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आपदा प्रबंधन पर निबंध – Essay On Disaster Management In Hindi

आपदा प्रबंधन पर निबंध – Essay On Disaster Management In Hindi : आपदा एक आकस्मिक घटना है जो अक्सर प्राकृतिक कारणों से होती हैं.

जब एक आपदा आती हैं तो एक समाज या समुदाय के कामकाज को गंभीरता से बाधित करती हैं. आपदा मानव, भौतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान का कारण बनती हैं.

आपदा प्रबंधन पर निबंध - Essay On Disaster Management In Hindi

यहाँ पर हम आपको आपदा प्रबंधन पर निबंध (essay on disaster management in Hindi) के जरिये आपदा के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं.

आपदा प्रबंधन निबंध की शुरुआत करने से पहले हम आपको दो मुख्य बिंदु के बारें में जानकारी देना चाहेंगे. पहला आपदा क्या हैं? दूसरा आपदा प्रबंधन क्या हैं?

आपदा क्या हैं ?

एक अचानक रूप से होने वाली घटना जिसका परिणाम मानव और पर्यावरण के लिए विनाशकारी हो सकता हैं, इसे आपदा कहते हैं. या दुसरे शब्दों में, तुरंत होने वाली कोई भी घटना आपदा तब बन जाती हैं जब उससे निपटने के संसाधन सिमित हो.

आमतौर आपदा को दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैं.

  • प्राकृतिक आपदा(जैसे – भूकंप, बाढ़, भूस्खलन)
  • मानवीय आपदा(जैसे – आतंकवाद)

आपदा प्रबंधन क्या हैं?

aapda prabandhan essay in Hindi : प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा के दौरान जीवन और सम्पति को बचाने के लिए जो कदम उठाये जाते हैं उसको आपदा प्रबंधन कहा जाता हैं. आपदा प्रबंधन का कार्य बहुस्तरीय होता हैं.

आपदा प्रबंधन किसी आपदा के आने से पहले, आपदा आने के दौरान या आपदा आने के बाद उठाये जाने वाले कदम हैं.

आपदा प्रबंधन का मुख्य कार्य संकट से प्रभावित लोगों आश्रय, भोजन-पानी और अन्य दैनिक जीवन में काम आने वाली सुविधाएँ मुहैया करवाना होता हैं.

स्कूल के विद्यार्थियों के लिए आपदा प्रबंधन निबंध

आपदा प्रबंधन पर 500 शब्दों में निबंध.

short essay on disaster management in Hindi : हमारा पर्यावरण जमीन, नदियों, पहाड़ों, जंगल और रेगिस्तान से गिरा हुआ हैं, जिसे हम प्रकृति भी कहते हैं. प्रकृति जितनी शांत हैं, उतनी आक्रामक भी हैं.

शांत प्रकृति हम सभी को अच्छी लगती हैं, लेकिन जब प्रकृति जब अपना आक्रामक रूप दिखाती हैं तो यह अत्यंत विनाश भरा हो सकता हैं.

मनुष्य ने तकनीकी के क्षेत्र में बहुत अधिक तरक्की कर ली हैं, बहुत कुछ मनुष्य के नियंत्रण में है, लेकिन प्रकृति की कुछ चीजे अभी भी हमारे नियंत्रण से बाहर हैं.

इसी तरह जब प्राकृतिक आपदाएं आती हैं तो हम उसे नियंत्रण नहीं कर सकते है. हालाँकि, हम इनको कुछ सीमा तक रोक सकते या कम कर सकते हैं.

जब भी कोई आपदा आती हैं तो जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता हैं. ऐसी स्थिति में जीवन को बचाने के लिए और सुरक्षित करने के लिए आपातकालीन उपायों की जरुरत होती हैं. इसे ही आपदा प्रबंधन कहा जाता हैं.

आपदा प्रबंधन को समझने के लिए, हमें पहले आपदाओं के प्रकारों को जानने की जरुरत हैं.

आपदाओं के प्रकार

एक समय था जब आपदाएं केवल प्राकृतिक कारणों से होती थी. लेकिन आज के समय में सब कुछ बदल चूका हैं. आज के समय में केवल प्रकृति ही आपदा के लिए जिम्म्मेदार नहीं हैं बल्कि अन्य दुसरे कारण भी आपदा के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.

आपदा आने का प्राथमिक कारण प्राकृतिक होता हैं. प्राकृतिक आपदाएं प्रकृति में होने वाली हलचल से होती हैं. प्राकृतिक आपदाएं सबसे खतरनाक होती हैं, जो बड़े स्तर पर जीवन को नुकसान पहुंचती हैं. इसके अलावा प्रकृति अपने खुद के साथ खिलवाड़ करती हैं, और सब कुछ तहस नहस कर देती हैं.

प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी, तूफान इत्यादि को शामिल किया जा सकता हैं.

दुसरे प्रकार की आपदाएं मानव निर्मित हैं. मानव निर्मित आपदाएं तकनीकी खतरों या मनुष्य की लापरवाही का परिणाम हैं. आग, परमाणु विस्फोट, परिवहन दुर्घटना, आतंकवादी हमले शामिल हैं. मानवीय कारणों से होने वाली आपदाओं में प्रकृति की कोई भूमिका नहीं होती हैं.

आपदाएं किसी एक देश कि समस्या नहीं हैं, बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या हैं. हमारा देश भारत भी इसी श्रेणी का हिस्सा हैं.

भारत की भौगालिक स्थिति बहुत ही सवेंदनशील हैं, जहाँ पर आसानी से कोई न कोई आपदा आती रहती हैं. भारत देश को प्रतिवर्ष बाढ़, भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, चक्रवात, सुखा पड़ना जैसे कई आपदाओं का सामना करना पड़ता हैं.

अगर भारत देश में मानवीय आपदाओं की बात करें तो भोपाल गैस त्रासदी, गुजरात में प्लेग और 2020 का PVC प्लांट से गैस के रिसने से 2000 लोगो की जान जाना – जैसी घटनाओ का सामना करना पड़ा.

अत: इन विनाशकारी घटनाओ को रोकने के लिए हमारी सरकार और विभिन्न समुदाय ‘आपदा प्रबंधन’ का निर्माण करते हैं.

आपदा प्रबंधन

आपदा प्रबंधन संसाधनों और सुविधाओं का कुशल संग्रह होता हैं, जो आपदा के प्रभाव को कम करने कमें मदद करता हैं. आपदा प्रबंधन में कुशल और व्यवस्थित योजनायें शामिल होती हैं.  इसके जरिये हम आपदाओं से होने वाले खतरों को कम करने का प्रयास करते हैं.

यहाँ पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि आपदा प्रबंधन के सहारे पूरी तरह से आपदा को ख़त्म नहीं किया जा सकता हैं. लेकिन आपदा के प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता हैं.

किसी भी आपदा को कितना नियंत्रण किया जा सकता हैं यह उन योजनाओ पर निर्भर करता हैं जो आपदा प्रबंधन में शामिल की जाती हैं. इसलिए हमेशा आपदा प्रबंधन को बेहतर बनाने की कोशिश लगी रहती हैं.

हमारे देश भारत में आपदा पर निगरानी के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण(NDMA) जिम्मेदार हैं. NDMA एक संघठन हैं जो आपदा से होने वाले जोखिम को कम करने बचाव को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाता हैं.

सही तरीके से आपदा प्रबंधन तब किया जा सकता हैं जब मुसीबत से ग्रसित क्षेत्र को पहले से ही आपदा के खिलाफ जागरूक या प्रशिक्षित किया जाता हैं.

उदहारण के लिए मान लीजिये कोई क्षेत्र हैं जो भूकंप से ग्रसित हैं. अब उस क्षेत्र के लोगो यह सिखाया जाना चाहिए कि जब भूकंप के झटके महसुस होने लगे तो बिस्तर, टेबल या दरवाजे के बीच के स्थान पर बैठ जाना चाहिए या खड़ा हो जाना चाहिए.

दूसरा यदि कभी बाढ़ आ जाये तो खुद को तैराने के लिए बंद डिब्बे रखे या टायर की व्यवस्था को अपने पास बनाकर रखे.

आपदा से लड़ने के लिए यदि लोग यदि खुद को शिक्षित कर लेते हैं तो सरकार को दुसरे कदम उठाने में आसानी हो जाती हैं. अगर जनता भी शिक्षित हैं और सरकार भी अच्छे तरीके से कदम उठाती हैं तो बहुत बड़े स्तर पर जीवन और वनस्पति को बचाया जा सकता हैं.

आपदा प्रबंधन निबंध 1000 शब्द (essay on disaster management in schools in Hindi)

आपदा का परिचय.

भारत एक आपदा प्रवण देश हैं. आपदा का मुख्य कारण प्राकृतिक होते हैं. लभगग हर समय पृथ्वी के अन्दर या साथ पर कुछ न कुछ गतिविधियाँ चलती रहती हैं. कभी कभी ये गतिविधियाँ भयंकर रूप ले लती हैं, तो यह बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं. इन तबाही को आपदा कहा जाता हैं.

आपदा पूरे संसार में किसी भी क्षेत्र में आ सकती हैं. इसलिए हमको कर वक्त इससे लड़ने के लिए तैयार रहना होता हैं.

आपदा की परिभाषा

आपदा ‘डिजास्टर’ मूल फ़्रांसीसी शब्द से लिया गया हैं. जिसका अर्थ होता हैं बूरा. इसका पूरा अर्थ हैं – ग्रहों कि स्थिति पर लगाने वाला ज्योतिषीय दोष.

प्रकृति द्वारा होने वाली गतिविधियाँ जिनसे मानव और प्रकृति खुद का विनाश होता हैं उन गतिविधियों को आपदा कहा जाता हैं. किसी आपदा के आने के पीछे का कारण या तो प्रकृति खुद हो सकती हैं या मानव हो सकता हैं.

चूँकि हम आपदाओं को आने से रोक नहीं सकते, लेकिन आपदा से बचने के लिए हमेशा तैयार रह सकते हैं. आपदा से बचने के लिए या होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हम इसकी पूर्व तयारी करते हैं, जिसको आपदा प्रबंधन कहा जाता हैं.

आपदाएं कितने प्रकार की होती हैं?

पृथ्वी पर होने वाली आपदाओं को देखते हुए इनको दो प्रमुख भागों में बांटा जा सकता हैं.

प्राकृतिक आपदाएं(essay on natural disaster)

प्राकृतिक आपदाएं वे प्रतिकूल घटनाएँ होती हैं जो प्रकृति की प्रतिक्रिया से उत्पन्न होती हैं. सुनामी, बाढ़, सुखा पड़ जाना, चक्रवात इत्यादि प्राक्रतिक आपदा के उदहारण हैं.

मानव निर्मित आपदाएं

मानव की गलतियों के कारण होने वाले भयंकर परिणामों को मानव निर्मित आपदा कहा जाता हैं. परमाणु विस्फोट, युद्ध, आतंकवादी हमले को मानव आपदाएं में शामिल किया जा सकता हैं.

आपदा को कम करने के लिए आपदा के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन संघठन बनाये जाते हैं. ये संघठन आपदा के खतरे को कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

आपदा प्रबंधन का अर्थ क्या होता हैं

आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए उठाये गए कदम को आपदा प्रबंधन कहा जाता है. मोटे तौर पर आपदा प्रबंधन को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है.

  • आपदा से पहले
  • आपदा के दौरान

आपदा के बाद

आपदा पूर्व प्रबंधन

जब कभी किसी क्षेत्र में आपदा आने की सम्भावना रहती हैं तो वहां पर आपदा से बचने के लिए पहले ही बचाव के कदम उठाये जाते हैं इसे आपदा पूर्व प्रबंधन कहा जाता हैं.

आपदा पूर्व प्रबंधन का मुख्य कार्य यदि संभव हो सके तो आपदा के प्रभाव को कम करना और आपदा स्पॉट से मानव जीवन और वनस्पति को बचाना होता हैं.

कुछ समय पहले आपदा पूर्व प्रबंधन की व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं थी. लेकिन बढ़ती तकनीकी से आपदा का बेहतर तरीको से आकलन किया जा सकता हैं. इसके अलावा रेडियो, मीडिया के माध्यम से पूर्व चेतावनी जारी कर दी जाती हैं.

जब आपदा प्रबंधन दल को पता चलता हैं कि कोई क्षेत्र आपदा से ग्रसित होने वाला हैं, तो बचाव दल लोगो को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाता हैं. उनके लिए खाने और रहने की व्यवस्था करता हैं.

आपदाओं के दौरान प्रबंधन

जब कीसी क्षेत्र में आपदा आ जाती हैं तो बचाव दल आपदा ग्रसित क्षेत्र को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाता हैं. ऐसी स्थति में आपदा से निपटने के लिए उठाये जाने वाले कदम पूर्व आपदा प्रबंधन की तैयारी पर निर्भर करते है.

इस चरण में पीड़ित लोगो को भोजन, वस्त्र, अस्थायी घर और स्वास्थ्य सुख सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं.

जब किसी बड़े स्तर कोई आपदा आती हैं तो बड़ी मात्र में जन हानि होती हैं, लोगो के घर उजड़ जाते हैं. एसी स्थिति में सरकार की जिम्मेदारी होती हैं कि प्रभावित क्षेत्रों का पुननिर्माण और पुन विकास करे. पीड़ित लोगो की जिंदगी को वापस साधारण करने के लिए रोजगार और मुआवजा भी दिया जाता हैं.

हमारे देश में आपदा लड़ने और लोगो को बचाने के लिए कुछ संघठन बनाये गए हैं. इन संघठनो का प्रमुख कार्य लोगो को आपदा से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करना और आपदा के दौरान सुविधाएं मुहैया करवाना होता हैं.

भारत में आपदा प्रबंधन के प्रमुख संस्थान

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एक गृह मंत्रालय की एजेंसी हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के दौरान कदम उठाना और लोगो तक सुविधाएँ पहुँचाना हैं.

इस संघठन की स्थपाना 2005 में भारत सरकार ने की आपदा प्रबंधन अधिनियम द्वारा की थी. यह एजेंसी आपदा की स्थितियों को पहचान कर उसके लिए नीतियाँ बनाती हैं. आपदा के दौरान एनडीएमए और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के साथ मिलकर काम करती हैं.

राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC)

NRSC, इसरो का एक संघठन हैं. NRSC उपग्रहों के माध्यम से डेटा का प्रबंधन कराता हैं.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) दुनिया के जाने माने सबसे पुराने और सबसे बड़े अनुसंधानों में से एक हैं. ICMR का सञ्चालन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा होता हैं.

ICMR को फण्ड की प्राप्ति इसी मंत्रालय द्वारा होती हैं. ICMR द्वारा तैयार की गयी मेडिकल टीम आपदा स्पॉट पर जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराती हैं.

केंद्रीय जल आयोग (CWS)

जब किसी क्षेत्र में बाढ़ आ जाती है या किसी क्षेत्र में सुखा पड़ जाता हैं तो यह दल आवश्यक सुविधाएँ पहुंचाता हैं. सुखा पड़ने पर सिचाई और पेयजल की आपूर्ति करना इस आयोग का प्रमुख काम होता हैं.

इसके अलावा आपदा ग्रसित क्षेत्रों में स्वच्छ पानी को पहुँचाना CWS का प्रमुख काम होता हैं.

आपने क्या सीखा (write an essay on disaster management in Hindi)…

  • प्राकृतिक आपदा परिभाषा प्रकार कारण और प्रबंधन
  • भूकंप क्या है आने के कारण बचाव के उपाय और प्रभावित क्षेत्र
  • समुद्री तूफान पर निबंध
  • भूस्खलन पर निबंध : अर्थ कारण प्रभाव बचाव
  • भारत में अकाल की समस्या
  • बाढ़ क्या है कारण प्रभाव उपाय तथा सावधानियां 

आपदा प्रबंधन पर निबंध आर्टिकल में हमने आपको अलग अलग शब्द सीमाओं पर निबंध बताएं हैं. हमने सीखा कि आपदा प्रबंधन क्या होता हैं? और किस प्रकार से आपदा मानव समाज को प्रभावित करती हैं.

इसके बाद हमने आपदा को बचने के लिए कौन कौनसे कदम उठाये जाते हैं, इन विषयों पर भी चर्चा की हैं. अगर आपको ऊपर बताए गए निबंध की जानकारी अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को आगे शेयर करें.

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आपदा प्रबंधन पर निबंध जानिए Disaster Management Essay in Hindi 500 शब्दों में

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  • Updated on  
  • मार्च 24, 2023

आपदा प्रबंधन पर निबंध

“आपदाएँ बताकर नहीं आतीं” भूकंप, सुनामी, भूस्खलन और चक्रवात आदि आपदाएँ अचानक से ही आ जाती हैं। इन आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन इसके इंजाम पहले से करके रखें जाएँ तो हम इससे होने वाले जान और माल के नुकसान को काफी हद तक कम ज़रूर कर सकते हैं। इस ब्लॉग में आपदा प्रबंधन में आपदा प्रबंधन से जुड़े कुछ निबंध सैंपल और आपदा प्रबंधन से जुड़ी जानकारियाँ दी जा रही हैं। पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

आपदा प्रबंधन क्या है, आपदा प्रबंधन क्यों ज़रूरी है , आपदा प्रबंधन के तत्व कौनसे हैं , आपदा प्रबंधन पर सैंपल निबंध (100 शब्दों में), आपदा प्रबंधन पर सैंपल निबंध (250 शब्दों में), आपदा प्रबंधन पर सैंपल निबंध (500 शब्दों में), आपदा से बचने के लिए आपदा प्रबंधन के उपाय , आपदा प्रबंधन पर 10 ज़रूरी बातें .

आपदा के समय प्रभावित लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने, आपदा प्रभावित क्षेत्र से लोगों को बचाकर  सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने जैसे  कार्यों को पूर्व नियोजित तरीके से करना ही आपदा प्रबंधन कहलाता है। 

आपदा प्रबंधन हमारे लिए निम्नलिखित रूप से ज़रूरी है : 

  • आपदा प्रबंधन ज़रूरी है क्योंकि यह मानव जीवन के सुरक्षित रखने और उसकी संपत्ति को बचाने का एक तरीका है। 
  • आपदाएं अकस्मात घटित होती हैं और उनसे बचना मुश्किल होता है, लेकिन आपदा प्रबंधन योजनाओं और उनके अनुपालन से संभव होता है। इससे हम अपनी संपत्ति को खोने से रोक सकते हैं, लोगों की जान बचा सकते हैं और जानवरों और पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • आपदा प्रबंधन इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि यह देश और समुदाय की रक्षा के लिए आवश्यक है। अच्छी आपदा प्रबंधन की योजनाओं के साथ, लोगों को आपदाओं से निपटने के लिए संचार करना चाहिए, उपयोगी संसाधनों के लिए तैयार होना चाहिए, सामूहिक जनता के साथ काम करना चाहिए और आपदा प्रबंधन प्रणाली के अनुभव से सीखना चाहिए। इससे देश और समुदाय अपनी सुरक्षा में मजबूत होते हैं। 

आपदा प्रबंधन के तत्व निम्नलिखित हैं : 

  •  जोखिम कम करना
  •  प्रत्‍युत्‍तर
  •  बहाली

आपदा प्रबंधन एक व्यवस्था है जो भूकंप, बाढ़, तूफान, आग जैसी प्राकृतिक या मानव द्वारा उत्पन्न आपदाओं से निपटने के लिए बनाई गई है। इसका उद्देश्य आपदा के समय तुरंत उत्तर करना होता है ताकि सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत नुकसान कम हों। आपदा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण अंग संचेतना और जागरूकता है। लोगों को अपने आसपास की स्थिति का अवलोकन करना और आपदा के समय तुरंत कार्रवाई करना आना चाहिए। सरकारों को भी आपदा प्रबंधन योजनाओं को बनाना, संचालित करना और आपदा के समय में उचित कार्रवाई करना आना चाहिए। यह भी आपदा प्रबंधन का ही एक हिस्सा ही है। 

आपदा प्रबंधन एक प्रक्रिया है जिसमें हम अचानक होने वाली आपदाओं जैसे कि भूकंप, बाढ़, तूफान आदि के सामने संगठित होते हैं। इसका उद्देश्य लोगों की सुरक्षा, संपत्ति का संरक्षण, जीवन धारणा का सम्मान एवं अन्य सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं का संरक्षण करना होता है।

आपदा प्रबंधन में संगठित होने से पहले, एक योजना तैयार की जाती है जिसमें आपदा से पूर्व और आपदा के दौरान के कार्यों की विस्तृत जानकारी होती है। इस योजना के अंतर्गत, संबंधित लोगों को अलर्ट किया जाता है, सुरक्षा उपकरणों की व्यवस्था की जाती है, सहायता सेवाएं तैयार की जाती हैं और संचार का विकास किया जाता है।

आपदा प्रबंधन की एक और महत्वपूर्ण चुनौती आपदा के दौरान संगठित होने वाली मुश्किलों का सामना करना होता है। इसमें अनुभव, दक्षता और विस्तृत ज्ञान का होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस लिए, सभी लोगों को नियमित रूप से प्रशिक्षित करना आवश्यक है। 

