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नैतिक मूल्य का महत्व: Jeevan Me Naitik Shiksha Ka Mahatva

Essay on Moral Values in Hindi

Hindi Essay on “Moral Values”, “नैतिक मूल्यों का महत्व” Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10 and 12 Students.

Essay on Moral Values in Hindi

जीवन में नैतिक मूल्यों का महत्व पर निबंध | IMPORTANCE OF MORAL VALUES IN STUDENT LIFE

Jeevan Me Naitik Shiksha Aur Mulyon Ka Mahatva: नैतिक शिक्षा व्यक्तियों, समाजों और राष्ट्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें व्यक्तियों को सही और गलत के बीच अंतर करना सिखाना और उनके व्यक्तित्व में नैतिक मूल्यों और सद्गुणों को शामिल करना शामिल है।

छात्रों को नैतिक शिक्षा के महत्व के बारे में बताना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध समाज की नींव रखता है। इस लेख में, हम नैतिक शिक्षा के महत्व और व्यक्ति और समाज पर इसके प्रभाव का पता लगाएंगे। आइये पढ़ते हैं “नैतिक मूल्य”, “नैतिक शिक्षा” पर  हिंदी में निबंध, पैराग्राफ, कक्षा 7, 8, 9, 10 और 12 के छात्रों के लिए भाषण।

नैतिक शिक्षा और उसका महत्व | विद्यार्थी जीवन में नैतिक मूल्यों का क्या महत्व है 

नैतिक शिक्षा शिक्षा प्रणाली का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह व्यक्तियों में मूल्यों, नैतिकता और अच्छे गुणों को विकसित करती है। यह व्यक्ति को एक ईमानदार, जिम्मेदार और सम्मानपूर्ण जीवन जीना सिखाता है।

नैतिक शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति अच्छे और बुरे, सही और गलत के बीच अंतर करना सीखते हैं और जीवन का सही मार्ग चुनने के लिए प्रेरित होते हैं। सभ्य समाज के विकास के लिए व्यक्तियों में नैतिक मूल्यों का विकास महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सामाजिक समरसता, शांति और समृद्धि आती है।

व्यक्तियों पर नैतिक शिक्षा का प्रभाव

नैतिक शिक्षा का व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करती है। यह व्यक्तियों में आत्म-अनुशासन, कड़ी मेहनत और ईमानदारी की भावना पैदा करता है, जो जीवन में सफलता के लिए महत्वपूर्ण गुण हैं।

नैतिक शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के सुखी, सफल और पूर्ण जीवन जीने की संभावना अधिक होती है और वे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर रूप से तैयार भी होते हैं। वे समाज में सकारात्मक योगदान देने और दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की भी संभावना रखते हैं।

नैतिक शिक्षा का समाज पर प्रभाव

नैतिक शिक्षा का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। नैतिक शिक्षा को महत्व देने वाले समाज में राष्ट्रीय एकता, सामाजिक शांति और समृद्धि की संभावना अधिक होती है। समाज में नैतिक मूल्यों को विकसित करने से समाज के बीच संघर्षों को कम करने, अंतःक्रिया की समझ बढ़ाने और एकता की भावना पैदा करने में मदद मिलती है।

यह सम्मान, सहिष्णुता और करुणा की संस्कृति को बढ़ावा देता है, जो एक संपन्न समाज के लिए महत्वपूर्ण गुण हैं। एक समाज जो नैतिक शिक्षा को महत्व देता है, उसके लक्ष्यों को प्राप्त करने और सफल होने की संभावना अधिक होती है।

नैतिक शिक्षा प्रदान करने में चुनौतियाँ

नैतिक शिक्षा के महत्व के बावजूद, प्रभावी ढंग से वितरित करना हमेशा आसान नहीं होता है। नैतिक शिक्षा प्रदान करने में कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, अपर्याप्त संसाधन और पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा पर ज़ोर न देना शामिल है।

इसके अलावा, मीडिया और प्रौद्योगिकी के प्रभाव ने नैतिक मूल्यों को प्रेरित करना कठिन बना दिया है, क्योंकि आज व्यक्ति सोशल मीडिया के माध्यम से परस्पर विरोधी मूल्यों और नैतिकताओं के संपर्क में हैं।

निष्कर्ष: अंत में, नैतिक शिक्षा व्यक्तियों और समाज  के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यक्तियों को सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करता है। उनके व्यक्तित्व में मूल्यों, नैतिकता और गुणों को शामिल करता है।

व्यक्तियों और समाज पर नैतिक शिक्षा का प्रभाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सामाजिक सद्भाव, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देता है। हालाँकि, नैतिक शिक्षा को प्रभावी ढंग से प्रदान करने में चुनौतियाँ हैं, और यह सुनिश्चित करने के लिए माता-पिता, शिक्षकों और नीति निर्माताओं द्वारा ठोस प्रयासों की आवश्यकता है कि यह शिक्षा प्रणाली में प्रभावी रूप से एकीकृत हो।

आशा है कि नैतिक शिक्षा पर यह निबंध आपको पसंद आया होगा। आप ऊपर दिए गए नैतिक मूल्य पर निबंध के बारे में अपनी राय के बारे में हमें प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं।

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महात्मा गांधी के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों पर निबंध (Moral Values and Principles of Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

इस पृथ्वी पर लाखों लोग जन्म लेते हैं, जीते हैं और अंत में मर जाते हैं। मानवों की इस भीड़ में कुछ ही ऐसे होते हैं जो ऐतिहासिक रूप में महान बनते हैं। यह महानता उनके एक विशिष्ट पहचान और विशेष कार्यों को दर्शाती है। हमें अपने जीवन में ऐसे व्यक्तियों का उदहारण देना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। महात्मा गांधी ऐसे ही महानतम उदहारण के रूप में है जो कई लोगों के लिए एक प्रेरणा का नाम है। उनके महानतम कार्यों से न केवल भारत के ही बल्कि दुनिया भर के लोगों के बीच गांधी जी एक प्रेरणा का विषय है।

उनकी महान विचारधारा और उनके नैतिक मूल्य इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुए हैं। महात्मा गांधी हमेशा से ही अपने जीवन में अपने नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों का पालन किया, उनके नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से आज भी सारी दुनिया के लोग प्रभावित है। मैंने यहां एक दीर्घ निबंध प्रस्तुत किया है, जो आपको महात्मा गांधी के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से अवगत कराएगा। इस निबंध के माध्यम से छात्रों को उनके प्रोजेक्ट और पढ़ाई में काफी मदद मिलेगी।

महात्मा गांधी के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Moral Values and Principles of Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi ke Naitik Mulyon aur Siddhanton par Nibandh Hindi mein)

1200 words essay.

महात्मा गांधी अपनी अवधारणाओं, मूल्यों और सिद्धांतों और सत्य और अहिंसा के वो महान अनुयायी थे। उनके जैसा कोई अन्य व्यक्ति फिर कभी पैदा नहीं हुआ। बेशक वो शारीरिक रूप से मर गए है, लेकिन उनके नैतिक मूल्य और सिद्धांत आज भी हम सभी के बीच जीवित हैं।

महात्मा गा ं धी – राष्ट्रपिता

महात्मा गांधी को लोकप्रिय रूप से बापू या राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। यह वही थे जिन्होंने भारत को लंबे समय से कर रहे अंगेजों के शासन से मुक्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। राष्ट्र के लिए की गई उनकी सेवाएं अविस्मरणीय है। वो एक महान नेता और अद्वितीय राजनेता थे, जिन्होंने लड़ाई और रक्तपात के बजाय शांति से किसी भी लड़ाई को जितने के लिए सत्य और अहिंसा का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपना जीवन अपने कुछ सिद्धांतों और मूल्यों के अनुसार जीया, जिन्हें लोग आज भी मानते हैं।

नैतिक मूल्यों से जुड़े गांधीवादी सिद्धांत

गांधी जी ने अपना सारा जीवन बहुत ही सादगी भरा जीवन व्यतीत किया और अपने जीवन के अधिकांश वर्ष लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए व्यतीत किया। उनका जीवन प्रेरणा दायक सिद्धांतों और मूल्यों से भरा हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में जिन सिद्धांतों को अपनाया, वे उनके अपने जीवन के अनुभवों से प्राप्त हुए थे। यहां हम महात्मा गांधी के सिद्धांतों और मूल्यों पर चर्चा करेंगे।

गांधी जी के अनुसार, ‘अहिंसा’ लड़ाई में प्रयुक्त होने वाले हथियारों में एक प्रमुख हथियार है। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचारों और कार्यों में अहिंसा को अपनाने की आवश्यकता है। वे अपने जीवन में अहिंसा का सख्ती से पालन करके राष्ट्र की स्वतंत्रता के अभियान में जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे हैं। वह अहिंसा के उपासक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा को अपनाने से बड़े पैमाने पर रक्तपात और विनाश होगा और अहिंसा युद्ध जितने का एक अचूक हथियार के रूप में है। उन्होंने न केवल लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में इसका उपयोग भी किया। उन्होंने अपने असहयोग आंदोलन में लोगों को सलाह दी कि वह किसी भी हिंसक तरीके का इस्तेमाल न करें। उन्होंने हिंसक प्रक्रियाओं को अपनाने के बजाय शांतिपूर्ण तरीके से अग्रेजों के क्रूरता से निपटने को कहा और वो हमेशा अपनी बात पर अडिग रहें।

गांधी जी ईमानदारी के बहुत बड़े अनुयायी थे। उन्होंने बताया कि हमें अपने जीवन में सच्चा होना बहुत जरूरी है। हमें सत्य को स्वीकार करने से कभी डरना नहीं चाहिए। उनके अनुसार, अहिंसा को हम अपने जीवन में ईमानदारी और सच्चाई से ही प्राप्त कर सकते है। गांधी जी ने अपना पूरा जीवन लोगों के अधिकारों को दिलाने के लिए लगाया ताकि उन्हें न्याय मिल सके। इसे सत्य की लड़ाई के रूप में भी देखा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि सत्यता ईश्वर का ही एक दूसरा रूप है।

  • आत्मनिर्भरता

महात्मा गांधी ने हमारी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने देश में एक स्वदेशी आंदोलन को चलाया था, जो हमारे देश में निर्मित वस्तुओं के निर्माण और इस्तेमाल और विदेशी निर्माण वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए था इसका एक उदहारण हमारे देश में चरखे द्वारा खादी की कताई की शिक्षा दी।

  • ईश्वर पर भरोसा

गांधी जी की ईश्वर में गहरी आस्था थी। उन्होंने कहा था कि कभी भी किसी इंसान से नहीं बल्कि भगवान से डरना चाहिए। वह एक सर्व शक्तिमान है। इस बात की पहचान उनकी इन पंक्तियों में देखा जा सकता है कि “ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान”, जो गांधी जी के मुख से कही गयी थी।

  • चोरी न करना

उन्होंने कहा था कि जो चीजें हमें अपने स्वयं के प्रयास से उपहार के रूप में पुरस्कृत या मिलती हैं, वो चीजें केवल हमारे हक़ की होती हैं। गलत तरीकों या अन्य अधिकारों के उपयोग से हम जो कुछ भी हासिल करते हैं, वो चीजें हमारी नहीं होती है और वो चीजें चोरी की गई चीजों के समान होती है। यह हमारे लिए कभी भी फलदायी नहीं होती है। हमें अपनी कड़ी मेहनत पर विश्वास रखना चाहिए और उन चीजों को हासिल करना चाहिए जिसके लिए हम वास्तविक रूप से हकदार हैं।

  • आत्म-अनुशासन

गांधी जी ने कहा कि हमें कोई भी कार्य करने से पहले उसके बारे में सोच-विचार कर लेना चाहिए। हम जो कुछ भी बोलते और करते उसपर उचित नियंत्रण होना चाहिए। हमें अपने अंदर निहित अपनी क्षमता और उन क्षमताओं का एहसास होना चाहिए और अपने आत्म-अनुशासन के बिना यानी अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण के बिना यह असंभव नहीं है।

  • समानता और भाईचारा

गांधी जी ने भेदभाव और अस्पृश्यता की प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने लोगों के हित की लड़ाई लड़ी थी। उनके अनुसार, हम सभी ईश्वर के द्वारा बनाये गए है और इसलिए सभी एक सामान हैं। हमें कभी भी किसी के साथ जाति, पंथ या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। वह चाहते थे कि लोग एकता और भाईचारे के साथ रहें और आपस में सभी धर्मों का सम्मान करें।

  • हर जीवित जीव का सम्मान

हमें इस धरती पर हर जीवों का सम्मान करने की आवश्यकता हैं।

गांधी जी के नेतृत्व में विभिन्न स्वतंत्रता संग्राम और जन आंदोलन अहिंसा से जुड़े थे। वह सभी कठिनाइयों को समाप्त करना चाहते थे और शांतिपूर्ण तरीके से प्राप्त करना चाहते थे। उन्होंने अंग्रेजों की नफरत और उनकी हिंसा के लिए अहिंसा को इस्तेमाल किया था। हिंसक हमलों, अन्याय और विनाश की शांतिपूर्ण और हानिरहित प्रतिक्रिया ही सत्याग्रह है। उन्होंने उपवास के तरीकों का इस्तेमाल किया और कभी भी हिंसक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया।

क्या महात्मा गांधी के नैतिक मूल्य और सिद्धांत उनके अपने जीवन के व्यावहारिक अनुभव थे ?

