने के लिए किया जाता है।
  • यह भूकंप के प्रभावों को मापता है
  • तीव्रता दर्शाने वाली संख्या  1 से 12 के बीच होती है

भूकंपीय तरंगे (Seismic Waves)

  • भूकंपीय तरंगें पृथ्वी के भीतर  चट्टान के अचानक टूटने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा की तरंगें हैं।
  • वे वह  ऊर्जा  हैं जो पृथ्वी के माध्यम से यात्रा करती हैं और  भूकंपमापी पर दर्ज की जाती हैं।
  • तरंगों के दो  मुख्य प्रकार हैं शरीर तरंगें और सतह तरंगें।

शरीर की तरंगें (Body waves)

  • प्राथमिक तरंगें (पी-तरंगें)
  • द्वितीयक तरंगें (एस-तरंगें)

सतही तरंगें (Surface Waves)

  • लव वेव्स (एल-वेव्स)

प्राथमिक तरंगें (अनुदैर्ध्य तरंग) Primary waves (longitudinal wave)

  • पहली प्रकार की शारीरिक तरंग  पी तरंग या प्राथमिक तरंग है।
  • यह  सबसे तेज़ प्रकार की भूकंपीय लहर  है ।
  • पी तरंग  गैसीय, ठोस चट्टान और तरल पदार्थ  , जैसे पानी या पृथ्वी की तरल परतों से होकर गुजर सकती है।
  • यह चट्टान को धकेलता और खींचता है,  यह उसी तरह आगे बढ़ता है जैसे ध्वनि तरंगें  हवा को धक्का और खींचती हैं।

पी-तरंगों

द्वितीयक तरंगें (अनुप्रस्थ तरंग) (Secondary waves (transverse wave))

  • दूसरे प्रकार की शारीरिक तरंग  S तरंग या द्वितीयक तरंग है।
  • S  तरंग, P तरंग की तुलना में धीमी होती है और केवल ठोस चट्टान के माध्यम से ही चल सकती है।
  • यह लहर चट्टान को ऊपर-नीचे, या अगल-बगल ले जाती है।
  • एस-तरंगें कुछ समय अंतराल के साथ सतह पर आती हैं।

एस-तरंगों

लव तरंगे (Love Waves)

  • पहली प्रकार की  सतह तरंग को लव वेव कहा जाता है  , जिसका नाम ब्रिटिश गणितज्ञ एईएच लव के नाम पर रखा गया है।
  • यह  सबसे तेज़ सतही तरंग है और ज़मीन को एक तरफ से दूसरी तरफ ले जाती है।

प्यार की तरंगे

रेले तरंगे (Rayleigh Waves)

  • दूसरी प्रकार की  सतही तरंग रेले तरंग है,  जिसका नाम लॉर्ड रेले के नाम पर रखा गया है।
  • रेले  लहर ज़मीन पर उसी तरह घूमती है जैसे एक लहर किसी झील या समुद्र पर घूमती है।
  • क्योंकि यह लुढ़कता है, यह जमीन को  ऊपर-नीचे और अगल-बगल  उसी दिशा में घुमाता है जिस दिशा में लहर चल रही है।
  • भूकंप से महसूस होने वाले अधिकांश झटके रेले तरंग के कारण होते हैं, जो अन्य तरंगों की तुलना में बहुत बड़ा हो सकता है।

rayleigh_wave

भूकंप की भविष्यवाणी (Earthquake Predicting)

भूकंप का वर्गीकरण (classification of earthquake).

  • आइसोस्टेटिक
  • मध्यम(0-50 किमी)
  • इंटरमीडिएट(50-250 किमी)
  • गहरा फोकस (250-700 किमी)
  • मध्यम (मृत्यु<50,oo)
  • अत्यधिक खतरनाक(51,000-1,00,00)
  • सबसे खतरनाक(>1,00,00)

भूकंपों का विश्व वितरण (World Distribution of Earthquakes)