आपदा प्रबंधन की अवधारणा पहले भारत में नहीं थी। लेकिन 2001 में गुजरात में आए भीषण भूकंप और उसके बाद 2004 के तटीय क्षेत्रों में आए सुनामी तूफान ने भारत सरकार को इस बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया। भविष्य में ऐसी ही आपदाओं से बचने के लिए भारत सरकार ने न सिर्फ अलग से एक आपदा प्रबंधन विभाग बनाया बल्कि स्कूल और कॉलेज में इससे जुड़े विषयों को पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया। भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन के संबंध में उठाए गए इस महत्वपूर्ण कदम से ही हम जीवन में आपदा प्रबंधन का महत्व अच्छे से समझ सकते हैं। 

आपदा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो संभवतः हर साल दुनिया भर में कई प्रकार की आपदाओं से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। आपदा कुछ ऐसा होता है जिसमें आपके पास संकट का सामना करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है और इससे जीवन और संपत्ति का नुकसान होता है। इसलिए, आपदा प्रबंधन आवश्यक है ताकि आपको आपदाओं से निपटने के लिए अच्छी तैयारी और उचित सुविधाएं मिल सकें।

आपदा प्रबंधन के लक्ष्यों में से एक है कि वह लोगों को एक सुरक्षित और सुरक्षित स्थान प्रदान कर सके जहां उन्हें आपदाओं से बचने के लिए संभव होता है। इसके लिए, सरकार और अन्य संगठन आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करते हैं जो लोगों को आपदा से संबंधित संकटों से बचाने में मदद करती हैं।

आपदा प्रबंधन में अन्य लक्ष्यों में से एक है कि इससे आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके। इसके लिए, लोगों को उचित जागरूकता दी जाती है ताकि आने वाले समय में या भविष्य में कभी किसी प्रकार की आपदा की स्थिति में होने वाले संभावित जान और माल के नुकसान को कम से कम किया जा सके और राहत कार्यों में  तेज़ी लाई जा सके। 

आपदा प्रबंधन मुख्य रूप से एक तरीका है जिससे हम होने वाले खतरों को रोक तो नहीं सकते लेकिन इसकी वजह से होने वाले जान और माल के नुकसान को कम से कम ज़रूर कर सकते हैं। 

ज़रूरी नहीं कि आपदाएँ केवल प्राकृतिक ही हों, कुछ आपदाएँ मानव निर्मित भी होती हैं। जैसे बम विस्फोट,आतंकी हमला, किसी फैक्ट्री से कोई ज़हरीली गैस का लीक हो जाना। दिल्ली बम विस्फोट, मुंबई आतंकी हमला, भोपाल गैस कांड आदि ये सब मानव निर्मित आपदाओं के ही उदाहरण हैं। आपदा प्रबंधन न केवल प्राकृतिक आपदाओं के समय काम आता है बल्कि ऐसी मानव निर्मित आपदाओं के समय भी काम आता है। बम विस्फोट या किसी आतंकी हमले की स्थिति में आपदा प्रबंधन की मदद से घायलों तक जल्द से जल्द मदद पहुंचाई जा सकती है और उन्हें समय पर हॉस्पिटल पहुंचाया जा सकता है। 

आपदा प्रबंधन के तीन महत्वपूर्ण तत्व होते हैं : 

भारत में पहले आपदा प्रबंधन को गंभीर रूप से नहीं लिया जाता था। परंतु लगातार आने वाली आपदाओं ने भारत सरकार का ध्यान इस ओर खींचा। इसके बाद भारत सरकार ने एक विशेष बल एनडीआरएफ़ का गठन किया । इस फोर्स का काम आपदा के समय घायलों तक राहत पहुंचाना है। यह फोर्स न सिर्फ भारत में आपदा के समय काम करती है बल्कि भारत मानवता के नाते विदेशों में भी एनडीआरएफ के कर्मचारियों को आपदा के समय मदद करने के लिए भेजता है। अभी हाल ही में टर्की में आए भीषण भूकंप में राहत पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने एनडीआरएफ़ को टर्की मदद के लिए भेजा था। इस मिशन का नाम ऑपरेशन दोस्त रखा गया था। टर्की में एनडीआरएफ़ के बचाव कार्यों की तारीफ टर्की के साथ साथ सारा विश्व कर रहा है। यह भारत में आपदा प्रबंधन के कार्यक्रम को बढ़ावा देने के कारण ही संभव हो पाया है। 

आपदा प्रबंधन उन सभी कार्यों को संबोधित करता है जो आपदा या अपदाओं से प्रभावित होने की संभावना वाले क्षेत्र में नियोजित किए गए होते हैं। आपदा प्रबंधन चार मुख्य उपायों के माध्यम से कार्य करता है:

  • प्रतिक्रिया: इस उपाय के अंतर्गत, आपदा के विविध पहलुओं के लिए तत्काल और समय पर जवाब दिया जाता है। इसमें आपदा से प्रभावित लोगों की आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है। इस उपाय में सेवा आपदा के बाद उपलब्ध होती है।
  • प्रतिबंध: इस उपाय में, आपदा से पहले ही उचित नीतियों, प्रक्रियाओं और सामग्रियों के माध्यम से आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए कार्य किया जाता है। यह अपदाओं को रोकने और उनसे बचाव के उपायों का विकास करता है। इसमें उपयोगी तकनीकियों और सामग्री का भी उपयोग किया जाता है।
  • प्रतिस्थापन: इस उपाय में, आपदा के बाद क्षतिग्रस्त संपत्ति, संरचनाएं और सामग्री को पुनर्स्थापित किया जाता है। इसके लिए विभिन्न सामाग्री को एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। 
  • सुरक्षा पहली प्राथमिकता है।  
  • अपने साथियों को संगठित रखें। 
  • संयम बनाएँ रखें।  
  • जागरूक रहें। 
  • अगर आपके इलाके में आपदा आती है तो उस स्थान को छोडने से पहले ज़रूरी सामान साथ में ले लें 
  • फ़र्स्ट एड बॉक्स अपने साथ रखें। 
  • अपने आस पास की स्थिति को जानें और अपनी सुरक्षा के लिए तैयार रहें।  
  • आपदा योजना का अभ्यास करते रहें। 
  • आपदा के समय यदि आप घायल नहीं है तो दूसरे लोगों की मदद करने का प्रयास करें। 

आपदा के समय प्रभावित लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने, आपदा प्रभावित क्षेत्र से लोगों को बचाकर  सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने जैसे  कार्यों को पूर्व नियोजित तरीके से करना ही आपदा प्रबंधन कहलाता है।

आपदा प्रबंधन के चार प्रकार हैं : शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुन :प्राप्ति। 

आपदा से जान और माल की हानि होती है। 

आपदाएँ दो प्रकार की होती हैं : प्राकृतिक आपदाएँ और मानव निर्मित आपदाएँ 

आपदा प्रबंधन के द्वारा आपदा से बचा जा सकता है। 

उम्मीद है आपको पर आपदा प्रबंधन पर निबंध आधारित यह ब्लॉग पसंद आया होगा। यह ब्लॉग अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें। ऐसे ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। अंशुल को कंटेंट राइटिंग और अनुवाद के क्षेत्र में 7 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए ट्रांसलेशन ऑफिसर के पद पर कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने Testbook और Edubridge जैसे एजुकेशनल संस्थानों के लिए फ्रीलांसर के तौर पर कंटेंट राइटिंग और अनुवाद कार्य भी किया है। उन्होंने डॉ भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा से हिंदी में एमए और केंद्रीय हिंदी संस्थान, नई दिल्ली से ट्रांसलेशन स्टडीज़ में पीजी डिप्लोमा किया है। Leverage Edu में काम करते हुए अंशुल ने UPSC और NEET जैसे एग्जाम अपडेट्स पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कोर्सेज से सम्बंधित ब्लॉग्स भी लिखे हैं।

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प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi

प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi

इस अनुच्छेद में हमने प्राकृतिक आपदा पर निबंध (Essay on Natural Disasters in Hindi) हिन्दी में लिखा है। इसमें हमने आपदा के कारण, प्रकार, प्रभाव और प्रबंधन के विषय में पूरी जानकारी दी है। इस निबंध में हमने सभी प्रकार के आपदाओं के विषय में 3000 शब्दों में पूरी जानकारी दी है।

सबसे पहले हम आपको बताते हैं प्राकृतिक आपदा क्या है? तो चलिए शुरू करते हैं – प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi

Table of Content

प्राकृतिक आपदा क्या है? What is Natural Disaster in Hindi?

ऐसी कोई भी प्राकृतिक घटना जिससे मनुष्य के जीवन या सामग्री को हानि पहुंचे प्राकृतिक आपदा कहलाता है। सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।

जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार-बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।

ये मनुष्य के मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को ‘ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा ‘ भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें दिन ब दिन बढ़ने लगी है।

हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनो का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जान-माल की हानि होती है।

अगर हम भारत और आस पास के कुछ बड़े प्राकृतिक आपदाओं की बात ही करें तो –

  • 1999 में ओड़िसा में महाचक्रवात आया जिसमे 10 हजार से अधिक लोग मारे गये।
  • 2001 का गुजरात भूकंप कोई नही भूल सकता है। इसमें 20 हजार से अधिक लोग मारे गये। यह भूकंप 26 जनवरी 2001 में आया था। इसमें अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, गांधीनगर, कच्छ, जामनगर जैसे जिले पूरी तरह नष्ट हो गये।
  • 2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आ गयी। इसमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण भारत प्रभावित हुए। इसमें 2 लाख से अधिक लोगो की जान चली गयी।
  • 2014 में जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ आई जिसमे 500 से अधिक लोग मारे गये।

प्राकृतिक आपदाओं के कई प्रकार हैं –

  • जंगलो में आग
  • बाढ़ और मूसलाधार बारिश
  • बिजली गिरना,
  • सूखा (अकाल)
  • हिमस्खलन, भूखलन
  • चक्रवाती तूफ़ान
  • बादल फटना (क्लाउड ब‌र्स्ट)

इस तरह की आपदायें कुछ समय के लिए आती है पर बड़ी मात्रा में नुकसान करती है। सभी मकानों, परिसरों, शहरो को नष्ट कर देती है और बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है। हर कोई इनके सामने बौना साबित होता है। निचे हमने इन सभी प्राकृतिक आपदाओं के विषय में विस्तार में बताया है।

प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर प्रभाव Effect of Natural Disaster on Environment in Hindi

प्राकृतिक आपदा अपने साथ बहुत सारा विनाश लेकर आती है। इससे धन-जन का भारी नुकसान होता है। मकान, घर, इमारते, पुल, सड़के टूट जाती है। करोड़ो रुपये का नुकसान हो जाता है।

रेल, सड़क, हवाईमार्ग बाधित हो जाता है। वन्य जीव नष्ट हो जाते है, वातावरण प्रदूषित हो जाता है। वन नष्ट हो जाते है, परिस्तिथिकी तंत्र को नुकसान पहुचता है। जिस शहर, देश में भूकंप, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, भूस्खलन जैसी आपदा आती है वहां पर सब कुछ नष्ट हो जाता है।

लाखो लोग बेघर हो जाते हैं। फोन सम्पर्क टूट जाता है। जलवायु परिवर्तित हो जाती है। लाखो लोग अचानक से काल के गाल में समा जाते हैं। प्राकृतिक आपदा हमेशा अपने पीछे भयंकर विनाश छोड़ जाती है। शहर को दोबारा बनाने में फिर से संघर्ष करना पड़ता है।

करोड़ो रुपये फिर से खर्च करने पड़ते है। बाढ़, मूसलाधार बारिश, ओलावृष्टि जैसी आपदा सभी फसलों को नष्ट कर देती है जिससे देश में अनाज की कमी हो जाती है। लोग भुखमरी का शिकार हो जाते हैं। सूखा, महामारी जैसी प्राकृतिक आपदा आने से पूरे प्रदेश में बीमारी फ़ैल जाती है जिससे हजारो लोग मौत का शिकार बन जाते हैं।

1992-93 में इथोपिया में भयंकर सूखा पड़ा जिसमे 30 लाख से अधिक लोगो की मृत्यु हो गयी। आज भी हर साल हमारे देश में राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, मध्यप्रदेश में सूखा पड़ता रहता है।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार और उनका आपदा प्रबंधन Types of Natural Disasters in Hindi with Management

अब आईये आपको हम एक-एक करके विस्तार में सभी प्राकृतिक आपदा के प्रकार और प्रबंधन के विषय में बताते हैं-

1. भूकंप किसे कहते हैं? What is Earthquake in Hindi? (पढ़ें: भूकंप की पूरी जानकारी )

पृथ्वी की सतह के अचानक हिलने को भूकंप या भूचाल कहते है। इसमें धरती में दरारें पड़ जाती है और तेज झटके लगते है। भूकंप आने से घर, मकान, इमारतें, पुल, सड़के सब टूट जाते है। इमारतों में दबने से हजारो लाखो लोगो की मौत हो जाती है।

पृथ्वी के अंदर की प्लेटो में हलचल और टकराने की वजह से भूकंप आते है। 26 जनवरी 2001 में गुजरात में विनाशकारी भूकंप आया था। इसमें 20000 से अधिक लोगो की जान चली गयी थी। अप्रैल 2015 में नेपाल में विनाशकारी भूकंप आया था जिसमे 8000 से अधिक लोग मारे गये। 2000 से अधिक लोग घायल हुए।

भूकंप प्रबंधन Earthquake management in Hindi

  • भूकंप आने पर इमारत, बिल्डिंग, मकान, ऑफिस से फ़ौरन बाहर खुले में आ जायें।
  • किसी भी इमारत के पास न खड़े हों।
  • किसी मेज के नीचे छिप जायें।
  • भूकंप के समय लिफ्ट का प्रयोग न करें। सीढ़ियों से नीचे उतरें।
  • जब तक भूकंप के झटके लगते रहे बाहर खुले स्थान में बैठे रहे।
  • अगर कार मे है तो किसी खुली जगह पर कार पार्क कर दें। कार से बाहर निकल आयें।

2. बिजली गिरना क्या है? What is Lightening in Hindi?

बिजली बारिश के मौसम में आसमान से जमीन पर गिरती है। हर साल विश्व में 24000 लोग आसमानी बिजली गिरने से मौत के शिकार हो जाते है। आसमान में विपरीत दिशा में जाते हुए बादल जब आपस में टकराते है तो घर्षण पैदा होता है।

इससे ही बिजली पैदा होती है जो जमीन पर गिरती है। चूँकि आसमान में किसी तरह का कोई कंडक्टर नही होता है इसलिए बिजली कंडक्टर की तलाश करते करते जमीन पर पहुच जाती है। बारिश के मौसम में बिजली के खम्भों के पास नही खड़े होना चाहिये। मूसलाधार बारिश होने पर बिजली गिरना आम बात है। हर साल सैकड़ो लोग बिजली गिरने से मर जाते है।

बिजली गिरने पर प्रबंधन Lightening Management in Hindi

  • जब भी मौसम खराब हो, आसमान में बिजली चमक रही हो कभी भी किसी पेड़ के नीचे न खड़े हो और कम से कम 5-6 मीटर दूर रहें। बिजली के खम्बो से दूर रहे।
  • धातु की वस्तुओं से दुरी बनाये रहे। बिजली के उपकरणों से दूर रहे। मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
  • पहाड़ी की चोटी पर खड़े न हो।
  • पानी में न नहाये। ऐसा करके आप बिजली से बच सकते हैं।
  • बिजली गिरते समय अगर आपके आस पास कोई छुपने की जगह ना हो तो किसी गड्ढे जैसी जगह पर घुस कर चुप जाएँ या सर को नीचे करके, घुटनों को मोड़कर पंजों के सहारे नीचे बैठ जाएँ, और अपने दोनों पैर के एडियों को जोड़ें और कानों को उन्ग्लिओं से बंद कर दें।

3. सुनामी किसे कहते हैं? What is Tsunami in Hindi? (पढ़ें: सुनामी की पूरी जानकारी )

सुनामी की परिभाषा है “बन्दरगाह की तरंगे” समुद्र तल में हलचल, भूकंप, दरार, विस्थापन, प्लेट्स हिलने के कारण सुनामी की बेहद खतरनाक तरंगे उत्पन्न होती है। इस लहरों की गति 400 किमी/ घंटा तक हो सकती है। लहरों की उंचाई 15 मीटर से भी अधिक हो सकती है। सुनामी के कारण भारी धन-जन हानि होती है।

आसपास के क्षेत्रो, समुद्रतट, बंदरगाह, मानव बस्तियों को ये नष्ट कर देती है। 26 दिसम्बर 2004 को हिन्द महासागर में सुनामी आने से 11 देशो में 2.8 लाख लोग मारे गये। 10 लाख से अधिक लोग बेघर हो गये। करोड़ो रुपये का नुकसान हुआ। इस सुनामी में भारत का दक्षिणी छोर “इंदिरा पॉइंट” नष्ट हो गया।

सुनामी पर प्रबंधन Tsunami Disaster Management in Hindi

  • सुनामी से बचाव के लिए एक जीवन रक्षा किट बना लें। इसमें खाना, पानी, फोन, दवाइयां, प्राथमिक उपचार किट रखे।
  • सुनामी आने से पहले अपने स्थान से बाहर निकलने की ड्रिल एक दो बार कर लें। आपके पास एक अच्छा रास्ता होना चाहिये जिससे आप फ़ौरन उस स्थान से सुरक्षित स्थान पर जा सकें।
  • आपके पास शहर का एक नक्शा होना चाहिये क्यूंकि सुनामी आने पर हजारो की संख्या में लोग शहर से बाहर जाने लगते है।
  • सरकारी चेतावनी, मौसम विभाग की चेतावनी को आप ध्यानपूर्वक सुनते रहे। जादातर सुनामी भूकंप के बाद आती है।
  • यदि पशु अजीब व्यवहार करे, पक्षी स्थान छोड़कर जाने लगे तो ये सुनामी का संकेत हो सकता है।
  • सुनामी आने से पहले समुद्र का पानी कई मीटर पीछे चला जाता है, इस बात पर भी ध्यान देना बहुत आवश्यक है।
  • सुनामी से बचने के लिए समुद्र तट से दूर किसी स्थान पर चले जाएँ।

4. बाढ़ किसे कहते है? What is Flood in Hindi? (पढ़ें: बाढ़ की पूरी जानकारी )

किसी स्थान पर जब अचानक से ढेर सारी बारिश हो जाती है तो पानी जगह जगह भर जाता है। ऐसी स्तिथि में सड़के, रास्ते, खेत, नदी, नाले सभी भर जाते है। जीवन अवरुद्ध हो जाता है। इसी स्तिथि को बाढ़ कहते है। बारिश का यह पानी बहता रहता है।

बाढ़ आने पर निचले भागो में रहने वाले लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो जाते है। फसलों को बहुत नुकसान होता है। अधिक बाढ़ आ जाने से पशु-पक्षी पानी में डूबकर मर जाते है। लोगो का जीना मुश्किल हो जाता है। 2005 में मुंबई में भयानक बाढ़ आ गयी जिसमे 5000 लोग मारे गये। इसमें मुंबई शहर को पूरी तरह से रोक दिया था।

बाढ़ आपदा प्रबंधन Flood Disaster Management in Hindi

  • बाढ़ से बचने के लिए किसी ऊँची सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिये जहाँ पानी न हो।
  • अपने साथ में खाने-पीने का जरूरी सामान, दवाइयां, टोर्च, पीने का पानी, रस्सी, चाक़ू, फोन जैसा जरूरी सामान ले लें।
  • बाढ़ में घर का बिजली का मेंन स्विच बंद कर दें।
  • घर की कीमती वस्तुएं, कीमती कागजात को उपर वाली मंजिल में रख दें।
  • बहते बाढ़ के पानी में न चले। इससे आप बह सकते हैं।
  • गिरे हुए बिजली के तार से दूर रहे। आपको करेंट लग सकता है।

5. चक्रवाती तूफान क्या है? What is Cyclone in Hindi? (पढ़ें: चक्रवात )

हमारे देश में चक्रवात प्रायः बंगाल की खाड़ी में आते हैं। ये समुद्र की सतह पर निम्न वायु दाब के कारण उत्पन्न होते है। तेज हवायें बारिश के साथ गोलाकार रूप में दौड़ती है जो समुद्रतट पर जाकर भयंकर विनाश करती है।

यह रफ्तार के अनुसार श्रेणी 1 से लेकर श्रेणी 5 तक होते है। इनकी गति 280 किमी/ घंटा से अधिक हो सकती है। देश में 1839 में कोरिंगा चक्रवात आया था जिसमे 20000 से अधिक लोगो की मौत हो गयी। 1999 में ओड़िसा में 05B नाम का चक्रवात आया था जिसमे 15000 से अधिक लोग मारे गये थे।

चक्रवाती तूफान प्रबंधन Cyclone Disaster Management in Hindi

  • आंधी, तूफ़ान, चक्रवातीय तूफ़ान आने पर घर में ही रहना चाहिये। घर से बाहर नही निकलना चाहिये।
  • सभी खिड़की दरवाजे बंद कर लेना चाहिये। पक्के मकान में ही रहना चाहिये।
  • आंधी-तूफ़ान आने पर बिजली चली जाती है। इसलिए अपने पास बैटरी, टोर्च, ईधन, फोन, लालटेन, माचिस, खाना, पीने का पानी पहले से रखे।
  • प्राथमिक उपचार किट भी अपने पास रखे। स्थानीय रेडियो का प्रसारण सुनते रहे।

6. अकाल या सूखा पड़ना क्या है? What is Drought in Hindi?