महात्मा गांधी एक राजनीतिक नेता थे और ईश्वर में बहुत विश्वास रखते थे। उन्होंने कभी भी सत्ता या वर्चस्व हासिल करने के लिए नेताओं की तरह कुछ नहीं किया, वह केवल जनता के नेता थे। उन्होंने मानवता की परवाह की और निचे तबके के लोगों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। सत्य और अहिंसा उनके महत्वपूर्ण हथियार थे। हर हालात में अहिंसा का पालन करना बहुत ही मुश्किल काम है, लेकिन गांधी जी ने कभी भी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया। गांधी जी ने स्वास्थ्य और स्वच्छता को भी बहुत ही महत्त्व दिया।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपने जीवन में जिन चीजों का प्रचार किया, उनमें से अधिकांश उनके जीवन के व्यावहारिक अनुभवों से थी। ये सिद्धांत सभी के जीवन से सभी पहलुओं में जैसे सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, राजनीतिक आदि में महत्वपूर्ण हैं।

महात्मा गांधी की ये सभी शिक्षाएं उनके जीवन में वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित हैं। वह एक महान समाज सुधारक थे, उन्होंने समाज से वंचित समूहों के कल्याण के लिए बहुत प्रयास किये है। उनके सिद्धांत समाज में परिवर्तन लाने में हमेशा ही अग्रिम और सहायक सिद्ध रहे हैं। नैतिक मूल्य और सिद्धांत भी हमारे जीवन के लिए हमेशा ही हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।

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नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर निबंध | Essay On Moral Values For Students In Hindi

Essay On Moral Values For Students In Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आज हम  नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर निबंध बता रहे हैं.

आज का यह लेख कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए छोटा बड़ा हिंदी में 5,10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में इस निबंध को परीक्षा के लिहाज से याद कर सकते है.

नैतिक शिक्षा की आवश्यकता पर निबंध

Short & Big Leanth Moral Values For Students In Hindi Giving Here Free Pdf For Students & Kids.

जीवन को बेहतर तरीके से जीने के लिए शिक्षा एक सर्वोत्तम साधन हैं मनुष्य की क्षमताओं को विकसित करने वाली पद्धति शिक्षा ही हैं. यहाँ एक प्रश्न यह भी है कि शिक्षा कैसी हो,

उसका स्वरूप क्या हो? आज हमारे बच्चों को दी जाने स्कूली शिक्षा क्या व्यक्तित्व निर्माण की अहम प्रक्रिया मानी गई शिक्षा के मानदंडों को पूरा करती हैं.

एक आदर्श नागरिक के निर्माण के लिए जो शिक्षा दी जा रही है उसमें कौशल, रोजगार सृजन, अनुशासन और धर्म व नैतिकता को शामिल किया जाना ही चाहिए.

सत्यम शिवम सुन्दरम् के आदर्शों को शिक्षा में सम्मिलित कर बालक को सही गलत की पहचान करने का सामर्थ्य दिलाना शिक्षा का एक उद्देश्य होना ही चाहिए. गलत को गलत कहने और अन्याय के खिलाफ लड़ने का साहस पैदा करना शिक्षा का काम हैं.

पेशवर शिक्षा व्यक्ति को धन अथवा पद अर्जन में सहायता तो कर सकती है मगर चरित्र उत्थान एवं आध्यात्मिक विकास के लिए नैतिक शिक्षा को साधारण शिक्षा के साथ सम्मिलित कर देना चाहिए. अशांति एवं असंतोष के वातावरण में युवा मोह और भ्रम के बीच अपने उद्देश्यों को न भूलें, इसके लिए नैतिकता का पाठ जरूरी हैं.

नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध 300 शब्दों में

प्रस्तावना- प्रत्येक राष्ट्र की सामाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नति वहां की शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करती है. हमारे देश में स्वतंत्रता के बाद शिक्षा क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है.

फिर भी कमी यह है कि यहाँ नैतिक शिक्षा पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है. इसमें भारतीय युवा पीढ़ी संस्कारहीन और कोरी भौतिकवादी बन रही है.

नैतिक शिक्षा का स्वरूप- प्राचीन भारत में वर्णाश्रम व्यवस्था के अंतर्गत चारित्रिक उत्कर्ष के लिए नैतिक शिक्षा पर बल दिया जाता था. लेकिन भारत सैकड़ों वर्षों तक पराधीन रहा, इसकी वर्णाश्रम व्यवस्था विछिन्न हो गई और शिक्षा का स्वरूप चरित्र निर्माण न होकर केवल धनोपार्जन रह गया.

इस कारण यहाँ नैतिक शिक्षा का हास हुआ. इस स्थिति की ओर ध्यान देकर अब प्रारम्भिक माध्यमिक शिक्षा स्तर पर नैतिक शिक्षा का समावेश किया जाने लगा हैं.

नैतिक शिक्षा का समायोजन – भारतीय संस्कृति के उपासक लोगों ने वर्तमान शिक्षा पद्धति के गुण दोषों का चिंतन कर नैतिक शिक्षा के प्रसार का समर्थन किया.

फलस्वरूप विद्यार्थियों के लिए नैतिक शिक्षा स्तरानुसार समायोजन किया जाने लगा हैं. क्योंकि विद्यार्थी जीवन आचरण की पाठशाला हैं.

नैतिक शिक्षा की उपयोगिता – नैतिक शिक्षा की उपयोगिता व्यक्ति, समाज और राष्ट्र इन सभी के लिए हैं. नैतिक शिक्षा के द्वारा ही विद्यार्थी अपने चरित्र एवं सुंदर व्यक्तित्व का निर्माण कर सकते हैं.

नैतिक शिक्षा से मंडित विद्यार्थी का भविष्य उज्ज्वल गरिमामय बनता है तथा देश के भावी नागरिक होने से उनसे समस्त राष्ट्र को नैतिक आचरण का लाभ मिलता हैं.

उपसंहार – नैतिक शिक्षा मानव व्यक्तित्व के उत्कर्ष का, संस्कारित जीवन तथा समस्त समाज हित का प्रमुख साधन है. इससे भ्रष्टाचार, स्वार्थपरता, प्रमाद, लोलुपता, छल कपट तथा असहिष्णुता आदि दोषों का निवारण होता है.

मानवतावादी चेतना का विकास भी इसी से संभव हैं. अतएवं विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए.

500 शब्दों में नैतिक शिक्षा पर निबंध

प्रत्येक राष्ट्र की सामाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नति वहां की शिक्षा पद्दति पर निर्भर करती है. हमारे देश में स्वतंत्रता के बाद शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है.

और वर्तमान में कला, वाणिज्य, विज्ञान, चिकित्सा आदि अनेक संकायों में विभिन्न सवर्गों में शिक्षा का गुणात्मक एवं संख्यात्मक प्रचार हो रहा है.

सूचना प्रद्योगिकी के क्षेत्र या कंप्यूटर शिक्षा में भारत विश्व का अग्रणी देश बन गया है. फिर भी एक कमी यह है कि यहाँ नैतिक शिक्षा पर उतना ध्यान नही दिया जाता है. इससे भारतीय पीढ़ी संस्कारहीन और कोरी भौतिकवादी बन रही है.

नैतिक शिक्षा का महत्व (Importance of moral education)

प्राचीन भारत में वर्णाश्रम व्यवस्था के अंतर्गत चारित्रिक उत्कर्ष के लिए नैतिक शिक्षा पर बल दिया जाता था. उस समय विद्यार्थियों में नैतिक आदर्शों को अपनाने की होड़ लगी रहती थी. इस कारण वे संस्कार सम्पन्न होकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करते थे. लेकिन भारत सैकड़ो वर्षो तक पराधीन रहा था.

इसकी वर्णाश्रम व्यवस्था विछिन्न हो गई और शिक्षा का स्वरूप चरित्र निर्माण न होकर अर्थोपार्जन हो गया. इस कारण यहाँ नैतिक शिक्षा का हास्य हुआ है.

ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठां , परोपकार, समाज सेवा, उदारता, सद्भावना, मानवीय संवेदना तथा उदात आचरण आदि का अभाव इसी नैतिक शिक्षा के हास का कारण माना जा सकता है. इस स्थति की ओर ध्यान देकर अब प्रारम्भिक माध्यमिक शिक्षा स्तर पर नैतिक शिक्षा का समावेश किया जाने लगा है.

नैतिक शिक्षा का समायोजन (Adjusting moral education)

भारतीय संस्कृति के उपासक लोगों ने वर्तमान शिक्षा पद्दति के दोषों गुणों के बारे में चिन्तन कर नैतिक शिक्षा के प्रचार का समर्थन किया है. फलस्वरूप विद्यार्थियों के लिए नैतिक शिक्षा का स्तरानुसार समायोजन किया जाने लगा है.

प्राचीन निति शिक्षा से सम्बन्धित आख्यानों, कथाओं एवं ऐतिहासिक महापुरुषों के चरित्र को आधार मानकर नैतिक शिक्षा की पाठ्य सामग्री तैयार की गई है.

वस्तुतः विद्यार्थी जीवन आचरण की पाठशाला है. सभ्य संस्कार सम्पन्न नागरिक का निर्माण विद्यार्थी जीवन में ही होता है. विद्यार्थी को जैसी शिक्षा दी जायेगी, जैसे संस्कार उन्हें दिए जाएगे, आगे चलकर वह वैसा ही नागरिक बनेगा. इस बात का ध्यान रखकर नैतिक शिक्षा का समायोजन किया गया है.

नैतिक शिक्षा की उपयोगिता (Usefulness of moral education)

नैतिक शिक्षा की उपयोगिता व्यक्ति, समाज और राष्ट्र इन सभी के लिए महत्वपूर्ण है. विद्यार्थी जीवन में तो नैतिक शिक्षा का अपना विशेष महत्व और उपयोगिता है.

नैतिक शिक्षा के द्वारा ही विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व एवं सुंदर चरित्र का निर्माण कर सकते है. नैतिक शिक्षा से मंडित विद्यार्थी का अपना भविष्य उज्जवल एवं गरिमामय बनता है. तथा देश के भावी नागरिक होने से उनसे समस्त राष्ट्र को नैतिक आचरण का लाभ मिलता है.

देश में उच्च आदर्शों, श्रेष्ट परम्पराओं एवं नैतिक मूल्यों की स्थापना तभी की जा सकती है. अतएवं प्रशस्य जीवन निर्माण के लिए विद्यार्थी जीवन में नैतिक शिक्षा की विशेष उपयोगिता है.

नैतिक शिक्षा मानव व्यक्तित्व के उत्कर्ष का, संस्करारित जीवन तथा समाज हित का प्रमुख साधन है. इससे भ्रष्टाचार, स्वार्थपरता, प्रमाद, लोलुपता, छल कपट तथा असहिष्णुता आदि दोषों का निवारण होता है.