  • विश्व में भूकंपों का वितरण ज्वालामुखियों के वितरण से बहुत मेल खाता है।
  • सबसे बड़ी भूकंपीयता वाले क्षेत्र  सर्कम-प्रशांत क्षेत्र  हैं , जिनमें भूकंप का केंद्र और ‘प्रशांत रिंग ऑफ फायर’ के साथ सबसे अधिक घटनाएं होती हैं।
  • ऐसा कहा जाता है कि  70% से अधिक भूकंप सर्कम-प्रशांत क्षेत्र में आते हैं।
  • अन्य  20% भूकंप एशिया माइनर, हिमालय और उत्तर-पश्चिम चीन के कुछ हिस्सों सहित भूमध्य-हिमालयी बेल्ट में आते हैं।
  • शेष प्लेटों के अंदरूनी हिस्सों और फैले हुए रिज केंद्रों पर होते हैं।

भूकंप के कारण (Earthquake Causes)

भूकंप मुख्यतः पृथ्वी की परत के किसी भाग में असंतुलन के कारण आते हैं।

पृथ्वी की पपड़ी में असंतुलन या आइसोस्टैटिक असंतुलन के लिए कई कारण बताए गए हैं।

(a)। प्राकृतिक कारण

  • ज्वालामुखी का विस्फोट
  • दोषयुक्त एवं मोड़ना
  • ऊपर की ओर झुकना और नीचे की ओर झुकना
  • पृथ्वी के अन्दर गैसीय विस्तार एवं संकुचन।
  • प्लेट मूवमेंट

(b)। मानव निर्मित/मानवजनित कारण

  • गहरा भूमिगत खनन
  • निर्माण प्रयोजनों के लिए डायनामाइट द्वारा चट्टान को विस्फोटित करना।
  • गहरी भूमिगत सुरंग
  • परमाणु विस्फोट
  • जलाशय प्रेरित भूकंपीयता (आरआईएस) (उदाहरण के लिए  कोयना जलाशय में आरआईएस के कारण 1967 में भूकंप आया था)
  • जलाशयों और झीलों जैसे मानव निर्मित जल निकायों का हाइड्रोस्टेटिक दबाव।

प्लेट टेक्टोनिक्स ज्वालामुखी और भूकंप की सबसे तार्किक व्याख्या प्रदान करता है।

तीन प्रकार की प्लेट सीमाएँ होती हैं जिनके साथ भूकंप आता है

प्लेट की किनारी

भारत में भूकंप संभावित क्षेत्र

  • प्रतिदिन हल्की तीव्रता का भूकंप आता है। हालाँकि, बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनने वाले तेज़ झटके कम आते हैं। प्लेट सीमाओं के क्षेत्रों में, विशेषकर अभिसरण सीमाओं पर, भूकंप अधिक बार आते हैं।
  • भारत में इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के अभिसरण का क्षेत्र भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील है। जैसे हिमालय क्षेत्र.
  • भारत का प्रायद्वीपीय भाग एक स्थिर खंड माना जाता है। हालाँकि, कभी-कभी, कुछ भूकंप छोटी प्लेटों के किनारों पर महसूस किए जाते हैं। 1967 का कोयना भूकंप और 1993 का लातूर भूकंप प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में आए भूकंप के उदाहरण हैं।
  • भारतीय भूकंप विज्ञान  के विशेषज्ञों ने भारत को  चार भूकंपीय क्षेत्रों  जोन-II,   जोन-III  ,   जोन-IV   और   जोन-V  में विभाजित किया है । यह देखा जा सकता है कि संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र, उत्तर-पूर्व भारत के राज्य, पश्चिमी और उत्तरी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात के कुछ हिस्से उच्चतम और उच्च जोखिम वाली श्रेणियों के क्षेत्र में आते हैं, जिन्हें जोन V कहा जाता है। और चतुर्थ.
  • उत्तरी मैदानी इलाकों के शेष हिस्से और पश्चिमी तटीय क्षेत्र मध्यम जोखिम वाले क्षेत्र में आते हैं और प्रायद्वीपीय क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा कम जोखिम वाले क्षेत्र में आता है।

भारत के भूकंपीय क्षेत्र

भूकंप के परिणाम

मानव जीवन और संपत्ति को नुकसान.