सूखा में किसी स्थान पर कई महीनो, सालों तक कोई वर्षा नही होती है, जिसके कारण भूजल का स्तर गिर जाता है। इससे कृषि बुरी तरह प्रभावित होती है। पालतु पशुओ, पक्षियों, मनुष्यों के लिए पेयजल का संकट हो जाता है जिसके कारण पशु, जानवर, मनुष्य मर जाते है। सूखा के कारण कुपोषण, भुखमरी, महामारी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है।

सूखा के कारण उस स्थान पर किसी फसल की खेती नही हो पाती है। यह 3 प्रकार का होता है- मौसमीय सूखा, जलीय सूखा, कृषि सम्बन्धी सूखा। कई महीनों तक वर्षा नही होने से, भूजल का अत्यधिक दोहन, वनों की कटाई, जल चक्र का नष्ट होना, पहाड़ियों पर अत्यधिक खनन पेड़ो की अत्यधिक कटान ये सब कारण सूखा पड़ने के लिए उत्तरदाई है।

सूखे से निपटने के उपाय Drought solutions in Hindi

  • सूखे की समस्या से निपटने के लिए वर्षा के जल का संरक्षण टैंको और प्राकृतिक जलाशयों में करना चाहिये।
  • सागर जल अलवणीकरण किया जाना चाहिए जिससे समुद्र के जल को सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
  • अशुद्ध जल को पुनः शुद्ध करना चाहिये। अपशिष्ट जल का प्रयोग घर की सफाई, सब्जियाँ धोने, बगीचे को पानी देने, कार, वाहन सफाई में कर सकते है।
  • बादलो की सीडिंग करके अधिक वर्षा प्राप्त की जा सकती है।
  • सूखा की समस्या से बचने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिये।
  • जिन क्षेत्रो में सूखा की समस्या रहती है वहां लोगो को सीमित मात्रा में पानी इस्तेमाल करना चाहिये।
  • ऐसे क्षेत्रो में अधिक पानी का दोहन करने वाली फैक्ट्री, उद्योगों को बंद करना चाहिये।

7. जंगल में आग लगना What is Wildfire in Hindi?

गर्मियों के मौसम में अक्सर जंगलो में आग लग जाती है। इसके पीछे मानवीय और प्राकृतिक कारण जिम्मेदार होते हैं। कई बार मजदूर घास, पत्तियों में आग लगाकर छोड़ देते है जिससे आग पूरे जंगल में फ़ैल जाती है।

कई बार सूरज की गर्म किरणों से सूखी पत्तियों में आग लग जाती है। उतराखंड राज्य में चीड़ के जंगलो में अक्सर आग लगती रहती है।

जंगल में आग लगने पर प्रबंधन Management in Wildfire in Hindi

  • जंगल में आग लगने पर वन विभाग के कर्मचारियों को तुरंत सूचित करना चाहिये।
  • जंगल की आग बुझाना अत्यंत कठिन काम है। इसे अधिक स्टाफ और आधुनिक उपकरणों की सहायता से बुझाया जा सकता है।
  • हेलीकाप्टर के जरिये पानी का छिड़काव करके जंगल की आग बुझाई जा सकती है।
  • जंगल में आग लगने पर फौरन पुलिस को फोन करना चाहिये।
  • हानिकारक धुवें से बचने के लिए अपने मुंह पर कपड़ा बाँध लेना चाहिये।
  • किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिये।
  • जंगल के किनारे स्तिथ घर को खाली कर देना चाहिये। फायर फाइटर को फोन करना चाहिये।

8. हिमस्खलन किसे कहते हैं? What is Avalanche in Hindi?

पहाड़ो पर हिम (बर्फ), मलवा, चट्टान, पेड़ पौधे आदि के अचानक खिसकने की घटना को हिमस्खलन कहते हैं। बर्फ से ढके पहाड़ो पर इस तरह की प्राकृतिक आपदा जादा होती है। यह बहुत विनाशकारी होता है। अपने मार्ग में आने पर घर, मकानों, पेड़ पौधों को तोड़ देता है।

इसमें दबकर हर साल हजारो लोगो की जान चली जाती है। यह सड़को, पुलों, राजमार्गो को तबाह कर देता है। पहाड़ो को काटकर सड़के बनाना, मानवीय कार्य, लगातार बारिश, भूकंप, जमीन में कम्पन, अधिक बर्फबारी, डेल्टा में अधिक अवसाद का जमा होना- ये सभी कारणों की वजह से हिमस्खलन होता है।

हिमस्कलन पर आपदा प्रबंधन Disaster Management in Avalanche in Hindi

  • हिमस्खलन में गिरने वाले बर्फ को रोकने के लिए लोहे के तारो का जाल बनाकर पहाड़ो पर सड़कों की सुरक्षा की जा सकती है।
  • सोफ्टवेयर द्वारा पहाड़ी जगहों में ऐसे स्थानों का पता लगा सकते हैं जहाँ हिमस्खलन आ सकता है।
  • पहाड़ो पर अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, ढलानों को काटकर चबूतरा बनाकर, मजबूर दीवार बनाकर हिमस्खलन को रोका जा सकता है।

9. भूस्खलन किसे कहते हैं? What is Landslide in Hindi?

यह प्राकृतिक आपदा भूवैज्ञानिक घटना है। भूस्खलन के अंतर्गत पहाड़ी, पत्थर, चट्टान, जमीन खिसकना, ढहना, गिरना, मिटटी बहना जैसी घटनाये होती है। यह छोटी से बड़ी मात्रा में हो सकता है। छोटे भूस्खलन में छोटे-छोटे पत्थर नीचे की तरफ गिरते है।

बड़े भूस्खलन में पूरी की पूरी पहाड़ी ही नीचे गिर जाती है। इससे जान-मान, धन-जन की हानि होती है। यह भारी बारिश, भूकंप, धरातलीय हलचल, मानवीय कार्यों जैसे पहाड़ो पर पेड़ो की कटाई, चट्टानों को काटकर सड़क, घर बनाने, पानी के पाइपों में रिसाव से होता है।

भूस्खलन होने पर प्रबंधन Disaster Management for Landslide in Hindi

  • भूस्खलन होने पर फ़ौरन उस स्थान से निकल जाना चाहिये।
  • अपने साथ में एक सेफ्टी किट रखनी चाहिये जिसमे जरूरी सामान, फर्स्ट ऐड बोक्स, पीने का पानी हो।
  • रेडिओ, टीवी पर मौसम की जानकारी लेते रहे।
  • अगर आपका घर भूस्खलन के क्षेत्र में है तो जादा से जादा पेड़ चारो तरफ लगाइये। पेड़ पहाड़ो को बांधे रखते है।
  • अपने घर के आस पास की जगह की नियमित जांच करते रहिये।
  • जिस स्थान पर उपर से चट्टान गिरने का खतरा हो वहां से दूर रहे।
  • हेलिकॉप्टर या बचाव दल का फोन नम्बर हमेशा अपने पास रखे।

10. ज्वालामुखी फटना क्या है? What is Volcano eruption in Hindi?

ज्वालामुखी में पृथ्वी के भीतर से गर्म लावा, राख, गैस का तीव्र विस्फोट होता है। यह प्रकिया धीरे भी हो सकती है और तीव्र भी। यह प्राकृतिक आपदा 3 प्रकार का होता है- सक्रीय ज्वालामुखी, प्रसुप्त ज्वालामुखी, मृत ज्वालामुखी।

इसी वर्ष 2018 में ग्वाटेमाला में ज्वालामुखी विस्फोट होने से 33 लोगो की मौत हो गयी, 20 लोग घायल हुए और 17 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। ज्वालामुखी का धुआं बहुत ही हानिकारक होता है। विस्फोट होने पर यह 100 किमी से अधिक के दायरे में आकाश में फ़ैल जाता है जिसके कारण हवाई जहाजो की उड़ाने रद्द करनी पड़ती है।

ज्वालामुखी फटने पर आपदा प्रबंधन Disaster management in Volcano eruption in Hindi

  • ज्वालामुखी फटने पर फ़ौरन घर का कीमती सामान अपने साथ लेकर सुरक्षित स्थान पर चले जायें।
  • अपने पालतु पशुओं को भी साथ ले जायें।
  • मौसम विभाग, स्थानीय रेडियो प्रसारण को सुनते रहे जिससे आपको नई जानकारी मिलती रहे।
  • स्थानीय मार्गो का एक नक्शा अपने पास रखे।
  • साथ में एक जीवन रक्षा किट भी साथ रखे जिसमे दवाइयाँ, टोर्च, पीने का पानी, अन्य सामान हो। अपने मित्रो और परिवार के साथ में रहे (अकेले न रहे)।
  • बचाव दल का नम्बर अपने पास रखे।
  • ज्वालामुखी राख से अपनी कारो, मशीनों को बचाने के लिए प्लास्टिक के कवर से ढंक दें।

11. महामारी किसे कहते है? What is Epidemic in Hindi?

किसी क्षेत्र विशेष में जब कोई बीमारी बड़े पैमाने पर फ़ैल जाती है तो उसे महामारी कहते हैं। यह संक्रमण के कारण हवा, छूने, पानी के माध्यम से फैलती है। कई बार यह पूरे देश में फ़ैल जाती है। 2009 में पूरे विश्व में एच1एन1 इंफ्लूएंजा (स्वाइन फ्लू) की बिमारी फ़ैल गयी। जल्द ही यह भारत में भी फ़ैल गयी थी। भारत में 2700 लोग स्वाइन फ्लू से मारे गये और 50 हजार से अधिक लोग बीमार हो गये।

वर्ष 2019 में चीन से शुरू हुए नोवेल कोरोना वायरस (nCOVID) की वज़ह से दुनिया भर में लाखों लोग इससे इन्फेक्टेड हो गए। जिसके कारण हजारों लोगों की जान इसमें चहली गयी।

महामारी फैलने पर आपदा प्रबंधन Epidemic Management tips in Hindi

  • महामारी (संक्रामक रोग) बरसात और ठंडे के मौसम में अधिक होते है। रोगाणु- विषाणु पानी के माध्यम से सबसे जल्दी फैलते है इसलिए साफ़ पानी पीना चाहिये। दस्त, पेचिस, हैजा, मियादी बुखार, पीलिया, पोलियो जैसे रोग अशुद्ध पानी के सेवन से फैलते हैं।
  • इनसे बचने के लिए ताज़ी कटी सब्जियों, फलों का सेवन करना चाहिये। भोजन करने से पहले हाथो को अच्छी तरह से धोइये। नियमित रूप से नाख़ून कांटे, दाढ़ी और बाल कटवाएं।
  • रोज साबुन और मलकर नहायें और खाना खाने के बाद-पहले अच्छे से हांथ धोएं।
  • किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर शांत रहे। अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकारी आदेशो का पालन करें, अकेले न रहे। अपने परिवार के साथ ही रहे।
  • अपने पास पुलिस, अस्पताल, अग्निशमन सेवा, एम्बुलेंस, बचाव दल का फोन नम्बर जरुर रखे।
  • अपने पास एक आपातकालीन किट जरुर रखे। इसमें माचिस,टोर्च, रस्सी, चाक़ू, पानी, टेप, बैटरी से चलने वाला रेडियो रखे।
  • अपने परिचयपत्र, कागजात, जरूरी कागज अपने पास रखे।

12. ओलावृष्टि क्या है? What is Hail in Hindi?

आसमान में जब बादलो में मौजूद पानी की बुँदे अत्यधिक ठंडी होकर बर्फ के रूप में जमकर जमीन पर गिरती है तो उसे ओलावृष्टि या वर्षण प्राकृतिक आपदा कहते है। इसे आम भाषा में ओला गिरना भी कहा जाता है। यह अक्सर गर्मियों के मौसम में दोपहर के बाद गिरते है। ओलावृष्टि अक्सर तब होती है जब बादलो में गडगडाहट और बिजली बहुत अधिक चमकती है।

ओलावृष्टि से सबसे अधिक नुकसान किसानो को होता है। अधिक ओलावृष्टि होने से फसलें बर्फ के गोलों से ढँक जाती है और नष्ट हो जाती है। यदि बर्फ के गोले बड़े हो तो मकान, खिड़की, कारो के शीशे तोड़ देते हैं। कुछ महीनो पहले हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि होने से 2.5 करोड़ का नुकसान हुआ। सेब, नाशपाती की फसलें बर्बाद हो गयी थी।

13. बादल फटना किसे कहते हैं? What is Cloud Burst in Hindi?

इस प्राकृतिक आपदा मेघविस्फोट भी कहते है। जब बादल अधिक मात्रा में पानी लेकर चलते है और उनके मार्ग में कोई बाधा अचानक से आ जाती है तो बादल अचानक से फट जाते हैं। ऐसा होने से उस  स्थान पर करोड़ो लीटर पानी अचानक से गिर जाता है। पानी की विशाल मात्रा मजबूत पक्के मकानों, सडकों, पुलों, इमारतों को ताश के पत्ते की तरह तोड़ देती है।

उतराखंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, जम्मू-कश्मीर, जैसे राज्यों में बादलो के मार्ग में हिमालय पर्वत,पहाड़ियाँ, गर्म हवा आ जाने के कारण बादल फटने की घटनाये होती रहती हैं। 2013 में उतराखंड में बादल फटने से 150 से अधिक लोग मारे गये। धन-जन की भारी बर्बादी हुई।

निष्कर्ष Conclusion

आज के लेख में हमने आपको विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी दी है। इससे बचने के उपाय अपनाकर आप भी इस आपदाओं से बच सकते हैं। आशा करते हैं आपको यह लेख प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi अच्छा लगा होगा।

पढ़ें: पर्यावरण संरक्षण पर जबरदस्त नारे

27 thoughts on “प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi”

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हिंदी सहायता

Disaster Management in Hindi – आपदा प्रबंधन पर निबंध।

Disaster Management in Hindi: आपदा प्रबंधन (Disaster Management) एक बहुस्तरीय योजना है जो प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बाढ़, तूफान, चक्रवात, भूस्खलन) और मानवीय आपदाओं के साथ-साथ

Editorial Team

March 24, 2023

Disaster Management in Hindi

Disaster Management in Hindi: आपदा प्रबंधन (Disaster Management) एक बहुस्तरीय योजना है जो प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बाढ़, तूफान, चक्रवात, भूस्खलन) और मानवीय आपदाओं के साथ-साथ बीमारी के तेजी से प्रसार को रोकने इत्यादि मुद्दों पर कार्य करती है। प्रकृति में पाए जाने वाले चार प्रमुख तत्व अग्नि, वर्षा, पवन और पृथ्वी जो मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं, वे विनाशकारी भी हो सकते है। इनसे खेलना इतना नुक्सानदयाक हो सकता है जिसका अंदाजा लगा पाना भी बहुत मुश्किल है।

Table of Contents

देश को हर साल कई प्राकृतिक और मानव द्वारा निर्मित आपदाओं का सामना करना पड़ता है। जिसमें सैकड़ों की संख्या में व्यक्तियों एवं जानवरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है, वहीं करोड़ों-अरबो रूपये की धन-संपत्ति का भी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसी ही विषम परिस्थितियों के शिकार बने लोगों की सहायता करने, उन्हें उबारने और उनके जीवन को फिर से पटरी पर लाने के लिए आपदा प्रबंधन से जुड़े लोगों का बहुत बड़ा हाथ होता है।

इसलिए मैंने सोंचा क्यों न आपदा प्रबंधन पर निबंध लिखा जाये और आपको आपदा प्रबंधन से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियां प्रदान की जाएं जैसे- आपदा प्रबंधन क्या है, कितने प्रकार के होते है, आपदा प्रबंधन की भूमिका एवं उनके चरण आदि। साथ ही आप यहां आपदा प्रबंधन अधिनियम क्या है, आपदा प्रबंधन Project in Hindi (आपदा प्रबंधन पर प्रोजेक्ट) के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

इसके अलावा आप इस लेख में प्राकृतिक आपदा, मानव निर्मित आपदा, न्यूनीकरण पर निबंध (Aapda Prabandhan Essay in Hindi), आपदा प्रबंधन के कारण, आपदा प्रबंधन के उपाय और आपदा प्रबंधन पर टिप्पणी (Aapda Prabandhan Par Tippani) के बारे में भी पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।

इन्हे भी पढ़े:   Essay on Pollution in Hindi – जानिए पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में

Disaster Management in Hindi

आपदा प्रबंधन क्या है (What is Disaster Management in Hindi)

“ आपदा प्रबंधन (Disaster Management) एक ऐसी कार्य प्रणाली है, जो आपदा से पहले और उसके बाद ही नहीं बल्कि एक-दूसरे के समांतर भी चलती रहती है। इस व्यवस्था में यह मानकर चला जा सकता है कि, आपदा संभावित समुदाय के भीतर, आपदा की रोकथाम, उसके दुष्प्रभाव को कम करने, जवाबी कार्यवाही और सामान्य जीवन स्तर पर लौटने के लिए पर्याप्त उपाय होते हैं।”

मानव एवं प्राकृतिक कारणों से होने वाले दुष्प्रभाव यदि चरम सीमा तक पहुंच जाए, तथा यह दुष्प्रभाव मानव एवं प्रकृति के लिए असहनीय हो जाए और इन्हें नष्ट करने लगे, तो वह प्रकोप में बदलने लगती है।

essay of disaster management hindi

जब यह असहनीय घटनाएं मानव बस्ती तक पहुंचने लगे एवं मानव समुदाय को एक साथ नुकसान पहुंचने लगे, तो वह आपदा का रूप ले लेती है। यह एक ऐसी स्थिति होती है, जो पर्यावरण एवं सामाजिक कार्यों को बहुत हद तक प्रभावित करती है। इन विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं का पूर्व अनुमान नहीं लगाया जा सकता, ना ही इन्हें रोका जा सकता है।

परंतु इनके प्रभावों को एक सीमा तक जरूर कम किया जा सकता है। जिससे कि भौतिक एवं मानवीय क्षति कम की जा सके। यह कार्य तभी किया जा सकता है, जब सक्षम रूप से आपदा प्रबंधन का सहयोग मिले। यदि इस कार्य में आपदा प्रबंधन का सहयोग ना मिले, तो कार्य सुचारु रुप से नहीं चल सकता है।

विश्व के किसी भी देश में प्रायः बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, भूकंप, सुनामी की घटनाएं होती रहती है। “आपदा प्रबंधन” इनके प्रभाव को कम करने के लिए एक सतत प्रक्रिया है, जिसे सफल बनाने के लिए सामूहिक एकता एवं समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होती है।

Aapda Prabandhan in Hindi (आपदा प्रबंधन हिंदी में) 

आपदा प्रबंधन पर निबंध

जैसा कि हम लोग जानते है कि विश्व के सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में अनेक परिवर्तन हुए, जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ी। औद्योगिक एवं तकनीकी क्षेत्र में अत्याधिक विकास हुआ है। इससे मानव जीवन को अधिक सुखी एवं समृद्ध बना है। परंतु इसके पश्चात मानव जीवन पर अनेक प्रकार के संकट उत्पन्न हुए। हर पल अब मानव इन आपदाओं से अपने को असुरक्षित महसूस करता है। तो चलिए जानते है आपदा प्रबंधन क्या है।

“आपदा” समाज के सामान्य कार्य प्रणाली में बाधा करती है। इससे बहुत बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं। आपदा के कारण जीवन तथा संपत्ति की भी बड़े पैमाने पर हानि होती है। आपदाएं कठिनाइयां पैदा करती है जिससे कि राष्ट्र का विकास कई वर्ष पीछे खिसक जाता है। भारत जैसे विकासशील देश में आपदाओं के फल स्वरुप जान और संपत्ति को क्षति या नुकसान पहुंचता है, वह विकसित देशों की तुलना में कहीं अधिक होता है।

Eassy On Disaster Management In Hindi

यदि इन आपदाओं के लिए पूर्व तैयारियां नहीं की जाए, तो यह किसी भी राष्ट्र के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो सकती है। इसलिए सबसे अच्छा तरीका है इनका प्रबंध करना।

चलिए अब आगे जानते है कि आपदा प्रबंधन के लिए प्रोजेक्ट फाइल (Project on Disaster Management) कैसे बनाए। यह जानकारी आपको आपदा प्रबंधन प्रोजेक्ट फाइल इन हिंदी (Disaster Management Project in Hindi) में बनने में भी काम आएगी।

आपदाओं के प्रकार

आईये जानते हैं, कि आपदाएं कितने प्रकार की होती है?