मानवतावादी चेतना का विकास भी इसी से ही संभव है. जीवन का विकास उद्दात एवं उच्च आदर्शों से होता रहे, इसके लिए नैतिक शिक्षा का प्रचार अपेक्षित है. अतएवं विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए.

One comment

इस आधुनिक समाज के बच्चो को नैतिक शिक्षा का महत्व जानना बहुत जरुरी है, हमे खुशी है की आप ने इसपर लेख लिखा, धन्यवाद

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Essay on Moral Values in Hindi – नैतिक शिक्षा पर निबन्ध

December 20, 2017 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में नैतिक शिक्षा पर निबन्ध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Moral Values in Hindi Language/ Essay on Moral Education in Hindi Language for students of all Classes in 100, 200 and 1000 words.

Essay on Moral Values in Hindi – नैतिक शिक्षा पर निबन्ध

Essay on Moral Values in Hindi

Essay on Moral Values in Hindi – नैतिक शिक्षा पर निबन्ध ( 100 words )

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसमें समाज में रहने के लिए कुछ गुणों का होना जरूरी है जो उनके व्यक्तित्व को निखारती है। नैतिक मुल्य किसी भी व्यक्ति में जन्म से नहीं होते है बल्कि हर व्यक्ति इन्हें घर परिवार और स्कुल से सिखता है। इसके अंतर्गत बड़ो का आदर, अनुशासन, समय का पालन और उच्च व्यवहार आदि आते हैं। नैतिक शिक्षा किसी भी व्यक्ति को सफल होने के लिए अपनाने ही पड़ते हैं। नैतिक मूल्य जीवन का आधार है और यह मानवता को जीवित रखते हैं। नैतिक मुल्यों के बिना मनुष्य का जीवन पशु के समान है।

Essay on Moral Values in Hindi – नैतिक शिक्षा पर निबन्ध ( 200 words )

नैतिक मूल्य प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अंतर्गत वह सभी सिद्धांत आते है जो हमें सही और गलत में फर्क करना सिखाते हैं। यह हमारा व्यक्तित्व सुधारने में सहायक है और हमें समाज में रहने योग्य बनाते हैं। इसको अंदप शिष्टाचार, ईमानदारी, साधारण व्यवहार, निष्ठता ,समय का पालन और अनुशासन आदि आते हैं। हमारे नैतिक मूल्य ही हमें दुसरों से अलग बनाते हैं। यह हमें किसी से भेदभाव करना नहीं सिखाते हैं। यह हमें सबकी सहायता करना सिखाते हैं। नैतिक मूल्य हमें सभी से अच्छा आचरण करना सिखाते हैं।

यह हमारे चरित्र को उच्च बनाते हैं। हमें नैतिक मूल्यों के बारे में घर पर माता पिता और स्कूल में शिक्षकों के द्वारा पढ़ाना चाहिए। आज के युग में बच्चे नैतिक मूल्यों को भूलते जा रहे हैं। वह अपने सदाचार को भूलते जा रहे हैं। बढ़ो का आदर करना और छोटो से प्यार करना वह सब कुछ भूलते जा रहे हैं। सभी को बचपन से ही नैतिक मुल्य सिखाए जाने चाहिए। नैतिक मूल्यों में दया, सहयोग और कठिन परिश्रम आदि आते हैं। नैतिक मूल्यों विद्यार्थी में होने चाहिए क्योंकि वह समय सीखने के लिए सबसे अच्छा होता है।

Essay on Moral Values in Hindi – नैतिक शिक्षा पर निबन्ध ( 1000 words )

आज भारत में एक नई प्रणाली विकसित करने के लिए एक सख्त आवश्यकता है जो राष्ट्रीय परंपरा और एकीकरण के हमारे प्रमुख मूल्यों के अनुरूप है। यह प्रणाली केवल हमारी राष्ट्रीय चेतना को मजबूत और मजबूत कर सकती है|  1976 से पहले, शिक्षा राज्यों की अनन्य जिम्मेदारी थी। 1976 के संवैधानिक संशोधन से, शिक्षा को समवर्ती सूची में शामिल किया गया था। शिक्षा में राज्यों की भूमिका और ज़िम्मेदारी काफी हद तक बनी हुई है, लेकिन केंद्र सरकार ने शिक्षा के राष्ट्रीय और एकीकृत चरित्र को मजबूत करने के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी स्वीकार कर ली।

संशोधित नीति में शिक्षा में समानता लाने के लिए शिक्षा की एक राष्ट्रीय प्रणाली की परिकल्पना की गई है। शिक्षा का अर्थ है कि जन्मजात गुणों के निरंतर विकास के माध्यम से व्यक्तित्व को बढ़ावा देना। इसका उद्देश्य समाज के लय के साथ व्यक्ति के जीवन की ताल को समायोजित करना है। इस समायोजन में एक के चरित्र को मजबूत करना और नैतिक फाइबर का एकीकरण करना शामिल है। आज, हमारी शिक्षा प्रणाली में इन नैतिक मानकों का अभाव है। नैतिक दृष्टि से, मानवीय कार्यों को ‘अच्छा’ या ‘बुरा’, ‘सही’ या ‘गलत’, ‘नैतिक’ या ‘अनैतिक’ के रूप में माना जा सकता है। ये निर्णय हमेशा हमारे समाज के सामान्य नैतिक मानक से निर्धारित होते हैं। नैतिकता हमारे साथी-पुरुषों द्वारा हम पर लागू कानून नहीं है यह जीवन शैली का नियम है जिसे हम स्वयं समझ सकते हैं और चुन सकते हैं, क्योंकि हम देखते हैं कि यह उसी तरह का पालन करना अच्छा है।

मोटे तौर पर बोलना, नैतिकता का अर्थ चरित्र की ईमानदारी, घृणा, ईर्ष्या, लालच, झूठ बोलने आदि जैसी बुराइयों के रवैये और त्याग में निष्पक्षता है। शिक्षा का अंतिम उद्देश्य विद्यार्थियों में इन मानव मूल्यों को पैदा करना है। आज, जीवन यांत्रिक हो गया है आधुनिक मनुष्य बहुत भौतिकवादी बन गया है और भौतिक चीज़ों की खोज के साथ ही व्यस्त है। एक ही बार में भगवान और ममोन की पूजा नहीं कर सकता भौतिकवादी लाभों की अत्यधिक इच्छा से मनुष्य ने अपने जीवन के आध्यात्मिक और नैतिक पहलुओं को अनदेखा कर दिया है। यह एक तथ्य है कि आजकल युवा लोगों में शैक्षणिक व्यवस्था नैतिक मूल्यों को विकसित करने में नाकाम रही है। शैक्षिक संस्थानों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि के बावजूद, हमारे समाज में मानव मूल्यों में गिरावट आई है।

दान, सहानुभूति, निस्वार्थ सेवा, दूसरों की मदद करना और ऐसे अन्य गुण आजकल कुछ ही लोगों में पाए जाते हैं। शिक्षाविदों के लिए यह बहुत चिंता का विषय है, केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मानव संसाधन विकास (एचआरडी) पर संसदीय स्थायी समिति के मुताबिक, “पिछले छह दशकों के दौरान किए गए ठोस प्रयासों से वांछित परिणाम प्राप्त करने में असफल रहे हैं। हमारे शिक्षा मूल्य-उन्मुख बनाने के लिए योजनाओं और रणनीतियों को तैयार किया गया था, लेकिन अभी भी कागज पर बने रहना है। ” अब नैतिक शिक्षा किसी भी पाठ्यक्रम में शामिल नहीं है, चाहे विज्ञान या मानविकी। लेकिन नालंदा और टैक्सिला के हमारे प्राचीन विश्वविद्यालयों ने छात्रों को ‘नैतिक शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया।

फिर, शिक्षकों ने एक परम इंसान बनने की आवश्यकता पर जोर दिया। शिक्षकों द्वारा शिक्षकों, अनुशासन और संयम के संबंध में बड़ों के सम्मान और मूल्यों जैसे शिक्षकों को पढ़ाया जाता था प्राचीन काल में, बच्चों को न केवल शिक्षा प्राप्त करने के लिए (जो गुरु-शिशेष्य नाम से जाना जाता था) गुरुओं के आश्रम के लिए भेजा गया था, जो उन्हें अपनी आजीविका कमाने के लिए तैयार कर सकता था, बल्कि नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को भी प्राप्त करने के लिए भेजा गया था। ऐसे मूल्यों ने उन्हें अपने भ्रम और चिंता के क्षणों में स्वयं को बनाए रखने में मदद की। इसलिए, वे जीवन के उतार चढ़ाव के माध्यम से पाल करने में सक्षम थे। आज, इन मूल्यों को हमारी शिक्षा प्रणाली द्वारा पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया है।

शिक्षाविदों का मानना है कि किसी भी शैक्षिक संस्था में एक विषय के रूप में नैतिकता को पढ़ाया नहीं जा सकता है। ऐसा कुछ है जो बच्चा अपने माता-पिता और परिवार से सीखता है जैसा कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, यह स्कूलों या कॉलेजों में धर्मों में धर्म को शामिल करने के लिए व्यावहारिक नहीं है। नॉर्मल एजुकेशन केवल अनुशासन बनाने वाले कोड के माध्यम से दिए जा सकते हैं, उनका अनुपालन किया जा सकता है, और उनका उल्लंघन करने के लिए सजा का पता लगा सकता है। सभी बोर्डों और विश्वविद्यालयों द्वारा मूल्य शिक्षा पाठ्यक्रम के माध्यम से नैतिक शिक्षा दी जा सकती है। स्कूल स्तर पर, पाठ्यक्रम में लोक कथाएं, देशभक्ति की कहानियां, महान पुरुष, जीवन की जीवनी, कविताओं और दृष्टान्तों को छात्रों के लिए मूल्यवान सबक शामिल करना चाहिए।

विश्वविद्यालय स्तर पर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों के बीच मूल्य शिक्षा की एक योजना शुरू की है। छात्रों के लिए मानव मूल्यों को प्रदान करना समय की आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा सबसे अधिक सफल होती है जब यह निष्क्रिय और अप्रत्यक्ष होता है, बल्कि ज़ोरदार नहीं होता है। हमारी नैतिकता के प्रति उदासीनता हमारे समाज में व्यापक भ्रष्टाचार से स्पष्ट है। सार्वजनिक प्रशासन का कोई क्षेत्र नहीं है जहां यह अभ्यास सर्वोच्च नहीं है। रिश्वतखोरी हमारे सार्वजनिक जीवन की एक आम विशेषता बन गई है। कोई भी गैरकानूनी काम कर सकता है और कानून को आसानी से आसानी से पास कर सकता है, पैसे का इस्तेमाल करके सरकारी अधिकारियों के हथेलियों को दबाने के लिए। पुलिस, न्यायपालिका और प्रशासन में भ्रष्टाचार व्यापक है।

यदि हम समाज में भ्रष्टाचार को जड़ना चाहते हैं, तो हमें अपने बच्चों को नैतिक शिक्षा प्रदान करके जमीनी स्तर पर शुरू करना होगा। नैतिक चरित्र हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। एक व्यक्ति नैतिक चरित्र को विकसित किए बिना महान बन सकता है गांधीजी , विवेकानंद , सुभाष चंद्र बोस और अब्राहम लिंकन जैसे सभी महान पुरुष मजबूत और महान चरित्र के पुरुष थे। जैसा कि व्यक्ति के लिए नैतिक चरित्र आवश्यक है, इसलिए यह एक राष्ट्र के लिए भी है। एक राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता यदि उसे अपना नैतिक चरित्र खो दिया है। आज हमारा देश क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता और आतंकवाद से पीड़ित है।

यदि हमारे युवा पुरुष और महिला आज अनैतिक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं, तो यह उचित शिक्षा की कमी के कारण ही है। केवल मानव मूल्यों के माध्यम से उचित दिशा में उन्हें सफलता प्राप्त करने के लिए धर्मी तरीके से सिखा सकते हैं। इस प्रकार, जमीनी स्तर से विश्वविद्यालय स्तर तक नैतिक शिक्षा प्रदान करना एक ईमानदार नागरिकों के लिए बहुत जरूरी है।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay on Moral Values in Hindi – नैतिक शिक्षा पर निबन्ध )को पसंद करेंगे।