  • पृथ्वी की पपड़ी की ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज गति के कारण जमीन की सतह की विकृति मानव प्रतिष्ठानों और संरचनाओं को भारी क्षति और विनाश का कारण बनती है।
  • उदाहरण:- 2015 के नेपाल भूकंप का एक शहरी आपदा केस अध्ययन। यह भूकंप 7.8 तीव्रता का था और 8.2 किमी गहरा था। अनियोजित शहरी निर्माण के कारण नेपाल में आए भूकंप में भारी जनहानि हुई; ख़राब डिज़ाइन वाली इमारतें और अवैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन की गई संरचनाएँ।
  • काठमांडू के शहरी इलाकों में भारी क्षति हुई, 8 हजार लोगों की मौत हो गई और 10 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।

भूस्खलन और हिमस्खलन

  • विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में झटके ढलान अस्थिरता और ढलान विफलता का कारण बन सकते हैं, जिससे ढलान से नीचे मलबा गिर सकता है, जिससे भूस्खलन हो सकता है।
  • भूकंप के कारण हिमस्खलन के कारण बर्फ का विशाल द्रव्यमान बर्फ से ढकी चोटियों से नीचे गिर सकता है।
  • उदाहरण:- 2015 के नेपाल भूकंप के परिणामस्वरूप माउंट एवरेस्ट शिखर पर और उसके आसपास कई हिमस्खलन हुए। 2011 के सिक्किम भूकंप के कारण भूस्खलन हुआ और जीवन और संपत्ति को गंभीर क्षति हुई, विशेषकर सिंगिक और ऊपरी तीस्ता जलविद्युत परियोजनाओं को।

पानी की बाढ़

  • भूकंप से बांधों, जलाशयों में विनाशकारी गड़बड़ी हो सकती है और अचानक बाढ़ आ सकती है। भूस्खलन और हिमस्खलन जो नदी के मार्ग को अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे बाढ़ आ सकती है।
  • उदाहरण:-  1950 के असम भूकंप ने  भारी मलबे के जमा होने के कारण दिहांग नदी में अवरोध पैदा कर दिया, जिससे नदी के ऊपरी हिस्से में अचानक बाढ़ आ गई।
  • सुनामी समुद्री बेसिन के विघटन और पानी की विशाल मात्रा के विस्थापन के कारण उत्पन्न होने वाली लहरें हैं। भूकंप की भूकंपीय लहरें समुद्र तल को विस्थापित कर सकती हैं और सुनामी के रूप में ऊंची समुद्री लहरें उत्पन्न कर सकती हैं।
  • उदाहरण:-  26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर की सुनामी सुमात्रा के तट पर आए भूकंप के कारण आई थी।  ऐसा भारतीय प्लेट के बर्मी प्लेट के नीचे दब जाने के कारण हुआ। इसने हिंद महासागर और उसके आसपास के देशों में लगभग 2.4 लाख लोगों की जान ले ली।
  • फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना  –  2011 में जापान के बड़े तोहोकू भूकंप के  परिणामस्वरूप 10 मीटर की सुनामी लहरें उठीं, जो 9 तीव्रता के समुद्र के नीचे भूकंप के कारण हुई थी। इससे रिएक्टरों को ठंडा करने वाले आपातकालीन जनरेटर नष्ट हो गए और परमाणु पिघल गया और रेडियोधर्मी गिरावट आई। फुकुशिमा दाइची दुनिया भर में चिंता का विषय बन गया।

भूकंप प्रबंधन

भूकंप प्रबंधन आपात्कालीन स्थितियों के सभी मानवीय पहलुओं से निपटने के लिए संसाधनों और जिम्मेदारियों का संगठन और प्रबंधन है। इसका उद्देश्य खतरों के हानिकारक प्रभावों को कम करना है। भूकंप प्रबंधन में भूकंप-पूर्व जोखिम में कमी से लेकर भूकंप के बाद पुनर्प्राप्ति तक के चरण शामिल हैं।