भारत में कई तरह के संकट देखे गए हैं, जो हमारे लिए व्यापक चिंता का कारण है जिन्हे हम 2 वर्गों में समझते है।

  • प्राकृतिक आपदाएं:  सुखा बाढ़ भूकंप भूस्खलन एवं सुनामी व समस्त घटनाएं हैं, जो प्रकृति में विस्तृत रूप से घटित होती हैं, और जिनका प्रभाव विनाशकारी होता है। इन प्राकृतिक घटनाओं में मानव का किसी भी प्रकार से हाथ नहीं होता। इन प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना बहुत ही मुश्किल है।
  • मानवनिर्मित आपदाएं: मनुष्य जब अपने स्वयं के स्वार्थ के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करता है, और वे प्रभाव प्रकृति के लिए विनाशकारी होते हैं। आपदाओं की उत्पत्ति का संबंध मानव कार्यों से भी है। कुछ मानवीय गतिविधियां तो सीधे रुप से इन आपदाओं के लिए उत्तरदाई है।

इन संकटों की कतार बहुत लंबी है, और इनमे से कुछ बिंदुओं पर हमने नीचे रौशनी डाली है।

  • ऐसी आपदाएं जो अचानक उत्पन्न होती है – भूकंप, सुनामी लहरें, ज्वालामुखी, विस्फोट, भूस्खलन, बाढ़ चक्रवात, हिमस्खलन, मेघ विस्फोट आदि।
  • आपदा जो धीरे-धीरे प्रकट होती है – सूखा, ओले, संक्रामक रोग, आदि।
  • महामारी – जल/ खाद आधारित रोग, संक्रामक रोग, आदि।
  • औद्योगिक दुर्घटनाएं – आग, विस्फोट, रासायनिक रिसाव इत्यादि।

प्राकृतिक आपदाएं

1. सूखा आपदा – सुखा एक प्राकृतिक आपदा है। जल मानव जीवन के लिए मुख्य घटक है। जल के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसा क्षेत्र जहां पर 25% या उससे कम वर्षा होती है, उसे सूखे क्षेत्र के अंतर्गत लिया जाता है। निरंतर 2 वर्षों तक होने वाली वार्षिक वर्षा को अत्यधिक श्रेणी में रखा जाता है। कई पशु-पक्षी सूखे के कारण प्यास से जूझकर मर जाते है। आज भी भारत के कई क्षेत्र में सूखे की स्थिति बनी हुई है, कई लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। सूखे का आगमन धीरे-धीरे होता है और इसके आगमन तथा समाप्त होने का समय तय करना कठिन होता है।

Natural-Disasters

सूखा आपदा प्रबंधन एवं उपाय।

  • सूखे की स्थिति पर निगाह रखनी चाहिए। निगाह रखने का मतलब है, झीलों, नदियों, तालाबों में पानी की मात्रा पर दृष्टि रखना। सूखा आपदा से बचने के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है जल संग्रहण को बढ़ावा देना।
  • सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए जरूरी है कि खेती से हटकर रोजगार के अवसर बढ़े।
  • जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए घरों तथा किसानों के खेतों में वर्षा के पानी को संग्रह करने से उपलब्ध पानी की मात्रा बढ़ जाती है।सभी खेतों में बह रहे जल को एक स्थान पर एकत्रित किया जाना चाहिए।

2. बाढ़ आपदा – बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा हैं, जिससे एक बड़े भू भाग में पानी भर जाता है, और उस पानी से जन धन की अपार हानि होती है। तालाबों में पानी की वृद्धि होने अथवा भारी वर्षा के कारण नदी के अपने किनारों को लाने अथवा तेज हवाओं और चक्रवातों के कारण बांधों के फटने से, विशाल क्षेत्रों में स्थाई रूप से पानी भरने से बाढ़ आती है। इस संकट से निपटने के लिए और पुनः अपने जीवन को स्थापित करने के लिए मनुष्य को कई वर्ष लग जाते हैं। बाढ़ से प्वनस्पति का भी भारी नुकसान होता है।

बाढ़ आपदा प्रबंधन एवं उपाय।

  • नदियों के ऊपरी क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा तालाब बनाए जाए।
  • वह स्थान जहां जल संग्रहण हो रहा हो, वहां आस-पास की जगह पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए।
  • नदियों के किनारे की भूमि पर मानव बस्तियों के अतिक्रमण पर रोक लगाई जानी चाहिए।
  • पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी जानी चाहिए।
  • सहायक नदियों पर अनेक छोटे छोटे बांध बनाए जाएं जिससे की मुख्य नदी में बाढ़ के खतरे को कम किया जा सके।

3. भूकंप आपदा – भूकंप किसी भी समय अचानक, बिना किसी चेतावनी के आता है। भूकंप वह घटना है जिसके द्वारा पृथ्वी के अंदर हलचल पैदा होती है, तथा कंपन होता है। यह कंपन तरंगों के रूप में जैसे-जैसे केंद्र से दूर जाता है, यह तेज होता जाता है। भूकंप का रूप अत्यंत विनाशकारी होता है। जहां से भूकंप की शुरुआत होती है, उस स्थान मे बड़ी संख्या में जान-माल की हानि होती है। ऐसा समझा जाता है कि पृथ्वी की सतह बड़ी-बड़ी प्लेटों से बनी है यह प्लेटें पृथ्वी की आंतरिक गर्मी के कारण एक दूसरे की तरफ खिसकती है, इनके खिसकने अथवा फैलने से भूकंप आता है।

भूकंप आपदा प्रबंधन एवं उपाय।

  • भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में घरों की डिजाइन इंजीनियर के सहयोग से तय होना चाहिए। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में घरों या इमारतों की डिजाइन इंजीनियर के सहयोग से तय होना चाहिए।
  • किसी भी इमारत निर्माण से पहले मिट्टी की किस्म का विश्लेषण कराना जरूरी होता है। नरम मिट्टी के ऊपर मकान नहीं बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों के बीच भूकंप को लेकर जागरूकता बढ़ाना बहुत ज्यादा आवश्यक है ताकि वह ऐसे स्थान पर भू निर्माण ना करें जहां भूकंप का खतरा अधिक होता है।

4. भूस्खलन आपदा – चट्टानों मिट्टी अथवा मलबे के ऐसे ढेर, जो स्वयं अपने भार के जोर से पहाड़ों की ढलान अथवा नदियों के किनारों पर आ जाते हैं, भूस्खलन कहलाता है। भूस्खलन धीरे-धीरे होते हैं, फिर भी आकस्मिक भूस्खलन बिना चेतावनी के भी हो सकते हैं। भूस्खलन होने के बारे में कोई पक्की चेतावनी मौजूद नहीं है, अतः इस आपदा घटने का पूर्व अनुमान लगाना कठिन है। भूस्खलन के लिए प्रमुखता भूकंप बाढ़ और चक्रवात की स्थितियां उत्तरदाई होती है। पहाड़ी क्षेत्र में मानव द्वारा रास्तों के निर्माण करने अथवा कृषि के लिए खड़ी ढाल वाले क्षेत्र बनाना भी भूस्खलन को जन्म देता है। पर्वतीय क्षेत्रों में जब भूकंप के तीव्र झटके आते हैं तो ढालों की चट्टानें एवं मिट्टी खिसकने लगती है। यह अत्यधिक खतरनाक होती है।

भूस्खलन आपदा प्रबंधन एवं उपाय।

  • किसी भी बस्तियों के बसने से पहले भूस्खलन के क्षेत्रों का पता लगाना आवश्यक होता है।
  • अधिक भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में बड़े निर्माण कार्य तथा विकास कार्य नहीं किए जाने चाहिए।
  • पहाड़ी ढालों पर प्राकृतिक वनस्पति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ऐसे पहाड़ जहां वनस्पति नहीं है, वह ज्यादा से ज्यादा वृक्षों को रोपित करके पुनः वनस्पति युक्त बनाया जाना आवश्यक है।
  • मजबूत बुनियाद के साथ नक्शा तैयार करके बनाए गए घरों की की भूमि के नीचे बिछाए गए पाइपलाइन केबल्स लचीले होना चाहिए ताकि वह भूस्खलन से उत्पन्न दबाव को सामना आसानी से कर सकें।

5. सुनामी आपदा – भूकंप और ज्वालामुखी से समुद्र के धरातल में तरंग पैदा होती है। यह जल-तरंग बड़े-बड़े समुद्रों में सुनामी लहरों को पैदा करती है। गहरे समुद्र में सुनामी लहरों की लंबाई अधिक होती है, और ऊंचाई कम। सुनामी से समुद्री तट वाले क्षेत्र में भीषण हानि होती है। सामान्यता शुरुआत में एक साधारण तरंग ही पैदा होती है, परंतु कालांतर में जल तरंगों की एक बड़ी श्रंखला बन जाती है। समुद्री जल कभी भी शांत नहीं रहता, इसमें हलचल होना स्वाभाविक बात है। भूकंप और ज्वालामुखी का समुद्री क्षेत्रों में आना ही सुनामी आपदा का प्रमुख कारण है।

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सुनामी आपदा प्रबंधन एवं उपाय।

सुनामी अन्य प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में अधिक तीव्र होती है। इससे बड़े पैमाने पर जनधन की हानि होती है। सुनामी को रोका नहीं जा सकता परंतु पहले से चेतावनी मिलने पर तटीय क्षेत्र खाली कर देना ही उपाय है।

मानव निर्मित आपदाएं

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1. बम विस्फोट – अनेक मामलों में विस्फोटक सामग्री सार्वजनिक स्थानों, धार्मिक स्थलों एवं ऐसे स्थानों पर जहां अधिक मात्रा में मनुष्य उपस्थित हो वहां रखी जाती है।

इससे सुरक्षा के निम्नलिखित उपाय है।

  • यदि कहीं कोई पैकेट नजर आता है और समझा होता है तो सावधानी बरतने की जरूरत है। अतः उसे छूना नहीं चाहिए।
  • संदिग्ध वस्तुओं के पास न तो स्वयं जाना चाहिए ना ही दूसरों को जाने देना चाहिए।
  • पुलिस को सूचित करना चाहिए।

2. जैविक एवं रासायनिक आपदा – आज का युग विज्ञान का है वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास ने मानव जीवन को सुखी व समृद्ध शाली बनाया है।

रासायनिक गैस रिसाव, भोपाल में घटने वाली अभी तक की सबसे विनाशकारी औद्योगिक – रासायनिक आपदा है। इसमें 45 टन मिथाइल आइसोसाइनेट नामक अत्यंत जहरीली गैस यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखानों से, रात लगभग 12:00 बजे रिसी और हवा के साथ बह गई। इसमें लगभग 3600 लोग मरे और अनेक रोग ग्रस्त हो गए।

टिड्डी दल का आक्रमण कीटों द्वारा फैलने वाले रोग जैसे प्लेग, वायरल संक्रमण, बर्ड फ्लू , डेंगू , कोरोना जैविक आपदाएं है। इनसे बचने के लिए भी उपाय करना आवश्यक है।

औद्योगिक व रासायनिक आपदाएं मानव निर्मित आपदाएं हैं। इनकी शुरुआत बड़ी तेजी से बिना किसी चेतावनी के हो सकती है।

जैविक दुष्प्रभाव को कम करने के संभावित उपाय।

  • खतरनाक रसायनों के उपयोग तथा बचाव के तरीके से संबंधित जानकारी आम नागरिक तक पहुंचाना चाहिए।
  • जहरीले पदार्थों के भंडार की क्षमता सीमित ही रखी जाए।
  • उद्योगों के लिए बीमा और सुरक्षा संबंधी कानून सख्ती से लागू होना चाहिए।
  • दुर्घटना की स्थिति का मुकाबला करने की समझ विकसित करने हेतु समय-समय पर नकली अभ्यास कराना चाहिए।

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आपदा प्रबंधन पर निबंध हिंदी में

(आपदा प्रबंधन Hindi Essay)

“डिजास्टर या आपदा” का अर्थ होता है, ऐसी घटनाएं जो मानव के जीवन के लिए संकट पैदा करें। प्रबंधन का अर्थ होता है इन घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिए की जाने वाले कार्य।

आपदाओं से बड़े पैमान पर हानि होती है, यदि इन आपदाओं के लिए पूर्व प्रबंध नहीं किया जाए, तो यह देश के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकती है। इस कारण किसी भी देश के लिए आपदा प्रबंधन बहुतआवश्यक होता है।

“आपदा प्रबंधन” से यह मानकर चला जा सकता है कि आपदा को रोकने, उसके दुष्प्रभाव को कम करने, आपदा के बाद जवाबी कार्यवाही और सामान्य जीवन स्तर पर लौटने के लिए पर्याप्त उपाय है।

डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन के अंतर्गत आपदा के प्रभाव से निपटने के लिए पहले से तैयारी करना बहुत आवश्यक होता है। जैसे कि आपदा क्षेत्र मैं जरूरी सामग्री पहुंचाना एवं पहले से चेतावनी देने के लिए कार्य करना। साथ ही लोगों को आपदा के बारे में जानकारी देना बहुत आवश्यक है।

आपदा के बाद बाद लोगों के रहने के लिए व्यवस्था करना एवं लोगों को बचाने के लिए बचाव दलों को भेजना बहुत आवश्यक है। आपदा क्षेत्रों को ढूंढकर वहां के लोगो के लिए अन्य स्थान पर आश्रय की व्यवस्था करना आपदा प्रबंधन के अंतर्गत आता है।

इसके अंतर्गत किसी भी आपदा के बाद सबसे जरूरी होता है, लोगों को स्वास्थ्य और अपनी सुरक्षा के बारे में जानकारी देना, तथा सड़क को और अन्य संसाधनों की व्यवस्था करना। इस प्रबंधन के अंतर्गत आपदा क्षेत्र र्निर्माण किया जाता है।

आपदाओं को कम तो नहीं किया जा सकता, मगर उनसे लोगों को कम क्षति हो, इसके लिए हल खोजना आपदा प्रबंधन के अंतर्गत आता है।

आपदा प्रबंधन के महत्व पर निबंध

(Aapda Prabandhan Ke Mahatv Par Nibandh)

आपदा प्रबंधन में आपदा के प्रभाव से निपटने के लिए पहले से तैयारी करने के लिए कार्य किया जाता है। जैसे कि लोगों को जागरूक करना और शिक्षा पहुंचाना। साथ ही लोगों को आपदा को लेकर चेतावनी जारी करना तथा सतर्क रहने के लिए समझाना।

किसी भी आपदा से पहले और उसके तुरंत बाद आपदा को प्रभाव को कम करने के लिए, एवं संसाधन जुटाने के लिए आपदा प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जिस क्षेत्र में आपदा आती है, वह वहां के संसाधनों को भी नष्ट कर देती है।

आपदा प्रबंधन के अंतर्गत लोगों के रहने के लिए व्यवस्था करना तथा प्रभावित क्षेत्रों को ढूंढ कर बचाव के लिए दल भेजना, आपदा प्रबंधन की मुख्य भूमिका है।

किसी आपदा के खत्म होने के बाद, क्षेत्र के फिर से निर्माण तथा जिनके परिजन बिछड़ गए हो उन्हें दिलासा देने और भावनात्मक रूप से सहायता करने के लिए आपदा प्रबंधन सहायक है।

आपदाओं की रोकथाम उनके दुष्प्रभावों से निपटने के लिए नई योजनाओं को तैयार करना तथा डॉक्टर्स, इंजीनियर, एवं अन्य आवश्यक अधिकारियों को तैनात करना इसके अंतर्गत आता है।

आपदा से ग्रसित क्षेत्र की भूमि के उपयोग की योजना तैयार करना और साथ ही आपदा घटने से पहले उनके जोखिमों को कम करने के तरीके तलाशने में, आपदा प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है।

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Disaster Management Essay In Hindi

(आपदा प्रबंधन निबंध हिंदी में)

डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसे सफल बनाने के लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता होती है। लोगों को बढ़-चढ़कर अपना सहयोग प्रदान करना चाहिए, यही सब चीजें आपदा प्रबंधन में सहायता करती है।

आपदा प्रबंधन संस्थान आपदा की रोकथाम, क्षेत्र के पुनर्निर्माण और लोगो के बचाव के लिए कार्य करती है। और साथ ही क्षेत्र के लोगों के लिए विशेष सहायता पहुंचाती है।

कोई भी आपदा मानव के नियंत्रण में नहीं है। इससे निपटने के लिए सरकार के द्वारा दी गई सेवाओं की अपेक्षा लोगों को बहुत प्रयत्न करने पड़ते हैं। आपदा प्रबंधन में सरकार की सहायता करना हर एक व्यक्ति का कर्तव्य है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम को 23 दिसंबर 2005 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा सहमति प्राप्त हुई। आजा प्रबंधन अधिनियम संपूर्ण भारत में फैला हुआ है। इस अधिनियम के अंतर्गत बहुत सारे नए कानून बनाए गए।

डिजास्टर मैनेजमेंट आपदा से पहले, उसके बाद नहीं, बल्कि एक दूसरे के साथ साथ चलती रहती है। यह प्रक्रिया लोगों को अपने सामान्य जीवन स्तर पर लौट आने के लिए पर्याप्त उपाय हैं।

आपदा किसी भी समय किसी भी पल बिना चेतावनी दिए आ सकती है, जिससे कि जन-धन की बहुत हानि होती है। आपदाएं समस्या पैदा करती है, जिससे कि राष्ट्र का विकास बहुत सालों पीछे चला जाता है। इन्हीं परेशानियों को कम करने के लिए, आपदा प्रबंधन की भूमिका सबसे ऊपर है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005

डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट इन हिंदी (The Disaster Management Act, 2005)

डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, 28 नवंबर 2005 को राज्य सभा द्वारा, एवं 23 दिसंबर को लोकसभा द्वारा पारित किया गया। इसे 23 दिसंबर 2005 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा सहमति प्राप्त हुई। आपदा प्रबंधन अधिनियम के 11 अध्याय हैं। यह अधिनियम संपूर्ण भारत में फैला हुआ है। यह एक ऐसा राष्ट्रीय कानून है, जिसका उपयोग सरकार द्वारा किसी आपदा की स्तिथि में उससे निपटने के लिए किया जाता है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धाराएं

आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत निम्न धाराएं लागू की गई हैं:

धारा 51: बाधा डालने के लिए सजा।

इस धारा के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति राज्य सरकार के किसी अधिकारी या कर्मचारी के कार्य में बाधा डालता है या उसके कर्तव्य पालन में बाधा बनता है, तो उसके खिलाफ धारा 51 के तहत कार्यवाही की जाएगी।

कार्यवाही के अंतर्गत दंड के रूप में उस व्यक्ति को 1 साल की सजा या जुर्माना भी हो सकता है।

धारा 52: झूठे दावे करने पर सजा।

यदि कोई व्यक्ति समर्थ है, इसके बावजूद वह राहत, सहायता, मरम्मत या अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए झूठा दावा करता है, जो केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी की ओर से आपदा के परिणामस्वरूप होता है। तो दंड के रूप में उसे 2 साल की सजा या जुर्माना भरना पड़ सकता है।

धारा 53: पैसा,राहत सामग्री का गबन।

आपदा के समय सरकार द्वारा चलाई गई किसी योजना के बीच, यदि कोई कर्मचारी, अधिकारी या सामान्य व्यक्ति पैसों का गबन करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

धारा 54: गलत सूचना के लिए सजा।

आपदा के समय यदि कोई व्यक्ति गलत सूचना का प्रसारण करता है, जिससे लोगों के बीच में भय का माहौल बने एवं अव्यवस्था हो, तो उस व्यक्ति के खिलाफ धारा 54 के तहत कार्यवाही की जाएगी। इसके अंतर्गत दंड के रूप में उस व्यक्ति को 1 साल की सजा और जुर्माना भरना पड़ सकता है।

धारा 55 : सरकारी विभाग द्वारा अपराध।

यदि कोई सरकारी विभाग द्वारा, कोई अपराध सामने आता है, तो उस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ धारा 55 के तहत कार्यवाही की जाएगी।

धारा 56 : ड्यूटी में अधिकारी की विफलता।

यदि कोई शासकीय अधिकारी अपने कर्तव्य को पूरा नहीं करता है, या सेवा देने से बचता है, तो उसके खिलाफ धारा 56 के तहत सख्त कार्यवाही की जाएगी।

धारा 57: सेवा ना देने का जुर्म।

यदि सरकार को आपदा के समय किसी व्यक्ति के संसाधन की आवश्यकता हो और यदि वह व्यक्ति सेवा देने से इनकार करता है तो उस व्यक्ति को धारा 57 के तहत एक साल की सजा और जुर्माना भी लग सकता है।

धारा 58: कंपनी द्वारा कानून के उल्लंघन के लिए सजा।

यदि कोई कंपनी सरकार द्वारा पारित आदेशों एवं नियमों का उल्लंघन करती है, एवं उलंघन के समय उपस्थित उस कंपनी के सभी कर्मचारियों पर धारा 58 के तहत सख्त कार्यवाही की जाएगी।