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नैतिक मूल्यों पर लेख, अनुच्छेद

essay on moral values in hindi

By विकास सिंह

Paragraph on moral values in hindi

नैतिक मूल्य वे मूल्य और नैतिकताएं हैं जो हमें एक धर्मी जीवन जीने में मदद करती हैं। नैतिक मूल्यों को बचपन में विकसित किया जाना चाहिए ताकि उनके पास एक मजबूत नींव हो, और हमारा जीवन मूल्यों के साथ जुड़ा हुआ है। नैतिक मूल्य हमारे जीवन को ढालने और धार्मिकता और सदाचार के मार्ग पर चलने में मदद करते हैं।

जब हम बचपन से नैतिक मूल्यों से जीते हैं, तो वे हमारे जीवन का हिस्सा बन जाते हैं, और हमें सही करने में मदद करते हैं और खुद को गलत होने से बचाते हैं। नैतिक मूल्य हमें जीवन की कोशिश करने वाली स्थितियों में सही निर्णय लेने में मदद करते हैं।

नैतिक मूल्यों पर लेख, Paragraph on moral values in hindi (100 शब्द)

नैतिक मूल्य ऐसी नैतिकता हैं जो हमारे जीवन को संचालित करने के तरीके को नियंत्रित करती हैं। धार्मिक और सदाचारी जीवन वह है जहाँ हम नैतिक मूल्यों से जीते हैं। ईमानदारी और सत्यता महत्वपूर्ण नैतिक मूल्य हैं। ईमानदार और सच्चा होने के लिए साहस और निर्भीकता की आवश्यकता होती है। जिस तरह सत्य कहने के लिए साहस की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह झूठ बोलने के लिए भी निडरता की आवश्यकता होती है।

संतोष और ईमानदारी भी हमें चोरी नहीं करने में मदद करती है जो दूसरे से संबंधित है। यदि हम दूसरों का सामान चुराते हैं, तो दूसरे हमारे सामान को लूट सकते हैं। दूसरों का सम्मान करना भी नैतिक मूल्य हैं जिन्हें हमें आत्मसात करके हम एक बेहतर जीवन जी सकते हैं।

नैतिक मूल्यों पर लेख, 150 शब्द:

हमारा व्यवहार और चरित्र नैतिकता दिखाता है जिससे हम जीते हैं। धर्मी व्यक्ति वह है जिसने नैतिक मूल्यों को विकसित किया है और उनके द्वारा जीवन जीता है। ऐसे व्यक्ति अपने नैतिक मूल्यों का पालन करते हैं, प्रक्रिया में उन्हें जो भी कठिनाई हो सकती है वे नहीं डरते हैं। वे सजा से डरते नहीं हैं और शांति और संतोष की स्थिति में रहते हैं।

नैतिक मूल्य बचपन में हमारे माता-पिता और शिक्षकों द्वारा विकसित किए जाते हैं, और जीवन के माध्यम से हमारे साथ रहते हैं। ईमानदारी और सत्यता महत्वपूर्ण नैतिक मूल्य हैं। ईमानदार और सच्चा होने के लिए एक व्यक्ति को साहसी होने की आवश्यकता है। सच कहना चाहिए और जो कुछ भी हो डरना नहीं चाहिए।

नैतिक मूल्य भी हमें दूसरों की संपत्ति रखने से रोकते हैं। चोरी करना बेईमानी और अनुचितता दर्शाता है। यदि हम दूसरों का सामान चुराते हैं, तो अन्य लोग हमें लूट सकते हैं। दूसरों का सम्मान करना, और हमारे कर्तव्यों का पालन करना भी नैतिकता है जिसे हमें निभाना चाहिए।

नैतिक मूल्यों पर लेख, Paragraph on moral values in hindi (200 शब्द)

नैतिक मूल्य दया, उदारता, ईमानदारी, दया, निष्ठा, राजनीति, दृढ़ता, आत्म नियंत्रण और सम्मान जैसे अच्छे मूल्य हैं। जिन व्यक्तियों के पास ये गुण होते हैं, उन्हें समाज के लिए एक संपत्ति माना जाता है। वे न केवल एक अनुशासित जीवन जीते हैं, बल्कि अपने आस-पास के लोगों को भी सर्वश्रेष्ठ बनाने में मदद करते हैं। काम के प्रति उनका समर्पण, आत्म नियंत्रण की भावना और मदद करने की प्रकृति को सभी ने सराहा है।

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा एक अच्छा नैतिक चरित्र धारण करे। भारत में कई परिवार विशेष रूप से सख्त हैं जब नैतिक मूल्यों की बात आती है। वे इसके महत्व पर जोर देते हैं और अपने बच्चों को कम उम्र से ही विकसित करने में मदद करने की कोशिश करते हैं। हालाँकि, समय के साथ समाज में नैतिक मूल्य कम होते जा रहे हैं।

नैतिक मूल्यों की बात करते समय विचारों के दो स्कूल होते हैं। एक के अनुसार, एक व्यक्ति को अपनी खुशी की कीमत पर भी अच्छे नैतिक मूल्यों को धारण करना चाहिए। दूसरी ओर एक के अनुसार एक व्यक्ति को स्वयं के साथ बहुत सख्त नहीं होना चाहिए और अगर वे तनाव का कारण बन जाते हैं तो नैतिक मूल्यों को कुछ हद तक बदल दिया जा सकता है। इन दिनों युवाओं में नैतिक मूल्यों को महत्व देने के बजाय खुशी पाने की ओर अधिक झुकाव है। इसे पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

नैतिक मूल्यों पर लेख, 300 शब्द:

नैतिक मूल्यों में ईमानदार होना, दयालु होना, दूसरों के प्रति सम्मान दिखाना, दूसरों की मदद करना, आत्म नियंत्रण की भावना रखना, सभी के साथ समान व्यवहार करना और ऐसे अन्य अच्छे गुणों को आत्मसात करना शामिल है। ऐसे गुणों वाले व्यक्ति को एक अच्छे नैतिक चरित्र को सहन करने के लिए जाना जाता है। दूसरी ओर, जिन लोगों के पास ऐसे गुण नहीं होते हैं, उन्हें समाज द्वारा नीचे देखा जाता है।

इसके लिए अच्छी आदतों का पालन करने और नैतिक मूल्यों का पालन करने के लिए दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है। प्रत्येक व्यक्ति इन आदतों का पालन करने के लिए उतना दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं रखता है। हालाँकि, हमें इनका उपयोग करने की कोशिश करनी चाहिए।

ऑफिस या कार्यस्थल में नैतिक मूल्य

लोग अच्छे नैतिक मूल्यों वाले व्यक्तियों की आशा करते हैं। जॉब इंटरव्यू के दौरान इंटरव्यूअर जिन चीजों की जांच करता है उनमें से एक यह है कि क्या भावी कर्मचारी अच्छे नैतिक मूल्यों को धारण करता है। बुनियादी नैतिक मूल्यों के अलावा, प्रत्येक संगठन में एक परिभाषित नैतिक आचार संहिता है जिसका कर्मचारियों को पालन करने की उम्मीद है।

अनुशासित कर्मचारियों वाला एक संगठन, जिनके पास अच्छे नैतिक मूल्य हैं, उन लोगों की तुलना में अधिक व्यवस्थित रूप से चलते हैं जहां इन मूल बातों को क्रमबद्ध नहीं किया जाता है। कम भ्रष्टाचार है और सभी को ऐसे माहौल में सीखने और बढ़ने का उचित मौका मिलता है। यही कारण है कि नियोक्ता एक कर्मचारी का चयन करते समय इस गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हैं।

हालांकि, दुर्भाग्य से, आज के युवा नैतिक मूल्यों को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। इन दिनों बढ़ती प्रतिस्पर्धा इन मूल्यों के ह्रास का एक कारण है। पेशेवर रूप से बढ़ने की कोशिश में, लोग झूठ बोलने, धोखा देने और अन्य अनैतिक और अनैतिक प्रथाओं का उपयोग करने में संकोच नहीं करते हैं। इससे काम का माहौल बिगड़ जाता है। यह इस वजह से है कि योग्य कर्मचारी एक ही स्थिति पर जीवन भर नेतृत्व करते हैं जबकि अनैतिक काम करने वाले लोग शीर्ष पर पहुंचते हैं।

हमारे समाज को अधिक व्यक्तियों की आवश्यकता है जो सही तरीके से बढ़ने और विकसित करने के लिए अच्छे नैतिक मूल्यों के अधिकारी हों।

नैतिक मूल्यों पर लेख, Paragraph on moral values in hindi (350 शब्द)

हम नैतिक और सदाचारी जीवन जीना चाहते हैं। यह हर जगह इंसानों के लिए आदर्श है। जब मनुष्य नैतिकता और मूल्यों पर आधारित जीवन नहीं जीते हैं, तो समाज का क्षरण होता है। सभी सामाजिक बुराइयों की जड़ लोगों में नैतिकता की कमी है। जब व्यापक सामाजिक पतन होता है तो, चाहे वह व्यक्ति चाहे धर्मी हो या न हो, पीड़ित होता है।

नैतिक मूल्यों से धर्मी जीवन का जन्म होता है:

नैतिक मूल्य नैतिकता हैं जो हमें एक धर्मी जीवन जीने में मदद करते हैं। यह, एक संचयी प्रभाव के माध्यम से, हमारे समाज और राष्ट्र में सद्गुण और शांति की ओर जाता है। बच्चों में मूल्यों और नैतिकता का समावेश होना चाहिए ताकि वे एक मजबूत नींव लें।

ईमानदारी, सच्चाई, सम्मान और निष्पक्षता सभी नैतिक मूल्य हैं:

ईमानदार और सच्चा होना महत्वपूर्ण नैतिक मूल्य हैं। ईमानदार और सच्चा होने के लिए साहस और निर्भीकता की आवश्यकता होती है। झूठ बोलना आसान और सुविधाजनक हो सकता है अगर हमने गलती की है और खुद को सजा से बचा सकते हैं। लेकिन बाद में हमें कठिनाई होती है। इसलिए सच बोलना और सच्चाई का सामना करना हमेशा अच्छा होता है, चाहे कुछ भी हो।

सत्य कहने के लिए साहस की आवश्यकता होती है क्योंकि सत्य किसी को चोट पहुंचा सकता है लेकिन हमें सच्चाई को बनाए रखने में सक्षम होना चाहिए। जिस तरह हमें सच बोलने के लिए बोल्ड होने की जरूरत है, ठीक उसी तरह हमें भी झूठ नहीं बोलने के लिए निडर होने की जरूरत है। ईमानदारी भी हमें चोरी करने में मदद नहीं करती है जो दूसरे से संबंधित है।

ईमानदारी जीवन जीने का सबसे सरल तरीका भी है। भारतीय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमेशा सत्य और अहिंसा के गुणों से जीते थे। और उन्होंने इस वजह से दुनिया भर में लोगों का सम्मान और सम्मान अर्जित किया। उन्होंने इन गुणों और मूल्यों के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता को भी जीता।

अन्य लोगों का सम्मान करना भी एक नैतिक मूल्य है। एक-दूसरे का परस्पर सम्मान होना चाहिए। हमें जीवन के सभी रूपों का भी सम्मान करना चाहिए। हमारी सर्वोत्तम क्षमता के लिए हमारे कर्तव्यों का निर्वहन करना भी एक मूल्य है जिसका हमें अभ्यास करना चाहिए। हमें भी वफादार होना चाहिए, और हमारे कर्मों और शब्दों को चरित्र की अखंडता दिखानी चाहिए।

नैतिक मूल्यों पर लेख, 400 शब्द:

नैतिक मूल्य समाज द्वारा परिभाषित मूल्य हैं, जिसके आधार पर किसी व्यक्ति के चरित्र को आंका जाता है। एक व्यक्ति को इन मूल्यों के आधार पर अच्छा या बुरा कहा जाता है। जीवन में एक व्यक्ति की पसंद और निर्णय काफी हद तक नैतिक मूल्यों पर निर्भर करते हैं।

नैतिक मूल्य क्यों महत्वपूर्ण हैं?