  • जोखिम की पहचान  – कुछ क्षेत्र दूसरों की तुलना में भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, इसलिए जोखिम की पहचान पहला कदम है।
  • इससे आने वाली आपदाओं के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
  • उदाहरण:  – जापान में भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली है जो इलेक्ट्रॉनिक संकेतों का उपयोग करती है जो भूकंप तरंगों की तुलना में तेजी से पहुंचते हैं।
  • संरचनात्मक समाधान  – पिछले भूकंपों से पता चलता है कि 95% से अधिक जानें उन इमारतों के ढहने के कारण हुईं जो भूकंप प्रतिरोधी नहीं थीं। लेकिन, ऐसी भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण सामान्य इमारतों की तुलना में अधिक महंगा है। इसलिए, लागत प्रभावी समाधान भारत जैसे देश के लिए एक चुनौती बना हुआ है। भूकंपीय सुदृढ़ीकरण संरचनाओं की प्राथमिकता के माध्यम से किया जा सकता है और इसे लागू करने के लिए, संवेदनशीलता के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों के लिए भूकंप खतरा मानचित्र होना महत्वपूर्ण है।

भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली

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भूकंप (earthquake) क्या है? भूकंप कैसे और क्यों आता है, पूरी जानकारी

earthquake kya hai

हेलो दोस्तों , आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से भूकंप के बारे में जानेंगे, जैसे भूकंप क्या होता है, भूकंप कैसे आता है और भूकंप क्यों आता है, इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में विस्तार से मिलेंगे। आपने कभी न कभी भूकंप के झटके महसूस किए होंगे। लेकिन शायद ही आपको पता होगा कि भूकंप क्यों और कैसे आते हैं। अगर आप नहीं जानते कि भुकम्प कैसे आता है और जानना चाहते हैं तो उसके लिए आप इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें। तो आइए अब जानते हैं कि भूकंप क्या कहलाता है?

earthquake presentation in hindi

भूकंप (earthquake) क्या है?

दोस्तों सरल शब्दों में भूकंप पृथ्वी का हिलना है। यह एक प्राकृतिक घटना है। यह ऊर्जा की रिहाई के कारण होता है, जो सभी दिशाओं में यात्रा करने वाली तरंगों को उत्पन्न करता है। भूकंप हर समय आते हैं, पूरी पृथ्वी पर। उन पर ध्यान ही नहीं जाता। बड़े भूकंप बहुत कम बार आते हैं। वे इमारतों, पुलों, बांधों और लोगों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है।

भूकंप बाढ़, भूस्खलन और सुनामी का कारण बन सकते हैं। वह बिंदु जहां से ऊर्जा निकलती है, भूकंप का फोकस कहलाता है, वैकल्पिक रूप से, इसे हाइपोसेंटर कहा जाता है। सतह पर वह बिंदु, जो फोकस के सबसे निकट होता है, उपरिकेंद्र कहलाता है। यह लहरों का अनुभव करने वाला पहला व्यक्ति है। भूकंप मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में आते हैं जहां कमजोर चट्टानें पाई जाती हैं। भूकंपीय तरंगों को मापने के लिए ‘भूकंप लेखी’ यंत्र का उपयोग किया जाता है। भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसका आज तक कोई समाधान नहीं निकला है।

भूकंप (earthquake) क्यों आता है ?

दोस्तों अब हम समझते हैं कि भूकंप की उत्पत्ति के कारण क्या होता है तो, भूकंप उत्पन्न होने के कारण निम्नलिखित हैं:

1) ज्वालामुखी विस्फोट: जब पृथ्वी पर ज्वालामुखी फटता है, तो भूकंप आना तय है। ज्वालामुखी के दौरान लावा और मैग्मा इतनी जोर से निकलते हैं कि पूरी पृथ्वी कांप उठती है।

2) पृथ्वी के संतुलन में अव्यवस्था: पृथ्वी पर विभिन्न परतें अपना कार्य करती रहती हैं। इस प्रक्रिया में विभिन्न क्षेत्रों का भार बढ़ता रहता है जिससे पृथ्वी की परतों में कंपन होता है जिससे उस क्षेत्र में भूकंप के झटके आने लगते हैं।

3) जलीय भार: सतह के नीचे की चट्टानें जहाँ झीलें, तालाब, जलाशय आदि हैं, वजन और दबाव के कारण उनमें हेरफेर किया जाता है। यदि यह परिवर्तन अचानक होता है तो भूकंप आते हैं।