धारा 59: अभियोजना के लिए पूर्व मंजूरी।

सेक्शन या धारा 55 और 56 के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी विभाग के अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना चाहता है, तो उसे धारा 59 के तहत सरकार की मंजूरी लेनी होगी।

धारा 60: अपराधों का संज्ञान।

इसके अंतर्गत कोई कोर्ट आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे का संज्ञान तभी लेगा जब वह मुकदमा सरकार या प्रशासन के द्वारा दर्ज कराया गया हो।

जैसा कि हम सभी जानते है कि, आपदा एक अपेक्षित घटना है। यह ऐसी ताकतों द्वारा घटित होती है, जो मानव के नियंत्रण में नहीं है। इससे निपटने के लिए हमें सामान्यतः दी जाने वाली आपातकालीन सेवाओं की अपेक्षा अधिक प्रयत्न करने पड़ते हैं।

लंबे समय तक आपदाओं को प्राकृतिक वनों का परिणाम माना जाता है, और मानव को इसका असहाय शिकार। परंतु प्राकृतिक बल ही आपदाओं का एकमात्र कारण नहीं है। आपदाओं की उत्पत्ति का संबंध मानव कार्यों से भी है। कुछ मानवीय गतिविधियां तो सीधे रुप से इन आपदाओं के लिए उत्तरदाई है जैसे – भोपाल गैस त्रासदी, युद्ध, क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी जहरीली गैस वायुमंडल में छोड़ना।

ध्वनि, वायु, जल, मिट्टी, संबंधी पर्यावरणीय प्रदूषण कुछ मानवीय गतिविधियां सीधे रुप से आपदाओं को बढ़ावा देती है, जैसे वनों के विनाश से भूस्खलन और बाढ़। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्रयत्न भी किए गए परंतु सफलता नाम मात्र ही हाथ लगी परंतु इस मानव निर्मित आपदाओं में से कुछ का निवारण संभव है।

इसके विपरीत प्राकृतिक आपदाओं पर रोक लगाने की संभावना बहुत कम है। इसलिए सबसे अच्छा तरीका है इनके प्रभाव को कम करना और इनका प्रबंध करना।

आपदा प्रबंध के मुख्य चरण एवं उद्देश्य।

पहले से तैयारी- इसके अंतर्गत समुदाय को आपदा के प्रभाव से निपटने के लिए पहले से तैय करने के लिए कार्य करना, जैसे कि

  • समुदायिक जागरूकता और शिक्षा।
  • समुदाय स्कूल, व्यक्ति के लिए आपदा प्रबंधन की योजनाएं तैयार करना।
  • प्रशिक्षण अभ्यास।
  • आवश्यक सामग्री।
  • चेतावनी प्रणाली।
  • पारस्परिक सहायता व्यवस्था।

राहत एवं जवाबी कार्यवाही – आपदा से पहले, आपदा के दौरान, और आपदा के तुरंत बाद किए गए ऐसे उपाय, जिनसे यह सुनिश्चित हो सके कि आपदा के प्रभाव कम से कम हो। इसके अंतर्गत आवश्यक बातें हैं।

  • आपदा प्रबंधन योजना को कार्य रूप देना।
  • संसाधन जुटाना।
  • रहने के लिए अस्थाई व्यवस्था करना।
  • बचाव दलों की तैनात करना।
  • प्रभावित क्षेत्रों को ढूंढ कर बचाव करने के लिए दल भेजना।
  • आश्रय और टॉयलेट की व्यवस्था करना।

सामान्य जीवन स्तर पर लौटना – ऐसे उपाय जो कि भौतिक आधारभूत सुविधाओं के फिर से निर्माण तथा आर्थिक एवं भावनात्मक कल्याण की प्राप्त में सहायता हो, जैसे-

  • लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों की जानकारी देना।
  • जिनके परिजन बिछड़ गया उन्हें दिलासा देने के कार्यक्रम।
  • अनिवार्य सेवा- सड़कों, संचार संबंधों की पुनः शुरुआत।
  • आश्रय आवास सुलभ कराना।
  • आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना।
  • रोजगार के अवसर ढूंढना।
  • नए भवनों का पुनर्निर्माण करना।

रोकथाम और दुष्प्रभाव को कम करने के लिए योजना – आपदाओं की गंभीरता तथा उनके रोकथाम के उपाय।

  • भूमि उपयोग की योजना तैयार करना।
  • आपदा घटने से भी पहले जोखिम को कम करने के तरीके तलाशना।

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आपदा प्रबंधन संस्थान

भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की स्थापना सर्वप्रथम 1993 में ब्राजील के रियोड़ीजेनिरो में भू शिखर सम्मेलन और मई 1994 में जापान के याकोहोमा मैं संगठित आदि प्रयास प्रमुख है।

भारत में दैनिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए एनडीआरएफ का गठन किया गया। तथा सरकार ने आपदा क्षेत्र में कार्य करने के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट की भी स्थापना की, साथ ही मौसम की सही जानकारी के लिए दूर संबंधी उपग्रहों को भी विकसित किया है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत स्थापित आपदा प्रबंधन संस्थानों को नीतियों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारियां सौंपी गई। आपदा प्रबंधन संस्थानों का उद्देश्य, आपदा से ग्रसित क्षेत्र एवं समुदाय की सुरक्षा एवं उन्हें आवश्यक सहायता पहुंचाना है।

डिजास्टर मैनेजमेंट संस्थान आपदा की रोकथाम उनके दुष्प्रभाव को कम करने, और फिर से क्षेत्र के पुनर्निर्माण तथा सामान्य जीवन स्तर पर लौटने के लिए कार्य करती है, और साथ ही क्षेत्र के लोगों को विशेष सहायता पहुंचाने के लिए अग्रसर होती है।

यह संस्थाएं आपदा से पहले और इसके बाद ही नहीं बल्कि एक दूसरे के साथ समांतर रूप से चलती रहती है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत संस्थानों द्वारा किए जाने वाले कार्य।

  • आपदा प्रबंधन में विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
  • तकनीकी मीडिया की सहायता से आपदा क्षेत्र की मौजूदा परिस्थितियों की सूचनाओं से देश को अवगत कराना।
  • सभी शिक्षण संस्थाओं जिसे स्कूलों कॉलेजों एवं तकनीकी संस्थानों के लोगों को जागरूक करना।
  • आपदा प्रबंधन के सभी पहलुओं को समझ कर विकास योजना बनाकर लागू करना।
  • किताबों एवं लेख द्वारा बच्चों के पाठ्यक्रम में आपदा से संबंधित विशेष जानकारियों से अवगत कराना।
  • राज्य स्तरीय नियमों एवं विकास योजना में आगे बढ़कर योगदान करना एवं संस्थानों को विशेष सहायता प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्माणों में सहायता प्रदान करना।

दोस्तों हमें उम्मीद है, आपको हमारा “आपदा प्रबंधन पर निबंध”, Disaster Management in Hindi, और Aapda Prabandhan Project File in Hindi से जुडी हर जानकारी का ब्लॉग जरूर पसंद आया होगा। हमें आशा है कि आपको Aapda Prabandhan से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियां प्राप्त हो चुकी होंगी। यदि आपको हमारा ब्लॉग अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, एवं कमेंट कर हमें अपने विचार जरूर बताएं।

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जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय – Jaishankar Prasad की रचनाएं।

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आपदा प्रबंधन पर निबंध (Disaster Management Essay In Hindi)

आपदा प्रबंधन पर निबंध (Disaster Management Essay In Hindi)

आज   हम आपदा प्रबंधन पर निबंध (Essay On Disaster Management In Hindi) लिखेंगे। आपदा प्रबंधन पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

आपदा प्रबंधन पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Disaster Management In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

मनुष्य ने औद्योगीकरण के कारण पर्यावरण को क्षति पहुंचाई है। मनुष्य ने तीव्र गति से उन्नति की लेकिन प्रकृति का संतुलन उसकी वजह से बिगड़ता जा रहा है। हर साल पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएं आती है।

भूकंप, सुनामी, तूफ़ान, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाएं पृथ्वी पर कहर डाल देती है। बाढ़, भूकंप, सुनामी की वजह से जान माल का भारी नुक़सान होता है। प्राकृतिक आपदाएं अक्सर पृथ्वी पर घटित होती रहती है।

इन सबसे बचने के लिए भारत सरकार द्वारा ज़रूरी उपाय किये जाते है। भारत सरकार द्वारा विशेष फोर्सेज का निर्माण किया जाता है। यह फोर्सेज आपदाओं में फंसे लोगो की सहायता करती है। इसे आपदा प्रबंधन कहते है।

प्राकृतिक आपदाएं

प्राकृतिक आपदाओं की वजह से पूल टूट जाते है और कई लोगों के घर उजर जाते है। कई लोग अपनी जान गवा देते है। मनुष्य ने तरक्की कर ली मगर प्रदूषण की मात्रा पृथ्वी पर बढ़ती चली जा रही है।

बड़े बड़े शहरों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती चली जा रही है। कई बार सचेत करने के बावजूद भी कई लोग प्रदूषण की परेशानी को गंभीरता से नहीं ले रहे है। प्रदूषण ने ही प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता दिया है। प्राकृतिक विपदाओं के कारण जीव जंतुओं को भी नुक़सान पहुँचता है।

भयावह नुकसान

प्राकृतिक आपदाओं की वजह से समस्त प्राणियों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक आपदाओं का बुरा असर मासूम जीव जंतुओं पर भी पड़ता है। प्रकृति में पेड़, पौधे, फूल इत्यादि चीज़ें ना केवल प्रकृति की शोभा बढ़ाते है, बल्कि प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखने में सहायता करते है।

मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति की और कई क्षेत्र में अच्छे बदलाव भी लाये। परन्तु प्रलय का डर उसे सताता है। प्रलय एक पल में सब कुछ समाप्त करके चला जाता है। प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हर वर्ष कई लोगो का घर उजर जाता है।

प्राकृतिक आपदाओं का कारण

प्राकृतिक आपदाओं की वजह मनुष्य खुद है। जिस प्रकार वायुमंडल में हानिकारक गैस सम्मिलित हो रही है, पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला जा रहा है। इसे ग्लोबल वार्मिंग अर्थात भूमंडलीय ऊष्मीकरण कहा जा सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए जो गैस जिम्मेदार है, उनके नाम है कार्बन, हीलियम, मीथेन इत्यादि। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसमो में परिवर्तन भी देखा गया है। ग्लेशियर के बर्फ तापमान वृद्धि की वजह से पिघल रहे है। इससे जल स्तर बढ़ रहा है।

जल स्तर बढ़ने के वजह से बाढ़ जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। प्रकृति के समक्ष कोई भी इंसान कुछ नहीं कर सकता है। मनुष्य ने स्वयं जंगलो को काटा, ताकि वह बड़े मकान बना सके। यहां तक की नदियों और वायु को प्रदूषित तक कर दिया। इसका खामियाजा तो मनुष्य को भुगतना ही पड़ेगा।

अपने लाभ के लिए मनुष्य प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। मनुष्य खुद प्रकृति को दूषित करता है। सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह इन सब गतिविधियों पर अंकुश लगाए, जिससे प्रदूषण फैल रहा है।

भूकंप की घटनाएं

भूकंप ने कई देशो, राज्यों, गाँवों में तबाही मचाई है। भूकंप की वजह से घर, दफ्तर, सड़क सभी तबाह हो जाते है। कई लोग अपनी जान गवा देते है। भूकंप की वजह से कई शहर धूल में मिल जाते है।

बड़ी दर्दनाक घटनाएं जन्म लेती है, जिसे सालो साल भुलाया नहीं जा सकता है। इसलिए आपदा प्रबंधन बहुत आवश्यक है। कभी कभी अचानक जंगलो में आग लग जाती है, जिसकी वजह से ना केवल पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है, बल्कि कई जीव जंतु भी मारे जाते है। प्राकृतिक आपदाओं को रोकने का प्रयास सरकार कर रही है।

कुछ अनियंत्रित घटनाएं

कुछ प्राकृतिक आपदाओं पर मनुष्य का ज़ोर नहीं चलता है। अभी तक ऐसा कोई यन्त्र नहीं है, जो आने वाले प्राकृतिक विपदाओं के बारे में बता सके। कुछ प्राकृतिक विपदाएं  अचनाक घट जाती है, जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप का आना इत्यादि।

ऐसे आपदाओं को आकस्मिक आपदाएं कहा जाता है। कुछ अनियंत्रित घटनाएं जिसके बारे में पता लगा सकते है, जिससे नुकसान ना हो। ऐसे घटनाओ का पता मौसम विभाग लगा सकता है, जैसे अकाल और कृषि से जुड़ी कुछ समस्याएं।

आपदाओं से भारी हानि

प्राकृतिक आपदाओं की वजह से आर्थिक नुकसान देशो और राज्यों को झेलना पड़ता है। जब सब कुछ नष्ट हो जाता है, तो लोगो को उस स्थिति से उभरने में वक़्त लगता है। आपदाओं के वजह से सड़को का नुकसान, पूल का टूटना, घर गिर जाना जैसे बड़े नुकसान होते है और मनुष्यो की जिन्दगी भी समाप्त हो जाती है।

आपदा प्रबंधन

आपदाओं को रोकने के लिए कई कोशिशे की जा रही है और नए उपाय भी सरकार द्वारा किये जा रहे है। इसे आपदा प्रबंधन कहते है। साल २००५ में सरकार द्वारा अधिनियम जारी किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य था, प्राकृतिक आपदाओं से हो रहे विनाश से लोगो को बचाना।

आपदाओं को रोकने के लिए सरकार ने कुछ फोर्सेज का गठन किया। NCC, NDRF जैसे फोर्सेज प्राकृतिक आपदाओं में लोगो की सहायता करते है। लोगो को प्राकृतिक आपदाओं के विषय में जानकारी होनी चाहिए। लोगो को आपदाओं के विषय में अवगत कराने के लिए आपदा प्रबंधन के विषय में जानना ज़रूरी है। सरकार को आपदाओं पर नियंत्रण करने के लिए ज़रूरी नियम बनाने चाहिए।

आपदा प्रबंधन बहुत ही ज़रूरी है। प्रकृति और पर्यावरण को सहज कर रखना ज़रूरी है। प्रकृति को प्रदूषित नहीं करना चाहिए। ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए, जिससे प्राकृतिक संतुलन पर असर पड़े।

सरकार अपनी तरफ से प्रयास कर रही है और हमे भी इस मामले में सरकार को योगदान देना चाहिए। आपदा प्रबंधन ज़रूरी है। सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। उम्मीद है आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा।

इन्हे भी पढ़े :-

  • सूखा पर निबंध (Drought Essay In Hindi)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environment Pollution Essay In Hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान) पर निबंध (Global Warming Essay In Hindi)

तो यह था आपदा प्रबंधन   पर निबंध (Disaster Management Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि आपदा प्रबंधन  पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Disaster Management) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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प्राकृतिक आपदा पर निबंध- Essay on Disaster Management in Hindi

In this article, we are providing information about Disaster Management in Hindi- Essay on Disaster Management in Hindi Language. प्राकृतिक आपदा पर निबंध- Aapda Prabandhan Essay in Hindi.

प्राकृतिक आपदा पर निबंध- Essay on Disaster Management in Hindi

पृथ्वी में भौतिक और रासायनिक तत्वों में बदलाव होने के कारण बहुत सी आपदाएँ आती है। भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी फटने आदि जैसी बहुत सी आपदाएँ है जिससे जान और माल की हानि होती है। इन घटनाओं का पहले अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है लेकिन बहुत सी सावधानी बरत कर इनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। आपदा प्रबंधन का अर्थ है आपदा से निपटने का तरीका निकालना। आपदा प्रबंधन के अंतर्गत आपदा की चेतावनी से लेकर उसके आने से पहले की तैयारी और आपदा आने के पश्चात लोगों को आवास स्थान और खान पान आदि उपलब्ध कराना आता है।

आपदा प्रबंधन का सबसे पहला चरण खतरे की पहचान करना है। उसके बाद आने वाले खतरे को कम करना आता है और लोगों तक चेतावनी देकर उन्हें सजग करना होता है। आपदा का प्रबंध करने के लिए अलग अलग स्तर पर आपदा प्रबंधक के संगठन बनाए गए है। केंद्रीय स्तर पर , राज्य स्तर पर और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधक बनाए गए है। आपदा प्रबंधन के सबसे मुख्य स्त्रोत संचार के माध्यम है। लोग भी आपदा प्रबंधन में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। लोगों को संचार माध्यम से जुड़े रहना चाहिए और आने वाली आपदाओं के बारे में सजग रहना चाहिए। भूकंप आने पर लोगों तो घरों से बाहर निकल जाना चाहिए और घरों को खाली कर देना चाहिए।

बहुत सी आपदा जासे कि बाढ़ आदि के समय भी लोगों को बदलती जलवायु का ध्यान रखना चाहिए और आने वाली परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। लोगों को आपदा के प्रबंध में प्राथमिक चिकित्सा का प्रबंध करके रखना चाहिए। आपदा प्रबंधन के अंतर्गत लोग खतरे वाले क्षेत्रों का अध्ययन करते हैं और वहाँ पर सुरक्षा का इंतजाम करते हैं जिसे कि आपदा से पुर्ण कालिक प्रबंध कहते हैं। जब कोई क्षेत्र दुर्घटना ग्रस्त हो जाता है तो वहाँ पर दोबारा से जीवन वहीं के लोगों को बसाना होता है। पीड़ा ग्रस्त क्षेत्र के लोगों को आवास स्थान और खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराना आपदा प्रबंधन के लोगो का प्रमुख कार्य है। लोगों को बदलती जलवायु से भी आने वाली आपदा का पता लगा लेना चाहिए। लोगों को खुद से भी आपदा के प्रबंध करके रखने चाहिए। संचार माध्यम से आपदा का पता लगते ही सभी आस पड़ोस के लोगों को जागरूक कर देना चाहिए। सरकार द्वारा बनाई गई आपदा प्रबंधन समीति के साथ साथ लोगों को भी ध्यान देना चाहिए। बच्चों को घर और स्कूल में आपदा के समय किए जाने वाले जरूरी प्रबंधो के विषय में बताया जाना चाहिए।

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  • निबंध ( Hindi Essay)

essay of disaster management hindi

Essay on Disaster Management in Hindi

हमारा पर्यावरण बहुत ही सुंदर प्रकृति से घिरा हुआ है। प्राकृतिक संसाधनों में ऐसे कई सारे जीव जंतु, नदी, पहाड़, जंगल आदि है जो बहुत ही आकर्षक लगते है। प्राकृतिक के अनेक रूप होते हैं जिसमें से एक बहुत ही अच्छा तो दूसरा बहुत ही भयावह हो सकता है। प्रकृति को हम हमेशा सुंदर और शांति में देखते हैं जो कि लोगों को बहुत ही पसंद आता है परंतु अगर यही प्राकृतिक अपना भयानक रूप दिखा दे तो उसे आपदा का नाम दे दिया जाता है। प्रकृति (Essay on Disaster Management in Hindi) केवल शांत और सुंदर होती है धरती पर मनुष्य के अनेक क्रियाओं के कारण प्रकृति उथल-पुथल हो जाती है जो हमारे पर्यावरण में एक भयानक रूप लेकर प्रस्तुत करती है। मनुष्य ने बहुत ही कम समय में प्रकृति का आक्रामक रूप देखा होगा, क्योंकि अक्सर प्राकृतिक अपना सुंदर स्वरूप ही दूसरे को दिखाती है। हमारी पर्यावरण की इस भयावह तबाही को ही आपदा कहां जाता है।

Table of Contents

आपदा की परिभाषा :-

आमतौर पर हम आपदा वह स्थिति है जिसका परिणाम बहुत ही भयानक और क्षति दायक होता है। इसके द्वारा मृत्यु और इसके जैसी कई सारी गंभीर कठिनाइयां आने लगती है। आपदा में लोग बहुत ही असहाय हो जाते हैं इससे बचने के लिए कई सारे उपाय किए जाने लगते है। आपदा किसी भी क्षेत्र में आए हुए भयानक स्थिति को भी कह सकते हैं जिसमें मृत्यु और अनेक घटनाओं का सामना करना पड़े। इंग्लिश में हम आपदा को डिजास्टर कहते हैं यह शब्द फ्रेंच की एक शब्द “डिस्ट्रेस्ड” से लिया गया है। ज्योतिषि के माने तो आपदा शब्द का अर्थ ग्रहों की बुरी स्थिति को माना जाता है ।

आपदा के प्रकार:-

मुख्य रूप से आपदाओं को दो रूप में वर्गीकृत किया गया है:-

प्राकृतिक आपदा:-

प्राकृतिक आपदा हम उसे कह सकते हैं जो प्रकृति में हुए हैं और भयानक रूप को दर्शाता है। यह आपदा पृथ्वी में प्राकृतिक क्रियाओं से उत्पन्न होती है। प्राकृतिक आपदा से प्रकृति में रह रहे जीव व पेड़ पौधों को बहुत ही गंदा नुकसान झेलना पड़ता है। प्राकृतिक आपदा जैसी बाढ़, सुनामी, भूकंप, चक्रवात, अकाल आदि हो सकते है। प्राकृतिक आपदा सबसे ज्यादा मनुष्य के लिए खराब होती है जब आती है तो पूरी तरीके से हमारे वातावरण को प्रभावित करती है। प्राकृतिक आपदा (Essay on Disaster Management in Hindi) मनुष्यो के कार्य से ही होता है मनुष्यो द्वारा किया जाने वाला कार्य जो पर्यावरण के विपरीत होता है उससे आपदा आने की संभावना बढ़ जाती है।