नैतिक मूल्य सही और गलत और अच्छे और बुरे के मानदंडों को परिभाषित करते हैं। ये परिभाषित मानदंड लोगों को यह समझने में मदद करते हैं कि शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए उन्हें समाज में कैसे कार्य करना चाहिए। निर्णय लेना कुछ हद तक आसान हो जाता है क्योंकि एक व्यक्ति बचपन से सिखाए गए नैतिक सिद्धांतों के आधार पर अपने व्यवहार के नतीजों को जानता है।

नैतिक मूल्य हमें जीवन में एक उद्देश्य देते हैं। अगर हम अच्छे नैतिक मूल्यों को धारण करते हैं, तो हम वास्तविकता में जमीन पर उतर जाते हैं और अपने आसपास के लोगों के लिए अच्छा करने के लिए प्रेरित होते हैं। दूसरों की मदद करना, हमारे आस-पास के लोगों की देखभाल करना, समझदारी से फैसले लेना और दूसरों को तकलीफ न देना अच्छे नैतिक मूल्यों के कुछ उदाहरण हैं। ये मूल्य हम में सर्वश्रेष्ठ लाने में मदद करते हैं।

भारतीय समाज में नैतिक मूल्य:

भारतीय समाज और संस्कृति नैतिक मूल्यों को बहुत महत्व देते हैं। बचपन से ही, व्यक्तियों से इस तरह के व्यवहार की उम्मीद की जाती है जो नैतिक रूप से सही हो। उन्हें सिखाया जाता है कि समाज के अनुसार सही और गलत क्या है। बड़ों के साथ सम्मान के साथ और धैर्य के साथ और उन लोगों के साथ प्यार करना जो हमसे छोटे हैं, हमें सिखाया गया पहला पाठ है।

एक अच्छे नैतिक चरित्र को सहन करना भी सिखाया जाता है। शराब पीने, धूम्रपान और अन्य कुख्यात गतिविधियों में लिप्त होना भारतीय समाज में लगभग वर्जित है, खासकर महिलाओं के लिए। इसे भारतीय समाज की परंपरा और परंपरा के खिलाफ माना जाता है। भारत में लोग उन लोगों के साथ टूट गए हैं, जो नैतिक रूप से सही नहीं हैं।

हालांकि, बदलते समय और पश्चिमी संस्कृति के प्रति बढ़ते आकर्षण के साथ कई लोग नैतिकता के इन निर्धारित मानदंडों को धता बता रहे हैं। इन दिनों हर कोई अपने जीवन को अपने तरीके से जीने की स्वतंत्रता चाहता है और सख्त नैतिक मूल्य अक्सर उनकी खुशी में बाधा डालते हैं। बहुत से लोग स्वतंत्रता और खुशी की तलाश के लिए समाज के खिलाफ जाते हैं।

जबकि व्यक्तियों को अच्छे नैतिक मूल्यों को धारण करना चाहिए, कभी-कभी वे बहुत दूर की कौड़ी लगते हैं। मानसिकता में बदलाव और जीने के तरीके के साथ नैतिक मूल्यों में भी बदलाव होना चाहिए और बहुत कड़े नहीं रहना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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essay on moral values in hindi

नैतिक मूल्य व नैतिक शिक्षा पर निबंध – Essay on Moral Value in Hindi

नैतिक मूल्य परक शिक्षा की अनिवार्यता और महत्व – moral value in hindi.

Moral Value in Hindi

Moral Value in Hindi – जीवन के समस्त गुणों, ऐश्वर्यों, समृद्धियों और वैभवों की आधारशिला चरित्र और नैतिक मूल्य है | वैदिक मन्त्रों में हमारे ऋषियों ने इसीलिए भगवान् से प्रार्थना की है कि – “असतो मा सद् गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृत गमय |” अर्थात हे ईश्वर, मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलों, अंधकार से मुझे प्रकाश की ओर ले चलों |

असत्य और अंधकार इनका संबंध मनुष्य के अनैतिकता अर्थात “असत्य” मार्ग से ही है | नैतिक मूल्य से इस भूमि पर चरित्रवान व्यक्ति का निर्माण किया जा सकता है, परन्तु इसके अभाव में व्यक्ति अपने कुकृत्यों से इस पवित्र धरती को नरक बना देता है |

नैतिक मूल्य मनुष्य के आधारस्तम्भ हैं जो मानवता को जीवित रखा है और इनका व्यक्ति के जीवन में बड़ा महत्व हैं | इसलिए यहां मैं नैतिक मूल्यों पर बात करने से पहले मूल्य, नैतिक मूल्य और चरित्र तीनों का अर्थ समझाना आवश्यक समझती हूँ इसका एक फायदा यह भी होगा कि आपको चरित्र और नैतिकता का संबंध मालूम पड़ जायेगा |

मूल्य और नैतिक मूल्य का अर्थ

“ मूल्य ” को अमूर्त प्रत्यय कहा गया हैं, जो व्यक्ति या परिवार या समुदाय आदि के लिए लक्ष्य प्राप्ति के साधनों को निर्धारित करते हैं | मूल्यों को व्यक्ति धीरे – धीरे ग्रहण करता है और अंततोगत्वा, मूल्यों को अपने चरित्र और आचरण की निजी कसौटी बना लेता है |

मूल्य कई प्रकार के हो सकते हैं जिनमें कुछ मूल्य इस प्रकार हैं –  नैतिक मूल्य, धार्मिक मूल्य, कलात्मक मूल्य, राजनैतिक मूल्य, आर्थिक मूल्य और  सैद्धांतिक मूल्य | भिन्न – भिन्न मूल्य भिन्न – भिन्न व्यक्तियों, भिन्न – भिन्न मात्रा और आवृत्ति में विकसित होते हैं | इन सभी मूल्यों में नैतिक मूल्यों का विकास अधिक आवश्यक है |

“नैतिक मूल्य” को सामाजिक नैतिक मूल्य भी कहते है | सामाजिक नैतिक मूल्य के अन्तर्गत अनेक मूल्य आते हैं, जिसमें उचित अनुचित की भावना, आज्ञा पालन, सत्य – असत्य का ज्ञान, ईमानदारी, दया, सत्यवादिता, भक्ति, निष्पक्षता, आत्म नियंत्रण, विश्वसनीयता और उत्तरदायित्व की भावना है | व्यक्ति के इन्हीं सामाजिक नैतिक मूल्यों के समूह को “ चरित्र ” कहते हैं, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व का नैतिक पक्ष है |

नैतिक चरित्र के बारे में यह उक्ति उपयुक्त ही है कि –

नैतिकता के अभाव में जाती, प्रतिष्ठा की डाल सूख |

बचती न कोई पूंजी, न कोई रसूख | |

मूल्य और नैतिक मूल्य में अन्तर जानने के बाद आप यह समझ ही गए होंगे कि नैतिक मूल्य का हमारे जीवन में क्या महत्व है और यह कितना आवश्यक है | 

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नैतिक शिक्षा से दें अपने बच्चों को अच्छे संस्कार

अभिभावक या स्कूल किसका है नैतिक मूल्य या नैतिक शिक्षा का उत्तरदायित्व

बच्चा अपने जन्म के समय न तो नैतिक होता है और न अनैतिक, बल्कि वह समाज के प्रति उदासीन होता है | आयु बढने के साथ – साथ वह सामाजिक प्रत्याशाओं के अनुसार व्यवहार करना सीखता है जो की एक मंद और लम्बी प्रक्रिया है, परन्तु बच्चे से यह आशा की जाती है कि वह स्कूल जाने से पहले थोड़ा – थोड़ा उचित अनुचित बातों को जान ले, समझ ले | और बाल्यावस्था की समाप्ति से पहले यह आशा की जाती है कि उसमें कुछ मूल्यों का इनता विकास हो जाएँ कि वह स्वयं नैतिक चयन कर सके जबकि किशोरावस्था के बालकों से यह उम्मीद होती है कि उसमें नैतिक मूल्यों के साथ अनुरूपता स्थापित करने का गुण विकसित हो जाएँ | पर नैतिक शिक्षा का मूल उद्देश्य है – ‘नोइंग एंड डूइंग’ | अर्थात नैतिक मूल्यों की महत्ता को स्वीकार करते हुए व्यक्ति एवं समाज के स्तर को उत्कृष्टता के उस शिखर पर ले जाना, जिसमें सहयोग, सहकार, सामाजिक उत्तरदायित्व, श्रम प्रतिष्ठा, ईमानदारी, सहनशीलता, देशभक्ति तथा विश्वबंधुत्व एवं वसुधैव कुटुम्बकम् की भावनाओं को प्रोत्साहन मिले | साथ ही साथ सत्यता के सिद्धांतों को, मानवीय जीवनमूल्यों को भी ढूंढ निकालना नैतिक शिक्षा का उद्देश्य है |

एक बार जब बालक सत्य, ईमानदारी, आज्ञा – पालन आदि को समझ जाता है तथा दैनिक जीवन में इनका महत्व व इस्तेमाल करना जान जाता है तो वह निश्चय ही नैतिक गुणों का सम्मान करता है और अपने मूल्यों पर दृढ़ रहता है | जीवन जीने की कला सीख जाता है, रोजमर्रा की परिस्थितियों का व्यवहारिक ज्ञान उसे हो जाता | इसके विपरीत बालक जब नैतिक मूल्यों को अर्जित नहीं कर पाता है तो वह धीरे – धीरे समाज का एक अनुपयुक्त अंग समझा जाने लगता है |

अत: घर और विद्यालय दोनों का कर्तव्य है कि नैतिक मूल्यों का विकास करे | विशेष रूप से बचपन में नैतिक मूल्यों का विकास होना ही चाहिए क्योंकि देश के भावी कर्णधार वे ही है | उन्हें ही देश का भार अपने कन्धों पर रखना है |

यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि केवल घर पर मिले संस्कारों के माध्यम से नैतिक शिक्षा संभव नहीं हैं | नैतिक मूल्यों के उत्थान में शिक्षकों की अहम् भूमिका होती है | बच्चों में नैतिक मूल्यों के बीज बचपन से ही बोने की आवश्यकता होती है | आज तो सिर्फ थोड़े – से घंटो के लिए दो – चार घंटे के लिए बच्चे स्कूल में पढ़ने जाते हैं |

इन दो – चार घंटे के स्कूल में भी कोई नैतिक मूल्यों की सीख देने वाला पिरीयड होता नहीं, चारित्रिक शिक्षण होता नहीं | व्यक्तित्व का निर्माण करने की कोई बात होती नहीं और न इस प्रकार की कोई व्यवस्था ही वहाँ पर होती है। केवल, भूगोल, गणित, अंग्रेजी, इतिहास वगैरह पढ़ा दिए जाते है | और इसके लिए भी ढेरों अध्यापक होते है | पैंतालीस – पैंतालीस मिनट का तमाशा दिखा करके नट और कठपुतलियों के तरीके से अध्यापक भाग जाते हैं।

आजकल के माता – पिता यही सोचते है कि अमुक जगह, अमुक कॉलेज, अमुक विद्यालय या अमुक स्कूल में भेज देंगे तो हमारे बच्चे योग्य, चरित्रवान और संस्कारवान बन जाएँगे | पर जब तक हम बच्चों को स्कूल – कॉलेज में पढ़ने के लिए भेजते हैं, उस समय तक उसकी वह उम्र समाप्त हो जाती है, जिसमें बच्चे का निर्माण किया जाना संभव है |

दोस्तों ! उनसे यह आशा करना व्यर्थ है कि ये हमारे बच्चे को कुछ नैतिक मूल्यों को सीखा सकते हैं और पढ़ा सकते हैं | लेकिन नैतिक मूल्य तो माता – पिता के संस्कारों एवं गुरुजनों के शुभाशीष से ही मिल पाती हैं |