4) पृथ्वी की पपड़ी में सिकुड़न: गर्मी की कमी के कारण पृथ्वी की ऊपरी परत सिकुड़ने लगती है। यह सिकुड़न पर्वत निर्माण प्रक्रिया को जन्म देती है। जब यह क्रिया तेज हो जाती है, तो पृथ्वी कंपन करने लगती है।

5) प्लेट विवर्तनिकी: वह भूमि जिस पर महाद्वीप और महासागर स्थित हैं, प्लेट कहलाती है। जब ये प्लेटें आगे बढ़ती हैं तो पृथ्वी कंपन करती है। 26 जनवरी 2001 को भारत के भुज क्षेत्र में आए भूकंप का कारण प्लेट विवर्तनिक गति है। जब 2 गतिमान टेक्टोनिक प्लेट एक दूसरे के ऊपर से खिसकती हैं तो एक बड़ा कंपन होता है। इस प्रकार के भूकंप को टेक्टोनिक भूकंप के रूप में जाना जाता है। टेक्टोनिक भूकंप दुनिया में सबसे अधिक प्रचलित प्रकार के भूकंप हैं। इसका परिमाण छोटा या बड़ा हो सकता है। टेक्टोनिक भूकंपों ने ग्रह के अधिकांश सामूहिक विनाश का कारण बना है। टेक्टोनिक भूकंपों से उत्पन्न होने वाले झटके हमेशा गंभीर होते हैं, और यदि उनकी तीव्रता अधिक है, तो वे पूरे शहर को सेकंडों में नीचे लाने में सक्षम हैं।

भूकंप (earthquake) के विनाशकारी प्रभाव –

1. इमारतों को नुकसान.

उच्च तीव्रता के भूकंप से इमारतें पूरी तरह ढह सकती हैं। इमारतों के ढहने से मलबा भूकंप के दौरान मुख्य खतरा होता है क्योंकि विशाल, भारी वस्तुओं के गिरने का प्रभाव मनुष्यों के लिए घातक हो सकता है। उच्च तीव्रता के भूकंप के कारण शीशे और खिड़कियां टूट जाती हैं, जो मनुष्यों के लिए भी खतरा पैदा करती हैं।

2. बुनियादी ढांचे को नुकसान

भूकंप के कारण बिजली की लाइनें गिर सकती हैं। यह खतरनाक है क्योंकि उजागर हुए तार इंसानों को बिजली का करंट लग सकता है या आग लग सकती है। बड़े भूकंप सड़कों, गैस लाइनों और पानी की पाइपलाइनों के टूटने का कारण बन सकते हैं। टूटी हुई गैस लाइनें गैस को बाहर निकलने का कारण बन सकती हैं। बच निकलने वाली गैस से विस्फोट और आग लग सकती है, जिसे काबू करना मुश्किल हो सकता है।

3. भूस्खलन और चट्टानें

जब भूकंप आता है, तो बड़ी चट्टानें और ऊपर की ओर स्थित पृथ्वी के कुछ हिस्सों को उखाड़ा जा सकता है, फलस्वरूप, घाटियों में तेजी से लुढ़कते हुए। भूस्खलन और चट्टानें नीचे की ओर रहने वाले लोगों के लिए विनाश और मृत्यु का कारण बन सकती हैं।

4. बाढ़ का कारण बन सकता है

उच्च तीव्रता के भूकंप लंबे समय में बांध की दीवारों के टूटने, ढहने के लिए उकसा सकते हैं। इससे आस-पास के क्षेत्रों में उग्र पानी भेजेगा जिससे बड़े पैमाने पर बाढ़ आएगी।

5. भूकंप सुनामी को ट्रिगर कर सकते हैं

एक सुनामी समुद्र के नीचे भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट से लंबे समय तक उच्च समुद्री झटकों की एक श्रृंखला है। एक सुनामी पूरे आसपास के तटीय क्षेत्र की आबादी को मिटा सकती है। एक विशिष्ट उदाहरण मार्च 11, 2011, भूकंप और सूनामी है जिसने जापान के तट पर हमला किया, जिससे 18,000 से अधिक लोग मारे गए।