मानव निर्मित आपदा:-

मानव द्वारा निर्मित आपदाएं ही मानव आपदा कहलाती है इसका अर्थ होता है मानव द्वारा कोई भी ऐसा कार्य करना जिससे दुर्घटना या मृत्यु जैसे मामले सामने आए। आग लगना, वाहन दुर्घटना, परमाणु विस्फोट, आतंकवादी हमले, नक्सली हमले आदि जैसे सभी कार्य मानव आपदा में ही आता है। मानव आपदा से प्रकृति पर भी प्रभाव पड़ता है।

ऐसे ही आपदाएं मनुष्य के जीवन में आती रहती है परंतु इसका निवारण करना उन्हीं के हाथ में है अगर कोई भी गलत कार्य किया गया तो इससे अनेक सारी आपदाएं खड़ी हो सकती है। आपदाओं से निजात पाने के लिए कई सारे कार्य किए जाते हैं जिसका पालन करना नागरिकों का कर्तव्य है।

भारत में आपदा :-

पृथ्वी पर कोई भी देश आपदाओं से सुरक्षित नहीं रहा है और इसके साथ ही भारत देश में भी आपदाएं आती जाती रहती है। आपदा आने से देश की भौगोलिक स्थिति पूरी तरीके से खराब हो जाती है। भारत में मनुष्य कार्य के कारण जलवायु परिवर्तन होता रहता है जिसके कारण पर्यावरण पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। भारत देश में हर साल भूकंप चक्रवात जैसी बड़ी बड़ी आपदा देखी जाती है जिसके कारण मनुष्य को बहुत ही ज्यादा कठिनाइयां झेलनी पड़ती है। इसके साथ ही सूखापन और आंधी (Essay on Disaster Management in Hindi) जैसी आपदाओं का सामना भी भारत में हर साल झेलना पड़ता है। भारत में आपदाएं हर साल आती रहती हैं और कम होने का नाम ही नहीं लेती। आपदाएं आने से पहले मौसम विभाग वाले मनुष्य को पहले से ही सावधान कर देते हैं जिससे वह भविष्य के लिए इंतजाम कर सके। आपदा आने का कारण भारत का जलवायु होता है जिसके बदलने से पृथ्वी का तापमान में भी उतार-चढ़ाव बना रहता है।

भारत में तमिलनाडु और केरला एक ऐसा राज्य है जहां पर हाल ही में बाढ़ और चक्रवात जैसी बड़ी घटना देखी गई। यहां लोगों को खाने पीने की भी परेशानियां हो गई थी। यह आपदाओं से निजात पाने के लिए आपदा प्रबंधन कराया गया।

आपदा प्रबंधन:-

आपदाओं के सभी दुष्प्रभाव को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन किया जाता है। आपातकाल में जो भी माननीय जरूरत होती है वह सब उनके द्वारा ही प्रबंध किया जाता है। हर एक संस्था और संगठन एक साथ मिलकर आपदा प्रबंधक करती है। भारत की सरकार ने आपदा से घिरे हुए क्षेत्रो के लिए बहुत सारे संसाथाओ को बनाया है। लोगों को आपदाओं से निपटने के लिए मदद करने वाले संगठन कुछ इस प्रकार हैं:-

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण – NDMA
  • नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर – NRSC
  • इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – ICMR
  • केंद्रीय जल आयोग- CWC

राज्य और केंद्रीय सरकार के बीच में संपर्क धीरे रहने से संसाधनों में कमी रह जाती है परंतु सरकार इसकी व्यवस्था जल्द से जल्द करवा देती है।

हर साल आपदाएं हमारे सामने आ ही जाती हैं इसे कभी भी निजात नहीं पाया जा सकता परंतु इसके लिए पहले से तैयार हम हो सकते है। आपदाओं से बचने के लिए हमें पहले से ही सभी प्रबंध कर लेनी चाहिए और मौसम विभाग वालों से प्राकृतिक आपदा के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। आपदा प्रबंधन (Essay on Disaster Management in Hindi) को करने के लिए सरकार ने कई सारे संस्थाएं बनाई है जो कि हर एक क्षेत्रो में काम करती है। लोगों को मानक प्रबंधन और आपदा प्रबंधन दोनों के परिणामों से जागरूक होने की आवश्यकता है जिससे वह हमारे पर्यावरण को बचा सकेंगे।

1.प्रश्न:- आपदा क्या है?

उत्तर:- आमतौर पर आपदा वह स्थिति है जिसका परिणाम बहुत ही भयानक और क्षति दायक होता है। इसके द्वारा मृत्यु और इसके जैसी कई सारी गंभीर कठिनाइयां आने लगती है।

2.प्रश्न:- आपदा के दो प्रकार क्या है?

उत्तर:- मुख्य रूप से आपदाओं को दो रूप में वर्गीकृत किया गया है:-

  • प्राकृतिक आपदा
  • मानव निर्मित आपदा

3. प्रश्न:- प्राकृतिक आपदा क्या होती है?

उत्तर:-   प्राकृतिक आपदा हम उसे कह सकते हैं जो प्रकृति में हुए हैं भयानक रूप को दर्शाता है। यह आपदा पृथ्वी में प्राकृतिक क्रियाओं से उत्पन्न होती है।

4.प्रश्न :- प्राकृतिक आपदा के मुख्य उदाहरण क्या है?

उत्तर:- प्राकृतिक आपदा जैसी बाढ़, सुनामी, भूकंप, चक्रवात, अकाल आदि होती है।

5.प्रश्न:- आपदा प्रबंधन क्या है?

उत्तर:- आपदाओं के सभी दुष्प्रभाव को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन किया जाता है। आपातकाल में जो भी माननीय जरूरत होती है वह सब उनके द्वारा ही प्रबंध किया जाता है। हर एक संस्था और संगठन एक साथ मिलकर आपदा प्रबंधक बनती है।

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आपदा प्रबंधन पर निबंध disaster management essay in hindi.

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Disaster Management Essay in Hindi

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Disaster Management Essay in Hindi 250 Words

प्राकृतिक आपदा, पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न एक बड़ी घटना है। प्रकृति के मूल गुणों में बाधा उत्पन्न करने की वजह से प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, भूकंप, भारी बारिश, बादल फटने, बिजली, भूस्खलन जैसी घटनाओं के रूपों में आती है। यह जीवन और संपत्ति के एक बड़े नुकसान का कारण बनती है। ऐसी आपदाओं के दोरीन अपना जीवन खो देने वालों की संख्या से कहीं अधिक संख्या ऐसे लोगों की होती है जो बेघर और अनाथ होने के बाद जीवन का सामना करते है।

प्राकृतिक आपदा मानवीय जीवन एवं संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ ही पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचाता है। यहाँ तक कि शांति और अर्थव्यवस्था भी प्राकृतिक आपदा से बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है। ये आपदाएँ अचानक आकर कुछ पलों में सब कुछ स्वाहा कर देती है। मनुष्य जब तक कुछ समझ पाता है, तब तक यह आपदा उसका सब कुछ तबाह कर चुकी होती है। इन आपदाओं से बचने के लिए ना ही उसके पास कोई कारगर उपाय है और न ही कोई कारगर यंत्र।

यह सत्य है कि हम इसे रोक नहीं सकते लेकिन कुछ तैयारी करके हम जीवन और संपत्ति की नुकसान की भयावहता को कुछ कम कर सकते है। “ग्लोबल वार्मिंग” जो सभी समस्याओं की जड़ है, सबसे पहले हमें उस को कम करना चाहिए। ऐसी किसी भी आपदा के पश्चात पैसे की पर्याप्तता हमारे जीवन के पुनर्निर्माण में मुख्य भूमिका निभा सकती है। इसके लिए आवश्यक रूप से बीमा पॉलिसियां होनी चाहिए।

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आपदा प्रबंधन पर निबंध

Essay on Disaster Management in Hindi: नमस्कार दोस्तों, यहाँ पर आपदा प्रबंधन पर निबंध शेयर कर रहे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Essay on Disaster Management in Hindi

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आपदा प्रबंधन पर निबंध | Essay on Disaster Management in Hindi

आपदा प्रबंधन पर निबंध (200 शब्द).

जिस प्रकार से पूरी दुनिया में तेजी से विकास हो रहा है, उसके पीछे प्रकृति हानि एवं मानवीय हानि भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। यह पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है। हर रोज एक नई खबर सुनने को मिलती है। प्रकृति घटना जैसे कंही सूखा पड़ जाना, जंगल में भीषण आग लग जाना, बाढ़ आना, कहीं-कहीं तो ज्यादा बारिश होना और कंही बिलकुल न होना एवं चक्रवात आना आदि घटनाएँ दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

प्रकृति आपदा के कारण पुल टूटना, पेड़ गिरना, घर टूट जाना इत्यादि घटनाये सामने आती है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा है, इसके पीछे मानव द्वारा किये गए कार्य से प्रकृति को नुक्सान भी एकमात्र कारण है। जिसका खाम याजा पृथ्वी के समस्त जीव जन्तुओ को भोगना पड़ रहा है। एक तरफ जनसंख्या की तीव्र वृद्धि की वजह पर्यावरण पर काफी ज्यादा दबाव पड़ रहा है। आपदा प्रबंधन, आपदा से होने वाले घटनाओं को कम करने का एक निरंतर प्रयास है।

आपदा प्रबंधन पर निबंध (850 शब्द)

प्रकृति ने पृथ्वी बहुत ही मनमोहक चीज बनायीं है सुन्दर पेड़, फूल, पत्ते, नदियाँ, झरने ऐसे कई सारे चीजे बनायीं है। जिसे लिखने लग जायें तो शायद लिखने के लिए जगह कम पड़ जायेगी। प्रकृति की कई स्वरुप हैं – कभी सौम्यता के रूप में व्यवहार करती है, कभी शत्रुतापूर्ण। इसी को लोग कभी सुख के रूप में भोगते है तो कभी क्रूरता के रूप में।

जैसा कि हम लोग जानते है की विश्व में आर्थिक, सामाजिक एवं अनेक परिवर्तन हुए है जिससे लोग पहले से सुखी महसूस कर रहे है। लेकिन पर्यावरण आपदा का डर हमेशा उसके दिमाग में बना रहता है। क्योंकि यह मानव जीवन को पल भर में अस्त व्यस्त कर देता है। यंहा तक की जान और माल दोनों को खतरा रहता है।

आपदा के प्रकार

आपदा जो सामान्यतः पृथ्वी पर समस्त जीवों को हानि पहुंचाती है। ये निम्नलिखित प्रकार की होती है:

प्राकृतिक आपदाएँ

मानवजनित आपदाएँ.

प्राकृतिक आपदा जो प्रकृति द्वारा, पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवों को क्षति पहुंचती है। जैसे बाढ़ आने से लोगों की फसल का नुकसान, वहां के जीव जन्तुओं की जान का खतरा रहता है। जिस तरह विकास हो रहा है हर जगह नया-नया कंस्ट्रक्शन हो रहा है, जिससे कई प्रकार की प्रदूषित गैस (कार्बन, हीलियम, मीथेन इत्यादि) निकलती है और यह हमारे वायुमंडल में जाकर एक दीवार सा बना देती है, जिससे पृथ्वी का तापमान दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।

पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी छोर पर बर्फ तेजी से पिघल रही है। इसी के कारण है पानी का स्तर ऊपर उठ रहा है, जिससे बाढ़ आ रही है और समस्त जीवों को हानि हो रही है। प्राकृतिक आपदा के कुछ और भी उदाहरण है भूसंख्लन होना, जंगलो में भयानक आग लगना, सड़कों का बुरी तरह से टूट जाना।

मानवजनित आपदा, ऐसी आपदा जिसका जिम्मेदार मानव खुद होता है। आज के समय में आदमी अपने लाभ के लिए यह नहीं देखता कि इससे प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा रहा है। वह स्वयं का लाभ देखता है, जिसके कारण सारी जीव जन्तुओं और वस्तुओं को नुकसान पहुँचता है।

आदमी अपने लाभ के लिए पेड़ काटना, अवैधानिक तरीके से खुदाई करना, नदियों और समुद्रों में प्रदूषण फैलाना (जिससे उसमें रहने वाले जंतु मछली, कछुआ आदि को नुकसान पहुंचाता है) इत्यादि कार्य करता है। देश की अलग-अलग सरकार को इसके बारे में सोचना होगा, जो कुछ मानव के हाथ में है, उसे तो वह रोक ही सकता है। बाकी प्रकृति के आगे तो कोई कुछ नहीं कर सकता।

आकस्मिक आपदा

यह ऐसी आपदा होती है, जिसमें मानव कुछ कर नहीं सकता, यह अकस्मात् हो जाती है। जिसके बारे में कोई नहीं जानता और न अभी तक इसे जानने के लिए किसी प्रकार का यंत्र है तथा वैज्ञानिकों के लिए इस प्रकार का बना पाना असंभव सा है। ऐसी कुछ घटनाएँ जैसे ज्वालामुखी बिस्फोट, बदल फटना, हिम आना, भूकंप आना है।

अनाकस्मिक आपदा

ऐसी घटनाएँ जिसके बारे में मानव कुछ अनुमान पहले से लगा ले और उससे होने वाले नुकसान से बच सके। परन्तु यह भी कुछ निम्न स्तर तक सीमित है। ऐसी कुछ घटनाएं जैसे मौसम एवं जलवायु के विषय में पहले से ज्ञात होना, अकाल, मरुस्थलीकरण और कृषि में कुछ कीड़ों से हानि जैसे समस्याओं का समाधान वैज्ञानिक कर सकते है। यह सब अनाकस्मिक आपदा से सम्बंधित है।

आपदा से होने वाली हानि

आपदा से होनी वाली निम्नलिखित हानि जैसे आर्थिक हानि, जन हानि होती है। आर्थिक हानि में लोगो घर, फसल तथा उनकी उपयोग की जाने वाली चीजे बर्बाद हो जाती है। लोगों को उन्हें फिर से इकट्ठा करने में उतना समय लगता है, जिससे उनके दैनिक जीवन में काफी बार उतर चढ़ाव आता है तथा दूसरी तरफ जन हानि में लोगों एवं उनके द्वारा पाले गए पालतू जानवरों के जान जाने का खतरा बना रहता है।

आपदा प्रबंधन क्या है?

पृथ्वी के किसी भी कोने में प्रायः सूनामी, चक्रवात की घटना, भूकंप आदि घटनाएँ घटित होती रहती है। इन्हीं से बचने के उपाय को ही आपदा प्रबंधन कहते है। इसके लिए भारत सरकार ने 2005 में एक अधिनियम लेकर आयी जो प्राकृतिक आपदा से हुए छति से बचाव करना।

भारत सरकार ने इसके लिए कुछ स्पेशल फोर्सेज का गठन भी किया जैसे ICMR (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट), NCC (नेशनल कैडेट कोर) एवं NDRF (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट रिस्पांस फ़ोर्स) है और ये फोर्सेज जब कभी प्राकृतिक आपदा आती है तो अपना पूरा सहयोग प्रदान करती है। आपदा प्रबंधन के निम्लिखित चरण है:

  • लोगों को ज्यादा से ज्यादा इसके बारे में जागरूक व शिक्षित किया जाये।
  • दूर संचार के माध्यम से अवगत कराया जायें, जितना ज्यादा हो सके सरकार इसके बारे में लोगों को बताएं।
  • राज्य स्तर पर, राज्य सरकार को इसके बारे में समझकर तत्पश्चात नियम बनाना चाहिए तथा केंद्र सरकार को इसके बारे में पुष्टि करनी चाहिए।
  • छोटे-छोटे को किताबों माध्यम से समझाने का प्रयास किया जायें आदि कई सारे चरण है, जिनका प्रयोग करके सरकार कुछ निजात पा सकती है, आपदा से।

देश के हर एक नागरिक एवं सरकार की जिम्मेदारी है कि पर्यावरण को कम से कम नुक्सान पहुंचाया जाए। प्राकृतिक आपदा को देखते हुए ऐसा काम न करें जो स्वयं के हित में हो, परन्तु जिसके लिए संसार के सारे जीव-जन्तुओं को इसका परिणाम भोगना पड़े।

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Rahul Singh Tanwar

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आपदाओं और आपदा प्रबंधन के उपाय | Disasters Management Measures in Hindi

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आपदा प्रबन्धन कई स्तर पर होते हैं

केन्द्रीय स्तर पर आपदा प्रबन्धन - उच्च अधिकार प्राप्त समिति (एच.पी.सी.) ने राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक एवं प्रभावी आपदा प्रबन्धन व्यवस्था व आपदा प्रबन्धन मन्त्रालय कठिन किया जाए जो कि बाढ़ में एन.सी.सी.एम. जैसे केन्द्रों और प्राधिकरणों सहित उचित सहायक निकायों का गठन कर सकता है अथवा सहायता के लिये वर्तमान केन्द्रों का उपयोग हो सकता है। आपदा प्रबन्धन हेतु केन्द्र सरकार द्वारा जो सर्वदलीय समिति का गठन किया गया है उसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। इस योजना के संचालन हेतु एवं वैज्ञानिक एवं तकनीकी सलाहकार समिति भी उसकी सहायता करेगी। राज्य स्तर पर आपदा प्रबन्धन - हमारे देश में राष्ट्रीय आपदाओं से निपटने की जिम्मेदारी अनिवार्य रूप से राज्यों की है। केन्द्र सरकार की भूमिका भौतिक एवं वित्तीय संसाधनों की सहायता देने की है। अधिकतर राज्यों में राहत आयुक्त हैं जो अपने राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राहत एवं पुनर्वास कार्यों के प्रभारी हैं तथा पूर्ण प्रभारी मुख्य सचिव होता है तथा राहत आयुक्त उसके निर्देश एवं नियन्त्रण में कार्य करते हैं। आपदा के समय प्रभावित लोगों तक पहुँचने के प्रयासों में सम्मिलित करने के लिये राज्य सरकार, गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय संगठनों को आमन्त्रित करती है। जिलास्तर पर आपदा प्रबन्धन - आपदा प्रबन्धन हेतु सभी सरकारी योजनाओं और गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिये जिला प्रशासन केन्द्र बिन्दु है। कम से कम समय में राहत कार्य चलाने के लिये जिला अधिकारी को पर्याप्त अधिकार दिये गये हैं। प्रत्येक जिले में आने वाली आपदाओं से निपटने के लिये अग्रिम आपात योजना बनाना जरूरी है तथा निगरानी का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट को है।