नैतिक मूल्यों का पतन होने से रोकने के लिए सर्वप्रथम सुशिक्षित एवं सुसंस्कृत अध्यापकों की आवश्यकता है | कहानी – किस्से, भाषण – संभाषण तथा वाद – विवाद आदि विधियाँ मात्र निर्देश भर है | इसी तरह खेल – कूद, अनुकरण, नाट्य, पूछताछ, शंका – समाधान, वर्ग योजनाएँ, प्रयोगात्मक प्रणालियाँ आदि सभी बच्चों के मस्तिष्कीय विकास के लिए आवश्यक, अनिवार्य और श्रेयष्कर विधियाँ है, जिनका प्रयोग होना चाहिए |

उपर्युक्त विधियों के प्रयोग करने का एक कारण यह भी है, कि नैतिक शिक्षा के मुल्यायांकन का क्षेत्र  व्यापक और जटिल हैं | इसलिए नैतिक शिक्षण हेतु उसी के अनुरूप व्यक्तियों की जरुरत पड़ती है | इसके लिए प्रभावशाली एवं सच्चरित्र अध्यापकों का होना पहली प्राथमिकता है | दुसरे ऐसी समाजसेवी संस्थाओं, धार्मिक संगठनों, नागरिक और स्कूल – क्लबों जैसे जनजागरण के केन्द्रों की गणना सर्वोपरी श्रेणी में आती हैं, जो गिरते नैतिक मूल्यों के उत्थान और बच्चों के चरित्र निर्माण में अहम् भूमिका निभा सकते है |

इसलिए एक राष्ट्र को मजबूत और आजाद रखने के लिए हर बालक में बचपन से ही नैतिकता का समावेश करना आवश्यक होता है | जब तक मूल्यों और चरित्रों को बालक में कायम रखा जायेगा, एक राष्ट्र और उसके लोग सदैव जीवित रहेंगे |

यह नैतिक मूल्य ही है जो मनुष्य को उन मूल्यों या नैतिक आदतों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए संदर्भित करती है जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से अच्छी जिंदगी जीने में मदद करता है और उन्हें इतना योग्य बनाता है कि वह एक समुदाय का सदस्य के रूप में अपना योगदान दे सके |

दूसरें शब्दों में कहे तो “नैतिक मूल्य” दो अलग-अलग कार्यों और दृष्टिकोण के लिए एक छत्र शब्द है सबसे पहला, जिसे बेहतर “नैतिकता” या “प्रशिक्षण” कहा जा सकता है, बच्चों को उन गुणों और मूल्यों में पोषण करने का कार्य है जो उन्हें अच्छा नागरिक बनाते हैं और दूसरा सुचरित्र संपन्न व्यक्ति अपने समाज और देश की धरोहर होता है जिससे और लोग अपने अंदर अच्छे गुणों का विकास करते है |

कई देशों ने नैतिक शिक्षा का आधार न केवल धार्मिक माना है, वरन चरित्र निर्माण पर भी बल दिया है | अत: शिक्षा में  नैतिक शिक्षा को व्यापक स्थान देना होगा |  नैतिकता वस्तुतः जीवन जीने की कला है |

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नैतिक मूल्य पर निबंध Essay on moral values in hindi

Essay on moral values in hindi.

essay on naitik mulya in hindi-दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल नैतिक मूल्यों पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल हैं हमारे आज के इस निबंध का उपयोग विद्यार्थी अपने स्कूल, कॉलेज की परीक्षा में निबंध लिखने के लिए यहां से जानकारी ले सकते हैं चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के इस निबंध को

Essay on moral values in hindi

भगवान ने एक प्यारी सी दुनिया बनाई इस दुनिया में सबसे पहले मां बाप आये हम अपने मा बाप के साथ में बड़े होते जाते हैं और परिवार, समाज के लोगों से मिलते हैं और उनसे व्यवहार बनाते हैं। हर मां बाप यही सोचते हैं कि हमारा बच्चा बड़ा होकर कुछ अच्छा करें वह इसके लिए बच्चे को पढ़ाते हैं लेकिन जो नैतिक मूल्यों को समझता है वही जीवन में आगे बढ़ता है लेकिन बदलते जमाने में लोग नैतिक मूल्यों को नहीं समझते वास्तव में नैतिक मूल्यों को हम समझेंगे तभी हमारा देश तेजी से प्रगति करेगा।

नैतिक मूल्य से तात्पर्य एक इंसान के ऐसे अच्छे गुणों से है जिससे उसका विकास, परिवार का विकास एवं समाज का विकास होता है। नैतिक मूल्यों को समझकर लोग अच्छे रास्तों पर चलते हैं ईमानदार बनते हैं, बड़ों की इज्जत करते हैं और सत्यभाषी होते हैं वह कभी भी झूठ नहीं बोलते लेकिन बदलते जमाने में लोग सबसे ज्यादा झूठ का सहारा लेते हैं यह हमारे नैतिक मूल्यों के खिलाफ है।

हमारे जीवन में वास्तव में नैतिक मूल्यों का बहुत महत्व है नैतिक मूल्यों के जरिए ही एक इंसान और एक परिवार और एक देश का राष्ट्र का विकास होता है। कुछ लोगों का मानना है कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद से नैतिक मूल्यों का ह्रास होना शुरू हो गया आजकल के आधुनिक युग में भले ही हम पढ़ाई पर ज्यादा जोर दे रहे है लेकिन फिर भी लोग नैतिक मूल्यों को नहीं समझ पाते वह अपने जीवन में भले ही कितने बड़े बन जाएं और वह कितना भी पैसा कमाये लेकिन नैतिक मूल्य जिसके पास नहीं है, जो नैतिक मूल्यों को नहीं समझ पाता वह सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नहीं होता हमें चाहिए कि हम नैतिक मूल्यों को समझें।

कहते हैं हम जैसा जीवन में करते हैं वैसा ही फल पाते हैं हमारे समाज में आजकल कई तरह की विकृतियां जन्म ले रही हैं झूठ, फरेब, बड़े बुजुर्गों की इज्जत ना करना, भ्रष्टाचार यह सभी एक तरह से नैतिक मूल्यों का ह्रास ही है हम सभी को चाहिए कि हम प्रेम पूर्वक अपने समाज में रहें और जीवन में खुश रहें ।

नैतिक मूल्यों के पतन को रोकना क्यों जरूरी है

हम सभी जानते हैं कि नैतिक मूल्यों का पतन यानी हमारे जीवन का पतन। एक अच्छी शिक्षा के बगैर एक इंसान पशु के समान होता है अगर एक इंसान में अच्छे गुण ना हो और वह नैतिक मूल्यों को न समझें तो वह पशु से भी गया गुजरा है क्योंकि पशु को तो शिक्षा लेने का अवसर नहीं मिलता लेकिन हमको तो शिक्षा लेने का अवसर मिलता है हमें नैतिक मूल्यों को समझना चाहिए।

अगर हम नैतिक मूल्यों को नहीं समझेंगे तो आने वाले भविष्य में बहुत बुरा हो सकेगा अगर हम किसी के साथ झूठ फरेब करेंगे तो जाहिर सी बात है वह भी हमसे झूठ फरेब करेगा। अगर हम बड़े बुजुर्गों को इज्जत नहीं देंगे तो हमको कौन इज्जत देगा हमारी भी उम्र होगी हमको कोई पूछने वाला भी नहीं होगा। अगर हम भ्रष्टाचार फैलाएंगे तो सोचिए आने वाले सालों में यह भ्रष्टाचार चरम सीमा तक पहुंचेगा और आपका कोई भी कार्य बिना पैसों के लेनदेन या बिना भ्रष्टाचार किए नहीं हो सकेगा तब आप जीवन में बहुत खुश होगे क्योंकि भ्रष्टाचार समाज के लोगों को, समाज को खोखला कर डालता है.

अगर एक इंसान नैतिक मूल्यों का महत्व नहीं समझेगा तो भाई भाई में दुश्मनी होगी, माता-पिता में दुश्मनी होगी, बाप बेटे में दुश्मनी होगी, परिवार में दुश्मनी होगी और समाज में लड़ाई दंगे होंगे इसलिए नैतिक मूल्य समझना बेहद जरूरी है। नैतिक मूल्यों को समझकर लोग एक अच्छा इंसान बनते हैं लेकिन इसके विपरीत लोग गलत कार्यों में फंस आएंगे, देश में नैतिकता नहीं होगी और हम अपने राष्ट्र के लिए कुछ भी अच्छा नहीं कर पाएंगे ।

हमें चाहिए कि हम नैतिक मूल्यों को समझें इनकी ओर विशेष ध्यान दें क्योंकि नैतिक मूल्यों से हमारे परिवार का, हमारे समाज का और हमारे राष्ट्र का विकास होता है नैतिक मूल्यों को अगर हम नहीं समझते, इन्हें नहीं अपनाते तो वास्तव में हमारा कुछ भी नहीं होगा और हमारा जीवन अंधकारमय होगा ।

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हर विद्यार्थी में होनी चाहिए ये ख़ास आदतें अगर चाहते हैं सफ़ल व सुखद भविष्य

इस लेख में हम बात करेंगे उन ख़ास आदतों और नैतिक मूल्यों की जो हर छात्र के लिए अपनानी हैं ज़रूरीl सुखद व सफ़ल जीवन व्यतीत करने के लिए इन आदतों को ज़रूर अपनाएं सभी छात्र जिससे वे अपने साथियों और अध्यापकों में बन पाएंगे प्रियl.

Gurmeet Kaur

एक सफ़ल इन्सान बनने के लिए हर व्यक्ति में कुछ ख़ास आदतें होना ज़रूरी हैं जो उसको भीड़ से अलग दिखा सकेंl सफ़लता के कदम चूमने के लिए जितनी अहमियत प्रोफेशनल स्किल्स को दी जाती है उतनी ही महत्ता नैतिक मूल्यों तथा अच्छी आदतों को भी दी जाती हैl लेकिन जिस प्रकार एक सफ़ल करियर की प्राप्ति के लिए की जाने वाली मेहनत व कोशिशें विद्यार्थी जीवन से ही शुरू हो जाती हैं ठीक उसी प्रकार अच्छे गुणों को धारण करने के प्रयत्न की शुरुआत भी विद्यार्थी जीवन से ही करनी ज़रूरी है क्यूँकि आदतें चाहे अच्छी हों या बुरी, एक या दो दिन में नहीं पाई जा सकती बल्कि ये तो सालों के प्रयास से आती हैंl आपकी आदतें ही आपके भविष्य का निर्माण करती हैंl यही अच्छी आदतें आपका चरित्र बन जाती हैंl आपके नैतिक मूल्यों व अच्छी आदतों के चलते आप अपने आस-पास के लोगों के बीच प्रिय बन जाते हैं जिससे दूसरों के साथ आपके अच्छे Personal Relations बनते हैं जो कि जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की पाने के लिए बहुत ज़रूरी हैंl

ये 5 सर्वश्रेष्ठ करियर प्लानिंग टिप्स हर स्कूली छात्र के लिए जानने हैं ज़रूरी

इस लेख के द्वारा हम छात्रों को कुछ ऐसी महत्वपूर्ण व ख़ास आदतों से परिचित करवाएंगे जिनको अपनाने से हर छात्र अपने सफ़ल भविष्य की नींव रखने के साथ ही एक कामयाब इन्सान बनने के सफ़र की शुरुआत कर सकता हैl

1. नि:स्वार्थ होकर दूसरों की मदद करना सीखें

बेशक स्कूल के छात्रों के लिए नि:स्वार्थ एक भारी-भरकम शब्द प्रतीत होता है लेकिन एक अच्छे आचरण के लिए इस शब्द का मुल्य सबसे ज़्यादा हैl नि:स्वार्थ का अर्थ है किसी प्रकार के लाभ की अपेक्षा किये बिना दूसरों की मदद करनाl अपने दोस्तों की पढ़ाई में या अन्य किसी ज़रूरत के समय सहायता ज़रूर करेंl नि:स्वार्थ सहायता ही असली संबंध व रिश्ते बनाने का सबसे बेहतरीन तरीका हैl

2. दूसरों की अच्छाइयां ढूंढ कर उनकी सराहना करना सीखें

लोगों के बीच प्रिय बनने का सबसे आसान तरीका है उनकी तारीफ़ करनाl दरअसल तारीफ़ सुनना हर किसी को पसंद है लेकिन बिना किसी कारण के की गई तारीफ़ या चापलूसी से लोग चिढ़ भी जाते हैंl इस लिए दूसरों की तारीफ़ करने से पहले, उस तारीफ़ की वजह ज़रूर जान लेंl    