6. द्रवीकरण की ओर ले जाता है

द्रवीकरण एक ऐसी घटना है जहां मिट्टी संतृप्त हो जाती है और अपनी ताकत खो देती है। जब उच्च जल सामग्री वाले तलछट लगातार कांपते रहते हैं, तो तलछट के छिद्रों में पानी का दबाव धीरे-धीरे बढ़ता है। अंततः, तलछट लगभग सभी एकजुट शक्ति खो देते हैं और तरल पदार्थ की तरह काम करना शुरू कर देते हैं। इस द्रवीभूत मिट्टी के ऊपर बनी इमारतें और अन्य संरचनाएँ उलट जाती हैं या जमीन में धंस जाती हैं। दुनिया भर में होने वाले अधिकांश द्रवीकरण के लिए भूकंप जिम्मेदार हैं। द्रवीकरण घटना का एक विशिष्ट उदाहरण जमैका में 1692 का भूकंप है जिसके परिणामस्वरूप पोर्ट रॉयल शहर की तबाही हुई।

भूकंप कैसे मापा जाता है?

भूकंपों को उनके द्वारा उत्पादित बल या ऊर्जा की मात्रा से मापा जाता है। यह रिक्टर स्केल के जरिए किया जाता है। यह उपकरण कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान के चार्ल्स एफ. रिक्टर द्वारा विकसित किया गया था। इस टूल के बारे में आपने कई बार न्यूज या इंटरनेट में सुना या पढ़ा होगा। रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता की गणना के लिए सिस्मोग्राफ के माध्यम से उत्पन्न जानकारी का उपयोग करता है। भूकंप की तीव्रता से आपको भूकंप के प्रभाव का अंदाजा हो जाता है।

रिक्टर पैमाने पर 7 से ऊपर आने वाले भूकंप ऐसे विनाशकारी प्रभाव के लिए जाने जाते हैं और जीवन और संपत्ति को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। रिक्टर पैमाने पर 3 से नीचे आने वाले भूकंपों को महसूस नहीं किया जा सकता है। 3 से 6 के बीच आने वाले भूकंप हल्के प्रकार के कहे जाते हैं। जापान जैसे देश उच्च भूकंपीय क्षेत्र में आने के कारण भूकंप के प्रति संवेदनशील होते हैं। जब समुद्र में भूकंप आता है, तो यह सुनामी का मार्ग प्रशस्त करता है। सबसे विनाशकारी सुनामी में से एक 26 दिसंबर, 2004 को हिंद महासागर में आई थी।

क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है?

आज तक वैज्ञानिक भूकंप की भविष्यवाणी नहीं कर पाए हैं। कई आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, दुर्भाग्य से, उनमें से किसी ने भी काम नहीं किया है। यदि भूकंप की भविष्यवाणी करने के लिए ऐसा कोई टोल बनाया जाता है, तो भविष्य में कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। केवल एक चीज जो आप कर सकते हैं वह है भूकंप प्रबंधन के बारे में खुद को शिक्षित करना और आपदाओं के समय सतर्क रहना।

भूकंप की घटना कभी भी हो सकती है और हम इसके लिए और आने वाले खतरे के लिए कभी भी तैयार नहीं होंगे। लेकिन भूकंप की तैयारी के उपायों और जागरूकता के साथ, यह आपको खतरे के समय में ठोस निर्णय लेने में सतर्क और त्वरित बना सकता है।

निष्कर्ष –

दोस्तों उम्मीद करता हूँ आज इस आर्टिकल के माध्यम से आप लोगों को भूकंप क्या होता है, भूकंप कैसे आता है और भूकंप क्यों आता है इनसभी सवालो के बारे में सारी जानकारी मिल गई होग। दोस्तों फिर भी, अगर आप हमसे इस आर्टिकल से जुड़े कुछ सवाल हमसे पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं हमारी टीम आपका जवाब जरूर देगी , कृपया अपने दोस्तों के साथ जरूर इस आर्टिकल को साझा करे ताकि उनको भी यह जानकारी मिल सके धन्यवाद।

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