आपदा प्रबन्धन में महत्त्वपूर्ण क्षेत्र

1. संचार- संचार आपदा प्रबन्धन में अत्यधिक उपयोगी हो सकता है। संचार साधनों के माध्यम से जागरुकता, प्रचार-प्रसार तथा आपदा प्रतिक्रिया के समय आवास सूचना व्यवस्था के माध्यम से काफी सहायक हो सकता है। 2. सुदूर संवेदन- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आपदा के प्रभाव को कारगर ढंग से करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसका उपयोग- 1. शीघ्र चेतावनी रणनीति को विकसित करना 2. विकास योजनाएँ बनाने एवं लागू करने में 3. संचार और सुदूर चिकित्सा सेवाओं सहित संसाधन जुटाने में 4. पुनर्वास एवं आपदा पश्चात पुननिर्माण में सहायता हेतु किया जा सकता है। 3. भौगोलिक सूचना प्रणाली - भौगोलिक सूचना प्रणाली सॉफ्टवेयर भूगोल और कम्प्यूटर द्वारा बनाए गए मानचित्रों का उपयोग, स्थान आधारित सूचना के भण्डार के समन्वय एवं आकलन के लिये रहता है। भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग वैज्ञानिक जाँच, संसाधन प्रबन्धन तथा आपदा एवं विकास योजना में किया जा सकता है। आपदा नियन्त्रण में व्यक्ति की भूमिका - भूकम्प, बाढ़, आंधी, तूफान में एक व्यक्ति क्या प्रबन्धन कर सकता है। इसका आपदा के सन्दर्भ में निम्नलिखित भूमिका सुझायी गई है- भूकम्प के समय व्यक्ति की भूमिका - ऐसे समय में बाहर की ओर न भागें, अपने परिवार के सदस्यों को दरवाजे के पास टेबल के नीचे या यदि बिस्तर पर बीमार पड़े हों तो उन्हें पलंग के नीचे पहुँचा दें, खिड़कियों व चिमनियों से दूर रहें। घर से बाहर हों तो इमारतों, ऊँची दीवारों या बिजली के लटकते हुए तारों से दूर रहें, क्षतिग्रस्त इमारतों में दोबारा प्रवेश न करें। भूकम्प का भी पूर्वानुमान लग सकेगा - टी.वी. रेडियो, इन्टरनेट से जहाँ तक सम्भव हो जुड़े रहें, अधिक वर्षा और अकाल जैसी प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान के बाद अब भूकम्प की भी भविष्यवाणी की जा सकेगी लेकिन इसका पता कम्प्यूटर पर काम कर रहे व्यक्ति को सिर्फ कुछ सेकेण्ड पहले ही लग सकेगा। कैलीफोर्निया इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यू.एस. ज्योलॉजीकल सर्वे तथा कैलीफोर्निया के खनिज और भू-भागीय विभाग के भूकम्पशास्त्री लगातार भूकम्प की ऑन लाइन पर भविष्यवाणी कर सकने की कोशिश कर रहे हैं। यह आपातकाल में ऐसे आंकड़े भेजेगा। जिससे कम्प्यूटर यूजर्स तक इमेल भेजा जा सकेगा। ट्राइनेट का लक्ष्य है कि 600 शक्तिशाली गति सेंसर और 150 बड़े इंटरनेशनल मिलकर आने वाली भूकम्पों के बारे में लोगों को सूचित करें। अगर ट्राइनेट अपने प्रस्तावित कार्य को करने में समर्थ हुआ तो कैलिफोर्निया भूकम्प क्षेत्र का निरीक्षण कर सकने वाला पहला राज्य होगा इस प्रकार भूकम्प का पूर्वानुमान लगाने की क्षमताएँ विकसित हो चुकी हैं। संक्षेप में कैलीफोर्निया के खनिज और भूगर्भीय विभाग के प्रमुख जिम डेविड कहते हैं कि सेंसर पृथ्वी थरथराने जैसे घटना के तुरन्त बाद कम्प्यूटर के जरिए सूचना देने में सक्षम होगा। वाहन में हो - यदि कार या बस में सवारी करते समय आपको भूकम्प के झटके महसूस हों तो चालक से वाहन को एक तरफ करके रोकने को कहें, वाहन के भीतर ही रहें। घरों में हो - जितनी जल्दी हो सके चूल्हे आदि सभी तरह की आग बुझा दें, हीटर बन्द कर दें, यदि मकान क्षतिग्रस्त हो गया हो तो बिजली, गैस व पानी बन्द कर दें। यदि घर में आग लग गई हो और उसे तत्काल बुझाना सम्भव न हो तो तत्काल निकलकर बाहर जायें। यदि गैस बन्द करने के बाद भी गैस के रिसाव का पता चले तो घर से फौरन बाहर चले जायें। पानी बचायें आपातकालीन स्थिति के लिये सभी बर्तन भरकर रख लें। पालतू जानवरों को खोल दें। बाढ़ के समय व्यक्ति की भूमिका - बाढ़ की पूर्व सूचना और सलाह के लिये रेडियो सुनें। यदि आपको बाढ़ की चेतावनी मिल गयी हो या आपको बाढ़ की आशंका हो तो बिजली के सभी उपकरणों के कनेक्शन अलग कर दें तथा अपने सभी मूल्यवान और घरेलू सामान कपड़े आदि को बाढ़ के पानी की पहुँच से दूर कर दें। खतरनाक प्रदूषण से बचने के लिये सभी कीटनाशकों को पानी की पहुँच से दूर ले जायें। यदि आपको घर छोड़ना पड़ जाये तो बिजली व गैस बन्द कर दें। वाहनों, खेती के पशुओं और ले जा सकने वाले सामान को निकट के ऊँचे स्थान पर ले जायें, यदि आपको घर से बाहर जाना पड़े तो घर के बाहरी दरवाजे और खिड़कियाँ बंद कर दें। कोशिश करें की आपको बाढ़ के पानी में पैदल या कार से ना चलना पड़े। बाढ़ग्रस्त इलाकों में अपनी मर्जी से कभी भी भटकते न फिरें। चक्रवात या आंधी तूफान में व्यक्ति की भूमिका - पूर्व सूचना व सलाह के लिये टी.वी., रेडियो सुनें सुरक्षा के लिये पर्याप्त समय निकल जाने दें। चक्रवात कुछ ही घण्टों में दिशा, गति और तीव्रता बदल सकता है और मध्यम हो सकता है। इसीलिये ताजा जानकारी के लिये रेडियो, टी.वी. से निरन्तर सम्पर्क रखें। तैयारी - यदि आपके इलाके में तूफानी हवाओं या तेज झंझावात आने की भविष्यवाणी की गई तो खुले पड़े तख्तों, लोहे की नाली, चादरों, कूड़े के डिब्बों या खतरनाक सिद्ध होने वाले किसी भी अन्य सामान को स्टोर में रखें या कसकर बाँध दें, बड़ी खिड़कियों को टेप लगाकर बंद कर दें ताकि वे खड़खड़ाएं नहीं, निकटतम आश्रय स्थल पर पहुँचें या कोई जिम्मेदार सरकारी एजेन्सी आदि हो तो इलाके को खाली कर दें। जब तूफान आ जाये - घर के भीतर रहें तथा अपने घर के सबसे मजबूत हिस्से में शरण लें टी.वी., रेडियो या अन्य साधनों से दी जाने वाली सूचनाओं का पालन करें। यदि छत उड़ने शुरू हो तो घर की ओट वाली खिड़कियों को खोल दें, यदि खुले में हों तो बचने के लिये ओट लें तूफान के शान्त होने पर बाहर या समुद्र के किनारे न जायें। आमतौर से चक्रवातों के साथ-साथ समुद्र या झीलों में बड़ी-बड़ी तूफानी लहरें उठती हैं तथा यदि आप तटवर्ती इलाके में रहते हों तो बाढ़ के लिये निर्धारित सावधानियाँ बरतें। अवलोकित संदर्भ 1. चौहान, ज्ञानेन्द्र सिंह एवं पाहवा, एस.के. (2013) भारत में आपदा प्रबन्धन, रिसर्च जनरल ऑफ आर्टस, मैनेजमेंट एंड सोशल साइंसेज। 2. रामजी एवं शर्मा, शिवानाथ, प्राकृतिक आपदा-सूखा एवं बाढ़ की समस्या। 3. मामोरिया, चतुर्भुज, भौगोलिक चिन्तन, साहित्य भवन, आगरा। 4. नेगी, पी.एस. (2006-07) पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण भूगोल। 5. पाल, अजय कुमार, आपदा एवं आपदा प्रबन्धन। 6. आपदा प्रबन्धन राष्ट्रीय नीति-2005, भारत सरकार। 7. बवेजा, दर्शन, आपदा प्रबन्धन। 8. अवस्थी, एन.एम., पर्यावरणीय अध्ययन। असिस्टेंट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभागप्रताप बहादुर पी.जी. कॉलेज, प्रतापगढ़ सिटी, प्रतापगढ़[email protected] प्राप्त तिथि - 31.07.2016 स्वीकृत तिथि-14.09.2016

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Hindi Essay on “Disaster Management”, “आपदा प्रबंधन” Complete Paragraph, Nibandh for Students

आपदा प्रबंधन, disaster management.

संकेत बिंदु – आपदा प्रबंधन की आवश्यकता – दमकल सेवा – बहुमंजिली इमारतें – भूकंप मैनुअल

बहुमंजिला इमारतों के महानगर में तेजी से बदल रही दिल्ली के लिए अब विश्वस्तरीय आपदा प्रबंधन (डिजास्टर मैनेजमेंट) का खाका तैयार किया जा रहा है। आपदाओं से निपटने के लिए पूरी दिल्ली में दमकल केंद्र ऐसी जगहों पर बनाए जाएंगे, जहाँ से दमकलें अपने एरिया में आग लगने, भूकंप या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तीन से पाँच मिनट के अंदर घटनास्थल पर पहुँच जाएंगी। आपदा प्रबंधन के लिए दिल्ली दमकल सेवा को नोडल एजेंसी बनाया गया है। मास्टर प्लान 2021 के तहत दमकल सेवा केंद्रों का बड़ा जाल बिछाया जाएगा। इस वक्त राजधानी की एक करोड़ से भी ज्यादा आबादी के लिए केवल 36 दमकल सेवा कद्र हैं। पहले चरण में इनकी संख्या चार गुना करने पर विचार हो रहा है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में दमकल चौकियाँ बनाई जाएंगी। मास्टर प्लान के तहत तीन से चार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक दमकल चौकी और पाँच से सात किलोमीटर क्षेत्र में एक दमकल केंद्र स्थापित होगा। इस सेवा को नए आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा। बहुमंजिला इमारतों तक पहुँचने के लिए निकट भविष्य में हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करने की भी योजना पर गौर किया जाएगा। बहुमंजिली इमारतों के निर्माण को भूकंप निरोधक बनाने के लिए कड़े नियम तो बनाए गए हैं, पर किसी भी आपात हालत से निपटने और ऐसी आपदाओं के प्रभावों को कम करने के लिए पूरी दिल्ली का सर्वे कर संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की जाएगी। नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को निर्माण नियमों के तहत अनिवार्य बनाया जा रहा है। अब किसी भी क्षेत्र में नगरीय सेवाओं के विकास का खाका तैयार करते वक्त संबद्ध एजेंसियों को दमकल विभाग से अग्नि नियंत्रण उपायों के लिए अनुमोदन लेना होगा। भारतीय भूकंप क्षेत्र मानचित्र के अनुसार दिल्ली भूकंप जोन-चार में आती है, जो कि दूसरा सबसे खतरनाक जोन है। अभी तक के रिकॉर्ड के मुताबिक राजधानी में 5.5 से 6.7 रिक्टर तीव्रता वाले कई भूकंप आए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ही तैयार किए गए भूकंप मैनुअल और राष्ट्रीय भवन कोड के अनुसार संवेदनशील ढाँचों की फिर से मरम्मत करने का फैसला किया गया है। खतरे की पहचान के आधार पर, जिसमें मृदा स्थितियाँ, भूकंप की तीव्रता की संभावना, क्षेत्र की भू-आकृति संबंधी स्थितियों का आकलन कर दिल्ली में भूमि उपयोग क्षेत्र का वर्गीकरण किया जाएगा।

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आपदा प्रबंधन पर निबंध हिंदी में

आपदा प्रबंधन पर निबंध हिंदी में | Essay on Disaster Management in Hindi

एक प्राकृतिक आपदा आम तौर पर बाढ़, तूफान, भूकंप या बवंडर जैसी प्राकृतिक घटनाओं के कारण होने वाली एक भयावह घटना है। वे दुनिया में कहीं भी, किसी भी समय और अक्सर बिना किसी चेतावनी के हो सकते हैं।

जबकि कुछ देश दूसरों की तुलना में आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, हर कोई जोखिम में है और इसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। यहीं से आपदा प्रबंधन आता है। आपदा प्रबंधन आपदा के प्रभाव को कम करने की प्रक्रिया है।

हर साल, भूकंप, बाढ़ और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएँ हजारों लोगों की जान लेती हैं और अरबों डॉलर की संपत्ति को नष्ट कर देती हैं। इस तथ्य के बावजूद कि आपदा प्रबंधन एक बढ़ता हुआ क्षेत्र है जिसमें हर समय नई तकनीकों और रणनीतियों का उदय होता है, इन घटनाओं से होने वाली जान-माल की क्षति को कम करने में प्रगति धीमी रही है।

एक ऐसा क्षेत्र जहां आपदा प्रबंधन को कुछ सफलता मिली है, वह है पूर्व चेतावनी प्रणाली।

भारत 1.2 अरब से अधिक लोगों की आबादी वाला एक विशाल देश है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अनुसार, भारत अपनी भौगोलिक स्थिति और जलवायु के कारण आपदा प्रवण है।

भारतीय उपमहाद्वीप भारत-गंगा के मैदान में स्थित है जो दुनिया में सबसे अधिक बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में से एक है। हिमालय पर्वतमाला भी भारत को भूकंप के प्रति संवेदनशील बनाती है।

प्राकृतिक आपदाएं जीवन का हिस्सा हैं। वे पूरी दुनिया में होते हैं, और वे किसी के साथ भी हो सकते हैं। इसलिए उनके लिए तैयार रहना जरूरी है।

आपदा प्रबंधन एक प्राकृतिक आपदा के लिए तैयारी और प्रतिक्रिया की प्रक्रिया है। इसमें योजना बनाना, आपूर्ति प्राप्त करना और लोगों को प्रतिक्रिया देने का प्रशिक्षण देना जैसी चीजें शामिल हैं।

आपदा के लिए तैयारी करना बहुत काम की तरह लग सकता है, लेकिन यह इसके लायक है। तैयार रहने से, आप प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकते हैं।

निष्कर्ष रूप में, यह स्पष्ट है कि आपदा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। स्थिति को सुधारने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं, और सभी के लिए संभावित जोखिमों से अवगत होना महत्वपूर्ण है। एक साथ काम करके, हम बदलाव ला सकते हैं और अपने समुदाय पर आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

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आपदा प्रबंधन क्या है – आपदा प्रबंधन की परिभाषा

आपदा प्रबंधन जानने से पहले आपको आपदा क्या होता है वो जानना होगा क्योंकि तभी आपको आपदा प्रबंधन क्या है समझ आएगा तो चलिए समझते है.

आपदा को दुर्भाग्यपूर्ण घटना के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो अचानक या बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है क्योंकि आपदा एक ऐसी घटना है जिसका समय ज्ञात नहीं है और यह विनाश लाता है और यह एक प्राकृतिक या मानव निर्मित खतरा हो सकता है.

इसलिए तो हमने अलग-अलग भागों में बांट दिया है ताकि आप Disaster Management in Hindi अच्छे से समझ सके.

विषयों की सूची

आपदा प्रबंधन क्या है – Disaster Management in Hindi

आपदा प्रबंधन योजनाओं में बाढ़, तूफान, आग, बीमारी का तेजी से फैलना और सूखा जैसे मुद्दों को योजना में रखा जाता है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में उन्हें तुरंत जमीन पर लागू किया जा सके.

योजना बनाते समय सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है, आपदा आये तो ठीक से जवाब कैसे दिया जाए इसके लिए इसमें पूर्व-आपदा और आपदा के बाद के कार्य शामिल हैं. इन बातों को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन योजना तयार किया जाता है.

आपदा के प्रकार – Types of Disaster in Hindi

आपदाएं मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं प्राकृतिक आपदा और मानव निर्मित आपदा तो चलिए निचे हम लोग ये दोनों आपदा के बारे में विस्तार से समझते है

प्राकृतिक आपदा क्या है – Natural Disaster in Hindi

मानवीय भूलों के कारण यह दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है क्योंकि मानव द्वारा पर्यावरणीय संसाधनों का दुरूपयोग किया जा रहा है.

कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ होती हैं जैसे ज्वालामुखी, बाढ़, भूकंप, सूखा, भूस्खलन, तूफान,सुनामी, हिमस्खलन, गरज, गर्म तरंगें और बिजली, आदि.

मानव निर्मित आपदा क्या है – Man Made Disaster in Hindi

मानव निर्मित आपदाएं मानवीय लापरवाही के कारण होती हैं लेकिन यह जानबूझकर या अनजाने में हो सकता है और एक अच्छी योजना बनाकर और रोकथाम के तरीकों से इसे रोका जा सकता है.

मानव निर्मित आपदाएँ किसी भी प्रकार की घटनाएँ हो सकती हैं जैसे इमारत ढहना, दंगा, आतंकवादी हमला, औद्योगिक खतरा, भगदड़, कहीं आग लग जाना, इत्यादि.

आपदा प्रबंधन के चरण – आपदा प्रबंधन के घटक – Stages of Disaster Management in Hindi

● Mitigation (शमन) – इस चरण में एक संगठन लोगों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठाता है, साथ ही आपदाओं को कम करने और रोकने के उपाय करता है, जिसमें ऐसे उपाय भी शामिल हैं जो किसी आपात स्थिति की संभावना या किसी आपात स्थिति के हानिकारक प्रभावों को कम करते हैं। और संगठन का मुख्य लक्ष्य संपत्ति की क्षति आदि जैसे आपदा प्रभावों की संवेदनशीलता को कम करना है.

विशिष्ट शमन उपायों में भविष्य के भवन निर्माण के लिए सुरक्षा को अनुकूलित करने के लिए डिज़ाइन किए गए बिल्डिंग कोड शामिल हैं, एक घर से दूर पेड़ लगाना जो यह सुनिश्चित करता है कि घरों और सार्वजनिक भवनों में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए खतरनाक तूफान में पेड़ घरों या मनुष्यों पर न गिरें, नियंत्रण के लिए स्थायी अवरोधों का निर्माण जिससे बाढ़ जैसे आपदाएं रोका जा सकता है , बीमा पॉलिसियों की खरीद आदि.

● Preparedness (तत्परता) – इस चरण में क्या करना है, कहाँ जाना है, या आपदा में मदद के लिए किसे बुलाना है, पूर्ण पैमाने पर अभ्यास, आपदा में उपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति सूची बनाना, आपदा तैयारी योजना विकसित करना, प्रशिक्षण, मूल्यांकन, पुनर्प्राप्ति गतिविधियाँ, और शैक्षिक उन घटनाओं के लिए गतिविधियों को शामिल करता है.

आपदा प्रबंधन विभाग की यह जिम्मेदारी होती है कि वह आपदाओं से निपटने के लिए कार्य योजना तैयार करे और फिर ऐसी योजनाओं को लागू करे. ऐसी तैयारी की जाती है कि किसी भी घटना की स्थिति में, भौतिक या संपत्ति को और नुकसान कम से कम हो. इस तरह इसे डिजाइन किया गया है। ये गतिविधियाँ सुनिश्चित करती हैं कि जब कोई आपदा आती है, तो आपदा प्रबंधन विभाग सही समय पर सही प्रतिक्रिया देने में सक्षम होता है.

● Response (प्रतिक्रिया) – प्रतिक्रिया चरण एक आपदा के तुरंत बाद होता है और आमतौर पर आपातकालीन मुद्दों के बजाय मरम्मत करने पर ध्यान केंद्रित करता है संगठन खोज और बचाव अभियान चलाता है और संपत्ति, उपयोगिताओं को बहाल करने, संचालन, व्यवसाय को फिर से स्थापित करने, स्थापना और सफाई कार्यों पर ध्यान केंद्रित करता है.

● Recovery – अंततः आपदा-प्रबंधन चक्र में पाँचवाँ चरण पुनर्प्राप्ति है. यह चरण आपदा के प्रभाव के आधार पर व्यक्तियों, समुदायों, व्यवसायों और संगठनों को सामान्य या एक नए सामान्य स्थिति में लौटने में मदद करने के बारे में है. सामन्य होने में लम्बा समय लग सकता है कभी-कभी तो वर्षों या दशकों तक लग जाते है. पहले, भोजन, स्वच्छ पानी, उपयोगिताओं, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक सेवाओं को बहाल किया जाता है बाद में कम-आवश्यक सेवाओं को प्राथमिकता दी जाती है.

आपदा प्रबंधन के कारण – Causes of Disaster Management in Hindi

प्राकृतिक आपदा के कारण.

  • महासागरीय धाराएँ
  • भूकंपीय गतिविधि
  • विवर्तनिक गतियाँ
  • पर्यावरणीय दुर्दशा

मानव निर्मित आपदा के कारण

  • तेजी से शहरीकरण होना
  • जागरूकता और जानकारी की कमी
  • युद्ध और नागरिक संघर्ष
  • सांस्कृतिक प्रथाओं में बदलाव

आपदा प्रबंधन के उद्देश्य – Objectives of Disaster Management in Hindi

  • नुकसान और मौतों को कम करना
  • व्यक्तिगत दुख को कम करना
  • आपदा के बाद चिकित्सा सहायता और प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करना
  • सुरक्षा और जल्दी में सही निर्णय लेना
  • पीड़ितों की रक्षा करना
  • महत्वपूर्ण जानकारी और रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना
  • जल्दी से रिकवरी करना
  • आपदा तैयारी की संस्कृति को प्रोत्साहित करना
  • आपदा तैयारी और आपदा नियोजन की संस्कृति को बढ़ावा देना

आपदा प्रबंधन की आवश्यकता – Need for Disaster Management

आपदाएँ ऐसी घटनाएँ हैं जिनका मनुष्यों और पर्यावरण पर बहुत प्रभाव पड़ता है. आपदाएं अनिश्चित है कब हो जाए कोई नहीं जानता इसे रोकने के लिए हम कुछ नहीं कर सकते फिर यही आपदा प्रबंधन की आवशयकता होती है सीधे शब्दों में कहें तो आपदा की तैयारी हमारे हाथ में होती है हम इसे कैसे प्रबंधन करते वह हमारे पर निर्भर होता है. प्रभावों को तैयारी, पूर्व चेतावनी और त्वरित, निर्णायक प्रतिक्रियाओं से आंशिक या पूरी तरह से रोका जा सकता है. आपदा प्रबंधन के लिए सरकारी हस्तक्षेप और सही योजना के साथ-साथ फंड की आवश्यकता होती है.