आपसे मिलने वाली जायज़ प्रशंसा के लिए लोग न केवल आपकी बल्कि आपके द्वारा उनकी गतिविधियों को ध्यानपूर्वक नोटिस करने के तरीके की भी सराहना करते हैंl इससे वे अपने आप में मुकम्मल महसूस करते हुए अपनी महत्ता को समझ पाते हैं और ऐसे भाव पैदा करने के लिए उनके अन्दर आपके प्रति स्नेह और ज़्यादा बढ़ जाता हैl

उज्जवल भविष्य के लिए एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज़ के ये फ़ायदे हर छात्र के लिए जानना है बेहद ज़रूरी

3. बोलने से ज़्यादा दूसरों की सुनने में विश्वास रखें

दूसरों से अच्छे संबंध बनाने का एक सफ़ल तरीका है ‘बात-चीत’, जिसके द्वारा आप अपने मन के भावों का आदान-प्रदान करते हैंl लेकिन ‘बात-चीत’ तब ज़्यादा असरदार हो पाती है जब आप बोलने की बजाए सुनने में अधिक विश्वास रखते होंl कभी भी बिन मांगी सलाह न देंl  दरअसल सलाह देने से बेहतर है दूसरों के विचारों को सुनना जिससे पता चलता है कि आप सही में दूसरों के विचारों की कदर करते होl जबकि सुझाव देने का मतलब है कि आप सामने वाले को नज़रअंदाज़ करते हुए एक-तरफ़ा बात-चीत कर रहे हैंl

आप सिर्फ़ तभी बोलें अगर कुछ बहुत महत्वपूर्ण है जो कि आपके लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जानना ज़्यादा ज़रूरी हैl  

4. दूसरों से मेल-जोल करने से कभी पीछे न हटें

आपने ऐसे बहुत से लोगों को देखा होगा जो दूसरों से मिलने-जुलने या बात करने की बजाये अपना personal time बिताना ज़्यादा पसंद करते हैंl ऐसे लोगों के बहुत कम दोस्त बन पाते हैं और ज़रूरत के वक्त भी ये लोग अकेले ही रह जाते हैंl इसलिए self-importantance को कम आंकते हुए अपने सभी दोस्तों या रिश्तेदारों से मिलें और अच्छी बात-चीत बढ़ाएंl

5. हर शब्द सोच-विचार कर ही मुंह से निकालें

आपके मुंह से निकलने वाला हर शब्द सामने वाले के मनोभाव पे गहरा प्रभाव डालता है, इसलिए जो भी बोलें या जितना भी बोलें, सोच-विचार कर और नाप-तोल कर ही बोलेंl दूसरों की भावनाओं को आहत करने वाले शब्द कभी न बोलेंl हम सभी ऐसे लोगों से बात करना पसंद करते हैं जो खुशनुमा और उत्साही स्वाभाव के होंl आपके द्वरा बोले गये चंद प्रभावशाली लफ्ज़ दूसरों के लिए उत्साहजनक कारक का काम कर सकते हैंl

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6. दूसरों की असफलताओं को गिनाने से बेहतर अपनी कमियों को परखें

अक्सर हमें दूसरों की कमियों पे बात करना या दूसरों की बुराई करना अच्छा लगता है लेकिन हमें ऐसे लोग शायद ही पसंद होंगे जो दूसरों की बुराइयों पे बात करते हैंl इसलिए दूसरों की Good Books में शामिल होने के लिए उनकी कमियों पे बात करने की बजाये उनकी अच्छी क्वालिटीज़ के बारे में बात करनी चाहिएl  इसके आलावा दूसरों की असफलताओं को गिनने से बेहतर होगा कि हम अपनी कमियों पे गौर फरमाएं और उनको सुधारने पे काम करेंl जो व्यक्ति अपनी कमियों को दूसरों के सामने स्वीकारता है, उसके प्रति लोगों के दिलों में एक अलग सम्मान पैदा होता हैl

सुखद व सफ़ल जीवन व्यतीत करने के लिए दूसरों से अच्छे संबंध कायम करना बेहद ज़रूरी है जिसके लिए हमारे भीतर नैतिक मूल्य कूट-कूट कर भरे होने चाहिएl अच्छी आदतें व अच्छा आचरण सफ़ल व्यक्ति की पहली पहचान होते हैंl

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10 Lines on Moral value in Hindi – 10 Lines Essay

10 lines on moral value in hindi language :.

Hello Student, Here in this post We have discussed about Moral value in Hindi. Students who want to know a detailed knowledge about Moral value, then Here we posted a detailed view about 10 Lines Essay Moral value in Hindi. This essay is very simple.

Moral value (नैतिक मूल्य)

1) अच्छे और बुरे काम के बीच अंतर करने वाले मानक को हम नैतिक मूल्य कहते हैं।

2) हर समाज के अपने अलग नैतिक मूल्य होते हैं।

3) नैतिक मूल्य का पालन करने वाले व्यक्ति को सज्जन माना जाता है।

4) दूसरी और नैतिकता का पालन न करने वाले व्यक्ति को दुर्जन समझा जाता हैl

5) नैतिक मूल्यों का पालन करने वाले व्यक्ति की समाज में अच्छी प्रतिष्ठा होती है।

6) नैतिक मूल्य समाज के लिए कल्याणकारी होते हैं।

7) नैतिक मूल्यों का हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है।

8) दया ,उदारता ,निष्ठा ,ईमानदारी यह सारे नैतिक मूल्य हैं।

9) समाज में नैतिक मूल्य कम होते जा रहे हैं।

10) आज हर व्यक्ति नैतिकता से ज्यादा पैसों को महत्व देता है।

Hope above 10 lines on Moral value in Hindi will help you to study. For any help regarding education Students please comment us. Here we are always ready to help You.

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नैतिक शिक्षा पर निबन्ध | Essay on Moral Value in Hindi

essay on moral values in hindi

नैतिक शिक्षा पर निबन्ध | Essay on Moral Value in Hindi!

मानव को सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ सामाजिक मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है । समाज की इन मर्यादाओं में सत्य, अहिंसा, परोपकार, विनम्रता एवं सच्चरित्र आदि अनेक गुण होते हैं ।

इन गुणों को यदि हम सामूहिक रूप से एक नाम देना चाहे तो ये सब सदाचार के अन्तर्गत आ जाते है । सदाचार एक ऐसा व्यापक शब्द है जिसमें समाज को लगभग सभी मर्यादाओं का पालन हो जाता है । अत: सामाजिक व्यवस्था के लिए सदाचार का सर्वाधिक महत्त्व है ।

सदाचार शब्द यौगिक है, दो शब्दों से मिलकर बना है – सत् + आचार जिसका भावार्थ है उत्तम आचरण अर्थात जीवन यापन की वह पद्धति जिसमें सत का समन्वय है, जिसमें कहीं भी ऐसा न हो जो असत् कहा जा सके । सदाचार संसार का सर्वोत्कृष्ट पदार्थ है । विद्या, कला, कविता, धन अथवा राजस्व कोई भी सदाचार की तुलना नहीं कर सकता । सदाचार प्रकाश का अनन्त स्त्रोत है ।

विश्व के समस्त गुण सदाचार से निहित हैं । सदाचार से शरीर स्वस्थ, बुद्धि निर्मल और मन प्रसन्न रहता है । सदाचार हमें मार्ग दिखलाता है । सदाचार आशा और विश्वास का विशाल कोष है । सदाचारी मनुष्य संसार में किसी भी कल्याणकारी वस्तु को प्राप्त कर सकता है ।

सदाचार से ही उत्तम आयु, मनचाही संतान तथा असंचय धन आदि की प्राप्ति होती है । सदाचार के बिना मनुष्य का जीवन खोखला है जिसके कारण वह कभी उन्नति नहीं कर सकता है । चरित्र ही सदाचार व्यक्ति की शक्ति है ।

ADVERTISEMENTS:

किसी भी महान से महान कार्य की सिद्धि बिना सदाचार अथवा उत्तम चरित्र के संभव नहीं । जो वास्तविक सफलता सदाचारी प्राप्त कर सकता है उसे दुराचारी मानव कदापि प्राप्त नहीं कर सकता है । सदाचार का पालन न करने वाला व्यक्ति समाज में घृणित माना जाता है । दुराचारी पुरुष की संसार में निन्दा होती है । वह निरन्तर व्याधिग्रस्त एवं रोगासक्त रहता है तथा उसकी आयु भी कम होती है ।

दुराचारी मानव अपना, अपने समाज और अपने राष्ट्र किसी का भी उत्थान नहीं कर सकता है । सदाचार विहीन मनुष्य का जीवन पाप-कर्म में होने के कारण सुख-शान्ति रहित एवं अपमानजनक होता है । ऐसे लोगों को इस लोक में चैन नहीं मिलता तथा परलोक में भी सदगति प्राप्त नहीं होती है ।

‘आचार’ शब्द तो इतना महत्त्वपूर्ण है, सहज ही नहीं भुलाया जा सकता । सदाचार आम या जामुन का फल नहीं है जिसे किसी भी वृक्ष से तोड़ लिया जाय अथवा बाजार से खरीद लिया जाये । सदाचार आचरण की वस्तु है, वाणी की नहीं । सदाचार की भाषा मौन है, वह बोलता नहीं । सम्पूर्ण जीवन की आधारशिला विद्यार्थी जीवन है । अत: इस जीवनरूपी नींव को विनम्रता, परोपकार, सच्चरित्रता, सत्यवादिता आदि से पुष्ट होना चाहिये ।

सदाचार के अभ्यासार्थ हमें बुरे वातावरण से सर्वदा बचना चाहिए, क्योंकि बुरे वातावरण में रहकर हम कितना ही प्रयास करे उसके प्रभाव से बचना कठिन है । सदाचार के हेतु हमें अपना अधिक से अधिक समय महापुरुषों की आत्मकथा, गीता, रामायण, श्रीमद्‌भागवत, कुरान शरीफ, बाईबिल, त्रिपिटक आदि धार्मिक ग्रन्थों के पठन-पाठन तथा सत्संगति में व्यतीत करना चाहिए ।

स्पष्ट है कि सदाचार का पालन स्वयं की, समाज की और राष्ट्र की उन्नति के लिये परमावश्यक है । सच्चरित्रता ही सदाचार है, जिसकी प्रतिक्षण रक्षा करना हमारा परम, पवित्र कर्तव्य है । सदाचार मानव को देवत्व प्रदान करता है । इस सदाचारण से युक्त पृथ्वी ही स्वर्ग है ।

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नैतिक मूल्यों पर अनमोल विचार

Quotes on moral values in hindi.

नैतिक मूल्यों पर सुविचार – Quotes on Moral Values लायें हैं आपको जरुर पसंद आयेंगे –

नैतिक मूल्यों पर अनमोल विचार – Quotes on Moral Values in Hindi

Hindi Quotes on Moral Values

“सत्यता जीवन में हो, और ज्ञान नैतिक मूल्य हों साथ।”

“जीवन की हर घड़ी में, आवश्यक हैं यह बात।”

Hindi Quotes on Moral Values

Moral Values Quotes in Hindi

“नैतिक मूल्य हैं मनुष्य के आधारस्तम्भ, सही पथ पर जीवन यात्रा करें आरम्भ।”

“नैतिक मूल्यों का करें आदर, समानता रखें और समझें सभी को सहोदर।”

Naitik Mulya par Suvichar

Naitik Mulya par Suvichar

“मानवता के उच्च आदर्शों को प्रकाशित करें, हमारे पूर्वजों की शिक्षा का अनुसरण करें।”

“ज्ञान-विज्ञान की सभी बातें, निष्फल हैं यदि नैतिक मूल्यों को न ले पाते।”

Quotes on Moral Values in Hindi

“क्या नैतिक क्या अनैतिक का जो करे विचार, जागरूकता और सत्य की शक्ति रहे उसमें अपार।”

“इन्सान की नाजायज कमाई का लाभ कोई भी उठा सकता हैं लेकिन उसके कर्मो का फल उसे स्वयं ही भुगतान पड़ता हैं।”

Quotes on Moral Values

Quotes on Moral Values

“नैतिक मूल्यों का अनुसरण करें, उच्च विचारधारा कायम रखें।”

“एक सफ़ल व्यक्ति बनने की कोशिश मत करो, बल्कि मूल्यों पर चलने वाले व्यक्ति बनो।”

Thoughts on Moral Values in Hindi

Thoughts on Moral Values in Hindi

“स्वार्थ से होता सिर्फ आपका हित, नैतिक विचार करें सभी का हित।”

“भूल करने में पाप तो हैं ही, लेकिन उसे छिपाने में उससे भी बड़ा पाप हैं।”

Thoughts on Moral Values

Thoughts on Moral Values

“सही और गलत का औचित्य समझें, मानवता को जीवित रखें।”

“दुनिया में सबसे आसान काम हैं “विश्वास खोना” कठिन काम हैं, “विश्वास पाना” और उससे भी कठिन हैं “विश्वास को बनाएं रखना”।”

Moral Values Quotes

Moral Values Quotes

“मनुष्य जितना सोचता है उससे कहीं ज्यादा नैतिक है, और वो इतना अनैतिक है कि वो उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता।”

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  • Essay On Values

Essay on Moral Values

500+ words essay on moral values.