आपदा आते ही आपदा प्रबंधन बल हरकत में आ जाते हैं ताकि जान गंवाने और घायल होने की मात्रा को सीमित किया जा सके और राहत, बचाव और पुनर्वास प्रक्रिया और वे आपदा पीड़ितों को भोजन, कपड़े और दवाइयां जैसे राहत उपाय प्रदान करने में भी मदद करते है में. ये प्रशिक्षित व्यक्ति होते हैं और उन्हें आपदा या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कैसे रोकना है उसके लिए प्रशिक्षण दिया जाता है और वे नुकसान को कम करने और स्थानीय लोगों को सामान्य जीवन में वापस लाने में मदद करने के लिए एक टीम के रूप में काम करते हैं.

आपदा प्रबंधन की चुनौतियां – Disaster Management Challenges in Hindi

  • भूमिका की अस्पष्टता होना
  • लक्ष्य असंतुलित होना
  • अनिश्चितता से निपटना
  • टीम/पार्टनर की जागरूकता
  • स्थिति की जागरूकता
  • आपदा प्रबंधन टीम को शिक्षा और प्रशिक्षण देने में कठिनाई आ सकती है
  • विकासशील देश
  • उत्तरदाताओं और समन्वय एजेंसियों के लिए संगठनात्मक चुनौतियां हो सकती हैं
  • क्रॉस-संगठन संबंध
  • कार्यभार और संज्ञानात्मक अधिभार
  • आपदा के दौरान जनता के साथ संचार

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Disaster Management / आपदा क्या है | आपदा के प्रकार | आपदा फोटो  !!

  • Post author: Ankita Shukla
  • Post published: November 28, 2018
  • Post category: Gyan
  • Post comments: 0 Comments

आपदा / Disaster क्या है !!

डिजास्टर (आपदा) एक प्रकार की बड़ी व्यवधान और समस्या है जिसे रोकना बहुत ही मुश्किल होता है ये कुछ समय के लिए होता है और सब कुछ खराब कर देता है. इसमें किसी भी समुदाय के काम को, शरीर को, आर्थिक रूप से या पर्यावरण को हानि हो सकती है. इसका प्रभाव इतना अधिक होता है की उसे संभालना मुश्किल हो जाता है. और बहुत स्तर पे हानि हो जाती है.

आपदा कई प्रकार की होती हैं जैसे की प्राकृतिक आपदा, किसी प्रकार का हमला करने से, कोई छोटी सी गलती से होने वाला बड़ा नुकसान होना आदि.

प्राकृतिक आपदा  क्या है !!

इस प्रकार के आपदा (डिजास्टर) में कभी कोई बड़ा तूफ़ान आ जाता है, या मूसलाधार बारिश होने से बाढ़ आ जाती है, भूकंप आ जाता है, सुनामी आ जाती है, आदि. इसमें किसी व्यक्ति का कोई हाथ नहीं होता ये स्वयं प्राकृतिक होता है. जिसमे जानवर, इंसान को आर्थिक और शारीरिक रूप से कष्ट झेलना पड़ता है.

सूखा : इसमें कभी कभी पानी की कमी हो जाती है और पानी बरसना बंद हो जाता है और गर्मी बहुत तेज़ी से होती है. जिससे की कुएं, नल, जम्में आदि सूख जाती हैं और पानी मिलने के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं. ऐसे में जानवर बच्चे, बूढ़े, और सभी लोग प्यास से और सूखे से त्रस्त होने लगते हैं और भरी नुकसान झेलते हैं.

भूकंप : इस केस में अचानक से भूकंप आ जाता है जिससे की पूरी धरती हिलने लगती हैं और इमारते, घर, स्कूल, होटल, दुकाने सब कुछ गिरने लगता है जिसमे बहुत लोग दब के मर जाते हैं और यदि जान बच भी जाती है तो आर्थिक रूप से नुकसान का सामना करना पड़ता है.

सुनामी : इस केस में समुद्र किनारे स्थित राज्यों को बहुत दिक्क्त का सामना करना पड़ता है, इसमें अचानक से तूफ़ान आ जाता है और समुद्र की लहरे बहुत तेज हो जाती हैं और वो लोगों के घर, इंसान, इमारते सब कुछ डूबा देती हैं. जिसमे जान, धन आदि का बहुत नुकसान होता है.

बाढ़ : इसमें किसी भी जगह मात्रा से अधिक बारिश हो जाती है तो सब कुछ डूबने लगता है जिससे लोगों के घर, सामान, जान आदि को बहुत नुकसान झेलना पड़ता है. इस प्रकार की कुछ समस्याएं सबसे बड़ा उदाहरण हैं

अदमीओं द्वारा : जैसे कभी रोड पे कोई बड़ी दुर्घटना हो जाये, ये कोई पुल, कोई बिल्डिंग गिर जाये. आतंकवादी हमला करदें, आदि.

आपदा (डिजास्टर) का. आपदा और भी तरह की होती हैं जैसे की ज्वालामुखी का फटना, तूफ़ान, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, जंगल की आग,  बवंडर, आदि.

 आपदा क्या है Disaster Management क्या है | Disaster Management Types in Hindi

Disaster Management क्या है !!

डिजास्टर मैनेजमेंट (आपदा प्रबंधन) एक प्रकार की तैयारी है जो आपदा के आने के पहले अनुमानित आधार पे उसे रोकने के लिए की जाती है. या फिर आपदा आने के बाद उससे प्रभावित जगहों, लोगों, सामानो को सुविधा देना और परेशानियां दूर करना आपदा प्रबंधन या डिजास्टर मैनेजमेंट कहलाता है. आपदा (डिजास्टर) आने पे या आने से पहले यदि डिजास्टर मैनेजमेंट पे अच्छे रोज दिया जाये तो होने वाले नुकसान का प्रतिशत काफी कम हो जाता है. इससे लोगों को बुरे वक्त में बहुत राहत मिलती है.

आपदा प्रबंधन के प्रकार | Types of Disaster Management in Hindi !!

# जहां पे भूकंप आने के ज्यादा चांस हो वहां कुछ घर, बिल्डिंग, रोड इस प्रकार बनानी चाहिए की भूकंप आने पे अधिक नुकसान न हो. यदि उस स्थान में किसी प्रकार की ऐसी ईमारत हो जिससे भविष्य में भूकम्प के समय अधिक छति पहुंच सकती है तो उसे पुनः निर्मित कराये या फिर उसे हटवा दें.

# भूकंप अनुमानित जगहों में अधिक तरल पदार्थ की चीजें नहीं होनी चाहिए जैसे की: तेल की फैक्ट्री, आदि. उन्हें उस स्थान से दूर रखे.

# पुरानी इमारतों को उपयोग महत्वपूर्ण कार्यों के लिए रोक देना चाहिए.

# लोगों में जागरूकता बढ़ानी चाहिए.

# जहां अनुमान हो की त्वरित हवाएं चलती हैं उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्यों को न करें.

# जब चक्रवात आता है तो बहुत वेग के साथ आता है जिसमे सबसे अधिक नुकसान छत के जरिये होता है इसलिए सुनिश्चित कर लेना चाहिए की छत मजबूत है की नहीं यदि नहीं तो उनका दोबारा से निर्माण कराना चाहिए.

# हवा प्रतिरोधी सुविधाओं को छत में उपयोग करें जिनसे कम से कम छति हो.

# हवा तेज होने पे खिड़की और दरवाजों से भी नुकसान होता है इसलिए कोशिश करें की खिड़की और दरवाजे शटर या पर्याप्त डिजाइन के अस्थायी कवर से संरक्षित हों.

# सुनामी वाले देशों में भूकंप के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए भूकंप इंजीनियरिंग का प्रयोग बड़ी कुशलता के साथ किया गया है जैसे की जापान में.

# जापान में बहुत वर्ष पूर्व एक आपदा आई थी जिसके बाद सुनामी विज्ञानं का उपयोग किया उन्होंने। जिसमे उन्होंने कुछ ऐसी योजनाएं बनाई जैसे की जिन स्थानों में सुनामी आ सकती है अर्थात तटीय क्षेत्रों में वहां उन्होंने 4.5 मीटर (15 फीट) तक की कई सुनामी दीवारें बनाई जिनसे खतरा बहुत कम हो गया.

# और भी कई इलाकों में आने वाले सुनामी से पानी को पुनर्निर्देशित करने के लिए बाढ़ और चैनल का निर्माण किया.

ज्वालामुखी विस्फोट !!

# इसमें सामुदायिक चेतावनी प्रणाली और आपदाओं के बारे में पूरी जानकारी रखें जिनसे ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है.

# हमेशा एक बैकअप मार्ग का निर्माण करना चाहिए जिसमे उच्च जमीन पर निकासी योजनाएं हों.

# आपदा के समय अपने पास हमेशा (फ्लैशलाइट, अतिरिक्त बैटरी, पोर्टेबल बैटरी संचालित रेडियो, प्राथमिक चिकित्सा किट, आपातकालीन भोजन और पानी, कोई भी चयनकर्ता सलामी बल्लेबाज, नकदी और क्रेडिट कार्ड, और मजबूत जूते) आदि साथ रखे.

 आपदा क्या है Disaster Management क्या है | Disaster Management Types in Hindi

# महत्वपूर्ण निपटान क्षेत्रों से गुजरने वाले वाटरकोर्स को ठीक से जानना चाहिए उसके बाद उन्हें कंक्रीट के साथ रेखांकित कर के सही से निर्माण करना चाहिए.

# पहले से ही मौजूदा पुलों का निरीक्षण कर ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए की कौन से कम है या फिर जिनके पास वाटरकोर्स चैनल के भीतर समर्थन स्तंभ मौजूद है. जिन जगहों में पॉसिबल हो वहां प्रतिस्थापित कर दें इनसे पानी के प्रवाह को रोका जा सकता है.

# जो बाढ़ के समय ज्यादा देर तक न टिक पाएं उन पुलों का निर्माण नहीं करना चाहिए.

# जहां बाढ़ आ सकती है उन जगहों में बाढ़ को रोकने के लिए कम से कम एक मीटर तक जल निकायों के निकट निर्मित इमारतों को ऊंचा करना चाहिए.

मानव निर्मित आपदाएं !!

# रोड एक्सीडेंट को रोकने के लिए कड़े नियम बनाने चाहिए.

# बिडलिंग और पुल को बनाने के लिए अच्छे सामान का प्रयोग करना चाहिए.

# जनता को जागरूक बनाना चाहिए जिनसे वो आतंकवाद के हमलों से बच पाएं और उनके इरादे भांप लें और तुरंत सही निर्णय ले पाएं.

तो दोस्तों आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी कैसी लगी और आपके कितना काम आई ये हमे बताना न भूले और यदि आपके मन में कोई सवाल, सुझाव या कोई शिकायत हो तो हमे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट कर के अवश्य बताएं हम पूरी कोशिश करेंगे आपको संतुष्ट करने की.

आपदा फोटो  | Disaster Images !!

 आपदा क्या है Disaster Management क्या है | Disaster Management Types in Hindi

Ankita Shukla

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Disaster Management Essay for Students and Children

500+ words essay on disaster management.

Nature has various manifestations both gentle as well as aggressive. We see how sometimes it is so calm while the other times it becomes fierce. The calm side is loved by everyone, of course, however, when the ferocious side is shown, devastation happens. As humans cannot control everything, certain things of nature are out of our control.

Disaster Management Essay

Similarly, when natural disasters happen, humans cannot control them. However, we can prevent them. In other words, whenever a calamitous situation arises that may disturb the life and ecosystem, we need emergency measures to save and preserve lives. As natural disaster are not predictable, they can take place anywhere at any time. To understand disaster management thoroughly, we need to first identify the types of disasters.

Types of Disasters

If we look at the disasters that have taken place earlier, we can easily say that nature is not merely responsible for them to happen. They happen due to other reasons too. This is why we have classified them in different categories. First comes the natural disasters which are caused by natural processes. They are the most dangerous disaster to happen which causes loss of life and damage to the earth. Some of the deadliest natural disasters are earthquakes , floods, volcanic eruptions, hurricanes, and more.

essay of disaster management hindi

As no country is spared from any kind of disasters, India also falls in the same category. In fact, the geographical location of India makes it a very disaster-prone country. Each year, India faces a number of disasters like floods, earthquakes, tsunami, landslides, cyclones, droughts and more. When we look at the man-made disasters, India suffered the Bhopal Gas Tragedy as well as the plague in Gujarat. To stop these incidents from happening again, we need to strengthen our disaster management techniques to prevent destructive damage.

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Disaster Management

Disaster management refers to the efficient management of resources and responsibilities that will help in lessening the impact of the disaster. It involves a well-planned plan of action so we can make effective efforts to reduce the dangers caused by the disaster to a minimum.

Most importantly, one must understand that disaster management does not necessarily eliminate the threat completely but it decreases the impact of the disaster. It focuses on formulating specific plans to do so. The National Disaster Management Authority (NDMA) in India is responsible for monitoring the disasters of the country. This organization runs a number of programs to mitigate the risks and increase the responsiveness.

Proper disaster management can be done when we make the citizens aware of the precautionary measures to take when they face emergency situations. For instance, everyone must know we should hide under a bed or table whenever there is an earthquake. Thus, the NDMA needs to take more organized efforts to decrease the damage that disasters are causing. If all the citizens learn the basic ways to save themselves and if the government takes more responsive measures, we can surely save a lot of life and vegetation.

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Disaster Management Essay

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Essay on Disaster Management

Disaster Management is the arrangement and management of the resources following a disaster, be it natural or man-made. There are so many organizations who are dealing with various types of disastrous situations from the humanitarian aspect. Some disasters are just the consequences of human hazards and some are caused by natural calamity. However, we can prevent them by taking the necessary emergency measures to save and preserve lives. As natural disasters cannot be predicted, they can take place anywhere at any time. 

Vedantu has provided an essay on Disaster management on this page. Students who have received an assignment to write an essay on Disaster Management or preparing an essay for examination can refer to this page to understand the pattern. Any student or parent can directly visit Vedantu site or download the app on the phone to get access to the study materials.  

Disaster Management’ is the simple term of management which embraces loads of disaster-related activities. Disaster occurs frequently in some parts of the world. Japan is the best example of it. Japanese people are annoyed on Tsunamis and earthquakes. The local scene is not much different from the global one. No one could forget the cyclone in Orissa, Earthquake in Gujarat or even the Mumbai Terrorist Attack.

Natural and man-made are the two categories of the disaster. Natural disasters are those which occurred due to sudden changes in the environment or topography causing uncountable human as well as economic loss. Earthquakes, volcanic eruptions, floods and cloudbursts are few of the natural disasters. Manual intentional made disasters are man-made disasters. For example, Gas leakage, terrorist attacks, fire, oil spills. Man-made disasters are the result of human intentions or might be because of workmanship or technical errors. The count of man-made and natural disasters is rising rapidly.

Here are a few things which will help us to deal with earthquakes. The significant information about Natural calamities is predicted easier and is being shared within the public by the central bureau. Furthermore, earthquake-resistant structures are constructed considering, ‘Precaution is Better Than Cure’. Reflexes are made so strong that cover of solid platforms such as a table and chair should be taken as soon as the danger is sensible while the cover of trees, electric poles or buildings is avoided as far as possible. Keep in touch with local news during heavy rainy days. Any flood is preceded with significant time. Making proper use of divine buffer time for safety is advisable. Strategically planning of water reservoirs, land uses, tree plantation, rainwater harvesting techniques help us increase immunity power to fight against the drought. 

National Disaster Management Authority (NDMA), American Red Cross, Federal Emergency Management Agency, International Association of Emergency Managers etc. are the best disaster management authorities. NDMA is a core body which obeys the law of Disaster Management. The reputed disaster managers are stuck in finding plans for rescuing from the loss of disaster. Moreover, to counteract the effect of disaster Rajya Sabha passed the ‘Disaster Management Act’ on 23 December 2005 which includes 11 chapters and 79 sections in it. Honourable Prime Minister of India Mr Narendra Modi holds the position of chairman of it. 

Youngsters should motivate themselves to learn and practice plenty of disaster management techniques and arrange the camps regarding it. Today, everyone is fighting against one of the breathtaking disasters named COVID-19 which is as big as fighting in world war. Avoiding the crowd, wearing the mask are the basic precautions suggested by the World Health Organization (WHO) during this period of fighting. This disease spreads mostly amongst the people who come in close contact with the infected one. So, it's suggested to keep a safe distance of around 3 meters within the others. This is being termed as ‘Social Distancing’. Nature is not cruel nor is it human. Just small management skills help us withstand before, in and after disasters. Uncountable suggestions and instructions in disaster management but few which apply every time must be followed.

Stages of Disaster Management

With proper implementation and structured action, we can prevent or lessen the impact of natural or man-made disasters. There are certain stages involving the cycle for disaster management plan which incorporates policies and emergency responses required for a prospectively complete recovery. The stages are –

The most preferred way to deal with disasters is to be proactive in their prevention rather than rushing later for their cure. This implies recognition of potential hazards and working towards infrastructure to mitigate their impact. This stage in the management cycle involves setting up permanent measures to minimize disaster risk.

Setting up an evacuation plan in a school, training the teachers to lead the students towards safe structures in the event of earthquake, tornado or fire, planning a strong base for high raised sky-scrapers to prepare for earthquakes and designing a city in such a manner that reduces the risk of flooding are some examples of measures takes for disaster prevention.

Mitigation is the first and the foremost attempt to save human lives during the time of disaster or their recovery from the aftermath. The measures which are taken can be both structural and non-structural.

Structural mitigation measures could include transforming the physical characteristics of a building or the surroundings to curb the effect, for example, clearing out of the trees around your house, ensuring that storms don’t knock down the trees and send them crashing into the house. Non-structural measures could include amending the building or locality codes to enhance safety and prevent disasters.

Preparedness

Preparedness is a process that involves a social community where the trained, or the head of the community, businesses and institutions demonstrate the plan of action which is supposed to be executed during the event of a disaster. It is an ongoing continuous process with anticipation of a calamity, which involves training, evaluating and taking corrective action with the highest level of alertness. Some examples of such prevention measures are fire drills, shooter drills and evacuation rehearsals.

The response is the action taken after the disaster has occurred to retrieve some life from it. It includes short-term and long-term responses. In ideal situations, the disaster-management leader will coordinate the use of resources in the restoration process and minimize the risk of further property damage.

During this stage, the area of the calamity is cleared if it poses any further threat to human as well as environmental life. For example, evacuation of the city of Chernobyl, Ukraine, is a responsive action against a disaster.

The fifth and last stage in the process of the disaster management plan is the recovery stage. This can sometimes take years or decades to happen. The larger mass of a city is also sometimes part of the recovery from a disaster. The greatest and the most infamous example of this is the Hiroshima and Nagasaki nuclear attacks on Japan, it took the people of those cities years and decades to recover from that man-made calamity.

It took years of effort to stabilize the area and restore essential community or individual functions. The recovery stage prioritizes the basic essential needs of human survival like food, drinkable water, utilities, transportation and healthcare over less-essential services. Eventually, this stage is all about coordinating with individuals, communities and businesses to help each other to restore a normal or a new normal, as in the case of Covid-19.

How to Act as a Responsible Person During a Time of Disaster?

Some people have more experience than others with managing natural or man-made disasters and their prevention of them. Although this is that subject of life which should be studied and implemented by every business or community. As it is said rightly, “prevention is better than cure”, and any organization or an individual or a community can be hit by a disaster sooner or later, whether it's something as minor as a prolonged power cut or a life-threatening hurricane or an earthquake. Usually, the pandemics train us, as a social and political community, to deal with natural calamities and compel the organizations responsible for it, to build an infrastructure for its prevention.

To act responsibly and pro-actively during the event of a disaster, we have got to be prepared and equipped as a nation, individually and as a social community. To be well-educated and read with the aspects of disaster management is to be responsible for the handling of it.

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FAQs on Disaster Management Essay

1. What is Disaster Management?

In simpler words, disaster management can be defined as the arrangement of resources and precautions to deal with all humanitarian aspects during an emergency. Disasters are the consequences of natural or human hazards. Earthquakes, floods, volcanic eruptions, hurricanes are some of the deadliest natural disasters to name a few. Examples of man-made disasters are bomb blast, radiations, transport accidents, terrorist attacks etc.

2. What is the Main Aim of Disaster Management?

The main aim of disaster management is prevention, rescue and recovery from the trauma, and development.

3. How to Write an Essay on Disaster Management?

Disaster management refers to the response to an emergency situation to make it as normal as possible. While writing an essay on Disaster Management, you can start with an introduction, then go on with the definition, the types of disaster management, a little in-depth explanation along with examples, and finish it off with a conclusion. 

4. Can I Get a Sample Essay on Disaster Management from Vedantu?

Yes, the essay mentioned on this page is about Disaster Management. This essay has been written by the experts of Vedantu keeping the understanding ability of the students of each class. 

5. What are the career opportunities in the field of Disaster management?

People looking for career opportunities in the field of disaster management have many pathways to approach it. Some examples of the jobs relating to this line of work are crisis-management leader, disaster-assistance specialist and emergency-planning coordinator. These are the roles which call for varying levels of responsibility in preparing a city or a company for catastrophic events. The job roles can be approached with earning a master’s degree in emergency and crisis management.

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