Moral values are considered an essential aspect of human life. Moral values determine one’s nature, behaviour and overall attitude towards life and other people. In our lives, our decisions are primarily based on our values. The choices we make in our lives impact us and our society, organisation and nation. It is believed that a person with good values makes wise decisions that benefit everyone. On the contrary, people who have no moral values think only of themselves. They don’t care about others’ needs or society and make choices based solely on their needs. They create an unfriendly and sometimes unsafe environment around themselves.

Importance of Moral Values

The value of a person reflects their personality. Moral values help us understand the difference between right and wrong, good and evil and make the right decisions and judgements. They empower and drive a person to be a better human being and work for the betterment of society. Some moral values a person can inculcate in themselves are: dedication, honesty, optimism, commitment, patience, courtesy, forgiveness, compassion, respect, unity, self-control, cooperation, care and love. A person becomes humble and dependable with good values. Everyone looks up to a person with good values, whether personally or professionally.

If a person has good values, he spreads love, joy, and positive vibes. A person with good values works for the upliftment of society, along with taking care of their life. Such people are always considerate of the needs of others and understand the importance of unity and teamwork. They don’t lose their temper very easily and forgive others. People with good values are an asset to the organisation they work in and the society they live in.

Values Must Be Imbibed

We need to imbibe good values to function as humans and live in a society. Good values include dedication towards work, honesty, respect, commitment, love, helping others, taking responsibility for others’ deeds and acting responsibly. All these values are essential for the positive growth of an individual.

If you want to become a true leader and inspire others, you need to have good values. People always show respect and love to a person with good values. Additionally, they’ll trust and depend on a person of good values because they get proper advice and opinion from such a person.

Ethics Must Be Followed

A person with good values behaves ethically. We often hear of an ethical code of conduct. These are a set of rules or codes an individual is expected to follow. For example, talking politely with others, respecting elders/co-workers, handling difficult situations calmly, maintaining discipline and acting responsibly. Following these ethics helps create a healthy and safe work environment. So, it is essential for everyone to follow the ethical code of conduct.

The Role of Parents and Teachers

Moral values are not just born in a person but must be taught and inculcated right from childhood. When we talk about raising or nurturing children with good values, the credit goes to parents and teachers. It is their responsibility to teach children good values and should make them understand why it’s necessary to follow ethical behaviour. Schools should also take the responsibility to have a separate class dedicated to teaching ethics and moral values from the beginning. They should also train the students so that they imbibe these values.

An individual should imbibe good moral values to do well both in their professional and personal lives. A person with good values is also recognised among the crowd and is always appreciated for his behaviour and attitude towards others. On the contrary, people who lack good values often get into trouble and are not accepted in society. So, we should make sure that we teach our children good values and ethical behaviour from an early age. It is our responsibility to make our future generation learn moral values and ethics. This will help them become good human beings and upstanding citizens of the world. Additionally, it will give them the strength and courage to achieve great things in their lives.

The importance of moral values cannot be overstated. A nation with a high proportion of good values will undoubtedly progress and develop more rapidly than where people lack values. Moral values nurture us individually, build strong character and help create a better world around us.

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12 episodes

This podcast is specifically dedicated to all our bright and shining kids around us. These stories illustrate the few morals and ethics and values in their life in early ages, with the help of our little stories which can enhance their knowledge and moral values by just listening them. It can also guide to the parents! Order such moral stories book from Amazon: https://www.amazon.in/gp/product/B0CXY1FZGX/ref=cx_skuctr_share_ls_srb?smid=AU9OI3E2IJG8E&tag=ShopReferral_6937ff94-f535-4064-8261-3a8d44e4ed50

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Integrity: the Cornerstone of Trust and Moral Character

This essay about integrity explains its significance as a fundamental quality that defines moral and ethical principles. It highlights the key aspects of integrity, including honesty, consistency, accountability, and fairness. The essay discusses how integrity builds trust and respect in personal and professional relationships, emphasizing its crucial role in leadership and organizational success. It also explores the broader impact of integrity on society, promoting social cohesion and stability. Through various examples, the essay underscores that integrity is essential for creating a trustworthy and ethical world, inspiring others, and fostering a culture of ethical behavior.

How it works

Integrity, a frequently debated yet sometimes enigmatic concept, surpasses mere veracity or candor. At its essence, integrity embodies an unwavering dedication to moral and ethical precepts, demonstrated through consistent deeds, values, methodologies, assessments, and principles. Individuals of integrity epitomize dependability in executing what is morally upright, even in the absence of scrutiny. This attribute serves as the cornerstone of trust and esteem, both personally and professionally.

Veracity stands tall as a foundational principle of integrity. Beyond simple truthfulness, it entails an unflinching commitment to honesty, not only in grand narratives but also in the minutiae of everyday existence.

A genuinely honest individual eschews deception, whether it be a harmless fabrication to avoid inconvenience or a significant untruth for personal gain. This transparency engenders a reputation for reliability and trustworthiness. Such individuals are highly valued for their unadorned honesty, devoid of embellishment or distortion. This degree of trust is invaluable, fostering robust interpersonal connections and thriving professional environments.

Consistency emerges as another pivotal aspect of integrity, denoting unwavering adherence to ethical standards across all circumstances. An individual of integrity maintains a resolute moral compass, impervious to external influences or situational pressures. This steadfastness lays a solid foundation for trust, as observers witness a seamless alignment between professed values and enacted behaviors. This predictability instills reassurance and nurtures a sense of security in interactions and relationships.

Accountability, too, looms large in the realm of integrity, encompassing the readiness to take responsibility for one’s actions and decisions, acknowledge shortcomings, and make amends when necessary. Embracing accountability entails subjecting oneself to scrutiny and accepting the consequences of one’s behavior. This trait fosters an ethos of transparency and trust, as individuals and institutions demonstrate a willingness to rectify mistakes and operate with openness. Accountability transcends mere acknowledgment of errors; it embodies a commitment to growth and progress.

Equity and justice serve as integral pillars of integrity, guiding individuals to treat others with fairness and impartiality, devoid of personal biases or prejudices. Individuals of integrity eschew favoritism and strive to render decisions based on objective assessment and egalitarian principles. They remain steadfast in their pursuit of fairness, irrespective of challenges or opposing viewpoints. This dedication to equity fosters social cohesion and trust, as individuals feel valued and respected within their social circles. In professional contexts, this translates into equitable treatment of employees, fair business practices, and transparent dealings with clients and partners.

The significance of integrity extends beyond personal conduct to encompass organizational ethos and societal norms. In the realm of business, for example, integrity serves as the linchpin for fostering trust among clients, collaborators, and employees. Enterprises that prioritize integrity cultivate a sterling reputation, attract loyal clientele, and retain top-tier talent. Ethical business practices, such as operational transparency, equitable treatment of personnel, and forthright marketing strategies, epitomize corporate integrity. By prioritizing ethical conduct over short-term gains, these organizations signal their commitment to sustained success and enduring customer loyalty.

Leadership represents another domain where integrity reigns supreme, engendering confidence and trust among followers. Leaders imbued with integrity lead by example, exemplifying ethical behavior and holding themselves and others accountable. This fosters a culture of integrity within the organization, where ethical conduct is not merely esteemed but rewarded. Leaders of integrity are more likely to make decisions that prioritize the collective welfare over personal interests. They understand that their actions set the tone for the entire organization and thus endeavor to uphold lofty ethical standards.

The import of integrity transcends individual and organizational boundaries, shaping the fabric of society at large. A society that upholds integrity fosters an environment where trust, equity, and justice flourish. It engenders social cohesion and stability, underpinning economic prosperity by fostering confidence in interpersonal interactions and transactions. A societal ethos grounded in integrity serves as a bulwark against corruption, fortifies governance structures, and enhances community well-being.

In personal relationships, integrity serves as the cornerstone of trust and mutual respect. When individuals are assured of their counterparts’ steadfast adherence to ethical principles, they feel secure in their relational bonds. This reliability fosters deeper connections and nurtures a sense of community. In times of adversity, this foundation of trust provides solace and resilience, enabling relationships to weather storms and emerge stronger. Integrity in personal relationships is predicated on honesty, reliability, and equity, ensuring that interactions are rooted in mutual respect and empathy.

Perhaps one of integrity’s most profound effects lies in its capacity to inspire others. When individuals witness integrity in action, it serves as a potent exemplar, setting a standard for ethical conduct and nurturing a culture of integrity. This ripple effect has the potential to catalyze transformation at the communal, organizational, and societal levels, fostering environments where ethical behavior is not merely an exception but the norm. Integrity thus emerges as not merely a personal virtue but a collective asset, capable of elevating the moral and ethical standards of entire communities.

Despite its manifold virtues, maintaining integrity presents formidable challenges. It demands unwavering resolve in the face of adversity, compelling individuals to make difficult choices and adhere to their principles. There may be pressures to compromise on ethical standards for expediency or conformity, yet it is in these crucibles of adversity that the mettle of one’s character is truly tested. Those who uphold their integrity in the face of adversity earn the deepest respect and trust from their peers.

In summary, integrity represents a multifaceted construct encompassing honesty, consistency, accountability, and equity. It forms the bedrock of trust and respect in personal and professional relationships and serves as a linchpin for organizational and societal well-being. Integrity stands as the lodestar guiding individuals and institutions toward ethical conduct and responsible citizenship. By upholding the principles of integrity, individuals can contribute to the creation of a more trustworthy and just world. The significance of integrity cannot be overstated; it serves as the cornerstone upon which trust is built and the adhesive that binds communities together.

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Cite this page

Integrity: The Cornerstone of Trust and Moral Character. (2024, Jun 01). Retrieved from https://papersowl.com/examples/integrity-the-cornerstone-of-trust-and-moral-character/

"Integrity: The Cornerstone of Trust and Moral Character." PapersOwl.com , 1 Jun 2024, https://papersowl.com/examples/integrity-the-cornerstone-of-trust-and-moral-character/

PapersOwl.com. (2024). Integrity: The Cornerstone of Trust and Moral Character . [Online]. Available at: https://papersowl.com/examples/integrity-the-cornerstone-of-trust-and-moral-character/ [Accessed: 2 Jun. 2024]

"Integrity: The Cornerstone of Trust and Moral Character." PapersOwl.com, Jun 01, 2024. Accessed June 2, 2024. https://papersowl.com/examples/integrity-the-cornerstone-of-trust-and-moral-character/

"Integrity: The Cornerstone of Trust and Moral Character," PapersOwl.com , 01-Jun-2024. [Online]. Available: https://papersowl.com/examples/integrity-the-cornerstone-of-trust-and-moral-character/. [Accessed: 2-Jun-2024]

PapersOwl.com. (2024). Integrity: The Cornerstone of Trust and Moral Character . [Online]. Available at: https://papersowl.com/examples/integrity-the-cornerstone-of-trust-and-moral-character/ [Accessed: 2-Jun-2024]

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